Mutthi Bhar Aag_stoies Book_ By Nand Lal Bharati

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  • Words: 117,330
  • Pages: 489
ई-बक ु

– रचनाकार http://rachanakar.blogspot.com

क तत ु . पाठ को वचालत फ़ॉट परवतत कया गया है , अतः वतनी क अश'(याँ संभा'वत ह-. ु

म/ ु ठ0 भर आग (

कहानी सं2ह

1

)

नदलाल भारती

म/ ु ठ0 भर आग ।कहानी सं2ह।

लेखक

नदलाल भारती सवा7धकार-ले धकार लेखकाधीन इ:टरनेट सं करण 2

वष -2009

काशक मनोरमा सा=ह>य सेवा आजाद द@प,15-एम-वीणा नगर इंदौर ।म ।452010 दरभाष -0731-4057553 चलतवाता-9753081066 ू

पैतक ृ गांव, दे श

3

दनया के ु शो'षत,पीEड शो'षत पीEड.त पीEड त, वं7चत,कमजोर चत कमजोर और गर@ब समदाय ु को सम'पत

लेखक य अनभतयो ,'वचारो ,जHमI एवं संवेदनाओं से उपजी ू ू 4

पीडाओं को म/ ु ठ0 भर आग (कहानी सं2ह) के Lप मM आप पाठकI को ह तातरत करते हए ु मन का बोझ कम तो हो रहा है पर ऐसा बोझ मन पर आता PयI है और आता है तो Pया नराकरण सQभव नह@ं भारतीय समाज मM ? Pया 'वषमता क म/ ु ठ0 भर आग मM आदमयत

सलगती ु

रहे गी

? Pया

हमारे

भारतीय

सामािजक ताने-बाने मM मानवीय-समानता के लये फेरबदल क गंज ु ाइस नह@ आ=द Tवलत सवालI के Tवारभांटे Uदय को मझे ु बचपन से आदोलत करते आ रहे है और इसी आदोलन क उपज है म/ ु ठ0 भर आग । यगI ु

से

व थ

एवं

सम ु नत

तरो=हत, तर कृत, ब=हWकृत

और

सामािजक अभशXत

जीवन होकर

भारतीय समाज के हाशये पर उपेYZत जीवन जीने को 'ववश शो'षत समाज के घटन और स\ास को म/ ु ु ठ0 भर आग मM सं2=हत कहानयI के मा]यम से आप पाठकI तक पहंु चाने का यास है ताक भारतीय समाज मM उपेYZत एक बहत ु बड.◌े वग को मानवीय समानता क छांव का सखद यहसास हो सके । जैसाक भारतीय ु समाज क ाचीन वण `यव था और म]यकाल@न सं कारI,अनशासनI ु

एवं

अनेक

'वकास

'वरोधी

षणय\ो,L=ढयI और वजनाओं से वतमान यग ु मM भी शो'षत समाज आतंकत एवं तरPक से कोसI दरू है । 5

आजाद@ के इतने वषb बाद भी वं7चत आमजन तक आजाद@ नह@ पहंु च सक है । म/ ु ठ0 भर आग क कहानयI क अतधाराओं मM सामािजक 'वकत और ृ शोषण

उ>पीड.न

सामािजक

पर

आधारत

`यव था,नार@-उ>पीड.न

आधनक ु एवं

Lढ@वाद@ राजनीतक

छलावI के 'वL]द राWc@य एवं मानवीय-एकता हे तु वैचारक 'वdोह का शंखनाद साeबत हो यह कहानी सं2ह,यह@ हा=द क तमना है । इस सं2ह मM सं2=हत कहानयां

द@न

वं7चतI,शे'षत-पीEड.तजनI



अतानूभत ह।- ब] ू ु द और महावीर के इस दे श ब] ु द पाठकवग यह अfछ0 तरह से जानता है क सभी मनWु य समान है और मनWु य होने के नाते मानव अ7धकार

भी

है ।

मानव

अ7धकार

,मलभत ू ू

आवgयकताओं एवं तरPक क राह ताक राह एक बहत ु बड.◌ा वग वतमान यग ु मM भी 'वषमता,शोषण उ>पीड.न का जहर पीने को मजबरू है । हां इस वग के उ>थान के ढोल क थाप तो बहत पड.ती है ु ु दरू दरू तक सनाई परतु यह बड.◌ा वग आज भी दयनीय अव था मM बसर कर रहा है । मानव होने के नाते हम सभी मनWु यI का नैतक दाय>व बनता है क वं7चत वग को मानवीय समानता, सामािजक एवं आ7थक उ>थान के अ7धकारI को =दलाने के लये मानवीय फज पर खरे उतरे ।यह@ इस कहानी सं2ह का उhदे gय है । 6

म- म/ ु ठ0 भर आग के परपेiय मM उपयास सjाट मंुशी ेमचद का िजk भी करना चाहंू गा । उहोने सन ् 1936 मM अपने लेख महाजनी सmयता मM लखा है क मनWु य समाज दो भागI मM बंट गया है । बड.◌ा =ह सा तो मरने और खपने वालI का है और बहत ु ह@ छोटा =ह सा उन लोगो का है जो अपनी शिPत और भाव से बड.◌े समदाय को वश मM कये हए ु ु है । इनहे इस बड.◌े भाग के साथ कसी तरह क हमददn नह@,उहे जरा भी रयायत नह@। उसका अि त>व केवल इसलये है क वे अपने मालके के लये पसीना बहायM,खन ू 7गराये और चपचाप इस दनया से 'वदा हो जाये । इस उ]दरण से ु ु oात होता है क मंश ु ीजी क मल ू सामािजक 7चतायM Pया थी ? वतमान 'वoान के यग ु मM भी इन 7चताओं के बादल नह@ं छं टे ह- । ेमचद ने भल@भांत समझ लया था क भारत मM सबसे खराब हालत शो'षतI, वं7चतI, कषको एवं मजदरI ू ृ क है ।उहे ◌ाने भारतीय जनजीवन मM स=दयI से `याXत अमसनवीय जात था क ओर भी ]यान =दया । इसलये उनक अनेक कहानयां जैसे ठाकर ु का कंआ, सhगत,सवा सेर गेहू ं और कफन वण-`यव था के अमान'षक काय `यापार एवं सामािजक 'वसंगत को ु पर@ ू

ईमानदार@

के

साथ उजागर करती है । मंश ु ीजी 7

के पद7चहI पर चलते हुए मझे उQमीद है मेरे इस ु कथा सं2ह मM समा=हत कहानयां L=ढवाद एवं अमानषता क म/ ु ु ठ0 भर-भर आग को शीतलता दान कर मानवता को पो'षत करने मM उवरा िgPत दान करने मM सहायक साeबत होगी ,िजससे दQभी मानव-मन मM वं7चत समाज के अ7धकारI के त सरZा >मक pिWट ु उ>पन हो सके । मानवीय सामािजक और आ7थक अ7धकारI

के

समथन

को

मजबती ू

मले

। वधमq

समानता एवं अय धमावलिQबयI के त सhभावना का वातावरण नमत हो,यह@ मेरे लेखक य जीवन का उhदे gय है और यह@ राWc एवं मानव समाज के भी =हत मM है । कथा सं2ह मM समा=हत कहानयI-परमाथ, दहgत,लहंू के कतरे ,दर-ब-दर,चr ु rू◌ा भर पानी, फज,दहे ज क आग, कसम,

पथराव,सौदा,कयादान,द:ड,गEड ु .◌ा

का

sयाह,घरोह@,गज भर कफन, मरते सपने,लहू के नशान, दtखया ु

माई,

'पकनक,,मनयां , ु

दं श,चभती ु परायापन,

यादM ,दा तान-ए-

गांव,

'पसआ ु ,एPसीडे:ट,नेक

समाचर,नरापद, नेक बना अभशाप, गाल भर धआं ु , चोरनी, बारात, रgता, हरा घाव, बहते आंस,ू तघात, पराना जHम, मलिजम , जलसा,सेर भर कमाई,कलंक, ु ु और Hवा=हश आ=द सामािजक,राजनैतक, आ7थक एवं 8

uम क म:डी क बराई ु यI पर हार है ।म- इन कहानयI के बारे मM इससे अ7धक और कछ नह@ कह सकंू गा ु Pयोक हक कत को आपको समझना और समझाना है । म- वं7चत गर@ब और कमजोर वग का पZधर हंू उनके दद को कहानयI के मा]यम से आप ब] ु द वग के सामने रख रहा हंू और आशा करता हंू क आप वं7चत गर@ब और कमजोर वग के पZ मM आवाज बल ु द करे गे । हां

ये बराईयां असल@ हकदारI के हकI को छन रह@ ु

है िजससे शोषक वग और मजबत ू होता जा रहा है और शो'षत वग गर@बी क दलदल मM धंसता जा रहा है । मझे ु भी इस दलदल का कर@बी का एहसास है , मलाल मझे भी है पर =दल को सकन है क आप ब] ु ु द ू पाठकगण हमारे =दल मM बसते है ।

वतमान भम: ू डल@य एवं संचारkाित के इस यग ु मM सामािजक,राजनैतक और आ7थक तर पर शो'षत वग को तरPक क राह पर रफतार दे ने क जLरत है । मानवता के इस महायo मM ब] ु द वग क पण ू आहत ु जLर पड.◌ेगी, ऐसा मेरा 'वgवास है । आप ब] ु द पाठक वग और मीEडया का नेह मझे पव ु ू से ाXत है । 'वगत ् वष काशत मेरा eबन मां क `यथा-कथा पर आधारत उपयास अमानत लोक' य रहा । उPत उपयास

के

काशन

से मझे आ7थक Zत तो हई ु ु 9

पर मन को बहत भी मला PयIक सा=ह>य के ू ु सकन मा]यम से समाज सेवा मेरे लेखन का उhदे gय है इस pिWट से काफ

सफल रहा । इस सफलता का uेय म-

अपने पाठकI और मीEडया को दे ता हंू । म- आप पाठकI, शभ ु 7चतकI और मीEडयाकमयI का आभार@ रहंू गा । मै

व ताउuी भvगलरामजी,ताउuी भीखमरामजी, धरती के भगवान मेरे मांता-'पता वगqया मांताuी uीमती समार@ दे वी-uी फरतरामजी ,धमप>नी ू uीमती मनोरमा भारती,बी=टया शश भारती बेटे अनराग ु कमार ु

भारती

एवं

आजाद

कमार ु

भारती, uीकात

भारती,अमतेष कमार भारती ,परवार के सभी सद यI ु शभ ु 7चतको एवं सा=ह>यकारI का आभार@ हंू जो मेरे लेखक य जीवन को कसमत करने मM परोZ अथवा ु ु अपरोZ Lप से सहयोगी बने । अततः मानवता को सम'पत लोकनायकI को नमन ् करते हए म/ ु ठ0 भर आग ु ह तातरत करता हंू ।

नदलाल भारती

10

(कहानी

सं2ह) आपको

परमाथ मरल@ ु -PयI मंश ु ी भईया माथे पर 7चता और म/ ु ठ0 भर आग लये बैठे हो । कोई नई मिg ु कल आन पड.◌ी Pया ? मंश जमाने ने तो म/ ु ी-मरल@ ु ु ठ0 मM आग भर@ है 'वषमताओं के कलछले से । इस म/ M ु ु ठ0 आग को फकना क=ठन हो गया । यह आग तो पहचान बन गयी है जबक कम से आदमी क पहचान बनती है परतु यहां तो आंख खल@ नह@ आग म/ ु ु ठ0 मM भर द@ जाती है । म/ ु ठ0 भर आग ठ:डी नह@ हो पा रह@ है । यह@ 7चता है और अशाित का कारण भी । मरल@ ु -माथे पर 7चता और जमाने क द@ हई ु ठ0 भर ु म/ भर आग ठ:डी करते हए ु तो कलयग ु के कण बन ु तम 11

गये हो । मंश ु ी- PयI मजाक बना रहे हो मेर@ द@नता और म/ ु ट@ भर आग मे मर रहे सपनो का । आदमी क मदद कर दे ना कोई गलत तो नह@ । मझसे जो हो जाता हे कर ु दे ता है । कसी से उQमीद नह@ करता क बदले मM मेरा कोई काम करM । अरे नेक कर दरया मM डाल । इस कहावत मM रह य है मरल@ । ु मरल@ ु -दे खो आtखरकार सfचाई जबान पर आ गयी । कसी ने नेक के बदले बदनेक क है ना । अरे भईया लोग बहत ु जालम हो गये है । काम नकल जाने पर पहचानते ह@ नह@ । तQ खड.◌ुस क ु हारे पड.◌ोस सनील ु तरह । कस कस का भला करोगे खद ु तकल@फ उठा कर । परमाw का राह@ बनने से बेह>तर है क खद ु का घर रोशन करो । मशी लोगI को आदमयत के 'वरोध क लत पड. ु -कछ ु चक है तो कछ लोगI को आदमयत और परमाथ के ु ु राह चलने क । हमे आदमयत और परमाथ काम मM आि>मक सख ु मलता है



मरल@ ु -PयI न बfचI के मंुह का नवाला छन जाये ।धपान द का तमने कतना उपकार कया । आtखरकार ू ु उसने तमकI ठगा =दखा =दया ।यह@ परमाथ का तफल M ु है । मंश ु ी-परमाथ तफल क चाह मM नह@ कया जाता 12

।परमाथ के लये तो बx ु द ने राजपाट तक छोड. =दया । य=द आज का आदमी अपने सखI मM तनक कटौती कर ु कसी का =हत साधे दे तो बड.◌े प: ु य का काम होगा । आदमी होने के नाते फज बनता है क हम द@नशो'षत वं7चत दखी के काम आये । ु मरल@ द को कतने साल अपने घर मM ु -खब ू करो । धपान ू रखे खानखच उठाये नौकर@ लगवाये जबक तQ ु हारे उससे कोई खन ू का रgता भी न था । उसके परवार तम ु अपयश लगाये ।धपान द के =दन तQ ू ु हार@ वजह से बदले । वह@ तमको आंख =दखा रहा है । उसके घर वाले ु तमको बेईमान साeबत करने मM जटे ु ु रहे । नेक के बदले Pया मला दनया भले ह@ न कहे पर धपान द के चाचा ु ू चाची,भाई भौजाई ने तो कह =दया ना क भला आज के जमाने मM eबना कसी फायदे को कोई कसी को एक वPत क रोट@ नह@ दे ता मंुशी चार चार साल फोकट मM धपान द का खानखच कैसे उठा सकता है । मरल@ भाई ू ु तQ ु हार@ नेक तो सांप को दध ू पीलाने वाल@ बात हई ु । मंश ु ी-हमने अपनी समझ से अfछा कया है । मै खश ु हंू एक लाचार क मदद करके । य=द कोई मेरे नः वाथ भाव को वाथ के तराजू पर तौलता है तो तौलने दो । सfचाई तो भगवान जानता है । परमाथ तो नः वाथ भाव से होता है । वाथ आ गया तो परमाथ कहां रहा । दभा ु vयवस कसी क म/ ु ठ0 आग से भर जाये तो आदमी 13

होने के कारण जलन का एहसास कर शीतलता दान करना चा=हये क नह@ं ।वैसे भी L=ढवाद@ `यव था ने तो हर म/ ु ठ0 मM आग भर =दया है । मरल@ ु -वाह रे हरgचd वाह करते जा नेक । खाते जा =दल पर चोट । दद पीकर म ु कराता रह और करता रह परमाथ ।अब तो चेत जा । मशी तो नह@ कया हंू क Xgचाताप कLं । ु -कोई गनाह ु आदमी का नह@ भगवान का सहारा है मझे ु । आदमी को परमा>मा का तLX मानकर सQमान करता है ।यह@ मेर@ कमजोर@ है । यह@ कारण है क आग बोने वाले मतलeबयI क महफलI मM बेगाना हो जाता हंू ।हमार@ नइया का खेवनहार तो भगवान है । म/ ु ठ0 ह@ नह@ तकद@र मM आग भरने वाले तो बहत ु है । मरल@ ु -मंश ु ी भइया ऐरे गैरI के लये अपनI का पेट काटते रहते हो,खद Pया ु को तकल@फ दे ते हो इसके बदले तमको ु मला ।अरे धपा ू नद के परवार वालो का दे खो एक भी आदमी तQ ु हार@ बीमार@ क अव था मM हालचाल पछने ू तक नह@ आया ।धपान द ने कौन सा अfछा सलक ू ू कया तQ ु हारे बfचI को अपशsद बककर गया ।तQ ु हारे पडां◌ेसयI को दे खो िजनके दख ु मे रात =दन एक कर =दये वह@ तQ ु हारे दgु मन बन ु हM बदनाम कर रहे है ।तQ रहे है ।ऐसी नेक कस काम क भइया मंश ु ी । मंश ु ी-यक न कोई दौलत तो नह@ मल@ पर आि>मक सख ु 14

तो बहत ु Lपये से खर@दा भी नह@ जा ु मला है ।यह सख सकता ।परमाथ के राह मM रोड.◌े तो आते है वह भी हम जैसे गर@ब के लये िजसे L=ढवाद@ समाज ने म/ ु ठ0 भर आग के सवाय और कछ न =दया हो ।नेक क जड.◌े ु पाताल तक जाती ह- ओर गंूजे परमा>मा के कानI को अfछ0 लगती है । वाथ क दौड. मM शामल न होकर मानवकrयाण के लये दौड.ना चा=हये। इस दौड. मM शामल होने वाला परमा>मा का सfचा सेवक होता है । मरल@ ु -दौड.◌ो भइया नेक क राह पर म/ ु ट@ भर आग लये । अरे पहने अपनी म/ ु ठ0 क आग को शात तो करो । िजस आग ने सामािजक आ7थक पतन क ओर ढकेले है । मंश ु ी-पर=हत से बड.◌ा कोइ◌्र धम नह@ है । यह बात oानयI ने कह@ है । म/ ु ट@ मM आग भरने वालो ने नह@ ।आज का आदमी

इस महाम\ को आ>मसात ् कर ले

तो धरती पर ब] ु द का सपना फल@भत ू हो जाये । मरल@ ु -मंश ु ी भइया अपने परवार के हक को मारकर परमाथ करना कहां तक उ7चत है ।चलो तम ु परमाथ क राह । यह राह तमको मबारका हो पर भइया अपने घर ु ु के द@ये मM तेल पहले डालो । मंश से मेरे द@ये का तेल ख>म नह@ ु ी-परमा>मा क कपा ृ होने वाला है । मेर@ राह मM मेरा परवार भी सहभागी है । उहे भी हमारे उhदे gय पर गमान है । हां तंगी मM भी ु 15

मेरा परवार आि>मक सख ु का खब ू रसा वादन कर रहा है । सच कहंू मेरा परवार ह@ मेरा ेरणाyोत है । मरु ल@-अपने =दल से पछI कतना दद पी रहे हो ।घर ू परवार पर ]यान दो । मंश ु ी- पारवारक िजQमेदार@ अfछ0 तरह नभा रहा हंू । इसके साथ परमाथ का आि>मक सख ु उठा लेता हंू कोई बराई तो नह@ं । ु मरल@ ु -खब ू करो । बने रहे परमाथ के राह@ । मझे ु अब इजाजत दो । तQ ु हारे परमाथ के जनन ू को सलाम मंश है । ु ी-याद रखना परमाथ भु क पजा ू

दहgत अरे कमार बाबू Pयो रोनी सरत बना कर बैठो हो Pया ु ु बात है ! ऐसे लगता है क कोई आपक भस - हांक ले गया हो ! PयI इतने उदास हो ! सर के बाल अ त`य त ह- ! भौहे eबलकल ु तनी हई ु ह- ! गाल पर हाथ रखे बैठे हो ! PयI इतने उदास हो भइया !PयI 7चता का कोई खास कारण है

कहते हए बाबू क ु ु अंकु र बाबू कमार बगल मM बैठ गये ! कमार बाबःू भाई कमजोर आदमी क खशी तो बीमार क ु ु हं सी के माफक होती है ! अंकु रबाबःू बडM मरम क बात कर रहे हो ! मेर@ समझ से

परे क बात है !सीधी साधी भापा मM कछ कहते तो ु समझ भी पाता ! 16

कमार बाबःअं ू कु र बाबू कमजोर आदमी दहgत मM जीता है ु ! यह तो मानोगे क नह@ ! अंकु रबाबःू दहgत मतलब जैसे सीमा पर आंतकवाद@ बम फोडकर दहgत फैला रहे ह- ! कमा तरह क दहgत कमजोर आदमी न पनप ू ु र बाबःइसी सके

बडे

बडे

उदयोगपत,ओहदे दार

इतना

ह@

नह@

तथाक7थत धम समाज के लोग भी पीछे नह@ है ! मौका पाते ह@ सभी कमजोर पर टट ू पडते ह- बांझ क भांत तभी तो कमजोर कमजोर ह@ बना हआ ह- ! न तो उसक ु सामािजक उनत हई ु ह- ना ह@ आ7थक बेचारा रसते घाव का मवाद ह@ साफ करते करते मर खप जा रहा है ! अंकु र बाबःू सच कह रहे

है ! कछ zमत वाथq उ◌ुची ु

eबरादर@, उ◌ु◌ंचे ओहदा और सQपन लोग कमजोर लोगो के 'वकास मM बबल ू क छांव ह@ साeबत होते ह- ! यह कटु स>य ह- ! लोग इसे आसानी से नह@ मानेग पर सfचाई तो यह@ है !तभी तो दे खो उदयोगपतयI का मनाफा =दन ु दना रात चौगना बढ रहा ह- कमजोर नमक रोट@ क ु ु जआड मM भटक रहा है ! कमजोर तबके को जातवाद का ु जहर पीना पड रहा ह- ऐसी ह@ हाल बडे ओहदे दारो के मातहत नQनuेणी वाले कमचारयI क ह- य=द नQन uेणी का कमचार@ छोट@ जात का ह- तो

उसे पग पग

पर शIपण उ>पीडन ताडना के साथ ह@ आ7थक नकसान ु भी भरपरू पहंु चाया जा रहा है ! कतनी 'वषमता `याXत 17

ह- आज का सशYZत आदमी एंव उfच असान पर ु 'वराजमान आदमी

भी जहर क खेती करने से बाज

नह@ जा रहा है !नतीजन

हर ओर 'वषमाद के काले

बादल छाये हए क वजह से कमजोर ू ु है !इह@ करततI आदमी दहgत मM दम भर रहा है ! कमारबाबः ू अंकु रबाबू इतने गढ ू रह य क बात कर रहे ु हो ! आपक बात मM 7चतन के भाव दशत हो रहे ह- ! आप सामाय वग के होकर भी कमजोर `यिPत के लये इतना सोच रहे ह- काश आप जैसे सभी हो जाते तो कब के इस धरती से 'वषमाद का 'वष पी गये होते ! अंकु रबाबःू सच कहा है कसी ने बडी मछल@ छोट@ मछलयI को खाकर ह@ बडी बनी रहने का वांग करती रहती है ! दहgत फै◌ेलाना ह@ उसका वभाव होता ह- ! छोट@ मछलया भी एकजटता का परचय नह@ दे ती हु िजस क वजह से बडी मछल@ अपने बडे होने के अभमान

मM

रौदती

रहती

ह-

छोट@

मछलयI

को

!शकरयI के जाल मM भी यह@ छोट@ मछलयां ह@ जrद@ फंसती ह- ! कमारबाबः ू eबrकु ल सह@ फरमा रहे ह-! यह@ तो 7चता का ु 'वपय है ! आदमी सोच समझ सकता ह- फर भी अपने Lतबे को कायम रखने के लये आदमी होकर आदमी का लहू पीकर पलता ह- ! नठार@ का:ड दे खो बालक बालकाओ◌े◌ं का यौवन शोपण कर उनक अंग तक बेच 18

=दये उस ककमq मानदर और उसके सा7थयI ने ! इसमM ु Tयादातर कमजोर लोगे◌ा के ह@ बfचे थे ! इससे दहgत क द@वार और मजबत ू हो गयी ह- ! वाथ के वशीभत ू होकर आदमी Pया Pया कर बैठ रहा ह- ! हर ओर दहgत फेल@ हई है चाहे जात समाज क चहरद@वार@ हो uम ु क म:डी हो साहकार सेठ लोगो क दकान हो या उ◌ुचे ु ू ओहदे का मामला हो हर कमजोर क छाती पर ह@ बैठकर जगा ु ल@ कर रहा ह- खद ु के =हत क ! पर=हत क भावना का तो लोप ह@ हो गया ह- ! य=द इस वाथ क दौड मM कोई सामािजक उ>थान अथवा आ7थक उ>थान मM लगा हआ ह- तो तहक कात कर उसको इस 'वपमतावाद@ ु समाज मM उfच आसन दान कर दे व>व का दजा =दया जाना चा=हये ! अंकुरबाबःठ0क कह रहे है पर Tयादातर अमानष ू ु लोग कमजोर मानषI के आंसू अथवा लहू पीकर ह@ अपनी ु तरPक क नींव मजबत ू करते◌े ह- ! आज दे वा>माओ का तो मलना मिg ु कल हो गया ह- हजारI बरस मM एकाध बार ह@ कोई बx ु द पैदा होता ह- कमजोर वग के उ(ार के लये !काश मानव मM समानता का भाव 'वकसत हो जाता जातभेद का zम नXट हो जाता ! दहgत का घनघोर 'वषैलापन छं ट जाता ! काश मानव अभमान क द@वार तोडकर

मानव कrयाण मM नकल पडते !सच

मानो दहgत का कहरा छं टते ह@ वह पT ू य हो जाता ब( ु ु 19

भावे गांधी अQबेडकर क तरह ह- ! कुमारबाबःू ठ0क कह रहे हो अंकु र बाबू काश ऐसा हो जाता ! 'वषमता के बादल छं ट जाते ! जातवाद क जहर@ल@ दरयां मM डबता हआ इंसान कमजोर के◌ा रौदने ू ु के ह@ फराक मM रहता ह- चाहे वह समाज हो uम क म:डी या धम का अडडा या दफतर !कसी ने कहा है दे खा दे खी पाप दे खी दे खी प: ु य पर कमजोर के◌ा सताने का पाप Tयादा हो रहा ह- तभी तो गर@बी भखमर@ ू जातवाद का 'वपधर कमजोर को डंस रहा ह- ! अंकु र बाबःू सच पाप Tयादा प: ु य कम हो गया ह- इस यग को ठगने मM लगे हए ु मM सब एक दसरे ू ु है कमजोर क पीडा से बेखबर !दकानदार मलावट करने मM जटा ु ु ह-! उ>पादक uमक के दोहन शोषण मM लगा हआ हु अ7धकार@ कमचार@ के दोहन gशोपण उ>पीडन मM लगा रहता ह- ! बांस अपना वच व कायम रखने के लये मातहतो को आंतंकत कये रहता ह- ! सच अब तो एक सवb से यह स( हो चका है क इकह>तर तशत बांस ु मांतहतI को आतंकत कये रहते

ह- यान सmय समाज

के आंतकवाद@ ! उ◌ुची eबरादर@ वाला नीचीं eबरादर@ वाले को व=हXकृत करने क जआड मM बेचैन रहता ह- यान हर ु ओर दहgत के बादल ! कमारबाबःठ0क कह रहे ह- तभी तो न ू ु

गर@बी का

उमल इस दे श से न ह@ जातवाद का ! गर@बी ू न हआ ु 20

और जातवाद खब रहे ह- !सQब( ू फलफल ू ृ कमजोर का लहू चसने को बेकरार लगता ह- ! वह अपनी तरPक ू कमजोर के शोपण उ>पीडन मM ह@ दे खता ह- चाहे वह आ7थक तरPक हो या सामािजक ! सच खद ु को खास कहने

वाले

लोग

कमजोर



पहचान

ल@लने

पर

उतावलने ह- ! अंकु र बाबःठ0क कह रहे है भइया !य=द ईमानदार@ से ू सामिजक एवं आ7थक सQब( ृ लोग अपने फज पर खरे उतरे होते तो

ना आज गर@बी नंगे नाचती और ना ह@

इसांनयत के माथे का कलंक जातवाद ह@ होता ! हमार@ धरती वग से स ु दर होती ! जातवाद क 'वपपान करने वाला खद ु को

पाता ह- आज भी

सहमा हआ ! जैसे ु वह आधनक गतशील समाज मM नह@ ggमशान मM रह ु रहा हो जहां उसके अ7धकारो का दाह सं कार कया जा रहा है ! सच इसीलये तो आज gशे◌ा'पत वं7चत तरPक से दरू पडा हआ ह- ! अ सी तशत आबाद@ को उनचास ु तशत आरZण का 'वरोध हो रहा ह- जो समाज के अतशो'पत पीEडत 'पछडे समाज का =दया जा रहा हजबक दे श क मा\ बीस तशत सामाय आबाद@ के लये इPवावन तशत आरZण =दया जा रहा है इस पर कोई gशोर gशराबा ह@ नह@ हो रहा ह- ! कमजोर को और कमजोर करने क सािजस हो रह@ ह- ! Pया इसे याय कहा जा सकता ह- !अरे वं7चतI को आरZण क नह@ 21

संरZण क जLरत ह- !ए तो समानता के भखे ू रहते हपेट क भख तो हाड फोड कर बझा लेते ह- !इनके के ू ु सवा7गण 'वकास के लये आरZण से Tयादा संरZण क जLरत ह- !सामािजक आ7थक समानता क जLरत ह- ! वं7चत समाज को तरPPी का मौका मलना चा=हये ! कमार बाबःू आपक उदारता क तो म- कd करता हंू ! ु आपके 'वचार से म- eबrकु ल सहमत हंू ! आप सामाय वग के होकर कमजोर क पीडा से कतना तालक ू रखते ह- ! सच मानये आप जैसे ह@ लोगो के नेक इरादे क वजह से ह@ तो कमजोर सासM भर पा रहा ह- वरना कब कादम तोड चका होता ! सच मानये अंकु र बाबू मझ ु ु M भी रोज रोज

आसंूओं से◌े◌ं रोट@ 7गल@ कर खानी पडती ह-

! मजबर@ ू ह- वरना ऐसी चाकर@ से तौबा कर लेता ! सवाल ह- छोडकर जाउ◌ु◌ंगा कहां हर ओर तो यह@ हाल ह- ! अरमानI का दहन कर चाकर@ मM लगा हआ हंू ! हर Zण ु मेरे अरमान रौद =दये जाते है ! कसी Zण बढ@ ू `यव था के बहते मवाद का चखना पड जाता ह- तो दसरे Zण ू आ7थक 'वपमता का तो कसी Zण तथाक7थत बडXपन के अभमान का कल ु जैसे कमजोर आदमी ु मलाकर मझ का हर Zण दहgत मM ह@ गजरता है अंकर ु ु बाबू ! अंकु रबाबःू Pया कह रहे हो कमार बाबू ! ु कमारबाबः ू ठ0क कह रहा हंू !यक न करो मेर@ बात पर ! ु =दल का हर कोना छल चका ह-! आशा मM ह@ तो जा रहा ु 22

हंू वरना 'वपमता के पोपक जीने कहा दे रहे ह- ! अंकु र बाबःू आपक बात मM तो बहत ु दम लगती है !सच आज आदमी अपनी उनत के अभमान मM आदमी को ह@ उ>पीEडत कर रहा ह- आदमयत से नाता तोडकर ! हर तरह से यास करने लगा है क कमजोर आदमी को गलाम कैसे बनाकर रखे ! अभमानी `यिPत हमेशा ु यासरत रहता है क वह कमजोर `यिPत उसके सामने ggवान क भांत जीभ लपलपाता दम ु =हलाता रहे और

वाथq क हर उQQी◌ादI पर खरा उतरता रहे !सच आज तो समाज हो या दफतर नंगी आंखI से दे खा जा सकता ह- ! कमारबाबः ू यह@ तो हो रहा है ! कल क ह@ तो बात है ु हमारे बांस जो क मत के कमालबस अफसर बन बैठे ह! उनमM भले ह@ बाक काeबलयते हो पर gशैZtणक काeबलयतI को परा ू नह@ करते परतु बडे साहे ब ह- ! मझ ु गर@ब के आंसू से अपनी वाहवाह@ संवारने के फराक मM सदा ह@ रहते ह- ! अंकु रबाबःू कहना Pया चाह रहे हो कमार बाबू Pया ु मतलब है आपके कहने का ! आप भी उ>पीEडत ह- ! कमारबाबः थी पर मझे ू eबrकु ल सह@ समझे ! कल छटट@ ु ु ु परे शान करने के लये बांस ने दोपहर मM फोन कया दफतर बलाने के लये खैर म- घर पर था नह@ ! राe\ मM ु दे र से आया तो पता चला ! बfचे ने फोन उठाया था 23

!वह बांस से बोल =दया था क पापा कसी सं था के जलसे मM गये ह- दे र से आयेगे जब भी आयेगे तो बता दं ग ू ा ! अंकु र बाबःू यह तो परे शान होने वाल@ बात नह@ हई ु ! कमार बाबःू बात पर@ =दन जब दफतर ू तो होने दो ! दसरे ु ु गया ! अंकु रबाबःू तब Pया हआ बांस ने फटकारा ! ु कमारबाबः ू ठ0क समझे ! अपने पद के घम:ड मM चरू ु रहने वाले बांस बडी बदतमीजी से

बलाये ! म- पेश हआ ु ु

अंकु र बाबःतब Pया हआ ! ू ु कमार बाबःू इतना बदमजाज अ7धकार@ नह@ दे खा थी ु इतने बरस क नौकर@ मM ! बहत ु लोगो ने सताया तो है पर बदसलक क हदे पार तो वतमान के बांस करने ू लगे ह- ! अंकु रबाबःू अरे ए तो बताओ आपके बांस ने बलाकर कहा ु Pया ! कमार बाबःू सmयता का पो ट माट म और इंसानयत को ु गाल@ और Pया !बदतमीजी के साथ बलाया और बोले ु Pयो रे कमार तू कल दफतर Pयो नह@ आया !एक ु कागज का पल दा फेकते हए ु ु बोला ए काम ले जाकर कर अगर तू कल आ जाता तो यह काम कल हो जाता ना ! तेरे के काम क अहमयत पता नह@ ह- ! िजस =दन म- अपनी औकात तेरे को =दखा दं ग ू ा ना तू ह@ समझ 24

तेरा Pया होगा और भी ढे र सारे बरेु gशsद बोले मझे ु तो कहने मM भी gशम आ रह@ है ! म- इतना बोलकर चला आया साहे ब रात मM दे र से आया था ! इतने मM आग बबला हो गया और बोला जा जrद@ काम कर ! म- आसंू ू बहाता काम मM जट ु गया बांस अपशsद बकने मM पागल क भांत ! अंकु र बाबःू यह तो uम कानन का उलंघन ह- और ू आदमयत को गाल@ भी ! कैसा अभमानी आदमी ह- ! अरे घम:ड तो टट ू गया =हर:याकgयप का कंस का रावण का ! यह कहां लगता ह- ! Pया उ◌ु◌ंची पहंु च या उ◌ु◌ंची जात ह@ हर जगह काम आती ह- ! कमारबाबः ू मजबर@ ू मM नौकर@ कर रहा हंू ! परवार और ु बfचे◌ा के भ'वXय का सवाल ह- ! बांस का `यवहार तो मेरे साथ

बहत ु ह- ! वह तो सं था का कमचार@ ु ह@ बरा नह@ खद समझता है ! मझे ु का गलाम ु ु तो जैसे आदमी

ह@ नह@ समझते ! दफतर मM सबसे छोटा कमचार@ हंू और छोट@ eबरादर@ का भी ! मालम के =दन अफसरI ू है छटट@ ु के दफतर आने के लये कावेस के पैसे मलते ह- और मझे के =दन ु नह@ ! मझे ु खद ु का पैसा खच कर छटट@ ु काम पर आना पडता ह- ! काम के =दनI मM भी बांस छटट@ के समय 7चटठ0 लखवाने लगते ह- ! हर तरह से ु मझे ु ताEडत करने का पणय\ रचते रहते ह- और मआंसू बहाता काम मM जटा ु रहता हंू ! Pया कLं ! गर@बो 25

क कौन सनता ह- माल◌ू ु ू म ह- बांस के पास तो चौबीस घ:टे ब=ढया दफतर क नह@

कार उपलsध रहती है

!यह@

खद ु क जLरत के लये कराये क भी खडी हो

जाती ह- और भी ढे र सार@ स'वधाय के =दन M भी ! छटट@ ु ु मझ ु गर@ब को दफतर आने के लये खद ु का पैसा खच कर काम पर आना पडता ह- ! इसके बाद भी दद के सवाय मझे ु आज तक कछ ु नह@ मला ! अंकु र बाबःकमार बाबू बांस क इतनी बडी बदतमीजी को ू ु बदाgत कर गये ! सच आप तो महान हो कमारबाबः ू Pया ु करता त gन कये eबना काम करता रहता हंू ! मझे ु मालम ू ह- मेर@ कोई उ◌ुचीं पहंु च नह@ ह- ! छोटा कमचार@ और छोट@ eबरादर@ का कौन मेर@ मदद करे गा ! अंकु रबाबू यहां बहत ु सार@ बाते◌ा◌ं का फक पडता ह- इि:डया है मेर@ जान इि:डया ! अंकु र बाबू त gन करने पर नौकर@ जाने का खतरा भी तो ह- ! मेरा कोई सपाटर भी तो नह@ ह- gशायद छोट@ जात का होने के नाते अंकु रबाबःू यहां तो मारे रोवै न दे य वाल@ कहावत चरताथ हो रह@ ह- ! कमारबाबः ू आंसू पीकर नौकर@ करना मेर@ क मत बन ु चक ु ह- ! अंकु र बाबःू यह तो सरासर अया हो रहा है आपके साथ ! कमार बाबःू इस अयाय के पीछे बढ@ सामािजक ु ु `यव था क बदबू आपको नह@ लगती ! 26

अंकु र बाबःू आती है ना ! सच कमारबाब ू आप उ◌ु◌ंची ु eबरादर@

के होते तो जLर आपको

अfछा तफल

मलता भले ह@ आपक पहंु च उपर तक न होती ! परतु यहां तो आपके साथ जr ु म हो रहा हकमारबाबः मालम ू जr ु म सह तो रहा हंू मझे ु ू ह- जr ु म ु सहना भी अपराध है पर इसके पीछे मेरा मत`यहै ! मेरे परवार बfचI के सखद भ'वXय का सपना ह- ! ु अंकु रबाबःू यह आप तप कर रहे ह- ! कमारबाबः ू बडे कXट उठाकर यहां तक पहंु च पाया हंू इसे ु गंवाना नह@ चाहता !अफसोस के साथ कहना पड रहा है क घाव बहत ु पाया हंू ! रोज रोज घाव सहकर परवार के सपने परेू करने मM लगा हंू ! य=द मने - पीडा क वजह से चाकर@ >याग =दया तो मेरे परवार के सपने उजड सकते हअंकु रबाबःू आपके मत`य नेक ह- !सहनशिPत भी आपको भगवान ह@ दे रहा ह- वरना स{ का बांध कब का टट ू गया होता ! सच कहा है कसी ने नेक उदे gय से सहा गया कXट भी तप बन जाता ह- ! कमार बाबू आपक ु तप या के परणाम उ>तम आयेगे ! भगवान पर भरोसा रtखये ! कमार बाबःू अfछे कल क उQमीद मM ह@ तो दहgत भरा ु जीवन जी रहा हंू ! अंकु र बाबःू दहgत भरा आपका यह जीवन >याग ह- ! जो 27

लोग आपके छोटे पद छोट@ eबरादर@ से घणा कर जr ु म ृ कर रहे ह- वे ह@ एक =दन आपके सामने नतम तक होगे ! आदमी के साथ भेदभाव का `यवहार अपराध हो चका ु है ! कमारबाबः ू सभी जानते ह- पर अमल कौन करता ह- ! सब ु कहने मM अfछा लगता ह- ! कथनी करनी मM आज का आदमी अतर रखता ह- ! हाथी के दांत क भात =दखाने को और खाने को और ! अंकु र बाबःठ0क फरमा रहे ह- ! दिQभयI क जडI मM तो ू 'वपमता क ह@ उवरा gशिPत है ना ! यह@ अभमान और दहgत पैदा करने का कारण भी ! कमारबाबः ू स>य तो यह@ है ! ु अंकु रबाबःजन तन7ध भी 'वपमता के उमूलन के लये ू कछ नह@ कर रहे ह- ! जात समाज और पाटn मM ह@ जी ु रहे ह- ! सफ समानता क बात तो भापणI मM ह@ करते हचर\ मM कहा उतारते ह- ! इतना ह@ नह@ जात समाज और अपने ओहदे

क वजह से दहgत फेलाने मM भी

पीछे नह@ रहते ह- ! यह@ हाल धम समाज के ठे केदारो का भी ह- ! य=द ए लोग ईमानदार@ से समानता के लये काम कये होते तो 'वपमता के काले बादल नह@ मडराते नह@ दं गे फंसाद होते ! नह@ वं7चतI के साथ बला>कार अ>याचार

ह@ होते ! 'वपमता ने ह@ तो आदमी के बीच

दहgत क द@वार खडी कर रखी ह- चाहे समाज हो या 28

दफतर हर जगह ! कमारबाबः ू ठ0क कह रहे ह- अंकु र बाबःू ु अंकु र बाबःू सामािजक और राजनैतक नेताओं से तो अभनेता कछ मामले मM अfछे हM ! सामािजक उ>थान ु का काम करते ह- ! अतजातीय sयाह करते ह- !अनाथ बfचI का पालन पोपण कर रहे ह- ! यह@ नह@ कंु वार@ अभनेe\या भी अनाथ बfचI का गोद लेकर ममता उडेल रह@ ह- ! लालन पालन कर रह@ ह- ! कोई सा◌ामािजक अथवा राजनैतक नेता ऐसा कया ह- नह@ ना और न ह@ अपनी से छोट@ जात के साथ रgता कया ह- ! हां दे श और

समाज

को

कंगला

बनाने

के

लये

घसखोर@ ू

रgतखोर@ जLर@ कर रहे ह- ! 'वपमता क खेती कर रहे है !वं7चतI को बस म/ ु ठ0 भर भर आग मल रह@ है अपने ह@ जहां मM । अंकु रबाबःू आपके बांस भी कम नह@ ! वे भी अपने पद के अभमान मM आपको खन ू के आंसू बहाने पर मजबरू कये रहते ह- ! ◌ंकु मार बाबःू स>तासQपन लोगI के जात eबरादर@ से उपर उठकर दे श जन के कrयाणाथ काम करना चा=हये ! समानता का `यवहार करना चा=हये ! चाहे मेरे बांस हो या कोई सामािजक या राजनैतक स>ताधार@ या कQपनी सं था का पदा7धकार@ ! अंकु र बाबःतभी तो कमजोर आदमी दहgत भरे जीवन से ू 29

उबर कर

समानता का जीवन जी सकेगा और तरPक

का अवसर भी पा सकेगा ! कमारबाबः ू काश सामािजक आ7थक समरसता क बयार ु चल पडती ! घमि:डयI क जडे उखउ जाती ! अंकु रबाबःू जLर वह =दन आयेगा जब हर दहgत से कमजोर नजात पा जायेगा ! दहgत मM रखने वाले अपने ककम| क वजह से खद ु दहgत मM बसर करे गे !बस ु जLरत ह- कमार बाबू शाित और अ=हंसक मन से आप ु और आप जैसे कलमकारो को सामािजक एवं आ7थक समरसता के

शोले उगलते रहने क ! सामािजक बराईयI ु

क भभक रह@ म/ ु ठ0 भर भर आग को सhभावना से शीतलता दान करने क । लहू के कतरे अरे बाप रे अ=हrया मांता के शहर के लोग एक दसरे के ू लहू के रं ग से शहर बदरं ग कर रहे ह- !मारने काटने को दौड रहे ह- कहते हए सचेतन जrद@ जrद@ मोटर ु साइकल खडी कये और झटपट घर मM भागे ! घर मM घसते ह@ बेहोश से 7गर पडे ! सचेतन क हालत दे खकर ु बी=टया दौडी हई ु आयी और जोर जोर से मQमी मQमी बलाने लगी !बी=टया जह@ क आवाज सनकर ु ू के पकारने ु ु कrपना दौडती भागती आयी ! सचेतन को झकझोरते हए ु बोल@ अरे जह@ ू के पापा आंख तो खोलो Pया हो गया तमको ! ु 30

सचेतन अरे मझे नह@ हआ है अगर ऐसे ु तो अभी कछ ु ु ह@ चलता रहा तो gशहर क आग को यहां तक पहंु चने मM दे र नह@ लगेगी ! कrपनाः Pया कह रहे हो हम अपने ह@ घर मM सरYZत ु नह@ है ! Pया हआ है gशहर को ! कैसी आग लगी है ु ◌ंशहर मM साफ साफ कहो तो सह@ ! मेरा तो =दल बैठा जा रहा है ! अरे Pया हआ है शहर को◌े◌ं ! ु सचेतनःअरे शहर सलग रहा है ! ु कrपनाः Pया कह रहे हो ! सोलह साल से इस gशहर मM रह रहे है ! कभी तो नह@ सलगा था यह ु

gशहर कछ ु

=दनI से इस gशहर क अमन gशाित को ना जाने कसक नजर लग गयी है !आज फर कौन सी ऐसी बात हो गयी है क शहर सलग रहा है ! बात मेर@ समझ मM ु नह@ आ रह@ है ! सचेतनःभागवान gशहर मM दं गा फैल गया है !लोग एक दसरे को मारने काटने पर तले जल रह@ ू ू है ! कह@ दकान ु है तो कह@ कसी का घर ! कह@ इTजत पर हमला हो रहा है तो कह@ लहू से सडक नहा रह@ है ! कrपनाःबाप रे फर दं गा ! 21 जनवर@ मक ु े र@परा ु मM दं गा भडका था दस =दन बाद कबला मैदान पर आज फर 12 फरवर@ 2007 को दं गा भडक गया !एक सQ दाय दसरे के ू जान लेने पर तल@ है ! इस gशहर क अमन gशाित को ू धामक उमाद खा जायेगा Pया भगवान ! हे भगवान 31

उमा=दयI को सदबि◌ ु .( दो जो लोग धम क अफ म खाकर दं गा फैला रहे ह- ! बेचारे गर@ब मारे जा रहे ह!अfछा बताओ आज कस बात को लेकर दं गा भडका है ! सचेतनः िजतने मंह ु उतनी बातM ! कोई कह रहा है क नरसंह बाजार मM एक लडक के साथ छे डछाड को लेकर दं गा भडका ह- ! कोई कह रहा ह- दो प=हया वाहनI का भडत को लेकर ! इह@ अफवाहो को लेकर परसंह बाजार मM भगदड मच गयी ! आग मM घी डालने का काम कछ भागती हई ु ु म=हलाओं ने भी कया यह कहकर क उनके घरI मM आग लगा द@ गयी ह- ! शायद यह@ अफवाहे साQ दायक दं गे का Lप धारण कर ल@ हो ! खैर खरापाती लोग तो बहाना ह@ ढढते रहते ह- जबक जानते ु ू है क दं गा करने वाले और दं गे का शकार हये ु लोग यान दोनो मिg ु कल मM आते ह- पर सरफरे अपनी औकात तो =दखा ह@ दे ते ह- ! घरो मं आग लगने क अफवाह फेलते ह@ उपdवी लोग सडक पर आ गये ! प>थरबाजी बम पेcोल बम तक एक दसरे के उपर पर ू फेकने मM जरा भी =हचकचाये नह@ ! जबक दोनो पZ इसी gशहर मM रह रहे है एक दसरे को बचपन से दे ख रहे ू ह- फर भी दं गा भडका रहे ह- ! िजस गल@ गचे ु मM पले पले बढे उसी गल@ को एक दसरे के खन ू ू से बदरं ग कर रहे ह- ! Pया लोग हो गये ह- !एक दसरे पर इतेन प>थर ू 32

फेके गये क सडक ह@ पर@ ू पट गयी ! नगर नगम cको मM भर कर प>थर ले गया ! लहू के कतरे eबना कसी अलगाव के gशहर के फजा को बदरं ग कर रहे है !उपdवी है क अपनी करततI पर मदम त होकर जहर ू घोल रहे ह- ! Pया लोग हो गये है , आदमी के लहू के कतरे कतरे से अपनी धमानधता एवं िजद को संवारने पर तले ू हए ु ह- ! यह@ साQ दयक दं गे तो धरती पर इंसानयत के दgु मन बन हए ु ह- ! वाह रे धम सQ दाय क अफ म खाकर शहर अमन शाित को चौपट कर जंगल राज था'पत करने पर जटा है सच 12 फरवर@ ु 2007 का =दन शहर के इतहास का काला =दवस साeबत हो गया है ! कrपनाः

सरZा क िजQमेदार पलस नह@ पहंु ची Pया ! ु ु सचेतनः पराने ढरb पर ! उपd'वयI को खदे डने के लये ु गोलयां चलायी ! गोल@ चलाने के बाद भी उपdवी गलयI मM

छप

छप

करे

प>थरबाजी

करते

रहे

!पढर@नाथ,मrहारगंज छ\ीपरा ु थाना Zे\I मM धारा 144 लग गयी ह- जैसा अखबार मM छपा है ! कrपनाः Pया हो गया है

इस gशहर के लोगो को

gशाित सदभाव को कचलने पर उतर रहे है ! यह शहर ू तो बहत था पर अब इस शहर ु ु सरYZत कसक नजर लग गयी ।

पर ना जाने

सचेतनः सच सmय समाज के 'वdो=हयI क नजर लग 33

गयी है ।पलस शासन समझा बझाकर शाित बहाल ु ु करने मे जटा ु है । कrपनाःसमझाने के अलावा पलस तो और भी कदम ु उठा सकती थी ! सचेतनःआसू गैस बल योग तक सीमत रहा! उपdव क आग जब अपने चरम

पहंुची तब जाकर धारा 144 और कह@ कह@ कफयू लगाया ! कrपनाः काश यह सब उपdव के gशL ु आती दौर मM लग जाता तब gशायद न तो जान क और नह@ माल क हान होती ! सचेतनः ठ0क कह रह@ हो ! अब तो उपd'वयI ने आमजन के लये मिg ु कल खडी ह@ कर =दये है ! सब बाजार हाट बद हो सकता है ! कrपनाः बद तो होना ह@ चा=हये !कब उपd'वयI क छाती मM उबल रहा उमाद सलग उठे और शहर को ु शमसार कर दे ! परेू Zे\ मM कफयू लगा दे ना चा=हये ! बीच बीच मM छट ू मलती रहे ताक लोग अपने जLर@ काम कर सके !उपd'वयI क शनाHत कर काले पानी क सजा दे दे नी चा=हये ताक फर उमाद का भत ू न को सवार हो सके ! कफयू मM =ढल के वPत पलस ु उपd'वयI पर चौकस नगाहM भी रखनी होगी !सडक पर eबखरे लहू के कतरI के सफाई क भांत लोगI को भी अपने =दलI पर जमी मैल क परतI को धो दे ना होगा 34

तभी पण ू Lपेण सवधम सदभाव कायम हो सकेगा ! सचेतन ◌ः िजस =दन शहर मM सदभाव था'पत हो गया ! सचमच ु म- जgन मनाउ◌ू◌ंगा ! कrपनाः काश तQ ु हार@ =दल@ Hवा=हश पर@ ू हो जाती ! शासन शासन उपdय◌ो◌ं के साथ सHती से पेश आता हर राजनीत से उपर उठकर ! उपd'वयो क हर गत'व7धयI पर नजर रखता ! सचेतनः भागवना ठ0क तो कह रह@ हो ! होना तो ऐसा ह@ चा=हये पर लोग अपने कतवयI पर खरे उतरे तब ना! Xुलस शासन को तो आगpिXट अब तो

रखना ह@

हे ◌ागा

! खैर जो लोग अमन पसद gशहर के लहलहान ू ु हए ु है उनका Pया ! कrपनाः अमन पसद लोग अपनी अपनी घाव को भलकर ू

शहर क gशाित के लए >याग तो करे गे ह@

परतु उपdवी लोग अपनी करततो ू पर लगाम तो लगाये शहर को बदनाम ना करM ! सचेतनः ठ0क कह रह@ हो उपdव से gशहर क अमन सदभावना को धPका तो लगता ह@ है ! वह समदाय धम ु भी दनया क नजरो मM बदनाम हो जाता ह- जो दं गा ु फसाद के लये िजQमेदार होता है ! खैर अब से भी अमन हो जाता ! gशहर तो झलस ह@ गया है ! उपdवी अब से ु भी सदभावना 'वरोधी गत'व7धयI पर लगाम लगा लेते तो बडा सकन ू मलता ! कrपनाः दे खो जी 7चता को =दल से ना लगाओ तQ ु हार@ 35

तeबयत भी ठ0क नह@ ह- ! 7चता तQ ु हारे वा थ क दgु मन ह- ! रात भी Tयादा हो गयी ह- ! अब सो जाओ ! सचेतन बडी मिg ु कल से सोया पर नींद मM भी कई बार बडबडाता रहा बचाओ बचाओ ! अरे कसी के आशयाने मM आग ना लगाओ ! सबह हई ु ु ह@ नह@ क बfचे◌ा से बार बार अखबार लाने को कहने लगे ! 'पता के बार बार अखबार मांगने पर बी=टया जह@ ू बोल@ अरे पापा अभी अखबार ह@ नह@ आया तो दे कहां से ! रे EडयI सनI समाचार आ रहा ह- gशहर मM gशाित ु

था'पत हो रह@ ह- धीरे धीरे ! उठो {श करो दवाई लो ! आंख खोले ह@ नह@ अखबार अखबार मांगने लगे सचेतनः अखबार आज इतना दे र से Pयो आ रहा है ! कrपनाःअरे अखबार और हांकरो पर भी तो दं गे का असर होगा क नह@ ! इतने मM कछ 7गरने क आवाज आयी !सचेतन जोर से ु बोले दे खो◌े पेपर आ गया Pया ! लगता ह- हांकर अखबार फका ह- ! M कrपनाःजrद@ जrद@ गयी और अखबार सचेतन को थमाते हए ु बोल@ लो अखबार आ गया सचेतनःअरे बाप रे ! कrपनाः Pया हआ ! ु सचेतनः gशहर मM कफयू जार@ , कूल कोल बद बसI का आनाजाना बद ! शाित माच ! मंगलवार को शाम 36

होते होते ि थत eबगडी ! दं गे के दसरे =दन भी अमन ू नह@ gशहर मM ! कrपनाः दं गे का कारण लगता ह- अफवाहे ह@ रह@ है वरना छोट@ सी बात को लेकर इतना बडा दं गा ! कभी नह@ होता ! छोट@ मोट@ बाते◌ा मM धम सQ दाय घस ु रहा ह- और यह@ दं गे का कारण बन जाता ह- ! दं गाईयI क सोची समझी सािजश के तहद सब हो रहा है ! सचेतनः मानवता सदभावना के 'वरोधी चाहते Pया ह- ! जना रसाला के एक सामदायक भवन पर बम फक M ू ु =दया है दं गाईयो ने ! कrपनाः बम फेका ह- तो कोई ना कोई हताहत भी हआ ु होगा ! सचेतनः खैर भगवान ने बचा लया ह- जान क हान तो नह@ हई ने मोचा खे◌ाल =दया है ! ु ु ह- ! पलस कrपनाः उपद'वयI क शना◌ाHत कर उनके तलाशी के साथ उनके घरI एवं सं=दvध ि ◌ा◌ानI क भी तलाशी लेनी चा=हये ! दं गाई बम गोले कहां से लाते ह- ! इनके तार हो ना हो कसी उ2वाद@ 2प ु से तो नह@ जडे ु हए ु है ! सचेतनः हो भी सकता है ! पलस गहन छानeबन कर रह@ ु ह- ! रै 'पड एPशन फोस भी शहर मM आ चक है ु कrपनाः gशहर का दं गां ◌ं साQ दायक रं ग के साथ राजनीतक रं ग मM भी रं गा लगता है ! gशहर क आ7थक 37

राजधानी जहां हमेशा ठसाठस भीड रहती थी वहां सनाटा पसरा हआ है ! ु सचेतनः एक तरफ तो gशहर का आवाम बेहाल ह- दसर@ ू ओर राजनीतक गरमी भी बढने लगी ह- ! अमन क उQमीद के बीच आरोप >यारोप भी लग रहे ह- ! कrपनाः दं गा भले ह@ साQ दायक हो पर राजनीत क उवरा शिPत भी इसमM gशामल तो ह- ! ऐसी खबर गल@ मोहrले मM फै◌ेल चक है ! ु सचेतनःशहर के लोग संवेदनशील एवं वेदना को समझते ह- ! अमन पसद लोग ह- ! सामािजक एकता मM 'वgवास रखने वाले ले◌ाग ह- ! उपd'वयI के इरादI को 'वफल तो कर ह@ दे गे !सच यह है क कोई तो ह- जो शहर क फजा eबगाडने पर तला ह- ! ू हआ ु कrपनाःठ0क कह रहे हो ! उपd'वयI को बेरोजगार@ अशZा,महगाई,गर@बी छआछत =दखाई ु ू जातवाद के मददे ु ह@ नह@ पड रहे ह- ! दे श समाज के दgु मन साQ दायक भावना के सहारे gशहर का अमन चैन छन रहे ह- ! सचेतनः समाज मM बैर फेलाने वाले लोग दे श समाज के कrयाण क बात नह@ कर सकते ना ! कrपनाः यह@ तो दभा ु vय ह- ! दे श मM पढे लखे बेरोजगारI क फौज खडी हो रह@ ह- ! भख ू गर@बी पसर@ पडी ह- ! अशZा नार@ शZा के लये जंग छे डना चा=हये था पर समाज दे श के 'वरोधी अमन gशाित के tखलाफ मोचा 38

खोल रहे है ! gशहर को कफयू धारा 144 मM जीने को 'ववश कर रहे है सचेतनः ठ0क समझ रह@ हो भागवान काश उपdवी लोग भी सोचते दे श समाज के =हताथ ! कrपनाः दं गे के पीछे कोई ताकत तो ह- ! सचेतनः पदाफाश हो जायेगा ! कसी के तन पर तो कसी के मन पर घाव लगी ह- ! सmय समाज के दgु मनो ने कतनI क रोट@ रोजी मM आग लगा =दये ह- ! ! कrपनाः दं गा कोई चैन दे सकता है Pया !नह@ ना ! सचेतनः सब जानकर भी उमाद@ लोग एक दसरे के खन ू ू के Xयासे बन जाते ह- ! जबक मानवता से बडा धम और दद से बडा रgता कोई नह@ होता पर उपdवी सब रौदने पर तले ू है ! कrपनाः खैर िजदगी पटर@ पर आने लगी है ! सचेतनः gशहर मM जrद@ अमन gशाित था'पत हो ! उपdवी लोग तो आग उगलते ह@ रहे ह-! कrपनाः जह@ औरते कल आपस मM बात ू के पापा कछ ु कर रह@ थी क हकमत असल@ मजरमI पर हाथ नह@ ु ु ु डालती ! तमाम दं गे इस बात के गवाह ह- ! ऐसा करने मे हकमत को खतरो से खेलना पड सकता ह- Pयोक दं गे ु ु के िजQमेदार दोनो पZI मM कटरपं7थयI क भरमार होती ह- ! यह@ दं गI का राज तो नह@ ह- !हकमत मM एक क म ु ु का कटरपंथी तबका वोट बक - का इंतजाम करता ह- तो 39

दसरा राजनीतक बैसाtखयI का ! ू सचेतनःठ0क कह रह@ हो ! राजनीतक आकाओ ने वोटो क िजस तरह जात धम अथवा सQ दाय के आधार पर 'वभािजत कर =दया ह- ! उससे से यह कयास लगने लगा ह- अमन पसद दे श समाज के नागरक को क शहर अब बाLद के ढे र पर खद ु को पाने लगे है ! समय आ गया है अब उपd'वयI के tखलाफ सHत कार वाई हो ! gशासन शासन इसके लये कमर कस ले ! उपdवी चाहे िजना भावशाल@ PयI न हो उसे दे श समाज का खतरा समझकर

उसके

tखलाफ

कार वाई

हो

!

धामक

साQ दायक उ2वाद@ संगठनो पर पण ू तबध लागू हो जो अमन gशाितं के 'वL]द उठ खडे होते ह- ! दे श मM समान सं=हता लागू हो !तभी दं गो से नपटा जा सकेगा ! कrपनाः काश ऐसा ह@ होता ! सचेतनःऐसा होगा दे खना एक ना एक =दन !ह>या दघ ु टना,दं गा उपdव महगाई आ=द से लQबे असb से =दल दख रहा है पर अब सकन क खबरे आने लगी है ु ू !महाशवराe\ एंव जQ ु मे क नमाज के भाव से gशाित एवं सदभावना क बदर@ छाने लगी है ! कrपनाःसच धीरे धीरे अब शहर म ु कराने लगा है !ऐसी खबर आने लगी है !अमन शाित पसद शहर के लोग सब कछ भलने लगे ह- जैसे कछ हआ ह@ न हो !अfछा ू ु ु ु संकेत ह- सामािजक सदभावना का ! 40

सचेतनः अरे जह@ ू क मां ए दे खो ! कई =दने◌ा◌ं के बाद बडा सकून लग रहा ह- ! कrपनाः सकन महसस ू कर रहे हो यह तो म- समझ ू गयी पर =दखा Pया रहे हो ! सचेतनः अखबार

शहर मM अमन चैन हो गया ह- ना

इसीलये पापा अखबार मM छपी खबर =दखा रहे ह- Pयो पापा यह@ ना ! सचेतन ◌ःठ0क समझ रह@ हो ! कrपनाः gशहर मM gशाित हो गयी ह- ! उपdवी अपनी अपनी मांदI मM छप गये ह- ! अब फर कभी सर ना उठाये ! शहर और शहर क

अमन gशाित को

उपd'वयI ने साQ दायकता क आग मM धू धू कर जला ह@ =दया था पर अब पनः ु सदभाव क लहर दौड पडी ह- ! सचेतनः अमन gशाित मM ह@ तो सmय समाज क आ>मा बसती है ! कrपनाः दे खो सब ओर सदभाव पण ू माहौल हो गया हतम ु अपने वादे पर खरे उतरो ! सचेतनः Pया ! कrपनाः अरे नाचI गाओं जgन मनाओ भल ू गये Pया ?अब तो उपd'वयI क बोयी म/ ु ठ0 भर आग ठ:डी हो गयी है । सचेतन ◌ः नह@ भागवान !आज तो वाकई नाचने गाने जgन मनाने का =दन ह-

शहर मM अमन शाित ह- और 41

घर मM बेटे का जम =दन 17 फरवर@

आज तो दगनी ु ु

खशी ह-! उपd'वयI }ारा सलगायी म/ ु ु ु ठ0 भर आग ठ:डी हो गयी है । कrपना ◌ः अब दे र कस बात क !कछ गीत तो सनाओ ु ु अब ! इस खशी ु के माहौल मM चार चांद लगाओ ! सचेतनः लो सनो हंू ! ु सनाता ु म- एक गीत गाता हंू ! सदभाव का भखा ू , अमन शाित का गीत गाता हंू ना बहे लहू के कतरे कतरे यारो शहर जहां शाित सदभाव क है यार@ ! म- एक गीत गाता हंू कटरपं7थयI उमाद नह@ अfछा डर मM जीने वाले Pया करोगे सरZा ु न उगलना कभी आग, मानवता से कर लो यार@ म- एक गीत गाता हंू दर-ब दर दर ब-दर 'वजय बाबू अपनी गह ृ थी क गाडी धमप>नी इंdाणी के साथ मलकर बडी हं सी खशी से खींच रहे थे ।दोनो प\ो ु ु को अfछ0 तालम भी =दये थे नह@ सी तनHवाह के भरो◌े◌े◌ेसे । दोनो पत प>नी खद ु के पेट पर पटट@ बांध लेते थे पर बेटो द@पू और ट@पू को जरा भी गरम हवा के 42

लगने क कोई गजाइश नह@ छोडते थे । जीवन गाडी ु समय के प=हये पर चल रहा था । 'वजय बाबू के दोनI बेटो को बडे बडे ओहदे क नौकरयां भी मल गयी । 'वजय बाबू और इंdाणी के जीवन मM बसत छा गया । 'वजय बाबू ने दो◌े◌े◌ेनो बेटो का sयाह गौना बडी शान शौक से कया । दोनो बेटे अपने परवार मM मगन हो गये । 'वजय बाबू के पास बाप दादे क जमीन जायदाद भी खब ू थी । द@पू और ट@पू क 7ग]द नजर पहने तो आकर इसी पर =टक । एक =दन द@पू और ट@पू दोनो अपनी अपनी पि>नयI के साथ 'वजय बाबू और इंdाणी को घेरकर बैठ गये और 7चकनी चपडी बाते करने लगे । बातो ह@ बातो मM दोनो ु भाई एक वर मM बोले-पापा गांव क जमीन बेच दे ना चा=हये ।गांव क जमीन से िजना फायदा नह@ होता उतना तो आने जाने मM खच हो जाता है ।खेती क आधी से Tयादा उपज तो मजदरI ू क भेट चढ जाती है उपर से बार बार भागना पडता है ।पापा गांव और गांव क जमीन जायदाद से मोहsबत तो घाटे का सौदा साeबत हो रहा है । 'वजय बाबू और इंdाणी एक वर मM बोले-सौदा - अरे नह@ रे वहां क जमीन मM तो◌े हमार@ पी=ढयI क हEडडयां गल@ पडी है । बेटा वह जमीन नह@ वह तो परखI क धरोहर है । उसे सौदा मानकर तम ु ु लोग बेचने 43

क बात कर रहे हो ।बेटा कभी बेचने का नाम ना लेना मेरे जीते जी । मेरे परखो क नशानी है गांव क जमीन ु और महलनमा ु घर । द@पू और ट@पू एक वर मM बोले-पापा ऐसी हाथी पालने से Pया फायदा जो नकशान दे रह@ हो और अपनी ु जLरते भी नह@ पर@ ू हो रह@ हो । पापा न तो हम नह@ ह@ हमार@ औलादे जायदाद का Pया होगा 'वजय बाबू और इंdाणी

और

गांव जायेगी तो इस जमीन । बोले-बfचो जब हम मर खप

जायेगे तो तब तम ु लोग जो उ7चत समझना कर लेना पर मेर जीते जी तो बेचने का नाम भी न लेना गांव क मिrकयत । आtखरकार बेटो बहओं क िजद के आगे 'वजय बाबू और ु इंdाणी को घटने टकना पडा और गांव क मिrकयत M ु eबक गयी आनन फानन मM । गांव क मिrकयत eबकते ह@ 'वजय बाबू का शहर का मकान महल का Lप धर लया जो रकम बची दोनI बेटो के खाते मM चल@ गयी । 'वजय बाबू को पशन का आसरा M तो था ह@ । इसी आसरे मM 'वजय बाबू सोचे िजदगी के सा]यकाल मM सांस कब साथ छोड दे Pया भरोसा । बेटे बहओ क खशी मM खद ु ु खश ु रहना चाह रहे थे । उहे ु Pया पता था क उनके लायक बेटे अब नालायक हो गये है जो कछ कर रहे है एक सब सोची समझी सािजश ु 44

के तहत कर रहे ह- । समय फर करवट बदला दोनो बेटे अलग अलग gशहर मM तैनात हो गये और अपने अपने बाल बfचI के साथ जा बसे । इधर 'वजय बाबू भी उj का साठवां बरस परा ू कर सेवा मP मकान मM 'वजयबाबू ु त हो गये । महलनमा ु और इंdाणी अकेले रहे गये । कभी वे छोटे तो कभी बडे बेटे के साथ साल भर मM कछ =दन रहकर चले आते । ु द@पू और ट@पू क 7ग]द नजर फर मां बाप के मकान पर आ =टक । मां बाप का खद ु के त अथाह ेम का फायदा उठाकर दोनो बेटे एक और चाल चले । अचानक एक =दन द@पू सपरवारgमां बाप के पास



गया और घEडयाल@ आंसूं बहाते हए ू ु बोला मां यह दर@ अब बदाgत नह@ होती है । मां बाप एक साथ बोले बेटा नौकर@ घर मM बैठकर तो नह@ क जा सकती जब तक हई

थातरत कर ु ु तब तक कये अब कQपनी ने तमको =दया ह- तो बेटा कQपनी के अनसार काम करना होगा । ु बेटा तमको मालम ु ू ह@ है नौकर@ मM ना का कोई रोल नह@ होता । नौकर@ करनी है तो यह सब होगा । हमार@ 7चता छोडो अपने बfचे◌ा◌ं क परवरश बेह>तर तर@के से करो ताक वे तQ ु हारा नाम खानदान का रोशन करे जैसे तम ु दोनो भाई कर रहे हो उ◌ू◌ंचे उ◌ू◌ंचे ओहदे पर बैठकर । जैसे आकर मल जाया करते हो या हम बढा ू बढ@ आकर मल आया करते ह- तम ू ु लोगो से वैसे ह@ 45

आते जाते रहे गे ।द@पू बोला नह@ मां अब तम ु मेरे साथ रहोगी। एक ह@

=दन द@पू के आये ह@ हआ था क दसरे =दन ू ु ट@पू भी आ धमका ।वह भी अपने साथ मां बाप को रखने क िजद करने लगा पर यह तो महज =दखावा था एक सािजश के तहत । द@पू और ट@पू मां बाप पर मकान बेचने का जोर डालने लगे । 'वजय बाबू और इंdाणी को भय सता रहा था वे मकान नह@ बेचना चाह रहे थे । यह@ तो मकान था िजसे बनाने के लये

बाप दादI क धरोहर को बेचा गया था ।

दोनो बढा बढ@ इस मकान को बेचकर जीते जी मरना ू ू नह@ चाहते थे पर बेटI क िजद के◌े आगे वे बेबस हो गये । आनन फानन मM यह भी मकान eबक गया। द@पू मां बाप को ट@पू के हवाले कर gशहर चला गया फर उलट कर ह@ नह@ दे खा । कई मह@नI के बाद ट@पू द@पू के पास आया तहक कात के तौर पर । यहां तो द@पू का इरादा ह@ बदल चका था । ट@पू द@पू से साफ साफ ु कह =दया क अब वह मां बाप का बोझ नह@ ढो सकेगा । द@पू अपना रोना रोते हए ु बोला भइया ट@पू खचा बढ गया है । बfचI क पढाई पर लाखI खच हो रहा है ,उपर से कराये का घर भी तो ह- ।मां बाप को अपने पास ह@ रखI । 46

ट@पू -भइया हमारे भी तो बाल बfचे है । हमने कहां महल बना लया ह- तQ ु हारे पास तो चारgशहर मM

चार चार

मकान Xलाट भी तो ह।- तम ु से बहत ु कम मेर@ कमाई ह। भइया तQ कई गना ु हार@ कमाई तो मझसे ु ु अ7धक ह- । गाडी बंगला सब कछ तो है तQ ु हारे पास कQपनी का ु =दया हंू । हमारे पास Pया है सखी तनHवाह और Pया । ू भइया उपर@ कमाई तQ ु हारे पास है अ7धक है । कQपनी क आंखI मM धल ू झIकर ब=ढया कमाई कर लेते हो । ट@पू क बातI से द@पू तैश मM आ गया वह मां बाप को बांटने पर तल ू गया पर बढे ू 'वजय बाबू और इंdाणी को यह पसद ना था । वे कसी मं=दर क डयोढ@ पर बैठकर जीवन eबताना Tयादा उ7चत मान रहे थे । मां बाप के फैसले

पर द@पू और ट@पू सहमत ना थे । वे

दोनो

अपने इस बंटवारे पर राजी हए ु क छः माह मां बाप को द@पू रखेगा और छः माह ट@प।ू दोनI बेटI के आपसी फैसले के अनसार मां बाप का बंटवारा हो गया । ु द@पू छः माह

के लये ट@पू के माथे मढ =दया । ट@पू

क घरवाल@ को बढे आंख नह@ सहा ू सास ससरु फट@ ू ु रहे थे ।बढे ू मां बाप बहू के उ>पीडन से \ त थे बेटा भी जले पर नमक छडक दे ता था रह रह कर । बढे ू 'वजय बाबू और इंdाणी पgचाप क 7चता मM जल-जल कर बेटा बहू का उ>पीडन झेलने को मजबरू थे । उहे कभी कभी डब ू मरने क सझने लगती थी पर पोते पोतयI का मोह ू 47

इजाजत ना दे ता । बेटा बहू के लये इनक हालत क> ु ते eबिrलयI से अ7धक ना थी । बढे ू 'वजय बाबू और इंdाणी

को सकन ू क तलाश थी । वे सोच रहे थे शायद

बडा बेटा और बहू उहे सQमानजनक ि थत मM रखे । इसी बीच एक =दन ट@पू द@पू के यहां पटक गया । 'वजय बाबू और इंdाणी को तो

ठ0क ठाक लगा पर

सXताह भी नह@ eबता क वे असहज महसस ू करने लगे बडे बेटा बहंू के घर मM भी ।उहे एहसास होने लगा था क वे बडे बेटे बहंू के लये भी बोझ के अलावा और कछ ु नह@ ह- । बडी बहू मैडम मो=हनी फोन पर हर कसी से बात करते समय यह कहते ना थकती क सास ससरु क वजह से घर से नकलना नह@ हो पाता ह- ।इंdाणी घर का भी बहत ु ह@ नपटा लेती यह@ ु सारा काम खद हाल 'वजय बाबू का भी था पर वे मां बाप न होकर अब बोझ बन चक ु े थे अपने ह@ बेटे के लये । उनक अंतEडयI मM कलबलाहट होती तो वे पेट को जोर से दबा ु लेते । अपने ह@ बेटे के घर मM रोट@ के लये मोहताज हो गये थे ।वे अनजान लोगो से व] ू ृ दाuम का रा ता पछने लगे थे कभी कभी राह चलते । एक =दन द@पू दफतर से रोनी सरत बनाकर आया । ू इंdाणी बेटे क परे शानी भापकर बोल@ बेटा बहत ु परे शान हो Pया बात है ।शायद उहे लगा क उनका बेटा कसी घोटाले मM तो नह@ पकडा गया पर वह तो उसके घाघपना 48

से पर@ ू तरह वाकब थी । उहे यह मालम ू था क उनका बेटा अपना जम के माथे थोप सकता ह- उसके साथ ु दसरे ू तो ऐसा नह@ हआ ह- । हां कोई ना कोई बात तो जLर ु है । इंdाणी बोल@ बताओ ना बेटा Pयो 7चितत हो कोई नई परे शान आ खडी हई ु है Pया । द@पू- मां मेरा cा फर हो गया । इंdाणी-cां फर । द@पू-हां मां cां फर । तब तक द@पू क घरवाल@ मैडम मो=हनी आ गयी और बोल@ Pया कह रहे हो तQ ु हारा cा फर हो गया । अरे तQ ु हार@ कQपनी वाले तो एक जगह =टकने ह@ नह@ दे ते ।इधर उधर भेजते रहते ह- । सास ससरु आये थे कछ ु =दन और चैन से रह लेते । द@पू- वह तो ह- । मQमी पापा को तो परे शानी हो गयी ना । म- भी तो यह@ सोच रहा था ◌ं। न चाहकर भी मQमी पापा को ट@पू के पास छोडना पडेगा । मQमी पापा को साथ रखना तभी सQभव होगा जब Tवाइन कर ले और अfछा मकान मल जाये । मकान ठ0क ठाक मलने पर ह@ मQमी पापा को अपने पास रख सकेगे । मैडम मो=हनी-हां वह तो ह- । मQमी पापा को ऐसी वैसी जगह थोडे ह@ रखेगे । 'वजय बाबू और इंdाणी को कोई नई सािजश लग रह@ थी पर वे कर भी Pया सकते थे ।आनन फानन मM द@पू 49

मां बाप को ट@पू के यहां छोडने का मन बना लया । मैडम मो=हनी बहत ु थी Pयोक अब उनके राह के ु खश कांटे बढे ू सास ससरु नकलते नजर आ रहे थे। द@पू परवार स=हत बढे ू मां बाप को ट@पू के पास छोडने जाने के लये तैयार था । कछ ह@ दे र मM गाडी भी आ ु लगी । ~ाईवर द@पू साहे ब को सलाम ठे ◌ा◌ंकते हए ु बोला साहे ब गाडी तैयार है । द@पू और उसका परवार बढे ू 'वजय बाबू और इंdाणी के साथ गाडी मM बठ - गया । गाडी रे लवे टे शन पहंु ची ।राईवर बढे ू 'वजय बाबू और इंdाणी का पैर छते ू हए ु बे◌ाला मQमी पापा आशqवाद दो ।म- अपने मकसद मM परा ू हाउ◌ॅ◌ू◌ं । बढे ू 'वजय बाबू और इंdाणी

नgछल भाव से

मQमी

पापा का उदबोधन सनकर बहत ु ु हए ु खश ु और बोले बेटा भगवान तेर@ मराद करM । मेरा आशqवाद तQ ु M पर@ ू ु हारे साथ ह- । बढे द@पू और ू 'वजय बाबू और इंdाणी क बात सनकर ु उसक घरवाल@ मैडम मो=हनी का मंह ु उतर गया । ~ाइवर बोला मQमी पापा अब कब आना होगा । इंdाणी -बेटा

अब इस gशहर मM कहां आना होगा ।

~ाईवर- मQमी जी इस शहर से इतनी नफरत Pयो । 'वजय बाबू -बेटा नफरत Pयो करे गM । हम तो क{ मM पैर लटकाये हए ु लोग ह- । सब का भला चाहते ह- । हमे नफरत नह@ बेटा Xयार आता है । 50

~ाईवर- फर आप ऐसा Pयो बोल रह@ है मQमी जी क अब इस gशहर मM कहां आना होगा । इंdाणी- बेटा तेरे साहे ब का टं ◌्रा फर हो गया ना इस शहर से । ~ाईवर-Pया साहे ब का cा फर ।कब हआ यहां तो कसी ु को पता ह@ नह@ । 'वजय बाब-ू एक और सािजश द@पू क मां । इंdाणी- बार बार मना करती रह@ क मत बेचो मकान । बाप दादा क धरोहर तो बेच ह@ =दये थे ।जीते जी मकान ना बेचो पर मेर@ एक ना सने ु । हम खानाबदोश हो गये । अपनी हाल तो क> ु ते eबिrलयI जै◌ेसी होकर रह गयी है । मौत भी नगोडी हम से ना जाने PयI दर@ ू बनाये जा रह@ है । कब तक दर-ब-दर भटकते रहे गे अपनI क द@ म/ ु ठ0 भर आग के दद को लये। इतने मM गाडी को सvनल मल गया और वह चल पडी छक छक ु ु करते हए। ु

चr ु लू भर पानी Pयो◌े◌ं जी eबन मौसम क बरसात Pयो

। अभी तो

सरज आग उगल रहा है । मौसम 'वoानी बता रहे है क ू मानसन ू जन ू के आtखर@ सXताह मM आ सकता ह।- ये अवारा बादल कहां से टट ू पडे 'वशाल क मां । गीता- Pया कह रहे हो 'वशाल के पापा मेर@ तो समझ मM ह@ नह@ कछ आ रहा ह- । ु 51

अशोक-बहाना नह@ । गीता-कैसा बहाना जी । अशोक-तQ ु हार@ आंखI मM आंसू PयI । गीता-अfछा ये आसं।ू ये तो चr ु लू भर पानी मM डब ू मरने क बात है । अशोक-ये कैसी चkवाती बरसात है जो eबना कसी बरसात और eबना बाढ के रह@

डब ू मरने के लये फफकार ु

है ।

गीता-थोडी दे र पहले आ गयी थी चkवाती बरसात एक नरा7uत बढ@ ू मां के साथ । अशोक-बढ@ ू

मां ।

गीता-हां बढ@ ू मां के ह@ साथ आयी थी चkवाती बरसात जो लोभी औलादो क मंशा को तार तार करने के लये काफ थी । अशोक-कौन सी बढ@ मां क बात कर रह@ हो । कोई ू गQभीर मामला ह- Pया । गीता- हां । आने वाला समय बढे ू मां बाप के लये तबाह@ लेकर आना वाला है । अशोक-Pया कह रह@ हो 'वशाल क मां । गीता-ठ0क कह रह@ हंू ।एक अंधी बढ@ ू लाचार मां शहर के चकाचौध भरे उजाले मM पता ढढ ू रह@ थी अपनी बट@ का । बेचार@ बढ@ ू मां नWकासत थी । अशोक-नWकासत । 52

गीता-हां नXकासत । एक नालायक बेटा अपनी अंधी मां को घर से नकाल =दया था । वह बढ@ ू मां अपनी डयोढ@ पर आ 7गर@ थी । उनक दा तान सनकर ये eबन मौसम ु क बरसात ह- । अशोक-ग ु ताखी के लये Zमा करना दे वी जी पर अब वो मां कहा है । गीता-बढ@ ू मां को उसक बेट@ के घर छोड आयी । अशोक-बेट@ के घर । गीता -हां बेट@ के घर । बेटा घर से नकाल =दया ह- तो वह बढ@ ू मां बेचार@ जाती तो जाती कहां ।ना थाह पता । बस इतना कालोनी का नाम

ना

मालम ू और ये भी

क तकोने बगीचे के सामने घर ह- । इसी आधार पर बढ@ ू मां क बेट@ के घर क तलाश करनी पडी ह- । काफ मgकत के बाद घर मल गया । अशोक-आज औलाद इतनी वाथq हो गयी है क अंधी मां को रहने के लये जगह नह@ है उसके ह@ बनाये आशयाने मM ।बेटा मां को घर से बेदखल करने पर उतर आया है । गीता-हां बेचार@ बढ@ ू मां दर दर भटक रह@ थी ना जाने कब से ।आज बेट@ के घर पहंु च पायी ह- । य=द उस बढ@ ू मां क मदद ना करते तो भटकती रहती ना जाने कहा कहां । थक हार कर कसी गाडी के नीचे आ जाती । मरने के बाद लावारस हो जाती । बेटा को 53

कफन पर

भी खच ना करना पडता । मां को घर से बेदखल कर खद Xयासी ु मालक बन बैठा ह- नालायक बेटा ।मां भखी ू धPके खाने को मजबरू हो गयी ह- । बेट@ ना होता तो वह बंूढ@ अंधी लाचार मां कहा जाती । बढ@ ू मां क दशा दे खकर मन रो उठा 'वशाल के पापा । भगवान ऐसी सजा कसी मां बाप को ना दM । अशोक-बढ@ ू मां के साथ दादा ना थे Pया । गीता-नह@ । वे बेचारे मर गये ह- ।उनके मरते ह@ बेचार@ पर मसीबत का पहाड 7गर पडा है । ु अशोक-दौलत के लये मां पर बेटा

जr ु म कर रहा है

।वाह रे बेटा । मां के आसंू का सख ु भोग रहा है । गीता-हां जब तक पर@ । बढ@ ू दौलत पर कsजा नह@ हआ ू ु मां को क> रोट@ मल ू ु ते eबrल@ क भांत Lखी सखी जाती थी । चल अचल सQपत पर पर@ ू तरह कsजा होते ह@ बेटा बहू ने एकदम से दरवाजे बद कर लये बेचार@ लाचार मां सडक पर आ गयी । अशोक-बाप रे िजस घर को बनाने मऔर औलाद को M पालने मM जीवन के सारे सखो क आहत दे द@ उसी घर ु ु से बेदखल कर द@ गयी वह भी खद ु के बेटे के हाथो । गीता-हां ऐसा ह@ हआ ह- उस बढ@ ू मां के साथ । ु अशोक-वाह रे ममता के दgु मन ।आज मां बाप प\ ु मोह मM पागल हो रहे ह।- बी=टया को जम से पहले मार दे रहे ह- । वह@ बेटे बढे ू मां बाप 54

को सडक पर ला फेक रहे

ह- । गीता-हां ऐसा ह@ हआ ह- उस बढ@ ू मां के साथ । उसके ु पत सरकार नौकर@ मM थे गाडी बंगला सब कछ था । ु अfछ0 कमाई थी । बेचारे क अचानक मौत हो गयी । पत क मौत के बाद लोभी बेटा सब कछ अपने नाम ु करवा का बढ@ मां के◌ा सडक पर पटक =दया भीख ू मांगने को । अशोक- बाप रे अब बढे ू मां बापो को अनाथ आuमI मM आuय लेना पडेगा । गीता-PयI । अशोक-कहां जायेगे । गीता-बे=टया है ना । अशोक-बे=टयां । गीता-हां बे=टया बेटो से कसी मायने मM कम नह@ है । बढ@ ू मां क बेट@ मां को दे खकर eबलख eबलख कर रोने लगी थी जैसे भरत राम रोये थे कभी ।इसी धरती पर कभी uवण थे जो अपने बढे ू मां को बहं गी मM eबठाकर सारे तीथत करवाये ।आज दे खो बेटे रोट@ दे ने को तैयार नह@ है । मां बाप को बोझ समझ रहे ह- जबक

सब

कछ है । ु मां बापI का ह@ बनाया हआ ु अशोक-िजतनी तरPक हो रह@ ह- उतनी ह@ तेजी से

वाथपरता के भाव मM बि] ृ द हो रह@ है । अंधगत से आदमी का मानसक पतन भी हो रह@ है । 55

गीता-सच बहत मां क ु समय आ गया ह- । बढ@ ू ु बरा दशा दे खकर प>थर भी 'पघल जाये पर वो नालायक बेटा नह@ 'पघला । मां को घर से बेदखल ह@ कर =दया ।कहते हए ु गीता ससकने लगी अशोक-आसंू पोछI । डर लगने लगा है । क{ मM पैर लटकाये बढे लगे है । ू मां बाप व] ू ृ दाuमI का पता पछने 'वशाल क मां ये समाज के लये शभ ु संकेत कतई नह@ है । गीता-आज क औलादो को कैसा संkमण लग गया है क मां बाप बोझ लगने लगे है ।व] ृ दाuमो क शरण मे जा रहे ह- औलादो के होते हए ु भी । वाह रे वाथq औलादM । भल ू रहे ह- मां बाप के >याग को । अशोक-मां बापI को भी अपने मM बदलाव करना पडेगा और प\ ु मोह से उबरकर बेट@ बेटा को बराबर का हक दे ना होगा ।प\ ु मोह के अंध'वgवास को तोडना होगा । गीता-बंश का Pया होगा । अशोक-बे=टया बेटो से कम नह@ ह- ।दोनो को बराबर का हक होना चा=हये । बेट@ बेटा दोनो को मां बाप क परवरश के लये तैयार रहना होगा । गीता-बढे ू मां बाप बेट@ के घर जाकर रहे गे । इTजत का Pया होगा । अशोक-बेट@ के साथ रहने मM इTजत घटे गी नह@ बढे गी। बे=टया भी तो उसी मां बाप क सतान ह- ।प\ ु बंश 56

चला◌ा ह- गजरे ु

जमाने क बात हो गयी । यह@

अंध'वgवास तो बढे ू मां बाप क ददु शा का कारण है । जीवन क संझा मM सख ु क जगह म/ ु ठ0 भर भर कर आग दख ु परोस रहा है । गीता-आने वाला समय भयावह न हो । इससे पहले मां बापो को भी सतक हो जाना चा=हये खासकर यवा ु दQपतयI को ।बfचI को नैतकता का बोध करायM । लोभी वत व का ृ 'वरासत मM ना दे । मां बापI के कत> ृ भाव बfचI पर अवgय ह@ पडता ह- । यवा दQपत ु अपने मां बाप के साथ जो बताव करते ह।- यक नन उसका असर नहे बfचो पर भी पडता ह- । आगे चलकर यह@ नहे बfचे बडे होते ह- । अपने मां बाप }ारा खद ु के दादा दाद@ के साथ कये गये बताव एवं बदसलकयI को ू दोहराते ह- । यवा ु दQपतयI को बचपन से ह@ बfचI को अfछ0 परवरश के साथ अfदे सं कार भी दे ने होगे िजससे आने वाले समय मM उनके साथ कछ बरा ु ना हो ु सके । मां बाप धन दौलत के पीछे भाग रहे ह- बfचे झलाघरो मM पल रहे ह- अथवा नौकरI के हाथI । वे मां ू क ममता और बाप के Xयार से बं7चत हो जाते ह।ऐसे बfचे मां बाप को Pया समझेगे ।मां बाप क धन के पीछे न भागकर बfचो क अfछ0 परवरश पर ]यान दे ना चा=हये । आगे चलकर ये बfचे उ2 Lप धारण कर लेते ह- ।नतीजन मां बाप को ददु शा झेलना पडता ह57

िजससे उनका सां]यकाल दखदायी हो जाता है ।रोट@ के ु लये तरसना पड जाता है । अशोक-ठ0क कह रह@ हो । बढे ू मां बाप घर से बेघर ना हो । नवदQपतयI को गहराई से 'वचार करना होगा । धन क अंधी दौड से बचना होगा ।मां को अपने और बाप को अपने दाय>व पर याय करना होगा । तभी बढे ू मां को घर से बेघर होने से बचाया जा सकेगा । गीता-व] ू मां ृ दाuम क संHया मM बढती बि] ृ द और बढे बाप का सडक पर आना औलादI को चr ु लू भर पानी मM डब ू मरने वाल@ बात होगी ।मां बात तो धरती के भगवान ह- । मां बाप क सेवा से बडी

कोई भी दौलत सख ु नह@

दे सकती । फज जोर जोर से गेट पीटने क

आवाज सनकर मसेज ु

आरती बाहर आयी । गेट पीटने वाल@ से बोल@ भइया गेट तोड रहे हो या बला रहे हो । आग बरसती गमq मM ु Pया काम पड गया । कहां जाना ह-

तमको । Pयो ु

इतना पी लेते हो । घर मM बीबी बfचI का फांके का Hयाल आता है । बाल बfचे घर परवार सब भल ू गये दाL क मौज मM । इतना

भी पता नह@ है क कहां

जाना है । अरे नह@ पचती तो PयI पी लेते हो। PयI गेट पीट रहे हो आगे बढो । अपने घर मM भी चैन से नह@ रह सकते ।कैसे कैसे लोग है जमाने मM अपनी 58

अययाशी के लये खद ् ु के घरपरवार को तबाह@ मM तो झIकते ह@ ह- दसरI का चैन भी छनते है ।जाओ भइया ू अपने घर जाओ । मझे नह@ सननी है । ु तQ ु हार@ कछ ु ु तQ फ:डु नीसा का eबजल@ का ु हारे पडोस वाले सनील ु कनेPशन करने आया हंू । मेर@ बात तमको सनना पडेगा ु ु । म- सPसेना हंू नशे मM धत ु आदमी बोला । मसेज आरती-सनील का पांच साल पराना मकान है ु ु ।eबजल@ का कनेPशन उनके यहां ह- तो नया कनेPशन PयI करवायेगे । सPसेना लडखडाती हई ु जबान मM बोला -करना है तो करना है बस । मसेज आरती- सनील फ:डु नीसा के घर जाओ । ु सPसेना लडखडाती आवाज मM बोला तQ ु हार@ छत पर जाना है । मसेज आरती-हमार@ छत पर PयI । सPसेना-बहत ु हार@ ु सवाल करती हो । अरे कनेPशन तQ छत पर जाकर ह@ तो कLंगा । मसेज आरती-मेर@ छत पर नह@ जाना है कहकर Tयो=हं घर मM आई फर सPसेना गेट पीटने लगा है । मसेज आरती बेटे रं जन से बोल@ बेटा दे ख अब कौन आया । तेरे पापा सो रहे है । टकर क इतजार मM रात भर जागते रहे ।रात को दो बजे तो टकर का पानी आया M था । पैसा भी =दन रात टकटक लगाये रहो ये टकर M 59

वाले भी पैसा लेने के बाद Lला दे ◌ेते है ।पानी क सम या ने चैन छन लया है दसरे ना जाने कहां कहां ू से eबन बलाये आ जाते है । लोग ना जाने Pयो तनक ु आराम करने लेटे

तभी आ धमकते

है । जा बेटा रं जन

दे ख ले ना । रं जन-दे खता हंू मQमी कहकर बाहर गया । गेट पर बेसुध खडे आदमी से पछा कौन हो अंकल पानी पीना है Pया । ू नह@ं मझे तQ ु ु हार@ छत पर जाना है । फ:डुनीसा का कनेPशन करना ह- । फ:डु नीसा ने भेजा है । रं जन-अंकल फ:डुनीसा के घर के सामने ह@ तो eबजल@ का खQभा है वहां से Pयो नह@ कर दे ते कनेPशन । हम तो आपको पहचानते भी नह@ । कैसे आपको अपनी छत पर जाने दं ू । फ:डु नीसा

अंकल को आपके साथ आना

था । सPसेना- म- चोर नह@ eबजल@ 'वभाग से आया हंू । रं जन- eबजल@ 'वभाग से आये हो तो अंकल के घर के सामने वाले पोल से कनेPसन PयI नह@ कर दे ते । हम लोगो को आग बरसती दोपहर@ मM PयI परे शान कर रहे हो । सPसेना- तQ ु हार@ पडोसी फ:डुनीसा कहता है । मेरे घर के सामने वाले पोल मM eबजल@ कम आती है और यहां Tयादा रहती है । इसीलये फर

से कनेPसन करवा रहा

है । मझे ु Pया करना ह- मझे ु तो बस पैसा चा=हये चाहे 60

जहां से करवाये । रं जन-ठ0क है जाओ पर Tयादा टाइम नह@ लगाना । सPसेना- टे म तो लगेगा कहते हए ु छत पर गया केबल छTजे मM अटकाया । छत से नीचे उतरा और खQभे पर चढकर केबल खींचने लगा । केबल खीचने क वजह से पौधे क छोट@ छोट@ डाले और पि>तयां टटने लगी । कछ ू ु ह@ सेके:ड मM बादाम क मोट@ डाल टटकर धडाम से ू 7गर@ । पौधI का नकशान मसेज आरती से बदाgत नह@ ु हआ । वे बोल@ Pयो भाई आप कनेPशन कर रहे ह- या ु मेरे पौधे तोड रहे है । पीने को पानी नह@ मल रहा है ऐसे हालात मM भी म- पौधI को सींच रह@ हंू । मेरे आंगन क हरयाल@ आप Pयो उजाड रहे हो भइया । सPसेना-दे ख बकबक ना कर जLरत पडी तो ये पेड पौधे कट भी जायेगे । मसेज-आरती Pया कहा तमने तेज आवाज मM बोल@। ु सPसेना- हां ठ0क सनी हो । ये पेड पौधे काटे भी जा ु सकते है । मसेज आरती- वो भाई

याद रख जो पौधे तोड रहे हो वे

पौधे खैरात क जमीन मM नह@ हमार@ अपनी जमीन मM लगे है ।ये जमीन पसीने क कमाई से खर@द@ गया है । ।इन पौधे का Hयाल म- अपने परवार सर@खे रखती हंू । तम ु काटने क बात कर रहे रहे हो ।दे खती हंू कैसे काटते हो । 61

इतना सनते ह@ सPसेना तमतमाते हए ु ु नीचे उतरा । अपशsद बकते हए ु ु 7चrला चोट करने लगा । शोरगल सनकर म टर लाल क नींद खल ु ु गयी वे भी बाहर आ गये । उनको दे खकर मसेज आरती बोल@ दे खो जी ये आदमी पौधे तोड रहा है ,काटने क बात कर रहा है

उपर

से 7चrलाचोट भी कर रहा है । म टर लाल Pयो जनाब PयI आतंक मचा रहे है । कौन है आप। PयI तQ ु हार@ नजर मेरे पौधे क हरयाल@ पर लग रह@ है । हमारा नकशान कर रहे हो । भर@ दोपहर@ ु मM 7चrलाचोट कर रहे हो कैसे आदमी हो ।इंसान होकर इंसानयत का धम भल ू रहे ह- । अपने फज का क>ल कर रहे है । हमारे बगीचे को जानवर क तरह चर रहे हो कैसे आदमी हो भाई । सPसेना- तQ ु हारे पडोसी फ:डुनीसा का कनेPसन कर रहा हंू तQ नह@ कर रहा हंू । ु हारा नकशान ु म टर लाल- ये पौघे कैसे टटे ू है । Pया यह नकशान ु नह@ है । सPसेना-तमको आsजेकसन है । ु म टर लाल- तम ु कनेPशन करने के बहाने मेरा बगीचा उजाड रहे हो और उपर से पछ ू रहे हो आsजेPशन है । सPसेना-आsजेPसन है ये लो कससे बात करनी है कर लो मोबाइल =दखाते हए ु बोला । म टरलाल- होश मM आओ । बताअ◌े◌ा कसक परमशन 62

से खQभे पर चढे हो । तQ ु हारे पास कोई कागज है तो =दखाओ । सPसेना- तम वाले। वह फर मोबाइल ु कौन होते हो पछने ू =दखाते हए ु फर बोला ये लो कर लो न बात । दे खता हंू कससे बात करते हो । दे खता हंू मझे ु कौन रोकता है मझे ु कनेPशन करने से। म- एक फोन कLंगा तो सीधे अदर जाओगे । म टरलाल-नशे मM हाथी भी चींट@ =दखायी पडती है ।फ:डुनीसा का कनेPसन कर रहा है अनएथोराइज ढं ग से और मझे ु धमका रहा है । इतनी बडी दादागीर@ । चोर कोतवाल को डांटे वाल@ कहावत तम ु चरताथ कर रहे हो सPसेना । सPसेना-तम ु फ:डु नीसा को नह@ जानते Pया । म टरलाल- अरे भाई ऐसे मदा ु सर@खे लोगI को जानने से बेहतर ना ह@ जानो । ये◌े मतलबी लोग है जब जLरत पडती ह- तब पहचानते है । eबना जLरत के तो मातम वाले घर क तरफ नह@ दे खते । अब तम ु अपनी बकबक बद करो । याद रखो मेरे पौधI को नकशान ु नह@ पहंु चाना । सPसेना लालपीला हो रहा था म टरलाल उसे समझा◌ाने का य>न कर रहे थे इसी बीच सनील फ:डु नीसा आ ु गया ।वह सPसेना को एक तरफ करते हए ु बोला तू अपना काम कर दे खता हंू कैसे रोकता है । 63

म टरलाल- भई फ:डुनीसा शराफत भी कोई◌्र चीज होती है ।एक पडोसी का दसरे के त कछ दाय>व होता ू ु है । पडोसी होने के आदमी का फज और अ7धक बढ जाता है । आप इतने बडे आदमी है क एक दरोEडयI को भर@ दोपहर@ मM मेरे घर भेज =दये । Pया यह@ अfछे पडोसी का फज बनता है । फ:डुनीसा -अfछा तो तू मझे शराफत सीखायेगा। फज ु पर चलना सीखायेगा । मP ु का तानते हुए बोला चल हट नह@ तो अभी दो दं ग ू ा तो सार@ अकड नकल जायेगी ।चला है एथोराइज अनएथोराइज क बात करने । म टरलाल-अरे अपनी औकात मM रह फ:डु नीसा । अपने बालबfचो को पाल ,पढा लखा ग: ु डई शराफत का गहना नह@ है । बीयर बार मM 7गलास धोकर तो परवार चला रहा है । मालम है जब शर@फ आदमी बदमाशी पर ू आता है तो तQ ु हारे जैसे ग: ु डे ने तानाबत ू हो जाते है । फ:डुनीसा -हां म- तो ग: ु डा हंू ने तानाबत ू करके दे ख लेना। मसेज आरती- पडोसी भगवान क तरह

होते ह- । यहां

तो पडोस मM शैतान बसते है । एक तरफ `यभचार@ तो दसर@ तरफ ग: ू ु डा कैसे शर@फ लोग रह पायेगे ।ग: ु डे क म के लोग अभी तक तो झvु गी झोपडी का सहारा लेते थे । अब शर@फI क ब ती मM घसपै ु ठ करने लगे है । 64

फ:डुनीसा -तम ु लोग कतना भी 7चrलाचोट कर लोग मेरा कनेPशन तो तQ ु हारे घर के सामने के पोल से ह@ हे ◌ागा । म टर

