Short Story By Nandlal Bharti

  • July 2020
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  • Words: 34,028
  • Pages: 66
रचनाकार : http://rachanakar.blogspot.com/ क संभा वत ह, चंू क पाठ को

वचा लत फ़ॉ ट

पांतर

तु त. ट प – वतनी क ग़ल तयाँ

ारा प रव त त कया गया है.

लघकथा सं ह : उखड़े पांव ु -न दलाल भारती

1

लेखक य․․․․․․․․․․․․․․․ मेरा ज म उ तर

दे श। भारत। के छोटे से गांव चौक ।खैरा। िजला-आजमगढ म एक

जनवर

1963 को हआ । मेर कू ल एवं नातक तक क श ा गांव के कूल कालेज म हई ु ु ,तदोपरा त आजी वका क तलाश म शहर क ओर ख करना पड.◌ा । यह ं से शु हआ जीवन का असल ु संघष और ख ठे -मीठ अनभव का चभता सफर । इसी दौरान अपन को पराया बनते हए ु ु ु दे खा और सामािजक बखि डता के भयावह

प को भी । ल बी बेरोजगार का दं श झेलने के बाद

आजी वका का साधन मला पर संघष ख म नह ं हआ । संघषरत ् रहते हए नातको तर ु ु भी ।समाजशा ।(M.A.(Sociology) व ध नातक ।आनस। पो ट ेजुएट ड लोमा इन यमन ू रस स डेवलपमे ट (PGDHRD) क उ च श ा तक

ा त कया । शै

णक एवं यावसा यक

श ा ,उ च यो यता के बाद भी

म क म डी म कोई यो य मकाम हा सल नह ं हआ । यो यता ु ु े ठता के द भ लहलहान होती रह । संघष के च यह म उलझा हआ कल को नहार रहा हंू ू ु ु

आज भी । ई वर म व वास है , संघष जार है और कल से पर ू स भावना भी है । मेरे आ म व वास को

ढता

दान कया है, मेरे अपने प रवार ने.

सा ह य से लगाव बा यकाल से ह था । छठवीं क ा से ह क वता लखने लगा था । जीवन क जंग के उबड. खाबड. रा ते से होते हए ु सा ह य क शीतल छांव मे आ गया। अमानत,चांद क हंसल सं ह एवं कई ु और अ भशाप जेसे बहच ु ु चत सा हि यक उप यास, कथा सं ह, लघकथा का य सं ह क रचना कर सा ह य के । मेर



म अपनी पहचान बनाने के अथक

यास म जट ु गया

यादा तर कृ तयां अ का शत ह । वगत ् माह मेरा एक उप यास अमानत जो क एक

बन मां क लड.क क आफ आथस ।इंसा। भर के प

यथा कथा पर आधा रत

ारा

प काओं म

51 क ड.य का उप यास- इि डयन सोसायट

का शत हआ है । मेरे लेख,क वताय,कहा नयां एव लघु कहा नयां दे श ु का शत होते रहे है,इसका मझे ु अ छा तसाद मला । काशक न

मलने के बाद भी मेरा लेखन कम नर तर जार है। मेरे सा हि यक योगदान को दे खते हए ु दे श क अनेक सा हि यक स थाओं ने स मा नत कर मेर लेखनी को जीव तता एव जीवन को मकसद

दान

कया है ।

मेरा लेखन कम एकता, सामािजक समरसता एवं चेतना को सम पत होता है । म अपने कथा एवं का य श प के मा यम से हार करने का

ामीण सम याय , द न-द ु खय क पीड.◌ा एवं सामािजक बराईय पर ु

यास करता हंू । सामािजक वषमता और द न द ु खय का दद मझे ु चैन से जीने नह दे ता । इसी वजह से मझे ामीण एवं द न द ु खय का सा ह यकार कहा जाने लगा है । ु मेर रचनाध मता को आप पाठक / ोताओं से उजा स मान

ा त हो रहा है । आप पाठक के

ा त होती रह िजसके बदौलत मझे ु मान

नेह ने मझे ु पीछे मड ु .कर दे खने नह ं दया । आप

पाठक / ोताओं ने मझे ु ऐसी दौलत द है िजसके आगे व र ठम ् पद और अ धकम ् धन का ढे र 2

बौना लगने लगा है । म आप अपने अ तरजाल के पाठक को लघकथा सं ह उखड.◌े पांव को ु

सपद स नता का एहसास कर रहा हंू । पु तक प म यह लघकथा सं ह कब आकार ु ु करते हए ु ु पायेगा यह तो कल पर छोड.ते है । आप लघु कथा सं ह उखड.◌े पांव को पढे और आपनी त

याओं से अव य अवगत कराय । आपक

नर तरता आमि



याय मेरे लेखक य कम को जीव तता एवं

दान करे गी । ऐसा मेरा अटल व वास है । आपक



याय इस पते पर सादर

त है ।

uUnyky Hkkjrh] vktknnhi&15]oh.kkuxj]bankSj Ae-iz-AHkkjr fiudksM&452010 nwjHkk”k& 0731&2574010 eksckbZy&9753081066 [email protected]/[email protected] / [email protected] Portal-http:// nandlalbharati.mywebdunia.com

अराधना लाले

को पजा म ल न ,अखबार पर पडे. सा ू

दा यक खनी ू संघष के छ ंट दे खकर त मय

बौखलाकर बोला पापा आप कस कस क पजा कर रहे है ू लाले

?

-बेटा भगवान क ।

त मय- शहर खन ू से लाल हो रहा है । सब अपने अपने धम के नाम पर लड. रहे है । आप सभी भगवान क पजा कर रहे ह । ू लाले

-बेटा सबका मा लक एक है । कोई भगवान के नाम से,कोई खदा ु के नाम से, कोई गाड के

नाम से कोई बु द कोई महावीर कोई अ य नाम से अराधना कर रहा है। मै सभी क कर रहा हंू । कोई भी धम वैमन यता का बीज नह बोता । स चा धम तो सवसमानता क बात करता है । बेटा उ माद खन ू बहा रहा है। िजसे ।

वाथ शा सत कर रहा है । धम से मानवता पल ु कत होती है

त मय-पापा जो धम के नाम पर उ वाद फैल रहा है खन को मारने ू बह रहा है, एक आदमी दसरे ू के लये खंजर लेकर दौड. रहा है । लाले

या वह धम नह ं

?

- ब कुल नह ।वह तो अधम है,जो लोग धम के नाम पर खन ू बहा रहे है।वे उ वाद

है,उ माद है।दह त फेलाकर राज करना चाहते है ।

त मय-सवधम समानता, बहजन हताया बहजन सखाय के भाव म ह क याण है ु ु ु पापा लाले

ईमान

-हां बेटा स ची अराधना यह है 3

सबह गदराई हई धान के खेत लहलहा उठे थे, बरसात का ु ु थे य क उनके सखते ू ु थे लोग खश पानी पाकर ।इसी बीच राजा बदमाश आ धमका अपने कई सा थय के साथ ।राजा बदमाश और उसके सा थय को दे खकर ईमानदे व बोले कैसे आना हआ राजा बाबू । ु राजा-ईमानदे व नाम तो ईमानदे व है बात बेईमान जैसी कर रहे हो । गाय तु हारे खटेू पर वापस

बांध गया था भल ू गये ।पैसा वापस लेने आया हंू । ईमानदे व-वचन दया हंू तो परा ू क ं गा थोड.◌ा व त दो । वैसे तो तम ु नाइंसाफ कर रहे हो चार माह गाय का दध ू खाने के बाद मरणास न अव था मे मेरे दरवाजे बांध गये ।कोई इ

तदार और

समझदार आदमी तो ऐसा नह करता जैसा तमने कया है राजाबाब।ू ु

राजा-ईमानदे व मझे ु वैसे लेने आता है कहते हए ु ईमानदे व का गला पकड. लया ।यह दे खकर असामािजक इ ठा होकर ठहाके मार रहे थे राजा मारपीट पर उतर आया । ईमानदे व का दमाद कैलाश लहलहान हो गया । ू ु

राजा के खनी ू ता डव को दे खकर ईमानदे व क पतोहू दगा ु उठ खड.◌ी हई ु हाथ म च पल लेकर इतने म राजा बदमाश और उसके साथी प थर फकते भागते नजर आये । कछ ु दे र म परू ब ती के लोग इ

ठा हो गये । ब ती के लोग ईमानदे व को पैसा न दे ने क सलाह दे ने लगे पर तु

उखड पावं ईमानदे व का ईमान मु करा रहा था । कमाई

गोपाल-भईया च तान द

य माथे पर हाथ धरे बैठे हो ।

च तान द-प र म और यो यता हार गयी है

े ठता के आगे ।

गोपाल-शोषण के शकार हो गये है । च तान द-हां,सामािजक यव था और

म क म डी म भी।

गोपाल- यग घाव है। कारगर इलाज नह हो रहा है सब मतलब के लये भाग रहे ह । ु पराना ु कमजोर के हक क कमाई पर ग द नजर टक ह। आतंक और शोषण से कराहते लोगो क कराहे अनसनी ु हो रह है ।

च तान द-यह दद ढो रहा हंू । गोपाल- तम ु भी भइया। च तान द-हां ।

गोपाल -समझ रहा था क हम अनपढ और असंग ठत मजदरू का बरा ु हाल है ।पढे लखे भी शोषण के शकार है ।

च तान द-हां भइया चौथी

ेणी का कमचार हंू ।काम भी मझे ु से को हू के बैल सर खे लया जाता है। काम हम करते है। हमार कमाई म बर त नह होती उखड.◌े पांव आंसू पीने को बेबस हो गया हंू । ओवरटाइम और म चौगनी ु बर त हो रह है ।

तपू त भ ता

े ठ ,चापलस ू और

तबेदार लट ू रहे है। उनक कमाई

गोपाल-हक के लये संग ठत होकर जंग छे ड.ना होगा भइया चाहे सामािजक हक हो या प र म क कमाई का ऐसा



4

पापाजी क दे हावसान हो गया का समाचार एकदम फेल गया । पापाजी उ चअ धकार के पताजी थे ,भले इंसान थे । पापा के अि तम सं कार म वभाग के सभी लोग दफ् तर के वाहन से गये । हां बीमार छोटे बाबू से परहे ज कया गया । छोटे बाबू आसंओ ू ं से भर आख लये अि तम सं कार म शा मल हये ु । उठावना के दन तो दफ् तर म मी टंग हई ु दफतर क गाड.◌ी से सभी लोग के प रवारजन के लोग दफतर म इक ठा कये गये इसके बाद उठावना म शा मल हए ु दफतर क

गाड.◌ी से ह । इस बार भी छोटे बाबू को अछत ू समझकर नजरअंदाज कर दया गया । तेरहवी के

दन म ऐसा ह छोटे बाबू के साथ हु आ । दफतर म हो रहे भेदभाव से बौखलाकर छोटे बाबू के मंह ु से नकल पडा मेरे साथ ऐसा य ? यह सनकर दफतर के छोटे -बडे सभी े ठजन के ु ह ठ पर जैसे ताले पड. गये मु ा

, चेहरा



जलसा

तमतमा गया और उखड.◌े पांव छोटे बाबू के चेहरे पर वजयी

कायमिु त और कायभार

हण का जलसा राजधानी म आयोिजत ह◌ु ु आ । जलसे के खच के लये वभाग के छोटे बड.◌े सभी कमचा रय से रा श भी ल गयी और सभी े ठ लोग को जलसे म

शा मल होने के लये आमि

त कया गया बस रतन को छोडकर । आना जाना रहना सब

वभागीय खच पर था ।रतन वभाग म दोयम दज के आदमी के नाम का दखता खताब पा चक ु ु े

थे । यह खताब उनक छाती को बोझ बन चका था । छोटे बडे सभी काय म से रतन को दरू ु रखने क को शश क जाती ।

े ठ लोग हर सािजश म कामयाब भी होते थे । जलस से भी रतन

को मलता था एक और नया घाव । वभागीय जलसे के दन भी

े ठ और कमजोर के बीच

संवरती द वार को दे खकर उखड.◌े पांव रतन के मंह ु से नकल ह जाता ये कैसा जलसा कैसी

े ठता

म ह

मलता तो वह कहता

पछता ू

जहां कमजोर आदमी को दरू ढकेल दया जाता है।मौका पाते ह रतन

या आदमी के बीच द वार खीचना समाज अथवा सं था के लये लाभकार है। उ तर नह

कर दे ती सवाल

े ठजन को भी

य लक र के फक रे बने हए ु है । उखड.◌े पावं रतन क बात मौन

नरं जन-मेरे एक सवाल का जबाब दोगे कपाबाब ू-कैसा सवाल ृ

या कपा बाबू ृ

नरं जन-कस पाते ह आदमी नरं कु श खन ू ु

य चसने लगता है ू

?

कपाबाब ू-लगता है शोषण के शकार हो रहे हो ।भइया शोषण करने वाले आदमी के ृ

प म हैवान

होते ह।

नरं जन-ठ क समझे ।शोषण का शकार हो रहा हंू । बेगनाह क सजा पा रहा है । आदमी होकर ु आदमी के सख ु से वं चत कया जा रहा हंू ।मेर तर क के रा ते ब द कये जा रहे है ।

कपाबाब क जंग म शा मल हो गया है । बेचारा भगतभे ◌ागी ू-इस सवाल का जबाब तो अब कस ु ु ृ धोबी का कु ता होकर रह गया है ।समय के साथ सवाल भी हल हो जायेगा पर हम भी कछ ु तो करना पड.◌ेगा अपने

वा भमान के लये ।

नरं जन-सब कछ ु तो कर रहा हंू पर काले े ठ अं ेज को भाता नह ।सब ओर से हारकर सामािजक े ठता क ढाल थाम लेते ह । 5

कपाबाब -ू सामािजक ृ

े ठता क ढाल अ धक दन नह

टकने वाल ।स कम क राह बढते चलो।

अ छा दो त फर मलेगे टै ◌े◌क ं र पानी क

द कत से बेचैन नेकच दक को टकर को दे खकर यास बझने क त नक उ मीद लगने ु

लगी ।वे बा ट लेकर प रवार के साथ दरवाजे पर खड.◌े होकर इ तजार करने लगे । पर टकर उनके घर के सामने

का नह कछ ु दरू जाकर

या

का। नेकच द बा ट लेकर दौड.◌े◌ं । बा ट

टै कर के नल के नीचे लगाते हए ु बोले भइया थोड.◌ा पीछे कर लये होते तो हमारे यहां भी पानी भर जाता । इतना सनते ह खलासी गाल दे ते हए ु ु तेरे को ह पानी चा हये बहोत बोलता है चल

पीछे हट कहते हए टा उठा लये नेकच द को मारने के लये ।नेकच द को उनके ब चे घर लेर ु आये । कछ ु ह दे र म गु ड क फौज नेकच द के घर को घेर ल । खलासी पास के एक गु डा क म के रहवासी का साला था । बेचारे नेकच द के घर मातम पसरा हआ था । उनक आंखे ु पानी से लबालब भर चक थी । छोटे ब चे रो रहे थे । प नी ढांढस बंधा रह थी । उखडे.पांव ु नेकच द के

दय पर र हमन का दोहा

र हमन पानी रा खये पानी बन सब सन ू

द तक दे रहा था । भगवानच द,खोटाच द,धोखाच द,फरे बच द और आसपडा.◌ेस के लोग पड.◌ोसी के धम को भलकर गीत गा गाकर पानी भरने म लगे हए ू ु थे। जनन ू टाईवाला यि त दयाबाबू से

य घम डी साहब है ।

दयाबाबू-इस नाम को तो यहां कोई नह ह ।

टाईवाला यि त- बहत कमरे म व ट हआ । ू ु बदतमीज हो कहते हए ु दफतर के दसरे ु मखनसाहब से दयाबाबू क शकायत कया।टाईवाले के शकायत पर मखनसाहब आग बबला ू होते हये ू मबोले दया तम ु को तमीज नह है कससे कैसी ु दयाबाबू क सीट तक आये और जनन बात करनी चा हये ।मालम ू है कौन है वह होटल का मैनेजर है।

दयाबाबू- यादा तो मालम ू नह पर इतना दावे के साथ कह सकता हंू क उस आदमी म आद मयत नह है ।मखन साहब हम क पल मे टर लंच, डनर नह चा हये ना ह कसी और तरह क

र वत । हम तो मीठे बोल के भखे ू है वह बांटते रहते ह ।

मखनसाहब-दया बहत च लाने लगे हो नतीजा जानते हो ।मखनसाहब क बात सनकर दफतर के ु ु दसरे कमरे से रह स चपरासी जनन ू ू म बोला बहत ु आद मयत का पाठ पढाता है मार दो

आद मयत से ख सा भरता है

या

?

उखड.◌े पांव नेकच द माथा ठ क लये



इलाज आचाय-लाल साहे ब आपने खबर सनी ु

या ।

लाल साहे ब-कौन सी खबर आचाय जी । आचाय-नेह

नगर म एक कु ता प चास लोगो को काट लया ।

लाल साहे ब-आचाय जी बस प चास ।

आचाय जी-लाल साहे ब कैसी बात कर रहे हो। एक कु ता प चास को काट लया । आप खशी ु मना रहे हो।

6

आचाय जी-म बहत हंू ।म कोई हनमान नह हंू क छाती फाडकर दखा दं ।ू आपको मालम ु ु ू ह ु दखी वह कु ता पागल था । एक बात और आपको बता दं ू कु ता के काटने का इलाज है । आज का आदमी जो होशो हवास म उखड.◌े पांव आद मयो को काट रहा ह उसका कोई इलाज है । आचाय जी-नह । सचमच ु बहत ु जहर ला हो गया है आदमी आज का । एडस ाचार , ठग बेइमान,दं गाबाज क म के लोग कामयाबी पर ज न मनाने म लगे रहते ह । कमठ,प र मी,उखडे पांव नेक लोग आंसू से रोट गील करते रहते ह।जब क जगजा हर है क दं गाबाजी से खडी क गयी दौलत क मीनार

वालामखी ह। मेहनत स चाई से कमाई गये च द ु

स के भी चांद क शीतलता दे ते◌े है ।सकन ू क नींद दे ते है। कहते हए ु बाबा श नदे व ध म से टट म समा गये । ू काठ क कस ु

जगदे व-बाबा दगाबाज लोग परू कायनात के लये अपशकन ु हो गये है।बाबा ये दगाबाज बेईमान

मखौटाधार आद मयत के वरोधी लोग समाज और दे श क तर क क राह म एडस हो गये है । ु श नदे व-बेटा व त गवाह ह दगाबाज खद ु क िज दा लाश ढो ढो कर थका है । खद ु के आंसू क द रया म डब ह ओर थक ू मरा है । जमाना दगाबाजो के मंह ु पर थका ू ू े गा भी । ॥ उपदे श ॥

बकसर बाबू ठगी बेइमानी अमानषता का पयाय बन चका ह ।उपदे श तो ऐसे दे ता ह जैसे कोई ु ु सदाचार । बैठ गये ।

या लोग हो गये ह ।मन म राम बगल म छर बाबू माथा पकड कर ु कहते हए ु ु कमार

अवतार बाबू-आजकल तो ऐसे ले◌ागे◌ा का ह जमाना ह ।बकसर बाबू जब कसी बडे आदमी क चौखट पर माथा टे क कर आता ह तो और भी अ धक चटखारे लेकर उपदे श दे ता ह जैसे सामने

वाला नासमझ हो । सब जानते ह बकसर बाबू क काल करतत ू को ।वह अमानष ु नेक बनने का ढ ग करता है । सब जानते है।

कमार बाबू-काश बकसर बाबू जैसे ठग ढोगी अमानष ु क म के लोगो क ु ब ह कार कर दे ती ।इसी म समाज सं था और दे श का हत है

शना त कर जनता

और उखडे. पाव लोग का भी।

॥ गमान ॥ ु

गलामद न बीडी का कश खीचते हए ु ु केशव बाबू से बोला बाबंू हम गर ब हाडफोड कर मिु कल से चू हा गरम कर पा रहे ह । दसर ओर कछ ू ु लोग धन के पहाड जोडते जा रहे है । या हम भय भख ू और जा त धम क लक रो पर तडपते मरते रहे गे ।ये कैसी आजाद ह ।

केशव बाबू-हमारा दे श अं ेजी हकमत से आजाद हो गया है ।तम ु भी तर क करोगे । ु ु गलामद न-कब केशव बाबू । ु

हम भी सामािजक और आ थक

टाचा रय क ना कभी भख मटे गी ना हमार तर क होगी । काश ू प से तर क कर पाते आजाद दे श म ।

केशव बाबू-गलामद न तमको नह लगता क तम ु ु ु आजाद हो ।

गलामद न-बाबू िजस दन हम द न द ु खय क गल से तर क होकर गजरे ु ु गी तब हम असल

आजाद महसस ह । तभी तो भय भख ू करे गे ।बाबू दे श क आजाद पर गमान ु ू जा तधमवाद से पी डत तर क से दरू उखड.◌े पांव होकर भी आजाद दे श क आजाद हवा पीकर साथ बसर कर रहा हंू ।

7

वा भमान के

परदे सी

सफेद क का लख तो जगजा हर हो चक है। अब ये का लख र त क जड तक पहंु चने लगी है ु । नतीजन प रवार टटने लगे ह। व वास कमजोर होने लगा है के मददे पर च ता जा हर करते ू ु

हए यानचरण ु काल चरण बाबू जजर सोफे म धंस गये ।काल चरण बाबू क हां म हां मलाते हए ु बाबू बोले लाख टके क बात कह रहे हो बाब।मझे ू ु ह दे खो उ मीद के आ सीजन पर ह ते◌ा जी

रहा हंू ।न ह सी नौकर घर प रवार क बडी बडी वा हशे, महंगाई क ासद ,ब च क पढाई खान खच का भार भरकम बोझ इन सबके बावजद ू पेट काटकर घर प रवार को दे खने के बाद भी गांव घर प रवार को अ व वास का भत ू पकडे ह रहता ह । वे सोचते है शहर जाकर

वाथ हो

गया ह ।बेचारा परदे सी शहर म अकेला मिु कलो से जझता है।बडी मेहनत के बाद तन वाह ू मलती ह और प

ह दन के बाद उधार पर काम चलने लगता है। या बाल ब चो को भखे ू

रखकर हर मह ने म नआडर करना ह अपनापन है ◌ै ।

काल चरण बाबू-परदे सी क पीडा को गांव घर प रवार वाले कहां समझते ह । उनक रोज रोज क मांग क पू त करते रहो पेट म भख ू लेकर तब

वणकमा◌ार हो वरना नालायक । ु

यानचरण-गांव घरप रवार वालो को परदे सी के दद को समझना होगा।तभी र ते का स धापन

बरकरार रह पायेगा । गांव से हजारो कमी दरू परदे सी वनवासी का जीवन जीता है।इसके बाद भी परदे सी के दद को लोग नह समझते बस

पया

पया

पया

काल चरण-कट ु ु ब के लये याग करना तप या है भइया ।

यानचरण- कट ु ु ब के लोग उखड.◌े पांव परदे सी के दद को समझे



,व

वास करे तब ना ।

राखी म मी चाचा का गांव से फोन है कहते हए ु रा गनी फोन अपनी म मी शोभा के हाथ म थमी द । शोभा- ेम बाबू रोशनी बी टया क राखी नह भेजे या ।उसके तीनो बडे भाई जान खा रहे ह ।कह रहे ह रोशनी क राखी नह आयी । ेमबाब-ू भेजी तो है प

ह दन पहले ।भौजी रोशनी क मां से बात करो ।

रोशनी क मां सधा ु -द द

यो नाराज हो रह हो । बडी द द तो बोल रह थी क भाई साहे ब का

पता ठकाना उनके पास नह है ।कैसे राखी भेजती । रोशनी ने तो भेज द है । शोभा- या जब ज रत पडती ह तो पता मल जाता है ।राखी भेजने के लये पता नह है । वाह रे ननद लोग।भाई बहन का तो यह एक उ सव होता है िजससे भाई बहन के मजबत ू होती है ।इस प व

नेह क डोर और

यौहार क याद ना आयी ।िजन भाइयो क बहने नह वे रो रहे ह ।

िजन बहने◌ा के भाई है उन बहन को◌े याद ह नह ं । सधा भी चढ गया । ु -द द राखी का शौक तमको ु

शोभा-होश म तो ह सधा ु । भाई बहन के इस प व भाइया◌ो◌ं को राखी नह बांधती ॥

पइया ॥

स भवतःपु

मोह से बडा

यौहार को शौक कह रह है । तम ु अपने

या कहते हए ु फोन रख द ।

ाण मोह हो गया है ।बाप

ाण आहु त इ तहास हो ने ।गांव के नीम हक मो ना द दारच को

चका है ।इस वा या को च रताथ कया द दारच ु 8

ारा बेटा के लये

डायबट ज का पेशे ट बता दया । वे घबराकर मरणास न ि थ त म आ गये ।अब मरे या तब क ि थ त म उ हे शहर लाया गया ।शहर मे◌े कशलच ु

ने उनका इलाज करवाया अ छे डां टर से

।इलाज के बाद वे ब कुल ठ क हो गये पर तु उ हे डायबट ज थी ह नह ।जब क कशलच ु

डायबट ज क बीमार का आतंक कई बरसो से झेल कर न ह सी तन वाह से शहर से गांव तक दे ख रहा था । आ थक तंगी एवं बीमार से जझते हए क फसत द दारच द ू ू ु ु बेटे क हाल पछने को कभी ना मल ।हां द दारच द बेटे को तब ज र कोसते जब उ हे पये क ज रत पडती ।सच

पइया हर र ते का आका हो गया है बाजारवाद के यग ु म ।

॥ घम ड ॥

ै◌ाडम रो हनी कु ते को स भालते हए ू बैठ ु आ दवासी म हला से पछ ल या ।

यो बाई आज छटट कर ु

बाई-हां मैडम जी आज भगवान का ज म दन है । आज तो छटट कर ल पजा पाठ के लये।रोज ु ू रोज तो हाडफोडती ह रहती हंू प रवार के साथ ।मेहनत मजदरू से रोट तो मल ह जाती है । रोज काम तो करना ह है आज के दन भगवान के लये छटट ले ल है । ु मैडम रो हनी-आज क मजदरू तो गयी ।

