निंदा का फल.docx

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  • Words: 846
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न िंदा का फल

. हम जा े-अ जा े अप े आसपास के व्यक्तिय िं की न िंदा करते रहते हैं , जबनक हमें उ की वास्तनवक पररक्तथिनतय िं का तन क भी ज्ञा ही ह ता।

. न िंदा रस का स्वाद बहुत ही रुनिकर ह ता है स लगभग हर व्यक्ति इस स्वाद ले े क आतु र रहता है ।

. वास्तव में न िंदा एक ऐसा मा वीय गु ण है ज सभी व्यक्तिय िं में कुछ

कुछ मात्रा में अवश्य पाया जाता है ।

. यनद हमें ज्ञा सकते हैं ।

ह जाये नक पर न िंदा का पररणाम नकत ा भया क ह ता है त हम इस पाप से आसा ी से बि

. राजा पृिु एक नद

सु बह सु बह घ ड़ िं के तबे लें में जा पहुिं िे। तभी वही िं एक साधु नभक्षा मािं ग े आ पहुिं िा।

. सु बह सु बह साधु क नभक्षा मािं गते दे ख पृिु क्र ध से भर उठे । उन् िं े साधु की न िंदा करते हुए नब ा नविारे तबे लें से घ डें की लीद उठाई और उसके पात्र में डाल दी।

. साधु भी शािं त स्वभाव का िा स नभक्षा ले वहााँ से िला गया और वह लीद कुनिया के बाहर एक क े में डाल दी।

. कुछ समय उपरान्त राजा पृिु नशकार के नलए गए। पृिु लीद का बड़ा सा ढे र लगा हुआ है ...

े जब जिंगल में दे खा एक कुनिया के बाहर घ ड़े की

. उन् िं े दे खा नक यहााँ त

क ई तबे ला है और

ही दू र-दू र तक क ई घ ड़ें नदखाई दे रहे हैं ।

. वह आश्चयय िनकत ह कुनिया में गए और साधु से ब ले "महाराज ! आप हमें एक बात बताइए यहााँ क ई घ ड़ा भी ही िं ही तबे ला है त यह इत ी सारी घ ड़े की लीद कहा से आई !"

. साधु े कहा " राज ् ! यह लीद मुझे एक राजा खा ा पड़े गी।

े नभक्षा में दी है अब समय आ े पर यह लीद उसी क

. यह सु

राजा पृिु क पूरी घि ा याद आ गई। वे साधु के पैर िं में नगर क्षमा मािं ग े लगे ।

. उन् िं े साधु से प्रश्न नकया हम े त ि ड़ी-सी लीद दी िी पर यह त बहुत अनधक ह गई ?

. साधु े कहा "हम नकसी क ज भी दे ते है वह नद -प्रनतनद हमारे पास लौि कर आ जाता है , यह उसी का पररणाम है।"

प्रफुक्तित ह ता जाता है और समय आ े पर

. यह सु कर पृिु की आाँ ख िं में अश्रु भर आये । वे साधु से नव ती कर ब ले..

. "महाराज ! मुझे क्षमा कर दीनजए मैं आइन्दा मैं ऐसी गलती कभी

ही िं कर ाँ गा।" कृपया क ई ऐसा उपाय बता

दीनजए ! नजससे मैं अप े दु ष्ट कमों का प्रायनश्चत कर सकूाँ!"

. राजा की ऐसी दु खमयी हालात दे ख कर साधु ब ला- "राज ् ! एक उपाय है आपक क ई ऐसा कायय कर ा है ज दे ख े मे त गलत ह पर वास्तव में गलत ह।

. जब ल ग आपक गलत दे खेंगे त आपकी न िंदा करें गे नजत े ज्यादा ल ग आपकी न िंदा करें गे आपका पाप उत ा

हल्का ह ता जाएगा।

. आपका अपराध न िंदा कर े वाल िं के नहस्से में आ जाये गा।

. यह सु राजा पृिु े महल में आ काफी स ि-नविार नकया और अगले नद िौराहे पर बै ठ गए।

सु बह से शराब की ब तल लेकर

. सु बह सु बह राजा क इस हाल में दे खकर सब ल ग आपस में राजा की न िंदा कर े लगे नक कैसा राजा है नकत ा न िंद ीय कृत्य कर रहा है क्या यह श भ ीय है ?? आनद आनद !!

. न िंदा की परवाह नकये नब ा राजा पूरे नद

शरानबय िं की तरह अनभ य करते रहे ।

. इस पूरे कृत्य के पश्चात जब राजा पृिु पु ः साधु के पास पहुिं िे त लीद का ढे र के थिा दे ख आश्चयय से ब ले

पर एक मुट्ठी लीद

. "महाराज ! यह कैसे हुआ ? इत ा बड़ा ढे र कहााँ गायब ह गया !!" . साधू े कहा "यह आप की अ ुनित न िंदा के कारण हुआ है राज ्। नज की है , आप का पाप उ सबमे बराबर बराबर बि गया है।

नज

ल ग िं

े आपकी अ ुनित न िंदा

. जब हम नकसी की बे वजह न िंदा करते है त हमें उसके पाप का ब झ भी उठा ा पड़ता है तिा हमे अप ा नकये गए कमो का फल त भु गत ा ही पड़ता है ,

. अब िाहे हाँ स के भु गतें या र कर, हम जैसा दें गें वै सा ही लौि कर वानपस आएगा !

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