Chapter 15

  • May 2020
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  • Words: 7,596
  • Pages: 41
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ु अथ पषोमयोगो नाम पदशोऽायः॥

ौी भगवान ् उवाच ।

ू म ् अधःशाखम ् अम ् ूाः अयम ् । ऊमल

् १५ - १॥ छांिस य पणािन यः तम ् वेद सः वेदिवत ॥ श

ू म् ऊमल

श उार Urdhvamulam

English rooted above

िही ु आिद पष

मराठी मूळ वरती असणाढया

परमेरप उपर AdhaHshaakham अधःशाखम ् अम ्

Ashvattham

मूलवाले और with branches below Peepal tree

ु नीचे ॄाप म

खाली फांा

शाखावाले िजस

असणाढया

संसारप पीपल के

(संसारपी) अ

वृ को

(िपंपळ) वृाला

praahuH

(they) speak of

अयम ्

कहते ह तथा

णतात

Avyayam

indestructible

अिवनाशी

अिवनाशी

छांिस

Chandansi

छ

छ

य

Yasya

metres of hymns of which

िजसके

ाची

पणािन

Parnani

leaves

पे कहे गये ह

पान े

यः

YaH

who

ु मूलसिहत जो पष

जो

Tam

that

उस संसारप वृ

ाला

ूाः

तम ्

को वेद

Veda

knows

त से जानता है

(ततः) जाणतो

सः

SaH

He

वह

तो

Vedavit

Knower of the Vedas

वेद के ताय को

वेदांच े ताय

जानन ेवाला है

जाणणारा आहे

वेदिवत ्

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- ौी भगवान ् उवाच - छांिस

य

पणािन

ू म ् अधःशाखम ् अयम ् ूाः । अम ् ऊमल

वेदिवत ् ( इित उते ) ॥ १५ - १॥

( सि तम ् )

यः तम ् वेद , सः

English translation:The blessed Lord said, “They speak of an imperishable Asvattha (Peepal) tree with its roots above and branches below. Its leaves are the Vedas; he who knows it is the knower of the Vedas. ु :िही अनवाद

ु ौी भगवानन े कहा , “ आिद पष परमेरप उपर मूलवाले और ॄाप ु म नीचे शाखावाले िजस संसारप पीपल के वृ को अिवनाशी कहते ह

ु मूलसिहत तथा वेद िजसके पे कहे गये ह ; उस संसारप वृ को जो पष त से जानता है, वह वेद के ताय को जानन ेवाला है । ” मराठी भाषार :ौी भगवान णाले , “ सव छंद ही ाची पान े आहेत ा अ ( िपंपळ ) वृाचे मूळ वर आहे आिण शाखा खाली पसरलेा आहेत . ाला अिवनाशी णतात . जो हे जाणतो ालाच वेदांचा जाणकार असे णतात . ” िवनोबांची गीताई :-

खाल शाखा वरी मूळ िन अ बोिलला

ाा पानांमध वेद ज़ाणे तो वेद ज़ाणतो ॥ १५ - १॥ Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ु ाः िवषयूवालाः । अधः च ऊम ् ूसृताः त शाखाः गणूवृ

ु ततािन कमानबी ु िन मनलोके ु अधः च मूलािन अनसं ॥ १५ - २ ॥ श

श उार AdhaH

English below

Cha

ऊम ्

अधः

िही

मराठी

नीचे

खाली

and

और

आिण

Urdhvam

above

ऊपर

वरती

ूसृताः

PrasrutaaH

spread

सवऽ फै ली ई ह तथा

पसरलेा आहेत

त

Tasya

its

उस संसारवृ की

ा (संसारवृाा)

शाखाः

ShaakhaaH

branches



ु गणूवृ ाः

िवषयूवालाः

आिद योिनप शाखाएँ

GunapravrudhaH

VishayapravaalaaH

अधः

AdhaH



Cha

मूलािन

Mulaani

ु ततािन अनसं ु कमानबीिन ु मनलोके

ु और ितयक ् देव मन

nourished by ु जल के तीन गणप the Satva, Rajas and ारा बढ़ी ई एवं Tamas Gunas sense objects िवषय भोग-प are its buds कपलवाली below नीचे and और the roots अहंता, ममता और

फांा ु तीन गणपी पायान े वाढलेा िवषयभोगपी कोवळी पान े असणाढया खाली व (अहंता, ममता आिण

वासनाप जड़

ु  वासनाप) मळ

Anusantataani

are stretched forth

सभी लोक म ा हो

(सव लोकांत) पसरलेली

रही ह

आहेत

Karmanubandhini

originating action

ु कम के अनसार

ं ठे वणारी कमाशी संबध

Manushyaloke

in the world of men

ु पृीतल पर मनलोक

Purushottama Yoga

बाँधनवे ाली ु मनलोकां त

म

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता ु अय :- त गणूवृ ाः िवषयूवालाः शाखाः

ऊम ् ूसृताः ( सि )

ु ु िन मूलािन अनसं ु ततािन ( सि ) ॥ १५ - २ ॥ अधः च मनलोके कमानबी English translation:-

Below and above spread its branches, nourished by the SatvaRaja-Tama Gunas; sense objects are its sprouts; and roots are stretched below as actions binding men, in the world. ु :िही अनवाद

ु उस संसारवृ की तीन गणप जल के ारा बढ़ी ई एवं िवषय भोग-प कपलवाली

ु और ितयक ् आिद योिनप शाखाएँ नीचे और ऊपर सवऽ फै ली ई ह तथा देव मन

ु ु पृीतल पर मनलोक म कम के अनसार बाँधन ेवाली अहंता, ममता और वासनाप जड़ भी नीचे और ऊपर सभी लोक म ा हो रही ह । मराठी भाषार :-

ु नी वाढलेा आहेत. िवषय हे ा संसारवृाा शाखा स, रज व तम गणां ु आिण ा शाखांच े कोमल पवांकुर आहेत. ा संसारवृाा ( देव, मन ु पश-पादी

योिनप ) फांा खालीवर सवऽ पसरलेा आहेत.

