Ghazaldhara (chhandshastra & Taalshastra Of Ghazal).pdf

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  • Words: 38,064
  • Pages: 134
ग़ज़लधारा ग़ज़ल का छं दशा (प यभार आधा रत प त से छं द-रचना)

एवं ग़ज़ल का तालशा (ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल का सम%वय)

संशोधन-लेखन : उदय शाह

: +काशक : मनीषा शाह - धारा शाह दादाट.ू 01ट (सांई 01ट) नवसार1-३९६४४५ (गुजरात) Phone : (R) 02637-255511 & (M) 09428882632

1

+काशक : मनीषा शाह - धारा शाह दादाट.ू 01ट (सांई 01ट) नवसार1-३९६४४५ (गुजरात) Phone : (R) 02637-255511 & (M) 09428882632

सूचना : ‘ग़ज़लधारा’ पु तक के :कसी भी अंश को कह1ं और +का<शत करने के <लए

‘ग़ज़लधारा’

पु तक के रच यता उदय शाह से अनुम त लेना आव=यक नह1ं है मगर उनको सू?चत :कया जाएगा तो ख़श ु ी होगी।

उदय शाह दादाट.ू 01ट (सांई 01ट) नवसार1-३९६४४५ (गुजरात) Phone : (R) 02637-255511 & (M) 09428882632 Email : [email protected]

+थम आविृ Eत : मई-२०१५ (२०० पु तक) Iवतीय आविृ Eत : जुलाई-२०१५ (१०० CD) तत ृ ीय आविृ Eत : जनवर1-२०१६ (e-book)

मेर1 website : www.udayshahghazal.com से ‘ग़ज़लधारा’ कJ e-book (pdf file) नःशुLक download कJ जा सकती है ।

2

: मेर1 बात : मN उदय शाह और मेर1 पEनी मनीषा शाह गायक-संगीतकार कJ है <सयत से कायOरत हN और उसमP ग़ज़ल हमारा मुQय Iवषय रहा है । ग़ज़ल-गायन के साथ-साथ ग़ज़ल के छं दR का अSयास भी मेरे रस का Iवषय रहा है । छं द से काTय-रचना मP और ताल से संगीत-रचना मP +वाUहता रहती है , इस<लए छं द और ताल के बीच घ नYठ संबंध है । इस जानकार1 के आधार पर ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल के सम%वय के Iवषय पर मN कुछ संशोधन कर सका हूं िजसे ग़ज़ल का तालशा कहा जा सकता है । इस Iवषय पर मेरे कुछ लेख <सतंबर-२०११ से नवंबर-२०१२ के दर<मयान संगीत Iवषय का मा<सक ‘संगीत कला Iवहार’ के गुजराती Iवभाग मP +का<शत हो चक ु े हN तथा गुजराती [ मा<सक ‘कलाIवमशO’ मP जुलाई-२०१२ से ले कर अब तक नय<मत\प से +का<शत हो रहे हN। ‘ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल का सम%वय’ Iवषय के संशोधन के दर<मयान ग़ज़ल के छं दR कJ रचना के <लए अ\ज़ से अलग और Uह%द1-गुजराती जैसी <लIपवाल1 भाषा के अनु\प एक नयी प यभार आधा रत प त का भी मN संशोधन कर पाया हूं। इस Iवषय पर मेरा लेख ग़ज़ल का गुजराती [ मा<सक ‘धबक’ मP <सतंबर-२०१४ के अंक मP +का<शत हो चक ु ा है । Uह%द1-गुजराती जैसी भाषा के अनु\प ग़ज़ल का छं दशा

तथा ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल का सम%वय जो ग़ज़ल का

तालशा

है , मN ‘ग़ज़लधारा’ पु तक के मा]यम से आपके सामने + तत ु कर रहा हूं। इस कायO मP +Eय^ और परो^ \प से मुझको सहाय\प होनेवाले सभी का मN आभार1 हूं। ‘ग़ज़लधारा’ पु तक Uह%द1-गुजराती जैसी <लIपवाल1 भाषा के <लए ग़ज़ल का छं दशा है जो ग़ज़लकारR के <लए उपयोगी <स सम%वय कJ चचाO ग़ज़ल का तालशा

होगी तथा ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल के है जो गायक-संगीतकारR को उपयोगी <स

होगी ऐसी

मुझे a ा है । उदO ू मP भी इस प त से छं द-रचना करने पर कोई अड़चन नह1ं होगी ऐसी मझ ु े a ा है । इस तरह ‘ग़ज़लधारा’ पु तक ग़ज़लकार, संगीतकार और गायक तीनR के <लए उपयोगी <स

होगी।

भIवYय मP ‘ग़ज़ल का बह ृ त ् Iपंगल’ भी आपके सामने + तुत करने कJ इdछा है :क िजसमP ग़ज़ल के और भी छं दR का समावेश करके सभी छं दR का और उनके संगीत के ताल के साथ सम%वय का Iव तत ृ वणOन कfं गा। :फ़ल-हाल ‘ग़ज़लधारा’ पु तक आपके सामने + तुत करते हुए आनंद कJ अनुभू त करता हूं।

उदय शाह Uदनांक : १-५-२०१५

3

अनुhम (१)

ग़ज़ल का

व\प

(२)

Uह%द1-गुजराती जैसी भाषाओं के <लए ग़ज़ल के छं दशा

(३)

५ ८

कJ आव=यकता

प यभार आधा रत प त से

११

ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध (४)

संगीत के ताल के आधार से

२३

ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध का प यभार (५)

प यभार आधा रत प त से छं द-रचना

३३

(६)

ग़ज़ल के ३० +च<लत छं द और

३७

प यभार आधा रत प त से छं द-रचना (७)

ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल का सम%वय

५२

(८)

ग़ज़ल के छं दR पर आधा रत

९६

:फ़Lमी और ग़ैर:फ़Lमी गीत-ग़ज़ल कJ सू?च

4

(१) ग़ज़ल का ग़ज़ल को काTय के सभी +कार मP उdच

व\प थान पर रखा जा सकता है । कहते हN :क

ग़ज़ल तो मह:फ़ल कJ जान है । :कसी एक नि=चत छं द (बहर) मP एक जैसे रद1फ़ और का:फ़ये वाले शेरR के समुह कJ रचना से एक ग़ज़ल कJ रचना होती है । एक ह1 ग़ज़ल के अलग-अलग शेर मP अलग-अलग IवषयR को पसंद :कया जा सकता है । एक ह1 ग़ज़ल के अलग-अलग शेर का अपना अलग अि तEव होता है और हरे क शेर अपने आप मP संपूणO होता है । एक ह1 ग़ज़ल के दो शेर एक-दस ू रे से संबं?धत नह1ं होते। एक-दस ू रे से संबं?धत दो पंिkतयR (<मसरR) को <मला कर एक शेर बनता है :क िजसकJ पहल1 पंिkत को उला <मसरा और दस ू र1 पंिkत को सानी <मसरा कहते हN। एक ग़ज़ल मP कम से कम पांच और िज़यादा से िज़यादा mयारह शेर होने चाUहए, मगर mयारह से िज़यादा शेरR कJ ग़ज़लP भी पाई जाती हN। ग़ज़ल का पहला शेर :क िजसकJ दोनR पंिkतयR मP रद1फ़ (अनु+ास) और का:फ़ये (+ास) का +योग हुआ हो, उसे ग़ज़ल का मतला कहते हN। एक ह1 ग़ज़ल मP एक से िज़यादा मतले कहे जा सकते हN। मतला के अलावा बाक़J के शेरR मP <सफ़O दस ू र1 पंिkत मP ह1 रद1फ़ और का:फ़ये को नभाना ज़\र1 है । ग़ज़ल के हरे क शेर कJ दस ू र1 पंिkत के अंत मP (मतले कJ दोनR पंिkत के अंत मP ) रद1फ़ का +योग होता है और रद1फ़ से पहले का:फ़ये का +योग :कया जाता है । ग़ज़ल का अं तम शेर :क िजसमP शायर ने अपने नाम या उपनाम (तख़Lलुस) का +योग :कया हो, उसे ग़ज़ल का मक़ता कहते हN। ग़ज़ल के अं तम शेर मP शायर ने अपने नाम या उपनाम का +योग न :कया हो तो उसे ग़ज़ल का मक़ता न कहते हुए ग़ज़ल का अं तम शेर ह1 कहना चाUहए। यहां पर शायर राम+काश गोयल कJ एक ग़ज़ल + तुत है । सo हम से ज़रा नह1ं होता उनका वादा वफ़ा नह1ं होता pयार जqबा है और जqबे का यार कोई <सला नह1ं होता मरने जीने पे इिrतयार नह1ं कोई इ%सां ख़द ु ा नह1ं होता उसकJ रहमत के इतने है एहसां क़ज़O िजनका अदा नह1ं होता

5

फ़ा<सले :फर भी Uदल मP रहते हN जब कोई फ़ा<सला नह1ं होता यूं मेरे Uदल मP बस गया है वो अब नज़र से जुदा नह1ं होता मंिज़लP उस तरफ़ भी होती हN िजस तरफ़ रासता नह1ं होता (छं द : गालगागा लगालगा गागा) उपरोkत ग़ज़ल के रद1फ़ और का:फ़ये इस +कार हN। रद1फ़ : नह1ं होता। (जो हरे क शेर के अंत मP सामा%य है ।) का:फ़ये : ज़रा, वफ़ा, <सला, ख़द ु ा, अदा, फ़ा<सला, जुदा, रासता। (जो हरे क शेर मP रद1फ़ से पहले आते हN और सब के उdचार का अंत एक जैसा है ।) उपरोkत ग़ज़ल का पहला शेर :क िजसमP दोनR पंिkत मP रद1फ़ और का:फ़ये का +योग हुआ है वो ग़ज़ल का मतला कहलाएगा तथा ग़ज़ल का अं तम शेर :क िजसमP शायर ने अपने नाम या उपनाम का +योग नह1ं :कया है वो ग़ज़ल का मक़ता न कहलाते हुए ग़ज़ल का अं तम शेर ह1 कहलाएगा। ग़ज़ल कJ रचना मP रद1फ़ अ नवायO नह1ं है मगर का:फ़ये अ नवायO है । का:फ़ये के [बना ग़ज़ल नह1ं बन सकती। [बना रद1फ़ कJ ग़ज़ल मP मतले कJ दोनR पंिkत के अंत मP और बाक़J के शेरR कJ दस ू र1 पंिkत के अंत मP का:फ़ये का +योग होता है । यहां पर शायर ‘अरशद’ मीनानगर1 कJ एक ग़ज़ल + तुत है :क िजसमP रद1फ़ का +योग हुआ नह1ं है । ये ख़श ु रं ग चेहरा शगुtता कंवल महकता सरापा मुर सा ग़ज़ल मुहuबत का पैकर सुलूक-ए-शजर :क पEथर के बदले मP दे ता है फल अगर सरफ़राज़ी कJ है आरज़ू तो पहले तू अपनी अना से नकल जो है आज का काम कर आज ह1 <मलेगा नह1ं तुझको ये आज कल

6

मुझे रोक लेना तो मुम:कन नह1ं अगर ज़फ़O है मुझसे आगे नकल अंधेरे तो ‘अरशद’ फ़रे बी नह1ं मगर इस नयी रोशनी मP संभल (छं द : लगागा लगागा लगागा लगा) उपरोkत ग़ज़ल के का:फ़ये इस +कार हN। का:फ़ये : कंवल, ग़ज़ल, फल, नकल, कल, संभल। उपरोkत ग़ज़ल का पहला शेर मतला कहलाएगा kयR:क उसकJ दोनR पंिkत मP का:फ़ये का +योग हुआ है और अं तम शेर मक़ता कहलाएगा kयR:क उसमP शायर ने अपने तख़Lलुस (नाम या उपनाम) का +योग :कया है ।

***

7

(२) Uह%द1-गुजराती जैसी भाषाओं के <लए ग़ज़ल के छं दशा

कJ आव=यकता

शेर, मतला, मक़ता, रद1फ़ और का:फ़ये के बारे मP चचाO के बाद अब हम ग़ज़ल का महEव का अंग ग़ज़ल के छं दR कJ चचाO करP गे। ग़ज़ल के छं दशा

कJ रचना सब से पहले

ख़ल1ल इuत अहमद बसर1 ने अरबी भाषा मP कJ, िजसे अ\ज़ कहते हN। अरबी, फ़ारसी और उदO ू भाषा कJ <लIप Uह%द1 और गुजराती जैसी भाषा कJ <लIप से <भ%न होने कJ वजह से अ\ज़ के नयमR के आधार पर Uह%द1-गुजराती जैसी भाषा मP छं द-रचना करना असंभव है । खास तौर से अ\ज़ मP छं द-रचना के <लए िज़हाफ़ कJ +:hया (मूल सं?ध को खंxडत करके नयी सं?ध +ाpत करने कJ +:hया) Uह%द1-गुजराती जैसी भाषा मP असंभव है । इस<लए अ\ज़ मP दशाOए गए ग़ज़ल के छं दR को लघु-गुf \प मP प रव तOत करके Uह%द1-गुजराती

जैसी भाषा

मP दशाOया जाता है :क िजसमP लघुअ^र के <लए ल संzा का और गुfअ^र के <लए गा संzा का +योग :कया जाता है । इस तरह अ\ज़ मP दशाOए गए ग़ज़ल के छं दR को लघु-गुf माप मP समझ कर ग़ज़ल कJ रचना करने मP कोई अड़चन नह1ं होती, :फर भी Uह%द1-गुजराती भाषा ने ग़ज़ल को अपने काTय-+कार मP अ तमहEव का

थान Uदया है , इस<लए Uह%द1-

गुजराती जैसी भाषा के <लए अलग से ऐसे ग़ज़ल के छं दशा

कJ आव=यकता रहती है िजसे

Uह%द1-गुजराती जैसी भाषा का ग़ज़ल का छं दशा

कह सकP और िजसमP छं द-रचना Uह%द1-

गुजराती जैसी भाषा कJ <लIप के अनु\प हो। अब अ\ज़ के अSयास के दर<मयान कुछ +=न नfEतर रहे हN जो यहां पर + तुत कर रहा हूं। (१) अ\ज़ मP मूल सं?ध (िजसे fकन या अरकान कहते हN।) मP कुल आठ सं?ध का समावेश :कया गया है जो इस +कार है । १

मुतक़ा रब

फ़ऊलुन

लगागा



मुतदा रक

फ़ाइलुन

गालगा



हज़ज

मफ़ाईलुन

लगागागा



रमल

फ़ाइलातुन

गालगागा



रजज़

मु तफ़इलुन

गागालगा



का<मल

मुतफ़ाइलुन

ललगालगा



वा:फ़र

मफ़ाइलतुन

लगाललगा



मु|तिज़ब

मफ़् ऊलात

गागागाल

8

उपरोkत आठ सं?ध मP से पहल1 दो सं?ध ५ मा ा कJ (पंचकल सं?ध) है और बाक़J कJ छह सं?ध ७ मा ा कJ (सpतकल सं?ध) है । ग़ज़ल के छं दR मP लगालगा और ललगागा जैसी ६ मा ा कJ (ष}कल सं?ध) का भी +योग होता है तो :फर उसे मूल सं?ध मP

थान न दे कर

िज़हाफ़ कJ +:hया से +ाpत करने का +योजन kया है यह समझना मुि=कल है । (२)

लगालगा सं?ध िज़हाफ़ कJ +:hया से +ाpत कJ जाती है । लगागागा (हज़ज) और गागालगा (रजज़) इन दोनR मूल सं?ध मP से िज़हाफ़ कJ +:hया से (मूल सं?ध को खंxडत करने से) लगालगा सं?ध को +ाpत :कया जा सकता है । अब इन दोनR मP से :कसके खंxडत व\प को आधार समझP? जैसे ग•णत मP एक +=न का जवाब एक से िज़यादा तर1क़े से +ाpत कर सकते हN वैसे ह1 लगालगा सं?ध भी एक से िज़यादा तर1क़े से +ाpत कर सकते हN ऐसा मान लेने पर भी लगालगा सं?ध िज़हाफ़ कJ +:hया से +ाpत करने के बजाय इसका मूल सं?ध मP समावेश kयंू नह1ं :कया गया यह मुQय +=न है ।

(३)

अ\ज़ मP कुल १९ अखंxडत मूलभूत छं दR (बहरR) का

वीकार

:कया गया है और इसे िज़हाफ़ कJ +:hया से खंxडत करने से और भी बहुत सारे छं द (बहर) +ाpत :कये जा सकते हN। इस १९ मूलभूत अखंxडत छं दR मP से एक छं द है मद1द छं द :क िजसकJ सं?ध अ\ज़ मP ‘गालगागा गालगा गालगागा गालगा’ दशाOई गई है और इस छं द कJ रचना को गालगागा (रमल) और गालगा (मुतदा रक) का अखंxडत <म?aत

व\प बताया गया है । अब एक और छं द ‘ललगाल गालगागा

ललगाल गालगागा’ है :क िजसको अ\ज़ मP

रमल छं द (गालगागा) के

खंxडत गणR के योग से रचा हुआ बताया गया है । अब इस छं द कJ सं?ध अलग तर1क़े से दशाOता हूं, ‘ललगालगा लगागा ललगालगा लगागा’। इस तर1क़े से दे खा जाए तो यह छं द ललगालगा (का<मल) और लगागा (मुतक़ा रब) का अखंxडत <म?aत

व\प है तो :फर इस

छं द का २० वीं मूलभूत अखंxडत बहर (छं द) के \प मP

वीकार करने

के बजाय इसे रमल छं द के खंxडत गणR से +ाpत करने का kया +योजन है यह समझना मुि=कल है ।

9

सामा%य तौर पर अfज़ के छं दR को लघु-गुf माप मP प रव तOत करके ह1 दशाOया जाता है मगर मNने ग़ज़ल के छं दR कJ रचना ले <लए अfज़ से अलग एक नयी प यभार आधा रत प त का संशोधन :कया है , जो Uह%द1-गुजराती जैसी <लIपवाल1 भाषा के अनु\प है और मुझे यह a ा है :क उदO ू जैसी भाषा मP भी ग़ज़ल के छं दR कJ रचना को समझने के <लए मेर1 यह प यभार आधा रत प त िज़यादा सरल सा[बत होगी। इस पु तक मP मN अपनी उसी प यभार आधा रत प त से ग़ज़ल के छं दR कJ रचना को समझाने का +यास क\ंगा (:कसी रचना के पठन या गायन मP कुछ जगह पर Iवशेष ठनकार या आघात का अनुभव :कया जा सकता है , उस Iवशेष ठनकार या आघात को प यभार कहते हN।) तथा ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल के सम%वय के Iवषय पर मेरा जो संशोधन है उसे भी इस पु तक मP + तुत कर रहा हूं।

***

10

(३) प यभार आधा रत प त से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध उपलuध सजOनR का अवलोकन करने के बाद नयमR को तार कर शा जाती है और :फर उस शा

कJ रचना कJ

के आधार पर नये सजOन :कये जाते हN। ग़ैर-:फ़Lमी और

:फ़Lमी ग़ज़ल के अलावा :फ़Lमी गानR मP भी ग़ज़ल के छं दR का अdछा +योग हुआ है । तक़र1बन ् २००० से अ?धक :फ़Lमी गानR का अSयास करने पर ५०० से अ?धक गाने (:फ़Lमी गीत और ग़ज़ल दोनR को <मला कर) ऐसे <मले :क िजसमP ग़ज़ल के छं दR का +योग हुआ हो और पूरा गाना एक ह1 छं द मP हो। िजस गाने मP एक से अ?धक छं दR का +योग हुआ हो उसे ?गनती मP <लया नह1ं है । इसके अलावा ५०० से अ?धक ग़ैर-:फ़Lमी रचनाओं का भी ग़ज़ल के छं दR के अनुसार वग€करण :कया है । इतने गीत-ग़ज़ल के अSयास करने पर ४० से अ?धक छं द +ाpत हुए िजसमP से ३० छं दR कJ रचना को मN अपनी प यभार आधा रत प त से समझाने कJ को<शश कfं गा। मेरे अSयास कJ ९५% से अ?धक रचनाएं इन ३० छं दR मP ह1 है । ग़ज़ल के छं दR के मेरे अब तक के अSयास के दर<मयान कुछ तारण नकले हN उसे + तुत करता हूं। (१) ल = लघुअ^र = १ मा ाकाल मP उdचारण

गा = गुfअ^र = २ मा ाकाल मP उdचारण (२) लघु-गुf अ^रR कJ ?गनती मP (अ^रR का लघु-गुf वज़न मापने मP ) अ^र ƒ व वरयुkत है या द1घO

वरयुkत है इसके बजाय अ^र के उdचारण समय को ह1 ]यान

मP <लया जाएगा। जैसे :क ‘कIवता’ शuद का वज़न ललगा होता है मगर ग़ज़ल के छं दR मP उdचारण समय के आधार पर उसे ललगा (क-Iव-ता) और लगागा (क-वी-ता) दोनR वज़न मP +योग मP ले सकते हN। (३) ग़ज़ल के छं दR मP एक गुfअ^र के

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघअ ु ^रR का

+योग :कया जा सकता है मगर एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघअ ु ^रR का

+योग विजOत है । जैसे :क ‘ग़ज़ल’ शuद का वज़न लगा (ग़-ज़ल) ह1 होता है , मगर ‘कIवता’ शuद का गागा वज़न मP (कIव-ता) +योग नह1ं कर सकते।

11

ग़ज़ल के छं दR मP जहां दो लघअ ु ^रR का +योग हो वहां दो +योग करना होगा, दो

पYट लघअ ु ^रR के

पYट लघअ ु ^रR का ह1

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघअ ु ^रR

का +योग या एक गुfअ^र का +योग विजOत है । जैसे :क ललगा वज़न मP ‘कIवता’ शuद का +योग कर सकते हN, मगर ‘परदा’ शuद का +योग ललगा वज़न मP (प-र-दा) नह1ं कर सकते kयR:क ‘परदा’ शuद का वज़न गागा (पर-दा) ह1 होता है । (४) ग़ज़ल के छं दR मP एकसाथ दो से अ?धक

पYट लघुअ^रR का +योग नह1ं होता। ग़ज़ल

के +च<लत होने मP एक वजह ग़ज़ल के छं दR कJ +वाUहता भी है । एकसाथ दो से अ?धक पYट लघुअ^रR का +योग छं द कJ +वाUहता को कम कर दे ता है । (५) <सफ़O गुfअ^र के +योगवाले छं दR मP एक गुfअ^र के के <सवा) दो

थान पर (प यभारवाले गुfअ^र

पYट लघुअ^रR का भी +योग करने कJ छूट है , मगर इस छूट को इस

तरह से नभाना होगा :क दो से अ?धक एकसाथ एक ह1 गुfअ^र के एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग कर सकते हN।

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघुअ^रR के +योग के <लए यह

नयम बाधक नह1ं है । िज़यादातर दो से पहलेवाले या बादवाले गुfअ^र के (६) ग़ज़ल के छं दशा

पYट लघुअ^र एकसाथ न आएं या न :क

पYट लघुअ^रR का +योग प यभारवाले गुfअ^र थान पर ह1 :कया जाता है ।

के अनुसार पंिkत (<मसरा) के अंत मP आनेवाले लघुअ^र को वज़न

मP अलग से न ?गनते हुए उसे उससे पहलेवाले गुfअ^र मP ह1 समाIवYट कर Uदया जाता है और उस लघुअ^र को उसी गुfअ^र के साथ संयुkत तर1क़े से ह1 उdचारा जाता है । (७) ग़ज़ल के छं दR कJ रचना कJ मेर1 प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सभी सं?ध का अंEया^र गुfअ^र ह1 होगा।

ग़ज़ल के छं द लगाEमक \पवाले मा ामेल छं द (मा[ क छं द) है :क िजसमP लघु-गुf का वज़न मापने के <लए ]व नमेल का सहारा <लया जाता है । हमारे भारतीय मा ामेल छं दR मP एक गुfअ^र के दो

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघुअ^रR का भी +योग कर सकते हN और

पYट लघुअ^रR का भी +योग कर सकते हN तथा दो लघुअ^रR के

थान पर दो

पYट

लघुअ^रR का भी +योग कर सकते हN और दो संयुkत उdचारवाले लघअ ु ^रR का भी +योग कर सकते हN। यह1ं पर ग़ज़ल के छं द हमारे मा ामेल छं द से अलग Uदखाई दे ते हN। हमारे मा ामेल छं द मP पंिkत के अंत मP आनेवाले लघुअ^र को गुfअ^र ?गनने कJ वजह से भी ग़ज़ल के छं द हमारे मा ामेल छं द से अलग Uदखाई दे ते हN। मा ामेल छं दR का संगीत के ताल के साथ सीधा संबंध है । मेर1 प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ ग़ज़ल के छं दR मP

12

पंचकल, ष}कल, सpतकल और अYटकल सं?ध +युkत होती है :क िजसका प यभार संगीत के ताल के आधार से नि=चत :कया जा सकता है । लघअ ु ^र कJ १ मा ा और गुfअ^र कJ २ मा ा ?गनने पर पंचकल सं?ध कJ ५ मा ा, ष}कल सं?ध कJ ६ मा ा, सpतकल सं?ध कJ ७ मा ा और अYटकल सं?ध कJ ८ मा ा होती है । पंचकल सं?ध के <लए १० मा ा के झपताल का +योग, ष}कल सं?ध के <लए ६ मा ा के ताल दादरा का +योग, सpतकल सं?ध के <लए ७ मा ा के ताल \पक या १४ मा ा के ताल द1पच%द1 का +योग और अYटकल सं?ध के <लए ८ मा ा के ताल कहरवा का +योग करने से अलग-अलग सं?ध के प यभार नि=चत :कये जा सकते हN। मेर1 प यभार आधा रत प त से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध कJ सू?च + तुत है :क िजसमP हरे क सं?ध का अंEया^र गुfअ^र होगा। हरे क सं?ध मP प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया है । सं?ध

सं?ध

hमांक

सं?ध का

सं?ध कJ

+कार

कुल मा ा

०१

लगागा

पंचकल

१+२+२=५

०२

गालगा

पंचकल

२+१+२=५

०३

लगालगा

ष}कल

१+२+१+२=६

०४

ललगागा

ष}कल

१+१+२+२=६

०५

गाललगा

ष}कल

२+१+१+२=६

०६

लगागागा

सpतकल

१+२+२+२=७

०७

गालगागा

सpतकल

२+१+२+२=७

०८

गागालगा

सpतकल

२+२+१+२=७

०९

ललगालगा

सpतकल

१+१+२+१+२=७

१०

लगाललगा

सpतकल

१+२+१+१+२=७

११

गागागागा

अYटकल

२+२+२+२=८

१२

लगालगागा

अYटकल

१+२+१+२+२=८

१३

ललगागागा

अYटकल

१+१+२+२+२=८

१४

गाललगागा

अYटकल

२+१+१+२+२=८

१५

गागाललगा

अYटकल

२+२+१+१+२=८

१६

ललगाललगा

अYटकल

१+१+२+१+१+२=८

१७

गालगालगा

अYटकल

२+१+२+१+२=८

या

या

लगालगा

गागागागा

13

उपरोkत सं?ध मP से लगाललगा सं?ध लगागागा सं?ध का ह1 है ) और ललगालगा सं?ध गागालगा सं?ध का ह1

व\प है (+चार मP नह1ं

व\प है । गाललगा सं?ध के आव तOत

व\प

के छं द +चार मP नह1ं है , मगर इसका +योग लगालगा सं?ध के साथ <मa \प मP हुआ है तथा ललगागा और गालगागा सं?ध के आव तOत व\प के छं दR मP अखंxडत के बजाय खंxडत +कार ह1 +च<लत हN। सं?ध hमांक १ से १० के +योग मP एक गf ु अ^र के लघुअ^रR का +योग कर सकते हN, मगर एक गुfअ^र के

थान पर संयुkत उdचारवाले दो थान पर दो

+योग विजOत है तथा जहां दो लघुअ^रR का +योग हो वहां पर दो +योग करना ज़\र1 है , दो लघुअ^रR के

पYट लघुअ^रR का

पYट लघुअ^रR का ह1

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघुअ^रR का

+योग या एक गुfअ^र का +योग विजOत है । सं?ध hमांक ११ से १७ अYटकल सं?ध हN और सं?ध hमांक १२ से १७ (लगालगागा, ललगागागा, गाललगागा, गागाललगा, ललगाललगा और गालगालगा) सं?ध hमांक ११ गागागागा के ह1

व\प हN। <सफ़O गुfअ^र के +योगवाले छं दR मP अYटकल सं?ध का ह1 +योग

होता है और ऐसे छं दR मP एक गुfअ^र के

थान पर (प यभारवाले गुfअ^र के <सवा) दो

पYट लघुअ^रR का +योग करने कJ छूट इस तरह ले सकते हN :क दो से अ?धक

पYट

लघुअ^र एकसाथ न आएं। इस वजह से सं?ध hमांक १३ से १७ िज़यादातर गागागागा सं?ध के IवकLप के \प मP ह1 +युkत होती Uदखाई द1 हN, जब :क सं?ध hमांक १२ लगालगागा (जो गागागागा सं?ध का ह1 \प है ।) के आव तOत

