सवासथ य़ अम ृ त
बहु मूल य हरड
रोगो को दरू कर शरीर को सवसथ रखने वाली औषिियो मे हरड (हरे ) सवश व ष े है ।
य़ह ििदोषशमक, बुिि, आयु, बल व नेिजयोितविक व , उतम अििनदीपक व संपूणव शरीर की शुिि करने वाली है । िवििनन पकार से उपयोग करने पर सिी रोगो को हरती है ।
चबाकर खायी हुई हरड अििन को बढाती है । पीस कर खाय़ी हुई हरड मल को
बाहर िनकालती है । पानी मे उबाल कर खाने से दसत को रोकती है और घी मे िूनकर खाने से ििदोषो का नाश करती है ।
िोजन के पहले हरड चूस कर लेने से िूख बढती है । िोजन के साथ खाने से
बुिि, बल व पुिि मे विृि होती है । िोजन के बाद सेवन करने से अननपान-संबंिी दोषो को व आहार से उतपनन अवांिित वात, िपत और कफ को तुरंत नि कर दे ती है ।
सेिा नमक के साथ खाने से कफजनय़, िमशी के साथ खाने से िपतजनय, घी के
साथ खाने से वाय़ुजनय तथा गुड के साथ खाने से समसत वयािियो को दरू करती है । हरड के सरल प योग 1.
मिसतषक की द ु बव लता ः 100 गाम हरड की िाल व 250 गाम ििनया को बारीक पीस ले। इसमे सममािा मे िपसी हुई िमशी िमलाकर रखे। 6-6 गाम चूणव सुबह-शाम पानी के साथ लेने से मिसतषक की दब व ता ु ल दरू हो कर समरणशिि बढती है । कबज दरू होकर आलसय व सुसती िमटती है और सारा िदन िचत पसनन रहता है ।
2.
अननतवात
(Trigeminal Neuralgia)- पीली हरड की िाल व ििनया
100-100 गाम तथा 50 गाम िमशी को अलग-अलग पीस के िमलाये।
यह चूणव सुबह-शाम 6-6 गाम जल के साथ लेने से अननतवात की पीडा, जो अचानक कहीं माथे पर या कनपटी के पास होने लगती है नि हो जाती है । इसमे वातविक व पदाथो का तयाग आवशयक है । 3.
2 गाम हरड व 2 गाम सोठ के काढे मे 10 से 20 िम.ली. अरणडी का तेल िमलाकर सुबह सूय़ोदय़ के बाद लेने से गिठया, सायिटका, मुह ँ का लकवा व हिनय व ा मे खूब लाि होता है ।
4.
हरड चूणव गुड के साथ िनय़िमत लेने से वातरि (Gout) िजसमे उँ गिलयाँ तथा हाथ-पैर के जोडो मे सूजन व ददव होता है , नि हो जाता है । इसमे वायुशामक पदाथो का सेवन आवशयक है ।
5.
हरड वीयस व ाव को रोकती है , अतः सवपनदोष मे लािदायी है ।
6.
उिलटयाँ शुर होने पर हरड का चूणव शहद के साथ चाटे । इससे दोष
(रोग के कण) गुदामागव से िनकल जाते है व उलटी शीघ बंद हो जाती है । 7.
हरड चूणव गमव जल के साथ लेने से िहचकी बंद हो जाती है ।
8.
हरड चूणव मुनकके (8 से 10) के साथ लेने से अमलिपत मे राहत िमलती है ।
9.
आँख आने पर तथा गुहेरी (आँख की पलक पर होने वाली फुँसी ) मे
पानी मे हरड िघसकर नेिो की पलको पर लेप करने से लाि होता है । 10.
शरीर के िकसी िाग मे फोडा होने पर गोमूि मे हरड िघसकर लेप
करने से फोडा पक कर फूट जाता है , चीरने की आवशयकता नहीं पडती। 11.
3-4 गाम हरड के ििलको का काढा शहद के साथ पीने से गले का ददव , टािनसलस तथा कंठ के रोगो मे लाि होता है ।
12.
िोटी हरड, सौफ, अजवायन, मेथीदाना व काला नमक समिाग िमलाकर चूणव बनाये। 1 से 3 गाम चूणव सुबह-शाम गमव जल के साथ कुि िदन
लेने से कान का बहना बंद हो जाता है । इन िदनो मे दही का सेवन न करे ।
हरड चूणव की सामानय मािा 1 से 3 गाम।
हरड रसायन
यो ग
हरड व गुड का सिममशण ििदोषशामक व शरीर को शुि करने वाला उतम
रसायन योग है । इसके सेवन से अजीणव, अमलिपत, संगहणी, उदरशूल, अफरा, कबज आिद पेट के िवकार दरू होते है । िाती व पेट मे संिचत कफ नि होता है , िजसमे शास, खाँसी व गले के िविवि रोगो मे िी लाि होता है । इसके िनय़िमत सेवन से बवासीर, आमवात,
वातरि (Gout), कमरददव , जीणज व वर, िकडनी के रोग, पाडु रोग व यकृ त िवकारो मे लाि होता है । यह हदय के िलए बलदाय़क व शमहर है ।
िव ििः 100 गाम गुड मे थोडा सा पानी िमला कर गाढी चासनी बना ले। इसमे
100 गाम बडी हरड का चूणव िमलाकर 2-3 गाम की गोिलयाँ बना ले। पितिदन 1 गोली चूस कर अथवा पानी से ले। यिद मोटा शरीर है तो 4 गाम िी ले सकते है । सोतः ऋ िष पसाद अगस त 2007, पृ ष 28, 29