लाल- फ:डुनीसा

ग: ु डाजी

अवैध

कनेPशन

करवाओगे । मेरे पेड पौधI को काटोगे या मेरा कनेPशन काटोगे । मेरे दरवाजे पर मझे मारने आ रहे हो । ु नतीजा मालम ू है Pया होगा। इतना बडा ग: ु डा पडोस मM बसता है थोडी खबर तो थी पर आज पर@ ू जानकार@ भी मल गयी । फ:डुनीसा -अब तो पता चल गया । मेरे रा ते मM जो आयेगा सबको दे ख लंग ू ा । इतनी मM फ:डु नीसा क घरवाल@ हाथ मM सरया लेकर गाल@ दे ते हए ु म टर लाल के दरवाजे तक चढ आयी । फ:डुनीसा और उसक घरवाल@ क करतते ू दे खकर सामने वाले लाला के परवार के लोग ताल@ बजाबजाकर खुश हो रहे थे। यह उसी लालाजी का परवार था िजनक मौत से लेकर दसरे kयाकम| तक फडनीस कभी नह@ =दखा था ू और ना ह@ आसपास के और लोग । म टर लाल ना रात दे खे ना =दन सब कामI मM खडे रहे और उनक धमप>नी तो उनसे आगे थी चाय नाgता खाना पानी तक का इतजाम क थी । आज वह@ लाला का परवार म टर लाल के साथ पडोस वाले ग: ु डे फ:डुनीसा क करतत ू पर खश ु हो रहा था । उसक ताकत बन रहा था 65

। म टर लाल फ:डुनीसा के द`ु यहार से दखी तो थे ह@ ु लाला के परवार के आग मM घी डालने क करतत ू से tखन भी । फ:डुनीसा और उसक घरवाल@ अनाप शनाप बके जा रहे थे । म टर लाल के बfचे उहे घर मM ले गये । काफ दे र तक ग: ु डे क ललकार हवा मM गंज ू ती रह@ । शोरगल सनकर पीछे ु ु

वाल@ गल@ से मसेज

मनवती

म टर लाल के घर आ

और कई सmय लोग

गये । मसेज मनवती - मसेज आरती से बोल@ Pया भाभी आप लोग पागल क◌ु हो । हर आदमी के दख ु ु ु तो को पचकारते सख ु मM कद ू पडते हो ।दे खो आजकल के लोग नेक के बदले Pया दे ते ह- । फ:डु नीसा के भी तो आप लोग बहत ु काम आये हो । जब इसका बन रहा था तब भी मदद करते थे । उसके गह वे श के =दन तो रात भर पानी ृ भरवाते रहे अपनी बोरंग चला कर । इस दगाबाज दोगले फ:डुनीसा के घर मM जब चोर@ हई ु थी तो कोई आगे पीछे नह@ था आपके घर को छोडकर । ये लाला का परवार तो दरवाजा ह@ नह@ खोला था । पडोस वाला `यभचार@ जो आज कदकद ू ू कर कनेPशन करवाया ह- । यह भी तो नह@ =दखा था । िजनके संग दाल बांट@ क पाटn जमाता था वे लोग तो इस अमानष मM भी ु के मंह ु पर मसीबत ु मतने नह@ आये । थाने से लेकर घर तक का काम आप ू 66

लोगो ने ह@ दे खा था । इसके बाद भी

फ:डुनीसा क

घरवाल@ ने पडोसयI पर ह@ इrजाम लगाया थी । भला हो पलस वालI का उसके मंह ु ु पर थक ू =दये यह कह कर क अब तमको कैसे पडोसी चा=हये । पडोसी मM नह@ ु तमम ु M दोष है । शर@फ सर@खे पडाि◌◌ेसयI पर इrजाम लगा रहे हो । तब फ:डुनीसा और उसक घरवाल@ का मंह ु दे खने लायक हो गया था । मसेज आरती-भाभीजी इंसान के काम तो इंसान ह@ आत ह- ना । हम लोगो से कसी का दख ु दद बदाgत नह@ होता । कहते है ना दद का रशता सभी रशतM से बडo हो◌ाता है । जहां तक सQभव होता ह- हम कसी क मदद करने से नह@ चकते ।आदमी हमार@ नेक को भले ू भला गा । ू दे पर भगवान तो नह@ भलाये ू मसेज मनवती- भाभी ऐसी भी नेक कस काम क । िजसके साथ नेक करो वह खन ू का Xयासा बन जाये । ऐसे लोग तडपते रहे तो भी ऐसी हालत मM उनके मंह ु पर पेशाब नह@ करना चा=हये । बेशरमI मM जरा भी मयादा शेष नह@ बची है । अगर ऐसे ह@ होता रहा तो कोई कसी के दख सख मM काम कैसे आयेगा ।ऐसे ह@ ु ु पडोसयI क वजह से शहर बदनाम हो रहा है ।पडोस मM कोई मर जाता है पडोस को खबर न लगने का कारण ऐसे पडोसी है । फ:डुनीसा जैसे मतलबी पडोसी, पडोसी के फज पर कहां खरे उतर सकते है । 67

म टर लाल-भाभीजी

हम लो◌ागो से कसी का बरा ु

नह@ दे खा जाता । कैसे मंह ु मोड ले अपने फज से । मसेज मनवती -आपक क गई भलाई का Pया सला =दया फ:डुनीसा और ये लाला का परवार । उस पडोसी 'वमल भ:डार वाले को दे खो कतना ब=ढया आपक ओर से सQबध था पर सडी सी {ेड को लेकर उसने पडोसी के पाक रgते को नापाक कर =दया । {ेड तो रख ह@ लया पैसा भी नह@ =दया । बरा ु भला कहा उपर से और भी ऐसे बहत ु डे खद ु को खदा ु ु लोग है । नालायक ग: समझने लगे है । ठ0क हम ला◌ोगो लोगो के पास दो नQबर क कमाई नह@ है तो Pया

पास मायादा तो है

।मान सQमान ह- शर@फ लोगो के बीच बैठक है । भाई साहब ऐसे लोगो के लये खडा होने से बेहतर तो ये है क अपने कानो मM Lई डाल लो । मरने दो सालI को । जब तक ये लोग हवा से जमीन पर नह@ 7गरे गे तब तक ऐसे ह@ शर@फI क शराफत का मजाक उडाते रहे गे । आप तो अपने परवार के साथ छ/ ु ट@ मना रहे थे रं ग मM भंग डाल =दया फ:डुनीसा ग: ु डे ने । अमानष ु मारने क ध‚स दे गया । मसेज आरती-भाभीजी फ:डुनीसा ने अपनी जबान खराब क है ।शर@फ लोग शराफत छोड दे गे तो दनया का Pया ु होगा । आदमी से आदमी का नह@ भगवान से 'वgवास उठने लगेगा । जैसी करनी वैसी भरनी । आज तो हम 68

चप ु रह गये कल कोई बडा वाला मल जायेगा । हEƒडया चटका दे गा । भगवान के उपर छोड दो ।बरेु काम का नतीजा कहां अfछा आता है भाभीजी ल@िजये पानी पीिजये । सभी आगतक ु अपनी अपनी तरह से समझा रहे थे । ढाढस दे रहे थे । उधर फ:डुनीसा छाती फलाकर अवैध ु तर@के से कनेPशन करवा रहा था । फ:डुनीसा क घरवाल@ और लाला के घर क औरते म टर लाल के घर क तरफ ताक ताककर ठसर ु ु भसर ु ु कर रह@ थी । कछ ु दे र मM म टर लाल के घर आये कालोनी के पीछे वाल@ गल@ के लोग अपने अपने घर चले गये । अवैध तर@के से कनेPशन हो गया । दोपहर ढल चक थी । नवतपा ु का आठवा =दन था आग बरसा रहा था । इसी बीच आकाश मM अंवारा बादल उमडने लगे◌े थे । दे खते दे खते ह@ आंधी ने जोर पकड लया ।आंधी के जोर ने सPसेना के नशे को

कम कर =दया । उसके मन मे 'वरािजत

इंसानयत जाग उठ0 । वह एक बार फर म टर लाल के मेनगेट पर द तक =दया । उसे दे खकर म टर लाल बोले अब Pया लेने आये हो भाई । सPसेना-साहब माफ मांगने आया हंू । म टरलाल- म- कौन होता हंू माफ दे ने वाला ।जाओ भगवान से माफ मांगो◌े◌े । सfचे और शर@फ इंसान को दख नह@ रह सकता चाहे तम ु दे कर कोई भी सखी ु ु रहो 69

या तQ ु हारा फ:डुनीसा । मसेज आरती- भइया सPसेना आप तो

कनेPशन करने

आये थे परतु आपने हमार@ ह@ नह@ अपनी भी मयादा का खन ू कया है । आदमयत का खन ू कया है । अपने फज को र‚दा है ।आप कनेPशन करने नह@ फ:डुनीसा क तरफ से मारपीट करने आये थे । सPसेना-मैडमजी शमदा हंू नशे मM था ।जानता हंू पडोसी सगे से भी बडा होता है परतु फ:डुनीसा तो पडोस मM रहने फ:डुनीसा

शराफत का चोला ओढे

बदमाश

है । मेरा नशा अब उतर गया है । फ:डुनीसा

ने दाL

'पलाया था । मझे ु बडी गलती हो गयी अनजाने

मM Zमा करना । भगवान फ:डु नीसा क तरह के◌े पडो◌ेसी मेरे दgु मन को भी न दे । म टर लाल-सPसेना कोई नभाये चाहे न नभाये म- तो अपना फज नभाउ◌ू◌ंगा । मसेज आरती- हां सPसेना भइया ये ठ0क कह रहे है ।शर@फ इंसान शराफत को कैसे छोड दे गा सPसेना-मैडमजी आप जैसे पडोसी तो कसी दे वता से कम नह@ पर ये ग: ु डे `यभचार@ Pया जाने पडोसी के धम को ये तो चील 7ग]द कौवI क तरह अपना मतलब साधते

है ।

म टरलाल-सPसेना तम ु जाओ । मझे ु अपना फज याद रहे गा । 70

सPसेना-भाई साहब पडोस वाले फ:डुनीसा और ऐसे लोगो से

सावधान रहना ऐसे लोग पडां◌ेस मM रहकर पडां◌ेसी

के जीवन मM म/ ु ठ0 भर भर आग बोते है भलं ू ग ू ा अfछे

म- नह@ं

पड.◌ोसी का फज कसम से दहे ज क आग

औरत जात को ले डबे ू गी ये दहे ज क आग । कब बझे ु गी ये दहे ज क आग । खदा खैर रखे अब ना जले और ु कोई लडक दहे ज क आग

मसेज शोभा बडबडाते

हए ु बरामदे मM धडाम से 7गर पडी । मां को 7गरता हआ ु दे खकर अवध दौडकर उठाकर बैठाया फर एक 7गलास पानी लाया । मां को 'पलाते हए मां ु बोला Pया हआ ु तeबयत तो ठ0क है । मसेज शोभा -हां बेटा मेर@ तeबयत तो ठ0क है पर एक लडक और जला द@ गयी दहे ज क आग मM । कब तक ऐसे ह@ लडकया जलाती जाती रहे गी । कब तक मां बाप दहे ज दानवI क मांग अपना घर }ार बचकर पर@ M ू करते रहे ◌ेगM । अवध मां का सर सहलाते हए ु बोला-दहे ज लोभयI का नाश होगा एक =दन । पापी काल कोठर@ मM तडप तडप मौत क भीख मांगेगे ।बहू को दहे ज के लये जला दे ते है । पराई बे=टयI को अपनी बेट@ Pयो ◌ं नह@ सोचते । दहे ज क आग बझे नह@ रह ु eबना औरत जात सरYZत ु 71

पायेगी । दहे ज लेना और दे ना दोनो अपराध है । यह जानते हए ु भी लोभयI के हौशले प त नह@ हो रहे है । मसेज शोभा- दहे ज क आग सनीता को ले डबी । ु ू बेचार@ क दद नाक मौत क खबर सनकर चPPर आ ु गया । कतनी धम ू धाम से बी=टया का sयाह कया था सतीश बाबू ने । कोई कोर कसर नह@ छोडे थे।गह ृ ती क एक एक चीज =दये थे । मां बाप क एक ह@ बेट@ थी वह भी जलाकर मार द@ गयी ।बेचारे राजू क कलाई पर अब तो राखी भी नह@ बंध पायेगी । जीवन भर क कमाई बी=टया के sयाह पर खच कर =दये । इसके बाद भी लोभयो ने उfच शYZत सवगण को ु सQपन सनीता ु आग मM झIक =दया । बेचार@ को िजदा जलते हए ु कतना रोयी 7चrलायी होगी ।सोचकर मन रो उठता है पर उन अमानषI ु को तनक भी रहम नह@ आयी। पेcोल छडकर जला डाला । ना जाने कब तक लडकयI को जलाती रहे गी ये दहे ज क आग । अवध- सतीश काका ने सचमच का sयाह बहत ु सनीता ु ु धमधम से कया था ।खब ू ू दान दहे ज भी =दये थे । भार@ भरकम दहे ज क राश और सामान लेने के बाद भी सनीता के ससराले वाले अमानषI ु ु ु क चाहत पर@ ू नह@ हई ु । बेचार@ को दे हज क आग मM जला =दया । मसेज शोभा -औरत जात पर तो अयाय बढता ह@ जा रहा है ।सगे सQबधी जr ु म ढाह रहे है । बेचारा बाप 72

अपनी इTजत दे ता है ।धन दौलत दे ता है । इसके बाद भी बेट@ का जीवन ल@ल रहे ह- दहे ज के Xयासे अमानष ु । अवध-मां दहे ज दानव सmय समाज के माथे का कलंक है । इसके बाद भी खब रहा है ।कछ लोग तो ू फलफल ू ु अ7धक दहे ज दे कर गव महसस करते है । यह@ गव ू उनक बे=टयI को डंस जाता है ।बेट@ जीवन भर दहे ज क आग मM ससक ससक कर बसर करती है या सनीता क ु तरह कमरे मM बद कर घासलेट या पेcोल डालकर जला द@ जाती ह- । लापरवाह@ का इrजाम भी अबला मतका ृ के उपर ह@ मढ =दया जाता है । मसेज शोभा गश खाकर 7गर पडी यह खबर पडोस मM रहने वाल@ मैडम के कानI को खचलायी । वे दौडकर ु आई और पसीने से तरब>तर मसेज शोभा से पछने लगी ू Pया हो गया द@द@ कैसे 7गर पडी । मसेज शोभा- सनीता को उसके ससराल वालI ने जलाकर ु ु मार डाला । यह खबर बेचैन कर द@। बडी मिg ु कल से तो घर तक पहंु ची , बरामदM मM गश खाकर 7गर पडी । करन मैडम- बाप रे एक और लडक दहे ज क बल चढ गयी । मसेज

शोभा-हां

करन

।पहल@

बार

सनीता ु

अपनी

ससराल से आयी थी तो बहत ु ु थी । पत के तार@फI ु खश का पल ु बांध बांध कर नह@ थक रह@ थी ।हां ससरु सास के नाम पर मौन हो जाती थी । बेचार@ सनीता क दाद@ ु 73

बयान कर कर रो रह@ । मझे भी रोना आ गया था ु ।बेचार@ को दसर@ बार गये सXताह भी नह@ हआ क ू ु जलकर मरने क खबर उडते उडते आ गयी । करन मैडम- घर से लेकर संसद तक नार@ सशPतीकरण क चचा आजकल जोरो पर है ।

पंचायती चनावI मM ु

म=हलाअ◌े◌ं के लये थान आरYZत है । 'वधान सभा और लोकसभा मM म=हलाओं के लये थान आरZण क बात चल रह@ है । सQभवतः यह लागू भी हो जाये । अfछ0 बात ह- नार@ को उ7चत सQमान मलना भी चा=हये । नार@ का सशPतीकरण भी हुआ है । नार@ संरZण हे तु म=हला आयेग काम कर रहा है । बडे बडे पदो पर म=हलाये 'वराजमान है । सं'वधान भी म=हलाओं को समानता का अ7धकार दे ता है ।इतना सब कानन ू कायदा हो◌ेने के बाद भी zण ू ह>या और दहे ज दानव के शकंजे के आगे सभी बौने नजर आ रहे है । सनीता क ु मौत तो इस बात क Tवलत गवाह है । खद ु जलकर मर गयी ऐसा सनीता के ससराल वालI का कहना है पर ु ु इसमM जरा भी सfचई नह@ ह- अपराध छपाने का यास है । कानन ू से बचने का ढIग है । ऐसा तो हो ह@ नह@ सकता ।यह तो फासीं के फंदे से बचने का झठा ू लाप है । मसेज शोभा-हां करन इrजाम तो ऐसा ह@ लग रहा है पर वह जला कर मार@ गयी है । 74

करनमैडम-कोई नव'ववा=हता PयI जलकर मरे गी ।अfछे घर और अfछे पत के लये लडकयां त करती है । बेचार@ PयI आग मM कद ू कर मरे गी । लडकयां जलती नह@ दहे ज क आग मM जलायी जाती है । ना जाने कब बझे ु गी ये दहे ज क आग । मसेज शोभा-सनने मM आ रहा है क सनीता क सास ु ु कह रह@ थी क टोव भभकने से आग लगी । सनीता ु कसी को कछ बतायी नह@ कमरे मM जाकर खद ु बझाने ु ु लगी थी ।आग बझने क बजाय च:ड Lप धर ल@ । ु उसके साथ कमरे का सामान भी वाहा हो गया । करन मैडम- इतनी नासमझ तो नह@ होगी । अfछ0 पढ@ लखी और समझदार लडक थी । मसेजशोभा-अरे कमरे मM बद कर जला =दया गया है । वह PयI आग मM जलकर मरे गी । मरना ह@ था तो ससराल जाकर PयI मरती । मायके मM मरने के लये ु जगह कम थी । बाप का लाखI खच करवाकर मरने क कसम तो नह@ खायी थी ।बाप से उसक दgु मनी तो थी नह@ । मां बाप को भाई को जान से Tयादा

चाहती थी

वैसे ह@ ये लोग भी चाहते थे ।लडकयI क असमय मौत अशभ ु संकेत है करन ।ऐसा ह@ रहा तो दहे ज लोभी अपने बेटो का sयाह कैसे करे गे । करनमैडम-द@द@ गैस रहने के बाद भी टोव पर खाना PयI बना रह@ थी सोचने वाल@ बात है । 75

मसेजशोभा- हां करन सच कह रह@ हो । जलने क खबर भी तो नह@ द@ है वानI ने ।उडते उडते सनीता के ु मरने क खबर सतीशबाबू के कानI तक पहंु ची थी । वहां पहंु चे तो सह@ खबर नकल@ । भला हो अनजान पडोसी का िजसने पलस को खबर कर द@ थी ।दाह सं कार ु होने से कछ मनट पहले सतीशबाबू पहंु चे उनके पीछे ु पलस भी पहंु च गयी ।लाश को पलस ने कsजे मM लेकर ु ु पो टमाट म के लये भेज =दया था। बेचारे सतीशबाबू पागलI क तरह घमते रहे अकेले । बेचारे कह@ं से फोन ू कये तब जाकर पता चला उनके घर । इसके

के बाद

कालोनी के कछ लोग गये तब जाकर बेचारे सतीश बाबू ु क जान मM जान आयी। करन मैडम- लडकयI के साथ तो बहत ु हो रहा है । ु बरा अपने इंदौर मM 'पछले साल बेचार@ भमका को उसक ू सास ने टकडे टकडे करके कडे ु ु ू दान मM डाल =दया था ।आज का आदमी कतना =हंसक हो गया है ।दहे ज के लये लडकयI को सsजी भांजी क तरह काट@ जा रह@ है ।सखी ू

बेकार घासफस ू क तरह जलायी जा रह@ है । कब

तक लडकयां को आग के हवाले दहे ज लोभी करते रहे गे । अवध-राZस कैसे जला दे ते है । अपने बेटे बे=टयो को जलाकर Pयो नह@ दे खते । सान-ू कसको कौन जला =दया । 76

मसेजशोभा-बेट@ तू जा कछ खा पी ले । थक मांद@ ु होगी । कालेज से आ रह@ है ना । सान-ू मां तम क मौत क खबर मझसे छपा रह@ ु सनीता ु ु हो न । ठ0क है म- नह@ पछती हंू पर मझे ू ु पता चल गया है अखबार से सब कछ । खैर मां म- आ तो कालेज से ु ह@ रहंू पर अब जा रह@ हंू सहे ल@ के बथडे म।M कछ ह@ ु =दनI मM उसका भी sयाह होने वाला है । उसके साथ भी ऐसा हो गया तो । करन मैडम-बेट@ ऐसा हादशा दgु मन क बेट@ के साथ न हो । सभी लडकयां दहे ज क आग से दरू रहे । सान-ू आ:ट@ sयाह के बाद तो लडक एकदम से परायी हो जाती है ना ।बेबस हो जाती है सास ससरु ननद और पत के कटQ ु ु ु ब का अ>याचार सहने को । यह@ तो सनीता के साथ भी हआ और ना जाने कस कस के साथ होगा ु । कसी भी लडक के साथ हो सकता है मेरे साथ भी मसेजशोभा का कलेजा मंह ु को आ गया । वे तडप उठ0 । उनके मंह ु से नकल पडा भगवान रZा करना मेर@ बी=टया का। वह बोल@ करन अब तो मेरा डर बढता जा रहा है बी=टया सयानी हो गयी है । दहे ज दानव का घनौना Lप =दन पर =दन डरावना होता जा रहा है । बे=टया क असमय

मौत का कारण दहे ज ह@ बन रहा है

। 77

करनमैडम-हां द@द@ रोज रोज जो कछ हो रहा है उससे ु डर तो बढ ह@ रहा है ।बे=टयI के भरण क ह>या हो रह@ ू् है । कछ बच भी जाती है तो ससराल मM जला द@ जा ु ु रह@ है । कछ ह@ सौभाvयशाल@ है जो निgचत जीवन ु बसर कर पा रह@ है । अगर ऐसा ह@ लडकयI के साथ अ>याचार होता रहा तो औरत जात बचेगी नह@ । मसेजशोभा-दे खो औरत जात ह@ औरत क दgु मन बन गयी है । सनीता का पत तो सरकार@ दौर पर था ।वह ु तो सनीता को बहत ु ु चाहता था । घर मM सास ननद और ससरु थे । ससरु भी मारना नह@ चाह रहा था पर घरवाल@ के दबाव मM वह भी आ गया । वह तो सनीता ु को सोने का अ:डा दे ने वाल@ मगq समझ रहा था । ु उसक सास तो एक =दन मM ह@ सारे सोना नकलवा लेना चाह रह@ थी । सनीता जब पहल@ बार ससराल से मायके ु ु को रवाना हई ु थी तब बार@ बार@ से उसक सास और ननद ने उसके कान मM कहा था क पांच तोला सोना और कार खर@दने के लये Lपया लेकर आना वरना करनमैडम-वरना का मतलब तो सनीता क मौत से ह@ ु था । बेचार@ बेकसरू दहे ज ह@ आग मM जला द@ गयी। मसेजशोभा- सनीता क मौत ने तो खन ु ू के आंसू दे ह@ =दया सानू क बाते आ>मा को झकझोर =दया । करन मैडम-हां द@द@ हर बेट@ का मां बाप खौफनाक 78

ि थत से गजर रहा है । बी=टया को अfछा घर वर ु मल जाये तो समझो गंगा नहा लये । मसेज शे◌ाभा - नववधओं के रोज रोज क ु

जलाने क

खबर ने तो लडकयI को अदर से तोड =दया है । सना ु नह@ सानू Pया कह कर गयी है । मझे ु तो बहत ु डर लग रहा है बी=टया के sयाह को लेकर । करन मैडम-सानू के sयाह मM तो वPत है मेर@ रानू तो sयाह करने लायक हो गयी है । लडके वाले तो ऐसे दाम लगा रहे है जैसे बकर कसाई ।

दr ू हे क बाजार तो

बहत M ु गरम हो गयी है । बेट@ के लये घर}ार बचकर दr ू हा खर@द भी ले ,इसके बाद भी तो बी=टया के सलामती क कोई गार:ट@ नह@ है । बेट@ के मां बाप है तो दr ह@ पडेगा पर द@द@ दहे ज मांगने वाले ू हा तो ढढना ू के घर अपनी बेट@ नह@ दं ग जात के ू ी भले ह@ दसर@ ू गर@ब लडके का रानू का हाथ दे दं ग ू ी पर अपनी जात के दहे ज लोभी के घर sयाह न करने क कसम खाती हंू । द@द@ अब जा रह@ हंू रानू कालेज से आ गयी होगी कहकर करन मैडम घर चल@ गयी । मसेज शोभा बैठे बैठे सानू बी=टया के sयाह और sयाह के बाद क 7चता मM

इतनी दखी हो गयी क उनक ु

आंखे सावन भादो हो गयी

। अंधेरा पसरते पसरते सानू

भी आ गयी । मां को ऐसी हालत मM दे खकर वह परे शान हो गया । गाडी खडी क और भागकर मां के पास गयी 79

। सानू मां के आंसू पोछते हए ु बोल@ मां Pया हो गया PयI ऐसी हालत मM बैठ0 हो । मसेज शोभा-बेट@ मझे ु Pया होगा । म- ठ0क तो हंू । सान-ू मां आंखI से बहता तर तर आसंू झठा ू तो नह@ हो सकता । मसेजशोभा- नह@ बेट@ म- रो नह@ नह@ रह@ आंख मM कछ ु चला गया है मच जैसा ।यह@ बैठे बैठे तQ ु हार@ और अवध बेटवा क राह दे ख रह@ थी ।वह भी अभी तक टयशन से नह@ आया । ू सान-ू अवध भी आजायेगा । आंसू झठ ू बोलकर Pयो छपा रह@ हो मां । आसंू छपाने से नह@ छपते । मेरे ु ु sयाह और sयाह के बाद क फ„र हो रह@ है । मसेज शोभा- बेट@

सब छोड । ये तो बता इतनी दे र

कैसे हो गयी । सान-ू सतीश अंकल के घर जमा भीड को दे खकर मै भी चल@ गयी ।अंकल आ:ट@ को तो होश ह@ नह@ है । राजू का भी रो रोकर बरा ु हाल हो गया है । अंकल के घर मM मौजद ू सभी लोगो

के आंखो से आंसू बह रहा था ।मां

एक बात अfछ0 हई ु है । मसेजशोभा - वह Pया बेट@ ? सान-ू पा'पयI को सजा मल गयी । मसेजशोभा-इतना जrद@ । अभी तो सXताह भर भी नह@ हए ु । केस का फैसला तो कई सालो मM होते है । 80

सान-ू हां मां यह@ तो सकन दे ने वाल@ बात है । पलस ु ू और यायालय ने ऐतहासक काम कया है । इससे लोगो मM पलस और यायालय के त भरोसा और ु बढे गा । मसेज शोभा- पा'पयI को फांसी तो हई ु नह@ होगी । सान-ू मां हई क सास को। ु ु है ना सनीता मसेजशोभा- सनीता का पत तो बेचारा नद|ष था ु गह ृ ती बसने से पहले ह@ उसके

मां बाप और बहन ने

तोड =दया वह तो कसी सजा का हकदार नह@ था पर उसक ननद और ससरु का Pया हआ । ु सान-ू आजम कारावास । मसेज-फैसला तो अfछा हआ काश इस फैसले से दहे ज ु लोभी सबक पाते । बहू पर अ>याचार करने से पहले हजार बार सोचते । सान-ू जLर सोचेगे ।सबसे पहले तो नार@ को आग मM झोकने वाल@ नार@ को सोचना होगा । नार@ ह@ नार@ क दgु मन साeबत हो रह@ है । तभी नार@ संरZण के सारे कानन ू कायदे ताख पर रखे रह जाते है । मसेजशोभा-आजकल क शYZत लडकयI को आगे आना होगा । दहे ज दानव के बढते खनी ू पंजे के

लये

और

लडकयI



=दन

को रोकने

त=दन

घटती

जनसंHया के त औरतो को जागLक करना होगा । समाज और शासन के सहयोग के साथ दहे ज लोभयI 81

को कठघरे मM लाने का िजQमा भी उठाना होगा । लडकयI को संगठन बनाकर दहे ज के tखलाफ लडना होगा । संगठन से हर अ'ववा=हत और 'ववा=हत लडक को जडना होगा तभी औरत जात सरYZत रह पायेगी । ु ु सान-ू हां मां अब दे र नह@ ऐसे भी संगठन बनेगे और दहे ज लोभयI क नाक मM नकेल कसेगे । काश म- दे श क धानम\ी या राWcपत होती तो दहे ज दानव का रा ता हमेशा के लये बद कर दे ती । मसेजशोभा-अfछा बता Pया करती । सान-ू म- 'ववाह 'वभाग बनाती और सभी लडके लडकयI का रिज cे शन करवाती । sयाह क उj और पांव पर खडा होने पर जातवाद के मन-भेद से उपर उठकर सहधमq और योvय लडके लडकयI का sयाह करवाती । बेटे बे=टयI के पढाई लखाई से लेकर sयाह तक पर@ ू िजQमेदार@ सरकार के उपर डाल दे ती । सहधमq 'ववाह को काननी मायता दान करवाती । सामािजक और ू धामक मायता =दलाने हे तु धामक गLओं को भी राजी ु कर लेती । मसेजशोभा-काश ऐसा हो जाता, तब ना कोई दहे ज मांगता और ना कोई लडक दहे ज क आग मM जलती , और ना ह@ कोई मां बाप रोते हए ु गी ु कहता क-कब बझे ये दहे ज क आग । कसम 82

PयI भाई धमानद तम ु तो बढे ू लगने लगे हो । चाल@स साल क उj मM साठ साल के =दख रहे हो । Pया बात है भाभी से तकरार तो नह@ करता रहता कहते हए ु सदश ु न बाबू ठहाका लगा बैठे◌े । धमानद-यार तू पांच साल के बाद मल रहा है आते ह@ जाससी ू पर उतर आया । सदश ु न बाबू-सच बताउ◌ू◌ं पहल@ नजर मM तो तमको ु पहचान ह@ नह@ं पाया था । आधा सर गंजा हो गया है । बाक जो बचM ह- वे सफेद@ मM नहाये हए ु है क ु है । सना आजकल बीमार भी रहने लगा है । धमानद-अरे बैठेगा भी क सब बात खडे खडे

पछ ू

लेगा । सदश मM धंस ु न बाबू-ले यार बैठ जाता हंू कहते हु ए कसq ु गये । बैठ गया अब तो बतायेगा । घर परवार मM तो तेरा मोशन हो गया है कQपनी मM कछ हआ अभी तक ु ु क नह@ । धमानद-धमानद यार तू बचपन का दो त है और पांच साल के बाद झलक =दखाने आया है । मेर@

छोड अपनी

बता । सदश ु नबाबू-बेटा बेट@ नौकर@ धंधM मM लग गये है । म- अब सीनयर मैनेजर हो गया हंू । बी ए पास करते ह@ Pलक क नौकर@ मल गयी थी । दे खो कहां से कहां पहंु च गया । 83

धमानद-तम ु तो खब ू तरPक करो । रटायर होते होते जनरल मैनेजर बन जाओ यह@ मेर@ दआ है । मेरे बेटा ु बेट@ अभी पढ रहे है । मेर@ नौकर@ चल रह@ है यह Pया कम है । Pलक लगा था Pलक रटायर हो जाउ◌ू◌ंगा । पढाई के लये =दन रात एक कर =दया । पो ट 2ेजये ु ट,एल एल बी

और एच आर डी मM Eड2ी लया ।

कQपनी मM तरPक के सारे रा ते बद हो गये है ◌ा◌ं । सदश ु नबाबू-तम ु तो बहत ु पढे लखे हो ।हमारे 'वभाग मM होते तो जनरल मैनेजर तक पहंु च जाते । धमानद- नौकर@ सलामत रह oी पाये◌ेगी या नह@ यह@ 7चता का 'वषय

है ।

सदश ु न बाबू-ऐसी कैसी बात कर रहे हो यार ।हमार@ बक भी तो पिsलक सेPटर मM आती ह- और तQ ु हार@ कQपनी भी ।हमारे यहां तो नाइंसाफ नह@ होती । धमानद-हमारे यहां तो होती है । तभी तो बीस साल क नौकर@ के बाद भी Pलक के Pलक रह गये । उपर से अ>याचर भी सहना पडा ।अब Pया बन पाउ◌ू◌ंगा ।कोई उQमीद नह@ =दखाई पडती ।मैनेजर बनने क उQमीद तो हमार@ कQपनी मM नह@ है खासकर हमारे लये ।बेटे बेट@ पर उQमीद =टक है । मेरा तो कैरयर बबाद हो गया सदश ु न सदश ु नबाबू-ऐसे कैसे बबाद हो जाएगया । कQपनी मM कोई नयम कायदे नह@ चलते है Pया। 84

धमानद-चलते है पर दसरे तरह के ू सदश ु न- मतलब धमानद-हाथी के दांत खाने के लये अलग =दखाने के लये अलग होते है । ठ0क वैसे ह@ कानन ू कायदे चल रहे है हमार@ कQपनी मM कछ खास लो◌ागे◌ा के बनाये हए। ु ु वे लोग बस अपने लोगो का ह@ भला करने मM जटेु रहते है । हमारे जैसे लोगो को तो िजदा गाड दे ने क फराक मM रहते है ।उहे ऐसा लगता है जैसे हमार@ नौकर@ उनके एहसान पर =टक है । सदश जमींदार@ वाल@ `यव था लागू है Pया । ु न- परानी ु धमानद- ठ0क समझे । सदश ु न- हमारे 'वभाग मM तो ऐसा नह@ है । सभी के लये मौके है । धमानद- कहने को तो हमार@ कQपनी अधशासक य है पर `यव था और 'वजन eबrकुल परानी जमीदार@ वाला ु है ।बडे बडे जमीदार शासकI के अधीन थ तो मेर@ हाल वैसी ह@ हो गयी है जैसे बबल ू क छांव मM लगे पेड-पौधे क । सदश - जर हो ु न-यार म- तो सोच रहा था क तम ु भी मने गये होगे । तQ ु हारे साथ तो घोर अयाय हो रहा है ।तQ ु हार@ नौकर@ पर संकट के बादल मडरा रहे है । यह सनकर बहत । कहने को तQ ु ु हआ ु हार@ कQपनी भी ु दख ु ं अ:डरटकग है पर यहां के कानन ू कायदे छोटे आदमी 85

क योvयता के 'वरोधी है । तQ ु हार@ इतनी बडी बडी Eड72यI पर रोलर चला =दया गया । यह तो बहत ु बडा अयाय है । धमानद-परवार पालना है । बfचI को पढाना लखाना है ।बेरोजगारI क हालत दे खकर जr ु म सहने को मजबरू हो गया हंू ।मेरा कैरयर तो ख>म कर =दया है जमीदांर@ `यव था के पोषकI ने । बfचI के उTजवल भ'वWय के लये जहर पी रहा हंू । सदश ु न-अfछा तो तQ ु हार@ बीमार@ का कारण समझ मM आ गया । धमानद-तम ु तो जानते ह@ हो घर परवार क आ7थक दशा कैसी है । खेतीबार@ कछ भी नह@ ह- । मां बाप को ु बडी उQमीद थी क म- पढ लखकर बडा अफसर बन जाउ◌ू◌ंगा । अफसर बनने क योvयता तो आज भी मझ ु मM है यह तो तम ु ह@ नह@ मेरे 'वभाग के बडे बडे लोग भी जानते है । कQपनी मM मेरे 'वरोधी तो है पर 'वषपाल साहब क कसम ने तो कQपनी मM मेर@ तरPक के सारे रा ते बद कर =दये है । सदश ु न-'वषपाल साहब क कसम । धमानद-हां सदश ु न ठ0क सन ु रहा है । सदश ु न-ऐसी कैसी दgु मनी 'वषपाल साहब से हो गयी । धमानद-जातीय दgु मन कह सकते हो भाई । सदश ु न-जातीय दgु मनी क वजह से योvयता पर ईWया 86

क बमबार@ । धमानद-जातीय ईWया तो मेरे कैरयर क तबाह@ का कारण है ।कोई ऐसा बडा अ7धकार@ नह@ आया जो मेरे त सhभावना =दखाया हो । चाहे कंसपाल साहब रहे हो,या अवधपाल साहब रहे हो रौdपाल साहब रहे हो 'वषपाल साहब ने तो कसम खा ह@ लया है क अपने रहते धमानद को अफसर बनने नह@ दं ग ू ा। सदश ु न-ऐसी कैसी जातीय दgु मनी नकाल रहे है 'वषपाल साहब । एक गर@ब के

मां बाप का सपने तोड रहे है ,हक

को कैद कर रहे है । उfच शैZtणक योvयता का बला>कार कर रहे है । धमानद-सfचाई तो यह@ है । सदश ु न-अपनी जात के लोगो को बढावा और परजात के उfच शैZtणक योvयता के बाद भी तरPक के दरवाजे बद करना सचमच ु जमीदार@ था का hयोतक है । धमानद-'वषपाल साहब ने अपनी eबरादर@ के और अपने ऐसे चQमचI को बडे बडे पदो का उपहार =दये है जो कह@ं से भी पद क गरमा से मेल नह@ खाते ।हां वे जातीय योvयता से uेWठ है बस इतनी ह@ उनक 'वशेषताये है । कई तो ऐसे भी है जो दो लाइन लखने मM पसीने पसीने हो जाते है । सदश ु न भइया ऐसे लोगI को भी सर कहना पडता है ।हमार@ कQपनी के नयम कायदे तो काफ अfछे

है

पर

'वषपाल

साहब 87

जैसे

जमीदारI

ने

अतkमण कर लया है । अपने बनाये कानन ू थोप =दया है । जो हम जैसे छोटे लोगो के पांव क जंजीर बन गये है । हम तो मर मर कर जी रहे है । सोचा था शैZtणक योvयता के बल पर मंिजले पा जाउ◌ू◌ंगा पर तातीय अयोvतया ने सार@ उQमीदM धराशायी कर द@ । बीस साल क नौकर@ और उfच योvयाता के बाद भी मामल@ से ू Pलक से आगे बढने नह@ =दया गया । मेरे बfचI का भ'वWय उTजवल हो जाता तो मेरे जीवन क साध पर@ ू हो जाती । सदश ु न-तQ ु हारा सपना जLर परा ू होगा धमानद । तम ु तो बfचI के सखद कल के लये जr ु ु म का जहर पीकर तप या कर रहे हो । तQ ु हार@ तप या का फल खदा ु जLर दे गा । धमानद-बfचI को दे खकर तो लगता है क बfचे तरPक का शखर छये ु गे पर डर भी लगता है सदश ु न सदश ु न-कैसा डर । धमानद-'वषपाल साहब जैसे और कोई पैदा हो गया तो जमीदार@ `यव था के 'वषपालसाहब और उनके जैसे लोगो ने मेरे कैरयर को वैसे ह@ नोच नोच कर खा गये जैसे शकार@ क> ु ते गाय के नवजात बछडे को सदश ु न-यार ये तो बहत ु नाइंसाफ है ।हमारा 'वभाग तो बहत ु ब=ढया है । टाइम से मोशन हो जाता है । कोई 88

भेदभाव नह@ । खब ू तभा =दखाने का अवसर मलता है । 'वभाग क पर@Zा होती है । पर@Zा पास करते जाओ ं हमारा भी 'वभाग है पर तरPक ह@ तरPक ।अ:डरटे कग परेू नयम कायदे लागू है । धमानद- हमारे 'वभाग मM तो मैन टू मैन वैर@ होता है । आपक उ◌ु◌ंची पहंु च है तो आपका मोशन हो या कैडर चज M हो कोई रोक नह@ सकता । य=द हमार@ तरह 'वभाग मM लावारस है तो आपने जबान खोल =दया मोशन या कैडर चज कर =दया । M के लये तो समझो आपने गनाह ु उ◌ु◌ंचे ओहदे पर बैठे जमीदार साहब कसी न कसी बहाने दे ख लेगे । चपक ु े से ऐसे डंसेगे क उनके डंसे का जहर जीवन भर चैन नह@ लेने दे ◌ेगा । सदश ु न-बाप रे 'वभाग है या तQ ु हारे जैसे छोटे लोगो के कैरयर को तबाह करने का ठ0हा । धमानद- जो उ7चत लगे समझ लो । तQ ु हारे सामने भP ु तभोगी िजदा भर सांसे भर रहा है । मौका मला होता तो हम भी आज कछ होते । सदश ु न हमार@ सं था ु मM जात 'वशेष का दबदबा है ।इसी दबदबे ने मेरा कैरयर चौपट कर =दया है छोट@ जात और अ7धक पढा लखा होने का द:ड तो भगत रहा हंू । ु सदश ु न-सचमच ु यह तो बहत ु म ढाहा जा रहा है ु बडा जr तQ ु हारे उपर । धमानद-बहत सालो क और बात ु ु सह लया थोडे कछ 89

है sे◌ाट@ बेटा के पांव जमते ह@ अल'वदा कह दं ग ू ा । इतजार है तप या पर@ ू हो◌ेने क । सदश ु न-तप या तो पर@ ू होगी पर िजस कारण से तQ ु हारा कैरयर चोपट कया जा रहा है ।बडे ओहदे दार जमीदार माफक जr ु म करने◌े क कसम खा चक ु े है ।यह तो वाकई शमनाक है । धमानद-eबrकुल सfची बात है । साहब लोगो क म:डल@ जीम हई ु था । अंगरू क बेट@ का ता:डव जार@ थी । सबसे बडे 'वषपाल साहब जाम टकरा टकरा के कr ू हे मटका रहे थे । इसी बीच क:ठपाल साहब ने मेरा िजk छे डकर बोले साहब वो धमानद तो बडी बडी Eड72यां ले लया है । ऐसे ह@ रहा तो बडी कसq हासल ु कर लेगे ।उसका रा ता रोकने के लये कछ करना होगा ु । क:ठपाल क सलाह सनकर 'वषपाल साहब बोले- तमको ु ु कैसे पता चला क धमानद का रा ता Lका नह@ं है । अरे अवधपाल के साले का दे खो,कलपाल के आदमयI को ु दे खो,तम ु अपने लोगो को दे खो और भी लोग है जो बडे मैनेजर बन चक ु े है पर धमानद से कम पढे लखे है ।आगे भी उन सभी क खब ू तरPPी होगी पर धमानद क वह@ हाल रहे गी जैसे चहा ू कतनI भी मोटा हो जायेगा तो लोढा से भार@ तो नह@ हो सकता । ऐसी ह@ `यव था धमानद क हो चक है । तमको लगता है क वह मजे ु ु 90

मे है तो म- अभी दे ख लेता हंू । इतना कहकर 'वषपाल साहब र@जनल आफस मM फोन लगाये और बोले धमानद को काले पानी क सजा दे दो । यह सब बात हमारे दफतर का ~ाइवर सन ु रहा था ।वह भी tखलाफ मM ह@ रहता है पर ना जाने Pया सोच कर बता =दया। उसक बात पर मझे ु यक न तो नह@ हो रहा था पर बाद मM कई और दबी जबानI एहसास करवा =दया सfचाई का । सदश रहा हंू । आंसू ु न काले पानी क सजा भगत ु पीकर बfचI के कैरयर को सींच रहा हंू । काश मेरा सपना परा ू हो जाता । सदश ु न- तभाओं को कोई रोक नह@ सकता ।तम ु अपनी योvयता का जौहर कभी ना कभी =दखाओगे । पहले ह@ थोडे =दन के लये । 'वषपाल साहब कब तक कQपनी के बडे पद को अपनी कैद मM रखेगे । अत तो सभी को होता है । धमानद-हमारे भी कैरयर का अत हो गया है 'वषपाल साहब के हाथI आक बाक जाते जाते परा ू कर दे गे । कQपनी मM तो कोई उQमीद नह@ है ।उQमीद है तो बfचI के भ'वWय से । Lढ@वाद@ जातीय uेWठता के पोषक 'वषपाल साहब और उनक eबरादर@ अ7धकारयI ने तो मेरा कैरयर चौपट तो कर ह@ =दया है पर सदश ु न अभी भी =हQमत नह@ हारा हंू । सदश ु न-=हQमत बनाये रखो यार योvयता कभी `यथ नह@ 91

जाती । कब तक और कहां कहां कोई योvयता क छाती पर बैठा रह पायेगा ।एक रा ता बद होता है तो कई खल ु जाते है ।तम ु जLर तरPक करोगे भले ह@ 'वषपाल साहब जातीय uेWठता क द@वारे कतनी मोट@ PयI न बना दे । धमानद-सदश ु न कल Pया होगा ये तो नह@ मालम ू पर इतना मालम ू है आज जातवाद क म/ ु ठ0 भर आग मेरा भ'वWय चौपट कर रह@ है । जब से नौकर@ Tवाईन कया हंू तब से ह@ 'वषपाल साहब और उनके गग| का दं श ु झेल रहा हंू । मेरा आगे का रा ता भी कांटो भरा है कQपनी मM जमीदार@ `यव था लागू रहे गी । इसका भी मझे ु भान है । इतना सब होने के बाद भी मझे ु अपनी योvयता पर भरोसा है सदश ु न सदश ु न-यक न है धमानद तम ु मिg ु कले खडी करने वाले के मंुह पर तमाचा जड दोगो ।मिg ु कलI के भंवर से पार हो जाओगे । eबते समय और वतमान ने तमको घाव ु =दया है पल पल तमको छला गया है गर@ब जानकर । ु आने वाला समय तQ ु हारा होगा । मझे ु भी नफरत हो◌ेने लगी है 'वषपाल और उनके कनबे से । अं2ेजो के जमाने ु मM

हमार@

बडी

जमींदार@

थी

मानवतावाद@ हो गया है

पर

हमारा

परवार

। 'वषपाल और उसक

म:डल@ के लोग कैसे अमानष ु है । गर@ब आदमी क तबाह@ के लये कांटे बो रहे है । ये कैसी कसम खा 92

लया,कैसा अपराध कर =दया रे 'वषपाल- गर@ब उfच शYZत और काeबल `यिPत के कैरयर को जातवाद का कफन पहनाकर दफन कर =दया । पथराव मसेज दयावती-शहर क Lह तो छलनी कर =दया उपd'वयI ने ।चार मर गये परेू शहर मM कफ् यू लग गया । उपd'वयI ने परेू शहर को सर पर उठा लया है ।ये दे खो अखबार भी लहलहान हो रहा है । अखबार मM छपी ू ु त वीर मM कैसे लोग आमने सामने से एक दसरे पर ू प>थर फेक रहे ह।- गोल@ चल रह@ है । बम फक M े जा रहे है । ये कैसा पथराव है एक दसरे क जान लेने के लये ू धम के नाम पर । म टर दे वानद-त वीर से Lह का◌ा◌ंप रह@ है । कल उपdव और पथराव क वजह से तो दफ् तर जrद@ बद हआ था । कसी तरह से जान बचाकर आया था परेू ु शहर मM भगदड मची हई दसरे पर ु ू ु थी । एक समदाय टट है एक दसरे पर । शहर ू रहा था जैसे क> ू ू ु ते टटते जल रहा है । लोगI के घर जल रहे ह- । बfचे भख ू से eबलख रहे ह- । शहर क गलयां खन ू मM नहायी हई ु ह।उपd'वयI का कोई धम नह@ होता । ये लोग नंगे लोग होते ह- । धम के नाम खन ू बहाते है । अपना मतलब साधते है । ये मौकापर त लोग लहू पी कर पलते है । 'वष बीज बोते है । आग से सींचते है । ये लोग दे श 93

और समाज के अि मता से खेलते ह- । रजू क मQमी उपd'वयI का कोई मजहब नह@ होता। कोई मजहब आपस मM लडना नह@ सीखाता। अपयश मजहब के माथे PयI ? मसेज दयावती◌ा-ये लो चाय पी लो । गैस भी ख>म होने वाल@ है । दध ू भी अब नह@ है ।अगर ऐसे ह@ शहर आतंक के साये मM रहा तो आंसू पीकर =दन गजारने ु पडेगे । बडी मिg ु कल से तो साZी बी=टया ने चाय बनायी है पी लो म टर दे वानद- चाय का Xयाला उठाते हए ु बोलो आज तो चाय मल रह@ है कल दे खो Pया होता है ? इतने मM मसेजदयावती 7चrलाकर बोल@ अरे साZी के पापा वो दे खो पलस क गाडी सायरन बजाते हए ु ु अपने घर क ओर आ रह@ है । लोग भेड बकर@ क तरह भाग रहे ह- । साZी- मQमी वो सामने क दध भी बद हो ू क दकान ु गयी दस मनट पहले ह@ तो खल@ ु थी । मसेज दयावती -बेट@ दध ू तो मल जायेगा । पहले िजदगी सह@ सलामत तो बची रहे । नहा तीक घबराकर बोला मQमी-आतंकवाद@ लोग अपने घर पर तो हमला नह@ करे गे । संखी-भइया तम ु घर मM हो घर मM कोई कैसे घसे ु गा ।हम अदर बाहर ताला लगा लेगे । 94

मसेज दयावती-बेट@ साZी तीक को अदर ले जाओ । कोइ◌्रर ् काटू न फrम लगा दो दे खता रहे गा । साZी-ठ0क है मQमी म टर

दे वानदा-रं जू



मQमी

सावधान

रहना



उपd'वयI का कोई भरोसा नह@ कब Pया कर बैठे ।धमाध उपd'वयI को कोई चीख पकार अथवा मदद के ु

वर नह@ सनाई पडते ।उनको बस मारो काटो के वर ु सनाई पडते ह- PयIक उनक आंख मM सपने नह@ खन ु ू खौलता है । मसेज दयावती- चाय पीये नह@ उठाकर रख =दये । कफ् यू क घोषणा बेमुhदत क है । चाय पी लो

कल

मल पायेगी क नह@ं। गेहू ं पीसाना रह गया। आटा भी बहत ु कम बचा है । दाल-तेवन भी घर मM नह@ है । सsजी वाले भी नह@ आ पा रहे है । अचार से दो =दन नकाल लेगे । अपनी तो बस इतनी ह@ तमना है क शहर मM शाित हो जाये

। साZी के पापा चाय

पीओ म टर दे वानद-चाय तो गले से नीचे उतर ह@ नह@ रह@ है । ये दे खो कैसी भयावह त वीर छपी है ।उदापरा ु मM हए ू के ु पथराव मM घायल आदमी के सर से कैसे खन फववारM फट ू रहे ह- । परा ू शहर =हंसा क चपेट मM आ गया है । कतने दभा ु vय क बात है क एक दे श एक शहर एक ब ती मM रहने वाले लोग एक दसरे के उपर ू 95

प>थर बम और बदक ह@ ू से हमला कर रहे है । कछ ु ध:टो मM तीन cक से अ7धक प>थर एक दसरे के उपर ू फक M े गये है । इस पथराव मM बेचारे गर@ब मजदरू और नद|ष हताहत हए ु है तीस से अ7धक लोग घायल ह।मरने वाले कोई कसी संगठन का पदा7धकार@ नह@ है । सब गर@ब मजदरू लोग मरे ह- । परेू शहर मM कफ् यू के साथ ह@ धारा 144 क चपेट मM है । परा ू शहर भोल@ भाल@ नद|ष जनता के खन से लथपथ है । मां ू अ=हrयाबाई क आ>मा रो रह@ होगी शहर क यह भयावह ददु शा दे खकर । साZी क मQमी गले से नीचे चाय उतर नह@ रह@ है । मसेज दयावती-बाप रे

बेमुhदत कफ् यू

कैसे

जLर@ चीजे मलेगी । काश जrद@ शहर क रं गत लौट जाती । सब सामाय हो जाता ।घर मM ह@ डर लगने लगा है ।कब Pया बरा ु हो जाये सोचकर म टर दे वानद-शहर मM जंगल क ,परदे शीपरा ु हर कह@ं प>थर बरस रहे ह- तो कह@ गोल@ । परा ू शहर उ2वाद क चपेट मM ह- । एक समदाय के लोग ु

दसरे का खन ू ू पीने

के लये कटार लेकर दौड रहे है । ऐसे मे तो भगवान भी कोई गार:ट@ नह@ दे सकता । साZी-पापा धम के नाम पर लोग ऐसा PयI करते है । कसी क ह>या कर दे ते है । कसी को जला दे ते है । कसी का घर जला दे ते है । ऐसा तो कोई धम नह@ 96

कहता । मसेज दयावती- ऐसे मौकापर त लोग होते है । इनका कोई धम नह@ होता है । ये तो आदमी का खनू पीकर पलते है । इनका धम होता है आतंक



तीक-खलनायक कहो ना मQमी साZी-अरे वाह रे तीक तू तो बडा उ ताद नकला । तीक-कसाई को दे खकर बकरा भी तो डरता है । अनहोनी का डर सभी को होता है । अ◌ातंकवाद@/उ2वाद@ भी तो कसाई ह@ ह- । मसेज दयावती-ठ0क कह रहे हो तीक। कसाई ह@ तो है तभी तो आदमी का खन ू बहाने मM सmय समाज के 'वरो7धयI को तनक भी डर नह@ लगता । म टर दे वानद- ठ0क कह रह@ हो । उपd'वयI ने तीन जलाई से शहर क अि मता के साथ खेलना शL ु ु कया था । छः तार@ख हो गयी पर शहर वैसे ह@ धंूधूं कर जल रहा है । मसेज दयावती- छोटे छोटे बfचे डर सहमे रह रहे है । ये दे खो अखबार मM छपी त वीर नह@ं सी बfचा कैसे शटर को नीचे से उचका कर बाहर दे ख रह@ है । आंखM ऐसे लग रह@ है क अभी रो पडेगी । कतना भयावह मंजर हो गया है । म टर दे वानद- उपdव तो बद नह@ हआ । राजनैतक ु पथराव शL ु हो गया । राजनेता लोग अपनी अपनी कसq ु 97

के ढ@ले जोड को जHम क क लI ◌ो दL ु त करने मM जट ु गये ह- । मसेज दयावती-बहत बह गया खन ।बहत हो गया ू ु ु उपdव अब तो शाित चा=हये शहर को । शाित 'परय ् शहर दनया मM बदनाम हो रहा है । सmय समाज के ु दgु मनI क वजह से म टर दे वानद- बेचारे रोज कआं खोद कर पानी पीने ु वाले तो भखे ू मर रहे है । दरू दरू से शहर मM शZा लेने आये बfचे भखे =दन रात eबता रहे है । दवा दाL के ू eबना लोग परे शान हो रहे है । उपd'वयI ने हवा मे फजां मM जहर और जीवन क राह मM बाLद eबछा =दया है । मसेज दयावती-धम के नाम पर बवाल मचा हआ है । वह@ दसर@ ओर दोनI समदायI के लोग एक दसरे क ू ु ू मदद कर रहे है । सब क खा=हश है क शहर मM जrद@ रौनक लौटे । ये उपdवी धामक उमाद फैलाकर PयI धम क मह>ता के साथ अgल@ल `यवहार कर रहे ह- । म टर दे वानद-ठ0क कह रह@ हो । शहर मM तरफ उमाद@ आतंक फेला रहे है तो वह@ दसर@ ओर र'व ू वमा,सशील गायेल,अजय काकाणी जैसे कई लोग जान ु क बाजी लगा शाित और सhभाव कायम करने के यासरत ् है । सेवाभारती तथा जैनसं कार जैसी सं थाये भी अमन क इबारत लखने मे जट@ ु हई ु ह- । अमन तो 98

शहर मM जrद@ होगा 'वघटनकार@ शिPतयां और कछ ु धमाध मतलबी लोग सhभावना क राह मM रोडे डाल रहे है । यक नन ऐसी

'वघटनकार@ सं थायM और उपdवी

मतलeबयI के नाम पर थक ू े गी । साZी-काश शहर मM सhभाव और शाित जrद@ था'पत हो जाती । मसेज दयावती- जLर होगा । जनता तो सब समझ गयी है । उमा=दयI को धम से कोई लेना दे ना नह@ है । वे तो अपने वाथ सि]द के लये इंसानयत क बल चढा रहे है । म टर दे वानद-जनता के पैर मM भले ह@ कफ् यू क बेEडया पडी है । जरb -जरb पर सनाटा है । पग पग पर उपd'वयI का खौफ ह- ।इसके बाद भी जीवन गाडी का प=हया कहां थमा है ।कफ् यू मM ढ@ल मलते है । आवाम गले मलने को आतरु हो उठता है । राजवाडा,छपपन दकान और सावजनक जगहI पर आतंक के खौफ के ु बाद भी लोगI क भीड उमड रह@ है । अपने वीणानगर मM ह@ दे खो बडे भले ह@ घरI मM दबक ु े हए ु है पर बfचे खेल मM मशगल ू है । हां ये बात अलग है क सायरन क आवाज सनकर जां जगह पाते है वह छपने लगते है । ु बहत चा=हये ु ु भयानक आग लगी है । बझना मसेज दयावती-आग तो बझे ु गी पर िजस मां का बेटा मारा गया । िजसका पत मारा गया जो बfचे अनाथ हो 99

गये । Pया उनके धम के नाम पर खनी खेल खेलने ू वाले वापस कर पायेगे ।या उनके परजनI का सहारा बनेगे । जीवन मM दद भरने वालI का स>यानाश हो म टर दे वानद- अखबार मM छपी सचना के मताeबक ू ु कल बारह बजे से राe\ के दस बजे तक कफ् यू मM ढ@ल रहे गी । मसेज दयावती-दफ् तर जाओगे ? मसेज दे वानद- हां कब तक घर मM कैद रहे गे । हो सकता है कल =दन ठ0क ठाक रहे तो परसI से कफ् यू उठ जाये । वैसे कफ् यू तो आम जनता क जान माल क रZा के लये ह@ लगता है । इसमM अपराधी क म के लोगो क धरपकड होती है । यह जLर@ भी है । इसी से तो उपd'वयI क नाक मM नकेल पडती है । मसेज दयावती-महं गाई तो वैसे ह@ कमर तोड रह@ थी । शहर मM फैले उपdव ने तो जीना ह@ हराम कर =दया । क मते पहंु च से दरू होने लगी है । काश फर कभी शहर और दे श मM उपdव का Tवालामखी नह@ फटता । ु ू मसेज दयावती-सरकार और सmय समाज को मलकर उपd'वयI

का

दमन

करना

होगा

तभी

'वdोह

का

Tवालामखी नह@ फटे ु ू गा । म टर दे वानद-ठ0क तो कह रह@ हो पर ऐसा हो तब ना ।

इसके

लये

पH ु ता

इतजाम 100

करना

होगा



मानवतावा=दयI को धम,सQ दाय और जात से उपर उठकर उपd'वयI और अपने बीच द@वार खींच दे नी चा=हये । ताक ना बहे फर कभी खन ू क धारा । आदमयत ,अमन-शाित के 'वरोधी अपनी अपनी eबलI मM कैद रहे । जब कभी नकले तो इनका =दल पसीज गया हो । मानवता,समता सhभावना और शाित के दत ू बनकर नकले ताक कभी ना हो सके पथराव । दे श गत क राह पर सरपट दौडता रहे । मसेज दयावती-एक बात कहंू । म टर दे वानद-अरे घर मM कैद है । बाहर उपd'वयI का भत कहना ू है । अब ना कहोगी तो कब कहोगी जो कछ ु हो कह सना◌ाओ । भरपरू समय है सनने सनाने का । ु ु ु मसेज दयावती- तम कह गये म- तो कछ ु तो बहत ु ु ु कछ और ह@ सोच रह@ थी । म टर दे वानद-भागवान कहो ना हमने तो ऐसा वैसा कछ ु नह@ं कहां मसेज-चलो तम ु जीते म- हार@ । अपनी बात कहती हंू । म टर दे वानद-पहले मेर@ बात सनो धकयानसी बातM ु ु ना करो । तम ु हमेशा से जीतती आयी हो । म- तो हारा हआ सपाह@ हंू तQ ु हारे सामने। ु मसेज दयावती- दे खो मh ु दे से ना भटकाओ । बात उपdव और कफ् यू से होकर कह@ं और जा रह@ है । नजर कह@ं नशाना कह@ लग रहा है । मेर@ बात सनो ु । 101

म टर दे वानद-eबrकुल नह@ म- मh ु दे पर ह@ कायम हंू । मसेज दयावती-जब तक धम का उपभोग अफ म क तरह और जातवाद का दQभ हंु कार भरता रहे गा तब तक उपdव मचता रहे गा । PयI ना धम को मानवकrयाण से जोडा जाये । जातवाद क मायता रhद कर द@ जाये । ऐसा हो गया तो ऐसे उपdव नह@ होगे । आदमी के खन ू से सडके गलयां नह@ नहा पायेगी । म टर दे वानद-बात तो बहत ु अfछ0 है लेकन धम और जात के बीच से होकर रा ता =दrल@ तक जाता है । सार@ उपdव क जड धामक और जातीय उमाद मM है । उपdवी लोग धम को बदनाम कर रहे ह- ।सhधम, सवसमानता , बहजन=हताय एंव बहजन सखाय का सfचा ु ु ु हर@ होता है । साZी- चलो अfछ0 बात हई ु । उपdव क नाक मM नकेल पड गयी । कफ् यू भी कछ =दन राe\ दस बजे से सबह ु ु छः बजे तक रहे गा । अब पापा दफ् तर जा सकते है , मऔर तीक कूल भी । पथराव का डर तो मन मM रहे गा ना पापा । कई लोग मरे है । कई गल@ मोहrले खन ू से लाल हए ु है । म टर दे वानद- बेट@ डरते नह@ं । जनता क सरZा के ु लये पलस फोस जो चपे चपे पर तैनात है अभी भी। ु मसेज दयावती-बेट@ डरना नह@ । भयावह सपना मानकर 102

भल जाना । कू ल मM दसरे धम के बfचI के साथ ू ू मलजल ु कर रहना । नफरत नह@ सhभावना के बीज बोने

होगे

कूल

के

तर

से

तभी

बfचM

सवधम

सवसमानता के नैतक दाय>वI का पालन कर सकेगे । म टर दे वानद-बेट@ तQ ु हार@ मQमी ठ0क कह रह@ है ।सhभावना से नफरत क जड पर हार कया जा सकता है । ऐसा हार पथराव को जम ह@ नह@ दे ने दे गा । साZी- पापा याद रखंूगी । मसेज दयावती- जा बेट@ अपना और तीक बैग जमा लो कल से कूल जाना है ना । साZी- हां मां मसेज दयावती-दे खो छोटे -छोटे बfचे कतने खश ु है । शहर क रं गत लौटते ह@ म टर दे वानद- अमन तो सभी को पसद होता है । कौन खतरI से खेलना चाहे गा । अपने को मौत के मंह ु मM झोकेगा। धामक/सामािजक बीमारयI के कोप से पथराव होते है । खन ू बहते है । बfचM भी डर गये है पथराव से मसेज दयावती-डर तो हम गये थे ये तो बfचे है । डर कर भी तो जीवन नह@ चलता । म टर दे वानद-हां ठ0क कह रह@ हो । डर तो था ,जब तक उपdव था, शहर मे कफ् यू था कब कहां से प>थर या गोल@ बरस पडे । कफयू मM तनक छट ू मलते ह@ लोग 103

जLर@ चीजI के लये दौड पडते थे । मसेज दयावती- उपd'वयो ने ऐसा खनी ू खेल ह@ खेला है क डर बन गया है । धीरे धीरे ख>म हो जायेगा । सब कछ सामाय हो जायेगा । कब तक पथराव का भत ू ु पीछा करे गा ? म टर दे वानद- राWc@य अि मता एवं मानवीय एकता के लये साQ दायकता के 'वष बीज को उखाड फकना होगा M वरना ये साQ दायत ताकते खद कर शाित ु को सरYZत ु और सhभावना के दामन म/ ु ठ0 भर भर आग भरती रहे गी । ना हो पथराव ना बहे खन ू , अब ना कराहे मानवता यारो । आ था का वा ता,सhभावना के अमत ृ बीज बो डालो◌े यारो ॥ सौदा बंशीधर क तेरहवीं तक उनके वारस स{ रखे रहे परतु तेरहवी eबतते ह@ स{ का बांध टट ू गया । बंशीधर क दसर@ 'वधवा प>नी मंथरादे वी धन सQपत समेटने मM ू जrद@ थी । का तकार@,बकबै - लMस से लेकर भस - ,घासभसा ू ,गोबर क:डा तक को अपने कsजे मM करने को उतावल@ थी । पत के मरने का था तो ये क कह@

कोई गम न था । गम

कोई सामान सौतेले बेटा बहू न रख ले। सौतेल@ मां के एका7धकार को दे खकर बंशीधर के 104

तीनI लडके =दलेgवर,मनेgवर और रतेgवर ने पंचायत बलाना उ7चत समझा◌ा । चौदहवM =दन पंचायत बला ल@ ु ु गयी । पंचI के सामने मंथरादे वी ने अपने नाम के बक - बैलेस और जमीन को छोडकर बाक चल अचल सQपत पर आधे क =ह सेदार@ पेश कर द@ । मंथरादे वी क इस दावेदार@ को दे खकर =दलेgवर ने आपि>त ल@ । मंथरादे वी पंचI से मखातब होते हए ु ु बोल@ पंचI अभी तो का तकार@ घर}ार और मेरे वगqय पत के नाम जमा रकम मM आधा =ह सा चा=हये । मेरे नाम जो रकम जमीन है वह तो मेर@ ह@ रहे गी । हां मेरे मरने के बाद ये तीनI लडके आपस मM बांट सकते है । मेरे जीने का भी तो कछ ु सहारा होना चा=हये । मंथरादे वी

के

एकतरफा

=ह सेदार@



बात

सनकर ु

कानाफुं सी शL ु हो गयी । इतने मM =दलेgवर हाथ जोड कर खडा हआ और बोला पंचI नई मां आधे क ु =ह सेदार@ पH ु ता कर रह@ है । मरने के बाद हम तीनI भाइयI मM बराबर बांटने क बात कह रह@ है ।य=द नई मां ने मेरे बाप दादा क चल अचल सQपत अपने भाई भतीजI के नाम कर द@ तो । नई मां का तो कोई भरोसा नह@ है पंचो। मनेgवर- पंचI भइया ठ0क कह रहे हो ,नई मां है :डपाइप से पीने का पानी नह@ लेने दे ती । Pया वह हमारे लये 105

दौलत छोडेगी ? रतेgवर-हां पंचI नई मां से उQमीद कोई उQमीद करना खद ु को धोखा दे ना है । बांप के मरने के पहले ह@ बहत ु सार@ धन दौलत , खेत अपने नाम लखा ल@ । नई मां ह@ बाप क मौत क िजQमेदार है । मंथरादे वी-रतेgवर, म- नह@ तम ु लोग कातल हो । इतना मोह था तो तेरे बापमझे ु PयI लाये ।

बाप साठ साल

क उj मM sयाह क Pयो सझी। मझे ू ु लाये है तो उनक सQपत पर मेरा =ह सा तो होगा । कानन ू मझे ु अ7धकार दे ता है । म- अपने अ7धकार से कोई सौदा नह@ कLंगी । मनेgवर-तम ु हमार@ मां बनने नह@ आयी हो । दौलत पर कsजा करने आयी हो । बाप को हम लोगो से छन ल@ । धीरे धीरे जमीन,नगद@ और जेवर पर कsजा कर ल@ । हम तीनI भाईयI के लये कछ तो छोडो मां । Pयो ु सौतेलेपन का जहर दे रह@ हो । अब तो बाप भी नह@ रहे । नई मां तQ ु हारे पत से पहले वे हमारे बाप थे। तमको ु आये अभी दो साल भी नह@ हए ु सार@ दौलत पर कsजा कर ल@ । बाप को तमने मार डाला भH े दाL 'पला ु ू ◌ा 'पलाकर। मां तम ु अपने मकसद मM कामयाब हो गयी । अफसर बाप तQ ु हार@ काले जाद ू को नह@ समझ पाये । िजदगी नौकर@ मM दसरI का केस हल करते रहे । अपने ू ह@ केस मM तमसे हार गये नई मां । ु मंथरादे वी-म- तो अपना धन धम सब कछ छोडकर आयी ु 106

थी यह सोचकर क तेरे बाप के साथ

मेरे जीवन क

सांझ चैन से eबत जायेगी । वे तो मझे ु अधजल मM छोड मरे । तम ु लोग उनक मौत का =ठकरा मेरे सर फोड रहे हो । मझे ु ठ7गन कह रहे हो । =दलेgवर-म- तQ ु हारे पास था Pया ? न खाने का =ठकाना न पहनने का । एक झोपडी ह@ तो थी । यहां आते ह@ तजोर@ क ताल@ लटकाने लगी । बक क पासबक ु े छपाने लगी । बाप क कमाई का =हसाब कताब रखने लगी । दो साल मे◌े तमने सब कछ पर कsजा जमा ु ु लया । िजस दौलत को मेर@ सगी मां ने नजर भर कभी नह@ दे खा । वह@ मां िजसने बाप को कामयाब बनाने के लये मेहनत मजदर@ ू करती थी 'पताजी पढने जाते थे । मेर@ मां क कमाई पर तम ु नाग क तरह फन फैलाकर बैठ गयी हो । हम तीनI भाई ललचाई आंखे◌ा◌ं से दे ख रहे ह- । अपना हक नह@ पा रहे है । नोना-नटो क तरह झोपडी मM रह रहे है इतनी बडी कोठ0 रहते हए। यह@ हु मां तेर@ ममता । मंथरादे वी-ये कोठ0 कसक है ।तम लोग लोगो को ु =दखाने के लये झोपडी मM रह रहे हो । रतेgवर- नई मां तमने हमM बेघर कर =दया है । सब कछ ु ु तो तQ ु हारा होकर रह गया है । हमM तो चैन से रहने भी नह@ दे ती हो । चल अचल सभी सQपत पर तQ ु हारा ह@ तो कsजा है । हम तीनI भाई तो अपने हक से बेदखल 107

ह- । मनेgवर- नई मां बाप के जीते जी लाखI क रकम अपने नाम करवा ल@ । सोने के आभषण बनवा लये । ढे र ू सार@

रकम मायके पहंु चा द@ । बाक पर आधा =ह सा मांग रह@ हो ।हम भाई लोग अपने बाप क नाजायज औलाद तो नह@ ? बाप क सQपत पर हमारा भी हक

बनता है क नह@ ? मंथरादे वी-तम ु लोग अपने बाप क नाजायज औलाद नह@ हो तो म- भी कोई रखैल नह@ हंू । काननी sयाह क हंू ू =दrल@ क कचहर@ मM जाकर तQ ु हारे बाप से । आधे के =ह से का हक है मेरा भी। =दलेgवर-नई मां तम ु इस परवार मM एक =ह सेदार क है सयत से आयी हो बस ना मंथरादे वी-हां ठmक समझे सेठू धान-मंथरा भौजाई बंशीधर भइया ने तQ ु हार@ मांग मM सधरु डालकर उपकार कया है । तम उनके ु बfचे◌ा◌ं को अपना बfचा नह@ मान रह@ हो । तम ु इन लडको क मां हो । मां का फज नभाना चा=हये था । तमने ऐसा नह@ कर सौतेल@ मां के चर\ को और ु भयावह बना =दया है । ये लडके तमको मtणकtणक ले ु जायेगे तQ ु हार@ मत ु हार@ अथq बंशीधर भइया के ृ दे ह। तQ दरवाजे से उठे गी तभी वग मM जगह मलेगी । मायके से डोल@ उठना अfछा होता है अथq नह@ । तम ु तो पढ@ 108

लखी हो । इसलये तQ ु हारा फज और बढ जाता है पर तमको दौ◌ैलत से मोह से है । बंशीधर भइया क ु औलादI से नह@ । मंथरादे वी- धान भइया तम ु भी इन लडको का पZ ले रहे हो । म- बढ@ ू औरत कहां जाउ◌ू◌ंगी । अरे मेर@ बाक िजदगी का सहारा तो

दौलत ह@ है ना । ये लडको तो

पहंु चा =दये मtणकtणका । ये लडके मेरा सहारा नह@ बन सकते है तो मेर@ सौत क औलाद सेठू धान- तम नह@ हो PयIक इन ु परवार क भखी ू लडको को तमने पैदा नह@ कया है ना । बंशीधर भइया ु के परवार का दख सख तQ सख नह@ है । ु ु ु हारा दख ु ु तमको बस बंशीधर भइया क दौलत से मोह है । भइया ु ने तो उपकार कया था तम ु पर । वह@ उपकार अपराध बन रहा है । अरे गांवपरु के सभी जानते है तम ु कैसे द=ु द न काट रह@ थी । इस घर मM आते ह@ महरानी बन गयी । पेट भर रोट@ के लये न तवान थी । वो =दन भल ू गयी । अरे बंशीधर भइया के जीते जी तो बहत ु जr ु म क इन लडको पर अब तो रहम खाती । उनका =ह सा उनको दे दे ती । तQ ु हारे पास तो तीन बेटे है कसी के साथ रहकर जीवन के बाक =दन चैन से eबता सकती हो ।तम ु दौलत के ढे र पर बैठ0 हो और तQ ु हार@ सौत तQ पत बंशीधर भइया के बेटे छोट@ ु हारे मतक ृ मोट@ चीजI के लये तरस रहे है । भइया रटायर होकर 109

आये थे तो पdह लाख Lपया मला था परा गांव ू जानता है । हर मह@ने सात हजार पशन मल रह@ थी । M सना है क भइया के खाते मM बस तीन लाख Lपया है। ु घीरे घीरे सब Lपया झंस ल@ । तीन लाख मM से आधा और जमीन जायदाद मM आधा मांग रह@ हो । ये कहां का याय है । ये तीन लडके और उनका परवार कैसे जीवन बसर करे गा । Tयादा होशयार@ अfछ0 बात नह@ है । अरे 'पछले कम का फल भोग रह@ हो दो दो पत खा गयी । कोई बाल बfचा भी नह@ ह- तQ ु हारे । इह@ तीनो लडको को अपना लेती तो जीवन वग बन जाता । रामuंग ृ ार-हां धान भइया बात तो लाख टके क कह रहे हो । भौजाई के पास बहत ु अfछा मौका था अगला जम सधारने का पर भौजाई ने बंशीधर भइया के साथ sयाह ु नह@ सौदा मान रह@ है । अरे =दलेgवर मनेgवर और रतेgवर छोटे बfचे होते तो जहर 'पलाकर सार@ चल अचल सQपत पर कsजा कर लेती । अरे भौजाई बंशीधर भइया के तीन लडके और एक लडक भी तो है । उसका भी =ह सा बनता है । मंथरादे वी-कोई लडक नह@ है । =दलेgवर से पछो शपथ ू प\ पर सभी के द तक है । रामuंग हो । ु ृ ार-अfछा तो एक कांटा नकाल चक रामuंग ृ ार



बात

सनकर ु

मंथरादे वी

के

'पताजी

झनझनबाबा kो7धत होकर बोले यहां तो पर@ ु ु ू पंचायत 110

अफ म के नशे मM मदहोश है । मंथरा बी=टया तमको ु यहां याय नह@ मलेगा । मंथरादे वी-'पताजी मन छोटा ना करो मने - भी कfची गोलयां नह@ खेल@ है । sयाह नह@ एक सौदा था िजसका गवाह =दलेgवर भी तो है । फैसला तो मेर@ मजq के माफक होगा ।नह@ तो कोट कचहर@ तो है । म- =दलेgवर के मतक बाप क दसर@ प>नी हंू रखैल नह@ । मेरा आधे ू ृ का =ह सा है । म- लेकर रहंू गी । जमीन जायदाद और बै।क के सभी कागजात मेरे पास है ।वह भी इन तीनI के बाप =दया है । सेठू धान-मंथरा भौजाई बंशीधर भइया कोई वसीयत लखकर मरे ह- Pया ? मंथरादे वी-यह@ तो

गलती

हो

गयी



वसीयत

नह@

लखवायी गयी । वसीयत लखकर मरे होते तो आज ये कौअ◌े नह@ मडराते मेर@ मांस को नIचने । सब कछ मेरा ु होता । पंचायत क जLरत नह@ पडती । रामuंग । भौजाई क िजरह । ु लये झनझनबाबा ु ु ृ ार- सन बाबा ये आपक सािजश तो नह@ थी , भइया के◌ा साठ साल क उj मM sयाह के बंधन मM बंधक बनाकर जमीन जायदाद हडपने क । भईया के बार बार मना करने पर बाबा अपने अपनी पगडी भईया के पांव पर रख =दये थे । भईया ने आपक लाज रखी और आपने धोखा =दया । भइया क और उनके परखI क जायदाद को हडपने का ु 111

सौदा समझ लया । मंथरा भौजाई एक मां का Xयार इन लडके◌ा को दे ती तो ये लडके इतने नासमझ नह@ है । ये लडके तो uवण क तरह है । तम ु हो इन लडको को जहर परोसने मM जरा भी कोर कसर नह@ छोड रह@ हो । झनझनबाबा तम गये। बंशीधर भइया ु ु ु भी वादे से मकर ु क दौलत के लालच मM । झनझनबाबा -इन लडको ने कौन सा फज नभाया ? ु ु सेठू धान-बाबा ये तीनो लडके Pया करते । अपने बाप दादा क दौलत चांद@ क थाल@ मM रखकर तमको पेश ु कर दे ते । बाबा तमने और तQ ु ु हार@ बेट@ ने बंशीधर भइया के साथ छल कया है । रटायर होकर आने के बाद कभी चेन क रोट@ आपक बेट@ ने नह@ द@ बंशीधर भइया परा ू गांव जानता है ।बंशीधर भइया िजदगी भर तो शहर मM रहे रटायर होने के बाद उनको खेती करने का च का लग गया था । बंजर जमीन से भी भरपरू अनाज पैदा कर रहे थे । पर@ ू कोठ0 मM जो अनाज भरा है उनक मेहनत का फल है । ये मंथरा भौजाई रोट@ eबना मार डाल@ । दनया क सार@ सख स'वधा बंशीधर मंथरा ु ु ु भौजाई तमको =दये पर तमने दो जन ु ु ु क भर पेट रोट@ नह@ द@ । बेचारे मर गये भखे ू । हां दस Lपये क दे शी दाL मंगा कर जLर दे दे ती थी ताक मर जाये जrद@। तम ु बंधन से मP ु त हो जाओ । धन दौलत लेकर दसरा ू रा ता नाप लो । बंशीधर भइया के खन ू पसीना से सींचा 112

परवार सडक पर आ जाये । मंथरा भौजाई तQ ु हारे जैसा ह@ गोरो ने कया था । पहले तो वे एक साधारण `यापार@ बनकर आये थे फर धीरे धीरे दे श पर कsजा कर लये । वह@ तमने कया । बंशीधर भइया से sयाह ु के बहाने उनक दौलत पर कsजा कया है । बहत ु घनौना स‚दा कया है तमने । ु रामuगार ृ -बंशीधर भइया लगभग दो साल भर पहले रटायर हए ु थे तब उहे पdह लाख Lपये मले थे बाक और भी पैसे मलने वाले थे । हर मह@ने पशन मलती M थी । बक - मM मा\ तीन लाख है । बाक Lपये कहां गये ।

=हसाब तो तमको ह@ दे ना होगा । लडको को तो ु

तमने पास तक फटकने नह@ =दया । तीन लाख मकान ु और खेती क जमीन मM आधे क दावेदार@ पेश कर रह@ हो । मंथरादे वी-आधे से कम पर तो सौदा नह@ होगा । चाहे बकबै - लेश हो या जमीन जायदाद सब मM आधा चा=हये । झनझनबाबा -मेर@ बे◌ेट@ क अभी उj ह@ Pया है चाल@स ु ु साल क है । पर@ ू पहाड सी िजदगी बी=टया के सामने है गजर बसर कैसे होगा । झनझनबाबा क बात काटते ु ु ु हए ु रमरिजया मंथरादे वी क मां बोल@ पंचो मेर@ बेट@ का =ह सा मत छ0नो । 'वधवा क बhदआ खाल@ नह@ जाती ु । रतिजयादे वी-Pया कह रह@ हो बहन बंशीधर बेटवा के मरे 113

आज चौदह =दन हए ु हारे ु इस बीच तजोर@ का मंुह तQ घर क तरफ मड ु गया । अनाज क गोदाम का मंह ु तQ है । बीस हजार क भस - तQ ु हारे घर मM अब खलता ु ु हारे दरवाजे पर बंध गयी । बी=टया का sयाह क थी क कोई सौदा । बंशीधर के मरते ह@ सब कछ लट ू लो । ऐसा तो ु न दे खी थी न सनी ु थी अपनी अ सी साल क उj मM । रघन दमाद क दौलत से करोडपत बन रह@ ु दन-सासजी ु हो ? अरे नातयI का हक Pयो छ0नने पर तल@ ू हो ? रमरिजया-कौन नाती । दमाद के जीते जी सब नाता था उनके मरते ह@ सारे नाते टट ू गये । रामuंग है ू ृ ार- जमीन जायदाद और Lपये से नह@ टटा सासजी ु रमरिजया-बाबू ये तो मेर@ बेट@ का अ7धकार है ।मेर@ बेट@ िजसे चाहे दे । मंथरा मेर@ बी=टया बंशीधर बाबू के सQपत क असल@ हकदार है । सेठू धान-दे खो वPत मत गवाओं मझे पंचायत मM ु दसर@ ू जाना है । मh ु दे क बात करो । झनझनबाबा - धान जी य=द फैसला आपके बस क बात ु ु न हो तो ये लोग कचहर@ चले जाये । वहां दध ू का दध ू पानी का पानी हो जायेगा । मंथरादे वी-मझे ु तो आधा =ह सा चा=हये । सेठू धान-आधा तो नह@ मल सकता । मंथरादे वी-Pयो ? 114

से◌ेठू धान-मतक बंशीधर के तीन लडके एक लडक और ृ पांचवी तम आधा =हसा कैसे मल ु वारस हो । तमको ु सकता है । मंथरादे वी -पांच नह@ चार है । बेट@ काननन मर चक है ू ु । इस बात क पहले ह@ िजk हो चक है । बेट@ क ु काननन मौत के गवाह =दलेgवर भी तो ह।- एक बात का ू म/ठा बनाने से कोई मतलब नह@ । सेठू धान- बेट@ मर@ तो नह@ है । तीन बfचI क मां हभरा परा ू परवार है । अपने पत के साथ खश ु ह- । शहर मM रहती है । आती जाती रहती है । भले ह@ वह =ह सा न मांगे पर है तो =ह सेदार । =दलेgवर-ठ0क है चार ह@ =ह सा होगा पर नई मां आधा ले लेगी तो हम तीन भाइयI का घर परवार कैसे चलेगा । बक - मM तीन लाख बचे है । बारह लाख Lपये मां हजम कर चक है । बीघा से अ7धक खेत अपने नाम करा ु चक है । पंचो चार बीघा खेत ये कोठ0 िजस पर मां का ु ह@ कsजा है । हम भाई लोग तो झोपडी मM रह रहे हपरा ू गांव दे ख ह@ रहा है । इसके बाद भी मां का पेट नह@ भर रहा है तो पंचI आप लोग हम भाइयो को जैसे कहो वैसे राजी है । बाप भी नह@ मेर@ सगी मां स\ह साल पहले मर चक है । नई मां हम भाइयI क क{ ु खोद रह@ है । पंचI फैसला आपके हाथ मM ह- । हम भाई राजी ह- पंचI के फैसले पर । पंचI नई मां से बारह लाख 115

LपयM और बाक जो सQपत छपाकर रखी है या मायके पहंु चा द@ है उसका भी खल ु ासा कर दM ।जानने को तो सभी जानते है पर नई मां अपने मंुह से कह तो दे । सेठू धान-मंथरादे वी =दलेgवर ने जो कछ कहा ह- जायज ु है । =हसाब तो =हसाब है दे ना होगा । तभी बंटवारा होगा । मंथरादे वी- जो =दलेgवर के मतक बाप के नाम ह- उसी का ृ =ह सा हो सकता है । मेरे नाम है या मेरे पास जो कछ ु ह- उसमM =ह सा कैसे लगेगा । वह तो =दलेgवर के मतक ृ बाप ने जीते जी मेरे नाम कर =दये है ◌े । उस पर तो बस मेरा हक है चाहे बारह लाख हो या बीस सेठू धान-मंथरादे वी ]यान से सनो ु भले ह@ बंशीधर भइया ने तQ ु हारे नाम कर =दया ह- पर तQ ु हारे बाद तQ ु हार@ चल अचल सQपत के मालक यह@ तीनो होगे । मंथरादे वी- जो मेर@ परवरश करे गा वह मेर@ दौलत का वारस होगा । म- अपने नाम क सQपत का उपयोग करने को वत\ हंू । कानन ू भी मझे ु इजाजत दे ता ह- । अपने =ह

े◌ा क दौलत चाहे अपने बाप के नाम कLं या भाई के नाम या भतीजे के नाम कोई रोक नह@ सकता । सेठू धान-यह तो अयाय है । धोखा है । Pया इसीलये sयाह क थी चाल@स साल क उj मM साठ साल क उj वाले बंशीधर भइया से। 116

रामuंग ृ ार- धानजी sयाह नह@ यह एक सौदा ह- । दौलत हडपने क घनौनी सािजश है । आप तो फैसला सनाओं ु । मानना होगी तो मंथरादे वी मान लेगी ।कचहर@ जाना चाहे तो शौक से जाये । परा ू गांव तो हक कत जान चका ु है । सेठू धान-ठ0क कह रहे हो रामuंग ृ ार । फैसला तो तैयार ह- । 2ाम पंचायत के सद यI क द खत करवाकर महर ु लगा कर फैसला पढकर सना ु दो । रामuंग कार वाई पर@ ु ू क । इसके ृ ार- धान के कहे अनसार बाद

फैसला

सनाया ु

मतक ृ

बंशीधर



दौलत

मM

=दलेgवर,मनेgवर,रतेgवर और उनक सौतेल@ मां मंथरादे वी के बराबर के =ह

े◌ा का । फैसला सनकर मंथरादे वी उसके मां बाप के चेहरे tखल ु उठे । वह@ दसर@ ओर =दलेgवर,मनेgवर और रतेgवर क ू आंखI मM आंसू माथे पर 7चता के बादल मडा रहे थे तीनो बेटो को रोता दे खकर बंशीधर के बडे भाई कलधर उठे

और तीनI को बांह मM समेटते हए बोले बेटा ु झनझनबाबा ,रमरिजया दे वी और उनक बेट@ मंथरादे वी के ु ु चk`यूह के रह य को तQ ु हारा अ7धकार@ बाप नह@ समझ पाया।बंशीधर को ना जाने कैसे बढौती मM sयाह क सझी ू ु थी जबक दनया जानती है ◌ा क बढौती मM sयाह ु ु बबाद@ को यौता दे ना है । इसका गवाह तो इतहास भी है । मंथरादे वी अपनी चाल मM कामयाब हो गयी और 117

तQ ु हारे भाvय मM मंथरादे वी ने भर =दया म/ ु ठ0 भर आग । यह sयाह नह@ मंथरादे वी क सािजश थी ।

॥ कयादान यादान ॥ म टर रामअधार बाबू डबते सरज को नहार नहारकर ू ू जैसे कोई सQभावना तलाश रहे थे । इसी बीच उनके दरवाजे पर सफेद रं ग क चमचमाती कार Lक । रामअधार बाबू बेखबर थे । कार मM से उनके पराने ु पर7चत 7गरधर बाबू अकेले नकले और कमरे मM आ गये । इसके बाद भी रामअधार बाबू के कानI को भनक न पडी । म टर 7गरधर बाबू म टर रामअधार बाबू के पास खडे होकर बोले Pया भाई साहब जब दे खो तब सोच मM डबे ू रहते हो । जागते हए ु सपना दे ख रहे हो। पWु पा भाभी से मन भर गया Pया ? म टर रामअधार बाबू चौक कर बोले कौन ? म टर 7गरधर बाब-ू म- भाई साहब ? रामअधार बाबू-आप

बड. भाvय हमारे आपके दशन तो

हो गये । म टर 7गरधर बाब-ू हां

भाई साहब डबते सरज मM ू ू

Pया तलाश रहे थे । कहते ह- डबते सरज को नह@ दे खना ू ू चा=हये आप तो घरु घरु कर दे ख रहे थे । ये तो म- था कह@ चोर घर मM घस ु गया होता तो रामअधार- सQभावना तलाश रहा था । हमारे घर मM चोर को कागज के अलावा और Pया मलेगा । 118

7गरधरबाबू-डबते सरज मM सQभावना तलाश रहे थे । ू ू म टर रामअधार बाबू- हां भाई साहब खैर छोEडये कहां से आ रहे ह- वह भी अकेले बfचे कहां ह- । बरखा बी=टया भी इंजीनयर हो गयी ह- अपने पांव पर खडी हो गयी है । भाई साहब आपक 7चता तो दरू हो गयी। उसको भी लाना था । म टर 7गरधरबाब-ू 7चता तो कयादान के बाद ख>म होगी । रामअधार-हां बडा बोझ तो उतरना बाक है ।खैर ये भी उतर जायेगा । भाई साहब आप तो कह रहे थे सपरवार आये है । कहां ह- बाक लोग । म टर 7गरधर बाबू-हां भाई साहब

बरखा बी=टया

बेटा उदय,उनक मां और पंEडतजी कार मM है । म टर रामअधार-पंEडतजी को लेकर कह@ं जा रहे ह- Pया ? म टर 7गरधरबाब-ू यह@ं तक आये ह- और कह@ं नह@ जाना है । म टर रामअधार-कमका:ड मM तो मेरा 'वgवास नह@ है । हम तो बस भगवान को मानते है । खैर आप लेकर आये है तो म- बलाकर लाता हंू । आप तो बै=ठये ु ।पंEडतजी तो हमारे घर का पानी तो पीयेगे नह@ं । म टर 7गरधरबाब-ू PयI नह@ पीयेगे जमाना बदल गया है । भाई साहब आपका बेटा 'वजय बडा इंजीनयर 119

बन

गया है,बेट@ खशब ु ू भी नाम रोशन कर रह@ है । सबसे छोटा बेटा वत\ भी उ◌ू◌ंची पढाई कर रहा है



भाईसाहब अब तो अब बडे ह- । आपके सामने तो हम छोटे है । भाई साहब L=ढवाद@ `यव था ने तथाक7थत जातीय छोटे लोगI क िजदगी मM म/ ु ठ0 भर आग Lप बदल बदल कर भर@ है । जात से आदमी बडा नह@ बनता कम से बडा बनता है । म टर रामअधार-भाई साहब कथनी करनी मM अतर होता है । म टर 7गरधर बाबू- होता होगा पर म- नह@ मानता । मसेज पWु पा-PयI बहस करने लगे 'वजय के पापा ।भाई साहब तो अत7थ है । अत7थ तो भगवान होता है । म टर रामअधार-भागवान कहां बहस हो रह@ है । कोई कोट कचहर@ तो नह@ ह- यहां । बहस तो वक लI के बीच जज साहब के सामने होती ह- । मसेज पWु पा-जातवाद क बीमार@ एक =दन मM तो ख>म होने वाल@ नह@ ह- । जातीय अभमान मM लोग ख>म करने के लये जात तोडो अभयान भी तो नह@ं छे ड रहे है । रामअधार-वाह रे भागवान तम ु तो उपदे श दे ने लगी । म टर 7गरधरबाबू-भाई साहब भाभीजी ठ0क कह रह@ है । भाभीजी जात तोडो आदोलन छडे या ना छडे पर जातवाद क बीमार@ तो ख>म होकर रहे गी धीरे धीरे । 120

एक दो पीढ@ के बाद जात eबरादर@ को नामोनशान नह@ होगा । रgते भी जात के आधार पर नह@ कम और शैZtणक योvयताओं को दे खकर तय होगM । मसेज पWु पा-भाई साहब आप बै=ठये म- कामनी भाभी और बfचे◌ा को लेकर आती हंू । म टर 7गरधर बाबू-पंEडतजी भी साथ है । उहे नह@ भलना । ू मसेज पWु पा- पंEडत जी PयI म टर 7गरधरबाब-ू काम है मसेज पWु पा-'वजय के पापा तो कभी हाथ नह@ =दखाये आज तक अब बढौती मM Pया =दखायेगे ? ु म टर रामअधार-दे खो दनया भले ु

बढा ु कह दे पर तम ु

ना कहना । म टर 7गरधरबाबू-भाई सीब को भले ह@ पंEडत का काम न हो पर मझे ु तो है । मसेज पWु पा- अfछा तो आप कोई नया काम करने जा रहे ह- । 7गरधरबाब-ू वह@ समझ ल@िजये । मसेज पWु पा-ठ0क ह- पंEडतजी को भी लेकर आती हंू । पWु पा सभी को आदर के साथ लेकर अदर आयी और बैठने का आ2ह करते हए ु ू को आवाज दे ने ु बी=टया खशब लगी । मसेज कामनी-भाभीजी 'वजय नह@ =दखायी पड रहा है 121

। मसेज पWु पा-कQXयट कर रहा होगा । ू र पर कछ ु मसेज कामनी-'वजय बेटा बरखा के बचपन का दो त है । दे खो कतने जrद@ सयाने हो गये । sयाह गौने क उj के हो गये । मसेजपWु पा-समय को नह@ बांधा जा सकता भाभी जी मसेजकामनी- ठ0क कह रह@ हो भाभीजी । बरखा ओर उदय नहे नहे थे तो भाई साहब नहलाकर खब ू तेल मालश करते थे दोनो क धप ू मM eबठाकर । मसेजकामनी-याद है ।वह@ बfचे अब कतने बडे हो गये । बरखा और 'वजय इंजीनयर बन गये । दोनो को साथ दे कर मन बहत ु हो जाता है । ु खश म टर रामअधार-अरे 'वजय दे खो अंकल आ:ट@ आये है साथ मM बरखा और उदय भी ह- । बाद मM काम कर लेना । सचमच ु कोई काम कर रहे हो या गेम खेल रहे हो । बाहर आ जाओ । अंकल आ:ट@ का पैर तो छू लो मसेजपWु पा- अपने बचपन मM तो ऐसी कोई स'वधा थी ह@ ु नह@ । बेटा बfचा तो है नह@ । समझदार है । बडा.◌ा इंजीनयर है । म टर रामअधार- बfचा कतना बड.◌ा PयI न बन जाये मां बाप के लये बfचा ह@ होता है । बfचे क तरPक ह@ तो हर मां बाप का सपना होता है । 122

'वजय और खशब ु ू भाई बहन साथ साथ आये सभी के पांव छये । 'वजय एक तरफ ु

कसq लेकर बैठ गया । ु

खशब होते हए ु ू म टर 7गरधर से मखातब ु ु बोल@ Pया अंकल आप भी हम बfचI को भल ू जाते हो । म टर 7गरधर-कैसे भल ू जाता हंू । दे खो न परा ू कनबा ु लेकर तो आया हंू । साथ मM पंEडतजी भी है । खशब ु ू-बरखा के भी दशन दल ु भ हो गये है । बचपन ह@ ठ0क था । ना कोई 7चता ना फकर । मह@ने मM तो एकाध बार हम बfचे भी मल जाते थे । अब तो सब अपनी अपनी िजQमेदार@ सQभालने मM लगे है । बरखा भी इंजीनयर बन गयी । इयको भी फस ु त नह@ रह@ अब बरखा- हां द@द@ ठ0क कह रह@ हो । अब िजQमेदार@ का एहसास होने लगा है । मसेज कामनी - असल@ िजQQे◌ादर@ तो अभी आनी बाक है । बरखा- तम ु भी मQमी कहते हए ु करा कर चेहरा घमा ु ु म ल@ मसेजपWु पा-अरे अभी तो बरखा के साल दो साल मM दशन भी हो जाते◌े◌े◌े◌े◌े ह- । sयाह होने के बाद 'वदे श बस गयी तो सपना हो जायेगी । कामनी भाभी बरखा का sयाह ऐसी जगह करना क मलाकात तो आसानी से ु होती रहे ना वीजा का झंझट हो ना दसरे अय खशब ू ु ू के 123

लये भी ऐसे ह@ सोच रह@ हंू । म टर 7गरधर-बरखा तो कभी सपना नह@ होगी । इसक तो गार:ट@ म- लेता हंू । मसेजपWु पा- काफ दे र हो गयी चाय नाgता तो कछ बना ु लM खशबं ु ू- मQमी मै भी आपका हाथ बंटाती हंू बरखा- द@द@ मै। आपका हाथ बंटाती हंू खशब ु ू- तम ु बैठो बरखा म- कर लंूगी । तम ु मेहमान हो । बडी इंजीनयर हो चr नह@ होगा ू ह चौके का काम तमसे ु । बरखा- द@द@ मझे ु भी तो कछ ु सीखाओं 'वजय-अरे वाह इंजीनयर सा=हबा को अभी सीखना बाक है । चार साल क इंजीनयरंग क पढाई दो साल क पPक नौकर@ इसके बाद भी सीखना है । मसेजकामनी- बेट@ गह ु तो सीखने ह@ पडते ृ ती के गण है । चाहे कतनी ह@ पढाई कोई Pयो न कर ले । बरखा-सने ु इंजीनयर साहब मQभी Pया कह रह@ है कहते हए ु ू के साथ मM क चन मM चल@ गयी । ु बरखा खशब पंEडतजी-7गरधर बाबू हम चाय नाgता नह@ करने आये है । म टर 7गरधर-पंEडतजी इस घर मM अत7थ दे वता होता है । यह परQपरा अभी यहां तो कायम है । भले ह@ आपको दसर@ जगह नह@ दे खने को मलती हो । ू 124

पंEडतजी-हमे तो नह@पीना है । म टर 7गरधर- पीना होगा पंEडतजी पंEडतजी-यजमान हमM जातपांत मM अब 'वgवास नह@ है । हम तो सQमान के भखे ू हो गये है ।इतहास मM कछ ु गलतयां हई चत कर रहा हंू । परखI क ् ु ु ह- उसी पारयिg गलतयI के लये Zमा मांगता फरता हंू । यजमान हम कसी काम से यहां आये हए ु है । काम क बात Pयो नह@ करते । म टर7गरधर-पंEडतजी सब तो दे ख रहे है । Pया ये सब काम नह@ हो रहा है । पंEडतजी-सब तो मंगल ह@ मंगल है यहां

दे खो बरखा

केसे घलमल गयी आ:ट@ और अपनी खशब ु ु ू द@द@ के साथ । 'वजय भी बरखा को अfछ0 तरह से जानता है । भाई साहब और हमारे परवार क जान पहचान हए ु पfचीस साल हो गये है । मसेज कामनी-दे खो बरखा क चन सQभालना अभी से सीखने लगी है । मसटररामअधार- Pया

? बरखा से काम करवा रह@ हो

खशब ु ू बी=टया अत7थ से कोई काम करवाता है Pया ? म टर7गरधर-भाई साहब अपने से Pयो अलग करते हो । बरखा-अंकल मझे समझना चा=हये ना ु भी तो कछ ु अंकल मेरे हाथ क चाय पीओ 125

लो

शकर बहत सी ू ु मामल@

पड गयी है गलती से । म टर रामअधार-बरखा तम ु चाय बनाकर लायी हो बरखा-हां अंकल कहते हए ु ओढनी से सर ढं कने लगी । म टर7गरधर-बरखा अंकल नह@ अंकल नह@ डैडी कहो । बरखा-ठmक

है

डैडी

डैडी

ह@

कहंू गी । बरखा म टररामअधार को डैडी कहते हए ु उनका चरण पश कर मसेज पWु पा का भी पैर छने को लटक ,इतने मM ू

मसेज पWु पा ने बरखा को गले से लगाते हए ु बोल@ बेट@ तत ु खब ू तरPक कर । अपने मां बाप का नाम रोशन कर िजस घर मM जा उस घर को मं=दर बना दे ना । मेर@ दआय M तQ ु ु हारे साथ है । खशब ु ू-अरे वाह Pया बात है । बरखा तो सर ढं क कर है । बरखा-खशब ु ू क तरफ दे खकर म ु करा पडी । म टर7गरघर-भाई साहब वीकार करो । म टररामअधार-कसको मसेजपWु पा- चाय और कसको ।चाय पीओ म टर राअधार-चाय तो पीउ◌ू◌ंगा चाहे िजतनी मीठ0 PयI न हो । बरखा बी=टया ने जो बनायी ह- पहल@ बार । पंEडतजी-रामअधारबाबू 7गरधर बाबू बी=टया को वीकार करने क बात कर रहे है । म टररामअधार-Pया

?

