Sundarta1[reformed]

  • Uploaded by: Jadhav Nilesh Ashok
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  • May 2020
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  • Words: 199
  • Pages: 2
सुन्दरता जीवन में सभी चीजे सुन्दर नहीं होती उन्हें दिरया में ऐसे कभी फेका नहीं करते गुलाब बेशक सुन्दर ही होता है उसके कांटे चुभ गए तो क्या हुआ? उन्हें अपनेही पैरो तले रौंदा नहीं करते सभी लोगों से हमददीर् तो िमलती नहीं सारी दिु नया से ठं डक तो िबलकुल ही आसान नहीं िचिडयों ने दो दाने उठा भी िलए तो क्या हुआ? उन पर बन्दक ू चलाना कािबले तारीफ़ नहीं. मधुमिक्खयाँ आँखों को कभी सुन्दर नहीं लगती. घर में उनकी आहट मन को नहीं जचती. तुम्हारे फूलों को थोडा डस भी िलया तो क्या हुआ? उन्हें अपने ही जहर से कभी मारा नहीं करते.

सारे जगत में मीठी झंकार नहीं बजती . सभी घरों में प्यार की धुन नहीं िमलती. 'मधुर' शब्द नहीं पाए तो क्या हो गया? लोगों को अपने ही िदल से यारों हटाया नहीं करते. कोई पत्थर थोडा कठीन होता भी है , थोडाबहुत काला कन्है या यिद होता भी है . चलते हुए रःते पर वह यिद आता भी है , उसे अपने ही हथौडे से कभी तोडा नहीं करते. जीवन में सभी चीजे सुन्दर नहीं होती उन्हें दिरया में ऐसे कभी फेका नहीं करते. कवी: िनलेश अशोक जाधव [Nilesh Ashok Jadhav, Rajkot]  

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