तसेच

ु ु ु ही मनलोकां त कमानसार बांधणारी ( अहंता, ममता आिण वासनाप ) मळे खालीवर सव लोकांत पसरलेली आहेत . िवनोबांची गीताई :-

ु -पु ज़ेथ वरी िह शाखा फुटा तयास ह भोग-पान गण

खाल िह मूळ िनघती नवीन ढावल कम बळ नृ-लोक ॥ १५ - २ ॥ Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

न पम ् अ इह तथा उपलते न अः न च आिदः न च संूिता ूिता ।

ु ढमूलम ् असशेण ढेन िछा ॥ १५ - ३ ॥ अम ् एनम ् सिव श

श उार Na

English not

पम ्

Rupam

अ



िही

मराठी

नह

नाही

form

प (ज ैसा कहा है)

प

Asya

its

इस संसारवृ का

ा (संसारवृाचे)

इह

Eha

here

यहाँ (िवचारकाल म)

येथ े

तथा

Tatha

as such

वैसा

तसे

उपलते

Uplabhyate is perceived

पाया जाता

आढळते



Na

not

नह

नाही

अः

AntaH

end

अ है

शेवट



Na

not

नह

नाही



Cha

and

और

तसेच

आिदः

AadiH

origin

आिद है

आरंभ



Na

not

नह

नाही

संूिता

Samfirm Pratishtha foundation Ashvatham Peepul tree

अी ूकार की िित है

उम आधार

संसारप पीपल के वृ को

(संसारपी अ)

अम ् एनम ्

िपंपळ वृाला Enam

this

Suviroodha firm rooted ु सिवढमू लम ् -mulam असशेण

AsangaShastrena

ढेन

Drudhena

with the axe of nonattachment strong

िछा

Chhitvaa

having cut

Purushottama Yoga

इस

ाला

ु े अहंता, ममता और वासनाप अितशय ढ़ मळ अित ढ़ मूलवाले

असणाढया

वैरायप शारा

वैरायप शान े

कठोर नीती से

अंत बळकट

काटकर

कापून

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- ( यथा अयम ् वृः विणतः ) तथा अ पम ् इह न उपलते ( यतः

ु ढमूलम ् एनम ् अ ) आिदः न , अः न च , संूिता ूिता च न ( उपलते अतः) सिव

अम ् ढेन

असशेण िछा / ( िछन  ु ) ॥ १५ - ३ ॥

English translation: Its (of this Asvattha / Peepul tree) form is not perceived here as such, neither it has end, nor it has origin, nor it has firm foundation. With the strong axe of non-attachment, one must cut this firm rooted Asvattha / Peepal tree.

ु :िही अनवाद इस संसारवृ का प ज ैसा कहा है वैसा यहाँ िवचारकाल म नह पाया जाता; िक न तो इसका आिद है और न तो अ है तथा न इसकी अी ूकार की िित है ; इसिलये इस अहंता, ममता और वासनाप अित ढ़ मूल वाले संसारप पीपल के वृ को वैरायप शारा कठोर नीती से काटकर ाग करना उिचत होगा ।

मराठी भाषार :या संसारवृाचे प जसे वणन के ले आहे तसे येथ े पणे आढळत नाही . कारण याला आरंभ नाही , शेवट नाही तसेच ाला उम आधारही नाही . णून या ( अहंता, ु असलेा संसारपी वृाला ममता आिण वासनापी ) अितशय घ मळे

वैरायपी

बळकट शान े छाटावे .

िवनोबांची गीताई :-

ु ाच तस प िदसे न येथ भासे न शडा बडखा न खांदा

घेऊिन वैराय अभंग श तोडूिनयां हा ढ-मूल वृ ॥ १५ - ३ ॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ततः पदम ् तत ् पिरमािग तम ् यिन ् गताः न िनवति भूयः ।

् ूपे यतः ूवृिः ूसृता पराणी ु ु तम ् एव च आम ् पषम ॥ १५ - ४॥ श ततः

पदम ्

श उार TataH

English then

Padam

goal

िही

मराठी

उसके पात ्

ानंतर

परमपदप परमेर

परमपदप ईराला

को

तत ्

tat

that

उस

ा

पिर-

Parimaargitavyam

Should be sought for

भलीभाँित खोजना

चांगा ूकारे शोधून

यिन ्

चािहये

काढले पािहजे

Yasmin

whither

िजस म

जेथ े

गताः

GataH

gone

ु गये ए पष

ु गेलेले (पष)



Na

not

नह

नाही

िनवति

Nivartanti

return

लौटकर संसार म आते परत येतात

भूयः

BhuyaH

again

तम ्

वापस

ु पा

Tam

in that

उस

ा

एव

Eva

even

के वल





Cha

and

और

आिण

Aadyam

primeval

् ु पषम

आिद

आिद

Purusham

ु नारायण के पष

ु पषाला

ूपे

Prapadye

Purusha / man I seek refuge

म शरण ँ

मी शरण आहे

यतः

YataH

whence

िजस परमेर से

ा परमेरापासून

ूवृिः

PravruttiH

activity

संसारवृ की ूवृि

संसारूवृि

ूसृता

Prasruta

िवार को ूा ई है

पसरली आहे

ु पराणी

Puraani

Streamed forth ancient

ु परातन

ूाचीन

मािग तम ्

आम ्

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- ( ततः यिन ् गताः मानवाः ) भूयः न िनवति , तत ् पदम ् ् ूपे ु ु पिरमािग तम ।् यतः पराणी ूवृिः ूसृता तम ् एव आम ् पषम

च ॥ १५ - ४ ॥

English translation: Then that (Bramha Padam) goal should be sought for. Those who reach that goal, they do not return again. I seek refuge in that Primeval Purusha / the Supreme from whom streamed forth the ancient / eternal activity.

ु :िही अनवाद

उसके पात ् उस परमपदप परमेर को भलीभाँित खोजना चािहये, िजसम गये ए

ु वापस लौटकर संसारम नह आते और िजस परमेर से इस परातन ु पष संसारवृ की

ु नारायण के ूित म शरण ँ; इस ूवृि िवार को ूा ई है, के वल उस आिद पष ूकार ढ़ िनय करके उस परमेर का मनन और िचन करना चािहये ।

मराठी भाषार :ानंतर ा परमपदप परमेराला चांगा ूकारे शोधून काढले पािहजे .