म टर7गरधर-हां भाई साहब मेर@ बी=टया को अपने घर 126

क बहू बना ल@िजये । म टररामअधार-नह@ं यह नह@ हो सकता म टर 7गरधरमेरे पास धन दौलत क कमी नह@ है । िजतना धन चाहे मांग लो पर मेर@ बरखा को अपने घर क बहंू बना लो । म टररामअधार-जो sयव था समाज को जहर परोस रह@ हो उसका पोषण म- कैसे कर सकता हंू । मझे ु दहे ज एक Lपया भी नह@ चा=हये । मझे ु तो 'वषमतावाद@ समाज का डर है । 'पछले साल क ह@ तो बात है ह>या हो गयी थी लडके क अतजातीय sयाह को लेकर । जबक लडका लडक दोनो खश ु थे । लडक पZ के लोग ह@ लडक क ह>या कर लडक को 'वधवा बना =दये ना ना

7गरधरबाबू

ये sयाह तो नह@ हो सकता ।

म टर7गरधर- जात और बढे ू समाज क सार@ द@वारे तोड दं ग ू ा । हम बेट@ के मां बाप रgता लेकर आये है । पंEडतजी गवाह है । हम कयादान करने के लये तैयार है । आप PयI 'वरोध कर रहे ह- भाई साहब मसेजकामनी-मान जाइये भाईसाहब अब जातपांत क लडाई कहां रह@ । वधमq के घर रgते नह@ होगे तो कहां होगे ।हमारा तो बस धम मM 'वgवास है जात मM नह@ । 'वजय से ब=ढया दमाद हमM और कह@ं नह@ मल सकता । बfचे भी इस 'ववाह से खश ु होगे । भाई साहब िजद ना करये मान जाइये । तभी तो जात टटे ू गी । 127

कसी न कसी को तो आगे आना होगा । मसेजपWु पा-भाभीजी अभी जातवाद ख>म तो नह@ हआ ु ह- । आपके समाज के लोग जीवन नरक बना दे गे । य=द बfचI ने गलत कदम उठा लया या आपके समाज के लये बfचI क जान लेने पर उतर आये तो हम बबाद हो जायेगे । मसेजकामनी- भाभीजी ऐसा नह@ होगा । हम बfचI क शाद@ कोc मM करे गे और रgपेसन आल@शान होटल मM दे गे । आप तो तनक भी 7चता मत करो । आप तो sयाह क हामी भर दो बस म टर 7गरधर- हां भाभी कछ नह@ होगा ।सभी अपनी ु बेट@ योग लडके को सौपना चाहते ह- । य=द म- स‚प रहा हंू तो कोई गनाह तो नह@ कर रहा । मै बडी जात का हंू ु म- आपके पास आया हंू । आपका बेटा मेर@ बेट@ को तो भगाकर नह@ ले गया है ना क कोइ◌्र 'वरोध करे गा । य=द कोइ◌्र करता भी ह- म- हंू ना मंह ु तोड जबाव दे ने के लये । छोट@ बडी जात के भेद को मन से नकाल द@िजये । sयाह पर अपनी हां क मंुहर लगाइये बसभाई साहब

जानता हंू वं7चतI को बस म/ ु ठ0 भर भर आग ह@ मल@ है िजससे उनका मान सQमान और 'वकास सब कछ सलगा है । समय बदल गया है । दरयां कम हो ु ू ु चक ु जानेगM

है



आपक

हां

के

बाद

बfचI



मजq

अपने बfचे कसं ु कारत नह@ है क मां बाप 128

का कहना नह@ मानेगे ?हम तो उनके भले के लये सोच रहे है । म टररामअधार-पहले बfचI क राय जान लो । म टर7गरधर-ठ0क है ।उनक राय जान लेते ह- । मसेजकामनी-बरखा बेट@ इधर आओ ।कछ दे र हमारे ु पास बैठो । म टर7गरधर-'वजय को बलाने के लये खशब ु ु ू को

भेजे

। 'वजय- खशब ु ू द@द@ के साथ अपना काम रोक कर आ गया । म टर7गरधर-'वजय

बेटा

आप

बरखा

के

सामने

बैठो 'वजय-Pया

?

म टर7गरधर- बैठो तो सह@ 'वजय-अंकल थोडा जrद@ बोलये Pया बात है । म- काम बीच मM छोडकर आया हंू । इटरनेट चालू है । म टर7गरधर-िजस काम के लये मै आप ओर बरख को बैठाया हंू उससे बड.◌ा तो कोई काम हो ह@ नह@ सकता । 'वजय-कौन सा काम है अंकल ऐसा ? म टर 7गरधर- बरखा से sयाह करोगे ना । बेटा नह@ ना करना 'वजय-बरखा से sयाह के बारे मM तो कभी सोचा ह@ न 129

था। खैर बरखा से पहले पछ ू ल@िजये । वह Pया चाहती है । मसेज कामनी- 'वजय बेटा बरखा तQ ु हारे सामने है तम ु पछ ू लो । 'वजय-इंजीनयर मैडम आर यू ए2ी टु मैर@ 'वथ मी बरखा- एस इंजीनयर सर । पंEडतजी-सन ु लया यजमानI लडक लडका दोनो राजी है ।अब तो सम7ध-सम7ध और समधन-समधन गले मल लो । सारे गण ु मल गये है बस एक गण ु छोडकर ।

sयाह

बहत सफल होगा । वर-बधू जीवन मM बहत तरPक ु ु करे गे । अब दे र कस बात क चट मंगनी पट sयाह कर दो ।ऐसे आoाकार@ बfचे तो हमने दे खे ह@ नह@ थे । आज मेरा भी जीवन धय होगा ।अभी फेरे =दलवा दे ता हंू पर दYZणा परा ू लंूगा म टररामअधार-लड.का -लड.क दोनो राजी है तो मझे ु भी अब कोई आपि>त नह@ ह- । बरखा बी=टया क मजq जानना बहत ु जLर@ था । बfचI को तो जीवन साथ साथ eबताना है । पंEडतजी-ये बfचे िजदगी के हर सफर मM सफल होगे । क: ु डल@ मलाने क कोइ◌्र जLरत नह@ है अब । बहत ु अfछा मह ु ु त है चाहो तो अभी फेरे =दलवा सकते है । म टर7गरधर-पंEडतजी फेरे तो बाद मM होगे पहले रंग 130

सेरेमनी का कायkम शभ ु मह ु ु त मM सQपन करा द@िजये । मसेजकामनी-हां पंEडतजी म टर7गरधर-दो अंगठ0 नकाले और पंEडतजी के हाथ ू पर रखते हए ु बोले पंEडतजी इहM म\ोचारत कर रंग सेरेमनी का कायkम 'व7धवत ् सQपन कराइये । पंEडतजी के घ:टे भर के म\ोचारण के बाद पंEडत 'वजय और बरखा को एक एक अ◌ू◌ंगठ0 =दये और म\ोचारण के साथ एक दसरे को पहनाने के लये बोले ू । 'वजय और बरखा एक दसरे को अ◌ू◌ंगूठ0 पहनाये । ू म टर7गरधर-'वजय बेटा अब ये बरखारानी तQ ु हार@ महारानी बन गयी ह- । मझे ु यक न है क इनके जीवन के साथ हमारा भी जीवन धय हो गया तम ु जैसे दमाद पाकर । बेटा ये बरखारानी बहत ु ठ0 मM ु सयानी है । म/ रखना । अपने बाप को बहत ु चकमा दे ती थी ।रोट@ मअपने हाथ से tखलाता था । बेटा बडे लाड. Xयार से पल@ है । खैर आप लोग तो सब कछ जानते है । फर भी ु बाप होने के नाते इतना तो कहंू गा ह@ क मेर@ बरखा के आखI मM आसंू कभी न आने पाये । होठ पर हमेशा म ु कान बनी रहे । मसेजपWु पा-भाई साहब और भाभीजी बरखा क तनक 7चता ना करना ।हमारे परवार का 7चराग हो गयी है । 'वजय और बरखा दे खना दोनो परवार के नाम को 131

रोशन कर दे गM । दनया मशाल दे दे कर ना थकेगी । ु म टर-हां समधनजी बरखा-पापा अब बस करो ।PयI Lलाना चाहते ह- । म टर7गरधर-बेट@ तू 'वजय क अमानत थी । उसक हो गयी । सच मेरा जीवन सफल हो गया ।अब तो म- चैन से मर सकता हंू । कहते हए ु आखM मसलने लगे । मसेजकामनी- हां बेट@ मेर@ बरसो क तप या सफल हो गयी । तू सदा खश है । तू तो परायी थी ु रहे यह@ दआ ु ह@ तेरे पापा ठ0क कह रहे है । हर लड.क परायी होती है । उसका बाप एक =दन कयादान करता ह- । डोल@ उठती है । म टर7गरधर-कयादान और डोल@ उठने मM सXताह भर अ◌ैर लगेगा। सXताह भर के अदर 'वजय और बरखा का अतजातीय 'ववाह 'व7धवत ् सQपन हो गया । म टर7गरधर

बेट@

का

कयादान

कर

सम7ध

म रामअधार और समधन मसेज पWु पा और खद ु पतपि>न चारो धाम क या\ा पर नकल पडे । द:ड बाप को ह>या के जम ने आंतर@ थाने मM कर ु मM पलस ु =दया गया है । यह खबर बेटा uवण के कान मM 'पघले शीशे क तरह घाव कर द@ । वह गैती तगाड.◌ी रे लवे लाइन पर छोड.कर सीधे घर क ओर भागा । घर मM मां को अचेत और आधे दजन से अ7धक छोटे भाई बहनI 132

को रोता eबलखता छोड.कर वह थाने क ओर भागग । थाने क जेल मM कैद बाप को अधचेतन अव था मM दे खकर उसे भी मरछा आने लगा । वह 7गरता इसके ू पहले सQभल कर थाने के मH ु य}ार पर रखे मटके से पानी लया माथे पर छ0ंटा मारा । एक 7गलास पानी खद ु क हलक मM उतारा । 7गलास भर पानी लेकर बाप क ओर बढा,तब तक तैनात हर@ डपटकर भगाने लगा । इतने मM ट@ आई मोलकचद साहब आ गये । मोलकचद साहब uवण से पछे । ू कस कैद@ से मलना है तमको ु uवण-साहब अपने बाप से मलना है । मोलकचद- तQ ु हारे बाप का नाम Pया है ? uवण-घरह । ु ू मोलकचद-अfछा तो खनी ू का बेटा है । इसीलये इतना ताव खा रहा है । हवलदार इसक तलाशी लो uवण-साहब मेरा बापू एक चहा ू तो कभी मारे ह@ नह@ । सांप को दे खते पसीना छट ू जाता है । शव शव का जाप करते भागने लगते ह- ।चींट@ पैर के नीचे भले ू भटके आजाने पर ना जाने कौन कौन सा म\ पढ डालते ह- । क>ल कैसे कर सकते है साहब मोलकचद-तQ बड.◌ा क>ल@ है । ु हारा बाप तो बहत ु इतनी सफाई से खन ू करता है क नशान भी नह@ छोड.ता । अंधे क>ल का असल@ मजरम तेरा बाप घरहं ु ु ू ह@ है । िजस क>ल क ग>ु थी सलझाने मM पलस को ु ु 133

कहां कहां तफद@श मM भटकना◌ा पड.◌ा और मजरम ु थाने के पास मM शराफत का चोला ओढे चकमा दे रहा था । कहावत कह@ जाती है ना गोद मM बfचा नगर मM ढढे रा । वह@ हाल हइ◌् को लेकर । ू ु रर ् अंधेक>ल के खनी खनी ू शराफत का ढIग कर रहा था थाने के 'पछवाडे ह@ । अरे पलस पीछे पड. जाये तो बडे से बड.◌े केस को ु सलझा सकती है । ु uवण-साहब

मेरे

बापू

क>ल

नह@

कर

सकते

कोई

गलतफहमी जLर हई ु है । हाथ जोड.ता हंू मेरे बापू को छोड दो साहब । मेरे बापू धj कम मM 'वgवास करने वाले है । भला वे खन ू PयI करे गे । मोलकचद- हो सकता है कसी सि]द के लये । सनो ु Tयादा होशयार ना बनो । हर अपराधी बचने के लये तरह तरह के झठ ू बोलता है । आtखरकार उसका झठ ू चल नह@ पाता। अपराधी कतनी भी सफाई से अपराध को इंजाम दे परतु सबत ू तो छट ू ह@ जाता है

। तQ ु हारा

बाप झठ तो तमने बोलना शL ू बोल बोल कर थक चका ु ु ु कर =दया । तेरा बाप खनी है । उसे फांसी से कोई नह@ ू बचा सकता । uवण-साहब ये तो अयाय है । मोलकचद- तेरा बाप मजरम है । तेरा बाप भी कबल ु ू कर चका है । इसका पH के पास है । तू ु ु ता सबत ू पलस ु अपने बाप को फांसीं के फंदे से बचाना चाहता है । 134

uवण-हां साहब । मेरा बाप नरपराध है । मोलकचद-नरपराध नह@ तेरा बाप खनी है । यह तो ू अब स]द हो चका है । कल सरज उगते ह@ तेरे बाप को ु ू कोट मM पेश कर =दया जायेगा । कोट मM पेशी के बाद फांसी से बचाया नह@ जा सकता । बस एक उपाय है बचाने के । मै तमको बता दं ग ु ू ा PयIक तम ु अपने भाई eबरादर हो । म- नह@ चाहता के अपने लोग फंसे । मोलकचद क

मिg ु कलI मे

बातI पर uवण को कछ कछ ु ु

यक न होने लगा सफ eबरादर@ का सनकर । वह बोला ु कौन सा उपाय है साहब। मोलकचद-दस हजार का इतजाम कर लो सबह तक । ु uवण-दस हजार तो दस लाख के बराबर क रकम है साहब हमारे लये । म- कहां से लाउ◌ु◌ंगा । मोलकचद-बाप को बचाना है तो घर बेचे◌ा । खेत बेचI । खड.◌ी फसल बेचI । इससे कम मM तो बात बनेगी नह@ । आtखर खन ू का मामला है । eबरादर@ का होने के नाते इतनी र क ले रहा हंू वरना कब का पलस ु रमा:ड पर भेजवा =दया होता । घरह ु ू क सार@ हEƒडयां बोल चक हे ◌ाती अब तक। तम ु ु ठ0क से पहचान भी नह@ं पाते अपने बाप को । इतजाम कर लो ।खेतीबा◌ार@ क जमीन तो होगी ह@ । बाप के जीवन के लये इतना भी नह@ कर सकते तो ठ0क है जाओ अपने बाप से मल लो । फर मलना हो पायेगा क नह@ ? 135

मोलकचद साहब हर@ को आवाज दे ते हए ु बोले ले जा इस लड.के को घरह ु ू से मलवा दो उसका बेटा है । uवण-बद@गह ृ का फाटक पकड. कर खडा हो गया । बाप बेटे दोनI क आखI से तर तर आंसूं बह रहे थे। घरह ु ू बेजबान हो चका था और शर@र अधमरा सा । आखI क ु ु बाढ गवाह@ दे रह@ थी भोगी हई ु यातना क । uवण बाप क हालत दे खकर बेचैन हो उठा। वह सीधे मोलकचद साहब के पास गया और आंसू पोछते हए ु बोला - साहब कस पाप का द:ड दे रहे है मेरे नरपराध बाप को । मोलकचद-ह>या के जम ु मM तेरे बाप बद है । तम ु नह@ जानते हो Pया ? दे खो बहस करने का समय नह@ है । अपने बाप को मौत के मंुह से नकालना चाहते हो तो मेर@ बात ]यान से सनो -आtखर@ मौका है । कछ कर ु ु सकते हो तो कर लो। जात भाई होने के नाते तमको ु बारह घ:टे क और मोहrrत दे रहा हंू । चक ू गये तो मझ ु े दोष मत दे ना। बेटा चक ू गये तो घरह ु ू को फांसी हो जायेगी ह>या का जम ु है ]यान रखना। घरह ु ू के फांसी पर झलने के बाद तQ ू ु हारे खानदान क नाक कट जायेगी eबरादर@ मM यह भी याद रखना । कोई शाद@ sयाह तक नह@ करना चाहता खनी ू के खानदान मM । uवण थाने क हवालात मM बद बाप को शा◌ाWटांग णाम कया । uवण अपने बाप से बोला बापू आसंू पर काबू रखI और भगवान पर 'वgवास वह@ इस मौत के 136

कये से नकालेगा । बापू जान क बाजी लगा दं ग ू ा ु तमको कैद से छड ु ु .◌ाने के लये कहते हए ु वह आंतर@ थाने से घर आया । मां के आसंू और छोटे भाई बहनI के 'वलाप ने उसे झकझोर =दया ।मां के चरणो मM शीश झकाकर वह गांव के घर घर जाकर दखड ु ु .◌ा रोया पर दस हजार जैसी भार@ भरकम रकम का इतजाम नह@ हो पाया । सरज ढलने लगा था वह नराश नीम के नीचे ू बैठा हआ आसंू बहाने को बेबस था । uवण को रोता ु हआ दे खकर छोट@ बहन रोती हई ु ु एक 7गलास पानी लेकर आयी ।पानी का 7गलास uवण को थमाते हए ु बोल@ भइया तम ु इतना रोओगे तो हम सब कैसे जीयेगे । वह बहन के हाथ से पानी लेकर जrद@ जrद@ पेट मM उतारा फर क बे के बडे. साहकार के पास पहंु चा । रोया 'वलखा ू अपनी पगड.◌ी साहकार के पैरI पर रख =दया । ू साहकार बोला-बेटा uवण तQ खनी ु हारे बाप घरह ु ू पजार@ ु ू ू नह@ हो सकते म- जानता हंू । रह@ बात दस हजार Lपये क तो वो म- जबान पर कैसे दे सकता हंू । दस हजार से अ7धक क मत का कोई सामान 7गरवी रख दो,Lपया ले जा◌ाओ uवण-सेठजी इतनी भार@ क मत का तो मेरे पास कछ भी ु नह@ है । साहकार -दे खो समय बबाद ना करो । कसी धमा>मा के ू पास जाओ। मै तो साहकार हंू 7गरवी रखकर ह@ रकम ू 137

दं ग ू ा । सद ू भी बाजार भाव से कम नह@ं लंग ू ा । सौदा पटे तो Lपया मल सकता है वरना और कह@ं दे खो । uवण-सेठजी म- गर@ब हंू । चार बीघा खेती क जमीन है । आधी मM गेहू ं बोया हआ है । इतनी पैदावार नह@ होती ु क साल भर रोट@ का इतजाम हो जाये ।आंख खा◌ुल@ नह@ तब से मेहनत मजदर@ =दनI ू मM लग गया हंू । कछ ु से vवालयर =दrल@ रे लवे लाइन =दहाड.◌ी मजदर@ ू करके बाप का हाथ बटा रहा था । न जाने कसक नजर लग गयी

हमारे परवार पर । बापू को खन ू के इrजाम मM

फंस

गये है । सेठजी मेरे बापू के बारे मM तो आप

अfछ0 तरह से जानते है ।कई बार तो आपक पजा भी ू करवाये है । साहकार -जानता हंू तभी तो तQ ु हार@ मदद करने को तैयार ू हंू वरना आज के जमाने मM दस हजार दस लाख के बराबर है इतनी बडी रकम कौन दे ता है कज मM । आजाद@ मले अभी महज उनतीस साल ह@ हए ु है । दे श कंगाल@ के दौर से गजर रहा है । अपने ह@ अपने को ु ठग रहे है । बेगुनाह को गनाहगार बनाया जा रहा है । ु घसखे ◌ार@ का दौर चल चका है । मै कैसे सद@ ू ु ू Lपया दे दं ू eबना चल या अचल सQपत के 7गरवी पर रखे । अरे घोड.◌ा घास से दो ती कर लेगा तो जीयेगा कैसे। वह तो बेमौत मर जायेगा। दे खो बेटा आtखर@ बार कह रहा हंू Lपया तभी दे सकता हंू जब तम ु कोई सQपि>त 7गरवी 138

रखो । य=द 7गरवी रखने क सQपत नह@ है तो तम ु जाओ । ना मेरा समय खोटा करो ना अपना । दे खो दकान बद करने का समय हो रहा है । मनीमजी को ु ु भी तेरहवीं का भात खाने जाने है । जrद@ करो जो कछ ु करना है । uवण-सेठजी दो बीघा खेत गेहू ं क अधपक फसल से भरा है । उसे 7गरवी रखकर सद@ रकम दस हजार दे ू दे ◌ा । साहकार -दो बीघा गेहू ं वाले खेत के साथ परती खेत को ू भी रखोगे तब रकम दे पाउ◌ू◌ंगा । कल Lपये नह@ दे सके तो मेरे पैसा कहां से

वसल ु होगा ।

मरता Pया न करता uवण चार गवाहI क उपि थत मM हामी भर =दया । सहकार -जमीन के कागजात कहां है । ू uवण-घर पर ह@ है । सहकार -कागज लाओ । ू uवण भागता हआ घर गया जमीन का कागज लाकर ु साहकार के सपद ने मनीब से ु ु कया । तब साहकार ु ू ू

टाQप पेपर मंगवाया । टाQप पेपर पर uवण का अंगठा चार गवाहI क उपि थत मM लगवाया । सार@ ू कागजी कार वाई पर@ ने मनीब ू हो जाने के बाद साहकार ु ू को दस हजार Lपया दे ने का हP ु म =दया । दो बीघा गेहू ं क अधपक फसल और दो बीघा परती खेत 7गरवी 139

रखकर Lपया लेकर uवण घर गया । Lपया रात भर छाती से लगाये रखा◌ा । सरज उगते ह@ uवण दो ू रgतेदारो

के

साथ

आंतर@

थाने

पहंु चा । ट@ आई मोलकचद जैसे uवण का इतजार ह@ कर रहे थे । वे उसे दे खकर बोले uवण तम ु तो आ गये । पहले ये तो

बताओ इतजाम हआ क नह@ । घरह ु ू को कोट मM पेश ु करना जLर@ हो गया है । तीन =दन तक तो थाने मM खातरदार@ हई ु अब नह@ हो सकती । कोट क पेशी के बाद केd@य जेल जाना होगा । खनी को बड.◌ी जेल मM ू ह@ रखा जाता है ।जrद@ बोलो uवण बेटा दे खो मंुशीजी सार@ कागजी कार वाई पर@ ू कर चक ु े है ।अब तQ ु हारे उपर है क अपने बाप को मौत के मंुह मM ढकेलते हो या घर ले जाते हो । uवण पोटल@ मोलकचद क तरफ बढाते हए ु बोला लो साहब मे◌ालकचद-परेू तो है ना ? uवण- 7गन लो साहब । दे र मत

करो । मेरे बापू को

छोड. दो । मे◌ालकचद-कह रहे हो तो मान लेता हंू । अपने वालI का 'वgवास तो करना ह@ पड.ता है । कहते हए ु मोलकचद ने हवलदार को पकारा । ु हवलदार आया ट@ आई मोलकचद साहब को सrयट ू करते हए ु बोला येस सर । Pया हP ु म 140

मोलकचद-घरु हू को छोड. दो । अंधेक>ल का कातल कोई और है । घरह करने वाला आदमी ु ू जैसा पजापाठ ू खन ू कैसे कर सकता है कहते हए ू के नीचे म ु करा ु मंछ उठे । uवण अपने बाप घरह ु ू को लेकर घर चलने को मड ु .◌ा इतने मM टे ल@फोन घनघना उठा । मंुशी ने रसीवर उठाया । दसर@ ओर से आवाज आई साहब से बात करवाईये । ू मोलकचदसाहब

मंश ु ी

से रसीवर रसीवर थामते हए ु घरह ु ू को जrद@ भाग जाने का इशारा कया । घरह ु ु ,uवण और साथ आये दोनो लोग थाने से भाग खड.◌े हए ु । तब मोलकचद साहब बोले◌े हे लो कौन बोल रहा है । दसर@ तरफ से आवाज आयी म- कQपू थाने का इंचाज ू बोल रहा हंू । आप जrद@ आ जाये । मोलकचद- जLर@ काम नपटा रहा हंू नह@ आ सकता । दसर@ तरफ से आवाज आयी साहब म- लपेटचद,थाना ू इंचाज बोल रहा हंू । आप आ जाइये ।बहत ु जLर@ काम है । मोलकचद-कस केस मM तलब कर रहे ह- जनाब । थाना इंचाज-एPसीडे:ट का केस है । मे◌ालकचद-मेरा Pया लेना दे ना आपके थाने के केस से । थाना इंचाज-है साहब । तांगे से फलबाग के ठ0क सामने ू आपके बेटे का एPसीडे:ट

हो गया है । 141

मे◌ालकचद-नवीन कैसे है । थानाइंचाज- पांट डेथ हो गयी । मोलकचद-मेरे गनाहो का द:ड बेटे को मल गया । ु थानाइंचाज-Pया ? मे◌ालकचदसाहब-कछ ु नह@ म- जrद@ पहंु चता हंू । मो◌ालकचद,ट@ आई साहब बेटे क मौत के गम से उबर ह@ नह@ पाये थे क कQपू मM बने लाखI के मकान मोलकचदभवन पर करायेदारI का कsजा हो गया । कछ ह@ म=हनI मM नौकर@ से हाथ धो बैठे । एक 'वपि>त ु से उबर नह@ पाते दसर@ मM घर जाते । कछ सालI मM ू ु खानदान न तानाबत से जोड.◌ी गयी ू हो गया। घसखोर@ ू अकत दौलत का पहाड. 'वपि>त क आंधी मM पता ह@ ू नह@ चला कहां उड. गया । मोलकचद भीखार@ हो गये । लोग उहे दे खकर कहते मोलकचद साहब गर@बो का खन ू नह@ पचा पाये । गर@बI क आह मM बबाद@ के शोले होते है । मोलकचाद साहब इस शोले के चपेट मM आ ह@ गये ।फज के साथ गदार@ खब ू कये । भगवान क लाठ0 से आवाज नह@ उठती । हर गनाह का द:ड भगवान ने ु दे ह@ =दया मोलकचदसाहब को। उधर घरह ु ू बेटा uवण के साथ रे लवे लाइन पर =दहाड.◌ी मजदर@ ू करने लगे दाल रोट@ का इतजाम होने लगा । एक =दन vवालयर-=दrल@ रे लवे लाइन के कनारे खदाई ु के दौरान उहM खजाना मल गया । उनक आ7थक 142

ि थत बहत ु अfछ0 हो गयी । वे दरdता से उबर कर अकत र@ क बदौलत ू ू दौलत के मालक बन गये । घसखो राजा बने मोलकचद गल@-गल@ भीख मांगने को मजबरू हो गये । गनाहI के द:ड को बोझ ढोते ढोते आtखरकार ु एक =दन लावारस अव था पलस को मM मरे पडे. मले । ु मोलकचद क लाश को पहचानकर गोपाल सा◌ाहब बोले बहत मोलकचद साहब का। ु अत हआ ु बरा ु मोहनसाहब-हां गोपाल साहब मोलकचदसाहब 1976 मM हमारे अ7धकार@ थे जनसेवा के नाम पर जनता क म/ ु ठ0 मM आग ह@ परोसे। काश उ◌ू◌ंची कसq पर 'वरािजत लोग ु कछ ु सीख जाते । गोपालसाहब-ठ0क कह रहे

है

मोहनसाहब य=द ऐसा

चम>कार हो गया तो घसखोर@ Lपी दै >य का अत हो ू जाएगा।

गEड या का sयाह याह ु .या काहो बेटवा कब आये शहर से । गEड ु .या के sयाह के =दन आ रहे हो ।एकाध म=हने पहले आना था। मायाद@न-काका राह चलते संदेश पछ ू रहे हो । मठाई-लो बेटा कछ दे र तQ ु हारे साथ गपशप कर लेता हंू ु । काम इतना फेल गया है क मरने क फस ु त नह@ है ।कटाई दवांई तो हो गयी पर भसा ढोने को पड.◌ा है । ू नह@ ढो गया तो आंधी उड.◌ा ले जायेगी ।उपर से गडी ृ का sयाह । 143

मायाद@न-काका गडी करने लायक हो गयी ।कल क ु बfची इतनी बड.◌ी हो गयी । मायाद@न कछ बोल पाता ु इतने मM ' या आ गयी और बोल@ अरे

बाबा को टट@ ू

खाट पर बैठा =दये हP ू क नह@ । बातI ु का तQबाकू पछे मM ह@ मvन हो गये । मायाद@न- हP ु का तQबाकू का हाल मै। Pया जानंू ।मैने तो कभी खाया पीया ह@ नह@ कहते हए ु सधना बी=टया को बलाकर मीठा पानी दे कर हP ु ु का चढाकर लाने को बोले । सधना-पापा है :डपाइप पानी बार बार छोड. रह@ है ।वाrव कट गया होगा । म- कये से बाबा के लये ठ:डा पानी ु लाती हंू । मायाद@न-काका गडी कह रहे थे ु के sयाह के बारे मM कछ ु । मठाई-हां बेटा अपने को तो

भगवान ने बी=टया =दया

नह@ । अब पोतयI का sया कर गंगा नहां लंग ू ा । मायाद@न- ेम को कतनी बे=टयां हो गयी है । मठाई-बेटा अभी तो चार है ।आगे भगवान क म=हमा । मायाद@न-काका गडी ु कतने बरस क हो गयी क sयाह के नाम पर उसक मटठ0 मM आग भरने जा रहे हो । ु मठाई-ये Pया कह रहे हो मायाद@न । पोती का sयाह करने जा रह@ हंू । उसक 7चता मझे ु है । 12 बरस क हो गयी है । मायाद@न-सच काका तम ु गडी ु क म/ ु ठ0 मM आग भरने 144

जा रहे हो । तम ु गडी ु का कल तबाह करने जा रहे हो । काका गडी ु का sयाह नह@ तम ु अपराध करने जा रहे हो ।रोक दो sयाह गडी ु के साथ अयाय ना करो काका । मठाई-Pया कह रहे हो ।सना है कछ =दन पहले हमार@ ु ु गडी से बहत छोट@ लड.क के sयाह मM म\ी तक ु ु आशqवाद दे ने गये थे ।हमार@ गडी ु तो बारह से उपर क होगी ।जातवाद,भमह@नता ऐसी बीमारयां जो शे◌ा'षतI ू वं7चतI म/ ु ठ0 मM आग भर रह@ है । जीवन का असल@ सख छन रह@ है । उनका तो कानन eबगाड. ह@ ु ू कछ ु नह@ पा रहा है । तब तक तुम बाल 'ववाह रोकने वाले कानन अपनी eबन ू क दोहायी दे रहे हो । बेटवा तमको ु मां क भांजी का sयाह बहत ु पहले कर दे ना था । स ते मM नपट जाते । उनीस साल क हो जाने पर sयाह करने जा रहे हो । मायाद@न-हां काका मेर@ भांजी गEड ु .या क मां के साथ जो अयाय हआ वह तो गEड ु .◌ा के साथ नह@ होने दं ग ू ा ना ु । बेचार@ बहन असमय मर गयी । बहनोई ने दसर@ शाद@ ू कर ल@ । बेचार@ गEड ु .या को घर से नकाल =दया ।बाप क गलती बेट@ को भगतना पड.◌ा मेर@ बहन का ु बाल'ववाह न होता तो अभी नह@ मरती ।बहन को मरे अ/ठारह साल हो गये । भांजी गEड ु .या को जमे उनीस । समय कतना जrद@

बदल जाता है । हम आंख

फाड.◌े दे खते ह@ रह जाते है । 145

मठाई-ठ0क कह रहे हो बेटा । परQपरायM तो तोड.ने के लये बनती है पर लोग दQभ मM न तोड.ते ह- ओर न तोड.ने

दे ते



ऐसी

ह@

परQपराये

है

जातवाद,'वधवाजीवन,बाल'ववाह एवं और भी बहत ु सी बर@ ु परQपराये है जो सmय समाज के माथे पर दाग है ।समाज और शासप शासन ईमानदार@ से काम कया होता तो ये सामािजक बर@ ु परQपराये ना जाने कब क ख>म हो गयी हो । आज भर भर म/ ु ठ0 आग का एहसास



कराती

।क थाओं ु

के

ख>म

होने

से

स>ताधारयI को नकशा न होगा ना इसीलये तो सार@ ु सामािजक क † ु याओं को वाथ का आPसीजन =दया जा रहा है तथाक7थत uेWठजात और uेWठ समाज के नाम पर और कल ु क थोथी परQपरा के नाम पर । मायाद@न-काका तम ु तासे बात तो समाज बदलने क कर रहे हो ।काका तमने गडी के भ'वWय के बारे मM नह@ ु ु सोचा । नह@ गडी ु का sयाह करना यायसंगत है Pया काका । अरे काका तम ु जैसे सोच वालI के लये तो सामािजक क थाओं को कचल दे ने के लये कमर ु ु कसकर आगे आना चा=हये ।क थाओं को उखाड.कर ु फकने का वPत आ गया है ।इन बर@ M ु परQपराओं से फस ु त पाओ । समाज को आदमी को आदमी होने का सखभोगने लायक बनाओ । सभी अपने पैर पर खड.◌े हो ु मान सQमान के साथ जीयM । क थाओ को कचल दे ना ु ु 146

चा=हये, सांप के फन जैसे न बांस रहे ना बांसुर@ बाजे काका । मठाई-हां बेटवा बात तो अfछ0 बता रहे हो । मायाद@न-काका लाग पढ लख रहे है । दनया ने खब ु ू तरPPी क है ।काका क थाओं को से नजात तो पाना ु ह@ होगा । कब तक 'वषमतआवा=दयो क परोसी म/ ु ठ0 भर आग के नशान पर आंसू बहाते रहे गे । खद ु को कमर कसना होगा तभी बराईयां दरू भागेगी । काका ु बराईयI के दमन का वPत आ गया है ु

।जमाना तेजी से

बदल रहा है काका । मठाई-बेटा जमाना तो मझे नह@ =दखाइ◌्रर ् ु बदलता हआ ु पड. रहा है । एक बाrट@ पानी बाबू साहे ब के कय ु M से एक बाrट@ पानी आज भी नह@ ले सकते ह।- बाबू साहे ब अंजर@ भर पानी क जगह जातवाद के कलछले से ु ु अंजर@ M अपने दे श से शायद ह@ ु मM आग भर दे गे ।क थाय ु ख>म हो पाये । बड.◌ी-बड.◌ी कस ु यां तो जातवाद क बैसाखी के सहारे तो नेता लोग कबाड. रहे है । जातवाद के शकार तो हम सभी है । अखबारI मM अ>याचार का काला

7च/ठा

बला>कार,कह@ं

तो जते ू

रोज

ह@

चXपल

छप

रहा

पहनकर

है



नकलने

कह@ं पर

तबध कह@ दr ू हे को घोड.◌ी पर चढ.ने पर तबध इतना ह@ नह@ कूलI मM बfचI को अलग अलग भोजन परोसा जा रहा है जबक यह योजना तो सरकार क है 147

यहां भी जातवाद । बेटा कूलI मM जातवाद क थाओं ु का ह@ तो नतीजा है । बेटा तQ ु हारे साथ Pया अfछा हआ है । तम ु इतने पढलखकर भी जातवाद का दं श ु झेल रहे हो । तQ ु हार@ तरPका बा7धत कर द@ है सामतवा=दयI ने । मायाद@न-काका म- भी दं श झेल रहा है । आपक बात मे सfचाई है पर काका हाथ पर हाथ धरे बैठने से भला तो नह@ होने वाला है ना । पहले अपने घर से शLवात ु करनी होगी । मठाई-बेटा तQ ु हार@ बात तो म- समझ गया । मेर@ गडी ु का sयाह Lकने से तो न बाल'ववाह क क था ख>म ु होगी ना ह@ जातवाद । मायाद@न-काका Pया कह रहे हो बाल'ववाह के पीछे जातवाद है ? मठाई-हां बेटा।असल@ जड. तो जातवाद ह@ है ।िजस =दन जातवाद मट जायेगा ससार सामािजक बराईयां मट ु जायेगी । पहले तो चार साल से छोटे बfचI का sयाह भी हो जाता था । कभी कभी तो बfचा पैदा होने से पहले बात पPक हो जाता थी । कमजोर तबके के लोग जrद@ से जrद@ अपनी बेट@ को जातपत ू को सौपकर गंगा नहाना चाहते थे । मायाद@न-ऐसा PयI काका ? मठाई-मां बाप

का

अपनी 148

इTजत

बचाने

के लये

बाल'ववाह करना जLर@ हो गया था । बेटा छोट@ eबरादर@ के लोगI के सामने यह@ एक सरYZत उपाय था िजससे ु उनक बहन बे=टयI क इTजत बचायी जा सकती थी ।बेटा जब दे श गलाम था तब भी कमजोर तबके के लोगI ु पर गाज 7गरती थी आज भी उन पर ह@ 7गर रह@ है ।शो'षत आज भी आजाद नह@ है और नह@ सरYZत है । ु पराने समय मM तो चारI तरफ से भेEड.या छोटे लोगI क ु इTजत पर कpिW ट जमाये रहते थे । खैर आजकल ु थोड.◌ा कम तो हआ है अ>याचार पर वं7चतI को सQमान ु से जीने का हक तो नह@ मल सका है । भले ह@ कतने कानन ू बने हो पर सfचाई तो यह@ है क छोटे eबरादर@ के लोगI पर अ>याचार कम नह@ हआ है । बेटा जब ु अं2ेजो का राज था और जमीदारI क तती बोलती थी ू तब बाल'ववाह हम कमजोर तबके लये अपनी इTजत बचाने के लये अfछ0 परQपरा थी । मायाद@न-काका तQ ु हार@ बात सन ु कर मझे ु बाल'ववाह के रह य का पता चल गया पपरतु काका पराने जमाने मM ु अं2ेजI का राज था सामतवा=दयI के अ>याचार करने क पर@ ू छट ू थी अब तो दे श आजाद हो गया है काननी ू तौर पर सबको बराबर का हक है । मठाई-काका सब कागज मM कैद है । जातवाद और L=ढवाद@ क ु थाओं का चलन तो यह@ कहता

है ।

भमह@नता और दरdता तो कमजोर तबके क छाती पर ू 149

आज भी सांप क तरह लोट रह@ है

। बेटा जब तक

जातवाद ख>म नह@ होगा भारतीय समाज मM सामािजक बराईया ख>म नह@ हो सकती । चाहे बाल 'ववाह हो या ु कोई और क था । ु मायाद@न-काका तQ ु हार@ बात मM सfचाई तो है आने वाला समय जातवाद को नकार दे गा । आने वाल@ पीढ@ जातवाद के चk`यह ू मM नह@ उलझेगी उसके सामने तो बस एक ह@ लiय होगा उTजवल भ'वWय ।यह@ लiय सार@ क थाओं को रौद दे गा । जातवाद क द@वारे ढहा ु दे गा । हमे भी तो अपनी ओर से पहल करनी होगी । जातवाद के tखलाफ बाल'ववाह के tखलाफ औ◌ैर दसर@ ू बराईयI के tखलाफ एक होना होगा । ु मठाई- हां बेटा । सामािजक सQमान के लये तो जLर@ हो गया है । मायाद@न-'वoान के यग जवान है ु मM सामािजक बराई ु बडे. दभा ु vय क बात है । मठाई-बेटा

जातवाद

के

साथ

ह@

'पत ृ

स>ता

मM

बाल'ववाह को बढावा दे रह@ है ।जातीय बड.पन वंश और ना भी ढे रI अहं कार क बलबेद@ पर बे=टयां चढ रह@ है ।अतजातीय 'ववाह क राह मM जातीय दQभ बड.◌ी Lकावट

है

।जातवाद

सामािजक

समानता,सदभावना

पनपने नह@ दे रहा है । बेटा जातवाद पर जोरदार हार हो जाये तो बाल'ववाह क क था ख>म हो जायेगी । ु 150

मायाद@न-'ववाह दो आ>माओं का प'व\ मलन न होकर जातीय दQभ और खानदानी तWठा का सौदा हो गया है । मठाई-हां बेटवा । मायाद@न-काका

लोग

बाल'ववाह

और

जातवाद



बराईयI को समझने लगे है । बदलाव तो आयेगा । ु मठाई-अभी श=दयां लगेगी ।कानन ू का पालन करवाने वाले भी तो कसी ना कसी जातीय दQभ के वशीभत ू होते है ।जात के तराजू पर आदमी को पहले

तौला

जाता है कानन ू का पायजामा बाद मM पहनाया जाता है । तभी तो आजाद@ के इतने बरसो◌े◌ं बाद क थाय M और ु L=ढयां ख>म नह@ हई ु है । मायाद@न-धीरे धीरे सब सामय हो जायेगा भेदभाव क द@वार ढह जायेगी । काका जातवाद बहत बीमार@ ु ु परानी है ।दे खो न आजकल कोट मरे- ज का चलन शL ु हो गया है । ेम 'ववाह भी अि त>व मM आने लगा है । इसके कठराघात से जातवाद और दहे ज भी नह@ बंच पायेगा ु काका । मठाई-बेटा सजातीय ेम'ववाह को ह@ कछ मायता ु मल पाती है । 'वजातीय ेम'ववाह तो खनखराबे क ू दा तान लख रहा है ।बेटा सजातीय 'ववाह दहे ज जैसी क था का पोषक भी तो है । ु मायाद@न-काका

बहत ु

घमावदार ु 151

बात

कर

रहे

हो

।बाल'व◌ाह जातवाद को बढावा दे ता है और जातवाद दहे ज था को



मठाई-हां बेटा एक बराइ◌् र दसर@ बराई को ह@ जम ु ू ु दे गी ना । य=द बराईयI से बचना है तो बराई को ख>म ु ु करना होगा । मायाद@न-काका आपके कहने का मतलब है क भारतीय समाज मM सा◌ी बराईयI क जड. जा'व◌ाद है । ु मठाई-हां बाल'ववाह रोकना है तो जातवाद ख>म करना होगा ।अब म- चलता हंू बहत ु काम पड.◌ा है । मायाद@न-काका हP ु का तो पी लो । मठाई-बेटा मझे ु जाने दो । मेर@ आंख खल ु गया है । काश जातवाद के दिQभयI क खल ु जाती । मायाद@न-Pया कह रहे हो काका । मठाई-ठ0क कह रहा हंू बेटा । मायाद@न-मतलब मठाई-बेटा तम ु गEड ु .या क डोल@ उठाने का इतजाम करI और म- गडी क डोल@ रोकने का । बाल'व◌ाह ु रोकना है ना बेटवा ।

घरोह@ कतर@दे वी-बेटा सतqलाल तQ ु ु हार@ घरोह@ सांप eबfछू क ु

थायी नवास हो गयी है । कछ लोग तो भतहाघर ू ु कहने लगे है ।आसपास वाले का तो अतkमण भी शL ु हो गया है । 152

सतqलाल -काक ‡गह क तंगी क वजह स दरू बस ु झोपड.◌ी डालकर रहले लगा क भाईयI को घर बनाने क जगह बनी रहे । 'पताजी ना जाने कौन से परदे स चले गये क लौट कर आये । दं बगो ने छल बल के भरोसे सार@ खेती क जमीन हड.प लये ।बीसा भर घरोह@ थी उस पर भी नजर आ =टक है ।Pया कLं काक । कतर@दे वी-तेरा दd समझती हंू । तेरा बाप को दबंगो ने ु दे श नकाला दे =दया। पख:डी लेखपाल ने सार@ जमीन लप पोत द@ । पख:डी ने तQ ु हारे बाप का जीना मिg ु कल कर =दया था ।बेचारे अ>याचारयI के खै◌ा◌ंफ से गांव छोड. =दये फर कभी ना लौटे । सतqलाल -काक पराने घाव ना खरच । घरोह@ के बारे मM ु ु ु कछ ु कह रह@ थी । कतर@दे वी-बेटा तू कहता तो तQ ु हार@ घरोह@ क खाल@ ु जमीन पर गोबर पाथ लया करती । परवार क जमीन पर दसरे कsजा कर रहे है । दे खा नह@ जाता । तQ ू ु हार@ घरो◌ी क 7चता मझे ु सता रह@ है । बेटा म- नह@ चाहती क कोई कsजा करे । अगर मेर@ बात अfछ0 लगे तो मझे ु गोबर पाथने भर क जगह दे दो । सतqलाल -काका घरोह@ तो मां बाप क नशानी है । ु जमभम तो जान से Xयार@ होती है कैसे दे दं ू । ू कतर@दे वी-म- एकदम से थोड.◌े ह@ मांग रह@ हंू । बस ु 153

गोबर पाथने भर को मांग रह@ हंू इससे तQ ु हार@ घरोह@ क रखवाल@ हो जायेगी । अगर ऐसा ह@ रहा तो एक =दन सब आसपास वाले कsजा कर लेगे हाथ मलते रह जाओगे । सतqलाल -कैसे कोई हड.प लेगा चार नीम के पेड. मां बाप ु क यादे है । कतर@दे वी-बेटा दे ख तेरे भले क सोच रह@ हंू घरोह@ का ु तेरे पास कोई कागज तो नह@ है ।म- पर@ ू दे खभाल कLंगी तनका 7चता ना करना । कसी को भर आंख दे खने तक नह@ं दं ग ू ी ।बस मझे ु गोबर पाथने और गोL चउवा बांधने क इजाजत दे दो बेटा सतqलाल । मान जा मेर@ ु बात ।बाप दादा क इतनी बड.◌ी खेतीबार@ चल@ गयी बीसा भर घरोह@ है वह भी कोई कसी =दन हड.प लेगा । सतqलाल -काका डर लग रह@ है । मां बाप आ>मा उसी ु घरोह@ मM बसी होगी । कैसे तमको स‚प दं ू । ु कतर@दे वी-बेटा तेर@ घरोह@ तेर@ रहे गी । हमM कsजा नह@ ु करना है । म- तो बस इतना चाहती हंू क तQ ु हारे बापदादा क नशानी बची रहे । सतqलाल -काक गोबर पाथने मM गोLचउवा बांधने मM कोई ु =दPकत नह@ है पर तेरे बेटो ◌ं क नयत मM खोट आ गयी तो ।काक चार बीसा जीमन है घरोह@ क । कतर@दे वी-ना बेटा ना मेरे बेटे मेर@ जबान कभी नह@ ु काटे गे । 154

सतqलाल -काक खन ु ू के रgते क हो दे खना 'वgवास नह@ तोड.ना । dqrjhnsoh&;dhu dj csVk Aखन ू

के रgते क छाती मM भाला

घोपकर Pया चैन से मर सकगी ।बेटा मझे ु नरक जाने ू का कोइ◌्रर ् इरादा नह@ है नह@ तQ ु हार@ घरोह@ हड.पने को । परवार को इसलये तमसे अपने मन क बात कह ु द@ । दे ना ना दे ना तQ ु हार@ मजq घरोह@ तो तQ ु हार@ है । सतqलाल -तेर@ जबान का 'वgवास तो म- कर लंूगा पर तेरे ु बेटे तेर@ जबान काट =दये तो । कतर@दे वी-बेट@ ऐसी नौबत नह@ आयेगी ।मैतुQहार@ म/ ु ठ0 ु मM आग नह@ भLंगी नेक के बदले । सतqलाल -पाथ ले गोबर बांध ले गोL चउवा पर काक ु नयत खराब नह@ करना । अगर नयत खराब क तो मेर@ घरोह@ पर कोई सख ु से नह@ रह सकेगा । एक गर@ब का {हम महत ु ु मM कहा गया वाPय खाल@ नह@ जायेगा । कतर@दे वी-हां बेटा जानती हंू आजकल तQ ु हार@ जबान पर ु {हमा बैठते है । तQ ु हार@ 'वgवास नह@ टटे ू गा । सतqलाल -'वgवास तोड.ने वाले हमेश तकल@फ मM रहते है ु । यहां तक क द@या ब>ती करने वाले नह@ बचते काक तू तो जानती है इतहास भी गवाह है । जा तमको गोबर ु पाथने भर के लये घरोह@ का उपयोग कर काक । कतर@दे वी-सखी रह बेटवा कहते हए ु ु ु घर गयी । आसपास वालI को सनाते हए ु ु दरू से आवाज लगाते हए ु बोला ला 155

धोखू बेटा फरसा सतqलाल ु

क घरोह@ के सामने का

घासफस सांफ कर दे कल से यह@ गोबर पाथना है । ू गोLचउवा भी यह@ बांधेगे । धोख-ू Pया कह रह@ हो माई सतqलाल भईया गोबर पाथने ु दे गे Pया ? कतर@दे वी-हां Pये◌ा◌ं नह@ घ:टा भर से तो सफारस कर ु रह@ थी सतqलाल क । मानता नह@ तो Pया करता ।ऐसी ु घEड.याल@ आंसू रोयी हंू क उसका =दल पसीज गया है ।एक =दन ये घरोह@ अपनी होगी धोखू ।◌ी◌ाले ह@ खन ू बहाना पड.◌े । धोख-माई भइया क घरोह@ अपनी कैसे होगी । कतर@दे वी-चपकर मरख कोइ◌्रर ् सन ु ू ु लेगा । घासफस ू ु काटकर साफ कर और कचरा सतqलाल क बंसवार@ मM ु डाल दे । बंसवार@ को भी कsजे मM एक =दन लेना है । धोखू-मां तू तो अपनी मोहरे चलती रहना हमे तो झा◌ूला डालने के लये नीम का पेड. मल गया । नागपंचमी के =दन यह@ झला डालंूगा । सतqलाल भइया के बfचे◌ा◌ं ू ु को भी लाकर झलाउ◌ू ◌ंगा । ू कतर@दे वी-जो करना =दल खोलकर करना ।अब तो तमको ु ु करना बाक है । मझे ु जो करना था कर द@ ।अभी तो मेरा हाथ बंटाओ । फरसा से जमीन जमीन छल कर बरोबर कर दो । म- ख=टया डालने के लये गोबर डाल दे ती हंू । दो घ:टे भर मM तो कतर@दे वी ने eबrकु ल साफ ु 156

कर द@ । मां का हाथ मशीन क तरह चलता दे खकर धोखू बोला सब काम आज कर डालोगी Pया माई । कछ कल के ु लये भी तो छोड दे । म- तो थक गया हंू । कतर@दे वी-कल सतqलाल बदल गया तो । साफ सफाई हो ु ु गयी चार खांची घरू मM से गोबर उठाकर ला बेटा आज कछ ु उपले बनाकर खड.◌ा कर दे ती हंू । धोखू-ठ0क है माई जैसा कहो वैसा कLंगा । कतर@दे वी ने शाम होते होते गोबर पाथकर उपले भी ु खड.◌े कर लये ।दसरे =दन से तो आसपास वालI का ू आनाजाना बद करने लगी जैसे सती] ु ्रलाल क घरोह@ उसने खर@द ल@ हो ।आसपास वालो को कतर@दे वी का ु नयत मM खामी =दखी ।हर आदमी कतर@दे वी से पछता ू ु Pया सतqलाल ने घरोह@ तमको दे द@ । ु ु कतर@दे वी- हं सहं सकर हां मM जबाब दे ती । ु कतर@दे वी आसपास वालI का सवालो से वह तंग आकर ु रात के अं7धयारे मM है रान परे शान का वांग रचकर सतqलाल के पास पहंु ची । ु सतqलाल बोला Pया हआ काक कसी से झगड.◌ा करके ु ु आ रह@ हो । कुतर@दे वी-हां बेटा दे खो हर=हया और उसके परवार के लोग मारने के लये दौड.◌ा रहे है बीच घरोह@ से रा ता मांग रहे है । 157

सतqलाल -काक बीच घरोह@ से रा ता कैसे दे सकते है ु ।बाप दादा क नशानी कसी को कैसे हड.पने दं ग ू ा । कतर@दे वी- बेटा तू 7चता ना कर कसी क दाल नह@ ु गलने दं ग ू ी तू तो बस चार छः बासं मझे ु दे दे । बांस का पैसा भले ह@ ले लेना । म- दे दं ग ू ी फोकट मM नह@ मांग रह@ हंू सतqलाल ।बाउ:डर@ बना दे ती हंू । हरमजादो का ु रा ता बद कर दे ती हंू ।दे खती हंू कौन Pया करता है । अरे राहजनी तो नह@ मची है क कोइ◌्रर ् कसी क घरोह@ पर जबद ती कsजा कर लेगा । सतqलाल -काक ऐसे कैसे हो सकता है क म- बीच घरोह@ ु मM से रा ता दे दं ू । कतर@दे वी-बेटा तू 7चता ना कर तेर@ घरोह@ क ओर ु कोइ◌्र आंख उठाकर मेरे जीते जी दे ख भी नह@ सकता है । सतqलाल -चल दे खता हंू कौन मेर@ घरोह@ के बीच से ु रा ता मांगता है । कतर@दे वी-ना बेटा तू ना चल तू तो वेसे ह@ मसीबत का ु ु मारा है । म- दे ख लंग ू ी । तू तो बस कछ ु बांस दे दे । सतqलाल -जा काक बंसवार@ से िजतना बांस लगे बाउ:डर@ ु मM काट ले । काक अकेला आदमी कस कस से झगड.◌ा कLंगा । कतर@दे वी-बेटा झगड.◌ा लड.◌ाई से कछ ु ु मला है । कसी के बाप क जमीन तो है नह@ क जो मंुह उठाकर आये 158

तम ु उसे दे दो । सतqलाल -जा काक मेर@ बंसवार@ से बांस काटकर कर लो ु बाउ:डर@ । कछ नीम के पौधे लगाकर आया हंू ◌े भी ु बंच जायेगे ।बकर@ नह@ खायेगी बाउ:डर@ हो जाने से । कत ु र@दे वी-बाउ:डर@ हो जाने से उपले भी उधमी बfचे नह@ तोडे.गे । ओसाई मड.◌ाई का काम भी कर लया कLंगी । सतqलाल -ठ0क है काक कर लेना । ु धीरे धीरे दस साल eबत गये । कतर@दे वी का बेटा धोखू ु बालबfचेदार हो गया । कतर@दे वी के मन मM पाप घर कर ु गया वह एक =दन गोधल बेला मM रोनी सरत बनाकर ू ू सतqलाल के घर गयी और बोल@ बेटा एक मंड.ई डालने ु क इजाजत दे दो जब तमको जLरत होगी तो हटा लंग ु ू ी । सतqलाल -काक मेरे भी बाल बfचे है चार भाईयI का ु परवार है आज बाहर हे कल आयेगे तो उनको भी तो जLरत होगी घर}ार क । कैसे मंड.ई रखने दं ू । ना काक ना मंड.ई तो रखने क बात ना करो । कतर@दे वी गरज कर बोल@ मंड.ई तो डालकर रहंू गी ु ।दे खती हंू कैसे रोकता है । सतqलाल -काक तू Pया कह रह@ है मेरे बाप दादा क ु 'वरासत तो यह@

घरोह@ बची है । उस पर भी तम ु

जबरया कsजा करने क कह रह@ हो ।काक घरोह@ तो 159

हमारे लये दे व थान के बराबर है । तू हड.पना चाह रह@ हो । इसके लये तो मेर@ लाश पर से तमको गजरना ु ु होगा । कतर@दे वी-सत ु या जLरत पड.◌ी तो वह भी कर सकती हंू ु ।घरोह@ पर मेरा कsजा है पर@ ू ब ती जानती है जोर जोर से 7चrला 7चrलाकर कहने लगी । सतqला ल- काक मेरे बाप दादा क आtखर@ नशानी पर ु तेर@ 7ग]द नजर पड. गयी ।काक मेर@ यक न को ना तोड. मैने तेरे उपर 'वgवास कया तू धोखा दे रह@ है । सतqलाल क बात सनते ह@ कतर@दे वी झठमठ ु ु ू ू मM जोर ु जोर से रोरोकर कहने लगी दे खो ब ती वालो सतqलाल ु मझे ु बेइTजत कर रहा है । मेर@ साड.◌ी फाड. रहा है । झठमठ ू ू मM बखेड.◌ा खड.◌ाकर रोते हये ु अपने घर क ओर भागने लगी ।ब ती वालो कतर@दे वी क करतत ू पर ु थू-थू

कर

रहे

थे



दसरे ू

=दन

सबह ु

अfछे ,कfछे ,सपत,जीवा,घसन बदमाश ु जैसे और कछ ु क म को लेकर सतqलाल क बांस क खंट ु ू @ से ढे र सारे बांस काट@ और सतqलाल क घरोह@ पर मड.ई रखकर ु जबरया कsजे क तैयार@ कर ल@ ।कतर@दे वी क करतत ू ु क भनक सतqलाल को लगी वह घरोह@ पर गया । ु कतर@दे वी उसे दे खते ह@ हं सया लेकर मारने दौड. पडी । ु कतर@दे वी के आदमी लाठ0 ड:डा लेकर मारने के लये ु दौड. पड.◌े । बेचारा सतqलाल जान बचाकर भागने लगा ु 160

। इतने मM एक बड.◌ा से ˆट का टकड ु .◌ा उसके सर पर लगा और सर से खन ू क धार फट ू पड.◌ी । वह बड.◌ी मिg मM लथपथ ु कल से जानबचाकर घर पहंु चा। खन ू दे खकर सतqलाल क घरवाल@ और उसके बfचे रोने लगे ु ।उधर कतर@दे वी अपना sलाउज साड.◌ी फाड.कर थाने ु पहंु च गयी । बेचारा सतqलाल गांव के धान और अय ु बाबू लो◌ागे◌ा◌ं के सामने अपने बापदादा क आtखर@ नशानी पर कतर@दे वी के जबरया कsजा हटवाने क ु गहार लगाया पर गर@ब क कसी ने न सनी । कतर@ ु ु ु दे वी सतqलाल के tखलाफ छे ड.छाड. का केस कायम करवा ु द@ । पलस भी सk य हो गयी । कतर@दे वी का कsजा ु ु हो गया । सतqलाल क घरोह@ पर जबरया कsजा करके ु कतर@दे वी ु

मददगारI और असामािजक त>वI को भोज

भी दे द@ । सतqलाल के सारे ु

यास 'वफल हो गये । धान और

बड.◌े लोग सतqलाल को डांटते कहते तम ु ु छोटे लोग तनक तनक बातI मM लड.ने मरने लगते हो । भगते ु कौन भगते कहता मने को - तो कतर@काक ु गा । सतqलाल ु ु खन ू के रgते क वजह से उसक मदद कया था पर काक ने तो मेर@ घरोह@ छनकर बेईमान के 7चमटे से मझे ु म/ ु ठ0 भर आग =दया है । Pया यह@ याय है । बाबू लोग कहते जैसा कये हो भरो जब कतर@दे वी को ु गोबर पाथने क इजाजत =दया था तो कसी से पछा था ू 161

। आज फंसी है तो बाबू लोग याद आये है । सतqलाल ु कतर@दे वी के बने ु जाल मM एकदम फंस गया । उसका ु ट/ट@ पेशाब के लये भी घर से बाहर नकलना मिg ु कल हो गया । कतर@दे वी जान से मारने ु

तक सािजश रच

चक थी । एक =दन सतqलाल ह>थे चढ. गया । ु ु कतर@दे वी के ग: ु डे पीछे पड. गये । वह आगे पीछे मौत ु को दे खकर =हQमत करके खड.◌ा हो गया । कतर@दे वी ु सादा कागज लेकर आयी बोल@ ले सतqलाल अंगठा ु ू लगा नह@ तो जान से जायेगा या जेल मM सडे.गा पलस भी ु आती होगी । सतqलाल बोला-काक कैसे अपने परखI से गhदार@ कर दं ू ु ु । कतर@दे वी- पलस को आता दे खकर जोर से बोल@ बदमाश ु ु एक तो बर@ काक कहता है । दे खो ु नजर डालता है दसरे ू कैसे भींगी eबrल@ सर@खे बोल रहा है । इतने मM पलस ु के

दो

जवान



हवलदारसाहब मजरम ु

गये



कतर@दे वी ु

बोल@

लो

आ गया है पकड. मM । यह@

बला>कार क कोशश करने वाला सतqलाल ।साहब मेरे ु साथ बहत ु सलक ू कया मेरा sलाउज फाड. =दया मु बरा इTजत बचाकर भागी थी । सतqलाल -साहब ये काक मेर@ घरोह@ हड.पने के लये ु सािजश रची है । मां समान काक को बर@ ु नजर से दे ख सकता हंू । 162

हवलदार-PयI बे तू सह@ कह रहा है । सतqलाल -हां ु

साहब

eबrकुल

सह@

कह

रहा

हंू



कतर@काक मेर@ ह@ घरे ◌ाह@ पर मेर@ ह@ बंसवार@ से बांस ु काटकर जबरया कsजा कर रह@ है । हवलदार-Pया ? सतqलाल -हां साहब । ु कतर@दे वी-साहब सत ु या झठ ू बोल रहा है । मै अपनी ु जमीन पर मड.ई डाल@ हंू । ये सारे लोग है पछ ू लो साहब हवलदार-वहां हािजर एक एक से पछे सभी ने कहां ू कतर@दे वी क घरोह@ है । ु कतर@दे वी- और गवाह@ तो नह@ चा=हये साहब ु हवलदार-दे खो सतqलाल सलहा कर लो । Pयो जेल मM ु ु सड.ना चाहते हो बला>कार का केस है । कागज पर अंगठा ू लगा दो । सतqलाल क कोई सनना वाला न था वह ु ु

आगे खाई

पीछे मौत दे खकर रोते हए अंगूठा लगाते हये बोला ु ु कतर@काक हमार@ घरोह@ तमको आंसू के अलावा और ु ु कछ न दे गी । बाप दादा क 'वरासत मM छोड.◌ी गयी ु घरोह@ पर कतर@दे वी का जबरया कsजा हो गया । ु हवलदार बोला कतर@दे वी मालकाना हक भी तQ ु हारे पास ु है । हमे साहब के सामने हािजर होना है । समझ गयी । कतर@दे वी न हवलदार को साहब के सामने हािजर होने ु 163

क शिPत जेब मM भर म/ ु ठ0 डाल द@ । हवलदार लोग मछ पर हाथ फेरते हए ू ु थाने क ओर चल पड.◌े । तनक भर मM भीड. छं ट गयी । कतर@दे वी के उपर दै वीय कोप शL वी ु हो गये । कतर@दे ु ु के बेटे धोखू क बढौती क लाठ0 टट ु ू गयी। बेटा धोखू पागल सा हो गया । कतर@दे वी को जीते जी क ड.◌े पड. ु गये । बहत भर भर अंजर@ ु भोगकर मर@ । सतqलाल ु ु ु दख यश बटोर रहा था । कतर@दे वी क सािजश मM शामल ु वह@ लोग जो सतqलाल के उपर लांछने लगवाये थे घरोह@ ु पर कतर@दे वी का कsजा करवाये थे वह@ लोग यह कहते ु नह@ थक रहे थे क बेईमानी नरक के }ार खोलती है । दे खो सतqलाल का {हममहत मM कहा गया {हम वाPय ु ु खाल@ नह@ गया । नेक और सfचे आदमी क मदद ईgवर करते है , मतलबी आदमी भले ह@ बhनयत के 7चमटे से PयI न ईमानदार,सfचे और कमठ आदमी क म/ ु ठ0 मM आग भरे ।

गज भर कफन धनया दाद@ मर गयी । यह खबर परेू गांव मM जंगल क आग क तरह फैल गयी।वह@ तो थी एक धनया दाद@ जो कसी के घर नात=हत आने या परदे सी के आने क खबर सनकर तर ु ु त पहंु च जाती थी भले ह@ बहु बेटे भला बरा ु कहे । इससे वे बेखबर रहती थी PयIक बेटे बहओं का भला बरा क आदत जो पड. गयी थी । ु सनने ु ु 164

घर मM उनक कोइ]्र सनने वाला भी तो न था । जगु ु दादा साल भर पहले ह@ तो धनया दाद@ को छोड.कर भगवान के पास चले गये । जगु दादा के मरते ह@ धनया दाद@ के इतने बरेु =दन आ गये थे क भर पेट रोट@ के लये तरसने लगी थी दो दो जवान कमासत ु बेटे के रहने के बाद भी कभी कभी तो फांके मM =दन eबताने पड.ते थे पर धनया कसी से कछ न कहती । औलादM ु सख क रोट@ दे ने बजाय बेचार@ 'वधवा धनया दाद@ ु हाथI पर जैसे आग परसती हो । बेचार@ चपचाप औलादI ु का जr ु म सहती रहती । तदL ु त और खश ु रहने वाल@ धनया दाद@ पर जगदादा के मरते ह@ मसीबतI का पहाड. ु ु 7गर पड.◌ा ।बेटे बहये ु एकदम से नजर फेर लये ।इह@ बेटI के लये धनया दाद@ संयP ु तपरवार से अलग हई ु थी । दनया क सभी स'वधाये अपने बेटो को उपलsध ु ु कराती थी ।बेटI क नादानी को जगदादा क नह@ पहंु चने ु दे ती थी । जगदादा शहर मM अfछ0 नौकर@ करते थे । ु धनया दाद@ बेटI के आगे बढने के लये हर सQभव यास करती दोनो बेटI को बड.◌ा अफसर बनाना चाहती थी ।दो बेटे ह@ तो थे बेट@ एक भी न थी दहे ज का भय भी न था । बस यह@ उhदे gय था क बेटे पढ.लखकर बडे अफसर बन जाये। जगदादा भी बेटI क हर फरमाईश ु परा ू करने के लये एक पांव पर खडे रहते थे ।धनया दाद@ भी तनक कम ना थी बेटI के खाने क भर थाल@ 165

मM तैरता घी उहे सकन दे ता था । वह@ बेटे जr ु म पर ू उतर गये ह/ठ0 क/ठ0 धनया दाद@ भख ू से मर गयी । जगदादा रटायरमे:ट के बाद गांव आकर खेती करने लगे ु थे । बंजर भम मM भी अनाज पैदा करने लगे थे । ू Lपया बेटI पर खच करते रहे पर कोई उQमीद पर खरा नह@ उतरा । धीरे धीरे सारा Lपया सरक गया ।जगु दादा क आंखे ने धोखा दे नेलगी और घटने भी भार उठाने मM ु थकने लगे ।इसके बावजद खेती के कामI मM ू भी जगदादा ु लगे रहते । धनया दाद@ बार बार समझाती पर वे नह@ मानते कहते जब तक हाथ पांव चल सकता है तब तक चलाउ◌ू◌ंगा । जगदादा से दसरI का बरु ा नह@ दे खा जाता ु ू था । जहां बराई दे खे झट उठ खड.◌े हो गये । सबह ु ु शाम हP ू गड ु .गड ु .◌ाते थे हां खाल@ समय मM भी ु का खब तनक परहे ज नह@ करते थे ।कभी कभी धनया दाद@ से नोकझIक हो जाती थी तो वे बोलना बद कर दे ते थे पर धनया दाद@ जहां खाने क थाल@ आगे रखे ग ु सा दरू कहते Pया तू आज मझे ु खश ु करने के लये `यंजन बनायी है । बहत ु ू आ रह@ है भले ह@ चटनी रोट@ ु खशब ह@ PयI न हो । धनयादाद@ कहती अरे पहल@ बार तो नह@ं बनायी हंू । तQ ु हार@ रोट@ बनाते बनाते आंख भी जबाब दे रह@ है । जगदादा - अरे हमे कहां अंधेरे मM =दखता है । ु धनयादाद@- खाना खाओ । हमM तो =दखता है ।दे खो अब 166

ना आंख =दखाना । म- लड.ने क मड ू . मM तनक भी नह@ हंू । जगदादा -भागवान हमे◌े◌ं Pया सींघ जमी है क लड.◌ूगा ु वह भी तमसे कल से रोट@ बद कर द@ तो।कसके ु सामने हाथ फैलाउ◌ू◌ंगा । अब तो खाना tखला द@ एक और उपकार कर दे । धनयादाद@-वह Pया

?

जगदादा -हP ु ु का भागवान और Pया

?

धनयादाद@-रोट@ पेट मM गयी नह@ हP ु का क तलब । जगदादा -खाने के बाद हमे ह@ नह@ तमको भी लगती है । ु ु जरा जrद@ ला दे खेत दे खकर आता हंू । धनयादाद@-हP ू ु का पी लो थोड.◌ी आराम करो PयI बढ@ हEƒडयI को थरू रहे हो ।बहू बेटो ने ठकरा =दया जीवन ु क आtखर@ बेला मM । अपनी तदL ु ती का भी तनक Hयाल रखा करो । ख=टया पर पड. गये तो कौन पछे ू गा। दो रोट@ के लये न तवान हो जायेगे ।आंख से वैसे ह@ कम =दखाई दे ने लगा है ।बढौती क गाड.◌ी खद ु ु को खींचना है कोई सहारा दे ने वाला नह@ है ।बेटवा पतोहंू तो जैसे सर मM जू नकाल कर फक चक M े वैसे ह@ फक M ु े है । जगदादा -अरे ◌े Pयो कल क सोच कर आज परे शान हो ु रह@ है ।इतने बरेु तो अपने कम नह@ रहे क ख=टया पर पड.◌े पड.◌े ररकेगे । भगवान क मजq के सवाय कछ ु नह@ होने वाला है । वह@ जैसा चाहे गा वैसा करे गा । 167

हमने बेटI के पालन पोषण शZाद@Zा मM कोई कमी तो नह@ छोड.◌ी वह@ द>ु कार =दये तो और कसका भरोसा करे भगवान के अलावा ।जब तक हाथपांव चल रहा है तब तक को चलाते रहना होगा पेट परदा चलाने के लये। आtखरकार धनयादाद@ को जगद ु ादा क बात माननी ह@ पड.ती जगदादा भी तो ततकसंगत बात करते ु थे । धनयादाद@ ह@ Pया परेू गांव के लोग उनक बात मानते थे । धनयादाद@- तदL ु ती दे खकर काम कया करो ।शर@र को आराम तनक =दया करो । जगदादा -आराम अपनी क मत मM लखा होता तो बेटे ु दगा दे ते कहकर हP हवा मM उड.◌ा दे ते और ु ु का का धंआ धनया दे ती से कहते भागवान गम को कम करने के लये =दल दखाने वाल@ बातI को ऐसे ह@ उड.◌ा =दया ु करो । जगदादा क आखे बढौती के सहारा क रकम अपनी ु ु तदL ु ती पर खच करवाकर तनक रोशनी दे ने लगी थी । आंखI के आपरे शन के बाद जगद ु ादा और धनया दाद@ क गह के पेट ु ृ ती क गाड.◌ी खींच रह@ थी क जगदादा मM अचानक

जानलेवा दद शL ु हो गया । गांव के

नीमहक मI क दवा बहत ु =दनI तक खायM कोई आराम नह@ हआ । थक हारकर मेहनगर के पास एक डांPटर से ु इलाज

शL ु करवाया । मह@नI के इलाज के बाद कोई 168

आराम नह@ हआ तब डांPटर ने आपरे शन क सलाह द@ ु दद मM तड.प रहे जगदादा आपरे शन करवाने को तैयार हो ु गये । आपरे शन हो गया पर Pया घाव सखने क बजाय ु पकना gु◌ाL हो गया । दे खते ह@ दे खते क ड.◌े पड. गये परा ू पेट सडं.ने लगा ।जगु दादा नीम हक म के चPकर मM फंसकर एक =दन दनया को अल'वदा कर गये भरा ु परा ू परवार होने के बाद भी धनयादाद@ लावारस हो गयी । बेचार@ धनया दाद@ के उपर मसीबतI का पहाड. 7गर ु पड.◌ा। जगदादा के कमाये अन धन से धनयादाद@ ु जगदादा का kयाकम परा के मरते ह@ ु ू क । जगदादा ु धनयादाद@ बीमार रहने लगी । रोट@ बनाये तो खाये कोई :क 7गलास पानी तक दे ने वाला नह@ था जबक बेटे बहंू सब एक ह@ हवेल@ घर मM रहते थे । पहल@ 'पत'वसज न ृ के =दन बेटे बहओ क राह ताकते ताकते थक गयी तो ु खद दौड.धप कर बाजार हाट से सरसमान लाकर ु ू जगदादा के पसद क `यंजन बनाकर दोनी नकाल@ थी ु जबक यह 'वधान बेटे◌ा◌ं

को सQपन कराना था ।

बेटो ने तो एक घंूट पानी भी नह@ 7गराया बाप के नाम पर । मसीबत क मारने धनयादाद@ को लाचार कर =दया । ु बेटे बहओ का जr ु म बढने लगा उसी धनयादाद@ पर ु िजसने सार@ पंज ू ी बेटI को राजा बनाने के लये वाहा 169

कर द@ थी आज वो रोट@ के लये तरसने लगी थी ।जगदादा क चोर@ बेटI को एक Lपये क जLरत होने ु पर दो दे दे ती ।आज वह@ धनया पेट क भख से ू तड.पने को 'ववश थी । धनया दाद@ क ददु शा दे खकर ब ती वालI ने दोनो बेटो कशन और eबहार@ को खब ू लताड.◌ा



कशन

और

eबहार@

दोनI

अपने

साथ

धनयादाद@ को अपने साथ रखने को तैयार न थे ।आtखरकार धनयादाद@ के बंटवारा हो गया हफते हफते भर के लये दोनो के बेटI के बीच पर धनयादाद@ को दो चार =दन तो फांके करने ह@ पड. जाते थे । बासी-तवासी रोट@ धनयादाद@ को मलती । धनयादाद@ को लगता कटोर@ मM रोट@ नह@ म/ ु ठ0 भर आग परोसी हो पर Pया करे पानी मM गील@ कर पेट मM डाल लेती पर कसी को भनक तक नह@ लगने दे ती थी । हP ु क तQबाकू क शौक आसपड.◌ोस मM बैठकर परा ू कर लेती थी । धनयादाद@ मह@ने भर बीमार रह@ । कोई दवादाL का इतजाम नह@ कया बेटो ने न ह@ उनके खानपान पर ]यान =दया । बेचार@ पेट मM भख ू लये मर गयी । दोने◌ा◌ं बहये कर रो रह@ थी । दोनो बेटे दो ु ु गणगान तरफ मंह ु करक बैठे थे । धनयादाद@ का मत ू ृ शर@र धप मM सख ू रहा था । आकाश मM चील कौवे मड.रा रहे थे । दोनो बेटा दाहसं कार के िजQमा एक दसरे पर थोप रहे ू थे । कफन दफन के खचb से बचने क कोशश कर रहे 170

थे । गावं वाले◌ा◌ं क कशन और eबहार@ क नयत का पता लग गये वे धनयादाद@ के कफनदफन के लये चदा इP/ठा करने मM जट ु गये । इसी बीच सरतीनाथ ु ने कहै या को भेजकर धनयादाद@ के मरने क खबर उसके भाई छमL तक पहंु चा द@ । खबर लगते ह@ छमL चार आदमी के साथ आ गये । भांजI क बेLखी और बेगानापन दे खकर दं ग रह गये ।गांव वाले धनयादाद@ के मतदे ृ ह का अितम सं कार बनारस ले जाकर करने क पर@ ू तैयार@ कर चक ु े थे । छमL गांव वाले◌ा◌ं के त आभार गट करते हए ु बोले मेर@ बहन मर@ है । म- सारा खच वहन कLंगा । भांजI ने तो लाश को 7ग]द कौवI को दे ने का इतजाम कर लया था । कछ ह@ दे र मM गाड.◌ी आ गयी । धनयादाद@ के मतदे ु ृ ह का अितम सं कार बनारस मM हआ । भाई छमL ने ु मखािv न द@ । ु ब ती वालI एक दसरे से कह रहे थे Pया जमाना आ ू गया है अपनी औलाद जीते भख ू से तड.पातड.पाकर मार रह@ है और मरने पर गज भर कफन तक दे ने को राजी नह@ं हो रह@ है । कैसे बढौती कटे गी भगवान ु

?

मां बाप औलाद से यह@ उQमीद करते है क उनक लाश प\ ु के कंधो पर gमशान तक जाये । इसी =दन के लये तो खद ु तकल@फ सहते है औलाद तक दख ु क परछाई भी नह@ पहंु चने दे ते है । औलादे खद ु को बचाकर बढे ू 171

,लाचार मां बाप के कांपते हाथI मM म/ ु ठ0 भर भर आग परोस रह@ है । गांव वालI क बाते सनकर पहलू काका बोले मां बाप ु धरती के भगवान होते है उहे दख ु दे ने वाला कभी भी सखी नह@ रह सकता । भगवान के घर दे र है अंधेर नह@ ु भगवान सब कछ दे खता है । जr ु म करने वाला खद ु ु गवाह होता है जैसी करनी वैसी भरनी । एक ना एक =दन कये का फल मलेगा । कशन और eबहार@ ने जो कया है उसको दे खकर कफन भी कराह उठा होगा । ऐसी औलादे रहने से बेहतर है क आदमी बेऔलाद रहे । औलाद के गज भर कफन के लये मां क लाश तरस गयी ।

भगवान ऐसी औलादM कसी को दे ना कहते हए ु पहलू काका बाढ. रोकने के लये आंखI पर गमछा डाल लये।

मरते सपने चd काश खल@ आंखI से ु

Hवाब दे खने वाला `यिPत

था ।उसे बेरोजगार@ और 'वषमता का अनभव काफ ु नद@क से था ।वह शZा भी वह 'वपर@त परि थतयI का मकाबला करके ह@ लया था ।चd काश खल@ आंखI ु ु मM Hवाब और 'वषमता क मटठ0 भर आग मM सलगता ु ु हआ आगे बढने का अथक यास कर रहा था । रात ु =दन क मेहनत और पेट मM भख थतयI ू लेकर कटपरि ु मM भी उसने कई 'वषयI मM दZता के साथ तकनीक 172

योvयता भी हासल कर लया पर नौकर@ उससे अछत ू समझकर दरू भागती रह@ या भगा द@ जाती रह@ । उj के ब>तीस से अ7धक बसत eबत जाने के बाद एक छोट@ सी नौकर@ तो मल@ ।चd काश क सामािजक और आ7थक दशा दयनीय थी हां शैZtणक Lप से तो काफ सp ु ढं हो गया था । इसके लये उसे =दन मM मेहनत मजदर@ ू करनी पड.◌ी रात मM पढाई

। उसक

मेहनत कामयाब रह@ वह काफ उfच योvयताये हासल कर लया ।छोटे कमचार@ चd काश क उfच शैZtणक योvयता दिQभयI और तथाक7थत‰रे Wठ लोगI के लये उपहास क 'वषयव तु के अलावा और कछ ु

न थी ।

चd काश चदन के पेड. क भांत सप| के झ: ु ड मM कम उजल@ सवास छोड.ने का अथक यास करता पर ु दQभी लोग छोटा मानकर धकया दे ते । छोटे -बड.◌े के भेद के 7चमटे से म/ M ु ठ0 भर आग चd काश पर फकने से भी तनक परहे ज नह@ं करते ।चd काश के Uदय पर से गांव के हादसI क छाप धल@ तो नह@ थी । शहर ु मे◌े◌ं नये घाव मल रहे थे परतु अपनी धन ु का पPका चd काश खल@ आंखI के सपने सच करने के लये ु आगे बढने क कोशश मM बढा ू हो रहा था । चd काश क

धन ु

मM

था-समता,सhभाना,परमाथ

शामल

बहजन=हताय और बहजनसखाय क सवमग ं ल कामना ु ु ु परतु उसक राह मM काटM eबछे हए ु थे श=दयI से । 173

चd काश जी'वत आंखI मM मरते हए ु सपने लेकर आगे बढने को `याकल था ।उ>पीड.न,दद ,अभाव और 'वषमता ु के घावI से लहलहान चd काश क आंखI खल@ आंखI ु ू ु का सच साफ साफ झलकता था। चd काश को आंख खलते ह@ गर@बी,भेदभाव,शोषण और ु उ>पीड.न जैसे 'वरासत मM मल गये थे । उसक ब ती के लोग खेतहर भमह@न मजदरू , सामािजक और आ7थक ू Lप से र‚दे हए ु ते eबिrलयI से ु थे ।सामािजक ि थत क> बर@ ु थी । तथाक7थत सामािजक Lप से उfच लोग के घर उनके वेश पर अप'व\ हो जाते थे िजहे पानी छड.ककर प'व\ कया जाता था । इन सार@ कर@तयां ु भी उसके जीवन पथ मM Lकावटे पैदा कर रह@ थी । घनौने तेवर =दखाने से बाज भी नह@ आ रह@ थी । मानवता 'वरो7धयI }ारा खड.◌ी द@वारे उसके बंशजI के अि त>व को न तानाबत थी परतु चd काश ू कर चक ु शZा के ह7थयार से खोये हए ु अि त>व को पाने के लये शल आंखI ू भर@ राहI पर 7गर7गरकर चल रहा था खल@ ु मM मरते हए ु को uेWठ ु सपनI को लेकर । तथाक7थत खद कहने वालI को अ>याचर करते दे खा अपने मां बाप के साथ । उसके =दल सार@ भयवाह यादे बसी हई ु थी जो बारबार भलाने क कोशश के बाद भी नह@ भलती थी । ू ू एक बार चd काश भस - चरा रहा था गलती से भस जमींदार के खेत क मेड. पर चल@ गयी । जमीदार 174

सेट@बाबू

ने

चd काश

को

जात

सचक ू

अनेके◌ा◌ं

गालयां द@ थी। सेटाबाबू क गाल@ सनकर चd काश के ु बाप जो पास के खेत मM काम कर रहा था बोल@ बाबू भस तो नह@ - है मेड. पर ह@ तो चढ@ है । कोइ◌्र नकशान ु क PयI गद@ गद@ गाल@ बेटवा को दे रहे हो । इतना सनना था क सेट@बाबू दौडकर अपनी हवेल@ गये दो हाथ ु क तलवार लेकर आये और चd काश के बाप दयाराम को जान से मारने के लये दौड.◌ा लये थे भला हो आसपास के खेत मे काम करने वाले मजदरI ू का जो इPटठा होकर दयाराम का बचाव कये थे ।सेट@बाबू क आंख मM तैरते खन ू क त वीर चd काश क आंखI से धधल@ भी नह@ हई थी क एक भयावह त वीर और जड ु ु . गयी हआ यI था क चd काश क मां रामरती जमींदार ु सरजनाथबाब M ू मजदर@ ू ू का गह ू पर काटकर ढो रह@ थी । बोझ सरजनाथ बाबू के खलहान ले कर आ रह@ थी ू उसका सर बोझ मM घस ु गया =दखायी नह@ पड. रहा था । बेचार@ अभा7गन

हसी जमीदारन के खेत मM पड. गया

। दWु ट हं सी जमीदारन ने रामरती के सर से बोझ जबद ती

रा ते

पर

पटकवायी

और

जोर

जोर

से

7चrलाकर अपने लड.को को बलायी खद ु ु और बfचI ने मलकर रामरती को बर@ ु तरह पीटा। मार मार कर नह@ भरा तो हसी ने मोट@ लकड.◌ी के ड:डे से उसके गद न पर ले तेरा गद न तोड. दे ती हंू न रहे गा गद न ना बोझ 175

ढोयगे । बोझ नह@ ढायेगी तो मेर@ खेती भी चौपट नह@ करे गी कहते हए ु जोर से मार@ । रामरती के गद न क हƒडी चटक गयी। बेचार@ रामरती जीवन भर गद न के दद से उबर नह@ पायी । आtखरकार कराह कराह कर मर गयी । बेचारा चd काश मां बाप के कठोर परuम और >याग के भरोसे पढ लखकर शहर गया जहां उसे गांव क L=ढयां चैन नह@ लेने दे रह@ थी ।नौकर@ क राह बार बार जातीयभेद क eबrल@ काट दे ती । सात बरस क लQबी बेरोजगार@ के 'वषपान और उ>पीड.न के बाद नहे से ओहदे क नौकर@ एक कQपनी मM मल गयी। नौकर@ पाते ह@ उसके मरते सपनI को जैसे जीवनदान मलने लगा था ।काफ पढा लखा चd काश नWठा और वफादार@ के साथ काम करता पर जातवाद का नर'पशाच यहां भी डंस रहा था । उसक बेह>तर कायशल ै @ और uेWठ सदाचारपण ू `यवहार मM भी दQभी शोषकI तनक रास न आती । चdŠरकाश तथाक7थत जातीय uेWठ और बड.◌े ओहदे दारI क आंखI का जैसे चैन छनने लगा था । तथाक7थत uेWठ लोग चd काश के बबादn के सपने बनने लगे थे । इस षणय\ मM uेWठता का ताज ु जबद ती अपने सर रखने वाला चपरासी रह@स

पहल@

पंिPत मM शामल हो गया था । चd काश क खल@ ु आंखI के सपने◌ा◌ं पर तलवार लटकने लगी थी । वह 176

खद ु को बेबस और अकेला महसस ू करने लगा था । उसक नौकर@ पर 7ग]द नजरे =टक हई ु थी । चd काश उदास रहने लगा था । उसक सम या का समाधान नह@ था । कसी ने कसी Lप मM भय और आतंक उसका पीछा कर रहे थे । छोटे से बड.◌ा ओहदे दार

उसे

उfचशYZत

च्रd काश

को

मरख ू

समझता जातीयता क आंधी मM बहकर ।च‹र काश के सामने यह कहावत झठ0 लगने लगी थी क असफलता ू अPसर नराशावाद@ pिWटकोण मM पायी जाती है असफल लोगI को काम और दनया से शकायत रहती है परतु ु यहां तो पढे लखे कमठ तथाक7थत जातीय छोटे एवं छोटे

ओहदे

पर

काम

करने

वाले

चd काश



उपि थत बेचैनी का कारण बनी हई ु थी। यह@ कारण चd काश क उनत के सारे रा ते अवL]द कये हुए थे । चd काश के साथ कQपनी Tवाइन कये लोग बडे. बडे. अफसर बन गये थे परतु चd काश वह@ं घस रहा था जहां Tवाइन कया था । शYZत पढM लखे◌ा◌ं और खद ु को uेWठ समझने वालI के उ>पीड.न से चd काश का चैन छनने लगा था । कभी कभी तो उसके HवाबI मM भयाह सािजशI क

त वीरे उभर आती वह नींद मM

बचाओ बचाओ 7चrला उठता था । उसक प>नी कमावती झकझोर कर जगाती । उसके माथे का पसीना पोछते हए ु 177

पोछती Pया हआ PयI घबराये हए ु सपना ु ु हो । कोई बरा दे खा है Pया ? वह कहता भागवान Hवाब दे खने भर तो अपनी चलती है । HवाबI मM ह@ तो जी रहे है पर वे भी अब मरने लगे है ।लगता है खल@ आंखI के Hवाब ु आसंओ ू ं मM बह जायेगे । चd काश के 'वचार सवमंगलकार@ थे वह कहता अfछे 'वचारI से हम खद ु पर उपकार करते है ।जब अfछे 'वचारI को जेहन मM जगह मलती है तो तकद@र संवर उठती है । आ>म 'वgवास बढता है और जीवन संवर जाता है परतु उसके जीवन मM तो बेअसर साeबत हो रहा है था । हां उसके जीवन मM मिg ु कलM बढ रह@ थी जातवाद और सामाराT ् यवाद / सामतवाद क फफकार ु से । चd काश मM एक िजद थी सfचाई कहने क । वह बेधड.क सfचाई कह दे ता था ईमानदार@ के साथ ।वह कहता जातवाद मनोवैoा◌ानक,सां कृतक और आ7थ यथथ है न क कोई अमत ू परघटना । जातवाद शो'षत पीEड.त जनता के tखलाफ एक य] ु द है िजसका उhदे gय कमजोर वग को डरा धमाकर अपने अधीन बनाये रखना है ।कमजोर वग को आदमी होने के सख ु से वं7चत करना है । चd काश कम मM 'वgवास और आदमयत को uेWठ धम मानता था परतु सामािजक 'वषमता के पोषको को यह तनक भी पसद न था । सामािजक 178

'वषमता के पोषक कम को पजा और आदमयत को धम ू मानकर जीवन पथ पर चलने वालI क राह मM गाड.ने से तनक भी नह@ =हचकचाते । आज के यग मM भी ु जातवाद और सामतवाद / साjाTयवाद कमजोर वग क उित मM बाधक है पर 'वषमता के पोषक मानते ह@ नह@ं ।जातपांत क कैद मM तभाये दम तोडती नजर आती तो है पर झठ0 'वषमतावाद@ आदमी ू शान मM डबा ू दोष कमजोर के माथे ह@ मढता है । निgचत Lप से समता के पजारयI }ारा बनाये गये सामािजक उ>थान ु और बदलाव के कायkम चनौतयI पर आधारत होते है ु िजनका

'वरोध

जातीयता

के

पोषक

करते

है



परणाम वLप सामािजक समानता कचल@ जा रह@ है । ु शो'षत पीEड.त `यिPत खल@ आंखI से मरते हए ु ु सपनI को दे खकर आतंकत ह- । शरे र् Wठता के दQभ मM डबे ू हए ु लोग शो'षत जनI क म/ ु ठ0 मM उ>पीड.न क आग शान के साथ जात क तगाड.◌ी से भर रहे है । यह@ आग वं7चतI को दे रह@ है सामिजक और आ7थक तबाह@ । च‹र काश को सामािजक बाधाये चैन से रहने नह@ दे ती । जातवंश ने दे श और समाज को बांटा है । जातवंश मM eबखि:डतI का पानी का Lप धारक लेना चा=हये । यह@ एकता नवयग नमाण का शंखनाद होगी परतु ु खल@ आखI का सच ये है क भेदभाव को धम मान बैठे ु ह- ।जातीय eबखराव दबे कचले समाज को अवनत क ु 179

ओर धकयाता जा रहा है । चd काश अफसर क योvयता रखने के बाद भी अदना सा कमचार@ था । इस सािजश मM जातवाद पर@ ू तरह से शामल था । उसके बार बार के यास को रौद =दया जाता । कछ दQभी ु अ7धकर@ तो यहां तक कहते सने ु गये क नीचI को उपर उठाना खद ु के पांव कr ु हाड.◌ी मारना है । जहां तक हो सके अपने बचाव करते हए ु ठ0 भर ु छोटI लोगो का म/ आग परोसते रहना चा=हये।इसी मM uेWठसमाज का भला है और उनक उित न=हत है । चd काश िजस कQपनी मM नौकर@ कर रहा था मरते हए ु सपनI क सQभावना क आPसीजन दे ते हए ु उसी कQपनी }ारा खाल@ पदI के लये आवेदन आमि\त कये गये ।चd काश को उसक सQभावनाये आकार लेती हई ु =दखने लगी । वह आवेदन कया परतु ह सार@ योvयताओं के बाद भी फेल हो गया uेWठकल ु और बडी. पहंु च के आग उसके सपने दम तोड. =दये ।कQपनी मM िजतने भी मौके आये सारे मौके चd काश गंवा बैठा सफ जातीय अयोvयता के कारण । एक साZा>कार मM खबuे ू Wठा साहब ने तो यहां तक कह =दया क तम ु इस कQपनी मM आ कैसे गये । चd काश के सर से उfच शैZtणक योvयताओं के बाद भी अयोvयता का अभशाप उतर नह@ रहा था । वह बेचैन रहने लगा था । एक =दन दफ् तर से तर कार 180

गहर@ चोट लेकर घर आते ह@ धड.◌ाम से 7गर पड.◌ा । चd काश क प>नी गीतादे वी घबरा गयी । फट फट ू ू कर रोते हए ु आंचल से हवा करने लगी ।चd काश के मंह ु से वर ह@ नह@ फट ू रहे थे । चdपकाश क दशा दे खकर गीतादे वी बोल@ -PयI दनया भर के दद पी जाते ु हो ।अरे दफ् तर मM तQ वाला नह@ है ते◌ा ु हार@ कोई सनने ु घर मM बाते कर मन हrका कर लेते । कागल पर लखकर मन को हrका कर लेते पर नह@ तम ु सारे गम पीने के आद@ हो गये हो । अरे 7चता क लपटI मM PयI झलसते रहते हो । गम पीना खतरनाक साeबत हो ु सकता है । म- समझती हंू तम ु सोचते हो क दफ् तर क बातI से घरवाले परे शान होगे । नह@ं इससे तQ ु हारा मन हrका होगा । =दल पर से 7चता का बोझ कम होगा । गीतादे वी क बाते सनकर चd काश क आंखे भरभरा ु आयीं। चd काश क आंखI से बहते आंसूओं को दे खकर गीतादे वी का मानो स{ का बांध टट ू गया ।वह अपनी और बfचI क कसम दे कर सार@ बात चद काश से उगलवाने क कोशश करने लगी । चd काश-भागवान मै रटायर होने क कंगार पर आ पहंु चा हंू पर मेर@ तरPक नह@ हई ु । मेरे ह@ साथ मM कQपनी मM आये लोग बड.◌े बड.◌े पद पर पहंु च गये है जातीय योvयता क सीढ@ से । मै जहां से चला था वह@ पड.◌ा हआ हंू । उपर से ताडना का शकार हो रहा हंू । ु 181

छोटे मैनेजर राजदरवेश साहब,क=टलनाथ ने तो जातवाद ु के नाम अपशsद कहे ,सािजशM रचे ,एस धोखावत अपशsद आ7थक नकशान पहंु चाने के साथ मेर@ ईमानदार@ पर ु अंगल@ भी उठाये । दे श के सबसे बड.◌े मैनेजर ु डां ए पी साहब ने तो आज यहां तक कह =दया क तम ु जैसे छोटे आदमी को बड.◌ा अफसर बनने क इतनी लालसा है तो गले मM बड.◌े अफसर क नेमXलेट लटका ले । अरे अपनी eबरादर@ क हालत PयI नह@ दे खता । तQ ु हारे लोग Pया कर रहे है । अन व \ को तरस रहे है । तमको तो भर पेट रोट@ मल रह@ है दफतर मM बैठ ु रहे हो । Pया इतनी तरPक कम है तम ु जैसे छोटे आदमी के लये ? गीतादे वी-Pया

? इतने बड.◌े मैनेजर के मंह ु से ऐसी

घ=टया बात । यह तो उfच शैZtणक योvयता के साथ अयाय और इंसानयत का क>ल है । अfछा तो आज आपक बेचैनी का राज खला है । दQभी अफसरI के ु उ>पीड.न से परे शान

रहते हो । अfछा पढा लखा होने

के बाद भी कQपनी मM आपक उनत नह@ हो रह@ है । उपर से नौकर@ से भगा◌ाने क भी सािजश रची जाती रहती है । उ>पीड.न और सािजश से परे शान होकर से आप एक बार बेहोश होकर 7गरे भी थे पर आपने झठ ू बोला था क एकदम उठकर चलने से ऐसा हआ था । ु वाह रे उfच ओहदे पर बैठे अमानष ु लोग कम को नह@ 182

जात को धान मानते है । चd काश-यह@ खल@ आंखI का सच है । मै जान ु सनकर उ>पीड.न का जहर पी रह@ है ु

ताक मेरे बfचे

आगे नकल सके । गीतादे वी- म- समझ गयी हंू अपने भ'वWय के मरते सपनI और आंखI मM आंसू लये परवार के लये सQभावनाये तलाश रहे हो । बहत ु बड.◌ी तप या कर रहे हो परवार के लये ।बहत ु उ>पीड.न सह लया डंटकर मैनेजमे:ट के आगे अपनी बात रखो । Pया होगा नौकर@ से नकाल दे गे ना। मेहनत मजदर@ ू और सलाई पराई ु कर परवार पाल लेगे । चd काश-भागवान कई बार अपनी बात रख चका हंू पर ु कौन सने रते रहते है ु गा । सभी तो नाग क तरह फफका ु ।कई बार अपमानत कर भगा =दया गया । मेरे भी मन मM 'वचार आया था क रजाइन कर दं ू पर बfचे◌ा◌ं का मंह ु दे खकर =हQमत नह@. पड.◌ी । हमने pढ तoा कर लया है क दे खता हंू ये अमानष ु कतना घाव दे ते है । आज के यग हमार@ कQपनी के जातवाद ु मM अमानषता ु के पोषक कछ अफसरI मM दे खी जा सकती है । िजनसे ु नत नया चोट मझे ु मलता रहता है । बfचI का भ'वWय उTजवल बने कराह कर आगे बढने क कोशश कर रहा हंू । गीता-बfचI को एहसास भी नह@ं होने दे ते हो अपने दद 183

का यह@ ना । चd काश-कोशश तो यह@ करता हंू पर नाकाम हो जाता हंू अब Pयोक हमारे बfचे अब समझदार हो गये है । आज क पीढ@ L=ढयI का दहन कर सामािजक समानता कायम करने मM कामयाब हो यह@ कामना हो ताक हर दबे कचले को तरPक का भरपरू अवसर मल ु सके। गीता-तQ ु हार@ बीमार@ को दे खकर गगन Tयोत ह@ नह@ नह@ कंचन भी समझने लगा है क पापा के साथ कह@ं ना कह@ं बरा ु हो रहा है पर पापा भनक तक नह@ लगने दे ते । चd काश -जानता हंू फर उसक सांस सदा के लये थम गयी। उसक खल@ आंखI के Hवाब Lक हई ु ु धड.कनI मM थम गये थे । चd काश के मौत क खबर दरू दरू तक फैल गयी । जातवाद के नाम जहर बोने वालI के कानI को यह खबर भी सकन दे रह@ थी एक योvय ,कम को पजा ू ू मानने और मरते सपनI मM भी सQभावनायM तलाशने वाले के साथ नाइंसाफ कर ।जीते जी चd काश का जनाजा दिQभयI ने तो कई बार नकाला था पर आज मरने के बाद नकल रहा था । यह जनाजा जमाने क खल@ ु आंखI के लये भयावह सच तो था परतु 'वषमतावाद@ शल ू बरसा रहे थे और अपनI क आखI से बरस रहे थे 184

आसंू

चd काश के बढे ू मां बाप गम के समदर मM

डबे ू ◌े 'वषमतावाद@ समाज से सवाल कर रहे थे - अरे जातवाद क म/ ु ठ0 भर आग से करोड.◌ो◌ं वं7चतI के सपनI का दहन कब तक करते रहोगे ?

