मुिःलम जनसंया बढ़ने से होने वाले दंपिरणाम ु
जमात-ए-इःलामी के संःथापक मौलाना मौददी ू कहते ह# िक कुरान के अनुसार िव( दो भाग+ म, बँटा हआ है, एक वह जो अ1लाह की तरफ़ ह# और दसरा वे जो शैतान की ू ु तरफ़ ह# । दे शो की सीमाओं को दे खने का इःलािमक नज़िरया कहता है िक िव( म, कुल िमलाकर िसफ़; दो खेमे ह# , पहला दार-उल-इःलाम (यानी मुिःलम+ >ारा शािसत) और दार-उल-हब; (यानी “नािःतक+” >ारा शािसत)। उनकी िनगाह म, नािःतक का अथ; है जो अ1लाह को नहीं मानता, @य+िक िव( के िकसी भी धम; के भगवान+ को वे माBयता ही नहीं दे ते ह# । इःलाम िसफ़; एक धम; ही नहीं है, असल म, इःलाम एक पूजापCित तो है ही, लेिकन उससे भी बढ़कर यह एक समूची “Eयवःथा” के Fप म, मौजूद रहता है। इःलाम की कई शाखाय, जैसे धािम;क, Bयाियक, राजनैितक, आिथ;क, सामािजक, सैिनक होती ह# । इन सभी शाखाओं म, सबसे ऊपर, सबसे ूमुख और सभी के िलये बBधनकारी होती है धािम;क शाखा, िजसकी सलाह या िनदJश (बि1क आदे श) सभी धमा;वलिKबय+ को मानना बाLयकारी होता है। िकसी भी दे श, ूदे श या Mेऽ के “इःलामीकरण” करने की एक ूिबया है। जब भी िकसी दे श म, मुिःलम जनसंया एक िवशेष अनुपात से Qयादा हो जाती है तब वहाँ इःलािमक आंदोलन शुR होते ह# । शुRआत म, उस दे श िवशेष की राजनैितक Eयवःथा सिहंणु और बहु-सांःकृ ितकवादी बनकर मुसलमान+ को अपना धम; मानने, ूचार करने की इजाजत दे दे ती है, उसके बाद इःलाम की “अBय शाखाय,” उस Eयवःथा म, अपनी टाँग अड़ाने लगती ह# । इसे समझने के िलये हम कई दे श+ का उदाहरण दे ख,ग,े आईये दे खते ह# िक यह सारा “खेल” कैसे होता है जब तक मुिःलम+ की जनसंया िकसी दे श/ूदे श/Mेऽ म, लगभग 2% के आसपास होती है, तब वे एकदम शांितिूय, कानूनपसBद अ1पसंयक बनकर रहते ह# और िकसी को िवशेष िशकायत का मौका नहीं दे त,े जैसे -
अमेिरका – मुिःलम 0.6% ऑःशे िलया – मुिःलम 1.5%
कनाडा – मुिःलम 1.9% चीन – मुिःलम 1.8% इटली – मुिःलम 1.5% नॉवJ – मुिःलम 1.8% जब मुिःलम जनसंया 2% से 5% के बीच तक पहँु च जाती है , तब वे अBय धमा;वलिKबय+ म, अपना “धम;ूचार” शुR कर दे ते ह# , िजनम, अ@सर समाज का िनचला तबका और अBय धम[ से असंतु\ हए ु लोग होते ह# , जैसे िक – डे नमाक; – मुिःलम 2% जम;नी – मुिःलम 3.7% िॄटे न – मुिःलम 2.7% ःपेन – मुिःलम 4% थाईलै^ड – मुिःलम 4.6% मुिःलम जनसंया के 5% से ऊपर हो जाने पर वे अपने अनुपात के िहसाब से अBय धमा;वलिKबय+ पर दबाव बढ़ाने लगते ह# और अपना “ूभाव” जमाने की कोिशश करने लगते ह# । उदाहरण के िलये वे सरकार+ और शॉिपंग मॉल पर “हलाल” का माँस रखने का दबाव बनाने लगते ह# , वे कहते ह# िक “हलाल” का माँस न खाने से उनकी धािम;क माBयताय, ूभािवत होती ह# । इस कदम से कई पि_मी दे श+ म, “खा` वःतुओ”ं के बाजार म, मुिःलम+ की तगड़ी पैठ बनी। उBह+ने कई दे श+ के सुपरमाकJट के मािलक+ को दबाव डालकर अपने यहाँ “हलाल” का माँस रखने को बाLय िकया। दकानदार भी “धंधे” को ु दे खते हए ु उनका कहा मान लेता है (अिधक जनसंया होने का “फ़ै@टर” यहाँ से मजबूत होना शुR हो जाता है ), ऐसा िजन दे श+ म, हो चुका वह ह# – ६ांस – मुिःलम 8% िफ़लीपीBस – मुिःलम 6% ःवीडन – मुिःलम 5.5% िःवटजरलै^ड – मुिःलम 5.3% नीडरलै^ड – मुिःलम 5.8% िऽिनदाद और टोबैगो – मुिःलम 6% इस िबBद ु पर आकर “मुिःलम” सरकार+ पर यह दबाव बनाने लगते ह# िक उBह, उनके “Mेऽ+” म, शरीयत कानून (इःलािमक कानून) के मुतािबक चलने िदया जाये (@य+िक