ु ु परत येत नाहीत . ा परमेरापासून ूाचीन े े पष तेथ े गेलल पा ु - परमेराला मी शरण जातो . संसारूवाह पसरला आहे ; ाच आिदपष िवनोबांची गीताई :-

ावा पढु शोध तया पदाचा ज़ेथिू न माग िफरण नसे िच

ु ा परमा त ूवृि ज़ेथ ुरली अनािद ॥ १५ - ४॥ ावी बडी Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

िनमानमोहाः िजतसदोषाः अािनाः िविनवृकामाः ।

् १५ - ५ ॥ ु ु ैः िवमाः सखःखसं  ैः गि अमूढाः पदम ् अयम ् तत ॥ श िनमानमोहाः

श उार NirmanmohaH

English free from pride and delusion

िही

मराठी

िजसका अिभमान

अिभमान आिण मोह

और मोह न हो

न झालेले

गया है िजतसदोषाः

JitasangadoshaH

Victorious over the evil of attachment

िजन े आसिप

आसिप दोष

दोष को जीत िलया

िजंकलेले

है अािनाः

AdhyaatmanityaaH

dwelling constantly in the Self

िजनकी परमाा के

अािचंतनात िन

प म िन

तीन असलेले

िित है िविनवृकामाः

VinivruttakamaaH

Desires having completely turned away

िजनकी कामनाएँ

कामना समूळ न

पूण प से न हो

झालेले

गयी ह ु ाः ैिवम

DvandvaiHvimuktaaH

ु सखःखसं ःै

SukhaDuHkhaSamdnyaiH Gachchhanti

गि

free from the pairs of opposites Known as pleasure and pain reach

ु  से िवम

ु ातून िवम

ु नामक सख-ःख

ु नामक सख-ःख

ूा होते ह

ूा कन घेतात

ानीजन

ानीजन

परमपद को

परमपदाला

अमूढाः

AmuDhaaH

पदम ्

Padam

The undeluded goal

Avyayam

eternal

अिवनाशी

अिवनाशी

Tat

that

उस

ा

अयम ् तत ्

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- िनमानमोहाः , िजतसदोषाः , अािनाः , िविनवृकामाः ,

ु ु सखःखसं  ैः ैिवमाः अमूढाः तत ् अयम ् पदम ् गि ॥ १५ - ५ ॥ English translation:-

The undeluded / unperplexed persons, free from pride and delusion, having conquered the evils of attachment, ever dwelling in the Self, desires being completely stilled, liberated from the pairs of opposites known as pleasure and pain, reach that Eternal Goal.

ु :िही अनवाद िजस का मान और मोह न हो गया है , िज न े आसिप दोष को जीत िलया है, िजन की परमाा के प म िन िित है , िजन की कामनाएँ पूण प से न हो ु ु ानीजन उस अिवनाशी परमपद को गयी ह ; वे सख-ःख नामक  से िवम ूा होते ह ।

मराठी भाषार :अिभमान आिण मोह न झालेले , आसिप दोष िजंकलेले , अािचंतनात िन ु ु तीन असलेले , कामना समूळ न झालेले आिण सख-ःख नामक ातून िवम झालेले ानीजन , ा अिवनाशी ौे पदाला पोचतात .

िवनोबांची गीताई :-

ज़े मान मोहांसह संग दोष ज़ाळू िन िनवासन आ िन

ु -ःख मूळ ते ूा ा िन-पद ूिव ॥ १५ - ५ ॥ ं न घेती सख Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

न तत ् भासयते सूय ः न शशाः न पावकः।

यद ् गा न िनवते तत ् धाम परमम ् मम ॥ १५ - ६॥ श न

तत ्

श उार

English

िही

मराठी

Na

not

नह

नाही

Tat

that

उस ( यं ूकािशत

ा

परमपद को ) भासयते

Bhaasayate

illumines

ूकािशत कर सकता है

ूकािशत करतो

सूयः

SuryaH

The Sun

सूय 

सूय 



Na

not

नह

नाही

शशाः

ShashankaH

the moon

चमा

च



Na

not

नह

नाही

पावकः

PaavakaH

fire

अि

अि

यद ्

Yad

to which

िजस परमपद को

ा (परमपदाला)

गा

Gatvaa

having gone

ूा होकर

ूा कन घेतावर



Na

not

नह

नाही

िनवत े

Nivartante

they return

तत ्

लौटकर संसार म आते

(संसारात) परत येतात

Tat

that

वही

तेच

धाम

Dhaam

abode

परमम ्

िनवास

ान

Paramam

supreme

परम

सवौे

मम

Mama

my

मेरा

माझे

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- न सूय ः , न शशाः , न पावकः ( च ) तत ् ( पदम )् भासयते । यद ् गा न िनवते तत ् मम परमम ् धाम ॥ १५ - ६॥ English translation:That the Sun illumines not, nor the moon, nor fire; going whither they return not, that is My Supreme Abode.

ु :िही अनवाद

ु लौटकर संसार म नह आते , उस यं िजस परमपद को ूा होकर , मन ूकािशत परमपद को न सूय  ूकािशत कर सकता है , न चमा और न ही अि ; वही मेरा परम िनवास है । मराठी भाषार :ा यंूकाशी परमपदाला सूय  ूकािशत क शकत नाही , चही नाही

ु या संसारात आिण अीही नाही . ा परमपदाला पोचावर ानीजन पा परत येत नाहीत ; तेच माझे अंितम सवौे ान - प आहे . िवनोबांची गीताई :-

न ास उज़ळी सूय  कायसे अि चंि हे

ज़ेथ गेला न परते माझ अंितम धाम त ॥ १५ - ६॥

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

मम एव अंशः जीवलोके जीवभूतः सनातनः ।

मनः षािन इियािण ूकृ ितािन कष ित ॥ १५ - ७॥ श

श उार Mama

English my

एव

Eva

अंशः

मम

िही

मराठी

मेरा

माझा

even

ही



AmshaH

portion

अंश है

अंश (आहे)

जीवलोके

Jeevaloke

इस देह म

(या) जगात

जीवभूतः

JeevabhootaH

जीवाा

जीवाा

सनातनः

SanatanaH

in the World of life having become a soul eternal

यह सनातन

सनातन

मनः -

ManaHShashtani

with the mind as the sixth sense

मन और पाँच

मन आिण पाच

(इिय)

(इंििये)

इियािण

Indriyani

इिय को

इंिियांच े

ूकृ ित-

PrakrutiSthani

the sense organs abiding in the nature

इन ूकृ ित म

या ूकृ तीत ित

ित

असणाढया

षािन

ािन कषि त

Karshati

Purushottama Yoga

attracts / draws to itself

आकष ण करता है आकिषत करतो

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- ( अिन ् )

जीवलोके

मम

एव

सनातनः

अंशः

जीवभूतः

( अि सः ) ूकृ ितािन मनः षािन इियािण कष ित ॥ १५ - ७॥ English translation:-

An eternal portion of Me having become the soul in the World of living organisms attracts the five senses with the mind as the sixth sense, abiding in the Nature.

