Sardi-jukam

  • June 2020
  • PDF

This document was uploaded by user and they confirmed that they have the permission to share it. If you are author or own the copyright of this book, please report to us by using this DMCA report form. Report DMCA


Overview

Download & View Sardi-jukam as PDF for free.

More details

  • Words: 2,636
  • Pages: 5
* काली ििचच सदी और बुखार के िलए बेहद िुफीद है । छः काली ििचच बारीक पीसकर उसे एक ििलास िरि पानी िे छः बताशो के साथ ििला कर कुछ िदन लिातार रोज रात को इसतेिाल करना चािहए। ऐसा करने से सदी-जुकाि की िशकायत दरू

हो जाती है ।

* िले की जलन से छुटकारा पाने के िलए तेजपता को पानी िे उबालकर िरारे करने चािहए। इसके अलावा पयाज को पीसकर सेधा निक और जीरा ििलाकर खाना चािहए। ऐसा करने से िले की जलन ठीक होती है । * सूखा धिनया चबाने से िुँह की दि च ध दरू होती है । ु न

* भोजन के बाद सौफ खाने से िुँह का सवाद बििया रहता है ।

----------------------------------------------------------------------------------------------------------

आयुविेदक नुसखो िे, खाद वयंजनो िे और दे व पूजा आिद िे तो केसर का उपयोि होता ही था पर अब पान िसालो और िुटको िे भी इसका उपयोि होने लिा है । केसर बहुत ही उपयोिी िुणो से युक होती है ।

यह उतेजक, वाजीकारक, यौनशिक बनाए रखने वाली, कािोतेजक, ििदोष नाशक, आकेपहर, वातशूल शािक, दीपक, पाचक, रिचकर, िािसक धिच साफ लाने वाली, िभाश च य व योिन संकोचन, तवचा का रं ि उजजवल करने वाली, रकशोधक, धातु पौििक, पदर और िनमन रकचाप को ठीक करने वाली, कफ नाशक, िन को पसनन करने वाली, वातनािियो के िलए शािक, बलय, वषृय, िूिल, सतन (दध ू ) वदच क, ििसतषक को बल दे ने वाली, हदय और रक के िलए िहतकारी, तथा खाद पदाथच और पेय (जैसे दध ू ) को रं िीन और सुििनधत करने वाली होती है ।

* इसका उपयोि आयवद े और यूनानी नुसखो िे िकया जाता है । ििहलाओं के किातव च को दरू करने के िलए, 2-2 रती केसर दध ू िे घोलकर िदन िे तीन बार दे ना िुणकारी होता है ।

*बचचो को सदी, जुकाि, बुखार होने पर केसर की एक पँखुिी पानी िे घोटकर इसका लेप छाती पीठ और िले पर करने से आराि होता है । * चनदन को केसर के साथ िघसकर इसका लेप िाथे पर लिाने से, िसर, नेि और ििसतषक को शीतलता, शािनत और ऊजाच ििलती है , नाक से रक ििरना बनद हो जाता है और िसर ददच दरू होता है ।

* िशशु को सदी हो तो केसर की 1-2 पँखुिी 2-4 बूँद दध ू के साथ अचछी तरह घोटे , तािक केसर दध ू िे घुल-ििल जाए। इसे एक चमिच दध ू िे ििलाकर सुबह-शाि िपलाएँ।

*िाथे, नाक, छाती व पीठ पर लिाने के िलए केसर जायफल व लौि का लेप (पानी िे) बनाएँ और रात को सोते सिय लेप करे ।

-----------------------------------------

िदखने िे छोटी िुनकका बहुत ही िुणकारी है । इसिे वसा की िािा नहीं के बराबर होती है । यह हलकी, सुपाचय, नरि और सवाद

िे िधुर होती है । इसे बिी दाख (रे िजन) के नाि से भी जाना जाता है । साधारण दाख और िुनकका िे इतना फकच है िक यह बीज वाली होती है और छोटी दाख से अिधक िुणकारी होती है । आयुवद े िे िुनकका को िले संबंधी रोिो की सवश च ष े औषिध िाना िया है । िुनकका के औषधीय उपयोि इस पकार है सदी-जुकाि होने पर सात िुनकका रािि िे सोने से पूवच बीज िनकालकर दध ू िे उबालकर ले। एक खुराक से ही राहत ििलेिी। यिद सदी-जुकाि पुराना हो िया हो तो सपाह भर तक ले।

िियादी और पुराने जवर िे दस िुनकका एक अंजीर के साथ सुबह पानी िे िभिोकर रख दे । रािि िे सोने से पूवच िुनकका और अंजीर को दध ू के साथ उबालकर ले। ऐसा तीन िदन करे । िकतना भी पुराना बुखार हो, ठीक हो जाएिा।

