उऩन्माव
अभबळाऩ (प्रस्तुतत : यचनाकाय
–
नन्दरार बायती
http://rachanakar.blogspot.com/
)
(टीऩ : प्रस्तुत उऩन्माव की वाभग्री स्लचाभरत फ़ॉन्ट ऩरयलततकं द्वाया तैमाय की गई शै , अत् लततनी की अळुद्धिमाॉ आ गई शं. अवुद्धलधा के भरए षभा चाशते शुए वुधी ऩाठकं वे आग्रश शै कक ऩाठ का वशी वाय तत्ल ग्रशण कयं).
रेखक का जीलन ऩरयचम
नाभ-
भळषा ।
नन्दरार बायती
- एभ.ए. । वभाजळास्त्र ।
1
एर.एर.फी. । आनवत
ऩोस्ट ग्रेजुएट डडप्रोभा इन ह्यूभन रयवोव
डेलरऩभेण्ट
(PGHRD)
जन्भ स्थान-
- ग्र ्याभ चकी। खैया। तश.रारगॊज जजरा-
आजभगढ ।उ.प्र।
,
स्थामी ऩता-
,
आजाद दीऩ १५-एभ-लीणानगय इॊदौय ।भ.प्र.!
[email protected] [email protected]
प्रकाभळत ऩुस्तकं
उऩन्माव-अभानत ,तनभाड की भाटी भारला की छाल।प्रतततनधध काव्म वॊग्रश।
प्रतततनधध रघुकथा वॊग्रश- कारी भाॊटी एलॊ अन्म कद्धलता, रघु कथा एलॊ कशानी वॊग्रश । अप्रकाभळत ऩुस्तके
उऩन्माव-दभन,चाॊदी की शॊवुरी एलॊ अभबळाऩ, कशानी वॊग्रश- २ काव्म वॊग्रश-२ रघुकथा वॊग्रश-१ एलॊ अन्म
स््भान
बायती ऩुष्ऩ भानद उऩाधध,इराशाफाद, 2
बाऴा यत्न, ऩानीऩत । डाॊ.अ्फेडकय पेरोभळऩ व्भान,ददल्री काव्म वाधना,बुवालर, भशायाष्ट्र, ज्मोततफा पुरे भळषाद्धलद्,इॊदौय ।भ.प्र.। डाॊ.फाफा वाशे फ अ्फेडकय द्धलळेऴ वभाज वेला,इॊदौय करभ कराधय भानद उऩाधध ,उदमऩुय ।याज.। वादशत्मकरा यत्न ।भानद उऩाधध। कुळीनगय ।उ.प्र.। वादशत्म प्रततबा,इॊदौय।भ.प्र.। वूपी वन्ज भशाकद्धल जामवी,यामफये री ।उ.प्र.।
द्धलद्यालाचस्ऩतत,ऩरयमालाॊ।उ.प्र.। एलॊ अन्म
आकाळलाणी वे काव्मऩाठ का प्रवायण ।कशानी , रघु कशानी,कद्धलता औय आरेखं का दे ळ के वभाचाय ऩत्रो/ऩत्रत्रकओॊ भं एलॊ www.swargvibha.tk/ www.swatantraawaz.com http://rachanakar.blogspot.com/2008/09/blog-post_21.html hindi.chakradeo.net / www.srijangatha.com
3
एलॊ अन्म ई-ऩत्र ऩत्रत्रकाओॊ ऩय यचनामे प्रकाभळत ।
अभबळाऩ उऩन्माव नन्दरार बायती ।। एक ।। चल् ू शे
को
धआ ु ॊ उगरता शुआ दे खकय नयामन की जीब रऩरऩाने औय अतॊडडमाॊ कुरफर ु ाने रगी । नयामन शाथं वे ऩेट को दफाते शुए ऩानी के शण्डे की ओय फढा औय एक रोटा ऩानी ऩेट भं उतायते शुए ळाजन्त दे ली वे फोरा भाॊ कफ तक योटी फन जामेगी ।
अऩनी भाॊ
ळाजन्त दे ली-फेटा थोडा लक्त औय रगेगा दे खो आग शै कक जर शी नशी
यशी शं । कण्डा भानो अभबळाद्धऩत शोकय यश गमा शं । धआ ु ॊ शी उगर यशा शै । कफ वे तो पॊू क यशी शूॊ । आग जरने का नाभ शी नशी रे यशी शै ।फेटा आग जर जामे चट ु की भं योटी फना दॊ ग ू ी । फेटा फशुत जोय की बूख रगी शै ना ।
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नयामन-ना भाॊ ना । बूख नशी रगी शै ।अॊधेया ज्मादा तघय गमा शै ना । ऐवा रग यशा शै कक आधी यात त्रफत गमी शो ।अबी दादा। द्धऩताजी। बी तो नशी आमे । ना जाना कौन वा ऩशाड ढकेर यशे शै । मे बभू भशीनता
की भजफयू ी शभ खेततशय भजदयू ो की जान रेकय शी यशे गी ।ळोद्धऩतं का रगता
शै कबी उध्दाय नशी शो वकेगा इव दे ळ भं ।
ळाजन्त दे ली-फेटा ऐवा नशी कशते ।दे ळ औय भाॊता तो स्लगत वे बी प्मायी शोती शै ।
नयामन-शाॊ भाॊ तबी तो योटी कऩडा औय भकान के भरमे तयव यशे शै ।
ळाजन्त दे ली-फेटा फशुत जोय की बूख रगी शै ना । फेटा इवभं शभाया त् ु शाया कोई कवयू नशी शं । अऩयाधी तो ळोऩक वभाज शै । जो शभाये ऩरयश्रभ ऩय गुरछये उडा यशा शं औय शभ वूखी योटी आुवू
वे गीरी कय
फवय कय यशे शै । फेटा बूख तो शभ ळोद्धऩतो को द्धलयावत भं भभरी शै ।
शाड शभ पोडते शं कोठा ळोऩक वभाज का बयता शं ।उऩय वे भन प्मावा शी यश जाता शै । भर ू बत ू जरूयतं बी नशी ऩयू ी कय ऩाते ।शाडपोड
भेशनत के फाद बी वकून की योटी नशी नवीफ शो ऩाती । वुफश खाओ
तो श्ळाभ की धचन्ता ।ळाभ को खाओ तो वुफश की धचन्ता शभ बूभभशीन खेततशय भजदयू ं की जजन्दगी तो नयक फन चक ु ी शै । कशाॊ गश ु ाय कयं
वफ ओय वे तो ळोऩण की धचख वन ु ाई ऩडती शै ।ळोऩक वभाज के खेतं भं ऩवीना फशाकय ऩेट भं बूख ् फवामे फवय कयना अऩनी ककस्भत फन चक ु ी शै
।रगता शै बूभभशीन खेततशय भजदयू कबी बी इव त्रावदी वे
नशी उफय ऩामेगा ।ना जाने कफ तक गयीफ खेततशय भजदयू श्ळोऩक
वभाज की गुराभी कयता यशे गा । ना जाने दीनता का अभबळाऩ शभ बूभभशीन खेततशय भजदयू ं के भाथे वे कफ धर ु े गा ।
नयामन-भाॊ मश अभबळाऩ इतना जल्दी नशी धर ु ने लारा शं ।शभ गयीफो की कौन वन ु यशा शै ।अये शभ गयीफो की वन ु ी गमी शोती तो आज
शभायी शार ऐवी ना शोती । योटी के भरमे कोल्शू के फैर वयीखे नशी 5
ऩीवते ।भाॊ इवकी जज्भेदायी तो शभायी वाभाजजक व्मलस्था के भाथे
जाती शै । वाभाजजक कुव्मलस्था के जार ने शी तो शभं उबयने शी नशी
दे ता ।कुछ वभाज के रोग ऩैवा फनाने की भळीन वात्रफत शो यशे शं ।शभ बूभभशीन खेततशय भजदयू रोग योटी को ररचामी आॊखं वे दे ख यशे शं
ददन यात की भेशनत के फाद बी ।ळोऩक वभाज ने ऐवा शभ बूभभशीन खेततशय भजदयू द्धलयोधी जार फन ु यखा शै कक राख भेशनत कय रं ऩय
अऩनी जरूयतं को ऩयू ा नशी कय ऩामेगं । भाॊ इव वाभाजजक कुव्मलस्था को तोडे त्रफना बूभभशीन खेततशय भजदयू ं का द्धलकाव व्बल नशी शै । मदद श्ळोद्धऩत वभाज को इव त्रावदी वे उफयना शै तो एकजट ु शोकय
द्धलयोध ऩय उतयना शोगा । खेती की जभीन ऩय एकाधधकाय का द्धलयोध कयना शोगा ।व्माऩाय के षेत्र भं उतयना शोगा ।क्मा द्धलड्फना शं जो
कबी शर शी नशी चरामा लशी जभीन का भाभरक फन फैठा शै । फेचाया
ददन यात खेत भं ऩवीना फशाने लारा खेततशय भजदयू ।भाॊ कुव्मलस्था के खखराप बभू भशीन खेततशय भजदयू ं को अऩनी आलाज फर ु न्द कयनी शोगी ।तबी ळोऩक वभाज की आॊखं खुरेगी ।
ळाजन्तदे ली-शाॊ फेटा फात तो तू ठीक कश यशा ऩय अभर रोग कये तफ ना
।अये दे खो फेचाये काभनाथ फाफा का फचऩन वे फढ ु ौती तक गाॊल के वफवे फडे जभीदाय की भजदयू ी कयते यशे ।फेचाये बख ू प्माव वे तडऩ तडऩ कय
भय गमे ।फेचाये की राळ कपन के भरमे तयव गमी ।भजदयू ं के वशमोग वे राळ का कक् यमा कभत शुआ । मदद मशी काभनाथ वयकायी नौकयी भं यशे शोते तो रयटामयभेण्ट के वभम इतना रूऩमा भभरा शोता की ततजोयी
छोटी ऩड जाती खैय शभ बी तो उवी आॊतक भं झुरव यशे शै।बूऩततमं के
ख ्ेेेात भं खून ऩवीना कय यशे शै
,
शभाया ना जाने क्मा शार शोगा।
जजन्दगी बय फेचाये काभनाथ फाफा बऩ ू तत फाफू श्ळर ू ाॊळ की टशर 6
फजामे
,
शरलाशी ककमे जफ तक आॊख ठे शुना चरा तफ तक। आॊख
ठे शुना जाते शी जभीदाय वाशे फ ने उठा कय लैवे शी पंक ददमा जैवे भवय वे जू । फेचाये काभनाथ फाफा तडऩ तडऩ कय भय गमे ऩय जभीदाय
वाशे फ ने कबी शार तक नशी ऩछ ू े ।मे ळोऩक तो शभ भजदयू ो का खून ऩीकय ऩरते शं औय शभ जजन्दगी बय अबाल बूख वे तडऩ तडऩ कय
भयने केा भजफयू यशते शै ।एक भजु श्कर वे छुटकाया भभरता शै तो दव ू यी कई आकय घेय रेती शै ।ळददमं वे खेततशय भजदयू अऩना खन ू ऩवीना फशाकय उवय फॊजय धचय कय अन्न उऩजाता शै ।फडे फडे गोदाभ ळोऩक
वभाज बयता शै ।शभ फेचाये भजदयू ं की नौफत बूखे भयने की यशती शै ।ळोद्धऩत वभाज ळददमं वे आॊवॊू ऩीकय वाॊवे बयता यशा शं । अफ तो
भशॊगाई के इव दौय भं ऩवीनं भं डूफकय भयने की नौफत आ चक ु ी शै ।प्रत्मेक जातत का उध्दाय तो शभ खेततशय भजदयू ो श्रभजीद्धलमो ने शी
ककमा शै ऩय शभाये उध्दाय के भरमे काेोई बी आगे नशी आ यशा शं ।शाॊ
दीनशीन शोने के कायण वबी वफर ळोऩण उत्ऩीडन के भरमे उतारू यशते शं ।आज के जभाने भं बी शभ भेशनतकळ रोग बम औय बूख वे भयने को भजफयू शं।
नयामन-भाॊ भं तो वचभच ु बख ू वे भय यशा शूॊ । ळाजन्तदे ली-शाॊ फेटा जानती शूॊ । उवी इन्तजाभ भं तो शूॊ फेटा दे ख शी यशे शो चल् ू शे की आग को पूॊक पक कय आॊख यक्त वयीखे शो गमी ऩय आग जरी नशी अबी तक ।चल् ू शे वे फव धआ ु ॊ शी उठ यशा शै ।वच ऩयु खो ने
कशा शै गयीफं के चल् ू शे गयभ तो फशुत दे य भं शोते शै ऩय ठण्डे जल्दी शो जाते शं ।फेटा मे थाभ पूॊकनी ।चल् ू शे की आग जरा दं । भं तो थक गमी शूॊ ।ना जाने अजनन दे लता बी क्मो नायाज शं ।चल् ू शा गयभ नशी शो यशा शै। फेटला बख ू वे तडऩ यशा शं । खैय शभ भजदयू तो इव धयती ऩय 7
वदै ल वे तडऩते आ यशे शै । वाभाजजक आधथतक कुव्मलस्था का जशय ऩी यशे शै ।फडी भुजश्कर वे ऩेट की आ फझ ु ा ऩा यशे शै । इव दे ळ भं तो
जानलय तक ऩज ू े जाते शं ऩय शभ गयीफं को तो जानलयं वे बी गमा गजया वभझा जाता शै।
नयामन-शाॊ भाॊ ठीक कश यशी शो अऩने शी रोग शभ गयीफो को दोमभ दजे का इॊवान वभझते शै ।शभवे दयू ी फनाकय यखते शं ।काभ तो
जानलयं जैवे रेते शं ।भजद ू यी दे ने भं उनकी नानी भयने रगती शं । शय काभ पोकट भं कयलाना चाशते शै ।भाॊ शभायी फदशारी के जज्भ ्ेेेादाय
भुवरभान औय अॊग्रेज शुकुभत वे ज्मादा जभीदाय व्मलवातममं के अराला तथाकधथत जाॊततऩाॊतत के नाभ ऩय खद ु को उच्च वभझने लारे रोग बी शं। जभीदाय रोग यात त्रफयात जफ चाशे जफयी फर ु ा रेत लश बी फेगायी
भं ।भाॊ इव दे ळ भं वफवे खयफ शारत शै ळोद्धऩतं लॊधचतं खेततशय बूभभशीन भजदयू ं की शं। एक ओय खेत भाभरक शभाये श्ळोऩण कय यशा शं तेा
दव ॊू ीऩतत उद्योगऩतत औय इन्शी के वाथ वद ू यी ओय ऩज ू खोय भशाजन बी
शभायी फदशारी के भरमे जज्भेदाय शं ।शभ लॊधचतं के प्रतत कोई बी ऩयू ी
,
ईभानदायी वशानब ु ूतत
के वाथ शभाया वाभाजजक आधथतक वभथतक नशी
शं।भाॊ शभ लॊधचतं का अजस्तत्ल भवपत इवभरमे शै कक शभ वाभन्तलाददमं जभीदायं मा मं कशे कक अऩने भाभरकं के भरमे अऩना खन ू ऩवीना
फनाकय फशामे औय इव दतु नमा वे त्रफना कोई भळकामत ककमे चऩ ु चाऩ द्धलदा शो जामं। शभ बरीबाॊतत वभझ गमे शै शभायी फदशारी के भरमे
जज्भदे ाय शं-ऩज ू ीऩतत
,
जभीदाय वूदखोय
8
,
व्मलवामी औय वाभाजजक
कुव्मलस्था के ऩोऩक रोग । मदद मे रोग शभाये प्षधय शोते तो शभ
,
अततछोटे ककवानं भजदयू ं लॊधचतं का शार इतना
दमनीम नशी शोता ।
शभ लॊधचत रोग अवशाम औय तनमतत के दाव फने शुए जी यशे शै।शभ वाेाभाजजक कुयीततमं के भळकाय शो यशे शं । शभाये वभाज की जस्त्रमाॊ बी वुयक्षषत नशी नशी शं। मे वफ शभ लॊधचतं के वाथ भवपत वाभाजजक
कुव्मलस्थाओॊ की लजश वे शी शो यशा शं ।दे ळ की वयकायं बी तो इव
कुव्मलस्था को आज तक नशी योक ऩाई शं । भाॊ तभ ु औय दादा बी तो बूऩततमं के खेत भं शाड पोड यशे शो
ना जाने कफ वे फदरे भं क्मा
भभरा मशी ना खस्ताशाश औय दख ु के आॊवू ।
ळाजन्तदे ली-शाॊ फेटा बऩ ू तत रोग तो खद ु को शभ खेततशय भजदयू ं का
अन्नदाता वभझते शै ।ददन यात भेशनत शभ कयते शै ।अन्नदाता ले फनते शं ।शभ
फदशारी बया जीलन जीने को भजफयू शं । बम बूख वे जझ ू यशे
शै ।ऩवीना फशाकय योटी का इन्तजाभ कय ऩाते शं लश बी वकून वे नशी
खा ऩाते । दे खो घण्टा बय शो गमा ऩय चल् ू शा गयभ नशी शुआ। दे ली दे लता बी शभ गयीफो की भदद नशी कयते ।फेटा जया पुकनी वे पॊू क भाय शो वकता शं तु्शाये पूॊक वे आग जर उठे ।अजनन दे लता को यशभ आ जामे । फेटा भं तो शाय गमी ।
नयामन-रा दे भाॊ । कभेयी दतु नमाॊ के रोगो ने तो उवय को उऩजाउं ेू फना ददमा ।ऩशाड को धचय ददमा। आॊधी के रूख को फदर ददमा
।अपवोव इव वफ का पामदा ळ ्उठामा श्ळोऩक वभाज ने ।शभ भजदयू
खेततशय बभू भशीन रोग ऩेट भं बख ू भन भं आळा की ऩयत जभामे अऩने बानम को कोवते यश गमे ।भाॊ इव बूख के द्धलरूध्द तो शभ भं उठ खडा
शोना शी शं । भाॊ रा दे पुकनी दे खता शूॊ आग कैवे नशी जरती शै । भाॊ के शाथ वे पुकनी रेकय चल् ू शा जराने भं एडी चोटी का जोय रगा फैठा । 9
नयामन की आॊखेा वे तयतय अॊेावू फशता दे खकय श्ळाजन्त दे ली फोरी
फेटा मे आग जरूयी बबक उठे गी ।फेटा तेयी भेशनत फेकाय नशी जामेगी ।तू द्धलऩयीत ऩरयजस्थततमं भं योटी का इन्तजाभ जरूय कय रेगा ।फेटा
शाडपोड भेशनत शी तो शभ गयीफं के जीलन का आधाय शं । अगय शभाये शाडं भं इतनी श्ळडक्त ना शोती तो मे श्ळोऩक वभाज शभं बेड फकरयमं
का तयश फंच दे ता ।फेटा तुभ औय तु्शाये जैवे भजदयू ो की औरादं वचेत यशना शोगा।तबी दीनता के अभबळाऩ वे भक्त ु शो ऩामेगे ।फशुत जल् ु भ वश भरमे श्ळोऩक वभाज के अफ तो अऩने अधधकायं की यषा के भरमे उठ खडा शोना शोगा ।अऩने शक के भरमे रडना शोगा ।मश वफ तबी शाभवर
शो वकता शं जफ शभ खेततशय बभू भशीन भजदयू ं की औरादे ऩढ भरखकय शोभळमाय फनेगी ।
नयामन-वच भाॊ जफ तक कभेयी दतु नमा के रोग भळक्षषत शोकय अऩने अधधकायं की यष के भरमे जॊग नशी छे डेगे तफ तक ऩयु खं का तयश श्ळोऩण का जशय ऩीते यशे गे । शभ भजदयू ं की औरादं का अऩने
अधधकायं के प्रतत जागरूक शोना शोगा औय जल् ु भ की खखरापत बी
कयना वीखना शोगा
,
तबी शभ ऩनऩ ऩामेगा लयना ळोऩक वभाज के
जार भं उरझे दभ तोडते यशे गे ।गयीफ भजदयू ो की राळं को धचल्श
धगध्द कौआ खाते यशे गे औय श्ळोऩक वभाज फेखाप भौज कयता यशे गा
।भाॊ दीनता के अभबळाऩ वे भुक्त शुए त्रफना शभ भजद ू यं की उन्नतत व्बल नशी शै ।इवके भरमे भजदयू ो को वचेत शोना शोगा ।नशी तो शभ लॊधचतं को मग ु मग ु ान्तय तक ऐवे शी शय ऩर आग के दरयमा को ऩाय कयना शोगा ।
ळाजन्तदे ली-फेटा शय जभ ु त का अन्त तो शोता शं ऐवा शभने बी वुना शं ऩय श्ळोऩक वभाज के श्ळोऩण का जभ ु त तो अन्तशीन शो गमा शै ।शभ 10
खेततशय भजदयू ं के ददन अच्छे आ वकते शं मदद ख ्ेेेाती की चाय छ् फीघे जभीन ऩय शी शभाया कब्जा शो जामे ।मे ळोऩक वभाज ऐवा शोने
नशी दे गा लश तो गाॊल वभाज की जभीन बीशडऩ फैठा शै । शभ भजद ू यं को तो टटटी ऩेळाफ कयने के भरमे बी जभीन नशी शं । वायी जभीने
उनके शी कब्जे भं शं । शभ तो शाडपोडकय बी तनयाधश्रत वा जीलन फवय कय यशे शं ।काळ शभं बी कुछ खेती की जभीन भभर जाती तो इव
नायकीम जीलन वे छुटकाया भभर जाता ।कशने बय को शभ आजाद शं ।
शभायी जस्थतत तो गुराभं जैवी शी शै ।बरे बी बूऩतत रोग शभ खेततशय भजदयू ो को दोशन कयते थे आज बी कय यशे शं । अफ तेा शार औय
खयाफ शोता जा यशा शं । तीवयी ऩय खेती कयन ऩड यशी शै ।बऩ ू तत रोग तख्त ऩय फैठे ऩैय दशराते
शं ।शभ भेशनतकळ रोग अनाज उऩजा कय
उनके कोठे ऩय यख यशे शं उनके ।शय मग ु भं शभ भजदयू ं का दोशन
श्ळोऩक वभाज ने ककमा शं आज बी फेखौप कय यशा शै ।शभ गुराभं जैवे खन ू ऩवीना कय यशे शै ।मे अभबळाऩ कफ उतये गा शभ खेततशय
भजदयू ं के भाथे वे। कफ शभ भजदयू वकून की जजन्दगी फवय कये गे । कफ शभायी फस्ती भं तयक्की की फमाय आमेगी । क्मा मश वऩना भात्र
शी यश जामेगा ।वोचकय फशुत डय रगता शै ।शभ भजदयू ं की जस्थतत तो फद वे फदतय शोती जा यशी शं औय श्ळोऩक वभाज तयक्की की फाढ भं गोते रगा यशा शै ।काळ शभ खेततशय भजदयू ं के ऩाव बी कुछ खेती की जभीन शो जाती बरे शी उवय दादय शी भभर जाता।वयकाय शभ खेततशय भजद ू यं के फाये भं कफ वोचेगी ।चायं ओय श्ळोय शै कक जनता की
वयकाय शै।ना शी शभ खेततशय भजदयू ं का कोई फीभा शोता शं । ना शी
कोई दलाई का वुद्धलधा औय ना शी कुछ । अये शभ खेततशय भजदयू बी तो उवी उवी जनता के अॊग शै ऩय शभायी दद ु तळा क्मं ।शभाये वाथ बेदबाल क्मं । दव ू यी तयप छोटे छे ाटे धॊधे लारे औय बऩ ू तत रोग
रूऩमाश्फनाने की भळीन वात्रफत शो यशे शं । शभ भजदयू ो को बय ऩेट योटी 11
नवीफ नशी शो यशी शै ।कऩडा औय भवय ऩय छाॊल के भरमे जझ ू यशे शं
उऩय वे वाभाजजक कुव्मलस्था के भळकाय शो यशे शं ।जजव खेत भं ददन यात खट कय अन्न उऩजा यशे शं ना शी अन्न औय नशी जभीन ऩय शी अऩना शक शं । शभ खेततशय भजदयू कशे जाते शं । क्मा जनता की
वयकाय शभ गयीफो खेततशय भजदयू ो को जीने रामक खेती की जभीन का भाभरक फना ऩामेगी ।शभे तो ककवी की तयक्की वे कोई जरन नशी शं ।
शभं तो जाने खाने रामक कुछ खेती की जभीन शी भभर जामे ऩय वन ु ेगा कौन आज तक तो कोई बी नशी वुना । शभ खेततशय बूभभशीन भजदयू ी दरयद्रता का अभबळाऩ झेर यशे शै ।वाभाजजक औय आधथतक शय तयश वे
लॊधचत शो गमे शै ।फेटा शभ वफ खेततशय भजदयू ो को इक्टठा शोकय इव गुराभी ऩय द्धलजम ऩाना शोगा ।
नयामन-इव गुराभ ऩय द्धलजम तो फाद भं भभरेगी ऩय भंने तो द्धलजम ऩा भरमा ।
ळाजन्तदे ली-कैवी द्धलजम फेटा ।
नयामन- भाॊ आग जर उठी । भेयी भेशनत काभमाफ यशी । काळ भं भाॊ
तेये वऩनो को ऩयू ा कय ऩाता ।ळोऩक वभाज के फन ु े जार वे उफय जाता ।योटी कऩडा औय भकान का इन्तजाभ कय ऩाता । वच भं तफ शभ तयक्की की याश ऩय वयऩट दौड ऩडगे ।
ळाजन्तदे ली-फेटा शभ भजदयू ो की वाभाजजक आधथतक दद ु तळा का
कायण
वाभाजजक चक्रव्मश ू औय मे श्ळोऩक वभाज शी शै ।शभ भाथे का ऩवीना ऩंछ ऩंछकय बऩ ू ततमं के खेत वे रेकय उनके भशर तक को अऩने
आॊवूओॊ वे वॊलाय यशे शं ।इवके फदरे शभं जजल्रत बूख एॊल अबाल बयी जजन्दगी नवीफ शे यशी शै ।
नयामन-शाॊ भाॊ भं बी बूख की धगयपत भं शूॊ ।वाभाजजक कुव्मलस्था द्वाया ददमे रयवते जख्भ वॊग बख ू वे बी तडऩ यशा शूॊ ।वच भाॊ रगता शं शभ भजदयू ं की मशी तकदीय फन गमी शै । 12
ळाजन्तदे ली-फेटा षखणक बूख का इन्तजाभ तो शो जामेगा कपय लशी ढाॊक के तीन ऩाॊत लारी फात ।फेटा योटी फनने भं थोडी वे औय दे यी शं । गेशूॊ तो दे ख शी यशे शो त् ु शाये वाभने शी जाॊत ।शाथ की चक्की। वे ऩीवकय
उठ यशी शूॊ ।आग इवीभरमे चल् ू शं भं ऩशरे वुरगा दी थी ।फेटा आग को तो तू शी जरामा शं ।आज की योटी का इन्तजाभ तो शो गमा ऩय कर की धचन्ता आज वे शी टंचे भाय यशी शै ।शभ भजदयू ो की दख ु ती नब्ज मशी शं फेटा । क्मा कयं वाभाजजक कुव्मलस्था के भळकाय शं लयना शभ
इव दमनीम शार भं जीलन फवय ना कयने को भजफयू शोते ।शभ भजदयू ं को तो योज कुआॊ खोद कय शी ऩानी ऩीना ऩडता शं । जफ तक शाथऩाॊल भं जोय शं तफ तक शाडपोडो ।जोय थकते शी योटी कऩडा के भरमे तडऩ तडऩ कय भयो । कैवी बमालश दास्तान शं शभ भजदयू ो की ।
नयामन-शाॊ भाॊ ठीक कश यशी शो काभनाथ फाफा को तडऩ तडऩ कय भायते शुए भंने बी दे खा था ।फेचाये फचऩन वे जफ तक आॊख ठे शुना चरा बऩ ू तत के खेत वे रेकय भशर तक दौड दौड कय काभ ककमे ऩैरूख थकते शी बूऩतत ने बगा ददमा । फेचाये यो योकय ददन काटं । बरा शो गाॊल के
खेततशय भजदयू ो को जा उनवे शो वके ककमे ।भाॊ तू धचन्ता ना कय । भं तभ ॊू ा । ु को तडऩने नशी दॊ ग ू ा । भं कबी बी खेततशय भजदयू नशी फनग
श्ळशय जाकय झल्री ढो रॊग ू ा ऩय श्ळोऩक वभाज की चाकयी ना फाफा ना । भाॊ खेततशय भजदयू का श्ळोऩण दोशन उत्ऩीडन कोई नई फात तो नशी शं
जा जाने ककव मग ु वे चरा आ यशा शं औय ना जाने कफ तक चरेगा
।भाॊ आज का वभाज दो खेभे भं फॊटा शुआ शं एक शै श्ळोद्धऩतं का औय दव ू या शं ळोऩणकताओॊ का ।ळोऩणक वभुदाम के रोग अऩनी श्ळडक्त औय
दफॊग स्लबाल एलॊ प्रबाल के फर ऩय वफकेा फळ भं ककमे शुए शै । मा कशे कक ले वाभ दण्ड औय बेद के फर ऩय एक फडे वभुदाम को शाॊक यशे शं ।भाॊ इवके ऩीछे जाततलाद अैेाश्र वाभन्तलादी व्मलस्था का तघनौना
13
प्रबाल शै ।अॊधद्धलश्वाव
, ,
प्रऩॊच वाभन्ती ळोऩण
,
लगत औय लणतबेद के
बमालश औय कुजत्वत रूऩ जाततलाद औय वाभन्तलादी व्मलस्था की
उदावीनता एलॊ तटस्थता शभायी तफाशी का कायण शै।खेततशय बभू भशीन एलॊ अभबळप्त लॊधचत वभाज की अन्तलेदना को तथाकथततत वफर
वाभन्तलादी वभाज कबी बी वहृदमता एलॊ वॊलेदनळीरता के वाथ ना दे ख औय ना वन ु ा ।जल् ु भ की फौझायं के भरमे वदा शी तत्ऩय यशा शं
आज बी फेखौप जायी शै।कोई बी शभ लॊधचतं का ऩषधय नशी शै।ळेाऩक वभाज को ळोद्धऩत वभाज वे जया बी शभददी नशी शं लश तो राब फव
राब कभाना जानता शै। ळोद्धऩत लॊधचत तो फव इव भरमे जजन्दा शै कक लश इव ळेाऩक वभाज के भरमे अऩना खन ू ऩवीना कये लश बी ऩेट भं बूख भरमे।
ळाजन्तदे ली-लॊधचतं भजदयू ं के उत्ऩीडन का वाभाजजक कुचक्र शं मे वफ
।मदद ऐवा ना शोता तो शभ धन धयती वे लॊधचत क्मं शोते ।जजव खेत
भं ऩवीना फश यशा शं लश शभाया शोता । मे तो वाभाजजक दफॊगो का चार शं शभ भजदयू ं के दभन की ।फेटा वाभाजजक आधथतक वत्ता इन्शी दफॊगं
के शाथ भं शं तबी तो शभ गयीफं का रशू तनचोड यशे शं । ददन बय धचरधचराती धऩ ू शाडपोड ठण्ड अैेाय जोयदाय फयवात भं खेतो भं काभ
कये शभ गयीफ भजदयू उऩज बऩ ू ततमं के घय भं जाती शै ।शभ अऩनी शी भेशनत वे कभामे अनाज वे लॊधचत शो जाते शं।ऩेट ऩय ऩट्े्टी फाॊधकय
काभ कयना शोता शं । जामे तो जामे कशाॊ भजफयू ी भं वफ कयना ऩडता शं । भजदयू ी बी ऩयू ी नशी भभरती ।
फदयी-नयामन की भाॊ फेटला को क्मा वीखा ऩढा यशी शो ।ककवकी भजदयू ी शडऩ री गमी ।
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ळाजन्तदे ली-नयामन के दादा तुभ तो ऐवे अच्बे वे ऩछ ू यशे शो जैवे तुभ कुछ जानते शी नशी । अये तुभ बी बूऩतत के खेत भं शी काभ कयते शो ककवी वयकायी दपतय भं नशी ।
फदयी-काळ अऩनी ककस्भत ऐवी शोती ।वयकायी दपतय भं काभ ककमे
शोते । अच्छी तनख्लाेाश के वाथ वद्धलतव फोनव पण्ड औय ढे य वायी
वुद्धलधामं भभरती। जफ वाठ वार के फाद रयटामय शोता तो इतना वाया रूप्मा भभरता कक ततजोयी बी अऩनी छे ाटी ऩड जाती । इतना शी नशी
फढ ु ौती का दख ु दामी लक्त बी फडे आयाभ वे कट जाता ऩय क्मा कयं मशाॊ
तो अऩनी तकदीय बू ऩततमेा के चौखट ऩय नाक दये यने के भरमे भरख दी शं उऩय लारे ने।
नयामन-दादा रूऩमा घय भे क्मा यखने की जरूय ऩडती इतने वाये फंक तो गाॊल गाॊल भं शं ।
ळाजन्तदे ली-फेटला वे कुछ वीखो।
फदयी-फेटला कारेज जाता शं । शभ गॊलाय दे शाती शं । फेटला वे वीखने भं कैवी श्ळभत । शभ तो फेटला वे भरखना ऩडना बी वीखगं ।बूऩततमं वे
अऩनी भजदयू ी का दशवाफ भाॊगेगे । शभं बी चौकन्ना यशना शोगा । तबी शभ अऩनं
शकं को भयता शुआ नशी दे ख वकेगे ।ेॊअभळषा की लजश वे तो शभ जल् ु भ वशे शं इन ळोऩको के ।अऩने फेटला वे दो अषय भरख ऩढ जामेगे तो अॊगूठा तो नशी रगना ऩडेगा । गॊलाय अनऩढ शभाये ऩयु खे थे
तबी तेा श्ळोद्धऩत वभाज के द्धलयोधधमंेा ने कशाॊ कुछ औय अॊगूठा रगला भरमा औय कशी नतीजा मश तनकरा कक ले रेाग अऩना शक गॊला फैठे ।
अॊगूठा शी कटला भरमे अॊगुठा रगाकय ।ळोऩक वभाज तो शभं ठगा शी शै ।दे खो वुफश वूयज उगने वे ऩशरे शी खेत जाओ ददन ऩय शाड पोडो अॊधेया ऩवयने के फाद घय लाऩव आओ । इतनी भेशनत के फाद बी
शभायी जरूयते ऩयू ी नशी शोती उऩय वे उत्ऩीडन औय झेरना ऩडता शं
।ऩशरे का जभाना था खेत वे पवर खभरशान गमी । लशाॊ द्धऩटाई भडाई 15
शुई अनाज जभीदाय के घय भं जाता था औय कटाई भडाई ढोलाई तक की भजदयू ी भभरती थी शाॊ ऩय कभ जरूय भभरती थी ।अफ तेा अनाज
बव ू ा वफ जभीदायो के गोदाभं भं बयो लश बी फ्री पोकट के । कशते शै कक तीवयी की खेती भं ऐवे शी शोता शै । भेशनत भजदयू ी काट दे ने ऩय शभ ऐवी खेती कयने लारे
को क्मा भभरता शोगा । जो तीवयी का
अनाज भभरता शे ाग उतनी यकभ तो भेशनत भजदयू ी भवचाई खाद औय
दलाई भं रग जाती शोगी । आज के जभाने भं बी जभीदाय
,
व्मलवामी खुरेआभ शभ भजदयू ो को श्ळोऩण का यशे शं ।शभ खेततशय भजदयू क्मा बूऩततमं के गुराभ शोकय यश गमे शै ।
ळाजन्त दे ली-शाॊ तभ ु ठीक कश यशे शो ऩय वाये भजदयू भभरकय आलाज फर ु न्द कये तफ ना कुछ शराबरा शे ागा ।
नयामन-भाॊ जया एक भभनट चऩ ु यशोगी क्मा ।
ळाजन्तदे ली-क्मा शुआ फेटा । नयामन-भाॊ फकयी फाशय शी यश गमी शं ।वन ु ो फकयी शो तो धचल्रा यशी शं ।
ळाजन्तदे ली-शाॊ फेटा फकयी शी तेा शं । जा भडई भं फॊेाधकय टाॊटी रगा दे ना । नशी तो शुॊडाय उडा रे जामेगा । नयामन-ठीक शं भाॊ ।
ळाजन्तदे ली-फेटा अॊधेया शं ।रारटे न रेकय जा । नयामन-भाॊ रारटे न थभा तो दो ।
ळाजन्तदे ली-फेटा फकयी फाॊधकय तोयई तोड राना
भडई ऩय वे ।तोयई की
तयकायी फना दॊ ग ू ा । तुभवे तो फकयी का दध ू उतयता नशी शं ना । फकयी
का दध ू फशुत ताकतलय शोता शं । फकयी के दध ू वे योटी नशी खाओगे तो 16
तोयई की तयकायी वे खा रेना तुभ फाकी जो फचेगी भं औय तेये दादा खा रेगे तु्शाये बाई फशनं को तो भं
दध ू वे शी खखरा दॊ ग ू ी।
नयामन-भाॊ फशुत तभ ु ने कथा कश दी । यशने दो तयकायी फनाने को । ये ाटी फनाने भं आधी यात शो गमी । तयकायी फनाने भं तो बोय शे ा जामेगी ।
ळाजन्त दे ली-नशी फेटा जल्दी फन जामेगी । अफ तो चल् ू शा गयभ शो गमा शं । दे खो आग कैवी जर यशी शं । तभ ु ने पॊू कनी अऩने शाथ भं नशी भरमा शोता तो अबी तक मे आग नशी जरती ।
फदयी-अय तुभ भाॊ फेटे योटी तयकायी ऩय शी फशव कयोगे कक कुछ काभ बी कयोगे ।तभ ु दोनेा की फात तो भझ ु े वभझ शी नशी आ यशी शै ।
ळाजन्तदे ली-फेटला ठीक कश यशा शं उवको बूख रगी शं । कण्डा गीरा शो
गमा जर शी नशी यशा था । फडी भुजश्कर वे तो चल् ू शा गयभ शुआ शं । त्रफना भौवभ की फयवात ने तो भेया चल् ू शा शी ठण्डा कयके यख ददमा था
ऩय फेटा ने तो आग जरा कय शी वाॊव भरमा शं ।ततनक बय फयवात शुई शभ गयीफं के भरमे भुवीफत उधय धनी रोग जभीदाय रोग फयवात का रत्प उठा यशे शं । भाॊव भदीया छानने भं जट ु गमे शं । मशाॊ चल् ू शा शी
गयभ नशी शो यशा शं । ऩेट की बख ू वे अतॊडडमाॊ आऩव भं गथ ु भ गत्ु था कय यशी शै ।
फदयी-नयामन की भाॊ जो बी रूखा वूखा शो फच्चं को वभम वे फनाकय खखरा ददमा कये ा। मशी तो उम्र शं फेचायं की खाने ऩशनने की ऩय शय
चीज के भरमे तयव जाते शं शभ गयीफ भजदयू ं के फच्च ्ेेेा ।नयामन तो
ऩढने जाता शं ।ऩढने लारे फच्चं को दध ू घी अच्छा खाना ऩशनना चादशमे ऩय भेये फेटला को तो ककताफ काऩी के बी रारे ऩडे यशते शं ।क्मा करूॊ
फडे फयु े पॊवा शूॊ चाशकय बी फच्चेाॊ को अच्छा खखरा ऩशना नशी वकता । भन यो उठता शै फच्चं की दळा दे खकय । नयामन फडे कारेज भं ऩढने जाता शं । एक शी ऩामजाभा शं लश कारेज ऩशन कय जाता शं नताई 17
दशताई जाता शं । एक ऩामजाभा तक खयीदने की जआ ु ड नशी शो ऩा यशी शं । ऩामजाभ बी वाइककर की चेन भं पॊवकय नीचे वे कई जगश पट
गमा शं । भेया फेटा इतना वभझदाय शै कक कबी कोई भाॊग नशी यखता । जो भभर जाता शं खा रेता शं । जैवा बी पटी धचथा शो ऩशन कय गुजय कय रेता शं ।उधय ऩैवे लारं को दे खं कुत्तं तक को दध ू घी भॊेाव
भछरी खखरा यशे शं । फदढमा वाफन ु वे भर भर कय नशला यशे शं ।
यजाई त्रफस्तय भं वर ु ा यशे शं । शभ औय शभाये फच्चे यात ददन ऩवीना फशाने के फाद बी ऩेट की बूख भान व्भान वे मध् ु दयत ् अततजरूयी वाभान वे बी भोशताज शं ।
नयामन-दादा क्मं एक शी फात का योना योते यशते शो । रो भाॊ तोयई का फनाओॊ छप्ऩन बोग । भुझे नीॊद आ यशी शं । भै भडई भं वोने जा यशा शूॊ । ळाजन्तदे ली-फेटा अऩनी भाॊ ऩय जल् ु भ ना कय । खाकय शी वोना । थोडी दे य औय रूक जा भेये रार । फव योटी फन गमी शं ।ततनक दे य भं
तयकायी फन जामेगी । दे खो अफ तो चल् ू शे की आग धधक उठी शं । नयामन-भाॊ तु्शे खूफ भक्खन रगाने आता शै । ळाजन्तदे ली-फेटा बख ू े नशी वोते ।
फदयी-शो फेटा तेयी भाॊ ठीक कश यशी शै ।थोडी दे य भेय ऩाव फैठ ।चल् ू शे की योळनी भं भुझे भेया नाभ भरखना शी वीखा दे ।
नयामन-चल् ू शे की ठण्डी याख को पैराकय अऩने फाऩ को भरखना वीखाने रगा । इतने भं ळाजन्तदे ली ने झटऩट तयकायी फना री ।नयामन औय उवके फाऩ के आगे खाने की थारी वयका दी । ।। दो।।
ळाजन्तदे ली-नयामन के दादा झरपराशं भं खदटमा वे उठे औय
चरे गमे
त्रफना कुछ फतामे । कशाॊ चरे गमे थे ।यात की रीटी औय तोयई का
तयकायी नक ु ळान तो नशी कय गमी ।ना गाम को शौदी ऩय रगामे ना 18
चाया डारे गामफ शो गमे ।कशीॊ जाना था तो फता कय जाते । खेत -भैदान भं तो इतना लक्त नशी रगता ।
कशीॊ जाना था तो कुल्रा दातुन कय
शुक्का ऩानी ऩीकय जाते ।भं फालरी वे कफ वे खोज यशी शूॊ ।वयू ज भवय ऩय चढ गमा शं तफ तुभ आ यशे शो ।कशाॊ चरे गमे थे । कुछ तो फताओ । नयमन के दादा क्मं चऩ ु चाऩ गुभवुभ टुकुय टुकुय ताक यशे शो ।कुछ तो फोरो कशाॊ चरे गमे थे ।कुछ फेारते क्मो नशीॊ ।
फदयी-नयामन की भाॊ क्मं फकफक ककमे जा यशी शो कुछ फोरने दोगी तफ तो कुछ फोर ऩाउुॊ गा ।वाॊव तो रेने दो ।
ळाजन्तदे ली- अच्छा फाफा गरती शो गमी कशते शुए दौड कय खदटमा रामी औय नीभ की छाॊल भं डारते शुए फोरी आओ खदटमा ऩय फैठं भं शुक्का ऩानी रेकय आती शूॊ । फदयी-जैवी तेयी इच्छा नयामन की भाॊ ।
ळाजन्त दे लीळ ्-रो गुड धचलडा खाकय ऩानी ऩीओ तफ तक भं शुक्का चढा राती शूॊ । फदयी- भुटठे वे धचलडा उठाते शुए फोरा यशने दो अबी । ळाजन्त दे ली-जल्दी आती शूॊ कशकय घय भं गमी औय शुक्का चढा रामी
।शुक्का फदयी को थभाते शुए फोरी अफ तो फता दो कशाॊ गमे थे । फदयी धचल्राते शुए फोरा अऩने कपन का इन्तजाभ कयने ।ऐवे ऩछ ू यशी शो जैवे तुभ इव घय भं यशती शी नशी शो । कुछ जानती नशी शो ।
ळाजन्त दे ली-क्मं दख ु ी शोते शो ।भं तु्शाये वाथ दरयद्रता का जशय नशी ऩी यशी शूॊ क्मा ।भारभ ू शं आज दो वार वे फेकाय शो गमे शो । फाफू वुआर के भयते शी जभीन जामदाद क ऩरयलारयक झगडे की लजश वे शरलाशी
बी छूटी शई शं पटकय भजदयू ी कयना ऩड यशी शै। लश बी शऩते
भं एक ददन भभरती शं तो छ् ददन घय भं फैठकय भक्खी भायनी ऩड यशी शं। अफ तो श्ळयीय बी थक गमा शं । कफ तक शाड पोडेगे ऩाऩी ऩेट को
19
ऩारने के भरमे । घय गश ृ स्ती कापी ददक्कत वे चर यशी शं । फच्चे अन्न लस्त्र के भरमे तयव यशे शै ।
फदयी-वफ कुछ जानकय कपय अनजान क्मं फनती शो ।जानना चाशती शो कशाॊ गमा था ।फताउूॊ ।
ळाजन्त दे ली-शाॊ फताओ ना । कोई दख ु द् खफय तेा नशी शं ।
फदयी-भं नशी फताता शूॊ । तू शी फता क्मा शभ गयीफं के भरमे कबी खुळी की वौगात दी शं इव वाभन्तलादी व्मलस्था ने । ळाजन्त दे ली-नशी तो ।अफ तक तो वाभाजजक कुव्मलस्था ने रयवते जख्भ शी तो ददमे शै ।
फदयी-कपय क्मं खळ ु खफयी वन ु ने को रारातमत यशती शं । खळ ु खफयी आने भं अबी कई ऩश्ु ते गरेगी तफ ळामद तयक्की की फमाय चरे औय तफ शभाये रोग खुळ शोले । ळाजन्त दे ली-छोडो मे
वफ तो दतु नमा जान गमी शं । तुभ तो मे
फताेाओ अफ तक कशाॊ थे।
फदयी-अधभया आदभी कशाॊ जामेगा ।अये शभ तो जशाज के ऩॊषी की कशाॊ जामेगे ।गमा था वुआर फाफू की चौखट ऩय भाथा टे कने। ळाजन्त दे ली-क्मा । फदयी-ठीक वे चौखट ऩय।
वन ु ी
नशी शो भाथा टे कने गमा था फडे बऩ ू तत फाफू की
ळाजन्त दे ली-क्मं ।
फदयी-शाॊ । खफय रगी थी कक वआ ु र
फाफू के ऩत्र ु उधभ फाफू श्ळशय वे
आने लारे शं । उनके आने ऩय शी जभीन जामदाद का फॊटलाया शोगा ।
उधभ फाफू की शरलाशी तो शभं शी कयना शै ना ।ले तो अबी आमे नशी
।भुझे दे खते शी दध ु ार फाफू की आॊख चभक उठी । भेया खून उन्शे बी तो ऩवन्द आता शं
अऩने काभ भं रगा भरमे । ले बी झाॊवा दे यशे थे ।कश
यशे थे जफ तक खेती नशी फॊटती शं तफ तक भेयी शलेरी का काभ कय 20
ददमा कयो ।फशुत ऩयु ाने भजदयू शो ।तुभ तो इव शलेरी के वदस्म जैवे शी शो ।तु्शाये वाभने शी तो फडे शुए शं । इव शलेरी के वबी फच्चे त् ु शायी घयलारी फढ जाती शै ।
की गोद भं शी आॊखं खोरे शै ।तभ ु को दे खकय दश्भत
ळाजन्त दे ली-पोकट भं काभ कयलाना चाशते शं ।दो वार वे भक्खी भाय
यशे शै कबी वेय बय तो भमस्वय नशी शुआ । इतना बी नशी कबी ऩछ ू े फार फच्च ्ेेेा ठीक शै की नशी ।खन ू चव ू ने के भरमे आॊख त्रफछामे यशते
शं । दे खते शी ढे य जरूयी काभ आ जाते शं लश बी त्रफना भजदयू ी के। चाय छ् वार की फात औय थी .....
फदयी-चाय छ् वार भं क्मा कोई खजाना भभरने लारा शै ।
ळाजन्त दे ली-नयामन ऩढ भरखकय कशी नौकयी ऩा जामेगा तो अऩने दख ु तो शय रेगा ।
फदयी-चाय छ् वार की फात कय यशी शो
कर भय गमे तो इन फच्चं
का क्मा शोगा । शार तो तभ ु दे ख शी यशी शो । ना खाने का इन्तजाभ शं ना लस्त्र का ऩाचॊ फच्चं का बाय दो शभ वात उऩय वे नात दशत आ गमा । शरलाशी वे कभ वे कभ इतना अनाज तो भभर शी जाता था कक योटी
चटनी भभर शी जाती थी वार बय । मशाॊ तो दो वार वे फेकाय शो गमा शूॊ ।कर ककवने दे खा शै क्मा शोगा । फडी उ्भीद शै कक फाफू उधभ की शरलाशी अऩने को भभरेगी ।लश बी ना जाने कफ ।ऩयू ा खेत दो वार वे
ऩयती ऩडा शं ।कुव जभ गमे शै ।उनका क्मा खेती शी नशी शो यशी शं ना । औय ढे य वाये काभ शं । अन्न धन का बण्डाय शं चाय ऩश्ु ते आयाभ वे त्रफना शाथ दशरामे खा वकती शं । मशाॊ तो दो ददन काटना भुजश्कर शो यशा शै ।फच्चं की दळा दे खी नशी जाती शं ।फेटला के कारेज छूटने का डय रग यशा शं ।
ळाजन्त दे ली-दे खो दख ु ी ना शोओ ।भं वफ वभझ यशी शूॊ ।दव ू ये गाॊलं के बूऩततमं की चयलाशी चयलाेाशी कय रेगे ऩय फेटला को ऩढामेगे ।उधभ 21
फाफू जफ बी आमे आश्वावन की खीय खखराकय चरे गमे । शभ उनके
बयोवे कफ तक फैठे भक्खी भायते यशे गे ।फच्चे कफ तक बूख अबाल के
खखरौने वे खेरते यशे गे ।अफ तो डय रगने रगा शं ।शभ खेततशय भजदयू ो की तकदीय तो इन बूऩततमं के चौखट ऩय भुॊश यॊ गडना शो गमी शै ।
फदयी-दे खो नयामन की भाॊ शभ भजदयू ो की जफ आॊख खुरी शै तो वफवे
ऩशरे शाथ भं शर की भूठ आता शै । शभ शर के ऩीछे ऩीछे घभ ू ते घभ ू ते टीफी दभा औय ढे या जान रेला फीभारयमो की लजश वे
भय वड जाते शं
। शभायी औयते के वाथ बी ऐवा शी शोता शै।ले खेत खभरशान भं काभ
कयते कयते दभ तोड दे ती शं ।कुछ अबागी तो शलव का भळकाय बी शो
जाती शै ।ना जाने फेफव लॊधचत भजदयू शोने का अभबळाऩ कफ कटे गा ।
ळाजन्त दे ली-इव अभबळाऩ वे उऋण शोने के भरमे वाभाजजक जस्थतत की भजफत ू ी के वाथ खेती की जभीन जरूयी शै ।
फदयी-कैवे भभरेगा मे वफ । मशाॊ तो वबी द्धलयोध भं उठ खडं शे ा जाते शं शभ भजदयू ो के दभन के भरमे ।जभीन के कब्जाधायी रोग जभीन तो
फंच यशे शं ऩय एक फीवा जभीन की कीभत राखं भं भाॊग यशे शं ।अऩने फव की फात तो नशी शं ना जभीन खयीदना । खाने का इन्तजाभ नशी
राखं रूऩमा कशाॊ वे आमेगा । अये जो रोग फयवं वे श्ळशय भं कभा यशे शं ले रोग तो फीघा बय खयीद शी नशी ऩामे शं ।शभायी क्मा औकात ।
अऩनी औकात शोती तो दव ू ये के खेत को ददन यात आऩने खून वे क्मं
वचता ।नयामन की भाॊ ऩशरे बी शभ भजदयू ं की दद ु तळा शुई शं आगे बी शोती यशे गी । शभाया कोइर भाई फाऩ नशी शं ।ळोऩक वभाज शभाया रशू ऩीकय शी ऐवे शी भुस्कयाता यशे गा औय शभ अऩने शी आॊवू भं डूफकय भयते ।
ळाजन्तदे ली-श्नयामन के दादा तुभ तो फशुत फदढमा फदढमा फातं कय रेते शो । फदयी-तुभको रग यशा शै कक भं फाते कय यशा शूॊ नशी ये .... 22
ळाजन्तदे ली-फाते शी तो कय यशे शो लश बी भजदयू ं के बेरे के भरमे ।
फदयी-नयामन की भाॊ फाते शी नशी रयवते शुए जख्भ का भलाद बी शं ।बोगा शुआ दख ु फमान कय यशा शूॊ ।तभ ु बी तो चारीव वार वे वाथ
भेये वाथ दीनता के अभबळाऩ को झेर यशी शो । इवी अभबळाऩ की लजश वे दे ळ का खेततशय बूभभशीन भजदयू ददन यात तडऩ तडऩ कय त्रफता यशा शं ।कोई बी भजदयू ं के कल्माण के भरमे आगे नशी आ यशा शं चाशे
वयकायी भोशकभा शो मा वाभाजजक उध्दाय के भरमे काभ कयने लारे
रोग । बरा ले रोग इव अततद्धऩछडं गाॊलं भं कैवे आमेगे । उनका शलाई जशाज कशाॊ उतये गा ।फडी फडी भोटये कशॊेा खडी शोगी । शभ भजदयू े ा के फीच भं
ले अऩनी तौशीनी वभझेगे ना । बभू भशीनो का ख्मार द्धलनोला
बाले को आमा था ।उनके फाद तो कोई शभ बूभभशीनेाॊ की वुधध रेना
लारा आगे नशी आमा ।शभ भजदयू जभीदायं खेत भाभरकं के खेत भं कडी भेशनत कय
द्धलकाव वे दयू घट ूॊ घट ूॊ कय भय यशे शं ।न तो ऩेट की
बख ू भभटाने का कोई ऩख् ु ता इॊतजाभ शं औय ना शी दलाई ने बेज ददमा शं बूभभ भाभरको के खेत भं भयने को ।
का ।बगलान
ळाजन्त दे ली-ठीक कश यशे शे ा तु्शायी फातं वे भै तो वशभत शूॊ । दे ळ बय के बभू भशीन खेततशय भजदयू बी वशभत शोगे ।शभ कयं बी तो क्मा कयं ।शाडपोडने के भवलाम कोई दव ू या यास्ता बी तो नशी शं । काभ नशी
कये गे तो चल् ू शा कैवे गयभ शोगा । भजदयू ी के बयोवे तो जैवे तैवे चल् ू शा गयभ शो यशा शं ।
फदयी-मशी तो शभ भजदयू ं के जीलन की वच्चाई शं । शभाया ददत तो ककवी ने नशी वुना ।शाॊ जल् ु भ जरूय ढाशं
शं । शभायी आलाज को उऩय
तक ऩशुॊचाने लारा बी तो कोई नशी शं ।शभायी भजफयू ी का बूभभ भाभरक रोग पामदा उठा यशे शं । ले अऩने पामदे के अराला शभाये फाये भं कशाॊ वोच वकते शै । अगय वोचते बी शं तो शभ भजदयू ं को कब्जं भं यखने की । भाभरको के दख ु ददत को शभ अऩना दख ु ददत वभझते शं ऩय ले 23
शभाये दख ु ददत को फशाना वभझकय शभ गयीफो का अऩभान औय भजाक बी उडाते शं ।
फदयी औय ळजन्तदे ली की ददत बयी दास्तान की फमानफाजी चर शी यशी थी कक र्फयू ाभ आ गमे औय फोरे क्मा फदयी बईमा बौजी को शी
तनशायते यशे ागे कक ऩेट ऩयदा चराने के फाये भं कुछ वोचोगे ।दो वार वे
फाफू उधभ की शरलाशी के भरमे फैठे शो ।अये मे फडे रोग छोटो रोगेा के नशी शोते । ले तो फव भतरफ बय शी दोस्ती वाधते शै ।त् ु शाये उधभ फाफू तो श्ळशय भं भटयगस्ती कय यशे शै । तुभ शे कक बूखे भयने की
कॊगाय ऩय शो ।चरो भेये वाथ फाफू कुनार का खेत तीवयी ऩय रे रेते शं शभ दोनो भभरकय तीवयी की खेती कये गे । उऩज का तीन बाग कुनार
को दे ने के फाद जो फचेगा शभाया तु्शाया आधा आधा यशे गा ।अये उधभ
फाफू के बयोवे कफ तक फैठोगे ।तु्शाये फच्चं की बूख भुझवे नशी दे खा जा यशी शै ।बैवॊ फेच ददमे ।भशीने भं दो चाय ददन की भजदयू ी
वे
त् ु शाया ऩरयलाय नशी ऩर ऩामेगा बइमा फदयी ।एक फात औय फता दॊ ू ।
जफ उधभ फाफू के ऩरयलाय के खेत का फॊटलाया शो जामेगा तो तुभ उनकी बी शरलाशी कय रेना मा तीवयी मा अधधमा ऩय जैवे बी तुभको दं ।
भेयी एक फात कान खोर कय वन ु रो फदयी बइमा मे उधभ फाफू तभ ु को
फशुत फडा धक्का दे गे । फदयी-नशी ये र्फआ उधभ फाफू शभं कबी धोखा नशी दे वकते ।अबी तेा ु उनकी शी चौखट ऩय दस्तक दे कय आ यशा शूॊ । ले जल्दी शी आने लारे शं । खेत का फॊटलाया इव फाय शो जामेगा ।
र्फयू ाभ-बइमा शभ कश भना कय यशे शं । फॊटलाया शो जाने दो ।अगय ले तुभको खेत दे तेा जोतना फोना । जैवे द्धऩछरे वाठ वार वे फो जोत यशे शो । बइमा इन भाभरका ऩय इतना आॊख भूॊद कय द्धलश्वाव नशी कयना
चादशमे ।दे खो दयऩत बइमा का शार क्मा शुआ । खझॊगारूॊ फाफू ने कुछ खेत धीये धीये दयऩत बइमा वे रेकय फेचते यशे । फाकी उनवे तछन कय 24
दव ू ये को दे ददमे फेचाये दोना ऩतत ऩत्नी इवी द्धलमोग भं भय शी गमे ।
उनके फच्चो का शार दे ख यशे शो ।दय दय बटक यशे शं । फडी भुजश्कर वे योटी एक टाइभ की भभर ऩा यशी शं । कभ वे कभ शयलाशी चयलाशी
कयके फच्चं के भरमे बय ऩेट योटी का इन्तजाभ तो कय रेते थे ।उनके
भयने के फाद घय टूटकय त्रफखय गमा । द्धऩछरे शी भशीने तो उनका फडा
फेटला वाभू बी बूखे प्मावे दला के अबाल भं तडऩ कय भय गमा । फेचाये
को कीडे ऩड गमे थे। बरा शो फेचाये काभू का फेचाया फडी भजु श्कर वे तो वाभू का कक् यमाकभत ककमा। काभू की घयलारी इधय उधय काभ के भरमे
बटकती यशती शं काभू बी ।फेचाये का फशुत फयु ा शार शं । कशी वे कोई वशाया नशी भभर यशा शं । आजकर तो त्रफशायी भजदयू कौडी के बाल भभरने रगे शं । गाॊल भं जो काभ धॊधा था उनका शी कब्जा शो ता जा
यशा शै ।भाभरक रोग उनका शी ऩवन्द कय यशे शं ।ददन भं काभ कयते शं । यात भं उनकी चौकीदायी बी लश बी फ्रीपोकट भं । एक बदे रा बात
फनाते शं । नभक भभचात के घोर भं भभराकय ऩी रेते शं । खेत भाभरकं के दयलाजे ऩय मा खेत खभरशान भं रुॊगी त्रफछाकय वो जाते शं । बइमा शभ रोग तो ऐवा नशी कय ऩामेगे घय ऩरयलाय नात दशत वफ तो रेकय चरना शं । इन्शी खेत भाभरको के खेत भं काभ कयके।बइमा इन
भाभरको भं जया बी दमा धभत नशी शोता । अऩने भतरफ के भरमे कुछ बी कय वकते शं ।फदयी बइमा इतना मकीन उधभ फाफू ऩय ना कयं । फदयी-उधभ फाफू ऩय भुझे मकीन शं र्फू ।दे खना उनकी ऩयू ी जभीदायी
भझ ु े शी व्बारना शोगा ।ले अऩने ऩरयलाय के वाथ बरे शी श्ळशय भं यशे
।फचऩन वे भं उधभ फाफू की शरलाशी कय यशा शूॊ ।उनके दादा ऩयदादा के जभाने वे । भुझे ले धोखा नशी दे गे । ळाजन्तदे ली-अये अऩनी शी धन ु ऩय अडे यशोगे कक ककवी की कुछ वुनोगे बी ।दो वार वे तो भक्खी भाय यशे शो । योजी योटी चराने के फाये भं
अफ तेा वोचो ।कफ तक उधभ फाफू के बयोवे फैठे यशे गे बूख ्ेेेा प्मावे 25
अबी उनका खेत फॊटना फाकी शं तफ तक दो चाय फीवा ककवी औय का
अधधमा दटकुयी ऩय रेकय फोते जोते ऩेट ऩयदा तो चरता ।मशी फात तो
तभ ु को र्फू बइमा वभझा यशे शं । तभ ु शो कक ककवी की कुछ वन ु शी नशी यशे शो ।अऩनी शो जोते जा यशे शो ।
फदयी-अफ कैवे वुनूॊ बागलान ।वुन तो यशा शूॊ । फोर र्फआ अफ शभं ु क्मा कयना शं ।ककवी की शयलाशी कयने को कश यशे शो ।भयता क्मा ना कयता शभ बी कये गे ।अफ तक तेा उधभ फाफू के दादा ऩयदादा की शी शरलशी ककमा शूॊ । चरो तुभ कश यशे शो तो दव ू ये के बी दयलाजा ऩय भाथा ऩटकता शूॊ ।
र्फयू ाभ
-
तीवयी ऩय खेत की कशा कभी शै । तु्शाये घय के वाभने शी
ककतना खेत शं धचनाय फाफू का ऩय उवक फेटा फाफू ढुकुआ ककवी दव ू ये को दे गा नशी ।
ळाजन्तदे ली-क्मो नशी ।
र्फयू ाभ-बौजाई जैवे तभ ु जानती शी नशी शो ।
ळाजन्तदे ली-वच नशी जानती शूॊ । र्फयू ाभ-बौजाई रयश्ता तनबा यशी शो ।मा भेये भुॊश वे वुनना चाश यशी शो ।
ळाजन्तदे ली-वन ु ा दो बइमा ।
र्फयू ाभ-इवके ऩीछे प्रेभ कशानी शै । ढुकुआ फाफू की औय तनठुरयमा के
घयलारी की ।दोनेा कबी धान की भेड ऩय कबी भचान ऩय औय ना जाने कशाॊ कशाॊ गर ु खखराते यशते शं । एक फाय तो तनठुरयमा के फाऩ ने खद ु
अऩनी आॊखं वे ढुकुआ फाफू की औय तनठुरयमा क घयलारी को एक वाथ भचान ऩय भरऩटे दे खा था ।तफ वे शी तो ऩागर शो गमा था ।फेचायी
इवी द्धलमोग भं भय बी गमा । मे भाभरक रोग शभायी इज्जत वे बी 26
खखरलाड कयने भं जया बी नशी दशचकते । दे खो ना तनठुरयमा की
घयलारी ढुकुआ फाफू की यखैर फनकय यश गमी शै । मश तो अफ दतु नमा
जान गमी शै ।मे भाभरक रो तयश तयश वे श्ळोऩण कयते शं ।वन ु ा शै कक ईंट बटठं ऩय काभ कयने लारी औयते फेचायी ददन भं तो ईंट ऩाथती शं ।ढोती शं औय यात भं ।दरयन्दं की शलव की भळकाय बी शो जाती शै
।गयीफो का फशुत उत्ऩीडन श्ळोऩण शो यशा शं।बौजाई दतु नमा चर अचर व्ऩतत ऩय कब्जाधारयमं की जेफ भं शोकय यश गमी शै । शभ रोग बी ककवी न ककवी रूऩ भे इन भाभरको के भळकाय तो शो शी यशे शै । फदयी-इवके अराला औय कुछ कशने लारे थे र्फू । र्फयू ाभ-शाॊ बईमा फाफू
कुनार क फर ु ाला आमा था ।ले अऩनी खेत
तीवयी ऩय दे ना चाशते शै । दश्भत कयो तो शभ दोनो भभरकय कय रेते शं । फैठने वे तो फदढमा शै ।ककवी औय की शी भजदयू ी कय रे । जफ तकदीय भं भजदयू ी कयना शी भरखा शै ।
फदयी-कश तेा यशे शो ठीक बइमा ऩय कुनरला शै फशुत धचयकुट । जान तनकार रेगा तीवयी की खेती के नाभ ऩय । र्फयू ाभ-बईमा फदयी उधभ बी कौन वा बरभनई शै ।अये शं तो वफ भाभरक शी । भाभरक रोग भजदयू ं के कबी बी वगे नशी शो वकते ।भौका ऩाते शं कारे नाग की तयश डॊव शी रेते शं ।
फदयी-र्फू उधभ फाफू के दयलाजे ऩय शी तो फढ ू ा शुआ शूॊ । उनके दादा ऩयदादा के जभाने वे शर जोत यशा शूॊ । उधभ फाफू तो अऩने वाभने शी ऩैदा शुए शं । नयामन की भाॊ शी तो जच्चा फच्चा की दे खबार की थी । उधभ फाफू के भाॊ फाऩ को भये बी तो अबी दो तीन वार शी शुए शै। भेये वाभने शी तो उधभ फाफू फडा शुए शं इवभरमे उनकी चौखट वे भोश शो गमा शै ।
र्फयू ाभ-दे खो फदयी बईमा उधभ फाफू का भोश तभ ु को फशुत दख ु दे गा ।उधभ फाफू औय उनके ऩरयलाय वे भोश ऩारे यशो ऩय योटी योजी तो कशी 27
वे कभाओ । दे खो यशे शो उनकी खेती दो वार वे फन्द शं । ले ऩरयलाय वदशत श्ळशय भं भौज कय यशे शं । कबी तु्शायी खफय भरमे । नशी ना ।चरो कुनार फाफू की शभ दे ानो भभरकय तीवयी ऩय खेती कय रेते शं
।उधभ फाफू के ऩरयलाय का जफ पैवरा शो जामेगा तो उनकी कय रेना । कुनार फाफू की छोड दे ना । भं ककवी औय के वाथ कय रूॊगा ।
ळाजन्तदे ली-नयामन के फाफू तु्शाये बेजे भं फात क्मो नशी आ यशी शं
।र्फू बइमा ठीक तो कश यशे शं ।क्मेा नशी भान जाते ।अऩने बरे की शी तो फात कय यशे शं र्फू ।
र्फ-ू बइमा फदयी अफ तो बौजाई की फात भान रो । बरे शी शभायी न भानो ।भारभ ू शं बौजाई के नायाज शोने वे जो एक टाइभ कच्ची ऩक्की आधे ऩेट भभर यशी शं लश बी फन्द शो जामेगी ।आओ चरे कुनार फाफू की शलेरी । फल ु ाई जत ु ाई का वीजन आ यशा शं ऩशरे वे फातचीत शो
जामेगी तो शभ रोग बी फार फच्चं वदशत खेत जोतने तैमाय कयने भं रग जामेगे । दोनो भभरकय
खेती कये गे तो खचात बी कभ आमेगा ।
बइमा तुभ तो जानते शी शो खेती भं आजकर ऩैवा फशुत रगता शं । फदयी-बइमा शभाये ऩाव तो ऩैवा कौडी कुछ बी नशी शं । योटी फडी भजु श्कर वे दो वार वे चर यशी शं ।
र्फयू ाभ-उधभ फाफू की खेती क्मा फ्री पोकट भं शो जामेगी ।
फदयी-उधभ फाफू वे यीन कजत कय रेता शूॊ ना । र्फयू ाभ-यीन कजत शी कयना शं तो कोइर औय नशी भभरेगा । उधभ फाफू
के कजे भं कशाॊ फढत शे ागी । फढत शगी तो उधभ फाफू के भरमे वद ू ऩय वूद जोडकय । ऐवे शी कजत को बयते बयते तो शभ भजदयू ं की ऩीदढमाॊ गरती जा यशी शं ।शभ ऩनऩ शी नशी ऩा यशे शं जो
अऩनी श्ळयीय को
थयू -थयू कय कभाते शं । इन भाभरको की ततजोयी भं चरा जाता शं वूद
बयने भं शी भर ू धन तो कबी बय शी नशी ऩाती एक ऩीढी । दव ू यी ऩीढी को द्धलयावत भं छोडकय दतु नमा वे द्धलदा रे रेती शै । भाभरकं के 28
उत्ऩीडन के भरमे एक औय ऩीढी तैमाय शो जाती शं उनकी गुराभी के
भरमे । ऐवे शी मश भवरभवरा चरता शी यशता शं कबी न खत्भ शोने लारा ।
ळाजन्तदे ली-बइमा र्फू फात तो कोई गरत नशी कश यशे शो । जेा कुछ तघनौना मे भाभरक रोग शभ भजदयू ं के वाथ ककमो शं मा कय यशे शै
लशी वच्चाई फमान कय यशे शो ।बइमा रयवते घाल को रेकय फैठे यशोगे कक को उऩाम कयोगे ।
र्फयू ाभ-बैाजाई भेये अकेरे के फव का तो कुछ शं नशी ।शय कौभ के भजदयू ो को चाशे ले फशे भरमा
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शो फैवलाय फराई फाल्भीक फाॊवपोड फाफरयमा फौरयमा कोर बुइॊ
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मा चभाय घभु वमा धेाफी धयकाय डेाभ दव ु ादश्गंड शफड ू ा
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शे रा फवोड धानक कॊजय खदटक कोयी रारफेगी भुवशय नट ऩा ु
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वी थारू बोदटमा जौनवायी खयलाय अशीय काछी कुवलाश कशाय
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भल्राश कोइयी कु्शाय ऩटला गडरयमा कुभी कॊु जडा गज ू य कर
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लाय तेरी तभाेोरी फढई फायी त्रफन्द याजबय
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भारी रोथ रुशाय नाई बडबूजा आदद जाततमं के ऩयु खं मग ु मग ु ान्तय वे इव धयती को उलतया श्ळडक्त ददमे शं औय आज उनकी फेफव
औरादे बी दे यशी शै।फेचायी मे भजदयू कौभं भजफयू शो कय यश गमी शं ।
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खत खभरशान दक ु ान कर कायखाना शय जगश तो शाडपोड यशी शं ।मे कौभे शाॊ कर कायखानो भं तो मतू नमन शोती शं ऩय खेत भजदयू ं का
दशतैऩी तो केाई नशी शोता वफ अत्माचाय कयने के भरमे रारातमत यशते
शं ।खेततशय भजदयू ो को वॊगदठत शोकय लाजजफ भजदयू ी की भाॊग के भरमे आन्दे ारन कयना चादशमे।तबी इन भाभरकं की आॊखे खुर वकती शं।मदद भजदयू ो भं चेतना नशी आमी तो फेचाये
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भव ु शयं की बाॊतत भजदयू कौभ
योटी कभ चश ू ा घोघ भेढक आदद कीडे भकोडे खाकय ऩेट बयना शोगा ।
ळाजन्तदे ली-ना बइमा ना भं तो भय जाउूॊ गी ऩय चश ू ा
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घोघा भेढक औय
कीडे भकोडे तो नशी खाउूॊ गी । भनझरयमा भाई की तयश फडे फडे खेत भाभरके के
खेत भं ढोलाई फाद के धगये एक एक दाना त्रफनग ूॊ ी दव ू ये 30
गाॊलं के खेत भाभरकं की भजदयू ी कय रूॊगी ऩय चश ू ा घंघा ना फाफा ना.......
र्फयू ाभ-फेचायी भनझरयमा भाई के ऩाव तो कुछ खेतीफायी थी ।इवके
फाद बी लश फेटा ऩतोशू के जल् ु भ वे दव ू यं के खेत भं धगये एक एक दाना त्रफनकय गुजय कयी थी ।बौजाई बूख फशुत फयु ी चीज शोती शै ।अबी तो अऩने शाथ ऩालॊ भे ताकत शं । अऩने गाॊल भं नशी दव ू ये गाॊलं भं जाकय भजदयू ी कय रेगे । भनझरयमा भाई की तयश ककवी को फयु ा ददन न दे खना ऩडे ।बौजाई जफ आदभी बूखेाॊ भयने रगता को तैमाय शो जाता शं।
शं तो वफ कुछ खाने
ळाजन्तदे ली-बगलान ऐवा ददन कबी ना ददखाले ।
र्फयू ाभ-शाॊ बौजाई मशी काभना तो भं बी कय यशा शूॊ ।शभ तो चाशते शै कक भजदयू कौभं बी भळक्षषत शोकय तयक्की की छराॊगे रगामं ।बूभभ भाभरक फने । कर कायखाने खोरे ।दव ू यं को बी योजगाय उऩरब्ध
कयामं । शभं अऩने उध्दाय के भरमे खद ु खडा शोना शोगा । भाभरके के
ददरं भं भजदयू ं के प्रतत जया बी दमा धभत नशी शे ाता जफकक भजदयू शी तो भाभरको की तयक्की के प्रभुख दशस्वे शं । इनके शी वाथ अत्माचाय शो यशा शं जो कक दे ळ औय वभाज को वभध् ृ द कय यशा शै ।लशी दोमभ दजे का आदभी शोकय अबाल भं जी यशा शं ।न तो शभ भजदयू ो के
उत्थान शे तु भाभरक औय नशी वयकाय शी केाई ठोव कदभ उठा यशे शै
।शभाये ऩवीने को दे खकय भाभरकं भन भं दमा धभत का बाल उऩजना था लश बी नशी शो यशा शै ।वयकाय का दातमत्ल शोता शै कक भजदयू ं केा
योजी योटी का वाधन उऩरब्ध कयलामं ऩय शभाये ददत वे वफ फेखफय कान आॊख फन्द ककमा ऩडे शै ।गाॊल वभाज की जभीन ऩय दॊ फग ॊ त्रफयादयी के रोग धडरे वे कब्जा ककमे जा यशे शै ।शभं वोने फैठने खेती कयने के भरमे जभीन नशी शं । दफॊग त्रफयादयी के रोगो के फच्चं को खेरने
31
,
कूदने गोफय ऩाथने
,
खभरशान कयने इतना शी नशी मे बऩ ू तत रोग गाॊल
वभाज की जभीन ऩय बी खेती कय यशे शं ।शडऩ कय फैठे शुए शै।वयकाय शभ गयीफं के भय भभट जाने ऩय शी शभाये कल्माण के फाये भं वोचेगी
क्मा ।गाॊल वभाज की खारी जभीन शी वयकाय शभ बूभभशीन भजदयू ं भं फयाफय फाॊट दे तो शभ बी कास्तकाय शो वकते शं ।शभ भजदयू ो का
कल्माण याजनैततक प्रमाव वे शो वकता शं मदद वच्चे भन वे याजनेता
चाशे तो ।दब ु ातनमफव वफ शभाये वाथ दगा कयने को उतारू शं । तबी तो गयीफं का उत्ऩीडन खुरे आभ शो यशा शं । तबी तो फडी फडी
अटटाभरकाओॊ औय उुॊ ची इभायतं की बमालश दशाड की लजश वे शभायी झाेोऩडडमाॊ कयाश यशी शं शभ भजदयू ो की तयश ।मशी दयू ी शभ भजदयू ो औय भाभरकं भं बेद का एशवाव कयाती शं औय भाभरको के
अॊधाध ्ेुेॊेाेॊध अत्माचाय
, ,
अनाचाय ळोऩण एल उत्ऩीडन का बी । मे
वभध् ु ाम चाशे छोटा शो मा फडा कफ तक शभाये ऩवीने ृ द भाभरक वभद की कभाई औय शभाये दशस्वे ऩय कब्जा कय शभं धचढाता यशे गा ।
फदयी -र्फआ तू फशुत कुछ कश गमा ।अबी तो कुछ फाकी नशी शं ।अये ु भजदयू ं के नाळ ऩय भाभरको का वत्मानाळ शो जामेगा ।वायी गरचउय बर ू जामेगी ।जफ फैर के ऩीछे ऩीछे ददन बय घभ ू ना शोगा ।भजदयू ो की
लजश वे शी तो मे भाभरक फन फैठे शै ।भाभरक रोग वुद्धलधाबोगी शं औय शभ भजदयू दख ु बोगी शं । राख दख ु उठाकय शभ जजन्दा शं ।जभव ददन
शभायी जैवी ऩरयजस्थततमं भं इन बूऩततमं को यशना ऩड जामेगा ना खून के आॊवू योमेगे । अये शभ भजदयू ं भं एकता शोती तो इन खेत भाभरको 32
नाको चने चफला दे ते ।भजदयू शी भजदयू ो का दद्र नशी वभझ यशा शं ।
दे खो न अफ तो त्रफशाय वे भजदयू अऩने गाॊल के खेतो भं काभ कय यशे शं । शभायी योटी योजी तछन यशे शै ।कशने को तो ठाकुय फाबन फनते शं ऩय कब्जा कय यशे शं शभायी भजदयू ी ऩय ।
र्फयू ाभ-फदयी बइमा इतने ऩय बी नशी वभझ यशे शो ।अये मे त्रफाशय
कुनार फाफू के खेत ऩय ना शाथ वाप कय जामे शभवे ऩशुॊचने वे ऩशरे ।ककवी त्रफशायी भजदयू की नजय रग गमी तो कुनार फाफू की शरलाशी
थाभ रेगा । दफॊग वभाज के रोग उन्शे वाने के भरमे आकी फाकी गाॊल
वभाज की जभीन बी दे दे गे । शभ शाथ भरते यश जामेगे ।दे य ना कयो
फदयी बइमा चरो कुनार फाफू वे अधधमा तीवयी जजव ऩय बी तैमाय शोते शं फात कय रेते शं । फआ ु ई का वीजन बी आ यशा शं ।
फदयी-अये नयामन की भं मे दे खो शाथ भं भरमे भरमे शी धचरभ ठण्डी शो गमी । जया कपय वे चढा दे ती । दे ख मे र्फआ कुनार फाफू की शलेरी ु
रे जाने को उतालरा शुमे जा यशा शै । र्फयू ाभ-फदयी बइमा धचरभ तो फाद भे बी चढ जामेगी । खेत शाथ वे तनकर गमा तेा नशी भभरेगा । धचरभ शी ऩीकय गुजय कयोगी कक योटी
बी खाओगे । अये योटी तफ ना खाओगे जफ योटी का इन्तजाभ शोगा । योटी के इन्तजाभ के भरमे शी तो कुनार फाफू की शरलाशी थाभने की
फात कय यशा शूॊ । फदयी-क्मो जल्दी भजा यशा शं ।शभं तो धचरभ ऩशरे योटी फाद भं रगती शं र्फआ । ु
र्फयू ाभ-वच कभाई अठनी खयचा रूऩइमा वे बी दो शाथ आगे चरे गमे बइमा फदयी ।
फदयी-लो कैवे ।
र्फभयू ाभ-अये त् ु शाये ऩाव तो अबी कभाई एक बी ऩैवा नशी शं ।
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फदयी-क्मा र्फू धचरभ के ऩीछे शाथ धोकय ऩड गमे ।चर बइमा चरता शूॊ कुनार फाफू की बी गुराभी कयके दे ख रेता शूॊ । लशाॊ बी घाल शी भभरेगा मश बी जान यशा शूॊ ।चरो त् ु शाये वाथ कुनार फाफू की शरलाशी का लादा कय आता शूॊ । ळाजन्तदे ली-कुछ दे य औय रूक जाओ धचरभ ठण्डी कयके शी जाओ
।झरपॎराशे के गमे तो वूयज के आग उगरने ऩय आमे शो । अफ जा यशे शो तो वयू ज के डूफने ऩय आओगे ।
फदयी-बागलान आ तो जाउूॊ गा आने के भरमे शी जा यशा शूॊ भयने के भरमे नशी ।भय जाउूॊ गा तो इन फढ ू ी शडडडमं को मे खेत भाभरक रोग कैवे तनचोडेगे।
ळाजन्तदे ली-अकेरे शी तु्शायी शडडडमं को नशी तनचोडने दॊ ग ू ी । तु्शाये
वाथ भै बी जीउूॊ गी भरूॊगी । अये मे र्फू बइमा बी तो तु्शाये वाथ शं फचऩन वे जलानी तक तो वपेद गयभ ऩानी भं श्ळक्कय चाम ऩत्ती
भभराकय ददल्री भं रोगो को ऩीराते यशे अफ शरलाशी कयने जा यशे शं । र्फयू ाभ -क्मा बौजाई तुभने दख ु ती यग ऩय शथौडा भाय ददमा ।अये भेयी दो पीट की दक ु ान बी तो ऩैवे लारे भाभरका की बेट चढ गमी जाभरक गाॊल का शो चाशे श्ळशय का वफ एक जैवे शी शोते शं ।जफतदस्ती कब्जा
कय भरमे ।तबी तो भं दय दय बटक यशा शूॊ। जो काभ कबी नशी ककमा लश बी कयने जा यशा शूॊ । आखखय भेयी यग भं बी तो भजदयू फाऩ का शी खून शं ।
ळाजन्तदे ली-बइमा नायाज न शोना भेया भतरफ तभ ु को दख ु ऩशुॊचाना नशी था ।
र्फयू ाभ-शाॊ बौजाई जानता शूॊ ।अये फदयी बइमा अफ तो उठ चरो कुनार फाफू की शरलाशी की फात कय शी रेते शं । तीन
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फदयी औय र्फयू ाभ कुनार फाफू की शलेरी ऩशुॊचे । कुनार फाफू तख्त ऩय फैठे भुॊश भं फनायवी ऩान दफामे जोय जोय वे शुक्का गुडगुडा यशे थे ।नाई उनकी शजाभत के भरमे खडा था शुक्के ऩय टकटकी रगामे कफ कुनार फाफू शुक्का गुडगुडाना फन्द कयं लश उनकी शजाभत कयके दव ू ये भाभरक की चौखट ऩय दस्तक दं ।दव ू यी तयप नट ढोरक फजाफजा कय आल्शा गा यशा था ऩय कुनार फाफू की नजयं उवकी तयप नशी थीॊ ।उनकी
तनगाशे तो ककवी औय ऩय रगी शुॊई थी । खैय नट को वन ु ने न वन ु ने वे कोई भतरफ ना था उवे तो फख्ळीळ वे भतरफ था।इवी फीच दीना भुगात काॊख भं दफामे शाजजय शो गमा ।दीना को दे खकय कुनार फाफू ने शुक्का गड ु गड ु ाना फन्द कय ददमा औय नट वे फोरे क्मा ऩशरलान त् ु शाये गाने भं लो यव नशी यशा जजव ऩय रोग कट भय जाते थे ।कोई जोळ तुभ
नशी ऩैदा कय ऩामे कफ वे धचल्रा यशे शो गरा पाड पाडकय ।मे रो ऩाॊच रूऩमा दव ू यी शलेरी वे दान-ऩन ु रो।इवी फीच फदयी औय र्फयू ाभ आ
टप ।कुनार फाफू याजवी ठाटफाट भं फंठे थे । कुनार फाफू को दे खकय फदयी वराभ ठका ।
फढ ू े फदयी के वराभ के जफाफ भं कुनार फाफू याजवी ठाटफाट भं फोरे
वराभ ये फदरयमा वराभ ।यास्ता बर ू गमा क्मा ।कैवे शभायी चौखट तक आने का दख ु उठामा शै। अये आना शी था तो वन्दे ळ बेजला दे ता डोरी कशाय बेजला दे ता ।वुनार फाफू के जीते जी तो इव शलेरी की तयप
कबी बी रूख नशी ककमा था । अनामाव कैवे आ धगया । वुनार फाफू के भयते शी खाने के रारे ऩड गमे क्मा ।वन ु ार फाफू के जभाने भं फशुत ऩशरलान फनता था । कशाॊ गमी ऩशरलानी । वायी अकड धयी की धयी
यश गमी ।कुछ भाॊगने आमे शो । फरो वेय दो वेय दे दे ता शै ।अये क्मो
बीखारयमं जैवे भुॊश फनामे शुए शो ।तेयी औय तेये उधभ फाफू की बी अकड टूट गमी । ले बी फशुत उधभ भचाते थे वन ु ार फाफू के जभाने भं । फात फात ऩय फन्दक ू तान रेते थे ।उव फदभाळ की बी अकड टूट 35
गमी ।तू
तो फदरयमा वुआर फाफू का फडा फपादाय था ।उधभ फाफू
तु्शायी कोई भदद नशी कय यशे शं क्मा । अये शाॊ भदद कयते तो फस्ती
का श्ळेय आज गीदड फनता ।योटी योजी का वॊकट आ गमा शै ना ।भारभ ू बी शोना चादशमे तु्शाये जैवे भजदयू ो को ।एक आदभी का याज शभेळा
नशी यशता शं ।दे खो वुनार फाफू के दयलाजे ऩय ऩशरे रोगो की बीड रगी यशती थी जफकक वुनार फाफू अऩना शी दशत वाधते थे ।दे ख ना तुभ
बभू भशीनो को जो जभीन भभरनी चादशमे थी उवका फशुत फडा बाग उनके कब्जे भं शं । कशी फगीचा रगा शं तो कशी भछरी ऩारी जा यशी शं तो
कशी कुछ कशी कुछ शो यशा शं ।अगय ले गाॊल वभाज की दो फीघा जभीन शी तभ ु को दे दे ते तो आज त् ु शायी शार मे ना शोती ।दय दय ना बटकता ।वुनार फाफू ने शी नशी शभ दव ू ये भाभरको बी कब्जा शं गाॊल वभाज की
जभीन ऩय रेककन वुनार फाफू वे फशुत कभ ।खैय वुनार फाफू ने फडी दयू की वोची शोगी । मदद तुभ वफ जभीन लारे शो जाते तो शभायी शरलाशी कौन कयता ।दे खो फदयी तभ ु को फयु ा रग यशा शोगा ऩय वन ु ार फाफू ने
अन्माम तो ककमा शं औयो ने बी ककमा शं । भं इव फात वे इॊकाय नशी कय यशा शूॊ । रेककन फडे भाभरका फडा अनमाम कयते शं छोटे तो छोटा शी कये गे ना ।दे खो अन्माम का पर भभर गमा शं उवी वन ु ार फाफू की शलेरी रोग चाम ऩीने के भरमे
घण्टो फैठे यशते थे ।दयलाजे ऩय जैवे
भेरा रगा यशता था। कुण्टरो रोश का फना भेन गेट धगय चक ु ा शं ।
कुत्ता त्रफल्री फेयोक टोक आ जा वकता शं । ऩशरे छोटे भोटो को गेट के
अन्दय जाने भं ऩवीना छूट जाता था ।आज कुत्ते उवी शलेरी ऩय भत ू यशे श।भशर की फाउण्डयी दे खो धगय यशी शे ।यात भं भवमाय फोरते शं भशर वे । जशाॊ वे तुभ भजदयू ं को आलाज रगामी जाती थी ।आने भं दे य
शोने ऩय शभ भाभरको के ऩारतू रोग तुभ रेागेा के घय जाकय त्रफस्तय छू कय अनभ ु ान रगाते थे कक जल्दी गमा शै दे य वे । लो ददन बी था ।तभ ु रोग फकयी जैवे भभभभमाते थे । जभाना फदर गमा शै इतना बी नशी 36
फदरा शै कक तुभ भजदयू भाभरक फन गमे शो ।अच्छा मे फात छोड फदरयमा फता वुनार फाफू की व्ऩतत का फॊटलाया शुआ कक नशी । व्ऩतत के तो कई टुकडे शोने शं ।शाॊ उधभ फाफू को शी वफवे फडा
दशस्वा भभरेगा ।वुआर फाफू की कोटत कचशयी भं अच्छी ऩकड थी फशुत वाये उल्टे वीधे काभ कयलामे ।गाॊल वभाज की जभीन फेईभानी वे शडऩ डारे । कफ तक वुनार फाफू की शलेरी औय जभीदायी कं फेटलाया शो जामेगा ।
फदयी-फाफू अबी तक तो नशी शुई शै ।कफ तक शोगा भं कैवे फता वकता शूॊ ।उधभ फाफू के उऩय भाभरा अटका शं ।वफवे फडा दशस्वा तोउधभ फाफू को
शी भभरेगा ठीक शी कश यशे शो।
कुनारफाफ-ू वुनार फाफू की की व्ऩतत का फॊटलाया न शोने वे तुभ
भजदयू ो को खाने के भरमे अन्न नशी भभर यशा शं ना ।क्मो ये फदरयमा ठभ्क कश यशा शूॊ ना । फदयी-फाफू क्मा अच्छा कश यशे शो क्मा फयु ा मश तो आऩ अच्छी तयश जानते शो ।
र्फू फदयी केा चऩ ु यशने का इळाया कयते शुए फोरा कुनार फाफू फदयी बइमा को फोरी की गोरी ना भायो ।बइमा को आऩकी चौखट तक राने की गस् ु ताखी भंने की शं । कुनारफाफ-ू क्मो ।
फदयी-आऩ अऩनी खेती की जभीन अधधमा ऩय दे ने लारे शं ना ।
कुनारफाफ-ू अच्छा तो मे फदरयमा भेयी शरलाशी कये गा । उधभ फाफू की
शलेरी की गुराभी छोडकय ।कशते शुए कुनार फाफू जोय वे ठशाका रगा फैठे ।कुनार फाफू यभूला को आलाज रगते शुए फोरे अये यभआ जया ू धचरभ चढा रा ।शुक्का ऩीने का भन शो यशा शं ।फदयी की तयप भख ु ाततक शोते शुमे कुनार फाफू फोरे क्मो फदयी चाम ऩीअेेेेागे । फदयी- नशी फाफ।ू
37
कुनार फाफ-ू ठीक शं भत ऩीओ । यभूला के धगराव भं चाम ऩीकय । धगराव भाॊजना शोगा ना ।
फदयी-फाफू गयीफ का भजाक ना उडाओ ।
र्फयू ाभ-कपय फदयी को श्ळान्त यशने का इळाया ककमा औय कुनार फाफू वे फोरा फाफू अफ उधभ फाफू की शलेरी भं क्मा यखा शं । लशाॊ तो
भवामायं का फवेया शो गमा शं । फेचाये भजदयू दय दय बटक यशे शं ।
भजदयू ो के जीने को तो भजदयू ी का शी वशाया शोती शं । लश बी फन्द शो गमी शं ।भजदयू कफ तक ऩेट भं बूख रेकय जी वकता शं । भजदयू ी कयना शं तो ककवी की बी भजदयू ी कये गा आऩ की बी ।
कुनारफाफ-ू क्मा कशाॊ र्फल ू ाॊ मे फदरयमा शभायी शरलाशी कये गा ।
र्फयू ाभ-क्मो नशीॊ फाफू ।भजदयू को भजदयू ी कयने भं कोई ळयभ नशी शोती ।
कुनारफाफ-ू उधभ फाफू के ऩारयलारयक फॊटलाया शो जाने ऩय मे फदयी शभायी शरलाशी कये गा ।मे तो शभं फीच भं छोडकय उधभ फाफू की गोद भं जा फैठेगा । शभ उधभ फाफू वे कुछ फोर बी नशी वकते । अगय फोरे तो जॊग तछड जामेगी । दो भाभरक रड ऩडेगे ।शाय शभायी शी शोगी शभाये ऩाव तो फन्दक ू नशी शं ना ।अच्छा फदयी तू शी फता तू भेयी शरलाशी कये गा क्मा ।
फदयी वे ऩशरे र्फयू ाभ फोर ऩडा-फाफू क्मो धचन्ता कयते शो भं शूॊ ना । कुनारफाफ-ू अये फदरयमा तू बी कुछ फोरगा कक नशी ।
फदयी-फाफू शभ तो भजदयू शं चाशे आऩकी शरलारी कये मा उधभ फाफू की । शभं तो
वेय बय भेशनत भजदयू ी की कभाई ऩय शी फवय कयना शं
।आऩकी बी तो जभीदायी फशुत फडी शै । र्फयू ाभ-कुनार फाफू फदयी बइमा ने वशी कशा शै आऩ बी तो फशुत फडे जभीदाय शं । भजदयू ो की क्मा औकात आप वाभने ।उधभ फाफू की भजदयू ी मा आऩकी भजदयू ी शभ कये फदयी बइमा कये ककवी को क्मा 38
इतयाज शोगा । शभ दोनो भभरकय कुनार फाफू आऩकी जभीदायी अधधमा ऩय व्बार रंगे । कुनार फाफ-ू क्मा ।
र्फयू ाभ-फाफू अधधमा ऩय शी तो आऩ अऩनी जभीदायी दे ने का वॊदेळ
बेजलामे थे वाभीकाका वे ।वाभी काका तो आऩकी फशुत जमजमकाय कय यशे थे । ले कश यशे थे कक कुनार फाफू फशुत बरे आदभी शं । उनकी खेती अऩनी शी वभझ कय कयना । ले भजदयू ं का फशुत ख्मार यखते शं ।भजदयू ं का नक ु ळान ले कबी नशी कयते दव ू यं की तयश ।शभ तो मशी
वभझ यशे थे फाफू की अधधमा ऩय शी अऩनी खेती दे यशे शै । इवभरमे तो शभ औय फदयी बइमा भभर कय कयने की वोच यशे शं । कुनारफाफ-ू अच्छी फात शं
दोनो भभरकय कयो ऩय वाभी वे
फात तो
फशुत ऩशरे शुई थी । अफ लो फात फशुत ऩयु ानी फात शो गमी शै।नेमे तयीके वे फात कयना शोगा । र्फयू ाभ- फाफू वाभी काका वे ऩयवो
शी फात शुई शं । कुनारफाफ-ू र्फल ू ाॊ ऩयु ानी फात त्रफवाय आज की फात कय
अगय तुभ दोन
भेयी शरलाशी कयनी शं ।नशी कयनी शं तो टै भ खोटा कयने वे कोई
भतरफ नशी शै कशते शुए कुनार फाफू शुक्का गड ु गड ु ाकय धआ ु ॊ फदयी की ओय छोड ददमे ।
र्फयू ाभ-फाफू शरलाशी कयनी शं तबी तो आऩ की शलेरी भं शाजजय शं । कुनार फाफ-ू फदरयमा तू बी तो कुछ फोर ।
फदयी-फाफू भं तो खेततशय भजदयू शूॊ भजदयू ी कयने भं शभायी ळान को तो कोई धब्फा नशी रगने लारा शं ।शभ भजदयू ो की क्मा इज्जत ।वबी तो
शे म दृजप्ट वे दे खते शै ।ककवी ककव का भुॊश ऩकडेगे ।भजफयू ं का तो वबी श्ळोऩण कयते शं ।उनकी भमातदा का उऩशाव उडाते शै । फाफू शभ भजदयू ं का जीलन तो दव ू यं की चाकयी ऩय शी तो तनबतय शं । बरा शभ फयु ा भानकय कैवे जी वकते शै ।
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र्फयू ाभ फदयी को चऩ ु शो जाने का इळाया कयते शुए कुनार फाफू वे फोरा फाफू आऩ फडे रोेागेा वे शभ गयीफ क्मा भुॊशजोयी कये गे । फाफू शभ दोनो भभरकय आऩकी खेती अधधमा ऩय कयने के भरमे शी आमे शै
।आऩकी भेशयफानी शो जामेगी तो शभ गयीफं के फच्चे ऩर जामेगे ।
र्फयू ाभ औय कुनार फाफू की फातचीत चर शी यशी थी कक इवी फीच ना जाने कशाॊ वे कफाफ भं शडडी की तयश श्धीये न्द्र फाफू टऩक ऩडे। कुनार फाफू के वाभने फदयी को खडा दे खकय ले बी आ धभके औय फोरे क्मा
भुवीफत आ गमी फदयी की तू कुनार चाचा के चौखट ऩय भाथा ऩटकने आ गमे शो ।
इवके ऩशरे तेा शभने कबी नशी दे खा कक फदयी ककवी के
दयलाजे ऩय दस्तक दी शो । क्मं दे गा बाई फडे भाभरक का फडा नौकय जो ठशया ।क्मं
चाचा फदयी का आना तु्शाये मशाॊ कैवे शुआ शं । वुनार फाफू की फडी शलेरी छोडकय कबी तो ककवी छोटी शलेरी के
वाभने भाथा नशी टं का था । आज कशाॊ वे वूयज ऩजमभ वे उग गमा
।क्मा फदयी वन ु ार फाफू के भयत शी उधभ फाफू वे दयू ी फन गमी क्मा ।वुनार फाफू की तयश तु्शाये बी तेलय फडे बायी थे । वायी वेखी टूट
गमी ।अबी वे अये वुनार फाफू के भये तो अबी दो वार बी नशी शुए। वफने दत्ु काय ददमा ना ।इधय उधय योटी योजी को बटक यशे शो । अफ दव ू ये की शरलाशी कयोगे क्मा ।
चाचा कुछ ऐवी शी फात शै क्मा ।
कुनार फाफ-ू क्मा फदभाळी फततमा यशा शं । ळेय ऩारतू शो जाने ऩय बी
अऩना स्लबाल नशी छोडता । अये मे फदरयमा ककवी श्ळेय वे कभ नशी शं ।तभ ु अऩनी खेती फदयी को दे यशे शो तो फोरो । तेयी बी शरलाशी कय रेगा ।
धीये न्द्र फाफ-ू चाचा शभ तो दव ू यं की कय रे शभायी फदयी क्मा कयं गा । कुनारफाफ-ू अच्छा मे फता कशाॊ वे आ यशा शं ।
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धीये न्द्र फाफ-ू चाचा कशाॊ वे आउुॊ गा ।घयलारी तो अऩनी तकदीय भं नशी फाशयलारी की चौखट ऩय ऩडा यशता शूॊ ।उवका औय उवके बाईमं का फोझ ढो यशा शं । चाचा प्माय भं वफ कुछ जामज शोता शै ।
कुनारफाफ-ू फडी जात का शोकय छोटी जातत की रडकी के प्माय भं ऩागर शो गमा शं । घय ऩरयलाय वे छोड ददमा शै । कबी तू जफ अऩने फाये भं धचन्तन भनन कये गा तो तू ऩामेगा कक आत्भशत्मा कय रूॊ ।
धीये न्द्र-चाचा प्माय भं भयना बी अच्छा शोता शं ।इवी फशाने ऩण् ु म बी तो कभा यशा शूॊ ।कोढी बाईमं का फोझ डठा यशा शूॊ । कुनारफाफ-ू झूठ ।
धीये न्द्र-ठीक शै चाचा झठ ू शी वशी । अफ चरता शूॊ । कई काभ शं लो बी फाॊट जोश यशी शोगी । फशुत प्माय कयती शं ।फदयी की गयीफी का ख्मार यखना ।चाचा माद यखना फदयी वुनार फाफू का लपादाय नौकय शं । तु्शाया लपादाय फनने भं फशुत वार रगेगा । कुनारफाफ-ू क्मा ।
धीये न्द्र-शाॊ । वुनार फाफू के दगाफाजी को वफ जानते शं ऩय फदयी नशी
कये गा । गयीफ भजदयू भाभरको वे दगा नशी कयते । इतना भं जान गमा शूॊ अऩनी फाशयलारी क्मा अफ तो घयलारी वे । लश बी तो छोटी शी त्रफयादयी की शुश्न की यानी शै ।
कुनारफाफ-ू भं बी वोच यशा शूॊ फदयी ऐवा कोई काभ नशी कये गा जो भुझे फयु ी रगेगी मा जजववे भेया नक ु ळान शोगा । र्फयू ाभ-क्मा धीये न्द्र फाफू जफ वन ु ार फाफू जजन्दा थे तो घण्टो फैठे यशते थे उनके दीदाय के भरमे । एक कऩ चाम के भरमे ।ऩालॊ छूते थे याजा भानकय ऩय ले आऩ वे ऩाॊल छुआना ऩाऩ वभझते थे ।
र्फू की फात वुनकय धीये न्द्र फाफू खखभवमा कय नीभ के चफत ू ये वे उठे
औय चर ऩडं मश कशते शुए कक कुनार चाचा फदयी जजव भदद के भरमे आमा शं । शो वके तो भदद कय दे ना ।भुझवे तो कबी भदद नशी 41
भाॊगेगा । भं मश बी जानता शूॊ ।चाचा खारी शाथ भत जाने दे ना फदयी को ।
कुनारफाफ-ू फदयी वआ ु र फाफू की तो रोग जमजमकाय कयते थे ऩय भयने ऩय धधकाय यशे शं । ऐवा कौन वा काभ कय ददमा ।
फदयी-फाफू भं क्मा कशूॊ । वफ वभम की फात शं ।रोग अऩने भतरफ के भरमे ककवी को वयआॊखं ऩय त्रफठाते शं तो ककवी को ऩैय के नीचे यौद दे ते शं ।शभ भजदयू आदभी क्मा जाने ककवी के फाये भं । वआ ु र फाफू
की भन की फात तो शभ नशी जानते थे । जो दतु नमा जानती शं लश शभ बी जानते शं । शभाये वाथ बी ले लशी ककमे जो भाभरक भजदयू के वाथ कयता शं ।रेककन शभने उन्शे अऩना दशतैऩी भाना था ।शभाया क्मा दशत ककमे अफ उनकी आत्भा जानती शोगी । उधभ फाफू वे फडी उ्भीद शै
दे खो ले क्मा कयते शं । वभम आदभी वे क्मा क्मा कयला रेता शं लशी
जाने । इवी दे ळ भं याजा शरयश्चन्द जैवे प्रताऩी याजा को डोभ की नौकयी कयनी ऩडी थी ।शभ तो भजदयू शी शं ।घय ऩरयलाय को ऩारने के भरमे भजदयू ी तो कयना शी शै ।फाफू ऩाऩी ऩेट का वलार जो शं ।गयीफी का वाथ अभबळाऩ शै । शाडपोडूग ॊ ा नशी तो योटी कैवे नवीफ शोगी । शभ गयीफ खेततशय भजदयू ं को जीने का वशाया तो बऩ ू ततमं की भजदयू ी कयना शी तो शै । फाफू भजदयू भजदयू ी
ना कयं कैवे व्बल शं ।भजदयू ी
ना कयने वे तो उवकी जीलन शी थभ जामेगा ।बूखे भय जामेगा फाफ।ू ेॊ बूखं भयने वे तो अच्छा शं लश भेशनत
भजदयू ी कयके ऩेट ऩारे
।आत्भशत्मा कयने वे तो मशी फदढमा शं ना फाफू ।
कुनार फाफ-ू ठीक शं फदयी ।मे दे खो दयलाजे के वाभने द्धऩछरे वार वे
ऩआ ु र वड यशा शं । र्फू औय तुभ भभरकय उधय घयु के ऩाव खेत भं यख दो तफ तक भं नशा कय ऩज ू ाऩाठ कय रेता शूॊ । पुवतत भं फात द्धलचाय कयता शूॊ । खेती तो अफ भजदयू ी दे कय कयलाना भेये फव की फात नशी यशी । अफ
तो भं अऩनी खेती फॊटाई ऩय शी कयलाउूॊ गा ।चाशे 42
फदरयमा कये चाशे रॎ फआ ु ॊ मा कोई गाॊल का भजदयू ।अये र्फू तुभ औय फदयी आ शी गमे शो तो भेया एक काभ कय दो ।
र्फयू ाभ-कौन वा काभ शै फाफू फताओ कय दे ता शूॊ भं । कुनारफाफ-ू र्फू अकेरे वे नशी शोगा फदयी को बी शाथ रगाना शो तफ जल्दी शो जामेगा ।
फदयी-काभ तो फताओ फाफू ।
कुनार फाफ-ू अये द्धऩछरे वीजन भं गबरूलाॊ ख ्ेेेाेाती कय यशा था ना
।अनाज तो कोठे ऩय यख ददमा ।ऩआ ु र ववुया दयलाजे ऩय ढे य कय ददमा फोरा पुवतत भं छाॊल भं यख दॊ ग ू ा । दे खो वार बय वे ऩआ ु र लशी वड यशा शं । गबरूलाॊ रौटकय आमा नशी ।मे भजदयू शते शी ऐवे शं । शय
छोटे भोट काभ की भजदयू ी के भरमे भुॊश फामे यशते शं ।अफ तो लो काभ बी छोड गमा । तुभ दोनो मे ऩआ ु र उठा कय जया
जानलयं की भडई
के ऩाव भं यख दं ।लैवे पंकलाना तो घयु भं था तुभ रोग तो घयु भं पंकोगे नशी । अगरे वीजन तक तो मे ऩआ ु र वड जामेगा तफ इव
भुवशयो वे खेत भं पंकलद दॊ ग ू ा । खाद का काभ अच्छा मे ऩआ ु र कये गा वडने ऩय ।
र्फू तभ फदयी के वाथ भभरकय मे काभ कयो तफ तक भं नशाकय ऩज ू ा ऩाठ कय रेता शूॊ ।कशकय कुनार फाफू चरे गमे ।नशामे धोमे ऩज ू ा ऩाठ ककमे औय ना जाने बयी दोऩशयी ककमे कपय वो गमे । शाॊ उनकी घयलारी छाॊक छाॊकय र्फू औय फदयी को ऩआ ु र ढोते शुए दे ख रेती थी ।उधय कुनार फाफू दोऩशयी यॊ गीन कय यशे थे इधय र्फू औय फदयी दौड दौड
कय ऩआ ु र ढो यशे थे । ऩआ ु र था की कभ शोने का नाभ शी नशी रे यशा था ।दो ट्रै क्टय ऩआ ु र था ।फदयी फोझ
फॊेाधता र्फू के भवय ऩय यखलल
दे ता र्फू फेचाया दौडकय कुनार फाफू द्वाया फतामी जगश ऩय ऩटक आता । मश भवरभवरा जायी था कक इवी फीच फदयी धचल्रा ऩडा अये र्फआ ू फोझ जल्दी भवय ऩय वे नीचे पंक ।
43
र्फयू ाभ-अये बइमा क्मा शो गमा । फदयी-अये जल्दी ऩआ ु र भं ।
ऩटक कय दयू बाग ।अये फाऩ ये राठी बय का वाॊऩ
र्फयू ाभ-बइमा कशाॊ शै वाॊऩ । फदयी-तेये भवय ऩय ।
र्फयू ाभ-वाॊऩ औय भेय भवय ऩय ।
फदयी-शाॊ जल्दी फोझ कय दयू बाग ।
र्फयू ाभ शडफडाकय फोझ दयू पंककय नीभ की छाॊल जा फंठा ऩवीने वे तयफतय ।फदयी दौडकय राठी रामा औ वाॊऩ को भायने
के भरमे दौड ऩडा
। वाॊऩ बी फीेुत ढीढ था पन काढकय खडा शो गमा । फदयी डय के
भायने काॊऩने रगा । इतने भं ढे य वायी बीड इक्टठा शो गमी ।वाॊऩ धीये वे फाॊव की झाड की ओय वयक गमा । वाॊऩ वाॊऩ की धचल्रशट वुनकय कुनार फाफू बी आॊख भरते शुए आमे औय फोरे कशाॊ वाॊऩ शै । र्फयू ाभ-फाफू राठी बय का था ।
कुनार फाफ-ू तुभ रोग ऩआ ु र यख यशे थे कक वॊेाऩ ऩकड यशे थे । र्फयू ाभ-फाफू वाॊऩ फोझ भं वे तनकरा था जाते जाते फची शै ।
लश बी भेये भवय ऩय ।जान
कुनारफाफू -गमी तो नशी ना ।वाॊऩ को भाया की नशी । फदयी-फाफू फावॊ की झाेाडडमं भं गामफ शो गमा ।
कुनारफाफ-ू भेये घय के इदत धगदत भौत का ऩशया फैठा ददमे । र्फयू ाभ-फाफू मे फताव ऩॊषी एक जगश नशी ठशयते ।
कुनार फाफ-ू यशने दो तकयीय दे ने को ।ऩआ ु र दयलाजे वे वाप शो गमा । थोडा झाडू रगाकय वाप कयके अऩने घय जाओ । कर शो वके तो आ
जाना । अबी फात कयने के भरमे लक्त नशी शै कशते शुए कुनार फाफू झटके भं शलेरी के अन्दय चरे गमे ।र्फू औय फदयी टुकुय टुकुय दे खते
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यशे गमे ।कुनार फाफू के यलैमे को दे खकय र्फयू ाभ फदयी वे कशने रगा फदयी बईमा।
लक्त बी शभाये भरमे रयश्ता घाल शोकय यश गमा शै शभ बूभभशीन खेततशय भजदयू खा यशे शं ळोऩण का तनलारा ऩर ऩर ऩयू े बख ू े यशते शै शय ऩर लक्त रयश्ता शुआ घाल शै
,
,
कॊगारी अऩने चौखट खारी शाथ
खारी जेफ छाती ऩय फैठा अबाल शै
दतु नमा के ऩाव शभाये भरमे कोई द्धलळेऩण शै बी की नशी
,
ऩालॊ त्रफलाइन शाथ भं छारे औय ऩीठ वे रगा शुआ ऩेट अऩनी ककस्भत शो गमी शै
भाभरको ने ऩवीने को तनक्भा कयाय ददमा शै
म भाभरको खेततशय भजदयू ो का बी ददर धडकता शै तु्शायी शी तयश
ना जाने क्मो तभ ु शभायी तयप दे खने वे कतयाते शो शभ शाडपोड कय बी अबाल वे जझ ू ते यशते शै शभाये फच्चे बी बूख वे खेरते यशते शै 45
क्मा कुछ ऩता शोगा शभाये
फच्चो को
ऱभाये यात ददन के ऩरयश्रभ का वुख
नशी ना वख ु तो तभ ु बऩ ू तत रोग बोग यशे शो शभ औय शभाया कुनफा बूख वे जझ ू यशा शै अऩभान औय दत्ु काय का जशय ऩीकय बी तु्शायी चौखट ऩय शाजजयी दे यशा शै
शभाये फच्चं को कर का भजदयू शी वभझते शो आॊखं ऩय ऩट्टी फाधं कानं भं रूई डार
शभ गयीफो ऩय प्रशाय कय यशे शो जल्राद ककस्भ के रोग तयक्की औय इॊवातनमत की दशु ाईमाॊ तो खफ ू दी जाती शै दशु ाईमा दे ने लारो की पूॊटी आॊखे झोऩडडमं की ओय नशी ताकती गयीफो की छाती ऩय फैठे
जल्राद ककस्भ के रोग जो ददखाना चाश यशे शै लशी तो दतु नमा दे ख यशी शै
तबी तो शभ बूभभशीन शै आज के दौय भं बी ककवको
पुवतत शं शभाये फाये भं वोचने की
वबी तो उतालरे शं रयश्ते घाल ऩय कोडा भायने के भरमे लॊधचत भजदयू जो ठशये
तबी तो जीने के भरमे खा यशे शै धक्के बटक यशे शै दय दय भन भं आळा औय
ऩेट भं बूख भरमे
वच लक्त बी शभाये भरमे रयश्ता घाल शोकय यश गमा शै .....
