डा. रेखा ास एम. ए., पी-एच. डी.
सं कृत सा ह य काशन नई द ली
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© सं कृत सा ह य काशन सं करण : २०१५
ISBN 81-87164-97-2 व. .– 535.5H15* सं कृत सा ह य काशन के लए व बु स ा. ल. एम-१२, कनाट सरकस, नई द ली-११०००१ ारा वत रत
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अपनी बात आमतौर पर सामवेद को ऋ वेद के मं का सं ह माना जाता है. छांदो य उप नषद् म कहा भी गया है—‘या ऋक् तत् साम’ अथात् जो ऋक् है, वह साम है. इस का यह अथ कदा प नह है क सामवेद म सम त छं द ऋ वेद से ही लए गए ह. सामवेद क अनेक ऋचाएं ऋ वेद से भ ह. कुछ थल पर सामवेद क ऋचा म ऋ वेद क ऋचा से आं शक सा य दखाई दे ता है. इसे पाठभेद के प म भी वीकार नह कया जा सकता है. य द यह पाठभेद होता तो ऋचाएं उसी प और म म ली गई होत , जस प और म म वे ऋ वेद म ली गई ह. सरी बात यह है क य द ऋ वेद से केवल गायन के लए ऋचा का सामवेद के प म सं ह कया गया होता तो केवल गेय मं का ही सं ह होना चा हए था, जब क उपल ध सामवेद म लगभग ४५० मं पूरी तरह गेय नह ह. तीसरी बात यह है क अगर सामवेद के मं ऋ वेद से उद्धृत माने जाएं, तो उन के प और वर नदश ऋ वेद से भ ह. ऋ वेद य मं म उदा , अनुदा और व रत वर पाए जाते ह, जब क सामवेद य मं म स त वर वधान है. इन कोण से दे खने पर प तीत होता है क सामवेद के मं ऋ वेद से ऋण व प नह लए गए ह. उन क अपनी वतं स ा है. वे उतने ही वतं ह, जतने ऋ वेद के मं . हां, एक बात अव य है क ऋ वेद और सामवेद के मं म व य वषयगत अंतःसंबंध है. ऋ वेद के समान सामवेद म भी अ न, इं , सोम, अ नीकुमार आ द क तु त क गई है. इसी मा यम से उन का व प नधा रत करने का यास कया गया है. ऋ वेद के समान सामवेद से भी त कालीन उ त समाज का पता चलता है. चूं क सामवेद ऋ वेद के बाद क रचना है, इस लए उ संदभ म सामवेद का अ ययन रोचक ही नह , ानव क भी हो सकता है. इतना ही नह , सामवेद का अ ययन ऋ वेद काल के प ात वक सत लोककला और सं कृ त को भी रेखां कत करता है. इस कार सामवेद को ऋ वेद का पूरक कहा जा सकता है. इस क मह ा ऋ वेद से कसी भी प म कम नह मानी जा सकती है. इसी लए यह वेद यी (ऋक्, यजु और सामवेद) म गना जाता है. गीता म उपदे शक कृ ण ने ‘वेदानां सामवेदो ऽ म’ कह कर सामवेद क व श ता क ओर ही संकेत कया है. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यहां एक बात और यान दे ने यो य है क आज ‘वेद’ श द भले ही चार वेद —ऋक्, यजु, अथव और साम के साथ जुड़ कर ंथवाची हो गया हो, कतु मूल प म यह ान का ही बोधक रहा है. आरंभ म इन चार को मला कर एक ही ‘वेद ंथ’ माना जाता था, जैसा क महाभारत म कहा भी गया है— एक एव पुरा वेदः णवः सववाङ् मयः. बाद म आकारगत वशालता को दे खते ए इस के चार भाग कए गए—ऋ वेद, अथववेद, यजुवद और सामवेद. इ ह ‘चतुवद’ कहा जाता है. ु त परंपरा से पीढ़ दर पीढ़ नरंतर वक सत होते रहने वाले इस ान के भंडार का संभवतया थम वभाजन ास ने कया था. यह वभाजन मुखतया सा ह यक वधा पर आधा रत है—प , ग और गान. सामा यतया कसी भी भाषा का सा ह य इ ह तीन प म पाया जाता है. इस से ऋ वेद और अथववेद प धान, यजुवद ग धान और सामवेद गान धान ह.
सामवेद क आचाय परंपरा सामवेद के आ द आचाय जै म न माने जाते ह. वायु, भागवत, व णु आ द पुराण से भी इस कथन क पु होती है. पुराण के अनुसार, वेद ास ने अपने श य जै म न को सामवेद क श ा द थी. जै म न के बाद सुमंत,ु सु वान, वक य सूनु सुकमा तक पीढ़ दर पीढ़ यह अ ययन परंपरा जारी रही. सुकमा ने सामवेद सं हता का ापक व तार कया. पौरा णक उ लेख के अनुसार सामवेद क एक हजार शाखाएं थ . आचाय पतंज ल ने भी इस क पु क है—‘सह व मा सामवेदः.’ आज इन म से केवल तीन ही शाखाएं मलती ह—कौथुमीय, राणायणी और जै मनीय. तीन शाखा म उपल ध सामवेद क ऋचा क सं या तो अलगअलग है ही, उन म पाठभेद भी मलता है. ा ण तथा पुराण ंथ के अनुसार, साम मं (ऋचा ) के पद क सं या एक लाख से भी अ धक है ले कन सामवेद क कुल उपल ध ऋचा क सं या अ धक नह है. सामवेद के मु यतया दो भाग ह—आ चक और गान. आ चक का अथ है ऋचा समूह. इस के दो भाग ह—पूवा चक और उ रा चक.
का
पूवा चक म छह अ याय ह. हर अ याय म कईकई खंड ह. इ ह ‘दश त’ भी कहा गया है. ‘दश त’ से दस (सं या) का बोध होता है. कतु हर खंड म ऋचा क सं या १० नह है. कसी म यह सं या १० से कम है तो कसी म यादा भी. इसी लए इसे ‘दश त’ न कह कर खंड कहना अ धक उ चत तीत होता है. सामवेद के पहले अ याय म अ न से संबं धत ऋचाएं ह. इस लए इसे ‘आ नेय पव’ कहा गया है. सरे से चौथे अ याय तक इं क तु त क गई है. इस लए यह ‘ पव’ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कहलाया. पांचवां अ याय पवमान पव कहलाता है. इस म सोम वषयक ऋचाएं ह, जो ऋ वेद के नवम मंडल से ली गई ह. पहले से पांचव अ याय तक क ऋचाएं ‘ ाम गान’ कहलाती ह. छठे अ याय का शीषक है ‘आर यक पव’. इस म य प दे वता और छं द क भ ता है तथा प इस म गायन संबंधी एकता दखाई दे ती है. इस अ याय क ऋचाएं ‘अर य गान’ कही गई ह, पूवा चक के छह अ याय म कुल ६४० ऋचाएं ह. उ रा चक म २१ अ याय ह. ऋचा १८६५ ऋचाएं ह.
क सं या १२२५ है. इस कार सामवेद म कुल
यह अनुवाद सामवेद क इन ऋचा का यह अनुवाद सायण भा य पर आधा रत है, य क सायणाचाय ने वै दक ऋचा (मं ) को समझने के लए या काचाय ारा न द तीन साधन —परंपरागत ान, तक एवं मनन का पूरा सहारा लया था. इस से भी बड़ी बात यह थी क उ ह ने अ य आचाय के समान वै दक ऋचा को कसी वशेष वाद का च मा पहन कर नह दे खा है. सायणाचाय ने वै दक ऋचा के संग के अनुसार मानव जीवन, य और अ या म संबंधी अथ दए ह. वैसे अ धकतर अथ मानव जीवन से संबं धत ही ह. य और अ या म से जुड़े अथ ायः कम थान पर ही दए गए ह. इ ह कारण से अनुवाद करते समय सायण भा य को आधार बनाया गया है. अनुवाद के दौरान इस बात का वशेष यान रखा गया है क सायणाचाय का आशय पूरी तरह प हो जाए. अनुवाद क भाषा यथासंभव सरल एवं सुबोध रखी गई है, ता क आम हद पाठक भी आसानी से समझ सक क वा तव म वेद म या है! — काशक
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वषय सूची
आ नेय पव पहला अ याय पव सरा अ याय तीसरा अ याय चौथा अ याय पवमान पव पांचवां अ याय आर यक पव छठा अ याय
पहला अ याय सरा अ याय तीसरा अ याय चौथा अ याय पांचवां अ याय छठा अ याय सातवां अ याय आठवां अ याय नौवां अ याय
पूवा चक
उ रा चक
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दसवां अ याय यारहवां अ याय बारहवां अ याय तेरहवां अ याय चौदहवां अ याय पं हवां अ याय सोलहवां अ याय स हवां अ याय अठारहवां अ याय उ ीसवां अ याय बीसवां अ याय इ क सवां अ याय
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पूवा चक
आ नेय पव अ याय
खंड
१.
१.
वषय
मं
अ न क तु त १-१० य पुरो हत २ धन के वामी ३ धनदाता अ न ४ सव े अ न ९ २. अ न क तु त १-१० अ न क े ता १ ान के वामी अ न २ य र कअ न ७ ३. अ न क तु त १-१४ सूय के प म अ न ११ श ुनाशक अ न १२ क याणकारी जल १३ ४. अ न क तु त १-१० ५. अ न के लए आमं ण १-१० अ न क तु त २-६ वग के नवासी ७ ६. धनदाता अ न १-८ क याणकारी यश २ अ न क तु त ३-८ ७. उपासक के लए संबोधन १-१० बाल एवं त ण अ न २ मृ युधमा मनु य ३ अ न क तु त ४-१० ८. अ न क तु त १-८ क याणकारी पूषा दे व ३ ९. अ न क तु त १-१० १०. सोम, व ण, अ न आ द का आ १-६ ान अं गरस २ अ न क तु त ३-६ ११. अ न क तु त १-१० अ द त दे व ६ १२. अ न क तु त १-८ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सुखशां त दाता दे व े
४ ६
पव २.
१.
उपासक के लए उद्बोधन इं क तु त गौ क तु त उपासक को सलाह इं क तु त शूरवीर इं अंतयामी इं २. े वीर इं इं क तु त चर युवा इं इं क तु त ३. म द्गण का चाबुक इं क तु त दे वता क तु त ण प त क तु त वृ ासुर हंता इं सूय क तु त समथ इं बु मान इं इं क तु त ४. इं क तु त सूय का द तेज इं के सहायक पूषा धन संप पृ वी इं क तु त सोम और पूषा ५. उपासक का आ ान इं क तु त उपासक का आ ान ६. इं क तु त गाय के वामी इं श ुनाशक इं ७. इं क माता वेदानुसार आचरण अथववेद ा ण अपूव उषा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
१-१० २ ३ ४ ५-८ ९ १० १-१० २-८ ९ १० १-१० २-३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० १-१० ३ ४ ५ ६-९ १० १-१० ३-९ १० १-१० ४ ५ १-१० २ ३ ४
८.
९.
१०. ११.
१२. ३.
१.
२. ३.
इं क तु त वायु से नवेदन व ण, म और अयमा इं क तु त व ा क दे वी सर वती मनु य म मता इं का आ ान इं , अयमा और व ण धनवान इं इं क तु त महान इं बृह साम ऋभु दे व सव ा इं इं क तु त इं और पूषा वृ ासुर संहारक इं भयनाशक इं इं क तु त इं और सोमरस इं क तु त इं का लोक क र ा म और व ण उषा म वव ण म त् वामन अवतार इं क तु त
५-९ १० १-९ २-४ ५ ६ ७ ८ ९ १-१० ३-४ ५ ६ ७ ८ ९ १० १-१० २-१० १-९ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १-१०
इं क तु त धनवान व ःखनाशक इं श ुनाशक इं तारनहार इं इं क तु त म द्गण क तु त बलवान इं उ तशील इं इं क तु त इं क तु त म , व ण और अयमा इं क तु त
१-१० ३-४ ५ ६ ७-८ ९ १० १-१० २-१० १-१० ३ ४
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४.
५. ६.
७.
८.
९.
१०.
११.
यजमान को संबोधन ५ बृह साम तो ६ इं क तु त ७-१० इं क तु त १-१० यश वी इं ३ सुखदायी मकान ४ आ यदाता इं ५ इं क तु त ६-१० इं क तु त १-१० इं क तु त १-१० व धारी इं ३ स जन पालक इं ४ अ नीकुमार क तु त ५ पाप नवारक व ण ६ इं क तु त ७-१० इं क तु त १-१० व भ दे वीदे वता क तु त७ काशमान इं ८ बलवान इं ९ व धारी इं १० सूय पु ी उषा १-१० अ नीकुमार क तु त २-४ पोषक इं ५ पुरो हत को संबोधन ६ इं क तु त ७-१० गाय के ध से सोमरस १-१० इं क तु त २-७ सूय क तु त ८ तेज ९ महावीर इं १० सव य इं १-९ म द्गण क म ता २ अ मट म हमाशाली इं ३ अजातश ु इं ४ वजयदाता इं ५ क याणकारी इं ६ अ दाता इं ७ व स क तु त ८ जलवषक इं ९ दे व त ग ड़ १-१० र क इं २ वेगशील इं ३
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१२. ४.
१.
२.
३.
४.
५.
श मान इं इं क तु त इं क तु त
४ ६-१० १-१०
य संचालक इं १-८ पवतवासी इं २ श ु जत् इं ३ दे वपालक इं ४ आनंददायी म द्गण ५ हतकारी इं ६ द ध ाव ऋ ष ७ व पालक इं ८ वीर इं १-१० सव इं २ श ु जत् इं ३ मतावान इं ४ इं के लए आमं ण ५ इं क तु त ६-७ उषा क तु त ८ दे वता से ९ य सदन १० सेनानायक इं १-११ जन क याण के लए जलवषा२ वग के वामी ३ इं क तु त ४-६ धन के भंडार ७ आ म ाता ८ वगलोक और पृ वीलोक ९ स ाट् १० इं का आ ान ११ इं क तु त १-१० उपासक के लए उद्बोधन २ इं के ओज क शंसा ३ इं ारा सोमपान ४ वीर इं ५ रसीला सोमरस ६ सखा का आ ान ७ ा ण के लए उद्बोधन ८ सब ा णय के वामी ९ सब के क याण के लए १० इं क तु त १-८ आ द य क तु त ५
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६.
७.
८.
९.
१०.
११. १२.
व न नवारक इं ६ आ द य क तु त ७ अ वान ८ ातृ कलह से मु १-१० धनदाता इं २ म द्गण क तु त ३ गाय के वामी ४ बैल के समान बलवान इं ५ सम भाव वाले म द्गण ६ इं क तु त ७-१० सूय पी इं क करण १-१० वरा य क थापना २ स ता और उ साह क कामना ३ इं क तु त ४-८ सूय और चं ९ अ नीकुमार क तु त १० अ न क तु त १-८ उषा क तु त ३ सोम क तु त ४ इं क तु त ५-६ अ न क उपासना ७ अयमा, म और व ण ८ सोम क तु त १-१० म द्गण से का संबंध ७ ऊह तो ८ तेजोमय स वता ९ काशमान सोम १० इं क तु त १-१० दे व कृपा से धन ा त ५ प व गाएं ६ धनधा य ७ इं /म द्गण क उपासना ९ ा ण और गाथाएं १० अ न क तु त १-१० उषा क बहन रात ५ इं क तु त ६-१० द गुण वाला सोमरस १-१० काशमान सूय २ इं क तु त ३-४ अ न क उपासना ५ एवयाम त् ऋ ष ६ ह रत सोम ७
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स वता क उपासना अ न क उपासना े इं
८ ९ १०
पवमान पव ५.
१.
सोम क तु त य के समय सोम क तु त २. सोम क तु त ३. श ुनाशक सोम बु वधक सोम शु सोमरस वेगमान सोम मदम तकता सोम सोम क तु त ४. सूय के समान काशमान बलदाता सोम नचोड़ा गया सोम सोम क उ प सोम क तु त ५. सोम क तु त आनंददायी सोमरस श ुनाशक सोम धनदाता सोम आनंददायी सोमरस प व और े सोम आनंददायी सोमरस अ दाता सोम इं य सोम ६. सोम का आ ान काशमान सोमरस सोम तु त आनंदमय सोमरस सवदाता सोम र क सोम प व सोमरस इं य सोमरस सोम तु त ७. सोम क तु त बलशाली सोम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
१-१० ५ ६-१० १-१० १-१० २ ३ ४-५ ६ ७-१० १-१४ २ ३-४ ६ ७-१४ १-१२ ५ ६ ७ ८ ९ १० ११ १२ १-१० २ ३-४ ५ ६ ७ ८ ९ १० १-१२ ६
८.
९.
१०.
११.
सूय ारा स जत सोम ७ बलवधक सोमरस ८ सोम क तु त ९ दे वता के पालक सोम १० धन दाता सोम ११ तु तयां १२ यजमान को संबोधन १-९ पालनहार सोमरस २ सोम का आनंददायी व प ३ आ म ाता सोम ४ सोम क तु त ५ इं य सोमरस ६ श ुहंता सोम ७ गुणागार सोमरस ८ यजमान को संबोधन ९ द सोम १-१२ सोम क तु त २-३ म वत सोमरस ४ वेगवान सोमरस ५ श दाता सोम ६ क याणकारी सोम ७ तु त सोम ८ काशमान सोमरस ९ मधुर सोमरस १० आनंदमय सोमरस ११ साम यवान सोम १२ सोम क तु त १-१२ जल पु सोम ५ सोम क तु त ६ प व सोमरस ७ सोम क तु त ८-१२ सोम क तु त १-८ श वधक सोमरस ४ संतानदाता सोम ५ पूजनीय सोम ६ आनंददायी सोम ७ श ुनाशक सोम ८
आर यक पव ६. १. इं क तु त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
१-९
२.
३.
४.
५.
धन दे ने वाले इं २ दानी इं ३ व ण क तु त ४ सोम क तु त ५-८ अ दे व ारा आ म शंसा ९ इं क तु त १-७ सूय क तु त २ व धारी इं ३ इं क तु त ४ थ और स थ ५ वायु क तु त ६ इं क तु त ७ जाप त क तु त १-१३ सोम क तु त २-३ अ न क तु त ४ तु तय क उ प ५ आनंदकारी सोमरस ६ आरामदायी रा ७ काशमान अ न ८ दे वगण क तु त ९ यजमान क यशकामना १० इं क तु त ११ सव व प आ मा १२ र कअ न १३ अ न क तु त १-१२ ऋतुएं २ पूण पु ष ३-७ वगलोक और पृ वीलोक क ८तु त इं क तु त ९ तेज वता १० इं क तु त ११-१२ अ न क तु त १-१४ अ दे ने व आयु बढ़ाने क ाथना १ सूय क तु त २-१४
उ रा चक १.
१.
यजमान को संबोधन द सोमरस सोम क तु त उ वल सोमरस ******ebook converter DEMO Watermarks*******
१-९ २ ३ ४
२.
३. ४.
५.
६.
२.
१.
२. ३. ४.
५.
सोम क तु त अ न क तु त म और व ण क तु त इं क तु त अ न क तु त सोम क तु त उशना ऋ ष इं क तु त आदरणीय सोम इं क तु त सहायक इं इं क तु त इं हेतु सोमरस रा सनाशक सोम सोम क तु त चमक ला सोमरस से सोमरस सोम क तु त यजमान सहायक सोमरस नाशक सोम क याणकारी सोम मधुर सोमरस ापक सोमरस यजमान को संबोधन क याणकारी अ न अ न क तु त इं क तु त
५-९ १-१२ ४-६ ७-९ १०-१२ १-८ ८ १-९ ४ ५-७ ८ ९ १-१४ २ ३-५ ६ ७-८ ९ १० ११ १२ १३ १४ १-१० २ ३-५ ६-१०
यजमान को संबोधन इं क तु त सोमय सोम क तु त सोमय इं क तु त इं क तु त यजमान को संबोधन अ न क तु त उषा सूय अ नीकुमार का आ ान ानवधक सोमरस वहमान सोम
१-१२ ६-८ ९ १० ११-१२ १-१२ १-१२ ४, ५, ७, ९, ११ १-६ ३ ४ ५-६ १-९ २
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त त सोम द सोमरस सव प र सोम प र कृत सोमरस सोम क तु त सोम का आ ान यजमान को संबोधन घुलनशील सोमरस श मान सोमरस सभी दे व को ा त सोम सोम क तु त वेगवान सोम यशदाता सोमरस सोमरस सोम क तु त प व सोम हरा सोमरस भृगु
३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १-११ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० ११
६.
सोम क तु त फू तदायी सोमरस सोम क तु त य संचालक अ न अ न क तु त म और व ण का आ ान सामगान से इं क तु त आभूषणधारी इं इं क तु त इं और अ न क उपासना सोम क तु त इं क तु त यजमान को संबोधन र क इं इं क तु त श धारी इं सोम क तु त अपूव सोम हतकारी सोम इं क तु त
१-१५ ४ ५-१५ १-१३ २-३ ४-६ ७ ८ ९-१० ११-१३ १-६ १-६ ३ ४ ५ ६ १-९ ८ ९ १-६
१. २.
सोम क तु त अ न क तु त
१-१४ १-१२
६.
३.
१. २.
३. ४.
५.
४.
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३. ४. ५.
६.
५.
१. २. ३.
४. ५. ६.
७.
६.
१.
म क तु त ४-६ म द्गण क तु त ७-८ इं क तु त ९-१२ सोम क तु त १-६ इं क तु त १-७ यजमान क वाणी १-९ सोम क उपासना २ सोम क तु त ३-४ इं क तु त ५ इं के सखा ६ प व सोम ान के वामी८ सूय क तु त ९ यजमान को संबोधन १-८ अ न क तु त २ इं क तु त ३-८ सोम क तु त सोम क तु त अ न क तु त म और व ण क तु त यजमान को संबोधन वैभववान इं पवतप त इं यजमान को संबोधन अ न क तु त सोम क तु त अ ण आभा वाला सोमरस इं क तु त राजा इं यजमान को संबोधन सोम क तु त सूय क तु त सोमरस का प र करण सवलोक जनक सोम सव ा त सोम यजमान को संबोधन अ न क तु त इं क तु त यजमान को संबोधन इं क तु त
१-१२ १-९ १-१२ ४-५ ६ ७ ८ ९ १०-१२ १-८ ७ १-८ ७ ८ १-११ ५ ७ ९ १० १-९ ३ ४-५ ६ ७-९
सोम क तु त
१-१३
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२. ३.
४. ५. ६. ७. ७.
१. २. ३. ४. ५. ६. ७.
८.
१.
२.
इं क तु त सोम क तु त अ न क तु त सूय क तु त म और व ण क तु त इं क तु त सोम क तु त इं और सोम क तु त इं क तु त सोम क तु त अ न क तु त ा ण को संबोधन
८, १० १-१४ १-१२ ४-५ ६ ७-१२ १-८ ८ १-६ १-१४ १-९ ४
सोम क तु त शो धत सोमरस श दायी सोमरस सोम क तु त यजमान को संबोधन मददायी सोमरस अ न क तु त म और व ण क तु त इं क तु त सोम क तु त इं क तु त सोम क तु त यजमान को संबोधन अ न क तु त इं क तु त च क सा उपासक को संबोधन
१-१६ ९ १२ १-१७ ४ १५ १-१२ ४-६ ७-१२ १-८ १-९ १-१४ ६ १-९ ४-५ ६ ७
पोषक सोम श ुहंता सोम सोम क तु त सोमरस का प र करण मादक सोमरस सोमरस का प र करण सोम क तु त व ान् सोम सव य सोमरस सोम क तु त हरी आभायु सोमरस
१-१२ २ ३-५ ६ ७ ८ ९-१० ११ १२ १-१२ ६
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३.
४.
५.
६. ९.
१. २. ३.
४. ५. ६.
७.
यजमान को आ ासन अ न क तु त यजमान को संबोधन म और व ण को संबोधन इं क तु त बलशाली अ न इं क तु त प र कृत सोमरस सोम क तु त इं क तु त इं क अ यथना यजमान को संबोधन सोम क तु त इं के न म सोमरस सोम का प र करण सोमरस क उ प पोषक सोमरस अ न क तु त इं क तु त
७ १-१२ ४-५ ६ ७-९ १० ११-१२ १-५ २-३ ४ ५ १-९ ४-५ ६ ७ ८ ९ ९ ४-९
सोम क तु त १-१२ वायु और इं के न म सोम १-९ ा ण को संबोधन २ सोम क तु त ३-९ सोम क तु त १-९ यजमान को संबोधन २ प व सोमरस ५ मधुमय सोमरस ६ सोम क तु त १-५ सोम क तु त १-९ वकार र हत सोमरस ४ इं सहायक सोम ९ दे वगण को संबोधन १-६ अ न २ अ न क तु त ३ समथ इं ४ ब ल इं ५ इं क तु त ६ पुरो हत को संबोधन १-१० सोम क तु त २ यजमान को संबोधन ३ शंसनीय सोमरस ४
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८. ९.
१०.
१.
२.
३.
४.
श धारी सोम सोम क तु त इं क तु त सोम क तु त तेज वी सोमरस अ न क तु त त तअ न इं क तु त
५ ६ ७-१० १-९ ६ १-९ २ ३-९
र क सोम उ ेरक सोमरस गभ व प सोम अमर सोम द सोम ऐ यशाली सोम प व सोम व छ सोम श ुहंता सोम श ु जत् सोम साम यवान सोम हरी आभायु सोम पोषक सोम शूरवीर सोम य अ उ पादक सोमरस य ह व सोमरस रसराज सोम श शाली सोम मतावान सोम मदकारी सोम ग तमान सोम इं के न म सोमरस तगामी सोमरस सव ा सोम सवधारक सोम इं हेतु सोम सवजनीन सोम अमर सोम दे व य सोम श शाली सोम आनंदमय सोम बंधनमु सोम
१-१३ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० ११ १२ १३ १-८ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ १-६ २ ३ ४ ५ ६ १-६ २ ३ ४ ५ ६
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५.
६.
७.
८.
९.
१०. ११.
१२.
फू तदायी सोम सुखदाता सोम सव ाता सोम फू तदायी सोम बलवान सोम दे व र क सोम व नहता सोम वल ण सोम हंता सोम काशमान सोम धनदाता सोम दे व समथक सोम भा यवान यजमान सर वती क याणकारी मं हतकारी मं प व मं यजमान अ न क तु त महान इं दे व इं क तु त इं सहायक अ न सोम तु त े ह व सोमरस वल ण सोमरस दशनीय सोमरस सोम क काया यजमान को संबोधन दाता इं इं क तु त सोम क तु त आनंदकारी सोमरस सव य सोमरस इं य सोमरस युवा इं यजमान म इं श ुहंता इं संसार के ई र इं इं क तु त य म त पर इं य म आने का आ ह
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१-६ २ ३ ४ ५ ६ १-६ २ ३ ४ ५ ६ १-६ २ ३ ४ ५ ६ १-६ ४ ५ ६ १-९ ४ ६ ७ ८ १-४ २ ३-४ १-१५ ७ ८ १४ १-९ २ ३ ४ ५-७ ८ ९
११.
१.
२.
३.
१२.
१.
२. ३.
४. ५.
अ न क तु त धन क इ छा दे वता क तु त दे वतागण इं क तु त जा त सोम प व सोम अभी साधक सोम यजमान को संबोधन श ुनाशक इं इं क अचना व ा त इं सोम क तु त सा रत सोम ेरक सोम द प सोम नर को संबोधन अ न क तु त सूय क तु त तेज वी सूय
१-१० ५ ६ ७ ८-१० १-१३ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८-१३ १-९ २ ३ ४ ५-७ ८ ९
अ न उपासना काशमान अ न क याणकारी अ न श ु जत् अ न अ न तु त से सोमरस ाता समान सोम पोषक सोम इं क तु त यजमान को संबोधन सुखकारी सोमरस अ न क तु त काशमान सोम सोम क तु त इं क तु त अ न क तु त सोम क तु त इं क तु त अ न क तु त द सोमरस सव े सोमरस
१-१० २ ३ ४ ५-७ ८ ९ १० १-७ ६ ७ १-९ ४ ५-६ ७-९ १-१० ४-६ ७-८ १-११ ४ ५
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६. १३.
१.
२.
३.
४.
५.
६.
बु मान सोम इं क तु त सोम उपासना अमृत ाही सोमरस अमर सोम सोम क तु त इं क तु त
६ ७-८ ९ १० ११ १-९ ४-९
सोम क तु त प व सोम यजमान को संबोधन पुरो हत को संबोधन यजमान को संबोधन सोम क तु त मन के वामी इं धन याचना इं क तु त जापालक सूय नाशक सूय मतावान सूय इं क तु त सर वती क तु त स वता क उपासना ण प त क तु त अ न क तु त व ण क तु त स यपालक व ण म क तु त अ न व प सूय इं क तु त सूय क अ यथना इं क तु त सोम क तु त अ न क तु त बलवान अ न सव ापक दे वता को संबोधन सरल सोम इं और अ न
१-९ ५ ६-८ ९ १-९ ४ ५ ६ ७-९ १-७ २ ३ ४-७ १-११ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० ११ १-९ ३ ४-७ ८ ९ १-९ २ ३ ४ ५-६ ७
इं क तु त इं हेतु सोम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं क तु त
८-९
४.
यजमान को संबोधन इं के अ इं का सोमरस पान इं क तु त अमृत तु य सोमरस ाता तु य सोम सोम क तु त अ न क तु त क वऋष इं क तु त अ न क तु त सोम क तु त यजमान को संबोधन इं क तु त यजमान को संबोधन होता अ न पथ दशक अ न य कराने वाले अ न अ न क तु त अ न क तु त
१-१४ २ ३ ४-५ ६ ७ ८ ९-१२ १३ १४ १-१० ४-६ ७ ८-९ १-११ २ ३ ५ ६-११ १-११
१५.
१. २. ३. ४.
अ अ अ अ
१-११ १-१० १-८ १-९
१६.
१.
इं क तु त अ न क तु त व ण क तु त इं क तु त सोम क तु त पूषा दे व म द्गण क तु त वगलोक दे वी इं क तु त गौएं सोमरस का वसजन यजमान क याचना इं क तु त
१४.
१.
२.
३.
२. ३.
४.
नक नक नक नक
तु त तु त तु त तु त
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१-१२ ११-१२ १-८ २-५ ६-८ १-१२ २-३ ४ ५-६ ७-९ १० ११ १२ १-१२
१७.
१.
२.
३.
४.
१८.
१. २.
३.
सोम क तु त सुख याचना सव ा इं यजमान को संबोधन
७-८ ९ १० ११-१२
अ न क तु त यजमान को संबोधन इं क तु त व णु क तु त वायु क तु त इं क तु त सोम क तु त मददायी सोमरस सोम क उपासना अ न क तु त व नहारी व र क इं य इं शंसा सूय शंसा इं क तु त अ न का आ ान वृ ासुरहंता इं ओजवान इं इं तु त यजमान को संबोधन
१-११ ४ ५-६ ९-११ १-११ २-३ ४ ५ ६ ७-९ १०-११ १-९ २ ३ ४-९ १-९ ५ ६ ७-८ ९
यजमान को संबोधन इं क तु त अ न क तु त व णु शंसा यजमान को संबोधन व णु यजमान त ा था पत करना इं क तु त यजमान को संबोधन परा मी सोमरस मनोहर सोमरस यजमान को संबोधन इं क तु त ा ण सोम क तु त
१-१२ २-७, ११-१२ ८-९ १-१५ ३ ४ ५ ६ ७-८, १०-११, १४-१५ ९ १२ १३ १-१५ २-३, १०-१५ ५, ७ ६
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१९.
४.
सोम क तु त इं क तु त अ न क तु त
१-१२ ४-६ ७-१२
१.
अ न क तु त सोम क तु त इं क तु त सूय पु ी उषा उषा तु त अ नीकुमार क तु त अ न तु त उषा तु त अ नीकुमार क तु त अ न क तु त उषा क तु त उषा और रा अ न और उषा अ नीकुमार क तु त उषा क तु त यजमान को लोभन अ न, सूय, उषा अ नीकुमार अ नीकुमार को संबोधन सोम क तु त
१-१४ ४-७ ८-१४ १-१२ ४, ७-९ ५-६, १०-१२ १-९ ४-६ ७-९ १-९ ४-५ ६ ७ ८-९ १-१० ३ ४ ५ ६ ७-१०
सोम क तु त इं क तु त अ न क तु त अ न क तु त यजमान को संबोधन इं क तु त सोम क तु त सूय क तु त इं क तु त यजमान को संबोधन इं क तु त सोम क तु त अ न क तु त अ न क तु त जा त के म सोम जा त अ न दे वता को नम कार
१-१५ ४-९ १०-१५ १-१० ३ ४-५ ६-७ ९, १० १-११ १-१२ २-८ ९-१२ १-९ १-१२ ५ ६ ७
२. ३. ४.
५.
२०.
१. २.
३. ४. ५. ६.
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७.
२१.
गेय ऋचाएं अ न क तु त इं क तु त जल क तु त वायु क तु त अ न क तु त यजमान को संबोधन वेन क तु त
८ ९-१२ १-१५ ४-६ ७-९ १०-११ १२ १३-१५
इं क तु त पाप को संबोधन मनु य को संबोधन अ भमं त बाण दे वगण को संबोधन सवदे व उपासना
१-२७ १३ १४ १५ २६ २७
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पूवा चक आ नेय पव पहला अ याय पहला खंड अ न आ या ह वीतये गृणानो ह दातये. न होता स स ब ह ष.. (१) हे अ न! हम सब आप क तु त (पूजा) करते ह. य म आप को आमं त करते ह. आप आ कर कुश (घास) के आसन पर बै ठए. आप ह व (अ न म डाली जाने वाली प व चीज) दे वता तक प ंचाइए. (यह माना जाता है क हम अ न म जो पदाथ डालते ह, वे अ न के ारा मं से संबं धत दे वता तक प ंचते ह). (१) वम ने य ाना
होता व ेषा
हतः. दे वे भमानुषे जने.. (२)
हे अ न! आप य के पुरो हत ह. आप सब का क याण करने वाले ह. दे वता आप को मनु य (जन ) के बीच म था पत कया है. (२) अ नं त वृणीमहे होतारं व वेदसम्. अ य य
ने ही
य सु तुम्.. (३)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले ह. आप धन के वामी ह. इस य को अ छ तरह करने के लए हम आप को त मान कर भेज रहे ह. (ह व अ न के मा यम से संबं धत दे वता तक प ंचती है, इस लए अ न को दे वता का त माना जाता है). (३) अ नवृ ा ण जङ् घनद् वण यु वप यया. स म ः शु
आ तः.. (४)
हे अ न! आप अपने पूजक को धन दे ने वाले ह. स मधा ( जस से य क अ न व लत क जाती है) से आप को अ छ तरह का शत कया गया है. आप हमारी तु त से स होइए. य म व न डालने वाल (रा स एवं वृ य ) को न क जए. (४) े ं वो अ त थ
तुषे म मव
यम्. अ ने रथं न वे म्.. (५)
हे अ न! आप पूजक को धन दे ने वाले ह. उ ह म क तरह ब त क तरह पूजा करने यो य ह. आप हमारी पूजा से स होइए. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ह. मेहमान
वं नो अ ने महो भः पा ह व
या अरातेः. उत
षो म य य.. (६)
हे अ न! आप ई या े ष करने वाले लोग और ब त सुखसंप ता दान क जए. (६) ए
मन से हम बचाइए. हे अ न! हम
षु वा ण ते ऽ न इ थेतरा गरः. ए भवधास इ
हे अ न! आप पधा रए. हम आप के लए शु सु नए. सोमरस से आप समृ ब नए. (७)
भः.. (७) वाणी से मं पढ़ रहे ह. आप उ ह
आ ते व सो मनो यम परमा च सध थात्. अ ने वां कामये गरा.. (८) हे अ न! हम आप के पु ह. मन से आप को आमं त करना चाहते ह. आप जगह से भी हमारे लए आइए. हम वाणी (मं पाठ) से आप को भजते ह. (८) वाम ने पु कराद यथवा नरम थत. मू न व
े
य वाघतः.. (९)
हे अ न! आप सव े और सारे संसार के धारक ह. अथवा (ऋ ष) ने कमल के प पर अर ण (लकड़ी) मथ कर आप को उ प ( का शत) कया. (९) अ ने वव वदा भरा म यमूतये महे. दे वो
स नो शे.. (१०)
हे अ न! आप हमारी र ा क जए. वग दे ने वाले इस काम को स आप ही हम राह दखाने वाले ह. (१०)
क रए (सा धए).
सरा खंड नम ते अ न ओजसे गृण त दे व कृ यः. अमैर म मदय.. (१) हे अ न! बल चाहने वाले मनु य आप को नम कार करते ह. म भी आप को नम कार करता ं. आप अपने बल से मन का नाश क जए. (१) तं वो व वेदस
ह वाहमम यम्. य ज मृ
से गरा.. (२)
हे अ न! आप ान के वामी ह. आप ह व को दे वता तक ले जाने वाले ह. आप दे वता के त ह. म आप क कृपा पाने के लए ाथना करता ं. (२) उप वा जामयो गरो दे दशतीह व कृतः. वायोरनीके अ थरन्.. (३) हे अ न! यजमान क वाणी से कट होने वाली रही ह. हम आप को वायु के पास था पत करते ह. (३)
े
तु तयां आप का गुणगान कर
उप वा ने दवे दवे दोषाव त धया वयम्. नमो भर त एम स.. (४) हे अ न! हम आप के स चे भ
ह. दनरात आप क पूजा करते ह. दनरात आप का
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गुणगान करते ह. आप हम पर कृपा क रए. (४) जराबोध त
व
वशे वशे य याय. तोम
ाय शीकम्.. (५)
हे अ न! हम ाथना कर के आप को आमं त करते ह. आप हम सब पर कृपा करने के लए य मंडप म आइए. का नाश करने वाले आप को हम सुंदर ाथना से बारबार आमं त कर रहे ह. (५) त यं चा म वरं गोपीथाय
यसे. म
हे अ न! आप इस उ म य (दे वता ) के साथ आइए. (६)
र न आ ग ह.. (६)
म सोमपान के लए बुलाए जाते ह. आप म त
अ ं न वा वारव तं व द या अ नं नमो भः. स ाज तम वराणाम्.. (७) हे अ न! आप स (य के) पूंछ वाले घोड़े के समान ह. आप य के र क ह. हम ाथना से आप क पूजा व नम कार कर रहे ह. अथात् जैसे घोड़ा अपनी पूंछ से क दे ने वाले म छर आ द हटा दे ता है, वैसे ही आप अपनी लपट ( वाला ) से हमारे क र क जए. (७) औवभृगुव छु चम वानवदा वे. अ न
समु वाससम्.. (८)
हे अ न! आप समु म रहने वाले ह. भृगु और अ वान जैसे ऋ षय ने जस तरह स चे मन से आप क ाथना क , उसी तरह हम भी स चे मन से आप क ाथना करते ह. (८) अ न म धानो मनसा धय
सचेत म यः. अ न म धे वव व भः.. (९)
हे अ न! मनु य मन लगा कर आप को तथा अपनी करण के साथ आप को का शत करता है. (९) आद
ा को जगाता है. सूय क
न य रेतसो यो तः प य त वासरम्. परो य द यते द व.. (१०)
हे अ न! वगलोक से ऊपर सूय प म अ न का शत होती है. तभी सब ाणी उस काश वाले तेज का दशन करते ह. (१०)
तीसरा खंड अ नं वो वृध तम वराणां पु तमम्. अ छा न े सह वते.. (१) हे ऋ वजो (उपासको)! अ न तु हारे अ हसक य म सहायक, े (उ म), सब के हतकारी व बलशाली ह. तुम वाला (लपट ) से बढ़ते ए अ न क सेवा म जाओ. (१) अ न त मेन शो चषा य
स
ं य३
णम्. अ नन व
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सते र यम्.. (२)
अ न अपनी तेज लपट से रा स और अ य व न को न कर. अ न हम सब कार का धन (सुख) दान कर. (२) अ ने मृड महाँ अ यय आ दे वयुं जनम्. इयेथ ब हरासदम्.. (३) हे अ न! आप हम सुख द जए. आप महान व ग तशील यानी साम यवान ह. आप दे वता के दशन के इ छु क यजमान के पास कुश (घास) के आसन पर वराजने के लए यहां पधा रए. (३) अ ने र ा णो अ
हसः
त म दे व रीषतः. त प ैरजरो दह.. (४)
हे अ न! आप पाप से हमारी र ा क जए. आप द तेज वाले ह. आप अजर (बुढ़ापे से र हत) ह. आप हमारा नुकसान करने क इ छा रखने वाले श ु को अपने तेजताप से भ म कर द जए. (४) अ ने युङ् वा ह ये तवा ासो दे व साधवः. अरं वह याशवः.. (५) हे अ न! अपने तेज ग त वाले े और कुशल घोड़ को (यहां पधारने के लए) रथ म जो तए. (५) न वा न य व पते ुम तं धीमहे वयम्. सुवीरम न आ त.. (६) हे अ न! हम आप क शरण म ह. यजमान आप को आमं त करते ह. आप क पूजा करते ह. आप क पूजा से सब कार के सुख ा त होते ह. हम ने दय से आप को यहां था पत कया है. (६) अ नमूधा दवः ककु प तः पृ थ ा अयम्. अपा
रेता
स ज व त.. (७)
हे अ न! आप सव च (सब से ऊंचे) ह. आप वगलोक और पृ वीलोक का पालन करने वाले ह. आप इन के वामी ह. आप जल के सारे जीव को जीवन दे ते ह और काम म लगाते ह. (७) इममू षु वम माक
स न गाय ं न
सम्. अ ने दे वेषु
वोचः.. (८)
हे अ न! आप हमारी इस ह व को दे वता तक प च ं ाइए. हम गाय ी छं द म आप क ाथना कर रहे ह. आप हमारी इन दोन चीज को दे वता तक प ंचा द जए. (८) तं वा गोपवनो गरा ज न द ने अ रः. स पावक ुधी हवम्.. (९) के
हे अ न! गोपवन ऋ ष ने आप को अपनी तु त से उ प कया है. आप अंग म रस प म नवास करते ह. आप प व करने वाले ह. आप हमारी ाथना सु नए. (९) प र वाजप तः क वर नह ा य मीत्. दध ना न दाशुषे.. (१०) हे अ न! आप सव व अ
के वामी ह. आप ह व के
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प म दए गए पदाथ को
वीकार करते ह. उन ह वय को ा त करते ह यानी दे वता दानशील लोग को धनधा य दान करते ह. (१०) उ
तक प ंचाते ह. आप
यं जातवेदसं दे वं वह त केतवः. शे व ाय सूयम्.. (११)
सारे भुवन को दे खने के लए सूय क करण जस से उ प वे अ न को भलीभां त धारण कए रहती ह. (११)
ई ह, ऐसे सूय के
पम
क वम नमुप तु ह स यधमाणम वरे. दे वममीवचातनम्.. (१२) हे ऋ वजो (य करने वालो)! इस य म आप सब ान वाले अ न क क जए. वे स य धम से यु ह. वे श ु का (रोग का) नाश करने वाले ह. (१२)
तु त
शं नो दे वीर भ ये शं नो भव तु पीतये. शं योर भ व तु नः.. (१३) हमारा क याण हो. द जल हमारे पीने के लए क याणकारी हो. जल रोग शांत करने वाला हो. जल सुखशां त दे ते ए अमृत प म वा हत हो. (१३) क य नूनं परीण स धयो ज व स स पते. गोषाता य य ते गरः.. (१४) हे अ न! आप स य (स जन) के पालनहार ह. आप इस समय कस तरह के मानव के कम को स य माग ( ज) तक प ंचा रहे ह. कस कम से आप क कृपा गौ को ा त कराने वाली होगी. (१४)
चौथा खंड य ाय ा वो अ नये गरा गरा व द से. वयममृतं जातवेदसं यं म ं न श
सषम्.. (१)
हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले व अमर ह. आप म क तरह सहयोग करने वाले ह. हम आप क तु त करते ह. हे ोताओ! आप भी ऐसे अ न क तु त क जए. (१) पा ह नो अ न एकया पा ३ त तीयया. पा ह गी भ तसृ भ जा पते पा ह चतसृ भवसो.. (२) हे अ न! आप पहली तु त से हमारी र ा क जए. सरी तु त से हम संर ण दान क जए. तीसरी तु त से हमारी र ा (पालनपोषण प) क जए. चौथी तु त से आप हमारी सब कार से र ा क जए. हे अ न! आप सब को संर ण दे ने वाले ह. (२) बृह र ने अ च भः शु े ण दे व शो चषा. भर ाजे स मधानो य व रेव पावक द द ह.. (३) हे अ न! आप बड़ी वाला
वाले व युवा ह. आप संप ता व प व ता दे ने वाले ह.
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आप अपने खर तेज से भर ाज (ऋ ष) के लए अ यंत तेज वी (३)
पम
व लत होइए.
वे अ ने वा त यासः स तु सूरयः. य तारो ये मघवानो जनानामूव दय त गोनाम्.. (४) हे अ न! यजमान भलीभां त हवन करते ह. वे आप को जा क दे खभाल करने वाले ह, वे भी आप को य ह . गौ को य ह . (४)
य ह . जो धन दे ने वाले और का पालन करने वाले आप
अ ने ज रत व प त तपानो दे व र सः. अ ो षवान् गृहपते महाँ अ स दव पायु रोणयुः.. (५) हे अ न! आप ानी, जा का पालनपोषण करने वाले, रा स (क दे ने वाल ) का नाश करने वाले, घर के वामी, उपासक के घर को नह छोड़ने वाले व वगलोक के र क ह. आप हमारे घर म सदा नवास क रए. (५) अ ने वव व षस राधो अम य. आ दाशुषे जातवेदो वहा वम ा दे वाँ उषबुधः.. (६) हे अ न! आप अमर, ा णमा को जानने वाले और उषा (उषाकाल) से ा त होने वाला वशेष धन दानदाता यजमान को द जए. आप सब कुछ जानने वाले ह. आप उषाकाल म जागे ए दे वता को भी यहां आमं त क जए. (६) वं न ऊ या वसो राधा स चोदय. अ य राय वम ने रथीर स वदा गाधं तुचे तु नः.. (७) हे अ न! आप सव ापक, अद्भुत श वाले, दशनीय, अपार व ब त मतावान ह. आप समृ (वैभव) लाने म समथ ह. आप हम समृ द जए. आप हमारी संतान को भी समृ एवं त ा द जए. (७) व म स था अ य ने ातऋतः क वः. वां व ासः स मधान द दव आ ववास त वेधसः.. (८) हे अ न! आप र क ह. आप (अपने गुण तथा धम के लए) ब त स ह. आप स यवान और ानी ह. हे तेज वी अ न! व लत ( का शत) हो जाने पर ानी जन आप क उपासना व सेवा करते ह. (८) आ नो अ ने वयोवृध र य पावक श यम्. रा वा च न उपमाते पु पृह सुनीती सुयश तरम्.. (९) हे अ न! आप प व करने वाले व धनधा य क समृ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करने वाले ह. आप हम यश
बढ़ाने वाला धन द जए. आप हम सही रा ते से आने वाला धन दान कर. आप हम ऐसा धन दान कर जसे अनेक लोग चाहते ह . (९) यो व ा दयते वसु होता म ो जनानाम्. मधोन पा ा थमा य मै तोमा य व नये.. (१०) यजमान को सब कार क समृ दे कर आनं दत करने वाले अ न क हम पहले तु त करते ह, जैसे उ ह सब से पहले सोमरस का पा सम पत कया जाता है. (१०)
पांचवां खंड एना वो अ नं नमसोज नपातमा वे. यं चे त मर त व वरं व य तममृतम्.. (१) हे उपासको! अ से श दे ने वाले (बल के पु ), पूण ानी, नेह दे ने वाले, सुंदर य वाले दे वता के त अ न को म नम कारपूवक ाथना से आमं त करता ं. (१) शेषे वनेषु मातृषु सं वा मतास इ धते. अत ो ह ं वह स ह व कृत आ द े वेषु राज स.. (२) हे अ न! आप वन म ा त ह. आप माता म गभ के प म ा त ह. आप शेष पदाथ म भी फैले ह. हम मनु य स मधा ारा आप को व लत करते ह. आप आल य र हत ह. आप यजमान क ह व दे वता तक प ंचाते ह. आप दे वता के म य (बीच म) सुशो भत होते ह. (२) अद श गातु व मो य म ता यादधुः. उपो षु जातमाय य वधनम नं न तु नो गरः.. (३) धम के माग को पूरी तरह जानने वाले अ न कट हो रहे ह. इन के मा यम से य के नयम पूरे कए जाते ह. अ न आय को ग त दे ने वाले ह. वे वाणी प म क जा रही हमारी ाथना को वीकार करने क कृपा कर. (३) अ न थे पुरो हतो ावाणो ब हर वरे. ऋचा या म म तो ण पते दे वा अवो वरे यम्.. (४) तो वाले हसा र हत य म सब से पहले अ न दे वता क थापना क जाती है. सोमलता से रस नकालने वाले प थर एवं आसन भी था पत कए जाते ह. हे म तो! हे ण प त! हे दे व! हम वेदमं ारा अपनी र ा का अनुरोध करते ह. (४) अ नमी ड वावसे गाथा भः शीरशो चषम्. अ न राये पु मीढ ुतं नरो ऽ नः सुद तये छ दः.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे उपासको! अपनी र ा के लए व तृत तथा वकराल व प वाले अ न क तु त करो. धन ा त के लए अ न क तु त करो. (५) ु ध ु कण व भदवैर ने सयाव भः. आ सीदतु ब ह ष म ो अयमा ातयाव भर वरे.. (६) हे अ न! आप समथ कान वाले ह. आप हमारी ाथना वीकार क जए. अ न के साथ म और अयमा आ द दे वता भी य के कुशासन पर वराजमान ह . (६) दै वोदासो अ नदव इ ो न म मना. अनु मातरं पृ थव व वावृते त थौ नाक य शम ण.. (७) अ न इं के समान श शाली ह. अ न द (अ छे ) काय करने वाल के लए पृ वी पर कट ए. ह व प ंचाने के अपने े काम से वे वग म रहने लगे. (७) अध मो अध वा दवो बृहतो रोचनाद ध. अया वध व त वा गरा ममा जाता सु तो पृण.. (८) हे अ न! आप उ म य के आधार ह. आप वगलोक एवं पृ वीलोक म अपनी आभा फैलाएं. आप हमारी तथा हमारे संबं धय क मनोकामनाएं पूरी क जए. (८) कायमानो वना वं य मातृरजग पः. न त े अ ने मृषे नवतनं यद् रे स हाभुवः.. (९) हे अ न! आप वन क इ छा करने वाले हो कर भी माता के समान जल के पास गए. आप का जाना हम से नह सहा गया. आप अ य हो कर भी हमारे आसपास कट हो जाते ह. (९) न वाम ने मनुदधे यो तजनाय श ते. द दे थ क व ऋतजात उ तो यं नम य त कृ यः.. (१०) हे अ न! मननशील मनु य आप को धारण करते ह. अनंत काल से मानव जा त के लए आप का काश का शत है. आप ानी ऋ षय के आ म म का शत होते ह. जाप त ने यजमान के लए आप को दे व य थान म था पत कया. हम सब आप को नम कार करते ह. (१०)
छठा खंड दे वो वो वणोदाः पूणा वव ् वा सचम्. उ ा स वमुप वा पृण वमा द ो दे व ओहते.. (१) अ न धन दे ने वाले ह. इस लए हे होताओ! य
म अ छ तरह भरे ए
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ुक (एक
पा ) से बारबार आ त दो. सोमरस से पा को स चो. इस तरह अ न आ त प ंचा कर यजमान क मनोकामनाएं पूरी करते ह. (१) ै ु त ण प तः दे ेतु सूनृता. अ छा वीरं नय पङ् राधसं दे वा य ं नय तु नः.. (२) हम ण प त दे वता ा त ह (यानी हमारे पास प ंच). स य और य दे वी एवं वाग् दे वता (वाणी के दे वता) हम ा त ह . सभी दे वगण हमारे श ु का नाश कर. क याणकारी यश दे ने वाले वीर को सब दे वता े माग से ले जाएं. (२) ऊ व ऊ षु ण ऊतये त ा दे वो न स वता. ऊ व वाज य स नता यद भवाघ व यामहे.. (३) हे अ न! हमारे संर ण के लए आप ऊंचे आसन पर वरा जए. सूय के समान उ त हो कर हम अ आ द दान क जए. हम इसी लए अ छे तो से तु त करते ए आप को आमं त करते ह. (३) यो राये ननीष त मत य ते वसो दाशत्. स वीरं ध े अ न उ थश सनं मना सह पो षणम् .. (४) हे अ न! आप ापक ह. हम आप के भ धन के लए आप को स करना चाहते ह. जो मनु य आप को ह व दान करता है, वह तु त करने वाले हजार मनु य का पालनपोषण करने वाले वीर पु को ा त करता है. (४) वो य ं पु णां वशां दे वयतीनाम्. अ न सू े भवचो भवृणीमहे य
स मद य इ धते.. (५)
हे अ न! आप मनु य म दे व व का वकास करने वाले ह. हम अपनी तु तय से आप क महानता का वणन करते ह. हे अ न! आप को अ य ऋ षय ने भी अ छ तरह द त ( स ) कया है. (५) अयम नः सुवीय येशे ह सौभाग य. राय ईशे वप य य गोमत ईशे वृ हथानाम्.. (६) अ न संप और सौभा य के ईश ह. वे गौ आ द पशु के वामी ह. संतान और धन के वामी ह. श ु का नाश करने वाल के भी वामी ह. (६) वम ने गृहप त व होता नो अ वरे. वं पोता व वार चेता य या स च वायम्.. (७) हे अ न! आप घर के वामी ह. हमारे हसा र हत य के होता (पुरो हत) ह. आप क आराधना सभी कर सकते ह. आप प व करने वाले ह. आप े ह व का य क जए. हम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
धना द (सुख) दान क जए. (७) सखाय वा ववृमहे दे वं मतास ऊतये. अपां नपात सुभग सुद सम
सु तू तमनेहसम्.. (८)
हे अ न! आप हमारे सखा ह. आप े कम करने वाले ह. मनु य क शी इ छा पू त करते ह. आप धन के वामी व जल को धारण करने वाले ह. हम समान बु वाले सभी साधक आप से अपने संर ण क ाथना करते ह. (८)
सातवां खंड आ जुहोता ह वषा मजय वं न होतारं गृहप त द ध वम्. इड पदे नमसा रातह सपयता यजतं प यानाम्.. (१) हे ऋ वजो (यजमानो)! आप अ न दे व को आमं त क जए. आप सब ओर शु ता फैलाने वाली ह व अ न दे व को दान क जए. गृहप त गृह क र ा करने वाली अ न क थापना कर. हवन क चीज के साथसाथ आप तु त कर के उन का वागतस कार कर. (१) च इ छशो त ण य व थो न यो मातराव वे त धातवे. अनूधा यदजीजनदधा चदा वव स ो म ह यां ३ चरन्.. (२) हे अ न! बाल एवं त ण (युवा) प आप का ह व प ंचाना ब त आ य वाला है. आप पैदा होने के बाद ध पीने के लए अपनी दोन ही माता (पृ वी और अर णय ) के पास नह जाते, ब क अ छे त क भू मका नभाते ए दे वता के पास ह व प ंचाने जाते ह. (२) इदं त एकं पर ऊ त एकं तृतीयेन यो तषा सं वश व. संवेशन त वे ३ चा रे ध यो दे वानां परमे ज न े.. (३) हे मृ यु धम वाले मनु य! अ न तु हारा एक भाग है. वायु तु हारा सरा भाग (शरीर) है. सूय प तीसरे भाग (तेज) से तुम मलते हो. उन से मु हो कर मुन य तेज वी प ा त करता है. अथात् मनु य को पावन थान म ज म ले कर दे व श य के लए य तथा े बनना चा हए. ( पछले मं म मृ यु के बाद पुनः कृ त म मलने क या बताई है). (३) इम तोममहते जातवेदसे रथ मव सं महेमा मनीषया. भ ा ह नः म तर य स स ने स ये मा रषामा वयं तव.. (४) हे अ न! आप सब कुछ जानने वाले ह. हम तो प को रथ के समान उ म बु तैयार करते ह. हे अ न! हम आप के म ह. हम कसी कार का कोई क न हो. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से
मूधानं दवो अर त पृ थ ा वै ानरमृत आ जातम नम्. कव स ाजम त थ जनानामास ः पा ं जनय त दे वाः.. (५) हे अ न! आप सब से ऊपर (सव प र) ह. आप वगलोक के वासी ह. आप भूलोक के वामी ह. आप य म उ प ह. आप ानी मनु य म मेहमान क तरह पूजनीय ह. मुख क तरह मु य ह. आप को दे वता ने उ प कया है. (५) व वदापो न पवत य पृ ा थे भर ने जनय त दे वाः. तं वा गरः सु ु तयो वाजय या ज न गववाहो ज युर ाः.. (६) हे अ न! जैसे पवत के ऊपरी भाग से जल उ प होता है, वैसे ही व ान् यजमान आप को अपनी तु तय से कट करते ह. जैसे घोड़े यु म वजय पाते ह, वैसे ही आप हमारी तु तय से संचा लत होते ह. इस से हम वजय (कामना स ) मलती है. (६) आ वो राजानम वर य अ नं पुरा तन य नोर च ा
होतार स ययज रोद योः. र य पमवसे कृणु वम्.. (७)
हे अ न! आप य के वामी ह. आप दे वता को बुलाने वाले ह. आप श ु को लाने वाले ह. आप वगलोक तथा पृ वीलोक के अ दाता ह. आप आनंद एवं स य प को ा त कराने वाले ह. आप वण के समान चमक वाले ह. ऐसे व प वाले अ न को वाभा वक प से व ुत् से पहले संर ण के लए उ प कया है. (७) इ धे राजा समय नमो भय य तीकमा तं घृतेन. नरो ह े भरीडते सबाध आ नर मुषसामशो च.. (८) हे अ न! आप े ह. आप राजा ह. आप को अ से व लत कया जाता है. आप को घी से बढ़ाया जाता है. सभी मल कर हवन से आप क पूजा करते ह. इस कार अ न उषा काल के पूव (यानी माता के गभ से ही) उ प ए ह. (८) केतुना बृहता या य नरा रोदसी वृषभो रोरवी त. दव द ता पमामुदानडपामुप थे म हषो ववध.. (९) हे अ न! आप महान काश के साथ कट होते ह. वगलोक और पृ वीलोक म बलवान हो कर गजना करते ह. बजली के गजन और जल मेघ के बीच बढ़ते ह. (९) अ नं नरो द ध त भरर योह त युतं जनयत श तम्. रे शं गृहप तमथ ुम्.. (१०) हे अ न! आप शंसा के यो य ह. आप र से दखाई दे ते ह. आप घर के र क ह. यजमान ने अ न को अर ण मथ कर कट कया. (यानी अंगु लय म अर णय को पकड़ कर, घस कर कट कया है). (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आठवां खंड अबो य नः स मधा जनानां त धेनु मवायतीमुषासम्. य ा इव वयामु जहानाः भानवः स ते नाकम छ.. (१) हे अ न! आप यजमान क ा से व लत ह. जैसे अ नहो (सुबह य करने वाले) के लए पाली ई गाय ातःकाल उठ जाती है, वैसे ही ातःकाल आप व लत होते ह ( कए जाते ह). पेड़ क फैली ई शाखा के समान आप क करण भी र र तक फैलती ह. (१) भूजय तं महां वपोधां मूरैरमूरं पुरां दमाणम्. नय तं गी भवना धयं धा ह र म ुं न वमणा धन चम्.. (२) हे अ न! आप रा स को जीतने वाले ह. आप व ान को धारण करने वाले ह. मूख के आ य ( थान) का नाश करने वाले ह. आप तु त करने वाले को ऐ य दे ने वाले ह. आप कवच के समान र ा करने वाले ह. आप सुनहरी वाला वाले ह. हे मनु य! तुम ऐसे अ न क आराधना करो. (२) शु ं ते अ य जतं ते अ य षु पे अहनी ौ रवा स. व ा ह माया अव स वधाव भ ा ते पूष ह रा तर तु.. (३) हे पूषा! आप का तेज वी रंग वाला दन अलग है. उसी तरह काले रंग वाली रा अलग है. आप क म हमा से ये अलगअलग रंग वाले भाग एक ही दनरात के ह. आप पोषण करने वाले ह. आप सारे जग क र ा करने वाले ह. आप क याण करने वाले ह. आप हमारा क याण कर. (३) इडाम ने पु द स स न गोः श म हवमानाय साध. या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (४) हे अ न! आप अनेक काम म उपयोगी सुम त हम द जए. आप गाय को दे ने वाली तु त हम द जए. आप हम पु पौ दान क जए. आप उ म बु वाले ह. कृपया भली कार आराधना करने वाले यजमान को ये सब दान क जए. (४) होता जातो महा भो व ष ृ ा सीददपां ववत. दध ो धायी सुते वया स य ता वसू न वधते तनूपाः.. (५) हे अ न! आप सभी घर म मौजूद रहते ह. आप बादल के बीच बजली के प म रहते ह. इस समय आप य म मौजूद ह. आप महान ह. आप अंत र को जानने वाले ह. ह व को धारण करने वाले ह. आप हम अ , धन व संर ण दान क जए. (५) स ाजमसुर य श तं पु
सः कृ ीनामनुमा
य.
