Gurukul Maut Par Santon Ke Vichar Rpaugust2008

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  • Words: 751
  • Pages: 2
गुरकुल मौत पकरण

पर स ंतो के िि चार

अमदािाद (ििशेष बयूरो)। संत शी आसारामजी बापू के ििलाफ चल रहे षडयंत के बारे मे

अपने ििचार वयक करते हुए काँची के काम कोिि पीठ क े श ंकराचाय य जगद गुर शी ज येनद सरसितीजी न े क हाः 'राजनीित से गडबड हो रही है । यह जलदी से जलदी शांत हो।'

सनातन संसकृ ित के आधारसतंभ संत महापुरषो को बार-बार आरोिपत कर शदालू भको

की शदा को आहत करने के षडयंतकािरयो के कुपयासो को ििफल करने की आिशयकता पर जोर दे ते हुए उनहोने कहाः 'हम लोग बोल रहे है , कर रहे है , और जयादा करना है । सभी संत लोग

शािमल होने के िलए पयास करके सभी जगह संतो दारा, गाँि-गाँि और नगर-नगर पचार-पसार होना अतयंत आिशयक है । संघ े श िक क िलय ुग े। सब लोग िमलकर करना। सभी संत लोग,

महाराज लोग, सब लोग िमलकर काम करने से कुपचारक दज य भयभीत होगे। इसिलए सब लोग ु न िमलने का पयास करना।'

'पेस की ताकत' के पतकार ने इस पकरण के बारे मे सथानीय संतो से बातचीत की तो

जग ननाथ म ंिदर , अमदािाद

के मह ंत शी राम ेशरदास जी महाराज न

े क हा िक

'आसारा

मजी बापू की संसथा को बदनाम िकया जा रहा है , यह तो गलत बात है । राजनीित करने िाले

धमय को भी बदनाम करते है , धािमक य लोगो को भी बदनाम करते है तथा अपनी राजनीित करने के िलए दे श की संसकृ ित का पोषण करने िालो के िलए भी षडयंत करते है ।"

िह ीं स ुपिसद स िामीन ाराय ण म ं िदर , अमदािाद क े श ी ह िरहराननदजी

ने मी ििया के रोल के बार े म े क हा िक

, महाराज

'हम तो इतना कहना चाहते है िक यह िहनद ू

संसकृ ित जो है , उसको नष कर दे ने के िलए कुछ लोग ऐसे सब षडयंत बनाते है । िकसी का समाज मे मान होता है तो िे दे ि नहीं पाते, ऐसे झूठे आरोप िालकर अथय का अनथय करते है ।

बाकी जो कतवयय िजनका है िे तो करते है । हकीकत, जो रीयल सिोरी है , िह जब सामने आयेगी, उसके बाद आप छाप सकते है ।" गीता म ं िदर , अमदािाद

पतकार को एक िि

के शी िश िाननदजी सरसिती न

े 'पेस की ताक त' के

शेष भ ेि म े क हा िक 'ये दं गा मचा रहे है , िकसको जला रहे है ? बस को

जला रहे है । घािा िकसको है ? िकसको भोगना पडे गा? अपने आपको ही भोगना पडे गा। िै कस

लगेगा, ये लगेगा... सरकार िकसकी है ? अपनी ही है न! कोई भी सरकार हो, चाहे काँगेस हो, भाजपा हो, कोई भी हो लेिकन घािा तो अपने को ही है । महँ गाई बढे गी। तो ऐसा पेपर पढने िालो को

सोचना चािहए िक कया सही है , कया सही नहीं है । इसको धयान मे रिे, िफर बात कहनी चािहए। उसने तो दे िदया है लेिकन सही कया है उसका इं तजार भी करना पडता है । दे िना चािहए, िफर उसकी िोज करो िक यह सही है -नहीं है और जो सही नहीं है उसका ििरोध करो।"

जब 'पेस की ताक त' के प तकार राकेश अ गिाल न े गीता म ंिदर , अमदािाद क े शी भासकरान ंदजी म हाराज से उनके िि चार जानन े च ाहे तो उ नहोन े क हा िक

'जो

दघ य ना हुई, बचचे मरे यह दघ य ना कैसे भी हो सकती है । उसमे आशम का हाथ हो या न हो, ु ि ु ि

मंिदर का इतना बिाल हुआ, तोड-फोड हुई, हािन अपने िहनद ू-िहनद ू मे ही....। यह बिाल एकदम गलत है , नहीं होना चािहए कयोिक इसमे राजनीित या िफर कोई दस ू री पािी का हाथ था, पूरा

ििशास है िक ऐसा ही था। मै सब लोगो से कहना चाहता हूँ िक इस पकार अपने ही आप मे

ऐसे भिमत होकर िकसी पर बहुत आरोप नहीं लगाना चािहए और यह गलत ही बात है िक ये जो लोग भडक रहे है , दं गा कर रहे है , रै ली िनकाल रहे है , धमय के पित, आसारामजी के पित या

आशम के पित यह बात िसद नहीं हुई है िक आसारामजी बापू के साधको ने मिय र िकया। यह िनराधार बात जब िसद हो जाये, उसके बाद ही िकसी पर आरोप लगा सकते है ।'

('पेस की ताकत' से साभार)

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