लहू के नशान अरे चदा के पापा अखबार पढ रहे या अफसोस जा=हर कर रहे हो। तQ ु हार@ आंखे डबडबायी हई ु PयI है । भाvयलiमी चाय का Xयाला पत {हमद>त के सामने रखते हए ु बोल@ । {हमद>त-ठ0क कह रह@ हो भागवान । आदमी कतना बदल गया है ।दौ त पर सगे रgतेदारो से Tयादा यक न लोग करते थे । आज दो ती के दामन पर लहू के नशान छोड.ने लगे है आजकल के दो त । खद ु क खशी ु का कैनवास दो त के लहू से सजाने लगे है । भाvयलiमी- Pया कह रहे हो। सबेरे सबेर तो शभ ु शभ ु बोलो । {हमद>त अखबार सरकाते हए ु क आखI ु बोला लो खद से दे ख लो । यक दरदा दो त खद ु को मत ृ साeबत करने के लये दो त क ह>या कर द@ मोटे मोटे अZरI मM छपा है और साथ मM बेचारे चdशेखेर क फोटो भी छपी है । 185

भाvयलiमी-ये Pया हो गया । ये तो सतीश के रgते का भाई है । दरदM ने बेचारे को मार डाला । अfछा 7च\कार था । भला इंसान था ।अपनी चदा को बहन मानता था सतीश क तरह । हे भगवान कसाईयI को बहत ु मौत दे ना । दरदM बेसारे के बढे ू मां बाप क ु बर@ लाठ0 तोड. =दये उनके सपनI मM आग भर =दये । {हमद>त-अfछा 7च\कार था आगे चलकर दे श का नाम दनया मM रोशन करता। दो त क नजर लग गयी बेचारा ु बेमौत मारा गया । भाvयलiमी-सजनकार तो सचमच ु जगत का भला चाहने ृ वाले इंसान होते है ।दल पंच से इन लोगI का कोई लेना दे ना

नह@ रहता । सhभावना मM बह जाते है । खद ु का

भला बरा ु तक नह@ सोचते । {हमद>त-भोलेपन का शकार हो गया । कसी के

sयाह

मM गया था । sयाह के जgन के बाद उसे हा टल पहंु चना था पर वह दो त के यहां चला गया । दो त दरदा साeबत हआ । कैसा घोर कलयग ु आ गया है दो त ह>या ु करके जला =दया । लाश क जगह नरकंकाल पलस को ु बरामद हआ था । पलस क मह@ने भर क भागदौड. के ु ु बाद तो मामले पर छाये घने कहरे छं ट पाये है । ु भाvयलiमी- अखबार पढकर बताओ बेचारे

नरपराध

चdशेखर को कस वजह से मारकर जला =दये । {हमद>त-दरदे ये◌ागेश और संजय ने शराब मM जहर 186

मला =दया था । इसके बाद पीट पीट कर मारा था । भाvयलiमी-भगवान दरदI को इससे भी बर@ ु मौत दे ना । कोई दरदा पकड.◌ाया क नह@ । इहM कड.◌ी से कड.◌ी सजा मलने चा=हये । आजकल तो याय के मं=दर मM भी जाने अनजाने अयाय होने लगा है । पैसे वाले और शातर बच नकलते है । {हमद>त-दरदI कानन ू के हाथ से बंच तो नह@ पायेगे PयIक कानन ू के हाथ बहत ु लQबे होते है । हां यह बात मायने रखते है क कानन ू के रखवाले अपने फज पर कतने खरे उतरते है । दो दरदI पलस के ह>थे तो ु चढ गये है तीसरा दरदा अभी पलस को चकमM दे रहा ु है ।खैर बकरे क मां कब तक खैर मनायेग एक ना एक =दन दरदा पकड.◌ा तो जायेगा । यह तीसरा दरदा खनी संजय है जो मकान मानक का बेटा है िजस ू मकान मM चdशेखर क ह>या कर जलाया गया था । भाvयलiमी- बेचारे का दरदा Pया मार डाला

? Pया

eबगाड.◌ा था बेचारा चdशेखर । PयI मारा बेचारI को दरदI ने रह य से पदा उठा क नह@ं अखबार पढकर बताओं । {हमद>त-उठ गया है । भाvयलiमी- पढकर सनाओ =दल बैठा जा रहा है । ु {हमद>त-Pया सनाउ◌ू ? ु भाvयलiमी- अरे कस कारण से दरदI ने चdशेखर क 187

ह>या क । बढे ू मां बाप क लाठ0 तोड. द@ । जब ह>या के

रह य से पदा उठ गया है तो सब कछ तो छपा ु

होगा क नह@ ? {हमद>त-चdशेखर के क>ल के पीछे औरत है । एक औरत को पाने के लये यह क>ल हआ है । ु भाvयलiमी-Pया ? {हमद>त-ठ0क सनी ु है दे वीजी औरत के लये



भाvयलiमी-पर@ ू बात पढ.कर बताओ । {हमद>त-सनो दे वीजी । अखबार मM छपी खबर के ु अनसार मH ु ु य आरोपी संजय का ेम सQबध एक लड.क से है जो अब शाद@शदा ु है । उस लड.क को पाने के लये संजय ने यह खनी ू खेल खेला । भाvयलiमी- Pया ? {हमद>त-हां संजय उस लड.क के ेम मM पागल हो गया था । उसे पाने के लये वह कछ भी करने को तैयार था ु । वह खद साeबत करने के लये चdशेखर ु को मरा हआ ु को मार कर जला डला योगे और दसरे साथी के साथ । ू भाvयलiमी-बाप रे ऐसी सािजश ? {हमद>त-संजय क योजना थी क जब वह लोगI क नजरI मM मरा हआ साeबत हो जायेगा तो वह उस ु लड.क को कह@ और बला लेगा कसी को पता भी नह@ ु चलेगा

क

संजय

लेकर

भाग

गया



दभा ु vयवस

चdशेखर दो त के झांसे मM आ गया दो त संजय ने 188

शराब मM जहर मलाकर ह>या करके पेcोल डालकर जला डाला । भाvयलiमी-ऐसे दरदM से चdशे◌ेखर क दो ती कैसे हो गयी । दरदM न पढ रहे थे और नह@ हा टल मM रह रहे थे । कैसे दो ती हो गयी । दो ती के नाम पर दरदI ने कालख पोत =दया । दो ती जैसे पाक रgते को नापाक कर =दया । {हमद>त-संजय और योगेश कसी मोबाईल कQपनी मM काम करते थे ।मोबाईल के काम के सलसले मे चdशेखर को कई बार कQपनी जाना पड.◌ा

इसी

दौरान दो ती हो गयी । दो तI ने दो ती के कैनवास पर लहू पोत =दये । भाvयलiमी-चdशेखर दरदI के झांसे मM कैसे आ गया क sयाह से सीधे दरदI के जाल मM जा फंसा । {हमद>त-फोन करके बलाया था । ु भाvयलiमी-परा ू चk`यूह रच कर दरदI ने फाने कया होगा । {हमद>त-23 जनवर@ क रात मM संजय ने फोन कया था । रात के नौ बजे चdशेखर पहंु च गया ।दाL मM जहर मलाकर दरदI ने 'पला =दया । दाL 'पलाने के बाद सरये से सर पीट डाले । इसके बाद तीसरे माले पर ले जाकर जला डाले । कंकाल

के पास संजय अपना जता ू

छोड.कर फरार हो गया । 189

भाvयलiमी-ऐसा PयI कया खूनी । {हमद>त-ताक लोग समझे क संजय क ह>या हई ु है और नरकंकाल उसी का है । भाvयलiमी-=दल दहला दे ने वाल@ सािजश । बाप रे आदमी अपना =हत साधने के लये कैसा है वान हो जाता है यह तो संजय ने कर =दखाया। इससे तो पलस भी ु zमत हो गयी होगी । {हमद>त- पल =दन के लये । ु स zमत तो हई ु ु पर कछ जब पलस को पता चला क 23 जनवर@ से संजय ु लापता है तब पलस का माथा ठनका और जांच का Lख ु बदल गया ।पलस चdशेखर के रgतेदारI से जांच ु पडताल करने मM जट ु गयी । भाvयलiमी- आगे Pया हआ बताओं ना । ु {हमद>त-चdशेखर के भाई ने कंकाल के दांत को पहचान कर चdशेखर होने क पिW ु ट कर द@ । भाvयलiमी-एक 7च\कार के जीवन का अत कर =दया दरदI ने । बेचारा 7च\I मM रं ग रं ग भरते भरते बेरंग हो गया सािजश मM फंसकर वह भी दो ती के नाम । भगवान ऐसे दरदI को ऐसी जगह मारना क ररकररक कर मरM दो ती जैसे प'व\ रgते के कैनवास पर खन ू पोतने वाला संजय और उसके क>ल@ दो त । {हमद>त-चdशेखर को गहरे रं गI से बहत ु लगाव था । वह इह@ रं गI से कैनवास पर खेलते खेलते िजदगी को 190

उकेरता रहता था । बदक मत संजय के जीवन का सारा रं ग ढल ु गया । िजदगी ख>म हो गयी बेचारे क बची है तो बस यादे ओर बढे ू मां बाप क चीखे । जब ह>या के रह य से पदा उठा तो सहपाठ0 भी रो उठे । भाvयलiमी-एक नरपराध 7च\कार के लहू से दो ती के Pेनवास को रं गकर खनयI ने घोर अपराध कया है वह ू भी एक शाद@शदा ु ओरत के लये ।दरदे को इतना ह@ Xयार था तो पहले ह@ sयाह कर लेना था । भोले भाले मासम ू 7च\कार क जान PयI ले लये

?

{हमद>त- 'वनाश काले 'वपर@त बि] ु द । कबि] ु ु द ने ह>यारा बना =दया । दो ती के नाम पर धsबा लगा =दया । बेचारा चdशेखर एक =दन पहले ह@ तो िजदगी को बेहतर@न ढं ग से कैनवास पर उकेरा था । ये दे खो चdशेखर क ह@ पेि:टं ग छपी है अखबार मM । दो चार =दन पहले ह@ उसक अ`वल दजb क पेि:टं ग =दrल@ मM बीची थी । बहत ु तो भर दरदI ने उसक िजदगी ु खश मM आग भर द@ और मां को गम के समदर मM ढकेल =दया । भाvयलiमी-बहत ु होनहार लड.का था । चदा बता रह@ थी क पेि:टग बनाते समय अPसर -तड.प तड.प के इस =दल से आह नकलती रह@ गाना गाता रहता था । यह@ तड.प उसक पेि:टग को जीवन दान करती थी । {हमद>त-ले ल@ दरदI ने एक जीवन । उजाड. =दया 191

एक परवार का सपना । छन लये बढे ू मा बाप का सहारा । भर =दया आ7uतI क म=/ ु ठयI मM आग । भाvयलiमी-खनी तो ल@ल गये चdशेखर को पर दो त ू के चनाव के जrद@बाजी न करने क नसीहत भी दे गये ु । वाथq,अपराधी एवं असामािजक लोगI से दो ती का तफल तो दखदायी ह@ होगा । वाथ के ˆट पर =टक ु दो ती क नींव कभी भी भरभरा कर 7गर सकती है और इसके परणाम भयावह हो सकते है । दो त बनाने से पहले बहत ु सोच 'वचार करने क जLरत अब आ पड.◌ी है । य=द असावधानी हई ु ठ0 मM ु संजय जैसे दरदM म/ आग भरने से तनक भी नह@ चक ु े गे । {हमद>त-चदा क मां आंसू पोछो । दरदI ने तो बहत ु बड.◌ा गनाह कया है । इसक सजा तो उहे जLर ु मलेगी । यवको को दो ती के कैनवास चdशेखर के ु लहू के नशान को ]यान मM रखते हए ु सावधानी बरती होगी ताक फर कोई अमानष ु संजय दो ती के पाक रgते को नापाक न कर सके । भाvयलiमी-भगवान चdशेHर क आ>मा शाित बHशना । परवार को आ>मबल और िजदगी के कैनवास पर सनहरा रं ग भरने क शिPत दे ना । भगवान दरदI को ु ऐसी सजा दे ना क फर कभी दो ती जैसा रgता बदनाम न होने पाये । {हमद>त-हां ठ0क कह रह@ हो ऐ दरदM कठोर से कठोर 192

सजा के हकदार है । यवा है क ु पीढ.◌ी से भी गजारस ु दो ती को वाथ के तफान से बचायM ताक दो ती के ू कैनवास पर फर कभी लहू के नशान न पड. सके ।

दtखया माई ु का रे दtखया अब तो तेरे करे जे को ठ:डक मल@ मेरा ु परा ू धान तेर@ भैस चौपट कर द@ । खाने को अन नह@ रहने को घर नह@ । पाल रह@ हो भस - । तेर@ भस - हांकर ले जाउ◌ू◌ं और अपने दरवाजे पर बांध लू

कंु वर

बहादरु गरज पड.◌े । दtखया के उपर तो जैसे eबजल@ 7गर पड.◌ी भस ु

हांक

ले जाने क बात से । उसक आखM सावन-भादI हो गयी । वह आंचल

से आसंू पोछते हए ु बोल@- बाबू ना जाने कैसे भस - खंट ू ा से छड ु .◌ा ल@ अfछ0 तरह से गांठ लगा कर बांधी थी। eबरछवा क भस ू टे से बंधी भस - मेर@ H◌ा◌ं से लड.ने लगी थी । मेर@ भस - क सींग भी टू ट गयी है बाबू । बरछवा क

भैस आक न मेर@ भस - से लडती न

खंूटा टटता और नह@ मेर@ भस - बाबू आपके धान के खेत ू मे◌े जाती

। बाबू नकशान तो हो गया है जानबझ ु ू कर

तो मने - नह@ कया है ना । भस - का सहारा था उसक सींग भी टंू ट गयी । सोची थी भस - बेचकर जLरत क कई चीजM लाउ◌ू◌ंगी । जाड.◌े◌ं के लये एक रजाइ]्र बनाउ◌ू◌ंगी बाबू मेरा भी तो बहत हो गया । ु ु नकशान भस सीग वाल@ भस - क क मत आधी रह गयी । टट@ ू 193

कौन खर@दे गा । कवर बहादरु -अभी कल रोपाई हई ु ु तेर@ भैस ने सारा खेत र‚द डाल@ । तमको अपने नकशान क फक है हमारे ु ु नकशान क भरपाई का]ेन करे गा ? ु कवर बाबू क फटकार सनकर नद ू आ गये और बोले ु ु बाबू दtखया माई क भस M तो एक कनारे से भागी थी । ु दtखयामाई -हां बाबू । मेर@ भस - कोने से नकल@ थी और ु सड.क पकड. ल@ थी । नद-ू हां बाबू दtखयामाई भस - को ललकारते हए ु ु उसके पीछे Xीछे भाग रह@ थी। दtखयामाई भस - हांकने के लये ु अलग,बकर@ हांकने के लये अलग ड:डा रखती है पर बाबू आज उसक भस - आपके खेत मM पांव Pया रख द@ बेचार@ अपराध बोध के समदर मM डब ू गयी और बकर@ चराने वाले ड:डM को लेकर भैस के पीछे पीछे दौड. रह@ थी । आज ना जाने दtखयामाई क भस - को ना जाने ु Pया हो था क आवाज सनकर भाग रह@ थी जबक कछ ु ु दे र पहले वह@ भस ्र क एक आवाज पर - दtखयामाइ] ु दौड.◌ी चल@ आती थी ।धन क फसल क भांत दtखयामाई क भस - लहर लहर कर भाग रह@ थी शायद ु सींग टटने क वजह से । ू कंु वरबहादरु -PयI रे Pया बात है नदआ तू तो बड.◌ी ु तरफदार@ कर रहा है दtखया क । Pया कल से दtखया ु ु क जमीदार@ जोतकर पेट पालेगा ? 194

नद-ू बाबू हम गर@बI के पास जमींदार@ होती तो गर@बी क मटŒ ु ◌ी भर आग मM PयI जलते मरते रहते । बाबू हम गर@ब िजस बर@ ु हाल मM जीवन eबता रहे है उसके लये आप भी िजQमेदार हो । कंु वरबहादरु -Pया बकवास कर रहा है । दो अZर तQ ु हारे लड.के पढने Pया लगे क तम ु अपनी औकात ह@ भल ू गये । नद ू बराबर@ करने मM अभी श=दयां लगेगी । दtखयामाई - बाबू ग - ने आपका ु ु सा थक ू दो । मेर@ भस धान नह@ र‚दा है 'वgवास करो । जrद@ क रोपाई है । तेज हवा क वजह से धान के रोप से कछ धान के पौधे ु नकल गये है वह@ कनारे लगे है । ना मेर@ और नह@ कसी दसरे क भस - खेत मM गयी है । खद ू ु सोचI बाबू मेरे दरवाजा आपके खेत मM खलता है ु

। Pया म- अपनी

भस - से आपक खेती चौपट करवाउ◌ु◌ंगी । आज तक कभा◌ी ऐसा हआ है । ु नद-ु हां बाबू यक न करI दtखयामाई ठ0क कह रह@ है । ु दtखयामाई - बाबू म- तो भस - यह@ पकड. लेती सड.क पर ु नह@ जा पाती पगहा तो उसक गद न मM ह@ था । बाबू डर के मारे नह@ पकड.◌ी क कह@ और तेजी से खींचाकर भागने । मेर@ दशा ठाकर ु जैसी न हो जाये ।बेचारे ठाकु र क जान तो भस - का पगहा खींचाकर बंध जाने से हई ु थी ना । बेचारे ठाकर ु पहचानने लायक तक नह@ बचे थे । कवरबहादर कहानी सनाकर बेवकफ नह@ बना ु -तम ु मझे ु ु ु ू 195

सकती हो दtखया । ु नद-ु हां बाबू गर@ब लोग बेवकफ नह@ बनाते । ू कंु वर बाबू-नदआ ु तू नह@ बोल तो ठ0क है । नद-ू बाबू गांव के जात-परजात के बहत ु लोगI ने दे खा ह- भस माई दौड. रह@ थी । आवाज - आगे आगे दtखया ु सनकर भस - घोड.◌े क रफतार से भाग रह@ थी । बड.◌ी ु मिg ु कल से कई लोगो ने घेरकर पकड.◌ा है । मालम ू है दtखयामाई भस - लेकर आ रह@ थी फर अचानक भस ु 'वदक गयी और पे◌ाखर@ मM चल@ गयी दtखयामाई का ु जान बच गयी है बाब।ू कंु वरबाबू-बद कर अपनी बकवास नदआ तम सब ु ु सािजश रच रहे हो । दtखयामाई -कैसी सािजश बाबू । भला हम पेट मM भख ु ू =दल मM मरते सपने और बंटवारे मM मल@ म/ ु ठ0 भर आग मM सलगते लोग Pया सािजश रचेगे ? ु नद-ू माई दे ख तेरे पैर से खन ू बह रहा है गहर@ घाव है । फटकर@ हो तो घाव मM भर लो । बाब◌ू चाहे न ू सनो ु सने क ु म- अपनी बात कह कर रहंू गा । बाबू दtखयामाई ु हाल दे ख रहे हो आंखI मM आसंू भरा ह- पैर मM शीशा फाड. लया भस - को पकड.ने के लये भागते समय । उसके तन के व \ क हालत दे ख रहे है । जो भस आपक तरफ मंुह करके चगाल@ कर रह@ है वह@ कछ दे र ु ु पहले रणच:डी बनी हई ु थी। घ:टा भर से अ7धक पानी 196

मM बठ0 रह@ । दtखयामाई पोखर@ के कनारे बैठे बैठे ु भै।स को गालयां दे रह@ थी । जब दtखयामाई के ु गालयां का खजाना ख>म हो गया तब भ-स पानी से नकल@ है और दtखयामाई के पीछे पीछे आकर दरवाजे ु पर खड.◌ी हई ु है । बाबू पशु भी समझदार होते है । भस क सींग टट ू गयी है वह भी ग ु से मM थी पोखर@ के पानी मM घ:टे भर बैठ0 रह@ जब उसका ग है तो ु सा ठ:डा हआ ु खद - बांधकर दtख ु ब खद ु चलकर आयी है । भस ु यामाई ने बहत पीट रह@ थी भस - टकर ु ु ु ु मारा है । दtखयामाई टकर - भी शमसार है जबक ु ु दे ख रह@ थी । दे खI भस उसक गलती नह@ है । वह तो खटे ू मM बंधी थी eबरछवा क भस - आकर हमला कर द@ थी । वह तो आ>मरZा मM भागी थी टट@ ू सींग लेकर । कंु वरबहादरु -नदआ ऐसी ह@ ते◌ेर@ जबान चलती रह@ तो ु तेर@ सींग तो नह@ तेर@ जबान जLर टटे ू गी । कवरबहादर ु ु दtखयामाई क ओर Lख करके बोले भस - पालने का शौक ु छोड. दो सअर पालो तQ ू ु हारे फायदे का सोदा है गांव क गदगी भी साफ हो जाया करे गी । नद-ु बाबू एक भस - ने पर- रख =दया खेत मM वह भी गलती से तो इतना लाल-पीला हो रहे हो पfचीस पfचास सअर खेत मM चले जायेगे तब Pया होगा ? ू कंु वरबहादरु - अपना मंह । िजस =दन ु बद रख नदआ ु गांव के जमीदारI को ग ु सा आ गया न खड.◌ा होने क 197

जगह नह@ मलेगी । हंगना मतना सब तो बाबू लोगI क ू जमीन मM करते हो और जबान क जगह तलवार चलाते हो । दे ख दtखया अब कोई नकशान न होने पाये तेर@ ु ु भस ने बहत नकशान कर =दया । अगर अब कोई ु ु नकशान हआ तो मह@ने भर eबना मजदर@ ु ू के काम करना ु होगा । दtखयामाई कंु वरबहा◌ुदर क बात टकर ु ु ु -टकर ु ु सन ु रह@ थी । उसके हIठ जैसे सल गये थे । आखI से आसंू और पैर से खन ू बह रहा था । कंु वर बहादरु क eबजल@ क तरह कड.कती आवाज सनकर eबसन क ु ु के पांव थम गये । वह दtखयामाई ु झोपड.◌ी क ओर मड क दशा ु . गया । दtखयामाई ु दे खकर पछ ू बैठा Pया हो गया भौजाई PयI आंखI से आंसू और पैर से खन ू बह रहा है । कौन सी अनहोनी हो गयी क कंु वरबहादरु गरज रहे है eबजल@ क तरह । कंु वरबहादरु -eबसनवा तमको अनहोनी का इतजार है । ु ु दtखया क भस - सारा धान चौपट कर द@ Pया कसी ु अनहोनी से कम है । eबसन ु -बाबू ये भी कोई अनहोनी है । दो पंूजा Pया उखड. गये । आतंक मचा =दया । गर@ब क दशा नह@ दे ख रहे हो । 7चrलाये जा रहे हो । दे खो दtखया भौजाई के पांव ु मM कतना बड.◌ा घाव है । अरे गर@ब क आंसू का कोई मोल नह@ आप जैसे बड.◌े लोगI क नगाहो मM । बाबू 198

आप का एक पैसे का नकशान नह@ हआ है । हवा चलती ु ु है तो ताजे रोपे खेत मM छटे ु छटके धान के प‚धे कनारे तो आते ह@ है । कंु वरबहादरु -नेता हो गया है Pया eबसनवा तू ब ती का ? ु eबसन ु -बाबू गर@ब के दद का एहसास आपको तो होगा नह@ PयIक गर@बी तो आपने दे खी नह@ ह- ।दद का एहसास तो उसे ह@ होता है िजसने दd का अनभव कया ु हो । बाबू आपको लगता है क म- नेता7गर@ कर रहा हंू तो यह@ मान ल@िजये । eबसन ु क बात ने कंु वरबहादरु के गले मM जैसे गरम कोयला डाल =दया हो । वह बौखला गये और दे ख लेने क धमक दे ते हए ु उलटे पांव भाग खडे. हए ु । भैसं कंु वरबहादरु के धान के खेत मे◌े◌ं चल@ गयी थी और बाबू कंु वरबहादरु बढ को बहत ू .◌ी दtखया ु ु बाते ु बर@ सना गये क खबर लrलू दादा को कामराज बाबू क ु हवेल@ लग गयी थी । वह काम छोड.कर आ नह@ सका था मजदरू कट जाने क वजह से । अंधेरा के पर@ ू तरह पांव पसारते ह@ वह झोपड.◌ी वापस आया । आव दे ख ना ताव लाठ0 लेकर भस लrलू - पर 'पल पड.◌ा । दtखया ु को अपनी कसम दे कर रोकने मM कामयाब हो गयी । लrलद ू ादा अपने

ग - को ु से पर 'वजय ाXत कर भस

समझा◌ाते हए ू आज बहत ु बोले तने ु बड.◌ी गलती कर द@ ना । जमीदार कंु वरबहादरु के खेत मM चल@ गया । 199

तमको पता है हम सामािजक आ7थक गर@बI के बारे मM ु । तेरे दध ू दह@ को भी ये बाबू लोग अप'वत मानते है PयIक तू एक सामािजक और आ7थक Lप से गर@ब के खट ू M पर बंधी है । बाजार मM भी जगह नह@ है । कतना दख सहकर तमको पाल रह@ है ये ब=ढया तू है क ु ु ु तनक भी परवाह नह@ करती। ये बाबू लोग तो हम गर@बI क परछाई पड.ने तक को अपराध मान लेते है । तम ु तो धान के खेत मM पेर रख =दया । पता है तमको ु कंु वरबहादरु ब=ढया को कतनी गांलया दे गये है । अरे ु हम अपने पेट मM Lखी सखी डालने के पहले तQ ू ु हारा इतजाम करते है तू है क आंसू दे रह@ है । दे खा ब=ढया ू के आंख का आंसू दद तो तू भी समझती है ना । दtखया - हां बढउ ये भस - भी समझती है दद । दे खI उसक ु ु आंखI से भी आसंू भरभरा पड.◌ा है । दtखया भस - के ु सर पर हाथ फेरने लगी । भस का पांव - दtखयामाई ु चाटने लगी । नद ू और eबसन ु एक वर मM बोले जानवर भी समझते है पर उमाद मM डबा आदमी कछ नह@ समझ रहा है । ू ु काश खद ु को बड.◌ा समझने वाले बाबू लोग शो'षत दtखयI के दद का एहसास कर पाते तो अ>याचार क ु आंधी थम जाती । लrलद ू ादा-

हां भइया पर बाबू लोगI को अ>याचार से

ब>तीजार कर ले । घाव फ ् ात नह@ है । चल ब=ढया ु ु र◌ 200

गहर@ है । ठ0क तो हो जायेगी

पर कवर बहादरु क द@ ु

गयी घाव तो◌े कभी नह@ ठ0क हो सकेगी कसी दवादाL से । Pया तकद@र हो गयी है हम गर@बो क क चहंु ओर से म/ ु ठ0 भर भर आग ह@ मलती है । Lढ@वाद@ `यव था }ारा परोसी आग मM हमM सलगते रहना है । तू ठ0क कह ु रह@ है बाबू लोगI से तो अ7धक समझती है ये भस - हम दtखयI के दद को । ु

दं श सांप को दध ू 'पलाना महंगा पड. गया । अपनी औकात =दखा गया । बfचI का पेट काट कर अमानष ु का पेट भर@ । रहने को जगह द@ । नेक के बदले दं श दे गया कहते हए ु रामXयार@ धQम से 7गर पड.◌ी । साद-Pया हआ भगवान । कसको कोस रह@ हो । ु रामXयार@-अपनी क मत को और कसको । तकद@र मM सख चैन तो नह@ म/ ु ु ठ0 भर भर आग का दख ु जLर लखा है । साद-Pया बझनी बझा रह@ हो । साफ साफ PयI नह@ ु ु कहती । कहां सांप दध ू पी रहा है रामXयार@-बहत ु भोले बन रहे हो । कसी पर भी आंख मंूद कर लेते हो। ऐरो गेरI के घEड.याल@ आसंू पर यक न कर दे दे ते हो पनाह घर मM । ये नह@ दे खते घर मM जगह है क नह@ । खाने को अन है क नह@ । सड.क से उठा लाते

हो म/ ु ठ0

भर आग का दद अपने और आ7uतI क िजदगी मM 201

भरने के लये । साद-PयI इतनी दखी हो रह@ हो भागवान । ु रामXयार@- तम हो रह@ हंू । सालI ु कह रहे हो PयI दखी ु तक इस घर का एक आदमी नमक खाया । तQ ु हार@ वजह से वह आबाद हआ है । दे खो =दन बदलते ह@ आंख ु =दखाने लगा है । साद-खोटाचद क बात कर रह@ हो Pया ? रामXयार@-PयI इतने भोले बन रहे हो सब जानकर । साद-Pया हो गया भागवान ? रामXयार@-Pया बाक रहा । अरे िजस थाल@ मM खाया उसी मM छे द कर =दया खोटाचद ।हमने तो भलाई कया और उसने दं श दे =दया । साद-Pया बात हो गयी । खोटाचद Pया कह गया ? रामXयार@-अरे सांप डसेगा और Pया करे गा ?=दन Pया बदल गया उसका तो रं ग-ढं ग ह@ बदल गया । एक =दन था कोई आंसू पोछने वाला न था । ये बfचे सगे से Tयादा चाहते थे उस खोटाचद को । सार@ नेक eबसार कर परायेपन क दरार को संवार गया । कैसे लोग लोगI पर मसीबत मM तरस खायेगे ? ु साद-तमने >याग कया है । आदमी माने या न माने ु भगवान जLर मानेगा ]ं दख ु ी होने से Pया फायदा सब भु क इfछा अरे अपने पास तो अपना परवार पालने भर को ठ0कठाक अउमदनी नह@ है उपर से एक पराये 202

का कई बरसI का खचा उठाना उपर वाले का चम>कार मानो । अपने =दल को तसrल@ दो । उपर वाला अपने साथ तो है । कसी के साथ नेक करके उससे उQमीद लगाना अfछ0 बात नह@ है । तम ु तो भगवान से ाथना करो भु हमM इतना सबल बनाओ क हम दसरI के काम ू आ सके । PयI दखी होती हो तमने तो भलाई का काम ु ु कया है । भलाई करने वाले अफसोस करे गे तो भु नाराज होगे । तमने परोपकार प: ु ु य का काम कया है । दख ु दद

और शार@रक sया7ध के

=दनI मM भी तमने ु

एक पराये को अपनI जैसे कम से कम दोनो वPत का भोजन =दया है ।रहने का आuय =दया है । सचमच ु तQ ु हारा यह परोपकार का भाव मेरे लये नाज का 'वषय है ।य=द खोटाचद ने तQ M पहंु चाया है तो ु हारे =दल को ठस माफ कर दो । रामXयार@-नेक के बदले दं श झेलते रहो । Pया नेक के बदले यह@ ईनाम है । साद-दे खो मनछोटा ना करो । तमने दाय>व को पर@ ु ू िजQQेदार@ के साथ नभाया है ।यह तो आ>म-गौरव का 'वषय है । आंखI मM आंसू और पेट मM भख ू लये दर दर भटक कर खोटाचद इसी चौखट पर 7गरा था ना । तमने अपने हाथI से नः वाथ भाव से कई बरसI तक ु रोट@ बनाकर tखलायी । उसी रोट@ का कमाल है क आज वह सोने क डाल काटने लगा है । तमको तो खश ु ु होना 203

चा=हये । रामXयार@-तसrल@ दे ना तो कोई तमसे सीखे । अमानष ु ु करा-धरा सब गोबर कर गया । बfचI से झगड.◌ा कर गया ।बी=टया को चांटा मार गया । बी=टया बहत ु रोयी है ।यह@ बfचे अपने गr ु लक तक उस खोटाचद के लये तोड. दे ते थे । वह@ खोटाचद बfचI को अपशsद कह गया । तम के भाव का अब >याग करो ु अपने दयालपन ु । कोई नेक मानने वाला नह@ है । िजस कसी को मसीबत मM दे खते हो द‚ड.कर मदद करने चले जाते हो । ु बदले मM अपने को Pया मलता है -बराई ना ।इससे ु अfछा तो है क भलाई ह@ न करो । भलाई के बदले कस कस बराई लोगो । अभी तक तो ऐसा कोई नह@ ु मला िजसने काम नकलने के बाद अपने को बदनाम न कया हो चाहे वे केवलनाथ रहा हो । मंजय चाटक रहा हो,क:ठधार@ या लठधार@ रहे हो सभी ने दगाबाजी कये है अपने साथ जबक हमने उनके उपर एहसान कया है । दगाबाजI ने एहसान के बदले हमार@ खशयI मM म/ ु ु ठ0 भर भर आग ह@ भरा है

हमारे भोलेपन का फायदा

उठाकर। अब ये खोटाचद हमार@ नेक के बदले दं श दे गया । साद- बी=टया से कौन गलती हो गयी क खोटाचद चांटा मार गया ? बfचI को अपशsद बक गया । यह तो बहत ु कर कर गया खोटाचद । ु बरा 204

रामXयार@-Pया

नह@

कया

इन

तीनI

बfचे◌ा◌ं

ने

खोटाचद के लये । उसक मदद ये बfचे अपनी बचत से कया करते थे । सालI तक eबठा कर tखलाये आपने घर मM रखे । अपना ओढना eब तर =दये । बfचM eब तर तक eबछाते थे । एक पैसा खोराक तक नह@ लये । वह@ खोटाचद अपनी गैरहािजर@ मM घर दे खने को

Pया

कह =दये क वह तो अपनी इTजत सड.क पर लाकर रख =दया । 7चrला 7चrलाकर कह गया क म- अपना कराया भाड.◌ा लगाकर आता हंू । ये लड.क खाना नह@ दे ती है । बी=टया ने इतना शायद कह =दया क PयI आते हो तो मालम ू ह- उसने Pया बोला ? साद-हमM तो कछ भी नह@ पता । बताओगी तब ना ु जानंग ू ा । रामXयार@- बडM नरादर के साथ बोला था तेरा बाप बलाया ु है । बेट@ को चांटा मारकर चला गया । बfचI से झगड.◌ा करके अपनी इTजत को सड.◌ंक पर लाकर रख =दया खोटाचद ने । भला लोग मसीबत के =दनI मM ु कसी क मदद कैसे करे गे ।अमानष ु िजस थाल@ मM खाया उसी मM थक गया । कहते हए ू ु रामXयार@ आंसू बहाने लगी । साद-दे खो तमने आंसू बहाने का काम नह@ कया है । ु PयI ये मोती बहा रह@ हो `यथ मM । अरे भलाइ◌्र कया है । कोई गलत काम तो नह@ कया है क अपराधबोध 205

मM दबे । भलाई के बदले य=द दं श मल रहा है तो इसमM हमार@ Pया गलती । गलती तो उसक है जो भलाई के बदले

घाव दे रहा है । हमने जो कया नः वाथभाव से

कया है । Pया हमारे लये यह कम खशी क बात है ु क हमने दख ु सहते हए ु भी कसी का भाvय संवार =दया । हं सI म आंसू बहाने लायक कछ नह@ ु कराओं । तमने ु ु कया है । तमने तो >याग कया है ।आज के आदमी से ु उQमीद नह@ करनी चा=हये । भगवान का आदे श मानकर जो कछ भलाई का काम हो सके कर दे ना चा=हये । य=द ु खोटाचद ने भलाई के बदले दं श =दया है तो उसका फल उसे मलेगा । तमने तो कसी लालच मM उसे पनाह तो ु नह@ द@ ना ? रामXयार@- उस भीखमंगे से कैसी लालच । जो दाने दाने को न तवान था । िजसे अपनI ने मसीबत के =दनI मM ु ठकरा =दया था ।आज भले ह@ खास बन बैठे है । उस ु =दन तो कोई एक रोट@ तक दे ने को नह@ था । अब तो खोटाचद के बडM बड.◌े ओहदे दार,पैसेवाले और मदद करने वाले खडे. होने लगे है । मसीबत के =दनI मM तो ु वह@ लोग परछायीं से बचते थे ।आज खास हये ु है । हम तो बेगाने थे आज भी बेगाने है । उससे कैसी लालच ? साद- PयI खद ु को तकल@फ दे रह@ हो ? रामXयार@-तमको पता है गांव मM ससरजी को तQ ु ु ु हारे tखलाफ कतना भड.का आया है । साद-भड.कने वालI के 206

पास भी तो =दमाग है क नह@ ? रामXयार@-तम ु तो हर बात को बहत ु सरल तर@के से लेते हो । तमको पता है Pया Pया ससरजी से कहकर आया ु ु आया है । साद-मझे मालम ु तो नह@ पता । तमको ु ू है तो बता भी दो । रामXयार@-तQ ु हार@ कमाई क रोट@ सालI तक तोड.◌ा । तमने नौकर@ =दलवाया । वह@ तQ ु ु हारे परवार मM बंटवारे पर तल ू गया । साद-अरे ऐसा Pया कह आया क अब परवार के बंटने क नौबत आ गयी । रामXयार@-सनो । खोटाचद तQ ु ु हारे 'पताजी से कहकर आया है क बी=टया क पढाई अनापशनाप खच कर रहे है । दो कमरे का पPका घर बनवा =दये सफाई तक नह@ करवा रहे है । पgु तैनी घर 7गर रहा है तनक भी उहे 7चता नह@ है । उहे तो बस अपनी बी=टया और बेटवा क 7चता है । हाथ से नकल गये है ।दे वरजी कह आया है क दे वचरन तम ु भ अपने बfचI को बीमा करवा लो तQ ु हारे भइया ने तो अपना अपनी बीबी और तीनI बfचI तक का बीमा करव लया है ।ससरजी खोटाचद ु क बातI मM आकर बहत ू ब ती ु गाल@फकड. =दये थे पर@ इस बात को जानती है । Pया यह परवार तोड.ने क खोटाचद क सािजश नह@ है । यह वह@ खोटाचद है 207

िजसे अपने बfचI जैसा हमने रखा । Pया भलाई के बदले ऐसा होना चा=हये ।लोग कतने वाथq हो गये ह- । हमने तो इंसानयत के नाते मदद क थी । वह है वान हमार@ पारवारक िजदगी मM म/ ु ठ0 भर आग भरने से तनक भी नह@ चका । ू साद-भाई दे वचरन और 'पताजी कोई मरख तो नह@ हे ू क घर eबगाड.ने क बात नह@ समझेगे । हर मां बाप अपने बfचI को अfछ0 तामल दे ना चाहते है । हम बfचो क पढाई पर पैसा खच कर रहे है तो कोई अपराध तो नह@ कर रहे ।

बीमा तो सरकार@ टै Pस मे◌े◌ं छट ू

लेने के लये सभी नौकर@ धंधे वाले करवाते है । इसमM Pया गलती है ? रामXयार@-खोटाचद क नगाह मM तम ु तो परवार से चोर@ कर रहे हो ।खद ु

परवार स=हत ऐश कर रहे हो ।

अपने बाप ,भाई और भाई के परवार को एक पैसा नह@ दे रहे हो । कपड.◌ालता खानखच सब कछ दे खने◌े के ु बाद भी बदनामी हो रह@ है । मानती हंू तQ ु हारा =दल साफ है तम ु घरपरवार को साथ लेकर चलते हो । अपने दख भी कटQ क 7चता करते ु को भलाकर ू ु ु ु ब के सख रहते हो । बार बार कसी क बराई◌् र करने पर सनने ु ु वाला का मन तो eबगड.ता ह@ है । दे वर जी और तQ ु हारे 'पताजी का भी मन eबगड.◌ा है । खोटाचद हमारे ह@ टकड ु .◌े पर पलकर हमारे ह@ घर मM आग बो रहा है । 208

साद-भागवान सदकम क राह पर कांटे तो है पर इस राह पर चलकर आदमी दे व>व को पा जाता है । भगवान ब] ु द को दे खा कभी वे राजा था पर परमाथ बस राजपाट तक छोड. =दये । भगवान पर भरोसा रखे अfछे काम का फल भी अfछा मलता है । आदमी मौका पाते ह@ दं श दे जाता है , सभी जानते है पर परमाथ क राह पर चलने वालI का जनन है । िजस =दन यह ू ख>म नह@ हआ ु जनन ू ख>म हो जायेगा इंसानयत भी धरती से उठ जायेगी । साद और रामXयार@ बाते कर रहे थे इसी बीच बेटा आ>मा आंख मसलते हए ु खड.◌ा हो गया । आ>मा क आंखI मM आंसू दे खकर साद पछे बेटा ? PयI ू Pया हआ ु रोनी सरत बनाये हो ? ू आ>मा-पापा रात मM चाचा का फोन आया था । साद- Pया कह रहा था खोटाचद ? आ>मा-चाचा धमका रहे थे । कह रहे थे तेरे बाप ने नौकर@ =दलायी है । मै छोड.कर जा रहा हंू ।तम ु लोगो ने बह◌ु ु त एहसान मेरे उपर कया है । साद-बेटा मझसे तो उसे बात करवाना था । ु आ>मा-चाचा बड.◌े ग ु से मM थे । बहत ु खराब लहजे मM बात कर रहे थे । उनक बात मझे ै कर द@ । मै ु बेचन रात भर सो नह@ पाया । इसके पहले चाचा ने द@द@ के साथ भी बहत बरा ु कह ु ु बhतमीजी क थी । आपको कछ 209

दे ते तो । साद-बात तो करवाना था । म- भी सनता Pया कहता है ु ? क> ु .◌ा खाकर आगे पीछे पंूछ ु ता एक रोट@ का टकड =हताता है । खोटाचद बरसI तक इस घर का नमक खाकर हमM और हमारे परवार को दोषी बना रहा है । रामXयार@-दे ख लो सड.क पर से उठाकर लाये । छोटे भाई जैसा मान =दये । बेटवा क नई गाड.◌ा चला चला

कर

तोड. डाला ।रहने खाने सब का भार उठाया । आज वह@ हमारे बfचे◌ा◌ं के साथ बदसलक कर रहा है । =दन ू बदलते ह@ हमार@ नेक पर क चड. उछाल रहा है । खोराक जोड.◌े तो पfचीसI हजार बन जायेगे ।सांप Pया पाले वह तो हमे ह@ काटने को दौड.◌ा रहा है । कोई कसी मसीबत के चk`यूह मM फंसे ु

के साथ कैसे नेक

करे गा । साद-PयI खद ु का कोस रह@ हो । कोई बुराइ◌्र तो नह@ कये है ना । अfछाई का काम कया है दनया जानती ु है । आसपास वालI तो सगा समझते है ।खोटाचद ने बदसलक कर =दल को ठस तो पहचाया है । मझे M ू ु ु भी दख ु हो रहा है पर Pया कर सकते है सतोष ना । रामXयार@- तमने कतना सहजता से इतनी बड.◌ी बात ु को छोट@ सी करके सतोष के आवरण मM ढक =दया । साद-Zमा करने वाला बहत ु ु बड.◌ा होता है । सब कछ भल नह@ होता । ू जाओं ।सतोष से बड.◌ा कोई सख ु 210

हमने नेक क है कोई गनाह नह@ कया है । ु रामXयार@-परायेपन का रgता जHम दे गया खोटाचद । हमने तो उसके साथ सगे से Tयादा कया । आजकल के जमाने मM मां बाप बोझ हो रहे है । हमने तो एक पराये को पनाह =दये । उसके◌ा खल@ आंखI से सपने =दखाये ु ह@ नह@ उसके सपने साकार करने मM तन, मन और धन से मदद भी कये ।दे खो कामयाबी मलते ह@ हमM फफकारने लगा । ु साद-अरे वह तो पराया था । हमने अपना सगा मानकर उसक मदद क । य=द वह मदद का बदला हमM बदनाम कर दे ना उ7चत समझता है तो उसक मजq । वह अपना उrrू◌ा सीधा हमारे परमाथ के जनन ू पर म/ ु ठ0 भर आग जLर रखा है । तकल@फ क बात तो है पर Pया फायदा । हम परमाथ के बीज बो रहे ह- अगर खोटाचद वाथ का कांटा बो रहा है तो बो लेने दो एक =दन जLर पछतायेगा । रामXयार@-लोग तQ ु हार@ राह मM कांटे eबछाये◌े तम ु फल ू eबछाओ । जब तQ ु हे दसरे ू ◌ा◌ं क मदद करने का इतना ह@ जनन ू है तो ।हां एक बात कहे दे ती हंू । अब कसी को सड.क से उठाकर घर मM मत पनाह दे ना । साद-पर=हत से बड.◌ा कोई धम नह@ है । जहां तो हो सके करते रहना चा=हये । रामXयार@-खोटाचद के =दये घाव के दद को तम ु भले ह@ 211

भल ू जाओ पर म- ओर बfचे तो नह@ भल ू सकते । साद-म- तQ ु हार@ पीड.◌ा को समझता हंू । सतोष और पर=हत का जTबा भी । भगवान इतना नद यी नह@ है । वह सब पाप प: ु य का लेखा-जोखा रखता है । परमाथ का हवन करते रहो । रामXयार@-चाहे हवन मM हाथ जल जाये । साद-हवन मM ह@ तो जलेगा ना । इसमM कोई बराई नह@ ु । भगवान क यह@ मजq है तो करते रहो हवन और जलने दो हाथ ।ठ0क तो उसे ह@ करना है । हम PयI 7चता करM । रामXयार@-वाह रे इंसान । खोटाचद, रईसवा ह@ नह@ और कई आदमी नेक के बदले दं श दे गये । इसके बाद भी परमाथ का जनन ू तQ ु हारे सर पर सवार है । धय हो महा भु । साद-आtखरकार तम ु भी मान गयी नेक के रह य को । रामXयार@- बद करो ये उपदे श लगता है कसी क द तक हो गयी है दरवाजे पर । इतने मM कालबेल घनघना उठ0 । दरवाजा खो◌ेलते ह@ दे वद>त हाथ जोड.◌े नम कार क मdा ु मM खडM मले ।गया साद रामXयार@ को आवाज दे ने लगे । अरे आ>मा क मां दे खो दे वद>त आये है बहत ु =दनI के बाद । चाय नाgते का ब=ढया इतजाम करो । 212

रामXयार@ पानी क टे र् रखती हई ु बोल@ लो भाई साहब आप अकेले आये भाभीजी और बfचI को भी साथ लाना था । दे वद>त-कभी फस ु त मM आयेगे । आपके हाथ के बने दाल बाफले लƒडे खाने । रामXयार@-आप

तो

आज

ह@

खालो।

जब

मह ु ुत

नकलवाकर आओगे तब और बन जायेगा । गया साद-हां दे वद>त दाल बाफले बना है । दे वद>त-जLर खाउ◌ू◌ंगा पर भाभी जा एक बात बताओ मेरे आने से पहले आप दोनI का लडाई तो नह@ हो रह@ थी । रामXयार@-जब नई नवेल@ आयी थी । तब तो कभी लड.◌ाई ह@ नह@ हई मM Pया लडाई करगे M । ु ु अब बढौती दे वद>त-भाभी आपक बोtझल आवाज और लाल लाल आंखे कछ कर रह@ है । ु ु तो चगल@ रामXयार@-ऐसी कोई बात नह@ है । दसरे ू ◌ा◌ं के मदद के लये खद ु को कबा ु न करने वाले आपके भाई साहब भला मझसे लड.◌ेगे ?चलो दाल बाफले ठ:डे हो रहे है । खा ु ल@िजये । दे वद>त-दाल

बाफले

का

नाम

सनकर ु

अंतEडयI

मM

कलबलाहट होने लगी है । जLर खाउ◌ु◌ंगा पेट भर कर ु ु । दे वद>त और साद बातचीत मM ऐसे मशगल ू हो गये क 213

कब शाम हो गयी अंधेरा पसर गया◌ा । आ>मा ने कमरे क टयबलाइट जला द@ तब जाकर दे वद>त को पता चला ू क बहत ु दे र हो गयी कहते हए ु खड.◌े हो गये और जाने का अनरु ोध करने लगे । साद-चले जाना । चाय तो पी लो । ऐसे हा आ जाया करो । अपने से मलकर मन को सकन ू मलता है । मन हrका हो जाता है अपनI से बात करके । दे वद>त-लगता है भलाई के दामन कसी ने म/ ु ठ0 भर आग रख द@ है । उसक पीड.◌ा कराहट है ना। दे खो भइया परमाथ के जनून मM भौजाई को मत भलना । मू चलता हंू । साद-ठ0क है भइया सावधानी बरतना । अंधेरा है और शहर क सड.के तो अपने गांव क पगड:डी से भी खराब हो गयी है । उपर से अ त-`य त cै फक भगवान ह@ मालक है । दे वद>त- हां भइया।साधानी तो बरतना ह@ पड.◌ेगा आंख भी चकमा दे ने पर उतर आयी है । दे वद>त के जाते ह@ रामXयार@ साद से कहने लगी दे खो दे वद>त भइया Pया कह कर गये है । साद- सना ु हंू । रामXयार@-एक कान से सनते हो दसरे से नकाल दे ते हो ु ू । दे खो अपनी क मत क चादर मM छे द हो गया है । तम ु तो Pया ओढे Pया eबछाये क 7चता करो । बfचI 214

को अfछ0 तालम दो । परमाथ के जनन ू से कोई भला नह@ होने वाला है । अfछाई करो तो बराई मलती है । ु साद-eबना सोचे समझे कछ ु भी बोल दे ती हो । रामXयार@-अपनी जLरतो को अनदे खा करो । बfचI का पेट काटो । कहां तक उ7चत है । अरे कोई नाम नहोरा भी तो नह@ करता । बताओं कसने तQ ु हारे साथ अfछा कया है । साद-दे वीजी ठ0क तो कह रह@ हो पर कसी का दद दे खा नह@ जाता । रामXयार@-भले ह@ दं श झेलो । साद-दं श का दद तो होता है पर दtखया को दे खकर सब ु भल ू जाता है । रामXयार@-तQ ु हार@ उदारता का लोग फायदा उठा लेते है । कछ लोगI ने तो भाई के बदले ु

रोजी-रोट@ तक पर लात

मारने क पर@ ू तैयार@ कर ल@ थी । याद है क भल ू गये । भगवान ने बचा लये अमानषI ु ने तो पर@ ू तैयार@ कर ल@ थी । साद-िजसका कोइ◌्र नह@ होता उसका भगवान होता है । अपनी मदद भगवान करे गा आ>मा क मां ।लोक नायक जय काश, 'वनोवा भावे जैसे नेक क राह चलने वालI को

कभी जमाना भल ू पायेगा Pया ? ठ0क है

तQ ु हार@ समझाइस को ]यान मे रखंग ू ा Pयोक साथ साथ जीने मरने क कसमM जो खायी है । 215

रामXयार@-हवन

करो

पर

हाथ



जलने

पाये

।इंसानयत,सhभावना,द@न दtखयI क सेवा क राह चलो ु पर खोटाचद

जैसे अमानषI ु क पहचान तो करनी होगी

। साद-बहत मेर@ आंखे खोल ु ु बहत ु धयवाद दे वीजी तमने द@। मेरा 'वनती है तमसे । ु रामXयार@- Pया कह रहे हो ? 'वनती कैसी । तQ ु हारे हर कम क आधे क हकदार तो म- भी हंू । बताओ Pया करना होगा मझे ु । साद-खोटाचद ने जो दं श =दया है उसके दद का एहसास अपने तक ह@ रखना वरना लोग पर=हत क राह पर चलने से कतरायेगे । रामXयार@-सात कसम तो पहले ह@ खा चक हंू । आठवीं ु आज खा लेती है । साद-भगवान के लये इतनी मेहरबानी करना । रामXयार@-आठवीं कसम तQ ु हे साZी मानकर खाती हंू । भलाई के बदले खोटाचद के =दये दं श को कभी भी जबान पर नह@ं आने दं ◌ू◌ंगी कसी के सामने । चभती यादM ु =दन भर च:ड गमq का कोप था । oान काश के उपर लटका पंखा कराह कराह कर जैसे आग उगल रहा था। दोपहर ढलने के बाद क हवा तनक राहत दे रह@ थी पर दे खते दे खते यह@ हवा आंधी का eबगडै.ल Lप धर 216

ल@ । आंधी बद होने के बाद हवा मM तनक ठ:ड का एहसास होने लगा । इसी वPत कन अ7धकार@,धरमेश सहा अ7धकार@, ताप के कान मM म=हला म:डल क सेवा करके आता हंू पापाजी के उठावने मM जाना है । कहकर झटके से 'वभागा]यZ के केeबन मM गये । केeबन से बाहर नकलकर सरकार@ कार मM बैठकर फर ु से उड. गये । सहा अ7धकार@, ताप के कान मM बड.◌ी सावधानीपव ू क कह@ बात कान से बाहर नकल चका थी । यह बात ु दफतर मM काम करने वाले कमचार@◌े oान काश को जैसे अछत ू क तरह दरू झटक द@ । oान काश दफतर से मल@ 7चता क गठर@ चाहकर भी नह@ छोड. पाता । 7चता उसके साथ चल@ जाती । दफतर मM मल@ ठस M उसे चैन से जीने नह@ दे ती । oान काश 7चतन क मdा था घर के बाहर ओटले पर। राह चलते ु मM बैठा हआ ु नरायन क नगाह oान काश पर पड.◌ी उसके पांव =ठठक गये । वह बगल मM बैठ गया । oान काश बेखबर था ।नरायन उसके कान मM बोला Pया बात है काशबाबू ]यान मvन बैठे घर के बाहर । आने जाने वाले तमको ु नहारते हए ु सबसे बेखबर हो । ु चले जा रहे है पर तम भाई मझे ु ह@ पांच मनट तQ ु हारे पास बैठे हो गया है । oान काश-Pयो घाव पर खार डाल रहे हो नरायन बाबू । नरायन-तQ ु हार@ आखI मM जमM आसू पढ रहा हंू ।भला मतमको घाव कैसे दे सकता हंू । ु 217

oान काश-लोग घाव कर पीछे मड ु .कर दे खते नह@ । हां छे ◌ाटा कहकर छ0ंटाकसी कर जाते है । दखते हए ु ु घाव को खरे ◌ाच कर म/ ु ठ0 भर आग डाल जाते है । नरायन-लगता है कोई =दल दखाने वाल@ बात है । ु oान काश-छोटे आदमी के =दल पर सभी चोट दे ते है । बाते भी आदमी के पद,दौलत और जातीय नQनता और uेWठता को दे खकर कह@ जाती है । ये इि:डया है । यहां बहत ु सी बातI का फक पड.ता है । नरायन-भईया मेरे भेज मM बात नह@ बैठ रह@ है । साफ साफ कहो ना । oान काश-गर@ब क खशी तो मरणासन पर पड.◌े ु आदमी जैसी होती है । मसीबत भी परहास का कारण ु बन जाती है । घम:डी लोग दौलत और पद के मद मM रौद जाते ह- । नरायन-बात अब भेजे मM घसने लगी है । ु oान काश-यह@ बीमार@ तो डंस रह@ है । नरायन-कस बारे मM इतने दखी हो असल@ बात बताओ । ु Xयाज िजतना छलोगे। छलका नकलेगा । oान काश-Pया Pया बताउ◌ू◌ं । मै तो ऐसे बबल ू क छांव का कैद@ हो गया हंू क हर पल मझे चभन ह@ ु ु मलती है । सामािजक परवेष बहत हो गया है । ू ु द'षत हर जगह बंटवारे क बात । नरायन-मh ु दे क बात तो बताओ । 218

oान काश -राजकमार साहब के 'पताजी मर गये िजहे ु पापाजी कहते थे । नरायन-सभी मरे गे । वे तो नाती पोते सभी का सख ु भोग चक ु े थे । oान काश-बात उनक नह@ है ।बात हमारे दफतर के अफसरI और कमचारयI क है । नरायन-Pया बात है । बताओ तब ना मालम ू चले क तQ यादM चैन नह@ लेने दे ु हारे =दल को कौन सी चभती ु रह@ है । oान ाकश- राजकमार साहब के 'पताजी कइ◌्र =दनI से ु अ पताल मM थे । दफतर के सभी लोग बार@-बार@ से सरकार@ वाहन से दे खने जाते थे । मेरे लये मनहायी थी । म- छ/ ु ट@ के बाद अपने साइकल से जाता था पापाजी को दे खने । नरायन-यह तो भेदभाव वाल@ बात हई ु । oान काश-सfचाई तो यह@ है । हर बात मM मेरे साथ भेदभाव होता है । uेWठता के पांव तले मझ ु अदने को दबाने

बार-बार य>न होता है ।

नरायन-तQ ु हारे जैसे लोगI के साथ हर जगह सम या है । कQपनयI मM तो अ7धकतर ऐसी बाते होती है । तQ ु हार@ कQपनी तो वैसे ह@ सामतवाद क उजा से संचालत है । म- गलत तो नह@ कह रहा ? oान काश-ठ0क कह रहे हो अ7धकार@ ह@ नह@ं ~ाइवर, 219

सबसे छोटा रईस चपरासी भी मझसे वरWठ बनता है । ु जात के नाम पर जहर उगलता रहता है । चपरासी क द@ हई यादM चैन नह@ लेने दे ती ।सोचता हंू हमार@ ु ु चभती जात मM इतनी कौन सी खराबी है क सभी नफरत करते है । कहने को तो सभी कहते है क कम महान बनाता है पर ये दोगलापन कस लये । नरायन-यह तो अयाय है ।सरे आम भेदभाव है । oान काश-हमारे

साथ

हमेशा

भेदभाव

होता

है



राजकमार साहब के पापाजी के उठावना क =दन दफतर ु के सभी लोग और उनका परवार दफतर क कार से गये आये पर मेर@ ओर कसी ने उलट कर नह@ दे खा जबक उठावना =दन मM ह@ नह@ आफस टाइम मM था । मेरे साथ अछतो जैसा बरताव कया गया । ू

सभी का

परवार उठावने मM कार से गये । मेरे और मेर@ घरवाल@ के कार मM जाने से दफतर क कार अप'व\ हो जाती Pया ? नरायन बाबू म- रोज अपमान क दरया मM मर कर नौकर@ कर रहा हंू । सच बताउ◌ू◌ं तो नौकर@ करने का मन नह@ होता । नरायन- तQ ु हार@

कQपनी

के

उपर

सामतवाद

का

अ7धंयारा छाया हआ लगता है । यह@ अ7धंयार@ तQ ु हार@ ु जड. मM म/ठा डाल रहा है । oान काश-मेरे साथ बह◌ु चभती यादे जड ु ु ु .◌ी है ु त दखद Pया◌ा Pया बयान कLं । एक बार परेू दफतर के लोग 220

परवार सा=हत 'पकनक पर जा रहे थे । सभी कार से गये । बड.◌े साहब ने मझसे भी बोला तम ु ु सपरवार तैयार रहना कार तमको भी अ◌ेशन तक छोड दे गी पर ु कार नह@ आयी । बड.◌ी मिg ु कल से टे शन पहंु चा cे न को हर@ झ:डी हो गयी था । आते समय भी टे शन से म- और मेरा परवार आटो करके घर आये । कई =दन बात एक अ7धकार@ बोले oान काश टे शन आटो का कराया कतना लगता है, ट@ ए eबल बनाना है । नरायन-जब तक आदमी क नयत साफ नह@ होगी समानता और सhभावना तो उपज ह@ नह@ सकती सामतवाद और L=ढवाद@ 'वचारधारा से पो'षत =दलI मM । ऐसे लोग द@न दtखयI को चैन तो नह@ बेचैन रखने के ु लये म/ ु ठ0 भर भर आग जLर बोते रहे गे । oान काश-छोटा होने दख मझे बार बार मलता है । ु ु कछ साल पहले डी पीसी थी । बाहर से अ7धकार@ आये ु हए ु थे । डी पीसी क रपोट मैने ह@ टाइप कया । अ7धकार@ लोग 'पकनक पर चले गये । म- रप|ट लेकर आठ बजे राe\ तक बैठा रहा । इसी बीच दफतर मM बड.◌े पद पर काम करने वाले चतरमाtणक रोनाधर आये ु और मझसे ◌े हमददn जताते हए ु ु बोले Pये◌ा◌ं बैठा है रे oान काश तQ ु हार@ घरवाल@ ख=टया पर पड.◌ी है । घर जाना था ना । मैने कहा साहब ऐसी बात है कै◌ेसे जा सकता हंू । चतरमाtणक रोनाधर बोले अरे तू जा म- बता ु 221

दं ग ू ा । साहब लोग तो कल जायेगे । खद ु 'पकनक मना रहे है । छोटे कमचार@ को बंधुवा मजदरू बना =दये है । तू जो म- दे दं ग ू ा रप|ट तू 7चता न कर जा । मेर@ अPल पर प>थर मार गया म- चला गया । मेरे जाते ह@ साहब लोग भी आ गये । चतरमtणक रोनाधर ने मेर@ ु शकायत कर द@ । वह बड.◌े साहब का खास हो गया । मेर@ नौकर जाते जाते बचा◌ी थी । नरायन- चतरमाtणक रोनाधर तो तनक भी अfछा नह@ ु कया खद ु को उपर उठाने के लये छोटे कमचार@ के उपर उrटे पr ु टे इrजाम लगा =दये । रोट@ रोजी पर लात मारने पर उतर गया । कैसा अमानष ु है । oान काश-भइया नरायन जब से आंख खल@ है तब से ु ह@ जHम पर जHम मल रहा है ◌ै। आदमी }ारा खड.◌ी क गयी मिg ु कले म/ ु ठ0 क आग भांत तड.पा दे ती है । नरायन-ठ0क कह रहे हो भइया जातवाद,उ◌ू◌ंच-नीच का भेद म/ ु ठ0 भर आग ह@ तो है । oान काश-इसी म/ ु ठ0 भर आग क लपट मM तो झलस ु रहा हंू । भेद क म/ ु ठ0 भर आग न होती तो हमार@ उनत के रा ते बद ना होते । मेर@ शैZtणक योvयता जातीय योvयता के आगे एकदम से छोट@ हो गयी है सामतवाद@ `यव था के चk`यूह मM फंसकर । चभती ु यादI मM अfछाई ढढने का यास कर रहा हंू ताक ू िजदगी बोझ न बन सके । 222

नरायन-ब=ढ◌ायां सोच है । गर@बI क राह मM कांट eबछाने वालI का मन परवतत होने मे भइया आपका कत> व सहायक होगा । तम इतहास रच रहे हो । ु ृ तQ ु हार@ राहI मM कांटा eबछाने वाले एक =दन तQ ु हारे उपर गव करे गM । oान काश- मेरे साथ छल तो 'वषमतावाद@ आदमी कर रहा है । चहंु ओर से आती अजगरI क फफकार से लगने ु लगा है क मेर@ योvयता का यौवन नह@ नखर पायेगा । मेरे आंसू पाषाण पर दब ू उगा दे यह@ भगवान से ाथना है ताक सhभावना क जड.◌ो◌ं को बल मल सके । नरायन-तQ के सख ु हारा दख ु सहकर दसरI ू ु के लये जीना जLर सhभावना के Zे\ मM मील का प>थर साeबत होगा । oान काश-म- तो समानता क अभलाषा मM जहर पी रहा हंू । योvयता को हारता हआ दे खकर भी कम से मंह ु नह@ ु मोड. रहा हंू । नरायन-सच `यव था मM जातवाद क फफकार हक मार ु रह@ है ।गर@ब गर@ब होता जा रहा है ।जातवाद क महामार@ इंसानयत को डंस रह@ है इसके बाद भी समाज और लोकत\ के हार जात तोड.◌ो के अभयान को हवा नह@ दे रहे ह- । जातवाद दे श और समाज को कोई तरPक नह@ दे सकता । धमनपbZता का नारा बल ु द करने वाले जातनपZता को Pयो भल b ू जाते ह- । जब 223

तक जातवाद क आग सलगती रहे गी कमजोर वग पर@ ु ू तरPक से तरPक नह@ कर पायेगा । oान काश-हां भइया इसी महामार@ ने तो मेर@ योvयता को डंस लया है । मझसे कम योvयता वाले बड.◌ी ु बड.◌ी पो टI पर 'वरािजत होकर

मझे 7चढाते है ु

,Pयोक मेरे पास जातीय uेWठता नह@ ह- ।

वह कQपनी

जहां म- नौकर हंू वह सामतवाद@ `यव था }ारा शासत है । वहां मझ ु कमजोर क योvयता आंसू बहा रह@ है । नरायन- तQ यादI के बयान से तो सfचाई ु हार@ चभती ु झलक रह@ है । oान काश- ब=हWकृत

होकर

भी

प>थर

=दलI

पर

सhभावना क बेल उगाने क कोशश कर रहा हंू ।मेरा भ'वWय तो तबाह हो गया हे पर म- नह@ चाहता क कसी और कमजोर क शैZtणक योvयता को जात का Tवालामखी न भ म करM । ु नरायन-'वoान के यग मM योvयता को जातवाद के ु तराजू पर तौला जा रहा है । यह तो अयाय है ,सािजश है । इस तरह से तो कमजोर तबके का आदमी तो कभी उबर ह@ नह@ पायेगा । oान काश-म- कहां उबर पा रहा हंू । वणवाद क म/ ु ठ0 भर आग ने मेर@ शैZtणक योvयता को डंस लया है । मेरे आंसू भी उपहास बन रहे है । कछ शीष पर बैठे ु लोग भी भ'वWय तबाह करने क तoा कर चक ु े है । 224

नरायन-तQ ु हारा कम के त सfचा समपण जLर kाित लायेगा । तम हआ दे खकर भी ु तो भ'वWय को सलगता ु ु सामािजक याय के लये काम कर रहे हो । प>थर =दल जLर पसीजेगे ।तम ु समानता के लये कलम चला रहे हो ऐसे ह@ चलाते रहे । ठ0क है तQ ु हार@ पदोनत मM जात बाधा बनी हई ु एक =दन हर =दल अजीज ु है पर तम बनोगे । तQ ु हारा >याग `यथ नह@ जायेगा । oान काश-सामािजक कटता क जड. मM सhभावना क ु खाद डालने का यास कर रहा ह◌ू ू ◌ं अपनी कलम के भरोसे दे खो कहा तक सफल होता हंू । नरायन-सभी 'वgव स]द लोग

तकल परि थतयI ु

मM तपकर क परि थतयां आदमी ु दन हए ु ु है । तकल को अमरता दान करती है । oान काश-चभती यादM चैन तो नह@ लेने दे ती फर भी ु सQभावना के रथ पर सवार होकर समानता के लये खद ु को वाहा कर रहा हंू मौन ताक कल का सरज ू सामािजक समानता लेकर आये । नरायन-oान काश तQ यादI क ु हारे हर शsद मM चभती ु कराह समायी हई होश सQभाला है ु ु है । जब से तमने तब से ह@ तकल परि थयI से गजर रहे हो। चभती ु ु ु यादI के जHम ढो रहे हो

पर तम टटे नह@ । ु ू

oान काश तQ ु हारा हौशला जLर uेWठता ाXत करे गा कहते हए ु नरायन माथे से चू रहे पसीने को पोछे और 225

जात के नाम पर भ'वWय बबाद करने वालI के नाम पर थ-ू थू करते हए ु अपने गत`य क ओर दौड. पड.◌े



दा तान ए-गां गांव तान-ए शो'षतI,कमजोर तबके के 'पछडे.पन क िजk यदा कदा सनायी पड. जाती है । गर@बी,जातवाद और भमह@नता ु ू के रसते जHम मM तड.प रहे वं7चतI का दद स>ताधीशI के कान को नह@ खजला पाया । मई और जन ु ू के मह@नI को छोड.कर सभी मह@ने खेत अपनी सौदय पर इतराते रहते है । जोत क जमीनो एंव अय जमीनI पर सबल वग का एका7धकार है । अ7धकतर शो'षत वं7चत वग भमह@न खेतहर मजदरू है । जमीदारI के खेत मM खन ू ू पसीना करके बहाना वं7चतI का पेशा है

। मील,

कारखाने◌ा◌ं का अकाल सा पड.◌ा हआ है । नतीजन ु अ7धकतर वं7चत शो'षत समाज के लोग जमीदारI क हवेल@ से खेत खलहान तक हाड. फोड.ने को मजबरू है । गर@बी के ेत का इतना आतंक है क बfचे आठवीं दसवीं के आगे पढाई कर नह@ पाते । आजाद@ के इतने दशकI के बाद भी चौक गांव क चौखट तक तरPक नह@ पहंु च पायी है । भले ह@ सरकार आंव:टन का =ढढोरा पीट रह@ हो पर इस गांव मM आव:टन नह@ हो सका है । गांव समाज क जमीन शोषक समाज के कsजे मM है । गांव

के

शो'षत

मेहनत मजदर@ ू के बल पर िजदा 226

मा\ है । दभा ु vय है क यह गांव जात\ क नाक के नीचे तरPक से कोसो दरू है । शोषण,गर@बी,सामािजक बराईयI क म/ ु ु ठ0 भर आग मM तड.प तड.प कर जीवन eबताने

को

मजबरू ह- ।चौक

गांव

के शो'षतI

मM

सहनशीलता और हाड.फोड .मेहनत कट ू कट ू कर भर@ हई ु है । यह@ मेहनत क थाती इहे िजदा रखे हए ु है । शो'षत वग गर@बी,अशZा,बीमार@,नशाखोर@ के चंगल ु मM भी पर@ है । कछ दसवीं जमात तक पढे ू तरह फंसा हआ ु ु लडके दरू शहर के कल कारखानI मM काम करने लगे है । कमाई तो उहे अ7धक नह@ हो पाती है पर शहर मM मल रह@ इTजत उहे Tयादा रास आने लगी है । वह@ं जमीदारI के खेत मM काम करने वालI को तो इTजत दरू अछत कहकर द>ु कार तक =दया जाता है । गांव के ू शो'षत वग के मजदरू जमींदारI के Pया कोई दसर@ भी ु बड.◌ी जात के बतन नह@ छू सकते ।

गांव के शो'षत

गर@बी से ऐसे जकड.◌े हए े के आठवीं ु है क बff◌ा Pलास तक जाते जाते हार जाते है । नतीजन बfचे क पढाई छट ू जाता है । वह भी मां बाप के साथ जमीदारI के खेत मM हाड.फोड.ना शL ु कर दे ता है । 7गने चन ु पढे लखे बेरोजगार@ का अभशाप झेलने को मजबरू हो जाते है । उनके मां बाप कढते रहते है । मां बाप के बढते ु बोझ को दे खकर ऐसे गर@ब भमह@न खेतहर मजदरू मां ू बाप के लड.के के सपने मर जाते है और वे भी दो जन ु 227

क रोट@ के लये मालको के खेत मM हाड.फोड.ने लगते है । दसरा उनके पास कोई चारा भी नह@ होता है । ू राजनेताओं मि\यI के आgवासन तो थोथा चना बाजे घना को ह@ चरताथ कर रहे है । चनाव के =दनI मM म\ी और नेता डेरा डाले रहते है । ु बाक =दनI मM आसपास से नकल जाते है पर गांव क ओर ताकते नह@ । 'वकास के नाम पर सड.के और eबजल@ गांव तक दौड. तो चक है आ7थक एवं सामािजक ु उ>थान के लये कोई पH ु ता इतजाम नह@ हो सका है । गांव को वं7चतI के नाम महकू राम ,धनकू राम,दखीराम , ु कड.कु राम, महं गू राम, तनकू राम, जोखनराम पर दशरथ प\ ु uीराम से तनक भी नजद@क नह@ । वं7चतI के नाम के साथ जड ु .◌ा राम का नाम छोट@ जात का तीक हो गया है । दे श को आजाद हए ु े है ु कई दशक तो eबत चक पर चौक गांव के वं7चतI को न सामािजक और न ह@ आ7थक उ>थान हआ है । सामािजक बराईयI ,जातीय ु ु भेदभाव और आ7थक मिg ु कलI के दलदल मM वं7चत धंसे जा रहे है । राजनैतक चेतना का अलख जगा तो है पर आि◌◌ाथक ,सामािजक,शैZtणक जागत अभी भी कोसो ृ दरू है इस गांव से । गांव और गांव के से कोसो दरू तक उोग धधे नदारत है । खेती क जमीन भी नह@ है जबक वं7चतI को पgु तैनी धंध खेतीबार@ है । जमीन का मालकाना हक जमीदारI के पास है । वं7चतI के पास 228

आजी'वका का कोई साधन नह@ है । पर@ ू ब ती के लो खेतहर भमह@न मजदरू है । सरकार भले ह@ पर@ ू ू तरह आव:टन हो गया है का =ढढोरा पीट ले पर इस चौक गांव के वं7चतI को आव:टन का लाभ नह@ मला है । सरकार@ एवं गांव समाज क भम पर दबंगI का कsजा ू है । कह@ं घरू के नाम पर कह@ खलहान के नाम पर कह@ं हरयाल@ के नाम पर कह@ तालाब के नाम पर तो कह@ कएं ु के नाम पर या और कसी नाम पर । य=द आंव:टन हआ भी है तो बस खानापत ू हई ु ु है । दबंगI के कsजे मजबत ू मM है । गांव आवgयक 7चक>सीय स'वधाओं से वं7चत है । खेत ु मालक और पैसे वाले तो शहर जाकर इलाज करवा लेते ह- परतु गर@ब शो'षत वं7चत नीम हक मI के जाल मM और ओछाई सोखाई के चk`यह ू मM फंस जाते है । बदलतते वPत मM भी चौक गांव के वं7चतI का उ]दार नह@ हआ है । आजाद@ के बाद पहल@ बार इस गांव का ु धान वं7चत समदाय का तो बना है पर वह भी दबंगो ु का गोबर उठाने मM अपनी शान समझता है । वं7चत आव:टन क बात करते है तो कहता है आव:टन तो हो गया है । तीन भमह@नI को दो-दो बीसा जमीन मल@ है ू । कई एकड. जमीन दबंगI के कsजे मM है । इतनी जमीन मM तो चौक गांव के पfचीसI परवार के पास इतना खेत हो जाये क सभी कमा खा ले पर धन तो उrटे डांट 229

दे ता है यह कहकर क कहां जमीन खाल@ है । आव:टन का लाभ चाहने वाले जमीन बताते है तो वह कहता है क फला बाबू का कsजा है । कौन जायेगा रार लेने । पानी मM रहकर अजगर से कौन बैर लेगा । कब होगा आव:टन । कब कटे गा भमह@नता का अभशाप । बेचारे ू वं7चत बाट जोह रहे है तरPक क परतु तरPक उनक चौखट तक नह@ पहंु च सक है । हां राजनीत क घसपै ु ठ जLर हो चक है पर चालाक क म के लोग उनका ु भरपरू फायदा उठा लेते है । शो'षत वं7चत मंुह ताकते रह जाते है , जातवाद,भेदभाव गर@बी और अभाव क वेदना से कराहते हए ु । वतमान समय मM शो'षतI क ब ती के कये ु का पानी अप'व\ है । वं7चत लोग तनक तनक बातI मM लडने मरने को तैयार हो जाते है । हP ु का पानी बद होना आम बात होती है । राजनीत क eबसात पर भी वं7चत समदाय तरPक से दरू फका जा M ु रहा है । हां इंच इंच भर जमीन के लये इनक अगवाई ु करने वाले चतरु लोग इहे लड.◌ाते रहते है अपना उrलू सीधा करने के लये । कई कई बार तो ये भोले लोग अपना भार@ नकशा न तक कर बैठते है । जन जागरण ु क बयार गांवI से काफ दरू है । श=दयI से सताये गये लोगI क बनयाद@ जLरतM भी पर@ ु ू नह@ हो पा रह@ है । शो'षत लोग आंसू मM Lखी सखी रोट@ गील@ कर बसर ू करने को 'ववस है । 230

गांव के अ7धकतर शो'षत लोग अपने 'पछड.◌ेपन का दोष L=ढवाद@ `यव था को ठहराते है ,िजसक कोख से ह@ उपजी है सार@ मिg हो नरZता हो । ु कले चाहे छआछत ू ू गर@बी हो या कोई अय तरPक क बाधायM । शो'षत भमह@न खेतहर मजदरू कसी क'ष 'वशेषo से कम ू ृ नह@ है परतु वे अपने oान का उपयोग खेत मालकI के लये करते है हाड.फोड. मेहनत और माथे झर ु यI के बदले मलती ह- बस अभाव भर@ िजदगी । य=द इन मजदरI जोत क जमीन होती तो ये लोग ू के पास कछ ु अfछ0 पैदावार लेकर अपने परवार का भरण-पोषण अfछ0 तरह से कर सकते है । सरकार@ कानन ू होने के बाद भी पर@ ू तरह से आव:टन का लाभ चौक गांव के भमह@नI को तो नह@ मल पाया है । इस तरह क ू ल@पा-पोती शो'षतI क जड. खोदने पर लगी हई ु है । चौक गांव के शो'षतो को दे खकर उनक बेबसी का अदाजा लगाया जा सकता है । सरकार@ स'वधाओं के ु लाभ से शो'षत समाज वं7चत है । चनाव आते ह@ सभी ु पा=ट यां बडे बड.◌े वादा करती है इनके कrयाण का पर चनाव जीतते ह@ सब भा◌ूल जाते है । सरकार लाख ु आरZण क ढोल पीटे पर इस ब ती का शायद ह@ कोई आदमी सरकार@ नौकर@ मे

हो । पढे लखे शो'षत यवक ु

चारो आ◌ोर से नराश लौट आते है । नौकर@ पाने के लये जLर@ योvयता के बाद भी नौकर@ नह@ मल पाती 231

है PयIक इनक इतनी पहंु च भी नह@ होती है और इनका tख सा भी तो तार तार होता है । ाइवेट Zे\ इस वग को ाथमकता के आधार पर रोजगार महै ु या करा दे तो यह वग भी चैन का जीवन जी सकता है पर ाइवेट Zे\ मM इनक पहंु च सनिg चत हो तब ना । ु आज भी तो कई Zे\ है ऐसे है जहां जात के नाम पर वेश विजत है । सामािजक उ>थान के लये काम कर रह@ वयं सेवी सं थायM शो'षतI के लये आशा क करण साeबत हो सकती है पर सं थायM जात-भेद से उपर उठकर काम करे तब ना । दे श के दसरो तभावानI क तरह चौक के ब ती के ू शो'षतI मM भी तभाये छपी हई ु है पर कोई नखारने वाला नह@ मल रहा है । दं बग लोग तो द>ु कार के अलावा कछ कर भी नह@ सकते । उहे तो बस अपने ु एका7धकार से मतलब है । दबंग लोग अपना =हत शो'षतI के शोषण मM

सरYZत पाते ह- । 'वoान के इस ु

यग जातवाद क बराई जान चक है ।इसके ु मM दनया ु ु ु बाद भी जातवाद को बढावा =दया जा रहा है । धम के ठे केदार भी अपना संहासन इसी मM सरYZत दे खते है । ु दे श का सं'वधान बदलने क सािजश तो रची जा रह@ है । L=ढवाद@ `यव था मM बदलाव क कोई बात ह@ नह@ उठ रह@ है जबक जातवाद क महामार@ ने तो आदमी को ख:ड ख:ड कर =दया है । सामािजक समानता दम 232

तोड. चक है । जातवाद का 'वषधर फफकार रहा है । ु ु काश जातवाद का 'वषध ख>म हो जाता तो चौक गांव ह@ नह@ परेू दे श मM समानता का साjाTय था'पत हो जाता । शो'षत समाज को सQमान से जीने का हक मल जाता । वह भी चहंु मखी 'वकास क धारा से जड ु ु . जाता । काश ऐसा हो जाता जीवन बाबू तो म- उतना खश ु होता िजतना पंख'वह@न पंZी पंख पाने पर । जीवन बाबू -ठ0क कह रहे हो द@नू दादा मलभत ू ू अ7धकार क रZा के लये हमM खद ु के बलदान के लये तैयार होना होगा तभी 'वषमता क म/ ु ठ0 भर आग शात हो सकेगी । द@नदादा -सामािजक समानता और याय के लये हमM ू एक होकर उठ खड.◌ा होना होगा तभी अ7धकार क जंग जीत सकेगे । जीवन बाबू -चलो सभी शो'षत समदाय के लोग मलकर ु आज से ह@ जंग का ऐलान कर दM ताक शो'षत समदाय ु के लोग भी 'वकास क मH ु य धारा से जड ु . सके ।

'पकनक gयाम'वहार@- लगता है राम'वहार@बाबू नया साल ब=ढया जायेगा । कQपनी नये आयाम छये ू गी । राम eबहार@-कQपनी मM Pया फायदे मंद हो रहा है लोवर केटे गर@ के लये । खैर सभी कQपनी का 'वधान अfछा 233

होता है पर लाभ तो उपर वाले और पहंु च वाले ह@ उठा लेते है । लोवर केटे रगर@ तक तो गंध भी नह@ पहंु च पाती है । अभी तक तो कोई लाभ नह@ मला है आगे क तो कछ कह नह@ सकते । लाभ क तो कोई उQमीद ु नह@ है हो जाता है तो कोई दै वीय चम>कार समझो ।पि>◌ार =दल इंसान को तो दै वीय चम>कार ह@ चसीजा सकता है । gयाम'वहार@-लाभ मलेगा राम'वहार@ कब तक

बड.◌े

लोग छोटे लोगI को खन रहे गे । दे खो कQपनी ने ू चसते ू चपरासी से लेकर उfच अ7धकार@ तक क 'पकनक के लये समान राश का आंव:टन कया है । यह बात कोई कम नह@ है । हो सकता है अब से ह@ कछ नजरये मM ु बदलाव आये । राम'वहार@-हम लोवर कटे गर@ के लोगI के बfचे 'पकनक इंTवाय नह@ कर पायग M M । gयामeबहार@-PयI ? राम'वहार@-कल 'पकनक का =दन है ।लोवर कटे गर@ के लोगI को 'पकनक ले जाने के वाहन तक का इतजाम नह@ है ।हम लोवर कटै गर@ के लोग दो प=हया वाहन से अपने परवार को कैसे ले जायेगे । gयाम'वहार@-Pया ? कल 'पकनक जा रह@ है और लोवर 2ेड को पर@ तरह जानकार@ भी नह@ । दरू -दरू से ू 'पकनक क खबर मल रह@ है एक दफ् तर मM बैठकर 234

भी । राम'वहार@-हां gयामeबहार@ हायर कटे गर@ के लोगो के पास तो इतजाम है उनके पास स'वधा है । वे तो सार@ ु `यव था कQपनी के खचb पर कर सकते है । खास लोगI के लये खास इतजाम होगा पर हम छोटे कमचारयI के लये कोई इतजाम नह@ ।मजq पड.◌े तो जाना नह@ तो मत जाना कोई पछने वाला नह@ है । 'वकट साहब ू तो यहां तक कह चक ु े है क कसी के न जाने से Pया फक पड.ता है ? gयाम'वहार@-ये कQपनी के खचb पर आयोिजत होने वाल@ 'पकनक है या लोवर कटे गर@ के

को दरू रखने क

सािजश । राम'वहार@-सािजश मानI या लोवर और हायर कटे गर@ के बीच Eड टे स मेनटे न करने का षणय\ । gयाम'वहार@-लोवर कटे गर@ के लोगI का अ7धकार कैसे सरYZत रह पायेगा ? ये हायर कटे गर@ के सामतवाद@ ु शहं शाह तो हमारे हकI को ऐसे ह@ ल@लते रहे गे Pया? हम कंकड. से आंसू पोछते रह जायेगे अहं कारयI के बीच। राम'वहार@-ठ0क

कह

रहे

हो

gयामeबहार@



अहं कार

आदमी को झकने नह@ दे ता य=द अहं कार सामतवाद से ु पो'षत हो तो और भी घtणत हो जाता है । खद ु को खदा ु ृ समझता है । लोवर कटे गर@ के योvय और बि] ु दमान को महामरख समझता है ।यहां तो अ7धकतर लोग पद और ू 235

दौलत के अहं कार क म/ ु ठ0 भर आग मM लोवर कटे गर@ के लोगो

को सलगाना जानते ह@ है । यहां तो अहं कार ु

को सामतवाद के पर लगे हुए है । सामतवाद के eबलायत बबल ू सर@खे छांव मM तो लोवर कटे गर@ का तो कभी फलफल ह@ नह@ सकता ।अहं कार@ तो झकना ू ु जानता है नह@ और नह@ वह 'वनयशील होता है । अहं कार@ तो बस एकछ\ राज था'पत करना चाहता है । वह@ कछ ु लोग कर रहे है यहां । gयाम'वहार@-सच अहं कार तो ऐसा शखर होता है िजस पर चढ कर दे खने पर वैसे तो सभी आदमी छोटे नजर आते है पर लोवर कटे गर@ का आदमी तो क ड.◌ा मकोड.◌ा नजर आता है । यह@ इस कQपनी मM भी हो रहा है । राम'वहार@-कल 'पकनक पर जाना है । सार@ तैयारयां हो चक है पर हमारे कानI को अभी भनक तक नह@ ु पड.ने द@ गयी है । शाम तक तो राज खल ु ह@ जायेगा हमे परवार स=हत 'पकनक मM शामल होने का कहा जाती भी

है या नह@ । य=द कहा जाता है तो वाहन का

इतजाम होता◌ा है या नह@ । gयाम'वहार@-अरे हमारे हक को ये हायर कटे गर@ के लोग कैसे ल@ल जायेगे ? राम'वहार@-यह@ होता आ रहा है । खैर शाम तक पता चल जायेगा । अभी तो लंच करो । PयI टशन ले रहे M 236

हो। अरे 'पकनक पर जाकर कौन सा सख पा लेगे । ु रोज रोज तो हायर कटे गर@ का =दया दं श झेल रहे है ।एक =दन के झठ0 सhभावना से ू

=दल का जHम तो

नह@ भरे गा ना । रह@ बात जाने क तो स'वधा मलेगी ु तो चलेगे । नह@ं मलेगी तो नह@ चलेगे । gयाम'वहार@-अरे ऐसे कैसे नह@ मलेगी । लोवर कटे गर@ का हक ये हायर कटे गर@ के लोग कैसे लटते रहे गे ? ू राम'वहार@-लंच कर ले◌ा eबहार बाबू । 'पकनक पर ले जाना नह@ जाना तो `यव थापक नधारत करे गे । अभी तो लंच करो । gयाम'वहार@-लंच तो कLंगा ह@ पर मैनेजरI का द`ु यवहार खलने लगा है । अरे हमारे नाम से भी पैसा हायर गेर् ड वालI के बराबर आया

है । हायर कटे गर@ को

अ7धक

नह@ मला है ।हां अ7धकार@ तो उनके हाथ मM है । जैसा चाहे वैसा करM । राम'वहार@-'पकनक क बात ख>म करो । हायर 2ेड के लोग इतनी दरयां नह@ मेनटे न करे गे । वे भी इंसान है ू हम लोवर कटगेर@ हो या लोवर 2ेड के लोग । gयामeबहार@-हायर 2ेड दोषी नह@ है पर जो सामतवाद@ सोच है न वह@ं हम लोगI का चैन छन रह@ है । खैर असलयत का पता चल जायेगा दफतर बद होने से पहले



gयामeबहार@ और राम'वहार@ लंच कये । इसके बाद 237

अपने काम मM लग गये ।दफतर बद होने का समय आ गया । gयामeबहार@ ,राम'वहार@ के पास गया और उसके कान के पास बोला यार ये मैनेजर लोग तो बड.◌े घाघ हो है । हमार@ 'पकनक पर भी 7ग]द नजर लग गयी है Pया ? राम'वहार@-दे खो gयामeबहार@ तQ ु हार@ हालत तो दफतर मM मझसे कई बेहतर है । लोवर 2ेड का होकर भी तम ु ु हायर कटे गर@ के हो म- तो लोवर ह@ लोवर हंू । तम ु 'पकनक क `यव था कर रहे मैनेजर 'वकट कमारसाहब ु से बात करI । दे खो Pया कहते है । कोई वाहन हम के लये है क नह@ । gयामeबहार@-Pयो चने क झाड. पर चढा रहे हो । पछ ू लेता हंू । बfचे जब से सने ु है तब से तैयार@ मM लगे है । वैसे हमM तो कसी ने बताया भी नह@ क दफतर के लोग 'पकनक पर जा रहे है । उड.ती खबर सना ु घर मM जाकर बता =दया । राम'वहार@ -दरू से तो हमने भी सना है पर म- घर मM ु नह@ बताया हंू क कल 'पकनक पर जा रहे है । वैसे इतना बताया था क 'पकनक जनवर@ के मह@ने मM जा सकते है दफतर क ओर से । खैर हमारे बfचे भी तैयार@ मM है बस बो◌ेलने भर क जLरत हे वे तर ु त तैयार हो जायेगे । gयामeबहार@ तम तो सह@ ु 'वकट साहब से पछो ू । 238

gयामeबहार@-जाता हंू कहकर 'वकट साहब के कमरे मM वेश कया । 'वकट साहब उसे दे खते ह@ 7चढकर बोले PयI gयामeबहार@ Pया काम है ।जrद@ बोले◌ा◌ं म- बहत ु eबजी हंू । सांस लेने भर क फस ु त नह@ है ।कोई काम हो तो जrद@ से बोल दो । gयामeबहार@-साहब कल दफतर से 'पकनक जा रह@ है कया ? 'वकटसाहब- हां तो । ना जाये Pया ? gयामeबहार@-हम शामल हो सकते ह- Pया ? 'वकटसाहब-PयI नह@

। तमको पता नह@ है । ु

gयामeबहार@- अ7धकारक तौर पर तो हमM Pया कसी छोटे कमचार@ को नह@ पता है । 'वकटसाहब- नह@ पता है तो जान लो । कल सनडे का =दन है दफ् तर के सभी हायर और लोवर कटे गर@ के लोग 'पकनक पर चल रहे है । gयामeबहार@- साहब अकेले चलना है या सपरवार । 'वकटसाहब- सपरवार । gयामeबहार@-वाहन क कोई स'वधा है । ु 'वकटसाहब-नह@ं वाहन का खचा वहन करना होगा । gयामeबहार@-साहब ये 'पकनक कैसी ? ये तो सािजश हो गयी लोवर 2ेड / लोवर कटे गर@ से दर@ ू बनाने क । 'वकटसाहब-दरयां तो बनी रहनी चा=हये । 'पकनक पर ू सभी चल सकते है लोवर 2ेड / लोवर कटे गर@ के लोग 239

पर वाहन क स'वधा नह@ मलेगी । ु gयामeबहार@-साहब लोग कैसे जायेगे । 'वकटसाहब-साहब लोगI के बारे मM तQ ु हे 7चता करने क कोई जLरत नह@ । दफ् रत और मैदानी सभी साहब वाहन क स'वधा ाXत लोग है । तम ु ु तो अपनी 7चता करो आ जाना काउइ:टर@Pलब मM जैसे भी आ सकते हो । साहब लोगI के बराबर तQ ु हारे भी इटरटे नमेट का अरजमे :ट है । इतना Pया कम है ? M gयामeबहार@-साहब काउइ:टर@ कrब हम कैसे पह◌ु ु ◌ंच सकते है दो प=हया वाहन से वह भी परवार के साथ शहर से चाल@स पfचास कमी दरू । चाल@स कलोमीटर दरू कोई कैसे जा सकती है पांच पांच को एक कू टर या मोटर साइकल पर बैठाकर । यह तो अयाय हो रहा है लोवर 2ेड के साथ । 'वकटसाहब-याय हो रहा है या अयाय यह तो तम ु जानो । इतना सन नह@ मलेगा । ु लो वाहन का सख ु वाहन स'वधा चा=हये तो बड.◌े साहब के पास चले जाओ ु । वह@ वाहन स'वधा उपलsध करवा सकते ह- । ु gयामeबहार@-हायर 2ेड वालI क `यव था आप कर रहे हो लोवर क बड.◌े साहब । PयI पानी मM आग लगा रहे हो साहब ।Pया हम लोगो का हक मारकर आप लोग 'पकनक का इंTवाय कर पायेगे ? 'वकटसाहब-gयामeबहार@ बाहर नकलो यहां से । कोई 240

शकायत है तो साहब से कहो । gयामeबहार@-चोर-चोर मौसेरे भाई । चोर सपाह@ का खेल हो रहा है यहां । 'वकटसाहब- Pया नाक मM बोल रहे हो जोर से बोलो। gयामeबहार@-मेर@ Pया औकात क बोलू । लोवर 2ेड इQपलायी क कौन सने ु गा इस माहौल मM जब दय◌ा◌ं ू मेनटे न रखने क सािजश रची जा रह@ हो ।लोवर 2ेड को अवनत के दलदल मM ढकेला जा रहा हो । Pया उQमीद करM ऐसे सामतवाद@ साहबो से से जो बस अपना मतलब साधने क जआड . मM लगे रहते है ,कमजोर के हको पर ु कsजा जमाने के चाल चलते रहते है । 'वकटसाहब-PयI बकबका रहा है जा 'वपि>तनरायन, {ांच मैनेजर साहब से बता अपनी परे शानी । कर दे मेर@ शकायत । gयामeबहार@-सfची बात कड.वी लग रह@ है । ठ0क है साहब से बात कर लेता हंू आप द>ु कार रहे हो तो । 'वकटसाहब-जा तझको दे खकर साहब कसq छोड. दे गे ु ु ।खद ु 'पकनक पिsलक सवार@ से जायेगे तझे ु और तेरे जैसI को सरकार@ कार भेज दे गे । gयामeबहार@-अपनी क मत कहां ऐसी । अपनी क मत पर तो कछ लोग नाग क तरह जमे हए ु ु है ।हम लोगI के आंसओ पर जाम लड.◌ाने क योजना है । ू 'वकटसाहब- Pयो भेजा खा रहा है जा अपना दखड ु .◌ा 241

साहब को सना ु । gयामeबहार@-हां भई लोवर कटे गर@ के लोगI का यहा कौन सनने वाला है फर भी सनाने क कोशश तो करके ु ु रहंू गा◌ा । gयामeबहार@ 'वकट साहब के चैQबर से माथे से पसीना पोछते हए {ांच मैनेजर साहब के केeबन क ओर बढा ु उससे पहले साहब दफतर से बाहर नकले और खद ु कार ~ाइव कर चल पडे. ।

काम'वहार@,~ाइवर कार का

छोड.◌ा धआ और धल नहारता रह गया । वह ु ू का गबार ु कार के आंख से ओझल होते ह@ वह राम'वहार@ के पास आया और बोला रामबाबू Pया हमे 'पकनक से दरू रखने क सािजश नह@ है ? gयामeबहार@-सािजश ह@◌ा है । पद और दौलत का अभमान प>थर =दल बना =दया है । छोटे कमचारयI को तो बहत ु उपदे श दे ते है । लगता है क इनसे बड.◌ा धमा>मा कोई होगा ह@ नह@ पर ये तो आि तन मM सांप रखते ह- । मंह रखते है । कहते ु मM राम बगल मM छर@ ु कछ करते कछ है ।इनके Uदय मM अहं कार का काला भत ू ु ु पलता है । कामeबहार@-ये तो सभी जानते है पर मानता कौन है । मझे ु तो ये बताओ क हम लोग 'पकनक चलेगे तो कैसे ? gयामeबहार@-'पकनक के लये कQपनी ने लोवर 2ेड के 242

कमचारयI को हायर 2ेड अ7धकारयI के बराबर का बजट =दया है तो Pया लट ू ले◌ेगे । चलेगे तो जLर भले अकेले । काउइ:टर@ Pलब 'पकनक थल है इतना तो पता चल ह@ गया है । काम'वहार@-बfचI को छोड दे गे Pया ? मेरे बfचे तो हफ् ता भर से तैयार@ मM जटेु है । कैसे उनको मना कLंगा । gयामeबहार@-कह दे ना 'पकनक कसल हो गयी है । राम'वहार@-PयI बfचI से झठ ू बोलने को कह रहे हो gयामeबहार@ । असलयत बता दो । बfचI को भी तो पता चले हम कैसे लोगI के बीच काम कर रहे है । जहां पल-पल धोखा है । जंगल राज क तरह है जहां दसरे ू पल कौन सी दघ ु टना घट जाये । जहां हर पल भय बना रहता है । कौन शकार बन जाये ।छोड.◌ो कटे गर@ को 'पकनक का ल>ु फ उठाने दो

हायर

। हम तो

अपनी हालत पर सख कर लेगे । सख ु क अनभत ू ु ु का स\ ू है दे ना । हं सते हए ु छोड. दो । यह मान लो क सं था के खचb पर होने वाले आयोजन अथवा 'पकनक बड.◌े लोगI के लये होती है हमारे ◌े लये नह@ । य=द हमM शामल होना है तो पहले अपने tख से क हालत को दे खना होगा । हजार Lपया खच करे गे

सं था }ारा

आयोिजत 'पकनक मM जाने के लये । अरे इतने मM तो मह@ने भर का नन ू -तेल क `यव था हो जायेगी । चलो अपने अपने घर चले । सौतेले `यवहार को दे खते हए ु म243

तो नह@ जाउ◌ू◌ंगा । gयामeबहार@-कसम है तमको राम'वहार@ चलना है ।दे खे ु तो सह@ हायर2ेड हमे दे खकर कैसा अनभव करता है ु दरयां मेनटे न करने वाले लोग। ू राम'वहार@-नई बात तो है नह@ । आंसू दे ने वाले,कमजोर का हक छनने वाले,अवनत के दलदल मM धकया कर खद ु आगे बढने वाले प>थर =दल द`ु यवहार करे गे ,गले तो नह@ लगायेगे । तमने कसम दे द@ है तो कसम तो ु तोड. नह@ सकता । gयामeबहार@-चलो सबह नौ बजे तैयार रहना । दे खते है ु 25 जनवर@ क 'पकनक मे लोवर 2ेड के साथ और Pया अयाय होता है । छटभइया नेताओ क तरह यहां ु छटभइया मैनेजर कैसे 7गर7गट क तरह रं ग बदलते है ु यह तो हम अfछ0 तरह से जानते है । 'पकनक मM हमे दे खकर इनका रं ग कैसे उतरता है । यह भी जानने का मौका है यह सं था के खचb पर आयोिजत 'पकनक है बडे लोगI के घर से खच नह@ हो रहा है । हमारा भी हक बराबर का है पर ये लोग हमारे हको पर कsजा जमा लेते है । हम दे खते रह जाते है ललचायी आंखो से । राम'वहार@-ठ0क है । कल सबह नौ बजे तैयार मलंूगा । ु 'पकनक vयारह बजे शL ु होगी । पहंु चने मM तीन घ:टे का समय तो लगेगा । gयामeबहार@-वPत तो लगेगा । चलो अब घर चले । कल 244

सबह नौ बजे पेcोल पQप के पास मलेगे । ु लोवर 2ेड अपने घरI क ओर चल पडे.। हायर 2ेड तो आंखमचौल@

का

खेल

पहले

ह@

खेल

रहा

था



'वपि>तनारायण साहब जैसे सामतवाद के पोषको क अगवाई मM और भी छोटे लोगो के 'वरोध के सािजश क ु आशंका तो बनी हई ु थी । 25 जनवर@ को राम'वहार@,काम'वहार@ ,gयामeबहार@ के कहे अनसार पेcोल पQप पर मले । वह@ से काउइ:टर@ ु कrब

को

चल

पडे. ।

राम'वहार@,काम'वहार@

और

gयामeबहार@ लोवर 2ेड के कमचारयI से पहले सपरवार हायर 2ेड के लोग का'पयI,Pवालस एवं अय लPजर@ कQपनी के खचb क कारो से पहंु चकर 'पकनक इंTवाय कर रहे थे । ये वह@ लोग थे जो लोवर2ेड को आEडनर@ वाहन क स'वधा दे ने से साफ मना कर चक ु ु े थे । िजसक वजह से छोटे कमचारयI के परवार के सद य शामल नह@ं हो सके थे जो कमचार@ शामल हए ु थे उनक जबान पर बहत ु सारे gन तैयार रहे थे । ये लोवर 2ेड कमचार@ खद ु को अजनवी लोगI के बीच मM महसस हायर 2ेड बोल@बोलने मM भी ू कर रहे थे । कछ ु तनक भी नह@ शरमाये थे । कछ दरयां मेनटे न करते ू ु रहे । कछ न दबी जबान {ाच मैनेजर,'वपि>तनारायाण ु ु साहब और छोटे

मैनेजर 'वकट साहब क खामयां

7गनाये और लोवर 2ेड के परवार को 'पकनक से दरू 245

रखने का िजQमेदार 'वपि>तनारायाण साहब और 'वकट साहब को ठहराया । कछ ने तो इस तरह क दर@ ू को ु दबी जबान से उ7चत भी कहा । राम'वहार@ 'पकनक मM ु हायर2ेड }ारा मेनटे न क जा रह@ दर@ ू से 'वचलत होकर gयामeबहार@ से बोला यहां से अब चलना ठ0क होगा । gयामeबहार@-हां राम'वहार@ तम ु ठ0क कह रहे थे । हमे नह@ं आना चा=हये था । बfचे◌ा◌ं का उदास चेहरा बार बार आंख के सामने घम ू रहा है । आओ हम चले ।भले ह@ ये हायर 2ेड हमM और हमारे परवार को 'पकनक का ल>ु फ नह@ उठाने =दया सािजश रचकर। हायर 2ेड के अ7धकारयI और उनके परवार के ल>ु फ मM हम बांधा Pयो बने ? हम सब बदाgत कर लेगे । आओ चले । घर पहंु चते पहंु चते बहत ु रात हो जायेगी । ये हायर कटे गर@ के लोग हमारे दखI मM ह@ सख ु ु खोजते है । राम'वहार@,काम'वहार@ ,gयामeबहार@ और छोटे कमचार@ 'पकनक से गहरा जHम लेकर चले पड.◌े अपने घर क ओर उखड.◌े पांव । नदलाल भारती 28 01 09

मनया ु =दन बचपन क ं अटखेलयां शL ह@ कया था क ु अचानक धल भर@ आंधी का ता:डव शL ू ु हो गया । 246