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आओ चरे फदयी बइमा कर कपय आना शै ।दे खो कफ तक कुनार फाफू
आज की तयश फेगायी
;
त्रफना भजदयू ी के काभ कयलानािकयलाते शै ।
फदयी-शाॊ बइमा कर तो आना शी शोगा अफ। आओ चरे कश कय फदयी आगे आगे र्फयू ाभ ऩीछे ऩीछे चर ऩडे अऩनी झोऩडी की ओय जशाॊ बूख उत्वल भना यशी थी । ।।ेॊेॊचाय।।
वततमा अये प्रकाळ के फाफू अॊधंये भं भॊश ु धगयामे क्मो फैठे शो । आज
वफेये वे शी तु्शायी कोई खफय नशी रग यशी शं कशाॊ जा यशे शं कशा वे आ यशे शो कुछ बी खफय तु्शायी नशी शं । शभको तु्शायी औय तुभको
इव घय की कोई खफय नशी शं । घय भं नन ू तेर शै कक नशी कबी ऩछ ू ा ।ददन बी चौधधयाई कयो ।भं कुटौनी द्धऩवौनी करूॊ औय घय भं आकय बी चैन नशी भभरता ।भेये फाये भं कबी वोचते शे ा । ददन बय क्मो खटती
यशती शूॊ । तु्शाये औय तु्शाये फच्चं ेा के भरमे ।भेया क्मा शं वफ कुछ तो त् ु शाया शी शै । ततनक बय भं तेा भेये भामके लारो की बरा फयु ा
कशने रगते शो । अये जजव ददन भेयी आॊख फन्द शो गमी न एक रोटा
ऩानी नशी भभरेगा ।अॊधेया ऩवय यशा शं यात की योटी का कोई इन्तजाभ
नशी शं । तभ ु आ यशे शो वफ ु श के गमे गमे अफ ळाभ को । अये कुछ तो फोरो क्मं गॊग ू ं फने शो आज ।अऩना भौन तो तोडा । भं कफ वे फक
फक कय यशी शूॊ । तुभ भुॊश वीर कय क्मं फैठे शो । र्फयू ाभ-अये बागलान दो भभनट अऩना भुॊश फन्द कयोगी तफ तो कुछ
फोरॊग ू ा ।कशाॊ कशाॊ वे धक्के खा खा कय आ यशा शूॊ ेॊ।एक रोटा ऩानी तक नशी दी ।धचल्रामे जा यशी शं ।जया चैन तो रेने दे ।
वततमा-ठीक शं । अफ तो ददर को चैन भभर गमा शोगा । घय भं खाने का कोई इन्तजाभ नशी शै।
47
र्फयू ाभ-आटा नशी शं तो जा फदयी बइमा के घय वे वेय बय रे आ फाद भं दे दे ना ।
वततमा-तभ ु तो ऐवे कश यशे शो जैवे त् ु शाये फदयी बइमा फालन फीगशा के कास्तकाय शं ।उनकी शारत तो अऩने वे बी फयु ी शै ।नन्शे नन्शे फच्चे शं । शरलाशी शी उनकी योजी योटी का वाधन थी ।लश बी वुआर फाफू के
भयने के फाद शलेरी भं आऩवी करश के कायण वाया खेत ऩयती ऩडा शै । फेचाये शरलाशी भं भभरा दव फीवा खेत बी नशी जोत योऩ ऩा यशे शं
,
लश बी ऩयती ऩडा शै ।कशाॊ कशाॊ भजदयू ी के भरमे बटक यशे शं । ले
ककतनी तकरीप भं ददन काट यशे शं
तुभको ऩता शं ।
र्फयू ाभ-शै ना। उनके वाथ शी तो भै। बी धक्के खा यशा शूॊ । भेये घय भं बी तो बूख अबाल ऩारथी भाये ऩडा शं ।फदयी बइमा के वाथ शी तो गमा था बूख के इन्तजाभ के भरमे । लश बी नशी शुआ । ना जाने क्मो शभ बूभभशीन खेततशय भजदयू ं के चौखट वेेे गयीफी शट शी नशी यशी शं ददन
बय जानलयं की तयश वे भेशनत कयने के फाद बी इतनी भजदयू ी भभरती शं कक ऩयू े
ऩरयलाय को
ऩेट बय योटी बी नशी भभर ऩाती शै
।उधय
दे खो खेत भाभरको की तयप अनाज वड यशा शै ।क्मा तकदयी फना दी शं वाेाभाजजक कुव्मलस्था ने शभ लॊधचत खेततशय बभू भशीन भजदयू ो की । वततमा-मश तो दतु नमा जान गमी शै कक शभायी फदशारी के भरमे
जज्भेदाय वाभाजजक कुव्मलस्था शी शं ।तुभ तो मे फताओ गमे कशाॊ थे । र्फयू ाभ-शरलाशी कयने की फात कयने गम था ।
वततमा-ककवकी शरलाशी कयने जा यशे शो । अये शरलाशी त् ु शाये फव की
फात नशी शं ।मे खेत भाभरक रोग ऩाॊच फीवा जभीन दे गे । इवके फदरे ददनयात खटा कय दभ तनकार रेते शं ।अफ तो वफ शरलाशी छोड यशे शं
तभ ु शरलाशी कयने की फात कय यशे शो ।आज की दतु नमा तो फदर गमी 48
शं ऩय शभायी जस्थतत भं कोई वुधाय नशी शो यशा शै ना शी आधथतक औय ना शी वाभाजजक ।तुभ तो ददल्री भं शी ठीक थे ऩय लशाॊ बी तो वाभाजजक कुव्मलस्था के कटटयं ने बगा ददमा ।
चाम की दक ु ान वे
घय तो ठीक ठाक चर यशा था । आज खेत भाभरको के आगे नाक तो नशी
यगडनी ऩडती । रगता शं शभ खेततशय भजदयू रोग इन खेत
भाभरकं के आतॊक वे कबी नशी पुवतत ऩा वकेगे ।अच्छा मे फताओ तुभ शरलाशी क्मं कयने जा यशे शो । अफ तो अधधमा औय तीवयी ऩय खेती
शोने रगी शं । तुभ तीवयी मा अधधमा ऩय ककवी दव ू ये गाॊल के बूऩतत की खेती क्मो नशी कय रेते ।शरलाशी चयलाशी ततनक बी ठीक नशी शै ।
र्फयू ाभ-बागलान मे फदयी बइमा कफ वे शरलाशी कय यशे शं । भारभ ू शं
जफ इनकी आॊखे ऩयू ी तयश खुरी नशी थी तफ वे ।ऩयू ा जीलन शरलाशी भं त्रफता ददमा ।
वततमा-ऩयू ा जीलन वुआर फाफू की शरलाशी ककमे क्मा ऩामे बय ऩेट योटी
के भरमे तयव यशे शं । तन ऩय कऩडा नशी शै ।घय की शारत दे ख यशे शो । फयवात की एक बी फद ूॊ फाशय नशी जाती ।मशी फदयी बइमा कशी
ऩयदे व गमे शोते तो राखं भं खेरते । अऩने दव ू ये बाइमं की तयश ।
र्फयू ाभ-फदयी बइमा इतना त्माग ना कयते तो उनके ले दोनो बाई मशी
शयलाशी चयलाशी कयके भय खऩ गमे शोते । बरा शो फदयी बइमा का खद ु राख दख ु उठामे ऩय बाइमं को आदभी फना ददमे ।
वततमा-लशी बीई तो ऩछ ू नशी यशे शं ।ऐवे त्माग का क्मा भतरफ ।
र्फयू ाभ-फदयी बाई जो कय वकते वे अच्छे वे अच्छा ककमे ।बाई रोग नशी कय यशे शं तो इवभं फदयी बइमा का क्मा कवूय ।
वततमा-फात कशाॊ वे कशाॊ ऩशुॊच गमी ।मे तो फतामे नशी ककवकी शयलाशी कयने जा यशे शो ।तुभ शयलाशी भं नशी वऩय ऩाओगे । फदयी बइमा तो
फचऩन वे कय यशे शं । तभ ु तो ऩाॊच वार ऩयदे व यशकय आमे शो । फदयी बइमा का भुकाफरा तुभ नशी शय ऩाओगे । शयलाशी चयलाशी के चक्कय भं 49
ना ऩडो ।एक रयक्ळा रे रो रोन ऩय गाॊल की फाजाय भं चराओ ।इन जल्राद भाभरको की गुराभ वे तो ठीक यशे गा ।मे खेत भाभरक रोग
फेगायी फशुत कयलाते शं । भजदयू ी दे ने भं जान इनकी तनकरती शं । र्फयू ाभ-बागलान भुझे ऩागर कुत्ते ने काटा शै ऩाॊच वार ऩयदे व यशा शूॊ । अधधमा दटकुयी का खेत तराळ यशा शूॊ ।खैय भजदयू ी बी तो मश बी शै ऩय कये तो ।
क्मा। जीलनमाऩन के भरमे तो कुछ ना कुछ तो कयना शी शोगा
वततमा-दे खो प्रकाळ के फाफू अधधमा की खेती कयो मा तीवयी की वफ इन खेत भाभरको की गुराभी शी शै ।दतु नमा भं फदराल शो यशा शै ऩय शभाये गाॊलं भं कोइर फदराल नशी शो यशा शं । जैवे बख ू वे त्रफरत्रफराता मे
शभायी फस्ती चारीव वार ऩशरे थे लैवी शी आज बी शै ।खेत भाभरक
याज कय यशे शै शभ उनकी गुराभी ।कफ शभायी इव फस्ती भं तयक्की की फमाय फशे गी ।
र्फयू ाभ-फाफू रोग फशने दे गे तफ ना ।इनके शी तो चॊगर ु भं वफ पॊवे
, ,
शुए शं ।ऩयू ी भजदयू फस्ती वद ू खोयी
बख ू भयी
गयीफी वाभाजजक
बेदबाल अॊधद्धलश्वाव औय इन फाफओ ू ॊ के आतॊक का जशय ऩी यशी शं ।कोई शभ भजदयू ो का भवीशा ऩैदा शी नशी शो यशा शै।रोग आते शं वऩने
ददखाते शं औय तोड कय चरे जाते शं । शभ लैवे शी फेफव यश जाते शं गयीफी औय आतॊक के जशय को ऩीने के भरमे ।
वततमा-ककव फाफू की चोखट ऩय गमे थे अधधमा ऩय खेत रेने के भरमे । अबी तक फतामे नशी । इधय उधय की ढे य वायी फातं कय डारे ।
50
र्फयू ाभ-बागलान अधधमा की खेती भं कभ तकरीप शं क्मा ।जत ु ाई
, ,
फल ु ाई खाद
,
ऩानी भेशनत भजद ू यी वफ तो अधधमा ऩय खेती कयने
लारे को शी कयना ऩडता शै ।इवके फाद पवर आने ऩय अनाज बव ू ा
वफ ढोकय फाफू के घय ऩशुॊचाओ ।भेशनत भजदयू ी खाद ऩानी का खचत तनकारने भं क्मा भभरता शं लशी वेय बी भजदयू ी लारा दशवाफ आज बी जजन्दा शै । शाॊ रूऩ ् फदर गमा शं । कशने को तो भजदयू ो की तयक्क् ेी
शुई शं ।कशने लारे दो चाय याते भजदयू ं की फजस्तमं भं यशकय गज ु ायं तफ ना उनको ऩता चरेगा कक ककतनी तयक्की शुई शं ।शभ गयीफो के भाथे बूभदशीनता अभबळाऩ शं प्रकाळ का भाॊ।इवी अभबळाऩ की लजश वे भेयी जान जाते जाते आज फची शं ।
वततमा-क्मा कशकय भाथा ठंक कय आॊवूॊ फशाने रगी ।
र्फयू ाभ-वततमा के आॊवू ऩोछते शुए फोरा प्रकाळ की भाॊ अबी शभ दोनो को कई वार खुरी आॊखं वे वाभाजजक आधथतक कुव्मलस्थाओॊ को दे खना शी नशी उवका जशय बी ऩीना शै । इवीभरमे भौत वाभने वे शट गमी ।
वततमा-प्रकाळ के फाफू भेये भवय ऩय शाथ यखकय फताओ कशी ककवी फाफू वे रडाई तो नशी कय आमे । अये मे रोग फशुत खयाफ शोते शै । जफ तक इनका काभ कयो तो ठीक शं । जशाॊ वलार जफाफ ककमे जान तक रेने को तैमाय शो जाते शं ।
र्फयू ाभ
-
बागलान गयीफ आदभी रडाई ककव ककव वे कये गा अगय
रडाइध ्े्य बी कय भरमा तो जामेगा कैवे ।ककवी वे कोई रडाई नशी ककमा शूॊ ।
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वततमा-तफ कैवे जान जाते जाते फची शं । र्फयू ाभ-वाऩ भवय ऩय चढ गमा था । वततमा-वाॊऩ लश बी भवय ऩय ।
र्फयू ाभ-शाॊ ।ठीक कश यशा शूॊ । वततमा-क्मा कय यशे थे कक वाॊऩ भवय ऩय चढ गमा । कशी ककवी का ऩआ ु र तो नशी ढो यशे थे ।
र्फयू ाभ-शाॊ कुनार फाफू का ।फोझ भं शी था। लश तो बरा शो फदयी
बइमा का जान फच गमी अगय ले न शोते तो आज भं नशी भेयी राळ
तुभको राना ऩडता कुनार फाफू के खभरशान वे ।र्फयू ाभ के भुॊश इव शादळा के फाये भं वन ु कय वततमा
वन ु कय
रगी ।
र्फयू ाभ भवय खुजराते शुए फोरा- चऩ ु शो जा बागलान अफ तो तनकर गमी भेयी अथी भयने वे ऩशरे शी ।वोचा था ळशय भं जाकय व्भानऩल त ू क काभ धॊधा करूॊगा । गमा बी ऩय क्मा शुआ लशी ना जो वददमं वे शभ भजदयू ो के वाथ शोता आमा शै ।लशा बी शभ लधचत की छोटी वी गभ ु टी
रोगो की आॊख भं खटकने रगी।फेदखर कय ददमा रोगो ने । दे खो जशाॊ वे चरा था आज बी लशी ऩडा शुआ शूॊ ।खेत भाभरको के आगे धगडधगडा यशा शूॊ कक कोई अधधम की शी खेती दे दे । भं इवे बी कय रॊग ू ा
।अधधमा की खेती कयके फच्चं को प्ढा भरखा रॊग ू ा । प्रकाळ की भाॊ वेय
बय भजदयू ी के भरमे ददन बय ऩानी ऩीकय शर तो नशी जोत ऩाउूॊ गा जैवे फदयी बइमा वुआर फाफू की कय यशे थे ।दे खो आज भजदयू ी की तराळ भं कुनार फाफू के दयलाजे ऩय भय जाता ।कुनार फाफू रात वे ना छूते भेयी राळ को जफकक उनका शी ऩआ ु र ढो यशे थे शभ फदयी बइमा ।
वततमा-द्धलपय ऩडी कुछ अऩळब्द कुनार फाफू को फोरते शुए फोरी तुभ क्मं भयोगे भेये तु्शाये दश्ु भन । कुनार फाफू जैवे खेत भाभरक रेाग तो
शभ भजदयू ो के उत्ऩीडन के भरमे शी ऩैदा शुमे शं । ददन बय खटला भरमे वेय बय भजदयू ी भय्मवय नशी शुई शै उनके गोदाभ भं आग रगे ।उऩय वे 52
भौत भवय ऩय नाच गमी ।वभाज भं व्माप्त अॊधद्धलश्वाव
, ,
प्रऩॊच वाभन्ती
व्मलस्था का तघनौना उत्ऩीडन लगत औय लणत बेद के लीबत्व औय
कुजत्वत रूऩ शी शभायी फफातदी के जज्भेदाय शै प्रकाळ के फाफू ।शभ
खेततशय बूभभशीन भजदयू ो का कोई बी ऩषधय नशी शं ।उल्टे जाततलाद के नाभ ऩय शभाये वाथ अभानलीम व्मलशाय शो यशा शै । शभाये भुॊश के
तनलारे ऩय वाभन्तलाददमं का ऩशया फैठा शुआ शं । एक ओय जभीदाय शभाये उत्ऩीडन के भरमे राेारातमत शं तो दव ू यी ओय वद ू खोय वाशूकाय भशाजन ।शभ इन अजगयं वे कफ तक फच कय जी ऩामेगे । शभ
भजदयू ं के प्रतत ऩयू ी ईभानदायी
,
वशानब ु ूतत औय व्भान के वाथ कोई
नशी दे खता चाशे लश जभीदाय शो मा वद ू खोय वफ शभाये पटे कऩडे के
अन्दय झाॊकने का प्रमाव कयते शै ।शभाये वाथ शो यशे अन्माम का कोई
द्धलयोध नशी कयने लारा नशी शं औय न शी भानलीम वाभाजजक अधधकायं का कोई वभथतक शी ।काळ शभ भजदयू ो को व्भानजनक काभ नवीफ
शोता । खेतीफायी की जभीन शोती । शभायी जस्थतत व्भानजनक शोती । मे वफ तो वऩना शी ददखता शं जैवे लॊधचत गयीफ खेततशय भजदयू ो के भरमे ।
र्फयू ाभ-शा प्रकाळ की भाॊ
तभ ु राख टके वशी कश यशी शो ।शभ लॊधचत
भजदयू ं का कोई भवीशा शी नशी ऩैदा शो यशा शं वफ शभाये उत्ऩीडन को
शी उतालरे शै ।भुझे वाॊऩ डॊव रेता तो भेया क्मा शोता ।अकेरे शोता तो जभीदाय कुनार फाफू के घय के वाभने कुत्ते नंच नंच कय खा जाते ।
ककस्भत अच्छी थी फदयी बइमा वाथ भं थे उनकी नजय वाॊऩ ऩय चरी 53
गमी भेयी जान फच गमी । प्रकाळ की भाॊ ककवी को अऩळब्द ना कशो
।कोई क्मं भये ।वफ वुखी यशे ।कबी ना कबी शभ भजदयू ं के ददन बी फदरेगे । शभाये फच्चं बी प्ढने भरखने रगे शं ।
वततमा-कश तो ठीक यशे शो ऩय जभीन ऩय कब्जा तो इन्शी जभीदयं का यशे गा ना । फचेगे बी तो इतना भशॊगा कक शभ खयीद बी नशी ऩामेगं ।प्रकाळ के फाफू मे जभीदाय रोग फडे श्ळाततय ददभाग के शोते शं शभं
कबी बी ऩनऩने नशी दे गे ।कुछ फदराल तो शोगा ऩय फदराल तो शभ लॊधचत वभाज के भजदयू ो भं तफ शी ददखेगा जफ खेत की जभीन ऩय
शभाया कब्जा शो । भं मश बी जानती शूॊ कक लॊधचत भजदयू ी द्धलयोधी रोग शभाये भरमे खाई शी खोदे गे । न शी वाभाजजक औय न शी आधथतक रूऩ वे शभं ऩनऩने दं गे ।शभ भजदयू ो के चौखट ऩय बूख ऐवी ऩारथी भायकय फेठी शै कक शभ जानकय बी इन बूऩततमं के चॊगुर भं
पॊव जाते शं ।
मे बूऩतत रोग शभ लॊधचत भजदयू ो का भनचाशा उऩबोग कयते शं । यक्त के आॊवू दे ते शं ।शभ भजदयू ं का भान भमातदा तक को डॊवते यशते शं ।
र्फयू ाभ-शाॊ प्रकाळ की भाॊ इन खेत भाभरक को जया बी राज नशी आती शं शभ भजदयू ं को वताकय फजल्क मे अभानऩ ु जश्न भनाते शं शभाये आॊवू ऩय । आज जो भेया वाथ शुआ शं ।खद ु ा ना खास्ते भझ ु े वाॊऩ डॊव रेता तो क्मा जभीदाय कुनार फाफू शभायी भौत की जज्भेदायी रेता नशी ।
त्रफल्कुर नशी फजल्क कोई भवय ऩय इल्जाभ भढ दे ता ।लश कशता शी नशी कक अधधमा की खेती की फात कयने के भरमे आमा था । कशता ऩआ ु र
चोयी वे रे जा यशा था । वाॊऩ डॊव भरमा । बगलान ने पैवरा कय ददमा । खैय प्रकाळ की भाॊ तु्शायी तऩस्मा की लजश वे भौत ने यास्ता फदर भरमा ।
वततमा-प्रकाळ के फाफू वफेये वे बूखे प्मावे शो एक योटी खाकय ऩानी ऩी रेते ।
54
र्फयू ाभ-क्मा खाउूॊ कुछ अच्छा नशी रग यशा शं ।भेयी बूख
भय गमी शं
। यात भं शी जो रूखा वूखा शोगा खारूॊगा । तुभ क्मं भेयी धचन्ता भं
फढ ू ी शोती जा यशी शो ।अये गयीफ तो ऩेट भं बख ू औय द्धलयावत भं कजत रेकय शी आते शं । इवभं कोई ऩयु ानी फात तो शं नशी ।इवी कुचक्र का
राब उठा कय वाभाजजक कुव्मलस्था के ऩोऩक
,
प्रऩॊची
,
,
अॊधद्धलश्वावी
छरी
वाभन्ती श्ळोऩणकतात लगत औय लणत बेद औय धभत के ठे केदाय
शभ खेततशय भजदयू ो लॊधचतो का जीलन नयक फना कय यखे शुए शै।दब ु ातनम नशी तो औय क्मा शै -गोफय वे भरऩे शभाये आॊगन का जशाॊ रक्ष्भी ततनक ठशयती नशी शं।भभट्टी की लश भशक बी शभं शभं दीशीन फना दे ती शै जजवे शभ आॊख खोरते शी चीयने रगते शं ।वोना उगाने रगते शं ।रशरशाते
खेतो वे उठती शला बी शभाये भन को वकून नशी दे ऩाती ।फयवात तो
जैवे शभायी आॊखं वे झयती शं ।खेत खभरशान भं स्कूर जाने लारे फच्चे
दाना फीनते
,
वाइककर की टूटी पूटी ऩयु ानी यीभं
भं बख ू भरमे बभू भशीन ख ्ेेेाततशय भजदयू ं फाऩ के ददत
के
,
टामयं वे खेरते ऩेट
फच्चो औय उनके भाॊ
बान ककवको शै ।शभ भजदयू ं को शी ना शभ एक दव ू ये के
रयवते जख्भ को वशरा रेते शं । वददमं ऩयु ानं शभाये ददत वे वाभन्ती श्ळोऩको का जया बी ददर ऩवीजा शै । शभ भजदयू अऩने खन ू को
ऩवीना फनाकय खेत भाभरको के खेत भं फशाते शं । तफ जाकय धयती
वोना उगरती शं औय बूखे ऩेट यश जाते शं ।अये मे कवाई रोग कभ वे 55
कभ शभायी भेशनत की वशी कीभत तो रगाते ।शभ गयीफ खेततशय भजदयू ं का फवय ठीक वे तो शो जाता ।प्रकाळ की भाॊ
वाभन्तलादी
व्मलस्था तो शभाये ऩैयो भं जॊजीय डारे शी शुए शै । वाभाजजक कुव्मलस्था का जशय ऩीने को शभ फाध्म तो शं शी अये मे प्रळावन के छोटे फडे वबी तो शभाये घाल को तछरने का शी काभ कय यशे शै ।अये प्रळावन के रोग ईभानदायी वे काभ कयते तो अफ तक वाभाजजक कुव्मलस्था का आतॊक शभाये भवय ऩय नशी भडयाता ।वफ की भभरी बगत शं। कोई नशी चाश यशा शै कक शभ गयीफो का बरा शो ।
वततमा-प्रकाळ के फाफू फातं वे ऩेट नशी बयता । अधधमा की खेती की फात कयने गमे थे क्मा शुआ । र्फयू ाभ-आखखयकाय तुभ बी ऩेट ऩय शाथ पेयने शी रगी ।
वततमा-वच कश यशे शो ।मे दळा तो भाॊ फाऩ के जभाने भं नशी थी जो
दळा तु्शाये वाथ वात पेये रेकय शो यशी शं ।न तो खाने की धचन्ता ना वोने की धचन्ता ना ऩशनने की ।लश बी क्मा फचऩना था । आज का
ददन शं फेटी की धचन्ता फेटा की धचन्ता घय ऩरयलाय की धचन्ता योटी की धचन्ता वूदखोय वाशूकाय की धचन्ता वफ ओय वे धचन्ता शी धचन्ता । धचन्ता के भाये फचऩन भं शी फढ ू ी शो गमी ।खैय मश शभायी शी वभस्मा
नशी शं ऩयू े लॊधचत बभू भशीन खेततशय भजदयू की वभस्मा शं।इन भजु श्करं
के अवरी जज्भेदाय तो जाततलाद औय वाभन्ती व्मलस्था के ऩोऩक शै । शभ औय शभाया वभाज ना जाने ककव मग ु वे बूख भं शी जी औय भय यशे शं । ऩेट की आग फझ ु ाने के भरमे वाभन्ती श्ळोऩण का भळकाय शो
यशे शं ।शयलाशी चयलाशी कय यशे शं । यात ददन एक कय यशे शं इवके फाद बी ना तो बय ऩेट योटी नवीफ शो यशी शं औय न शी तन ढॊ कने को ढॊ ग
के कऩडे शी भभर यशे शं ।पटे कऩडं भं तन ढॊ कना ऩड यशा शं ।शाडपोड
भेशनत के फाद बी जरूयते ऩयू ी नशी शो ऩा यशी शं । दयलाजे ऩय दरयद्रता खुरी चपनौती दे यशी शं औय वाभन्तलादी रोग उवका बयऩयू वाथ दे 56
यशे शं । आदभी शोकय शी शभ भजदयू ो के वाथ तनदतमता का व्मलशाय कयते शं । ना जाने शभ लॊधचतं की बूख कफ भभटे गी ।
र्फयू ाभ-प्रकाळ की भाॊ ठीक कश यशी शो ।मे खेत भाभरक रोग शभायी
शाडपोड भेशनत का भुनापा कभाने के भरमे ऩैदा शुए शै ।शभ राचाय लॊधचत भजदयू रोग उनके शी आगे ऩीछे घभ ू ते यशते शं ।भं बी तो कुनार फाफू की शरलाशी की फात कयने शी गमा था । वेय बी भजदयू ी
नशी
भभरी । ददन बय फेगायी ककमे शभ औय फदयी बइमा । काभ ऩयू ा शोते शी कुनार फाफू को दारू के ठे के जाने का जरूयी काभ
आ गमा ।शभायी
भेशनत का भजाक उडाते शुए ले शाट की ओय दौड ऩडे भोटय ऩय वलाय शोकय शभ भॊश ु ताकते यशे गमे । लाश ये शभ लॊधचत ख ्ेेततशय भजदयू ो की भजफयू ी ।
वततमा-क्मा ऐवा ककमा कुनार फाफू ने । र्फयू ाभ-शाॊ ।
वततमा-शभ इन फडे रोगो के दख ु वख ु भे धगये यशते शं । मे अभानऩ ु
रोग शभाये फयु े लक्त भं शभायी तयप दे खते शी नशी ।मे शयाभी भयते शं तो शभ गयीफ लॊधचत रोग इनकी भौत का गभ भनाते शं । आॊवू फशाते शं ऩय मे जैवे जश्न भनाते शं ।
र्फयू ाभ-इनके भॊश ु भं तो खन ू रगा शुआ शं ।मे तो शभाया खन ू चव ू ने की शी वोचेगा ना । अये वददमं वे मे अभानऩ ु रोग उत्ऩीडडत कयते आमे शं तो इतना जल्दी इनभं भानलीमता कशाॊ वे आ जामेगी । खूनी
ळेय शं मे वाभन्ती रोग ।तबी तो स्तन्त्रता प्रातप्त के इतने फयवं के फाद
इनका जल् ु भ फन्द नशी शुआ । तबी तो लॊधचतो के भन भं द्धलचाय आता शं कक ना कोई बगलान शै ना कोई धभत । शभं तो ऩळओ ु ॊ की तयश शाॊकने के भरमे मे जभीदाय रोग ऩैदा शुमे शं ।फाकी कवय वूदखोय ऩयू ा कय रेते शं । मे वाभन्ती रोग ककवी ना ककवी वाजजळ के तशत शभाया उत्ऩीडन दोशन ळोऩण कयते शै । इन अभानऩ ु ं के श्ळोऩण वे तो शभ गयीफ उफय 57
शी नशी ऩा यशे शं । ना शी कोई तयक्की कय ऩा यशे शं ।भन भं आव ऩेट भं बूख भरमे शाडपोडने को फेलव शै ।
वततमा-तभ ु तो शय फात वशी कश यशे शो ऩय इवका कोई तनयाकयण तो
नशी शै ना । जफ चन ु ाल आता शं बोऩूॊ लारे धचल्रा कय कशते शं गयीफं
का उध्दाय कय दं गे ।जशाॊ चन ु ाल खत्भ शुआ कोई शार नशी ऩछ ू ने आता । अये मे चन ु ाल जीतने लारे गयीफो का उध्दाय ककमे शोते तो आज शभायी शार बख ू े भयने की ना यशती । दे खो प्रकाळ के फाफू अॊधेया तघय गमा शं । आवऩाव की झोऩडडमं वे धआ ु ॊ उठने रगा शं ।
र्फयू ाभ-झोऩडडमं वे धआ ु ॊ उठ यशा शं तो क्मा करू फझ ु ाने दौड ऩडूॊ ।
वततमा-क्मं नायाज शो यशे शो । भंने तो ऐवा कुछ कशा शी नशी कक धचढ यशे शो । अये शभाये उऩय धचढने वे क्मा शोता शं । ऩयू ा लॊधचत खेततशय
भजदयू वभाज अऩनी एकता का ऩरयचम दे ता तो कुछ उध्दाय शो जाता । गुस्वा थक ू ो ऩानी ऩीओ । भं तो चल् ू शे जराने की फात कय यशी थी । दे खो इतनी धचन्ता भत ककमा कयो । अऩना बगलान के अराला कोई
नशी शं । मश तुभ बी जानते शं भं बी औय ऩयू ा लॊधचत खेततशय भजदयू
वभाज बी ।मे खेत भाभरक रोग शभाया खून चव ू ने के भरमे शी ऩैदा शुए शं । शभाये ऩाव कोई उऩाम बी नशी शं इनवे फचने का । तभ ु को बख ू रग यशी शोगी अफ भं योटी की इन्तजाभ कयती शूॊ । र्फयू ाभ-क्मा इतनी टाइभ की योटी का इन्तजाभ नशी शै क्मा ।
वततमा-शै ना ।तुभ कपक्र ना कयो ।योटी का इन्तजाभ तो शो गमा शं
।फदयी बइमा के घय वे गेशूॊ राकय ऩीव री शूॊ । योटी फनानी शै । दे खो प्रकाळ के फाफू लक्त खयाफ चर यशा शं भं वभझती शूॊ । अनऩढ गॊलाय तो
,
शूॊ ऩय इतना तो वभझती शूॊ ।दे खो तॊगशारी बूखभयी तो शभं द्धलयावत भं भभरी शं ।इवभं त् ु शाया क्मा दोऩ शं। तभ ु अकेरे इव वाभन्ती व्मलस्था 58
को फदर तो नशी वकते । जफ दे ळ की वयकाय नशी फदर ऩामी तो
शभाये तु्शाये फव की फात तो नशी शै ।भवय तछऩाने की जगश नशी शं ।ना शर चराने की । क्मा
वयकाय अॊधी शै। शभ बभू भशीनं के फाये भं
उवको ऩता नशी शै ।खूफ ऩता शं ।वयकाय भं तो लशी फडे रोग शोते शै
।लशी रोग वायी जभीन ऩय नाग की तयप पन पैरामे फैठे शुए शं ।शभ बूभभशीन रोग राचाय टकटकी रगामे शुए शै कक आॊलण्टन शो शकफन्दी
शो तो दो चाय फीवा शभं बी भभरे ऩय मे ऩशुॊचलारे कुछ नशी शोने दे गे । शभ बूखे भयं गे । धगध्द कौआ शभायी राळं को नंच नंच खामंगे । जफ तक जजन्दा
शं मे खेत भाभरक जल् ु भ के ठे केदाय रोग खा यशे शै । भयने
ऩय धगध्द कौआ ।
र्फयू ाभ-अच्छा तुभ योटी फनाओ भं फदयी बइमा के घय वे शोकय आता शूॊ । वततमा -ठीक शं ।
र्फयू ाभ फदयी के घय चर ऩडा ।फदयी के घय वे आती आलाज को
वुनकय उवके ऩाॊल थभ गमे ।फदयी ळाजन्तदे ली को जीब काढकय फाय फाय भायने की धभकी दे यशा था । ळाजन्तदे ली वे बी नशी यशा गमा । लश गस् ु वे भं रार शोकय फोरी
नयामन के दादा फच्चं की तो श्ळयभ कयो
वफ त् ु शायी फात वन ु यशे शं । अये जलानी भं तो भाय भाय कय शडडी शडडी तोड डारे । अफ तो फढ ु ौती की भरशाज ककमा कयो
फाय फाय भायने
को दौडाते शो ेॊ।इवके अराला औय कुछ तुभको आाता शै । र्फू बइमा का दे खो वततमा को आज तक दफ ू वे नशी भाये शोगे । तभ ु ने तो भाय
भाय कय भेये शाथ ऩाॊल तक तोड डारे शो । जाडे भं उठा फैठा नशी जाता शं । वुआर फाफू की डाॊट का दठकया घय आकय भेये भवय ऩय पोडते थे
।वुआर फाफू भय गमे । शयलाशी तो तरलय टॊ ग गमी तो इवके भरमे भं तो कवयू लाय नशी ।अये
कशाॊ खेत की कभी शं । गाॊल के औय खेत
भाभरक जल् ु भ के ठे केदाय अधधमा तीवयी ऩय खेत दे यशे शै ।वुआर फाफू 59
की शयललशी भं तो वोना नशी फयव यशा था । अये श्ळुक्र भनाओ बगलान ने शभं तु्शाया वाथ फख ददमा लयना वुआर फाफू के बैव लारे घय भं
ऩआ ु र त्रफछा कय कयलटे फदरते ।मे जो घय खडा शं ना त् ु शाये फरफत ू े
नशी । भेयी यात ददन की भेशनत वे खडा शं । तुभको तो वुआर फाफू की गुराभी कयने वे पुवतन नशी थी । वूअय ऩारी भुगी ऩारी फकयी ऩारी
।उनके फंच वे शी घय बंव वफ कय ऩामी । तु्शाये बयोवे तो कुछ नशी शो वकता था ।फव वआ ु र फाफू की शरलाेाशी शो वकती थी इवके
अराला औय कुछ बी नशी । तुभको तो फच्चं की बूख का बी कबी ऩता नशी चरा । दे ख यशे शो ना उतना फडा फेटला गनेळ शं नॊगा खडा
त् ु शायी वायी फाते वन ु यशा शं ।एक चडढी खयीद न ऩा यशे शो । जफ वे तु्शायी आॊख माेुरी तुभ वुआर फाफू की शरलाशी कय यशे शो । वीजन भं बय ऩेट योटी नवीफ शो जाती शं ।फाकी बूखे मा आधे ऩेट यशकय
त्रफताना ऩडता शं । तुभ इव फात वे इॊकाय नशी कय वकते । मे फच्चे बी अच्छी तयश जानते शं ।
फदयी-योटी बी खखरामेगी की फातो का शी जशय ऩीराकय भायने का इयादा शं ।
ळाजन्तदे ली-वेय दो ववेय घय भं शं उवे खा रो कपय कभाकय राओगे तबी चल् ू शा गयभ शो ऩामेगा भेय फात कान खोरकय वन ु रो ।र्फू बइमा के
घय योटी का इन्तजाभ नशी था फेचायी वततमा आॊवू फशाने रगी थी । दो वेय गेशूॊ उवे बी दे दी शूॊ । फदयी-फशुभ फदढमा ककमा । अये र्फयू ाभ बी तो अऩना शी बाई फन्धु शं
।भजदयू दव ू यो भजदयू का ददत नशी वभझेगा तो क्मा मे जल् ु भ के ठे केदाय वभझेगे ।एक भजदयू के घय का पाॊका दव ू या भजदयू कैवे दे ख वकता शै
। आज तो फेचाये की जान फच गमी । उवके फच्चे अनाथ शोते शोते फॊच गमे ।नयामन की भाॊ फेचाये के भवय ऩय भौत ताॊडल ॊ कय यशी थी ।
60
बगलान ने फचा भरमा । फेचाया भौत के भुॊश भे वे तनकरकय आज आमा शं र्फआ ू ॊ ।
ळाजन्तदे ली-क्मा कश यशे शो । कैवे मश अनथत शोते शोते फचा शं । कशाॊ
गमे थे तुभ र्फू बइमा को रेकय ।ळाजन्तदे ली दे ली की फात ऩयू ी शी नशी शो ऩामी थी कक इतने भं र्फयू ाभ आ गमा औय फोर शाॊ बौजाई बइमा
ना शोते तो आज भेयी राळ को कुनार फाफू के दयलाजे ऩय नंच नच कय खा जाते
ककवी को ऩता शी नशी चरता ।
भेये तन को खाते कौआ जश्न भनाते कुत्ते
जल् ु भ के ठे केदाय जल् ु भ भेये भत्थे भढते । कशते चोयी कयने आमा था
यख दे ते दो चाय कौडी जल् ु भ की शो जाती गलाशी
घय लारे की भाॊग वूनी शो जाती ना वुनता कोई दशु ाईय् फदयी बइमा थे वॊगे फच गमी जान शे बौजाई
वाॊऩ नाच यशा था भाथे बइमा यशे थे धचल्राई टूट गमी नीॊद वाभन्ती कुनार की लश गुयातमा अये र्फआ तुभने क्मा शं उधभ भचामा ू
,
बइमा की तयप रार वुयख आख चभकामा ग ्ेुेायातमे बइमा शार वन ु ामे
कुनार नशी श्ळयभामा
फोरा तुभको तुभको ढोना था ऩोया।ऩआ ु र।भौज भना यशे शो तु्शायी भजार ऐवी
शलेरी का भजाक उडा यशे शो
भं बी फोरा बइमा बी फोरे फाफू ऩोया वे वस्ता वभझ भरमा फाफू शभको दीन खुद को दाता भान भरमा आमा था फाफू दयलाजे तु्शाये अधधमा तभ ु ने भौत के आगे पंक ददमा
61
फात कयने
तुभ वो यशे चादय तान शभ फशा यशे थे आॊवू भवय ऩय वाॊऩ नाच यशा था फेकाफू ।
कुनार गयु ातमा तू जा अफ अऩने घय कर कपय आना ना शोगी आज फात कोई शाट शं भुझे जाना भुगात दयफे भं फन्द शं दारू की शं ख्लादशळ
कर कय रेगे फात अधधमा दटकुयी की ना चरेगी पयभाइळ धर ू उडामा भॊश ु ऩय बागा शाट की ओय जल् ु भ का ठे केदाय
कर कपय आने का कय लादा चरे आमे शभ दोनो थथ ू काय
...
ळाजन्तदे ली-र्फू बइमा तु्शायी आॊखंेा भं आॊवू ।
र्फयू ाभ-नशी बौजाई मे आवॊू नशी ददत रयव यशा शै ।आऩ फीती वन ु ा यशा शूॊ ।बइमा की दळा तो भुझवे बी ज्मादा खयाफ थी जफकक वाॊऩ तो भेये भवय ऩय नाच यशा था । ळाजन्तदे ली-फाऩ ये र्फू बइमा के भवय ऩय भौत नाॊच यशी थी ।अये
नयामन कशाॊ शं फेटा जल्दी दौडकय आतो ।जल्दी आ फेटा जल्दी आ । नयामन दौडता शुआ आमा औय फोरा क्मं शडफडा यशी शो भाॊ । फोरो क्मा कयना शं । वुफश श्ळाभ खेत भं काभ कयो ऩढाने की पुवतत नशी भभरती जया वा ऩढाने फैठा तो भाॊ तभ ु को जरूया काभ आ गमा फोरो क्मा फोर यशी शो कशी जाना तो नशी शै ना ।
ळाजन्तदे ली -जाना तो शै दक ु ान तक । फेटा दौडकय कोइयी दादा की दक ु ान वे ऩाल बय गुड रेकय आ जा ।यात बय ऩढना भं कपय नशी
फर ु ाउूॊ गी एक रूऩमा नयामन के शाथ ऩय यखते शुए फोरी। नयामन दौडता शुआ कोइयी दादा की दक ु ान वे ऩाल बय गड ु रेकय झट वे आ गमा ।ळाजन्तदे ली झट वे नयामन के शाथ वे गुड अऩने शाथ भं री
एक कटोयी भं गड ु औय रोटे भं ऩानी रेकय र्फयू ाभ वे कशने रगी रो 62
बइमा र्फू गुड खाअेेा । शाट दयू शं नशी तो आज भं तुभको भभठाई
खखराती । बइमा गुड खाकय भुॊश भीठा कयं । आज खुळी का ददन शै । त् ु शायी उम्र फढ गमी शं । बगलान कय तभ ु शजाय वार जीओ ऩयू ी
तन्दरू ु स्ती औय शॊवी खुळी के वाथ ।माद यखना एक फात औय भेयी फच्चा औय ना ऩैदा कयना । फशुत फच्चे शो गमे शं।उनके खाने
, ,
ऩशनने यशने ऩढने भरखने का इन्तजाभ कयो औय अऩने बइमा को बी वभझाओ ।अऩना इतना फडा ऩरयलाय ना शोता तो कभ वे तीन टाइभ भं दो टाइभ की तो योटी ऩेट बय तो भभर शी जाती ।
र्फयू ाभ-भुस्कयाते शुए फोरा शाॊ बौजाई तुभ कश तो ठीक यशी शो। इववे कश फडी ददक्क्ते तो वभाज का थोऩा शुआ दॊ ळ गतत भं ढकेर यशा
शै। वाभाजजक कुव्मलस्था के अभबळाऩ ने शी तो शभ गयीफं को तयक्की वे भान व्भान वे लॊधचत ककमे शुए शं ।इतना शी नशी शभ बेदबाल वे बी अभबळाद्धऩत शै ।बूख औय जीलन की अन्म चन ु ौततमं वे जझ ू ते शुए दख ु दामी जीलन त्रफता यशे शै । इन बभू भ भाभरको के वाभने अऩनी
व्ऩन्नता जल् ु भ भं फढोतयी फडी चन ु ौती शं औय शभ खेततशय भजदयू ो
लॊधचतं के भरमे बूख
,
बम वे छुटकाया ।ेीेाेौजाई बूख शभाये वाभने
भॊश ु फामं खडी शं औय फगर भं खडी बम बी डया यशी शं ।बख ू बम वे छुटकाया के वाथ भान व्भान के वाथ जीलन जीना बी शभाया उद्देश्म
शोना चादशमे ।इवके भरमे भजदयू ं को बी वॊगदठत शोना जरूयी शोगा ।खैय वयकाय शी शभ भजदयू ो के फाये भं वोच नशी यशी ।मदद वयकाय वोची
शोती तो बम बख ू औय बेद की जडे वभर ू कफ की उखड गमी शोती । 63
बूख बम औय बेद को याषव फनने वे योकना वभाज औय वयकाय की ऩशरी आलश्मकता शोनी चादशमे ऩय दोने इव ओय नशी वोच यशे शै ।
बख ू बम औय बेद का याषव जाग उठा तो कोई बी व्मलस्था दटक नशी ऩामेगी । वाभाजजक व्मलस्था के कुचक्र को तोडे त्रफना शभ लॊधचतं को
भान व्भान
,
अन्न लस्त्र औय भवय ढॊ कने को घय
नवीफ नशी शो
ऩामेगा । जल् ु भ औय ळोऩण के भळकाय शोते यशे गे औय मे वाभन्ती रोग शभं अऩने खेत की गाजय भर ू ी वभझते यशे गे । भनचाशा उऩबोग कयते यशे गे ।
-
ळाजन्तदे ली
बइमा ठीक तो कश यशे शो ।आजादी के इतने फयवं के फाद
वयकाय नशी तोड ऩामी तो शभ ऩेट भं बख ू औय भाथे अऩभान का
फदनभ ु ा धब्फा रेकय कैवे तोड ऩामेगे ।मे जल् ु भ के ठे केदाय चऩ ु फैठेगे
क्मा । शभाया जीलन औय नयक फना कय यख दं गे ।मे जल् ु भ के ठे केदाय
रोग अऩने आचयण भं वध ु य कय रे औय शभं बी अऩने फयाफय वभझने रगे तो शभायी वभस्मा आधे वे अधधक खत्भ शो जामेगी । रेककन मे
जल् ु भ के ठे केदाय रोग भन भं याभ फगर भं छुयी यखते शं ना । अऩना भतरफ वाधने के भरमे शभं यक्त के आॊवू दे ने भं जया बी नशी दशचककचाते ।
फदयी-बागलान मे फात तो वबी जानते शं ।वाभन्ती व्मलस्था शभ लॊधचतं
का खून ऩवीना ऩीकय शी तो इतया यशी शै ।शभ बम औी बूख भं जी यशे शं।खेती की शय करा को जानते शुए बूभभशीन खेततशय भजदयू शोकय यश
64
गमे ।शभाया बरा कोई नशी चाशता ।शभाये बरा वे तो जल् ु भ के ठे केदायो का नक ु वान जो शो जामेगा ।
र्फयू ाभ
-
शाॊ बइमा ठीक कश यशे शो तबी तो मे जल् ु भ के ठे केदाय शभं
दो चाय फीवा जभीन बी नशी भभरने दे यशे शं ।गाॊल वभाज की जभीन ऩय नाग की तयश पन पैराए फैठे शं आॊलण्टन तक नशी शोने दे यशे शं
शकफन्दी तो कोया वऩना शं ।वभानता औय न्मामऩण ू त आधथतक व्मलस्था के भवध्दान्त को तजकय जल् ु भ ठे केदाय अऩनी शी वाभाजजक औय
आधथतक उन्नतत भं रगे शुए शं । वाभन्ती रोग शभ गयीफो की बूखवे जड ु ी खेती ककवानी को गोयखधॊधं भं तब्दीर कय चक ु े शै ।वलतशाया लगत की छाती ऩय फैठी वयकायं बरा नशी कय ऩामी औय आजादी के इतने
फयवं के फाद बी अॊधी फनी वाये जल् ु भ को दे ख यशी शं ।वच भं बइमा
शभायी अलन्नतत की जज्भेदाय तो वाभाजजक कुव्मलस्था तो शं शी ळावन प्रळावन बी कभ नशी शै ।
फदयी--शाॊ र्फू रयवते घाल के भलाद भं नशा यशे शं । शभाये ददत का
ककवी को एशवाव नशी शं ।व्ऩन्न रोग तानाकळी कयते शं ।शभ तो वाभाजजक आधथतक रूऩ वे व्ऩन्न रोगो के भरमे कूडा कयकट शं ।
ळाजन्तदे ली-नयामन के दादा वबी शभायी वाभाजजक आधथतक दीनता के
जज्भेदाय शं ।अॊग्रेज तो चरे गमे मे कारे अॊग्रेज शभाये घाल को खयोच
खयोच कय याज कय यशे शै ।शभ फेफव इन जल् ु भ के ठे केदायो के गुराभ फने शुए शै ।
65
र्फयू ाभ- बइमा बौजाई बी ठीक कश यशी शं । बेद
,
बम बख ू -प्माव की
दरीरं खोटे भुशालयं की तयश व्ऩन्नता के कानं भं चब ु ती शै।दे ळ की तयक्की शभाये चेशये ऩय पपरे की बाॊतत शं ।इवके इराज के भरमे
आगाज कयना शोगा । वयकाय की अनदे खी का शी नतीजा शै कक अॊग्रेजो के जाने के फाद बी शभ बूभभशीन खेततशय भजद ू य ऩेट की बूख के वाथ वाभाजजक उत्ऩीडन के भळकाय शै ।जफ तक शभ खेततशय भजदयू ं को
वयकाय खेतत की जीभन उऩरब्ध नशी कयलाती शं तफ तक शभ लॊधचत
खेततशय भजदयू ो का द्धलकाव व्बल नशी शं । खेततशय बूभदशीन लॊधचतं
भं गयीफी बमालश रूऩ वे व्माप्त शं ।इव वभस्मा का शर कोई नशी ढूढ
यशा शं ना वभाज के ठे केदाय औय न शी वयकाये । शभ भजदयू रोग ऩेट भं बूख फाॊधं
वयकाय की ओय दे ख यशे शं ऩय वयकाय शभायी ओय नशी
दे ख यशी शं । लॊधचतं दभरतो की बूभभशीनता भवशयन ऩैदा कयती शै कक ले अऩनी शी भातब ृ ूभभ ऩय बूभभशीन कशे जा यशे शै। आजादी के फाद कधथत रूऩ ् वे बभू भ वध ु ाय के प्रमाव शुए शं रेककन जभीन का मथाथत अन्माम की ददतनाक कशातनमं वे बया ऩडा शं दे ळ के आधे वे अधधक दभरत
लॊधचत रोग बूभभशीन शं खेततशय भजदयू शं । आजीद्धलका को कोई ऩख् ु ता इॊतजाभ नशी शं । योटी की व्मलस्था योज कुआ खोदो ऩानी ऩीओ लारी कशालत चरयताथत कयती शं ।बभू भ वध ु ायं औय बभू भशीनाेोेॊ को जभीन
भभरे इवके भरमे शभ बूभभशीन भजदयू ं वॊगदठत शोकय वयकाय ऩय दफाल फनाना शो्या अॊधा फशया गूॊगा वभाज तो कबी बी शभाया कल्माण नशी चाशा तो अफ कैवे उ्भीद की जा वकती शै ।आधथतक वध ु ायो को
याजनीततस कामतकताओय् ने जरूयी भाना था ऩय आज तक कोई बी
उल्रेखनीम कदभ नशी उठामा गमा ।नतीजन शभ वाभाजजक बेदबाल के वाथ बभू भशीनता का जशय ऩीने को भजफयू शै ।भशॊगाई बी शभ भजदयू े ा 66
के वाभने ददतनाक तथ्म के रूऩ भं उबय चक ु ी शै ।अधधमा दटकुयी की खेती कयो फाफू रोगो की जी शजयू ी कयो जल् ु भ वशो। यीन कजत कयके
खाद फीज डारो भवचाई कयं । भजदयू ी दो । उऩज का तीन दशस्वा खेत
भाभरक के कोठे ऩय यखो ।इतनी भेशनत भजदयू ी के फाद अऩने को वार बय खाने के भरमे बी अन्न नशी शो ऩाता । मदद शभ गयीफो की
ऩरयजस्थततमं का आकरन कयके शभायी आधथतक औय वाभाजजक जरूयतं को ऩयू ा नशी ककमा गमा तो एक ना एक ददन शभाये रोगो को वॊगदठत शोकय वडक ऩय उतयना शोगा । तबी न्माम भभर वकती शै ।मदद शभ दभरत लॊधचत खेततशय भजदयू रोग अदशॊवक औय वत्माग्रशी आन्दोरन
ऩय उतय जामे तो मश आन्दोरन वयकाय की वोच भं रयलततन के भरमे भीर का ऩत्थय वात्रफत शोगा औय मशी शभ खेततशय भजदयू ं के भरमे जरूयी बी शं ।
र्फयू ाभ की फात खत्भ शी नशी शुई कक ळाजन्तदे ली फोरी नयामन के दादा योटी ठण्डी शो यशी शै । दो योटी खाकय आयाभ कयो ददन बय ना जाने कशाॊ कशाॊ ढनके शो ।थके भाॊदे शो
चरो खा रो ।
फदयी- र्फू चरो तुभ बी खारं तुभ बी तो आधा ददन भेये वाथ शी थे
।तभ ु को तो ज्मादा तकरीप शो यशी शोगी क्मंकक दो चाय वार जो श्ळशय यश भरमे शो ।
र्फयू ाभ-बइमा दो चाय वार
फाशय यशने वे
वभान्ती जल् ु भ का
एशवाव तो खत्भ नशी शो गमा ।मश जल् ु भ तो जजन्दगी के शय भोड ऩय डॊवने रगता शै ।बइमा भझ ु े बी बख ू शं
तभ ु खाओ भं घय चरता शूॊ प्रकाळ की भाॊ इन्तजाय कय यशी शोगी। कर जल् ु भ की बटठी भं जरने के भरमे खुद कय चरना शं ।
फदयी-शाॊ बइमा बूभभशीनता औय भजफयू ी जो चाशे कयला रे लयना इन
जल् ु भ के ठे केदायो का भॊश ु तक दे खने रामक नशी शै । कर चरना तो शोगा शी वाभने बूख औय वाभाजजक दरयद्रता जो खडी शै । 67
ऩाॊच
अये फदयी कशाॊ शो । गाम बंव धचल्रा यशी शं । दशु ोगे की नशी ।बुआर फाफू का फेटा कुरदे ल धचल्राते धचल्राते फदयी के घय आ धभका।
कुरदे ल के धचल्राने की आलाज वुनकय ळाजन्तदे ली चल् ू श का भरऩना छोडकय जल्दी जल्दी फाशय आमी औय फोरी क्मा गजफ धगय गमा
कुरदे ल कक ककयीन पूॊटी शी नशी धचल्राने रगे । कौन वा इतना जरूयी
काभ आ ऩडा शै फ्री पोकट का काभ कयलाने के भरमे दौडे यशते शं ।वफ ु श श्ळाभ यो गाम बैव दशु लाते शं वेय बय भजदयू ी बी तो भय्मवय नशी शोती शोती शं ।लशी वुआर फाफू का दो फीवा खेत शं अऩने ऩाव लश बी कबी
बी उधभ फाफू रे वकते शं । अये दो फीवा खेत वे कशाॊ इतनी उऩज शो
जाती शं कक वार बय शभाया ऩरयलाय खा रेता शं । गाॊल गाॊल भजदयू ी के भरमे बटक यशी शूॊ ।फाफू रोग तो ऩारयलारयक करश वे खेत योऩना जोतना फन्द कय ददमे शं । अये शभाये फाये भं कबी वोचा शं फाफू रोगो ने ।बख ू े ऩेट काभ कैवे शोगा ।चरे आते शं भॊश ु उठामे । अये कुछ तो भराशज कयते ।
कुरदे ल-दे खो भुझे बाऩण भत वुनाओ । उधभ फाफू वे फात कयो ।लशी तो त् ु शाये अवरी भाभरक शं । ले जैवे चाशते शं तभ ु औय लैवा शी कयते शो
।अफ जफ उधभ फाफू श्ळशय वे आमे तो तभ ु दोनो उनका ऩैय ऩकड रेना ।तबी कुछ शो वकता शं ।शभायी शयलाशी तो तुभ रोग कयोगे नशी ।
कयोगे तो उधभ फाफू की ।शभायी शयलाशी कयनी शोती तो शभाये ऩाऩा के
नाभ का अरग वे जो खेत शं उवको जोते फोते ।कभ वे कभ भजदयू ी तो भभरती ऩय नशी ।तुभको तो उधभ फाफू की शी गुराभी ऩवन्द शं ।उधभ फाफू बी तो अऩने शी खानदान के शै ।फदयी जजन्दगी बय फडे ऩाऩा की
गुराभी कयता यशा अफ उधभ फाफू की कयने को उतालरा शं ।अये शभाये
खेत भं काभ कयते तो क्मा भजदयू ी नशी भभरती । अये तभ ु भजदयू रोग भजदयू शी यशोगे । शभ खेत भाभरको को भुकाफरा नशी कय वकते अये 68
यशोगे तो लॊधचत भजदयू शी ना । जफ तक खेत नशी फॊटेगा तफ तक तुभ शलेरी का काभ नशी कयोगे क्मा ।वददमं वे तो कयते आ यशे शो ।
तभ ु को कयना शी ऩडेगा ।शय फात की भजदयू ी फनती शै क्मा ।शभाये खेत वे तुभ औय तु्शाये जानलय ऩरते शै । शभाये खेतो वे शी तु्शाया आना जाना शोता शै ।घय वे फाशय तनकरे बय की जगश नशी शं । अये मे
तु्शाया घय तो शभाये शी फाऩ दादा की जभीन भं फना शै ।कशॊेा शं फदयी ऩाऩा फर ु ा फर ु ा कय थक गमे शं । तफ भं त् ु शाये घय आमा शूॊ ।गन्दी फस्ती भं आने रामक शं । ळाजन्तदे ली-छोटे फाफू इव फस्ती भं बी इॊवान शी फवते शं । एक फात
औय फताउूॊ इन इॊवानं की तॊगशार ,राचायी,बख ू भयी,गयीफी के जज्भेदाय जानते शो कौन शै ।
कुरदे लफाफ-ू शभं जानकय क्मा रेना शं ।
ळाजन्तदे ली-छोटे फाफू वच्चाई वे भुॊश चयु ा यशे शो ।
कुरदे ल-अये भं क्मं भॊश ु चयु ाउूॊ । भं तो इतना जानता शूॊ कक तभ ु शभाये खानदान फॊधआ भजदयू ऩशरे बी थे आज बी शो औय यशोगे बी । ु ळाजन्तदे ली-छोटे मशी तो शभाया दब ु ातनम शं ।तुभ फडे रोग शभे आदभी
नशी भजदयू बी नशी भजफयू वभझते शो ।शभायी गयीफी के कायण बी
त् ु शी रोग शो ।बेदबाल का जशय का जशय फोकय तभ रोग याज कय यशे शो औय शभ भजफयू रोग कण्डे वे आवूॊ ऩोछ यशे शं ।
कुरदे ल-तुभ फकलाव भत कयो । फताओ फदयी कशाॊ शं ।
ळाजन्तदे ली-भेयी फात वे ददर भं छे द शो गमा इतनी फयु ी फात कश दी
क्मा । जाओ फस्ती वे दयू तु्शायी नाक भं फदफू जा यशी शोगी । नयामन के फाफू कुरा पयाकत को गमे शोगे औय कशाॊ जामेगे । वुफश ळाभ तो
शलेरी का चक्कय रगा शी यशे शै ऩेट भं बूख रेकय ।तुभ फडे रोगो को
शभ गयीफो ऩय कशाॊ तयव आती शं तभ ु तो शभाये रयवते घाल को खयोच कय अऩना उल्रू वीधा कयते शो ।
69
कुरदे ल-ळजन्त दे ळ अॊग्रेजो वे आजाद शुआ शं । तुभ लॊधचत रोग शभ भाभरकं वे कबी बी आजाद नशी शो वकते ।जजव ददन शभाये खेतो भं
काभ कयना फन्द कय दोगे बख ू ो भय जाओगे । अबी दो शी वार भं मे
शार शो गमा ना जफकक दव फीवा जभीन शभाये शी ऩरयलाय की फो जात यशे शो ।क्मा ऩरयलाय भं द्धललाद शो जाने वे उधभ बइमा शभाये खानदान
के नशी यशे ।शभाये शी खेत भं ऩैदा ककमे शुए अन्न ऩय ऩर यशे शो ।शभाये घय वे भभरे पटे ऩयु ाने धचथडे तभ ु औय त् ु शाये फच्चे ऩशन यशे शै। वफ ु श श्ळाभ शलेरी फदयी आता शं तो कौन वा एशवान कयता शै ।अये शभाये खेत का अबी काभ ऩारयलारयक भं द्धललाद भं उरझा शं तो क्मा शलेरी
नशी आमेगा । शलेरी के छोटे भोटे काभ कौन कये गा । ददन बय काभ
कयने की भजदयू ी भभरती शं न कक झरक ददखाने की ।ऩाऩाजी कफ वे फर ु ा यशे शं । गाम बैवॊ धचल्रा यशी शं मे फदयी शं कक इवका ऩता शी
नशी । तुभ रोगेा को कुछ वभझ भं नशी आता ।इतने वे काभ के भरमे
दव ू या आदभी खोजने जामे । तभ ु रोग तो घय के भजदयू शो । तभ ु नशी कयोगे तो कौन कये गा ।फदयी के आते शी तुयन्त शलेरी बेज दे ना वुनी की नशी ।
ळाजन्तदे ली-छोटे फाफू नन्शी वी उभय भं इतना जशयीरा तेलय अच्छा नशी शोगा । अये शभ तो गयीफ शं वन ु रे यशे शं दव ू या गयदन भयोड दे गा ।
अये शभं वुनाई नशी दे गा ददखाई नशी दे गा तो योटी कैवे भभरेगी । शभ भजदयू ो के भरमे आख कान ठे शुना के बयोवे तो ऩेट ऩारना शं । जफ ऩैरूख काभ नशी कये गा तफ तो तभ ु वाभन्ती चभडे उतयला रोगे ।
कुरदे ल-फशुत फक फक कय री औय भंने वुन बी भरमा दव ू या कोई शोता
तो वुनता बी नशी । तु्शाये उधभ फाफू तो औय ना वुनते ।फकफक भत
कय फडे ऩाऩा भय गमे तो क्मा शलेरी खारी तो शो नशी गमी । फडे ऩाऩा
जैवे अबी कई शं ।शभ बी उवी खानदान वे शं । जजव खानदान के टुकडे ऩय तुभ रोग ऩरे शो औय ऩरते यशोगे ।आज बी शभाये शी खेत भं 70
तु्शायी
दो फीवा उुख ।गन्ना। खडी शै ।शभ चाशे तो आज कटला कय
बंव को खखरा दं ।वुफश श्ळाभ दो गाम बंव दशु ने भं इतनी तकरीप शो यशी शं ।फडे ऩाऩा के जभाने ददन यात शलेरी औय खेत के काभं भं रगे
यशते थे । फडे ऩाऩा उधभ बइमा के वाभने तो तुभ औय तपभशाया ऩयू ा
कुनफा गीदड फना यशता था आज शभाया भुॊश नंच यशी शो तुभ ।तु्शाया फेटला दो जभात ऩढ क्मा भरमा तुभ रोग खुद को करेटय वभझने रगे ।अये माद यखो
चाकयी ककमे योटी नशी भभरने लारी शं ।घय वे फाशय
कदभ यखने की जगश नशी शं योटी कशाॊ वे खाओगे ।भं जा यशा शूॊ फदयी को कशना जल्दी शलेरी आ जामेगा । ळाजन्तदे ली-छोटे फाफू आग भत भत ू ो ।चरे जाओ मशाॊ वे ।नयामन के
दादा आमेगे तो फता दॊ ग ू ी ।जो फोर ददमे फोर ददमे अफ एक श्ळब्द फोरे तो जफान शाथ भं दे दॊ ग ू ी ।
कुरदे ल-अये लाश ये श्ळजन्तमा तेयी जफान बी कैचीॊ जैवी चरने रगी
।माद यखना अऩनी कडली जफान वे उगरा जशय त् ु शे शी भशॊगा ऩडेगा । ळाजन्तदे ली-छोटे फाफू तु्शाये खानादान के जल् ु भ का जशय ऩीते ऩीते
शभायी कई ऩीदढमॊेा गर गमी आज तुभको वच्ची फात जशयीरी रगने रगी शै । जफ तू ऩैदा शुआ था ना वफवे ऩशरे भंने शी गोद भं री थी अऩनी छाती चटाई थी । त् ु शाये भाॊ फाऩ के खन ू के वाथ त् ु शायी यॊ ग
भं या दध ू बी शै । तू शी भुझे धभका यशा शै । अये कुछ तो राज भरशाज यखता भेयी नशी तो अऩने खानदान के फडप्ऩन का शी।तू तो अबी वे जशय फोने रगा शं । फाद भं क्मा कये गा ।छोटे फाफू जशय फओगा तो उवकी पवर बी तुभको काटनी ऩडेगी माद यखना ।
कुरदे ल फैयॊग शलेरी को रौट गमा । थोडे शी दे य भं फदयी बी आ गमा ।फदयी के आने की आशट रगते शी ळाजन्तदे ली झट वे वाभने खडी शो
गमी यौद्र रूऩ धायण कय औय ऩछ ू फैठी कशाॊ गमे थे नयामन के दादा ।
71
फदयी-वुआर फाफू की शलेरी औय कशाॊ जाउूॊ गा वफेये वफेये ।गाम बंव
दशु कय आ यशा शं । जफ तक दशु ो तफ तक दध ू अळुध्द नशी शोता ।
दशु कय जशाॊ शटे की छूने वे अळध् ु द शोने का डय वताने रगता शं ।ऩानी खझडकय श्ळुध्द कयते शै ।फडी भुवीफत कऩाये ऩय आ धगयी शं ।दो वार
वे उधभ फाफू की याश ताक ताक कय फेशार शो गमा शूॊ । इवी शोळाजावी भं दव ू यं की बी शरलाशी नशी कय ऩा यशा शै ेॊ। शयलाशी भं तो आदभी फॊध जाता शं । वआ ु र फाफू को ददमा लचन कैवे तोडूॊ ।उधभ फाफू कशकय गमे थे कक इवी वीजन भं फॊटलाया शो जामेगा ।शभाये दशस्वे की खेती तुभको शी कयना शं । दव ू ये की शयलाशी नशी कयोगे । ऩाऩा को ददमा
लचन माद यखना । भं लचनलध्द शो गमा शूॊ । लचनफध्दता वे ऩेट तो बयता नशी शै ।पटकौरयमा काभ एक ददन कयो ऩाॊच ददन त्रफना काभ के
फैठे यशो ।उधभ फाफू के आश्वावन की योटी वे कफ तक फवय शोगा । जफ वे श्ळशय गमे तफ वे कोई खफय शी नशी ददमे ।
ळाजन्तदे ली-मे जल् ु भ के ठे केदाय शं ऩैदाइवी ।शभ भजदयू ो का खन ू चव ू ना मे रोग भाॊ के ऩेट भं शी वीख जाते शं ।शभं तो डय रग यशी शै कक उधभ फाफू धोखा न दे दे ।
फदयी-अये नशी ये फडे फाऩ के फेटे शं उधभ फाफू ।ऐवा नशी कये गे ।
वआ ु र फाफू भयने वे ऩशरे उधभ फाफू वे कशे थे । फेटा उधभ फदयी इव
शलेरी का वफवे ऩयु ाना औय लपादाय नौकय शै । इवको कबी नशी छोडना ।भुझे फोरे फदयी जैवे भेये वाथ त्रफतामे शो उधभ फाफू के वाथ त्रफताना अऩनी जजन्दगी बय । त् ु शाये फेटो का तो बयोवा नशी शै क्मंकक ले
स्कूर जाते शं ना । शर थोडे शी जातेगे ।नयामन की भाॊ वुआर फाफू को भंने लचन ददमा शं कक जीलन बय उधभ फाफू की शयलाशी करूॊगा । बरे शी भेये फेटला रोग करेटय फन जामे भं अऩना लचन नशी तोडूग ॊ ा ।
ळाजन्तदे ली-उधभ फाफू कौन दध ू के धर ु े शं । ले बी जल् ु भ के ठे केदायं के शी वभाज वे तारुकात यखते शं । उनका बी क्मा बयोवा ।खैय शभं तो 72
ऩेट ऩारने के भरमे शयलाशी चयलाशी तो कयनी शी शं ।अफ फधल ुॊ ा फनकय
काभ नशी कयना शं । अधधमा दटकुयी की खेती कयना शं । इन जल् ु भ के ठे केदायो का कोई बयोवा नशी शं कफ धगयधगट की तयश यॊ गा फदर रे ।
मे रोग शभायी आॊखं भं आॊवू शी दे खना चाशते शं ।दे खो उव बुआर के फेटला का तेलय नाग की तयश गुयातकय गमा शं ।
फदयी-शलेरी शी तो गमा था गाम बंव दशु ने कपय फर ु ाला क्मं आ गमा । ळाजन्तदे ली-शलेरी ऩशुॊचने भं दे यी शो गमी शोगी । कुरदे ल छोटा नफाल फशुत रार ऩीरा शोकय गमा शै ।दो वार वे फेगायी कयला यशे शं । ऩयू ा ऩरयलाय एशवान जताते नशी थकता ।क्मा ददमे चाय फीवा उवय दादय
खेत ना लश बी गाॊल वभाज का शं । शभ गयीफं के दशस्वे ऩय कब्जा
ककमे शुमे औय शभाया शी खून ऩीने को तैमाय यशते शै ।योज वुफश श्ळाभ फेगयी कयला यशे शं । वेय बय भजदयू ी भय्मवय नशी शोती शं । नाभ शै कक शभ फडी शलेरी के शयलाश शं ।फडी शलेरी लारे आजकर कयके दो वार गज ु ाय ददमे । दव ू यं की शयलाशी चयलाशी कयने नशी ऩा यशे शं ।
उनके बयोवे कफ तक शला ऩीकय जीमेगे ।ऐवा शी शार यशा तो बूखो भय जामेगा । कोई खोज खफय नशी रेगा ।वयकाय को तो फव शभाये लोट वे भतरफ शोता शं ।ऩेट की योटी दलादारू के भरमे शभ तयव जाते शं ।
भजदयू ी वे ऩेट बयने की योटी जट ु ामे दला दारू कयं मा फच्चो को ऩढामे भरखामे । रगता शं शभाये जैवे शभाये फच्चे बी भजदयू फन ऩामेगे
तडऩ
तडऩ कय ददन गुजाये गे । अऩना वाभाजजक आथ्र ्ेाक जस्थतत दे खे ऩय
ऐवा शी रगता शं । वना शै कक आदभी चाॊद ऩय ऩशुॊच गमा शं ।इवका भतरफ फशुत तयक्की शुई ऩय वायी तयक्की अऩनी चौखट वे दयू क्मं शं श्ळामद श्ळोद्धऩत लॊधचत खेततशय भजदयू शोने के नाते ना ।
फदयी-नयामन की भॊेा वाभन्ती व्मलस्था औय जाततलाद के यशते शभ खेततशय भजदयू ो के ददन नशी फदर ऩामेगे ।वयकाय की इतनी वायी
मोजनामे फनती शं । शभ भजदयू ो के कल्माण के भरमे कोई मोजना आज 73
तक तो आमी नशी ।वाया द्धलकाव फडे रोगो का शी शो यशा शं । छोटी
भोटी फीभायी शभ भजदयू ं की जान रे रेती शं ।शर का पार पालडा मा पवर काटते वभम शॊभवमा वे कट जामे तो भशीनो तक वडता यशता शं
।खेत भाभरक कबी नशी ऩछ ू ते ।ना शी कोई शभ भजदयू ं के दला दारू का इराज इॊतजाभ वयकाय बी नशी कयती । कबी नीभ की छार यगड कय
रगा भरमे तो कबी कुछ ।ऩशरे का जभाना था घाल रगी तो गोफय भाटी ऩानी वे ठी शो जाता थी । अफ तो
भाभरक रोग खेत भे इतनी दलाई
डरलाते शै कक कुछ अवय शी नशी कयता ।इन्शी दलाइमं की लजश वे तो शभ भजदयू रोग फाय फाय फीभाय बी शो जाते शं ।ळशय की पैक्टरयमं भं काभ कयने लारं के भरमे कशते शै वायी वद्धु लधामे शोती शै ।
दलाई,जीलनफीभा शऩते भं एक ददन छुटटी तनख्लाश बी नशी कटती ।मशाॊ तो ना कोई छुटटी ना कोई वुद्धलधा । भशीना भं एक ददन बी नशी गमे तो भजदयू ी तो भभरेगी नशी उऩय प्रताडडत बी शोना ऩडता शै। कशते शै
कक श्ळशय भं काभ कयते लक्त घाल रग जाती शं तो भआ ु लजा बी भभरता शं । खेत भं काभ कयते शुए कोई भय बी जामे तो क्मा खेत भाभरक कबी नशी ऩछ ू ते ।ळशय के भजदयू ो के दशत भं तो फशुत वाये कानन ू
कामदे शं रोग फताते शं ।गाॊल के खेत भं काभ कयने लारे भजदयू ं के
उत्ऩीडन के कानन ू कामदे फना यखे शं फाफू रोग।शभ रोग बी तो भजदयू शं । क्मा फाफू रोगो औय वयकाय का पजत शभाये
कल्माणाथत नशी फनता
।शभ खेततशय भजदयू ो के दशत के भरमे बी कानन ू फनना चादशमे ।
ळाजन्तदे ली-कानन ू शोगा बी तो उवका पामदा मे फाफू रोग शभं शोने नशी दे गे ।कानन ू शोकय बी क्मा कये गा जफ उवका ऩारन शी नशी शोगा तो । कशते शं आॊलण्टन का कानन ू तो वयकाय ने फनामा शं शभाये गाॊल भं
आज तक नशी शुआ । दो रोगो को एक एक फीवा भभर गमा शो गमी खानाऩतू तत ।फाकी वायी गाॊल वभाज वयकाेायी जभीन तो फाफू रोगेा के शी कब्जे भं शै ना ।
74
फदयी-तुभ ठीक कश यशी शो ।कशते शं
जफया भायै योलै ना दे म लशी शार
फाफू रोगो की शै ।शभ रोग बूभभशीन बूख
औय बम वे भय जामेगे एक
ना एक ददन औय फाफू रोग ऐवे शी जश्न भनाते यशे गे ।
ळाजन्त दे ली-गाॊल वभाज की वायी जभीनो ऩय फाफू रोगो का शी तो
कब्जा शै ।फाफू रोगेा के कब्जे की गाॊल वभाज की जभीन का आधा शी शभ बूभभशीन भजदयू ो को भभर जाता तो शभ अऩने को खाने बय को
ऩैदा कय रेते ।बभभशीनता का अभबळाऩ बी धर ु जाता ।ककतने भजदयू
बूख अबाल भं दभ तोड दे ते शं ।बूभभशीनं की इज्जत वे मे फाफू रोग
खेर जाते शं ।कोई उॊ गरी नशी उठाता इन फाफू रोगो ऩय ।शभ भजदयू ं
की अबाल भं भौत बी वनाटे को नशी धचय ऩाती । कोई खफय नशी फन ऩाती ।वयकाय के कान ऩय बी जूॊ नशी यं गता शभायी दद ु तळा को रेकय ।
फदयी-वच कश यशी शो नयामन की भाॊ शभायी दद ु तळा की जज्भेदायी केाई रेने को तैमाय नशी शै ।अऩने दे ळ लारो को दव ू ये दे ळो की बूख नजय
आती शं । अऩने दे ळ भं उनकी शी नाक के नीचे की बख ू औय बख ू वे
भय यशे ,नायकीम जीलन जी यशे शभ खेततशय बूभभशीन भजदयू ी की कयाश उनके भौन को नशी तोड ऩाती ।
ळाजन्तदे ली-शभायी दद ु तळा के भरमे वाभाजजक कुव्मलस्था के वाथ वयकाय
बी जज्भेदाय शै ।दव ू यी तयप दे खो धनी ददन दन ू ी यात चौगन ु ी तयक्की कय यशा शं ।शभ गयीफ बय ऩेट योटी के भरमे वॊघऩतयत ् शै ।
फदयी-रगता शै फेटला की ऩढाई का अवय शभ ऩय बी शोने रगा शं ।नयामन की भाॊ तभ ु ऩशरे तो ऐवी फाते नशी कयती थी ।
ळाजन्तदे ली-तु्शी कौन कयते थे ।वुआर फाफू की गुराभी वे पुवतत शी
नशी भभरता था ।वुआर फाफू के भयने के फाद तुभ जरूय फोरना वीख गमे ।शाॊ ये ाटी योजी का तफ बी अकार था औय अफ बी । तफ काभ
ज्मादा कयते थे भजदयू ी कभ भभरती थी । अफ तो शऩते भं दो ददन
काभ भभर ऩाता शं फाकी ददन तो वोचना शी शै ना ।कशते शै बूखे ऩेट 75
द्धलचाय बी नशी आते ऩय तुभ तो भजदयू ो के दशत की अच्छी अच्छी फाते कय यशे शो ।भजदयू शी तो एक भजदयू के दख ु को वभझेगा । दव ू या
कौन वभझ वकता शै ।दव ू ये तो उत्ऩीडन के फाये भं शी वोचते शोगे ।
फदयी-वयकाय को ळशय की धचन्ता शै । खेत भजदयू ं वे क्मा रेना शै ।शभ खेततशय बूभभशीन भजदयू द्धऩछडे गाॊलं भं यशते शं जशा ना खाने का ऩख् ु ता इॊतजाभ शं ना यशने का ना दलादारू का चायो ओय वे भुवीफते तो शै
।गयीफं के बरे की वयकाय औय वभाज के ठे केदाय रोग वोचे शोते तो शभायी आॊज आवू नशी फशाते अनी गयीफी ऩय ।शभायी वाभाजजक औय आधथतक गयीफी का औय क्मा वफत ू चादशमे । शभाये ददो के लणतन के भरमे ककतने ळब्द चादशमे
,ककतने आॊवू ककतने अत्माचाय ककतने
फरात्काय के भाभरे ककतने औय फेगुनाशो की भौत ककतनो की बूख वे भौत के वफत ू चादशमे वाभाजजक आथ्र ्ेाक ठे केदायो औय वयकाय को भौन को तोडने के भरमे ।
ळाजन्तदे ली-जफ तक वभाज के ठे केदायो का भौन नशी टूटे गा शभायी
वाभाजजक दळा नशी वुधये गी औय जफ तक वयकाय शभ भजदयू ं के दशत
भं काभ नशी कये गी तफ तक शभायी चौखटो ऩय बूख अबाल बेदबाल का ताॊडल जायी यशे गा।
फदयी-अफ शभ खेततशय भजदयू बी अऩने बरे की वोचने रगे शं ।
आखखय कफ तक इन फाफू रोगेा के गुराभ फने यशे गे ।फशुत जल् ु भ वश भरमा इन फाफू रोगो को । जभीन ऩय शभ भजदयू ो का अधधकाय शोना चादशमे । इवके भरमे वयकाय कानन ू फनामे औय
रागू बी कये मदद शभ
भजद ू यं को जजन्दा यखना शं ।नशी तो लॊधचत खेततशय बूभभशीन भजदयू ो
का वपामा शी कयला दे । न यशे गा फाॊव न फजेगी फाॊवुयी ।त्रफना वयकायी कानन ू औय उवके शस्तष्ेेेाऩ वे बूभभशीन खेततशय भजदयू ो का बरा नशी शे ा वकता शै ।
76
नयामन-काका कौन वा कानन ू फनला यशे शो ।अऩने दे ळ भं जजतने रेाग
शै उतने कानन ू शं ।भजदयू ो की चीख को कौन वुन यशा शै ।फेचाये भुवशय तो भेढक घोघा खाकय ऩेट बय रेते शं ।शभ भजदयू रोग तो योटी के आदी शो गमे शै ।
फदयी-कशाॊ वे आ यशा शं यभामन।
यभामन-काका दलाई रेने गमा था ।थडा वा अनाज था लशी फंचा शूॊ ।शभ भजदयू े ा के वाभने तो वभस्मा शी खडी यशती शै ।भजदयू ी भं भभरे अनाज वे शी तो वफ कुछ दे खना ऩडता शं
दलाई दारू नभक भभची फच्चं की
काऩी ककताफ । वच काका शभ भजदयू ो की जजन्दगी फशुत फेकाय शै ।आज तो कुछ अनाज फेचकय दलाई का इन्तजाभ ककमा शूॊ फाद भं कैवे शोगा वोच वोच कय भवय पटा जा यशा शै । दादा की फीभायी तो कापी
ऩयु ानी शो गमी । जजन्दगी बय शयलाशी ककमे ।इतना बी कभाई नशी शुई कक अऩने फयु े लक्त भं काभ आमे । दादा को दे खकय तो भुझे डय रगने रगा शै काका । मे फताओ काकी को कौन वे कानन ू के नाभ ऩय डया धभका यशे थे ।
ळाजन्तदे ली-फेटा गयीफी के रयवते घाल की शी फात शो यशी थी ।
फदयी-फेटा तेयी काकी को भं क्मा डयाउूॊ गा ।शभ तो खद ु डये वशभं शं
।योटी योजी के भरमे वॊघऩतयत ् शं ।रडके के ऩाव कऩडा नशी शं ।पटाधचथा ऩशनकय जाता शं भुझे खुद ऩय ळयभ आने रगी शं ।
यभामन-काका नयामन वफ वभझता शं ।मशी रडका तु्शाय भुवीफत
शये गा दे खना ।काका वयकाय वऩने ददखा कय चऩ ु ी वाध रेती शं । मे फाफू रोग जल् ु भ फयवाते यशते शै ।काका जाततलाद औय वाभन्तलाद
शभायी तयक्की की मशी दोनो भजफत ू दीलाये शं । जजव ददन मे ढश गमे
दे खना अऩनी फस्ती भं तयक्की की गॊगा फश उठे गी ।काका तुभ वच कश यशे थे शभ भजदयू ो के ऩाव ददन यात शाड पोडने के फाद बी बयऩयू योटी
का इन्तजाभ नशी शो ऩा यशा शं । अऩनी शी फस्ती भं दे खो ककतने रोगेा 77
का चल् ू शा ठण्डा ऩडा शं । फडी भुजश्कर वे एक टाइभ की योटी नवीफ शो ऩाती शै ।शय वार कोई ना कोई बूख अबाल वे दभ तोड दे ता शं ।फच्चे बख ू वे त्रफरख यशे शं । काका त्रफना जभीन वे शभ बभू भशीन खेततशय भजदयू ं का उध्दाय नशी शोगा ।
फदयी-वच फेटा अऩने ऩाव जभीन शोती तो शभ भजदयू ो की जस्थतत
अच्छी शोती क्मंकक खेती ककवानी की शय करा तो शभ खेततशय भजदयू ं को अच्छी तयश आती शै ।फाफू रोगो को क्मा आता शं कुछ बी नशी । इनकी खेती तो शभ भजदयू ो के फरफत ू े शो यशी शै । शभाये बयोवे याजा
फने शुए शं औय शभ शै कक बूखो भयने की शारत भं शै ।क्मा शभ गयीफो के खन ू ऩवीने की कभाई वे खडे धन के ढे य ऩय फैठे इन फाफू रोगो की नीचे की जभीन कबी नशी दशर ऩामेगी ।
यभामन-काक दशरेगी । भजदयू रोग तो ऩवीना फशाकय योटी की जआ ु ड कय रेता शं ।मे फाफू रोग नशी कय ऩामेगे ।
फदयी-शभ तो भन की व्मथाओॊ को बी नशी व्मक्त कय ऩा यशे शं ।कशे बी तो ककववे वबी तो जल् ु भी रग यशे शं इन फढ ू ी आॊखं के वाभने । उत्ऩीडन की लेदी ऩय इच्छाओॊ की फभर चढाकय
वख ु नशी भभर वकता कशय के अराला.............
ऩेट भं बख ू भरमे यात के अॊधेये भं नीॊद नीदॊ धचल्राने वे वऩने नशी आते बम के अराला ..........
फाफू रोगो के खेत भं शाड पोडने वे तयक्की नशी आमेगी
नशी फढे गे फच्चे नशी भभरेगी खळ ु ी उत्ऩीडन के अराला ............ शभायी भेशनत अधयू ी शै,आॊवू के ककस्वे शं अऩनी जेशन भं चेतन
भन को क्मा भभरा फदशप्काय औय श्ळोऩण के अराला .......
नशी तनभातण शुआ ककवी खुळी का,नशी उगे उनके फॊजय भन भं रयश्ते भन की व्मथाओॊ के ऩीछे दौडता ददत औय नशी भभरा कुछ ददत के अराला..........