व\प के छं द +चार मP हN। सं?ध hमांक १३

से १७ मP से :कसी एक सं?ध के आव तOत \प मP ह1 पूर1 रचना हो ऐसी रचना का <मलना बहुत ह1 मुि=कल है । गागागागा सं?ध के आव तOत व\प के छं दR मP गागागागा सं?ध के IवकLप के \प मP गाललगागा का +योग तथा गागागागा सं?ध के IवकLप के \प मP ललगागागा, गागाललगा और ललगाललगा का +योग Uदखाई दे ता है । कभी-कभी गागागागा सं?ध के

थान पर लगालगागा सं?ध का +योग और गागागागा सं?ध के

थान पर

गालगालगा सं?ध का +योग भी Uदखाई Uदया है । िज़यादातर गागागागा सं?ध मP दो लघुअ^रR का +योग प यभारवाले गुfअ^र से पहलेवाले या बादवाले गुfअ^र के ह1 :कया जाता है । इस Uहसाब से गागागागा सं?ध के आव तOत सं?ध के अलावा बाक़J कJ सं?ध के

पYट

थान पर

व\पवाले छं दR मP अं तम

थान पर गागागालल या गाललगालल या गागालगाल का

+योग भी Uदखाई दे ता है । गागागालल, गाललगालल और गागालगाल सं?ध का अंEया^र गुfअ^र न होने के कारन इनका समावेश ग़ज़ल मP +युkत सं?ध कJ सू?च मP :कया नह1ं है । िजस तरह सं?ध hमांक १३ से १७ मP से :कसी एक सं?ध के आव तOत

व\प के छं द मP

पूर1 रचना हो ऐसी रचना का <मलना मुि=कल है , उसी तरह गागागागा सं?ध के आव तOत व\पवाले छं द कJ रचना मP :कसी भी गुfअ^र के

14

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग

न हुआ हो या न :क सभी गुfअ^रR के थान पर गुfअ^र का या संयुkत उdचारवाले दो लघअ ु ^रR का ह1 +योग हुआ हो ऐसी रचना का <मलना भी बहुत ह1 मुि=कल है । इतनी चचाO से यह नYकषO नकाल सकते हN :क सं?ध hमांक १ से १७ मP से सं?ध hमांक १ से १२ को मुQय सं?ध समझना चाUहए :क िजसके आव तOत

व\प कJ रचना पाई जाती है तथा सं?ध

hमांक १३ से १७ को गौण सं?ध समझना चाUहए :क िजसका +योग िज़यादातर गागागागा सं?ध के IवकLप के \प मP ह1 होता है । गागागालल, गाललगालल और गागालगाल सं?ध को भी गौण सं?ध ह1 समझना चाUहए :क िजसका समावेश सं?ध hमांक १ से १७ मP नह1ं :कया गया है और िजसका +योग गागागागा सं?ध के IवकLप के \प मP ह1 होता है । यहां पर :फLम ‘सहे ल1’ का मुकेशजी का गाया हुआ एक गीत :क िजसमP ग़ज़ल के छं द का ह1 +योग हुआ है उसका छं द के मुता[बक़ Iववरण + तुत है । इसके अSयास से उपरोkत बातP अdछ… तरह से समझी जा सकती हN। जहां पर एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग :कया गया है उसे अलग लाइन मP दशाOया है । गा

गा

गा

िजस Uदल मP

गा

सा

गा

था

गा

pया र

ब बद

ना



या



गा

गा

रा

उस

गा

हो

ने

दP

गे

त ुम





झे

ते

ना

रा

हR

मP

गे

सम

झP

दर

पे

गर

<मल जा



गे

सो

चP

कौ



†हा रे

जा

ती

थीं

ने

दो



गे गे

उन

रा

हR

सी

के

हो

ते

हN

को

हम

ले

सू

भी

हम पर को

या

ना छो ड़

या

Uद †हP

चा हा

ह1

ह1ं

न †हP

दे

खा ह1

ह1ं

न हम

ने

मो



या

Uद

को या

ई आं



गा

Uद

को

:क अप

का तो

तु

तु हम

गा गा

तु

अ जो

गा

ह1

क रा

गा



तु भी

गा

Uदल को भी

ते

न जब

गा



रे

गा kयूं

रे

गा kयंू

क ई

बर बा

द क

उस

मां

झी को

ह1

ला

हम से

?ग

मझ धा

र मP

15

िजस ने

छो ड़ Uद

या

इस गीत के Iववरण से यह समझा जा सकता है :क इस गीत मP गागागागा सं?ध के थान पर गागाललगा, ललगाललगा और ललगागागा सं?ध भी +युkत हुई है । :फLम ‘आवारा’ का मुकेशजी का गाया हुआ गीत ‘हम तुझसे मुहuबत करके सनम रोते भी रहे हं सते भी रहे ’ मP गीत कJ सभी पंिkत मP गागाललगा सं?ध के ४ आवतOनR का +योग हुआ है इस<लए गीत का छं द ‘गागाललगा गागाललगा गागाललगा गागाललगा’ भी कह सकते हN और ‘गागागागा गागागागा गागागागा गागागागा’ भी कह सकते हN। अगर पूरे गीत मP गागाललगा कJ एक भी सं?ध के तीन मP से एक भी गुfअ^र के

थान पर दो

पYट

लघुअ^रR का +योग हुआ होता तो इसका छं द ‘गागागागा गागागागा गागागागा गागागागा’ ह1 कहलाता।

***

16

: प र<शYट : सामा%य तौर पर ƒ व और द1घO

वर और ƒ व

वरयुkत Tयंजन को लघुअ^र तथा द1घO

वर

वरयुkत Tयंजन को गुfअ^र कहा जाता है । लघुअ^र का उdचारण-समय एक

मा ाकाल और गुfअ^र का उdचारण-समय दो मा ाकाल माना जाता है । या न लघुअ^र के उdचारण-समय के मुक़ाबले गुfअ^र को दो गुना उdचारण-समय लगता है । ƒ व

वर : अ, इ, उ, ऋ।

द1घO

वर : आ, ई ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:। ग़ज़ल बोलचाल कJ भाषा मP कह1 जाती है इस<लए ग़ज़ल के छं दR मP पंिkत (<मसरा)

का वज़न मापने के <लए अ^र ƒ व

वरयुkत है या द1घO

वरयुkत है यह दे खने के बजाय

अ^र के उdचारण-समय को ह1 ]यान मP <लया जाता है । संयुkता^र मP आधे अ^र को उसके बादवाले अ^र के साथ जोड़ कर <लखा जाता है , मगर उdचारण मP वो उससे पहलेवाले अ^र के साथ संयुkत\प से उdचारा जाता हो तो वो पहलेवाला अ^र लघअ ु ^र होते हुए भी आधे अ^र के साथ <मल कर गुfअ^र हो जाएगा। जैसे :क ‘संयुkत’ शuद का ह1 उदाहरण लेते हN। ‘संयुkत’ शuद मP ‘क’ आधा अ^र है जो उसके बादवाले अ^र ‘त’ के साथ जोड़ कर <लखा जाता है मगर उस आधे ‘क’ का उdचार उससे पहलेवाले अ^र ‘यु’ के साथ संयुkत\प से होने के कारन ‘यु’ लघुअ^र होते हुए भी उस आधे ‘क’ से <मल कर गुfअ^र हो जाएगा। इस बात को सरलता से समझने के <लए मN ‘संयुkत’ शuद कJ सं?ध को अलग करके दशाOता हूं। सं + युक् + त = संयुkत इससे यह समझा जा सकता है :क ‘संयुkत’ शuद का वज़न गालगा नह1ं हो सकता बिLक गागाल ह1 होता है । :कसी शuद का अंत अ पहला अ^र

वरयुkत Tयंजन से होता हो और उसके बादवाले शuद का

वर हो तो लघु-गुf अ^र का वज़न मापने मP दोनR को संयुkत\प से उdचारा

जा सकता है । इसके कुछ उदाहरण + तुत है ।

17

(१)

‘तुम को दे खा तो ये ख़याल आया’ ग़ज़ल मP गा



गा गा

तुम को

दे



खा तो

गा ल गा ये

गा

गा

ख़ या ल+आ या = ला

तुम को दे खा तो ये ख़याल आया = तुम को दे खा तो ये ख़यालाया (२)

‘कभी यूं भी आ मेर1 आंख मP :क मेर1 नज़र को ख़बर न हो’ ग़ज़ल मP ल ल गा ल गा ल ल गा ल गा ल ल मु

झे





रा





वा



दे





गा

ल गा ल ल गा ल गा

र+उस

के

बा





हर



हो

= fस

मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उस के बाद सहर न हो = मुझे एक रात नवाज़ दे मगfस के बाद सहर न हो (३)

‘ऐ Uदल मुझे ऐसी जगह ले चल जहां कोई न हो’ ग़ज़ल मP गा

गा ल

गा

गा गा ल गा

चल ना है

सब

से

दू



दू

गा

गा ल गा गा गा ल गा

र+अब का



वां को





हो

= रब चलना है सब से दरू दरू अब कारवां कोई न हो = चलना है सब से दरू दरू ब कारवां कोई न हो

अब लघु-गुf अ^र से संबं?धत कुछ माUहती + तुत करता हूं। (१)

सभी एका^र1 शuदR को और +Eयय को गुfअ^र होते हुए भी लघुअ^र के \प मP +योग :कया जा सकता है । तू, मN, मP , ये, वो, है , हो, ह1, भी, जो, तो, या, पे, सो, से, यूं, के, का, कJ इEयाUद।

(२)

लगा वज़न के शuद जो लल वज़न मP भी +युkत हो सकते हN। मुझ,े तुझ,े उसे, उसी, िजसे, :कसे, :कसी, कभी, अभी, तभी, कह1ं, कहां, वह1ं, वहां, यह1ं, यहां इEयाUद।

(३)

गागा वज़न के शuद जो लगा, गाल और लल तीनR वज़न मP +युkत हो सकते हN। मेरा, तेरा, मेर1, तेर1, मेरे, तेरे इEयाUद।

18

ग़ज़ल के छं द लगाEमक \पवाले मा ामेल छं द (मा[ क छं द) है :क िजसमP लघु-गुf का वज़न मापने के <लए ]व नमेल का सहारा <लया जाता है । हमारे भारतीय मा ामेल छं दR मP एक गुfअ^र के दो

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघअ ु ^रR का भी +योग कर सकते हN और

पYट लघअ ु ^रR का भी +योग कर सकते हN तथा दो लघअ ु ^रR के

थान पर दो

पYट

लघअ ु ^रR का भी +योग कर सकते हN और दो संयुkत उdचारवाले लघअ ु ^रR का भी +योग कर सकते हN। यह1ं पर ग़ज़ल के छं द हमारे मा ामेल छं द से अलग Uदखाई दे ते हN। ग़ज़ल के छं दR मP एक गुfअ^र के

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघअ ु ^रR का +योग :कया जा

सकता है मगर एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघअ ु ^रR का +योग विजOत है तथा

ग़ज़ल के छं दR मP जहां दो लघुअ^रR का +योग हो वहां दो करना होगा, दो

पYट लघुअ^रR के

पYट लघुअ^रR का ह1 +योग

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघुअ^रR का +योग

या एक गुfअ^र का +योग विजOत है । <सफ़O गुfअ^र के +योगवाले छं दR मP एक गुfअ^र के थान पर (प यभारवाले गुfअ^र के <सवा) दो

पYट लघुअ^रR का भी +योग करने कJ छूट

है , मगर इस छूट को इस तरह से नभाना होगा :क दो से अ?धक

पYट लघुअ^र एकसाथ

न आएं। हमारे मा ामेल छं द मP पंिkत के अंत मP आनेवाले लघुअ^र को गुfअ^र ?गनने कJ वजह से भी ग़ज़ल के छं द हमारे मा ामेल छं द से अलग Uदखाई दे ते हN। ग़ज़ल के छं दशा के अनुसार पंिkत (<मसरा) के अंत मP आनेवाले लघअ ु ^र को वज़न मP अलग से न ?गनते हुए उसे उससे पहलेवाले गुfअ^र मP ह1 समाIवYट कर Uदया जाता है और उस लघअ ु ^र को उसी गुfअ^र के साथ संयुkत तर1क़े से ह1 उdचारा जाता है । यहां पर :फर से मेर1 प यभार आधा रत प त से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत होनेवाल1 सं?ध कJ सू?च + तुत करता हूं और :फर से इस बात का िज़h करता हूं :क सू?च मP हरे क सं?ध के प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया है । सं?ध

सं?ध

hमांक

सं?ध का

सं?ध कJ

+कार

कुल मा ा

०१

लगागा

पंचकल

१+२+२=५

०२

गालगा

पंचकल

२+१+२=५

०३

लगालगा

ष}कल

१+२+१+२=६

०४

ललगागा

ष}कल

१+१+२+२=६

०५

गाललगा

ष}कल

२+१+१+२=६

०६

लगागागा

सpतकल

१+२+२+२=७

या

लगालगा

19

०७

गालगागा

सpतकल

२+१+२+२=७

०८

गागालगा

सpतकल

२+२+१+२=७

०९

ललगालगा

सpतकल

१+१+२+१+२=७

१०

लगाललगा

सpतकल

१+२+१+१+२=७

११

गागागागा

अYटकल

२+२+२+२=८

१२

लगालगागा

अYटकल

१+२+१+२+२=८

१३

ललगागागा

अYटकल

१+१+२+२+२=८

१४

गाललगागा

अYटकल

२+१+१+२+२=८

१५

गागाललगा

अYटकल

२+२+१+१+२=८

१६

ललगाललगा

अYटकल

१+१+२+१+१+२=८

१७

गालगालगा

अYटकल

२+१+२+१+२=८

या

गागागागा

उपरोkत सू?च मP सभी सं?ध का अंEया^र गुfअ^र ह1 है । सभी +च<लत छं दR मP इसी का +योग Uदखाई दे ता है । आनेवाले समय मP अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध का भी समावेश :कया जा सकता है और मN इस IवकLप को खल ु ा रखता हूं। अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध कJ सू?च + तुत है । सं?ध

सं?ध

hमांक

सं?ध का

सं?ध कJ

+कार

कुल मा ा

पंचकल

२+२+१=५

ष}कल

२+१+२+१=६

ष}कल

२+२+१+१=६

०१

गागाल

०२

गालगाल

०३

गागालल

०४

गालगालल

सpतकल

२+१+२+१+१=७

०५

गागागाल

सpतकल

२+२+२+१=७

०६

गाललगाल

सpतकल

२+१+१+२+१=७

०७

गागागालल

अYटकल

२+२+२+१+१=८

०८

गाललगालल

अYटकल

२+१+१+२+१+१=८

०९

गागालगाल

अYटकल

२+२+१+२+१=८

या

गालगाल

20

उपरोkत दोनR सू?च मP दो से अ?धक लघुअ^र एकसाथ +युkत नह1ं हुए है और :कसी भी सं?ध मP प यभारवाले गुfअ^र के थान पर दो लघअ ु ^रR का +योग नह1ं हुआ है । एकसाथ दो से अ?धक लघअ ु ^रR का +योग छं द कJ +वाUहता को कम कर दे ता है :फर भी आनेवाले समय मP एकसाथ दो से अ?धक लघअ ु ^रR का +योग +चार मP आ जाए तो ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध कJ सू?च मP और भी सं?ध का समावेश :कया जा सकता है और मN इस IवकLप को भी खल ु ा रखता हूं। अगर सं?ध का अंEया^र गुfअ^र ह1 हो और एकसाथ दो से अ?धक

पYट लघुअ^रR

का +योग न हो, इन दोनR नयमR को छोड़ Uदया जाए तो छं दR मP +युkत सं?ध मP बहुत सी सं?ध का समावेश :कया जा सकता है मगर उन सब मP +वाUहता हो यह ज़\र1 नह1ं है । इस बात को समझने के <लए सभी +कार कJ पंचकल सं?ध (पांच मा ा कJ सं?ध) कJ सू?च + तुत है । सं?ध hमांक

पंचकल सं?ध



लगागा



गालगा



गागाल



लगालल



लललगा



गाललल



ललगाल



ललललल

उपरोkत पंचकल सं?ध कJ सू?च मP पंचकल सं?ध hमांक १, २ और ३ :क िजसमP एक लघुअ^र और दो गुfअ^रR का +योग हुआ है उसके प यभार को हम संगीत के ताल झपताल के आधार पर नि=चत कर सकते हN (दे •खए +करण-४) और इसी के आधार पर अनुhम से पंचकल सं?ध hमांक ४, ५ और ६ का प यभार भी नि=चत :कया जा सकता है । अनुhम से पंचकल सं?ध hमांक १, २ और ३ मP प यभारवाले गुfअ^र के <सवा जो गुfअ^र है उसके

थान पर अनुhम से पंचकल सं?ध hमांक ४, ५ और ६ मP दो लघुअ^रR

का +योग हुआ है । पंचकल सं?ध hमांक ४, ५ और ६ के आधार से पंचकल सं?ध hमांक ७ का भी प यभार नि=चत :कया जा सकता है । पंचकल सं?ध hमांक ८ का प यभार नि=चत करना मुि=कल है kयR:क इसमP पांच लघुअ^रR का ह1 +योग हुआ है और गुfअ^र एक भी नह1ं है । अब मN पंचकल सं?ध कJ उपरोkत सू?च को प यभार के थान को दशाOते हुए :फर से + तुत करता हूं।

21

सं?ध hमांक

पंचकल सं?ध



लगागा



गालगा



गागाल



लगालल



लललगा



गाललल



ललगाल



ललललल

या

ललललल

या

ललललल

या

ललललल

या

ललललल पंचकल सं?ध hमांक १, २ और ३ मP दो गुfअ^रR का और एक लघअ ु ^र का +योग हुआ है :क िजसमP प यभार लघअ ु ^र के बादवाले गुfअ^र पर ि थत है । पंचकल सं?ध hमांक ४, ५, ६, और ७ मP एक गुfअ^र का और तीन लघअ ु ^रR का +योग हुआ है :क िजसमP प यभार सं?ध के एकमा

गुfअ^र पर ि थत है । पंचकल सं?ध hमांक ८ मP पांच

लघुअ^रR का ह1 +योग होने के कारन प यभार कौन से लघुअ^र पर ि थत है यह नि=चत करना मुि=कल है kयR:क प यभार पांच मP से :कसी भी लघुअ^र पर आ सकता है । :फ़ल-हाल ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध का अंEया^र गुfअ^र ह1 हो और एकसाथ दो से अ?धक

पYट लघुअ^रR का +योग न हो, इन दोनR नयमR को बरक़रार रखते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाता हूं।

***

22

(४) संगीत के ताल के आधार से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध का प यभार :कसी भी मा ामेल रचना के पठन या गायन मP कुछ जगह पर Iवशेष ठनकार या आघात का अनुभव :कया जा सकता है , उस Iवशेष ठनकार या आघात को प यभार कहते हN। मा ामेल रचना मP +युkत सं?ध के आधार से नि=चत कालांतर पर प यभार (Iवशेष ठनकार या आघात) कJ पुनराविृ Eत होती रहती है । प यभार (Iवशेष ठनकार या आघात) के

थान के

<लए ताल- थान या ताल शuद का भी +योग होता है , मगर संगीत कJ प रभाषा मP ताल शuद का अलग अथO मP +योग होने के कारन हम प यभार शuद का ह1 +योग करP गे और वह1 िज़यादा उ?चत है । िजस तरह ग़ज़ल-रचना मP +वाUहता के <लए छं द ज़\र1 है उसी तरह संगीत-रचना मP +वाUहता के <लए ताल ज़\र1 है और ग़ज़ल गेय काTय का ह1 +कार है , इस वजह से ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल के बीच मP सीधा संबंध

थाIपत होता है । ग़ज़ल के छं दR मP

+युkत सं?ध का प यभार नि=चत करने के <लए हम संगीत के ताल का ह1 +योग करP गे। ग़ज़ल के छं द मP +युkत सं?ध पंचकल, ष}कल, सpतकल और अYटकल +कार कJ हN, िजसका प यभार नि=चत करने के <लए हम अनुhम से ताल झपताल (१० मा ा), दादरा (६ मा ा), \पक (७ मा ा) या द1पच%द1 (१४ मा ा) और कहरवा (८ मा ा) का +योग करP गे। सब से पहले मN इन चारR ताल का Iववरण + तुत करता हूं।

झपताल : मा ा : १० खंड : ४ (२+३+२+३) ताल1 कJ मा ा : १, ३ और ८ खाल1 कJ मा ा : ६ धी ना धी धी ना ती ना धी धी ना १ ×



३ २





६ ०







१०



23

ताल दादरा : मा ा : ६ खंड : २ (३+३) ताल1 कJ मा ा : १ खाल1 कJ मा ा : ४ धा धी ना धा ती ना १





×









ताल \पक : मा ा : ७ खंड : ३ (३+२+२) ताल1 कJ मा ा : ४ और ६ खाल1 कJ मा ा : १ ती ती ना धी ना धी ना १





×













ताल द1पच%द1 : मा ा : १४ खंड : ४ (३+४+३+४) ताल1 कJ मा ा : १, ४ और ११ खाल1 कJ मा ा : ८ धा धीं १ ×



धा गे तीं -

३ ४ २





ता तीं -

७ ८ ०



धा गे

धीं -

१० ११ १२ १३ १४ ३

24

ताल कहरवा : मा ा : ८ खंड : २ (४+४) ताल1 कJ मा ा : १ खाल1 कJ मा ा : ५ धा गे न ती न क धी न १





×











० ताल के संदभO मP कुछ पा रभाIषक शuदR कJ TयाQया + तुत है ।

सम : :कसी भी ताल कJ पहल1 मा ा को सम कहते हN :क जहां पर पूर1 लय का वज़न आता है । सम :कसी भी ताल कJ पहल1 और सब से िज़यादा वज़नदार मा ा है । सम दशाOने के <लए × ?चŒन का +योग :कया जाता है ।

ताल1 : ताल मP आघात के

थान को ताल1 कहते हN। सम के अलावा ताल1 के

थान को दशाOने के

<लए अंकR का +योग होता है ।

खाल1 : ताल कJ वह Iवषम मा ा :क िजससे ताल का

व\प नधाO रत होता है उसे खाल1 कहते हN।

खाल1 को दशाOने के <लए ० ?चŒन का +योग :कया जाता है । सम, ताल1 और खाल1 कJ उपरोkत TयाQया एक संगीतकार ह1 अdछ… तरह से समझ सकता है । अगर आसान शuदR मP समझा जाए तो :कसी रचना के गायन के दर<मयान aोतागण ताल1 बजा कर साथ दP तो उनकJ ताल1ओं का

थान रचना मP +युkत ताल के हरे क

खंड कJ पहल1 मा ा पर होगा। या न :क aोतागण कJ ताल1ओं का ताल के सम, ताल1 और खाल1 पर होगा। जैसे :क झपताल मP मP aोतागण ताल1 दे कर साथ दP तो उनकJ ताल1ओं का

थान रचना मP +युkत

वरब

हुई रचना के गायन थान झपताल कJ १, ३, ६ और ८

वीं मा ा पर (अनुhम से झपताल के सम, ताल1, खाल1 और ताल1 पर) होगा। हमने ऊपर दे खा :क ताल के हरे क खंड कJ पहल1 मा ा ताल कJ अ%य मा ा से िज़यादा वज़नदार होती है और पहले खंड कJ पहल1 मा ा (सम) अ%य खंड कJ पहल1 मा ा के मुक़ाबले िज़यादा वज़नदार होती है । संगीत के ताल के आधार से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत

25

सं?ध का प यभार नि=चत करते समय ताल मP लघु-गुf अ^रR को इस तरह गूंथना होगा :क लघअ ु ^र कJ १ मा ा और गुfअ^र कJ २ मा ा ?गनते हुए ताल के हरे क खंड कJ पहल1 मा ा पर जहां तक मुम:कन हो गुfअ^र ह1 आए। इसके बाद सम (ताल कJ सब से िज़यादा वज़नदार मा ा) के आधार से मूल सं?ध

नि=चत करP गे :क िजसके पहले ह1 अ^र पर

प यभार होगा। इस तरह से पंचकल, ष}कल, सpतकल और अYटकल +कार कJ मूल सं?ध उनके अनु\प ताल के आधार से नि=चत करने के बाद उसी मूल सं?ध के आधार से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत होनेवाल1 सभी +कार कJ सं?ध का प यभार नि=चत :कया जा सकता है । मूल सं?ध ग़ज़ल के छं दR मP +युkत हो भी सकती है और नह1ं भी हो सकती।

: पंचकल सं?ध : पंचकल सं?ध मP एक लघअ ु ^र और दो गुfअ^र +युkत होते हN :क िजसकJ कुल मा ा ५ होती है । १० मा ा के झपताल मP पंचकल सं?ध दो बार इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

४ ५

गा -

गा -

×





७ ८

ल गा ०

९ १०

गा -





ऊपर झपताल कJ १ से ५ मा ा और ६ से १० मा ा दोनR मP से मूल पंचकल सं?ध गागाल +ाpत होती है :क िजसका प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गागाल) होगा। गागाल सं?ध के आधार से लगागा सं?ध का प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (लगागा) और गालगा सं?ध का प यभार सं?ध के अं तम गुfअ^र पर (गालगा) नि=चत :कया जा सकता है ।

: ष}कल सं?ध : ष}कल सं?ध मP दो लघुअ^र और दो गुfअ^र +युkत होते हN :क िजसकJ कुल मा ा ६ होती है । ग़ज़ल के छं दR मP ष}कल सं?ध दो +कार से +युkत होती है । (१) दो लघअ ु ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी सं?ध :क िजसमP लगालगा सं?ध का समावेश होता है । (२) दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी सं?ध :क िजसमP ललगागा और गाललगा सं?ध का समावेश होता है । दो लघुअ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी सं?ध : ६ मा ा के ताल दादरा मP दो लघुअ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी सं?ध इस तरह से आ सकती है ।

26



२ ३

गा -



५ ६

ल गा -

×





ताल दादरा के आधार से दो लघुअ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी मूल सं?ध गालगाल +ाpत होती है :क िजसका प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गालगाल) या सं?ध के दस ू रे गुfअ^र पर (गालगाल) होगा kयR:क ष}कल सं?ध गालगाल [ कल सं?ध गाल का आव तOत

व\प है । गालगाल सं?ध के प यभार के आधार से लगालगा सं?ध का प यभार

सं?ध के पहले गुfअ^र पर (लगालगा) या सं?ध के दस ू रे गुfअ^र पर (लगालगा) नि=चत :कया जा सकता है । दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी सं?ध : ६ मा ा के ताल दादरा मP दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी सं?ध इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा -







ल ल गा -

×



ताल दादरा के आधार से दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी मूल सं?ध गाललगा +ाpत होती है :क िजसका प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गाललगा) होगा। गाललगा सं?ध के आधार से ललगागा सं?ध का प यभार सं?ध के अं तम गुfअ^र पर (ललगागा) नि=चत :कया जा सकता है ।

: सpतकल सं?ध : सब से पहले ऐसा मान लेते हN :क सpतकल सं?ध मP एक लघअ ु ^र और तीन गुfअ^र +युkत होते हN। सpतकल सं?ध कJ कुल मा ा ७ होती है । ७ मा ा के ताल \पक मP सpतकल सं?ध इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा ×



५ ६

ल गा १



गा २

ताल \पक के आधार से मूल सpतकल सं?ध गालगागा +ाpत होती है :क िजसका प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गालगागा) होगा। 27

एक लघुअ^र और तीन गुfअ^र +युkत होते हो ऐसी सpतकल सं?ध १४ मा ा के ताल द1पच%द1 मP दो बार इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा ×



५ ६

ल गा -

७ ८

गा -

९ १० ११ १२ १३ १४

गा -





गा -



गा -



ताल द1पच%द1 के आधार से भी मूल सpतकल सं?ध गालगागा ह1 +ाpत होती है :क िजसका प यभार भी सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गालगागा) ह1 होगा। गालगागा सं?ध के आधार से लगागागा सं?ध का प यभार सं?ध के अं तम गुfअ^र पर (लगागागा) और गागालगा सं?ध का प यभार सं?ध के दस ू रे गुfअ^र पर (गागालगा) नि=चत :कया जा सकता है । ललगालगा सं?ध गागालगा सं?ध का ह1

व\प होने के कारन

ललगालगा सं?ध का प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (ललगालगा) तथा लगाललगा सं?ध लगागागा सं?ध का ह1

व\प होने के कारन लगाललगा सं?ध का प यभार सं?ध के अं तम

गुfअ^र पर (लगाललगा) नि=चत :कया जा सकता है ।

: अYटकल सं?ध : सब से पहले ऐसा मान लेते हN :क अYटकल सं?ध मP चार गुfअ^र +युkत होते हN :क िजसकJ कुल मा ा ८ होती है । ८ मा ा के ताल कहरवा मP अYटकल सं?ध इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा -

