“हर एक “िहं द ू ” वयििने पढना और मनन करना ही चािहए ऐसे ििचारो का एकमात पु स तक”
यह पुसतक ििखने का ििचार दे ने िािे और इस कायय के ििए मुझे िहममत दे ने िािे मेरे दो िमत शी बळिंतराि एम. किळे , बदिापूर िनिासी और शी पलहाद एन. िनरभिणे, भांडूप, मुंबई, के िनिासी इनहे मै आदर भाि से यह पुसतक अपण य कर रहा हूं। [इस
पुसतक मे वयि िकए गए ििचार िसफय अजानी एिं पितभाशािी वयिियो के
ििए ही है अनय कोई वयिि इन ििचारो को पढ िेती है तो उसे यह ििचार िागू नहीं होगे।] सपििकरण: अब
‘अपना समाज’ का अथय “िहं द ”ू
माना गया है िह समाज होगा।
िहं द ू िििाह अिििनयम के अनुसार जो िहं द ू
मेरे िपय पाठक आज आपके सामने मै जो ििचार रखने जा रहा हूं उसकी शुरआत पढकर यह ििचार
बेकार के है , िकसी मूखय के ििचार है , इसमे दे श का िहत नहीं है इस तरह की मुहर िगाने के पहिे इन ििचारो पर गौर िकिजए, जरासा सोिचए या अपने िमतो या िरशतेदारो के साथ ििचार ििमशय िकिजए।
अपने आजुबाजू की िसथित पर िकतने िागू होते है यह दे िखए – यह मेरा आपसे ििनम अनुरोि है ।
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अपने दे श का सबसे नीच शतू कौन है ? पािकसतान। िबिकुि सही जिाब है िेिकन एक बात याद रिखए िक इस शतू के समान और दो शतू है जानते है आप यह दो दषुमन कौन है ? एक अपने दे श के
राजनीितज [नेता िोग नहीं, कारण इन िोगो मे नेता कहिाने की कमता / है िसयत / अिकाद िकसी मे भी है कया? आपको दे खाई दे ती है कया?] और नंबर दो का शतू है इस दे श के संचार / पसार माधयम। आज पािकसतान के बारे मे इस दे श की जनता के मन मे जरा भी घुससा, नफरत और दे ष िदखाई नहीं दे ता है इस तरह की सिहषणूता जो िदखाई जा रही है उससे एक िदन यह दे श बरबाद होने िािा है इसमे कोई संदेह नहीं है । पािकसतान ने अपने दे श पर 26/11/2008 के िदन एक नीच दहशत पूणय
हमिा िकया िजसके जिाब मे हम िोग िसफय मोमबती जिाना, मानिी शंख ृ िा बनाना, िनषेि करना जैसे बेकार के काम करते रह गए और दस ू री तरफ पािकसतान के िखिािडयो को आय पी एि िनमंतीत करना, उनसे गाने गिा िेना अलबम बनाना जैसे काम
मे
के ििए बिहषकृ त करना चािहए था
िह िकसी ने भी नहीं िकया या उसके ििए हमारे समाज को भी पेिरत िकया। िह बुिि िह समझदारी इस दे श के िकसी भी वयिि मे िदखाई नहीं दी। इसका कारण है पािकसतान के बारे मे हमारे िदि मे
जो नफरत की आग भडकनी चािहए थी िह भडकाने मे इस दे श के पसार माधयम, राज नीितज, और कथीत समाज सेिक बुरी तरह से ििफि रहे है । और पािकसतान के सभी िखिाडी, गायक और
अिभनेता, अभेनेितयो को अभय िमिता रहा यह इस दे श का सबसे बडा दभ ु ागयय है । इस दे श के पसार माधयम, राज नीितज, और कथीत समाज सेिक केिि दोिसतका पैगाम, सीमापार दहशतिाद, शांती
पििया जैसे शबदो के चिवयूह मे ही सियं और दे श की जनता को फंसे और फंसाते रहे । िासति मे
पािकसतान को “दषुमन दे श” का दजाय दे ना चािहए था। िेकीन इस ददुैिी दे श के िकसी भी राजनीितज के पास उतनी पितभा नहीं है यह दे श के साथ दोह ही है । अगर संचार माधयम समय रहते सही रासता अपनाते है तो ही इस दे श की आने िािी हर िपढी सुख और चैन की सांस िे पाएगी।
इन पसार माधयमो के और एक बडे पाप के संबंि मे मै आज कुछ बोिना चाहता हूं और िह है
“पिरिार िनयोजन के संबंि मे असंतुिीत और एक तरफा पचार”
आज अपने समाज मे कोई वयिि कहे गा िक मुझे 4-5 बचचे होने चािहए तो हम उस वयिि की ओर
यह कौन मूखय आया है ऐसी नजर से दे खते है , उसे अनपढ गंिार करार दे ते है और अपने पांिडतय के पदशन य े के ििए हम उसे पुछते है िक:
कयो चािहए शुकर / सुअर मादा की तरह 7-8 बचचे? कया तुमहार पिि की जान िेना चाहते हो?