78
फेटा मे भ्रभ भत ऩार । मे फाफू रोग खेत फंच फेच कय कई ऩीदढमाॊ तक ऐळ कय वकते शं । वफ जभीन ऩय तो इनका शी एकाधधकाय शै ।
यभामन -काका मश फात बी तो वशी शं ।शभ शी गर ु ाभ ऩैदा शुए शं ।काका भाभरक भजदयू का बेद तो खत्भ नशी शोगा ।रेककन शभ खेततशय भजदयू दोशयी भाय झेर यशे शं । ऩशरी तो जाततलाद की भाय औय दव ू यी गयीफी की । मे फाफू रोग शभायी भजफयू ी का पामदा बी उठाते शं भौका ऩाते शी शभायी इज्जत ऩय बी अऩनी तनमतत खयाफ कय रते शै ।ळशयी भजदयू ो के वाथ ऐवा नशी शै
जैवे श्ळशयं भं भजदयू ो के राब की
मोजनामे शं लैवे शी खेततशय भजदयू ं के भरमे बी रागू शो जामे तो बी कुछ वशूभरमत तो भभर वकती शै । फदयी-फेटा मे वाभन्ती रोग नशी भभरने दे गे ।मदद शभ बय ऩेट खाने
रगे तो इन वाभन्ती औय वूदखोय रोगो के तो शोळ शी उड जामेगे ।
फेटा वाभाजजक कुचक्र शी ऐवा कैद ककमा शं कक शभाये भरमे कोई यास्ता
शी नशी शै ।वाभन्ती औय वद ू खोयो के जार भे उरझ कय नायकीम जीलन जीना शै ।
यभामन-काका कशने को तो आजाद शं ।शभ लॊधचत भजदयू रोग गुराभ शं वाभन्ती व्मलस्था के इतनी शी नशी वद ू खोयो के धगयली बी शै ।आजादी के इतने फयवं के फाद बी अऩने शी दे ळ भं दे ामभ दजे के इॊवान शं
।शभायी भाॊ फशने की इज्जत के वाथ खेरा जा यशा शं ।गदशे ऩय नगा कय घभ ु ामा जा यशा शै ।फकयी के खारी खेतं की भेडं
ऩय चयने को
रेकय भाय ऩीट तक शो जा यशी शै । शभ वफ लॊधचत वभाज के रोग इक्टठा शोकय फढ ू ी वाभाजजक कुव्मलस्था का चोरा क्मा नशी छोड
दे त।उव व्मलस्था को क्मो नशी अऩना रेते जशाॊ आदभी आदभी फयाफय वभझे जाते शं ।जशाॊ वफ वाथ उठते फैठते शं। जजव व्मलस्था के रोग बाई भानकय गयीफो की भदद कयते शं।वफ एक दव ू ये के दख ु वख ु भं काभ आते शै। मशाॊ तो अऩने शी दे ळ भं अऩने शी रोगो की 79
दी शुई घाल
को तनशाय तनशाय कय आॊवू फशा यशे शै भवपत वाभाजजक कुव्मलस्था की लजश वे ।
फदयी-शाॊ फेटा शभने बी फशुत जल् ु भ वशा शं ।शर जोत जोत कय तरल ु ा तघव गमा शं वुआर फाफू के खेत भं ।जो ऩशरे शभ गयीफो की दास्तान थी आज बी लशी शं । शभं तो नशी रग यशा शं कक शभाया दे ळ मा शभ आजाद शं ।शभ तो आज बी अॊधेये भे जी यशे शै बूख औय बम भरमे
।कोई योळनी ददखने लारा नशी शं । शभ गयीफं के कल्माण के भरमे केाई भवीशा शी ऩैदा नशी शोता ।आजादी की धचॊगयी तो शभ गयीफ लॊततच
भजदयू ो ने शी जरामी थी ।दब ु ातनम दे खो आज शभ योटी के भरमे तयव यशे शं ।यभामन फेटा चेशये वाये डयालने शं । तभ ु नलजलानं को भोचात खोरना चादशमे ।इव बभभशीनता दीनता के खखराप वॊगठन फनाकय
।तबी गयीफेा की ओय वत्ता का वुख बोग यशे रोगो की नजयं शभायी ओय भुडेगी ।
यभामन- शाॊ काका वाभाजजक कुव्मलस्था शी शभायी वायी भव ु ीफतं की
जड शं ।शभ खेतं भं भयते शं खऩते शं। वायी जजन्दगी खेत वे जड ु े यशते शं ।खेत के भाभरक ले रोग शं जो कबी खेत भं ऩाॊल शी नशी यखते ।
फदयी-फेटा मश दास्तान तो दतु नमा जान यशी शं ऩय शभ दीन शीन रोगो
के भॊश ु के तनलारे के ऩख् ु ता इॊतजाभ के भरमे कोई आगे नशी आ यशा शं । कशते शै कक श्ळशयं भं गयीफं भरीन फजस्तमं भं यशने लारे रोगं की
बराई के भरमे फशुत वायी स्लमॊवेली वॊस्थामं काभ कयती शं।दलाई उऩरब्ध कयलाती शं । योजगाय के नमे नमे तयीके वीखाती शं ।उनकी शय व्बल भदद कयती शं। उनके प्रमाव वे वुना शै। श्ळशय के गयीफं को
उध्दाय बी खूफ शुआ शै । ले वॊस्थामे शभ गयीफो तक क्मं नशी आती श्ळामद इवभरमे की उनके ऩाॊल भं भाटी न रग जामे ।वच शभ गयीफं के उध्दाय का कोई यास्ता नशी ददखाई ऩड यशा शं ।
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ळाजन्तदे ली-फततमाते यशोगे कक यभामन का जाने बी दोगे फेचाये जेठ जी
छ् भशीना वे खदटमा ऩय ऩडं शै। जफ तक श्ळयीय भं जोय था तफ धयती
चीये वोना उऩजामे भाराभार शुए ठकुयारफाफू ।ऩैरूख थक गमा तो फीभायी ने बी घेय भरमा ।फेचाये खदटमा ऩय ऩडे ऩडे तडऩ यशे शै ।ठकुयार फाफू तो कबी बूरकय बी अफ शार नशी ऩछ ू ते ।जफ तक ऩैरूख था ठकुयार फाफू की शलेरी बये
भभरा क्मा वेय बय भजदयू ी ।कशी ळशय
ऩयदे व शोते तो इतना रूऩमा भभरता कक एक ऩीढी अयाभ वे खा रेती ।
खैय शभ गयीफं को तो श्ळशय वऩना शी शं ।शभ वफ भजदयू ो की एक शी जैवी दद ु तळा शोगी । फात फन्द कयो यभामन अऩने दादा के भरमे दलाई
फाजाय वे रेकय आमा शं तो जाने दो । जाकय दलाई तो भयणावन्न फाऩ को दे । बगलान कयं दलाई खाते शी जेठ जी तन्दरू ु स्त शो जामे ।जा फेटला जेठ जा अबी तो दलाई दो । इनका फात फाद भं वुन रेना ।
फदयी की ओय रूख कयके फोरा अबी यशने दो नयामन के दादा फाद भं कयना खेततशय बदू शीन भजदयू वेना का वॊगठन ।
यभामन-शाॊ भुझे जाना चादशमे दे य शो गमी । दादा बी गारी दे यशे शोगे । फेचाये रकला वे वड गमे शं । क्मा करूॊ काकी जो शो यशा शं कय यशा शूॊ । ऩैवा बी तो नशी शै कक श्ळशय रे जाकय इराज कयलाउूॊ । भजदयू ी भं
जो वेय दो वेय भभरता शं कुछ फंचकय दादा की दलाई रा दे ता शूॊ ।काका भं जाउूॊ दादा को दलाई दे दॊ ू कशकय यभामन उठा औय घय की ओय बागा । फदयी शुक्का गुडगुडाने भं व्मस्त शो गमा । छ्
र्फयू ाभ बइमा फशुत शुक्का गुडगुडाते यशते शो ।कभाई चलन्नी खचात वला रूऩइमा कय यशे शो ।शुक्का भं कर की फात तो बूरे नशी ना।
फदयी-कौन वी फात आजतक बूरा शूॊ र्फल ू ाॊ कक कर लारी फात बूर गमा। ककवी फात की जजक्र कय यशा शं । भं कोई फात बर ू ता नशी । शाॊ मश फात अरग शै कक कुछ नशी कय ऩाता गयीफी बूभभशीनता की लजश 81
वे । बइमा गयीफ के बूरने औय माद यखने वे क्मा फनने त्रफगडने लारा शै ।
र्फयू ाभ-बइमा कर कुनार फाफू वे भभरना शै कक नशी ।
फदयी-र्फू फाफू रोगो की फात कबी बूरने रामक शोती शै क्मा। फाफू
रोगो की फात शी तो रयवते जख्भ को ऩंछ ऩंछकय दमनीम जीलन जीने को द्धललव कयती शै । बरा फाफू रोगो की फात कैवे बर ऩाउॊ गा । फाफू रोगो के ददमे जख्भ वे तो कयाश यशा शूॊ । फदयी औय र्फयू ाभ यामभळद्धलया कय शी यशे थे कक श्ळाजन्त घय भं वे दौडी दौडी फाशय आमी औय फोरी नयामन के दादा योने की आलाज तभ ु को नशी
वन ु ाई ऩड यशी शै क्मा।औयत फच्चो दशाड भाय भायकय यो
यशे शं ।दजक्खन वे योने की आलाज आ यशी शं । कशी जेठ जी तो नशी............कई ददनं वे भवमारयन यो यशी थी । फदयी-घयऩत बइमा क्मा ।
र्फयू ाभ-अये बइमा यभामन के घय वे शी तो योने की आलाज आ यशी शै।
फदयी-यभामन तो अबी कुछ शी दे य ऩशरे तो मशाॊ वे गमा शं ।फेचाया
अऩना दख ु डा या यशा था । दाने दोन को भोशताज शं उऩय वे फाऩ की फीभायी वे ऩये ळान शं ।उवकी आॊखं वे आवॊू छरछरा ऩडे थे । र्फफयू ाभ औय फदयी दौडे चर फवे थे ।
यभामन के घय गमे फात वशी नककरी घयऩत
फदयी-आज औय एक खेततशय बभू भशीन का दख ु द् अन्त शो गमा ।बगलान
भजदयू ो की ककस्भत ऐवी क्मो फनाता शं कक जीते जी योटी कऩडा भकान के भरमे तयव जाते शं औय भयने ऩय गज बय कपन के भरमे ।शभायी
भजदयू फस्ती भं तो ऐव शी शो यशा शै। बगलान तू बी इतना तनदतमी शो
गमा । कैवा बगलान शं तू । शभ गयीफो ऩय जया बी यशभ नशी कयता ।
82
र्फयू ाभ-शाॊ बइमा खेततशय भजदयू ो की ऐवे शी दद ु तळा शोती आ यशी शं
ऩशरे वे शी ।फेचाये घयऩत बइमा छ् भशीना वे एक जगश ऩडे ऩडे वड गमे । ना ऩेट बय अनाज भभरा ना शी दलाई । भभरती बी कश वे घय
भं कुछ शो तफ ना फेटला ऩतोश कुछ कयं । ले बी तो फेचाये इवी बटठी
भं बस्भ शो यशे शै । भजदयू ी भं भभरे अनाज वे ककतना दलाई दारू कयते कपय बी फशुत ककमे जो उनवे शुआ ।गाॊल भं तो कोई भदद कयने लारी वॊस्थामं बी नशी आती । श्ळशय भं तो गयीफो का इराज वयकायी
अस्ऩतार भं भुपत भं शो जाता शै । मशाॊ तो अस्ऩतार ऩशुॊचते ऩशुॊचते फेचाया गयीफ भय जामेगा । ककयामं के भरमे शी ऩैवे नशी शोते । क्मा कैवे कयं लश वोच वोच कय शी भय जाता शै ।यभामन फडी भजु श्कर वे तो दो जन ु की योटी जट ु ा ऩा यशा शं ।फेचाया बूभभशीन भजदयू इववे अधधक कय बी क्मा वकता शं ।तडऩ शी वकता शं अऩने वगे व्फजन्धमं को दलाई के अबाल भं भयते शुए दे खकय । र्फयू ाभ-मे लक्त फात कयने का नशी शै ।ऩआ ु र राओ त्रफछाओॊ ।बइमा
की रामा फाशय तनकारो ।फाफू रोगो के खेत खभरशान वॊदेळ भबजलाओॊ
का फन्दोफस्त कयो ताकक फस्ती के भजदयू इक्ठा शो जामे औय बइमा की राळ का दाश वॊस्काय जल्दी शो जामे ।
र्फू दौडकय ऩआ ु र उठा रामा ।झटऩट त्रफछामा कपय दोनं राळ को
राकय ऩआ ु र ऩय भरटामे ।इतने भं ऩयू ी फस्ती के फढ ू ी औयत फच्चे इक्ठा शो गमे । याजकरी
दीलार ऩय
शाथ ऩटक ऩटक कय चड ू ी पोड री औय भाथा
ऩटक ऩटक कय भवय रशू वे यॊ ग री औय छाती ऩीट ऩीट कय यो यशी थी ।गाॊल की औयते उवे अॊकलाय भं कव कव कय फैठाने की प्रमाव कयती
ऩय शाय जाती । फडी भुजश्कर वे कई भदो की दखरन्दाजी वे उवे औयते काफू कय ऩामी । औयते उवको घेय कय फैठ गमी । कुछ शी भभनट भं
लश अचेत शो गमी । औयते फाय फाय ऩानी के छीॊटे भाय भायकय शोळ भं 83
राने की कोभळळ कय यशी थी । यभामन फाऩ की दलाई शाथ भं रेकय
दशाडे भाय भाय यो यशा था । ऩरयलाय के वबी छोटे फडे घयऩत की राळ
को घेयकय यो यशे थे । फस्ती के रोग वभझाने फझ ु ाने भं रगे शुए थे । र्फयू ाभ- शैण्डऩाइऩ वे एक रोटा ऩानी रामा यभामन को थभाते शुए फोरा फेटा आॊवूॊ ऩोछं औय ऩानी ऩीओ । योने वे बइमा तो जीद्धलत तो
नशी शो जामेगे ।अये जी कय कौन वे याजऩाठ का वुख बोग भरमे । जफ तक जजन्दा थे फाफू रोगो की शयलाशी ककमे ।ऩैरूख थकते शी योग जकड
भरमा । फेचाये दाना ऩानी औय दलाई के त्रफना तयव तयव कय भय गमे । तू बी क्मा कय वकता था
वेय बी भजदयू ी वे । खैय जो ककमा अऩनी
शैभवमत के अनव ु ाय ठीक शी ककमा । फच्चं के भॊश ु का तनलारा फंच फंच कय दलाई दारू तो ककमा । फेटा इवभं तेया कोई कवूय नशी शं ।कवूय शं तो वाभन्तलादी व्मलस्था का । जजवने घयऩत बइमा की नशी शभ शय
खेततशय बूभभशीन भजदयू ं को बूखं प्मावे दला दारू के अबाल भं भयने
की नौफत भं रा खडा कय ददमा । फेटा घयऩत बइमा भये नशी शं ।उनका भोष शुआ शं गयीफी वे बूखभयी वे योग वे बी ।अये कफ तक ऩडे ऩडे वडते । बगलान ने उठा कय ठीक शी ककमा शै । फेटा आॊवू ऩोछो कपन दपन का बी तो इन्तजाभ कयना शं । यभामन फेटला घय भं त् ु शी फडे शो ।कभामन की तो शार वबी जान यशे शं । ले कशाॊ ऩडे शं उनको शी
नशी ऩता शं फाकी दो छोटे छोटे शं ।घय ऩरयलाय की जज्भेदायी तु्शाये शी कॊधे ऩय शं ।फेटा बइमा की राळ को कशाॊ रे जाना शं ।
यभामान- काका क्मा फताउं ेू ।घय भं पूटी कौडी नशी शै ।फनायव रे जाने की गुॊजाइव तो नशी शं । भुझे बी भारूभ शं फनायव भं दाश वॊस्काय
कयने वे भयने लारे को स्लगत नवीफ शोता शं । काका मशाॊ तो खने के भरमे दाने नशी शं ।फनायव रे जाकय
द्धऩताजी का दाशवॊस्काय कयना तो
फशुत कदठन काभ शं ।काका मश तो भेये जीलन की अजनन ऩयीषा का वभम रगता शै ।फच्चं के तनलारे का कुछ अनाज था फेचक ॊ य दलाई 84
रामा लश बी द्धऩताजी नशी खा ऩामे दे खो कैवे चैन वे वो यशे शं । छ्
भशीना भं ऩशरी फाय चैन वे वोमा शुआ दे ख यशा शॊ । शय घडी ददत के भाये कयाशा कयते थे । खदटमा ऩय ऩडे ऩडे गाभरमाॊ दे ते यशते थे ।आज तो कुछ फोर शी नशी यशे शं ।शभ वफवे वदव के भरमे त्रफछुड गमे ।
फदयी-फेटा बइमा का जफ तक शाथ ऩैय चरा तफ तक फाफू रोगो के खेतो भं ऩवीना फशामे ।उत्ऩीडन वशे
,अऩभान वशे ।जफ तक ऩैरूख चरा
भेशनत भजदयू ी कय ऩरयलाय को ऩारे ऩोवे ।ेीइमा शी क्मा शभ वफ
भजदयू ं की मशी दास्तान शै। वभम की भाय नशी वश ऩामे ।आज शभ
वफको शभेळा के भरमे छोड गमे ।जजन्दगी बय नायकीम जीलन जीमे ।
भयने के फाद फनायव भं गॊगा भइमा को वऩ ु द ु त कय दे ते तो स्लगत नवीफ
शो जाता । फेटा शो वकता शो वकता शं फनायव भं दाश वॊस्काय शोने वे ऩन त न्भ वुधय जामे ।फेटा तू ऩैवे की धचन्ता ना कय अबी फस्ती के ु ज
फशुत वे भजदयू ं का ऩैरूख वराभत शै । कय रेगे रूऩमे की व्मलस्था तो शो शी जामेगी । र्फयू ाभ-शाॊ फेटा बइमा ठीक कश यशे शं । तू ऩैवे की धचन्ता ना कय ।
क्मा शभ तु्शायी दळा को दे ख नशी यशे शं ।वौ घय की भजदयू ं की फस्ती शै।वेय वेय बय अनाज औय दो रूऩमा की बी भदद वे वफ काभ व्ऩन्न
शो जामेगा । ऐवे शी तो शभ वबी एक दव ू ये के काभ आते शै । फेटा तेयी शी दळा दमनीम नशी शै वबी खेततशय भजदयू ं की दळा शी दमनीम शै
।शभ वबी एक दव ू ये के शार को जान यशे शं ।शभ एक दव ू ये की भदद
नशी कये गं तो क्मा फाफू रोग कये गे ।क्मा कबी खळ ु शार फाफू बइमा को
दे खने आमे कबी नशी ना भयने ऩय क्मा आमेगे । दव ू यं वे बी शार नशी ऩछ ू लामा शोगा । भयणावन्न भजदयू की शार ऩछ ू ने भं फाफू रोग नीचे
धगय जाते शै ना ।जैवे फैर फढ ू ा शोने ऩय कवाई को फेच दे ते शं लैवे शी
भजदयू ं को भयने के भरमे छोड दे ते श। जजन्दगी बय बइमा खळ ु शार फाफू
85
के शी ना शर जोते । एक गज कपन बी तो खुळशार फाफू को नशी भय्मवय शोगा जजन्दगी बय खून ऩीते यशे ।लाश ये फाफू रोग ।
यभामन-काका वफ शार दे ख शी यशे शो । भेयी बी तभन्ना थी कक अऩने फाऩ को अऩने कॊधे ऩय भखणतकखणतक तक ऩशुॊचाउूॊ ऩय काका राचाय को द्धलचाय क्मा अफ तो जो प्रबु को भॊजय शोगा । ऩाव भं पूटी कौडी तो
नशी शं । द्धऩताजी जजन्दगी ऩय फाफू खुळशार की शरलाशी ककमे ना ठीक
वे तन ढॊ कने को औय ना शी बयऩयू ऩेट बयने को योटी का इॊतजाभ कय ऩामे । आज दे खो कै तनढार ऩडे शं कपन की इॊतजाय भं । काका चरो ककवी वेठ वाशूकाय वे कुछ रूऩमा ददरला दो कभ वे कभ भेये फाऩ को भयने के फाद शी स्लगत भभर जामे जजन्दगी बय तो नयक बोगे । र्फयू ाभ-फेटा तू धचन्ता ना कय अये घयऩत बइमा तेये शी फाऩ नशी थे
इव ऩयू ी भजदयू फस्ती के बी वगे थे । उनकी राळ की वद्गतत शभ वबी भजदयू रगामेगे ।
फदयी अये र्फू बाई फात शी कयते यशोगे ।अये दो फाॊव काट राते । रोशाय बइमा को फर ु ला कय दटकठी फनला रेते । र्फू तू तो वफवे ऩशरे जा दो फाॊव काट रा । फदयी
वनकू की ओय रूख कय फोरा अये
वनकूआ आवॊू शी फशाता यशे गा कक कुछ काभ बी कये गा । फशुत भमगय शुआ शं ।छ भशीना वे ऩडे थे कबी तो दश्भत नशी शुई कक उनको टट्टी ऩेळाफ कयला दं । आज फशुत भमगय शुआ जा दो आॊटा । ऩआ ु र के फण्डर ।उठा रा यस्वी फना रे ।राळ फॊेाधने के भरमे रगेगी की नशी
।औयतं भाकपक आॊवू फशा यशा शै । एक ददन शभ वबी भजदयू ं की मशी शार शोने लारी शं ।जल्दी जल्दी शाथ चरा । फनायव जाना शं ।अये तू
दव ू ये भं काभ नशी कये गा तो तू भये गा तो तुभको फाॊधने के भरमे यस्वी कौन फनामेगा । जल्दी जल्दी फना रे बइमा तेया बी न्फय जल्दी आमेगा ।
86
वनकू-अये बइमा फाद भं क्मं आज शी भाय दो औय बइमा के वाथ भुझे बी रेते चरो । योज योज फाफू रोगो के दयलाजे ऩय भयने वे फदढमा तो शं एक शी ददन भय जामे ।
फदयी-फशुत भयने का श्ळौक चयातमा शं । एक दजतन फच्चे जो ऩैदा ककमा शं उनको ककवके बयोवे छोडकय भये गा । भुझे तो कोई एतयाज नशी शं । कशो तो तुभको बइमा की राळ के वाथ तुभको बी फाॊध दॊ ू ऩय
दजतन
बय फच्चं का इन्तजाभ कयके भयने की वोचो । अये वनकुआ ऐ वभाज ऐवा शै कक ना चैन वे जीने दे गा औय नशी भयने ।
र्फयू ाभ-बइमा फाॊव तो काट रामा अफ रोशय बइमा को फर ु ा राउूॊ ।
फदयी-त् ु शाये भरमे औय बी तो काभ शं ।रोशाय बइमा को फर ु ाने के भरमे ककवी रडके को दौडा दा ।
र्फयू ाभ-अये लो यजल ु ा फेटा तू शी दौड कय रोशाय बइमा को फर ु ा फता
दे ना घयऩत बइमा भय गमे शै दटकठी फनाना शं । रोशाय बइमा वुनते शी चर ऩडेगे । चरा जा फेटा दौडकय ।
यजल ु ा-ठीक शं काका कशकय दौड ऩडा पेरू रोशय के घय की ओय ।
फदयी औय र्फू यभामन के ऩाव फैठ गमे ।राळ को फनायव रे जाने की
फातचीत कयने रगे । इतने भं वाभी काका आ गमे। ले बी लशी फैठ गमे । वनकुआ यस्वी ऩयू ने।फनाने। भं रगा शुआ था ।चायो ओय तनगाश दौडकय वाभी फाफा फोरे र्फल ु ा कपन दपन का फन्दोफस्त शुआ की नशी । र्फयू ाभ-फाफा तभ ु आ गमे शो तो शो जामेगा ।
वाभी काका-भतरफ नशी शुआ शै । अये कपन कफ राअेेागे आधी यात को । र्फल ू ा चर वाइककर उठा जल्दी फाजाय चर ।कपन राने भं इतनी दे य तो श्श्भळान ककतनी दे य भं ऩशुॊचेगे । र्फयू ाभ-काका कुछ रूप्मे का तो इॊतजाभ शो जामे ।
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वाभीकाका-क्मा रूऩमे का इन्तजाभ यभामन वे नशी शोगा तो क्मा घयऩत की राळ दयलाजे ऩय शी ऩडी यशे गी । चर भेये वाथ कपन के भरमे कोई वाशूकाय उधायी नशी कये गा । उधाय नशी तो नगद तो भभरेगा । चर भं शूॊ ना तेये वाथ ।एक भभनट की दे यी फदातश्त नशी शोगी भुझवे ।जगश जगश वे चभडी गर गमी शं । कुछ दे य राळ औय यश गमी तो औय बी खयाफ शो जामेगी । दे यी कयना वभझदायी नशी शै । चरो वाइककर उठाओ ।दे यी ठीक नशी शं । वाभी-फदयी तुभ बी चरो ।
फदयी-ठीक शै काका शभ बी चरे चरते शं । काका दयलाजे ऩय बी तो कोई दे खने लारा चादशमे ना ।
वाभी काका-अये वनकुआ तो शं ना ।
फदयी- अये लो तो अबी कोई आमेगा । एक धचरभ गाॊजा ऩी रेगा तो
उवके शोळ शी उड जामेगे । लश तो खुद को नशी दे ख ऩामेगा । घयऩत
बइमा की राळ को क्मा दे खेगा । चरो का का कश यशे तो चरता शूॊ । काका चाय छ् कपन तो अऩनी फस्ती वे बी आ जामेगे । एक तो भं खुद दॊ ग ू ा । काका
शभ भजदयू ं की फस्ती भं बरे शी बूख ताण्डल कय
रे ऩय शभायी एकता को नशी तोड ऩाती । फयु े वभम भं वफ इकठा शोकय एक दव ू ये के दख ु भं काभ आ जाते शं ।इतनी तो फशुत अच्छी फात शं । फाकी तो शजायं फयु ाईमाॊ शं ।खैय चरो काका फाजाय चरो । वाभी-फदयी मशी तो शभ भजदयू ं की वफवे फडी दौरत शं । इव दौरत को शभं वशे ज कय यखना शोगा ।अगय मे दौरत शभ भजदयू ो के ऩाव
नशी यशी शोता तो मे वाभन्ती रोग शभाया शी नशी शभायी शड्डडमं का बी वौदा कय भरमे शोते ेॊ
फदयी-शाॊ काका फात तो राख टके की कश यशे शो ।नई ऩीढी को तु्शाये जैवे रोग ऩढा वकते शै ।
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वाभी-दे खो अफ मग ु फदर यशा शं । आजादी के छ् दळक त्रफत गमे शै ।आने लारा वभम जरूय शभाया शोगा । अऩने अऩने फच्चं को ऩढाओ खद ु बख ू े यशे । रेककन फच्चं को खखराओ स्कूर बेजो । फच्चे ऩढे गे
तबी तयक्की कय ऩामेगे । अऩने शी त्रफयादयी के जो रोग ऩढे भरखे शं ले रोग बी तयक्की कय यशे शं ।ळशय भं अच्छा कभा खा यशे शं ेॊखैय मे
वफ फात कयने का आज वभम नशी शं । आज तो घयऩत की राळ को ककवी बी तयश फनायव ऩशुॊचाने का ददन शं । फदयी-ठीक कश यशे शो काका भळक्षषत शुए तयक्की नशी शो वकती शै ।
खैय शभ ऩयु ानी ऩीढी के भजदयू ो की तो यो धोकय त्रफत गमी । फच्चं की कैवे त्रफतेगी धचन्ता रगी यशती शै ।
वाभीकाका-फदरयमा तू क्मो धचन्ता कय यशा शं । क्मा तेया फेटा तेये जैवे शयलशी कये गा । नशी कबी नशी । तू तो उवको ऩढा भरखा ।दे खना एक ददन मे फाफू रोग नयामन के नाभ ऩय गुभान कये गे ।
फदयी औय वाभी काका फात कय यशे थे इतने भं र्फू वाइककर रेकय आ गमा औय फोरा चरो काका कपन तो रेकय आमे । वाभीकाक-शाॊ चरो ।
फदयी,र्फू औय वाभी काका फाजाय गमे कपन एलॊ अन्म दाश वॊस्काय भं रगने लारी अन्म वाभान रेकय आ गमे ।वाभान यखते शुए वाभी फोरा अये र्फआ आज कौन वा ददन शं । ू र्फ-ू काका आज तो भॊगरलाय शं ना ।
वाभीकाका-अये लशी फाजाय भं तो फताना था ।तीन शड्डडमा औय भॊगानी ऩडेगी ।
फदयी-चरो शड्डडमा तो
भभर शी जामेगी । गयीफो की शड्डडमा बी तो
खारी शी शोती शं ।भं जट ु ाता शूॊ । वाभीकाका-शड्डडमा तो जानाजा उठते वभम पोडना ऩडेगा । भॊगरलाय
को भौत शोना ळुब नशी शोता ना ।कशते शै कक भॊगरलाय के ददन भयने 89
लारे के ऩरयलाय भं औय भौते शो वकती शै ।इवभरमे शड्डडमाॊ पोडने का रयलाज शै ।
फदयी-काका शड्डडमा की व्मलस्था शो जामेगी ।काका दे ख रो दटकठी फना ददमे रोशाय बइमा ।ले जाने का कश यशे शं।
वाभी-दटकठी फन गमी शं । रोशाय बइमा जाने का कश यशे शै तो जाने
दो ।रोशाय बइमा कोई नमे तो शं नशी ऩयु ाने शं ।फशुत दटकठी फनामे शं । शभायी बी मशी फनामेगे । फदयी-काका कैवे फात कय यशे शो । तुभ भय गमे तो इव भजदयू फस्ती का क्मा शोगा ।
वाभी-वफको एक ना एक ददन भयना शं । फदयी
फाफू रोगो की गर ु ाभी
वे तो फेशतय कार के गार भं वभा जाना शै ।दे खो फस्ती के वबी रोग जट ु गम शै ।घयऩत के दयलाजे ऩय आज भेरा रगा शुआ शं । कामदे भं भौत बी एक जश्न शं ऩय शभ भजदयू ं के भरमे तो शय योज गभ का शी ददन शोता शै ।जीलन औय भयन दोनो एक वयीखे शोता शं । जफ तक जीओ तो योज
भय भयकय जीओ। भयने ऩय तो वदा के भरमे दख ु का
फोझती वे उतय जाता शै।
फदयी-वाभी काका दे खे वभम फशुत शो चक ु ा शं । राळ को नशलाने धर ु ाने का इॊतजाभ कयलाओ ।कपन औय वफ वभान तो आ शी गमा शं । नातदशत जो आने लारे थे आ गमे ।अफ ककवी का इॊतजाय नशी शै ।राळ उठने का इॊतजाय शै ।
वाभी-शाॊ फदयी वच वभम तो फशुत तेजी वे बाग यशा शं । चरो दो खदटमा का आड कयं नशला धर ु ा कय राळ तैमाय कय दे ते शं । जनाजा बी जल्दी उठाना शोगा ।
वाभी,र्फयू ाभ,फदयी औय फस्ती के दो एक फडे फज ु ग ु त भभरकय घयऩत की भत ु ामे गॊगाजर तछडके कपय थोडा वा इत्र रगामे । ृ दे श को नशलामे ,धर
कपन भं रऩटे इवके फाद ऩआ ु र की यस्वी वे कवकय फाॊधे।कपय जनाजा 90
तनकरा ।वफवे कुछ रोग फाजा फजाते शुए चर यशे थे उनके ऩीछ आग की शड्डडमा भरमे यभामन चर शया था ऩीछे ऩीछे चाय रोग घयऩत की भत ृ दे श कॊधे ऩय भरमे चर यशे थे।इनके ऩीछे ऩयू ी फस्ती के उनके ऩीछे औयते फच्चे योते
भदातना औय
चर यशे थे ।घयऩत के जनाजे को दे खकय
ऐवा रग यशा था कक ककवी ळॊशळाश का जनाजा तनकर यशा शो । वात
फदयी औय र्फयू ाभ अधधमा की खेती की फात कयने के भरमे कुनार फाफू की शलेरी ऩशुॊचे औय दोनो एक वाथ कुनार फाफू को वराभ ठोके । कुनार फाफ-ू र्फयू ाभ की ओय इळाया कयते शुए फोरे फडी दे य कय दी ये र्फआ ॊु ।ॊ
र्फयू ाभ-फाफू घयऩत बइमा भय गमे ना ।उनकी कक् यमा कभत की तैमायी भं शी ददन तनकर गमा
यात भं शी तो फनायव भं पूॊक ताऩ कय आमे शै
।फाफू इवीभरमे थोडी दे य शो गमी ।
कुनारफाफ-ू घयऩततमा भय गमा ।कैवे भय गमा ये ।ठकुयार फाफू की
शरलाशी कय यशा था ना लो तो । क्मा फीभायी रग गमी थी कक झटऩट
भे भय गमा ।फशुत भेशनती भजदयू था औय ईभानदाय बी ।रोटा बय यव भट ु ठा बय चफैना खाकय ऩयू े ददन काभ कयता था ऩय कबी उरटकय फात नशी कशा ठकुयार फाफू वे । मशाॊ तो भजदयू भवय ऩय चढने रगे शं
कुनारफाफू फदयी की तयप इळाया कयते शुए फोरे । फदयी-शाॊ फाफू शभ भजदयू ो की ककस्भत फन गमी शै ऩेट भं बूख रेकय
भाभरको के खेत भं आॊवू फशाने की ।तबी तो वख ू ी योटी औय चटनी ऩेट बयने को नवीफ नशी शो यशी शं । ददन बय फाफू रोगो के खेत भं शाड पोडने के फाद बी ।
र्फयू ाभ-फाफू वच भजदयू ं की शारत तो फशुत खयाफ शै । फस्ती भं दे खो फेचाये भजदयू फेभौत भय यशे शं । ना कोई दलाई का इन्तजाभ शं ना योटी का । फडी भुजश्कर वे ददन काट यशे शं । ददन यात शाड पोडने के 91
फाद बी फयक्कत नशी शो यशी शं ।भजदयू ी शी इतनी कभ भभर यशी शं तो फयक्कत कशाॊ वे शोगी । उवी भजदयू ी भं वे तेर नन ू दय दलाई वफ तो कयना शं ।वयकाय बी खेततशय बभू भशीन भजदयू ं के दशत को रेकय
उदावीन शै ।भजदयू ं के वुयषा के भरमे कोई मोजना नशी शै ।जजवके तशत ् प्रवूता फच्चं के भरमे छात्रलद्धृ त्त
, द्धललाश,फीभायी,दघ त ना तथा ु ट
फेयोजगायी की अलस्था भं वयकायी वशामता का प्रालधान शो ।गयीफं के कल्माण के कोई भदद शभ भजदयू ं का भभरती तो कभ वे कभ फयु े ददनो भं तो कुछ याशत की वाॊव रेते । काळ शभ खेततशय बूभभशीन
भजदयू ं की वुयषा का इन्तजाभ वयकाय कयती ।वच फाफू शभ आजाद दे ळ के गर ु ाभ शाेाेोकय यशे गमे शै ।
कुनारफाफ-ू आॊख तये यते शुए फोरे तुभ भजदयू ी फढाने की फात कयने आमे शो मा कुछ औय ।
र्फयू ाभ-फाफू अधधमा ऩय खेती की फात शी तो कयने आमे थे । ऩयवं के ददन आऩवे फात शुई थी ना । आऩने शी तो फर ु ामा था कर के ददन । कुनारफाफ-ू कर क्मो नशी आमे । आज क्मं आमे शो । फदयी-अये
शभ तो ऩशरे शी फता चक ु े शं कक घयऩत बइमा कर भय गमे
थे इवभरमे कर नशी आ ऩामे आज आमे शं ।
कुनारफाफ-ू तभ ु को तो आज ठकुयार फाफू की चौखट ऩय धयना दे ना था
क्मंकक उनका लपादाय नौकय भय गमा ।उनकी शयलाशी कयने भं तुभको पामदा शोगा । भं तो छोटा भोटा जभीॊदाय ठशया ।
र्फयू ाभ-फाफू शभं तो आऩने फर ु ामा शं ठकुयार फाफू ने तो नशी फर ु ामा शं ।शभ तो आऩकी शी जभीॊदायी भं भं शनत भजदयू ी कयके दो जन ु की योटी की व्मलस्था कयना चाशते शं ।
कुनारफाफ-ू वुना शं ठकुयार फाफू तीवयी ऩय अऩनी जभीदायी दे यशे शं ।तभ ु रोग शभायी खेती कैवे कयोगे ।
92
र्फयू ाभ-फाफू अधधमा ऩय ना ।र्फयू ाभ अऩनी फात ऩयू ी शी नशी कयलामा तफ तक कुनार फाफू की भाॊ वुखखमानी दे ली टऩक गमी औय
कुनार
फेटा दो दो भजदयू फैठे शं । दो फाॊव कटला कय फयदौर । ऩळओ ु ॊ के
फाॊधने का घय। की टाटी शाॊ फॊधला दे ता । मे रोग तो अऩनी शयलाशी कयने लारे शं ना ।
कुनारफाफ-ू शाॊ ऩय अबी तनजश्चत नशी शुआ शै । वखु खमनी दे ली-तम तभाभ कयते यशने ऩशरे टाटा फॊधला रो । फेचायी
गाभबन गाम को रू फताव रगता यशता शं । अये र्फू औय फदयी गाम शभायी भाॊता शं । भाॊता के भरमे भाॊता के कशने ऩय शी घण्टा बय की फेगायी कय दो । गाम भाॊता के नाभ ऩय की गमी फेगायी व्मथत नशी
जामेगी । अये शय काभ की भजदयू ी तो रेते शी शो । गाम भाॊता के नाभ ऩय थोडा ऩन् ु म कभा रो ।
फदयी औय र्फू एक दव ू ये को दे खने रगे ।दोनो के भाथे ऩय उबय यशी
रकीयं को दे खकय कुनार फाफू ऩावा पेकते शुए फोरे र्फयू ाभ अगय तु्शायी भॊेा शोती तो क्मा तुभ भना कय दे ते । अये बाई घण्टे बय का काभ शं इवको तनऩटा रो ऩयू ा ददन अऩने ऩाव ऩडा शं ।दव भभनट भं
तम तभाभ कय रेगे । तभ ु रोगो को शयलाशी कयना शं ।शभं बी जरूयत शै ।
र्फयू ाभ-कुनार फाफू की फातो वे आश्वस्त शोकय फोरा फाफू टाॊगा कशाॊ शै ।
कुनारफाफ-ू ओवायी भं शं ।
र्फयू ाभ -चरो बइमा फदयी फाॊव काॊट कय टाॊटी फना दे ।
फदयी-अतॊडडमा कुरफर ु ा यशी शं मे फाफू ददन बय का काभ फता ददमे कश यशे शै घण्टे बय का काभ शं । आधा कोव दयू वे तो फाॊव शी काट कय राना शोगा । इनकी फॊवलायी तो कापी दयू शं भयु ददशमा ऩय ।
र्फयू ाभ-बइमा बूख ऩेट भं यखो कुल्शाडी रो चरो फाॊव काट रामे । 93
फदयी-ठीक शं बइमा चरो । शभ खेततशय बूभदशीन भजदयू ं को तो ऩेट भं बूख रेकय जीने की आदत शै ।
र्फयू ाभ औय फदयी कुनारफाफू की फॊवलायी वे दो फाॊव काॊटे रेकय आमे
। फाॊव तछरे , कन तछरे कपय फॊेाव पाडने भं जट ु गमे । फाॊव पाडने के फाद एक परठा नाऩ नाऩ कय काटे । खभरशान वे ऩआ ु र का फोझ रामे । मश वफ कयते कयते वूयज भवय ऩय आ गमा ।बूखे दोनो की शारत
खयाफ शो यशी थी ।मशाॊ उनको एक धगराव ऩानी बी भभरने की उ्भीद ना थी ।फदयी फाय फाय कुएॊ की तयप ताक यशा था ऩय लश कुऐ वे
तनकार कय ऩानी बी तो नशी ऩी वकता था ।इतने भं वुखखमानी दे ली
आ गमी औय फोरी क्मा फदयी दोऩशय शो गमी दो टाॊटी नशी फना ऩामे ।कैवे खेती का काभ कयोगे तुभ रोग ।
र्फयू ाभ- भारककन आऩकी फॊवलाय शी ककतनी दयू शं ।भुयददशमा मशी शै क्मा । आना जाना कोव बय शो गमा । शये फाॊव कॊधे ऩय रेकय आना
लश बी केन वदशत आवान काभ शं क्मा ।बयी दोऩशयी भं शभ फाॊव रेकय आमे शं । तछरे शं । ऩआ ु र औय गन्ने की ऩत्ती खभरशान वे राकय टाॊटा फनाने जा यशे शं । इववे जल्दी क्मा शोगी । प्माव के भाये गरा वूखा जा यशा शै ।
वखु खमानीदे ली-प्माव रगी शै । कभारयन को आ जाने दो । आज लश बी नशी आमी । इन भजदयू ो
शार शी मशी शं काभ कभ फात ज्मादा कयते
शं । आमेगी तो कशे गी । भदत फीभाय शो गमा तो कबी फोरेगी फेटला
फीभाय शो गमा तो कबी कशे गी दादी वाव के रयश्ते भं कोई भय गमा । फशाना फनाना तो भजदयू ो वे वीखो । इतने भं कभारयन आ गमी ।
कभारयन के उऩय यौफ छाडकय वुखखमानी दे ली फोरा जा लो द्धऩरास्टीक
की फाल्टी भं ऩानी बय कय रा फदयी औय र्फू को ऩीरा दे प्माव के
भाये भये जा यशे शं ।माद यखना उऩय वे शी ऩानी ऩीराना फाल्टी छूआने ना ऩामे इनवे ।
94
कभारयन-भवय रटका कय ऩानी रेने चरी गमी ।कभारयन जल्दी जल्दी गमी एक फाल्टी ऩानी बय रामी । दौडकय शलेरी वे कटोया रामी ।
कटोया वे फायी फायी वे फदयी औय र्फू को चल् ु रू वे ऩानी ऩीरामी । लश फाल्टी कटोया भाॊजी इवके फाद शलेरी के अन्दय रे गमी ।याशत की वाॊव रेते शुए दोनो टाॊटी फाॊधने भे जट ु गमे। टाटी क्मा ऩयू ी भडई फनानी थी फव नाभ टाॊटी का था । र्फयू ाभ-बइमा मे फाफू रोग तो पोकट भं जाने तनकार रेते शै ।
फदयी-शाॊ र्फू दीन को दीन फनमे यखने भे भाभरक रोगो का शी शाथ
शोता शै। शभे भेशनत की ऩयू ी भजदयू ी कशाॊ भभरती शै । तुभ तेा दे ख शी यशे शो दो ददन वे कुनारफाफू त्रफना भजदयू ी के काभ कयला यशे शं ।दो
चल् ु रू ऩानी क्मा द्धऩरला दी वुखखमानी दे ली जैवे फशुत फडा एशवान कय दी ।शभ गयीफं का चल् ू शा ठण्डा कयने भं बी इन्शी भाभरको को शाथ शं ।
मे चाशते शी नशी कक शभं चैन की योटी भभरे।शभ बूख की आग भं जरते शुए बी इन खन ू चव ू ने लारं की गर ु भी भं रगे यशते शं । र्फयू ाभ-दे खो आधे घण्टे का काभ कशकय शभं पवा कय कुनारफाफू खुद
कशी चरे गमे ताकक शभ उनके आने तक काभ ऩयू ा कय रे ।दे खो दोऩशय ढर गमी ।ऩेट भं अन्न का टुकडा नशी गमा ।काभ बी अबी खत्भ नशी शुआ ।ऩानी ऩीराने भं वखु खमनी दे ली की जैवे जान तनकर गमी । बगलान का श्ळक्र ु था कक कभारयन आ गमी नशी तो दो घट ूॊ ऩानी बी नशी भभरता ।प्माव के भाये जान तनकर जाती ।एक ददन फची थी आज प्माव वे तनकर जाती ।
वाॊऩ वे जान
फदयी-ळुब श्ळुब फोर र्फू बाई । कुनारफाफू की अबी शरलाशी बी तो
कयनी शं । इतने भं घफया गमा । भय जाओगे तो तु्शाये फार फच्चं की खान खचत क्मा कुनारफाफू उठामेगे ।ऐवे शी भेशनत भजदयू ी कयके फच्चं को ऩढा रेगे तो बरे शी वाभाजजक वभानता न भभरे ऩय ऩेट बय योटी तो फच्चा रोग कभाकय ळशय ऩयदे व वे तो जट ु ा शी रेगे ।जीलन की 95
श्ळाभ तो बय ऩेट योटी खाकय गुजये ।फच्चं की तयक्क् ेी दे खकय शॊवी
खुळी जजन्दगी के आखखयी ऩर गुजय जामे फव इतना वा ख्लाफ शं र्फू
। तभ ु भयने की फात कय यशे शो ।दे खना मे फाफू रोग अऩना भवय नोचं गे
अऩने ककमे ऩय । फशुत अन्माम ककमे शै दे खना नभक की भबद्धत्त की तयश मे बी गरेगे । र्फयू ाभ-बइमा तुभ तो उ्भीद अच्छी जगाते शो ।क्मा उ्भीद के वशाये जख्भ वे
ताय ताय जीलन जी ऩामेगे ।
फदयी-क्मं नशी ।तुभको ऩता शै जफ भं शे ाळ व्बारा तो खुद को वुआर फाफू का गोफय उठाते शुए ऩामा ।बगलान की कृऩा वे भेया नयामन दे ख यशे शो कारेज जाने रगा शै ।भैने बी कवभ खा भरमा शै कक फेटला को खेततशय भजदयू नशी फनने दॊ ग ू ा ।फाफू रोगो की गुराभी नयक वे बी
फदत्तय शं र्फू इव नयक वे अऩने फच्चं को फचाना शै ।फयु ा वभम चर
यशा शं कबी ना कबी तो कटे गा शी ।शौळरा यख र्फआ ू ॊ । मे फाफू रोग शभ गयीफो का खन ू ज्मादा
शजाय दो शजाय वार नशी ऩचा ऩचा ऩामेगे
।वभम के वाथ वभझौता कयं अगय जीना शं ।वाभाजजक कुव्मलस्था घाल को दे खकय कफ तक आॊवूॊ फशाते यशोगेा ।
के
र्फयू ाभ-बइमा इतनी ऩीडा के वाथ तभ ु खळ ु कैवे यश रेते शो ।
फदयी-कर के भरमे आज वे शी खळ ु यश रेता शूॊ ।शभ योते यशे तो फच्चं का क्मा शार शोगा । बये ऩेट का फशाना कय पॊेाका बी कयना ऩडता शं फच्चेा के भरमे ।फच्चे शी तो अऩनी वफवे फडी दौरत शै ।
र्फयू ाभ- ठीक कश यशे शो बइमा । फच्चं के अच्छे कर के भरमे शभं
त्माग तो कयना शी ऩडेगा ।तबी तो शभाये फज ु ग ु ो ने कशाॊ नेक उद्देश्म के भरमे जल् ु भ वशना तऩस्मा का पर दे ता शै ।
फदयी-र्फू पजत वे द्धलभुख शोना कामयता शै । मे फाफू रोग अत्माचाय कय थक यशे शं। शभ वशकय नशी थके। इतना शी नशी शभ जल् ु भ के खखराप कबी दशॊवा का यास्ता नशी अऩनामा । शभ बूभभशीनता के 96
अभबळाऩ के वाथ खेत भाभरकं के खेत भं त्रफल्कुर कभ भजदयू ी भं ऩवीना फशाकय एक तयश वे शभ बूभभशीन भजदयू ो का वत्माग्रश
आन्दोरन शी ककमा शं । तबी तो जभीदायी फॊधल ु ा भजदयू ी प्रथा आॊवू
फशा यशी शै । शभ गयीफ अऩने श्रभ का ततरक रगाकय आज बी लैवे शी शाडथयू त यशे शं ।र्फू दे खना मे दशटरय
फाफू रोग आत्भनरातन भं डूफ
भयं गे । जभीन फंचकय दारू ऩीमंगे वेठ वाशूकाय रोग इनकी जभीदाय कौडी के भोर खयीद रेगे ।शभायी वेय बय भजदयू ी भं बगलान अगय शं तो जरूय फयक्कत दे गा दव फीव ऩच्चाव वार फाद शी वशी ऩय दे गा
जरूय । कशते शं ना ऩरयश्रभ कबी फेकाय नशी जाता । शभायी बी बगलान कबी ना कबी वन ु ेगा । जफ तक मे फाफू रोग जभीन के भाभरक शं तफ तक बरे शी जभीन फेचकय दारू भुगात खा रं यण्डी नॊचा रे ।कफ तक शभ गयीफो ऩय अत्माचय कय वुखी यशे गे ।
र्फयू ाभ-बइमा इन फाफू रोगो की चार चरन दे खकय तो ऐवा शी रग यशा शै । जो आॊवू गयीफो को मे ददमे शं उवी भं डूफ भये गं । त् ु शायी फातं को वुनकय बइमा भेये भन भं
कुछ ऐवे द्धलचाय आने रगने रगा
शै ।
अॊधेये का आभळमाना उजारे को फोता शूॊ, भाथे ऩवीने की ततरक रगा रता शूॊ श्रभ वे ऩत्थय वुरगा रेता शूॊ आॊवूओ भं योटी डूफा रेता शूॊ बख ू शै जाभरभ भानती नशीॊ
उ्भीद भं यात ददन गुजाय रता शूॊ कश ददमा शै दतु नमा लारं वे दभन फदातश्त नशी कयता शूॊ अफ योटी की कपक्र नशी भझ ु को
श्रभ की तरलाय वे फना रेता शूॊ 97
वभानता की दयकाय शै भुझे
अफ तो उठो वूऩतो कय दो ऐरान
फशुजन दशताम की फात कयता शूॊ.................. फदयी- र्फू तू तो नयामन के नाना की तयश वे गा यशे शै ऩय भं
तु्शायी फात वभझ गमा शूॊ ेॊ फशुत फदढमा फात कय यशा शं। काळ बूभभशीनता खत्भ शो जाती ।शभ बूभभशीनं के ऩाव बी अऩना शर फैर औय खेत शो जाता ।
र्फयू ाभ-वयकाय चाशे तो वफ कुछ कय वकती शै ।मशा तो शभ गयीफं वे उदावीन शं वयकाय क्मंकक वयकाय भं बी तो लशी बूऩतत ऩयु ाने जभाने
के याजा भशयाजा शी तो फैठे शुए शं । कुछ रोग लॊधचत वभाज के तो शं ऩय उनकी शारत फॊधल ु ा भजदयू ं जैवी शो कोकय यश गमी शै । तबी तो शभ लॊधचतं की ओय वयकाय वयकाय उदावीन फनी ऩडी शै ।वयकाय भं
दॊ फगो के लजतस्ल शोने की लजश वे शी तो वयकाय ऩॊगु शोकय यश गमी शै ।वयकाय के भाथे का करॊक शं बख ू ी नॊगी श्ळोद्धऩत ऩीडडत एलॊ जाततलाद का अभबळाऩ झेय यशी जनता ।
र्फू औय फदयी आऩव भे फशुत धीये धीये फाते कय यशे थे । इतने भं त्रफल्री की तयश ऩैय दफामं कुनार फाफू आ गमे औय फोरे अये तभ ु रोग ठुवयु बव ु यु शी कयते यशोगे कक टाॊटी बी छाओ छाऩोगे ।दो टाॊटी फाधने
भं वुफश वे श्ळाभ शो गमी तो फीव त्रफगशा खेती कयने भं क्मा शार शोगा ।क्मा तुभ रोग नीभ की छाॊल भं फैठकय गप्ऩे शी रडा यशे थे ।
र्फयू ाभ-फाफू शभ गयीफ रोग भक्काय नशी शोते ।श्रभ शी तो शभाये जीने
का वशाया शं ।भेशनत भजदयू ी भं जया बी कोतशाई नशी फयतते । शाॊ फाफू रोग बरे शी भजदयू ी
भं भाटी कॊकड ,ऩत्थय मा घाव बूवा भभरा दे ।फाफू
गयीफं को शाडपोडने आता शं गप्ऩे रडाने नशी ।वच फाफू शभ लॊधचत की तकदीय फन गमी शं फेफवी । तबी तो शाडपोड भेशनत ऩय बी फाफू रोग अॊगुरी उठाते शं ।
98
कुनारफाफ-ू र्फू
तू नेताओ की तयश कफ वे फोरने रगा ये ।
र्फयू ाभ-फाफू वच्चाई फमान ककमा शूॊ । फेफवी रयवता घाल शी शभ भजदयू ो की मथाथत शै ।
फदयी-रो फाफू टाॊटा तो फन गमी ।ऩयू ा ददन शभ दोनो का खोटा चरा
गमा ।इतने फडे फडे पाटको के भरमे तो रोशे का बयी बयकभ दयलाजा
शोना चादशमे । दयलाजे तो इतने फडे फडे शै कक शाथी आ जा वके । टाॊटी क्मा ऩयू ी भडई का वाभान रग गमा ।खैय फाफू आऩका काभ शो गमा ।
र्फयू ाभ-चरो बइमा टाॊटी खडी कय ददखा दं औय घय चरे बूख फशुत जोय की रगी शं । दो चल् ु रू ऩानी वे बूख तो जा नशी वकती ।वफेये वे काभ भं रगे शुए शं। फाफू अफ तो फता दो खेती कयलाअेगे की नशी । कुनारफाफ-ू क्मो नशी ।शभाये फव का शार जोतना शं क्मा । मग ु ं वे तो
तु्शाये फाऩ दादा जोतते आ यशे शं । अफ शभ जोतेगे क्मा । शर तो तुभ शी रोग जोतोगे ।
र्फयू ाभ- फाफू कैवे कयालाओगे । कुनार फाफ-ू शरलाशी कय रो ।
फदयी- फाफू फॊधल ु ा भजदयू ी की प्रथा खत्भ शो गमी शै चायं ओय आऩ शरलाशी कयने को कश यशे शं । भझ ु वे तो अफ शरलाशी नशी शोगी । अधधमा दटकुयी शी करूॊगा ।
कुनार फाफू -शभं तो शरलाशं की जरूयत शै।
र्फयू ाभ-फाफू अफ तो खेत भाभरक रोग अधधमा ऩय खेती कयला यशे शं आऩ शरलाश खोज यशे शो । कुनर फाफ-ू शाॊ र्फू ।
र्फयू ाभ-फदयी बइमा ठीक कश यशे शं । फॊधल ु ाॊ भजदयू ी तो भं बी नशी कय ऩाउूॊ गा ।
कुनारफाफ-ू भवय खज ु राते शुए फोरे अच्छा तभ ु शी फताओ कैवे कयोगे ।
99
र्फयू ाभ- अधधमा ऩय । आधी उऩज आऩकी औय आधी भं शभ दोनेा फाॊट रेगे । खाद ऩानी भं फयोफय दे ना शोगा ।
कुनारफाफ-ू अधधमा नशी तीवयी ऩय कय वकते शो तो कय रो ।भेशनत
भजदयू ी खाद ऩानी वक फकुछ तुभ रोगो का शोगा शभाया फव खेत यशे गा ।
र्फयू ाभ-फाफू गयीफं के दभन ऩय क्मं तूरे शो ।भेशनत भजदयू ी खाद
ऩानी के फाद शभं क्मा भभरेगा । एक कुन्टर अनाज शोगा तो शभं तो
२५ ककरं भभरेगा ना । फाफू कैवे ऩेट ऩयदा चरेगा ।ऩेट भं बूख रेकय कैवे काभ कय ऩामेग । आऩ शी फताओ फाफू । फदयी-भजदयू ी शी इववे ज्मादा रग जामेगी । र्फयू ाभ-फाफू बइमा ठीक कश यशे शं ।
कुनार फाफ-ू इव जभीदायं की फस्ती भं तो ऐवे शी खेती शो यशी शै ।
दव ू ये भजदयू ो को नक ु ळान नशी शो यशा शं तुभ रोगो का नक ु ळान शो यशा शै । भजदयू तभ ु को कशाॊ फाशय का रगाना शं । ऩानी खाद भं थोडा फशुत खचात शं । इतना तो कयना शी ऩडेगा दव ू ये के खेत भं खेती कयने ऩय। अगय तुभवे नशी शो यशी शं तो कोई फात नशी औय रोग बी राइन भं
रगे शुए शै ।नशी कयने का भन शं तो आगे फढो । शभ अऩना इन्तजाभ कय रेगे । दो ददन वे तभ ु रोग तेर रगा यशे शो इवभरमे तभ ु ऩय दमा आ गमी लयना दव ू यं को बी दे वकता शूॊ ।आगा ऩीछा न कयो तु्शाया नक ु ळान नशी शोगा । वबी तो ऐवे शी कयला यशे शै । तु्शाया फयु ा कय भझ ु े खळ ु ी तो नशी शोगी ।
र्फयू ाभ- कुनारफाफू की धचकनी चऩ ु डी फातं
ऩय मकीन कय फैठा ।
फदयी-र्फू को इळाये वे वभझाेाने की कोभळळ कय यशा था ऩय लो नशी वभझा ।
कुनारफाफ-ू दे खो र्फू कोई जफतदस्ती नशी शं । नशी कयना शं तो भना
कय वकते शो । भजदयू ं का अकार नशी ऩडा शुआ शं । एक को फर ु ाओ 100
तो चाय दौडे चरे आते शं ।दे खो र्फयू ाभ अगय तुभ दोनो को शभायी
खेती तीवयी ऩय कयनी शै तो कर वे जोतना फनाना श्ळुरू कय दो ।फदयी के ऩाव एक जोडी फैर बी तो शं कशाॊ तभ ु केा ऩैवा दे कय जोताना शं ।
र्फू तुभ बी एक जोडी फैर यख रो तीवयी ऩय खेती कयने के पामदे
तो तुभ जानते शी शो । भेशनत खुद कयंगे तो पामदा शी पामदा शं ।
फाफू फन कय भजदयू रगाओगे तो भजदयू ी तो दे नी शी शोगी । फशुत टाइभ खोटा शो गमा र्फयू ाभ । त् ु शाये वाथ ऐवे शी फात कयता यशूॊगा
तं फाकी काभ कैवे शोगा । दे खो कोई जोय जफतदस्ती नशी शं ।तीवयी ऩय भेयी खेती कयनी शं तो कर वे शी जट ु जाओ । कयना शं मा नशी शाॊ ना भं जफाफ दो औय यास्ता नाऩो ।
र्फयू ाभ-कुरफर ु ाती अतॊडडमं को दफाते शुए फोरा शाॊ फाफू । आठ श्माभ फाफ-ू अये लाश ये श्ळशयी फाफू जजन्दगी
बय श्ळशय ऩयदे व ककमे
कपय बी जभीॊदायी के ऩैतेय नशी बर ू े। रयटामय शोते शी रग गमे ऩयु ाने
धे्ॊ ाधे भं ।क्मा फात शं कुनार फाफू आजकर तु्शायी शलेरी फस्ती कं
भजदयू ं का आना जाना वुफश श्ळाभ रगा यशता शै । कबी वडा शुआ ऩआ ु र का ढे य पोकट भं पंकला रेते शो तो कबी घय छला रेते शो तो कबी कुछ कबीकुछ आज तो तभ ु ने भडई शी छला भरमे फदयी औय
र्फयू ाभ वे ।खैय फाऩ दादा के ऩैतये बूरना बी नशी चादशमे । कुनार फाफू मे बूभभशीन भजदयू शभ जभीन भाभरकं की गुराभी के भरमे
बगलान ने पवतत भं गढा शै । तबी तो मे भजदयू ी शभायी चौखटं ऩय
भाथा ऩटकते यशते शं जैवे रोग भॊददयं भं भाथा ऩटकते शं । कुनार फाफू वुना शं कई ददनं वे फदयी औय र्फयू ाभ की खूफ ऩये ड रगला यशे शो । फशुत फदढमा कुनार फाफू जभीॊदायी के ऩैतये नशी बूरे । कुनार फाफू ऩयदे व भं यशकय बी मे जभीदायी के गयु नशी बर ू ऩामे ।
101
कुनारफाफ-ू फाफू ककतनं शी श्ळेय फढ ू ा शो जामे शभायी वाभाजजक
कुप्रथाओॊ की तयश तो क्मा श्ळेय भळकाय कयना बूर जामेगा । फाफू श्ळेय भळकाय कयना बर ू कय बख ू ं भये गा क्मा ।मे भजदयू रोग बी शभाये भरमे भळकाय शी तो शं ।शाॊ मे फात अरग शै कक शभ इनके खून को ऩवीना
फनाकय थोडा अनाज भजदयू ी के तौय ऩय दे दे ते शं । फाफू शभ बी तो
खानदानी जभीदाय शं बूभभ भाभरक शं । फाफू भं मश बी जानता शूॊ इन भजदयू ं के वाथ रयमामत नशी फयतनी चादशमे नशी तो भवय ऩय चढने रगते शं ।फाफू शभ बूभभभाभरको के भरमे फडे वुख की फात शं कक इन भजदयू ं वे
शभाये फॊळजं ने इनके धन औय धयती ऩय कब्जा कयके
अऩने को भाभरक फना भरमा लयना आज तो शभ बभू भ भाभरको के ददन अच्छे नशी शोते । फाफू इन भजद ू यं ऩय याज कयना तो शभं द्धलयावत भं
भभरा शं तो शभ खानदानी ऩंतये बूरकय अऩना शक गॊला दे । कबी नशी फाफू इन दीन शीन बूभभशीन भजदयू ं को कब्जं भं यखने के भरमे इनका जजतना दोशन शो वके कयते यशना चादशमे ।
श्माभफाफ-ू अये लाश ये कुनार फाफू ऩयदे व भं यशकय बी तुभ भजदयू ं ऩय
याज कयने का ऩाठ दोशयाते यशे । ळाफाव कुनार फाफू बूभभ भाभरकं के इततशाव भं त् ु शाया नाभ जरूय योळन शोगा ।कुनार फाफू फदयी औय र्फयू ाभ को कौन वे फट ू ी द्धऩरा ददमे शो कक जफ दे खो तफ त् ु शायी
चौखट ऩय भवय रटकामे खडे यशते शं । कौन वा जाद ू चरा ददमे शो । कुनारफाफ-ू फाफू शऩते बय वे
योज वुफश श्ळाभ दोनं फेगायी कय यशे शं
। वन ु ा शं र्फयू ाभ ऩयदे व भं चाम ऩान की दक ु ान चरा यशा था । ककवी फाफू को इवकी जातत ऩय श्ळक शो गमा । उवने कय दी खोजफीन ।
आखखय भं बण्डा पूट गमा । फाफू रोगो ने खूफ ऩीटा औय दक ु ान तशव नशव कय दी । तबी तो भवमाय फना कपय यशा शं । फाफू झूठ का ऩशाड
कफ तक दटका यशता । फताओ इव र्फयू ाभ ने धभत भ्रप्ट कय ददमा ना जाने ककतनं का । अफ भेयी शरलाशी कयने के भरमे धगडधगडा यशा शं । 102
फाफू मे र्फू औय फदयी वभझ यशे शै कक भं ऩयदे वी क्मा जानूॊ
बूभभभाभरकं के ततकडभ । फाफू भं तो खून तनचोड कय यख दॊ ग ू ा । इनकी वायी शोभळमायी तनकार रॊग ू ा उऩय वे
आकी फाकी गाॊल के
वूदखोय चव ू रेगे । नतीजन बय ऩेट योटी के भरमे शाडपोडते यशे गे । दे खना फाफू भेयी शरलाशी तो थाभ रेने दो ।
श्माभफाफ-ू कुनारफाफू र्फयू ाभ का फाऩ बी ऩयदे वी था । ऩल्रेदायी का
काभ कयता था मा ककवी चभडे की पैक्टयी भं काभ कयता था ।मश तो
नशी भारूभ ऩय जफ गाॊल आता था तो भजदयू ं को फशुत बडकाता था ।एक फाय तो भजदयू ो ने शडतार बी कय ददमा था । जफ चायो तयप वे यास्ते फन्द कय ददमे शभ बभू भ भाभरकं ने तो घय भं टट्टी कयने की नौफत आ गमी इन भजदयू ं के वाभने तफ जाकय घट ु ने टे के थे
।र्फयू ाभ का फाऩ वदयी कबी शभाये खेतं भं काभ नशी ककमा । ना
जाने कफ ऩयदे व वे आता था जफ तक गाॊल भं यशता था घय वे फाशय
नशी तनकरता था । चोयी तछऩे शी ऩयदे व वे आता था औय ऐवे शी जाता बी था । उव जभाने भं शभ बूभभ भाभरक रोगं को उवकी खूफ तराळ यशती थी ऩय शाथ नशी रगा तो नशी रगा । उवका फव चरा शोता तो वाये भजदयू ं को ऩयदे व शी रे जाता ऩय शभ भाभरको ने फैठक कय भजदयू ं को इतना आतॊककत ककमा की ले अऩने वे दव ू ये गाॊल तक
भजदयू ी के भरमे नशी तनकर ऩामे । आज दे खं भजदयू ं के रडकं ऩढ यशे स्कूर भं शभाये फच्चं के वाथ ।क्मा ले शभाये खेतं भं काभ कये गे । प्रश्न फाय फाय भख ु रयत शोने रगा शै । ऩयु ाने भजदयू बी वलार जफाफ कयने रगते शं । दे ळ अॊग्रेजो के शाथ भं ठीक था । आजादी भभरते शी मे
ऩय्ऩयागत भजदयू बी अऩने को फडा वभझने रगे शं। खैय कुछ बी शो जामे मे भजदयू यशे गे तो भजदयू शी क्मंकक वाभाजजक कुव्मलस्थामं
शभायी ऩषधय तो शं ।इन भजदयू ं औय इनकी औरादं तो शभाया शर
जोते ,उधभ फाफू का शर जोते मा ककवा औय का । शभाये खेत भं शी 103
इनका ऩवीना फशाना शोगा । अफ तक तो इन भजदयू ं का खानदान
शभाये खेतं भं शी भजदयू ी कयके ऩरा फढा शं। बद्धलप्म भं बी इनका ऩरयलाय शभायी दमाय ऩय शी जामेगा फाफू कुनार ।
कुनार फाफ-ू ठीक कश यशे शो फाफू ।दतु नमा के खेततशय भजदयू बरे शी
तयक्की कय जामे ऩय अऩने दे ळ के नशी कय ऩामेगे । खेततशय भजदयू ो
की तयक्क् ेी मातन ऩय्ऩयागत वाभाजजक ढाचं का द्धलनाळ औय मश कोई बी बभू भ भाभरक,व्माऩायी मा ऩज ु ायी नशी चाशे गा । भतरफ शभायी ऩयु ानी
व्मलस्था कामभ यशे गी शभ शाड तनचोडेगे वूदखोय शाड को ठंक ठंक वूद लवूरेगे । मे खेततशय भजदयू शाड पोडने के फाद बी बूखे नॊगे यशे गे ।
अये शभाये ऩल त ं ने जो इतनी भजफत ू ज ू ऩय्ऩयामं फनामी शं उनको तोडना भजदयू ं के फव की फात शं वयकाय बी नशी तोड वकती फाफू । वयकाय भं फैठे कुछ रोग प्रमाव बी कये गे तो क्मा ले वयकाय भं दटक ऩामेगे ।जभीन शभ भाभरको के कब्जे भं जफ तक
शं तफ तक मे खेततशय
भजदयू शभाये गर ु ाभ फने यशे गे । फाफू एक फात औय फता दॊ ू बभू भ ऩय कब्जा शभ भाभरको का यशा शं औय मग ु मग ु ान्तय यशे गा । मे भजफयू
भजदयू शभाये खेतं भं ऩवीना फशाने का राचाय यशे गे ।अफ तो फदयी औय र्फू भेयी ख ्ेेेाती बी तीवाय ऩय कयने को तैमाय शं ।
श्माभफाफ-ू रगता शै कुछ गयु कुनार फाफू तभ ु वे भझ ु े बी वीखना ऩडेगा ।
तुभ ऩढे भरखे रोग ऐवा वोचते शो तो शभ ऩयु ाने द्धलचाय लारं के भन भं कैवी बमालश आग धधकती शोगी ।
कुनारफाफ-ू ददर की आग को वर ु गामे यखना शै फाफू । जजव ददन आग
ठण्ठी शो गमी ।वे भजदयू आॊख ददखाने रगेगे ।इन्शे कब्जे भं यखना शं तो छोटी जातत का जशय बी इन्शे द्धऩराते यशना शोगा । ताकक इनको अऩने लजद ू का ऩता शयदभ रगता यशे ।
श्माभफाफ-ू मातन ऩयु ाने जखभ ऩय नन ू तछडकते यशना शोगा । कुनार फाफू तभने तो भेये भुॊश की फात तछन री। खेततशय बूभदशीन भजदयू ं को 104
बगलान ने शभाये भरमे शी फनामा शं । शभ न भजदयू ं के अन्नदाता शं । इन भजदयू ं वे खूफ काभ कयलाओ ।भजदयू ी कभ दो ताकक इनके ऩेट भं बख ू की आग वर ु गती यशे ।
कुनारफाफ-ू ठीक कश यशे शो फाफू ऩय मे जनता की वयकाय शै ना लशी यश
यश कय भजदयू ं को वऩने ददखाकय भन फढा दे ती शै । बूख भं यात ददन त्रफताने लारे भजदयू उज्जलर कर की वोचने रगते शै ।अऩनी औकात बर ू जाते शं । राेोगेा की वन ु कय इतना अभबभान कयने रगते शै ।
फाफू मदद शकीकत भं शो गमा तो मे बूभभशीन भजदयू ं शभ बूभभ भाभरकं ऩय यौफ जभाने रगेगे ।
श्माभ फाफ-ू वऩे कबी ऩये शुए शं न जाने ककव मग ु वे मे लॊधचत रोग शभ बूभभभाभरकं के खेतो भं शाडपोडकय ऩेट ऩार यशे शं । आने लारे मग ु ो भं बी ऐवा शी यशे गा । आजादी के ततने फयव त्रफत गमे आॊलण्टन शुआ ,शकफन्दी शुइरय ् नशी ना । दे खना वफ ऐवे शी चरता यशे गा औय मे
बभू भशीन भजदयू कबी बभू भ भाभरक नशी फन ऩामेगे । अये भान रो ऩाॊच दव फीवा आॊलण्टन की जभीन बी भभर गमी तो क्मा मे भजदयू बय ऩेट योटी
खा रेगे । कबी नशी कुछ बी शो जामे इन भजदयू ं का ऩेट तबी
बये गा जफ मे शभाये खेतो भं ऩवीना फशामेगे ।बभू भशीन भजदयू ं के वऩने
कबी नशी ऩयू े शोगे । वयकाय इन भजदयू ं की गयीफी नशी दयू कय ऩामेगी
। क्मा इन बूभभशीन भजदयू ं को जभीॊदाय फना दे गी शभ बूभभभाभरकं का खेत तछनकय । कबी बी मश वऩना ऩयू ा नशी शोगा । मे भजदयू शभायी चौखटं को शी भॊददय वभझकय भाथा ऩटकते यशे गे ।वच भामने भं तो इनके बगलान शभ शी शै ।
कुनारफाफ-ू वुना शं वयकाय बूभभशीन भजदयू ं को योजगाय उऩरब्ध कयाने जा यशी शं ।
श्माभफाफ-ू क्मा कश यशे शो ।मश तो शभ खेत भाभरकं के भरमे अळब ु
वभाचाय शै ।मदद ऐवा शो गमा तो शभाये खेत ऩयती यश जामेगे । मे कभ 105
भजदयू ी भं काभ कयने लारे औय आलश्मकतानव ु ाय फेगायी कयने लारे भजदयू तो अऩने कब्जे वे तनकर जामेगे ।
कुनार फाफ-ू नशी फाफू ऐवा नशी शो ऩामेगा । इन बभू भशीन भजद ू यो का ऩेट वयकायी भजदयू ी वे नशी बये गा । मे शभायी शलेरी ऩय ऩशे री की तयश शी
टशर फजाते यशे गे । कशालत शं ना वूअय खटीक को गोश
भुस्वशय को शी अऩना भानती शं । फाफू ऐवे शी मे खेततशय बूभभशीन
भजदयू शभ खेत भाभरकं को भानते यशे गे चाशे इनका जजतना खन ू चव ू रो । जामेगे बी तो कशाॊ ।ळददमं वे तो शभाये खेतो वे शी ऩर यशे शं
आज वयकाय योजगाय दे ने की फात कय यशी शं तो दे ना दे खते शं ककतनं बभू भशीन खेततशय भजदयू ं को योजगाय दे ती शं । फाफू वफ कोयी फकलाव
शं वयकायी लादे कबी ऩयू े शुए शं कक आज शी ऩयू ा शो यशा शं ।कौन वा लादा ऩयू ा शुआ ।आॊलण्टन बी तो वयकाय शी कयला यशी थी । अऩने गाॊल
भं शुआ ।इन्शी बूभभशीन भजदयू ं ने कशा कक शभाये गाॊल भं खारी जभीन नशी शै । फकामदा अॊगठ ू ा बी रगामे । क्मा शभाये गाॊल भं वचभच ु जभीन नशी शं । नशी फाफू फशुत जभीन शं । कशी घयू े के नाभ ऩय कशी लन के नाभ ऩय कशी फच्चं के खेरने के नाभ ऩय कशी स्कूर के नाभ
ऩय कशी वाभद ु ातमक उत्थान के नाभ ऩय । फाफू मे जभीन इन बभू भशीनं भं फॊटी शोती तो वाये फडे कास्तकाय शो जाते ऩय फाफू रोगेा की
शोभळमायी के आगे वफ नतभस्तक शो गमे । एक दो को दो दो फीवा
आलण्टन के नाभ ऩय ददरला ददमे फाकी घण्टा दशराते यशे गमे । कुछ शुआ नशी ना ।ऩशरे जैवे आज बी मे बभू भशीन खेततशय भजदयू फाफू रोगो के खेतं भं शी काभ कय यशे शं । शाॊ फस्ती के एक दो के ऩाव कुछ खेत शं । लशी नशी भजदयू ी कय यशे शं । दे खना फाफू ऐवी चार
श्ळुरू शो गमी शै कक ले बी शभ फाफू रोगो की चौखट ऩय वुफश श्ळाभ भाथा ऩटकेगं । फाफू वयकाय फाद भं ऩशरे शभ इन बभू भशीन खेततशय
भजदयू ं के अन्नदाता शै ।फस्ती के भजदयू ं ऩय शभ बूभभ भाभरकं के 106
कानन ू रागू शोते शं । फाफू ऐवे शी शोते यशे गे । वयकाय ना कबी इन भजदयू ं का ऩेट बय ऩाई शं औय ना बय ऩामेगी ।
श्माभफाफ-ू वयकाय जो चाशे कय वकती शं । दे खो ना आयषण के बयोवे
कई लॊधचत वभाज के फडे फडे अपवय फन गमे शं ।ले बी तो इन खेततशय बूभभशीन भजदयू ं का बरा चाशे गे की नशी ।
कुनारफाफ-ू मे आयषण के बयोवे फने अपवयं के उऩय कौन फैठे शं ।
अऩने शी रोग ना । वाभाजजक आयषण की भदशभा को वयकायी आयषण कबी बी भडडत नशी कय ऩामेगा । फाफू तु्शायी फात बी वशी भान रे
तो बी कुछ नशी शो ऩामेगा क्मंकक वयकाय बी तो शभाये शी शाथं भं शं । जफ जया वा बी
भवय उठाते शं तो इनके भवय को ककवी ना ककवी
फशाने कुचरला शी दे ते शै । फाफू इन भजदयू ं का कबी बी बरा नशी
शोगा ।आज बी मे लॊधचत शभाये कुमे का ऩानी तक नशी रे वकते । कशीॊ कशी तो फाफू रोगं के घय के वाभने वे जफ मे लॊधचत तनकरते शं तो
जत ू ा चप्ऩर शाथ भं रेकय तनकरते शं । आज बी ऩयु ानी व्मलस्था चारू शै
ऐवे शी चरती यशे गी फाफ।ू मे भजदयू
ऩीठ ऩेट धचऩकामे
वाभाजजक
आधथतक द्धलऩभता का अभबळाऩ ढोते यशे गे । धचन्ता ना कयो फाफू
वाभाजजक-आधथतक उत्थान की रशय इन बभू भशीन खेततशय भजदयू ो भरमे अऩने दे ळ भं तो कबी बी नशी आ वकेगी ।
के
श्माभफाफ-ू कुनार बूभभशीन खेततशय भजदयू झोऩडी के आदभी शं । इन्शे नयक वे भुडक्त श्ळामद शी भभरे ।मदद इन की उध्दाय शुआ शोता तो बभू भशीनता का अभबळाऩ नशी झेरते ।
कुनार-फाफू ठीक कश यशे तबी तो र्फू औय फदयी जैवे रोग वुफश
श्ळाभ भाथा टे कने अऩनी चौखट ऩय आ यशे शं । फाफू वभाज के ठे केदायो ने ऐवा चक्रव्मश ू यचा शं कक मे तोड तोड खुद त्रफखय जामेगे ऩय चक्रव्मश ू नशी टूटे गा ।
श्माभफाफ-ू कैवा चक्रव्मश ू कुनार । 107
कुनार-कोई नमा तो शं नशी श्ळददमं ऩयु ाना शं वाभाजजक व्मलस्था का
चक्रव्मश ू । चाया ददखाओॊ भजक्खओ की तयश टूट ऩडेगे। फव कैद कय रो । फाफू दे खो
फदयी तो एक तयप कैद शं शी अफ र्फू के वाथ लश बी
भेयी कैद भं अऩने आऩ आ गमा । उधय उधभ फाफू की शरलाशी की फाट जोश यशा शं इधय शभायी बी थाभ भरमा र्फू के वाथ भभरकय ।भं बी
कभ नशी वाप वाेु कश ददमा तीवयी ऩय कयनी शो तो कयो लयना यास्ता नाऩो । भयत क्मा ना कयता झक ु शी गमे दोनो ।तीवयी की खेती भं इन भजदयू ं को कोई पामदा नशी शोने लारा शं । शाॊ इतना वोचकय खुळ शो वकते शै कक ले उधाय के जभीॊदाय शो गमे शै । चरो इतना शी वोचकय खळ ु शो रेने दो । ऩवीना तो शभाये शी खेतं भं फशामेगे ।
श्माभफाफ-ू भजदयू बी शोभळमाय शो गमे शं ।भजदयू ं का बयोवा नशी
कयना । काभ चाशे जैवे रे रो । भक्काय भजदयू फाफू की जभीॊदायी
अऩने नाभ बी कयला वकते शं । दे खा ना शभाये वाथ क्मा शुआ था । कुनार-लश वफ अनजाने भं शुआ । फाफू आऩको अऩने टमफ ू लेर वे
दख ु ीयाभ को शरलाशी भं ददमे गमे खेत की भवचाईं का ऩानी दे ना था । आऩने नशी ददमा । क्मा लश अऩनी चाय फीवा पवर वूखने दे ता ।
भवचाई के ऩानी के नाभ ऩय तीन के तेयश भरख रेना था । कबी ना
कबी दे ता शी जाता कशाॊ । फाकी रोग तो ऐवे शी कयते शं ।अनजान भं
दख ु ीयाभ वे गरती शुई थी ऩय आऩने तो जानकय उवकी शड्डी के जोड जोड फोरला ददमे थे । उवकी माद आते शी कोई बी भजदयू दश्भत नशी कये गा । फाफू रोगं को बी तो चौकना यशना चादशमे अऩनी जभीदायी वे । रगान तेा
बयते शी शं। भाभरकाना शक की बी जाॊच ऩडतार कयते
यशना चादशमे । फदयी औय र्फू ऐवा नशी कये गे । फदयी का तो जीलन त्रफत गमा वुआर फाफू का शर जोतकय कबी ऩाॊल बय अनाज इधय वे
उधय नशी ककमा तो शभाया खेत क्मा अऩने नाभ कयलामेगा । खैय फाफू ठीक कश यशे शो इन भजदयू ं वे चौकन्ना तो यशना शी चादशमे । 108
श्माभफाफ-ू फदयी र्फू वे शी नशी शय खेततशय भजदयू ं वे चौकन्ना यशना
औय खूफ काभ रेना बी चादशमे।शड्डडमाॊ तनचोड रो । ककरो बय अनाज भजदयू ी भं दे ते शै तो फीव ककरं वे अधधक का काभ रेना बी इन
भजदयू ो वे चादशमे ।अऩनी जभीदायी वे चौकन्ना बी यशना चादशमे । कफ भजदयू ं के भन भं जभीदाय फनने का ख्लाफ शकीकत भं फदरने रगे कुछ कशा नशी जा वकता ।
कुनार-फाफू अऩनी फस्ती के भजदयू ं भं तो इतना दभ नशी शं । खाने को
दाना नशी शं तो शजाय दो शजाय कैवे खचत कये गं । अगय मे भजदयू इतने शी शोभळमाय शोते तो क्मा फाफू रोग गॊेाल वभाज की जभीन ऩय कब्जा जभामे यशते ।
श्माभफाफ-ू भ्रभ भं न यशना । दे खा नशी भुवशयला पालडे वे काट डारा
ॊ जा ऩयू ी तयश याजफाफू को ।फशुत फडे बूऩतत के फेटे थे याज । अऩना भळक कवकय यखो जया बी ढीर भत दो । तबी तो मे बूभभशीन भजदयू फैर की तयश खटे गा फाफू रोेागेा के खेतो भं ।
कुनार- फाफू जभीन ऩय अऩना अधधकाय फयकाय यशे । खेती बी शो ।
बयऩयू ऩैदालाय बी भभरे । भजदयू बी इधय उधय ना जामे इवीभरमे तो आऩ जैवे चतयु फाफू रोगो ने अफ तीवयी
ऩय
खेती कयलाने की द्धलधध
का इजात ककमा शं जजवभे खेत भाभरक का कुछ नशी रगना शं । अनाज अऩने शी गोदाभ भं आना शं । तीवयी ऩय खेत दो छाॊल भं फैठो । फाफू रोगो को तो अऩनी शी खेती ऩय ना तो कुछ खयचना शै।
कयना शं औय नशी
फाफू रोेागे का याज ऐवे शी फयकयाय यशे गा फाफू ।
बूभभशीन कबी जभीॊदाय तो नशी फन वकते । शाॊ शभाये भरमे अऩना खून
ऩवीना कयते यशे गे शभाये शी खेतं भं तीवयी फशामे मा वेय दो वेय अनाज की
भजदयू ी ऩय । फाफू शभायी जनानी रोग बी कभ नशी शं भजदयू ी बी
अच्छे अनाज की नशी दे ती उवभं वडा गरा अनाज भाॊटी औय गाॊठ-बव ू ा
भभरा दे ती शं । फाफू तुभ तो भुवशयला को रेकय ऩये ळान शो यशे शै ,जन्भ 109
जन्भान्तय वे उत्ऩीडन कयते आ ये श शो । इतना शी नशी फाफू रोगं के
नन्शे नन्शे फच्चं भं इन लॊधचत वभुदाम के भजदयू ं का अनादय कयते शं
।अये भव ु शयला याज फाफू के आतक वे घफया कय एक फाफू को काट ददमा तो क्मा शो गमा । दे ळ भं तो ना जाने ककतने ऩीडडत लॊधचत भजदयू ो को रोग शराक कय दे यशे शं वाथ शी उनकी इज्जत वे बी खूफ खेर यशे शं । फाफू तुभ वभझ यशे शो कक मे कीडे भकोडं की तयश जीलन माऩन
कयने लारे बभू भ भाभरकं बभू भ भाकपओॊ ऩय शाली शो जामेगे कबी नशी फाफू कबी नशी। मे भजदयू झोऩडी भं यशकय नयक का जीलन जीमेगे
।एक नशी कई भुवशयला ऩैदा शो जामे तो बी शभाया वाभाजजक व्मलस्था ऩय आधारयत वाम्राज्म नशी दशरेगा फाफू ।
श्माभफाफ-ू क्मं नशी एक भुवशय इतनी दश्भत कय वकता शं तो क्मा मश धचन्ता की फात नशी शं ।
कुनार- फाफू नशी । अऩने आवऩा औय अऩने गाॊल भं नजय दौडाओॊ । दे खं ककतनं भजदयू ं का खन ू मे दफॊग वभाज चव ू ा शं । ककतनं की शत्मा की शं । ककतनं की भाॊ फशनं की इज्जज रूटी शं । ककतने
नलजलान भजदयू ं के फेटं का कत्र शुआ शं भवपत इवभरमे की ले भश ु ॊजोयी ककमे फाफू रोगो के वाथ ।फाफू मे भजदयू शभेळा वे डय कय
जीमे शं औय ऐवे शी यशे गे । इनके ऩाव तो जाद ू की छडी नशी शं कक याजा भशयाजा शो जामेगे । जभीन के भाभरक फन जामेगे ।
श्माभफाफ-ू खैय मे फात तो वत्म शै कक शभाये दे ळ भं लॊधचत वभाज के
बभू भशीन भजदयू ो ऩय वफर वभाज ने फशुत जल् ु भ ढाशा शं । खन ू चव ू ने वे रेकय खून तक ककमा शं । इज्जत वे बी खेरा शं भजदयू ं की ऩय
भुवशयला जैवे औय भजदयू ं भं शौळरा फढा तो शभायी वाभाजजक वत्ता के
भरमे खतया ऩैदा शो जामेगा । फशुत जल् ु भ ढाशा शं बूभभ भाभरकं ने ओय वभाज के अन्म दफॊग रोगो ने लॊधचतं ऩय मश तो भानता शूॊ ।
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कुनार- फाफू मश तो भान यशे शो मातन अऩने औय अऩने रोगं के ककमे गमे जल् ु भ का इकफाभरम फमान
दे
यशे शो ।फाफू अफ मश बी भान रो
जफ जफ मे भजदयू भवय उठामे शं दफॊग वभाज ने फयु ी तयश कुचरा शं । शारत के फाये भं तो आऩ भुझवे ज्मादा शी जानते शं क्मोकक जफ भं
ऩैदा शुआ था तफ श्ळामद जस्थतत औय फयु ी थी । भजदयू ं का उऩमोग जानलयो की तयश शोता था खावकय लॊधचत वभाज के । फाफू कुछ शी भशीने ऩशरे की शी तो फात शं वकडी के लॊधचत वभाज के मलक ु को
इवभरमे गोरी भायकय शत्मा कय दी गमी कक लश भेड वे खेत भं उतय गमा था फर ु ेट आने की लजश वे । वॊमोगफव फर ु ेट लारे लशी फाफू थे
जजनका खेत था । तनकारे रयलारलय लशी ढे य कय ददमे । वाये वकडी के लॊधचत वभाज औय खेततशय भजद ू य फाफू रोगं को दे खते शी डयके भाये ऩेळाफ कय दे ते थे खैय आज बी रूतफा कामभ शं ।वयदश गाॊल भं बी
ऐवा शी शुआ फॊधल ु ा भजदयू का फेटा फाफू वे जफान क्मा रडामा उवकी जफान शी वदा के भरमे फॊद शो गमी । भेड ऩय भॊश ु यगड कय भय गमा कोई गलाशी तक नशी दे ने लारा भभरा कक ककवने गोरी भायी जफकक
वबी जानते थे भायने लारे फाफू को ।अये अऩने ऩाव के वैया के ऩयवा को दे खं पयवा वे फाफू रोगो ने उवका ऩैय काट डार । ववयु ा बीख
भाॊग भाॊग कय भया । फाफू जो बी भजदयू भवय उठामा उवका भवय तो
करभ शी शुआ । लॊधचतं के शौळरे ध्लस्त कयना शभ फाफू रोगं का द्धलयावत भं भभरता शं फाफू । इन भजदयू ो का दोशन औय दोशन के फाद
भक्खी की बाॊतत चव ू कय पेकने शभ दफॊग रोगं को अच्छी तयश आता शं ।
श्माभफाफ-ू कुनार वाभाजजक व्मलस्था ने धन धयती ऩय कब्जे का
अधधकाय दे कय तनशार कय ददमा शं कपय बी इव कब्जे को फचामे यखने के शय शथकण्डे अऩनाना शी शोगा ।
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कुनार- फाफू इवी शथकण्डे के बयोवे तो फाफू फने शो लयना शभवे कई
शजाय गुना मे भजदयू भेशनत कयते शं ऩय ऩेट बय योटी नशी नवीफ शोती ।जभीन का नब्फे पीवदी दशस्वा वफर रोगो के ऩाव कैद शं । शभाये खेतो भं शाडपोडना इन भजदयू ो की ककस्भत फना ददमा शं वभाज के ठे केदायो ने ।
श्माभफाफ-ू कापी द्धलर्फ शो गमा भं शलेरी चरता शूॊ। तुभ बी जश्न भनाओ । फदयी औय र्फू बी त् ु शाये कब्जे भं तो आ शी गमे शं ऩय ले ळोऩण वे अनभबस तीवयी की खेती की फात ऩक्की शो जाने का जश्न भना यशे शोगे । नौ
र्फू औय फदयी कुनार फाफू वे
तीवयी की खेती की फात कय आमे
।दोनं के भाथे ऩय ऩवीना वाप वाप झरक यशा था । नयामन ऩये ळानी
बाॊऩ कय जल्दी जल्दी खदटमा रामा औय नीॊभ की छाॊल भं डार ददमा । द्धऩता औय र्फू काका को खदटमा ऩय फैठने का आग्रश कय लश फाल्टी
रेकय कुमे की औय दौड ऩडा ।नयामन की भाॊ कटोयी भे गुड औय थोडा
वा चफैना यखकय धचरभ चढाने भं जट ु गमी ।नयामन कुमे वे जल्दी वे
ऩानी रामा अऩने द्धऩता को धगराव थभाते शुए फोरा रो दादा ऩानी ऩीओ क्मं घफया यशे शो । कशीॊ ककवी वे झगडा तो नशी शो गमा । फदयी-नशी फेटा ऐवा तो कुछ नशी शुआ । कुनार फाफू वे फातकय आ यशे शं शभ औय र्फू बी । र्फयू ाभ-शाॊ फेटा शभ दोनं कुनार फाफू की शलेरी वे शी आ यशे शै । नयामन-कुनारफाफू ने कोई फदवरूकी की शै क्मा ।
र्फयू ाभ-फेटा कये गे बी तो शभ क्मा कय वकते शं । ले ठशये बूऩतत शभ
रोग बूभभशीन खेततशय भजदयू उनका भुकाफरा तो नशी कय वकते ।फाफू रोगं की शयलाशी चयलाशी कय तो शभ अऩना ऩरयलाय ऩार यशे शं ।मे जभीदाय रोग ऩैय खेत भे नशी यखते ऩय खेत के भाभरक 112
शं ।शभायी
जजन्दगी खेत भं त्रफतती शं औय गुराभं जैवी जजन्दगी फवय कयते शं ।शभ शॊवते शं योते शं बूख रकय शी ।फेटा नयामन शभ औय तेये दादा
कुनारफाफू की खेती तीवयी ऩय कयने की फात कयके आ यशे शं । भजफयू ी शै ना फेटला ।शभ जैवे भजफयू रोग कय बी क्मा वकते शं ।जातत
त्रफयादयी के दॊ ळ के वाथ बूभभशीनता का अभबळाऩ न चैन वे जीने दे ता शं औय ना शी भयने ।
नयामन-काका गैय फयाफयी की लजश जाततऩाॊतत शै ।काका इवके द्धलरूध्द
जॊग छे डी जा वकती शं ।काका इवके भरमे वाभाजजक वभानता के वाथ
आधथतक तनबतयता बी जरूयी शं ।शजायं वार ऩयु ानी लणत व्मलस्था शी शभ
लॊधचतं के भरमे अभबळाऩ फनी शुइरय ् शै।काका शभाया दे ळ गाॊलं का दे ळ शं । मशाॊ नब्फे पीवदी रोगो का ऩेळा खेती शं औय लॊधचत वभाज के अधधकतय रोग तो खेततशय मा बूभभशीन खेततशय भजदयू शं । जभीन के भाभरक तो वोरश पीवदी आलादी के रोग शं फाकी रोग खेततशय मा बभू भशीन खेततशय भजदयू शै । जजनका जीलन नयक फना ददमा शं
लणतव्मलस्था ने काका । वाभाजजक ठे केदायो ने शी नशी याजनैततक ठे केदायो ने बी बूभभ के फॊटलायं को नजयअन्दाज ककमा शै ।
लॊधचत
वभद ु ाम को नयक की जजन्दगी फख्ळ ददमा शै ।काका जभीन ऩय लॊधचतं का अधधकय शोता तो शभ बी व्भानजनक जीलन जीते ऩय दगा ककमा शं लणतव्मलस्था औय उवके ठे केदायो ने ।
र्फयू ाभ-ठीक कश यशे शो फेटला अगय शभ बी जभीन के भाभरक शोते तो शभाया जीलन नायकीम क्मं शोता । वच फेटला अवरी दश्ु भन शभायी शी
नशी दे ळ की बी मशी लणतव्मलस्था शी शै । इतना तो शभ बी वभझ यशे
शं ऩशरी जभात तक ऩढकय।ऩशरी जभात व आगे ऩढ बी नशी ऩामा तो लश बी लणतव्मलस्था की शी लजश वे । वभम थोडा
फदरा शं फेटला तू
तो कारेज भं ऩढ यशा शं। तभ ु को तो अधधक जानकायी शोगी ।
113
नयामन-शाॊ काका वफ जानता शूॊ वभझता शूॊ ऩय जल् ु भ के खखराप श्ळॊखनाद नशी कय ऩा यशा शूॊ । र्फयू ाभ-फेटा जल् ु भ का अन्त बी शोगा । फेटा
तभ ु ऩढो आगे फढो
।वोमे शुए लॊधचत वभाज की आॊख ठे शुना फनं मशी दआ ु शं । नयामन-काका लॊधचत वभाज के वाथ ऩशरे बी खफ ू जल् ु भ शुआ शै औय आज बी फेखौप जायी शै ।इवके भरमे जज्भेदाय शं वाभाजजक औय
आधथतक कुव्मस्था । जभीॊदायी की कुप्रथा के खात्भे के फाद शजायं एकड जभीन वीभरॊग भं तनकारी गमी जैवे बूदान भं औय उवय ऩयती जभीन
को रेकय । इवके फाद बी काका बूभभशीन रोग तो जव के तव शी यशे
गमे । दफॊग रोग वीभरॊग की बी जभीन शडऩ भरमे । द्ु ख की तो मे शै कक याजनैततस वत्ताधीळो की नजय इव ओय गमी शी नशी । काका
आजाद दे ळ भे वाभाजजक वत्ताधीळं के वाथ शी याजनैततस वत्ताधीळो ने
बी लॊधचत खेततशय बूभभशीन भजदयू ं को गुराभ फनामे यखने भं कोई कोय कवय नशी छोडा शं ।
फदयी-फेटा आजाद फव वत्ता शस्तानान्तयण भात्र शी शं । कारे अॊग्रेज
गोयं वे ककवी भामने भं कभ नशी शं । शभ भजदयू ं का रयवता घाल तो वत्ताधीळं के भाथे का दाग शं । ।
इवके फाद बी शभायी तयक्की फाधधत शै
र्फयू ाभ-शाॊ बइमा तु्शायी फात भं बी वच्चाई शं । बइमा नयामन साेातनमं जैवी फात कय यशा शै । फेटा औय कुछ फताओ ।
नयामन-काका जभीन शभायी भाॊ शं । कब्जा दफॊगं का शो गमा शै ।शभ अऩनी भाॊ वे शी दयू शै। इवके भरमे जॊग का ऐरान कयना शोगा
अदशवात्भक ढॊ ग वे । वयकाय तो भौन वाधे फैठी शं । वत्ताधारयमं को तो शभ गयीफं की वुधध नशी शं । उन्शे तो फव कुवी वे भतरफ शै । मशी उनाक धभत बी शं ।काका भारभ ू शै। भशाबायथ बी जभीन के भरमे शी
शुआ था । शभायी कौभ शै कक गुराभगीयी भं रगी शुई शै । उवे कुछ वुझ 114
शी नशी यशा शै। अऩने शक के भरमे कोई इॊकराफी आगे शी नशी आ यशा
शै। वबी रयवते जख्भ के भलाद को भाथे ततरक की भाकपक रगा यशे शं ।
र्फयू ाभ-फेटा तू तो उधभभवॊश बगत भवॊश की तयश फात कय यशा शं ।तू
जरूय रोक कल्माण दीन दखु खमं के कल्माण क ेेषेत्र भं नाभ कभामेगा
।फेटा तेये जैवे उुॊ चे ऩदो ऩय फैठे रोगबी वोचते तो दीन दखु खमं का बरा शोता ऩय मशाॊ तो वफ अऩना शी भतरफ तनकारने भं बीडे शुए शं ।दे ळ औय दीन दखु खमं की तो धचन्ता शी नशी शै ।फेटा जो तुभने कशा कक जभीन शभायी भाॊ शं - वचभुच जभीन शभायी भाॊ शं शभायी अजस्भता
शै।लशी आज दफॊगं का चॊगर ु भं पॊवी शुई शं । शभ फेफव तनशाय यशे शं । दफॊगं के चॊगुर वे छुडा नशी ऩा यशे शं ।इन दफॊगं वे जभीन भाॊ को छुडाना कदठन तो शै ऩय अव्बल नशी । फेटा तू
वच कश यशा शै ।शभ
अऩनी भाॊ की गोद भं त्रफना ककवी बम के खेर वकते शै ।
नयामन-जरूय काका ऩय लक्त रगेगा । इवके भरमे फभरदान दे ने शोगे
।शभ गयीफ शं । शभाये ऩाव तो भुॊश का तनलारा नशी शं ।इतनी फडी पौज कैवे इक्ठा शोगी । कशा जा यशा शै कक आफादी फढने वे गयीफी शं । भं ऩछ ू ता शूॊ उन आॊकडे ऩयोवने लारो वे जफ दे ळ आजाद शुआ था तफ जनवॊख्मा चारीव कयोड थी अफ एक वौ दव कयोड के उऩय नीचे ऩय
काका उत्ऩादन वात गुना अधधक फढा शं औय जनवॊख्मा भात्र तीन गुना । काका क्मा मश दीन लॊधचतं कं अॊधेये भं यखने की वाजजळ नशी रगती ।काका आज बी बख ू भयी का ताॊण्डल जोये ा ऩय शं कुत्तं औय
आदभी के फच्चे एक योटी के टुकडे के भरमे जझ ु यशे शं ।कैवे शभ खुद को आजाद कशे काका ।
र्फयू ाभ-फेटा मे वफ बूभभशीनता की लजश वे शो यशा शं ।मदद लॊधचतं के ऩाव जभीन शोती तो बख ू े भयने की नौफत ना आती ।
115
नयामनन-काका उत्ऩादन चाशे जजतना बी फढ जामे । दीन दखु खमं को योटी नशी भभर वकेगी
क्मंकक उत्ऩादन ऩय कब्जा जो दफॊगो का शी शै
ना । जजवने कबी शर की भठ ू नशी ऩकडी लश बभू भ का भाभरक शं जो शर फैर के ऩीछे घभ ू घभ ू कय जीलन त्रफता ददमा मा त्रफता यशा शं लश बूभभशीन खेततशय भजदयू
शं । बूभभशीन खेततशय भजदयू दरयद्रता की
आग भं वुरग यशा शं । कोई भवीशा नशी उठ खडा शो यशा शं फेफवं के कल्माण के भरमे जफकक श्ळोऩक वभाज अत्माचाय की खॊजयं ऩय धाय चढा यशा शं ।
र्फयू ाभ-फेटा वचभुच जभीन ऩय तो शभ लॊधचतं का अधधकय शोना था । शभ बभू भशीन शोकय यश गमे शै जफकक शभ लॊधचत रोग शी जभीन के
अवरी लारयव शै ।छभरमं ने शडऩ भरमा औय शभं दीनता के दरदर भं ढकेर ददमा ।
नयामन-शाॊ काका वच्चाई तो मशी शं । फदयी-र्फू फेटला ठीक कश यशा शै ।
नयामन-शाॊ दादा ठीक वभझ यशे शो ।जभीन ऩय शभ लॊधचतो का भौभरक अधधकाय शं ।आज के भाशौर भं दे गा कौन वयकाय बी तो गूॊगी फशयी
औय अॊधी शै । इनका बी वाभाजजक कुव्मलस्था के ठे केदायो वे गठफन्धन तो शै ककवी न ककवी रूऩ भे ।
र्फयू ाभ- शभायी दीनता का अवरी कायण तो वाभाजजक कुव्मलस्था तो
शं ऩय याजनैततक व्मलस्था बी तो शभाये बरे के भरमे आगे नशी आ यशी शै ।दे ळ की गर ु ाभ का दौय यशा शो मा आजादी का लॊधचतं को तो व्भानजनक ढॊ ग वे जीने का अधधकाय शी नशी भभरा ।
फदयी-क्मा तयक्की शुई शभ बूभभशीनं की आज बी ऩवीनं वे योटी वंक यशे शं औय आॊवूॊ वे गीरी कय यशे शै । वभाेाजक कुव्मलस्था के यशते तो दे ळ की अस्वी पीवदी आफादी रयवते जख्भ के वाथ फवय कये गी ेॊ उध्दाय का कोई वाप वाप यास्ता नजय नशी आता शं । 116
नयामन-दादा दे ळ वॊद्धलधान व्भानजनक ढॊ ग वे जीने का अधधकाय तो
दे ते शं ऩय वॊद्धलधान का ऩारन कयने लारे शी खोट खोज यशे शं । अऩने
पामदे के भरमे वॊद्धलधान भं पेयफदर की वाजजळ यच यशे शै ।जभीन ,जर औय जॊगर को दॊ फग ॊ ो ने व्माऩाय की लस्तु फना ददमा शै ।र्फू काका जभीन ऩय अधधकाय के भरमे भूरलाभवमं को जॊग छे डना शोगा तबी दरयद्रता भभट वकती शै ।
फदयी-ठीक कश यशा शं फेटला र्फू । शभ भजदयू ो का शारत भं क्मं कोई वुधाय नशी शुआ । आजादी के ऩशरे बी वूदखोयो , औय बूऩततमं के भकडजार भं उरझे शुमे थे औय आजादी के फाद बी ।आज बी शभ आॊवू वे योटी गीरी कयने को भजफयू शं ।
नयामन-दादा वॊद्धलधान व्भान के वाथ जीने का अधधकाय जो दे ता शं । जभीन,जॊगर औय जर तो शभ लॊधचतं की धयोशय शं ऩय याज कोई औय कय यशा शं । जभीन शडऩने लारे दफॊगो ने जभीन को व्माऩाय की लस्तु फना ददमा शं । जभीन ऩय अधधकाय के भरमे भन ू लाभवमं को तो जॊग छे डना शी ऩडेगा ।
र्फयू ाभ-शाॊ फेटा ठीक कश यशा शं । भाॊ फच्चे का दध ू तफ शी ऩीराती शं जफ लश योता शं । शभ बभू भशीन लॊधचतं को बी जल् ु भ के खखराप नाया फर ु न्द कयना शोगा ।
नयामन-शाॊ काका तबी प्रबालळारी बू भाकपमाओॊ वे तनऩट ऩामेगे ।
भारूभ शै काका मे बू भाकपमा रोग काल्ऩतनक नाभं वे भॊददय , भजस्जद ,भठ,ट्रस्ट, धाभभतक प्रततप्ठानो,दे ली दे लताओॊ के नाभ पजी दान कय एक
के नाभ अनेक नाभ फनाकय तयश तयश के शथकण्डे अऩनाकय जभीन ऩय
कब्जा ककमो शुए शं । इन कब्जं को तोडने भे शी लॊधचतं की बराई शं । काका अवरा आजादी का वऩना था अऩनी जभीन अऩना आवभान ऩयन्तु जभीन ऩय भात्र वोरश पीवदी रोगं का कब्जा शं । काका जभीन शडऩने की गन्दी नीतत अबी बी जोयो ऩय शं। काका अफ लॊधचतं को बी 117
वभझ भं आने रगा शं बूभभ ठगं औय शभ लॊधचतं को दीनता के नयक भं ढकेरने लारं की कारी कयतूतं।काका मश धोखाधडी
नशी तो औय
क्मा शै । भर ू तनलावी बभू भशीन खेततशय भजदयू गयीफी औय वाभाजजक कुव्मलस्था के दरदर भं पॊवे आशे बय यशे शं । फाशय वे आमे रोग
शभायी जभीन औय शभाये भाभरक फन फैठे शै। काका जभीन जर औय जॊगर ऩय आवानी वे कब्जा नशी भभरने लारा शै ।
र्फयू ाभ-फेटा दे ळ की जभीन जॊगर औय जर शभाये ऩयु ोखो की
धयोशय
शं औय शभ रोग शी फेलवी भं फवय कय यशे शं ।वच मश तो आतॊक शै । फेटा इव आतॊक वे कैवे तनऩटा जा वकता शं ।
नयामन-काका बभू भशीनता का अभबळाऩ तबी छॊ ट वकता शै
जफ दे ळ के
वाये बूभभशीन एक शोकय अऩनी जभीन के भरमे जॊग का ऐरान कय दं जभीन ऩय अधधकाय की वोची वभझी यणनीतत अऩनाकय । फदयी-लो क्मा शं फेटा ।
नयामन-दादा दफॊगो वे जभीन छुडाना इतना आवान काभ नशी शं । शाॊ अव्भल बी नशी शै। इवके भरमे जरूयी शोगा कक जभीन डकैतं के
भकडजार का ऩदातपाॊळ ककमा जामे । कानन ू ी दाॊल ऩं च वभझाेा जामे । कानन ू को दे खते वभझते शुए ऐवी यणनीतत फनाकय कानन ू ी तैमायी की जामे ।जभीन की याजनीतत वभझी जामे । बभ ू दशीन भजफत ू वॊगठन फनामे । जभीन के ऩयु ाने वे ऩयु ाने रयकाडत खॊगारा जामे । जभीन के
लारयवं की ऩम ु तलाय जाॊच ऩडतार शो । याजनीततस वॊगठनं भं भजफत ू
जगश फनाने के प्रमाव शो ।काका ऩयू ी जानकायी शधथमाय का काभ कयती शं। इववे ऩयू ी व्मलस्था को फदरा जा वकता शै । जभीन ऩय कात्रफज शोने के भरमे अदशॊवात्भक रूऩ वे गा्यभीण स्तय वे शी आन्दोरन की श्ळुरूआत शो काका तबी मश आन्दोरन वपर शोगा।
र्फयू ाभ- फेटा तू तो फोव फाफू की तयश ररकाय यशा शं । फेटा काभ फशुत कदठन शं ।
118
नयामन -काका अव्बल नशी शं । अॊग्रेजो को बगा ददमे मशी लॊधचत रोग तो क्मा अऩना शक शाभवर नशी कय वकते । फदयी- क्मो नशी ।
र्फयू ाभ- फदयी बइमा फेटला की फात भं तो दभ शं । फोव फाफू की तयश जोळ बय ददमा भुझभं ेॊ अगय वाये लॊधचत एक शोकय भाॊग कये तो
जभीन ऩय क्मा दे ळ की वत्ता ऩय कात्रफज शो वकते शं ।अधधकाय ऩाने के भरमे फभरदान तो ककवी ना ककवी को कयना शी शोगा ।
नयामन- शाॊ काका तबी श्ळावन लॊधचतं बूभभशीनं के अधधकायं के प्रतत वजग शोगा ।काका भौन यशने वे काभ नशी चरेगा। मल ु ा ऩीढी को तो अऩने अधधकायं के प्रतत ग्बीय शोना शी शोगा , काका भौन घाल फशुत खामे शै अफ नशी वशे गे जल् ु भ कोई एकता की खॊजये ताननी शोगी
जॊग के त्रफना नशी भभरेगा कुछ
अये भभरना शोता तो क्मा अफ तक नशी भभर गमा शोता त्रफन अधधकाय दे ळ भं नशी शै कोई भान
दीनता की छाॊल नशी भभरेगा वभानता का स्लाभबभान काका अफ तो फो दो फयु ाई के खखराप ज्रग ए ऐरान तबी भभरेगा अधधकाय फढे गा व्भान
क्मं अऩने शी घय भं दोमभ दजे के कशरामे आओ दीनता का अभबळाऩ भभटामं
जभीन भाॊ धधक्काय यशी अऩने वऩत ू ं को
कय दे ऐरान जभीन जर जॊगर ऩय अधधकाय का.....................
र्फयू ाभ-फेटा आन्दोरन भं जान केवे डारी जा वकती शै ।दे ळ तो ऩयु ानी लणत व्मलस्था के द्वाया शी वॊचाभरत शोता शै आज बी । जभीन शडऩनीतत
119
का द्धलयोध औय जभीन ऩय कब्जा कय कयोडो बूभभशीनं को व्भानजनक जीने का वशाया भभर वकता शं ।
नयामन-शाॊ काका ऩय इवके भरमे जरूयी शोगा कक ग्राभीण स्तय ऩय
जागरूकता के कामतक्रभ यात भं आमोजजत शो औय इवकी बनक बूभभ
शडऩने लारं का जया बी न शोने ऩामे ।इवके भरमे अऩना ऩेट बी काटना ऩडे तो कोई वॊकोच नशी शोनी चादशमे । तबी कर लॊधचत बूभभशीन खळ ु शार शो वकता शं जफ लश बभू भशीनता के अभबळाऩ वे भक्त ु शो
।वाभाजजक आाथतक औय याजनैतत भुद्दो ऩय ऩैनी नजय यखी जामे ।वबी
बूभभशीनं का एक वॊगठन तैमाय शो । वॊद्धलधान भं उल्रेखखत कानन ू ं की बी भदद री जामे । काका भाॊग कयने का अफ वभम नशी यशा कब्जे के भरमे तैमाय शोना शोगा तबी वयकाय औय वाभाजजक कुव्मलस्था के ठे केदाय लॊधचतं के दशत को रेकय ग्बीय शो वकते शै । र्फयू ाभ-मातन बूभभ अधधकाय आन्दोरन को शं ।
नई ददळा दे ने की जरूयत
नयामन- शाॊ काका तबी बूभभशीनं का वऩना वाकाय शो वकता शं ।
आन्दोरन के भरमे जनाधाय फनाना शोगा । त्रफना आन्दोरन के कुछ नशी शोगा । आन्दोरन न शुआ शोता तो क्मा आजादी भभरती नशी नशी । लैवे शी बभू भ अधधकाय के भरमे आन्दोरन कयना शोगा लश बी बभू भशीनं
को शी । तबी जभीन को जोतने लारा जभीन का भाभरक फन वकता शं । काका मश द्धलचाय तो जभीदॊ ेायी प्रथा के उन्भूरन के वभम शी आमा
था कुछ दशतैद्धऩमं के भन भं ऩय चाराकीलळ जोतक औय काश्तकाय को एक भान भरमा गमा । मश चाराकी बी बूभभशीनो को रयवता घाल कय गमी । काका वीभरॊग कानन ू मातन शदफन्दी कानन ू बी आमा ऩयन्तु भजाक फन कय यश गमा ।
120
फदयी-ळोऩक वभाज ने तो श्ळोद्धऩत वभाज के शभेळा शी छर ककमा शं
काश्तकायी ऩय कब्जा जभामे यखने के भरमे । शभ भजदयू ं का उत्ऩीडन कयने के भरमे ।
र्फयू ाभ- शाॊ बइमा ठीक कश यशे ऩय फेटला को तो अऩने वे बी अधधक जानकायी शं । ऩढाई भरखाई का आदभी की तयक्की भं फशुत फडा मोगदान शोता शै । फेटला जैवे शी अऩने शी वभाज के ऩढे भरखे रोग
आन्दोरन चरा ददमे तो वचभच ु बभू भशीन भजदयू जभीन के भाभरक फन
जामेगे ।खैय अबी लक्त रगेगा ऩय तफ तक शभाये रोग औय बी ऩढ भरख कय वाशे फ वुब्फा फन जामेगे । मशी ऩढे भरखे रोग बूभभशीनं के
अधधकाय की भाॊग भं उठ खडे शो गमे तो बभू भशीनता का अभबळाऩ जरूय भभट वकता शै ।
नयामन-काका श्ळोऩक वभाज के रोग गयीफो के वाथ फशुत ठगी ककमा शं ।अबी तक कय शी यशे शं । वयकाय बी कभय नशी कव यशी शं ।
बभू भशीन भजदयू ं के उध्दाय के भरमे । वयकाय का ददखामा वऩना बी तो ख्मारी ऩर ु ाल शोकय यश जाता शै । कुछ फयव ऩशरे वुनने भं आमा था
कक वयकाय जभीन खयीदकय बूभभशीनं को दे गी । काका वच्चाई मश नशी थी इवके ऩीछे एक वाजजळ था कक फडे फडे बू भाकपमाओॊ औय ऩल ू त याजा भशायाजाओॊ की फेकाय उुवय ऩयती ऩथयीरी अनऩ ु जाउूॊ जभीन खयीदकय
बूभभ भाभरको को भाराभार कयने की तयकीफ थी ।इववे तो बूभभशीनं का काई बरा नशी शुआ श्ळावद बूभभ भाभरकं की राटयी जरूय खुर गमी शोगी ।
र्फयू ाभ-फेटा वच कश यशा शं । वयकाय शभाये बरे की वोची शोता तो क्मा शभ अफ तक दरयद्रता की धऩ ू भं तडऩते ।
फदयी-शाॊ र्फू फडे रोगो ने शभ गयीफो का बूयऩयू दोशन ककमा औय
तनचोड कय पंक ददमा गन्ने की तयश ।शभायी बी शारत तो मशी वआ ु र फाफू की शरलशी जजन्दगी बय ककमा । वुआर फाफू की 121
तयक्की ददन
दन ू ी यात चौगुनी शुई ।वुआर फाेू तो भाराभार शो गमे शभ खस्ताशार यशे गमे । शार तो मे शं कक चल् ू शा गयभ कयने के भरमे ऐडी चोटी का ऩवीना फशाना ऩड यशा शै ।वआ ु र फाफू के भयते शी शरलाशी की जभीन
ऩयती छूट गमी । कशने को तो शरलाश अबी बी शूॊ ऩय शरलाशी का खेत नशी जोत ऩा यशा शूॊ । शलेरी भं आऩवी करश की लजश वे । दव ू ये की बी शरलाशी नशी कयने ऩा यशा शूॊ ।तुभ ना वाथ दे ते तो उधभ फाफू की याश ताकते यशता आखखयकाय थककय आॊखं भॊद ू रेता । फच्चं को बख ू ा छोडकय ।
नयामन- अय बइमा भये तु्शाये दश्ु भन तुभ क्मं भयोगे । शभ तो श्रभ
फंचकय योटी खाते आमे शं ।कर बी मशी कयना शं । बइमा उदाव न शो औय ना उधभफाफू की याश ताकं ।भं मश नशी कश यशा शूॊ कक उनका काभ भत कयना ।जफ बी शलेरी भं फॊटलाया शो जामे अगय तु्शे उधभ
फाफू अऩनी शरलाशी तुभवे कयलामे तो कयना । जफ तक शलेरी वे वेय बय बी भजदयू ी नशी भभर यशी शं तफ तक तो दव ू यं का शर जाते शी
वकते शो ।इवभं उधभ फाफू को फयु ा तो नशी रगना चादशमे । मदद फयु ा रगता शं तो जफ वे फैठो तफ वे भजदयू ी तो दे । नशी दे गे भजदयू ी ले
तो त् ु शे तडऩ तडऩ कय भयता शुआ दे खना चाशते शं । बइमा शभ गयीफ रोग इन फाफू रोगो को अऩना वगा भान रेते शं औय मे फाफू रोग शभ रयवता घाल दे ते शं । बइमा तुभ कशते शो कक वुआर फाफू भयते लक्त
कश गमे कक उधभ फाफू को भत छोडना । तुभ शो कक फात ऩकडे फैठे शो ककवी की शरलाशी तक नशी थाभ यशे शो । उनका क्मा फीव वार तक
खेती न शो । ख ्ेेेाती का शी तो उन्शे आवया नशी शं । उनके तो ढे यं
काभ शं । एक काभ फन्द शो गमा तो क्मा शुआ ।बइमा तु्शे दो वार वे क्मा भभरा । कुछ बी नशी ना ।फढ ू ा बौजाई फेचायी शै कक दव ू यं के
खेतो भं काभ कयके चल् ू शा गयभ कय यशी शं । तभ ु ऩच्छु का ओय ताक
यशे शो । बइमा ऩच्छु की ओय ताॊकने भं बराई नशी शं ।दे खना गोयो की 122
तयश मे उधभ फाफू बी चभडी तछर रेगे ।बइमा याश ताॊकने वे कुछ नशी शोगा । शभ भजदयू शं भजदयू ी कयना फन्द शो गमा तो शभ जीते जी भय जामेगे ।बभू भशीनता तो शभ गयीफं के भरमे अभबीळाऩ शो गमी शै ।
नयामन-काका बूभभशीनता अभबीळाऩ तो शं ऩय इववे उफया बी जा वकता शै ।
र्फयू ाभ-लो कैवे फेटला ।
नयामन- काका नन्दीग्राभ की तयश जनआन्दोरन छे डकय ।वयकायी गाॊल वभाज की जभीनं ऩय कब्जा कयके । उवय ऩयती ऩडी जभीनो ऩय
कब्जा कयके । काका इवभं चाय छ् भजदयू भये गे । काका बूखं भयने वे तो फदढमा शं । अऩने अधधकय के भरमे भया जामे । बभू भशीनता का अभबळाऩ तबी धर ु वकता शं । गाॊल का शय भजदयू वाभाजजक
आन्दोरन कय दं औय ऩयू े दे ळ के खेततशय भजदयू औय बूभभशीन भजदयू इव वॊगठन वे जड ु े। जाततलाद का भुखौटा नंचकय पंक दे । बूभभशीन
वॊगठन फनाकय यानैततक वत्ता की ओय बी फढे । काका अऩने अधधकाय की यषा के भरमे भवय ऩय कपन फाॊधकय वाभाजजक आन्दोरन श्ळुरू कयना शोगा जभीन जॊगर औय जर ऩय भाभरकाना शक के भरमे र्फयू ाभ-शभ भजदयू ं के भरमे न्माम स्लतन्त्रता
, भळषा औय वभानता
जैवे भर ू बत ू अधधकायं वे कोवं दयू पेक ददमा शं बेदबाल लारी
वाभाजजक व्मलस्था ने । अबी तक जो कुछ शाभवर शुआ शं । लश अऩनं के त्माग फभरदान वे शुआ शै ।अगय नयामन जैवी वोच द्धलचाय लारे अऩने वभाज के वबी ऩढे भरखे औय वयकायी ओशदं ऩय फैठो के द्धलचाय शो गमे तो बूभभशीनता का अभबळाऩ बूभभशीनं के भाथे वे जरूय धर ु जामेगा । फदयी बइमा एक फात भं वाप वाप कश दॊ ू ।
फदयी-क्मा कश यशे शो कश दो फशुत दे य शो गमी । दव ू ये बी काभ कयने शं की नशी ।
123
र्फयू ाभ- क्मो नशी बइमा । क्राजन्तकायी द्धलचाय वे शी तो आजादी
व्बल शुई शं आळा शै कक ऐवे द्धलचाय शी शभं बूभभशीनता के अभबळाऩ वे उफाय वकते शं । फदयी- भुद्दे वे दयू चरे गमे ।
र्फयू ाभ- नशी बइमा उवी भुद्दे को कपय दोशया यशा शूॊ । बइमा शभं बूभभशीन दीन शीन फनामे यखने की जज्भेदायी धभत को जाती शै । फदयी-एक भद्द ु ा धभत बी शी शं ।
र्फयू ाभ-शाॊ बइमा बेदबाल जजव धभत के भूर भं शो लश तो मशी ना चाशे गा कक लॊधचत ऩीडडत रोग गयीफी भजफयू ी के दरदर भं पॊवे यशे ।
औय वाभाजजक फयु ाईमं
बेद की ये खा खीॊचने लारे धयभ कुछ तकदीय भानते जातत का बेद बगलान का लयदान भानते जातत के पॊदे भं पॊवे शभ दीन
त्रफत जाता जीलन चीयते धयती ऩय शं बभू भशीन तोडना शोगा फाधओॊ के वॊग वाभाजजक फयु ाई
बेद लारे व्मलस्था वे ना शोगी अऩनी बराई ........ फदयी-अये लाश ये र्फआ ू
त् ु शाये द्धलचाय बभू भशीनता के अभबळाऩ वे
उफयने भं भददगाय वात्रफत वकते शं ।
नयामन-दादा दशॊवक क्राजन्त नशी चादशमे । अदशॊवक
,बाई चाये औय
वदबालना लारी क्राजन्त की जरूयत शं । शधथमाय वे क्राजन्त नशी आ वकती । शधथमाय तो तफाशी भरखते शं । खन ू खयाफे
वे तयक्की की
इफायत नशी भरखी जा वकती ।भानता शूॊ बेदबाल लारी वाभाजजक व्मलस्था शी शभायी दरयद्रता का कायण शै ।काका दादा शभॊ जभीन ऩय
कब्जा ऩाने के भरमे अदशॊवक तयीको को अऩनाना ऩडेगा । इवी वे दे ळ
औय वभाज का बरा शो वकता शै ।काका मश बी भानता शूॊ कक जभीन वे द्धलस्थाऩन बी खेततशय भजदयू ो की दरयद्रता का कायण शै ।काका 124
खेततशय बूभभशीनं की तयक्की भं आ यशी शय फाधाओॊ को यौदना जरूयी शं ऩय वदबालना के वाथ । अदशॊवा के वाथ । र्फयू ाभ-शाॊ फेटा ठीक कश यशा शै ।
फदयी-र्फू कुनार फाफू की खेती बी तीवयी ऩय कयने की फात कय आमे शं ।
र्फयू ाभ-शाॊ बइमा चरो । जत ु ाई फल ु ाई के इन्तजाभ भं जट ु े । फदयी-शाॊ ऩेट बयने के भरमे योटी तो चादशमे ।ेॊ ळ ् र्फयू ाभ-शाॊ बइमा चरता शूॊ दव
फध् ु दभ ् ळयणभ ् गच्छाभभका ..................