कfचे घरI क खपरै लM तनके क तरह उड.ने लगी,जमीन 7गरते ह@ कई टकड ु .◌ो मM eबखरने लगी ।मड.ई और छXपरM द@वालI क पकड. से ऐसे दरू जाने◌े लगी जैसे कोई शैतान अपनी ओर खींच रहा हो । इसी ता:डव के बीच मनया रोते कराहते आ गयी और रघन ु ु दन का पैर पकड.कर रोने लगी । मनया क दशा दे खकर रघन ु ु दन के पैर के नीचे से जैसे जमीन घसक गयी ।वह मनया ु को चपकराते हए ु ु रो पड.◌ा । रघन ु दन को रोता ु खद हआ दे खकर मनया अपने आंसू भलक र उनके आंसू ु ू ु पोछते हए ु इस तरह ु बोल@ नाना ना रोओ । अगर तम रोओगे तो मेरा Pया होगा ? मनया के आंसू पोछने पर ु भी रघन ु दन के आंसू थमने के नाम नह@ ले रहे थे । आंसूओं को गमछे मM दबाते हए ु दन बोले बी=टया ु रघन इतना सबेरे PयI आयी घर मM तो सब ठ0क ह- । तेरे पापा कहां है । वे ठ0क तो है । मनया -हां ठ0क है उनकI Pया होगा ? मां को तो खा ह@ ु गये अब हमे खाने पर लगे है । म- भी भाग आयी नाना। रघन ु दन- बी=टया तू भागकर आयी है Pया ? मनया -हां नाना मां के बाद नानी फर दाद@ चल बसी । ु म- तो अनाथ हो गयी । बाप का घर मेरे लये जेल हो गया था नाना । मनया बयान कर दहाड.◌े मार मार ु कर रोये जा रह@ थी । रघन ु दन- बी=टया तू कैसे अनाथ हो सकती है । अभी 247

तेरा नाना तो िजदा है । रघन को चपकराने का यास कर रहे थे पर ु दन मनया ु ु मनया के आंसू थमने के नाम नह@ ले रहे थे । तेज ु हवायM जैसे मनया के रोने क आवाज दरू दरू तक ु पहंु चाने के लये चल रह@ थी । मनया का k ु ु दन आसपास क ब ती के लोगI के =दलI पर द तक दे =दया । कछ ु दन के दरवाजे पर मेला लग गया ु ह@ दे र मM रघन । मनया क 'वYZXत जैसी दशा दे खकर सभी के आंखI ु मM खन ू उतर आया । रघन बोला बी=टया जा मंुह हाथ धोले । तू ु दन पनः ु अपने बाप के लये भले ह@ बोझ लग रह@ हो पर हमारे लये नह@ । तेर@ परवरस हम करे गे । मत रो बी=टया । मेरा कलेजा फटा जा रहा है । डंगर@ मनया के आंसू अपने पrr◌ा ू से पोछते हए ु ु बोल@ बी=टया कब क चल@ थी क कर@न फटने से पहले आ ू गयी । अरे दस कोस क दर@ ू कम तो नह@ होती । Qु◌ानया रोते हए बोलने से थोड.◌ी ु ु बोल@- नानी मगा पहले भागी थी जान बचाकर। कमौती -बाप रे बी=टया को बाप के घर से भागना पड. रहा ु है । लगता है बी=टया दाना पानी को तरस गयी है । दे खो ना हाड. हाड. हो गयी है । भगवान eबन मां क बेट@ पर कैसी मसीबत डाल =दये है । लगता है जेल से ु भागकर आयी है । मां के मरते ह@ बाप ने ह@ बेट@ क 248

जीवन मM म/ ु ठ0 भर आग भर द@ सौतेल@ मां लाकर । मां सौतेल@ है बाप तो नह@ । एक बेट@ क परवरस नह@ं कर पा रहा है । मनया ससकते हु ए बोल@ मामी छोट@ मM कू ल जाना तो ु कब क बद करवा चक है । गोबर क:डा eबनवाती है । ु घर का सारा काम करवाती है । कतनी भी बीमार PयI न रहंू पर चाकर@ से मनट भर क मोहrलत नह@ं। खद ु महारानी जैसे पड.◌ी रहती है । ख=टया पर खाती है । मझे कहती है अढाई सेर एक टाइम खाने को चा=हये ु कहां से आयेगा । मजदर@ ू करने को कहती है । बात बात पर मारती है । पापा के कान भी रती रहती है । पापा छोट@ मां क सनते है । मेरे आंसू को =दखावट@ समझते ु है । कमौती -बाप रे नह@ं सी जान के साथ इतनी नाइंसाफ ु ।मां के मरते ह@ मनया मजदरन हो गयी बाप के घर मM ु ू । डंगर@-बाप तो अfछा कमाता खाता है । इसके बाद भी नह@ सी मनयां को से चाकर@ करवा रहा है नालायक ु कह@ं का । बेट@ राह क कांटा बन गयी है । बी=टया को रा ते से हटाना चाह रहा है । शैतान को क ड.◌े पडे.गे दे खना । बेट@ तो दे वी का Lप होती है । दे वी समान बेट@ को रPत के आंसू मल रहा है वह भी बाप के घर मM ।हे भगवान ये कैसा बरा ु समय आ गया है । 249

खटर@-बाप से Tयादा दे ◌ाषी तो सौतेल@ मां है । उसी क =दया हआ जHम मनया के तन से झलक रहा है । मां ु ु के मरने से पहले यह@ मनया नालायक बाप के लये ु शभ ु थी आज खटकने लगी है । ताEड.त कर रहा है नालायक दसर@ प>नी के साथ मलकर । ये कैसी सजा ू दे रहा है अपनी औलाद को एक सगा बाप , अगर बी=टया कसी बदमास के हाथ लग जाती तो Pया होता ? बेचार@ क खबर भी ना लगती । आजकल तो सनने मM ु आ रहा है क बदमास बfचI को अंग-भंग कर भीख तक मंगवाते है ।भागवान एक अनाथ को बचाकर बड.◌ा उपकार कया है । रघन ु दन डांटते हए ु बोले -खटर@ तेरा =दमाग तो ठ0क है । तू Pया कह रह@ है मनया मेर@ नातन है अनाथ कैसे ु हो सकती है ? खटर@-जेठ जी ठ0क कह रहे हो । अगर बी=टया के साथ खदा हो जाता तो । कहां ढढते कह@ं नामो ु ना खसते कछ ू ु नशान मलता Pया ? आजकल आदमी के वेष मM कतने भेEड.ये घमते है । आपको पता है । खैर पता भी कहां से ू होगा घर छोड.कर कह@ं गये भी तो नह@ । दनया मM ु Pया हो रहा कैसे खबर लगेगी । मसीबत क मार@ ु भोल@भाल@ लड.कयI को पहचान कर दो जहर म7uत शsद बोलकर अपने जाल मे फंसा लेते है दरदे । बेचार@ लड.क का जीवन नरक बन जाता है । आत Pया जानो 250

। औरत का दद । रघन ु दन-सब जानता हंू । मझे ु खबर ह@ नह@ लग पायी क मेर@ नातन के साथ चा:डाल ऐसा द`ु Žयवहार कर रहे है । मझसे तो बहत ु ु .◌ी बाते करते थे । ु 7चकनीचपड भगवान तेरा लाखलाख शkया मेर@ नातन को सह@ ु सलामत यहां तक पहंु चा =दया । अब मेर@ नातन उस चा:डाल के चौखट पर थकने तक नह@ जायेगी।हम ू परवरस करे गे अपनी नातन क । मनया -नाना कभी ना जाउ◌ू◌ंगी पापा के घर यहां से ु ।दाद@ िजदा थी तो Hयाल रखती थी । इसके बदले उसके भी कभी कभी दाना पानी बद हो जाते थे । दाद@ अपने =ह से क रोट@ मझो tखला =दया करती थी । ु नाना,दाद@ के मरते ह@ छोट@ मां और मेरे पापा तो जैसे मेरे दgु मन बन गये है । छोट@ मां तो कई बार मेर@ वजह से दाद@ पर हाथ उठा द@ थी । दाद@ के मरते ह@ भख ू ी शेरनी हो गयी है । रघन ु दन- बी=टया तू 7चता ना कर । तझे ु शैतानI से दरू रखंूगा । डंगर@-हां मनया तमको यहां कोई तकल@फ नह@ होगी तेरे ु ु मामा-मामी कतने अfछे है । तमको अपनी बेट@ जैसे ह@ ु रखेगे Xढायेगे लखायेगे । तमको तेरे पैरI पर खड.◌ा ु होने लायक बनायेगे मझे ु उQमीद है । Qु◌ानया- हां नानी म- जानती हंू । मामा-मामी 251

का =दया

कपड.◌ा तो जब से पैदा हई ु हंू तब से ह@ पहन रह@ हंू । मेर@ मां का Hयाल मेरे पापा ने रखा होता तो मां नह@ मरती । यहां तक मां क बीमार@ क खबर तक नह@ आने दे ते थे पापा । मेर@ मां को तड.पा तड.पा कर मार डाला ।मेर@ मां क लाश को तो मेरे बाप ने गज भर कफन भी नह@ =दया । सब kया कम तो नाना के घर हआ था । नानी मझे ह@ मै छोट@ थी । ु याद है भले ु अब मझे ु मारने पर तले ु है छोट@ क सािजश मM फंसकर । मां अगर भागकर न आती तो मेर@ छोट@ मां मझे ु मरवा कर फक दे ती या कह@ं बच M M दे ती । tझंगर@ ु -बेट@ ऐसा ना बोल । भगवान कसी बfचे के साथ ऐसा अयाय न होने पाये । मनया -हां नानी ठ0क कह रह@ हंू । दाद@ के मरते ह@ ु मेरा कूल का ब ता खंट गोबर ू @ पर टं ग गया । मझसे ु क:डा eबनवाया जाने लगा । नाना जाते तो छोट@ मां कहती बी=टया टयशन गयी है । कभी कू ल गयी है का ू बहाना बनाती । मझे ु तो कू ल जाने क इजाजत ह@ नह@ थी दाद@ के मरने के बाद । चr ू ह चौका गोबर क:डा eबनने के काम मM लगा =दया था पापा ने छोट@ मां ने । खटर@-कैसा जrलाद बाप है अपने खन ू के साथ इतना बड.◌ा अयाय । गोठू-बी=टया बाप क कैद से आयी है । दे खो उसके पैर लहलहान हो रहे है । हाथ पावं धलाओ । कछ दाना ु ु ू ु 252

पानी कराओ । बेचार@ कतनी डर के मारे

सहमी हई ु है

। लौटू-ठ0क कह रहे हो गोठू । ये औरते जहां इP/ठा हो जाती है वह@ पंचायत शL ु । डंगर@-बेचार@ क दशा को दे खकर सब भौचPके है लौटू भइया । सभी का =दल रो रहा है । तम ु औरतI पर अपयश लाद रहे हो । दे खो सौतेल@ मां का खौफ मनया ु क आंखI मM । कैसे जान बचाकर आयी है असल@ दा तान तो मनया को ह@ मालम ु ू है ना ।दे खो बेचार@ मनया का Pया बरा ु ु हाल कर =दया है सगे बाप और सौतेल@ मां ने । गोठु- मनया क दाद@ जीते जी आंच नह@ आने द@ । ु बेचार@ गांती बांधी रह@

। कूल भी भेजती थी । मनया ु

को टांट@ क तरह मनया के चारI ओर छायी रहती थी । ु खद ु भH ू े◌ा पेट रह जाती थी पर मनया ु

को भखी नह@ ू

रहने दे ती थी । बेचार@ मनया के उपर एक एक 'वपि>त ु आती जा रह@ है पहले मां मर@ ,नानी मर@ फर दाद@,दाद@ के मरते ह@ सौतेल@ मां ने बी=टया मनया को सड.क पर ु लाकर पटक =दया । लौटू-यह तो मनया क सौतेल@ मां क सािजश है । वह ु िजस बfचे को पैदा क है उसक परवरस कर रह@ है । मनया क रोवन रोट@ कर द@ है । बेचार@ मनया कतनी ु ु ताड.ना सह@ ह- अपने बाप के घर मM । जब असहनीय 253

हो गयी है तब भागकर आयी है । यह काम पहले कर लेती तो ये हाल तो ना होता । लखना पढना भी तो जानती है बैरन 7च/ठ0 ह@ डाल दे ती । रघन ु दन भइया पहंु च जाते ।अपने साथ लेकर आ जाते । गोठु- बेचार@ से कैसे वPत ने मंह ु मोड. लया है अपने दgु मन हो गये है ।मनया को इसक मां Tयोत तेज ु हवा तक नह@ लगने दे ती थी । आज दे खो वह@ मनया ु आग का दरया तैर कर यहां तक पहंु ची है । अरे पर@ ू ब ती के लोग टांट@ बने हो । मनया क हाल दे खकर ु सभी कोस रहे पर उसके पैर को तो दे खे◌ा कतना बड.◌ा घाव हो गया है कह@ं शीश धंस गया है । दवा दाL का बदोब त तो करो



खटर@-हां बेचार@ के पैर से बहत ू बह गया है । अब ु खन तो खन उसी Tयोत क ू भी सख ू गया है । यह मनया ु बेट@ है जो तनक भर इसके रोने से ह@ रो उठती थी । एक बार तो मन ु या के कान मM दद हो रहा थ तब Tयोत ने चहे तेल नकाल@ और मनया के ू को भनकर ू ु कान मM डाल@ थी । सना है तब से मनया का कान ु ु कभी दद नह@ कया । आज मनया का Pया हाल बना ु =दया है उसके सगे बाप और सौतेल@ मां ने लावारसो◌े◌ं जैसे छोड. =दया है । ननहाल वालI ने सर पर eबठा रखा है । भोपू-खटर@ कछ भी बोल जाती है मनया लावारस कैसे ु ु 254

हो गयी । नाना,मामा-मामी सभी तो है । मनया क ु परवरस अfछ0 तरह करे गे । रघन ु दन छोट@ बहू से बोले सोनया तू ते◌ा उठ जा एक लोटा पानी और दातन को । बेचार@ भखी ू तो दे मनया ु ू Xयासी है ।कुछ tखला बाते तो बाद मे◌े◌ं करती रहना । दे ख तफान थम गया है । मै खेत जाकर दे खू गेहू ं के ू बोझ उड. गये या बचे है । मड.ई तो उड. गयी । मगq ु मग मM उड. गये । यह भी भार@ ु b ना जाने कहां तफान ू तबाह@ हो गया । पेड.-पालI उख.ड. गये है । दे खू तो सह@ मंह बचा है या तफान क भेट चढ गया ु का नवाला कछ ू ु । सोनया- बाबजी खेत दे ख आओ । म- बी=टया को नहला ू ]ु◌ाला कर

खाना tखलाकर दवा दाL करवाती हंू कहते हए का हाथ पकड.कर उठाने लगी । ु ु सोनया मनया मनया - Lक जा मामी थोड.◌ी दे र और इसके बाद नहाती ु धोती हंू । पहले कछ खाने को दो कई =दन क खायी हंू ु । सोनया-अरे काजल द@द@ के लये दातन ू तोड. ला तो । काजल- हां मां लाती हंू । सोनया थाल@ मM पानी लेकर आयी और जबद ती मनया का पेर थाल@ मM रखकर धोने लगी । तनक भर ु मे◌े◌ं थाल@ का पानी लाल हो गया । मनया के पैर मM ु बडा. जHम जो था । कई कांटे भी धंसे थे । सोनया 255

मनया का पैर धोकर नीम क प>ती उबाल@ फर नीम ु के पानी से मनया के पैर के जHम को साफ क मलहम ु लगायी । सोनया काजल से बोल@ बेट@ द@द@ को◌े गड ु . दाना दो खाकर पानी पी ले ।म- झटपट रोट@ सक लेती हंू । M बी=टया भखी Xयासी है । दे खना बी=टया घाव पर मPखी ू न बैठने पाये । मनया -ठ0क है मामी । ु धीरे धीरे मह@ने eबत गये पर मनया का बाप हलकू थाह ु पता नह@ लगाने आया । नयी दr ु हन क मनौती पर@ ू हो गयी । मनया का बोझ सर से उतर जो गया था । ु मनया के =दल मM सौतेल@ मां का डर बैठा हआ था । ु ु घाव ठ0क हो चक ु ा था तन पर सडM कपडM नाना के घर आते ह@ बदल गये थे । दखी मन पर खशी द तक दे ने ु ु लगी थी । मनया नाना के घर मM खश ु ु थी । काजल मनया क साया बन चक थी परा ु ु ू Hयाल रखती थी । डगर@-मनया तू आज बहत ु ु है कोई आने वाला है ु खश Pया ? मनया -तेरा बाप और नई मां । ु काजल-बड.◌ी मQमी Pयो 7ग]द नजर लगा रह@ हो । 7ग]दो को यौता दे रह@ हो । कसाई को दे खकर गाय खश ु होगी Pया ? डंगर@-बाप रे दे खो

बीता भर क छोकर@ कतनी बड.◌ी 256

बात कह गयी । इतने मM लालगंज तरवां मा2 पर उ परवहन क बस Lक और सवार@ उतारकर आगे बढ गयी ।इतने मM काजल काजल क आवाज रघन ु दन के कानI को छने ू लगी । रघन कोई बला ु दन-दे ख काजल तमको ु ु रहा है Pया ? काजल-अरे दादा बडे पापा आ गये । रघन ु दन-राजू आ गया Pया ? मनया -हां नाना बड.◌े मामा है । ु काजल राजू को दे खते ह@ दौड. लगाकरसड.क पर पहंु च गयी । वह एक हाथ से राजू का हाथ पकडी और दसरे ू हाथ से झोला । मेरे पापा आ गये मेरे पा आ गये कहते ,चहकते घर आ गयी । राजू अपने 'पता का पैर छआ । इतने मM काजल ख=टया ु खींच लायी और राजू का हाथ पकड.कर बैठायी । राजू के◌े बैठते ह@ मनया आ गयी और राजू को पकड. कर ु जोर जा◌ोर से रोने लगी । राजू म◌ु ु नया के सर पर हाथ फेरते हए ु बोला कब क आयी हो बी=टया । राजू को दे खकर डंगर@ आ गयी और eबन पछे ू मनया ु क सार@ दा तान सना क दा तान सनकर ु द@ । मनया ु ु राजू क आंखI मM सावन भादI उमड. पड.◌ा । राजू मनया के सर पर हाथ रखकर बोला बेट@ ु

तू समझ ले

तेरा बाप भी मर गया तेरे लये । तेर@ परवरस हम 257

करे गे



मनया ु

और राजू

को रोता

हआ दे खकर ु रघन ु दन भी अपने आंसू को नह@ रोक पाये । परेू परवार को रोता हआ दे खकर काजल बोल@ दे खो द@द@ ु आज सभी कतने खश पाकर सब साथ मM रो ु है तमको ु रहे है । रघन ु दन-हां बी=टया ये गम के नह@ खशी ु के आंसू है ।

परायापन अPटूबर का मह@ना था ।धान क फसल यवाव था मM थी ु । मेड.◌ो पर से पानी कल कल कर बह रहा था । नद@ पोखर सब लबालब थे । लोग धान क नराई मM लगे हए ु थे । }ार तक पानी भरा हआ था । दरवाजे के सामने ु ख=टया डालने भर क सख ू ी जमीन नह@ थी । रह रह कर बादल उमड. रहे थे । जोरदार बारस क उQमीद बनी हई थी । इसके बाद भी गांव से कछ दरू बढे ू बरगद के ु ु नीचे लोग सबह से ह@ जमा हो रहे थे । ह@रा साहब के ु घर से औरतI के रोने क आवाज लोगI के =दल को दखा ु रह@ थी । बाबजी बाबजी कहकर बेट@ बहू, छाती पीट पीट ू ू कर रो रह@ थी ।ह@रा साहब के मरे आज दस =दन हो गये थे ।बढे ू बरगद के नीचे घट बैठ रहा था ।ह@रा साहब शहर मM बडे. पद से रटायर हए ु थे ।ह@रा साहब जब भी नौकर@ से गांव आते दरू दरू से लोग मलने आते Pया जात Pया परजात सभी लोग साहब के नाम से जानता थे । दरू दरू के गांवI मM उनक बड.◌ी इTजत थी । 258

ह@रा साहब गर@बी मे

पले बढे पढे थे । मीलI तक नंगे

पांव पैदल चलकर पढने जाते थे । पैदल चल चलकर उनके तलवे क मोठ0 परत नकल जाती थी । कभी कभी तो उनके पांव से खन ू बहने लगता था पर वे कू ल जाना बद नह@ कये थे । पढाई मM बहत ु होशयार थे । उनके जमाने मM eबजल@ क पहंु च गांवI तक थी भी नह@ 7चमनी ,डेबर@ से पढाई होती थी । गर@बी इतनी थी क म/ट@ का तेल

भी नह@ खर@द पाते थे । आवागमन के

साधन भी न थे ,पगड:डी या मेड.◌ो से होकर मीलI दरू

कूल जाते थे । परेू गांव मM ह@रा बाबू ह@ इकलौते थे जो अ>य7धक गर@ब होने के बाद भी पढाई के त सम'पत थे ।गर@बी,अशZा,जातवाद का खब बोलबाला था । ू अं2ेजी शासन मM ह@रा बाबू ने बारहवीं क पर@Zा पास कर नाम रोशन कर =दया था । गर@बी भी ह@रा साहब का मनसबा ु नह@ =हला पायी थी। बारहवी के बाद उहोने पढाई छोड. =दया और काम क तलाश मM शहर चले गये । शहर मM पलस अफसर क नौकर@ मल गयी ।अपनी ु मेहन,लगन,अनशासन और पPके इरादे क वजह से ु सफल भी रहे । ह@रा साहब दो भाई थे । ह@रा छोटे थे दसरे भाई ठोर@ ू बडे थे । दोनो भाईयI के Xयार को दे खकर लोग होर@ को लiमण कहते थे । ह@रा साहब ने ठोर@ को अपने से अलग नह@ समझा । वे ठोर@ के बडे लड.को के शहर 259

भेजकर पढाये और दसरे को अपने साथ शहर पर अपने ू लड.को को उनक हाल पर छोड. =दये ।एक ह@ लड.क थी वह भी कूल का मंह ु नह@ दे ख पायी थी । ठोर@ के दोनो लड.के सफल हो गये अपने पांव पर खडा हो गये पर ह@रा साहब के तीनI लड.के असफल रहे । लोग छ0ंटाकशी करते कहते Pया ह@रा साहब अपने बेटI को कछ नह@ ु बना पाये तब वे कहते अरे भइया के लड.के Pया अपने से अलग है । है तो अपने ह@, हमारे लड.के◌ा◌ं ने ईमादार@ से अपना कम नह@ कया तो फल कैसे मलता । रह@ बात हमारे बेटI क हमने बड.◌ी कोशश क वे नह@ आगे बढ पाये तो इसमM मेरा Pया दोष है । जब तक मेर@ कमाई है तब तक ऐश करे गे जब ख>म हो जायेगी तब तो चेतेगे । जब आदमी पर पड.ती है तब चेतता ह@ है । हमारे बेटे भी चेतेगे । गांव परु के लोग ह@रा साहब को अपना आदश मानते थे । ह@रा साहब ने अपने जीवन मM कसी का बरा ु नह@ कया । भययपन के लये बड.◌ा >याग कया । संयP ् ु त परवार क मयादा को टटने नह@ =दये ।अपनी प>नी और ू बfचI को शहर नह@ ले गये । अपने भाई के नाम सबसे पहले जमीन खर@दा इसके बाद भाभी के नाम ।गांव के लोग ठोर@ और ह@रा को साथ दे खकर कहते ये कलयग ु के राम लiमण है । ह@रा साहब के मरते ह@ सब कछ ु eबखर गया । सब क नगाहM उनक छोड.◌ी चल अचल 260

सQपत पर आ

=टक । प>नी तो दस साल पहले ह@

दनया छोड. चक थी । ह@रा साहब झटपट मM मरे थे ु ु Tयादातर रकम बैक मM थी िजसे ाXत करने के लये लQबी काननी था । दसवM । घाट। पर ू kया से गजरना ु ह@रा साहब के छोड.◌े धन पर परेू =दन हर कोई रायमिgवरा दे ने से नह@ चक रहा था । लोग ू

सर

मड ु .वाते वPत भी मंह ु नह@ बद कर रहे थे । नाई का हाथ मशीन क तरह चल रहा था । इसके बाद भी भीड. जीम हई और सर मड ू ु .वाकर ु थी । लोग दाढ@ मछ उपटन और सरसI क तेल लगाकर पोखर मM छलांग लगा लेते ।शाम हो◌ेने को आ गयी पर सर मडवाने ु वाले कम नह@ हो रहे थे । तब गांव के दसरे लोगI ने ू भी उ तरा थामा तब जाकर तीनI नाईयI ने राहत महसस को ढलता हआ दे खकर एक बजग ू कया । सरज ू ु ु ु बोले भइया पहले 'प:डदान क >ै◌ायार@ कर लो । नह@ तो रात हो जायेगी । दे खो बादल भी चढे आ रहे है । बरसात भी हो सकती है । बाल कटवाने वाले अब कम हो गये है । यह@ काम ये लोग पहले शL ु कर दे ते तो काफ पहले फस ु त मल गयी होती । खैर दे र आये दL ु त आये । 'प:डदान क र म पर@ ू करने क अब `यव था कर लो । नाई-हा दादा ठ0क कह रहे हो । Lपचद क:डा,चावल और एक हEड.या लाकर दो । 261

Lपचद- काका सब तQ है ।कहां से ु हारे सामने रखा हआ ु लेने जाउ◌ू◌ं । नाई-बढौती मM सब स=ठया जाते है । म- भी स=ठया गया ु Pया ? हकमच द =ठठोल@ करते हए ु कहां से स=ठयाने ु ु ु बोले तम लगे तम ु तो बस ऐसे ह@ बाल काटते रहोगे । नाई नखारचद-नह@ भइया मझे भी ह@राभइया जैसे ु दनया के पार जाना होगा । अब नह@ बदाgत होता ु कर ु कैसी दद नाक चीखे आ रह@ है । ु ् दन । सनो हकमच द-म>ृ यल ु ोक से तो सभी को जाना है दे र सबेर । ु ु नाई नपोरचद-अभी तो नह@ जा रहे हो काका । जरा हाथ जrद@ जrद@ चलाओ । दे र हो गयी है । पेट मM चंह ू कद ु ना दे ख रहे हो तैयार है । ू रहे है । दाना भजै नाई नखारचद-ठ0क है भइया 'प:डदान तो हो जाने दो। ठोर@ भइया 'प:डदान तम ु करोगे या फले ु gवर । ठोर@-फले ु gवर करे गा । बड.◌ा बेटा तो वह@ है । हम कैसे करे गे? नाई नखारचद-ठ0क है फले ु gवर इधर आ जाओ । अब तQ ु हारा बाल काटंू गा PयIक 'प:डदान शL ु हो जाये बाक आते रहे गे बाल कटवाते रहे गे । 'प:डदान का काम जrद@ शL ु करना होगा । नखारचद

तनक दे र मM

फले ु gवर के सर के सारे बाल उसके आगे 7गरा =दये । मछ ू दाढ@ सब साफ हो गया । फलेgवर दाढ@ मछ ू और 262

सर मड ु .वाकर उपटन और तेल लगा का पोखर मM नहाकर आया और 'प:डदान क र म पर@ ू करने के लये बैठ गया । नपोरचद ने आवाज लगायी अरे और कोई तो नह@ बचा है सर उ◌ुड.वाने के लये। ठोर@ का बड.◌ा बेटा क'पलेgवर बोला काका अभी तो कई लोग है काका। नपोरचद-बेटा तू तो इधर आ ।तेरा बाल काट दं ू । बाद मM दसरI का काटंू गा । ू ठोर@ बोले नपोचद- क'पलेgवर क मछ ू मत छलना । क'पलेgवर-Pयो बाबू । ठोर@-फले ु gवर तो मड ु .वा =दया तेरा मड ु .वाना जLर@ नह@ है । नपोरचद- बेटवा कह रहा तो मड ु .वा लेने दो Pया फक पड.◌ेगा दो =दन मM तो फर उग आयेगी ।घर क खेती है । कहां दसरे के खे मM उगाना है । ू ठोर@- नह@ं मड ु .ना । क'पलेgवर-PयI मना कर रहे हो बाबू । ठोर@-म- तो िजदा हंू । तू मछ ू मड ु .वायेगा । अरे िजसका बाप मरता है वह@ सर,दाढ@ और मछ ू मड ु .वाता है । क'पलेgवर नपोरचद से बोला मछ ू मड ू . दो काका । मेर@ मछ मड ू ु .वाने से 'पताजी नह@ मरे गे । चाचा ने तो 'पताजी से Tयाद हम लोगI के लये कया है । 'पताजी 263

तमने हमारे लये Pया कया है ? सब तो चाचा का ु कया हआ है । चाचा चाची ने पाला पोषा पढाया ु लखाया पांव पर खड.◌ा होने लायक बनाया । तमने तो ु कछ भी नह@ कया है चाचा क द@ हई ु ु धोती क खंूट पकड.कर चौ7धरायी करते रहे । दे वता समान चाचा क मौत पर मछ ू तक नह@ बनवाने दे रहे हो । असल मM इसके चाचा हकदार है बाबू तम ु नह@ । घाट पर जमा लोग

क'पलेgवर क हां मM हां मला रहे थे ।

ठोर@ ग ु से मM लाल हो गये और बोले- मछ ू नह@ दे ना बस । ठोर@ क बात ह@रसाहब के समधी }ारका साद को बदाgत नह@ हई ु । वे उठ खडे. हए ु और ठोर@ के सामने जा खड.◌े हए और बोले Pया भइया तनक सी बात का ु बतंगड. बना रहे हो । ह@रा भइया का घाट है जो दसी =दन पहले तक तQ ु हारे लये लiमण थे । Pया नह@ तQ है ु हारे लये कये । सब तो उनका ह@ बनाया हआ ु तमने Pया कया है अपने बfचI के लये ,परवार के ु लये? सब कछ तो ह@रासाहब का कया हआ है । PयI ु ु भाई साहब क नेक पर म/ ु ठ0 भर आग डाल रहे हो ? ये कैसा परायन ठोर@ भइया ह@रा भईया के मरते ह@ ?

'पसआ ु

264

भमह@न खेतहर मजदरू 'पसआ पोखर मM डबकर मर ू ु ू गया । जानकर बहत । वह@ 'पसआ जो कहता ु हआ ु ु दख ु था दे खो केशव बाबू म- भी एक आदमी हंू पर जमीदार िजसके लये िजसके खेत से हवेल@ तक =दन रात एक करता हंू सेर भर मजदर@ ू पर । वह@ जमींदार मेरे साथ जानवर से भी बरा ु `यवहार करते है । क> ु ु ते के मंह मारे ◌े बतन मM खा लेते ह- पर मेरा छआ हआ अप'व\ हो ु ु जाता है । मेर@ परछाई तक से परहे ज होता है । िजrलतM झेलकर भी =टका हंू । जाउ◌ू◌ं तो जाउ◌ू◌ं कहां केशव बाबू ।सार@ खोट `यव था मM है । तीन बे=टयां एक बेटे का परवार है ,नात =हत है । दसर@ कोई आढत नह@ है । ू मेहनत मजदर@ ू के भरोसे गह ृ थी क गाड.◌ी को धPका दे रहा हंू । बेटा पढ लख जायेगा तो अपने भी जीवन का सां]य चैन से eबत जायेगा । इसी उQमीद मM जी रहा हंू केशव बाबू । केशव- आपक उपासना जLर@ सफल होगी । भगावान पर यक न रखो बाबा । 'पसआ ु - हां केशव बाबू इसी उQमीद पर तो िजदा हंू । केशव-ईgवर जLर मदद करे गा बाबा । 'पसआ बहत था । जमींदार क ु ू ु मेहनती खेतहर भमह@न नींद नह@ खलती थी उससे पहले हािजर हो जाता था ु दरवाजे पर । गने क पेराई के समय मM तो 'पसआ के ु बfचे तो उसे दे ख ह@ नह@ पाते थे । आंधी रात को घर 265

पहंु चता था और भोर मे काम पर पहंु च जाता था । बदले मM वह@ =दन भर क दो सेर अनाज क मजदर@ ू ,दोपहर मM थोड.◌ा सा चबैना और लोटा भर रस और गड ु . बन जाने पर कड.◌ाह का धोवन मलता था। धान क रोपाई के सीजन मM तो 'पसआ क काया को=ढ.यो जैसी हो ु जाती थी । गेहू ं क बवाई के वPत तो पैर का तलवा ु सांप क केचल@ क भांत मोट@ परत छोड. दे ता था हल ु के पीछे चलचलकर । खैर हर भमह@न खेतहर मजदरI ू ू क यह@ दा तान है । उहे आंसू मM रोट@ गीला करना पड.ता है ,लाख तकल@फM भोगना पड.ता है । वह कहता बाबू हमार@ ह@ नह@ पर@ ू ब ती के खेतहर मजदरI ू का बरा ु हाल है । रोट@ कपड.◌ा और मकान के लये तरस रहे ह- । हम आजाद दे श के गलाम है । समाज मM हमार@ ु ि थत क> है । बाबू समाज ु ु ते eबrल@ से भी गयी गजर@ से उपेYZत, जात से छोटा भमह@न खेतहर मजदरू जो ू ठहरा । वह आंसूओ से भर@ आंखI मM उQमीदे लये कहता केशव बाबू हमार@ मेहनत एक =दन जLर रं ग लायेगी । अरमानI के सपने 'पसआ के सनहरे जLर थे ु ु पर क मत तो कैद थी जमींदार क चौखट पर `यव था क खोट क वजह से। वह मसीबतI क दरया मM डबा ु ू हआ भी खश ु रहता था शायद वह अपनी पीड.◌ा बfचI ु से दरू रखना चाहता था । वह कहता केशव बाबू कब बचपन से बढा ू हो गया पता ह@ नह@ चला जमींदार क 266

गलामी करते करते । ु 'पसआ के हाथ हल के मठ ु ू पर ऐसे सध गये थे क वह हल जोतते जोतते सो तक जाता था मजाल क बैलI को तनक खरोच तक लग जाये । 'पसआ को सबह जमींदार ु ु के घर से एक लोटा रस और म/ ु ठ0 भर चबैना मलता था वह भी लेने के लये 'पसआ के घर से कोई जाता था ु । Tयादातर रस चबाने लेने जाने वालI को भी जमीदार दसरे कामI मM लगा लेते थे इसके बदले मजदर@ ू ू भी नह@ मलती थी। रस चबैना क इतजार मM बेचारे मजदरI ू को शाम तक हो जाती थी कभी कभी । बहत ु शोषण करते थे जमीदार लोग ,मानवता तो उनमM तनक भी न थी । मजदरI ू से जानवरI सर@खे काम ले◌ेते थे बदले मM पेट पालने भर क मजदर@ ू नह@ दे ते थे । अभावI मM जीने को मजबरू कये रहते थे उपर से उ>पीEड.त भी करना अपनी शान समझते थे । जब कभी जमींदार क द>ु कार और मसीबते गम का भार@ बोझ बन जाती तो वह गम को ु भलाने के लये खेत मM नाचना शL ह@ ु ु कर दे ता । कछ ु दे र मM उसक नांच दे खने के लये भीड. लग जाती । राहगीर तक Lक जाते थे । काम क खे◌ाट@ कहकर इसके लये भी जमींदार झारHस:डे बाबू अपशsद तक बक जाते थे पर 'पसआ इतना गमखोर था क बरा ु ु नह@ मानता था । वह कहता जल मM रहकर मगरमfछ से कैसी दgु मनी ? 267

'पसआ िजतना मेहनती था उतना ईमानदार भी और ु बड.◌ो◌ं क बात को शhदत से वीकार कर लेता था चाहे उसको हान ह@ Pयो ना हो जाये । उसक नेक नयत का फायदा जमीदारन खब ू उठाती थी । बेचारे गर@ब मजबरू क मजदर@ ू कम कर दे ती थी । 'पसआ ु कहता मालक न सात =दन क मजदर@ बाक है तो ू जमीदारन कहती नह@ रे 'पसआ पांच ह@ =दन क । ु इसके पहले

कतने =दन क ले गया था कछ मालम ू है ु

। बेचारे 'पसआ को ह@ झठा करार कर =दया जाता । ु ू बेचारा आंखI मM आंसू लये मान जाता । प>थर =दलI का =दल नह@ पसीजता । कछ मह@ने पहले 'पसआ से ु ु मल बाबा आज काम पर नह@ ु ाकात हई ू ु थी । मैने पछा गये ? 'पसआ सबने ु -केशव बाबू अब काम नह@ होता आंख ठे हना ु जबाब दे =दया । मजबरू होकर घर बैठा मPखी मार रहा हंू । केशव-बाबा ऐसा Pयो कह रहे हो । 'पसआ ु -Pया कहंू बाबा । हाथ पांव चलता था तो सेर भर कमा कर लाता था । बचपन से अब तक जमीदार झारख:डे बाबू का गोबर फका । दे खो रोट@ के लाले पडे. M है । िजदगी चैन से कट जाती । अगर सरकार@ नौकर@ मM होता दस साल पहले रटायर हआ होता लाखो क ु गEƒडयां लेकर उपर से पेशन भी मलती । जमीदार 268

लोग खन ू को पसीना बनवा लेते है सेर भर मजदर@ ू दे ने मM भी आंख नकल जाती है । केशव-बाबा तQ ु हार@ बात मM सfचाई तो है । 'पसआ ु - काम तो नह@ छोडता पर ताकत ने साथ छोड. =दया लाचार को Pया 'वचार बैठ गये दरवाजे पर । जमीदार क हवेल@ भार@ बोझा लेकर 7गर गया था दे खो ये घाव । ये घाव है क ठ0क ह@ नह@ हो रह@ है । मवाद बहता रहता है । 'वपि>त का बोझ सर पर आ पडा है केशव बाबू । केशव-कैसी 'वपि>त बाबा? 'पसआ ु - बाबू तम ु नह@ं समझोगे शहर मM रहते हो ना । केशव-समझता हंू बाबा । ऐसी बात नह@ है । इसी गांव मM तो पैदा हआ हंू सब जानता हंू । ु जातवाद,अ>याचार,शोषण आ=द से अfछ0 तरह पर7चत हंू । बाबा बताओं ना कैसी 'वपि>त ? 'पसआ ु -बेटवा को पेट काटकर पढाया पर नौकर@ नह@ मल@ । जहां जाता घस ु मांगा जाता । म- ठहरा खेतहर भमह@न मजदरू कहां से दे ता घस ू ु । मेरा सपना eबखर गया बाबू । केशव- हां बाबा चहंू ओर zWटाचार क आग लगी हई है ु । इसीलये तो कमजोर तबके के लडके तरPक नह@ कर पा रहे है । उनक जLरते नह@ पर@ ू हो पा रह@ है, कूल कालेज क फ स तक नह@ दे पा रहे ह-,पेट मM भख ू आंख 269

मM सपने सजाये परि थतयI से लड. रहे ह- । इंसानयत 'वरोधी आगे बढने नह@ दे रहे है । 'पसआ ु - केशवबाबू कहते है हमार@ eबरादर@ क नौकर@ के लये आरZण है । कहां आरZण है । इस ब ती मM कोई ऐसा लड.का नह@ है िजसे सरकार@ नौकर@ मल@ हंू । सरकार@ आरZण तो हमे नह@ं खशहाल बना पाया । अरे ु आरZण तो उनका है जो पोथी लेकर घमते है । अfछ0 ू कमाई करते है । लोग सलाम भी ठोकते है । आरZण तो उनका है जो जमीन पर कsजा कर बैठे है , `यापार पर कsजा कर बैठे है हमारे जैसे कमजोर के लये तो कोई रा ता ह@ नह@ बचा है बस खद ु का हाड. थरो ू जीवन भर । य=द ये जात `यव था वाला आरZण ख>म हो जाता तो हम खशहाल हो जाते । इससे समाज कई धड.◌ो◌ं मM ु बंट गया है । सब एक हो जाते । सबमM बराबर@ का भाव और सhभावना का संचार होता । वण`यव था मे◌े◌ं तो हमारे जैसा आदमी ,आदमी होकर भी आदमी नह@ रहा है । ये आरZण ख>म होना चा=हये । बाबू हम जीवन भर हल जोतते रहे दस बीसा जमीन के मालक नह@ बन पाये । िजसने कभी खेत मM पैर ह@ नह@ रखा वह@ खेत के मालक है । हम अनाज पैदा करते है हमारे बfचे पेट मM भख लेकर सोते है । हम मकान बनाते है हमारे ू बfचे◌ा◌ं को धप ू बरसात से बचने का कोई पH ु ता इतजाम नह@ । हम तो गलाम होकर रह गये है । जल ु 270

जमीन और जंगल पर कsजा करके दं बग समाज हमM तो क:डे से आसंू पोछने को बेबस कर =दया है । केशवबाबू- हां बाबा दं बग समाज ने कमजोर वग के साथ अयाय तो कया है । 'पसआ ु - अयाय तो कया ह@ है । हमारा इतहास ख>म कर गलामी के रं ग मM रं ग =दया है । ु केशव- बाबा तQ ु हार@ बात मM दम तो है । 'पसुआ- बाबू मेरा बेटवा बारहवीं पास है । बी ए क पढाई तंगी क वजह से पर@ ू नह@ हो पायी । शहर मM ईट गारा कर रहा है । =दन रात क मेहनत मजदर@ ू से दो हजार Lपया भेजा था वह भी झा◌ारख:डे बाबू के कजb मे चला गया । ना जाने कौन सा कजा है । कब हमने लये कोई अता पता नह@ सौ Lपया के बदले हजार लखकर अंगूठा लगवा लये । टयबवे ू ल के पानी के नाम पर हजारो का कजा नकल रहा है । दवाई के नाम पर हजारI का कजा नकल रहा है । झारख:डे बाबू कह रहे थे । अरे 'पसआ ु अपने बेटे से कह दे मेरा काम थाम ले सब कजा माफ कर दं ग ू ा । बाबू तQ ु ह@ बताओ मेरा इतना Xढा लखा बेटा बंधुवा मजदर@ ू करे गा । म- तो कभी नह@ं करने दं ग ू ा । एक =दन रात मM शहर भगा =दया बेटवा को । बेटवा क कमाई झारख:डे बाबू के फजq कजb मM जा रह@ है । कहां गहार करM मझ वाला नह@ है ।बाबू ु ु गर@ब क कोई सनने ु पहले भी बहत ु झेला आज भी झेल रहा हंू । ु दख 271

बस

थोड.◌ा सकन है क बेटवा को जमीदार के चk`यूह मM ू फंसने नह@ =दया है । साल दो साल मM फजq कज भी पट जायेगा । खैर इसका फल झारख:डे बाबू को जLर मलेगा । गर@बे◌ा◌ं क आहे बेकार नह@ जाती । केशव- बाबा सचमच ु जमीदार@ के दं श ने खेतहर मजदरI ू के जीवन को नरक बना =दया है । 'पसआ ु - बाब,ू झारख:डे बाबू एक मरती हई ु बछया =दये बोले ले जा 'पसआ जीला tखला । दो पैसा दे गी । ु बछया तो दो चार =दन मM जमींदार के दरवाजे पर मर जाती । मरा जानवर फेकने के डर से बछया को झारख:डे बाबू मेरे गले मM बांध =दये । म- कंधे पर अपने घर लाया था । कोई मोल भाव नह@ कया म- तो समझा फोकट मM मल रह@ है , मेर@ मत मार@ गयी थी । भगवान का चम>कार

ह@ कहो दो चार =दन मM बछया

चलने फरने लगी जबक जमीदार के दरवाजे पर अब मर@ क तब मर@ वाल@ हाल थी ।

बड.◌ी जतन से

बछया को पाला बकर@ का दध ू पीलाकर । दस -पdह =दन के बाद घास भसा भी खाने लगी थी । बछया ू बड.◌ी हई ु गाभन हई ु । गाभन बछया को दे खकर झारख:डे बाबू के अदर का शैतान जाग गया । वे बोले 'पसआ मैने तमको फोकट मM गाय तो =दया नह@ है गाय ु ु क क मत दो हजार है । एक हजार मझे ु दे दे गाय खंूटे पर बांध ले । नह@ तो हजार Lपये मझसे ले ले गाय मेरे ु 272

खंट ू े पर बांध दे । गाय झारख:डे बाबू के खटे ू पर बाध दे ता तो हजार Lपये भी नह@ मलते गाय भी चल@ जाती । दो बीसा खेत था वह भी गाय के लये 7गरवी रख =दया । वह@ हआ न गाय मल@ न Lपया । गाय ु झा◌ारख:डे बाबू हांक ले गये । Lपया कजb मM काट लये । बाबू मझे ु तो बरबाद कर =दया जमींदार झारख:डे बाबू ने । =दल के अरमान झारख:डे बाबू ने आंसूओं मM बहा =दये मेरे । केशव- हां बाबा कमजोर क पीड.◌ा कौन समझता है आज के इस लटखसोट के जमाने मM । जमीदार तो खन ू ू चसने के लये बदनाम ह@ है और भी लोग कम नह@ । ू 'पसआ ु -हां बाबू

तमको भी सfचाई का पता चलने लगा ु

है । केशव बाबू फस ु त मM हो Pया ? केशव-PयI बाबा कछ काम है हमारे लायक Pया ? ु 'पसआ ु -वPत तो खोटा नह@ कर रहा हंू । केशव-नह@ं बाबा । ऐसा PयI सोच रहे ह- । बाबा आप अपनी पीड.◌ा कससे कहे गे अपनI से ह@ ना । मन का दद बांटने से मन हrका होता है । 'पसआ कौन है । ु -हां बाबू पर आज के जमाने मM सनता ु पीEड.तो



बात

सनी ु

जातवाद,गर@बी,भमह@नता ू

गयी का

होता ता:डव

तो होता

दे श

मM

? हम

सामािजक बराईयI से अभशा'पत होते ? हमारे साथ ु अयाय होता ? नह@ होता बाबू सब ओर समानता होती । 273

शो'षत पीEड.त समाज भी सQमानजनक ि थत मM बसर करता पर यहां तो हर ओर भेद का ता:डव है । केशव-हां बाबा ठ0क कह रहे हो । 'पसआ ु - केशव बाबू ये जमीदार लोग हम वं7चतI को गलाम आज भी समझते है । भले ह@ दे श आजाद हो ु गया है । बाबू आज जो मेर@ हाल है उसके लये पराना ु आरZण िजQमेदार है । केशव- वो कैसे बाबा ? 'पसआ है । ु - बाबू हम खेती करते है । हम भमह@न ू आदमी होकर आदमी के बराबर सामािजक समानता ाXत नह@ है । जमीन पर तो हम हल जोतने वाला का हक बनता है बाबू

दे श मM हकबद@ लागू होनी चा=हये

ताक शो'षत समाज सQमान के साथ जी सके । जात आधारत परानी `यव था ने सब कछ छन कर ु ु हमM कैद@ बना =दया है ।हमार@ दासता इसी `यव था क दे न है ।जब तक शर@र मM जान था झारख:डे बाबू ने नचोड.◌ा जब शर@र काम करने मM असमथता जता द@ तो कज का बोझ सर पर लादकर लात मार =दया । बाबू य=द सरकार@ नौकर@ मM होता या सरकार@ संरZण ाXत होता तो आज मेर@ ि थत ऐसी नह@ं होती । केशवबाबू सर पर 'वपि>त आ पड.◌ी है

ना जाने कब कटे गी ?

केशव-हां बाबू बहत ु बड.◌ी 'वपि>त है । इस 'वपि>त का इलाज राजनीत से ह@ सQभव है पर ईमानदार@ के साथ 274

पहल हो तब । सामािजक समानता का अ7धकार मले, भम पर मालकाना हक मले । शो'षत समदाय के ू ु बfचI क शZा द@Zा का परा ू भार सरकार वहन करे । तभी वं7चतो का उ]दार सQभव है । 'पसआ पागल हो ु -बाबू 'वपि>तयI से घबराकर ब=ढया ु गसी है । जमींदार का फजq कज कैसे भरा जायेगा ? बेटवा नीलाम हो जायेगा यह@ रट लगाये रहती है । पागलपन के दौर मM ख=टया से उठकर कभी कभी भाग भी जाती है । ब=ढया क दे खरे ख करनी पड.ती है । ु उसके कछ सझता नह@ । जमीदार का अ>याचार पागल ू ु बना =दया है । बाबू िजदगी नरक होकर रह गयी है । केशव- बाबू बेटवा पतोहू सेवा सuषा ु ु तो कर रहे है ना ? 'पसआ Hयाल रखते है । सारा ु -बेटा,बहू तो बहत ु दारोमदार तो बेटवा और बहू के उपर है । बेटवा शहर मM ˆटं गारा करके सौ पfचास का मनआडर भेजता रहता है । बहू हमार@ और ब=ढया क चाकर@ करती ह@ है । ु मेहनत मजदर@ । टाइम से रोट@ दे ू से भी नह@ चकती ू दे ती है । भले ह@ भखी रहे । बाबू हमे सबसे Tयादा दख ू ु जातवाद क महामार@ से है । हमार@ सार@ मसीबतI क ु जड. भेदभाव वाल@ परानी `यव था है । ख>म हो जाती ु तो◌े हमारे जैसे अभागI का उ]दार हो जाता ।भेदभाव क म/ सलग कर मरने से बच जाते । ु ठ0 भर आग मM सलग ु ु केशव-ठ0क कह रहे हो । जातवाद ने तो आदमी को ऐसे 275

बांट रखा है क हर वग का आदमी शो'षत वग का खन ू चसने के लये उतावला है और खद से uेWठ होने ू ु दसरे ू का zम पाल रखा है । अरे आदमी तो आदमी होता है Pया छोटा Pया बड.◌ा ? 'पसआ ु - सच कह रहे हो । केशव बाबू अभी कब तक रहोगे ? केशव- चार =दन और हंू बाबा । 'पसआ ु -बाबू मै जाउ◌ू◌ं । केशव-कोई जLर@ काम याद आ गया Pया बाबा ? 'प◌ुसआ-Pया काम कLंगा । काम करने लायक कहां बचा हंू । अब तो अपना शर@र ढो लंू बड.◌ी बात होगी । बाबू ब=ढया का डर लगा रहता है । द@वाल पर चढकर ु बाहर कद ू जाती है । घर क द@वाल छोट@ है ना । एक बार तो कr ू हा ह@ सकर गया था । बद करके रखना पड.ता है । दरवाजा बाहर से बद करके आया हंू । पोतापोती कूल गये है । पतोहू काम पर गयी है । बाबू अब चलता हंू । ब=ढया कह@ं चल@ गयी तो तड.प तड.प कर ु मर जायेगी । मझे ु डर लगा रहा है । केशव- चलो मM भी दाद@ को दे ख लेता हंू । 'पसआ ु -बाबू कसी को नह@ पहचानती ।बर@ ु बर@ ु गाल@ दे ती है । केशव-बाबा दाद@ होश मM गाल@ तो नह@ दे ती है ना । बेचार@ क =दमागी ि थत ठ0क नह@ है । उसका Pया 276

दोष ? 'प◌ुसआ-ठ0क है बाबू चलो । केशव 'प◌ुसआ के साथ उसके घर पहंु चे । 'पसआ ु बो◌ेला बाबू ठहरो । सनो ब=ढया कछ पटक रह@ है । ु ु ु केशव बाबू वापस जाओ । म- दरवाजा खोलकर दे खता हंू । तमको दे खकर गाल@ दे गी । ु केशव- कोई बात नह@ बाबा गाल@ सन ु लंूगा । मझे ु बरा ु नह@ लगेगा । पागलपन के दौरे क वजह से दाद@ गाल@ बकती है ना । जब ठ0क थी तब तो गड ु .-पानी लेकर आती थी। बाबा सब समय का दोष है । दाद@ का नह@ । 'पसआ दरवाजा ु

खोला ब=ढया ु

कटोरा

उसके

सामने

पटकती हई ु मारना चाहता है ना ले दबा ु बोल@ PयI मझे दे गला । झारख:डे बाबू ने जोख क तरह खन ू चस ू डाला तू गला दबाकर ख>म कर दे । जीने से Pया फायदा । 7चrला 7चrलाकर ब=ढया कोने मM बैठकर रोने ु लगी । तब 'पसआ बोला दे ख लो बाबू ब=ढया का ऐसा ु ु हाल हो गया है । केशव बाबू भु क इfछा होगी तो फर मलाकात होगी अब जाओ ु



वह@ 'प◌ुसआ मर गया । आंख से =दखाई दे ना eबrकुल कम हो गया था । घठने भी जबाब दे गये थे । भोर मM ु मैदान के लये लाठ0 के सहारे नकला था पर zमबस पोखर क ओर चला गया । पानी को जमीन समझकर पैर आगे बढाया और चला गया हाथी के डबने लायक ू 277

पानी मM । दो =दन क खोजबीन के बाद उसक लाश मल@ थी । आंख कान और शर@र के कछ =ह से तो ु मछलयI

ने चट कर =दया था । जीवन भर ब=हWकार

तरWकार,शोषण



लाख

मसीबते ु

झेलने

के

बाद

आशावाद@ 'पसआ आtखरकार दनया से दद नाक मिP ु ु ु त पा गया भारतीय समाज और सरकार के सामने कई Tवलत सवाल छोड.कर।

एPसीडे सीडे:ट फोन क घनघनाहट सनकर मसेज लाल च‚ककर फोन ु क ओर दौड. पड.◌ी । फोन क घनघनाहट ना जाने उहे PयI अशभ ु सी लग रह@

थी । वे हड.बड.◌ायी सी कांपते

हाथ से फोन का रसीवर उठायी और लड.खड.◌ाती जबान से हे लो बोल@ । दसर@ तरफ क हे लो क आवाज ू मसेज लाल के कान को जैसे चीर गयी । वे घबरायी सी हे लो हे लो LधM क:ठ से कये जा रह@ थी । वे समझ गयी क दसर@ तरफ फोन पर कोई और नह@ उनके पत ू म लाल है । म लाल क घबराहट भरे हे लो शsद ने उहे कसी अनहोनी क आशंका के घेरे मM लाकर पटक =दया । वे =हQमत करके बोल@ Pया हआ । PयI घबराये ु हए तो बोलो परतु म लाल के क:ठ से ु ु हो । कछ आवाज नह@ नकल रह@ थी । बड.◌ी मिg ु कल से म लाल बोले भागवान बहत ु हो गया । ु बरा मसेज लाल-Pया हआ अभी तो गये हो बी=टया को लेकर ु 278

ाइज लेने । Pया ो2ाम कसल हो गया । म लाल-नह@ं । मसेज लाल-तब Pया हआ ु ? मेर@ जान नकल@ जा रह@ है । कछ ु बताओगे ? म लाल-घबराओ नह@। मसेज लाल-हआ Pया बताओ तो सह@ । ु म लाल-एPसीडे:ट । uमक कालोनी के अ पताल मM पहंु च गया हंू कसी तरह आटो करके। आटो ने दस Lपया क जगह पfचास Lपये कराया वसल ू कया है । अ पताल वाले भी पलस का डर =दखा रहे है । कोई ु अननय 'वनय तक को नह@ सन ु ु रहा है । म- खड.◌ा नह@ं हो पा रहा हंू । बी=टया लहलहान दद से तड.प रह@ है । ू ु स टर दरोगा क तरह डांट रह@ है ,कह रह@ है । बडे. अ पताल जाओ पलस केस करना है तो । फ ट एड भी ु यहां नह@ मल रहा है । पलस कार वाई न करने के लये ु दबाव बना रहे है । ना जाने इसमM अ पताल वालI का कौन सा =हत सध रहा है । मसेज लाल पलस केस का बाद मM सोचेगे पहले तो ु बोलो इलाज शL ु करM । मै पहंु च रह@ हंू । पैसे का इतजाम करके । म लाल-ठ0क है । डाPटर तो कई है पर नस सनडे का बहाना कर कह रह@ है अभी डांPटर है । नस से पलस ु केस नह@ करने क बात कहता हंू दे खो मान जाये तो 279

ठ0क है । तम ु आओ तो बडे. अ पताल ह@ चलते है । जrद@ आओ । म लाल पनः नस के पास गये । इलाज gु◌ाL करने का ु अनरोध कये । नस अपने रवैया पर अड.◌ी थी वह ु बोल@ पलस केस है हम हाथ नह@ लगा सकते । हम ु तभी इलाज शL केस न करने का ु करे गे जब तम ु पलस ु वचन दो और इस कागज पर द Hत करो◌े । म लाल-ठ0क है । लाइये द खत कर दे ता हंू । इलाज शL ु करो । इतने मM डाPटर हािजर हो गये । झटपट मआयना कये ु और बोले घबराने क बात नह@ है । हƒडी नह@ टट@ ू है । खरे ◌ा◌ंच क वजह से खन ू बहा है । नस हां मM हां मलाती रह@ । इतने मM मसेज लाल आ गयी बी=टया को लहलहान दे खकर धड.◌ाम से 7गर पड.◌ी । ू ु नस बोल@- PयI इतना नाटक कर रह@ हो मैडम । जरा सी चोट लगी है । मरहम प/ट@ हो गयी है । डाPटर साहब ने दवा लख द@ है tखलाते रहना । दो चार =दन मM दौड.ने लगेगी तQ ु हार@ बी=टया । तQ ु हारे म टर को घाव तो नह@ लगी है उहे झठमठ ू ू क बेचैनी है । यहां से घर ले जाओ । ब=ढया चाय बनाकर अपने हाथ से पीलाओ ठ0क हो जायेगे । जहां घाव लगी हो वहां बरफ से सेकायी करते रहना । सब ठ0क हो जायेगा । इंजेकशन लग गया है ,दवा दे द@ है । घर ले जाओ और 280

आराम करने दो । नस ने पांच सौ Lपये रखवा लये िजसक कोई रसीद भी अ पताल से नह@ं द@ गयी और न ह@ डाPटर का परचा =दया गया । कसी तरह से मसेज लाल बेट@ और पत को आटो रPशे मM लादकर घर ले गयी । बाप बेट@ के एPसीडे:ट क

खबर

पर@ ु

कालोनी

मM

फै◌ेल

गयी



शP ु लाजी,चौहानजी,शमाजी और जैनजी बाप बेट@ क हालत दे खकर तर और बाप बेट@ ु त आटो रPशा बलाये ु को लेकर हƒडी रोग 'वशेषo के पास पहंु चे । बी=टया को टे बल पर लेटर =दया गया । डाPटर पहले बी=टया का चेक अप कये फर म लाल का । शP ु लाजी डां से पछे ू डांPटर साहब फैPचर तो नह@ है ना । डां म टर लाल को फैPचर नह@ है पर घाव थोड.◌ी गहर@ है । कछ अदLनी चोट@ भी है । पdह बीस =दन ु दवा लेनी पडेगी । बी=टया को फैPचर तो है । एPसरे के बाद ि थत साफ हो जायेगी । एPसरे आ=द करने मM चार बज गये दो घ:टे के बाद रप|ट आयी । फैPचर है । मामला साफ हो गया । डाPटर तर ु त कfचा Xला टर करने मM जट ु गये । घ:टे भर मM Xला टर हो गया । हाथ धोते हए ु डाPटर साहब बोले म लाल आप रे गलर दवा लेते रहना । बी=टया का ु Xला टर तो हो गया है । बी=टया को ठ0क होने मM मह@ना 281

से अ7धक समय लग सकता है । बी=टया को कमXल@ट बेडरे ट क जLरत है ।

पलस केस ु

बनता है

एफ आई आर जLर दज करवा दे ना । गाड.◌ी नQबर तो नोट कर लया होगा । म टरलाल -हां । सनील ु

और

जासन

कूटर

नQबर

के

आधार

पर

एPसीडे:ट कर भागने वाले अपराधी डी सPसेना,जनता Pवाट र,नदानगर का पता लग लये पर पलस ने ु एफ आई आर न दज करने क कसम खा ल@ । म लाल अपने Zे\ के थाने मM जाते तो वहा कहां जाता क िजस Zे\ मM एPसीडे:ट हआ वहां एफ आई आर दज होगी इस ु थाने मM नह@ । इस तरह म लाल काफ भागदौड. कये पर पलस इधर से उधर भगाती रह@ । इसी बीच एक ु =दन डी सPसेना म लाल के घर आया और बोला पलस ु केस मत करो मेर@ शान माट@ मM मल जायेगी । बी=टया के इलाज के खच को खद ु वहन करने का वादा कर चला गया । दोगला डी सPसेना अपनी चाल मM कामयाब हो गया । मह@ने भर तक पैतरे बाजी करता रहा । कल Lपये दे जाउ◌ू◌ंगा परसI दे जाउं गा फर अपनी बात से मकर ु गया । बोला हमने कोई वादा नह@ कया था । हम तो समाज सेवक है । सड.क पर चलते लोगI का खन ू नह@ बहाते । नगर सरZा समत का सk य सद य हंू । ु हमारे tखलाफ कसी थाने मM एफ आई आर दज नह@ हो 282

सकती । यह तो पता चल गया होगा । म जैन-सPसेना धमक दे रहे हो । बी=टया का पैर तोड. =दये डेढ मह@ने से ख=टया पर पड.◌ी है । तम ु इलाज के खच को वहन करने का वादा कये थे । एक पैसा आज तक नह@ =दये कैसे दगाबाज हो । बनते समाज सेवक हो Pया तQ ु हारे जैसे ह@ समाज सेवक होते है । एPसीडे:ट करके भाग जाते है । जब पकड. मM आते है तो पैतरे बाजी करते है । अरे कछ ु तो शरम करो । सPसेना-मझ से एPसीडे:ट तो हआ है । म- रात मM ु ु जागता ह◌ा◌ं समाज सेवा के लये । चलती राह मेर@ ू आंख नीद क वजह से बद हो गयी । मेर@ गाड.◌ी टकरा गयी । हो गया एPसीडे:ट तो म- Pया कLं । जो तम ु लोग कर सकते थे कर लये । नह@ लखा गया एफ आई आर ना

दे ख लो म- Pया कर सकता हंू । म लाल- बडे. दोगले आदमी हो तम ु तो । आंख मM धल ू छोकना तQ ु हे अfछ0 तरह से आता है ।खन ू से खेलते हो होल@ और बनते हो समाज सेवक । PयI समाज सेवकI का नाम खराब कर रहे हो ।समाज सेवा के नाम पर पाप कर रहे हो ।खन ू बहाते हो उपर से धमक भी दे ते हो । दे खो पैसा हाथ क मैल है । मै इलाज मM कोई कोतहाई नह@ बरत रहा हंू । जLरत पड.◌ी तो बी=टया को बड.◌े से बड.◌े डाPटर को दे श के कसी कोने मM ले जाकर इलाज करवा सकता हंू । सPसेना तमने खच वहन का ु 283

वचन =दया था । अपनी जबान से मकर रहे हो । ऐसा ु तो दोगले क म के लोग ह@ कर सकते है । अरे दरदे तमने अपनी गलती का ायिgचत कर लेते इतना मेरे ु लये बहत मझे ु ु धोखा PयI =दया । मेरा केस ु था । तमने रिज टड नह@ होने =दया । कैसे घ=टया इंसान हो ।तQ ु हारे मंह ु पर जमाना थक ू े गा । समाज सेवा का ढकोसला बद कर दो । म सPसेना दे खो इTजत मत उतारो । म शमा- तQ अfछ0 ु हार@ कोई इTजत भी है । म- तमको ु तरह जानता हंू ।तमने पलस केस से बचने के लये ु ु षणय\ रचा था । सPसेना- कामयाब भी हो गया । तम ु सब दे खते रह गये । चले जाना िजस अदालत मM मरे tखलाफ जाना हो । तQ तो हमने काट लया । अब तो कह@ ु हारा अंगठा ू एफ आई आर दज तो करवा नह@ सकते । कहते हए ु दोगला अंगठा ू =दखाकर भाग नकला । दोगले क करतत ू दे Hकार सभी अवाक् रह गये । डी सPसेना,जनता Pवाटर वाले ने बाप बेट@ को टPकर मारकर भाग गया । पकड. मM आने पर इलाज का खच वहन करने का वादा कया था पर ये तो उसका ष:य\ था । जब षणय\ का पता आसपास के लोगो को लगा तो सभी मश'वरा दे ने के लये जैसे उमड. पड.◌े । कोई डी जी पी से कोई एस पी से कोई

कसी और से शकायत करने क मश'वरा दे ता 284

। कोई कहता Pया थाने के चPकर मM पड.ना जान बची करोड.◌ो पाये । कोई बी=टया को दआये दे ता कहता ु भगवान करे मेर@ बी=टया जrद@ चलने लगे । कोई कहता भगवान के घर दे र है अंधेर नह@ इसका फल डी सPसेना को जLर मलेगा । उसक टांग कट जायेगी । कोई कहता उसक कट@ टांग मM क ड.◌े जLर पड.◌ेगे दे खना । दोगला बहत पर ु े क खशी ु ु शातर नकला,भगवान दो मंह म/ ु ठ0 भर आग जLर डालेगे। सतोष करो लाल भईया भगवान तQ हर लेगा । वह@ तQ ु हारा सब दख ु ु हारा खजाना भरे गा । म लाल रसते जHम पर मलहम लगाने मM मशगल दे ने ू थे और लोग डी सPसेना को बददआये ु म।M

नेक द@द@ दे खो ना । नहक को न जाने Pया हो गया । आंख उपर नीचे कर रह@ है । छ/ ु ट@ के =दन भी उनको फस ु त नह@ है । कह कर गये थे क जrद@ आ जाउ◌ू◌ंगा पर अभी तक आये नह@ । द@द@ कछ जrद@ करो ना ट@लू ु क आखI से आसंू टपके जा रहे थे । पWु पा-ट@लू ,रो ना । अभी अ पताल लेकर चलते है ।Pयो परे शान हो रह@ हो । बी=टया रानी को कछ नह@ ु होगा,कहते हए ु मसेज पWु पा आवाज लगान लगी । अरे 285

सनो जी नहा लये Pया । दे खो र@ता क तeबयत खराब ु हो

गयी

है



अ पताल

लेकर

जाना

होगा

अभी।

वक लभइया घर पर नह@ है । जrद@ करो । मसेज पWु पा क पकार पर द@नदयाल बाथLम से बाहर ु आ गये । पWु पा-अरे ये Pया ? बनयाइन तो पहन लये होते । द@नदयाल-इतनी मोहrलत तमने कहां =दया । बनयाइन ु नकाल कर खट@ आवाज दे ना ू पर टांगा ह@ था क तमने ु शL ु कर =दया । भला इतनी दे र मM कोई नहा सकता है Pया क म- नहा लंूगा । कछ मोहrल तो दे =दया ु करो,जब दे खो तब चढ@ घोड.◌ी पर सवार रहती हो । खैर छोड.◌ो पहले तो बताओ र@ता को Pया हो गया । पWु पा-कता पायजामा पहनI । अब बाद मM नहाना । पहले ु र@ता को अ पताल लेकर चलो । सनडे का =दन है अ पताल मM कोई डाPटर मलते है भी क नह@ । दे खो दे र मत करो । ट@लू बहत ु रो रह@ है । र@ता क आंख उपर नीचे हो रह@ है । मझे ु बहत ु डर लग रह@ है । इतने बरसI के बाद तो एक लडक पैदा हई ु थी वह भी पोलयो2 त । वक ल बाबू और ट@लू बी=टया को बहत ु Xयार करते है । बड.◌े लाड.Xयार से पाल रहे है । पता नह@ कसक नजर लग गयी । कल तो चंगी भल@ थी आज अचानक न जाने Pया हो गया ?

286

द@नदयाल- झट से पायजामा कता पहनता हंू । पहले ु डाPटर को र@ता को =दखाते है । बाक काम बाद मM होगा । पWु पा-Pया कर रहे हो । कब से पायजामा पहन रहे हो । जrद@ नह@ पहन सकते Pया ? द@नदयाल- भागवान कछ तो समय लगेगा । ु

नाड.◌ा तो

बांध लेने दो । पWु पा- हे भगवान इतनी दे र पायजामा पहने मM लग रहा है । उधर ट@लू जोर जोर से रो रह@ रह@ है ।लोग कहे गे कैसे पड.◌ोसी है । =दखाते तो सगे जैसे पर बीमार लड.क को लेकर डाPटर के पास तक नह@ ले जा रहे । द@नदयाल-PयI परे शान हो रह@ हो । चलो नीचे उतरो ।

कूटर क चाभी मेरे हाथ मे◌े◌ं है । पांच मनट मM अ पताल पहंु च जायेगे । र@ता को कछ नह@ होगा । ु पWु पा-जब काम पड.ता है तब तQ ु हारा कूटर जबाब दे जाता है । फेको कूटर चलो भाग कर । समय बबाद हो रहा है । र@ता बेहोश हए ु जा रह@ है । द@नदयाल-चलो कूटर टाट हो गया । तम ु र@ता को लेकर कूटर पर बैठो । अ पताल भतq करवा कर ट@लू को ले जाउ◌ू◌ंगा । पWु पा-ट@लू को सातवना दे ते हए अ पताल क ओर ु भागी । ट@लू मैडम 7चrला 7चrला कर रोये जा रह@ थी । आनन फानन मM द@नदयाल अ पताल पहंु चे । 287

डाPटर साहब पड.◌ी फतq से आपरे शन 7थयेटर क ओर ु इशारा करते हए ु भागे । इशारे से द@नदयाल के हाथपांव फल गये । डाPटर साहब तनक भर मM कई मशीने ू लगा =दये पर सब बेकार। आPसीजन लगा =दये फर माथा पकड.कर बैठ गये । द@नदयाल बेसुध पड.◌ी र@ता को नहारे जा रहे थे क कब रो पड.◌े । डाPटर-द@नदयालजी आप मर@ज को ले जा सकते है । कछ ु नह@ हो सकता अब । द@नदयाल-Pया ? डाPटर-हां । बेबी मर चक है । ु अ पताल पास मM होने क वजह से पडो..सयI क भीड. लग गयी । द@नदयाल शव लेकर चल पड.◌े । द@नदयाल के पीछे भीड., रोती eबलखती ट@लू मडम और उहे सQभालते आंसू बहाते हए ु पWु पा । ट@लू मैडम तो पागल सी हो गयी । इकलौती सतान काफ मान मनौती के बाद

पैदा

हई थी शाद@ के काफ वष◌ा के बाद b ु पोलयो2 त । वह भी वल बसी । र@ता क परवरश ट@लू और वक ल भइया बड.◌े लाड. Xयार से कर रहे थे ।उहे इस अपंग बी=टया पर बड.◌ा नाज था । र@ता गद न तो उठा नह@ पाती थी पर आसपास के लोगI को अfछ0 तरह से पहचानती थी । मसेज पWु पा को दे खकर

वह करवटे बदलने लगती थी । हाथ पांव पटकने लगती थी । उसके भाव को दे खकर मसेज पWु पा समझ जाती 288

थी क वह गोद मM उठाने को कह रह@ है । गोद मM उठाते ह@ वह मंुह पर एकटक दे खती रहती थी । मसेज पWु पा के भी आंसू नह@ बद हो रहे थे । उनक आंख के सामने र@ता का चेहरा बार बार उभर रहा था । मसेज पWु पा छाती पर प>थर रखकर ट@लू को समझाने का अथक य>न कर रह@ थी । ट@लू थी क बयान कर-कर दहाड. मार-मार कर रोये जा रह@ थी । मसेज पWु पा ट@लू क दे खरे ख मM लगी हई ु थी और द@नदयाल kयाकम करने क तैयार@ मM । द@नदयाल वक ल भइया के पर7चतI को अपने बfचI को भेजकर बलवाया दरू के ु पर7चतI को कसी दसरे ू ◌ा◌ं का हाथ जोड. जोड. कर बलवाये । वक ल भइया को बलाने के लये एक आदमी ु ु को दौड.◌ाये ।खद ु अितम सं कार का इतजाम करने के लये एक दो को साथ लेकर करने मM जट ु गये । कछ ु दे र मM काफ लोग जट ु गये पर वक ल भइया के दरू के पर7चत ~ाइवर साद ने तो सार@ हदे पार कर द@ । द@नदयाल क बी=टया काजल को डांटकर भगा =दये । काजल से बोले तेरा बाप कतना बेवकफ है ना जान ना ू पहचान तू मेरा मेहमान हर ऐरे गैरे के काम के लये बलावा भेज दे ता है । अरे उसक अपा=हज बी=टया मर ु गयी तो कौन सी दनया उजड. गयी । अfछा हआ । ु ु दनया मM ना जाने कतने रोज मरते है । वक ल क ु अपा=हज बेट@ मर गयी तो कौन सा पहाड. टट ू गया । 289

मेर@ कोई जान पहचान वक ल से नह@ है । मेरे और भी काम है । जा कह दे ना अपने बेवकफ बाप से । अरे खद ु ू मसीबत मM डब क मसीबत मM Pया ु ू रहा है । दसरI ू ु जLरत है कदने क । बड.◌ा भला मानष ु बनता है । घर ू मM खाने का इतजाम नह@ चला है नेक करने । खद ु क घरवाल@ का दख दद ठ0क से दे ख नह@ पा रहा है । ु समाज को बदलने का जैसे ठे का ले लया है । भाड. मM जाये ऐसी जनसेवा । बेचार@ काजल रोते हए ु वापस आ गयी । वक ल भइया क बी=टया र@ता क मययत मM ् ~ाइवर साद नह@ सर@ख हआ । कह@ घमने चला गय ू ु । खैर साद नह@ आया । वक ल भइया क मत ृ बेट@ को दफना =दया गया । द@नदयाल वैसे ह@ मसेज पWु पा क

असा]य बीमार@,खद ु

क बीमार@ और आ7थक तंगी से \ त थे। दवा का इतजाम भी बडी मिg ु कल से हो रहा था । बfचे कपड.◌े लते को रतस रहे थे

।गांव मM परवार के लोग नाराज

थे PयIक मनआडर नह@ कर पा रहे थे । सार कमाई दवाई पर वाहा हो रह@ थी । द@नदयाल के 'पताजी पर@ ू ब ती वालI के सामने कहते बेटवा ससरा ु शहर मM मजा कर रहा है । गांव मM हम सतq ु बीड.◌ी के लये न तवान हो रहे है । बीबी बfचI को साथ मM रखा है भला इस गांव मM उसका कौन है । PयI करे गा मनआडर । जबक द@नदयाल जो कछ हो जाता जLर भेजते थे । द@नदयाल ु 290

अपनी दयनीय दशा को वैसे ह@ उजागर नह@ होने दे ते थे जैसे नवयौवना अपने तन के तार-तार व \ से अपने अंग को ढकती हो । द@नदयाल खद ु के परवार का खच उठाने मM =दPकत महसस कर रहे थे । इसी बीच ू वक लभइया के परवार का भार आ गया । आने जाने वाले◌ा◌ं के चाय नाgता,भोजन तक क इतजाम करना पड.ता । वक ल भइया के मसीबत को अपनी मसीबत ु ु मानकर द@नदयाल और पWु पा सारा भार वहन कर रहे थे । बी=टया के मरते ह@ ट@लू तो पागल जैसी

हो गयी थी

। पड.◌ोस मM

एक लड.क पैछा हआ उसे अपनी बी=टया ु का पन ु जम मानकर उसे लेने दौड पड.ती । तंगी के बोझ तले दबे द@नदयाल =हQमत नह@ हारे पर@ ू तरह से मदद कये । वक ल के परवार का खाना द@नदयाल के घर ह@ बनता । पWु पा और द@नदयाल ने सगI से बढकर वक लभइया

के बरेु वPत काम आये । द@न दयाल खद ु

इतने दखी थे क दसरI के दख ु ू ु मM काम आना उनक कमर टटने जैसा था । द@नदयाल क इनकम अ7धक न ू थी । वे एक कQपनी मM मामल@ से मलािजम थे । छोट@ ू ु सी तनHवाह थी। प>नी के चार चार आपरे शन का दद भोग चक ु े थे। इसी बीच बाप का आपरे शन, इसके बाद वक ल भइया क मसीबत द@नदयाल के लये कसी ु सनामी से कम न थी । घर मM खाने के लये अन क ु कमी उपर से एक और परवार का खच पर अपनी 291

=दPकतI का एहसास तनक भी वक लभइया को नह@ होने =दया । वक ल भइया मानसक Lप से परे शान रहने लगे वे शहर छोड.ने का फैसला कर लये । पड.◌ोसयो के ,द@नदयाल और पWु पा के लाख समझाने के बाद भी मानने को तैयार न थे । द@नदयाल और वक लभइया मM दरू दरू तक कोई रgता नह@ था । द@नदयाल और पWु पा को दे वदत ू कहते वक लभइया और ट@लू न थकते थे । वक लभइया और द@नदयाल जात eबरादर@ से भी एक ना थे । द@दयाल इंसानयत के पजार@ थे । इंसानयत का ु धम नभाना द@नदयाल को अfछ0 तरह से आता था । वक ल साहब दसरे शहर चले तो गये पर उहे नया शहर ू रास नह@ आया । वे वापस आ गये कछ मह@नI के। ु द@नदयाल खद ु कराये के घर मM रहते थे । घर बहत ु छोटा था इसके बाद भी आuय =दये । दो =दन मM वक लभइया के लये कराये का घर ढढ ू लये । वक ल भइया ट@लू के साथ अपने कराये के घर मM रहने लगे । यह घर वक ल भइया के लये भाvयशाल@ साeबत हआ । ु उनका काम चल पड.◌ा । वे तरPक क राह पर दौड. पड.◌े । कामयाबी पर ट@लू मैडम को गमान होने लगा । ु द@नदयाल और उनका परवार जो साल भर पहले उनके के लये दे वता समान था । अब उहे उनमM खोट लगाने लगी । वे ट@लू मैडम क नजर मM छोटे हो गये । द@नदयाल क नेक का ट@लू मैडम के लये कोई मोल न 292

रहा । ट@लू

मैडम

के

परवार,ढकोसलबाज

लये तेगवहादरु

~ाइवर

साद

उनका

और

उसक

घरवाल@

मंथरा ' य हो गये । ये वह@ साद थे जो ट@लू मैडम क बेट@ र@ता के जनाजे मM शामल होने से मना कर =दये थे । ट@लू मैडम साद क घरवाल@ ललता क बातI पर कछ अ7धक 'वgवास करने लगी । साद और ललता ु दसरे ू ◌ा◌ं के अfछे

रgते उहे पसद नह@ थे । वे हर

हाल मM eबगाड.ने का षणय\ रचते अततः कामयाब भी हो जाते । हां बाद मM भले ह@ लोग उनके मंह ु पर थक ू दे उसक तनक परवाह न करते । ललता जब वे दसरI के ू अfछे सQबध मM दरार डालने मM कामयाब नह@ं हो पाती तो राखी बांधकर

Lर eबलगाव पैदा कर दे ती । खद ु

अfछ0 और दो परवार को एक दसरे का दgु मन बना ू दे ती । उसके `यवहार मM =दखावा कटकट ू ू कर भरा हआ ु था । ललता के षणय\ का शकार होकर ट@लू मैडम द@नदयाल के नेक को eबसार कर नेक मM खोट खोजने लगी । जहां दो चार औरते इP/ठा होती दे वता समान द@नदयाल और उनक प>नी पWु पा क बराई करने मM ु तनक भी न चकती । वक ल भइया ने भी आना जाना ू बद कर =दया । पWु पा मह@ने भर अ पताल मM मौत से संघषरत ् थी पर ट@लू मैडम, न वक ल भइया ,न ललता और न साद दे खने भर को तो न हए ु । हां 'वपि>त के 293

=दनI मM भी द@नदयाल क राह मM म/ ु ठ0 भर-भर आग eबछाने से न चक ू े । एक =दन राह चलते ट@लू मैडम से मसेज कrयानी क मलाकात हो गयी । ट@लू मैडम ु मसेज कrयानी को दे खकर बोल@ कहां से आ रह@ हो भाभी बड.◌ी जrद@ जrद@ । Pया बात है बहत ु जrद@ मM हो ? मसेज कrयानी - अ पताल से आ रह@ हंू पWु पा को दे खकर मह@ने भर से अ पताल मM पड.◌ी है । द@नदयाल भइया बड.◌ी मसीबत मM ह- । ु ट@लू मैडम- मर तो नह@ रह@ है ना ? मसेज-कrयानी Pया कह रह@ हो ट@लू ? ट@लू मैडम-ठ0क कह रह@ हंू । मेरे उपर उसका बहत ु एहसान है ना ? मसेज कrयानी-एहसान है तो बेचार@ मह@ने से अ पताल मM पड.◌ी है । बfचे भखे ू Xयास =दन काट रहे है । जाकर अ पताल दे ख आती । बfचे◌ा◌ं क दे खभाल कर लेती । अगर इतनी एहसानमद है तो । ट@लू मैडम-भाभी ये सब मझे ु नह@ करना है । मसेज कrयानी-मसीबत मM तो अपने ह@ काम आते है । ु तQ मM तो द@नदयाल भइया और उनका ु हार@ मसीबत ु परवार जी जान लगा =दया था ।तम ु तो कभी अ पताल मM नह@ =दखी। ट@लमै ू डम- भाभी हमे तो इतजार है उस =दन का । 294

मसेजकrयानी-कौन से =दन का इतजार कर रह@ हो । ट@लमै ू डम- िजस =दन उसका बेटा मरे और मै उसके काम आउ◌ू◌ं । पर@ ू कालोनी जान गयी है ना उसने मेरे साथ बहत का मौका तो ु ु एहसान कये है । एहसान चकाने मले । मेर@ बी=टया मर@ थी तो एहसान क थी ना । मएहसान कर

परेू शहर को बता दे ना चाहतीहंू । पहले वो ना उसका बेटा मरे ताक दे ख तो ले मेरे एहसान को । मसेज कrयानी- ट@लू होश मM तो हो । तम ु नेक पर बदनेक क आग डाल रह@ हो । अरे भगवान से तो डरो । म- जानती हंू द@नदयाल भइया ने तQ ु हारे लये Pया कया है । म- भी पड.◌ोस मM ह@ रहती हंू । कोई दरू नह@ रहती । खद तकल@फ नह@ ु तकल@फ उठाये पर तमको ु पड.ने =दये अपने बfचI का नवाला तQ ु हे =दया । असा]य रोग से पीEड.त पWु पा बहन ने रात =दन एक कर =दया । तQ ु हारे खन ू के रgतेदार तो एक =दन भी नह@ =दखे,मह@ने भर परा ू परवार एक पांव पर खड.◌ा था । बेचारे द@नदयाल भइया क नेक भल ू कर बरेु क सोच रह@ हो । पWु पा के बेटे क मौत क कामना मM जट@ ु हो । जो दसरे का ू

बरा ु सोचते है उनका बरा ु पहले होता है ।

तमको पता है क नह@ ट@लू ? ु ट@लमै ू डम- Pया ? मसेज कrयानी-स>य कभी नह@ हारता भले ह@ परे शान 295

हो जाये । तQ मM जो कछ द@नदयाल भइया ु हार@ मसीबत ु ु और पWु पा भाभी ने कया है । उसके बदले तमसे उहे ु कोई चाह न थी । वे तो हर कसी के दख ु को अपना दख ु मानकर आगे आ जाते है । उनके tखलाफ जो जहर तम ु बो रह@ हंू वह तQ ु हारे लये घातक होगा । इसके लये तQ ु हे भगवान भी माफ नह@ करे गा । हां द@नदयाल भइया जLर माफ कर दे गे । मेर@ बात ग=ठया लो । एक =दन तम ु जLर द@नदयाल भइया के चौखट पर माथा पटकोगी । अरे कसी क नेक के बदले नेक

नह@ कर

सकती तो बराई क म/ ु ु ठ0 भर भर आग PयI । नेक के बदले ऐसा सला Pयंू ट@लू ? द@नदयाल भइया तो कहते है नेक करो पर नेक के बदले को चाह न रखो । आज के जमाने मM जब लोगो

को आग बोने से फस ु त नह@ है

,द@नदयाल भइया जैसा कोई आदमी तो है नेक क राह पर चलने वाला । दसरI के दख ू ु मM काम आने वाला । ट@लू मैडम- Pया ? मसेजकrयानी- हां । मानवता क राह पर चलने वालI क राहो मM फल ू eबछाने चा=हये म/ ु ठ0 भर भर आग नह@ । कसी क नेक eबसारना महापाप है । ट@लू मैडम-मै ललता और मंथरा भाभी के बहकावे मM आ गयी थी ।वे कहती थी ठोटे लोगI क सोहsबत से दरू रहना चा=हये । मसेजकrयानी- Pया ? द@नदयाल भइया इतना बड.◌ा 296

आदमी तो तQ ु हे इस जम मM तो नह@ मलेगा । अरे आदमी पद दौलत और जात से बड.◌ा नह@ होता ।आदमी तो सhकम और नेक हौशले से बड.◌ा होता है । द@नदयाल भइया भले ह@ जात से छोटे हो पद और दौलत से छोटे हो पर वे बहत ु बड.◌े आदमी है ट@लू । आदमी को समझना सीखो । ट@लमै ू डम- गलती का एहसास हो गया है मझे ु द@द@ । म ायिgचत कLंगी । भइया और भाभी का पांव पकड.कर माफ मांगगी कहते हए ू ु अ पताल क ओर भागीं जहां पWु पा मौत से य] ु दरत ् थी।

समाचार साल भर क कमरतोड.,आंखफोड. पढाई का फल छा\I नतीजे के Lप मM मलता है । य=द इन भिWय के वैoानकI,'व}ानI,उोगपतयI,राजनेताओं,

सैनकI

एंव

समाज सधारकI के भ'वWय के साथ tखलवाड. लाभबस ु होता है तो यह tखलवाड. भ'वWय मM सामािजक,आ7थक, एवं राWc@य =हत पर सनामी के कहर से कम न होगा । ु सबह पर@Zा थी, रामू पर@ रहा । ु ू रात तैयार@ मM जटा ु कशन के मानगव  ाक बाहर नकलते ह@ करायेदार काशबाबू का बेटा रामू बाहर आ गया । रामू को दे खकर कशन बोले रामू अखबार का इतजार कर रहे हो Pया ? राम-ू नह@ अंकल । कल पेपर है । अखबार पढने का समय का है । पर@Zा क तैयार@ कर रहा हंू । 297

कशन-तैयार@ अfछ0 चल रह@ है ना । राम-ू हां अंकल । अ`वल आना है तभी ना पापा साइकल =दलवायेगे । कशन-जLर अ`वल आओगे । पढाई करो ।नतीजा अfछा आयेगा बेटा । रामू-अंकल परेू साल से कर रहा हंू । कशन-केd कहां है । रामू- अपनी ह@ कालोनी मM । आने जाने मे

परे शानी नह@

होगी । कशन-ये भी अfछ0 बात है । तमको Tयादा दे र तक ु पढने का समय मल जायेगा । बेटा तम ु पढो◌े । ममानग वाक् कर लंू । रामू-जी अंकल । कशन- बे ट आफ लक बेटा । रामू- थक - यू अंकल। रामू मानग वाक् से जrद@ लौट आये और वे भी अपनी बी=टया को पर@Zा केd छोडने चले गये जो दरू था ।बी=टया उषा दसवीं क छा\ा थी । उषा को पर@Zा केd छोड.कर कशन घर भी नह@ पहंु च पाये । कालोनी पलस ु छावनी बन चक थी । प>थरबाजी दे खकर =दल दहल ु गया । बचते बचाते कशन घर तक तो पहंु चा पर पलस ु क ललकार सनकर आगे बढ गया । कशन का बेटा ु कमार बाट जोह रहा था । पापा को घर के सामने से ु 298

जाता हआ दे खकर पापा पापा 7चrलाते पीछे पीछे ु दौड. लगा =दया । आगे बढकर पलस के एक जवान ने ु कशन को रोका । पलस के रोकने पर कशन Lक गया । वह =हQमत ु करके बोला Pया हं गामा है ये । अपने घर मM भी नह@ घसने =दया जा रहा है । Pया आफत है । Pया हो गया ु कालोनी मM आधा घ:टा पहले तो ऐसा कछ नह@ था । ु पलस जवान-दे ख नह@ रहे हो दं गा हो गया है । ु कशन-दं गा Pयो हो गया ? जवान- ऐन वPत पर पर@Zा केd बदल गया है । इसलये तब तक हांफते हए पहंु च गया और कशन से ु ु कमार बोला पापा घर चलI मQमी परे शान हो रहा है । कमार ु डरा सहमा थर-थर कांप रहा था ।दं गे का खौफ उसक नजरI के सामने घम ू रहा था । वह नहा सब कछ ु अपनी आंखI से दे ख चका था । उसे डर था क कह@ं ु कोई प>थर उसके सर न फोड. दे । वह कशन का हाथ पकड.कर घर चलने क िजद पर अड. गया । कशन-बेटा कूटर पर बैठो । अंकल से बात कर लंू । घर ह@ चलंग ू ा । कमार -पापा कोई प>थर मार दे गा। ु कशन-नह@ बेटा ये अंकल है ना । प>थर मारने वालI को पकडने के लये । 299

कमार - अंकल जैसे तो बहत ु ु लोग थे । दे खो न बस को कंू च डाले। कशन- कछ नह@ होगा अब । पलस अंकल लोग आ ु ु गये है ना । इतने मM तेज धमाका हआ । कु मार रोते हए ु ु बोला पापा अब घर चलो । दे खो बस पर प>थरबाजी शL ु हो गयी । सभी लोग अपने अपने घरो के अदर है । कमार क ु िजद के आगे कशन को झकना पड.◌ा । वे अपने घर ु वापस आ गये । कूटर धड.◌ा कर दं गा थल ओर जाने लगी । इतने मM उनक धमप>नी गीता डपटकर बोल@ कहां जा रहे हो जी । दे ख रहे हो चारो ओर से प>थरबाजी हो रह@ है । Pयो सर फोड.वाने जा रहे हो । इतने मM कछ लड.कयां द@वार क ओट मM रोती हई ु ु =दखाई पड. गयी। कशन लड.कयI के पास गये पछे ू बेट@ Pया हआ । ु एक लड.क आसू पोछते हए ु बोल@ पर@Zा केd बदल गया हम तो पर@Zा दे ने आये थे । यहां तो सर फट ू गया । कई लड.के लड.कया अ पताल जा चक है । ु पर@Zा केd कहां है । कशन-पर@Zा केd बदलने क सचना तो पहले मल ू गया होगी । लड.क - नह@ अंकल अभी पता चला है । कोई कह रहा है नदाकालोनी मM है तो कोई कह@ं और बता रहा है । 300

कछ सरकार@ अफसर भी आ गये । कछ पर@Zाथq जा ु ु चक अ7धकारयI को उQमीद भर@ नगाहI से ु े थे । कछ ु दे ख रहे

ताक पर@Zा टल जाये । दस मनट के बाद

शZा अ7धकार@ भी आ गये । पालक और पर@Zाथq gनI क झड.◌ी लगा =दये । एक आदमी पWट शsदI मM बोला साहब Pया यह zWटाचार का केस नह@ है । ले दे कर पर@Zा केd बदला गया हो । शZा अ7धकार@ महोदय अन>ु तर हो गये ।इतने मM अपर कलेPटर साहब आ गये । कूल के संचालक को बलवाये ु । आपस मM कछ बातचीत कये । थाने चलो कह कर ु अपर कलेPटर साहब आग बढे फर Pया गाEड.यI का काफल चल पड.◌ा अपर कलेPटर साहब के पीछे पीछे । बच गये कछ घायल पर@Zाथq और टट@ बसM । कशन ू ु भीड. के छं टते ह@ बस के पास ससकती लड.कयI से बात करने लगे ।इतने मM पड.◌ोस वाला ओमजी आ गये बोले भाई साहब Pया एकटक नहार रहे है । कशन-कराहता हआ भ'वWय । ु ओमजी-भाई साहब जब तक zWटाचार है तब तक सार@ कराहे जवां रहे गी । आओ घर चले । इनते मM एक प\कार महोदय आ गये । प\कार महोदय आkोश का शकार हई ु बस का फोटो कई ऐंगल से खीचने लगे । कछ दे र मM प\कार महोदय भी अपनी िजQमेदार@ पर@ ू ु कर चले गये । कूल के पास कछ पलस जवानI के ु ु 301

साथ कोई नहा था । कछ घ:टे पहले जहां दं गा हो रहा ु था । लोगI का तांता लगा हआ था । अब वहां पर@ ू ु शाित थी । कशन अपने काम पर चले गये । कछ ह@ ु दे र मM कशन

के पर7चतI ने ने फोन लगाना ऐस शL ु

कया क फोन क घंट@ बद होने का नाम ह@ नह@ ले रह@ थी । गीता जबाब दे दे कर परे शान हो गयी । सब एक ह@ बात कहते भाई साहब को फोटो अखबार मM दे खा है इसलये फोन कया है । भाई साहब आये तो जLर बताना हमारा फोन आया था । uीमती गीता फोन क घ:ट@ से परे शान तो थी पर मन मM खशी भी थी पतदे व ु का बड.◌ा फोटो अखबार मM जो छपा था । वे उधेड.बन ु मM थी क कह@ं बड.◌े साहब तो नह@ हो गये पर दसरे ू पल उनक खशी पर व‡पात हो जाता सोचती उनक ु क मत मM कहां । य=द क मत मM होती तो कब के बड.◌े

अ7धकार@

हो

गये

होते

पर

कछ ु

लोगI



कागदिW ु ट उन पर ऐसी पड.◌ी क बड.◌ी-बड.◌ी Eड2ी के बाद भी Pलक क नौकर@ भी चैन से नह@ कर पा रहे है । भेद क द@वार खड.◌ी करने वाले रसते जHम खरचते ु रहते है । भला अ7धकार@ कैसे बनने दे गे । अपने पास कोई बड.◌ी पहंु च भी तो नह@ है ।दसरे पल कोई ू अनहोनी का डर सताने लगता । काफ माथा पfची के बाद दफतर मM फोन लगा द@ । संयोगबस कशन ने ह@ फोन उठाया uीमती गीता आवाज पहचन कर बोल@ PयI 302

जी तरPक हो गयी Pया ? कशन-कहां से समाचार मला । uीमतीगीता-सच आप साहब बन गये आप । आज मबहत ु हंू । ु खश कशन-कहां से समाचार आप तक पहंु च गया । मझ ु े तो कछ ु पता नह@ं । uीमतीगीता-दनया ु

जान

गयी



आपको

पता

नह@

।आपके जाते ह@ सभी जानने वालI के फोन आने का सलसला अभी तक जार@ है । कशन-Pया ? uीमतीगीता-हां । सभी आपक फोटो छपने का समाचार बता रहे थे । कशन-सबह वाले अखबार मM तो कछ नह@ छपा है । ु ु uीमतीगीता-अरे दोपहर का कोई बड.◌ा अखबार है । दे खो अखबार घर लेकर आना और कम से कम पाव भर रसमलाई जLर लाना । कशन-ठ0क है । अब फोन रखो । eबल बढ रहा है । uीमतीगीता-चहकते हए ु बोल@ बाय बड.◌े साहब । कशन कसी अनहोनी के डर मM भयभीत होने लगा । बड.◌ी मिg के बाद नकल ु कल से दफतर से सूरज डबने ू पाया । अखबार क दकान पर पहंु चा । सभी लोग ु कशन को घरू-घरू कर दे ख रहे थे । वह समझ ह@ नह@ पा रहा था क असल माजरा Pया है ? 303

दकान वाला मोड.कर अखबार कशन क ओर बढाते हए ु ु बोला लो साहब आप इसे खोज रहे है ना । कतनी बड.◌ी फोटो छापी है अखबार वाले ने आपक । साहब द@िजये एक Lपया । कशन पाकेट से एक Lपया नकाला अखबार वाले के हाथ पर रखा । अखबार लया अखबार का पहला पना खोलते ह@ होश उड.. गये। खड.◌े कशन और और

जाते

हए ु ओमजी क फोटो अखबार नवीस ने बड.◌ी बार@क से खींची थी । फोटो दे खने पर ऐसा लग रहा था क असल@ दं गाई कशन ह@ हो और ओमजी कछ दरू भागते नजर ु आ रहे थे । िजQमेदार प\कार असल@ बराई से कोसो दरू ु थे । त वीर के नीचे छपा था k] ु द भीड. और कूल क Zत2 त बस । उखड.◌े पांव कशन घर पहंु चे । uीमतीगीता होठो पर म ु कान लये दरवाजे पर खड.◌ी मल@ । कशन eबना कछ बोले अखबार हाथ पर रख ु =दये । uीमतीगीता-बाप रे समाचार ने तो मेर@ खशी पर म/ ु ु ठ0 भर आग डाल द@ ।

नरापद रामसेवक का बेटा रामगलाम बी ए तक क पढाई पर@ ु ू कर गांव से शहर नौकर@ क तलाश मM जाने क िजद पर 304

अड. गया रामसेवक के और आगे पढाने क इfछा के बाद भी । एक =दन रामगलाम नीम के चबतरे पर बैठा ु ू छोटे छोटे कंकड. से नशानी साध रहा थे । इसी बी रामसेवक आ गया पर रामगलाम इससे बेखबर था । वह ु नशाना साध साधकर कंकड. से मारे जा रहा था । रामसेवब बेटे क बेचैनी को दे खकर बोला बेटा रामगलाम ु Pया कर रहे हो ? रामगलाम -बापू कछ तो नह@ ? ु ु रामसेवक-PयI बेचैन है बेटा ।PयI शहर जाने क िजद कर रहा है । बेटा भले ह@ अनपढ गंवार हंू पर तेरा दद समझता हंू । लाख गर@बी मM तमको पाला पोसा । ु तमको म- अभागा कछ भी तो नह@ दे सका । जब से ु ु होश संभाला है तब से घर परवार क दरdता ह@ तो दे ख रहा है । रामगलाम -Pयो दखी हो रहे हो । ऐसी कोइ◌्र बात नह@ ु ु है । रामसेवक-बेटा तू शहर जाना चाहता है तो बड.◌े शौक से जा । मेर@ एक बात ]यान मM रखना । रामगलाम - कौन सी बात बाप।ू ु रामसेवक-कछ पैसा हाथ मM आते ह@ पढाई शL ु कर दे ना ु । ररामगलाम - हां बापू याद रखंूगा । बापू घर क हालत ु दे खी नह@ जाती । तQ ु हारे धोती मM दे खो कतनी जगह से 305

फट@ है । मां क साड.◌ी मM कतने पेवन लगे है । बापू अब म- तQ ु हारा हाथ बंटाने लायक हो गया हंू 'वgवास करो । क मत ने साथ =दया तो गर@बी दरू हो जायेगी । रामसेवक-भगवान तQ ु हार@ मनोकामना पर@ ू करे । रामगलाम - बापू तमने और मां ने मेरे लये बहत ु ु ु तकल@फ सहे है । तमने अपनी इfछाओं क ह>या कर ु द@

मझे ु

पढाने

के

लये



म-

शहर

जाकर

कछ ु

कमाउ◌ू◌ंगा तभी गह ृ थी क गाड.◌ी आगे सरकेगी बापू । रामसेवक- वह@ शहर क बात ? रामगलाम -हां बाबू शहर तो जाना ह@ होगा । गांव मM ु रहकर तो अपने सख ु के =दन कभी नह@ आएगे । रामसेवक-बेटा शहर से तमको इतनी उQमीद है तो जाओ ु तQ ु हार@ क मत संवर जाये इससे अfछ0 हमारे लये Pया होगा । इसी मM तो हमार@ और हमारे खानदान क भलाई है ।बेटा शहर से बरोबर 7च/ठ0 दे ते रहना । रामगलाम - हां बाबू तमको शकायत का म‚का नह@ दं ग ु ु ू ा । तQ ु हार@ उQमदI पर खरा उतLंगा । रामसेवक-बेटा तमसे यह@ उQमीद है । ु आ◌ाtखरकार मां बाप का झोल@ भर आशqवाद लेकर रामगलाम शहर को कंू च कर गया । शहर मM वहे दर ु दर भटकने लगा । जहां भी जगह खाल@ है का बोड लगा दे खता वहा जाता पर वहां नौकर@ नह@ मलता । 306

शैZtणक योvयता क पहल@ नजर मM वह नौकर@ पाने का हकदार हो जाता पर जब बात सामािजक योvयता या◌ान जात क आती तो अयोvय हो जाता ।दे श क राजधनी मM भी उसके साथ क> ु ते eबिrलयI जैसे `यवहार हुय वह भी एक पढे लखे दे हाती के साथ । छः साल तक रामगलाम =दrल@ क खाक छानने के बाद म]य ु भारत के इदरू शहर पहंु च गया । रामगलाम को इस ु नये शहर मM भी बहत ु उठाना पड.◌ा । साल भर क ु दख बेरोजगार@ और भागदौड. के बाद एक कQपनी मM नौकर@ मल गयी । नौकर@ के पहले ह@ =दन लंच के समय मM दफतर का चपरासी आया और बोला