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एक ही बचचा अचछा है उसे हर िचज दे दो िकसी िचज की कमी न हो समझे। [आज कि दरूदशन य पर तो “हम दो हमारा एक” यही पचार िदखाई दे रहा है ]
जिाब िदिजए िक कया आज अपने ििचार इन ििचारो पर ही आिािरत है ना? अगर
आप अपने आपसे ईमानदार है तो इसका जिाब “हां” ही दे गे। इसका सबसे बडा कारण है हम पर [पसार माधयमो दारा] िकए गए संसकार।
आज अपने समाज मे गरीब, मधयम िगय या अमीर िगय िकसी भी िग य की कोई भी वयिि हो उसके ििचार उिलििखत ििचारो की तरह ही होते है । िजसके ििए अपने पसार माधयम ही
िजममेदार है । इन ििचारो का मुकाबिा हमारे समाज के कीतन य कार और पिचनकार आसािनसे कर सकते थे िकंतु हमारे समाज के कीतन य कार और पिचनकार इसमे बुरी तरह से ििफि रहे
है इसका मुखय कारण हमारे समाज की समसयाओं से हमारे कीतन य कार और पिचनकार पूणत य : अजानी है यह इस दे श का सबसे बडा दभ य कार और पिचनकार ु ागयय है । हमारे समाज के कीतन सामने बैठे हजारो िोगोको कया पढाते है यह एक बडी पहे िी ही
है । उनके अजान का एक
बडा उदाहरण यह है ----------
महाराष राजय मे गभज य ि परीका करके ििंग पहचान करना दं डनीय अपराि िकया है बहुत
अचछी बात है िकंतु िजन पित पिियो को दो कनया है तो तीसरा बचचा िडका होने के ििए गभज य ि परीका करके ििंग पहचान करने दे ना अचछी बात नहीं
है ? यह सरकार इस के ििए
कयो अनुमित नहीं दे ती है हमारे समाज के कीतन य कार और पिचनकार कया कर रहे है ? यह
मेरा खुिे आम सबको सिाि है । िजसके ििए मै िकसी भी मंच पर आकर खुिी बहस करने के ििए तय ै ार हूं। दो िडिकयो के बाद िडका होने के ििए गभज य ि परीका करके ििंग पहचान करना िदया जाता है तो समाज मे िडिकयो की संखया अपने आप बढे गी और िमय का ही
पािन हो जाएगा। “िडका िडकी एक समान” जैसे बांझ ििचारो को हम गिे िगाए बैठे है । िहं दओ ू ं का िमय गंथ “महाभारत” कहता है िक “केिि एक पुत होना िनपुतीक होने के
समान है ”- महिषय वयास “महाभारत आिद पि ”य ।दस ू रा ििचार है “िजन दं पितयो को पुत नहीं है उनके ििए सिगय मे कोई जगह नहीं है ”- महिषय नारद
अगर घर मे बहन को भाई नहीं है तो िह भाईदज ू कैसे मना सकेगी और घर मे भाई को बहन नहीं है तो उस को राखी कौन बांिेगा?