र्फयू ाभ फदयी के घय वे वीधे अऩने घय की ओय चर ऩडा । नयामन के ऩाव फैठा शरयशय न्फयू ाभ औय फदयी की वायी फातं वुन यशा था ।
र्फयू ाभ के वाथ शी फदयी बी उठ चरा जत ु ाई फल ु ाई के इन्तजाभ भं
।दोनं के जाते शी आठली क्राव भं ऩढने लारा शरयशय नयामन वे ऩछ ू
फैठी बइमा दव ू ये भजशफ तो फॊटलाया नशी कयते ,बेदबाल, फैय यखने की वराश नशी दे ते औय अऩने धभातलरज्फमं की तयक्की चाशते शं तो
अऩना धभत जातीम लैभनस्ता ,बेदबाल, गयीफी औय बूभभशीनता के दरदर भं क्मं ढकेरता शै । भानने लारे रोग फदतते मग ु भं अऩनी धाभभतक भान्मताओॊ को क्मो नशी फदरते ।
नयामन-मश धभत की गरती नशी शं । धभत के ठे केदायो ने रूदढलाददता के रशू का वॊचाय धभत की यगं भं कय ददमा शं । इवभरमे ऐवा रगता शं ।अगय दव ू ये ऩशरू की ओय दे खा जामे तो तभ ु ठीक बी कश यशे शो । खैय शरयशय तु्शे अबी वे जातीम बेदबाल के चक्कय
भं नशी ऩडना
चादशमे । ऩढाई भरखाई ऩय ध्मान दो । ऩढ भरखकय ऩैवा लारा फनोगे
तो कुछ दरू यमाॊ अऩने आऩ घट जामेगी । इवके भरमे जरूयी शं ऩढाई ।
।जफ ऩढभरखकयॊ आधथतक रूऩ वे कुछ कयने रामक शो जाना तफ तनकर
125
ऩडना वाभाजजक फयु ाईमं के दशन के भरमे वाभाजजक एकता की पौज खडी कय ।
शरयशय-बइमा तभ ु फात तो ठीक कश यशे शो ऩय अऩने वाभने वे कई
तयश की ऩये ळातनमाॊ योज योज खडी शो जाती शं जो ऩढाई की याश भं
फाॊधा उत्ऩन्न कय यशी शं । शभ क्मा ऩढ ऩामेगे क्मा आधथतक व्ऩन्न फन ऩामेगे जफ शभाये भाॊता द्धऩता शी गुराभी कय यशे शो ।बइमा दे खा
नशी र्फू काका फात कयते कयते कई फाय आॊवू बी ऩोछे शै औय मशी शार तु्शाये दादा का बी था ।
नयामन - भै अक्वय ऐवे दृश्म दे खाता शूॊ खैय दब ु ातनमलव तुभ बी। बाई कुछ कय नशी वकता । वफवे ऩशरे तो अऩने भाॊ फाऩ के आवॊू ऩोछने का फन्दे ाफस्त कयना शं । इवके भरमे चाशे जो बी कीभत चक ु ानी ऩडे ।तुभने वच कशा शं शरयशय जातीम धाभभतक रूदढलाददता फशुत शद तक भजदयू ं खेततशय बूभभशीन भजदयू ं की जजन्दगी नयक फना यशा शं । बेदबाल का उपनता दरयमा धभत का अॊग ना शोता तो आज भजदयू
खेततशय बूभभशीन औय जातीम छोटे रोग जीलन के शय भोढ ऩय ददत ना ऩाते ।
शयदशय-बइमा कुर भभराकय भजफश शी ऩीडडतं लॊधचतं भजदयू ं खेततशय बभू भशीन भजदयू ं की की दमनीम दळा के भरमे जज्भेदाय शै ।
नयामन-नशीॊ भजशफ के ठे केदाय ।बायतीम वाभाजजक एकता औय याप्ट्रीम
अखण्डता के भरमे अतनलामत तत्ल धभत तनयऩेषता ,वभता शय नागरयक को वॊयषण दे ना वॊद्धलधान औय याप्ट्र का दातमत्ल शं ऩय फौना शो जाता शं धाभभतक वॊद्धलधान औय जातीम द्धलखण्डता के कायण ।
शरयशय-धभत की अजस्भता औय अजस्तत्ल के नाभ ऩय धाभभतक उन्भाद
गयीफ तफकं वाभाजजक आधथतक दमनीम जस्थतत का कायण शै वाथ शी बइमा जातीम द्धलखण्डता नपयत का वत्र ू ऩात बी कय यशी शं ।
126
नयामन-अये लाश ये नन्शका तू तो फडे फडे धचन्तकं की तयश फात कयने रगा शै ।
शरयशय-बाई वाथ त् ु शाये जो यशता शूॊ ।अवय तो त् ु शाया ऩडेगा शी ना । तुभ दमनीम जस्थतत भं यशकय बी भेयी भदद कयते शो । अऩना कऩडा
ऩशना कय स्कूर बेजते शो । बूखा यशने ऩय कबी अऩना खाना बी भुझे
खखरा दे ते शो औय खुद बूखे यश जाते शो । बइमा भं चाशता शूॊ तु्शाये जैवा शी फनॊू जफकक आज भजशफ के कायण लैचारयक बेद ऩैदा शो यशे शं ।
नयामन-शरयशय शभ बेदबाल के ऩीडडत रोगं का नैततक दातमत्ल फन
जाता शै। कक शभ वाभाजजक एकता औय दीनदखु खमं की आधथतक जस्थतत भं वुधाय कयने के भरमे काभ कये । रेककन इवके ऩशरे मश बी जरूयी
शै। कक शभ उवे रामक फने । शयदशय लैचारयक भतबेद की जशाॊ तक फत शं । आज लश ु ा शं औय ृ द रूऩ ऩा चक
इवी कुचक्र भं ऩीवे जा यशे शं
शभाये अऩने रोग आने शी रोगो के शाथं । जातीम बेद ऩयू े दे ळ की
वभस्मा शं ।इन फयु ाईमो ऩय तो लाद द्धलाद फशुत शोते शं ऩय वभाधान कोई नशी ढूढता वफ उुॊ चे रोग अऩनी वत्ता को फढाने के भरमे काभ कय यशे शं । ऩरयणास्लरूऩ बभू भशीन खेततशय भजदयू लॊधचत रोग दरयद्रता के वभन्दय भं डूफे शुमे शं ।जातीम द्धलखजण्डता के कायण लॊधचत रोग बम औय अवुयषा वे तघये शुए शं । शरयशय-बइमा फात
वशी शै । भजदयू फस्ती रोगो की दीनता को दे खो
औय फाफू रोगं की व्ऩन्नता को । दोनं भं जभीन आवभान की पकत
शं । अभीयी गयीफी औय बेद क उलतयाळडक्त जातीम उुॊ चता ककवी ना ककवी रूऩ भं दे यशी शै ।
नयामन-शॊेा शरयशय धाभभतक वत्ता का वुख बोगने लारे बी आग भं घी
डारने का काभ कय यशे शै । कुछ गैय धभातलर्फी दे ळ के कुछ षेत्रो भं आधथतकश्ळैषखणक औय वाभाजजक उत्थान के भरमे कामत कय यशे शं ऩय 127
धभत की अपीभ खामे रोग उनके उऩय बी जल् ु भ कय यशे शं । ककवी बी
तयश वे लॊधचतं का बरा नशी शोने दे यशे शै। इतना शी नशी धभत की कैद भं भयते दभ तक बख ू े नॊगे तयक्की वे कोवो दयू ऩडे रोगं वडने के
पयभान जायी शो यशे शै। शभायी दीनता की दास्तान भजशफ की जडं भं वभामी शुई शं शरयशय । जातत तोडो आन्दंरन की वक्रीम बूभभका दीन लॊधचतं को तयक्की की याश फख्ळ वकती शै । तोडेगा कौन उुॊ चे रोग अऩनी वत्ता को दशराना तो चाशे गे नशी जफकक दतु नमा जानती शं
जाततलाद का वॊक्रीण द्धलचायधाया शं इवके फाद बी अऩने दे ळ भं खूफ पर पूर यशा शै ।जाततलाद का प्रकोऩ आज के जभाने भं बी दीन लॊधचता भं बम फढानं के भरमे पैरामा जा यशा शै ताकक लॊधचत बभू भशीन खेततशय भजदयू दरयद्रता के अभबळाऩ वे कबी ना उफय वक ।
शरयशय-शाॊ बइमा नयामन गाॊल की रूदढलाददता तो गाॊल के स्कूरं तक
ऩशुॊच चक ु ी शै । नयामन-शाॊ शरयशय रूदढलाददता ने तो शभं औय शभाये जैवी अस्वी पीवदी
जनवॊख्मा को दोमभ दजे का फनाकय यख ददमा शं ।आदभी शय तयश का
चन ु ाल कय वकता शं ऩय धभत का चन ु ाल अऩनी भजी वे नशी कय वकता । जजव रूदढलादी धभत भं जन्भ भरमा ।उवी रूदढलादी को भयते दभ तक
ढोना शी शोगा । मे कैवा धभत शं । जजवभं फशुजन दशताम फशुजन वख ु ाम की बाल शी नशी शं ।वच भामने भं जन्भ के फाद धभत चन ु ने का अधधकाय शोना चादशमे ।
शरयशय- शोना तो चादशमे ऩय बइमा धभत के द्धलरूध्द उठने लारे स्लय
दफामे तक जा यशे शं । धभत भं व्माप्त फयु ाई के द्धलरूध्द फात कयने लारं को श्ळैतान का अनम ु ामी तक कशा जा यशा शं ।तयश तयश वे प्रताडडत ककमा जा यशा शं दे ळ वे तनकारा तक ददमा जा यशा शं ।रेखको की
ककताफे तक जरामी जा यशी शं ।धभत की अपीभ फशुत फयु ी शं बइमा ।एक फात शं फयु ाईमं के खखराप इॊकराफ राना शी चादशमे चाशे 128
धभातन्तयण शी क्मं ना कयना ऩडं । इववे धभत के ठे केदायं का आॊखं खुरेगी । धभतग्रन्थं भं वॊळोधन बी शोगा वभम की भाॊग के अनव ु ाय
।धभतग्रन्थ बी तो आदभी शी भरखे शं । बगलान तो अऩने शाथं वे भरखे नशी शं । दे ळ के वॊद्धलधान भं वॊळोधन शो वकता शं धभत के वॊद्धलधान भं क्मो नशीॊ ।
नयामन-कोई बी आदभी धभातन्तयण श्ळौक वे तो नशी कयता शं । कोई
ना कोई भजफयू ी तो शोती शी शं । भं तो कशता शूॊ आदभी धभातन्तयण भवपत वाभाजजक वभानता के भरमे कय यशा शं । फाकी कोई रारवा नशी शं धभातन्तयण के ऩीछे ।
शरयशय-धाभभतक रूदढलाददता वाभाजजक आधथतक अवभानता का शी कायण शं । बूभभशीनता तो दीनता के उऩय दरयद्रता की छाऩ शै ।
नयामन-ठीक कश यशे शो शरयशय । फयु ाइमं की खखरापत तो शोना शी चादशमे । फयु ाई को वभूर उखाड पंकने वे शी
दरयद्रता के वभन्दय भं
डूफ कय भय यशे वभाज का उध्दाय शो वकता शै । शरयशय- त्रफल्कुर वशी बइमा । नयामन- जफ तक धभत की
छाॊल वबी को फयाफय नशी भभरेगी । बेद का
जशय पेरेगा नतीजन वाभाजजक अवभानता दीनशीन लॊधचतं का जीलन
नयक फना दे गी ।धभत को तो वद्भाल का केन्द्र त्रफन्द ु शोना चादशमे ऩयन्तु दख ु ता वच तो मे शै कक छोटी त्रफयादयी का आदभी अछूत कशा जाता
शै।फेचाया फाफू रोगेाॊ के खेत खभरशान वे रेकय शलेरी तक को अऩना खन ू ऩवीना कय वॊलायता शं । फेचाये को एक धगराव तक ऩानी नशी
भभरता फाफू रोगं के मशाॊ । भजदयू के घय वे ऩानी आता शं तबी लश ऩानी ऩी ऩाता शै।बूखे प्मावे
काभ कयता शं ।इव कायण कई अवाध्म
फीभारयमं का भळकाय शो जाता शै । वच धाभभतक अवभानता औय
बभू भशीनता खेततशय बभू भशीन भजद ू यं के भरमे कबी ना ठीक शोने लारा रयवता घाल शै ।
129
शरयशय- शाॊ बइमा खेततशय बूभभशीन भजद ू य वचभुच अभबळाऩ का वाभना कय यशा शं द्धलसान के मग ु भं । वुना शै कक कुछ रोग दीन दखु खमं के
दशताथत काभ कयने को आगे आ यशे शं ऩय ले रोग बी जल् ु भ का भळकाय शो यशे शं ।लश बी धाभभतक उन्भाद के कायण ।
नयामन-धाभभतक कैद को पाॊद कय तनकर जाने लारे वाभाजजक वभानता का अभत ृ चखते शुए तयक्की बी फशुत ककमे शै ऩय जो कैद वे नशी तनकर ऩामे ले दद ु तळा झेर यशे शै ।
शरयशय- कुछ रोग औव वॊस्थामे धाभभतक फयु ाईमं के कोढ के उऩचाय भं वशमोग कय यशे शं । बूखे नॊगं को लस्त्र दे यशे शं । फीभायं की इराज
कय यशे शै। अनऩढ फच्चं का ऩढा यशे शं । उनकी तयक्की की याश वग ु भ
कयने का प्रमाव कय यशे शं । नेकी की याश ऩय जाने लारे रोग भौत तक के भळकाय शो यशे शै । धाभभतक उन्भाद की लजश वे दीन दरयद्रं का
उध्दाय नशी शो ऩा यशा शं मश तो वत्म शं । धाभभतक वत्ताधीळ रोग
लॊधचतं के कल्माण काभ कयना अऩना कततव्म शी नशी भान यशे शं उरटे रयवते घाल ऩय नभक डारने की नवीशत दे यशे श।जाततलाद खत्भ कयने
की फात नशी शो यशी शं । जानलयं तक की वुयषा के भरमे काभ शो यशा शं ऩय लॊधचत अछूतं को वतामे जाने की वाजजळं शो यशी शं ।क्मा जाततलाद वे प्रेरयत शोकय दीनशीनं को दरयद्रता के
जार भं झोकना
उधचत शं ।क्मा मश धभत के भाथे ततरक वात्रफत शोगा ।
नयामन-त्रफल्कुर नशी नयामन ।आदभी आदभी के वाथ ऩळुता का
व्मलशाय कये । आदभी के शी नशी धभत के भाथे का करॊक शै ।जातीम बेद के नाभ ऩय अत्माचाय वशने लारे रोग कबी बी धभत ऩय गुभान
नशी कय वकते शरयशय ।धभत तो लयदान की लजामा अभबळाऩ वात्रफत शो
यशा शं बूभभशीन खेततशय भजदयू ं औय छसेटी त्रफयादयी लारे रोगो के भरमे । जो धभत व्प्रदाम व्मडक्त लॊधचतं के दशताथत शाथ उठामेगे मकीनन लॊधचत रोग उनकी ओय आळा बयी नजयं वे दे खेगे ।रूढी जातत के 130
नाभ
ऩय व्मडक्त को छोटा वभझना,गुराभी के दरदर भं ढकेरा अभबश्ळऩ नशी
तो औय क्मा शै ।फेचाये लॊधचत रोग इवी अभबळाऩ का ददत ऩर ऩर वशते शुए फाफू रोगो की गर ु ाभ कयते कयते दतु नमाॊ वे कूच कय जा यशे शं। द्धलयावत भं कजत का ऩशाड जोड दे यशे शं फाफू रोग । कजत चक ु ाते चक ु ाते कई ऩीदढमा भय खऩ जाती शं ऩय कजत शनभ ु ान की ऩछ ू की तयश फढता यशता शै।
शदशय-बइमा ठीक कश यशे शो ।मशी शो यशा शं
लॊधचतो के वाथ ।लॊधचतं
की वन्तानंेा की आॊख क्मा खुरी गुराभी की फेडी ऩैय भं ऩड गमी । शाॊ जभाना तो फदरा शै कुछ रोग तयक्की बी ककमा शं ऩय आज बी आजादी के ऩशरे लारी जस्थतत कामभ शं खावकय अऩनी फस्ती
भे तो
कोई तयक्की नशी शई शै। आलण्टन तक नशी शुआ । गाॊल ववभाज की औय वयकायी जभीनं ऩय फाफू रोगो का कब्जा फयकयाय शं । फेचाये
लॊधचत रोग ऩशरे जैवे शी गुराभी कय यशे शै ।वेठ वाशूकायं के चक्रव्मश ू भं पॊवे शुए शं ।बइमा लॊधचतं का तफाशी भं ध्वाभाजजक अवभानता का फशुत फडा शाथ शै ।तीज त्मौशाय ऩय ले कुछ षण के भरमे खुळी तो भनाते शै ऩय इवके ऩशरे ककवी ना ककवी रूऩ भं फाफू के मा वेठ
वाशूकाय के कजतदाय फन जाते शं ।वच बइमा लॊधचतं खेततशय बभू भशीन भजदयू ं की जजन्दगी फशुत दमनीम शो चक ु ी शं । कोई भवीशा नशी अलतरयत शो यशा शं भजफयू ी दीनता के दरदर वे उफायने के भरमे ।
नयामन-दे खो शरयशय इव दरदर वे उफायने का काभ अवभानतालादी धभत तो कय नशी वकता । शाॊ धभत को अन्ततयाप्ट्रीम कानन ू के घेये भे रामा
जामे । वबी को वभान अधधकाय शो। बरे शी ऩज ू ा ऩध्दतत भबन्न शो । लॊधचतं खेततशय बूभभशीन भजदयू ं के उत्थान वॊयषण के भरमे
अन्ततयाप्ट्रीम वॊयषण कानन ू फने । जजवका उल्रॊघन कयने लारो का दण्ड भभरे । अन्ततयाप्ट्रीम स्तय ऩय खर ु ावा बी शो ।लॊधचतं को जागरूक ककमा जामे।व्भानजन जीलन जीने के भरमे
131
व्माऩाय योजगाय भं उनकी
जनवॊख्मा को दे खते शुए अलवय ददमे जामे । जभीन जॊगर ऩय लॊधचत को ऩयू ा प्रबुत्ल भभरे । जभीन भाभरको की कैद वे जभीन भजदयू ं तक ऩशुॊचे । शयदशय-शाॊ बइमा इवके वाथ शी आदभी ककवी बी धभत आस्था भं फने यशने अथला फदरने का अधधकाय शो ।इववे बी लॊधचतं की शारत भं तेजी वे वुधाय शोगा ।
नयामन-शाॊ ।वाभाजजक आधथतक बेद को भभटाने के भरमे याप्ट्रीम एलॊ
याप्ट्रीम वॊगठन शो । शय वार याप्ट्रीम स्तय ऩय वभीषा शो औय प्रगतत
रयऩोट अन्ततयाप्ट्रीम वॊगठन को वौऩे । शदशय तफ तनजश्चत रूऩ वे लॊधचतं खेततशय भजदयू ं की जस्थतत भं आश्चमत चककत रूऩ वे द्धलकाव शोगा ।
शयदशय-लॊधचतं खेततशय भजदयू ं को प्रदान भूर अधधकायो की वभीषा शो
औय प्रगतत की बी । लॊधचतं की प्रगतत रयऩोट द्धलश्व ऩटर ऩय यखी जामे ताकक दतु नमा लारं को बी
ऩता चरे कक अऩने दे ळ के लॊधचत खेततशय
भजदयू दतु नमा के भजदयू ं वे कशी ज्मादा तयक्की कय यशे शं ।इवे दे ळ का दतु नमा के वाभने औय भान फढे गा ।
नयामन-वयकाय को तो लॊधचतं की तयक्क् ेी के भरमे क्राजन्तकायी कदभ
उठाने शी शोगे औय वाभाजजक वॊगठनं को बी वाथ दे ना शोगा तबी दे ळ का तयक्की वे दयू अरग थरग ऩडा व्मडक्त द्धलकाव की धाया वे जड ु
ऩामेगा । मदद ऐवा न शुआ तो उवके भरमे आजादी औय गुराभी भं कोई अन्तय न शोगा। आजाद शला ऩीने बय वे द्धलकाव व्बल नशी शं
।शला शी तो फची शै पोकट भं । ऩानी बी तो गयीफ वे दयू शोता जा यशा शै।
शरयशय-शाॊ बइमा ठीक कश यशे शो । ऩानी तो फोतरं भं त्रफकने रगा शं ।धनाढ्यमं की नजय अफ ऩानी ऩय बी आ गडी शै ।एक ना एक ददन शभाये अऩद्धलत्र कुओॊ ऩय बी
रोग कब्जा ना कय रे जभीन की तयश ।
गल के ऩोखय ताराफं ऩय दफॊग रोगो का कब्जा तो शो शी गमा शै । 132
नयामन-शाॊ शरयशय धचन्ता का फात तो शं शी ।लॊधचतं खेततशय भजदयू ं
को
वॊगदठत शोकय भुकाफरा कयना शोगा । फशुत ऩी भरमे तघनौने फॊटलायं का जशय ।वयकाय को बी खर ु ी आॊखं वे लॊधचतं की जरूयतं की ओय दे खना
शोगा ।लगत बेद लणत बेद औय ऩषऩात भभटाने के भरमे कभय कवना शोगा तबी अलॊधचतं खेततशय भजदयू ं का बरा शो वकता शै। लयना उनकी ककस्भत भं यक्त के आवूॊ योना शी भरखा यश जामेगा ।
शरयशय- बइमा वॊद्धलधान भं तो व्मलस्था शं वन ु ा शै न्माम वभानता स्लतन्त्रता का ।
नयामन- दे ळ भं अऩने वॊद्धलधान वे फडा शं वाभाजजक वॊद्धलधान । क्मा चरयत्र भं उतय यशा शं ।
शरयशय - नशी बइमा ।शभ तो नशी दे खे आज तक । नयामन-शरयशय वॊद्धलधान भं
व्मलस्था शं
न्माम वभानता बाई चाये का
।मश बी ऩक्का शं इवके ऩारन के त्रफना दे ळ आगे नशी फढ वकता ।
शरयशय-बइमा धभत जातत व्प्रदाम के नाभ अरग थरग ऩडना दे ळद्रोश शै ।
नयामन-ठीक कश यशे शो । वबी जानते शं ऩय भानते कशा शं । मदद भाने शोते तो दे ळ के लॊधचतं खेततशय भजदयू ं की ऐवी दमनीम दळा शोती ।
वच आलाभ के फीच भबन्नता ऩैदा कयने लारे दे ळ के दश्ु भन शं । लॊधचतं खेततशय भजदयू ं अभळक्षषत जनता ऩय जल् ु भ कयने लारे इनके शी नशी
दे ळ के बी दश्ु भन शै । याप्ट्रीम एकता के दश्ु श्भन शं ।धभातन्ध रोग दे ळ की एकता के भरमे नावयू शं ।ऐवे कामत दे ळ के गयीफ तफके के भरमे अभबळाऩ तो शै शी दतु नमा के वाभने दे ळ की फदनाभी के कायण बी फनते शं ।
शरयशय-वच बइमा जातीम भबन्नता लॊधचतं भजदयू ं की दश्ु भन शै । तबी
तो इनका ऩरू ु ऩाथत दफॊग रोगो के गोदाभ बयते शं औय खद ु दाने दाने को तयवते शै । भन शोता शं तो दफॊग रो फेचाये लॊधचतं के घय भं घव ु कय 133
शाथ बी वाप कय आते शं ।आतॊककत फेचाये भजदयू अऩनी औरादं को स्कूर बी नशी बेज ऩाते ।बइमा अऩनी फस्ती भं दे खो ककतने फच्चे शं
जो अऩने भाॊ फाऩ का शाथ फटा यशे शै । फाफू रोग के खेत भं काभ कय यशे शं ।शभ बानमळारी शं बइमा कुछ तो ऩढ भरमे । भाॊ फाऩ आगे
ऩढाने के भरमे फाफू रोगो की गुराभी कयने को अऩना वौबानम भान यशे शं ।
नयामन-ठीक कश यशे शो । शभ वच भं तकदीय लारे शं । श्ळाभ की योटी का इन्तजाभ नशी कपय बी ऩढ यशे शै।मश अऩने भाॊ फाऩ का फभरदान शं ।ले
भजद ू यी के रूऩ भे तऩस्मा कय यशे शं । शभाये कर के भरमे
धचजन्तत शं ।राख जल् ु भ वशने को तैमाय शै ।
शरयशय-लॊधचतं खेततशय भजदयू ं के स्कूर ऩरयधध वे फाशय गमे फच्चे लास्तल भं फाफू रोगो के शवीन वऩनं के ताय फन ु ते शं । नयामन-ठीक कश यशे शो। लॊधचतं खेततशय भजदयू ं
के फच्चे दाखखरा नशी
रे ऩाते क्मोकक मे फच्चे आॊख खर ु ते शी योटी की तडऩन दे खते शै।
जरूयतं की उरझन दे खते शं औय थाभ रेते शै फाफू रोगं के शरं की
भूठ।वच तुभने कशा शरयशय शभ लास्तल भं तकदीय लारे शं कक स्कूर जा यशे शै बरे शी कबी कबी बख ू े बी जाना ऩडता शं ।शभने बी अऩने वऩने फन ु भरमे शै ।
शरयशय-लश क् ेाम बइमा ।
नयामन- भाॊ फाऩ की आॊवू ऩोछने ।लॊधचतं खेततशय भजदयू ं
केवाथ लॊधचतं के काभ आने का
के फच्चं का स्कूरं तक न ऩशुॊचना अथला स्कूर ऩशुॊचकय बी ऩढाई छोड दे ना ककस्वा कशानी नशी चब ु ता शुआ मथाथत शै ।शरयशय ळशय की श्रभ भजण्डमं की फात कये तो अकुळर
भजदयू ं की भाॊग आने लारे वभम भं एकदभ घट जामेगी । अभळक्षषत लॊधचतं खेततशय भजदयू ं
ऩरयलाय के
जो श्ळशय कभाने की रारवा भरमे
गमे शं ेॊ ले बी लाव आ जामेगी फाफू रोगो के खेत भं शाडपोडेगे ।श्रभ 134
की भजण्डमं भे ले शी रोग भेशनत भजदयू ी कय ऩामेगे जो कुछ कराव
तक ऩढे भरखे शोगे । भळषा वे दयू ी लॊधचतं खेततशय भजदयू ं एलॊ उनके फच्चं को वाभाजजक रूऩ
वे खदे ड शी चक ु ी शै
आधथतक-श्रभ की
भजण्डमं वे खदे ड ददमे जामेगे । लॊधचतं खेततशय भजदयू ं के ऩाव अऩने
फच्चो को तक स्कूर बेजने का व्मलस्था नशी शं तो ले क्मा अऩने फच्चेाॊ को राखं की पीव लारी ऩढाई कयला ऩामगे ।
शरयशय-नशी बइमा । शभायी शी ऩढाई फन्द शोने की नौफत आ गमी शं जो कक मशाॊ तक आ गमे । मशा तक आने भं शभाये भाॊ फाऩ को एडी वे
चोटी तक ऩवीना फशाना ऩड यशा शं ।शभ खचीरी ऩढाई कशाॊ कय ऩामेगे ।शाॊ श्ळशय जाकय ककवी कर कायखाने भं काभ कय वकते शं मदद लशाॊ
जाततलाद का श्ळैतान नशी यशा तो ।वच बइमा वाभाजजक अवभानता का याषव शभाये भरमे अभबळाऩ फना शुआ शै । नयामन-लॊधचतं खेततशय भजदयू ं के कल्माण के भरमे वाभाजजक धाभभतक वत्ताधीळं को अऩने वॊद्धलधान भं फदराल कयना शोगा । तबी आळा
ककयण स्लरूऩ ऩा वकती शं इवके त्रफना वायी तयक्की फौनी शोकय यश जामेगी।
शरयशय-दतु नमा को जीयो दे ने लारे दे ळ ,दळभरल दे ने लारे दे ळ ,धयती औय चाॊद की दयू ी का ेॊअदाजा रगाने लारे दे ळ केरोग अस्वी पीवदी रोग वाभाजजक अवभानता का अभबळाऩ ढो यशे शै ।अवभानता के लळीबूत रोग बेद की खेती कय यशे शं । नपयत कय यशे शं ।क्मा ऐवी
भानभवकता के रोग वाभाजजक अवाभनता की फयु ाई को धोकय लॊधचतं खेततशय भजदयू ं को तयक्की की याश ऩय जाने दे गे ।
नयामन-वाभाजजक आधथतक तयक्की के भरमे वॊघऩत तो कयना शी शोगा
।नेल्वन भॊडेरा वे कुछ वीख रेनी शोगी । वयकाय को कानन ू व्मलस्था का कठोयता वे ऩारन कयलाना शोगा । तनजश्चत रूऩ वे लॊधचतं खेततशय भजदयू ं की तयक्की
के नलद्वाय खुरेगे । 135
शरयशय-कानन ू व्मलस्था की फात कय यशे शो बइमा । क्मा कानन ू का
ऩारन शो यशा शं । नतीजा दतु नमा के वाभने शं दीन लॊधचतेाॊ की दरयद्रता के रूऩ भं ।
नयामन- फात तो वशी शं ऩय कानन ू व्मलस्था भं शभं तो द्धलश्वाव कयना
चादशमे । कबी ना कबी ऩत्थय ददरं के ददर ऩवीजेगे ।अॊगुराभार जैवे इॊवान का ददर ऩरयलतततत शो वकता शं तो औय रोगो का क्मं नशी । शरयशय-ऩरयलततन के भरमे तो बगलान फध् ु द ऩैदा शोना शोगा ।
नयामन-शाॊ ।वाभाजजक आधथतक एलॊ याजनैततक वॊद्धलधान क्राजन्त रा वकते शं ऩय इवका ऩारन रोक दशत दे ळ दशत भं शो ।शरयशय शाभयी जजन्दगी शारात वे वॊचाभरत यशी शं जफकक ऐवा नशी शोना चादशमे था । आज भशत्लदइव फात का शै कक शभ कटुऩरयजस्थततमं औय वाभाजजक
अवभानता का जशय ऩीते शुए फेशतय तनकरे औय इव फदत्तय शारत को खुळनभ ु ा फनाने के भरमे वभद्धऩतत बाल वे काभ कये । मशी अऩने जीलन की वाथतकता शोगी ।
शरयशय-फदत्तय जस्थतत भं यशकय बी खुद को फेशतय वात्रफत कयना फशुत फडी फात कश ददमे बइमा तुभने तो । बइमा मशाॊ तो शय शारात खखराप शं ।वॊगदठत अऩयाध फढ यशा शै । लॊधचतं ऩय अत्माचाय भदशराओॊ
उत्ऩीडन फढ यशा शै । जाततलाद आतॊकलाद का दामया फढ यशा शै । दफॊगं के दफाल के आगे कायतलाइरय ् नशी शो यशी शं । नयामन-शरयशय दतु नमा का कोई बी
भजशफ वाभाजजक अवभानता का
फीजायोऩण नशीॊ कयता । शाॊ इवके वत्ताधीळ रोग अऩने स्लाथत के भरमे आड्फय यचते शं ।
शरयशय-वच भजशफ नशी वीखाता आऩव भं फैय यखना ।बइमा शभ तो भजशफ के फॊटलाये का अभबळाऩ झेर यशे शै ।इववे अभबळाऩ ने तो
अत्माचाय की जख्भ तन भन को ददमा शं । तयक्की वे दयू यखा शं ।
136
नयामन-तुभने शी कशा शं ना कुछ वेकेण्ड ऩशरे कक भजशफ नशी वीखाता
आऩव भं फैय यखना ।बइमा अऩनी वत्ता को डगभगाने वे योकने के भरमे वत्ताधीळेा का चक्रव्ममश ू शं शभायी वाभाजजक अवभानता । इवके धयाळामी शोने का लक्त धीये धीये तनकट आता जा यशा शै ।
शरयशय-शाॊ बइमा इवी भं दीन लॊधचतं की बराई शं ।शभ लॊधचतं का जीलन फोझ शो गमा शै ।
नयामन-इव कत्री फोझ वे उफयने के भरमे कभय कवनी शोगी ।आधथतक भजफत ू ी कामभ कयनी शोगी ।
शरयशय-कैवे आधथतक भजफत ू ी आमेगी वेय बी भजदयू ी वे नशी बइमा इववे तो ऩेट बी नशी बय यशा शै।दे खा नशी कुछ दे य ऩशरे अऩने वाभने शी दो भजदयू आवूॊ फशा यशे थे । भजदयू के फेटे घट ू घट ू कय भय यशे थे ।
तीवयी की खेती कयने के भरमे वाशूकाय का कैदी फनने की तैमाय कय यशे थे जफकक उन्शे बी भारूभ शं तीवयी की खेती भं भभरे अनाज वे ऩरयलाय वार बय ऩेट खा नशी वकता शं । वाशूकाय कजत कैवे चक ु ामेग ।जजव कुनारफाफू की तीवयी की खेती कयने की शाभी बयकय आमे शं उवके घय
शोरी दीलावरी भन यशी शोगी । अऩने मशाॊ खाने को योटी नशी ।मश वफ वाभाजजक आधथतक अवभानता का शी तो अभबळाऩ शै ना ।
नयामन-शाॊ ऩय शरयशय शय अभबळाऩ वे उफया जा वकता शै ।
शरयशय-शाॊ बइमा इवके भरमे जरूयी शं अच्छी ताभरभ । मशाॊ तो ऩेट भं बूख शं औय आगे फढने की रारवा बी ।क्मा ऩामेगे ।
अवभानतालादी जॊग जीत
नयामन-अलश्म । शौळरा पौरादी यखो । भॊजजरं जरूय भभरेगी ।जफ
अऩने अनऩढ भाॊ फाऩ अऩने पौरादी शंळरे की लजश वे मशाॊ तक रा
वकते शं तो शभ क्मो नशी ।गाॊधी , द्धलनोला बाले , फाफा वाशे फ बगलान फध् ु द बी तो इवी दे ळ के थे ।अस्वी पीवदी के ऩाॊच पीवदी शी तकदीय फदर वकते शं ।
137
शरयशय-शाॊ बइमा ठीक कश यशे शो । बइमा अफ घय चरता शूॊ आऩकी फात को गाॊठ फाॊधकय यखूॊगा ।वाभाजजक आधथतक वभानता के भरमे श्ळॊखनाद करूॊगा । बइमा एक फात खटक यशी शै । नयामन- क्मा ।
शरयशय-तु्शाये दादा औय र्फू की आॊखो भं आॊवू के तैयने की फात । फेचाये तीवयी की खेती कयने के भरमे
ककवी वाशूकाय के मशा फडी भाॊ औय काकी का कोई न कोई जेलय यखकय खाद फीज का इन्तजाभ कये गे मा फकयी फकया फेचेगे । फेफव भजफयू कय बी क्मा वकते शं । इवके अराला औय कोई यास्ता बी तो नशी शं । शभायी झोऩड ऩट्टी का शय
यास्ता तो कैदखाने की ओय जाता शं चाशे वेठ वाशूकाय का शो मा बऩ ू तत का मा कोई औय । नयामन-शाॊ शरयशय इवी अभबळाऩ को तो धोना शं । नमायश
शरयशय अऩने घय चरा गमा । नयामन ऩढाई कयने फैठ गमा ।आधा
घण्टा त्रफता बी नशी शोगा कक भडई के दयलाजे ऩय ऩदचाऩ की ध्लतन
नयामन के कानो को छू गमी । इतने भं आलाज आमी फेटा ऩढाई कय
यशे शो ।नयामन की नजय भडई के दयलाजे ऩय गमी लश चंक कय फोरा काका आ गमे । खदटमा वे उतयकय काका का ऩाॊल छुआ ।
भनोशय-फेटा ऩढाई अच्छी चर यशी शं । ऩढो भरखो आगे फढो ।ऩढाई वे
व्लजृ ध्द आ वकती शं। फाफू रोगो का गोफय पंकने वे तो कबी नशी आ
वकती शं ।ऩढ भरखकय मल ु ा ऩीढी को वॊघऩत बी कयना शोगा वभानता के अधधकय के भरमे । ऩयु ानी ऩीढी तो थक चक ु ी शै ।गयीफी औय वाभाजजक अवभानता का फोझ ढोते ढोते ।ऩढ भरखकय आगे फढोगे तो जरूय बरा शोगा । अऩनी कौभ के ऩढ भरख यशे फच्चे बी तो कभ ददत नशी ऩी यशे शं । ज्मादातय फेचाये तो ऩेट भं बख ू शी भरमे यश यशे शै ।कशते शं ना
बूखे ऩेट बजन ना शोत गोऩारा । मशाॊ तो अऩने फच्चे इवको बी झुठरा 138
यशे शै । ऩेट भं बूख रेकय ऩढाई कय यशे शै उज्जलर कर के भरमे ।फेटा फीच भं प्ढाइर नशी छोडना शभ बी प्ढ यशे थे फाऩ का ददत नशी फदातश्त
शुआ । प्ढाई छोडकय श्ळशय बाग गमे । कई भशीनं तक प्राजस्टक की भळीन खीॊचा । जफ स्लास्थ वाथ छोडने रगा तो एक पैक्टयी भं रेफय के रूऩ भं काभ कयने रगा अबी बी लशी कय यशा शूॊ । खैय धन दौरत तो नशी जोड ऩामा ।शाॊ खेततशय भजदयू ं की तयश जल् ु भ का जशय ऩर
ऩर नशी ऩीना ऩडता शं । बगलान वे प्राथतना कयता शूॊ कक बगलान भेये फेटला यद्धल को काभमाफी दे ना ऩढाई भरखाई भं शोभळमाय फनाना । कोई अपवय फन जामे । इन फाफू रोगो की शयलाशी चयलाशी भं तो जीलन नयक फन जाता शै ।
नयामन-काका श्ळशय वे कफ आमे ।
भनोशय-फेटा दो घण्टा शुआ शोगा । फेटा बइमा कशाॊ शं ।बइमा वे भभरने चरा आमा । नयामन-काका फशुत अच्छा ककमे ।दादा तो नशी शं कशी गमे शै । ज्मादा दे य शो गमी आने लारे शी शोगे ।काका आजकर दादा फशुत ऩये ळान यशते शै । भनोशय-क्मं फेटा ।
नयामन-काका काभ धाभ वफ फन्द ऩडा शै ।वआ ु र फाफू जफ वे भये शं तफ वे शभाये घय ऩय बी वॊकट आ गमा शं । भनोशय- लो कैवे फेटला ।
नयामन-काका दादा तो अबी उनके शी शयलाश शं ऩय शयलाशी का खेत बी नशी जोत योऩ ऩा यशे शं । भनोशय-क्मं फेटा ।
नयामन-काका वुआर फाफू के भयते शी जभीन के फॊटलाये को रेकय द्धललाद जो शो गमा शं ।उधभ फाफू जाकय श्ळशय फव गमे शं । जफ आते शं तफ
मशी कशते शं कक फदयी तेयी जभीदायी तु्शाये शी शलारे शै । द्धऩताजी का 139
लचन भत तोडना ।
वुआर फाफू को ददमे लचन के ऩारन भं शभ बूख
औय तॊगी का ताण्डल झेर यशे शं । दादा दव ू ये की शयलाशी थाभ नशी यशे
शं । फस्ती के काई रोग कई ददनं वे वभझा फझ ु ाकय अधधमा दटकुयी की शी खेती कयने को याजी ककमे शं । र्फू काका योज वुफश श्ळाभ दादा
को वभझाेा यशे थे ।फडी भुजश्कर वे कुनार फाफू की तीवयी ऩय खेती भरमे शं। दादा औय र्फू भभरकय कये गे । खाद फीज के फन्दोफस्त के
भरमे कशी गमे शं ।काका भाॊ फाऩ की दळा दे खी नशी जाती ऩय क्मा करूॊ भाॊ फाऩ के वऩने ऩयू े कयने के भरमे ऩढाई कय यशा शूॊ ।उनके ददत को नजयअन्दाज कय यशा शूॊ ।काका भाॊ को फर ु ाता शूॊ । थोडी दे य फैठं तो वशी ।नयामन भाॊ काका आमे ....काका आमे की आलाज दे ने रगा । ळाजन्तदे ली-शडफडाती शुई आमी औय फोरी क्मा शुआ फेटा । नयामन-भाॊ मे दे खो काका आमा शं ।
भनोशय-ळाजन्त दे ली का ऩैय छूते शुए फोरे बौजी ऩारगी । ळाजन्त दे ली-ददन दन ू ी यात चौगन ु ी तयक्की कयो बइमा कफ आमे ।वब ु ौती फता तो यशी थी आज आने लारे शो । दे य कैवे शो गमी । गाडी रेट थी क्मा ।
भनोशय-शाॊ बैजी । थोडी दे य शुई । वोचा कक चरो बइमा बौजी वे भभर आउूॊ । बइमा तो कशी गमे शं फेटला फता यशा शं । ळाजन्त दे ली-शाॊ बइमा । जशाॊ तक
शाथ ऩाॊल चर यशा शं । खूफ भेशनत
दौडधऩ ू कय यशे शं ऩय तनयाळा शी शाथ रग यशी शं । मग ु ो वे एक शी
योना शं । आज बी नाॊको भं दभ ककमे शुए शं ।शभ गयीफो का वाभाजजक औय आधथतक वॊकट कट शी नशी यशा शं । बइमा फैठो ऩानी राती शूॊ ।कशते शुए ळाजन्त दे ली घय भं गमी कटोयी भं धचलडा गुड औय रोटा भं ऩानी रामी औय फोरी रो बइमा ऩानी ऩीओ ।अबाल औय बख ू वे तो
शभ गयीफो का जन्भ जन्भ का वाथ शं । इतना जल्दी कशाॊ छोडने लारा शं ।फडे रोग अऩना उल्र ्ेूेा वीधा कयने भं रगे शं । इवके भरमे बरे 140
शी दीन दरयद्रो का दशन कयना
ऩड यशा शं
तो ले फेदशचक कय दे ते शं ।
अये कौन वे फात के पेये भं ऩड गमी जो तुभ नशी जानते शो । शुक्का चढाना शी बर ू गमी । भनोशय-बौजी शुक्का भं कशॊेा ऩीता शूॊ । कबी नशी ऩीमा तो अफ क्मा ऩीउुॊ गा ।
ळाजन्त दे ली-अच्छा शं ।नळा वे तो दयू शी यशना चादशमे । दे खो नयामन के दादा का घय भं खाने का इन्तजाभ बरे शी न शो ऩय उनको गाॊजा त्फाकू इतना शी नशी दारू बी कबी कबी ऩीने रगे शै ।नयामन की
कवभ दे दी ऩय नशी भानते । जफकक ले बी जानते शं नळा जीलन नशी भौत दे ती शै ।भना कयने ऩय कशते शं कक नीॊद आ जाती शं गाॊजा दारू
ऩी रेने वे । फताओ कैवे वभझाउूॊ ।घय ऩरयलाय का शार दे ख शी यशे शो ।
भनोशय- शाॊ बौजाई गयीफो का जीलन नयक शो गमा शं ।अच्छी तयश वे
जानता शूॊ । फाफू रोग जश्न भं डूफे यशते शं फेचाये भजदयू ी बख ू भं भयते शं ।अखफाय भं छऩा शै कक फन् ु दे रखण्ड के दवईमा का फेटा बूख वे भय गमा शै ।
ळाजन्त दे ली-क्मा कश यशे शो बइमा ।
भनोशय-बौजाई ठीक कश यशा शूॊ । लश बी अऩनी शी त्रफयादयी का था ।तीन रोग बूख वे भय गमे शं लश बी खेततशय बूभभशीन भजदयू औय उनके फच्चे।
नयामन-ले बी खेततशय बभू भशीन भजदयू शी यशे शे गे ।
भनोशय- शाॊ फेटा बूख वे कौन भये गा अऩने शी रोग ना ।अऩने रोगो की वफवे फडी दश्ु भन शै वाभाजजक कुव्मलस्था जो ऐवा
अभबळाऩ फन चक ु ी
शै । राखो प्रमावं के फाद बी नशी धर ू यशा शै ना जाने ककतने रोग घय वे फेघय शो गमे । ककतने भय गमे । आज बी शभाये जैवे अनधगनत
141
रोग वाभाजजक कुव्मलस्था के अभबळाऩ के ळूरं ऩय चरकय जीलन फवय कय यशे शं ।
ळाजन्त दे ली-अये फाऩ ये खेततशय बभू भशीन भजदयू रोगं के बख ू े भयने की नौफत आ गमी ।बगलान यषा कयना शभ गयीफो की । भनोशय-नयामन अऩने दे ळ भं अफ्रीका कुऩोऩण के भळकाय शं ।
के वशाया व अधधक फच्चे अऩने
नयामन-क्मा कश यशे शो काका ।
भनोशय-फेटा अखफाय की खफय फता यशा शूॊ जो वशी बी शं ।अऩनी फस्ती का शी शार दे खो। दाले के वाथ कश वकता शूॊ कक मे फच्चे ककवी औय के नशी लॊधचत खेततशय बभू भशीन भजदयू ं के शी शै । फेटा अखफाय भं छऩे वभाचाय के अनव ु ाय चीन भं दो दळक ऩशरे इतनी अवभानता न थी
जजतनी आजकर शै ।अभीयी औय गयीफी की खाई भं कापी द्धलस्ताय शुआ शं जो शभ गयीफं के भरमे बूखं भयने का शी वॊकेत शै । एक फात चीन भं
लशॊेा व्बलत् अभीयी गयीफी की शी खाई शोगी ऩय अऩने दे ळ भं
अभीयी गयीफी की खाई भं द्धलस्ताय तो द्रत ू गतत वे शो यशा शं औय उवी गतत वे जातीम बेदबाल औय वाभाजजक कुव्मलस्था का चक्रव्मश ू बी
भजफत ू शुआ शै । इन्श कायणं वे दतु नमा की चकाचंध , तयक्की वे दयू फैठे,लॊधचत खेततशय बभू भशीन भजदयू ं के वाभने बख ू ो भयने की नौफत आ खडी शुई शं । नयामन-काका क्मा मश वच शै ।
भनोशय-शाॊ फेटा ।ऩत्रकाय शी रोग तो दीन दखु खमं औय उनके ददो को
दतु नमा के वाभने यखते शं ।बरा झूठ क्मा भरखेगे ।फेटा अऩनी फस्ती के शी रोगो का शार दे खो ।अऩने शी घय की शार दे खो ।लॊधचत खेततशय
बूभभशीन भजदयू ं की तयक्की ऩय द्धलयाभ ना जाने कफ वे रगा शुआ शै । इतना शी नशी बेदबाल का तप ू ान बी शभ गयीफं को यौदता यशता शं
142
।अत्माचाय,उत्ऩीडनएफरात्काय के भाभरे फढ यशे शं लश बी गयीफं औय उनकी फशन फेदटमं के वाथ ।
नयामन-काका श्ळशय भं तो आऩको खफय बी रग जाती शं । मशाॊ तो कुछ बी ऩता नशी चरता ।न ये डडमो शं ना टीली औय नशी अखफाय
खयीदने का वाभथ्मत । काका गयीफं के फत ू े की फात नशी शं । मशाॊ तो योटी की जआ ु ड के भरम ऩवीना फशाने वे पुवतत शी नशी भभर यशी शं ।फाकी वभाचाय जानने की कशाॊ वध ु जो
अखफाय कुछ कुछ ऩढ बी
वकते शं ।उनके ऩैवा इतना वाभथ्मत नशी शं कक दो रूऩमा खचत कय वके । काका लैवे बी गाॊल तक अखफाय बी नशी आता
फाजाय भं जरूय आता
शं लश बी कई कोव दयू शं । फेचाये गयीफ के बरे का आवाय तो नशी ददखता शं ऐवे शारात भं काका ।
भनोशय-फेटा फात तो तू वशी कश यशा शं ऩय वभाचाय के भाध्मभ नशी
वोच ऩैदा कयते शं । जल् ु भ के खखराप उठने का जज्फा जगाते शं ।इतना शी नशी ऩढे भरखं का वभाचाय के वाथ शी योजगाय के फाये भे बी
जानकायी दे ते शं ।फेटा अगय भं अखफाय नशी ऩढा शोता तो फन् ु दे रखण्ड
भे बूख वे भये दवइमा के फेटे का वभाचाय कैवे फताता ।अखफाय जल् ु भ के द्धलयोध भं स्लय उठाने का काभ कयते शै ।
नयामन-काका मशाॊ तो ऩेट बयने के भरमे योटी नशी शं ।योटी के भरमे
आदभी जल् ु भ वश यशा शं । जल् ु भ के खखराप कैवे खडा शोगा । वफवे ऩशरे तो उवकी भूरबूत जरूयते ऩयू ी शोने का कोई ऩख ु ता इॊतजाभ शो
तफ ना लश दश्भत कये गा । दश्भत कयके बी क्मा कये गा जफ यौदने का डय शो वाभने ।काका वयकाय को शभाये ऩष भं आना शोगा ।योजी
योटी का इन्तजाभ कयना शोगा । भेयी फात ऩय मकीन कयो काका ऩेट
बयते शं अवभानता के खखराप इतनी गजतना शोगी कक कोई बी नशी योक ऩामेगा । काका भजफरू यमो शं ।काका फन् ु दे रखण्ड भं बख ू वे भये रोगो के फाये भं औय कुछ अखफाय भं नशी छऩा था । 143
कैवा चर ऩडा शै चरन
बूख का ताण्डल योता शै भन । धन धयती वे अधधकाय तछने,
राचायी गयीफी अधधमाये घने ।
भेशनत की तऩस्मा नशी छॊ टा अभबळाऩ कुव्मलस्था घाल नशी कशाता ऩाऩ । दरयद्रता के अभबळाऩ कौन उफये गा डूफतो का वशाया कौन फनेगा
।
आळा के तरूलय ऩय धगध्द फैठ जाता
कयाशता वलारा रशूरश ु ान कय जाता । भनोशय-अये लाश ये फेटा तू तो अबी वे फडा कद्धल शो गमा ।
नयामन-काका तायीप नशी भुझे अखफाय की दास्तान वुनाओ ।
भनोशय-फेटा क्मा फताउुॊ भन यो उठता शं । दरयद्रता के फाये भं वोचकय । क्मा तकदीय फना ददमा शं वाभाजजक कुव्मलस्था के आड्फयं ने फेचाया बूभभशीन लॊधचत
फाफू रोगं के खेत भं खून ऩवीना कयता शै । शाडपोड
भेशनत के फाद बी ऩेट बय योटी नवीफ नशी शो यशी शं ।जरूयते ऩयू ी नशी शो यशी शं ।बख ू औय दला दारू के अबाल भं भय यशा शं तडऩ तडऩ कय
।मे कैवी आजादी शं। आजाद दे ळ भं आदभी जातत बेद का दॊ ळ झेर यशा शं ।फॊटलाये भं भभरी रूढी औय बूभभशीनता का अभबळाऩ फेचाये बूभभशीनं
भजदयू ं लॊधचत के भरमे जान रेला वात्रफत शो यशा शै ।आजाद दे ळ भं बी वाभन्तलादी व्मलस्था कामभ शं । फेचाया दी दख ु ी बम के वामे भं जी यशा शै ।फन् ु दे रखण्ड के नमोडी गालॊ का एक औय भजदयू बूख वे भय गमा शं जफकक लश कुछ ददन वयकायी भजदयू ी बी ककमा था । उवे
भजदयू ी तक नशी भभरी । फेचाया लश बी बूख वे भय गमा ।इवव फडा
भजाक औय क्मा शो वकता शं । दे ळ तो अॊधेयऩयु नगयी वत्ताधायी रोग कनला याजा फन फैठे शं । बूभभशीन गयीफ भजदयू बूख वे भय यशा शै । 144
उवके फच्चे स्कूर नशी जा ऩा यशे शं ।फचऩन भं शी फढ ू े शो यशे शं ।क्मा मशी आजादी शं वोच कय फशुत दख ु शोता शै । नयामन-भेय द्धलचाय आऩ वे भभरते शं ।
भनोशय- शाॊ फेटा भेये फाऩ का दख ु तेये फाऩ का दख ु एक जैवे शी शै ।ना जाने ककव मग ु वे वऩने दे ख यशे शं
वोचा था आजादी भभरने के फाद
लॊधचतं के वऩनं को बी ऩय रग जामेगा रेककन वाभाजजक वत्ताधीळं
द्वाया भरखी तकदीय नशी फदरी । आजाद दे ळ के गर ु ाभ यश गमे ।गाॊलो का फयु ा शार शं आज बी ।
बूभभशीन भजदयू फाफू रोगो का जल् ु भ
झेरने को भजफयू शं ।वेठ वाशूकायो के फन ु े जार भं उरझाेा शुआ आजाद दे ळ भं ।कैवे कशे कक शभ आजाद शं ।
नयामन-काका मश तो खुरी आॊखं वे दे खा जा वकता शं । बूभभशीन
भजदयू ो की फजस्तामं तक तयक्की की आशट तक नशी आमी शै। ेॊ कशने को तो फशुत तयक्की शो गमी शं । कोई बूभभशीन भजदयू ं के वाथ यशकय दे खे । कोई वाभाजजक आधथतक व्ऩन्न व्मडक्त लॊधचतं की ऩयछाई अऩने उऩय नशी ऩडने नशी दे ना चाशे गा । कुछ दे य वाथ यशना तो फशुत दयू की फात शं । गाॊल का लॊधचत वभुदाम वाधन औय व्लजृ ध्द वे फशुत दयू शै काका ।
भनोशय- शाॊ फेटा आदभी को वाभाजजक औय आधथतक रूऩ वे वख ु ी फनाने
के भरमे वाधन औय व्लजृ ध्द दोनो का फशुत मोगदान शोता शं । मशाॊ तो लॊधचत रोगो के ऩाव योटी का इन्तजाभ नशी शं तो ले आजादी का अनब ु ल कैवे कय वकेगे ।राचायी तो उनके भाथे ऩय वलाय वाभाजजक आधथतक औय याजनैततक वत्ताधीळं का भजाक उडाती शं ।
नयामन-काका वच्चाई तो मशी शै ।बरे शी जातीम द्वे ऩ भं डूफे रोग
नकायते यशे ।ककवी ने कशा बी तो शं भानभवक गुराभ रोग वच्चाई बी नशी कफर ू ते ।ऐवे शी रोग शं जातीम व्मलस्था के अॊधबक्त । ले कशाॊ
चाशे गे दीन दखु खमं की तयक्की ।ले तो तथाकधथत धभतळास्त्र ददखा दे ते शं 145
मश कशकय कक वफ द्धऩछरे जन्भ की दे न शं ।भजदयू ं के भेशनत ऩय याज ले कयते शं । भजदयू ं को शी ऩाऩी फना दे ते शै । इव भोश भं कक ले
अनभबस यशे औय कवाई की गमा की तयश खडे यशे ।खेत भाभरकं के
खेत वोना उगर यशे शं भजदयू ं के ऩरयश्रभ की लजश वे ।फेचाये भजदयू शी बूख वे भय यशे शं । काका मश वाभाजजक अभबळाऩ नशी तो औय क्मा शं ।
भनोशय-शाॊ नयामन श्ळशय के आवऩाव की जभीन तो
वोना फनाने की
भळीन वात्रफत शो यशी शं । गाॊल की शी तयश ऩय आज जभीन को जभीन भाभरको ने व्माऩाय की लस्तु फना ददमा शं ।
नयामन-काका गाॊल की जभीनं का बी लशी शार शं ।
भनोशय-फेटा गाॊल की जभीने अनाज ऩैदा कय यशी शं । श्ळशय के
आवऩाव की जभीनं व वब्जी बाॊजी का व्माऩाय पूरपर यशा शं ।
जभीन भाभरक काय भं चर यशे शं । भजदयू लशाॊ बी बूखभयी का भळकाय शं ।फेटा ळशय की जभीन खेती के भरशाज वे नशी दाभ के भरशाज वे तो यीमर इस्टे ट ने फभ ू रा ददमा शं । जभीन भाभरक कयोडऩतत फन यशे शं ।भजदयू का शार दमनीम शो यशा शै ।
नयामन-शाॊ काका भजदयू ो का शय जगश एक जैवा शी शार शै । रेककन श्ळशय के भजदयू ं को जाततऩाॊतत का जशय नशी ऩीना ऩडता शोगा ।
भनोशय-थोडा कभ ।फेटा ऐवा नशी शै कक दे ळ भं अनाज की कभी शं । गोदाभं भं अनाज बये ऩडे शं । जभीन भाभरक व्माऩय कय यशे शं ।
अनाज ऩैदा कयने लारे बख ू वे भय यशे शै ।आत्भशत्मा कय यशे शं ।फेचाये भजदयू ं के ऩाव ऩैवा नशी शै कक ले खयीद वके । नतीजन तडऩ तडऩ
कय भयने को भजफयू शै । दे ळ के फॊटलाये के फाद शारात भं कुछ वुधाय
तो शुआ शं ऩय फदराल नशी आमा शै । नयामन-काका क्मा वध ु ाय शुआ शं अनाज ऩैदा कयने लारे बख ू वे भय यशे शं ।इवे वुधाय कशे गे । गयीफ बूभभशीनता का अभबळाऩ ढो यशे शं । 146
जभीन भाभरक व्माऩाय कय यशे शं जफकक लास्तद्धलक जभीद के शकदाय
मशाॊ की अस्वी पीवदी जनवॊख्मा शं आददलावी ,दभरत औय द्धऩछडा लगत
के नाभ वे जाना जाता शै । काका जफ तक दे ळ की याजनैततक व्मलस्था
वाभाजजक कुव्मलस्था वे प्रबाद्धलत यशकय काभ कये गी । दीन दख ु ी वभाज का बरा नशी शो वकता शं ।काका वयकाय काक कुछ ऐवे कदभ उठाने चादशमे गयीफी के उन्भूरन के भरमे । भनोशय -लश क्मा शं फेटा ।
नयामन-काका वफवे ऩशरे तो वाभाजजक कुव्मलस्था का अन्त शो ।
बूभभशीनं भजदयू ो को बूभभ भाभरक फनामा जामे । खेती कयने के भरमे कभ ब्माज ऩय कजत दे ने की व्मलस्था शो । द्धलकभवत दे ळ अनाज की
कीभतो भं कभी कये । अनाज गयीफं की चौखट क वयकायी वाधन वे
ऩशुॊचे लश बी कभ वे कभ कीभत भं ेॊ द्धलकावळीर दे ळ गाॊलं की ढाॊचागत वुद्धलधाओॊ भं तनलेळ कये । बूभभशीन अथला नल बभू भ भाभरको
को प्रोत्वाशन भभरे ।अनाज उत्ऩादन भं फढोतयी के भरमे फाजाय व्मलस्था भं फदराल शो ।अनाजो की कीभतो का तनधातयण नल बूभभ भाभरको के
शाथ भं शो औय वयकाय का शस्तषेऩ बी शो । याजनैततक वत्ताधीळ अऩने कततव्मं ऩय खये उतये औय वाभाजजक वयु षा के भरमे कडे कदभ उठामे । भनोशय-फेटा मश तो तबी व्बल शं जफ बभू भशीन अथला नल बभू भ भाभरको
कभजोय गयीफ रोगो का वत्ता भं बागीदायी शो ।
नयामन-काका अस्वी पीवदी वत्ता भं अऩनी भजफत ू बागीदायी क्मो नशी दजत कयला ऩा यशी शै ।
भनोशय-फेटा अभीयी गयीफी उूॊ च नीच की खाई वदा वे चरी आ यशी शै । इवका प्रबाल वत्ता ऩय बी शै ।
नयामन-काका इव प्रबाल को कभ कयना शोगा दे ळ की अस्वी पीवदी
जनवॊख्मा को एक शोकय तबी गाॊल औय बभू भशीनं खेततशय भजदयू ं का ऩेट बय वकेगा । काका जफ ऩेट बये गा तफ शी तयक्की की याश दौड 147
ऩामेगे । बूख प्मावा आदभी कबी बी नशी दौड वकता चाशे लश तयक्की की याश शो मा कोई औय याश । भनोशय-मश फात बी शं ।
नयामन- लश क्मा काका ।
भनोशय-अऩने दे ळ भं व्ऩद्धत्त के द्धलतयण भं घोय बेदबाल शं ।
नयामन-काका दीनता की जड तो लशी शै । मश तो वबी वभझने रगे शै। भनोशय- व्ऩद्धत्त द्धलतयण भं वभानता शोती तो लततभान जैवी दख ु द जस्थतत ना शोती ।
नयामन-काका ऩज ूॊ ीलाद जजव गतत वे फढ यशा शं इववे गालं की जस्थतत भं वध ु ाय शोगा । फदराल आमेगा
रोग व्लध् ृ द शोगा ऩय काका मश
फमाय बी कभजोय तफके भरमे वुनाभी जैवी वात्रफत शो वकती शं ।क्मंकक व्ऩतत द्धलतयण तो अवभानता वे अभबळाद्धऩत शं । वफवे ऩशरे व्ऩद्धत्त द्धलतयण भं वभानता आमे । वयकाय इवके भरमे कठोय कदभ उठामे । तबी आभ आदभी को राब शो वकता शै ।मदद ऐवा नशी शुआ तो रोग दरयद्रता वे जझ ू ते यशे गे ।
आभ
भनोशय-शाॊ नयामन तु्शायी फात वशी शं । तबी तो वत्ता के भळखय ऩय फैठे कुछ रोग मश भान यशे शै कक वध ु ायं का राभ गयीफो तक नशी
ऩशुॊचा शं ।अभीयी -गयीफी ,उूॊ च -नीच की द्धलबाजन ये खा तबी तो इतया यशी शै । एक अनभ ु ान के अनव ु ाय दे ळ भं ३९ कयोड ऐवे शं जो ३५ वे ४० रूऩमा योज कभा यशे शं ।गयीफी ये खा के नीचे जीने को भजफयू शै ।
नयामन-काका ले तो अऩने गाॊल के भजदयू ं वे वौबानमळारी शै । कभ वे कभ ऩेट बय योटी तो खा यशे शोगे ।वयकायी अस्ऩतारं वे दला दारू का इन्तजाभ शो जा यशा शे ागा । कभ कीभत भं अनाज भभर जाता
शोगा ।
इवके वाथ शी दव ू यी वयकायी वुद्धलधामे भभर जाती शं ऐवा बी वुनने भं आता शं। अऩने गाॊल भं दे खो
खेततशय भजदयू रोग भजदयू ी के भरमे
शाडपोड यशे शं कपय बी ऩेट नशी बय ऩा यशा शै । भजदयू ी अनाज के रूऩ 148
भं भभरती शै। दक ु ानदाय आधी कीभत भं रेता शं । फेचाया गयीफ क्मा खामेगा ।क्मा ऩशनेगा। क्मा फच्चेा का ऩढामेगा । उवके वाभने तो जरूयतं शभेळा भॊश ु फामे खडी यशती शं । फेचाया जरूतं को दे खकय
गभगीन यशता शं । इवी गभ के वामे जीलन फवय कयते कयते कफ
फचऩन त्रफता कफ जलानी आमी ऩता शी नशी चरता । ऩता तफ चरता शं जफ फढ ू ा शोकय धगय ऩडता शं भुॊश फामे। काका गाॊल के भजदयू ं का
जीलन लास्तल भं नयक शोकय यश गमा शै खावकय बभू भशीन भजदयू ो का ।
भनोशय-फात तो ठीक क शै यशा शै नयामन फेटा ।वच ककवी ना ककवी
वाधचळ की दे न शं बभू भशीनता ।ऐवा इवभरमे कशा जा वकता शं कक दे ळ भं वाभाजजक व्मलस्था उूॊ च नीच ऩय आधारयत शं । उुॊ चा दजात प्राप्त
वभाज के ऩाव मकीनन द्धलळेऩाधधकाय बी शोगा ।द्धलळ ्ेेेाऩाेाधधकाय वे लॊधचत वभाज भं नीचा बाल ऩैदा शोता शं धीये धीये द्धलळेऩाधधकाय के
आतॊक ने नीचा वभझे जाने लारे को उनके अधधकायो का शनन कय
ददमा । ले खुद भाभरक फन फैठे ।फेचाये आतॊककत रोग बम बूख भं जीने को भजफयू शो गमे ।ऐवे रोगो का वभाज फदशप्कृत कशराने रगा । स्ऩप्ट शं मश वफ लशी कये गे जजन्शे वभाज भं उुचा दजात एलॊ
द्धलळेऩाधधकाय प्राप्त शोगा। लततभान भं बी लैवा शी शो यशा शै जजव वाजजळ के तशत ् दीन शीन बूभभशीन फनामा गमा था ।
नयामन-शाॊ काका । द्धलळेऩाधधकायं के दरू ु ऩमोग वे बूख अबालग्रस्त
वभाज का तनभातण शोता शं । दे ळ औय वभाज की भदशभा खजण्डत शोती शं ।शाॊ काका द्धलळेऩाधधकाय रोगो
की शी कैद भं वायी तयक्की शं ।
फेचाये दीन दख ु ी गयीफ बूभभशीन को योटी आॊवू वे गीरी कयने को फेफव शै । अगय कोई वुद्धलधामे गाॊल भं आती बी शं तो ले द्धलळेऩाधधकाय प्राप्त
रोगो का दयलाजा खटखटाती शै। गाॊल भं स्कूर आमा तो उूॊ चं के कब्जे
भं चरा गमा । शैण्डऩाइऩ उनके कब्जे भं ।वशकायी वभभतत उनके कब्जे 149
भं ।ऩॊचामत बलन उनके कब्जे भं ।याळन की दक ु ान उनके कब्जे भं वयकायी जभीन गाॊल वभाज की जभीन वफ उूचं के कब्जे भं ।कोई
आऩद्धत्त नशी उठा ऩाता क्मंकक ज्मादातय नीचे रो शं ।आऩद्धत्त ककमा तो
जल् ु भ फढने का डय वताता शं ।वबी बूभभशीन खेततशय भजदयू ी आतॊक के वामे भं जी यशे शं ।
भनोशय-शाॊ नयामन वफ ओय द्धलळेऩाधधकाय प्राप्त रोगो का शी तो कब्जा शं ।
नयामन-व्मलस्था का द्धलयोध कयना शोगा तबी बूभभशीनता औय दीनता के अभबळाऩ व भुडक्त भभरेगी ।
भनोशय-शा नयामन वाभाजजक आधथतक कुव्मलस्था के आतॊक भं जी यशे रोगो का इवी भं बरा शै ।
नयामन-काका खेततशय बूभभशीन भजदयू बूख
,फीभायी वे भय यशे शं ।
वाभन्ती दफॊगो का अन्माम अत्माचाय वश यशे शं । काका इवीभरमे न कक ले उूॊ चे शं उन्शे वाभाजजक वत्ताधीळं ने द्धलळेऩाधधकाय प्रदान ककमो शं । शभायी दीनता दरयद्रता का भुख्म कायण वाभाजजक वत्ताधीळं द्वाया तथाकधथत उूॊ चे रोगो का ददमा गमा द्धलळेऩाधधकाय शै । भनोशय -शा नयामन वच्चाई तो मशी शं ।
नयामन-काका द्धलळेऩाधधकय अथातत जातत व्मलस्था को भभटाना लॊधचतं के
भरमे तयक्की का भाध्मभ वात्रफत शोगा । ककवी ने कशा बी शं वाभाजजक रोकतन्त्र के त्रफना याजनैततक रोकतन्त्र फेकाय शै । काका वभतालादी वभाज के वाथ
याजनैततक रोकतन्त्र की नीॊल यखी जामे तो अलश्म
अभयता प्राप्त शोगी । लततभाना बेदबाल लारे वाभाजजक कुव्मलस्था के
लजद ू को भभटाने का प्रमाव शोने चादशमे ।तबी द्धलळेऩाधधकय प्राप्त रोगो का एक छत्र याज्म वभाप्त शोगा ।
भनोशय-शाॊ नयामन वाभाजजक वॊयचना भं फदराल आने वे बेदबाल नीच,बूभभशीनता का आतॊक जरूय भभट जामेगा । 150
,उूॊ च-
नयामन- शाॊ काका स्लस्थ वाभाजजक रोकतन्त्र की आलश्श्कता शं जजवभं
फशुजन दशताम फशुजन वुखाम की बालना शो । फशुत जशय परा ददमा फॊटलाये की वाभाजजक कुव्मलस्था ने ।काका लॊधचतो दीनशीनं ,बभू भशीनं के वाथ द्धलळेऩाधधकय प्राप्त वभाज का प्रततकूर व्मलशाय दे ळ औय वभाज के भरमे अभबळाऩ शं जजवका वीधा प्रबाल लॊधचतो दीनशीनं
,बूभभशीनं
खेततशय भजदयू ं औय नीचरे तफके ऩय ऩडता शै ।काका रगता शं वाभाजज द्धलळेऩाधधकाय के खखराप लॊधचतो दीनशीनं
,बभू भशीनं खेततशय
भजदयू ं का आक्रोळ नशी पूट यशा शै । मदद जनआक्रोळ बमालश रूऩ
भरमा शोता तो वाभाजजक एलॊ याजनैततक वत्ताधीळं को नलीन द्धलचाय आमे शोते । काका जफ तक द्धलचाय नशी ऩैदा शोगे तफ फदराल नशी
आमेगा औय नशी क्र् याजन्त ।जफ तक वभता की क्राजन्त नशी आमेगी तफ तक द्धलळेऩाधधकाय प्राप्त रोगो की वत्ता का बमालश खेर चरता यशे गा
।काका शय आदभी को भानल चेतना का श्ळॊखानद कयना शोगा । तबी
व्ऩण त ाजन्त व्बल शं । काका क्राजन्त को बटाने लारे बी कभ नशी शं ू क्र । जातत-धभत ,लणत-लगत,धभत-नस्र के नाभ ऩय रडते रडाते शं लशी क्राजन्त
को बटकाते शं । जो फेयोजगाय शं , जो बूभभशीन शं ,जो वाधनशीन शं । जो ऩीडडत -डडप्रेस्ड शं उन वफ को अऩनी एक शी जाती भाननी चादशमे औय द्धलळेऩाधधकाय के खखराप जॊग छे डनी चादशमे ।काका अबी तक तो
द्धलळेऩाधधकाय अऩना शी जमगान कयलाते यशे शै ऩेट भं बूख भरमे रोगो वे।
भनोशय -शा फेटा ।इव फात ऩय भं तभ ु को एक गीत वन ु ाता शूॊ । नयामन-शाॊ काका वुनाओ ।तु्शाया गीत वुने फशुत ददन शो गमा शै ।
ळाजन्तदे ली-शाॊ भनोशय बइमा तु्शाया गीत भं तफ की वुनी शूॊ जफ तुभ भण्डरी भं नाचते थे फ्राक ऩशनकय। भनोशय-बौजी तभ ु को माद शै भेया फ्रका ऩशनकय नाचना ।
151
ळाजन्तदे ली-बरा भै। बूर वकती शूॊ । तुभ रडकी के रूऩ भं फशुत अच्छे रगते थे । क्मा कभय भटका भटका कय नाचते थे । भनोशय-बौजी यशने दो तायीप कयने को रो भेया गीत वन ु ो । उत्ऩीडन वे फखान ककमा अऩने धॊधे का, ठंक ददमा भुशय धभत की ।
ककमा गुभयाश दोशन ळोऩण बयऩयू ,
गाड ददमा झण्डा द्धलळेऩाधधकाय की ।। बेदबाल के ऩोऩक कयते गुभयाश, चशुॊओय अधधकाय जभाते शं । शोकय गभ ु याश लॊधचत ,
गयीफी जातत बेद के नाभ आवूॊ फशाते शै ।। कुछ टूट यशे दभन को ,
खुद को वाभाजजक वत्ताधीळ शै कशते । रट ू धोखे बेद का फो यशे फीज कुछ, फेचाये लॊधचत यश जाते तडऩते ।।
फदर गमी दतु नमा ना फदरा अधभत का द्धऩटाया ।
बख ू ऩेट भं धचन्ता भाथे कयाश कय जीता लॊधचत फेचाया ।।
ऩग ऩग ऩय काॊटे कैवा धभत स्लाभबभान वे जीने ना दे ता । भेशनतकळ कैवे नीचे ,
कुव्मलस्था का जार कण्ठ खुरने नशी दे ता ।। फेयाजगाय,बभू भशीन जो वाधनशीन,
वफ एक जातत के क्मो नशी कशे जाते ।
कये द्धलयोध जातत-लणत-लगत धभत नस्र के नाभ जो शै वताते ।
नयामन औय भनोशय आऩव भं चचातयत ् थे ।अऩनढ श्ळाजन्त अऩने फेटे
की अच्छी अच्छी फाते वन ु कय प्रपुभरत शो यशी थी । इवी फीच वब ु ौती
152
आ गमी औय भनोशय की तयप रूख कयके फोरी क्मो जी त्रफयशा गा कय ऩेट बयोगे के योटी बी खाओगे ।
ळाजन्तदे ली-क्मा शुआ वब ु ौती क्मो नायाज शो यशी शं । वुबौती-फशन नायाज नशी शो यशी शूॊ । दो ददन का वपय तम कयके आमे शं । दो योटी खाकय आयाभ कय भरमे शोते ।
ळाजन्तदे ली-भनोशय बइमा फशुत अच्छी अच्छी फात कय यशे थे ।दरयद्रता वे उफयने की । वुबोती-जानती शूॊ फशन तबी तो रोग इनको यद्धलदाव कशते शं । ळाजन्तदे ली-बौजी भेयी फडाई नशी नयामन की फडाई कयो । खूफ ऩढाओ । खफ ू आळीलाद दो फेटला को ताकक फेटला की मोजनामे आकाय ऩा वके । बोजी फेटला का द्धलचाय जजव ददन आकाय ऩा गमा वाभाजजक आधथतक
वभयवता की गॊगा अऩने दे ळ भं फश जामेगी । भनोशय नयामन का भाथा चभ ू ते शुमे उठा औय वुबौती वे फोरा चरो यद्धल की भाॊ रेता शूॊ ।
तु्शायी बी वुन
फायश फदयी फडी दे य के फाद घय लाऩव आमा ।भडई भं ऩडी खदटमा खीॊच कय फाशय तनकारा औय जाभुन के ऩेड के नीचे रे जाकय डार ददमा ।लश
खदटमा ऩय ऩवय गमा ।ळाजन्तदे ली को फदयी के आने की आशट रग गमी ।लश चल् ू शे भं रकडी वयका कय फाश आमी । फदयी को खदटमा ऩय ऩवया शुआ दे खकय फोरी क्मं चढ गमी क्मा ।कशाॊ चरे गमे थे ।चल् ू शा गयभ शोने की इतनी खुळी नशी शोती शं जजतनी गाॊर बय धम ु ं की खुळी शोती शं ।कशाॊ थे अफ तक ।
फदयी-क्मा शुआ । ळाजन्तदे ली -क्मा कुछ शोने का इन्तजाय था । 153
फदयी-क्मं फात का फतॊगड फना यशी शो ।कोई आमा था क्मा । फशुत उतालरी शो यशी शो ।
ळाजन्तदे ली-इतना क्मं ऩी रेते शो कक तभ ु को अच्छी फात बी फयु ी रगने रगती शं ।बूभभशीनता अभबळाऩ तो फनी शुई शी शं ऩय तु्शाये गार बय धम ु ं केश्ळौक का गभ भेये भरमे कभ नशी शै । इतनी अदफ वे फात कय
यशी शूॊ इवके फाद बी तुभ भेयी फात का भाखौर फना यशे शो ।तुभको भेयी फात अच्छी क्मं नशी रगती ।क्मा शुआ गाॊजा खत्भ शो गमा । कशो तो वेय बय अनाज फेचकय रा दॊ ू ।बरे शी फच्चं को योटी का इन्तजाभ न शो ऩय तु्शाये गार बय धम ु ं का इन्तजाभ तो शो शी वकता शै ।क्मं
नायाज शो यशे शो भैने तो कोई फयु ी फात नशी कशी । फव इतना शी तो ऩछ ू ी शूॊ कक कशाॊ गमे थे । फदयी-बागलान भंने कौन वा तु्शाये वाथ गोफय की शोरी खेर री कक
तुभ भेये उऩय कीचड पेक यशी शो ।अये भने बी तो कोई गुस्ताखी नशी कय दी मश ऩछ ू कय की कोई आमा था क्मा । ळाजन्तदे ली-शाॊ आमा थे तु्शाये फशनोई ।
फदयी-क्मा ।उन्शे भये तो कई वार शो गमे ले कैवे आ गमे ।फताओ ना
कौन आमा था । कोई उधभ फाफू का वॊदेळ रामा था क्मा ।इव वीजन
वे खेती का काभ श्ळरू ु शो जामेगा क्मा । फाफू रोगं का भनभट ु ाल खत्भ शो गमा ।फताओ
न नयामन की भाॊ कौन आमा था क्मा वॊदेळ रामा था
। क्मं भजाक कय यशी शो फताओ ना ।
ळाजन्तदे ली-त् ु शाये उऩय तो गार बय धम ु ं का खभ ु ाय छामा शुआ शं कुछ फोरने दोगे तफ ना कुछ फोरूॊ । फदयी-रो चऩ ु शो गमा भुॊश ऩय शाथ यखते शुए फोरा । ळाजन्तदे ली-भनाशय बइमा ।
फदयी-भनोशय आमा था भझ ु वे भभरने। ऩयदे व वे आ गमा क्मा ।
154
ळाजन्तदे ली-आ गमे शं तबी तो तुभवे भभरने आमे थे ।फडी दे य तक तपभशायी इन्तजाय भं फैठे यशे ।
फदयी-भं कशी त्रफराइत तो गमा नशी था । र्फू के घय शी तो था । ककवी फच्चे को बेजकय फर ु ला रेती ।
ळाजन्तदे ली-शभं क्मा भारूभ तुभ र्फू बइमा के घय थे मा त्रफराइत । त्रफना अता ऩता के कशाॊ कशाॊ ताय भयलाती । जाते शो कशी तो भुझवे फता कय जाते शो ।
फदयी-भै कशाॊ जाता शूॊ ।एक र्फू का घय शं लशी एकाध धण्टा फैठ रेता शूॊ । लश बी जफ वे शलेरी वे शलेरी भं अन्ततकरश ळुरू शुआ शै ।दयऩतत बइमा के भयने के फाद तो कोई ऐवा फचा शी नशी शं कक ककवी के ऩाव
घण्टा दो घण्टा दख ु भ वुखभ फततमामा जा वके ।लशी र्फू तो शं जजवके घय दव ऩाॊच भभनट फैठ रेता शूॊ ।खैय कोई फात नशी छोटा शोकय अऩना पजत तनबाने आमा था तो भेया बी पजत फनता शै कक भं अऩने छोटे बाई वे जाकय भभर आउूॊ । बरे शी वगा नशी शै
तो क्मा शुआ शं तो खन ू के रयश्ते भं शी । भं जाकय भभर आउूॊ गा कशाॊ उवका घय दो चाय कोव दयू शं ।
ळाजन्तदे ली-र्फू के मशाॊ आज क्मा कुछ खाव था ।
फदयी-क्मं श्ळक कयती शो । अये गाॊजा इतना वस्ता नशी शं कक चौफीव घण्टा उवी के नळे भं यशे गे शभ औय र्फू ।शभं बी बूभभशीनता औय
दरयद्रता के अभबळाऩ का दख ु ता एशवाव शं । भं भजदयू ी के अनाज को नळे भं नशी उडाता ।वफ ु श श्ळाभ शै । धचन्ता कभ शो जाती शं ।
ऩी रेने वे भन को वकून भभर जाता
ळाजन्तदे ली-ळक कय यशी शूॊ ।गाॊजा नशी ऩामे शो । इतनी चढ गमी शै कक जफान काभ नशी कय यशी शं । तुभ कश यशे शो कक शभ ऩीमे शी नशी शं
। ऩीने शी तो गमे थे । ऩीकय आमे शो औय चप ु वे खदटमा डारकय वोने का स्लाॊग कयने जा यशे थे ना ।गार बय धआ ु ॊ भं जीलन तफाश कय यशे 155
शो ।अये तुभ अऩना शी नशी ।इतने फडे ऩरयलाय का जीलन तफाश कय यशे शो ।गार बय धआ ु ॊ वे कौन वा वुख भभरता शं । तुभको फव नळे की जआ ु ड भं रगे यशते शो । फार फच्चं की कपकय शं ।नयामन की काऩी ककताफ की कपकय शं ।घय भं खाने को अनाज शं कक नशी कोई कपकय नशी ।गार बय बय धआ ु ॊ भं शी जीलन शं । अये नशी मश धआ ु ॊ जीलन
रता शं दे ता शै दरयद्रता को फढाला । ना कयो फच्चं ऩय जल् ु भ । तुभ शी तो शो इतने फडे ऩरयलाय की योटी का इन्तजाभ कयने लारे । तभ ु शी
इवी तयश गार बय बय कय धआ ु ॊ उडाते यशे तो इव ऩरयलाय का क्मा शोगा वोचा शं कबी ।
फदयी-यशने दो अफ त् ु शायी फातं की गोरी फदातश्त नशी शोती ।शाॊ गाजा
शी तो ऩीमा शूॊ । दे दो जो वजा दे नी शो । ठे के वे तो नशी आ यशा शूॊ । र्फू के घय वे शी तो आ यशा शूॊ । गार बय धआ उडाना आदत फन ु चक ु ा शं । नशी फन्द कय ऩाउूॊ गा अफ । नयामन की भाॊ फशुत दे य शो चक ु ी शं । गार बय धआ ु ॊ ऩय योक भेयी जान रे वकता शं। ळाजन्तदे ली-फशुत कय भरमे स्लाॊग ।अफ यशने दो । फताओ कुनारफाफू की
तीवयी की खेती का क्मा शुआ । फशुत फाय दौड दौड तो गमे थे । गार बय धम ु ं की रारच भं त नशी जाते शो ।कुनारफाफू की तीवयी की खेती
थाभ यशे शो । दतु नमा अधधमा ऩय कय यशी शै । तीवयी भं क्मा भभरेगा । नक ु ळान के अराला पामदा तो नशी रगता ।वीजन भवय ऩय शं औय
तु्शायी तीवयी की खेती अबी अॊदेळे भं ऩडी शं ।इन फाफू रोगो के उऩय द्धलश्वाळ कयके शी तो दरयद्र फने शुए शं । फदयी-कुनारफाफू की तीवयी की खेती के फाये भं शी तो फात कय यशे थे शभ ओय र्फू ।खाद फीज ऩानी भजदयू ी वफ तो अऩने को शी दे ना शै ।तीन दशस्वा कुनार फाफू को दे ने के फाद एक दशस्वे भं वे शभ दोनो
आधा कय रेगे । भं जानता शूॊ ।अऩना नक ु ळान शं । बख ू ं भयने वे तो फदढमा शं ।घाटा वशकय शी खेती कय रे ।भेशतन भजदयू ी शभाये औय 156
र्फू के घय के वबी रोग भभरकय कय रेगे । इवी भं जो कुछ फचत
शो जामेगी लशी अऩना भुनापा भान रेगे ।ज्मादा भजदयू ो की जरूयत तो योऩाई भं शी रगती शं । योऩाई के वभम फाशय के भजदयू रगा रेगे । त्रफशायी
दो भजदयू दो त्रफगशा खेत एक ददन भं योऩ दे ते शं । र्फू औय
शभं दोनं को फयाफय भजदयू ी बी दे नी ऩडेगी ना । अफ कुनारफाफू की
खेती तीवयी ऩय थाभ तो भरमे शं बगलान बयोवे । बगलान शी फयकत दे गा । यीन कजत कयके खाद फीज अऩने ऩवीने के वॊग धयती भाॊ को वैाऩ दे गे । धयती भइमा जो उऩज दे गी भॊजयू कयना शोगा ।
ळाजन्तदे ली-फीज धयती भइमा को वभद्धऩतत कयोगे तबी तो योटी नवीफ
शोगी । धयती भइमा खद फीज शजभ नशी कय जाती । कई गन ु ा कयके
दे ती शं ।शभाये वाथ धोखा तो आदभी कयता शं ।इवभं धयती भइमा का
क्मा कवूय ।अऩनी धयती तो फाफू रोगं की कैद भं बी वोना उगर यशी शं । शभ गयीफं के ऩवीने की कद्र भइमा तो कय यशी शं ऩय फाफू रोग दगा कय जाते शं ना ।इवीभरमे ऩेट भं बख ू औय ऩरके यशती शं गीरी
।भाभरक औय भजदयू भं मशी तो अन्तय शं ।इतना बी अन्तय नशी शोना चादशमे की आदभी जीलन बय बायी ददत वे कयाशता यशे औय झटऩटा
झटऩटा कय दभ तोड दं ।फेचायी भजदयू ं की औयते पटे कऩडे भं अऩनी इज्जज तछऩाती कपयती शं । इवके फाद बी रोग झाॊकने की बयऩयू कोभळळ कयते शं जैवे कोई ककवी के योळनदान भं झाॊक यशा शो ।
फदयी-शाॊ नयामन की भाॊ तु्शायी वाडी बी तो तायताय शो यशी शं ।
ळाजन्तदे ली-त् ु शायी कशाॊ नई शं ।भेये जैवे शी तो त् ु शाये बी शार शं
।जभीन चीयकय अन्न का बण्डाय कयते शं ।शभ शी तयव जाते शं बय ऩेट अन्न औय तन ढकने के कऩडे वे ।
फदयी-नयामन की भाॊ अफ अऩने ऩाव भवप बगलान का बयोवा शं
।नयामन को काभमाफ कय दे गा तो अऩना बयोवा औय ऩक्का शो जामेगा
157
। नयामन अऩने ऩैय बी खडा शो जामेगा तो अऩनी फशुत वी भुवीफतं कट जामेगी ।
ळाजन्तदे ली-फेचाये को तो अबी वशाये की जरूयत शं । लश बी तो नशी शो
ऩा यशा शै ।फेचाये को ऩयू ी तयश वे काऩी ककताफ बी तो नशी दे ऩा यशे शं । बगलान कयं फेटला अऩने ऩैय ऩय खडा शो जामे । दतु नमा भं जमगान
शो । नयामन के दादा अबी वे फेटला के कभजोय कॊधे ऩय इतना बाय ना यखो ।फेटला फडे वयकायी फोशदे ऩय ऩशुॊच जामे फव मशी बगलान वे प्राथतना शं । फदयी-इवी भं ऩरयलाय का उध्दाय शै नयामन की भाॊ।
ळाजन्तदे ली-उधभ फाफू के दादा ऩयदादा का शर जोतते थक गमा शूॊ अफ शरलाशी कयने का भन नशी शोता ऩय क्मा करूेूेॊ औय कोई योजी योजगाय का जरयमा बी तो नशी शं । बनगर बइमा वे थोडी दश्भत
फढाते थे ऩय लश बी अवभम त्रफछुड गमे ।जीते जी भये शुए के वभान शो गमा शूॊ नयामन की भाॊ । ना फच्चं ेा की ना शी त् ु शायी शी जरूयत की चाजं का फन्दोफस्त कय ऩाता शूॊ ।दरयद्रता का अभबळाऩ इव जन्भ भं कटे गा बी की नशी ।
ळाजन्तदे ली-भन छोटा ना कयो । भझ ु े कशते शो कक बगलान ऩय बयोवा
यखो औय तभ ु दश्भत शाय यशे शो । दरयद्रता को जड वे उखाड पंकने के भरमे तो भं बी मध् ु दबूभभ भं कूद चक ु ी शूॊ तु्शाये वाथ ऩय दरयद्रता वे नशी उफय ऩामे तो भवपत जभीन जामदादा के द्धलतयण भं अवभानता औय
जातीम बेदबाल की लजश वे । इव फयु ाई वे उफये त्रफना बभू भशीनो लॊधचतं का कल्माण व्बल नशी शं ।अफ जरूयी शो गमा शं कक शभ तनयषय भाॊ फाऩ अऩने फच्चं के शाथ भं भळषा की तरलाय थभामं जजववे शभाये अच्छे ददन की नीॊल भजफत ू फन वके ।
फदयी-शभने तो कोभळळ ककमा बी तो शं अऩने फेटला को स्कूर वे कारेज तक बेजकय।
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ळाजन्तदे ली-तबी तो फेटला फडे वयकायी ओशदे ऩय ऩशुॊचेगा औय तुभ वपेद धोती कुतात औय कॊधे ऩय गभछा यखकय चरोगे ।तफ भन फशुत द्धलशवेगा । आज की तॊगी बर ू जामेगा ।गाॊल लारे कशे गे दे खो नयामन फाफू के द्धऩताजी आ यशे शै ।
फदयी-काळ तु्शायी फात वशी शो जाती ।कर क्मा शोगा कौन जानता शै । अबी तो कॊगारी के चल् ू शे भं बूज यशे शं ेॊतुभको एक वाडी बी नशी
खयीद ऩा यशा शूॊ ।ळयीय ऩय ऩडी वाडी जयजय शो शो यशी शै । ळाजन्तदे ली-ऩशरे तभ ु को धोती कुतात औय गभछा जरूयी शं । भेयी वाडी
अबी अच्छी शं । तुभ अऩने भरमे औय फच्चं के भरमे तीवयी की उऩज आते शी खयीद रेना ।
फदयी-भेये भरम नशी तुभको औय फच्चं के भरमे कऩडा खयीदना फशुत जरूयी शं । भं जानता शूॊ ऩय फेलत शी नशी शो ऩा यशा शै । ळाजन्तदे ली-कोई बी जरूयत तो ऩयू ी नशी
शो ऩा यशी शं । मश तुभ बी
जान यशे शो भं शी नशी फेचाये अफोध फच्चे बी जान यशे शं ।नयामन की
ऩढाई का खचत वफवे उऩय शै । फेटला ऩय शी तो अऩना वऩना दटका शै।
ळाजन्तदे ली औय फदयी आऩव भं फाते शी कय यशे थे कक नयामन आ गमा औय फोरा भव वऩने की फात कय यशी शो भाॊ । कोई अच्छा वऩना दे खी शो क्मा ।
ळाजन्तदे ली-फेटा वऩे के वशाये शी तो जी यशूॊ । भेया वऩना तो तू शी शं । नयामन-भाॊ क्मा वऩना ऩयू ा कय ऩाउूॊ गा । त्रफखजण्डत वभाज भं कोई
तयक्की कय ऩाउूॊ गा । भझ ु े कुछ कुछ डय रगने रगा शं अबी वे ।ऩय भाॊ तू धचन्ता ना कय भाॊ भं तु्शायी उ्भीदं को टूटने नशी दॊ ग ू ा । बरे शी
त्रफखजण्डत वभाज के द्धलद्रोश ऩय उतयना ऩडे ।भाॊ तुभ बी तो भानती शो कक शभायी तयक्की भं वफवे फडी फाधा शै बूभभशीनता औय त्रफखजण्डत वभाज ।
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ळाजन्तदे ली-शाॊ फेटा । फेटा जैवा उूॊ चे रोग कय यशे शं । लैवा ना कयना । करभ की ताकत कय उऩमोग कयना ।
नयामन-शाॊ भाॊ तयक्की के भरमे आज के मग ु भं जरूयी नशी शै के तन के फर का उऩमोग शो । करभ शी की ताकत कापी शं ऩय जॊग के खखराप वाभूदशक ऐरान शो तफ ना ।
ळाजन्तदे ली-फेटा वाभाजजक वभयवता का ना शोना शी तो शभायी दरयद्रता का कायण शं । आधथतक द्धलकाव तफ शोगा जफ वाभाजजक वभयवता अऩने चयभ ऩय शोगी । नयामन-शाॊ भाॊ
वाभाजजक क्रुरूयता की दे न शं शभायी गयीफी औय
वाभाजजक द्धऩछडाऩन बी ।दे खो दादा उधभफाफू के दादा ऩयदादा के खेत
भं ऩवीना फशाते फशाते फढ ू े शो गमे ऩय गयीफी नशी भभटी उधय उधभ फाफू की शलेरी भं ददन दन ु ी यात चौगुनी तयक्की शुई। भाॊ मश बी एक अभबळाऩ शी शं शभ बूभभशीनं के भरमे जजव कायण शभ रयवते घाल को ढो यशे शं । दव ू या कोईर उऩाम बी तो नशी शं ेॊइवीभरमे तो फाफू रोगो
की गुराभी भं अऩनी ऩीढी की ऩीढी गरती जा यशी शं । भाॊ ऩयीषा खत्भ शोते शी भं ऩयदे व चरा जाउूॊ गा । तबी कुछ वशूभरमत तुभ को भभर ऩामेगी । ळाजन्तदे ली-शभ रोगो को छोडकय ।
नयामन-शाॊ भाॊ मश तो कयना शी शोगा।कशते शं श्ळशय भं ऩानी तक खयीद कय ऩीना ऩडता शं । यशने की दठकाना नशी वफ कशाॊ औय ककवके घय भं यशे गा । अऩने खानदान का भै शी तो ऩशरी फाय ऩयदे व जाने की वोच
यशा शूॊ । अबी तक तो कोई गमा नशी शं ना । फदयी-फेटा अऩने खानदान भं तू शी तो ऩढ बी यशा शं लश बी कारेज भं । ळाजन्तदे ली-ऩानी तक आदभी खयीद कय ऩीमेगा ते योटी कैवे खामेगा । इतना ऩैवा कशाॊ वे आ जामेगा ऩयदे व जाते शी ।
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नयामन-भाॊ श्ळशय भं रोग नौकयी कयते शं ना । भं बी नौकयी करूॊगा
श्ळशय जाकय भाॊ । भाॊ अफ अऩने घय की दरयद्रता श्ळशय की तनख्लाश वे दयू शो वकती शं ।
ळाजन्तदे ली-फेटा तनख्लाश के भरमे घय छोडना ऩडेगा । मशी अच्छा नशी शं ।
नयामन-भाॊ तयक्की कयने के भरमे फस्ती तो छोडना शी ऩडेगा भुझे ।
ळाजन्तदे ली-फेटला श्ळशय भं यशोगे कशा । लशाॊ तो अऩना कोई शं बी नशी ।
नयामन-भाॊ काभ करूॊगा तनख्लाश भभरेगी । ककयामे का नन्शा वा एक कभया रे रॊग ू ा । इवभं धचन्ता कयने की क्मा फात शं । वबी ऩयदे वी ऐवे शी कयते शं ।
ळाजन्तदे ली-फेटला ऩशरे प्ढाई तो ऩयू ी कय रो । अबी वे क्मं रूरा यशे शो ।
नयामन-भाॊ नौकयी के भरमे तो घय छोडना शी ऩडेगा ।भाॊ अभबळाऩ को
धोना शं कुछ शद तक तो घय भं फैठे शोगा नशी । गाॊल भं यशा तो दादा लारी शार अऩनी बी शोगी । शयलाशी चयलाशी भे शो जामेगा ।
पॊवकय जीलन खयाफ
ळाजन्तदे ली-फेटा शयलाशी चयलाशी के भरमे इतनी तऩस्मा नशी कय यशी शै । फदयी-फेटा श्ळौक वे ऩयदे व जाना । नयामन-कैवा लचन दादा ।
फदयी-फेटा उूचं रोगो जैवा ना फनना कबी । कबी ककवी गयीफी ऩय
अत्माचाय ना कयना औय ना ककवी ऩय अत्माचाय शोते शुए चऩ ु फैठना। जरूयतभॊद की भदद कयना । नयामन-दादा कबी ना ऐवा करूॊगा शय गयीफ के
फीच अऩने को ढूढने
का प्रमाव करूॊगा ।उठो ।जागो ।रूको भत,जफ तक की अऩना रक्ष्म प्राप्त न शो- के अभत ृ लचन को यटता यशूॊगा । 161
ळाजन्तदे ली-फेटा तुभ आधथतक भजफत ू ी शाभवर कयना । ऩरयलततन का नाया फर ु न्द कयना ।
नयामन-शाॊ भाॊ माद यखॊग ू ा ।
फदयी-शाॊ फेटा भंने फशुत अत्माचाय वशा शं ।जफवे आॊख खुरी तफ वे शी अत्माचाय का घाल खा खाकय फढ ू ा शुआ शूॊ । भं मश नशी चाशता कक गयीफ लॊधचत का फेटा फडा आदभी फनकय गयीफो ऩय अत्माचाय ना कयं
चाशे लश उूॊ ची जातत का शी गयीफ क्मो न शो । अत्माचाय को अत्माचाय वे नशी खत्भ ककमा जा वकता । वद्भालना औय बाई चायं वे शी इव
वभस्मा का वभाधान शो वकता शं फळते उूॊ चे रोग बी ऐवा वोचे तफ ना । खैय उूॊ चे रोग जफ वे आॊख खोरते शं तफ वे शी अत्माचाय कयना
वीखने रगते शं । उनके ददरं भं अत्माचाय के प्रतत नयभी तो नशी आमी शं । मदद शभाये रोग उूॊ चे ऩदो ऩय फैठकय वद्भालना के वाथ रोककल्माण कये गे तो मकीनन ऩत्थय ददरं ऩय वभानता के तनळान उबयने रगेगे । नयामन- दादा ऩशरे उव रामक फन जाउूॊ तफ ना ।
फदयी-फेटा खुरी आॊखं वे दे खा गमा वऩना वच शोता शं। फेटा तु्शाये
वाथ तो तु्शाये भाॊ फाऩ बाई फशन औय खानदान तक के वऩने जड ु े शुए शं । ळाजन्तदे ली- फेटा तेया वऩने की आव भं तो शभ जी यशे शं । तेया वऩना ऩयू ा शोने वे कभ वे कभ आधथतक अभबळाऩ का फोझ तो कभ शोगा । नयामन-भाॊ अभबळाऩ वे भुडक्त के भरमे भं बी कोई कोय कवय नशी छोडूग ॊ ा । फव डय शं तो
जातीम त्रफखडडता की । मशी एक दख ु ता ददत शं
जो यास्ते का काॊटा शं । फाकी कोई ऐवी भुजश्कर नशी शै कक भेयी याश योके ।
फदयी- फेटा नयामन भं तो तुभको शयलाशी कयने कबी ना दॊ ग ू ा । बरे शी तभ ु को नौकयी
भवॊगाऩयु भं भभरे । तू भवॊगाऩयु जा ऩय गाॊल के बू-ऩततमं
के जार भं ना पॊवने दॊ ग ू ा । बरे शी भुझे ककतना शी दख ु क्मं ना 162
वशना ऩडे ।फेटा तू फाशय जामेगा तबी इव ऩरयलाय की दरयद्रता ऩय द्धलयाभ रगेगा । जातीम अभबळाऩ बरे शी दे य वे धर ु े ऩय आधथतक अभबळाऩ तो तेये शाथो धो शी जाएगा
।
नयामन-दादा तु्शाये ददत का अनब ु ल भुझे शं भुझे। दादा एक फात भुझे औय वदा माद यशे गी ।
ळाजन्तदे ली-लश क्मा फेटा ।
नयामन-उधभ फाफू की फात शै ।
फदयी-फेटा इन फडे रोगो को छोटे रोगो की तयक्की फदातश्त नशी शोती । इनवे फच कय यशना ।
नयामन-शाॊ दादा ठीक कश यशे शो । चाय वार ऩशरे बव ू ा ढोते वभम भाॊ की त्रफगड गमी थी माद शै ।
फदयी-शाॊ फेटा माद शं ना ।मश बी माद शं कक तुभने बूवा बी ढोमा था अऩनी भाॊ के फदरे ।
नयामन-शाॊ दादा तफ उधभ फाफू जजव कारेज भं ऩढता शूॊ उवी भं उधभ फाफू बी ऩढते थे अऩने वाधथमं वे ऩयू े कारेज भं कशते कपयते थे मे
नयामन भेये नौकय का फेटा शं । फाऩ इवका भेया शर जोतता शं ।इवको ऩढने का चवका रगा ददमा शं ।उवके वाथी रोग ठशाका भायकय शॊवते
औय कशते चरो तभ ु को ऩढा भरखा शरलाश भभर जामेगा ।शलेरी वे रेकय खेत खखरशान तक का काभ कय दे गा ।ऩढा भरखा भजदयू जो यशे गा
।उधभ फाफू ऐवे घयू ते थे जैवे दयोगा चोय को दे खता शं । उधभ फाफू की आॊखं की रारी शभेळा माद यशती शं ।
ळाजन्तदे ली-अजगय तो अजगय को शी जन्भ दे गा ना । उधभफाफू बी तो
भजदयू ं के खून चव ू ने लारे की शी औराद शै ।भजदयू ं के श्ळोऩण की तो इन्शे तारीभ आॊख खुरते शी दी जाती शं
।फशुत ऩैवे लारे शं ऩच्चाव फीघा के भाभरक शं ऩय ऩढाई भं शभेळा शी पेर शोते शं ।ऩैवा खचत कयके
163
शी तो ऩाव शुए शं ऩयू ा गाॊल जानता शं ।फेटा भौका आमे जीलन भं कबी तो एशवाव कयला दे ना ऩय रडाई झगडा ना कयना कबी । नयामन -शाॊ भाॊ जरूय ।भाॊ फडे रोगो वे रडाई कयना मा उन जैवे
अत्माचाय कयना भेया भकवद नशी शै । भेया भकवद तो फव अभबळाऩ वे उफयना शं ।
फदयी-नयामन फेटा तू ऩयीषा की फात कय यशा था । नयामन-शाॊ दादा ।
फदयी- फेटा ऩढो भरखो ऩयीषा ऩाव कयो तफ तो अभबळाऩ को धो ऩाओगे ।
नयामन-ठीक कश यशे शो दादा फात वे काभ नशी फनेगा कभत बी कयना शोगा ।
फदयी-शाॊ फेटा तबी वाये अभबळाऩ धर ू ेगे । तुभ ऩढो । भं औय र्फू कर कुनार फाफू के खेत वे घावपूव काट कय वाप वुथया कये गे। बगलान अच्छी पवर दे ना ताकक भये फच्चे बख ू वे ना त्रफरत्रफरामे । तेयश
ळाजन्तदे ली- अये क्मा शुआ नयामन के दादा ऐवे कैवे थक शायकय फैठे शो ।तीवयी की खेती का ऩशरा ददन औय इतनी उदावी । फशुत भेशनत शो
गमी क्मा ।भाथे ऩय शाथ तो ऐवे यखकय फैठे शो जैवे कोइरय ् कोई अऩयाध कय आमे शो ।
फदयी-शाॊ खॊचय जैवे भेशनत । नयामन की भाॊ क्मा फताउं । रगता शं
कुनार फाफू बी ऩक्के खन ू चव ू ने लारे शं । इतने घदटमा शोगे ऩता ना था । अये जजन्दगी बय ऩयदे व ककमे । इवके फाद बी जभीदायी के वये
ऩैतये यटे यटामे शै उनको ।अफ ऩता चरा तीवयी की खेती दे ने भं उनकी वाजजळ थी ।अफ गरती का एशवाव शो यशा शै । वच कुनारफाफू की
तीवयी की खेती थाभ कय फशुत फडी गरती शो गमी । भळकायी के जार भं पॊव गमे । अफ तो तनकरना बी भजु श्कर शै । 164
ळाजन्तदे ली-क्मा शुआ । फडे दख ु ी भन वे फात कय यशे शो ।ऩशरी फाय तुभ औय र्फू कुनार फाफू के खेत भं पालडा उतये शो ।आज दख ु ी भन वे फात कय यशे शो ।अबी तो ऩयू ा काभ फाकी शं ।
फदयी-शाॊ ठीक कश यशी शो । कुनारफाफू की खेती पामदे भन्द वात्रफत नशी शोगी ।आधे वे अधधक तो फॊजय उुवय खेत दे यशे शं । अच्छे लारे खेत
भं खुद खेती कयने की फात कय यशे शं । ददन बय दफ ू कूव औय जॊगरी घाव खोद खोदकय तनकारते तनकारते श्ळयीय थक गमा शाथ ऩाॊल
रशूरूशान शो गमे ।दव फीवा खेत की दो आदभी बी कूव नशी तनकार ऩामे । शाथ भं छारे ऩड गमे । फेचाये र्फू के शाथ छारे तो पूट गमे शं । शाथ वे खन ू फश यशा था । फेचाये के ऩैय भं श्ळीळा बी पाड भरमा शं । ऩैय वे बी फशुत खाेून फशा शं । कुनार फाफू ने वात्रफत कय ददमा शै कक ले भजे शुए अत्माचायी जभीन भाभरक शै ।
ळाजन्तदे ली-तुभ फैठो भं ततनक कडुला तेर गयभा कय राती शूॊ शथेरी औय तारु की भाभरळ कय दे ती शूॊ ।छारे पोडना नशीॊ औय नशी खज ु राना। पोडोगे मा खुजराओगे तो ऩक जामंगे ।माद यखना ।ऩक गमे तो शाथ ऩय शाथ धये फैठे यशना शोगा ।
फदयी-तभ ु तो भाभरळ की फात की भेये भॊश ु की फात तछन री । दव ू यी
फातं कयके डयाओ नशी । फशुत ददत शो यशी शं ।फेचाये र्फू का तो ओय फयु ा शार शो यशा शोगा ।
ळाजन्तदे ली-वततमा बी भेय जैवे तेर भाभरळ भं रगी शोगी ।शल्दी प्माज का रेऩ रगा यशी शोगी।
फदयी-शाॊ नयामन की भाॊ वततमा तो कय शी यशी शोगी रेककन तुभ जल्दी
कयो । शाथ फशुत दख ु यशा शं । ककतने फडे फडे छारे शो गमे शं । ळाजन्तदे ली-जया ठशयो तो वशी ।ददत को शयने का इन्तजाभ तो कय यशी शूॊ ।
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ळाजन्तदे ली जल्दी जल्दी तेर गयभ कय रामी ।फदयी के शाथ ऩाॊल की भाभरळ कयने रगी । कुछ शी दे य भं अॊधेया तघय गमा । अचानक
भयु ददशमा की ओय वे धचल्राने की आलाज आने रगी । धचल्राने की
आलाज वुनकय श्ळाजन्तदे ली फोरी नयामन के दादा कुछ वुन यशे शो घ ् फदयी-क्मा घ ्
ळाजन्तदे ली- योने धचल्राने की आलाज जैवे वाभी बइमा की आलाज रग यशी शै ।
फदयी-बरा लो क्मो यामेगे धचल्रामेगे ।घय की खेतीफायी शं । वयकायी
कजात रेकय ट्मलेर रगला भरमे शं । वफ तो उनके भनभाकपक चर यशा शं । दोनं त्रफदटमं को ब्माश कय गॊगा नशा भरमे शं ।उन ऩय कौन वी द्धलऩद्धत्त आ ऩडी की योने धचल्राने रगे घ ्
फदयी औय ळाजन्तदे ली फात कय शी यशे थे वाभी दयलाजे ऩय आकय योते शुए फोरे फदयी बइमा भै तो रूट गमा । फदयी-क्मा शुआ वाभी बइमा घ ्
वाभी-चोय भोटय चयु ा रे गमे । थाने चरकय रयऩोट कयना शोगा ।दे य शुई तो भोटय शाथ नशी रगेगा । फदयी-त्रफजरी का भोटय चोय रे गमे घ ् तभ ु कशी गमे थे क्मा घ ्
वाभी-नशी । फव घय आमा था कुछ दे य ऩशरे खाना खाने । खाना खामा औय जानलयं को फयदौर भं फाॊधकय वोने के भरमे ट्मल ू ेर के घय आमा तेा दे खा कक दयलाजा खुरा ऩडा था । भेये तो शोळ शी उड गमे अन्दय गमा तो भोटय नदायत ।
फदयी-इतनी यात भं दव कोव दयू कैवे चरेगे ।यास्ते भं कशी फदभाळ
भभर गमे तो क्मा शोगा ।दे खो घफयाओ भत ऩानी ऩीओ । भं र्फू को
फर ु लाता शं । आऩव भं फातचीत कय चाय छ् रोगं को वाथ रेकय थाने चरते शं ।
वाभी-फर ु ाओ भत भं बी चरता शूॊ ।उधय वे शी थाने तनकर चरेगे । 166
फदयी-ठीक शै । रयऩोट तो कयलाना शी शोगा ।
वाभी औय फदयी र्फू के घय गमे ।र्फू वाभी की शारत दे खकय घफया गमा ।फदयी वे ऩछ ू ा बइमा वाभी बइमा की आॊखं वे आॊवू क्मं झय यशे शं ।ककवी वे रडाई झगडा तो नशी शो गमी । फदयी-बइमा की भोटय चोयी शो गमी ।
र्फयू ाभ-फाऩ ये चोयी शो गमी । बइमा की तयक्की रोगं को फदातश्त
नशी शुई । कय गमे दगा। बरा ले नीचरे तफके के आदभी को शॊवता खेरता कैवे दे ख वकते थे । चोय कशी दयू के नशी थे आवऩाव के शी थे ।ले कपयाक भं भशीनं वे रगे यशे शोगं ।
वाभी-शाॊ र्फू त् ु शाया अॊदाजा वशी रगता शै । फदयी-ततनक बय भं भोटय चोय उठा रे गमे ।
र्फ-ू बइमा तबी तो श्ळक की वुई आवऩाव घभ ू यशी शै । वॊझलं भोटय चोयी चरा गमा ।अबी तो शभ योटी बी नशी खामे शं ।
वाभी-कुछ ददनं वे भझ ु े अनजाना वा डय वता यशा था । भं कापी
वालधानी बी फयत यशा था । घय जल्दी आमा खाना खाकय वोने के
भरमे ऩशुॊचा तो टमल ू ेर का दयलाजा खुरा दे खकय भेये तो शोळ शी उड गमे ।चोय तशकीकात भं थे । कफ भं जाउूॊ कफ ले शाथ वाप कये ।
र्फयू ाभ-बइमा कोई जाने अनजाने टमल ू ेर के इदत धगदत भडयाते शुए ददखे थे क्मा । वाभी- दो तीन रोग कई ददनं वे श्ळाभ के लक्त टमल ू ेर के आवऩाव ददखाइर तो ऩड यशे थे । रेककन ले तो जान ऩशचान के फाफू रोग थे ।बरा ले ऐवा क्मं कयं गे घ ्
र्फयू ाभ-बइमा तुभ कुछ कशो ऩय भुझे तो उन्शी ऩय श्ळक शै कशते शुए लश अऩने छोटे फेटे गुराफ को फर ु ाकय एक रूऩमा शाथ ऩय यखा औय फोरा जा चाम की ऩत्ती रा खभ ु तत की दक ु ान वे अबी वोमे नशी शोग
नमायश फायश फजे तक जागते शं।गुराफ दक ु ान की ओय दौड ऩडा । इवके 167
फाद र्फू अऩनी घयलारी को आलाज दे ने रगा अये ओ गुराफ की भाॊ चाम का ऩानी यख दे ना गुराफ चाम की ऩत्ती रेकय आ यशा शै ।र्फू
घयलारी को शुक्भ दे कय खद ु रोटा उठामा शैण्डऩ्ऩ वे एक रोटा ऩानी बय रामा वाभी को थभाते शुए फोरा रो बइमा ऩानी ऩीओ । भन ठौरयक कयो ।चाम ऩीकय थाने चरकय रयऩोट भरखाने के फाये भं वोचो । फदयी-इतनी यात को थाने जाना ठीक शोगा क्मा घ ्
र्फयू ाभ-थाने तो जाना शी शोगा ऩय बइमा का धचत ठौरयक तो शोने दो ।ले तीन कौन थे । उनका बी तो नाभ भारूभ शोगा बइमा को उन्शी तीनं के खखराप नाभजद रयऩोट कयलामगे । फदयी-वाभी उन तीनं का नाभ माद शै ।
वाभी-शाॊ । ले चये न्द्र,उठे न्द्र औय घभ ू ेन्द्र थे ।
फदयी-बइमा तुभ कश यशे शो मे तु्शाया भोटय नशी चयु ा वकते । चये न्द्र
ककतना फडा ठग शं तुभको भारूभ नशी शं । मे तीनं उचक्के शी शं । मश फात तभ ु बी जानते शो ।चोय ककवी के वगे नशी शोते । मशी रोग तु्शाया भोटय रे गमे शं ।
वाभी-क्मा । मे रोग भेया बी भोटय चयु ा वकते शं ।इवने शभायी कोई दश्ु भनी तो थी नशी ।
र्फयू ाभ-क्मो नशी दश्ु भनी शं ।तभ ु फाफू रोगं की शरलाशी कयते शो ।
तु्शाये खखराप फाफू रोगो ने वाजजळ की शै ।वाजजळ के तशत ् शी भोटय चयु ामा गमा शं ।चये न्द्र ,उठे न्द्र औय घभ ू ेन्द्र ऩय कबी ना मकीन कयना । भजदयू ं को जार भं पॊवाकय दोशन कयना अच्छी तयश जानते शं ।
वाभी-इनकी ठगी के फाये भं जानता शूॊ ककतने फडे फदभाळ शं मश बी जानता शूॊ ऩय गाॊल भभं चोयी कये गे मश नशी जानता था ।
फदयी-वाॊऩ औय फाफू रोग एक जैवे शोते शं ।बइमा बूभभशीन भजदयू ं की फस्ती भं त् ु शाये ऩाव थोडी खेतीफायी की जभीन शै । क्मा त् ु शायी
तयक्की फाफू रोगं को वकून दे वकती शं ।तुभ बूभभशीन शोते तो तुभ 168
बी उनकी शयलाशी कयते ।गुराभी कयते ।तु्शे तो फाफू रोग भजदयू ं का नेता भानते शं । तुभ उन्शी फाफू रोगं के अॊधबक्त शो । र्फयू ाभ-शाॊ बइमा ठीक कश यशे शो ।
फदयी-यात भं थाने जाने खतये वे खारी नशी रगता शं ।कशी घात
फनाकय चये न्द्र,उठे न्द्र , घभ ू ेन्द्र अऩने कुछ वाधथमं के वाथ यास्ते भं फैठे ना शो । शाथ ऩाॊल भायकय तोड दं तो थाने बी ना जा ऩामे ।उनका भुझे जया बी द्धलश्वाव नशी शै । बोय भं चरेगे थाने ।
फदयी औय र्फू वाभी के वाथ उवके घय गमे । कुछ शी भभनटं भं
वाभी के त्रफजरी के भोटय की चोयी शो गमी का खफय शय भजदयू के घय तक ऩशुॊच गमी ।औयत भदत औय फच्चे वबी वाभी के घय की ओय उभड ऩडे । वबी एक वुय भं चये न्द्र ,उठे न्द्र औय घभ ू ेन्द्र को चोय भानने रगे । अफ वाभी को बी द्धलश्वाव शोने रगा था क्मंकक कई ददन वे तीनं टोश रे यशे थे वाभी के आने जाने की ।
बोय शुआ फदयी र्फू औय चाय छ् को रेकय वाभी थाने की ओय चर ऩडा रयऩोट भरखाने ।थाने वाभी ऩशुॊचा बी नशी कक वचभुच चये न्द्र ,उठे न्द्र घभ ू ेन्द्र औय चाय अऩरयधचत फदभाळ ककस्भ के रोग थाने वे आधा कोव दयू नशय ऩय शी यास्ता योक कय खडे शो गमे ।अफ वाभी को ऩयू ा मकीन शो गमा कक चोय मशी शं ।
चये न्द्र-वाभी कशाॊ जा यशे शो । एप.आई.आय.भरखलाने ।तु्शाया भोटय तो त्रफक गमा । शाॊ भं जानता शूॊ ले चोय कौन थे ।चाम ऩीओ चरो भं त् ु शायी रयऩोट दजत कयला दे ता शूॊ ।
वाभी औय उवके वाथ जा यशे रोग चये न्द्र की फात अनवुनी कय थाने जाने की कोभळळ कय यशे थे ।इतने भं एक फदभाळ द्धऩस्तौर ददखामा ।चये न्द्र फदभाळ वाथी की ओय इळाया कयते शुए फोरा अबी इवकी जरूयत नशी शं ।चाम ऩीने के फाद शी रयऩोट भरखलामेगे ।
169
वभी औय उवके वाधथमं के तारु वूखने रगे डय के भाये ।फेफव वे ले चाम की दक ु ान ऩय फैठ गमे ।चये न्द्र फोरा इन वफको चाम ऩी राओॊ
चाम लारे बइमा । फेचाये वाभी की भोटय चोयी शो गमी शं । चोय कशीॊ
दयू वे नशी आमे थे गाॊल के शी फाफू रोग शं ।भं वफ को जानता शूॊ ऩय मे वाभी मकीन नशी कये गा । दे खो भं तु्शाया ककतना ख्मार यखता शूॊ दयखाव ऩशरे वे शी तैमाय शै फव तुभको दस्खत कयना फाकी शं ।चोय
त् ु शाये खाव खाभू दाभू ,धाभू औय बी रोग ळाभभर शं । तभ ु चोय शभे
वभझ यशे शोगे ।तु्शाये भन की फात भं वभझ यशा शूॊ । र्फयू ाभ-क्मा फात कय यशे शो चये न्द्र फाफू मे रोग चोयी कये गे क्मो गयीफ को भयला यशे शो । ककव अऩयाध का फदरा रे यशे शो । बरा खाव खाभू ,दाभू,औय धाभू
फाफू चोयी कये गे लश बी वाभी बइमा के भोटय की ।
इतना छोटा काभ ले रोग न कय वकते शं ना कयला वकते शं ।
चये न्द्र-र्फयू ाभ नेता न फनो । उन रोगं के इळाये ऩय चोयी शुइरय ् शं ।भोटय त्रफक बी चक ु ा शै । मश बी भं फात दे ता शूॊ । जरूयत ऩडेगी तो
मश बी फता दॊ ग ू ा कक कशाॊ त्रफका शं वाभी का भोटय ।चये न्द्र चाम लारे वे फोरा अये चाम फना यशे शो कक शड्डी गरा यशे शो । जल्दी कयो वाभी
को दे यी शो यशी शं । एप.आई.आय.भरखलाना शै कक नशीॊ घ ् फेचाये की भोटय चोय उठा रे गमे शं ।
चामलारा-फाफू जी चाम फन गमी शं । ततनक औय वब्र कयो । भुझे भारूभ शै एप.आई.आय. आऩ तो भरखला शी दे गे । बरा आऩ कशं थानेदाय वाशे फ यशता शै ।
ना वन ु ं । थाने तो आऩका फयाफय आना जाना रगा
फदयी-वाभी बइमा चोयी तु्शायी शुई शै । मे चये न्द्र रयऩोट क्मं भरखकय रामे शं । चरो शभ खुद थाने चरकय रयऩोट भरखलामं ।
170
चये न्द्र-फडे
जभीॊदाय की शयलाशी कयते कयते नेता कफ फन गमा ये
फदरयमा । फशुत शोभळमायी ददखा यशा शं । तू नशी जानता भं वभाज कल्माण का बी काभ कयता शूॊ ।
फदयी-फशुत फडे धभातत्भा शो चये न्द्र फाफू खूफ जानता शूॊ । फेफव ऩयजातत के कोदढमं की फशन को यखैर फना भरमे । उनकी जभीन जामदाद शडऩ भरमे ।इवी को बराइरय ् कशते शो क्मा घ ्
चये न्द्र-शाॊ क्मा मश कभ शं कोढी की फशन को यखैर फनाकय यखा शूॊ ।क्मा तू इवे बराई का काभ नशी भानता ।
फदयी-अगय मश बराई शै तो फयु ाई ककव काभ को कशे गे चये न्द्र फाफू ।
चये न्द्र-फदयी इन काभ के अराला आदभी के शड्डी की भय्भत कयने का बी काभ कयता शूॊ । तू मशाॊ वे एक ऩग चरकय ददखा दे तो भं जानूॊ । फदयी-चरो वाभी थाने चरो । मशाॊ फात भायने तक आ गमी ।भं बी दे खता शूॊ चये न्द्र फाफू को कैवी भेयी शड्डी की भय्भत कयते शं । भैने बी चडू डमाॊ नशी ऩशन यखी शै।
तफ तक चये न्द्र का आदभी फोरा फाॊव चटका दॊ ू इव फदरयमा की शड्डी
।फशुत जफान चरा यशा शै । चये न्द्र-थोडा वा औय वब्र यख माय । फडे रोगं के कुत्ते बी आलाज तेज कयते शै।
चये न्द्र की दोगरी फात वुनकय वाभी
फदयी का शाथ ऩकडकय फैठा भरमा
औय फोरा चाम ऩी रो । चये न्द्र फाफू बी चर यशे शं तो चरं । भै बी
भरखना ऩढना जानता शूॊ । अऩने शाथ वे भरखकय दे दॊ ग ू ा दयखाव । फदयी-वाभी बइमा चये न्द्र फाफू की चाम भुझे नशी ऩीनी शै । चरो रयऩोट कयलाओ औय घय लाऩव चरो फच्चे इन्तजाय कय यशे शोगे ।
चये न्द्र-चाम का ऩैवा दे कय जाओ ।दे खता शूॊ तु्शायी एप.आई.आय.कैवे भरखी जाती शै ।
171
इतने भं चामलारा चाम के धगराव रेकय आगे खडा शो गमा औय फोरा फाफू रोगं के खेत वे ऩेट बयने लारे तुभ रोग फाफू रोगो वे झगडा
भोर क्मं रे यशे शो । ठण्डे ददभाक वे वोचो औय चाम ऩीओ ।चये न्द्र
फाफू का तो थाने आना जाना रगा शी यशता शै ।एप.आई.आय.क्मा मे तो फडे फडे काभ चट ु ककमं भं तनऩटा दे ते शं । तुभ रोग इन्शं जानते नशी । तु्शाये गाॊल के शं इवीभरमे ।वच ककवी ने कशा शं घय की भुगी वग
फयोफय ेॊ त् ु शाये गाॊल के शं इवभरमे तभ ु रोग इनके फाशयी रूतफे को
नशी ऩशचान यशे शो । थाने भं रयऩोट भरखलाना इतना आवान काभ नशी शं जजतना वभझ यशे शो ।
चये न्द्र-इन शयलाशं को इतनी फजु ध्द शोती तो ऐवे शी शाड पोडते ।चरो भं बी तु्शाये वाथ चरता शूॊ । थाने भं घव ु कय ददखा दो जानूॊ कक फशुत फडे अक्रभन्द शो ।एप.आई.आय तो दयू चाय छ् डण्डं बी खाने ऩड वकते शं । अऩने दे ळ की ऩभु रव वे कबी ऩारा नशी ऩडा शै क्मा ।