ु :िही अनवाद इस देह म यह सनातन जीवाा मेरा ही अंश है और वही इन ूकृ ित म ित मन और पाँच इिय को आकष ण करता है । मराठी भाषार :या संसारात हा सनातन जीवाा माझाच अंश आहे आिण तोच ूकृ तीत ित असणाढया मनाला आिण पाचही इंिियांना आकिष त करतो . िवनोबांची गीताई :-

माझा िच अंश संसार झाला जीव सनातन

ु ूकृ ततूिन खिचतो ॥ १५ - ७ ॥ पंचि िय मनोय

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

शरीरम ् यत ् अवाोित यत ् च अिप उामित ईरः ।

गृहीा एतािन संयाित याित वायःु गान ् इव आशयात ् ॥ १५ - ८ ॥ श

श उार Shariram

English A body

यत ्

Yat

अवाोित

Ava-AapNoti Yat

च अिप

शरीरम ्

िही

मराठी

शरीर को

शरीराला

when

िजस

ा

obtains

ूा होता है

ूा कन घेतो

when

िजस

ा

Cha

and

और

तसेच

Api

also

् उत-बामित

भी

ु सा

Ut-Kramati

leaves

ाग करता है

ाग करतो

ईरः

IshvaraH

The Lord

देहािदका ामी

देहादचा ामी

जीवाा

जीवाा

यत ्

गृहीा

Gruhitva

taking

महण करके

घेऊन

एतािन

Etaani

these

इस (मनसिहत

या (मनासह सहा

इंििय को)

इंिियांना)

संयाित

Sam-yaati

goes

जाता है

जातो

वायःु

VayuH

The Wind

गान ्

वाय ु

वारा

Gandhaan

The scents

ग को

वास

इव

Eva

as

ज ैसे

जसा

Ashayaat

from their sources

ग से ान से

ु पािदक ानांपासून

आशयात ्

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- यत ् ( एषः ) ईरः शरीरम ् अवाोित , अिप च यत ् उामित ( तत ् ) वायःु आशयात ् गान ् इव , एतािन गृहीा संयाित ॥ १५ - ८ ॥ English translation:When the Lord obtains a body and when He leaves the body, He takes away these (the five senses and mind), and goes, as the Wind carries the scents from their sources.

ु :िही अनवाद

वाय ु ग के ान से ग को ज ैसे महण करके ले जाता है , वैसे ही देहािदका - ामी जीवाा भी िजस शरीरका ाग करता है , उससे इन मनसिहत इिय को महण करके िफर िजस शरीर को ूा होत है , उसम जाता है । मराठी भाषार :-

ु वारा जसा पािदक ानांपासून वास तः बरोबर घेऊन जातो ; तसाच देहादचा ामी जीवाा ा शरीराचा ाग करतो ा शरीरातून या मनासह सहा इंिियांना घेऊन नवीन ूा कन घेतलेा शरीरात जातो . िवनोबांची गीताई :-

ु ु वारा गंध खचिू न घेतसे पािदकां तनी

तश घेऊिन ह सव देह सोडी धरी ूभ ु ॥ १५ - ८ ॥

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ौोऽम ् चःु शनम ् च रसनम ् याणम ् एव च ।

अिधाय मनः च अयम ् िवषयान ् उपसेवते ॥ १५ - ९॥ श

ौोऽम ् चःु

शनम ्



श उार Shrotram

English the ear

ChakshuH

the eye

Sparshanam the sensory organ of touch i.e. skin Cha and

िही

मराठी

ौोऽ

कान

च ु

डोळा

चा को

चा

और

आिण

रसना

जीभ

याण

नाक

ही

तसेच

रसनम ्

Rasanam

याणम ्

Ghranam

एव

Eva

the sensory organ of taste i.e. tongue the sensory organ of smell i.e. nose even



Cha

and

और

आिण

अिधाय

Adhishtaya

आौय कर

आौय घेऊन

मनः

ManaH

presiding over the mind

मनको

मन



Cha

and

और

आिण

Ayam

he

िवषयान ्

यह जीवाा

हा जीवाा

Vishyan

िवषयका

िवषयांचा

उप-सेवते

Upa-Sevate

objects of the senses enjoys

सेवन करता

उपभोग घेतो

अयम ्

है। Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- अयम ् ( जीवः ) ौोऽम ् चःु शनम ् च , रसनम ् याणम ् मनः च एव अिधाय िवषयान ् उपसेवते ॥ १५ - ९ ॥ English translation:(The Lord) Presiding over the ear, the eye, the skin, the tongue and the nose, as also the mind, He experiences and enjoys various objects.

ु :िही अनवाद

यह जीवाा ौोऽ, च ु और चा को तथा रसना, याण और मन को आौय कर अथात ् इन सबके सहारे से ही िवषय का सेवन करता है । मराठी भाषार :हा जीवाा कान, डोळे, चा, जीभ आिण नाक या पांचही इंिियांशी संब होणारे मन ; यांचा आौय घेऊन िवषयांचा उपभोग घेतो . िवनोबांची गीताई :-

ौोऽ िजा चा च ु याण आिणक त मन

ा सवास अिधूिन ते ते िवषय सेिवतो ॥ १५ - ९॥

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

् वा गणाि ु ु तम ् । उामम ् ितम ् वा अिप भानम

ु ु ॥ १५ - १० ॥ िवमूढाः न अनपँयि पँयि ानचषः श

उत-्

श उार English Udkramantam departing

बामम ् ितम ्

Sthitam

staying

िही

मराठी

शरीर को छोडकर शरीर सोडून जाते ए

जाणारा

शरीर मे ित

शरीरात (ित)

ए

राहणारा

वा

Vaa

or

अथवा

अथवा

अिप

Api

also

भी

ु सा

Bhunjanam

enjoying

िवषय को भोगते ( िवषयांचा )

् ु भानम

ए

उपभोग घेणारा

अथवा

अथवा

Vaa

or

Guna-AnuItam

United with the three Gunas

िवमूढाः

VimudhaaH

the deluded

अानीजन

अानीजन



Na

not

नह

नाही

जानते

(िनिवकार

वा

ु गण-अन -ु इ-तम ्

अन-ु

Anu-Pashyanti see

ु से तीन गण

ु ए य

पँयि

ु नी य ु गणां असणारा

आपाला)

जाणतात

पँयि

Pashyanti

behold

त से जानते ह

जाणतात

ान-

DnyaanchakshushaH

Those who possess the eye of knowledge

ानप न ेऽवाले

ानी असणारे

चषु ः

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- उामम ् ितम ् वा

् गणाितम ् वा अिप िवमूढाः ु ु भानम

ु ु पँयि ॥ १५ - १० ॥ न अनपँयि , ानचषः English translation:-

The deluded do not see Him departing, staying and enjoying, while being joined with the three Gunas, but they, who possess the eye of wisdom, see Him.