बाई- मैडमजी गयी तो जाने दो । म तो स तोष के धन म खश ु रहती हंू । अ धक पया से घम ड आता है कहते हए ु उखड.◌े पांव बाई अपनी झोपडी म चल गयी। मैडम रो हनी माथे पर भार

स कन लये हए ु कु ते के साथ आगे बढ गयी । ये इि डया है

जी वत बढ ू लाश प रजनो के लये बेकार क चीज होने लगी है ।वह प रजन जो कभी आ

त थे

मेहनत मजदरू खन कर रहे थे कहते हए ू पसीने क कमाई का सखभोग ु ु महे श दादा रोने लगे । सबोध - यो आंसू बहा रहे होदादा या हो गया । ु महे श दादा-सबोध क तरफ अखबार सरकाते हए ु ु बोले ये खबर पढो बेटा । सबोध -दादा सचमच ु ु च ता क बात है । बेचारे बढेू अमे रका के रा बं सन माइकल फां स लेह म

आकर मर गये ।भला हो भारतीय सै नको का िज होने अमे रक दतावास के ज रये मरने क खबर ू भेजवायी और लाश को स मान के साथ रखे ।रा बं सन माइकल फां स के प रजन ने लाश लेने को मना कर दया यह कह कर क लाश का हम

या करे गे ।

महे श दादा-बेटा रा बं सन माइकल फां स के साथ जो हआ ह हम सर खे बढो ू के साथ हो गया तो । ु सबोध -दादा बाजारवाद ने र ते को तहस नहस करना तो शु कर दया है ।दादा भारतीय र ते ु क डोर इतनी कमजोर नह है ।यहां तो मांता पता धरती के भगवान सर खे पजे ू ◌े जाते है। वो

अमे रका है ये इि डया है। दादा इि डया क नींव सदभावना, आ था एवं नै तक मू यो पर टक है।

महे श दादा-अरे वाह बेटा तमने तो मेर ु ॥ दध॥ ू

च ता का बोझ उतार दया ।

द यानी-हे ◌े भगवान हटलर के बम का जहर

अभी तक नह पचा । धीरे धीरे यह जहर द ु नया

म फै◌ेल रहा है। कृ त का वनाश हो रहा है ।वन स पदा का नाश हो रहा है। ट प थरो के जंगल खडे हो रहे है ।हवा पानी म जहर रोज रोज घल नह रहा। ु रहा है अब तो मां भी अछता ू 9

लाजव ती-

या कह रह हो द यानी बहन ।

द यानी-मां के दध ू म जहर मलने लगा है ।

लाजव ती-अरे बाप रे ये कैसे हो गया । द यानी- द ु नया के हर कोने म प व

माना जाने वाला मां का दध ू

दषण क भेट चढ रहा है । ू

लाजव ती- दपण क वजह से अब दध ू ू का धला ु नह रहा मां का दध ू द यानी बहन ।

द यानी-द ु नया भर क औरतो के◌ा मां के दध ू क र ा के लये पयावरण वनाश रोकने के लये

संघप करना होगा तभी बचेगी मां क अि मता और दध ू क प व ता । लाजव ती-सच कह रह हो द यानी बहन य द पयावरण वनाश नह

का । मां के प व

जहर मलता रहा तो कल का आदमी कैसा होगा ।

दध ू म

प रभाषा दनेश -अंकल बधाई हो ।अंकल कसी को ढढ ू रहे हे ◌ा ना ।

म ण बाब-ू नह बेटा ।

दनेश-अंकल ढढ ू तो रहे हो पर वे दोनो योम और तंगेश नह आये ह इस जलसे म ।

म ण बाब-ू कस ज र म फंस गये होगे ।

दनेश-इस भ य समारोह से बडा काम होगा उनके पास ।नह अंकल र ववार ह ना ट वी सेट से चपके होगे ।अंकल आप तो अपने करायेदार के दरू दरू के र तेदारो के जलसे म शा मल हो◌ेते

ह ।पैसा और समय भी खच करते है बढ चढकर ।दे खो आपके जीवन के सनहरे पल म वो हैवान ु हािजर नह हआ । तंगेश का दे खो वगत मह ने क ह तो बात है उसके बाप क मौत हई ु ु थी हजारो क कालोनी का कोई भी आदमी नह झांका आपके सवाय । इतना ह नह उसके बाप क

मौत हई ू तौर पर कोई गवाह तक नह दया ।आपने टा प पर लखकर दया क ु है काननी उसके बाप क मौत हाट अटै क से हई ु थी वह भी उन हैवानो के कहने पर। अंकल आप हर कसी के दख ु म भागते रहते हो

या मलता है आपको

म णबाब-ू सकन ू ।बेटा नेक करो वसार दो । आदमी से उ मीद ना रखो । भु पर व वास रखो ।यह जीवन का उ दे य

होना चा हये । कौन

या कर रहा है नजरअंदाज कर परमाथ क राह

बढते रहो । इससे◌े बडा कोई सख ु नह है । भले ह द ये क बांती क तरह तल तल जलना पडे ।

दनेश-समय का पु

अंकल

कहते है सा ह यकार को आज प रभापा जान पाया हंू ।बहत ु बहत ु बधाई हो

॥ झठ ू ॥

अपने साहे ब तो क पनी के भले का बहत ु सोचते है यार म बहत ु दे र म समझ पाया हंू । तपाक से सतवीर बोला सब झठ ू है।साहे ब को तो बस अपने भले का याल रहता है बाक कसी का नह चाहे क पनी हो या कमचार ।साहे ब को तर क काम और पढाई लखाई को दे खकर नह

मल

रह है । ◌ासाहब से बहत ु अ धक पढे लखे और क पनी और कमचा रय के हत म काम करने वाले लोग है । बेचारे सड रहे है । अपने साहे ब को तो दे खो बना शै णक यो यता के शीष पर बैठे हए ु है । 10

रघवीर यार सतवीर ु

यो साहे ब पर झठमठ ू ू का बलेम लगा रहा है । मने कछ ु सामान पासल

करवाने के लये साहे ब को कार से भेजवाने का बोला तो साहे ब बोले

यो कार से भेज रहे हो

िजतने का सामान नह है उतने का पे ोल खच हो जायेगा । चपरासी से भेजवा दो आटो र शे का कराया दे दे ना । सतवीर-तम साहे ब के ब चे को टयशन जाना था । मैडम को बाजार जाना ु नह समझे बाबू रघवीर ु ू था स जी भांजी खर दने ।इतने ज र काम छोडकर

या साहे ब दफतर के काम के लये कार भेज

सकते है साहे ब अपने भले के बारे म सोचते है यह स चाई है बाक सब झठ ू । गर साहे ब लोग सं था के बारे म सोचते तो क प नयां ब द ना होती बाबू ॥ सपाह ॥

साहे ब क बदतमीजी से तल मलाकर राधे याम बाबू घन याम बाबू से बोले बाबू ये साहे ब भी

न न ेणी के कमचार थे। आज बड.◌ा अफसर बन गये है सफ च मचागीर के बलबते ू ।चौपट

साहे ब से

यादा पढे लखे तो बेचारे चपरासीगीर कर रहे है।घन याम बाबू ना जाने

साहे ब तमसे खार खाये रहते है। तमसे बहत ु ु ु चौपट साहे ब से ु बदतमीजी करते है।तम लखे और या त ा त हो शायद इसी लये ।

य ये चौपट यादा पढे

घन याम बाबू--जलने दो ।खद ु जलकर राख हो जायेगे ।

राधे याम-दजनता स जनता को ल तया रह है। तम ु ु मौन हो ।

घन याम बाबू-राधे याम कलम का सपाह मौन नह रहता । जमाना ज र थक ू े गा चौपट साहे ब के मंह था ।आ मह या कर गया । ु पर। हटलर भी तो इसी धरती पर पैदा हआ ु राधे याम-कलम के सपाह इतना स कैसे रख लेते है । घन याम बाबू-कलम क घाव हर रहती है ।

राधे याम- बाबू कछ भी कहो पर चौपट साहब बांस कम डांन ु घन याम बाबू-समय है बत जायेगा स

यादा लगते है ।

मु कराता रहे गा ।

राधे याम-बाबू तम ु तो वो ह ती हो िजसे दे खकर चौपट साहे ब भ कने लगते है और तम ु बेखबर स माग पर बढते रहते हो । कलम के सपा हय को हर यग ु ने सलाम कया है । म भी तु हे सलाम करता हंू बाबू ॥ फल ॥

वाला साहे ब बधाई हो

मोशन पर

मोशन साल म दो दो भी । अब तो साठ साल के बाद भी

आपक बडे पद क नौकर प क रहे गी ।सं था का मा लक बने रहे गे मायस ू बोले।

वर म ह राबाबू

वाला साहे ब-आप लोगो क शभकामनाओ का फल है । ु

ह रा बाबू -नह साहे ब वं चतो को ल तयाने और अपने लोगो को खश ु रखने क कला का फल है। वाला साहे ब-ह रा

य मजाक कर रहा है ।

ह रा बाबू-साहे ब आपने

तभा के दमन क

वाला साहे ब- तभा वरोधी

ह रा बाबू- हां साहे ब ।वं चत

दे ने क आपने कसम खा ल

त ा ।

त ा को परू

कया इसके लये और बधाई कबले ू ।

तभावान के भ व य का आपने खन ू कर दया ।उसे आगे न बढने ।

11

वाला साहे ब-ह रा तू व याधर वं चत क बात कर रहा है ।अरे छोटे लोगो को

मोट करना खतरे

से खाल नह है ।छोटे लोग बराबर करने लगेगे ।ऐसे ल गो को दबा कर ह रखना चा हये। आगे बढने का मौका दया तो सर पर चढकर मतने लगेगे । ू

ह राबाबू -अरे वाह रे यो यता और आद मत के द ु मन तमने ु व याधर के भ व य का खन ू कर दया ।उ च

स ता

था पत करने के लये

ेणी के यि त को न न

ेणी का बनाकर शोपण

कया । तर क से वं चत व याधर ने तो अपना ह नह अपने खानदान का नाम रोशन कर दया है अपनी उ च यो यता के बल पर । व वास रघु-अरे भइया रं धवा

य उदास हो अब तो जेल से फसत से छट ु ू गये। कोट कचहर का झंझट

भी नह रहे गा जो होना था हो गया ।इस अनहोनी को क मत का लखा मान कर स

करो

भइया । रं धवा-भइया

क मत क वजह से नह पु लस वाले क वजह से जेल गया था । साल कोट

कचहर का च कर लगाया सफ इस लये क वो वद वाला रोट के लये बक गया था।नह तो होटल के बैरे से सफ कहां सनी ु ह तो हई ु थी मयां भाई क । मयां भाई के साथ होने क वजह से मझे दया गया 307 और 302 का मलिजम बनाकर ।वो बडे बडे बाल ु भी जेल म ठस ु ु बडी दाढ बडी मंूछ वाला ल बा तंगडा रोबीला पडाव थाना

भार चार हजार

पये लेकर तो

जमानत होने दया था ।इतने बरस तक बना अपराध के मान सक,आि मक,शार रक और आ थक

प से जो दख ु पाया उसक भरपाई कौन कर सकता है ।

रघु-कोई नह भइया।ये वद वाले अपने फायदे के लये िजसे चाहे उसे जेल म ठस ु सकते है जन सेवा रा

सेवा क कसम को भलकर तभी तो पु लस बदनाम है ।अंधेरपरु नगर कनवा राजा क ू

कहावत च रताथ हो रह है।

रं धवा-ठ क कह रहे हो भइया मेरा भी व वास उठ गया है । डयट ू

लो डाक साहब डा कया पसीना पोछते हए ु बोला । डा कया को परे शान दे खकर रघु बाबू बोल पो टमैन साहब बै ठये पानी पी कर जाइये । साहब मरने को फसत नह ह ।साधारण डाक रिज

और म नआडर सब हम ह तो बांटना पड

रहा है ।नई भत ब द ह कहने को।दै नक वेतन और सं वदा पर साहे ब लोग रखते तो ह वह भी अपने ह आदमी । वे काम करे गे क च मचागीर ।दफतर म आते ह तो साहे ब क रौब दखाते ह।डर के मारे कौन बोले ।मंह छछलेदर हो ु खोलो तो आचरणह नता का केस बन जाता है ।बहत ु जाती है साहे ब। रघु बाबू यह ं दे खो बडे साहब बाहर

ह तो दै नक वेतनभागी चपरासी भी नह आया है ।जब जब

बडे साहब दफतर नह आते चपरासी भी नह आता । पछताछ एकाध बार कया तो मालम ू ू ह बडे साहे ब

या बोले ।

यह ना तम के ु लोगो को बात करने नह आती है।अपनी डयट ू तो ठ क से करते नह दसर ू मामल टांग अडाते हो।अपनी डयट ू से मतलब रखो कौन 12

या करता ह यह दे खना तु हारा काम

नह है ।आने जाने वालो से बरा ु बताव करते हो।तम ु लोगो क

शकायत आने लगी है । अपने

यवहार म सधार करो ।पो टमैन एक झटके म बोला ।रघु बाबू के हाथ से गलास का पानी लेकर ु

पेट म ज द ज द उतारकर चल पडा अपनी डयट ू बजाने क हडबडाहट म ।

रघ-ु सच कह रहे हो,नीिज वाथ,भाई-भतीजवाद,जा तवाद ह तो इस दे श क नींव खोद रहे है ।

आचरण ध सच द अपने अधीन थ

ति ठत कमल बाबू को डपटते हए ु बोले कमल तु हारा आचरण ठ क नह ह दफतर म आने जाने वाल से द ु यवहार करता ह ।सभी तु हार शकायत कर रहे है । तमको नौकर करनी है क नह । ु

कमल-सर हमने तो ऐसा कोई काम आज तक नह

कया िजससे कसी भी कमचार को तकल फ

हई ु हो । ठ क है म छोटे पद पर काम करता हंू पर मेर भी अपनी मान मयादा है । म वैसा ह यवहार करता हंू जैसा म दसर से अपे ा करता हंू । ू ध सच द- यवहार करते हो क द ु यवहार । अपने यवहार म बदलाव लाओं नौकर करनी है तो । तम ु

सा यवहार दसर से करते हो सब मझे ू ु पता है फर भी तम ु खद ु अपनी समी ा करो ।यह

मेरा मश वरा है



उखड.◌े पांव कमल बाबू को काटो तो खन ू नह ं । बेचारे को वजह यह मल क वे कल चपरासी ,ठगे

समी ा करने म जट ु गये । कमल बाबू

को आफ स का काम करने के लये बोले थे यह

जानकर भी क चपरासी साहब का आदमी है । कमल बाबू का चपरासी को काम बताना दव ु यहार हो गया साहे ब क

नगाह म ।

उ दार अ पश

त, न न पद च मचागीर के शखर से उ चपद हा सल करने वाला ब ढया काम करने

वाले कमचा रय को धीरज बाबू बोले ।

ता डत कर तो

या इसे हटलरगीर नह कहे गे राजू आंख मसलते हए ु

राजू-बाबू यह लोग तो स ता का सख ु भोग रहे है नीचे से उपर तक ।गर ब को हू के बैल सा खट रहा है ।चाहे दफतर हो या जमीदार का खेत ।सच कहा है कसी ने कमाय धोती वाले बेचारे खाय टोपी वाले । धीरज बाबू -राजू तु हारे साहे ब भी तो ऐसे ह

हटलर है ।

राजू-हां बाबू तभी तो आंसू पीकर काम करना पड रहा ह पा रवा रक दा य व नभाने के लये । ऐसे हटलर के साथ दन दखते साल क तरह बतता है । ु

धीरज बाबू-राजू ये उ◌ु◌ंची पहंु च वाले सबल लोग गर ब क तकद र पर कु डल मारे बैठे ह स दय से ।इन हटलर के आतंक से नपटने के लये हटलर ह बनना होगा । राजू-हां बाबू ठ क कह रहे हो तभी गर ब का उ दार होगा । नमाण

13

मां चामु डा क नगर , पांच दवसीय सरकार भारत नमाण अ भयान के जलसे के भ य समापन समारोह के मौके पर मोती बाबू आपक आंख म बाढ । वजह जान सकता हंू । मोती - भख दशन बाबू । ू

दशन - या भख ू । सना ु है पहले शाइ नं ग इ डया और आक -बाक भारत नमाण अ भयान ने पछाड दया है। सलग रहे हो । ु

मोती -दशनबाबू दशन - कहां ।

दे श म करोडप तय क सं या दन-रात बढ रह है । आप भख ू क

चता पर

दशन के अलावा ये सब कछ नह ह वो दे खो भख ू का नंगा खेल । ु

मोती -कचरे के ढे र पर जहां खाकर फके हए ू नंगे आदमी के ब च भी ु ड बे कु त के साथ भखे चाट रहे ह । दशन -सच कह रहे हो भख ू और द र ता के रहते शाइ नं ग इ डया हो चाहे भारत नमाण अ भयान द न द ु खय के आसंू नह प छ सकते। क याण

दशरथ-भइया धमान द गर ब का क याण कभी होगा धमान द-ऐसा तमको ु

या

?

य लगता है ।

दशरथ-सामािजक आ थक वपमता

,

तर क दे खकर।

वाथ क अंधी दौड, गर ब का अव न त और बाहब ु लय क

धमान द-बात तो लाख टके सह कह रहे हो भइया दशरथ इनके रहते तो नह पर अस भव भी नह है । दशरथ-वो कैसे भइया । धमान द-अपने अि त व का जोरदार

दशन ।

दशरथ-व ह कार और बराईयो का वरोध । ु

धमान द-हां पर अ हं सा मक ढं ग से, तभी गर ब का क याण स भव है । अ त मण

अरे वाह तम ु तो सट ू पहनकर आये हो दफ् तर अ धकार बेगानच द ने अपने से कई गना ु अ धक

पढे लखे और छोटे पद पर काम करने वाले कमचार द वानच द पर यंगबाण का तरकस छोडा । द वानच द-सहज भाव से बोला ना जाने

य तथाक थत

े ठ लोग अपनी यो यता को नह

दे खते। गर गट क खाल ओढ लेते है । बेगानच द- ख सयाकर बोले काग हंस तो नह बन सकते । द वानच द-पद दौलत के नशे म चरू लोग को अपने मद के भसे क तरह।

के अलावा कछ ु नह

दखाई दे ता सावन

छोटे लोग के मंह क ओर बढने लगे । ु म नह लगता कहते हए ु ु बेगानच द अपनी कस द वानच द ने भी नहले पर दहला मारा सनो ु साहेब आप और आप जैस ना जाने कतने लोग हमारे जैसे लोगो क तकद र नाग क तरह अ त मण कर बैठे है । गफ् ट

14

दफ् तर म व ापन क प नय स हत क पनी के उ पाद बेचने वालो का आना जाना लगा रहता था । ये सभी मानच द बाबू से अपने काम के बारे म चचा भी करते। मानच द बाबू इन लोग का

काम कर गव महसस ू करते। द वाल और नये साल के आते ह लोग मानच द बाबू को दे खना भी पस द ना करते । नये साल अथवा द वाल के◌े मह ना भर बाद एक दन

क पनी के

ने भी उनसे

य क

य ि थ त हो जाती।

त न ध आये मानच द से बडे आ मीय ढं ग से बात करने लगे । मानच द

यादा आ मीयता

गट कये और काम भी कये ।इसके बाद

त न ध से कहे एक

बात पछं ू ू महोदय । त न ध-हां

य नह साहब के पहले तो आप हमारे साहब है ।

मानच द-म साहब तो नह हंू पर अपना फज है अ छ नभाना जानता हंू । म तोहफा के लये काम नह करता । अपनी हालात पर खश ु रहना भी जानता हंू ले कन मझे ु एक बात खटकती है । त न ध-वह

या ।

मानच द-द वाल या नये साल के आते ह क पनी के मा लक अथवा

त न ध लोग अनजान



बनने का नाटक करते ह । त न ध- गफ् ट बांटने क

य थता रहती ह । बाक समय तो काम करवाने के लये आते ह है ।

मानच द- या आपको नह लगता क गफ् ट दे ना

ाचार को

यौता है

बल रामबाबू दकानदार को आधा कलो नमक न का आडर दये । दकानदार दामू नमक न रामबाबू के ु ु सामने रखते हए ु बोला और या सेवा क ं आपक रामबाबू बोले और तो कछ नह चा हये बल दे दो । ु

दाम-ू रामबाबू को बल थमाते हए से बल लेना जाग क लोग अपना ु ु बोला बाबू छोटे दकानदार चातय ु समझते है। पाव भर नमक न खर दे गे प का बल मांगेगे । अरे कोई कोट कचहर वाल से बल लेकर बताये तब ना जाने क अपने दे श के लोग जाग क हो गये है । अपने दे श के

जाग कता का द भ भरने वाले लोग कचहर से खर द गये◌े भरकम शु क के भी बल लेते है गये ।

या

? दकानदार ु

का सवाल

टा प पेपर एवं दये गये भार सनकर रामबाबू के तालु चपक ु

परु कार

काका ये त वीर तु हार द वाल पर म तब से दे ख रहा हंू जबसे मेर आंख खल है। इस कले शन ु म कोई त वीर नह जडी य । ु द नानाथ -बेटा दयाल इन त वीर के अलावा शायद ह कोई त वीर टं गे । दयाल-ऐसा

य काका कह रहे हो । नेता तो अपने दे श म बहत ु हो गये है। दे श समाज क सेवा के बदले बडे से बडा परु कार अपने नाम करवा रहे है । या दे श समाज क सेवा का द भ भरने वाले◌ा◌ं के फोटो नह ं लगा सकते ।

द नानाथ-पहले के नेता दे श समाज क सेवा करते थे अब के नेता अपना खजाना भरते है ।

या

ऐसे नेताओ क त वीर लगाकर ईमानदार और से वाभाव को गाल दे ना नह है।सरकार परु कार को आपस म मल बांट लेना स मान का डाका

तीक है अपमान का बेटा

15

?