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सामािजक आिशयकता-आज पिरिारो मे एक ऐसा िििचत िचत दे खने को िमि रहा है िक घर मे कम बचचे होने के कारण हम हमारे बचचो को बाहए के पदाथय जयादा िखिाने िगे है
[जंक फुड]पहिे िकताबो के एक सेट पर दो-दो तीन-तीन भाई बहन पढाई करते थे िेिकन आज का िचत ऐसा है िक एक बचचे को एक िषय मे दो तीन-बार िकताबे खरीद कर दे नी पडती है । कया यह अपने संसािनो की बरबादी नहीं है ? अपनी िसतु कैसे संभािी जाए इसमे हम हमारे बचचो को जररी मागद य शन य नहीं दे पा रहे है । हमारी आगे की िपढी गैर िजममेदार हम खुद
बना रहे है ऐसा नहीं िगता? बचचा जो िचज मांग रहा है िह िाके दे ना ही अचछे अिभभािक बननेका एक मात मागय है ऐसा हम सोचने िगे है । आज अपने समाज मे ऐसे िकतने बचचे
नजर आते है जो पैसो की बरबादी मे िगे है नौकरी रपये 3-4 हजार रपयो की और हाथ मे मोबाइि रपये 5-6 हजार का कया यह सही है ? एक ही बचचा होता है तो इतना िाडिा होता है िक उसे मोटर बाईक, मोबाइि और जररत से जयादा जेब खची के ििए पैसा दे ना आज माता िपता के ििए आम बात हो चुकी है । जब बचचे को िजंदगी मे कुछ कम पडता है तो िह उसे
पाने के ििए मेहनत कर सकता है अगर िकसी बचचे को अपने माता िपता का घर, गाडी, बैक बॅिंस सब कुछ िमिेगा तो िह िजंदगी मे मुझे िगता है जयादा तरककी नहीं कर पाएगा अत:
बचचो को जीिन मे थोडा कम ही िमिना चािहए। दस ू री तरफ जयादा बचचे पैदा करना अनपढ गंिार और जंगिी होने समान है इस तरह की मानिसकता पढे ििखे िोगो मे िदखाई दे ती है इसका कारण इस दे श मे सनातक या सनातकोतर िशका िेने के बाद भी वयिि सोचने की कमता नहीं रखता है िह िसफय ििख और पढ सकता है ऐसा मुझे िगता
बनता है सुिशकीत नहीं बनता है ।
है आदमी साकर
गेट ििटन के पिन मंती शी टोनी बिेयर साहब को चार बचचे हुए है , मै हमारे समाज
के िोगो से मै खुिा सिाि पुछना चाहता हूं िक कया शी टोनी बिेयर साहब और उनकी पिी अनपढ गंिार और जंगिी है ? सोचने की कमता दे ने का कायय हमारे समाज के
कीतन य कार और पिचनकार कर सकते है िकंतु दभ ु ागयय से समाज को कया िसखाना और कैसे िसखाना उनको अथात य ् कीतन य कार और पिचनकारो को ही मािुम नहीं है । “Quality
always comes out of quantity ” “ दजाय केिि संखया से ही आता है ” इस कारण ही इशर ने फिो मे िबजो की संखया अििक रखी है । आज रस, अमरीका, ऑसटे ििया, कनाडा जैसे दे शो की सरकारे जन संखया बढाने के ििए करो मे छुट दे ते है तो ऑसटे ििया जैसे दे श
हर बचचे के ििए हर माह अचछी खासी िन रािश दे ते है कयो िह सरकारे मूखय है ? अगर कोई
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दं पती कहता है िक “हम एक ही बचचा पैदा करे गे और उसे महान बनाएंगे” तो मै कहुंगा िक िे मूखो के नंदनिन मे रह रहे है ।
अगर हम एक ही अपतय होते ही रक जाते है तो समझ िििजए िक अगिी दो या तीन िपढीयो मे ही अपना िंशचछे द िनिित है ।
इसका कारण साफ है िक कभी कभी िकसी को िििाह होने के बाद भी संतान पािि नहीं होती है , अगर एक ही बचचा है और उसकी दघ य ना मे मौत हो सकती है तो अपना िंशचछे द के ु ट िसिा और कोई भििषय नहीं है ।
मुदा नंबर 2 = अपनी आज की िपढी डरपोक और कमजोर हो रही है इसका कारण है संकट मे सहायता करने िािा उनका कोई भाई है ही नहीं बहन की रका करने के ििए आज के जमाने
मे कया एक भाई पयाि य है ? आज जब भी मै 7-8 युिको को दे खता हूं तो उनमे से 4-5 बचचे तो अपने मोबाईि पर कुछ कर रहे है ऐसा नजर आता है । उनको काम करने की शरम आती है ,
शमदान की तो बात ही दरू है । अगर समाज मे कभी िहं सा भडकेगी तो यह अकेिा बचचा कया
हाथ मे शस िेकर िड पाएगा? उतर है नहीं कारण हमारे बचचो को िडाई झगडो की आदत ही नहीं है । एक बचचा है तो िकतने मां बाप अपने बचचे को िहं सा चि रही है िहां जाने दे गे?