चये न्द्र वाभी की तयप कागज फढाते शुए फोरा इव कागज ऩय दवख्त कय दो वाभी ।वभझो शो गमी रयऩोट । भभर गमा भोटय । भुझ ऩय द्धलश्वाव कयो । तु्शायी भोटय भभर जाएगी ।
वाभी-रयऩोट तो थानेदाय वाशफ भरखते शं ।चोयी का भाभरा तो थाने भं दजत शोगा ।
चये न्द्र-ठीक शै थाने भं शी भरखला दे ना । लश घभ ू ेन्द्र औय उठे न्द्र को
ऩशरे शी बेज ददमा । वाभी जफ थाने ऩशुॊचा तं एक ऩभु रव का जलान , घभ ू ेन्द्र औय उठे न्द्र उवे थाने के भेन गेट ऩय भभरे । वाभी को दे खकय ऩभु रव जलान फोरा इन्शी फेचायं की भोटय चोयी चरा गमी शै। आ जाओ इन रोगो ने तु्शायी भवपारयळ वाशे फ वे कय दी शै । वाशफ तुभ रोगो का शी इन्तजाय कय यशे शं ।वाभी थानेदाय के कष भं गमा । थानेदाय
वाशफ वे अऩना दख ु डा योमा । थानेदाय वाशे फ ने उवे फाशय जाकय रयऩोट भरखलाने को कशा । वाभी फाशय तनकरे उववे ऩशरे वे शी ऩभु रव का 172
जलान दयलाजे के फगर भं खडा था । वाभी के तनकरते शी फोरा इधय आ जाओ तु्शायी एप.आई.आय.भरख रूॊ।
वाभी-शाॊ शलरदाय वाशे फ एप.आई.आय.भरखलाने आमा शूॊ इतनी दयू वे । शलरदाय-ककवी के उऩय ळॊका शं । वाभी-शाॊ शलरदाय वाशे फ ।
शलरदाय-नाभजद रयऩोट कयना शै । वाभी-शाॊ वाशे फ । शलरदाय को वे फता ददमा ।
चये न्द्र घभ ू ेन्द्र औय उठे न्द्र का नाभ धीये
शलरदाय-अच्छा तो चोय चये न्द्र घभ ू ेन्द्र औय उठे न्द्र शं ।रो दो ।
दवख्त कय
वाभी-शलरदाय वाशे फ मश तो लशी कागज शं जजव ऩय चये न्द्र फाफू दवख्त कयने को कश यशे थे ।
शलरदाय- तुभको ऩढने आता शै ।कौन वी जभात तक ऩढे शो ।
वाभी-धचठी भरख ऩढ रेता शूॊ । शलरदाय-शभने क्मा भरखा शै एप.आई.आय तुभको ऩढने को दॊ ू मा ऩढकय वुनाउूॊ । मे रो अगूॊठा रगाओ । शलरदाय वाभी का शाथ ऩकडय अॊगूठा
रगला भरमा औय फोरा आजकर भं तपदीळ शो जामेगी ।तभ ु अफ अऩने घय लाऩव जाओ ।
वाभी शलरदाय के कष वे फाशय तनकरा र्फू औय फदयी के वाथ घय
जाने को वाइककर उठामा कुछ शी दयू फढा कक कपय उवी चाम की दक ु ान ऩय
चये न्द्र घभ ू ेन्द्र औय उठे न्द्र योक भरमे । चये न्द्र भस् ु कयाते शुए फोरा वाभी भेये कशे अनव ु ाय रयऩोट भरखला शी ददमे । घय ऩशुॊचं आज यात भं मा कर
तक वाशे फ रोग तपदीळ भं जामेगे। घय ऩय शी यशना । भं तो
करेक्टय आपीव जा यशा शूॊ । भेये रामक औय कोई वेला शो तो फेदशचक फता दे ना । शॊवते शुए श्ळशय की फव भं फैठ गमा ।
173
वाभी फदयी र्फू बी गाॊल की ओय चर ऩडे । फदयी ऩछ ू ा वाभी बइमा नाभजद रयऩोट कयलामे शो मा वादी चोयी की रयऩोट ।
वाभी-नाभजद तीनं का नाभ तो भरखला ददमा शूॊ ।इन्शी के उऩय तो ऩयू ी फस्ती श्ळॊका जता यशी थी । भुझे बी इन्शी तीनं ऩय श्ळॊका शं । मशी तीनं भेयी भोटय चयु ामे शै ।
र्फ-ू चये न्द्र क्मं भुस्कया यशा था ।कशी नाभ फदरला तो नशी ददमा । मा जजव कागज दवख्त कयने को कश यशा था । लशी तो ऩेळ नशी कयला ददमा धोखाधडी वे ।
फदयी-शभ तो ठशये तनयषय । शभ वबी भं वाभी शी ऩढ भरख वकते शै ।अफ मशी जाने क्मा फोरे औय शलरदाय ने क्मा भरखा ।
वाभी-नाभजद रयऩोट कयलामा शूॊ ।दयोगा जी फशुत शभददी ददखा यशे थे ।दयोगा जो को इनकी जावूवी के फाये भं वाप वाप फता ददमा शूॊ । भेयी यऩट उल्टी कैवे शो वकती शै । र्फ-ू शलरदाय चये न्द्र को कुछ इळाये भं कशा शं दोनं भस् ु कयामे शं ।दे खा
नशी शं शलरदाय बी तो फाशय तक आमा था ।अगय नाभजद रयऩोट भरखी गमी शै तो तीनं की धगयपतायी मशी शो जानी चादशमे थी ।
फदयी-चये न्द्र शै तो फशुत फदभाळ कोई ऩावा पंक तो नशी ददमा । ऩभु रव औय चोय भौवेये बाई कशे जाते शं । खैय तपदीळ भं दध ू का दध ू ऩानी का ऩानी वाप शो जामेगा ।
वाभी रयऩोट भरखलाकय घय आ गमा । कई ददनं तक दयोगा वाशफ
तपदीळ भं नशी आमे। वाभी धचजन्तत यशने रगा ।लश भोटय के घय की
ओय दे ख दे खकय यो उठता ।र्फू औय फदयी बी तीवयी की खेती भं जट ू
गमे । धीये धीय वप्ताश फीत गमा कोईर ऩभु रव नशी आमी । वप्ताश बय के फाद दयोगा वाशे फ तपदीळ भं खुद आमे शलेरी रालरश्कय के वाथ रूके
औय जभीॊदाय ठं गाचन्द की
।वाभी के वाथ शी ऩयू ी भजदयू फस्ती के
अधेड औय जलानं को गाॊल के जभीदायॊ ठं गाचन्द की शलेरी फर ु लामे । 174
दयोगा वाशे फ के आने की खफय वे वाभी फशुत खुळ शुआ उवे रगा की अफ चोयी गमा भोटय भभर जामेगा । उवके ऩरयलाय का तनलारा नशी
छीनेगा । खळ ु ी खळ ु ी लश ठं गाचन्द की शलेरी ऩशुॊचा ।वाभी के ऩीछे ऩीछे ऩयू ी फस्ती की औयते फच्चे बी ठं गाचन्द की शलेरी के फाशय भेरा रगा ददमे । दयोगा वाशे फ ने फढ ू े फच्चं औय औयतं को घय जाने का आदे ळ ददमा ।वबी फढ ू े फच्चं औय औयतं लाऩव चरे गमे। इवके फाद दयोगा
वाशे फ ने वाभी के दोनं शाथ फाॊध कय नीभ के ऩेड भं रटका ददमे औय
भाय भाय कय रशूरुशान कय ददमे ।वाभी भूतछतत शो गमा तफ दयोगा वाशे फ ने नीचे उतायकय जीऩ भं ऩटक ददमे । दये ागा वाशे फ द्धलजमी भुद्रा भं फोरे वारे नीच रोग अऩनी औकात बर ू जाते शं । फाताओॊ वारे वाभी का
इतने जाने भाने
खाभू
,दाभू,औय धाभू बोऩू फाफू शै इव
एरयमा के । इन फाफू रोगं के नाभजद रयऩोट कय ददमा ववुया भोटय
चोयी की ।ऐ फाफू रोग भोटय चयु ा वकते शं क्मा घ ् भुझे फतामा कुछ
भेये कष वे तनकरकय ऩरट गमा । जीऩ भे कयाश यशे वाभी को दयोगा वाशे फ डण्डे वे खोदने रगे । इधय फदयी औय र्फू को ऩवीना आ यशा
था । वाथ मे रोग बी तो गमे थे यऩट भरखलाने । फदयी औय दयोगा जी कुछ कशना चाशे ऩय दयोगा वाशे फ डण्डा घभ ू ाते शुए चऩ ु कयला ददमे औय फोरे तभ ु रोग गॊगाजर शाथ भं रेकय कशो कुछ तो नशी भानना चादशमे । तुभ रोग शो शी प्रताडना के रामक ।दयोगा वाशे फ भजदयू ं के
नलजलान रडको औय अधेड भजदयू ं को छाॊट छाॊटकय जीऩ भं ठूव भरमे
बेड फकयी की तयश । वफको थाने रे गमे एक एक की शड्डी चटका डारे । इवके फन्द अॊधेये कभये भं वबी को फन्द कय ददमे । जशाॊ ना फैठने
की जगश थी ना शी इतने रोगं के खडे शोने की शी औय ना शी ऩेळाफ कयने की जगश ।
वाभी के भाथे वे तयतय खन ू आॊखं वे
फश यशे थो । फेचाये फदयी वे ना
दे खा गमा ।ऩशरे उवके आॊवूॊ ऩोछे कपय अऩना गभछा पाडकय भाथे के 175
घाल को वाप कय गभछे की ऩट्टी फाॊधा ।तफ जका खून फशाना फन्द
शुआ आवूॊ तो रगाताय झय यशे थे । र्फ-ू फदयी बइमा मे तो केव उल्टा शो गमा । पॊवा ददमे चये न्द्र घभ ू ेन्द्र
औय उठे न्द्र ने । अये शभ तो अनऩढ थे वाभी बइमा को तो धचटठी ऩढने भरखने आता शं क्मं नशी ऩढ भरमे क्मा केव भरखा गमा ।जया वी
राऩयलाशी की लजश वे ऩयू ा भजदयू टोरा कैदी शो गमा । इतनी भाय
भाया शं दयोगा वाशे फ ने भशीने बय तो शल्दी गड ु ऩीमेगे तफ जाकय फदन का ददत ठीक शोगा । फेचाये वाभी बइमा तो फेशोळ शी ऩडे शुए शै ।आज की यात तो रगता शं भौत की यात शो गमी शै ।वाभी फदयी औय र्फू वदशत दव रोग कयाशते यशे ऩानी ऩानी कये ऩय ककवी ऩभु रव लारे का ददर नशी ऩवीजा की एक धगराव ऩानी दयू वे शी ऩीरा दे । फडी
भुजश्कर वे यात फीती । वुफश नई आळा रेकय प्रगट शुई दव फजे के फाद दयोगा वाशे फ आमे औय वबी को डण्डे वे ऩीटते शुए कपय जीऩ भं बय कय ठं गाचन्द की शलेरी राकय छोड ददमे ।
दयोगा वाशफ ततखाये तो वबी को ऩय वाभी की ऩीठ ऩय जोयदाय रात
भायते शुए फोरे दे खा झूठी यऩट का नतीजा ।जल्दी केव लाऩव रे रेना लयना शड्डी ऩवरी दव ू यी फाय एक बी नशी फचेगी । दयोगा वाशे फ शपते भं एक ददन जरूय वाभी को उठा रे जाते कपय भाय ऩीट कय राकय
ऩटक जाते ।दयोगा वाशे फ की भाय खा खाकय वाभी ऩागरं की तयश
शयकत कयने रगा । ना खाने का शोळ यशता ना कऩडे का । ना उवे यात ददखती ना ददन । कुत्तो को गरे रगाकय द्धलराऩ कयता। वार दो वार ऐवे शी चरता यशा । उवकी ऩयू ी खेतीगश ृ स्थी तशव नशव शो गमी ।
फेचायी घयलारी औय नन्शे नन्शे फेटा फेटी फाफू रोगं के खेतो भं काभ
कयने को भजफयू शो गमे । मशी तो फाफू रोग चाश बी यशे थे । वाभी की घयलारी अजोरयमा की वेला वे वाभी का ऩागरऩन कुछ कभ शोने रगा था । एक ददन यात भं कपय दयोगा वाशे फ आमे औय वाभी के 176
ठं गाचन्द फाफू की शलेरी फर ु ाकय लशी रात घव ू ं वे भायने रगे औय फोरे तुभको केव लाऩव रेने को कशा था। वार फीत गमे क्मो नशी केव लाऩव भरमा ।
वाभी भैने तो इन रोगो का नाभ शी नशी भरखलामा था । भं नाभाजद
यऩट ककमा था ऩय चये न्द्र ,घभ ू ेन्द्रऔय उठे न्द्र फाफू के नाभ । मे तो आऩने भेये वाथ अन्मा कय ददमा । भेया वफ कुछ फफातद कय ददमा ।
इतना वन ु ना था कक दयोगा वाशे फ आग फफर ू ा शोकय फोरे वारे त् ु शायी फात ऩय कौन मकीन कय वकता शं । बूखे श्ळेय की तयश वाभी ऩय टूट ऩडे औय जफतदस्ती
वाभी का अॊगुठा केव लाऩवी के कागज ऩय रगला
भरमे ।इवके फाद दयोगा वाशफ कागज शला भं रशयाते शुए फोरे दे खो ये फस्ती लारो तु्शाया नेता वयकायी ऩैवा शजभ कयने के भरमे खेर खेर यशा था । वायी चार उल्टी ऩड गमी ।ववुया भोटय फंचकय खा गमा ।
ळयीपो को चोय फनाने ऩय तुरा था । ऩड गमी ना ददर को ठण्डक । जा दव फीवी खेत ककवी फाफू को फंचकय नई भोटय खयीद रे ।
तफ तक चये न्द्र आ गमा औय फोरा दयोगा वाभी की भोटय नशी भभरेगी क्मा अफ घ ्
दयोगा वाशे फ-ववयु ा वाभी फाफू आप वाभने शी खडा शं ऩछ ू रो ।
फेचाये वाभी को काटो तो खन ू नशी । लश भन शी भन फोरा मे फाफू रोग ना वाभाजजक ना आधथतक अभबळाऩ वे शभ नीचे के तफके के रोगं को उफयने नशी दं गे । चौदश
फस्ती के दव वे अधध भजदयू दयोगा वाशे फ की भाय वे वारो कयाशते यशे ।फदयी औय र्फू बी इव ददत वे अछूते ना थे । फेचाया वाभी ऩागर शो
गमा । भोटय की चोयी शोते शी स्टातटय ,ऩाइऩ इतना शी नशी खऩयै र तक नशी फची । वाभी के घयलारी फेचायी अजोरयमा दे ली ऩागर ऩतत को
व्बारने औय फच्चेा को ऩारने के भरमे फाफू रोगं के खेतो भं भजदयू ी 177
कयने के भरमे कूद ऩडी ।उवके नन्शे नन्शे फच्चे बी कॊधा वे कॊधा
भभराकय भाॊ का वाथ दे ने भं जट ु गमे। फाफू रोग बी तो मशी चाशते थे ।
फदयी औय र्फू बी कुनार फाफू की तीवयी की खेती कयने भं जी -जान
वे रग गमे । यात ददन एक कयने रगे ।इनकी भेशनत यॊ ग रामी । खेत भं पवर रशरशा उठी । खूफ गेशूॊ ऩैदा शुआ । ळाजन्तदे ली औय वततमा ऩैदालाय को दे खकय फशुत खळ ु शुई थी । वततमा को रगा था कक वाशूकाय के ऩाव उवका धगयली यखा फाजफ ू न्द इवी वार छूट जामेगा ।ऩयन्तु तीन दशस्वा कुनार फाफू के घय चरा गमा । एक दशस्वे का आधा फदयी औय आधा र्फू के घय आमा ।अऩने अऩने दशस्वे को दे खकय ळाजन्तदे ली औय वततमा के शोळ शी उड गमे ।
वततमा फोरी फशन भेया फाजफ ू न्द रगता शै अफ दो एक वार औय
वाशूकाय की ततजोयी भं यशे गा औय वूद बी फढे गा । पवर को दे खकय भन फशुत खळ ु शुआ था ऩयन्तु लशी भन अफ यो यशा शै ।कुनार की
तीवयी की खेती भं रगने लारे खाद फीज औय भवचाई के ऩानी के भरमे फाजफ ू न्द धगयली यख ददमे गुराफ के फाऩू की पवर आते शी छुडला रेगे
। अऩने तो इव उऩज वे उ्भीद बी नशी यशी । तीन दशस्वा तो कुनार
फाफू के गोदाभ भं ऩशुॊच गमा ।दशस्वे भं जो अनाज आमा शं । इववे तो वार बय की योटी का बी इन्तजाभ नशी शो ऩामेगा । ळाजन्तदे ली-ठीक कश यशी शो । कये बी तो क्मा कयं ।जीने का दव ू या
वशाया बी तो नशी शं ।तीवयी की खेती भजदयू ं के छरने का नमा फशाना शो गमा शै । तु्शाया फाजफ ू न्द धगयली ऩड गमा । भेया दव ककरं का
फकया दो भुगे त्रफक इवी तीवयी की खेती के भरमे । मे दे ख भेये तन की वाडी के शार । ककतनी फाय भवराई कय चक ु ी शूॊ । नयामन के दादा फडे खळ ु थे पवर को दे खकय ले तो भेरा के ऩशरे शभ वाडी फच्चं ेा के भरमे कऩडे राने की वोच यखे थे । भं बी वोच यखी थी कक अच्छी 178
उऩज शुई तो नयामन के दादा के भरमे भं अऩनी भजी की धोती कुतात औय गभछा खयीद कय राउूगी त्रफना उनवे ऩछ ू े ।दे खो वोचा वफ फेकाय शो गमा । खाने के भरमे दाने दाने धगनने ऩडेगे । कैवे फच्चं का ऩेट
बये गा । उधय उधभ फाफू की शलेरी के शार को तो ऩयू ा गाॊल जानता शी
शं । कशने को उनके शरलाश शै। शरलाशी भं भभरा खेत बी शं ऩय शलेरी क द्धललाद के कायण उनका नाळ शो न खुद का जोत फो यशे शं औय ना शी शरलाशी का खेत शभं शी फोने जोतने दे यशे शं ।उऩय वे ककवी दव ू ये की शरलाशी बी नशी कयने ऩा यशे शं नयामन के दादा । वुफश श्ळाभ
शलेरी के दळतन बी कयना जरूयी शो गमा शं ।ना जाओ तो धभकी आ
जाती शै । वच वततमा शभ बभू भशीनं की जजन्दगी तो नयक शो गमी शै ।
वततमा-शाॊ फशन जैवे खेत भं पवर शभ भजदयू ं के ऩवीने को ऩीकय
रशरशाती शं लैवे शी मे फाफू रोग शभाया खून ऩीकय शभायी गाढी भेशनत की कभाई ऩय कब्जा कय भाभरक फने यशते शं । शभायी कभाई ऩय
काभरमा नाग की तयश कुण्डरी भायकय फैठ जाते शं । शभाये बूखेाॊ भयने का खतया वदै ल भवय ऩय उडयाता यशता शै । दे खो कुनार फाफू की
शैलातनमत बख ू ा गाॊठ बी छाती ऩय चढकय फटला भरमा ।बगलान बी ऐवे
रोगं के गरे भं तयक्की की भारा ऩशनाते शं औय शभ बभू भशीन भजदयू ं के गरे भं बूखो भयने का पॊदा । लाश ये बगलान । अफ तो तुभ ऩय वे
द्धलश्वाव उठता जा यशा शै । रगता शं बगलान अफ दतु नमा को छोड चक ु ा शं फाफू रोगं के शलारे कय । मदद बगलान शोता तो जरूय उवका खौपॊ फाफू रोगं भं शोता ।
ळाजन्तदे ली-वततमा इव बूभभशीनता दरयद्रता के अभबळाऩ वे उफयने के भरमे अऩनी औरादं को स्कूर बेजना शोगा । जफ तक अऩने फच्चे
ऩढे गे भरखेगे नशी तफ तक तयक्की अऩनी चौखट वे दयू शी यशे गी ।
179
वततमा-फशन फच्चे बूखे कैवे ऩढ ऩामेगे ।उनको ऩेट भं डारने के भरमे योटी तो चादशमे ।
ळाजन्तदे ली-वततमा इव अभबळाऩ वे ऩढी भरखी औरादे शी तनकार वकती शै ।ऩशरे वे जभाना बी फदरा शं । अफ स्कूर भं ऩढने तक ददमा जाने रगा शै ।वोच अऩने फच्चे ऩढ भरखकय फडे वाशे फ फन गमे तो अऩने
ददन फदर गमे की नशी । वततमा अऩने फच्चो के भरमे इतना त्माग तो कयना शी ऩडेगा ।वोचो अऩने दादा ऩयदादा का जीलन ककतना दख ु द यशा शोगा । उनकी तुरना भं शभ तो कुछ ठीक शं ।थोडी औय कटौती कय
अऩने फच्चं को तारीभ दे वकते शं । अफ तो शभाये फच्चं को लजीपा
बी भभरता शै । अये शभायी शार दे ख नशी यशी शं । तभ ु वे तो फशुत खयाफ शं । फेटला ने भेशनत ककमा ।आगे फढता चरा गमा । लजीपा बी भभरने रगा । ऩढाई भं कापी भदद भभरी ।अफ तो कारेज की ऩढाई
ऩयू ी शोने लारी शं ।क्मा भेया वाभथ्मत शं ऩढाने का । नशी ना । फेटला भं ऩढने की ररक थी ऩढ भरमा ।शभ औय उवके दादा उवे प्रोत्वादशत
कयते यशे ।आज भेया फेटला उधभ फाफू वे ज्मादा ऩढा भरखा शो गमा शै ।उधभ फाफू के ऩाव तो रूऩमे का खजाना शं । अऩने ऩाव तो खाने के दाने तक नशी शै ।फशन अऩने फच्चं ेा के वख ु द कर के भरमे आज वे शी तैमायी कयनी ऩडेगी । तबी शभायी आने लारी ऩीढी इव बभू भशीनता दरयद्रता के अभबळाऩ वे भुक्त शो वकती शं ।
इतने भं नयामन आ गमा वाइककर खडी ककमा । भाॊ का ऩैय छुआ औय फोरा भाॊ कौन वे अभबळाऩ की फात कय यशी शो । वाभाजजक औय
आधथतक द्धलऩन्नता के अभबळाऩ के अराला औय कोई तीवया अभबळाऩ रग गमा क्मा घ ्
ळाजन्तदे ली-नशी फेटा फव मशी अभबळाऩ कट जामे तो वभझूॊगी कक जीते जी स्लगत का वख ु बोग री ।
180
नयामन-भाॊ कटे गा । मश अभबळाऩ बगलान ने नशी आदभी ने ददमा शै । शभ भजदयू ो का अधधकाय लॊधचत कय । इवी अभबळाऩ की लजश वे तो
शभ आदभी शोकय बी ऩळओ ु ॊ जैवे जीने को भजफयू शै । भाॊ बगलान का कवूय नशी शं । इवके भरमे आदभी शी कवूयलाय शै । अऩनी वत्ता फनामे
यखने के भरमे भानल वभाज को त्रफखजण्डत कय ददमा शं । ना त्रफखजण्डत वभाज के रोग इक्ठा शो यशे शं औय ना शी अभबळाऩ कट यशा शं । इव अभबळाऩ वे भडु क्त तो आदभी शी ददरा वकता शं । बगलान को कोवने
वे कुछ नशी शोने लारा शं । गयीफं बूभभशीनं लॊधचतो को अऩने अधधकाय के भरमे आगे आना शोगा।इतनी आवानी वे मे ठे केदाय रोग शभं बूभभ
नशी दे गे । शाॊ शभाये खन ू ऩवीने की कभाई ऩय यण्डी नचाते यशे गं । भाॊ भजदयू रोग जजतना दख ु उठामे शं उववे औय अधधक दख ु ढोने की
दश्भत यखे औय अऩने फच्चं ेा को स्कूर बेजे जैवे भाॊ तुभ भुझे बेजती यशी शो । भजदयू ं के फच्चे भळक्षषत शोगे । वॊघऩत कये गे ।अऩने अधधकयं की भाॊ कये गे । भाॊ मकीन कयो । भजदयू ं की चौखट ऩय तयक्की जरूय ऩशुॊचेगी । ळाजन्तदे ली-फेटा इतना आवान तो नशी रगता मे वफ । शाॊ औय कई ऩीदढमाॊ गज ु यने के फाद श्ळामद
ऩय शभायी ऩीढी के रोगो की आॊखे तो
ऐवे शी तयवती यश जामेगी । खैय कोई अपवोव नशी शभायी आने लारी ऩीदढमाॊ तो शभायी तऩस्मा का वुख बोगेगी ।दे खकय आत्भा को वुख जरूय भभरेगा ।
वततमा-फशन ना जाने भयने ऩय आत्भा को वख ु भभरता शं मा मशाॊ जैवे दख ु शी कोन दे खा शै ।कर की आव भं तो फढ ु ी शो गमी ऩय आव ऩयू ी
नशी शुई । कर ना जाने क्मा शोगा । आज को दे खो । आज तो शड्डी थयू -थयू कय ककतना अनाज ऩैदा ककमे शं कुनार फाफू के खेत व । वोची थी कक
इतनी तो फचत शो शी जाएगी कक वाशूकाय के मशाॊ वे भेया फाजफ ू न्द छूट जामेगा । 181
ळाजन्त दे ली-वततमा शाड थयू ना फेकाय तो नशी गमा शं ।उऩज तो फशुत शुई शं ।शाॊ मे फात अरग शै कक अऩने दशस्वे भं फशुत कभ आमा शं । अगय अऩनी जभीन शोती तो घय भं गरा यखने की जगश ना भभरती
।अऩने को अऩनी भेशनत की ऩयू ी कभाई नशी भभर यशी शं इवका कायण बूभभशीनता शं ।इतना अधधक अन्न ऩैदा कयने के फाद बी शभ भजदयू ं
को पॊेाके भे ददन काटने ऩडते शं ।मश ककवी अभबळाऩ वे कभ तो नशी शं ।
वततमा-वच कश यशी शो फशन बूभभशीनता के अभबळाऩ ने शभ भजदयू ं को कॊगार फनाकय यख ददमा शै ।
नयामन-काकी तभ ु नशी जानती शो क्मा घ ्
वततमा-क्मा भं नशी जातनी शूॊ फेटला फताओगे तफ ना जानग ूॊ ी । नयामन-काकी शभायी दरयद्रता के भरमे कौन जज्भेउाय शं । वततमा-ऩत ू ा
तुभ फता नशी यशी शो फझ ु नी फझ ु ा यशे शो ।भं तो फव
भेशनत भजदयू ी कयना जानती शूॊ । इवके अराला ओय क्मा जानग ॊू ी । जफ वे आॊख खुरी तफ वे शी तो शाड थयू थयू यशी शूॊ । अफ तो मश बी नशी शोता ऩशरे जैवी ताकत बी तो नशी यशी । खैय भयता क्मा कये । लशी
भं बी कय यशी शूॊ फाफू रोगो के खेतो भं काभ । नयामन-काकी फशुत फडी फात कश दी । फयु ा ना भानना काकी भेशनत
भजदयू ी कयना कोई फयु ाइर नशी शै ।ददन बय ऩवीना फशाने के फाद ऩयू ी भजदयू ी ना दे ना फशुत फयु ी फात शी नशी अऩयाध बी शं । वततमा-ठीक कश यशे शो फेटला । ठगी कयके शी तो मे फाफू रोग शभ
भजदयू ं ऩय याज कय यश शं ।शभ झोऩडी ऩट्टी भं यशते शं । आधा ऩेट खाते शं कबी कबी तो पाॊके
बी कयने ऩड जाते शै ।फेटी कुछ खेती की
जभीन के भाभरक शभ बी शोते तो आधी दरयद्रता शभायी लैवे शी कट जाती ।
182
नयामन-शाॊ काकी फात तो ठीक कश यशी शो ऩय शभ भजदयू ं की दरयद्रता के ऩीछे वाभाजजक त्रफखण्डन का शाथ शं । वशी भामने भं इवी ने शभं ऩीडडत लॊधचत औय बभू भशीन फनामा शं ।
ळाजन्तदे ली-वाभाजजक त्रफखण्डन कौन वी नई फीभायी रग गमी शं फेटा । नयामन-भाॊ फशुत ऩयु ानी फीभायी शं ।आदभभमत के भाथे का कोढ शं । ळाजन्तदे ली-जाततऩाॊतत की फात कय यशे शो फेटा तुभ तो ।
नयामन-शाॊ भाॊ जातीम उुॊ चता नीचता शी शभायी गयीफी का कायण शै ।
वततमा-फेटा तेयी फात वभझ गमी । फाफू रोगं के ऩाव अधधक भात्रा भं जभीन जामदाद औय शभ बूभभशीन गयीफ इवका भतरफ तो मशी शुआ कक इन फाफू रोगं के ऩयु खो ने शभाये ऩयु खं की व्ऩतत ऩय जफतदस्ती
कब्जा कय भरमा ।शभाये वाभाजजक अजस्तत्ल को ऩरट ददमा । शभ नीची कौभ के शो गमे ।
नयामन -शाॊ काकी । शभाये वाभाजजक अजस्तत्ल को भभटामा गमा ।
शभायी व्ऩतत ऩय अततक्रभण ककमा गमा ।शभाये ऩयु खं के वाथ जानलयं वे बी फयु ा व्मलशाय शुआ । खैय आज बी कभ नशी शो यशा शं । वततमा-फेटा इव दरयद्रता वे उफयने के भरमे क्मा ककमा जामे ।
नयामन-भळक्षषत फनना शोगा ।वॊघळत कयना शोगा ।अऩने अधधकायं के भरमे उठ खडा शोना शोगा ।तबी वाभाजजक औय आधथतक रूऩ वे बी भजफत ू फन वकेगे ।
वततमा-नयामन फेटा अऩनी भाॊ वे फततमाओ । फात तो फशुत फदढमा फदढमा कय यशे शो ।भं घय जाउूॊ गी चल् ू शा चंका कयना शै । नयामन-शाॊ काकी मश बी तो जरूयी शै ।
नयामन की फात बी खत्भ नशी शुई कक इतने भं शरयशय आ गमा औय ऩछ ू फैठा क्मा वभझा यशी शो काकी नयामन बइमा को ।
वततमा-भं नयामन फेटला को क्मा वभझाउूॊ गी अनऩढ गॊलाय तभ ु शी ऩछ ू ो नयामन वे की ले भुझे क्मा वभझा यशे थे ।दे य शो गमी शं । तु्शाये 183
काका ढूढ यशे शोगे ।योटी फनानी शै । फच्चे बूखे शोगे ।तु्शाये काका तो फव भजदयू ी कयना जानते शं । फाकी उनवे कुछ नशी शोता ।
ळाजन्तदे ली-र्फू बइमा का नशी मश तो वबी भदो का शार शै ।
शरयशय-काकी भदो की भळकामत कयना फन्द कयो ।भदो के त्रफना औयत का कोई अजस्तत्ल शै क्मा ।
वततमा-शाॊ तुभ बी भदो की राइन भं खडे शो तो कशोगे शी । औयत के त्रफना भदत का क्मा अजस्तत्ल शै ।
शरयशय-कुछ नशी काकी । दोनं एक दव ू ये के त्रफना अधयू े शं ।औयत भदत
के बेद को अभबळाऩ फनामा शै आदभी ने अऩने स्लाथत के भरमे ।अऩनी वत्ता कामभ यखने के भरमे । काकी अफ तभ ु जाओ काका ढूढ यशे शोगे
।तुभको घय वे तनकरे फशुत दे य शो गमी शै ।काका यास्ते भं भभरे थे । फशुत गुस्वे भं शं ।
वततमा-उनका गुस्वे को ठण्डा कयना भुझे आता शै फचला तुभ धचन्ता ना कयो ।भझ ु े तो फच्चो की धचन्ता शं उन्श बख ू रग यशी शोगी ।
शरयशय-ठीक शै काकी काका भभरेगे तो फता दॊ ग ू ा की कश यशी थी कक तुभको उनको भुझे ठण्डा कयने आते शं ।
वततमा-लाश ये आजकर के रडके घय पोडने की धभकी दे ने रगे शै । शरयशय-ना काकी ना तेये घय की दीलार तो फशुत चौडी शं भेये फव की फात तो शं नशी की पोड. दॊ ग ू ा । काकी फशुत दे य शो गमी । काका वचभुच इधय उध फच्चो वे ऩछ ू यशे थे ।जाओ काकी जाओ......
नयामन बइमा ककव भद्द ु े ऩय काकी वे चचात चर यशी थी ।अभबळाऩ के भुद्दे ऩय क्मा घ ्
नयामन-श लशी तो भुद्दा शै जो वोते जागते उठते फैठते डॊवता यशता शै ।
गयीफ आदभी ककव फात ऩय द्धलचाय कये गा ऩेट की बूख श्ळान्त कयने के भरमे न ।
शरयशय-इवका भतरफ भं वशी वोच यशा था । 184
नयामन-शाॊ शरयशय ठीक कश यशे शो ।ऩीडडत आदभी ददत तनलायण का शी इराज ना ढूढे गा ।
शरयशय-बइमा शभ जजव आधथतक वाभाजजक अभबळाऩ वे जझ ू यशे शं
उवकी जडे तो ऩातार तक पैरी शुई शै । जजवे झूठी वाभाजजकश्रेप्ठता,अशॊकाय औय वाधन व्ऩन्नता की उलतया ळडक्त बयऩयू
भभर यशी शै । जजवका अजस्तत्ल अॊधद्धलश्वाव ,कुयीततमं ऩय दटका शुआ शं जो द्धलसान के मग ु भं बी ठं गा ददखा यशा शै । नयामन-शाॊ शरयशय जात ऩाॊत की वा्प्रदातमकता बूभभशीन भजदयू ं की
जस्थतत दमनीम जस्थतत , भजदयू ं का बयऩयू दोशन ,झूठी द्बी अशॊकायी धाभभतक भल् ू मं भं फॊधकय जीने की द्धललवता धभत के नाभ ऩय फीभाय
चभडी की तयश वाभाजजक ताने-फाने के श्ळयीय वे फयु ी तयश धचऩकी शुई शं ।इवके खखराप आन्दोरन शोना चादशमे तबी दीनता के अभबळाऩ वे भुडक्त भभर वकती शै । शरयशय- शाॊ बइमा ।
नयामन-मग ु ो वे दीनता का फोझ ढो यशा वभाज इतनी जल्दी तो व्ऩन्न रोगं की फयाफयी नशी कय वकता । शाॊ अऩने ऩरयश्रभ वे कुछ भुजश्करे
कभ जरूय कय वकता शै । लशी कय बी यशा शं फेचाया शय ओय वे फेफव । इव फेफव बभू भशीन लॊधचत को व्ऩन्न वभाज अभबळाद्धऩत वभझने रगा शं । जफकक लश अच्छी तयश जानता शै कक
दीन बूभभशीन लॊधचत
वभाज ऩय द्धलऩद्धत्त का यखा फोझ उवी की दे न शै ।शरयशय इव अभबळाऩ
वे उफये त्रफना लॊधचत वभाज तयक्की की धाया वे नशी जड ु वकता ।इव दरयद्रता
वे भुडक्त के भरमे ऩयू े बूभभशीन को वॊगदठत शोकय वॊकल्ऩ के
वाथ आन्दोरन कयना शोगा । कशते शं ना जफ तक फच्चा नशी योता भाॊ बी दध ू नशी ऩीराती ।
शरयशय-शाॊ बइमा त्रफना वॊकल्ऩ के तो कुछ नशी शो वकता ।
185
नयामन औय शरयशय की फातं दखु खमा आजी जैवी चोट कयने रगी ।लश फोरी फेटा कोई रडाई झगडा ककवी वे ना कयना । मे फाफू रोग फडे
जाभरभ शोते शै । दयु ऩतत की शार भझ ु े माद शै। फेचाये की जान फच गमी बगलान बयोवे । लैवे तो फाफू रोग भया शुआ वभझकय शी उवको उवी के द्धऩछलाडं की फॊवलायी भं पंक गमे थे । फेचाये का क्मा कवूय था ।
भजदयू फढाने की फात खयभूफाफू वे कय ददमा था । मश फात खयभू फाफू को इतनी फयु ी रगी की उवकी जान शी रे भरमे । वच ककवी ने कशाॊ
जाको याखं वाइमाॊ भाय वके ना कोम । फेचाये की जान फच गमी । कइर
भशीनं तक तो खदटमा ऩय शी ऩडा यशा ।ठीक शोते शी ऐवे गाॊल वे बागा कक कपय नशी रौटा इव गाॊल भं । ळशय जाकय खफ ू रूऩमा कभामा वडक ऩय कोठी फनला भरमा शं ।फाफू रोगं का शर अफ नशी जोतता ।ऩयदे वी
शो गमा शै । ऐवे शी वबी रडके ऩयदे व जाकय कभामे अऩने भाॊ फाऩ का नाभ योळन कये इवभं फयु ाई क्मा शं । इववे गाॊल भं श्ळाजन्त बी फनी यशे गी औय फाफू रोगं का धीये धीये गरूय टूट जामेगा । फाफू रोग तो
जान भार ऩय खतया शै शी इज्जत ऩय बी धाला फोर दे ते शं ।अनायकरी को भनकूफाफू ने अऩनी यखैर फनाकय यखा शं । फेचाया धीना ऩागर
शोकय गरी गरी बटक यशा शं । अनायकरी फेचाये धीना को पूटी आॊख
बी दे खना नशी चाशती । फेटा फाफू रोगं का कोई बयोवा नशी कफ क्मा कय जामे ।
नयामन-आजी भुझे डया यशी शो ।
दखु खमा- नशी फेटा बरा भं तभ ु को डयाउूॊ गी क्माॊ । शकीकत फमान कय
यशी शूॊ । करभ की श्ळडक्त शाभवर कयो । इवी वे शय जॊग जीती जा वकती शं । बरे तो बूभभशीनं के घय बूभभशीन शी ऩैदा शोते थे । अफ तो बूभभशीनं के रडके बी ऩढने भरखने रगे शै ।दौनी गाॊल का एक रडका तो करेटय बी फन गमा शै । फेटा मे
श्ळयीय के फर वे नशी करभ के
फर वे शाभवर शुआ शै उवे । खूफ ऩढो भरखो । श्ळशय ऩयदे व जाओ खूफ 186
रूऩमा कभाओ ।मळ कभाओ । दे खना एक ददन मशी फाफू रोग अऩनी जभीन तु्शाये ऩाव धगयली यखेगे । फेचेगे । फाफभ रोगो की ऐवी शी
अय्मावी यशी तो । मे फाफू रोग बख ू ेाॊ भये गे ।करभ की ताकत फटोयो फेटा तुभ अबी । मशी ताकत बरा कय वकती शं ।
नयामन-शाॊ आजी। ठीक कश यशी शो ।आज भं तु्शायी वीख माद यखूॊगा औय दीन दखु खमं बूभभशीनं की बराई के भरमे काभ करूॊगा ।
दखु खमा-ळाफाव भेये रार मशी तभ ु क्मा वभाज के वबी ऩढे भरखो वे
उ्भीद शं ।वफ भभरकय करभकायं की एक पौज फनामे जॊगर जभीन ऩय अऩना कब्जा ऩन ु ् ऩाने के भरमे वॊघऩत कये । तबी दरयद्रता का अभबळाऩ भभट वकता शै ।
शरयशय-शाॊ आजी ठीक कश यशी शो । कर वुखदामी शो इवके भरमे शभं आज वे शी अऩना वॊकल्ऩ वुतनजश्चत कयना शोगा ।
नयामन-शाॊ शरयशय आजी का भत त्रफल्कुर वशी शं । ळयीय की ताकत का
उऩमोग कयने ऩय बभू भशीन लॊधचत रोगं ेा के खण्ड खण्ड शोने का खतया शं । आजी की वराश खूॊटे फाॊधकय यखने रामक शं । त्रफना वॊगठन के
ऩयु ानी शार शोती यशे गी । वफ अऩने अऩने घाल वशराते यशे गे । ककवी को गज बय जभीन नवीफ नशी शोगा ।
दखु खमा-फेटा बभू भशीनं के कल्माण के भरमे करभकाय वॊगदठत शोकय भाॊग कये गे तो जरूय बूभभशीन बूभभ भाभरक फन वकेगे ।
नयामन-शाॊ आजी शभं अऩने रयवते जख्भ के ददत के एशवाव के वाथ दे ळ के औय बभू भशीनं के ददध ्े्य का एशवाव शै ।
दखु खमा- शाॊ फेटा द्धलनोला बाले को बी एशवाव शुआ था । उनके दतु नमा वे द्धलदा शोते शी शार जव के तव शो गमे । द्धलनोला बाले के फाद कोई बी ईभानदायी वे काभ नशी ककमा । वफ अऩना खजाना बयते यशे तबी तो गयीफी बभू भशीनता का द्धऩळाच ऩग ऩग ऩय डॊव यशा शै । नयामन-आजी ददत
तो शै ऩय दला तो नशी भभर यशी । 187
शरयशय-उधभभवॊश फनना ऩडेगा ।
दखु खमा-फेटा गोयो का तो वूयज अस्त शो गमा ।अफ तो अऩनं वे शी अऩने शक की फात कयना शै ।
नयामन-आजी मे कारे अॊग्रेज गोयो वे कभ नशी शं ककवी भामने भे ।
शरयशय-शाॊ आजी श्ळोऩक वभाज चाशता तो दीन दखु खमं की मे शार ना शोती । खारी ऩयती उुवय औय गाॊल वभाज की जभीन शी बूभभशीनं भं
फाॊट दे ता तो बभू भशीन वभाज के वाभने बख ू ो भयने की वभस्मा ना शोती । बूभभशीन भजदयू रोग ऩत्थयीरी फॊजय जभीन अऩने ऩवीने वे वीॊच कय अन्न उऩजा वकते शं।
नयामन-बभू भशीन भजदयू वफ कुछ कय वकते शं।उनको
जभीन भभरे तफ
ना । गाॊल वभाज उुवय फॊजय शय बूभभ ऩय फडे रोगो का शी कब्जा शं फेचाये बूभभशीनं को तो टट्टी ऩेळाफ कयनी की जगश नशी शं ।मश
अभबळाऩ नशी तो औय क्मा शै । इवके भरमे ऩयू ी तयश वे जज्भ ्ेेदाय शं जातीम त्रफखजण्डता ।
नयामन औय शरयशय फाते कयने भं भनन थे इवी फीच र्फू आ गमा औय फोरा नयामन फेटला तु्शाये दादा नशी शै क्मा घ ् कशाॊ गमे
।
नयामन-काका दादा तो त् ु शाये वाथ शी खेत ऩय काभ कयने के भरमे गमे थे । तभ ु आ गमे भेये दादा को कशाॊ बेज ददमे।
र्फ-ू भुझे आमे तो फशुत दे य शो गमी । शो वकता शं बइमा उधभ फाफू की भाताजी वे भभरने गमे शो । ले ळशय वे आमी शं । वुना शं खेत का फॊटलाया जल्दी शोने लारा शं ।बइमा इवी भवरभवरे भं गमे शोगे ।खैय बइमा आ जामेगे तुभ फताओ क्मा तुभ दोनं फततमाते यशते शो ।जफ दे खो तुभ दोनो जैवे ककवी ग्बीय भुद्दे ऩय चचातयत ् यशते शो ।
नयामन-काका तुभ रोग फाफू रोगं के खेत भं शाडपोडकय फेचन ै यशते शो क्मा शभ तभ ु को दे खकय चैन वे यश वकते शं ।
188
र्फ-ू फेटा तुभ रोग अऩने भं फाऩ के ऩवीने को ना दे खो उनके ऩवीने
ऩय खया उतयने का प्रमाव कयो । इवी भं तु्शाये भाॊ फाऩ की खुळी शं । नयामन-शाॊ काका वच कश यशे शो ।आजी बी मशी कश यशी थी ।
शरयशय-शाॊ काका आजी के आॊवू वे बी फशुत आवॊ फश यशे थे । अऩनी औय अऩने जभाने की ऩीडा का फमान कय ।
र्फ-ू शाॊ फेटा फडी भाॊ शी नशी ऩयू ी बूभभशीन वभाज का मशी शार शं ।ना वभाज भं इज्जत शं ना घय भं खाने को अन्न ।मे ज्लरन्त भद्द ु े शभ
बूभभशीनं के जीलन के रयवते जख्भ के ऩयु ाने भलाद शै । इनवे उफयने का कोई कायगय तयीका वाभने नशी आमा । कुछ रोग इव भलाद को
वाप कयने का प्रमाव ककमे तो ले खद ु फेभौत भय गमे । त्रफते जभाने की तुरना भे तो कुछ याशत भशवूव शो यशी शं ऩय घाल तो रयव शी यशा शै ।ना वाभाजजक इज्जत फढी शं ना शी औय कुछ । यश गमे बूभभशीन के बूभभशीन शी । शाॊ वुना शं कुछ उुॊ ची कौभ की रडककमाॊ अऩने कौभ के ओशदे दाय रडकेा वे ब्माश यचाने भं गलत भशवव ू कय यशी शं ।
नयामन-काका भै ब्माश कय बी नशी वकता क्मंकक भेये भाॊ फाऩ ने तो भेया ब्माश आॊख खुरते शी कय ददमा ळामद इवी डय भं ।काका भं
बभू भशीनता औय वाभाजजक अभबळाऩ के खखराप जरूय आलाज फर ु न्द
करूॊगा । बरे शी भझ ु े ळशीद क्मं ना शोना ऩडे बभू भशीन फेफव राचायं को जफान ददराने के भरमे ।
र्फ-ू शाॊ फेटा ठीक कश यशा शं । बूभभशीन दीन दख ु ी रोग कोल्शू के फैर की तयश काभ कयना जानते शं भॊश ु खोरना नशी । मदद भॊश ु खोरे शोते तो आज बूभभशीनता औय वाभाजजक त्रफखजण्डता का नाग शय ऩर नशी
डॊवता ।फेटा मे वाभाजजक फयु ाईमा शी दीन दखु खमं के राचायी के कायण शै ।
नयामन-शाॊ काका फयु ाईमं को फडी चतयु ाई के वाथ जलान यखा जा यशा शं ।मशी फयु ाईमा लॊधचत ऩीडडतं का जीलन नयक फनामे शुए शै। 189
शरयशय-शाॊ काका बूभभशीनता दरयद्रता को वाभाजजक फयु ाईमा शी खाद ऩानी दे यशी शै ।शभायी वयकाये बी तनयीश दे खती यशती शं ।ऩाॊच वार का ददन धगन धगन कय काटने भं औय अऩनी कोयी उऩरब्धता धगनाने भं व्मस्त
यशती शं । फताओ काका आजादी के इतने दळकं के फाद शभ आजाद शं ।
र्फ-ू फेटा कैवे कशूॊ कक शभ आजादा शं ना यशने के भरमे घय शं । ना खाने को अन्न शै । ना ऩशनने के भरमे लस्त्र शं औय ना शी वभाज भं कोई इज्जत ।कैवे
कश दॊ ू कक शभ आजाद शै ।
नयामन-शाॊ काका आजाद दे ळ के आभ आलाभ तक आज तक आजादी
नशी ऩशुॊची शै । नयामन अऩनी फात ऩयू ी बी नशी कय ऩामा कक फदयी की आलाज आमी
अये नयामन की भाॊ कशाॊ शो ।जया फाशय बी दे खा कयो । बंव धचल्रा यशी शं । चाया ऩानी ककवी ने डारा की नशी ।इतने भं नयामन फाशय तनकरा औय फोरा दादा आ गमे कशा गमे ।
फदयी-खखभवमाते शुए फोरा अये आमा नशी तो क्मा तु्शाये वाभने भेया बूत खडा शं ।भवय ऩय वे बव ू ा की गठयी उतायो ऩशरे फाद भं जो कुछ ऩछ ू ना शो ऩछ ू रेना ।
र्फ-ू अये बइमा फेटला ऩय क्मं नायाज शो यशे शो । दे ऩशय वे यात तक
की कभाई भोटयी बय बूवा उऩय वे इतनी नायजगी ।अच्छी फात नशी शै ।
फदयी-अच्छा तो तू मशी फैठा शै ।
र्फ-ू शाॊ बइमा तुभ तो जानते शा शो भजदयू ी फाफू रोगेा के खेतेा भं
खाना वोना अऩने घय फाकी वभम भं तो मशी भभरता शूॊ । कशाॊ चरे गमे थे बइमा । फदयी-क्मा फताउूॊ । गमा तो उधभ की भाॊ वे भभरने ।
190
र्फ-ू बइमा फढ ु ौती का ख्मार यखे । घय भं बौजाई शं तुभ ऩयाई औयतो वे भभर यशे शो ।
फदयी-क्मं फच्चं के वाभने भजाक कय यशा शं । तू तो जानता शै कक भं ककव काभ वे गमा था ।
र्फ-ू अच्छा छोडो भजाक की फात फताओॊ शुआ क्मा । कफ उधभ फाफू की जभीदायी का फॊटलाया शो यशा शै । उधभ फाफू की भाॊताजी ने कुछ तो फतामा शोगा ।
फदयी-फशुत जल्दी । मशी तो वारो वे वुनते आ यशा शूॊ ।फदु ढमा खुस्वट आभ नीफू जाभुन तोडने के भरमे रगा दी ।एक फोया नीफू आभ औय कभ वे कभ दव ककरो जाभन ु तोडकय पारयक शुआ तफ तक शुक्भ पयभा दी कक वभधधमाने ऩशुॊचा दो । ऩोता ऩोती औय ऩतोशू लशी शै ।चाय कोव दयू ी गमा औय आमा श्ळाभ शो गमी । शलेरी आमा तो फदु ढमा खुस्वट उधभ की भतायी फोरी ऩशुॊचा ओम फदयी फशुत दे य कय ददमे ।भेया ददभाग खयाफ शो गमा कश ददमा इतनी जल्दी थी तो जशाज वे बेजला दे तीॊ
।चरने रगा तो फोरी नायाज क्मं शोते शो फदयी गमे ढे य ददन फचे शै औय थोडे ददन ना जान कफ भय जाउूॊ । भै बी लैवे शी रूखे स्लय भं
फोरा दतु नमा भयती शं । मशाॊ कोई अभय शं क्मा ।कोई वख ु द्धलराव कय भय यशा शं शभाये जैवे अनेको ऩेट भं बख ू औय भन भं आव रेकय भय यशे शै । कशकय चरने रगा तो उवकी वोई आत्भा जग गमी फोरी
गोदाभ वे बूवा फाशय तनकर यशा शं ।बूवा दफाकय टाटी रगा दो एक
भोटयी बव ू ा बी रेते जाओ बंव को खखरा दे ना । दोऩशय वे यात तक की मशी भजदयू ी शै र्फू तुभ ठीक कश यशे शो ।
र्फ-ू उधभफाफू के आने के फाये भं कुछ नशी फतामी ।
फदयी-फोर तो यशी थी उधभ जल्दी आने लारे शं औय फाकी दशस्वेदाय बी इव भशीने तक जभीदायी के टुकडे टुकडे शो जामेगे कश कय भाथा ऩकड री । भं बूवा की भोटयी उठामा चरा आमा । नयामन अऩनी भाॊ वे 191
फोरो धचरभ चढा रामे औय तुभ एक रोटा ठण्डा ऩानी राओ फशुत जोय की प्माव रगी शै । फशुत थक गमा शूॊ ।गुराभी तो जी का जॊजार फन गमी शै । ऩन्द्रश
वाभी अये लाश ये फदयी ळेय तुभने तो अऩना औय
इव फस्ती का योळन
कय ददमा।अबी तक तो इतनी तयक्की इव फस्ती का कोई भजदयू नशी कय ऩामा था ।तभ ु ने तो वाये रयकाडत तोड ददमे ।
फदयी-क्मा कश यशे शो वाभी बइमा भं तो कुछ वभझा शी नशी । ककव
तयक्की की फात कय यशे शो । दतु नमा दे ख यशी शै भं शी नशी इव फस्ती
के वबी भजदयू अभबळाऩ का जशय ऩी यशे शं । भं कौन वी तयक्की कय
गमा कक भुझे भारूभ नशी औय तुभ बइमा प्रळॊवा के ऩर ु फाॊधे जा यशे शो ।
वाभी-तुभ रोग कफ तक भुझे ऩागर वभझते यशोगे ।भुझे ऩागर फनाने
लारे भय गमे ।खैय अभबळाद्धऩत जीलन तो भं औय इव फस्ती के रोग शी नशी ऩयू े दे ळ भं अऩने लॊधचत बूभभशीन वभाज के रोग जीने को फेफव
शै। भै अफ ठीक शूॊ फदयी तुभ रोग भेयी वशी फात को बी ऩागर की फात भान रेते शो ।भं वफ वभझता शूॊ ।भेयी फात ऩय मकीन क्मो नशी कयते भं वच कश यशा शूॊ त् ु शाये इतना धनी इव फस्ती भं तो कोई नशी शै। धन वे फशुत फडा धन तुभने कभामा शं ।दतु नमा का कोई बी ऐवा धन नशी जजववे तु्शाये धन को खयीदा जा वके । फडे ककस्भत लारे शो
फदयी फशुत फशुत फधाई ...... वाभी फदयी की तायीपं का ऩर ु फाॊध यशा था । इवी फीच नयामन आ
गमा । वाभी नयामन को गरे रगाकय योने रगा औय फोरा फेटा नयामन मे दख ु के नशी खुळी के आॊवू शं। तुभने आखखयकाय जॊग जीत शी भरमा ।त् ु शायी इव जीत भं त् ु शाये तनयषय
औय भजदयू भाॊ फाऩ का फशुत फडा शाथ शै ।भाॊ फाऩ को कबी बी कोइर दख ु भत ऩशुॊचने दे ना फेटा । 192
नयामन-वाभी का ऩैय छुआ ।
वाभी नयामन के भवय ऩय शाथ यखकय फधाईमाॊ दे ने रगा। फेटा वफ भुझे ऩागर वभझते शं ऩय भं शूॊ नशीॊ । नयामन-काका तुभ कबी बी ऩागर नशी थे तुभको तो वाभाजजक
त्रफखजण्डता के लळीबूतं ने ऩागर फना ददमा था ।काका तुभको फशतु
प्रताडडत ककमा शं तथाकधथत उुॊ चे रोगो ने ।मशी तथाकधथत उुॊ चे रोग त् ु शाये ऩागरऩन के कायण थे ।अफ तभ ु ठीक शो गमे शो काका भै
जानता शूॊ । तु्शाये जैवी फाते तो अच्छे अच्छे रोग नशी कय ऩाते क्मा कोई ऩागर सान की फाते कय वकता शै ।काक ेातुभ ऩागर नशी शो वकते । तभ ु को ऩागर कशन लारे शी ऩागर शं ।
वाभी-दे ख फदरयमा तेया फेटा भुझे ऩागर नशी वभझता औय तू भुझे
ऩागर वभझकय आऩने ऩाव बी नशी फैठने दे ता। वभझ रे आज वे भं ऩागर नशी शूॊ । भुझे भाय भाय कय ऩागर फना ददमा गमा था ।भेयी इज्जत औय दोनो रट ने ।भेया दख ू भरमा फाफओ ू ु दयू शो गमा मश
जानकय कक भजदयू का फेटा नयामन लकारत की ऩयीषा ऩाव कय गमा । फशुत फशुत फधाइरमां नयामन फेटा तुभको औय तु्शाये भाॊ फाऩ को बी ।नयामन फेटा तभ ु ने इव फस्ती का नाभ योळन कय ददमा ।फदयी शै कक अऩने को ककस्भत लारा शी नशी भान यशा शं । वच फदयी तभ ु फडे ककस्भत लारे शो ।
फदयी-अये वाभी बइमा वीधी वाधी फात इतना घभ ु ा कपयाकय कश यशे शो
फडे फडे गच्चे खा जामे शभ कशाॊ रगते शं । तभ ु ठीक कश यशे शो । शभ शै ककस्भत लारे ।बरे शी जफ वे आख ख ्ेुरी दव ू यो को गोफय पेका
भेशनत भजदयू ी ककमा ।अफ भं बी गलत भशवूव कय यशा शूॊ कक भं बी एक ऩढे भरखे फाऩ का फेटा शूॊ ।इतना फडा वुख तो वुआर फाफू को नशी भभरा उनका फेटा उधभ फी.ए. ऩाव बी फडी भजु श्कर वे कय ऩामे ।जान ऩशचान थी फदढमा नौकयी भभर गमी । खेत ऩयती ऩडा शं ले श्ळशय भं 193
ऐव कय यशे शं । शभ बूख भय यशे शं इव आव भं कक उनकी जभीदायी फॊटे तो शरलाशी कय ऩरयलाय ऩारूॊ । फाय फाय मशी वन्दे ळ आता शै कक
अगरे भदशने खेती फॊट जामेगी । दव ू ये की शरलाशी बी नशी कयने दे यशे शं क्मा जफतदस्ती शं घ्फडी भुजश्कर वे ददशाडी की भजदयू ी वे योटी का
इॊतजाभ शो यशा शं । उधभ फाफू को शभायी जया बी ऩयलाश नशी शं ।उन्शे तो फव फाऩ दादा के जभाने लारा भजदयू चादशमे । बरे शी लश भजदयू बख ू ं भय जामे ।
वाभी-थोडे ददन की औय फात शं फदयी । तु्शाया आधथतक अभबळाऩ जल्दी शी कट जामेगा । भेयी एक फात खूॊटे गदठमा रो नळाखोयी फन्द कय दो । फेटला की इज्जत का ख्मार यखो ।फेटला लकीर शो गमा शै चाशे तो लकारत कये मा नौकयी । शय षेत्र भं वपर शोगा । अच्छे रषण शै
।फदयी भै तुभको उव ददन वे दे ख यशा शूॊ जफ तु्शायी आॊख बी नशी ऩयू ी तयश वे ख ्ेुेारी थी औय तुभ गोफय के टोकये भवय ऩय रादकय वआ ु र फाफू के घयु मा खेत भं पंकने रे जाते थे । वआ ु र फाफू के दादा के
जभाने वे फॊधल ु ा भजदयू शो उधभ फाफू के इवीभरमे ले तुभको अऩने जार भं पॊवामे यखकय अऩना रूतफा वभझते शै।
फदयी-शाॊ बइमा माद शै रगता शै कर की शी फात शै । कुछ बी नशी
बर ू ा शं ।बगलान थोडी औय भदद कय दे भेये फेटला को अच्छी वी नौकयी दे दे ।भेये फेटला को बगलान दमालान फनामे यखे ताकक लश दीन दखु खमं के आॊवू ऩोछ वके ।
वाभी-बगलान ने धन वे फडा धन तो दे शी ददमा शं ।धन बी दे दे गा ।
फदयी तु्शायी आधी भुवीफत तो बगलान ने शय भरमा शं । फाकी बी शय
रेगा ।नयामन इव भजदयू फस्ती का उगता शुआ वूयज शो गमा शै ।वबी की उ्भीदे नयामन ऩय रगी शै कक कफ लश फडा आदभी फने औय फडे वे फडे अपवयं की नजय इव भजदयू फस्ती ऩय ऩडे औय इव फस्ती का कामाकल्ऩ शो जामे ।
194
फदयी-मश तो बगलान की भजी शै कफ ऩयू ी कयता शं दरयद्र नायामणं की उ्भीदं ।
वाभी-नयामन ऩयदे व जाने की फात कय यशा शं तो अफ जाने दो ।नौकयी
कयते शुए बी फडी वे फडी डडग्री शाभवर कय वकता शै ।फदयी फाफू रोगं की गुराभी वे उफयना शै तो शय भजदयू को अऩने रडकं को ऩयदे व
बेजना शोगा । अऩना नयामन तो फशुत ऩढा भरखा शै। ककवी ना ककवी दपतय भं फडा अपवय फन जामेगा । फदयी त् ु शाये फयु े ददन फीती फात शोकय यश जामेगे ।
फदयी-शाॊ बइमा भेयी फदनवीफी के श्ळुरूआती ददनं के तुभ गलाश शो ।फाऩ के भयते शी भं अनाथ शो गमा । भजफयू ी भं वआ ु र फाफू के
जानलयो का गोफय पंकने का काभ भाथे आ ऩडा जफकक भं खुद अऩना फोझ नशी ढंने रामक था वुआर फाफू की फॊधआ भजदयू ी के फोझ तरे ु दफ गमा । इवके भवलाम कोई उऩाम बी तो न था ।आज भेया फेटा
लकारत का इ्तशान ऩाव शो गमा । कुछ तो दीनता के फादर छॊ टे गे । कशते कशते फदयी की आॊखे बी आमी ।
वाभी- फदयी आॊवूॊ न फशाओॊ खुळी के भौके ऩय । अये अफ तो तु्शाये
भस् ु कयाने के ददन आ यशे शं । तभ ु दीनता के फादर छॊ टने की फात कय
यशे शो । बगलान ने चाशा तो त् ु शायी आधथतक अभबळाऩ कट जामेगा ।शाॊ वाभाजजक अभबळाऩ तो इतना जल्दी नशी कटने लारा शै औय ना शी मे त्रफखजण्डत वभाज के रोग कटने दं गे ।फदयी तु्शायी तऩस्मा वपर शो
गमी ।दे खो ना फेटला के लकारत कयते शी फस्ती के ले रोग बी तभ ु को वराभ कयने रगे शं जो तु्शायी तयप दे खते ना थे ।
फदयी-फात तो ठीक कश यशे शो ।फस्ती के रोग शी नशी फाफू रोग का बी नजरयमा फदरा फदरा नजय आने रगा शं । बइमा
भुझे फेटला की लजश
वे व्भान भभर यशा शं । फेटला ने शी तो वफ कुछ ककमा शं भंने क्मा ककमा ।भं तो शयलाशी चयलाशी कयके दो योटी का इन्तजाभ कय रेता शूॊ 195
फव मशी ना ।खुद की ऩढाई का खचात फेटला ने शी उठामा शं । छुट्टी के ददनं भं भजदयू ी बी कय रेता शं ।घय की शयलाशी की खेती फेटला
व्बार रेता शं । फेटला की ऩढाई भं वयकायी लजीपे का बी फडा शाथ शै। बगलान बरा कय उन रोगं का जो शभ दीनशीनं के फच्चं ेा के
ऩढने के भरमे लजीपा ळुरू कयलामा ।फडी तकरीप फेटला उठामा शै भेये वाथ ।भं तो फेटला की लजश वे जाना जाने रगा ।इव फस्ती के रोग
औय फाफू रोग भझ ु े दे खकय द्धलऩलाण छोडते थे ।आज उन्शी रोगं का नजरयमा फदर यशा शं ।
वाभी-फदयी जजतने फडे रोग शुए शं वफ दख ु दरयद्रता का अभबळाऩ झेरकय शी शुए शं ।चाशे अभेरयका के इब्रादशभ भरॊकन शो मा अफ्रीका के नेल्वन भण्डेरा मा अऩने दे ळ के वॊद्धलधान तनभातता डाॊ० अ्फेडकय ।मे
वबी अऩनी भेशनत रगन वे शी भळखय ऩय ऩशुॊचे शं औय आज दतु नमा ऩज ू ा कय यशी शै । ळाजन्तदे ली-ठीक कश यशे शो बइमा भेया फेटा नयामन बी कबी काभ को छोटा नशी वभझा । भेशनत भजदयू ी बी ककमा ।आज भेये ऩरयलाय का नाभ योळन कय
ददमा । भेये खानदान का ऩशरा ऩढा भरखा रडका शै ।
वाभी-नयामन की भाॊ फेटला त् ु शाये खानदान का शी नशी इव ऩयू ी फस्ती का ऩशरा इतना ऩढा भरखा रडका शै ।भं तो शय रडके वे मशी आग्रश
कयता शूॊ कक नयामन की तयश फनो । फदयी-बगलान फेटला की तकदीय भं बयऩयू तयक्की भरख दे । मशी दआ ु शं भेयी । ताकक अऩनी फढ ु ौती के ददन अच्छे वे कटे ।फशुत अबाल बया जीलन जी भरमा शै ।फेटला की तयक्की दे खकय चैन वे भय वकॊू गा । वाभी-तकदीय तो आदभी खुद भरखता शै फदयी। फेटला ऩढता नशी तो
क्मा लकारत की डडग्री खुद चरकय आती।नशी ना ।तकदीय ऩाऩ ऩण् ु म का बम तो
वत्ता के बख ू ं की दे न शं ।मशी अॊधद्धलश्वाव वाभाजजक
अभबळाऩ का कायण शै ।शभ गयीफ शै । वाभाजजक अभबळाऩ झेर यशे शै 196
। इवके भरमे आदभी कवूयलाय शै। बगलान नशी ।फदयी ऩढे भरखे फेटे के फाऩ शो ।फायीकी वे वोचोगे तो वफ भामाजार वाप शो जामेगे ।मे
जाततऩाॊतत का भ्रभजार रोगो ने अऩने पामदे के भरमे फन ु े शै ।जजव
ददन जाततऩाॊतत औय आधथतक अभबळाऩ खत्भ शो जामेगा मे वत्ताधीळ भुॊश
तछऩाते कपये गे । मशी कायण शै कक कोई वाभाजजक त्रफखजण्डता को एकता भे फदरने के भरमे आगे नशी आ यशा शं । इवभं वत्ता वुख जो तछऩा शै ।शभाये भाथे अभबळाऩ वत्ताधीळं की चाॊदी शै ना ।
फदयी-शा बइमा वच कश यशे शो ।भं बी वभझता शो अभबळाऩ के
भन्तव्म को । इवी लजश वे रोग शभायी तकदीयं ऩय कब्जा फनामे शुए शै। अये शभ बी तो लैवे शी ऩैदा शुए शं जैवे फाफू रोग ऩय शभ बभू भशीन कैवे शो गमे ।शभ जन्भजात अभबळाद्धऩत नशी शं । त्रफखजण्डत वभाज ने शभं अभबळाद्धऩत कय ददमा शं । ऩढ भरखकय शी खूनी ऩॊजं वे खेततशय बूभभशीन भजदयू ं की तकदीय को आजाद कयामा जा वकता शै । वाभी-अफ ककमे ना लकीर के फाऩ की तयश वे फात ।
ळाजन्तदे ली-क्मा ऩढते ऩढते भेया फेटा लकीर शो गमा ।
वाभी-शाॊ अफ नयामन फेटा लकीर शो गमा शं ।दीनशीन बूभभशीनं की
लकारत फेखौप कये गा अफ अऩना नयामन ।आगे अऩनी फात फढाने लारे भखु खमा की जरूयत थी । अफ अऩने लकीर वाशे फ मश जज्भेदायी तनबामंगे ।
फदयी-अये ऩशरे फेटला को अऩने ऩाॊल ऩय खडा तो शोने दो ।अबी वे इतनी फडी जज्भेदायी कभजोय कॊधं ऩय यख यशे शो ।
ळाजन्तदे ली-भेया फेटला लकीर फन गमा भुझे ऩता शी नशी ।फेटला जो इ्तशान ऩाव ककमा शं । उवके ऩावव शोने वे लकीर शो गमा ।
वाभी -शाॊ नयामन की भाॊ ठीक वोच यशी शं ।लकारत का इ्तशान ऩाव ककमा शं फेटला छोटा भोटा इ्तशान नशी ।
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ळाजन्तदे ली-अऩने तो बाग फदर गमे नयामन के दादा ।अऩना फेटला कारी कोट ऩशनकय दीन बूभभशीन गयीफं के जल् ु भ के खखराप जज रोगो के वाभने फशव कय न्माम ददरलामेगा ।
वाभी-शाॊ नयामन की भाॊ ।लकारत कयते कयते एक ददन फेटला फडा जज बी फनेगा ।
ळाजन्तदे ली-भेया फेटा पैवरा बी कये गा ।
वाभी-शाॊ नयामन की भाॊ वच कश यशा शूॊ । ळाजन्तदे ली-नयामन के दादा तुभ बी तो कुछ फोरे मे वाभी बइमा क्मा कश यशे शै ।
फदयी-ठीक कश यशे शै ।शभ बी आज शी जाने शं ।शभ तो अऩने फेटला को शी नशी जान ऩामे भेशनत भजदयू ी कयते कयते लकीर फन गमा तो क्मा लकारत कयते कयते जज नशी फन जामेगा । बगलान भदद कयना भेये फेटला की ।
वाभी-शा फदयी नयामन त् ु शाये खानदान का खेलनशाय फनेगा औय फस्ती
का बी नाभ योळन कये गा ।मशी बगलान वे भेयी काभना शै । फेटला खूफ तयक्की कये ।
फदयी श्ळाजन्तदे ली औय वाभी गन ु गन ु ी उल्राव का ऩर ु ाल खा यशे थे ।
इवी फीच नयामन आ गमा ।नयामन को दे खकय श्ळाजन्तदे ली फोरी कशाॊ वे आ यशे शो फेटा । तेयी तायीप कय कय शं ।
वाभी बइमा थक शी नशी यशे
नयामन-कैवी तायीप भाॊ ।
ळाजन्तदे ली-तू लकीर जो फन गमा शं । अऩनी फस्ती का वफवे अधधक
ऩढा भरखा शोने का खखताफ वाभी बइमा तुभको दे यशे शै ।काळ ऐवी शी योजी योजगाय भं बगलान तयक्की कय दे ।
नयामन-भाॊ वफ बगलान शी दे गा तो आदभी क्मा कये गा । बगलान ने
वोचने वभझने की श्ळडक्त के वाथ भजफत ू फाजू तो आदभी को दे ददमा 198
शं ।शाॊ मे फात अरग शै कक कुछ रोग ताकत का गरत पामदा उठाकय अधधक रोगो की दीनता फख्ळ दी शै ।
वाभी-त् ु शाये फात कयने का अन्दाज शी तो तनयारा शं फेटा नयामन तबी तो ऩयू ी फस्ती
के रोगो के फीच तु्शायी चचात शो यशी शै ।
नयामन-भेयी चचात क्मं घ ्
वाभी-फस्ती भं शी नशी फाफू रोगो के फीच बी । क्मा जातत क्मा
ऩयजातत वबी त् ु शायी चचात कय यशे शं । फेटा तभ ु ने तो फस्ती का नाभ योळन की ददमा ।
नयामन-काका भंने कौन वा ऐवा काभ कय ददमा कक फस्ती का नाभ
योळन शो गमा । भैने तो अबी ऐवा कुछ बी नशी ककमा शं । नशी अबी भेये ऩाव ऐवा कुछ कयने का वाभथ्मत बी शै । क्मं वबी के फीच भेये नाभ की चचात शै ।
वाभी-भजदयू का फेटा लकीर जो फन गमा । फेटा भं एक फात ऩछ ू ूॊ । नयामन-ऩछ ू ो ना काका क्मा फात ऩछ ू यशे शो ।
वाभी-फेटा ऩयदे व जाने को क्मा कश यशा शं । जजरे की कचशयी भं लकारत क्मं नशी कय रेते । नयामन-काका तयक्की
के भरमे फाशय तनकरना शोगा ।लकारत की जगश
भं नौकयी तराळना चाशता शूॊ।तबी भेये ऩरयलाय का अभबळाऩ कटे गा । लकारत भं ऩैय जभाने भं लक्त रगेगा काका । शभाये ऩरयलाय की ऐवी
जस्थतत फशुत दमनीम शै ।कुछ तछऩा तो नशी शै काका ना तुभवे औय ना फस्ती लारो वे शी । वाभी-शाॊ फेटा जानता शूॊ ।अऩने भाॊ फाऩ को दतु नमा का वुख दो । चाशे जशाॊ यशो ।तु्शाये भाॊ फाऩ ने तो फडा अपवय फनाने का वऩना वजोमे शुमे शै । बगलान शय वऩना ऩयू ा कये । मशी भेयी ददरी ख्लादशळ शै ।
199
नयामन-काका ऩयदे व जाने ऩय शी भारूभ शोगा क्मा फन ऩाता शूॊ । गाॊल भं तो शभ बूभभशीनं के भरमे तो फाफू रोगं के खेतं भं शाड पोडने के अराला औय कोइर काभ नशी शै। ऩयदे व तो जाना शी शोगा ।
ळाजन्तदे ली-फेटा इतनी जल्दी क्मा शै ऩयदे व जाने की घ ् नतीजा आमे भशीना बी नशी शुआ ।ऩयदे व जाने की फात कय यशे शो । फेटा तुभवे त्रफछुडने का गभ कैवा ढो ऩाउूॊ गा । नयामन-भाॊ आधथतक अभबळाऩ ऩयदे व जाने वे शी कटे गा ।
फदयी-फेटा तुभको शभ नशी योकेगे । ऩयदे व जाना मा द्धलदे ळ चाशे जाना
जशाॊ तु्शाया बद्धलप्म फनने की उ्भीद शो । शभ तो ठशये अनऩढ गॊलाय
।शभं तो इतनी वभझ बी नशी शं ।।त् ु शायी ऩीडा भं वभझ यशा शै । घय
ऩरयलाय के फोझ वे तुभ द्धलचभरत शो ।क्मा कये वाभाजजक त्रफखजण्डता के अभबळाऩ ने शभ दीनशीन बूभभशीन रोगं की तकदीय को बी कैद कय
भरमा शै। ऩढ भरखकय श्ळशय ऩयदे व जाने वे शी मश अभबळाऩ कभ शो वकता शै । फेटा अच्छे भश ु ू तत भं जाना । नयामन-दादा वफ बगलान के
ददन शं । कबी बी जाओ कोइर पकत नशी
ऩडता ।कोई ददन फयु ा नशी शोता ।वफ ढकोवरा शै । दादा तु्शायी फात को भं काट कैवे वकता शूॊ ऩय ढकोवरा वे भझ ु े दयू यशने दे ना । कुछ ददन औय ठशयकय चरा जाउूॊ गा ऩयदे व । नयामन अऩनी फात ऩयू ी बी नशी कय ऩाम था कक शरयशय- अये का जा
यशे शो बइमा नयामन कशते शुमे घय भं आ गमा । वाभी-कशाॊ जामेगे त् ु शाये बइमा शरयशय ।अऩनी फस्ती का वफवे अधधक
ऩढा भरख भजदयू का फेटा ऩयदे व जामेगा औय कशा जाॊमेगा । फाफू रोगं का शर तो नशी जोतेगा। तुभ बी शरयशय एक ददन जरूय फस्ती छोडेगे । इवी भं बराई बी शं ।तबी इव भजदयू फस्ती का उध्दाय व्बल शं । फाफू रोगं का शर जोतने भं अफ तक तो कोई उध्दाय नशी शुआ शं
200
।जल् ु भ के भळकाय शभ भजदयू जरूय शुए शं ।भं तो चाशता शूॊ फस्ती का शय फारक ऩढ भरख कय ऩयदे व जामे फडा अपवय फने ।
शरयशय-शाॊ काका ऐवा शी शोगा । कोई बी भजदयू का फेटा ऩढ भरखकय
फाफू रोगं की गुराभी नशी कये गा । दे खना काका ओ ददन बी आमेगा । जफ मे खून चव ू ने लारे फाफू रोग खुद शर जोतेगे । इतना शी नशी शभ भजदयू ं के बी शर जोतेगे । आटा तो ऩीव शी यशे शं । काका नयामन
बइमा को ऩदली तो भभर जाने दो दे खना रोग झक ु कय वराभ ठोकेगे ।बइमा लकारत इवभरमे नशी कयना चाश यशे शं क्मंकक लकारत का
काभ जभने भं लक्त रगेगा काका काकी कफ तक ऩेट भं बूख ददर भं
आव भरमे जीमेगे । बइमा का तो द्धलचाय था लकारत कयने का ऩय घय की दळा वे द्धलचभरत शं । खैय बइमा को ककवी फडी क्ऩनी भं रेफय
आकपवय की भभर जामेगी । बइमा के रेफय आकपवय फनते शी फस्ती के औय रडके क्ऩनी भं बती शो वकेगे । भेया बी ख्मार यखना नयामन बइमा ।
नयामन-शाॊ क्मं नशी । ऩशरे नौकयी तो भभर जाने दो । ळाजन्तदे ली-रेफय अपवय क्मा शोता शं शरयशय ।
शरयशय-वबी फडे फडे दपतयं औय क्ऩतनमं भं रेफय अपवय शोता शै।
।क्ऩनी का वफ काभ उवकी दे खये ख भं शोता शै। फडा ऩदाधधकायी शोता शै ।
फदयी-बूभभशीन का फेटा काभ कयलामेगा कुवी ऩय फैठकय फाफू रोगो की तयश क्मा ।
शरयशी-फाफू रोग तो खून चव ू ने लारे शोते शं । रेफय आकपवय भजदयू ं के
कल्माण का बी काभ कयता शं । उनके शय दख ु वुख का ख्मार यखता शं । फडा ऩद औय फडी जज्भ ्ेेेादयी का काभ शोता शं रेफय आकपवय का ।
201
ळाजन्तदे ली-फेटा तुभ फाफू रोगं जंवे काभ नशी कयलाना । नशी शी ककवी
भजदयू को कोई तकरीप दे ना । भजदयू ं की आश कशी नशी जाती । खूफ दआ ु मं फटोयना फेटा ।
नयामन-शाॊ भाॊ । कबी ककवी कभजोय को दख ु नशी ऩशुॊचने दॊ ग ू ा । भै जानता शूॊ भजदयू की ऩीडा को । भाॊ तु्शायी आॊखं भं बी भै।ने आवूॊ दे खा शै। ना जाने ककतने लॊधचत भजदयू ं की आॊखं वे आज बी ढयाढय आॊव फश यशे शं । भं बयवक प्रमाव करूॊगा आवॊू ऩोछने का । भाॊ द्धलश्वाव यखो ।
ककवको दआ ु मे दे यशी शो बौजाई कशते शुए र्फू बी घय भं आ गमा । र्फू को दे खकय फदयी फोरा आज जा त् ु शायी शी कभी थी लश बी ऩयू ी शो गमी ।
र्फ-ू बौजाई ककवकी फात चर यशी शै।
ळाजन्तदे ली कुछ फोरती उवके ऩशरे शरयशय फोर उठा बाली रेफय आकपवय की काका ।
र्फ-ू क्मा नयामन के भरमे रेफय आकपवय की ऩोजस्टॊ ग का आदे ळ आ गमा क्मा ।
नयामन-काका तभ ु बी ळरू ु शो गमे । फात कयने बय वे कोई अपवय फन जाता शै क्मा । लैकेन्वी तनकरती शै ।ऩयीषा शोती शं । इण्टयव्मू शोता शं । इवके फाद ज्लाइतनॊग का आदे ळ आदे ळ आता शै
मदद वायी ऩयीषामं
ऩाव कय गमे तो । काका ऩाव शोने ऩय बी आजकर नौकयी नशी भभर ऩाती शै ।
र्फ-ू क्मा । अच्छा वभझ गमा घव ु खोयी की लजश वे । छोटे भोट भास्टयं की बती के भरमे राखो रूप्मे का घव ु रग यशा शै।
नयामन- काका न तो अऩने ऩाव ऩैवा शै घव ु दे ने के भरमे नशी कोइरय ्
प्रमाव करूॊगा घव ु खोयो वे काभ कयलाने के भरमे । ककस्भत भं शोगी तो नौकयी भभरेगी नशी तो लकारत का यास्ता तो शं । 202
र्फ-ू फेटा रेफय अपवय का ओशदा फशुत फदढमा शोता शं ।वभाज वेला का काभ कयो अच्छी तनख्लाश बी रो । भानता शूॊ जज्भ ्ेेेादायी का काभ शं ।कुछ अपवयं को तो कभतचाय रोग रोग दे लता की तयश ऩज ू ते शै । कुछ की ळक्र बी नशी दे खना चाशते । शरयशय-ऐेवा कैवे कश यशो शो काका । र्फ-ू अये भं
क्रूय अधधकयी को जानता शूॊ । शरयशय-तभ ु तो क्ऩनी नौकयी ककमे शी नशी कैवे जाने गमे ।
र्फ-ू अये भेयी चाम की दक ु ान के ऩाव एक दपतय था ।दपतय का जो शे ड वाशे फ था फशुत घदटमा ककस्भ का इॊवान था । कभतचायी शो मा अधधकायी वफ ऩय यौफ जभाता था जैवे ककवी जभाने भं भश ु ्भद गौयी ने जभामा था । औय बी क्रूय ळावको ने जभामा था बौजाई तू तो मे
जान रे कक अऩने गाॊल के फाफू रोगो की तयश का था लश अपवय ।कभ
ऩढा भरखा था श्रेप्ठता की लजश वे फडा अपवय फन फैठा था । कभतचायी रोग भेयी चाम की दक ु ान ऩय आते थे । उवकी फात कयते कयते उनकी आॊखे बय आती थी । कवाई ककस्भ का था लश अपवय । दे खने भं तो
फशुत वुन्दय था गोया धचट्टा ऩय भन वे उतना शी कारा बी ।दपतय के कभतचारयमं को कशता वारे चाम ऩीने आते शै काभ कयते नशी । अऩने वे ज्मादा ऩढे भरखे फाफू रोगो वे अऩने कभये की टे फर ु कुवी औय
कभया वाप कयने को कशता था । दै तनक लेतन बागी चऩयावी वे अऩने
घय का काभ कयलाता । इतना शी नशी उवकी भाॊ वे एकदभ कभ ऩैवे भं झाडूॊ ऩोछा औय रैदट्यन फाथरूभ वाप कयलाता । उवकी भाॊ आॊखं भं आॊवू भरमे काभ कयती
इव आळा भं की उवके फेटे की नौकय रग
जामेगी । चऩयावी खडेन्द्र को छुदट्टमं के ददन बी अऩने घय का काभ कयलाता वुफश वे यात तक घये रू नौकय की तयश। बूख प्मावे फेचाया
गयीफ काभ कयता । कबी चाम तक को बी नशी ऩछ ू ता । फेचाया खडेन्द्र
203
भेयी दक ु ान ऩय आकय कबी कबी योने रगता था ।कशता काका भं काभ नशी कयता तो
फडे वाशे फ चोयऩार भेयी भाॊ वे काभ कयलाते शै ।
वाभी- मे तो अधधकायी के गण ु नशी शं खख ू ाय जभीदयं जैवे गण ु शं मे तो र्फू ।वचभुच कोई शैलान ककस्भ का तो ओ अधधकायी क्मा नाभ फतामा था ।
र्फ-ू चोयऩार ।
वाभी- लश तो गयीफं का दश्ु भन था ळैतान कशी का ।बगलान कये उवको जीते जी कीडे ऩडे ।गयीफो को आवूॊ दे कय कफ तक वुखी यशे गा । लश
ववुयला यक्त के आॊवू जरूय योमेगा कबी ना कबी । खानदानी जभीदॊ ेाय शोगा चोयऩार तबी गयीफं के आॊवू वे भौज कयना उवे आता था ।
र्फ-ू शाॊ काका लश कौअे जैवे भतरफी था ।फडे वाशे फ रोगो के वाभने कुत्ते जैवे दभ ु दशराता था ऩय कभतचारयमं के भरमे फफय श्ळेय था । वाभी-शय जगश मे ळैतान वंध भाय रेते शै। भेया फेटा नयामन
इततशाव
यचेगा ।दीन दखु खमं के कल्माण के भरमे काभ कये गा । वलतवभानता के भरमे दृढ वॊकजल्ऩत यशे गा ।लॊधचत वभाज के रोग अन्माम नशीॊ कयते।
फाफू रोगो ने फशुत अन्माम ककमा शं शभ भजदयू ं के वाथ । भजदयू ं के फच्चे फडे फडे ओशदे ऩय ऩशुॊचकय बी जल् ु भ नशी कये गे औय नशी फाफू
रोगो के ऩदधचह्नों ऩय चरेगे क्मंकक भजदयू के रारं को ददत का एशवाव शोता शं । बूख का एशवाव शोता शं । दव ू यं को आवूॊओॊ का भोर बी ले अच्छी तयश वे वभझते शं । भजदयू ं की राज फचामेगे नशी तो क्मा
आतॊक भचाने लारे जल् ु भ ढाशने लारे फाफू रोगो की तयश कये गे । मदद ऐवा शुआ तो जल् ु भी औय शभाये फच्चं भं क्मा अन्तय शोगा । नयामन-शाॊ काका तु्शायी उ्भीद ऩय खया उतरूॊगा नौकयी भभर तो जामे ।
204
र्फयू ाभ-फेटा नौकयी तुभको फशुत फडी भभरेगी । वायी फस्ती के भजदयू दआ ु कय यशे शं । तु्शाये भाॊ फाऩ तो तु्शाये ऩैदा शोने वे ऩशरे वे शी तऩस्मा ळरू ु कय ददमे शै ।बगलान तो इतना तनदतमी नशी शो वकता ।
नयामन-शाॊ काका वफ जानता शूॊ ।भेये भाॊ फाऩ गयीफी की आग भं वुरग कय बी शभं ऩढामा भरखामा ।जभाने भं भवय उठाकय चरने रामक फनामा ।भाॊ फाऩ के आवूॊ जीते जी तो नशी बूरेगे काका ।
ळाजन्तदे ली-भेये रार तू अऩने ऩैय ऩय खडा शो जा भेये जीलन की मशी
तभन्ना शै । फीते को त्रफवाय दे फेटा ।शभ तो तुभको दे खकय शी खुळी
खुळी दमनीम जीलन को बी जीमा शै । तुभको शभने कौन वा वुख ददमा शं तभ ु ने बी तो भेशनत भजदयू ी कयके इतनी फडी डडग्री शाभवर कय
शभाया भान फढामा शै फेटा ।तेयी भेशनत का इनाभ बगलान ने तो ददमा फडे वाशे फ की नौकयी दे कय एक औय भेशयफानी कय दे ते तो जीलन बय
का बोगा शुआ दख ु वुख भं फदर जाता । वाभी-नयामन की भाॊ तेयी कोई तऩस्मा फेकाय नशी जामेगी । बगलान को लयदान दे ना ऩडेगा ।
नयामन-बगलान भुझे अऩने भा फाऩ औय वभाज के रोगो की उ्भीदो ऩय खया उतयने की ळडक्त दे औय भं क्मा लयदान भॊेागू
प्रबु वे ।
र्फयू ाभ-फेटा बगलान तेयी वायी भाॊगे कफर ू कये गा । तेये ऩरयश्रभ औय डडग्री की राज जरूय यखेगा दे कय ।
फदढमा वी अपवय की नौकयी का इनाभ
फदयी-बगलान के भवलाम औय कौन शै शी शभ गयीफं की भदद कयने
लारा ।ळोऩक वभाज वे क्मा उ्भीद की जा वकती शै ।लश तो रयवते
घाल ऩय नभक डारकय खून चव ू ना जानता शै । एक धचन्ता शै र्फू । र्फ-ू लश क्मा बइमा ।
205
फदयी-फेटला ऩयदे व भं अकेरा शो जामेगा । उवकी दे खबार कौन कये गा । कैवे खामेगा । कशाॊ वोमेगा। वुना शै ळशय भं ऩानी तक खयीदकय ऩीना ऩडता शै ।
र्फयू ाभ- शाॊ बइमा मे तो वशी शै । रेककन फेटला को श्ळशय जाते शी
नौकयी भभर जामेगी । ककवी फात की कपक्र ना कयो बइमा औय ना शी
बौजाई तू । फेटला को अच्छी तनख्लाश भभरेगी वफ ककयामे ऩय श्ळशय भं भभरता शं ।फडे वाशे फ रोगं का तो वयकायी फॊगरा बी भभरता शं यशने
के भरमे । चाय छ् वार भं फेटला अऩना फॊगरा फना रेगा ।क्मं धचन्ता कयते शो ऩयदे व जाने तो दो ।ळुरूआती के दो चाय शप्ता तो तेजा अऩने घय भं आश्रम तो दे दे गा शी ।फदयी बइमा औय श्ळाजन्त बौजाई ने तेा
उवकी भदद की शै । तेजा शं तो फशुत काईंमा एक एक ऩैवा लवूर रेगा । नयामन-काका ऩयदे व भं अऩना कोई दो चाय ददन के भरमे आश्रम दे दे
कभ नशी शै ।काका लैवे बी भै ककवी का फोझ नशी फनना चाशता शूॊ । वाभी-शाॊ फेटा मश तो ऩयू ी फस्ती जानती शै ।फेटा नौकयी के भाध्मभ वे शी वशी ऩय दीन दरयद्रं का खूफ बरा कयना । नयामन-काका भेये जीलन का उद्देश्म मशी शै ।
शरयशय- नयामन बइमा भं घय चरता शूॊ । भेये फाऩू की तत्रफमत फशुत खयाफ शै। ददन यात खाव यशे शं । कबी कबी तो खन ू की उल्टी बी कय यशे शं । दला दारू के फाद बी कोई अयाभ
नशी शो यशा शै ।भुझे तो
फशुत धचन्ता शो यशी शै कक भेये फाऩू अधजर भं छोडकय ना चर फवे ।एक बाई था उवे मश टी.फी. की फीभायी तनगर गमी अफ फाऩू को बी न तनगर जामे ।
र्फयू ाभ-रवगयी बइमा फीभायी की धगयपत भं फयु ी तयश आ गमे शै । वाभी-चरो र्फू शभ रोग बी रवगयी बइमा को दे खते शुए घय चरे चरेगे । 206
र्फयू ाभ-शाॊ बइमा भं बी मशी वोच यशा शूॊ । वाभी- नयामन फेटा अबी तो ऩयदे व जाने भं दे यी शं ना ।
नयामन-शाॊ काका । भाॊ फाऩ की इच्छानव ु ाय शी जाउूॊ गा । दादा को कोई
अच्छा भुशुतत भभर जामे तफ ना । धयती के बगलान की आसानव ु ाय तो चरना शी ऩडेगा भुझे । वाभी-ळाफाव भेये रार । करभ की तरलाय वे वाये अभबळाऩ छाॊट डारना ।
वाभी,र्फू औय शरयशय एक वाथ चर ऩडे नयामन को ढे य वायी दआ ु मं
औय वपरता की काभना कयते शुए। ळाजन्तदे ली औय फदयी को फेटला के त्रफछुडने का गभ वताने रगा । वोरश
एक ददन डया वशभा वाभी बागा बागा आमा औय फदयी वे फोरा बइमा फदयी जल्दी कयो ।
फदयी-क्मा जल्दी करूॊ बइमा ।क्मं इतने डये डये डये फोर यशे शो । वाभी-बइमा फात शी ऐवी शं । फदयी-क्मा अनशोनी शो गमी । वाभी-कत्र ।
फदयी-कत्र । ककवका ।
वाभी-अऩनी शी त्रफयादयी के शोनशाय रडके का । फदयी-क्मं कशाॊ औय कैवे ।
वाभी-भै बी वन ु ा शूॊ ऩय कत्र शुआ शै। रडका अच्छा ऩढा भरखा था औय बूभभशीन भजदयू का फेटा था ।इधय ऩछु थयदशाॊ गालॊ भं । भजदयू के फेटे को अकेरे ऩाकय दफॊगो ना काट डारा । भुझे डय रग यशा शै । नयामन को श्ळशय बेजने का जल्दी इन्तजाभ कयो ।
फदयी-अऩने गाॊल के रोग तो ऐवे नशी शो वकते ।
207
वाभी-क्मं नशी शो वकते भेया टमफ ू उखाड रे जा वकते शं । ऩभु रव वे
भयला भयला कय भुझे ऩागर फना वकते शै तो क्मा मे थयदशाॊ लारा का लाकमा दोशया नशी वकते ।नयामन को श्ळशय बेजने का इन्तजाभ कयो
ककयामे बाडे की ददक्कत शो तो फोरो भं प्रफन्ध कय दे ता शूॊ । फदयी-बइमा तुभ तो लैवे शी भुवीफत भं ददन काट यशे शो । भै इन्तजाभ कय रूॊगा । तु्शायी फात वे भुझे बी डय रगने रगा शै ।
फदयी भजदयू के फेटे की दास्तान वन ु कय द्धलचभरत यशने रगा । इवी फीच नयामन अऩने
घय की आधथतक जस्थतत औय फयु ी
शोता दे ख अऩने
फाऩ वे ळशय जाने की जजद कयने रगा ।फेटे की जजद औय थयदशाॊ गाॊल भं भजदयू के फेटे के कत्र की घफयाशट भं फदयी नयामन को ऩयदे व बेजने के भरमे ककयामा बाडा जट ु ाने रगा ।
कुछ शी ददनं के फाद नयामन ळशय चरा गमा अऩने बद्धलप्म को
वॊलायने।भाॊ फाऩ के वऩनं को ऩयू ा कयने । रयवते जख्भ के भरमे दला
ढूॊढने औय फस्ती के भजदयू ं की उ्भीद की ककयण फनने ।नयामन जफ घय वे ऩयदे व जाने के भरमे तनकरा था तफ ऩयू ी भजदयू फस्ती के फडे फच्चे फढ ू े उवके आगे ऩीछे गाॊल वे कुछ दयू तक भॊगर काभना कयते
शुए द्धलदा कयने आमे थे । वबी की आॊखं भं आॊवॊू था ।गभ वे कशीॊ ज्मादा उन्शं वख ु भशवव ू शो यशा था क्मंकक उन्शे उ्भीद थी कक नयामन को दे खकय फस्ती के औय फच्चे आगे फढे गे । ऩेट भे बूख रेकय बी नयामन फेटला की तयश ऩढाई ऩयू ी कये गे ।ऩयू ी फस्ती के भजदयू ं को
उ्भाेी थी कक नयामन श्ळशय जाते शी फडा वाशे फ फन जामेगा औय
भजदयू फस्ती के उध्दाय के भरमे वयकाय वे गुशाय कये गा ।उन्शे गुभान शो यशा था भजदयू फस्ती के इव वऩत ू ऩय ।उन्शे उ्भीद थी कक नयामन फडा वाशफ फनकय भजदयू फस्ती का खूफ नाभ कये गा ।
नयामन ये रले स्टे ळन जाने लारी फव भं फैठने वे ऩशरे वबी फडं का ऩैय छू कय आळीलातद भरमा । छोटं के भवय ऩय शाथ पेयते शुए उनवे फयोफय 208
स्कूर जाने का लचन बी भरमा । नयामन अऩने दादा फदयी का ऩैय छुआ तो ले यो ऩडे ।उवकी भाॊ तो
ऩकड कय जोय जोय वे योने रगी
।ळाजन्तदे ली का योना दे खकय ऩयू ी फस्ती की औयतं की आॊखे अॊवॊओ ू ॊ वे रफरफा बय गमीॊ ।
नयामन की ऩत्नी वत्मालती भडई की आड भं योमे जा यशी थी । लश
अऩनी आॊवू ऩीकय अऩनी वाव के आॊवू ऩोछते शुए फोरी अ्भा अवूॊ ना फशाओ । मे तो ऩयदे व जा यशे शै । अऩना औय अऩने ऩरयलाय के वऩनं के वजाने के भरमे । अ्भा इनकी अनऩ ु जस्थतत भं भै। शूॊ ना आऩकी वेला कयने के भरमे । अ्भा इनके ऩयदे व जाने वे शी तो ऩरयलाय का बरा शोगा । बरे शी वाभाजजक अभबळाऩ ना कटे ऩय
गयीफी के
अभबळाऩ वे तो उफय शी वकते शै। छोटी छोटी ननदं का ब्माश गौना
कयना शं ।छोटे दे लय को आगे प्ढाना शै । अ्भा वफ खचत ऩयदे व की
कभाई वे शी ऩयू ा शो वकता शै । फाफू रोगो के खेत भं यात ददन ऩवीना फशाने वे नशी ।
ळाजन्तदे ली-फेटी वफ जानती शूॊ । फेटा का भोश शै ना । भन नशी भान यशा शै । फेटे का भोश फेचन ै कय यखा शै । भेयी दआ ु मे शै कक भेया फेटा
दतु नमा भं मळ कभामे धन कभामे अऩना अऩने गाॊल औय दे ळ का नाभ योळन कये ।
वत्मालती-अ्भा आऩकी दआ ु मे व्मथत नशी जामेगी । आवूॊ अफ ना फशाओ ।
ळाजन्तदे ली-ऩगरी मे आवॊू खळ ु ी के शै। फेटला की तयक्की के भरमे
शै।तु्शायी तयक्की के भरमे शै।तू वभझ रे त्रफदटमा कक मे आवूॊ बगलान की चयण भं गॊगाजर
धगय यशा शै। भुझे मकीन शै कक बगलान भेयी
वायी भुयादं ऩयू ी कये गा ।
वत्मालती-शाॊ अ्भा बगलान को एक दीन दख ु ी भाॊ की अयाधना स्लीकाय कयनी शोगी । तबी शभाया द्धलश्वाव ऩख् ु ता शोगा । 209
ळाजन्तदे ली नयामन को छोड वत्मालती को गरे रगाकय योने रगी
औय
फव वयऩट ये रले स्टे ळन की औय बागनने रगी ।ऩयू ी फस्ती के रोग जफ तक फव ददखामी दी शाथ दशराते यशे ।कुछ शी दे य भं फव आॊख वे
ओझर शो गमी । इवके फाद शी फस्ती के रोग अऩने अऩने घयं की
ओय रौटे । वत्मालती बी अऩनी वाव का शाथ ऩकड कय अऩने घय की ओय चर ऩडी ।
फदयी आते जाते योज फोरता फेटला त्रफना चैन नशी रग यशा शै। ऩाऩी ऩेट ने फेटला को अरग कय ददमा । फदयी की इव तयश की फात वुनकय
वत्मालती की आॊख बय आती । जफ तक नयामन ऩयदे व नशी गमा था घय भं आनन्ददामी फना शुआ था । लशी घय अफ वत्मालती को जैवे काटने दौड यशा था । वत्मालती लक्त के वाथ वभझौता कयना अच्छी
तयश वे वीख गमी थी।लश वाये दख ु ददत बूरकय वाव औय ववुय की
वेला को दृढवॊकजल्ऩत शो गमी थी । वत्मवलती बी गयीफी के अभबळाऩ
वे उफयने के भरमे ऩशरे शी शॊभवमाॊ कुदार,पालडा रेकय कूद ऩडी थी ।लश थी तो फडे फाऩ की फेटी ऩय भेशनत भजदयू ी वे कबी नशी डयती थी ।
लश कु छ भाश ऩल ू त शी तो ब्माश कय आमी थी । इवके फाद बी अऩने ऩतत के घय की दमनीम दळा भं फदराल राने के भरमे कॊधे वे कॊधा
भभराकय चर यशी थी। वाव ववयु का फेटे की तयश शाथ फटाती थी । फस्ती की वावे
कशती ऩतोशू भभरे तो वत्मालती जैवी । नई नलेरी दल् ु शने नयामन जैवे ऩत्र ु की काभना कयते ना थकती औय भाॊमे काभना
।
कयती बगलान भेये ऩत्र ु को नयामन जैवी कभतळीर औय सानलान फनाना
। ळाजन्तदे ली की आॊखं भं शभेळा शी फाढ वभामी यशती थी । नयामन का नाभ आते शी आवूॊओ का
फाॊध टूटता यशता था । वत्मालती अऩनी वाव
का शौळरा अपजाई कयने भं जया बी चक ू ना कयती ।नयामन की धचटठी के भरमे जफ बी डाककमा आते उववे ऩछ ू े त्रफना नशी यशती ।
210
एक ददन डाककमा आमा औय फदयी तु्शायी धचठी आमी शं कशते शुए दयलाजे ऩय धचठी पंक कय चरा गमा ।डाककमा की आलाज वुनकय
श्ळाजन्तदे ली दौडी शुई आमी औय धचठी उठाकय डाककमा को शाॊक दे ने रगीॊ ।अये बइमा धचठी तो ऩढता जा ...... वत्मालती-
अऩनी वाव के धचल्राने की आलाज वुनकय फाशय औय फोरी
क्मा शुआ अ्भा । ळाजन्तदे ली-नयामन की धचठी आमी शै ।डाककमा को ऩढने के भरमे फर ु ा
यशी शूॊ लश वुन शी नशी यशा शै । वत्मालती-अये अ्भा भै बी तो धचठी ऩढ वकती शूॊ । ळाजन्तदे ली-अये शाॊ ।तू तो ऩढी भरखश शै । भेयी तयश तो तनयषय नशी शै। भं फालरी डाककमा के ऩीछे बाग यशी थी ।रे फशू ऩढ । वत्मालती ने अटक अटक कय धचठी ऩढकय वुना दी ।छोटे फेटे कभामन के आते शी लश कपय धचठी रेकय उवके वाभने खडी शो गमी औय फोरी दे ख दे ख कभामन नयामन की धचठी लश खळ ु ी के भाये कूद ऩडा ।बइमा की धचठी कशाॊ शं भाॊ ।
ळाजन्तदे ली-मे रे ऩढकय वुना ।
कभामन- भाॊ ककतनी फाय वन ु ेगी । बौजी ने तो वन ु ा ददमा शै । ळाजन्तदे ली-जजतनी फाय वन ु ाओ । एक फाय तो औय वन ु ा दे ।
कभामन-धचठी वुनाने रगा ।नयामन वफवे ऩशरे भाॊता द्धऩता को चयण
स्ऩळत भरखा था ।कभामन औय छोटी फशनं को ढे य वाया आळीलातद औय
प्माय इवके फाद ऩयू ी फस्ती के एक एक फडे छोटे का नाभ भरखकय फडं
का चयण स्ऩळत छोटे ा का आळीलातद भरखा था।अन्त भं वत्मालती के भरमे दो श्ळब्द भरखा था-वत्मालती भाॊ फाऩ औय छोटे बाई फशनं का ख्मार यखना ।भाॊ फाऩ जीद्धलत बगलान शै ।बगलान को कबी बी नायाज भत शोने दे ना ।
211
नयामन की धचठी आने की खफय ऩयू ी भजदयू फस्ती भं पैर गमी शै ।
मश खफय वाभी के कानं को बी छुमी लश बी शाॊपता शुआ आमा ।फदयी को शुक्का गड ु गड ु ाते शुए दे खकय फोरा क्मा फदयी फेटला की धचठी वन ु कय फडे इत्भीनान वे शुक्का ऩी यशे शो । भुझे फेटला का वभाचाय तक नशी फतामे । फदयी-अये बइमा नायाज क्मो शोते शो । भै। बी तो अबी शी आमा शूॊ । भै बी अबी नशी वन ु ा शूॊ । फदयी औय वाेाभी की फात वुनकय श्ळाजन्तदे ली घय भं वे धचठी रेकय
आ गमी औय फोरी रो बइमा ऩढो । इनको बी वुना दो औय शभको बी ।
वाभी-नयामन की भाॊ अबी तुभने धचठी नशी वुनी ।
ळाजन्तदे ली-कभामन औय वत्मालती वुना चक ु े शं एक फाय तुभ बी ऩढकय वुना दो ।
वाभी-कभामन कशाॊ शं ।
कभामन आकय वाभी के वाभने खडा शो गमा औय फोरा कशो काका क्मा कश यशे शो ।
वाभी-कभामन फेटला त् ु शाये भाेाेॊता द्धऩता फस्ती के दव ू ये भजदयू ं की तयश अबी नशी शै ।नयामन ऩयदे वी शो गमा । धचठी आमेगी जामेगी । फेटा अफ इन्शे भरखना ऩढना वीखाओ ।
कभामन-काका मे रोग ऩढना भरखना शी नशी चाशते बइमा ने बी फशुत कोभळळ की थी ।
वाभी-इन्शं ऩढना भरखना वीखना शी ऩडेगा । नयामन की नाक मे कटला नशी वकते ।वाभी ने फदयी औय ळाजन्तदे ली वे ऩढने भरखने का लचन रेकय धचठी ऩढना ळुरू ककमा ।
ळशय वे नयामन फयाफय धचठी भरखता औय ऩयू ी फस्ती के रोग धचठी
वुनते । धचठी भं आने भं जया बी दे यी शोने ऩय वबी उदाव शो जाते । 212
ळशय भं नयामन को
कुछ ददन यशने की जगश तेजा ने दे दी । खुयाकी
एलॊ अन्म खचात की बयऩामी नौकयी भभरते शी कयने की ळतत ऩय । नौकयी के भरमे बाग दौड कयने रगा ।
भशीने बय की बाग दौड के फाद एक प्राइलेट दपतय भं अस्थामी नौकय भभर गमी ।मश वभाचाय फस्ती के भरमे
जश्न का भाशौर फन गमा
।नयामन नौकयी अस्थामी थी मश जाने शुए बी फडी ईभानदायी औय रगन वे काभ कय यशा था ।उवे इवी अनब ु ल के भाध्मभ वे फशुत आगे तक तनकरने का ख्लाफ था । इवी फीच दपतय के कई रोगं वे जान ऩशचान बी शो गमी । एक ददन
कइर रोग वाथ फैठकय रॊच कय यशे
थे।ेॊ इवी फीच नयामन बी आ गमा।ेॊनयामन को दे खकय एक वशकभी
फोरा नयामन वाशफ एक फात आऩवे ऩछ ू नी। वाथ शी औय रोग बी स्लय भं स्लय भभरा फैठे ।
नयामन फोर आऩ रोग भुझवे क्मा जानना चाशता शै ।
तफ तक अभॊगर वाशफ फोरे वफ आऩकी जातत त्रफयादयी के फोय भं
जानना चाश यशे शं ।इतने ऩढे भरखे कोई छोटी जातत के तो शोगे नशी । नयाम-वच तो मश नशी शं वाशफ।
अभॊगरवाशफ-वच क्मा शै । खद ु शी फता दो नयामन वाशफ । शभ रोग
तो मशी वभझ यशे थे कक आऩ ककवी फडे औय रूतेफदाय खानदान वे शै। नयामन-नशी वाशफ भं एक बूभभशीन भजदयू का फेटा शूॊ । इतना वुनना था कक वफ के शोळ उड गमे । अभॊगर के कान भं
वयु दयवन फोरा श्ळोद्धऩत लॊधचत वभद ु ाम का शं । शभ तो फडे खानदान औय ना जाने क्मा क्मा कमाव रगा यशे थे ।वबी एक स्लय भं फोरे
जातत त्रफयादयी वे क्मा रेना । अच्छे ऩढे भरखे शै लश बी लकारत कयके आमे शै। आऩको तो इववे कइर गुना फेशतय नौकय भभर वकती शै। आऩ
जज फन वकते शं । अगय उुॊ ची जातत के शोते तो अऩने फडे वाशे फ कुछ
वारं भं शी शभ वफ के उऩय फैठा दे ते ।फडे वाशे फ फडी त्रफयादयी के रोगं 213
का फशुत ध्मान यखते शं अऩने रोगो का यात बय भं स्टाय फना दे ते शं ।बरे शी श्ळैषखणक मोनमता ऩद की गरयभा के अनक ु ू र न शो । काळ आऩ वाशफ की जातत के शोते । रॊच खत्भ शोते शी वफ अऩने अऩने
काभ भं रग रग गमे । नयामन छोटी त्रफयादयी का शं की फात वफवे फडे वाशफ तक ऩशुॊच गमी । वाशफ ने बी तशकीकात की औय एक ददन नयामन को फर ु ाकय कई तयश वे घभ ु ा कपयाका जातत तक ऩछ ू भरमे ।
फव क्मा था दव ू ये ददन लैकेन्वी नशी शै का फशाना फनाकय नयामन को
दपतय वे फाशय का यास्ता ददखा ददमा गमा । नयामन मश खफय धचठी भं नशी भरखा ।
नयामन कपय वे नौकयी की तराळ भं दय दय बटकने रगा । ऩन्द्रश फीव ददन के फाद कपय एक दपतय भं ऩयु ानी नौकयी वे अच्छी जगश नौकयी
भभर गमी । नयामन के भाॊ फाऩ औय उवका ऩरयलाय शी नशी ऩयु ी फस्ती
के रोग नयामन के नौकयी ऩाने वे कापी खुळ थे ।नयामन काभ को ऩज ू ा भानने लारा रडका था ।उवे मकीन था कक लश एक ददन फडा अपवय फन जामेगा अऩने काभ औय मोनमता के फर ऩय । अचानक एक ददन
क्ऩनी के उच्च अधधकायी अलधप्रताऩ वाशफ ने
चऩयावी वे नयामन को फर ु लामा ।नयामन वाशफ के वाभने शाजजय शुआ । वाशफ टे रीपाने ऩय फततमाते यशे उवकी तयप नजय बय बी नशी दे खे ।
वाशफ को नयामन अचानक छोटा रगने रगा ।कापी दे य तक खडा यशा । आधा घण्टे के फाद लश कष वे फाशय तनकरने को ज्मोदश भुडा वाशफ
फोरे अये जेण्टरभैन थोडा तो वब्र कयो । नयामन कपय खडा शो गमा ऩय वाशफ ने आज उवे फैठने को नशी फोरा ।कापी दे य के फाद वाशफ फोरे नयामन आजकर तु्शायी कभप्रेण्ट फशुत आ यशी शै । भुख्मारम तक को भळकामत शो गमी शै तुभवे । नयामन- भझ ु वे भळकामत क्मं शो गमी शं वय कर तक तो ककवी को कोई भळकामत ना थी । ऐवा कौन वा गुनाश भुझवे शो गमा । 214
वाशफ- कोई ना कोई गुनाश तो जरूय शुआ शै । ऩयू ा दपतय तु्शायी खखरापत कय यशा शं ।भुख्मारम वे अबी तु्शाये फाये भं शी फात शो यशी थी
वफवे फडे वाशफ वे । ले फशुत नायाज शं तभ ु वे ।तभ ु क्ऩनी के काभ कोई रूधच नशी रेते शो । अऩनी उुची उुॊ ची डडधग्रमं का यौफ
ददखाते शो । दव ू ये अपवयं को धभकाते शो ।इव दपतय भं तो ऐवा नशी चरेगा ।
नयामन-वय ऐवी तो कोई फात नशी शं ।
वाशफ-वाॊयी भभस्टय नयामन तु्शायी लजश वे दपतय के वबी कभतचायी
अधधकायी भं अवन्तोऩ शै। तुभको नौकयी वे तनकारने का आदे ळ दे ददमा शं फडे वाशफ ने ।
नयामन-वय भै।ने ऐवा क्मा कय ददमा कर तक तो आऩ बी भेयी लाशलाशी कय यशे थे । अचानक फदराल क्मं ।
वाशे फ- दे मय इज नो एक्वक्मज ू पाय मू । मू आय डडवभभस्ड दटर टुडे । गेट आउट पयाभ शे मय ।
नयामन-वाशफ के कष वे तनकरते तनकरते फोर गमा- मेव आई वी । आई ऐभ डडवभभस्ड डमू टु काजस्टज्भ । वय जाते जाते भं मश जरूय
कशना चाशूॊगा कक मदद आऩ जैवे ऩढे भरखे औय उच्च ऩदो ऩय द्धलयाजभान रोग काजस्टज्भ की लजश वे अन्माम कयते यशे तो इव दे ळ
का क्मा शोगा । एक ददन काजस्टज्भ दे ळ को रीर जामेगा वय । भं तो
जा यशा शूॊ ऩय भेयी फात ऩय आऩ औय आऩ जैवे अनेको रोगो को गौय कयना शोगा दे ळ औय वाभाजजक एकता के भरमे । थंक मू वय पाय भाई डडवभभवर ।एक ददन आऩ औय आऩ जैवी घदटमा भानभवकता लारे
रोगो को शभाये जैवे रोगो के वाभने भवय नीॊचा कयना ऩडेगा। ईश्वय ने चाशा तो जजन्दगी के ककवी भोड ऩय जरूय भुराकात शोगी ऩय आऩको रजाना ऩडेगा।अरद्धलदा..............वाभाजजक अभबळाऩ ने नयामन की
नौकयी तछन री ।लश उदाव क्र्लाटय ऩशुॊचा । उवकी उदावी को तेजा 215
ताडकय फोरा क्मं बाई क्मा शुआ नौकयी चरी गमी मा तेये फडे वाशफ भय गमे क्मं योता शुआ आ यशा शै। नयामन-बइमा फडे वाशे फ तो नशी भये नशी उनकी नौकयी गमी शै। शाॊ भेयी
नौकयी चरी गमी शै । वाभाजजक अभबळाऩ की लजश वे फडे वाशे फ
के शाथं ।
तेजा-भंने तुभको ऩशरे शी कशा था कक वाशफ फनने का ख्लाफ छोड दे ऩय तू भाना नशी ।इतना लक्त धॊधे को ददमा शोता तो ऩैवे लारा फन गमा शोता । खैय भुझ अल्ऩभळक्षषत की फात तुभ क्मं भानते ।अये तुभवे ऩशरे
इव दे ळ भं फशुत वे रोग काजस्टज्भ के भळकाय शुमे शं । नौकयी कयने तनकरा शै तो इवके भरमे बी तैमाय यशा कयो । दे खो तभ ु तो करेक्टय फनने वे यशे । भं मे नशी कश यशा शूॊ कक तुभ मोनम नशी शो । खुद वोचो जो रोग तुभको भाभूरी वी नौकयी ऩय कात्रफज नशी शोने दे
यशे क्मा ले तुभको फडे वे फडे ऩद ऩय कात्रफज शोने दे गे । काभा धॊधा के
फाये भं वोचो । एक भशीना काभ कयोगे दो भशीना फैठकय खाओगे तो भै कैवे खचत उठा ऩाउूॊ गा । अये शभायी मशाॊ कोई जभीॊदायी तो नशी शै ।
नयामन-बइमा इतनी जल्दी कैवे शाय भान जाउूॊ ।अऩनी डडग्री को आग के शलार कय दॊ ू । नशी बइमा नशी भै वाभाजजक अभबळाऩ नशी । चाशे नौकयी भभरे मा ना भभरे ।
वे डरूॊगा
नयामन की तराळ भं कपय ददन यात एक कयने रगा ।कापी भश्कत के फाद मक वशकायी वॊस्था भं नौकयी भभर गमी ।जशाॊ ळैषखणक मोनमता के अराला औय कोई मोनमता के फाये भं फात नशी की गमी । नयामन
इव नई वॊस्था भं कपय ईभानदयी ,भेशनत औय रगन वे काभ कयने रगा ।
वत्रश
नयामन ळशय भं तकरीपं की तप ू ान भं गोते खा यशा था ।नौकयी भभरती भशीने बय भं नौकयी वे शाथ धोना ऩड जाता वाभाजजक 216
अभबळाऩ की लजश वे । भुजश्कर बया जीलन फवय कयने के फाद बी जफ गाॊल नयामन धचठी भरखता याजी ख ्ेुेाळी वे यशने की खफय दे ता ।कई
फाय तो पाॊके तक कयने ऩडते ।कई फाय तेजा की घयलारी अऩळब्द तक
कश जाती ।तेजा बी नशी छोडता । दव ू यी फाय नौकयी वे तनकारे जाने के फाद फशुत तकरीपं उठानी ऩडी । तेजा का क्र्लाटय बी छोडना ऩडा था ।उवकी परयमाद बगलान ने कफर ू री औय एक वशकायी वॊस्था भं कपय नौकयी भभर गमी ।लश ईभानदायी औय रगन वे काभ भं जट ु गमा ऩय उवे बम मशाॊ बी थी ऩयन्तु मशाॊ उवे अऩने वऩने को वाकाय शोन की
गुजाइव रग यशी थी ।लश वुना था कक दे ळ के कई रोग वशकायी द्धलबाग के चौथे दजे वे अऩना कैरयमय श्ळरू ु ककमे औय वत्ता के भळखय तक
ऩशुॊचे।उवकी उ्भीद फरलन्ती शो गमी क्मंकक लश ऩढा भरखा बी तो अधधक था ।ज्लाइतनॊग के वभम भवपत श्ळैषखणक मोनमता के प्रभाण ऩत्र भाॊगे गमे । वाभाजजक मोनमता की कोई फात नशी की शुई । लश आश्वास्त था मश जानकय की इव वयकाय के अधीनस्थ अधतळावकीम
द्धलबाग भं वाभाजजक मोनमता का प्रभाण ऩत्र नशी चरता शो । रेककन
उवे डय था औय नौकरयमं वे जो शाथ धोना ऩडा था । लश यॊ ग रूऩ वे उच्च कुर का रगता था औय उवकी लकारत की डडग्री तो वोने ऩय
वश ु ागा थी । लश वफ कुछ जानकय बी काभ को ऩज ू ा की बाॊतत कयने रगा ।
उधय उवका फाऩ कुनार फाफू की खेती र्फयू ाभ के वाथ भभरकय तीवयी ऩय कय यशा था ।इवी फीच उधभ फाफू श्ळशय वे आ गमे । फदयी को
फर ु ाले।फदयी उधभ फाफू के वाभने शाजजय शुआ । उधभफाफ-ू फदयी तुभने भेयी शलेरी की दे खये ख अच्छी तयश वे की शं ।खेत तो फॊजय शो गमे ।
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फदयी-फाफू ऩारयलारयक करश इवके भरमे जज्भेदाय शै । भं क्मा कय
वकता । फीवा बी भेया फोमा शुआ गन्ना खेत भं वड गमा । भेये फच्चे यव के भरमे तयव गमे । उधभफाफ-ू फॊटलाया शो जाने दो फीघा बय गन्ना फो रेना ।फदयी तु्शाया फेटा क्मा कय यशा शै । कबी ददखाई शी नशी ऩडता ।
फदयी-फाफू ळशय गमा शै ना ।लकारत का इ्तशान बी ऩाव कय भरमा ना भेये फेटे ने ।
शोळ उड गमे जैवे त्रफच्छू ने के जर उठे ले फौखरा कय फदयी- शाॊ फाफू ।
डॊक भाय ददमा शो । उधभ फाफू त्रफना आग
फोरे -क्मा ।
उधभफाफू ठीक शं फदयी तुभ जाओ ।चाय छ् ददन भं फॊटलाया तो शो
जामेगा । इतना वुनना था कक फदयी भुॊगेयी रार के शवीन वऩने दे खने
रगा । कुनार फाफू की तीवयी की खेती वे राऩयलाश शोने रगा । कुनार फाफू के खेत भं खडी पवर की दे खबार श्ळाजन्तदे ली कभामन के वाथ
भभरकय कयने रगी ।कुछ वशाया र्फू बी दे दे ता । फदयी का अधधक वे अधधक वभम उधभ फाफू की शलेरी औय उनके काभं भं फीतने रगा
।वफ ु श घय वे खाकय जाता यात भं घय शा आकय दाना ऩानी भभरता ।
उवे ऩता था कक उधभ फाफू औय फाकी दशस्वेदाय तशवीर भं जभीन के
फॊटलाये की अजी दे आमे शै । जभीन कबी बी फॊट वकती शै। फदयी को मकीन था कक उधभ फाफू के दशस्वे की जभीन लश शरलाशी के तौय ऩय
मा अधधमा ऩय कये गा जैवा उधभ फाफू कशे गे ।लश उधभफाफू के दादा के
जभाने वे उनकी शरलाशी कयते आ यशा शै । अफ उधभफाफू के जभाने बी कये गा ।
उधभफाफू श्ळशय वे वऩरयलाय जभीन के फटलाये के भरमे आ गमे थे
।फदयी उनकी शी टशर भं रगा यशता वेय बय भजदयू ी बी भभरने की आव न थी ।इवके फाद बी उधभफाफू वुफश वे श्ळाभ तक फदयी को 218
कोल्शू के फैर की तयश जोतते । उवे अऩने दशस्वे की जभीन अधधमा ऩय दे ने की की रारच ददखा कय ।
एक ददन वफ ु श फदयी शलेरी ऩशुॊचा । उधभ फाफू फोरे फदयी शलेरी के वाभने फशुत घाव उग आमी शं दव ू यी तयप ऩआ ु र वड यशा शै । ना जाने मे फाफू रोग वाॊव कैवे रेते शं ।फदयी वफ
कय वाप कय दो । इवके
फाद फाॊव काटकय खूॊटा फना डारो । कर रेखऩार वुफश जल्दी आ जामेगे ।वायी तैमायी तभ ु को शी कयनी शै खट ू ाॊ यस्वी वफ की ।
फदयी ठीक शै फाफू जी शो जामेगा वायी काभ ततनक धचन्ता ना कयना ।फदयी शलेरी की वाप वपाई का काभ तनऩटा कय फाॊव काटने चरा गमा । फाॊव काॊटा औय लशी खॊट ू ा बी फनाने भं जट ु गमा ऩच्चाव वे
अधधक खूॊटे की जरूयत बी थी । मश खफय बुआर फाफू को रग गमी
लश तछऩते तछऩाते फदयी के ऩाव ऩशुॊचे । ले फोरे अये लाश ये तू तो ऐवे खूॊटा गढ यशा शै जैवे कोई रोशाय शो । आज फशुत खुळ शं ।रगता शं अऩने दशस्वे की जभीन उधभ फाफू त् ु शाये नाभ कय श्ळशय भं फवने लारे शै । ऩशरे तो शलेरी की तयप वे गुजयता था तो भुॊश पेय रेता
शपते बय वे यात ददन उधभ फाफू की गुराभ भं ऩडा यशता शै ।
था।
फदयी बआ ु र फाफू की फात वन ु कय उल्टलाय ककमा । क्मा कश यशे शो
फाफू वेय बय भजदयू ी तो भय्मवय नशी शुई । योज वफ ु श श्ळाभ फेगायी कयलाते यशे औय फीवा बय गन्ना ऩेयने नशी ददमे खेत भं शी भवमाय खा गमे । फॊचा खुॊचा वड गमा वूख गमा ।दे खो गयीफो की आश फेकाय नशी जाती ।
बुआरफाफ-ू अये क्मं जान दे यशा शं । तेया फेटा तो शभाये फेटो वे बी
अधधक ऩढा भरखा शो गमा शं । करेक्टय फन जामेगा । तू शरलाशी क्मं कयने को ररचा यशा शै लश बी उधभ फाफू की । अये कफ वे शरलाेाशी
फन्द कयला ददमे शै ।अच्छा ठीक ठीक फता कबी दव फीव तभ ु को ददमे । नशी ना ......