ब पन- बहार बाबू मेर कमीज बताओ कतनी क होगी। बहार -सौ

पये क होनी चा हये ।

ब पन-अरे यार

ा डेड है ।

500

क है तम ु सौ

पये आ◌ा◌ंक रहे हो ।

बहार -होगी प चास दन चल जाये तो मान लेना। आजकल डाका डाल रहे है कछ ु ु दकानदार

बहार -हां कल क ह तो बात ह ।म बेटे के लये

8242

दनांक

22

जनवर

ाहक क जेब पर



ब पन- या । मांक

ा ड के नाम पर

2008

ा डेड क पनी का जता ू

को वचर शो

जता है और एक जते ू पराना ु ू मे फ ता भी नह है ।दकान ु

0 499 90

बल

म से लया ।घर आकर पता चला क

शकायत लेकर गया तो दकानदार ु

उ टे मेरे उपर इ जाम लगाने लगा क जता ू पहनकर लाये है। न जते ू बदला ना ह पैसे वापस कये । मै ठगा सा वापस आ गया ।

ब पन-यह तो धोखाधडी है । मनाफाखोर दक ु ु ानदार

ाहक के पाकेट पर डाका डालने लगे है।

उ तरा

यूनतम ् यो यता उ च

े ठता क बदौलत परसाद बाबू

ांचहे ड का पद ह थया बैठे।परसाद बाबू

वैसे तो सभी को आतं कत करके रखते थे पर तु छोटे और अपने से अ धक यो य लोगो से तो छ तीस का आंकडा रखते थे । गणत

दवस के चौथे दन परसाद बाबू दोपहर के एक बजे आये

। आते ह काल बेल पर जैसे बैठ गये । कछ ु ह दे र मे अभ

भाषा का

योग करते हए ु बडे बाबू को बलाने लगे अरे ओ दयावान इधर आ । साले दन भर बैठकर चाय पीते है कोई काम नह ु करते । इसी बीच दयावान हािजर हो गया ।

ांचहे ड - आग बबला और आ फस क सफाई ु होकर बोले हमार टे बल ु कस ु

दयावान-सर ओ चरे थे

य क चरे

य नह हो रह है ।

आजकल नह आ रहा है ना । यह बात परसाद बाबू अ छ तरह से जानते

उनका चहे ता था।आ फस का काम कम और उनका अ धक करता था ।

इतना सनना था क ु

ांचहे ड परसाद बाबू क आंखो म खन ू उतर आया । तमतमा कर बोले चरे

नह आ रहा है तो तम ु करो । दयावान-म

य ।

ांचहे ड परसाद बाबू-बदतमीजी से बोले तमको करना पडेगा । ु

दफतर के सभी लोग खामोश थे अ धकतम ् यो य दयावान के अपमान के गवाह भी। उनक जबान खामोश थी पर तु जबान पर यह सवाल तैर रहा

था क सं था ने

ब दर के हाथ म उ तरा



थमा दया । घाव

साहे ब क कोठ का काम नपटा कर सा व ी बाई आसंू पोछते जाते हए ु दे खकर ाइवर मोती चपक । ु े से कोठ क आड म खडा हो गया और इशारे से बाई को अपनी ओर बलाया ु सा व ी बाई-बाबजी ू

य बला ु रहे हो । म ऐसी वैसी नह हंू ।उ◌ु◌ंची जा त क हंू । मजबरू म झाडंू पोछा और कपडे धोने का काम कर रह हंू । प त क कमाई से घर नह चल पाता है ।ब च को अ छा कल मले इसी उ मीद म तो गलामी कर रह हंू साहब लोगो क । ु मोती-बाई मझे ु गलत ना समझो ।तम ु आंसू य बहा रह हो । 16

सा व ी बाई-बाबजी गर ब का आसंू कौन पोछता ह । सब आसंू दे ते है । ू मोती-बाई

या कह रह हो ।द ु नया म सभी एक जैसे नह होते ।भलमानप के ु लोग भी है।दसर ू

दद को अपना समझते है ।

सा व ी-बाबजी सह कह रह हंू । ये आपके साहे ब कोई भलमानप ू ु है या मोती- य नह भलमानप ु है बाई । इतने बडे साहब ह । हां कम पढे लखे है पर सा व ी-साहब है ।इसका मतलब ये तो नह

े ठ ह ।

क दे वता है ।रा स है रा स

।ये आसंू उनके दये हए ु शोपण के घाव क वजह से बह रहे है

।मोती- या हआ बाई । ु सा व ी-बेटवा को नौकर पर लगा दे गे इसी उ मीद म पांच साल से एकदम कम पैसे म कोठ का परा ू काम और खाना भी बना रह इतना ह नह ट ट घर फोकट म साफ करवा रहे है ।बेटवा गजे

से भी सबह शाम गलामी करवा रहे है ।छु टय के दन तो सबह ु ु ु साहब के बंगले आ

जाता ह और रात म घर वापस आता है भखे यासे । ये लहलहान हाथ दे खो बाबजी तेजाब से ू ू ू ु फश साफ करने म हआ ह । यह हाल मेरे बेटे का भी है । या अमानष ु लोग है । ु मोती-बाई

ारपाल साहे ब तु हारे बेटवा को कभी भी नौकर नह दे सकते।गलतफहमी मत पालो ।

ये गर ब के खन वाले शोपण के घाव के अलावा और कछ ू चसने ू ु नह दे सकते । सा व ीबाई-धोखा कर रहे है ◌े◌ं या मोती-हां । आसंू न बहाओ । बात रखने क बीमार

साहब बडे साहब को

ह मत जटाओ । ु

या हो गया है ल लू दखी मन से पछा । ु ू

वजय- या हआ ल लू साहब को । ु ल ल-ू बाबू चचाओ का बाजार गरम है।आपको कछ पता नह ।अ छा आप तो पी ु । जानकर भी अनजान रहे गे ना ।

वजय-सच ल लू मझे ु कछ ु पता नह । बाजार गरम



साहब है

य है तु ह बता दो ।

ल ल-ू घसखोर और अ याचार क वजह से । आजकल बात बात पर गाल दे ने लगते है । ु

आपके साथ भी तो कल बहत ु है कई एजेि सय से कई लाख ु बदतमीजी कर रहे थे । सना डकार गये है।कईय से ऐठने का लान है । दआल साहे ब तो बडे शा तर नकले ।चेहरे से तो ु बहत ु शर फ लगते ह । मन से बहत ु काले है । वजय-ल लू दआल साहे ब अपने फज को भल ु ू गये ह जानते हो

य।

ल लू - य साहे ब ।

वजय-साहब साहब बनने लायक है ।

ल ल-ू नह ।

वजय- ब कुल सह । पद और दौलत उ मीद से बहत ु म दआल साहे ब मान सक बीमार के शकार है । ु अ प ृ यता

17

यादा मल गया ह । इसी अ भमान

रघवर ु -अरे भाई सेवक जलसे म नह गये थे सेवक- कस जलसे क बात करे रहे हो ।

या ।

रघवर ु -अरे िजसे िजले क ये सु खया है ।

सेवक-क पनी के जलसे क । ये तमको कहां मल गया। ु

रघवर ु -भाई तु हारे वभाग के जलसे क खबर है ।इस लये अखबार क कतरन साथ लेते आया ये दे खो तु हारे दफतर के सभी लोग फोटो म ह बस तमको छोडकर।अ छा बताओं तम ु ु शा मल

य नह हए ु । सेवक-मै छोटा कमचार अ पृ यता का शकार हो गया हंू । रघवर ु - या कह रहे हो । तम ु जैसे कद वाले सफ पद के कारण अ प ृ यता के शकार

सेवक-हां रघवर । ु

रघवर ु -धैय खोना नह । जमाना तु हार जयजयकार करे गा एक दन सेवक चाय

अ धकार -ट चू ये

या है ।

ट चू-सर चाय है ।

अ धकार - कैसी चाय है । वह भी सरकार । ट चू-दध ू म त नक पानी डाल दया हंू । अ धकार - यंू ।खा लस दध ू क य नह ।

ट चू शकायती लहजे म बोला-इंचाज बाबू मना करते है ।

अ धकार -बाबू क इतनी ह मत । हमे तो खा लस दध ू क ह चलेगी । ट चू-बावन बीघा क पद । ु ना क खेती वाले है,मन ह मन बदबदाया ु ु अ धकार -कछ बोले ट चू । ु ट चू-नह ं सर ।

अ धकार -अब तो सरकार चाय

दे दे ।

ट च-ू सर दध ू मे चाय प ती और शकर डलेगी । अ धकार - हां दे खकर ।

य नह पर पानी नह ।जा क बहस ह करता रहे गा। मड ू खराब हो गया चाय

ट च-ू दध ू म चाय प ती और शकर डालकर गरम करने म जट ु गया । े सडे ट

सं था के उपकायालय के कमचार यू नयन ।

े सडे ट के आगमन क खबर से काफ उ सक ु थे

उधर दसरा वग कलह और झंझावत से जझ ू ू रहा था ।

कायालय

मख ु के ए सी

े सडे ट दौर पर आये और सीधे

व ट हए ु फर बाहर नह झांके । घ टे दो घ टे क गपशप और चाय ना ते के बाद वे ए सी म से झटके से नकले और ए सी कार म बैठ गये । बेचारे कमचार

म म

सडे ट क झलक तक नह पा सके । एक कमचार दसरे कमचार से ू

बोला यार अपना वोट तो यथ हो गया । पासवड

18

गोपाल

साद अ धकार के

तबे म मदम त चरवाहे क भां त च लाने लगे

अरे

वो द पक तू जरा इधर आ द पक- या हो गया गोपाल

साद जी।

साद- बक

टे टमे ट क ई मेल आयी है

,

ट लेने नह आ रहा है ।

द पक-ईमेल ए ेस बताइये नकाल दे ता हंू । उधर का गोपाल साद आशं कत मन से ईमेल ए ेस बताये ।

टर खराब है ।

द पक-क बोड सरकाते हए ु बोला ल िजये पासवड डाल द िजये । गोपाल साद बडी बार क से पासवड डाले ।द पक उनक तरफ आंख उठा कर भी नह दे खा पर गोपाल

साद को पासवड चोर होने क शंका हो गयी ।

द पक-लो

सादजी

गोपाल साद बैक बैक

ट आ गया ।

टे टमे ट लेकर दफ् तर के दसरे क ू

म गये । एक तरफ कोने म बैठकर

टे टमे ट का मआयना कये । बीस मनट के बाद आये और बोले द पक तू बता पासवड ु

कैसे बदलते है ।

द पक-पासवड चोर हो गया

या

साद जी ।

कमरा आ ट आपके यहां कमरा खाल है ना । गु ता आ ट ने भेजा है ,कला- मसेज क ठवास से पछ । ू

मसेज क ठवास-हां है तो ।तमको चा हये या कसी और को ु

कला-मेरे भइया को ।

मसेज क ठवास-दे ख लो । कला-कमरा तो बहत ु छोटा है । आ ट कराया कतना है । मसेज क ठवास-बारह सौ । मसेज क ठवास प त क ओर इशारा करते हए ु बोल उनसे बात कर लो । म टर क ठवाल बोले कमरा ठ क है ।

कला-कमरा छोटा है कराया

यादा है । भइया अकेले रहकर पढाई के करे गे । सोना खाना तो

घर पर ह होगा । म टर क ठवास- भइया तु हारे सगे नह है ।

कला- सगे से बडे है राखी के भाई है । म टर क ठवास-तु हारा भाई करता

या है ।

कला-अंकल आ ट ट है ।

म टर क ठवास-पे टर को नह दे ना है । बाहर जाओ कहते हए ु दरवाजा भडाम से ब द कर लये । कला-अंकल म बी एफ ए बी एफ ए या जानेग गयी ।

फाइनल क पर

ा दे चक ु

हंू । मेरा राखी का भाई पास बडा च कार है। अंकल आप जैसे मान सक रोगी च कार के वजद ू को

नह चा हये आप जैसे घम डी का कमरा कहते हए ु कला बैरंग लौट 19

म टर क ठवास के यवहार और कला के शाल न तेवर को दे खकर मसेज क ठवास के तो

होश ह उड. गये । उपभोग

अ धकार अधीन थ कमचार जयेश को हदायत दे कर लोकल दौरे पर चले गये ।

रात के

साढे आठ बजे जयेश ने अ धकार महोदय को मोबाईल पर काल कया । काफ दे र के बाद अ धकार ने फोन अटै ड कया और छटते ह बोले जयेश कहां से बोल रहे हो । ू जयेश-सर आफ स से

अ धकार -इतनी दे र तक आफ स म जयेश- सर आपक

या कर रहे हो ।

हदायत थी ना बैग से भरे बोरे रखवाने क

अ धकार -ओ आई सी जयेश-सर बैग क

डलवर अभी हई ु है बार बार के फोन करने के बाद अ धकार -बहत कया सनो ु ु मझे ु अरल मा नग कल नकलना होगा । तम ु ु अ छा काम तमने दफतर स भाल लेना । जयेश-ठ क है सर अ धकार -एक काम करो जयेश- या सर अ धकार -एक बोरा खोलकर एक बैग ले लो

जयेश-सर बाद म आपके हाथ से ले लंूगा ।

अ धकर -ठ क है अब तम ु घर जाओ बहत ु लेट हो गये हो ो ाम नपटाकर साहब आये ।चपरासी को बलाये ।कार से बैग से भरा बोरा नकलवाये । ु चपरासी से

गनवा कर बैग आलमार म रखवाये । कछ ु बैग कार म रखवाये । जयेश

इ तजार करता रहा क साहब अब बैग दे गे तब दे गे पर साहब ने नह

दया । जयेश ह मत

करके बोला सर आप बैग दे ने वाले थे मझे ु । दे दे ते तो काम आ जाता । मेर बेट कल बाहर जा रह है।

अ धकार - बैग तो बंट गये जब क सबह ह तो ढे र सारे बैग आलमार म और कछ ु ु कार मे रखे गये थे यि तगत उपभोग के लये नसीब ह राच द च मा साफ कर आंख पर रखते हए ु उठे और कई दन से पडे कपउ◌े ेस करने लगे ।सहानी से नह दे खा गया बढेू ससरु को कपडा ेस करते हए ब तर से ु ू ु ,वह दद को भलकर उठ और बोल बाबजी रहने दो म कर दे ती हंू । बखार आज थोडा कम है । आपने िज दगी ू ु भर काम ह तो कया है,अब आराम करो।हम कस दन रात के लये है । ह रसच द बोले तू बीमार है। आराम क तमको अ धक ज रत है न क मझको । ु ु

सहानी -बाबजी रहने भी दो ना कहते हए ु ू ु करने लगी । ु ह राच द के हाथ से ेस लेकर खद बहू के सेवाभाव से ह राच द को जैसे वग का सख ु नसीब हो गया । भगवान

20

ातः द यानी मु ना के रोने को अनसना ु कर क चन म कछ ु बनाने म य त थी,िजसक

सग ु ध सेवकबाबू क नाक तक बेधडक पहंु च रह थी । द यानी क चन से ह मु ना चप ु हो जा म आयी कहकर चप ु कराने क को शश कर रह थी ।

े◌ावकबाबू बहू मु ना को चप ु कराओ कब से रो रहा है ।भख ू लगी होगी । अरे मेरा च मा कधर चला गया,मै ह चप फसत नह है तो । ब चे का याल रख करो बहू । ु कराता तमको ु ु द यानी बाबजी ू -ये रहा आपका च मा और ये आपका चाय ना ता ।

सेवकबाबू-बेट पहले मु ना को दे खना ज र है न क मझको । ु द यानी-बाबजी भगवान को भी तो नजरअंदाज नह ू

कया जा सकता ।

सेवकबाबू कभी नीले आकाश क ओर तो कभी दे वी समान बहू द यानी क ओ दे ख रहे थे । बेट का सख ु या औलाद हो गयी है आज के

वाथ जमाने क , बताओ तीन तीन हटटे क टे बेटे,अ छ

खासी सरकार नौकर और बहओ क भी सरकार नौकर पर तोता काका को समय पर पानी ू दे ने वाला नह ।दे खो बेचारे अ सी साल क उ म घर छोडकर जा रहे थे । खेलावन काका क बात सनकर दे वकल काक बोल दे खो एक बेट अपनी भी है चार चार ु

ब च का पाल रह है।दफतर जाती है। बी टया जरा भी तकल फ नह पडने दे ती । सार सख ु सु वधा का

याल रखती है । एक वो है, तोताजी, बेटा बहू नाती पोता,भरा परा ू प रवार,अपार धन स पदा के बाद भी दाना- पानी को तरस रहे है। एक बेट के मां बाप हम है। ॥ बथडे ॥ है पी बथडे सर कमार बाबू बोले ु

अशोक बाबू मेरे बथडे के बते कई दन हो गये कमार बाबू बोले । ु अशोक कमार बाबू मठाई खाने का तो मेरा भी हक बनता है । ु कमार बाब-ू यो नह ं ु

कहते हए । ु ु चपरासी से अकेलाबाबू को बलावे अकेलाबाबू बो लये कमार बाबू या फरमा रहे है । ु कमारबाब -ू सन ु रहे हो साहब मठाई खाने का कह रहे है । ु अकेला बाबू -कैसी मठाई कसी खशी ु म

अशोकबाबू-कमार बाबू के बथडे क खशी म । ु ु

कमारबाब ू चपरासी से बोले जा अकेलाबाबू से पैसा ले ले और साहब के मन पस द क ु

मठाई

ला।

चपरासी-कौन सी साहब, काजू कतल ,शंखबादाम या और कछ ु अशोकबाबू-कछ भी नह ु

चपरासी- य नह साहब । अशोकबाबू-कमार बाबू के बथडे क ु

मठाई खाने क बात हो रह थी ।यहां तो कमारबाब ू ने तो ु

पतरा बदल दया अपने बथ डे को क पनी का बना दया । द मक मतेष- ीराम सर ीराम-हां बोले प कार महोदय 21

प कार-सर फरमेशबाबू का इ टर यू



कालम म छप गया है ।

ीराम-बहत ु अ छा । ध यवाद फरमेशबाबू का इ टर यू छापने के लये । क हैया-सर आपका इ टर यू छपा है ीराम-नह मेरा नह फरमेशबाबू का ।

चपरासी-भागते हए ु फरमेशबाबू के पास गया और बोला बधाई हो सर आप तो छा गये म । फरमेशबाबू -वो कैसे ।

चपरासी-आपक अखबार म फोटो छपी है

शहर

ीराम साहब बता रहे है ।

फरमेशबाबू - मेर फोटो छप गयी जा दौडकर अखबार खर द ला चपरासी-सर पैसा फरमेशबाबू -जा

ीराम से ले ले

चपरासी-सर अखबार लाना है पैसा द िजये । ीराम-इनटर यू कंजसबाब ू ू का छपा है पैसा मै दं ू

चपरासी- क पनी को द मक क तरह खाने वाले

या दे ग

एहसान ओम काश एक क पनी म कायरत ् थे उनक प नी करन कम पढ

लखी तो थी पर

कूल

क ट चर हो गयी थी। दोनो ब चे गोलू शोलू और गोलू बहत ु छोटे छोटे थे । ये दोनो ब च हम प त-प नी क गोद म खाये पले बढे । मेरे ब च ने भी बहन भाई का यार दया, ओम काश और करन को ब च ने सगे चाचा चाची का ।

आठ साल के बाद मेरा घर खाल कर रहे थे । हमारे घर का माहौल गमगीन हो गया था । घर खाल कर ओम काश सरमा सप रवार चले गये बना बजल का बल दये । पानी का बल तो कभी दये ह नह । नाममा दो दो हजार दे ने को तैयार थे पर नह

का कराया ले रहे थे प रवार के सद य मानकर । दसरे ू दये।

ओम काश और उनके प रवार के जाने के दो दन बाद घर का ताला खला ु । घर अ दर से दो समदाय के दं गे म लहलहान आदमी क तरह अपना हाल बयां कर रहा था। रसोईघर के जल ु ू ु नकासी का पाईप, लै टन क द वार और फश पर लगी टाईले कू ं च द गयी थी । बजल

स लाई लाईने तोड द गयी थी। वाशबे सन तहस नहस था । दस खचा का खचा खडे खडे मंह ु चढा रहा था । म घर का हाल दे खकर अवाक् था । या सला दया रे मतलबी मेरे एहसान का

ीमती प लू म आंख छपाये◌े हए ु बोल

दौलत बाबजी - आप तो कहते हो क आदमी बड.◌ा बनता है तो फलदार पेड. क तरह झक ू ु जाता है ।

हां बेटा रामू मने तो गलत नह कहा है। बात तो सह है रघदादा बेटे से बोले । ु रामू-बाबजी बात परानी हो गयी है। ू ु रघदादा -बेटा ये अमतवचन है । ु ृ

22

राम-ू बाबजी म बांस से ू

यादा पढा लखा हंू । दफ् तर के बाहर मान स मान भी बहत ु है ।

इसके बाद भी अपमान

रघदादा -ये दजन के ल ण ह । ये बबल ु ु ू के पेड सर खे होते ह बेटा। राम-ू बाबजी ू

या क ं

?

रघदादा -कछ नह । कम पर व वास रखो बस ु ु रामू-बाबजी रोज रोज अपमान का जहर ू

रघदादा -बेटा हर अ छे काम म बाधाये आती है। घबराओ नह ं । भले ह उ◌ू◌ंचा पद और ु

दौलत का पहाड तु हारे पास नह है पर तु तु हारे पास कद क उ◌ू◌ंची दौलत तो है। कद से आदमी महान बनता है । पद और दौलत से नह े नं ग तु हार तीन दवसीय दे वी

े नं ग होने जा रह है दे वी

साद कनक साहब पछे ू ।

साद-हां साहब,कछ दे र पहले फै स से सचना आयी है । ू ु

कनक साहब-बधाई हो भाई तु हार टं ◌्रे नं ग । हमार तो हई ु नह । तु हार हो रहा है कहते हए ु कनक साहब अपने माथे पर च ता के काले बादल लये अपनी के बन म चले गये । ब बन-दे वी साद कनकसाहब बधाई दे रहे थे या वरोध कर रहे थे ।

दे वी साद-कनक साहब बडे अफसर है । उनका अ भमान बोल रहा था । छोटे कमचा रय क टं ◌्रे नं ग कनक साहब जैसे अफसर फजलखच और क पनी के लये घाटे का सौदा मानते है ू । छोटे कमचार का त नक सा हत छाती म शल ू क तरह गड.ता है । ब बन-जैसे तु हार

े नं ग

कारा

गीता-आज पी लये

या च

मखी के बापू ु

तो नह हो रहा है ।

या बात है।

वैसे मझे व वास ु

अ नल- यो इ जाम लगा रह हो भागवान वषधर के बीच म काम करना पडता है । वो कैलाशनाथ भी अब डंसने लगा है । मझे ु र दने को बेचैन रहने लगा है । गीता- या कैलाशनाथ ने अपनी नेक

बसार द ।

अ नल-हां अब तो वे तर क पा गये ना ।कमजोर का खन ू उ हे भी अ छा लगने लगा है। हम वं चत को घट ू घंट ू कर मरने के लये माहौल बनाने लगे है जातीय समीकरण तैयार कर । गीता- या

? कैलाशनाथ

अ नल-हां । जातीय

भी आद मयत के हो गये ।

े ठता का अ भमान,पद और दौलत का अ भमान कैलाशनाथ के सर पर

चढकर बोलने लगा है । गीता- च नह

मखी के बापू घोर कारा छा रहा है ,आद मयत का द या जलाये रखना हारना ु ।

खाल पस माच का दसरा दन था पगार मलने क उ मीद थी । गणान द सोच रखा था क पगार ू ु

मलते ह घरवाल के अ पतला ले जायेगा जो कई दन से दद से कराह रह है । कै शयर

सखे ु श साहब दफतर ब द होने के कछ ु पहले पगार बांटना शु 23

कये ।पगार मलने क उ मीद

म कई घ ट तक गणान द काम म लगा रहा । सखे द ु ु श साहब खझ नकालते हए ु ु गणान को पगार आज न दे ने क िजद कर बैठे । गर ब गणान द को दे खते ह सखे ु ु श साहब टालमटोल करने क आदत थी ।कमजोर को तंग करने म उ हे खब ू मजा आता था ।आ खरकार गणान द को पगार नह ु

दये ।गणान द उदास घर क ओर चल पडा। कछ ु ु ह दे र

म आकाश म अंवारा बादल छा गये और बरस पडे । गणान द भींगा घर पहंु चा पचका खाल ु पस नकालकर ख टया पर रखा िजसम मा प चस पैसे थे । खाल पस रखकर भींगे कपड उतारने लगा । इतने म गणान द क धमप नी रे खा आयी और बोल आज दद कम है ु अ पताल बाद म चलेग वह दद म बोले जा रह थी ।

गणान द कभी कभी खाल पस को तो कभी प नी को । प नी के दद के एहसास से उखड ु पांव गणान द कराहते हए ु ु सखे ु श साहे ब ु बोला वाह रे अमानष नंगापन

द नानाथ- रामू काका म यम कद काठ ,उ◌ुची यो यता,न हा ओहदा,उ पीड.न शोषण का शकार ,इ जाम का बोझ ,पग पग पर पर

ा दे ते वजय का कम-पथ पर ईमानदार से बढना

। द भी मान सक नंगे लोग क आख का सकन छन रहा था । वजय क कराह पर ता लयां ू बज उठती। मड ु .कर दे खने पर आचरणह नता,द ु यवहार का तैयार हो जाता । हां शोषण और उ पीड.न बढ. जाता । वजय पीछे मड ु .कर दे खता तो कराहटे और आगे वरान पसरा नजर आता । वजय प रवार के कल के लये शोषण और जु म का जहर तप या मानकर पीने लगा।

रामू -तब

या हआ द नानाथ । ु द नानाथ - काका द भी मान सक नंगे लोग को वजय के शोषण और दद से उतना ह सख ु मलता िजतना शेर को जी वत शर र पटक पटक कर चबाने म और अययास को का ता के ्

सीने क गोलाई,गलाब से होठ और झील सी आंख म उतरने का । काका व त बदला वजय ु

क यो यता रं ग लायी । उखड.◌े पांव वजय के पैर जम गये ।उसका नेक कम उजल पहचान बन गया पर राम-ू पर

या द नानाथ बेटवा

लगे और

या काका।

द नानाथ- शोषण करने वाले, नंगे द भी लोग बदनाम हो गये उनके नाम पर लोग थू थू करने रामू-द नानाथ स चाई तो यह है । वष-बीज बोने वाले मीठे फल कहां पायेगे

?

परछा

मं बाप क लाख दओं और ढे र सारा अरमान लेकर राजा शहर क ओर कू ं च कया । राजा ु जब गांव छोड.◌ा था तब उसके छोटे बड.◌े भीई बहन

और मां-बाप सभी उसको पकड. पकड.

कर खब ू रोये थे ।वह भाई बहन को कपड.◌े,खेल खलौने लाने और मां-बाप के आंसू अपनी कमाई से पोछने का वादा करके चला था । कई मह न क दौड.धप यास के बाद ू और भख ू एक क पनी म राजा को नौकर

मल गयी । नौकर का समाचार सनकर राजा के घर म ु

ज न का माहौल हो गया था । राजा क मां चपके पेट म एक गलास पानी डालते हए ु बोल भगवान तमने द ु खयार मां क तप या परू कर द । बेटवा को खब ु ू तर क दे ना भगवान ।तू 24

तो जानता ह है कतनी मसीबते उठाकर मेरा राजा पढ पाया है। तेर कथा सनकर परू ब ती ु ु म परसाद बांटू ं गी

ाजा साल भर के बाद गांव गया ।

ाम दे वता के आगे सर झकाया ।राजा को दे खते ह परू ु

ब ती के लोग खशी स न ु से नांच उठे ।राजा घर और गांव वाल खशी ु दे खकर बहत ु हआ।राजा ख टया पर बैठा हआ था,राजा क मां सोनावती आयी उसके सर पर हाथ फेरते हए ु ु ु बोल शहर म खश ु तो है ना । राजा-हां मां ।

सोनावती-बेटा तु हारे माथे क लक र से तो मझे च ता हो रह है । ु राजा- ना मां कोई च ता क बात नह ं सोनावती-बेटा कछ तो छपा रहा है ु

या बात है मेर कसम तू मझे ु बता

राजा-मां क पनी म भी भेदभाव होता है ।गांव और शहर म बहत ु म तो और बरा ु हाल है । सोनावती- या

यादा फक नह है। क पनी

?