िजन वयिकयो के िले िे िनरं तर खराश रहती है या नजला एलजी के कारण िले िे तकलीफ बनी रहती है , उनहे सुबह-शाि दोनो वक चार-पाँच िुनकका बीजो को खूब चबाकर खा ला ले, लेिकन ऊपर से पानी ना िपएँ। दस िदनो तक िनरं तर ऐसा करे । िलकंठ और दिा रोिियो के िलए भी इसका सेवन फायदे कारक है , कयोिक िुनकका शास-निलयो के अंदर जिा कफ को तुरंत बाहर िनकालने की अदत ु किता रखती है ।

कबज के रोिियो को रािि िे िुनकका और सौफ खाकर सोना चािहए। कबज दरू करने की यह रािबाण औषिध है ।

जो बचचे रािि िे िबसतर िीला करते हो, उनहे दो िुनकका बीज िनकालकर रात को एक सपाह तक िखलाएँ। इस बीच बचचे को ठं डी चीजो एवं दही, छाछ का सेवन न करने दे ।

एक िुनकका का बीज िनकालकर उसिे लहसुन की फाँक रखकर खाने से उचच रकचाप िे आराि ििलता है । पचचीस गाि िुनकका दे शी घी िे सेककर और सेधा निक डालकर खाने से चककर आना बंद हो जाते है । --------------------------------------अकसर रोि होने पर हि या तो सीधे डाकटर के पास भािते है या िफर इस दिुवधा िे पि जाते है िक इस अवसथा िे करे तो कया करे । जयादातर रोिो का इलाज हि खुद ही घरे लू उपाय के दारा कर सकते है । बस इस बारे िे थोिी जानकारी होनी चािहए। * अजवायन आथराइ च िटस रोि की खास औषिध होती है । इसिे भरपूर िािा िे पाया जाने वाला ऑिन े ी सोिडयि जोिो के ददच से राहत िदलाता है । बेहतर नतीजे के िलए अजवायन के ताजा पते और डं डी के रस का इसतेिाल करना चािहए। * िुख की दि ग से छुटकारा पाने के िलए िदन िे तीन-चार बार सोवा के बीज चबाने चािहए। ु ध

* उचच रकचाप कि करने के िलए रोजाना लहसुन की तीन-चार किलयाँ पानी के साथ लेनी चािहए। बलड पेशर को कि करने िे लहसुन बहुत िददिार सािबत होता है ।

* सदी, जुकाि और खाँसी की िशकायत होने पर एक चमिच अदरक का रस दो चमिच शहद के साथ हलका िरि करके िदन िे तीन बार इसतेिाल करना चािहए। * पेट िे कीिे होने पर बेहिा और पलाश के बीज का चूणच बनाकर एक चमिच चूणच िदन िे तीन बार लेना चािहए। *िसर ददच और तेज बुखार होने पर चंदन की लकिी को िघसकर उसका पेसट बना ले। इस पेसट को सर पर लिाने से िसर का ददच कि हो जाता है और बुखार भी उतर जाता है । * पेठा कद ू की छाल और बीज को नािरयल तेल िे उबाल कर छान ले। इससे बालो की िसाज करने से रसी की िशकायत दरू होती है । इसी के साथ ही िसर की तवचा िुलायि होकर बाल घने और लंबे हो जाते है ।

* जोिो के ददच व साइिटका िे घी कवांर फायदा पहुँचाता है । रोजाना रोिी को इसके एक पते का िूदा इसतेिाल करना चािहए।

* अजीणच रोि से छुटकारा पाने के िलए सेब या केले के जूस के साथ जायफल का 5-15 गा. पाउडर ििलाकर इसतेिाल करे । ऐसा करने से अजीणच के कारण होने वाली डायिरया की िशकायत दरू होती है । 5-15 गा. जायफल का पाउडर आधा कप आँवला के ताजे रस िे ििला कर पीने से अपचन,िहचकी और थकान की िशकायते दरू होती है ।

* कान का ददच सताए तो एक चमिच ितल के तेल िे लौि डालकर इसे िरि कर ले। कान िे इस तेल की चार-पाँच बूँद टपकाने से कान का ददच ििट जाता है । --------------------------------------कुछ लोिो की पकृ ित नाजुक होती है , जरा सी ठंडी हवा लिते ही शरीर पर सदी का पभाव नजर आने लिता है ।कुछ लोिो की नाक बंद हो जाती है , कुछ को नाक से पानी िनकलता है और कुछ को जुकाि बिने पर फीवर आ जाता है । यिद सदी-जुकाि का उपचार उसके लकण नजर आते ही कर िलया जाए तो शरीर को अनय दस ू री बीिािरयो की परे शानी नहीं झेलनी पिती है । जुकाि के घरे लू उपचार हि यहाँ दे रहे है -