ु :िही अनवाद शरीरको छोडकर जाते ए

अथवा शरीर मे ित ए अथवा िवषय को

ु से य ु ए भी अानीजन नह जानते , भोगते ए इस ूकार तीन गण के वल ानप नेऽवाले, िववेकशील ानी ही तसे जानते ह । मराठी भाषार :-

शरीर सोडून जाताना अथवा शरीरात ित राहताना तसेच िवषयांचा उपभोग ु नी य ु असताना या िनिवकार ु , ःख , मोह इादी गणां घेताना सख

आपाला अिववेकी , अानीजन जाणत नाहीत . के वळ ानी असलेले िववेकी , ानीजनच या िनिवकार आपाला ततः जाणतात . िवनोबांची गीताई :-

ु -य ु हा सोिडतो धिरतो देह भोिगतो गण

परी न पाहती मूढ ानी डोळस पाहती ॥ १५ - १० ॥

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

यतः योिगनः च एनम ् पँयि आिन अवितम ।्

यतः अिप अकृ ताा ता नः न एनम ् पँयि अचेतसः ॥ १५ - ११॥ श

श उार YatantaH

English striving

योिगनः

YoginaH



िही

मराठी

य करन ेवाले

ूयशील

The Yogis

योगीजन भी

योगीजन

Cha

and

एनम ्

िकं त ु

ु सा

Enam

this

इस आा को

या जीवााला

पँयि

Pashyanti

see

त से जानते ह

ततः जाणतात

आिन

Aatmani

in the self

अवितम ्

अपन े दय म

आपा दयात

Avasthitam

dwelling

ित

ित असणाढया

यतः

YatantaH

striving

य करते रहन े

ूयशील

यतः

पर अिप

Api

also

भी

ु सा

अ - कृ त -

A-krutAatmanaH

The unrefined

िजन े अपन े

अशु अःकरणाचे

आानः

अःकरण को

शु नह िकया है Na

not

एनम ्

नह

नाही

Enam

this

इस आा को

या जीवााला

पँयि

Pashyanti

see

जानते

ततः जाणतात

अ-चेतसः

A-ChetasaH

The unintelligent

अानीजन

अानीजन



Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- यतः योिगनः आिन अवितम ् एनम ् पँयि , अचेतसः अकृ ताानः च यतः अिप एनम ् न पँयि ॥ १५ - ११॥

English translation:Those who strive endued with Yoga, cognize Him dwelling in the self, however; the unrefined and unintelligent ones, even though striving, see Him not.

ु :िही अनवाद य करन ेवाले योगीजन भी अपन े दय म ित इस आा को त से

जानते ह ; िकं त ु िजन े अपन े अःकरण को शु नह िकया है , ऐसे अानीजन तो य करते रहन े पर भी इस आा को नह जानते । मराठी भाषार :ूयशील योगीजन , ूयांती आपा दयात ित असणाढया , या

जीवााला ततः जाणतात. अशु अःकरणाचे अानीजन माऽ , ूय ु या जीवााला जाणू शकत नाहीत . कन सा िवनोबांची गीताई :-

योगी य बळ ास पाहती दय ित

ु िच हीन अशदाे ूय िह न पाहित ॥ १५ - ११॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

यद ् आिदगतम ् तेजः जगत ् भासयते अिखलम ।्

् १५ - १२॥ यत ् चमिस यत ् च अौ तत ् तेजः िवि मामकम ॥ श

श उार Yad

English which

आिद-

AadityaGatam

तेजः

यद ्

िही

मराठी

जो

जे

residing in The Sun

सूय  म ित

सूयात असणारे

TejaH

light

जगत ्

तेज

तेज

Jagat

the World

भासयते

Bhaasayate illumines

गतम ्

अिखलम ्

् जगत को

िवाला

ूकािशत करता ूकािशत करते है

Akhilam

whole

यत ्

सूण 

सव

Yat

which

जो

जे

चमिस

Chandramasi Yat

in the moon which

चमा म है

चंिातील

जो

जे



Cha

and

तथा

तसेच

अौ

Agnau

in the fire

तत ्

अि म है

अीत

Tat

that

उसको तू

ते

तेजः

TejaH

light

तेज

तेज

िवि

Viddhi

know

जान

तू जाण

Maamakam

mine

मेरा ही

माझेच

यत ्

मामकम ्

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- यद ् आिदगतम ् तेजः अिखलम ् जगत ् भासयते , यत ् च चमिस यत ् च अौ ( ितम ् अि ) तत ् मामकम ् तेजः ( अि इित म )् िवि ॥ १५ - १२॥ English translation:The light which is residing in the Sun illumines the whole World, that which is in the moon and in the fire – know that light to be Mine.

ु :िही अनवाद

सूय  म ित जो तेज सूण  जगत ् को ूकािशत करता है तथा जो तेज चमा म है और जो अि म है ; उसको तू , मेरा ही तेज जान । मराठी भाषार :सूयात ित असणारे जे तेज सव िवाला ूकािशत करते , जे तेज चंिात आहे तसेच जे तेज अीत आहे ; ते तेज माझेच आहे असे तू जाण. िवनोबांची गीताई :-

सूयात ज़ळत तेज ज़ िव उज़ळीतसे

तस चंिांत अत ज़ाण माझ िच तेज त ॥ १५ - १२॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

गाम ् आिवँय च भूतािन धारयािम अहम ् ओजसा ।

ु पािम च ओषधीः सवाः सोमः भूा रसाकः ॥ १५ - १३ ॥ श

श उार Gam

English the earth

आिवँय

Aavishya



गाम ्

िही

मराठी

पृी म

पृीत

permeating

ूवेश करके

ूवेश कन

Cha

and

और

आिण

भूतािन

Bhootani

all beings

सब भूत को

सव ूायांना

धारयािम

Dhaarayaami

support

अहम ्

धारण करता ँ

धारण करतो

Aham

I

म (ही)

मी

ओजसा

Ojasaa

अपनी शि से

सामान े

ु पािम

PushNami

by my energy nourish

पु करता ँ

पोषण करतो



Cha

and

और

आिण

ओषधीः

OshadheeH

the herbs

ओषिधय को

वनतना

अथात ्

वनितय को सवाः

SarvaaH

all

सूण 

सव

सोमः

SomaH

moon

चमा

च

भूा

Bhootva

होकर

होऊन

रसाकः

RasaatmakaaH

having become liquid / watery

Purushottama Yoga

रसप अथात ् रसप अमृतमय

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- अहम ् च गाम ् आिवँय भूतािन ओजसा धारयािम । रसाकः सोमः

ु भूा सवाः ओषधीः पािम ॥ १५ - १३ ॥ English translation:-

Entering the earth I support all beings by my energy; and having become the sapid moon I nourish all herbs.