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फदयी-फाफू फेटला की जड जभने भं कापी लक्त रगेगा। फेटला कर शी तो ऩयदे व गमा शं आज कौन वा ऩेड दशराकय फोया फोया रूप्मा बेज दे गा । फाफू क्मं गयीफ को दख ु दे ते शो । अये जफ तक फेटला को कोई अच्छी नौकयी नशी भभरता तफ तक
बूखंेा भायने का इयादा शै क्मा । वेय बय
इज्जत वे कभाने खाने क्मो नशी दे ते ।
बुआरफाफ-ू क्मं जल् ु भ कय यशे शो फदयी ।अये शभने भना तो तुभको नशी
ककमा कबी ।भं तो चाशता शूॊ तू भेयी शी खेती अधधमा तीवयी जो तभ ु को अच्छा रगे कय रे ।उधभ फाफू की शरलाशी वे ज्मादा पामदे भं यशोगे । फदयी-फाफू गयीफ थक ू कय नशी चाटता ।
बआ ु रफाफ-ू फदयी इवी भं त् ु शाया बरा शै ।
फदयी-फाफू गयीफ शय फात भं अऩना नपा नक ु वान नशी दे खता । लचन
की बी कुछ कीभत शोती शं । गयीफ भजदयू अऩनी लचन ऩय भय भभटना जानता शै।
बआ ु र फाफ-ू कैवी लचन की फात कय यशा शै फदयी ।
फदयी-उधभ फाफू के द्धऩता के भयते वभम ददमे गमे लचन की फात कय
यशा शूॊ फाफू । बआ ु रफाफ-ू अच्छा तो उधभ फाफू की गर ु ाभी कयने का लचन वअ ु र बइमा को ददमे शो ।
फदयी-शाॊ फाफू जीते जी तो लचन भं नशी तोड वकता ।बरे शी उधभ फाफू तोड दे ।
बआ ु रफाफ-ू दे ख फदयी बआ ु र फाफू तभ ु को एक ना एक ददन जरूय बीख भॊगला दे गे ।
फदयी-अफ क्मा कोई भुझे बीख भॊगलामेगा । अफ तो फेटला बी ऩयदे वी शो गमा ।इवी अभबळाऩ वे भुडक्त ऩाने के भरमे ।
बआ ु रफाफ-ू जफ लचन टूट जामे तो भेये ऩाव आ जाना ।भै तभ ु को वशाया दे दॊ ग ू ा ।तु्शाये भरमे भेया दयलाजा शभेळा खुरा यशे गा । 220
फदयी-फाफू माद यखूॊगा ।
दव ू ये ददन वुफश जल्दी शी रेखऩार आ गमे जभीन ऩैभाइव के भरमे
।उधभ फाफू ,बआ ु र फाफू एलॊ उनके नजदीकी रयश्तेदाय रोग चर ऩडे खेत
के फॊटलाये के भरमे ।फदयी खूॊटे, कुदार औय यस्वी रेकय वफवे आगे आगे चर यशा था ।
फदयी की लपादायी को दे खकय कुछ फाफू रोग जर-बून गमे ।एक फाफू ने तो फदयी को वन ु ाकय कशा अये याजा रोग तो ऩीछे यश गमे रगता शै भुवशयला
फाॊट रेगा ।इतना वुनना था कक वबी शॊव ऩडे । फदयी को
उऩशाव का द्धलऩम फनता दे खकय रेखऩार फोरे अये फदयी रठा रामे शो की नशी ।
फदयी-वाशफ भुझे तो ऩता शी नशी । यस्वी ,खूॊटा, कुदार पालडा राने का
शुकुभ था लशी रामा शूॊ । रेखऩार-फदयी रठे की जरूयत तो ऩडेगी । कोई कटा अयै य वूखा फाॊव शो तो रेकय आओ । मशी नाऩकय रठा फन जामेगा ।
फदयी रेखऩार के कशे अनव ु ाय रठा फनाने के भरमे फाॊव रेने को दौड ऩडा ।फदयी फाॊव रामा कपय रठा फना इवके फाद खेत की नऩती शोनी ळुरू
शुई ।रेखऩार के कशे अनव ु ाय फदयी खॊट ू ा गाड दे ता । शलेरी के वाभने की नऩती श्ळरू ु शोती इवके ऩशरे उधभ फाफू उधभ भचाने रगे । ले फोरे मे जभीन तो भेये फाऩ के नाभ की शै ।औय ले जो वाभने जॊगरनभ ु ा जगश
शै। लो बी भेये फाऩ के शी नाभ की शै । बरे शी लश गाॊल वभाज की थी ऩय अफ भेये फाऩ के नाभ की शं । उव ऩय बी शभाया शी कब्जा यशे गा
।फटे गी नशी माद यख रो वबी दशस्वेदायो ।वबी दशस्वेदायो भं लाकमध् ु द तछड गमा ।
बुआर फाफू फोरे उधभ फाफभ तु्शाये फाऩ ने शभ चायं के वाथ दगा ककमा शं दादा ऩयदादा के नाभ की जभीन अऩने नाभ
कयाकय । जजव
जॊगर की फात कय यशे शो । अवर भं लश बूभभशीनं भं फॊटनी चादशमे 221
ऩय तु्शाये फाऩ ने कई एकड गाॊल वभाज की जभीन अऩने नाभ कया
भरमे । फेचाये फस्ती के भजदयू बभभशीनं का शक भाय भरमे । अफ दे खो बाईमं का बी शक भयते भयते भाय गमे ।
डधभ फाफू स्लबाल वे फशुत जजद्छी थे । ले बी जजद ऩय अड गमे औय फोरे जो जभीन भेये फाऩ के नाभ की शं उवभं फॊटलाया नशी शो वकता । मदद फटलाया बी शोगा तो शभाये बाईमं के फीच । दव ू या कोई शकदाय
नशी शै । चाशे लश जॊगरनभ ु जभीन शो मा शलेरी के आवऩाव की जभीन । शभ कचशयी वे पैवरा कयलामेगे ।
बुआर फाफ-ू नायाज शोकय फोरे मश तो फेईभानी शै । बइमा ने धोखा
ककमा शै शभ चायं दशस्वेदाये ाॊ के वाथ ।बइमा तो दम ु ोधन तनकरे आॊख लारे शोकय बी ।
उधभफाफ-ू काका कुछ बी कशो ऩय मे जभीन तो नशी फॊटेगी भेये जीते जी ।उधभ फाफू गुस्वे वे रार शे गमे दौडकय शलेरी वे फन्दक ू उठा रामे
औय फोरे कयला रो फॊटलाया दे खता शूॊ भै बी । इव जभीन के फॊटलाये के भरमे भेयी राळ ऩय वे गुजयना शोगा । उधभफाफू की आॊखं भं खून उतयता दे खकय
उवके शोळ उड गमे । लश
दौडकय उधभ फाफू के शाथ वे फन्दक ू रे भरमा फोरा फाफू गोरी चराना
शं तो वफवे ऩशरे भेये उऩय चराओ । भं इव ऩरयलाय को आऩव भं रडते भयते नशी दे ख वकता ।शलेरी के जो बी आज दशस्व ्ेेेादाय खडे वफ भेयी गोद भं खेरे शै। बआ ु रफाफ-ू
शं ।
वआ ु रफाफू भयते भयते ऩरयलाय भं अन्ततकरश की आग रगा
गमे ।उधभ इव फेइभानी की जभीन वे तुभ जभीदाय नशी फन ऩाओगे । फदयी
की ओय इळाया कयते शुए गाॊल के प्रधान ठररू फाफू फोरे उधभ फाफू अये अऩने शरलाश की तयप दे खो उवकी आॊख वे आॊवू धगय यशे शै । झगडे लारी जभीन का फॊटलाया फाद भं कय रेना । फाकी जभीन का
फॊटलाया तो कय वकते शो । फदयी तुभ रोगो की फफातदी नशी फदातश्त कय 222
ऩामेगा । वशभतत वे भाभरे का तनऩटाया कय रो ।एक दव ू ये की जान रेने ऩय भत तूरो ।
फदयी-फाफू कोटत कचशयी के जार भं भत पॊवो ।
फ ्ेूेाढे ठल्रुफाफ-ू अये उधभ फाफू अऩने शरलाश की वुनो । कश यशा शै
कोटत कचशयी के चक्कय भं भत पॊवो ।अफ मश बी कानन ू कामदे जानने रगा शं । इवका फेटला लकारत जो कय गमा शै । कभ वे कभ इवकी
फात तो भान रो उधभ फाफू ।शय दख ु वख ु भं तो मशी काभ आ यशा शं तु्शाये ऩयदादा के जाभने वे ।
र ्ेेेाखऩार-वच फदयी तु्शाया फेटला लकारत की ऩयीषा ऩा कय गमा शै।
फ ्ेूेाढे ठल्रुफाफ-ू शाॊ रेखऩार वाशफ शाॊ ।क्मा भं झूठ फोर यशा शूॊ । वुना शै कक ककवी दपतय भं वाशफ शो गमा शै । फदयी-शाॊ रेखऩार वाशफ वच शै ऩय फेटला अबी वाशफ फन ऩामा शै कक
नशी । इव फाये भं जानकयी नशी शं । शाॊ कुछ ददन ऩशरे धचठी आमी थी
बाग दौड भं रगा था । अबी क्मा नतीजा तनकरा की नशी । धचठी आने ऩय शी भारूभ शोगा ।फाफू भं तो जफ वे आॊख खुरी उधभ फाफू के दादा
ऩयदादा के जभाने वे शलेरी की गर ु ाभी कय यशा शूॊ । फाफू रोगं का ददमा घाल ढो यशा शूॊ । अये शभायी बभू भशीनता फाफू रोगं की शी तो दे न शं ।एक भजदयू की कद्र फाफू रोग क्मा कये गे । रयवते घाल ऩय खाय शी
ना डारेगे ।दे ख शी यशे शो भं उऩशाव की द्धलऩम लस्तु फना शुआ शूॊ वफेये वे शी । अये भं जजनको अऩनी गोद भं खेरामा शूॊ उन्शे अऩव भं रडते भयते दे ख वकता शूॊ क्मा । फ ्ेूेाढे ठल्रू फाफ-ू अच्छी लकारत कयने रगा शं फदयी बी आजकर ।
र ्ेेेाखऩार-प्रधानजी फदयी की आॊखं के वाभने शी फाफू रोग ऩरे फढे शं तो क्मा उनको रडते भयते दे खना चाशे गा । फाफू कोई बी आदभी नशी चाशे गा कक रोग आऩव भं रडे भये । फदयी तो फशुत अच्छी फात कश 223
ददमा शं अनऩढ गॊलाय शोकय बी । मशाॊ तो ऩढे भरखो का शार दे ख शी
यशे शै । एक दव ू ये का शक शडऩने गरा काटने भं जट ु े शुए शं । तबी तो शभाये दे ळ की गयीफी बख ू भयी ,जातीम बेद औय बभू भशीनता का अभबळाऩ नशी कट ऩा यशा शै ।इव शलेरी की
श्ळान भं इव गयीफ का बी फशुत खून ऩवीना फशा शै। बरे शी दशस्वेदाय नशी शं ऩय शलेरी ऩय आॊच इवे कैवे फदातश्त शोगी । जफकक आऩशी कश यशे शै कक उधभ फाफू के दादा
ऩयदादा के जभाने का भजदयू शै ।फाफू रोगो का त्रफखयता शुआ दे खकय दख ु तो शोगा शी ।
फ ्ेूेाढे ठल्रू फाफ-ू ठीक कश यशे शो रेखऩारजी भाभरक की चोट दे खकय कुत्ता बी गयु ातता शै । फदयी तो आदभी शं
ऩढे भरख फेटे का फाऩ शै ।इवे
तो दख ु शोना बी चादशमे । ककतने वार वे त्रफना काभ धॊधे का फैठे शं
दव ू ये फाफू रोगो का शर जोतना अऩनी तौशीनी वभझता शै।कुनार फाफू की खेती तीवयी ऩय कय यशा शं लश बी दफे भन वे क्मं फदयी।
फदयी-जो अच्छा रगे भाने रो क्मंकक भजदयू को तो आऩ गर ु ाभ
वभझते शो । आऩकी नजयं भं तो उवकी इज्जत कुत्ते वे ज्मादा शो बी नशी वकती ।
भुझे जो वभझते शो वभझते यशा ऩय फाफू रोगो को
वभझाओ खन ू खयाफा भत शोने दो । लश बी ततनक बय जभीन के टुकडे के भरमे ।
र ्ेेेाखऩार-वबी ऩाॊचं दशस्वेदायं को फर ु ामे औय फोरे फाफू रोगो
जो
द्धललाददत जभीन शै उवका फॊटलाया फाद भं कयना आऩव भं वोच द्धलचाय कय ।दव ू यी जभीन का तो फॊटलाया कय रो ।चाय छ् ददन का काभ शै एक ददन भं तो शोने लारा नशी शै ।
र ्ेेखऩार की वभझाइव के फाद जभीन के फॊटलाये का काभ कपय वे
श्ळुरू शुआ ।जभीन नाऩने का जज्भा फदयी के भवय भढ ददमा गमा । लश फखफ ू ी अऩनी जज्भेदायी तनबा यशा था । रठे वे जभीन नाऩने के
वाथ लश खूॊटा गाॊडने का बी काभ कयता रेखऩार के फतामे अनव ु ाय । 224
ऩाॊच फीघा के खेत के फॊटलाया शोते शोते वूयज तछऩने का आ गमा जफकक ऩच्चाव फीघे खेत का अबी फॊटलाया शोना फाकी शै।
अबी
रेखऩार वाशफ वबी दशस्वेदायं को एक जगश फर ु ामे औय फोरे फाफू रोगो अफ ऩैभाइळ का काभ कर शोगा । भेया घय दयू
शै ।घय घय
ऩशुॊचते ऩशुॊचते यात शो जामेगी । शपते बय का काभ एक ददन भं तो शो नशी ऩामेगा । बआ ु रफाफू फोरे ठीक शं रेखऩार वाशफ अॊधेये भं तो मश काभ शो बी नशी वकता कर जल्दी आ जाना ।
र ्ेेेाखऩार-ठीक शै फाफू भुझे तो आना शी शै ।
उधभ फाफू फदयी को फर ु ामे औय कुदार पालडा खॊट ू ा शलेरी रे जाने का
शुक्भ दे ददमे ।फदयी वफ वाभान इक्टठा कयने रगा । बुआर ,वुआर,ठकुयार औय खयु ार फाफू इक्टठा शोकय आ गमे औय उधभफाफू वे फोरे उधभ फेटा कशी जाना नशी । उधभफाफ-ू क्मं ।
बुआरफाफ-ू ळाभ को ऩॊचामत फर ु ा ददमा शूॊ । जो ऩॊचामत पैवरा कये गी भान रेगे । आऩव भे रडने भयने वे तो अच्छा मशी शै।
उधभफाफ-ू यॊ जजळ की तो लैवे कोई फात नशी शं ऩय आऩ रोग कय यशे शो
तो भै क्मा करूॊ ।जभीन भेये फाऩ के नाभ की शं ।इवभरमे लारयव भै शूॊ । आऩ रोग शो कक जफतदस्ती कय यशे शो ।गोदाभ भं अनाज वड यशा शं ।जभीन भं ना जाने कशाॊ वोना चाॊदी औय भोशये घय भं ना जाने कशाॊ गडी ऩडी शं । उन फेळकीभती वाेाभानं
के फॊटलायं के फाये भं वोच शी
नशी यशे शै। भेये फाऩ के नाभ जभीन के छोटे वे टुकडे के ऩीछे ऩडे शै ।दे खो काका रोगो जभीन तो भेयी शी यशे गी ।
बुआरफाफ-ू फशुत फडी ऩॊचामत नशी शं । गाॊल के चाय छ् फढ ू े फज ु ग ु ो को शी फर ु ाम गमा शं । जैवे ले रोग कशे गे शभ चायो भान रेगे ।गोदाभ भं
225
बये अनाज ,ेॊफततन बाडे ,वोना चाॊदी औय भोशये ाॊ का फॊटलाया शो जामेगा ।मे वफ तो घय भं शी शं ।
उधभफाफ-ू भेये नाभ की जभीन फाशय चरी गमी ।काका ऩॊचामत वभम की फफातदी शं । अये फॊटलाया कयना शी था तो चर व्ऩतत का कय भरमे शो
।क्मं भये फाऩ की आत्भा को दख ु दे ने ऩय तूरे शुए शं । बुआरफाफ-ू फेटा तु्शाये फाऩ शभाये बी कुछ रगते शै ।जया वी गरती वे
आने लारी ऩीढी बी उन्शे फेईभान कशे गी । इव अभबळाऩ वे शभ उफायना चाशते शं ।शभ ना तो तु्शाये औय नशी बइमा के दश्ु भन शै । यशा चर
व्ऩतत के फॊटलाये का भाभरा तो उवभं कोई ददक्क्त नशी शं ेॊ लश बी फॊट जामेगा ।
उधभफाफ-ू ठीक शं ऩॊचामत भं आऩकी खुळी शै तो
कय रो अऩनी खुळी
ऩयू ी ।ऩॊच ऩयभेश्वय के वाभने भं बी शाजजय शो जाउूॊ गा ।
बुआर फाफू औय फाकी दशस्वेदाय ऩॊचामत की तैमयी भं रग गमे । शुक्का धचरभ,त्फाखू,गाॊजा फीडी औय भवगये ट का इन्तजाभ बी बयऩयू शो गमा ।उधभ फाफू ने फदयी को बी आने को कश ददमा था । लश बी आ गमा
।उवको दे खकय बुआर फाफू फोरे फदयी तू आ गमा फशुत फदढमा ककमा । जया झाडू भाय दो शलेरी के वाभने दव फीव रोग ऩॊचामत भं आने लारे शै ।
फदयी -शाॊ फाफू क्मं नशी झाडू भाय दॊ ग ू ा आमा शूॊ तो इवीभरमे । बुआरफाफू शंठ चफाते शुए फोरे ततनक वा काभ शं फदयी....... फदयी-शाॊ फाफू भंने तो नशी कशाॊ कक चाय छ् ददन का काभ शै।
बुआरफाफ-ू झाडू रगाकय कण्डा वुरगा दे ना । धचरभ त्फाकू चढाने के भरमे आग की जरूयत ऩडगी ।
फदयी शलेरी के वाभने झाडू रगाकय दो चाय फाल्टी ऩानी बी तछडक
ददमा ।इवके फाद लश कण्डा वर ु गाने रगा इतने भं फाफू ठल्रप्र ु धान आ
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गमे औय फदयी को दे खकय फोरे फदरयमा तू अबी तक मशी जभा शै ।रगता शै शलेरी के ऩाॊच पाड शोने वे फशुत खुळ शै । फदयी-फाफू आग भं भत भत ू ो ।अये शभं फाफू रोगो को अरग अरग
दे खकय क्मं वुख भभरेगा । जो रोग एक चल् ू शे ऩय वीॊकी योटी खाते थे एक फाल्टी का ऩानी ऩीते थे । ले रोग ऩाॊच अरग अरग जगश फैठेगे
।क्मा शभं अच्छा रगेगा । कबी नशी फाफू । शाॊ शो वकता शै इव पूट वे गाॊल के फाफू रोगो को ऩाॊच अरग अरग जगश दारू भग ु ात छानने को जरूय भभर जामेगा ।
ठल्रूफाफ-ू फदयी तुभ अछूत बूभभशीन की
जफान इतनी र्फी कैवे शो
गमी शै । अये फेटला तो ककवी फडे ऩद ऩय अबी तक ऩशुॊचा बी नशी शै। फदयी-फाफू शभ तो अछूत शं ऩय भुझवे अधधक अछूत तुभ फाफू रोग शो । अये भेया कभामा खाते शो । भुझ ऩय शुक्भ जभाते शो भुझे अछूत कशते शो । ना जाने ककव मग ु वे शभ लॊधचतं के वाथ छर कयते आ यशे शो औय आज बी फेयोकटोक जायी शै ।अये कफ तक छरते यशोगे शभ दीन दखु खमं अभबळाद्धऩत फनाकय ।
ठल्रूफाफू को काॊटो तो खून नशी । ले खखभवमाकय फोरे फदयी फेटला दो अषय ऩढ क्मा भरमा फशुत फडी फडी फातं कयने रगे । फदयी ठल्रफ ू ाफू की फात को अनवन ु ा कय अऩने काभ भं रग गमा । कुछ दे य भं शी ऩॊचं का आना श्ळुरू शो गमा ।थोडी शी दे य भं वबी फर ु ामे गमे रोग आ गमे ।
ठल्रफ ू ाफू फोरे ऩॊचं मशाॊ फैठने शुक्का त्फाख ्ेूेा कयने बय वे काभ नशी चरेगा । दे य कयने वे कोई पामदा नशी शोगा । भद् ु छे की फात कयो ।
ठल्रूफाफू प्रधान की फात वुनकय त्रफशायी फाफू फोरे शाॊ ऩॊचामत भं दे य नशी कयनी चादशमे ।यात का भाभरा शं। भझ ु े तो वयू ज डूफने के फाद ददखाई बी फशुत कभ ऩडता शै ।
227
ठल्रूफाफ-ू ऩॊचामत की कायतलाई भं अफ दे य क्मं ।
त्रफशायी फाफू दोनं ऩषं को फर ु ाले औय उनकी ऩये ळानी ऩछ ू ो वभाधान कयो । घय चरो ।
श्माभफाफ-ू त्रफशायी फाफू ठीक कश यशे शं भुखखमा तो गाॊल औय फस्ती के ठल्रू फाफू तुभ शी शो । कयलाओ ना ळुरू ऩॊचामत की कायतलाई ।
ठल्रूप्रधान-बुआर फाफू ऩॊचामत क्मं फरामे शं । अऩनी वभस्मा ऩॊचं के वाभने यखखमे ।
बुआरफाफ-ू ऩॊचं वभस्मा तो उधभ फाफू की लजश वे उऩजी शं अैय आऩ वबी जानते शी शं ।
त्रफशायी फाफ-ू ऩॊच आप भश ु वे वन ु ना चाशते शै ।
बुआरफाफ-ू ऩॊचो ऩयू ा गाॊल जानता शं वबी जभीन भं शभ ऩाॊचं बाईमं
का फयाफय का दशस्वा शं ऩय स्लगीम बाई वाशे फ ने शलेरी के आवऩाव की जभीन चोयी तछऩे अऩने नाभ कयला भरमे थे । उव जभीन काॊ
फटलाये वे उधभ फाफू भना कय यशे शै । कश यशे शै कक उनके फाऩ की जभीन शं । ऩॊचो मश तो वयावय अन्माम शै ।एक बाई दव ू ये बाई का शक भाय यशा शै । मशी वभस्मा शै ऩॊचं । ठल्रप्र ू धान-उधभ फाफू क्मा मश वशी शै ।
उधभफाफ-ू त्रफल्कुर वशी शं । अऩने फाऩ की व्ऩतत का भै औय भेया बई शी तो लारयव शोगा कक भेये फाऩ के बाई रोग ।ऩॊचो मे
दे खो उधभ फाफू
कागज रशयाते शुए फोरे। श्माभफाफ-ू फेटा उधभ तेये फाऩ वे जाने अनजाने कोई गरती जरूय शुई । तु्शाये फाऩ ऩाॊच बाई शं तो जभीन जामदाद ऩय वबी का फयोफय का शक फनता शै ।
उधभफाफ-ू ऩॊचो जभीन तो भेये फाऩ के नाभ की शं । इवभरमे भाभरकाना शक भेया शोना चादशमे ।भै
कोटत कचशयी तक जाउूॊ गा ।
अऩनी फाऩ की द्धलयावत को फॊटने नशी दॊ ग ू ा
228
कोटत कचशयी का नाभ वुनकय ठकुयार फाफू उखड गमे फोरे अये तु्शाये ऩाव शी इतना रूऩमा शं शभ बी जा वकते शै कोटत कचशयी ।वोचा घय
की फात घय भं शी वर ु ट जामे ऩय तभ ु तो कोटत कचशयी की धभकी दे
यशे शो । उधभ तुभवे जया बी शभाये ऩाव कभ नशी शं । तुभ अकेरे केव का खचात उठाओगे औय शभ चाय शै।
दोनो ऩषं की भबडन्त को दे खकय ठल्रूप्रधान फोरे जफ कचशयी जाकय पैवरा कयलाना था तो ऩॊचं को क्मं फर ु ामे । लशी जाकय शरा-बरा
कयला रेते तुभ रोगो ।कैवे शो तुभ रोग ऩॊचो का अऩने दयलाजे ऩय
फर ु ाकय फेइज्जत कय यशे शो । अये अऩने नौकय वे शी उधभ फाफू ऩॊचं की भशत्ता जान वभझ भरमे शोते ।
त्रफशायीफाफ-ू प्रधान वफको अऩनी फात कशने का शक शं । दोनं ऩषं की फात वुनो ।ऩॊचो वे याभळद्धलया कय दध ू का दध ू ऩानी का ऩानी कयो । भानना न भानना इनका काभ शै ।ठल्र ्ेूेा फाफू प्रधान के चन ु ाल के
फाद बी फशुत चन ु ाल शोते शं । द्धलधामक वाॊवद औय बी फशुत वाये । श्माभफाफ-ू ठल्रू फाफू को द्धलधामक वाॊवद फाद भं फनाना अबी तो वाभने जो वभस्मा शं उवका तनऩटाया कयो । कोई तयकीफ तनकारो गाॊल का
वफवे फडा जभीॊदाय ऩरयलाय कोटत कचशयी के चक्कय भं न ऩडे ।इववे
ऩश्ु तैनी इज्जत खाक भं भभर जोमगी । गाॊल का बी नाभ खयाफ शोगा । ठल्र ्ेूेाप्रधान- ककवी की इज्जत ऩय कोई आॊच नशी आमेगी । उधभ फाफू इतने ऩढे भरखे शै। अऩने ऩयु खं की इज्जत को खाक भं भभरता दे खकय खळ ु शोगे क्मा ।
उधभफाफ-ू प्रधानकाका ऩयु खं के वाथ तो शभाये अऩने फाऩ बी अफ खडे शै। उनकी द्धलयावत को व्बारना भेयी पजत शै ।
त्रफशायीफाफ-ू फदढमा फात कय यशे शो उधभ फाफू फाऩ के ककमे शुए काभ को दतु नमा इज्जत बयी नजय वे दे खे तो उवका व्भान कयना गौयल की
फात शोती शं । मदद दतु नमा अॊगरी उठामे तो रकीय ऩय पकीय नशी शोना 229
चादशमे ।वुआरफाफू ने बाईमं के दशस्वे ऩय कब्जा कय फदढमा काभ नशी ककमा शै ।
उधभफाफ-ू भेये फाऩ ने कोई गरत काभ नशी ककमा शै ।
श्माभफाफ-ू ऩत्र ु भोश भं वुआरफाफू वे कुछ तो गरती शुई शं फेटा । इवे वुधाया जा वकता शं । बुआरफाफ-ू फेटा उधभ बाई वाशफ ने ऩत्र ु भाेोश भं आकय दम ु ोधन की
तयश गरत ककमा शै । उनकी गरती को वध ु ायने का प्रमाव भैने ऩॊचामत के भाध्मभ वे ककमा शं । मदद तुभ अच्छा वभझते शो तो तु्शं शभाये दशस्वे की जभीन भुफायक ।
ठल्रप्र ू धान-बआ ु रफाफू अबी वशी गरत का पैवरा शोना फाकी शै। श्माभफाफ-ू पैवरा कयने भं यात गुजाय दोगे क्मा ठल्रूप्रधान
ठल्रूप्रधान-ऩॊचऩयभेश्वय की शैभवमत वे फैठे शो।श्माभफाफू पैवरा आऩकी याम के त्रफना ता नशी शो वकता । शभं ऐवा पैवरा कयना शै जजवभं दोनो ऩष खळ ु यशे औय पैवरा बी दध ू का दध ू ऩानी का ऩानी शो ।
त्रफशायीफाफ-ू ठल्रूप्रधान अऩने न्माम वे तुभ दोनं ऩषं के खुळ नशी कय वकते ।
ठल्रप्र ू धान-न्माम के तयाजू को उऩय नीचे तो नशी शोने दे गे ।इतना तो कय शी वकते शं ।पैवरा भानना औय न भानना दोनं ऩषं ऩय तनबतय
कयता शै ।अऩनी तयप वे ऩयू ी कोभळळ कये गं कक ततनक बी अन्माम न शोने ऩामे ।
श्माभफाफ-ू फदरयमा बी तो था मशी उधभफाफू के दादा ऩयदादा के जभाने
का शरलाश वच्चाई तो उवे बी ऩता शोगी ।उववे बी वच्चाई जान वकते शै।
उधभफाफ-ू प्रधान काका फदयी मशाॊ पैवरा कयने नशी शाजजय शुआ शै। मश अछूतो की ऩॊचामत नशी शं कक लश चौधधयाई कये गा ।
230
बुआरफाफ-ू उधभ फेटा तु्शाया वफवे बयोवेभन्द आदभी फदयी शी शं । उव ऩय तुभको बयोवा नशी ।
उधभ-काका अछूत शै ।उवका शभाये खानदान वे क्मा जोड ।
ठल्रूप्रधान-ठीक शं फदयी अछूत की वे जाॊच ऩडतार नशी कयते शै ।ठीक
कश यशे शो उधभ फाफू अछूतो की ऩॊचामत तो शै नशी कक एक अछूत को ऩॊच फनामा जामे ।
फदयी-फाफू शभं कोई श्ळौक नशी शं फडे रोगो की ऩॊचामत भं अऩना शुनय ददखाने का ।बरा अछूत के वाथ न्माम ककवी ने आज तक ककमा शं कक
अछूत के न्माम को कोई भानेगा ।फाफू शभ अछूत रोग बी इॊवान शोते शं । बरा फयु ा बी वभझते शै ।
त्रफशायीफाफ-ू फदयी को नायाज कय ददमे ।
फदयी उधभफाफू का शरलाश शै ।लशी जाने कक फदयी नायाज शै मा खुळ । वफवे ऩशरे तो अछूत को फर ु ाना शी नशी था । उधभ फाफू ने फर ु ाकय गरती की शै ।
उधभफाफ-ू फदयी को पैवरा कयने के भरमे नशी फर ु ामा था आऩ रोगं की वेला के भरमे वाप वपाई के भरमे ,भच्छय बगाने के भरमे ।
श्माभफाफ-ू ठीक शै उधभफाफू ऩॊच आऩकी बालना को वभझ गमे ।
ठल्रू प्रधान ऩाॊच रोगो को रेकय एकान्त भं चरे गमे ।धीये धीये ऩाॊचं ने आऩव भं फात की औय कपय आकय अऩने स्थान ऩय फैठ गमे ।तफ
ठल्र ्ेूेा प्रधान फोरे उधभफाफू औय फाकी वबी दशस्वेदायं वुनं-पैवरा वन ु ाने की घडी आ गमी शै ।दोनो ऩषं को ऩॊचामत का पैवरा भानना शोगा ।
उधभफाफ-ू जरूयी शै क्मा घ ्
ठल्रूप्रधान-ऩॊचं ने पैवरा कापी द्धलचाय द्धलभळत के फाद भरमा शै। ऩॊच तो मशी उ्भीद कये गे की पैवरा दोनं को भान्म शो । भानना औय न भानना तो आऩ रोगो ऩय तनबतय कयता शै । 231
उधभफाफ-ू पैवरा क्मा शै ।
ठल्रूप्रधान-उधभ फाफू तु्शाये द्धऩताजी कागजी काभं के कीडा थे औय वाशे फ रोगो वे उनका नजदीकी का नाता बी था ।
उधभफाफ-ू फझ ु नी क्मं फझ ु ा यशे शो प्रधान काका । इव फात वे औय आप पैवरे वे क्मा तारुकात शै ।
श्माभफाफ-ू तारुकात शै तबी तो ठल्रूप्रधान जोय दे यशे शं ।
उधभफाफ-ू कशने का भतरफ मे कक भेये फाऩ ने अऩनी कागजी क्र् यीडागीयी औय जान ऩशचन का राब उठाकय जभीन अऩने नाभ कयला भरमे । ठकुयारफाफ-ू उधभ फेटा त्रफल्कुर वशी वभझे ।
उधभफाफ-ू खफयदाय काका भेये फाऩ को फेईभान कशा तो ।
ठकुयारफाफ-ू फेटा बइमा के नाभ ऩय रग यशे धब्फे को शभ वफ दशस्वेदाय धोना चाशते शै । शभाया ऐवा कोई इयादा नशी शै कक उनका अऩभान शो । शभ बइमा को आज बी ऩज् ू म भानते शं । फेटा बाई बाई का रयश्ता जभीन के टुकडे वे तो खत्भ नशी शो जामेगा ।
त्रफशायी-ठकुयारफाफू मे वफ फाते फाद भं कयते यशना । ठल्रूप्रधान तुभ
पैवरा वुनाओ यात कापी गुजय चक ु ी शै ।पैवरा वुनाने भं दे य क्मो कय यशे शो । पैवरे तक तो ऩॊच ऩशरे ऩशुॊच गमे शं । ठल्रप्र ू धान-पैवरा वन ु ाने वे ऩशरे शय फात वाप शो जामे । श्माभफाफ-ू क्मा क्मा वाप कयोगे घ ्
ठल्रूप्रधान-उधभफाफू ऩॊचं का पैवरा शै कक जो गाॊल वभाज की जभीन
चाय छ् फीघा त् ु शाये फाऩ के नाभ शो गमी शं ।लश जभीन लैवे शी यशे गी । उवभं कोई फॊटलाया नशी शोगा । गाॊल वभाज की जभीन जो अफ
तु्शाये द्धऩताजी के नाभ शो गमी शै ।उवके दशस्वेदाय तुभ दोनं बाई शी शोगे ।
232
बुआरफाफ-ू ऩॊचं वुआर बइमा भाभरक थे । शभ रोग बी राखं रूऩमा उनके शाथ ऩय यखते थे ।गाॊल वभाज की जभीन ऩय शभ वबी का दशस्वा शोना चादशमे ।
ठल्रूप्रधान-बुआरफाफू गाॊल वभाज की जभीन तु्शाये ऩयु खं ने द्धलयावत भं नशी छोडा शै। गाॊल वभाज की जभीन ऩय कब्जा तो उधभफाफू औय उनके बाई का शी यशे गा ऩय फाकी जभीन जामदाद भं वबी का फयाफय का दशस्वा शोगा ।
उधभफाफ-ू पैवरे को नकायते शुए उठ खडे शुए । इतने भं उनकी घयलारी गोद भं फच्चा भरमे उनकी याश योक री औय फोरी ऩॊचं का पैवरा भान्म शै । उधभफाफू ठगे वे यश गमे। अठायश
शलेरी के फॊटलाये भं फदयी के दव ददन की खोटी शो गमी ।शप्ता बय तो
जभीन के फॊटलाये भं रगा औय तीन चाय ददन अनाज औय फततन बाडे के फॊटलाये भं दो तीन ददन तो शलेरी भं गडे धन को खोजने भं खोटी चरे गमे । खैय फॊटलाया शो गमा । वबी दशस्वेदाय खुळ थे फव उधभ फाफू नाखुळ थे शलेरी के आवऩाव की जभीन ऩय पजी कब्जे को शाथ वे कपवर जाने की लजश वे जफकक गाॊल वभाज की
चाय छ् फीघा जभीन
उनके कब्जे भं थी कशी जॊगर के नाभ वे तो कशी टमफ ॊू लेर के नाभ ऩय तो कशी अन्म नाभ वे । लशी शार दव ू ये दशस्वेदायो का बी था ।दोनो
ऩषं ने ककवी न ककवी रूऩ वे गाॊल वभाज मातन गयीफं की जभीन ऩय
कब्जा जभामे शुमे थे ।गालॊ के बभू भशीनं के ऩाव तो इतनी बी जभीन नशी यशी कक ले ट्टटी ऩेळाफ को जा वके । इन्शी का क्मा शय दफॊग रोगो का मशी शार यशा शै तबी तो गयीफी बूभभशीन अभबळाद्धऩत जीलन जीने को भजफयू शै । बुआर फाफू औय उनके ऩरयलाय को छोडकय धीये धीये
वबी ळशय चरे गमे । एक ददन चप ु वे उधभ फाफू बी चरे गमे शलेरी को बूतशा घय फना कय ।
फेचाया फदयी ददन यात उनकी चाकयी भं रगा 233
यशता था उधभफाफू ने फदयी को बी फताना भुनाभवफ नशी वभझा ।फदयी वुफश शलेरी ऩशुॊचा तो शलेरी भं तारा रटका शुआ था ।बुआरफाफू ने जाते शुए दे खा था ।लशी आगे फढकय आमे औय फोरे फदयी त् ु शाये
जभीॊदाय वाशफ तो अॊधेये भं श्ळशय की ओय कॊू च कय गमे क्मा तुभको बी नशी फतामे थे ।
फदयी-नशी फाफू ।
बआ ु रफाफ-ू फदयी व्बर जा अफ वे शी । त् ु शाये वाथ छर शो यशा शै । फदयी-अये नशी फाफू कोई काभ जरूयी ऩड गमा शोगा इवभरमे उधभ फाफू त्रफना फतामे चरे गमे शोगे ।
बआ ु रफाफ-ू ठीक शै बगलान कयं त् ु शाया द्धलश्वाव न टूटे कशते शुए चरे गमे।
फदयी फशुत दे य तक शलेरी की फाउण्डयी भं रगे अळोक के ऩेड के नीचे फैठा यशा ।इवके फाद उठा औय अऩने घय चरा गमा आत्भ धचन्तन कयते शुए कक ऐवा उधभ फाफू ने क्मं ककमा । फदयी उधभ फाफू के दशस्वे की शलेरी वे रेकय खेत खभरशान तक की जज्भेदायी अऩना पजत भानकय उठा यशा था ।इवी फीच शल्की वी
फयवात शो गमी । खेत जोतने रामक शो गमे ।फदयी ऩशरे वे शी भभरे
शरलाशी के खेत जो द्धलगत ् कई वारं वे ऩयती ऩडे थे ,को जोतने भं जट ु गमा ।फदयी फशुत खुळ था कक आगाभी पवर फशुत अच्छी शोगी ।इवी फीच उधभ फाफू एक ददन वूयज डूफते डूफते आ गमे ।फदयी बागा दौडा शलेरी ऩशुॊचा । फदयीको दे खकय उधभ फाफू फोरे फदयी शभाये ऩीछे फशुत वाजजळ यची गमी शोगी । फदयी-नशी भाभरक वाजजळ कौन यचेगा ।
उधभफाफ-ू अये त् ु शाये औय भाभरक रोग औय कौन ।
234
फदयी-भाभरक तो आऩ शभाये शो उधभ फाफू ।शाॊ आप चऩ ु चा चरे जाने के फाद भेयी फशुत तौशीनी की शै गॊेाेॊल के फाफू रोगो ने ।वफ उधभफाफू का आदभी कश कश कय भजाक उडाते शै आजकर । ऩशरे वआ ु र फाफू का लपादाय कशते थे अफ आऩका ।
उधभफाफ-ू गाॊल के रोग कश यशे शै ना शलेरी के दशस्वेदाय रोग कुछ तो नशी कश यशे शै ना ।
फदयी-ककव ककव का भॊश ु धरूॊ वबी ना जाने क्मं अऩना दश्ु भन भान फैठे शै ।कोई वीधे भुॊश फात शी नशी कयता । शलेरी भं फॊटलाया क्मा शुआ शभ आॊख की ककयककयी शो गमे । उधभफाफ-ू फने यशो ककयककयी ।
फदयी-शलेरी के दशस्वेदाय वभझते शै कक अबी फशुत वायी भोशयं का फटलाया शी नशी शुआ शं ।जभीन भं गडी ऩडी शं जजवका शभं मा उधभ
फाफू को शी ऩता शै ।शभाये उऩय त्रफना लजश श्ळॊका कय यशे शं फाफू रोग । उधभफाफू शलेरी के फॊटलाये वे भेया कौन वा बरा शो गमा ।
उधभफाफ-ू क्मो नशी अफ ऩाॊच फाफू रोग तु्शाय भाभरक शो गमे । शलेरी वे फॊटलाये वे तु्शाया पामदा तो शुआ शै ।एक का काभ छोडं दव ू ये का थाभ रो । अफ तो जभाना फदर गमा शं ।खेती का तयीका बी फदर
गमा शं ।जभीदायी खत्भ शो गमी शं । फाफू रोग जभीन तीवयी ऩय दे कय श्ळशय भं फवने रगे शं ।उनको क्मा ऩता ककतना अनाज ऩैदा शुआ जो भन भं आमे दे दो ।फाकी अऩने घय भं बय रो । फदयी-क्मा कश यशे शो उधभ फाफू ।
उधभफाफ-ू शभने क्मा गरत कश ददमा । कोई गारी तो नशी ददमा ।
वच्चाई का शी फमान कय यशा शूॊ । फदयी-फाफू फडे जभीदाय को ददमे गमे लचन की लजश वे फाकी फाफू रोगो का दश्ु भन फन गमा शूॊ आऩ शो कक भेये उऩय ळॊका कय यशे शो ।
235
उधभफाफ-ू ळॊका की फात नशी शं ।भै तु्शायी शी फात नशी कय यशा शूॊ । वबी अधधमा तीवयी कयने लारे भजदयू ो की फात कय यशा शूॊ ।
फदयी-फाफू गयीफ आदभी चोयी फेईभानी नशी कयता । लश अऩने ऩवीने की खाता शै । मदद लश चोयी फेईभानी कयता तो झोऩडी भं ऩडा नशी यशता ।फाफू ईभानदायी शी भजदयू की वफवे कीभती धयोशय शं । लश इवे नशी गॊला वकता । लश ईभानदायी के प्रतत लचनफध्द यशता शै ।
उधभफाफ-ू फाय फाय लचन की फात कयते शो फदयी मश त् ु शायी आदत ठीक नशी शै ।मश कशते शुए नशी थकते कक तुभने शभाये फाऩ को लचन ददमा शै । अये कोन वी लचन की फात फाय फाय कयते शो फदयी ।
फदयी-फाफू आऩको अच्छी तयश वे भारभ ू शै । क्मं भेये लचन का जनाजा तनकार यशे शो । इववे आप द्धऩताजी की आत्भा को बी ठे व ऩशुॊचेगी । उधभफाफ-ू भैने तो कोई भजाक नशी उडामा शै । मदद तुभ भान यशे शो तो भं क्मा कय वकता शूॊ । तुभ जो चाशे वोच वकते शो । उधभफाफू औय फदयी आऩव भं फाते कय यशे थे इवी फीच उधभ फाफू की
ऩत्नी गीतादे ली आ गमा योते शुए फच्चे को चऩ ु कयलाते शुए औय फोरी क्मं जी दध ू का इन्तजाभ इतनी टाइभ शो ऩामेगा की नशी । फच्चा दध ू के भरमे यो यशा शै ।
उधभफाफ-ू इतनी यात गमे भं कशाॊ वे दध ू का इन्तजाभ करू । मश गाॊल शं तु्शाया श्ळशय नशी ।
फदयी-भवभरकीन धचन्ता ना कयो ।भं दध ू का इन्तजाभ कयता शूॊ । भेये घय तो दध ू शं ऩय भेये फततन का यखा दध ू तो आप भरमे अऩद्धलत्र शै । उधभफाफ-ू कैवे दध ू का इन्तजाभ कयो ।
गीतादे ली-शाॊ फदयी तु्शाये फततन भं यखा दध ू तो नशी चादशमे औय कशी वे इन्तजाभ शो वकता शै क्मा ।
फदयी-शाॊ भाेाभरकीन भै दध ू का इन्तजाभ कय दॊ ग ू ा । गीतादे ली-लेा कैवे भेयी दध ू दे ती शै ना । 236
गीतादे ली-अबी तक गाम रगामे नशी शो । फदयी -रगा चक ु ा शूॊ । गीतादे ली- तफ कशाॊ वे राओगे ।
फदयी-भाभरकीन गयीफ की गाम शै वफ वभझती शै। जफ चाशता शूॊ दशू रेता शूॊ। उधभफाफ-ू गाम शै कक फकयी । फदयी-फाफू शं तो गमा शी । उधभफाफ-ू अये यलीन्द्र
की भ्भी फदयी को रोटा दो ।इतनी टाइभ का
तो इन्तजाभ शो । कर तो इन्तजाभ शो
जामेगा ।
फदयी-फाफू धचन्ता ना कयो । आऩका फेटा भेये ऩोते के वभान शै । भेय
घय भं दध ू शं तो इधय उधय बटकने की क्मा जरूयत शै ।नयामन वे ऩाॊच वार शी तो फडे शै ।
गीतादे ली-फदयी को रोटा दे ती शुई फोरी रो फदयी दध ू का इन्तजाभ कयो । फाते फन्द कयो ।फशुत दे य वे फातं कय यशे शो ।यलीन्द्र तो वभझदाय शं नशी यो यशा शं ऩय दे खो वतीन्द्र ककतना यो यशा शै । फशुत जोय की बूख रगी शं । दध ू के बयोवे तो अबी ऩारना ऩड यशा शै ।थोडा जल्दी कयना ।
फदयी-शाॊ भारकीन गमा औय आमा । कर फच्चला की नजय बी उतयला रेना । फच्च्ला को नजय बी रगी शोगी ।
उधभफाफ-ू वराश दे ना फन्द कयो ।दध ू रेकय आाओ । नजय कर उतयलाना । अबी तो फच्चला को बख ू रगी शै ।दध ू रेकय आओ ।
फदयी-ठीक शं फाफू राता शूॊ कशकय रोटा उठामा अऩने घय की औय जल्दी जल्दी ऩग फढाने रगा ।फदयी अऩने घ्सय जाकय गाम की ऩीठ ऩय शाथ पेयकय फतछमा को खूॊटे वे खोर रामा ऩय फतछमा थन भं भुॊश रगाने को याजी न थी ।
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फदयी को यात भं दोफाया गाम को दशू ने की कोभळळ कयते शुए दे खकय श्ळाजन्तदे ली फोरी अये नयामन के दादा मे क्मा कय यशे शो ककतनी फाय दशू ोगे । कुछ दे य ऩशरे शी तो दशू कय वडक की ओय गमे थे बर ू गमे क्मा ।
फदयी-अये नशी ये । इतना बुरक्कडॊ तो नशी शूॊ । ळाजन्तदे ली-कपय क्मं गमा दशू ने की कोभळळ कय यशे शो ।तु्शाये शाथ भं रोटा ककवका शै । फदयी-शलेरी का ।
ळाजन्तदे ली-तुभको कैवे भभरा ।
फदयी-दध ू रे जाना शै इवी रोटे भं ।
ळाजन्तदे ली-इतनी यात गमे शलेरी भं ककवको दध ू की जरूयत ऩड गमी । फदयी-बागलान श्ळशय वे उधभ फाफू आ गमे शै ।भुझे शलेरी के वाभने
खडी काय ददखामी ऩडी तो चरा गमा । लशाॊ जाकय ऩता रगा कक अऩने भाभरक शै ।उनका छोटा फेटा यो योकय फेशार शो यशा शै । छोटी भाभरकीन को वुना शै दध ू नशी उतयता शै ।
ळाजन्तदे ली-ऐवा कैवे शो गमा । दध ू नशी शो यशा शै । फदयी-मे वफ फात भै कैवे ऩछ ू ता ।
ळाजन्तदे ली-वभझ गमी फच्चे को छाती वे न रगाने का फशाना शै श्ळशयी भेभ का । छाती वे रगामेगी तो ळयीय रटक जो जामेगा ।खूफवूयती ऩय अवय ऩडेगा ।फच्चा तो ऩैदा कय रे यशी शं दध ू नशी ऩीरा यशी शं । फोतर भं बय बयकय दध ू ऩीराती शै।
फदयी-ऐवा नशी शोगा नयामन की भाॊ बरा एक भाॊ अऩने फच्चे के भुॊश भं अऩनी छाती नशी डारेगी ।
ळाजन्तदे ली-भं जानती शूॊ उव छयशयी भेभ को । जलान यशने का नस् ु खा शं छोटी भाभरकीन का । इव फाये भं फडी भाभरकीन बी ऩशरे फशुत धचढती
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थी । मे ळशयी भेभ रोग ऩेट भं फीदटमा शोती शै तो धगयला दे ती शै। फेटला फडे श्ळौक वे ऩैदा कयती शै लश बी वुई रगलाकय ।
फदयी-क्मो लक्त जामा कय यशी शो । मे वफ तभ ु को कैवे ऩता चरा ।
ळाजन्तदे ली-अये ठीक शं भै अनऩढ गॊलाय शूॊ ऩय एक औयत शूॊ । तुभ भदत क्मा वभझं औयतो के फाये भे । खैय छोडो तुभ गाम की ऩीठ ऩय शाथ पेयो भै दशू ती शूॊ । ळाजन्तदे लीदे ली जैवे शी थन को दफामी दध ू तनकर आमा । ततनक बय भं ऩाल बय दध ू शो गमा ।फदयी दध ू रेकय शलेरी की ओय बागा ।शलेरी
ऩशुॊचकय लश फाशय वे छोटी भारकीन छोटी भारकीन की आलाज दे ने रगा । फदयी की आलाज वन ु कय उधभ की भाॊ फडी भानकीन फाशय आमी औय फोरी फदयी आ गमे ।
फदयी-शाॊ फडी भारकीन दध ू रेकय आमा शूॊ । फडी भारकीन- दध ू चौखट ऩय यख दो । फदयी-जी भारकीन यख ददमा ।
फडी भारकीन एक कटे यी भं ऩानी रामी रोटे के उऩय तछडकय ऩद्धलत्र की इवके फाद रोटे का दध ू रेकय शलेरी के अन्दय चरी गमीॊ ।फदयी शलेरी
के दयलाजे के वाभने फशुत दे य तक खडा यशा ककवी ने कुछ नशी कशा । खडे खडे थक गमा इवके फाद लश अऩने घय गमा ।लश भॊश ु रटकामे घय ऩशुॊचा उवकी श्ळक्र दे खकय श्ळाजन्तदे ली फोरी क्मं क्मा शुआ । फदयी-आऩ फीती वुना ददमा ।
ळाजन्तदे लीफोरी-कोई नइर फात नशी शं ।ळशय ऩयदे व जाने वे मे फाफू रोग
जभीदायी के ऩैतये बाेूर जाते शं क्मा । नशी ।घामर वाॊऩ की तयश औय
गुस्व ्ेैर शो जाते शै ।ऐवे रोगो वे उ्भीद क्मं कयते शो । रयवते जख्भ दे ने लारे भीठे लचन फोर वकते शं क्मा । ददन बय शाडपोड पोड कय थ
गमे शो । इतनी यात तक उव भनशूव शलेरी के वाभने खडे यशे ।ळैतानं का ददर नशी ऩवीजा की घय जाने की तो कश दे । तुभ उनके जफाफ की 239
प्रततषा भं आधी वे अधधक यात गुजाय ददमे । थक गमे शो । आयाभ कयो । वुफश शाड थयू ना शै। ।
फदयी खदटमा ऩय धगयते शी नीॊद के आगोळ भं चरा गमा । इवके फाद
तेज शला चरने रगी । थोडी दे य भं झभाझभ फयवात श्ळुरू शो गमी तफ जाकय नीॊद खुरी ।फदयी नीॊद खुरते नयामन की भाॊ नयामन की भाॊ फर ु ाने रगा ।
ळाजन्तदे ली-क्मं फर ु ा यशे शो । बीॊग यशे शो क्मा । फदयी-नशी ।कई जगश वे भडई चू तो यशी शै ।
ळाजन्तदे ली-खदटमा जजधय वयका रो जजधय नशी चू यशी शै । फदयी-नीॊद तो खयाफ शो यशी शै
ऩय फयवात अच्छे वभम आ गमी
।जल्दी फयवात आने वे नवतयी ऩशरे ऩड जामेगी । योऩाई बी जल्दी श्ळुरू शो जामेगी ।
ळाजन्तदे ली-फडे उतालरे शो यशे शो । ऩशरी फयवात भं शी नवतयी डार दोगे क्मा ।
फदयी-अच्छी फयवात शो गमी तो क्मा फयु ाई शै । ळाजन्तदे ली-फात तो ठीक कश यशे शो ।
फदयी-उधभ फाफू बी आ गमे शं ।ट्रै क्टय वे खेत जोतला दे गे ।कुनारफाफू का खेत थोडा कभ योऩग ॊू ा ।
ळाजन्तदे ली-कैवी फात कय यशे शो । र्फू बइमा के फच्चे क्मा खामेगे ।
फदयी-उधभ फाफू के ऩाव फशुत जभीन शै ।कुछ जभीन र्फू को अधधमा ऩय ददरला दॊ ग ू ा । कुनारफाफू तो तीवयी ऩय कयला यशे शै ।जफ पवर
खभरशान भं आती शं तो उनकी धगध्द नजय रगी यशती शै । ऐवा रगता शै कक जभीन के भाभरक वफ एक जैवे शी शोते शं ।
फदयी-राचायी शै। गुराभी कयना ऩड यशा शं लयना ऐवे भाभरकं की चौखट ऩय ऩेळाफ नशी कयने कोई भजदयू जामे ।वच नयामन की भाॊ भेया भन ततनक बी नशी शोता । फशुत गुराभी कय भरमा । 240
ळाजन्तदे ली-बूभभशीनं के वाभने द्धलकयार वभस्मा तो योटी योजी की शै
।खेत भं काभ ना कये तो खामे क्मा । अऩने ऩाव चाय छ् फीवा जभीन शोती तो क्मं जाते गर ु ाभी कयने । ऩयु खं की जभीन तो मशी फाफू रोग शडऩ कय शभं गुराभ बूभभशीन फना ददमे ।बगलान फेटला की भुयाद ऩयू ी कय दे फव फेटला शी अऩनी फढ ू ी आॊखं की योळनी शै ।
फदयी-नयामन की भाॊ अऩना वऩना ऩयू ा शोगा कक ऐवे भडई भं फैठे वोचते वोचते भय खऩ जामेगे ।
ळाजन्तदे ली-ऐवा क्मं कशते शो दआ ु कयो ।बगलान फेटला को फशुत फडी नौकयी दे दं ।अऩने वाथ फस्ती के भजदयू ं का बी बरा शो जामे । फदयी-शाॊ नयामन की भाॊ ददन यात तो दआ ु भं शी त्रफत यशे शं ।बगलान वुने तफ ना ।शभ तो उ्भीद ऩय शी जजन्दा शै ।
ळाजन्तदे ली-भुझे नीॊद आ यशी शं । तुभ बी वो जाओ ।
फदयी--ठीक शै बागलान तुभ वो जाओ । भेयी तयप तो भडई चू यशी शै । ळाजन्तदे ली-खदटमा घभ ु ा क्मो नशी रेते ।भं तो खदटमा खडी कय नीचे
वूखी जभीन ऩय त्रफछौना त्रफछा रेती शूॊ ।नीॊद फैठने नशी दे यशी शं । ददन बय शाड थयू थयू कय शड्डी दख ु यशी शै । फदयी-तभ ु वो जाओ । भझ ु े जफ नीॊद आमेगी तो कयलट भाय रॊग ू ा ।
फयवात धीभी शो गमी ।फदयी औय श्ळाजन्तदे ली को आॊखे रग गमी ।वफ ु श शुई नशी वफ अऩनेअऩने खेत की ओय बागने रगे ।फदयी की नीॊद खुरी । लश उठकय फैठ गमा औय श्ळाजन्तदे ली वे फोरा नयामन की भा । वबी रोग खेत की तयप बाग यशे शं । भं जाउूॊ ।वबी नवतयी डारने के भरमे दौड बग कय यशे शै ।
ळाजन्तदे ली-अबी तो अॊधेया शै ।कशा जाओगे । कशी कीचड भं धगय गमे तो । उजारा शोने दो ।
फदयी-उजारा तो शो गमा शै ।
241
ळाजन्तदे ली-उजारा शो गमा शै तो शुक्का चढा राती शूॊ ।
गुडगुडाकय जाना
फदयी-मश बी ठीक शै ।
ळाजन्तदे ली-भै। बी कशूॊ तुभ त्रफना शुक्का गुडगुडामे कैवे जा वकते शो । ळाजन्तदे ली धचरभ चढा रामी ।फदयी जल्दी जल्दी शुक्क् ेा गुडगुडामा । शुक्का एक तयप यखकय लश तुयन्त उत्तय की भवलान बागा । नवतयी
डारने लारे खेत का ऩानी चायं तयप वे फाॊधा । इवके फाद शलेरी गमा । उधभ फाफू कुवी ऩय ऐवे झूभ यशे थे जैवे कोई फच्चा खेर यशा शो । फदयी को शाॊपता शुआ दे खकय फोरे क्मं फदयी इतना शाॊप क्मं यशा शं ।त् ु शाये ऩीछे तो कोई रगा शै क्मा ।
फदयी-फाफू वबी छोटे फडे धान के नवतयी डारने की तैमायी भं जट ु े शै। भै बी खेत का ऩानी चायो ओय वे फाॊध कय आ यशा शूॊ । उधभ फाफ-ू क्मं घ ् फदयी-फाफू नवतयी नशी डारना शै क्मा ।
उधभफाफ-ू कुनार फाफू की जभीदायी का खेत नशी शै क्मा खारी । फदयी-फाफू क्मा कश यशे शो ।
इतने भं बोवा आ गमा ।उधभफाफू उवको दे खकय फोरे आ जा बोवायाभ त् ु शाया इन्तजाय कय यशा शूॊ।फशुत र्फी उम्र शै तेयी ।खेत भं ऩानी शै नवतयी डारने रामक । बोवायाभ-शाॊ फाफू शै ना ।
उधभफाफ-ू मशी तो फदयी बी कश यशा शै ।जाओ नवतयी डारने का
फन्दे ाफस्त कयो औय फदयी तू क्मा अफ शरलाशी मा अधधमा दटकुयी की
खेती कये गा ।तेया फेटा तो फशुत फडा वाशे फ शो गमा शै ।ऩक्की शलेरी भं फैठकय ऩॊखे की शला खाना ।अफ वे शभायी शरलाशी बोवायाभ कये गा।
242
फदयी-फाफू इतना फडा धोखा क्मो घ्गयीफ के वाथ धोखा कबी चैन नशी रेने दे गा ।खुद के आॊवू भं डूफ भयोगे अफ मे भेया अभबळाऩ शै ।तुभभं
तो भै अऩने फेटा का स्लरूऩ दे ख यशा शै तू तो नाग तनकरा ये उधभ.... उधभफाफ-ू मशाॊ वे जा यशा शै कक धक्के भायकय तनकरलाउं ेू ।
फदयी-उधभ जफ तेया कोई आॊवू ऩोछने लारा ना भभरे तो भेयी झोऩडी ऩय भाथा टे क दे ना ।लश
ददन जरूरूय आमेगा । भेया अभबळाऩ तेये वाथ शै
।गयीफ के आॊवॊू तप ू ान फनकय तफाश कय दे ते शै । फडे फडे याजा
भशायाजा भभट गमे तू बी भभट जामेगा । भेये फेटे वे जरता शै ळैतान। रे भं तेये भुॊश ऩय थक ू ता शूॊ । कशते शुए फदयी फाफू को जैवे वाॊऩ वॊघ ू गमा ।
शलेरी वे तनकर गमा।उधभ
उन्नीव
फदयी उधभ के भुॊश ऩय थक ू ने की फात क्मा कश ददमा की उवकी
द्धलचायधाया शी फदर गमी ।लश वाभाजजक वभयवतालादी क्राजन्तकायी
द्धलचायधाया को अऩना भरमा ।लश शरलाशी न कयने की कवभ खा भरमा
।योजगाय के तौय ऩय उवने फकयी ऩारन ळुरू कय ददमा ।ळुरूलात भं तो कापी ददक्कतं आमी ऩय धीये धीये व्बर गमा ।ळशय वे नयामन का
भतनआडतय बी कापी भददगाय वात्रफत शुआ ।फकयी ऩारन वे बी कुछ पामदा शोने रगा । एक ददन लश शुक्का गड ु गड ु ाते शुए नयामन की भाॊ वे फोरा नयामन की भाॊ एक फात कशूॊ । ळाजन्तदे ली-अफ क्मा नमा द्धलचाय तु्शाये भन भं आ यशा शं । कश दो जो कुछ कशना चाश यशे शो । भझ ु े चल् ू श चौके का काभ कयना शं । कभामन को बी स्कूर जाना शं । ततनक बय भं घय भवय ऩय उठा रेगा ।
फदयी-भं फस्ती के औय भजदयू ं की तयश गुभनाभी भं भयना नशी चाशता शूॊ ।कुछ नमा कयना चाशता शूॊ भजदयू ं के भरमे बूभभशीनं के भरमे ।इततशाव यचना चाशता शूॊ ।
243
ळाजन्तदे ली-नेता फनने का इयादा शै। लश बी इव उम्र भं । कुछ ऩढे भरखे शोते तो कुछ उ्भीद बी फनती ।
फदयी-कैवी । फडे फडे चन ु ाल जीते शै । खैय भं चन ु ाल रडने की फात नशी
कय यशा शूॊ । भं तो बूभभशीनो के कल्माण के भरमे त्माग कयने की फात कय यशा शूॊ ताकक रोगो के फीच भेया नाभ जजन्दा यशे । न जी कय औय नशी भयकय बी
गुभनाभ शोना चाशता ।
ळाजन्तदे ली-कैवी गभ ु नाभी । तभ ु गभ ु नाभ कैवे शो जाओगे ।फात कुछ वभझ भं आमी नशीॊ ।
फदयी-अये जीते जी शी नशी भयने के फाद की फात कय यशा शूॊ । ळाजन्तदे ली-क्मा घ ्
फदयी-शाॊ । भं भयकय बी भयना नशी चाशता शूॊ । ळाजन्तदे ली-तुभको क्मा शो गमा शै । जफ वे उव दगाफाज के भुॊश ऩय थक ू कय आमे शो तफ वे फशकी फशकी फाते कयने रगे शो । तु्शायी तत्रफमत ठीक तो शै ।
फदयी-अये नयामन की भाॊ तू गॊलाय की गॊलाय यश जामेगी क्मा । इतने
ऩढे भरखे फेटे की भाॊ शोकय बी तू भेयी फात शी नशी वभझ ऩा यशी शै ।
ळाजन्तदे ली-भं वचभच ु गॊलाय शूॊ तबी तो त् ु शायी फात वभझ नशी ऩा यशी शूॊ ।वाप वाप कशो क्मा कशना चाश यशे शो । फदयी-भं चाशता शूॊ बूभभशीनता के के खखराप भोचात खोरना । ळाजन्तदे ली-इवभं तो खतया शै । फाफू रोग जीने दे गे क्मा घ ् फदयी-डयकय
वाभाजजक औय आधथतक गयीफी के आतॊक भं जीने वे
फदढमा तो शं बूभभशीनं के अधधकाय के भरमे भय जाउूॊ ।
ळाजन्तदे ली-क्मा कश यशे शो ।तुभ अकेरे वफर श्ळोऩक वभाज वे कैवे रड ऩाओगे ।
फदयी-दे खना एक ददन भं ये वाथ ऩयू ा बभू भशीन वभाज खडा शोगा । ककवी एक को तो आशुतत दे नी शी ऩडेगी । नयामन की भाॊ तुभ भुझे डयाओ 244
नशी । अफ भुझे ककवी वे डय नशी रगता । फेटा ऩढभरखकय फाशय
तनकर गमा शै। कभामन बी ऩढ भरख यशा शै ।नयामन वफ व्बार रेगा ।अफ भेये जीलन का एक उद्देश्म यश गमा शै कक भै। बभू भशीन वभाज के काभ आ जाउूेॎ।
ळाजन्तदे ली-भं तुभको डया नशी यशी शूॊ । जरूयत ऩडी तो भै बी तु्शाये वाथ बूख शडतार ऩय फैठूॊगी । इव बूभभशीनता के दरदर वे फाशय तनकरने के भरमे छाती पौरादी औय ददर ऩत्थय का कयना ऩडेगा ।
फदयी-फव इतना शी तु्शाये भुॊश वे वुनना चाश यशा था ।अफ तो भं अऩने भजदयू बाईमं के भरमे शॊवते शॊवते पाॊवी ऩय बी चढ जाउूॊ गा । भेयी
तभन्ना शै कक शय बभू भशीन के ऩाव अऩना खेत शो । अऩना शर फैर शो ।नयामन की भाॊ शभाया फेटला वकुळर कभामे खामे शभाया तो फव इतना वा शी ख्लाफ शै यशी फात अऩनी तो दो योटी का इन्तजाभ तो शो शी
जामेगा । जजन्दगी बय तो गुराभ ककमे इव श्ळोऩक वभाज की जीलन
के आखखयी ऩडाल ऩय क्र् याजन्त का त्रफगर ु तो फजा दे ताकक बभू भशीनता का अभबळाऩ कट जामे ।
ळाजन्तदे ली-तु्शायी फात भं तो दभ शै । वच कशाॊ गमा शै भळक्षषत फनो वघऩत कयो । भळक्षषत तो नशी शो ऩामे ऩय वॊघऩत का बाल
भन भं ऩैदा
शो गमा ।अगय ऐवे शी बाल शय बभू भशीन भजदयू भं ऩैदा शो जामे तो बूभभशीनता का अभबळाऩ जल्दी कट जामेगा ।
फदायी-नयामन की भाॊ अफ फार फच्चे अऩने ऩैय ऩय खडे शो गमे शं । ऩारयलारयक पजत ऩयू ा शो गमा शै। वे भयता ।
वाभाजजक पजत ऩयू ा शो जाता तो चैन
ळाजन्तदे ली-भयने की फात क्मं फाय फाय कयते शो ।बूभभशीनता के अभबळाऩ को तुभ काटोगे कैवे घ ्
फदयी-भेये भन भं एक मोजना शं ।
ळाजन्तदे ली-क्मा शं । कशो भं भ्सी तो जानूॊ । 245
फदयी-जॊग का ऐरान । ळाजन्तदे ली-अकेरे ।
फदयी-तभ ु तो वाथ शो । ऩशरे अकेरा चरना ऩडेगा । फाद भं दे खना ऩीछे भेरा शोगा ।
ळाजन्तदे ली-फाद का तो ऩता नशी अबी की तो भारूभ शै ।
फदयी-क्मा भारूभ शं । फताओ तो भं बी जानूॊ ।क्मा क्मा खफय यखती शो ।
ळाजन्तदे ली-जनन ू ।
फदयी-तुभको बी जनन ू चढ गमा ।
ळाजन्तदे ली-शाॊ क्मं नशी । फेचाये बभू भशीन भजदयू ं के दशत भं तभ ु जान दे ने को तैमाय शो तो क्मा भं ऩीछे यशूॊगी । भुझे जनन ू नशी चढे गा तो ककवको चढे गा ।
फदयी-काळ ऩयू ी फस्ती औय धीये धीये कयके ऩयू े दे ळ के बूभभशीन खेततशय भजदयू बभू भशीनता के खखराप जॊग का ऐरान कय दते । वच अऩना वऩना ऩयू ा शो जाता ।
ळाजन्तदे ली-अच्छे काभ का अवय धीये धीये शोता शै ।दे खना जफ दे ळ बय के बभू भशीन खेततशय भजदयू जॊग का ऐरान कय दे गे तो बभू भशीनता का
अभबळाऩ जरूय कट जामेगा ।बभू भशीन भजदयू ं का उध्दाय त्रफना वॊघऩत के तो नशी शो वकता शै ।
फदयी-शाॊ नयामन की भाॊ वबी बूभभशीन भजदयू एकजट ु शोकय वॊघऩत कये तो बभू भशीनता का अभबळाऩ शी नशी फाकी वाये अभबळाऩ कट जामेगे
चाशे ले वाभाजजक शो मा आधथतक मा कोई औय ।एकता की ताकत के आगे कोई अभबीळाऩ नशी दटक वकता ।
ळाजन्तदे ली औय फादयी आऩव भं फात कय शी यशे थे कक इवी फीच वाभी आ गमे । वाभी के आते शी फदयी फोरा नयामन की भाॊ वाभी बइमा के भरमे धचरभ चढाओ ।दे खो बागे बागे थके भाॊदे कशी वे चरे आ यशे शै 246
।फेचाये के वाथ फाफू रोगो ने अच्छा नशी ककमा । भोटय बी चयु ाकय फेच
ददमे ।थाने भं बी फन्द कयलामे ।दयोगा ने भाय भाय कय शड्डी चटका दी । उऩय वे वयकायी कजे का फोझ बायी शोता जा यशा शै । बगलान इन दरयन्दो को वजा ना जाने कफ दे गा ।
वाभी- धचरभ फाद भं चढाना ऩशरे अऩनी फात तो ऩयू ी कय रो ।भै आ
तो यशा शूॊ दव ू ये गाॊल के फाफू के घय की भय्भत का काभ कयके । वच थक तो फशुत गमा शूॊ । ददन बय धऩ ू भं तऩ जाता शूॊ । करू तो क्मा करूॊ । ऩरयलाय ऩारने के भरमे भेशनत भजदयू ी तो कयनी शी ऩडेगी ना
।आधा खेत धगयली ऩडा शै।आधा खेत धगयलय यखने के फाद बी टमफ ू ेर
के कजे की यकभ नशी बयी जा वकी शै। कजत ददन यात फढ यशा शै। खैय छोडो बगलान अऩनी बी नईमा ऩाय रगामेगा । फदयी बइमा अऩनी फात तो ऩयू ी कय रो जो भेये आने वे ऩशरे कय यशे थे ।
फदयी-क्मा फात करूॊगा । बइमा तुभको तो ऩता शी शं शयलाशी चयलाशी
छोडकय फकयी चया यशा शूॊ । वाभी-गुराभी वे तो अऩना काभ शी अच्छा शै। । फकयी ऩारन कोई फयु ा काभ तो नशी शै ।खुद का काभ खुद भाभरक । इववे अच्छी औय फात क्मा शो वकती शै ।
फदयी-वाभी बइमा अफ इयादा फदर यशा शै । वाभी-क्मा कयोगे अफ ।
फदयी- बइमा अबी तक तो अऩने ऩरयलाय के भरमे जीमा । तु्शायी दआ ु वे नयामन प्ढ भरख शी गमा शं । कबी ना कबी फडे वाशे फ की नौकयी तो रग शी जामेगी ।ऩरयलाय की गाडी मोदशॊ चरती यशे गी । अफ भं
बूभभशीन खेततशय भजदयू ं के भरमे जीना चाशता शूॊ । जजव ददत को भं षण प्रततषण बोगा शं भं नशी चाशता शूॊ कक अफ कोई खेभभशय भजदयू बोगे ।भेयी भदद कयोगे वाभी बइमा ।
247
वाभी-क्मा फात कय यशे शो ।बूभभशीनं के उध्दाय के भरमे भै। अऩना खेत बी फंच वकता शूॊ । तुभ तो शुक्भ कयके दे खो भेये बाई । फदयी-नशी मशी तो नशी कयना शै । वाभी-कपय क्मा कयना शोगा । फताओ .........
फदयी-अऩनी फात शय खेततशय भजदयू तक ऩशुॊचाने का फन्दोफस्त.......... वाभी-कैवे....
फदयी-जरव ू ,वडक जाभ शडतार , बभू भ चोयं के खखराप नाये फाजी । मशी वफ कयना शोगा ताकक अऩनी फात वयकाय तक ऩशुॊच वके । वाभी-तुभ तो भजे शुए नेताओॊ की तयश फात कय यशे शो फदयी ।मे वफ कशाॊ वे वीखे.....
फदयी-वफ वभम ने वीखा ददमा शै ।तबी तो उधभ के भुॊश ऩय थक ूॊ वका लयना उवके वाभने शाथ जोडे खडा यशने लारे का दश्भत कबी शोती ।इवी वीख को इन्जाभ दे ना शै ।
ळाजन्तदे ली-वाभी बइमा अबी तो रो शुक्का गड ु गड ु ाओॊ इन्जाभ फाद भं दे ना ।
फदयी-नयामन की भाॊ तू शुक्का दे यशी शै मा फाेोरी फोर यशी शं । अये फोरी फोरना शोतो गोरी भाय दो ।
ळाजन्तदे ली-शुक्के वे गोरी तनकरा तो भं वफवे ऩशरे बभू भ चोयो की छाती ऩय दागती ।वबी बूभभशीनो को जभीदाय फना दे ती । वाभी-अये लाश
फदयी बइमा नयामन की भाॊ की दश््त दे खकय जॊग भं
कूदने का भन शो गमा । फदयी भं त् ु शाये वाथ शूॊ ।फताओ भझ ु े क्मा कयना शोगा । फदयी-तुभको तो भरखने ऩढने आता शै। फडे फडे वादे कागजो ऩय भोटे अषयं भं भरखो-
आॊलटन अफ शोकय यशे गा ।
बूभभ चायो का कब्जा शटकय यशे गा ।। 248
भोटे
श्ळोऩण के खखराप फगालत शो चक ु ी शै । भजदयू ं की एकता वात्रफत शो चक ु ी शै ।। जभीन ऩय अधधकाय शभाया शै ।
खेततशय बूभभशीन भजदयू ं का नाया शै ।।
बभू भशीन लॊधचतं की शै ररकाय । जभीन ऩय शभाया शै अधधकाय ।।
जाततलाद,जल् ु भ,ळोऩण औय अत्माचाय शभ नशी वशं गे ।
वाभाजजक औय आधथतक वभानता का अधधकाय रेकय यशे गे । बूभभचोय गाॊल वभाज की जभीन खारी कय दो ।
बभू भशीनं का तनकर चक ु ा शै जत्था अफ तो शक दे दो ।। वयकाय की आॊख खुरलाना शै ।
बभू भशीनं को जभीन उऩरब्ध कयाना शै ।।
वाभी-मे काभ तो वभझो शो गमा । आज शी भरख दे ता शूॊ ।इवके फाद क्मा शोगा । फदयी-कर वडक ऩय उतरूॊगा । वाभी-अकेरे । फदयी-शाॊ.....
वाभी-भं क्मा करूॊगा ।
249
फदयी-अऩनी फस्ती औय आवऩाव की भजदयू फजस्तमं भं बूभभशीनता के
खखराप जॊग की खफय ऩशुॊचाना ताकक अऩने अधधकाय की रडाई को गतत भभरे औय मश जॊग जायी यशे तफ तक जफ तक बभू भशीनता का अभबळाऩ न कटे ।
वाभी-फडी दयू की वोच शै फदयी बइमा तु्शायी ।बूभभशीन भजदयू ं का नेता कैवा शो । फदयी बइमा जैवा शो ।। का नाया भै फस्ती फस्ती
घभ ॊू ा । ू कय रगाउूॊ गा औय जलान,फढ ु े ,फच्चं वफ को वडक की ओय बेजग
र्फयू ाभ- अये वाभी बइमा क्मं वफको वडक ऩय ऩशुॊचा यश शो । वशी भामने भं तो शभ वबी वडक ऩय तो ना जाने ककव जभाने वे आ गमे शै ।ना खाने का दठकाना ना यशने का दठकाना औय नशी कोई वाभाजजक वभानता इववे फयु ा क्मा शोगा ।
वाभी-वडक ऩय उतयने वे शी बरा शोगा । घय भं फैठकय फाफू रोगो का
जल् ु भ वशने औय रयवते जख्भ को वशराते यशने वे कोई बरा नशी शोने लारा शै ।
र्फयू ाभ-बाई ददभागी शारत तो ठीक शै ।
वाभी-भूखत भेयी तो ठीक शं ।अऩनी ठीक कय ......