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इ
येव
तवस कृता न व द ारा व दमाना वव ु .. (६)
हे अ न! आप बलवान और वीर मनु य के तु त यो य ह. आप बल म इं के समान ह. आप के इस शंसनीय व प क तु त करते ह. हे यजमान! तु त और आराधना से अ न क उपासना करो. (६) अर यो न हतो जातवेदा गभ इवे सुभृतो ग भणी भः. दवे दव ई ो जागृव ह व म मनु ये भर नः.. (७) हे अ न! आप सब कार के ान वाले ह. आप अ छ तरह गभ धारण करने वाली ी के समान अर णय ारा धारण कए जाते ह. य के लए जाग क रहने वाले यजमान ारा त दन आप वंदनीय ह. (७) सनाद ने मृण स यातुधाना वा र ा स पृतनासु ज युः. अनु दह सहमूरा कयादो मा ते हे या मु त दै ायाः.. (८) हे अ न! आप हमेशा श ु को बाधा दे ने वाले ह. आप को यु म रा स नह जीत सकते. आप मांस खाने वाले रा स को अपने तेज से भ म कर द जए. आप के इस ह थयार से कोई श ु न बचे. (८)
नौवां खंड अ न ओ ज मा भर ु नम म यम गो. नो राये पनीयसे र स वाजाय प थाम्.. (१) हे अ न! आप हम खूब बल तथा धन द जए. आप बेरोकटोक ग त वाले ह. धन का माग हम दखाइए. आप अ और बल वाला माग हम दखाइए. (१) य द वीरो अनु याद न म धीत म यः. आजु मानुषक् शम भ ीत दै म्.. (२) हे अ न! मनु य वीर पु को पाने के लए आप को व लत करे. हवन के पदाथ से सदा हवन करे. आप क कृपा से सदा परम सुख ा त करे. (२) वेष ते धूम ऋ व त द व स छु आततः. सूरो न ह ुता वं कृपा पावक रोचसे.. (३) हे अ न! व लत होने के बाद आप का धुआं आकाश म फैलता है. बादल प म बदल जाता है. आप प व करने वाले ह. तु त के भाव से आप सूय के समान का शत होते ह. (३) व
ह ैतव शो ऽ ने म ो न प यसे.
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वं वचषणे वो वसो पु
न पु य स.. (४)
हे अ न! न य ही आप सूखी स मधा प म अ को हण करते ह. आप उसे (अ को) ब त यादा मा ा म बढ़ाते ह (पु करते ह). आप सूय के समान तेज वी ह. आप सभी को शरण (आ य) दे ने वाले व सब कुछ दे खने वाले ह. (४) ातर नः पु यो वश तवेता त थः. व े य म म य ह ं मतास इ धते.. (५) हे अ न! आप अनेक लोग को य लगने वाले ह. आप यजमान के घर धन था पत करने वाले ह. आप यजमान के घर मेहमान के समान आने वाले ह. आप ातःकाल तु त कए जाने वाले ह. आप अमर ह. सभी मनु य आप को प व हवन साम ी दान कर. (५) य ा ह ं तद नये बृहदच वभावसो. म हषीव व य व ाजा उद रते.. (६) हे अ न! शी प ंचने वाले तो से हम आप क आराधना करते ह. आप तेज वी ह. हम ब त सा अ और धन दान क जए य क आप ही से ब त सा धन और अ ा त होता है. (६) वशो वशो वो अ त थ वाजय तः पु यम्. अ नं वो य वचः तुषे शूष य म म भः.. (७) हे यजमानो! आप अ और बल क इ छा करते ए अ न क तु त करो. वे सब के य व पूजनीय ह. हे अ न! हम गृहप त आप क सुखदायी तो से आराधना करते ह. (७) बृह यो ह भानवे ऽ चा दे वाया नये. यं म ं न श तये मतासो द धरे पुरः.. (८) हे अ न! आप तेज वी ह. आप के लए ब त सा ह व का अ दया जाता है. हम काश वाले आप क पूजा करते ह. हम आप को म के समान मानते ह. हम उ म तु त करने के लए आप को आगे कर के था पत करते ह. (८) अग म वृ ह तमं ये म नमानवम्. यः म ुतव ा बृहदनीक इ यते.. (९) हे अ न! आप पाप का नाश करने वाले व शंसनीय मनु य के हतकारी ह. ऋ पु ुतवा के लए हम बड़ीबड़ी वाला के साथ आप को कट करते ह. (९) जातः परेण धमणा य सवृ ः सहाभुवः. पता य क यप या नः ा माता मनुः क वः.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शु
हे अ न! क यप आप के पता और कए गए य म कट होते ह. (१०)
ा माता ह. मनु क व ह. आप
े कम
ारा
दसवां खंड सोम राजानं व णम नम वारभामहे. आ द यं व णु सूय ाणं च बृह प तम्.. (१) हम सोम, राजा, व ण, अ न, अ द त के पु , व णु, सूय एवं ा को बारबार याद करते ए आमं त करते ह. अथात् इन सभी दे वता को तु तय से आमं त करते ह. (१) इत एत उदा ह दवः पृ ा या हन्. भूजयो यथा पथोद् ाम रसो ययुः.. (२) य करने वाले आं गरस ऋ ष वगलोक को प ंचे. उसी के भाव से और भी ऊपर गए. (२) राये अ ने महे वा दानाय स मधीम ह. ई ड वा ह महे वृषं ावा हो ाय पृ थवी.. (३) हे अ न! हम ब त धन दान के लए आप को द त करते ह. आप वरदान क वषा करने वाले ह. महान य के लए वगलोक और पृ वीलोक क तु त करते ह. (३) दध वे वा यद मनु वोचद् प र व ा न का ा ने म
े त वे तत्. मवाभुवत्.. (४)
हे अ न! आप को संबो धत कर के अ वयु आ द पुरो हत तो उचारते ह. आप सब कुछ जानते ह. आप सब कम को वैसे ही वश म रखते ह, जैसे प हए गाड़ी को. (४) य ने हरसा हरः शृणा ह व त प र. यातुधान य र सो बलं यु जवीयम्.. (५) हे अ न! आप अपने तेज से यातना दे ने वाले रा स को सब ओर ( कार) से न कर द जए. (५) वम ने वसू रह ाँ आ द याँ उत. यजा व वरं जनं मनुजातं घृत ुषम्.. (६) हे अ न! आप यहां वसु, एवं आ द य दे वता के लए य क जए. आप उ म य करने वाले, घी से स चने वाले, मनु से उ प ए मनु य का स कार (मनोकामना स ारा) क जए. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यारहवां खंड पु वा दा शवाँ वोचे ऽ रर ने तव वदा. तोद येव शरण आ मह य.. (१) हे अ न! आप को ब त सी ह व दान करते ए म उसी तरह आप क शरण म आया ं, जैसे ब त धनवान क शरण म सेवक आते ह. (१) हो े पू वचो ऽ नये भरता बृहत्. वपां योती ष ब ते न वेधसे.. (२) हे तु त करने वालो! अ न ा नय के तेज को धारण करने वाले ह. वधाता आ द दे व को बुलाने वाले ह. आप इन के लए महान और ाचीन तो का पाठ क जए. (२) अ ने वाज य गोमत ईशानः सहसो यहो. अ मे दे ह जातवेदो म ह वः.. (३) हे अ न! आप बल से उ प सा अ धन द जए. (३)
ए ह. आप अ के वामी व अंतयामी ह. आप हम ब त
अ ने य ज ो अ वरे दे वां दे वयते यज. होता म ो व राज य त धः.. (४) हे अ न! आप य म पूजनीय ह. यजमान के लए दे वता को बुलाने वाले आप श ु को हरा कर शोभायमान होते ह. (४) ज ानः स त मातृ भमधामाशासत अयं ुवो रयीणां चकेतदा.. (५)
का यजन क जए. दे व
ये.
हे अ न! आप सात माता क सहायता से उ प होने वाले ह. आप सोम को सेवा काय म शो भत करते ह ( े रत करते ह). सोम कम का वधान करने वाले ह. आप धनसंपदा को अ छ तरह जानने वाले ह. (५) उत या नो दवा म तर द त
यागमत्. सा श ताता मय करदप
धः.. (६)
हे अ द त! आप तु त के यो य ह. आप अपने पूरे र ा साधन के साथ हमारे पास पधार. हम सुखशां त दान कर. हमारे श ु को र कर. (६) ई ड वा ह ती ां ३ यज व जातवेदसम्. च र णुधूममगृभीतशो चषम्.. (७) हे तु त करने वालो! श ु को भ म करने (हराने) वाले अ न क तु त करो. इन का धुआं सब ओर घूम सकता है. इन के काश को कोई नह रोक सकता. ये सब कुछ जानने वाले ह. आप ह व से इन क आराधना क जए. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
न त य मायया च न रपुरीशीत म यः. यो अ नये ददाश ह दातये.. (८) हे अ न! जो आप के लए ह व पदाथ दे ता है, उस पर कभी भी कसी छलकपट का असर नह होता है. (८) अप यं वृ जन
रपु
(श ु) के
तेनम ने रा यम्. द व म य स पते कृधी सुगम्.. (९)
हे अ न! आप छलीकपट श ु को ब त र फक द जए. आप स य के पालनहार ह. हमारे लए सुखशां त का माग सुगम बनाइए. (९) ु
ने नव य मे तोम य वीर व पते. न मा यन तपसा र सो दह.. (१०)
हे अ न! आप वीर ह. हमारी इन नई ाथना को सुन कर छली, अपने ताप से भ म क जए. रा स हमारे कम म व न डालते ह. (१०)
रा स को
बारहवां खंड म
ह ाय गायत ऋता ने बृहते शु शो चषे. उप तुतासो अ नये.. (१)
हे तु त करने वालो! अ न य व स य के पालनहार ह. वे महान तेज वाले ह. आप ऐसे महान र क अ न क तु त क जए. (१) सो अ ने तवो त भः सुवीरा भ तर त वाजकम भः. यय व स यमा वथ.. (२) हे अ न! आप जन यजमान के म हो जाते ह, वे अ बल क र ा करने वाली े संतान ा त करते ह. (२) तं गूधया वणरं दे वासो दे वमर त दध वरे. दे व ा ह मू हषे.. (३) हे तु त करने वालो! वग म दे वता तक ह व प ंचाने वाले अ न क तु त करो. आप जस दे वता को इ मान कर पूजते ह, आप क ह व अ न उस दे वता तक प ंचा दे ते ह. (३) मा नो णीथा अ त थ वसुर नः पु
श त एषः. यः सुहोता व वरः.. (४)
अ न य म मेहमान क तरह ह. उ ह य से र मत ले जाओ. वे दे वता को बुलाने वाले ह. वे सुखशां त दे ने वाले ह. वे अनेक लोग ारा पू जत व सब को बसाने वाले ह. (४) भ ो नो अ नरा तो भ ा रा तः सुभग भ ो अ वरः. भ ा उत श तयः.. (५) हे अ न! आप को ह वय से तृ त कया है. आप हमारा क याण क जए. आप ऐ यशाली ह. हम शुभ धन दान क जए. हम क याणकारी य ा त कराइए. हमारी ाथनाएं हमारे लए मंगलमयी ह . (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ज ं वा ववृमहे दे वं दे व ा होतारमम यम्. अ य य
य सु तुम्.. (६)
हे अ न! आप दे व म े ह. आप े य कराने वाले ह. आप अमर ह. इस य को अ छ तरह पूरा करने वाले ह. हम आप क तु त करते ह. (६) तद ने ु नमा भर य सासाह सदने कं चद णम्. म युं जन य
म्.. (७)
हे अ न! आप हम तेज वी बनाइए. आप हम यश दान क जए. य म व न प ंचाने वाले को हम वश म कर सक. उन का तर कार कर सक. आप बु वाले लोग क बु ठ क क जए. आप उन के ोध को र क जए. (७) य ा उ व प तः शतः सु ीतो मनुषो वशे. व द े नः त र ा स सेध त.. (८) हे अ न! आप यजमान के पालनहार ह. ह वय से तृ त और स होने पर आप जब तक मनु य के घर रहते ह तब तक उन के सभी क र करते ह. यह बात जग स है. (८)
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पव सरा अ याय पहला खंड त ो गाय सुते सचा पु
ताय स वने. शं यद्गवे न शा कने.. (१)
हे तु त करने वालो! सोम तैयार करने के बाद ब त से यजमान जन क तु त करते ह जो धन दाता ह, तुम उन इं के लए ाथना करो. वे ाथनाएं उ ह उसी कार सुख दे ती ह, जस कार गाय को घास. (१) य ते नून
शत त व
ु नतमो मदः. तेन नूनं मदे मदे ः.. (२)
हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले ह अथवा आप सैकड़ कार का ान रखने वाले ह. वह सोमरस हम ने आप ही के लए नकाला था. आप उस रस को पी कर आनं दत होइए और हम भी आनंद दान क जए. (२) गाव उप वदावटे मही य
य र सुदा. उभा कणा हर यया.. (३)
हे गौओ! आप य थान क ओर जाइए. आप धा मक य दान क जए. आप के दोन कान वण से सुशो भत ह. (३) अरम ाय गायत ुतक ारं गवे. अर म
वधा
के लए ध आ द
य धा ने.. (४)
हे तु त करने वालो! इं के घोड़े, गाय व इं धाम के लए पूरी तरह वै दक तु तयां गाइए. (४) त म ं वाजयाम स महे वृ ाय ह तवे. स वृषा वृषभो भुवत्.. (५) हे इं ! आप उस बड़े रा स (वृ ासुर) को मारने वाले ह. आप व के समान बलवान ह. हम अपनी सहायता के लए आप को आमं त करते ह. आप धन दाता ह. हम धन दान क जए. (५) वम
बलाद ध सहसो जात ओजसः. व
स वृष वृषेद स.. (६)
हे इं ! आप श ु को हराने वाले ह. आप बल और दय के धैय के कारण आप वरदान तथा मनोवां छत फल को दे ने वाले ह. (६) य इ मवधय म वतयत्. च ाण ओपशं द व.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स
ह.
हे इं ! अंत र म मेघ को फैला कर आप ने बरसात आ द से पृ वी को बढ़ाया (समृ कया). हम यजमान के य ने आप का यश बढ़ाया है. (७) य द ाहं यथा वमीशीय व व एक इत्. तोता मे गोसखा यात्.. (८) हे इं ! जैसे आप अकेले सम त वैभव के वामी ह, य द वैसे ही म भी सारे वैभव का वामी हो जाऊं तो मेरी तु त करने वाले गौ आ द धनधा य वाले हो जाएं. (८) प यंप य म सोतार आ धावत म ाय. सोमं वीराय शूराय.. (९) सोमरस नकालने वाले पुरो हतो! आप शूरवीर इं के लए सोमरस अ पत क जए. यह सोमरस सव शंसा के यो य है. (९) इदं वसो सुतम धः पबा सुपूणमुदरम्. अनाभ य रमा ते.. (१०) हे इं ! आप अंतयामी ह. यह सोमरस ली जए. अपनी स ता के लए इसे पी जए, जस से आप का पेट पूरी तरह भर जाए. आप सब ओर से नभय ह. (१०)
सरा खंड उद्घेद भ ुतामघं वृषभं नयापसम्. अ तारमे ष सूय.. (१) उद यमान इं (सूय प म) े वीर, धन दे ने वाले व मनु य के हतकारी ह. वे उदार वभाव के ह और (श ु पर) श हार करने वाले ह. (१) यद क च वृ ह ुदगा अ भ सूय. सव त द
ते वशे.. (२)
हे इं ! आप जल रोकने वाले मेघ को न करते ह. अभी उ दत ए आप से सब कुछ का शत हो रहा है. सब कुछ आप के अधीन है. (२) य आनय परावतः सुनीती तुवशं य म्. इ ः स नो युवा सखा.. (३) हे इं ! तुवश और य को श ु ने र फक दया था, आप अपनी फर पास लौटा लाए. आप युवा ह. आप हमारे म हो जाइए. (३)
े नी त से उ ह
मा न इ ा या ३ दशः सूरो अ ु वा यमत्. वा युजा वनेम तत्.. (४) हे इं ! रा स चार ओर से श बरसाने वाले व सब ओर वचरण करने वाले ह. आप कृपा क जए जस से ऐसे रा स हमारी ओर न आ सक. आप क सहायता से हम ऐसे रा स को न कर सक. (४) ए
सान स
रय
स ज वान
सदासहम्. व ष मूतये भर.. (५)
हे इं ! आप हमारे संर ण के लए, भोग के लए तथा श ु हम ब त सा धन द जए. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पर वजय पाने के लए
इ ं वयं महाधन इ मभ हवामहे. युजं वृ ेषु व
णम्.. (६)
हे इं ! हम थोड़ा धन होने पर भी ब त धन वाले आप को बुलाते ह. हम छोट बड़ी सभी वप य से र ा करने वाले तथा श ु का नाश करने म सहायक आप को आमं त करते ह. (६) अ पब क वः सुत म ः सह बा े . त ाद द पौ
यम्.. (७)
हे इं ! आप ने क से नकाले ए सोमरस को पीया. आप ने हजार भुजा को मारा. आप क वीरता उसी समय का शत ई. (७) वय म
वायवो ऽ भ
नोनुमो वृषन्. व
वाले श ु
वा ३ य नो वसो.. (८)
हे इं ! आप कामना क वषा करने वाले ह. हम आप क कामना करते ह. आप क ओर मुंह कर के बारबार णाम करते ह. आप सव ापक ह. आप हमारे तो (क भावना) को समझ ली जए. (८) आ घा ये अ न म धते तृण त ब हरानुषक्. येषा म ो युवा सखा.. (९) चर युवा इं े अ न को व लत करने वाले यजमान के म ह. य करने वाले उन के लए कुश का आसन बछाते ह. (९) भ ध व ा अप
षः प र बाधो जही मृधः. वसु पाह तदा भर.. (१०)
हे इं ! आप े ष करने वाले सारे श ु का नाश क जए. व न डालने वाले श ु को हराइए. हम यश दे ने वाला भरपूर धन दान क जए. (१०)
तीसरा खंड इहेव शृ व एषां कशा ह तेषु य दान्. न यामं च मृ
ते.. (१)
म द्गण के हाथ म चाबुक है. उन चाबुक से जो आवाज होती है, वह हम सुनाई दे ती है. ये आवाज ( व नयां) यु म अनेक कार क वीरता द शत करती ह. (१) इम उ वा व च ते सखाय इ
सो मनः. पु ाव तो यथा पशुम्.. (२)
हे इं ! यजमान हाथ म सोमरस ले कर आप क ओर उसी तरह एका च हो कर दे ख रहे ह, जैसे पशु पालक घास हाथ म ले कर ेम भाव से पशु क ओर दे खता है. (२) सम य म यवे वशो व ा नम त कृ यः. समु ायेव स धवः.. (३) हे इं ! सारी जा (जनता) न तापूवक वैसे ही आक षत हो रही है, जैसे समु क ओर जाने वाली न दयां. (३) दे वाना मदवो मह दा वृणीमहे वयम्. वृ णाम म यमूतये.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे दे वताओ! आप का संर ण पूजनीय व महान है. आप सारी इ छा को पूरा करते ह. यह संर ण हमारे लए धन प है. हम अपने संर ण के लए आप से चार ओर से (सब ओर से) ाथना करते ह. (४) सोमाना
वरणं कृणु ह
ण पते. क ीव तं य औ शजः.. (५)
हे ण प त! आप सोम य करने वाले उ शज के पु क ीवान को का शत करने क कृपा क जए. (५) बोध मना इद तु नो वृ हा भूयासु तः. शृणोतु श
आ शषम्.. (६)
हे इं ! आप वृ नामक रा स को मारने वाले ह. आप के लए ब त से लोग सोमरस तैयार करते ह. आप हमेशा हमारे मनोरथ को जानने वाले ह. आप यु म श ु का नाश करने वाले ह. आप साम यवान ह. कृपया आप हमारी तु त सु नए. (६) अ ा नो दे व स वतः जाव सावीः सौभगम्. परा ः व य हे सूय! आप हम पु पौ स हत धन ःखदायी है. आप उसे र क जए. (७) व ३ य वृषभो युवा तु व ीवो अनानतः.
सुव.. (७)
दान क जए. गरीबी बुरे सपने क तरह ाक त
सपय त.. (८)
हे इं ! आप समथ व युवा ह. आप इ छाएं पूरी करने वाले ह. आप बलवान ह. आप कसी के सामने झुकने वाले नह ह. आप कहां ह? इस समय कौन ानी आप क पूजा कर रहा है? (८) उप रे गरीणा इं
स मे च नद नाम्. धया व ो अजायत.. (९)
पवत पर और न दय के संगम पर बु कट होते ह. (९) सं ाजं चषणीना म
से क
ई ाथना को सुनने के लए बु
तोता न ं गी भः. नरं नृषाहं म
मान
ह म्.. (१०)
मनु य म इं भली कार का शत ह. वे तु त करने यो य ह. श ु ह. हम उन महान इं क तु त करते ह. (१०)
को जीतने वाले
चौथा खंड अपा
श य धसः सुद
य हो षणः. इ दो र ो यवा शरः.. (१)
हे इं ! आप सुंदर ठोड़ी वाले और सुंदर मुकुट धारण करने वाले ह. यजमान ह व दे ने म वशेष कुशल ह. आप ने ध और जौ से बनाए ए सोमरस को हण कया. (१) इमा उ वा पु वसो ऽ भ
नोनुवु गरः. गावो व सं न धेनवः.. (२)
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हे इं ! आप अनेक कार के वैभव वाले ह. हमारी तु तयां बारबार आप के पास उसी तरह आना चाहती ह, जैसे ध वाली गाएं बारबार बछड़ क ओर आती ह. (२) अ ाह गोरम वत नाम व ु रपी यम्. इ था च मसो गृहे.. (३) ग तमान चं मंडल म सूय का द तेज है, ऐसा व ान् मानते ह अथात् सूय के छप जाने पर उ ह के काश से चं मा का शत होता है. (३) य द ो अनय तो महीरपो वृष तमः. त पूषाभुव सचा.. (४) हे इं ! आप ब त बरसात के प म जल वा हत करते ह, इस लोक तक प ंचाते ह तब पूषा दे वता आप के सहायक होते ह. वे पोषण करने म समथ दे वता ह. (४) गौधय त म ता
व युमाता मघोनाम्. यु ा व
रथानाम्.. (५)
पृ वी माता धनसंप ह. वे म त के रथ म जुड़ी ई ह. वे सब ओर पू जत ह. वे अ आ द उ प कर के अपने पु का पालनपोषण करती ह. (५) उप नो ह र भः सुतं या ह मदानां पते. उप नो ह र भः सुतम्.. (६) हे इं ! आप सोम के वामी ह. हम ने आप के लए सोमरस नचोड़ कर रखा है. आप अपने हजार घोड़ से (स हत या मा यम से) हमारे इस य म पधा रए. आप ज द और बारबार पधा रए. (६) इ ा हो ा असृ ते ं वृध तो अ वरे. अ छावभृथमोजसा.. (७) हे इं ! हम यजमान बारबार आप क तु त करते ह. हम अपने तेज से य ख म होने पर होने वाले नान तक बारबार आप के लए आ त दान करते ह. (७) अह म
पतु प र मेधामृत य ज ह. अह
सूय इवाज न.. (८)
हे इं ! आप पालनकता ह. हम ने आप क बु को अपनी ओर आक षत कर लया है. यानी हम ने आप क कृपा ा त कर ली है. अब हम सूय दे व के समान का शत हो गए ह. (८) रेवतीनः सधमाद इ े स तु तु ववाजाः. ुम तो या भमदे म.. (९) हे इं ! आप क कृपा से हम धनधा य संप हो कर स हो जाते ह. हमारी गाय पर भी आप क कृपा हो. वे भी अ धक अ और ध दे ने वाली हो जाएं. (९) सोमः पूषा च चेततु व ासा
सु तीनाम्. दे व ा र यो हता.. (१०)
सोम और पूषा दे वता के रथ म वराजमान ह. वे इसी रथ म बैठने यो य ह. वे सभी मनु य का उ साह बढ़ाने वाले ह. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पांचवां खंड पा तमा वो अ धस इ म भ गायत. व ासाह शत तुं म ह ं चषणीनाम्.. (१) हे याजको (य करने वालो)! आप इं क वशेष तु त कर. वे श ु का नाश करने वाले ह. सैकड़ कम करने वाले ह. वे धन दाता ह. वे सोमरस का पान करने वाले ह. (१) व इ ाय मादन
हय ाय गायत. सखायः सोमपा ने.. (२)
हे साधको! इं ह र नामक घोड़े वाले ह. वे सोमरस पीने वाले ह. आप इन इं को स करने वाली ाथनाएं गाइए. (२) वयमु वा त ददथा इ
वाय तः सखायः. क वा उ थे भजर ते.. (३)
हे इं ! हम आप को अपना म बनाना चाहते ह. हम आप के म होना चाहते ह. हम क ववंशी ह. हम आप क तु त करना अपना कत मानते ह. हम आप क तु त कर रहे ह. (३) इ ाय म ने सुतं प र ोभ तु नो गरः. अकमच तु कारवः.. (४) हे इं ! आप स वभाव वाले ह. हम आप के लए नचोड़े गए सोमरस क तु त करते ह. य करने वाल से नवेदन है क सोमरस क तु त कर. सोमरस पूजा यो य है. (४) अयं त इ
सोमो नपूतो अ ध ब ह ष. एहीम य वा पब.. (५)
हे इं ! वेद के आसन पर आप के लए शु कर के सोमरस रखा आ है. आप इस थान पर शी पधा रए. आप इस सोमरस को हण क जए. (५) सु पकृ नुमूतये सु घा मव गो हे. जु म स
व व.. (६)
हे इं ! आप सुंदर काय करने वाले ह. हम आप को अपने संर ण के लए उसी कार बुलाते ह, जस कार अ छा ध दे ने वाली गाय को पुकारा जाता है. (६) अ भ वा वृषभा सुते सुत
सृजा म पीतये. तृ पा
ुही मदम्.. (७)
हे इं ! आप इ छा पूरी करने वाले ह. हम सोम य म पीने के लए आप को सोमरस अ पत कर रहे ह. आप आनंददायी सोमरस हण क जए. (७) यइ
चमसे वा सोम मूषु ते सुतः. पबेद य वमी शषे.. (८)
हे इं ! आप के लए सोमरस ‘चमस’ और ‘ ह’ नामक बरतन म रखा आ है. आप इसे अव य हण क जए. आप ब त साम य वाले ह. (८) योगेयोगे तव तरं वाजेवाजे हवामहे. सखाय इ मूतये.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! हम हर शुभ काम के शु म आप को आमं त करते ह. हर तरह के सं ाम (यु , क ) म आप को आमं त करते ह. हम अपने संर ण के लए म क तरह आप को आमं त करते ह. (९) आ वेता न षीदते म भ
गायत. सखायः तोमवाहसः.. (१०)
हे य करने वाले म ो! आप ज द ज द आओ. आ कर बैठ जाओ. आप हर कार से इं क तु त करो. (१०)
छठा खंड इद
वोजसा सुत
राधानां पते. पबा वा ३ य गवणः.. (१)
हे इं ! आप धन के वामी ह. आप ाथना करने यो य ह. हम ने ब त मेहनत से आप के लए सोमरस नचोड़ा है. आप चपूवक इसे हण क जए. (१) महाँ इ ः पुर नो म ह वम तु व
णे. ौन
थना शवः.. (२)
हे इं ! आप महान ह. आप के गुण े ह. आप व धारी ह. आप क क त वगलोक क तरह फैले. आप के बल क चार ओर शंसा हो. (२) आ तू न इ
ुम तं च ं ाभ
सं गृभाय. महाह ती द णेन.. (३)
हे इं ! आप बड़ेबड़े हाथ वाले ह. आप हमारे लए यशदायी धन दाएं हाथ म ली जए. वह धन ब त शंसनीय हो. कई लोग ारा लेने यो य हो. (३) अभ
गोप त गरे मच यथा वदे . सूनु
स य य स प तम्.. (४)
हे याजको! य वाले इं गौ के वामी ह. वे यजमान के पालनहार ह. वे य के पु व स य के र क ह. आप मन से उन क तु त क जए. (४) कया न
आ भुव ती सदावृधः सखा. कया श च या वृता.. (५)
हे इं ! आप सदा बढ़ने वाले ह. आप वल ण ह. आप कस कम, पूजा व ध और भट से हम पर कृपा करगे? आप कन द तेज से भर कर हमारे पास पधारगे? (५) यमु वः स ासाहं व ासु गी वायतम्. आ यावय यूतये.. (६) हे याजको! इं ब त से श ु का नाश करने वाले ह. सभी तु तय म इं का वणन है. आप अपने संर ण के लए उन का आ ान क जए. (६) सदस प त तं
यम
य का यम्. स न मेधामया सषम्.. (७)
हे इं ! आप अपूव, इ छत धन दे ने वाले और े ह. अपनी बु हम ने आप को ा त कया. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को बढ़ाने के लए
ये ते प था अधो दवो ये भ
मैरयः. उत ोष तु नो भुवः.. (८)
हे इं ! वगलोक म नीचे जो रा ता है, जस रा ते से आप पृ वी का संचालन करते ह, वह रा ता हमारे य थान तक प ंचता है. आप उस रा ते से हमारे य म पधार. (८) भ ं भ ं न आ भरेषमूज
शत तो. य द
मृडया स नः.. (९)
हे इं ! आप सैकड़ काम करने वाले ह. आप हम खूब सुखदायी धन व बलशाली बनाने वाला अ द जए. आप हम सुखी बनाने वाले ह. हे इं ! हम सुख द जए. (९) अ त सोमो अय सुतः पब य य म तः. उत वराजो अ ना.. (१०) हे इं ! हम ने साफ, छान कर यह सोमरस तैयार कया है. तेज वी म द्गण और अ नी दे वता इस सोमरस का पान करते ह. (१०)
सातवां खंड ईङ् खय तीरप युव इ ं जातमुपासते. व वानासः सुवीयम्.. (१) इं क माता उ म बल चाहने वाली ह. वे े काय करने क इ छु क ह. वे इं से वीरतापूण धन चाहती ह. वे कट ए इं क सेवा करती ह. (१) न क दे वा इनीम स न या योपयाम स. म
ु यं चराम स.. (२)
हे इं ! हम वेद मं के अनुसार आचरण करते ह. हम कसी को नुकसान नह प ंचाते ह. हम धम ( नयम) के व कोई काम नह करते ह. (२) दोषो आगाद् बृहद्गाय ुमद्गाम ाथवण. तु ह दे व
स वतारम्.. (३)
हे बृह साम का गायन करने वाले, काश वाले माग से जाने वाले अथववेद ा ण! आप य काय से जाने अनजाने होने वाले दोष को र करने के लए स वता दे वता क तु त क जए. (३) एषो उषा अपू ा
ु छत
या दवः. तुषे वाम ना बृहत्.. (४)
यह उषा अपूव और ब त स ता दे ने वाली है. यह वगलोक से आ कर अंधकार का नाश करती है. हे उषा के काय सहयोगी अ नीकुमारो! हम आप क वशेष तु त करते ह. (४) इ ो दधीचो अ थ भवृ ा य त कुतः. जघान नवतीनव.. (५) हे इं ! आप को कोई नह जीत सकता. आप ने दधी च क ह ड् डय से बने व न यानवे असुर का नाश कया. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से
इ े ह म य धसो व े भः सोमपव भः महाँ अ भ रोजसा.. (६) हे इं ! आप सोमरस के प म अ हण क जए व स होइए. हमारे यहां पधा रए. अपनी श से हम श मान बनाइए. श ु को जीतने क श द जए. (६) आ तू न इ
वृ ह
माकमधमा ग ह. महा मही भ
त भः.. (७)
हे इं ! आप श ुनाशक व ब त महान ह. आप हमारे पास ज द आइए. आप अपने र ा साधन के साथ शी हमारे यहां पधा रए. (७) ओज तद य त वष उभे य समवतयत्. इ
मव रोदसी.. (८)
हे इं ! आप का बल कट होने लगा है. आप वगलोक और पृ वी को चमड़े के समान फैला रहे ह. (८) अयमु ते समत स कपोत इव गभ धम्. वच त च ओहसे.. (९) हे इं ! सोमरस के पास आप उसी तरह बराबर बने रहते ह, जस तरह गभवती कबूतरी के साथ कबूतर बना रहता है. आप से नवेदन है क आप भी हमारी तु तय के साथ बने रह. (९) वात आ वातु भेषज
श भु मयोभु नो दे .
न आयू
ष ता रषत्.. (१०)
वायु हमारे पास शां त और सुखदायी ओष धयां प ंचाएं. ये ओष धयां हमारी आयु बढ़ाएं. (१०)
आठवां खंड य
र
त चेतसो व णो म ो अयमा. न कः स द यते जनः.. (१)
जस यजमान क र ा े ान वाले व ण, म तथा अयमा दे वता करते ह, उस यजमान का कोई बाल भी बांका नह कर सकता. (१) ग ो षु णो यथा पुरा योत रथया. व रव या महोनाम्.. (२) हे इं ! आप हमेशा क तरह गौ दे ने के लए पधा रए. (२) इमा त इ
का समूह, घोड़ का समूह और यशदायी धन वैभव
पृ यो घृतं हत आ शरम्. एनामृत य प युषीः.. (३)
हे इं ! आप क गौएं ब त सुंदर रंग वाली ह. ये स य और य को बढ़ाने वाली ह. ये हमारे लए घी दे ने वाले ध को टपकाती ह (दे ती ह). (३) अया धया च ग या पु णाम पु
ु त. य सोमेसोम आभुवः.. (४)
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हे इं ! आप अनेक नाम वाले ह. अनेक लोग आप क तु त करते ह. आप जहां पधारते ह, वहां हम गौ क इ छा से आप क ाथना करते ह. (४) पावकाः नः सर वती वाजे भवा जनीवती. य ं व ु धयावसुः.. (५) सर वती प व करने वाली, पोषण दे ने वाली व बु दे वी हमारे य को सफल बनाएं. (५) क इमं ना षी वा इ
से धन दे ने वाली ह. व ा क वे
सोम य तपयात्. स नो वसू या भरात्.. (६)
मनु य म ऐसी मता कहां, जो इं को तृ त कर सक? वे हमारे य म तृ त ह तथा हम धन दान कर. (६) आ या ह सुषुमा ह त इ
सोमं पबा इमम्. एदं ब हः सदो मम.. (७)
हे इं ! आप आइए. हम ने आप के लए सोमरस नकाला है. आप उसे पी जए. हम ने आप के लए कुश का आसन बछाया है. आप उस पर वराजमान होइए. (७) म ह ीणामवर तु ु ं म याय णः. राधष व ण य.. (८) इं , अयमा और व ण—इन तीन दे वता श ु को हरा सक. (८) वावतः पु वसो वय म
का तेज वी संर ण हम मले ता क हम
णेतः. म स थातहरीणाम्.. (९)
हे इं ! आप ब त धनवान, े कम करने वाले व ह र नामक घोड़े वाले ह. हमारी र ा क रए. हम आप के अपने ह. (९)
नौवां खंड उ वा म द तु सोमाः कृणु व राधो अ वः. अव
षो ज ह.. (१)
हे इं ! सोमरस आप को आनंद दे . हे व धारी इं ! आप हम पर धन बरसाइए. आप ा ण के े षय का नाश क जए. (१) गवणः पा ह नः सुतं मधोधारा भर यसे. इ
वादात म शः.. (२)
हे इं ! आप तु त करने यो य ह. आप हमारे छाने ए इस सोमरस को पी जए. आप को सोम क धारा से स चा जाता है. हम आप क कृपा से शु कया आ अ (धन) ा त होता है. (२) सदा व इ
कृषदा उपो नु स सपयन्. न दे वो वृतः शूर इ ः.. (३)
हे यजमानो! इं हमेशा आप के पास ह. वे पूजा कए जाने पर आप के य क ओर आते ह. हम ने महान इं का वरण कया है. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ वा वश व दवः समु मव स धवः. न वा म ा त र यते.. (४) हे इं ! जैसे न दयां समु म मलती ह, वैसे ही सोमरस आप म मलता है. आप से बढ़ कर कोई महान नह है. (४) इ
मद्गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (५)
सामगान गाते ए उद्गाता (साम गाने वाले पुरो हत) बृह साम गा कर इं को स करते ह. पूजा करने वाले मनु य तो से और हम यजमान मं के ारा उ ह स करते ह. (५) इ
इषे ददातु न ऋभु णमृभु
र यम्. वाजी ददातु वा जनम्.. (६)
हम जस इं क तु त कर रहे ह, वे हम े धन दान कर. इं हम उन ऋभु दे वता को दान कर, जो सोमरस पीने से अमर हो गए. बलवान इं ! हम बलवान छोटे भाई द ता क हम अ ा त कर सक. (६) इ ो अ मह यमभी षदप चु यवत्. स ह थरो वचष णः.. (७) हे इं ! आप थर ह. आप सारे संसार को दे खने वाले व ानी ह. आप शी ही भय को र करने वाले तो ह ही, साथ ही भय को हमेशा के लए हटा दे ते ह. (७) इमा उ वा सुतेसुते न
ते गवणो गरः. गावो व सं न धेनवः.. (८)
हे इं ! आप ऋचा (मं ) से तु त करने यो य ह. येक य म हमारी ाथनाएं आप के पास वैसे ही ज द प च ं ती ह, जैसे धा गाएं अपने बछड़ के पास प ंचती ह. (८) इ ा नु पूषणा वय
स याय व तये. वेम वाजसातये.. (९)
इं और पूषा दे वता को अपने क याण के लए बुलाते ह. हम म ता के लए उ ह बुलाते ह. हम अ व जल क ा त के लए इन दोन दे वता को बुलाते ह. (९) न कइ
व
रं न यायो अ त वृ हन्. न येवं यथा वम्.. (१०)
हे इं ! आप वृ नामक असुर को मारने वाले ह. इं लोक म भी आप से े कोई नह है. आप जैसा महान कोई सरा नह है. (१०)
दसवां खंड तर ण वो जनानां दं वाज य गोमतः. समानमु
श
सषम्.. (१)
हे यजमानो! इं हमारा बेड़ा पार लगाने वाले ह. वे हमारे श ु को भय दखाने वाले ह. वे पशु धन दे ने वाले ह. वे अ धन दे ने वाले ह. म उन क सदा तु त करता ं. (१) असृ म द ते गरः त वामुदहासत. सजोषा वृषभं प तम्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप के लए हम ने तु तयां रची ह. आप बलशाली ह. सब का पालनपोषण करने वाले ह. वे तु तयां आप तक प ंच . सोम पीने वाले इं ने उन का भी सेवन कया. (२) सुनीथो घा स म य यं म तो यमयमा. म ा पा य हः.. (३) हे इं ! ोह ( े ष) न करने वाले म त्, अयमा और म दे वता जस क र ा करते ह, वह यजमान न य ही अ छ राह पर चलने वाला होता है. (३) य डा व
य
थरे य पशाने पराभृतम्. वसु पाह तदा भर.. (४)
हे इं ! आप के पास जो अचंचल और दान क जए. (४) ुतं वो वृ ह तमं
थर धन है, ऐसा ही पु षाथ वाला धन हम
शध चषणीनाम्. आ शषे राधसे महे.. (५)
वृ ासुर को मारने वाले बल क म हमा सब ने सुनी है. मनु य को अ छा धन ा त कराने क इ छा से वह बल आप को दे ता ं. (५) अरं त इ
वसे गमेम शूर वावतः. अरं
हे इं ! आप वीर ह. आप क स दे वता क स भी हम ा त हो. (६)
श
परेम ण.. (६)
हम ने कई बार सुनी है. आप जैसे
धानाव तं कर भणमपूपव तमु थनम्. इ
े
सरे
ातजुष व नः.. (७)
हे इं ! दही और भुजे ए स ु वाले य के पुरोडाश ( साद) क ह व हम मं के साथ सम पत कर रहे ह. आप इस सोम को ातःकाल हण क जए. (७) अपां फेनेन नमुचेः शर इ ोदवतयः. व ा यदजय पृधः.. (८) जब डाह करने वाली रा स क सारी सेना को इं ने हरा दया तब आप ने जल के झाग से नमु च रा स का सर तोड़ (काट) दया. (८) इमे त इ
सोमाः सुतासो ये च सो वाः. तेषां म व भूवसो.. (९)
हे इं ! आप के लए यह सोमरस नचोड़ व छान कर तैयार कया है. आप ब त धनवान ह. आप सोमरस से स होने क कृपा कर. (९) तु य
सुतासः सोमाः तीण ब ह वभावसो. तोतृ य इ
मृडय.. (१०)
हे इं ! आप तेज वी व धनवान ह. आसन पर शु सोमरस रखा आ है. आप कुशासन पर बै ठए. सोमरस पी जए. तु त करने वाल को सुख (अपनी कृपा) द जए. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यारहवां खंड आ व इ ं कृ व यथा वाजय तः शत तुम्. म
ह
स चइ
भः.. (१)
हे यजमानो! जैसे अ चाहने वाले खेत को जल से स चते ह, वैसे ही बल (परा म) चाहने वाले हम पूजनीय इं को सोमरस से स चते ह. (१) अत
द
न उपा या ह शतवाजया. इषा सह वाजया.. (२)
हे इं ! आप सैकड़ कार के बल से पूण हो कर हमारे य म पधा रए. आप हजार कार के अ से यु हो कर हमारे य म पधा रए. आप अनेक रस ले कर हमारे य म पधा रए. (२) आ बु दं वृ हा ददे जातः पृ छा मातरम्. क उ ाः के ह शृ वरे.. (३) हे यजमानो! ज म लेते ही हाथ म बाण ले कर वृ ासुर को मारने वाले इं ने अपनी मां से पूछा क अ य स वीर कौनकौन से ह. (३) बृब
थ
हवामहे सृ कर नमूतये. साधः कृ व तमवसे.. (४)
लोक क र ा और पालन के लए हम साधन स हत इं को आमं त करते ह. इं क ब त तु त क जाती है. (४) ऋजुनीती नो व णो म ो नय त व ान्. अयमा दे वैः सजोषाः.. (५) म और व ण दे वता हम सरल ग त से याय के उ म पथ पर ले जाते ह. अ य दे वता के साथ अयमा दे वता भी सरल ग त से हम उस थान पर प ंचाएं. (५) रा दहेव य सतो ऽ ण सुर श तत्. व भानुं व थातनत्.. (६) र आकाश से पास आती उषा काश फैलाने वाली है, जस से सारा जग का शत हो जाता है. (६) आ नो म ाव णा घृतैग ू तमु तम्. म वा रजा
स सु तू.. (७)
म और व ण दे वता अ छे काम करने वाले ह. ये दे वता हमारी गाय के समूह को घी, ध से स च. ये दे वता परलोक को भी मधुर रस (अमृत) से स च. (७) उ
ये सूनवो गरः का ा य े व नत. वा ा अ भ ु यातवे.. (८)
स गजना करते ए म त् दे वता य म जल के समान फैलते ह. जल का व तार करते ह. उस जल को पीने के लए रंभाती ई गाय के समूह को घुटन तक के पानी से जाना पड़ता है. (८) इदं व णु व च मे ेधा न दधे पदम्. समूढम य पा
सुले.. (९)
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व णु के वामन अवतार ने तीन पैर से व के नापे गए थान म सारा जग समाया. (९)
को नाप लया. उन के धूल से भरे चरण
बारहवां खंड अती ह म युषा वण
सुषुवा
समुपेरय. अ य रातौ सुतं पब.. (१)
हे इं ! जो यजमान ो धत हो कर सोमरस नचोड़े, आप उसे वीकार मत क जए. जो अ छे व ध वधान से सोमरस नचोड़े, आप उसी के य म सोमरस हण क जए. (१) क
चेतसे महे वचो दे वाय श यते. त दद् य य वधनम्.. (२)
हे इं ! आप महान ह. आप क कृपा से हमारी मामूली ाथना भी शंसा पाती है. हमारी ये ाथनाएं भी आप का गुणगान करती ह. अतः यजमान पर आप क कृपा होती है. (२) उ थं च न श यमानं नागो र यरा चकेत. न गाय ं गीयमानम्.. (३) तु त न करने वाले इं के श ु ह. इं यजमान ारा पढ़े गए तो को अ छ तरह जानते ह. इं पुरो हत के गाए गए साम को भी जानते व समझते ह. हम इं क तु त करते ह. (३) इ
उ थे भम द ो वाजानां च वाजप तः. ह रवां सुताना
सखा.. (४)
हे इं ! आप श शा लय म सब से यादा श शाली ह. आप ह र नामक घोड़े वाले ह. आप ाथना से ब त स होते ह. आप सोमरस से म के समान नेह रखने क कृपा कर. (४) आ या प नः सुतं वाजे भमा णीयथाः. महाँ इव युवजा नः.. (५) हे इं ! जस कार युवा ी (प नी) वाला पु ष कसी सरी ी पर नजर नह डालता, उसी कार आप भी और क ह व पर नजर मत डा लए (मत ललचाइए). आप हमारे ही सोम य म पधार कर ह व हण करने क कृपा कर. (५) कदा वसो तो
हयत आ अव मशा ध ाः. द घ
सुतं वाता याय.. (६)
हे इं ! आप सब ओर ापक ह. बनाई गई नहर म जल रोकने क तरह हम सोमरस तैयार कर के आप को भट करने के लए कब रोक. (६) ा णा द
राधसः पबा सोममृतू
रनु. तवेद
स यम तृतम्.. (७)
हे इं ! ा ण यजमान से सोमरस पी जए. आप मौसम के अनुसार सोमरस पी जए. आप का और हमारा अटू ट नाता है. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वयं घा ते अ प म स तोतार इ
गवणः. वं नो ज व सोमपाः.. (८)
हे इं ! हम आप के शंसक व पूजक ह. आप सोम पान करने वाले ह. आप हम संतु (तृ त) दान क जए. (८) ए
पृ ु कासु च ृ णं तनूषु धे ह नः. स ा ज
पौ
यम्.. (९)
हे इं ! आप ब त श मान ह. आप हमारे अंग म श द जए, हम ऐसी श द जए जस से हम अपने सारे श ु को एक साथ जीत सक. (९) एवा
स वीरयुरेवा शूर उत थरः. एवा ते रा यं मनः.. (१०)
हे इं ! आप वीर व अ डग ह. आप वीर श ु का भी नाश कर सकते ह. आप धैयवान ह. आप का मन तु तय से आराधना करने यो य है. (१०)
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तीसरा अ याय पहला खंड अ भ वा शूर नोनुमो ऽ धा इव धेनवः. ईशानम य जगतः व शमीशान म त थुषः.. (१) हे इं ! आप इस जग के व जड़चेतन के वामी ह. आप सब कुछ दे ख सकते ह. जैसे थन म ध लए गाएं बछड़ के पास जाने के लए उतावली रहती ह, वैसे ही हम उतावले हो कर आप को णाम करते ह. (१) वा म हवामहे सातौ वाज य कारवः. वां वृ े व स प त नर वां का ा ववतः.. (२) हे इं ! तु त करने वाले यजमान ह व दान के लए आप को आमं त करते ह. आप स य (या स जन ) के पालनहार ह. हम तथा सरे सभी श ु या घोड़ से संबं धत यु म मदद के लए आप को ही पुकारते ह. (२) अ भ वः सुराधस म मच यथा वदे . यो ज रतृ यो मघवा पु वसुः सह ेणेव श त.. (३) हे यजमानो! इं पशु आ द ब त कार के धन वाले ह. वे अपनी तु त करने वाले को ब वध धन दे ते ह. आप े धन दे ने वाले इं क हर कार से पूजाअचना कर. (३) तं वो द ममृतीषहं वसोम दानम धसः. अ भ व सं न वसरेषु धेनव इ ं गी भनवामहे.. (४) हे यजमानो! जैसे गाएं बछड़ को दे ख कर खुशी से रंभाती ह, वैसे ही आप भी सोमरस पीने से स इं के लए तु त गाइए. वे श ु ( ःख ) का नाश करने वाले ह. (४) तरो भव वद सु म सबाध ऊतये. बृहद्गाय तः सुतसोमे अ वरे वे भरं न का रणम्.. (५) हे यजमानो! इं के ब त तेज ग त वाले घोड़े ह. वे इं ब त धनदाता ह. वे बाधा से हमारी र ा करते ह. हम बृह साम गाते ए उन को उसी कार र ा के लए बुलाते ह, जैसे ब चे अपनी र ा के लए अपने माता पता को बुलाते ह. (५) तर ण र सषास त वाजं पुर या युजा. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ व इ ं पु
तं नमे गरा ने म त ेव सु वम्.. (६)
इं तारनहार ह. हम बु से अ ा त करना चाहते ह. जैसे बढ़ई अपनी कारीगरी से लकड़ी को न कर के प हए को गाड़ी के अनुकूल कर लेता है, वैसे ही हम इं दे व को अपनी तु तय से अपने अनुकूल करना चाहते ह. (६) पबा सुत य र सनो म वा न इ गोमतः. आ पन बो ध सधमा े वृधे ३ ऽ मां अव तु ते धयः.. (७) हे इं ! आप गाय का ध मला कर तैयार कए ए रसीले सोमरस को पी जए. उसे पी कर आप स होइए. आप हम धन दे ने वाले बंधु ब नए. आप हम ग त क राह दखाइए. आप क बु हम यजमान क र ा करे. (७) व े ह चेरवे वदा भगं वसु ये. उ ावृष व मघवन् ग व य उ द ा म ये.. (८) हे इं ! आप मुझे धन दे ने के लए आइए. अ छे आचार वचार वाले हम लोग को राह दखाइए व धन द जए. हम गाय के इ छु क ह. हम गोधन द जए. हम घोड़ के इ छु क ह. हम अ धन द जए. (८) न ह व रमं च न व स ः प रम सते. अ माकम म तः सुते सचा व े पब तु का मनः.. (९) हे म द्गणो! व स ऋ ष आप म से छोट को भी छोड़ कर तु त नह करते ह अथात् छोट क भी तु त करते ह. आज हमारे इस सोम य म आप सभी इकट् ठे हो कर सोमरस पी जए. (९) मा चद य श सत सखायो मा रष यत. इ म तोता वृषण सचा सुते मु था च श
सत.. (१०)
हे यजमानो! आप इं के अलावा कसी अ य दे व क तु त मत करो. बेकार मेहनत मत करो. एक साथ सोम य म बलवान इं क ही तु त करो. उ ह के बारे म ाथना को बारबार उचारो. (१०)
सरा खंड न क ं कमणा नश कार सदावृधम्. इ ं न य ै व गूतमृ वसमधृ ं धृ णुमोजसा.. (१) हे यजमानो! इं सदा उ तशील व समृ ह. वे सब से पू जत और महान बलशाली ह. कसी से नह दबने वाले व श ुनाशक ह. जो य से इं को अपने अनुकूल बना लेता है, उसे कोई भी नह दबा सकता है. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ऋते चद भ षः पुरा ज ु य आतृदः. स धाता स धं मघवा पु वसु न कता व त पुनः.. (२) हे इं ! आप गले क ना ड़य को खून नकलने पर भी बना जोड़ने क साम ी के ही जोड़ सकते ह. इं ब त वैभव वाले ह. वे कटे ए भाग को फर से जोड़ सकते ह. (२) आ वा सह मा शतं यु ा रथे हर यये. युजो हरय इ के शनो वह तु सोमपीतये.. (३) हे इं ! आप के घोड़े मं के भाव से रथ म जुत जाते ह. आप के घोड़ क गरदन पर लंबेलंबे बाल ह. वे सैकड़ घोड़े आप के सुनहरे रथ म जुत जाएं और सोमपान के लए आप को य म ले आएं, यह अनुरोध है. (३) आ म ै र ह र भया ह मयूररोम भः. मा वा के च येमु र पा शनो ऽ त ध वेव तां इ ह.. (४) हे इं ! जैसे राहगीर शी ही रे ग तान को पार कर लेता है, वैसे ही आप भी मोर जैसे रोम वाले घोड़ से यहां आइए. जाल फैलाने वाले शकारी आप क राह म रोड़ा न अटका सक. (४) वम श सषो दे वः श व म यम्. न वद यो मघव त म डते वी म ते वचः.. (५) हे इं ! आप बलवान व काश वाले ह. आप अपने पूजक क शंसा करते ह. आप धनवान ह. आप के अलावा कोई सुख दे ने वाला नह है. इसी कारण म आप क तु त करता ं. (५) व म यशा अ यृजीषी शवस प तः. वं वृ ा ण ह य ती येक इ पुवनु
षणीधृ तः.. (६)
हे इं ! आप श शाली ह. आप सोमरस पीने वाले और यशवान ह. आप यजमान के हत के लए बड़े से बड़े श ु को भी अकेले ही न कर सकते ह. (६) इ इ
म े वतातय इ ं य य वरे. समीके व ननो हवामह इ ं धन य सातये.. (७)
दे व के लए कए जाने वाले य म हम इं को ही आमं त करते ह. य के शु और समापन दोन ही समय हम इं को आमं त करते ह. धन लाभ के लए हम इं को ही आमं त करते ह. आप शी पधा रए. (७) इमा उ वा पु वसो गरो वध तु या मम. पावकवणाः शुचयो वप तो ऽ भ तोमैरनूषत.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप धनवान ह. हमारी ाथनाएं आप का यश बढ़ाएं. यजमान अ न के समान प व , तेज वी व व ान् ह. वे ाथना से बारबार आप क तु त करते ह. (८) उ ये मधुम मा गर तोमास ईरते. स ा जतो धनसा अ तोतयो वाजय तो रथा इव.. (९) हे इं ! आप हमेशा श ु को जीतने वाले व धन दे ने वाले ह. आप का दया संर ण कभी ख म नह होता. बलशाली रथ के समान ये ाथनाएं आप क ओर बढ़ रही ह. ये ाथनाएं मधुर और े वचन से भरी ई ह. (९) यथा गौरो अपा कृतं तृ य े यवे रणम्. आ प वे नः प वे तूयमा ग ह क वेषु सु सचा पब.. (१०) हे इं ! जैसे यासे गौर हरण पानी से भरे ए तालाब के पास जाते ह, उसी कार आप हमारी ाथना से भरेपूरे य म पधा रए. क व के य म ज द से ज द आइए. सोमरस पी कर स होइए. (१०)
तीसरा खंड श यू ३ षु शचीपत इ व ा भ त भः. भगं न ह वा यशसं वसु वदमनु शूर चराम स.. (१) हे इं ! आप शची के प त ह. आप परा मी ह. आप हम संर ण के साथसाथ चाहे गए वरदान द जए तथा सौभा य जैसा यश वी धन द जए. हम आप क आराधना करते ह. (१) या इ भुज आभरः ववा असुरे यः. तोतार म मघव य वधय ये च वे वृ ब हषः.. (२) हे इं ! आप आ म श वाले ह. आप ने बलवान रा स से भोग के साधन जीते ह. इस धन से आप अपने पूजक को संर ण द जए. जो आप को बारबार आमं त या याद करते ह, आप उ ह धनवान बनाइए. (२) म ाय ाय णे सच यमृतावसो. व ये ३ व णे छ ं वचः तो
राजसु गायत.. (३)
हे य करने वालो! आप का धन आप के य ह. आप म , व ण और अयमा दे वता के लए छं दब ाथनाएं उन के य शाला म वराजमान हो जाने पर गाइए. (३) अ भ वा पूवपीतय इ तोमे भरायवः. समीचीनास ऋभवः सम वर ुदा गृण त पू म्.. (४) हे इं ! ाथना करने वाले यजमान सब से पहले आप सभी दे वता ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से तो के
मा यम से सोमरस पीने का नवेदन करते ह. सब ने इकट् ठे हो कर आप क आराधना क . के पु म त् ने भी आ द पु ष (पहले पु ष) के प म आप क तु त क . (४) व इ ाय बृहते म तो ाचत. वृ हन त वृ हा शत तुव ेण शतपवणा.. (५) हे यजमानो! आप अपने इं के लए तु त करो. इं वृ ासुर के नाशक ह. वे सौ धार वाले व से रा स (क ) का नाश कर. (५) बृह द ाय गायत म तो वृ ह तमम्. येन यो तरजनय ृतावृधो दे वं दे वाय जागृ व.. (६) हे याजको! इं के लए बृह साम तो का पाठ क जए. य को बढ़ाने वाले ऋ षय ने उस के सहयोग से इं के लए द यो त पैदा क है. (६) इ तुं न आ भर पता पु े यो यथा. श ा णो अ म पु त याम न जीवा यो तरशीम ह.. (७) हे इं ! हम य काय करने क श ा द जए, जैसे पता अपने पु को श ा दे ता है. यानी हम श ा पी धन द जए. हम त दन सुबह सूय के दशन कर. (७) मा न इ परा वृण भवा नः सधमा े. वं न ऊती व म आ यं मा न इ परावृणक्.. (८) हे इं ! आप हम य करने वाल को कभी मत छो ड़ए. आप हमारे संर क ह. आप हमारे बंधु ह. आप हम अपनी शरण म र खए. आप कभी अपनेआप से हम र मत क रए. (८) वयं घ वा सुताव त आपो न वृ ब हषः. पव य वणेषु वृ ह प र तोतार आसते.. (९) हे इं ! आप वृ ासुर के नाशक ह. जैसे जल नीचे क ओर बहता है, वैसे ही सोमरस के साथ हम आप को नीचे झुक कर नम कार करते ह. प व य म सभी यजमान कुश के आसन पर बैठ कर आप क आराधना करते ह. (९) य द ना षी वा ओजो नृ णं च कृ षु. य ा प च तीनां ु नमा भर स ा व ा न पौ
या.. (१०)
हे इं ! मनु य म जो धन व पांच भू मय का चमकता आ अ द जए. हम आप सब कार के बल (श ) भी द जए. (१०)
चौथा खंड ******ebook converter DEMO Watermarks*******
है, वह सब हम
स य म था वृषेद स वृषजू तन ऽ वता. वृषा शृ वषे पराव त वृषो अवाव त ुतः.. (१) हे इं ! न य ही आप वीर व मनोकामना पूरी करने वाले ह. सोम य करने वाले यजमान ने अपनी र ा के लए आप को बुलाया है. आप हमारी र ा क जए. आप क स पास भी है और ब त र र तक भी फैली ई है. (१) य छ ा स पराव त यदवाव त वृ हन्. अत वा गी भ ुग द के श भः सुतावाँ आ ववास त.. (२) हे इं ! आप वृ ासुर नाशक ह. आप हमारे पास ह चाहे र, पर हम सोम य करने वाले यजमान आप को आमं त करते ह. हम गरदन पर सुंदर बाल वाले घोड़ के समान अपनी े तु तय से आप को बुलाते ह. (२) अ भ वो वीरम धसो मदे षु गाय गरा महा वचेतसम्. इ ं नाम ु य शा कनं वचो यथा.. (३) हे यजमानो! आप अपने हत के लए इं क तु त करो. वे रा स को जीतने वाले ह. वे सोमरस से खुश होने वाले ह. वे यश वी, वीर व बु मान ह. आप ऐसे इं क जैसे भी हो वशेष तु त करो. (३) इ धातु शरणं व थ व तये. छ दय छ मघव य म ं च यावया द ुमे यः.. (४) हे इं ! आप धनवान यजमान को और मुझे तीन ऋतु म सुखदायी क याणकारी तीन मं जला घर द जए. इ ह पाने के लए हम श का योग न करना पड़े. (४) ाय त इव सूय व े द य भ तः. वसू न जातो ज नमा योजसा त भागं न द धमः.. (५) हे यजमानो! जैसे सारी करण सूय के सहारे रहती ह, वैसे ही सारा संसार इं के सहारे है. हम भी उ ह के सहारे ह. जैसे पता के धन म संतान क भागीदारी होती है, वैसे ही इं के धन म हमारी भागीदारी हो. इं उ प ए और उ प होने वाल को बल से भाग दान करते ह. (५) न सीमदे व आप त दषं द घायो म यः. एत वा च एतशो युयोजत इ ो हरी युयोजते.. (६) हे इं ! आप चरायु ह. आप के त ा के बना मनु य उस े अ को नह पा सकता है. जो इं को पाने के लए अपनी तु तय के घोड़े नह जोड़ता है, इं भी उस के य म जाने के लए ह र तथा अ य घोड़ को नह जोड़ते ह. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ नो व ासु ह म सम सु भूषत. उप ा ण सवना न वृ ह परम या ऋचीषम.. (७) हे इं ! यु म सहायता के लए आप को बुलाया जाता है. आप हमारी शंसा, ाथना से सुशो भत होते ह. आप वृ ासुर नाशक ह. आप के धनुष क यंचा अ वनाशी है. आप तीन समय क सं या क ाथना को शो भत क जए. (७) तवे द ावमं वसु वं पु य स म यमम्. स ा व य परम य राज स न क ् वा गोषु वृ वते.. (८) हे इं ! आप न न, म यम और उ म सभी तरह के धन के अकेले वामी ह. आप जब गाय आ द अपने यजमान को दान करना चाहते ह तो आप को कोई भी नह रोक सकता है. (८) वेयथ वेद स पु ा च ते मनः. अल ष यु म खजकृ पुरंदर गाय ा अगा सषुः.. (९) हे इं ! आप पहले कहां चले गए थे? आप इस समय कहां ह? आप ब त जगह रमते (घूमते) रहते ह. आप रा स का नाश करने वाले ह. हमारे यजमान ाथना गाने म कुशल ह. वे आप क तु त करते ह. (९) वयमेन मदा ो ऽ पीपेमेह व णम्. त मा उ अ सवने सुतं भरा नूनं भूषत ुते.. (१०) हे इं ! हम ने कल भी आप को सोमरस भट कया था. हम आज भी य म आप को सोमरस भट करते ह. हे यजमानो! आप तो गा कर इं क शोभा बढ़ाइए. (१०)
पांचवां खंड यो राजा चषणीनां याता रथे भर गुः. व ासां त ता पृतनानां ये ं यो वृ हा गृणे.. (१) हे इं ! आप मनु य के राजा ह. आप के रथ क ग त क कोई भी बराबरी नह कर सकता है. आप श ु क सेना और वृ ासुर को मारने वाले ह. हम सव े इं क तु त करते ह. (१) यत इ भयामहे ततो नो अभयं कृ ध. मघव छ ध तव त ऊतये व षो व मृधो ज ह.. (२) हे इं ! जस से हम डर आप उसी से हम नडर बनाइए. हम अभय दान द जए. हमारे श ु को और हम मारने वाल को आप न क जए. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वा तो पते ुवा थूणा स सो यानाम्. सः पुरां भे ा श तीना म ो मुनीना सखा.. (३) हे इं ! आप घर के वामी ह. हमारे घर के खंभे व सोम य करने वाल का शरीर मजबूत हो. सोम पीने वाले रा स क ब त सी नग रयां उजाड़ने वाले इं हम ऋ षय के म ह . (३) व महाँ अ स सूय बडा द य महाँ अ स. मह ते सतो म हमा प न म म ा दे व महाँ अ स.. (४) हे इं ! आप ेरणा दे ने वाले, ब त तेज वी, अ द त के पु व ब त बलशाली ह. हम सच कहते ह क आप ब त महान ह. (४) अ ी रथी सु प इद्गोमान् य द ते सखा. ा भाजा वयसा सचते सदा च ै या त सभामुप.. (५) हे इं ! जो आप को अपना म बना लेता है, वह ब त सुंदर प वाला हो जाता है. वह ब त घोड़ वाला हो जाता है. वह ब त रथ वाला हो जाता है. वह ब त गाय वाला हो जाता है. वह ब त अ , धन वाला हो जाता है. वह सदा अ छे व और आभूषण से तैयार हो कर सभा म जाता है. (५) यद् ाव इ न वा व
ते शत सह
शतं भूमी त युः. सूया अनु न जातम रोदसी.. (६)
हे इं ! वगलोक सौ गुना हो जाए तो भी आप क बराबरी नह कर सकता. भू मलोक (पृ वीलोक) सौ गुना हो जाए तो भी आप के समान नह हो सकता. हे व धारी इं ! सौ सूय भी आप को का शत नह कर सकते. बाद म होने वाले भी आप क बराबरी नह कर सकते यानी आप के सामने कोई कुछ नह है. आप ही सब से बड़े ह. (६) यद ागपागुदङ् य वा यसे नृ भः. समा पु नृषूतो अ यानवे ऽ स शध तुवशे.. (७) हे इं ! पूव, प म, उ र और द ण सभी दशा लए बुलाते ह. आप श ु आप को बुलाया जाता है. (७)
से मनु य आप को सहायता के
का नाश करने वाले ह. अनु और तुवश के लए तु तय से
क त म वा वसवा म य दधष त. ा ह ते मघव पाय द व वाजी वाज
सषास त.. (८)
हे इं ! आप सब को बसाने वाले ह. आप को कौन डरा सकता है. आप के त जो यजमान ालु होता है, वह ःख से पार होने पर भी ह व दे ने क इ छा रखता है. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ ा नी अपा दयं पूवागा प ती यः. ह वा शरो ज या रारप चरत्
श पदा य मीत्.. (९)
हे इं ! हे अ न! बना पैर वाली उषा पैर वाली जनता से पहले आ जाती ह. सर न होने पर भी जीभ से सब को ेरणा दे ती ई एक दन म तीस मु त को पार कर जाती ह. (९) इ नेद य ए द ह मतमेधा भ त भः. आ शंतम शंतमा भर भ भरा वापे वा प भः.. (१०) हे इं ! हमारी य शाला ब त नजद क (पास) है. आप बु मान और र ा क इ छा रखने वाल के साथ पधा रए. आप ब त सुखदायी ह. आप ब त शां तदायी व बंधु ह. आप अव य पधा रए. (१०)
छठा खंड इत ऊती वो अजरं हेतारम हतम्. आशुं जेतार होतार रथीतममतूत तु यावृधम्.. (१) हे इं ! आप बूढ़े नह होते. आप श ु को मारने वाले ह. आप ज द वजय पाने वाले ह. आप ब त तेज ग त वाले ह. आप ज द य म जाने वाले ह. आप अ छे रथ चलाने वाले ह. आप जल को बढ़ाने वाले ह. हे यजमानो! ऐसे इं को आप अपनी र ा के लए बुलाइए. (१) मो षु वा वाघत नारे अ म रीरमन्. आरा ा ा सधमादं न आ गहीह वा स ुप ु ध.. (२) हे इं ! य करने वाले भी आप को हम से र न कर सक. आप र रह कर भी हमारे पास ज द आइए. आप यह रह कर हमारी तु तयां सु नए. (२) सुनोता सोमपा ने सोम म ाय व णे. पचता प रवसे कृणु व म पृण पृणते मयः.. (३) हे य करने वालो! व धारी इं के लए सोमरस नचोड़ो. इं को स करने के लए पुरोडाश (भोग) पकाइए (बनाइए). यजमान क स ता के लए इं वयं ह व हण करते ह. (३) यः स ाहा वचष ण र ं त महे वयम्. सह म यो तु वनृ ण स पते भवा सम सु नो वृधे.. (४) हे इं ! आप श ु का वध करने वाले ह. आप सब को दे खने वाले ह. हम तु तय से आप को बुलाते ह. आप ोध वाले, ब त धन वाले व स जन के पालक ह. आप यु म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हमारा यश बढ़ाइए. (४) शची भनः शचीवसू दवा न ं दश यतम्. मा वा रा त पदस कदाचना म ा तः कदाचन.. (५) हे अ नीकुमारो! आप अपने कम को ही धन मानने वाले ह. आप अपनी श से दनरात हमारी इ छाएं पूरी क जए. आप का दान कभी कम नह होता. आप के ही दान क तरह हमारे दान भी कभी कम न ह . (५) यदा कदा च मीढु षे तोता जरेत म यः. आ द दे त व णं वपा गरा ध ारं व तानाम्.. (६) जब कभी ह व दाता यजमान के लए मनु य ाथना करे तब वशेष र ा करने वाली ाथना से व ण दे वता क तु त करे. वे व ण पाप को र करने वाले व अनेक कार के कम को धारण करने वाले ह. (६) पा ह गा अ धसो मद इ ाय मे या तथे. यः सं म ो हय य हर यय इ ो व ी हर ययः.. (७) हे इं ! आप य म मेहमान बनने वाले ह. आप सोमरस पी कर, स हो कर हमारी गाय क र ा क जए. आप ह र नामक घोड़े को रथ म जोतते ह. आप व धारण करने वाले, सुंदर, हत साधने वाले और सुनहरे रथ वाले ह. (७) उभय शृणव च न इ ो अवा गदं वचः. स ा या मघवा सोमपीतये धया श व आ गमत्.. (८) हे इं ! आप हमारे दोन ही कार के वचन पास आ कर सु नए. सब क ाथना सुन कर यहां पधा रए और स होइए. हे इं ! आप बलवान व धनवान ह. सोमपान के लए आप यहां पधा रए. (८) महे च न वा वः परा शु काय द यसे. न सह ाय नायुताय व वो न शताय शतामघ.. (९) हे इं ! आप व धारण करने वाले ह. ब त से धन के बदले भी म आप को नह छोड़ सकता ं. हजार के बदले भी आप को नह बेचा जा सकता. अपार धन के बदले भी आप को नह बेचा जा सकता. (९) व याँ इ ा स मे पतु त ातुरभु तः. माता च मे छदयथः समा वसो वसु वनाय राधसे.. (१०) हे इं ! आप हमारे पता से भी यादा धन वाले ह. पालन न करने वाले हमारे भाई से भी यादा धनवान ह. आप हमारी मां के समान ह. मुझे धनवान, अ वान और यशवान ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बनाइए. (१०)
सातवां खंड इम इ ाय सु वरे सोमासो द या शरः. ताँ आ मदाय व ह त पीतये ह र यां या ोक आ.. (१) हे इं ! आप व धारण करने वाले ह. आप दही मला कर तैयार कए गए इस सोमरस को पीने के लए अपने घोड़ से य मंडप म पधा रए. (१) इम इ मदाय ते सोमा क उ थनः. मधोः पपान उप नो गरः शृणु रा व तो ाय गवणः.. (२) हे इं ! आप क स ता के लए खास तौर से साफ कर के मधुर सोमरस को तैयार कया है. आप हमारी ाथना क वाणी को सु नए. आप हम मनचाहे फल द जए. (२) आ वा ३ इ ं धेनु
सब घा वे गाय वेपसम्. सु घाम या मषमु धारामरङ् कृतम्.. (३)
हे इं ! आप उस गाय के समान शोभा पा रहे ह जो ब त ध दे ने वाली है, जस क चाल शंसा करने यो य है, जो आसानी से हने यो य है, जो वशेष ल ण वाली है, जस के तन से ध क कई धाराएं बहती ह. आप शी पधा रए. (३) न वा बृह तो अ यो वर त इ वीडवः. य छ स तुवते मावते वसु न क दा मना त ते.. (४) हे इं ! बड़ेबड़े पवत भी आप को नह डगा सकते. आप हम पूजक को जो धन दे ते ह, उस धन को कोई नह रोक सकता है. (४) क वेद सुते सचा पब तं क यो दधे. अयं यः पुरो व भन योजसा म दानः श य धसः.. (५) हे इं ! सोम य म एक ही जगह सोमरस पीने वाले आप को कौन (नह ) जानता है. आप कतना अ धारण करने वाले ह, यह भी कौन जानता है? सोमरस पी कर स होने वाले इं अपने बल से श ु के नगर को न कर दे ते ह. (५) य द शासो अ तं यावया सदस प र. अ माकम शुं मघव पु पृहं वस े अ ध बहय.. (६) हे इं ! आप य म व न डालने वाल को दं ड दे ते ह. आप धनवान ह. आप हमारे घर म सोमरस बढ़ाइए. (६) व ा नो दै ं वचः पज यो
ण प तः.