४ ५

गा -

×

६ ७

गा -



गा -



ताल कहरवा के आधार से मूल अYटकल सं?ध गागागागा +ाpत होती है :क िजस का प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गागागागा) होगा। अYटकल सं?ध मP +युkत चार गुfअ^र मP से कौन सा गुfअ^र ताल कहरवा कJ पहल1 मा ा पर ि थत है ये नि=चत करना मुि=कल है मगर <सफ़O गुfअ^र के +योगवाले छं दR कJ रचना का पठन या गायन करने पर सं?ध के पहले या दस ू रे गुfअ^र पर प यभार का अनुभव :कया जा सकता है । इस Uहसाब से अYटकल सं?ध गागागागा का प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गागागागा) या सं?ध के दस ू रे गुfअ^र पर (गागागागा) गागागागा सं?ध का ह1

नि=चत :कया जा सकता है । लगालगागा सं?ध

व\प होने के कारन लगालगागा सं?ध का प यभार सं?ध के पहले

लघुअ^र पर (लगालगागा) नि=चत :कया जा सकता है ।

28

मूल अYटकल सं?ध गागागागा और गागागागा के आधार से ललगागागा सं?ध का प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (ललगागागा), गाललगागा सं?ध का प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गाललगागा), गागाललगा सं?ध का प यभार सं?ध के दस ू रे गुfअ^र पर (गागाललगा), ललगाललगा सं?ध का प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र पर (ललगाललगा) और गालगालगा सं?ध का प यभार सं?ध के पहले लघअ ु ^र पर (गालगालगा) नि=चत :कया जा सकता है । ग़ज़ल के छं दR कJ रचना कJ मेर1 प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ मूल पंचकल सं?ध गागाल का और मूल ष}कल सं?ध गालगाल या गालगाल का +योग ग़ज़ल के छं दR मP नह1ं होता kयR:क इनका अंEया^र लघुअ^र है , जब:क मूल ष}कल सं?ध गाललगा, मूल सpतकल सं?ध गालगागा और मूल अYटकल सं?ध गागागागा या गागागागा का +योग ग़ज़ल के छं दR मP होता है kयR:क इनका अंEया^र गुfअ^र है । हमने पंचकल, ष}कल, सpतकल और अYटकल +कार कJ सं?ध के <लए अनुhम से ताल झपताल, दादरा, \पक या द1पच%द1 और कहरवा का +योग करके सभी +कार कJ मूल सं?ध +ाpत कJ है :क िजसका प यभार सं?ध के पहले अ^र पर ह1 ि थत रहता है । सभी मूल सं?ध के प यभार को हमने ताल के सम (ताल कJ पहल1 और सब से वज़नदार मा ा) के आधार पर

थाIपत :कया था जो मूल सं?ध के मुQय प यभार को दशाOता है । इस

प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ छं द न\पण के <लए मुQय प यभार को ह1 ]यान मP <लया जाता है मगर एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट लेने

के <लए मुQय प यभार के अलावा गौण प यभार को भी ]यान मP लेना पड़ता है । एक गुfअ^र के

थान पर दो

गुfअ^र के

थान पर नह1ं ल1 जाती। मुQय और गौण प यभारवाले गुfअ^र के

दो

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट मुQय और गौण प यभारवाले थान पर

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट लेने से छं द कJ +वाUहता को नुकसान पहुंचता है । अलग-अलग +कार कJ सं?ध के अनु\प ताल का +योग करके ताल के पहले खंड कJ

पहल1 मा ा (सम) के आधार पर मूल सं?ध का मुQय प यभार नि=चत :कया जा सकता है तथा ताल के दस ू रे खंड कJ पहल1 मा ा के आधार पर मूल सं?ध का गौण प यभार नि=चत :कया जा सकता है । अलग-अलग +कार कJ मूल सं?ध के मुQय और गौण प यभार के आधार पर अ%य सभी सं?ध के मुQय और गौण प यभार को नि=चत :कया जा सकता है । अब मN सं?ध के मुQय और गौण प यभार को दशाOनेवाल1 तुलनाEमक सू?च + तुत करता हूं।

29

अंEया^र गुfअ^र हो ऐसी सं?ध के मQ ु य और गौण प यभार (प यभार के

थान को रे खां:कत करके दशाOया है )

सं?ध

सं?ध का

मुQय प यभार

गौण प यभार

मुQय प यभार

गौण प यभार

hमांक

+कार

के साथ सं?ध

के साथ सं?ध

से

से

गौण प यभार

मुQय प यभार

का

का

मा ा-अंतर

मा ा-अंतर

०१

पंचकल

लगागा

लगागा





०२

पंचकल

गालगा

गालगा





०३

ष}कल

लगालगा

लगालगा





या

या

लगालगा

लगालगा

०४

ष}कल

ललगागा

ललगागा





०५

ष}कल

गाललगा

गाललगा





०६

सpतकल

लगागागा

लगागागा





०७

सpतकल

गालगागा

गालगागा





०८

सpतकल

गागालगा

गागालगा





०९

सpतकल

ललगालगा

ललगालगा





१०

सpतकल

लगाललगा

लगाललगा





११

अYटकल

गागागागा

गागागागा





या

या

गागागागा

गागागागा

१२

अYटकल

लगालगागा

लगालगागा





१३

अYटकल

ललगागागा

ललगागागा





१४

अYटकल

गाललगागा

गाललगागा





१५

अYटकल

गागाललगा

गागाललगा





१६

अYटकल

ललगाललगा

ललगाललगा





१७

अYटकल

गालगालगा

गालगालगा





30

अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध के मुQय और गौण प यभार (प यभार के

थान को रे खां:कत करके दशाOया है )

सं?ध

सं?ध का

मुQय प यभार

गौण प यभार

मुQय प यभार

गौण प यभार

hमांक

+कार

के साथ सं?ध

के साथ सं?ध

से

से

गौण प यभार

मुQय प यभार

का

का

मा ा-अंतर

मा ा-अंतर

०१

पंचकल

गागाल

गागाल





०२

ष}कल

गालगाल

गालगाल





या

या

गालगाल

गालगाल

०३

ष}कल

गागालल

गागालल





०४

सpतकल

गालगालल

गालगालल





०५

सpतकल

गागागाल

गागागाल





०६

सpतकल

गाललगाल

गाललगाल





०७

अYटकल

गागागालल

गागागालल





०८

अYटकल

गाललगालल

गाललगालल





०९

अYटकल

गागालगाल

गागालगाल





उपरोkत दोनR सू?च के अSयास से कुछ तारण नकाल सकते हN जो इस +कार है । (०१)

:कसी भी सं?ध मP मुQय और गौण प यभारवाले गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग नह1ं हुआ है । (०२)

िजस सं?ध मP मुQय या गौण प यभार लघअ ु ^र पर ि थत हो उस सं?ध मP मुQय या गौण प यभारवाले लघअ ु ^र के बाद गुfअ^र का ह1 +योग हुआ है ।

(०३)

मुQय प यभार और गौण प यभार दोनR लघुअ^र पर ह1 ि थत हो ऐसी एक भी सं?ध ग़ज़ल के छं दR मP +युkत नह1ं होती।

(०४)

:कसी भी एक सं?ध के आव तOत एकसाथ नह1ं आते। 31

व\प मP भी दो से अ?धक

पYट लघुअ^र

हरे क पंचकल सं?ध मP मुQय प यभार से

(०५)

Iवकल सं?ध (गा) और गौण प यभार

से [ कल सं?ध (गाल) को अलग :कया जा सकता है । हरे क ष}कल सं?ध मP मुQय प यभार से [ कल सं?ध (गाल) और गौण प यभार

(०६)

से [ कल सं?ध (गाल या लगा) को अलग :कया जा सकता है । हरे क सpतकल सं?ध मP मुQय प यभार से [ कल सं?ध (गाल) और गौण

(०७)

प यभार से चतुYकल सं?ध (गागा या गालल) को अलग :कया जा सकता है । हरे क अYटकल सं?ध मP मुQय प यभार से चतुYकल सं?ध (गागा या गालल या

(०८)

लगाल) और गौण प यभार से चतुYकल सं?ध (गागा या गालल या लगाल) को अलग :कया जा सकता है । (०९)

िजन अYटकल सं?ध मP दो लघुअ^र एकसाथ +युkत नह1ं हुए हN उन अYटकल सं?ध मP दो लघुअ^रR के बीच मP एक से अ?धक गुfअ^र का +योग नह1ं हुआ है ।

(१०)

अYटकल सं?ध लगालगागा और गालगालगा मP ह1 मुQय प यभार लघुअ^र पर ि थत है kयR:क दोनR सं?ध अनुhम से अYटकल सं?ध गागागागा और गागागागा के ह1

व\प हN।

इस प यभार आधा रत प त के मत ु ा[बक़ छं द न\पण के <लए मुQय प यभार को ह1 ]यान मP <लया जाता है मगर एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR के +योग कJ

छूट लेने के <लए मुQय प यभार के अलावा गौण प यभार को भी ]यान मP लेना पड़ता है । एक गुfअ^र के

थान पर दो

प यभारवाले गुfअ^र के

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट मुQय और गौण

थान पर नह1ं ल1 जाती।

***

32

(५) प यभार आधा रत प त से छं द-रचना यहां पर :फर से मेर1 प यभार आधा रत प त से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत होनेवाल1 सं?ध कJ सू?च + तुत करता हूं और :फर से इस बात का िज़h करता हूं :क सू?च मP हरे क सं?ध के प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया है । सं?ध

सं?ध

hमांक

सं?ध का

सं?ध कJ

+कार

कुल मा ा

०१

लगागा

पंचकल

१+२+२=५

०२

गालगा

पंचकल

२+१+२=५

०३

लगालगा

ष}कल

१+२+१+२=६

०४

ललगागा

ष}कल

१+१+२+२=६

०५

गाललगा

ष}कल

२+१+१+२=६

०६

लगागागा

सpतकल

१+२+२+२=७

०७

गालगागा

सpतकल

२+१+२+२=७

०८

गागालगा

सpतकल

२+२+१+२=७

०९

ललगालगा

सpतकल

१+१+२+१+२=७

१०

लगाललगा

सpतकल

१+२+१+१+२=७

११

गागागागा

अYटकल

२+२+२+२=८

१२

लगालगागा

अYटकल

१+२+१+२+२=८

१३

ललगागागा

अYटकल

१+१+२+२+२=८

१४

गाललगागा

अYटकल

२+१+१+२+२=८

१५

गागाललगा

अYटकल

२+२+१+१+२=८

१६

ललगाललगा

अYटकल

१+१+२+१+१+२=८

१७

गालगालगा

अYटकल

२+१+२+१+२=८

या

या

लगालगा

गागागागा

उपरोkत सू?च मP सं?ध hमांक १ से १७ मP से सं?ध hमांक १ से १२ को मुQय सं?ध समझना चाUहए :क िजसके आव तOत

व\प कJ रचना पाई जाती है तथा सं?ध hमांक १३ से

33

१७ को गौण सं?ध समझना चाUहए :क िजसका +योग िज़यादातर गागागागा सं?ध के IवकLप के \प मP ह1 होता है । गागागालल, गाललगालल और गागालगाल सं?ध को भी गौण सं?ध ह1 समझना चाUहए :क िजसका समावेश सं?ध hमांक १ से १७ मP नह1ं :कया गया है और िजसका +योग गागागागा सं?ध के IवकLप के \प मP ह1 होता है । अब उपरोkत मुQय सं?ध के +योग से छं द-रचना :कस तरह से होती है इसकJ चचाO करते हN। (१) :कसी एक सं?ध के एक से अ?धक आवतOनR के +योग से छं द-रचना कJ जा सकती है । छं द के इस +कार को हम शु -अखंxडत +कार कहP गे। :कसी एक सं?ध के एक आवतOन कJ भी रचना Uदखाई दे ती है मगर उसमP गेय-तEव नह1ं रहता। सामा%य तौर पर पंचकल सं?ध के िज़यादा से िज़यादा आठ आवतOनR के +योगवाल1 और अ%य +कार कJ सं?ध के िज़यादा से िज़यादा चार आवतOनR के +योगवाल1 रचना Uदखाई दे ती है मगर :कसी भी सं?ध के चार आवतOनR के +योगवाले छं द aेYठ हN। (लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से लगागा लगागा लगागा लगागा छं द कJ रचना होती है ।) (२) :कसी एक सं?ध के एक से अ?धक आवतOनR के +योगवाले छं द कJ पहल1 सं?ध के शु\आत के अ^र/अ^रR का या अं तम सं?ध के अं तम अ^र/अ^रR का लोप करने से भी छं द-रचना कJ जा सकती है । छं द के इस +कार को हम शु -खंxडत +कार कहP गे। (लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से लगागा लगागा लगागा लगा छं द कJ रचना होती है और ललगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले दोनR लघुअ^रR का लोप करने से गागा ललगागा ललगागा ललगागा छं द कJ रचना होती है ।) (३) :कसी दो या इससे अ?धक सं?ध के <मaण से या उस <मa

व\प के एक से अ?धक

आवतOनR के +योग से भी छं द-रचना कJ जा सकती है । छं द के इस +कार को हम <मaअखंxडत +कार कहP गे। (अनुhम से ललगालगा और लगागा सं?ध के <मa

व\प के दो

आवतOनR का +योग करने से ललगालगा लगागा ललगालगा लगागा छं द कJ रचना होती है ।)

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(४) :कसी दो या इससे अ?धक सं?ध के <मaण से +ाpत एक से अ?धक आवतOनR के +योगवाले

व\प कJ या उस <मa

व\प के

व\प कJ पहल1 सं?ध के शु\आत के

अ^र/अ^रR का या अं तम सं?ध के अं तम अ^र/अ^रR का लोप करने से भी छं द-रचना कJ जा सकती है । छं द के इस +कार को हम <मa-खंxडत +कार कहP गे। (अनुhम से ललगागा और लगालगा सं?ध के <मa

व\प के दो आवतOनR का +योग करने के बाद

पहल1 सं?ध के पहले दोनR लघुअ^रR का लोप करने से गागा लगालगा ललगागा लगालगा छं द कJ रचना होती है ।) (५) ऊपर hमांक (२) या (४) के अनुसार +ाpत छं द के एक से अ?धक आवतOनR के +योग से भी छं द-रचना कJ जा सकती है । छं द के इस +कार को हम अनुhम से शु -खंxडत या <मa-खंxडत +कार कहP गे। (लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से +ाpत

व\प के दो आवतOनR के

+योग से लगागा लगागा लगागा लगा लगागा लगागा लगागा लगा छं द कJ रचना होती है ।

इस तरह मेर1 प यभार आधा रत प त के अनुसार ग़ज़ल के छं दR को चार +कार मP वग€कृत :कया जा सकता है । (१) शु -अखंxडत (२) शु -खंxडत (३) <मa-अखंxडत (४) <मa-खंxडत उपरोkत प त से छं द-रचना करते समय इस बात का ]यान रखना ज़\र1 है :क लघुअ^र कJ १ मा ा और गुfअ^र कJ २ मा ा ?गनने पर परू े छं द मP प यभार समान मा ा के अंतर पर आना चाUहए। छं द मP लोप के िजतनी प यभार के अंतर मP Iवषमता

थान पर लोप :कये हुए अ^र कJ मा ा के वीकायO है , मगर छं द मP लोप के थान के अलावा

सं?ध के <मaण के कारन प यभार के अंतर मP Iवषमता छं द कJ +वाUहता को नुकसान पहुंचाती है । शु -अखंxडत +कार के छं द मP एक ह1 सं?ध के आवतOन होने के कारन पूरे छं द मP प यभार समान मा ा के अंतर पर होगा जब:क शु -खंxडत +कार के छं द मP <सफ़O लोप के थान पर ह1 लोप :कये हुए अ^र कJ मा ा के िजतनी Iवषमता रहे गी और वह Iवषमता वीकायO है । <मa +कार के छं द मP सं?ध का <मaण इस +कार से करना चाUहए :क िजससे पूरे छं द मP प यभार समान मा ा के अंतर पर आए। <मa +कार के छं द मP भी लोप के थान पर लोप :कये हुए अ^र कJ मा ा के िजतनी प यभार के अंतर मP Iवषमता वीकायO है , ले:कन सं?ध के <मaण के कारन छं द मP प यभार के अंतर मP Iवषमता िजतनी िज़यादा

35

होगी उतनी ह1 उस छं द कJ +वाUहता कम होगी। िजस छं द मP +वाUहता कम होगी उस छं द मP गेय-तEव भी कम होगा और उस छं द के +च<लत होने कJ संभावना भी कम हो जाएगी। ग़ज़ल के छं दR के Iववरण मP सभी छं दR के तकO-संगत नाम भी Uदये हN। तकO-संगत नाम मP सं?ध के आवतOन कJ संQया दशाOने के <लए सं?ध के आगे अंकR का +योग :कया है तथा लोप दशाOने के <लए लोप :कये हुए अ^रR के आगे - ?चŒन का +योग और सं?ध के <मaण के <लए + ?चŒन का +योग :कया है । छं द-रचना मP शु\आत मP लोप कJ +:hया दशाOने के <लए तकO-संगत नाम मP लोप :कये गए अ^रR को शु\आत मP - ?चŒन के साथ दशाOया है और छं द-रचना मP अंत मP लोप कJ +:hया दशाOने के <लए तकO-संगत नाम मP लोप :कये गए अ^रR को अंत मP - ?चŒन के साथ दशाOया है । :कसी के <लए उस

व\प को कŽस मP दशाO कर कŽस से पहले

व\प के आवतOन को दशाOने

व\प कJ आवतOन संQया को अंकR

मP दशाOया है । अलग-अलग छं दR के तकO-संगत नाम के अSयास से इन बातR को अdछ… तरह से समझा जा सकता है ।

***

36

(६) ग़ज़ल के ३० +च<लत छं द और प यभार आधा रत प त से छं द-रचना अब मN अपनी प यभार आधा रत प त से ग़ज़ल के ३० छं दR को दशाOता हूं और उनकJ छं द-रचना का भी वणOन करता हूं। इस प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ और अ\ज़ के मुता[बक़ ग़ज़ल के छं दR कJ सं?ध िज़यादातर समान ह1 रहे गी। िजस छं द मP इस प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ सं?ध और अ\ज़ के मुता[बक़ सं?ध अलग होगी उस छं द के Iववरण के अंत मP अ\ज़ के मुता[बक़ सं?ध अलग से दशाOई गई है । िजस छं द के Iववरण मP अ\ज़ के मुता[बक़ सं?ध अलग से दशाOई गई न हो उस छं द कJ सं?ध इस प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ और अ\ज़ के मुता[बक़ समान ह1 है ऐसा समझना होगा। अ\ज़ के मुता[बक़ छं द कJ सं?ध को भी यहां पर लघ-ु गुf

व\प मP ह1 दशाOया है ।

हरे क छं द मP प यभारवाले अ^रR को रे खां:कत करके दशाOया है और हरे क छं द एक पंिkत का माप दशाOता है । (+करण-८ मP हरे क छं द कJ कुल मा ा का Iववरण भी Uदया गया है और हरे क छं द मP प यभारवाले अ^रR के साथ-साथ प यभारवाल1 मा ाओं को भी रे खां:कत करके दशाOया गया है ।)

(०१) लगागा लगागा लगागा लगागा तकO-संगत नाम : ४लगागा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : २० प यभार कJ मा ा : २, ७, १२, १७। रचना : लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(०२) लगागा लगागा लगागा लगा तकO-संगत नाम : ४लगागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : १८ प यभार कJ मा ा : २, ७, १२, १७। रचना : लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । 37

(०३) लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा तकO-संगत नाम : ८लगागा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : ४० प यभार कJ मा ा : २, ७, १२, १७, २२, २७, ३२, ३७। रचना : लगागा सं?ध के आठ आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(०४) गालगा गालगा गालगा गालगा तकO-संगत नाम : ४गालगा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : २० प यभार कJ मा ा : ४, ९, १४, १९। रचना : गालगा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(०५) गालगा गालगा गालगा गा तकO-संगत नाम : ४गालगा-लगा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : १७ प यभार कJ मा ा : ४, ९, १४। रचना : गालगा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र और लघुअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । इस छं द मP प यभारवाले गुfअ^र का लोप हुआ है ।

(०६) गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा तकO-संगत नाम : ८गालगा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : ४० प यभार कJ मा ा : ४, ९, १४, १९, २४, २९, ३४, ३९। रचना : गालगा सं?ध के आठ आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

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(०७) लगालगा लगालगा लगालगा लगालगा तकO-संगत नाम : ४लगालगा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : २४ प यभार कJ मा ा : २, ८, १४, २०। रचना : लगालगा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(०८) गालगा लगालगा गालगा लगालगा तकO-संगत नाम : २(-ल+२लगालगा) +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : २२ प यभार कJ मा ा : १, ७, १२, १८। रचना : वैसे दे खा जाए तो यह छं द अनुhम से गालगा और लगालगा सं?ध का <मa

व\प है मगर गालगा सं?ध का प यभार सं?ध के अं तम गुfअ^र पर

(गालगा) ि थत है जो इस छं द मP सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गालगा) ि थत है इस<लए इस छं द कJ रचना अलग तर1क़े से होगी। लगालगा सं?ध के दो आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले लघुअ^र का लोप करने से +ाpत

व\प (गालगा लगालगा) के दो आवतOनR के +योग से इस छं द कJ

रचना होती है । दस ू रे तर1क़े से दे खा जाए तो अनुhम से गागालगा और लगालगा सं?ध के <मa व\प (गागालगा लगालगा) कJ पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र का लोप करने से +ाpत

व\प (गालगा लगालगा) के दो आवतOनR के +योग से इस छं द कJ

रचना होती है । इस तरह से इस छं द का +कार <मa-खंxडत होगा मगर शु +कार से छं द-रचना कJ जा सकती हो तो <मa +कार पर Iवचार करना TयथO है । इस<लए मN इस छं द को शु -खंxडत +कार का ह1 दशाOता हूं।

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(०९) गागा ललगागा ललगागा ललगागा तकO-संगत नाम : -लल+४ललगागा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : २२ प यभार कJ मा ा : ३, ९, १५, २१। रचना : ललगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले दोनR लघअ ु ^रR का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागाल लगागाल लगागाल लगागा

(१०) लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा तकO-संगत नाम : ४लगागागा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : २८ प यभार कJ मा ा : ६, १३, २०, २७। रचना : लगागागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(११) लगागागा लगागागा लगागा तकO-संगत नाम : ३लगागागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : १९ प यभार कJ मा ा : ६, १३। रचना : लगागागा सं?ध के तीन आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । इस छं द मP प यभारवाले गुfअ^र का लोप हुआ है ।

(१२) गालगागा गालगागा गालगागा गालगा तकO-संगत नाम : ४गालगागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : २६ प यभार कJ मा ा : १, ८, १५, २२। रचना : गालगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

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(१३) गालगागा गालगागा गालगा तकO-संगत नाम : ३गालगागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : १९ प यभार कJ मा ा : १, ८, १५। रचना : गालगागा सं?ध के तीन आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(१४) गालगागा गालगा गालगागा गालगा तकO-संगत नाम : २(२गालगागा-गा) +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : २४ प यभार कJ मा ा : १, ८, १३, २०। रचना : वैसे दे खा जाए तो यह छं द अनुhम से गालगागा और गालगा सं?ध का <मa

व\प है मगर गालगा सं?ध का प यभार सं?ध के अं तम गुfअ^र पर

(गालगा) ि थत है जो इस छं द मP सं?ध के पहले गुfअ^र पर (गालगा) ि थत है इस<लए इस छं द कJ रचना अलग तर1क़े से होगी। गालगागा सं?ध के दो आवतOनR का +योग करने के बाद दस ू र1 सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से +ाpत

व\प (गालगागा गालगा) के दो आवतOनR के +योग से इस छं द कJ

रचना होती है ।

(१५) गागालगा गागालगा गागालगा गागालगा तकO-संगत नाम : ४गागालगा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : २८ प यभार कJ मा ा : ३, १०, १७, २४। रचना : गागालगा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

41

(१६) ललगालगा ललगालगा ललगालगा ललगालगा तकO-संगत नाम : ४ललगालगा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : २८ प यभार कJ मा ा : ३, १०, १७, २४। रचना : ललगालगा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(१७) लगालगागा लगालगागा लगालगागा लगालगागा तकO-संगत नाम : ४लगालगागा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : ३२ प यभार कJ मा ा : १, ९, १७, २५। रचना : लगालगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । लगाल गागा लगाल गागा लगाल गागा लगाल गागा

(१८) गागागागा गागागागा गागागागा गागागागा तकO-संगत नाम : ४गागागागा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : ३२ प यभार कJ मा ा : ३, ११, १९, २७। रचना : गागागागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागा गागा गागा गागा गागा गागा गागा गागा

42

(१९) गागागागा गागागागा गागागागा गागागा तकO-संगत नाम : ४गागागागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : ३० प यभार कJ मा ा : १, ९, १७, २५। रचना : गागागागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागा गागा गागा गागा गागा गागा गागा गा

(२०) गागागागा गागागागा तकO-संगत नाम : २गागागागा +कार : शु -अखंxडत कुल मा ा : १६ प यभार कJ मा ा : १, ९। रचना : गागागागा सं?ध के दो आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागा गागा गागा गागा

(२१) गागागागा गागागा तकO-संगत नाम : २गागागागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : १४ प यभार कJ मा ा : १, ९। रचना : गागागागा सं?ध के दो आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागा गागा गागा गा

43

(२२) गागागागा गागा गागागागा गागा तकO-संगत नाम : २(२गागागागा-गागा) +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : २४ प यभार कJ मा ा : ३, ११, १५, २३। रचना : गागागागा सं?ध के दो आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम दो गुfअ^रR का लोप करने से +ाpत

व\प (गागागागा गागा) के दो

आवतOनR के +योग से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागा गागा गागा गागा गागा गागा िज़यादातर यह छं द गागाललगा गागा गागाललगा गागा के होता Uदखाई दे ता है और अfज़ मP इस

व\प मP ह1 +युkत

व\प कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई

है । गागाल लगागागा गागाल लगागागा

(२३) गागालगा लगागा गागालगा लगागा तकO-संगत नाम : २(गागालगा+लगागा) +कार : <मa-अखंxडत कुल मा ा : २४ प यभार कJ मा ा : ३, ९, १५, २१। रचना : अनुhम से गागालगा और लगागा सं?ध के <मa

व\प (गागालगा

लगागा) के दो आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागाल गालगागा गागाल गालगागा

44

(२४) ललगालगा लगागा ललगालगा लगागा तकO-संगत नाम : २(ललगालगा+लगागा) +कार : <मa-अखंxडत कुल मा ा : २४ प यभार कJ मा ा : ३, ९, १५, २१। रचना : अनुhम से ललगालगा और लगागा सं?ध के <मa

व\प (ललगालगा

लगागा) के दो आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । ललगाल गालगागा ललगाल गालगागा

(२५) गाललगा लगालगा गाललगा लगालगा तकO-संगत नाम : २(गाललगा+लगालगा) +कार : <मa-अखंxडत कुल मा ा : २४ प यभार कJ मा ा : १, ८, १३, २०। रचना : अनुhम से गाललगा और लगालगा सं?ध के <मa

व\प (गाललगा

लगालगा) के दो आवतOनR का +योग करने से इस छं द कJ रचना होती है ।

(२६) गागा लगालगा ललगागा लगालगा तकO-संगत नाम : -लल+२(ललगागा+लगालगा) +कार : <मa-खंxडत कुल मा ा : २२ प यभार कJ मा ा : ३, ९, १५, २१। रचना : अनुhम से ललगागा और लगालगा सं?ध के <मa

व\प (ललगागा

लगालगा) के दो आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले दोनR लघुअ^रR का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । अ\ज़ मP इस छं द कJ सं?ध इस +कार दशाOई गई है । गागाल गालगाल लगागाल गालगा

छं द hमांक २७, २८, २९ और ३० मP अं तम सं?ध ललगागा +यk ु त होती है और उस अं तम सं?ध ललगागा के अं तम गुfअ^र का लोप करने से अं तम सं?ध ललगा +ाpत होती है :क िजसमP दो

पYट लघुअ^रR के

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघुअ^रR का या एक

गुfअ^र का +योग करने कJ छूट होने के कारन उन सभी छं दR मP अं तम सं?ध ललगा के

45

बजाय गागा को ह1 दशाOया है । इस तरह छं द hमांक २७, २८, २९ और ३० मP अं तम सं?ध ललगा और गागा दोनR ह1 \प मP

वीकायO है ।

(२७) लगालगा ललगागा लगालगा गागा तकO-संगत नाम : २(लगालगा+ललगागा)-गा +कार : <मa-खंxडत कुल मा ा : २२ प यभार कJ मा ा : ५, ११, १७। रचना : अनुhम से लगालगा और ललगागा सं?ध के <मa

व\प (लगालगा

ललगागा) के दो आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है :क िजसमP अं तम सं?ध के दो