राजा- हां मां यह सह है । सोनावती-हे भगवान कलमंह मलेगा ु जा तपां त से कब छटकारा ु च ठ

तेजान द क

चटठ को जैसे सांप सघ ु ू गया । वह ब ती के लोग ृ दे खकर उसक मामी सभौती

से बोल दे ख हमारा भांजा शहर

या गया क हमारे खलाफ आग उगलने लगा । मां क

शकायत सनक बेटवा ने च ठ ु

लखा है । गांव के कछ क हां म हां ु ु लोग भी सभौती

मलाने लगे । पजार मामा काम खेत से घर पहंु चे तो भीड. को है रान हो गये वह कछ ु ु बोलते उसके पहले ह सभौती च ठ उनके हाथ रखते हए ु ु बोल लो तु हार भांजा बड.◌ा अफसर हो गया है दे खो उसक मां को न ह सी बात

या कह द वह तो शहर से बड.◌ा खरा लख भेजा

है । म भी समझती हंू । पजार - कछ ु ु नह समझती तेजान द क मांमी । भांजा तु हारा हमारा चरण ब ती के बड.◌े◌ा को

पश कर पर ू

णाम छोटो को आशीश लखा है । तमने बतंगड. बना दया । अरे ु

मरख त नक मेरा इंतजार तो कर लेती । इतने म कबड ू ु .◌ा बोला भइया काला अ र भस बरोबर भउजाई का जाने नेता गर

इतने म सब ख खलाकर हंस पडे. ।

भोपू से टै स वसल क खबर सनकर च तान द टै स वसल ू ु ू कै प पहंु चे । परू कालोनी टै स कै प म समायी हई ु थी सब क जबान पर एक ह सवाल कैसे भरे गे इतना टै स । र नकज करके मकान बनाया । कई से टै स सर पर थे ह अब डायवसन टै स

हे भगवान टै स के दलदल से कैसे उबरे गे ।

च तान द को दे खकर हंसमख ु बाबू बोले च तान द भइया आ गये डायवसन टै स के फेरे



ठ कठाक यव था है ना

ए कालोनाइजर भी खन म लगे है । ना पानी क ू चसने ू

ेनेज क । सड.क दे खो तो सड.क कम ग ढा अ धक दखायी पडती

है । अब तो रहवा सय को च दा करके सड.क बनवाना होगा । कालोनाइजर ने तो एक और 25

टै स को बोझ छाती पर रख दया । हंसमख काला रोबीला कालोनाइजर ु क बात सनकर ु खौफच द दहाड.ते हए ु बोला आ मह या

या नेता गर हो रह है । नेता गर करनी है तो दरू जाओ ।

परसदादा आ मह या कर लये,यह खबर ब ती कं कसी यि त के गले नह उतर । नह ु

दो त का और नह ं द ु मन को ह ।परसदादा क मौत का रह य तब उजागर हआ जब उनके ु ु मझले भाई करजू के सम ध दधनाथ और दमाद भु ने परसु दादा और उनके तीन भाईय के ू नाम चौदह साल पहले खर द गयी जमीन पर क जा कर लये । खेती पर जमीन पर क जा के बाद

भु का हौशला और बढ गया वह दरसु के घर पर भी क जा जमाने के लये काननी ू

दावपेच चलने लगा ।

भु के अ याय को दे खकर ब ती के कछ ु लोग दरसु के साथ खड.◌े◌ं

हो गये। ब ती वाल क वजह से

भु दाल गलती ना दे खकर बोला दरसवा तो जमीन ु तमको ु

म गड.वा दं ग पेड. पर नह लटकाउ◌ू◌ंगा याद रखना ू ा । तेरे बडे. भाई परसवा ु क तरह तमको ु कहते हए के मौत क हक कत से बीस साल बाद ु ु वह दलबल के साथ चला गया । परसदादा ब होकर दरसु और उसके प रवार वाले ह नह परू ब ती के लोग रो पड.◌े । म

ोपचार

अं ेजी उपचार के बाद भी सदान द पी लया से ठ क नह हो पा रहे थे। प

ह दन म ख टया

म सट गये । सदान द क हालत को दे खकर चमेल बाई ने झाड.फक कराने क सलाह द ू

।सदान द बाबू क प नी नमला को काफ पछताछ के बाद पानी के टं क के नीचे रहने वाले ू बाबा का पता चला । नमला बड.◌ी मिु कल से बाबा के पास ले गयी । बाबा नमला से ना रयल और अगरब ती मंगवाये फर झाड.फक शु ू

कर दये और अं ेजी दवाई भी चलाने क

सलाह दये । तीन दन तकसदान द बाबू क हथेल पर चना ू लगाकर म

पढते इसके बाद

थाल म हाथ धलवाते पानी ब कु ल पीला हो जाता । चौथे दन पानी त नक भी पीला नह ु

हआ तब बाबा बोले बेटा पी लया अब ख म हो चक है अब ताकत क चीजे खाओ । पी लया ु ु क अभी कोई कारगर दवाई नह बन पायी है पर मेरा म ोपचार कसी दवाई से कम नह कहकर दसरे पी लया पी डत क झाड.फक म लग गये । ू ू दद

टाइपराइटर दफतर से

धीरे धीरे गायब होने लगे थे और क पयटर पांव पसारने लगे थे । ू

करमच द के टाइपराइटर क जगह क ।करमच द

या दफतर म कसी को क

यट ू र लग गया िजसम सफ अं ेजी के

ो ाम थे

यट ू र ठ क से चलाने भी नह आता था ।अं◌्र ेजी मे

तो कछ काम हो भी जाता था पर ह द म बह◌ु ू से ु ु त क ठन था । करमच द बाबू एक मामले कलक के ओहदे पर काम तो करते थे पर पढे लख अ धक थे पर तु छोट जा त के थे । इसका दखता एहसास दफतर के बढ ु ू मान सकता के लोग अ सर करवाते रहते ।पर वे अपने काम म ईमानदार से लगे रहते । वे खद ु के खच पर ह द टाइप सीखना भी शु

कर दये

थे ।इसी बीच क पी के बोड आफ डायरे टर का चनाव आ गया । वोटर ल ट और ढे र सारे ु फा र्◌ा ह द म बनना था सार िज मेदार करमच द के उपर डाल द गयी

। करमच द ने

सारा काम बडी लगन और ईमानदार से परा कया,चनाव का काम परा ू ु ू हो गया नया बोड बन गया ।

ढ वाद मान सकता के धनी बाबू रामखेलावन साहब ने करमच द क 26

शकायत

उ च अ धका रय से कर द

सफ छोट जा त का होने के कारण। करमच द को मला एक

और नये गहरे घाव का दद और वनवास का आदे श भी । चेस

अधेरा उजाले को ल लने लगा था । मनखश ु बाबू दफतर के काम म खोय हए ु थे य क छोटे ओहदे पर होने के कारण सभी काम के लये उनको ह िज मेदार ठहराया जाता था । इसी बीच ह क सी बरसात आ गयी । मौसम गदराने लगा अफसर जीरावन साहब को कछ कछ ु ु

होने लगा। त नक भर म अंगरू क बेट का इ तजाम हो गया । जीरावन बाबू बोतल मे डबने ू

लगे ।जीरावन बाबू और उनक म डल बोतल म ऐसी डबी ू क रात के नौ बज गये । बांस को आफ स म बैठा छोडकर करमच द जा भी नह ं सकता था

य क अफसर जीरावनबाबू तल

को ताड. बनाने म मा हर थे । वफादार अ धक पढे लखे करमच द क मजा आता था । वे करमच द को

शकायत म उ ह बहत ु जा से अ धक कछ ु नह मानते। यह चलन भी था इस

सं था । सब कछ तौर तर के से संचा लत होता था पर क पनी पर आधु नकता क छाप ु ु पराने थी । करमच द क कोई सनने वाला भी न था क पनी के साम तशाह ठाट म ।करमच द ु ह मत करके जीरावन साहब के सामने

बोले सर दे खो करमच द

मंह ु खोल भी नह पाया था

क ब दकमार साहब ु

को चढ गयी बहक बहक बात करने लगा है । छोटे लोग का पेट

भरने लगता है तो अपनी औकात भूल जाते है । इतने म जोरदार ठहाके के साथ चेस

चेस

क जमीन जैसे हल गयी ।

का खंख ु ार

वर गंज ू गया उखडे. पांव करमच द के पांव के नीचे

जा त शहर म शफ् ट हो चक ु े ◌े जमींदार साहब के बेटे के याह क

र पेसन पाट का

यौता पाकर

याम भी हािजर हुआ । याम को दे खकर जमीदार यादवे के चचेरे भाई द रदे का खन ू खै◌ाल गया । वह याम को एक ओर ले जाकर गाल दे ते हए ु बोला अरे तू छोट जा त का है ।हमार बरादर के लोग के साथ खाना खा रहा है । कछ ु तो शरम करता । हमार बरादर के लोग तम ु जैसे छोट जा त वाले को हमार इतनी बडी र पेसन पाट म थंूकेगे क नह । तू मेरा हु का पानी ब द करवायेगा या कौन खायेगा ? तु हारा छआ पानी कौन पीयेगा ु ड ी ले ले तू तो रहे गा छोट जा त का ह ना

जा रहा था ।

याम बोला द रदे

? अरे द रदे

दे खकर हमारे मंह ु पर

? तु

हारा छआ खाना ु

कतनी भी बडी बडी

जा तसचक अपश द बके ू

व त बदल चका है। छोट जा त के लोग बड बडे मान स मान पा रहे ु

है,पजे क लक र पीट रहे हो। जा तवाद क द वार ढह चक ू तक जा रहे है । तम ु अमानषता ु ु है। याम द रदे

के अ भमान को ध कारते हए ु वापस तो चला गया पर छोट जा त के दद से नह ं उबर पाया । पक नक सभी लोग

टे शन पर े न आने के पहले पहंु च जाना । पक नक को यादगार बनाना है। वभागा य हदायत दे ते हए ु जाने लगा। सभी लोग साहब क हां म हां मलाने लगे । लोचन बोला साहब मझे ु

टे शन पहंु चने म द

त होगी घर भी दरू है और प रवार भी ।

27

साहब-नो

दसरे दन ू

ा लम

लोचन

ाइवर छोड. दे गा ।

ाइवर का इ तजार करता रहा । सभी मलािजम ु

जाने का समय सर पर आ गया । को स नल मल चका था । ु लोचन के दे र से आने क

साहब को कह सनाया । ु साहब

ाइवर से पछे ू

ाइवर को हदायत दे कर साहब चले गये ।

लोचन बड.◌ी मिु कल से

टे शन पहंु च गये। े न के टे शन तो पहंु चा पर गाड.◌ी

शकायत साहब तक पहंु ची वे नाराज हए। ु

लोचन ने आप बीती

यो वषचरन दफतर क कार कहां थी ।

ाइवर वषचरन-साहब म बीवी ब च के साथ शा पं ग करने गया था । याय क पनी को जेब म रखने वाले बडे. अ धकार महोदया क पनी क माल हालत और कमचा रयो के उ थान म कये जा रहे काय को नमक मच लगाकर परोस रहे थे । साहब के खास लोग साहब के जयकारे लगवा रहे थे । साहब जयकारे से खश ु हा◌ोकर बोले हमने सभी का

मोशन समय से करवाया है ।सभी कमचा रय के साथ पर ू इंसाफ हई ु है । कसी क कोई परे शानी हो तो कह सकता है । दखीराम बोले साहब मझे ु ु कछ ु कहना है ।

दखीराम को दे खकर साहब क नजर बदल गयी । कछ ु ु लोग खींच कर बैठाने लगे ।

साहब ने रं ग बदलते हए राम कहो । ु ु बोला ठ क है या कह रहे हो दखी दखीराम -साहब मेरे साथ तो अ याय हआ है । मेरे अनरोध प को कड ु ु ू .◌ेदान के हवाले कर ु दया जाता है । मेर यो यता को अयो यता मान लया गया है । बहत ु ठोकर मार गयी है मझे ु ।

या तर क के लये जातीय

े ठता का

माण प

ज र है, शै

णक यो यता का

नह ं ◌ं । दखीराम के सवाल से बडे. अ धकार महोदय का चेहरा ु

याह हो गया। गने चने ु इंसा नयत

पस द दबी जबान से कह रहे थे चौथे दज के दखीराम के पास बड.◌ी बड.◌ी ड ी होने के ु ु बाद भी चौथे दज से उपर नह उठने दया गया,यह वषमाद नर

याय तो नह ।

ण स म त के दौर क खबर आते ह परेू दफतर क फाइले और कामकाज म एकदम

नखार आ गया । परानी फाइल ु

कायकलाप क

नये कवर से सजकर द ु हन बन गयी । सं था के

रप ट अ ल दज क बनी खशीराम क हाड.फोड.मेहनत और आंसू मे◌े◌ं ु

नहाकर । स म त ने नर

ण कया दफतर के कायकलाप क बहत शंसा हई ु ु । शहर के बड.◌े होटल म खब को कोसो दरू रखा गया शायद छोटा ू ज न मना पर उखडे पावं खशीराम ु ओहदा होने के कारण व ृ दा म



◌ ू ाढे मां बाप व ृ दा म क डगर पर क खबर पर दे वक न द क

नगाह थम गयी और

उनक आंख से आसंू लढकने लगे । दे वक न द क दशा दे खकर दमय ती बोल ु हो गया कोई बरु खबर अखबार म छपी है

या

?

दे वक न दन- बहत ु बरु खबर

28

य जी

या

बढेू सास ससरु क बातचीत सनकर रोशनी आ गयी और बोल बाबजी ु ू आंख म आंसू ।

या हो गया आपक

दमय ती ने बहू रोशनी के सामने अखबार रख दया ।इतने म राजनरायन आ गया गमगीन मां बाप को दे खकर रोशनी से बोला ये या चराग क म मी रोशनी ने अखबार क खबर क ओर इशारा राजनरायन- पताजी आंख म आंसू

यो

या ।

?

दे वक न द-बेटा डर गया था कछ ु पल के लये

रोशनी बाबू-मेरे जीते जी तो ऐसा नह हो सकता । राजनरायन- पताजी रोशनी ठ क कह रह है ।

चराग- म मी दादाजी दाद जी के ना ते का समय हो गया ज द करो । रोशनी-हां मझे ु याद है।

दे वक न द और दमय ती एक

वर म बोले सदा खश ु रहो मेरे ब च

दमाद

कपा और उसके बढेू बाप आटो र शा म बैठे ह थे क एक अधेड. म हला आटो के सामने ृ आकर खड.◌ी हो गयी और आटो म बैठने क िजद करने लगी । आटो चालक बोला रजव सवार है। कराया दे ती नह घर पहंु च कर दादागीर करने लगती है । कपा चलो भइया-हां वपि त तो रा ता छोड.◌े । ृ अधेड. म हला अंधेर रात म एक औरत को अकेल छोड. जाओगे ।

आटो चालक- दन भर सीधे साधे लोगो को चना ू लगाती हो । कराया भी नह दे ती । कौन रोज रोज फोकट म ले जायेगा ।

अधेड. म हला बाबू चलोगे तो हमारे ह गांव क सड.क पर । कपा के पताजी से बोल दादा ृ गोपालपरु जा रहे है कसके घर जायेगे । कपा के पताजी ृ

वामी बोले -दरोगा के घर ।

अधेड. म हला-बडे नेक इंसान थे दरोगाजी चटपट म मर गये । आज तो तीसरा है। आने म बहत ु दे र हो गयी । वामी-अपने गांव कछ ु काम से गया था । आवाजाह तो लगी रहती है ।

अधेड.म हला-कपा क ओर इशारा करते हए ृ ु बोल ये थानेदार के दमाद है । वामी- हां । अघेड. म हला दो बोरे सामान आटो म जबद ती ठस ू द और आटो चालक के साथ बैठ गयी और बोल अब तू चल।

आटोचालक डरते हए ु आगे बढा । डेढ. घ टे के सफर के बाद म हला का घर आ गया । दोनो बोरे उतार और जाने लगी तब वामी बोले भइया कराया तो ले लो । तब तक तपाक से वह बोल गांव के दमाद कराया दे दे गे।

यो दमादजी

आटो चालक आप लोग का पाकेट सह सलामत वामी-



? कहकर ज तो है ना ?

?

आटोचालक- बाबजी वह चोरनी थी । ू 29

द ज द जाने लगी।

प रवतन

सरजनाथ -सदामा सना ु ु ु है धम बदलने जा रहे हो । सदामा -ठ क सना ु ु है बाबू । सरजनाथ - य सदामा ू ु

?

सदामा -कब तक जा तवाद,छआछत ु ु ू ,उ◌ू◌ंच-नीच,सामािजक उ पीडन का ज म ढोउ◌ू◌ंगा । मझे ु समानता का हक तो भारतीय सरजनाथ -ऐसा ू

य सोचते हो

ढ वाद समाज म मलने से रहा ।

?धम

प रवतन तो पाप है ।

सदामा -जहां आदमी को आदमी नह समझा◌ा जाता हो वहां रहना पाप है ,न क धमप रवतन । ु मरने से पहले सामािजक समानता क

यास बझाना चाहता हंू । ु सरजनाथ - या इसके लये धम प रवतन ज र हो गया है । ू सदामा -हां बाबू । ु

या उ चवण के लोग जा तवाद क मजबत ू द वार तोड. पायेगे । बाबू जब

तक उ चवण के लोग जातीय द भ क द वार को ढहाकर सामािजक समानता क पहल नह करते है ।सामािजक समानता का जीव त उदाहरण नह बनते ह, तब तक धमप रवतन पर रोक स भव नह है ।

सरजनाथ -हां सदामा ठ क कह रहे हो भारतीय समाज क र ा के लये जा तवाद के कले को ू ु ढहाना ह पडे.◌ेगा◌ा ।जा तवाद का कला ढहते ह धमप रवतन पर वराम लग जायेगा। भययपन ्

दे खो भययपन के लये भ गू मर मटा पर भखू ने इंसाफ नह ्

कया ।

या कह रहे हो रघु ।

दे वी साद-ठ क कह रहा हंू । भ गू घरवाल का कहना नह माना । उसक घरवाल मायके बस गयी ब चे लेकर पर वह भाई से अलग नह होने क कसम नह तोड.◌ा। । जीवन भययपन ् के नाम कबान कर दया ।शहर हवा का शकार भखू ु

दौलत खा तर भ गू के साथ

व वासघात तो कया ह भययपन के पाक र ते को नापाक कर दया । ्

रघ-ु ठ क कह रहे हो भइया भखू ने चल अचल स प त पर क जा कर ह या का अपराध कया है। बेचारे भ गू का धन धम सब लट ू गया ।बेचारा जान से भी गया । घरवाल और ब च से बछड खा तर ् ु . गया भययपन

दे वी साद-भययपन के इ तहास म भ गु का नाम तो अमर हो गया पर भखू नफरत का पा ् बन गया ।

रघु-हां भइया भ गु मर गया पर भययपन के कद को बढा दया । ् ताव

मधु- या बात है बड.◌े खश ु लग रहे है । वजय- दल तोड. दया ।

मधु- या दल तोड. दया

?

मधु- य और ये है कौन

?

कसका ।

वजय-हां । अनीता पीटर का ।

30

वजय- वदे शी लड.क है । बडे पद पर काम करती है, करोड.◌ो डालर क माल कन है। ववाह

करना चाहती है । मना कर दया पर मने भी हार नह माना मध-ु

ताव रख दया ।

या?

वजय- चौको नह बहन बनाने का

ताव दया हंू । मध-ु आप कतने प नी ता है। भारतीय सं कृ त म प त-प नी सात ज म तक साथ नभाते है

,स

च सा बत कर दया आपने । बडे पद और करोड.◌ो◌ं डालर क माल कन के

ठकरा और ु जनाजा

ताव रखकर। मझे ु जीते जी

वग का सख मल गया । ु

बहन क सासमां ु जनाजा घर से कछ ु दरू पर जाकर

ताव को

15 10 08

क गया ।मतदे ृ ह को जीप के उपर

रखकर अ छ तरह बांध दया गया बनारस जो जाना था ।कई जीप का इ तजाम था । गांव के मा न द-बजग ु ु को दो-चार सफेदपोश क म के लोग पीछे बैठने का हु म दये जा रहे थे । एक सफेदपोश बोला मामा तम ु भी पीछे बैठ जाओ । जनाजे म अ धकतर शा मल लोग जीप म बैठ गये । जीप बनारस क ओर दौड. पड.◌ी । बढेू ब चे और औरते वापस हो लये । घर

क औरते ब चे जीप क ओर दे खकर रदहाड.◌े मार मारकर रोये जा रहे थे । अ तोग वा सभी वापस हो गये ।कछ दरू जाने के बाद बिु दराज अपने पास बैठे बधई से पछा बहनोई ये ु ू ु सफेदपोश लोग सभी को पीछे

यो ठंू स रहे थे जब क आगे क सीट खाल थी ।

बधई ु - बाबू ये नेता लोग टोपी पहनाने म मा हर होते है , जनता का भला हो या ना । इनका होना ह चा हये । चारो जीप क अगल सा◌ीटो पर वह लोग क जा कये हए ु है । बाबू ये लोग कह रहे चाहे जनाजा हो या म ालय अपना मतलब साधते है । चार सौ बीस बनारस का रे लवे लेटफाम न बर चार पराने जते ु ू ,च पल और सैि डल से भरा भार भरकम थैला बढ ू म हला रखकर उसी पर बैठ गयी । लाख छपाने के बाद भी चोर के जते ू च पल थ◌ैले से छांक छांक कर जैसे बचाओ बचाओ च ला रहे थे । नरायन अपना और अपने

प रवार के जते ू च पल बछाई च दर के नीचे रख लया । बढ ू म हला भी समझ गयी वह

थैला लेकर खड.◌ी हो गयी । कछ कौन सी े न से जा रहे है ू ु दे र सोच वचार कर बोल बाबजी ।

नरायन-अ मा कहां तक जाना है । बढ ू औरत-जमु नया

नरायन-इंदौर पटना जमु नया तो नह जाती ।

बढ ू औरत चलते हए ु बोल बडे चार सौ बीस लोग हो गये है । नरायन अ मा सनो ु तो त नक । इतने म वह गायब हो गयी ।

पमती-बरखा के पापा वह चाई थी । बच गये जते ू च पल वरना नंगे पांव इंदौर तक जाना

पड.ता ।

नरायन-हां बनारस के चा

से बच तो गये पर चार सौ बीस कहकर चल गयी ।

मरख ू 31

ानच द रप ट बना रहा था । इंदौर से बडवाह क दरू सामने बैठे बपल ु से पछ ू बैठा ।

बपल ु अनसना ु कर गयी तीन बार । चौथी बार पनः ु

ानच द बोला भाई बपला ु दरू तो बता

सकता है ।चालक होने के नाते तु हारा आना जाना बराबर लगा रहता है । इतना तो मालम ू ह होगा ।

बपल क बात नह सनता । तम ु -आंख तरे रते हए ू ु ु छोटे लोग पढ लख ु बोला म मरख गये क हम पर राज करने लगे ।

या

ानच द- म दरू पछ तू नह पर शा तर ज र ू रहा हंू पे ोल / डीजल क खपत नह । मरख ू है । फजर ् के साथ नाइ साफ कर रहा ह । हम मरख कह रहा है । ू इतना सनते ह ु

अि तम या ा

बपल ु के पांव जैसे उखड.ने लगे◌े । वह गड. गडा उठा ।

बेट और बढ ू प नी बाबा के शव पर सर पटक पटक कर वलाप कर रह थी ! वलाप सनकर ु

आसपास के लोग इ टठा हो गये ! कछ लोग र तेदारो प रजन के पता ढढने लगे ता क मौत का ू ु

संदेश भेजा जा सके । कछ ु लोग अि तम सं कार के सामान के इंतजाम म लग गये। बाबा के घर के सामने ब च म हलाओं क भीड

यादा ह इ टठा हो गयी थी पु ष नाममा

के थे इनम

द नानाथ भी एक था । तैयार होते होते शाम होने को आ गयी । अ ततः अि तम या ा

ार भ

हो गयी । कछ ु लोग कंधा दये कछ ु बगैर कंधा दये ह चलते बने । अब भीड ब कु ल छं ट गयी

थी । गने चने का दन होने के बाद भी । अि तम या ा म बचे हए ु लोग ह बचे थे छटट ु ु लोगो म से यादातर बढे दरू जाते ह ू थे जो खद ु का बोझ ढोने म अ मथ थे । शव भी भार था ! कछ ु सब हांफने लगे थे । हर आदमी एक दसरे को आशा भर ू

नगाह से दे खता ता क कंधे का भार

थे◌ाडी दे र के लये उतर जाये !बडी म कत के बाद शव या ा अपने ठकाने पर पहंु च सक ! खैर बाबा पंचत व म वल न हो गये लोग अपने अपने घर को चलते बने !घर पहंु चते पहंु चते

काफ रात हो गयी ! दसरे दन सबह सबह म तेगबहादरु से मलाकात द नानाथ से हई ू ु ु ु ु द नानाथ ने रफतार बाबा क मौत क दा तान सनाई । ु म तेगबहादरु तमने कंधा तो नह ु म तेगबहादरु - स यानाश

नह चा हये था ।

दया ना ।

जो नह करना था वह कर दया । तु हे तो शव छना ह ू

द नानाथ - य । लाश सड.ने दे ता । म तेगबहादरु सड. जाती पर तमको हाथ नह लगाना था । ु

द नानाथ - य

म तेगबहादरु

य क तम ु शू

हो बाबा हमार

उ◌ू◌ंची जा त के थे । म

से आद मयत का खन ू कर हे राम कहते हए ु चल पडे◌े । लये◌े ाथना करने लगा । आंसू

अरे रोशन रोशन-

द नानाथ दवगंत आ मा क शाि त के

य गमसम ु ु हो कहते हए ु दे वेश जोर से हंस पड । य गर ब का मजाक उड.◌ा रहे हो सर

दे वेश- रोशन बरा ु मान गये

या

? 32

तेगबहादरु वषवाणी

रोशन- भला बरा ु

यो मानंग ू ा ।

रोशन-कोई क मती सामान खो गयी है

या तु हार

रोशन- हां । चाल स हजार क है । दे वेश-

या

?

?

रोशन- हां कज लेकर खर द गयी मोटरसाइ कल क चाबी



दे वेश-दफतर म तो नह छट ू गयी । गाड.◌ी लेकर दे ख आते ।

रोशन- साहब ने मना कर दया । यहां जंगल म कोई साधन भी तो नह है । दे वेश- साहे ब खद ु तो चौबीसो घ टे कर दये ।

लु फ उठाते ह । छोटे कमचार के ज र काम के लये मना

रोशन- छो डये मा यवर हम गर ब छोटे आदमी क कैसी च ता । पक नक का लु फ उठाइये । दे वेश-रोशन बाबू यह पक नक तो तु हे खन ू के आंसू दे गयी । कसी ने कहा ह खन ू से बड.◌ा दद का र ता होता ह पर यहां तो बस

वाथ हो गया है । वाह रे साहे ब वाह खन ू के आंसू दे

गये एक छोटे कमचार को खलाफत

व व ब धु व के जलसे से◌े रं जन बाबू और प कार म

अनराग बाबू वापस लौट रहे थे अनराग ु ु

बाबू बोले रं जन बाबू सामने डां0 फजीहत का घर ह उनसे मलते चले ।

च क सक ह और

आजकल लेखन म हाथ अजमाने रहे है !