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को दं ड द जए. आप
पु ै ातृ भर द तनु पातु नो
रं ामणं वचः.. (७)
व ा दे वता के श पी (कारीगर) ह. पज य दे व बरसात के वामी ह. ण पत दे वता अपने बेट और भाइय के साथ हमारी र ा कर. दे वता क माता अ द त हमारी र ा कर. अ द त ःख र करने वाली और र ा करने वाली हमारी तु तय से हम पर कृपा कर. (७) कदा चन तरीर स ने स स दाशुषे. उपोपे ु मघव भूय इ ु ते दानं दे व य पृ यते.. (८) हे इं ! आप अ हसक ह. आप ह व दे ने वाले यजमान पर कृपा रखते ह. आप काशमान ह. आप क कृपा हम ा त होती है. (८) युङ् वा ह वृ ह तम हरी इ परावतः. अवाचीनो मघव सोमपीतय उ ऋ वे भरा ग ह.. (९) हे इं ! आप वृ ासुर का नाश करने वाले ह. आप अपने ह र नामक घोड़े को रथ म जो तए. आप धनवान व बलवान ह. आप सुंदर म द्गण के साथ वगलोक से यहां पधा रए. (९) वा मदा ो नरो ऽ पी य व भूणयः. स इ तोमवाहस इह ु युप वसरमा ग ह.. (१०) हे इं ! आप व धारण करने वाले ह. य करने वाले यजमान ने आप को आज भी और पहले भी सोमरस भट कया है. आप य मंडप म पधा रए. तो पढ़ने वाले यजमान के तो सु नए. (१०)
आठवां खंड यु अद याय यू ३ छ ती हता दवः. अपो मही वृणुते च ुषा तमो यो त कृणो त सूनरी.. (१) अंधेरे को र कर के आती ई सूय क पु ी उषा सब को दखाई दे रही है. वह अपने काश से घनघोर अंधेरे को र कर दे ती है. (१) इमा उ वां द व य उ ा हव ते अ ना. अयं वाम े ऽ वसे शचीवसू वश वश
ह ग छथः.. (२)
हे अ नीकुमारो! काश चाहने वाले यजमान आप को बुलाते ह. म भी कम को धन मानने वाले आप को बुलाता ं. हम अपनी र ा के लए आप दोन को बुलाते ह. हम आप दोन को तृ त ( स ) करने के लए बुलाते ह. आप तु त करने वाले हर एक यजमान के पास पधारते हो. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कु ः को वाम ना तपानो दे वा म यः. नता वाम मया पमाणो शुने थमु आ यथा.. (३) हे अ नीकुमारो! आप काश वाले ह. इस पृ वी पर रहने वाला कौन आप को का शत कर सकता है. जो यजमान आप के लए प थर से सोम कूटकूट कर थक जाता है, वह राजा के समान इ छानुसार भोग करने वाला होता है. (३) अयं वां मधुम मः सुतः सोमो द व षु. तम ना पबतं तरोअ यं ध र ना न दाशुषे.. (४) हे अ नीकुमारो! आप के लए होने वाले य म यह मीठा सोमरस तैयार कया गया है. यह सोमरस हम ने एक दन पहले तैयार कया है. आप इस का सेवन क जए. आप ह व दे ने वाले यजमान को े धन दान क जए. (४) आ वा सोम य ग दया सदा याच हं या. भू ण मृगं न सवनेषु चु ु धं क ईशानं न या चषत्.. (५) हे इं ! आप शेर के समान श शाली ह. आप भरणपोषण करने म समथ ह. हम आप को य म सोमरस दान करते ह. हम वजय दलाने वाली ाथना से आप से याचना करते ह. आप हम पर गु सा मत क जए. ऐसा कौन है, जो अपने वामी से याचना नह करता है. (५) अ वय ावया व सोम म ः पपास त. उपो नूनं युयुजे वृषणा हरी आ च जगाम वृ हा.. (६) हे पुरो हत! आप सोमरस को ज द तैयार क जए. इं ज द सोमरस पीना चाहते ह. उ ह ने अपने घोड़े रथ म जोत लए ह. वृ ासुर का नाश करने वाले इं प ंच भी गए. (६) अभीषत तदा भरे यायः कनीयसः. पु वसु ह मघव बभू वथ भरेभरे च ह ः.. (७) हे इं ! आप सब से बड़े ह. आप सब ओर से ला कर े धन मुझ तु छ मनु य को दान क जए. आप धनवान ह और यु म सहायता के लए बुलाने यो य ह. (७) य द यावत वमेतावदहमीशीय. तोतार म धषे रदावसो न पाप वाय र
सषम्.. (८)
हे इं ! आप जतने धन के वामी ह, हम भी उतने धन के वामी हो जाएं. आप धन दे ने वाले ह. तु त करने वाल को धन दे ने क इ छा है. पा पय को धन दे ने क इ छा नह है. (८) वम
तू त व भ व ा अ स पृधः.
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अश तहा ज नता वृ तूर स वं तूय त यतः.. (९) हे इं ! आप यु म श ु का नाश करते ह. आप श ु को बाधा प ंचाने वाले ह. आप ाकृ तक वप य का नाश करने वाले ह. आप हमारे श ु के लए आप यां पैदा करने वाले ह. आप के नाशक ह. (९) यो र र ओजसा दवः सदो य प र. न वा व ाच रज इ पा थवम त व ं वव थ.. (१०) हे इं ! वगलोक म आप क त ा है. पूरी पृ वी का कणकण भी आप को घेर नह सकता, ा त नह कर सकता. आप पूरे संसार को ा त करने म समथ ह. (१०)
नौवां खंड असा व दे वं गोऋजीकम धो य म ो जनुषेमुवोच. बोधाम स वा हय य ैब धा न तोमम धसो मदे षु.. (१) हम ने तेज वी गाय के ध से सोमरस तैयार कया है. ऐसा सोमरस इं को वभाव से ही ब त पसंद आता है. आप इस सोमरस को पी कर म त हो जाइए, स हो जाइए. हमारी ाथना पर खासतौर से यान दे ने क कृपा क जए. (१) यो न इ सदने अका र तमा नृ भः पु त या ह. असो यथा नो ऽ वता वृध दो वसू न ममद सोमैः.. (२) हे इं ! आप को बैठाने के लए हम ने खास य वे दका तैयार क है. आप म त के साथ पधा रए. आप सब उस थान पर वरा जए. आप हमारे र क व हमारे पालक ह. आप हम कई तरह के धन द जए. आप सोमरस पी कर स होइए. (२) अदद समसृजो व खा न वमणवा ब धानाँ अर णाः. महा त म पवतं व य ः सृज ारा अव य ानवा हन्.. (३) हे इं ! आप ने बादल का जल नकालने के लए खासतौर पर दरवाज को (रा त को) बनाया है, जस से बादल को भेद कर पानी पाया जा सके. आप पानी के रा ते क सब बाधा को र करते ह. आप क कृपा से ब त जल धाराएं बही ह. आप ने रा स का नाश कया है. (३) सु वाणास इ तुम स वा स न य त ु वनृ ण वाजम्. आ नो भर सु वतं य य कोना तना मना स ाम वोताः.. (४) हे इं ! आप ब त धन दे ने वाले ह. सोमरस नचोड़ने वाले यमराज आप क तु त करते ह. पुरोडाश पकाने वाले यजमान आप क तु त करते ह. आप हम हमारा चाहा गया धन द जए. हम आप से श पा कर ब त धन पाते ह. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जगृ ा ते द ण म ह तं वसूयवो वसुपते वसूनाम्. व ा ह वा गोप त शूर गोनाम म यं च ं वृषण
र य दाः.. (५)
हे इं ! आप ब त धनवान ह. हम धन बल क कामना करते ह. अतः आप का दा हना हाथ हण करते ह. हम जानते ह क आप गौ के वामी ह. आप हम हमारी इ छा पूरी करने वाले अनेक धन द जए. (५) इ ं नरो नेम धता हव ते य पाया युनजते धय ताः. शूरो नृषाता वस काम आ गोम त जे भजा वं नः.. (६) हे इं ! यु और संकट के समय म यु करने वाले मनु य यु म (और य म) आप को सहायता के लए बुलाते ह. आप शूरवीर व धनदाता ह. आप गाय और पशू के बाड़े म हम प ंचा द जए, ता क हम अ , धन व बल तीन का लाभ पा सक. (६) वयः सुपणा उप से र ं यमेधा ऋषयो नाधमानाः. अप वा तमूणु ह पू ध च ुमुमु या ३ मा धयेव ब ान्.. (७) अ छे पंख वाली च ड़या के समान य से ेम रखने वाली सूय क करण इं तक प ंचती ह. हे इं ! आप अब अंधेरे को र क जए. आप आंख को काश से भर द जए. आप र सी से बंधे ए के समान हम को उन बंधन से छु ड़ाइए. (७) नाके सुपणमुप य पत त दा वेन तो अ यच त वा. हर यप ं व ण य तं यम य योनौ शकुनं भुर युम्.. (८) हे सूय! आप प ी क तरह आकाश म उड़ने वाले ह. आप वेग वाले ह. आप सब का पालनपोषण करने वाले ह. व ण के त ह. आप को लोग मन से नेह करते ह (चाहते ह). आप को लोग अ न के उ प थान अंत र म प ी क तरह उड़ते ए दे खते ह. (८) ज ानं थमं पुर ता सीमतः सु चो वेन आवः. स बु या उपमा अ य व ाः सत यो नमसत ववः.. (९) वेन गंधव पैदा ए. उ ह ने सब से पहले उ प होने वाले तेज का उपदे श कया. उस तेज से सब को का शत कया. उ ह ने खासतौर पर उस तेज को अंत र म था पत कया. जो पैदा हो चुके और जो पैदा ह गे, उन सब का कारण भी वही तेज है. (९) अपू ा पु तमा य मै महे वीराय तवसे तुराय. वर शने व णे श तमा न वचा य मै थ वराय त ुः.. (१०) हे इं ! आप महान वीर व बलवान ह. आप ज द काम करने वाले ह. आप पूजनीय व व धारी ह. आप के लए यजमान ब त सी सुखदायी तु तयां गा रहे ह. (१०)
दसवां खंड ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अव सो अ शुमतीम त दयानः कृ णो दश भः सह ैः. आव म ः श या धम तमप नी ह त नृमणा अध ाः.. (१) इं सभी को य ह. उ ह ने श ु ारा आ मण कए जाने पर उन पर फर से आ मण कर के उन क सेना को हरा दया. उ ह ने कृ णासुर को भी हराया. कृ णासुर ब त ती ग त वाला था. उस ने दस हजार सै नक को साथ ले कर उन पर हमला कया था. कृ णासुर सभी के लए ःखदायक था. अंशुमती (नद ) के तट पर उस ने सभी को (आकृ कर के) अपने चंगुल म फंसा लया था. उ ह ने इतने श मान कृ णासुर को भी हरा दया. (१) वृ य वा सथाद षमाणा व े दे वा अज य सखायः. म र स यं ते अ वथेमा व ा: पृतना जया स.. (२) हे इं ! सभी सहायक दे वतागण वृ ासुर से डर कर आप का साथ छोड़ कर भाग गए (चले गए). उन सब के चले जाने पर आप ने म द्गण क म ता के कारण उन के सहयोग से मन क सेना को हराया. (२) वधुं द ाण समने ब नां युवान स तं प लतो जगार. दे व य प य का ं म ह वा ा ममार स ः समान.. (३) हे यजमानो! इं यु म वीरता दशाते ह. वे श ु क सेना को हराने वाले ह. उन क कृपा ( भाव) से बूढ़ा भी जवान हो जाता है. आप उन क का म हमा दे खए, जो आज मरी ई सी लगने पर भी कल फर जी जाती है अथात् उन क म हमा अ मट है. (३) व ह य स त यो जायमानो ऽ श ु यो अभवः श ु र . गूढे ावापृ थवी अ व व दो वभुम यो भुवने यो रणं धाः.. (४) हे इं ! आप का कोई श ु उ प नह आ है अथात् आप अजातश ु ह. आप उ प होते ही वृ ासुर आ द छह रा स के मन हो गए. अपने अंधकार से वगलोक और पृ वीलोक को बचाया. आप ने दोन लोक को काश यु बनाया. आप ने ही दोन लोक को थरता द . आप ने ही दोन लोक को सुंदर बनाया. (४) मे ड न वा व णं भृ म तं पु ध मानं वृषभ थर नुम्. करो यय त षी व यु र ु ं वृ हणं गृणीषे.. (५) हे यजमानो! अ छे कम के कारण सभी जगह इं क सराहना होती है. वे वृ ासुर व श ु वनाशक ह. उन क वगलोक म त ा है. वे बलवान ह. वे यु म थर रहते ह. वे व धारी और नाशक ह. वे वजयदाता ह. हम भी उन क म हमा क सराहना करते ह. (५) वो महे महे वृधे भर वं चेतसे
सुम त कृणु वम्.
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वशः पूव ः
चर चष ण ाः.. (६)
हे यजमानो! इं महान काय करने वाले और स ह. आप उन को सोमरस चढ़ाते समय उ म तो से उन क उपासना क जए. वे उपासक क इ छा पूरी करते ह. वे उपासक का क याण करते ह. (६) शुन वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ. शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स तं धना न.. (७) हे यजमानो! इं अ दाता, उ साही, वैभववान व उ म वीर ह. वे हमारी ाथना को ब त गौर से सुनते ह. वे श ु के सं चत धन को जीत लेते ह. वे श ुनाशक ह. हम उन क सहायता चाहते ह. हम इस लए उन का आ ान करते ह. (७) उ ा यैरत व ये समय महया व स . आ यो व ा न वसा ततानोप ोता म ईवतो वचा
स.. (८)
हे व स (ऋ ष)! आप इं य को जीतने वाले ह. वे यशव क ह. वे उपासक क ाथना यान से सुनते ह. हम उन से अ चाहते ह. आप य म उन क म हमा व णत करने वाली ाथनाएं पढ़ने क कृपा क जए. (८) च ं यद या वा नष मुतो तद मै म व च छ ात्. पृ थ ाम त षतं य धः पयो गो वदधा ओषधीषु.. (९) हे यजमानो! इं अंत र म दे द यमान ह. वे अपने व से यजमान के लए मीठा जल भेजते ह (बरसाते ह). वही जल पृ वी पर गाय म ध और ओष धय म गुणकारी रस के प म हम सभी को ा त होता है. (९)
यारहवां खंड यमू षु वा जनं दे वजूत अ र ने म पृतनाजमाशु
सहोवानं त तार रथानाम्. व तये ता य महा वेम.. (१)
हे यजमानो! हम अपने क याण के लए ता य (ग ड़) का आ ान करते ह. वे दे व त और बलवान ह. वे यु म हमारा भला कर सकते ह. वे श ु जत् व अबाध ग त वाले ह. वे ब त तेज ग त से उड़ने म समथ ह. (१) ातार म म वतार म हवेहवे सुहव शूर म म्. वे नु श ं पु त म मद ह वमघवा वे व ः.. (२) हे यजमानो! हम अपने क याण के लए इं का आ ान करते ह. वे हमारे ाता (र क), सहायक, श शाली व स म ह. वे ब त से उपासक ारा तु य (उपासना यो य) और धनवान ह. वे ह व के अ को हण करने क कृपा कर. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यजामह इ ं व द ण हरीणा र यां ३ व तानाम्. म ु भद धुव वधा भुव सेना भभयमानो व राधसा.. (३) हे यजमानो! इं हाथ म व धारण करते ह. वे वेगशील ह. वे रथ पर वराजमान ह. वे अपनी दाढ़ मूंछ से श ु को डराने वाले व उपासक को धनवैभव दान करने वाले ह. (३) स ाहणं दाधृ ष तु म ं महामपारं वृषभ सुव म्. ह ता यो वृ स नतोत वाजं दाता मघा न मघवा सुराधाः.. (४) श
हे यजमानो! इं श ु के ज थ के नाशक ह. उ ह भयभीत करने वाले ह. इं ब त मान ह. वे व धारी, वृ नाशक, अ दाता व यजमान को धन दे ने वाले ह. (४) यो नो वनु य भदा त मत उगणा वा म यमान तुरो वा. धी युधा शवसा वा त म ाभी याम वृषमण वोताः.. (५)
हे इं ! आप हमारी र ा क जए. आप क कृपा से हम श ु को हरा सक. हम श ु को मारने के इ छु क ह. हम मारक अ श के साथ आ मण करने के लए तैयार ह. हम ढ़ न य वाले ह. (५) यं वृ ष े ु तयः पधमाना यं यु े षु तुरय तो हव ते. य शूरसातौ यमपामुप म यं व ासो वाजय ते स इ ः.. (६) हे इं ! यजमान यु म सहायता के लए आप को पुकारते ह. आप उन क पुकार सुनते ह. आप अ श वाले यो ा के बुलाने पर उन क सहायता करते ह. जल वषा के लए आप से ही नवेदन कया जाता है. ा णगण आप को ही ह व सम पत करते ह. (६) इ ापवता बृहता रथेन वामी रष आ वहत सुवीराः. वीत ह ा य वरेषु दे वा वधथां गी भ रडया मद ता.. (७) हे इं ! आप पवतवासी, वशाल रथ वाले एवं उपासना यो य ह. अ छ संतान वाले यजमान आप को ह व भट करते ह. आप उस ह व का भोग लगाते ह. आप उस ह व से स होते ह. आप हमारी ाथना से और यश वी ब नए. आप हम अ दान करने क कृपा क जए. (७) इ ाय गरो अ न शतसगा अपः ैरय सगर य बु नात्. यो अ ेणेव च यौ शची भ व व त भ पृ थवीमुत ाम्.. (८) हे इं ! आप ने अपने साम य से वगलोक और पृ वीलोक को उसी तरह घेर रखा है, जैसे लोहे क पट् ट चार ओर से प हए को घेरे रखती ह. हमारी ाथनाएं अंत र से जल बरसाने क साम य रखती ह. (८) आ वा सखायः स या ववृ यु तरः पु
चदणवां जग याः.
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पतुनपातमा दधीत वेधा अ म
ये तरां द ानः.. (९)
हे इं ! आप अंत र लोक म मौजूद ह. हम आप के म ह. हम उ म ाथना से आप का आ ान करते ह. आप के भाव और कृपा से हम पु और पौ क ा त हो. (९) को अ युङ् े धु र गा ऋत य शमीवतो भा मनो णायून्. आस ेषाम सुवाहो मयोभू य एषां भृ यामृणध स जीवात्.. (१०) हे इं ! आप के अलावा आप के रथ म इन घोड़ को जोत सकने क कस क साम य है? आप के घोड़े रथ क धुरी क सहायता से ग त पाते ह, मतावान ह. आप श ु पर ोध करने वाले व सुखदायी ह. आप के घोड़ का भृ य (भरणपोषण करने वाला) ही जीवन धारण करता है. (१०)
बारहवां खंड गाय त वा गाय णो ऽ च यकम कणः. ाण वा शत त उ श मव ये मरे.. (१) हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले ह. गाने वाले आप के गुण गाते ह. मं से आप का आ ान करते ह. ा नामक ऋ वक् वैसे ही वर साध कर आप क उपासना करते ह, जैसे बांस के ऊपर नट अपनेआप को साधते ह. (१) इ ं व ा अवीवृध समु चसं गरः. रथीतम रथीनां वाजाना स प त प तम्.. (२) हे इं ! आप े रथ पर वराजमान ह. आप े यो ा, अ व बल के वामी ह. आप स जन के र क ह. हमारी सारी ाथनाएं आप का गुणगान करती ह. (२) इम म सुतं पब ये मम य मदम्. शु य वा य र धारा ऋत य सादने.. (३) हे इं ! आप अमर व स तादायी ह. सदन म प र कृत सोमरस आप क ओर बढ़ रहा है. आप उसे वीकारने क कृपा क जए. (३) य द च म इह ना त वादातम वः. राध त ो वद स उभयाह या भर.. (४) हे इं ! आप धनवान व वल ण ह. हमारे पास ऐसा कोई धन नह है, जो हम आप को भट कर सक. आप खुले हाथ से हम भरपूर धन दान करने क कृपा क जए. (४) ु ी हवं तर या इ य वा सपय त. ध सुवीय य गोमतो राय पू ध महाँ अ स.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! तर (ऋ ष) आप क उपासना कर रहे ह. आप उन क ाथना सुनने क कृपा क जए. आप महान ह. आप हम धनवान, गोवान व े वीयवान बनाने क कृपा क जए. (५) असा व सोम इ ते श व धृ णवा ग ह. आ वा पृण व य रजः सूय न र म भः.. (६) हे इं ! आप बलवान, श ु जत एवं अंत र को सूय क तरह का शत करने वाले ह. सोमरस आप को भी अपार श से भर दे . (६) ए या ह ह र भ प क व य सु ु तम्. दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (७) हे इं ! आप तेजोमय ह. आप घोड़ क सहायता से क व ऋ ष क ाथनाएं सुनने के लए वगलोक से पृ वीलोक पर पधा रए. आप को हमारे लोक म भी सुख मलेगा. आप कुछ समय यह वास करने के लए पधा रए. (७) आ वा गरो रथी रवा थुः सुतेषु गवणः. अ भ वा समनूषत गावो व सं न धेनवः.. (८) हे इं ! आप उपासना के यो य ह. सोमय म हमारी ाथनाएं वैसे ही आप के पास प ंचती ह, जैसे गाएं झटपट अपने बछड़ के पास प ंचती ह और यो ा रथ पर चढ़ कर सुर त थान पर प ंचता है. (८) एतो व तवाम शु शु ै थैवावृ वा स
शु े न सा ना. शु ै राशीवा मम ु.. (९)
हे इं ! आप ज द आइए. हम शु ता से साम और यजु मं पढ़ कर आप क उपासना कर रहे ह. हम बल बढ़ाने वाला मं से शु कया और गाय के ध म मला आ सोमरस आप को भट कर रहे ह. वह सोमरस आप क स ता बढ़ाए. (९) यो र य वो र य तमो यो ु नै ु नव मः. सोमः सुतः स इ ते ऽ त वधापते मदः.. (१०) हे इं ! आप श दे ने वाली हो. (१०)
मान, सुंदर एवं काशमान ह. उपासक क आ त आप को आनंद
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चौथा अ याय पहला खंड य मै पपीषते व ा न व षे भर. अर माय ज मये ऽ प ाद वने नरः.. (१) हे यजमानो! इं य के संचालक ह. वे सोमरस पीने के इ छु क रहते ह. वे सभी जगह नधा रत समय पर प ंचते ह. वे उपयु थान के भागीदार ह. सब से पहले उन को ही य क वेद पर त त कया जाता है. मनु य के य म वे जाने क इ छा रखते ह. आप सभी उ ह इं को सोमरस से तृ त करने क कृपा क जए. (१) आ नो वयो वयःशयं महा तं ग रे ाम्. महा तं पू वणे ामु ं वचो अपावधीः.. (२) हे इं ! आप पवतवासी ह. हम सोमरस द जए. वह सब जगह उपल ध है. आप घोर नदा पद बात को हम से र करने क कृपा क जए. हे इं ! आप श ु को हराने वाले ह. (२) आ वा रथं यथोतये सु नाय वतयाम स. तु वकू ममृतीषह म श व स प तम्.. (३) हे इं ! आप श ु को हराते व यजमान का पोषण करते ह. हम आप से संर ण व सुख चाहते ह. जैसे ग तशील रथ सब जगह घुमा कर ले आता है, उसी कार यजमान आप को य थान पर ले आते ह. (३) स पू महोनां वेनः तु भरानजे. य य ारा मनुः पता दे वेषु धय आनजे.. (४) यजमान ारा भट कए गए ह व के अ का भोग लगाने के लए इं य उप थत होते ह. वे सभी दे वता के पालक व बु शील ह. (४)
थल पर
यद वह याशवो ाजमाना रथे वा. पब तो म दरं मधु त वा स कृ वते.. (५) म द् आनंददायी ह. वे मीठा सोमरस पीते और अ उपजाते ह. वे तेज वी एवं ती ग तमान ह. वे इं को य वेद तक प ंचाते ह. (५) यमु वो अ हणं गृणीषे शवस प तम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ ं व ासाहं नर श
श च ं व वेदसम्.. (६)
हे इं ! आप यजमान के हतकारी, अ व बल के वामी, श ु जत्, य नायक एवं सव ह. हम आप क उपासना करते ह. (६)
के वामी,
द ध ा णो अका रषं ज णोर य वा जनः. सुर भ नो मुखा कर ण आयू ष ता रषत्.. (७) हे यजमानो! हम द ध ाव (ऋ ष) क उपासना करते ह. द ध ाव (ऋ ष) वजेता, घोड़े के समान ग तशील व शरीर को पोषण दे ने वाले एवं हमारी आयु म बढ़ोतरी करने वाले ह. (७) पुरां भ युवा क वर मतौजा अजायत. इ ो व य कमणो धता व ी पु ु तः.. (८) इं श ु क नग रय को व त करने वाले एवं जवान ह. वे क व, श व पालक, व धारी एवं अ ग य ह. (८)
मान,
सरा खंड व ु भ मषं व द राये दवे. धया वो मेधसातये पुर या ववास त.. (१) हे यजमानो! आप वीर इं को ह व दान करो. वे य को पूरा करने म बु से कए गए े काय क शंसा व मनोकामनाएं पूरी करते ह. वे यजमान का स मान करते ह. (१) क यप य व वदो यावा ः सयुजा व त. ययो व म प तं य ं धीरा नचा य.. (२) इं के घोड़े अपनेआप को जानने वाले व सव ह. ये घोड़े इं को य म ले जाने म लगे रहते ह. व ान् कहते ह क य म जाने का न य होते ही ये घोड़े अपनेआप रथ म जुत जाते ह. (२) अचत ाचत नरः यमेधासो अचत. अच तु पु का उत पुर मद् धृ णवचत.. (३) हे यजमानो! इं आप को अपनी कृपा से ऐसी संतान दान करते ह, जो य म च रखती ह . वे यजमान क आकां ा पूरी करते ह. वे श ु जत् ह. आप सभी इं क अचना क जए. (३) उ थ म ाय श यं वधनं पु न षधे. श ो यथा सुतेषु नो रारण स येषु च.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे यजमानो! आप मतावान इं के लए ाथना गाइए. आप उन श ुनाशक के लए े ाथना गाइए. ऐसा करने से हम पर, हमारी संतान पर और हमारे म पर उन क कृपा होगी. (४) व ानर य व प तमनानत य शवसः. एवै चषणीनामूती वे रथानाम्.. (५) हे म द्गणो! आप के सै नक पर आ मण होता है तो इं र ा करते ह. वे श ु के सै नक पर आ मण करने वाले ह. उन को कोई नह जीत सकता. हम रथ क र ा हेतु उन श मान को आमं त करते ह. (५) स घा य ते दवो नरो धया मत य शमतः. ऊती स बृहतो दवो षो अ हो न तर त.. (६) हे इं ! वह र त रहता है, जो
आप के द संर ण म रहता है. वह पाप एवं मन से यजमान क भावी ाथना से आप का सखा बन जाता है. (६)
वभो इ राधसो व वी रा तः शत तो. अथा नो व चषणे ु नं सुद म हय.. (७) हे इं ! आप धनवान, सव ाता, सैकड़ य करने वाले, वल ण म हमाशाली ह. आप हम धन द जए और संप बनाइए. (७) वय े पत णो पा चतु पादजु न. उषः ार ृतू रनु दवो अ ते य प र.. (८) हे उषा! आप काशवाली ह. आप जब उदय हो जाती ह तो अंत र तक उड़ते ह. पशु भी वचरण करते ह. मनु य भी ग तशील हो जाते ह. (८)
मप ी र र
अमी ये दे वा थन म य आ रोचने दवः. क ऋतं कदमृतं का ना व आ तः.. (९) हे दे वगणो! कृपया आप हम यह बताइए क जब सूय दय होता है और आकाश का शत हो जाता है तब हमारी ाथना आप तक प ंचती है या नह ? हमारी वशेष आ त को आप पाते ह या नह ? (९) ऋच साम यजामहे या यां कमा ण कृ वते. व ते सद स राजतो य ं दे वेषु व तः.. (१०) हम यजमान ऋ वेद और सामवेद के मं से य करते ह. इन मं करते ह, वही इस य सदन से दे वता तक प ंच पाता है. (१०)
तीसरा खंड ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से हम जो काय
व ाः पृतना अ भभूतरं नरः सजू तत ु र ं जजनु राजसे. वे वरे थेम यामुरीमुतो मो ज ं तरसं तर वनम्.. (१) इं य म सव े थान पर वराजते ह. वे सेनानायक व ओज वी ह. उन क सेना संग ठत है. वे अ श धारण करते ह. वे श ुनाशक, उ व म हमावान ह. यजमान तेजी से काय करते ह. वे इं क उपासना करते ह. (१) े दधा म थमाय म यवे ऽ ह य युं नय ववेरपः. उभे य वा रोदसी धावतामनु यसाते शु मा पृ थवी चद वः.. (२) हे इं ! आप ( मन ) का नाश करने वाले ह. आप ा णय के हत के लए जल बरसाते ह. वगलोक और पृ वीलोक आप क इ छा से याशील होते ह. हम इं के उस ोध क शंसा करते ह, जो अ याय को र करता है. हम यजमान आप पर ब त ा रखते ह. (२) समेत व ा ओजसा प त दवो य एक इ र त थजनानाम्. स पू नूतनमा जगीषन् तं वतनीरनु वावृत एक इत्.. (३) हे यजमानो! इं अपने पु षाथ से वगलोक के वामी बने ह. वे मनु य म पूजनीय, अपूव व जीतने के इ छु क को वजय दलाते ह. आप सब मल कर उन क उपासना क जए. (३) इमे त इ ते वयं पु ु त ये वार य चराम स भूवसो. न ह वद यो गवणो गरः सघ ोणी रव त त य नो वचः.. (४) हे इं ! आप ब त धनवान ह. सभी जगह आप क शंसा होती है. हम आप क शरण म ह. आप जैसा उपासना यो य और कोई दे वता नह ह. हम आप क उपासना करते ह. आप हमारे उपासना वचन को (सब कुछ वीकारने वाली) पृ वी माता के समान वीका रए. (४) चषणीधृतं मघवानमु या ३ म ं गरो बृहतीर यनूषत. वावृधानं पु त सुवृ भरम य जरमाणं दवे दवे.. (५) हे इं ! आप सभी मनु य का पालनपोषण करते ह. आप धनवान, स एवं आप यजमान क बढ़ोतरी करते ह. आप अमर ह. हम त दन आप के लए कई शंसापरक तु तयां करते ह. हम कई द उपासना से बारबार आप क उपासना करते ह. (५) अ छा व इ ं मतयः वयुवः स ीची व ा उशतीरनूषत. प र वज त जनयो यथा प त मय न शु युं मघवानमूतये.. (६) हे इं ! हम अपने संर ण, धनसंपदा व बु पाने के लए आप को चाहते ह. हम आप से अपनी उ त क इ छा रखते ह. म हलाएं जैसे प त को चाहती ह, वैसे ही हमारी ाथनाएं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आप को चाहती ह. (६) अ भ यं मेषं पु तमृ मय म ं गी भमदता व वो अणवम्. य य ावो न वचर त मानुषं भुजे म ह म भ व मचत.. (७) हे यजमानो! आप इं क उपासना क जए. इं श ु को जीतने वाले ह. वे ब शं सत ह. वे धन के भंडार और वगलोक क भां त व तृत ह. उन क म हमा चार ओर ा त ह. ऐसे ानवान इं को आप सब भ जए. (७) य सु मेषं महया व वद अ यं न वाज हवन यद
शतं य य सुभुवः साकमीरते. रथ म ं ववृ यामवसे सुवृ भः.. (८)
हे यजमानो! इं आ म ाता व म हमाशाली ह. वे सौसौ काय एक साथ करने वाले व श ु से होड़ करने वाले ह. यजमान को धनदान करने के लए वे हवन म पधारते ह. घोड़े क तरह तेजी से प ंचते ह. आप अपने संर ण के लए सौसौ ाथना से उन क उपासना क जए. (८) घृतवती भुवनानाम भ योव पृ वी मधु घे सुपेशसा. ावापृ थवी व ण य धमणा व क भते अजरे भू ररेतसा.. (९) वगलोक और पृ वीलोक काश संप ह. सभी ा णय को आधार दे ते ह. वे वशाल व व तृत ह. वे मीठे जल वाले ह व परम श पर टके ए ह. वे अ वनाशी ह. उन क उ पादन मता े है. (९) उभे य द रोदसी आप ाथोषा इव. महा तं वा महीना स ाजं चषणीनाम्. दे वी ज न यजीजन ा ज न यजीजनत्.. (१०) हे इं ! आप वगलोक और पृ वीलोक को उषा ारा का शत करते ह. आप ब त महान व स ाट् ह. दे वता को जनने वाली अ द त ने आप को ज म दया है. (१०) म दने पतुमदचता वचो यः कृ णगभा नरह ृ ज ना. अव यवो वृषणं व द णं म व त स याय वेम ह.. (११) हे यजमानो! आप इं को ह व दान क जए. आप उन क अचना क जए. उ ह ने ऋ ज क मदद से कृ णासुर क गभवती य के साथ उस का वध कया. वे दाएं हाथ म व धारण करने वाले ह. वे म द्गण क सेना के साथ मौजूद रहते ह. वे श मान ह. यजमान उन से अपना संर ण चाहते ह. हम यजमान म ता के लए उन का आ ान करते ह. (११)
चौथा खंड ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ
सुतेषु सोमेषु
तुं पुनीष उ यम्. वदे वृध य द
य महा
ह षः.. (१)
हे इं ! आप के पु (यजमान ) ने आप के लए सोमरस प र कृत कया है. आप यजमान और उपासक दोन क बढ़ोतरी व उ ह प व क जए. आप द व महान ह. (१) तमु अ भ
गायत पु
तं पु
ु तम्. इ ं गी भ त वषमा ववासत.. (२)
हे उपासको! आप इं का आ ान क जए. आप उन क गुण गाइए एवं उन का चतन क जए. (२)
शंसा क जए. आप उन के
तं ते मदं गृणीम स वृषणं पृ ु सास हम्. उ लोककृ नुम वो ह र यम्.. (३) हे इं ! आप के हाथ म व है. आप बलवान व श ु जत् ह. आप के घोड़े मनु य का हत साधते ह. सोमपान से आप म ऊजा आती है. हम उस ओज क शंसा करते ह. (३) य सोम म
वणवय ाघ
त आ ये. य ा म सु म दसे स म
भः.. (४)
हे इं ! य म व णु पधारे. आप ने उस के बाद सोमरस पया. आप आ य त (ऋ ष) और म द्गण के साथ सोमरस पी कर स ए. आप कई अ य य म सोमरस पी कर स ए (उसी कार) आप हमारे इस य म भी सोमरस पी कर स होइए. (४) ए मधोम द तर
स चा वय अ धसः. एवा ह वीर तवते सदावृधः.. (५)
हे यजमानो! मधुर सोमरस से स होने वाले इं को सोमरस द जए. वे वीर, तु त के यो य ह. वे सदा बढ़ोतरी पाते ह. (५) ए
म ाय स चत पब त सो यं मधु.
राधा
स चोदयते म ह वना.. (६)
हे यजमानो! सोमरस इं को अ पत क जए. मीठा रसीला सोमरस पीने के बाद अपनी म हमा से वे यजमान को भरपूर धन दे ते ह. (६) एतो व तवाम सखायः तो यं नरम्. कृ ीय व ा अ य येक इत्.. (७) हे सखाओ! ज द आइए. हम इं क तु त कर. वे सव े ह और अकेले ही श ु को हरा सकते ह. (७) इ ाय साम गायत व ाय बृहते बृहत्.
कृते वप ते पन यवे.. (८)
हे ा णो! आप इं के लए बृह साम के मं उचा रए. वे एवं उपासना के यो य ह. (८)
ानी, ववेक , महान
य एक इ दयते वसु मताय दाशुषे. ईशानो अ त कुत इ ो अ .. (९) हे यजमानो! इं ई र, दानशील व धनदाता ह. वे
तकार नह करते ह. अकेले होने
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पर भी वे सब ा णय के वामी ह. (९) सखाय आ शषामहे
े ाय व
णे. तुष ऊ षु वो नृतमाय धृ णवे.. (१०)
हे सखाओ! इं व वाले ह. हम ाथना से उन क उपासना करते ह. हम ानी इं से आशीष चाहते ह. वे सव म परा मी व श ु को मात दे ने वाले ह. हम सब के हत हेतु उन क उपासना करते ह. (१०)
पांचवां खंड गृणे त द
ते शव उपमां दे वतातये. य
स वृ मोजसा शचीपते.. (१)
हे इं (शचीप त)! हम पास ही हो रहे इस य म आप क म हमा क उपासना करते ह. आप अपने ओज से वृ ासुर का नाश कर सके. (१) य य य छ बरं मदे दवोदासाय र धयन्. अय
स सोम इ
ते सुतः पब.. (२)
हे इं ! आप सोमरस पी जए. सोमरस से मदम त हो कर ही आप ने दवोदास के लए शंबर का नाश कया. (२) ए
नो ग ध
य स ा जदगो . ग रन व तः पृथुः प त दवः.. (३)
हे इं ! आप सभी को य व श ु जत् ह. आप को कोई नह हरा सकता. आप ग र जैसे वशाल व वगलोक के वामी ह. आप व के सभी वैभव हम दान कराने के लए हमारे पास पृ वी पर पधारने क कृपा क जए. (३) यइ
सोमपातमो मदः श व चेत त. येना ह
स या ३
णं तमीमहे.. (४)
हे इं ! आप अ धक सोमरस का पान करते ह. आप अतीव बलशाली व ब त अ धक ऊज वी ह. इसी ऊजा (उ साह) से आप मन का नाश कर पाते ह. हम इस लए आप क उपासना करते ह. (४) तुचे तुनाय त सु नो ाघीय आयुज वसे. आ द यासः सुमहसः कृणोतन.. (५) हे आ द यो! आप महान ह. आप हमारी संतान को लंबी आयु द जए. आप हमारी संतान क संतान को द घ आयु दान करने क कृपा क जए. (५) वे था ह नऋतीनां व ह त प रवृजम्. अहरहः शु युः प रपदा मव.. (६) हे इं ! आप व न को र करना जानते ह. आप प व तापूवक आप य का नराकरण करते ह. आप रोग नवारक ( च क सक) मनु य के समान सभी आप य को र कर सकते ह. (६) अपामीवामप
धमप सेधत म तम्. आ द यासो युयोतना नो अ
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हसः.. (७)
हे आ द यो! आप हम हम बु से बचाइए. (७) पबा सोम म सोतुबा या
णता व श ुता के भाव से र रखने क कृपा क जए. आप
म दतु वा यं ते सुषाव हय ा ः. सुयतो नावा.. (८)
हे इं ! आप अ वान (घोड़े वाले) ह. आप स ता दे ने वाले सोमरस को पीने क कृपा क जए. जन प थर से कूटकूट कर सोमरस नकाला जाता है, वे प थर य शाला म वैसे ही थर ह, जैसे घुड़साल म र सय से बंधे घोड़े थर रहते ह. (८)
छठा खंड अ ातृ ो अना वमना प र
जनुषा सनाद स. युधेदा प व म छसे.. (१)
हे इं ! आप शु से ही भाइय के लड़ाईझगड़ से मु ह. आप के ऐसे भाईबंधु भी नह ह, जो आप क मदद कर या आप पर राज कर. आप यु म संर ण दे कर अपने भ के साथ भाईबंधुता था पत करते ह. (१) यो न इद मदं पुरा
व य आ ननाय तमु व तुषे. सखाय इ मूतये.. (२)
हे यजमानो! इं आरंभ से ही धनदाता ह. हम अपने क याण के लए उन क उपासना करते ह. (२) आ ग ता मा रष यत
थावानो माप थात सम यवः. ढा च म य णवः.. (३)
हे म द्गणो! आप हमारे पास पधा रए. आप हम कोई नुकसान न प ंचाते ए हमारे पास आइए. जो बलशाली ह, जो मन को ःखी करने वाले ह, वे भी हमारे पास रह. वे हम से र न रह. (३) आ या य म दवे ऽ पते गोपत उवरापते. सोम
सोमपते पब.. (४)
हे इं दे व! आप घोड़ के मा लक, गाय व उवर भू म के वामी और सोमरस को पीने वाले ह. हम आप को सोमरस पीने के लए आमं त करते ह. आप आइए और सोमरस पी जए. (४) वया ह व ुजा वयं त स तं वृषभ ुवीम ह. स थे जन य गोमतः.. (५) हे इं ! आप बैल के समान बलवान ह. जो गोपालक के त ोध करते ह हम उन के त अपने को जोड़. आप क सहायता से उ चत उ र दे ते ए उन का वरोध कर. उ ह र करने म आप हमारा साथ द जए. (५) गाव
ा सम यवः सजा येन म तः सब धवः. रहते ककुभो मथः.. (६)
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हे म द्गणो! आप सभी एक जैसे भाव वाले ह. गाएं समान जा त के भाव वाली ह. वे हर दशा म वचरती ह और पर पर चाट कर ेम भाव को अ भ करती ह. (६) वं न इ ा भर ओजो नृ ण
शत तो वचषणे. आ वीरं पृतनासहम्.. (७)
हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले व वल ण ह. आप हम बलवान बनाइए. आप हम वैभव व वीर पु दान करने क कृपा क जए. (७) अधा ही
गवण उप वा काम ईमहे ससृ महे. उदे व म त उद भः.. (८)
हे इं ! आप शंसा के यो य ह. जल के साथ जाने वाले लोग भी उस के समान हो जाते ह. हम आप से अपनी इ छा पूण करने क कामना करते ह. हम आप के पास आ कर आप क उपासना करते ह. (८) सीद त ते वयो यथा गो ीते मधौ म दरे वव णे. अ भ वा म
नोनुमः.. (९)
हे इं ! सोमरस प र कृत होने के बाद गाय के ध के साथ एकमेक हो जाता है. सोमरस ऊजादायी व वाणी को ओज दे ता है. उस के पास जैसे प ी इकट् ठे हो कर चहचहाते ह, वैसे ही हम इकट् ठे हो कर आप को नमन करते ह. (९) वयमु वामपू
थूरं न क चद्भर तो ऽ व यवः. व
च
हवामहे.. (१०)
हे इं ! आप व वाले व वल ण ह. जैसे गुणी को लोग (आदर पूवक) बुलाते ह, उसी कार हम आप को बुलाते ह. हम सोमरस से आप को पूरी तरह तृ त करते ह. हम आप क उपासना करते ह. (१०)
सातवां खंड वादो र था वषूवतो मधोः पब त गौयः. या इ े ण सयावरीवृ णा मद त शोभथा व वीरनु वरा यम्.. (१) हे इं ! सूय प म आप क करण आप के साथ शो भत होती ह. वे करण वा द मीठे सोमरस को पीती ह. वे करण वरा य म शो भत होती ह. (१) इ था ह सोम इ मदो चकार वधनम्. शव व ोजसा पृ थ ा नः शशा अ हमच नु वरा यम्.. (२) हे इं ! आप व धारी व बलवान ह. सोमरस गुणी है. इन ाथना म हम ने सोमरस के गुण का वणन कया है. पृ वी पर हमारे श ु का नाश हो. पूरी तरह वरा य क थापना हो. (२) इ ो मदाय वावृधे शवसे वृ हा नृ भः. त म मह वा जषू तमभ हवामहे स वाजेषु
नो ऽ वषत्.. (३)
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हे यजमानो! हम यजमान स ता और उ साह क कामना से इं क क त क बढ़ोतरी करते ह. छोटे बड़े हर कार के यु म वे हमारी र ा करते ह. र ा के लए उन का आ ान करते ह. वे यु म हमारी र ा कर. (३) इ तु य मद वो ऽ नु ं व वीयम्. य यं मा यनं मृगं तव य माययावधीरच नु वरा यम्.. (४) हे इं ! आप व धारण करते ह. आप ग र (पवत) पर नवास करते ह. आप वराज क इ छा से अचना करने वाल क सहायता करते ह. यु म आप मायावी हरण क तरह छलीकपट के नाश के लए कूटनी त का सहारा लेते ह. (४) े भी ह धृ णु ह न ते व ो न य सते. इ नृ ण ह ते शवो हनो वृ ं जया अपो ऽ च नु वरा यम्.. (५) हे इं ! आप सब ओर से मन पर हमला क जए. आप मन का नाश क जए. आप का व श शाली व आप क श अतुलनीय है. आप ने अपने रा य क इ छा से वृ ासुर का वध कया, वजय ा त क व जल ा त कया. (५) य द रत आजयो धृ णवे धीयते धनम्. युङ् वा मद युता हरी क हनः कं वसौ दधो ऽ मां इ
वसौ दधः.. (६)
हे इं ! आप मद चुआने वाले अपने घोड़ को रथ म जो तए. आप कस का नाश करगे यह आप पर नभर है. आप कस को धन दान करगे यह भी आप पर नभर करता है. आप हम धन दान क जए. यु म श ु को जीतने वाले ही धन ा त करते ह. (६) अ मीमद त व या अधूषत. अ तोषत वभानवो व ा न व या मती योजा व
ते हरी.. (७)
हे इं ! यजमान आप के दए ए अ से तृ त ए. यजमान सर हला कर स ता कट करते ह. तेज वी ा ण नई ाथना पढ़ते ह. आप य म पधारने के लए घोड़ को रथ म जोतने क कृपा क जए. (७) उपो षु शृणुही गरो मघव मातथा इव. कदा नः सूनृतावतः कर इदथयास इ ोजा व
ते हरी.. (८)
हे इं ! आप धनवान ह. आप हमारी ाथना को सुनने क कृपा क जए. आप हम कब अ छ वाणी वाला बनाएंगे? आप हमारी तु तय को अ छ तरह सुनने के लए पधा रए. आप पधारने के लए अपने घोड़ को रथ म जोतने क कृपा क जए. (८) च मा अ वा ऽ ३ तरा सुपण धावते द व. न वो हर यनेमयः पदं व द त व ुतो व ं मे अ य रोदसी.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
चं अंत र म अपनी करण के साथ ग तशील ह. सूय क करण सुनहरी और चमक ली ह. हमारी इं यां उ ह नह पकड़ सकत . हे वगलोक! व पृ वीलोक! आप हमारी ाथना वीकार क जए. (९) त यतम रथं वृषणं वसुवाहनम्. तोता वाम नावृ ष तोमे भभूष त त मा वी सम ुत
हवम्.. (१०)
हे अ नीकुमारो! आप का रथ अ यंत य व बलवान है. वह धन ढोता है. उपासक ऋ ष अपनी ाथना से उसे सुशो भत करते ह. आप दोन मधुर व ा के ाता ह. आप हमारी ाथनाएं सु नए. (१०)
आठवां खंड आ ते अ न इधीम ह ुम तं दे वाजरम्. य या ते पनीयसी स म दय त वीष
तोतृ य आ भर.. (१)
हे अ न! आप अजर (बुढ़ापे से मु ) ह. आप काशमान ह. हम आप को व लत करते ह. आप वगलोक को का शत करते ह. आप उपासक को भरपूर धन द जए. (१) आ नं न ववृ भह तारं वा वृणीमहे. शीरं पावकशो चषं व वो मदे य ेषु तीणब हषं वव से.. (२) हे अ न! अ छ ाथना से आप को ह व द जाती है. य म आप के लए कुश का आसन बछाया जाता है. आप सव मौजूद ह. आप काशमान व महान ह. हम वशेष स ता के साथ आप क उपासना करते ह. (२) महे नो अ बोधयोषो राये द व मती. यथा च ो अबोधयः स य व स वा ये सुजाते अ सूनृते.. (३) हे उषा! आप पहले भी हम जा त करती रही ह. आप हम अब भी जा त क जए. आप धन ा त के लए हम जा त क जए. आप काशयु और े व ध (अ छ तरह) से उ प ह. आप वय के पु स य वा पर कृपा र खए. (३) भ ं नो अ प वातय मनो द मुत तुम्. अथा ते स ये अ धसो व वो मदे रणा गावो न यवसे वव से.. (४) हे सोम! सोमरस से हमारा मन स हो जाता है. आप हमारे स मन को बल द जए. याशील बनाने क कृपा क जए. आप हम हतकारी श द जए. े बनाइए. आप हम म ता के लए े रत क जए. हमारा आप से वैसा ही सखा भाव हो जाए, जैसा गाय का घास से हो जाता है. (४) वा महाँ अनु वधं भीम आ वावृते शवः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ऋ व उपाकयो न श ी ह रवां दधे ह तयोव मायसम्.. (५) हे इं ! आप भीम (भीषण बलवान) ह. फर भी आप सोमरस का पान कर के अपने बल क बढ़ोतरी करते ह. आप सुंदर ह. आप सर पर अ छ पगड़ी धारते ह. आप रथ म घोड़ को जोतते ह. आप दाएं हाथ म व को कड़े क भां त धारण करते ह. (५) स घा तं वृषण रथम ध त ा त गो वदम्. यः पा हा रयोजनं पूण म चकेत त योजा व
ते हरी.. (६)
हे इं ! आप गाय को जानने वाले (गो वद) ह. आप रथ म वराजते ह. आप का रथ श शाली है. आप अपने घोड़ को रथ म जो तए. आप हमारी मनोकामनाएं पूरी करने क कृपा क जए. (६) अ नं तं म ये यो वसुर तं यं य त धेनवः. अ तमव त आशवो ऽ तं न यासो वा जन इष
तोतृ य आ भर.. (७)
हे अ न! आप बादल म घर क तरह रहते ह. आप क ओर य थान म गाएं आती ह. आप क ओर ती ग त से घोड़े आते ह. आप क ओर ह व वाले यजमान आते ह. हम आप क उपासना करते ह. आप यजमान को भरपूर अ दान करने क कृपा क जए. (७) न तम हो न रतं दे वासो अ म यम्. सजोषसो यमयमा म ो नय त व णो अ त
षः.. (८)
हे दे वताओ! आप मनु य को ग त क राह पर बढ़ाते ह. अयमा, म और व ण राचा रय को र करते ह. आप क कृपा से मनु य पाप से र रहता है. आप क कृपा से मनु य क ग त नह हो पाती है. (८)
नौवां खंड पर
ध वे ाय सोम वा म ाय पू णे भगाय.. (१)
हे सोम! आप का रस सु वा ( वा द ) होता है. आप इं , पूषा व भग दे व के लए वा हत होइए. (१) पयू षु ध व वाजसातये प र वृ ा ण स णः. ष तर या ऋणया न ईरसे.. (२) हे सोम! आप सोमरस से कलश को भर द जए. आप उस भरेपूरे ोणकलश म भरे र हए. आप श मान होइए. आप मन पर आ मण क जए. हम आप कज से मु कराइए. आप हमारे श ु को हराइए. आप उन पर हमला करने के लए जाइए. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पव व सोम महा समु ः पता दे वानां व ा भ धाम.. (३) हे सोम! आप फैले ए ह. आप महान व समु जैसे ह. आप पता (पालक) ह. आप सभी दे वता के धाम ह. (३) पव व सोम महे द ाया ो न न ो वाजी धनाय.. (४) हे सोम! घोड़े क तरह आप को प र कृत कया है. आप श आप बल व वैभव द जए. आप ोणकलश म भरे र हए. (४)
क बढ़ोतरी करते ह.