पYट लघुअ^रR के

थान पर एक गुfअ^र का +योग करने कJ छूट है ।

इस छं द मP प यभारवाले गुfअ^र का लोप हुआ है ।

छं द hमांक २८, २९ और ३० मP पहल1 सं?ध गालगागा +युkत होती है :क िजसका प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र (गालगागा) के बजाय सं?ध के अं तम गुfअ^र (गालगागा) पर ि थत है । ललगागा सं?ध कJ शु\आत मP एक लघुअ^र बढ़ाने से लललगागा सं?ध +ाpत होती है । ग़ज़ल के छं दR मP दो से अ?धक लघुअ^र एकसाथ +युkत नह1ं होते। इस आधार पर लललगागा सं?ध के दस ू रे और तीसरे लघुअ^रR को <मला कर एक गुfअ^र ?गनने पर लगागागा सं?ध +ाpत होती है :क िजसका समावेश ग़ज़ल के छं दR मP +युkत मुQय सं?ध मP हमने :कया हुआ है , मगर लललगागा सं?ध के पहले और दस ू रे लघुअ^रR को <मला कर एक गुfअ^र ?गनने पर गालगागा सं?ध +ाpत होती है :क िजसका प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र (गालगागा) के बजाय सं?ध के अं तम गुfअ^र (गालगागा) पर ि थत है । गालगागा सं?ध :क िजसका प यभार सं?ध के अं तम गुfअ^र पर ि थत है उसका +योग ष}कल सं?ध ललगागा और लगालगा के साथ <मa \प के िजतना ह1 मयाOUदत रहे गा। ष}कल सं?ध ललगागा और लगालगा का प यभार भी सं?ध के अं तम गुfअ^र पर ह1 ि थत है । छं द hमांक २८, २९ और ३० मP कभी-कभी पहल1 सं?ध गालगागा के +युkत होती Uदखाई दे ती है ।

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थान पर लगागागा भी

(२८) गालगागा ललगागा ललगागा गागा तकO-संगत नाम : ल+४ललगागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : २३ प यभार कJ मा ा : ६, १२, १८। रचना : ललगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध कJ शु\आत मP एक लघअ ु ^र बढ़ाने से और अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है :क िजसमP पहल1 सं?ध के पहले तीन लघअ ु ^रR मP से पहले दो लघअ ु ^रR के

थान पर एक गुfअ^र लेना होगा

और अं तम सं?ध के दो

थान पर एक गुfअ^र का +योग

पYट लघुअ^रR के

करने कJ छूट होगी। इस छं द मP प यभारवाले गुfअ^र का लोप हुआ है ।

(२९) गालगागा ललगागा गागा तकO-संगत नाम : ल+३ललगागा-गा +कार : शु -खंxडत कुल मा ा : १७ प यभार कJ मा ा : ६, १२। रचना : ललगागा सं?ध के तीन आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध कJ शु\आत मP एक लघअ ु ^र बढ़ाने से और अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है :क िजसमP पहल1 सं?ध के पहले तीन लघअ ु ^रR मP से पहले दो लघअ ु ^रR के

थान पर एक गुfअ^र लेना होगा

और अं तम सं?ध के दो

थान पर एक गुfअ^र का +योग

पYट लघअ ु ^रR के

करने कJ छूट होगी। इस छं द मP प यभारवाले गुfअ^र का लोप हुआ है ।

47

(३०) गालगागा लगालगा गागा तकO-संगत नाम : ल+ललगागा+लगालगा+ललगागा-गा +कार : <मa-खंxडत कुल मा ा : १७ प यभार कJ मा ा : ६, १२। रचना : अनुhम से ललगागा, लगालगा और ललगागा सं?ध का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध कJ शु\आत मP एक लघअ ु ^र बढ़ाने से और अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है :क िजसमP पहल1 सं?ध के पहले तीन लघअ ु ^रR मP से पहले दो लघअ ु ^रR के गुfअ^र लेना होगा और अं तम सं?ध के दो

पYट लघुअ^रR के

थान पर एक थान पर एक

गुfअ^र का +योग करने कJ छूट होगी। इस छं द मP प यभारवाले गुfअ^र का लोप हुआ है ।

लघुअ^र कJ १ मा ा और गुfअ^र कJ २ मा ा ?गनने पर छं द hमांक २५ के अलावा सभी अखंxडत +कार के (शु

और <मa दोनR) छं दR मP प यभार समान मा ा के अंतर पर

ि थत है और सभी खंxडत +कार के (शु

और <मa दोनR) छं दR मP <सफ़O लोप के

थान पर

लोप :कये हुए अ^रR कJ मा ा के िजतनी ह1 Iवषमता रहती है जो वीकायO है । छं द hमांक २५ मP सं?ध के <मaण के कारन प यभार के अंतर मP Iवषमता रहती है और इसी<लए उसमP प यभार अनुhम से ७ और ५ मा ा के अंतर पर ि थत है । िजस छं द मP सं?ध के <मaण के कारन प यभार के अंतर मP Iवषमता िजतनी िज़यादा रहे गी उस छं द कJ +वाUहता और गेयतEव उतने ह1 कम हRगे और उस छं द के +च<लत होने कJ संभावना भी उतनी ह1 कम हो जाएगी। ग•णत के नयमR के आधार पर ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध के +योग से शु अखंxडत, शु -खंxडत, <मa-अखंxडत और <मa-खंxडत +कार के कई छं दR कJ रचना कJ जा सकती है । अब मN उदाहरण के तौर पर लगागा सं?ध के +योग से +ाpत शु -अखंxडत और शु -खंxडत +कार के कुछ छं दR को दशाOता हूं। (१) लगागा सं?ध के चार या आठ आवतOनR का +योग करने से इस +कार के छं दR कJ रचना कJ जा सकती है । १. लगागा लगागा लगागा लगागा तकO-संगत नाम : ४लगागा २. लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा तकO-संगत नाम : ८लगागा

48

(२) लगागा सं?ध के चार या आठ आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस +कार के छं दR कJ रचना कJ जा सकती है । १. लगागा लगागा लगागा लगा तकO-संगत नाम : ४लगागा-गा २. लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगा तकO-संगत नाम : ८लगागा-गा (३) लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से +ाpत

व\प के दो आवतOनR का +योग करने से इस +कार के छं द

कJ रचना कJ जा सकती है । १. लगागा लगागा लगागा लगा लगागा लगागा लगागा लगा तकO-संगत नाम : २(४लगागा-गा) (४) लगागा सं?ध के चार या आठ आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले लघुअ^र का लोप करने से इस +कार के छं दR कJ रचना कJ जा सकती है । १. गागा लगागा लगागा लगागा तकO-संगत नाम : -ल+४लगागा २. गागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा तकO-संगत नाम : -ल+८लगागा (५) लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले लघअ ु ^र का लोप करने से +ाpत

व\प के दो आवतOनR का +योग करने से इस +कार के छं द

कJ रचना कJ जा सकती है । १. गागा लगागा लगागा लगागा गागा लगागा लगागा लगागा तकO-संगत नाम : २(-ल+४लगागा) (६) लगागा सं?ध के दो आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से +ाpत

व\प के दो या चार आवतOनR का +योग करने से इस +कार

के छं दR कJ रचना कJ जा सकती है । १. लगागा लगा लगागा लगा तकO-संगत नाम : २(२लगागा-गा) २. लगागा लगा लगागा लगा लगागा लगा लगागा लगा तकO-संगत नाम : ४(२लगागा-गा)

49

(७) लगागा सं?ध के दो आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले लघअ ु ^र का लोप करने से +ाpत

व\प के दो या चार आवतOनR का +योग करने से इस +कार के

छं दR कJ रचना कJ जा सकती है । १. गागा लगागा गागा लगागा तकO-संगत नाम : २(-ल+२लगागा) २. गागा लगागा गागा लगागा गागा लगागा गागा लगागा तकO-संगत नाम : ४(-ल+२लगागा)

ऊपर लगागा सं?ध के +योग से +ाpत िजतने भी छं दR कJ चचाO कJ उन सभी छं दR मP सं?ध कJ कुल संQया चार या आठ रह1 है । इसी तरह छं द मP सं?ध कJ कुल संQया दो, तीन, पांच, छह या सात हो ऐसे छं दR कJ रचना भी कJ जा सकती है । इसी तरह अ%य सं?ध के +योग से भी छं द-रचना कJ जा सकती है । उपरोkत प त से छं द-रचना करने पर शु -खंxडत +कार मP कुछ छं द सामा%य रहP गP। इन सामा%य छं दR को िजस सं?ध के +योग से समझना आसान हो उसी का

वीकार करP गे।

दो छं द के उदाहरण से इस बात को समझते हN। हमने मुQय सं?ध मP दो पंचकल सं?ध लगागा और गालगा का समावेश :कया है और दोनR सं?ध के +योग से +ाpत शु -खंxडत +कार के एक-एक छं द कJ चचाO हमने कJ है ।

(१) लगागा लगागा लगागा लगा लगागा और गालगा दोनR सं?ध के आव तOत

व\प को खंxडत करने से इस छं द

को +ाpत :कया जा सकता है । १. लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । तकO-संगत नाम : ४लगागा-गा लगागा लगागा लगागा लगा २. गालगा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । तकO-संगत नाम : -गा+४गालगा लगा गालगा गालगा गालगा = लगागा लगागा लगागा लगा इन दोनR तर1क़े से छं द-रचना करने पर प यभार के

थान मP कोई फ़रक़ नह1ं

पड़ता, :फर भी इस छं द कJ रचना को पहले तर1क़े से ह1 समझना उ?चत होगा।

50

(२) गालगा गालगा गालगा गा गालगा और लगागा दोनR सं?ध के आव तOत

व\प को खंxडत करने से इस छं द

को +ाpत :कया जा सकता है । १. गालगा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र और लघअ ु ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । तकO-संगत नाम : ४गालगा-लगा गालगा गालगा गालगा गा २. लगागा सं?ध के चार आवतOनR का +योग करने के बाद पहल1 सं?ध के पहले लघुअ^र और पहले गुfअ^र का लोप करने से इस छं द कJ रचना होती है । तकO-संगत नाम : -लगा+४लगागा गा लगागा लगागा लगागा = गालगा गालगा गालगा गा इन दोनR तर1क़े से छं द-रचना करने पर प यभार के

थान मP कोई फ़रक़ नह1ं

पड़ता, :फर भी इस छं द कJ रचना को पहले तर1क़े से ह1 समझना उ?चत होगा।

भIवYय मP ‘ग़ज़ल का बह ृ त ् Iपंगल’ कJ रचना करने कJ इdछा है :क िजसमP ग़ज़ल के और भी छं दR का समावेश करके सभी छं दR का Iव तत ृ वणOन कfं गा।

***

51

(७) ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल का सम%वय िजस तरह काTय-रचना मP +वाUहता के <लए छं द ज़\र1 है उसी तरह संगीत-रचना मP +वाUहता के <लए ताल ज़\र1 है । ग़ज़ल के छं द मा[ क छं द (मा ामेल छं द) होने के कारन उनका संगीत के ताल के साथ सीधा संबंध

थाIपत होता है । ग़ज़ल के छं द मP +युkत सं?ध

के प यभार को हमने संगीत के ताल के आधार पर ह1 नि=चत :कया है । पंचकल सं?ध के <लए १० मा ा के झपताल का +योग, ष}कल सं?ध के <लए ६ मा ा के ताल दादरा का +योग, सpतकल सं?ध के <लए ७ मा ा के ताल \पक या १४ मा ा के ताल द1पच%द1 का +योग और अYटकल सं?ध के <लए ८ मा ा के ताल कहरवा का +योग करके ग़ज़ल के छं दR मP +युkत हरे क सं?ध का प यभार हमने नि=चत :कया है मगर एक संगीतकार ग़ज़ल कJ संगीत-रचना करते समय इस बंधन से मुkत हो कर अलग-अलग सं?ध के आव तOत

व\प

के छं दR के <लए अलग-अलग ताल का +योग करता है । एक संगीतकार :कसी भी छं द कJ रचना कJ :कसी भी ताल मP संगीत-रचना कर सकता है मगर यहां पर बताई गई बातR को ]यान मP रख कर संगीत-रचना करने से उस रचना कJ धन ू मP +वाUहता और भावतEव को अdछ… तरह से नभाया जा सकता है । वैसे तो िज़यादातर संगीत-रचना :कसी एक ह1 ताल मP संगीतब

होती है । ग़ज़ल-गायन जो सुगम-संगीत का ह1 एक +कार है और उसमP िज़यादातर

ताल कहरवा, दादरा या दादरा-चलती, \पक, द1पच%द1 और झपताल का +योग होता है । अब इन सभी ताल का वणOन + तुत है ।

ताल कहरवा : मा ा : ८ खंड : २ (४+४) ताल1 कJ मा ा : १ खाल1 कJ मा ा : ५ धा गे न ती न क धी न १ ×

















52

ताल दादरा या दादरा-चलती : मा ा : ६ खंड : २ (३+३) ताल1 कJ मा ा : १ खाल1 कJ मा ा : ४ धा धी ना धा ती ना १





×









ताल \पक : मा ा : ७ खंड : ३ (३+२+२) ताल1 कJ मा ा : ४ और ६ खाल1 कJ मा ा : १ ती ती ना धी ना धी ना १





×













ताल द1पच%द1 : मा ा : १४ खंड : ४ (३+४+३+४) ताल1 कJ मा ा : १, ४ और ११ खाल1 कJ मा ा : ८ धा धीं १ ×



धा गे तीं -

३ ४ २





ता तीं -

७ ८ ०



धा गे

धीं -

१० ११ १२ १३ १४ ३

53

झपताल : मा ा : १० खंड : ४ (२+३+२+३) ताल1 कJ मा ा : १, ३ और ८ खाल1 कJ मा ा : ६ धी ना धी धी ना ती ना धी धी ना १





×







६ ०







१०



हमने ग़ज़ल के िजन ३० छं दR कJ चचाO कJ उन हरे क छं द कJ रचना को ताल दादरा मP संगीतब

:कया जा सकता है । इस तरह ताल दादरा उन सभी छं दR के <लए सामा%य है , :फर

भी ग़ज़ल-गायन मP शuदR कJ असरदार + तुती के <लए पंचकल सं?ध लगागा और गालगा तथा ष}कल सं?ध लगालगा के आव तOत

व\प के छं दR के <लए ताल दादरा का +योग सब

से िज़यादा उ?चत है और बाक़J के छं दR के <लए ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस तरह ग़ज़ल के उन ३० छं दR मP से छं द hमांक १ से ८ के <लए ताल दादरा का +योग सब से िज़यादा उ?चत होगा और बाक़J के छं द hमांक ९ से ३० के <लए ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत होगा। हमने :कसी एक सं?ध के आव तOत

व\प के शु

+कार के छं दR को दो Iवभाग मP

वग€कृत :कया है : शु -अखंxडत और शु -खंxडत। पंचकल सं?ध के आव तOत

व\पवाले छं दR

के <लए १० मा ा के झपताल का +योग, ष}कल सं?ध के आव तOत

व\पवाले छं दR के <लए

६ मा ा के ताल दादरा-चलती का +योग, सpतकल सं?ध के आव तOत

व\पवाले छं दR के <लए

७ मा ा के ताल \पक का +योग और अYटकल सं?ध के आव तOत

व\पवाले छं दR के <लए ८

मा ा के ताल कहरवा का +योग शु -अखंxडत +कार के छं दR कJ रचना के गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है जब:क शु -खंxडत +कार के छं दR कJ रचना के गायन मP लोप के

थान पर लोप :कये हुए अ^र कJ मा ा के िजतनी मा ा का अवकाश सांस लेने के <लए रहता है । ताल के एक आवतOन मP एक ह1 सं?ध का +योग हुआ हो तो छं द के सभी प यभारवाले अ^र पर ताल का सम आएगा और ताल के एक आवतOन मP दो सं?ध का +योग हुआ हो तो छं द के सभी प यभारवाले अ^र पर अनुhम से ताल के सम और खाल1 आएंगे। अब ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल के सम%वय के Iवषय के अSयास के दर<मयान िजस बात का ]यान रखना है वह + तुत है ।

54

ताल कहरवा, दादरा-चलती, \पक, द1पच%द1 और झपताल के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए २ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है तथा ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है ।

(१) लगागा लगागा लगागा लगागा पंचकल सं?ध लगागा के चार आवतOनवाले इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए ६ मा ा के ताल दादरा या दादरा-चलती का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल द1पच%द1, \पक और झपताल का +योग भी कर सकते हN मगर झपताल का +योग गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है और ताल \पक के मुक़ाबले ताल द1पच%द1 का +योग ह1 िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा का +योग अ%य ताल के मुक़ाबले बहुत कम उ?चत है , :फर भी इस छं द कJ रचना के <लए एक अलग तर1क़े से ताल कहरवा का +योग हुआ है और इसमP कई गीत भी +च<लत हुए हN। ताल कहरवा के इस +कार के +योग कJ चचाO अंत मP अलग से कJ है । : झपताल : (हरे क पंिkत का दसवीं मा ा से आरं भ) ल

गा - गा - ल गा - गा -

१०

१ ×





















९ १०



गा - गा - ल गा - गा १



×



४ ५















: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… और पहल1 मा ा के बीच मP से आरं भ) -ल गा गा -ल गा गा -ल गा गा -ल गा गा ६

१ ×













१ ×











ताल दादरा मP सम से या खाल1 से (लगागा सं?ध के पहले गुfअ^र से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो कई बार उसे पहल1 या चौथी मा ा से गाने के बजाय पहल1 और दस ू र1 मा ा के बीच मP से या चौथी और पांचवीं मा ा के बीच मP से भी गाया जाता है ।

55

: ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) ल गा ६

-



२ ३ ४

×



ल गा ६

गा -

-

ल गा -

५ ६

गा -



२ ३ ४

×



-



२ ३ ४

×



ल गा -

५ ६

गा -

-



गा -



२ ३ ४

×





ताल दादरा और दादरा-चलती दोनR के झोक मP ज़रा सा फ़रक़ है जो दोनR के Iववरण के अSयास से समझा जा सकता है । लगागा लगागा लगागा लगागा छं द के <लए ताल दादरा के दो आवतOनR का +योग हुआ है जब:क ताल दादरा-चलती के चार आवतOनR का +योग हुआ है । ऐसा भी दे खा गया है :क ताल दादरा-चलती बजने पर भी गायन का झोक ताल दादरा का ह1 हो। : ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का चौदहवीं मा ा से आरं भ) ल

गा -

-

गा -

१४ १

२ ३ ४

×





गा -

-

-

५ ६ ७

२ ३ ४

×





-

गा -

-



ल गा -

५ ६ ७

-

९ १० ११ १२ १३



गा -

१४ १

ल गा -



-

गा -

-

९ १० ११ १२ १३





: ताल \पक : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) ल गा ७

गा -



२ ३ ४

× ल गा ७

-

-

-

ल गा -

-

गा -

-

५ ६ ७



२ ३ ४

५ ६





×





गा -

-

ल गा -

गा -

-



२ ३ ४

×



-

५ ६ ७



२ ३ ४

५ ६



×





56

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का आठवीं मा ा से आरं भ) ल गा ८



गा ल गा -

२ ३





×

गा ल गा -

६ ७







गा ल गा -

२ ३



×



गा

६ ७



ताल कहरवा के इस +कार के +योग मP हरे क लगागा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र को एक ह1 मा ा मP (तीसर1 या सातवीं मा ा पर) गाना पड़ता है जब:क ताल कहरवा मP एक गुfअ^र के <लए कम से कम दो मा ा का +योग होना चाUहए। इस छं द के <लए ताल कहरवा का एक अलग तर1क़े से भी +योग होता है वह + तत ु है । ताल कहरवा के इस +कार के +योगवाले कई गाने बहुत +च<लत हN। : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का तीसर1 मा ा से आरं भ) ल गा ३



गा -

५ ६

ल गा -

७ ८

० ल गा ३



गा -

५ ६

-



गा -



२ ३ ४ ५

×



ल गा -

७ ८

-

-

-

२ ३ ४ ५

×



-

-

-

६ ७ ८ १ २ ×

गा -



-

-

-

-

-

६ ७ ८ १ २ ×

इस छं द मP दस ू र1 लगागा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र से नये शuद कJ शु\आत होती हो तो ताल कहरवा के उपरोkत +कार के +योग का ल गा ३



गा -

५ ६

ल गा -

७ ८

० -

-

-





५ ६ ०

गा -

व\प इस +कार होगा। -

-



२ ३ ४ ५

×



ल गा -

७ ८

-

-

-

गा ६

२ ३ ४ ५

×



७ ८





×

गा -



ल गा -



-

-

-

-

७ ८





×

इसी तरह से लगागा लगागा लगागा लगा और लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा लगागा छं द के <लए भी उपरोkत प त से अलग-अलग ताल का +योग :कया जा सकता है । लगागा लगागा लगागा लगा छं द के <लए झपताल का +योग भी उ?चत होगा kयR:क अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र का लोप होने के कारन गायन मP सांस लेने के <लए लोप के

थान पर लोप :कये हुए एक गुfअ^र कJ दो मा ा का अवकाश रहता है ।

57

(२) गालगा गालगा गालगा गालगा पंचकल सं?ध गालगा के चार आवतOनवाले इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए ६ मा ा के ताल दादरा या दादरा-चलती का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल द1पच%द1, \पक और झपताल का +योग भी कर सकते हN मगर झपताल का +योग गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है और ताल \पक के मुक़ाबले ताल द1पच%द1 का +योग ह1 िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा का +योग अ%य ताल के मुक़ाबले कम उ?चत है , :फर भी इस छं द कJ रचना के <लए एक अलग तर1क़े से ताल कहरवा का +योग हुआ है और इसमP कई गीत भी +च<लत हुए हN। ताल कहरवा के इस +कार के +योग कJ चचाO अंत मP अलग से कJ है । : झपताल : (हरे क पंिkत का आठवीं मा ा से आरं भ) गा ८



९ १०



गा - गा - ल गा - गा १



×



४ ५













९ १०



गा - गा - ल गा १



×



४ ५









: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का पांचवीं मा ा से आरं भ) गा -ल गा गा -ल गा गा -ल गा गा -ल गा ५



१ ×













१ ×





४ ०

ताल दादरा मP इस छं द कJ रचना कJ पंिkत का आरं भ पांचवीं और छठ… मा ा के बीच मP से भी :कया जा सकता है । ताल दादरा मP सम से या खाल1 से (गालगा सं?ध के अं तम गुfअ^र से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो कई बार उसे पहल1 या चौथी मा ा से गाने के बजाय पहल1 और दस ू र1 मा ा के बीच मP से या चौथी और पांचवीं मा ा के बीच मP से भी गाया जाता है ।

58

: ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) गा ४

ल गा -

५ ६

० गा ४

-



२ ३ ४

×



ल गा -

५ ६



गा -

-

ल गा -

५ ६

२ ३ ४

×



२ ३

×

गा -





-

ल गा -

५ ६



-

२ ३

×

ताल दादरा और दादरा-चलती दोनR के झोक मP ज़रा सा फ़रक़ है जो दोनR के Iववरण के अSयास से समझा जा सकता है । गालगा गालगा गालगा गालगा छं द के <लए ताल दादरा के दो आवतOनR का +योग हुआ है जब:क ताल दादरा-चलती के चार आवतOनR का +योग हुआ है । ऐसा भी दे खा गया है :क ताल दादरा-चलती बजने पर भी गायन का झोक ताल दादरा का ह1 हो। : ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का mयारहवीं मा ा से आरं भ) गा -

-



गा -

११ १२ १३ १४ १ ३

-

गा -

२ ३ ४

×

गा -

-



ल गा -

५ ६ ७



गा -

११ १२ १३ १४ १ ३

-

-

९ १०



गा -

२ ३ ४

×



-

-

ल गा -

५ ६ ७





-

९ १०



: ताल \पक : (हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) गा -

-

ल गा -

-

गा -



५ ६ ७



२ ३ ४





×

गा -

-

ल गा -

-

-

ल गा -

५ ६ ७







×

गा -

-

ल गा -



५ ६ ७



२ ३ ४





×



59

५ ६ ७





×

-

२ ३ -

२ ३

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ल गा ७





गा ल गा -

२ ३





×

गा ल गा -

६ ७







गा ल गा -

२ ३





×





ताल कहरवा के इस +कार के +योग मP हरे क गालगा सं?ध के पहले गुfअ^र को एक ह1 मा ा मP (तीसर1 या सातवीं मा ा पर) गाना पड़ता है जब:क ताल कहरवा मP एक गुfअ^र के <लए कम से कम दो मा ा का +योग होना चाUहए। इस छं द के <लए ताल कहरवा का एक अलग तर1क़े से भी +योग होता है वह + तत ु है । ताल कहरवा के इस +कार के +योगवाले गाने भी बहुत +च<लत हN। : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) गा ६

ल गा -

७ ८



-

-



१ ×

ल गा -

७ ८



ल गा -

७ ८

गा -

२ ३ ४ ५ ६

× गा -

-

-

-

-

गा -

२ ३ ४ ५ ६ ०

-

-



२ ३ ४ ५

×



ल गा -

७ ८

-

-

-

-



२ ३ ४ ५

×



इसी तरह से गालगा गालगा गालगा गा और गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा छं द के <लए भी उपरोkत प त से अलग-अलग ताल का +योग :कया जा सकता है । गालगा गालगा गालगा गा छं द के <लए झपताल का +योग भी उ?चत होगा kयR:क अं तम सं?ध के अं तम गुfअ^र और लघुअ^र का लोप होने के कारन गायन मP सांस लेने के <लए लोप के

थान पर लोप :कये हुए एक गुfअ^र और एक लघुअ^र कJ तीन मा ा का अवकाश रहता है ।

झपताल का +योग पंचकल सं?ध के आव तOत

व\पवाले छं दR के <लए ह1 :कया जा

सकता है इस<लए अब बाक़J के सभी छं दR कJ चचाO झपताल के अलावा अ%य ताल के संदभO मP ह1 करP गे।

60

(३) लगालगा लगालगा लगालगा लगालगा ष}कल सं?ध लगालगा के चार आवतOन के इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए ६ मा ा के ताल दादरा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा और दादरा-चलती का +योग भी :कया जा सकता है मगर ताल दादरा-चलती का +योग गायन मP

सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है । ताल दादरा-चलती के +योग मP १

लघुअ^र के <लए १ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए २ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए ष}कल सं?ध (६ मा ा कJ सं?ध) लगालगा के <लए ताल दादराचलती के एक आवतOन मP ६ मा ा का ह1 अवकाश रहे गा जब:क ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए ष}कल सं?ध (६ मा ा कJ सं?ध) लगालगा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है । इसी <लए इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा-चलती के मुक़ाबले ताल दादरा का +योग ह1 िज़यादा उ?चत है । : ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) ल गा ६



ल गा -

२ ३



ल गा -

५ ६



ल गा -

२ ३





×



×



ल गा -

ल गा -

ल गा -

ल गा -





२ ३

×



५ ६





२ ३

×







: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… और पहल1 मा ा के बीच मP से आरं भ) -ल गा ६



-ल गा -

२ ३



-ल गा -

५ ६



-ल गा -

२ ३





×



×



-ल गा -

-ल गा -

-ल गा -

-ल गा -



१ ×

२ ३



५ ६



१ ×

61

२ ३

४ ०



: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का आठवीं मा ा से आरं भ) ल गा ८



-

ल गा -

२ ३ ४

× १

ल गा -

६ ७ ८



ल गा ८



-

-

×



ल गा -

२ ३ ४

×

ल गा -

२ ३ ४



-

-





६ ७



ल गा -

६ ७ ८



-

-

ल गा -

२ ३ ४

×



-

६ ७



िजस लगालगा सं?ध के पहले लघुअ^र से नये शuद कJ शु\आत होती हो उस सं?ध कJ शु\आत ताल कहरवा मP आठवीं मा ा के बजाय उसके बादवाले आवतOन कJ पहल1 मा ा से (सम से) भी कJ जा सकती है । हरे क लगालगा सं?ध के पहले लघुअ^र से नये शuद कJ शु\आत हो और हरे क लगालगा सं?ध कJ शु\आत ताल कहरवा कJ पहल1 मा ा से (सम से) कJ जाए तो इस छं द का ताल कहरवा मP ल गा १



ल गा -

३ ४

× ल गा १



×

-

-

ल गा -



६ ७ ८ १



×

ल गा -

३ ४

व\प इस +कार होगा।

-

-



३ ४

६ ७ ८ १



×



-

-

६ ७ ८



ल गा -



ल गा -



ल गा -

३ ४



-

-

६ ७ ८



इसी तरह से गालगा लगालगा गालगा लगालगा छं द के <लए भी उपरोkत प त से अलग-अलग ताल का +योग :कया जा सकता है । इस छं द के <लए ताल दादरा-चलती के +योग से गायन मP सांस लेने के <लए लोप के

थान पर लोप :कये हुए एक लघुअ^र कJ

एक मा ा का अवकाश रहता है ।

(४) गागा ललगागा ललगागा ललगागा ष}कल सं?ध ललगागा के चार आवतOन के इस शु -खंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा के ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ७ मा ा के