अगर घर मे 4-5 बचचे है तो खुिष से मां बाप अपने एक बचचे को घर से बाहर भेज सकेगे। बराबर है ना? यह मूखय राजनीितज आपकी रका नहीं कर सकेगे आपकी रका आपको खुद
करनी है यह याद रिखए। और कि आपका बचचा शहीद होता है तो सरकार रपये 5-6 िाख दे ने ही िािी है । महाभारत मे महिषय वयास ने कहा है - “एक घर के ििए एक बचचे को
अिशय तयागना चािहए, एक गांि के ििए एक घर को और एक दे श के ििए एक गांि
को अिशय तयागना चािहए” अत: याद रिखए अपने घर गांि और दे श के ििए मर िमटने के ििए तय ै ार हो ऐसा कम से कम एक बचचा हर घर मे पैदा होना ही चािहए।
मुदा नंबर 3- अगर िकसी उदोग पित या बडे वयािसाियक को एक ही िडक है और िह
बडा किाकार, ििकेटर या अनय िकसी केत मे कुछ ििशेष कायय कर सकता है तो उस िडके के सामने यह संकट खडा हो जाएगा िक मै मेरे िपताजी का िंदा संभािू या मेरे पसंिददा केत मे
कायय करं? अगर उसे और 1-2 भाई है तो िह कुछ और केत का चुनाि कर सकता है । आज मै ऐसे बहुत से पिरिार जानता हूं िक िे इस संकट का सामना कर रहे है ।
आज समाज मे
िकीि, डॉकटर, उदोजक जैसे िोगो की संताने अििक होनी ही चािहए। आज िकसी वयिि के मतृयु की खबर आती है तो उसके पीछे 1 िडका या 1 ही िडकी है ऐसा सुनने या पढने को िमिता है पहिे ऐसे समाचारो के साथ उस वयिि के पीछे 4- बेटे और 5 बेिटयां है ऐसा 5
सुननेको या पढने को िमिता था। दोनो मे कया अचछा है इसका िनणय य आप ही
िकिजए। िषय 2007 मे िेखक को भारत पािकसतान युि पर भाषण दे ने के ििए मुंबई के कुिाय नामक उपनगर मे बुिाया गया था, भाषण के बाद के पशोतर कायि य म मे िेखक ने कहा की आज
अपने समाज की औरते उनकी आमदनी का बडा िहससा होटि और कपडो पर खच य कर रही है
तो शोताओं मे बैठी एक ििरष नागरीक मिहिाने सबके समक कह िदया िक ििा जो बोि रहा है िह 100% सही है । और यही रािश कयो न हम हमारे बचचो पर खचय करे ।
मुदा नंबर 4- दे र से िििाह और एक ही बचचा यह हमारे समाज के बरबािद का सबसे बडा कारण बनने िगा है । आज कि नौकरी करने िािे बचचे उम के 30 िषय िबत जाने के बाद
िििाह कर रहे है । उसके बाद दो दो तीन तीन िषय तक पिरिार िनयोजन करते है और पैसा जमा करना यह एक ही धयेय इन बचचो का होता जा रहा है । कया करे गे इतना पैसा जमा
करके? अगर दोनो कमाते है तो पित पिी मे होने िाि िििाद तो और बचचे न होने दे ने मे मददगार िसि हो रहे है । अमरीका मे तो दे र से िििाह करना एक बहुत बडी सामािजक
समसया का रप िेता जा रहा है और मनोिैजानीक कहते है िक जिानी का यह िखिौना युिा
िपढी छोडने के ििए ही तय ै ार नहीं है । िे िसफय डांस बार, पब और डे टींग मे उिझे हुए िदख रहे है । नहीं तो िेशयाओं की तरफ यह िपढी अपना रख कर रही है कयो िक सी दे ह का पुरषो को बहुत बडा आकषण य रहता है ऐसा मनोिैजानीक कहते है । यह बहुत बडी चेतािनी है । इस ििए जो अिभभािक अपने बचचो को सुखी दे खना चाहते है उनको मेरा कहना है िक अपने बचचो की शािदयां शीघ करे ।
आज एक ही अपतय िािे िकतने अिभभािक ऐसे है िक जो अपने बचचे को सेना मे भेजना चाहते है ? और सेना की नौकरी का सीिा अथय है बिीदान, और अगर 5-6 बचचे िािे मां
बाप
ही अगर अपना एक बचचा सेना मे भेज सकते है तो एक ही बचचे पर पिरिार िनयोजन करने मे कौनसी बुिीमानी है ? एक िदन ऐसा आएगा िक सेना मे भेजने के ििए हमारे पास बचचे ही
नहीं होगे कया आप सोच सकते है मै कया कहना चाहता हूं िह? शी गुर नानक दे िजी ने िसख पंथ की सथापना कौनसे उदे शय से की थी आप जानते है ना? हर िहं द ू का बडा बेटा समाज की रका के ििए अपण य करना यही उदे शय था ना? इसििए ही िसख पिरिार अपने बचचे को एक
सेना और एक अनय नौकरी आती है तो िरीयता केिि सेना की नौकरी को ही दे ते है । कया िे नहीं जानते है िक िहां मौत का खतरा है ?