इ ः प व चा मदायापामुप थे क वभगाय.. (५) हे सोम! आप क व व सुंदर ह. आप को भग दे वता को स करने के लए जल म मलाया जाता है. (५) अनु ह वा सुत सोम मदाम स महे समयरा ये. वाजाँ अ भ पवमान गाहसे.. (६) हे सोम! रस नकालने के बाद हम आप का पूजापाठ करते ह. आप को प र कृत करते ह. आप रा य क र ा क जए. आप मन क सेना पर हमला करने के लए थान करते ह. (६) क
ा नरः सनीडा
य मया अथा व ाः.. (७)
हे करने वाले मनु यो! हम जानकारी दे ने क कृपा क जए क एक ही आवास म रहने वाले अपने घोड़ वाले म द्गण के साथ का या संबंध है. (७) अ ने तम ा ं न तोमैः
तुं न भ
द पृशम् ऋ यामा त ओहैः.. (८)
हे अ न! आप घोड़ के समान ग तमान ह. हम ऊह तो गा रहे ह. यह ऊह तो दय को पश करने वाला है. आप क यशगाथा क बढ़ोतरी करने वाला है. (८) आ वमया आ वाजं वा जनो अ मं दे व य स वतुः सवम्. वगा अव तो जयत.. (९) स वता ने प र कृत सोमरस को हण कर लया है. वे तेज वी व मनु य के लए हतकारी ह. यजमान को उन से जीतने के लए घोड़े और वग क इ छा करनी चा हए. (९) पव य सोम ु नी सुधारो महाँ अवीनामनुपू ः.. (१०) हे सोम! आप काशमान ह. आप अ छ धारा से ोणकलश म झ रए. आप अपूव व महान ह. (१०)
दसवां खंड व तोदाव व तो न आ भर यं वा श व मीमहे.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप श ु का सवनाश करने वाले ह. आप हम भरपूर धन द जए. हम उसी के लए आप क उपासना करते ह. (१) एष
ा य ऋ वय इ ो नाम ुतो गृणे.. (२)
हे इं ! आप ाता ह. आप ऋतु के अनुकूल काय करते ह. आप का हम आप क उपासना करते ह. (२)
स
नाम इं है.
ाण इ ं महय तो अकरवधय हये ह तवा उ.. (३) बु
हे इं ! हम आप के य क बढ़ोतरी करते ह. हम अ ह रा स के नाश के लए पूवक रचे गए मं से आप क तु त करते ह. (३) अनव ते रथम ाय त ु व ा व ं पु
त ुम तम्.. (४)
हे इं ! कई ऋ ष मु न आप क उपासना करते ह. दे वता रथ बनाया है. व ा (दे वता के श पकार) ने आप के लए नमाण कया है. (४) शं पदं मघ
ने आप के घोड़ के लए ुमान (चमचमाते) व का
रयी षणो न कामम तो हनो त न पृश यम्.. (५)
यजमान दे वता क कृपा से धन व सुख क ा त करते ह. वे अ छे भवन क करते ह. जो य याग नह करते, उ ह इन सब क ा त नह होती है. (५)
ा त
सदा गावः शुचयो व धायसः सदा दे वा अरेपसः.. (६) हे यजमानो! गाएं प व व पाप र हत होती ह. वे सभी ा णय ( व ) का भरणपोषण करने वाली होती ह. (६) आ या ह वनसा सह गावः सच त वत न य ध भः.. (७) (७)
हे उषा! आप आइए. आप ध से भरे थन वाली गाय को वन से साथ ले कर पधा रए. उप
े मधुम त
य तः पु येम र य धीमहे त इ .. (८)
हे इं ! हम मधुयु च मच से झरता आ धनधा य पाएं. हम आप के पास रहने के लए इ छु क ह. हम आप से धन पाना चाहते ह. हम आप का यान धरते ह. (८) अच यक म तः वका आ तोभ त ुतो युवा स इ ः.. (९) हे म द्गण! आप उ म व काशमान ह. इं उपासना के यो य ह. हम उन क उपासना करते ह. इं जवान, स व श ुनाशक ह. (९) व इ ाय वृ ह तमाय व ाय गाथं गायत यं जुजोषते.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे यजमानो! आप वृ का नाश करने वाले इं के लए गाथाएं गाइए. आप ा ण के लए जन गाथा को गाएंग,े उ ह वे स हो कर सुनते ह. (१०)
यारहवां खंड अचे य न
क तह वाट् न सुम थः.. (१)
हे अ न! आप ह ववाहक, काशमान, ानवान ह. जैसे रथ नधा रत जगह ले जाता है, वैसे ही आप जन जन दे वता के लए जोजो व तु सम पत क जाती है, उसे उनउन दे वता तक प ंचाते ह. आप सव ाता ह. (१) अ ने वं नो अ तम उत ाता शवो भुवो व
यः.. (२)
हे अ न! आप हमारे समीप ह. आप र क, क याणकारी, संर क व उपासना के यो य ह. (२) भगो न च ो अ नमहोनां दधा त र नम्.. (३) हे अ न! आप महान व र न धारण करते ह. आप सूय जैसे ह और यजमान को सौभा यवान बनाते ह. (३) व
य
तोभ पुरो वा स य दवेह नूनम्.. (४)
हे अ न! आप सभी श ु रहते ह. (४)
के नाशक ह. आप य वेद पर न त
उषा अप वसु मः सं वतय त वत न
प से उप थत
सुजातता.. (५)
उषा अ छ तरह कट हो कर अपनी करण से अपनी बहन रात के अंधेरे को र करती है. वह अपना माग का शत करती है. (५) इमा नु कं भुवना सीषधेमे
व े च दे वाः.. (६)
इं और अ य सभी दे व क मदद से ऋ षगण इस भुवन को अपने अनुशासन (वश) म रखते ह. इस से संसार म सुख बना रहता है. (६) व ुतयो यथा पथा इ
व तु रातयः.. (७)
हे इं ! जैसे छोटे पथ राजपथ से मल जाते ह, वैसे ही आप क कृपा से सभी को धन क राह मलती है. (७) अया वाजं दे व हत
सनेम मदे म शत हमाः सुवीराः.. (८)
हम दे व हत ा त ह . हम अ व बल ा त हो. हम शतायु ह . हम स सुवीर ( े वीर) संतान मले. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रह. हम
ऊजा म ो व णः प वतेडाः पीवरी मषं कृणुही न इ .. (९) हे इं ! म और व ण हम ऊज वी धन दान करते ह. आप हमारे अ अ धक पौ क बनाने क कृपा क जए. (९) इ ो व इं
को और
य राज त.. (१०)
व क शोभा ह. (१०)
बारहवां खंड क केषु म हषो यवा शरं तु वशु म तृ प सोमम पब स ममाद म ह कम कतवे महामु सैन स य म म्.. (१)
णुना सुतं यथावशम्. स े वो दे व सय इ ः
उ म द गुण वाला सोमरस इं को ा त आ. श शाली इं ने व णु के साथ सोमरस को पीया. उस सोमरस म जौ का आटा मलाया. वह तृ तकारी और लोक म ा त था. उस ने इं को महान काय करने क भी ेरणा दान क . (१) अय सह मानवो शः कवीनां म त य त वधम. नः समीची षसः समैरयदरेपसः सचेतसः वसरे म युम त ता गोः.. (२) सूय हजार मनु य का हत करने वाले क व, दे खने यो य, काशमान व अंधकारभेदक ह. वे उषा को भेजते ह. उन के काश के सामने चं मा और सरे न क चमक फ क लगती है. (२) ए या प नः परावतो नायम छा वदथानीव स प तर ता राजेव स प तः. हवामहे वा य व तः सुते वा पु ासो न पतरं वाजसातये म ह ं वाजसातये.. (३) हे इं ! आप स जन के पालनहार ह. जैसे अ न य शाला म पधारते ह, वैसे ही आप हमारे पास पधारते ह. आप स प त ह. जैसे मन को हरा कर राजा घर आता है, वैसे ही आप अंत र लोक से हमारे पास पधारते ह. हम यु म मदद के लए उसी तरह आप का आ ान करते ह, जैसे अ ा द के लए पु पता को बुलाते ह. हम अ आ द भोग के साथ अ ा द क ा त के लए आप का आ ान करते ह. (३) त म ं जोहवी म मघवानमु स ा दधानम त कुत वा स भू र. म ह ो गी भरा च य यो ववत राये नो व ा सुपथा कृणोतु व ी.. (४) हे इं ! आप धनवान, उ व बलवान ह. आप को कोई नह हरा सकता है. सभी य म आप क पूजा क जाती है. हम भी आप क पूजा करते ह. हम वाणी से आप क उपासना करते ह. व धारी इं हमारे सभी पथ सुपथ बनाने क कृपा कर. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ तु ौषट् पुरो अ नं धया दध आ नु य छध द ं वृणीमह इ वायू वृणीमहे. य ाणा वव वते नाभा स दाय न से. अध नूनमुप य त धीतयो दे वाँ अ छा न धीतयः.. (५) हम यजमान ने बु पूवक अ न क य वेद म थापना क है. हम द अ न क उपासना करते ह. हम इं और वायु से भी अपनी तु त सुनने का अनुरोध करते ह. दोन दे व हम यश और धन दान करने क कृपा कर. हमारी ाथनाएं संबं धत दे व के पास ज र प ंचगी. हमारे सभी य संबंधी काय दे व के पास प ंचाने के लए ही कए जा रहे ह. (५) वो महे मतयो य तु व णवे म वते ग रजा एवयाम त्. शधाय य यवे सुखादये तवसे भ द द ये धु न ताय शवसे.. (६) हे इं ! आप महान ह. एवयाम त् (ऋ ष) आप क उपासना करते ह. एवयाम त् ऋ ष क तु तयां म द्गण तक प ंच. एवयाम त् ऋ ष क तु तयां व णु तक प ंच. यजमान का क याण हो. यजमान को सुखा द ा त हो. यजमान को म द्गण का बल ा त हो. (६) अया चा ह र या पुनानो व ा े षा स तर त सयु व भः सूरो न सयु व भः. धारा पृ य रोचते पुनानो अ षो ह रः. व ाय प ू ा प रया यृ व भः स ता ये भऋ व भः.. (७) हे सोम! आप का रस हरे रंग का है. प र कृत सोमरस श ुनाशक है. उस क धारा चमक ली और तमहारी (अंधकार र करने वाली) है. प र कृत हरी व लाल आभा वाला सोमरस चमकता आ शो भत होता है. उस क सात रंग वाली करण अनेक प धारण करती ह. (७) अ भ यं दे व स वतारमो योः क व तुमचा म स यवस र नधाम भ म तम्. ऊ वा य याम तभा अ द ुत सवीम न हर यपा णर ममीत सु तुः कृपा वः.. (८)
यं
हे स वता! हम आप क उपासना करते ह. आप क व, स यवान व अ यंत य ह. आप का काश पृ वीलोक से अंत र लोक तक फैलता है. आप सुनहरे काश वाले ह. आप हम य करने वाल पर अपनी कृपा बनाए रखते ह. (८) अ न होतारं म ये दा व तं वसोः सूनु सहसो जातवेदसं व ं न जातवेदसम्. य ऊ वया व वरो दे वो दे वा या कृपा. घृत य व ा मनु शु शो चष आजु ान य स पषः.. (९) हे अ न! आप को हम होता मानते ह. हम आप के दास ह. आप धनदाता, ानदाता व सव ाता ह. आप जैसे सव ाता और ा ण को हम आ त दान करते ह. हम अपने य म ऊ व (ऊंचे) लोक म रहने वाले दे व क कृपा चाहते ह. प व और काशमान आप को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम घी क आ त भट करते ह. आप स होइए. (९) तव य य नृतो ऽ प इ थमं पू द व वा यं कृतम्. यो दे व य शवसा ा रणा असु रण पः. भुवो व म यदे वमोजसा वदे ज शत तु वदे दषम्.. (१०) हे इं ! आप सव े , अपूव, द व मनु य के लए क याणकारी ह. वग म आप क शंसा होती है. आप ने श ुनाश कया. श ु को हराया. आप ने जल वा हत कया. आप सैकड़ कम करने वाले ह. आप सव ाता ह. आप अपने बल के साथ पधा रए. आप हमारी ह व वीकारने क कृपा क जए. (१०)
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पवमान पव पांचवां अ याय पहला खंड उ चा ते जातम धसो द व सद्भू या ददे . उ
शम म ह वः.. (१)
हे सोम! वगलोक म आप के पोषक रस का ज म आ है. उसी वगलोक से आप मह वपूण सुख और चुर अ पृ वी पर प ंचाते ह. (१) वा द या म द या पव व सोम धारया. इ ाय पातवे सुतः.. (२) इं के लए सोमरस नचोड़ा गया है. हे सोम! आप रसीले ह. आप स ता दे ने वाले और वा द ह. आप क धाराएं नरंतर झर. (२) वृषा पव व धारया म वते च म सरः. व ा दधान ओजसा.. (३) हे सोम! आप गाढ़ गाढ़ धारा से यजमान के मटक म पधा रए. आप उन इं को स क जए, जन क म द्गण भी सेवा करते ह. आप इं क साम य और बढ़ाइए और यजमान क मनोकामनाएं पूरी क जए. (३) य ते मदो वरे य तेना पव वा धसा. दे वावीरघश
सहा.. (४)
हे सोम! आप का रस दे वता को ब त य, रा स का नाशक है. आप का रस ब त स तादायी है. आप इस रस के साथ कलश (मटक ) म पधा रए. (४) त ो वाच उद रते गावो मम त धेनवः. ह ररेत क न दत्.. (५) य के समय तीन वेद के मं गाए जाते ह. धा गाएं अपने दोहन के लए रंभाती ह. हरा सोमरस आवाज करता आ मटक म जाता है. (५) इ ाये दो म वते पव व मधुम मः. अक य यो नमासदम्.. (६) हे सोम! आप ब त मीठे ह. आप य शाला म पधा रए. आप इं के लए कलश म पधा रए (जाइए). (६) असा
शुमदाया सु द ो ग र ाः. यनो न यो नमासदत्.. (७)
हे सोम! आप पवत पर पैदा ए ह. आप को स ता के लए नचोड़ा जाता है. जल से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आप क मा ा बढ़ाई जाती है. जैसे येन (बाज) प ी अपने थान पर थत रहता है, वैसे ही आप य म अपने नधा रत थान पर वरा जए. (७) पव व द साधनो दे वे यः पीतये हरे. म द् यो वायवे मदः.. (८) हे सोम! आप हरीहरी आभा वाले व श कलश म पधा रए. (८)
मान ह. दे व और म द्गण के पीने के लए
प र वानो ग र ाः प व े सोमो अ रत्. मदे षु सवधा अ स.. (९) यह सोमरस प व पा म छाना जा रहा है. यह पवत पर उ प होता है. आप सब से यादा आनंददायी ह. (९) पर
या दवः क ववया
स न यो हतः. वानैया त क व तुः.. (१०)
हे सोम! आप बु को बढ़ाने वाले और ानी ह. आप का रस नकालने के लए दो फलक ( वगलोक और पृ वी) के बीच म रखा जाता है. आप का रस नकाल कर य करने वाले अपना य साधते ह. (१०)
सरा खंड सोमासो मद युतः वसे नो मघोनाम्. सुता वदथे अ मुः.. (१) हे सोम! आप स ता बढ़ाने वाले ह. आप को ह व दे ने के लए नचोड़ा गया है. आप को अ और यश ा त के उद्दे य से इन कलश म भरा गया है. (१) सोमासो वप तो ऽ पो नय त ऊमयः. वना न म हषा इव.. (२) हे सोम! आप बु बढ़ाने वाले ह. आप पानी क लहर क तरह कलश म जाते ह. आप वन के पशु क तरह प व पा म पधारते ह. (२) पव वे दो वृषा सुतः कृधी नो यशसो जने. व ा अप
षो ज ह.. (३)
हे सोम! आप बल और इ छा पू त के लए नचोड़े गए ह. आप हम यश वी बनाइए. आप हमारे सभी श ु को न क जए. (३) वृषा
स भानुना ुम तं वा हवामहे. पवमान व शम्.. (४)
हे सोम! आप इ छा पू त, प व करने वाले व काशमान ह. आप सब को एक नजर (समान ) से दे खते ह. हम इस य म आप को आमं त करते ह. (४) इ ः प व चेतनः
यः कवीनां म तः. सृजद
रथी रव.. (५)
हे सोम! आप चेतना दे ने वाले ह. आप सभी को य ह. व ान क तु त के साथ आप को पा म छाना जाता है. जैसे सारथी घोड़े को वश म रखता है, वैसे ही आप को धार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से वश म कर के कलश म भरा जाता है. (५) असृ त
वा जनो ग ा सोमासो अ या. शु ासो वीरयाशवः.. (६)
हे सोम! आप बलवान, बल दे ने वाले एवं वेगवान ह. यजमान ने गाय , घोड़ और पु को पाने क इ छा से आप को नचोड़ा है. (६) पव व दे व आयुष ग ं ग छतु ते मदः. वायुमा रोह धमणा.. (७) हे सोम! आप काशमान ह. आप छनने के लए पा म पधा रए. आप का आनंददायी रस इं को प ंचे. आप धारा के प म वायु को ा त क जए. (७) पवमानो अजीजन व
ं न त यतुम्. यो तव ानरं बृहत्.. (८)
सोम प व ए. उस के बाद उ ह ने वगलोक से सब को का शत कर सकने वाली यो त (वै ानर) को बजली क तरह चमकाया. (८) प र वानास इ दवो मदाय बहणा गरा. मधो अष त धारया.. (९) सोमरस नचोड़ने के बाद प व उसे छानते ह. (९)
ाथना
प र ा स यद क वः स धो माव ध
से यजमान तु त करते ए धारा म बांध कर तः. का ं ब
पु पृहम्.. (१०)
सोमरस बु बढ़ाने वाला है. अनेक लोग ारा चाहा गया है. लहर क तरह जल म मलता है. यह यजमान क इ छा से पा म छनछन कर चू रहा है. (१०)
तीसरा खंड उपो षु जातम तुरं गो भभ ं प र कृतम्. इ ं दे वा अया सषुः.. (१) सोमरस को पानी, गाय का ध और घी मला कर अ छ तरह तैयार कया गया है. यह श ुनाशक है. यह उ म सोमरस दे वता तक प ंचे. (१) पुनानो अ मीद भ व ा मृधो वचष णः. शु भ त व ं धी त भः.. (२) सोमरस बु बढ़ाने वाला, प व व सभी श ु सोम क तो से शोभा बढ़ाते ह. (२) आ वश कलश
सुतो व ा अष भ
यः. इ
पर आ मण करता है.
ानी उस
र ाय धीयते.. (३)
शु सोमरस नकाल लया गया है. यह कलश म भरा जा रहा है. यह इ छा पू त करने वाला सोमरस इं के लए भट कया जाता है. (३) अस ज र यो यथा प व े च वोः सुतः. का म वाजी य मीत्.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जैसे रथ का घोड़ा छोड़ा जाता है, वैसे ही सोम को दो फलक से नचोड़ कर छानने वाले बरतन म छोड़ा जाता है. घोड़े क तरह वेगवान सोमरस य पी यु म जाता है. (४) यद्गावो न भूणय वेषा अयासो अ मुः. न तः कृ णामप वचम्.. (५) सोमरस वेगवान और काशवान है. वह अपनी काली छाल र कर के उसी तरह य म जाता है, जस तरह गाएं वेग से अपने बाड़े म जाती ह. (५) अप न पवसे मृधः
तु व सोम म सरः. नुद वादे वयुं जनम्.. (६)
सोमरस मदम त करने वाला, य के व ध वधान (कमकांड ) को जानने वाला और श ु का नाशक है. सोम दे वता को न चाहने वाले रा स को र करने वाला है. (६) अया पव व धारया यया सूयमरोचयः. ह वानो मानुषीरपः.. (७) हे सोम! आप मनु य का हत करने वाले व जल को बरसात के लए रे णा दे ने वाले ह. जस धारा से आप सूय को का शत करते ह, उसी धारा से आप इस पा म वेश क जए. (७) स पव व य आ वथे ं वृ ाय ह तवे. व वा
सं महीरपः.. (८)
हे सोम! आप जल रोकने वाले वृ ासुर को मारने के लए इं का उ साह बढ़ाइए. आप अपनी धारा से कलश को पूण कर द जए. (८) अया वीती प र व य त इ दो मदे वा. अवाह वतीनव.. (९) हे सोम! इं के भोग के लए आप कलश म छ नए. सोमरस शंबर रा स क न यानवे नग रय को तोड़ने का इं को साम य दान करता है. (९) पर ु
सन य भर ाजं नो अ धसा. वानो अष प व आ.. (१०)
हे सोम! आप का शत और दे ने यो य धन हम द जए. आप हम बल और अ दान क जए. आप का प व रस छनने के बाद मटक म बना रहे ( थरता से भरा रहे). (१०)
चौथा खंड अ च दद्वृषा ह रमहा म ो न दशतः. स
सूयण द ुते.. (१)
सोम कामना पूरी करते ह. वे हरे और हमारे महान म ह. वे सूय के समान का शत होते ह. नचोड़ते समय वे श द करते ह. (१) आ ते द ं मयोभुवं व म ा वृणीमहे. पा तमा पु पृहम्.. (२) हे सोम! आप बलदाता, सुखदाता, धनदाता, श ुनाशक व अनेक लोग ह. आज य म हम आप के उस बल को याद करते ह. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ारा चाहे जाते
अ वय अ
भः सुत
सोमं प व आ नय. पुनाही ाय पातवे.. (३)
हे पुरो हतो! प थर से कूटकूट कर नचोड़े गए सोमरस को आप छान कर मटक म प ंचाइए. इं के पीने के लए आप सोमरस को शु बनाइए. (३) तर स म द धाव त धारा सुत या धसः. तर स म द धाव त.. (४) नचोड़ी गई सोमरस क धाराएं इं को स ता दे ने वाली ह. यह सोमरस जो इं को दे ता है, वह ऊ व (ऊंची) ग त पाता है. वह सभी पाप से पार हो जाता है. (४) आ पव व सह ण हे सोम! आप हजार अनु
रय
सोम सुवीयम्. अ मे वा
स धारय.. (५)
कार के े धन व अ हम दान क जए. (५)
नास आयवः पदं नवीयो अ मुः. चे जन त सूयम्.. (६)
पुराने समय म लोग ने े कया. (६)
थान पाने के लए सूय के समान तेज वी सोम को उ प
अषा सोम ुम मो ऽ भ ोणा न रो वत्. सीद योनौ वने वा.. (७) हे सोम! आप ब त काशमान एवं श द करते ए य पा म छनते ह. आप वन और य शाला म वरा जए. (७) वृषा सोम ुमाँ अ स वृषा दे व वृष तः. वृषा धमा ण द षे.. (८) हे सोम! आप बलवान, तेज वी व इ छा पू त के संक प वाले ह. आप बल बढ़ाने वाले इन गुण को धारण करने वाले ह. (८) इषे पव व धारया मृ यमानो मनी ष भः. इ दो चा भ गा इ ह.. (९) हे सोम! व ान् यजमान आप को नचोड़ते व छानते ह. हम अ रस ा त कराने के लए आप धारा के प म छनते ए कलश म पधा रए. आप गौ आ द पशु को ा त होइए. (९) म या सोम धारया वृषा पव य दे वयुः. अ ा वारे भर मयुः.. (१०) हे सोम! आप इ छा पूरी करने वाले व दे वता ारा चाहे गए ह. हम भी आप को चाहते ह. बाल से बनी छलनी से छ नए. आप आनंददायी धारा का प ध रए व संर ण द जए. (१०) अया सोम सुकृ यया महा स
यवधथाः. म दान इद् वृषायसे.. (११)
हे सोम! आप महान, अपने अ छे काय के कारण स माननीय व आनंददाता ह. आप बैल क तरह श दे ते ह. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अयं वचष ण हतः पवमानः स चेत त. ह वान आ यं बृहत्.. (१२) हे सोम! आप वशेष बु दे ने वाले ह. छान कर साफ बरतन म भरा जल मला आ सोमरस ब त आनंद व अ दे ता है. ब त लोग इस के गुण गाते ह. (१२) न इ दो महे तु न ऊ म न ब दष स. अ भ दे वाँ अया यः.. (१३) हे सोम! ब त धन पाने के लए हम मटक म आप को छानते ह. अया य ऋ ष दे व पूजन के लए आप क लहर को धारण करते ए गाते ह. (१३) अप न पवते मृधो ऽ प सोमो अरा णः. ग छ
य न कृतम्.. (१४)
हे सोम! आप श ु व धन न दे ने वाल के भी नाशक ह. सोम इं के पास जाने के लए छनछन कर टपक रहे ह. (१४)
पांचवां खंड पुनानः सोम धारयापो वसानो अष स. आ र नधा यो नमृत य सीद यु सो दे वो हर ययः.. (१) हे सोम! आप प व करने वाले व पानी के साथ मल कर जलधार के प म आप मटक म वेश करते ह. आप र न आ द क मती धन दे ने वाले और य मंडप म वराजमान होते ह. आप काशमान, दे वता का हत साधने वाले, सुंदर, चमक ले व बहने वाले ह. (१) परीतो ष चता सुत सोमो य उ म ह वः. दध वाँ यो नय अ वा ३ तरा सुषाव सोमम भः.. (२) हे सोम! आप दे वता के लए सव े ह व ह. आप मनु य का हत साधने वाले ह. आप को पुरो हत प थर के ारा नचोड़ते ह. हे यजमानो! आप इस सोमरस म जल मलाइए. (२) आ सोम वानो अ भ तरो वारा य या. जनो न पु र च वो वश रः सदो वनेषु द षे.. (३) हे सोम! प थर से कूट कर आप का रस नकाल लया जाता है. उस के बाद भेड़ के बाल से बनी छलनी से छाना जाता है. हरे रंग वाला सोमरस ोणकलश म ऐसे वेश करता है, जैसे नगर म पु ष. सोमरस लकड़ी के बरतन म वराजमान रहता है. (३) सोम दे ववीतये स धुन प ये अणसा. अ शोः पयसा म दरो न जागृ वर छा कोशं मधु तम्.. (४) हे सोम! दे वता
के पीने के लए आप को सधु के समान जल के साथ मलाया जाता
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है. आप आनंददायी होने के साथसाथ चेतना जगाने वाले भी ह. आप जल से मल कर मीठा रस बरसाने वाले बरतन म वरा जए. (४) सोम उ वाणः सोतृ भर ध णु भरवीनाम्. अ येव ह रता या त धारया म या या त धारया.. (५) यजमान सोमरस नचोड़ते ह. सोमरस भेड़ के बाल से बनी छलनी से छन कर नीचे कलश म गरता है. यह हरा और आनंददायी है. यह धारा से मटक म जाता है. (५) तवाह सोम रारण स य इ दो दवे दवे. पु ण ब ो न चर त मामव प रधी र त तां इ ह.. (६) हे सोम! हम आप क म ता म हर दन रमे रह. कई उन सब का नाश क जए. (६)
रा स हम क दे ते ह. आप
मृ यमानः सुह या समु े वाच म व स. र य पश ं ब लं पु पृहं पवमाना यष स.. (७) हे सोम! आप को अ छे हाथ क अ छ अंगु लय से नकाला गया है. आप प व करने वाले ह. आप कलश म जाते समय आवाज करते ह. आप आराधक को चाहा गया एवं पीला धन ( वण) दे ते ह. (७) अ भ सोमास आयवः पव ते म ं मदम्. समु या ध व पे मनी षणो म सरासो मद युतः.. (८) सोमरस वेगवान है. वह मन को भाने वाला है. सोमरस आनंददायी है. पानी से भरे मटक म साफ कर के सोमरस डाला जाता है. (८) पुनानः सोम जागृ वर ा वारैः प र यः. वं व ो अभवो ऽ र तम म वा य ं म म णः.. (९) हे सोम! आप जा त दे ने वाले, य व प व ह. आप भेड़ के बाल से बनी छलनी म छन कर नीचे गरते ह. आप अं गरस ऋ षय क परंपरा म सब से े ह. आप बु व क ह. आप हमारे इस य को प व क जए. (९) इ ाय पवते मदः सोमो म वते सुतः. सह धारो अ य मष त तमी मृज यायवः.. (१०) सोमरस आनंददायी है. वह साफ छाना आ है. वह म त से यु इं के लए तैयार कया जाता है. सोमरस अनेक धारा वाला है. यह छलनी म छन कर शु होता है. फर यजमान मं से इसे और शु करते ह. (१०) पव व वाजसातमो ऽ भ व ा न वाया. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व
समु ः थमे वधमन् दे वे यः सोम म सरः.. (११)
हे सोम! आप को सब तो से प व कया गया है. आप खासतौर पर अ , धन ा त कराने वाले व दे वता को आनंद दे ने वाले ह. आप को उ ह के लए खासतौर पर तैयार कया जाता है. (११) पवमाना असृ त प व म त धारया. म व तो म सरा इ या हया मेधाम भ या शु
स च.. (१२)
सोम म द्गण से यु , आनंददायी, इं के य व अ मय ह. य म काम आने वाला सोमरस प व हो कर पा म गरता है. (१२)
छठा खंड तु व प र कोशं न षीद नृ भः पुनानो अ भ वाजमष. अ ं न वा वा जनं मजय तो ऽ छा बह रशना भनय त.. (१) हे सोम! आप शी आइए. आप कलश म वरा जए. यजमान आप को प व करते ह. आप यजमान को अ व धन द जए. जैसे बलवान घोड़े क र सी अंगुली से पकड़ कर उस को शु कया जाता है, वैसे ही यजमान प व कर के आप को य शाला तक प ंचाते ह. (१) का मुशनेव व ु ाणो दे वो दे वानां ज नमा वव . म ह तः शु चब धुः पावकः पदा वराहो अ ये त रेभन्.. (२) यजमान उशना ऋ ष क तरह तो का पाठ करते ह. वे दे वता से संबं धत वृ ांत बताते ह. वे ती ह. सोमरस काशमान व प व कारी है. उ म सोमरस आवाज करते ए कलश म छनता है. (२) त ो वाच ईरय त व ऋत य धी त णो मनीषाम्. गावो य त गोप त पृ छमानाः सोमं य त मतयो वावशानाः.. (३) यजमान ऋ वेद, यजुवद और सामवेद के मं से सोम क तु त करते ह. उन क तु त ानमय है. वह तु त य को धारण करने वाली है. जैसे गाय के पास बैल जाते ह, वैसे ही आराधक उ म सुख क इ छा से सोम के पास तु त करने के लए जाते ह. (३) अ य ेषा हेमना पूयमानो दे वो दे वे भः समपृ रसम्. सुतः प व ं पय त रेभन् मतेव स पशुम त होता.. (४) सोमरस सोने से शु कया गया है. यह द और प व है. इसे दे वता को चढ़ाया जाता है. नचोड़ा गया सोमरस वैसे ही पा म जाता है, जैसे वाला गाय के बाड़े म जाता है. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोमः पवते ज नता मतीनां ज नता दवो ज नता पृ थ ाः. ज नता नेज नता सूय य ज नते य ज नतोत व णोः.. (५) सोमरस बु दायी, वगलोक को का शत करने वाला, पृ वी को पु करने वाला व आनंददायी है. वह अ न, इं और व णु को आनंद दे ने वाला है. इसे पा म तैयार कया जाता है. (५) अ भ पृ ं वृषणं वयोधाम ो षणमवावश त वाणीः. वना वसानो व णो न स धु व र नधा दयते वाया ण.. (६) सोम तीन थान — अंत र , वन प त और शरीर म वास करने वाले ह. वे श मान और अ दाता ह. उपासक ऊंची वाणी से उन क तु त करते ह. जल के दे वता व ण क तरह जल म मलने वाले सोम उपासक को धन दे ते ह. (६) अ ां समु ः थमे वधम जनयन् जा भुवन य गोपाः. वृषा प व े अ ध सानो अ े बृह सोमो वावृधे वानो अ ः.. (७) सोम जलमय ह. वे य के र क, इ छा पूरक और श से यादा उ साह और उ त दे ने वाले ह. (७)
वधक ह. वे यजमान को सब
क न त ह ररा सृ यमानः सीद वन य जठरे पुनानः. नृ भयतः कृणुते न णजं गामतो म त जनयत वधा भः.. (८) यजमान सब ओर से दबा व कूट कर सोमरस नकालते ह. वह हरा व प व है. वह लकड़ी के बरतन म गरता आ बारबार आवाज करता है. उसे गाय के ध म मलाया जाता है. इस से ह व बनाई जाती है. यजमान इस क तु त करते ह. (८) एष य ते मधुमाँ इ सोमो वृषा वृ णः प र प व े अ ाः. सह दाः शतदा भू रदावा श मं ब हरा वा य थात्.. (९) हे इं ! आप का य सोमरस इ छा पूरी करता है. आप के लए यह मधुर श दायी सोमरस छन रहा है. यह सैकड़ , हजार कार का धन दे ने वाला है. सोम ाचीन काल से ही य म जा कर वराजते ह. (९) पव व सोम मधुमाँ ऋतावापो वसानो अ ध सानो अ े. अव ोणा न घृतव त रोह म द तमो म सर इ पानः.. (१०) हे सोम! आप मधुर, जल म मलने वाले व ऊंचे थान पर वराजते ह. आप छन कर प व होते ह. आप आनंददायी व इं के लए जल म मल कर तैयार होते ह. (१०)
सातवां खंड ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सेनानीः शूरो अ ने रथानां ग े त हषते अ य सेना. भ ान् कृ व हवां स ख य आ सोमो व ा रभसा न द े.. (१) हे सोम! आप सेनानायक व वीर ह. आप यजमान के लए गौ आ द धन को दे ने क इ छा रखते ह. आप रथ के आगेआगे चलते ह. आप को दे ख कर सेना का हौसला बढ़ता है. आप म और यजमान के लए इं क ाथना को क याणकारी बनाते ह. आप तेज वी ह. (१) ते धारा मधुमतीरसृ वारं य पूतो अ ये य म्. पवमान पवसे धाम गोनां जनयं सूयम प वो अकः.. (२) हे सोम! जब आप भेड़ क ऊन को पार कर के छनते ए कलश म जाते ह तब आप क धाराएं आनंद बरसाती ह. प व हो कर आप तेज वी सूय दे व क तरह चमकने लगते ह. (२) गायता यचाम दे वा सोम हनोत महते धनाय. वा ः पवताम त वारम मा सीदतु कलशं दे व इ ः.. (३) हे यजमानो! हम सोम व अ य दे वता क तु त कर. हम ब त धन पाने क इ छा से अपनी तु तय से सोम को े रत कर. भेड़ के बाल से बनी छलनी से इस सोमरस को छान. वह घड़ म भरा रहे. (३) ह वानो ज नता रोद यो रथो न वाज स नष यासीत्. इ ं ग छ ायुधा स शशानो व ा वसु ह तयोरादधानः.. (४) सोम वगलोक और पृ वीलोक को उ प करने वाले ह. वे दोन लोक को ग त दे ने वाले ह. वे तेजी से इं के पास जाते ह. वे यजमान को ब त वैभव दे ने के लए आते ह. (४) त द मनसो वेनतो वाग् ये य धम ु ोरनीके. आद माय वरमा वावशाना जु ं प त कलशे गाव इ म्.. (५) तु त उ त क भावना लए व वचार से े रत होती है. उपासक क तु तयां य म दे वता का गुणगान करती ह. इस कार तैयार कर के सोमरस म गाय का ध मलाया जाता है. यह सोमरस सब के लए ब त पौ क होता है. (५) साकमु ो मजय त वसारो दश धीर य धीतयो धनु ीः. ह रः पय व जाः सूय य ोणं नन े अ यो न वाजी.. (६) कमठ (काम करने वाली) अंगु लयां सोमरस को तैयार व उस को शु करती ह. दस अंगु लयां बलशाली सोम को धारण करती ह. हरा सोमरस उसी तरह सभी दशा म जाता है, जैसे ग तशील घोड़ा. वह घड़े म भरा रहता है. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ ध यद म वा जनीव शुभः पध ते धयः सूरे न वशः. अपो वृणानः पवते कवीया जं न पशुवधनाय म म.. (७) सोम को अपने करण पी आभूषण से सूय उसी तरह सजाते ह, जस तरह आभूषण से घोड़े को सजाया जाता है. उसे नकालने म अंगु लयां एक सरे से होड़ करती ह. जैसे वाला गाय को पोसने के लए गोशाला म ले जाता है, वैसे ही सोमरस को यजमान मटक म ले जाते ह. (७) इ वाजी पवते गो योघा इ े सोमः सह इ व मदाय. ह त र ो बाधते पयरा त व रव कृ व वृजन य राजा.. (८) सोमरस इं का बल बढ़ाने वाला, यजमान को धन दे ने वाला व श म राजा है. यादा आनंद के लए इसे छाना जाता है. यह का दलन करता है. यह रा स और श ु का नाश करने वाला है. (८) अया पवा पव वैना वसू न माँ व इ दो सर स ध व. न य वातो न जू त पु मेधा कवे नरं धात्.. (९) हे सोम! आप क धाराएं प व ह. आप हम धन दान करने क कृपा कर. जस कार सूय सृ के मूलाधार ह, वे वायु को बहाते ह वैसे ही आप वसतीवरी नामक घड़े म ब हए. बु शाली इं आप को ा त कर और हम अ छ संतान ा त कर. (९) मह सोमो म हष कारापां यद्गभ ऽ वृणीत दे वान्. अदधा द े पवमान ओजो ऽ जनय सूय यो त र ः.. (१०) सोम महान ह. वे महान काय करने वाले ह. वे गभ म जल धारण करते ह. वे दे वता को पालते ह. वे इं को बलशाली और सूय को तेज वी बनाते ह. (१०) अस ज व वा र ये यथाजौ धया मनोता थमा मनीषा. दश वसारो अ ध सानो अ े मृज त व सदने व छ.. (११) जस कार यु म घोड़े भेजे जाते ह, वैसे ही सोमरस म जल भेजा ( मलाया) जाता है. दस अंगु लयां सोम को भेड़ के बाल से बनी छलनी म छानती ह. यह सोम सभी को े धन दान कराता है. (११) अपा मवे म य ततुराणाः मनीषा ईरते सोमम छ. नम य ती प च य त सं चाच वश युशती श तम्.. (१२) तेजी से उठने वाली लहर क तरह यजमान क तु तयां उठती ह. यजमान ज द से ज द अपनी तु त दे वता के पास प ंचाना चाहते ह. तु तयां दे वता क शंसा करती ह, उन के पास प ंचती ह और उ ह म एकमेक हो जाती ह. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आठवां खंड पुरो जती वो अ धसः सुताय माद य नवे. अप ान थ न स नखायो द घ ज यम्.. (१) हे यजमानो! आप के आगे आनंददायी सोमरस रखा आ है. लंबीलंबी जीभ वाले कु े इस के पास जाना चाहते ह. आप उन कु को र भगाओ. (१) अयं पूषा र यभगः सोमः पुनानो अष त. प त व य भूमनो य ोदसी उभे.. (२) सोमरस पोषक, पीने यो य व शोभादायी है. वह छन कर बरतन म गरता है. वह सभी ा णय का पालनहार है. वह वगलोक तथा पृ वीलोक दोन को अपने काश से का शत करता है. (२) सुतासो मधुम माः सोमा इ ाय म दनः. प व व तो अ रन् दे वान् ग छ तु वो मदाः.. (३) इं के लए मीठा और मादक सोमरस तैयार कया जाता है. हे सोम! आप का यह आनंददायी रस दे वता तक अव य प ंचे. (३) सोमाः पव त इ दवो ऽ म यं गातु व माः. म ाः वाना अरेपसः वा यः व वदः.. (४) सोम सभी रा त को भलीभां त जानने वाले ह. वे म के समान ह. सोम आ म ाता, मन को पाप र हत करने वाले व उस को एका करने वाले ह. उस को हमारे लए छाना जाता है. (४) अभी नो वाजसातम र यमष शत पृहम्. इ दो सह भणसं तु व ु नं वभासहम्.. (५) हे सोम! सैकड़ लोग आप क शंसा करते ह. आप हजार जीव के पालनहार व ब त अ , धन और काश वाले ह. आप हम बु शाली और बलशाली पु दान क जए. (५) अभी नव ते अ हः य म व सं न पूव आयु न जात
य का यम्. रह त मातरः.. (६)
गाएं जैसे बछड़ को चाटती ह, वैसे ही जल सोमरस म मलते ह. वे कसी कार का व ोह नह करते. वे इं को चाहने वाले सोमरस म मल जाते ह. (६) आ हयताय धृ णवे धनु व त पौ
यम्.
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शु ा व य यसुराय न णजे वपाम े महीयुवः.. (७) यो ा जैसे धनुष पर डोरी चढ़ाते ह, वैसे ही यजमान सोमरस को छानते ह. सोम श ु को हराने वाले और पूजनीय ह. गाय का ध मला कर सोमरस को और े बनाया जाता है. (७) पर य हयत ह र ब ुं पुन त वारेण. यो दे वा व ाँ इ प र मदे न सह ग छ त.. (८) सोमरस हराभरा और सुंदर है. उसे भेड़ के बाल से बनी छलनी से छाना जाता है. यह आनंददायी गुण वाला है. यह अपने इ ह गुण के साथ इं और अ य दे व के पास जाता है. (८) सु वानाया धसो मत न व त चः. अप ानमराधस हता मखं न भृगवः.. (९) छाने जाने के समय सोम के वचन ( व न को) व न पैदा कर के संतोष पाने वाले लोग न सुन. भृगु नामक ऋ ष ने जैसे मख नामक रा स को य थल से र हटा दया था, वैसे ही यजमान य थल के पास आने के इ छु क कु को हटा द. (९)
नौवां खंड अ भ या ण पवते चनो हतो नामा न य ो अ ध येषु वधते. आ सूय य बृहतो बृह ध रथं व व चम ह च णः.. (१) हे सोम! आप द वाले ह. सूय का रथ सब जगह जा सकता है. आप उस रथ पर वराजमान होते ह और सारे संसार को दे खते ह. आप य जल म मलते ह एवं अ को बढ़ाते ह. आप ापक होते ए बहते ह. (१) अचोदसो नो ध व व दवः वानासो बृहद्दे वेषु हरयः. व चद ाना इषयो अरातयो ऽ य नः स तु स नष तु नो धयः.. (२) हे सोम! आप सर से े रत नह होते. आप का रस हरा है. आप को व धवत नचोड़ा जाता है. आप हमारे य म पधा रए. आप य और यजमान के मन तथा दान न दे ने वाले लोग को अ क इ छा होने पर भी अ , धन मत द जए. हमारी ाथनाएं जन जन दे वता के लए ह, वे उनउन दे वता तक प ंच. (२) एष कोशे मधुमाँ अ च द द य व ो वपुषो वपु मः. अ यृ ३ त य सु घा घृत तो वा ा अष त पयसा च धेनवः.. (३) हे सोम! आप का रस इं के व क भां त ब त ही बलवान और मीठा है. यह रस व न करता आ ोणकलश म वेश करे. सोमरस क धाराएं फल को मधुर बनाने वाली, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जल बरसाने वाली व धा
गाय के समान आवाज करने वाली ह. (३)
ो अयासी द र य न कृत सखा स युन मना त स रम्. मय इव युव त भः समष त सोमः कलशे शतयामना पथा.. (४) यह सोमरस इं के पेट म प ंचता है. म क तरह सोम इं को कसी भी कार का कोई क नह दे ते. युवक जैसे युव तय के साथ घुल मल कर रहता है, वैसे ही सोमरस जल के साथ घुल मल कर रहता है. वह छलनी के अनेक छे द से छनछन कर मटके म जाता है. (४) धता दवः पवते कृ ो रसो द ो दे वानामनुमा ो नृ भः. ह रः सृजानो अ यो न स व भवृथा पाजा स कृणुषे नद वा.. (५) सोमरस सब को धारण कर सकता है. यह कम करने वाला और दे वता क श बढ़ाने वाला है. यह छनछन कर घड़े म वेश करता है. श शाली यजमान इस को नचोड़ते ह. यह श शाली घोड़े क तरह वेग से न दय के जल म वयं को मला लेता है. (५) वृषा मतीनां पवते वच णः सोमो अ ां तरीतोषसां दवः. ाणा स धूनाँ कलशाँ अ च द द य हा ा वश मनी ष भः.. (६) सोम सब क इ छा पूरी करने वाले, वशेष कृपा रखने वाले, उषा और सूय क श बढ़ाने वाले ह. व ान् यजमान इसे छानते ह. न दय का जल मला कर इसे तैयार कया गया है. इं के पेट म प ंचने के लए यह श द करता आ घड़े म वेश करता है. (६) र मै स त धेनवो रे स यामा शरं परमे ोम न. च वाय या भुवना न न णजे चा ण च े य तैरवधत.. (७) सोम े य म नवास करने वाले ह. इन के लए इ क स गाएं नय मत प से शु ध दे ती ह. चार लोक के जल, शु ध होने के लए क याणकारी प से बहते ह. (७) इ ाय सोम सुषुतः प र वापामीवा भवतु र सा सह. मा ते रस य म सत या वनो वण व त इह स व दवः.. (८) हे सोम! भलीभां त आप का रस नकाला जाता है. आप को इं के लए तैयार कया गया है. रोग और रा स आप के पास न फटक. जो पापी लोग झूठा और स चा दोन तरह का वहार करते ह, उन पर आप क कृपा न हो. आप हम इस य म धन दान क जए. (८) असा व सोमो अ षो वृषा हरी राजेव द मो अ भ गा अ च दत्. पुनानो वारम ये य य येनो न यो न घृतव तमासदत्.. (९) सोमरस काशमान, श
व क और हरा है. वह राजा के समान सुंदर और दे खने
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यो य है. गाय का ध मलाने और छानने के समय यह आवाज करता है. भेड़ के बाल से बनी छलनी से छान कर इसे साफ कया जाता है. यह जलमय है. येन प ी के समान यह घड़े म थत रहता है. (९) दे वम छा मधुम त इ दवो ऽ स यद त गाव आ न धेनवः. ब हषदो वचनाव त ऊध भः प र ुतमु या न णजं धरे.. (१०) सोमरस मीठा है. इसे दे वता के लए तैयार कया जाता है. धा गाएं जैसे अपने बछड़ के पास जाती ह, वैसे ही सोमरस कलश म जाता है. य मंडप म गाएं इं के लए अपने तन से टपकने वाले ध म सोमरस धारण करती ह. (१०) अ ते ते सम ते तु स धो छ् वासे पतय तमु ण
रह त म वा य ते. हर यपावाः पशुम सु गृ णते.. (११)
यजमान सोमरस म गाय के ध को एकमेक कर के मलाते ह. दे वतागण सोमरस का आनंद लेते ह. यजमान इस सोमरस म गाय का घी और शहद मलाते ह. नद के जल म रहने वाले सोम को सोने से शु कर के चमकाया जाता है. (११) प व ं ते वततं ण पते भुगा ा ण पय ष व तः. अत ततनून तदामो अ ुते शृतास इ ह तः सं तदाशत.. (१२) हे सोम! आप ान के वामी ह. आप अपने प व अंग से सव ापक व साम यवान ह. आप पीने वाले को बल ( फू त) दे ते ह. जस ने तप, त आ द से अपने को नह तपाया, उस पर आप कृपा नह करते. तपाने या प रप व होने के बाद ही उपासक यजमान पर आप क कृपा होती है. (१२)
दसवां खंड इ म छ सुता इमे वृषणं य तु हरयः. ु े जातास इ दवः व वदः.. (१) सोमरस ब त ज द तैयार कया गया है. यह ान क बढ़ोतरी करने वाला और हरा है. यह शी ही इ छा पूण करने वाले श मान इं के पास प ंचे. (१) ध वा सोम जागृ व र ाये दो प र व. ुम त
शु ममा भर व वदम्.. (२)
हे सोम! आप उ साह और फुत दे ने वाले ह. आप इं के पीने के लए इस कलश म वेश क जए. आप हम काशवान और ानवान बनाइए. (२) सखाय आ न षीदत पुनानाय
गायत. शशुं न य ैः प र भूषत
ये.. (३)
हे यजमानो! आप हमारे म ह. आप आइए व बै ठए. आप सोम को छानते समय क जाने वाली तु त गाइए. जैसे ब चे को आभूषण से सजाया जाता है, वैसे ही आप ह व और ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य के अ य साधन से सोम को सजाइए. (३) तं वः सखायो मदाय पुनानम भ गायत. शशुं न ह ैः वदय त गू त भः.. (४) हे म यजमानो! आप स ता बढ़ाने के लए सोम क तु त क जए. आप छानते ए सोम क तु त क जए. आप बालक को सजाने क तरह ह वय से इ ह सजाइए. (४) ाणा शशुमहीना
ह व ृत य द ध तम्. व ा प र
या भुवदध
ता.. (५)
सोम आदरणीय जल के पु ह. ये य को का शत और प रपूण करने वाले ह. इन का रस सभी ह वय म रहता है. ये वगलोक और पृ वीलोक दोन म रहते ह. (५) पव व दे ववीतय इ दो धारा भरोजसा. आ कलशं मधुमा सोम नः सदः.. (६) हे सोम! दे वता के पीने के लए आप ज द से धाराधार हो कर छ नए. आप मदकारी ह. आप हमारे कलश म वरा जए. (६) सोमः पुनान ऊ मणा ं वारं व धाव त. अ े वाचः पवमानः क न दत्.. (७) सोमरस प व और छना आ है. छनने म आवाज करता आ वह भेड़ के बाल से बनी छलनी से छनता जाता है. (७) पुनानाय वेधसे सोमाय वच उ यते. भृ त न भरा म त भजुजोषते.. (८) प व तथा कम करने वाले सोम के लए ाथनाएं क जाती ह. सेवक क सेवा से जैसे हम स हो जाते ह, वैसे ही वशेष ाथना से हम उन को स कर. (८) गोम इ दो अ व सुतः सुद ध नव. शु च च वणम ध गोषु धारय.. (९) हे सोम! आप श मान ह. रस नचोड़ने के बाद आप हम गोधन और अ धन द जए, फर गाय के ध म मल कर आप सफेद रंग वाले हो जाइए. हम सब तरह से आप क तु त करते ह. (९) अ म यं वा वसु वदम भ वाणीरनूषत. गो भ े वणम भ वासयाम स.. (१०) हे सोम! आप धनदाता ह. हम धन द जए. हम आप क तु त करते ह. हम आप के रस को गोरस म मलाते ह. (१०) पवते हयतो ह रर त
रा
सर
ा. अ यष तोतृ यो वीरव शः.. (११)
हे सोम! आप मनोहर व हरे रंग के ह. आप छनते जाइए. न छनने वाले भाग को छलनी म रहने द जए. आप हम उपासक को यश वी पु द जए. (११) प र कोशं मधु त अ भ वाणीऋषीणा
सोमः पुनानो अष त. स ता नूषत.. (१२)
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प व सोमरस छनछन कर घड़े म टपकता और अपना मीठा रस ोणकलश म प ंचाता है. सात छं द (पद ) वाली ऋ षय क वाणी सोम क तु त करती है. (१२)
यारहवां खंड पव व मधुम म इ ाय सोम
तु व मो मदः. म ह ु तमो मदः.. (१)
हे सोम! आप अ यंत मधुर ह. आप य के बारे म सब कुछ जानने वाले ह. आप सव म, काशमान व तेज वी ह. आप इं को आनंद दे ने के लए प व होइए. (१) अ भ ु नं बृह श इष पते दद ह दे व दे वयुम्. व कोशं म यमं युव.. (२) हे सोम! आप अ के वामी, काशमान, तु त व दे वता के पीने (पाने) यो य ह. आप हम यश और बल द जए. आप ोणकलश को लबालब भर द जए. (२) आ सोता प र ष चता ं न तोमम तुर
रज तुरम्. वन
मुद ुतम्.. (३)
हे यजमानो! सोम घोड़े जैसे वेगवान व तु त करने यो य ह. वे पानी क तरह वहमान (बहने वाले) ह तथा काश क करण क तरह कह भी शी प ंचने वाले ह. आप सोमरस को नचो ड़ए और उसी म जल मलाइए. उस के बाद उसे गो ध से स चए. (३) एतमु यं मद युत
सह धारं वृषभं दवो हम्. व ा वसू न ब तम्.. (४)
सोमरस स तादायी है, कई धारा से ोणकलश म झरता है, श तथा सभी धन का वामी है. व ान् यजमान सोमरस नचोड़ते ह. (४)
बढ़ाने वाला है
स सु वे यो वसूनां यो रायामानेता य इडानाम्. सोमो यः सु तीनाम्.. (५) सोम धन, ध आ द रस व श सोमरस नचोड़ते ह. (५) वं
ा३
के वामी ह. ये े संतान दे ने वाले ह. यजमान े
दै ं पवमान ज नमा न ुम मः अमृत वाय घोषयन्.. (६)
हे सोम! आप प व , पूजनीय व काशवान ह. आप दे वता के बारे म सब कुछ जानते ह. आप उन क अमरता क घोषणा करते ह. आप यजमान से उन क तु त कराते ह. (६) एष य धारया सुतो ऽ
ा वारे भः पवते म द तमः.
ळ ू मरपा मव.. (७)
सोम अ यंत आनंददायी ह. ये जल क लहर क तरह खेलतेकूदते ह. सोमरस को भेड़ के बाल से बनी छलनी से कलश म धार बना कर छाना जाता है. (७) य उ या अ प या अ तर म न नगा अकृ तदोजसा. अ भ जं त नषे ग म ं वम व धृ पवा ज.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोम बादल म जल को छ भ करते ह. वे बादल फैलाने वाले और जल को धारण करने वाले ह. वे रा स ारा हरे गए गाय और घोड़ को घेर लेते ह. वे श ुनाशक ह. कवचधारी वीर के समान सोम श ु को मार दे ते ह. (८)
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आर यक पव छठा अ याय पहला खंड इ ये ं न आ भर ओ ज ं पुपु र वः. य धृ ेम व ह त रोदसी उभे सु श प ाः.. (१) हे इं ! आप व पा ण (हाथ म व धारण करने वाले) ह. आप सुंदर ठु ड्डी वाले ह. आप हम यश और बलदायी अ दान क जए. आप हम वगलोक और पृ वीलोक दोन को पु बनाने वाला धन दान क जए. (१) इ ो राजा जगत षणीनाम ध मा व पं यद य. ततो ददा त दाशुषे वसू न चोद ाध उप तुतं चदवाक्.. (२) इं चराचर व पृ वी क सभी व तु और धन के वामी ह. वे दानदाता को सब कार का धन दे ते ह. अ छ तरह तु त कए जाने पर वे पया त धन दे ते ह. (२) य येदमा रजोयुज तुजे जने वन
वः. इ
य र यं बृहत्.. (३)
तेज वी इं का दान दा नय और वग दोन म शंसनीय है. इं का दान संतोष दे ने वाला है. (३)
े और
उ मं व ण पाशम मदवाधमं व म यम थाय. अथा द य ते वयं तवानागसो अ दतये याम.. (४) हे व ण! आप ऊपर और नीचे क ओर के बंधन को हम से र क जए. आप हमारे सारे बंधन को श थल क जए. जस से हम आप के व ध वधान के अनुसार चल कर पाप और क र हत जीवन जी सक. (४) वया वयं पवमानेन सोम भरे कृतं व चनुयाम श त्. त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (५) हे सोम! आप जग को प व करने वाले ह. आप क मदद से हम यु म अपना कत भलीभां त नबाह सक. अ द त, म , व ण, पृ वी, सधु दे वता तथा वगलोक हम यश वी बनाने क कृपा कर. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इमं वृषणं कृणुतैक म माम्.. (६) हे दे वताओ! आप इस सोम को बलवान बनाइए, ता क वे हमारी मनोकामनाएं पूरी कर सक. हम बलवान बना सक. (६) स न इ ाय य यवे म
यः व रवो व प र व.. (७)
हे सोम! आप धनदाता व पूजनीय ह. आप इं , म द्गण और व ण के लए धारा के प म टप कए. (७) एना व ा यय आ ु ना न मानुषाणाम्. सषास तो वनामहे.. (८) सोम क कृपा से मनु य के लए चाहे गए सभी कार के धन हम ा त ह . हम उन धन के े उपयोग क इ छा रखते ह. (८) अहम म थमजा ऋत य पूव दे वे यो अमृत य नाम. यो मा ददा त स इदे वमावदहम म मद तम .. (९) म (अ ) सभी दे वता से पहले उ प आ ं. म वनाशर हत ं. जो अ छे पा को मेरा दान करता है, वह सब का क याण करता है. जो कसी को दान नह करता है, अकेला ही अ खाता है, उसे म समा त कर दे ता ं. (९)
सरा खंड वमेतदधारयः कृ णासु रो हणीषु च. प णीषु श पयः.. (१) हे इं ! काली, लाल और अनेक रंग वाली गाय म (सब म) आप ने एक जैसा चमचमाता सफेद ध था पत कया है. हम आप के इस आ यजनक साम य क शंसा करते ह. (१) अ च षसः पृ र य उ ा ममे त भुवनेषु वाजयुः. माया वनो म मरे अ य मायया नृच सः पतरो गभमादधुः.. (२) उषा के संबंधी सूय खास ह. वे वयं काशमान और सब को का शत करने वाले ह. वे ही जल बरसाने वाले मेघ का प भी ह. वे ही आकाश म गजना करते ह. बु मान दे वता ने बु से इस जग को रचा. मनु य को दे खने वाले पतर ने माता के पेट (गभ) म इसे था पत कया. (२) इ
इ य ः सचा स म
आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (३)
इं के संकेत (इशारे) मा से घोड़े एक साथ रथ म जुत जाते ह. इं व धारी व आभूषणधारी ह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ
वाजेषु नो ऽ व सह
धनेषु च. उ उ ा भ
त भः.. (४)
हे इं ! आप अ यंत बलवान ह. आप को कोई नह हरा सकता. आप छोटे और बड़े सभी कार के यु म हमारी र ा क जए. (४) थ य य स थ नामानु ु भ य ह वषो ह वयत्. धातु ुताना स वतु व णो रथ तरमा जभारा व स ः.. (५) व स के पु थ एवं भर ाज के पु स थ के लए अनु ु प् छं द म तु त करते ह. उन के लए े ह व सम पत करते ह. व स ऋ ष ने रथंतर नामक सोम को धाता और सब को उ प करने वाले व णु से ा त कया. (५) नयु वा वायवा ग य
शु ो अया मते. ग ता स सु वतो गृहम्.. (६)
हे वायु! आप अपने वाहन से पधा रए. आप के लए चमकता आ सोमरस तैयार कया गया है. आप व ध वधान से सोमरस तैयार करने वाले यजमान के घर पधारते ह. आप हमारे यहां पधा रए. (६) य जायथा अपू
मघव वृ हयाय. त पृ थवीम थय तद त ना उतो दवम्.. (७)
हे इं ! आप अ यंत वैभवशाली व अपूव ह. वृ ासुर के नाश के समय आप ने पृ वी को ढ़ और व तृत कया. वगलोक को भी भलीभां त थर कया. आप क साम य अद्भुत है. (७)
तीसरा खंड म य वच अथो यशो ऽ थो य य य पयः. परमे ी जाप त द व ा मव हतु.. (१) जा का पालन करने वाले जाप त वगलोक म नवास करते ह. वे हम आ म ान व यश दे ने क कृपा कर. वे हम य से संबध ं रखने वाली उ म ह व और अ साम ी दान करने क कृपा कर. (१) सं ते पया स समु य तु वाजाः सं वृ या य भमा तषाहः. आ यायमानो अमृताय सोम द व वा यु मा न ध व.. (२) हे सोम! आप श ुनाशक ह. आप ह व के लए नधा रत ध साम ी ा त क जए. अमरता पाने के लए आप वगलोक म े अ और े बल को ा त क जए. (२) व ममा ओषधीः सोम व ा वमपो अजनय वं गाः. वमातनो वा ३ त र ं वं यो तषा व तमो ववथ.. (३) हे सोम! आप ने पृ वीलोक म मौजूद सारी ओष धय को उ प ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कया है. आप ने जल
को उ प कया है. आप ने गाय को उ प ने अंधकार को र कया है. (३) अ नमीळे पुरो हतं य
कया है. आप ने आकाश को फैलाया है. आप
य दे वमृ वजम्. होतार
र नधातमम्.. (४)
हम यजमान संसार का क याण करने क इ छा रखते ह. हम अ न क तु त करते ह. वे य म दे वता के त ह. हम य म अ न व लत करते ह. वे हम सुख और ऐ य दान करते ह. (४) ते म वत थमं नाम गोनां ः स त परमं नाम जानन्. ता जानतीर यनूषत ा आ वभुव णीयशसा गावः.. (५) ऋ षय ने सब से पहले यह जाना क वाणी के श द पूजनीय ह. उस के बाद उ ह ने सात के तगुने यानी इ क स छ द म तो होते ह, यह ान ा त कया. उस के बाद वाणी से उषा क तु त क . उस के बाद सूय के तेज के साथ ही काशमान अ य तु तयां (वा णयां) उ प . (५) सम या य युपय य याः समानमूव न पृण त. तमू शु च शुचयो द दवा समपा पातमुप य यापः.. (६) बरसात का पानी जमीन पर गर कर जमीन के पानी के साथ मल जाता है. ये दोन पानी नद का प धारण कर लेते ह और समु म मल जाते ह. वहां ये पानी समु अ न को आनंद दे ते ह. इसी कार सोमरस पानी म मल कर आनं दत करता है. (६) आ ागा ा युव तर ः केतू समी स त. अभूदभ ् ा नवेशनी व य जगतो रा ी.. (७) सूय क करण को समेटने वाली रा पी ी आ गई है. यह सारे संसार को आराम दे ने वाली है. यह सारे संसार का क याण चाहने वाली है. (७) य वृ णो अ ष य नू महः नो वचो वदथा जातवेदसे. वै ानराय म तन से शु चः सोम इव पवते चा र नये.. (८) अ न सव ा त व काशमान ह. हम उन क तु त करते ह. हम य म उन के लए तो गाते ह. वे सभी मनु य का हत करने वाले ह. उन के पास तो वैसे ही जाते ह, जैसे य म सोम जाते ह. (८) व े दे वा मम शृ व तु य मुभे रोदसी अपां नपा च म म. मा वो वचा स प रच या ण वोच सु ने व ो अ तमा मदे म.. (९) सभी दे वगण हमारे पूजनीय तो को सुनने क कृपा कर. वगलोक और पृ वीलोक दोन हमारे तो को सुनने क कृपा कर. अ न हमारे तो सुन. हम कभी भी अ य और ******ebook converter DEMO Watermarks*******
या य वाणी न बोल. हम दे वता (९)
क कृपा म रह. उन के ारा दए गए सुख से सुखी रह.