ताल \पक का +योग भी उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा और

दादरा-चलती का +योग भी :कया जा सकता है । ताल दादरा-चलती के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए २ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए ष}कल सं?ध (६ मा ा कJ सं?ध) ललगागा के <लए ताल दादरा-चलती के 62

एक आवतOन मP ६ मा ा का ह1 अवकाश रहे गा जब:क ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए ष}कल सं?ध (६ मा ा कJ सं?ध) ललगागा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है । इस छं द के <लए ताल द1पच%द1 का +योग भी :कया जा सकता है मगर ताल द1पच%द1 के मुक़ाबले ताल \पक का +योग ह1 िज़यादा उ?चत होगा। : ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का पांचवीं मा ा से आरं भ) गा ५

गा -

६ १

ल ल गा -

२ ३

× गा ५





६ १



गा -

६ १ ×



ल ल

२ ३

×

ल ल गा -

२ ३

गा -







गा -

६ १



-

-

२ ३



×



: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) गा गा ६

- लल गा गा -



२ ३ ४

×



गा गा ६

-

-





२ ३ ४

×







- लल



२ ३ ४

×



- लल गा गा -



-

-



-

-



२ ३ ४



×



ताल दादरा के +योग मP ललगागा सं?ध के पहले गुfअ^र के <लए एक मा ा और दस ू रे गुfअ^र के <लए चार मा ा यह Iवषमता बहुत िज़यादा होने के कारन और दो पYट लघुअ^र के +योगवाले छं द मP गुfअ^र को उdचारण के अनुसार लघुअ^र ?गनने कJ छूट बहुत िज़यादा ल1 जाने के कारन इस छं द के <लए ताल दादरा के उपरोkत Iववरण को चु त \प से नभाना कUठन हो जाता है । इस छं द कJ रचना मP +युkत शuदR के अनुसार ताल दादरा मP ललगागा सं?ध के पहले दोनR लघुअ^रR को और पहले गुfअ^र को उसके मूल थान से पहले भी गाया जाता है ।

63

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ७

-

-

ल ल गा -

८ १

२ ३ ४ ५

× गा ७

गा -

गा -

-

-

-

ल ल

२ ३ ४ ५



×



ल ल गा -

गा -

२ ३ ४ ५

×





-

८ १

८ १



गा -





-

-



-

-

८ १

२ ३ ४ ५



×



ललगागा सं?ध के पहले लघुअ^र पर :कसी शuद का अंत होता हो तो उसे ताल कहरवा मP पांचवीं मा ा के बजाय तीसर1 मा ा से गाने से गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़

जाएगी और गायन सु%दर लगेगा। ऐसा करने पर उस ललगागा सं?ध के दस ू रे लघुअ^र को उसके मूल

थान छठ… मा ा पर ह1 गाना होगा।

ललगागा सं?ध के अं तम गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे ताल कहरवा मP कभी-कभी पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय तीसर1 मा ा से भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर उसके बादवाल1 सं?ध कJ शु\आत उसके मूल

थान पांचवीं

मा ा से ह1 होगी। : ताल \पक : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) गा -

गा -

-

ल ल गा -



७ १

२ ३ ४



×



गा -

गा -

-



७ १

२ ३ ४



×





-

ल ल



७ १

२ ३ ४



×



ल ल गा -



गा -

गा -

-



-





७ १

२ ३ ४



×



ललगागा सं?ध के पहले लघअ ु ^र पर :कसी शuद का अंत होता हो तो उसे ताल \पक मP चौथी मा ा के बजाय तीसर1 मा ा पर गाने से गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी

और गायन सु%दर लगेगा। ऐसा करने पर उस ललगागा सं?ध के दस ू रे लघअ ु ^र को उसके मूल

थान पांचवीं मा ा पर ह1 गाना होगा।

64

: ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का तेरहवीं मा ा से आरं भ) गा -

गा -

-

ल ल गा -

१३ १४ १

२ ३ ४

×





ल ल गा -

गा -

गा -

गा -

-

१३ १४ १

२ ३ ४

×







गा -





७ ८

७ ८

-





९ १० ११ १२ ३ -

-

-

९ १० ११ १२





इस छं द के <लए ताल द1पच%द1 के मुक़ाबले ताल \पक का +योग ह1 िज़यादा उ?चत है ।

(५) लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा सpतकल सं?ध लगागागा के चार आवतOन के इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा के ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग भी :कया जा सकता है । ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए सpतकल सं?ध (७ मा ा कJ सं?ध) लगागागा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल \पक या द1पच%द1 का +योग गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है और ताल द1पच%द1 के मुक़ाबले ताल \पक का +योग ह1 िज़यादा उ?चत रहे गा। : ताल \पक : (हरे क पंिkत का तीसर1 मा ा से आरं भ) ल गा ३

गा -



५ ६

७ १





×

गा -

गा -

ल गा ३

गा -



५ ६

७ १





×

ल गा -

२ ३

65

गा -



५ ६

७ १





×

गा -

गा -

ल गा -

२ ३

गा -



५ ६

७ १





×





: ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का दसवीं मा ा से आरं भ) ल

गा -

गा -

गा -

१० ११ १२ १३ १४ १ ३ ल

ल गा -

२ ३



×

गा -

गा -

५ ६

गा -

७ ८



गा -

१० ११ १२ १३ १४ १ ३

गा -



ल गा -

२ ३



×



गा -

५ ६

गा -

७ ८







: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) ल गा ४



गा -

६ ७

गा -

८ १

० ५

ल गा -

२ ३ ४

×

ल गा ४

-

गा -

६ ७



६ ७

गा -

८ १



गा -

८ १



गा -

-

×



२ ३

×

ल गा -

२ ३ ४

-

गा -

६ ७

गा -

८ १



-

२ ३

×

लगागागा सं?ध के अं तम गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे ताल कहरवा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय दस ू र1 मा ा से गाने से गायन सु%दर लगेगा और गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। : ताल दादरा :

(हरे क पंिkत का तीसर1 और चौथी मा ा के बीच मP से आरं भ) रचना मP +युkत शuदR के आधार पर इस छं द के <लए ताल दादरा दो तरह से +युkत हो सकता है । -ल गा -

गा गा -

-ल गा गा -

गा -











-ल गा -

गा गा -

-ल गा गा -

२ ३







गा १





×



×

-ल गा -

गा गा -

-ल गा -

गा गा -

-ल गा गा -

गा -





४ ०





-ल गा गा -

२ ३

×

४ ०

66





गा १ ×



रचना मP +युkत शuदR के आधार पर लगागागा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र को पांचवीं या छठ… मा ा पर गाया जाता है । :फLम ‘हाउस नं ४४’ कJ हे मंतकुमार कJ गायी हुई ग़ज़ल ‘तेर1 द ु नया मP जीने से तो बेहतर है :क मर जाएं’ जो ताल कहरवा मP संगीतब है उसकJ पहल1 पंिkत का ताल दादरा मP

व\प इस +कार होगा।

-ते

र1

-

द ु न या -













-मP

२ ३

× है

-





२ ३







ने -

से -











-तो बेह तर ४

जी

×

×

-:क मर ४





जा एं

-







१ ×

लगागागा सं?ध के अं तम गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे कभी-कभी ताल दादरा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय पहल1 और दस ू र1 मा ा के बीच मP से भी गाया जाता है । इसी तरह से लगागागा लगागागा लगागा छं द के <लए भी उपरोkत प त से अलगअलग ताल का +योग :कया जा सकता है । इस छं द के <लए ताल \पक या द1पच%द1 के +योग से गायन मP सांस लेने के <लए लोप के

थान पर लोप :कये हुए एक गुfअ^र कJ दो मा ा का अवकाश रहता है । इस छं द कJ रचना कJ एक पंिkत के <लए ताल द1पच%द1 का डेढ़

आवतOन +यk ु त होने के कारन बाक़J के आधे आवतOन को संगीत के टुकड़R से भरना पड़ेगा।

(६) गालगागा गालगागा गालगागा गालगा सpतकल सं?ध गालगागा के चार आवतOन के इस शु -खंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा के ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग भी :कया जा सकता है । ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए सpतकल सं?ध (७ मा ा कJ सं?ध) गालगागा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल \पक या द1पच%द1 का +योग भी उ?चत है ।

67

: ताल \पक : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

ल गा -

२ ३

× गा १

गा -



५ ६

७ १





×

गा -

गा -

ल गा -

२ ३

×

गा -



५ ६

७ १





×

ल गा -

२ ३

गा -



५ ६





ल गा -

-

-



५ ६







२ ३



: ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

ल गा -

२ ३



×

गा -

५ ६

गा -

७ ८



गा १



×

गा -

गा -

५ ६



गा -

७ ८



गा -

९ १० ११ १२ १३ १४



ल गा -

२ ३





गा -

-

-

९ १० ११ १२ १३ १४





: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

-

ल गा -

२ ३ ४

×

×

६ ७

-

-

ल गा -

२ ३ ४

×

ल गा -

२ ३ ४

गा -

८ १



गा १



गा -



गा -

६ ७



×

६ ७





गा -

८ १



गा -

-

ल गा -

२ ३ ४



-

-

६ ७





गालगागा सं?ध के पहले गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे ताल कहरवा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय दस ू र1 मा ा से गाने से गायन सु%दर लगेगा और गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। इस आधार पर इस छं द कJ रचना कJ

हरे क पंिkत का आरं भ ताल कहरवा मP दस ू र1 मा ा से भी :कया जा सकता है । हरे क गालगागा सं?ध का आरं भ ताल कहरवा कJ दस ू र1 मा ा से :कया जाए तो इस छं द का ताल कहरवा मP

व\प इस +कार होगा।

68

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का दस ू र1 मा ा से आरं भ) गा २

ल गा -

३ ४



गा -

६ ७

-

८ १ २

० गा २



ल गा -

३ ४

×

ल गा -

३ ४

गा -

गा -

६ ७

-

६ ७

गा -

×

ल गा -

३ ४

×



-

८ १



८ १ २





गा -

-

-

६ ७

-

८ १



×

रचना मP +युkत शuदR के आधार पर इस छं द के <लए ताल कहरवा मP उपरोkत दोनR प त का +योग होता है । गालगागा सं?ध के पहले गुfअ^र पर :कसी शuद का अंत होने पर उसे ताल कहरवा कJ पहल1 मा ा से (सम से) और गालगागा सं?ध के पहले गुfअ^र से :कसी शuद शु\आत होने पर उसे ताल कहे रवा कJ दस ू र1 मा ा से गाने पर गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। गालगागा सं?ध के अं तम गुfअ^र से नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा

मP सातवीं मा ा से गाने के बजाय उसके बादवाले आवतOन कJ पहल1 मा ा से (सम से) गाने पर गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। ऐसा करने पर उसके बादवाल1 गालगागा सं?ध

के पहले गुfअ^र को (प यभारवाले गुfअ^र को) ताल कहरवा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय <सफ़O तीसर1 मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना पड़ेगा जब:क ताल कहरवा मP एक गुfअ^र के <लए कम से कम दो मा ा का +योग होना चाUहए। : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) रचना मP +युkत शuदR के आधार पर इस छं द के <लए ताल दादरा दो तरह से +युkत हो सकता है । गा -

-ल गा गा -

गा -

-ल गा -



२ ३

×





गा गा ६

-ल गा -

-

गा गा -

-ल गा -

-

-ल गा -

×







१ ×



गा

गा -

गा -



२ ३

×

-ल गा गा -

२ ३

-ल गा -







-ल गा गा ५

गा १

गा -



२ ३









रचना मP +युkत शuदR के आधार पर गालगागा सं?ध के अं तम गुfअ^र को पांचवीं या छठ… मा ा पर गाया जाता है । इस छं द कJ रचना कJ पंिkत का आरं भ कभी-कभी ताल दादरा

69

मP पहल1 मा ा से (सम से) करने के बजाय पहल1 और दस ू र1 मा ा के बीच मP से भी :कया जाता है । गालगागा सं?ध के अं तम गुfअ^र से नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल दादरा मP पांचवीं मा ा से या छठ… मा ा पर गाने के बजाय उसके बादवाले आवतOन कJ पहल1 मा ा पर (सम पर) गाने से गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। ऐसा करने पर उसके

बादवाल1 गालगागा सं?ध के पहले गुfअ^र को (प यभारवाले गुfअ^र को) ताल दादरा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय दस ू र1 मा ा से गाना पड़ेगा। इसी तरह से गालगागा गालगागा गालगा और गालगागा गालगा गालगागा गालगा छं द के <लए भी उपरोkत प त से अलग-अलग ताल का +योग :कया जा सकता है । गालगागा गालगागा गालगा छं द कJ रचना कJ एक पंिkत के <लए ताल द1पच%द1 का डेढ़ आवतOन +युkत होने के कारन बाक़J के आधे आवतOन को संगीत के टुकड़R से भरना पड़ेगा।

(७) गागालगा गागालगा गागालगा गागालगा सpतकल सं?ध गागालगा के चार आवतOन के इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा के ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग भी :कया जा सकता है । ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए सpतकल सं?ध (७ मा ा कJ सं?ध) गागालगा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल \पक या द1पच%द1 का +योग गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है । : ताल \पक : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) गा -

गा -



७ १



×

गा -

गा -



७ १



×

ल गा -

२ ३

गा -



५ ६

७ १





×

गा -

गा -

ल गा -

२ ३

गा -



५ ६

७ १





×

70

ल गा -

२ ३





१ ल गा -

२ ३

४ १



: ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का तेरहवीं मा ा से आरं भ) गा -

गा -

१३ १४ १

ल गा -

२ ३

× गा -



गा -

५ ६

७ ८



गा -

१३ १४ १ ×





गा -

५ ६





गा -

७ ८

गा -

९ १० ११ १२



ल गा -

२ ३

गा -



गा -

९ १० ११ १२





: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ७

गा -

८ १

-

ल गा -

२ ३ ४

× गा ७

६ ७

-

×



-

ल गा -

२ ३ ४

×

ल गा -

२ ३ ४

गा -

८ १



गा -

८ १



गा -

गा -

६ ७



×





गा -

८ १



-

ल गा -

२ ३ ४







गागालगा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे ताल कहरवा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय दस ू र1 मा ा से गाने से गायन सु%दर लगेगा और गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी।

गागालगा सं?ध के पहले गुfअ^र से नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP सातवीं मा ा से गाने के बजाय उसके बादवाले आवतOन कJ पहल1 मा ा से (सम से) गाने पर गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। ऐसा करने पर गागालगा सं?ध के दस ू रे

गुfअ^र को (प यभारवाले गुfअ^र को) ताल कहरवा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय तीसर1 मा ा पर गाना पड़ेगा। इस आधार पर इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल कहे रवा मP पहल1 मा ा से भी :कया जा सकता है । हरे क गागालगा सं?ध का आरं भ ताल कहरवा कJ पहल1 मा ा से :कया जाए तो इस छं द का ताल कहरवा मP इस +कार होगा।

71

व\प

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

गा ल गा -

२ ३



× गा १

-



×

गा -



६ ७ ८ १



×

गा ल गा -

२ ३

-

-

-

२ ३

६ ७ ८ १



×





-

-

६ ७ ८



गा -



गा ल गा -

गा ल गा -

२ ३





-

-

६ ७ ८



इस छं द के <लए ताल कहरवा के इस +कार के +योग मP गागालगा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र को (प यभारवाले गुfअ^र को) <सफ़O तीसर1 मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना पड़ेगा जब:क ताल कहरवा मP एक गुfअ^र के <लए कम से कम दो मा ा का +योग होना चाUहए। वैसे रचना मP +युkत शuदR के अनुसार ताल कहरवा के उपरोkत दोनR +कार का <मa +योग करना चाUहए। : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) रचना मP +युkत शuदR के आधार पर इस छं द के <लए ताल दादरा दो तरह से +युkत हो सकता है । गा गा -

-ल गा -

गा गा -

-ल गा गा -





२ ३





गा गा ६

गा १

-ल गा -ल गा गा

२ ३





×



×



गा गा -

-ल गा -

गा गा -

-ल गा -

-

गा -

-ल गा गा -



१ ×

२ ३









गा १ ×

-ल गा -

२ ३







गागालगा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे कभी-कभी ताल दादरा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय पहल1 और दस ू र1 मा ा के बीच मP से भी गाया जाता है । गागालगा सं?ध के पहले गुfअ^र से नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल दादरा मP छठ… मा ा पर या पांचवीं मा ा से गाने के बजाय उसके बादवाले आवतOन कJ पहल1 मा ा पर (सम पर) गाने से गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। ऐसा करने पर गागालगा

सं?ध के दस ू रे गुfअ^र को (प यभारवाले गुfअ^र को) ताल दादरा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय दस ू र1 मा ा से गाना पड़ेगा। इस आधार पर इस छं द कJ रचना कJ हरे क

72

पंिkत का आरं भ ताल दादरा मP पहल1 मा ा से भी :कया जा सकता है । हरे क गागालगा सं?ध का आरं भ ताल दादरा कJ पहल1 मा ा से :कया जाए तो इस छं द का ताल दादरा मP

व\प

इस +कार होगा। : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा गा -ल गा १





× २



×

गा गा -ल गा -



५ ६ १



×

गा गा -ल गा १

-

-







-

५ ६



गा गा -ल गा -



५ ६ १



×







-

५ ६



वैसे रचना मP +युkत शuदR के अनुसार ताल दादरा के उपरोkत दोनR +कार का <मa +योग करना चाUहए।

(८) ललगालगा ललगालगा ललगालगा ललगालगा सpतकल सं?ध ललगालगा के चार आवतOन के इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा के ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग भी :कया जा सकता है । ताल दादरा के +योग मP १ लघअ ु ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए सpतकल सं?ध (७ मा ा कJ सं?ध) ललगालगा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल \पक या द1पच%द1 का +योग गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है । : ताल \पक : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) ल ल गा ६







२ ३

×

ल ल गा ६ २

ल गा -



१ ×



५ ६





ल गा -

२ ३

ल ल गा ७



२ ३

×

५ ६





73



१ ×







ल ल गा -



ल गा -

ल गा -

२ ३

४ १



: ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का तेरहवीं मा ा से आरं भ) ल



गा -

१३ १४ १

ल गा -

२ ३

× ल



५ ६







गा -

१३ १४ १



ल ल गा -

×



गा -

९ १० ११ १२



ल गा -

२ ३





ल ल गा -

५ ६









गा -

९ १० ११ १२





: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) ल ल गा ७





-

ल गा -

२ ३ ४

× ८

६ ७







ल ल गा ७



ल ल गा -



-

×



ल गा -

२ ३ ४

×

ल गा -

२ ३ ४

-











ल ल गा -

६ ७



-

ल गा -

२ ३ ४

×







ललगालगा सं?ध के पहले गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे ताल कहरवा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय दस ू र1 मा ा से गाने से गायन सु%दर लगेगा और गायन मP शuदR कJ

पYटता बढ़ जाएगी। : ताल दादरा :

(हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) लल गा ६



-ल गा -

२ ३

× १ ×

५ ६



लल गा ६



लल गा -



२ ३

×

-ल गा -

२ ३



-ल गा -



१ ×





लल गा -

५ ६



-ल गा -

२ ३







ललगालगा सं?ध के पहले गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होती हो तो उसे कभी-कभी ताल दादरा मP पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय पहल1 और दस ू र1 मा ा के बीच मP से भी गाया जाता है ।

74

(९) लगालगागा लगालगागा लगालगागा लगालगागा अYटकल सं?ध लगालगागा के चार आवतOन के इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए <सफ़O ८ मा ा का ताल कहरवा ह1 उ?चत है । : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) ल गा १



ल गा -

३ ४

×

×

६ ७



५ ०



ल गा -

३ ४

×

ल गा -

३ ४

ल गा -

८ १



ल गा १



गा -

गा -

६ ७

×

६ ७





ल गा -

८ १



गा -



ल गा -

३ ४



गा -

६ ७





लगालगागा सं?ध के पहले लघुअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP कभी-कभी पहल1 मा ा (सम) के बजाय दस ू र1 मा ा पर भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर लगालगागा सं?ध के पहले गुfअ^र को दस ू र1 मा ा से गाने के बजाय <सफ़O तीसर1 मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना होगा। इस आधार पर इस छं द कJ रचना कJ पंिkत का आरं भ ताल कहरवा मP दस ू र1 मा ा से भी :कया जा सकता है ।

(१०) गागागागा गागागागा गागागागा गागागागा अYटकल सं?ध गागागागा के चार आवतOन के इस शु -अखंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा का ताल कहरवा सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का भी +योग :कया जा सकता है । ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए अYटकल सं?ध (८ मा ा कJ सं?ध) गागागागा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है ।

75

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ७

गा -

८ १

गा -

२ ३

४ ५

× गा ७

गा -

६ ७

गा -

२ ३

गा -

२ ३

गा -

४ ५

×

गा -

४ ५

×

गा -

८ १



गा -

८ १

गा -

गा -

६ ७





गा -

८ १



गा -

२ ३

गा -

४ ५

×





गागागागा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP कभी-कभी पहल1 मा ा (सम) के बजाय दस ू र1 मा ा से भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर गागागागा सं?ध के तीसरे गf ु अ^र को तीसर1 मा ा से गाने के बजाय <सफ़O चौथी मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना होगा। : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) रचना मP +युkत शuदR के आधार पर इस छं द के <लए ताल दादरा दो तरह से +युkत हो सकता है मगर इसके <सवा :क एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग

हुआ हो। गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा

























×



×



गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा -

-

गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा -











×











×









अYटकल सं?ध के +योगवाले इस छं द के <लए िज़यादातर ताल कहरवा का +योग ह1 Uदखाई दे ता है और वह1 िज़यादा उ?चत है ।

76

(११) गागागागा गागागागा गागागागा गागागा अYटकल सं?ध गागागागा के चार आवतOन के इस शु -खंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा का ताल कहरवा सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का भी +योग :कया जा सकता है । ताल दादरा के +योग मP १ लघुअ^र के <लए १/२ मा ा का और १ गुfअ^र के <लए १ या उससे अ?धक मा ा का +योग :कया जा सकता है इस<लए अYटकल सं?ध (८ मा ा कJ सं?ध) गागागागा के <लए ताल दादरा के एक आवतOन मP १२ मा ा का अवकाश <मल सकता है । : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

गा -

२ ३

४ ५

×

×

गा -

६ ७

गा -

२ ३



गा -

२ ३

गा -

६ ७

×

गा -

६ ७





गा -

८ १

गा -

४ ५

×

गा -

४ ५

गा -

८ १



गा १

गा -

गा -

२ ३

गा -

४ ५

-

-

६ ७





गागागागा सं?ध के पहले गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP पहल1 मा ा (सम) के बजाय दस ू र1 मा ा से भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर गागागागा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र को तीसर1 मा ा से गाने के बजाय <सफ़O चौथी मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना होगा। इस आधार पर इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल कहरवा मP दस ू र1 मा ा से भी :कया जा सकता है ।

77

: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) रचना मP +युkत शuदR के आधार पर इस छं द के <लए ताल दादरा दो तरह से +युkत हो सकता है मगर इसके <सवा :क एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघअ ु ^रR का +योग

हुआ हो। गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा

























×



×



गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा -

-

गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा -

-













×







१ ×









अYटकल सं?ध के +योगवाले इस छं द के <लए िज़यादातर ताल कहरवा का +योग ह1 Uदखाई दे ता है और वह1 िज़यादा उ?चत है । इसी तरह से गागागागा गागागागा और गागागागा गागागा छं द के <लए भी उपरोkत प त से ताल कहरवा और दादरा का +योग :कया जा सकता है ।

(१२) गागागागा गागा गागागागा गागा अYटकल सं?ध गागागागा के आवतOन के इस शु -खंxडत छं द कJ रचना के <लए ८ मा ा का ताल कहरवा सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का भी +योग :कया जा सकता है ।

78

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ७

गा -

८ १

गा -

२ ३

४ ५

× गा ७

गा -

गा -

६ ७

गा -

८ १



गा -

८ १

गा -

२ ३

×

-

-

गा -

६ ७



गा -

८ १



-

२ ३ ४ ५ ६

×

गा -

४ ५

-

-

-

-

-

२ ३ ४ ५ ६

×



गागागागा सं?ध के दस ू रे गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP कभी-कभी पहल1 मा ा (सम) के बजाय दस ू र1 मा ा से भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर गागागागा सं?ध के तीसरे गf ु अ^र को तीसर1 मा ा से गाने के बजाय <सफ़O चौथी मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना होगा। : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) रचना मP +युkत शuदR के आधार पर इस छं द के <लए ताल दादरा दो तरह से +युkत हो सकता है मगर इसके <सवा :क एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग

हुआ हो। गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा गा -

गा गा -

गा -



















×

गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा गा -

गा -







×









×

-

-

-

-



गा गा गा २

-

२ ३ ४ ५

×



-

-

-

-

-

-

-

२ ३ ४ ५ ०

अYटकल सं?ध के +योगवाले इस छं द के <लए <सफ़O ताल कहरवा का +योग ह1 Uदखाई Uदया है और वह1 िज़यादा उ?चत है । गागागागा गागा गागागागा गागा छं द िज़यादातर गागाललगा गागा गागाललगा गागा व\प से ह1 +युkत होता Uदखाई Uदया है और इस छं द कJ रचना के <लए <सफ़O ताल कहरवा का +योग ह1 Uदखाई Uदया है । इस छं द का ताल कहरवा मP Iववरण इस +कार है ।

79

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ७

गा -

८ १

ल ल गा -

२ ३



× गा ७

६ ७

गा -

८ १



गा -

८ १



गा -



×

-



गा -

६ ७

-



गा -

८ १



-

२ ३ ४ ५ ६

×

ल ल गा -

२ ३

-

-

-

-

-

२ ३ ४ ५ ६

×



(१३) गागालगा लगागा गागालगा लगागा कुल २४ मा ा के इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा, दादरा और दादरा-चलती का +योग :कया जा सकता है :क िजसमP ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है जब:क इस छं द मP प यभार हर ६ मा ा के अंतर पर होने के कारन ताल दादरा-चलती का +योग गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है । : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ७

-

-

ल गा -

८ १

२ ३ ४ ५

×



गा ७

गा -

गा -

-

-



७ ८

२ ३ ४ ५

×





गा -

२ ३



१ ×

-



ल गा -

७ ८

-

४ ५ ६

×

ल गा -

८ १

ल गा -

गा -

२ ३

-

-

४ ५ ६ ०

इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा का +योग दस ू रे +कार से भी :कया जा सकता है जो इस +कार है ।

80

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

गा -

२ ३

४ ५

×



ल गा -

७ ८



गा १

ल गा -

गा -

२ ३

२ ३

-

ल गा ६





-

-



ल गा -

७ ८

-

४ ५ ६ ७ ८

×

४ ५

×



गा -

गा -

२ ३

-

-

-

-

४ ५ ६ ७ ८

×



इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा का +योग उपरोkत दोनR +कार के <मa \प से भी :कया जा सकता है । : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) गा गा ६



-ल गा -

२ ३



५ ६

×



गा गा -

-ल गा -





२ ३



×

-ल गा गा १





-ल गा गा १



-

३ ४ ५

× ५ ६

-



-

-

३ ४ ५

×



इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग दस ू रे +कार से भी :कया जा सकता है जो इस +कार है । : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा गा -ल गा १





×



५ ६



×













१ ×

-

-



-ल गा गा -

५ ६

-

३ ४ ५ ६

×

गा गा -ल गा १

-ल गा गा -



-

-

-

३ ४ ५ ६ ०

इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग उपरोkत दोनR +कार के <मa \प से भी :कया जा सकता है ।

81

: ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का पांचवीं मा ा से आरं भ) गा ५

गा -

६ १

ल गा -

२ ३

× गा ५

गा -

६ १



ल गा -

५ ६



२ ३



×

ल गा -

ल गा -

२ ३

×



५ ६





गा ४ ० गा -

२ ३

×

४ ०

(१४) ललगालगा लगागा ललगालगा लगागा कुल २४ मा ा के इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा, दादरा और दादरा-चलती का +योग :कया जा सकता है :क िजसमP ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है जब:क इस छं द मP प यभार हर ६ मा ा के अंतर पर होने के कारन ताल दादरा-चलती का +योग गायन मP सांस लेने मP Iव^ेप पैदा कर सकता है । : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) ल ल गा ७





-

ल गा -



२ ३ ४ ५

×



ल ल गा ७

-

-

-



७ ८

२ ३ ४ ५

×





गा -

२ ३



१ ×

82

-



ल गा -

७ ८

-

४ ५ ६

×

ल गा -



ल गा -

गा -

२ ३

-

-

४ ५ ६ ०

: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) लल गा ६



-ल गा -

२ ३

× १

५ ६





लल गा ६



-ल गा गा -

×





-ल गा गा -

५ ६





-

३ ४ ५

×

-ल गा -

२ ३



-



-

-

३ ४ ५

×



: ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का पांचवीं मा ा से आरं भ) ल ल गा ५