* थो िा अद रक , अजव ाइन (1 चमिच ), लौि (5), काल ी ििच च (3), िैथ ी (1 चमिच ), तुलसी और पु दीन ा पत ी (10 पतय ेक ) इन सब का का िा बन ाक र, खाँडस ारी ििल ाकर िदन िे दो ब ार आरा ि हो ने तक ल ेना चा िह ए । * 10 गा ि लहस ुन को 1 कप द ू ध िे 1/2 कप होन े तक उबा ले। इस े शा ि क ो सोत े सि य या नाशत े के पहल े ले । * 1 चमिच प याज क ा रस बरा बर िाि ा िे शहद ििल ाकर िदन िे तीन बार ले । * हल दी और सौठ के चूण च क ा लेप बना कर कप ाल पर लिाए ँ । * का ली िि चच ज लाक र उस का धुआ ँ स ूंघन े से बंद ना क ख ुलती है । * अद रक के टुकि ो का का िा

20 िि .ली . से 30 िि .ली . िदन िे तीन बार लेन े स े स दी से आर ाि ििलता है।

* िभंड ी का 50 िि .ली. का िा िदन िे तीन बार लेन े स े िल े की खर ाश और सूख ी खाँसी िे आर ाि िि लता है। * एक िि लास िर ि प ानी िे चु टक ीभ र नि क, चु टक ीभर ख ाने क ा सोडा ििल ाकर िदन िे दो ब ार तथा सोत े स िय िर ारे करन े स े िल े क ी खर ाश िे आरा ि ििलत ा ह ै। ----------------------------------------------------

शीत ऋतु िे पायः जो रोि होते है , उससे छुटकारा पा सकते है । बशते आप ये उपाय आजिाएँ। * पाचन दोष के रोिियो को ठं ड से कबज बि जाने का खतरा रहता है । उनहे ठं ड िे पानी खूब पीना चािहए। * सदी िे िसर ददच की िशकायत रहती है , दध ू िे जायफल िघसकर िाथे पर लेप करे , आराि ििलेिा। * सदी िे अकसर पाचन दोष है । कोकि का तेल लिाने से आराि ििलेिा। * िबवाइयाँ फट जाने पर पयाज का पेसट लिाने से आराि ििलेिा। * सिदचयो िे पायः छाती िे बलिि जिा हो जाता है , अंजीर का सेवन करने से बलिि िनकलेिा तथा खाँसी िे राहत ििलेिी। * भोजन के पशात जीरा पावडर खाएँ पाचन ििया ठीक रहे िी। * आजवाइन के चूणच का आधा चमिच िदन िे तीन बार खाने से ठंड से आया बुखार उतर जाता है । * सिदचयो िे खाँसी, बुखार, जुकाि िे पुदीने के पतो की चाय, शकर या निक ििलाकर पीने से लाभ होता है । * कफ जिा हो जाने से व दिा बिने पर अजवायन छोटी पीपर, पोसतदाना का कािा बनाकर पीने से शीघ आराि ििलता है । * ठंड के िौसि िे अकसर जोिो के ददच की िशकायत रहती है , धतुरे के पतो पर तेल लिाकर ििच करके ददच वाले सथान पर बाँध दे ने से आराि ििलता है । -----------------------------------------------* अजवायन, पीपल, अडू सा के पते तथा पोसत-डोडा- इनका कवाथ बनाकर पीने से खाँसी, शास तथा कफ जवर का शिन होता है । * संभालू के पतो का कवाथ और पीपल का चूणच ििलाकर पीने से कफ जवर का शिन होता है । * हलदी और दध ू ििच कर उसिे थोिा सा निक और िुि डालकर बचचो को िपलाने से जुकाि तथा कफ रोि ििटता है ।

* नािरबेल के पते पर एरं ड का तेल लिाकर और उसे थोिा सा ििच करके छोटे बचचो की छाती पर रखकर ििच कपिे से हलका सेक करने से बालक की छाती िे जिा कफ िपघल कर िनकल जाता है । * हींि को शराब िे खरल करके सुखा ले, उसे दो रती की िािा िे लेकर िकखन के साथ खाने से खाँसी, शास और दिूषत कफ िवकार ठीक हो जाता है ।

* पुदीने का ताजा रस या अकच कफ, सदी एवं ििसतषक की सदी िे अतयंत उपयोिी है । * अदरक का रस, नींबू का रस और सेधा निक एक साथ ििलाकर भोजन के पहले सेवन करने से अििन पदीप होती है । खाँसी, सूजन, कफ और शास िे भी इससे फायदा होता है ।