यशो मा ावापृ थवी यशो मे बृह पती. यशो भग य व दतु यशो मा तमु यताम्. यशसा ३ याः स सदो ऽ हं व हता याम्.. (१०) हम यजमान को वगलोक और पृ वीलोक का यश ा त हो. हम इं और बृह प त का यश भी ा त हो. सूय का यश मुझे मले. यह यश कभी हम से मुंह न मोड़े. इस सभा म मुझे यश मले. इस म म वचार करने क अ छ मता (दे वता क कृपा से) पा जाऊं. (१०) इ य नु वीया ण वोचं या न चकार थमा न व ी. अह हम वप ततद व णा अ भन पवतानाम्.. (११) इं व धारी और श शाली ह. वे बादल को भेद कर बरसात करने वाले ह. उ ह ने न दय के तट बना कर पवत से जल बहाया. म उन के इन अ छे काम का बारबार वणन करता ं. (११) अ नर म ज मना जातवेदा घृतं मे च ुरमृतं म आसन्. धातुरक रजसो वमानो ऽ ज ं यो तह वर म सवम्.. (१२) म (आ मा) ज म से ही अ न व प ं. सब कुछ जानने वाला ं, काशमान ं. मुंह म अमरता दे ने वाली वाणी है. म ाण, अपान, ान इन तीन कार का ाण ,ं आकाश को नापने वाला वायु ं, काशमान सूय ं, सभी क ह व ं. (१२) पा य न वपो अ ं पदं वेः पा त य रण सूय य. पा त नाभा स तशीषाणम नः पा त दे वानामुपमादमृ वः.. (१३) अ न दे व सव ापक ह. वे पृ वी के मु य थान क र ा करते ह. वे महान ह. वे सूय के माग व अंत र क र ा करते ह. वे अंत र लोक म म द्गण व दे वता को य लगने वाले य क र ा करते ह. वे सुंदर तथा दशनीय ह. (१३)
चौथा खंड ाज य ने स मधान द दवो ज ा चर य तरास न. स वं नो अ ने पयसा वसु व य वच शे ऽ दाः.. (१) हे अ न! आप चमचमाते ह. आप का मुख का शत है. उस मुख म जीभ अ न क वाला म डाली गई ह व खाती है. आप धन दे ने वाले ह. आप अ व रमणीय धन द जए. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वस त इ ु र यो ी म इ ु र यः. वषा यनु शरदो हेम तः श शर इ ु र यः.. (२) वसंत ऋतु लुभावनी है. ी म ऋतु लुभावनी है. वषा, शरद, हेमंत और श शर ऋतुएं भी लुभावनी ह. (२) सह शीषाः पु षः सह ा ः सह पात्. स भू म सवतो वृ वा य त शाङ् गुलम्.. (३) पूण पु ष हजार सर वाला है. वह हजार आंख वाला है, हजार पैर वाला है. वह सारे ांड को घेर सकने म समथ है. फर भी वह बाक रहता है. (३) पा व उदै पु षः पादो ऽ येहाभव पुनः. तथा व वङ् ामदशनानशने अ भ.. (४) पूण पु ष तीन पैर वाला है. वह ऊंचे थान पर वास करता है. इस पूण पु ष से ही सारा संसार पैदा होता है. चेतन और अचेतन सभी म इसी पूण पु ष का व तार है. यह व वध व प वाला है. यह सव ा त है. (४) पु ष एवेद सव यद्भूतं य च भा म्. पादो ऽ य सवा भूता न पाद यामृतं द व.. (५) भूत, वतमान और भ व य तीन का कता पूण पु ष ही है. इस के तीन पैर अमर वगलोक म ह. इस के शेष चौथे चरण म सारे ाणी ह. (५) तावान य म हमा ततो यायाँ
पू षः. उतामृत व येशानो यद ेना तरोह त.. (६)
पूण पु ष जड़चेतन और सम त पृ वी से भी व तृत (बड़ा) है. वह अमरता का वामी है. अ से बढ़ने वाले ा णय का भी वामी है. (६) ततो वराडजायत वराजो अ ध पू षः. स जातो अ य र यत प ाद्भू ममथो पुरः.. (७) उस पु ष से वराट् ( ांड) पु ष उ प आ. उस से अ य पु ष उ प बाद उस ने पशुप य और अ य जीव को उ प कया. (७)
ए. उस के
म ये वां ावापृ थवी सुभोजसौ ये अ थेथाम मतम भ योजनम्. ावापृ थवी भवत योने ते नो मु चतम हसः.. (८) हे वगलोक और पृ वीलोक! आप हमारे पालनहार ह. हम आप को इसी प म जानते ह. आप हमारा अपार वैभव बढ़ाइए. हे वगलोक और पृ वीलोक के दे वता! आप हम सुख द जए. आप हम पाप से र क जए. (८) हरी त इ म ू युतो ते ह रतौ हरी. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तं वा तुव त कवयः प षासो वनगवः.. (९) हे इं ! आप क दाढ़ मूंछ हरी ह. आप के घोड़े भी हरे ह. आप व ान् क वजन आप क तु त करते ह. (९)
े
गोपालक ह.
य च हर य य य ा वच गवामुत. सयय णो वच तेन मा स सृजाम स.. (१०) वण, गाय और स य ान म जो तेज वता है, हम उस तेज वता को अपने म धारण करना (पाना) चाहते ह. (१०) सह त इ द योज ईशे य महतो वर शन्. तुं न नृ ण थ वरं च वाजं वृ ेषु श ू सहना कृधी नः.. (११) हे इं ! आप श ु का नाश करने वाले ह. आप हम बल दान क जए य क आप महान बल के वामी ह. आप हमारे य क थ त जैसा धन और साम य हम द जए. आप हम ऐसी श द जए, जस से हम सं ाम म अपने मन को हरा सक. (११) सहषभाः सहव सा उदे त व ा पा ण ब ती यू नीः. उ ः पृथुरयं वो अ तु लोक इमा आपः सु पाणा इह त.. (१२) कई रंग वाली, बड़ेबड़े थन ( तन ) वाली गौएं, बछड़ और बैल के साथ हम ा त ह . यह पृ वीलोक महान व वशाल है. यह आप के नवास यो य है. आप को यहां सुख से पीने यो य जल ा त हो. (१२)
पांचवां खंड अ न आयू
ष पवस आ सुवोज मषं च नः. आरे बाध व
छु नाम्.. (१)
हे अ न! आप हमारे अ क आयु बढ़ाने क कृपा क जए. आप हमारी आयु बढ़ाइए. हमारे बल क आयु बढ़ाइए. आप को हम से र क जए. (१) व ाड् बृह पबतु सो यं म वायुदध पताव व तम्. वातजूतो यो अ भर त मना जाः पप त ब धा व राज त.. (२) सूय ब त काशमान ह. वे खूब सोमरस पीएं. वे यजमान को न कंटक रख. उ ह द घायु कर. वायु सूय क करण को र र तक प ंचाते ह. उन से वे जा का पालन करते ह. अनेक कार से का शत होने म समथ होते ह. (२) च ं दे वानामुदगादनीकं च ु म य व ण या नेः. आ ा ावापृ थवी अ त र सूय आ मा जगत त थुष .. (३) सूय दे वता
के द
तेज का समूह ह. वे म , व ण तथा अ न के ने ह. सूय के
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उगते ही वगलोक, पृ वीलोक और अंत र लोक आ द सभी उन के काश से जगमगा जाते ह. (३) आयं गौः पृ र मीदसद मातरं पुरः. पतरं च य
वः.. (४)
सूय ग तशील व तेज वी ह. वे उ दत हो कर ऊपर थत हो जाते ह. सब से पहले वे पृ वीलोक (माता), फर वगलोक ( पता) फर अंत र लोक को ा त होते ह. (४) अ त र त रोचना य ाणादपानती.
य म हषो दवम्.. (५)
सूय का काश अपनी करण से आकाश म घूमता है. सूय के उगने पर ये करण दखती ह और अ त होने पर गायब हो जाती ह. सूय अंत र लोक को वशेष प से का शत करते ह. (५) श ाम व राज त वा पत ाय धीयते.
त व तोरह ु भः.. (६)
दन क तीस घ ड़य तक सूय अपनी करण से का शत होते ह. इन सूय के लए हर एक मुख वेदवाणी उचारता है ( तु त करता है). (६) अप ये तायवो यथा न
ा य य ु भः. सूराय व च से.. (७)
दन म जैसे चोर छप जाते ह, वैसे ही सूय के उगने पर ह, न जाते ह. (७) अ
, तारागण आ द छप
य केतवो व र मयो जनाँ अनु. ाज तो अ नयो यथा.. (८)
जैसे हम जलती ई अ न क वाला दे ख सकते ह, वैसे ही सूय क को हम दे ख सकते ह. वे सब को दे ख सकती ह. (८)
का शत करण
तर ण व दशतो यो त कृद स सूय. व माभा स रोचनम्.. (९) हे सूय! आप सब को पार लगाने वाले ह. आप सारे संसार को दे ख सकते ह. आप सब को का शत कर सकते ह. चं मा, ह, न आ द को आप ही चमकाते ह. (९) यङ् दे वानां वशः
यङ् ङु दे ष मानुषान्.
यङ् व
व शे.. (१०)
हे सूय! आप म द्गण के दे खते ए उन के सामने उ दत होते ह. आप मनु य के दे खते ए उ दत होते ह. आप सभी के दे खते ए यानी सब के सामने कट होते ह. (१०) येना पावक च सा भुर य तं जनाँ अनु. वं व ण प य स.. (११) हे सूय! आप सभी को प व व का शत करने वाले ह. आप जस काश से सब को का शत करते ह हम उस क उपासना करते ह. (११) उ यामे ष रजः पृ वहा ममानो अ ु भः. प य
मा न सूय.. (१२)
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हे सूय! आप दे हधा रय को का शत करते ह. आप दन को रा से नापते ह. आप वगलोक और अंत र लोक को भी अपने काश से का शत कर दे ते ह. (१२) अयु
स त शु युवः सूरो रथ य न ्यः. ता भया त वयु
भः.. (१३)
सूय ने रथ म घोड़े जोत रखे ह. वे सात घोड़े शु कारी ह. करण सव जाते ह. (१३)
पी घोड़ से सूय
स त वा ह रतो रथे वह त दे व सूय. शो च केशं वच ण.. (१४) हे सूय! आप का शत करने वाले ह. सात करण ह. ये करण शु करने वाली ह. (१४)
पी घोड़े आप के रथ को ले जाते
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उ रा चक पहला अ याय पहला खंड उपा मै गायता नरः पवमानाये दवे. अ भ दे वाँ इय ते.. (१) हे यजमानो! आप दे वता के लए य करना चाहते ह. आप छान कर साफ कए गए सोमरस क तु त क जए. (१) अ भ ते मधुना पयो ऽ थवाणो अ श युः. दे वं दे वाय दे वयु.. (२) सोमरस द है. यह दे वता को य है. इसे दे वता ने दे वता के लए खोजा है. अथवा ऋ षय ने गाय का ध मला कर इसे यजमान के लए तैयार कया है. (२) स नः पव व शं गवे शं जनाय शमवते. श
राज ोषधी यः.. (३)
हे सोम! आप हतकारी ह. आप हमारी गौ को सुख द जए. आप हमारे पु पौ (आने वाली पी ढ़य ) व घोड़ को सुख द जए. आप ओष धय को हमारे लए क याणकारी बनाइए. (३) द व ुत या चा प र ोभ या कृपा. सोमाः शु ा गवा शरः.. (४) सोमरस ब त चमक ला है. इस क धारा सब ओर टपकती ई आवाज करती है. साफ नथारे ए सोमरस को गाय के ध म मलाया जाता है. (४) ह वानो हेतृ भ हत आ वाजं वा य मीत्. सीद तो वनुषो यथा.. (५) जैसे यु म शूरवीर क शंसा होती है व उसे त ा मलती है, वैसे ही य सोमरस क यजमान शंसा करते ह व य भू म म सोम को त ा मलती है. (५) ऋध सोम व तये संज मानो दवा कवे. पव व सूय
म
शे.. (६)
हे सोम! आप बु मान व परमवीर ह. आप सूय क भां त ऊपर चढ़ द हो कर सब का क याण क जए. (६)
काशमय
पवमान य ते कवे वा ज सगा असृ त. अव तो न व यवः.. (७) हे सोम! आप श
वधक ह. छानते समय आप क धार ऐसी ग तशील होती है, जैसे
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अ तबल से नकलते समय घोड़े ग तशील होते ह. (७) अ छा कोशं मधु तमसृ ं वारे अ ये. अवावश त धीतयः.. (८) मधुर रस से भरे ोणकलश म भेड़ के बाल से बनी छलनी से यजमान सोमरस को छानछान कर तैयार करते ह. यजमान क अंगु लयां बारबार उस सोमरस को शु करना चाहती ह. (८) अ छा समु म दवो ऽ तं गावो न धेनवः. अ म ृत य यो नमा.. (९) मनु य को अपने ध से तृ त करने वाली धा गाएं जैसे अपने बाड़े म जाती ह, वैसे ही छान कर घड़े म भरे ए सोम य थल म जाते ह. (९)
सरा खंड अ न आ या ह वीतये गृणानो ह दातये. न होता स स ब ह ष.. (१) हे अ न! हम आप क तु त करते ह. दे वता को ह व प ंचाने के लए हम आप का आ ान करते ह. आप य म कुश के आसन पर वरा जए. (१) तं वा स म
र रो घृतेन वधयाम स. बृह छोचा य व
.. (२)
हे अ न! आप सुंदर व त ण (युवा) ह. हम स मधा और घी से आप को करते ह. आप व लत होइए. (२)
व लत
स नः पृथु वा यम छा दे व ववास स. बृहद ने सुवीयम्.. (३) हे अ न! आप हम यश और यशदायी मता दोन ही दान क जए. लोग उस यश के बारे म सुनने (जानने) के लए इ छु क रह. (३) आ नो म ाव णा घृतैग ू तमु तम्. म वा रजा
स सु तू.. (४)
हे म और व ण! आप े कम करने वाले ह. आप हमारे गौ थान को घी, ध से स चने क कृपा क जए. आप हमारे लए परलोक के नवास थान को भी े , मधुर रस से स चने क कृपा क जए. (४) उ श
सा नमोवृधा म ा द
य राजथः. ा घ ा भः शु च ता.. (५)
हे म ाव ण! आप प व काय करने वाले ह. आप अनेक लोग से शं सत ह. ह व के अ से आप बढ़ते ह. आप अपनी श से सुशो भत होते ह. (५) गृणाना जमद नना योनावृत य सीदतम्. पात
सोममृतावृधा.. (६)
हे म ाव ण! जमद न ऋ ष आप क तु त करते ह. आप य थान म पधा रए, वरा जए. आप हमारे ारा तैयार कए गए सोमरस को हण क जए. आप हमारे य के ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कमफल को बढ़ाने क कृपा क जए. (६) आ या ह सुषुमा ह त इ
सोमं पबा इमम्. इदं ब हः सदो मम.. (७)
हे इं ! आप हमारे य म पधा रए. हम ने आप के लए व छ सोमरस तैयार कया है. आप इस सोमरस को पी जए. आप इस कुश के आसन पर वराजमान होइए. (७) आ वा
युजा हरी वहता म
के शना. उप
ा ण नः शृणु.. (८)
हे इं ! आप के केश वाले मनोहर घोड़े मं सुनते ही वाहन म जुत जाते ह. आप के घोड़े आप को य म लाने का क कर. आप हमारे पास य म पधार कर भलीभां त हमारी ाथना को सुनने क कृपा क जए. (८) ाण वा युजा वय
सोमपा म
सो मनः. सुताव तो हवामहे.. (९)
हे इं ! यजमान सोमय (कता) करने वाले ह. सोमरस तैयार करने वाले यजमान ा ण ह. हम आप के यो य ाथना से सोमरस पीने वाले आप को आमं त करते ह. (९) इ ा नी आ गत
सुतं गी भनभो वरे यम्. अ य पातं धये षता.. (१०)
हे अ न! हे इं ! सोमरस को हम ने अपनी तु तय से प व बनाया है. सोम वग से आए ह. इ ह ने हमारे भ भाव को वीकार कया है. आप इस सोमरस को वीकार करने क कृपा क जए. (१०) इ ा नी ज रतुः सचा य ो जगा त चेतनः. अया पात मम
सुतम्.. (११)
हे अ न! हे इं ! आप यजमान पर कृपा क जए. आप उन क मदद क जए. सोमरस चेतनादायी है. उस से हम य करते ह. आप उस सोमरस को हण करने क कृपा क जए. (११) इ म नं क व छदा य
य जू या वृणे. ता सोम येह तृ पताम्.. (१२)
हे अ न! हे इं ! सोम य के मुख साधन ह. हम उन क ेरणा से े रत होते ह. आप दोन दे वता यजमान के लए उपयु फलदाता ह. आप सोमरस पी कर तृ त होइए और हम य फल दान करने क कृपा क जए. (१२)
तीसरा खंड उ चा ते जातम धसो द व स
या ददे . उ
शम म ह वः.. (१)
हे सोम! वगलोक म आप ने ज म पाया है. आप श व क, सुखदायी व यशदायी ह. यजमान भू मलोक पर अ के प म आप को ा त करते ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स न इ ाय य यवे व णाय म द् यः. व रवो व प र व.. (२) हे सोम! आप धनदाता ह. आप इं , व ण और म द्गण के लए वा हत होने क कृपा क जए. (२) एना व ा यय आ ु ना न मानुषाणाम्. सषास तो वनामहे.. (३) हे सोम! आप क कृपा से हम ने मनु य को ा त होने यो य सब सुख (वैभव) पाया है. फर भी हम सेवा भावना से आप क तु त करते ह. (३) पुनानः सोम धारयापो वसानो अष स. आ र नधा यो नमृत य सीद यु सो दे वो हर ययः.. (४) हे सोम! आप सोने क तरह चमकते ह. आप य थान म वरा जए. पानी मला कर छाने जाने पर धारा प म आप कलश म पधारते ह. आप धन दे ने वाले ह. (४) हान ऊध द ं मधु यं न सध थमासदत्. आपृ ं ध णं वा यष स नृ भध तो वच णः.. (५) यजमान ने सोमरस छाना है. यह मधुर और आनंददायी है. यह अपने ाचीन थान पर प ंचता है. हे सोम! आप खास नरी ण करने वाले ह. जो यजमान अ छा य करने क भावना रखते ह, आप उस यजमान पर अपनी कृपा रखते ह. (५) तु व प र कोशं न षीद नृ भः पुनानो अ भ वाजमष. अ ं न वा वा जनं मजय ता ऽ छा बह रशना भनय त.. (६) हे सोम! आप ज द हमारे य म पधा रए. आप ज द कलश म था पत हो जाइए. यजमान आप को छानते ह. छन कर आप ह व के प म ह व अ को ा त क जए. श मान घोड़ को शु करने क तरह यजमान आप को शु करते ह. लगाम पकड़ कर घोड़े को जैसे ले जाया जाता है, वैसे ही अंगु लय से यजमान आप को य थान तक ले जाते ह. (६) वायुधः पवते दे व इ श तहा वृजना र माणः. पता दे वानां ज नता सुद ो व भो दवो ध णः पृ थ ाः.. (७) हे सोम! आप उ म को ट के अ श वाले श ुनाशक, संर क, उप व र करने वाले, पालक, संर क, दे वता को उ प करने वाले ह तथा पृ वीलोक को धारण करते ह. आप वगलोक को वशेष आधार दे ते ह. ऐसा द सोमरस यजमान छानते ह. (७) ऋ ष व ः पुर एता जनानामृभुध र उशना का ेन. स च वेद न हतं यदासामपी यां ३ गु ं नाम गोनाम्.. (८) उशना ऋ ष व ान्, परम ानी, वै दक कमकांड म द , धीर, काशमान और नेतृ व ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करने वाले ह. उ ह उशना ऋ ष ने तो रस को मेहनत से ा त कया. (८)
के मा यम से गाय म गु त
प से रहने वाले सोम
चौथा खंड अ भ वा शूर नोनुमो ऽ धा इव धेनवः. ईशानम य जगतः व शमीशान म त थुषः.. (१) हे इं ! आप श मान, सव ाता व जगत् के वामी ह. जैसे बना ही ई गाएं रंभाती ई अपने बछड़ क ओर भागती ह, वैसे ही हम आप के दशन और कृपा के लए लाला यत ह. (१) न वावाँ अ यो द ो न पा थवो न जातो न ज न यते. अ ाय तो मघव वा जनो ग त वा हवामहे.. (२) हे इं ! आप धनवान ह. आप जैसा न कोई वगलोक और न इस पृ वीलोक म आ है और न होगा. हम गोधन व धनधा य के लए आप क तु त करते ह. (२) कया न
आ भुव ती सदावृधः सखा. कया श च या वृता.. (३)
इं सदै व बढ़ने वाले ह. वे वल ण, अ यंत श मान व हमारे सखा ह. हम कस बु और कन संतु दायी पदाथ से आप क उपासना कर? कन कन श य से आप हमारे सहयोगी ह गे? (३) क वा स यो मदानां म
ह ो म सद धसः. ढा चदा जे वसु.. (४)
सोम आदरणीय व स य न के लए आनंददायी ह. उ ह आनंद दे ने म वे सब से आगे ह. सोम बलवान श ु के धन को न करने के लए इं को उ साह और साम य दान करते ह. (४) अभी षु णः सखीनाम वता ज रतृणाम्. शतं भवा यूतये.. (५) हे इं ! आप हमारे म व यजमान के संर क ह. आप हमारी सैकड़ करने के लए अ छ तैयारी कर ली जए. (५)
कार से र ा
तं वो द ममृतीषहं वसोम दानम धसः. अ भ व सं न वसरेषु धेनव इ ं गी भनवामहे.. (६) गोशाला म गाएं जैसे बछड़ के लए लाला यत हो कर रंभाती ह, वैसे ही हम इं क तु त के लए लाला यत हो कर ाथना करते ह. वे श ु से र ा करते ह. वे काशमान व सोमरस से संतु होने वाले ह. (६) ु
सुदानुं त वषी भरावृतं ग र न पु भोजसम्.
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ुम तं वाज
श तन
सह णं म ू गोमनतमीमहे.. (७)
हे इं ! आप वगलोकवासी ह. आप उ म दान के दाता, ब त मतावान व पालनहार ह. हम सैकड़ हजार क सं या म गोधन आप से चाहते ह. हम चुर अ , धन आप से चाहते ह. (७) तरो भव वद सु म सबाध ऊतये. बृहद्गाय तः सुतसोमे अ वरे वे भरं न का रणम्.. (८) ब चे अपनी सहायता के लए जैसे अपने भरणपोषण करने वाल को पुकारते ह, वैसे ही हम यजमान अपनी सहायता के लए इं को पुकारते ह. इं वेगवान घोड़ वाले व वैभवशाली ह. हे याजको! आप सोमय म अपनी र ा के लए बृह साम का गायन करते ए उन क उपासना क जए. (८) न यं ा वर ते न थरा मुरो मदे षु श म धसः. आ या शशमानाय सु वते दाता ज र उ यम्.. (९) इं सुंदर ठु ड्डी वाले ह. श शाली रा स व मरणधमा मनु य ( कतने ही श शाली ह ) भी उ ह नह हरा सकते. वे सोमरस के आनंद म सोम य करने वाल को चुर यशदायी धन दे ते ह. हम मन से उन क तु त करते ह. (९)
पांचवां खंड वा द या म द या पव व सोम धारया. इ ाय पातवे सुतः.. (१) इं के पीने के लए वा द और मीठा सोमरस तैयार कया गया है. वह सोमरस अपनी पूण मददायी धारा से इं के लए झरे. (१) र ोहा व चष णर भ यो नमयोहते. ोणे सध थमासदत्.. (२) म
सोम रा सनाशक ह. जग त त हो गए. (२) व रवोधातमो भुवो म
ा ह. वे सोने के ोणकलश म वराजमान हो कर य
थल
ह ो वृ ह तमः. प ष राधो मघोनाम्.. (३)
हे सोम! आप धनदाता ह. आप श ु के बल नाशक ह. आप धनवान श ु पास मौजूद रहने वाले धन हम दान क जए. (३) पव व मधुम म इ ाय सोम
के
तु व मो मदः. म ह ु तमो मदः.. (४)
हे सोम! आप अ यंत मधुर ह. आप यजमान को कम का फल दे ते ह. आप काशमान व तृ तदायी ह. आप इं के लए पा म छन कर तैयार हो जाइए. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य य ते पी वा वृषभो वृषायते ऽ य पी वा व वदः. स सु केतो अ य मी दषो ऽ छा वाजं नैतशः.. (५) हे सोम! आप ब त श मान ह. आप को पी कर इं और श मान हो जाते ह. आप को पी कर बु मान भी स होते ह. आप के भाव से इं यु म घोड़े क तरह श ु के धन को शी ही अपने अधीन कर लेते ह. (५) इ म छ सुता इमे वृषणं य तु हरयः. ु े जातास इ दवः व वदः.. (६) सोमरस चमक ला और हरा है. वह ब त ज द छन कर पा म प ंच गया है. वह ज द से ज द इं को ा त हो. (६) अयं भराय सान स र ाय पवते सुतः. सोमो जै य चेत त यथा वदे .. (७) सभी लोग को यह पता है क सोमरस सेवन करने यो य है. इसे छान कर तैयार कया गया है. इसे इं के लए मटक म भरा गया है. सोमरस जीतने क इ छा रखने वाले इं को यु म ब त जोश दे ता है. (७) अ ये द ो मदे वा ाभं गृ णा त सान सम्. व ं च वृषणं भर सम सु जत्.. (८) सेवन करने यो य सोम को पी कर और स हो कर इं धनुष धारण करते ह. जल वाह को जीतने वाले इं व को धारण करते ह. (८) पुरो जती वो अ धसः सुताय माद य नवे. अप ान थ न सखायो द घ ज यम्.. (९) हे यजमानो! न संदेह यह सोमरस जीत दलाने वाला है. यह आप पूरी तरह मान ली जए. यह स तादायी है. आप इस क ओर लपकने वाले लंबीलंबी जीभ वाले कु (रा स ) को इस से र भगाइए. (९) यो धारया पावकया प र य दते सुतः. इ र ो न कृ वयः.. (१०) य म सोमरस यजमान का सहायक है. यह पारदश धारा हो कर कलश म जाता है. (१०)
से घोड़े क तरह वेगवान
तं रोषमभी नरः सोमं व ा या धया. य ाय स व यः.. (११) हे यजमानो! सोम का वनाश करने वाले ह. आप उन को आमं त क जए. आप य का आदर करते ए सब के क याण क भावना क जए. (११) अ भ या ण पवते चनो हतो नामा न य ो अ ध येषु वधते. आ सूय य बृहतो बृह ध रथं व व चम ह च णः.. (१२) हे सोम! आप क याणकारी, अ
व प व संसार को तृ त दे ने वाले ह. आप जल को
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सब तरह से प व करने वाले ह. अंत र लोक के जल म सोम यादा बढ़ते ह. सोम सव ह. ये सूय के सब ओर जा सकने म समथ रथ पर चढ़ते ह. (१२)
ा
ऋत य ज ा पवते मधु यं व ा प त धयो अ या अदा यः. दधा त पु ः प ोरपी यां ३ नाम तृतीयम ध रोचनं दवः.. (१३) सोम तो जैसे य क जीभ ही ह. सोमरस छनते समय आवाज करता है. यह मीठा और य रस वाला है. सोम य संबंधी याकलाप को जानने वाले व नभय ह. वे अपने माता पता का नाम नह जानते. ये यजमान ारा तैयार कए जाते ह. ये वगलोक को चमचमाने वाले ह. ये छन कर तैयार हो जाने पर सोमजयी नामक तीसरे नाम को हण करते ह. (१३) अव ुतानः कलशाँ अ च द ृ भयमाणः कोश आ हर यये. अभी ऋत य दोहना अनूषता ध पृ उषसो व राज स.. (१४) यजमान सोने के कलश म सोमरस को छानते ह. कलश म जाते समय सोमरस आवाज करता है. इस सोमरस क यजमान उपासना करते ह. सोमरस सुबह, दोपहर और शाम—इन तीन सवन (सं या ) म का शत होता है. (१४)
छठा खंड य ाय ा वो अ नये गरा गरा च द से. वयममृतं जातवेदसं यं म ं न श
सषम्.. (१)
हे यजमानो! आप उपासना करने वाले ह. आप को हर य म व लत हो कर बढ़ने वाले अ न क वाणी से तु त करनी चा हए. अ न अमर, ानी व हमारे म ह. हम उन क उपासना करते ह. (१) ऊज नपात स हनायम मयुदाशेम ह दातये. भुव ाजे व वता भुवद्वृध उत ाता तनूनाम्.. (२) अ न लगातार अ और श दाता ह. वे हमारा क याण चाहते ह. हम दे वता तक ह व प ंचाने के लए अ न दे वता को ह व दान करते ह. वे यु म हमारे र क और हमारे लए ग तकारी ह. वे हमारे पु के भी र क होने क कृपा कर. हम उन क उपासना करते ह. (२) ए
षु वा ण ते ऽ न इ थेतरा गरः. ए भवधास इ
भः.. (३)
हे अ न! आप आइए. हम आप के लए व ध वधान से तो उचारते ह. आप हमारी और सर क तु तय को सु नए. सोमरस आप को बढ़ोतरी दान कर. (३) य
व च ते मनो द ं दधस उ रम्. त यो न कृणवसे.. (४)
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हे अ न! आप का मन जहां कह भी, जस पर भी है, आप उसे आवास दान करने क कृपा कर. (४)
े बल और
े
न ह ते पूतम पद्व ेमानां पते. अथा वो वनवसे.. (५) हे अ न! आप नयम आ द क र ा करने वाले, उन का पालन करने वाले यजमान क र ा करते हो. उन का पालन करते हो. आप हमारी सेवा को वीकार क जए. आप का तेज हमारी आंख को कसी भी कार क हा न न प ंचाए. (५) वयमु वामपू
थूरं न क चद्भर तो ऽ व यवः. व
च
हवामहे.. (६)
हे इं ! आप अपूव, व धारण करने वाले, वल ण व सव म ह. हम आप को सोमरस चढ़ाना चाहते ह. हम आप से र ा का अनुरोध करते ह. हम आप को उसी तरह पुकारते ह, जैसे नबल अपनी सहायता के लए सबल को पुकारता है. (६) उप वा कम ूतये स नो युवो ाम यो धृषत्. वा म य वतारं ववृमहे सखाय इ सान सम्.. (७) हे इं ! हम य म अपनी र ा के लए आप क शरण लेते ह. आप श ुनाशक व युवा ह. आप हमारे पास आइए. हमारी म ता वीका रए. आप के बारे म स है क आप सेवा करने यो य ह. सब क र ा करते ह. (७) अधा ही
गवण उप वा काम ईमहे ससृ महे. उदे व म त उद भः.. (८)
हे इं ! आप उपासना करने यो य ह. हम आप से उसी कार अपनी इ छा पू त क ाथना करते ह, जैसे पानी ले जाने वाले मनु य उस से अपनी इ छानुसार खेलते ह. (८) वाण वा य ा भवध त शूर
ा ण. वावृ वा
सं चद वो दवे दवे.. (९)
हे इं ! आप व धारी व वीर ह. न दयां जैसे समु तक प ंच कर उसे बढ़ाती ह, उसी कार हमारी तु तयां आप तक प ंच कर आप के यश को और बढ़ाती ह. (९) यु
त हरी इ षर य गाथयोरौ रथ उ युगे वचोयुजा. इ वाहा व वदा.. (१०)
इं ग तशील ह. उन के घोड़े उन के बड़े जुए वाले बड़े रथ म कहने मा से ही जुत जाते ह. ये घोड़े गंत थान को भी वयं ही जानने वाले ह. ये यजमान क तु त सुनते ही नधा रत जगह के लए चल पड़ते ह. (१०)
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सरा अ याय पहला खंड पा तमा वो अ धस इ म भ गायत. व ासाह शत तुं म ह ं चषणीनाम्.. (१) हे यजमानो! आप इं क तु त क जए. वे आप के ारा चढ़ाए गए सोम पी अ को पीने वाले तथा श ु का नाश करने वाले ह. वे सैकड़ कार के कम करने वाले व मनु य को धन दे ने वाले ह. (१) पु
तं पु
ु तं गाथा या ३
सन ुतम्. इ
इ त वीतन.. (२)
हे यजमानो! आप इं क उपासना क जए. वे ब त स ह. वे य म अनेक लोग ारा बुलाए जाते ह. अनेक लोग ारा उन क उपासना क जाती है. (२) इ
इ ो महोनां दाता वाजानां नृतुः. महाँ अ भ वा यमत्.. (३)
हे यजमानो! इं अ और धन दे ने वाले ह. वे महान दे व ह. वे हमारे सामने कट हो कर हम अ धन आ द दे ने क कृपा कर. (३) व इ ाय मादन
हय ाय गायत. सखायः सोमपा ने.. (४)
हे यजमानो! इं ह र नाम के घोड़े वाले ह. वे सोमरस पीने वाले ह. आप उन इं के लए मादक तो गाइए. (४) श
से
थ
सुदानव उत ु ं यथा नरः. यकृमा स यराधसे.. (५)
हे यजमानो! इं े धनदाता और स य पी धन वाले ह. हम व ध वधान स हत इं क तु त करते ह. आप भी उन क तु त क जए. (५) वं इन इ (६)
वाजयु वं ग ुः शत तो. व
हे इं ! आप सैकड़ वयमु वा त ददथा इ
हर ययुवसो.. (६)
कार के कम करने वाले ह. आप हम अ , गाएं व सोना द जए. वाय तः सखायः. क वा उ थे भजर ते.. (७)
हे इं ! हम आप को अपना बनाना चाहते ह. हम म भाव से आप क उपासना करते ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. हम क वगो के ह. हमारी संतान भी आप क तु त करती है. (७) न घेम यदा पपन व
पसो न व ौ. तवे
तोमै केत.. (८)
हे इं ! आप व धारण करने वाले ह. य अनु ान म आप के तो के अलावा हम और कोई तो नह पढ़गे. हम आप के ही तो से तु त करना जानते ह. (८) इ छ त दे वाः सु व तं न व ाय पृहय त. य त मादमत ाः.. (९) सोमय करने वाल पर दे वगण क कृपा रहती है. केवल सपने दे खने वाल से वे ेम नह करते ह. प र म करने वाले ही आनंददायी सोम को ा त कर सकते ह. (९) इ ाय म ने सुतं प र ोभ तु नो गरः. अकमच तु कारवः.. (१०) हे यजमानो! आप सराहनीय सोमरस क उपासना क जए. वे उपासना के यो य ह. इं सोमरस को चाहते ह. हमारी वाणी को छाने ए सोमरस क तु त करनी चा हए. (१०) य म व ाअध
यो रण त स त स
सदः. इ
सुते हवामहे.. (११)
इं सारी शोभा से शो भत ह. य म सात पुरो हत इं को ह व दे ने के लए अनेक मं पढ़ते ह. हम सोमय म उन इं को आमं त करते ह. (११) क केषु चेतनं दे वासो य म नत. त म ध तु नो गरः.. (१२) य उ साहव क है. सभी दे व य के तीन दन म य क बढ़ोतरी करते ह. हमारी तु त और वा णयां भी उस य क बढ़ोतरी कर. (१२)
सरा खंड अयं त इ
सोमो नपूतो अ ध ब ह ष. एहीम य वा पब.. (१)
हे इं ! हम ने आप के लए छान कर सोमरस तैयार कया है. य क वेद पर बछे ए कुश के आसन पर उसे त त कया है. आप ज द ही उस के नकट पधा रए. उस सोमरस को पीने क कृपा क जए. (१) शा चगो श चपूजनाय
रणाय ते सुतः. आख डल
यसे.. (२)
हे इं ! आप साम यवान व काशमान करण वाले ह. आप श मान, पूजनीय और श ु का मानमदन करने वाले ह. हम ने आप क तृ त के लए यह सोमरस तैयार कया है. आप पधा रए. इस सोमरस को हण क जए. (२) य ते शृ वृषो णपा णपा कु डपा यः. य मन् द आ मनः.. (३) हे इं ! शृंगवृष ऋ ष के पु सूय को आप ने धुरी पर था पत कया है. कुंडपायी य , जस म कुं डय से सोमरस पया जाता है, म मन लगाने क कृपा क जए. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ तू न इ
म तं च ं ाभ
सं गृभाय. महाह ती द णेन.. (४)
हे इं ! आप बड़ेबड़े हाथ वाले ह. आप दाएं हाथ म हमारे लए यश वी, वल ण और उपयु धन धारण क जए. आप हम उस धन को दान करने क कृपा क जए. (४) व ा ह वा तु वकू म तु वदे णं तुवीमघम्. तु वमा मवो भः.. (५) हे इं ! आप ब त श मान व ब त दे ने यो य संप वाले ह. आप ब त धनवान व वशाल आकृ त वाले ह. हम जानते ह क आप के पास संर ण के ब त सारे साधन ह. (५) न ह वा शूर दे वा न मतासो द स तम्. भीमं न गां वारय ते.. (६) हे इं ! आप परा मी ह. आप दाता ह. जैसे भारी भरकम भयंकर बैल को कोई नह हटा सकता है, वैसे ही या दे व, या मनु य कोई भी आप को नह डगा सकता. (६) अ भ वा वृषभा सुते सुत
सृजा म पीतये. तृ पा
ुही मदम्.. (७)
हे इं ! आप बलशाली ह. हम आप के पीने के लए अ छ तरह छान कर सोमरस तैयार करते ह. आप उस मदम त बना दे ने वाले सोमरस को पी कर तृ त होइए. (७) मा वा मूरा अ व यवो मोपह वान आ दभन्. मा क
षं वनः.. (८)
हे इं ! आप ा ण से े ष रखने वाल क सेवा वीकार मत क जए. मूख मनु य व सर क हंसी उड़ाने वाल पर अपनी कृपा मत क जए. ये लोग आप पर कसी तरह अपना भाव न जमा पाएं. (८) इह वा गोपरीणसं महे म द तु राधसे. सरो गौरो यथा पब.. (९) हे इं ! यजमान आप से ब त धन पाना चाहते ह. वे गाय के ध म मले सोमरस से आप को तृ त करना चाहते ह. हरण जैसे तालाब म जल पीता है, वैसे ही आप इस य म (पधार कर) सोमरस पी जए. (९) इदं वसो सुतम धः पबा सुपूणमुदरम्. अनाभ य रमा ते.. (१०) हे इं ! आप सव ापक ह. आप पेट भर कर इस सोमरस को पी जए. हम आप जैसे नभय को सोमरस सम पत करते ह. (१०) नृ भध तः सुतो अ ैर ा वारैः प रपूतः. अ ो न न ो नद षु.. (११) हे इं ! नद के पानी म धो कर जैसे घोड़े को साफ करते ह, वैसे ही पानी म प थर से कूट कर इस सोमरस को साफ कया है. प थर से कूट कर इस का रस नचोड़ा है. भेड़ के बाल क छलनी से छानछान कर इसे साफ कया है. (११) तं ते यवं यथा गो भः वा मकम ीण तः. इ
वा म सधमादे .. (१२)
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हे इं ! जौ से जस कार पुरोडाश (भोग) बनाया जाता है, उसी कार सोम रस म गाय का ध मला कर उसे हम ने तैयार कया है. वह सोमरस वा द है. हम उसी सोमरस को पीने के लए य म आप को आमं त करते ह. (१२)
तीसरा खंड इद
वोजसा सुत
राधानां पते. पबा वा ३ य गवणः.. (१)
हे इं ! आप धनप त, उपासना के यो य व बलशाली ह. आप नयमपूवक सं कार कए गए इस सोमरस को शी हण क जए. (१) य ते अनु वधामस सुते न य छ त वम्. स वा मम ु सो य.. (२) अ
हे इं ! आप सोम के यो य ह. यह सोमरस आप के लए तृ तदायी हो. यह सोमरस व प है. आप इस सोमरस म सशरीर पधा रए. (२) ते अ ोतु कु योः े
णा शरः.
बा शूर राधसा.. (३)
हे इं ! आप श मान ह. वशु सोम ाथना कांख तक प ंचे. हम आप से धन चाहते ह. (३) आ वेता न षीदते म भ
से आप के सर, दोन भुजा
व
गायत. सखाय तोमवाहसः.. (४)
हे यजमानो! आप इं को स करने के लए शी आइए, बै ठए. उन के लए ाथना व उपासना क जए. (४) पु तमं पु णामीशानं वायाणाम्. इ
सोमे सचा सुते.. (५)
हे यजमानो! आप इकट् ठे होइए. इं श ु को हराने क साम य रखते ह. वे ऐ य के वामी ह. आप सभी उन क उपासना क जए. (५) स घा नो योग आ भुव स राये स पु
या. गम ाजे भरा स नः.. (६)
हे इं ! आप हम वीर बनाइए और नखा रए. आप हम समृ दान क जए. आप हम ान व पोषकता दान क जए. आप हमारे समीप पधारने क कृपा क जए. (६) योगेयोगे तव तरं वाजेवाजे हवामहे. सखाय इ मूतये.. (७) हे यजमानो! हम पर बारबार काम म अपनी र ा के लए अपने म इं का आ ान करते ह. (७) अनु
न यौकसो वे तु व त नरम्. यं ते पूव पता वे.. (८)
इं वगवासी ह. वे ब त लोग क मदद करते ह. हमारे पता (पूवज ) ने उन का आ ान कया था. हम भी उन का आ ान करते ह. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ घा गम द व सह णी भ
त भः. वाजे भ प नो हवम्.. (९)
हे यजमानो! हम आशा है क इं हमारी ाथना से स ह गे. वे अपनी र ा और वैभव के साथ हमारे पास अव य पधारगे. (९) इ
सुतेषु सोमेषु
तुं पुनीष उ यम्. वदे वृध य र
य महाँ ह षः.. (१०)
हे इं ! आप के पु आप के लए सोमरस प र कृत करते ह. आप महान ह. आप उन के य तथा उन के तो क बढ़ोतरी करते ह. (१०) स थमे
ोम न दे वाना
सदने वृधः. सुपारः सु व तमः सम सु जत्.. (११)
हे यजमानो! इं थम दे वता ह. वे आकाश म दे वता के आवास म नवास करते ह. वे भलीभां त हमारी र ा करते ह. वे हम यश दान करते ह. वे असुर वजेता ह. हम उन का आ ान करते ह. (११) तमु वे वाजसातय इ ं भराय शु मणम्. भवा नः सु ने अ तम् सखा वृधे.. (१२) हे इं ! हम अ ा त के लए आप का आ ान करते ह. हम अपने भरणपोषण के लए आप का आ ान करते ह. हम सुमन (अ छे मन वाले) व आप के सखा बन. आप हमारी बढ़ोतरी म हमारा सहयोग करने क कृपा क जए. (१२)
चौथा खंड एना वो अ नं नमसोज नपातमा वे. यं चे त मर त व वरं व य तममृतम्.. (१) हे अ न! आप व के त ह. आप अमर, आ ान करते ह. (१) स योजते अ षा व मोजसा स सु ा य ः सुशमी वसूनां दे व
य व अ य ह. हम अपने य म आप का
व वा तः. राधो जनानाम्.. (२)
अ न लोग के लए धन व प, व ान्, संयमशील व सब को जोड़ते ह. आप सम त व को ओज से पूण करते ह. हम आप का आ ान करते ह. (२) यु अद याय यू ३ छ ती हता दवः. अपो मही वृणुते च ुषा तमो यो त कृणो त सूनरी.. (३) उषा वगलोक क पु ी व अंधकार को र करती ह. वे अपनी करण से सभी को का शत करती ह. वे आंख क यो त ह. वे अंधकार म यो त ह. वे उ म नारी ह. (३) उ
याः सृजते सूयः सचा उ
म चवत्.
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तवे षो
ु ष सूय य च सं भ े न गमेम ह.. (४)
सूय, न और ह ये तीन आकाश को काशमान करते ह. सूय अपनी करण का सार करते ह और काश से हम भ तक प ंचते ह. (४) इमा उ वां द व य उ ा हव ते अ ना. अयं वाम े ऽ वसे शचीवसू वशं वश ह ग छथः.. (५) हे अ नीकुमारो! आप वगलोक के वासी ह. वग ा त करने के इ छु क लोग अपनी इ छापू त के लए आप का आ ान करते ह. आप तु त करने वाल के पास प ंचते ह. हम आप का आ ान करते ह. (५) युवं च ं ददथुभ जनं नरा चोदथा सूनृतावते. अवा थ समनसा न य छतं पबत सो यं मधु.. (६) हे अ नीकुमारो! आप युवा नेता ह और े आहार दे ने वाले व तु त करने वाल को े रत करते ह. कृपया आप अपना रथ रो कए. आप अपना मन लगा कर मधुर सोमरस का पान क जए. (६)
पांचवां खंड अय
नामनु ुत
शु ं
े अ यः. पयः सह सामृ षम्.. (१)
सोमरस चमक ला, ान बढ़ाने वाला व मनोकामना पूरी करने वाला है. ऋ षय ने इस के सह व प का मरण कर के इसे तैयार कया है. (१) अय
सूय इवोप गय
सरा
स धाव त. स त वत आ दवम्.. (२)
सोम सात धारा से उसी कार दौड़ते ह ( वा हत होते ह), जस तरह सूय वगलोक से सात करण से धरती पर आने के लए दौड़ते ह. (२) अयं व ा न त त पुनानो भुवनोप र. सोमो दे वो न सूयः.. (३) सोम सभी भुवन के ऊपर ह. (३) एष
त त ह व सम त संसार पर राज करते ह. वे हमारे सूय
नेन ज मना दे वो दे वे यः सुतः. ह रः प व े अष त.. (४)
सोमरस द है. दे वता सं कारपूवक उसे प र कृत करते ह. वह हरा है और उसे प व छलनी म प र कृत कया जाता है. (४) एष
नेन म मना दे वो दे वे य प र. क व व ेण वावृधे.. (५)
सोम क व और व ान से शंसा ा त करते ह. वे सभी दे वता ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से ऊपर ह. उन को
सं कारपूवक अनेक व धय से प र कृत कया जाता है. (५) हानः
न म पयः प व े प र ष यसे.
दं दे वाँ अजीजनः.. (६)
सोमरस को छलनी से प र कृत कया जाता है और उसे बरतन (पा ) म नचोड़ा जाता है. सोम आवाज करते ए पा म जाते ह तो लगता है मानो वे दे वता का आ ान कर रहे ह . (६) उप श ापत थुषो भयसमा धे ह श वे. पवमान वदा र यम्.. (७) हे सोम! आप अक याणका रय को भयभीत क जए. आप हमारा मागदशन क जए. आप हम धनधा य से प रपूण करने क कृपा क जए. (७) उपो षु जातम तुरं गो भभ प र कृतम्. इ ं दे वा अया सषुः.. (८) सोमरस को नचोड़ा जाता है. त प ात उस को प र कृत कया जाता है. फर जल म मलाया जाता है. आप को गाय के ध म मलाया जाता है. दे वता भी सोम को बुलाते ह. (८) उपा मै गायता नरः पवमानाये दवे. अ भ दे वाँ इय ते... (९) हे यजमानो! आप दे वता
के गुण गाने क अपे ा सोम के गुण गाइए. (९)
छठा खंड सोमासो वप तो ऽ पो नय त ऊमयः. वना न म हषा इव.. (१) सागर क लहर सागर म जैसे मल जाती ह, वैसे सोमरस जल म मल जाता है. वन म मले भस क तरह सोमरस जल म एकमेक हो जाता है. (१) अ भ ोणा न ब वः शु ा ऋत य धारया. वाजं गोम तम रन्.. (२) सोमरस चमक ला है. वह अपनी ऋत क धारा से भूरा सोम गाय के ध म झरता है. वह श मान है. (२) सुता इ ाय वायवे व णाय म द् यः. सोमा अष तु व णवे.. (३) सोम इं , वायु, म द्गण व व णु को ा त ह . (३) सोम दे ववीतये स धुन प ये अणसा. अ शोः पयसा म दरो न जागृ वर छा कोशं मधु तम्.. (४) हे सोम! आप को पानी से भरीपूरी न दय क तरह पानी म मलाया जाता है. आप म दर (आनंददायी) व जा त ह. मधुरता चुआते ए सोमरस (पा म) इकट् ठा होता है. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ हयतो अजुनो अ के अ त यः सूनुन म यः. तमी ह व यपसो यथा रथं नद वा गभ योः.. (५) सोमरस को ब चे क तरह साफसुथरा बना लया है. य सोमरस को तेज ग त से जल म मलाया जाता है. वह वैसे ही वेग से पानी म मलता है, जैसे यु म तेज ग त से कोई रथ जाता है. (५) सोमासो मद युतः वसे नो मघोनाम्. सुता वदथे अ मुः.. (६) सोमरस आनंद बरसाने वाला व यशदाता है. वह य म नरंतर प ंच कर इ छा पू त करता है. (६) आद ह सो यथा गणं व अ यो न गो भर यते.. (७)
यावीवश म तम्.
सोमरस हंस क ग त से जाता है. वह संसार के बु है. (७) आद
त य योषणे ह र
क
हव य
भः. इ
मान क बु
तक प ंच रखता
म ाय पीतये.. (८)
सोमरस हरा है. इसे प थर से कूट कर नचोड़ा जाता है. उस को तीन ऋ षय क अंगु लय से इं के पीने के लए नचोड़ा जाता है. (८) अया पव व दे वयू रेभ प व ं पय ष व तः. मधोधारा असृ त.. (९) हे सोम! आप दे वता से मलने के इ छु क ह. आप प व और अ वरल मीठ धारा से झरते ह व आवाज करते ए वा हत होते ह. (९) पवते हयतो ह रर त
रा
सर
ा. अ यष तोतृ यो वीरव शः.. (१०)
सोमरस प व और हरा है. वह परा मी संतान और यश ा त के इ छु क यजमान के लए वा हत होता है. (१०) सु वानाया धसो मत न व त चः. अप ानमराधसं हता मखं न भृगवः.. (११) प र कृत कए जाते समय सोमरस आवाज करता है. लोग इस आवाज को न सुन. भृगु ने जैसे मख को र कया, उसी तरह पापी और कु को य से र कया जाए. (११)
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तीसरा अ याय पहला खंड पव व वाचो अ यः सोम च ा भ
त भः. अ भ व ा न का ा.. (१)
हे सोम! आप मुख ह, आगे क पं म रहने वाले ह. आप हमारी तु तय पर यान द जए. हमारी सभी तु तय और ाथना को सु नए. आप पूजनीय व संर णशील ह. (१) व
समु या अपो ऽ
यो वाच ईरयन्. पव व व चषणे.. (२)
हे सोम! आप सभी के कम को यान से दे खने वाले ह. आप अ ग य तु तय के ेरक ह. अंत र के जल आप को ा त होते ह. (२) तु येमा भुवना कवे म ह ने सोम त थरे. तु यं धाव त धेनवः.. (३) हे सोम! आप के ही लए ये लोक थर ह. आप क महानता के कारण ये लोक थर ह. गाएं आप को ध दे ने के लए दौड़दौड़ कर आप के पास आ रही ह. (३) पव वे दो वृषा सुतः कृधी नो यशसो जने. व ा अप
षो ज ह.. (४)
छाना आ आप का रस फू तदायी है. आप छनते ए अपनी धारा हम लोग को यश वी बनाइए. हमारे सभी श ु का नाश क जए. (४) य य ते स ये वय
से प व होइए.