ल गा -

२ ३

× ल ल गा ५



१ ×



ल गा -

५ ६



२ ३



×

ल गा -

ल गा -

२ ३



५ ६





गा ४ ० गा -

२ ३

×

४ ०

(१५) गाललगा लगालगा गाललगा लगालगा कुल २४ मा ा के इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा और दादरा का +योग :कया जा सकता है । इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा के मुक़ाबले ताल कहरवा का +योग ह1 िज़यादा उ?चत है , :फर भी इस छं द कJ रचना के <लए िज़यादातर ताल दादरा का ह1 +योग Uदखाई Uदया है ।

83

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

ल ल गा -

२ ३





×

ल गा -

६ ७ ८



गा १

-





×

ल गा -

२ ३ ४



×

ल ल गा -

२ ३



-

-





-

६ ७ ८



ल गा -

६ ७ ८

-

-

ल गा -

२ ३ ४



×

-

-

६ ७ ८



: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

लल गा -

२ ३

×

× दो

५ ६





गा १



-ल गा -

लल गा -

२ ३



-ल गा -

२ ३



५ ६

×



-ल गा -

-ल गा -

५ ६





×

२ ३



-

-

५ ६



पYट लघुअ^र के +योगवाले छं द मP गुfअ^र को उdचारण के अनुसार लघुअ^र

?गनने कJ छूट बहुत िज़यादा ल1 जाने के कारन इस छं द के <लए ताल दादरा के उपरोkत Iववरण को चु त \प से नभाना कUठन हो जाता है ।

(१६) गागा लगालगा ललगागा लगालगा कुल २२ मा ा के इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा, दादरा, दादरा-चलती, \पक और द1पच%द1 का +योग :कया जा सकता है :क िजसमP ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है और ताल द1पच%द1 के मुक़ाबले ताल \पक का +योग िज़यादा उ?चत होगा।

84

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का सातवीं मा ा से आरं भ) गा ७

-

-

ल गा -

८ १

२ ३ ४ ५

×



गा ७

गा -

गा -

-

-



७ ८

ल गा -

८ १

२ ३ ४ ५

×



ल गा -



-

ल ल



२ ३ ४ ५

×



ल गा -

७ ८

-

-

-



-

-



२ ३ ४ ५



×



इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा का +योग दस ू रे +कार से भी :कया जा सकता है जो इस +कार है । : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

गा -

२ ३

४ ५

×



ल गा -

७ ८



गा १

ल गा -

-

२ ३

×

-

ल गा -

४ ५





-

ल ल गा -



२ ३ ४ ५







×

० -

-

-

-



२ ३ ४ ५







×



ल गा -

७ ८

-

-

-

इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा का +योग उपरोkत दोनR +कार के <मa \प से भी :कया जा सकता है । दस ू र1 या तीसर1 सं?ध (लगालगा या ललगागा) के अं तम गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP कभी-कभी पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय तीसर1 मा ा से भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर उसके बादवाल1 सं?ध को उसके मूल

थान पांचवीं मा ा से ह1 गाना होगा। तीसर1 सं?ध ललगागा के पहले गुfअ^र से नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल

कहरवा मP कभी-कभी सातवीं मा ा से गाने के बजाय उसके बादवाले आवतOन कJ पहल1 मा ा से (सम से) भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर उसके बादवाले गुfअ^र को (प यभारवाले गुfअ^र को) पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय ताल कहरवा कJ तीसर1 मा ा से गा कर उसके बादवाल1 सं?ध को उसके मूल

85

थान पांचवीं मा ा से ह1 गाना होगा।

: ताल दादरा : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) गा गा ६



-ल गा -

२ ३



-ल गा -

५ ६





×

गा गा -

-ल गा -

-ल गा -



२ ३

×



५ ६





-

लल

२ ३ ४ ५

× ६

-

० -

-

-

२ ३ ४ ५

×



इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग दस ू रे +कार से भी :कया जा सकता है जो इस +कार है । : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा गा -ल गा १





×



-ल गा -

५ ६

१ ×

गा -

-ल गा -

-ल गा -





×



५ ६





-

लल गा

२ ३ ४ ५

० २

-



० -

-

२ ३ ४ ५



×

-



इस छं द कJ रचना के <लए ताल दादरा का +योग उपरोkत दोनR +कार के <मa \प से भी :कया जा सकता है । तीसर1 सं?ध ललगागा के पहले गुfअ^र से नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल दादरा मP कभी-कभी छठ… मा ा पर गाने के बजाय उसके बादवाले आवतOन कJ पहल1 मा ा पर (सम पर) भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर उसके बादवाले गुfअ^र को (प यभारवाले गुfअ^र को) पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय ताल दादरा कJ दस ू र1 मा ा से गा कर उसके बादवाल1 सं?ध को उसके मूल मP से ह1 गाना होगा।

86

थान तीसर1 और चौथी मा ा के बीच

: ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का पांचवीं मा ा से आरं भ) गा ५

गा -

६ १

ल गा -

२ ३

× गा ५

गा -

६ १



ल गा -

५ ६



२ ३



×

ल गा -

ल गा -

२ ३

×



५ ६





ल ल ४ ० -

-

२ ३



×



: ताल \पक : (हरे क पंिkत का छठ… मा ा से आरं भ) गा -

गा -

-

ल गा -



७ १

२ ३ ४



×



गा -

गा -

-



७ १

२ ३ ४



×





-

ल ल

६ ७



२ ३ ४



×



ल गा -



ल गा -

ल गा -

-



-



६ ७



२ ३ ४



×



: ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का तेरहवीं मा ा से आरं भ) गा -

गा -

-

ल गा -

१३ १४ १

२ ३ ४

×



गा -

गा -

-



६ ७

२ ३ ४

×





-









ल गा -

६ ७



९ १० ११ १२



ल गा -

१३ १४ १

ल गा -

-

-

-

९ १० ११ १२





(१७) लगालगा ललगागा लगालगा गागा कुल २२ मा ा के इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा, दादरा, दादरा-चलती, \पक और द1पच%द1 का +योग :कया जा सकता है :क िजसमP ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है और ताल द1पच%द1 के मुक़ाबले ताल \पक का +योग िज़यादा उ?चत होगा।

87

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का पांचवीं मा ा से आरं भ) ल गा ५



ल गा -

७ ८

० ल गा ५





-





२ ३ ४ ५

×



ल गा -

७ ८

-

-

-

ल गा ६

२ ३ ४ ५

×



८ १

-

-

२ ३ ४

×

गा -





गा -



गा ७

-

-

८ १

-

-

२ ३ ४

×

दस ू र1 या तीसर1 सं?ध (ललगागा या लगालगा) के अं तम गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP कभी-कभी पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय तीसर1 मा ा से भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर उसके बादवाल1 सं?ध को उसके मूल

थान पांचवीं मा ा से ह1 गाना होगा। : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का तीसर1 और चौथी मा ा के बीच मP से आरं भ) -ल गा ३



-ल गा -

-

लल गा गा -



२ ३ ४



×



-ल गा -

-ल गा -





५ ६

-

५ ६



-



२ ३ ४

×







×

गा गा







-

-

-







×

: ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का तीसर1 मा ा से आरं भ) ल गा ३



ल गा -

५ ६



२ ३



×

ल गा -

ल गा -



४ ०

५ ६





ल गा ४



६ १

० गा -

२ ३

×

४ ०

88

गा २

× गा ५

-

-

६ १



×

: ताल \पक : (हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) ल गा ४



१ ५



-



६ ७



२ ३ ४



×

ल गा ४

ल गा -

ल गा -

-

ल गा ६

७ १





×

गा -

गा -

-

६ ७



२ ३ ४



×





गा -



-

२ ३ -



७ १



×

-

२ ३

: ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का mयारहवीं मा ा से आरं भ) ल

गा

-



गा -

११ १२ १३ १४





×



गा

-



-



ल गा - गा -

२ ३









×







गा -

११ १२ १३ १४



९ १०



- गा

२ ३

-



-

गा -

-

-







९ १०





-



(१८) गालगागा ललगागा ललगागा गागा कुल २३ मा ा के इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा, दादरा, दादरा-चलती, \पक और द1पच%द1 का +योग :कया जा सकता है :क िजसमP ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है और ताल द1पच%द1 के मुक़ाबले ताल \पक का +योग िज़यादा उ?चत होगा। : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) गा -

ल गा -







-

-



८ १

२ ३ ४ ५



×



-

ल ल गा -

गा -



५ ०





गा -



-

-



२ ३ ४ ५

×





गा -

८ १

-

२ ३

×

गा -

८ १

89

ल गा -



गा ७

-

८ १ ×

-

-

२ ३

इस छं द कJ रचना कJ पंिkत का आरं भ ताल कहरवा मP चौथी मा ा के बजाय पांचवीं मा ा से भी :कया जा सकता है । ऐसा करने पर पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O पांचवीं मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना पड़ेगा। दस ू र1 या तीसर1 सं?ध ललगागा के अं तम गुfअ^र से (सम से) नये शuद कJ शु\आत होने पर उसे ताल कहरवा मP कभी-कभी पहल1 मा ा से (सम से) गाने के बजाय तीसर1 मा ा से भी गाया जा सकता है । ऐसा करने पर उसके बादवाल1 सं?ध को उसके मूल

थान पांचवीं मा ा से ह1 गाना होगा। : ताल दादरा :

(हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) गा -ल

गा गा -









२ ३ ४

×



लल गा गा -







-



-



-

-

लल गा गा ५



२ ३ ४

×



२ ३

×

गा गा





-



-

-

-

-





२ ३

×

इस छं द कJ रचना कJ पंिkत का आरं भ ताल दादरा मP चौथी और पांचवीं मा ा के बीच मP से भी :कया जा सकता है । : ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का दस ू र1 मा ा से आरं भ) गा -

ल गा -









६ १

० ल ल गा -









२ ३

×

-



गा -



ल गा ४



६ १



गा -

६ १

गा -

२ ३

×

४ ०

गा ×

गा ५

-

६ १ ×

िज़यादातर इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल दादरा-चलती मP दस ू र1 मा ा के बजाय तीसर1 मा ा से करके पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O तीसर1 मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाया जाता है । ऐसा करने से गायन मP सांस लेने के <लए दो मा ा का अवकाश रहता है ।

90

: ताल \पक : (हरे क पंिkत का तीसर1 मा ा से आरं भ) गा -

ल गा -





४ १



७ १

२ ३ ४



×

ल ल गा -



४ १

-



-



गा -

गा -

-

ल गा ६

७ १





×

गा -

गा -

-

-



७ १





×



७ १

२ ३ ४



×





गा -





इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल \पक मP तीसर1 मा ा के बजाय चौथी मा ा से करके पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O चौथी मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाने से गायन मP िज़यादा सुIवधा रहे गी। : ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का दसवीं मा ा से आरं भ) गा -



गा -

गा -

१० ११ १२ १३ १४ १ ३ -





गा -



२ ३ ४

×

ल गा ५



-

×







गा -

२ ३ ४

गा -

७ ८



गा -

१० ११ १२ १३ १४ १ ३

-



गा ६

-

-

७ ८





इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल द1पच%द1 मP दसवीं मा ा के बजाय mयारहवीं मा ा से करके पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O mयारहवीं मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाने से गायन मP िज़यादा सुIवधा रहे गी। इसी तरह से गालगागा ललगागा गागा छं द के <लए भी उपरोkत प त से अलग-अलग ताल का +योग :कया जा सकता है । इस छं द कJ रचना कJ एक पंिkत के <लए ताल द1पच%द1 का डेढ़ आवतOन +युkत होने के कारन बाक़J के आधे आवतOन को संगीत के टुकड़R से भरना पड़ेगा।

91

(१९) गालगागा लगालगा गागा कुल १७ मा ा के इस छं द कJ रचना के <लए ताल कहरवा, दादरा, दादरा-चलती, \पक और द1पच%द1 का +योग :कया जा सकता है :क िजसमP ताल कहरवा का +योग सब से िज़यादा उ?चत है और ताल द1पच%द1 के मुक़ाबले ताल \पक का +योग िज़यादा उ?चत होगा। : ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) गा -

ल गा -









गा -

-

ल गा -

८ १

२ ३ ४ ५

×



० -

गा -

गा -









-

-

-

८ १





ल गा -

७ ८



-

२ ३

×

-

२ ३

×

इस छं द कJ रचना कJ पंिkत का आरं भ ताल कहरवा मP चौथी मा ा के बजाय पांचवीं मा ा से भी :कया जा सकता है । ऐसा करने पर पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O पांचवीं मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाना पड़ेगा। : ताल दादरा : (हरे क पंिkत का चौथी मा ा से आरं भ) गा -ल गा गा ४









-ल गा -

२ ३



×



गा गा

-

-

-







२ ३





-ल गा -

५ ६



-

२ ३

×

-

×

इस छं द कJ रचना कJ पंिkत का आरं भ ताल दादरा मP चौथी और पांचवीं मा ा के बीच मP से भी :कया जा सकता है ।

92

: ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का दस ू र1 मा ा से आरं भ) गा -

ल गा -









गा -

६ १



२ ३



×

-

गा -

गा -









ल गा -

ल गा

५ ६





×

-

६ १



×

िज़यादातर इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल दादरा-चलती मP दस ू र1 मा ा के बजाय तीसर1 मा ा से करके पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O तीसर1 मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाया जाता है । ऐसा करने से गायन मP सांस लेने के <लए दो मा ा का अवकाश रहता है । : ताल \पक : (हरे क पंिkत का तीसर1 मा ा से आरं भ) गा -

ल गा -







गा -

-

ल गा -



७ १

२ ३ ४





×



-

गा -

गा -

-

-







७ १





×







ल गा -

६ ७







×

इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल \पक मP तीसर1 मा ा के बजाय चौथी मा ा से करके पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O चौथी मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाने से गायन मP िज़यादा सुIवधा रहे गी। : ताल द1पच%द1 : (हरे क पंिkत का दसवीं मा ा से आरं भ) गा -



गा -

गा -

१० ११ १२ १३ १४ १ ३ -

गा -

गा -

-

ल गा -

२ ३ ४

×

१० ११ १२ १३ १४ १ ३

-



ल गा -

६ ७

२ -





-

-

-

-

-

-

२ ३ ४



६ ७





×

-





93



इस छं द कJ रचना कJ हरे क पंिkत का आरं भ ताल द1पच%द1 मP दसवीं मा ा के बजाय mयारहवीं मा ा से करके पहल1 सं?ध के पहले गुfअ^र को <सफ़O mयारहवीं मा ा पर (एक ह1 मा ा मP ) गाने से गायन मP िज़यादा सुIवधा रहे गी। इस छं द कJ रचना कJ एक पंिkत के <लए ताल द1पच%द1 का डेढ़ आवतOन +यk ु त होने के कारन बाक़J के आधे आवतOन को संगीत के टुकड़R से भरना पड़ेगा।

(२०) गालगा लगागागा गालगा लगागागा इस छं द का वणOन मNने पहले बताए हुए ३० छं दR मP :कया नह1ं है । अनुhम से लगालगा और लगागागा सं?ध के <मa व\प (लगालगा लगागागा) कJ पहल1 सं?ध के पहले लघअ ु ^र का लोप करने से +ाpत

व\प (गालगा लगागागा) के दो आवतOनR के +योग से इस छं द कJ

रचना होती है । इस छं द कJ कुल मा ा २४ होती है तथा प यभार १, ११, १३ और २३ वीं मा ा पर है । इस छं द मP सं?ध के <मaण के कारन प यभार के अंतर मP Iवषमता बहुत बड़ी होने के बावजूद यह छं द इसकJ संगीताEमकता कJ वजह से +च<लत है । इस छं द के <लए ताल दादरा-चलती का +योग सब से िज़यादा उ?चत है । इस छं द के <लए ताल कहरवा का +योग भी :कया जा सकता है । : ताल दादरा-चलती : (हरे क पंिkत का पहल1 मा ा से आरं भ) गा १

ल गा -

२ ३

×



२ ३ ४

×



-

-

-

-

२ ३



५ ६



२ ३ ४



×



ल गा -

ल गा -

२ ३

×



५ ६



गा ×

गा -

-

गा -



-

-

× १

५ ६



गा १



ल गा -

-

-

-

२ ३ ४

×



-

-

-

-

-

-

२ ३



५ ६



२ ३ ४

×





94

-

५ ६ -

-

-

५ ६

गा -



-

-

५ ६ -

-

५ ६

: ताल कहरवा : (हरे क पंिkत का तीसर1 मा ा से आरं भ) गा ३

ल गा -

४ ५



ल गा -

७ ८

० गा ३

२ ३







-

-

गा -

२ ३

×



-

×

गा -

४ ५

-

६ ७ ८ १ २



ल गा -

७ ८

गा -

४ ५

×

ल गा -

४ ५



गा -

-

-

-

-

६ ७ ८ १ २ ×

सूर और ताल मP भाव को +कट करना ह1 संगीत है इस<लए मN गायन मP सूर और ताल दोनR के चु त बंधन का

वीकार करता हूं। सूर कJ चु तता के साथ-साथ ताल कJ चु तता से भी गायन मP भाव को +कट करने मP बहुत सहायता <मलती है । ग़ैर:फ़Lमी गायकR

के मुक़ाबले :फ़Lमी गायकR का गायन ताल मP िज़यादा चु त Uदखाई दे ता है । यहां पर िज़यादातर सभी छं दR का उनके अनु\प अलग-अलग ताल मP ढांचा ह1 + तुत :कया है । भIवYय मP ‘ग़ज़ल का बह ृ त ् Iपंगल’ कJ रचना करने कJ इdछा है :क िजसमP ग़ज़ल के और भी छं दR का समावेश करके सभी छं दR का संगीत के ताल के साथ सम%वय का Iव तत ृ वणOन कfं गा।

***

95

(८) ग़ज़ल के छं दR पर आधा रत :फ़Lमी और ग़ैर:फ़Lमी गीत-ग़ज़ल कJ सू?च अब मN ग़ज़ल के छं दR पर आधा रत :फ़Lमी और ग़ैर:फ़Lमी गीत-ग़ज़ल कJ सू?च + तुत करने जा रहा हूं। हरे क छं द कJ सू?च मP गीत-ग़ज़ल कJ पहल1 पंिkत के साथ उनके गायक का नाम और उसमP +युkत ताल का उLलेख भी कर रहा हूं। सू?च मP दशाOए गए लगभग सभी गीत-ग़ज़ल को आप इंटरनेट के ज़ रये www.youtube.com वेबसाइट से +ाpत कर सकते हN और इंटरनेट पर गीत-ग़ज़ल ढूंढने मP आसानी रहे इसी<लए गायक के नाम का उLलेख कर रहा हूं। गीत-ग़ज़ल के गीतकार या ग़ज़लकार और संगीतकार के नाम का उLलेख न करने के <लए मN उन सभी गीतकार या ग़ज़लकार और संगीतकार से माफ़J चाहता हूं। सू?च मP दशाOई गई रचना के :कसी भी बंद मP दो से िज़यादा या कम पंिkत का +योग हुआ हो तो वह रचना ग़ज़ल नह1ं है मगर गीत है , kयR:क ग़ज़ल का हरे क बंद (शेर) दो ह1 पंिkत का होता है । िजस रचना के सभी बंद दो ह1 पंिkत के हो उस रचना के सभी बंद अपने आप मP स†पूणO हो और एक-दस ू रे से रद1फ़-का:फ़या से जुड़े हुए हो तो वह रचना ग़ज़ल है अ%यथा वह रचना भी गीत ह1 है । साथ मP इस बात का भी ]यान रहे :क ग़ज़ल के हरे क बंद (शेर) कJ हरे क पंिkत मP एक ह1 छं द +युkत होता है जब:क पूरे गीत मP एक से िज़यादा छं दR का +योग :कया जा सकता है । यहां हरे क छं द कJ कुल मा ा का Iववरण भी Uदया गया है और हरे क छं द मP प यभारवाले अ^रR के साथ-साथ प यभारवाल1 मा ाओं को भी रे खां:कत करके दशाOया गया है । हरे क छं द मP एक लघुअ^र कJ १ मा ा और एक गुfअ^र कJ २ मा ा के Uहसाब से कुल मा ा नि=चत कJ जा सकती है ।

96

(१) ल गा

गा ल गा

गा

ल गा गा ल











११ १२ १४ १६ १७ १९







१०

ये

मह

लR

ये

तख़ ्

तR

ये

ता

जR

कJ द ु न

या

ये

इन ्

सां

के

दश ु ्

मन



मा

जR

कJ द ु न

या

ये

दौ

लत के

भू

खे



वा

जR

कJ द ु न

या

ये

दु न

या

गर

<मल

भी

जा

एं

तो

है





१३ १५

गा

गा

१८ २०

kया

१ ये महलR ये तrतR ये ताजR कJ द ु नया

मुह†मद रफ़J

दादरा

२ तेर1 बेfख़ी और तेर1 मेहरबानी

जगजीत <संघ

दादरा

३ न ये चांद होगा न तारे रहP गे

गीता दEत

दादरा-चलती

४ तेरे दर पे आया हूं फ़ रयाद ले कर

तलत महमूद

झपताल

५ हमP काश तुमसे मुहuबत न होती

लता मंगे=कर

द1पच%द1

६ :कसी बात पर मN :कसी से ख़फ़ा हूं

:कशोरकुमार

कहरवा

७ मुझे pयार कJ िज़%दगी दे नेवाले

मुह†मद रफ़J और

कहरवा

आशा भRसले

(२) ल गा गा ल गा गा ल १















गा

गा ल गा

११ १२ १४ १६ १७

८ १०

१३ १५

१८



जी भर के

दे

खा



कुछ

बा



कJ



ड़ी

ज़ू

थी

मु

ला

क़ा



कJ





१ न जी भरके दे खा न कुछ बात कJ

चंदनदास

दादरा

२ ये ख़श ु रं ग चेहरा शगुtता कंवल

उदय शाह

दादरा

३ हे लो िज़%दगी िज़%दगी नूर है

जगजीत <संघ

दादरा-चलती

४ Uदखाई Uदये यूं :क बेख़द ु :कया

लता मंगे=कर

कहरवा

97

(३) ल गा गा



गा गा ल गा गा ल











१०









ये

सो

ने

ये

दौ

गा

गा

११ १२ १४ १६ १७ १९ १३ १५

१८ २०

कJ द ु न

या

ये

चां

द1

कJ द ु न

या

लत कJ द ु न

या



मी

रR

कJ द ु न

या

ल गा गा



गा गा ल गा गा ल

गा

गा

२१ २२ २४ २६ २७ २९ ३१ ३२ ३४ ३६ ३७ ३९ २३ २५

२८ ३०

३३ ३५

३८ ४०



हां





मी

कJ



ला

बा



kया

है



हां

पर



र1

बR

कJ



क़ा



kया

है

१ ये सोने कJ द ु नया ये चांद1 कJ द ु नया

हे मंतकुमार

दादरा

मुह†मद रफ़J

दादरा

लता मंगे=कर

दादरा-चलती

मुकेश

झपताल

मुह†मद रफ़J और

कहरवा

यहां आदमी कJ भला बात kया है २ जो उनकJ तम%ना है बरबाद हो जा तो ऐ Uदल मुहuबत कJ :क़ मत बना दे ३ मेरे पास आओ नज़र तो <मलाओ इन आंखR मP तुमको जवानी <मलेगी ४ तेरे pयार को इस तरह से भुलाना न Uदल चाहता है न हम चाहते हN ५ तुझे pयार करते हN करते रहP गे :क Uदल बनके Uदल मP धड़कते रहP गे ६ मुझे द ु नयावालR शराबी न समझो

सुमन कLयाणपुर मुह†मद रफ़J

मN पीता नह1ं हूं Iपलाई गई है

98

कहरवा

(४) गा ल गा गा ल गा गा ल १











को

दे

ख कर

दे



रह



या

kया क

हूं





ने

को kया रह



या





गा ल गा







गा

११ १३ १४ १६ १८ १९

१० १२

कह

१५ १७ ता

२०

१ आप को दे ख कर दे खता रह गया

जगजीत <संघ

दादरा-चलती

२ बेबसी जुमO है हौसला जुमO है

जगजीत <संघ

दादरा-चलती

३ ख़श ु रहो हर ख़श ु ी है तु†हारे <लए

मुकेश

द1पच%द1

४ Uदल कJ धड़कन पे गा उ‘भर मु कुरा

तलत महमूद

कहरवा

५ िज़%दगी मP सदा मु कुराते रहो

जगजीत <संघ

कहरवा

(५) गा ल गा गा ल गा

गा





११ १३ १४ १६

१०

१२



लम

तू

ने

डा

रा

या नन ् हा

सा

Uदल



मा

रा













कै

सा जा

दू

खो





ल गा गा १५ १७

१ कैसा जाद ू बलम तूने डारा

गीता दEत

दादरा

२ कोई समझेगा kया राज़-ए-गुलशन

जगजीत <संघ और ?च ा <संघ

दादरा-चलती

३ रातभर का है मेहमां अंधेरा

मुह†मद रफ़J

द1पच%द1

99

(६) गा



गा

गा



गा

गा

ल गा गा ल गा













११

१३ १४ १६ १८ १९





१०

१२



१५ १७

२०

छो



दे

सा

र1

दु न

या

:क

सी

के

<ल



pया



से

भी



\

र1





का



है

गा



गा

गा



गा

गा

ल गा गा ल गा

२१ २३ २४

२६ २८ २९

३१

३३ ३४ ३६ ३८ ३९

२२

२५

२७

३०

३२

३५ ३७

४०

ये

मु

ना

<सब



ह1ं





मी

के

<ल



pया



सब कुछ



ह1ं

िज़न ्



गी

के

<ल



१ छोड़ दे सार1 द ु नया :कसी के <लए

लता मंगे=कर

दादरा

तलत महमूद

दादरा

ये मुना<सब नह1ं आदमी के <लए २ शाम-ए-ग़म कJ क़सम आज ग़मगीं हN हम आ भी जा आ भी जा आज मेरे सनम ३ तुझको द रयाUदल1 कJ क़सम सा:क़या

जगजीत

मु त:क़ल दौर पर दौर चलता रहे

<संघ

और दादरा-चलती

?च ा <संघ

४ चल Uदये दे के ग़म ये न सोचा :क हम

लता मंगे=कर

द1पच%द1

मुह†मद रफ़J और

कहरवा

इस जहां मP अकेले :कधर जाएंगे ५ आप यूं ह1 अगर हम से <मलते रहे दे •खए एक Uदन pयार हो जाएगा

आशा भRसले

६ िज़%दगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र

:कशोरकुमार

कोई समझा नह1ं कोई जाना नह1ं

100

कहरवा

(७) ल गा ल गा ल गा ल १ २



गा ल

गा ल

गा ल

गा ल

गा



७ ८





फ़ ज़ां भी है

ज वां



वां



वा

भी

है



वां



वां

सु

है



मां

सु

नी

सु

नी

सी

दा



तां



ना



हा

१० ११ १३ १४ १६ १७ १९ २० २२ २३ १२

ये

१५

१८

२१

२४

१ फज़ां भी है जवां जवां हवा भी है रवां रवां

सलमा आगा

दादरा

२ ये तेरा घर ये मेरा घर :कसी को दे खना हो गर

जगजीत <संघ और दादरा-चलती ?च ा <संघ

३ जवां है रात सा:क़या शराब ला शराब ला

जगजीत <संघ

कहरवा

(८) गा

ल गा ल गा ल गा















गा

ल गा ल गा ल गा

९ १० १२ १४ १५ १७ १८ २० २१



११ १३

१६

१९

२२

फ़ा

<स

ला

तो

है

म गर

को



फ़ा

<स

ला



ह1ं

मुझ

से

तुम जु

दा



Uदल

से

तो

जु

दा



ह1ं

ह1

१ फ़ा<सला तो है मगर कोई फ़ा<सला नह1ं

जगजीत <संघ और ?च ा <संघ

दादरा

२ झूमती चल1 हवा याद आ गया कोई

मुकेश

दादरा-चलती

(९) गा गा ल ल गा गा ल १



५ ६





बी

ते

हु

rवा

बR

ह1 मP









१०

लम ् हR हो

चा



गा गा ल

ल गा गा

११ १२ १३ १५ १७ १८ १९ २१ १४ १६

२० २२

कJ



सक

सा



तो

हो

गी

हे

मु

ला

क़ा



तो

हो

गी

101

१ बीते हुए ल†हR कJ कसक साथ तो होगी

महे %’ कपूर

कहरवा

२ बरबाद-ए-मुहuबत कJ दआ साथ <लये जा ु

मुह†मद रफ़J

कहरवा

३ बेकस पे करम कJिजए सरकार-ए-मद1ना

लता मंगे=कर

दादरा-चलती

४ मौसम को इशारR से बुला kयूं नह1ं लेते

जगजीत <संघ

दादरा

(१०) ल गा गा गा ल गा गा गा ल गा गा गा ल गा गा गा १

















११ १३ १५ १६ १८ २० २२ २३ २५ २७

१० १२ १४

१७ १९ २१

२४ २६ २८

ते

र1

द ु न या

मP

जी

ने

से

तो

बेह

तर

है

:क मर

जा

एं



ह1

आं



ह1



हP



ह1

ग़म

है

िज धर

जा

एं

सू

१ तेर1 द ु नया मP जीने से तो बेहतर है :क मर जाएं

हे मंतकुमार

कहरवा

२ fला कर चल Uदये इक Uदन हं सी बन कर जो आए थे

हे मंतकुमार

कहरवा

३ सुहानी चांदनी रातP हमP सोने नह1ं दे ती

मुकेश

दादरा

(११) ल गा गा गा ल गा गा गा १





ल गा गा







११ १३ १५ १६ १८









ह1ं



सा



हो

दा

मन



ला

लो



मा

रे

आं

सू

ओं

पर

ख़ा



डा

लो

१० १२ १४

१७ १९

१ कह1ं ऐसा न हो दामन जला लो

जगजीत <संघ

कहरवा

२ उधर से तुम चले और हम इधर से

मुह†मद रफ़J और लता मंगे=कर

कहरवा

३ सबक िजसको वफ़ा का याद होगा

पंकज उधास

दादरा

४ तेरे बारे मP जब सोचा नह1ं था

जगजीत <संघ

\पक

102

(१२) गा ल गा गा गा



गा

गा

गा

ल गा गा



१०

११

१३

१५

१७ १८ २० २२ २४ २५

१२

१४

१६



गा ल गा













वा

लR

को



बर

kया

बे

ख़ु

द1

kया

ची



है

ईश ् क़ कJ

जे

:फर



म•झ



िज़न ्



गी

kया

ची



है

२ हो



१९ २१ २३

२६

१ होशवालR को ख़बर kया बेख़द ु 1 kया चीज़ है

जगजीत <संघ

कहरवा

२ दे ख ल1 तेर1 ख़द ु ाई बस मेरा Uदल भर गया

तलत महमूद

कहरवा

३ है ये द ु नया कौन सी ऐ Uदल तुझे kया हो गया

गीता दEत तथा

कहरवा

हे मंतकुमार ४ तू नह1ं तो िज़%दगी मP और kया रह जाएगा

?च ा <संघ

दादरा

५ तुम गगन के च%’मा हो मN धरा कJ धल ू हूं

म%ना डे और

\पक

लता मंगे=कर ६ ऐ ख़द ु ा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंज़ूर है

