शहर क इस दौड़ म दौड़ के करना
या है ?
जब यह जीना है दो त तो फ़र मरना या है ? पहली बा रश म
े न लेट होने क
भूल गये भीगते हए ु टहलना
फ़
है
या है ?
सी रय स ् के कदार का सारा हाल है मालूम पर माँ का हाल पू ने क फ़ुसत कहाँ है ? अब रे त पे नंगे पाँव टहलते
यूं नह ं?
108 ह चैनल ् फ़र दल बहलते
यूं नह ं?
इ टरनैट से दिनया के तो टच म ह, ु
ले कन पडोस म कौन रहता है जानते तक नह ं. मोबाइल, लै डलाइन सब क भरमार है , ले कन ज र दो त तक पहँु चे ऐसे तार कहाँ ह? कब डू बते हए ु सुरज को दे खा त, याद है ? कब जाना था शाम का गुज़रना या है ? तो दो त शहर क इस दौड़ म दौ जब ् यह जीना है तो फ़र मरना
के करना
या है
या है ? ..........
लहर से डरकर नौका पार नह ं होती
ह मत करने वाल क हार नह ं होती।
न ह चींट जब दाना लेकर चलती है ,
चढ़ती द वार पर सौ बार फसलती है ,
मन का व ास रग म साहस भरता है ,
चढ़कर िगरना,िगरकर चढ़ना न अखरता है , आ खर उसक मेहनत बेकार नह ं होती , कोिशश करने वाल क हार नह ं होती। डु ब कयां िसंधु म गोताखोर लगाता है , जा-जाकर खाली हाथ लौट आता है , िमलते न सहे ज के मोती पानी म, बहता दना ू उ साह इसी है रानी म,
मु ठ उसक खाली हर बार नह ं होती, ह मत करने वाल क हार नह ं होती।
असफलता एक चुनौती है
वीकार करो,
या कमी रह गयी,दे खो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो नींद चैन को यागो तुम, संघष का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
कुछ कये बना ह जय-जयकार नह ं होती, ह मत करने वाल क हार नह ं होती।
इस अजनबी सी दिनया म, अकेला इक ु सवाल से खफ़ा, चोट सा जवाब हँू .
वाब हँू .
जो ना समझ सके, उनके िलये “कौन”. जो समझ चुके, उनके िलये कताब हँू . दिनया क नज़र म, जाने ु
युं चुभा सा.
सबसे नशीला और बदनाम शराब हँू .
सर उठा के दे खो, वो दे ख रहा है तुमको.
जसको न दे खा उसने, वो चमकता आफ़ताब हँू .
आँख से दे खोगे, तो खुश मुझे पाओगे. दल से पूछोगे, तो दद का सैलाब हँू .