योग ाम ृ त
पेट के दोष , बहु त सार े रोग िमटाए बनाए -ििदोषनाशक सथ
और पा चन सब ल
लबिसत
भूिम पर कंबल िबछा कर लेट जाएँ, ििर गुदा को िसकोडे तथा िैलाएँ। घेरंड संिहता की कुछ टीकाओं के अनुसार सथलबिसत मे पादपििमोतानासन की
िसथित मे अििनी मुदा की जाती है । यह पयोग भी बहुत सरल है । इसमे पैरो को िैला
कर उनके बीच 12 इं च का अंतर रखे। आगे उतना ही झुके िजतने मे आप अपने पैरो की उँ गिलयो को पकड सके। इस िसथित मे अििनी मुदा का अभयास करे । िास िियाः
िास लेते समय गुदा दार का आंकुचन अथात ा ऊपर की ओर खींचा
जाता है और िास छोडते समय पसरण िकया जाता है ।
लाभ ः सथलबिसत के अभयास से पेट के दोष, आम व वातजनय रोगो का शमन
और जठराििन का वधन ा होता है । इससे िपत तथा कि के दोषो का नाश होता है और
पेट िनरोग बनता है । यह सभी पकार के रोगो से रका करती है । वयािध उतपनन होने पर उसे जड से हटाने मे भी सहायक होती है ।
अििनी मुदा से मूलाधार व सवािधषान चि िवकिसत होते है । इससे बुिि व
पभावशाली वयिितव के िवकास मे बडा सहयोग िमलता है ।
सथलबिसत से शरीर के साथ मानिसक िवकारो पर भी िनयंिण होता है । बहचया
पालन मे सहायता िमलती है । साधको को साधना मे शीघ उननत होने हे तु भी यह खूब सहायक है ।
सावधानीः
उचच रिचाप, हिनय ा ा व पेट के गंभीर रोगो मे यह पयोग विजत ा है ।
एकयप ेशर के द ो उप योगी िबनद ु
सूय ा िब नद ु ः सूयिाबनद ु छाती के पदे (डायफाम) के नीचे आये हुए समसत अवयवो
का संचालन करता है । नािभ िखसक जाने पर अथवा डायफाम के नीचे के िकसी भी अवयव के ठीक से काया न करने पर सूयिाबनद ु पर दबाव डालना चािहए।
शिििब नद ु ः जब थकान हो या रािि को नींद न आयी हो तब इस िबनद ु को
दबाने से वहाँ दख ु ेगा। उस समय वहाँ दबाव डालकर उपचार करे । सोतः ऋ िष पसाद जनवरी
2007, पृ ष स ंखय ा 28