ु :िही अनवाद और म ही पृी म ूवेश करके अपनी शि से सब भूत को धारण करता

ँ और रसप अथात ् अमृतमय चमा होकर सूण  ओषिधय को अथात ् वनितय को पु करता ँ । मराठी भाषार :आिण मीच पृीत ूवेश कन सामान े सव ूायांना धारण करतो आिण रसप अथात अमृतमय च होऊन सव वनतचे पोषण करतो. िवनोबांची गीताई :-

आकष ण बळ भूत धरा प धरीतस

वनतस मी सोम पोिषत भिरला रस ॥ १५ - १३ ॥

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अहम ् वैानरः भूा ूािणनाम ् देहम ् आिौतः ।

् १५ – १४ ॥ ु पचािम अम ् चतिव ु धम ॥ ूाणा ूा पानसमायः श

अहम ्

श उार Aham

English

िही

मराठी

I

म (ही)

मी ( च )

the fire

वैानर अिप

जाठर - अि

होकर

होऊन

Praaninaam Deham

having become of living beings the body

सब ूािणय के

(सव) ूायांा

शरीर म

शरीराचा

आिौतः

AashritaH

abiding

ित रहन ेवाला

आौय के लेला

ूाण

PraaNa

Prana

ूाण

ूाण

अपान

Apana

Apana

अपान

अपान

ु ः समाय

SamaYuktaH Pachaami

associated with I digest

ु से संय

ु होऊन यांनी य

पचाता ँ

पचिवतो

Annam

food

अ को

अ

Chaturvidham

four kinds of

चार ूकार के

चार ूकारचे

वैानरः भूा ूािणनाम ् देहम ्

पचािम

अम ्

चतिु वधम ्

VaishvanaraH Bhootva

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ु अय :- अहम ् ूािणनाम ् देहम ् आिौतः ूाणापानसमायः वैानरः भूा ु धम ् अम ् पचािम ॥ १५ - १४ ॥ चतिव English translation:Abiding in the body of living beings as the fire within; associated with Prana and Apana, I digest the four kinds of food. The four kinds are one that is chewed, one that is drunk, one that is licked and one that is sucked / extracted.

ु :िही अनवाद

ु म ही सब ूािणय के शरीर म ित रहन ेवाला ूाण और अपान से संय वैानर अिप होकर चार ूकार के अ को पचाता ँ । मराठी भाषार :मीच ूायांा देहाचा आौय के लेला जाठर अि बनून , ूाण आिण अपान ु होऊन , चार ूकारचे ( चावयास , िपयास , चाटयास आिण यांनी य चोखयास योय ) अ पचिवतो . िवनोबांची गीताई :-

मी वैानर पान ूािण देहांत रानी

अ ती पचव चारी ूाणापानांस फं ु कुनी ॥ १५ – १४ ॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

सव च अहम ् िद सििवः मः ृितः ानम ् अपोहनम ् च ।

् १५ - १५ ॥ वेदःै च सवः अहम ् एव वेः वेदा कृ त ् वेदिवत ् एव च अहम ॥ श

श उार Sarvasya

English of all

Cha

अहम ्

सव

िही

मराठी

सब ूािणय के

सव ूायांा

and

तथा

तसेच

Aham

I

म (ही)

मी

िद

Hrudi

in the heart

दय म

दयात

सििवः

SamNivishataH

seated

अयामी प से

ूवेश के ला आहे

मः

MattaH

From me

ु से (ही) मझ

मायापासून

ृितः

SmrutiH

memory

ृित

रण

Dnyaanam

knowledge

ान

ान

Apohanam

their absence

िवचार से बिु  के दोष

िवरण



ानम ्

अपोहनम ्

ित ँ

को हटाना च

Cha

and

और

आिण

वेदःै

VedaiH

by the Vedas

वेदारा

वेदांचे ारे



Cha

and

और

आिण

सवः

SarvaiH

by all

अहम ्

सब

सव

Aham

I

म

मी

एव

Eva

even

ही

के वळ

वेः

VedyaH

to be known

वेदा-कृ त ्

जानन े के योय ँ

जाणयास योय

Vedanta- Krut

वेदा का कता

वेदााचा कता

वेद-िवत ्

Veda-Vit

वेद को जानन ेवाला

वेद जाणणारा

एव

Eva

author of Vedanta The knower of Veda even

ही ँ





Cha

and

और

आिण

Aham

I

म (ही)

मी

अहम ्

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- अहम ् सव िद सििवः ( अि ) , मः ( सव ) ृितः

ानम ् अपोहनम ् च ( भवित ) अहम ् च एव सवः वेदःै वेः ( अि ) अहम ्

च एव वेदा कृ त ् वेदिवत ् च ( अि ) ॥१५ - १५ ॥ English translation:-

I am seated in the hearts of all. From me originate memory, knowledge as well as their loss. I am verily that which has to be known by all the Vedas. I am indeed the author of all the Vedanta as well as the knower of the Vedas.

ु :िही अनवाद

ु से (ही) ृित, म ही सब ूािणय के दय म अयामी प से ित ँ तथा मझ

ु के दोष को हटाना होता है, और सब वेदारा म ही जानन े ान और िवचार से बि के योय ँ तथा वेदा का कता और वेद को जानन ेवाला भी म ही ँ ।

मराठी भाषार :मीच सव ूायांा दयात उम ूकारे आपान े ूवेश के ला आहे आिण मायापासूनच रण , ान आिण ांच े िवरण होते . सव वेदांाारा जाणयास मीच योय आहे . तसेच वेदांताचा कता आिण वेदांना जाणणाराही मीच आहे . िवनोबांची गीताई :-

सवातर मी किरत िनवास देत ृित ान िववेक सवा

समम वेदांस िह मी िच वे वेद- मे वेद-रह-कता ॥ १५ - १५ ॥ Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ु ौ इमौ पषौ लोके रः च अरः एव च ।