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मुदा नंबर 5- एक मुिगा असणे महणजे िनपुतीकच असणे होय – िषय 2008 मे चीन मे जो महाभयानक भूकंप आया था उसमे एक सकूि के 500-600 बचचे एक कण मे मारे गए थे उन सभी माता िपताओं का द ु:ख कया था मािूम है उनका द ु:ख था िक “ हमे केिि एक
ही बचचा था” और ऐसी घटनाओं मे जब घर का इकिौता बचचा मारा जाता है तो कि तक
भरा और सुखी पिरिार अचानक पूरी तरह से बरबाद हो जाता है पीछे रहे िोगो के जीिन को कोई अथय ही नहीं रह जाता है । िजएंगे तो िकसके ििए?, जी के कया करे गे? जैसे िजनके जिाब दे ही नहीं सकते है ऐसे सिािो का सामना करना पडता है खुदा करे और ऐसा संकट कभी
भी हमारे िकसी भी पिरिार पर न आए।
िेखक का यह अनुभि रहा है िक बहुत िोग यह ििचार सुनते है और मान जाते है िकंतु उसपर अमि नहीं कर सकते
है उसका मुखय कारण िेखक को जो िगता है िह यह है िक
पित यह ििषय अपनी पिि को समझाने मे असफि रहता है । और दस ू रा कारण हमारे समाज के मिहिाओं की मानिसकता िक जयादा बचचे मतिब अथात य ् उपभोग िादी जीिन की ित।
बेिजह झमेिा िपछे िगिा िेना।
एक बात पककी याद रिखए िक अगर आपके बचच े नािाय क ह ै तो उ नके ििए प ैसा
रखना बड ी म ूख य ता ह ै और अगर बचचे जीिन मे सफि है तो उनको आप के पैसो की कोई खास आिशयकता नहीं होती है ।वयिि िकतनी अमीर है यह उसके बैक बॅिनस से नहीं समझ
मे आता तो उसने िकतने बचचे पैदा िकए और िकतनो को जीिन मे जीने िायक बनाया उससे समझा
जाता है । याद रिखए िक हर बचचा डॉकटर और इं जीिनयर ही नहीं बन सकता िकंतु
िह अपने जीिन मे िनिित रप से कुछ ना कुछ कर सकता ही है । िह एक अचछा नागरीक बनता है तो िह उसके माता िपता की बडी सबसे बडी सफिता है ।
मौका हाथ से छुट जाने के पहिे समय रहते सही िनणय य ििजीए, केिि बेकार की बाते करते मत बैठीए। अनयथा आने िािा समय आप को कभी माफ नहीं करे गा। याद
रिखए आपकी गिितयो की, ऐशोआराम की आदत की, मूखत य ा की सजा मेहेरबानी करके आने िािी मासूम िपिढयो को मत िदिजए। आंतराष य ीय कीतन य कार शी सुरेद फडके
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{शीघ आ रहा है – युिको की मती गुग ं कर दे ने िािा, उनको िे जाने िािा और िदिो िदमाग मे डर पैदा करने िािा संबंिित पुसतक}
िहं दओ ू ं की आने िािी हर एक
िनदानाश की चपेट मे
“िहं द ू िििाह अिििनयम ” से
पीढी सुरकीत ि सुखी ही होनी चािहए इस ििए कायय
करने िािा एक मात आंतराष य ीय कीतन य कार ि महिषय वयास का िशषय
[email protected] कृ पया यह
पुसतक पढने के बाद अपने पास मत रिखए कृ पया उसे अनय िाचक के
हिािे करके उससे र.5/-केिि िििजए यह िसििसिा कृ पया जारी रिखए यह नम अनुरोि।
िम
पढने िािे का नाम
सं.
8
गांि का नाम