र्फयू ाभ-फदयी बइमा वाभी बइमा को क्मा शो गमा । कैवी त्रफना ऩैय की फातं कय यशे शै ।
भवय
फदयी-त्रफना भवय ऩेय की नशी । पामदे की फात कय यशे शै ।बूभभशीन
भजदयू ं के उध्दाय की फातं कय यशे शै ।खेततशय भजदयू ं भं क्राजन्त के वॊचाय की फात कय यशे शं ।
र्फयू ाभ-वडक ऩय जाने वे उध्दाय शोगा ।
वाभी-अये भूयख दो फडे रोग फाते कय यशे शो तो फीच भं त्रफना वोचे
वभझे नशी फोरना चादशमे ।थोडी दे य फात को वभझना चादशमे मदद फडे रोग याम भाॊगे तो फोरना चादशमे । त् ु शाये जैवे नशी कक त्रफच्छू का भन्त्र शी न जाने वाॊऩ की त्रफर भं शाथ डारे । 250
र्फयू ाभ-बइमा शभने क्मा गरत कश ददमा । इतने राेार ऩीरे शो यशे शो ।
वाभी-अफ तभ ु को शी वभझा रॊू इवके फात कोई फात कयगे । र्फू शभ
वडक ऩय इवभरमे फस्ती लारं को बेजना चाश यशे शै कक अऩने शक की भाॊग कय वके ।शभ वाभाजजक आधथतक रूऩ वे कफ तक दरयद्रता का
जशय ऩी ऩीकय जीमेगे । कफ तक भाॊ फशनं की इज्जत वे खखरलाड शोता दे खता यशे गे ।कफ तक भॊश ु ऩय तारे जड कय
अत्माचाय को फढाला
दे ते यशे गे ।वभम आ गमा शं अऩने शक की भाॊ के भरमे वडक ऩय उतयने का ।
र्फयू ाभ-अच्छा तो मे क्मो नशी कशते कक वडक जाभ कयोगे । जरव ू तनकारोगे । आभयण अनळन ऩय फैठोगे ।
फदयी-बूभभशीनता अभबळाऩ शै । इव अभबळाऩ वे उफयना शै कक नशी । र्फयू ाभ-क्मो नशी । कौन लॊधचत बूभभशीन
वाभाजजक आधथतक वभानता
चाशे गा ।दरयद्रता बभू भशीनता के दरदर भं कौन पॊवकय भयना चाशे गा । कोई नशी । शभ बी नशी बइमा ।
वाभी-र्फू अफ तू वभझा । रगता शं फजु ध्द तु्शाया घट ु ने भं फवती शै । अफ वन ु ।
र्फयू ाभ-क्मा वन ु ा यशे शो ।
वाभी-र्फू फदयी भौन जॊग का ऐरान कयने लारे शै कर वे ।
र्फयू ाभ-भौन जॊग । क्मा कश यशे शो । जॊग बी भौन शोकय रडी जाती शै ।
वाभी-शाॊ ।
र्फयाभ-लो कैवे ।
वाभी-कुछ इफायते फडे फडे अषयं भं भरखकय भौन फैठे यशे गे । आने
जाने लारे ऩढे गे । धीये धीये फात गाॊल ळावन प्रळावन वे शोती शुई वयकाय तक ऩशुॊचेगी । कपय दे खना अऩनी फस्ती का शी नशी ऩयू े दे ळ के 251
बूभभशीनं की वभस्मा का तनयाकयण शो जामेगा । जजव ददन वयकाय की
दखरअन्दाजी श्ळुरू शो गमी वायी वभस्मामं खत्भ शो जामेगी । एक फाय आन्दोरन तो श्ळरू ु शो जाने दो कपय थभने का नाभ नशी रेगा । जफ तक वयकाय की आॊख नशी खुरेगी ।
र्फयू ाभ-बइमा मश आन्दोरन जरूय वपर शोगा ।मश तो ककवी व्मडक्त की खखरापत नशी शै । इवभे वबी बूभभशीन खेततशय भजदयू ळाभभर शोना चादशमे अबी मश आन्दोरन अऩने भकवद भं काभमाफ शोगा । वाभी-चादशमे तो । शभं तो वबी वे उ्भीद शै ।जातीम बेद वे उऩय
उठकय वबी बूभभशीनं भजदयू ं को वशमोग कयना चादशमे । एक फात खटक यशी शै ।
र्फयू ाभ- लश क्मा
घ्
वाभी-मशी कक बूभभ भाभरक अऩनी जातीम श्रेप्ठता की आग भं घी डारेगे ।इववे फचना शोगा । र्फयू ाभ-नशी फच वकते ।
फदयी-कुछ बी शो ऩय अफ भै। अऩने बूभभशीन खेततशय भजदयू बाइमं के
भरमे जीना औय भयना चाश यशा शूॊ। अफ भेये जीलन का मशी एकभात्र भकवद शै । भं बभू भशीनं की चौखट ऩय तयक्की के उत्वल दे खना चाशता शूॊ । र्फयू ाभ-फदयी बइमा तुभ तो दीन दखु खमं के कल्माण के भरमे वॊघऩत
कयना चाश यशे शो ।इवभं तु्शाया व्मडक्तगत कोई दशत तो नशी शै। ऩयू ी फस्ती के रोग जान बी गमे शै कक अफ त् ु शाये ऩरयलाय का कोई बी
आदभी शरलाशी नशी कयने लारा शं ।तु्शाया इयादा फशुत नेक शै ।मे आन्दोर जरूय यॊ ग रामेगा । भेया एक वुझाेाल शै । फदयी-लश क्मा
घ्
252
र्फयू ाभ-अनळन ऩय फैठने वे ऩशरे जो नाये तुभने नाये गाॊल औय फस्ती की दीलायं ऩय
वुनामे थे ले वाये
भरखे जामे । वडक के ककनाये जो
घय शै उन दीलायं ऩय औय ऩभु रमाओ ऩय भरखे जामे ।
वाभी-मश बी ठीक शै ताकक धआ ु ॊ तो उठे ।मदद धआ ु ॊ उठ गमा तो आग बबकने भं दे य नशी रगेगी ।
फदयी- जो कुछ कयना शै तुभ दोनो की याम वे शी कयना शै । मदद तुभ रोग चाशते शो तो कुछ ददन रूक कय अनळन ऩय फैठूॊ तो त् ु शायी फात भान रेता शूॊ ।इव जो नाये शभने अबी ददमे शं दीलायं ऩय भरखने का काभ तुभ रोगो को शी कयना शै । वाभी- फदयी बइमा तभ ु धचन्ता ना कयो मे काभ कर वे शी श्ळरू ु शो जामेगा । मे तो शभने तु्शाये वाये नाये कागज ऩय भरख भरमे शै ।
फस्ती के स्कूरी फच्चं वे भरखलाने का काभ कयलाना ळुरू कय दॊ ग ू ा । दे खना इव इफायत वे बूचार आ जामेगा ।ेीेाेूभभचोय अऩने आऩ कब्जा छोडने ऩय द्धलचाय कयने रगेगे ।
र्फयू ाभ-अगय ऩत्थय ददरं ऩय नाये ततनक बी अवय कय गमे तो वभझो तुभने जॊग जीत भरमा फदयी बइमा
फदयी- मश जॊग भं अऩने भरमे नशी रडूगा अऩने लॊधचत बभू भशीन बाइमं के भरमे
रडूग ॊ ा ।मशी तो अफ अऩने जीलन की एकभात्र भॊळा शै ।
वाभी औय र्फयू ाभएक स्लय भं फोरे फदयी बइमा तु्शायी नेक भॊळा जरूय ऩयू ी शोगी । फीव
फदयी के ददमे गमे नाये शपते बय भं ऩयू ी भजदयू फस्ती की दीलायं ऩय वडक के ककनाये फने घयं की दीलायं ऩय वडक ऩय फनी ऩभु रमाओॊ ऩय
र्फू औय वाभी फस्ती के फच्चो को रेकय भरखला डारे ।इतना शी नशी बूभभ भाभरको औय गाॊल वभाज की जभीन ऩय कब्जा फनामे रोगो के 253
घय ऩय बी चोयी तछऩे नाये भरख ददमे गमे जो घय यास्ते के आवऩाव थे । नायं के रेखन के फाद फदयी वुफश वे रेकय श्ळाभ तक वडक ऩय अनळन के भरमे फैठने का तनश्चम कय भरमा ।
तनधातरयत ततधथ की ऩल ू त वॊध्मा ऩय वाभी ,र्फू औय फस्ती के भजदयू ं ने भभरकय वडक ऩय दो फॊेाव गाड ददमे ।फस्ती की औयत ने दव ू ये ददन
प्रात् गोफय वे भरऩ ऩोतकय वाप वुथया कय दी ।वाभी र्फू औय फस्ती के ऩढे भरखे फच्चो फडे फडे कागजं ऩय भरखे नाये फाॊव ऩय रटका ददमे ।इवके फाद ऩयू ी फस्ती के भजदयू फदयी के दयलाजे ऩय इक्ठा शोकय
नाये फाजी कयने रगे ।इवके फाद जरूव तनकरा फदयी आगे आगे ऩयू ी
फस्ती के रोग ऩीछे ऩीछे नाया रगाते शुए चर यशे थे । फदयी के आवऩाव वाभी औय र्फू वामे की तयश चर यशे थे । जरूव तनधातरयत
स्थान ऩय ऩशुॊच गमा औय फदयी पूरं के शाय वे रदा खदटमा ऩय फैठ गमा ।फस्ती लारे खूफ धचल्रा धचल्रा कय नाये रगा यशे थे ।ततनक बय
भं वडक ऩय भेरा रग गमा । शय याशी कुछ भभनट के भरमे लशाॊ रूकता फाॊव ऩय रटक यशे नायं का फडे ध्मान वे ऩढता इवके फाद शी आगे
फढता ।फदयी तनमभभत रूऩ वे वुफश वे श्ळाभ तक अनळन ऩय फैठने
रगा । फदयी के अनळन ऩय फैठने की खफय दयू दयू तक पेरने रगी । फदयी अऩने तनश्चम ऩय दृढ था ।वफ ु श वे श्ळाभ तक जफ तक अनळन
ऩय फैठता ककवी वे कुछ नशी फोरता । कोई कुछ ऩछ ू ता तो लश फाॊव ऩय टॊ गे नायं की ओय इळाया कयता ।फदयी के अनळन की खफय जॊगर की
आग की तयश पैरने रगी ।आवऩाव की भजदयू फस्ती वे रोग आकय फदयी को वभथतन दे ने रगे । घण्टा दो घण्टा फैठने बी रगे । जजवको
जफ वभम भभरता तफ आकय फैठ जाता ।इववे फदयी का शौळरा फढने रगा ।फदयी अऩने प्रमाव वे खुळ था । वाभी औय र्फू के तो ऩैय शी जभीन ऩय नशी ऩड यशे थे अनळन की पेरती खफय को दे खकय ।
254
फदयी का अनळन जायी था ।इवी फीच गाॊल के कुछ दफॊग औय उऩद्रली रोग आ धभके औय फदयी को गारी दे ने रगे । फाॊव उखाड कय पंक
ददमे । नाये पाड डारे । फदयी को जान वे भायने की धभकी तक दे डारे ऩय फदयी भौन नशी तोडा ।
फस्ती के भजदयू कापी आक्रोभळत शुए ऩय फदयी ने भजदयू ं की जफान ऩय तारे शाथं को जैवे भौन शी जकड ददमा । कोई भजदयू कुछ बी नशी फोरा ।ले रोग फाॊव उखाडते नाये पाडते औय फस्ती लारे कपय वे
फाॊवगाड दे ते औय फच्चं वे नाये भरखलाकय रटका दे ते ।दफॊगो का उऩद्रल फशुत दे य तक चरा ऩय भजदयू ं ने कोई अद्धप्रम घटना नशी घदटत शोने ददमे । ले वबी भौन अऩने काभ भं रगे यशे । अन्तत् उऩद्रली थकशायकय लाऩव चरे गमे ।
दफॊग फाफू रोग जजद्दी औय अत्माचायी थे उन्शोने ने अऩनी ऩॊचामत
फर ु ाकय बूभभशीन भजदयू ं को शय तयश वे दफाने का कोभळळ कयने रगे
।भजदयू बी अऩनी प्रततसा ऩय अटर थे ले शय जल् ु भ का जफाफ भौन दे ते औय फदयी के अनळन को काभमाफ फनाने के भरमे प्रमत्नळीर थे ।फदयी दफॊगो की राखा फाधाओॊ के फालजद ू बी रगाताय अनळन जायी यखा
।धीये धीये फदयी के अनळन की वखु खतमा अखफाय के ऩन्नो ऩय बी छाने
रगी । द्धप्रण्ट भीडडमा ने फदयी का भनोफर औय फढा ददमा ।ऩत्रकाय रोग बी आने रगे । ले रोग फदयी का इन्टयव्मू रेना चाशते ऩय फदयी भौन शी नायो की ओय इळाया कयता भुॊश वे कुछ फोरता नशी जफ तक अनळन ऩय फैठा यशता ।
एक ऩत्रकाय के फाय फाय के अनयु ोधो को फदयी नजयअॊन्दाज कय ददमा ।ऩत्रकाय की उत्वुकता को दे खकय वाभी आगे आमा औय फोरा वाशफ
फदयी जफ तक अनळन ऩय फैठते शै। कुछ नशी फोरते शै। क्मा ऩछ ू ना चाश यशे शं ऩतू छमे भै। आऩको वफ कुछ फता दगा । ऩत्रकाय-आऩका नाभ क्मा शै।
255
वाभी- जी वाभी।
ऩत्रकाय-कशाॊ यशते शै।
वाभी-फदयी बइमा के घय के ऩाव शी भेया बी घय शै । ऩत्रकाय-भतरफ इव अनळन भं आऩकी बागीदायी शै ।
वाभी-बूभभशीनं के कल्माण के भरमे एक आदभी वुफश वे यात तक
अनजर छोडकय अनळन ऩय फैठता शं तो शभाया बी तो पजत शै कक उवके आन्दोरन को आगे फढामे ।
ऩत्रकाय-आऩकी फस्ती भं ककतने घय भजदयू के शै । वाभी- वबी ऩचशत्तय घय ।
ऩत्रकाय-जनवॊख्मा ककतनी शोगी ।
वाभी- चाय वौ वे अधधक छोटे फडे वबी को भभराकय । ऩत्रकाय-वबी बूभभशीन शै । वाभी-जी ।
ऩत्रकाय-वयकायी नौकयी भं ककतने शं । वाभी-कोई नशी ।
ऩत्रकाय-योटी योजी कैवे चरती शै ।
वाभी- खेत भाभरकं के खेत भं खन ू ऩवीना कयके औय कैवे । ऩत्रकाय-आप ऩाव बी कुछ खेत नशी शै । वाभी-था ऩय अफ नशी शै । ऩत्रकाय-क्मं ।
वाभी-दॊ फगो ने वफ तछन भरमा । ऩत्रकाय-लो कैवे।
वाभी-त्रफजरी का भोटय चयु ा रे गमे । घय भं आग रगा ददमे । झूठा
भुकदभा दजत कयला ददमे । दयोगा वे ऩीटला ऩीटला कय शड्डी तोडला ददमे । कोटत कचशयी
,थाने अस्ऩतार के चक्कय भं पॊवकय जभीन धगयली
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यखने ,फेचने को भजफयू कय ददमे मे दफॊग रोग वाशे फ ।इव फस्ती भं वबी बूभभशीन खेततशय भजदयू शै ।
ऩत्रकाय-ऩढे भरखे ककतने शै इव फस्ती भं ।
वाभी-ऩयु ाने तो कोई नशी शं ।नमे रडके कुछ ऩढे तो शै ऩय फेयोजगाय शै । कुछ ऩढ तो यशे शं ऩय क्मा गायण्टी की नौकयी भभरेगी । ऩत्रकाय-फदयी बी कुछ ऩढा भरखा नशी शै ।
वाभी-नशी वाशे फ ऩय फदयी बइमा का फेटला नयामन भेशनत भजदयू ी रयक्ळा चराकय लकारत की ऩयीषा ऩाव कय श्ळशय तो गमा शै ऩय
नौकयी ढॊ ग की नशी भभरी शं । ककवी क्ऩनी भं काभ कय यशा शं ऐवी खफय
शै ।
ऩत्रकाय-अनऩढ खेततशय भजदयू के भन भं क्राजन्त का द्धलचाय कैवे उऩजा ।
वाभी-दास्तान फशुत र्फी एलॊ दख ु द शै। ऩत्रकाय-फताओगे क्मा ।
वाभी-फदयी बइमा की जफ वे आॊख खुरी गाॊल के वफवे फडे खेत भाभरक उधभ फाफू की शलेरी का गोफय पेक यशे थे ।उनकी शी शयलाशी चयलाशी
कय यशे थे लश बी उधभ फाफू के ऩयदादा के जभाने वे ।वार बय ऩशरे
की फात शै उधभ फाफू ने फेइज्जत कयके शलेरी वे बगा ददमा जो शयलाशी के खेत भं पवर थी लश बी शडऩ भरमे । इवी आक्रोळ ने फदयी बइमा को अनळन ऩय फैठा ददमा ।
ऩत्रकाय-फशुत नेक उद्देळ शै फदयी के ।मकीन कयो फदयी के उद्देश्म जरूय ऩयू े शोगे ।शभ फदयी के वाथ शै । अनळन ऩय फदयी अऩने भरमे नशी
बूभभशीन खेततशय भजदयू ं के भरमे फैठा शुआ शं ।फदयी का नीजज स्लाथत तो ददखता शी नशी शं ।मश तो ऩयभाथत के भरमे खुद का फभरदान कय यशा शं ।फेटा लकारत कयके ऩयदे व कभा यशा
शं खद ु फकयी ऩारन का
धॊधा अऩना यखा शै ।इववे तो इवका गुजाया आयाभ वे शो वकता शै । 257
वाभी-वच वाशे फ फदयी बइमा चाशते शै कक इव फस्ती के शी नशी ऩयू दे ळ के जो बूभभशीन शं ले वबी खेत के भाभरक शो ।वबी वाभाजजक आधथतक
उन्नतत कयं ।वच वाशे फ बइमा फदयी अऩने भरमे अनळन ऩय नशी फैठे शै ।ऩयू े बूभभशीन वभाज के भरमे तऩस्मा कय यशे शं ।गाॊल के दफॊग बूभभ
भाभरको का जल् ु भ वश यशे शं । बइमा का उद्देश्म आऩ रोगेाॊ के वशमोग वे शी ऩयू ा शो वकता शै वाशे फ ।
ऩत्रकाय-शभ अऩनी तयप वे ऩयू ा वशमोग कये गे ।फशुत नेक उद्देश्म वे फदयी अनळन ऩय फैठे शै।इव आदभी के काभ की जजतनी प्रळॊवा की
जामे कभ शै ।वाभी मे फताओ वुफश वे श्ळाभ तक अनळन ऩय फैठने का द्धलचाय ककवने ददमा ककवी याजनीततस ऩाटी का तो शाथ नशी ।
वाभी-मे जो कुछ शो यशा शं बइमा फदयी के अऩने द्धलचाय शं ।फदयी बइमा का ककवी याजनीततस ऩाटी वे कोई व्फन्ध नशी शं अबी तक तो ।फदयी बइमा फचऩन वे जल् ु भ झेर यशे शं । प्रततकाय कयने का वाशव ककमा तो भौन यशकय । मे दफॊग जभीन भाभरक ककतना बी जल् ु भ कयते शै। ऩय बइमा वुफश वे श्ळाभ तक जफ तक अनळन ऩय फैठते शै जफान नशी
खोरते । फडे धैमत के वाथ फैठे यशते शै अन्न जर कुछ बी नशी ग्रशण कयते शै ।जल् ु भ वशकय बी तऩस्मा ऩय फैठे शुए शै । ऩत्रकाय भशोदम चरे गमे दव ू ये ददन वे फडे फडे अखफायं भं फदयी की
पोटो के वाथ वभाचाय छऩने रगे।इव वभाचाय वे फाफू रोगो के शोळ
उड गमे ।कुछ गाॊल वभाज की जभीन ऩय खुद के रगामे जॊगर के नाभ ऩय फडे फडे ऩेड यात भं काटने भं जट ु गमे ।
इधय फदयी का अनळन जायी था।फस्ती के भजदयू अफैध ऩेड कटाई को योकने के भरमे ऩेड को अऩनी फाशं भं रेकय यषा कयने रगे । कई
भजदयू तो फयु ी तयश ऩीटे बी ।खेततशय बूभभशीन भजदयू ो के यात ददन
जागने के फाद ऩेडं की कटाई जाकय थभी ।गालॊ के ऩोखय ताराफं ऩय
फस्ती के भजदयू ं की आलाजाशी ऩय प्रततफन्द रगने रगा । बूभभ भाभरक 258
रोग ऩोखय ताराफो को अऩनी भभभरककमत फताने रगे ।ले रोग ऩशरे वे शी गाॊल वभाज की
जभीन औय ऩोखय ताराफं ऩय कब्जा कय यखे थे ।
शय ऩोखय ताराफ भं भछरी ऩारन का व्मलवाम धडल्रे वे चर यशा था । फस्ती के भजदयू भूर तनलावी शोकय बी रयपमजू जमं की तयश फवय
कय यशे थे ।न उनके योजी योटी का ऩक्का फन्दोफस्त था औय नशी उनके टट्टी ऩेळाफ की जगश ।फेचाये भजदयू अऩने शी गाॊल भं कैदी थे ।जल् ु भ के अन्त के भरमे ले जल् ु भ का वशाया नशी रे यशे थे । ले भौन अदशॊवात्भक रूऩ वे अऩने अधधकाय की जॊग जीतना चाश यशे थे । एक तयप वे खेत भाभरको का जल् ु भ जया थभता तो दव ू यी तयप वे गतत ऩकड रेता ।
ऩेडं की अफैध कटाई थभते शी खेत भाभरक रोग भजदयू ं की फस्ती ऩय कब्जा कयने के भरमे तयश तयश की वाजजळ यचने रगे । कोई खेत
भाभरक अऩने दादा ऩयदादा की जभीन कशता तो कोई अऩने नाभ की । ऩयू ी भजदयू फस्ती की जभीन शडऩने का चक्रव्मश ू यच ददमा दफॊग बूभभ
भाभरको ने । फस्ती के भजदयू को शधथमाय भौन अदशॊेॊवात्भक था ।राख कोभळळं के फाद बी बूभभ भाभरक रोग वपर नशी शुए ।फस्ती के एक बी भजदयू का घय नशी धगया ऩामे । भौन जॊग के आगे उनकी एक ना
चरी अन्तत् ले शधथमाय डार ददमे । इधय फदयी का अनळन जायी था । एक ददन यात के फायश फजे के आवाव एक जीऩ आकय रूकी ।जीऩ की आलाज वुनकय ऩयू ी फस्ती के रोग फदयी के घय आ गमे । जीऩ की
राइट जर यशी थी । जीऩ वे कई रोग तनकरे । कोई कैभया वेट कयने
रगा तो कोई कुछ ।एक वज्जन जीऩ वे भजदयू ं की ओय फढे औय फोरे फन्धओ ु ॊ शभ कोई गैयवाभाजजक तत्ल के रोग नशी शै । आऩ रोग
घफयामे नशी । शभ रोग चैनर वे शै । फदयी का इण्टयव्मू रेने आमे शै लश बी यात भं ।आऩ रोगो को तो ऩता शी शं कक फदयी ददन बय कुछ
नशी फोरते भौन अनळन ऩय फैठते शं । ददन भं फात फदयी वे शो नशी वकती । इवभरमे शभने यात को चन ु ा शै । 259
इतने भं बागते शाॊपते वाभी बी आ गमा ।चैनर लारे वज्जन वे फोरा फदयी बइमा की तत्रफमत ठीक नशी शै।ले यात भं दो तीन घण्टे आयाभ कयते शै।फदयी को आयाभ कयने दीजजमे । चैनर फारे वज्जन-फन्धच ु य आऩका नाभ
घ्
वाभी-वाशे फ भेया नाभ वाभी शै ।इवी फस्ती का अफ भजदयू शो गमा शूॊ ।ऩशरे भेये ऩाव कुछ खेती थी ऩय अफ नशी शं ।भेयी दरयद्रता का कायण गाॊल के कुछ दफॊग बभू भ भाभरक शी शै ।
चैनर लारे-फदयी बाई शभ फदयी के भाध्मभ वे इव फस्ती के भजदयू ं की वभस्मा दतु नमा को फताना चाशते शं । शभं आऩकी भदद चादशमे । ेॊशभ फदयी का इण्टयव्मू रेकय प्रवारयत कय वके इव काभ भं शभायी भदद
कीजजमे । मकीन भातनमे शभ आप दोस्त शै। शभ आऩका बरा चाशते शै
।इतने भं एक खदटमा भरमे आमा औय नीभ की छाॊल भं डारते शुए फोरा -आ जाओ वाशे फ इधय नीभ की छल भं । भै आप शय वलार का जफाफ दे ने के भरमे तैमाय शूॊ ेॊ अबी तो स्लस्थ शूॊ ।अबी ळयीय भं ताकत शं ।मश भेया भौन अनळन वाॊकेततक शं । अबी तो आभयण अनळन फाकी शै।आभयण अनळन ऩय फैठने के फाद ऩता नशी श्ळयीय भं ताकत यशे गी
मा नशी । मश तो तफ ऩता चरेगा । अबी तो भं ठीक शूॊ आऩ रोग जो ऩछ ू ना चाशते शै। ऩछ ू रीजजमे ना जाने ककतने दयू की थकान बयी मात्रा कयके आ यशे शै।कशाॊ भै। भया जा यशा शूॊ कक आऩकी फातं का जफाफ नशी दे ऩाउूॊ गा आइमे वाशफ मे खदटमा डार दी शं । इतने भं वाभी औय बी खदटमा डारने रगा ।
रयऩोटय-फदयी बाई आऩ भजदयू लश बी बूभभशीन वभाज जो वदा वे
उऩेक्षषत यशा शं । जजवकी आज तक ककवी को वुध नशी आमी ।मकीनन आऩ बी बुगतबोगी शं । आऩ बूभभशीनं के उत्थान के भरमे भौन जॊग
छे डे शुए शै ।वफ ु श वे जफ तक अॊधेया नशी शोता शं तफ तक भौन अनळन
260
ऩय फैठते शऔय आऩ कुछ फोरते नशीॊ । ऐवा वभम क्मो चन ु ा ।आऩ द्धलस्ताय वे फतामे ।
फदयी-वाशे फ वफ ु श वे अॊधेया शोने तक का वभम शभने इवभरमे चन ु ा शै कक यात के अॊधेये भं शभ भजदयू ंके वाथ उऩद्रली रोग खून शभरा ना
फोर दे ।आप दव ू ये वलार का जफाफ भं भै। आऩको फता दॊ ू भुझे जो
कुछ कशना शै कागज ऩय भरखे टॊ गे शं । भेयी भाॊग कुछ द्धलळेऩ नशी शं
भं तो चाशता शूॊ कक गाॊल वभाज की जभीन बभू भशीनं भं फयाफय फयाफय फाॊट दी जामे औय फाफू रोग जो गाॊल वभाज की जभीन ताराफ ऩोखय
ऩय कब्जा जभामे शुए शै स्लेच्छा वे छोड दे औय लश जभीन बी बभू भशीनं भं फाॊट दी जामे ।इववे शभ बभू भशीनं का जीलन स्तय वध ु ये गा
।वाशे फ बूख वे तडऩते बूभभशीनं को औय क्मा चादशमे ।शभ तो ककवी के फाऩ की जागीयदायी तो भाॊग बी नशी यशे शै ।
रयऩौटय-बूभभशीन भजदयू ो को बूख औय अऩने अधधकाय का एशवाव ऩशरे वे शं तो मश काभ ऩशरे क्मं नशी ककमे । अनळन शडतार तो ऩशरे शी कयना था ।
फदयी-वाशे फ शभ आतॊक के डय की लजश वे भवय उठा नशी ऩा यशे थे ।
भवय कुचर ददमा जाता था । इवभरमे वबी बमबीत थे ऩय अफ शभ वफ ने पैवरा ककमा शै कक भवय बरे शी कट जामे ऩय झक ु ामेगे नशी औय ना शी चोट का जफाफ चोट वे दे गे ।वाशे फ आऩ रोगो को तो भारूभ शी शै ।भशॊगाई इव कदय फढ गमी शै कक फेचाया भजदयू ऩेट शी नशी बय ऩा
यशा शै ।फाफू रोगं की गर ु ाभा वे भभरी भजदयू ी ऩेट बयने भं अषभ शं ।फाफू रोग जो जभीन भजदयू ं को शरलाशी भं दे ते शं लश जभीन गाॊल
वभाज की शोती शं ।मा उव जभीन का ऩाॊच दव फीवा का टुकडा दे ते शं
जशाॊ ऩानी की वुद्धलधा नशी शोती शं । अनऩ ु जाउूॊ मा कभ उऩजाउूॊ शोती शै । शरलाशी का खेत तो नाभभात्र का शोता शं । शरलाशी के खेत वे चाय
भशीना की योटी का इॊन्तजभ फशुत भुजश्कर वे शोता शं । मे तो बगलान 261
ने शभ भजदयू ं की वुखी ठठरयमं भं इतनी ताकत डार दी शै कक
जीलनमाऩन शो जा यशा शं कबी खाकय कबी पॊेाका कयके ।शभ भजदयू रोग ककतनी कदठनाई वे ऩरयलाय ऩार यशे शं ।मश एक भजदयू शी
जानेगा वाशे फ ।फच्चे अभळक्षषत शो यशे शै । रोग दला दारू के अबाल भं दभ तोड यशे शै । जभीन के अवरी शकदाय तो शभ खेततशय भजदयू शं औय शभं
शी बूभभशीन कय ददमा गमा शै ।जभीन ऩय शभाया अधधकाय
शोना चादशमे ताकक शभ बी व्भान ऩल त योटी खा वके जी वके औय ू क शभाये फच्चे ऩढ भरख वके । शभ तो वाभाजजक आधथतक ऩरयलततन के वाथ वाभाजजक वभयवता चाशते शै ।
रयऩोटय-आऩ अनळन को ऩरयलततन का यास्ता भान यशे शं ।
फदयी-शाॊ । कशते शं ना जफ तक फच्चा योता नशी भाॊ बी दध ू नशी
ऩीराती । इवभरमे शभने अनळन का रूख अखततमाय ककमा शै । शभाया
द्धलश्वाव शै कक बूभभशीन वभाज एकजट ु शोकय अऩने शक की रडाई रडेगा तो मकीनन काभमाफ शोगा । शभ भजदयू रोग खेत भाभरकं के आतॊक वे भुडक्त चाशते शै ।दट ु काया चाशते शं । रयऩोटय-औय कैवा छुटकाया चाशते शै।
फदयी-बभू भशीनता के अभबळाऩ वे छुटकाया ,गयीफी वे छुटकाया ,अभळषा वे
छुटकाया ,फीभायी वे छुटकाया,कजत वे छुटकाया खेत भाभरकं के आतॊक वे छुटकाया ।
रयऩोटय-क्मा आऩ भानते शै कक बूभभ का भाभरकाना शक ऩा जाने वे बभू भशीन वभाज तयक्क् ेी की याश ऩय चर ऩडेगा ।
फदयी-शाॊ जरूय ।अऩने खेत भं खून ऩवीना कये गा । उऩज उवके घय भं
आमेगी । बय ऩेट योटी भभरेगी । दव ू यी जरूयते ऩयू ी शोगी । फच्चे ऩढे गे भरख ।वभम के वाथ चरेगा जरूय तयक्की कये गा ।
रयऩोटय-बभू भशीनता को शी गयीफी औय वाभाजजक द्धऩछडेऩन का कायण भानते शं ।
262
फदयी-शाॊ । आऩ वोधचमे जो भजदयू
वुफश वे श्ळाभ तक खेत भाभरको
के खेत भं ऩवीना फशा यशा शं औय उवे एक लक्त बी बय ऩेट योटी ना
भभरे तो कफ तक जजन्दा यशे गा । इवके फाद बी उवके वाथ जानलयं वे
बी फद्तय व्मलशाय फाफू रोग कयते शं ।वाशफ शभ तो चशुॊओय वे अततगयीफ शं वाभाजजक शो मा आधथतक । दो चाय फीघा जभीन भभर जाने वे बूभभशीनं की आधथतक औय वाभाजजक स्तय भं जरूय वुधाय शोगा । ले इज्जत वे जीलन माऩन कय ऩामेगे ।
रयऩोटय-बूभभशीनं की तयक्की जभीन ऩय शी दटकी शै ।
फदयी-जी शाॊ अनऩढ गॊलाय भजदयू खेती के अराला औय क्मा कये गा
।वाशे फ एक फात आऩको औय फता दॊ ू शभ बरे शी अनऩढ गॊलाय शं । खेततशय बूभभशीन भजदयू शं ऩय शभं खेती के वाये गुण आते शं ।शभं जभीन भभर जामे अैय खेती कयने के भरमे वयकायी कजात तो दे खना
शभाये घय के वाभने बी यौनक शो जामेगी ।अबी मे जो भजदयू ऩीठ भं ऩेट भरमे अधतफदन कऩडा रऩेटे
खडे शै । मे रोग बी बय ऩेट खाने औय
अच्छे अच्छे कऩडे ऩशनने की ख्लादशळ यखते शं ऩय शभायी वाभाजजक
कुव्मलस्था ने मे शक शभवे तछन भरमे। शभ शभाया अधधकाय चादशमे । शभाया मे अनळन उवी अधधकाय की श्ळॊखनाद शं बरे शी भौन वशी । वाशे फ एक फात औय वाप कय दॊ ू । शभ भजदयू की भाभरकं वे कोई
दश्ु भनी नशी शं ।शभ बी अऩना उध्दाय चाशते शं । आधथतक व्ऩन्नता के वाथ वाभाजजक वभयवता चाशते शै। भेये आन्दोरन का मश कतई
भतरफ नशी शै कक वाभाजजक आक्रोळ उऩजे ।शभ तो बभू भशीनं का बभू भ ऩय अधधकाय चाशते शै ।दॊ गा पॊवाद वे अऩना कोई नाता नशी शं ।शभ गॊेाल औय दे ळ भं तयक्की औय वकून चाशते शं ।
रयऩोटय-फदयी बाई आऩ अऩने मकीन ऩय कामभ यशं गाॊल औय दे ळ भं तयक्की जरूय आमेगी ।कैभये की राइट फन्द शो गमी । जीऩ वयऩट
263
वडक ऩय दौड गमी । फस्ती के भजदयू अऩने अऩने घयं की ओय चर ऩड । फदयी अनळन की काभमाफी के वऩने दे खने रगा। इक्कीव
गाॊल भं फदयी बूभभशीन भजदयू ं के उत्थान के भरमे आन्दोरन कय चक ु ा था । आन्दोरन के प्रततपर बी आने रगे थे ।भीडडमा
बी फदयी के
भौन अनळन को खूफ शला दे यशा था ।फदयी आश्वस्त था कक उवका
आन्दोरन काभमाफ शोगा क्मंकक भीडडमा वे बी उवे कापी वशमोग भभर यशा था ।उधय श्ळशय भं प्ढा भरखा नयामन ऩढे भरखं के फीच फडे
द्धलबाग भं दोमभ दजे का वात्रफत शो यशा था ।लश खुद को स्थाद्धऩत कयने भं वॊघऩतयत ् थ ऩय उवे उ्भीद न थी । उ्भीद न शोने के फाद बी उवे अऩनी मोनमता ऩय द्धलश्वाव था । ळददमं वे प्रताडडत कयने लारे रोगो को नयामन ककवी दश्ु भन वे कभ नश रग यशा था ।उवकी उच्च
श्ळैषखणक मोनमतामं जातीम गमोनमताओॊ वे तुच्छ वात्रफत शो यशी थी । वॊस्था भं चऩयावी वे रेकय फडे वे फडा अधधकायी वबी जातीम श्रेप्ठ
फनते औय नयामन को अछूत भानकय उवे तयक्की वे कोवो दयू पंकने की वाजजळ यच चक ु े थे ।
नयामन जफ वॊस्था भं ज्लइन ककमा था तफ लश फशुत खळ ु था उवे रग यशा था कक लश इव वस्था भं काभ कय अऩने भाॊ फाऩ के वऩने ऩयू े कय वकता शै ।नौकयी ज्लाइन कयने के कुछ शी ददनं फाद जैवे श्ळतन की वाढे वाती उव ऩय शाली शो गमी ।जातीम श्रेप्ठ उवकी याशं भं काॊटे
त्रफछाने रगे ।वॊस्था भं चऩयावी वे रेकय फडे वे फडा अधधकायी वबी जातीम श्रेप्ठ थे ।वॊस्था कशने को
अधतळावकीम थी ऩय मश वॊस्था
जातीम दफॊगं के शाथ भं थी ।वॊस्था भं इन्शी के भवक्के चरते थे । कफ ककव का ऩोस्टभाटतभ कयना शै लश बी जातीम तन्न रोगं का
,वबी
आऩव भं भभरकय तम कयते थे औय उवका जीना शयाभ कय दे ते थे
।लैवे आऩव भं बरे शी एक दव ू ये वे रडते यशते शो ऩय जशाॊ जातीम 264
तन्न व्मडक्त के वऩनं के दशन की फात आती थी वफ भभर जाते थे
।कुर भभराकय वॊस्था एक लगत द्धलळेऩ की भुठी भं थी । लश जो चाशे कये ककवी को दश्भत न थी ना कशने की । फेचाया गयीफ नयामन इन्शी
अजगयं की बीड पॊव गमा । जशॊेाेॊ वे तनकर ऩाना फशुत कदठन था ।फेचाये की फडी डडग्री बी एकदभ वे छोटी शो गमी जातीम तन्नता के कायण । उवकी नौकयी ऩय बी खतये भडयाने रगे । शय छोटा फडा
अधधकायी नयामन वे खपा खपा यशता । लश चाशे जजतना बी अच्छा
काभ कये ऩय उवकी भळकामत जरूय शोती ।अधधकायी रोग खुद का याजा वभझते नयामन औय उव जैवे जो बी अॊगुभरमं ऩय धगनने रामक रोग
थे उन्शे अऩना गर ु ाभ ।ऩयू ी वाभन्तलादी व्मलस्था उव वॊस्था भं चर यशी थी ।वाॊस्था भं वाभन्ती व्मलस्था के ऩोऩक शी छोटे औय फडे वबी ऩदं
ऩय आवीन थे । नयामन फडी ईभानदायी वे काभ कयता ऩय शय अधधकायी कभतचायी उवके वाथ दोमभ दजे का व्मलशाय कयता ।काभ न कयना का
इल्जाभ रगामा जाता ।अल्ऩ भळक्षषत डाइलय चऩयावी तक अऩने आऩको
नयामन वे उच्च वभझते ।फडे ऩदाधधकारयमं का क्मा कशना ।नयामन के वाथ ऐवा व्मलशाय ककमा जाता था कक लश नौकयी शी छोड दे ।नयामन का भन कबी कबी कयता कक लश नौकयी छोडकय इव जल् ु भ वे पुवतत ऩा रे ऩय
फढ ू े भाॊ फाऩ औय घय ऩरयलाय का ख्मार आते शी लश व्बर
जाता ।लश भाॊ फाऩ के वऩनं का वाकाय कयने के भरमे कभय कव चक ु ा था ।ने अधधकायी द्वायऩार वाशे फ वे ऩशरे लारे अधधकारयमं ने बी रयवते जख्भ ऩय खफ ू नभक डारे थे उन्नतत के शय दयलाजे फन्द कय यखे थे
।द्वायऩार वाशफ तो ऩयु ाने वाशफं तक को भात दे ददमे । ले नयामन को
वस्था का कभतचायी नशी एक ददशाडी भजदयू वभझते औय फडी फद्तभीजी वे ऩेळ आते थे ।द्वायऩार वाशे फ जातीम श्रेप्ठ थे ऩय ळैषखणक मोनमता
तन्न थी ।अऩने वे कई गन ु े मोनम नयामन को खफ ू तॊग कयते ।श्रेप्ठता
की लजश वे द्धलबाग के प्रभुख फन गमे थे ।द्वायऩार वाशे फ का तनमभ था 265
दे व वे आना जल्दी जा । एक ददन वाशफ दोऩशय के एक फजे के
आवऩाव आमे । कुवी ऩय क्मा ऩवये जैवे कारफेर ऩय शी ऩवय गमे
।कारफेर की आलाज के वाथ शी नयामन नयामन धचल्राने रगे ।फयु े फयु े अऩळब्द फकने रगे ।
द्वायऩार वाशे फ की धचल्राने की आलज वुनकय नयामन वाशफ के कभये
भं प्रद्धलप्ट शुआ । नयामन को दे खते शी द्वायऩार वाश बख ू े श्ळेय की तयश दशाड ऩडे-क्मं ये नयामन दपत्र भेये कभये की वपाई क्मं नशी शो यशी शै ।
नयामन-वय जजतू चऩयावी नशी आ यशा शै ना आजकर ।वपाई कयने
लारी फाई आती शै फैठकय चरी जाती शं । दपत्र शी नशी खर ु यशा शं । आजकर तो दपतय भै
भकान भाभरक के मशाॊ वे चाबी राकय दपतय
खोर यशा शू। द्वायाऩार-वाशे फ वफ काभ चऩयावी के शी जज्भे शै इव दपतय का । चऩयावी नशी आ यशा शै ।
नयामन-मेव वय कइर ददनं वे नशी आ यशा शै ।दपतय की वाप वपाई नशी शो यशी शै । फाकी दपतय के रोग बी घण्टा दो घण्टा के फाद शी आते शं ।
द्वायऩारवाशे फ-भतरफ दपतय खोरना फन्द कयने का काभ तभ ु शी कय यशे शो ।
नयामन-मेव वय ।भै अऩने वभम ऩय दपतय आ जाता शू भकान भाभरक के मशाॊ वे चाबी रेकय आकपव खोर कय काभ कयता । दव फजे के फाद फाई बी नशी झाॊकती शै कक वपाई शो वके।
द्वायऩारवाशे फ-चऩयावी कशाॊ गमा शं तुभको ऩता नशी शै । नयामन -नशी ।
द्वायऩार वाशफ-उवकी तत्रफमत खयाफ शै।
266
नयामन-दो तीन ददन ऩशरे तो त्रफल्कुर तन्दरू ु स्त था ।अचानक क्मा शो गमा । दपतय भं तो ककवी को जानकायी नशी शै कक जजतू फीभाय शो
गमा शै ।शाॊ उवको दस्त रग जाती शं जफ जफ लश दपतय की चाम का दध ू ऩी जाता शै ।
द्वायाऩारवाशफ-क्मा घ ् नयामन-मे वय ।
द्वायऩार वाशफ-चऩयावी दध ू ऩी जाता शै ।
नयामन-मश फात तो दपतय के वबी जानते शै । द्वायाऩार वाशे फ-क्मा कशाॊ ।
नयामन-शाॊ वय ठीक कश यशा शूॊ । द्वायऩारवाशफ-क्मा ठभ्क कश यशे शै ।भेये आदभी ऩय इल्जाभ रगा यशा शै
चोयी का औय शभवे शुॊकायी बयला यशा शै ।शभाये घय ऩय चाय ददन वे ड्मट ू ी दे यशा शै।लशाॊ तो ऩानी बी नशी ऩीत औय तभ ु कश यशे शो आकपव का दध ू ऩी जाता शै ।काभ तभ ु वे शोता नशी फशानेफाेाजी कय यशे शो । नयामन-कौन वा काभ भैने नशी ककमा शै ।
द्वायऩारवाशफ- वपाई चाय ददन वे नशी शो यशी शै । चऩयावी नशी आ
यशा शै तो इवका मळ ्ेे भतरफ तो नशी कक भेये कभये की वपाई नशी शो । चऩयावी नशी आ यशा शं । भेये फॊगरे ऩय काभ कय यशा शं ।वपाई तभ ु कयो ।
नयामन-क्मा घ ्
द्वायऩार वाशफ-ठीक वन ु े । वाप वपाई का काभ तभ ु कयो अऩने शाथं वे ।चऩयावी नशी आमेगा तो इवका भतरफ तो मे नशी शुआ कक भेये कभये की वपाई नशी शोगी । मे काभ तो तुभको कयना शी ऩडेगा ।
नयामन-भं कोई स्लीऩय की नौकयी नशी कय यशा शूॊ ।भं बी फडा ओशदे दाय नशी शो छोटा तो शूॊ ।भेया काभ वपाई कयने का तो नशी शै । भं तो मे काभ कतइर नशी कय वकता शूॊ ।
267
द्वायऩारवाशे फ फडी फदभीजी वे फोरे भभस्टय नयामन शोळ भं तो शो । भं तु्शाया फाॊव शूॊ । भेया शुक्भ भानना तु्शाया पजत शै । भेये शुक्भ के ऩारन न कयने का नतीजा तभ ु को ऩता शै की नशी । तभ ु को वपाई का काभ तो कयना शी ऩडेगा ।
नयामन-भभस्टय द्वायऩार अफ फाऩ वे वीभामं राॊघ चक ु े शै । अऩनी जफान ऩय रगाभ दो । भुझवे वाप वपाई कयलाने का अधधकाय आऩको ककवने ददमा शूॊ ।भं आऩवे ज्मादा क्लारीपाइड शूॊ । शाॊ मे भेयी फदनवीफी शै कक भं छोटी त्रफयादयी का शूॊ औय मशी क्लाभरकपकेळन भुझे डडवक्लारीपाइड कयती शै। इवीभरमे तो आऩ जैवे अल्ऩभळक्षषत रोग फडे ऩदो ऩय
द्धलयाजभान शोकय उूॊ ची उूॊ ची डडधग्रमं को खर ु ेआभ भजाक फना यशे शं । शाई क्लारीपाइड रोगो की तकदीय को कैद कय यखे शै ।
द्वयाऩार वाशे फ-भभस्टय नयामन नौकयी कयनी शै कक नशी ।
नयामन- भभस्टय द्वायऩार वाशफ मे नौकयी आऩकी खेयात नशी शै कक जफ चाशोगे तछन रोगो ।
द्वायऩार वाशे फ-भेया शुक्भ तो भानना ऩडेगा । नयामन-भं ऐवा कोई शुक्भ भानने को फाध्म नशी शूॊ ।भं ऐवे आदे ळ की अलशे रना कयता शूॊ । भभस्टय द्वायऩार जो चाशे कय वकते शै ।मू आय फ्री ॊ अगं स्ट भी । टु डु एलयी धथग द्वायऩारवाशे फ-क्मा घ ्
नयामन-मेव ।फन्दय नीरऩात्र भं धगय जाने बय वे ळेय नशी शो जाता
।भभस्टय आऩकी फन्दय घड ु की वे भै नशी घफयाता ।आऩ छोटी त्रफयादयी के भरमे शी नशी इव वॊस्था के भरमे दीभक शो । आऩ जैवे रोगं की
लजश वे तो दे ळ औय वभाज अऩभातनत शो यशा शै । भं आऩका शुक्भ नशी भाॊनता शूॊ । द्वायऩार-भं त् ु शाया फाॊव शूॊ ।
268
नयामन-फाॊव को अऩनी भमातदा
भं यशना चादशमे ।आऩ तो इव रामक थे
बी नशी ऩय श्रेप्ठता ने आप भाथे ऩय ताज यख ददमा । आऩ उवे बी गारी दे यशे शो । आऩकी शार तो अॊधे के शाथ फटे य रगने जैवे शै । आऩकी लणीम श्रेप्ठता अभबभान शी तो आऩको अभानऩ ु औय
गैयजज्भेदाय फना ददमा शै । तभी तो आऩ दव्ु मतलशाय कय यशे शो शभाये जैवे उच्चभळक्षषत व्मडक्त के वाथ ।
द्वायाऩारवाशफ-तभ ु जैवे छोटे रोगं को ऩेट बय योटी भभरने रगती शै
तो आॊख ददखाने रगते शै। अये तुभ अऩने शी रोगो को दे खो क्मा शार
शै उनकी ।अन्न लस्त्र के भरमे तयव यशे शं ।दपत्र भं क्मा वडक ऩय झाडूॊ रगा यशे शं ।। कोई ऩाव फैठाने को याजी नशी शोता । तभ ु फयाफयी भं
फैठते शो क्मा भवपत दो टषय ऩढ रेने की लजश वे ।तुभ बरे शी ककतनी डडग्री शाभवर कय रो ऩय यशोगे लशी जो जन्भजात शो ।शभ उच्च रोगो
की फयाफयी कयने भं अबी कई मम ु ग रगेगे । अऩनी औकात भे यशा कयो ।काभ कयने भे तभ ु को ळभत आ यशी शै तो घय जाओ ।छोड दो नौकयी । नयामन-भभस्टय द्वायऩार जफान व्बारो औय शोळ भं आओ ।अफ नशी फदातश्त कय वकॊू गा ।
द्वायऩारवाशफ- क्मा कयोगे ।तभ ु अऩनी इवी आदत की लजश वे वड यशे
शो औय ऐवे शी वडते यशोगे । इव वॊस्था भं काभ कयना शै तो चऩयावी का क्मा वपाईकभी का बी काभ कयने के भरमे तैमाय यशा कयो ।तुभ जन्भजात कोई याजा भशायाजा तो शो नशी ।अगय इतने फडे याजा
भशायाजा शो तो नौकयी क्मं कय यशे शो । जाओ अऩने ऩयु खं की तयश
जीओ ।अऩनी डडग्री का यौफ नशी ददखाना लयना दपत्र के फाशय ददखोगे
।तुभवे ज्मादा ऩढे भरखे फेयोजगाय शै। शोटरं भं फततन धो यशे शो ।इतना शी नशी तु्शाये रोग औय तु्शाये जैवे अनेको खेत भाभरकं के खेत भं
खन ू ऩवीना कयने को राचाय शं ।तभ ु को नौकयी भभर गमा इव वॊस्था भं चाशे तु्शाये जैवे रोगं का प्रलेध लजजतत शं ।तुभको तो फशुत फडी 269
ककस्भत लारे शो।दव शजाय तनख्लाश रे यशे शो अफ क्मा चादशमे ततनक वा काभ कयने भं फेइज्जती शो यशी शै ।
नयामन-भभस्टय द्वायऩार क्मं बर ू यशे शो आऩवे ज्मादा ऩढे भरखे इवी वॊस्था भं चऩयावी शै इव वॊस्था भं । आऩ श्रेप्ठता की लजश वे फडे
वाशफ फन फैठो शो तो क्मा अत्माचाय कयोगे जल् ु भ कयोगे ।ळोऩण कयोगे
। भेयी फात ध्मान वे वुन रो भभस्टय द्वायऩार वाशफ शभ औय शभाये जैवे अनेको रोग भेशनत भजदयू ी कयके इज्जत के वाथ फवय कय तो यशे शं,जजव ददन शभाये जैवी आदभी द्वाया तनभभतत दीलायं औय
कटुऩरयजस्थततमं का भुकाफरा कयना ऩडेगा उव ददन भमातदा तक फंच
दोगे ।इतनी वाजजळं के फाद बी शभ भमातदाऩल त लक्त के वाथ चर यशे ू क शं । मश शभाये भरमे गौयल की फात शै । भभस्टय द्वायऩार वाशफ आऩ
औय जैवे रोगो ने नपयत के भवलाम औय ककमा शी क्मा शै ।वभाज को फाॊटा शं ।बेदबाल का फीज फोमा शै ।शभ इव तयश के अत्माचाय फदातश्त नशी कयं गे बरे शी नौकयी छोडनी ऩड जामे ऩय शभं शैलातनमत ऩवन्द नशी भभस्टय द्वायऩार । भुझे भारूभ शं भेयी भळकामत कयोगे । भेयी
भळकामत तो आज तक वबी ने ककमा शै । वाभाजजक कुव्मलस्थाओॊ की
दीलायं की
लजश वे भै छोटा कभतचायी शूॊ ।मे दीलाये ना शोती तो भभस्टय द्वायऩार आऩ भेयी जगश शोते औय भं आऩकी जगश तफ ळामद आऩ
वलतवभानता की फात कयते ।भं आदभी को आदभी वभझता शूॊ औय आऩ आदभी को त्रफखजण्डत कयते शो ।मशी वाभाजजक त्रफखजण्डता आऩकी ताेाकत शै ।
द्वायऩारवाशफ-नयामन उऩदे ळ ना दो । लशी रोग
धचल्राते शै जजनके ऩेट
बये शोते शं तु्शाये जैवे ।भं तुभको दे ख रूॊगा ।
नयामन-वाशफ भुझे धभकी ना दो ।भै इन धभककमं वे डयने लारा नशी । द्वायऩार वाशे फ-कानन ू जानते शो इवभरमे । वाये कानन ू धये के धये यश जामेगे । अये कानू फनाता कौन शै ।तुभ भाभूरी वे लकतय शो ।जैवे भं 270
चाशूॊगा लैवे कयना ऩडेगा । भं इव द्धलबाग एच.ओ.डी. शूॊ ।तुभ शभाये अधीनस्थ एक फशुत भाभूरी वे कभतचायी शो ।आदे ळ के ऩारन के भरमे फाध्म शो ।
नयामन-झाडूॊ ऩंझा रगाने के भरमे कबी बी नशी । भभस्टय वाशफ खून
के आॊवू भत ददमा कयो गयीफं को । गयीफो की आश तफाश कय दे ती शै ।फडे फडे याजा भशायाजा भभट गमे आऩ जैवं की अपवयगीयी कफ तक कामभ यशे गी ।वॊस्था के वाथ छर कय कभामा गमा धन ज्मादा ददन नशी दटकेगा । मे ऩद तो वाठ वार की उम्र शोते शी तछन जामेगा
।श्रेप्ठता का अभबभान चयू चयू शो जामेगा ।वाशफ जातीम रूऩ वे आदभी ने बरे शी छोटा फना ददमा शै ऩय शभ बी आदभी शं ।उच्च भळक्षषत शं औय प्रततजप्ठत बी ।शाॊ आऩ जैवे अभबभानी की अॊधी आॊखे फशये कान
औय ऩत्थय वयीखा ददर बरा कैवे एशवाव कय वकता शै जो आदभी के
वाथ ऩळुता का व्मलशाय कय खुद को आदभी शोने का भ्रभ ऩार यखा शो ।
द्वायऩारवाशफ-गेट आउट ब्रडीपूर....................
नयामन-कभाण्ड मोय रॊनलेज भभस्टय द्वायऩार ।मू आय डुइॊग क्र् याइभ अरगेन्स्ट शमभ ू तनटी ।
द्वायऩार वाशफ-मू भीन्व आई ऐभ क्र् यीभभनर ।
ॊ लेयी लेर भभस्टय द्वायऩारवाशफ । इव जल् नयामन-मू धथक ु भ के खखराप भे अऩनी आलाज फर ु न्द करूॊगी। उच्च प्रफन्धन को भरखूॊगा ।
द्वायऩार-वफ भेयी जेफ भं शं । आई वे गेट आउट ब्रडीपुर । वारे ददन बय फैठ कय चाम ऩीते शं । कोई काभ कयते नशी ।
द्वायऩार वाशफ की फद्तभीजी नयामन को खर गमी। लश द्वायऩार वाशफ के चै्फय वे झटके वे तनकरा ।द्वायऩार वाशफ अनाऩळनाऩ फके जा यशे
थे । गाभरमॊ ददमे जा यशे थे । कुछ शी भभनटो भं नयामन दस्तक ददमा चै्फय भं प्रद्धलप्ट शोने के भरमे फोरा भे आई कभभॊग वय । 271
द्वायऩारवाशे फ-आई शैल टोल्ड मू गेट आउट।ह्वाट मू लाण्ट ।फाशय पंकला दॊ ू ।
नयामन-जरूयत नशी ऩडेगी कशते शुए नयामन चै्फय भं प्रद्धलप्ट शो गमा औय द्वायऩार के वाभने अऩना ये जीनेळन एऩरीकेळन यखते शुए फोरा भं
जा यशा शूॊ वय.......................... द्वायऩार वाशफ इस्तीपा ऩढकय फोरे मू आय गीद्धलॊग ये जीनेळन आय डुइॊग क्ऩरेण्ट ।
नयामन -ये जीनेळन वय........
द्वायऩारवाशफ-इट इज भाई क्ऩरेण्ट ना मे ये जीनेळन ।
नयामन-आई ऐभ गीद्धलॊग ये जीनेळन अगं स्ट मोय भभवद्धलशैद्धलमय राइक
ऩायवभरमटी काजस्टज्भ एण्ड भेनी अदय काजेज ् ऐज मू शैल डन द्धलथ भी ।
द्वायऩारवाशफ-ये जीनेळन दे यशे शो तो तयीके वे भरखो ।
नयामन-तयीके वे भरखा शूॊ । ये जीनेळन क्मं दे यशा शूॊ इवका कायण बी फताना जरूयी शं भभस्टय फाॊव........
द्वायऩारवाशफ-कपय वे भरखकय राओ । तबी भै। शे ड आकपव पायलडत कय वकता शूॊ । नयामन-वाॊयी वय भं तो कपय वे नशी भरख वकॊू गा ।
द्वायऩारवाशफ-आई कैन नाट पायलाडत इज ब्रडीपुर, मू याइट अगेन ।
नयामन-ह्वाई वय डय रगने रगा शं । वच्चाई दफाने चाशते शै ऩय अफ उजागय शोय यशे गा आऩका दव्ु मतलशाय । दतु नमा जानेगी कक आऩ जैवे
नकाफऩोळ रोग ककतने तघनौनी भानभवकता के शै । गयीफ लॊधचत के बद्धलप्म के दशन के भरमे क्मा क्मा कयते शै । द्वायऩारवाशफ-तुभ भेयी खखरापत ् कय यशे शो ।
नयामन-नशी वय शभायी इतनी कशाॊ औकात आऩ जैवे इतने फडे आदभी की खखरापत कय वकॊू ।भं तो वचभुच इस्तीपा दे यशा शूॊ । 272
द्वायऩारवाशफ-मश तो भेये शाथं पायलडत नशी शो वकता ।
नयामन-वय जफान वे तनकरी शुई फात लाऩव नशी शोती । द्वायऩारवाशफ-मे रे कशते शुए आलेदन पाडकय टुकडे टुकडे कय ददमे औय फोरे भेये चै्फय वे फाशय तनकरा जो कयना शो कय रेना । तुभ जैवे
छोटे आदभी को वॊस्था ने नौकयी दे कय फशुत फडी गरती कय दी शै । नयामन-वय कागज के टुकडे को खा बी जाओ तो अफ कुछ नशी शोने
लारा शं ।इवकी लजजतनर काऩी भेये ऩाव शै जजवका पैक्व शे ड आकपव
ऩशुॊच चक ु ा शै । भुझ भारूभ था आऩ ऐवा शी कुछ कयोगे । इवभरमे भैने ऩशरे शे ड आकपव बेजा शै । लशी द्वायऩार वाशफ बीॊगी त्रफल्री की तयश धगडधगडा उठे जजव नयामन
औय उव जैवे ऩोस्ट ग्रेजम ु ेट,ऩी.एच.डी.शोल्डयव ्, प्रोपेळनल्व ् क्लारीपाइड
को गारी दे ते जया बी ळभत नशी आती थी। उन्शे श्रेप्ठता वे शाभवर ऩद
के अभबभान भं शय मोनम छोटा शी रगता था औय उच्च ऩढे भरखे औय मोनम व्मडक्त भं खोट नजय आती थी ।
नयामन फोरा- वाशे फ भेया बद्धलप्म तो आऩ औय आऩ जैवे रोगं ने
चौऩट शी कय ददमा शै । आप इव तघनौने काभ की वजा ददरला कय शी यशूॊगी ताकक कपय आऩ अथला आऩ जैवे व्मडक्त ककवी अभबळाद्धऩत व्मडक्त के शको औय बद्धलप्म के वाथ तघनौना भजाक न कये ।नयामन फाॊव के चै्फय वे फाशय तनकरा इतने भं शे ड आकपव वे रौटता पैक्व आ गमा जजवभं नयामन को इस्तीपा भॊजयू शोने तक काभ कयते यशने की दशदामत दी गमी थी ।
नयामन शे डआकपव के आदे ळ का ऩारन कयने को लचनफध्द शो गमा ।उधय शे ड आकपव कुछ शी ददनं के अन्दय कापी पेयफदर शो गमा
।उदाय एलॊ भानलतालादी कुछ रोग फडे फडे ऩदो ऩय आवीन शो गमे ।ले
नयामन के इस्तीपे का फशुत ग्बीयता वे भरमे ऩय कुछ रोगो ने इनका द्धलयोध बी ककमा । नयामन का भाभरा फोडत आप डामये क्टय के ऩाव बेज 273
ददमा गमा । फोडत आप डामये क्टय ने इव भाभरे को वॊस्था की ळान के
खखराप भाना औय तनश्ऩष जाॊच के भरमे मश केव एक स्लतन्त्र एजेन्वी को वंऩ ददमा ।जाॊच ऩयू ी शोने तक दोनो को वच ु ारू रूऩ वे वॊस्था के दशत भं काभ कयने का तनदे ळ जायी कय ददमा ।
द्वायऩार वाशफ को नयामन पूटी आॊख बी न वुशाता ।ले नयामन को
आतॊककत कयने औय आलेदन लाऩव रेने के भरमे तयश तयश के शथकण्डे
अऩनाने रगे ।नयामन तो जफ वे आॊख खर ु ी तफ वे शी जल् ु भ ळोऩण का जशय ऩी यशा था ।लश द्वायऩार वाशफ के जल् ु भ वे जया बी नशी घफयामा । वॊस्था का काभ ईभानदायीऩल त कयता यशा । ू क
उधय स्लतन्त्र जॊेाच एजेन्वी ने अऩना काभ ळरू ु कय ददमा ।नयामन जफ वे नौकयी भं आमा था तफ वे एक एक ददन एक काभ को एजेन्वी ने
खॊगारा ।एजेन्वी इव नतीजे ऩय ऩशुॊची कक द्वायऩार वाशफ शी नशी इनके ऩल ू त के जज्भेदाय अधधकारयमं ने नयामन के वाथ दोमभ दजे का व्मलशाय ककमा ।नयामन की तयक्की के यास्ते योके । कई फाय नौकयी वे
इस्तीपा ददरलाने तक को नयामन को प्रेरयत ककमा ।ऩयु ाने कई अधधकायी वेलातनलत ु े थे औय कई रयटामय शोने की कॊगाय ऩय थे ृ कई तो भय चक
।द्वायऩार वाशफ द्वाया ककमा गमा दव्ु मतलशाय भानलता के खखराप एजेन्वी ने भाना ।वलतन्त्र जाॊच एजेन्वी के आगे द्वायऩार वाशफ त्रफरख त्रफरख
कय यो ऩडे औय अऩने अऩयाध को कफर ू बी ककमे ।एजेन्वी नयामन औय द्वायऩार वाशफ की फातं के एक एकश्ळब्द कोकई कई फाय खॊगारा
।दपतय के रोगो वे उनके द्धप्रमजनं की श्ळऩथ औय शाथ ऩय गॊगाजर यखकय एजेन्वी ने गलाशी री । भशीने बय के अन्दय अऩनी जाॊच ऩयू ी कय रयऩोट फोडत आप डामये क्टय को प्रस्तुत कय दी ।
एजेन्वी ने अऩनी रयऩोट भं नयामन के कामत एलॊ ळैषखणक मोनमता की कापी तयीप की थी औय कभेण्ट बी ददमा था कक नयामन का ओशदा फढाना
वॊस्था के भरमे राबकायी शोगा क्मोतनयामन की प्रोपेळनर 274
मोनमता का उऩमोग शी नशी शो ऩा यशा शै कपय बी नयामन जजव ऩद ऩय काभ कय यशा फशुत अच्छा काभ कय यशा शै। द्वायऩार जैवे अधधकायी उच्च श्ळैषखणक मोनमता औय तन्न जातीम मोनमता के कायण दव्ु मतलशाय कयते शै औय उवकी तयक्क् ेी की याश भं
काॊटे फोते शं।
नयामन को मोनमतानव ु ाय काभ भभरने वे वॊस्था के प्रतत द्धलश्वाव फढे गा
।फोडत आप डामये क्टय
फशुत प्रबाद्धलत शुआ । कुछ वाभाजजक अवभानता के ऩोऩकं ने बयऩयू द्धलयोध ककमा ऩय उनकी एक ना चरी ।
फोडत आप डामये क्टय ने नयामन की मोनमता औय उवके काभ वे खुळ
शोकय उवकी मोनमतओ औय प्रोपेळनर मोनमता को दे खते शुए फडी जज्भेदायी वंऩने की अनळ ॊु वा कय दी आयै द्वायऩार वाशे फ की ळैषखणक मोनमता को दे खते शुए कई ऩामदान नीचे उतायने की बी । नतीजन द्वायऩार वाशफ अऩने दशॊवक व्मलशाय औय अवभानता के फीजायोऩण के कायण नयामन जैवे ऩढे भरखे वाभाजजक अभबळाद्धऩत व्मडक्त के वाथ
जल् ु भ कयने के कायण भाभर ू ी वे भर ु ाजजभ के ऩद ऩय चायो खाने धचत
धगयकय दटक गमे । वॊस्था ने नयामन की मोनमता को स्लीकाय कय भरमा औय उवे एक फडी जज्भेदायी वंऩ दी लास्तल भं लश जजवका शकदाय
था। ले रोग बी नयामन के आगे भवय झक ु ाने रगे जो उवे अभबळाद्धऩत वभझकय उवकी ऩयछाईं वे फाईव
ऩयशे ज कयते थे ।
नयामन फडा वाशफ शो गमा कक खफय ऩयू ी फस्ती भं पैर गमी ।वबी
फस्ती के भजदयू फदयी,ळाजन्तदे ली औय वत्मालती को फधाई दे ने के भरमे टूट ऩडे । ऩयू ी फस्ती भं जश्न का भाशोर शो गमा ।नयामन की भा।
ळाजन्तदे ली औय ऩत्नी वत्मालती दोनो नशा धो कय भॊददय जाने की तैमायी भं जट ु गमी । नयामन का छोटा बाई कभमान दौडकय गुडशर का पूर
रेने
दयऩत दादा के कुमे ऩय चरा गमा ।वत्मालती फस्ती के एक फच्चे
को दक ु ान बेजकय अगयफत्ती दवाॊग औय कऩयू भॊगलामी । ऩज ू ा की 275
वाभान आते शी वत्मालती ने ऩ ् की थारी वजाई ।दोनो वाव -ऩतोशू औय नयामन की तीनं फशनं ग्राभ दे लता के भॊददय गमी ।ऩज ू ा अचतना की ।ळाजन्त दे ली ऩचया गीत गाने रगी । कापी दे य तक ऩज ू ा अचतना कयने
के फाद दोनं वाव ऩतोशू घय आमी ।इधय फस्ती के भजदयू ो ने फदयी का घय दल् ु शन की तयश वजा डारा । उधय फदयी अऩनी प्रततसा ऩय अटर अनळन ऩय फैठा था ।योज श्ळऩथ
अनव ु ाय फस्ती के भजदयू ं के नाये फाजी
जरव ू के वाथ ऩय धयना स्थर
तक जाता ।अॊधेया शोने तक अनळन ऩय फैठता यात भं भजदयू ं के नाये
फाजी औय जरूव के वाथ घय आता ।ळाजन्तदे ली की ऩज ू ा अचतना कय घय आने के घण्टा बय फाद फदयी बी जरव ू के वाथ घय आ गमा ।दल् ु शन
की तयश घय वजा शुआ दे खकय लश अचज्बत था । फदयी भौन वाधे शाथ ऩाॊल धोमा । बगलान के आगे नतभस्तक शुआ इवके फाद लश योज की तयश नीभ के नीचे यखी खदटमा ऩय फैठ गमा ।ळाजन्तदे ली एक
धगराव ऩानी फदयी को दे कय शुक्का चढाने को आगे फढी शी थी कक फदयी ने उवका शाथ ऩकडकय फैठा भरमा । ळाजन्तदे ली-जनाफ को आज फशुत प्माय आ यशा शै । फदयी-बागलान भेया प्माय तो कबी कभ शी नशी शुआ । अफ शभ शी नशी तभ ु को तो ऩयू ी फस्ती चाशने रगी शै ।नयामन की भाॊ अफ शभ अऩने शी
घय ऩरयलाय के नशी ऩयू ी फस्ती के बाई फशनं के शो गमे शै ।वजा शुआ घय दे खकय तो ऐवे शी रग यशा शै ।अच्छा मे वाज वज्जा क्मं ।दयलाजे ऩय गैव जर यशी शै ।
ळाजन्तदे ली-फेटला वाशफ शो गमा कक खफय तु्शाये कान तक नशी ऩशुॊची क्मा । फदयी-ऩशुॊची ना........ ळाजन्तदे ली-मे खत रो ऩढला कय वन ु रो । फदयी-तुभने तो वुन भरमा ना । 276
ळाजन्तदे ली-शाॊ ........
फदयी-तुभने तो वफ कुछ फता शी ददमा कपय क्मा यख दो खत ।फेटला को भेशनत का पर भभर गमा। आत्भा खळ ु शो गमी ।बगलान ऐवी तयक्की फस्ती के शय घय भं आमे कशते शुए लश वन्तोऩ की वाॊव भरमा। ळाजन्तदे ली- वच बगलान ने शभ गयीफ का वऩना ऩयू ा कय फशुत फडा उऩकाय ककमा शै । इववे फस्ती के भजदयू फच्चं भं ऩढने फढने का
वाशव भभरेगा ।दे खो न मे वजालट फस्ती के बाई फशनं ने अऩना शी
फेटा वभझकय तो ककमा शै । ऩयू े जश्न का भाशोर फना ददमा शै । आऩव भं चनदा कय भभट्टी का तेर रामे शै ।वूयज डूफा शी नशी तफ वे गैव
जर यशी शै । जश्न की वायी तैमायी ऩयू ी कय तभ ु को रेने गमे थे अऩने भजदयू बाई रोग । आज की यात जश्न की यात शोगी । फदयी-क्मा............... घ ्
ळाजन्तदे ली-शाॊ ....मे वाज वज्जा तो इवीभरमे फस्ती के रोगो
ने ककमा
शै राख भना कयने के फाद रोग भाने नशी शै ।अफ फस्ती लारं की इच्छा शं तो कय रेने दो ।
फदयी-खैय जश्न भनाने का वभम तो था नशी । आलण्टन शो जाता ।
बभू भशीन बाई फशनं को जभीन भभर जाती तफ जश्न भनता तो अच्छा रगता ।ऩयू ी फस्ती की इच्छा शै तो भं नशी भना करूॊगा ।
ळाजन्तदे ली-अच्छा चरो खाना खा रो ततनक दे य भं
ढोर ढभाके फनजे
रगेगा । ददन बय तो बूखे प्मावे यश जाते शो । दे खो भशीना बय भं
शड्डी शो गमे ।अबी तक कोई नतीजा नशी तनकरा । कफ तक ऐवे शी बूखे प्मावे यशोगे ।
फदयी-जफ तक फस्ती का शय बूभभशीन जभीन का भाभर नशी शो जाता शै । चरो खाना ऩयवो आज तो बय ऩेट खाउूॊ गा कर वे अन्न जर का त्माग कय दॊ ग ू ा । ळाजन्तदे ली-क्मं । 277
फदयी-ळावन की आॊख खोरने के भरमे मश तो कयना शी शोगा ।वाॊकेततक शडतार का कोई अवय तो नशी शो यशा शै ।
ळाजन्तदे ली इतना अखफाय लारं ने त् ु शाये अनळन को उछारा इवके फाद बी श्ळावन कु्शकणत फना शुआ शै ।आने जाने लारे धयने की जगश रगे नायं को ऩढकय बूभभ चोयो ऩय थक ू यशे शै । गाॊल के बूभभ चोय बी अनजान कान भं तेर डारे ऩडे शुए शं । इनको तो राज श्ळयभ आनी चादशमे कभ वे कभ अऩने अलैध कब्जे को शी बभू भशीनो के भरमे छोड
दे ते ।खैय तुभ धचन्ता ना कयं दे य वफेय श्ळावन औय
खेत भाभरको की
नीॊद टूटे गी औय अऩने ककमो ऩय ऩश्चाताऩ बी कयं गे ।
फदयी-काळ भेयी तऩस्मा ऩयू ी शो जाती बदू शीनता का अभबळाऩ कट जाता । भन भैने फना भरमा शै कर वे आभयण अनळन ऩय फैठने का..............
ळाजन्तदे ली-अबी तो खाना खाओ । फस्ती के बाई फशनं वे यामभळद्धलया कय आगे कदभ फढाना । फस्ती के रोग शी अऩनी ताकत शै ।
फदयी-शाॊ ... फस्ती लारं को द्धलश्वाव भं रेकय उनके शी दशत के भरमे तो अफ जीना भयना शं । फेटला की भुयाद बगलान ने ऩयू ी शी कय दी अफ
तो अऩनी धचन्ता खत्भ शो गमी । फेटला ऩय द्धलश्वाव तो शै कक लश घय ऩरयलाय व्बार रेगा ।
फदयी खाना खाने फैठ गमा ।इतने भं फस्ती के रोग फदयी के घय के वाभने इक्ठा शोने रगे । ढसेर नगाडा फनजे रगे । गाॊल के खेत
भाभरको के कान खडे शो गमे । जश्न की श्ळरू ु लात र्फू ने फदयी द्वाया
ददमे नायो का गाकय ककमा ।इवके फाद नाच गाने का दौय ऴरू ु शुआ । फस्ती के दो र ्उके औय की लेळबूळा भं वज वॊलय कय नाचने गाने रगे । शरयशय जोकय का रूऩ धय कय आ गमा लश खेत भाभरको खून चव ू ने
लारे श्ळोऩक वभाज का खफ ू भजाक फनाता औय फस्ती के रोग शॊव शॊव
278
कय रोट ऩोट शो जाते ।शॊव शॊव कय रोट ऩोट शो जाने के फाद वाभी खडा शुआ औय गाने रगा । आई जाती फस्ती भं फशाय
फवी जातीॊ खुळशारी शय द्वाय भजदयू ं का शो जाता उध्दाय
आई जाती फस्ती भं फशाय.................... ऩत्थया ऩय जभीॊ जाती घभवमा दीनता की ना धॊवती पॊभवमा खुरी जाता तयक्की द्वाय
आई जाती फस्ती भं फशाय.................... फस्ती के भजदयू आदभी कशाते
अऩने खेत भं अऩना ऩवीना फशाते बय बय खाकय ऩत ू ऩढने जाते शो जाता वाया वऩना वाकाय.
आई जाती फस्ती भं फशाय....................
फदयी बइमा का अनळन वपर शो जाता बभू भशीन कास्तकाय फन जाता
अभीयी गयीफी की ढश जाती दीलाय
आई जाती फस्ती भं फशाय....................
वाभी के गाने ऩय नाचने लारे
खूफ ठुभका रगा यशे थे ।ढोर नगाडे की
धन ु भजदयू ं भं नमा जोळ बय यशी थी ।इवी फीच फदयी के घय के
वाभने एक जीऩ खडी शुई । जजवभं कई रोग बय थे ।जीऩ वे उतयते शी शी वफ उधभ फाफू के चायो ओय वयु षा घेया फना भरमे ।उधभ फाफू औय उनके वशमोधगमो का दे खकय भजदयू ं की चन् ु नी खडी शो गमी ।ले इनकी उऩजस्थतत को अनदे खा कय ददमे । ढोर नगाडे की आलाज औय जोळीरी शो गमी । नाचने लारे जोय जोय वे वुय अराऩने रगे । मश वफ उधभ 279
फाफू को फदातळत नशी शुआ । ले धचल्रा उठे अये फन्द कयो नाच गाना । शभ तुभ रोगो वे फात कयने आमे शै । तभ ु रो गाना गा यशे शो । कौन वी खळ ु ी का ऩशाड फस्ती ऩय धगय ऩडा शै ।
र्फ-ू उधभ फाफू नयामन फडा वाशफ फन गमा शै ।
उधभफाफ-ू अच्छा तो मे फात शं ।जश्न भनामा जा यशा शं । अबी तक तो फदयी चैन तछन यखा था अफ नयामन बी वाशफ फनकय चैन तछनेगा । अये मे फदयी ऐवे शा तो चेन की फॊळी नशी फजा ऩामेगा । भझ ु वे भबडेगा तो चयू चयू शो जामेगा ।
फदयी नाच गाना फन्द कयने का इळाया कयते शुए फोरा -उधभ तुभ आ गमे फदयी की चौखट ऩय भाथा टे कने । अये इतनी जल्दी क्मा थी । उधभफाफ-ू वुन फदरयमा भं तेये दयलाजे ऩय भाथा टे कने नशी । तुभको वफक वीखाने आमा शूॊ । फदयी-अये उधभफाफू तुभ भुझे क्मा वफक वीखाओगे । भं तुभको
वीखाउूॊ गा । गयीफो का शक भायकय फाफू फन फैठे शो एकडं गाॊल वभाज की जभीन ऩय अफैध कब्जा जभामे शो ।भुझे धभकाने आमे शो कक भै। अनळन तोड दॊ ू औय तुभ जभीन के भाभरक फने यशे शो । उधभ-अनळन खत्भ कय दो लयना इॊजाभ फयु ा शोगा ।
फदयी-तभ ु भेया कुछ नशी त्रफगाड वकते ।शभ ककवी वे खैयात नशी शभ तो अऩना शक भाॊग यशे शं । दे खना एक ददन रेकय बी यशे गे ।शभ जल् ु भ अफ नशी वशे गे ।जल् ु भ कयने लारं का द्धलयोध कये गे लश भ्सी तु्शाये जैवे दशॊवक तयीके वे नशी अदशॊवक तयीके वे ।फयवा रो गोभरमाॊ
इवीभरमे आमे शो ना । दे ख शभ ऩीछे कबी नशी शटे गे ।कोई फस्ती का भजदयू शधथमाय नशी उठामेगा ।
उधभ-फदयी भाय के आगे बूत बागता शै ।
इतन वन ु ते शी वाभी का खन ू खौर उठा लश उधभ का शाथ ऩकड भरमा औय फोरा शाथ उठाकय ददखाओ शाथ काटकय यख दॊ ग ू ा। मे भजदयू 280
तु्शायी गुराभी शी नशी कयना जानते वभम आने ऩय जान बी रेना जानते शै ।
फदयी-वाभी बइमा अऩने दयलाजे ऩय आमा शुआ भेशभान शोता शै। जानते शै भेशभान को बगलान तक बी कशा गमा शै । वाभी-मे भेशभान नशी ।मे तो शभाया खून ऩीने आमे शै ।
फदयी-शभेळा वे ऩीते आमे शै आदत शो चक ु ी शै । फयु ी आदत जल्दी छूटती नशी ।
वाभी-शभ भजदयू ठशये तो क्मा । शाथ भं चडू डमाॊ नशी ऩशने शं । अऩनी औकात ऩय उतय गमे तो नाभो तनळान भदटा दे गे ।
फदयी-नशी वाभी बईमा ऐवा नशी कशते । ऐवी बाऩा तो उधभफाफू जैवे श्ळोऩक वभाज के रोग शी फोरते शै ।शभे तो ककवी वे दश्ु भनी नशी
गयीफ वभाज की तयक्की के भरमे जॊग रडना शै । वाभी बइमा श्ळोऩक वभाज दशॊवक शं। तुभ फजाओ गाओ ।शभायी खुळी मे फदातश्त नशी कय ऩामेगे । ऩागर शाथी
की तयश ढोर की आलाज कान तक ऩशुॊचते शी बाग जामेगे ।
लशी शुआ । नगाडा कपय शुॊकाय बया ।ढोरक ने बय दी उतेजना ।गाने वे गॊज ू ी गजतना, शभ
ना शै अफ गर ु ाभ फाफ,ू
ऩवीने वे डार दे ते शै ऩयती फॊजय भं जान फाफू झोऩडी भं भनेगी खुळी वुफश श्ळाभ फाफू
शभ
फस्ती की ऩौध छुमेगी आवभान फाफू
ना शै अफ गुराभ फाफ,ू ..............................
गाना वुनते शी उधभ फाफू का खून खौर गमा । ले फदयी वे फोरे फदयी भेये कब्जे की जभीन तुभ दरयद्रं भं कबी नशी फॊट ऩामेगी । भेये कब्जे की जभीन ऩय ऩाॊल यखने लारे का ऩाल वाफत ू नशी फचेगा ।भै गाॊल
281
वभाज की जभीन कबी बी नशी छोडूगा चाशे भेये द्धऩता के रगामे जॊगर लारी जगश शो मा तार ऩोखय । कयते यशो तुभ रोग जरूव प्रदतळन । फदयी-आ गमे न अऩनी औकात ऩय । धगध्द की तयश वफ कुछ शजभ
कयने ऩय उतारूॊ शो गमे ।तु्शाये क्मा गाॊल के जजतेने रोगं के कब्जे भं गालॊ वभाज की जभीन शं । लश उनकी फऩौती नशी। शभ बूभभशीनं का
दशस्वा शै । बूभभशीनं का शक तछन कय चैन वे नशी यश ऩाओगो । मश बभू भचोयी फफातद कय दे गी । इतना वन ु ते शी र्फू जोय जोय वे नाया रगाने रगा-
फदयी बइमा जजन्दा फाद
बभू भचोय भद ु ातफाद भद ु ातफाद.........
नाया वुनते शी उधभफाफू रारवुखत शो गमे । उनकी आॊखं भं खून उतय आमा । ले अऩने वाधथमं को जीऩ भं फैठने का इळाया ककमे औय खुद
शला भं पामय कय दे ख रेने की धभकी फदयी को दे ते शुए जीऩ स्टातट कय फैयॊग रौट गमे ।उधभ को ऩीठ ददखाते शी वाभी गाने रगा बूक बूकश्श्वान थक गमे शो
क्र के गुराभ श्ळेय शो गमे शो
शाथ वे शाथ भभरामे यशना बाई ळोऩको की बीड कपय वे आई
पूॊक पूॊक कदभ फढाते शै यशना
खून ऩीने लारं ऩय मकीन ना कयना चक्रव्मश ू तोडने का शो गमा ऐरान
अऩने नामक फदयी ऩशरलान..................
ऩयू ी यात फस्ती लारं ने खूफ नाचा गमा,जश्न भनामा ।नाच गाकय वबी
थकने रगे ।यात खत्भ शोने का आ गमी थी।कई फाय फदयी के कशने के
फाद जाकय नाच गाने का जश्न थभा ।वफ अऩने अऩने घयं की ओय चर ऩडे ।फदयी ने 282
र्फ,ू वाभी,दे लकयन,याभकयन,श्माभकयन,शरयकयन,शरयशय,याभककळन को
कुछ दे य रूकने को कशा ।वबी नीभ की छाॊल भं फैठ गमे । फदयी उनके
फीच भं जाकय फैठ गमा ।तफ वाभी फोरा फताओ बइमा फदयी क्मा कश फदयी-शय वुफश
यशे शं ।
कुछ नमा रेकय आती शं ।कर वे उ्भीद यशती शै । शभं बी शै ।
र्फयू ाभ-कैवी उ्भीद बइमा ।
फदयी-कर शभाये भरमे राबकायी शोगा । ऐवा भेया वोचना शै ।
शरयशय-काका आळालादी फने यशना अच्छी फात शं ।उ्भीद ऩय दतु नमा दटकी शै ।
वाभी-कर क्मा कयना शोगा मे तो फताओ फदयी बइमा........
फदयी-बइमा जो कुछ कयना शै शभं कयना शं । आऩ वफ तो गलाशी भं खडे यशना ।
वाभी-क्मा कश यशे शो बइमा फदयी ।
फदयी-कर वे भं आभयण अनळन ऩय फैठूॊगा । र्फ-ू क्मा
घ्
वाभी कुछ कशने के भरमे खडा शुआ ।फदयी ने कुछ कशने को भना कय ददमा औय फोरा बइमं आऩ रोग ददन बय शाड पोडे शं । यात बय जश्न भना यशे शं ।अफ जाइमे आयाभ कीजजमे यात ततनक बय भे खत्भ शोने लारी शं ।कर वे आभयण अनळन ऩय भै फंठूॊगा । तेईव
फस्ती लारं के राख भना कयने के फाद बी फदयी वूमोदम के वाथ शी बूभभशीनता के द्धलरूध्द आभयण अनळन ऩय फैठ गमा ।दोऩशय तक तो
आभयण स्थर ऩय आवऩाव के बूभभशीनो का भेरा रग गमा ।ळाभ तक तो दयू दयू के गाॊलंेा के बभू भशीन खेततशय भजदयू ं का जभालडा रगना ळुरू शो गमा ।इववे फदयी की दश्भत औय फढ गमी ।गाॊल वभाज की 283
जभीनं के अलैध कब्जाधारयमेाॊ का तो जैवे चैन शी तछन गमा ।फदयी के गाल के खेत भाभरक अलैध गाॊल वभाज औय वयकायी जभीनं के
कब्जाधारयमं के नीचे की जभीन जैवे दशर गमी ।दव ू ये ददन वफ ु श तो खेत भाभरकं भं दशश्त पैर गमा टीली ऩय फदयी के आभयण अनळन
औय बूभभशीनं की बीड दे खकय ठल्रू प्रधान शी नशी ऩयू े गाॊल के खेत
भाभरक फौखरा उठे ।ठल्रू प्रधान तो जैवे फेभौत भयने रगे । आलण्टन
न कयलाने की कवभ तो ठल्रू प्रधान खामे थे खेत भाभरको के दफाल भं आकय । ठल्रू प्रधान अफ गाॊल औय आॊलण्टन ने शोने की लजश वे शो
यशी दे ळ बय भं नभुवी का वदभा उन्शे फैठने रगा ।ले गाॊल बय के छोटे फडे खेत भाभरकं की ऩॊचामत जट ु ाने भे एडी चोटी का दभ रगा ददमे ।
कापी भस्वकत के फाद वबी खेत भाभरक दो घण्टे के अन्दय उधभ फाफू की शलेरी भं इक्ठा शुए । ग्राभ प्रधान ठल्र ्ेूेा वदशत कन्नू फाफ,ू श्माभ फाफ,ू त्रफशायी फाफू ग्राभ
ऩॊचामत वदस्म औय शय खेत भाभरक के घय का भखु खमा उधभ फाफू की
शलेरी इक्ठा शुमे ।वबी खेत भाभरकं के इक्टठा शोने के तुयन्त फाद ठल्र ्ेूेा प्रधान शाथ खडे शुए औय जोडकय फोरे ऩॊचं भेयी प्रधानी ऩय तो काभरख ऩत ु शी गमी औय वाथ ऩयू े गाॊल की इज्जत भाटी भे ेॊ
भभरामा ददमा शै फस्ती के भजदयू ो, बभू भशीन भजदयू ो ने । फस्ती के
भजदयू तो फाफू रोगो का इज्जत ऩशरे वे शी भभटाते आ यशे शं ऩय अफ
तो अखफायो ये डडमं औय टीली ऩय बी खफये आने रगी शै । आऩ रोगो ने बी तो टीली दे खा शी शोगा ।
कन्नू ग्राभ ऩॊचामत वदस्म- भंने तो टीली दे खा नशी ।
झल्रू-क्मो नशी दे खे बइमा कुन्नू फेटला के ब्माश भं इतनी फडी दशे ज की यकभ भरमे टीली लश बी करय ळामद शी तु्शाये इतना फडा ककवी का टीली शो ।इवके फाद बी टीली नशी दे खे ।
284
दटक्कू-अये झल्रू कन्नू फाफू टीली कैवे दे खते टीली तो दजु ल्शन दे ख यशी शोगी ना ।
भभक्कू-क्मा कन्न ्ेूेा का भजाक फना यशे शो ।कोई तो दे खा शी शै ।ठीक शै कन्नू बइमा नशी दे खे तो कोई फात नशी । दशे ज का भार शं दे खते यशना चादशमे ।जोय वे शॊव ऩडे
त्रफशायी-दशे ज भं क्मा भरमे ।आीली दे खे की नशी दे ख ।इवके भरमे
ऩॊचामत नशी फैठी शं । शभ जजव फाये भं चचात कयने के भरमे इक्ठा शुमे शै ।लश ग्बीय भुद्दा शं उवके वभधान के फाये भं द्धलचाय द्धलभळत के भरमे शभ फैठे शं ।अखफाय भं छऩे वभाचाय तो वबी ने ऩढे शै। । फदयी की
फडी फडी तस्लीयं वबी न दे खी शं । रगता शं भीडडमा लारे बी फदरयमा
के ऩषधय शो गमे शै । दे खा नशी फदरयमा कैवे इतया इतया कय इण्टयव्मू दे यशा था टीली । कैवे फैठा था टाॊग पैरा कय । लो ददन बूर गमा जफ उधभ फाफू का गोफय पंकता था । अफ तो भजदयू ं का नेता फन यशा शै ।फाफू रोगो का नाभ फदनाभ कय ददमा इव फदरयमा शयाभी ने ।
खुरेआभ बूभभचोय का नाया दे यशे शं । फस्ती के भजदयू क्मा आवऩाव
के गाॊलं के भजदयू बी नाये फाजी भे फढचढ कय दशस्वा रे यशे शै। वुना शं वाये भजदयू ं ने भभरकय फाशय वे आने लारे भजदयू ं के खाने तक का
इन्तजाभ कय ददमा शै ।भं तो फदरयमा की दश्भत दे खकय दॊ ग यश गमा ।
उधभफाफ-ू प्रधान फाफू क्मा चाशते शो उठला दॊ ू ।
ठल्रप्र ू धान- अफ दे य शो चक ु ी शं अखफाय टीली लारे वे खोज रेगे ।ऐवी गरती नशी कयना । कयना शी था तो श्ळुरूलात भं कय दे ना था । ऐवी नौब्त नशी आती ।अफ तो आग रग गमी शं । जफ नशी उठा था तबी
भवरना था ऩय अफ तो फशुत दे य शो चक ु ी शै ।फदयी औय फस्ती के भजदयू ं ऩय अबी जल् ु भ कयना औय नभव ु ी का कायण फन वकता शै । शो
वकता शं ऩभु रव ऩयू े फाफू रोगेा को रे जाकय चाय छ् ददन के भरमे फन्द 285
कय दी तो फन गमी इज्जत । मे ऩभु रव लारे अऩनी भानेगे बी नशी क्मंकक भीडडमा लारे तो अफ बूभभशीनं भजदयू ं के ऩषधय शो गमे शं ।कुछ औय वोचो आऩ वबी रोग ।
उधभफाफ-ू प्रधान फाफू शुक्भ कयके तो दे खे । क्मा कयलाना चाशते शो ।फदयी की शड्डडमा गर जामेगी ककवी को कानो कान ऩता नशी चरेगा कक फदयी कशाॊ गमा ।
ठल्रप्र ू धान-अबी इव फाये भं भत वोचो भाभरा यपा दपा शोने के फाद
भे जो कुछ कय वकना कयना । भं नशी भना करूॊगा ।तुभ चाशोगे तो भं चाय छ् ददन के भरमे अस्ऩतार भं बती शो जाउूॊ गा । भुझे कुछ भारूभ शी नशी यशे गा भारभ ू शोकय बी ।
उधभफाफ-ू फडे नौटॊ कीफाज शो प्रधान फाफू ।वभझ गमा इवी ततकडभ वे तो फस्ती के भजदयू ं का ददर जीते थे औय प्रधान फन गमे थे । ऐवे शी जीतते यशे तो एक ददन भन्त्री फन जाओगे प्रधान फाफ।ू
कन्नू फाफ-ू गस् ु ताखी भाप कयना उधभ फाफू ग्राभ ऩॊचामत का वदस्म शोने के नाते भं बी कुछ कशना चाश यशा शूॊ । उधभफाफ-ू अये काका शजाय फात कयं । फात कयने के भरमे तो प्रधान फाफू ने ऩॊचामत फर ु ामा शै ।कशो काका क्मा कशना चाश यशे शो । कन्न ्ेूेाफाफ-ू कत्र फरला के फाये भं त्रफल्कुर भत वोचो ।
उधभफाफ-ू दशाडते शुमे फोरे काका इतना डयऩोक कफ वे शो गमे । वुना शै ऩशरे भजदयू ं को जानलयं जैवे शाॊकते थे । जया वी आने भे दे यी शो गमी तो
खफ ू दे य तफ काभ कयलाते थे औय भजदयू ी बी नशी दे ते थे । इतना शभददी कैवे जाग गमी काका ।
कन्नफ ू ाफ-ू उधभ फाफू खून खयाफा वे कुछ नशी भभरेगा ।आग तो बबक
शी गमी शं ।इव आग को ककवी औय तयीके वे फझ ु ामा जा वकता शं ।
आग बबकाने वे शभ बी जर वकते शै। भशीना बय ऩशरे वे तो फदयी अनळन ऩय शै। ऩशरे भौन वाॊकेततक अनळन ऩय था ऩय अफ आभयण 286
अनळ ऩय उतय गमा शै ।ळुरूलाती दौय भं अनळन रूकलाना था । अफ तो ऩयू े दे ळ भे खफय जॊगर की आग की तयश वे पैर यशी शै ।कोई ठोव वभाधान ढूढो वाॊऩ बी न भये औय राठब ् बी ना टूटे ।
उधभफाफ-ू क्मं आग बबकने का इन्तजाय कय यशे थे । काका आऩ बी तो फडे भाभरक शै ।आऩको बी तो ऩशर कयना था । चाशे शोते तो
भाभरा कफ का यपा दपा शो गमा शोता । मे प्रधान फाफू जो आज
ऩॊचामत फटोये शं । मश काभ तो
ऩशरे बी कय वकते थे । नशी ककमे
क्मंकक फदयी को टीली ऩय दे खना चाश यशे थे। अफ फदयी को टीली ऩय
दे ख भरमे वभाध्धन शो जामेगा । खैय आज बी कोई ठोव नतीजा तनकर जाता शै तो अच्छा शी शै ।
श्माभफाफ-ू उधभ फाफू फदयी आप
फाऩ वुआर फाफू के जन्भ के ऩशरे वे
गुराभी कय यशा शै ।क्मा फात शो गमी की लश आऩकी चौखट ऩय थक ू
कय चरा गमा । इवभं आऩकी फशुत फडी कोई न कोई बूर शै जजवकी लजश वे फदयी आज आभयण अनळन ऩय फैठा शै । आऩका बी पजत फनता था उवे वभझाते फझ ु ाते ।वभझाना फझ ु ाना तो दयू उवे दध ू की भक्खी की तयश वे तनकार कय पेक ददमे ।जो कुछ उवकी पवर थी उवको बी अऩने कब्जे भं कय भरमे ।इतनी भेशनत लश आप खेत भं
ककमा शं खद ु दे ख यशे शोगे । एक एक घाव उखाड डारा शं अऩने ऩयू े
ऩरयलाय के वाथ भभरकय । अये लश कुछ ज्मादा तो नशी भाॊग यशा था ना शरलाशी शी तो कयने को कश यशा था मा फॊटाई ऩय । उधभ फाफू
फदयी के आभयण अनळन के भरमे आऩ खद ु जज्भेदाय शो ।आऩका कुछ पजत फनता शै कक नशी ।
उधभफाफ-ू भेया क्मा पजत फनता शै अऩने फाऩ की द्धलयावत भं छोडी
जामदाद उवके नाभ कय दे ता ।गेरूला लस्त्र ऩशन कय दशभारम की ओय चरा जाता । फाफू आऩको ऩता शै कक नशी फदयी का फेटा नयामन
लकारत कय चक ु ा शं । कुछ वार औय फदयी भेयी शरलाशी कयता तो भेयी 287
जभीन शधथमाने की वाजजळ यच डारता औय भै दाले के वाथ कशता शूॊ कक लश अऩने भकवद भं काभमाफ बी शो जाता ।वुना शै कोई फडा वाशफ शो गमा शं नयामन । आऩ फताओ भेये फाऩ दादा की द्धलयावत वयु क्षषत यश ऩाती ।
त्रफशायीफाफ-ू दे खो उधभ फाफू अभ्सी इन बूभभशीनं भं इतनी दश्भत तो नशी शै कक ले शभायी जभीन ऩय अऩना कब्जा जभा ऩामे ।
उधभफाफ-ू फदयी जैवा गर ु ाभ ऐवा कय वकता शै तो फाकी भजदयू ं के फाये भे आऩका क्मा द्धलचाय शै ।
त्रफशायीफाफ-ू भजदयू लपादाय शोते शं । फदयी तो फशुत लपादाय था । भारूभ शं लश आप शक के भरमे आप शी ऩरयलाय लारं वे रड जाता था । इवके फाद बी आऩने फद्वरूक ककमा फदयी के वाथ । खेय जो शो गमा त्रफवाय दो ।श्माभ फाफू ने कुछ गरत नशी कशा शै । फात भत भोडो ।
फस्ती के भजदयू ं का भुॊश फन्द कैवे शो इव फाये भं वोचने का लक्त शै ।
उधभफाफ-ू शल्रा फोर दो ।ऩभु रव को ऩशुॊचते ऩशुॊचते चाय छ् ददन तो रग शी जामेगे । ठल्रूप्रधान-अखफाय लारे आ यशे शै । टीली लारे आ यशे शै । ऩभु रव लारे नशी ऩशुॊच ऩामेगे ।उधभ फाफू भायऩीट के फाये भं त्रफल्कुर भत वोचो । भजदयू ो की एकता को बी दे खो । त्रफशायी फाफ-ू शाॊ प्रधान ठीक कश यशे शो । भजदयू ं का एकता तो चीदटॊमं
लारी शो गमी शं । ववुये एक दव ू ये को खूफ वशाया दे यशे शै ।चीदटमं की तयश एक दव ू ये को वशाया दे कय ठे रते शुए आगे फढ यशे शं । अगय मे ववुये आऩव भं रड जामे तो वायी एकता तछन्न भबन्न शो वकती शै
।इन्शे शड्डी पंक कय आऩव भं रडाने की कोई तयकीफ वोचो फाफू रोगो लयना शभ वबी बीॊगी त्रफल्री शो जामेगे।
उधभफाफ-ू फाफू बर ू कय यशे शो । दे ख नशी यशे शो गर ु ाभं की एकता
।अऩनी फस्ती के भजदयू शी नशी दयू दयू दयू के गाॊलं के भजदयू फदरयमा 288
का दादशना शाथ फने शं ।इन भजदयू ं का अबी वुनशये वऩने ददखाओ ।इवके फाद भं शड्डी डारने का काभ कयना ।
बआ ू रफाफ-ू जभाना फदर गमा शं । भजदयू ं के घय बी ऩढने भरखने लारे शो गमे शै ।फदरयमा का फेटला दे ख शी यशे शो लकारत कय भरमा शै । मे
गॊलाय भजदयू बी कानन ू कामदे जानने रगे शै ।अनळन की खफय दयू े दे ळ भं पैर चक ु ी शं । भाभरे की नजाकत को वभझते शुए भजदयू ं को तोडने वे ऩशरे वन ु शया वऩना ददखाना शी ठभ्क यशे गा ।
ठल्रू प्रधान-तु्शायी फात भं दभ तो शं ।तुभ शी कुछ क्मं नशी कयते बुआर फाफू जजववे मश वॊकट कट जामे ।शभ वफ याशत की वाॊव रे वकं ।
त्रफशायी फाफ-ू प्रधान मे भजदयू क्मं अनळन कय यशे शै । भारूभ शै कक नशी ।
ठल्रू प्रधान-आलण्टन के भरमे ।
त्रफशायी-आलण्टन कयलाने का आश्वावन दो । ठल्रू प्रधान- क्मा घ ्
त्रफशायी फाफ-ू चौको भत प्रधान । दादा ऩयदादा की जभीन दे ने को नशी
कश यशा शूॊ औय ना शी फाफू रोगं के अफैध कब्जे को तोडन की फात कय यशा शै। भवपत आश्वावन की आक्वीजन दो ठल्रू प्रधान । तभ ु मे काभ
फशुत चातुमत वे कय वकते शो । नेता जो ठशये ।आश्वावन ऩय ऩयू े दे ळ की आभजनता जी यशी शं ।अऩने गाॊल के भजदयू नशी जी वकते क्मा घ ् दटक्कू फाफ-ू आश्वावन शी नशी कुछ जभीन बी दो तबी भाभरा थभ वकता शै।
श्माभफाफ-ू कौन वी जभीन दे ने की फात कय यशे शो ।कोई खेत भाभरक अऩने कब्जे की जभीन छोडने को तैमाय शै । नशी ना..............
289
त्रफशायी-अऩने गाॊल भं फशुत उवय दादय ऩयती फॊजय जभीन ऩडी शं ।दो चाय फीवा बूखे नॊगं को भभर गमा तो क्मा ले शभाया भुकाफरा कय रेगे ।
ठल्रूप्रधान-स्कूर के नाभ ऩय छूटी एकडो जभीन फेकाय वात्रफत शो यशी शं ।दव ू ये गॊेाल के रोग आकय फव यशे शं । जानलय चया यशे शं ।इवी
जभीन के ऩयू फ लारे दशस्वे का थोडा वा बाग आलण्टन भं दे ददमा जामे तो अच्छा शोगा क्मा घ ्
बुआर फाफ-ू द्धलचाय तो अच्छे शं ।फस्ती के भजदयू ं को लशी जभीन दो
जजवे ऩय दव ू ये गालं के रोग कब्जा कय चक ु े शं ववुय रडते भयते यशे गे
। नाभ बी शो जामेगा । फस्ती के भजदयू ं का कब्जा बी नशी शो ऩामेगा
। इतना शी नशी कब्जे को रेकय कोटत कचशयी का चक्कय रगाते यशे गे । कुछ शी ददनं भं वाया जनन ू ठण्डा ऩड जामेगा ।
उधभ फाफ-ू दे खो कुछ तो कब्जा कय शी रेगे । मश बी अऩने भरमे
पामदे भॊद वात्रफत नशी शोगा । दरयद्र रोग अऩने फीच भं आ जामेगे ।
जजव जभीन ऩय अऩने फच्चे खेरते शं । कई एकड जभीन तो फाफू रोग अऩने खेत भं भभरा भरमे शै ।क्मं स्कूर के नाभ ऩय छूटी जभीन ऩय छोटे रोगो का कब्जा कयलाना चाश यशे शो । भान रो वबी बभू भशीन
भजदयू ं ने कानन ू का वशाया रेकय कब्जा कय भरमा तो ।शभ रोग तो कुछ बी नशी कय ऩामेगे । कोई औय जभीन के फाये भं वोचो प्रधान फाफ.ू .........
ठल्र ्ेूेाप्रधान- प्राइभयी स्कूर के भरमे तो दव फीवा जभीन फशुत शै ।कशाॊ डडग्री कारेज फन यशा शै कक दव एकड जभीन की जरूयत ऩडेगी
।फाफू रोगो के दशत का ख्मार यखते शुमे भैने चायागाश,खेर कूद घयु आदद के नाभ ऩय गालॊ वभाेाज की वायी जभीन छोडला यखा शै ।स्कूर
का तो फव नाभ शै ।इवी जभीन भं वे एक एकड ऩय आॊलण्टन शो जाने दो । 290
स्रकण्डेफाफ-ू प्रधान तु्शायी तनगाश शभाये कब्जे लारी जभीन ऩय दटक यशी शै ।तु्शाये कब्जे भं बी तो कई एकड गाॊल वभाज की जभीन शै ।इतना
बभू भशीनं की धचन्ता शं तो ऩशरे अऩना कब्जा छोडो औय फाॊट दो दरयद्रं भं ।खभरशान के नाभ ऩय घयु के नाभ ऩय कण्डा ऩाथने के नाभ ऩय
शलेरी की वशन ् के नाभ कय एकडं भं जभीन शधथमा यखे शो ।इतना शी नशी अऩनी जभीदायी भं बी तो कई एकड जभीन भभरा यखे शो । अऩने शी कब्जे की जभीन का ततनक बय दशस्वे का आॊलण्टन कय बभू भशीन भजदयू ं के भवीशा फन वकते शो ।
भभक्कू फाफ-ू वयकण्डे फाफू के वुझाल तो अच्छे शै ।प्रधान फाफू को भान रेना चादशमे।
ठल्रू प्रधान-भभक्कू फाफू तुभ बी गाॊल वभाज की कभ जभीन शजथ्मा कय नशी फैठे शो । बूभभशीन खेततशय भजदयू ं
की इव रडाई वे उफयने के
भरमे शभ वफ को वाझा प्रमाव कयना चादशमे । एक दव ू ये ऩय आयोऩ प्रत्मायोऩ रगाने भं वभम क्मो फफातद कय यशे शो । ककवी नतीजे ऩय
ऩशुॊचने की फजाम शभ एक दव ू ये ऩय कीचड क्मं उछारने ऩय तूरे शुए शै । बआ ु रफाफ-ू दे खो कोई बी खेत भाभरक मा फाफू दध ू का धर ू ा तो नशी शं
।वबी गाॊल वभाज की जभीन ऩय अलैध कब्जा जभामे शुए शं । कोई एकडं भं तो कोइर फीघो भं फव इतना वा पकत शै । दे खो आऩव भं भत रडो ।कोइर तयकीफ वोचो औय मे भजदयू जो वडक ऩय अनळन ऩय फैठे
शै ।उन्शे उनके घयं भं लाऩव बेजो ।गाॊल का नाभ फशुत फदनाभ शो गमा ।
भभक्कूफाफ-ू गाॊल का शी नशी शय भाभरक फाफू का नाभ फदनाभ शो यशा शं । ठल्र ्ेूेा प्रधान दे दो आलण्टन । चऩ ु कयला दो फस्ती के बूभभशीन खेततशय भजदयू ं को ।
291
त्रफशायी-अये प्रधान क्मं नशी ददखा दे ते आलण्टन का वऩना । ऩशरे वे जैवे ददखाते आ यशे शो । अये फीव
वार वे तुभ शी तो प्रधान शो ।
कोइर नमा बी फनाओगे तो अऩने शी फीच का कोइर फनेगा । लश बी
तु्शाये जैवे कयता यशे गा ।अबी तो गाॊल वभाज की वफ खारी जभीन
ऩय आॊलण्टन कयने का ऐरान कय दो । फाद भं ददखा दे ना ठं गा ।अबी तो अनळन तोडलाना
शै । कर ककवने दे खा शै ।
दटक्कू-प्रधानी का चन ु ाल शोगा तो अफ कोई भजदयू फस्ती वे शी प्रधान फनेगा दे ख रेना ।
भभक्कू फाफ-ू अये आज तक कबी अऩने गाॊल भं चन ु ाल शुआ शं । शुआ बी शं तो तनतद्धलयोध शी यशा शं ।भजदयू ं की इतनी दश्भत तो नशी शोगी कक
ले चन ु ाल रड रगे लश बी प्रधानी का द्धलधामक वॊवद के चन ु ाल रडने की दश्भत कय बी वकते शं ऩय प्रधानी का कबी नशी । अये गाॊल भं यशना
शै कक नशी । त्रफशाय फाफू ठीक कश यशे शै अबी तो कश दो आलण्टन दे ने का फाद भं दे ना मा भत दे ना ।
ठल्रूप्रधान-फाफू रोगो अफ मे बूभभशीन खेततशय भजदयू नशी भानेगे ।मे आलण्टन जफ तक ऩयू ी तयश वे नशी शो जामेगा वॊघऩत कयते यशे गे ।शाॊ इतना कय वकते शं कक इन भजदयू ं को भीठी गोरी धीये धीये दे ते यशे औय फाद भं एकदभ वे फन्द कय दे ।
दटक्कूफाफ-क्म कश यशे शो ठल्रू प्रधान फात वभझ भं नशी आई । ठल्रू प्रधान -दो चाय फीवा दे ते यशे गे ।
उधभ फाफ-ू प्रधान फाफू अऩने वे श्ळरू ु लात कयो । जजतना गाॊल वभाज की जभीन अऩने
भवपत दक्षषण लारी भवलान भं भभरामे शो । उवके चौथाई
बाग ऩय आलण्टन दे दे ा फाकी आश्वाव की भीठी गोरी दे दो । दे खो वाये भजदयू खुळ शो जामेगा । आज धयना प्रदतळन वफ फन्द कयलाने की भं गायण्टी रेता शूॊ ।
292
त्रफशायी-फात आगे फढ गमी शै । शभे कानन ू अऩने शाथ भं नशी रेना शै उधभ फाफू ।
श्माभफाफ-ू उधभ फाफू की एक फात ठीक रगी । दटक्कू - कौन वी फात ।
श्माभफाफ-ू ठल्रू प्रधान अऩने कब्जे की जभीन के चौथाई बाग ऩय
आलण्टन कयला दे लश बी केलर दक्षषण के भवलान की तो भाभरा यपादपा शो वकता शं ।
उधभफाफ-ू दव भजदयू ऩरयलाय को ऩाॊच ऩाॊच फीवा बी दे ददमे तो भजदयू बी खुळ शो जामेगे । नाभ बी शो जामेगा कक आलण्टन शो गमा ।गाॊल की इज्जत भाटी भं भभरने वे फच जामेगी ।
श्माभफाफ-ू दव बूभभशीन ऩरयलाय दो चाय फीवा जभीन के भाभरक शो जामेगे । क्मा फयु ाई शं प्रधान । तु्शाया क्मा घय वे जा यशा शै । ठल्रूप्रधान-उत्तय की भवलान कैवी यशे गी ।
उधभफाफ-ू ककवी बी भवलान भं कयलाओ ऩय आलण्टन कयलाओ जरूय
प्रधान फाफू ।भजदयू ं के अनळन को योकने का अबी तो मशी उऩाम शै । कन्नफ ू ाफ-ू भुयददशमा के ऩाव के उवय ऩय आॊलण्टन । उधभफाफ-ू औय क्मा अऩने कब्जे की जभीन दोगे ।
त्रफशायी फाफ-ू उधभ फाफू उत्तय की भवलान भं अऩने कब्जे का छोटा वा
दशस्वा छोड दो तो भाभरा यपादपा शो जामे ।उत्तय की भवलान भं
गाॊल
वभाज की फशुत जभीन तु्शाये कब्जे भं शं । जॊगर के नाभ टमल ू ेर के नाभ औय ना जाने ककव ककव के नाभ ऩय त् ु शाये फाऩ ने कब्जा कय भरमे थे । ऩोखय ताराफ बी तो तु्शाये कब्जे भं शं ।तु्शाया कुछ नशी
त्रफगडेगा । लैवे शी तु्शाया फशुत वाया खेत तो ऩयती शी ऩडा यश जाता शै ।
293
उधभफाफ-ू भं तो अऩने कब्जे की
लारे बूभभशीन भजदयू
गाॊल वभाज की जभीन ऩय ऩैय यखने
का ऩैय शी काट रूॊगा । फाफू आऩ छोडने की फात कय यशे शो ।
ठल्रूप्रधान-दे खो फशुत वभम खयाफ शो गमा ऩय शभ रोग ककवी नतीजे ऩय ऩशुॊचे नशी । वफ अऩने अऩने कब्जे ऩय फने यशो ।भेयी फात ध्मान
वे वुन रो । भजदयू ं के वाभने अऩना कब्जा छोड दे ने औय खारी ऩडी गाॊल वभाज की जभीन बभू भशीनं भं फाॊटने की फात कयना । वबी खेत भाभरक रोग
एक स्लय भं फोरे- ठीक शै प्रधान।
ठल्रू प्रधान वबी को रेकय फदयी के वाभने गमे । लशाॊ तो भेरा रगा
शुआ था । फडी भजु श्कर वे ठल्रू प्रधान औय उनके वाथ गमे फाफू रोग फदयी तक ऩशुॊचे । फदयी अभबलादन ककमा । इवके फाद ठल्रू प्रधान फोरे फदयी -मे वफ क्मा शं । अये फन्द कयो अनळन । दे खो कैवे वूखकय काॊटा शो गमे शो ।क्मो जान दे यशे शो । तुयन्त खत्भ कय दो अऩना
आभयण अनळन ।शभ फस्ती के वबी भजदयू ं को कास्तकाय फना दे गे ।
शभ वबी खेत भाभरको ने तनजश्चत कय भरमा शै कक शभ गाॊल वभाज की जभीन
वे कब्जा शटा रेगे । मे जभीन तो फस्ती के बूभभशीनं भं तो
फाॊटेगे शी इवके फाद जो बी गालॊ वभाज की उवय दादय औय खारी जभीन शं उवको बी आलण्टन भं दे दे गे । फदयी- कैवे बयोवा करूॊ।
वबी फाफ रोग एक एक कय फोरे -फदयी बयोवा तो कयना शी ऩडेगा
।शभ वफ झठ ू तो नशी फोर यशे । शो जामेगा आलण्टन । अनळन खत्भ कयो ।
फदयी- फाफू भय जाउूॊ गा ऩय अनळन फीच भं नशी तोडूग ॊ ा । श्ळावन
प्रळावन के भरखखत आश्वावन ऩय शी अफ बयोवा करूॊगा ।इतने भं इक्ठा भजदयू नाये फाजी कयने ,
श्ळोऩण के खखराप फगालत शो चक ु ी शै । 294
भजदयू ं की एकता वात्रफत शो चक ु ी शै ।। जभीन ऩय अधधकाय शभाया शै ।
खेततशय बभू भशीन भजदयू ं का नाया शै ।। बूभभशीन लॊधचतं की शै ररकाय । जभीन ऩय शभाया शै अधधकाय ।।
फाफू रोगो की भजदयू ो की एकता के आगे एक ना चरी ले भुॊश रटकामे रौट ऩडे। चौफीव
ठल्रू प्रधान औय गाॊल अन्म फाफू रोगं के झाॊवे औय दफाल वे जया बी
द्धलचभरत नशी शुआ फदयी औय नशी झक ु ा । लश अऩने आभयण अनळन को जायी यखने की कवभ दोशयाता यशा । लश आभयण अनळन की अऩनी प्रततसा ऩय अडडग था ।फीच फीच भं भजदयू नाये फाजी वे बी नशी चक ू
यशे थे । फाफू रोग खखभवमा यशे थे ।फाफू रोग भजदयू ं के यलैमे वे कापी आक्रोभळत थे ।उनकी आॊखं क
भीडडमा की खफयं
ककयककयी फन चक ु े थे । रेककन ले
एलॊ फदयी के आभयण अनळन के वॊकल्ऩ के आगे
फौने शो चक ु े थे ।आभयण अनळन का चौथा ददन बी त्रफतने को आ गमा ऩय श्ळावन प्रळावन का कोई अधधकायी नशी झाॊकने बय को शुआ । त्रफना अन्नजर के फदयी की तत्रफमत खयाफ शोने रगी ।ऩाॊचले ददन वफ ु श वुफश आभयण अनळन की वुखखमां करेक्टय वाशे फ की आखं की आॊखो औय कानो को ददत दे ने रगी । उनका ददर एक बूभभशीन के आभयण
अनळन की खफय वन ु कय तडऩ उठा ।ले तयु न्त बभू भफन्दोफस्त अधधकायी वे फात ककमे ।जजरे के ऩभु रव आरा अपवयं वे फात ककमे ।
बूभभफन्दोफस्त अधधकायी ने तशवीरदाय वे फात ककमे तशवीरदाय ने गाॊल के रेखऩार वे फात ककमा ।फायश फजे तक जजरे के आराअपवयं का जभालडा अनळन स्थर ऩय शो गमा ।
295
क्रेक्टय वाशफ फदयी वे फात कयने रगे जजवका वीधा प्रवायण भीडडमा
के रोग कयने रगे ।छोटे वे गाॊल के गयीफ बूभभशीन के आभयण अनळन की खफय की द्धप्रण्ट औय इरेक्ट्रातनक भीडडमा ने प्रभख ु ता वे प्रवारयत
ककमा ।फदयी की लजश वे फस्ती के बूभभशीनं का शौळरा फशुत फझ चक ु ा था । ले यशयश कय फदयी के ददमे नाये बी रगा यशे थे ।करेक्टय वाशफ भजदयू ं को श्ळान्त यशने का अनयु ोध ककमे तफ जाकय भजदयू ं बूभभशीन भजदयू ं ने नाये फाजी दे ना फन्द ककमा ।
नये फाजी के श्ळान्त शोते शी करेक्टय वाशफ फदयी वे फोरे फदयी अनळन अफ खत्भ कय दो ।
फदयी-वाशफ जफ तक बभू भ भाभरको का गाॊल वभाज की जभीन ऩय वे
अलैध कब्जा औय ऩट्टा टूट नशी जाता शै । खेततशय भजदयू ो को आलण्टन
भं एक वे दो एकड जभीन नशी भभर जाती शं ।तफ तक भं अनळन नशी तोडूगा बरे शी भय जाउूॊ ।
क्रेक्टय वाशफ-फदयी भं त् ु शाये इव त्माग वे फशुत खळ ु शूॊ ।तभ ु आलण्टन के भरमे आभयण अनळन ऩय शो तु्शाये गाॊल भं आलण्टन नशी शुआ शै । फदयी-अबी तक तो नशी वाशफ ।
करेक्टयवाशफ-जजरा बभू भ फन्दोफस्त अधधकायी को तरफ ककमे औय ऩछ ू े इव गाॊल भं आलण्टन क्मं नशी शुआ। जजरा बूभभ फन्दोफस्त अधधकायी- तशवीरदाय को करेक्टय वाशफ के वाभने
फर ु ामे औय ऩछ ू े आलण्टन अबीत तक क्मं नशी शुआ । तशवीरदाय-आलण्टन शो चक ु ा शै । करेक्टय वाशफ-फदयी झूठ फोर यशा शं ।
तशवीरदाय -रेखऩार को फर ु ामे औय फोरे आलण्टन प्राप्तकतातओॊ की वूची फताओ ।
296
रेखऩार-दो बूभभशीनं का नाभ फतामे जजन्शे भशज एक एक फीवा जभीन आलण्टन भं भभरी थी ।
करेक्टयी वाशफ-क्रोधधत शो गमे ।तशवीरदाय को डाॊटते शुए फोरे इवे आलण्टन कशते शै । तशवीरदाय-रेखऩार को कवूयलाय ठशयाने रगे ।
रेखऩार-वाशफ आन के की दे खये ख भं आलण्टन शुआ शुआ शै कक खानाऩतू तत शुई शं ठल्र ्ेूेाप्रधान की शलेरी भं । आऩ भझ ु े कवयू लाय फना यशे शै ।गाॊल वभाज की जभीन फाफू रोगं के कब्जे भं शं कशी खेरकूद की जभीन के नाभ ऩय कशी खभरशान के नाभ ऩय कशीॊ घयु ं के नाभ
भददय के नाभ इतना शी नशी दादा ऩयदाओॊ के नाभ ऩय । फाफू रोगो के
दफला भं आकय आऩने आलण्टन शोने नशी ददमा । फस्ती के दो रोगो को आलण्टन भभरा शै जजनकं घय फनाने तक के भरमे जभीन नशी थी । करेक्टय वाशफ-फव.......
