Sadvakya Shantikunj Hindi

  • October 2019
  • PDF

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  • Words: 826
  • Pages: 2
Sadvakya shantikunj.txt

वेदमूितर्

पं

योजना

के



.दसर ू २. ज ह खाने

के

वह

साथ

जंदगी

जीवन

बड़ा



वपर त

प र ःथितय

सके

,वःतुतः

वह

६ .ईंया

आदमी रोट

९ .जीवन

का

गवाय



१ ० गृहःथ पड़ती ११

.पाप

हो

अपने

िलए

पसंद

भुख

लगे

कुछ

नह भी



समुिचत

समावेश

कर

िलया

सचमुच

वह

ईमान

साहस

,

और धैयर्

को

तरह

खा है

बार जाती

मर

है

हजार

चुकता

जैसे

,

मनक

है

जब क

,

तु हारे

जीवन

से

संयम

कपड़



ता क

जसम

,

कायम

रख

बहादरु

से

यार

,सेवा

को

कड़

अलग

चमकने

सभी

भाई

सुखी

करते



और स हंणुता

मरने

। वाला रह

वे

,

को

ह रा

आलःय क



सके◌े◌ं





साधना

समय करनी

रोग

,शोक

करनी

१ ५ .अनजान

जाता

है

समझो

और

ज म

तो

पड़ती

होना

ओर संकट वह

है

भी जो

,

लेकर

वाणी

आता से

नह ं

संसार

के

है

,अपने

आचरण से

। व ास सहज

है

उतनी

न होना

१ ६ असफलता

पतन

उपदे श

करो



तुम

सबसे

मह वपूणर्

। का

ूा

होता

है

पर

,

मनुंयता

उसे

क ठन

ूय

से



ल ज◌ा◌ा ्



बात

नह ं

जतनी

,

सीखने

के

िलए



केवल

यह

िस

करती

है



सफला

का

ूयास

पूरे

मन

से

नह ं



१ ७ . दे वता वाणी

आँशीवार्द

सुनने



१ ८ .स यता उदारता गढने

का

दखी ु

२ ० .पढ़ने

यो य

जाय

.दसर ू

बरती

ःव प

है

तब

है

गुँगे

रहते



हमारा

अदय

उनक

-सादगी

अपने

,

िलए

कठोरता

और दसर ू

को

यान



रखकर

रहता

और उपहास

सहता

है

िलखा

जाय

लाख

गुणा

,इससे

के

िलए

महा वाकां ाएँ



। बेहतर

यह

है



िलखन

यो य

साथ

वैसी



उदारता

बरतो

जैसी

ई र

पहले

सोचते



ने

तु हारे

साथ



२ २ .बु मान बोलते

जब

,



। के

है

वे

पहले

का



है

बोलने म

यार

केवल

िसखाते



से ह

,

मूखर्

वे



जो



सदाचार

और कतर् य

परायण

के

िलए

को

उन

पर

बड़े

खुद

,

जसका

अमल करे

,

तो

यह

संसार

ःवगर्



२ ५ .सबसे

बड़ा

२६अ छ

पुःतक

त काल

जो बाद



ब च

जाए



और सोचते

२ ३ .परमे र २ ४ जो



रहता

और प र ःथित

वाला

कया

दे ने बहरा



१ ९ .यो यता

बन

िनमार्ण



अथर्

है

साथ

मू य

१ ४ .मनुंय

सुर

उसी का

कया



२१

को

जो

अनेक है

और ूभावी

ूःतुत

हआ ु

पूवर्

तपोवन

अपने

तैयार

युग



१ २ .साथर्क १ ३ अपना

कड़

रिचत

है

-िमल -बाँटकर खाओ 'समय ' जो अथर् है एक

है

तु ह बना

का

भी

सुरवीर

पड़ता

होने

८ .अपनी

वे

,

सौज य

, म

से

मरना

७ .ईमानदार

हो

जो

,

ारा



स चा

मृ यु ह

न करो जीनी

ःनेह है

४.

दन

जी



कलाकार

५ . कायर

आचायर्

यवहार

आदत डाल

३ . जसन

के

शमार्

स ा य

ल बी क

सबसे

ौीराम

.

अिधकृ त

ूकाश

२ ७ .मनुंय

Page 1/2

दन

दबर् ु ल

जीव त और उ लास

प र ःथितय

वह

है

दे व

ूितमाएँ

िमलता का

दास

है नह ं

अपने

ऊपर







,वह

उनका

िनयंऽण उनक

नह ं आराधना

। से



Sadvakya shantikunj.txt िनमार्ता

,िनयंऽणकतार्

२ ८ .आलःय

से

२ ९ .आय से

अिधक

३ ० . कसी अवसर ३१

का

दे ने

.जो

से

जैसा ह

होता

और करता म



३ ४ .बड पन

अमीर



३ ५ .उ हे

मत

३ ६ . यार

और सहकार

३ ७ .ूस न

सराहो रहन

प र ःथितय

। समीपवत

ितरःकार

नह ं है

शऽु

सहते

उसे

,

,वह

गर ब

जैसे

अभागा

कोई

थकता

नये

नह ं

और क

िसरे

से



भोगते सोचने





और अदलने

का

वैसा



नॆ

और गर बी

बन

जाता

है





अमीर

जैसे

उदार



Page 2/2

भरा दो



नह ं

ईमानदार

वप

सफलता

पूरा



प रवार

उपाय



और स ज◌ानता ्

अनीितपूवक र् है

बठाय नह ं

य क

,



पाई

धरती

-आवँयकताएँ

उसका

स न हत

और स पित का

कोई है

कमाई

ःवगर्

होता

कम कर

और

अिनयिमत



। ।

है





,आदमी

उसे

भार

समझकर

से

करने



अपनी है

से

से

,

जनने

,

तालमेल

अिधकता है

नह ं

के

से क

४ ० .अपन काम

है

और अिधक



अमीर

बढ़कर

करता

से

सोचता

से

३ ९ .जो

वाले

है

रहता

पर

करने उपहास

नह ं

३ ८ .काम

घातक



३ ३ .कुकम साथी

अिधक

खचर्

सुधार

३ २ .स ज◌ान ् होते

और ःवामी

बढ़कर

सहायता

आप करने

को

त पर

है

,ई



केवल

उ हं



सहायता

। को सफलता

मनुंय िमलेगी

बनाने ।

का

ूय

करो

,

यद

इसम

सफल हो

गए

,

तो

हर

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