म टर रामगलाम ु

यह तो पता चल गया है क तम ु आजमगढ के हो और तम ु मझे ु भी जान गये हो क म- रह@स अहम खान हंू । कौन से गांव के तम हो यह भी तो बता दो हो । ु आजमगढ का तो म- भी हंू । आजमगढ कोई छोटा मोटा िजला थोड.◌े ह@ है दे श क शान है अपना आजमगढ । रामगलाम -दनया ु ु



शान

है

महापंEडत

राहल ु सां कृतायन भी तो वह@ के थे। खैर मेरा गांव चौक लालगंज से दस कलोमीटर है । वह@ का हंू । इतने मM साहब क कालबेल बजी वह साहब के कZ क ओर द‚ड. पड.◌ा। रह@स

अहम

खान-अfछा

तो

चौक

वाले

रामगलाम ु

थोड.◌ी दे र मM फर मलता हंू और कछ भी तो जानना है ु 307

। एक ह@ 'वभाग मM साठ साल क उj तक साथ साथ रहना जो है । रामगलाम -ठ0क है । ु चपरासी रह@स अहम खान दसरे =दन म‚का पाते ह@ गट ू हआ और बोला रामगलाम तम वरWठ हंू ु ु दे खो म- तमसे ु ु इस दफतर मM भले ह@ चपरासी हंू । एक बात पछ ू ू बताओगे ? रामग◌ु ु लाम- कौन सी ऐसी ना बताने लायक बात पछने ू वाले हो रह@स । रह@स अहम खान-रह@स नह@ परा ू नाम रह@स अहम खान हंू म- । खैर दे खने मM तो तम ु कसी बड.◌ी जात के लगते हो पर Pया तम ु बताओगे क असल@ जात तQ ु हार Pया है ? बहुत से छोट@ जात वाले जात बदल कर नौकर@ करते है और कालोनी मM भी जात छपाकर ु कराये का घर लेकर रहते है । तQ ु हार@ जात Pया है । रामगलाम -अनस7चत जात का हंू । ु ु ू रह@स अहम खान-बाप रे चमार को अब चाप पानी 'पला पडेगा, उसक टे बल कसq पोछनी पडेगी रह@स को कहते ु हो धम से रामगलाम के सामने कसq पर पसर गया । ु ु कछ मनट के बाद कालर सीधा करते हए ु ु बोला अपना तो धमzWट हो गया और जाने लगा । रामगलाम -म रह@स दफतर क चाभी दे दे ना कछ =दन ु ु यह@ रहंू गा । ए ए साहब ने इजाजत दे द@ है । 308

रह@स अहम खान-तू दफतर मM रहे गा । हे भगवान अब तो दफतर के बतन भाड.◌े भी भरभ:ड होगे । साहब से बात कर लंूगा इसके बाद चाभी दं ग ू ा । तQ ु हारे कहने से तो दं ग ू ा नह@ । खैर ए ए साहब ने रह@स अहम खान को लताड. =दया । वह मंुह लटकाये आया और रामगलाम क टे बल पर ु चाभी पटक =दया और बोल दे खो कोई सामान लेकर नह@ भागना और जब तक रहना दफतर के बतनI को उपयोग हर7गज नह@ करना । रह@स अहम खान ने खले ु आम रामगलाम को भगाने क म=हम जैसे छे ड. =दया । दफतर ु ु मM जातवाद के कछ पोषक भी रह@स का साथ अपरोZ ु Lप से दे ने लगे । उहे भी रामगलाम क उपि थत ु खलने लगी । रामगलाम ईमानदार@ से नौकर@ करने मM लग गया । ु रह@स क सािजश को नजरअंदाज करते हए । बडे ु अ7धकार@ ए ए साहब परोZ Lप से तो नह@ अपरोZ Lप सपोट भी करने । अपने से उ◌ु◌ंचे अ7धकारयI से भी रामगलाम ु

का

तार@फ

करने

से

नह@

चकते ू

थे



रामगलाम था भी तार@फ लायक । जब तक काम परा ु ू नह@ होता था उसे छोड.ता नह@ था । बीमार@ क

हालत

मM काम करता था पर@ ू लगन के साथ । उड.◌ीसा के भाई

चdमन ने रामगलाम कछ सपोट कया और ु ु कछ ु

आ>मबल भी बढाया । ए ए साहब के सपोट को दे खकर 309

रामगलाम को लगने लगा था क इस कQपनी मM उसका ु भ'वWय सरYZत है पर रह@स था क म/ ु ु ठ0 भर भर आग बोने से बाज नह@ आ रहा था । रह@स क करतत नजरअंदाज कर दे ता पर ू को रामगलाम ु वह हमेशा ह@ खार खाये रहता । दफतर के सभी लोग उसक इस हरकत से पर7चत हो गये थे । कछ आग मM ु घी भी डालने लगे थे । एक =दन यादो बाई आई जो दफतर के साफ सफाई के साथ लै=cन बाथLम भी साफ करती थी । वह काम नपटा कर जाने लगी । इतने मM रह@स चपरासी आया और बोला Pयो यादो बाई तम ु कहां क हो । यादो बाई 7चढते हए ु बोल@ उ>तर दे श के रायबरे ल@ क हंू कब तक तमको बताती रहंू गी । सात साल से म- इस ु दफतर का काम कर रह@ हंू । तुQहारा गंदा कया लै=cन बाथLम धो रह@ हंू । बार बता चक हंू PयI बार बार ु आजकल पछते हो । ू रह@स अहम खान-PयI बताने मM तकल@फ हो रह@ है Pया? यादो बाई- और कछ पछना है । ु ू ु तमको रह@स अहम खान- तम ु यादI हो या नह@ पर म- मान गया हंू क तम ु यादो हो और उ क हो । ये तQ ु हारे सामने कसq पर बैठा रामगलाम भी तो उ का ह@ है । Pयो ु ु रामगलाम ? यादो बाई एक बात पछनी है तमसे कई =दनI ु ू ु 310

से मन मM थी आज पछ ू ह@ लेता हंू । उ>तर दे तो दोगी ना ? रह@स अहम खान -तQ ु हारे धम मM सबसे छोट@ कौन सी जात होती है । िजसको छने से भी आदमी अप'व\ हो ु जाता है । यादोबाई-आदमी के छने ु से आदमी कैसे अप'व\ होगा । रह@स अहम खान-अfछा तो तू भी छोट@ ह@ जात क है । खैर छोड. सबसे छोट@ जात कौन सी होती है तQ ु हारे धम मM । यादोबाई-धोबी रह@स अहम खान-Pया यादोबाई इतना भी मालम ू नह@ । अरे चमार सबसे छोट@ जात होती है ।रामगलाम क तरफ ु इशारा करके बोले जा रहा था । रह@स चपरासी क बात सनकर रामगलाम का खन ु ु ू तो खैल रहा था पर अभी नौकर@ मM मह@ना भी नह@ eबता था । अपमान का जहर पी कर चप ु रहा । इतने मM बडे साहब के कZ क कालबेल बजी रह@स चपरासी दौड.◌ा दौड.◌ा गया और उrटे पांव बाहर आया और बोला अरे वो रामगलाम साहब तमको बला रहे है । ु ु ु जा याद रखना मेर@ शकायत ना करना वरना बहतबरा ु ु होगा । रामगलाम -ए ए साहब के सामने हािजर हआ । ु ु ए ए साहब-प\ टाइप हो गये । 311

रामगलाम -येस सर ।ये है सातो प\ कहते हुए साहब के ु सामने रख =दया । ए ए साहब-वेर@ गड। ु एPसीले:ट जाब इतने मM चदमनजी आ गये ।साहब ने उनहे बैठने का इशारा कया । साहब ने सभी प\ चdमनजी के सामने रख =दये और बोले दे खो चdमन कतना हाड वकर है रामगलाम । ऐसा ह@ रहा तो बहत ु ु आगे जायेगा । अfछा पढा लखा भी है । चdमनजी- जी सर । काम करना तो कोई रामगलाम से ु सीखे । सर कछ लोग रामगलाम क tखलाफत कर रहे ु ु है । तरह तरह के सवाल कर रहे है । ए ए साहब- वे लोग सfचे इंसान नह@ है । जातवाद तो दे श क सबसे घातक बीमार@ है । अफसोस है कछ पढे ु लखे और उ◌ू◌ंचे ओहदे पर रहकर भी जातवाद को बढावा दे रहे है । चdमनबाबू म- जान गया हंू सब कछ ु । रामगलाम के धैय को भी पहचान गया हंू दे खना जो ु लोग tखलाफत कर रहे है एक 7गड.7गडायेगे रामगलाम ु के सामने । चdमन-रामगलाम कतना अfछा काम कर रहा है । ु कोई मीनमेख इसके काम मM नकालने लायक नह@ होती । इसके बाद भी चपरासी रह@स 'वनोदबाबू और कछ ु लोग उ>पीEड.त कर रहे है जात eबरादर@ के नाम पर । 'वनोदबाबू तो कई बार तो eबना काम के द तावेज 312

रामगलाम को ु

टाइप करने को दे दे ते है । बेचारा नया

आदमी है इतना परे शान PयI कया जा रहा है । ऐसा भी नह@ है क कछ पैसे Tयादा =दये जा रहे हो । सबसे ु कम तनयवाह पाने वाला रामगलाम ह@ है । काम सबसे ु Tयादा करता है पढाई लखाई मM बीस ह@ बैठेगा । गंवारो क तो बात छोड.◌ो यहां तो पढे लखे लोग शोषण कर रहे है । अयाय हो रहा है साहब रामगला ु म के साथ ।रामगलाम चपचाप सनता रहा । ु ु ु ए ए साहब-चdमनबाबू हाथी चलता है तो क> ु ते बहत ु भौकते है जब वह पीछे मड ु .ता है तो सब अपनी अपनी मांद क ओर भागते है ।रामगलाम तम ु ु ऐसा नह@ करना अभी Pयोक तमको बहत ु ु दरू तक जाना है । रामगलाम -समझ गया सर । ु चdमन-सर आजकल लोग आदमी क पहचान करने मM भी मतलब तलाशते है । भले ह@ आदमी कतना ह@ ई◌्रमानदार,वफादार,हाडवकर

PयI



रहे

य=द

वह

चापलस ू नह@ है तो सबसे नकQमा है । सर आप जैसे लोग eबरले ह@ होते है जो आदमी क तभा को तराशते है । ए ए साहब-चdमनबाबू काम Xयारा होना चा=हये । हम सभी सं था के लये काम करते है । ईमानदार@ से सं था=हत मM काम करना चा=हये । इसी मM समाज और दे श क भलाई भी है । जात धम के झगड.◌े मM पड.कर 313

आदमी अपना अ=हत तो करता ह@ है , दे श समाज का भी कर बैठता है । दनया मM बhनामी भी होती है । आदमी ु को आदमयत के त अपना फज नह@ भलना चा=हये ू ।आदमी आज है कल नह@ है । ईमानदार@ से कया गया काम ह@ तो याद रहता है । दे खो रामगलाम िजस लगन ु से तम ु काम कर रहे हो करते रहो जLर एक =दन अपने मकसद को हासल कर लोगो । चdमन-हां रामगलाम बाधाओ से नह@ घबराना । बोने ु दो जी 'वष बो रहे है । एक =दन यह@ 'वष उनके सांसI मM घले ु गी । लगन से काम करो । भगवान तQ ु हार@ मदद करे गा । रामगलाम -मै अपने फज को नह@ भलं ु ू ग ू ा । पर@ ू नWठा और ईमानदार@ से काम करता रहंू गा आप लोगI के मागदशन मM । ए ए साहब-ऐसे ह@ लगे रहो तरPक तक तमको नह@ ु जाना होगा । दे खना एक =दन तरPक तQ ु हारे पास चलकर आयेगी । चdमtण-साहब अपने तजरबे के आधार पर कह रहे है ु रामगलाम । ु रामगलाम ईमानदार@ से अपनी डयट@ ु ू करता पर आठवी फेल चपरासी रह@स सािजश रचने से बाज नह@ आता । अपनी सािजश मM चपरासी,रह@स 'वनोदबाबू जैसे और जातवाद को बढावा दे ने वालो को शामल करता और 314

रामगलाम को परे शान करता ताक वह नौकर@ छोड.कर ु भाग जाये । रामगलाम रह@स के षणय\ को समझ ु गया था । इन इंसानयत के दgु मनI से बचकर रहता लेकन ये दgु मन कहा मानने वाले 'वष तो बोते ह@ रहते थे । कछ साल के बाद ए ए साहब का थानातरण हो ु गया ।धीरे धीरे दशक eबत गया पर रह@स का जहर उगलना कम नह@ हआ । अब रामगलाम को ईgवर का ु ु ह@ भरोसा था । इसी बीच चपरासी रह@स ने अपना

थानातरण बनारस करवा लया । बनारस मM चपरासी रह@स क अपनी औकात का पता चल गया । =दrल@ मM बैठे बड.◌े अ7धकार@ के सप|ट से वह रामगलाम के ु tखलाफ आग उगलता रहता था । उह@ अ7धकार@ के सहयोग से बनारस cासफर करवाया था और

छः

मह@ने मM फर वापस भी आ गया और पहले से अ7धक रामगलाम का 'वरोध करने लगा । चाय पानी तक दे ना ु बद कर =दया बोलता कब तक अछत को चाय पानी ू पीलाउ◌ू◌ंगा । इसके लये रामगलाम को लड.◌ाई भी ु लड.ना

खैर

जीता

रामगलाम ु

ह@



बहत बड.◌े ु सामतवाद@ अ7धकार@ का सर पर हाथ होने क वजह से रह@स चपरासी जातवाद का क/टर समथक थ ◌ाऔर बनारस से वापस आने के बाद तो बबर शेर हो गया था । वह रामगलाम के tखलाफ कछ और अ7धकारयI को ु ु मलाकर दgु चार करना लगा क रामगलाम चमार है ु 315

अपनी जात का सहारा लेकर हम उfच धम और जात वालो क tखलाफत करता है । षणय\ के तहत ् यह झठ0 ू शकायत उपर तक पहंु च गयी । बड.◌े सामतवाद@ अ7धकार@ ने काले पानी क सजा दे द@ । रामगलाम के सर ऐसा इrजाम पर मढना शL क ु ु हआ ु फर यह सलसला कभी न ह@ Lका और उसक सार@ योvयतायM धर@ क धर@ रह गयी। सQभवतः इसीलये क एक

बड.◌ी

कQपनी

के

दफतर

मM

वह

तथाक7थत

इकलौता छोट@ जात का था । इतने भयावह 'वरोध के बाद भी रामगलाम अपने कम और फज को ईमानदार@ ु के साथ सम'पत रहा । वह ऐस भयावह 'वरोध के तफान मM फंसा रहकर भी बड.◌ी-बड.◌ी शैZtणक Eड72यां ू भी हासल कर लया परतु रामगलाम का आवेदन ु जातवाद के पोषकI ने आगे नह@ बढने =दया । उrटे ऐसे ऐस हादशे नमत कये गये क रामगलाम नौकर@ तक ु छोड. दे लेकन रामगलाम बढे ु ू मां बाप के आंखI के आसू और परवार के भ'वWय के लये शोषण उ>पीड.न का जहर पीता रहा । इस जहर ने तो उसे तो उसे तरPक नह@ द@ पर डायeबट@ज जैसी बीमार@ जLर दे द@ । रामगलाम जब बहत होता तो भगवान के आगे ु ु ु दखी शकायत भरे लहजे मM कहता भगवान दसरI क तकद@रे ू कैद करने वालI को सदबि] उपाय भी तो ु द दो । दसरा ू नह@ बस इनसे छटकारा पाने का तर@का नौकर@ छोड.ना ू 316

ह@ था । ऐसा रामगलाम कर भी नह@ सकता था Pयोक ु उसे बढे ू मां के आंसू पोछने थे और परवार को भी तो शYZत करना था । इसलये वह शोषण अ>याचार सह रहा था तप या मानकर । वह अपने मन क भड.◌ास भगवान के सामने नकाल लेता कभी कभी-Pयोक 'वषमतावाद@ समाज मM कमजोर का तो कोई सनने वाला ु नह@ होता । सब कमजोर के जीवन मM म/ ु ठ0 भर-भर आग भरने का ह@ तो भरसक यास करते है ताक वे दबे-कचले रहे सर उठाकर चलना ना सीख सके और बने ु रहे ग◌ु ु लाम । रामगलाम का अपने फज के त समपण वPत के ु कैनवास पर 7चह छोड.ने शL ु कर =दये िजससे उसक उजल@ पहचान तो उभरने लगी पर उसके =दल के जHम ताजे कर दे ते भेदभाव के शोले उगलने वाले । एक नौकर@ मM तो रामगलाम को तरPक नह@ मल@ पर वह ु समाज सेवा के Zे\ मM एक मकाम हासल कर लये ु ।सामािजक बराईयI से नपटने के 'वचार उसके मन मM ु चलते रहते । रामगलाम सख आखI और माथे पर ु ु 7चता क मोट@ मोट@ लक रे लये उधेड-बन ु मM उलझा हआ था इसी बीच स>यनारायण बाबू आ गये । उसक ु दशा दे खकर बोले PयI रामगलाम खद ु ु को मटा दोगे Pया ? रामगलाम -हां बाबू मानवीय समानता के लये । ु 317

स>यनारायण-Pया ? रामगलाम -हां बाबू मानवीय भेद के आसू कब तक बेमौत ु मारते रहे गे ? जातीय भेदभाव और रह@स जैसे चपरासी का जr ु म कब तक ढोना होगा । बाबू ऐसे जम| ु ने ह@ तो दबे कुचलो के अि त>व को र‚द रखा है । श=दयI से शो'षतI को सQमान और भरपरू तरPक का मौका चा=हये क नह@ । स>यनारायण-PयI नह@ ?तम ु जैसे नरापद लोग कब तक जr ु म सहते रहे गे । जातीय भेद भाव ख>म

होना चा=हये

। कब तक यह दै >य सामािजक आ7थक Lप से वं7चतI क हक छन कर कब तक खन ू के आंसू Lलाता रहे गा । कब तक रामगलाम तम ु ु जैसी तभाओं का दमन करता रहे गा । अब तो भेदभाव दे श के लये नासरू बन गया है । इसके इलाज मM ह@ दे श और समाज क तदL ु ती है । रामगलाम -स>यनाराणबाबू 'वषमतावाद@ समाज मM पैदा ु हआ जातवाद के पोषक वधमq ह@ नह@ गैरधमq रह@स ु जैसे चपरासी तक का जHम पाया हंू । स>यनारायण बाबू यह जHम तो इस जीवन मM नह@ भर सकता पर सकन ू जLर मल सकता है । स>यनाराण-वह कैसे ? रामगला◌ाम -समतावाद@ समाज क गोद मM मरकर । ु स>यनाराण- Pया दे यह पायेगा करोड.◌ो शो'षतI वं7चतI को eबखि:डत समाज

? 318

नेक बना अभशाप अत'पछडे. छोटे से गांव मM दर=dता के दलदल मM धंसा माधव रहता था । वह अपने भाई भतीजI को खशहाल ु बनाने के लये गांव के जमीदार कंसबाबू का बंधुआ मजदरू बन गया था । माधव का >याग सफल हो गया,उसका बड.◌ा भाई केशव कलकते मM नौकर@ करने लगा । सबसे बड.◌ा भाई राघव केशव क ससराल मM ु वारस न होने क वजह से चारो भाईयI के नाम रिज c@ हई ु पांच बीघा जमीन पर खेती करने लगा था। माधव का सबसे छोटा भाई उधम तो बचपन से कछ अंवारा ु क म का था वह भी गांव से शहर जा बसा । माधव अपने और परवार के वtणम कल के सपने खल@ आंखI ु से दे खने लगा । कछ बरस मM ह@ केशव और उसक ु घरवाल@ कजर@ क नयत मM खोट आ गयी । कजर@ पांच बीघे खेत से उपजे क: ु टलI अनाज से एक दाना और केशव क कमाई से पैसा भी न दे ने क कसम खा ल@ । अब Pया माधव पर व‡पात हो गया । राघव अपने सगे भाई केशव का मजदरू होकर रह गया । केशव और उसक प>नी कजर@ पर लोभ का भत ू सवार हो गया जबक औलाद के नाम पर बस एक कया थी । केशव वह@ भाई था िजसके गणगान करते राघव और माधव ु नह@ थकते थे । राघव ने 319

तो केशव के गणगान मM ु

बना डाला था । जहां चार छः लोग इP/ठा हये ु क राघव गाने लगता था । भइया हो तो बस अनपे केशव जैसा अपना केशव तो चांद जैसा । ना आये आंच कभी रgते पर अपने बना रहे Xयार सदा सच होवे सपने । भईया का Xयार करे खशहाल ु केशव क खशी ु पर परवार नहाल । भईया केशव भययपन का सरताज, ्

वाथ के यग ु मM ऐसा भाई कहां मले आज । राघव और माधव का गमान केशव क दगाबाजी के ु सामने नह@ =टक सका । केशव और उसका दमाद भु जो कचहर@ मM मलािजम था सािजश रचकर स\ह साल ु परानी रिज c@ नोट के ब:डल परोस कर रhद करवा ु लया । चपक ु े चपक ु े केशव सार@ जमीन अपनी इकलौती बेट@ के नाम करवा लया । कसी को भनक तक न लगने द@ । कई बरसI के बाद राघव को दाल मM कछ ु काला लगा वह छानeबन करने लगा । इसक भनक भु को लगी वह सािजश से परदा हटता दे खकर राघव को रा ते से हटा =दया और इrजाम राघव के माथे मढ =दया गया आ>मह>या का । राघव

क घरवाल@ बहत ु बरस पहले उससे नाता तोड.कर मायके जा बसी थी नवजात शशु उजाला को माधव क 320

चौखट पर फक कर। । माधव क नव'ववा=हता घरवाल@ M धनर@ ने भेड. बकर@ और Hु◌ाद तक क छाती चटाकर उजाला को पाल पोष ल@ । राघव के मरते ह@ बंधुवा मजदरू माधव क जैसे भजा ु यM कट गयी । वह बेसहारा हो गया । मिg ु कलI के समय मM कोई सहारा दे ने वाला न रहा । पैतक ृ घर पर परवार वालI का कsजा हो गया । माधव और उसके बfचI के◌ा सर छपाने क जगह न बची। जमींदार का हाथपांव जोड.कर वह ब ती से कछ ु दरू गांव समाज क जमीन पर मड.ई डालकर बसर करने लगा । गर@बी के दलदल मM फंसे माधव को उबरने का कोई रा ता दरू दरू तक नजर नह@ आ रहा था । बेचारे माधव के पास तंगी, भमह@नता , रोजी रोट@ का कोई पH ू ु ता इतजाम नह@ । =दन भर जमीदार के खेत और चौखट पर हाड.फोड.ने क दो सेर मजदर@ ू इसके बाद भी माधव ने हार नह@ माना । उजाला को अपने बड.◌ा बेटा माना उसे पढाने लखाने मM जट ु गया जबक वह खद ु लाख दख ु भे◌ाग रहा था । माधव के >याग से उजाला आठवीं जमात का इQतहान भी पास कर लया । माधव उसे आगे पढाना चाहता था पर ना जाने Pयंू उजाला माधव और उसके परवार को सांप क तरह फफकारता रहता ु था । धनर@ इतनी सतोषी औरत थी क उजाला क हर गलती माफ कर दे ती कहती बेटा पढाई पर ]यान दो 321

आगे बढो । अपने बfचI क तरफ इशारा करते कहती अपने भाई बहनो को तQ ु हे हा आगे ले जानस है । बेटा हम तो अपनी औकात के अनसार तमको कोई तकल@फ ु ु नह@ पड.ने दे रहे है । अगर कोई दख ु तकल@फ पड. रहा है तो बेटा इसमM हमार@ कोई गलती नह@ है । तम ु तो अपने काका क कमाई दे ख ह@ रहे हो । हमारा सपना है क तम ु पढ लखकर साहे ब बनो । बेटा हम गर@ब का मान रख लेना । उजाला माधव और धनर@ के >याग को कभी भी नह@ माना । वह ब ती वालो से कहता मेर@ मां छः =दन का छोड.कर भाग गयी तो काका काक को मझे ु नह@ पालना था फेक दे ना था । क> ु ते eबrल@ खा गये होते । धनर@ के कान तक ये बाते पहंु चती को तो वह घ:टो रोती पर माधव से कछ ना कहती । माधव तो ु भोर मM जमीदार क चौखट पर हािजर@ लगाकर काम मM लग जाता । पर@ ू ब ती सो जाती तब वापस आ पाता । आठवीं का रजrट आया ह@ नह@ उसके पहले उजाला शहर भाग गया । शहर मM एक कQपनी मM नौकर@ करने ं लगा और बाक समय मM डाई-मेकग का काम सीखने लगा। कछ मह@नI मM उजाला एक कामयाब म \ी बन ु गया । अfछा पैसा कमाने लगा । बड.◌ा म \ी बन गया

।उसक कामयाबी के चचb परेू शहर मM होने लगे थे

। उजाला अपनी कामयाबी क खबर से माधव को कोसो दरू रखा । माधव को जब कभी 7च/ठ0 उजाला लखता 322

तो बस यह@ लखता क कामधाम नह@ चल रहा है मबीमार हंू । उजाला के बीमार@ क खबर सनकर माधव ु और धनर@ रो उठते । बड.◌ी मिg ु कल से अतदेशीय खर@दते उजाला को 7च/ठ0 लखवाते बेटा कछ =दन के ु लये घर आ हवा पानी बदल जायेगा तो तQ ु हार@ सेहद सधर जायेगी । उजाला के =दल मM तो 'वgवासघात था ु उसे 7गर7गट क तरह रं ग बदलने भलभांत आता था । मां बाप क है सयत से माधव और धनर@ 7चितत रहते । शहर गये उजाला को कई बरस eबत गये पर वह कभी गर@ब माधव क ओर नह@ दे खा एकाध बार गांव गया भी तो आgवासन के अलावा और कछ नह@ =दया । ु उजाला के ससराल वाले गौने दे ने के लये माधव पर ु जोर दे ने लगे । माधव ने उजाला का sयाह तीन चार साल क उj मM ह@ कर =दया था । माधव उजाला के गौना क =दन तार@ख पPक कर 7च/ठ0 लखवा =दया । गौना चार =दन पहले उजाला आ गया । इस बार काका काक और छोटे भाई बहनI को कपड.◌े भी लाया और माधव के हाथ पर सौ Lपया भी रख =दया । माधव को तो जैसे दनया क दौलत मल गयी । वह इस खशी के ु ु आगे गौने के खान खच के लये जमीदार से उधार को एकदम से भल उजाला ने जो कहा ू गया । Pयो न भलता ू था काका तम ु 7चता ना करो सब दख ु दरू हो जायेगा । भतीजे के इस शsद ने तो और अ7धक दख ु सहने क 323

शिPत जैसे दे द@ । माधव बोला बेटा तम ु खश ु रह यह@ हमार@ सबसे बड.◌ी दौलत है । तमको दे खकर खश ु ु रह लंग ू ा । बड.◌ी हं सी खशी उजाला का गौना आया । गौना कराकर ु मह@ने भर बाद उजाला शहर चला गया । दो मह@ने के बाद ससराल से सीधे अपनी प>नी उमला को अपने ु ससरु को खत लखकर शहर बलवा लया । उमला के ु शहर पहंु चते ह@ बचाखंुचा नाता भी उजाला ने माधव से ख>म कर उसक नेक पर म/ ु ठ0 भर आग डाल =दया । कई साल पहले राघव मर गया या या मार =दया गया । राघव के जीते जी उजाला ने उसे कभी बाप का दजा नह@ =दया । उसके जीवन और मौत से उजाला को कोई फक नह@ पड.◌ा य=द कसी को फक पड.◌ा तो माधव को । राघव क मौत को भू केशव और केशव के समधी दधई ने सदा के लये अबझ ु ु पहे ल@ बना =दया पर लोग दबी जबान ह>यारा इह@ तीनI को कहते । उजाला के ु मंह ु मोड. लेने से

माधव एकदम अकेला होकर रह गया ।

बेचारा कभी काल कम से कम 7च/ठ0 लखवा कर अपनी पीड.◌ा पर मरहम तो लगा लेता था । वह भी सहारा ख>म हो गया । उजाला का गौना आये कई साल eबत गये । वह एक लड.क दो लड.के का बाप बन गया । लड.क sयाह लायक हो गयी । पdह साल के बाद फर उजाला क 324

7च/ठ0 आयी परानी 7च/ठ0 क तरह ह@ रोना काका मु बीमार हंू । परवार को शहर मM रखना बहु त महं गा पड. रहा है । काका मझे ु रहने का =ठकाना दे दे तो म- बfचI को गांव मM छोड. दे ता । अब Pया हर मह@ने उजाला क 7च/ठ0 आने लगी । उजाला क 7च/ठ0 पढवाकर

माधव

और धनर@ रो उठते । एक =दन अचानक उजाला परवार स=हत आ धमका । धनर@ उजाला के बfचI को छाती से लगाकर eबलख eबलख रोने लगी । उजाला-काक ना रो। ये बfचे तेरे पास ह@ रहे गे । काक मेरा खोया हक दे दे ना बस । सीधी साधी धनर@ बोल@ - हां बेटा । दाना पानी कर बहत ु थक गया होगा । तेरे काका तो जमींदार क बी=टया के sयाह मM लगे है । =दन रात गांव गांव से ख=टया ढोढोकर ला रहे है । म- भी वह@ गोबर डालकर आ रह@ हंू । सबह से लटके लटके कमर टट ु ू गयी । जमींदार के बेट@ का sयाह है

=दन रात एक हमार@ हो रह@ है । अपनी

बी=टया के sयाह मM हम इतना परे शान नह@ हए ु थे । उजाला-काक मेर@ भी बी=टया sयाह करने लायक हो गयी है । काक तमको हवेल@ जाना है तो चल@ जा उमला ु रोट@ बना लेगी ।उजाला परवार स=हत गांव आया है क खबर माधव को लगी वह भी दौड.ता हांफता आया । उजाला- माधव का पांव छते ू हए ु बोला काका अपने चरणI 325

मM जगह दे दो । माधव-Pया कह रहे हो उजाला । शहर क कोठ0 छोड.कर यहां रहोगे । मेरे चरणI मM भला तQ ु हारे जैसा बड.◌ा सेठ कैसे रहे गा । बेटा जब तक रहना हो रह ले । जो Lखा सखा मझ ू ु गर@ब क झोपड.◌ी मM बनेगा खा लेना । पोता पोती को कछ =दन खेलाने का सख भोग लंग ु ू ा ।अभी ु तक तो गर@बी और अपने ने बहत =दन ु ु Lलाया है । कछ बfचI के साथ हं स खेल लंग से कम ू ा कसी बडे. सख ू नह@ होग हमारे लय । उजाला-काका म- अब तमको दख ु ु नह@ दं ग ू ा । खब ू बfचI को tखलाओ । बfचI के रहने के लये 'पछवाडM क मड.ई दे दे ◌ा । जब तक हम रहे ◌ेगे बना खा लेगे । हां खान खच का भार तQ ु हारे उपर नह@ डालंूगा । माधव-Pया

?

उजाला- हां काका । अलग रहंू गा बस क◌ु ु छ =दन रहने का =ठकाना दे दो । माधव-}ारका क मां सन ु रह@ हो । कतनी आसानी से =दल पर आरा चला =दया है इस उजाला ने । बीस साल के बाद भी नह@ बदला उजाला । सांप क तरह अभी भी फफकारता है । ु धनर@-ठ0क है । पढा लखा है समझदार है । कछ सोच ु समझकर ह@ कहा होगा । हम तो ठहरे गंवार । Pया समझे शहर क भाषा ? ठ0क है बेटा रह ले जब तक 326

चाहे । }ारका,हर}ार, गंगा,जमना ु ,गोमती और सर वती बी=टया क तरह तमने भी तो मेर@ छाती चाटकर पले ु बढे हो। हां तब इन बfचI का जम नह@ हआ था । ु अपनो पर 'वgवास नह@ करे गे तो जमाने मM फर कस पर 'वgवास करे गे , जेठ दे वर, खानदान तक के लोगI ने धोखा =दया है । बेटा अब और =दल ना दखाना । ु उजाला- काक Pया कह रह@ हो ? माधव-बेटा एक मां के आंसू का मोल रखना । मां क ममता पर म/ ु ठ0 भर आग मत डालना । कोई एतराज नह@ है । अलग रहो या एक मM । पोते पोती को भर आंख दे खकर वग का सख ु मल गया । उजाला-काका कोई दगाबाजी नह@ कLंगा । माधव काम पर चला गया । धनर@ दाना पानी का इतजाम झटपट कर 'पछवाड.◌े क मड.ईनमा कfचे घर ु को ल@पपोत कर साफ सथर@ कर द@ । उजाला का ु परवार मड.ईनमा कfचे घर मM रहने लगा । हफते भर ु मM उजाला शहर गया फर आ गया । दो बीघा जमीन लखवा कर

और मड.ईनमा कfचे घर क जगह पर ु

पPका मकान बनवाने क शLवात कर शहर चला गया । ु माधव ने खशी खशी मड.ई क जमीन दे =दया। माधव ु ु उजाला के षणय\ को तनक

नह@ समझ सका । चार

मह@ने

बन

मM

पPका

मकान

गया



अपने

झा◌ोपड.◌ीनमा घर के पास भतीजे के पPके मकान को ु 327

दे खकर माधव बहत ु था । साल भर के अदर ु खश उजाला क बी=टयाका sयाह तय हो गया । बी=टया के sयाह मM माधव ने भी जी जान लगा =दया । खानदान क नाक का सवाल जो था । sयाह eबताकर उजाला शहर चला गया । कछ मह@ने के बाद फर सबह सबह शहर ु ु ु से आ गया । रात मM माधव जमीदार के काम से आया । माधव के आने क खबर लगते ह@ वह माधव से मलने गया । माधव का पांव छआ । ु माधव - उजाला को जी भर कर आशीश =दया और बोला बेटा बहत ु ठ:डी है ओलाव सेको । }ारका शाम को ह@ जला दे ता है । मड.ई गरमा जाती है सब पआल मM दबक ु ु कर सो जाते है । उजाला- हां काका ठ:ड तो है । काका म- तम ु से आoा लेने आया था । माधव-कैसी आoा बेटवा । उजाला- काका तमने मझे ु ु मड.ई क जगह दे कर मेरे उपर बड.◌ा उपकार कया है । माधव-बेटा उजाला उपकार कैसा । मने तब अपनी - तमको ु छाती से लगाया था जब तू सफ छः =दन का था । तेर@ मां तमको भइया को और घरबार छोड.कर मायके जा ु बसी थी । म- और तेर@ काक रात रात भर जागे है । पास मM रहे गा तो हमM भी बहत होगी । इसलये ु ु खशी }ारका और हर}ार का हक मारकर तमको घर बनाने ु 328

क जगह दे =दया । बेटा तू सखी रह । तेर@ सरत मM ू ू मझे ु राघव भइया नजर आते है । मेरे 'वgवास को बनाये रखना । धनर@-}ारका के बापू रोट@ ओलाव के पास बैठकर खा लो । माधव-आज कोई नयी बात है । रोज तो ओलाव तापते तापते खाकर यह@ पआल मM सो जाता हंू । ु उजाला-काका रजाई Pयो नह@ बनवा लेते । आठ ाणी हो कम से कम चार रजाई तो होनी चा=हये । माधव- सोचता तो हर साल हंू पर बन नह@ पाती है । जब }ारका कछ कमाने धमाने लगेगा तो रजाई भी ु बनेगी गhदा और तकया भी । उजाला-जLर }ारका कमायेगा काका । काका ये लो । माधव-Pया है । उजाला-काका मरच=हया गांजा है । माधव-जरा सतू को आवाज दे दो । धनर@- दो 7चलम पहले ह@ पी चक ु े हो । अब मरच=हया पीओगे तो सबह उठ नह@ पाओगे । जमीदार दरवाजे पर ु आकर उलटा सलटा बोलने लगेगे । कल पी लेना ु मरच=हया अभी तो रोट@ खाओ और सो जाओ । =दन भर हाड.फोड.◌े◌ं हो अराम करो । माधव-ठ0क है लाओ । धनर@-ल/ट@ और गड ु . है थाल@ मM । थाल@ के बाहर हाथ 329

नह@ करना । नह@ तो ओलाव क आग म/ ु ठ0 मM आ जायेगी । माधव-हां भागवान मझे ु भी मालम ू है । इतना नशा अभी नह@ चढा है । उजाला खायेगा गड ु . रोट@ । लो तनक

खा

लो । उजाला-तम खाओ । मै खा चका हंू । उमला मगा ु ु ु बनायी थी,दरपन का दो त आया था । उसके साथ मैने खा लया है । काका एक बात करने आया था तमसे ु कहो तो कहंू । माधव-कौन सी बात है बोल,रोट@ खाते समय दांत काम करे गे कान थोड.◌े ह@ । उजाला-मेरे पPके मकान के सामने वाल@ जमीन दे दो । इतना सुनते ह@ माधव के गले मM रोट@ अटक गयी । वह 7गलास भर पानी के सहारे रोट@ का नवाला पेट मM ढकेलते हए ु बोला Pया ? उजाला-हां काका । मड.ई वाल@ जगह तो मझे ु चा=हये । माधव- मझे लोग पहले आगाह कर रहे थे क माधव ु भतीजे पर 'वgवास न करो । भतीजा और भेड.◌ा पर 'वgवास करने वाला जLर मंुह के बल 7गरता है । काश म- पहले सोच लया होता । मड.ई क जगह दे कर गलती कर =दया Pया ? तू मेरे बfचI का =ठकाना छनना चाहता है अंगल@ पकड. कर तु मेरा हाथ उखाड.ना चाहता ु है Pया? 330

उजाला-नह@ं म- तो कह रहा हंू क मेरे घर के सामने से मड.ई अfछ0 नह@ लग रह@ है । हटा लो बस । माधव-मड.ई लेकर जाउ◌ू◌ंगा कहां । उजाला-कनारे हो जाओ । अभी पिgचम क तरफ तो जमीन है । माधव-दो ख=टया क जगह मM मेरे दो बेटे कैसे रहे गे । उजाला अब म- तेर@ चाल समझ गया । उजाला-काका म- जो चाह रहा हंू वह@ होगा । माधव-Pया हमे बेघर कर दे गा ? उजाला-घर मM रहो या बेघर हो जाओ । मेरे घर के सामने वाल@ जमीन तो मेर@ होकर रहे गी अब । माधव-धमक दे रह@ है । उजाला-धमक तो नह@ अपनी राह का कांटा हटाने को जLर कह रहा हंू । माधव-हम तQ ु हार@ राह के कांटे हो गये है । भल ू गये वो =दन जब तमको सखे थे। गीले मM बार@ बार@ ु ु मM सलाते ु से हम और तQ लेकर सोते थे । ु हार@ काक तमको ु कतनी बार तम ु मेर@ जांघ पर ट/ट@ कर =दया करते थे । सब `यथ हो गया कया कराया । बेटा नेक को बदनाम ना कर। उजाला-काका जमीन तो लेकर रहंू गा । चलता हंू । तम ु रोट@ खाओ और सो जाओ । माधव- Pया मेर@ नेक मेरे लये अभशाप बन गयी है । 331

उजाला-नेक PयI कया ? हमने कहा था Pया क मझे ु पालो ? अरे मेर@ मां छोड.कर भाग गयी थी तो तमको ु पालने क Pया जLरत थी ? फक दे ते क> M ु ते eबिrलयI के आगे मेरे मां बाप क तरह । झगड.◌े वाल@ जमीन को लेकर फैसला कल दे दे ना । उजाला धनर@ और माधव का चैन छन कर चला गया । धनर@ और माधव रात भर ओलाव के पास बैठे 7चता क 7चता मM सलगते रहे । एक दसरे का मंह ु ू ु ताकते रहे बेबस सा । मगा बोलना शL ु ु कये । माधवा कr ु लाफराकत करने चला गया । नत-कम से नपट कर आया । भस - क हौद@ धोया । पानी चारा डाला । भस - को हौद@ लगा कर जमींदार क मजदर@ ू पर चला । धनर@ भी अपने काम मM लग गयी । उधर उजाला भी रात भर जमीन हड.पने क उधेड.-बन ु मM नह@ सो पाया था । वह सरज नकलते ह@ दरवाजे पर हािजर हो गया काका ू काका

क आवाज लगाने लगा ।

धनर@-वो तो काम पर चले गये Pयो बला ु रहे हो ? उजाला-Pया फैसला कया काका ने ? धनर@-कैसा फैसला । अरे अपने बfचI को =ठकाना तमको ु कैसे सौप दे गे । हमारा जो फज था । िजQQेदार@ के साथ नभाया । अब बेघर तो नह@ हो सकते ना । उजाला-घर -बेघर से मझे Pया लेना । मझे तो बस ु ु अपनी हवेल@ के सामने से मड.ई हटवाना है । 332

धनर@-Pया ? उजाला-हां । धनर@-तQ ु हार@ हवेल@ क नींव हमार@ छाती पर पड.◌ी है । उजाला- हवेल@ है तो हमार@ ना । दे खता हंू कब तक काका आंख मचौल@ खेलते है । आंख मचौल@ का जबाब मेरे पास है । धनर@- Pया करोगे। थाना पलस लाओगे । Lपया और ु ताकत के भरोसे हमे बेघर कर दोगे । उजाला- उजाला नाम मेरा तमने ना जाने Pया सोच कर ु रखा है पर म- सांप का बfचा हंू मेर@ मां ना7गन थी। जानती हो दध ू पीलाने वाले को भी सांप डंसने से परहे ज नह@ करता । आज और काका के फैसले का इतजार कर लेता हंू । आये तो कह दे ना बस धनर@-PयI दध ू के बदले जहर दे ने पर तले ू हो । अरे तQ फक =दया तो Pया हमने तमको M ु हार@ मां ने तमको ु ु अपनी छाती से नह@ लगाया ? मेरे दध ू का यह@ कज चका रहे हो । ु

अरे तQ ु हारे पास तो पद और दौलत दोनI

है तम ु चाहते तो और भी कह@ं जगह लेकर महल खड.◌ी कर सकते थे । तQ ु हार@ नजर हमार@ मड.ई

पर ह@ Pयो

=टक है ? मेर@ माट@ क द@वाल अब तQ ु हे भा नह@ आ रह@ है । तम ु मेरे माट@ क द@वाल ढहाकर पPक हवेल@ क शान मM ह@रे जोड.ना चाहते हो । मै ऐसा नह@ होने 333

दं ग ू ी । दYZण तरफ लकडी के सहारे खड.◌ी मड.ई को माट@ के द@वाल खड.◌ी करने के उपkम मM बfचI के साथ लग गयी। उजाला-काक तू कतनI भी माट@ क द@वल खड.◌ी कर ले ये जमीन मेर@ होकर रहे गी । मेरा भी हक बनता है । चार =ह सेदारI क जमीन तम ु अकेले ले लोगी Pया ? दे खता हंू तQ ु हार@ मड.ई कैसे खड.◌ी रहती है मेरे पPके मकान के सामने । धनर@-तम ु मेर@ मड.ई 7गरा दोगे Pया? म- भी दे खती हंू कैसे जबद ती कsजा कर लेते हो । कsजा करने के लये तQ ु हे हमार@ लाश पर से जाना होगा । काक ऐसी बात है तो वह भी कर सकता हंू कहकर उजाला केशव के दमाद भु से मला जो उसके बाप का कातल था । उसी के साथ साठगांठ कया माधव क जमीन हड.पने के लये । कछ बदमाशI को दाL मगा ु ु दे कर माधव और उसके परवार को डराने धमकाने के लये लगा =दया । भु को इसी =दन का जैसे इतजार था । उजाला को अपने जाल मM फंसता दे खकर चारा डाल =दया । वह तो कचहर@ मM काम करता ह@ था इधर उधर करके हफते भर टे आडर जार@ करवा =दया । उजाला चारो ओर से दबाव तो बनाये हए ु था । माधव और उसका परवार डरा सहमा रहने लगा था । कोई उसक मदद के लये आगे नह@ आ रहा था । माधव गांव के मtखया धान सबके आगे माथा पटका पर कह@ं ु 334

सनवाई नह@ हई सबह ह@ ु ु ु ु । आtखरकार एक =दन सबह परा वाले माधव ू थाना लेकर उजाला आ धमका। पलस ु माधव क आवाज दे ने लगे और उजाला के ग: ु डा मड.ई 7गराने मM जट ु गये। माधव घबराया आंखI मM आसू लये हािजर हआ दरोगाजी को सारा वता । माधव ु ृ त सनाया ु के आसंू सfचाई उगल गये । दरोगाजी बोले- Pयो

नेक को अभशा'पत कर रहे हो

उजाला । दरोगा जी क बात को सनकर ब ती के दो चार लोगI ु का जमीर जागा । वे माधव के पZ मM दबी जबान ु बोलने लगे । अब Pया घरह ु ू धान भी आगे आ गये और बोले दरोगा जी अब अयाय होगा इस गांव मM । नेक अभशाप नह@ बनेगी । हमार@ आंख खल ु गयी है । दरोगाजी कोरा कागज मंगवाये। सलहनामा तैयार हआ । ु ु उजाला को बलाये दरोगाजी । ु उजाला हाथ जोड.कर खड.◌ा हआ । दरोगा जी ने कहां ु उजाला सबके सामने हक कत आ चक है क तम ु ु कतना दगगाबाज है पर तमको कछ कहना हो तो कह ु ु सकते हो । उजाला- पंचI काका ने मझे ु

जो =दया है वह बहत ु है ।काका काक के एहसान तले इस जम Pया कई और जम भी नह@ उबर सकता हंू । मेरे मन मM खोट आ 335

गयी थी इसी वजह से गलती हो गयी । काका क जमीन पर अब मेर@ बर@ ु नजर नह@ं पडे.गी । म- बहते ु शमदा हंू । हो सके तो मझे ु माफ कर दे ना । दरोगाजी-सलहनाम M पर दसHत करो । गांव वालI से ह@ ु नह@ माफ माधव से मागI । माधव ने माफ कर =दया तो समझो भगवान ने माफ कर =दया । तमने तो गर@ब ु क नेक पर म/ ु ठ0 भर आग डाल ह@ =दया है । नेक के बदले बhनेक तो महापाप है । माधव का पैर पकड. कर माफ मांगो । खद ु दरdता के दलदल मM धंसा रहकर भी तमको उपर उठा =दया । तमने नेक को अभशाप बना ु ु =दया । माधव तQ ु हारे लये भगवान से कम नह@ है उजाला । उजाला-माधव का पैर पकड. लया । माधव क आंखI से तर-तर आंसू बह नकले वह उजाला को झट से गले लगा लया ।

गाल भर धआं ु जेठ बैसा◌ाख क लू से आम के नहे -नहM फल पेड. पर अध जले से लटके हए ु थे । उहे दे खकर ऐसा लग रहा था क उहे आग मM जलाकर टांग =दये गये हो । दरवाजा खोलो तो मंुह झलसा दे ने वाल@ लपटM । द@नू के ु बfचे जमीन को पानी से तर कर बोरे के उपर eब तर लगाकर कोने वाले घर मे दबक पना ु े हए ु ु थे । ब7धया 336

बनाकर

पीला रह@ थी । लू से बचने का दे शी और

कारगर इलाज जो था । लू ना जाने कतने गर@बो को ल@ल चक थी। गांव मM eबजल@ तो पहंु च चक थी पर ु ु गर@ब मजदरो ू क ब ती से अभी भी दरू थी आजाद@ क तरह

से

दरू

थी।

नजद@क

थी

तो

बस

गर@बी

भखमर@ ,अशZा,दरdता और सामािजक बराई के कहर से ू ु उपजे रसते जHम का चभता दद । ऐसे मM आधनक ु ु सख कलर पंखे तो सपने मा\ थे । ब7धया बडे. ु स'वधाये ु ु ू बेटे महगंव ु ा के हाथ मM पने का 7गलास पकड.◌ायी ह@ थी क द@नु ने बड.◌े जोर क आवाज द@ जैसे घर के सबके सब

बहरे हो गये हो। जrद@ दरवाजा नह@ खला तो वह ु

झrलाकर बोला अरे भागवान दr ु हनया क तरह घर मM मेहद@ लगाये घर मM छपी रहे गी या बाहर भी नकलेगी । हमM भी लू के थपेड.◌े लग रहे है । शाम होने को आ गयी पर सबके सब घर मM ह@ घसे ु है । तब तक महं गआ अपनी मां ब7धया से बोला मां दादा को ु ु तलब लग रह@ है । चौखट पर पांव रखे नह@ दे खो 7चrलाने लगे । मां घड.◌ी मM अभी दो तो बजे है कह रहे है शाम हो गयी । ना जाने कब नशे क लत छटे ू गी । चपकर सन ु ु लेगे तो आफत आ जायेगी । जीभ नकाल कर मारे गे । हां मां ठ0क कह रह@ हो रात होने लगी है, जा दादा को 7चलम चढाकर दो ।इससे भी पेट ना भर तो गांजा 7चलम मM भर दे ना । यह@ फरमान होगा । 337

महं गवा आधा दजन बfचI मM सबसे बड.◌ा था ।पांच ु साल क उj मM हए ु `याह मM मल@ घड.◌ी को हाथ मM बाधे रहता था । वह चलती फरती घड.◌ी बन गया था । ब7धया क डांट फटकार से कू ल जाने लगा था । ु ब7धया -बेटा तू ठ0क कह रहा है । तलब मM बड.बडा रहे है ु । महं गवा ु -अरे मां दादा को हP ु का 7चलम क जLरत नह@ है । गांजा के गाल भर धआं क दरकार है । गड ु ु . पानी छोड.◌ो



द@नु-अरे इतनी दे र हो गयी बाहर नकलने मM । ब7धया दरवाजा खोल@ । हड.बड.◌ायी हई ु ु अदर गयी और गड ु . पानी लेकर आयी । गड ु . पानी दे खकर द@नु का पारा सातवM आसमान पर वह बोला भागवान गड ु . पानी मांगा हंू Pया ? ब7धया - नह@ जी मांगे तो नह@ । पी लो बहत ु ु गरमी है । पना भी दे ती हंू एक 7गलास वह भी पी लो बfचI को पना ह@ 'पला रह@ थी । द@न-ु कहां गरमी है । कल से तो आज बहत ु कम है । ब7धया -महं गवा ु ु तो कह रहा ह- माई गला सख ू रहा है । चPPर सा लग रहा है । बहत ु गरमी लग रह@ है । वह हांफ रहा है तम ु कह रहे हो गरमी है ह@ नह@ । हां बेटा जो कहे गा वह सह@ है ना । मेर@ बातI पर भला तमको ु कब से 'वgवास होने लगा । 338

ब7धया -Pया कह रहे हो eबना 'वgवास के आधा दजन ु बfचे हो गये । द@नु-अरे हम तो ऐसा कछ नह@ कह रहे है ना । हम तो ु यह@ कह रहे है क

बेटवा क बात के आगे अब हमार@

कौन सने ु गा । ब7धया -हां बेटवा समझदार है । ब ती के सभी बfचI से ु पढने मM तेज है । तमने अपनी तरह उसे भी आंख खल@ ु ु नह@ शाद@ के बंधन मM बांध =दये । द@न-ु अरे हमने कौन सी पढायी क है । हमारा घर नह@ चल रहा है Pया ? वैसे ह@ उसका भी चलेगा । ब7धया -ना बाबा ना । मेरा बेटा अफसर बनेगा । ु जमींदारI के खेत मM बेटवा का जीवन नरक नह@ होने दं ग ू ी । हमार@ जैसी उसक िजदगी ना हो भगवान । कौन सा सख ु मल रहा है । आदमी होकर भी आदमी के सख ु से वं7चत है । घर मM खाने को नह@ । दाने दाने को मोहताज है । कपड.◌े लते को न तवान है । आधा दजन बfचे उपर से गजेड.◌ी मरद ना बाबा ना भगवान ऐसा नसीब मेरे बfचI का ना लखना । द@नु- अfछा बक-बक अब मत कर । म- बरा ु हो गया हंू तो छोड. दे मेर@ हालत पर । ब7धया - कैसी बहक बहक बातM कर रहे हो । बोले◌ा Pया ु चा=हये तन से कपड.◌ा उतार दं ू या गांजा के लये पैसा । कहो तो

दो कलो गेहू ं है दे दं ू । बचक र गाल भर M 339

धआं उड.◌ा लेना । ु द@न-ु अभी तो कछ ु नह@ चा=हये । ब7धया -आओ कोने वाले घर मM वह@ बfचे लू से बचने का ु इतजाम कये हए कहना है वह@ कह लेना ु ु है । जो कछ । बfचI को भी तो पता चले । द@नु-नह@ं । ब7धया -अदर तो आओ क सब बात डयोढ@ पर ह@ कर ु लोगो । द@न-ु आज बहत ु Xयार =दखा रह@ हो । ब7धया -Pया पहले ना करती थी । जब पहल@ बार तQ ु ु हारे घर मM आयी थी ना पर@ के चचb ू ब ती मM मेर@ खबसरती ू ू थे । ये मेरा हाल तQ है । मेर@ खबसरती ु हारा बनाया हआ ू ू ु को तQ ु हार@ ह@ नजर लगी है । द@नु-नाराज ना हो । तम ु चलो म- आता हंू । ब7धया -कहां जा रहे हो । ु द@न-ु ठे के गया और आया । वहां Lकंू गा नह@ं । ब7धया - दे खो मत जाओ चमड.◌ी जला दे ने वाल@ लू है । ु ब7धया क बात कहां सनने वाला था द@नु । वह कंधे पर ु ु लाठ0 रखा । गमछा मंह ु

पर लपेट कर चल पड.◌ा गांजे

के ठे के क ओर । ब7धया चौखट पर खड.◌ी कभी खद ु ु क क मत को तो कभी बfचI के भ'वWय पर भगवान को कोसती रह@ । इतने मM महं गवा आ गया मां को 7चितत मdा मM ु ु 340

दे खकर बोला मां दादा तो गये जाने दो। उहे जीवन क नह@ं गाल भर धआं क 7चता है । ु ब7धया -हां बेटवा । भगवान ना जाने ऐसी तकद@र PयI ु बना द@ है क जीवन भर आसंू पीती रहंू । पेट के लये रोट@ नह@ उहे गाल भर भर धआं उड.◌ाने से फस ु ु त नह@ ह।महं गआ ु -मां अदर चलो घ:टा भर से लू मM Pयो खड.◌ी हो । दादा तो अब आने मM होगे । ब7धया -अरे इतनी जrद@ कहां आने वाले है । नटई तक ु चढायगे M । भोले भ:डार@

का परसाद कह कह कर खब ू

गाल भर धआं उडायेगे तब ना आयेगे । ु महं गआ ु -अरे मां वो दे ख दादा कैसे चमक रहे है आग सर@खे । ब7धया - बेटा जा कय ु ु M से एक बाrट@ पानी ले आ । आते ह@ 'पयPकड.◌ो◌ं को यौता दे गे । इतना कहना था क द@नु आ धमका । पसीना पोछते हये ु बोला कह@ जाओ तो काल@ eबrल@ जैसे रा ता काट दे गी । जा तनक गड ु . और ठ:डा पानी ला । महं गु बेटा तू घासी दादा को बला ु ला । ब7धया -नह@ बेटवा नह@ जायेगा । तम ु ु यह@ से आवाज मार दो सारे 'पयPकड. इP/ठा हो जायेगे । द@नु-घासी भईया क आवाज =दया । इतने मM घासी गमछा कंधे पर रखकर द@नु के घर क ओर दौड. पडM । 341

दरवाजे पर पहंु चते◌े ह@ बोले भर@ दोपहर@ मM चले गये थे Pया । कौन सी लाये हो भइया । द@नु-शाम होने का इतजार करता तो ये माल नह@ मलता । ठे के पर बड.◌ी भीड. लगी है । घासी-कौन सी लाये हो । द@नु-आजकल तो मरच=हया का जमाना है । असल@ है या नकल@ पता तो पीने पर लगेगा कहते हए द@नु ु महं गवा लगा । ु को बलाने ु ब7धया -महं गु भैसं लेकर गया । बोरसी मM तQ ु ु हारे पास आग रखी है । बैठकर गाल भर धआं उड.◌ाओं । मझे ु ु भी काम करना है । घासी-नरकल ु क र सी नह@ है । द@नु-भइया ख=टया मM से तनक सी काट लो । घासी जrद@ जrद@ र सी गोल मटोल कर आगे के हवाले कर =दया । द@नु गांजा मM से बीज eबनने

लगा । घासी

द@नु आग और 7चलम तो तैयार है । द@नु-माल भी तैयार है । लो 7चलम भर गयी रख दो आग । घासी- लो भोग लगाओ द@नु । द@न-ु भइया तQ ु ह@ लगाओ । इतने मM

गांजा क महक नहूवा,करमवा ु ,छनवा ु ,रमवा ु घोड.न,कशोर,बरखू, सरखू,सतु सारे के सारे गजेड.◌ी

इPटठा हो गये । सब मलकर खब उडा.ने मM जट ू धआ ु ु 342

गये । रमवा बोला - एक 7चलम और चढ जाती तो मजा आ ु जाता । छनवा ु - अरे द@नु भइया के राज मM कहा कमी है । खब ू छानो । छ0नु फलक र कX ु ु पा हो गये । एक 7चलम ठ:डी ना हो पाती तब तक दसर@ चढ जाती । गजेEड.यI को पता ह@ ू नह@ चला कब रात हो गयी । द@नु का गांजा ख>म होते ह@ सब अपने अपने घर चल पडे. । द@नु दनया से ु बेखबर वह@ पसरे पसरे गाजा पीया राजा पीये गांजा लड.खड.◌ाती जबान से गाता रहा है । बीच मM रह रह कर बोलता Pया भोले बाबा ने चीज बनायी है । दनया ु के सारे दख ु -दद भल ू जाओ । तनक सा गाल धये ु से भरा नह@ क अfछे अfछे 'वचार आने लगते है जैसे भोले बाबा क जटा से गंगा । ब7धया -हां तमको दे खकर मझे ु ु ु भी ऐसे ह@ लगने लगा है । द@न-ु महं गवा ु क मां गांजा भोले भ:डार@ का परसाद है । मजाक ना कर भोले बाबा नाराज हो जायेगे। गांजा कभी नकशान नह@ करता । ु ब7धया -अरे वाह रे हक म । गांजा नकशान नह@ं करता । ु ु याद है तQ ु हारे लंगो=टया यार क मौत जो भक ू mू◌ाक कर मरा था । आंते सड. गयी थी । बेचारे बfचे अनाथ 343

हो गये घरवाल@ 'वधवा हो गयी । करे कोई भरे कोई वह@ हआ तQ ु हारा दो त पतवार तो दांत 7चआर कर मर ु गया । द:ड घरवाल@ और बfचI को मल रहा है ।नहे नहे बfचI भख ू से eबलख रहे है । कू ल जाना बद हो गया है । तQ ु हारे लये◌े गांजा अमत ृ हो गया है । द@नु-गांजा दाL खाने को मांगते है । मांस मछल@,घी दध ू समझी । ब7धया -अरे वाह राजाओं महाराजाओं के शौक फरमा रहे ु है जनाब । सोने क थाल@ मM मांस म=दरा का भZण करे गM । चांद@ के लोटे मM पानी पीयेगे । अरे रोट@ का =ठकाना भी है । मेहनत मजदर@ ू ना करे तो रोट@ नसीब न हो । चले है राजाओं के शौक मM मरने ।

आग लगे

ऐसी शौक म।M ऐसा शौक तो घर परवार के लये म/ ु ठ0 भर आग साeबत होता

है । कहते हो गांजा पीने के बाद

अfछे 'वचार आते है जरा पीकर सोचना बfचI के लालन पालन पढाई लखाई और अfछे कल के बारे मM । =दन भर तो हाड.फोड.◌ी हंू रात भर तQ ु हार@ टहल मM eबता दं ू । म- बहत ु थक गयी हंू सोने जा रह@ ह◌ू ू ◌ं । बfचे सो गये है ।तम ु भी बड.बडाना बद करो पटाकर सो जाओ । सबह बाबसाहे ब के खेत मM खन ु ू ू पसीना करना है । कल क शाम क रोट@ का इतजाम नह@ है ।याद है ना । पहले ह@ बता दे ती हंू । सब गोबर पानी कर,दसरे काम ु ह हो गयी । ब7धया ु ू 344

नपटाने मM लग गयी । द@नु टस से मस नह@ नह@ं । जहां पसरा था वह@ पसरा रहा

सरज क तेज रोशनी मM ू

नहाये हए जगाकर थक गयी । द@नु नशे◌े मM ु ु । ब7धया बड.बडाता रहा पर उठकर बैठा नह@ं । ब7धया झrलाकर ु घास काटने चल@ गयी । घास सर पर लादकर आयी और दरवाजे पर पटक द@ । तब तक द@नु बोला अरे बाप रे नीम का पेड. उपर 7गर रहा Pया ? ब7धया -अरे कहां नीम का पेड. 7गर रहा है ।उठो दोपहर ु होने को आ गयी । द@◌ुन-अरे सो लेने दे बहत ु =दनI के बाद तो आज नींद आयी है । तू भी सो जा रोज तो हाड.फोड.ते ह@ है एक =दन नह@ फोड.◌ेगे तो कौन सा पहाड. टट ू पडेगा । ब7धया - अfछा बfचI को eबलखता हआ छोड. दं ू । ु ु भस - ,बकर@ 7चrला रह@ है सब छोड. द◌ू ू ◌ं तQ ु हारे बगल मM सो जाउ◌ू◌ं। तQ ु हारा =दन रं गीन कLं । हे भगवान कस गनाह क सजा दे रहे हो कहते हए रोने लगी । ु ु ु ब7धया द@नु- अरे भागवान Pयो आसमान सर पर ले रह@ हो । एक =दन नह@ खायेगे तो मर तो नह@ जायेगे । गम तो भला लेने दे ती कछ दे र के लये । जब से आंख खल@ है ू ु ु गम मM तो जी रहा हंू । कनवा ु -द@नु का नहका बेटा बोला मां दादा को चढ गयी है Pया । दह@ गड ु . नद ु काका के घर से मांग लाउ◌ू◌ं Pया ? 345

ब7धया - तू रहने दे बेटा म- ह@ जाती हंू । ब7धया नद ु के ु ु घर गयी थोड.◌ी दह@ मांगी लायी और गड ु . के क: ु डे से थोड.◌ा गड ु नकाल लायी और द@नु को दे ते हए ु बोल@ लो दह@ गड ु . खा लो तQ ु हारे गाल भर धय ु M का असर कम हो जायेगा । नह@ भस - के गोबर क तरह भी

तQ ु हार@ ट/◌्ट@

हमM फकनी पड.◌ेगी । M

इतने मM महं गवा ु आ गया । द@नु को गड ु . दह@ चाटते हए ु दे खकर बोला मां अभी नह@ उतर@ दादा क नशा Pया ? ब7धया -कैसे उरतरे गी । एक बैठे सात 7चलम चट कर ु गए उपर से एक पर@ ू पनी भी डकार गये । पेट मM रोट@ नह@ बस गांजा दाL तो भरा है । नशा नह@ तो और Pया करे गा ? द@नु को ऐसी चढ@ है क उतर नह@ रह@ है ब ती के घर घर तक बात पहंु च गयी । दे खते ह@ दे खते पर@ ू ब ती. इP/ठा हो गयी । सभी लोग अलग अलग तरह से नशा उतारने के न ु खे बताने लगे । इतने मM छनवा ु आ गया आव दे खा ना ताव भस - क ह‚द का सानी पानी बाrट@ भर कर लाया और उड.◌ेल =दया द@नु के कपार पर । द@नु जोर जोर से गाल@ दे ने लगा और इP/ठा भीड. tखलtखलाकर हं स पड.◌ी । द@नु-अरे अPल के दgु मन PयI मेरा सपना भंग कर =दया । ब7धया -सपने मM तम ु ु राजा थे और ये सारे लोग तQ ु हार@ 346

जा । चारो ओर

तQ ु हार@ जय जयकार हो रह@ थी ।

द@न-ु हां ऐसा ह@ सपना था तम ु भी तो मेरे साथ संहासन पर बैठ0 थी । ब7धया -तब तो खजाने क चाभी तQ ु ु हारे हाथ लग गयी होगी । तम ु दौलत अपने आधा दजन बfचI मM बांट भी रहे होगे । पढने के लये 'वदे श भेजने क योजना बना रहे होगे । जा के सख ु के लये 7चितत थे । द@नु- तम ु तो एक एक बात सह@ सह@ बयान कर रह@ हो । ब7धया -Pयो ना चkवतq महाराज ये 7चथड.◌ा लपेटे ु महारानी तQ ु हारे

बगल मM जो बैठ0 थी । अरे सपने

दे खने से कछ नह@ होता । असलयत तो ये है क बfचI ु के तन के कपड.◌े तार तार हो हो रहे है । भख से ू eबलeबला रहे है तम ु हो क नशे मM डबे ू राजा बन रहे हो , कहते हए ु वह फफक फफक रोने लगी । द@न-ु चपकर PयI मेर@ इTजत का जनाजा नकाल रह@ है ु । मेरा नशा पानी तमको इतना ह@ खराब लगता है तो ु छोड. दं ग ू ा । ब7धया -रोट@ गले से नीचे नह@ उतरती। ु

कहते है पेट मM

गैस हो रह@ है । घोडे. का मत ू दाL मल जाये तो कई ~म खाल@ कर दे ◌े◌ं। गांजे का गाल भर भर धआं मल ु जाये तो सोने पर सहागा । इतने मM घासी आ गया । ु द@नु ब7धया PयI बरस रह@ है । काम पर नह@ गये ु 347

इसलये Pया? द@न-ु कछ नह@ बस यो=हं बरस रह@ है । खैर उसका हक ु है । अभी तो बाढ के पानी के माफक है । कछ दे र मM ु गंगाजल हो जायेगी । द@नु और घासी क बात को अनसना करते हए ु ु ु ब7धया साड.◌ी के पrलू मM मंह ु छपाकर अदर चल@ गयी । घासी -कछ ु माल बचा है Pया द@नु ? द@नु-तनक सा तो है बड.◌े भइया पर दे ख रहे हो ब7धया ु आग बबला हो रह@ है । म- तQ ू ु हार@ बात को कैसे टाल सकता हंू । द@नु और घासी हं सी =ठठोल@ कर खब ू गाल भर भर धआं ु उड.◌ाये । घासी धंआ ु ं उगने मM ऐसे खासने लगे जैसे उसक आंत बाहर आ जायेगी । घासी धय ु M के साथ घोड.न क घरवाल@ क बराई करने से भी नह@ चक ु ू रहा था । जोरदार क स लेते हए ु बोला भगवान घोड.न क घरवाल@ जैसी झगड.◌ालू घरवाल@ कसी जम मM मत दे ना भले ह@ कंु आरा मर जाउ◌ू◌ं । घासी और द@नु जी भर कर धआं उड.◌ाये । गांजा ख>म हो जाने पर घासी ु ने 7चलम और 7गटक को खब ू रगड.-रगड. कर चमकाया । 7चलम और 7गटक को रगड. कर साफ करते हए ु घासी को दे खकर ब7धया बोल@ जेठजी घर मM 7गलास भर तक ु नह@ लेकर पीते दे खो 7चलम कैसे साफ कर रहे है । अरे इतनी सेवा जेठानी क करते । 348

घासी -उडा ले मजाक ब7धया ना जाने कस मोड. पर ु कब खो जाउ◌ू◌ं । ब7धया -जेठजी िजतने द@वाने गजेड.◌ी गाल भर धआं के ु ु होते है उतने द@वाने घर परवार के होते तो कतना अfछा होता ? घासी -कह ले ब7धया जो कहना चाह रह@ हो। कल ु कसने दे खा है । कल रहंू या ना रहंू । ब7धया - जेठ जी ऐसी बात Pयो कर रहे है ? आप तो ु जीओ हजारो साल । घासी -ब7धया ु

िजदगी कब धोखा दे दे कोई कछ नह@ ु

कह सकता । द@नु अब म- घर चलता हंू । अंधेरा पसर गया तम खाकर अराम कर । कल काम ु भी Lखा सखा ू पर जLर जाना । अरे अपने पास सरकार@ नौकर@ तो है नह@ यह@ सेर भर मजदर@ ू का भरोसा है । इतना भी गम भलाने के लये मत पीया करो क काम बद हो जाये । ू द@न-ु याद रखंूगा भइया आपक नसीहत । भइया घर तक छोड. आउ◌ू◌ं । घासी -नह@ रे पहंु च जाउ◌ू◌ंगा । तू तो ब7धया का Hयाल ु रख । बहत लग रह@ है ना जाने Pयंू ? ु ु दखी घासी द@नु के साथ गांजा पीकर गया फर ऐसा पलंग पर पड.◌ा क कभी नह@ उठ सका । लकवा ने उसके तन पर ऐसा घातक हार कया क ख=टया पर ह@ ट/ट@ पेशाब सब कछ साल भर कया और अततः सड.कर ु 349

मर गया । ब7धया घासी क दद नाक मौत दे खकर टट ु ू गयी । उसे बरेु बरेु सपने आने लगे । उसने तय कर लया क वह द@नु का गांजा पीना छड ु .वाकर रहे गी । लाख समझाने के बाद भी द@नु गांजा नह@ छोड.ने को तैयार था । द@नु-गांजा के अलावा और कछ तमको नह@ सझता Pया? ु ू ु ब7धया -मेर@ बात मान जाओ गांजे क मटठ0 भर आग मM ु ु ना तम और ना घर परवार को सलगाओ। जेठ ु सलगो ु ु जी क मौत से कछ तो सीख लेते । ु

मेर@ बात नह@

माने तो एक =दन बहत ु पछताओगे । द@न-ु तम ु मझे ु uाप दे रह@ हो ? ब7धया -कोई प>नी अपने पत को uाप दे सकती है Pया ु ? नशे क म/ सलगा =दया है ु ठ0 भर आग ने बहत ु ु ु कछ तमने अभी तक। जो खचा गांजा दाL पर कर रहे हो ु वह@ खद ु क सेहत पर करते । बfचI को पढाने लखाने पर करते । अरे हम छोटे लोग गर@ब,शो'षत, भमह@न ू लोग है न रहने का =ठकाना है ना खाने का । खेत मालको के खेत मM हाड.फोड.कर जो सेर भर कमाकर लाते है उसी मM सब कछ दे खना है कपड.◌ा,लता दख ु दद ु । तम ु हो क कल क सोच नह@ रहे हो मेहनत क कमाई गाल भर धय ु M मM उड.◌ाते जा रहे हो । म- मर गयी तो तQ ु हारा Hयाल कौन रखेगा । बे=टया अपने घर परवार मM रम जायेगी । बेटा पढ लखकर कह@ परदे सी 350

हो गया तो । द@न-ु अfछा ह@ होगा इस नरक से तो बfचI को छ/ ु ट@ मल जायेगी । ब7धया - म- भी यह@ चाहती हंू पर तQ ु ु हारे बारे मM सोचकर डर जाती हंू । म- मर गयी और तम ु ऐसे ह@ गांजा दाL के द@वाने रहे ,अगर जेठ जी जैसे तम हो गया ु को कछ ु तो तQ क आंखे डबडबा ु हारा Pया होगा कहते हए ु ु ब7धया गयीं । द@न-ु Pयो मन छोटा कर रह@ है । तमको कछ नह@ होगा ु ु । ब7धया - महं गु के दादा म- Tयादा =दन नह@ रह पाउ◌ू◌ंगी ु । द@नु-ऐसा Pयो बोल रह@ हो ? ब7धया -महं गु के दादा मालम ु ू है एक =दन म- सपने मM जोर क 7चrलायी थी । नहका मेर@ 7चrलाने क आवाज से रोने लगा था । द@नु-वह तो तम ु सपने मM 7चrलायी थी । ब7धया -वह@ सपना अब बार बार आने लगा है । ु द@नु-कैसा सपना ? ब7धया - एक काला कलटा राZसनमा आदमी ु ू ु

भैसे पर

सवार होकर आता है और अपने साथ चलने को कहता है । द@नु-Pया ? 351

ब7धया -हां । ु द@न-ु पगल@ सपने सच थोड.◌े ह@ होते है ।उrटा ह@ होता है । म- सपने मM राजा बन जाता हंू । अगर सपने मे सfचाई होती तो हम राजा यान आज के म\ी ना बन गये होते कब के ? म\ी स\ी कसी राजा से कम होते है Pया ? पर दे ख ना पेट भरने

का इतजाम नह@ है ।

अचानाक एक =दन ब7धया बेहोश होकर 7गर पड.◌ा । ु द@नु और ब ती वाले गांव से बहत ु दरू सरकार@ अ पताल लेकर गये । उपचार के बाद तनक होश ते◌ा आया पर फर बेहोश हो गयी । डाPटरो ने कहा बीमार@ बहत ु परानी है । अ पताल आने मM बहत ु ु दे र हो गया है । अब कछ नह@ हो सकता । डाPटरI ने घर ले जाकर ु सेवासuषा ु ु करने क =हदायत दे कर अ पताल से छ/ ु ट@ दे द@ । ब7धया को मरणासन अव था मM घर लाया गया । ु जामन ु के पेड. क छांव मM लेटा =दया गया । जहां आधी रात होते होते ब7धया का तन एकदम बरफ हो गया । ु ब7धया का kया कम रजगज से हआ । मरणोपरात ु ु ब ती वालI ने ब7धया को दे वी क उपा7ध दे डाल@ । द@नु ु को ब7धया के कहे गये एक शsद याद आने लगे । वह ु बfचI से चोर@ छपे आंसू बहा लेता । कभी-कभी तो द@नु को ऐसा लगने लगता क ब7धया 7चलम छन रह@ हो । ु एक =दन सबह घोड.न,कशोर,बरखू, सरखू,सतु रोज क ु भांत गांल भर भर धआं उडा.ने के लये द@नु के दरवाजे ु 352

पर इP/ठा हए ु । द@नु मड.ई मM खोसी गांजे क पोटल@ नकालने गया पर Pया उसे लगा क ब7धया उसके ु सामने खड.◌ी है और पोटल@ छने ु से मना कर रह@ है । गांजा क पोटल@ लेने मM ब7धया से द@नु क हाथापांई ु तक हो गयी । वह मड.ई मM से पसीने से तरबतर नकला गांजा क पोटल@ और घोड.न के हाथ से 7चलम छन कर जोर से दरू फेक =दया । घोड.न- भइया ये Pया कर =दये इतना सारा माल

फक M

=दये ? द@नु-यह बहत ु पहले करना था । दे वी समान घरवाल@ को मेर@ वजह से बहत के ु ु तकल@फ हई ु । गाल भर धआं चPकर मM उसक तकल@फ पर ]यान नह@ गया । आज से गांजा दाL ह@ नह@ हर तरह क नशा का >याग करता हंू । आज ब7धया क आ>मा को जLर सकन ु ू मलेगा । अब नह@ं गाल भर धये ु मे उडाउ◌ू◌ंगा जीवन और न दसरI को उड.◌ाने दं ग ू ू ा। नशा चाहे कोई हो दाL चरस, बीड.◌ी ,सगरे ट, तQबाकू या गांजे का गाल भर धआ सब ु दे ते है बबाद@ लेते है जीवन । घर परवार के सख ु मM भरते है म/ ु ठ0 भर आग घोड.न ।

चोरनी सरज डब था । अं7धयारा पसरने को उतावला था । ू ू चका ु पंYZयां अपने अपने घIसलI क ओर भाग रहे थे ।घरI से नकलने वाला धआं अभी साफ साफ नजर आ रहा था । ु 353

खेत मM काम करने वाले मजदरू घर लौट रहे थे या खेत मालकI क हवेल@ सलाम ठोकने भागे जा रहे थे । रामू दादा भी खेत मM काम कर हवेल@ गये । वे फावड.◌ा वहां रखे दो चार टहल मालक क बजाये और घर वापस आ गये । घर पहंु चे ह@ नह@ बाहर से आवाज लगाने लगे अरे द@नु क मां घर मM हो Pया ? या कसी के घर 7चलम गड ु .गड ु .◌ाने मM लगी है । काम पर से आओ तो कभी डयोढ@ पर मलती नह@ । शाितदे वी -तनतनाते हए ु ु बाहर आयी और बोल@ तम खेत मM काम करके आ रहे हो तो Pया म- घर मM खाल@ बैठ0 रहती हंू । रोट@ तोड.ती रहती हंू । म- भी =दन रात एक कर रह@ हंू । इधर उधर 7चलम क जआड . मM नह@ ु भटकती रहती ।ऐसी होती तो आज तम ु ऐसे बात ना करते । तQ ु हारा एक पैसा फजल ू खच नह@ करती । पाई पाई जोड.ती हंू । ये माट@ का घर सफ तQ ु हार@ कमाई से नह@ खड.◌ा है । दे खो मेरे सर के बाल झड. गये । इस घर को बनाने मM माट@ ढो-ढो कर। जब दे खो तब आग उगलते रहते है । अरे अभी तक तो अकेले 7चलम नह@ गड पछम से उग ु .गड ु .◌ायी आज कहां से सरज ू गया क 7चलम लेकर बैठ गयी । नहक को चप ु करा रह@ थी । पWु पा चr ू ह चौके मM लगी है । रामू-भागवान PयI नाराज हो रह@ है । चार बार बलाया ु एक बार भी नह@ बोल@ । घर मM तम ु हो या नह@ कोई 354

आहट नह@ । शाितदे वी - हां मेर@ आहट अब तमको नह@ लगेगी । वो ु =दन भल को लग ू गये जब मेर@ आहट तQ ु हारे नथनI ू जाती थी । म- भी वह@ हंू तम ु भी । दे खो समय कतना बदल गया क तQ ु हे मेर@ आहट नह@ लग रह@ है ।ये तो होना ह@ था । लो ख=टया डाल द@ बैठो । म- पानी लाती हंू । शाितदे वी झटपट गड ु .पानी दे कर 7चलम चढा लायी और रामू को थमाते हए ु भी जी भर कर ु बोल@ लो तम हP ु .गडा ु लो =दन भर नह@ मला है ना । कहते ु का गड हए बैठ गयी । ु ु वह ख=टया पकड.कर चपचाप शाितदे वी को मौन दे खकर रामू बोला-द@नु क मां PयI गमसम ु ु हो गयी ।बेटवा क कोई 7च/ठ0 आयी है Pया ? थोड.◌ी दे र पहले बहत ताना महना मार रह@ थी । ु एकदम से Pया हो गया । शाितदे वी-Pया कLं । झगड.◌ा कLं । राम-ू दे वी kोध ना करो◌े । हमने तो kोध करने लायक कछ नह@ कहा । PयI उखड.◌ी उखड.◌ी बातM कर रह@ हो ु । Pया बात है ? शाितदे वी-कोई बात नह@ है । राम-ू कोई ना कोई बात तो है । बताओ ना Pयो दखी हो ु रह@ हो अकेले । तकल@फ बांटने से कम होती है । दे ह दख ु रह@ है Pया ? बताओ ना Pया बात है ? PयI रोनी सरत बनाये बैठ0 हो । ू 355

शाितदे वी-Pया बताउ◌ू◌ं । कई =दन से दे ख रह@ हंू । राम-ू Pया दे ख रह@ हो ? शाितदे वी-बोलने दो तब ना बताउ◌ू◌ं । राम-ू बीच मM टIक कर गलती कर =दया Pया ै ? बोलो Pया बताने वाल@ थी ? शाितदे वी-सुनो । राम-ू Pया सना ु रह@ हो ? शाितदे वी-सामने के घर से सनाई दे रह@ गाल@ । ु राम-ू अपने घर मM कोई कछ करे हमM Pया लेना ? ु शाितदे वी-मझे ु तो कछ ु शंका हो रह@ है । राम-ू PयI ? शाितदे वी-घम:डीदे वी मझे ु दे खकर गाल@ दे ती है । द@नू के बाबू तम ु कहो तो म- पंूछू क ऐसा Pयो करती है । रामू-Pया पछोगी उस झगड.◌ालू से । गांव के◌ी कई ू लोगI को पीट चक है । अपने मद को भी बर@ ु ु बर@ ु गाल@ दे ती है कई बार मार भी चक है । गाल@ तो ु उसक छठ0 पर चढायी होगी उसक मां ने



शाितदे वी-गोधल बेला मM गाल@ दे ना अfछ0 बात तो ू नह@ है । राम-ू द@नू क मां तम ु उसको मना भी तो नह@ कर सकती । अगर कछ बोल@ तो अपने गले पड. जायेगी । आ बैल ु मझे ु मार वाल@ बात होगी । छोड.◌ो जाने हP ु का तQबाकू जल गयी । 356

दो । ये थामI

शाितदे वी-बाप रे इतना जrद@ एक 7चलम तQबाकू जल गयी ।इतना हP ु का पीओगे तो कहां से आयेगा। मइतजार मM बैठ0 थी क तम ु पीकर मझे ु दोगे । राम-ू एक और 7चलम चढा लो । शाितदे वी-नह@ं रात हो गयी । दसरे काम भी तो करने है ू । पWु पा रोट@

बना चक है । रोट@ खाओ । तQबाकू ु

पीकर पेट थोड.◌े ह@ भरे गा । चलो ख=टया घर मM डाल दे ती हंू । यहां मfछर बहत ु लगने लगे ह- । रो=हत ने अदर धआं कर =दया है । मfछर नह@ लगेगा । अfछा ु बैठो

म-

7चलम

चढाकर

लाती

हंू । तम बैठकर ु गड आती हंू । ु .गड ु .◌ाओ मM तनक घम:डीदे वी से पछकर ू

कौन सी तकल@फ आ गयी है । रामू-ना तू ना जा खामखाह झगड.◌ा हो जायेगा । शाितदे वी-अरे म- झगड.◌ा नह@ करने जा रह@ हंू हालचाल पछने जा रह@ हंू । ू राम-ू बहत ु दया आ रह@ है । नह@ मान रह@ हो तो जाओ फर आकर आंसू नह@ बहाना । शाितदे वी-म- पछकर आती हंू । तम । ू ु हP ु .गडाओ ु ु का गड रामू-ठ0क है जाओ । शाितदे वी भागी भागी घम:डीदे वी के घर गयी ।बाहर से घम:डी बहन घम:डी बहन क आवाज दे ने लगी । घम:डीदे वी भखी शेरनी क तरह बाहर आयी और बोल@ ू अfछा तू है । 357

शाितदे वी-हां बहन म- हंू । Pया बात है तू आजकल परे शान रहती है । बहन गाल@ दे ने से परे शानी ख>म तो नह@ होगी ।

गाल@ कह@ जाती नह@ है । लौटकर अपने

को ह@ लगती है । गाल@ दे ने से आ>मा भी अश] ु द होती है । घम:डीदे वी-अfछा तो तू समझाने आयी है चोरनी कह@ं क । शाितदे वी- Pया कह रह@ हो ? होश मM तो हो ? मझे ु चारे नी कहते हये शरम भी नह@ आयी । भला मु ु तमको और चोरनी । घम:डीदे वी-हां हां तू चोरनी नह@ तो और कौन ? मेर@ हं सल@ सराह@दार गद न सजा रह@ है । चोरनी मझे ु चराकर ु ु ु समझा रह@ है । शाितदे वी को काटो तो खन नह@ । वह बेसुध सी ू घम:डीदे वी क फटकार सनकर अपने घर क ओर दौड ु पड.◌ी , बरदौल तक आते आते गश खाकर 7गर पड.◌ी । कई घ:टे वह@ पड.◌ी रह@ कसी को पता नह@ चला । काफ दे र तक वापस न आने पर रामू दादा लालटे न लेकर ढढने नकले । बरदौल के 'पछवाड.◌े शाितदे वी ू को बेसध ु पड.◌ी दे खकर 7चrला उठे । रामू क 7चrलाहट सनकर छोटा बेटा रो=हत बड.◌ी बहू पWु पा रोते हु दौड. ु पडM । रोने क आवाज सनकर दस-बीस लोग इP/ठा हो ु गये । शाितदे वी को उठाकर लाये और दालान मM 358

ख=टया पर लेटा =दये । कछ दे र मM पर@ ू ब ती इP/ठा हो ु गयी । काफ दे र के बाद शाितदे वी को होश आया । सभी उस हादशे को जानने के उ>सक ु थे िजसके कारण शाितदे वी बेसुध हई ु थी । शाितदे वी क आंखे पथरा गयी थी । उनके क:ठ से आवाज ह@ नह@ नकल पा रह@ थी । बड.◌ी कोशश के बाद अटक अटक कर घम:डीदे वी का अपने माथे मढा इrजाम बयान कर पायी । रामदादा को जैसे सांप संघ ू ू गया शाितदे वी क बात सनकर । उसके मंह ु ु से नकल पड.◌ा

घम:डीदे वी ने

ऐसा कैसे कह =दया ? मिजयादाद@ बोल@-रामू दादा और शाितदे वी को समझाते हए हो ु लोग घम:डीदे वी क बात से इतने दखी ु ु बोल@ तम । अरे परा ू गांव जानता है । वह औरत कतनी शर@फ और ईमानदार है । नरापद पर इrजाम लगाते हए ु उसक जबान झर कर PयI नह@ं 7गर गयी । दे वी समान औरत के उपर इrजाम लगाकर पाप का भागी बनी है । चोर क घरवाल@ चोरनी तो खद ु घम:डीदे वी है । दनया ु जान गयी है मंधार@ बहन क मनौती का ख सी उसका आदमी बाहबलयI के साथ मलकर काटकर खा गया । ु कतनी ओझाई सोखाई हई ु तो जान बची है । इतना कहना था क दखौतीकाक का भे◌ा◌ंपू चालू हो गया वह बोल@ शाितबहन तू 7चता ना कर दनया ु चड के ु .◌ैल के बारे मM जानती है । एक =दन जLर हं सल@ ु 359

चोर@ से पदा हटे गा । दे खना यह@ घम:डी खद ु अपना सर प>थर से कf इस मरदमLई के मंह ु ु ू े◌ागी । दनया पर थक ू े गी । घम:डी तो घम:डी उसके लड.को ने भी उपdव मचा रखा है । दे खा नह@ अपने लड.के◌ा◌ं से रो=हत को पानी मM पटवाकर कतना मरवायी थी । रामू घर पर थे दे ख लये नह@ तो रो=हत को मार डालते सब मलकर ।शाित बहन तू अपनी आदत मM बदलाव कर हर कसी के दख ु तकल@फ मM कद ू जाती है । अरे तो इतनी भलमनसत ना =दखाती तो आज तेरे उपर क चड. नह@ फMक पाती ना घम:डी । कारे ् ध पाप है । तQ ु हारे उपर फट ू पड.◌ा घम:डी का kोध । रामू-अरे आदमी होने के नाते फज बनता है क आदमी के दख ु मM तो काम आये । स ठ0क तो कह रहे हो पर आदमी भी तो ु दर@दे वी-बबआ ु उस लायक हो । यहां तो आदमी के वेष मM शैतान मौजद ू है । ईमानदार और नेक इंसान के मंुह पर म/ ु ठ0 भर आग मार रहे ह- । राम-ू परा ू गांव जानता है इस घम:डी का घर बनवाने मM हमने Pया नह@ कया । गांव के बाहबलयI से दgु मनी ु तक ले लया पर घर बनवा कर सांस लया । वह@ घम:डी हमार@ ब=ढया को आज चोरनी कह रह@ है । ु स ु दर@दे वी-नेक का फल जLर मलेगा भइया । भगवान के घर भले ह@ दे र हो पर अंधेर नह@ हो सकती । बबआ ु 360

एक बात कहंू बरा ु तो नह@ मानोगे ना ? रामदादा -घम:डीदे वी कह रह@ है तो तम ू ु भी कह दो जो जी मM आये । स हम =दल दखाने के लये नह@ कह रह@ ु दर@दे वी-बबआ ु ु हंू ना । रामदादा -कह दे भौजाई । तेर@ भी सन ू ु लंग ू ा । सबक तो सन ु ह@ रहा हंू ना कब से । स हर कसी के दख ु दर@दे वी-बबआ ु ु तकल@फ मM अब मत खड.◌ा हआ करना । आज से कान पकड. लो। ु रामदादा -भौजाई आज के जमाने को दे खते हए ू ु कह तो सह@ रह@ हो पर ना मझसे और ना ह@ द@नू क महतार@ ु से ह@ कसी क तकल@फ दे खा जाती है । बरा ु तो कसी का नह@ कर रहे है ना । आदमी नेक नह@ मानेगा तो Pया भगवान तो मानेगा ? स ु दर@दे वी-दे वरजी तQ ु हार@ यह@ सोच तो परेू गांव मM तमको सबसे उपर उठाती है । नासमझ लोग है क ु समझते नह@। स ु दर@दे वी शाितदे वी को भर अंकवार उठाते हए ु बोल@ चलो बहन उठो हाथपांव धो लो मन थोड.◌ा ठौरक हो जायेगा । एकाध रोट@ खाकर सो जाओ । घम:डीदे वी का अभमान जLर चरू होकर रहे गा । सfचे इंसान के उपर उगल@ उठायी है भ म हो जायेगी । घम:डी दे वी ने बहत ु बड.◌ा इrजाम माथे मढ =दया है । 361

शाितदे वी क बहू पWु पा लोटे मM पानी लेकर आयी सास से बोल@ अQमाजी उठो मंह खाकर ु हाथ धो लो कछ ु दवाई खाओ◌े । घम:डीदे वी एक ना हजार इrजाम लगाये कर ना तो डर

कैसी ?