उनका अिBतम लआय तो यही है िक समूचा िव( “शरीयत” कानून के िहसाब से चले)। जब मुिःलम जनसंया 10% से अिधक हो जाती है तब वे उस दे श/ूदे श/राQय/Mेऽ िवशेष म, कानून-Eयवःथा के िलये परे शानी पैदा करना शुR कर दे ते ह# , िशकायत, करना शुR कर दे ते ह# , उनकी “आिथ;क प िरिःथित” का रोना लेकर बैठ जाते ह# , छोटी-छोटी बात+ को सिहंणुता से लेने की बजाय दं ग,े तोड़फ़ोड़ आिद प र उतर आते ह# , चाहे वह ६ांस के दं गे ह+, डे नमाक; का काटू ;न िववाद हो, या िफ़र एKःटड; म म, कार+ का जलाना हो, हरे क िववाद को समझबूझ, बातचीत से खfम करने की बजाय खामवाह और गहरा िकया जाता है , जैसे िक – गुयाना – मुिःलम 10%
भारत – मुिःलम 15% इसराइल – मुिःलम 16% केBया – मुिःलम 11% Fस – मुिःलम 15% (चेचBया – मुिःलम आबादी 70%) जब मुिःलम जनसंया 20% से ऊप र हो जाती है तब िविभBन “सैिनक शाखाय,” जेहाद के नारे लगाने लगती ह# , असिहंणुता और धािम;क हfयाओं का दौर शुR हो जाता है , जैस-े इिथयोिप या – मुिःलम 32.8% जनसंया के 40% के ःतर से ऊपर प हँु च जाने प र बड़ी संया म, सामूिहक हfयाऐं, आतंकवादी कार; वाईयाँ आिद चलने लगते ह# , जैसे –
बोिःनया – मुिःलम 40% चाड – मुिःलम 54.2% लेबनान – मुिःलम 59% जब मुिःलम जनसंया 60% से ऊप र हो जाती है तब अBय धमा;वलंिबय+ का “जातीय सफ़ाया” शुR िकया जाता है (उदाहरण भारत का कँमीर), जबिरया मुिःलम बनाना, अBय धम[ के धािम;क ःथल तोड़ना, जिजया जैसा कोई अBय कर वसूलना आिद िकया जाता है , जैसे – अ1बािनया – मुिःलम 70% मलेिशया – मुिःलम 62%
कतर – मुिःलम 78% सूडान – मुिःलम 75% जनसंया के 80% से ऊपर हो जाने के बाद तो सhा/शासन ूायोिजत जातीय सफ़ाई की जाती है , अBय धम[ के अ1पसंयक+ को उनके मूल नागिरक अिधकार+ से भी वंिचत कर िदया जाता है , सभी ूकार के हथक^डे /हिथयार अपनाकर जनसंया को 100% तक ले जाने का लआय रखा जाता है , जैसे – बांiलादे श – मुिःलम 83% िमj – मुिःलम 90% गाज़ा पkटी – मुिःलम 98% ईरान – मुिःलम 98% ईराक – मुिःलम 97% जोड; न – मुिःलम 93% मोर@को – मुिःलम 98% पािकःतान – मुिःलम 97%
सीिरया – मुिःलम 90% संयुl अरब अमीरात – मुिःलम 96% बनती कोिशश पूरी 100% जनसंया मुिःलम बन जाने, यानी िक दार-ए-ःसलाम होने की िःथित म, वहाँ िसफ़; मदरसे होते ह# और िसफ़; कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही अिBतम सfय माना जाता है , जैसे – अफ़गािनःतान – मुिःलम 100% सऊदी अरब – मुिःलम 100% सोमािलया – मुिःलम 100% यमन – मुिःलम 100% आज की िःथित म, मुिःलम+ की जनसंया समूचे िव( की जनसंया का 22-24% है , लेिकन ईसाईय+, िहBदओं और यहिदय+ के मुकाबले उनकी जBमदर को दे खते हए ु ू ु कहा जा सकता है िक इस शताmदी के अBत से पहले ही मुिःलम जनसंया िव( की 50% हो जायेगी (यिद तब तक धरती बची तो)… भारत म, कुल मुिःलम जनसंया 17% के
आसपास मानी जाती है अब दे श म, आगे चलकर @या पिरिःथितयाँ बन,गी यह कोई भी (“सेकुलर+” को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता है …