रं जन बाबःू रं जन बाबू संहषर ् तैयार हो गये◌े । दो◌े◌े◌ेन



डां0फजीहत के दरवाजे पर द तक दये । कई बार अनराग बाबू ने दरवाजा ु

खटखटाया पर दरवाजा नह खला बाबू ु । अ दर से ज र उठापटक क आवाज आ रह थी । अनराग ु का कान जाससी ू पर उता

था । काफ दे र के बाद दरवाजा खला ु ।

डां0फजीहत बोले अरे प कार साहे ब आप ।

अनराग बाबू- हां म और ये ह मेरे लेखक म ु

रं जन बाबू ।

डां0फजीहत चाय पानी के साथ कछ रचनाय भी लाकर रख दये अखबार म छपवाने क ललक म ु अनराग बाबू को थमाते हए बाबू अब तो आपका तबा बढ गया ह । ु ु ु बोले अनराग अ ससटे ट,शहजान द मल गया है । स मल कर रहना अनस ु ू चत जा त का है । छाती पर चढकर काम लेना और भलमन त नह

दखाना । अछत ू ह दरू बना कर रखना।

दरू नह कायम

रखे तो सर पर चढ जायेगा । सना ! ु है कसी बडे नेता का आदमी ह । मेर बात नह भलना ू

अनराग बाबःू म तो समानता का समथक हंू । आप खलाफत कर रहे ह जा तवाद को बढावा दे रहे ु ह । डां0फजीहत- आपको सावधान करना मेरा फज था । बाक आपक मज । अनराग बाबू- आपक नसीहत याद रहे गी डां0फजीहत । रं जन बाबू क रचनाये तो आपने पढा हो ु

होगा ।रं जन बाबू अ छे सा ह यकार ह दे श समाज के हताथ खब ू लख रहे ह । सामािजक समानता इनके लेखन का मु य वषय है । अनराग बाबू चलते चलते बोले डां ु बांटने पर तले ु हए ु ह । रं जन बाबंू-डां फजीहत भले ह

फजीहत दे श और समाज को

खलाफत कर पर आप तो नै तक दा य व पर खरे है। 33

डलवर

वाय

द तक करो,मझे ु दे र हो रह ह को रयर डलवर

वाय बोला

द पांश बाबःू -छः बजे डाक लेकर आ रहे हो उपर से धौस जमा रहे हो । डल वर

वाय- संद प नाम ह मेरा । ऐसे ह डाक डल वर करता हंू । डाक ले रहे हो या वापस ले जाउ◌ू अभी । तमको तो बाद म दे ख लंग ु ू ा । एक फोन करने भर क ज रत है। द पांशबाबू- मतलब डल वर

वाय- हाथ पैर तोडने के लये ।

द पांश बाबःू अ छा तो तम ु हाथ पैर तोडने आये हो । दादागीर , उठाईगीर का काम करते हो ! डल वर

वाय- मैसस ब दक ू घर का

विज टंग काड लहराते हए ु बोला दे खे लो ये काड आंख खोलकर इस पर मा लक का नाम टे लाफोन न बर और पता सब छपा है । द पांश बाबू- अरे इस काड पर तो तरह तरह के ब दक ू छपे ह । डलवर

वायः हां । यह है हमार औकात ।

द पांश बाबू के सामने बैठै िजते डल वर

बोला साहब डाक लो। बदमाश भागे यहां से ।

वाय- समझ म बात आ गयी । विज टं ग काड द पांश बाबू के हाथ से खींचा और

ब दक ू क गोल क भां त बाहर नकल गया । डल वर डल वर टे टस

वाय क दादागीर को दे खकर द पांश बाबू के पास अशोक बाबू बोले - अरे बाप रे यह वाय ह या कोई खनी ू

सधा है तब से कचरा ह छान रह हंू । अपनी िज दगी कचरे के ढे र पर ु जब से अपनी आंख खल ु बतेगी । ल ला- गर बो क िज दगी तो रो रोकर कटती कटती है बहन के चम कार से गर ब के भी सधा ु -

टे टस

ना कर कभी कभी तकद र

टे टस बदल जाते ह

या होता है ।

ल ला- कुछ अ छा ह

होता होगा रे ।अपना आढती कबाडी भी तो बार बार यह बोलता है ।

सधा ु - मतलब धन दौलत ल ला- हां ऐसा ह कछ ु ।

तबा या चहंु मखी तर क होगी । ु

सधा ु -दे ख वो सामने कार आ रह है । ल ला- कार यो दे ख रह है कचरे

का ढे र तो सामने है ।

आयी है ऐसा लगता है । सधा ु - कार तो

! फ

यु न सपल पाट क गाडी अभी नह

क रह है कचरे के ढे र के पास ।

ल ला- कचरा के ढे र से

या ढढे ू गा ए कार वाला

सधा ु -ऐसी कार म चलने वाले क मत लखते ह । ल लाः-ऐसा कैसे कह रह है । सधा ु - कचरा बनते ह तो

या हम इंसान नह है ।

ल ला-अरे बाबा हमने कहां मना कया । तू तो बड.◌ी बिु दमान ह । कसी मालदार से याह कर अपना

टे टस बढा ले ।

34

सधा ु - दे ख सपने ना दखा । खैर छोड. अपना बाई का तो बढ गया है । ल ला- अरे वाह सच

या

टे टस बढे या ना बढे पर दे ख वो झाडू पोछा वाल

टे टस है बाई का कार से कचरा फकने आयी है ।

सधा ु -दे ख रह हो न बर लेट के उपर लाल प ट का नशान । इसका मतलब है कसी बडे साहब क सरकार कार है । ल ला - अपने

टे टस का

या होगा सधा ु

तीथ

आ ट आ ट क पकार सनकर ु ु

ीम त तपि वनी बोल बेटा रं जू दे खो कोई बला ु रहा है

या ।

रं जू-जी म मी दे खता हंू कहकर दरवाजा खोलते हए ु बोला म मी संजना द द ह । संजना- क चन क ओर बढती हई ु बोल आ ट खाना बना रह है या ? तपि वनी- हां बी टया ।

संजनाः आ ट ,म मी आपके पास यह पछने के लये भेजीं है क कल मं दर तो चलोगी ना । ू तपि वनीः बी टया जाना तो था पर । संजना- पर

या आ ट ।

तपि वनी-बी टया ब च को

कूल जाना है । ट फन कैसे तैयार होगा । तु हारे अंकल को डयट ू

भी तो जाना ह । सभी भखे पांच बजे म दर जाने को तु हार म मी कह रह ू रह जायेगे । सबह ु थी ।

संजना- हां आ ट पांच बजे तो घर से नकलना ह होगा बस अडडे तक तो पैदल चलना होगा । सबेरे सबेरे तो यहां से कोई साधन भी तो नह

मलता है ।

संजना और मसेज तपि वनी क बातचीत सनकर अनु,रं जु और शनू बोले म मी चले जाओ मं दर ु एक दन क तो बात है।

ब च के आ ह से आन द वभोर होकर तपि वनी बोल ब च घर भी तो मं दर है और इस मं दर म रहने वाला हर

ाणी परमा मा का अंश है । म इसी मं दर म ई वर क अराधना कर

लंग ू ी । इतने म म0 नरायन बाबू आ गये और कोने म सोफे पर बैठ गये कसी को उनके आने का भान ह नह हआ । मसेज तपि वनी क आ था को दे खकर नार जा त को मन ह मन ु नमन करने लगे । च तन क मु ा म कहने लगे एक ओर नार खद ु का याग कर रह है घर को मं दर और उस घर म बसने वाल को परमा मा का अंश मानकर आ था वह दसर ओर वह नार शोष ू दया जा रहा है।ऐसा अनथ



मसेज तपि वनी बोल कब आ गये

संजना बोल आ ट म चलती हंू लो अंकल रं जू के पापा पता ह नह चला ।

म0नरायन -भागवान म तो संजना के पीछे ह आया हंू । तम ु महाय ाथनारत था । चल जाना । मसेज तपि वनी- घर भी तो मं दर है । मेरे जाने से ह ।

कर रह ह

का शकार हो रह है । इतना ह नह ज म लेने से पहले मार भी

भी आ गये ।

सकता है ।

गट

म लगी थी म मौन

प रवार और ब च को भखे ू रहना पड

या यह पु य होगा । एक गह ृ थ नार के लये घर प रवार के 35

त आ था ह तीथ

म0नरायन-इसी लये तो नार पजनीय ह ।तभी तो कहा जाता है ू

पजय ते त ू

रम ते दे वता।



नाय तु

कले डर

खु बू-पापा

या खोज रहे हो बहत ु दे र से । द पक -बेट कले डर । कल तो यह था । खु बू- पापा

या करोगे ।

द पक- दन तार ख

दे खना था ।

खु बू - आज तो शु वार है और एक तार ख है । खु बू- पापा एक टे बल कले डर चा हये मेर बे ट द पक- बेट

े ड के लये ।

जो डायर कले डर मले थे घर ह तो लाया था ।

खु बःू पापा पांच सब आपके ह दो त लोग ले गये । एक कले डर बचा है वह भी भइया अपने क जे म कर रखा है । कले डर पर छपे सि जय के च ना । द पकः बेट हम पदद लत है । हम कैसे मलेगा

बहत ू रहे थे ु अ छे ह। वह कले डर ढढ

?

खु बू- अपने बांस से ले लेना ना । आपको ह नह

मलता है बाक लोग तो जजी खोलकर बांटते

ह ।

द पक- बी टया मझे ु भीखार ना बनाओं । नह खु बू- सांर पापा

मलेगा । म जानता हंू ।

द पक- बी टया अपनी सहे ल को भईया वाला कले डर दे दो ! खु बू - नह पापा ! म सहे ल को सार कह दं ग ू ी। द पकः बी टया मेर मजबरू को समझो ।

खु बू- समझ गयी पापा । आप पर गव ह पापा । आप

ति ठत उ च श

त होकर भी पदद लत

ह इसका मलाल ह ।

द पक- बेट मलाल ना करो । तम ु लोग उ◌ूचे पदो पर सशो ु भत हो यह मेर हा दक इ छा ह । बेट भइया वाला कले डर गफट पैक करके दे दो । म भइया को समझा लंग ू ा । खु बू- नह पापा

द पकः बेट अपनी बे ट फे् र ड क इ छा का स मान करो । दो ती के लय मान जाओ मेर बात खु बू- आई ऐम जलसै नक

ाउड आफ यू पापा ।र यल यू आर

सयश ु -दादाजी बरसात कम

ेट

यो होती जा रह है ,आप जानते ह ।

बदर -बेटा आप बता दो तो और अ छ बात होगी ।

सयश ु -दादाजी आप बताते हो क पहले अपने दे श म जंगल बहत ु था । जंगल म शेर हाथी और अ य पशु प ी रहते थे । बदर -जंगल भी था जंगल जीव भी। हां अब सब कछ ु त वीर म दखता है ।बरसात कम रह है इसका कारण बताओ बेटा ।

36

य हो

सयश ु -जंगल नह होगा तो बरसात कैसे होगी ।

बदर -जंगल और पेड .पौध पर बरसात का होना नभर है । सयश ु -हां दादाजी खब ू समझे । धरती को हरा भरा रखना है तो पेड. पौध को ब चे◌ा◌ं क तरह पोसना होगा आज के आदमी को।

बदर -शाबास न हा जलसै नक । तम ु जल सै नक के हाथ म ह

धरती सरु

त है ।

क मकश अरे भषण कहा मर गया बडे साहे ब दफतर सर पर लेते हए ू ु चलाये जा रहे थे । साहे ब क आवाज सनकर चपरासी दौड.◌ा दौड.◌ा गया और बोला सर भपण बाबू डां टर के ु ू पास गया ह ।

साहे बः कौन से डां टर के पास गया ह । कामचोर बहाना बनाकर कह ं गया हो◌ागा ।आसपास के सभी डां टर क

ल नक दे ख आओ कह ं

चपरासी गया पर भषण बाबू नह ू

मल जाये ते◌ा तरु त लेकर आओ ।

मले वापस आ गया ।

थोडी ह दे र म भषण बाबू भी आ गये । ू

कू टर खड.◌ा भी नह कर पाये क बडे साहे ब जोर

जोर से च लाने लगे जैसे गाल दे रहे हो । भषण बाबू मे डकल पेपर टे बल पर रखकर साहे ब के ू

सामने हािजर हए से बोले य रे भषण ू ू ु । बडे साहे ब गु से मे तमतमाये हये ु ◌े थे!।बडी बदसलक तमको कल बलाया था य नह आया छु ट मना रहा था । बडा साहब बन गया है।बडे साहब ु ु

कागज का पु ल दा भषण के मंह बाबू बडे ू ु पर फकते हए ू ु बोले ले जा ज द टाइप कर । भषण साहे ब के चै बर से आंख मसलते हए ु गये जब क बाक लोग ु बाहर नकले और टाइप करने म जट पहंु चे भी न थे । ू◌ाषण बाबू मे डकल पेपर को उडता हआ दे खकर उसे उठाने को लपके तब ु तक बडे साहे ब सर पर सवार हो गये । भषण बाबू के मे डकल पेपर दफतर म इधर उधर उड.ते ू रहे और भषण बाबू ग भीर बीमार के बोझ तले दबे काम म जटेु रहे और बडे साहे ब भपण बाबू ू ू क छाती पर चढे रहे । छे ◌ाटे कमचा रय के◌ा वे

ता डत करने के लये बडे साहे ब कु यात थे ।

े ठता क बयार से बड.◌े अ धकार का पद ह थया कर अपने छोटे पद को भल ू चक ु े थे ।

भषण साहब क बदसलक और बीमार क ू ू

च ता के कशमकश म कराहता हआ आंसू से कागज ु संवार रहा था । कमरे म बखरे भषण बाबू के मे डकल पेपर,ई सी जी डायबट ज,थायराइड, ू हमो लोबीन एस जी पी ट

एस

ओ पीट

कर रहे थे पर साहे ब का दल नह पसीजा ।

एवं अ य रपोट ग भीर बीमार क चगल ु

महंगाई शाि त-बाप रे गेहू ं का भाव तो आसमान छू रहा है । काश- मल रहा है

या कम है

?

शाि त-आप भी कैसी बाते कर रहे है । ऐसी महं गाई रहे गी तो दे श क अरब से अ धक जनसं या खायेगी क

या

?

काश-यह हाल रहा तो खाने पीने क चीज पु ड.या म मलेगी

पया बोर म लगेगे ।

शाि त- आप तो और आग लगा रहे हो । आप से बहस म नह करने के मड ू . म हंू ।

37

काश-बहस क बात है ।खेती क जमीन पर कल कारखाने,मकान दकान ती ग त से बनते जा ु

रहे है । अनाज आसमान से तो नह ं गरे गा । धरती आसमान,जल और वायु सब शकार है ।

दषण के ू

शाि त-अ छा तो आप कहना चाह रहे है क कल कारखाने,मकान दकान ये सब अनपजाउ◌ू ◌ं ु ु जमीन और पहाड.◌ो पर बने । उपजाउ◌ू◌ं जमीन पर स

खेती हो ।जनसं या पर नय

ण हो

। काश-हां इसी म आदमी क भलाई है ।ऐसा हो गया तो महंगाई पर लगाम तो लग ह जायेगी आदमी का जीवन भी सखमय हो जायेगा । ले कन ु शाि त-ले कन

या

?

काश-िज मेदार लोग अपने दा य व का पालन ई◌्रमादार पवक कर तब ना । ू

बंटवारा

जीजाजी गजाधर के लये प का मकान बनवा दो

नरे श क बात सनकर गजाधर बोले ु

या ।

नरे श- ठ क सने ु हो जगाधर के लये भी बनवा दो ।

जगाधर- पराना बडा मकान था ह एक नया बडा प क मकान बनवा ह ु

दया हंू या ये कम ह । नरे श-ये तो गांव के मकान ह । अपने शहर वाले बंगले जैसा बनवाओ अपने भाई जगाधर के लये। जगाधर- शहर जैसा मकान । नरे श- हां जीजाजी शहर जैसा बंगला जगाधर-नरे श आपको मालम ू है शहर के मकान कर रहे हो नरे श ।

नरे श-जीजाजी बंटवारा ह सह ।

पर कतना है ।

य हम भाईय म तम ु बंटवारा

जगाधर का भी तो ह सा बनता है क नह ं ।

गजाधर- कैसा ह सा आपने दया है

या ।

नरे श-शहर के बंगले म ह सा जगाधर को नह दोगे

या ।

जगाधर- अपन वा रस के साथ अ याय तो म नह क ं गा नरे श। नरे श-बात को घमाओ मत जीजाजी ु

तम ु अपने भाई क िज मेदार उठा कर एहसान

तो नह कर रहे हो ।

गजा◌ाधर हमने तो ऐसा नह कहा । मेरा भाई ह । उसका दख ु सख ु मेरा दख ु सख ु है । म अपना फज नभा रहा हंू । तम र ते म दरार ु हो रहे हो ।

य रहे हो । र तेदार होकर हमारे प रवार के सख ु से दखी ु

नरे श- बंटवारा होना ह ह । गजाधर भगवान

करे वह दन

कभी न आये । हमारा प रवार ऐसे ह हंसता खेलता रहे । नरे श

शकु न मामा क तरह मु कराते हए ु अपने गांव क ओर चल पड.◌ा बंटवारे का जहर घोलकर । छल कपटनरायन- काका एक और बंटवारा कर दो दे वदत- कैसा बंटवारा रे कपटआ ु 38

कपटनरायन- तु हार स प त का काका और कैसा बंटवारा ।

दे वदत-दो बेटे ह दोनो का बरोबर ह सा है । म तो चाहता हंू क मेरे पोते◌ा◌ं का बराबर ह सा हो यो क स यनरायन का ह तो सब बनाया हआ ह । ु कपटनरायन - स यनरायन तो शहर म बस

गया है । वह तो गांव म रहे गा नह और नह उसके

ब चे । दे वनरायन के बेटे को भी शहर म पढा कर दे वदतः तू मेरा घर

बेकार कर रहा है ।

य तबाह करने पर जटा ु ह ।

कपटनरायन- अपने जीते जी दो ह से कर दो अपनी स प त का। एक ह सा मझे ु दे दे ◌े◌ा एक दे वनरायन को दे वदत-

या अभी तक मेरे साथ कम छल कया था । छल से

लया । अभी भी तु हार भख ू नह

मेर जमीन कमाई जमीन ह थया

मट ।तम ु मेरे बेट के हक के साथ छल कर रहा है ।

कपटनरायन- काका मेर बात मान लो । जीवन भर तु हारे मांस मं दरा का भार उठाउ◌ू◌ंगा । दे वदत-मेरे बेटे

वग का सख ु दे रहे ह । मझे ु कोई दसर ू

वा हश नह ं है । ठ क है मांस मं दरा

का शौक न हंू तो या । तम ु जैसे कपट कपटनरायन के लये अपने राम जैसे बेटे◌ा◌ं के साथ छल क ं कभी नह ं रे कपटआ कभी नह ु याह

भइया गजान द बहत ु लग रहे हो ,कोई लाटर तो नह लग गयी रमान द अपनी बात परू ु खश कर पाते उससे पहले ह गजान द उचक कर बोले हां भइया ऐसा ह कछ ु । रमान द -मतलब

गजान द- याह फाइनल हो गया । रमान द- कसका । गजान द- बी टया का और कसका । रमान द- ब ढया खबर सनाये भइया । ु गजान द-भइया बी टया के याह क

च ता म तो बढा ू हए ु जा रहा था । भगदौड सफल हो गयी । याह म वल ब तो हआ पर घर वर मनमा फक मल गया है । ु रमान द-लडका या करता है ? गजान द-सरकार नौकर म उ◌ू◌ंचे पद पर ह । उपर आमदनी क भी अ छ गंज ु ाइश ह ।इकलौता लडका ह । मां बाप दोनो नौकर म ह ।सवस प न प रवार ह ।

रमान द- दहे ज भी बहत ु दे ना ह । लडका अकेला स तान ह अपनी मां बाप का । परू स प त क माल कन बी टया होगी । गजान दः हां भाई हां ! रमान द-भइया गजान द मझे ु त पस द नह ह ऐसा र ता । यहां बी टया के सख ु चैन क उ मीद तो नह लगती ।

गजान द- या कह रहे हो रमान द । रमान द-िजस घर म लडक नह उस घर म बी टया का याह कर रहे हो।वह भी दहे ज दे कर । गजान द-

या वहां बी टया का याह नह करना चा हए

39

?

रमान द- खद क बी टया के साथ कैसा ु क बी टया क ह या पैदा होने से पहले करने वाले दसरे ू सलक ू करे गे । मझे ु ◌े यहां भी ऐसा ह लगता है । िजस दया । वे दसरे क बेट ू



या क

ब कुल नह करना ।

मां बाप ने

बेट का ज म नह होने

करगे । गजान द बी टया का सख ु चैन चाहते हो तो

पैसा अरे वो भाभी

अरे वो भाभी

न कोई जान न पहचान पर वो भाभी

वो

भाभी

कहकरनि दनी जोर जोर से च लाये जा रह थी । बार बार च लाने के बाद वह औरत नि दनी क आवाज नह सनी दरू दौडकर हांफते हए ु तो वह उसके पीछे दौड. पड.◌ी ! कछ ु ु उस औरत का प लू खींचकर बोल अरे भाभी जी आपका पैसा गर गया है । म हला पैसा पस म रखते हए ु नि दनी को लख लख दआ ु य द और अपने ग त य का ओर बढने लगी । नि दनी को भाव वभोर दे खकर का मनी नि दनी क अ छ पढ भगवान ने

लखी पड.◌ोसन

ू◌ाब ब शा था ,खब ू माडन औरत भी थी नि दनी से बोल

भाभी च लाने क

प यौवन भी

या बेवकफ कर द ू

या ज रत थी । अरे नोट को पैर से दबा लेना था । धीरे से उठा लेती ।

एक अनजान औरत के◌ा च ला च ला कर बला ु रह थी । लोग नि दनी- या कह रह हो का मनी तम ु जैसे लोगो क ऐसी सोच । कमाई थी । उसका प त उस

या सोचे होगे । बेचार के मेहनत क गाढ

पय के लये कतना पसीना बहाया होगा ।

या हम इतने गर गये

ह कसी के गरे हए ु पैसे को उठाने के लए गर जाये । अरे हम इंसान ह हम अपना दा य व नह भलना चा हये का मनी बहन । का मनी को जैसे सांप सघ ू ू गया । टयशन ू

अरे रे खा के पापा बी टया क टयशन फ स दे ना ह पैसे दे दे ना डयट ू ू जाने से पहले

बनीता प त

सोहन से बोल ।

सोहन कतना टयशन फ स का दे ना है । ू बनीता- तीन सौ

सोहन- तीन सौर

पया हर माह तो दे रहे है फर भी पछ ू रहे हो ।

पया दे ते हए ु बोला ए लो दे दे ना । र तेदार क बात ह िजतना मांगेगी मैडमजी को दे ना ह होगा । समय से पहले फ स दे दया करना । पैसा र ते क द वार न बन जाये बनीता ठ क ह ।

यान रखंग ू ी पर वो वैसी औरत नह ह । र ता नभने उसे अ छ तरह आता है

। सब समझती ह ।

कई मह न के बाद एक दन सोहन टयशन वाल मैडम के घर के सामने से गजर रहा था सोचा ू ु

मैडम से बी टया क पढाई क जानकार भी लेते चलंू । मैडम से सोहन बी टया क पढाई के बारे म पछताछ कया और वदा लेते समय मैडम को तीन सौ ू

पये दे ते हए ु बोला बहन जी आपक टयशन फ स है र खये । मह ना भी तो दो चार दन ह बचा है ! ू 40

टयशन वाल मैडम भाई साहब आपक बी टया हमार भी बी टया ह । म आपसे पैसे लंू गी भला ू

फर कैसे र तेदार हम रह अरे हमारा बजनेस तो टयशन नह ह । मझे ू ु भी तन वाह मलती है

अ छ खासी । बी टया क र ते को कम



ढाई के बहाने मझे सीखने को मल रहा है । आप पैसे से ु भी कछ ु

आंक रहे है भाई साहब।

से◌ाहन - या बना टयशन फ स के पढा रह ह । अब तक मेर प नी जो कर रह थी वह ू

या

था ।

टयशन वाल मैडम- ठगी । ू जयकार बाक अपने बडे भाई साक क मतदे ृ ह और उसके प रवार को लेकर मालवांचल से अपनी ज मभू म पंजाब गया जहां उसका दाह सं कार एवं अ य कमका ड के साथ तेरहवीं क र म भी परू

करवाया । तेरहवी बतते ह सांके क घरवाल उखड.◌े पांव सा◌ा ने ◌ा◌ं और तीनो लड कय जो दस मह न के अ तराल पर पैदा हई उसक सास ु थी को घर से बाहर नकाल फकने का षणय रचने लगी । सा ने◌ा◌ं इन लड कय को लेकर जाये ता जाये कहां। सास के उ पीड.न से दखी ु होकर सा न गांव क पंचायत का दरवाजा खटखटयी । सा न क सास एक न सनने को तैयार ु थी ।वह बोल जब तक बेटा िज दा था ये सा न कमाई हडपती रह । साक क मौत का

िज मेदार सा नो है म घर से नकाल कर रहंू गी ! बेटा तो मर ह गया हम इनका या करे गे । अब हमारा न तो बहू से और ह न लड कय से रहे गा कोई र ता । सारे र ते नाते ख म हो गये । कह जाय डब ू कर मरे लड कय को लेकर ।

यह सनकर बांके अपनी मां को ध कारते हए ु ु भागकर घर म गया । चादर लेकर आया और !अपनी उ से प ह साल बडी, भाभी को ओढा दया । अब सा नो शाक क प नी बन चक थी ु । गांव के लोग शाबास बाक शाबास बांके के गगन भेद जयकारे के साथ सर आंखो पर बठा लये । हादशा मई माह क भयावह गम । इंदौर से ख डवा क बस या ा खैर जैसे तैसे ख डवा रे लवे मु बई से पटना जाने वाल

या दखदायी सा बत हो रह थी । ु

टे शन पहंु चे । दो घ टे और नमाड. क धप ू म सींकने के बाद े न आयी । िजसम चार सीट दो माह पहले से आर त थी इसके

बाद भी े न के ड बे म खडा होने नह

दया जा रहा था दादा क म के या य

ारा ।

कछ ु

लोग बडी बदतमीजी से पेश आ रहे थे । मेर सीट पर अबैध क जा जमाये हए े न से ु ु थे मझे बाहर फकने क फराक म थे । सरु ा जवान भी मेर बात सनने को तैयार ट ट लाख खोजने के ु बाद भी नह

मला । दोनो ब चे जोर जोर से रोये जा रहे थे । प नी का पांव भार हो◌ेने क

वजह से उसे खड.◌ा होने म

भी तकल फ हो रह थी पर वे अमानष का ् ु क म के या तररय

दल नह पसीजा । बडी मिु कल से एक सीट खाल करवा पाया । बद मजाज मसा ु फर हर दस मनट म सत लेते । रात म ु बनाते मंह ु म डालते वह सीट के नीचे थक ू दे ते फर बीडी सलगा ु

प नी के कान का बाला भी चोर चला गया । यातनामय जान म जान आयी ।

े न से उतरते ह ऐसा लगा जैसे 41

या ा के बाद बनारस आया तब जाकर

दो दन क

े न या ा नह प रवार स हत

दो साल के स म कारावास क सजा से मु त हए ु हो । े न या ा नह भयावह हादशा था कहते हए ु दे वी साद क आंख भर आयी । रे न को हर झ डी मल गयी दे वी साद क सीट पर क जा जमाये बद मजाज या ी ख खलाकर हंस पड.◌े◌ं । जहर जगत

तीय

ेणी के ड बे म दा खल हआ । सीट पर बैठा भी नह ं क पास वाल सीट पर साढे ु पांच फ ट ल बे गोरे चटठे ट ट सफेद बाल वाले अधेड. यि त पछ ू बैठे कहां जाओगे बेटा । जगत -बाबा इंदौर ।

अधेड यि त -म तो ब बई जा रहा हंू । जगत -घमने जा रहे है बाबा । ू

अधेड यि त- हां । जीवन का सारा सख ु भोग लया हंू । अब तीरथ वरत ह बचा है । अ ◌ े ाड यि त-बेटा गांव म रहता अपनी जमीदार स भालता । नौकर करने बाबू लोगो का काम नह है बेटा ।

जगत- बाबा भू मह न हंू । अधेड यि त -कौन हो तम ु ।

जगत -बाबा आदमी हंू और कौन हंू । अधेड यि त आदमी तो सभी ह । तु हार जा त और धम

या है ।

जगत भगवान ने तो आदमी ह बनाया ह पर जा त धम के ठे केदारो ने शू

बना दया है ।

अधेड यि त -अ छा तो अछत से पानी नकाले◌े खद ू हो । कहते हए ु ु के उपर छडके ु उठे सराह सीट पर छडके और बैठते हए ु बो◌ेले या पहनावा हो गया है उ◌ु◌ंच नीच का पता ह नह चलता । बगले ु हंस बन गये

है ।

अधेड यि त क बात सनकर जगत के पास बैठे ु

यि त से रहा नह गया बोला बाबा व ान

का यग ह । आदम यत को ु है । छआछत ू ू उ◌ु◌ंच नीच का भेदभाव कब का खट ू ं पर टं ग चका ु

बदनाम न करो आदमी को कम और यो यता से अ भनि दत करो । बाबा इस यग ु जहर क खेती नह फलफल ू सकेगी । अधेड. यि त- या

?