सास ाम पृत यतः. तवे दो ु न उ मे.. (५)
हे सोम! हम आप के म ह. हम ने आप से तेज वता पाई है. हम सभी श ु न करने क मता वाले हो गए ह. (५)
को
या ते भीमा यायुधा त मा न स त धूवणे. र ा सम य नो नदः.. (६) हे सोम! आप के अ श भयंकर ह. वे श ु को डरा दे ने वाले ह. उन क सहायता से श ु ारा क गई नदा क पीड़ा से हमारी र ा क जए. (६) वृषा सोम ुमाँ अ स वृषा दे व वृष तः. वृषा धमा ण द षे.. (७) हे सोम! आप श मान, काशमान, इ छापूरक एवं बल बढ़ाने के लए संक पशील ह. हे इ छापूरक! आप दे वता और मनु य सब के लए क याणकारी कम धारण करने वाले ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. (७) वृ ण ते वृ णय
शवो वृषा वनं वृषा सुतः. स वं वृष वृषेद स.. (८)
हे सोम! आप श शाली, ब त साम यवान ह. आप क सेवा भी श का रस एवं आप वयं भी बलव क ह. (८) अ ोन
व क है. आप
दो वृषा सं गा इ दो समवतः. व नो राये रो वृ ध.. (९)
हे सोम! आप श मान ह. आप घोड़े क तरह आवाज करते ह. आप हम गोधन और अ धन दे ते ह. आप हमारे लए धन के ार खोलते ह. (९) वृषा
स भानुना ुम तं वा हवामहे. पवमान व शम्.. (१०)
हे सोम! आप अव य ही श को बुलाते ह. (१०)
व क ह. आप प व व काशमान ह. हम य म आप
यद द्भः प र ष यसे ममृ यमान आयु भः. ोणे सध थम ुषे.. (११) हे सोम! यजमान आप को शु बनाते ह. जल से आप को स चा जाता है. जल मलाने के बाद आप को ोणकलश म था पत कया जाता है. (११) आ पव व सुवीय म दमानः वायुध. इहो व दवा ग ह.. (१२) हे सोम! हमारे य म पधार कर आप उस क शोभा बढ़ाइए. आप आनंददायी ह. आप हम वीर बनाइए. हम े वीय (संतान) दान क जए. (१२) पवमान य ते वयं प व म यु दतः. स ख वमा वृणीमहे.. (१३) (१३)
हे सोम! छलनी म छन कर प व होने वाले आप से हम म ता क इ छा रखते ह. ये ते प व मूमयो ऽ भ र त धारया. ते भनः सोम मृडय.. (१४) हे सोम! अपनी लहर जैसी झरती ई प व धारा
से हम सुख दान क जए. (१४)
स नः पुनान आ भर र य वीरवती मषम्. ईशानः सोम व तः.. (१५) हे सोम! आप संसार के ई र व प व ह. आप हम धनवान, अ वान और वीर पु वान बनाने क कृपा क जए. (१५)
सरा खंड अ नं तं वृणीमहे होतारं व वेदसम्. अ य य अ न सभी धन पास रखने वाले, दे वता
य सु तुम्.. (१)
को य म बुलाने वाले, य को ठ क तरह
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कराने वाले व दे व को ह व प ंचाने वाले ह. हम आप क उपासना करते ह. (१) अ नम न
हवीम भः सदा हव त व प तम्. ह वाहं पु
यम्.. (२)
हे अ न! आप जापालक, ह ववाहक, सव य, बुलाने यो य व अनेक नाम वाले ह. आप हम सब के नेता ह. हम मं से आप का आ ान करते ह. (२) अ ने दे वाँ इहा वह ज ानो वृ ब हषे. अ स होता न ई
ः.. (३)
हे अ न! आप अर णय से उ प होने वाले व दे वता के त ह. आप आसन फैलाने वाले यजमान के लए दे वता को बुला लाइए. आप मददगार और उपासना के यो य ह. (३) म ं वय
हवामहे व ण
सोमपीतये. या जाता पूतद सा.. (४)
हम शु , बलवान और य थल म कट होने वाले म और व ण दे वता का सोमरस पीने के लए य म आ ान करते ह. (४) ऋतेन यावृतावृधावृत य यो तष पती. ता म ाव णा वे.. (५) म और व ण दे वता यजमान पर दयालु ह. वे स यमा गय पर कृपालु ह. उन काशमान म और व ण दे वता का हम आ ान करते ह. (५) व णः ा वता भुव म ो व ा भ
त भः. करतां नः सुराधसः.. (६)
म और व ण दे वता अपने सभी र ा साधन से हमारी र ा कर. वे हमारे शरणदाता ह. वे हम यश वी धन दान करने क कृपा कर. (६) इ
मद्गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (७)
साम गाने वाले पुरो हत ने बृह साम गा कर इं क तु त क . यजमान ने भी मं गा कर इं क तु त क . शेष बचे ए लोग ने भी वाणी से इं क तु त क . (७) इ
इ य ः सचा स म
आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (८)
इं व धारी ह. वे सोने के आभूषणधारी ह. उन क वाणी सुनते ही ह र नामक घोड़े रथ म जुत जाते ह. अब वे अपने उ ह घोड़ को एक साथ रथ म जोतने वाले ह. (८) इ
वाजेषु नो ऽ व सह
धनेषु च. उ उ ा भ
त भः.. (९)
हे इं ! आप कसी से नह हार सकते. आप हम अपना बल संर ण दान क जए. जन यु म हजार हाथीघोड़ का लाभ होता है, उन यु म भी आप हमारी सहायता क जए. (९) इ ो द घाय च स आ सूय
रोहय
व. व गो भर मैरयत्.. (१०)
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हे इं ! संसार को काश दे ने के लए आप ने वगलोक म सूय क थापना क . उसी कार अपनी र मय ( करण ) से बरसात के लए बादल को े रत कया. (९०) इ े अ ना नमो बृह सुवृ
मेरयामहे. धया धेना अव यवः.. (११)
अपने संर ण क कामना से हम अ न और इं के पास ह व और तु त प ंचाते ह. हम बु और मनोयोग से दोन दे वता क उपासना करते ह. (११) ता ह श
त ईडत इ था व ाय ऊतये. सबाधो वाजसातये.. (१२)
अनेक बु मान लोग अ न और इं क र ा के लए उपासना करते ह. वे लोग वैसे ही उन क उपासना करते ह, जैसे अ के लए लड़तेझगड़ते ह. (१२) ता वां गी भ वप यवः य व तो हवामहे. मेधसाता स न यवः.. (१३) हम तु तय से अ न और इं क उपासना करते ह. उन को आमं त करते ह. हम धन के इ छु क ह व के साथ आप दोन को य म आमं त करते ह. (१३)
तीसरा खंड वृषा पव व धारया म वते च म सरः. व ा दधान ओजसा.. (१) हे सोम! आप श व क ह. आप धारा प म छ नए. आप ोणकलश म पधा रए. आप अपने बल से व को धारण करने वाले म त के म इं को आनंद दान क जए. (१) तं वा धतारमो यो ३: पवमान व शम्. ह वे वाजेषु वा जनम्.. (२) हे सोम! आप प व , वगलोक, पृ वीलोक को धारण करने वाले व सव को हम यु म जाने के लए े रत करते ह. हम आप अ आ द द जए. (२)
ा ह. आप
अया च ो वपानया ह रः पव य धारया. युजं वाजेषु चोदय.. (३) हे सोम! आप हरे ह. आप को अंगु लय से नचोड़ा गया है. आप ोणकलश म धारा प म झरते जाइए. आप अपने म इं को यु म जाने के लए े रत क जए. (३) वृषा शोणो अ भक न दद्गा नदय े ष पृ थवीमुत ाम्. इ येव व नुरा शृ व आजौ चोदय ष स वाचमेमाम्.. (४) हे सोम! हमारी ाथना को सुन कर आप उसी तरह आवाज करते ह, जैसे गाय को दे ख कर लाल बैल आवाज करता है. आप वगलोक और पृ वीलोक पर पधारते ह. इं के श द के समान हम आप क आवाज सुनते ह. आप अपना व प सब को बोध कराते ह. यजमान क ाथना को सुनने क कृपा करते ह. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रसा यः पयसा प वमान ईरय े ष मधुम तम शुम्. पवमान स त नमे ष कृ व ाय सोम प र ष यमानः.. (५) वा द और मीठा सोमरस गाय का ध मलाने से और वा द और मीठा हो जाता है. पानी मला कर छानने पर धारा प धारण कर के सोम इं को ा त हो जाते ह. (५) एवा पव व म दरो मदायोद ाभ य नमय वध नुम्. प र वण भरमाणो श तं ग ुन अष प र सोम स ः.. (६) हे सोम! आप फू तदायी ह. आप वृ ासुर का वध हो जाने के बाद पानी बहाने वाले मेघ को झुकाइए. उन के जल म मल कर छनते जाइए. आनंददायी होइए. आप पानी म मल कर और चमक ले हो जाइए. आप गाय के ध के प म हमारे चार ओर वा हत होइए. (६)
चौथा खंड वा म हवामहे सातौ वाज य कारवः. वां वृ े व स प त नर वां का ा ववतः.. (१) हे इं ! हम यजमान अपने अ क बढ़ोतरी क आकां ा से आप को आमं त करते ह. आप पवतवासी, स प त व वृ हंता ह. े जन वप के समय आप को मरण करते ह. (१) स वं न गाम क
व ह त धृ णुया मह तवानो अ वः. र य म सं कर स ा वाजं न ज युषे.. (२)
हे इं ! आप हाथ म व धारण करते ह. आप बलधारी व श धारी ह. आप यजमान ाथना से स होइए. उ ह अ धन दान करने क कृपा क जए. (२) अ भ वः सुराधस म मच यथा वदे . यो ज रतृ यो मघवा पु वसुः सह ेणेव श त.. (३)
हे यजमानो! इं नाना कार के वैभव दे ने वाले ह. आप हजार व धय से उ ह स करने क को शश करो. (३) शतानीकेव जगा त धृ णुया ह त वृ ा ण दाशुषे. गरे रव रसा अ य प वरे द ा ण पु भोजसः.. (४) मन का संहार करते समय इं यजमान क वैसे ही र ा करते ह, जैसे सेनानी श ु पर चढ़ाई के समय सेना क . उन का यह संर ण यजमान को झरने के जल क तरह शां त और तृ त दान करता है. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वा मदा ो नरो ऽ पी य व न् भूणयः. स इ तोमवाहस इह ु युप वसरमा ग ह.. (५) हे व धारी इं ! यजमान आप को ह व दान करते ह. वे ही यजमान आप को सोमरस भट करते ह. तोता (उपासक) आप के लए साम गा रहे ह. आप सु नए और य म पधा रए. (५) म वा सु श ह रव तमीमहे वया भूष त वेधसः. तव वा युपमा यु य सुते व गवणः.. (६) हे सुंदर ठु ड्डी वाले इं ! आप अ श धारी ह. आप उपासना के यो य ह. हम यजमान अनेक कार क साम ी से आप क पूजा करते ह. हम आप को सजाते व सोमरस से छकाते ह. हम और भी य पदाथ आप को भट करते ह. आप अ पालक ह. (६)
पांचवां खंड य ते मदो वरे य तेना पव वा धसा. दे वावीरघश हे सोम! आप का रस वरे य, मददायी व द ज नवृ म म य
ह. आप प र कृत होइए. (१)
स नवाजं दवे दवे. गोषा तर सा अ स.. (२)
हे सोम! आप वृ ासुर अ म व अ धन दान करते ह. (२) स म
सहा.. (१)
(श ु
) के नाशक, द
ो अ षो भुवः सूप था भन धेनु भः. सीदं
व संघषशील ह. आप गोधन
ेनो न यो नमा.. (३)
हे सोम! बाज जैसे घ सले म सुशो भत होता है, उसी कार आप अपने सदन म सुशो भत होते ह. आप गाय के ध म मलने पर चमचमाते ह. (३) अयं पूषा र यभगः सोमः पुनानो अष त. प त व य भूमनो य ोदसी उभे.. (४) हे सोम! आप व प त व प व ह. आप पूषा और भग के लए वा हत होइए. आप पृ वीलोक और वगलोक दोन को का शत करते ह. (४) समु या अनूषत गावो मदाय घृ वयः. सोमासः कृ वते पथः पवमानास इ दवः.. (५) हे सोम! आप मददायी व य ह. आप के लए क गई तु तयां एक सरे से होड़ करती ह. आप सभी का पथ दशन करते ह. (५) य ओ ज तमा भर पवनाम वा यम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यः प च चषणीर भ र य येन वनामहे.. (६) सोम ओजवान, अंधकार र करने वाले और प व ह. आप पंच से शंसा ा त करने यो य रस हम दान करने क कृपा क जए. (६) वृषा मतीनां पवते वच णः सोमो अ ां तरीतोषसां दवः. ाणा स धूनां कलशाँ अ च द द य हा ा वश मनी ष भः.. (७) हे सोम! आप बु बढ़ाने वाले, वल ण, वगलोक व उषा को जानते ह. आप दनरात को का शत व जा त करते ह. आप मनी षय ारा इं के लए प र कृत कए जाते ह. आप आवाज करते ए पा म वा हत होते ह. (७) मनी ष भः पवते पू ः क वनृ भयतः प र कोशा अ स यदत्. त य नाम जनय मधु र य वायु स याय वधयन्.. (८) सोम प व , अपूव व क व ह. मनीषी और मनु य आप को प र कृत करते ह. आप तीन सवन म इं क स फैलाते ह. सोम इं को तृ त दे ते ह. सोम वायु क म ता क बढ़ोतरी के लए वा हत होते ह. (८) अयं पुनान उषसो अरोचयदय अयं ः स त हान आ शर
स धु यो अभव लोककृत्. सोमो दे पवते चा म सरः.. (९)
सोम प व व चमकने वाले ह. वे हतकारी और उषा को का शत करते ह. सोमरस न दय म जल क बढ़ोतरी करता है. यह तीन गुणे सात को पोसता आ वा हत होता है. यह सब के दय म नवास करता है. (९)
छठा खंड एवा
स वीरयुरेवा शूर उत थरः. एवा ते रा यं मनः.. (१)
हे इं ! आप शूरवीर ह. आप सं ाम म शूरवीर को अपनी वीरता दखाने का अवसर दान करते ह. आप उन यु म थर रहते ह. इसी लए आप का मन आराधना के यो य है. (१) एवा रा त तु वमघ व े भधा य धातृ भः. अधा च द
नः सचा.. (२)
हे इं ! आप सभी ऐ य धारण करते ह. आप क कृपा कभी भी समा त नह होती है. आप हम पर कृपा क जए. (२) मो षु
ेव त युभुवो वाजानां पते. म वा सुत य गोमतः.. (३)
हे इं ! आप बलवान, श क कृपा क जए. (३)
के वामी एवं
ा के समान ह. आप हम बु
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मान बनाने
इ ं व ा अवीवृध समु चसं गरः रथीतम रथीनां वाजाना स प त प तम्.. (४) हे इं ! आप समु जैसे भरेपूरे ह और व को धारण करते ह. आप स प त, श और दै वी श य के वामी ह. हम वाणी से आप क उपासना करते ह. (४)
पत
स ये त इ वा जनो मा भेम शवस पते. वाम भ नोनुमो जेतारमपरा जतम्.. (५) हे इं ! हम आप के सखा ह. आप श मान ह. आप क छ छाया म हम कभी कसी से भयभीत न ह . आप अपराजेय व वजेता ह. हम आप को नमन करते ह. (५) पूव र य रातयो न व द य यूतयः. यदा वाज य गोमत तोतृ यो म हते मघम्.. (६) हे इं ! आप का दान अपूव है. आप हम (पूण) संर ण दे ते ह. आप जब उपासक को अ धन दान दे ते ह तो वह कभी ीण नह होता. (६)
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चौथा अ याय पहला खंड एते असृ म दव तरः प व माशवः. व ा य भ सौभगा.. (१) हे सोम! आप तेजी से छलनी क ओर भाग रहे ह. यजमान अपने सौभा य के लए आप को प र कृत कर रहे ह. (१) व न तो
रता पु सुगा तोकाय वा जनः. मना कृ व तो अवतः.. (२)
हे सोम! आप श दाता, पापनाशी व हमारी पी ढ़य को पशु धन दे ते ह. आप अपना माग वयं न मत करते ह. (२) कृ व तो व रवो गवे ऽ यष त सु ु तम्. इडाम म य
संयतम्.. (३)
हे सोम! आप हम धन दान करते ह. आप हमारी गाय के लए भी े धन दान करते ह. आप पालने वाले ह. आप हमारी ाथना को वीकार क जए. (३) राजा मेधा भरीयते पवमानो मनाव ध. अ त र ेण यातवे.. (४) हे सोम! आप राजा ह. हम बु से आप क उपासना करते ह. आप अंत र म मण करते ह. आप ोणकलश म थत रहते ह. (४) आ नः सोम सहो जुवो
पं न वचसे भर. सु वाणो दे ववीतये.. (५)
हे सोम! आप को दे वीदे वता के उपयोग के लए प र कृत कया जाता है. आप हम भरपूर प, वच व ( भाव) व तेज दान क जए. (५) आ न इ ो शात वनं गवां पोष
व यम्. वहा भग मूतये.. (६)
हे सोम! आप हम सैकड़ गाएं व घोड़े दान क जए. आप उन सब का पालनपोषण करने म स म ह. आप हम भा यशाली बनाने क कृपा क जए. (६) तं वा नृ णा न ब त
सध थेषु महो दवः. चा
सुकृ ययेमहे.. (७)
हे सोम! आप वगलोक के महान वैभव से संप ह. आप चा (सुंदर) ह. आप को हम अपने सुकम से पाना चाहते ह. हम आप क उपासना करते ह. (७) संवृ
धृ णुमु यं महाम ह तं मदम्. शतं पुरो
णम्.. (८)
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हे सोम! आप महान, म हमाशाली व ती ह. आप श ु करने वाले ह. हम आप से धन चाहते ह. (८) अत वा र यर यय ाजान
के सैकड़ नगर का नाश
सु तो दवः. सुपण अ थी भरत्.. (९)
हे सोम! आप सुकम करने वाले, धन व श दाता ह. आप कभी ग ड़ आप को वगलोक से पृ वीलोक पर लाने क कृपा कर. (९) अधा ह वान इ
यं यायो म ह वमानशे. अ भ कृ चष णः.. (१०)
हे सोम! वगलोक से पृ वीलोक पर आने के बाद आप और म हमाशाली, आकषक व मतावान हो जाते ह. (१०) व
थत नह होते ह.
मा इत् व शे साधारण
ानदायी (संप ),
रज तुरम्. गोपामृत य वभरत्.. (११)
हे सोम! आप वयं काशमान ह. आप य के र क व जल के ेरक ह. आप अमृत और द ह. (११) इषे पव व धारया मृ यमानो मनी ष भः. इ दो चा भ गा इ ह.. (१२) हे सोम! आप ानवान ह. मनीषी यजमान आप को प र कृत करते ह. आप पौ क अ दे ने वाले है. आप अपनी धारा म वा हत होइए. (१२) पुनानो व रव कृ यूज जनाय गवणः. हरे सृजान आ शरम्.. (१३) हे सोम! आप हरे व उपासना के यो य ह. आप जलवान होइए. आप यजमान को अ दान करने क कृपा क जए. (१३) पुनानो दे ववीतय इ
य या ह न कृतम्. ुतानो वा ज भ हतः.. (१४)
हे सोम! आप प व व द ह. आप को इं और दे वता के लए प र कृत कया जाता है. आप हत साधक, ु तमान व श शाली ह. आप इं तक प ंचने क कृपा क जए. (१४)
सरा खंड अ नना नः स म यते क वगृहप तयुवा. ह वाड् जु ा य.. (१) हे अ न! आप क व, व ान्, युवा, ह ववाहक व य के र क ह. आप को स मधा से व लत कया जाता है. (१) य वाम ने ह व प त तं दे व सपय त. त य म ा वता भव.. (२) हे अ न! आप ह वप त तथा दे व त ह. आप क जो व धवत र ा करते ह, आप उन क र ा करने क कृपा क जए. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो अ नं दे ववीतये ह व माँ आ ववास त. त मै पावक मृडय.. (३) हे अ न! आप ह वमान ह. हम दे वता को ह व प ंचाने के लए आप से अनुरोध करते ह. आप प व ह. आप हम सुखी बनाने क कृपा क जए. (३) म
वे पूतद ं व णं च रशादसम्. धयं धृताची
साध ता.. (४)
हे म ! आप प व और द ह. हे व ण! आप जल उपजाते ह. आप दोन दे व हम बु दान क जए. आप हम सा धए एवं हमारे श ु का नाश क जए. हम आप दोन दे व का आ ान करते ह. (४) ऋतेन म ाव णावृतावृधावृत पृशा.
तुं बृह तमाशाथे.. (५)
हे म ! हे व ण! आप स य के र क ह. आप य को सफल बनाते ह. आप हम भी पु यशाली व स य का र क बनाइए. (५) कवी नो म ाव णा तु वजाता उ
या. द ं दधाते अपसम्.. (६)
हे म ! हे व ण! आप द , जलधारी, क व व अनेक थान पर वास करते ह. आप हम मतावान बनाते ह. (६) इ ेण स
ह
से संज मानो अ ब युषा. म
हे म द्गण! आप समान वच व वाले सदै व भयमु ह. आप इं के साथ सुशो भत होते ह. (७)
समानवचसा.. (७) स
रहते ह. आप तेजोमय, वीर व
आदह वधामनु पुनगभ वमे ररे. दधाना नाम य यम्.. (८) हे म द्गण! आप पूजनीय व नामधारी ह. आप अपने धाम (न होने के बाद फर से उ प होने वाले अ और जल) म गभ धारण कर के आकार ा त करते ह. आप य को धारण करते ह. (८) वीडु चदा ज नु भगुहा च द
व
भः. अ व द उ या अनु.. (९)
हे इं ! आप मजबूत से मजबूत कले को भी ढहा सकते ह. आप गूढ़ से गूढ़ गुफा म भी वेश कर सकते ह. आग जैसे तेज वी म द्गण क ई करण को काश म लाते ह. (९) ता वे ययो रदं प े व ं पुरा कृतम्. इ ा नी न मधतः.. (१०) हे इं ! हे अ न! आप परा मी उपासक के सारे क हरने वाले व सनातन ह. हम आप दोन दे व का आ ान करते ह. (१०) उ ा वघ नना मृध इ ा नी हवामहे. ता नो मृडात ई शे.. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! हे अ न! आप उ व व ननाशी ह. हम य म आप दोन दे व का आ ान करते ह. आप दोन दे व हम सुखी बनाने क कृपा क जए. (११) हथो वृ ा याया हथो दासा न स पती. हथो व ा अप
षः.. (१२)
हे इं ! हे अ न! आप े दे व, आय के पालनहार सभी े ष को र करने वाले व स प त ह. आप मन को र करने वाले ह. (१२)
तीसरा खंड अ भ सोमास आयवः पव ते म ं मदम्. समु या ध व पे मनी षणो म सरासो मद युतः.. (१) हे सोम! आप आनंददायी एवं फू तदायी ह. यजमान आनंद तथा फू त पाने के लए ोणकलश के ऊपर रखी ई छलनी से आप को छानते ह. (१) तर समु ं पवमान ऊ मणा राजा दे व ऋतं बृहत्. अषा म य व ण य धमणा ह वान ऋतं बृहत्.. (२) हे सोम! आप प व , लहरदार, वशाल व राजा ह. आप को म और व ण दे व के पीने के लए य म था पत कया जाता है. (२) नृ भयमाणो हयतो वच णो राजा दे वः समु य ् ः.. (३) हे सोम! आप द , राजा, मनोहर व वल ण ह. आप समु जैसे ह. (३) त ो वाच ईरय त व ऋत य धी त णो मनीषाम्. गावो य त गोप त पृ छमानाः सोमं य त मतयो वावशानाः.. (४) हे सोम! यजमान ऋक्, यजु और साम प तीन वा णय से आप का गुणगान करते ह. ा ण और मनीषी उसी कार आप को खोजते (पूछते ए) आते ह, जस कार गाएं बैल के पास जाती ह. (४) सोमं गावो धेनवो वावशानाः सोमं व ा म त भः पृ छमानाः. सोमः सुत ऋ यते पूयमानः सोमे अका ु भः सं नव ते.. (५) हे सोम! धा गाएं आप को चाहती ह. ा ण पूछते ए सोम को चाहते ह. सुत (यजमान) प व सोम को चाहते ह. यजमान ु प् छं द म रची गई ाथना से सोम क उपासना करते ह. (५) एवा नः सोम प र ष यमान आ पव व पूयमानः व त. इ मा वश बृहता मदे न वधया वाचं जनया पुरं धम्.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सोम! आप हमारे हत हेतु प र कृत होने क कृपा क जए. आप प व होइए. आप हमारा क याण क जए. आप हम े बु द जए. आप हमारी ाथना वीका रए. आप इं को तृ त क जए. (६)
चौथा खंड य ाव इ न वा व
ते शत सह
शतं भूमी त युः. सूया अनु न जातम रोदसी.. (१)
हे इं ! सैकड़ भू म, सैकड़ सूय और सैकड़ लोक भी आप क म हमा के बराबर नह हो सकते. आप जैसा अब तक कोई उ प नह आ. भूमंडल और अंत र मंडल तक म आप क समानता कोई नह कर सकता. (१) आ प ाथ म हना वृ या वृष व ा श व शवसा. अ माँ अव मघवन् गोम त जे व च ा भ त भः.. (२) हे इं ! आप बलवान, साम यवान व मनोकामनाएं पूरी करने वाले ह. आप धनवान, व धारी व े म तवान ह. आप अपने र ा साधन के साथ पधा रए. आप गाय से भरे ए बाड़े दान क जए. (२) वयं घ वा सुताव त आपो न वृ ब हषः. पव य वणेषु वृ ह प र तोतार आसते.. (३) हे इं ! आप श ुनाशी ह. हम सोमरस को जल वाह क भां त आप के पास वा हत कर के लाते ह. हम आप को प र कृत सोमरस चढ़ाते तथा वराजने के लए आप को कुश का आसन भट करते ह. (३) वर त वा सुते नरो वसो नरेक उ थनः. कदा सुतं तृषाण ओक आ गम द व द व व
सगः.. (४)
हे इं ! आप सव वास करते ह. आप सब को वास दे ते ह. यजमान सोमरस चढ़ा कर आप क उपासना करते ह. आप बैल क तरह आवाज करते ए अपने बेट के यहां कब पधारने क कृपा करगे? (४) क वे भधृ णवा धृष ाजं द ष सह णम्. पश पं मघव वचषणे म ू गोम तमीमहे.. (५) हे इं ! आप धनी, ानी, श ुनाशी व ब रंगी ह. आप हजार तरह के वैभव व हजार गुनी श दे सकते ह. हम क ववंशी यजमान आप क उपासना करते ह. (५) तर ण र सषास त वाजं पुरं या युजा. आ व इ ं पु तं नमे गरा ने म त ेव सु वम्.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! हम आप के उपासक ह. हम भव सागर पार करना चाहते ह. हम बु का बल (शारी रक बल के साथसाथ) भी पाना चाहते ह. चलता आ प हया जैसे एकदम नीचे आ जाता है, वैसे ही हम ाथना पी प हए से इं के लए झुक जाते ह. (६) न ु त वणोदे षु श यते न ेध त र यनशत्. सुश र मघवन् तु यं मावते दे णं य पाय द व.. (७) हे इं ! सोमयाग म सश (उ म) उपासक को आप उ चत (उपयु ) धन दान करते ह. जो लोग दानदाता क नदा करते ह, जो लोग अ छा काम करने वाल क नदा करते ह, ऐसे लोग पर आप अपनी कृपा मत क जए. (७)
पांचवां खंड त ो वाच उद रते गावो मम त धेनवः. ह ररे त क न दत्.. (१) यजमान तीन वा णयां उचारते ह. उन वा णय को सुन कर हरे रंग का सोमरस धा गाय के रंभाने जैसी आवाज करता आ वा हत होता है. (१) अभ
ीरनूषत य
ऋत य मातरः. मजय ती दवः शशुम्.. (२)
हम यजमान वगलोक के शशु सोम को प र कृत करने के लए मं उचारते ह. स य क माता से सोम उ प ए ह. ानी सोम क उपासना करते ह. (२) रायः समु ा
तुरो म य
सोम व तः. आ पव व सह णः.. (३)
हे सोम! आप हम सभी कार के सुख द जए. आप हम सभी कार के धन द जए. आप हमारी हजार इ छा को पूरा करने के लए वा हत होने क कृपा क जए. (३) सुतासो मधुम माः सोमा इ ाय म दनः. प व व तो अ रं दे वान् ग छ तु वो मदाः.. (४) हे सोम! आप मधुमान ह. हम आप के पु ह. आप इं को स करने के लए वा हत होइए. आप प व ह और कभी रत (न ) नह होते. आप दे वता को आनंद दान करने के लए उन के पास जाने क कृपा क जए. (४) इ र ाय पवत इ त दे वासो अ ुवन्. वाच प तमख यते व येशान ओजसः.. (५) हे इं ! उपासक आप के लए सोमरस व छ करते ह. आप सब के ई र, ओज वी और वाच प त ह. य म सोमरस का उपयोग कया जाता है. (५) सह धारः पवते समु ो वाचमीङ् खयः. सोम पती रयीणा सखे य दवे दवे.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सोम! आप हजार घर वाले ह. आप प व व इं के सखा ह. आप जलवान व धनवान ह. आप त दन ोणकलश म वा हत होते ह. (६) प व ं ते वततं ण पते भुगा ा ण पय ष व तः. अत ततनून तदामो अ ुते शृतास इ ह तः सं तदाशत.. (७) हे सोम! आप प व ह. आप ान के वामी व दे ह के मा लक ह. आप समथ पर कृपा करते ह. य करने वाले ही आप तक प ंच पाते ह. जस ने तन नह तपाया, वह आप से कुछ (सुखकृपा) नह पा सकता. (७) तपो प व ं वततं दव पदे ऽ च तो अ य त तवो थरन्. अव य य प वतारमाशवो दवः पृ म ध रोह त तेजसा.. (८) हे सोम! आप प व ह. आप मन को तपाने के लए वगलोक म फैले ए ह. आप क करण चमक ली ह. ये चमक ली करण वगलोक के पीछे थत ह और यजमान क र ा करती ह. (८) अ च षसः पृ र य उ ा ममे त भुवनेषु वाजयुः. माया वनो म मरे अ य मायया नृच सः पतरो गभमा दधुः.. (९) हे सूय! आप सभी ह म सब से मुख ह. आप का शत होते ह. आप सभी लोक म अपनी करण फैलाते ह तथा सभी भुवन म अ उपजाते ह. आप क करण सब को का शत करती ह. ये करण अपने गभ म जल धारण करती ह. (९)
छठा खंड म
ह ाय गायत ऋता ने बृहते शु शो चषे. उप तुतासो अ नये.. (१)
हे यजमानो! आप महान य करने वाले ह. आप अ न क उपासना क जए. अ न महान व तेज वी ह. (१) आव सते मघवा वीरव शः स म ो ु या तः. कु व ो अ य सुम तभवीय य छा वाजे भरागमत्.. (२) हे अ न! आप वीर, यशवान व उ म बु वाले ह. आप पीढ़ दर पीढ़ धन और यश दान करते ह. आप हम पर कृपा क जए. हम अ बल दान क जए. (२) तं ते मदं गृणीम स वृषणं पृ ु सास हम्. उ लोककृ नुम वो ह र यम्.. (३) हे इं ! आप साहसी, बलशाली एवं इ छापूरक ह. आप लोक का भला चाहने वाले व अ से सुशो भत होते ह. सोमरस पीते ही आप स हो जाते ह. हम आप के व प क शंसा करते ह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
येन यो त
यायवे मनवे च ववे दथ. म दानो अ य ब हषो व राज स.. (४)
हे इं ! आप मनु य को द घायु बनाते ह व मानव के हतकारी ह. आप ने मनु य के लए ही कई व तुएं का शत क ह. आप आइए स होइए. आप कुश के आसन पर वराजने क कृपा क जए. (४) तद ा च उ थनो ऽ नु ु व त पूवथा. वृषप नीरपो जया दवे दवे.. (५) हे इं ! पूव से ही आप के यजमान आप क गाथा (यश) गाते ह. अब भी आप के यश को गाते ह. आप असुर पर वजय पाने म हमारी सहायता क जए. हम त दन आप क तु त करते ह. (५) ु ी हवं तर या इ य वा सपय त. ध सुवीय य गोमतो राय पू ध महाँ अ स.. (६) हे इं ! आप महान व तर ऋ ष ाथना करने म लगे ए ह. आप उन क सुनने क कृपा क जए. आप हम े वीयवान व धनवान बनाइए. (६)
ाथना
य त इ नवीयस गरं म ामजीजनत्. च क वमनसं धयं नामृत य प युषीम्.. (७) हे इं ! जो यजमान नईनई ाथना से आप क उपासना करते ह, उ ह े बु मलती है. आप उन पर अमृत बरसाते ह व मन को प व बनाने वाली सोच दान करते ह. (७) तमु वाम यं गर इ मु था न वावृधुः. पु य य पौ या सषास तो वनामहे.. (८) हे इं ! ब त सी ाथना से हम ने आप क उपासना क है और कर रहे ह. हम तो और मं से आप का यशगान करते ह. आप परा मी ह. हम पूरी न ा के साथ आप क उपासना करते ह. (८)
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पांचवां अ याय पहला खंड त आ नीः पवमान धेनवो द ा असृ पयसा धरीम ण. ा त र ा था वरी ते असृ त ये वा मृज यृ षषाण वेधसः.. (१) हे सोम! आप प व ह और आप क वेगपूवक ोणकलश म प ंचती ह. ऋ ष शु क धारा को बरतन म प ंचाते ह. (१)
धा गाएं द ह. उन के ध क धाराएं सोमरस का सेवन करते ह. अंत र से उस
उभयतः पवमान य र मयो ुव य सतः प र य त केतवः. यद प व े अ ध मृ यते ह रः स ा न योनौ कलशेषु सीद त.. (२) हे सोम! थर वभाव वाले आप को जब छाना जाता है तो आप क करण चार ओर फैलती ह. हरा सोमरस छलनी म छाना जाता है तो वह ोणकलश म रहता है. सोम थर रहने के इ छु क ह. (२) व ा धामा न व च ऋ वसः भो े सतः प र य त केतवः. ानशी पवसे सोम धमणा प त व य भुवन य राज स.. (३) हे सोम! आप सव ा व श शाली ह. आप क बड़ीबड़ी करण सब ओर ापने वाली व काश फैलाने वाली ह. आप प व व व प त ह. आप भुवन म सुशो भत होते ह. (३) पवमानो अजीजन व
ं न त यतुम्. यो तव ानरं बृहत्.. (४)
हे सोम! आप प व ह. सोम वगलोक म बजली जैसा वशाल वै ानर नामक तेज उपजाते ह. (४) पवमान रस तव मदो राज
छु नः. व वारम मष त.. (५)
हे सोम! आप प व व मदकारी ह. आप का रस रा स के लए व जत है. आप का रस भेड़ के बाल से बनी छलनी म छन कर ोणकलश तक प ंचता है. (५) पवमान य ते रसो द ो व राज त ुमान्. यो त व ं व शे.. (६) हे सोम! आप प व ह. आप का रस बलवान व चमक ला है. आप सव ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ा त एवं
आप का काश ( यो त) सव
दखाई दे ता है. (६)
यद्गावो न भूणय वेषा अयासो अ मुः. न तः कृ णामप वचम्.. (७) हे सोम! आप गाय के समान ग तशील, काशमान व काली चमड़ी को हटा कर ोणकलश म वेश करते ह. आप क तु त क जाती है. (७) सु वत य वनामहे ऽ त सेतुं रा यम्. सा ाम द युम तम्.. (८) हे सोम! आप सुखद ह. हम क ठनाई से बंधक बनने वाले रा स के बंधन क करते ह. अ ती (अ छे काम न करने वाले) के नाश क कामना करते ह. (८)
ाथना
शृ वे वृ े रव वनः पवमान य शु मणः. चर त व ुतो द व.. (९) हे सोम! वषा क आवाज के समान शु कए जाते समय बरतन म गरती ई धार से उ प आप क आवाज सुनाई दे ती है. आप क श मान करण आकाश म मण करती ह. (९) आ पव व मही मषं गोम द दो हर यवत्. अ व सोम वीरवत्.. (१०) हे सोम! आप प व व रसीले ह. आप हम गोवान, वणवान, अ वान एवं पु वान बनाइए. आप हम पौ वान बनाइए. (१०) पव व व चषण आ मही रोदसी पृण. उषाः सूय न र म भः.. (११) हे सोम! आप व ा व रसीले ह. अपने रस से वगलोक और पृ वीलोक को वैसे ही भर द जए, जैसे सूय अपनी करण से सारे संसार को भर दे ते ह. (११) प रणः शमय या धारया सोम व तः. सरा रसेव व पम्.. (१२) हे सोम! आप उसी तरह अपनी धाराएं हमारे चार ओर फैला द जए, जस तरह भूलोक के चार ओर सुखद जल क धाराएं फैली ई ह. (१२)
सरा खंड आशुरष बृह मते प र
येण धा ना. य ा दे वा इ त ुवन्.. (१)
हे सोम! आप म तमान ( व ान्) और दे व के य ह. आप अपनी रसधार के साथ शी आइए. इस य म इं आ द दे वता ह. अतः आप इस य म अव य आइए. (१) प र कृ व न कृतं जनाय यातय षः. वृ
दवः प र व.. (२)
हे सोम! आप अशु थान को शु करने क कृपा क जए. आप यजमान के भरणपोषण हेतु अ आ द के लए वषा करने क कृपा क जए. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अय
स यो दव प र रघुयामा प व आ. स धो मा
रत्.. (३)
हे सोम! आप वगलोक से ऊपर मंथर ग त वाले होते ह. आप को जब छलनी से छाना जाता है तो आप ब त वेगवान हो कर ोणकलश म आ जाते ह. (३) सुत ए त प व आ व ष दधान ओजसा. वच ाणो वरोचयन्.. (४) हे सोम! प र कृत कए जाते, काश फैलाते, सब को दे खते व ओज धारण करते ए, आप वेग से छलनी म छन जाते ह. (४) आ ववास परावतो अथो अवावतः सुतः. इ ाय स यते मधु.. (५) हे सोम! छानने के बाद आप का रस र और पास के दे वता इं के लए मधुर सोमरस का सचन कया जाता है. (५) समीचीना अनूषत ह र
हव य
भः. इ
को भट कया जाता है.
म ाय पीतये.. (६)
उपयु री त से इकट् ठे ए उपासक सोम क उपासना करते ह. इं के पीने के लए हरे सोम को प थर से कूटा जाता है. (६) ह व त सूरमु यः वसारो जामय प तम्. महा म ं महीयुवः.. (७) हे सोम! ये अंगु लयां काम के लए सब ओर जाने वाली ह. आपस म बहन क तरह ेम भाव से रहने वाली ये अंगु लयां सोमरस को शु करती ह. ये े वीर, चेतन व सब के वामी सोमरस को नचोड़ती ह. (७) पवमान चा चा दे व दे वे यः सुतः. व ा वसू या वश.. (८) हे सोम! आप चमक ले व शु ह. दे वता को भट करने के लए आप को छान कर तैयार कया गया है. आप हम संसार के सारे वैभव दे द जए. (८) आ पवमान सु ु त वृ
दे वे यो वः. इषे पव व संयतम्.. (९)
हे सोम! आप शु व शंसा के यो य ह. आप अपने रस क वषा वैसे ही हम पर क रए, जैसे दे वता हमारे लए अ और आशीवाद क वषा करते ह. (९)
तीसरा खंड जन य गोपा अज न जागृ वर नः सुद ः सु वताय न से. घृत तीको बृहता द व पृशा ुम भा त भरते यः शु चः.. (१) हे अ न! आप जा के र क, जा त करने वाले व कुशलता दान करने वाले ह. आप यजमान को उ त के पथ पर अ सर करने के लए कट होते ह. आप घी क आ त से व लत होते ह. आप वराट् (असीम) आकाश तक अपनी प ंच रखते ह. आप प व व ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मतावान ह. आप वगलोक को पश करते ह तथा यजमान के क याण के लए का शत होते ह. (१) वाम ने अ रसो गुहा हतम व व द छ याणं वनेवने. स जायसे म यमानः सहो मह वामा ः सहस पु म रः.. (२) हे अ न! अं गरस ऋ ष ने आप को खोजा. उस से पहले आप छपे ए थे. आप वृ और वन प त म छप कर (गु त प म) रहते ह. आप को इसी लए अं गर ( मतावान) कहा जाता है. आप को साम य का पु माना जाता है. आप को अर ण मंथन से कट कया जाता है. (२) य य केतुं थमं पुरो हतम नं नर षध थे स म धते. इ े ण दे वैः सरथ स ब ह ष सीद होता यजथाय सु तुः.. (३) हे अ न! आप दे वता के साथ रथ पर वराजते ह. आप के रथ पर य क पताका फहराती है. यजमान घर, मन और य इन तीन थान पर ( वशेष प से) आप को कट करते ह. आप े काम म लगे रहते ह. य करने वाले यजमान के लए आप य थान म त त होते ह. (३) अयं वां म ाव णा सुतः सोम ऋतावृधा. ममे दह ुत हे म ! हे व ण! आप य आप दोन दे व के सेवन के लए क जए. (४)
हवम्.. (४)
क बढ़ोतरी करते ह. व धवत प र कृत कया सोमरस तुत है. आप दोन हमारे इस नवेदन को सुनने क कृपा
राजानावन भ हा ुवे सद यु मे. सह
थूण आशाते.. (५)
हे म ! हे व ण! आप कभी भी पर पर (आपस म) ोह नह करते. य मंडप हजार खंभ के सहारे बनाया गया है. वह य मंडप थर और सश है. आप दोन उस य मंडप म वराजने क कृपा क जए. (५) ता स ाजा घृतासुती आ द या दानुन पती. सचेते अनव रम्.. (६) हे यजमानो! म और व ण आ त के प म भट कए गए घी का ही आहार लेते ह. दोन दे व स ाट् ह, ऐ य के वामी ह, समान व वाले ह. वे यजमान क अनवरत (लगातार) सहायता करते ह. (६) इ ो दधीचो अ थ भवृ ा य त कुतः. जघान नवतीनव.. (७) इं वैभववान ह. सभी दे वता उन का आदर करते ह. उ ह ने दधी च ऋ ष ारा दान क गई ह ड् डय से बने श से न यानवे श ु को मारा. (७) इछ
य य छरः पवते वप तम्. त द छयणाव त.. (८)
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इं पवतप त ह. बादल म छपी अ श करने वाली श य को छ व छ कया. (८)
को उ ह ने कटाया. आय का वरोध
अ ाह गोरम वत नाम व ु रपी यम्. इ था च मसो गृहे.. (९) हे यजमानो! सूय नरंतर ग तमान ह. वे चं मंडल म भले ही दखाई न द परंतु मौजूद रहते ह. इस कार वे चं मा के घर म रहते ह. ता पय यह है क न केवल दन म ब क रा म भी सूय क करण का शत रहती ह. (९) इयं वाम य म मन इ ा नी पू
तु तः. अ ाद्वृ
रवाज न.. (१०)
हे अ न! हे इं ! उ म को ट के व ान् आप दोन दे व क उपासना करते ह. आप के लए क गई ाथना वैसे ही सह प से (बु म) उपजती है, जैसे बादल के भीतर से बरसात उपजती है. (१०) शृणुतं ज रतुहव म ा नी वनतं गरः. ईशाना प यतं धयः.. (११) हे अ न! हे इं ! यजमान आप दोन दे वता क उपासना व ह व सम पत करते ह. आप उसे वीकारने क कृपा क जए. आप उन क वाणी (पुकार) सु नए. आप बु के ई र ह. आप उ ह उन क मेहनत का फल दान क जए. (११) मा पाप वाय नो नरे ा नी मा भश तये. मा नो रीरधतं नदे .. (१२) हे अ न! हे इं ! आप नेता व उ तकारक ह. आप हम पाप व मारधाड़ ( हसा) से बचाइए. आप हम नदनीय काय से र रख. (१२)
चौथा खंड पव व द साधनो दे वे यः पीतये हरे. म द् यो वायवे मदः.. (१) हे सोम! आप द , साधन संप , उ लास बढ़ाने वाले व बलव क ह. आप दे वता के पीने के लए बढ़ोतरी पाते ह. आप म द्गण के लए वा हत होइए. आप वायु के लए वा हत होइए. (१) सं दे वैः शोभते वृषा क वय नाव ध
यः. पवमानो अदा यः.. (२)
हे सोम! आप क व, य, बलवान व दे वता प र कृत हो कर वा हत होइए. (२)
के बीच शोभायमान होते ह. आप
पवमान धया हतो ३ ऽ भ यो न क न दत्. धमणा वायुमा हः.. (३) हे सोम! बु पूवक आप क त ा क जाती है. आप हतकारी ह और आवाज करते ए ोणकलश म वेश करते ह. आप वायु के साथ कलश म था पत होइए. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तवाह सोम रारण स य इ दो दवे दवे. पु ण ब ो न चर त मामव प रधी र त ताँ इ ह.. (४) हे सोम! आप काशमान ह. हम त दन आप से म ता करने के लए इ छु क रहते ह. आप उन सभी का नाश क जए, जो हम सताते ह. (४) तवाहं न मुत सोम ते दवा हानो ब ऊध न. घृणा तप तम त सूय परः शकुना इव प तम.. (५) हे सोम! आप चमकते ह. आप उजले ह. हम दनरात आप का साहचय ा त हो. र से ही चमचमाते सूय क तरह आप को भी र से दे खा जा सकता है. आप प य क भां त ग तशील ह. (५) पुनानो अ मीद भ व ा मृधो वचष णः. शु भ त व ं धी त भः.. (६) हे सोम! ा ण बु पूवक क गई ाथना प व , वल ण व सव ा ह. (६)
से आप क उपासना करते ह. आप
आ यो नम णो हद्गम द ो वृषा सुतम्. ुवे सद स सीदतु.. (७) सोमरस अ ण (गुलाबी) आभा वाला है. वह इं के लए ोणकलश म था पत कया जा रहा है. वह इं को बलवान बनाता है. इं उस सोमरस को पीने के लए सदन म े थान पर त त ह . (७) नू नो र य महा म दो ऽ म य
सोम व तः. आ पव व सह णम्.. (८)
हे सोम! आप तृ तकारक ह. आप हजार धारा से झ रए. आप सभी ओर से सब कार का वैभव हम दान करने क कृपा क जए. (८)
पांचवां खंड पबा सोम म सोतुबा या
म दतु वा यं ते सुषाव हय ा ः. सुयतो नावा.. (१)
हे इं ! यजमान अपने दोन हाथ से प थर से कूटकूट कर सोमरस नकालते ह. आप उस सोमरस को पी कर आनं दत ह . आप इसे पी जए. आप अ के वामी ह. आप हम भी अ जैसा बल दान क जए. (१) य ते मदो यु य ा र त येन वृ ा ण हय ह स वा म भूवसो मम ु.. (२)
स.
हे इं ! आप अ के वामी व ऐ यशाली ह. आप सोमरस पी कर स होइए. आप अपने सुंदर घोड़ को रथ म जो तए. आप स हो कर हमारे श ु का नाश क जए. हे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं ! आप हम भी मदम त व भावशाली बनाइए. (२) बोधा सु मे मघव वाचमेमां यां ते व स ो अच त श तम्. इमा सधमादे जुष व.. (३) हे इं ! आप धन के वामी ह. आप यजमान क इस वाणी को सु नए. व स ऋ ष श त गान कर के आप क अचना कर रहे ह. आप उन क ाथना, वाणी और ह व को वीका रए. (३) व ाः पृतना अ भभूतरं नरः सजू तत ु र ं जजनु राजसे. वे वरे थेम यामुरीमुतो मो ज ं तरसं तर वनम्.. (४) हे इं ! सभी आप का मह व वीकारते ह. सब आप क उपासना करते ह. आप ने अपने बल से मन का नाश कया. आप ने अपने े कम से उ चा पदवी पाई. आप क म हमा गाने वाले क साम य श बढ़ती है. आप ब त ज द काय करते ह. आप ज द हमारी इ छा पूरी क रए. (४) ने म नम त च सा मेषं व ा अ भ वरे. सुद तयो वो अ हो ऽ प कण तर वनः समृ व भः.. (५) हे इं ! आप परा मी ह. ा ण वन वर म आप क ाथना कर रहे ह. आप के उपासक वन ह. हम आंख बंद कर व झुक कर आप को नमन करते ह. हे उपासको! आप कसी से ई या ोह मत क जए. आप कान को सुहावनी लगने वाली ाथनाएं इं के लए गाइए. (५) समु रेभासो अ वर वः प तयद वृधे धृत तो
सोम य पीतये. ोजसा समू त भः.. (६)
हे इं ! आप संक पशील, सोमरस पीने वाले, बलवान, ऐ यशाली ह. आप यजमान को भी म हमावान बनाने के इ छु क ह. यजमान इं क व धवत उपासना करते ह. (६) यो राजा चषणीनां याता रथे भर गुः. व ासां त ता पृतनानां ये ं यो वृ हा गृणे.. (७) इं राजा ह. वे अपने रथ से तेज ग त से थान करते ह. वे वृ हंता ह. वे यजमान के व ास क र ा करते ह, वे ये ह. हम उन का गुणगान करते ह. (७) इ ंत स शु भ पु ह म वसे य य ता वध र. ह तेन व ः त धा य दशतो महाँ दे वो न सूयः.. (८) श
हे यजमानो! इं व धारी, दे खने म सुंदर व सूय जैसे तेज वी ह. उन म धा (दोहरी) है. वे दे व क र ा, रा स का नाश व हम संर ण दान करते ह. हम सभी को उन
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क उपासना करनी चा हए. (८)
छठा खंड पर
या दवः क ववया
स न यो हतः. वानैया त क व तुः.. (१)
हे सोम! आप य, क व, हतकारी ह और लकड़ी क वेद पर त त ह. आप द घायु दाता ह. य म आप का द रस अ वयु (पुरो हत) क कृपा से ा त होता है. (१) स सूनुमातरा शु चजातो जाते अरोचयत्. महा मही ऋतावृधा.. (२) हे सोम! आप सुपु ह. पृ वी आप क माता व अंत र आप के पता ह. आप अपने माता पता को सुशो भत करते ह और ऋत् (स य) से बढ़ोतरी पाते ह. (२) याय प यसे जनाय जु ो अ हः. वी यष प न ये.. (३) हे सोम! आप उपासना के यो य ह. यजमान आप क थरता का यास करते ह. जो मनु य े ष र हत ह और जो आप का गुणगान करते ह, उन को आप पोषक आहार के प म ा त होते ह. (३) व
ा३
दै
पवमान ज नमा न ुम मः. अमृत वाय घोषयन्.. (४)
हे सोम! आप द , प व और उ म ह. आप क अमरता क घोषणा करते ए यजमान उपासना करते ह. (४) येना नव वा द यङ् ङपोणुते येन व ास आ परे. दे वाना सु ने अमृत य चा णो येन वा याशत.. (५) हे सूय! आप क करण नई ह. सोमरस भी नए काम म लगाते ह, जस से (सोम से) ा णगण चुर धन पाते ह, जस से यजमान को अ मलता है. सोम अ छे मन वाले ह. सुंदर सोम से दे व को भी अमृत ा त होता है. (५) सोमः पुनान ऊ मणा ं वारं व धाव त. अ े वाचः पवमानः क न दत्.. (६) हे सोम! आप प व , लहरदार व अ गामी ह. यजमान वाणी से आप को और प व बनाते ह. आप दौड़ते और आवाज करते ए ोणकलश म जाते ह. (६) धी भमृज त वा जनं वने
ड तम य वम्. अ भ
पृ ं मतयः सम वरन्.. (७)
यजमान बलवान सोमरस को बु पूवक प र कृत करते ह. सोम वन म ड़ा करते ह. समान वर म (एक साथ) बु पूवक ाथना गा कर यजमान तीन बरतन म रखे सोमरस क उपासना करते ह. (७) अस ज कलशाँ अ भ मीढ् वां स तन वाजयुः. पुनानो वाचं जनय स यदत्.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सोम! आप पोषक ह और जल म मल कर रहते ह. यु म जाते ए घोड़े जैसे आवाज करते ह, वैसे ही सोम आवाज करते ए तेजी से ोणकलश म जाते ह. (८) सोमः पवते ज नता मतीनां ज नता दवो ज नता पृ थ ाः. ज नता नेज नता सूय य ज नते य ज नतोत व णोः.. (९) सोम वगलोक, पृ वीलोक, अ न, सूय, इं व व णु के जनक ह. सोम को प र कृत कया जा रहा है. (१) ा दे वानां पदवीः कवीनामृ ष व ाणां म हषो मृगाणाम्. येनो गृ ाणा व ध तवनाना सोमः प व म ये त रेभन्.. (१०) सोम ानी, दे वता , क वय , ऋ षय , पशु , मृग , बाज, गृ ा त ह. सोम आवाज करता आ ोणकलश म जाता है. (१०)
व वन प तय म
ावी वप ाच ऊ म न स धु गर तोमा पवमानो मनीषाः. अ तः प य वृजनेमावरा या त त वृषभो गोषु जानन्.. (११) हे सोम! आप क आवाज समु क लहर क भां त कण य है. आप अंतयामी व अंत वाले ह. आप क मता असीम है तथा वह कभी समा त नह होती है. बैल जैसे गाय के पास जाता है, वैसे ही आप ोणकलश म जाते ह. (११)
सातवां खंड अ नं वो वृध तम वराणां पु तमम्. अ छा न े सह वते.. (१) हे यजमानो! अ न अकूत श के भंडार ह. वह बढ़ोतरी करने वाले व आप सभी अ न के नकट प ं चए. (१) अयं यथा न आभुव व ा
पेव त या. अ य
े तम ह.
वा यश वतः.. (२)
हे यजमानो! व ा (बढ़ई) जैसे लकड़ी को प (आकार) दान करते ह, तदवत (उसी कार) अ न हम यश और व प दान करते ह. (२) अयं व ा अ भ यो ऽ नदवेषु प यते. आ वाजै प नो गमत्.. (३) हे अ न! आप सभी सुख व दे वता को भी संर ण दान करते ह. आप अ बल के साथ हमारे समीप पधारने क कृपा क जए. (३) इम म
सुतं पब ये मम य मदम्. शु
य वा य र धारा ऋत य सादने.. (४)
हे इं ! य म सोमरस क मददायी बड़ीबड़ी चमक ली धाराएं झर रही ह. आप य सदन म पधा रए और सोमरस को पी जए. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
न क ् व थीतरो हरी य द य छसे. न क ् वानु म मना न कः व आनशे.. (५) हे इं ! आप जैसा कोई अ य वीर है ही नह , न ही आप जैसा कोई घोड़ का पालनहार, न ही घोड़ का वामी, न ही आप जैसा कोई बलवान है. आप घोड़ से चलने वाले रथ म वराजते ह. (५) इ ाय नूनमचतो था न च वीतन. सुता अम सु र दवो ये ं नम यता सहः.. (६) हे यजमानो! आप न त प से इं क ही पूजा क जए. आप उन के लए ाथना गाइए. इं दे व म ये (बड़े) ह. आप अपने पु स हत उ ह नमन क जए. (६) इ जुष व वहा या ह शूर ह रह. पबा सुत य म तन मधो कान ा मदाय.. (७) हे इं ! आप शूरवीर व घोड़ के वामी ह. आप आइए. आप के पु (यजमान) आप को स करने के लए सोमरस भट कर रहे ह. आप उस मधुर सोमरस को पीने क कृपा क जए. (७) इ जठरं न ं न पृण व मधो दवो न. अ य सुत य वा ३ न प वा मदाः सुवाचो अ थुः.. (८) हे इं ! आप जैसे अपने द लोक म अपने पु क ाथना को सुन कर स होते ह, वैसे ही आप मधुर द सोमरस को पी कर स होने क कृपा क जए. (८) इ तुराषा म ो न जघान वृ ं य तन. बभेद वलं भृगुन ससाहे श ू मदे सोम य.. (९) हे इं ! आप मन के नाशक व श ु जत् ह. भृगु ऋ ष ने जस कार वल रा स को मार गराया, उसी कार सोमरस पान से ऊज वी हो कर आप भी हमारे श ु को मार गराएं. (९)
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छठा अ याय पहला खंड गो व पव व वसु व र य व े तोधा इ दो भुवने व पतः. व सुवीरो अ स सोम व व ं वा नर उप गरेम आसते.. (१) म
हे सोम! आप गौ ध म त, प व , सव ाता, े पथ पर जाने वाले व सभी लोक ा त ह. सभी उपासक आप क उपासना करते ह. (१) वं नृच ा अ स सोम व तः पवमान वृषभ ता व धाव स. स नः पव व वसुम र यव य याम भुवनेषु जीवसे.. (२)
हे सोम! आप प व , फू तदायी, सव ापक व सव ाता ह. आप दौड़ते ए हमारे पास पधा रए. आप हम धनवान बनाइए. आप क कृपा से हम सभी लोक म े जीवन जीएं. (२) ईशान इमा भुवना न ईयसे युजान इ दो ह रतः सुप यः. ता ते र तु मधुमद्घृतं पय तव ते सोम त तु कृ यः.. (३) हे सोम! आप सभी लोक के ई र, हरे, सव ा त एवं मधुरता यु ह. आप के रस क धार नरंतर झरे. आप क कृपा से यजमान अपने त (संक प ) को पूरा करने म लगे रह. (३) पवमान य व व
ते सगा असृ त. सूय येव न र मयः.. (४)
हे सोम! आप प व व सव ाता ह. सूय क तरह आप क करण (र मयां) वग से फैल रही ह. (४) केतुं कृ व दव प र व ा
पा यष स. समु ः सोम प वसे.. (५)
हे सोम! आप सव ापक और वगलोक के ऊपर करण के बरसात के प म पानी बरसा कर हम संप ता दे ते ह. (५) ज ानो वाच म य स पवमान वधम ण.
पम
ा त ह. आप
द दे वो न सूयः.. (६)
हे सोम! आप सूय जैसे द तमान ह. आप वाणी से प व ता को ा त होते ह. आप आवाज करते ए ोणकलश म जाते ह. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोमासो अध वषुः पवमानास इ दवः. ीणाना अ सु वृ
ते.. (७)
हे सोम! आप प व व शीतल ह. आप जल के साथ ोणकलश म पर पर म त हो रहे ह. (७) अ भ गावो अध वषुरापो न वता यतीः. पुनाना इ माशत.. (८) (८)
हे इं ! आप के भ ण (पीने) के लए सोमरस नीचे बरतन म शु
हो कर प ंच रहा है.
पवमान ध व स सोमे ाय मादनः. नृ भयतो व नीयसे.. (९) हे सोम! आप प व व इं के लए आनंददायी ह. यजमान ारा आप नधा रत थान तक ले जाए जा रहे ह. (९) इ दो यद
भः सुतः प व ं प रद यसे. अर म
य धा ने.. (१०)
हे इं ! सोमरस आप के पीने यो य हो गया है. इसे प थर से कूट कर नचोड़ा गया एवं छलनी (भेड़ के बाल से बनी) से छाना गया है. (१०) तव
सोम नृमादनः पव व चषणीधृ तः. स नय अनुमा ः.. (११)
हे सोम! आप प व व मनु य के लए मददायी ह. आप प र कृ त (शु ता) के बाद यजमान ारा (दे व को चढ़ाने के लए) धारण कए जाते ह. (११) पव व वृ हतम उ थे भरनुमा ः. शु चः पावको अद्भुतः.. (१२) हे सोम! आप प व व वल ण ह. आप वृ हंता के लए तु तय से शु ता और प व ता को ा त होते ह. (१२) शु चः पावक उ यते सोमः सुतः स मधुमान्. दे वावीरघश हे सोम! आप प व , शु व मधुरता से यु आप को दे व का पु कहा गया है. (१३)
सहा.. (१३)
ह. आप दे व को आनं दत करने वाले ह.
सरा खंड क वदववीतये ऽ
ा वारे भर त. सा ा व ा अ भ पृधः.. (१)
हे सोम! आप क व ह. आप को दे वता श ु से पधा करने वाले ह. (१)
के लए प र कृत कया जाता है. आप सभी
स ह मा ज रतृ य आ वाजं गोम त म व त. पवमानः सह णम्.. (२) हे सोम! आप सह
पव
धारा
से झरते ह. आप उपासक को गोवान और
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धनवान बनाते ह. (२) प र व ा न चेतसा मृ यसे पवसे मती. स नः सोम वो वदः.. (३) हे सोम! आप सव ाता ह. आप व को चेतनामय बनाते ह. आप को बु प र कृत कया जाता है. आप हमारी तु तय को सुनने क कृपा क जए. (३) अ यष बृह शो मघवद् यो ुव
र यम्. इष
हे सोम! आप वशाल व यश वी ह. आप तोता क कृपा क जए. (४) व
पूवक
तोतृ य आ भर.. (४) को अ वान और धनवान बनाने
राजेव सु तो गरः सोमा ववे शथ. पुनानो व े अद्भुत.. (५)
हे सोम! आप राजा के समान, अ छे त संक प वाले, वल ण व प व मन वाले ह. यजमान क वाणी को आप सुनने और वीकारने क कृपा क जए. (५) स व र सु
रो मृ यमानो गभ योः. सोम मूषु सीद त.. (६)
हे सोम! आप जलमय व तेज वी ह. आप प र कृत कए जाते ए ोणकलश म जा कर बैठ जाते ह. (६) डु मखो न म
हयुः प व ं
सोम ग छ स. दध तो े सुवीयम्.. (७)
हे सोम! आप प व व महान ह. आप य क तरह सर का हत करने वाले ह. आप यजमान के लए े वीय धारण करते ह. आप उपासक क उपासना तक प ंचते ह. (७) यवंयवं नो अ धसा पु ंपु ं प र व. व ा च सोम सौभगा.. (८) हे सोम! आप हम बारबार पु ा तपु (अ धक पु ) बनाने के लए झ रए. आप हम सारे वैभव से सौभा यवान बनाने क कृपा क जए. (८) इ दो यथा तव तवो यथा ते जातम धसः. न ब ह ष
ये सदः.. (९)
हे सोम! यजमान जस भावना से आप क तु त करते ह, आप भी उसी से य म कुश के आसन पर वराजने क कृपा क जए. (९)
य भावना
उत नो गो वद व पव व सोमा धसा. म ूतमे भरह भः.. (१०) (१०)
हे सोम! आप हम गोवान व अ वान बनाइए. आप हम अकूत वैभव दान क जए. यो जना त न जीयते ह त श ुमभी य. स पव व सह जत्.. (११)
हे सोम! आप से डर कर श ु न हो जाते ह. आप हजार श ु हम प व सोम क तु त करते ह. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को जीतने वाले ह.
या ते धारा मधु तो ऽ सृ म द ऊतये. ता भः प व मासदः.. (१२) हे सोम! आप क वे प व धाराएं हम संर ण दान करने वाली ह. आप उन के साथ यहां पधा रए. (१२) सो अष ाय पीतये तरो वारा य या. सीद ृत य यो नमा.. (१३) हे सोम! आप को इं क तृ त के लए छलनी से छान कर तैयार कया जाता है. आप य म अपने थान पर वराजने क कृपा क जए. (१३) व
सोम प र व वा द ो अ रो यः. व रवो वद्धृतं पयः.. (१४)
हे सोम! आप वा द ह. आप अं गरा आ द ऋ षय के लए पौ क पदाथ दान करने क कृपा क जए. (१४)
तीसरा खंड तव यो व य येव व ुतो ऽ ने क उषसा मवेतयः. यदोषधीर भसृ ो वना न च प र वयं चनुषे अ मास न.. (१) हे अ न! जब हम अ और वन प तय को आप के मुंह म डालते ह, उस समय आप क लपट वषा के समय चमकने वाली बजली और उषा के काश क तरह गोचर होती ह. (१) वातोपजूत इ षतो वशाँ अनु तृषु यद ा वे वष त से. आ ते यत ते र यो ३ यथा पृथक् शधा य ने अजर य ध तः.. (२) हे अ न! हवा से हलने पर आप वन प तय के पीछे जा कर उसे चार ओर से आवृ कर (घेर) लेते ह, उस समय आप को बढ़ते ए दे ख कर ऐसा लगता है—मानो रथ पर चढ़ कर कोई शूरवीर सब कुछ न (श ु का) करने के लए आगे बढ़ रहा हो. (२) मेधाकारं वदथ य साधनम न होतारं प रभूतरं म तम्. वामभ य ह वषः समान म वां महो वृणते ना यं वत्.. (३) हे अ न! आप बु को बढ़ाते ह. आप य के साधन (शृंगार) ह. आप वशाल आकार के ह. हम होता ह व वीकार करने के लए एक वर से आप के अलावा कसी और का आ ान नह कर रहे ह. (३) पु
णा च
यवो नूनं वां व ण. म व
स वा
सुम तम्.. (४)
हे सूय! हे व ण! आप पया त साधन वाले ह. आप अपनी सुम त हम ा त कराने क कृपा क जए. हम आप के म हो जाएं. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ता वा
स यग
ाणेषम याम धाम च. वयं वां म ा याम.. (५)
हे सूय! हे व ण! आप दोन दे व अ े षी ह. हम आप क स यक् ह. हम आप दोन के म हो जाएं. (५) पातं नो म ा पायु भ त ायेथा
प से उपासना करते
सु ा ा. सा ाम द यून् तनू भः.. (६)
हे म ! हे व ण! आप अपने र ासाधन से हमारी र ा क जए. आप क कृपा से हम अपने शरीर ारा श ु को न कर सक. (६) उ
ोजसा सह पी वा श े अवेपयः. सोम म
चमू सुतम्.. (७)
हे इं ! आप ओज के साथ उ ठए. आप अपनी ठोड़ी को ऊपर उठाइए. आप यु फू त दखाने के लए इस सोमरस को पी जए. (७) अनु वा रोदसी उभे पधमान मदे ताम्. इ
य युहाभवः.. (८)
हे इं ! आप वगलोक और पृ वीलोक दोन के लए आनंददायी ह. आप द यु त त पधा रखते ह. आप द यु का नाश करते ह. (८) वाचम ापद महं नव
के
मृतावृधम्. इ ा प रत वं ममे.. (९)
हे इं ! अमृत क बढ़ोतरी करने वाली नई क पना वीकार करने क कृपा क जए. (९) इ ा नी युवा ममे ३ ऽ भ तोमा अनूषत. पबत हे इं ! हे अ न! हम यजमान आप दोन दे वता सोमरस पी जए. (१०) या वा
म
से प रपूण, आठ पद वाली तु त श भुवा सुतम्.. (१०) क उपासना करते ह. आप दोन
स त पु पृहो नयुतो दाशुषेः नरा. इ ा नी ता भरा गतम्.. (११)
हे इं ! हे अ न! यजमान क आप के त पृहा (चाहना) है. आप शी ही ह व पाने के लए अपने ग तशील साधन से हमारे पास पधारने क कृपा क जए और दान दे ने वाल क सहायता क जए. (११) ता भरा ग छतं नरोपेद
सवन
सुतम्. इ ा नी सोमपीतये.. (१२)
हे इं ! हे अ न! आप अपने उन ग तशील साधन से मनु य के पास पधारने क कृपा क जए. आप दोन सोमरस पीने के लए पधा रए. (१२)
चौथा खंड अषा सोम ुम मो ऽ भ ोणा न रो वत्. सीद योनौ वने वा.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सोम! आप वन म वराजमान रहते ह. आप ोणकलश म जाते ह. (१) अ सा इ ाय वायसे व णाय व
ु तमान ह. आप आवाज करते ए
यः. सोमा अष तु व णवे.. (२)
हे सोम! आप इं , वायु, व ण, म द्गण , व णु के लए जल म म त होने क कृपा क जए. (२) इषं तोकाय नो दधद म य
सोम व तः. आ पव व सह णम्.. (३)
हे सोम! आप हमारे लए सभी कार के वैभव सभी ओर से दान क जए. आप हजार धारा से झरने क कृपा क जए. (३) सोम उ वाणः सोतृ भर ध णु भरवीनाम्. अ येव ह रता या त धारया म या या त धारया.. (४) हे सोम! यजमान आप को नचोड़ कर प र कृत करते ह. आप घोड़े क तरह ग तशील धारा से ोणकलश म जाते ह. आप मंद ग त से ोणकलश म जाते ह. (४) अनूपे गोमान् गो भर ाः सोमो धा भर ाः. समु ं न संवरणा य म म द मदाय तोशते.. (५) हे सोम! न दयां जैसे समु का वरण कर के थर होती ह, उसी कार सोमरस ोणकलश म प ंच कर थर हो रहा है. सोमरस अनुपम, गो से यु , आनंददायी व पोषक है. (५) य सोम च मु यं द ं पा थवं वसु. त ः पुनान आ भर.. (६) हे सोम! आप द व अद्भुत ह. पृ वी पर जो भी ऐ य है, वह सब आप हम ा त कराने क कृपा क जए. (६) वृषा पुनान आयु
ष तनय ध ब ह ष. ह रः स यो नमासदः.. (७)
हे सोम! आप हरे व प व ह. आप आवाज करते ए आसन पर वराजमान होइए. (७) युव
ह थः वःपती इ
े यो न ( थान) म कुश के
सोम गोपती. ईशाना प यतं धयः.. (८)
हे इं ! हे सोम! आप दे व वैभव के वामी ह. आप गोप त ( वामी) व बु आप हमारी बु को े कम म (राह म) लगाने क कृपा क जए. (८)
पांचवां खंड इ ो मदाय वावृधे शवसे वृ हा नृ भः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के र क ह.