:कशोरकुमार

(१३) गा ल गा गा गा ल १









८ १० ११ १३ १५ १७ १८







१२ १४ १६

१९

आं सू

ओं

बह ग



रह



Uदल के अर मां हम



गा गा गा ल गा

फ़ा

कर के

भी

मP

तन ् हा



१ Uदल के अरमां आंसूओं मP बह गए

सलमा आगा

कहरवा

२ कैसे कैसे हादसे सहते रहे

जगजीत <संघ

कहरवा

३ आपके पहलू मP आ कर रो Uदये

मुह†मद रफ़J

दादरा

४ वो fला कर हं स न पाया दे र तक

जगजीत <संघ

\पक

103

द1पच%द1

(१४) गा ल गा गा गा ल गा गा ल गा गा गा ल गा १









८ १० ११ १३ १५ १६ १८ २० २२ २३







१२ १४

१७ १९ २१

२४

खो



या

जा

ने



हां





ज़ू

ओं

का



हां

मु



तP

ग ुज़

र1



गर

या



है

वो

दा



तां

१ खो गया जाने कहां आरजूओं का जहां

हे मंतकुमार

द1पच%द1

(१५) गा

गा ल गा गा गा ल गा गा गा









ऐ अप



Uदल मु ना



ल गा गा गा ल गा





१० १२ १३ १५ १७ १९ २० २२ २४ २६ २७





११

झे



सी



गह

ले

चल



हां

को





हो

रा

या मेह



बां

ना

मेह



बां

को





हो

१४ १६ १८

२१ २३ २५

२८

१ ऐ Uदल मुझे ऐसी जगह ले चल जहां कोई न हो

तलत महमूद

कहरवा

२ कल चौदवीं कJ रात थी शबभर रहा चचाO तेरा

जगजीत <संघ

कहरवा

104

(१६) ल

ल गा ल

गा





गा

ल गा











१०

१२ १३

११

१४









मु

झे

दर्

दे

Uदल

का



ता



था

मN



के

ले

यूं

ह1



ज़े

मP

था



ल गा ल

गा





गा

ल गा

१५ १६ १७ १९

२०

२२ २३

२४

२६ २७

२५

२८

१८

२१

मु

झे





:कस

<ल



<मल





मु

झे





:कस

<ल



<मल





१ मुझे ददO -ए-Uदल का पता न था

मुह†मद रफ़J

\पक

जगजीत <संघ

द1पच%द1

३ मN ख़याल हूं :कसी और का मुझे सोचता कोई और है

उदय शाह

कहरवा

४ कभी यंू भी आ मेर1 आंख मP

उदय शाह

कहरवा

मुझे आप :कस <लए <मल गए २ वो नह1ं <मला तो मलाल kया जो गुज़र गया सो गुज़र गया

:क मेर1 नज़र को ख़बर न हो

105

(१७) ल गा ल

गा

गा



गा









१० १२ १३ १५











ल गा गा

११

१४ १६



सी



मP

िजस

के

जो

<ल

खा

था

:क

सी

के

Uहस ्

से

मP

pया







गा

गा



गा

ल गा गा

१७ १८ २० २१

२३

२५ २६ २८ २९ ३१

ल गा ल १९

२२

२४

२७

३० ३२

वो

ते

र1

मेह

:फ़ल

मP

का





या

:क

सी

के

Uहस ्

से

मP

जा





या

१ नसीब मP िजसके जो <लखा था वो तेर1 मेह:फ़ल मP काम आया

मुह†मद रफ़J

कहरवा

२ हज़ार बातP कहे ज़माना मेर1 वफ़ा पे यक़Jन रखना

लता मंगे=कर

कहरवा

(१८) गा

गा गा गा गा गा गा गा गा















८ १० १२ १४ १६ १८ २० २२ २४ २६ २८ ३० ३२

मP

सा

िजस Uदल



था

ना



pया



रा

उस Uदल

ते हो

ने

दP

न १ िजस Uदल मP बसा था pयार तेरा उस Uदल को कभी का तोड़ Uदया २ मN पल दो पल का शायर हूं पल दो पल मेर1 कहानी है

गा गा गा गा गा गा

११ १३ १५ १७ १९ २१ २३ २५ २७ २९ ३१

ब बद

गा

गे

को

भी

का

तो

क झे

ते

तु

ना

रा



ले

ना

छो

106

ड़ Uद

कहरवा

लता मंगे=कर मुकेश

या

Uद

ह1

मुकेश तथा



कहरवा

या

३ हम तुझसे मुहuबत करके सनम

मुकेश

कहरवा

मुह†मद रफ़J

दादरा

रोते भी रहे हं सते भी रहे ४ छू लेने दो नाज़ुक होटR को कुछ और नह1ं है जाम है ये

(१९) गा गा गा गा गा गा गा गा ९

गा गा गा

गा

गा गा गा















८ १० १२ १४ १६ १८ २० २२ २४ २६ २८ ३०

चां

द1

कJ

द1

वा

११ १३ १५ १७ १९ २१ २३ २५ २७ २९



तो

ड़ी

pया

न इक धन

वा



बे

ट1



Uदल

तो

भ ने

नर् धन का

कJ

१ चांद1 कJ द1वार न तोड़ी

रा

ड़ Uद

दा

मन

छो

ड़ Uद

मुकेश

कहरवा

मुकेश और

कहरवा

pयार भरा Uदल तोड़ Uदया २ फूल तु†हP भेजा है ख़त मP फूल नह1ं मेरा Uदल है

लता मंगे=कर

३ kया <म<लए ऐसे लोगR से

मुह†मद रफ़J

कहरवा

उदय शाह

कहरवा

िजनकJ :फ़तरत छुपी रहे ४ त%हा-त%हा दख ु झेलPगे मेह:फ़ल-मेह:फ़ल गाएंगे

107

या या

(२०) गा गा गा गा गा गा गा गा १









११ १३ १५









१० १२ १४ १६

दै

रो

रम

मP

बस

ने

वा

लो

नR

मP

फू



डा

लो

ह मै

ख़ा

न १ दै र-ओ-हरम मP बसनेवालो

जगजीत <संघ

कहरवा

२ सdची बात कह1 थी मNने

जगजीत <संघ

कहरवा

३ चाक िजगर के सी लेते हN

जगजीत <संघ

कहरवा

(२१) गा गा गा गा गा गा गा १

















१० १२ १४

सब कJ

बा

तP

सुन

ता

हूं

Uदल कJ

कर

ता

हूं

अप

ने

११ १३

ह1 १ सब कJ बातP सुनता हूं

उदय शाह

कहरवा

२ :कतनी सु%दर Uदखती हो

उदय शाह

कहरवा

108

(२२) गा गा गा गा गा गा गा गा गा गा गा गा १















८ १० १२ १४ १६ १८ २० २२ २४

हो

टR

से

छू

लो

११ १३ १५ १७ १९ २१ २३

त ुम

मे

गी

रा बन जा ओ

मी



रे

मे

मे



मर कर

दो

मर कर

दो

अ +ी

र1

त अ

१ होटR से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो

जगजीत <संघ

कहरवा

२ ऐ मेरे Uदल-ए-नादां तू ग़म से न घबराना

लता मंगे=कर

कहरवा

(२३) गा गा ल गा ल गा गा १















गा

गा

ल गा ल गा गा

११ १३

१५

१७ १८ २० २१ २३

१० १२ १४

१६

ता

:कस

पे





या

है

बR

पे

छा



या

है





Uदल मु

झे



वो

कौ

है

जो आ कर rवा



दे

तू

१९

२२ २४

१ ऐ Uदल मुझे बता दे तू :कस पे आ गया है

गीता दEत

कहरवा

२ बूंदे नह1ं <सतारे टपके हN कहकशां से

मुह†मद रफ़J

कहरवा

३ ओ दरू जानेवाले वादा न भूल जाना

सुरैया

कहरवा

४ िजस मोड़ पर :कये थे हमने क़रार बरसR

?च ा <संघ

दादरा

५ ज़ा<लम ज़माना मुझको तुमसे छुड़ा रहा है

=यामकुमार और सुरैया

दादरा

६ दख ु सुख था एक सब का अपना हो या बेगाना

पंकज उधास

दादरा-चलती

109

(२४) ल ल गा ल गा ल गा गा ल १

















ल गा ल गा ल गा गा

११ १३ १४ १५ १७ १८ २० २१ २३

१० १२

१६

१९

२२ २४

जो गु ज़र



ह1

है

मुझ पर



से

कै

से

मN



ता

ऊं

वो ख़ु

<म ल1

है

मुझ को

मN

ख़ु

शी

से

मर



जा

ऊं

शी

१ जो गुज़र रह1 है मुझ पर उसे कैसे मN बताऊं

मुह†मद रफ़J

कहरवा

२ मुझे इ=क़ है तुझी से मेर1 जान िज़%दगानी

मुह†मद रफ़J

कहरवा

३ मेरे Uदल मP आज kया है तू कहे तो मN बता दं ू

:कशोरकुमार

दादरा

(२५) गा ल ल गा ल गा ल गा

गा





गा

ल गा ल गा



१५ १६

१७

१९ २० २२ २३

३ ४









जब से



सा

है



ले



१० ११

१३



१२

१४

२१

१८

२४





हN

वो

िज़न ्



गी

िज़न ्



गी



ह1ं

और स

दा



ह1ं

शम ्

मा

है

रो



नी



ह1ं

१ जब से चले गए हN वो िज़%दगी िज़%दगी नह1ं

सुरैया

दादरा

(२६) गा गा ल

गा

ल गा ल













उन

के









तो



ते



ले





द1

वा

ना िज़न ् द

गी

को



ना

ते



ले







७ या



ल गा गा ल गा ल गा

११ १२ १३ १५ १७ १८ २० २१

१०

१४ १६

१९

२२

१ उनके ख़याल आए तो आते चले गए

मुह†मद रफ़J

कहरवा

२ अब kया <मसाल दं ू मN तु†हारे शबाब कJ

मुह†मद रफ़J

कहरवा

110

३ <मलती है िज़%दगी मP मुहuबत कभी-कभी

लता मंगे=कर

कहरवा

४ हम है मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार कJ तरह

लता मंगे=कर

दादरा

५ जाना था हम से दरू बहाने बना <लये

लता मंगे=कर

दादरा

६ मN िज़%दगी का साथ नभाता चला गया

मुह†मद रफ़J

दादरा-चलती

(२७) ल गा ल गा ल ल गा

गा

ल गा ल गा

गा

गा





११ १३ १४ १६ १७

१९

२१

१०

१२

१८

२०

२२















१५



भी :क सी को मु क़म ् मल



हां



ह1ं

<मल

ता



ह1ं



मां



ह1ं

<मल

ता



मीं

तो क

ह1ं



१ कभी :कसीको मुक़†मल जहां नह1ं <मलता

भूIप%दर <संघ

कहरवा

२ झुकJ-झुकJ सी नज़र बेक़रार है :क नह1ं

जगजीत <संघ

कहरवा

३ वो Uदल ह1 kया तेरे <मलने कJ जो दआ न करP ु

उदय शाह

कहरवा

४ :कसी कJ याद मP द ु नया को है भुलाए हुए

मुह†मद रफ़J

दादरा

५ ग़र1ब जान के हमको न तुम <मटा दे ना

मुह†मद रफ़J और

दादरा-चलती

गीता दEत

(२८) गा ल गा गा ल ल गा गा ल १













ल गा गा गा गा

८ ९ १० १२ १४ १५ १६ १८ २० २२ ११ १३

१७ १९ २१ २३





को pया



छु

पा

ने

कJ

बु

र1

आ दत

है





को pया





ता

ने

कJ

बु

र1

आ दत

है

१ आपको pयार छुपाने कJ बुर1 आदत है

मुह†मद रफ़J और

कहरवा

आशा भRसले २ ठह रए होश मP आ लूं तो चले जाइएगा

मुह†मद रफ़J और सुमन कLयाणपुर

111

कहरवा

३ pयार मुझसे जो :कया तुमने तो kया पाओगी

जगजीत <संघ

कहरवा

४ र म-ए-उLफ़त को नभाएं तो नभाएं कैसे

लता मंगे=कर

कहरवा

५ आंख से आंख <मला बात बनाता kयूं है

?च ा <संघ

दादरा

६ कोई ये कैसे बताएं :क वो त%हा kयूं है

जगजीत <संघ

दादरा

७ िज़%दगी pयार कJ दो-चार घड़ी होती है

हे मंतकुमार

दादरा-चलती

(२९) गा ल गा गा ल ल गा गा गा गा १















९ १० १२ १४ १६ ११ १३ १५ १७

अह ले Uदल

यंू

भी



भा

ले

ते

हN

दर्

ने

मP

छु

पा

ले

ते

हN



सी

१ अहल-ए-Uदल यंू भी नभा लेते हN

भूIप%दर <संघ तथा लता मंगे=कर

कहरवा

२ कैसे <लQखोगे मुहuबत कJ :कताब

पंकज उधास

कहरवा

३ िज़%दगी तुझको मनाने नकले

चंदनदास

दादरा

४ :फर मुझे द1दा-ए-तर याद आया

तलत महमूद

दादरा-चलती

(३०) गा

ल गा गा ल गा

ल गा गा गा







११ १२ १४ १६ १३ १५ १७









१०

को

दे

खा तो

ये



या

ला

या

िज़न ् द

गी

धू

त ुम



ना

सा

या

२ त ुम





१ तुमको दे खा तो ये ख़याल आया

जगजीत <संघ

कहरवा

२ Uदल-ए-नादां तुझे हुआ kया है

तलत महमूद और सुरैया

कहरवा

३ सo हम से ज़रा नह1ं होता

उदय शाह तथा धारा शाह

कहरवा

४ रात भी नींद भी कहानी भी

?च ा <संघ

दादरा

५ दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

मुह†मद रफ़J और लता मंगे=कर

दादरा-चलती

112

अब इन ३० छं दR के अलावा कुछ और छं दR के :फ़Lमी और ग़ैर:फ़Lमी रचना कJ सू?च + तुत है :क िजसमP पहले और तीसरे छं द के अलावा बाक़J के छं द उन ३० छं दR मP से :कसी एक छं द का आव तOत

व\प है ।

(१) गालगा लगागागा गालगा लगागागा १ तुम तो ठहरे परदे सी साथ kया नभाओगे

अLताफ़ राजा

दादरा-चलती

२ आईने के सौ टुकड़े करके हमने दे खे हN

कुमार सानू

कहरवा

(२) लगागा लगागा लगागा लगा लगागा लगागा लगागा लगा १ बहारR ने मेरा चमन लूट कर

मुकेश

झपताल

•ख़ज़ां को ये इLज़ाम kयंू दे Uदया

(३) गागा लगागा लगागा लगागा १ आंसू भर1 है ये जीवन कJ राहP

मुकेश झपताल

(इस गीत कJ ‘कोई उनसे .....’ और ‘उ%हP घर मुबारक .....’ ये दो पंिkतयां लगागा लगागा लगागा लगागा छं द मP है और बाक़J कJ सभी पंिkतयां गागा लगागा लगागा लगागा छं द मP है ।)

(४) गालगा गालगा गालगा गा गालगा गालगा गालगा गा १ इतनी शिkत हमP दे ना दाता

सुYमा aेYठा और

मन का Iव=वास कमज़ोर हो ना

दादरा

पुYपा पागधरे

(५) गालगागा लगालगा गागा गालगागा लगालगा गागा १ िज़h होता है जब क़यामत का

मुकेश

दादरा-चलती

तेरे जलवR कJ बात होती है २ याद मP तेर1 जाग-जाग के हम

मुह†मद रफ़J और दादरा-चलती

रातभर करवटP बदलते हN

लता मंगे=कर

*** समाpत

113

ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध के मुQय और गौण प यभार (संगीत के ताल के आधार पर) ग़ज़ल एक अ त+च<लत काTय +कार है । ग़ज़ल के अ त+च<लत होने कJ एक वजह ग़ज़ल के छं दR कJ +वाUहता भी है । ग़ज़ल के छं द मा[ क छं द होने के कारन ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध को और ग़ज़ल के छं दR को संगीत के ताल के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता है । ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध के मुQय और गौण प यभार को संगीत के ताल के आधार पर नि=चत :कया जा सकता है और यह1 इस लेख का मुQय Iवषय रहे गा। ग़ैर-:फ़Lमी और :फ़Lमी ग़ज़ल के अलावा :फ़Lमी गानR मP भी ग़ज़ल के छं दR का अdछा +योग हुआ है । तक़र1बन ् २००० से अ?धक :फ़Lमी गानR का अSयास करने पर ५०० से अ?धक गाने (:फ़Lमी गीत और ग़ज़ल दोनR को <मला कर) ऐसे <मले :क िजसमP ग़ज़ल के छं दR का +योग हुआ हो और पूरा गाना एक ह1 छं द मP हो। िजस गाने मP एक से अ?धक छं दR का +योग हुआ हो उसे ?गनती मP <लया नह1ं है । इसके अलावा ५०० से अ?धक ग़ैर-:फ़Lमी रचनाओं का भी ग़ज़ल के छं दR के अनुसार वग€करण :कया है । इतने गीत-ग़ज़ल के अSयास करने पर ४० से अ?धक छं द +ाpत हुए। इन छं दR मP सभी +च<लत छं दR का समावेश हो जाता है । इन छं दR मP +यk ु त सं?ध के मुQय और गौण प यभार को संगीत के ताल के आधार पर नि=चत :कया जा सकता है । ग़ज़ल के छं दR के न\पण के <लए सं?ध के मुQय प यभार को ह1 ]यान मP <लया जाता है मगर एक गुfअ^र के मुQय और गौण प यभारवाले गुfअ^र के ग़ज़ल के छं दशा

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग

थान पर नह1ं :कया जा सकता।

के अनुसार पंिkत (<मसरा) के अंत मP आनेवाले लघअ ु ^र को वज़न

मP अलग से न ?गनते हुए उसे उससे पहलेवाले गुfअ^र मP ह1 समाIवYट कर Uदया जाता है और उस लघअ ु ^र को उसी गुfअ^र के साथ संयुkत तर1क़े से ह1 उdचारा जाता है । इससे यह नYकषO नकाल सकते है :क ग़ज़ल के छं दR का अंEया^र गुfअ^र ह1 होता है । ग़ज़ल के छं दR मP एकसाथ दो से अ?धक

पYट लघअ ु ^रR का +योग नह1ं होता। ग़ज़ल के +च<लत होने

मP एक वजह ग़ज़ल के छं दR कJ +वाUहता भी है । एकसाथ दो से अ?धक

पYट लघअ ु ^रR का

+योग छं द कJ +वाUहता को कम कर दे ता है । प यभार आधा रत प त से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध कJ सू?च + तुत है :क िजसमP हरे क सं?ध का अंEया^र गुfअ^र ह1 है और :कसी भी सं?ध मP एकसाथ दो से अ?धक

114

पYट लघुअ^रR का +योग नह1ं हुआ है । हरे क सं?ध के मुQय प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया है और गौण प यभारवाले अ^र को नीचे [बंद1 करके दशाOया है । सं?ध

सं?ध

hमांक

सं?ध का

सं?ध कJ

+कार

कुल मा ा

०१

लगाग़ा

पंचकल

१+२+२=५

०२

ग़ालगा

पंचकल

२+१+२=५

०३

लगालग़ा

ष}कल

१+२+१+२=६

०४

ल“गागा

ष}कल

१+१+२+२=६

०५

गाल“गा

ष}कल

२+१+१+२=६

०६

लग़ागागा

सpतकल

१+२+२+२=७

०७

गालग़ागा

सpतकल

२+१+२+२=७

०८

गागालग़ा

सpतकल

२+२+१+२=७

०९

ललगालग़ा

सpतकल

१+१+२+१+२=७

१०

लग़ाललगा

सpतकल

१+२+१+१+२=७

११

गागाग़ागा

अYटकल

२+२+२+२=८

१२

लगालग़ागा

अYटकल

१+२+१+२+२=८

१३

ललगागाग़ा

अYटकल

१+१+२+२+२=८

१४

गाललग़ागा

अYटकल

२+१+१+२+२=८

१५

गागाललग़ा

अYटकल

२+२+१+१+२=८

१६

ललगाललग़ा

अYटकल

१+१+२+१+१+२=८

१७

गालगालग़ा

अYटकल

२+१+२+१+२=८

या

या

लग़ालगा

गागागाग़ा

उपरोkत सू?च मP सं?ध hमांक १ से १७ मP से सं?ध hमांक १ से १२ को मुQय सं?ध समझना चाUहए :क िजसके आव तOत

व\प कJ रचना पाई जाती है तथा सं?ध hमांक १३ से

१७ को गौण सं?ध समझना चाUहए :क िजसका +योग िज़यादातर गागाग़ागा या गागागाग़ा सं?ध के IवकLप के \प मP ह1 होता है । अब मN अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध कJ सू?च + तुत कर रहा हूं :क िजसमP :कसी भी सं?ध मP एकसाथ दो से अ?धक लघुअ^रR का +योग नह1ं हुआ है । हरे क सं?ध के मुQय प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया है और गौण प यभारवाले अ^र को नीचे [बंद1 करके दशाOया है ।

115

सं?ध

सं?ध

hमांक

सं?ध का

सं?ध कJ

+कार

कुल मा ा

पंचकल

२+२+१=५

ष}कल

२+१+२+१=६

ष}कल

२+२+१+१=६

०१

गाग़ाल

०२

गालग़ाल

०३

गागाल“

०४

गालग़ालल

सpतकल

२+१+२+१+१=७

०५

ग़ागागाल

सpतकल

२+२+२+१=७

०६

ग़ाललगाल

सpतकल

२+१+१+२+१=७

०७

गागाग़ालल

अYटकल

२+२+२+१+१=८

०८

गाललग़ालल

अYटकल

२+१+१+२+१+१=८

०९

गागा“गाल

अYटकल

२+२+१+२+१=८

या

ग़ालगाल

उपरोkत दोनR सू?च मP एकसाथ दो से अ?धक और :कसी एक सं?ध के आव तOत

पYट लघअ ु ^रR का +योग नह1ं हुआ है व\प मP भी एकसाथ दो से अ?धक पYट लघअ ु ^रR का

+योग नह1ं होता है । एकसाथ दो से अ?धक

पYट लघुअ^रR का +योग छं द कJ +वाUहता को

कम कर दे ता है । अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध कJ उपरोkत सू?च मP से कुछ सं?ध का +योग अंEया^र गुfअ^र हो ऐसी कुछ सं?ध के IवकLप के \प मP (छं द कJ अं तम सं?ध के अलावा) :कया जा सकता है िजसका वणOन मN बाद मP क\ंगा। ग़ज़ल के छं दR मP एक गुfअ^र के

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघुअ^रR का

+योग :कया जा सकता है मगर एक गुfअ^र के

थान पर दो

विजOत है तथा जहां दो लघुअ^रR का +योग हो वहां दो होगा, दो

पYट लघअ ु ^रR के

पYट लघुअ^रR का +योग

पYट लघुअ^रR का ह1 +योग करना

थान पर संयk ु त उdचारवाले दो लघअ ु ^रR का +योग या एक

गुfअ^र का +योग विजOत है । <सफ़O गुfअ^र के +योगवाले छं दR मP एक गुfअ^र के पर (मुQय और गौण प यभारवाले गुfअ^र के <सवा) दो

थान

पYट लघअ ु ^रR का भी +योग

करने कJ छूट है मगर छं द का अंEया^र गुfअ^र ह1 होना चाUहए। एक गुfअ^र के

थान

पर संयुkत उdचारवाले दो लघअ ु ^रR के +योग के <लए यह नयम बाधक नह1ं है । इससे यह नYकषO नकाल सकते है :क एक गुfअ^र के मुQय और गौण प यभारवाले गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघअ ु ^रR का +योग

थान पर नह1ं :कया जा सकता।

:कसी भी मा ामेल रचना के पठन या गायन मP कुछ जगह पर Iवशेष ठनकार या आघात का अनुभव :कया जा सकता है , उस Iवशेष ठनकार या आघात को प यभार कहते हN। मा ामेल रचना मP +युkत सं?ध के आधार से नि=चत कालांतर पर प यभार (Iवशेष ठनकार या आघात) कJ पुनराविृ Eत होती रहती है । प यभार (Iवशेष ठनकार या आघात) के

थान के

<लए ताल- थान या ताल शuद का भी +योग होता है , मगर संगीत कJ प रभाषा मP ताल

116

शuद का अलग अथO मP +योग होने के कारन हम प यभार शuद का ह1 +योग करP गे और वह1 िज़यादा उ?चत है । िजस तरह ग़ज़ल-रचना मP +वाUहता के <लए छं द ज़\र1 है उसी तरह संगीत-रचना मP +वाUहता के <लए ताल ज़\र1 है और ग़ज़ल गेय काTय का ह1 +कार है , इस वजह से ग़ज़ल के छं द और संगीत के ताल के बीच मP सीधा संबंध

थाIपत होता है । ग़ज़ल के छं दR मP

+युkत सं?ध का प यभार नि=चत करने के <लए हम संगीत के ताल का ह1 +योग करP गे। ग़ज़ल के छं द मP +यk ु त सं?ध पंचकल, ष}कल, सpतकल और अYटकल +कार कJ हN :क िजसका प यभार नि=चत करने के <लए हम अनुhम से ताल झपताल (१० मा ा), दादरा (६ मा ा), \पक (७ मा ा) या द1पच%द1 (१४ मा ा) और कहरवा (८ मा ा) का +योग करP गे। सब से पहले मN इन चारR ताल का Iववरण + तुत करता हूं।

झपताल : मा ा : १० खंड : ४ (२+३+२+३) ताल1 कJ मा ा : १, ३ और ८ खाल1 कJ मा ा : ६ धी ना धी धी ना ती ना धी धी ना १



×









६ ०







१०



ताल दादरा : मा ा : ६ खंड : २ (३+३) ताल1 कJ मा ा : १ खाल1 कJ मा ा : ४ धा धी ना धा ती ना १ ×













117

ताल \पक : मा ा : ७ खंड : ३ (३+२+२) ताल1 कJ मा ा : ४ और ६ खाल1 कJ मा ा : १ ती ती ना धी ना धी ना १





×













ताल द1पच%द1 : मा ा : १४ खंड : ४ (३+४+३+४) ताल1 कJ मा ा : १, ४ और ११ खाल1 कJ मा ा : ८ धा धीं १



धा गे तीं -

३ ४

×





ता तीं -

७ ८







धा गे

धीं -

१० ११ १२ १३ १४ ३

ताल कहरवा : मा ा : ८ खंड : २ (४+४) ताल1 कJ मा ा : १ खाल1 कJ मा ा : ५ धा गे न ती न क धी न १





