New Hindi Kavita

  • November 2019
  • PDF

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  • Words: 430
  • Pages: 3
शहर क इस दौड़ म दौड़ के करना

या है ?

जब यह जीना है दो त तो फ़र मरना या है ? पहली बा रश म

े न लेट होने क

भूल गये भीगते हए ु टहलना



है

या है ?

सी रय स ् के कदार का सारा हाल है मालूम पर माँ का हाल पू ने क फ़ुसत कहाँ है ? अब रे त पे नंगे पाँव टहलते

यूं नह ं?

108 ह चैनल ् फ़र दल बहलते

यूं नह ं?

इ टरनैट से दिनया के तो टच म ह, ु

ले कन पडोस म कौन रहता है जानते तक नह ं. मोबाइल, लै डलाइन सब क भरमार है , ले कन ज र दो त तक पहँु चे ऐसे तार कहाँ ह? कब डू बते हए ु सुरज को दे खा त, याद है ? कब जाना था शाम का गुज़रना या है ? तो दो त शहर क इस दौड़ म दौ जब ् यह जीना है तो फ़र मरना

के करना

या है

या है ? ..........

लहर से डरकर नौका पार नह ं होती

ह मत करने वाल क हार नह ं होती।

न ह चींट जब दाना लेकर चलती है ,

चढ़ती द वार पर सौ बार फसलती है ,

मन का व ास रग म साहस भरता है ,

चढ़कर िगरना,िगरकर चढ़ना न अखरता है , आ खर उसक मेहनत बेकार नह ं होती , कोिशश करने वाल क हार नह ं होती। डु ब कयां िसंधु म गोताखोर लगाता है , जा-जाकर खाली हाथ लौट आता है , िमलते न सहे ज के मोती पानी म, बहता दना ू उ साह इसी है रानी म,

मु ठ उसक खाली हर बार नह ं होती, ह मत करने वाल क हार नह ं होती।

असफलता एक चुनौती है

वीकार करो,

या कमी रह गयी,दे खो और सुधार करो,

जब तक न सफल हो नींद चैन को यागो तुम, संघष का मैदान छोड़ मत भागो तुम,

कुछ कये बना ह जय-जयकार नह ं होती, ह मत करने वाल क हार नह ं होती।

इस अजनबी सी दिनया म, अकेला इक ु सवाल से खफ़ा, चोट सा जवाब हँू .

वाब हँू .

जो ना समझ सके, उनके िलये “कौन”. जो समझ चुके, उनके िलये कताब हँू . दिनया क नज़र म, जाने ु

युं चुभा सा.

सबसे नशीला और बदनाम शराब हँू .

सर उठा के दे खो, वो दे ख रहा है तुमको.

जसको न दे खा उसने, वो चमकता आफ़ताब हँू .

आँख से दे खोगे, तो खुश मुझे पाओगे. दल से पूछोगे, तो दद का सैलाब हँू .

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