Jivan Shakti Ka Vikas Rpaugust2008

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जीवन पथद शश न जी वन शिि का िवक ास संगीत का प भावः

िवश भर मे साििवक संगीतकार पायः दीघाय श ुषी पाये जाते है ।

इसका रहसय यह है िक साििवक संगीत जीवन शिि को बढाता है । कान दारा ऐसा संगीत सुनने

से तो यह लाभ होता ही है अिपतु िकसी वयिि के कान बंद करवा के उसके पास संगीत बजवाया जाये तो भी संगीत के सवर, धविन की तरं गे उसके शरीर को छूकर जीवनशिि को बढाती है । इस पकार संगीत आरोगयता के िलए भी लाभ दायी है ।

जलपपात, झरनो की कल-कल, छल-छल मधुर धवनी से भी जीवनशिि का िवकास होता

है । पिियो के कलरव से भी पाणशिि बढती है ।

हाँ, संगीत मे एक अपवाद भी है । पाशातय जगत मे पिसद रॉक संगीत (Rock Music)

बजाने वाले और सुनने वाले की जीवनशिि िीण होती है । डॉ. डॉयमंड ने पयोगो से िसद िकया िक सामानयतया हाथ का एक सनायु 'डे लटोइड' 40 से 45 िक.गा. वजन उठा सकता है । जब रॉक संगीत बजता है तो उसकी िमता केवल 10 से 15 िक.गा. वजन उठाने की रह जाती है । इस

पकार रॉक संगीत से जीवनशिि का हास होता है और अचछे साििवक, पिवत संगीत की धविन से तथा पाकृ ितक आवाजो से जीवनशिि का िवकास होता है ।

शीकृ षण बाँसुरी बजाया करते तो उसे सुनने वालो पर उसका कया पभाव पडता था यह

सुिविदत है । शीकृ षण जैसा संगीतज िवश मे और कोई नहीं हुआ। नारद जी भी वीणा और

करताल के साथ हिर समरण िकया करते थे। उन जैसा मनोवैजािनक संत िमलना मुििकल है । वे मनोिवजान की पढाई करने सकूल कॉलेजो मे नहीं गये थे। मन को जीवनततव मे िवशािनत

िदलाने से मनोवैजािनक योगयताएँ अपने-आप िवकिसत होती है । शी शंकराचायश जी ने भी कहा है ः 'िचत के पसाद से सारी योगयताएँ िवकिसत होती है ।'

पतीक का पभाव ः िविभनन पतीको का भी जीवनशिि पर गहरा पभाव पडता है । डॉ.

डॉयमंड ने रोमन कॉम को दे खने वाले वयिि की जीवनशिि िीण होती पायी।

वैजािनक परीिणो से यह भी सपष हुआ है िक सविसतक समिृद व अचछे भावी का सूचक

है । उसके दशन श से जीवनशिि बढती है ।

जमन श ी मे िहटलर की नाजी पाटी का िनशान सविसतक था। कूर िहटलर ने लाखो यहूिदयो

को मार डाला था। वह जब हार गया तो िजन यहूिदयो की हतया की जाने वाली थी वे सब मुि हो गये। तमाम यहूिदयो का िदल िहटलर और उसकी नाजी पाटी के िलए तीव घण ृ ा से युि रहे यह सवाभािवक है । उन दष ु ो का िनशान दे खते ही उनकी कूरता के दिय हदय को कुरे दने लगे यह सवाभािवक है । सविसतक को दे खते ही भय के कारण यहूदी की जीवनशिि िीण होनी

चािहए। इस मनोवैजािनक तथय के बावजूद भी डॉ. डायमंड के पयोगो ने बता िदया िक सविसतक का दशन श यहूदी की जीवनशिि को बढाता है । सविसतक का शििवधक श पभाव इतना पगाढ है ।

सविसतक के िचत पर पलके िगराये िबना, एकटक िनहारते हुए ताटक का अभयास करके

जीवनशिि का िवकास िकया जा सकता है ।

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