शाितदे वी- बी=टया कछ मन नह@ कर रहा है । ु पWु पा लोटे से पानी ल@ और शाितदे वी का मंह ु धोकर अपने आंचल से मंह ु पोछकर मंह ु मM रोट@ तरकार@ ठसने ू लगी । शाितदे वी-बी=टया तमने तो अपनी कर ल@ । अब तू भी ु जा खा ले और आराम कर रात काफ हो गयी है । पWु पा-अQमा दवाई तो खा लो । शाितदे वी-ठ0क है लाओ वह भी जबद ती ठस ू दो । दे ख नहक

रो रह@ है जा उसके◌ा सला । मेर@ फk ना ु

कर म- मरने वाल@ नह@ हंू जब तक घम:डी क हं सल@ ु क चोर@ से पदा नह@ं उठता है । माथे से इrजाम हटते ह@ सदा के लये सो जाउ◌ू◌ं भगवान । पWु पा- अQमा कैसी मनौती कर रह@ हो । ऐसा ना कहो अQमा◌ा कहते हए ु कराने । वह ु पWु पा नहक को चप नहक को चप ु कराते कराते खद ु भी सो गयी । उधर शाितदे वी क आंख से नींद गायब । रामू दादा भी करवटे बदल बदल कर थक गये पर उनसे भी नींद कोसे◌ा◌ं दरू । बार बार रामदादा को करवटM बदलता ू दे खकर

शाितदे वी बोल@ द@नू के बाबू नींद नह@ आ रह@ 362

है । राम-ू कैसे नींद आयेगी । चोर@ का इतना बड.◌ा इrजाम सर पर जो है । शाितदे वी-PयI घबरा रहे हो । चोर@ तो हमने कया नह@ है । रामू-कस कस का मंह ु पकड.◌ेगे । कल आसपास के गांवI मM बात फैल जायेगी । शाितदे वी घम:डीदे वी क हं सल@ चोर@ हई ु ु है तो कसी ने जLर चराया है । लेकन वह इrजाम मेरे माथे Pयो मढ ु द@ ? राम-ू राज एक =दन खल ु जायेगा । तम ु थोड.◌ी दे र आंख बद कर सोने क कोशश करो । नींद नह@ आयी तो =दन भर सर दखे ु गा । पWु पा Pया Pया करे गी ? नहक भी तो रोती रहती है आजकल बहत ु िजद@ हो गयी है । शहर मM द@नू बेटवा भी दखी होगा यह सब सनकर । ु ु शाितदे वी-इrजाम माथे आ ह@ गया है । जब तक रह य से पदा नह@ हटता है तब तक तो इrजाम क म/ ु ठ0 भर आग मM सलगना ह@ है । ु घम:डीदे वी के हं सल@ क चोर@ क खबर जंगल क आग ु क तरह फैल गयी । शाितदे वी ने चोर@ क है इस बात को कोई मानने को तैयार ना था । धीरे घीरे छः मह@ना eबत गया पर घम:डीदे वी क हं सुल@ क चोर@ का पता नह@ चला । एक =दन है रान परे शान हर@ बाबू आये रो=हत 363

से बोले रो=हत बाबू सोनार क दकान तक चलो बहत ु ु जLर@ काम है । रो=हत -अरे कौन सा इतना जLर@ काम आ धमका हर@ बाबू । हर@बाबू-हं सल@ 7गरवी रखना है । Lपये क सHत जLरत ु है । रो=हत हर@बाबू के साथ बाजार सोनार क दकान चले गये ु । रो=हत बाबू को दे खकर सोनार बोला कैसे आना हआ ु डाPटर बाबू । रो=हत -हं सल@ ु 7गरवी रखने आया हंू । से◌ानी- रो=हत बाबू Pया बात है आपके गांव का कोई आदमी हं सल@ ु 7गरवी रखता है तो कोई छड ु .वाता है । रो=हत -कौन छड ु .वाकर ले गया ? सोनी-गभL । वह@ गभL जो पहले ईPका हांकते थे । हर@बाबू-अfछा तो घम:डी काक क हं सल@ 7गरवी रखी ु गयी थी । चोर@ के इrजाम क म/ ु ठ0 भर आग काक के सर पर दहक रह@ थी अब तक । हर@बाबू क हं सुल@ 7गरवी सोनी ने रखकर Lपये दे =दये । Lपया लेकर हर@बाबू रो=हत बाबू को साथ लेकर रgतेदार@ मM चले गये । इधर रात मM गभL सोये हये ु रह@ है । मल बड.बड.◌ाया हं सल@ पआल मM PयI फक M ु ु गयी हं सल@ गयी । M ु । चोरनी फक घम:डीदे वी- गभL को जगाते हए ु बोल@ PयI बड.बडा रहे हो। हं सल@ ु तो चोरनी पचा गयी । 364

गभL-नह@ पचा सकती । घर क दे वी सपने ने मझे ु बतायी है क हं सुल@ पआल के ढे र मM ह- । चलो दे खते है ु सfचाई Pया है ? घम:डीदे वी और गभL दोनो पआल के ढे र के पास गये । ु गभL के पहल@ बार मM ह@ अंकवार मM पआल उठाते ु हं सल@ हाथ मM आ गयी । घम:डी दे वी झटपट हं सल@ को ु ु गले मM सजायी और रात भर गभL से हं सी =ठठोल@ करती रह@ । खशी के मारे उसक आंखे◌ा◌ं से नीद उड. ु गयी थी । भोर हो गयी मगा बोलने लगे । कछ दे र मM ु ु उजाला हो गया अब Pया घम:डीदे वी शाितदे वी के घर क ओर मंह ु कर गाल@ दे ना शL ु कर द@ । सरज क पहल@ करण के साथ हर@बाबू और रो=हत ू

भी

आ गये । घम:डीदे वी को गाल@ दे ते दे खकर रो=हत बोला PयI गाल@ दे रह@ हो काक । घम:डीदे वी-PयI गाल@ गोल@ जैसे लग रह@ है । अपनी चोरनी मां से पछ पआल ू । भत ू -मेलान के डर से हं सल@ ु ु के ढे र मM फेक गयी । वाह रे चोरनी । रो=हत -पंचायत मM फैसला हो जायेगा । पंचायत बलाने ु जा रहा हंू । गांव के धान को बलाने के लये खद ु ु दौड. पड.◌ा और ब ती वालI को रामदादा बलाने मM जट ह@ ू ु ु गये । कछ ु दे र मM पंचायत इP/ठा हो गयी । धान-घम:डी दे वी मल गयी तQ ु हार@ हं सल@ ु । 365

घम:डी दे वी-हां बाबू चोरनी पआल मM फक गयी थी तो M ु मलनी ह@ थी। कछ =दन और रखती तो मेर@ कलदे वी ु ु चोरनी शाितदे वी के पत ू को ना खा जाती । स>यानाश क डर से पआल मM रख गयी । रात मM कलदे वी ने ु ु सपने मM रं जीते के बाबू को सपने मM बतायी थी। रं जीते के बाबू के पआल उठाते ह@ हं सल@ ु ु नीचे 7गर पड.◌ी थी। धान-Pया यह@ सच है गभL बेटा । गभL शाितदे वी का पांव पकड.कर रो◌ेते हए ु बोला माफ कर दो भौजाई चोरनी तू नह@ चोर मै हंू । मने - बाप के इलाज के लये 7गरवी रख =दया था घरवाल@ क चोर@ से । इP/ठा लोग शाितदे वी क जय जयकार करने लगे । गांव वालI क u]दा दे खकर शाितदे वी क आंखI से झराझर मोती झरने लगे ।

बारात इकतीस =दसQबर क आtखर@ और पहल@

जनवर@ क

थम अधराe\ मM नदन के घर एक नहे फरgते का अवतरण हआ । बfचे के रोने क आवाज सनकर नदन ु ु के मन मM आतशबाजी होने लगी । कछ दे र के बाद ु रमरजी काक घर मM से बाहर नकल@ । नदन आगे बढकर काक का पांव छये ु । रमरजीकाक -खब है । ू तरPक कर बेटवा, बेटा हआ ु चौथी औलाद बेटा के सनते ह@ नदन के =दल से बोझ ु उतर गया । नदन बfचे का नाम हर@ रखा । नदन 366

हर@ को पढा लखाकर दरोगा बनाने का सपना दे खने लगा पैदा होते से ह@। वह भी ऐसे समय जब आजाद@ क जंग के शोले हर कान पर द तHत दे ने लगे थे । भयावह सामािजक ि थत भी थी । तथाक7थत छोट@ जात के लोगो के साथ तो जानवर से भी बरा ु `यवहार होता था । दभा ु vयवस ऐसे समाज मM नदन भी आहे भर रहा था । गर@बी एवं दयनीय सामािजक ि थत के बाद भी वह =हQमत नह@ हारा । हर@ का नाम कूल मM लाख मनतयां कर लखवा =दया जबक उसक जात के बfचI का अघोशत Lप से कूल मM वेश बद था । हर@ को भी कूल मM बहत ू जात ु मिु gकलM आयी । अछत का होने के नाते उसे कZा मM सब बfचI से पीछे बैठाया जाता था । जहां मा टर साहब क आवाज भी नह@ पहंु च पाती थी । कू ल मM पीने तक के पानी को उसक परछायीं से दरू रखा जाता था । लाख मिg ु कलM उठाकर भी हर@ =हQमत नह@ हारा अततः बारहवीं क पर@Zा अ`वल दजb से पास कर लया पर आ7थक कारणI आगे क पढाई Lक गयी । हर@ साल भर कलक>तM मM पटसन क कQपनी मM छोटा मोटा काम कया । सरकार नौकर@ पहंु च से दरू जाती दे खकर वह राजधानी आ गया । राजधानी मM साल भर क बेरोजगार@ झेलने के बाद पु लस क नौकर@ मल गयी । नौकर@ का समाचार सनकर हर@ के परवार मM खशी ु ु क लहर दौड. पड.◌ी । 367

समय के साथ हर@ आगे बढते रहे पलस क नौकर@ मM ु तरPक करते करते दरोगा हो गये और उलझे हए ु मामले◌ा◌ं को सलझाने मM उहे महारथ भी हासल हो ु गया । हर@ को लोग बड.◌े आदर से हर@ बाबू कहते । हर@ बाबू क ईमानदार@ के चचा सबक जबान पर होते । हर@बाबू ने कई बड.◌े बड.◌े और उलझे मामले सलझाये ु । एकाध बार स पे:ट भी हए ु पर सfचाई के पथ से 'वचलत नह@ हए ु । एक =दन हर@बाबू थाने से काफ दरू भीड.भाड. वाले से छ/ रहे थे । एक `यापार@ ु ट@ के कदन साद@ ~ेस मM गजर ु बचाओ बचाओ 7चrला रहा था

। कोई भी उसक मदद

के लये आगे नह@ बढ रहा था । दो आतंकवाद@ लटे ू रे =दनदहाड.◌े `यापार@ क तजोर@ छन रहे थे । `यापार@ लहलहान था पर तजोर@ नह@ छोड. रहा था । `यापार@ के ू ु 7चrलाने के आवाज हर@बाबू के कानI मM पड.◌ी वह ललकारते दौड.◌े और एक आतंकवाद@ को दबोच लये । अब Pया था आतंकवाद@ `यापार@ को छोड. हर@बाबू पर टट पडे। आतंकवा=दयो ने दरोगाजी के उपर दनादन ू पfचास से अ7धक बार

छरे ु से वार कर =दये । दरोगाजी

हर@ बाबू का शर@र झलनी हो गया । जांघ क नशे कट गयी । हर@ बाबू =हQमत नह@ हारे वे एक आतंक पर कsजा कर लये । बड.◌ी चालाक से आतंक के छरे ु आतंक का पेट फाड. =दये । वह वह@ पाट पर मर गया 368

। हर@बाबू लड.खड.◌ा कर 7गरने लगे तब तक दसरा ू आतंक वार कर बैठ संयोगबस वह भी दरोगाजी क 7गरफ् त मM आ गया, उसके भी पेट मM छरा दरोगा जी ने ु घसा =दया पर आतंक पेट दबाकर भाग नकला और ु दरोगाजी अधमरे वह@ं तड.पते रहे । कोई भी आदमी दरोगाजी को न तो

अ पताल तक ले जाने क और

नह@ एक फोन करने क =हQमत जटा ु पाया । घ:टो बाद एक ठे लेवाले ने

ठे ले पर लादकर अ पताल पहंु चाया । कई =दनI तक दरोगाजी मौत से जझते रहे । इस बीच ू बीस बोतल खन ू चढ गया । अततः दरोगाजी ने मौत पर भी 'वजय पा लया । दरोगाजी के बहादर@ ु के चचb समाचार प\I के पने◌ा◌ं पर खब ू जगह पाये । दरोगाजी को बहादर@ ु का uेXठ पर ु कार मलना चा=हये था पर नह@ मला । हां राजधानी के Zे\ 'वशेप को आतंकयI से नजात जLर मल गयी । हफ् ता वसल@ करने वालI और ू आतंक मचाने वालो क =हQमत टट ू गयी । दरोगाजी सदै व नXठा एंव ईमानदार@ से जन एवं राXc क सेवा करते रहे । सेवा के दौरान उनक धमप>नी का दे हात कसर क बीमार@ से हो गया । तीनI बेटे अपने अपने परवार मM रम गये । बेट@ अपने घर परवार मM खश ु थी । दरोगाजी शहर मM अकेले रह गये । मंह ु बोला बेटा रामलखन अपने फज पर खरा उतर रहा था । पड.◌ोस मM दरू के रgते क साल@ और उनक बे=टयां रे खा और 369

गीता भी खब ू Hयाल रखती थी । दरोगाजी के अदर प\मोह कटकट था पर प\I ु ु को दरोगाजी ू ू कर भरा हआ ु से नह@ उनक दौलत से मोह था । समय अपनी गत से चलता रहा रे खा और गीता का sयाह हो गया । दरोगाजी रोट@ से मोहताज रहने लगे । इसी बीच उनका एPसीडे:ट हो गया । पैर क हƒडी टट ू गयी । Xला टर तो हुआ पर दो =दन मM उतरवा =दये PयIक दे खरे ख करने वाला कोई न था । दरोगाजी का रोना दे खकर उनके बड.◌े बेटे ने जबद ती अपने लये एक लाचार 'वधवा दखव ती दे वी ु को िजसका दनया मM कोई न था अपनी मां के Lप मM ु खोज लाया । बेबस लाचार 'वधवा औरत क अि मता क रZा के लये दरोगाजी ने छाती पर पहाड. रखकर मंजर@ ू दे द@ । उनसठ साल क उj मM दरोगाजी का पन ु 'ववाह

हो

गया

पर

िजस

बेबस

लाचार

'वधवा

दखव तीदे वी पर दया =दखाये थे वह भी दरोगाजी के ु जीवन मM म/ साल भर के बाद ु ठ0 भर आग साeबत हई। ु दरोगाजी सेवानवत हो गये । सेवानवि> ृ ृ त के बाद दरोगाजी दखव तीदे वी को लेकर अपनी बेट@ के घर गये ु । अब दनया मM सबसे Xयारे दरोगाजी के लये बेट@ ु दमाद नाती और नातन थे । दरोगाजी बेट@ और दमाद क वजह से तनक खश ु थे । बाक सभी तो पैसे के भखे उहे नजर आते थे दखव तीदे वी चार कदम और ू ु आगे थी। दमाद के 'पताजी तो दो त पहले और समधी 370

बाद मM

थे । खब ू जोड.◌ी जमती थी समधी समधी क

। दरोगाजी सेवानव>ृ त होकर गांव आ गये । बेट@ को फट@ कौड.◌ी नह@ =दये । बेटI ने उहM नXकासत कर ू =दया पर उनक नजरे उनके चल-अचल सQपत पर =टक हई तीदे वी भी रहरहकर कलेजे मM तीर ु ु थी। दखव भे◌ा◌ंक दे ती । दरोगाजी गम को भलाने के लये ु खेतीबार@ मM =दल लगाने लगे । उनक मेहनत से अनपजाउ◌ू ◌ं जमीन भी अन उगलने लगी पर दरोगाजी ु का वा †य साथ छोड.ने लगा । सरज डब ू ू रहा था दरोगाजी सबसे

बेखबर खेत मM पसीना बहा रहे थे ।

दरोगाजी को काम करते हए ु दे खकर रघु के पांव =ठठक गये◌े वह दरोगाजी के पास गया और बोला दरोगाजी Pयो मजदरI ू जैसे रात =दन खटते◌े रहते हो । अरे ये उj काम करने क नह@ है । आराम करने क है पोता पोती खेलवाओं, बहू बेटI से सेवा करवाओ । दरोगाजी बोले- जब तक हाथ पांव आंख ठे हना सलामत है ु तब तक कसी का आ7uत नह@ रहंू गा । रघु जीवन एक जंग है इसे जीतने का यास जब तक सांस है तब तक करता रहंू गा । अब तो हमारे जीवन क दसर@ जंग शL ू ु हो गयी है । रघु-दरोगाजी आपको हाड. नचोड.ने क Pया जLरत है । अरे आप तो अपने पशन से चार आदमी को और पाल M सकते है । 371

दरोगाजी-कह तो ठ0क रहे हो रघु मेहनत करने मM बराई ु Pया है ? अभी तो व थ हंू । काम करने लायक हंू । गर@ब मां बाप क औलाद हंू । मने - बहत ु उठाये है । ु दख मां बाप को आंसू से रोट@ गीला करते हए - । ु दे खा है मने मां बाप के आशqवाद से कहां से कहां पहंु च गया । आज मेर@ औलाद साथ नह@ दे रह@ है । बेटे मझसे दरू होते ु जा रहे है । Pया यह कसी नरक के दख ु से कम है । खैर कसी जम के पाप का फल मल रहा होगा मझे ु । रघ-ु दरोगाजी आपक तeबयत ठ0क नह@ लगी रह@ है । दरोगाजी-हां कछ =दनI से रह रहकर सांस जैसे अटक जा ु रह@ है । ठ0क हो जायेगा । कोई 7चता क बात नह@ है । 7चता तो बस अपनI से है िजसके लये सपने बने ु थे वह@ =दल मM छे द कर रहे है । रघु-दरोगाजी म- भी उस =दन दं ग रह गया जब आपके बडM ने आपको बेट@ क गाल@ द@ । सफेद रं गे सर के बाल उखाड.ने तक क धमक =दया था। वह भी आपके दमाद बेट@ नाती और नातन के सामने । उसे ऐसा नह@ कहना चा=हये था । दरोगाजी-नासमझ है । जब उन पर पडेगी तब याद आयेगी मेरे साथ जो वे कर रहे ह- । वे हमारे लये नह@ खद ु के जीवन मM कांटा बो रहे ह- । हमार@ तो eबत गयी है । थोड.◌े =दन का और मेहमान हंू । दे खना यह@ लोग आंसू बहायेगे । मेरे छोड.◌े Lपये को पाने के लये रात 372

=दन एक कर दे गM । Lपये और मेर@ 'वरासत तो पा जायेगे पर =दल मM कसक तो उठे गी जLर । अब तो मेर@ =हQमत ह@ मेरा सहारा है रघु िजस =दन मेर@ =हQमत छट@ मै समझो गया उपर । ू रघु-दरोगाजी ऐसा ना कहो आप तो द@घायु होओ और

व थ रहो । अब म- चलता हंू । दे खो अंधेरा छा गया है । आप भी घर जाओ भौजाई राह ताक रह@ होगी । दरोगाजी-दनया मतलबी है । घर मM तो खौफ डंसता ु रहता है । खड.◌ी फसलI के साथ बाते कर मन हrका हो जाता है । ठ0क है । चलो म- भी चलता हंू । रघु अपने घर क ओर दरोगाजी अपने घर क ओर चल पडे. । दरोगाजी घर आये है :डपाइप चलाकर बाrट@ मM पानी भरे ,हाथ पांव धोये ।

एक लोटा पानी पीकर ख=टया पर

बैठे। फर ना जानो शर@र को कौन सी `या7ध पकड. ल@ । दरोगाजी क तeबयत eबगड.ने लगी । रात बडी मिg होते होते ु कल मM eबती सबह ु

तeबयत Tयादा खराब

हो गयी । हालत इतनी खराब हो गयी क

eब तर से

उठा नह@ गया ।दो =दन वह@ eब तर पर पड.◌े पड.◌े कराहते कराहतM एकदम से टट ू गये । बडी.◌ी मिg ु कल से द@वाल के सहारे बैठ पाते । बैठते ह@ं चPकर आने लगते । eबगड.ती हालत मM बड.बडाने लगे । दरोगाजी क तeबयत

खराब

है

क

खबर 373

उनक

बेट@

के

दे वर

स>यानद को लगी वह भागकर दरोगाजी को दे खने गया । वहां उनक दयनीय दशा दे खकर स>यानद घबरा गया दरोगाजी क तeबयत eबगड.ती दे खकर स>यानद ने दरोगाजी के छोटे बेटे रामानज ु को साथ लेकर अ पताल मM भतq करवाया । मज डाPटरI क समझ मM नह@ आयी । दद मM बड.बडाते हए दे खकर एक डाPटर ने तो ु पागलखाने भेजने तक क सफारस कर द@ । जबक दरोगाजी को मि तXक Tवर था ,दो =दन मM जानलेवा हो गया था । डाPटर बीमार@ को नह@ समझ पाये। दरोगाजी दो =दन अ पताल मM तड.पते रहे इसी बीच बेटा मझला दयानज ु

शहर से आ गया। दरोगाजी दयानज से ु

लड.खड.◌ाते हए ु तीनो भाई आपस मM लड.ना ु बोले तम नह@ । मेर@ चल अचल सQपत के चार =ह से कर लेना । तीन =ह सा तो तम ु तीनI भाईयI का होगा और चौथा =हसा तQ ु हार@ नयी मां का । स>यानद से बोले बेटे दमादजी Uदयानद

बी=टया सेवामती,नानत समन ु ,Lपेश

और =दनेश अभी नह@ं पहंु चे Pया ? बस दो =दन मM इतना ह@ बोल पाये थे । इसके और कछ भी नह@ बोल पाये। ु जबान पर जैसे ताला लटक गया पर आंखI से आंसू ऐसा बहना शL क Lका नह@ । सQभवतः दरोगाजी ु हआ ु क अितम इfछा बेट@ दमाद से मलने क थी हालत और अ7धक eबगड.ने लगी तब स>यानद

बनारस लेकर

भागा । बनारस जाते समय रा ते मM हर जंग जीतने 374

वाले दरोगाजी मौत से हार गये । बड.◌े बेटे समानज ु जो दरोगाजी से झगड.कर चला गया था उसे

खबर द@ गयी

पर वह@ न आने क िजद पर अड.◌ा रहा । बेट@ दमाद खबर लगते ह@ पdह सौ कलोमीटर दरू

शहर से

दरोगाजी के अितम सं कार मM शामल होने के लये चल पड.◌े । मौत के दसरे =दन दरोगाजी के मतदे ू ृ ह को सजाया गया । मातमी धन ु बनजे लगी पर हजार घर वाले गांव मM दरोगाजी के मतदे ृ ह का लंगोट पहनाने वाला कोई न मला । आtखरकार छोट@ उj का स>यानद ने अपने हाथI से लंगोट पहनाया । दोपहर ढलने को आ गयी cे न लेट होने के कारण बेट@ दमाद नह@ पहंु च पाये । दरोगाजी क आtखर बाराता ;जनाजा( नकल पड.◌ा । आगे आगे चार कंधI पर दरोगाजी का मत ृ दे ह चल रहा था पीछे पीछे बै:डबाजा वाले मातमी धन ु बजाते हए ु । सौभाvसबस चार कंधI मM दो कंधे उनके छोटे और मझले बेटे के शामल थे ।बै:डबाजे को दे खकर कछ लोग ु छ0ंटाकसी करने से बाज नह@ आ रहे थे । कछ लोग कर ु रहे थे क दरोगा क दसरे sयाह क बारात मM भले ह@ ू बै:डबाजा नह@ बजा तो Pया आtखर@ बारात मM बी=टया क ससराल वालो ने तो बजवा ह@ =दया ।कोई कहता अरे ु ये जनाजा नह@ दरोगा के आtखर@ sयाह क बारात नकल रह@ है । भले ह@ कछ लोग छ0ंटाकसी कर रहे थे ु 375

पर सfच तो यह@ था । दरोगाजी का जनाजा नकलने के घ:टे भर बाद बेट@ दमाद भी आ गये पर जनाजा तो नकल चका था । ु काफ मशPकत के बाद Uदयानद और सेवावती gमशान पहंु चे पर Pया दरोगाजी का मतदे ृ ह गोमती नद@ के कनारे आठमन लकड.◌ी क 7चता मM भ म होकर राख हो चका था । 7चता को पांच मटके पानी से ठ:डे कये ु जाने का कमका:ड शL ु था । इसी बीच Uदयानद और सेवावती ने अuपरत u]दांजल अ'पत क । शेप ु ू कमका:ड क kया तनक दे र मM पर@ हो गयी । ू पचत>व मM 'वल@न दरोगाजी के मतदे ृ ह के अवशेप को गोमती नद@ को सम'पत कर =दया गया। 7चता एकदम ठ:डी हो चक थी । गमाहट बची थी तो बस चल-अचल ु सQपत के बंटवारे को लेकर । रgता दनया मM सबसे बडा कोई रgता है तो वह है दद का ु रgता

। जानते हए ु भी आज का आदमी मतलब के पीछे भागने लगा है । आज के इस यग ु मM परमाथq लोग तो कम है पर आदमयत को िजदा रखे हए ु है । सेवाराम को 'वचार मंथन मM दे खकर ]यानबाबू उनक तरफ मड ु . गये और उनके सामने खड.◌े हो गये पर सेवाराम बेखबर थे । सेवाराम को बेखबर दे खकर वह 376

जरा उ◌ुची आवाज मM बोले Pया बात है सेवाराम Pयो नजरअंदाज कर रहे हो । सेवाराम हड.बड.◌ा कर बोले अरे ]यानबाबू आप ? ]यानबाब-ू हां मै। कहां खो हए ु थे । सेवाराम-कह@ नह@ बाबू । सोच रहा था आज का आदमी िजस तरह से रgते को रौद रहा है । अगर ऐसा ह@ होता रहा तो आदमी आदमी का ह@ नह@ होगा । आदमयत का रgता

भी लहलहान हो रहा है । ू ु ]यानबाब-ू आज का आदमी तो बस अपने वाथ मM जी

रहा है । सेवाराम- वाथ क बाढ मM कह@ं रgते न बह जाय । ]यानबाबू-सच 7चता का मुh् दा बन गया है रgते का क>ल । सेवाराम-ठ0क कह रहे हो आज का आदमी एक दसरे को ू टोपी पहनाने मM लगा हआ है । रgता भी वाथसि]द ु के◌े लये बनाने लगे है । ]यानबाबू-ऐसे रgतेदार तो आदमयत का क>ल ह@ करे गे । सेवाराम-ऐसा ह@ हो रहा है । दो साल भर पहले टे कचद साहकार 7गड.7गड.◌ाते हए ू ु बोले सेवाराम मेर@ मदद कर दो पांच हजार Lपया दे दो बस हफ् ता भर के लये । टे कचद क 7गड.7गड.◌ाहट के आगे म- मना नह@ कर पाया नेकचद से उधार लेकर 377

=दया था । टे कचद ने

दो साल मM कभी सौ कभी पfचास ऐसे रो रोकर

=दया

क पता ह@ नह@ चला । जबक मझे नेकचद को ु एकमgु त हफ् ते भर के अदर दे ना पड.◌ा था । टे कचद को एक अखबार वाले को पfचास सौ Lपया दे ना है । एक 'वoापन छपवा लये है ◌े अपनी दकान का । ु अखबार वाला मेरे साथी आज पांच साल से अ7ध हो गया पैसा नह@ =दये । जब मांगो तो टाल जाते हटे कचद आजकल क कहकर । अखबार वाले से मेरा रgता पैसे क वजह से खराब कर =दये । ]यानबाबू-टे कचद साहकार तो इनक टोपी उनको उनक ू उनको पहनाने मM मा=हर है । उसे रgते से Pया लेना । वो बस सौदागर है ।सेवाराम PयI झांसे मM आ जाते है

वा7थयI के । सेवाराम-बाबू हम तो रgते के सोधेपन के भख है । ू आदमी मM आदमयत का भाव ढढते रहते है । परमाथ मM ू असीम आनद है पर मतलबी लोग है क घाव दे जाते है । सभी टे कचद साहकार जैसे नह@ होते ]यानबाब।ू ू ]यानबाब-ू वो समीर भी तो तमको ठग गया । उसे तम ु ु भाई मानते थे । कई सालI तक अपने घर मM रखे । तQ ु हार@ वजह से कामयाब आदमी बना है पर तQ ु हे एहसान के बदले Pया =दया बदनामी और रgते को म/ ु ठ0 भर आग का दहकता घाव ना । सेवाराम-समीर खुश है अपने कामयाबी पर । भले ह@ 378

मझे ु रgता घाव दे गया पर आपको हक कत मालम ू है ना । आप मेर@ नेक को हवा दे रहे हो ना Pया यह कम है ?दनया मM अभी रgते का मान रखने वाले लखन और ु बलदे व दे वता क म के लोग है ]यान बाबू । ]यानबाबू- कहां ऐसे लोग मल गये सेवाराम ? सेवाराम- =दrल@ मM जब साला कौशल जब डेगू क चपेट मM था । मौत के मंह ु मM से नकला है लखन भईया क वजह से । पdह साल पहले मां

कसर से जझ ू कर मर@

और 'पता साल भर पहले फेफडा गल जाने क वजह से । ]यानबाब-ू ये लखन दे व कौन है ? सेवाराम- बलदे व इंजीनयर है पर तकद@र ठगी जा जक ु है कसी शाप पर काम करता है और लखन क नौकर@ छट ू गयी है जो अब चौक दार क नौकर करके परवार पाल रहे है । यह@ तो है वे◌े◌े◌े फरgते जो झोपड.प/ट@ मM और तकल@फ के समदर मM डबकर भी रgते पर मर ू मटने को तैयार रहते है । ]यानबाब-ू वो कैसे ? सेवाराम-बाबू कौशल क जान लखन भईया क वजह से बची है । जब पास के नसगहोम वालो ने हाथ खड.◌ा कर लये तो

लखनभईया =दrल@ के एक बडे. नसगं

होम मM कौशल को मरणासन ि थत मM ले गये । वहां डाPटर ने पfचास हजार Lपये जमा करवाने को और दस 379

बोतल खून तर ु त

दे ने को कहा गया।

लखन- डांPटर साहब म- पfचास नह@ साठ हजार अभी जमा कर दं ग ू ा भले मझे ु बाद मM अपना कfचा घर बेचना पडे । खन ू भी दे दं ग ू ा अपने तन को नचोड.कर पर गार:ट@ दो क मेरे भाई को कछ नह@ होगा । ु डाPटर- कोई गर:ट@ नह@ । बचेगा तो अपनी क मत से या मरे गा तो अपनी मौत से । लखन- डाPटर साहब आप कसाई है Pया ? बलदे व-भईया

सब

धधा

है



चलो

अब

सरकार@

अ पताल ले चले क मत पर ह@ भरोसा करना है । लखन और बलदे व कौशल को लो=हया अ पताल मM ले गये बड.◌ी नाजक ु ि थत थी पर डाPटरI और टाफ ने बहत =दखायी कौशल को आपातकाल@न कZ ु ू ु सहानभत मM रखा गया जबक एक पलंग पर तीन तीन डेगू पीEड.त थे और =दrल@ डेगू महामार@ बन हआ था । लखन और ु बलदे व ने अपना-अपना खन ू =दया। रे डkास सोसाइट@ से खन ू म- खद ु ले कर आया था । ]यानबाब-ू जब डेगू का आतंक था तब =दrल@ मM थे Pया ? सेवाराम-कौशल के लो=हया अ पताल मM भतq होने के बाद खबर लगी थी । पत-प>नी तर ु त नकल गये थे । दसरे =दन दोपहर मM अ पताल पहंु चे थे। अ पताल तो ू मरघट बना हआ था । दे खकर हम घबरा गये हमार@ ु 380

मैडम को तो रो रोकर वैसे ह@ बरा ु हाल था । ]यानबाब-ू सच डेगंू ने तो =दrल@ पर कहर बरसा =दया । हम तो अखबार मM पढकर रो पड.◌े थे । िजन लोगो ने यह हादशा दे खा होगा तो उनका हाल सोच कर कंपकपी छट ू जाती है । सेवाराम- कौशल क जान बच गयी । लखन और बलदे व दे वदत ू साeबत हए ु कौशल के लये । ]यानबाबू- सच लखन और बलदे व ने आदमी होने का फज बडी. ईमानदार@ से नभाया । इंसानयत के रgते को अपने लहू से सींचा । बहत ु बड.◌ा काम कये दोनो । एक परवार eबखरने से बच गया । सेवाराम-छोटे छोटे दो बfचे है बीबी है । कछ हो जाता ु सब अनाथ हो जाते । आज के जमाने मM तो सगे भी दरू होते जा रहे है । कौन कसका पेट -परदा चलायेगा ? कछ लोग तो मीठ0 मीठ0 बाते करते है ु

सफ मतलब के

लये । जहां मतलब नकला खंजर कर मार कर म/ ु ठ0 भर आग और डाल =दये ताक तडपते रहो । ]यानबाब-ू लोग बहत मतलबी हो गये है जबक सब ु जानते है आदमी म/ ु ठ0 बांधकर आया है हाथ फैलाये जायेगा

,इसके

बाद

भी

छल,धोखा,जालसाजी,अ>याचार,शोLण,दोहन यहां तक दे ह `यासपार अंग `यार तक करने लगा है आजका आदमी । आज आदमी वाथ मM गले तक डब ू गया है । 381

सेवाराम-अब तो मान मयादा पर भी वाथ ने दहकता नशान छोड.ना शL ु कर =दया है । पत-प>नी का चIच लड.◌ी मामला कोट मM । तलाक तक हो जा रहे है ।दहे ज दानव क फफकार तो आज के यग ु ु मM और डराने लगी है । कभी लोग रgते पर मर मटते थे आज वाथ के लये गला काटने के लये तैयार है । अरे मां-बाप िजसे धरती का भगवान कहते है वे जीवन क सां]य बेला मM व] सड.क ू ृ दाuम / अनाथ आ‰रम का पता पछते पर भटक रहे है । रgते क ब7गया मM जैसे पतझड आ गया है । रgते क ब7गया के फल ू कब tखलtखलायेगे ? ]यानबाब-ू पाgचा>य सं कृत का जहर हमार@ सं कृत को ले डबे ू गा । हमारे दे श मM अत7थ दे वो भवः मांता-'पता धरती के भगवान है आ=द ऐसे अनेक रgते के सोधेपन tखलtखलाते थे पर आज पाgचा>य सं कृत ने वाथ क आग मM झोक =दया है जैसे । सेवाराम-वैgवीकरण के जमाने मM आदमी सफ अपने लये जी रहा है । eबरले ह@ लखन,बलदे व,अनल और उसक घरवाल@ जैसे लोग है । ]यानबाबू- अनल और उसक घरवाल@ बीच मM कहां से आ गये । सेवाराम-अनल और उसक घरवल@, बलदे वक घरवाल@ और लखन भईया क घरवाल@ सभी ने कौशल क बीमार@ मM रात =दन एक कर =दया था ।ऐसे लोग 382

इंसानयत को िजदा रख सकते है । इंसानयत का रgता कभी नह@ मरे गा जब तक 7गने चने ु लोग बचे है आदमी के आसंू का मोल समझने वाले । ]यानबाब-ू धनी-गर@ब का, मालक-मजदरू का, अफसरकमचार@ का

जात-eबरादर@ का आ=द ऐसे बहत ु कांटे आदमयत क छाती मM छे द कर रहे है । सामािजक

बराईयां तो और ह@ मानवीय रgते को तार तार कर रह@ ु है । सेवाराम- सामािजक बराईयां मानवीय संवदे ना का नाश ु कर रह@ है । आदमी-आदमी के बीच नफरत क खाई खोदती है ,िजससे अब आदमी आदमी को नह@ होता है । पद दौलत और जात क uेWठता का खले ु आम दशन होने लगा है । ये सब तो आदमयत के रgते के लये कसी घातक जहर से कम नह@ । ]यानबाबू-ठ0क कह रहे सेवाराम पर नाउQमीद होने क जLरत नह@ है । दे खो =दrल@ मM कछ लोग पZी और ु आदमी के बीच रgता जोड. रहे है । =दrल@ का पZी अ पताल दनया मM मशाल है । ु सेवाराम-बाबू ऐसी उ◌ू◌ंची सोच हो जाये तो फर ये लटखसोट ,रgवतखोर@,भदे भाव ू

सब

ख>म

हो

जाये



अमा◌ुनष और वाथq क म के लोग म/ ु ठ0 भर आग बोते रहे गे। दे खो तQ ु हारे पड.◌ोसी मकान नQबर चौदह मM रहने वाला यू एन ककरकाटव ु ू 383

पड.◌ोसयI के घर मM

ताकझाक करता फरता है ।दसरI क बीन बे=टयI को बर@ ू ु नजर से दे खता है । बर@ ु नयत से पड.◌ोसी के घर तक मM घस ु रहा था । पड.◌ोसी क इTजत बच गयी । राह चलती म=हलाओं तक को छे ड.ता है । कहते है पड.◌ोसी भगवान होता है । यू एन ककरकाटव परवार तो ु ू शैतान से कम नह@ है । ऐसे लोग रgते का खन ू ह@ करते है । ]यानबाबू-ऐसे लोग मानवता के लये कोढ क खाझ है । ऐसे लोग रgता क गरमा Pया समझेगे ? इनका साम=हक -सामािजक ब=हXकार होना चा=हये । रgते क ू आन तो रामलखन,बलदे व,अनल और ऐसे लोग होते है जो रgते को सhभावना,संवेदना का अमतपान कराते है । ृ से◌ेवाराम-ठ0क कह रहे हो बाबू ऐसे लोगो ने इंसानयत को िजदा रखा है । यू एन ककरकाटव परवार जैसे लोग ु ू तो मानवता और पड.◌ोसी के रgते के लये नासरू है । ]यानबाब-ू हां सच है । सना है तQ ु ु हारे

एक रgते पर

दै वीय पहाड.. टट ू गया है । सेवाराम-बाबराम फफाजी मर गये । बाबू रgता टटा ू ू ू नह@ है । मेरे फफाजी मरे है । दनया भर के नह@ । ू ु ]यानबाब-ू ठ0क कह रहे हो । ये रgते तो अमर है

िजस

पर परवार और समाज जीवन पाता है । सेवाराम-बाबू हमारे यहां तो फफाजी का रgता बहत ू ु सQमानत होता है । 384

]यानबाबू- फफा और मामा का रgता बहत ू ु नजद@क का और प'व\ रgता होता है । जीवन मरण तो भु के हाथ मM है । रgते का सोधापन तो सदा हवा मM समाया रहता है । अपनेपन और मानवता को जी'वत रखता है । कछ ु लोग तो बस खद ु के लये रgते जोड.ते है । मतलब नकलते ह@ =दल के टकड लोग रgते ु .◌े कर दे ते है ।कछ ु को उ◌ू◌ंचाई दे कर अमर हो जाते है । हम िजस क पजा ू करते है । वे भी तो हमारे जैसे थे । िजनके साथ आज आदमी और भगवान अथवा दे वता का रgता कायम हो गया है PयIक वे आदमयत के रgते का इतहास रचा है । सेवाराम-ठ0क कह रहे हो बाबू आदमयत का रgता तो सवuेWठ और महान है । ]यानबाबू-आदमी

को

धमवाद,जातवाद,छोटे -बडे.

के

भेद,अमीर-गर@ब क खाई को पाटकर ,आदमी के सख ु दख मM काम आकर आदमयत के रgते को अ7धक ु गाढ बनाने का बीड.◌ा उठाना चा=हये । रgते का सोधापन समय के आरपार वा=हत होता है सेवाराम । सेवाराम-आओ हम सब आदमयत के रgते को धम बनाने क कसम खाये PयIक आदमयत ह@ सबसे बडा धम और सबसे बड.◌ा कोई रशत जगत मM है तो दद का। इस

यथाशिPत नवाह करने वाले लोग सfचे

आदमी कहलाने के हकदार होते है । 385

सेवाराम क ललकार सनते ह@ ]यानबाबू स=हत अनेक ु लोग हाथ से हाथ मलाने लगे आदमयत के रgते को सोधापन दे ने के लये ।

हरा घाव आधी रात बीत चक थी पर म/ ु ु ठ0राम घर नह@ आया । अ7धकतर वह बfचI के सो जाने के बाद ह@ घर पहंु चता था । बाप के आने क इतजार कर बfचे सो चक ु े थे । आधी रात हो जाने के बाद भी म/ ु ठ0राम घर नह@ं पहंु चा । सtखया म/ ु ु ठ0राम क अंधी मां डयोढ@ पर बैठे बाट जोह रह@ थी । आने जाने क आहट से वह चौक कर पछती कौन है -बेटा म/ ू ु ठ0राम तू आ गया Pया ? तनक दे र मM फर खटखट क आवाज आयी । आवाज सनकर ु सtखया से नह@ रहा गया वह पोते से बोल@ दे ख रामू ू बेटवा तेरा बाबू आ गया Pया ? कसी के आने क आहट तो लग रह@ है । रामू-अरे आजी काहे को बार बार टIका टांक करती हो । भैस पछ ू पटक है । पढ रहा हंू Xढ लेने दो । वैसे भी Eडबर@ मM कछ सझ ू तो रहा नह@ है । आजी तम ु हो क ु बार बार टIका टांक कर रह@ हो । सtखया -मै Pया दे खू अंधी क तम ू ु कैसे पढ रहा है ।बेटा पढ तू चाहे जैसे पढ । तू पढलख जाता तो तेरे बाप का उ]दार हो जाता । तेरा बाप मिg ु कल मM हमेशा रहता है । बेचारा कर@न फटने से पहले चला जाता है । आधी रात ू 386

तक खन ू पसीना करता है बदले मM Pया मलता है ? बस दो कलो अनाज क मजदर@ ू । भगवान इतना गर@ब PयI बना =दया हम मजदरI ू को । म/ ु ठ0राम के घर आठ ाणी थे । दो बकर@ और एक अ7धया क भैस स=हत चार छः म7ग ु या भी थी । भाईयो ने पहले ह@ कनारा खींच लया बढ@ ू और अधी मां को म/ ु ठ0राम के हवाले कर ।रामू डेबर@ क रोशनी मM क ख ग जोर जोर से पढ रहा था । रामरती रोट@ और आलू का चोखा लालमच नमक तनक कड.◌ुवा तेल डालकर बनाकर रामू के पास बैठ गयी । रामू लेट पर लखे शsद =दखाते हए ु कहने लगा मां पढो दे खो सह@ लखा है ? रामरती-बेटा तू तो जानता है म- ह@ नह@ तेरा परा ू खानदान अभी तक नरZर है । काश तू पढ लख जाता । बेटा तू ह@ पढकर सनाओ ना । ु रामू-सनो ु मां क से कबत ू र ख से खरगोश तेज आवाज मM बोलकर सनाने लगा । ु रामरती- अfछा लगता है तेरे मंह बेटवा । ु से सनना ु ]यान से पढ । सtखया -रामरती म/ जागते ु ु ठ0राम नह@ आया ना । सनो ु रहो क आवाज आने लगे । गांव वाले पहरा दे ने लगे । रामरती-हां माई आ तो रह@ है । आधी रात eबत गयी पर वे अभी तक नह@ आये । 387

रामू मां और दाद@ का बात सनकर चप ु ु हो गया । अनमने मन से उठा और मंह ु धोने लगा । रामरती-बेटवा तू खा ले और सो जा । अब अपने बाप क राह ना ताक उनका तो यह@ हाल है । बंधुवा मजदरू जो ठहरे । रामू-आखI के आसंू छपाते हए ू नह@ लगी ु बोला मां भख है । बापू जब तक नह@ आते है तब तक म- पढता हंू । तू भी मां मेरे पास आकर बैठ जा ना । रामरती-हां बेटवा आती हंू । सtखया -रामू ु राम-ू हां दाद@ । सtखया -नींद नह@ लग रह@ है ? ु रामू-नह@ दाद@ । सtखया -तू अपने बाप पर गया है । अपने बाप जैसा ु मेहनती है । खब ू ]यान से पढना अपने बाप का नाम रोशन करना । तेरे दादा जब कलक>ता कमाने गये थे तब तेरा बाप म/ भी छोटा था । ु ठ0राम तमसे ु राम-ू जब दादा वापस आये तब मेरे बापू कतने बड.◌े हो गये । सtखया -तेरा बापू कतना बड.◌ा हो गया है तेरे सामने है ु । रामू-मतलब दादा नह@ लौटे ? सtखया -हां वे कलक>ता से नह@ लौटे । पख:डी लाला क ु 388

मार खाकर गये फर मंह ु नह@ =दखाये । ना जाने धरती नगल गयी या आकाश खा गया । सtखया क अंधी ु आंखI से आंसूओ धार फट ू पड.◌ी। राम-ू दाद@ के आंसू पोछते हए बोला दाद@ लाला से ु झगड.◌ा PयI हो गया था दादा से । सtखया -बेटा आजाद@ के पहले क बात है । तेरे दादा ु कलक>ता मM चटकल मM काम करते थे । साफ सथरे ु कपड.◌े पहनते थे । रं ग Lप भी काफ अfछा था । उनको दे खकर कोई कह नह@ सकता था क कोई छोट@ जात का होगा । नीम क छांव मM ख=टया oल के लेटे हए ु थे । पाH:डी लाला उनको दे खकर बोले PयI रे कोइर@ का दr भी ु हा बनकर बैठा रहे गा क मेरा भसा ू ढोयेगा । तेरे दादा कछ बोलते उसे पहले पाख:डी लाला ु गाल@ दे ने लगा गद@ गद@ । तेरे दादा बोल@ लालाजी गाल@ Pयो दे रहे हो ? इतना सनते ह@ पाख:डी लाला लाल हो गया । तेरे दादा ु पर हाथ छोड. =दया । तेरे दादा ने पाख:डी लाला का हाथ पकड. लया। बस Pया परेू गांव मM शोर मच गया क एक चमार ने पाख:डी लाला पर हाथ छोड. =दया । गांव के दबंगो ने उनका जीना मिg ु कल कर =दया । वह@ गये फर लौटकर नह@ आये । पाख:डी लाला ने

गांव के

दबंगो से सांठगांठकर खसरा खतौनी से तेरे दादा का नाम काट =दया । एकड.◌ो◌ं जमीन के मालक को 389

पाख:डी लाला उसका नाश हो भमह@न बना =दया । तेरा ू बाप दर-दर क ठIकरे खा रहा है । भमह@न बंधुआ ू मजदरू हो गया है जब से बेचारे क आंख खल@ ु । बेटा तू पढ लखक अफसर बन जाता तो तेरे बाप को चैन नसीब हो जाता ।बेटा मेर@ बात गांठ बांधकर रखना पाख:डी लाला जैसा अयाय कभी ना करना । राम-ू दाद@ ना अयाय

कLंगा और ना ह@ करने दं ग ू ा ।

दाद@- पोते क बात चल ह@ रह@ थी क इसी बीच रामरती अरे

अQमा

अब

तो

खा

लेती

रामू

के

बाबू



जायेगे।कसी काम मM उलझ गये होगे। बंधआ मजदरू का ु Pया जीवन ? सtखया - बहू तेरे दद को समझ रह@ हंू । म/ ु ु ठ0राम के कंधे से कंधा मलाकर गह ृ ती क गाड.◌ी खींच रह@ हो पर जLरते नह@ पर@ उपर ू हो रह@ है । खेतहर भमह@न ू से बंधवा मजदरू Pया उनत कर पायेग सेर भर क ु मजदर@ ू मM । रामरती बेचैन थी अदर बाह कर रह@ थी । उसे कोई आंशका घेर रह@ थी । म/ ु ठ0राम क तीZा मM सtखया क अंधी आंखI मM भी रह रह कर नींद का झIका ु आ जा रहा था । रामू भी बाप को आने मM हो रह@ दे र@ से बहत दरू तक राह ताक ु ु परे शान था । वह घर से कछ आता फर कताब उrटने पलटने लगता । ब ती मे पर@ ू तरह सनाटा पसर चका था । रह रह कर क> ु ु ते सनाटे को तोड. रहे थे

पर म/ ु ठ0राम के घर मM सभी इतजार 390

मM बैठे हए ु थे । रामू नीद मM डेबर@ के उपर 7गरते 7गरत बचा । रामरती-रामू तमको नींद आ रह@ है खाकर सो जा । ु राम-ू हा मां बाबू क इतजार तो बहत ु कर ल@ पर बाबू अभी तक तो नह@ आये । ला मां खाना दे खाकर सो जाता हंू । मां बाबू आये तो जगा दे ना नह@ तो कल भी बाबू को नह@ं दे ख पाउ◌ू◌ंगा कई =दनI से तो ऐसे ह@ हो रहा है । रामरती-रामू तू खा मै तेरे बाबू को महवा ु तक दे ख आती हंू । राम-ू ठ0क है मां । रामरती बाहर नकल@ उसे कछ दरू म/ ु ठ0राम आता हआ ु ु =दखाई =दया । वह दौड. लगाकर म/ ु ठ0राम के पास पहंु च गयी । उसका हाथ पकड.कर रोने लगी । म/ ु ठ0राम डर गया । वह =हQमत करके बोला भागवान Pयो रो रह@ हो ? Pया हो गया ? बfचे तो ठ0क है । रामरती-इतनी दे र PयI कर =दये । अंधी मां इतजार मM बैठ0 है । बfचे तQ ु हार@ इतजार मM eबना खाये बैठे बैठे सो गये । म/ ु ठ0राम- भागवान म- ठहरा बंधुवा मजदरू कोई दफतर मM तो काम करता नह@ क आने जाने का समय निgचत है । अरे इतनी रात मM भी जमीदार बोले है सबह जrद@ ु आ जाना । आजकल तुQहारा मन काम मM नह@ लग रहा 391

है । रामरती-आग लगे ऐसी हवेल@ मM जहां आदमी को आदमी नह@ समझा जाता । अरे रात eबतने को आ गयी Hे◌ात से हवेल@ तक खन ू को पसीना करते फर भी जrद@ आ जाना । कैसे नम|ह@ है ये खन वाले जमीदार लोग ू चसने ू । म/ ु ठ0राम-ये बाrट@ लो घर चलो । रामरती-बाrट@ मM Pया है ? अंधेरे मM कछ ू नह@ है । ु सझ म/ ु ठ0राम- रस है । रामरती-कैसा रस ? म/ ु ठ0राम- सार@ बाते यह@ कर लोगी क घर भी चलोगी । गड ु .. बना रहा था ना । िजस कड.◌ाह मM गड ु . बनाया हंू उसी का धोवन है । बfचे गरम गरम एक एक 7गलास पी लेगे । म/ बोल@ आ ु ठ0राम के घर मM कदम रखते ह@ सtखया ु गया बेटा तू ? म/ ु ठ0राम- आ तो गया मां । रामू आंख मसलते ह: ु डठा और लोटा मM पानी भर लाया । अपने बाबू को लोटे का पानी थमाते हए ु बोला लो बाबू हाथ पांव धो लो । बहत ु थक गये होगे । म/ ु ठ0राम-हां बेटा । मझे ु आराम तो तब मलेगा जब तू पढलखकर बड.◌ा आदमी बनेगा ।

बेटा बाrठ0 मM गरम

रस है पी लो कहते हए ख=टया पर पसर ू ु धQम से टट@ 392

गया पीड.◌ा के अन7गनत भाव लये । सtखया -मटठ0राम बेटवा तू बहत ु ु ु थक गया है ला तेरा सर दबा दे ती हंू । म/ ु ठ0राम- नह@ मां तू आराम कर । सtखया -बेटा दो रोट@ खा ले । तू आराम कर । मै तो ु =दन रात आराम करती रहती हंू । बेटा इतनी रात तक दसरI के पसीने पर अययासी करने वाला जमींदार कस ् ू काम मM लगा कर रखा था । म/ ु ठ0राम- जमींदार खाना खाकर हाथ धोने बाहर नकले । म- इतने मे खेत से हवेल@ पहंु च गया इतने मM eबजल@ आ गयी बस Pया गना काटकर रखा हआ था । ु जमींदार बोले म/ ु ठ0राम घ:टे भर का काम है गना पेर कर गड ु . बना लो फर चले जाना। अरे घर जाकर सोना ह@ तो है । ये ले :क 7चलम गांजा तलब लगे तो पी लेना । मरता Pया ना करता ? मना भी तो नह@ कर सकता था ना । गना पेरा गड ु . बनाया । गोदाम मM रखा और भागे भागे आ रहा हंू दो लोटा कडाह का धोवन लेकर । सtखया -तू कतनी तकल@फM उठा रहा है । तेर@ तकल@फ ु को जानकर मेरा =दल रो उठता है । एक तेरे बाप था ना जाने कहां गम ु हो गये । चाल@स साल हो गया । तू तकल@फM के पहाड. तले दबा कराह कराह कर हमारा बोझ ढो रहा है । बेटा कोशश कया करो घर जrछ0 आने क 393

। म/ जो ु ठ0राम-मां करता तो हंू पर जमींदार के गलाम ु ठहरे । सtखया -बेटा जा सो जा सबह काम पर जाना है । रामरती ु ु डेबर@ बझा दे तू भी से◌ा जा =दन भर खटती रहती है । ु रामरती-हां अQमा डेबर@ बझा द@ हंू सब सो गये तम ु ु भी सो जाओ। म/ ु ठ0राम का परा ू परवार नींद के आगोश मM चला गया । कछ ह@ दे र मM मगा बोलने लगा । रामरती करवट ु ु बदलती रह@ । कछ ह@ दे र मM 7चEडया चांचाव करने लगी ु । वह झटपट उठ0 रात मे म/ ु ठ0राम जो रस लाया था चr ह@ ू हे पर गरम करने के लये चढा । म/ ु ठ0राम कछ ु दे र मM उठ गया । दातन ू कया । इतने मM रामरती लोटे मे रस और एक 7गलास म/ ु ठ0राम को दे ते हए ु बोल@ लो गरम गरम पी लो । म- गोबर घरेू मM डाल आती हंू । म/ ु ठ0राम-ठ0क है कह कर वह 7गलास मंह ु को लगाया ह@ था क बड.◌े जमींदार का बदमाश चचेरा भाई ओ म=/ ु ठया

ओ म=/ सर पर ु ठया कहां मर गया । सरज ू

चढ आया । इसक सबह ह@ नह@ हई ु ु ? जमीदार क आवाज कान मM पड.ते 7चrलाया आया बाब

ह@

म/ ु ठ0राम

कह कर वह 7गलास का रस

रखकर दौड. लगा =दया । रामरती फंट@ आंख दे खती रह गयी । तकल@फI के भंवर मM डू बे उतरयाते म/ ु ठ0राम 394

गह ु नरZर रामू ृ ती क गाड.◌ी खींच रहा था । खद क ◌े पढाई के त बहत ु सजगत था । जबक जमीदार के काकाuी ने कई बार कहा म/ ु ठ0 PयI रामू को Xढाने क 7चता तमको लगी है । अरे हर पढने वाले को ु सरकार@ नौकर@ थोड.◌े ह@ मल जाता है । तू कहां तक पढा पायेगा । ाइमर@ पास करवा ले बहत ु है । आगे क पढाई के लये पैसा लगेगा तू कहां से लायेगा । अरे अपने साथ उसे मेरे खेत के काम मM लगा ले । वह भी जी खा लेगा तेरे जैसे । म/ ु ठ0राम-बाबजी ू

मेरा

सपना

ना

उजड.◌ो◌ं

कहकर

7गड7गड.◌ाने लगता । म/ ु ठ0राम के पसीने के सोधेपन क खgु बू परेू गांव मM फेलने लगी । रामू पढने मM तेज तो था ह@ पांचवी क पर@Zा अ`वल दजb से पास हो गया ।इस खशी के मौके ु पर म/ ।सtखया क ु ठ0राम ने पंचI का हाथ भी धलवाया ु ु खशी का =ठकाना न था । इस खशी को दना करने के ु ु ू लये वह रामू क sयाह क िजद पर अड. गयी । अपनी िजद पर@ ू करवाकर खदा ु के पास चल@ गयी । रामू लाख अभावI के बाद भी पढाई मM आगे रहा । अपने हौशले के बदौलत गांव से चौदह कोस दरू कालेज क दर@ ू रोज राज साइकल से नापकर

2ेजएट क पढाई पर@ ु ू कर लया

सामािजक और आ7थक मसीबतI हरा घाव लये । ु रामू के बी ए क पर@Zा पास होने क खबर ने पर@ ू 395

मजदरू ब ती मM नया उिजयारा ला =दया । म/ ु ठ0राम का हौशला अ7धक बढ गया वह रामू को और आगे तक पढाने क िजद करने लगा पर रामू घर परवार क दयनीय दशा को दे खकर शहर जाकर दो पैसा कमाना बेह>तर समझा । वह सेर भर आटा और कछ दाना ु भT ु ै◌ाना लेकर शहर क ओर चल पड.◌ा । बढे ू गांव क तरह नये शहर मM भी उसे पग-पग पर जात

भेद क

क म/ रहती । हौशले का धनी ु ठ0 भर आग झलसाती ु रामू

म/ ु ठ0 भर आग पग-पग पर eबछ0 होने के बाद भी

पढाई जार@ रखा और उ◌ू◌ंची उ◌ू◌ंची Eड72यां हासल कर लया एक मामल@ सी कलक क नौकर@ करते हए ू ु । कQपनी मM भी उसे जातभेद का अजगर फफकारता रहता ू था । अततः रामू क भ'वWय जातभेद का अजगर नगल ह@ गया । रामू को बड.◌े अफसर के Lप मM दे खने का सपना सजोये मां रामरती भी दनया छोड. चल@ । ु pढ तo सQभावनावाद@ राम,ू Lढ@वाद@ `यव था के अभशाप से मP ु त पाने क अभलाषा मM रामू 7गर-7गर कर भी बढ रहा था धीरे धीरे =दल मM हरा घाव लये ।

बहते आंसू डबते को तनके का सहारा,डाPटर धरती का भगवान और ू अनेक कहावते परतु जब ये भगवान कहे जाने वाले लोग चद सPकI के लये 'वgवास खि:डत कर दे ते है तो शैतान लगने लगते है । 396

धमराज-Pया कह रहे हो भइया गर@ब लाल ? गर@बलाल-ठ0क कह रहा हंू । डांPटर िजसे भगवान कहते हम नह@ थकते उसी के हाथI मM प>नी लाचार कराहकराह कर िजदगी बसर कर रह@ है । धमराज-शहर के डांPटर भी ऐसा करने लगे । अभी तक तो गांव के नाम हक म खतरे जान थे । अब मोट@ मोट@ रकम लेकर इलाज करने वाले शहर के डाPटर भी । भइया तम ु ऐसे डाPटर के चंगल ु मM फंस कैसे गये । गर@बलाल-प>नी के पेट मM भयावह दद होने लगा । डां खींचामल वी को =दखाया । इलाज कई =दनI तक चला पर न कन छटा न भसी ू ू ।दद बढता गया । धमराज- दसरे डाPटर को =दखाना था सभी एक सर@खे ू तो होते नह@ । गर@बलाल-कभी डा ◌ं डां खींचामल वी जrद@ ठ0क होने का आgवासन दे ते । कभी डां मैडम दोनI ने मलकर मत मार द@ । प>नी का अंध'वgवास बढ गया । धमराज-सचमच ु मत मार द@ । अरे शहर मM एक से बढकर एक डांPटर है । गर@बलाल-काम eबगड. जाने पर सभी हं सते ह- । वह@ मेरे साथ भी हआ । दख ु मM अपने भी पराये लगने लगे । ु धमराज- भइया मेर@ तो पलके गील@ हो रह@ है भाभी क कराह सनकर । ु गर@बलाल-भइया ये दद तो जीवन भर का हो गया है । 397

गर@बI के लये तो मसीबत मौत के बरोबर होती है । ु अमीर तो सQभल जाते है ।हम जैसे गर@ब तो कज के दलदल मM फंस जाते है ।ऐसे समय मM कछ अमानष ु ु क म के लोग घाव खरच दे ते है ताक आंखI मM आसंू ु और =दल पर दद क द तक बनी रहे । धमराज-गर@ब क चमड.◌ी हर जगह उधेड.◌ी जाती है चाहे अ पताल हो, uम क म:डी हो या दसर@ अय कोई ू जगह । गर@बलाल-ऐसा ह@ कया हमारे साथ डा खींचामल वी ।दद बढने लगता तो दद नवारक गोल@ दे दे ता कछ आराम ु हो जाता । मह@नो इलाज के बाद भी रोग बढता चला गया । डांPटर को भगवान मानने वाले हम लोग डांPटर क धोखाधड.◌ी को नह@ समझ पाये । धमराज-Pया ? गर@बलाल- हां धोखधड.◌ी । धमराज- मतलब जीवन मM म/ ु ठ0 भर आग ? गर@बलाल-मह@ने भर के इलाज के बाद डां खींचामल वी बोले आपरे शन करना होगा PयIक 'प>त क थैल@ मM प>थर@ है । धमराज-प>थर@ का पता पहले नह@ लगा था डांPटर खींचामल वी को । गर@बलाल-PयI नह@ चला होगा । पैसा ऐठने का तर@का था ये तो

। 398

धमराज- इसके बाद मM Pया हआ ? ु गर@बलाल-डा खीचांमल और उनक

डांPटर

प>नी

भी

प>थर@ का भय =दखाकर डराने लगे । एक =दन डां मैडम मेर@ प>नी से बोल@ शक ु तला आपरे शन जrद@ करवा लो । तम ु प>थर@ क बीमर@ को छोट@ मोट@ बीमार@ समझ रह@ हो । जान लेवा बीमार@ है । िजस =दन सांस क नल@ मM फंस गयी तो {हमा भी नह@ बचा पायेगे । मझे ु दे खते ह@ शक ु .या के पापा मझे ु ु तला रोने लगी बोल@ गEड बचा लो । म- मरना नह@ चाहती नहे नहे बfचI को छोड.कर। म- मर गयी तो तम ु बfचI को कैसे सQभाल पाओगे । दफतर जाओगे क बfचI का पालन पोषण करोगे ? म- कछ समझ ह@ नह@ पा रहा था क माजरा ु Pया है । बडी. मिg ु कल से शक ु तला को शात करवाया । तब जाकर डाPटर और डाPटरानी क एक एक बात बतायी । म- भी सनकर घबरा गया । आपरे शन करवाना ु बेहतर समझा रोज रोज के दद से । धमराज- प>थर@ का आपरे शन तो कोई जोtखम भरा आपरे शन नह@ है । गर@बलाल-बात तो ठ0क कह रहे हो पर डां खीचामल वी ने बहत ु ठ0 ु बड.◌ा बना =दया । अब तो क मत मM म/ भर आग भर =दया है डा खीचामल वी ने शक ु तला क प>थर@ का तीन बार आपरे शन अं2ेजी के अZर वी लखकर । इस दद क आग ने मेरे जीवन का सकन ू 399

छन ल@ है भइया धमराज । धमराज- हे भगवान गर@बो क रZा करना इन हाड.मांस के `यापारयो से । गर@बलाल-भइया धमराज मेरे मां बाप ने पेट मM भख ू और आंखI मM सपने बसाकर कस तरह मझे पढाया ु लखाया सोचकर आज भी आखM भर जाती है । लाख मिg ु कलM झेलकर एक नह@ सी नौकर@ मल@ । इस नह@ सी नौकर@ से मां बाप बड.◌ी उQमीदM परा ू करने का सपने सजो रखा था पर डा ◌ं खीचामल ने डंस लया । िजदगी तबाह हो गयी धमराज । अरमान चरू-चरू हो गये । शक का पहाड. ु .◌े कर दखो ु ु ता क आंत के टकड 7गरा =दया हमारे उपर

डाPटर खींचामल वी ने दौलत के

मोह मM । धमराज- Pया ? गर@बलाल-हां धमराज प>थर@ के आपरे शन क जगह आंत के टकड ु .◌े कर =दया डाPटर खींचामल वी ने । कसी को भनक तक नह@ पड.ने द@ । धमराज- पता कैसे चला क भाभी क आंत कटक गयी है । गर@बलाल- दद कम नह@ हो रहा था तो दसरे डाPटर को ू =दखाया । डाPटर ने सोनोगारफ तर ् ु त करवनो क सलाह द@ । रप|ट दे खकर डांPटर बोले आंत का भी आपरे शन हआ है Pया ? तब जाकर तकल@फ क वजह ु 400

का पता लगा । मेर@ तो जान ह@ नकल गयी थी। डां खींचामल वी ने 'वgवास को तार तार कर

छाती पर

जीवन भर के लये दद का बोझ रख =दया । धमराज-खीचामल डांPटर है या बकरकसाई ? भोलेभाले लोगI का जीवन नरक बना =दया । डांPटर तो भगवान का तLप होता है ।अfछ0 भल@ िजदगी मM म/ ु ठ0 भर आग भरने वाला ये खींचामल तो शैतान लगता है । गर@बलाल-हां धमराज शक ु तला को कहां कहां नह@ लेकर भागा । तीन नहे नहे बfचे और अपा=हज हो चक ु शक ु उठाकर कर पाया । ु तला क दे खरे ख मै कतना दख सोचता हंू तो आखI मM आसंू भर जाते है इतने बरसI के बाद भी । घर परवार के लोग भी अपजस मढने से तनक नह@ चक ु े PयIक उनको मनआडर नह@ कर पाता था । सब तो सब मेरे बाप तक ने कह =दया क गर@बलाल बीबी बfचI को 'पकनक पर ले जा रहा है मां बाप फटे कपड.◌े पहनने को मजबरू है । एक नह@ सी भतीजी को एक पैकेट eब कुट तक दे ने भर को नह@ं हआ ु । बीबी के सामने हमार@ कहां 7गनती करे गा । अब तो वह@ सगी है । उसके पड.◌ोस से काम साद आया । काम साद ने तो यहां तक कह =दया मेरे बाप से क दादा गर@बलाल तQ ु हारे हाथ से नकल गया । काम साद और उसक घर वाल@ ने हमारे मसीबत के वPत मM खब ु ू आग मM घी डाला। उसके झठ ू को लोग सच समझकर 401

हमसे दर@ ू भी बना लये पर बाद मM खब ू पछताये भी । मेरे बाप ने चौराहे पर खडे. होकर गालयां तक द@ । कतने अपने लोग भी वाथq है । जब तक उनक Hवा=हशM पर@ ू करते रहे अfछे हो अगर कसी तकल@फ मM तनक कोतहाई कये तो बहत ु बरेू हो । धमराज तकल@फ के समय मM अपनो ने भी साथ नह@ =दया । धमराज-अपनI का बेगानापन घाव

को और अ7धक

खरचने वाल@ बात हई ु ु । आंसू न बहाओ सब समय का खेल है । समय अपनI को पराया बना दे ता है । दख ु सख ु तो धप ू -छांव है । दख ु उपर वाला दे ता है तो सहने क शिPत भी वह@ दे ता है । दो त याद रह जाती है लोगI क करनी चाहे अपना हो या बेगाना । दै वीय मसीबत तो कभी ना कभी हर आदमी पर आती है पर ु तQ का िजQमेदार तो कसाई डां खीचामल है ु हार@ मसीबत ु जो फल ू जैसी शक ु तला भाभी के पेट पर वी लख =दया छर@ ु से काटकर । गर@बलाल- हां भइया डां खींचामल क =दया दद तो िजदगी भर ख>म नह@ होने वाला है और ना ह@ बहते आंसू थमने वाले है । कसाई मसीबतI से खेलने वाल@ ु शक ु तला को अपा=हजI जैसी िजदगी दे कर हमM कंगाल बना =दया । अपनी गलती पर परदा डालने के लये आपरे शन पर आपरे शन करता चला गया । हम कह@ 402

शक डाPटर के पास चले जाये या ू ु तला को लेकर दसरे दसरे डांPटर को बलाकर जांच करवाये पहरा लगा =दया । ू ु बाहर आना जाने पर रोक लगवा =दया ।पैसा पैसा लेकर अ पताल से बाहर नकलने =दया । य=द न नकल पाते तो वह शक ु तला के अंग को भी बेच सकता था । धमराज- आपरे शन के बाद भी दद नह@ कम हआ । ु गर@बलाल-नह@ं और बढता चला गया । डां खींचामल तो आपरे शन सफ पैसा लेने के लये कर रहा था धोखे मM रखकर ताक पैसा बना सके । धमराज-छोटा से प>थर@ का आपरे शन इतना भयानक Lप धारण कर लया । गर@बलाल-डां खीचामल ने भयावह बना =दया । आपरे शन तो छोटा ह@ था पर आपरे शन मM खींचामल ने आंत काटकर जानलेवा बना =दया । धमराज-स>यानाश हो डांPटर खीचामल का । हे भगवान तेरा बदा इतना आदमी क जान लेने तक का धंधा करने लगा है । वाथ क म/ ु ठ0 भर आग ने तो डां खीचामल जैसे इंसानI को तो

है वान बना =दया है ।

गर@बलाल- भइया धमराज बहत उठाया हंू । नहे ु ु मसीबत नहे बfचे रोट@ तक को तरस गये थे । कछ ु तो ऐसे थे जो कहने को अपने थे वा तव मM वे ऐसे नाग थे क उनके काटने पर बेमौत मरा कई बार धमराज । धमराज- Pया कह रहे हो ? 403

गर@बलाल-ठ0क

कह

रहा

ह◌ू ू ◌ं । काम साद उसक घरवाल@ के राखी के भाई-भौजाई भी कम न थे कई बार रसते जHम =दये है इन लोगI ने धमराज । काम साद क घरवाल@ के राखी के भाई कंसनारायन तो दफतर मM साथ काम करते थे पर वे बड.◌े पदा7धकार@ थे अपने अभमान को बढावा दे ने के लये बड.◌े◌ं और अपने सजातीय अ7धकारयI से शकायत भी कये नौकर@ पर आ पड.◌ी थी पर भगवान ने बचा लया । धमराज मअपनी मसीबतI और दफतर के उ>पीड.न से इतना घबरा ु गया था क मन करता था क रजाइन कर दं ू । धमराज घरवाल@ क दयनीय दशा और बfचI क चीख राह रोक दे ते । दै वीय दख बड.◌े ु के साथ दफतर के कछ ु अ7धकार@ पल -पल तड.पाया । तQ ु हारे सामने हंू यह कसी दै वीय चम>कार से कम नह@ है । मह@नI रात रात जागकर eबताया हंू =दन मM दफतर मM काम तो करना ह@ पड.ता था वह भी दे र रात तक ।ओवर टाइम कछ ु Lतबेदार और साहब के इद 7गद घमने वाले लरे ग लेते ू थे । छ=ट/ यो का इसीडेटल Pलेम यह@ Lतबेदार लोग ु लेते थे काम मै करता था ।धमराज कोई ऐसा मझे ु नह@ =दखाई पड.ता है िजसने मझे ु आसंू नह@ =दया हो । कभी कभी कछ दफतर के लोग मीठ0 बाते तो कर लेते थे पर ु पीछे जहर घोल दे ते थे । भगवान के भरोसे नौकर@ मM =टका रहा अभी तक =टका हंू । हां भ'वWय जLर चौपट 404

हो गया । बस बfचI मM ह@ उनके साथ अपना भ'वWय दे खता हंू । दे खो भगवान मेर@ तप या कब सफल करता है । धमराज-बाप रे ऐसी दद नाक दा तान गर@बलाल-हां धमराज शक ु तला तीन मह@ने अ पताल मM थी । म- अकेला छोटे छोटे बfचे । खाना बनाता उनको tखलाता फर साथ लेकर अ पताल जाता । बfचI को शक ु तला के पास छोड.कर दफतर जाता । दे र से दफतर से अ पता आता बfचे◌ा◌ं को लेता फर घर आता फर वह@ चr ू ह चौका,अ पताल । मेरा छोटा बेटा जो रं जन रात मM मेरे गले मM हाथ डालकर सोता था ताक म- उसे सोता

छोड.कर

अ पताल



चला

जाउ◌ू◌ं



ऐसी

म◌ु ु सीबत मM बाप ने सड.क पर खडे होकर गालयां =दया नालायक मेहरबस तक कहा । कस-कस क बातI पर मलाल करता । भगवान भरोसे िजदगी क राह पर चलता रहा । जब मन दखी होता तो भगवान को साZी ु मान कर दो आंसंू बहा लेता फर अपने काम मM लग जाता । इतने बडM जहां मM मझे ु कोई फरgता नह@ मला । मसीबत के पलI मM कोई दै वीय शिPत मरेM साथ जLर ु थी िजसक वजह से हर मसीबत पार करता रहा और ु तQ ु हारे सामने हंू । हां uम क म:डी मM कोई तरPक नह@ कर पाया योvय होने के बाद भी ।काश कोई दै वीय चम>कार हो जाता मेर@ शक घाव बहते ु ु तला के दखते 405

आंसू सदा के लये थम जाते । बेचार@ बहत ु पायी है ु दख eबrकुल व थ हो जाती । धमराज-भगवान तQ ु हार@ मदद जLर करे गा । बहत ु कWट उठाये हो भगवान तQ का ु हार@ खाल@ झोल@ मे सखI ु अQबार भर दे गा ।तQ मेरा =दल दहल ु हार@ दख ु सनकर ु गया । भगवान पर यक न रखो तQ ु हारे भी =दन अfछे आयेगे। तQ ु हार@ िजदगी तबाह तो

डां खीचामल ने

कया है । गर@बलाल-मसीबत मM कसी ने काम नह@ =दया चाहे ु दफतर के लोग रहे या कोई और दफतर के पसनल मने - जर एस एस चोरावत ने हर तरह से परे शान तो कया ह@ साथ हमारे tखलाफ जांच के आदे श भी नकाल थे । खैर भगवान ने रZा क । डांPटर खींचामल तो जैसे कसम ह@ खा लया था क शक ु तला को जी'वत अपने अ पताल से बाहर नह@ जाने दे गा । बड.◌ी मिg ु कल से अ पताल से नकल पाया था । सारा गहना गरया ु बचकर =दrल@ लेकर भागा तब जाकर जान बची । M भगवान क कपा से अब तो शक ु तला चलने फरने लगी ृ है । कछ माह पहले तो उठना बैठना भार@ था । इतना ु दद होता था क जैसे जान नकल जायेगी ।अंतEड.◌ायां बाह आ जायेगी । खैर उपर वाले ने बचा लया । डां खीमल क गलती ने मेर@ सार@ कमाई चट कर गयी और कजदार भी बना द@ । मेरे सपने उजड. गये । 406

भ'वWय बबाद हो गया । जीवन के साथ दखते घाव बहते ु आसू का दद जड ु . गया।

दद क म/ ु ठ0 आग से तो उबर

नह@ सकंू गा पर बfचI के भाvय से शक ु तला क जान बच गयी । इतना से ह@ स{ करना है । यह@ हमारे जीवन क सबसे बड.◌ी खशी ु है धमराज । धमराज-रोग असा]य हो गया है ? गर@बलाल-हां । शक ु तला क कराह अभी भी तो कान के परदे पर न तर क तरह चोट कर रह@ है । धमराज-एक प>थर@ के मामल@ से आपरे शन क जगह ू डांPटर खीचामल ने तीन तीन आपरे शन करने का अपराध कर भाभी के जीवन को नरक बना =दया कोट PयI नह@ गये । कोट से तो याय क उQमीद थी । गर@बलाल-गया था सब कछ कया आंख मM आसंू लेकर ु पर आंसूओं क कदर कह@ नह@ हई ु । अखबारI ने भी डांPटर खींचामल क करतत ू को खूब उछाला पर समरथ नह@ दोष गोसाˆ वाल@ कहावत चरताथ हई ु । धमराज- Pया ? गर@बलाल-सब eबक गये । धमराज-Pया ? याय के मं=दर मM अयाय । डा खीचामल वी के हाथI शक ु .◌े कर पेट ु तला भाभी के आतI के टकड को बोरे सर@खे वी आकार मM सलने और िजदगी भर के लये =दये दखते घाव बहते आंसू के बदले कोट ने ु डां खीचामल को पारतो'षक =दया ताक वह और गर@बI 407

क िजद7गयI से खेलता रहे । गर@बलाल-हां । डेढ दो साल दौड.◌ाने के बाद केस Eडसमस कर गया कोट }ारा धमराज। कजb का भार छाती पर और बढ गया । धमराज-बाप रे अपराधी का कद बढा =दया गया । गर@बI का याय कैसे और कहां से मलेगा । आज के जमाने मM गर@बI को याय भी नह@ मलता और अपराधी को संरZण जLर मलता है । हे भगवान गर@ब कहा फरयाद करM । गर@बलाल-अब तो भगवान का ह@ भरोसा है । इस बेरहम दनया मM तकद@र का लखा मानकर दखते घाव बहते ु ु आंसू के तले जीवन बसर करना है धमराज ।

तघात ख>तद ू ादा को उनके काका ने अलग कर =दया शहर क नौकर@ से रटायर होकर गांव आते ह@ । ख>तद ू ादा के पास कोई आढत भी नह@ थी जो खेतीबार@ थी सब काका म>तू के नाम cा फर हो गयी थी । दो चार बीसा जो ख>तद ू ादा के =ह से आयी थी उससे साल भर के लये रोट@ क भी गंुजाईश नह@ थी ।ख>तद ू ादा का परवार भी बड.◌ा था चार बेटे एक बेट@ छः मह@ना के अतर वाले । सभी खाने वाले कमाने लायक

कोई नह@ ।ख>तद ू ादा

7चता क 7चता मM सलग रहे थे । इसी बीच परवा का ु ु झIका खबर लेकर आया क Zीर बाबू क 'वधवा 408

नरमावती दे वी अपनी खेती अ7धया पर दे ना चाहती है ।यह खबर ख>तद ू ादा को सकन ू द@ और वे Zीर बाबू क क हवेल@ क ओर दौड. पड.◌े । ख>तद ू ादा क हवेल@ क चहरद@वार@ मM द तक होते ह@ नरमावती दे वी के जेठ 'वदरु बाबू आगे आये और बोले PयI रे ख>तुआ खबर लग लगी । तQ ु हारे जैसे और भी कई चील क तरह मडरा रहे है ।समझ लेना हमारे खानदान क बात है । ख>तद ू ादा-हां बाबू हम भी चले आये । हमारे पास तो जमीन है नह@ क बfचI का पेट पा लंूगा ।

बाबू आप

तो जानते ह@ है सब काका ने छन लया ।बfचI को भखI मरने क नौबत आ गयी है । Zीर बाबू क जमीन ू अ7धया/बटाई पर मल जायेगी तो मेरे भी बfचे पल जायेगे । नरमावतीदे वी को दे खकर 'वदरबाब ु ू बोले मालकन सामने है बात कर लो । नरमावती- ख>तू दालान म आ जाओ ख>त-ू मालकन आया । 'वदरु बाबू-जा ख>तुआ जा मालकन बला रह@ है दालान ु मM । ख>तू- हां बाबू मालकन बला तो रह@ है पर आपक ु दयाpिWट बने तब ना । 'वदरु बाबू-अरे जा मालकन क नजर तम ु पर पड.नी 409

चा=हये बस ख>त-ू बाबू आप भी दया pिWट बनाये रखे तब ना गर@ब का पेट परदा चल पायेगा वरना काका ने तो कह@ं का नह@ छोड.◌ा है । 'वदरु बाबू- तू तो नरमावतीदे वी क बात अभी सन ु । मेर@ बाद मM सन ु लेना । ख>त-ू बड.◌ी कपा होगी आपक कहकर दालान क ओर ृ बढा । नरमावती-कछ ु दरू से ह@ बैठने का आदे श द@ । ख>तू बैठते हए ु बोला- मालकन बडी उQमीद लेकर आया हंू । नरमावती-ख>तू खेती तो अ7धया पर करवानी है चाहे तम ु करो या कोई दसरा । म- तो हल जोतने से रह@ । पत ू के जीते जी 'वधवा हो गयी हो । पत साधु हो गये घर परवार के लोग 'वधवा कहकर संबो7धत करने लगे । मझे ु भी लगता है म- सचमच ु क 'वधवा हो गयी हो । दो बे=टयI का बोझ है बस वह उतर जाये तो म- भी दनया से LHसत लंू । ु ख>तू- मालकन मन छोटा ना करो ।अभी तो िजदगी बहत ु बाक है । अभी से हार मान रह@ हो । जमीन जायदाद,धन दौलत को टIटा भी नह@ है । आपके सारे फज परेू हो जायेगे । Zीरबाबू साहे ब को साधु नह@ होना था इस उj मM आपको छोड.कर । 410

नरमावतीदे वी- =हQमत तो नह@ हार@ हंू य=द =हQमत हार गयी होता तो इस हवेल@ और जमीन जायदाद से कब क बदखल हो गयी होती । पत के साथ eबताये लQहो क याद मM जीवन eबता दं ग ू ी पर हवेल@ और जमीन जायदाद से बेदखल@ बदाgत नह@ कLंगी । बे=टयI को उनके पैर पर खड.◌ा करके ह@ मLंगी । =हQमत हार गयी होती तो ख>तू आज तम ु मेर@ अ7धया पर खेती करने नह@ आते । मालक कोई और ह@ होता । ख>त-ू सब ओर हड.पने क होड. मची हई ु है मेरे काका न मेरे साथ तो यह@ कया है ।जब तक शहर मM थे तब तक तो जमीन जायदाद का मालक मै था उनके परेू परवार क खान खच मै दे खता था रटायर होकर आते ह@ लात मारकर बेदखल कर =दये ।कहते है तQ ु हारा Pया है सब हमारा है शहर मM पानी पी-पी कर कमाया हंू अपने बfचI के लये क तQ ु हारे लये । नरमावतीदे वी- छोटा हो चाहे बड.◌ा =ह सेदार तनक होशयार है तो हक पर भी कsजा जमा लेने मM संकोच नह@ कर रहे है । बडी मिg ु कल से म- अभी तक तो काeबज हंू आगे न जाने Pया होगा ? लोग मौके क तलाश मM रहते है मौका पाते ह@ आंख मM धल ू झIक दे ते है ख>तू । ख>तू -मालकन आपका इशारा म- समझ गया । मेर@ नयत कभी नह@ खोट@ होगी । 411

नरमावती-'वgवास

कभी

ना

तोड.ना



घर-परवार

=ह सेदार, भाई-भतीजे सभी तोड.◌े है पर तम ु ना तोड.ना ख>तू ख>त-ू 'वgवास रखो मालकन । मेरे भी बाल बfचे है । म- बददआ कभी नह@ लंग ु ू ा । बस मेरे बfचI को पलने बढने का आसरा दे दो । मेहनत मजदर@ ू करके आपक कपा से बfचI का पाल लंू । दबंग जैसे हम गर@ब नह@ ृ कर सकते मालकन क साल दो साल अ7धया पर लेकर चोर@ छपे दसरे क अपने नाम लखा ले । ऐसा तो ू बड.◌े दबंग और पहंु च वाले कर सकते ह- । हम जैसे गर@ब तो सबह शाम क रोट@ क 7चता मM मर खप ु जाते है । मालकन अपने =दल से भय नकाल दो । आपक जमीन आपक ह@ रहे गी । म- तो बस अ7धया पर खेती कLंगा ईमानदार@ के साथ । जो खेत मM उपजेगा आपके सामने आधा -आधा बट जायेगा । बंटने के बाद सबसे पहले आपके =ह से का अनाज आपक गोदाम मM जायेगा बाद मM मेर@ झोपड.◌ी मM । जमीन पर आपका अ7धकार रहे गा । मै कभी भी अपनी नयत खोट@ नह@ कLंगा । मालकन चाहो तो पंचनामा बनवा लो । मझे ु कोई एतराज नह@ है । जहां कहे गी अंगूठा लगा दं ग ू ा । ख>तू क ईमानदार@ साफ -साफ झलक रह@ थी उसके चेहरे

से उसके तन पर लपटे

फटे

कपड.◌े से ।

नरमावतीदे वी ने अपनी जमीन ख>तू को अ7धया पर दे 412

द@ ।ख>तू मेहनत से खेत जोतने बोने लगा । ख>तू क मेहनत से अपरQपार अनाज होने लगा उसी जमीन पर िजस जमीन पर नरमावतीदे वी को साल भर खाने का इतजाम नह@ हो पाता था । खेत से जो गrला उपजता ख>तू नरमावती दे वी के सामने दो भाग करता और पपहले नरमावती दे वी क हवेल@ खद ु और बfचI के सर पर लादकर पहंु चवाता । इसके बाद अपना =ह सा ले जाता । ख>तू क मेहनत से नरमावती दे वी के गोदाम मM अनाज भरा रहने लगा । इसी जमीन प/ट@दार के लोग करवा रहे थे तो खाद पानी का पैसा भी लेते थे और अनाज भी नह@ मलता था खद पानी क क मत के बराबर । ख>तू दादा अपनी कसम पर अटल रहे । ख>तू दादा का बडा बेटा बारहवी पास कर परदे स चला गया । दसरे नQबर वाला छठवी के बाद कूल जाना छोड =दया ू तीसरा आठवी पास करके आगे नह@ पढा चौथा भी कूल जाना शL ु कर =दया। सबसे बड.◌ी बेट@ भी अपना घर परवार सQभाल ल@ । नरमावती दे वी क दोनो बे=टया शहर जाकर पढने लगी । नरमावतीदे वी क हवेल@ मM जैसे लiमी बसने लगी। नरमावती दे वी का हर छोटा बड.◌ा काम ख>तद ु ादा और उनका परवार कर दे ता । ख>तद ू ादा के दरवाजे पर एक जोड.◌ी बैल बंध गये म>तक - को दे खकर कढते ू ाका ख>>ू दादा के बैल ,भस ू रहते । मौके बेमौके ख>तद ू ादा से लडा.ई करने भी नह@ 413

चकते थे । म>तू दादा के मन मM खोट थी वे रोते पीटते ू रहते । उrटे ख>तद ू ादा और उनका परवार अपनी कमाई मM खश पर चमक ु था उधर नरमावतीदे वी क रोनी सरत ू आ गयी थी । वे ख>तू पर आंख मंद ू कर 'वgवास करने लगी थी। ख>तद ू ादा सम'पत भाव से अ7धया क खेती करने लगे ।खेत खाल@ होते दस बीघा खेत एक जोड.◌ी हल से जोत डालते । खद परवार सर पर ु के घरेू क खाद परा ू लादकर खेत मM डालता । िजस जमीन मे ठ0क से घास भी नह@ उगती थी उस जमीन मM हर फसल ख>तद ू ादा पैदा करने लगे ।धान,चना,मटर,गना,आलू और भी ढे र सार@ फसले । मइ◌्रर ् क जानलेवा गरमी मM भी ख>तू दादा खेत मM लगे रहते । मई मM गेहू क फसल काटकर, मडाई करने के तर मे लग जाते ु त बाद खेत क जताई ु । बडे. बड.◌े जमीदारI तक के कान खड.◌े होने लगे ख>तद ू ादा को दे खकर ।ख>तद ू ादा धान क नसर@ डालने के लये अलग तरह से खेत तैयार करते

। इPक स जन ू

के पहले धान क नसर@ डाल दे ते । पdह बीस =दन मM उनके धान क नसर@ रोपने लायक हो जाती थी बडे. बड.◌े का तकार उनक नकल करते पर ख>तद ू ादा जैसी खेती नह@ कर पाते ।पहल@ बरसातत के बाद रोपाई शL ु कर दे ते । ख>तद ू ादा रासायनक खादI का योग कम करते और गोबर क खाद का अ7धक 414

। गना बोवाई के

=दन बड.◌ा उखभोज और धान रोपाई के पहले =दन वनगƒडी/ भोज बडा ह@ करते । ख>तद ू ादा का परवा और नरमावतीदे वी भी सखी रहने लगी । ू कछ साल बाद जमीदारI के शोषण के tखलाफ eबगल ु ु बजा =दया जब रो◌ाई शL ु ह@ हई ु थी और बरसात भी बहत ु तेज हो गयी थी । छोटे बड.◌े सभी का तकारI क रोपाई का काम एक साथ शL ु हो गया था ।ख>तूदादा के खेत मM भी नसर@ तैयार थी वह भी रोपाई के काम मM जट गांवI से के मजदरI ु गया था । जमीदार लोग दसरे ू ू को दस गना अ7धक मजदर@ ु ू दे कर रोपाइ◌्र करवाने को तैयार थे पर गांव के शो'षत मजदरI भर ू को चटक ु अ7धक दे ने को तैयार न थे PयIक वे अपने गांव के मजदरI ू को अपनी जा समझते थे । वे चाहते थे क ये मजदरू पेट पर प/ट@ बांधकर उनके खेतो मM काम करे । इधर मजदरो ू ने भी कमर कस लये । जr ु म के tखलाफ मंह ु तोड जबाब दे ने क =हQमत गांव के मजदरो ू मेभी आने लगी थी । वे मजदर@ ू बढवाने के मh ु दे पर अटल थे और जमीदार लोग न बढाने क िजद पर । वे मजदरो ू मM आई kाित को कचल दे ना चाहते थे । वे मजदरो ू से ू कहते तQ इतनी मजदर@ ु हारे परखे ु ू पर काम करते आये है तम का आ>माओ ु लोग Pयो नह@ करोगे । अपने परखI ु चैन छनोगे । अनेक तरह से zमत करने पर जमीदार लोग जटेु हए ु थे ।

ख>तू तो खद ु मजदरू था अपनी 415

रोपाई के कामो मM परवार के साथ लगा हआ था । ु जमीदारI क कागpिWट ख>तू पर पड.◌ं गयी । दबंग जमीदार लोग आपस मM रायमश'वरा कर ख>तू क रोपाई बद करवा =दये । बेचारे ख>तू

और उसके पेट जमीदारI

म/ ु ठ0 भर भर आग का हार करना शL ु कर =दया । खद ु के खेत eबहार@ मजदरI ू और

दरू के गांवI के

मजदरI को लाकर धड.ले से रोपवाने लगे◌े अ7धक ू मजदर@ दे कर ।ब ती के मजदरू मजदर@ बढाने क ू ू अनरोध करते रहे पर गांव के जमींदारI ने अपनी पंचायत ु बलाकर मजदर@ ु ू न बढाने का और मजदरI ू के दमन का ताव पारत करवा लया । जमीदारI का ताव पारत हो◌ेते ह@ ब ती के मजदरI ू का घर से नकलना क=ठन होगा । ट/ट@ पेशाब के लये ब ती के मजदरI ू के लये कोई जगह न थी । जो थी भी गांव समाज क जमीन थी सब पर जमीदारI को कsजा था । ब ती से कछ दरू ु सड.क के कनारे क जगह

थी । सड.के कनारे बैठना

उ7चत तो था नह@ पर मजबर@ ू मM ब ती के लोग जाये कहां यह@ तो सहारा था । सड.क तक जाना

भी जोtखम

भरा काम था । दबंगो का भय नर'पशाच क तरह पीछा कर रहा था । मजदरI ू के सामने फांके क ि थत नमत हो गयी थी पर वे भी आपस मM रायमश'वरा कर हड.ताल जार@ रखने का ऐलान कर =दया । शोषण,उ>पीड.न से मिP ु त का 416

शायद सह@ कदम यह@ था ब ती के मजदरI ू के लये । चारI ओर रोपाई का काम

जोरI पर चल रहा था । बाहर

के मजदरू भी रं ग बदलने लगे । बाहर के मजदरI ू के बदलते तेवर को दे खकर गांव के जीमदारI ने जफrम तेज कर =दया ताक ब ती के मजदरू हार मानकर पेट ममM भख ू लये जमींदारI के खेत मM अपना खन ू पसीना कर बहाते रहे । ब ती के मजदरू बाबू साहब लोगI के जr ु म के आगे झक ु े नह@ । मजदरI ू को हार न मानता हआ दे खकर जमीदारI ने मजदरI ू मM फट ू डालना शL ु कर ु =दया पर वे सफल नह@ हए ु । अब जमीदारI क नजर ख>तद ू ादा के उपर आ =टक । वह भी तो ब ती का ह@ मजदरू था नरमावाती दे वी क खेती अ7धया पर कर रहा था । नरमावतीदे वी तो जमीदारन ह@ थी अब Pया ख>तद ू ादा क रोपाई बद करवा द@ मिg ु कल से दस बीसा रोप पाये थे ख>तद ू ादा ।नरमवातीदे वी को भी जमीदारI क यह करतत ू रास नह@ आ रह@ थी । वह भी घायल सांप क तरह फफकराने तो लगी पर कामयाब नह@ हो ू सक । जमीदार लोग ख>तद ू ादा को ह7थयार बनाकर हड.ताल ख>म करवाने पर उताL हो गये वह भी eबना मजदर@ जमीदारI क रोपाई का काम तो ू बढाये । कछ ु शL था आठ गना अ7धक मजदर@ दे कर पर कछ ु ु ू ु हड.ताल ख>म होने का इंतजार कर रहे थे िजनक नसर@ दे र से पड.◌ी थी। छल बल,द:ड-भेद सब न ु खे अपना 417

लेने के बाद भी हड.ताल नह@ ख>म हो रह@ थी । जमींदारI }ारा पग-पग पर eबछाई जा रह@ म/ ु ठ0 भर भर आग ब ती के मजदरI ू को नह@ Eडगा पा रह@ थी । जमीदारI ने पैतरा बदला और जमीदार 'वदरु बाबसाहब ू स=हत दो चार और जमीदार लोग साम=हक Lप से अपनी ू अपनी भसे - नरमावतीदे वी के खेत मM ख>तद ू ादा }ारा डाल@ गयी

धान



नसर@

चरने

को

ख>>ू◌ादादा ट◌ू ू टकर परवार स=हत

छोड. =दये

ताक

जमीदारI का और

अपना भी थे◌ाड.-थोड.◌ा रोपना शL ु कर दे । इससे जमीदार लोग एक तीर से दो शकार कर ले । हड.ताल भी ख>म हो जाये और मजदर@ ू भी न बढे । इस बार भी जमीदार मंह ु के बल 7गरे । हड.ताल जार@ रह@ । जमीदार भी कहां हार मानने वाले ख>तद ू ादा }ारा नरमावतीदे वी के बीघा भर गने के खेत से जमीदार लोग साम=हक Lप ू से गना काट-काटकर

अपने अपने जानवरI को चारे के

Lप मM tखलाने लगे । ख>तद ू ादा अयाय के tखलाफ कमर कसकर नरमावतीदे वी के जेठ 'वदरसाहब जो मेड. ु पर खड.◌े होकर गना चारे के लये कटवा रहे थे । गना काटने वाले के हाथ से हसया छन लया और =हQमत करके बोला बाबसाहब अब एक भी गना कटा ू तो पेट फाड. दं ग ू ा । ख>तद बोलेू ादा क =हQQत को दे खकर 'वदरसाहब ु ख>तुआ न तो तेरा गना बचेगा और नह@ दसर@ फसलM ू 418

खैर अभी तो म- जा रहा हंू । बाद मM तमको दे ख लंग ु ू ा दे खता हंू तू कतने जमींदारI का पेट फाड.ता है । ख>तद ू ादा-Pया ? 'वदरबाबसाहब - हां ख>तआ । ु ू ु इतने मM और दबंग जमीदार जट ु गये । कोई गना तो काई धान क नसर@ तो कोई रोपे दस बीसा धान को तहस नहस करने मM जट ु गया । ख>तूदादा के =दल पर जमीदारI के जr क होश खो ु म का ऐसा तघात हआ ु बैठे। ब ती के मजदरI ू और ख>>ूदादा पर ढाहे गये जr ु म से उपजी आकारे ् श क पीड.◌ा से बचने के लये जमींदारI ने मजदर@ ू बढाने क आपस मM रायमश'वरा करने लगे । ख>तद ू ादा के तघात के दद का एहसास

जमीदारI के

=दल =दमाग और कान पर हथौड.◌े जैसे चोट करने लगे । बाहर के मजदरI ू ने भी हाथ खड.◌े कर =दये । वह@ जमींदार जो मजदरI ू का घर से बाहर नकलना दभरकये ू हए ू बढाने पर राजी हो गये। मजदर@ ू भी ु थे वह@ मजदर@ बढ@ और हड.ताल भी ख>म हो गयी लेकन ख>तद ू ादा तघात से नह@ उबर पाये । जमींदारI के मंुह पर कालख पोतकर

हमेशा के

तघात का दद लये हए। ु

419

लये सो गये =दल पर

पराना जHम ु माधव बेटे नहोर@लाल को बी ए तक पढाने मM अपने जीवन के बसत हवन कर =दया था। माधव जानता था क बेटा बी ए पास कर जायेग तो वह अफसर बन जायेगा और उसका खोया हआ बसत वापस आयेगा ु दोगनी खशी लेकर ।जीवन का सां]य तो सख ु ु ु मM eबत जायेगा । वह दोनो पत-प>नी रात =दन बेटे क कशलता ु के लये दआ करते रहते । जीवन चलाने के लये न ु बीसा भर खेता था ना ह@ दसरा कोई सहारा बस खेत ू मालकI के खेत मM खन ू पसीना करना यह@ तकद@र बन गयी थी भारतीय `यव था मM । नहोर@लाल भी पढाई के साथ मेहनत मजदर@ ू कर लेता था । मां बाप के कामे◌ा◌ं मM भरपरू मदद करता । खेतीबार@ के गरु भी नहोर@लाल सीख गया था । जमीदार क हलवाह@ के बाप को दस बीसा उसरनमा खेत जोतने बोने का भार उसके ह@ उपर ु था । माधव को तो खेतमालक के कामI से ह@ नह@ फस ु त मल पाती थी । =दन भर क मजदर@ ू सफ दो कलो अनाज मल पाता था । माधव के छोटे बडे सभी बfचे भी मजदर@ कर लेते थे । िजससे रोट@ का ू इतजाम तो हो ह@ जाता था पर बाक सब तो भाvय भरोसे था । नहोर@लाल परदे स तो चला गया । नहोर@लाल के परदे स 420

क राह पकड.ते ह@ उसक मां का रो रोकर बरा ु हाल हो गया । उसने सXताह भर तक तो खाना छोड. द@ थी । उधर शहर मM नहोर@लाल को कोई सहारा दे ने वाला न था । सगे लोग मंह ु फेर लेते थे

उससको दे खते ह@ । कई

बार तो उसे फांके तक करने पड.◌े । गील@ जमीन पर रात गजारना पड.◌ा । नहोर@लाल अपनी ततकद@र ु बदलने के लये प>थर तोड.ने तक को तैयार था पर काम मले तब ना । नौकर@ को दरू जाता दे Hकार वह सsजी म:डी मM सेब क टोकर@ तक ढोया । कछ ह@ ु =दनI मM इस काम से भी उसे हाथ धोना पडा । कछ ु =दनI तक इधर उधर पागलI क भांत घमने के बाद ू आल'पन बनाने क फैकटर@ मM तेजाब से आल'पन धोने का काम मल गया । मरता Pया ना करता नहोर@लाल नौकर@ पर लग गया । इस काम मM वह कई बार जला और उसका हाथ तो को=ढयI जैसे हो गये थे । इतनी ददु शा सहकर भी वह काम करता रहा अपने मां बाप और घर परवार क दयनीय दशा दे खकर ।बरेु वPत मM कोई हौशला तक बढाने वाला नह@ था । खानदाने के तो कछ लोगI ने तो ताने तक मारे क अरे नहोर@लाल ु बी ए तक पढकर आया है शहर मM अफसर बनने ।ऐसे दखद समय मM हौशला =दया तो उसके सगे बहनोई ु र>नराज ने जो खद ु एक फैPटर@ मM हे rपर क नौकर@ कर रहे थे जो खद ु आ7थक तंगी से बर@ ु तरह जझ ू रहे थे । 421

बरेु वPत से बर@ हए ु तरह झलसते ु ु भी नहोर@लाल ने खल@ आंखो से सपने दे खना नह@ छोड.◌ा । दभा ु ु vय था क घड.◌ी भर के लये उसका साथ नह@ छोड. रहा था । नहोर@लाल के खन ू के रgतेदार उसक उपि थत को बोझ मानने लगे थे । क◌ु ु छ तो बड.◌े ओहदे दार थे । नहोर@लाल भी लाख कWट उठाया पर कसी के सामने हाथ नह@ फेलाया । तेजाब क

फैPटर@ से मल@ L

425 00 क तनखाह से सबसे पहले वह खराक और ु झvु गी का कराया L 250 00दे ता । बाप को L 100 00 का मनआडर करता बचे 75 Lपये मM से पfचीस Lपये खद ु के खच के लये रखता और शेष पfचास Lपये क मासक फ स पर टाइप सीखने लगा । नहोर@लाल कभी सोचा भी न था क शहर मM खन ू के और सगे रgतेदार इतने कठोर हो जाते है । अपने को पराया समझने लगते है । खैर नहोर@लाल अपनो को अपना मानता रहा और अपने उसलो से समझौता नह@ ू कया। जातीय अयोvयता उसे नौकर@ से दरू ढकेलती जा रह@ थी ऐसे मिg ु कलI क आंधी मM भी अपनो का सहारा तक

नह@

मला



दभा ु vय

को

तकद@र

मानकर

नहोर@लाल खद ु क क मत लखने का pढ नgचय कर लया और अपने मक द मM सफल भी हो गया एक कQपनी मM अ थायी बाबगीर@ क ू

नौकर@ मल गयी ।

नहोर@लाल भगवान का चम>कार मानकर नौकर@◌े करने 422

लगा । दभा ु vयस भेदभाव क ेतछाया ने यहां भी लतयाना शL ु कर =दया । एक अ7धकार@ ने तो नौकर@ से नकालने तक क सफारस कर =दया । कहते है न खदा ु

मेहरवान

तो

गदहा

पहलवान



भगवान

ने

नहोर@लाल क नौकर@ बचा ल@ । वPत ने नहोर@लाल के =दल के जHम भरने शL ु कर =दये । उसे हजार मM तनHवाह मलने लगी ।मां बाप के सपने परेू होने का अवसर उसे

यहां =दखाई दे ने लगा परतु मानवीय

भेदभाव क Tवाला रह रहकर भभक ह@ जाती । साथ मM काम करने वाले भी आग मM घी डालने का काम करते मंह ु पर तो मीठा बोलते पर पीछे षण\ रचते रहते PयIक इस जातीय अयोvय नहोर@लाल क उपि थत लोगI को खटकती थी । नहोर@लाल को 'वा क दे वी ने खले ु हाथो कई उ◌ूची उ◌ू◌ंची Eड72यां तक बHश द@ थी । यह@ नहोर@लाल क योvयता कQपनी मM =टकाये हए ु थी । इसी योvयता के भरोसे नहोर@लाल क नौकर@ पPक तो हो गयी थी परतु जातवाद का खले ु आम समथन करने वाले◌ा◌ं से नौकर@ जाने का डर तो बरोबर बना हआ था । उधर नहोर@लाल के मां बाप को ह@ नह@ ु परेू गांव को यक न था क नहोर@लाल बडा.◌ा साहब जLर बनेगा । दभा ु vय ने यहां भी छल कया नहोर@लाल को नौकर@ तो मल@ पर ऐसी सं था मM जहां योvयता का कोई मोल न था । यहां अयोvयता का बोलबाला था । 423

छोट@ eबरादर@ का कमचार@ कतना ह@ PयI ना पढा लखा हो । उसक तरPक के रा ते बद थे । हां बस इतना था क बेरोजगार@ का दं श नह@ झेलना था बस । बाक शोषण उ>पीड.न वैसा ह@ था जैसा रयासत काल मे सQभवतः होता था । इस सब हालातI से बेखबर नहोर@लाल के मां बाप उQमीद पर कायम थे । नहोर@लाल को यह बात बहत ु खलती थी क उससे कम योvयताधार@ धड.◌ाधड. उ◌ू◌ंचे पदो पर पहंु च रहे थे पर नहोर@लाल को लतयाया जा रहा था अछत ू समझकर । नहोर@लाल को ऐसा लगने लगा क उसक तकद@र यहां कैद हो गयी है । उसक तरPक के सारे रा तI को रोकने के लये कदम कदम पर कागI ने जैसे पहरा बैठा =दया

हो । अजगरI के बीच

नौकर@ कब तक बची

रहे गी यह तो उपर वाला ह@ जाने । खैर उपर वाले ने आदमी }ारा खड.◌े कये गये सभी `यवधानI से उबार लया था पर बाद मM Pया होगा कछ भी नह@ कहा जा ु सकता था जंगल राज क तरह । कQपनी के कछ अ7धकार@ तो सािजश रचते रहते थे ु वं7चत उ>पीEड.त नहोर@ लाल के tखलाफ इसी बीच टे ट मM बड.◌े साहब ए पी साहब नये आ गये । नहोर@लाल को लगा क उसक सम याओं का कछ तो नराकरण हो ु जायेगा । नये साहब फलासफर ह@ नह@ पी एच डी होrडर भी थे । 424

एक =दन अचानक मायवर ए पी साहब {ांच आफस के दौरे पर आ गये । बार@ बार@ से सभी कमचारयI से बात कये

सबसे आtखर@ मM नहोर@लाल को साहब के सामने

हािजर होने का अवसर मला। ए पी साहब-Pया नाम है तेरा ? नहोर@लाल सर ए पी साहब-नहोर@लाल कोटे मे आते◌े◌े हो Pया ? {ांच मैनेजर-कQपनी मM भी आरZण लागू हो गया है Pया सर ? ए पी साहब -नह@ हआ है तो हो जायेगा ।नेताओं को वोट ु चा=हये क नह@ ? खैर छोड.◌ो । नहोर@ लाल Pया काम करते हो नहोर@लाल के पैर के नीचे क धरती =हल गयी जैसे। वह सQभलते हए ु बोला टाइ'पंग का काम,Eड पैच एवं डाक र@स'वंग का काम आफस के खचb का काम स=हत और भी बहत ु सारे काम कर लेता हंू । ए पी साहब-दो लेटर टाइप करने के बदले तQ ु हे इतनी तनHवाह मलती है ? ए पी साहब-मझसे Pया चाहते हो ? ु नहोर@ला- सर योvयतानसार पद मM बदलाव । ु ए पी साहब-वह तो म- नह@ करवा सकता । बडM पद क Hवा=हश है तो तQ ु हारे साहब से कह कर तHती बनवा दे ता हंू ,तम ु गले मM डाले रहना । अपनी जात वालो को 425

दे खा है । आज भी भखे ू नंगे =दन भर पसीना बहाते रहते है ।पता है कतनी मजदर@ नौकर@ ू मलती है ? तमको ु मल गयी तो अब बड.◌ा अफसर बनने का सपना दे ख रहे हो ।

अरे इतनी बडी कQपनी मM तमको नौकर@ मल ु

गयी है Pया कसी बड.◌ा ततरPक से कम है ? नहोर@लाल-सर मझसे कम शैZtणक योvयता वालI के ु पद मM बदलाव हए ु है । वे अ7धकार@ बन गये है । मेरे साथ के आये लोग बड.◌े अ7धकार@ हो गये है । म- जहां का तहां ह@ पड.◌ा हंू । ए पी साहब-जो बडे. अ7धकार@ हो गये है उनक तकद@र मM लखा था । तQ ु हार@ तकद@र मे नह@ लखा ह- तो नह@ बन सकते कतनी भी Eड2ी हासल कर लो । नहोर@लाल- सर तकद@र मM जो आदमी कर रहा है वह तो कतई नह@ भगवान ने लखा होगा । यहां तो लोग कमजोर क तकद@र पर क: ु डल@ मार कर बैठे हए ु है । ए पी साहब-Pया कह रहे हो । वकालत क पढाई भी तमने कर ल@ है Pया ? ु नहोर@लाल-येस

सर

ए:ड

अदस

मोर

लाइक

मैनेजमे:ट,सोशलवक ए पी साहब-वो आई सी यू आर हाइल@ Pवाल@फाईड सफरर

टे ट मM कस कस से शकायत है ।

नहोर@लाल- `यिPतगत ् तौर पर से तो कसी से नह@ पर 426

ए पी साहब- पर मीस नहोर@लाल-पZपात करने वाले लोगो से जात के नाम पर द>ु कार करने वाले लोगI से अ7धकार से वं7चत रखने वाले लोगI से सपने को बेमौत मारने वाले लोगI से । ए पी साहब-इसके अलावा और भी कछ शकायत है Pया ु ? नहोर@लाल-मेरा कोई काम समय पर नह@ होता । चाहे मेरे कूटर का लोन रहा हो,एल ट@ सी का भगतान रहा ु हो

चाहे मेर@ घरवाल@ के जीवन-मौत का संघष रहा हो,

रात रात तक काम के बदले ओवरटाइम के भगतान पर ु रोक रह@ हो । पसीना बहाने के बदले आंसू मले है मझे ु । मझे ु याय क दरकार है । ए पी साहब-Pया ? नहोर@लाल- जी सर ए पी साहब-कौन कौन से तQ ु हारे पेि:डग काम है । तम ु लोग बड.◌े लोगो क बराबर@ भी तो करते हो । अपनी औकात मM तो रहते नह@ । खैर टे ट आफस पहंु चकर तहक कात करवाता हंू Pया सfचाई है और कछ कहना है ु Pया ? नहोर@लाल-शैZtणक योvयता के अनसार पद ु ए पी साहब-मतलब

अब

तम ु

अपने

काम

को

छोटा

समझने लगे हो । दे खो म नहोर@लाल िजस पद पर तम ु काम कर रहे हो और िजस काम के बदले मM तमको ु 427

इतनी तनHवाह मलती है उससे कम मM तमसे Tयादा ु योvय कम तनHवाह मM करने को तैयार है । तमको पता ु है दे श मे कतनी बेरोजगगार@ है । तम ु मेहनत मजदर@ ू करने वाले छोटे लोगो क Hवा=हशे इतनी बढ जायेगी तो उ◌ूचे लोगो के

भ'वWय का Pया होगा ? तम ु चाहो तो

नौकर@ छोड. दो तQ ु हारे साथ अयाय हो रहा है तो । टे ट अ7धकार@ तो तम ु इस कQपनी मM बन नह@ सकते । नहोर@लाल-शैZtणक योvयता का कोई मोल नह@ कQपनी मM जातीय योvयता के आगे । ए पी साहब-मैनेजमे:ट चाहे तो चपरासी को

मोट कर

अ7धकार@ बना दे और चाहे तो तQ ु हारे जैसे के मोशन के सारे रा ते बद कर दे । नौकर@ करना है तो करो नेतागीर@ मत करो । तQ ु हार@ नेतागीर@ मैनेजमे:ट बदाgत नह@ कर पायेगा । नहोर@लाल-भ'वWय के सपने दे खना नेतागीर@ है ।आप बताईये

आपके

अधीन थ

काम

करने

वालेकौन

से

अ7धकार@ मM मझसे अ7धक शैZtणक योvयता है क मु लतयाया जा रहा हंू । ए पी साहब-कोई नकोई कमी तो जLर है । नहोर@लाल-जातीय योvयता यह@ ना

हमारे लये तो

यह योvयता रसते जHम पर तेजाब डालने जैसी हो गयी है । ए पी साहब-दे खो अब म- तमसे बहस नह@ करना चाहता । ु 428

आई अ:डर टै :ड यू आर हाइल@Pवाल@फाईड । यू मM गो नाउ

टे ट आफसर और नहोर@लाल क बाते अधखले ु दरवाजे से दफतर के लोगो के कानI को सकन ू दे रह@ थी । कछ ु तो यहां तक कहते सने ु गये क साहब नहोर@लाल को वैसे ह@ तोड. रहे है जैसे मगq को eबrल@ । नहोर@लाल ु साहब के कZ से जहर का घट ू

पीकर बाहर नकलते ह@

ए पी साहब {ांच आफसर को कठोर बने रहने का आदे श दे ते हए ु Pया कह रहा था नहोरया । अरे ु बोले सने तQ ह7थयाने क सोच रहा है ।खैर उसक ु हार@ कसq ु तकद@र मM कहां । इस कQपनी मM तो तकद@र शीष पर बैठे उ◌ूचे लोगो }ारा लखी जाती है । इस नहोर@ को तो इस कQपनी मM होना ह@ नह@ था । कैसे आ गया ?सभी अफसरI ने इसके साथ खब ू सHती बरती है मझे ु पता है । केशावत साहब ने भी इसे खन ू के आंसू =दये है । आज भी केशावत क 7ग]द pिWट नहोर@ पर =टक है । नौकर@ इसक भले ह@ बची रहे पर अ7धकार@ तो नह@ बन पायेगा । इस बात को तो म- दावे के साथ कह सकता हंू । {ांचहे ड-Pया सर लेकर बैठ गये । छोटे लोग है । स>ता कसके हाथ मे है हम सामतवा=दयI के हाथ मे ना । ये लोग ढटपटाते रहे 'पजड.◌े के शेर क तरह । Pया eबगाड. लेगे ? इसके साथ कछ ु तो अfछा होना चा=हये ? 429

ए पी साहब-होगा । जहां है वह@ सडेगा । यह@ इस नहोर@ के लये ठ0क होगा । अरे पढ लख गया है तो Pया हमार@ बराबर@ करे गा । कचला जायेगा । नहोर@ जैसे ु लोगो को आसू दे कर क अfछा काम कराया जा सकता है । इसी मM हमारा फायदा है और हमोर साjाTय का भ'वWय भी । हो सकते तो कभी कभी मीठा बोल दो पर जहर म7uत । दफतर के कछ लोगो के लये तो आज ु का =दन जgन सर@खे हो गया था । ए पी साहब और {ांचहे ड के बीच हो रह@ बातM नहोर@ के कानो मM जैसे 'पघला शीशा डाल रह@ थी और पराने जHम ु

मM धधकता

हआ कोयला । उससे रहा नह@ गया कमान से छटे ु तीर ु क तरह कमरे के अदर चला गया और बोला-साहब कब तक झठे ू अभमान के बल पर शो'षतI वं7चतI का दमन करोगे ? कब तक पराने घाव को ताजा करने के लये ु धधकता कोयला डालते रहोगे ? अरे वं7चतI के हाथ मे◌े भी शZा का ह7थयार आ गया है । Lढ@वाद@ ह7थयार भोथरे

'वoान का यग ु है

हो गये है । भेदभाव क

अमानीय `यव था ने दे श और समाज को eबखि:डत कया

है



दे खना

साहब

इस

दे श

मM

मानवीय

समानता,सhभावना और राWc@य एकता का साjाTय होकर रहे गा । हम कानन के अ7धकार का ू और सचना ू सहारा लेगे । हर जr ु म के tखलाफ संघष करे गे । ए पी साहब tखसया कर कZ से बाहर नकले और सफेद 430

कार मे◌े बैठ गये । ~ाइवर ने कार को गत दे द@ । कार तफान क तरह दौड. पडी धल छोड.ते हए ू ू और धआं ु ु ।

मलिजम ु गोपी बहन को 'वदा कर नौकर@ क तलाश मM शहर को कच ू कर गया । बहन क 'वदाई और गोपी के शहर चले जाने के बाद छोटा भाई दो छोट@ बहने और बढे ू मां बाप गांव मM रह गये । मां बाप गोपी को आंख से ओझल तो नह@ होना दे ना चाहते थे पर गर@बी जो चाहे करवा ले। गोपी के जाते ह@ मां बाप भाई बहनI का रो-रोकर बरा ु हाल हो गया । मां जयवती बाप दखीदादा आंसू पोछते ु हए बेटवा को अfछ0 नौकर@ मलने क भगवान से ु ाथना करते रहते ताक गर@बी का तफान थम जाये ू हमेशा के लये । मां जयवती का तो रो रोकर

चेहरा

ह@ नह@ परा ू शर@र जैसे सज ू गया । जयवती क बरा ु हाल दे खकर दखीदादा बोले-गोपी क मां अपना चेहरा ु ऐनक मM दे खी है Pया ? जयवती-बढौती मM स=ठया गये हो । जब दे खने लायक ु थी तब तो =दखाये नह@ । बढौती मM ऐनक =दखा रहे हो ु । दखीदादा -म- नह@ तू स=ठया गयी है ।रो रोकर तेरा चेहरा ु सज गया है । कब तक दाना पानी छोड.कर आंसू ू बहायेगी ? म- जानता हंू बेटवा घर परवार क तरPक के 431

लये परदे स गया है । उसक कमाई से ढह रहा घर संवरे गा । हम बढे ू ◌ा◌ं के तन पर अfछे अfछे कपड.◌े होगे । छोटा बेटा भी आगे क पढाई पर@ ू कर लेगा । बे=टयI का sयाह गौना रज-गज से होगा । अपनी दयनीय दशा का बfचI पर परछाई नह@ पडे.गी । भगवान से बेटवा के कशलता क कामना करो । रोना-धोना अब ु बद करो । नह@ं तो म- भी रो पडंू गा । जयवती-Pया कLं मां का =दल है ना । मानता ह@ नह@ है । दखीदादा -ये नहका एक लोटा पानी ला बेटवा । ु छोटा बेटा नहका लोटा भर लाया । मां के सामने रखकर बोला मां भईया eबना तो सचमच ु घर काटने को दौड.◌ा रहा है पर मां खशी ु भी हो रह@ है । जयवती- PयI ? नहका-दे खो लrलु,कrलू,भ/ठाबाबू को जब ये लोग शहर कमाने नह@ गये थे कैसे थे । सड.◌ी लंग ू ी लपेटे रहते थे

फट@ बनयाइन और

अब दे खो कतने अfछे

कपड.◌े◌ं पहनते है । जब शहर से आते है तो पर@ ू ब ती के लोग मलने जाते है । शहर से मनआडर भी तो डाकया इनके घर लेकर आता है । मेरा भइया भी अfछे -अfछे कपड.◌े पहनेगा और हम लोगI को भेजेगा ।हमोर घर भी मनआडर आयेगा । चदफल कPका क ू दे खो वे तो रPशा चलाते है कतने ठाटबाट से रहते है । 432

मां सब कहते है शहर मM सगे लोग भी पराये हो जाते है । शहर के लोग फरे बी भी बहत ु होते है । भगवान मेरे भइया क रZा करना । दखीदादा - नहका ये सब बात तमको कैसे मालम ु ु ू ? नहका- लrल,ु कrलू,भ/ठाबाबू और चदफल कPका ये ू लोग आते है तो बाते नह@ करते Pया ? अपना लखनवा कसी फरे ब मM नह@ फंस गया था Pया ? मां भगवान से भइया क रZा क ाथना हम सभी करते रहे गे । सखीकाका -दखी तQ होशयार हो ु ु ु हारा नहका तो बहत ु गया है । कैसी बढI ू जैसी बात करता है । दखीदादा - कूल जाता है काका । ु भोल-ु अरे गोपी भइया का ह@ तो छोटा भाई है नहका । डाकया-अरे वो दखीदादा घर पर तो हो । ु दखीदादा -अरे गोपी क मां दे खो डाक बाबू आ गये बेटवा ु क 7च/ठ0 लेकर । जयवती -कहा है

7च/ठ0 ?

