तत तततत तत ततततत.... 20 अगस्त 2004 को मेरी मा के सतन की गाठ का ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन से एक िदन पूवर ही मैने मा को पूजय बापू जी की तसवीर की पूजा एवं उनसे पाथरना करने के िलए कहा था। ऑपरेशन के तीसरे िदन मा के सीने मे ददर होने लगा। उस इमरजेन्सी में पूना (महाराषट) के के.ई.एम. हॉिस्पटल में आई.सी.यू. (अित दकता िवभाग) मे करीब 15 डॉक्टरमाँकी जाँचऔरउपचारकर रहेथे। डॉक्टरोंनेकहािक यह हाटर् अटैक हो सकता है। माँ का ब्लड पर्ैशर कम होता जा रहा था। अपना आिखरी समय नजदीक जानकर माँ आई.सी.यू. मे ही अपने सब बचचो को बुलाकर उनहे भिवषय मे कैसा बताव करे? – यह समझा रही थी। मैने उसको तसलली देते हुए कहा िक 'पूजय बापू जी का आशीवाद आपके साथ है।' िफर हम उसे एम्बु ल ेंस से यहाँ के एक बडे असपताल 'रबी हॉल हॉिसपटल' मे ले गये। मृतयु को अपने अित िनकट अनुभव करने वाली मा वहा 15 िदन आई.सी.यू.मे रहने के बाद पूजय बापू जी के नाम समरण से ही सही सलामत घर वापस आ गयी। पूजय बापू जी के आशीवार्द से ही मेरी माँ का पुनजर्न्म िमला है। अब समस्त आधुिनक िचिकत्सा-िवज्ञान घुटने टेक देता है, तब भी यिद कोई शिक्त मरीज को बचा सकती है तो वह है पूजय बापू जी जैसे बहिनष संत की दुआ! यह व्यिक्त को काल के गाल से भी वापस ला सकती है, मृत शरीर मे पाणो का संचार कर सकती है। इस चमतकार के बाद सवयं डॉकटर होते हुए भी मैने संकल्प िकया िक 'मा के सवसथ होने पर बापू को गुलाब का हार पहनाऊँगा।' मेरा यह संकलप तब पूणर हुआ जब 19 व 20 िसतंबर 2004 को पूना मे पूजय बापू जी का सतसंग कायरकम हुआ। डॉ. पुरषोतम बोराडे, पूना (महाराषट) L.C.E.H. (Bom.) Regd. No. 8388, Telephone No. 020.26354278 ऋिष पर्साद , नवंबर 2004, अंक 146, पृष संखया 31 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