फज

अरे वाह भाई ओम

सना ु है

मोशन भी हो गया पर यार पाट बाक रह गयी । खैर छोड पाट

साट तो कभी भी हो जायेगी । ए तो बता तन वाह अब अ छ हई ु क नह । ओम - हां भाई सेवकदास तन वाह अ छ हो गयी है पर महंगाई क मार तो छाती पर है । सेवकदास- हां ओम भइया महंगाई तो आसमान छने ू लगी ह । उपर से मलावट, र वतखोर ,झठ ू फरे ब सब तो बढता ह जा रहा ह । बेचारे मी डयम

लास के आदमी के चारो ओर मंह ु बाये

खड.◌ी है । सामािजक आ थक राजनै तक एवं पयावरण

दपण क सम याय दन पर दन बढती ू

जा रह ह । इनके नदान के लये तम ु जैसे हर समझदार एवं स प न आदमी को कछ ु ना कछ ु तो करना चा हये !

42

ओम - हर आदमी को अपना फज नभाना पडेगा । जंगल जीव एवं पयावरण क सरु ा के लये आगे आना होगा ।

सेवकदासः ओम आपक बातो से तो लग रहा है क आप अपने फज पर खरे उतर रहे ह । कोई ना कोई याग ज र कर रहे ह । ओम-

चार पाने के लये कछ ु भी नह कर रहा हंू । दे श का नाग रक होने के नाते रे ◌ा गय को वारे का रस का इ तजाम, पेड पौधे लगाकर एवं आ थक सहयोग दान कर पयावरण को

सरु

त रखने◌े का

यास साथ ह गोसेवा हे तु कछ ु दान कर लेता हंू बस सेवकदास- ओम भईया दे श, समाज और पयावरण को तु हारे जैसे लोगे◌ा क ज रत ह । अनभव ु

सरेु श-लोग कहते है क पद और दौलत सबसे बड.◌ा द ु नया म जब क ऐसा है नह । रमेश- पद और दौलत कैसे बड.◌ा हो गया

? कद

क उ◌ू◌ंचाई तो अन त है ।

सरेु श- तु हार बात म दम तो है पर तु दबदबा तो पद और दौलत का है ।

रमेश-पद और दौलत से चाहत क भख ू बढती है । आदमी लाश पर चढने से परहे ज नह करता । कद स भावना से अ भविृ द होती है।

पद का अ भमान और अ धक दौलत क चाहत आदमी से

आद मयत छन लेती है ।

सरेु श-ठ क कह रहे हो भइया जनादन क तर क क राह म अ भमा नय ने खा

खोद दया था ।

बेचारा जनादन खाई तो नह पाट पाया रोट कपड.◌ा मकान और स मान के लय संघष करता रहा पर उसने अपनी कलम के बदौलत उ◌ू◌ंचा कद तो हा सल ह कर लया । वह द भी लोग जनादन के उ◌ू◌ंचे कद को नमन करते है । रमेश-कद म सनतोष है पद और दौलत म असी मत भख ू सरेु श-पद और दौलत अ थायी है । कद

थायी है और द ु नया भर क दौलत से

े ठ है । उ◌ू◌ंचा

कद आदमी को भगवान के समतु य बना दे ता है खरा अनुभव तो यह कहता है। मदद फलकमार के ब चेदानी कसर के आपरे शन के घाव अभी हरे थे ।इसी बीच उसके पताजी आ गये ु ु

। मसीबत के समय पताजी को पाकर वह बहत ु ु हई ु । पता घु मन बेट के सर पर हाथ फरे ते हु बोले बेट नेमीच द कछ पया दया था या ? ु फलकमार - दये तो थे तीन हजार । वह वह कज दया था ु ु

या रमायन भईया ने ।

घु मन- हां बी टया कहते हए ु सर नीचे कर लये । फलकमार -कराहते हए कमरे म गयी तीन हजार ु ू ु ु उठ और दसरे बोल

पये पता के हाथ पर रखते हए ु गन लो पताजी भइया को दे दे ना और कह दे ना सद ू के कतने पये हए ु बता दे गे ।वह भी

दे दं ग ू ी । भइया के खैरात क ज रत नह है मेरे जेठ जेठानी सब दे ख रहे है । आपरे शन के

का भी ब दोब त कर दये थे पर शहर से पैसा आने म डाक क वजह से कछ ु दे र हो गयी। भइया के दये तीन हजार म मेरा आपरे शन हो सकता था ओर से ध यवाद कह दे ना पताजी । 43

या

? भइया

को मदद के लये मेर

पये

घु मन-बी टया म श म दा हंू । तु हार मदद नह कर सका । बेटवा कया भी वह भी कज दे कर ।स ताह बत नह मझे ु तगादा के लये भेज दया ।बेट म तो जीते जी मर गया भगवान तु हार मदद करे कहते हए ु बेटा रमायन के घर ऐसे गये क फर कभी लौटे ◌े । नेता पापा अब म नह ं पढंू गा िजते

एक झटके म कह गया ।

ब पन-

य नह पढोगे बेटा । मझे बहत ु तो तमसे ु ु उ मीदे है । पढ लखकर बडा अफसर बन जाता तो मेर मराद परू हो जाती । ु िजते

-पापा पढाई बहत ु महंगी हो गयी है । आप छोट सी तन वाह म इतना बडा प रवार कैसे चलाते हो सोचकर डर जाता हंू । पापा आगे पढंू गा तो फ स कैसे भर पाओगे यह भी च ता का वषय है ।पापा ना मरे गा सांप ना टटे ू गी लाठ । पढाई पर होने वाला खचा भी बच जायेगा और

आपक मराद भी परू हो जायेगी । ु

ब पन-ऐसी कोन सी जाद ू क झड.◌ी तु हारे हाथ लग गयी बेटा ।

िजते

-अभी तो नह लगी है पर लग जायेगी ।

ब पन- वो कैसे

?

िजते

-पापा नेता बनने क सोच रहा हंू । अरे अपने दे श के बडे म ी कौन से बहत ु पढे लख है ।दसवी बारहवी पास फेल म ी बन जाते है । बेचारे अ छे पढे लखे चपरासी तक क नौकर नह पा रहे है ।बडी बडी ड

य को घन ु खा रहे है । पापा बडी बडी ड गयां होने के घस ू भी दे ना होता

है । वह भी तो अपने पास नह है । नेता बनने म कोई न बडी ड ी क ज रत पडती है ना घस ू क । कमाई भी बहत हाथ लग गयी तो कई पी ढय का इ तजाम ु ु है । एक बार म ी क कस हो जायेगा । जनता पागल क तरह पीछे भागती है उपर से । लोग जयजयकार करते नह थकते । पापा नेता बन जाने दो। ॥ मु ठ भर माट ॥

साल कैसर क वजह से मौत से लड. रहे पडोसी लालानरायन आ खरकार आठ मई को हार गये । मै भी दफ् तर से छु ट मैययत म शा मल होने के लये पहंु चा । लालानरायन के हत- म इ ठा ् हो रहे थे । उनके र तेदार गांव और शहर से मु ठ भर माट दे ने के लये चल पडे थे ।लाश को बरफ के हवाला कर दया गया था ।औरते ब चे

रो रोकर थक चक था ु े थे । स नाटा पसरा हआ ु रह रह कर मसेज लाला के रोने क आवाज स नाटे को चीर रह थी । इसी बीच लालानरायन के बहत और सख छपाते एक बालक को बालक को इशारे से बलायी ु ु के साथी क प नी छपते ु ु ु ु पराने और बोल जा बेटा कसी बढडे से पछकर आ क लाश कब मिु तधम जायेगी और वे एक मकान ू ू क आड. म दबक गयीं । ु

बालक दौड.कर गया एक बजग यि त से पछकर आया और जोर से बोला आ ट कल सबह । ु ु ू ु

दसरे दन मतक लालानरायन क दे ह अि न को सम पत तो हो गयी पर न तो उनके कोई सख ू ु ृ

के साथी दखे िजनक तार फ करते लालानरायन नह थकते थे । हजारो मकान वाल कालोनी से गनती के पांच लोग शा मल हए पु षो तम के मंह ु ु से नकल पडां वह ु । नरो तम क बात सनकर रे मतलबी सख ु के साथी एक मु ठ मांट दे ने भर को ना हए ु । कसम

44

रामू पेट म भख ू और दल मे अरमान पालकर प के इरादे के साथ श ा हा सल कया था । रामू अ धक पढा लखा होने के साथ ह काम भी ईमानदार और परू

न ठा के साथ करता था । उसे

उ मीद थी क वह क ठन मेहनत और श ा के बलबते उ◌ू◌ंची उड.◌ान भर लेगा । ले कन ऐसा ू नह होने दया कमजोर का हक मारने वाल ने । एक दन सहाने मौसम का ज न मन रहा था ु

कई बोतल क सील टट थी कई मग ू चक ु ु उदर थ हो चक ु े थे । जाम का ज न सर पर चढकर बोल रहा था ।अफसर चकनकमार अफसर के सु ीम क ु

गलास म नई बोतल का दा

उड.◌ेलते

हए ु बोले सर रामू का पर नह कतर तो बहत ु आगे नकल जायेगा । सु ीमो-कभी नह उखड.◌े पावं रामू चौथे दज का है चौथे दज से आगे नह बढ पायेगा चकनकमार म कसम खाता हंू ।बस ु ॥ सहारा॥

या इतने म मेजे◌े थपथपा उठ ।

दखन दन बहत ु ू पहने हो । कोई लाटर लग गयी या ? ु महंगा जता दखन दन - वनोदबाबू हमार खशी या आपको । ु ु से कोई तकल फ हई ु वनोद-तकल फ यो होगी भला । महंगा जता ू पहना है तो कह दया पहले तो कपड.◌े भी अ छे

नह पहन पाते थे । दे खो अब तो रोज रोज कपड.◌े◌ं बदल कर आते हो कालरदार नेताओ सर खे कोट पहनने लगे हो । दखन दन-मेर मेहनत रं ग लायी है तो खा पहन रहा हंू । ु वनोद- कहना तो नह था पर बात चल है तो कह ह दे ता हंू । तमसे बड.◌ा तो म हंू तन वाह ु और दसर सु वधाय भी मझे यादा है। तु हारा खचा बडा है ।तु हार दवाई पर यादा पैसा खच ू ु होता ।तम द । ु इतना सब कछ ु ु कैसे मैनेज कर लेते हो दखन

दखन दन- वनोद बाबू मेरा जता ु ू और पहनावा दे खकर च कर आ गया । अभी तो आगे बहत ु ु कछ दे खना बाक है दल मजबत ू करके रखना । बी टया नाम रोशन करने लगी है बेटे तो उ मीद है ह वनोदबाबू

वनोद-बी टया सहारा बन रह है । दखन दन-हां ु सगन ु

मान सं ह- लेखक साहब लेखक-ज द होगे ।

णाम । नई कताब के द दार कब होग

?

मान सं ह- कताब तो छप गयी है । मैने तो ऐसा ह सना ु है । लेखक-ठ क सना ु है भइया । वमोचन होना बाक है ।

मान सं ह-सा ह य समाज का आईना होता ह नह ं आईना दखाता भी है । आपक ऐसी ह उ मीद है मझे ु ।

लेखक-आपक उ मीद पर मेर

कताब से भी

कताब खर उतरे हम भी ऐसी ह उ मीद है ।

मान सं ह-महोदय जब वमोचन हो तो मझ ु सा ह य- ेमी को ज र याद करना । लेखक-आप जैसे पाठक तो हमार दौलत है मान सं ह भाई । मान सं ह-महोदय ये

501

◌ा या सगन ु के तौर पर र खये कताब वमोचन के बाद ले लंग ू ा

कहते हए ु मान सं ह चल पड.◌ा।

45

मान सं ह के सा ह य ेम को दे खकर लेखक महोदय नतम तक हए ु बना नह ं रह पाये । लेखक के अपन व एंव नेह और मान सं ह के सा ह य ेम को दे खकर मौजद ू लोग बोल उठे आज भी सा ह य

े मय क कमी नह ह ।

गरा हआ आदमी ु राज साद ाइवर क नौकर करते थे । उनके लटके झटके जमीदारो जैसे थे ।उनक प नी कलाबाई को उ च जा त के लोग को राखी का भाई बनाने का बड.◌ा शौक था । राज साद को आस-पड.◌ोस के लोग बाबू साहब कहते थे। दे वनाथ को राज साद के

तबे से जलन होती थी । वे

एक दन लोग क भीड. से घरे हए । ु ु राज साद को बलाये राज साद जमींदार के ठाटबाट मे◌े◌ं हािजर हए ु । उ हे दे खकर दे वनाथ बाबू बोले राज साद बाबू से म लये । जमींदार खानदान से तालक ु रखते है ।वे राज साद को बैठने का इशारा करते हए ु बोले राज साद बाब-ू आपके पताजी लटकदे व जमींदार थे । राज साद-हां दे वनाथ बाबू । दे वनाथ-एकदम झठ ू

राज साद-यादव टोला के पास ह तो हमारा पैतक ृ घर है ।

दे वनाथ- एक और झठ ू ।अरे सच बता तू कौन सी जा त का है । राज साद-जमींदार हंू । कोई शक है या ? दे वनाथ- हां । जमींदार तो तू हो नह सकता

?

राज साद-यादव हंू दे वनाथ-तू बहत गरा हआ आदमी है ।छोट जा त का होकर बड.◌ी जा त का ढ ग करता है । ु ु तु हार जा त के तो स त शरोम ण र वदास थे । डां0 अ बेडकर साहब थे िज हे द ु नया पज ू रह है और भी बहत ु महान लोग है ।तु हे तो अपनी जा त पर कम महान बनाता है आदमी को । राज साद-दे वनाथ बाबू कसी से कहना नह ं ।

दे वनाथ-अरे बाबू साहब अब कतना नीचे गरोगे ब नजर

? कहने

वा भमान होना चा हये । जा त नह

को बाक

या रह गया है

?

ांच मैनेजर साहब के पद के अनु प नयी कस आयी गयी । परानी कस अ छ एवं अ छ ु ु ु

दशा म थी । ांच मैनेजर साहब का यार सेके् रटर के

त उमड. गया । वे से े टर से बोले

दयाव त अब परानी कस का उपयोग तम ु ु करो । तु हारे काय के अनु प मु वं गचेयर है ु

।साहब के आदे श का पालन दयाव त ने कया पर यह बात दयाव त से त नक बड.◌े खरापाती ु मनेजर मंगत को◌े घाव कर गयी ।वे दफतर म आने वाले आग तुक से कहते ना थकते क

दे खो एक टाइ प ट साहब क कस पर बैठा है मनेजर जैसे मै मनेजर होकर भी मु वं गचेयर से ु दरू हंू । ब नजर मंगतसाहब क ऐसी बरु नजर लगी क दयाव त क र ढ. का दद शु हो गया । दयाव त को कस के प र याग के लये ांचमनेजर साहब से अनरोश करना पड.◌ा । ु ु दयाव त के प र याग से मंगत साहब को जैसे अपार खशी मल गयी । ु दगा

कछ कहने से पहले राघव धड.◌ाम से गर पडे. । ु 46

माधव उठाकर बैठाये । दौडकर पानी लाये । गलास राघ के मंह ु म लगाते हए ु बोल भइया बहत ु गम है बचकर रहा कर ।सरज ढलने के बाद आ जाते। ू राघव स भलकर बैठते हए ु बोले बात गम क नह है ।दो त के नाम पर ठगी क है । माधव-कहां कौन ठग गया । राघव-एक दो त माधव-दो त तो ठग नह हो सकता । राघव- बात तो ठ क कह रहे हो पर हमारे साथ जो ठगी हई लगाकर हई ु ु दो ती का मखौटा ु है । दल प भाई से वगत ् साल जान पहचान हो गयी । यह जान पहचान दो ती बन गयी । इसी का फायदा उठाकर दल प भाई मझसे छोट मोट मदद लेते रहे म भी करता रहा । एक सबह सबह ु ु ु

दल प भाई का फोन आया क म मसीबत म हंू पांच हजार पये क मदद चा हये । मने उनसे ु कह दया पांच हजार का वादा तो नह कर सकता िजतना हो जायेगा म लेकर हािजर होता हंू । माधव- कतने राघव-हजार

पये दये ।

पये ।

माधव-अब

या हआ दल प टोपी पहना गया। ु राघव-हां भइया हम ह नह और कई लोगो को दगा दे गया। भख ू

दे वकरन नशे क हालत म ठसते जा रहे थे जो कछ खाना था दयाव ती परस चक ू ु । दे वकरन ु खाने के बाद थाल चाटने लगा तो दयाव ती से नह रहा गया वह बोल

और रोट बना दं ू

?

दे वकरन-नह ं रे तू ये बतन रख और सो जा

या

लड.खड.◌ाते हए ु दे वकरन बोला और चारोखाना चत हो गया । कछ ु दे र के बाद कराहने लगा । बेचार दयाव ती हथ पावं दबाने लगी । हाथ पांव दबाते ह खराटे मारने लगा ।जब दयाव ती के हाथ थम जाता तो वह कराहने लगता । बेचार दया ती रात भर दे वकरन के सेवासु षा ु म लगी रह । भोर हई ु नशा त नक उतर तो वह दयाव ती को उ◌ू◌ंघती दे खकर बोला राजू क मां रोट खा ल । दयाव ती-तमने खा लया ना ु

दे वकरन- मैने तो खा लया । दयाव ती-समझा◌ो मैने भी खा लया । दे वकरन-मतलब दयाव ती-औरत हंू ना बच गया तो खा लया नह बचा तो नह खायी । औरत को भख ू नह लगती ना इतना सनते ह दे वकरन क सार नशा उतर गयी । ु बधाई

बधाई हो मोची भइया तम ु तो बहत ु उपर उठ गये । मोची-ध यवाद महोदय आप कोई श द के जादगर लगते है । ू हां वह समझ ल िजये । मेरा नाम सेवकदास है । मोची-महोदय

साद

हण क िजये । 47

सेवकदास-मेरा सौभा य है क महावीर जय ती के सअव ु सर तर आपके हाथ से

साद पा रहा हंू । मोची-महोदय गर ब के पास स भावना क दौलत के सवाय और कछ ु तो होता नह । मौका आने पर पेट काटकर दसर क मदद करने से भी गर ब पीछे नह हटता । ू

सेवकदास-आपके सेवा भाव को नमन ् करता हंू । मोची-महोदय मेहनत मजदरू क कमाई से 101 जोड.◌ी च पले बढ ू म हलाओं को बांटने का

काय म रखा हंू । सेवकदास-भगवान आपक कमाई म बर त बरसे। दसरे आपसे सेवाभाव सीखे । महावीर जय ती ू क बहत ु बहत ु बधा या मोची भइया कहते हए ु सेवकदास ग त य क ओर चल पड.◌ा । मोची भइया अपने नेक मकसद म जट ु गया । लेपटाप

ता लय क गड.गड.◌ाहट से सभाक समाचार सनाने के बाद वे सचना ु ू

गंज ू रहा था । व य

ाि त पर

त न धय के मु खया कई शभ ु

त न◌ा धय का यान आक षत करते हए ु बोले आज सचना कारि त का मह व शहर गांव खेत ख लहान तक दखायी पड.ने लगा है । इसका ् ू

फायदा हमार क पनी को भी हआ है ।सचना ाि त के मह व को क पनी के आलाअफसर ने ू ु बार क के साथ समझा है और आप लोग को एक तोहफा शी दे ने क कारवाई शु कर द है ।उ मीद है इस तोहफे से आपका और आसान हो जायेगा। तोहफे क बाद सनक व य ु बाबू बोले साहब

एक बार सभाक सभाक

त न धय के मन म गदगद ु ु सी होने लगी ।

या तोहफा मलने वाला है । साहब-लेपटाप

ता लय क गड.गड.◌ाहट से नहा उठा ।इसी बीच

तनध

रसाद

त न ध क हैया जी

से बाहर नकल कर अपने आवास पर फोन लगा दये । फोन पर वाइफ रा धका क

आवाज सनकर बोले ु

राधे मैडम बधाई हो ।

रा धक- कस चीज क बधाई । क हैया-अरे भागवान लेपटाप क पनी क ओर से मल रहा है । बेबी कहां है । रा धका बेबी को फोन थमाते हए ु बोल लो बेबी पापा से बात कर लो । बेबी-पापा लेपटाप क बधाई । क हैया-बेबी आपको भी बेबी-पापा लेपटाप का

या करग ।

क हैया-बेबी गेम खेलना और

या

?

