गगगगगगगगग गग गगगगगग परम पूजय बापूजी के शीचरणो मे कोिट-कोिट पणाम। मैने पूजय शी से 25 जुलाई को दीका ली थी। तब से आज तक बहुत से अनुभव हुए, िजससे गुरदेव के पित मन मे शदा बढती ही गयी। हाल ही मे हुआ एक अनुभव िलख रहा हूँ। हमारे शहर (सोलापु)रमे िदनाक 11 अक्तू बर को जातीय दंगे भड़क उठे । अमिरकन ईसाई धमर्गु रु (पोप) के वकतवय के िवरोध मे मुसिलमो ने आकामक रवैया अपनाते हुए कई दुकानो को आग लगा दी। इसी दौरान उन लोगो ने मेरी दुकान को भी आग लगा दी। मै ऊपर की मंिजल पर िसथत अपने घर मे था। शुर मे घर के लोग थोडा घबरा गये थे। आकमणकािरयो ने घर पर भी काफी पथराव िकया, तािक हम आग बुझाने नीचे न आये। कुछ ही समय मे दुकान से काफी धुआँ आना शुरु हो गया। इसी दौरान मैंने बापू जी के फोटो के सामने बैठ गुरमंत का जप शुर कर िदया। कुछ देर बाद हम लोगो ने नीचे आकर दुकान खोली तो देखा िक दुकान मे लगी आग अपने आप बुझ गयी थी, िसफर् धुआँ ही बचा था। कुछ सामान छोड़कर सारी दुकान सही-सलामत थी। बस, यह सारा कमाल बापू जी के आशीवाद का था और हम सब घर के लोग भी मरते-मरते बच गये। बापू जी भगवान का साकात रप है। बापूजी को कोिट-कोिट पणाम। िवकास शंकरसा पवार 66, शिनवार पेठ, सोलापुर (महाराषट) ऋिष पर्साद , अंक 121, पृष संखया 30, जनवरी 2003 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