डाकया- ये लो जयवती- म- Pया कLंगी पढ भी दो बाबू दखीदादा -पढ दो ना बाबू । बेटवा क पहल@ 7च/ठ0 ु परदे स से आयी है । डाकया ने प\ पढना शL ु कर =दया । गोपी मां बा,भाई बहनI ह@ नह@ पर@ ू ब ती के बडो को चरण पश छोटो को आशqवाद लखा था । ब ती के एक - एक बजग ु ु का 433

नाम लखकर पालगी / चरण पश लखा था ।ब ती का हर छोटा बड.◌ा गोपी को दआये दे रहा था । गोपी क ु मां तो 7च/ठ0 सनकर तर ु ु त Eडहबाबा को चल चढाने नकल पड.◌ी । शहर मM गे◌ापी को दर-दर क ठोकर@ खानी पड.◌ी । फटपाथ ू

पर eबकने वाले पराने कपड.◌े 25-25 Lपये मे ु

खर@द कर पहना । गोपी मां बाप को बराबर 7च/ठ0 लखता रहा । काफ धPके खाने के बाद काम भी मल गया । गोपी ने पत के साथ मनआडर भी करना शL ु कर =दया । इसी बीच शहर मM लखLद@न से जान-पहचान हो गयी । दोनो साथ रहने लगे । खाना ढाबे मM खा लेते और कमरे मM सो जाते । लखLद@न गंवार कत के साथ ृ उ2 वभाव का था अनपढ तो था ह@ । काम दफतर क गाडी चलाने का करता था । लखLद@न अPसर बाहर जाया करता था । एक =दन वह जाने से पहले बोला गोपी कrलन से बचकर रहना । गोपी-PयI ? लखLद@न- पढा लखा है इसका मतलब तो नह@ क सब तू ह@ जानता है । वह vवालयर टे शन के आसपास के सभी बदमाशो◌े से

जान पहचान है । रे लवे टे शन के

सामने होटल है होटल के सामने पलस चौक । सभी ु पलस वाले फोकट मM खाते है । उससे तू पंगा मत लेना ु । नह@ तो जेल तक क हवा खानी पड. सकती है । 434

हमारा Pया हम तो ठहरे सड.क पर चलने वाले हर तरह के लोग मलते है । गोपी- तू मेर@ खशी मM म/ ु ु ठ0 भर आग Pयो डाल रहा है । PयI डरा रहा है । मेर@ उससे तो कोई दgु मनी नह@ है । लखLद@न-मझसे तो हो गयी है । तू सावधान रहना बस ु मने - आज उसक औकात बता द@ है । गोपी-झगड.◌ा करके आया है । लखLद@न- बस हो गयी । तू बचकर रहना । गोपी ढाबे पर रात को खाना खाने पहंु चा । इतने मे कrलन सामने खड.◌ा हो गया और रौब मM बोला PयI लखLद@न तQ ु हारा साथी है । गोपी- PयI Pया हआ ? ु कrलन-लखLद@न बदमाश है । साथी भी शायद वैसा ह@ हो । गोपी-सांप चदन को लपेटे रहते है । इसका मतलब तो ये नह@ क चदन 'वषैला हो गया । चदन तो पजा के ू काम आता है । कrलन-लखLद@न बदमाश और घ=टया कत का है । ृ शायद तम ु भी गोपी-कrलन तम खद को ु ु

थानेदार और दसरे ू

का

मलिजम PयI समझ रहे हो भाई ? ु इतने मM ढाबा मालको यादो साहब आ गये और बोले 435

गोपी बाबू ये ससुरा कrलनवा कम हरामी नह@ है । म‚का पाते ह@ सर धड. से अलग करने क कबत रखता ू है । गोपी-यादो साहब ये सब हमM Pयो बता रहे है । आपको तो कrलन को समझाना चा=हये । आप तो उrटे मझे ु ह@ धमका रहे है । यादोसाहब- नह@ं बाबू धमका नह@ सह@ कह रहे है । कrलनवा है बहुत बदमाश । तQ ु हारा लखLवा ससरा ु तो और हरामी है । कrलन से लड. गया । गोपी-मेर@ तो आपसे या कrलन से तो कोई लड.◌ाई नह@ हई ु तो हमM Pयो बल का बकरा बना रहे है । यादोसाहब-कतना मह@ना इस शहर मM आये हआ है ु तमको गोपी बाबू ु गोपी-आठ मह@ना तो हो ह@ गया है । लखLवा को समझा दे ना वरना नवे मह@ने मM और कछ बरा ु हो सकता ु है । अब खाना खाओ और जाकर सो जाओ । हफते भर बाद लखLवा तो आ ह@ जायेगा । गोपी-आ जायेगा । नौकर@ तो इसी शहर क है । भले ह@ दौरे पर आना जाना बना रहे । यादो साहब ढाबा मालक-खाना खाओ रात Tयादा हो गयी है । कल भी तो आओगे । गोपी-खाना खाये eबना कैसे काम चलेगा ? यादो साहब-मेरे ह@ होटल मM खाना होगा । नह@ तो 436

गोपी-नह@ तो Pया ? यादो साहब । यादो-सामने दे खो वो जवान जो टकटक लगाये इधर दे ख रहे है ना सभी इसी होटल क रोट@ पर पलते है । गोपी-पलस चौक के जवानI क बात कर रहे है ? ु यादो- हां और Pया उन भीखारयI क जो सखी रोट@ के ू लये 7गड.7गडा रहे है । दसरे =दन नयत समय पर गोपी दोपहर मM यादो ू भोजनालय पहंु चा । उसे दे खकर होटल मालक यादो साहब नम कार कये और बैठने का आ2ह कये । गोपी यादो साहब के समाने बैठ गया तब यादो साहब बोले गोपी बाबू माफ करना कल कछ Tयादा बोल गया था । ु इसके बाद कrलन को बलाये और बोले कrलन गोपी ु बाबू से माफ मांग ले । तQ ु हारा 'ववाद तो लखLद@न से हआ है गोपी बाबू से नह@ ना । ु कrलन- हां । यादोसाहब-गोपी बाबू जाओ खाना खाओ । कrलन-चल भाई गोपी खाना खा और जा । मालक यह@ कह रहे है ना । मंुह Pयो ताक रहे हो । गोपी-कल से म- बाहर जा रहा हंू मेरे बाक पैसे वापस कर दो । कrलन-मालक सनो गोपी पैसा मांग रहा है । कह रहा ु है कल से दबई जा रहा है । ु यादो-कैसा पैसा ? वापस आकर खाना खा लेना बस । 437

इतनी सहलय त कम है । ू इतने मM कrलन आया आगे धPका =दया फर खींच लया फर धPका =दया और पीछे खींच लया । इस खींचा खांची मM गापी का वेटर फट गया । इसके लये फर यादो साहब ने माफ मांग ल@ । गोपी वापस कमरे पर आ गया । संयोगबस लखLद@न भी उसी =दन रात मM दे र से वापस आ गया ।गोपी सार@ आप बीती बताया और इस सब का िजQमेदार लखLद@न को ठहराया । लखLद@न बोला चल रात ढे र हो गयी है । कल दोपहर मM खाना भी खायेगे होटल मालक यादो से बात भी कर लेगे । तू 7चता ना कर । अब सो जा उस कrलन ससरु से कल नपट लंग ू ा । दसरे =दन दोपहर मM यादो होटल पर खाना खाने ू

गोपी

और लखLद@न साथ गये । लखLद@न कसq पर बैठते ह@ ु कrलन को बलाया और बोला PयI कrलन गोपी से Pयो ु भीड. गया तू मेर@ कहासनी तमसे हई ु ु ु । पढे -लखे इंसान को तू धPका =दया और सइटर भी फाड. =दया । ु कrलन -साले तेर@ मजाल तू मझे ु धमका रहा है । पानी का जग उठाकर लखLद@न के सर पर दे मारा ।इतने मM होटल मM हडकम मच गयी । इतने मM पलस आ धमक ु लखLद@न को पड.◌ाव थाने ले जाकर 305,307 और भी कई धाराये लगाकर बद कर =दया। । गोपी जीप के पीछे पीछे दौड.ने लगा । इतने मM गोपी को बलाने के ु 438

लये होटल मा◌ालक ने एक बैरे को दौड.◌ाया और खद ु भी आवाज दे ने लगा गोपी भइया कह-कहकर । गोपी लौट जीप के पीछे पीछे कहां तक दौड.ता ।होटल मालक यादो ने गोपी को दमाद क तरह eबठाया खाना लगवाया । दो त के साथ हई ु चोट के एहसास से गोपी के गले से रोट@ नह@ उतर@ । इतने मM तनक जाना से आदमी सामने से गजरा तो गोपी ने उसे आवाज द@ वह Lक ु गया । उसक लना ू पर बैठकर गोपी पड.◌ाव थाने पहंु चा । गोपी को दे खकर कrलन 7चrलाया दे खो दरोगाजी दसरा ग: ने गोपी पर ू ु डा भी आ गया । पड.◌ाव पलस ु eबrल@ क तरह झपटा मारा और जेल मM ठस =दया ू ।गोपी लखLद@न के साथ अदर हो गया । कोई खोज खबर लेना वाला नह@ ।नरपराध गोपी क आंखो से तरतर आंसू बह रहे थे । गोपी को रोता दे खकर लखLद@न बोला-PयI बे तू Pयो आ गया भाग जाना था ना ? गोपी-भागकर कहां जाता । दो ती खातर आ गया । मैने तो यह सोचा ह@ नह@ क म- भी अदर हो जाउ◌ू◌ंगा । लखLद@न-बाहर रहता तो मझे ु तो छड ु .वा लेता । अब तो गावड.◌े तू भी अदर हो गया । अब तो तू भी मलिजम ु हो गया ना ?इतने मM एक बदमाश बोला आना ह@ था तो मडर करके आता । मै तो साले के पेट मM तलवार आरपार करके आया हंू । इस तरह सभी मलिजम अपने ु 439

अपराध को बढाचढा कर शान के साथ बताये जा रहे थे । बदमाशI क बाते सनकर गोपी के तो पेशाब सख ु ू गये । पड.◌ाव थाने दो बजे दोपहर से बद गोपी

को

चPकर आने लगा । लखLद@न कहता हौशला गोपी म- तो कई बार जेल जा चका हंू मझे ु ु आदत है । अब तू मेरा दो त है आदत डाल ले । आधी रात के बाद एक पलसवाला ु

आया

लखLद@न कौन

और

बोला

मलिजम ु

गोपी

और

है आगे आ जाये । इतना सनते ह@ ु

गोपी कठघरे के दरवाजे पर आ गया । दोनो को कठघरे से बाहर नकाला गया और आतंकवा=दयI क भांत पलस के पहरे मM ट@ आई के पास लाया गया । बडी सी ु पगड.◌ी बड.◌ी बड.◌ी दाढ@ मछ ू वाले ट@ आई साहब बोले तम ु दोने◌ा◌ं मM से गोपी कौन है । लखLद@न-गोपी को आगे करता हआ बोला ये है गोपी । ु ट@ आई अfछा तो लखLद@न तू है । लखLद@न-हां साहब । ट@ आई - अपने गनाह क सजा जानते हो । ु लखLद@न-अपराध ह@ नह@ं कया तो सजा कैसी ? ट@ आई- eबना अपराध के जेल मM बद हो । अपराध तो कया है । कrलन का सर फोड.◌ा । अदLनी चोट लगी है उसे । बेहोश है अभी । आजीवन जेल क सजा हो सकती है । इस अपराध के लये तम ु दोनो को ।गोपी शर@फ लगता है । यह सरकार@ गवाह बन जाये तो बर@ 440

हो सकता है । गोपी के बारे मM पव ू कमgनर साहब ने बता =दया है । मालम ू है लखLद@न गोपी क वजह से तमको भी जमानत मल गयी है । यह जमानत पव ु ू कमgनर साहब के दमाद बी आर ससो=दया ने ल@ है । गोपी अपराधी नह@ हो सकता है । गोपी बेटा दो ती के नाम पर इतनी कबा ु नी ठ0क नह@ है । चार छः साल कचहर@ के चPकर लगाओ । लखLद@न दो हजार Lपये लगेगे रहाई के । याद रखना

कमgनर साहब के कानI

तक यह बात नह@ पहंु चनी चा=हये । लखLद@न गोपी के कान मM बोला गोपी दफतर वाले तो काम नह@ आयेगे घर खबर पहं चने मM पdह =दन लग जायेगे । मेरे पास पैसे नह@ है तू ससो=दया साहब से =दलवा दे म- वापस कर दं ग ू ा । ठतने मM ट@ आई सहब रोट@ के बदले झठा केस कायम ू करने वाले एस आई को बलाने के लये एक हर@ को ु बलाये । हर@ बोला वे तो ु

जा चक ु े है । ट@ आई साहब

अपने पी ए को बलावे और एस आई गलाघोटू के tखलाफ ु चारशीट तैयार करने का हP ु म =दये । इतने मM ससो=दया साहब भी आ गया । गोपी,ससो=दया साहब से पैसे क `यव था करने क बात कह@ । ससो=दयाजी ने दो हजार गोपी के हाथ पर रख =दये और गोपी ने ट@ आई के । ट@ आई ने अपनी जेब के हवाला कया और गोपी और लखLद@न को जमानत पर छोड =दया ।ससे◌ा=दया जी 441

अपनी कार मM बैठाकर दोनो को कमरे पर छोड.कर चले गये । लखLद@न कमरे पर पहंु चते ह@ घोड.◌ा बेचकर सो गया पर गोपी क आंखI से नींद कोसो दरू भाग चक थी ु । सबह कोट मे पेशी का डर भी तो था ।बड.◌ी मिg ु ु कल से

रात

बीती



सबह ु

निgचत

समय

पर

गोपी

ससो=दयाजी के साथ केट पहंु च गया । भलमानष ु ससो=दया जी के दो गवाह और गवाह@ के लये कोट पहंु चे गये और लखLद@न पकार पड.ने लगी तब आया । ु गोपी-अरे लखLद@न इतनी दे र PयI कर द@ । ससो=दया भाई साहब दो आदमी के साथ तमसे पहले आ गये ु तQ ु हार@ जमानत करवाने के लये जबक तQ ु हारे ससराल ु वालI ने मना कर =दया था तQ ु हार@ जमानत लेने से । लखLद@न-ये सब छोड. काम तो सब नपट गया । गोपी-इसीलये दे र से आया है क पैसे न दे ने पड.◌े । भाई पांच सौ Lपये खच हो गये है । कोट के काम करवाने मM । लखLद@न-पाई-पाई दे दं ग ू ा 7चता ना कर । काम तो हो जाने दे । गोपी-Pयो न 7चता कLं । मेरे बढे ू मां बाप मनआडर क इतजार कर रहे होगे । रोज डाकया से पछ ू रहे होगे । मै तQ ु हारे उपर पैसा खच कर रहा हंू । तQ ु हारे कये क सजा भगत रहा हंू । अरे आदमयत भी कोई चीज ु होती है क नह@ । तमने मझे बना =दया और ु ु मलिजम ु 442

तू मझे ु बबेवूफ समझ कर मझ ु गर@ब का पैसा भी खच करवा रहा है । लखLद@न-चल पकार पड. गयी । ु कोट से जमान तो हो गयी पर मकदमा कई सालो चला ु । मकदम M को खीचता दे खकर गोपी परवहन का काम ु करने वाले कमलसंह से मला । वे भलेमानष ु मदद के सलहा करवाने का वादा कये । उनके ह तZेप के तर ु ु त बाद होटल मालक यादो और कrलन हाथ जोड.कर माफ मांगने लगे और तर को तैयार हो गये। ु त सलहा ु सXताह भर मM कमलसंह ने सलहनामा पेश करवा =दया ु । सलह हो गयी । ु

पfचीस साल नकाल गये लखLद@न

सपद ु ु -ए-खाक हो गया पर गोपी को पैसा नह@ =दया पर आदमयत के राह@ गोपी को मला जीवन भर के लये मलिजम का दद । ु

जलसा कQपनी क आधारशला रखने के साथ थापना =दवस मनाने का चलन शL ु हो गया था । जgन दे श के हर छोट बड.◌े दफतरो मM मनाया जाने लगा था बकायदा कQपनी इसके लये बजट दे ती थी । एक 'वशेषता तो यह भी थी क कQपनी मM कमचारयI और अ7धकारयI मM eबना भेद के त `यिPत बजट का ावधान होता था। इस जgन मM कमचार@ ,अ7धकार@ और उनका परवार 443

बढ-चढ कर भाग लेता था । यह जgन तो कQपनी के सभी कमचारयI के लये एक >यौहार हो गया था । बfचे तो जलसे के मह@ने भर पहले से ह@ तैयार@ मM लग जाते थे । छोटे कमचारयI के बfचI के लये तो यह जलसे जैसा होता था । परा ू पारवारक माहौल बन जाता था । सभी लोग eबना कसी भेदभाव के आनद उठाते◌े थे । कमचार@ और उनके परवार के लोग सां कृतक मM बढ-चढकर भाग लेते थे । इस उ>सव मM ऐसा लगता था क मानो साल भर क भागमभाग के फार@क होकर सभी कमचार@ पारवारक माहौल मM छ/ ु ट@ मना रहे हो । कQपनी का यह जलसा कसी स]द 'पकनक पांट अथवा अfछे होटल मM आयोिजत होता था । इस जलसे को 'वभाग मख ु हं समख ु साहब और अ7धक पारवारक बना दे ते थे । जब तक वे कQपनी के शाखा मख ु रहे तब तक छोटे कमचारयI के परवार को घर से लाने और जलसा क समा◌ािXत के बाद घर तक छोड.ने का िजQमा बड.◌ी िजQमेदार@ के साथ नभाते थे । कई बरसो बाद हं समख साहब का थानातरण हो गया । ु उनक जगह पर लाभचद साहब आ गये । लाभचद साहब के Tवाइन करते ह@ कQपनी के थापना =दवस आ गया । लाभचद साहब गमचप जलसे क घोषणा ु ु शkवार को शाम को दे र से कर तो कर द@ पर छोटे ु कमचारयI को भनक तक नह@ पड.ने द@ ।यह खबर 444

कसी तरह चपरासी बहकद@न तक पहंु च गयी । वह ु सतोषबाबू से बोला-बडे. बाबू आज के बाद दो =दन क छ/ ु ट@ पड. रह@ है । सतोषबाबू- हां शनवार र'ववार क छ/ ु ट@ तो पहले से होती आ रह@ है ।इसमM नई बात Pया है । बहकद@न - है ना ु सतोष-तम ु इंसीडे:टल क बात कर रहे हो । अरे भाई इंसीडे:टल और ओवर टाइम तो खास लोगI के लये होता है । हं समख ु साहब ने काम तो खब ू करवाये पर इंसीडे:टल और ओवर टाइम चहे तो को =दये । हम तो पहले से पेट पर प/ट@ बांधे हए ु है । आंख मM आंसू भरे हए ु है और मेर@ योvयता पर व‡पात हो रहा है । म- नये साहब से भी कोई उQमीद नह@ करता । बस अपना काम ईमानदार@ से करता रहंू गा । बहद@न - सोमवार को कQपनी का वा'षक जलसा मनने ु वाला है । आप तो जानते ह@ हो क साहब लोग इक>तीस माच के पहले कभी भी मना सकते है । बजट को उपभोग करना जो होता है । सतोष- सब बात तमको कैसे मालम ु ू पड. जाती है । बहकुद@न- ~ाइवर,चपरासी और घर मM काम करने वाल@ बाई से कछ नह@ छप सकता लाख कोई छपाये बड.◌े ु बाब।ू 445

सतोष-वा'षक जलसे मM छपाने जैसी Pया बात है । बहकद@न - है तभी तो कसी छोटे कमचार@ को मालम ू ु नह@ है । 7च/ठ0 भी नह@ जायेगी सभी फ rउ अफसरI को फोन पर खबर पहंु चेगी । छोटे कमचारयI को दरू रखे जाने क सािजश रची जा रह@ है । सतोष- तमको कोई गलतफहमी हो गयी है बहकद@न । ु ु बहकद@न -नह@ बड.◌े बाबू । कोई गलतफहमी नह@ है । ु लाभचदसाहब सफ अफसरI को बलाना चाहते है । छोटे ु कमचारयI को दरू रखना चाहते है । गैप मेनटे न जो करना है । सतोष-Pया ? कह रहे हो मेर@ तो कछ भी समझ मM ु नह@ आ रहा है । बहकद@न -सोमवार को समझ मM आ जायेगा आफस आने ु पर सतोष- Pया मालम ू पड. जायेगा? बहकद@न - सfचाई ु सतोष-यार साहब ने मझे ु बताया तो है नह@ं । ऐसे कैसे जलसा आयोिजत हो जायेगा । बfचे तो सबह ु कू ल चले जायेगे । प>नी क तeबयत खराब है तम ु सभी जानते हो चलना फरना बड.◌ी मिg ु कल से हो पाता है । कैसे बfचे आयेगे । बहकद@न -लाभचद साहब और उनके चममचे यह@ चाहते ु है क छोटे कमचार@ और न उनके बfचे जलसे मM 446

शामल हो पाये । सोमवार को आफस खलने पर स7चत ु ू तो करे गे ताक छोटे कमचार@ अछतI क तरह जलसे से ू दरू रहे , जानते है ना बड.◌े बाबू ? सतोष- Pया? बहकद@न -इrजाम भी आपके सर आने वाला है । ु सतोष-यार तम ु मझे ु PयI भड.का रहा है । बहकद@न -भड.का नह@ सह@ कह रहा हंू अपने जासस ू ी ु कानI क कसम । गाज तो बड.◌े बाबू तम ु पर 7गरने वाल@ है । सावधान रहना । सतोष- Pया गाज 7गरे गी । हमM ओवर टाइम और इंसीडे:टल से कोई लगाव नह@ है । जLरत पड.◌ेगी तो आकर काम कर दं ग ू ा कQपनी के लये बस । बहकद@न -यह@ वफादर@ तो गाज का कारण बनने वाल@ है ु ।वैसे भी ये साहब अपने वालI को Tयादा तवTजो दे ते है । जब से आये है तब से दाL के कये मM कद ु ू -कद ू कर जgन ह@ तो मना रहे है ।यह जgन

Lतबेदार तभी होगा

जब छोटे लोग जी हजर@ ु करे चQमचI क तरह । जो कछ कह रहा हंू सनी सनाई ह@ नह@ खंजांचीबाबू भी ु ु ु 'वkय अ7धकार@ से बतया रहे थे इसी बारे म।M सोमवार को आफसयल@ छोटे लोगो को स7चत कया जायेगा ू ताक छोटे लोग सपरवार नह@ पहंु च पाये । दे खना सोमवार को यह@ होगा । सतोष-अरे नह@ बहकद@न इतने बड.◌े बड.◌े साहब लोग ु 447

भला ऐसा सोच सकते है Pया ? तमको कोई गलतफहमी ु हई ु है । बहकद@न -PयI इतने भोले बन रहे हो बडे बाबू सबसे ु Tयादा तो आपके साथ भेदभाव होता है । दे खना म- जो कह रहा हंू वह@ होने वाला है ।हमारे और आपके बfचे जलसे मM नह@ जा पायेगे ।दफतर क गाड.◌ी मM तो साहब और उनका परवार जायेगा । दफतर क गाडी साहब के लये चौबीस घ:टे के लये रजव है । हम जैसे छोटे लोग तो भर आंख दे ख भी नह@ सकते । बाक लोगI का इटाइटलमे:ट है cवेल से कार बला लेगे हम ु और आप साइकल से जायेगे Pया ? परा ू परवार लेकर वह भी शहर से पfचीस कलोमीटर दरू । सतोष- 7चता मत करो साहब सबके लये `यव था करगे M । ऐसा भेदभाव नह@ करे गM । अरे हमारे नाम का भी पैसा तो कQपनी ने =दया है सफ साहब लोगे◌ा◌ं के लये थोडे ह@ थापना =दवस का जलसा आयोिजत होता है । बहकद@न - मझे जहां तक जानकार@ है लाभचदसाहब ु ु सफ अ7धकार@ वग को जलसे मM शामल करना चाहते है । हं समखसाहब जैसे छोटे बड.◌े सबको साथ मM लेकर ु नये साहब नह@ लेकर चलने वाले । पराने Hयालात के ु लगते है । पराने Hयालात के लोग कतने खतरनाक होते ु है वं7चतI के लये।बड.◌े बाबू ये Pयो भल ू जाते हो आप 448

भी उसी वं7चत समाज से आते हो । आपके tखलाफ कतने षणय\ रचे गये और रचे जा रहे है नरतर यहां Pया आप भल ू गये । सतोष-ऐसी बाते मत करो बहकद@न । पढे लखे हो ु उfच 'वचार रखो । कांटे बोने वालI के लये फल बोओ ू बाक सब भल जाओ। अfछाई के बारे मे सोचे बर@ ू ु >यागो बहकद@न । अभी जलसे क कोई चचा नह@ है । ु सोमवार को जgन कैसे मन पायेगा । मझे तो नह@ ु लगता । बहकद@न जब भी जलसा आयोिजत होगा हमारे ु तQ ु हारे और सभी के बfचे शामल होगे कQपनी के जलसे मM । य=द तQ ु हार@ बात सह@ हई ु मM ु तो सचमच छोटे कमचारयI के साथ अयाय होगा । बहकद@न -अयाय तो होकर रहे गी Pयोक हवा लाभचद ु साहब के Tवाइन करते ह@ 'वपर@त चलने लगी है खासकर छोटे और शो'षत कमचारयI के सतोषबाबू । आप मेर@ बात मान भी तो नह@ सकते PयIक आपका दजा मझसे थोड.◌ा उ◌ु◌ंचा जो है । ु सतोष-बहकद@न तम ु भी कमचार@ हो म- भी । ठ0क है ु म- बाबू हंू तम ु चपरासी हो बस इतना सा फक है । बहकद@न - साहब लोग तो इससे उपर सोच रहे है ना ु ।कमचारयI और अ7धकारयI मM गैप मेटे न करना चाहते है । शLआत तो बहत ु ु पहले से हो गयी है । आप तो भेद क तलवार हर चहरे पर तनी =दखने लगी है । 449

खैर बहत ु ु बात हो गयी । इस बारे मM कसी से कछ कहना नह@ । नह@ तो म- तारगेट हो जाउ◌ू◌ंगा ।जgन तो सोमवार को ह@ मनेगा यह भी नोट कर लेना । सतोष-इतना अयाय तो नह@ होगा बहकद@न । ु बहकद@न -होगा मेर@ बात Pये◌ा◌ं नह@ मानते । पराने ु ु सारे अयाय भल ू गये Pया ? सतोष-हां । कल का सरज खशी ू ु लेकर आयेगा । बहकद@न -सोचने और हक कत मM अतर है ।अपने दफतर ु मM यह अतर सर चढ.क बोलने लगा है । सतोष-दे खते है सोमवार को Pया होता है ? अब मझे ु काम कर लेने दो ।बहत ु काम है । दे खो इतनी सार@ रप|ट बनानी है और टाइप भी करनी होगी । बहकद@न -करो बाबू अरमानI क बल चढाकर । इन लोगI ु को खश ु नह@ं कर पाओगे कतनI रात =दन एक कर दो । शनवार और र'व◌ार क छटट@ है । असलयत से तो ु सोमवार को LबL हो पाओगे सतोष बाबू । सतोष-इतजार कLंगा और भगवान से ाथना भी क सब कछ ु अfछा हो । शनवार और र'ववार क छ=/ ु टयां ख>म हो गयी । सोमवार के =दन सतोष दफतर पहंु चा दोपहर के खाने क =टफन लेकर । vयारह बजे तक सतोष को भनक तक नह@ लगने पायी पर अदर -अदर सार@ तैयारयां चल रह@ थी । शनवार और र'व◌ार क छ=/ ु टयI मे◌े◌ं 450

बfचI के खेल tखलौने एवं 7गफ/ आ=द के नाम पर अfछ0

खर@दार@

और

कमाई

भी

लाभचदसाहब

के

चQमचI ने क । दो =दन क छ/ ु ट@ का इंसीडे:टल भी लये । खैर ओवरटाइम और दसरे अय फायदI से ू सतIष को पहले से ह@ दरू रखे जाने का षणय\ था पर काम तो करना ह@ पड.ता था आंखI मM आसू छपा कर । सतोष काम मM लगा हु आ था इतने मM बहकद@न ु पानी का 7गलास टे बल पर पटकते हए बोला लो ु बड.◌ेबाबू पानी पी लो । सतोष-पानी 'पला रहे हो या टे बल तोड. रहे हो । बहकद@न -बडे.बाबू =दमाग बहत ु ु खराब है अभी । सतोष-PयI । बहकद@न -कQपनी क थापना के जलसे का आयोजन ु आज हो रहा है ना । मेरे बfचे कैसे जायेगे । सब कूल गये है । म- खद ु =टफन लेकर आया हंू ।होटल चांद शहर से बीस कलोमीटर दरू है । कैसे पहंु च सकता हंू । सतोष-Pया

? म- भी =टफन लेकर आया हंू ।मेरे बfचे भी कूल गये है । ये कैसा जलसा है । इतने मM

लाभचद साहब कालबेल पर जैसे बैठ गये बहकद@न ु भागा भागा गया । साहब-बहकद@न होटल चांद मM आ जाना कछ दे र मM । ु ु टाइ'प ट Pया नाम है उसका ? बहकद@न -बड.◌े बाबू का नाम । ु 451

साहब-हां वह@ तQ ु हारे बड.◌े बाबू । बहकद@न -सतोष बाबू ु साहब- हां । सतोष

उसको भी बोल दे ना । लंच तम ु

लोग वह@ कर लेना । बहकद@न - कोई ो2ाम है होटल चांद मM साहब ? ु साहब-हां कQपनी के थापना =दवस का जलसा मन रहा है ना आज । बहकद@न -Pया ? ु साहब-मंह ु PयI फाड. रहे हो । जाओ बड.◌े बाबू को बलाकर लाओ । ु बहकद@न - साहब के हP ु ु म का तामल कया । सतोष साहब के सामने हािजर हआ । साहब उसको ु दे खकर बोले PयI सतोषबाबू जलसे मM नह@ चल रहे हो Pया ? सतोष- कैसा जलसा सर साहब-PयI खंजाची साहब ने तमको नह@ बताया था ? ु Pया तमको ये भी पता नह@ सभी कमचार@ सपरवार इस ु जलसे मM शामल होते है । सतोष- सभी सपरवार शामल होते है यह तो मालम ू है पर ये तो नह@ मालम ू था क अभी vयारह बजे जलसे का आयोजन हो रहा है । वह भी शहर बीस कलोमीटर दरू पहाड.◌ो के बीच मM । साहब-अब तो मालम ू हो गया ना ? आने का मन बने 452

तो जाना नह@ तो दफतर का काम दे खो कहते हए ु लाभचद साहब ससिT जत कार मM बैठ गये कार ु पहाड.◌ो◌ं के बीच ि थत चांद होटल क और दौड. पड.◌ी और उसके पीछे दसरे अफसरI के कारI का काफला भी ू । अब सतोष बाबू के सामने सर धनने के सवाय और ु कोई रा ता न था । बहकद@न - बड.◌े बाबू PयI सर पर हाथ रखकर बैठे हो। ु शाम छः बजे तक काम नपटाओ और घर जाओ साहब यह@ कहकर गये है ना । वाह रे साहब छोटे कमचारयI का हक मार कर बोतले तोड.◌ेगे,ठमका लगायेगे । ये ु कैसे साहब लोग है जो zWटाचार को पोष रहे है ? कमजोर कमचारयI के =हत दबोच रहे है । शे◌ा'षत / कमजोर कमचारयI के =हतI क रZा सामतवाद@ सोच के साहब लोग कैसे होने दे गे ? दे खो सतोष बाबू म- तो अब जा रहा हंू । लंच करने का मन नह@ हो रहा है ,मझे ु नकाह मM जाना है । चाभी रखI । बद कर दे ना । तकल@फ तो होगी पर सबह थोड.◌ा जrद@ आ जाना । ु झाडू वाल@ नौ बजे आती है ना । सतोष-ठ0क है । मझे तो बैठना ह@ होगा वरना कोई ु इrजाम सर आ जायेगा । बेचारे सतोषबाबू सायं साढे छः बजे तक दफतर मM काम करते रहे । साढे सात बजे घर पहंु चे । पापा के आने क आहट से बडी बी=टया बाहर आयी । सतोषबाबू के हाथ 453

से =टफन थामते हए ु बोल@ पापा आपक कQपनी का सालाना जलसा कब होगा ? सतोषबाबू क जीभ तलवे से 7चपक गयी इतना बोल पाया क कब तक जलना होगा म/ ु ठ0 भर आग मM और अचेत होकर ख=टया पर 7गर पड.◌े धड.◌ाम से ।

सेर भर कमाई तीरथ आंख खलते ह@ गांव के बड.◌े जमीदार कंु वर ु 'वजय बाबू क हलवाह@ करने लगा था । िजस हाथ को कलम पकड.नी चा=हये थी उस हाथ को हल क मठ ू पकड.ने क मजबर@ ू आ गयी । कवं ु र बाबू का गोबर और हल-बैल से खेत जोतते जोतते ह@ वह होश सQभाला था । होश सQभालते ह@ उसक 'वधवा मां को पतोहू क कमी सताने लगी । तीरथ का गौना आ गया । गौना आते ह@ सगनीदे वी तीरथ से कंधे से कंधा मलाकर ु मेहनत मजदर@ वी का साथ पाकर ू करने लगी । सगनीदे ु तीरथ को सकन ू मलने लगा । साल दर साल उसके घर नहे मनI ु का अवतरण होता रहा । नौ साल मM नौ बfचे िजसमM से चार खदा ु असमय खदा ु को Xयारे हो गयी । बाक बचे दो बेट और तीन बे=टयां पर

पलते

बढते

रहे

तीरथ

और

खदा ु क नयामत सगनीदे वी ु

कंु वर

'वजयबाबू का सहते रहे शोषण,उ>पीडन और पशता का ु `यवहार भी । दरdता के दौर से गजरते हए ु ु भी तीरथ 454

ने

बेटे को पढाने क कसम खा लया । कंु वर 'वजय

बाबू के मना करने के बाद भी ।तीरथ के सामने खाना,कपडा और मजबत क छत का भी संकट ू घासफस ू था । ऐसे संकट मM भी बड.◌ा बेटा 7चता साद एक-एक कZा आगे बढता रहा । इस तरह करके वह पांचवी जमात पास कर गया फर आठवी । आठवी पास करते ह@ तीरथ कंु वर 'वजय बाबू के छोटे भाई कंु वर ताप बाबू जो शहर मM बड.◌े अफसर थे से◌े 7चता साद को शहर मM नौकर@ पर

लगवाने क सफारश मM

जट ु गया ।

कंु वर तापबाबू तीरथ से कहते -तीरथ और मेहनत से काम करो । हवेल@ के काम को अपना काम समझ कर करो । 7चता साद को और आगे पढाओ तब नौकर@ मल सकती है । तीरथ कहता और कतना आगे तक बाबू ? कंु वर ताप बाबू कहते बी ए पास कराओ । तीरथ पछ ू ता ये कौन सी पढाई होती है ? कंु वर ताप- तेरा बेटा अभी आठवी पास कया है ना । तीरथ-हां बाबू । कंु वर ताबाबू- दे ख अभी सात साल और लगेगा । इसमM पैसा भी बहत ु लगेगा । तीरथ-बाबू पैसा तो मेरे पास नह@ है । सेर भर कमाई के अलावा अपने पास कोई आढत तो नह@ है । कंु वर ताप-eबना पैसे के कैसे पढाओगे शाद@शदा ु बेटवा 455

को । दो साल के बाद गौना ला दोगे । बेटवा के पैर मM जंजीर बांध दोगे । दे खो पढाई लखाई तम ु लोगI के लये नह@ है । तम ु लोग बस हम जमीदारI क खेतीबार@ का काम सQभालते रहा। इसमM बराई Pया है ? पेट परदा तो ु हरवाह@ चरवाह@ से ह@ तो चल रहा है ना आजतक । अरे बड.◌े Hवाब दे खने भर से परेू नह@ होते । उसके लये भी मशPकत करनी पड.ती है । तीरथ-और कतनी मशPकत कLं बाबू ? ये दे खो धान क रोपाई मM शर@र को=ढयI जैसी हो गयी है । गेहू ं क बवाई ु के समय पांव के तलवे मोट@ रोट@ जैसे परत छोड. दे ते है । यह@ हाल घरवाल@ का भी होता है । हवेल@ का गोबर फकते -फकते चाल@स साल क उj मM अ सी साल के M M बढ ू .◌े जैसा हो गया हंू ? कंु वर ताप- बेटे से शहर मM नौकर@ करवाना चाहते हो तो बी ए तक पढाना पड.◌े◌ंगा । तम ु तो सरकार@ {ाहमण हो । तQ ु हारे बेटे को सरकार@ नौकर@ मल जायेगी । तीरथ-बाबू ताना न मारो । मेरे बेटवा क नौकर@ लगवा दो बस

बाबू ना जाने कतने लोगI क आपने नौकर@

लगवाई है । बाबू अपने कंधे पर eबठाकर तमको tखलाया ु हंू । इतना एहसान तो कर दो । बाबू आप तो जानते ह@ हो एक बीसी जमीन नह@ है । आपक बंधुवा मजदर@ ू के बदले मले दस बीसा खेत और सेर भी मजदर@ ू के भरासे बfचM का पाल रहा है । न खाने का और न रहने का 456

कोई पH ु ता इंतजाम है । बाबू आपक चौखट पर

मेरा

जीवन eबता है । म- भी ब◌ू ू ढा हो चला हंू न जाने कब आपक गलामी करते हए ु ु सांस बद हो जाये । बाबू बचपन से अब तक दख ु दरdता क म/ ु ठ0 भर-भर आग मM बहत हंू । जीवन के आtखर@ पल मM मन को ु ु सलगा तनक ठ:डक दे दो बाबू बेटवा को नौकर@ लगवा कर । कंु वर तापबाब-ू PयI मेर@ जान खा रहे हो । तQ ु हारे बेटे को सरकार@ नौकर@ कह@ं न कह@ मल जायेगी । सरकार ने तो तम ु लोगI को आरZण भी तो दे रखी है । अगर नह@ भी मल@ तो Pया हवेल@ मM कम काम है । पढा लखा मजदरू रहे गा तो काफ सहलयत हो जायेगी । ू तQ ु हार@ जैसे eबत रह@ है 7चता साद क भी eबत जायेगी । तीरथ कंु वर तापबाबू क बातो से बहत दखी हआ । ु ु ु उसक आंखो मे आंसू भर आये । उसक आंखो के आंसू का मोल समझकर कंु वर ताप का =दल पसीज गया । वे उसके कंधे पर हाथ रखते हए ु बोले 7चता ना कर । कंु वर तापबाबू के कंधे पर हाथ पड.ते ह@ तीरथ को लगा क उसके सारे दख ु दरू हो गये । तीरथ कंु वर तापबाबू के H◌ात े से हवेल@ तक हाड.फोड.फोड. कर बढा हो गया । कज का बोझ =दन पर =दन ू बढता जा रहा था । जब भी शहर से कंु वर 'वजयबाबू आते तो उनके घर आसपास के ह@ दह@ दरू दरू तक के 457

उनके eबरादर@ के.◌े लोगI का हजम ु ु उमड. पड.ता था नौकर@ लगवाने के लये। मौका मलते ह@ तीरथ कंु वर 'वजयबाबू के सामने 7गड7गड.◌ा लेता। कंु वर 'वजयबाबू आgवासन क हrक सी आPसीजन दे कर आगे बढ जाते जबक 7चता साद को बी ए पास कये पांच बरस गजर ु गये थे । वह दो बfचI का बाप भी बन चका था ।शहर ु मM नौकर@ के लये =दन-रात एक कर रहा था पर नौकरयां थी क उससे कोसो दरू भागी जा रह@ं थीं । सब ओर से नराश होकर 7चता साद खद ु शहर मM कंु वर 'वजयबाबू के बंगले पर मला आपबीती रोया ।कंु वर 'वजयबाबू मह@ने भर बाद आना ,दो मह@ने बाद आना । ऐसा करते करते साल eबत गये । अततः वे अपने ह@ 'वभाग

मM

अ थायी

नौकर@

पर

लगवा

=दये



7चता साद लगन से नौकर@ करने लगा । उसे नौकर@ करते

साल

भर

भी

नह@

हए थे क अचानक ु कंु वर'वजयबाबू क म>ृ यु Uदयगत Lकने से हो गयी । 7चता साद के सामने फर मसीबतI का पहाड. 7गर पडा ु ।उसे नौकर@ से बाहर करने क सािजशे◌े◌ं रची जाने लगी । सािजश कामयाब भी हई ु कई मह@नM तक काम करने के बाद तनHवाह तक नह@ मल@ । बेचारा कल अfछा होगा इसी आशा मM वह दफतर आकर काम करता रहा जबक उसे नौकर@ से

नWकासत भी कया जा

चका था । कायालय मख आgवासन पर आgवासन ु ु 458

सामने दे ते ताक बेगार@ करता रहे और पीछे से उसक बराई करते छोट@ जात क वजह से । खैर 7चता साद ु के जीवन मM बहत ु उतार -चढाव आये । कई कई =दन उसने फांके मM भी eबताये । अततः उसक तप या सफल हो गयी कंु वर'वजयबाबू क मौत के बरसI बाद चौथे दजb क नौकर@ पPक हो गयी पर उ>पीड.न,शोषण और भेदभाव कम नह@ हआ । ताड.ना और शोषण जार@ ु था पढे लखे तथाक7थत उं चे लोगI के बीच । 7चता साद अपने मां बाप को भगवान मानता था ।उसके मां बाप जमींदार कंु वर तापबाबू के

H◌ात े से

हवेल@ तक शर@र को नचोड.-नचोडकर सखे गने क ू तरह हो गये थे । ढे र सार बीमारयI ने भी दबोच लया था ।

एक =दन सगनीदे वी कंु वर ताप के खेत मM काम ु

करते समय गश खाकर 7गर पड.◌ी । ब ती के मजदरू उठाकर दवाखाना ले गये । दवादाL शL ु हो गया इसके बाद भी सगनीदे ु वी को आराम नह@ हो रहा था । 7चता साद

का

छोटाभाई

मनत साद

घबराकर

cं ककाल कया । वह रोते हए ु बोला भइया मां बहत ु बीमार है । अ पताल मM भतq है । 7चता साद- =हQमत

रखो

म- परसो तक

गांव



जाउ◌ू◌ंगा । 7चता साद दो =दन क रे लया\ा के बाद गांव पहंु च तो गया मां से मलाकात नह@ हई ु ु । वह 7चरनdा मM सो 459

चक थी । 7चता साद क आंखI के सामने बीती वे ु सार@ बातM चल7च\ क तरह घने ू लगी थी िजसमM शामल था मेहनत मजदर@ दा तान भम ू ,उसके सघंष क दखद ु ू मालको

}ारा

दोहन,शोषण,अपमान

के

कई

दद नाक

बारदाते,झठे ू चोर@ के इrजाम क पीड.◌ा और आंखI से झलकते आंसू । Hु◌ाल@ आंखI का सपना पर सारे सपने सगनीदे वी क Uदयगत Lकते ह@ बरफ सर@खे जम गये ु थे। समय तो बदल रहा था पर सामािजक खाईया और गहर@ हो रह@ थी । सबल बाहबल@ लोग द@न दtखयI पर ु ु ं ं जा नद यता से कसते जा रहे थे । आतंक का शक वं7चतI के लये खले आसमान क ओर दे खना भी ु तबं7धत लग रहा था । शहर हो या गांव हर ओर से शो'षतI के tखलाफ बयार चल रह@ थी । इस tखलाफत के चk`यूह मM फंसे 7चता साद का भी सपना चौपट हो रहा था । उसक नौकर@ तो पPक हो गयी थी पर चौथे दजb से आगे जाने के सारे दरवाजे बद हो गये थे उसके लये



इस

तरह



नाकेबद@



िजQमेदार@

सामतवाद@ कानन` ू यव था पर आधारत सामतसमह ू मM कंु वर'वजयबाबू पहले ह@ कर चक ु े थे । इस बात का िजk कछ कमचारयI क दबी जबान पर आ ह@ जाता पर ु ु 7चता साद ने इस पर यक न नह@ कया कभी पर सfचाई क बू तो थी Pयोक नीचे से लेकर शीष तक सभी कंु वर'वजय ताबाबू के ह@ पो'षत थे और वह@ 460

कQपनी मM सQभवतः एक मा\ वं7चत 7चता साद क तरPक को एकदम से अवL]द कर =दये थे । शायद इह@ बाधाओं क वजह से 7चता साद कोई तरPक नह@ कर पाया। उसके

बाप और उसमM बस इतना सा फक

था क बाप भम मालकI के खेतI मM आसंू बहा रहा था ू और 7चता साद आधनक यग ु ु के सामतसमह ू मM । 7चता साद के =दल मM उथलपथल मचा हआ था इसी ु ु बीच उसके बाप तीरथ है :डपाइप से एक लोटा पानी लाये और 7चता साद को थमाते हए ु बोले बेटा तू इस कदर रोयेगा तो मझे ु =दलासा कौन दे गा । तीरथ क बातो मM बहत 7चता साद के आंसू ु ु दद था बाप क बातM सनकर जम गये ।तीरथ 7चता साद को गले लगा लया । दो =दन से सगनीदे वी क मतदे ु ृ ह लेकर बैठे लोग रो पड.◌े । इतने मM कशन ु काका आगे बढकर आये 7चता साद को नीम क छांव मM ले गये । समझाते हए ु बोले बेटा बहत ु दे र हो गयी है दो =दन से पर@ ू ब ती भौजाई क मतदे ृ ह लेकर बैठ0 हई ु हार@ इतजार मM आंसू पोछो । बेटा ु है तQ तQ ु हार@ मां भले ह@ अनपढ थी पर उसे सपने बोने अfछ0 तरह से आता था । हमेशा आगेआगे चलते रहने को सीख दे ती थी । वह तो पर@ ू ब ती क अनपढ गL ु थी । उसके ब ती क खल@ आगे मM बोये सपने बेकार नह@ ु जायेगे । वह तो प: ु य आ>मा थी परमा>मा के पास चल@ गयी ।बेटा अपना फज खशी परा ु -खशी ु ू करो धरती पर 461

कौन अमर है । जानता हंू बेटा मां पर@ है पर ू दनया ु इस दनया से eबछड ु ु .ना भी तो निgचत है। आंसू पोछो । kया-कम क तैयार@ तो पहले से ह@ हो गयी है ◌ै । यह बता दो कहां अितम सं कार होगा-बनारस या औEड.हार ? 7चता साद- काका मtणकtणका । 7चता साद मनत साद को बलाया और दो जीप क ु sयव था करने को कहां आधे घ:टा मM जीप आकर खड.◌ी हो गयी । ब ती के मजदरI ू क बै:डपाटn के मातमी धन ने बादलI को जैसे Lला =दया । तभी ु कशनकाका ु

जोर

से

7चrलाये

Pया

सोच

रहे

हो

7चता साद तQ ु हार@ मां दे वी थी अfछ0 मौत पायी है । चलो कंधा लगाओ । तीरथ, 7चता साद, मनत साद और कशन वी के =टकठ0 पर सजे मत ु काका ने सगनीदे ु ृ दे ह को कंधे पर उठाकर चलने लगे और उनके आगे मातमी धन ु बजाते बै:डबाजे वाले और सबसे पीछे रोते eबलखते परजन और मजदरू ब ती के लोग । बार@-बार@ से सभी परजन और ब ती के लोगो ने कंधा =दया । आधा कलोमीटर पैदल चलने के बाद सगनीदे वी के ु मतदे ृ ह को =टकठ0 स=हत

जमीन पर रखा गया । लोग

अितम दशन कये । कछ अनWु ठान परेू कये गये । ु इसके बाद मददे ृ ह को जीप पर बांध =दया गया और दाह सं कार के लये जीपे बनारस क ओर सरपट दौड. पड.◌ी 462

। बनारस जीप टै :ड से फर सगनीदे वी का मतदे ु ृ ह कंधो पर आ गया । बनारस क सकर@ गलयI से गजरता ु हआ इस शव या\ा मM शामल लोग सगनीदे वी क ु ु जय,जयकार करते हए मtणकtणका घाट पहंु चे। जहां ु सगनीदे वी का मत ु ृ शर@र पंच>तव मM 'वल@न हो गया और शेष था तो बस गर@बी,भमह@नता ,असमानता क पीड.◌ा, ू संघष क दा तान और सगनीदे वी के बोये खल@ आंखI मM ु ु जी'वत सपने ।

कलंक ये कैसे अमानष ु लोग है जो कमजोर तबके के दr ू हे को घोड.◌ी पर चढने से रोक रहे है ,मं=दर मM माथा पटकने पर हं गामा कर रहे है । म=हलाओ का अपमान कर रहे है । 'वा मं=दर मM वं7चतI के बfचI को सबलI के बfचो से दरू eबठाकर दोपहर का भोजन कराया जा रहा है ।समाज हो या uम क म:डी हर जगह भेदभाव क तफान । ू शे◌ा'षत वं7चत आदमी क:डे से आंसू पोछने को मजबरू हो रहा है । शd ू गंवार ढोल पशु नार@ ये ताड.न के अ7धकार@ धामक 2थ मM Pया लख गया है क शd ू गंवार ढोल पशु और नार@ पर जr छट ु म क खल@ ु ू मल गयी है ।वे लोग तो इस मh ु दे पर आंख कान बद कर लेते है जो दे श के सं'वधान मM खामया बताकर बदलने क बात करते है ।वह@ सं'वधान िजसक दनया मM उं ची ु 463

शान है । गांवो क तो और ददु शा है वं7चत समाज नारक य जीवन जी रहा है । भमह@नता का अभशाप झेल रहा है ू जातवाद के कोढ का रसता जHम बदाgत कर रहा है । काफ पढे -लखे पर जातीय भेद क उपजी पीड.◌ा से बेहाल नौकर@ तक छोड.ने का मन बना चक ु े चेतन =दल को राहत दे ने के लये कोरे पने पर कछ लखते और ु हवा मM उछाल दे ते । यह kया बार-बार दहराये जा रहे ु थे उनके साथ बैठा छे द@लाल चेतन के दद से अनजान तो न था । चेतन ऐसा कछ लखने का यास कर रहे ु थे िजससे समानता का सोधापन मखरत हो और जो ु जातीय जहर को पो'षत करने वाले =दलI से नफरत क जगह मानवता क बयार उपजे । चेतन क बेचैनी को दे खकर गीता छे द@लाल से बोल@ दे वरजी रंकू के पापा बहत परे शान है कतनी बारर ु समझा चक पर मानते ह@ नह@ 7चता क 7चता पर ु सलगते रहते है । अरे तQ ु ु हारे अकेले से लोग नह@ बदलेगे । ठ0क है जात क वजह से अड.चने आ रह@ है तो छोड. दो नौकर@ कर लो जते । ू चXपल क दकान ु चेतन-अरे मेरे मां बाप का सपना था क म- बड.◌ा अफसर बनू पर नह@ बन पाया जबक सार@ खeबयां मेरे ू पास है । जते चलाने के लये इतनी ू चXपल क दकान ु पढाई क जLरत नह@ होती रंकू क मां । मेर@ िजदगी 464

तो बीमार क हं सी हो गयी है और उQमीदM डबते सरज ू ू क रोशनी । छे द@लाल-भौजाई समझौता कर आगे बढने क बात कर रह@ ह- PयI भौजाई यह@ ना ? गीता-हां दे वरजी बfचI को पढाना लखाना है ।उनका भ'वWय संवारना है । चेतन-जब तक समानता का अ7धकार नह@ मलेगा तब तक वं7चतI का भ'वWय नह@ संवर सकता । सामािजक और आ7थक Lप मM समानता क दरकार है पर कौन वं7चतI के दद को सना है । जात तोडो क जगह ु जातवाद को बढावा =दया जा रहा है ताक वोट बना रहे । तरPक से दरू बैठा वं7चत समाज अंधेरे मM बना रहे दरdता,अशZा,गर@बी और जातवाद का बोझ ढोता रहे । धमनपZता का नारा तो =दया जा रहा है पर जातीय b नपZता का PयI नह@ । कटनीत का मामला है गर@ब b ू को गर@ब बनाये रखने क सािजश है । वं7चत आदमी हौशले से तनक आगे बढता है तो उसको नीचे खींचने के यास जोर पकड. लेते है । बाहबल ,दबंग वं7चतI क ु राह मM काटे बो रहे है ,साहकार ,शोषणकरने वाले लोग ू हआ खले ू ु आम छल रहे है । शो'षत कज मM गले तक डबा ु है । उसके पीछे खाई है तो सामने मौत का कंु आ, जाये तो जाये कहां । हर जगह उसे जीने के लये संघष करना पड. रहा है चाहे समाज हो या uम क म:डी । 465

छे द@-बात मM दम तो है भइया तQ ु हार@। सह@ मायने मM सामािजक भेद ह@ शो'षतI क अवनत का कारण है । िजस =दन आदमी आदमी को आदमी समझने लगेगा उस =दन तरPक के बहआयाम खल ु जायेगे । तब आदमी ु को आदमी ो>सा=हत करे गा हतो>सा=हत नह@ । सच मM भइया तब इस धरती पर आदमयत आबाद हो जायेगी । दभा ु vयवस आज उसी दे श का आदमी जातवाद क म/ रहा है जहां से दनया भर मM ु ठ0 भर आग मM सलग ु ु अमन शाित और भाईचारे का संदेश गया था । चेतन-मानवीय भेद

क वजह से ह@ तो 'वoान के यग ु

मM uम क म:डी मM भी मेरे जैसे `यिPत क क{ खोद@ जा रह@ है । भगवान का चम>कार ह@ कहो क दफन होने से अभी तक बचा हआ हंू । सर पर कांटो का ताज ु लये बस जी रहा हंू ।दे खो बकरे क मां कब तक खैर मनाती है । भेदभाव क आग मM सलगता जीवन सmय ु समाज के आदमी का जीवन नह@ है छे द@। छे द@-ठ0क कह रहे हो चेतन भइया । य=द तथाक7थत उfच समाज मानवीय भेद को बढावा न दे ता तो सभी मानव समान होते भले ह@ वे कसी धम के मानते । हमारे यहां तो वधमq के साथ जानवरI जैसी बदसलक ू क जाती है । इस यग ु मM भी शो'षत / वं7चत समाज के कये ू से आदमी अप'व\ ु का पानी अप'व\ है । उनके छने हो जाता है । यह तो मानवता के साथ अयाय है । 466

चेतन-हां छे द@ भेदभाव क आग मM वं7चतI का भ'वWय सलग रहा है । दे खो मेरे साथ कतना अयाय हआ है । ु ु बढ@ क घड.◌ी मM भी ू सामािजक `यव था के वाहक दःख ु चैन से नह@ रहने दे ते । आधनक यग ु ु क कQपनी मM मझ ु

जैसे

शो'षत

`यिPत

का

अंधकारमय

भ'वWय

सामािजक क` ु ठ0 भर आग क दे न है । ु यव था क म/ काश म- कसी सरकार@ दफतर मM होता तो तरPक के अवसर तो मलते । छे द@-तम िजस कQपनी मM काम कर रहे हो वहां तो ु सामतवाद@ `यव था लागू है । ऐसी `यव था मM शो'षतI क तरPक तो प>थर पर दब ू उगने जैसी है । तQ ु हारे अरमान नह@ परेू हए ु रटायरमे:ट क कंगार पर आ गये । तQ ु हारे जैसे पढे लखे लोग तो सरकार@ 'वभागो / कQपनयI मM बड.◌े बड.◌े ओहदे पर पहंु च गये है । तQ ु हार@ बhक मती ह@ थी क तम ु सामतवाद@ बधन वाल@ कQपनी मM चले गये । चेतन-बदक मत तो नह@ पर क मत बढ@ ू `यव था क कैद@ जLर हो गयी है । छे द@- वो कैसे◌े ? चेतन-जातीय योvयता वाले कम पढ.◌े लखे लोग बड.◌ेबड.◌े ओहदे पर है । म- जातीय योvयता क pिWट से अयोvय मान लया गया नतीजन बड.◌ी बड.◌ी Eड2ी होने के बाद भी मामल@ से कलक से आगे नह@ जा पा ू 467

रहा हंू । बडे अ7धकार@ तक कहते है अरे अपनी जात वालI से तो बहत ु अfछा है । अfछ0 तनHवाह मल रह@ है तेरे बfचे इंलश मीEडयम कूल मM पढ रहे है । पPके मकान मे रह रहे हो । तम ु अपने वाले◌ा◌ं क हाल के बारे मM जानते हो । कतनी ददु शा झेल रहे ह- तम ु तो दफतर मM बैठे हो । Pया यह तरPक तQ ु हारे लये कम है ?तम ु को लगता है तम ु जनरल मैनेजर बन सकते हो तो छोड. दो इस कQपनी क नौकर@ । छे द@-ऐसी समझ वाले तो आदमयत के दgु मन हो सकते है मानवीय समानता के पोषक नह@ । चेतनबाबू नेक नयत से लगे रहो तरPक जLर कदम चमे ू गी । चे◌ेतन-कम पजा है । अfछे कम का फल दे र सबेर ू मलेगा बस इसी 'वgवास पर =टका हंू छे द@ ॥ छे द@-ठ0क कह रहे हो भइया सब जगह जात के नाम पर दमन का चk`यह ू जार@

है । चेतनबाबू आज भी जात

के नाम पर पछ ू परख होती है । यह तो मं जान गया हंू । बाजार हाट जाओ या दफतर मM जाओ कछ दे र मौन ु के बाद सामने वाला पछ ू ह@ लेता है कौन से समाज को । शो'षत समाज का नाम सनते ह@ सामने वाले क ु नगाह से आदमी 7गर जाता है तर ु त सामने वाले के `यवहार मM बदलाव आ जाता है । छे द@-बात मM सfचाई तो है पर अपने बीच वाले भी तो उपर पहंु चकर हमार@ ददु शा से अनजान हो जाते है । 468

उहे भी अपनी सख के आगे अपनI के आंसू से ु -स'वधा ु रोट@ गीला करने क दा तान और भल ू जाती है । खैर वे सख स'वधा मM खेले पर अपनI के मान-सQमान क ु ु अभवि] ृ द के लये जनजागरण करे । कह@ कोई वं7चतI के मान -सQमान को लतयाता है तो उसके 'वरोध मे धरना- द शन करे । आदमी को आदमी से जोड.ने के◌े लये काम करे पर कसq पाते ह@ उनक खाल बहत ु ु मोट@ हो जाती है । कछ उन पर असर नह@ करता है । ु चेतन-ठ0क कह रहे हो छे द@ ।

उपर उठ चक ु े और ए सी

मM बैठकर योजना बनाने वालो को दबे कचलI क याद ु आती तो आज त वीर कछ अलग होती शोषण,उ>पीड.न ु जातीय और धामक नफरत क आंधी न चलती ।बेचारे शो'षत क क मत पर तो हर यग ु मM सबल,दं बग नाग क

तरह

से

बैठे

फफकारते ु

रहे

है



आज

भी

सामािजक,आ7थक और अय LपI से भी वं7चतI पर बेरोकटोक अयाय हो रहा है ।कहने को आजाद@ है पर असल@ आ◌ाजाद@ तो शो'षतI क चौखट से कोसो दरू है । छे द@-जातीय उ>पीड.न क गनाहगार तो Lढ@वाद@ जातीय ु `यव था है । दभा ु vयवस बदलाव क बजाय नफरत और बढ रह@ है । इसे संवैधानक तर पर तो ख>म कया जा सकता है पर शासन शासन मM शामल लोग ईमानदार@ से काम करे तब ना । यहां भी तो जात के 469

नाम पर मंछ ू पर ताव लोग दे ते है । राWc और मानवीय धम भल ू जाते है । चेतन-ना जाने और कस यग ु तक कमजोर वग तरPक से दरू रहे गा । कब तक बदहाल@ मM जीने को मजबरू रहे गा । सोचक आखM छलक जाती है छे द@ बाबू । छे द@-'वoान के यग ु मM भी आदमी जातीस दQभ मM जी रहा है । य=द जातीय अभमान क जगह मानवता के त सQमान का भाव 'वकसत हआ होता तो तो चेतन ु भइया जातवाद कमजोर वग क छाती पर बैठा फफकारता नह@ ु

। कमजोर वग भी सामािजक समानता

के अमत> ृ व का रसपान करता पर यहां तो जातवाद को सQव] ृ द करने के लय सािजशM रचीं जा रह@ है । चेतन-ठ0क कह रहे हो छे द@ । सामािजक समानता क

थापना के लये जLर@ है सोच मM बदलाव और जन जागरण क तभी सामािजक परवतन सQभव है । छे द@- बात तो ठ0क है पर दे खने मM आ रहा है क मानवमानव एक समान का नारा दे ने वाले लोग भी मखौटे ु बदलने मM मा=हर है ।कल क ह@ तो बात है बि] ु दजी'व और समाज को द@या =दखाने क दमखम रखने का =ढढोरा पीटने वाल@ फलरानी ने अंगुल@ तलक क बैठक ू मM खले ु आम जातवाद को ो>साहन दे ने लगी । आरYZत वग

के

डाPटरI

इंजीनयरI

और

अ7धकारयI



tखलाफत करने लगी । जब बि] ु दजी'व होने का दम 470

भरने वाले लोग आग उगलेगे तो जातवाद का जहर बढे गा घटे गा नह@ । जातवाद तो शो'षत,कमजोर वग क छाती का क ल हो गया है । कब तक छाती मM ठIके इस क ल के दद को कमजोर वग ढोता रहे गा ? चेतन-जातवाद आदमयत 'वरोधी है । यहा कमजोर वग क ददु शा का कारण भी । कमजोर वग अपने ह@ दे श मM लाचार बेबस तरPक से दरू आंखे फाड.-फाड.कर दे ख रहा है पर कोइ◌्र खेवनहार नह@ मल रहा है । जो आते अपना मतलब परा ू करते है फर सर दध ू क मPखी क तरह नचोड.कर फक दे ते है । ऐसे लोग दे श और M कमजोर व2 का कहां भला कर सकते है ? छे द@-कमजोर तबके का सभी फायदा उठाते है चाहे सफेदपोश हो,भममालक हो सेठ साहकार हो या साहब ू ू सsु बा । इसीलये तो वं7चतI क चौखट पर दरdता का खला ता:डव जार@ है । चेहरा बदलने मM मा=हर आज का ु आदमी सफ अपने लये जी रहा है । चेतन-यह@ लोग इंसानयत के मंह ु पर जातवाद का काला रं ग पोतकर बदनाम करते है । मौका पाते ह@ खनी ू जंग छे ड.ने से भी नह@ =हचकचाते । छे द@-सच जातवाद का जहर तो सmय समाज के लये एडस ् हो गया है । चेतन-भारतीय sयव था के तले दबा समाज ठहर गया है । कसी ने ठ0क कहा है ठहरा हआ समाज तरPक नह@ ु 471

कर सकता । यह चरताथ हो रहा है भारतीय जातवाद वाल@ `यव था म।M 'वoान के यग है ु मM आदमी अछत ू ।वाह भाई वाह Pया `यव था है कमजोर 'वरोधी । छे द@-कमजोर वग को चहंु मखी समानता का अ7धकार ु चा=हये । चेतन-दे गा कौन ?जातवाद के ठे केदार पो'षत करने मM लगे हए ु है । दे श के सं'वधान को बदलने क बात कर रहे है । अपनी अि मता खो चक ु े अंध'वgवास को बढावा दे ने वाले 'वधान को बदलने क बात नह@ कर रहे । कैसे सरYZत रह पायेगे कमजोर वग के =हत 'वषमतावाद@ ु समाज मM छे द@ ? छे द@-ठहरे हए ु समाज को गतमान बनाना होगा । इसके लये समता क kाित जLर@ है । समानता के eबना ठहरा हआ समाज तरPक नह@ कर पायेगा । ु छे द@-बात तो सह@ है संघष को हवा कौन दे । चेतन-सmय समाज के सभी लोगI को आगे आकर कमजोर वग क छाती मM ठIक 'वषमता क क ल को जड. से उखाड. फेकना होगा । छे द@-लाख टके क बात तमने कया है चेतनबाबू ,जब ु तक भेदभाव क क ल का दद कमजोर वग क छाती से उठता रहे गा तब तक सmय समाज का झठा दावा ू आदमयत को ठगता रहे गा । चेतन-शो'षत वग क छाती मM ठIक भेदभाव क क ल 472

का दद इतना भयावह है तो उfच आसन पर बैठे सmय समाज के लोग अनभo PयI है ? PयI न दद के कारण को समल ? कब तक कांटो का ताज ढोते M ू उखाड. फकते रहे गे ? जो दे श और सामाज के लये कलंक बन चका है ु ।

Hवा=हश सतोषीदे वी-बेटा गोपाल तू Pया कर रहा है । दे ख रहा है घर मM कतना काम फैला है ।उपर से मजदरन खोजने ू का झमेला अपने ह@ माथे पर है । मालम ू पड.ता है क अपनी जमीदार@ के खेत मM धान रोपवाने जा रह@ हंू । गोपाल मेर@ बात तो सन ु ले कहा है ? Pया कर रहा है ? गोपाल-मां तम ु सवाल पर सवाल PयI दागे जा रह@ हो । कताब लेकर बैठा भी नह@ क तम ु 7चrलाने लगी । सतोषीदे वी- बेटा म- कहां तमको पढने से मना कर रह@ ु हंू । तू पढलख जाता तो अपनी उजाड. सी ब7गया मM रौनक आ जाती । गोपाल- Pयो बला ु रह@ थी मां ? सतोषीदे वी-रोट@ तरकार@ बना द@ हंू । खाकर कू ल चले जाना । गोपाल-हां मां । कूल जाने से पहले बकर@ को खाल@ खेत मM खंट ू ा गाड.कर बांध दे ना । चारा काट लेना । हौद@ धोकर पानी भर दे ना । कूल से आकर बकर@ हांक लाना 473

और सारे काम कर लेना । समय नकाल कर पढ भी लेना और कोई काम हो तो बोलो मां । आज कोई खास =दन है Pया ? खद ु जrद@ मM हो और मझे ु भी हांकने मM लगी हो । क ं जाना तो नह@ है । सतोषी-मजदरन खोजने जाना है । जमीदार के यहां ू आज वनगƒडी है ना बेटा । मजदरनI का तो कल क ह@ ू बोल आयी हंू पर जrद@ नकलना पड.◌ेगा । धान क नसर@ उखाड.ने के लये । सभी को साथ लेकर जाना होगा । सरजदे वता उगने वाले है । घर का भी बहत ू ु काम है । गोपाल-नसर@ उखाड.ना और रोपाई दोने◌ा◌ं काम क फ तकल@फ भरा हो जाता है तम ु अ◌ैर बापू के लये । हाथ पैर तो सड. कर भात हो जाते है । नद यी जमीदार लोग घाव पर नन ू डालते रहते है । काम करवाने के लये तो अपना कहते है चौखट चढ गये तो ड:डा लेकर मारने दौडते है । ये कैसे अपने हो सकते है मां ।मजदरू लोग है क एक पैर पर खड.◌े रहते है पेट मM भख ू लये । तम ु जाओ मां जमीदार उदयनाथ क वनगƒडी करवाओं घर का काम तो हम नहे -नहे भाइ-बहन कर ह@ लेगे ।वनगƒडी के =दन तो भोज भी होता है । सतोषीदे वी- हां बेटा कढ@ भात तQ ु हारे लये भी रखंूगी । गोपाल-मां sलैकमेल ना करो कढ@ भात क लालच =दखाकर घर का काम हम पहले जैसे कर लेगे । घर क 474

7चता छोड.◌ो वनगƒडी क सोचो । तम ु तो ऐसे खश ु हो रह@ हो जैसे अपने खेत मM धान रोपने जा रह@ हो । खाना Pया मलता है वनगƒडी के =दन पानी जैसे कढ@ सडे. गले चावल का भात । रोट@ उसी गेहू का जो सड. गया हो ।दाल तो वह@ मलती है लतर@ क िजसे जानवरI खर@-भसी के साथ tखलाते है । गलती से ऐसा ू खाना लेने से जमीदारबाबू को तो अ पताल मM भतq होना पड. जाये । बेचारे मजदरो ू को एक =दन भी भर पेट अfछा खाना नह@ दे सकते । परेू साल भर =दन रात जानवरI क तरह हांकते रहते है । मजदरI ू क मेहनत का ह@ तो नतीजा होता है अपरQपार उपज । खेत मालको क हर मराद पर@ ु ू हो जाती है पर मजदरI ू क नह@ । इतना ह@ होता है क मजदरI मालकI ू क सबह ु के साथ होती है बस । सतोषीदे वी-हां बेटा ना जाने कब अपनी मराद पर@ ु ू होगी ।ना जाने कब तक हाड.फोडते रहे गे और इस हाड.फोड. मेहनत मजदर@ ू के बदले दो कलो सड.◌ेगले अनाज क मजदर@ ू पर बसर करे गे । गोपाल-हां मां मजदरI का जीवन तो जमीदारI के खेत ू खलहान और चौखट सM बंधे बधे ह@ eबत जाता है ।Pया नारक य जीवन है हम मजदरI ू और उनके आ7uता◌ो◌ं का ? सतोषी◌ेदेवी-बेटा घर के कामकाज के साथ पढाई का भी 475

]यान रखना।हम तो जमीदार उदयनाथ के बंधुवा मजदरू है । उनक गलामगीर@ से अपने को कहां फसत ।अपना ु जीव तो जमीदारI का गोबर फकते फकते eबतने वाला है M M । हमार@ तो बस इतनी सी Hवा=हश है क तू पढ लखकर हमM बंधुवामजदर@ ू के दलदल से नकाल ले बेटा । भैस बकर@ का

]यान रखना और सरज डबने से पहले ू ू

म7ग ु यI को दरबे मM बद कर दे ना । आज से रोपाई शL ु हो गयी है । मह@ने भर सरज उगने से पहले रोपने जाने ू होगा और दे र रात तक घर आना होगा । शाम को कूल से आने के भस - को तनक चरा लाना इसके बाद चारा पानी कर लया करना ।रोट@ पानी तो नहक अब बनाने लेगी । गोपाल- मां म- सब जानता हंू । इतना तखार PयI रह@ हो ? घर के काम क 7चता ना करो सब काम कर लंग ू ा । भैस ,बकर@ और म7ग ु यI को कोई तकल@फ नह@ होने दं ग ू ा। सतोषीदे वी-बेटा ये जानवर भले ह@ हमसे बाते नह@ कर पाते पर दख ु दद और भख ू का एहसास तो होता है । गोपाल- हां मां हम इनके एहसास को समझते है तभी तो ये हम पर 'वgवास करते है । आवाज लगाते ह@ पहचान जाते है । सतोषीदे वी-बेटा तम ु लोगI के भरोसे तो ये जानवर पल रहे है । हमारे और तQ ु हारे बाप के भरोसे तो एक मगq ु 476

भी नह@ पल पाते PयIक जमींदार क गलामी जो ु क मत बन गयी है । =दन रात हाड. फोड.ने के बाद भी बfचI को न भर पेट रोट@ मल पा रह@ है ना ह@ तन ढं कने को अfछे कपड.◌े । बेटा तम ु भाई बहनI क अभी काम करने क उj तो नह@ है पर मजबर@ ू सब करवा रह@ है । गोपाल- मां PयI खद ु को कोसती रहती हो । तQ ु हारा तनक दोष नह@ है । तम ु अपनी औकात से Tयादा कर रह@ हो । अरे गनाहगार तो वे लोग है जो हमार@ धरती ु से हमM ह@ बेदखल कर खद ु राजा बन बैठे है और हम रं क हो गये है । ना जाने और कतनM यगI तक इन ु गनाहगारI क म/ होगा ु ु ठ0 भर eबछायी आग मM झलसना ु । सरकार कम से कम गांव समाज क जमीन के अबैध कsजे को मP मM बंटवा दे ती तो ु त करवा कर भमह@नI ू अपनी भी मराद पर@ ु ू हो जाती । मां तब हम भी अपनी पहल@ रोपाई के =दन रज-गज से वनगƒडी करते । सतोषी-बेटा कतनी सरकारM आयी गयी कतने धान बने । Pया हआ ? शो'षतI का उ>पीड.न कम ह@ नह@ ु हआ दबंगI के कsजे से जमीन नकाल कर भमह@नI ू ु को आव:टन तो सपने क बात है ।

खैर सरकार मM भी

वह@ लोग भरे पड.◌े है । गर@बI का भला कैसे हो सकता है । जात\ पर आज भी सामतवाद का दबदबा है । अपनी क मत तो कआं खोदो तो पानी पीओ , दं बगI ु 477

और जातवाद के पोषक शोषक समाज ने लख =दया है । इस लखावट को सरकार तो बदल सकती है पर अभी तक तो नराशा के अलावा कछ नह@ मला है । कब तक ु हम गर@ब हाड. नचोड. कर रोट@ आंसू मM डबो कर जीवन ू बसर करे गे ? गोपाल- दनया का पेट भरने वाला खेतहर मजदरू खद ु ु पेट मM भख ू और बदन पर 7चथड.◌े लपेटे जी रहा है । ये कैसी नाइंसाफ है । उपेYZतI, शो'षतI के हाड. मM इतनी मजबती और =दल मM जीने का जTबा न होता तो भखे ू ू मर जाते । सतोषीदे वी-हम गर@बो क दौलत तो बस हाड.फोड. मेहनत ह@ है । बेटा तम मन लगाकर पढाई करना ु भगवान जLर मराद पर@ ु ू करे गा दे र सबेर । पढ लख कर कलेटर बन जाना ढे र सारा खेत लखवा लेना । एक =दन आयेगा ये खन वाले जो हमारे दादा पर-दादा ू चसने ू से जबद ती अगंठ ू ा लगवा कर खेत जमीन जासदाद हड.प लये है वह@ एक =दन बेचेगM । गोपाल तQ ु हारे जैसे अपनी कमाई के पैसI से खर@दे गे । गोपाल- मां पहले तो कमाने लायक हो तो जाये । सतोषीदे वी- जLर होगे मेरे लाल । मेर@ तप या बेकार नह@ जायेगी । बेटा जीमदार के खेत क रोपाई के लये मझे जrद@ जाना होगा । मजदरनI को भी बलाना है ु ू ु ।पहल@ रोपाई है और वनगƒडी भी है । सार@ मvगजमार@ 478

अपने को करनी है बंधुवा मजदरू जो ठहरे तेरे बापू तो झलफलाहे मM चले गये । खेत जोतेगे इसके बाद धान क नसर@ उखाड.◌ेगे । सतज उगने से पहले से लेकर आधी ू रात

तक जमीदार के काम से फस ु त नह@ ।हम

गलामे ◌ा◌ं क िजदगी तो नरक हो गयी है । हम गर@ब ु लोग इन मालकI का अपना मानकर ईमानदार@ से काम करते है पर ये खन तरPक करने वाले लोग हमM ू चसकर ू आदमी ह@ नह@ समझते । गोपाल- हां मां आम eबनने क सजा का रसता जHम कलेजे मM सालता रहता है । ऐसा घसा मारा है वान चरd ू जमीदार ने क पंजरयां =हल गयी । दस साल हो गये पर दद ख>म नह@ हआ परवा हवा चलती है तो दद बढ ू ु जाता है । काश इन खन चसने वालI के =दलI मM ू ू आदमयत के त समपण का भाव जाग जाता तो जो उ>पीड.न और छआछत ू ू

का घनौना Lप दे खने को मल

रहा है नह@ मलता । सतोषीदे वी- बेटा सब याद है पर कर भी Pया कर सकते है । कहते है ना जबरा मारै रोवै ना दे य । गोपाल-हां मां हम तो गलामI जैसा जीचन जीने को ु मजबरू है । ना बीसा भर खेत है , ना घर ना रोट@ कपड.◌े का =ठकाना । बस भरोसा सखे ू गने जैसी काया को नचोड.कर पेट क आग बझाना यह@ नसीब हो गया ु है । ना जाने कब तक Lढ@वा=दयI }ारा बोयी गयी म/ ु ठ0 479

भर आग हमार@ Hवा=हशI के दमन करती रहे गी । सतोषीदे वी-हम गर@ब लोग मालको के गोदाम भरने के लये और खद ु क आंसू मM डब ू कर मरने को पैदा हु ए है । बेटा घर का काम तो तम ु बfचI के कंधे पर पहले से ह@ है । हमM और तQ ु हारे बाप को जमींदार के काम से फस ु त कहां मल पाती है । कोrहू के बैल जैसे खेत से हवेल@ तक घमते रहना है । बेटा पढाई का ]यान रखना ू ।काम के कारण पढाई मत भा◌ूल जाना । तQ ु हार@ पढाई से ह@ तो हमारे जीवन क तमनाये पर@ ू हो सकती है । गोपाल-मां फk ना कर सब काम हो जायेगा । आज तो जमीदार उदयनाथ क पहल@ रोपाई है । बड.◌ा भोज भी होगा । सतोषीदे वी- यह@ तो वनगƒडी होती है । गोपाल- मालम ू है । वनगƒडी के =दन बंधुवा मजदरI ू को दोपहर को खाना तो मलता है साथ ह@ बfचI को भी मलता है । सतोषीदे वी- हां बेटा वनगƒडी के =दन दोपहर मM खाना मलेगा बाक रोपाई के =दनI मM तो वह@ पानी जैसा रस और म/ ु ठ0 भरभजै ु ना । गोपाल को =हदायत दे कर सतोषी जमीदार उदयनाथ क रोपाई के लये मजदरनI को घर घर से बलाकर रोपाई के ू ु लये चल@ गयी । गोपाल का बाप मसाफर तो सरज ु ू उगने से पहले ह@ हवेल@ पहंु च गया था बेचारा बंधुवा 480

मजदरू जो ठहरा ।बंधुवा मजदरI ू क िजदगी तो सचमच ु नरक के जीवन से कम नह@ । ऐसी गलामी कसी को ु भी पसद नह@ हो सकती । मसाफर और सतोषीदे वी ु बेटे को अपना उ]दारक मान बैठे थे । लाख दख ु उठा कर बेटा गोपाल को पढाने के लये hढ तo थे । बेटवा क पढाई से ह@ उनक Hवा=हश पर@ होने का ू जी'वत सपना जो था । गोपाल के मां बाप जमीदार उदयनाथ क धान क रोपाई मM Hू◌ान पसीना एक करने चले गये । गोपाल घर को काम करके कूल गया । लंच क छ/ ु ट@ मM वह भागा भागा घर आया। भैस क ह‚द धोया पानी डाला इसके बाद चारा डालकर भस - ह‚द मM लगा कर खद ु जमीदार क हवेल@ से आये वनगƒडी

के कढ@ भात को पेट मM

उतारकर कूल क तरफ भागा । शाम को कूल क छ/ ु ट@ होते ह@ वह घर क ओर दौडं लगा =दया । घर पहंु चते ह@ ब ता छोट@ बहन को थमाकर भै।स चराने चला गया । गोपाल अंधेरा होने से पहले भै◌ै◌ै◌ंस चराकर आया । इसके बाद फर हौद साफ कया पानी भरा घास-भया - खंट ू मलाकर ह‚द मM डालकर भस ू े सM बांध =दया । भस - चारा खाने लगी ।दोट@ बहन दगश ु b और छोट@ बहन राधा बकर@ चराकर आयी । वे बकरयI को मडई मM बांध कर चr ू हा गरम करने मM जट ु गयी । गोपाल तनक फस ु त पाकर कू ल के काम मM जट ु गया 481

। बरसात का =दन था । इसी बीच हrक सी फहार आ ु गयी । फहार पाकर मढक जोर जोर से गीत गाने लगे M ु ।गोपाल पढने मM `य त था इसी बीच छोट@ बहन राधा आंसू बहाते हए ु उसके पास खड.◌ी हो गयी । राधा क आखI मM आसंू दे खकर वह घबरा गया । राधा के आंसू पाछते हए राधा ? PयI रो रह@ हो eबछू ु बोला Pया हआ ु तो नह@ मार@ ना ? राधा- नह@ं भइया । मझे ु डर लग रह@ है । गोपाल- डरने क Pया बात है । हम भमह@न बंधुआ ू मजदरू क औलादM है । ऐसे डरे गे तो जीयेगे कैसे ? मां क याद आ रह@ है ना । राधा-हां भइया । मां कब आयेगी । गोपाल-काम ख>म होते ह@ आ जायेगी । बापू भी तो नह@ आये है । बापू और मां एक साथ आ जायेगे । तू ख=टया पर बैठ दे ख eबfछू नकल रहे ह- । पलटआ को eबfछू ू मार द@ है । बरसात मM सांप eबfछू बहत ु नकलते है । नीचे दे खकर पांव रखना । डेबर@ लेकर ह@ इधर उधर जाना ।इतनM मM नीम के पेड. से धम से आंगन मM eबrल@ कद ू पड.◌ी । दगश कदने क आवाज सनकर जोर से 7चrलायी । ु b ु ू गोपाल दौड.कर गया और पछा Pया हआ बहन PयI ू ु 7चrलायी हो ? 482

दगश है । ु b - कोई आंगन मM कदा ू इतने मM eबrल@ Qयाउ◌ू◌ं Qयाउ◌ू◌ं करने लगी । eबrल@ क आवाज सनकर गोपाल बोला ये शैतानी कर रह@ है । ु दगश ु b -अरे राधा म7ग ु यI को दरबे मM बद तो कर द@ है ना । राधा-हां बद है सब मगq ु मग ु b । दगश ु b -गोपाल तम ु कू ल का काम परा ू कर लो । गोपाल- हां करता हंू कहते हए ु बोला द@द@ दे खो बहत ु मfछर बोल रहे है । भस - को भी काट रहे होगे पहले भस कर दं ू । - को मड.ई मM बांधकर धआं ु दगश

कू ल का काम करना है जब चाहो ु b -ठ0क है तमको ु तब करो । बाद मM ये मत कहना क द@द@ ने काम मM फंसा =दया कूल का का◌ू परा ू नह@ कर पाया । गोपाल-नह@ं कहंू गा भस कया - मड.ई मM बांधकर धआ ु फर चr ू हे के पास जहां दगश ु b रोट@ बना रह@ थी वह@ वह भी डेबर@ क रोशनी मM पढने बैठ गया । इतने मM राधा छोट@ बहन गोपाल के कंधे पर हाथ रखकर कहने लगी भइया बहत ु डर लग रह@ है । रात हो गयी मां और बापू नह@ आये । चारो ओर मढक टर -टर कर रहे है । बरसात M बद नह@ हो रह@ है । को=टया पर वाला सांप eबजल@ जैसे कड.कडा कर बोला है । दगश ु b -Pया ? को=टया वाला सांप बोला है ? राधा-हां द@द@ । 483

दगश ु b -भयंकर बरसात होने वाल@ है । गोपाल-तम ु PयI डर रह@ हो । मेरे पास उजाले मM बैठो । मां बापू आ जायेगे । आज जमीदार क वनगƒडी है । राधा-रोपने वाल@ सार@ मजदरन ू M तो आ गयी।मेर@ मां और बापू ह@ नह@ आये अभी तक । गोपाल-बापू बंधुवा मजदरू है । राधा- दसरे मजदरI ू ू से अलग है । गोपाल- हां कहने को तो घर के सद य

जैसे होते है पर

जमींदार लोग खन ू चस ू लेते है और पर@ ू

मजदर@ ू भी

नह@ दे ते । दे ते है तो घाव । मां और बापू क हाड.फोड. मेहनत पर तो हम पल बढ रहे है । तम ु बैठो । फk मत करो । दगश ु b -गोपाल पढना है तो मन लगा कर पढ । बाते बाद मM कर लेना । गोपाल-द@द@ राधा को समझा रहा हंू ना ? दगश - तू रहने दे समझाने को पहले खद ु b ु समझ । तQ को नाज है । अरे अfछे से पढे गा ु हारे उपर कनबे ु नह@ तो मां बाप क उQमीदे कैसे पर@ ू कर पायेगा ? गोपाल-द@द@ पढ ह@ तो रहा हंू । राधा का आंसू पIछना भी तो मेरा ह@ काम है ना ? दगश ु b -अरे वाह रे मेरे भइया । अभी से तू राखी क लाज रखने मे◌े◌ं जट ु गया ? गोपाल-हां द@द@ । मजदरI ू के बfचे अपनी उj से पहले 484

िजQमेदार हो जाते है तभी तो मेहनत मजदर@ ू मM लग जाते है । म- तो बंधुवा मजदरू को बेटा हंू । दग ु bश- तू तो कू ल जाता है । गोपाल-यह तो मेरे मां बाप का एहसान है । काश मउनके सपने◌ा◌ं को परा ू कर पाता । इतने मM बरसात मM भींगी सतोषीदे वी आ गयी । वह बाहर मड.ई के आगे वाले =ह से मM अंधेरा दे ख बोल@ गोपाल तू कहा है । बाहर अंधेरा पसरा है । डे◌ेबर@ जलाकर पढ लया होता । मां का आवाज सनकर राधा ु मां आ गयी मां आ गयी कहते हए ु दौड.◌ी पड.◌ी । राधा सतोषी क तरफ दोनो हाथ फेला द@ ।वह बोल@ बी=टया म- पर@ ू तरह से भींगी हंू कैसे गोद मM लू तू गील@ हो जायेगी । इतने मM गोपाल आ गया । दगश ु b भी कहां मानने वाल@ थी वह भी तवा पर रोट@ रखकर मां के पास द‚डकर आ गयी । सतोषी दे वी ने तीनI का लाड कया । बापू को न दे खकर गोपाल बोला मां बापू नह@ आये ? सतोषीदे वी- मालक ने पआल हटाने मM लगा =दये ह- । ु गोपाल-बाप रे इतने खतरनाक काम मM जमीदार ने लगा =दया । मां बरसात मM सांप eबfछू पआल के ढे रI मM ु पनाह लेते है । कोई जहर@ला जानवर काट लया तो । जमींदार उदयनाथ दवाई भी नह@ करवायेगे ।दे खना नह@ मशीन मM अंगल@ पीस गयी थी।Pया मदद कये । बापू ु मह@नI तक कराहते रहे । दे शी दवा के अलावा कोई चारा 485

भी तो नह@ था । बापू का दद याद है ना मां ? सतोषीदे वी- बेटा वो =दन कैसे भल ू सकती हंू । खेत मालक का काम करते समय तेरे बापू क अंगल@ पीस ू गयी था । मह@नI तक काम नह@ कर पाये थे कैसे-कैसे मैने तम ु लोगI का पेट भर@ थी । उपर से दवाई का खचा । इतने बरसI के बाद भी वे द=द ु न याद आते ह@ आंखI मM आसू भर आते है । जमीदार ने र>ती भर मदद नह@ क थी । बेटा बंधुवा मजदरI ू का जीवन तो नरक बना =दया है खेत मालकI ने । गोपाल- मां बापू को आने मM कतनी दे र लगेगी अभी । सतोषीदे वी- घ:टा भर तो लग ह@ जायेगा । गोपाल-मतलब हम लोगI के सो जाने के बाद आयेगे । सबह हम सो रहे थे तभी चलेगे गये थे लगता है बापू के ु द@दार रोपाई भर नह@ होने वाला । वैसे तो कभी कभी हो जाते थे पर अब कोई गंुजाइस नह@ । बताओ बरसात क रात मM बापू से पआल ढोवा रहे है जमीदार उदयनाथ बाबू ु । कह@ं पआल मM सांप नकल गया तो Pया होगा । यह ु तो बापू के मारने क सािजश लगती है । सतोषीदे वी- मालक ने काम करने को कहा है तो मजदर ू को करना ह@ होगा । रात हो या =दन धप ू हो या बरसात । बेटा तू घबरा नह@ । तेरे बापू काम परा ू करके आ जायेगे । खैर ये सब छोड. बेटवा तू तो ये बता क जमीदार क वनगƒडी का खाना कैसा था । 486

गोपाल-मां तQ ु हारे और बापू के परuम का दद था खाने मM । खैर खाया हंू मां । इतने मM दगश ु b बोल@ मां वनगƒडी का खाना तो ख>म हो गया था तनक सी दाल बचm थी उसमM पानी डाल कर गरम कर द@ हंू । रोट@ भी बना ल@ हंू मां । सतोषीदे वी-दगश ु b के सर पर हाथ फराते हए ु बोल@ हे भगवान और कतनी पर@Zा लेगा ? अरे मजदरI ू क भी Hवा=हशे◌े पर@ ू कर दे ता । तQ ु हारे खजाने का मंह ु हमेशा हवेलयI के गोदामI मM ह@ खला रहता है और मजदरI ु ू क चौखटI पर मसीबतो क बाढ. । ये अया कब तक ु चलेगा भु ? हम मजदरI ू क Hवा=हशM कभी पर@ ू होगी Pया ? गो◌ापाल-हमारे

घर

भी

वनगƒडी

का

जgन

मनेगा

।तQ ु हार@ Hवा=हशM म- पर@ ू कLंगा मां बड.◌ा होकर। समाXत

परचय नदलाल दलाल भारती का जम उ के छोटे से गांव चौक 487

(खैरा)

िजला-आजमगढ िजला आजमगढ (उ ) मM एक

जनवर@ 1963 को

हआ । कू ल@ एवं नातक नातक तक क शZा गांव के कू ल ु कालेजो मM हई ु । नातक तक क शZा ाXत कर रोजगार क तलाश मM शहर क ओर Lख कये । संघषरत ् रहते हए तर (समाजशा \) 'व7ध ु भी नातको>तर

नातक EडXलोमा इन यमन रस|स नातक, तक पो ट 2ेजएट ु ू डेवलपमे:ट तक क उfच शZा ाXत कये । uी भारती का

जीवन

संषषपूण

रहा,जीवन जीवन

मM

सामािजक

और

आ7थक मिg पड ◌ा । uी भारती ु कलI का सामना करना पड.◌ा के संघष का अतनाद नाद इनके कथा एवं का`य शrप मM दे खा जा सकता है । क=ठन जीवन के बावजद ू भी सा=ह>य से लगाव बचपन से ह@ था । सQभवतः भवतः इनके जीवन का संघष

सा=ह>यकार यकार बनाने मM अहम ् भमका ू

नभाया ,जीवन जीवन क टे ढ@-मे @ मेढ@ पगडंEडयI से गजरकर ु कड.वे ,पीड पीड.◌ा कड वे अनभवI पीड ◌ा के एहसास एवं बार-बार बार बार क हार ु के बाद भी जीतने क pढ इfछा शिPत के बदौलत uी भारती समथ क'व,कहानी क'व कहानीकार कहानीकार और उपयासकार यासकार के Lप मM पहचान बनाने मM सफल हो गये । uी भारती के सामािजक एवं सा=हि>यक यक योगदान को दे खते हए ु दे श क अनेक सा=हि>यक यक और सामािजक स थाओ थाओ ने सQमानत मानत कर इस लेखक को लेखनी के तेवर को तराशने के जTबे को और जगा =दया । भारती के कथा एवं का` का`य शrप मM

2ामीण

सम यायM

,द@न द@न 488

दtखयI ु



पीडा

एवं

सा◌ािजक बराईयI क Tवाला सलगती नजर आती है ु ु िजसका जीवत उदाहरण है इनका कथा सं2ह म/ ु ठ0 भर आग एवं अय कथा एवं का`य सं2ह। द@न दtखयI त ु uी

भारती

के

सम'पत

हए ु सा=ह> यकार कार कहा जाने लगा है । uी भारती एक sलागर सा=ह>य लागर भी है ,इनक इनके सा=ह>य को

सा=ह>य

को

दे खते

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