रेखऩार-शाॊ वाशफ ।आलण्टन नशी शोने के भरमे भं कवयू लय नशी शूॊ । कवूयलय शै तो प्रधान वाशफ औय तशवीरदाय वाशफ । करेक्टय वाशफ-आलॊण्टन मोनम ककतनी जभीन शोगी इव गाॊल भं ।
रेखऩार-फशुत जभीन शं फस्ती का शय बभू भशीन भजदयू फीघं जभीन का भाभरक फन वकता शं । स्कूर घयु भॊददय के भरमे जभीन छोडकय । करेक्टयवाशफ- फस्ती भं ककतना
करेक्टयवाशफ-
बूभभशीन ऩरयलाय शै ।
रेखऩार-ऩच्चाव के कयीफ ।
खेत भाभरको के गाॊल वभाज की जभीन व कब्जे ऩोखय
ताराफ ऩय वे कब्जे /ऩट्टे वफ तनयस्त कयने की कायतलाई कयो । रेखऩार-ठीक शै वाशफ ।
करेक्टय वाशफ-तशवीरदाय को फर ु ामे औय उनवे फोरे आऩने फशुत धोखा ककमा शै बभू भशीन भजदयू ं के वाथ ।वाभाजजक आधथतक वभयवता स्थाद्धऩत कयने की जगश आऩने अवभानता का फीज फोमा शं । अफ 297
फोरयमाॊ त्रफस्तय फाॊधने की तैमाय रीजजमे । इवके फाद शे डक्र्लाटय पोन
रगामे औय तशवीदाय वे का तनर्फन आदे ळ अनळन स्थर ऩय बेजलाने का तनदे ळ ददमे । इवके फाद बभू भफन्दोफस्त अधधकायी एलॊ गौयीळे्ॊ ाकय रेखऩार को तनदे भळत कयते शुए फोरे आलण्टन मोनम जभीन की भळनाख्त कय रो । इवके फाद औय ककतनी जभीन की आलश्मकता
शोगी जजववे फस्ती का शय भजदयू बूभभशीनता के अभबळाऩ वे उफय वके ।
बूभभफन्दोफस्त अधधकायी -वाशफ गाॊल भं फशुत जभीन शं आलण्टन के मोनम ऩय वफ ऩय अफैध कब्जा शै ।
क्रेक्टय वाशफ-कब्जा तोड दो । इवके भरमे पोवत की जरूयत ऩड यशी शो तो उवका बी ऩख् ु ता इन्तजाभ शो जामेगा । बूभभशीनं की वभस्मा खत्भ शो जानी चादशमे ।
बूभभफन्दोफस्त अधधकायी- करेक्टय वाशफ की शाॊ भं शाॊ भभराकय आलण्टन ऩयू ा कयने का आश्वावन
ददमे ।
क्रेक्टय वाशफ-ठल्रू प्रधान को फर ु ामे ।
ठल्र ्ेूेाप्रधान भुॊश रटाकय करेक्टय वाशफ के वाभने खडे शो गमे ।
करेक्टय वाशफ- प्रधान वाशफ आप खखराप कानन ू ी कायतलाई तो शोगी
।इववे आऩ फच नशी वकते ।आऩने दे ळ के वॊद्धलधान के वाथ खखरलाड ककमा शै । बूभभशानंेा गयीफं ऩय जल् ु भ ककमा शै । अऩने पजत के वाथ दगा ककमा शै ।आऩको जेर शो वकती शै ।भारूभ शै ना ।
ठल्र ्ेूेाप्रधान- भवय रटकामे शुए फोरे वाशफ भै फाफू रोगं के दफाल भं था । करेक्टय वाशफ-वुना शै फीव वार वे प्रधान शै । ठल्रूप्रधान- जी वाशफ ....
करेक्टय वाशफ-आऩ फीव वार वे बोरेबारे गयीफो ऩय अत्माचाय कय यशे शं । फदयी इतना वाशव न कयता तो आऩकी कारीकयतूत उजागय नशी 298
शो ऩाती ।ऩशरे आॊलण्टन के काभ को ऩयू ा कयने भं बूभभ फन्दोफस्त
अधधकायी औय रेखऩार की भदद कयो लयना जेर जाने की तैमायी कयो । ठल्रप्र ू धान-आलण्टन कयला दॊ ग ू ा वाशफ ।
करेक्टय वाशफ-फाफू रोगो के वाये कब्जे चाशे ले ऩट्टे शी क्मो न शो टूट जाने चादशमे ।आऩ वाये कब्जाधारयमं औय ऩट्टाधारयमं की वूची कर
फन्दोफस्त अधधकायी को दे दे ना ।इवके वाथ औय ककतनी जभीन चादशमे आलण्टन के भरमे का प्रस्ताल बी दे दे ना ताकक श्ळावन जभीन खयीद कय बूभभशीनं को दे वके ।
ठल्रूप्रधान-दे दॊ ग ू ा वाशफ ।अफ शभाये गाॊल के बूभभशीन बूभभशीनता का अभबळाऩ नशी ढोमेगे ।
करेक्टय वाशफ- आज आऩका जभीॊय जागा शै । आज वे ऩशरे जाततलाद
वाभन्तलाद की कु्बकणी नीॊद के आगोळ भं क्मो था । आऩ जैवे रोगो ने शी तो वाभाजजक आधथतक अवभानता को आश्रम दे यशे शै । जानते शं मश दे ळद्रोश शै ।आऩ जैवे रोगं की लजश वे अवभानता का दाग नशी भभट ऩा यशा शै ।
ठल्रूप्रधान-भवय झुकामे खडे यशे उनका जातीम एलॊ वाभन्ती अभबभान
चयू चयू शो यशा था । ले अन्दय शी अन्दय फौखरा यशे थे औय फस्ती के भजदयू ं को दे ख रेने का भन फना यशे थे ।
करेक्टय वाशफ फदयी वे भुखाततफ शोते शुए फोरे दे खो फदयी तु्शायी भाॊगे जामज शं औय भं ऩयू ी कयने का लादा कयता शूॊ । ठल्रू प्रधान की लजश वे आज तक तभ ु रोगो को बभू भशीनता का अभबळाऩ ढोना ऩडा शं । भं ळभभतन्दा शूॊ । दे खना मे ठल्रू प्रधान जेर जरूय जामेगा । फदयी-शभं ककवी को जेर जाने वे कोई पामदा नशी शै वाशफ शभं तो शभाया शक चादशमे फवे ।
करेक्टय वाशफ-दे खना कर तक वबी बभू भशीन बभू भ भाभरक शो जामेगे । गाॊल वभाज औय वयकायी जभीन का अस्वी पीवदी दशस्वा फॊटला दं गे 299
।मदद औय जभीन की जरूयत ऩडी तो वयकायी खजाने वे खयीदलाकय
बूभभ उऩरब्ध कयलामेगे ।बूभभशीनता के अभबळाऩ फशुत जाततलाद की तयश शी फशुत फडी वाभाजजक फयु ाई शै । इव फयु ाई का खात्भा शोकय यशे गा फदयी भेया द्धलश्वाव कयो ।
फदयी-वाशफ आऩ ऩय ऩयू ा द्धलश्वाव शै ऩय ठल्रू प्रधान रेखऩार औय
तशवीरदाय का बयोवा नशी शं । आप जाते शी धगयधगट की तयश यॊ ग फदरने रगेगे ।
करेक्टय वाशफ-क्मा चाशते शो फदयी । फदयी- वाशफ भरखखत भं चादशमे ।
फदयी- शाॊ वाशफ
करेक्टय वाशफ-भरखखत भं .....
ठल्रू प्रधान रेखऩार औय तशवीरदाय का ततनक बी बयोवा नशी शै ।
करेक्टय वाशफ-फदयी तु्शायी मश बी भाॊग ऩयू ी कयता शूॊ ।करेक्टय वाशफ बभू भ फन्दोफस्त अधधकायी को भरखखत भं फस्ती के भजदयू ं की भाॊग ऩयू ी कयलाने का कागज तैमाय कयने का आदे ळ ददमे ।
जजरा बूभभफन्दोफस्त अधधकयी- ततनक बय भं तैमाय कय ददमे ।
करेक्टय वाशफ
भरखखत भं खेततशय भजदयू ो बभू भशीन भजदयू ं की भाॊग
ऩयू ी कयने का आश्वावन फदयी को ददमे ।इवके फादाद अऩने शाथो वे
फदयी को रड्डू खखरामे ऩानी ऩीरामे । फदयी का अनळन टूट गमा । बूभभशीन भजदयू ं ने करेक्टय वाशफ जजन्दाफाद जजन्दाफाद ...
औय दे ळ का वद्धलधान .....
के नाये रगाने रगे ।
करेक्टयवाशफ-ठल्रूप्रधान को फाु मे औय फोरे प्रधानजी आलण्टन का काभ जल्दी ऩयू ा कयला रो । तशवीरदाय वाशफ का फोरयमा त्रफस्तय तो फॊध शी चक ु ा शं । आप खखराप बी अभबमोग जल्दी आ वकता शै।
ठल्रप्र ू धान फोरे वाशफ आप कशे अनव ु ाय आलण्टन शोगा ।
300
क्रेक्टय वाशफ- आलण्टन का काभ ऩयू ा कयला कय औय फाकी औय
ककतनी जभीन चादशमे
तु्शाये गाॊल के बूभभशीनं के भरमे का प्रस्ताल
जल्दी बेजला दे ना कशते शुए जाने के भरमे करेक्टय वाशफ काय भं फैठे शी थे कक इतने भं एक जीऩ आकय रूक गमी । जीऩ वे करेक्टय वाशफ के वधचल उतये औय एक भरपापा दे ते शुए फोरे वाशफ आऩका आदे ळ । क्रेक्टय वाशफ-आदे ळ । वधचल-जी वाशफ तशवीदाय के तनर्फन का आदे ळ ।
करेक्टयवाशफ-फदयी को फर ु ामे औय फोरे रो फदयी अऩने शाथं वे एक ळुब का औय कय दो ।इवके फाद तशवीदाय को फर ु ामे । ले बी भुॊश
रटकामे शाजजय शो गमे । तफ करेक्टय वाशफ फोरे दे दो फदयी तनर्फन का आदे ळ । तशवीरदाय वाशफ दे ळ वेला जनवेला के रामक नशी यशे
।ऐवे शी अधधकारयमं की लजश वे दीनता औय जातीम याषव को दभन नशी शो ऩा यशा शै ।भ्रप्ट अधधकायी औय वपेदऩोळ दे ळ की एकता औय
व्फदृ द के भरमे अभबळाऩ फने शुए शै ।फदयी तभ ु ने अच्छा ळरू ु लाअत की शै । काळ दे ळ का शय बूभभशीन गयीफ अऩने शक के भरमे आगे आ जाता । करेक्टय वाशफ फदयी की ऩीठ थऩथऩाते शुए आगे फढे ।ठल्रूप्रधान फदयी को गयु े यते शुए फोरे फदयी तभ ु ने अच्छा नशी ककमा कश कय नाक
की वीध अऩनी शलेरी की ओय धोती की खॊट ू ऩकडकय तेजी वे चर ऩडे
।धीये धीये अनळन स्थर वे बीड छॊ टने रगी । फदयी
बी
अऩने घय की
ओय चरने को कदभ फढामा इतने भं लश रडखडा कय धगय ऩडा ।र्फू औय वाभी फदयी को वशाया दे कय रे गमे । उधय फस्ती के भदशराओॊ फदयी के स्लागत का इन्तजाभ कय यखा था । घय के चायो तयप की घावपूव काटकय वाप कय गोफय डारा जा चक ु ा था । फदयी को घय
ऩशुॊचते शी तख्त ऩय फैठामा गमा । औयतेाॊ भॊगर गीत गाकय उवकी आयती उतायी । फस्ती के भजदयू ं बभू भशीन भजदयू ं ने फदयी को अऩना भवीशा घोद्धऩत कय 301
ददमा।
फदयी-वाभी बइमा फवी लारं की खुळी ऐवे शी फयकयाय यश ऩामेगी । वाभी-बइमा तुभको अवॊभजव क्मं रग यशशा शै । फदयी-कोई धोखा तो नशी शोगा ना । वाभी-कैवा धोखा ।
फदयी-वुना नशी करेक्टय वाशफ के जाते शी ठल्र ्ेूेाप्रधान कैवे आॊख ददखाकय बागा था ।
र्फ-ू करेक्टय वाशफ के आगे मे प्रधान कशा दटकेगे । एक भभनट भं वायी अकडॊ ठीक शो जामेगी ।
शरयशय-काका करेक्टय वाशफ इव आश्वावन भं श्ळाभभर शं फाफू रोग नशी । ठल्रप्र ू धान कुछ बी नशी कय वकते ।करेक्टय जजरे के वफवे ज्मादा
जज्भेदाय अधधकायी शं ।उनका आश्वावन झूठा नशी शो वकता । शाॊ गाॊल के फाफू रोग धोखा न कय ऩामे वालधान यशना शोगा । काका ठीक कश यशे शं ठल्रूप्रधान धभकी दे कय गमे थे अनळन की जगश वे करेक्टय वाशफ के जाने के फाद ।
वाभी-करेक्टय वाशफ तो गयीफं के दशतैऩी शं । उनका फशुत नाभ शै ेॊ वुना शं ले चौफीव घण्टे गयीफं की भदद के भरमे तैमाय यशते शै ।अगय
फाफू रोगो ने कोई अडगा डारा तो करेक्टय वाशफ वे भभर रेगे ।बइमा फदयी तभ ु ने फस्ती का नाभ दे ळ बय भं उूॊ चा कय ददमा । अनळन
काभमाफ यशा।ेॊ इववे दे ळ बय के भजदयू ं को फर भभरेगा ले अऩने शक के भरमे उठ खडे शोगा । अगय दे ळ बय के बूभभशीन अऩना शक शाभवर केने के भरमे उठ खडे शो तो कोई नशी योक वकता ।बइमा त् ु शाया
अनळन के प्रबाल वे शी तो करेक्टय वाशफ खुद चरकय आमे थे । आज
तक शभ गयीफो की ऩीडा वुनने कोई फडा अधधकायी आज तक नशी आमा था ।बइमा तुभने भजदयू ं के फीच करेक्टय वाशफ को फर ु ा ददमा । अफ
अऩनी गयीफ कापी शद तक खत्भ शो जामेगी । फस्ती लारे त् ु शायी ऩज ू ा कये गा फदयी बइमा । 302
फदयी-शभ ऩज ू ा नशी कयलानी शं । न शी ऩत्थय की भूततत फननी शं । शभं तो आखखयी दभ तक अऩने भजदयू बाइमं के दशत भं रडना शं ।
वाभी-अफ वायी वभस्मामे खत्भ शो जामेगी । करेक्टय वाशफ लादा कयके गमे शै ।
र्फ-ू शाॊ फदयी बइमा की कजतदाय यशे गी मे फस्ती । बइमा ने अऩनी जान की फाजी रगाकय करेक्टय वाशफ को फस्ती तक आने को भजदफयू कय
ददमा ।अबी तक तो नेता रोग आते थे । भन्त्री फन कय बर ू जाते थे । अफ तो फडे फडे अधधकायी आने रगे शं ।शभ भजदयू ं का उध्दाय जरूय
शोगा । अधधकारयमं को शभवे कोई लोट तो रेना नशी शै कक ले झूठे लादे कये गे ।
वाभी-करेक्टय वाशफ वचभुच गयीफो के दशतैऩी शं । ले अऩनी भाॊग भाने शी नशी भरखखत भं बी दे कय गमे शं ।इववे फदढमा फात औय क्मा शो वकती शै । वूयज ऩयू फ की फजाम ऩजश्चभ वे उग जामे ऩय करेक्टय वाशफ का आश्वावन खोखरा वात्रफत नशी शो वकता ।
शरयशय-शाॊ काका करेक्टय फशुत फडी शस्ती शोती शै । ले अऩनी वभस्मा भुख्मभन्त्री वे रेकय प्रधानभन्त्री तक ऩशुॊचा वकते शं । शभायी वभस्माओॊ का वभाधान बी कयला वकते शं । ठल्र ्ेूेाप्रधान उनके वाभने तो खडा शोने की दश्भत नशी कय वकते । बरे शी शभ भजदयू ं के वाथ कू्ययता
का व्मलशाय कय रं।काका करेक्टय वाशफ ने फस्ती के बूभभशीनं को बूभभ दे ने का आश्वावन ददमा शै। दे खना वबी को भभरकय बी यशे गी । शाॊ थोडी फशुत दे य शो वकती शै । फदयी-काळ अऩना वऩना ऩयू ा शो जाता करेक्टय वाशफ की लजश वे ।
वाभी-फदयी बइमा तु्शायी तऩस्मा का प्रततपर फस्ती को जरूय भभरेगा ।
फदयी- भझ ु े ककवी तयश का पर नशी चादशमे भै फव फस्ती के अऩने भजदयू बाइमं का बरा चाशता शूॊ । भेया फेटा तो भेये गाडी खीॊचने 303
रामक शो शा गमा शै । फस्ती के वबी रडके ऩढे भरखे गयीफी वे उफयने का कदठन प्रमाव कये । अऩने भाॊ फाऩ का वुख दे ।
वॊघऩत ऩय ले ऩश्चाताऩ न कये ।जीलन की वके ।
जीलन बय के
वाॊध्म फेरा वकून भशवव ू कय
वाभी-शाॊ बइमा मश तो ऩयू ी फस्ती के रोग भानते शं कक तुभ अऩने भरमे नशी फस्ती के उध्दाय के भरमे भशीने बय भौन अनळन ककमे इवके फाद आभयण अनळन ककमे शो । इवभं त् ु शाया कोई स्लाथत नशी शै ।फाफू
रोगं के जल् ु भ को इन ददनं भं बी झेरे शो । अखफाय औय टीली लारं ने बी शौळरा फढामा शै ।इवी वे तो फाफू रोगो भं दशश्त आई थी ।
तबी तो ले आऩव भं ऩॊचामत कय अनळन तोडने का दफाल फनामे थे । फदयी बइमा ले तु्शाये चट्टान वे इयादे के वाभने दटक नशी
ऩामे थे ।
फदयी-बइमा वाभी अऩने बाइमं को चाय चाय फीघा जभीन भभर जामे । उनके वाये अयभान ऩयू े शोने रगे तो भं चैन वे भय वकगा ।
वाभी-बइमा भयने की फात न कयं । अबी तो इव फस्ती के भरमे फशुत कुछ कयना फाकी शै ।
र्फ-ू अबी तो कर दे खना शै क्मा शोता शै । करेक्टय वाशफ के आश्वावन के ऩयीषा का ददन बी कर शी शै ।दे खना कर गाॊल के फाफू रोग ओय ठल्रू प्रधान कक भभरीबगत वे कपय खानाऩतू तत न शो जामे ।
फदयी-ऐवा नशी शोने दे गे ।जफ तक ऩयू ी फस्ती के रोगो को जभीन नशी भभरेगी अॊगूठा मा दस्तख्त नशी कयने की कवभ खानी शोगी ।
शरयशय- शाॊ काका । फाफू रोगं के झावे भं नशी आना । रेखऩार,
तशवीरदाय ऩैवे रेकय ऩशरे जैवा न कय ऩामे इववे बी वालधान यशना शोगा ।
वाभी-फदयी ठीक कश यशे शो बइमा । शरयशय तुभ ज्मादा
ऩढं भरखे शो
इन फातं का ख्मार यखना कशी कोई चक ू न शोने ऩामे ।भजदयू ं के
दस्तख्त के ऩशरे ऩढ रेना कक क्मा भरखा शै इवके फाद शी दस्तख्त 304
कयने दे ना ।करेक्टय वाशे फ के वाये आश्वावनो के ऩयू ा
शोने ऩय शी
ऩॊचनाभा फनेगा । ऐवा कुछ न शोने ऩामे कक करेक्टय वाशफ का आदे ळ राचाय शो जामे ।
फदयी-ऐवा कैवे शो वकता शै ।
वाभी-फाफू रोगो ऩय द्धलश्वाव कयने की लजश वे शी तो इव फस्ती भे
दरयद्रता ताण्डल कय यशी शै । फाफू रोग थऩोडी फजा फजा कय भजे रूट यशे शं । जो गरती ऩशरे शो चक ु ी शं कपय न दोशयाई जामे । मदद चक ू शो गमी तो इतने फडे अनळन औय करेक्टय वाशफ के आश्वावन ऩय ऩानी कपय जामेगा ।
फदयी-वबी को जभीन भभरेगी । रेखऩार कानन ू गो जो कुछ भरखेगे
ऩढलाकय वुनेगे ।तबी दस्तख्त शोगी ।मदद कोई गडफड शुई तो करेक्टय आकपव के वाभने आभयण अनळन ऩय फैठूॊगा कपय तो दो भे वे एक जरूय शोगा चाशे फस्ती का शय भजदयू खेत भाभरक फनेगा मा भेयी जान जामेगी आभयण अनळन की लजश वे ।
फदयी-बइमा भै।ने अकेरे तो कुछ बी नशी ककमा शं । जो कुछ भंने ककमा शं लश ऩयू ी फस्ती के अऩने बाई फशनं की ताकत वे शी ककमा शै ।तं
अकेरे क्मा कय वकता था । भेयी ताकत तो फस्ती के रोग शी शै ।भं अनळन को ऩयू ी तयश तबी वपर भानग ॊू ा जफ फस्ती का शय खेततशय
भजदयू खेत भाभरक शो जामेगा ।उवका शक भभर जामेगा । शय चौखट ऩय खुळशारी का फवेया शो जामेगा ।
वाभी-बइमा त् ु शाया नेक वऩना जरूय ऩयू ा शोगा । तभ ु ने तो इततशाव यच ददमा शं । ऐवा नेक काभ तो इव एरयमा भं आजतक ककवी ने नशी ककमा था । ऐवा काभ कय दतु नमा को ददखा ददमा कक फदयी बइमा
जैवाबूभभशीन आदभी बी भशानामक फन वकता शै ।बइमा तुभने तो बभू भशीनं को योळनी दे दी शै ।
305
फदयी-फस्ती के भजदयू ं का इतना द्धलश्वाव शं तो जरूय भभरेगा शक । भुझे बी मकीन शो गमा शै अफ ।
वाभी-कफ तक कोइर दफॊग ककवी कभजोय गयीफ की योटी तछनता यशे गा
।वूअय अऩने ऩय अड जाता शं तो ळेय बी दभ ु दशराकय बाग खडा शोता
शं ।शभ रोग बरे शी बूभभशीन गयी भजदयू शं ऩय शं तो आदभी ।ळोऩक वभाज की कैद वे अऩना शक रेकय यशे गे । फदयी-वाभी बइमा एक काभ कयो ।
वाभी-कौन वा काभ शं फताओ बइमा चट ु की भं कय ददखाता
शूॊ । फदयी-चट ु की भं नशी इत्भीनान वे कयने की जरूयत शं भं जजव काभ की
फात कय यशा शूॊ । ऩरयलायलाय भरस्ट फना डारो । भरस्ट को तीन बाग भं फाॊटो । ऩशरी भरस्ट जजवके ऩाव एक फीवा बी जभीन नशी शं दव ू यी एक फीवा वे दव फीवा
लारं
की तीवयी दव फीवा वे उऩय लारं की । एक फीघा जभीन तो इव फस्ती भं ककवी के ऩाव शै शी नशी। जजववे आॊलटन वफको भभरे औय वबी
फयाफय जभीन के भाभरक फन जामे । अगय ऐवा शो जामेगा तो ककवी को कोई भळकामत नशी यशे गी ।
र्फ-ू बइमा त् ु शायी जफान ऩय तो रगता शं वयस्लती फैठब ् यशती शं ।
ककतनी फदढमा फात कय यशे शो ।वच बइमा अगय त् ु शाया वऩना ऩयू ा शो गमा तो मश भजदयू ं की फस्ती बी अऩनी व्ऩन्नता ऩय इतयामेगी ।
फदयी-वाभी बइमा भरस्ट का काभ आज यात तक ऩयू ा शो जाना चादशमे ।इव काभ के भरमे ऩढ भरख यशे
रडको की भदद रे रो । रेखऩार
कानन ू गो के आते शी अऩनी भरस्ट उनके शाथ भं दे दे नी शै ।वाथ शी
वबी कभ वे कभ शय घय एक जज्भेदाय आदभी को भौके ऩय यशना शै मश बी दशदामत दे दे ना।
वाभी-ठीक कश यशे शो बइमा । वबी रोग शाजजय यशे गे तबी दफॊग ळोऩक वभाज के रोग अऩने कब्जे की जभीन छोडेगे ।भजदयू ं की एकता वाशफ 306
रोगं को बी ददखाना शै । जया बी गरत ने शोने दे ना शै ।बइमा तु्शाये भन की फात को वभझ गमा ।
शरयशय-काका भरस्ट तो भं फनला दॊ ग ू ा ।इवकी धचन्ता ना कयो । मश काभ घय घय जाकय ऩयू ा कयना शोगा । तबी वबी शाजजय शे ागे ।
र्फ-ू ळाफाव शरयशय । तुभ जैवे ऩयू ी नलजलान ऩीढी शो जामे तो गयीफो का उध्दाय
तनजश्चत रूऩ वे शो जामेगा ।
फदयी-वबी आमेगे । ऩशरे शभ उनको आने रामक तो फना दे ।दे खो वाभी,र्फू वबी रोग चौकन्ना यशना । ळोऩक वभाज कुछ बी कय
वकता शै ।अऩने को श्ळोऩक वभाज का जफाफ भौन शी दे ना शं अदशॊवक रूऩ वे । शभाया उद्देश्म फव अऩना शक शाभवर कयना शं औय कुछ बी नशी ।
वाभी-बइमा ऩयू ी तयश चौकन्ना यशे गे । कुछ बी गरत नशी शोने ऩामेगा ऩशरे की तयश ।
फदयी-फस्ती के बाई फशनं का शौळरा दे खकय भझ ु े रगने रगा शै कक शभ अऩने भकवद भं जरूय काभमाफ शोगे ।वाभी बइमा भरस्ट लारा
काभ ऩयू ा कय रो औय शय घय जाकय वूचना बी दे दो । कर वुफश ऩयू ी फस्ती बीभफाफा के बीभफाफा के भॊददय ऩय इक्ठा शोगी ऩच्चीव
।
वुफश दे लस्थान ऩय नीभ की छाॊल भं धीये धीये भजदयू ं का इक्ठा शोना प्राय्ब शो गमा ।मश खफय ठल्रूप्रधान के
वाथ शी ळोऩक वभाज के
छोटे फडे वबी के कानं को खज ु राई । वाभी भरस्ट रेकय फदयी के ऩाव ऩशुॊचा । वाभी को दे खकय फदयी फोरा बइमा यात बय जागे शो थोडा आयाभ कय रेना था ।तु्शायी आॊखे रार वुखत शो यशी शै ।
वाभी-बइमा तभ ु तो भशीनं वे यात ददन एक कय यशे शो । भं तो एक
शी यात जागा शूॊ ।अगय भेये जागने क्मा भयने वे गयीफ बाईमं को कुछ 307
पामदा शोता शं तो भं उवके भरमे बी शॊवी खुळी
तैमाय शो जाउूॊ गा
।बइमा मे भरवट दे ख रो कोई घय नशी छूॊटा शै ।
फदयी-वाभी बइमा फस्ती के भजदयू ं की शारत वे शभ वफ लाककफ शं।
वूची तो इवभरमे फनाने को कशा था कक ऐन भौके ऩय ककवी का नाभ न छूट जामे ।मश भरस्ट रेखऩार कानन ू गो के आते शी उनके शाथ भं थभा दे ना शै ।
वाभी-मे भरस्ट दे ख रो बइमा ।
फदयी- क्मं भजाक कय यशे शो माय भै क्मा दे खूॊगा कारा अषय बैव
वयीखे आदभी । भरस्ट ऩयू ी शै ना शय घय के भुखखमा के नाभ के वाथ न अऩने को तो मशी चादशमे फव.............
वाभी-शाॊ भरस्ट तो ऩयू ी शं । कुछ रोग तो बीभफाफा के भॊददय ऩय नीभ की छाॊल भं अबी वे इक्ठा बी शोने रगे शं।
र्फ-ू इतनी जल्दी क्मा शै । दे खना रेखऩार कानन ू गो के आते आते दोऩशय शो जामेगी ......
फदयी-वाशफ रोगो को उनका काभ कयने दो औय शभ अऩने काभ ऩय ध्मान दे ।
वाभी-र्फू फदयी बइमा की फात वभझे ।
र्फ-ू वभझ यशा शूॊ । फदयी बइमा जैवा चाशे गे लैवा शी शोगा । फदयी-फस्ती के रोग शी तो शभायी ताकत शंउनके कल्माण के भरमे भय भभटना शी अऩना ध्मेम शो गमा शै ।ना जाने ककव मग ु वे वाभाजजक
आधथतक औय बभू भशीनता का अभबळाऩ ढोते आ यशे शं । अफ तो थक कय चयू शो गमे शै । इन अभबळाऩं वे उफयने के भरमे शभं वाथतक ऩशर तो
कय दे नी शी चादशमे ।ताकक शभ अऩनी ऩीढी को अभबळाऩं की गठयी वौऩ कय दतु नमा न कॊू च कये ।
वाभी-लाश क्मा नेक द्धलचाय शै ।
308
शरयशय-घडी दे खो नमायश फज गमे रेखऩार कानन ू गो का कशीॊ थाश ऩता शी नशी शं ।फस्ती के रोग जैवे नाभ की छाॊल धयना दे यशे शै ।
वाभी-आ जामेगे । करेक्टय वाशफ की फात नशी टारेगे ।वफको धैमत के
वाथ फैठने को कशो । शभ रोग बी लशी फैठकय इन्तजाय कये गे रेखऩार कानन ू गो के आने तक ।
ऩयू ी फस्ती बीभफाफा के स्थान ऩय नीभ की छालॊ भं ऩयू ी फस्ती के रोग इक्ठा शो गमे ऩय रेखऩार कानन ू गो औय ठल्रप्र ू धान का दयू दयू तक
कोई अता ऩता न था ।उनकी इन्तजाय भं ददन ढरने रगा था ।दोऩशय ढरते ढरते गौयीळे्ॊ ाकय रेखऩार आ गमे ले ऩयू ी फस्ती के भजदयू ं बभू भशीनं को दे खकय जैवे अचयज भं ऩड गमे । कपय कुछ वेकेण्ड
रूककय फोरे अच्छा तुभ रोग आलण्टन रेने के भरमे इक्टठा शो ।
अच्छी फात शं अऩना शक तो रेना शी चादशमे । शक भाॊगने वे न भभरे तो तछनने भं बी कोइर फयु ाइरय ् नशी शै । क्मं फदयी तत्रफमत तो ठीक शै ना ।
फदयी-शाॊ रेखऩार वाशफ शभायी शी नशी ऩयू ी फस्ती की तत्रफमत ठीक शै । फव आऩ रोगो के इन्तजाय ने धचन्ता भं डार ददमा शै ।करेक्टाय वाशफ आज का फोरे थे इवभरमे शभ गयीफ काभ धॊधा छोडकय आऩ वाशफ
रोेागं की
फाट जोश यशे शै । आऩ रोग शै कक श्ळाभ का इन्तजाय कय यशे शै ।
गौयीळे्ॊ ाकय रेखऩार-दे खो फदयी वयकायी काभ शं । अऩने तयीके वे शोगा । करेक्टय वाशफ कश ददमे शभ भान भरमे इवका भतरफ तो मे नशी शो गमा कक ब्रशभा की भरख शो गमी । अये बाई शभाये अऩने बी काभ शै ।
वयकायी काभ बी अऩने जज्भे शै । काभ तो काभ की तयश शी शोगा ना कक तु्शाये शाम शाम कयने वे शोगा । बूभभधय कानन ू गो वाशफ बी
तशवीर वे तनकर चक ु े शोगे । ले बी कुछ दे य भं आ जामेगे । कागज ऩत्र तैमाय शोगा ।इवभं बी वभम रगता शै । तु्शाया काभ तो शभाये 309
जज्भे नशी शै। ऩयू ा शरका शै । शभे तो वफ दे खना ऩडता शै ।करेकटय वाशफ अऩना काभ ऩयू ा कय गमे शभ अऩना काभ कये गे । प्रधान
तशवीरदाय के वाथ भभरकय । तभ ु को धचन्ता कयने की जरूयत नशी शै । भं प्रधान की शलरी ऩशुॊच यशा शूॊ ।लशी आ जाओ तुभ रोग । वाभी-रेखऩार वाशफ शभ तो लशाॊ नशी आमेगे । आलण्टन की ऩयू ी
प्रककमा बीभफाफा के स्थान ऩय शी ऩयू ी शोगी । शभ रोग ऩशरे बी धोखा खा चक ु े शं । इव फाय तो नशी खामेगे ।
रेखऩार-शभं तु्शाये बीभफाफा के भॊददय ऩय फैठने भं कोई आऩद्धत्त नशी शं ऩय शभ चाम ऩानी कशाॊ ऩीने जामगे । तु्शाये घय का ऩानी तो ऩीने वे यशे । प्मावे तो भये गे नशी । इवभरमे ठल्र ्ेूेाप्रधान की शलेरी आना शोगा तुभ रोगं को ।अये बाई तु्शाये घय का ऩानी ऩीकय शभ अऩना जातीम फदशप्काय तो नशी कयलामेगे ।
फदयी-चाम ऩानी ठल्रू प्रधान के घय वे बी तो आ वकता शै ।
रेखऩार-दे खो तभ ु रोगो के भॊश ु रगने वे तो शभ यशे ।अबी तो भं
प्रधानजी की शलेरी जा यशा शूॊ । धऩ ू रग यशी शं ।कानन ू गो वाशफ को आ जाने दो ले जैवा कशे गे लैवा कय रूॊगा । अबी तो भुझे प्माव रग
यशी शं । तफ तक भं ऩानी ऩीकय थोडा आयाभ कयता शूॊ । शो वकता शं ततनक दे य भं कानन ू गो वाशफ बी आ जामे ।
र्फयू ाभ-रेखऩार वाशफ । शभाये वाथ दगा नशी शोनी चादशमे ।शभ वबी बीभफाफा के भॊददय ऩय शी फैठे शं चाम ऩानी ऩीकय आ जाओ मशीॊ ।
रेखऩार-भं लचन तो नशी दे ता आने का कपय बी प्रधान औय कानन ू गो
वाशफ मशी आने को याजी शोते शं तो आउूॊ गा लयना तुभ रोग कुछ दे य के फाद आ जाना ।
वाभी-रेखऩार वाशफ शभ रोग मग ु ं वे जल् ु भ के भळकाय शै । कभ वे कभ अफ वे तो रयवते घाल के ददत को कभ कयने भं भदद कयो ।
310
रेखऩार गौयीळॊकय फस्ती लारं के अनयु ोध को ठुकयाकय ठरराेूप्रधान
की शलेरी चर ऩडे ।घण्टे बय फाद कानन ू गो वाशफ की जीऩ बी आई । जीऩ वे कानन ू गो बभू भधय वाशफ उतये औय फदयी की ओय फढने रगे
फदयी बी जल्दी जल्दी कानन ू गो वाशफ के ऩाव गमा उनका अभबलादन ककमा ।
कानन ू गो वाशफ- फदयी तुभने तो इव फस्ती के भजदयू ं भं क्राजन्त का
वॊचाय कय ददमा । त् ु शाये अनळन ने करेक्टय वाशफ को इव फस्ती भं
आने को भजफयू कय ददमा । तुभने तो लश वफ कय ददखामा जो व्ऩन्न फस्ती के रोग नशी कय ऩामे थे आज तक ।तुभने जो बूभभशीनं के उत्थान का फीडा उठामा शं जरूय ऩयू ा शोगा ।
फदयी-वाशफ भं अकेरा क्मा कय वकता था गयीफ आदभी । मश काभ तो वबी गयीफ बूभभशीन बाईमं की लजश वे शुआ ।आऩकी भदद वे शभाया नेक भकवद ऩयू ा शो जाता तो भं गॊगा नशी रेता। कानन ू गो वाशफ- फदयी बभू भशीनं का उनका शक भभरना शी चादशमे
।बूभभशीनो का अधधकाय शं जभीन ऩाना । जभीन दे कय वयकाय उन ऩय कोई एशवान नशी कय यशी शं । द्धलर्फ तो खेत भाभरकं की जजद की
लजश वे शुआ शै ।गौयीळॊकय ऩशुॊचे की नशी । वाभी-रेखऩार वाशफ आ गमे शं । प्रधान जी की शलेरी आयाभ पयभा यशे शै ।ळामद शभ भजदयू ं के वाथ फैठना उन्शे अऩभान रगा शो । इवभरमे प्रधान वाशफ की शलेरी चाम ऩानी का कयने गमे शै । कानन ू गो वाशफ-गौयीळॊकय आ गमे शै ।
फदयी-शाॊ वाशफ ।मशाॊ उन्शे धऩ ू रग यशी थी ।ले प्रधान जी की शलेरी भं त्रफजरी के ऩॊखं की शला खा यशे शै ।
इतेने भं प्रधान का च्भचा दटक्क् ेू फाफू आ गमे औय कानन ू गो वाशफ वे फोरे वाश चाम ऩकौडा तैमाय शं। प्रधान जी फर ु ा यशे शै । लशी ग्राभ ऩॊचामत के वबी वदस्म फैठे शुए शं आऩकी इन्तजाय भं । 311
वाभी- भं बी ग्राभ ऩॊचामत का वदस्म शूॊ वाशफ ऩय भं तो आप वाभने शूॊ । दटक्कू-एक वदस्म के यशने न यशने वे क्मा पकत ऩडता शं ।तभ ु अकेरे आलण्टन कयला रोगे क्मा ।
कानन ू गो- दटक्कू फाफू फस्ती लारे की जजद शै कक बीभफाफा के भॊददय ऩय शी आलण्टन की वायी प्रकक् यमाऩयू ी शो ।मशाॊ बी तो अच्छी छाॊल शं।ेॊ इतनी धऩ ू बी नशी शै कक काभ नशी शो वकता ।
दटक्कू- वाशफ प्रधान जी कशाॊ भना कय यशे शं । शलेरी चाम ऩानी कयके
लाऩव आ जाना
फस्ती लारं की जजद ऩयू ा कयने । फस्ती लारं की जजद
ऩयू ा कयने करेक्टय वाशफ आ वकते शं तो आऩ क्मो नशी ।
कानन ू गा वाशफ-फदयी तुभ रोग फैठने की व्मलस्था कयं । शभ
रेखऩार,प्रधान औय ग्राभ ऩॊचामत के वदस्मं को रेकय कुछ शय दे य भं आते शै ।
वाभी-शाॊ वाशफ फैठने के भरमे शभ खदटमा का इन्तजाभ तो ऩशरे वे शी
कय चक ु े शं ऩय आऩ आ जाना । शभ गयीफं के वाथ कपय धोखा न शोने ऩामे । इव फाय आॊलएटन शो जामे । इवके ऩशरे तो आलण्टन के नाभ
ऩय इव फस्ती के बभू भशीनं के वाथ छर शुआ शै । कानन ू गोवाशफ-कोई धोखा नशी शोगा । करेक्टय वाशफ को रयऩोट दे ना शं ।आलण्टन तो दे ळ के वॊद्धलधान के तशत ् शोता शं उऩय वे
करेक्टय
वाशफ का आदे ळ ।इवे कोइर योक नशी वकता कशते शुए कानन ू गो वाशफ जीऩ भं वलाय शो गमे औय फदयी को बी वाथ चरने को फोरे ऩय फदयी भना कय ददमा ।
घण्टा बय फाद कपय दटक्कू लाऩव बीभफाफा के भॊददय ऩय आमे औय
फस्ती लारं को ठल्र ्ेूेा प्रधान की शलेरी चरने का शुक्भ फडे यौफ वे ददमे ।फस्ती लारं के वाभने दटक्कू की यौफ कोई जरला नशी ददखा ऩामी ।ले धभकाते शुए फोरे दे खता शूॊ तुभ रोग कफ तक नशी आते शुए कशते 312
शुए ठल्रूप्रधान की शलेरी चर ऩडे । लशाॊ ठल्रू प्रधान वे फस्ती लारं के खखराप खूफ जशय उगरे ।कानन ू गो वाशफ शस्तषेऩ कयते शुए फोरे अगय फस्ती के भजदयू मशाॊ आने भं दशश्त भशवव ू कयते शं तो शभं लशाॊ जाने भं कोई एतयाज तो नशी शोना चादशमे ।
ठल्रू प्रधान-क्मा कश यशे कानन ू गो वाशफ । जभीदायी क्मा टूट गमी शभ भजदयू ं के वाभने घट ु ने टे कने के भरमे भजफयू शो गमे । शभ तो इतने
द्धललव नशी शै फस्ती जाने के भरमे ।शभ प्रधान शं जभीदायी टूट गमी तो
क्मा आज बी जभीदाय बरे शी भत कशं खेत भाभरक तो शै । कानन ू गो वाशफ भै भजदयू ं के वाभने भवय नशी झुकाउूॊ गा ।
क् ेानन ू गो वाशफ-प्रधान जी । वभम फदर चक ु ा शं ।न आन जभीदाय यशे
नशी फस्ती के भजदयू आप गुराभ । करेक्टय वाशफ भजदयू ं के फीच आ वकते शं तो शभ क्मं नशी ।
कापी वभझाइव के फाद ठल्रू प्रधान ग्राभ ऩॊचामत के वदस्मं के वाथ जीऩ भं फैठ गमेऔय जीऩ बीभफाफा के भॊददय आकय रूक गमी । इवके फाद धीये धीये ऩयू े गाॊल के खेत भाभरक जभा शो गमे ।
कानन ू गो वाशफ खदटमा ऩय फैठते शुए रेखऩार गौयीळे्ॊ ाकय वे फोरे बभू भशीनं की वच ू ी फन गमी शै। रेखऩार-शाॊ वाशफ ।
फदयी कानन ू गो वाशफ को
आलण्टन के शकदायं की वच ू ी दे ते शुम फोरा वाशफ भेयी वूची के अनव ु ाय बूभभ का फॊटलाया शोना शै ।
ठल्रूप्रधान-अये फदयी अफ कानन ू गो वाशफ बी तु्शाये कशने ऩय काभ
कये गे क्मा । जजतनी जभीन खारी शं । उतनी जभीन का फॊटलाया शोगा । शभ मा कानन ू गो वाशफ जभीन तो फनामेगे नशी ।
फदयी-प्रधानजी अऩने गाॊल भं आलॊण्टन मोनम जभीन की कभी नशी शै
।जरूयत शं तो वच्चे भन वे वॊकल्ऩ रेने की ।आऩ प्रधान शो जैवे फाफू रोगं के भरमे लैवे शी शभ भजदयू ं के भरमे । आऩ तनश्ऩषता का
313
वॊकल्ऩ रेकय भजदयू ं के दशत भं काभ कयो ।शभ आप वाथ शै ।शभ ककवी प्रकाय का जल् ु भ वशने को भजफयू नशी शै । कानन ू गो-मे तो ऩच्चाव रोगो की भरस्ट शं ।
फदयी-शाॊ वाशफ । इव वूची भं एक फीवा वे रेकय दव फीवा लारे बी श्ळाभभर शै ।गाॊल भं जजतनी जभीन आॊलण्टन मोनम शै। वबी भं फाॊट
दीजजमे औय जजनके ऩाव जजतनी जभीन शं उतनी घटाकय दे
दीजजमे ।
कानन ू गो-अच्छे द्धलचाय शं । वच भामने भं मशी शै गयीफं की वेला ।प्रधान वाशफ मश काभ फशुत ऩशरे आऩको कयना था । खैय दे य आमे दरू ु स्त आमे ।इव फाय आलण्टन कयला कय खूफ नाभ कभाओगे ।
उधभ फाफ-ू कानन ू गो वाशफ प्रधान फाफू को भन्त्री फनलाने का द्धलचाय शै क्मा
घ्
कानन ू गो-अच्छी फात शं ।प्रधानजी चन ु ाल जीतकय भन्त्री फन गमे तो जजव योड ऩय जीऩ नशी दौड ऩा यशी शं अन्ततयाजीम फवं दौडेगी । उधभफाफ-ू क्मं वऩना ददखा यशे शो प्रधान फाफू को ।
ठल्रूप्रधान-फदयी तु्शायी भजी वे गाॊल वभाज की जभीन का फॊटलाया तो शोगा नशी ।खेरकूद,घयु े की जभीन औय अन्म वालतजतनक काभं के भरमे जभीन छोडकय शी फॊटलाया शोगा ।
फदयी- प्रधानजी शभने तो भना नशी ककमा शै। जजन गा्यल वभाज की
जभीनं ऩय फाफू रोग जोत फो यशे शै लश तो खारी कयला शी वकते शो । ठल्रूप्रधान- फाफू रोग ऩट्टे दाय शं ।तु्शाये जैवे शला भं तीय नशी चरा यशे शै ।
काेूनगो वाशफ-ऩट्टा बी टूट वकता शै प्रधानजी । ठल्रूप्रधान -क्मा
घ्
क् ेानन ू गो वाशफ- शाॊ प्रधानजी ।
314
र ्ेेेाखऩार-जभीन तो फशुत शै ऩय फाफू रोगो ने शडऩ भरमा शं ।इतना शी नशी तार ऩोखयं ऩय बी कब्जा कय भरमा शै ।इतनी जभीन शै कक फस्ती का शय बभू भशीन कास्तकाय फन वकता शै ।
ठल्र ्ेूेाप्रधान-क्मा चाशते शो रेखऩार ।फाफू रोगो के कब्जे तोडला कय फस्ती के भजदयू ं भं फॊटलाकय
फाफू रोगो का दश्ु भन फन जाउूॊ ।
उधभफाफ-ू प्रधान फाफू कोई दश्ु भन नशी फनेगा ।ऩशरे अऩने कब्जे की जभीन तो फाॊटो दरयद्रो भं ।
ठल्रूप्रधान-अबी तो शभने ऐवा कुछ नशी कशाॊ । आऩ क्मो आग फर ू ा शो यशे शै ।
कनन ू गोवाशफ-आॊलण्टन तो शोगा । करेक्टय वाशफ के आदे ळ को तो टारा नशी जा वकता । भुझे बी नौकयी कयनी शै ।
त्रफशायी फाफ-ू कानन ू गो वाशफ अबी तो चऩ ु चाऩ वुन यशा था ।एक फात खोर कय कश दॊ ू ।
कानन ू गो वाशफ- कश दीजजमे ना । आऩबी तो एक जज्भेदाय ग्राभ
ऩॊचामत के वदस्म शै।आप वशमोग के त्रफना कुछ शो वकता शै क्मा
त्रफशायीफाफ-ू दे खो इन भजदयू ं को चने की झाड ऩय भत चढाओ धगय
घ्
जामेगे तो वफ कुछ त्रफखय जामेगा । अबी तो दो जन ु की योटी भभर जा यशी शं ।उव ऩय बी प्रेत छामा ऩड जामेगी ।जानलयो जैवे खेतो भं काभ कयने लारं को जभीदाय फनाने का वऩना
ददखा यशे शो ।वेय बय
भजदयू ी ऩय फवय कयने लारे इवी भं खुळ यशते थे । वयकाय औय
वयकाय के अपवयं ने इन भजदयू ं को भॊग ु ेयीरार के शवीन वऩने ददखाकय गाॊल का अभन चैन तछन यशे शै ।
श्माभ फाफ-ू ठीक कश यशे शो त्रफशायी फाफू ।वयकाय बी इन्शी दरयद्रं को
याजा फनाने के भरमे धचजन्तत शं । रगता शं शभ लोट शी नशी दे ते ।
दटक्कूफाफ-ू धभतग्रन्थं भं कशा शै ना ।ळद्र ू याज चरामेगा.............कौओ
भोती चग ुॊ ेगा ।लशी चरयताथत शोने रगा शै । अये दे खो अऩनी शी त्रफयादयी 315
के रेखऩार कानन ू गो,करेक्टय वबी तो शं ऩय वफ इन दरयद्रं के शी ऩषधय फन यशे शं ।
कानन ू गो वाशफ-गयीफं के प्रतत आऩ रोगो का बी कुछ नैततक दातमत्ल शै औय आऩ रोग ऩद दौरत के अभबभान भं बूभभशीनं के वऩने क्मं यौद यशे शं।
ठल्रूप्रधान-क्मा कश यशे शो कानन ू गो वाशफ ।शभ अऩना पजत दतमत्ल
बर ू यशे शं । आज तक मे भजदयू वयकायी खैयात खाकय नशी ऩरे शं
।शभाये खेतं औय शभायी शलेभरमं के फर ऩय ऩरे फढे शं । आज आऩ शभाये भाेाभरकं औय भजदयू ं के फीच खाईं खोद यशे शो ।
कानन ू गो वाशफ-आऩ रोग इन भजदयू ो को दीन शीन अलस्था भं दे खना चाशते शो क्मंकक आऩ इन्शे बीखारयमं जैवा दे खने के आदी शै । शभ
वचभुच इनका कल्माण चाशते शं ।बूभभ दे कय इनके उऩय कोई एशवान नशी कय यशे शं । जभीन ऩाना तो इनका शक शै ।
उधभफाफ-ू क्मा कशा ।दे खता शूॊ कैवे शक दे ते शो ।शभाया वैकडं वार कब्जा तोडकय ।
कानन ू गो वाशफ -भभस्टय उधभ योक नशी ऩाओगे । मे गाॊल छालनी फन
जामेगा । जजव ददन वयकाय अऩने ऩय आ जामेगी तो ।अये आऩ रोेागेा
को इन भजदयू ं का आबाय भानना चादशमे राख जल् ु भ भौन वश यशे शै । जजव ददन इन भजदयू ं के वब्र का फाॊध टूट जामेगा नीॊल दशर जामेगी । ठल्रूप्रधान-काननगो वाशफ धभका यशे शो ।
कानन ू गोवाशफ-नशी । भै
तो वच्चाई फमान कय यशा शूॊ ।जानते शै आऩ जो कय यशे शं लश अऩयाध शै ।इव अऩयाध के भरमे जेर औय अथत दण्ड दोनो की वजा शो वकती शै ।
कानन ू गो वाशफ रेखऩार की ओय रूख कयके फोरे वूची तैमाय कय रो
ददन तनकरा जा यशा शै करेक्टय वाशफ को रयऩोट कयना शं ।मश भाभरा
316
तशवीर स्तय का नशी शं ।इव भाभरे वे करेक्टय वाशफ वीध ्ेेेा जड ु े शुए शै । रेखऩार- जी वाशफ भरस्ट तो तैमाय शै।
फदयी-कानन ू गो वाशफ को ऩच्चाव बूभभशीनं की वूची थभाते शुए फोरा वाशफ ऐ वबी बूभभशीनशीन शै ककवी के ऩाव ऩाॊच फीवा शै ककवी के ऩाव दव फीवा ककवी ककवी के ऩाव तो दो खदटमा तक की जगश नशी शै।
कानन ू गोवाशफ-वबी को जभीन भभरेगी फदयी ।रेखऩार जी गाॊल की गाॊल वभाज की जभीन का फीव पीवदी छोडकय वफ जभीन फदयी की वूची के अनव ु ाय फाॊट दो औय तार ऩोखयं के ऩट्टे तनयस्त कयने के कागज
बी।ऩॊचनाभा फना कय ऩयू ी फस्ती के रोगो के दवख्त कयला रो । जभीन कुछ कभ ऩडे तो वयकाय को जभीन खयीद कय बूभभशीनं भं फाॊटने का प्रस्ताल बी फना रो ।
रेखऩार कानन ू गं के आदे ळानव ु ाय काभ भं जट ु गमे ।
ठल्रप्र ू धान- कानू खोरकय वन ु रो कानन ू गो वाशफ । भं तो इव जफतदस्ती आॊलण्टन के कागज ऩय दवख्त नशी करूॊगा ।
कानन ू गो वाशफ- भत करयमे ऩयू ी फस्ती के रोग दवख्त तो कये गे । आऩ जैवे ऩषऩाती प्रधान के दवख्त की भं जरूयत नशी वभझता अफ । आऩ स्लाथत भं अॊधे शो गमे शै ।
रेखऩार ने वायी कागजी कायतलाई ऩयू ी कय री औय कानन ू गो वाशफ ने दवख्त कय ददमा । इवके फाद रेखऩार ने ऩयू ी फस्ती के रोगो औय दव ू ये गाॊलं वे आमे रोगो वे फतौय गलाश दवख्त कयला भरमे
।
कानन ू गो वाशफ-रो फदयी तु्शायी अनळन ऩयू ा शो गमा । तु्शे धचजन्तत शोने की जरूयत नशी शं ।वयकाय ने आलण्टन कयलामा शं तो कब्जा बी इतना वन ु ते शी
कयला दे गी ।
फाफू रोग रेखऩार कानन ू गो वाशफ औय फस्ती लारो
ऩय शभरा फोर ददमे । फजस्तमं लारो ने कानन ू गो औय रेखऩार ऩय 317
कोइरय ् खयंच नशी आने ददमा । शाॊ ले खुद चादटर शो गमे औय जीऩ
तोडपोड का भळकाय शुई । शभरे की खफय ऩाॊच ककरोभीटय दयू ऩभु रव चौकी ऩय ऩशुॊची ऩभु रव बी जल्दी आ गमी । ऩभु रवलारं को दे खकय
दफॊग फाफू रोग औय अफैध कब्जाधायी रोग अऩनी अऩनी भाॊदो की औय
बागे । कानन ू गो वाशफ याशत की वाॊव रेते शुए फदयी वे फोरे- धचन्ताना कयना । कब्जा बी भभर जामेगा । कानन ू के शाथ फशुत र्फे शोते शै । छब्फीव
फदयी को फस्ती के भजदयू दआ ु मं दे दे कय नशी थक यशे थे ।उधय
ठल्र ्ेूेा प्रधान औय गाॊल के खेत भाभरको के करेजे ऩय जैवे वाॊऩ
रोटने रगा ।ले वाजजळ भं जट ु गमे औय जोडतोड कय स्टे आडतय रेने भं काभमाफ बी शो गमे ।फदयी के अनळन औय आभयण अनळन ऩय जैवे ऩानी कपय गमा ।काटो तो खून नशी की शारत शो गमी । वाये ककमे
कयामे ऩय ऩानी कपय गमा ।दफॊगो ने आलण्टन को अधय भं रटका ददमा स्टे आडतय रेकय ।फती लारो को ळावन प्रळावन का वशाया तो था ऩय
उन्शे कई आळॊकामे घेय शुमे थी ।उधय कानन ू गो वाशफ बी चऩ ु ना फैठे थे । खेत भाभरकं औय दफॊग फाफू रोगो की भळकामत करेक्टय कामातरम को कय चक ु े थे ।फस्ती के भजदयू बी स्टे आडतय के खखराप कचशयी भं चन ु ौती दे ददमे । फाफू रोग कानन ू की ऩयू ी धगयपत भं
आ चक ु े थे
।धीये धीये भजदयू तॊगशारी के चॊगुर कवे जा यशे थे ।
डधय नयामन ने बी फस्ती की दरयद्रता क दयू कयने की ठान री थी । लश बी वच ू ना के अधधकाय के तशत ् आलण्टन न शोने औय शोने की
जस्थतत भं कब्जा न भभरने की जस्थतत भे क्मा कायतलाई की जा वकती शं की कानन ू ी भदद के भरमे आलेदन रगा ददमा ।इवके फाद फाय
एवोभळएळन वे बी इव फाये भं कानन ू ी वराश रेने के भरमे जट ु गमा । फाय एवाभळएळन ने बी ऩयू ी भदद ककमा औय आश्वावन बी ददमा । 318
फाद भं बी कयने का
दफॊग खेत भाभरकं के उत्ऩीडन औय खेतं भं काभ कयने के भरमे त्रफशायी भजदयू ं को यखने के कायण उनकी आधथतक दळा ददन ऩय ददन खयाफ
शोने रगी ।नयामन फस्ती लारो की दद ु तळा दे खकय यो ऩडा ।लश फस्ती के भजदयू ं की दीन दळा वे उफायने के भरमे भन शी भन प्रततसा कय फैठा ।लश फस्ती के एक एक भजदयू वे फात ककमा ।कौन क्मा काभ कय
वकता शै जानकायी भरमा ।लश फातचीत के दौयान ऩामा कक शय भजदयू
कोई न कोई काभ जानता शै ।कोई खाॊची ।टोकयी। फनाना ।कोई शाथ का ऩॊखा फनाना । कोई खखरौने फनाना। कोई फाॊव का चेचया।दयलाजा ।भभट्टी के खखरोने तो कोई धान की बूवी औय ऩयु ाने कऩड वे खखरौने फनाना
कोई खयु ऩी शवॊआ फनाना ।कोई पूर औय पूरदान फनाना, कोई फाॊव की ु कुवी,टे फर फनाना । वबी के शुनय के फाय भं नयामन जानकय शॊव ऩडा औय फोरा आऩ वबी अऩने को योजगाय का वाधन फना वकते शै । ककवी की गुराभी कयने की क्मा जरूत शै । वाभी-क्मा कश यशे शो फेटा ।
नयामन-काका अऩना काभ कयो।शयलाशी चयलाशी कयने की क्मा जरूयत शै ।
वाभी-फेटा शभ रोग तो अऩने शुनय को ऩशचान शी नशी ऩामे । नयामन-काका वबी को तयश तयश के काभ आते शै ।वेय बय भजदयू ी के
भरमे शाड पोडते यशते शं ।अऩना काभ कयो ।चैन वे जीओ ।काका अऩने शुनय को ऩशचान दो ।इव फस्ती भं ऩच्चाव घय शै । ऩच्चाव रोगो का स्लमॊ वशामता वभश ू फनाओ । कर वे शी रग जाओ नल तनभातण भं ।फशुत वायी चीजं तो अऩने ऩाव शी शै । कुछ वाभना फाजाय वे राना शोगा । उवका इन्तजाभ भै कय दगा ।भजदयू नशी खद ु भाभरक फनो र्फ-ू फेटला इव गालॊ भं शभायी वाभाने खयीदे गा कौन
घ्
नयामन-मशाॊ फेचो शी भत ।कस्फे भे रे जाकय फेचो । लशी गाॊल की
वाभानं के कद्रदान भभरेगे ।एक फाय ळुरूआत कयं दे खना गाडी दौड 319
ऩडेगी तो कपय रूकेगी नशी ।वाभान कभ ऩडने रगेगा । यात ददन काभ कयना ऩडेगा । तफ जाय वप्राई कय ऩाओगे काका । ऩयू ी फस्ती भाराभार शो जामेगी ।
दव ू ये ददन वाभी ने शय घय वे एक जज्भ ्ेेेादाय आदभी की फैठक फदयी के घय फर ु ामा नयामन की वायी मोजनाओॊ को वभझामा ।नयामन फस्ती के भजदयू ं का नईर ऩशचान ददराने के भरमे काभ कयने का लादा ककमा ।शो गमी फदयी भजदयू स्लमॊ वशामता वभश ू की घोऩणा ।फदयी,अध्मष, ऩढे भरखे शरयशय को वेल्वभैन का काभ वौऩा ।र्फू औय वाभी फतौय
वधचल औय वशअध्मष फनामे गमे । फस्ती के भजदयू अऩने अऩने सान के अनव ु ाय जट ु गमे वाभान फनाने भं । दो ददन भं वौ नग वे अधध
वभान का तनभातण शो गमा ।नयामन ने वबी वाभानं को पोटो खीॊचा ।
नयामन ककयामे बाडे का इन्तजाभ कय ददमा इवके फाद शरयशय र्फू औय वाभी रोडडॊग रयक्ळा भं वाभान यखकय फस्ती वे दव ककरोभीटय दयू
कस्फे को चर ऩडे वाभान के द्धलक्रम के भरमे । ले कस्फा वे कुछ दयु
शाईले
के ककनाये अऩनी दक ु ान जभा भरमे । कुछ अरग तयश कक दक ु ान
दे खकय रोग ऩर बय के भरमे रूकते जरूय ।शाथ के फने वाभान को
रोग बय आॊख तनशायते ऩय कोई खयीदने के भरमे न आता ।गाॊल की
वाभान श्कस्फे लारो के भरमे कौतश ु र की चीज फन गमी । कुछ शी दे य
भं ऩयू े कस्फे भं चचात शोने रगी वडक के ककनाये
भजदयू स्लमॊ वशामता
वभूश की रगी दक ु ान ।दोऩशय के फाद धीये धीये रोग आने रगे ऩय
वाभान खयीदने के फजाम रोग प्रदतळन की लस्तु वभझते ेॊ इवी फीच
एक कारी काय रूकी । काय वे एक भदशरा तनकरी ले वीधे भजदयू स्लमॊ वशामता वभूश की वडक ककनाये वजी दक ु ान ऩय आमी औय एक एक
लस्तु को खूफ तनशाया औय उनके भुॊश वे तनकरा गमा ह्वाट मे ब्मट ू ीपुर
आईट्व । एक यॊ ग त्रफयॊ गा फेना।शाथ का ऩॊखा। उठाकय ऩछ ू ी ककतने का शै । 320
शरयशय- भैडभ जी उवी ऩय कीभत भरखी शुई शै । भैडभ-ओ एव लनरी कपपटी भरखा शै । शरयशय-एव भैडभ कपपटी दे दीजजमे ।
भैडभ-इतना वुन्दय वाभान कीभत इतनी कभ ।
शरयशय- भैडभ घय के उऩमोग के भरमे फना शै । घय के रोगो ने फनामा शै।
भैडभ-कपय बी वस्ता शै ।इतनी फदढमा चीज तो श्ळशय भं भभर शी नशी वकती इतनी वस्ती ।पाईल ऩीव फाॊध दीजजमे । शरयशय-भैडभ औय कुछ दे ख रीजजमे ।
भैडभ-अये लाश लण्डयपुर फडत । ककव
चीज की फनी शै ।
शयदशय- भैडभ धान की बूवी कऩडा औय यॊ ग वे फनी शै ।
भैडभ-फशुत फदढमा ।शार औय फेडरूभ के वजाने की चीज शै ।पाइल ऩीव मश बी फाॊध दो ।
शरयशय-ठीक शै भैडभ ।
भैडभ-रीजजमे ऩाॊच वौ का नोट शरयशय को थभाई औय कर कपय आने का लादा कय चरी गमी।
र्फ-ू शरयशय दे ख ऩाॊच वौ का नोट अवरी तो शै ना ।
शरयशय-काका इतनी वभ्म औयत धोखाधडी नशी कय वकती ।
वाभी-शाॊ रूऩ यॊ ग वे तो श्ळयीप रग शी यशी थी ।ळौकीन बी थी ।
वूयज डूफते डूफते ऩयू ा वाभान त्रफक गमा ।शरयशय,वाेाभी औय र्फू शॊवी खळ ु ी लाऩव आ गमे ।
शरयशय,वाभी औय र्फू के चेशये ऩय चभक दे खकय नयामन फोरा फशुत खुळ शै ।वफ वाभान फंच ददमे । शरयशय-लाश बइमा क्मा तयकीफ फतामे ।आज जाकय ऩता चरा शै कक
फस्ती के भजदयू ं भं फशुत शुनय शै । इव शुनय वे ले अऩना ऩेट ऩयदा इज्जत वे चरा वकते शै ।वाभान तो दोऩशय के फाद ऐव त्रफका शै जैवे 321
रूट भच गमी शो । अऩने ऩाव औय वाभान शोता तो औय बी त्रफक
जाता ।तनधातरयत कीभत वे अधधक दाभ कई रोग ददमे शै । एक औयत तो कश यशी थी कक फशुत वस्ता वाभान शै । कर कपय आने को फोर गमी शै । ळुरूआत तो धभाकेदाय शो गमी बइमा । नयामन-फशुत खुळी शुई तु्शायी भुस्कयाशट दे खकय शरयशय। वाभी-शाॊ फेटला तु्शाया कशना वशी वात्रफत शुआ ।शयलाशी चयलाशी भं
अऩभान के भवलाम कुछ नशी भभरता । अऩना योजगाय फशुत फदढमा शं ।तु्शायी फात वभझ भं आ गई ।इव काभ वे फस्ती को नई ऩशचान भभरेगी औय कायीगयं को बयऩयू भुनापा बी । नयामन-शाॊ काका ठीक कश यशे शो ।
फस्ती के कायीगय ऩयू भन वे काभ भं जट ु गमे । शरयशय,वाेाभी औय
र्फू योज वुफश आठ फजे वाभान रेकय तनकरत,ददन बय वाभान फेचते औय जो वाभान फॊच जाता रेकय यात के आठ फजे तक लाऩव आ जाते
। कपय वफ ु श लशी काभ । वाभान के द्धलक्रम भं शुआ राब वफ भं फयाफय फॊट जाता ।अफ क्मा था ऩयू ी फस्ती का चल् ू शा तनमभभत गयभ शोने रगा ।वाभान का तनभातण औय द्धलक्रम दोनेा तेज गतत वे चर ऩडे
।नयामन छुट्टी खत्भ शोते शी श्ळशय चरा गमा ।लश ग्राभीण शस्तकरा की लस्तओ ु ॊ के जो पोटो खीॊचे थे उन्शे इन्टयनेट के भाध्मभ वे दे ळ द्धलदे ळ
भं जायी कय ददमा । कुछ शी ददनं वभूश की
दे ळ द्धलदे ळ भं भजदयू स्लमॊ वशामता
फनी लस्तुओ की भाॊग फढने रगी ।नयामन की मेाजना
काभमाफ शुई औय भजदयू स्लमॊ वशामता वभश ू अच्छा राब अजजतत कयने रगा । आलण्टन के कब्जे को रेकय कोटत भं दाखखर केव र्फा खीॊचने रगा । केव र्फा खीॊचता दे खकय फदयी धचजन्तत यशने रगा ।फस्ती ऩय वे
आधथतक प्रेत छामा छॊ टने रगी थी ।भजदयू स्लमॊ वशामता वभश ू उन्नतत कय यशा था । वभूश वे आवऩाव की भजदयू फजस्तमं के भजदयू बी 322
श्ळाभभर शोने रगे थे । फदयी कबी तशवीर कबी करेक्टय आकपव कबी कचशयी तो कबी थाने का चक्कय रगा रगाकय थकने रगा था ।चायो ओय वे फव आश्वावन भभरता । उवे रगने रगा था कक अफ लश
आश्वावन की आक्वीजन ऩय ज्मादा ददन तक जजन्दा नशी यश वकता । उधय दफॊग खेत भाभरको औय गाॊल वभाज ऩय अफैघ कब्जाधारयमं के
धयऩकड भं ऩभु रव बी जट ु गमी थी ।गाॊल के दफॊग फाफू रोग केव लाऩव रेने के भरमे भजदयू ं ऩय चायो ओय वे दफाल फनाने भं जट ु े शुए थे ।फस्ती के रोग फाफू रोगो की फन्दय घड ु ककमं के वाभने अफ घट ु ने
टे कने को तैमाय न थे ।ले अऩना शक रेने के भरमे ऩयू ी तयश वे तैमाय थे ।श्माभ फाफ,ू त्रफशायी फाफ,ू दटक्कू फाफ,ू उधभ फाफू औय ठल्र ्ेूेा प्रधान जो
रोग कानन ू गो वाशफ औय फस्ती लारं ऩय शभरा कयने के भरमे नाभजद थे,उन्शे ऩभु रव राख जोडतोड के फाद बी जेर भं ठुव दी । घण्टा दो
घण्टा भं फाफू रोग जभानत ऩय छूट तो गमे ऩय उनका अभबभान टूटने रगा था ऩयन्तु जेर वे छूटते शी औय खॊख ु ाय शो गमे ।बख ू े श्ळेय की
तयश जल् ु भ कयने रगे औय बूभभ आलण्टन का केव करेक्टय की कोटत वे पैवरे भं दव फीव वार का कयलाने की तनमतत वे दीलानी कोटत भं स्थानान्तरयत कयलाने भं वपर शो गमे ।
फदयी के उऩय दख ु का ऩशाड धगय ऩडा ।लश जभीन ऩय कब्जा न कयला
ऩाने की धचन्ता भं टूटने रगा । फीभाय यशने रगा ।ऩयू ी फस्ती के भजदयू उवे खूफ ढाॊढव फधाते । ले कशते बइमा धचन्ता ना कयं । आलण्टन अऩने ऩष भं
शुआ शं तो कब्जा बी शोकय यशे गा दे य वफेय । बइमा पैवरा आने भं दे य शो वकती शै ऩय दे खना पैवरा अऩने प्ष भं शी
शोगा । फस्ती के वबी बूभभशीन भजदयू कास्तकाय फन जामेगा । बइमा तु्शाया वॊघऩत व्मथत न जामेगा ।राख वभझाने फझ ु ाने के फाद बी फदयी के भाथे ऩय धचन्ता की रकीयं खीॊची यशता ।लश भन शी भन शभेळा धचन्ता की धचता ऩय वुरगता यशता । 323
फदयी के धगयते शुए स्लास्थ को दे खकय वाभी फोरा -बइमा तुभ अऩने स्लास्थ का ख्मार यखो । ददन ऩय ददन त् ु शाया स्लास्थ धगयता जा यशा
शै ।आलण्टन शुआ शं तो कब्जा बी शोगा । तभ ु क्मं धचन्ता भे वर ु ग यशे शो । अये अऩना भजदयू स्लमॊ वशामता वभूश तो अऩनी फस्ती की गयीफी शयने रगा शं ना ।जशाॊ कुछ नशी था लशाॊ जीने का वशाया तो फन गमा शै अऩना वभूश ।बइमा जभीन ऩय कब्जा बी शोगा ।तु्शाया अगय शौळरा टूट गमा तो फस्ती का क्मा शोगा ।
फदयी-बइमा भंने कबी ऐवा वोचा बी न था कक फाफू रोग ऐवी शयकत बी कये गं ।
वाभी-बइमा भाभरक रोग अऩना उल्र ्ेूेा वीधा कयने के भरमे वाभ
दाभ दण्ड बेद का वशाया रेने भं जया बी नशी चक ू ते शै तो क्मा शभाये वाथ वशूभरमत फयतेगे । बइमा गयीफं का खून चव ू ने लारे कबी दशभामती नशी शो वकते ।फस्ती लारे वफ जानते शं । तुभ आऩने को
धचन्ता की धचता के शलारे ना कयो । दे य वफये पैवरा शभाये ऩष भं शी आमेगा । बइमा खुळ यशा कयो ।तुभ शी तो फस्ती के वशाये शो शो ।
फदयी-बइमा ऐवा ना कशो ।वशाया तो वफका एक शै ।फडी रारवा थी कक फस्ती लारं को कास्तकाय फनता दे खॊू ।बइमा वाभी रगता शं वऩाना वऩना शी यश जामेगा ।
ळाजन्तदे ली-नयामन के फाफू नाउ्भीद क्मंेा शोते शो ।ऩयू ी फस्ती रगी शं
। करेक्टय वाशफ तक अऩने प्षधय शं ।भाभरा कचशयी भं चरा गमा तो इवका मे भतरफ तो नशी शुआ कक आलण्टन यद्द शो गमा । करेक्टय वाशफ ने तो औय बी जभीन खयीद कय फस्ती लारं के फीच फाॊटने का प्रस्ताल बी वयकाय को बेज ददमा शं । मे फात तो तु्शी फता यशे थे
।भुझे ढाढव ददरा यशे थे तु्शाया ढाढव क्मो डगभगा यशा शै ।फेटा बी
त् ु शाये अभबमान भं ऩयू ी तयश वे भदद कय यशा शै ।नयामन के दादा भन छे ाटा ना कयो । बगलान इतना तनभोशी तो नशी शं ।अऩना भ्री वऩना 324
ऩयू ा कये गा ।दे ख शी यशे शो फेटला ने भजदयू स्लमॊ वशामता की स्थाऩना
कयलाकय योजी योटी का यास्ता तो खोरला शी ददमा शै ।योटी तो भभर शी यशी शै वबी को थोडा फशुत । कोई पाॊका तो नशी कय यशा शं ना फस्ती का भजदयू । तुभ इतनी धचन्ता ना ककमा कयो ।अये कागज भं जभीन तो भभर शी गमी शं । कब्जा बीभभर जामेगा ।तु्शाये बूभभशीनता के
अभबमान के वाथ आवऩाव के गाॊलं के बूभभशीन भजदयू जड ु चक ु े शं दयू दयू के गाॊलं तक खफय पैर चक ु ी शै ।अफ त् ु शाया जग ु रूकने लारा नशी शं ।शौळरा यखो ।तु्शाये वाथ वाभी बइमा ,र्फू बइमा,शरयशय शी नशी ऩयू ी फस्ती के रोग शै ।
फदयी-नयामन की भाॊ कश तो यशी शो ठीक
ऩय भेया भन ना जाने क्मं
भान नशी यशा शं । डय वा भन भं फैठा जा यशा शै ।
ळाजन्तदे ली फदयी का भवय वशराते शुए फोरी दश्भत ना शायो नयामन के दादा । बगलान ऩय बयोवा यखो । वॊघऩत तो कय शी यशे शो । इव वॊघप्र ्ेा कै पर का रत्ु प आने लारी ऩीदढमाॊ तक उठामेगी । त् ु शाया
गुन गाकय नशी थकगी ।शौळरा यखं अबी बूभभशीन खेततशय भजदयू ं का
उध्दाय शोने भं लक्त रगेगा ऩय उध्दाय जरूय शोगा ।तु्शाया अटर द्धलश्वाव शय फाधाओॊ का तोड दे गा । दश्भत यखं ।ऩयू ी फस्ती त् ु शाये वाथ शै । वाभी-शाॊ बइमा बौजाई ठीक कश यशी शं । धचन्ता कपक्र वे कुछ नशी
शोता शै ।इतनी धचन्ता ठभ्क नशी शं । तु्शाया ळयीय कभजोय शोता जा
यशा शै ।बाग दौड के वाथ
यात ददन काभ बी कय यशे शा बइमा ।आयाभ
ककमा कयो ।त् ु शी कयोगे तफ काभ शोगा । ऩयू ी फस्ती तो काभ कयने के भरमे खडी शै । बइमा तुभको आयाभ की जरूयत शं । धचन्ता ततनक बी
ना कयो । अये ऩयू ी फस्ती तु्शाये वाथ शं ।आववऩाव की फस्ती के राग वाथ शं कायलाॊ फढता शी जा यशा शं ।जभीन ऩय कब्जा भभरेगा दे य वफेय ऩय बइमा तभ ु धचन्ता की धचता भं अऩने आऩको क्मो वर ु गा यशे शो ।
325
फदयी-आयाभ तफ तक शयाभ शं जफ तक अऩने बूभभशीन भजदयू बाइमं को शक नशी भभर जाता शं ।
ळाजन्तदे ली-नयामन के दादा क्मा इतना कपक्र कयते शो । नयामन ऩढ
भरखकय ळशय भं नाभ योळन कय यशा शै । कभामन बी वार दो वार भं जज फऩ जामेगी । कभामन बी नयामन फेटला के ऩद धचह्नों ऩय चर यशा
शै ।फीदटमा तीनं अऩने घय ऩरयलाय भं खुळ शै ।भजदयू फस्ती भं तु्शायी जमजमकाय शै ेॊ अफ क्मा चादशमे । यशी आलण्टन की जभीन ऩय कब्जे की फात तो लश बी दे य वफेय भभर शी जामेगा ।तु्शायी कपक्र फस्ती
लारं को ककतनी शं तुभ वभझ शी यशे शो । चाय छ् रोग शभेळा शी
दयलाजे ऩय खडे यशते शै ।व्फ,ू वाभी,शरयशय मे फेचाये तो वामे की तयश
तु्शाये वाथ शै। अऩनी खाततय नशी तो फेचाये फस्ती लारं के भरमे खुळ यशा कयो ।क्मं धचन्ता की धचता भं वुरगते यशते शो । ककवी की
वभझाइव का अवय फदयी ऩय नशी ऩडता । आलण्टन की जभीन के
कब्जे को रेकय शभेळा फेचन ै यशता ।जफ लश फेचन ै ी के वभन्दय भं डूफने रगता तफ लश गुनगुनाने रगता ।
वजाओ की आधधमाॊ कफ कटे गी नाथ, अफ तो द्धलनती वन ु रे दीनानाथ । खर ु े आॊखं वे दे खे शै वऩने,
बूख औय आॊवू वे वीॊचे शं वऩने । मे कैवी भुजश्कर शै आमी,
जल् ु भ की आग चौखट तक छामी । दयदद्यता के फादर शै फयवते,
शभ भजदयू ऩेट की बूख वे रडते । अफ तो कय दे उध्दाय प्रब,ु
शभ दीन दरयद्रं की वन ु रे गश ु ाय प्रबु । जभाने वे ना शै कोई भरार, 326
भौत ऩीछे शै खडी मश बी शै ख्मार । शे बगलान कय दे आखखयी ऩयू ी
कट जामे फेडडमाॊ छॊ ट जामे वफ भजफयू ी । वदकल्माण के बाल वे तयफतय कयना, अभबभान की तेग वे दयू यखना ।
अफ तो द्धलनती वुन रे दीनानाथ..................
गाते गाते लश धडाभ वे धगय ऩडा।ळाजन्तदे ली फकयरयमं को चाया डारना
छोडकय योती धचल्राती दौडती दौडती आमी औय फदयी को उठाने रगी । इतने भं ऩयू ी फस्ती इक्ठा शो गमी ।फदयी कोभा भं चरा गमा ।
कभामन,वाभी,र्फयू ाभ औय शरयशय तयु न्त अस्ऩतार रेकय बागे जशाॊ डाॊक्टयं ने भत ृ घोद्धऩत कय ददमा । वत्ताईव
फदयी भय गमा । मश खफय खेत भाभरकं के भरमे जश्न का कायण फन
गमी ।उधभ, त्रफशायी, श्माभ, चये न्द्र, घभ ू ेन्द्र,उठे न्द्र, बआ ु र,दटक्कू फाफू एलॊ गाॊल के अन्म दव ू ये छोटे फडे वबी खेत भाभरका इक्ठा शोकय ठल्रू
प्रधान की शलेरी ऩशुॊचे ।ठल्रू प्रधान वुती भरते शुए शलेरी वे फाशय तनकरे शी यशे थे कक खेत भाभरकं की ऩयू ी भण्डरी वाभने खडी थी
।वबी खेत भाभरको को एक वाथ दे खकय ठल्रू प्रधान फोरे आज वयू त
ऩजश्चभ कैवे उग गमा
वबी एक वाथ उधभ फाफू आऩ बी ळशय वे कफ आमे ।
उधभ फाफ-ू प्रधान फाफू खफय रगते शी चरा आमा ताकक आऩको भुफायकलाद दे ने का भंका न गॊला वकॊू । ठल्रू प्रधान- भुफायकलाद उधभफाफू ! चये न्द्रफाफ-ू शाॊ प्रधानजी भुफायकलाद ।
ठल्रप्र ू धान-कैवा भफ ु ायकलाद ..........फीदटमा के ब्माश की तो फव फात
चरी शै ।कशी लय भभर यशा शै तो घय नशी घय भभर यशा शै तो लय नशी 327
। जशाॊ दोनं ठीक रग यशे शं । लशाॊ दशे ज की फडी यकभ भाॊगी जा यशी शै ।वफ कुछ ठीक शो जामे औय फीदटमा की डोरी उठ जामे तो ददर
खोरकय भफ ु ायकलाद दे ना ।फेटी के ब्माश का फोझ फशुत बायी शोता शं ।दे खो कफ उतयता शै ।
त्रफशायीफाफ-ू उतय जामेगा प्रधानफाफू । एक फोझ तो उतय गमा । आॊख की ककयककयी फना शुआ था तनकर गमा । ठल्रप्र ू धान-अच्छा आऩ फाफू रोग फदरयमा की भौत का भफ ु ायलाद दे यशे शै ।
उधभफाफ-ू फडी दे य भं वभझे प्रधान फाफ.ू .........
घभ ू ेन्द्रफाफ-ू प्रधानफाफू तो फीदटमा के ब्माश भं फालरे शुए शं। उऩय वे आलण्टन न कयलाने के जभ ु त भं जेर जाने का बूत तो प्रधान फाफू के
भवय ऩय वलाय शै । खैय वभझे तो वशी क्मा इतना कभ शै। दे य आमे दरू ु स्त आमे ।
उठे न्द्र-शाॊ प्रधान फाफू आज तो जश्न का ददन शै । मश तो दतु नमा की
यीतत शै । कशी भातभ तो कशी जश्न ।शभ क्मं ऩीछे यशे फदरयमा के भौत का जश्न भनामेगे उवकी तेयशली तक ।कुछ खाना ऩीना,नाॊच गाना शो जामे । बरे शी फाद भं जेर जाना ऩडे शभे मा प्रधान फाफू को कोई अपवोव नशी शोगा ।
ठल्रूप्रधान-क्मा कश यशे शो उठे न्द्र.............
उधभफाफ-ू खुळी भं फालरे शो यशे शं उठे न्द्र बइमा ।इनकी फात को ददर वे नशी रगाना प्रधान फाफ.ू .......
दटक्कूफाफ-ू ठल्रू प्रधान क्मं धचन्ता कयते शो । जेर तुभ अकेरे नशी
जाओगे ।शभ वबी जामेगे । कौन वी ऐवी जेर शं जजवभं शभ वफ वभा ऩामेगे ।
बआ ु र फाफ-ू अये जश्न की फात कयते कयते ककवी झभेरे भं पॊव गमे ।
328
वयकण्डेफाफ-ू कफ भेयगी वाव कफ आमेगी आवूॊ ।फाद की फातं छोडो । आज की फात कयो.........जश्न की फात कयो.....
त्रफशायी फाफ-ू ठल्रू प्रधान फीदटमा के ब्माश के जश्न के इन्तजाभ भं डूफे शुए शं । फदयी के भौत का जश्न तो उधभ फाफू की शलेरी भं भने तो ठीक यशे गा । फदयी उधभ फाफू की शलेरी का लपादाय नौकय था ।अपवोव
की जगश जाभ झरकेगा तो जश्न भं चाय चाॊद रग जामेगा..............
ठल्रूप्रधानखूफ जश्न भनाओॊ । जेर तो भुझे शी जाना शोगा दे य वफेय
।वुना शं फदयी के फेटला नयामन की फडी ऩशुॊच शो गमी शै ।भजदयू स्लमॊ वशामता वभश ू खोरलाकय भजदयू ं को भाराभार कयला यशा शै ।खद ु
वाशफ फना शुआ शै । भेयी फात आऩ रोग भान गमे शोते तो कुत्ते को योटी का टुकडा दे ने की तयश दरयद्रं को गाॊल वभाज की जभीन का टुकडा डार दे ते । अये कशाॊ अऩने घय वे दे ना था । आऩ रोगो ने भेयी एक ना
भानी । रेखऩार, नामफ तशवीरदाय वे बी ऩॊगा रे भरमे । फदयी काछोटा फेटा कभामन बी जज फनने की तैमायी भं जट ु ा शुआ शं । दे य वफेय तो पाॊवी का पॊन्दा शभाये गरे भं शी रगने लारा शै ।
त्रफशायी-अये प्रधान तभ ु बी डयने रगे लश बी एक भजदयू वे ।कोइरय ् कुछ त्रफगाड ऩामा शै कक आज त्रफगड जाने का डय वता यशा शै ।
ठल्रूप्रधान-अफ तक कोई भाभरक जेर गमा था त्रफशायी फाफू ।फदयी के केव ने जेर ददखा ददमा इतना जल्दी बूर गमे ।
त्रफशायी-मश बी कोई बर ू ने की फात शै ।उवी द्धलयोध भं तो फदयी की भौत का जश्न भनाने के भरमे इक्ठा शुए शै ।फदयी की तेयशली तक शभ खेत भाभरक जश्न भं डूफे यशे गे प्रधान ।
ठल्रूप्रधान-उधय दे खना तफ तक फदरयमा का फेटला कोई नमा चक्रव्मश ू न यच दे । जजवे शभ तोड बी न ऩामे ।
329
उधभफाफ-ू प्रधानफाफू छोटी छोटी फातं को क्मं ददर वे रगाते शो ।खुळी के भाशौर का बयऩयू आनन्द उठाओ ।
दटक्कू-ठीक कश यशे शो उधभ फाफू एक कशालत शै भदत का एक ऩैय जेर भे दव ू या ये र भे। छोटी भोटी भुजश्करं वे शे यान शोते यशे तो मे भजदयू जीने नशी दे गं। धचन्ता छोडो प्रधान जश्न का रुत्प उठाओ ।
गाॊल के खेत भाभरक फदयी की भौत का जश्न भनाने भं डूफ गमे । इधय फस्ती लारे भजदयू फदयी के कक् यमा-कभत के इन्तजाभ भं जट ु गमे ।
फदयी का कक् यमाकभत त्रफल्कुर वन्त भशात्भा की भाकपक व्ऩन्न शुआ । तेयशली भं त्रफयादयी के फालन गाॊल के रोग ळाभभर शुए । नयामन फाऩ की तेयशली का काभ तनऩटा कय नौकयी ऩय चरा गमा । दीलानी भं चर यशी केव को उच्च न्मामारम स्थानान्तरयत कयने के
भरमे एडी चोटी का जोय रगा ददमा । उधय फस्ती के भजदयू फदयी के भयते शी शौळरा गॊलाने रगे ऩय नयामन उनका बी खूफ ढाढव फॊधामा ।नयामन की भाॊ श्ळाजन्तदे ली की तत्रफमत खयाफ यशने रगी ।नयामन श्ळशय भं फस्ती लारं की धचन्ता भं फढ ू ा शोने रगा ।भजदयू स्लमॊ
वशामता वभूश ऩय बी फदयी के भौत का अवय वाप वाप ददखाई ऩडने
रगा था ।नयामन शय भशीने छुट्टी ऩय गाॊल आने रगा ।वाभी,र्फू शरयशय औय फस्ती के भजदयू ो को भजदयू स्लमॊ वशामता भं ददरचस्ऩी रेने की भळद्धलया दे ता । नयामन के भळद्धलया वे ऩयू ी फस्ती के रोग कपय वे भजदयू स्लमॊ वशामता वभूश को आगे फढाने भं जट ु गमे । उनकी
भेशनत वपर शोने रगी ।वाभी र्फ औय शरयशय भजदयू स्लमॊ वशामता के उत्ऩादन को ऩशरे की तयश कपय फेचने जाने रगे ।धीये धीये आम फढने रगी ।
नयामन बी चऩ ु नशी फैठा करक्टय वाशफ वे रेकय प्रदे ळ के फडे फडे
अपवयं के वाथ ऩत्र के भाध्मभ वे भजदयू ं के कल्माण की गश ु ाय रगाने रगा ।इवी फीच एक अच्छी खफय आमी कक उच्च न्मामारम ने नयामन 330
की अजी भॊजयू कय री शै ।कुछ शी ददनं भं केव जजरा दीलानी वे उच्च
न्मामारम भं स्थानान्तरयत शो गमा । दव ू यी खुळखफयी औय आ गमी कक करेक्टय वाशफ ने जो प्रस्ताल वयकाय के वाभने यखा था कक फस्ती के
भजदयू ं को आलण्टन के वाथ जभीन खयीद कय दी जामे लश बी प्रस्ताल वयकाय ने भान भरमा ।वप्ताश बय भं शी बूभभशीन खेततशय भजदयू ं को
जभीने वयकाय द्वाया खयीदकय फाॊटने की प्रकक् यमा ळुरू शो गमी । गाॊल के शी नशी आवऩाव के खेत भाभरक अऩनी
उवय ,फॊजय, फयवं वे ऩयती
जभीने फेचने के भरमे दौडधऩ ू कयने रगे ।खैय इव वयकायी जभीन वे
फस्ती के बूभभशीन भजदयू ं का बरा शुआ । वफ दो-दो फीघा जभीन के भाभरक फन गमे ।अबी तीन तीन फीघा आलण्टन की जभीन ऩय कब्जा शोना फाकी था ।
फस्ती लारं को इन्तजाय था कोटत के पैवरे का ।इवके भरमे बी नयामन फस्ती लारं के वाथ एडी चोटी का जोय रगा यशा था ।इव एडी चोटी के प्रमाव वे केव उच्च न्मामारम भं स्थानान्तरयत शो गमा था । भजदयू स्लमॊ वशामता वभूश बी घाटे वे उफयन की जस्थतत भं आ गमा था
।फस्ती लारे बी फदयी की भौत के वदभे वे धीये धीये उफयने रगे थे।
इवी फीच कोटत वे आलण्टन प्राप्त वबी खेततशय बभू भशीन भजदयू ो के नाभ वाभदू शक नोदटव आ गमी ।
कोटत की नोदटव रेकय शरयशय नयामन के ऩाव श्ळशय गमा । नोदटव
दे खकय नयामन फशुत खुळ शुआ । उवे फस्ती लारं के वऩने ऩयू े शोते ददखामी दे ने रगे ।लश शरयशय को रेकय कोट गमा । लकीर वे
यामभळद्धलया ककमा । कोटत के ऩेळकाय वे भभरा ।ऩेळकाय ने तीन भाेाश फाद ऩशरी जनलयी की तायीख दे द औय बूभभशीनता एलॊ आलण्टन
व्फजन्धत वाक्ष्म के वाथ ऩशरी जनलयी को उऩजस्थत शोने का तनदे ळ बी ददमा । इवी फीच कभामन बी जज फन गमा । उवकी ऩोजस्टॊ ग
जजरा कोटत भं
शो गमी ।ळाजन्तदे ली के स्लास्थ भं बी वुधाय शोने रगा । 331
नयामन भुजश्करं वे तघयने रगा।जातीम दश्ु भन वक्रीम शो गमे
। लश
धचजन्तत यशने रगा । ऩत्नी रक्ष्भी फेटी ळायदा ,फेटे द्धलकाव औय द्धलळार कापी वभझाने की कोभळळ कयते ऩय भजु श्करं घटने का नाभ ना री।
द्वायऩार वाशफ जैवे रोग अन्दय शी अन्दय ऩशरे वे शी वाजजळ यच यशे थे । जातीम उच्चता के द्धलऩाणु एकत्रत्रत शोकय आतॊक ऩय उतय गमे
।कुछ फडे अधधकारयमो ने नयामन को फाशय कयने की कवभ खा भरमे। गाॊल के कुछ दफॊग ककस्भ के रोग नयामन के द्धलबाग भं अऩनी
जानऩशचान फडे ऩदाधधकारयमं वे
तनकारकय नयामन ऩय दफाल डरलाने
रगे कक लश भजदयू ो का दशभामती फनना छोड दे । भजदयू ो वे भुकदभा
लाऩव उठला रे । नयामन भजदयू ं के दशत के आगे अऩने स्लमॊ के दशत को कुफातन कय ददमा औय लकारत का ऩेळा अऩना भरमा औय उच्च
न्मामारम भं शी लकारत कयना श्ळुरू कय ददमा। खेततशय भजदयू ं के उघ्दाय के भरमे तन भन औय धन वे जट ु गमा ।
नयामन के नौकयी छोडकय लकारत का ऩेळा अऩनाने की खफय जैवे
खेत भाभरकं की उनकी छाती ऩय कीर ठंक दी ।इधय खेततशय बूभभ
भजदयू ं के भरमे नयामन ककवी दे लता वे कभ ना था । वाभी र्फू औय शरयशय फस्ती औय भजदयू स्लमॊ वशामता वे जड ु ं आवऩाव के गाॊलं के
बभू भशीन खेततशय भजदयू ं की ऩॊचामत फर ु ामे ।ऩॊचामत के वाभने नयामन को भजदयू स्लमॊ वशामता वभूश के अध्मष फनाने का प्रस्ताल यख ददमे
जो फदयी की भौत वे खारी शो गमा था ।वबी ने वलतव्भतत वे नयामन का याजततरक कय ददमा ।
ळाजन्तदे ली-भजदयू ो का प्माय दे खकय बाल द्धलह्वर शो गमी उनकी आॊखं वे आॊवू की धाया पूट ऩडी । नयामन वे बी नशी यशा गमा लश बी योते शुए भाॊ का आॊवू ऩोछने रगा ।
भाॊ फेटो को एक दव ू ये का आॊवू ऩोछते दे खकय र्फू की धभतऩत्नी वततमा
,दखु खमा नयामन का शौळरा अपजाई कयते शुए फोरी फेटा क्मो यो यशी शो 332
मे तु्शायी भाॊ के खुळी के आॊवूॊ शै । अफ ळाजन्त फशन तु्शायी भाॊ शी नशी ऩयू ी फस्ती के भरमे दे ली शै ।तु्शाये द्धऩता जीते जी तो दख ु ं का
जशय ऩीते यशे ऩय भय कय अभय शो गमे । ऐवे रोग दतु नमा भं कभ शोते शै। ळाजन्त फशन का शौळरा फढाओ । वदा वुखी यशोगे ।तुभ आदभी के रूऩ भं
परयश्ते शो फेटा ।
नयामन-ना काकी ना भं कोइर परयश्ता नशी । भैने जो कुछ ककमा शै
अऩना फस्ती के प्रतत पजत वभझकय ककमा शै ओय आजीलन कयता यशूॊगा । फस्ती लारं का द्धलश्वाव कबी ना तोडूग ॊ ा ।भं द्धऩताजी के द्वाया ळुरू ककमे काभ ऩयू ा कयने का शय व्बल प्रमाव करूॊगा ।
ळाजन्तदे ली- तेये अनऩढ फाऩ क्मा कय ऩाते त् ु शाया वशाया ना शोता तो
फेटा।अवरी काभ तो तुभ शी कय यशे शो । काळ आलण्टन की जभीन ऩय कब्जा शो जाता । फस्ती के भजदयू कास्तकाय फन जाते तो चैन वे भय जाती ।
नयामन-भाॊ भयने की फात ना कयो ।यशी कब्जे की फात तो लश बी जल्दी शो जामेगा भाॊ।
उधय भजदयू फस्ती औय दयू -दयू के गाॊलो वे आमे भजदयू ो के नयामन
फाफू जजन्दाफाद ,शभाया नेता कैवा शो- नयामन फाफू जैवा शो ,फदयी बइमा अभय यशे के
नायो वे ऩयू ी फस्ती गॊज ू यशी थी औय दव ू यी तयप मश
वुखद आश्चमत खेत भाभरको के कानं को द्धऩघरे शुए ळळे की तयश चीय यशा था। ऩशरी जनलयी आने वे ऩशरे शी नयामन स्थानीम थाने गमा ।दयोगाजी
उवको दे खकय फोरे फोरो नेताजी ककवके खखराप एप.आई.आय.भरखलाना शै ।
नयामन-दयोगा जी एप.आई.आय. तो नशी भरखलाने आमा शूॊ ।ऩभु रव केव लाऩव रेने के फाये भं आऩवे चचात कयने आमा शूॊ । दयोगाजी-ऩभु रव केव लाऩव रेना चाश यशे शो । 333
नयामन-शाॊ दयोगा वाशफ । दयोगा वाशफ-क्मं
घ्
नयामन-गाॊल भं वद्भालना फनाने के भरमे फभरदान कयने का प्रमोग कयना चाश यशा शूॊ दयोगा जी। दयोगाजी-ळददमं वे खून चव ू ने लारे वद्भालना फनने दे गे ।वाॊऩं को दध ू ऩीराने की भत वोचो । दो चाय को आजीलन जेर शो जाने दो,दे खना
वफ ठण्डे शो जामेगा। भभट तो गमे याजे भशयाजं । जभीदायी की फशुत अकड शै।वफ अकड टूट जामेगी । ऩभु रव ऩय ऩथयाल,तशवीरदाय ऩय शभरा, बूभभशीन खेततशय भजदयू ो ऩय शभरा अत्माचाय । उन्शे बी तो
ऩता चरे जभ ु त की वजा क्मा शोती शै ।मे ख्मार छे ाड दो नयामन फाफू ।वाॊऩ को दध ू ऩीराना भशॊगा ऩडेगा ।
नयामन-दयोगा जी कबी कबी वाॊऩ बी यषक फन जाता शै । आदभी क्मा
जानलय को तनगर जाने लारे अजगय ,ळेय औय वाॊऩो के वाथ आदभी के फच्चे के खेरने की खफय वन ु ने को दे खने को भभरती शै । टीली ऩय बी एकाध फाय दे खने को भभरा शै ऐवा दृश्म। शभ बी तो वकायात्भक वोच वकते शै दयोगा ।
दयोगाजी-ख्मार तो अच्छा शै ऩय भझ ु े ना जाने क्मो बयोवा नशी रग यशा शै खन ू चव ू ने लारो का।
नयामन-दयोगाजी बयोवा तो कयना ऩडेगा । अबी तो श्ळुरूलात शी नशी शुई ऩरयणाभ की धचन्ता अबी वे क्मो । शो वकता शै ऩरयणाभ वख ु द आमे ।
इव ऩशर का
दयोगाजी-बगलान आऩका बरा कये ।वुरशनाभा कोटत भं ऩेळ कयला दो ।
भं थाने वे व्फजन्धत कामतलाशी ऩयू ी कयला दॊ ग ू ा। अगय वुखद ऩरयणाभ का इतना दृढ द्धलश्वाव शै तो ।
नयामन कोटत भं वर ु शनाभा ऩेळ कय ददमा । मश खफय गाॊल के खेत भाभरकं के फीच कौतुशर का भुद्दा फन गमी ।ले रोग बी फस्ती के 334
भजदयू ं के दशत के फाये भं वोचने को भजफयू शो गमे । नयामन का
ऩभु रव केव लाऩव रेने खेत भाभरकं के ऩत्थय ददर बी ऩवीजने रगे ।
मश खफय ऩत्थय ऩय दफ ू उगने लारी कशालत चरयताथत कयन लारी वात्रफत शोने रगी ।खेत भाभरको के फीच बी नयामन का नाभ व्भान वे भरमा जाने रगा ।फस्ती के भजदयू ं का जीलन स्तय धीये धीये ऩटयी ऩय आने रगा ।ऩशरी जनलयी बी आ गमी जजवका फेवब्री वे इन्तजाय था
।वाभी,र्फू शरयशयश्कचशयी ऩशुॊचे । ळाजन्तदे ली ऩशरे वे शी फेटे नयामन के ऩाव ऩशुॊच चक ु ी थी ।ले बी भुकदभा के भवरभवरे भं कोटत भं शाजजय
शुई । फेटे नयामन को कारे कोट भं दे खकय फशुत खुळ शुई ।कोटत की कायतलाई श्ळरू ु शुई नयामन फाफू रोगो के लकीर की एक बी दरीरे चरने नशी ददमा । द्धलऩषी लकीर की दरीर का जफाफ दे ते शुए फोरा कशाॊ का न्माम शै। जजवकी जभीन ऩय अधधकाय शोना चादशमे लशी बभू भशीन शै ।
लास्तल भं लॊधचत ऩीडडत बूभभशीन शी जभीन जॊगर औय जर के अवरी भाभरक शै ।उन्शे शी उनके अधधकायं वे लॊधचत कय ददमा गमा शै ।जज वाशफ नयामन के तको वे वशभत शोकय वुनलाई की अगरी तयीख
भुकयतय कय उठ गमे । ऐवे शी शय तायीखो ऩय शोने रगा भुकदभा खीॊचने
रगा ।वार बय त्रफत गमे ।ऩन ु ् ऩशरी जनलयी भक ु दभं का पैवरा वन ु ाने की तायीख आ गमी । इव ऩशरी जनलयी को जज वाशफ ने बभू भशीन
भजदयू ो के ऩष भं पैवरा पैवरा वुना शी ददमा ।वाथ शी अफैध गाॊल
वभाज औय वयकायी जभीन के कब्जाधारयमं ऩय ऩच्चाव ऩच्चाव शजाय जभ ु ातना बी ठंक ददमा ।
ळावन ,प्रळावन की वक्रीमता,तशवीरदाय रेखऩार औय ठल्र ्ेूेा प्रधान की उऩजस्थतत भं कोटत के पैवरे का ऩारन जल्दी शी शो गमा । वबी
फस्ती के बूभभशीन खेततशय भजदयू कास्तकाय शो गमे ।चशुॊओय फदयी औय नयामन की गॊज ू वन ु ाई दे ने रगी । दफॊग खेत भाभरक रोग नयभ ऩड गमे । 335
नयामन
गाॊल भे वद्भालना बालना स्थाद्धऩत कयने के भरमे अथत दण्ड के
पैवरे के खखराप जनदशत माधचका दामय कय ददमा ।कोटत ने माधचका
स्लीकाय कय री ।दो भशीने के अन्दय कोटत ने अथत दण्ड के अऩने पैवरे
को फदर ददमा ।जो रोग खून के प्मावे फने थे लशी फडे छोटे कास्तकाय फाफू रोग नयामन की जमजमकाय भं जट ु गमे ।
वभम त्रफतने रगा भजदयू ो औय फाफू रोगो के फीच की दीलाय ढशने रगी
,रोग एक दव ू ये के कापी गयीफ आने रगे। भाशौर वद्भालना ऩण ू त शो गमा ।रोग छोटे फडे के बेद को बूरने रगे । २७ अक्टूफय फदयी की
फयवी
के ददन उवकी भूततत स्थाऩना का कामतक्रभ था । फस्ती के रोगं के भरमे
मश ददन ककवी उत्वल वे कभ न था ।कामतक्रभ चर यशा था । इवी फीच ठल्रू प्रधान आ गमे । नयामन
उनके भरमे कुवी रामा औय फैठने का
अनयु ोध ककमा ।
ठल्रू प्रधान-फेटा नयामन तु्शाये फाऩ के काभ ने इव गाॊल को आदळत
गाॊल फना ददमा ।लश अभय शो गमा ।आज फदयी की भतू तत स्थाऩना शो
यशा शै वुनकय भन फशुत खुळ शुआ औय त्रफना फर ु ामे चरामा आमा । नयामन-प्रधान फाफू आऩ आकय भेया भेये द्धऩताजी का भान फढामे शै ेॊशभ आप एशवानभन्द यशे गे ।
ठल्रप्र ू धान-फेटा फदयी का गाॊल के उऩय ककमा गमा एशवान वाभाजजक
अभबळाऩ को खत्भ कयने भं भीर का ऩत्थय वात्रफत शुआ शै ।इव गाॊल के छोटे फडेाॊ के फीच की दीलाये ढशाने का वभम आ गमा शै । वाभाजजक अभबळाऩ को अफ नशी ढोमेगे । वफ भभराकय वाभाजजक एकता का
ऩयचभ पशयामंगे ।प्रधानजी औय नयामन की फातचीत चर शी यशी थी कक इवी फीच उधभ फाफ,ू श्माभ फाफ,ू दटक्कू फाफ,ू बुआर फाफू त्रफशायी फाफू औय बी ढे य वाये छोटे फडे खेत भाभरक ऩशुॊच आमं ।
336
नयामन वबी के फैठने के भरमे ऩरॊग खुद राकय त्रफछामा औय फैठने का आग्रश ककमा ।वबी रोग फैठे ।फैठते शी उधभ फाफू फोरे अये प्रधान फाफू वफवे ऩशरे ऩधाय गमे । कुछ रेकय आमे शै क्मा घ ् ठल्रूप्रधान- शाॊ उधभ फाफू एक प्रस्ताल ।
उधभ फाफ-ू प्रधान फाफू अफ तो फाज आ जाते अऩनी ऩयु ानी आदतं वे । ठल्रू प्रधान-उधभ फाफू भेये प्रस्ताल ऩय भॊजयू ी की भोशय आऩ शी रगाओगे ।
उधभफाफ-ू कौन वा प्रस्ताल रामे शै ।
ठल्रूप्रधान-आज वे इव फाफू के गाॊल का नाभ फदयी का ऩयु ा शोगा ।
उधभफाफ-ू भॊजयू शै ।उ्भीद शै कक वबी को भॊजयू शोगा । इवके अराला
औय कोई प्रस्ताल मा कोई भाॊग तो नशी । प्रधान फाफू कोई भाॊग शो तो भाॊग रो आज नयामन फाफू इॊकाय नशी कये गे । ठल्रू प्रधान-क्मा भाॊग शो वकती शै ।
उधभफाफ-ू अऩने भरमे नशी तो फीदटमा के भरमे भाॊग रो ।एक ळयीप नेक औय नौकयी ऩेळा दभाद चादशमे कक नशी कभामन फाफू वे अच्छा लय दीमा रेकय ढूढने ऩय बी नशी भभरेगा ।
ठल्रप्र ू धान-क्मा कश यशे शो उधभ फाफू स्लणतरता फीदटमा को नयामन
फाफू अऩने ऩरयलाय की फशू के रूऩ भं स्लीकाय कये गे। त्रफशायी-फाफू क्मं नशी फीदटमा ऩढी भरखी शै वुन्दय शै दशे ज बी खूफ जट ु ा यखे शै प्रधान फाफू । क्मा कभी शै घय फैठे कभामन जैवा जज दभाद
भभर जामे तो क्मा फदढमा फात शोगी ।स्लणतरता औय कभामन वाथ-वाथ ऩढे भरखे शै । एक दव ू ये को जानते शं,वभझते शं। फीदटमा फडे उछाश वे कभामन फेटला की फात कयती शै जफ जज वाशफ की फात शोती शै
तो,प्रधानफाफू फीदटमा को मश प्रस्ताल खूफ याव आमेगा।फीदटमा लकीर
वाशफ के ऩरयलाय भं याज कये गी । भाॊग रो कभामन को नयामन फाफू वे ।
337
उधभफाफ-ू अये लकीर वाशफ आऩ बी तो कुछ फोरो ।
नयामन-दे खो फाफू शभ छोटी त्रफयादयी के शै ।आऩ रोग फडी त्रफयादयी के शै ।आऩ रोग की
वाभाजजक प्रततप्ठा को फशुत फडा धक्का रगेगा । भै अऩनी वाभाजजक शैभवमत को कैवे बूर वकता शूॊ ।
उधभफाफ-ू वभाजजक अभबळाऩ के दाग को धो दो । छोटे फडे के बेद की खाई को ऩाटो लकीर वाशफ शभ वफ आप वाथ शै । भजदयू वे दे लता
फने फदयी फाफू की आज फयवी शै । इव भौके ऩय शभ रोग उऩजस्थत शुए शं भवपत वाभाजजक खाईमा ऩाटने के भरमे । वाभाजजक अवभानता के अभबळाऩ को धोने लक्त आ गमा शै ।फदयी फाफू की कवभ शै लकीर वाशफ अफ इॊकाय ना कयना ।
नयामन भये फाऩ की कवभ के आगे झुक गमा औय योटी फेटी के ठल्रू प्रधान के प्रस्ताल ऩय छोटे फडे वबी की गलाशी भं शाॊ की भुशय रगा ददमा।
स्लगीम फदयी की भतू तत का अनालयण द्धलधध द्धलधान के वाथ ठल्रप्र ू धान के शाथं शुआ । वबी एक वाथ गा उठे , फदयी बइमा कपय तू आना । वख ू गमा अभबळाऩ का दरयमा
एकता का आमा जभाना ।............................... ......फदयी बइमा कपय तू आना ।
वॊकट का कायण था फैयी द्धलऩभाद,
भभरे भन वे भन अफ फश गमे भलाद ।
फीते ऩरे को ना शै दोशयाना ............................. फदयी बइमा कपय तू आना ।
ना घेये अभबळाऩ के फदर अफ
ना कोई छोटा नादशॊ फडा एक प्रबु फन्दे वफ
338
कपय क्मं
एक दव ू ये को वताना........... आना ।
फदयी बइमा कपय तू
फदयी गाॊल वे फश गमी तयक्की की गॊगा
अवभानता
ना शोगी अफ गरे का पन्दा
टूटे गी वफ दीलाये एकता का गूॊजेगा तयाना............. तू आना ।
तयक्की फयवेगी सान का दीमा जरेगा
.फदयी बइमा कपय
द्वाय द्वाय
ना शोगी कटुता भानलता का गीत गामेगा वॊवाय
वभानता की फमाय चरेगी ना शोगा कोई फेगाना .......फदयी बइमा कपय तू आना ।
नन्दरार बायती
वभाप्त
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