रः सवािण भूतािन कू टः अरः उते ॥ १५ - १६ ॥ श

श उार Dvau

English two

इमौ

Imau

ु पषौ

ौ

िही

मराठी

दो ूकार के

दोन

these

ये

हे

Purushau

Purushas

ु ह पष

ु पष

लोके

Loke

in the World

इस संसार म

रः

KsharaH

the perishable

नाशवान ्

या संसारात नाशवंत



Cha

and

और

आिण

अरः

A- KsharaH

अिवनाशी

अिवनाशी

एव

Eva

the imperishable even

भी





Cha

and

और

रः

KsharaH

the perishable

नाशवान ्

आिण

सवािण

Sarvaani

all

सूण 

सव

भूतािन

Bhootani

beings

भूतूािणय के

ूािणमाऽ

नाशवंत

शरीर कू टः

KutasthaH

अरः

A- KsharaH

उते

Uchyate

Purushottama Yoga

the immutable the imperishable is called

जीवाा

जीवाा

अिवनाशी

अिवनाशी

कहा जाता है

टला जातो

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- ( अिन ्) लोके

ु ( ः ) रः अरः च एव इमौ ौ पषौ

सवािण भूतािन रः , कू टः च अरः उते ॥ १५ - १६ ॥ English translation:-

There are two Purushas in the World – the Perishable and the Imperishable.

All

living

beings

are

Perishable

but

the

Immutable is called as the Imperishable.

ु :िही अनवाद

ु ह । सूण  इस संसार म नाशवान ् और अिवनाशी भी ये दो ूकार के पष भूतूािणय के शरीर तो नाशवान ् और जीवाा अिवनाशी कहा जाता है । मराठी भाषार :-

ु आहेत. ामे या संसारात नाशवंत आिण अिवनाशी असे दोन ूकारचे पष ु ) आिण जीवाा अिवनाशी सव ूािणमाऽांची शरीरे नाशवंत ( र - पष ु ) टला जातो. (अर - पष िवनोबांची गीताई :-

ु ते दोन र आिणक अर लोक पष

र सव िच ह भूत िर अर बोिलला ॥ १५ - १६ ॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ु उमः पषः त ु अः परमाा इित उदातः ।

यः लोकऽयम ् आिवँय िबभित अयः ईरः ॥ १५ - १७ ॥ श ु पषः

PurushaH

English The Supreme Purusha

तु

Tu

but

तो

परंत ु

अः

AnyaH

another

अ ही है

वेगळाच

उमः

् परम-आा इित उद ्-आतः यः

लोक-ऽयम ्

श उार UttamaH

िही

मराठी

उम

उम

ु पष

ु पष

Param Atma The Highest परमाा Self Iti thus इस ूकार UdCalled कहा जाता है AahrutaH YaH who जो LokaThe three ग, पृी और Trayam worlds पाताल इन तीन

परमाा या ूकारचा टला जातो जो ग पृी आिण पाताळ या तीन

लोक म

लोकांमे

आिवँय

Aavishya

pervading

ूवेश कर के

ूवेश कन

िबभित

Bibharti

sustains

सबका धारण

सवाच े धारण

पोषण करता है

आिण पोषण

एवं

करतो

अिवनाशी

अिवनाशी

परमेर

परमेर

अयः

AvyayaH

ईरः

IshvaraH

Purushottama Yoga

The Indestructible The Lord

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता ु अय :- उमः पषः त ु अः ( अि ) , ( सः ) परमाा इित उदातः यः अयः ईरः लोकऽयम ् आिवँय ( तत )् िबभित ॥ १५ - १७ ॥ English translation:But distinct is the Supreme Purusha called the Highest Self, the indestructible Lord, who pervades and sustains the three worlds namely the heaven, the earth and the hell.

ु :िही अनवाद

ु तो अ ही है , जो ग, पृी और पाताल इन तीन लोक उम पष म ूवेश कर , सबका धारण पोषण करता है ; एवं अिवनाशी परमेर और परमाा इस ूकार कहा जाता है । मराठी भाषार :-

ु प ेा उम पष ु तर आगळाच आहे . ालाच परमाा परंत ु या दोी पषां टले जाते . तोच अिवनाशी परमेर असून , तो तीी लोकांत ूवेश कन सवाच े धारण - पोषण करतो . िवनोबांची गीताई :-

ु उम णती परमाा तो ितज़ा ूष

िव पोषक िवाा ज़ो िवेर अय ॥ १५ - १७ ॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

यात ् रम ् अतीतः अहम ् अरात ् अिप च उमः ।

ु उमः ॥ १५ - १८ ॥ अतः अि लोके वेद े च ूिथतः पष श

यात ् रम ्

श उार Yasmat

English As

Ksharam

the perishable

िही िक

मराठी ाअथ

् नाशवान जड़वग नाशवंत ेऽ से तो सवथा

अतीतः अहम ्

अरात ्

AteetaH

transcend

अतीत ँ

पलीकडचा

Aham

I

म

मी

Aksharat

Than the imperishable

अिवनाशी

शातापेा

जीवाा से

अिप

Api

also

भी

ु सा



Cha

and

और

आिण

उमः

UttamaH

the best

उम ँ

उम

अतः

AtaH

therefore

इसिलये

ाअथ

अि

Asmi

I am

म ँ

मी आहे

लोके

Loke

in the World

लोक म

लोकांत

वेद े

Vede

in the Veda

वेद म भी

वेदांत



Cha

and

और

आिण

ूिथतः

PrathitaH

declared

ूिस

ूिस

ु पष-उमः

PurushaUttamaH

the highest Purusha

ु ु पषोम नाम से पषोम या नावान े

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

अय :- यात ् अहम ् रम ् अतीतः , अरात ् अिप च उमः ( अि ), अतः

( अहम )्

॥ १५ - १८ ॥

लोके

वेद े



ु - उमः पष

( इित ) ूिथतः अि

English translation:As I transcend the Perishable and I am even above the Imperishable, therefore I am known in the World and in the Veda as “Purushottama” i.e. the highest Purusha (man).