----------------------------------------------------------

एक सवज च ात िसाला हलदी न केवल खाने िे लजजत और सवाद दे ती है वरन यह एक आयुविेदक औषिध भी है । नानी, दादी के फसटच एड बॉकस िे यह िुखय सथान रखती है । यह िनम न तरीक ो स े उ पयो ि ि े ल ाई जा सकत ी है - एक ििलास ििच िीठे दध ू िे एक चमिच हलदी पावडर ििलाकर पीने से शरीर की अंदरनी चोट ठीक होती है । - हलदी ििला िीठा ििच दध ू सुबह-शाि लिातार पाँच िदन तक पीने से िुँह के छाले ठीक हो जाते है । - एक चुटकी हलदी पितिदन लेने से भूख बिती है । इसका सेवन करने से आँतो िे भी लाभ पहुँचता है ।

- हलदी तवचा के परजीवी जीवाणुओं को नि करती है । - हलदी की िाँठ को पानी के साथ पीसकर लेप तैयार करे और इसका उबटन नहाने से पूवच लिा ले। एक हफते िे आपको तवचा िे िनखार लिेिा। - थोिी-सी हलदी िे िपसा हुआ कपूर, थोिा-सा सरसो का तेल ििलाकर लेप तैयार करने से तवचा पर होने वाले रोि दरू हो जाते है ।

- दानेदार िपसी हलदी को ताजी िलाई िे िभिोकर चेहरे एवं हाथो पर लिाएँ। सूखने पर रििकर िनकाल दे । िुनिुने पानी से चेहरा साफ करे । तवचा िखल उठे िी। - बेसन िे सरसो का तेल, हलदी व पानी ििलाकर िािा लेप तैयार करे । इस घोल को चेहरे व पूरे शरीर पर अचछी तरह लिाकर सूखने पर िनकाल दे । तवचा चिकदार हो जाएिी। - िािसक के सिय पेट ददच के वक िरि पानी के साथ हलदी की फँकी लेने से रक पवाह ठीक होता है और ददच से राहत ििलती है । - छोटे बचचो को खाँसी-जुकाि होने पर आधा कप पानी िे आधा छोटा चमिच हलदी पावडर, थोिा-सा िुि, अजवाइन, एक लौि ििलाकर उबाले। अचछी तरह उबल जाने पर छानकर िुनिुना-सा हो तब चमिच से िपला दे । बचचे को न केवल सदी-जुकाि से राहत ििलेिी, बिलक पेट िे यिद कबज होिा तो वह भी ठीक हो जाएिा। - िैथी दाने और हलदी का कािा भी िािसक साफ होने के िलए िलया जा सकता है । - सूजन पर हलदी व चूने का लेप करने से सूजन उतर जाता है । - बुजुिो का कहना है िक बिैर हलदी का खाना अपशिुन होता है । दरअसल ऐसा उसके औषधीय िुणो की ही वजह से कहा जाता है । - हलदी एक िपजरवेिटव का ही काि करती है , इसीिलए अचार के िसाले का अिभनन अंि है । - नवजात िशशु को िदए जाने वाले 'घसारा' अथात च 'घुटटी' िे आंबा हलदी भी उसके आयुविेदक िुणो की वजह से ही दी जाती है । - तेज जुकाि होने पर हलदी की धूनी अथात च िरि जलते कंडे पर हलदी जलाकर उससे उठने वाले धुएँ को सूघ ँ ने से सदी-जुकाि से राहत ििलती है ।

- कहा जाता है िक एक चमिच हलदी पितिदन सेवन करने से भूख बिती है । अिाशय एवं आँतो की सफाई होती है ।

- कटने या लिने पर रकसाव को रोकने के िलए भी शुद हलदी पावडर चोट पर लिाया जाता है , िजससे रकसाव तुरंत रक जाता है ।

- हलदी एक अचछा एंटीसेिपटक एवं एंटीबायोिटक है , िजसका उललेख आयुवद े िे भी िकया िया है । इस तरह से हिारे घर के रसोईघर िे बैठा िचिकतसक हलदी कई सवासथय सिसयाओं की पाथििक िचिकतसा िे हिारी िदद करता है । हलदी हिेशा शुद ले एवं जहाँ तक संभव हो, घर िे तैयार करे तो ठीक रहे िा, कयोिक वह जलदी असर करे िी। बाजार िे उपलबध पावडर िे रं ि ििलने होने की संभावनाएँ होती है , जबिक हलदी सवयं एक पाकृ ितक रं ि है , जो हिारे भोजन को रं ित दे ती है , सवाद और खुशबू दे ती है , िजसके पभाव से वयंजन लजजतदार लिता है । आयुवद े िे इसीिलए हलदी एक िहतवपूणच ततव है ।