त म मह वा जषू तमभ हवामहे स वाजेषु
नो ऽ वषत्.. (१)
हे इं ! आप मददाता व वृ नाशक ह. आप अपने र ा साधन से हम बलवान बना सकते ह. हम आप से उन र ा साधन स हत यु म अपनी र ा करने का अनुरोध करते ह. आप हमारी र ा करने क कृपा क जए. (१) अ स ह वीर से यो ऽ स भू र पराद दः. अ स द य चद्वृधो यजमानाय श स सु वते भू र ते वसु.. (२) हे इं ! आप वीर सै नक ह. आप श ु क समृ (वैभव) का नाश क जए. आप धनदाता ह. आप यजमान को वैभव दान करने क कृपा क जए. (२) य द रत आजयो धृ णवे धीयते धनम्. युङ् वा मद युता हरी क हनः कं वसौ दधो ऽ माँ इ
वसौ दधः.. (३)
हे इं ! आप क कृपा से अपार समृ मलती है. आप अपने रथ म घोड़े जोत कर, कस को मारना है और कस को नह , यह सोचते ए हम धन दान करने क कृपा क जए. (३) वादो र था वषूवतो मधोः पब त गौयः. या इ े ण सयावरीवृ णा मद त शोभथा व वीरनु वरा यम्.. (४) हे इं ! सूय क करण सु वा और मीठे सोमरस को पीती ह. सूय क ये करण आप के पास सुशो भत होती ह अथात् अपने ही रा य म नवास करती ह. (४) ता अ य पृशनायुवः सोम या इ य धेनवो व
ीण त पृ यः. ह व त सायकं व वीरनु वरा यम्.. (५)
हे इं ! सूय क ब रंगी करण आप को छू ती ह. ये करण आप को य ह और ये आप के व को े रत करती ह. ये इं क गाय को भी य ह. ये वरा य म ही थत रहती ह. (५) ता अ य नमसा सहः सपय त चेतसः. ता य य स रे पु ण पूव च ये व वीरनु वरा यम्.. (६) हे इं ! सूय क करण ानमय ह. ये आप को नमन करती ह. ये जा त करने वाली ह. ये इं को उन के पहले ( कए गए) के काय को याद दलाती ह. ये करण वरा य म ही थत रहती ह. (६)
छठा खंड असा
शुमदाया सु द ो ग र ाः. येनो न यो नमासदत्.. (१)
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हे सोम! आप द , पवतवासी व चुर (अ धक) वैभवदाता ह. आप जल म म त हो जाते ह. आप बाज प ी क भां त वेग से बरतन म वेश करते ह. (१) शु म धो दे ववातम सु धौतं नृ भः सुतम्. वद त गावः पयो भः.. (२) हे सोम! आप शु ह और यजमान ारा नचोड़े जाते ह. आप को े जल म मलाया जाता है. गाएं अपने ध को सोमरस म मलाती ह. अपने ध से वे गाएं इस को और अ धक वादमय बना दे ती ह. (२) आद म ं न हेतारमशूशुभ मृताय. मधो रस
सधमादे .. (३)
हे सोम! घोड़े जैसे फुत ले आप को यजमान (होता) य यजमान आप से अमरता क चाह रखते ह. (३) अ भ ु नं बृ
थल पर
त ा पत करते ह.
श इष पते दद ह दे व दे वयुम्. व कोशं म यमं युव.. (४)
हे सोम! आप वन क उपज (वन प त) के वामी ह. आप हम ऐसा वैभव दान करने क कृपा क जए, जसे पाने के लए दे वगण भी इ छु क ह . आप य शाला के बीचोबीच े थान पर त त होने क कृपा क जए. (४) आ व य व सुद च वोः सुतो वशां व न व प तः. वृ दवः पव व री तमपो ज वन् ग व ये धयः.. (५) हे सोम! आप बु मान ह. आप यजमान को भी ऐसी बु दे ते ह, जस से वे उपयु माग पर जा सक. आप राजा क भां त सब का भरणपोषण करते ह. आप वगलोक से होने वाली वषा क तरह बर सए ( वा हत होइए). आप ोणकलश म था पत होने क कृपा क जए. (५) ाणा शशुमहीना
ह व ृत य द ध तम्. व ा प र
या भुवदध
ता.. (६)
हे सोम! आप द जल से पैदा होते ह. आप य को का शत करते ह. आप अपने रस को े रत करने क कृपा क जए. सब आप को चाहते ह. आप ह व को हण करने क कृपा क जए. आप पृ वीलोक व वगलोक (अंत र लोक) को का शत क जए. (६) उप
त य पा यो ३ रभ
यद्गु पदम्. य
य स त धाम भरध
यम्.. (७)
हे सोम! आप त (महान ऋ ष) क गुफा के समीप ा त होते ह. आप चट् टान क भां त कठोर दो फलक के बीच से ा त होते ह. यजमान गाय ी छं द म मं रच कर आप क उपासना करते ह. (७) ीण
त य धारया पृ े वैरय यम्. ममीते अ य योजना व सु तुः.. (८)
हे सोम! आप तीन भुवन व तीन सवन म ा त ह. आप अपनी धारा से इं को े रत क जए. े कमा (कम वाले) यजमान े तो से आप क उपासना और गुणगान ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करते ह. (८) पव य वाजसातये प व े धारया सुतः. इ ाय सोम व णवे दे वे यो मधुम रः.. (९) हे सोम! आप रसीले ह. आप अपनी मधुर धारा से इं , व णु व सभी दे व को तृ त क जए. आप ोणकलश म वा हत होने क कृपा क जए. (९) वा रह त धीतयो ह र प व े अ हः. व सं जातं न मातरः पवमान वधम ण.. (१०) हे सोम! आप हरी कां त वाले ह. यजमान क अंगु लयां आपस म े ष नह रखती ह. वे आपस म सहयोग कर के आप का रस नचोड़ती ह. आप को उसी तरह साफ करती ह, जैसे गाय नवजात (तुरंत उ प ए) बछड़े को चाट कर साफ करती है. (१०) वं ां च म ह त पृ थव चा त ज षे. त ा पममु चथाः पवमान म ह वना.. (११) हे सोम! आप प व व महान त वाले ह. आप अंत र लोक व पृ वीलोक को धारण करते ह. आप अपनी प व म हमा के अनुकूल कवचधारी ह. (११) इ वाजी पवते गो योघा इ े सोमः सह इ व मदाय. ह त र ो बाधते पयरा त व रव कृ व वृजन य राजा.. (१२) हे सोम! आप प व व श शाली ह. आप अपनी प व और श शाली धारा से झरते ह. आप परा मी, आनंददायी व श के राजा ह. आप यजमान क र ा करते ह, आप यजमान को धन दान करते ह. (१२) अध धारया म वा पृचान तरो रोम पवते अ धः. इ र य स यं जुषाणो दे वो दे व य म सरो मदाय.. (१३) हे सोम! प थर से कूट कर आप का रस नकाला जाता है. आप क धारा तेज से यु सुख दे ने वाली, मधुर और इं क म ता चाहने वाली है. वह दे व के लए आनंददायी, फू तदायी व तृ तदायी है. (१३) अ भ ता न पवते पुनानो दे वो दे वा वेन रसेन पृ चन्. इ धमा यृतुथा वसानो दश पो अ त सानो अ े.. (१४) हे सोम! आप संक पशील व काशमान ह. आप क धाराएं दे व को स करती ह. इस समय आप को अंगु लय से नचोड़ा जा रहा है. आप प व हो कर झर रहे ह. आप ोणकलश म त त होने क कृपा क जए. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सातवां खंड आ ते अ न इधीम ह ुम तं दे वाजरम्. य या ते पनीयसी स म दय त वीष
तोतृ य आ भर.. (१)
हे अ न! आप अजर ह. हम स मधा से आप को द त करते ह. आप के काश से वगलोक ु तमान होता है. आप यजमान को भरपूर धन दान करने क कृपा क जए. (१) आ ते अ न ऋचा ह वः शु य यो तष पते. सु द म व पते ह वाट् तु य यत इष
तोतृ य आ भर.. (२)
हे अ न! आप व पालक, श ुनाशक, काशक, ह ववाहक व आनंदव क ह. यजमान तु तयां पढ़ते ए आप को आ त दान करते ह. आप यजमान को भरपूर धन दान करने क कृपा क जए. (२) ओभे सु व पते दव ीणीष आस न. उतो न उ पुपूया उ थेषु शवस पत इष तोतृ य आ भर.. (३) हे अ न! आप जापालक, श मान और का शत ह. आ त दे ते समय मु य पा आप के मुख तक प ंच जाते ह. उपासक ह व भट कर के आप को स करना चाहते ह. आप यजमान को भरपूर वैभव दान करने क कृपा क जए. (३) इ ाय साम गायत व ाय बृहते बृहत्.
कृते वप ते पन यवे.. (४)
हे साम गायक ा णो! इं शंसा के यो य ह. आप उन के लए व तृत साममं गाइए. इं ानसाधक व उस के व तारक ह. (४) व म ा भभूर स व
सूयमरोचयः. व कमा व दे वो महाँ अ स.. (५)
हे इं ! आप व (संपूण संसार के दे व) और व कमा ( व के संपूण काय करने वाले) ह. आप सूय को चमकाते ह. आप क भू रभू र शंसा क जाती है. (५) व ाजं यो तषा व ३ र छो रोचनं दवः. दे वा त इ
स याय ये मरे.. (६)
हे इं ! आप काश से चमकते ए सुशो भत होते ह. आप वगलोक को भी का शत करते ह. सभी दे वगण आप के सखा होना चाहते ह. कृपया आप पधा रए. (६) असा व सोम इ ते श व धृ णवा ग ह. आ वा पृण व य रजः सूय न र म भः.. (७) हे इं ! आप श ु को हराते ह. आप साम यवान ह. आप पधारने क कृपा क जए. आप के लए सोमरस भट कया गया है. आप हमारे य को पधार कर उसी कार का शत ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क जए, जस कार सूय अपनी करण से अंत र लोक को का शत करते ह. (७) आ त वृ ह थं यु ा ते णा हरी. अवाचीन सु ते मनो ावा कृणोतु व नुना.. (८) हे इं ! आप वृ हंता ह. आप के रथ म घोड़े (मं ारा) जोड़ दए गए ह. आप उस रथ म वरा जए, आइए और बै ठए. सोम को कूटते ए प थर क आवाज आप के मन को आक षत करने म समथ हो सक. (८) इ म री वहतो ऽ तधृ शवसम्. ऋषीणा सु ु ती प य ं च मानुषाणाम्.. (९) हे इं ! आप अपरा जत ह और सदै व श ु को हराते ह. आप के घोड़े आप को य थान तक प ंचाने क कृपा कर. मनु य के इस य म ऋ ष लोग तु तयां गा रहे ह. (९)
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सातवां अ याय पहला खंड यो तय य पवते मधु यं पता दे वानां ज नता वभूवसुः. दधा त र न वधय रपी यं म द तमो म सर इ यो रसः.. (१) हे सोम! आप प व , मधुर, दे वता को य, पालक एवं धन दान करने वाले ह. आप फू तदायी ह. आप इं को मदम त बना दे ते ह. आप यह क यो त ह. आप यजमान के लए र न धारण करते ह. (१) अ भ द कलशं वा यष त प त दवः शतधारो वच णः. ह र म य सदनेषु सीद त ममृजानो ऽ व भः स धु भवृषा.. (२) हे सोम! आप वगलोक के वामी, सैकड़ धारा वाले, वल ण, फू तदायी, ऊजा व क व हरी आभा वाले ह. आप आवाज करते ए ोणकलश म जाते ह. आप जल म मल कर तैयार होते ह. आप म के घर म रहने क तरह कलश म रहते ह. (२) अ े स धूनां पवमानो अष य े वाचो अ यो गोषु ग छ स. अ े वाज य भजसे मह न वायुधः सोतृ भः सोम सूयसे.. (३) हे सोम! आप को हम तु तय से आमं त करते ह. हम आप को शो धत और जलमय करने के समय भी तु त गाते ह. आप अ श मय हो कर आते ह, गौ क र ा करते ए आते ह. आप चुर धन दे ने के लए भजे जाते ह. (३) असृ त
वा जनो ग ा सोमासो अ या. शु ासो वीरयाशवः.. (४)
हे सोम! आप काशमान, वेगवान व वीर ह. यजमान गाएं, घोड़े और संतान पाने के लए आप को प र कृत करते ह. (४) शु भमाना ऋतायु भमृ यमाना गभ योः. पव ते वारे अ ये.. (५) हे सोम! यजमान के हाथ से तैयार, प र कृत व जल मला कर तैयार कया गया सोमरस सुशो भत हो रहा है. (५) ते व ादाशुषे वसु सोमा द ा न पा थवा. पव तामा त र या.. (६) हे सोम! आप यजमान को पृ वीलोक, अंत र लोक और वगलोक के सभी वैभव ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दान करने क कृपा क जए. (६) पव व दे ववीर त प व
सोम र
ा. इ
म दो वृषा वश.. (७)
हे सोम! आप प व ह. आप दे वश य के नकट ह. आप वेग से शो धत होने क कृपा क जए. आप इं के लए त था पत होने क कृपा क जए. (७) आ व य व म ह सरो वृषे दो ु नव मः.. आ यो न धण सः सदः.. (८) हे सोम! आप वीर व काशमान ह. आप हम उ म गुण दान करने एवं य म अपने नधा रत थान पर पधारने क कृपा क जए. (८) अधु त
यं मधु धारा सुत य वेधसः. अपो व स सु तुः.. (९)
शो धत सोमरस धारा मलाते ह. (९)
से पा म इकट् ठा होता है. व स ऋ ष सोमरस को जल म
महा तं वा महीर वापो अष त स धवः. यद्गो भवास य यसे.. (१०) हे सोम! आप महान ह. आप को महान न दय के जल व गाय के ध म मलाया जाता है. (१०) समु ो अ सु मामृजे व भो ध ण दवः. सोमः प व े अ मयुः.. (११) हे सोम! आप दे वलोक को धारण करते ह. आप जलमय व आकां ी ह. आप को बारबार भेड़ के बाल से बनी छलनी म छाना जाता है. (११) अ च दद्वृषा ह रमहा म ो न दशतः. स
सूयण द ुते.. (१२)
सोमरस श दायी, हरी कां त वाला, महान, म क तरह दशनीय और सूय क तरह ु तमान ( का शत) है. (१२) गर त इ द ओजसा ममृ य ते अप युवः. या भमदाय शु भसे.. (१३) हे सोम! आप के ओज से यजमान तु त गाते ह तथा स ता के लए आप सुशो भत होते ह. (१३) तं वा मदाय घृ वय उ लोककृ नुमीमहे. तवे श तये महे.. (१४) हे सोम! आप लोक क याण के लए श ुनाशक ह. हम महान तो शंसा करते ह. (१४) गोषा इ दो नृषा अ य सा वाजसा उत. आ मा य हे सोम! आप य के मु याधार व य संतानधन के दाता ह. (१५)
से आप क
य पू ः.. (१५)
क आ मा ह. आप गोधन, अ धन और
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अ म यमदव
यं मधोः पव व धारया. पज यो वृ माँ इव.. (१६)
हे सोम! बादल से होने वाली बरसात के समान आप अपनी प व मधुर धारा हमारे लए अमृत बरसाने क कृपा क जए. (१६)
से
सरा खंड सना च सोम जे ष च पवमान म ह वः. अथा नो व यस कृ ध.. (१) हे सोम! आप प व ह. आप ब त उपासना के यो य ह. आप दे वता आप श ु को जीतने के बाद हम यश वी बनाने क कृपा क जए. (१)
के पास जाइए.
सना यो तः सना व ३ व ा च सोम सौभगा. अथा नो व यस कृ ध.. (२) हे सोम! आप हम यो तमय बनाइए. आप हम व गक सुख द जए. आप हम सौभा यवान एवं श ु वजय के बाद यश वी बनाइए. (२) सना द मुत
तुमप सोम मृधो ज ह अथा नो व यस कृ ध.. (३)
हे सोम! आप हम बलवान व कत परायण बनाइए. श ुनाश कर के आप हम सुखी बनाइए. (३) पवीतारः पुनीतन सोम म ाय पातवे. अथा नो व यस कृ ध.. (४) हे यजमानो! आप सोम को प व करने वाले ह. आप इं के पीने के लए सोमरस प व क जए और हमारा क याण करने क कृपा क जए. (४) व
सूय न आ भज तव
वा तवो त भः. अथा नो व यस कृ ध.. (५)
हे सोम! आप अपने र ा साधन से हम सूय को भजने के लए े रत क जए. आप हमारा हत साधने क कृपा क जए. (५) तव
वा तवो त भ य प येम सूयम्. अथा नो व यस कृ ध.. (६)
हे सोम! आप के र ा साधन और ान से हम द घ काल तक सूय के दशन करने म समथ हो सक. आप हम द घायु दान करने क कृपा क जए. (६) अ यष वायुध सोम
बहस
र यम्. अथा नो व यस कृ ध.. (७)
हे सोम! आप आयुधधारी ह. आप हम इहलौ कक और पारलौ कक धन व सुख दे ने क कृपा क जए. (७) अ य ३ षानप युतो वा ज सम सु सास हः. अथा नो व यस कृ ध.. (८) हे सोम! आप यु
े
म वजयी होते ह. आप श ु
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को हराने वाले ह. आप
ोणकलश म चूने (टपकने) और हमारा क याण करने क कृपा क जए. (८) वां य ैरवीवृध पवमान वधम ण. अथा नो व यस कृ ध.. (९) हे सोम! आप प व ह. आप य म फलदाता ह. यजमान तु तय से आप क बढ़ोतरी करते ह. आप हमारी बढ़ोतरी करने क कृपा क जए. (९) रयन
म न म दो व ायुमा भर. अथा नो व यस कृ ध.. (१०)
हे सोम! आप हम अद्भुत घोड़े दे ने व सब के लए क याणकारी धन दे ने क कृपा क जए. हम सुख द जए. (१०) तर स म द धाव त धारा सुत या धसः. तर स म द धाव त.. (११) हे सोम! आप मददायी व पोषक ह. आप क धारा छलनी म छनती है. आप क धाराएं वेग से बहती ह. (११) उ ा वेद वसूनां मत य दे वसः. तर स म द धाव त.. (१२) हे सोम! आप सभी वैभव के वामी व द आप के रस क धाराएं वेग से बहती ह. (१२)
ह. आप मनु य (यजमान ) के संर क ह.
व योः पु ष योरा सह ा ण द हे. तर स म द धाव त.. (१३) हे सोम! आप व और पु षं त नाम के क जए. आप क धाराएं वेग से बहती ह. (१३) आ ययो
राजा
का वैभव हम दे ने क कृपा
शतं तना सह ा ण च द हे. तर स म द धाव त.. (१४)
हे सोम! आप व और पु षं त के तीन सौ और तीन हजार व क जए. आप क धाराएं वेग से बहती ह. (१४)
हम दे ने क कृपा
एते सोमा असृ त गृणानाः शवसे महे. म द तम य धारया.. (१५) सोमरस क मददायी धारा क याणकारी ह. (१५)
के साथ ये सोम ोणकलश म छन रहे ह. ये महान और
अ भ ग ा न वीतये नृ णा पुनानो अष स. सन ाजः प र व.. (१६) हे सोम! आप मनु य को सुख दे ते ह. दे वता आप का सेवन करते ह. इसी लए आप को गौ ध म मलाया जाता है. आप अ दान करते ए कलश म वत होते (झरते) ह. (१६) उत नो गोमती रषो व ाअष प र ु भः. गृणानो जमद नना.. (१७) हे सोम! आप क जमद न (ऋ ष) ने तु त क . आप गौ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के साथ ही हम े बु
और े अ
दान करने क कृपा क जए. (१७)
तीसरा खंड इम तोममहते जातवेदसे रथ मव सं महेमा मनीषया. भ ा ह नः म तर य स स ने स ये मा रषामा वयं तव.. (१) हे अ न! आप तु त के यो य, सव ाता व सव ा ह. हम अपनी ा आप तक प ंचाने के लए अपनी ाथना को रथ क तरह योग म लाते ह. आप क उपासना से हमारी बु ती होती है. आप क म ता हम क से मु दलाने म समथ है. (१) भरामे मं कृणवामा हवी ष ते चतय तः पवणापवणा वयम्. जीवातवे तरा साधया धयो ऽ ने स ये मा रषामा वयं तव.. (२) हे अ न! हम प व पव पर आप को स मधा से द त करते ह. ह व दान करते ह. आप का चतन करते ह. आप हमारी बु ती क रए. हम आप क कृपा से अपना य सफल बनाएं और क से मु रह. (२) शकेम वा स मध सा या धय वे दे वा ह वरद या तम्. वमा द याँ आ वह ता ३ म य ने स ये मा रषामा वयं तव.. (३) हे अ न! हम स मधा से आप को व लत करते ह. हम दे वता को ह व दान करते ह. आप उस ह व को हण करने के लए दे वता को बुलाने क कृपा क जए. हम उ ह आमं त करने के इ छु क ह. आप अपनी म ता से हमारे सारे क को र करने क कृपा क जए. (३) त वा
सूर उ दते म ं गृणीषे व णम्. अयमण
रशादसम्.. (४)
हे म ! हे व ण! हम सूय दय के अवसर पर आप दोन दे व और सरे सभी दे वता क उपासना करते ह. आप श ुनाशक ह. (४) राया हर यया म त रयमवृकाय शवसे. इयं व ा मेधसातये.. (५) हे म ! हे व ण! ये ा ण यजमान े बु के लए आप क उपासना करते ह. हम आप से वण चाहते ह. हम क याण क कामना से आप क उपासना करते ह. (५) ते याम दे व व ण ते म सू र भः सह. इष
व धीम ह.. (६)
हे म ! हे व ण! हम व ान (ऋ वज ) के साथ संप वान ह . आप क कृपा से हम अ और वण पा कर ऐ य यु ह . (६) भ ध व ा अप
षः प र बाधो जही मृधः. वसु पाह तदा भर.. (७)
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हे इं ! आप सभी का नाश क रए. आप हमारे उ म काय म बाधक श ु नाश क जए. आप हम मनोवां छत धन दान करने क कृपा क जए. (७) य य ते व मानुष भूरेद
का
य वेद त. वसु पा तदा भर.. (८)
हे इं ! आप चुर धन दे ते ह. यह हम जानते ह. आप हम भरपूर धन दे ने क कृपा क जए. (८) य डा व
य
थरे य पशाने पराभृतम्. वसु पाह तदा भर.. (९)
हे इं ! आप हम वह सारा धन दे ने क कृपा क जए, जसे आप ने श ु से जीता है तथा जसे आप सब से छपा कर ( सर को दए बना ही) सुर त और अभे जगह पर रखे ए ह. (९) य
य ह थ ऋ वजा स नी वाजेषु कमसु. इ ा नी त य बोधतम्.. (१०)
हे इं ! हे अ न! आप य के ऋ वज् ह. य के काम म आप क प व ता बनी रहती है. आप हमारी ाथना पर यान दे ने क कृपा क जए. (१०) तोशासा रथयावाना वृ हणापरा जता. इ ा नी त य बोधतम्.. (११) हे इं ! हे अ न! आप मन से अपरा जत, रथ से या ा करने वाले व ह. आप हमारी तु तय पर यान दे ने क कृपा क जए. (११) इदं वां म दरं म वधु
के नाशक
भनर. इ ा नी त य बोधतम्.. (१२)
हे इं ! हे अ न! यजमान ने आप के लए मददायी मधुर सोमरस तैयार कया है. आप हमारी तु तय पर यान दे ने क कृपा क जए. (१२)
चौथा खंड इ ाये दो म वते पव व मधुम मः. अक य यो नमासदम्.. (१) हे सोम! आप मददायी, मधुरतम और प व ह. आप म द्गण के साथ आने वाले इं के लए झरने क कृपा क जए. (१) तं वा व ा वचो वदः प र कृ व त धण सम्. सं वा मृज यायवः.. (२) हे सोम! आप संसार के धारक व वाणी के प र कृत कर रहे ह. (२)
ाता ह. याजक आप को भलीभां त
रसं ते म ो अयमा पब तु व णः कवे. पवमान य म तः.. (३) हे सोम! आप व ान् ह. म , व ण, अयमा और म द्गण आप के रस को पीने क कृपा कर. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मृ यमानः सुह या समु े वाच म व स. र य पश ं ब लं पु पृहं पवमाना यष स.. (४) हे सोम! अ छे हाथ से प र कृत कया जाता आ सोमरस आवाज करते ए ोणकलश म जाता है. आप का रंग सुनहरा है. आप अनेक लोग ारा चाहे जाते ह. आप हम इ छत धन दान करने क कृपा क जए. (४) पुनानो वारे पवमानो अ ये वृषो अ च द ने. दे वाना सोम पवमान न कृतं गो भर ानो अष स.. (५) हे सोम! आप प व व फू तदायी ह. यजमान ारा प र कृत कया गया सोमरस जल म ब त ज द घुल जाता है. आप को दे वता के लए प व कया जाता है. दे व के ही लए सोमरस म गाय का ध मलाया जाता है. आप को (उ ह के लए) प व कलश म त त कया जाता है. (५) एतमु यं दश
पो मृज त स धुमातरम्. समा द ये भर यत.. (६)
हे सोम! समु आप क माता है. दस अंगु लय से प र कृत कया आ सोमरस दे वता को चढ़ाया जाता है. (६) स म े णोत वायुना सुत ए त प व आ. स
सूय य र म भः.. (७)
हे सोम! आप सूय क करण ारा चमकाए जाते ह. आप प व एवं सुपा म रखे जाते ह. आप इं और वायु को भट कए जाते ह. (७) स नो भगाय वायवे पू णे पव व मधुमान्. चा म े व णे च.. (८) हे सोम! आप प व , मधुर व सुंदर ह. आप को भग, वायु, पूषा, म और व ण के लए प र कृत कया जाता है. (८)
पांचवां खंड रेवतीनः सधमाद इ े स तु तु ववाजाः. ुम तो या भमदे म.. (१) हे इं ! गौ को अपने साथ रखने से हम सुख पाते ह. आप क कृपा से हमारी गाएं व थ और पु ह , पया त घी व ध द. (१) आ घ वावान् मना यु ः तोतृ यो धृ णवीयानः. ऋणोर ं न च योः.. (२) हे इं ! आप धीर ह. आप बु पूवक तु तकता को मनोवां छत पदाथ दान करने क कृपा क जए. आप इस के लए वैसे ही सहायक ह, जैसे रथ के लए उस के प हए सहायक होते ह. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ यद् वः शत तवा कामं ज रतॄणाम्. ऋणोर ं न शची भः.. (३) हे इं ! आप सैकड़ य वाले ह. आप उपासक क मनोकामना पूरी करने क कृपा क जए. रथ को जैसे उस के प हय से ग त मलती है, वैसे ही आप क कृपा से उपासक को धन मलता है. (३) सु पकृ नुमूतये सु घा मव गो हे. जु म स
व व.. (४)
हे इं ! आप का व प सुंदर है. गाय हने के समय जैसे वाले गाय को पुकारते ह, उसी कार हम अपनी र ा के लए आप को पुकारते ह, आमं त करते ह. (४) उप नः सवना ग ह सोम य सोमपाः पब. गोदा इ े वतो मदः.. (५) हे इं ! आप सोमपान करने वाले ह. आप सोमरस पीने के लए हमारे सवन (य सं या) म पधारने क कृपा क जए. आप सोमरस पी कर स होइए. आप यजमान को गोधन, वैभव, ऐ य और आनंद दान करने क कृपा क जए. (५) अथा ते अ तमानां व ाम सुमतीनाम्. मा नो अ त य आ ग ह.. (६) हे इं ! सोमरस पीने के बाद हम अपनी सुम तय का दशन कराइए. आप हम से वमुख मत होइए. आप को यह ान दे ने क कृपा मत क जए. आप से यही हमारा अनुरोध है. (६) उभे य द रोदसी आप ाथोषा इव. महा तं वा महीना स ाजं चषणीनाम्. दे वी ज न यजीजन ा ज न यजीजनत्.. (७) हे इं ! आप भी उषा क भां त वगलोक और पृ वीलोक को अपने काश से भरने क कृपा क जए. आप महान, म हमाशाली, पृ वी के राजा व अ द त आप क जननी है. (७) दघ ङ् कुशं यथा श बभ ष म तुमः. पूवण मघव पदा वयामजो यथा यमः. दे वी ज न यजीजन ा ज न यजीजनत्.. (८) हे इं ! आप ान के भंडार, श व साम य धारक ह. आप को दे वता क माता ने जना है. आप को क याणका रणी जननी ने जना है. बकरा जैसे आगे के पैर से अपने भो य पदाथ को नयं त करता है, उसी तरह आप को वश म करते ह. (८) अव म णायतो म य तनु ह थरम्. अध पदं तम कृ ध यो अ माँ अ भदास त. दे वी ज न यजीजन ा ज न यजीजनत्.. (९) हे इं ! आप को दे वता
क माता ने जना है. आप को क याणका रणी माता ने जना
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है. आप हम अधीन (पराधीन) बनाने वाले
श ु
का नाश करने क कृपा क जए. (९)
छठा खंड प र वानो ग र ाः प व े सोमो अ रत् मदे षु सवधा अ स.. (१) हे सोम! आप पवतवासी, प व , स तादायी और स तादायक म सव े ह. आप का रस धारा प म झर रहा है. (१) व व
वं क वमधु
जातम धसः मदे षु सवधा अ स.. (२)
हे सोम! आप ा ण, क व ( व ान्) व आप अ से पैदा होने वाले पोषक त व को दे ते ह. आप स ता दे ने वाल म सव े ह. (२) वे व े सजोषसो दे वासः: पी तमाशत. मदे षु सवधा अ स.. (३) हे सोम! सभी दे वता आप को पीने के इ छु क रहते ह. स ता दे ने वाल म आप सव े ह. (३) स सु वे यो वसूनां यो रायामानेता य इडानाम्. सोमो यः सु तीनाम्.. (४) हे सोम! आप हम अ छ संतान, गाएं और ऐ य दे ते ह. आप सुंदर पृ वी पर सुशो भत ह. (४) य य त इ ः पबा य म तो य य वायमणा भगः. आ येन म ाव णा करामह ए मवसे महे.. (५) हे सोम! आप के द रस को म त्, इं अयमा, भग आ द पीते ह. आप सुर ा हेतु जैसे म और व ण को बुलाते ह, उसी कार हम इं को बुलाते ह. (५) तं वः सखायो मदाय पुनानम भ गायत. शशुं न ह ैः वदय त गू त भः.. (६) हे यजमानो! आप मद के लए पए जाने वाले सोमरस के गुण गाइए. वे हमारे सखा ह. मां जैसे ब चे क शोभा बढ़ाती है, वैसे ही आप ह व और तो से सोम क शोभा बढ़ाइए. (६) सं व स इव मातृ भ र
ह वानो अ यते. दे वावीमदो म त भः प र कृतः.. (७)
हे सोम! आप द व मददायी ह. आप को बु ारा प र कृत कया गया है. माता जैसे पु को जल से प र कृत करती है, उसी तरह जल से आप को प र कृत कया गया है. (७) अयं द ाय साधनो ऽ य
शधाय वीतये. अयं दे वे यो मधुम रः सुतः.. (८)
हे सोम! आप मधुर ह. आप को दे वता के लए व धवत प र कृत कया गया है. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
श
दायी साधन के
प म आप को पया जाता है. (८)
सोमाः पव त इ दवो ऽ म यं गातु व माः. म ा वाना अरेपसः वा यः व वदः.. (९) हे सोम! आप प व व म क तरह ह. आप हम े उद्दे य क ओर े रत करते ह. आप आ म ाता और काशमान ह. आप उपासना के यो य ह. (९) ते पूतासो वप तः सोमासो द या शरः. सूरासो न दशतासो जग नवो ुवा घृते.. (१०) हे सोम! आप प व ह, सूय जैसे काशमान ह. आप वल ण व दही म त ह. आप ुव ( थर) ह. आप जल धारा से म त हो कर शु होते ह. (१०) सु वाणासो भ ताना गोर ध व च. इषम म यम भतः सम वर वसु वदः.. (११) हे सोम! आप धनदाता ह. आप हम े धन दान करने क कृपा क जए. आप पृ वी के ऊपर नवास करते ह. अनेक प थर से कूट कर आप का रस नचोड़ा जाता है. (११) अया पवा पव वैना वसू न मा न य वातो न जू त पु मेधा
व इ दो सर स ध व. कवे नरं धात्.. (१२)
हे सोम! आप हम प व धारा से सराबोर क रए. आप हम धन से प रपूण क जए. आप के रस के सेवन से सूय भी वायु क तरह हलके और ग तशील हो जाते ह. इं सोमरस पी कर हम नेतृ व श दान करते ह, अ छ संतान दान करते ह. (१२) उत न एना पवया पव वा ध ुते वा य य तीथ. ष सह ा नैगुतो वसू न वृ ं न प वं धूनव णाय.. (१३) हे सोम! आप उपासना के यो य ह. आप हमारे य तीथ म प व धारा से झ रए. पेड़ से जैसे पके फल मलते ह, वैसे ही श ुनाश हेतु आप हम सह गुना धन दान करने क कृपा क जए. (१३) महीमे अ य वृष नाम शूषे मा वे वा पृशने वा वध े. अ वापय गुतः ेहय चाषा म ाँ अपा चतो अचेतः.. (१४) हे सोम! आप म हमाशाली ह और सुख बरसाते ह. आप को हराते व श ु को हम से र करते ह. आप उन सभी श ु को बलहीन बनाते ह, न करते ह, जो यु म हम हा न प ंचाने वाले ह. (१४)
सातवां खंड ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ ने वं नो अ तम उत ाता शवो भवा व
यः.. (१)
हे अ न! आप हमारे समीप र हए. आप हमारा ाण (र ा) क जए. आप हमारे लए क याणकारी होने क कृपा क जए. (१) वसुर नवसु वा अ छा न
ुम मो र य दाः.. (२)
हे अ न! आप सब से धनी और सब के शरणदाता ह. आप आसानी से हमारे पास पधा रए. आप ुमान (तेज वी) होइए व हम धन द जए. (२) तं वा शो च द दवः सु नाय नूनमीमहे स ख यः.. (३) हे अ न! आप द और काशमान ह. हम म न त प से आप क उपासना करते ह. (३) इमा नु कं भुवना सीषधेमे
के क याण के लए अ छे मन से
व े च दे वाः.. (४)
हे इं ! सभी दे व तथा सभी भुवन (लोक) हमारे लए सुखदायी (क याणदायी) ह . (४) य ं च न त वं च जां चा द यै र ः सह सीषधातु.. (५) हे इं ! आप आ द य समेत हम पर कृपा क जए. आप हमारा य सफल बनाइए. आप हमारे शरीर को व थ बनाइए. आप हमारी संत त को सफल बनाइए. (५) आ द यै र ः सगणो म
र म यं भेषजा करत्.. (६)
आ द य , म द्गण एवं अ य सहयो गय के साथ इं च क सा) तैयार करने क कृपा कर. (६)
हमारे वा ते भेषज (रोग
व इ ाय वृ ह तमाय व ाय गाथं गायत यं जुजोषते.. (७) हे उपासको! इं वृ हंता, व ान् और ा ण ह. आप उन के लए तु तयां गाइए. वे उन तु तय को सुन कर स होते ह. (७) अच यक म तः वका आ तोभ त ुतो युवा स इ ः.. (८) साधक स माननीय व शंसा के यो य इं को भजते ह. ब ल एवं अपना संर ण दान करते ह. (८) उप
े मधुम त
स
इं उन को
य तः पु येम र य धीमहे त इ .. (९)
हे इं ! आप के संर ण म रहने वाले हम याजक ब ल ह और धा य से यु
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ह . (९)
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आठवां अ याय पहला खंड का मुशनेव व ु ाणो दे वो दे वानां ज नमा वव . म ह तः शु चब धुः पावकः पदा वराहो अ ये त रेभन्.. (१) उपासक उशना के समान े वाणी वाले ह. वे दे वता क जीवनी को अ छ तरह तुत करते ह. सोम प व , का शत व पोषक ह. आप प र कृत होते समय श द करते ए ोणकलश म जाते ह. (१) ह
सास तृपला व नुम छामाद तं वृषगणा अयासुः. अ ो षणं पवमानं सखायो मष वाणं वद त साकम्.. (२) श ु क श से बु मान यजमान भी घबरा जाते ह. वे शी वहां प ंचे, जहां सोम तैयार कया जा रहा था. वे वहां प व सोम के लए वा यं बजाने लगे, जस से मधुर व न होने लगी. सोम क कृपा से असहनीय श ु को भी दबाया जा सकता है. (२) स योजत उ गाय य जू त वृथा ड तं ममते न गावः. परीणसं कृणुते त मशृ ो दवा ह रद शे न मृ ः.. (३) हे सोम! सहज प से खेलते ए आप शं सत ग त पाते ह, उस ग त को कसी के ारा नापा नह जा सकता. आप दन म हरी और रा म सफेद (उ वल) आभा वाले होते ह. (३) वानासो रथा इवाव तो न व यवः. सोमासो राये अ मुः.. (४) हे सोम! घोड़े और रथ क तरह (वेग से) आवाज करता आ सोमरस प व हो रहा है. यह हम अपार वैभव दान करने क कृपा करे. (४) ह वानासो रथा इव दध वरे गभ योः. भरासः का रणा मव.. (५) हे सोम! आप का रस यजमान वैसे ही धारण करते ह, जैसे भारवाही दोन हाथ से बोझा उठाता है. रथ जैसे यु म जाते ह, वैसे ही सोमरस य म ले जाया जा रहा है. (५) राजानो न श त भः सोमासो गो भर राजा
क
ते. य ो न स त धातृ भः.. (६)
शंसा और सात यजमान से य
था पत कया जाता है. गाय के घी
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आ द से सोमरस को प र कृत कया जाता है. (६) प र वानास इ दवो मदाय बहणा गरा. मधो अष त धारया.. (७) े
ाथना सोमरस मधुर धारा
से सोमरस क तु त क जाती है. इं को मदम त बनाने के लए से पा म गरता है. (७)
आपानासो वव वतो ज व त उषसो भगम्. सूरा अ वं व त वते.. (८) सोमरस उषा को तेज वनी बनाता है. इं के पीने के लए सोमरस को प र कृत कया जा रहा है. (८) अप ारा मतीनां
ना ऋ व त कारवः वृ णो हरस आयवः.. (९)
हे सोम! आप पुरातन ह. यजमान आप का आ ान करते ह. यजमान आप के लए तु त कर रहे ह. वे आप के लए य ार को उद्घा टत कर रहे ह (खोलते ह). (९) समीचीनास आशत होतारः स तजानयः पदमेक य प तः.. (१०) हे सोम! सोमय को पूणता दे ने के लए उपयु को पूरा करने के लए उप थत होते ह. (१०)
जा त के सात या क य अनु ान
नाभा ना भ न आ ददे च ुषा सूय शे. कवेरप यमा हे.. (११) सोम व ान् ह. उ ह हम अपने और अपनी संतान के क याण के लए अपनी ना भ के पास था पत करते ह. सोम य क ना भ जैसे ह. ने से जैसे हम सूय के दशन करते ह, वैसे ही हम इन के (सोम के) दशन कर. (११) अभ
यं दव पदम वयु भगुहा हतम्. सूरः प य त च सा.. (१२)
शूरवीर इं अपने ने से सोम को दे खते ह. सोम वगलोक म (सब के) दय म था पत करते ह. (१२)
य ह. अ वयु उ ह
सरा खंड असृ म दवः पथा धम ृत य सु यः. वदाना अ य योजना.. (१) हे सोम! आप ऋत् (स य) व भलीभां त जानते ह. (१)
े
माग पर चलते ह. आप य
धारा मधो अ यो महीरपो व गाहते. ह वह वःषु व
व यजमान को
.. (२)
सोम ह वय म े ह व व वंदनीय ह. आप क धारा उ कृ , मधुर एवं अ णी है. आप क धारा जल म अवगाहन करती है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
युजा वाचो अ यो वृषो अ च द ने. स ा भ स यो अ वरः.. (३) हे सोम! आप का माग स यता का है. आप श मान, अ णी व वाणी को जोड़ने वाले ह. सोम जल के साथ य शाला के भीतर वेश करते ह. (३) प र य का ा क वनृ णा पुनानो अष त. ववाजी सषास त.. (४) सोम क व ह. क व सोम जैसे ही मनु य क तु त वीकारते ह, वैसे ही इं य पर अपनी श स हत आने के लए तैयार हो जाते ह. (४)
थान
पवमानो अ भ पृधो वशो राजेव सीद त. यद मृ व त वेधसः.. (५) सोम प व ह. वे राजा के समान सुशो भत होते ह. वे जा के संर ण हेतु श ु नाश करने के लए तैयार रहते ह. (५) अ ा वारे प र
का
यो ह रवनेषु सीद त. रेभो वनु यते मती.. (६)
सोमरस जल से ओत ोत और हरी आभा वाला है. सोम यजमान क वीकार रहे ह. वे आवाज करते ए ोणकलश म थान हण कर रहे ह. (६)
ाथना
को
स वायु म म ना साकं मदे न ग छ त. रणा यो अ य धमणा.. (७) जो यजमान धमपूवक सोमरस को नचोड़ते ह, वे वायु, इं और अ नीकुमार के साथ आनंद ा त करते ह. (७) आ म े व णे भगे मधोः पव त ऊमयः. वदाना अ य श म भः.. (८) हे सोम! यजमान आप को (आप क साम य को) जान सक. म , व ण व भग के लए आप क मधुर एवं प व लहर उमड़ती ह. (८) अम य
रोदसी र य म वो वाज य सातये. वो वसू न स
तम्.. (९)
हे सोम! आप वगलोक तथा पृ वीलोक के वामी ह. हम आप श और अपार वैभव दान करने क कृपा क जए. हम आप से सं चत वैभव पाना चाहते ह. (९) आ ते द ं मयोभुवं व म ा वृणीमहे. पा तमा पु पृहम्.. (१०) हे सोम! आप द व व मान ( काशमान) ह. आप को ब त लोग चाहते ह. हम आप के बल और श को ा त करना चाहते ह. (१०) आ म मा वरे यमा व मा मनी षणम्. पा तमा पु पृहम्.. (११) हे सोम! आप को ब त लोग चाहते ह. आप वरे य, ा ण, मनीषी व संर णशील ह. हम आप क उपासना करते ह. (११) आ र यमा सुचेतुनमा सु तो तनू वा. पा तमा पु पृहम्.. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सोम! आप को ब त लोग चाहते ह. आप े य वाले और उ म काय करने वाले ह. आप हम धन, बल और संतान दान करने क कृपा क जए. (१२)
तीसरा खंड मूधानं दवो अर त पृ थ ा वै ानरमृत आ जातम नम्. कव स ाजम त थ जनानामास ः पा ं जनय त दे वाः.. (१) हे अ न! आप वगलोक म मूध य ह. आप य म कट होते ह. आप पृ वी पर मणशील ह. आप क व, स ाट् व अ त थ ह. आप लोग के नकटवत ह. आप दे वता को कट करते ह. (१) वां व े अमृतं जायमान शशुं न दे वा अ भ सं नव ते. तव तु भरमृत वमायन् वै ानर य प ोरद दे ः.. (२) य
हे अ न! आप व प व अमृत व प ह. आप संसार के वामी (नायक) ह. आप ारा अमरता पाते ह. आप क कृपा से यजमान द ता ा त करते ह. (२) ना भ य ाना सदन रयीणां महामाहावम भ सं नव त. वै ानर र यम वराणां य य केतुं जनय त दे वाः.. (३)
हे अ न! आप य क ना भ धन के भंडार, म हमावान, य के संचालक व य क पताका ह. आप को अर ण मंथन से उ प कया जाता है. हम आप का आ ान करते ह. (३) वो म ाय गायत व णाय वपा गरा. म ह
ावृतं बृहत्.. (४)
हे यजमानो! म और व ण महान, ा वान व वशाल ह. आप इन दे व के लए ऊंचे वर से तो गाइए. दोन दे व उन तो को सुनने के लए य थान पर पधारने क कृपा कर. (४) स ाजा या घृतयोनी म
ोभा व ण . दे वा दे वेषु श ता.. (५)
हे यजमानो! म और व ण ये दोन दे व दे वता दोन दे व काश उ प करते ह. (५) ता नः श ं पा थव य महो रायो द
य. म ह वां
म शं सत ह. दोन दे व स ाट् ह. ं दे वेषु.. (६)
हे म ! हे व ण! आप महान एवं दे वता के बीच सराहनीय ह. आप पृ वीलोक और वगलोक का वैभव हम ा त कराने क कृपा क जए. (६) इ ा या ह च भानो सुता इमे वायवः. अ वी भ तना पूतासः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप अद्भुत व च भानु ह. आप के लए अंगु लय से सोमरस नचोड़ा जाता है. आप को प व सोमरस चढ़ाया जाता है. आप य म पधा रए और सोमरस पीने क कृपा क जए. (७) इ ा या ह धये षतो व जूतः सुतावतः. उप
ा ण वाघतः.. (८)
हे इं ! बु से आप तक प ंचा जा सकता है. आप को वचन को सुनने के लए य म पधारने क कृपा क जए. (८) इ ा या ह तूतुजान उप
ा ण बुलाते ह. आप
ा ण ह रवः. सूते द ध व न नः.. (९)
हे इं ! आप अ के पालनहार ह. आप हमारी तु तय को सुनने के लए य म पधारने क कृपा क जए. आप हमारी भट क ई ह व धारण क जए. (९) तमी ड व यो अ चषा वना व ा प र वजत्. कृ णा कृणो त ज या.. (१०) हे अ न! आप अपनी ज ा से सारे वन को काला कर दे ते ह. हम उन बलशाली अ न क अचना करनी चा हए. (१०) यइ
आ ववास त सु न म
य म यः. ु नाय सुतरा अपः.. (११)
हे इं ! जो मनु य अ छे मन से आप क उपासना करते ह. आप उन के लए वगलोक से जल बरसाने क कृपा क जए. (११) ता नो वाजवती रष आशून् पपृतमवतः ए म नं च वोढवे.. (१२) हे इं ! हे अ न! आप हम बलदायी अ और वेगवान घोड़े दान क जए ता क हम उ तशील हो जाएं. (१२)
चौथा खंड ो अयासी द र य न कृत सखा स युन मना त स रम्. मय इव युव त भः समष त सोमः कलशे शतयामना पथा.. (१) कई व धय से प र कृत शु सोमरस इं के पेट म प ंच रहा है. यह सोमरस इं के पेट म अ छ तरह पच जाता है. जैसे युवा य के साथ रमण करता है, वैसे ही सोमरस सैकड़ माग से कलश म त त होता है. (१) वो धयो म युवो वप युवः पन युवः संवरणे व मुः. ह र ड तम यनूषत तुभो ऽ भ धेनवः पयसेद श युः.. (२) हे सोम! जो यजमान बु पूवक आप को प र कृत करते ह, वे आनंदपूवक अपनी इ छापू त का लाभ पाते ह. गौएं अपने ध से सोमरस को स चती ह. वह खेलता (लहराता) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ घड़े म प ंचता है. (२) आ नः सोम संयतं प युषी मष म दो पव व पवमान ऊ मणा. या नो दोहते रह स षी ुम ाजव मधुम सुवीयम्.. (३) हे सोम! आप प व ह और लहर से लहराते ए वा हत होइए. सोमरस का तीन सं या (सवन ) म योग म कया जाता है. वह अ मय व े वीय वाला है. (३) न क ं कमणा नश कार सदावृधम्. इ ं न य ै व गूतमृ वसमधृ ं धृ णुमोजसा.. (४) हे इं ! आप सदै व बढ़ोतरी करने वाले, श ु को हराने वाले व अपरा जत ह. जो यजमान आप क उपासना करते ह, उन के कम को कोई न नह कर सकता. (४) अषाढमु ं पृतनासु सास ह य म मही यः. सं धेनवो जायमाने अनोनवु ावः ामीरनोनवुः.. (५) जब इं कट होते ह तो वेगवती गौएं उ ह नम कार करती ह. वगलोक और पृ वीलोक झुक कर उन का अ भवादन करते ह. हम भी उन क अ यथना करते ह. (५)
पांचवां खंड सखाय आ न षीदत पुनानाय गायत. शशुं न य ैः प र भूषत
ये.. (१)
हे यजमान म ो! आप आइए, बै ठए और सोम के लए ाथनाएं गाइए. आप शशु को सजाने क भां त य सजाइए. (१) समी व सं न मातृ भः सृजता गयसाधनम्. दे वा ं ३ मदम भ
शवसम्.. (२)
हे यजमानो! सोमरस य का मुख साधन व मददायी है. दोन ही तरह अथात् द ता और भौ तकता दोन कोण से वह श दायी है. आप सोमरस को वैसे ही जल म मलाइए, जैसे माता के साथ ब चे घुल मल जाते ह. (२) पुनाता द साधनं यथा शधाय वीतये. यथा म ाय व णाय श तमम्.. (३) हे यजमानो! आप म व व ण के न म सोम को प र कृत कर. आप बल व कुशलता क ा त और दे वता को भट करने के लए सोमरस को प र कृत क जए. (३) वा य ाः सह धार तरः प व ं व वारम म्.. (४) हे सोम! आप अ यंत बलशाली ह, हजार धार वाले और प व ह. आप का रस भेड़ के बाल से बनी छलनी म छनता है. (४) स वा य ाः सह रेता अ
मृजानो गो भः ीणानः.. (५)
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हे सोम! आप अ यंत बलशाली ह. आप हजार गुना बलशाली ह. आप जल से ओत ोत ह. भेड़ के बाल से बनी छलनी से छनते ए आप ोणकलश म जाते ह. (५) सोम याही
य कु ा नृ भयमानो अ
भः सुतः.. (६)
प थर से कूट कर नकाले ए सोमरस को यजमान ने तु तय से प र कृत कर दया है. वह सोमरस इं के पेट म प ंचने क कृपा करे. (६) ये सोमासः पराव त ये अवाव त सु वरे. ये वादः शयणाव त.. (७) हे सोम! आप शयणावत् (सायण के अनुसार ‘शयणावत्’ कु े के शयणा नामक मंडल (क म री) क एक झील का नाम है.) तालाब के नकट उ प होते ह. बाद म आप को प र कृत कया जाता है. (७) य आज केषु कृ वसु ये म ये प यानाम्. ये वा जनेषु पंचसु.. (८) सोमरस आज क, ( हले ांट के अनुसार क मीर म एक थान) कमेर (काम करने वाल ) के दे श नद के कनारे व पंचजन के बीच म पैदा होता है. पैदा होने के बाद उसे प र कृत कया जाता है. (८) ते नो वृ
दव प र पव तामा सुवीयम्. वाना दे वास इ दवः.. (९)
सोमरस को नचोड़ा और प र कृत कया जाता है. वह वगलोक से े वीय क वषा करता है. सोमरस पोषण दान करता है. (९)
छठा खंड आ ते व सो मनो यम परमा च सध थात्. अ ने वां कामये गरा.. (१) हे अ न! हम वाणी से और व स ऋ ष मन से आप क उपासना करते ह. आप उस परम थान से भी हमारे पास पधारने क कृपा क जए. (१) पु
ा ह स ङ् ङ स दशो व ा अनु भुः. सम सु वा हवामहे.. (२)
हे अ न! आप सव करते ह. (२)
ा, दशाप त और हमारे भु ह. हम यु
म आप का आ ान
सम व नमवसे वाजय तो हवामहे. वाजेषु च राधसम्.. (३) हे अ न! आप आ ान करते ह. (३)
मतावान व अद्भुत ह. हम यु
वं न इ ा भर ओजो नृ ण
हेतु बल ा त के लए आप का
शत तो वचषणे. आ वीरं पृतनासहम्.. (४)
हे इं ! आप ओज वी, वल ण और सैकड़ कम करने वाले ह. आप पधा रए और हम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वीरपु
दान करने क कृपा क जए. (४) व
ह नः पता वसो वं माता शत तो बभू वथ. अथा ते सु नमीमहे.. (५)
हे इं ! आप ही हमारे पता और माता ह. हम आप के पु अ छे मन से आप से अ छे सुख चाहते ह. आप शतकमा ह. (५) वा शु म पु
त वाजय तमुप ुवे सह कृत. स नो रा व सुवीयम्.. (६)
हे इं ! आप सह कमा (हजार काम करने वाले) ह. आप श के यो य ह. आप हम े वीयवान बनाने क कृपा क जए. (६) यद
मान ह. आप आ ान
च म इह ना त वादाम वः. राध त ो वद स उभयाह या भर.. (७)
हे इं ! आप अद्भुत ह. आप जैसी आ थक साम य हमारी नह है. आप दोन हाथ से हम भरपूर धन दान (हाथ भरभर कर) क जए. (७) य म यसे वरे य म
ु ं तदा भर. व ाम त य ते वयमकूपार य दावनः.. (८)
हे इं ! आप वरे य व तेज वी ह. आप हम भरपूर समृ (ऐ य) दान क जए. उस धन को पा कर हम भी दानदाता क साम य वाले हो जाएं. (८) य े द ु रा यं मनो अ त ुतं बृहत्. तेन ढा चद व आ वाजं द ष सातये.. (९) हे इं ! आप आराधना के यो य, यशशाली और ब त वशाल ह. आप हम ऐसा धन द जए, जस से हम ढ़ च वाले हो जाएं. आप हम साम यशाली बनाएं. (९)
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नौवां अ याय पहला खंड शशुं ज ान हयतं मृज त शु भ त व ं म तो गणेन. क वग भः का ेन क वः स सोमः प व म ये त रेभन्.. (१) हे सोम! आप ा ण ह. आप ब चे क तरह सब के मन को खला दे ते ह. म द्गण आप को प रमा जत करते ह. क व का से आप क तु त करते ह. आप आवाज करते ए प व हो जाते ह. (१) ऋ षमना य ऋ षकृ वषाः सह नीथः पदवीः कवीनाम्. तृतीयं धाम म हषः सषा स सोमो वराजमनु राज त ु प्.. (२) हे सोम! आप ऋ षय जैसे मन वाले और उन जैसा गुण दान करने वाले ह. आप तीसरे धाम के राजा इं को और तेज वी बनाने वाले ह. आप क वय क पदवी और सह कमा ह. (२) चमूष ेनः शकुनो वभृ वा गो व स आयुधा न ब त्. अपामू म सचमानः समु ं तुरीयं धाम म हषो वव .. (३) हे सोम! आप अ श धारी ह व गाय के ध म मलाए जाते ह. आप क लहर समु क लहर के समान और राजा ह. आप तुरीय धाम (मो धाम) म वराजते व सुशो भत होते ह. (३) एते सोमा अ भ ये सोम इं को बढ़ाने वाले ह. (४)
यम
य कामम रन्. वध तो अ य वीयम्.. (४)
य ह. सोम कामना
क वषा करते ह. ये उन के (इं के) वीय को
पुनानास मूषदो ग छ तो वायुम ना. ते नो ध सुवीयम्.. (५) हे सोम! आप प व ह. आप वायु और अ नीकुमार के साथ जाइए, जस से हम े वीय धारण कर सक. (५) इ
य सोम राधसे पुनानो हा द चोदय. दे वानां यो नमासदम्.. (६)
हे सोम! आप प व ह. आप इं क आराधना हेतु हम हा दक ेरणा दे ने क कृपा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क जए. हम दे व यो न के अनुकूल काय (य ) कर सक. (६) मृज त वा दश
पो ह व त स त धीतयः. अनु व ा अमा दषुः.. (७)
हे सोम! यजमान क दस अंगु लयां आप को प रमा जत करती ह. सात पुरो हत आप को तृ त दान करते ह. हम ा ण आप का अनुगमन करते ह. (७) दे वे य वा मदाय क
सृजानम त मे यः. सं गो भवासयाम स.. (८)
हे सोम! आप मददायी, सुखदायी व सुख सरजने (पैदा करने) वाले ह. दे वता भट करने के लए हम आप को गाय के ध म मलाते ह. (८)
को
पुनानः कलशे वा व ा य षो ह रः. प र ग ा य त.. (९) हे सोम! आप हरी कां त वाले ह. आप प व ह. आप कलश म रहते ह. आप को चार ओर से गाय का ध घेर लेता है. (९) मघोन आ पव व नो ज ह व ा अप
षः. इ दो सखायमा वश.. (१०)
हे सोम! आप प व ह. आप हम धनवान बनाइए. आप े षय का नाश क जए. इं आप के सखा ह. आप उन के साथ एकाकार हो जाइए. (१०) नृच सं वा वय म पीत
व वदम्. भ ीम ह जा मषम्.. (११)
हे सोम! आप आ म ाता व मनु य के च ु ह. इं आप को पीते ह. आप हम संतान और ान दान करने क कृपा क जए. (११) वृ
दवः प र व ु नं पृ थ ा अ ध. सहो नः सोम पृ सु धाः.. (१२)
हे सोम! आप वगलोक और पृ वीलोक पर द ता क वषा करने क कृपा क जए. आप अ धन द जए. हम श ु को सह न सक, ऐसी मता द जए. (१२)
सरा खंड सोमः पुनानो अष त सह धारो अ य वः. वायो र
य न कृतम्.. (१)
वायु और इं के लए सोमरस नचोड़ा गया है. सोमरस प व व सह भेड़ के बाल क छलनी से छान कर उसे तैयार कया गया है. (१) पवमानमव यवो व म भ
धारा वाला है.