झांसा सा ता हक समाचार प

का

त न ध दोपहर के व त उपि थत हआ और गड. गड.◌ाते हए ु ु बोला भाई साहब मेर मदद क िजये । मैने पछा आप कौन है भाई । ू

वह बोला म मनोहर हंू फला सा ता हक समाचार का पढता रहता हंू क याणजी । कैसी मदद क दरकार है ।

48

त न ध हंू । आपक रचनाय म बराबर

मनोहर-क याणजी मेरा बेटा बीमार है । खन ू लेने आया था । सौ वाला उ दार दे ने से स त मना कर दया है ।

पये कम पड. गये । पैथालोजी

मैने सौ

पये का नोट दया और कहां चलो आपके साथ म भी चलता हंू अ पताल तक । मनोहर- म ज द म हंू । अ पताल भी दरू है एक झटके म कहकर वह फरती के साथ चला गया ु ।

कई दन के बाद कसी काम से शहर गया । फला अखबार के दफतर का बोड दे खकर आफ स म व ट हआ। पता चला क मनोहर नाम का कोई आदमी काम नह करता इस अखबार के लये। ु कोई झांसा दे गया मेरे अखबार का नाम लेकर । म कछ दन क ु

छु ट पर था इसी बची मनोहर मेरे दफतर आया और मेर

शकायत कर गया

क क याण बाबू कैसे इंसान है सौ

पया के लये शकायत करने पहंु च गये । मह न बाद मनोहर मालवा मल क भीड.भाड. वाल बाजार म दखा। दे खते ह उसके पास गया और ब चे क बीमार के बारे म पछा तो वह बोला मर गया ू कभी मंह ु नह

फर भीड. म ऐसे गायब हआ क फर ु

दखाया ।

आडर

गजाधर माथे का पसीना पोछते हए या क मत हो गयी है हमार सबह ु ु ु ु मन ह मन बदबदाया से शाम तक पसीना बहाता हंू तर क क बयार मझ ु तक पहंु चने नह द जाती । साथ के लोग मैनेजर बन गये मामल ू से कमचार रह गये ।कमचार से नये नये अ धकार बने बप नच द

जगोधर के आगे चार-छःपेज रखते हए ु बोले ज द टाइप कर दे ना । अज ट है। साहब का आडर है । गजाधर -हर काम अज ट होता है और करना हम ह होता है । बप नच द- बदक गये नाक भ

सकोड.ते हए ु क यूटर पर ताश म भीड. गये । सदशन - या हआ च द साहब । कससे बात कर रहे हो । ु ु बप नच द-आ जाओ एक मैनेजर मैनेजर से बात कर ले सदशन - य नाराज लग रहे ह । ु

बप नच द-छोटे लोग जबाब सवाल करने लगे है । दे खो गजाधर को टाइप करने म जोर आ रहा

है । सदशन -अरे टाइप करना उसका काम है । करना ह पडे.गा । अ धकार हु म दे ने के लये होते है ु ,करने के लये नह ं। बप न- लो पंयादा मरा इतना कहना था क ठहाके से दफतर हल गया । संवेदना छोटे बाबू

या समाचार है नयनबाबू से◌े दरभाष पर पछा । ू ू

नयनबाबू-बीस दन से बीमार चल रहा हंू । ख टया पर पड.◌ा हंू । छोटे बाबू-परानी बीमार क वजह से या कोई दसर मज लग गयी ? ु ू नयनबाबू-पी लया हो गयी है ।

49

छोटे बाब-ू च ता ना करो म वै जी से दवा लेकर आता है । थोड.◌ा व त लगेगा बीस कलोमीटर का रा ता है कहकर फोन रख दये । नयन बाबू हे लो हे ला करते रह गये ।

छोटे बाबू पी लया क दवा लेकर दोपहर ढलते ढलते नयनबाबू के पास पहंु चे ।नयनबाबू का दे खकर छोटे बाबू क आख से आंसू बह नकले ।

वा थ

नयनबाब-ू बीमार है ठ क हो जायेगी ।

छोटे बाब-ू ज र ठ क होगी ये दवा गड ु . के साथ तीन दन तक ल िजये पी लया एकदम ख म हो जायेगी ।

छोटे बाबू ज द से गलास भर पानी पेट म उतारकर ज द ज द चाय उतारकर बोले भाई साहब मझे ु इजाजत द िजये । दरू जाना है कराये क साइ कल है । छोटे बाबू साइ कल उठाये और दौड. पडे. मंिजल क ओर ।

नयनबाबू छोटे बाबू के परमाथ के

त नतम तक थे जब क छोटे बाबू से कोई खास न तो जान

पहचान थी ना कोई खन ू का र ता । भीड. भरे

शहर म और भी लोग जान पहचान के थे दरू

पास के कसी ना कसी र ते से तालकात भी रखते थे पर मतलब क दौड. ने संवेदनाह न हो ु चक ु े थे । एक थे संवेदनशील और पर-पीड.◌ा समझने वाले छोटे बाबू

गवाह च डं या आने घोसले क और लौट रह थी । गोकल काम पर से आकर खड.◌ा ह हआ था क ु ु पु लस उसके कूटर क ज ती और उसक गरफतार के लये आ धमक । गोकल ु जानना ु जम चाहा तो उसे एक औरत के ए सीडे ट के केस का मज ु रम बताया गया ।

गोकल कसी का ए सीडे ट नह हआ है । हां कछ ु ु सफाई दे ते हए ु माह पहले एक ु बोला- मझसे ु छोट ब ची ज र टकरायी थी िजसे त नक खरोच आयी थी ।उसका इलाज मने करवाया था । ब ची के प रजन तो काफ दे र बाद आये थे। पु लस केस का मामला भी नह था ।

पु लसहवलदार-अधेड. म हला है िजसके हाथ पांव टटे ू है । कमर क ह डी चटक गया है । ये

ए सरे और प चीस गवाह क सची कया है ।हर मज ू है । ए सीडे ट तमने ु ु रम झठ ू बोलता है बचने के लये । तम ु भी पैतरे बाजी कर रहे हो ।

गोकल ए सीडे ट नह हआ है । यह कोई सािजश है । ु ु -मझसे ु पु लस-कोट म सफाई दे ना । आ खरकार गोकल ु को गरफतार कर लया गया । लया गया । धमशा

कू टर ज त कर

पर हाथ रखकर स च के सवाय कछ ू के ु नह कहने वाले गवाह झठ

सवाय कछ ू गवाह ु नह कहे । बेचारे नरपराध गोकल ु को अथ द ड के साथ सजा हो गयी, झठ

के आधार पर अवैध कमाई के लये । मराद ु

राहल ु -पापाजी जा त और नवासी माण प सबोध -बेटा बन गया या यह कम है ? ु

कैसे बना है ।

राहुल-पापाजी कम तो नह है ।मेरा साल नह बगड.◌ेगा कतने बेचारे कले टर आ फस साल भर से च कर काट रहे है ।कई ब च के तो एड मशन नह हो पाये है । सरकार माण प क वजह से । मेरा छः मह ने क भगदौड के बाद भी नह बनने क उ मीद थी फर कैसे बन गया । 50

सबोध -सरकार ु

नयम कायदे ◌ा◌ं के आधार पर साहब और बाबू लोग बाल क खाल नकालने लगे

तो आसान सा दखने वाला काम भी नह हो सकता । ये सरकार

माणप

पहले बन जाते पर

हम तो स चाई का दामन पकडे. हए पड.◌ा दसरा रा ता अि तयार करना ु ू ु थे ।स चाई को झकना पड.◌ा । राहल ु - पापाजी इसका मतलब सबोध -हजार पये का घस ु ू । राहल ु -पापाजी ।इतना अथवा अ य माण प

?

ट हो गये है मोहक म । सरकार का फज है हम जा त, नवासी, आय दे । सारा भारत एक है कह से भी बना हो

माण प

हर जगह मा य

होना चा हये । सबोध ु

या बहत ु टे ढ है । इसी का फायदा स बि धत बाबू हो या साहब उठाते है।जनता ठगी जाती है । आमजनता को तो सभी ठगते है । राहल दे श को खोखला कर रह है ।य द म इस लायक बन गया तो घसखोरो ू ू ु -सच पापाजी घसखोर को चौराह पर लाउ◌ू◌ंगा । ईमानदार का अ भन दन सावज नक थान पर जनता जनादन से करवाउ◌ू◌ंगा ।घसखोर का पैसा तो आदमी को हैवान बना दे ता है । ू सबोध -बेटा भगवान तेर मराद परू कर । ु ु बदलाव परे

के प रजन नरे

क नौकर लगते ह

को कसी फ र ता से कम ना समझते थे । वह ं परे बसार बैठे परे

भी नरे

के प रजन परे

क चौखट तक आने म खद ु का मानो अपमान

समझने लगा था पद और दौलत पाते ह । कछ ू गया था जब वह ु बरस पहले के द ु दन को भल शहर म भखा यासा मारा मारा फर रहा था ।भीड. भरे शहर म कोई सहारा न मला था ू नरे

बाबू ने अपने घर म शरण दया कई साल तक खानखच उठाया । नौकर तक का

ब दोब त हाथ जोड.जोड. करवाया ।वह परे भी नह

क जाने का कहने लगा । मसेज नरे

मीठा करके जाओ । परे लगाया गाड.◌ी नरे

द वाल के कई दनो के बाद मलने आया । बैठा बोल भइया द वाल

कसी क एक ना सना ु बोला ज र काम है । मोबवईल कान पर

टाट कया नेक के मंह उड.◌ाकर चला गया । ु पर धआं ु

के घर म पहले से वराजमान मेहमान आ चय च कत थे परे

और नरे

मलने आये हो तो मह ु तो

म आये बदलाव को दे खकर

आहत ।

याग सल णा याह कर आते ह ससराल क ु ु

व त माल हालत सधारने क परू को शश म जट ु ु गयी

। प त सतीश गह ृ ती का गाड.◌ी को लय दे ने के लये परदे स क ओर

ख कर दये । दो जन ु

क रोट का इ तजाम बड.◌ी मिु कल से हो पा रहा था इसी बीच सतीश के छोटे भाई हर श के पर

ा फाम भरने क आ खर तार ख आ गयी । घर म फू ट कौड.◌ी ना थी । हर श के पताजी

घर क हालत दे खकर सतीश को कोसने लगते कहते ससरा ु कमाने गया है । एक पैसा दे नह रहा है ।घर का खचा बढता जा रहा है ।बेटवा का फाम भरने का इ तजाम नह हो रहा है ।वह शहर म ऐश कर रहा है । सल णा को काटो तो खन ु ू नह ।हर श पर

ा फाम न भर पाने क वजह से

काफ दखी था ।सल णा बेरोजगार प त क हालत को जानकर य थत थी । वह आसंू पीते हए ु ु ु 51

अपने गले से पाव भर क चांद क हंसल ु

नकालकर सासमां ु के हाथ पर रखते हए ु बोल ले जाओ अ मा गरवी रखकर दे वरजी का फाम भरवा दो पैसा होगा तो छड णा के ु .वा दे ना । सल ु

याग से सासमां पर सतीश ु आ चच कत थी । खैर हर श फाम भरा अ छे न बर से पास भी हआ ु बाबू को नौकर मलने से पहले ह सल णा के याह क इकलौती नशानी पाव भर क चांद क ु हंसल क भट चढ गयी । ु साहकार ू सगाघाव बेरोजगार से बरु तरह झल ु रहे ◌े

येश को नौकर के सल सले म राजधानी जाना पड.◌ा । वहां

येश के ससरु अ छे ओहदे पर कायरत् थे ।

वापसी तक का कराया भी नह बचा ।

येश का म त य परा । उसके पास ू तो नह हआ ु ससरजी क बात येश को सगाघाव दे ◌े गयी । हताश ु

येश अपने बहनोई जो छोट सी फै टर म लोहा काटने का काम करते थे के पास गया पर उनक दशा दे शकर जबान नह खल ु । बहनोई सरताज

येश क दशा को समझ गये सौ

पया

का नोट पाकेट म डालते हए ु खा लेना । येश बहनोई का मन ह ु बोले बोले बाबू रा ते म कछ मन हा दक आभार मानकर चल पड.◌ा एक और सगाघाव दल पर लेकर । नै तकता डां0साहब मर ज का चेकअप तल नता के साथ कर रहे थे ।

ल नक के बाहर काफ भीड. भी

थी । फोन या मोबाइल बज जाता तो डां0साहब खं झ जाते । डां0साहब क मोबाइल पर बात ख म ह नह हई ु ु के सामने ु क फर बज उठ ।डां0साहब चै बर से बाहर नकले बजग नतम तक हए यि त के साथ छः लोग और अ दर ु ु ु और सहारा दे कर अ दर ले गये ।बजग चले गये । सभी यि तय के चेकअप म तीन घ टे टट ू गये। मह न पहले ए वाइ टमे ट

लेकर आये दरदराज गांव के लोग सरज उगने से पहले से बैठे थे उनम से यामबाबू का न बर ू ू पहला ह था ।

ल बे इ तजार के बाद चै बर म

व ट हए ु । यामबाबू को दे खते ह डां0 साहब बोले सांर याम बाबू आपको क ट हआ । बजग यि त कोई और नै तकता का पाठ पढाने वाले नह ु ु ु हमारे गु थे। वे खद के । ु का नह अ य छः लोग का चेकअप करवाने आ गये बना सचना ू बाहर से आये मर ज के बारे म त नक भी नह सोचे । उपदे श दे ने वाले ह नै तकता का दामन छोड. दे गे तो वे या

या होगा

?

चौराहे पर चार अप र चत लोग को चचारत ् दे खकर चु नीलाल क चु नी ठनक उठ । वे थोड.◌ा ठठके। एक यि त बोला यार कछ ु कालोनाइजर वे या से भी गर गये है । दसरा ू - या कह रहे हो यार ।

पहला यि त-ठ क कह रहा हंू । तीसरा- या ठ क कह रहे हो । कछ ु समझ म नह आ रहा है ।

चौथा यि त-समझा दो भाई हजत ् य कर रहे हो राह चलते लोग सन ु रहे है । ु पहला यि त- सनने दो कहां हम लोग असामािजक काम करने क योजना बना रहे है । ु वे या और कालोनाइजर म अ तर क बात कर रहे है । दसरा यि त -बताओगे भी क भाषण दे ते रहोगे । ू 52

पहला याि त-वे या तो वे या है अपने कम पर खर उतरती है । कछ ु कालोनाइजर एकदम दगा कर जा रहे है ।जहां खडे. है उसी कालोनी क ददशा दे खो ना सड.क है,ना द ु ु लाइन, ना ह

त चै बर

ट लाइट और पानी तो नल से टपकता ह नह ।बेचारे रहवासी घर के सपने

म धोखा खा जाते है ।

चौथा यि त चु नी क तरफ इशारा करते हए ु बोला यो जे टलमैन कौन दगाबाज है वे या या कालोनाइजर । चारो एक साथ हंस पड.◌े । चु नीलाल के पैर ग तमान हो उठे । र तेदार

गल के गु डे नपंस ु क हो गये । बाहर के गु डे जयराम और रामराज को अधमरा कर चले गये पर अपनी अपनी मांद से बाहर नह बैठकर ठहाके लगा रहे थे । धीरे

नकले । कछ ु दे र पहले यह गु डे रामराज के साथ

कैसे बेवफा लोग हो गये है बीचबचाव तक नह करने आये

। द पे

-यह गल के गु डे आप जैसे नेक इंसान को भ द भ द गा लयां दये थे ।कटार लेकर

मारने तक को आ गये थे सफ इस लये क आपने खटार बदमाश अपने घर के सामने च लाचोट करने से माना कर दया था ।ये गल के गु डे खटारा से र तेदार

आपके दरवाजे तक चढं आये थे मारपीट करने को उता

नकाल कर

थे ।वो खलासी तो इ◌्रंटा लेकर दौड.

रहा था,वो लड.क सर खे बाल बावा वो नस का बेटा ,वो मोटा भसा और सभी का खन ू खौल

रहा था शराफत के खलाफ । िजस रामराज क दकान म घ ट बैठे रहते थे चाय-पानी करते ु थे उसे लहलहान होता दे खते रहे कतने नपंुसक हो गये है ये गल के गु डे। ।गु ड को ू ु र तेदार मानते है । शर फ आदमी क पीठ मे◌े◌ं छरा ु घ पते ह । धीरे

ेड

-स य समाज के द ु मन ह गु डे लोग ।

राघव पड.◌ोस के वमल कराना से

ेड का पैकेट लाया और बोला म मी बेर् ड क चन म रख

दया हंू । आप सक दो ज द । कूल जाने का समय होने वाला है । ल मी-बेटा तैयार हो जाओ ेड सकने म यादा समय नह लगेगा ।म क चन म जा रह हंू । राघव-ठ क है म मी । ल मी- बेटा राघव

ेड का पैकेट बड.◌ा लाने को बोल थी ना । अरे ये तो सड.◌ी भी है ।

राघव-बोला तो था ले कन अंकल अ छ है कहकर दये है । ल मी-वापस कर बड.◌ा पैकेट ला दो ।

राघव भागा भागा गया पर वमल ने मना करते हए ला ु ु बोला जा अपने मां बाप को बलाकर ।राघव रोता हआ घर आया । मसेज ल मी और स य त दकान पर गये । वमल च ला कर ु ु बोला आ गये तम ु लोग मार करने । दो हो ।जा न तो तेरा पैसा दं ग ू ा आर नह मवाल

वमल के रौ

पये क

ेड खर दते हए ु उपर से म गजमार करते ेड जो करना हो कर लेना । वमल ऐसा ह कया ।

प को दे खकर स य तबाबू और मसेज ल मी वापस आ गये ।

रहवा सय के बीच कानाफसी होने लगी क वमल कराना ु लटने का अ डा । ू सफेदपानी

53

टोर है या पड.◌ेि◌◌ासय को

दे वे

- गलास म

या रखकर जा रह हो शभा ु ।

दे वे

-गांव का दध ू हजम ह नह होता ।

शभा ु -जेठजी दध ू है । पी लेना ।

या पीकर क ं गा ।

शभा ु -हो जायेगा । पड.◌ोसवाल जेठानी के यहां से मंगवायी हंू पाव भर । दे वे -अरे बाप रे ये दध ू है क सफेद पानी । शभा ु - या दे वे

?

-भाभी ने ऐसा दध ू दया है पैसा लेकर ।

शभा ु -हां र ता-नाता भल ू गयी है । धंधा ह उनका नाता रह गया है तभी तो बीमार खन ू के

र ते के यि त को सफेद पानी बेच रह है ।वे भी तो इसी घर क है । प रवार म दो फांड.

करवा द । सगे का गला काट रह है । दे वे

-खश ु है तो खश ु रहे । दध ू म नह पीउ◌ू◌ंगा । मेरे लये दध ू अब ना लाना । हां ये बात

कसी से कहना नह ।

शभा ु - या जेठजी आप खन ू के र ते पर मर रहे है । एहसनातले दबी पड.◌ोसवाल जेठानी दध ू क जगह सफेद पानी हम बेच रह है वह भी बाजार से

यादा क मत म ।

घरमं दर

बहार दादा अपना सारा जीवन भाई भतीजो पर

वाहा कर दये खद ु के लये कछ ु नह बना

पाये ।बेटा ई वरच द मां बाप क बरस परानी प के मकान क ु

वा हश तो परा ू कर दया ।

घर पर नजर लग गयी । लोग भतहा कहने लगे । बहार दादा घबराकर दाढ.◌ीबाबा ताि ू



के पास गये । दाढ.◌ीबाबा ने घर म भत ू पर सहम त जतायी । घर से भत ू नकालने क

तार ख नि चत कर दये । नधा रत समय और तार ख बहार दादा ने परू ब ती के लोगो को इ

ठा कया । दाढ बाबा आते ह घर के अ दर वाले ह से म द

ण और परब के कोने ू

म एक चौकोर नशान लगाया और पांच फ ट गहराई तक खोदने को हु म दे कर वे वह पास म बैठकर ताि क याय करने लगे । दाढ बाबा के कहे अनसार पांच फ ट क खदाई परू हो गयी तब दाढ बाबा ने हाथ से नीचे ु ु क

म ट हटाने का हु म दया । कछ म ट बाहर नकालते ह लालरं ग के कपड से बंधा ु म ट का घड.◌ा उपर आने लगा और घर म घआं भरने लगा । म ट हटा रहे और जमा ु

लोग भागने लगे । दाढ बाबा आव दे े◌ा ना ताव गढडे म कदकर घड.◌े को काबू म कये । ू

कछ दे र के बाद माहौल सामा य हआ । तब दाढ बाबा ने परू ब ती वाल के सामने घड.◌े पर ु ु से लाल कपड.◌ा अलग कया । घडे. के मंह ु को खोला जो अ छ तरह से पैक कया गया था । फर घड.◌े मे से द ल के सोने चांद के यापार क एक लाि टक क

डि बयां नकल

िजसम मशान क राख और आदमी क ह डी नकल ,सात बड.◌ी बड.◌ी सईया ,शाह का ु

कांटा,नीबंू,ल ग,नाव क क ल एवं अ य ढे र सारा जाद ू टोने का सामान नकला ।सारा सामान दाढ बाबा ने पनः ु बांध लये और बोले बबाद और तु हारे प रवार क मौत का जाल तु हारे

अपने◌ा◌ं ने बछाया था ।ब ती वाल क नजर बहार के भतीजे चनटु और उसक घरवाल फलमती को ढढे ू ू न लगी वे लोग नदारत थे ।

54

दाढ बाबा बोले बहार भइया अब कोई कछ नह ु

बगाड. सकता । भतहा घर मं दर हो गया ू

कहते हए दये । घरती पर खन ु घसा ु ू टपकने लगा। इतने म शोर मच ु अपनी जांघ म सई गया क चनटु क घरवाल अचेत होकर गर गयी है,उसका दांत लग गया है । सार भीड. चनटु के घर क ओर दौड. पड.◌ी । ेष

दयानाथ क मेहनत मजदरू क कमाई से बेटा रामे वर

ेजुयेट क पढाई परू कर नौकर क

तलाश म नकल पड.◌ा । रामे वर को शहर म पग पग पर ठोकर खानी पड.◌ी और जा तभेद का जहर पीना पड.◌ा ।ल बे अ तराल तक ठोकरे खाने के बाद रामे वर को नौकर वह नौकर करते पढाई भी जार कर दया । बड.◌ी बड.◌ी ड पदो न त के लये अिजयां भी खब ू दया पर

मल ।

यां तक हा सल कर लया ।

े ष के पोषक ने त नक भी आगे बढने नह

दया

। रामे वर को खब ू सताया गया । कछ ु आम खलाफत करते । अवध ताप साहब ु लोग तो खले ने तो यहां तक कह दया क रामे वर जैसे छोटे लोग को आगे बढने म हम बड.◌े लोगो क कशल नह । िजतना हो सके ऐसे लोग को दबाकर रखने म ह हमार भलाई है । बेचारे ु नरापद रामे वर के भ व य और उसके मां बाप के

वाब का बला कार कर दया

े ष के

पोषक ने । चैन नशेमन दादा नशे क ऐसी बरु लत म फंस गये थे क उ हे खद ु के जीवन से भी मोह न था

।मौके बेमौके बेटे बहू को सावज नक प से बेइ जत करने से नह चकते थे । बे बड.◌ी शान ू से कहते बेटो को पढाया लखाया । अब कमा रहे है । मेरा शौक परा ू करने का व त आ गया है । कोई धन दौलत साथ लेकर गया है क म ले जाउ◌ू◌ंगा ।जब क बेटे क आ थक सम याय मंह ु चढा रह थीं । नशेमन दादा को कोई सरोकार न था

आ थक और पा रवा रक

सम यओ से । सरोकार था तो बस शराब गांजा और दसरे नशाखोर क चीज से ।नशेमन ू

दादा के उपर सारे नशा न ष द के तर के फेल हो गये थे ।बेटे क कसम भी नह रोक पायी न े◌ामन दादा के म पान के शौक को । बेटे बहू पोते पोती सब चि तत थे नशेमन दादा के वा य को लेकर,बडा आपरे शन झेल चक ु े उनके फेफेड.◌ो को लेकर और आंत के◌ा लेकर। न ◌ े ामनदादा को त नक भी फ नह थी न खद ु क ना बेटे बहु और ना पोते पोती क उ हे फ थी तो बस दा गांजा के इ तजाम क । वे हर आने जाने वाले से कहते दे खो मेरे दोन बेटे कमा रहे ह ऐश कर रहे है ससरेु , मझे ु चैन से पीने भी नह ं दे ते । क जा पलटबाब-ू श ा वभाग क नजर कालमल के ू बड.◌ा

कूल चला रहा है ।

कू ल पर ना जाने

य नह पड.ती छोटा सा घर

बजरं ग- श ा वभाग तो दरू है । पास क दे खो दो सौ लोग िजस बो रं ग से पानी पी रहे थे ।

उसी बो रं ग का पानी अब दो घर तक नह पहंु च रहा है ।का लया नाग का तरह बो रं ग पर फन फैलाये बैठा रहता है । लोग यासे मर रहे है ।ये नाग पानी म डबकर भी नह मर रहा है ू ।

55

पलटबाब-ू कालमल तप,सेवा और याग को याग का मतलब का पजार बन बैठा है । ू ु

बजरं ग-सइंयां भये कोतवाल डर काहे का । कालोनाइजर र तेदार है। कालोनी क बो रं ग पर क जा कर बैठा है । पलटबाब-ू दसर को तकल फ दे ने वाले ू

यादा दन सखी नह रह पाते । ु

कछ दन बाद बजरं ग हाफते हए ु ु आये और पलटबाबू से बोले भइया आपक दे ववाणी सह सा बत हो गयी । कालमल दवा लया हो गया । कू ल बक गया । ठगी क गरफ् त म आ ू गया । पु लस तलाश रह है ।

पलटबाब-ू नाग क नाक म नकेल डल गयी । सभी क जे◌ा◌ं से हाथ धो गया । सदमा

े ष से पो षत लोग आद मयत को रौदने म त नक दे र नह करते ।इस बात के सलगते गवाह ु

थे भ कसाहब । एक वभागा य ू सर कछ ु दे र के लये क बनाने को कह रहे ह ।

के कहने पर गेम खेल रहे भै◌ा◌ंकू साहब से क णदे व बोले

यूटर खाल कर दे गे

या

? साहब

ने एक खास और अज ट रप ट

भ कसाहब पागल हाथी क तरह उठ खड.◌े हए ु . क णदे व को मारने के लये । गाल दे ते हए ु बोले साले यहां से ज द नकल नह तो लात दे ता हंू । भ कसाहब के नीच और अमानवीय यवहार को दे खकर दफतर के कमचार अचि भत थे और ू क णदे व सदम म । रोट कूल

सं पल करन बाई से बोल अ पना मैडम अभी तक नह आयी । करन बाई सहम त

म सर हला द । अ पना मैडम कछ मैडम ने मेरे बारे म ू ु दे र के बाद हांफते हांफते आयी । करनबाई से पछ नह पछना ना । ू

करनबाई -मैडम अभी तो

संपल मैडम क कोट म जाओ ।

अ पना मैडम को दे खते ह

सं पल मैडम वफर पड.◌ी और बोल अ पना मैडम नौकर छोड.

दो । जब चाहो मंह ु उठाये चले आओ । ऐसा नह चलेगा ।

अ पना-सांर मैडम । घर के हालत खराब हो गये है । आज तो हद हो गयी सासु ने पहले

चू हे पर क जा कर लया ससरु के ज द जाने का बहाना करके ।रोट बनाने म दे र हो गयी ।

सं पल-मैडम-सासससरु अलग बनाते खाते है।एक ह क चेन - या न एक तवा दो रोट ।

अ पना-एस मैडम ।

सं पल मैडम-आप ट चर है । अ पना-एस मैडम । सं पल-आप जैसी मैडम

या श ा दे गी खाक

। जब आपके बेटे बहू ऐसा सलक ू करे गे तब साथ याय कर रह है ?