×











० ताल के संदभO मP कुछ पा रभाIषक शuदR कJ TयाQया + तुत है ।

सम : :कसी भी ताल कJ पहल1 मा ा को सम कहते हN :क जहां पर पूर1 लय का वज़न आता है । सम :कसी भी ताल कJ पहल1 और सब से िज़यादा वज़नदार मा ा है । सम दशाOने के <लए × ?चŒन का +योग :कया जाता है ।

118

ताल1 : ताल मP आघात के

थान को ताल1 कहते हN। सम के अलावा ताल1 के

थान को दशाOने के

<लए अंकR का +योग होता है ।

खाल1 : ताल कJ वह Iवषम मा ा :क िजससे ताल का

व\प नधाO रत होता है उसे खाल1 कहते हN।

खाल1 को दशाOने के <लए ० ?चŒन का +योग :कया जाता है । सम, ताल1 और खाल1 कJ उपरोkत TयाQया एक संगीतकार ह1 अdछ… तरह से समझ सकता है । अगर आसान शuदR मP समझा जाए तो :कसी रचना के गायन के दर<मयान aोतागण ताल1 बजा कर साथ दP तो उनकJ ताल1ओं का

थान रचना मP +युkत ताल के हरे क

खंड कJ पहल1 मा ा पर होगा। या न :क aोतागण कJ ताल1ओं का ताल के सम, ताल1 और खाल1 पर होगा। जैसे :क झपताल मP मP aोतागण ताल1 दे कर साथ दP तो उनकJ ताल1ओं का

थान रचना मP +युkत

वरब

हुई रचना के गायन थान झपताल कJ १, ३, ६ और ८

वीं मा ा पर (अनुhम से झपताल के सम, ताल1, खाल1 और ताल1 पर) होगा। हमने ऊपर दे खा :क ताल के हरे क खंड कJ पहल1 मा ा ताल कJ अ%य मा ा से िज़यादा वज़नदार होती है और पहले खंड कJ पहल1 मा ा (सम) अ%य खंड कJ पहल1 मा ा के मुक़ाबले िज़यादा वज़नदार होती है । संगीत के ताल के आधार से ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध के मुQय और गौण प यभार को नि=चत करते समय ताल मP लघु-गुf अ^रR को इस तरह गूंथना होगा :क लघुअ^र कJ १ मा ा और गुfअ^र कJ २ मा ा ?गनते हुए ताल के हरे क खंड कJ पहल1 मा ा पर जहां तक मुम:कन हो गुfअ^र ह1 आए। इसके बाद सम (ताल कJ सब से िज़यादा वज़नदार मा ा) के आधार से मूल सं?ध नि=चत करP गे :क िजसके पहले ह1 अ^र पर मुQय प यभार होगा। अलग-अलग +कार कJ सं?ध के अनु\प ताल का +योग करके ताल के पहले खंड कJ पहल1 मा ा (सम) के आधार पर मूल सं?ध का मुQय प यभार नि=चत :कया जा सकता है तथा ताल के दस ू रे खंड कJ पहल1 मा ा के आधार पर मूल सं?ध का गौण प यभार नि=चत :कया जा सकता है । अलग-अलग +कार कJ मूल सं?ध के मुQय और गौण प यभार के आधार पर अ%य सभी सं?ध के मुQय और गौण प यभार को नि=चत :कया जा सकता है । इस तरह से पंचकल, ष}कल, सpतकल और अYटकल +कार कJ मूल सं?ध उनके अनु\प ताल के आधार से नि=चत करने के बाद उसी मूल सं?ध के मुQय और गौण प यभार के आधार पर ग़ज़ल के छं दR मP +युkत होनेवाल1 सभी +कार कJ सं?ध का मुQय और गौण प यभार नि=चत :कया जा सकता है । मूल सं?ध ग़ज़ल के छं दR मP +युkत हो भी सकती है और नह1ं भी हो सकती। हरे क सं?ध के मुQय प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया है और गौण प यभारवाले अ^र को नीचे [बंद1 करके दशाOया है ।

119

: पंचकल सं?ध : पंचकल सं?ध मP एक लघुअ^र और दो गुfअ^र +युkत होते हN :क िजसकJ कुल मा ा ५ होती है । १० मा ा के झपताल मP पंचकल सं?ध दो बार इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

४ ५

गा -

ग़ा -

×





७ ८

ल गा ०

९ १०

ग़ा -





ऊपर झपताल कJ १ से ५ मा ा और ६ से १० मा ा दोनR मP से मूल पंचकल सं?ध गाग़ाल +ाpत होती है । इसके आधार पर लगाग़ा और ग़ालगा सं?ध को +ाpत :कया जा सकता है ।

: ष}कल सं?ध : ष}कल सं?ध मP दो लघुअ^र और दो गुfअ^र +युkत होते हN :क िजसकJ कुल मा ा ६ होती है । ग़ज़ल के छं दR मP ष}कल सं?ध दो +कार से +युkत होती है । (१) दो लघुअ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी ष}कल सं?ध (२) दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी ष}कल सं?ध दो लघुअ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी ष}कल सं?ध : ६ मा ा के ताल दादरा मP दो लघुअ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी ष}कल सं?ध इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा ×



५ ६

ल ग़ा -





ताल दादरा के आधार से दो लघुअ^र एकसाथ +युkत न होते हो ऐसी मूल ष}कल सं?ध गालग़ाल या ग़ालगाल +ाpत होती है kयR:क ष}कल सं?ध गालगाल [ कल सं?ध गाल का आव तOत

व\प है । इसके आधार पर लगालग़ा या लग़ालगा सं?ध को +ाpत :कया जा

सकता है । दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी ष}कल सं?ध : ६ मा ा के ताल दादरा मP दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी ष}कल सं?ध इस तरह से आ सकती है ।

120



२ ३

गा -







ल “ गा -

×



ताल दादरा के आधार से दो लघुअ^र एकसाथ +युkत होते हो ऐसी मूल ष}कल सं?ध गाल“गा +ाpत होती है । इसके आधार पर ल“गागा और गागाल“ सं?ध को +ाpत :कया जा सकता है ।

: सpतकल सं?ध : सब से पहले ऐसा मान लेते हN :क सpतकल सं?ध मP एक लघअ ु ^र और तीन गुfअ^र +युkत होते हN। सpतकल सं?ध कJ कुल मा ा ७ होती है । ७ मा ा के ताल \पक मP सpतकल सं?ध इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा -



५ ६

ल ग़ा -

×





गा २

ताल \पक के आधार से मूल सpतकल सं?ध गालग़ागा +ाpत होती। एक लघुअ^र और तीन गुfअ^र +युkत होते हो ऐसी सpतकल सं?ध १४ मा ा के ताल द1पच%द1 मP दो बार इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा ×



५ ६

ल ग़ा २

७ ८

गा -

९ १० ११ १२ १३ १४

गा ०



ग़ा -

गा -



ताल द1पच%द1 के आधार से भी मूल सpतकल सं?ध गालग़ागा ह1 +ाpत होती है । गालग़ागा सं?ध के आधार से लग़ागागा, गागालग़ा, ग़ागागाल और गालग़ालल सं?ध को +ाpत :कया जा सकता है । लग़ागागा, गागालग़ा और ग़ागागाल सं?ध के आधार पर अनुhम से लग़ाललगा, ललगालग़ा और ग़ाललगाल सं?ध को +ाpत :कया जा सकता है ।

121

: अYटकल सं?ध : सब से पहले ऐसा मान लेते हN :क अYटकल सं?ध मP चार गुfअ^र +युkत होते हN :क िजसकJ कुल मा ा ८ होती है । ८ मा ा के ताल कहरवा मP अYटकल सं?ध इस तरह से आ सकती है । १

२ ३

गा -

४ ५

गा -

×

६ ७

ग़ा -



गा -



अYटकल सं?ध मP +युkत चार गुfअ^र मP से कौन सा गुfअ^र ताल कहरवा कJ पहल1 मा ा पर ि थत है ये नि=चत करना मुि=कल है मगर <सफ़O गुfअ^र के +योगवाले छं दR कJ रचना का पठन या गायन करने पर सं?ध के पहले या दस ू रे गुfअ^र पर मुQय प यभार का अनुभव :कया जा सकता है । इस Uहसाब से मूल अYटकल सं?ध गागाग़ागा या गागागाग़ा को +ाpत :कया जा सकता है । गागाग़ागा सं?ध के आधार पर लगालग़ागा, गाललग़ागा, गागाग़ालल, गाललग़ालल और गागा“गाल सं?ध को तथा गागागाग़ा सं?ध के आधार पर ललगागाग़ा, गागाललग़ा, ललगाललग़ा और गालगालग़ा सं?ध को +ाpत :कया जा सकता है । ग़ज़ल के छं दR कJ रचना कJ इस प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ मूल पंचकल सं?ध गाग़ाल का और मूल ष}कल सं?ध गालग़ाल या ग़ालगाल का +योग ग़ज़ल के छं दR मP नह1ं होता kयR:क इनका अंEया^र लघअ ु ^र है , जब:क मूल ष}कल सं?ध गाल“गा, मूल सpतकल सं?ध गालग़ागा और मूल अYटकल सं?ध गागाग़ागा या गागागाग़ा का +योग ग़ज़ल के छं दR मP होता है kयR:क इनका अंEया^र गुfअ^र है । इस प यभार आधा रत प त के मत ु ा[बक़ छं द न\पण के <लए मुQय प यभार को ह1 ]यान मP <लया जाता है मगर एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR के +योग कJ

छूट लेने के <लए मुQय प यभार के अलावा गौण प यभार को भी ]यान मP लेना पड़ता है । एक गुfअ^र के

थान पर दो

प यभारवाले गुfअ^र के के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट मुQय और गौण

थान पर नह1ं ल1 जाती। मुQय और गौण प यभारवाले गुfअ^र

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट लेने से छं द कJ +वाUहता को नुकसान

पहुंचता है । अब मN सं?ध के मुQय और गौण प यभार को दशाOनेवाल1 तुलनाEमक सू?च + तुत करता हूं। दोनR सू?च मP हरे क सं?ध के मुQय प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया है और गौण प यभारवाले अ^र को नीचे [बंद1 करके दशाOया है ।

122

अंEया^र गुfअ^र हो ऐसी सं?ध के मQ ु य और गौण प यभार सं?ध

सं?ध का

मुQय और गौण

मुQय प यभार से

गौण प यभार से

hमांक

+कार

प यभार के साथ

गौण प यभार का

मुQय प यभार का

सं?ध

मा ा-अंतर

मा ा-अंतर

०१

पंचकल

लगाग़ा





०२

पंचकल

ग़ालगा





०३

ष}कल

लगालग़ा





या लग़ालगा ०४

ष}कल

ल“गागा





०५

ष}कल

गाल“गा





०६

सpतकल

लग़ागागा





०७

सpतकल

गालग़ागा





०८

सpतकल

गागालग़ा





०९

सpतकल

ललगालग़ा





१०

सpतकल

लग़ाललगा





११

अYटकल

गागाग़ागा





या गागागाग़ा १२

अYटकल

लगालग़ागा





१३

अYटकल

ललगागाग़ा





१४

अYटकल

गाललग़ागा





१५

अYटकल

गागाललग़ा





१६

अYटकल

ललगाललग़ा





१७

अYटकल

गालगालग़ा





123

अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध के मुQय और गौण प यभार सं?ध

सं?ध का

मुQय और गौण

मुQय प यभार से

गौण प यभार से

hमांक

+कार

प यभार के साथ

गौण प यभार का

मुQय प यभार का

सं?ध

मा ा-अंतर

मा ा-अंतर

०१

पंचकल

गाग़ाल





०२

ष}कल

गालग़ाल





या ग़ालगाल ०३

ष}कल

गागाल“





०४

सpतकल

गालग़ालल





०५

सpतकल

ग़ागागाल





०६

सpतकल

ग़ाललगाल





०७

अYटकल

गागाग़ालल





०८

अYटकल

गाललग़ालल





०९

अYटकल

गागा“गाल





उपरोkत दोनR सू?च के अSयास से कुछ तारण नकाल सकते हN जो इस +कार है । (०१)

:कसी भी सं?ध मP मुQय और गौण प यभारवाले गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR का +योग नह1ं हुआ है । (०२)

िजस सं?ध मP मुQय या गौण प यभार लघअ ु ^र पर ि थत हो उस सं?ध मP मुQय या गौण प यभारवाले लघअ ु ^र के बाद गुfअ^र का ह1 +योग हुआ है ।

(०३)

मुQय प यभार और गौण प यभार दोनR लघुअ^र पर ह1 ि थत हो ऐसी एक भी सं?ध ग़ज़ल के छं दR मP +युkत नह1ं होती।

(०४)

:कसी भी एक सं?ध के आव तOत

व\प मP भी दो से अ?धक

पYट लघुअ^र

एकसाथ नह1ं आते। (०५)

हरे क पंचकल सं?ध मP मुQय प यभार से

Iवकल सं?ध (गा) और गौण प यभार

से [ कल सं?ध (गाल) को अलग :कया जा सकता है ।

124

हरे क ष}कल सं?ध मP मुQय प यभार से [ कल सं?ध (गाल) और गौण प यभार

(०६)

से [ कल सं?ध (गाल या लगा) को अलग :कया जा सकता है । हरे क सpतकल सं?ध मP मुQय प यभार से [ कल सं?ध (गाल) और गौण

(०७)

प यभार से चतुYकल सं?ध (गागा या गालल) को अलग :कया जा सकता है । हरे क अYटकल सं?ध मP मुQय प यभार से चतुYकल सं?ध (गागा या गालल या

(०८)

लगाल) और गौण प यभार से चतुYकल सं?ध (गागा या गालल या लगाल) को अलग :कया जा सकता है । (०९)

िजन अYटकल सं?ध मP दो लघअ ु ^र एकसाथ +युkत नह1ं हुए हN उन अYटकल सं?ध मP दो लघअ ु ^रR के बीच मP एक से अ?धक गुfअ^र का +योग नह1ं हुआ है ।

(१०)

अYटकल सं?ध लगालग़ागा और गालगालग़ा मP ह1 मुQय प यभार लघुअ^र पर ि थत है kयR:क दोनR सं?ध अनुhम से अYटकल सं?ध गागाग़ागा और गागागाग़ा के ह1

व\प हN।

अब मN अंEया^र गुfअ^र हो ऐसी सं?ध कJ वैकिLपक सं?ध कJ सू?च और अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध कJ वैकिLपक सं?ध कJ सू?च + तुत करता हूं। दोनR सू?च मP :कसी भी सं?ध मP एकसाथ दो से अ?धक पYट लघुअ^रR का +योग नह1ं हुआ है तथा :कसी भी सं?ध के आव तOत

व\प मP भी एकसाथ दो से अ?धक

125

पYट लघुअ^रR का +योग नह1ं होगा।

अंEया^र गुfअ^र हो ऐसी सं?ध कJ वैकिLपक सं?ध सं?ध

सं?ध का

मुQय और गौण

वैकिLपक सं?ध

वैकिLपक सं?ध

hमांक

+कार

प यभार के साथ

(अंEया^र गुfअ^र)

(अंEया^र लघुअ^र)

सं?ध ०१

पंचकल

लगाग़ा

*

*

०२

पंचकल

ग़ालगा

*

*

०३

ष}कल

लगालग़ा

*

*

*

*

या लग़ालगा ०४

ष}कल

ल“गागा

*

*

०५

ष}कल

गाल“गा

*

*

०६

सpतकल

लग़ागागा

लग़ाललगा

*

०७

सpतकल

गालग़ागा

*

गालग़ालल

०८

सpतकल

गागालग़ा

ललगालग़ा

*

०९

सpतकल

ललगालग़ा

*

*

१०

सpतकल

लग़ाललगा

*

*

११

अYटकल

गागाग़ागा

लगालग़ागा,

गागाग़ालल,

गाललग़ागा।

गाललग़ालल, गागा“गाल।

या गागागाग़ा

ललगागाग़ा, गागाललग़ा,

*

ललगाललग़ा, गालगालग़ा। १२

अYटकल

लगालग़ागा

*

*

१३

अYटकल

ललगागाग़ा

ललगाललग़ा

*

१४

अYटकल

गाललग़ागा

*

गाललग़ालल

१५

अYटकल

गागाललग़ा

ललगाललग़ा

*

१६

अYटकल

ललगाललग़ा

*

*

१७

अYटकल

गालगालग़ा

*

*

126

अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी सं?ध कJ वैकिLपक सं?ध सं?ध

सं?ध का

मुQय और गौण

वैकिLपक सं?ध

वैकिLपक सं?ध

hमांक

+कार

प यभार के साथ

(अंEया^र गुfअ^र)

(अंEया^र लघुअ^र)

सं?ध ०१

पंचकल

गाग़ाल

*

*

०२

ष}कल

गालग़ाल

*

*

*

*

या ग़ालगाल ०३

ष}कल

गागाल“

*

*

०४

सpतकल

गालग़ालल

*

*

०५

सpतकल

ग़ागागाल

*

ग़ाललगाल

०६

सpतकल

ग़ाललगाल

*

*

०७

अYटकल

गागाग़ालल

*

गाललग़ालल

०८

अYटकल

गाललग़ालल

*

*

०९

अYटकल

गागा“गाल

*

*

अंEया^र लघुअ^र हो ऐसी वैकिLपक सं?ध को अखंxडत +कार के छं दR मP अं तम सं?ध के \प मP +युkत नह1ं कJ जा सकती जब:क खंxडत +कार के छं दR मP छं द का अंEया^र गुfअ^र आए इस तरह से अं तम सं?ध के \प मP भी +युkत कJ जा सकती है । अंEया^र गुfअ^र हो ऐसी वैकिLपक सं?ध को अखंxडत और खंxडत दोनR +कार के छं दR मP छं द का अंEया^र गुfअ^र आए इस तरह से +युkत कJ जा सकती है । इससे यह नYकषO नकाला जा सकता है :क ग़ज़ल के छं दR मP +युkत सं?ध का और उसकJ वैकिLपक सं?ध का +योग छं द-रचना मP इस तरह से करना होगा :क छं द का अंEया^र गुfअ^र ह1 आए। :फर भी <सफ़O गुfअ^र के +योगवाले छं दR मP ह1 या न :क गागाग़ागा या गागागाग़ा सं?ध के +योगवाले छं दR मP ह1 वैकिLपक सं?ध का +योग करना उ?चत होगा।

प यभार आधा रत प त के मुता[बक़ छं द न\पण के <लए मुQय प यभार को ह1 ]यान मP <लया जाता है मगर एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR के +योग कJ

छूट लेने के <लए मुQय प यभार के अलावा गौण प यभार को भी ]यान मP लेना पड़ता है । एक गुfअ^र के

थान पर दो

प यभारवाले गुfअ^र के

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट मुQय और गौण

थान पर नह1ं ल1 जाती।

127

एक गुfअ^र के

थान पर दो

पYट लघुअ^रR के +योग कJ छूट (वैकिLपक सं?ध का

+योग) <सफ़O गागाग़ागा या गागागाग़ा सं?ध के +योगवाले छं दR मP ह1 मुQय और गौण प यभार को ]यान मP रख कर इस तरह से लेनी चाUहए :क छं द का अंEया^र गुfअ^र ह1 आए।

अब मN ग़ज़ल के कुछ +च<लत छं दR कJ सू?च + तुत करता हूं :क िजसमP अंEया^र गुfअ^र हो ऐसी सं?ध hमांक १ से १२ का ह1 +योग हुआ है । हरे क छं द मP मुQय प यभारवाले अ^र को रे खां:कत करके दशाOया गया है और गौण प यभारवाले अ^र को नीचे [बंद1 करके दशाOया गया है ।

ग़ज़ल के +च<लत छं द ०१

लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा तकO-संगत नाम : ४लगाग़ा +कार : शु -अखंxडत

०२

लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा लगा तकO-संगत नाम : ४लगाग़ा-गा +कार : शु -खंxडत

०३

लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा लगाग़ा तकO-संगत नाम : ८लगाग़ा +कार : शु -अखंxडत

०४

ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा तकO-संगत नाम : ४ग़ालगा +कार : शु -अखंxडत

०५

ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा ग़ा तकO-संगत नाम : ४ग़ालगा-लगा +कार : शु -खंxडत

०६

ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा ग़ालगा तकO-संगत नाम : ८ग़ालगा +कार : शु -अखंxडत

128

०७

लगालग़ा लगालग़ा लगालग़ा लगालग़ा तकO-संगत नाम : ४लगालग़ा +कार : शु -अखंxडत

०८

गालग़ा लगालग़ा गालग़ा लगालग़ा तकO-संगत नाम : २(-ल+२लगालग़ा) +कार : शु -खंxडत

०९

गागा ल“गागा ल“गागा ल“गागा तकO-संगत नाम : -लल+४ल“गागा +कार : शु -खंxडत

१०

लग़ागागा लग़ागागा लग़ागागा लग़ागागा तकO-संगत नाम : ४लग़ागागा +कार : शु -अखंxडत

११

लग़ागागा लग़ागागा लग़ागा तकO-संगत नाम : ३लग़ागागा-गा +कार : शु -खंxडत

१२

गालग़ागा गालग़ागा गालग़ागा गालग़ा तकO-संगत नाम : ४गालग़ागा-गा +कार : शु -खंxडत

१३

गालग़ागा गालग़ागा गालग़ा तकO-संगत नाम : ३गालग़ागा-गा +कार : शु -खंxडत

१४

गालग़ागा गालग़ा गालग़ागा गालग़ा तकO-संगत नाम : २(२गालग़ागा-गा) +कार : शु -खंxडत

१५

गागालग़ा गागालग़ा गागालग़ा गागालग़ा तकO-संगत नाम : ४गागालग़ा +कार : शु -अखंxडत

129

१६

ललगालग़ा ललगालग़ा ललगालग़ा ललगालग़ा तकO-संगत नाम : ४ललगालग़ा +कार : शु -अखंxडत

१७

लगालग़ागा लगालग़ागा लगालग़ागा लगालग़ागा तकO-संगत नाम : ४लगालग़ागा +कार : शु -अखंxडत

१८

गागागाग़ा गागागाग़ा गागागाग़ा गागागाग़ा तकO-संगत नाम : ४गागागाग़ा +कार : शु -अखंxडत

१९

गागाग़ागा गागाग़ागा गागाग़ागा गागाग़ा तकO-संगत नाम : ४गागाग़ागा-गा +कार : शु -खंxडत

२०

गागाग़ागा गागाग़ागा तकO-संगत नाम : २गागाग़ागा +कार : शु -अखंxडत

२१

गागाग़ागा गागाग़ा तकO-संगत नाम : २गागाग़ागा-गा +कार : शु -खंxडत

२२

गागागाग़ा गागा गागागाग़ा गागा तकO-संगत नाम : २(२गागागाग़ा-गागा) +कार : शु -खंxडत

२३

गागालग़ा लगाग़ा गागालग़ा लगाग़ा तकO-संगत नाम : २(गागालग़ा+लगाग़ा) +कार : <मa-अखंxडत

२४

ललगालग़ा लगाग़ा ललगालग़ा लगाग़ा तकO-संगत नाम : २(ललगालग़ा+लगाग़ा) +कार : <मa-अखंxडत

130

२५

गाल“गा लगालग़ा गाल“गा लगालग़ा तकO-संगत नाम : २(गाल“गा+लगालग़ा) +कार : <मa-अखंxडत

२६

गागा लग़ालगा ल“गागा लग़ालगा तकO-संगत नाम : -लल+२(ल“गागा+लग़ालगा) +कार : <मa-खंxडत

२७

लग़ालगा ल“गागा लग़ालगा ल“गा तकO-संगत नाम : २(लग़ालगा+ल“गागा)-गा +कार : <मa-खंxडत

२८

गा“गागा ल“गागा ल“गागा ल“गा तकO-संगत नाम : ल+४ल“गागा-गा +कार : शु -खंxडत

२९

गा“गागा ल“गागा ल“गा तकO-संगत नाम : ल+३ल“गागा-गा +कार : शु -खंxडत

३०

गा“गागा लग़ालगा ल“गा तकO-संगत नाम : ल+ल“गागा+लग़ालगा+ल“गागा-गा +कार : <मa-खंxडत

छं द hमांक २७, २८, २९ और ३० मP अं तम सं?ध ल“गागा +यk ु त होती है और उस अं तम सं?ध ल“गागा के अं तम गुfअ^र का लोप करने से अं तम सं?ध ल“गा +ाpत होती है :क िजसमP दो

पYट लघुअ^रR के

थान पर संयुkत उdचारवाले दो लघुअ^रR का या एक

गुfअ^र का +योग करने कJ छूट है । छं द hमांक २८, २९ और ३० मP पहल1 सं?ध गा“गागा +युkत होती है :क िजसका मुQय प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र (गालग़ागा) के बजाय सं?ध के अं तम गुfअ^र (गा“गागा) पर ि थत है । ल“गागा सं?ध कJ शु\आत मP एक लघुअ^र बढ़ाने से लल“गागा सं?ध +ाpत होती है । ग़ज़ल के छं दR मP दो से अ?धक लघुअ^र एकसाथ +युkत नह1ं होते। इस आधार पर लल“गागा सं?ध के पहले और दस ू रे लघुअ^रR को <मला कर एक गुfअ^र ?गनने पर गा“गागा सं?ध +ाpत होती है :क िजसका मुQय प यभार सं?ध के पहले गुfअ^र

131

(गालग़ागा) के बजाय सं?ध के अं तम गुfअ^र (गा“गागा) पर ि थत है । गा“गागा सं?ध :क िजसका मुQय प यभार सं?ध के अं तम गुfअ^र पर ि थत है उसका +योग ष}कल सं?ध ल“गागा और लग़ालगा के साथ <मa \प के िजतना ह1 मयाOUदत रहे गा। ष}कल सं?ध ल“गागा और लग़ालगा का मुQय प यभार भी सं?ध के अं तम गुfअ^र पर ह1 ि थत है । लघुअ^र कJ १ मा ा और गुfअ^र कJ २ मा ा ?गनने पर छं द hमांक २५ के अलावा सभी अखंxडत +कार के (शु

और <मa दोनR) छं दR मP प यभार समान मा ा के अंतर पर

ि थत है और सभी खंxडत +कार के (शु

और <मa दोनR) छं दR मP <सफ़O लोप के

थान पर

लोप :कये हुए अ^रR कJ मा ा के िजतनी ह1 Iवषमता रहती है जो वीकायO है । छं द hमांक २५ मP सं?ध के <मaण के कारन प यभार के अंतर मP Iवषमता रहती है और इसी<लए उसमP प यभार अनुhम से ७ और ५ मा ा के अंतर पर ि थत है । िजस छं द मP सं?ध के <मaण के कारन प यभार के अंतर मP Iवषमता िजतनी िज़यादा रहे गी उस छं द कJ +वाUहता और गेयतEव उतने ह1 कम हRगे और उस छं द के +च<लत होने कJ संभावना भी उतनी ह1 कम हो जाएगी।

***

‘ग़ज़लधारा’

कJ e-book (pdf file)

आप मेर1 website : www.udayshahghazal.com से download करके नःशुLक +ाpत कर सकते हN।

132

133

: सIवनय Iवzिpत : ग़ज़ल के छं द और ताल के संबध ं मP मN

वतं \प से सालR से संशोधन कर रहा हूं। यहां पर + तत ु कJ गई सोच या Iवचारणा बहुधा मेर1 मौ<लक है , पर एक बात कJ पYटता करना मN ज़\र1 समझता हूं। डो. रईश मनीआर गज ु राती के जानेमाने ग़ज़लकार हN। इस Iवषय मP उ%हRने गज ु राती मP एक पु तक ‘गझलनुं छं दोIवधान’ <लखकर सन २००७ मP +का<शत कJ थी। उन कJ शभ े छा और सदभावना ु d हं मेशा मेरे साथ रहे हN। छं द और ताल का संबध ं समझाने के <लए प यभार का उपयोग मझ ु से पहले वो कर चुके हN। ग़ज़ल के छं दो का पंचकल, ष}कल, सpतकल, अYटकल मP वग€करण भी उन कJ पु तक मP :कया गया है । ग़ज़ल के छं दो के शा

ीय नाम दे ने का +योग भी वो कर चक ू े हN।

उन कJ कुछ Iवचारणा से मेर1 असहमती रह1, पर मझ ु े उन कJ पु तक मP समाIवYट बहुत सी बातP उपयोगी लगीं। इसी <लये मNने अपनी पु तक को सम ृ करने के हे तु से, अपनी तरह से कुछ प रवतOन सUहत, उन के पु तक से काफ़J सार1 बातR का +भाव ”हण :कया है । इस अथO मP यह पु तक मेरा संशोधन होते हुए भी डो. रईश मनीआर के कायO से काफ़J हद तक +भाIवत है । इस मौक़े पर मN उन का ऋण वीकार करता हूं और पु तक मP जहां जहां उन के पु तक से ल1 हुई प रभाषा मNने +यk ु त कJ है, वहां पर उन का उLलेख न कर पाने पर अपना खेद +गट करता हूं। उदय शाह दादाट.ू 01ट (सांई 01ट) नवसार1-३९६४४५ (गज ु रात) Phone : (R) 02637-255511 & (M) 09428882632

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