Uttam Santan Prapti Hetu

  • November 2019
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  • Words: 214
  • Pages: 1
उतम संतान पािि ह ेत ु मानव को शुभ योगो का लाभ लेना चािहए व अशुभ योगो से बचना चािहए।

ििसमबर 2008 से गुर-राहू का ‘चाणडाल योग’ शुर हो रहा है , इसिलए 1 माचच 2008 से 20 अपैल 2009 तक गभच (पेगनॅििस) न रहे इसका धयान रखे। इस कालखणड के बीच मे 20 अगसत 2008 से 5 अकूबर 2008 तक का समय गभध च ारण (पेगनॅििस) के िलए

अचछा है । इस काल मे गभध च ारण का पयत कर सकते है । 20 अपैल 2009 के बाि का समय भी गभध च ारण के िलए अचछा है । 20 अगसत 2009 से 20 जनवरी 2010 तक का काल गभध च ारण हे तु अित उतम है ।

िजसकी जिमकुणडली मे तीव चाणडाल योग हो व अिय शुभ गहो की िसिित

ठीक न हो तो उसके अशांत व शारीिरक-मानिसक पीडा से गसत होने की संभावना

रहती है । ििर भी यिि अनुिचत समय मे गभच रह जाय तो गभप च ात न करके आने वाले बालक के कलयाण के िलए पािन च ा, पूजा, रामायण आिि का पाठ, जप, अनुषान करे ।

अपने यहाँ सवसि, तंिरसत और पुणयातमा बालक का जिम हो इस हे तु सभी

िमपितयो को जप, अनुषान, रामायण एवं शी गुरगीता का पाठ करके गभाध च ान करना चािहए।

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