? बढू

या होगा

मठाई

56

सास कांपते हाथ से रोट बना रह है

? जरा

सोचो ।

या अपने फज के

सरज डबने क तैयार म था । द वाल क सजावट बि तयां रोशनी बखेरने क । इसी व त ू ू फोन घनघना उठा । मसेज अनीता ने फोन उठाया । दसर तरफ से आवाज आयी म बहार ू बोल रहा हंू - वेणी है। मसेज अनीता-बाजार गये है ।

बहार - आये तो कह दे ना परवेश साहब के घर से द वाल क चार ने ले ल है ।

वेणी क

मठ।ई ले लेगा।

टाफ के

मठाई साहब के घर है ।

मसेज अनीता- ठ क है कह दं ग है । ू ी । बहत ु ु दे र हो चक बहार -साहब का आदे श मझे मला है । मैने बता दया । ु

अनीता

वेणी के आते मठाई क बात बतायी । वह बोला सब नौटं क है । मठाई ,कल

खर द नह गयी । आज खर द गयी है अपन को लाभ पहंु चाने के लये । वेणी-छटट मझ ु ृ का दन है इ सीडे टल एलाउ स मलेगा उपर से और कछ। ु को छोड.कर ु बाक लोगो क ओवर टाइम म अ छ कमाई हो ह जाती है । कमाई काम मझे ु करना पड.ता है। द वाल क

तबेदार लोग करते है ।

मठाई पर भी नजर लग गयी।

मसेज अनीता-भगवान सब दे ख रहा है । दखी ना होओ । कल दफतर जाओगे तो मठाई लेते ु

आना ।

वेणी-कल मले तब ना । मसेज अनीता चलो पजा कर लेते है । सब तैयार हो गयी है। ू

के साथ पजा पाठ कये । पजा का काय स प न हो जाने के बाद ू ू

वेणी-अनीता परेू घर प रवार वेणी

ांच

साहब को फोन पर द वाल क बधाई दया । साहब ने मठाई का नाम तक नह दन

वेणी द वाल क

मठाई लेना चाहा तो साहब बोले कैसी मठाई

वीट फ ड से खर द गयी

पांव छोटा कमचार को बचा है

या

वेणी के हक क

?इ

मख ु परवेश

लये । दसरे ू

पलायी द वाल

मठाई भी परवेश साहब डंकार गये । उखड.◌े

वेणी से रहा नह गया वह बोला साहब और भी कछ ु मेरे हक का हड.पने

?

हवस खाक बाबू रटायर होने के दो साल के अ दर ह चल बसे ढे र सार जमीन-जायदाद,ढे र सारा

पया भरापरा बखि डत प रवार छोड.कर ।खाक बाबू क कल ू ु चार स तान थी तीन बेटा एक

बेट । खाक बाबू एकलौती ब टया के साथ कभी क ल कई बार कर चक ु े थे ।खाक बाबू पु सवार तो थी पर पु

याय नह

ेम म बावले थे, पु

कये । हां नै तक एवं कागजी को राजा बनाने क हवस

को खद ु के पांव पर खड.◌ा होने लायक नह बना पाये थे । इसके गम

के साथ पहल प नी क मौत का थोड.◌ा गम था । इस गम को कम करने का इ तजाम

रटायर होते होते कर लये थे ।दसर प नी क वजह से प रवार म उठे तफान क झंझावत ू ू

से खाक बाबू स भल नह पाये एक दन सदा के लये उनका दल धड.कना ब द कर दया

।नगद -जमीन-जायदाद के बंटवारे का मामला कोट पहंु चा । खाक बाबू के तीन बेटे और दसर ू प नी को वा रस माना गया । एकमा लड.क का काननन क ल कर दया गया खाक बाबू के ू 57

बेटो और दसर प नी क ू लगा द

मल भगत से । इस कागजी एवं काननी ू क ल पर कोट ने भी महर ु

सफ रकम क हवस क र ा खा तर ।

होल होल मबारक हो अकेला बाबू । खशलालजी पीछे ु ु

य खड.◌े हो रं ग,अबीर गलाल से रं गो ु

अकेलाबाबू को सारे गम रं ग जाये ।

अकेलाबाबू ल िजये मंुह मीठा क िजये । बहत । ु ु हो गया रं ग गलाल खशलालजी -हां यास लगी है । ु ेमबाब-ू पानी

या । चल भांग पीलाता हंू । खशलालजी -मांता जी न बर म गजर थी ।पहल होल पर रं ग डालने आये हो भाग पीला रहे ु ु हो ।

ेमबाब-ू यहां नह हमारे घर तो पीओगे ।

खशलाल -बाद म दे खी जायेगी । अकेलाबाबू आपके दफतर के लोग आकर गये ु अकेलाबाबू-आये नह तो जायेगे कहां खशलाल - या ु

? पहल

या

?

?

होल पर नह ं आये । मांताजी क मौत के बाद भी तो नह आये थे ।

रं ग डालने भी नह आये ।

ेमबाब-ू समझा ,जा तबंश के भेद को ख म करना होगा ।

खशलाल मालवी म बोले-कसा आदमी ओण ह,जो द ु खया के सा नी दे । असो नी करनो चइये ु । सचु नेठु जनावर लोग हे । अकेलाबाबू होल बहत हो । ु ु बहत ु मबारक

छर ु ।लघकथा। ु

अ भमान आदमी को खा जाता है। कंस, हर याकश ु एवं अ य अ भमा नय के अ भमान के

नतीजे को जानते हए ु भी हलकू साहब के सर चढकर बोलता था अ भमान । हलकू साहब क 58

क मत ने साथ दया वे तर क करते करते बडे. िज मेदार पद पर पहंु च गये पर उ हे पद क ग रमा से त नक सरोकार न था । हलकू साहब क तर क दसरो के लये खजरू क छांव ू सा बत हो रहा थी और

यवहार बबल ू क छांव । हलकू साहब पदो न त से ओवर लोडेड होर

आपा खोने लगे थे जैसे पांच कल क

लाि टक क थैल म प चीस कलो का वनज ।

हलकू साहब क आदत से छोटे बडे. सभी प र चत थे ।एक दन अ रांशबाबू ने मह न से लि बत अपने भगतान के लये अनरोध ु ु

या कर दया जैसे कोई भर अपराध कर दये ।

हलकू साहब अ रांशबाबू के अनरोध को र दते हए ु ु ु बड.◌ी बदतमीजी ◌ो बोला तु हारा भगतान अब नह हो सकता जो करना चाहो कर लेना । हलकू साहब क अभ ता एवं अमया दत ध स से अ रांशबाबू के माथे से पसीना चने ू लगा य क उ हे अ तआवशक कायवस

दे खकर सहकम एक

पये क श त आव यकता थी ।अ रांशबाबू क रोनी सरत ू

वर म बोल उठे हलकू साहब क पदो न त

छर ु हो गये । न दनलाल भारती

या हई ु वे तो कसाई क

समझौता

बेटे के याह से

यादा खशी ु धये ु

बाबू को मलने वाले दहे ज से हो रहा थी । ल बी बाट

जोहने के बाद तो तैयार हई बाबू ने बेटा ु ु थी दहे ज क फसल ।बड.◌े अरमान के साथ धये तपे का याह तय कया था। याह क खबर लगते ह तपे ने मना कर दया ।बडी समझा◌ाइस के बाद तैयार तो हआ पर इस शत पर क वह लड.क खद ु दे खेगा । छाती पर ु प थर रखकर दोन प राजी हए लडक दे खने गया । लड.क दे खते ह मना कर ु ।तपे दया कई इ जाम लगाकर ।

तपे

क इंकार से धुये

बाबू क फसल पर ओले पड.ने लगे ।धये ु

बाबू कसी भी क मत

पर मालदार पाट को जाने नह दे ना चाह रहे थे । वे दहे ज क अ छ फसल को काटने के लये तपे इस

से छे ◌ाटे बेटे सते

ताव को

के याह का

वीकार कर लया।

ताव लेकर पहंु च गये ।बधु प

ने भी सहष

बाप क छछ आन,मान ,शान और दो प रवार क काननी ू ू तकरार, बबाद और दहे ज के बढते वजन को दे खकर सते

ने अपनी उ

से बड.◌ी लडक से याह के समझौते पर

द ।

दशन हरखू- एक बात समझ म नह आती है । बरखू- कौन सी बात

59

वीकृ त दे

गल गल म हलचल मचाते मचाते राजनी त क डोर पकड.कर जब म उनक सरु ा इतनी

यो बढ जाती है ।

ी बन जाते है तब

बरख-ू अरे हरखू ये तकड.मबाज लोग होते है । दे श और जनता क गाढ कमाई पर अपने वच व का नंगा

दशन करते है ।तु ह बताओ िजस जनता के बीच नकश ु रहते थे उसी

जनता का खन ू पीकर पलते थे और ये तकड.म बाज इस जनता का हतैशी बनते नह थकते

थे । और तो और जनता ह तो चनकर नगर नगम से लेकर संसद तक भेजती है । भला ऐसे ु जन सेवक क ह या कौन और

य करे गा ।

हरखू-अ छा तो गर ब दे श के मि तय मु यमि तय क सरु ा म लगे हजार पांच सौ कमा ड

,सरकार दशन

मशन रय और जनता क गाढ कमाई का द ु पयोग

तबा और ताकत का नंगा

है ।

बहु पया पड.◌ोसी भगवान होता है केदारबाबू सना ु है आपका पड.◌ोसी हैवान हो गया है।

सच कह रहे हो कमलबाबू मैययत क खबर कछ पडोसी कान तक नह पहंु चने दे ते सना ् ु था ु ।उदय नारायन जैसे पड.◌ोसी तो आब लटने पर उता हो गये है । भला हो दल पभईया का ू

जो प नी क आवाज पर दौड.◌े चले आये । उदय नरायन के घर म घस ु गये इतने म उसका बेटा पील कमीज उतार कर गे वा व

पहन कर पजा करने लगा । ू

केदारबाबू-उदयनरायन और उसका प रवार तो बहु पया लगता है। शर फ पड.◌े◌ासी क इ जत का तमाशा बना रहा है । पड.◌ोसी के घर म सध मारने लगा है । कैसे हैवान क म के लोग है । कमलबाब-ू सभी उदयनरायन और उसके प रवार जैसे नह है भले लोग भी है कालोनी म। जैसे एक सड.◌ी मछल परेू तालाब को ग दा कर दे ती है वैसे उदयनरायन जैसे पडोसी परू कालोनी को बदनाम कर रहे है ।

केदारबाबू-सावधान रहना होगा । पड.◌ोस म उदयनरायन जैसे हैवान बसने लगे है ।कब



बदल ल चौक ना तो रहना होगा पड.◌ोसी बहु पयाओं से कमलबाबू च मा सरु भ-बाबू

या हआ । आंख म कोई तकल फ है ।बार बार आंख पर जोर दे रहे हो । ु रमनदास-बी टया तू दो दन के लये मायके आयी है । तू मेर तकल फ क च ता य कर रह है । ये सांड. सर खे बेटे तो है ना । सरु भ-बाबू नाराज ने नह

य होते हो । म भी तो आपक ह बेट हंू हां बेटो जैसा हक मझे ु समाज दया है । ये बात अलग है ।

रमनदास-बेट तू फकर ना कर कहते हए ऐनक आंख पर रखकर ू हआ ु कमरे म गये और टटा ु स भालते हए मंगल तो है ना । ु ु बोले बेट तू बहत ु कमजोर लग रह है सब कशल

सरु भ-हां बाबू म परदे स मे अपने प रवार म खश ु हंू पर तम ु खश ु नह लग रहे हो । तु हे ट ट पेशाब जाने म द कत आ रह है ना । पांच साल पराना च मा टट ु ू गया है । रमनदासहां बेट कहकर वे पीठ म सटे पेट को दबाते हए ु दहाड.◌े◌ं मारकर रो पडे. । दे वच द-बहन तू तो बाबू क आदत को जानती ह है तमको दे खकर वांग रच रहे है । ु 60

सरु भ ख टया पर पडे. बढेू को उठाकर आंख के डां टर के पास ले गयी। च मा बनवायी ।

रमनदास आंख पर च मा रखते ह बोले बेट सदा सखी रह । मेर अंधी आंख म कछ रोशनी ु ु आ गयी ।

दहे ज क कार सबह सबह टे ल फोन क घ ट सनकर रं जना दौडी दौड.◌ी गया और रसीवर उठा कर हे लो ु ु ु बोल

ससकते हए ु बहत ु राखी बोल रं जना मझे ु डर लग रह है। रं जना- य राखी-पडोसी वाल र ना भाभी ने जहर खा कर जान दे द ।

रं जना-अरे बाप रे ज द ह तो शाद हई ु थी । र ना भाभी भला जहर य खा ल । राखी- कार के लये । मोद भईया र ◌ा भाभी से मायके से कार लाने क िजद पर अड.◌े थे । र ना भाभी अपने पता क आ थक तंगी से अवगत थी । इस लये कार क मांग को अपने पता के कान तक नह पहंु चने द और दहे ज क ब लबेद पर लटक गयी । मझे ु भी डर लगने लगा है मेर भी शाद तो नचद क आ रह है । रं जना- या कार के लये जान दे द

? लड. कय

को दहे ज के लये जान दे ने क ज रत नह

है । दहे ज लो भय को सबक सीखाने क ज रत है । अरे कब लड. कयां दहे ज के मकाबले के ु लये तैयार होगी ।

राखी-रं जना बहन तु हार नसीहत को याद रखंग ू ी और बरा ु समय आने पर डंटकर मकाबला ु क ं गी । जान कतई नह दं ग ू ी । आज क नार इतनी कमजोर तो नह ं। च दा

वरदा यनी नगर के आ खर छोर क सड.क डरावनी नगर के लये वभाजक रे खा थी । वरदा यनी नगर के आ खर छोर पर बसे लोग डरावनी नगर के लोग के लये अजनबी और वरदा यनीनगर के लये पछवाडे. के लोग थे । ग मय के दन म नगर नगम के टकर तक का पानी डरावनी नगर के लोग नह ं पहंु चने दे ते । वरदा यनी नगर के लोग यासे गले से कोसते रह जाते पर धा मक उ सव के नाम पर डरावनी नगर के रहवासी संघ के नेता वरदा यनीनगर के लोगो से च दा उगाहने म त नक भी ना हच कचाते थे । डरावनीनगर के नेताओं के रवैये को दे खकर बाबू ईमानच द के मंह ु से आ खरकार नकल ह गया कैसे नेता

लोग है पानी क बंद ू तक टपकने नह दे ते च दा मांगने के लये छाती उतान कये चले आते है हया ताख पर रखकर । सरु ा

बोल रय बेचारे क जान ले ल । यह खबर हाई-वे के कनारे बसे गांव के घर घर म पहंु च गयी ।अपने प रजन क फ म सभी गांववासी हाई-वे क ओर दौड. । बोल रय कछ ु दरू

सड.क के कनारे गढडे म जा गर थी मोटर साइ कल सवार अधेड. का एक पैर चरू चरू हो

चका था वह मरणास न तड.प रहा था। गांव वाल क दौड. धप ु ू से घायल यि त के प रजन

दो घ टे के अ दर आय,पु लस आया खानापू त हो गयी । बेचारे प रजन अ पताल लेकर भागे

पर डां टर ने हाथ खडे. कर दये। बेचारे प रजन मौत से जझ ू अधेड. यि त को लेकर शहर 61

के अ पताल क ओर भागे । बोल रय म सवार तीन लोग मजे से चले गये । हाईवे से सटे गांव वाल के माथे पर च ता क लक र साफ साफ झलक रह थी अंध एवं

बेलगाम दौड. रहे वाहन से अपने और अपने प रजन क सरु ा को लेकर ।

तग त से ु

अि तम इ छा शवलाल गले म इ छा

ाण अटकने से पहले बेट और दसर प नी मंथर दे वी के सामने अि तम ू

गट कर दये । अि तम इ छा के खलासे के कछ दन बाद उनका सांसे सदा के लये ु ु

थम गयी। मंथर दे वी ने शवलाल

ारा छोड.◌ी गयी चल-अचल स प त म बराबर का ह सा

ले ल । बाप क अि तम दे व थान के नमाण क मश वरा बेटो ने ताउ◌ू ी सफेद दास के सामने मंथर दे वी से क तो वे एकदम से प ला झाड. ल और बोल तम ु चारचार सांड. जैसे बेटे अपने बाप क अि तम इ छा भी परू नह कर सकते ।

मंथर दे वी के रवैये को दे खकर सफेद दास बोले शवलाल तमसे बढौती म याह इस लये कर ु ु

लया क तू लावा रस ना मरे । साल भर भी चैन क रोट नह खा पाया बेमौत मर गया ।

मंथर तमने एहसान के साथ दगा कया है सफ दौलत हड.पने के लये क थी । अरे तू इन ु उखड.◌ेपांव ब च क सौतेल मां ह नह भू म आव टन

शवलाल क सौतेल प नी भी सा बत हो चक हो । ु

बस तबाबू को नम कार करते हए त से आगे बढ गये◌े । ्ु ु राजकुं अर धान दरतग न कता दे खकर बस त बाबू बोले अरे धान त नक तो क । धान-भाई साहब

धानजी को

धानी का बोझ त नक चैन नह लेने दे ता । गांव म वकास क बाढ आ

गयी है । गांव म सीमे ट कांकर ट क प क सड.क, बजल का जाल तो दे ख ह रहे है । कछ ु ह

दन टे ल फोन/इ टरनेट क लाइन म ब ती म आ जायेगी । शु वात भी हो गयी है ।मरने

क फसत नह है । ु

बस तबाबू- धानजी बहत ु अ छा काम कर रहे हो । भू म आव टन कब करवा रहे हो ? धान- बहत ु पहले का हो गया है । आपको पता नह खैर पता भी कैसे होगा आप शहर म जो रहते है ।

बस त-पता है । सफ चार लोग को एक एक बीसा जमीन मल है ।

धानजी आव टन नह

ल पापोती हआ है । भू मह न के साथ धोखा हआ है। या गांव समाज क जमीन इतनी ह है ु ु । धानजी गांव म इतनी जमीन है क ब ती का हर भू मह न गर ब खे तहर मजदरू प रवार दो दो बीघा जमीन का मा लक बन सकता है । य द आप चाहे तो । गांव के दबंग लोग कह

ख लहान कह ं घरु तो कह ं पेड. पौघे लगाकर क जा कये हए ु है।दबंग के ब च को खेलने के लये एकड.◌ो◌ं म जमीन है । गर ब क रोट रोजी का इ तजाम नह । यह तो सरासर अ याय है । भू मह न गर ब खे तहर मजदरू क सु ध लो

62

धानजी

धान- मजदरू के वोट से म

वाले वह

राजनी त

धान नह बना हंू कहते हए ू झ कने ु वकास के नाम पर घल धानजी जो आव टन करवाने का वादा कये थे◌े भाग खड.◌े हए ु । धानजी क पैतरे बाजी से बस तबाबू तो अवाक् रह गये ।

याह क बेद राजेशबाबू नम कार नम कार

तापबाबू बहत दन के बाद दशन दये । ु राजेश तीन दन पहले तो मले थे यह ं। ताप-मेर यादा त लगता है कमजोर होती जा रह है । राजेश- ताप बाबू आप बडे. लोग है । यह तो हमारा सौभा य है क आप हम दल से दो त मानते है ।

ताप- आप दो तो पर तो जीवन कबान कर दं ू । बताइए कसी काम से आये है । ज द म ु

हंू म ीजी का बलावा आया है । ु राजेश-हां । ताप-काम

बताइये राजे श बाबू आपका काम नह होगा तो कसका काम होगा । म

यवहार करते ह । राजेश- ां फर

कवाना है बस साल भर के लये। एक लड.क का जीवन बन जायेगा

बडे. पु य का काम है। मदद कर दो दो ती क खा तर राजेशबाबू

ी पु वत ् तापबाबू

मतलबी

तापबाबू कान खजलाते हए ु ु दे र के बाद राजेशबाबू को ु गहर सांस लये फर कछ दसरे का पता बता कर फज क इ त ी कर लये । ू अ तोग वा



फर नह

का। एक लड.क का भ व य याह क बेद पर कबान हो गया ु

इंजी नय रं ग क पढाई ब द हो गयी । सदै व सालता रहा ।

तापबाबू का दो ती के नाम पर छल राजेशबाबू को

औलाद का सख ु

कैसे हो बाबा नयन ने औपचा रकता बस पछा । ू

सखलाल -ठ क हंू बेटा कहते हए ु ु ढं क लये । ु गमछे से मंह नयन-बाबा ये या आप रो रहे हो ।

63

सखलाल -बेट अब यह मेर ु

क मत है । घरवाल ने बहत ु साल पहले नाता तोड. लया । बेट को मैने मां बाप दोन का यार दया। पढाया लखा बेटे अपने पैर पर खड.◌े भी हो गये । वह बेटे मेरा प र याग कर अपने अपने बाल ब च को लेकर अलग द ु नया बसा लये । म रोट के टकड ु .◌े क बाट जोहता रहता हंू । नयन- बाबा या आपके कमासत ु दो व त क रोट तक नह दे ते सखलाल -दे ◌ेते है बेटा अपनी बार पर ु

? पर बार आते राशन ख म हो

जाता है । एक व त आधा पेट तो दसरे व त वह भी नह । मेर हाल तो कु ते क तरह हो ू गयी है । ऐसी औलाद का

या सख ु

नयन-बाबा आपक औलाद जो सख ु आपको दे रह है वह उसे भी मलेगा होगा । फैसला मख पर राघवगढ. के थाना इंचाज बजमोहन साहब ु बर क सचना ू ृ लगा दये।उनक जाग कता क वजह से सफेदरं ग क कार च



के चपे-चपे पर पहरा

यूह म फंस तो गयी पर

चालक भागने म कामयाब हो गया । गोल बार से घबराकर खेत म काम कर रहा कषक यवक ु ृ उखड.◌े पांव भागने लगा । त नक भर म भागते हए क छाती पु लस क गोल से ु ु यवक छलनी हो गयी । सफेद कार से पैसठ कलो अफ म बरामद हई यवक ाइवर घो षत ु ृ ु । कषक हो गया। बजमोहन साहब को एक लाख पैसठ हजार का अवैध परु कार मा लक से ा त ृ हआ । भगवान के फैसले के अनसार बजमोहन साहब पेशी पर जाते समय ए सीडे ट म वह ं ु ृ ु मारे गये जहां कषक यवक को गोल मार गयी थी । ु ृ द या ।लघकथा। ु

आशतोष - पताजी जब से मेर आंख खल तब से ह आपको नेक ,परमाथ,स भावना और ु ु समानता के लये संघषरत् दे खा है पर पताजी दखहरन - पर ु

या बेटा

आशतोष - वाथ आदमी के सर चढकर बोल रहा ह। ु जा त,स क



स भावना के दशन तो होते नह हां

दाय,धम का वषधर दौड.◌ा दौड.◌ाकर डंस रहा है। जमाने क

करो पताजी ।



छोड.कर खद ु

दखहरन -कोसने से बराई ख म नह होगी चाहे सामािजक हो या आ थक या राजनै तक । बराई ु ु ु के खलाफ तो आवाज बल ु द करना ह होगा ।

आशतोष -लोग उ माद हो गये है । वाथ,धा मक-जातीय वैमन यता, उ वाद और बम के ु धमाके ने सार उ मीद तहस नहस कर दये है।चहंु ओर अंधेरा घर चका है । ु

दखहरन -बराई परा त होती ह है । आतंक का हर अंधेरा छं टेगा । अंधेरा को चीरने के लये ु ु स भावना का द या तो जलाये रखना होगा।यह स चे आदमी क असल पंज ू ी है । आशतोष - स भावना का द या जलाये रखने का वचन दे ता हंू पताजी । ु -.....स पक: 64

न दलाल भारती श ा - एम.ए. । समाजशा

। एल.एल.बी. । आनस ।

पो ट

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थान- - राम चौक । खैरा। तह.लालगंज िजला-आजमगढ ।उ. ।

थायी पता- आजाद द प,

यमन रस स डेवलपमे ट; ू

15-एम-वीणानगर ,इंदौर

।म. .!452010

[email protected]/[email protected] / [email protected] Portal- http://nandlalbharati.mywebdunia.com प्ारका षत पु तक उप यास-अमानत

, नमाड

क माट मालवा क छाव। त न ध का य सं ह।

त न ध लघकथा सं ह- काल मांट एवं अ य क वता, लघु कथा एवं कहानी सं ह । ु अ का शत पु तके उप यास-दमन,चांद क हंसल ु एवं अ भशाप, कहानी सं हका य सं ह-2 लघकथा सं ह- उखड़े पांव एवं अ य ु स मान भारती पु प मानद उपा ध,इलाहाबाद, भाषा र न, पानीपत । डां.अ बेडकर फेलो शप स मान, द ल ,का य साधना,भसावल , महारा ु

,

यो तबा फले श ा व ,इंदौर ।म. .। ु डां.बाबा साहे ब अ बेडकर वशेष समाज सेवा,इंदौर कलम कलाधर मानद उपा ध ,उदयपरु ।राज.। सा ह यकला र न ।मानद उपा ध। कशीनगर ।उ. .। ु सा ह य

तभा,इंदौर।म. .।सफ स त महाक व जायसी,रायबरे ल ।उ. .। ू 65

2

व यावाच प त,प रयावां।उ. .।एवं अ य आकाशवाणी से का यपाठ का

सारण ।कहानी, लघु कहानी,क वता

और आलेख का दे श के समाचार प /प कओं म एवं

http://www.swargvibha.tk/

http://www.swatantraawaz.com http://rachanakar.blogspot.com/2008/09/blog-post_21.html http://hindi.chakradeo.net / http://webdunia.com/ http://www.srijangatha.com http://esnips.com ,वं अ य ई-प प काओं पर रचनाय

का शत ।

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