ु :िही अनवाद

िक म नाशवान ् जड़वग  ेऽ से तो सवथा अतीत ँ और अिवनाशी

ु जीवाा से भी उम ँ ; इसिलये लोक म और वेद म भी “ पषोम ” नामसे ूिस ँ । मराठी भाषार :-

ु ु ु मी परमाा, र पषाा अतीत आिण अर पषापेा उम असामळे ु या लोकांत आिण वेदांत “ पषोम ” या नावान े ूिस आहे . िवनोबांची गीताई :-

मी रा अरानी वेगळा आिण उम

ु वेद लोक णे मात णूिन पषोम ॥ १५ - १८ ॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ु मम ् । यः माम ् एवम ् असंमढू ः जानाित पषो

सः सविवत ् भजित माम ् सवभावेन भारत ॥ १५ - १९ ॥ श यः

माम ्

एवम ्

श उार YaH

English who

Maam Evam

िही

मराठी

जो

जो

me

ु को मझ

मला

thus

इसूकार त

अशाूकारे

से असंमढू ः

A-sammudhaH undeluded

ु ानी पष

ु ानी पष

जानाित

Jaanati

knows

जानता है

जाणतो

ु पष-

PurushaUttamam

The Supreme Purusha

ु पषोम

ु पषोम

सः

SaH

he

सविवत ्

वह

तो

Sarvavit

ु सव पष

ु सव (पष)

भजित

Bhajati

all knowing worships

माम ्

पूजा करता है

भजतो

Maam

me

मेरी ही

मला

सवभावेन

Sarva-bhaaven

With his whole being

तन, मन और

सवभावान े

उमम ्

धन सव भाव से िनरर

भारत

Bharat

Purushottama Yoga

O Arjun!

हे अजनु !

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हे भरत कुलो

अजनु ा !

Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- हे

् एवम ् जानाित , सः ु भारत ! यः असंमढू ः माम ् पषोमम

सविवत ् ( भूा ) माम ् सवभावेन भजित ॥ १५ - १९ ॥ English translation:-

He, who is undeluded, knows Me as the Highest Self – he knows all, O Arjun, and he worships Me with all his heart.

ु :िही अनवाद

ु ु को इसूकार त से पषोम ु हे अजनु ! जो ानी पष मझ जानता है ु वह सव पष; तन, मन और धन सव भाव से मेरी ही पूजा करता है । मराठी भाषार :-

ु , ानी पष ु ु ु ! जो मोहम हे भरत-कुलो अजना माया पषोम ु सव भावान े मलाच - परमेराला पाला ततः जाणतो ; तो सव पष भजतो. िवनोबांची गीताई :-

ु मोह सािन ज़ो र ज़ाणे मी पषोम

सव तो सव भाव सव प भज़े मज़ ॥ १५ - १९ ॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

ु तमम ् शाम ् इदम ् उम ् मया अनघ । इित ग

् ात ् कृ त कृ ः च भारत ॥ १५ - २० ॥ ु एतत ् बदु -् ा बिमान श इित

ु तमम ् ग-

श उार Iti

English Thus

िही

मराठी

इस ूकार

अशाूकारचे

ु अित रहय अित गोपनीय

GuhyaTamam

most secret

Shaastram

science

शा

शा

Idam

this

उम ्

यह

हे

Uktam

कहा गया

सांिगतले

मया

Maya

has been taught by me

मेरे ारा

मी

अनघ

Anagha

O sinless one

एतत ्

िनाप

िनाप

Etat

this

इसको

हे

बदु ् - ा

Buddhva

knowing

त से

जाणून

् ु बिमान

Buddhimaan Syaat

wise

ानवान ्

ानवान

becomes

हो जाता है

होईल

कृ तकृ ः

KrutaKrutyaH

कृ ताथ 

कृ ताथ 



Cha

Who has accomplished all the duties Cha

और

आिण

भारत

Bhaarat

O Arjuna!

हे अजनु !

हे भरत कुलो

शाम ् इदम ्

ात ्

गोपनीय

ु जानकर मन

Purushottama Yoga

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अजनु ा !

Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- हे

अनघ ! इित

ु - तमम ् , इदम ् शाम ् मया उम ् । ग

् कृ त कृ ः च ात ् ॥ १५ ु हे भारत ! एतत ् बदु -् ा ( जीवः ) बिमान - २० ॥

English translation:Thus O Sinless one, has this most profound teaching has been imparted by me to you. Knowing this, a man becomes enlightened one, O Arjun, and all his duties are accomplished.

ु :िही अनवाद

ु गोपनीय शा , मेरे ारा हे िनाप अजनु ! इस ूकार यह अित रहय

ु कहा गया । इसको त से जानकर , मन ानवान ् और कृ ताथ  हो जाता है । मराठी भाषार :-

ु ु ! असे हे अित गोपनीय शा , मी तला हे िनाप भरत - कुलो अजना सांिगतले आहे . याचे ततः ान कन घेतावर कोणीही साधक ानवान आिण कृ ताथ  होतो. िवनोबांची गीताई :-

ु बोिलल अंत गढू ह शा िनमळा तज़

ु त होईल कृ त कृ  िच ॥ १५ - २० ॥ ह ज़ाणे तो बिमं

Purushottama Yoga

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Chapter 15

Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता

् ॐ तत ् सत ् इित ौीमद ् भगवद ् गीतास ु उपिनष ु ॄिवायाम योगशाे ु ु वादे पषोमयोगो ौीकृ ाजनसं नाम पदशोऽायः॥

हिरः ॐ तत ् सत ् । हिरः ॐ तत ् सत ् । हिरः ॐ तत ् सत ।्

Om that is real. Thus, in the Upanishad of the glorious Bhagwad Geeta, the knowledge of Brahman, the Supreme, the science of Yoga and the dialogue between Shri Krishna and Arjuna this is the fifth discourse designated as “the Yoga of Supreme Being”.

पंधराा अायाचा एका ोकात मिथताथ 

ऊध मूळ तळ अपार पसरे अ संसार हा । छेदाया ढ श एकिच तया िनःसंगता भूहा ॥ ु रार मला जे पूिजती भारता । ऐस ओळखनी

ु कळु नी पावोनी सवता ॥ १५॥ ते होती कृ तकृ  ग ु गीता सगीता कता िकम ् अ ैः शािवरैः । ु ् िविनःसृता ॥ या यम ् पनाभ मखपाद

ु गीता सगीता करयाजोगी आहे णजेच गीता उम ूकारे वाचून ितचा अथ  आिण भाव

ु ूं ा मखकमलातू अःकरणात साठवणे हे कत आहे . तः पनाभ भगवान ् ौीिव न गीता ूगट झाली आहे . मग इतर शाांा फाफटपसाढयाची जरच काय ?

- ौी महष ास

िवनोबांची गीताई :-

गीताई माउली माझी ितचा मी बाळ न ेणता । पडतां रडतां घेई उचिन कडेवरी ॥

Purushottama Yoga

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Chapter 15

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