गायत. सु वाणं दे ववीतये.. (२)
हे ा णो! सोम आप को प व करने वाले ह. आप दे वता कामना क जए. आप इन के लए तु तयां गाइए. (२) पव ते वाजसातये सोमाः सह पाजसः. गृणाना दे ववीतये.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से अपने संर ण क
हे सोम! आप अ दान करने के लए अपनी सह भट करने के लए आप को प र कृत कया जाता है. (३)
धारा
से झ रए. दे वता
को
उत नो वाजसातये पव व बृहती रषः. ुम द दो सुवीयम्.. (४) हे सोम! आप प व व वशाल ह. आप हम े वीयवान बनाने क कृपा क जए. (४) अ या हयाना न हेतृ भरसृ ं वाजसातये. व वारम माशवः.. (५) हे सोम! आप अ ग य ह. यजमान आप को अ करते ह. (५) ते नः सह ण
ा त के लए ग तपूवक प र कृत
र य पव तामा सुवीयम्. वाना दे वास इ दवः.. (६)
हे सोम! आप सह धार वाले, प व और धनवान ह. हम दे व व दान कर. (६) वा ा अष ती दवो ऽ भ व सं न मातरः. दध वरे गभ योः.. (७) हे सोम! आप वैसे ही आवाज करते ए कलश म जाते ह, हाथ म लए जाते ह जैसे मां म े वचन बोलती ई अपने ब च क ओर जाती है और ब च को हाथ म ले लेती है. (७) जु इ ाय म सरः पवमानः क न दत्. व ा अप
षो ज ह.. (८)
हे सोम! आप इं को तृ त दे ते ह. आप प व ह. आप ं दन (आवाज) करते ए सभी श ु का वनाश करने क कृपा क जए. (८) अप न तो अरा णः पवमानाः व शः. योनावृत य सीदत.. (९) हे सोम! आप प व ह. आप वा थय का वनाश क जए. आप य वराजने क कृपा क जए. (९)
थल पर
तीसरा खंड सोमा असृ म दवः सुता ऋत य धारया. इ ाय मधुम माः.. (१) हे सोम! आप अ गामी व मधुरतम ह. आप को ऋत् क धारा के साथ इं के लए तुत कया जाता है. (१) अ भ व ा अनूषत गावो व सं न धेनवः. इ
सोम य पीतये.. (२)
हे यजमानो! आप सोमरस पीने के लए इं से तु तय के साथ अनुरोध क जए. उ ह सोम पलाने के लए आप उतने ही ाकुल हो जाइए, जतनी ाकुल गाएं अपने बछड़ को ध पलाने के लए हो जाती ह. (२) मद यु
े त सादने स धो मा वप त्. सोमो गौरी अ ध
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तः.. (३)
हे सोम! आप मद चुआते ह. आप य गृह म था पत कए गए ह. आप सधु व प ह. आप सधु क लहर क तरह वाणी को लहरा दे ते ह. (३) दवो नाभा वच णो ऽ
ा वारे महीयते. सोमो यः सु तुः क वः.. (४)
हे सोम! आप े कम वाले, क व, वगलोक क ना भ, वल ण और महान ह. आप जल म मल कर म हमाशाली होते ह. (४) यः सोमः कलशे वा अ तः प व आ हतः. त म ः प र ष वजे.. (५) सोमरस प व है. जो सोमरस कलश म रखा आ है, उस म चं मा के वास है. (५) वाच म
े गुण का
र य त समु या ध व प. ज व कोशं मधु तम्.. (६)
सोमरस मधु चुआता है. यह आवाज करता आ कलश को समु क तरह लबालब भर दे ता है. (६) न य तो ो वन प तधनाम तः सब घाम्. ह वानो मानुषा युजा.. (७) हे सोम! आप के लए त दन तो गाए जाते ह. आप मनु य को आपस म जोड़ने क कृपा क जए. आप वन के वामी ह. आप हमारी अंतरतम से गाई गई तु तय को वीकार करने क कृपा क जए. (७) आ पवमान धारया र य
सह वचसम्. अ मे इ दो वाभुवम्.. (८)
हे सोम! आप प व व सह गुण से संप ह. आप हमारे लए धन धारण क जए. आप हम अपने भवन का अ धकारी बनाने क कृपा क जए. (८) अभ
या दवः क व व ः स धारया सुतः. सोमो ह वे पराव त.. (९)
हे सोम! आप वगलोक वासी, क व और ा ण ह. आप हमारे थान) क ओर अपनी य ेरणा का संचार करते ह. (९)
य थान (य
चौथा खंड उ े शु मास ईरते स धो म रव वनः. वाण य चोदया प वम्.. (१) हे सोम! आप क आवाज समु क तरंग जैसी है. आप समु क तरह ही ग त से बहते ह. आप प व वाणी को े रत करने क कृपा क जए. (१) सवे त उद रते त ो वाचो मख युवः. यद
ए ष सान व.. (२)
हे सोम! आप के सव (उ प ) होने के बाद यजमान के मुख से तीन वा णयां (ऋग्वेद, यजुवद और सामवेद के मं क ) उ च रत होती ह. त प ात आप को ऊंचे थान ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पर बैठा कर प र कृत कया जाता है. (२) अ ा वारैः प र य
हर
हव य
भः. पवमानं मधु तम्.. (३)
हे सोम! आप प व ह व मधु चुआते ह. यजमान आप को प थर से कूट कर रस नकालते ह. आप को जल से नम न कर दे ते ह. आप को भेड़ के बाल से बनी छलनी से छान कर प र कृत कया जाता है. (३) आ पव व म द तम प व ं धारया कवे. अक य यो नमासदम्.. (४) हे सोम! आप आइए और आप इं को आनंद दे ने हेतु धारा छनने क कृपा क जए. (४) स पव व म द तम गो भर
ानो अ ु भः. ए
से (प व ) छलनी म
य जठरं वश.. (५)
हे सोम! आप मददायी व गाय के ध के साथ मले ए ह. आप प व धारा से छ नए. आप इं के पेट म व होने क कृपा क जए. (५)
पांचवां खंड अया वीती प र व य त इ दो मदे वा. अवाह वतीनव.. (१) हे सोम! आप इं के लए प र कृत होइए. आप इं को आनंद दान क जए. आप नएनए क को र करने क कृपा क जए. (१) पुरः स इ था धये दवोदासाय शंबरम्. अध यं तुवशं य म्.. (२) हे सोम! आप का रस पीने के बाद ही इं ने शंबरासुर, तुवश और य को मारा. इन तीन का नाश इं ने य करने वाले दवोदास के लए कया. (२) प र णो अ म वद्गम द दो हर यवत्. रा सह णी रषः.. (३) हे सोम! आप हम अ का ाता बनाइए. आप हम अ वान, गोवान व वणवान बनाइए. आप सह धारा से झरने क कृपा क जए. (३) अप न पवते मृधो ऽ प सोमो अरा णः. ग छ
य न कृतम्.. (४)
सोमरस इं के प व थान तक (प व हो कर) प ंचता है. वह मधुर और जल म त है. उस के वकार को र कर के उसे व छ कर दया गया है. (४) महो नो राय आ भर पवमान जही मृधः. रा वे दो वीरव शः.. (५) हे सोम! आप प व ह. आप हम धनवान तथा वीर क भां त यश वी बनाने क कृपा क जए. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
न वा शतं च न तो राधो द स तमा मनन्. य पुनानो मख यसे.. (६) हे सोम! आप प व ह. आप को अपने य कता सकता, यहां तक क सैकड़ श ु भी. (६)
को धन दे ने से कोई नह रोक
अया पव य धारया यया सूयमरोचयः. ह वानो मानुषीरपः.. (७) हे सोम! आप अपनी (चमकने वाली) प व धारा के लए जल बरसाने वाले ह. (७) अयु
से सूय को चमकाइए. सूय मनु य
सूर एतशं पवमानो मनाव ध. अ त र ेण यातवे.. (८)
हे सोम! आप प व ह. आप यजमान क मनोकामना पूरी करने के लए अंत र जैसा व तार दान करने क कृपा क जए. (८) उत या ह रतो रथे सूरो अयु (९)
यातवे. इ
र
इ त ुवन्.. (९)
इं सोम का नाम बोलते ए अपने रथ म अपने घोड़ को जुतने का संकेत करते ह.
छठा खंड अ नं वो दे वम न भः सजोषा य ज ं तम वरे कृणु वम्. यो म यषु न ु वऋतावा तपुमूधा घृता ः पावकः.. (१) हे दे वगण! अ न सव पू य ह. आप य म उन को त बना कर भेजने क कृपा क जए. वे मनु य के म और प व ह. घृत (घी) उन का अ है. वे तेज वी ह. (१) ोथद ो न यवसे ऽ व य यदा महः संवरणाद् थात्. आद य वातो अनु वा त शो चरध म ते जनं कृ णम त.. (२) घोड़े जैसे घास चर जाते ह, उसी तरह अ न (दावा न) वृ को चट कर जाते ह. वे हवा के माग का अनुकरण करते ह. उन का माग प व और काले धुएं वाला है. (२) उ य ते नवजात य वृ णो ऽ ने चर यजरा इधानाः. अ छा ाम षो धूम ए ष सं तो अ न ईयसे ह दे वान्.. (३) हे अ न! आप क शी उ प वालाएं वषा करने के लए तैयार ह. आप अजर, स मधा यु व दे वता के त ह. आप क लपट का धुआं वगलोक म दे वता तक (ह व स हत) प ंच जाता है. (३) त म ं वाजयाम स महे वृ ाय ह तवे. स वृषा वृषभो भुवत्.. (४) इं श
मान ह. वे और अ धक श
शाली होने क कृपा कर. हम
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मन के नाश के
लए इं को और यादा बलवान बनाना चाहते ह. (४) इ ः स दामने कृत ओ ज ः स बले हतः. ु नी
ोक स सो यः.. (५)
इं ब ल , हतकारी व दान (दे न)े का काय करते ह. वे वगलोक के वासी ह. वे ोक (मं ) से तु य व सोमरस पीने यो य ह. (५) गरा व ो न स भृतः सबलो अनप युतः. वव उ ो अ तृतः.. (६) हे इं ! आप के हाथ म व सुशो भत है. वाणी से आप क सबल, उ व व तृत ह. आप को कोई नह हरा सकता. (६)
शंसा क जाती है. आप
सातवां खंड अ वय अ
भः सुत
सोमं प व आ नय. पुनाही ाय पातवे.. (१)
हे पुरो हतो! सोमरस प व है. पाषाण से कूट कर इस का रस नकाला गया है. उस को छ े म छान कर प र कृत कया गया है ता क इं उसे पी सक. (१) तव य इ दो अ धसो दे वा मधो ाशत. पवमान य म तः.. (२) (२)
हे सोम! आप प व व मधुमय ह. इं और म द्गण आप के इस सोमरस को पीते ह. दवः पीयूषमु म
सोम म ाय व
णे. सुनोता मधुम मम्.. (३)
हे यजमानो! सोमरस वगलोक का अमृत और सव े है. व धारी इं उस का पान करते ह. अतः उन के लए उस को प र कृत क जए. (३) धता दवः पवते कृ ो रसो द ो दे वानामनुमा ो नृ भः. ह रः सृजानो अ यो न स व भवृथा पाजा स कृणुषे नद वा.. (४) सोमरस मधुर और दे वता का बल बढ़ाने वाला है, यजमान इस क शंसा करते ह. अंत र म शु होता आ यह हरा सोमरस वेगवान घोड़ क तरह धारा के प म अपनी साम य कट करता है. (४) शूरो न ध आयुधा गभ योः व ३: सषास थरो ग व षु. इ य शु ममीरय प यु भ र ह वानो अ यते मनी ष भः.. (५) सोम हाथ म श धारण करते ह और वीर क भां त रथा ढ़ ह. वे गोर क, वीर व इं के बलव क, यजमान के ेरक और द ह. सोमरस को गो ध म मलाया जाता है. (५) इ
य सोम पवमान ऊ मणा त व यमाणो जठरे वा वश.
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नः प व व ुद ेव रोदसी धया नो वाजां उप मा ह श तः.. (६) हे सोम! आप प व व लहरदार ह. आप और अ धक मताशाली बन कर इं के पेट म वेश करने क कृपा क जए. बजली जैसे बादल को बरसात के लए े रत करती है, उसी तरह आप पृ वीलोक पर धन बरसाइए. आप हम बु मान, धनवान व अ वान बनाइए. (६) यद ागपागुदङ् य वा यसे नृ भः. समा पु नृषूतो अ यानवे ऽ स शध तुवशे.. (७) हे इं ! मनु य ारा आप को सब ओर आमं त कया जाता है. हम पु और तुवश के नाश के लए आप क उपासना करते रहे ह. आप (हमारे सभी) श ु को न करने क कृपा क जए. (७) य ा मे शमे यावके कृप इ मादयसे सचा. क वास वा तोमे भ वाहस इ ा य छ या ग ह.. (८) हे इं ! आप म (इं का वशेष कृपा पा ), शम (इं का सहयोगी), यावक (एक ऋ ष) और कृप (इं का वशेष कृपा पा ) पर कृपालु ह. क व (एक या क) आप क व भ तो से तु त करते ह. आप (यजमान के अनुरोध पर) य म पधारने क कृपा क जए. (८) उभय शृणव च न इ ो अवा गदं वचः. स ा यः मघवा सोमपीतये धया श व आ गमत्.. (९) हे इं ! आप हमारे य म पधार कर हमारी दोन कार क वा णय को सुनने क कृपा क जए. आप ब ल व संप ह. आप हमारी उपासना से स होइए. आप सोमपान करने के लए हमारे य म पधा रए. (९) त ह वराजं वृषभं तमोजसा धषणे न त तुः. उतोपमानां थमो नषीद स सोमकाम ह ते मनः.. (१०) आकाश और पृ वी समथ व तेजोमय इं को अपनी साम य से कट करते ह. इं अनुपम ह. (सभी उपमान म सव म ह). हे इं ! आप सोम (पान क ) क कामना से य वेद पर अ ध त होने क कृपा क जए. (१०)
आठवां खंड पव व दे व आयुष ग ं ग छतु ते मदः. वायुमा रोह धमणा.. (१) हे सोम! आप का रस मददायी हो कर इं तक जाए. आप का रस श मान हो कर वायु तक प ंचने क कृपा करे. आप प व ह. आप यजमान को आयु मान बनाने क कृपा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क जए. (१) पवमान न तोशसे र य
सोम वा यम्. इ दो समु मा वश.. (२)
हे सोम! आप प व व संतु दायक ह. आप आप का आ ान करते ह. (२) अप न पवसे मृधः
को दं ड दे ने क कृपा क जए. हम
तु व सोम म सरः. नुद वादे वयुं जनम्.. (३)
हे सोम! आप प व ह. आप य क या व ध जानने वाले ह. आप ई यालु और ना तक को र करने क कृपा क जए. आप का भाव दे वता जैसा ( द ) है. (३) अभी नो वाजसातमं र यमष शत पृहम्. इ दो सह भणसं तु व नं वभासहम्.. (४) हे सोम! आप तेज वी ह. आप हम सैकड़ लोग ारा चाहा गया धन दान करने क कृपा क जए. आप ारा दए गए धन से हम हजार लोग का भरणपोषण करने म समथ हो सक. आप हम तेज वी और यश वी बनाने क कृपा क जए. (४) वयं ते अ य राधसो वसोवसो पु पृहः. न ने द तमा इषः याम सु ने ते अ गो.. (५) हे सोम! हम आप का आ य चाहते ह. आप सभी के ारा चाहे जाते ह. आप हम जो अ धन दान करते ह, उस से हम सुखी बन. आप सूय के साथ वास करने वाले ह. (५) प र य वानो अ र द र े मद युतः. धारा य ऊ व अ वरे ाजा न या त ग युः.. (६) सोमरस े व तेज वी है. य म उस क धारा का योग कया जाता है. चमकने वाले सोमरस क ऊ व धारा ग तमान के प म य म काम आती है. सोमरस को वाभा वक प से प रशु कया जाता है. (६) पव व सोम महा समु ः पता दे वानां व ा भ धाम.. (७) हे सोम! आप प व , रसीले व पालक ह. दे वता से प रपूण करने क कृपा क जए. (७)
के सभी धाम को अपने द
रस
शु ः पव व दे वे यः सोम दवे पृ थ ै शं च जा यः.. (८) हे सोम! आप चमक ले ह. आप दे वता के लए ब हए. सोमरस वगलोक, पृ वीलोक और सम त जा के लए सुखकारी होने क कृपा कर. (८) दवो धता स शु ः पीयूषः स ये वधम वाजी पव व.. (९) हे सोम! आप बलवान, चमक ले, अमृत के समान व वगलोक के धता (धारण कता) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. आप स य
पी य म वा हत होने क कृपा क जए. (९)
नौवां खंड े ं वो अ तथ
तुषे म मव
यम्. अ ने रथं न वे म्.. (१)
हे अ न! आप ब त अ धक य व हमारे मेहमान ह. आप हम म जैसे सव ाता ह. आप ह ववाहक ह. हम आप क तु त करते ह. (१) क व मव श
वं यं दे वास इ त
दे वता ने क व क भां त दो त त कया. (२)
य और
ता. न म य वादधुः.. (२)
प (गाहप य और आहवनीय) म मनु य म अ न को
वं य व दाशुषो नॄँ: पा ह शृणुही गरः. र ा तोकमुत मना.. (३) हे इं ! आप हमारी वाणी सु नए. आप हम अपनी शरण म ली जए. आप अपने यजमान क तु त पर यान द जए. आप उन क र ा के लए सचे रहने क कृपा क जए. (३) ए
नो ग ध
य स ा जदगो . ग रन व तः पृथुः प त दवः.. (४)
हे इं ! आप व पालक, पवत क भां त वशाल एवं वगलोक के वामी ह. आप कृपया हमारे य (पास) म पधा रए. (४) अ भ ह स य सोमपा उभे बभूथ रोदसी. इ ा स सु वतो वृधः प त दवः.. (५) हे इं ! आप सोमरस पीने वाले व सच का पालन करने वाले ह. आप आकाश और पृ वी दोन ही लोक म अपनी साम य रखते ह. आप वगलोक के प त ह. आप सोमय करने वाल क बढ़ोतरी करने वाले ह. (५) व
ह श तीना म
धता पुराम स. ह ता द योमनोवृधः प त दवः.. (६)
हे इं ! आप वगलोक के प त एवं शा त ह. आप नगर को धारण करने वाले, द यु का नाश करने वाले व मनोबल क बढ़ोतरी करने वाले ह. (६) पुरां भ युवा क वर मतौजा अजायत. इ ो व य कमणो धता व ी पु ु तः.. (७) हे इं ! आप (श ु के) नगर के भेदक, क व, युवा, व वाले, व के कम के धारक व परा मी ह. आप क कई जगह शंसा होती है. आप अपने इसी व प के साथ कट ए ह. (७) वं वल य गोमतो ऽ पावर वो बलम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वां दे वा अ ब युष तु यमानास आ वषुः.. (८) हे इं ! आप ने अपने बल से गाय को चुराने वाले रा स के ज थे को न कया. रा स के नाश के बाद सारे दे वता इकट् ठे ए. फर वे सभी दे वता तब आप के साथ संग ठत ए. (८) इ मीशानमोजसा भ तोमैरनूषत. सह ं य य रातय उत वा स त भूयसीः.. (९) इं हजार दान दे ने वाले, ब त ओज वी व ब त मतावान ह. उन क सव भू रभू र शंसा होती है. हम सभी को इं क तु त करनी चा हए. (९)
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दसवां अ याय पहला खंड अ ा समु ः थमे वधमन् जनय जा भुवन य गोपाः. वृषा प व अ ध सानो अ े बृह सोमो वावृधे वानो अ ः.. (१) सोम पानी बरसाने वाले, सब क र ा करने वाले व द ह. सब से पहले आकाश म उ ह ने जा को उ प कर के त ा ा त क , फर पृ वी के ऊपर ाकृ तक छलनी से छन कर के बढ़ोतरी ा त क . (१) म स वायु म ये राधसे नो म स म ाव णा पूयमानः. म स शध मा तं म स दे वा म स ावापृ थवी दे व सोम.. (२) छाना गया सोमरस म , व ण तथा म द्गण क साम य बढ़ा दे ने वाला हो. वह इं के भी बल को बढ़ाए. वह हम अ , धन दलाने के लए वायु को स करे. सोमरस अनुपम ( द ) है. वह वगलोक और पृ वीलोक दोन ही लोक के लए स ता बढ़ाने वाला हो. (२) मह सोमो म हष कारापां यद्गभ ऽ वृणीत दे वान्. अदधा द े पवमान ओजो ऽ जनय सूय यो त र ः.. (३) सोम ने सूय म काश उ प कया. इं म ओज था पत कया. ये जल के गभ व प और महानतम ह. सोम ने ब त से काय कए ह. (३) एष दे वो अम यः पणवी रव द यते. अ भ ोणा यासदम्.. (४) सोम अमर ह. ये प ी के उड़ने क तरह वेग से ोणकलश म वेश करते ह. (४) एष व ैर भ ु तो ऽ पो दे वो व गाहते. दध ना न दाशुषे.. (५) सोम द और ा ण धन धारण करते ह. (५)
ारा शं सत ह. ये जल म मलते ह. सोम यजमान के लए
एष व ा न वाया शूरो य व स व भः. पवमानः सषास त.. (६) शूरवीर जैसे बल योग करता है, वैसे ही सोम अपना धन दे ते ह. ये बलशाली, साम यवान और ऐ यशाली ह. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एष दे वो रथय त पवमानो दश य त. आ व कृणो त व वनुम्.. (७) सोम प व ह. ये यजमान क इ छा पू त के लए य थान तक जाना चाहते ह. ये आवाज करते ए य थान म जाने के लए रथ चाहते ह. (७) एष दे वो वप यु भः पवमान ऋतायु भः. ह रवाजाय मृ यते.. (८) यु
सोम प व ह. पुरो हत सोम को साफ कर के ाथना म ले जाने के लए घोड़ को सजाया जाता है. (८) एष दे वो वपा कृतो ऽ त
रा
से उसी तरह सजाते ह, जैसे
स धाव त. पवमानो अदा यः.. (९)
सोम प व ह और वयं कसी से नह दबते, पर ये वयं श ु एष दवं व धाव त तरो रजा
को दबा दे ते ह. (९)
स धारया. पवमानः क न दत्.. (१०)
सोम प व ह. वे छन कर धारा का प धर कर आवाज करते ए श ुलोक को जीतते ह. वे य के भाव से वगलोक क ओर दौड़ते ह. (१०) एष दवं
ासर रो रजा
य तृतः. पवमानः व वरः.. (११)
सोम प व ह. वे अपने य थान से वगलोक के लए थान करते ह. वे य के े साधन ह और श ु को हरा सकने क साम य रखते ह. (११) एष
नेन ज मना दे वो दे वे यः सुतः. ह रः प व े अष त.. (१२)
सोम प व और ह रत कां त वाले ह. दे वता प व तापूवक उपयोग म लाए जाते ह. (१२) एष उ य पु
और उन क पी ढ़य
ारा ज म से ही
तो ज ानो जनय षः. धारया पवते सुतः.. (१३)
सोम पु तादायी आहार को पैदा करते ह. वे फू तदायी काय मता उ प करने वाले ह. वे अपनी धारा से झरते ए वतः ही व छ (प व ) हो जाते ह. (१३)
सरा खंड एष धया या य बु
ा शूरो रथे भराशु भः. ग छ
य न कृतम्.. (१)
सोम शूरवीर ह. अंगु लय से इ ह नचोड़ा जाता है. ये ज द चलने वाले रथ से पूवक इं के पास जाते ह. (१) एष पु
धयायते बृहते दे वतातये. य ामृतास आशत.. (२)
य थान म ब त से दे वता करने क इ छा रखते ह. (२)
त त ह. ये उस य
थल म बु
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पूवक अग णत काय
एतं मृज त म यमुप ोणे वायवः. च ाणं मही रषः.. (३) यजमान सोमरस को प र कृत कर के ोणकलश म भरते ह. यह रसीला व अ उ प करने वाला है. (३) एष हतो व नीयते ऽ तः शु यावता पथा. यद तु
को
त भूणयः.. (४)
सोम को य थान पर ले जाया जाता है. वहां पर पुरो हत उसे शु करते ह, प व बनाते ह, तब दे वता के ह व के प म इस का योग कया जाता है. (४) एष
म भरीयते वाजी शु े भर
शु भः. प तः स धूनां भवन्.. (५)
सोम रस के राजा और प व सफेद करण वाले ह. वे घोड़े क तरह ज द से याजक के पास जाते ह. (५) एष शृ ा ण दोधुव छशीते यू यो ३ वृषा. नृ णा दधान ओजसा.. (६) श
श
शाली बैल जैसे पशु के झुंड म अपना बल दखाता है, वैसे ही सोम अपनी कट करते ह. सोम वैभव व बलशाली ह. (६)
एष वसू न प दनः प षा य यवाँ अ त. अव शादे षु ग छ त.. (७) सोम हसक का नाश कर दे ते ह. वे पीड़ा प ंचाने के लए भी सताते ह. वे उ ह सीमा म रखते ह. वे ब त श शाली और मतावान ह. (७) एतमु यं दश
पो ह र
ह व त यातवे. यायुधं म द तमम्.. (८)
सोम मदकारी, आयुध वाले, ह रत कां त वाले व भीतर क श ह. दस अंगु लय से मसल कर इ ह नचोड़ा जाता है. इ ह दे वता (८)
(अंतःकरण क ) धरते को चढ़ाया जाता है.
तीसरा खंड एष उ य वृषा रथो ऽ
ा वारे भर त. ग छ वाज
सह णम्.. (१)
सोम हजार घोड़ क तरह ग तपूवक जाते ह. ये रथ क तरह ग तमान ह. इ ह ोणकलश म छलनी से छाना जाता है. ये अ दाता ह. (१) एतं
त य योषणो ह र
हव य
भः. इ
म ाय पीतये.. (२)
इं के पीने के लए ह रत कां त वाला सोमरस प थर से के साथ प व कया जाता आ) कूटा जा रहा है. (२)
त (तीन कार से तु तय
एष य मानुषी वा येनो न व ु सीद त. ग छं जारो न यो षतम्.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यह सोमरस मनु य म उसी कार ज द प ंच रहा है, जैसे बाज प ी अपने शकार के पास प ंचता है व ेमी अपनी े मका के पास जाता है. (३) एष य म ो रसो ऽ व च े दवः शशुः. य इ वारमा वशत्.. (४) (४)
सोम वगलोक के शशु (ब चे), मददायी और सव एष य पीतये सुतो ह ररष त धण सः.
द यो नम भ
ा ह. ये छलनी से शु
होते ह.
यम्.. (५)
सोम आवाज करते ए अपने अभी ( य) थान ( ोणकलश) म जाते ह. इ ह दे वता के पीने के लए तैयार कया जाता है. ये ह रत कां त वाले ह. ये सब को धारण करते ह. (५) एतं य
ह रतो दश ममृ य ते अप युवः. या भमदाय शु भते.. (६)
इं को स करने के लए सोमयाग कया जाता है. दस अंगु लयां मसलमसल कर सोमरस को शु करती ह. (६)
चौथा खंड एष वाजी हतो नृ भ व व मनस प तः. अ ं वारं व धाव त.. (१) सोम मन के राजा, संसार को जानने वाले और घोड़े के समान तेजी से दौड़ कर ोणकलश म जाते ह. (१) एष प व े अ र सोमो दे वे यः सुतः. व ा धामा या वशन्.. (२) सोमरस अमर व प व है. वह दे वता और उन क पी ढ़य के लए झरता है. यह छन कर उन म (दे वता म) ा त हो जाता है. (२) एष दे वः शुभायते ऽ ध योनावम यः. वृ हा दे ववीतमः.. (३) सोम दे वता को ब त अ धक भाते ह. वे दे वता क द ता (दै वीभाव) को और अ धक बढ़ा दे ते ह. वे अमर और श ुनाशी ह. य के कलश म सोमरस ब त अ धक शो भत होता है. (३) एष वृषा क न द श भजा म भयतः. अ भ ोणा न धाव त.. (४) दस अंगु लयां मसलमसल कर सोमरस को नचोड़ती ह. यह श आवाज करता व दौड़ता आ ोणकलश म प ंचता है. (४) एष सूयमरोचय पवमानो अ ध
शाली है. यह
व. प व े म सरो मदः.. (५)
वगलोक प व कारी है. सोमरस वगलोक म आनंद दे ने वाला है. प व और छाना ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ सोमरस सूय को का शत करने क साम य रखता है. (५) एष सूयण हासते संवसानो वव वता. प तवाचो अदा यः.. (६) सोम बंधनमु , उपासना यो य व तेज वी ह. सूय दे व जल, वायु आ द पांच त व म मलने के लए इसे छोड़ते ह. (६)
पांचवां खंड एष क वर भ ु तः प व े अ ध तोशते. पुनानो न प
षः.. (१)
क व और ानी सोमरस क उपासना करते ह. यह पाप (रोग) नाशक, फू तदायी और तृ तदायी है. इस का रस कूट कर नकाला जाता है. (१) एष इ ाय वायवे व ज प र ष यते. प व े द साधनः.. (२) सोम इं और वायु के लए छन कर नीचे भूलोक पर पधारते ह. वे प व और व गक सुखदाता ह. (२) एष नृ भ व नीयते दवो मूधा वृषा सुतः. सोमो वनेषु व वत्.. (३) सोम सव ाता, श शाली और सव े ह. मनु य (यजमान) इ ह वन म वन क उपयोगी व तु और ओषध के प म पाते ह. (३) एष ग ुर च द पवमानो हर ययुः. इ ः स ा जद तृतः.. (४) सोम का व प रसीला व फू तदायी ह. वे सव ाता ह. मनु य लकड़ी के बने बरतन से इ ह य म ले जाते ह. (४) एष शु य स यदद त र े वृषा ह रः. पुनान इ
र मा.. (५)
सोम अंत र म शो भत होते ह. ये घोड़े क तरह बलवान और हरे ह. ये छलनी म छनते ह. ये सादर इं के पास जाते ह. (५) एष शु यदा यः सोमः पुनानो अष त. दे वावीरघश सोम दे वता वराजते ह. (६)
सहा.. (६)
के र क, पा पय के संहारक, अ वनाशी और द
और वे कलश म
छठा खंड स सुतः पीतये वृषा सोमः प व े अष त. व न सोम व न को न करने वाले व द
ा
स दे वयुः.. (१)
गुण से भरपूर ह. इ ह इं आ द दे व के लए
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छलनी से छान कर तैयार कया गया है. (१) स प व े वच णो ह ररष त धण सः. अ भ यो न क न दत्.. (२) सोमरस प व , वल ण, हरा व सब को धारण करने वाला है. वह छलनी से छनते समय आवाज करता है. (२) स वाजी रोचनं दवः पवमानो व धाव त. र ोहा वारम यम्.. (३) सोमरस श मान है. वगलोक को चमकाता है और है और छनता आ लगातार वा हत होता रहता है. (३) स
त या ध सान व पवमानो अरोचयत्. जा म भः सूय
का नाश करता है. वह द सह.. (४)
सोम अपने तेज से सूय के साथ का शत होते ह. तय ( कृ त, ाणी और आकाश के बीच आदान दान पूण य ) म व ध वधान से सुशो भत होते ह. (४) स वृ हा वृषा सुतो व रवो वददा यः. सोमो वाज मवासरत्.. (५) सोम श ुनाशक, श व क व धनदाता ह. नचोड़ कर नकाले जाते समय ये घोड़े के समान वेगवान हो कर घड़े म वेश करते ह. (५) स दे वः क वने षतो ३ ऽ भ ोणा न धाव त. इ
र ाय म
हयन्.. (६)
सोम इं और अ य दे व का मह व बढ़ाते ह. सोमय करने वाले यजमान उ ह वेग से कलश म वा हत करते ह और वगलोक म का शत होते ह. (६)
सातवां खंड यः पावमानीर ये यृ ष भः संभृत रसम्. सव स पूतम ा त व दतं मात र ना.. (१) जो यजमान ऋ षय ारा संक लत जीवन क उपयोगी बात म यान लगाता है, प व कारी सू (मं , तु तय ) का पाठ करता है वह यजमान प व और पोषक अ ा द रस का आनंद लेता है. (१) पावमानीय अ ये यृ ष भः संभृत रसम्. त मै सर वती हे ीर स पमधूदकम्.. (२) ऋ षय ने वेद मं क रचना क है. जो यजमान उन का अ ययनमनन करता है, उस का ान बढ़ाने के लए सर वती सहायता करती ह. उस यजमान के लए शहद, ध, घी आ द पोषक वयं दान करती ह. (२) पावमानीः व ययनीः सु घा ह घृत तः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ऋ ष भः संभृतो रसो ा णे वमृत ऋ षय ने जो मं रचे ह, वे मं व घी से चुए ए ह. वे नेह क धारा
हतम्.. (३)
ा ण के लए अमृत सरीखे क याणकारी, हतकारी से सने ए और े फलदायी ह. (३)
पावमानीदध तु न इमं लोकमथो अमुम्. कामा समधय तु नो दे वीदवैः समा ताः.. (४) दे वी और दे वता ने मं संक लत कए ह. वे मं न केवल इस लोक म ब क परलोक म भी हमारे लए क याणकारक ह . वे हमारी सारी इ छाएं पूरी करने वाले ह . (४) येन दे वाः प व ेणा मानं पुनते सदा. तेन सह धारेण पावमानीः पुन तु नः.. (५) दे वतागण जन से सदा अपने को नमल (प व ) बनाते ह, वैसी ही हजार धारा वेद के मं हम प व बनाने क कृपा कर. (५)
से
पावमानीः व ययनी ता भग छ त ना दनम्. पु याँ भ ा भ य यमृत वं च ग छ त.. (६) जो यजमान प व तादायी मं से रे णा लेता है, जो यजमान हतकारी मं म झान रखता है, वह परमानंद का भागी होता है. वह पु य अ जत कराने वाले अ को खाता है और अमरता का भागीदार होता है. (६)
आठवां खंड अग म महा नमसा य व ं यो द दाय स म ः वे रोणे. च भानु रोदसी अ त व वा तं व तः य चम्.. (१) हे अ न! कौन सी ऐसी जगह है, जहां आप नह जा सकते? आप वगलोक और पृ वीलोक म भलीभां त व लत ( का शत) होते ह. आप खूब काशवान, अ छ आ तय वाले व युवा ह. हम आप को नम कार करते ह और आप क शरण म ह. (१) स म ा व ा रता न सा ान न वे दम आ जातवेदाः. स नो र ष रतादव ाद मा गृणत उत नो मघोनः.. (२) हे अ न! आप का काश ान वाला है. आप उस काश को फैलाते रहते ह. आप तेज वी ह और संसार के सभी पाप का नाश करने म समथ ह. आप कम करने से हम रोकते ह और हमारी र ा करते ह. आप हमारी आ तय को हण करते ह. आप हमारे त क याण क भावना धारण करते ह. (२) वं व ण उत म ो अ ने वां वध त म त भव स ाः. वे वसु सुषणना न स तु यूयं पात व त भः सदा नः.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ न! व स ऋ ष वशेष बु पूवक आप क तु त करते ह. आप व ण व म व प ह. आप के धन क याणकारी ह . आप अपनी मंगलकारी भावना से हमारी र ा क जए. (३) महाँ इ ो य ओजसा पज यो वृ माँ इव. तोमैव स य वावृधे.. (४) इं महान व काशमान ह. वे अपने य भ क तु तय से बढ़ोतरी पाते ह. वे बरसने वाले बादल क भां त ह. उपासक उन के पु क तरह ह. (४) क वा इ ं यद त तोमैय
य साधनम्. जा म ुवत आयुधा.. (५)
हे इं ! ऐसा कहा जाता है क उस समय य क नगरानी या र ा के लए कसी भी साधन क ज रत नह रह जाती, जब क व जैसे ऋ ष अपनी तु तय से आप को य का र क बना लेते ह. (५) जामृत य प तः
यद्भर त व यः. व ा ऋत य वाहसा.. (६)
द अ नयां आकाश म भर जाती ह. वे ती ग त से इं को य दे ती ह. तब ा णगण उन क तु त करते ह. (६)
थान पर प ंचा
नौवां खंड पवमान य ज नतो हरे
ा असृ त. जीरा अ जरशो चषः.. (१)
हे सोम! आप हरे ह. आप के रस क धारा स तादायक है. वह छन कर और साफ हो कर झरती है. आप श ुनाशक ह और सब जगह जा सकते ह. (१) पवमानो रथीतमः शु े भः शु श तमः. ह र
ो म द्गणः.. (२)
हे सोम! आप प व , उ चतम थान पर शो भत, उ वलतर से उ वलतम, ह रत शोभा वाले व सब को स ता दे ने वाले ह. आप को पु बनाने म म द्गण भी आप क सहायता करते ह. (२) पवमान
ु ह र म भवाजसातमः. दध तो े सुवीयम्.. (३)
हे सोम! आप प व ह. आप घोड़े क तरह अपनी करण से सव प ंच जाते ह. आप यजमान को अ छा वीय ( े संतान) दान करते ह. (३) परीतो ष चता सुत सोमो य उ म ह वः. दध वाँ यो नय अ व ३ ऽ तरा सुषाव सोमम भः.. (४) यजमान जल म सोम को मलाते ह. वे प थर से कूट कर सोमरस नकालते ह. वह दे वता के लए े है. यजमान उस से सब ओर स च. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नूनं पुनानो ऽ व भः प र वाद धः सुर भतरः. सुते च वा सु मदामो अंधसा ीण तो गो भ रम्.. (५) हे सोम! छान कर, शु बना कर आप को गाय के ध के साथ मला लया जाता है. इतना हो जाने पर आप को जल म मलाया जाता है. तब आप अ छ तरह सेवन यो य हो जाते ह. आप अमर और ब त सुगंध वाले ह. (५) प र वान
से दे वमादनः
तु र
वच णः.. (६)
सोमरस वल ण है और दे वता के लए आनंददायी है, य का मुख साधन है. सब को दे खने के लए सोम कलश म थत रहने क कृपा कर. (६) असा व सोमो अ षो वृषा हरी राजेव द मो अ भ गा अ च दत्. पुनानो वारम ये य य येनो न यो न घृतव तमासदत्.. (७) सोम हरे रंग के, श व क, का शत व राजा के समान दशनीय ह. इन के रस को भेड़ के बाल से बनी छलनी म छाना जाता है. गाय के ध म मल कर सोमरस और अ धक प व हो जाता है. वह जल से भरे ए कलश म वैसे ही वेश करता है, जैसे वेग से उड़ता आ प ी उतरता है. (७) पज यः पता म हष य प णनो नाभा पृ थ ा ग रषु यं दधे. वसार आपो अ भ गा उदासर सं ाव भवसते वीते अ वरे.. (८) सोम पवत पर नवास करते ह. वे पवत पृ वी क ना भ पर थत ह और उन के प े खूब बड़ेबड़े होते ह. बरसने वाले बादल उन के पता ह. वे गाय के ध, पानी और तु तय से य थल पर पधार वहां त त होते ह. (८) क ववध या पय ष मा हनम यो न मृ ो अ भ वाजमष स. अपसेधन् रता सोम नो मृड घृता वसानः प र या स न णजम्.. (९) हे सोम! आप व ान ारा जाने जाते ह और जलमय ह. आप छलनी म छन कर वैसे ही ोणकलश म वेग से जा कर थत रहते ह, जैसे सं ाम थल पर जाने वाले घोड़े वेग से वहां जा कर थत रहते ह. आप हम बुरी बात और आदत से र र खए. हम सब सुख दान क जए. (९)
दसवां खंड ाय त इव सूय व े द य भ त. वसू न जातो ज नमा योजसा त भागं न द धमः.. (१) हे यजमानो! इं उसी तरह चुर वैभव को बांटते ह, जैसे सूय करण को (अपने म) बांटते ह. हम उन क कृपा से वैसे ही धन पाते ह, जैसे पता क कृपा से हम उन से संप ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का ह सा पाते ह. (१) अल षरा त वसुदामुप तु ह भ ा इ य रातयः. यो अ य कामं वधतो न रोष त मनो दानाय चोदयन्.. (२) इं स जन (भ ) को धन दान करते ह. उन के दान ब त क याणकारी ह. यजमान जब उन से कुछ चाहते ह तो उन का मन उ ह उस दान के लए े रत करता है. अतः हे यजमानो! आप सब उन क तु त करो. (२) यत इ भयामहे ततो नो अभयं कृ ध. मघव छ ध तव त ऊतये व षो व मृधो ज ह.. (३) हे इं ! आप हम उन सब से अभय दान क जए, जन से हम भय लगता है. आप हम से व े ष रखने वाल को न क जए. आप हसक का नाश क जए. आप हमारी र ा क जए. आप साम यवान ह. (३) व ह राधस पते राधसो महः य या स वधता. तं वा वयं मघव गवणः सुताव तो हवामहे.. (४) हे इं ! आप धनप त, ब त धनधारी एवं उपा य ह. हम यजमान शु सोमरस का आनंद लेने के लए आप को आमं त करते ह. (४)
और प व
यारहवां खंड व
सोमा स धारयुम
ओ ज ो अ वरे. पव य म
हय यः.. (१)
हे सोम! आप ब ल व प व ह. आप य म धारा से वैभवयु धनदाता व श दाता ह. आप शु हो कर कलश म वरा जए. (१) व
माग बनाते ह. आप
सुतो म द तमो दध वा म स र तमः. इ ः स ा जद तृतः.. (२)
हे सोम! आप मददायी, बलधारी, य के मूलाधार, का शत, फू तदायी और श ु को जीतने वाले ह. आप को जीता नह जा सकता. (२) व
सु वाणो अ
भर यष क न दत्. ुम त
शु ममा भर.. (३)
हे सोम! प थर से कूटकूट कर आप का रस नकाला व नचोड़ा जाता है. आप हम ओज और साम य दान करने क कृपा कर. आप आवाज करते ए कलश म वेश करने क कृपा क जए. (३) पव व दे ववीतय इ दो धारा भरोजसा. आ कलशं मधुमा सोम नः सदः.. (४) हे सोम! आप मधुरतायु
ह. आप दे वता
क तृ त के लए अपनी ओजयु
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धारा
से सदै व हमारे कलश म आइए. (४) तव
सा उद ुत इ ं मदाय वावृधुः. वां दे वासो अमृताय कं पपुः.. (५)
हे सोम! आप का रस जल से ओत ोत है. आप को इं का यश और आनंद बढ़ाने के लए उ ह पलाया जाता है. दे वगण अमरता के लए आप को पीते ह. (५) आ नः सुतास इ दवः पुनाना धावता र यम्. वृ
ावो री यापः व वदः.. (६)
हे सोम! आप आ म ाता, रसीले और यजमान के लए बादल से पानी बरसाने क भां त धन बरसाने वाले ह. आप हमारे लए वैभव दान करने क कृपा क जए. (६) पर य हयत ह र ब ुं पुन त वारेण. यो दे वा व ाँ इ प र मदे न सह ग छ त.. (७) सोमरस आनंद के साथ सभी दे वता तक प ंचता है. हरे सोमरस को छलनी से छान कर साफ कया जाता है. सोम पाप से रोकते ह और मन को हरने वाले (मनोहर) ह. (७) य प च वयशस सखायो अ स हतम्. य म य का यं नापय त ऊमयः.. (८) सोमरस प थर से कूट कर नकाला जाता है. इ ह दोन हाथ क दस अंगु लयां साफ करती ह और जलमय बनाती ह. ये तरंग क तरह लहराते ह. ये सभी को य, सभी के म और इं के का य (चाहे गए) ह. (८) इ ाय सोम पातवे वृ ने प र ष यसे. नरे च द णावते वीराय सदनासदे .. (९) हे सोम! आप वृ नाशक इं के लए ोणकलश म थत र हए. आप य म द णा दे ने वाले और य कता यजमान के लए मटके म बने र हए व थर र हए. (९) पव व सोम महे द ाया ो न न ो वाजी धनाय.. (१०) हे सोम! आप प व ह. आप श ुनाशक ह. आप धन और बल के लए पा पधा रए. आप घोड़े जैसे वेगवान और बलवान ह. (१०)
म
ते सोतारो रसं मदाय पुन त सोमं महे ु नाय.. (११) (११)
हे सोम! पृ वी पर यजमान आनंद पाने के लए आप के रस को साफ कर के छानते ह. शशुं ज ान
ह र मृज त प व े सोमं दे वे य इ म्.. (१२)
हे सोम! तुरंत पैदा ए ब चे को नहला कर जैसे साफ कया जाता है, वैसे ही यजमान आप को साफ करते ह. आप को दे व के लए छलनी म छाना जाता है. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उपो षु जातम तुरं गो भभ ं प र कृतम्. इ ं दे वा अया सषुः.. (१३) हे सोम! दे वगण आप का रस पीते ह. उसे गाय के ध और जल म मला कर प र कृत कया गया है. वह चमक ला है. (१३) त मद्वध तु नो गरो व स
स
श री रव. य इ
य द
स नः.. (१४)
माता जैसे शशु के शरीर को अपने ध से बढ़ाती है, वैसे ही हमारी तु तयां सोम क बढ़ोतरी कर. वे इं के दय म नवास करते ह. (१४) अषा नः सोम शं गवे धु
व प युषी मषम्. वधा समु मु य.. (१५)
हे सोम! आप उपा य ह और समु क तरह उमड़ कर े पा म वरा जए. हमारे घर धनधा य से भरे रह. आप क कृपा से हमारा गोधन भी सुखी रहे. (१५)
बारहवां खंड आ घा ये अ न म धते तृण त ब हरानुषक्. येषा म ो युवा सखा.. (१) इं जवान व यजमान के म ह. यजमान अ न को दे वता के लए कुश के आसन बछाते ह. (१) बृह
व लत करते ह. यजमान
द म एषां भू र श ं पृथुः व ः. येषा म ो युवा सखा.. (२)
यजमान के पास दे वता के लए भरपूर स मधाएं, चुर श , अग णत ाथनाएं ह. इं इन यजमान के म ह और वे सदा जवान ह. (२) अयु
इ ुधा वृत
शूर आज त स व भः. येषा म ो युवा सखा.. (३)
युवा इं जन यजमान के म ह वे यु सै य बल वाले श ु को हरा सकते ह. (३)
म
च नह रखते ह, फर भी श
शाली
य एक इ दयते वसु मताय दाशुषे. ईशानो अ त कुत इ ो अ .. (४) इं संसार के ई र और यजमान को भरपूर वैभव दे ने वाले ह. वे अकेले ही श ु हराने के लए पया त ह. (४) य
को
वा ब य आ सुतावाँ आ ववास त. उ ं त प यते शव इ ो अ .. (५)
हे इं ! लाख म से जो कोई यजमान सोमय से आप को भजता है, आप उसे ज द ही ओज वी बना दे ते ह. (५) कदा मतमराधसं पदा ु प मव फुरत्. कदा नः शु वद् गर इ ो अ .. (६) हे इं ! आप तु त न करने वाल को मामूली पौध क तरह कब हटाएंगे? कब आप ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आराधना करने वाले हम लोग क तु त सुनगे? (६) गाय त वा गाय णो ऽ च यकम कणः. ाण वा शत त उ श मव ये मरे.. (७) हे इं ! आप सैकड़ काय करने वाले ह. हम यजमान मं से आप के लए य करते ह. हम आप क म हमा का गुणगान करते ह. आप वद ह. बांस क तरह आप को ऊंची पदवी दान करते ह. (७) य सानोः सा वा हो भूय प क वम्. त द ो अथ चेत त यूथेन वृ णरेज त.. (८) यजमान सोमव ली आ द स मधा लाने के लए पवत के शखर पर जाते ह. वे अनेक कम वाले य करते ह. इं यजन करने वाले यजमान के मन के उद्दे य को जान जाते ह. तब वे यजमान क इ छा पूरी करने के लए अ य दे वता के साथ य म जाने के लए तैयार होते ह. (८) युं वा ह के शना हरी वृषणा क य ा. अथा न इ
सोमपा गरामुप ु त चर.. (९)
हे इं ! आप सोमरस पीने वाले ह. आप के घोड़े गरदन पर अ छे बाल वाले व मजबूत अंग वाले ह. आप उन घोड़ को रथ म जो तए और हमारी तु त सुनने के लए य म पधा रए. (९)
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यारहवां अ याय पहला खंड सुष म ो न आ वह दे वाँ अ ने ह व मते. होतः पावक य
च.. (१)
हे अ न! आप प व करने वाले ह. आप यजमान के क याण हेतु दे वता आ ान क रए. दे वता को ह व प ंचाने के लए ह व वीकार क जए. आप य सफल बनाने क कृपा क जए. (१) मधुम तं तनूनपा
का को
ं दे वेषु नः कवे. अ ा कृणु तये.. (२)
हे अ न! आप व ान् व ऊपर क ओर जाने वाले ह. आप हमारे क याण के लए तनमन के न म पोषक मधुरता से भरी ह वय को दे वता के लए वीकार क जए. उन ह वय को वीकारने के बाद दे वता तक प ंचाने क कृपा भी क जए. (२) नराश
स मह
यम म य उप
ये. मधु ज
ह व कृतम्.. (३)
हे अ न! आप दे वता को य, उन के लए स तादायी, मीठ ज ा वाले व पूजनीय ह. हम इस य म अपनी ह वय को दे व तक प ंचाने का अनुरोध करते ह. (३) अ ने सुखतमे रथे दे वाँ ई डत आ वह. अ स होता मनु हतः.. (४) हे अ न! आप दे वता को साथ ले कर अपने सुखदायी रथ म य पधा रए. आप दे वता को बुलाने वाले व मनु य का हत साधने वाले ह. (४)
थान तक
यद सूर उ दते ऽ नागा म ो अयमा. सुवा त स वता भगः.. (५) सूय के उ दत होने पर प व क कृपा कर. (५) सु ावीर तु स यः
म , अयमा, स वता व भग हम मनचाहा धन ा त कराने
नु याम सुदानवः. ये नो अ
हो ऽ त प त.. (६)
हे दे वताओ! आप उ कृ क याण करने वाले, हमारे े र क व य थान के वासी ह. आप अहम्, दं भ आ द रा स (बुरी वृ य ) से हमारी र ा करने क कृपा कर. (६) उत वराजो अ द तरद ध य त य ये. महो राजान ईशते.. (७) दे वता
क माता अ द त समेत सभी दे वतागण हमारे त स
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कर. वे इ ह स
करने क साम य रखते ह. वे महान, राजा व ई र ह. (७) उ वा मद तु सोमाः कृणु व राधो अ वः. अव
षो ज ह.. (८)
हे इं ! आप साम यवान ह. सोमरस आप को मदम त बना दे . आप हम वैभव दान कर. आप ान के े षय का नाश कर. (८) पदा पणीनराधसो न बाध व महाँ अ स. न ह वा क न
त.. (९)
हे इं ! आप महान व ब त मतावान ह. आप कसी के भी रखते ह. आप दान न दे ने वाल को बाधा प ंचाइए. (९) वमी शषे सुताना म
वमसुतानाम्. व
हे इं ! आप सब लोग के राजा ह. आप पु
त कृपा म कमी नह
राजा जनानाम्.. (१०) के और अपु
के भी वामी ह. (१०)
सरा खंड आ जागृ व व ऋतं मतीना सोमः पुनानो असद चमूषु. सप त यं मथुनासो नकामा अ वयवो र थरासः सुह ताः.. (१) सोम जा त ह, तु तय को जानने वाले ह. वे छनछन कर ोणकलश म झरते ह. धनवान अ छे हाथ वाले संप पाने के इ छु क पुरो हत इसे इकट् ठा कर के संभाल कर रखते ह. (१) स पुनान उप सूरे दधान ओभे अ ा रोदसी वी ष आवः. या च य यसास ऊती सतो धनं का रणे न य
सत्.. (२)
सोम प व ह, वगलोक और पृ वीलोक को अपनी आभा से पूण करते ह. इन क रसधार ब त य लगने वाली है. वह हमारी र ा और हम वैभव दान करती है. यह सोमरस इं के पास प ंचता है. (२) स व धता वधनः पूयमानः सोमो मीढ् वां अ भ नो यो तषा वत्. य नः पूव पतरः पद ाः व वदो अ भ गा अ म णन्.. (३) सोम बढ़ोतरी पाने वाले, दे वता क बढ़ोतरी करने वाले और अभी साधने वाले ह. छना आ सोमरस सब कार से हमारी र ा करे. आ म त व ाता हमारे पूव पतर अपनी य ीय गाय को सोम से भरे ए पहाड़ के पास ले जाया करते थे. (३) मा चद य श सत सखायो मा रष यत. इ म तोता वृषण सचा सुते मु था च श
सत.. (४)
हे म यजमानो! इं बलवान ह. आप सोमरस प र कृत कर के इं क ही तु त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क जए, कसी सरे दे वता क नह . आप बारबार और दे वता क तु त म समय और मता न मत क जए. आप सामू हक प से इं क उपासना क जए. (४) अव णं वृषभं यथा जुवं गां न चषणीसहम्. व े षण संवननमुभयङ् करं म ह मुभया वनम्.. (५) इं महान ह. वे भौ तक और पारलौ कक दोन वैभव दे ने वाले, यजमान के आरा य दे व, श ु से े ष रखने वाले, श ु के नाशक, शी जाने वाले और बैल क तरह बलपूवक संघष करने वाले ह. आप उ ह इं क तु त क जए. (५) उ ये मधुम मा गरः तोमास ईरते. स ा जतो धनसा अ तोतयो वाजय तो रथा इव.. (६) हे इं ! आप वैभवदाता व नरंतर र क ह. मधुर वाणी वाली तु तयां घोड़े वाले रथ के समान ह, यु म य लगने वाले अ श (उपकरण ) के समान ह. (६) क वा इव भृगवः सूया इव व म तमाशत. इ तोमे भमहय त आयवः यमेधासो अ वरन्.. (७) क व ऋ ष क तरह भृगु ने भी इं का सा ा कार कया. वे सूय क तरह अ खल व म ा त ह. भृगु इं क म हमा वैसे ही बखान करने लगे, जैसे यजमान (इं क ) म हमा का बखान करते ह. (७) पयू षु
ध व वाजसातये प र वृ ा ण स णः.
ष तर या ऋणया न ईरसे.. (८)
हे सोम! आप क कृपा से कजा ख म हो जाता है. आप मन के नाश के लए उसी कार े रत होने क कृपा क जए, जस कार परा मी इं वृ ासुर का नाश करने के लए े रत ए थे. आप हम अ छे पोषक अ दान कर. (८) अजीजनो ह पवमान सूय वधारे श मना पयः. गोजीरया र हमाणः पुर या.. (९) हे सोम! आप प व ह. आप सूय को उ प करने क और सूय जल धारण करने क साम य रखते ह. सूय पृ वीलोक म जीवन को ग तशील बनाने म समथ ह. (९) अनु ह वा सुत सोम मदाम स महे समयरा ये. वाजाँ अ भ पवमान गाहसे.. (१०) हे सोम! हम आप के अनुगामी, आप के पु और आप क कृपा से सुखपूवक नवास करते ह. हम आप क कृपा और मता से ही कोई काय कर पाते ह. (१०) पर
ध वे ाय सोम वा म ाय पू णे भगाय.. (११)
हे सोम! आप वा द ह. आप म , पूषा, भग और ध व (गो वामी इं ) के लए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वा हत होइए. (११) एवामृताय महे याय स शु ो अष द ः पीयूषः.. (१२) हे सोम! आप चमक ले, द , अमृतमय और अमरता के लए पृ वी पर ( वा हत) होने क कृपा क जए. (१२) इ
ते सोम सुत य पेया
रत
वे द ाय व े च दे वाः.. (१३)
हे सोम! आप अपने पु क रस को पीने क कृपा कर. (१३)
ाथना सुन ली जए. य म इं व सभी दे वता आप के
तीसरा खंड सूय येव र मयो ाव य नवो म सरासः सुतः साकमीरते. त तुं ततं प र सगास आशवो ने ा ते पवते धाम कचन.. (१) सोम क धाराएं वत होती ई पा म सूय क करण क तरह फैल रही ह. इं के अलावा वे कसी अ य को नह मलत . (१) उपो म तः पृ यते स यते मधु म ाजनी चोदते अ तरा स न. पवमानः स त नः सु वता मव मधुमान् सः प र वारमष त.. (२) सोम मधुर व बु व क ह. सोमरस इं को े रत करने वाला है. यजमान सोमरस नचोड़ते व उसे जल म मलाते ह, उस को और प र कृत करते ह. (२) उ ा ममे त त य त धेनवो दे व य दे वी प य त न कृतम्. अ य मीदजुनं वारम यम कं न न ं प र सोमो अ त.. (३) नचोड़ा जाता आ सोमरस आवाज करता है व द प को ा त करता है. गाय के ध से उस को शु बनाया जाता है. वह द , काशमान व अ य है. (३) अ नं नरो द ध त भरर योह त युतं जनयत श तम्. रे शं गृहप तमथ ुम्.. (४) हे नरो! अ न पूजनीय ह. वे हमारा भरणपोषण करते ह. वे गृहप त, अ युत और र से ही दशनीय ह. आप सभी अर ण मंथन से अ न को कट करने क कृपा क जए. (४) तम नम ते वसवो यृ व सु तच मवसे कुत त्. द ा यो यो दम आस न यः.. (५) हे अ न! आप वलनशील काशमान ह. आप को हम घर म व लत करते ह. आप सुंदर (दशनीय) व प वाले ह. यजमान अपनी र ा के लए आप को य म त त करते ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. (५) े ो अ ने द द ह पुरो नो ऽ ज या सू या य व . वा श त उप य त वाजाः.. (६) हे अ न! आप शा त, श शाली और अज ह. आप भलीभां त व लत होइए. आप वाला से व लत होने क कृपा क जए. हम आप को जौ म त ह व भट करते ह. (६) आयंगौः पृ र मीदसद मातरं पुरः. पतरं च य
वः.. (७)
हे अ न! आप ब रंगी, ग तशील व (सूय प म) पूव दशा म उ दत होते ह. आप पतृलोक (अंत र लोक) म त त होते ह. (७) अ त र त रोचना य ाणादपानती.
य म हषो दवम्.. (८)
हे सूय! आप वगलोक को काश और तेज से भर दे ते ह. आप का तेज आकाश और पृ वी के बीच चमकता रहता है. (८) श ाम व राज त वा यपत ाय धीयते.
त व तोरह ु भः.. (९)
तीस घ ड़य (१२ घंटे) तक अ न (सूय प म) अपनी तेजोमयता से काशमान रहते ह. उस समय वगलोक ारा आप को यजमान क बु पूवक क गई तु तयां ा त होती ह. (९)
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बारहवां अ याय पहला खंड उप य तो अ वरं म ं वोचेमा नये. आरे अ मे च शृ वते.. (१) अ न उ म य करने वाले यजमान क उपासना करते ह. (१)
ाथना सुनने के लए तैयार ह. हम उन क
यः नी हतीषु पू ः संज मानासु कृ षु. अर
ाशुषे गयम्.. (२)
अ न हमेशा का शत रहते ह. यजमान जब ेम भाव से मल कर रहते ह तो वे उन के वैभव क र ा करते ह. (२) स नो वेदो अमा यम नी र तु श तमः. उता मा पा व
हसः.. (३)
अ न ब त क याणकारी ह. वे हम पाप (बुरी वृ य ) से र करने व हमारे वैभव क र ा करने म हमारी सहायता करने क कृपा कर. (३) उत ुव तु ज तव उद नवृ हाज न. धन
यो रणेरणे.. (४)
अ न यु म मन को हराते ह व उन का धन जीतते ह. वे कट हो गए ह. मं गायक पुरो हत को उन क तु त करनी चा हए. (४) अ ने युं वा ह ये तवा ासो दे व साधवः. अरं वह याशवः.. (५) हे अ न! आप के घोड़े शी जाने वाले ह. आप के घोड़े भी साम यवान ह. आप उन को रथ म जो तए. (५) अ छा नो या ा वहा भ या (६)
हे अ न! आप सोमपान व दे वता
स वीतये. आ दे वा सोमपीतये.. (६) को हमारी ओर उ मुख करने क कृपा क जए.
उद ने भारत ुमदज ेण द व ुतत्. शोचा व भा जर.. (७) हे अ न! आप जग के पालक व अ ु ण (कभी ीण न हो सकने वाले) ह. आप भी का शत होइए और जग को भी का शत क जए. आप व लत हो कर उ रो र बढ़ोतरी ा त क जए. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सु वानाया धसो मत न व त चः. अप ानमराधस हता मखं न भृगवः.. (८) सोमरस रसीला व सेवन के यो य है. सोम के लए क गई ाथना को लालची कु े न सुन सक. भृगु ऋ ष ने जैसे मख नामक रा स को मारा था, वैसे ही आप उन कु को अपराधी क तरह ही दं डत क जए. (८) आ जा मर के अ त भुजे न पु ओ योः. सर जारो न योषणां वरो न यो नमासदम्.. (९) सोम भाई जैसे य ह, माता पता क भुजा म संर त बेटे जैसे ह व कामी आदमी जैसे ी क ओर और वर क या क ओर आक षत होता है, वैसे ही सोम ोणकलश क ओर जा रहे ह. (९) स वीरो द साधनो व य त त भ रोदसी. ह रः प व े अ त वेधा न यो नमासदम्.. (१०) सोम प व , हरे, पोषक, वीर व उ म रसायन से भरे ह. वे वगलोक और पृ वीलोक को अपने काश से भर दे ते ह. ोणकलश म यजमान के घर जाने क तरह वेश करते ह. (१०)
सरा खंड अ ातृ ो अना वमना प र
जनुषा सनाद स. युधेदा प व म छसे.. (१)
हे इं ! आप का कोई श ु नह ज मा और सम त उपासक को ही अपना बंधु वीकारते ह. आप मन के त बंधु भाव से र हत और श ु के नाश क इ छा रखते ह. आप सब के नयं क ह. (१) न क रेव त स याय व दसे पीय त ते सुरा ः. यदा कृणो ष नदनु समूह या द पतेव यसे.. (२) हे इं ! आप श शाली ह. धन का गव करने वाले के आप सखा नह होते. जो सुरा पी कर आप को पी ड़त करते ह, उन के भी आप सखा नह होते. जो ान, गुण संप के साथ मल कर चलते ह, उन को आप पता के समान ेम करते ह. (२) आ वा सह मा शतं यु ा रथे हर यये. युजो हरय इ के शनो वह तु सोमपीतये.. (३) हे इं ! आप का रथ सुनहरा है. आप के घोड़े संकेत मा से रथ म जुत जाते ह. आप के वे घोड़े आप को सोमरस पलाने के लए रथ म बैठा कर य थान म लाने क कृपा कर. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ वा रथे हर यये हरी मयूरशे या. श तपृ ा वहतां म वो अ धसो वव ण य पीतये.. (४) हे इं ! आप के घोड़े मोर जैसे रंग और सफेद पीठ वाले ह. वे आप को य लाने क कृपा कर, ता क आप मीठा अमृत जैसा सोमरस पी सक. (४)
थान पर
पबा व ३ य गवणः सुत य पूवपा इव. प र कृत य र सन इयमासु त ा मदाय प यते.. (५) हे इं ! आप पूजनीय ह. सोमरस मददायी, आनंदव क व गुणमय है. आप सब से पहले इस साफ छने ए सोमरस को पीने क कृपा कर. (५) आ सोता प र ष चता ं न तोमम तुर
रज तुरम्. वन
मुद ुतम्.. (६)
हे यजमानो! सोमरस घोड़े क तरह वेगवान, जलमय व काश का व तारक है. आप सोमरस छान कर, जल म मला कर तैयार क जए. (६) सह धारं वृषभं पयो हं यं दे वाय ज मने. ऋतेन य ऋतजातो ववावृधे राजा दे व ऋतं बृहत्.. (७) सोमरस द गुण वाला, सुख बढ़ाने वाला, य और जल म मल कर बढ़ोतरी पाता है. हे यजमानो! आप ध मला आ सोमरस दे वता के लए तैयार क जए. आप प र कृत सोमरस दे वता के लए तैयार क जए. (७)
तीसरा खंड अ नवृ ा ण जङ् घनद् वण यु वप यया. स म ः शु
आ तः.. (१)
हे अ न! आप भलीभां त द त, आप काशमान, धनदाता ह. आप ह व से पोषण पाते ह. आप श ु का नाश करने क कृपा क जए. (१) गभ मातुः पतुः पता व द ुतानो अ रे. सीद ृत य यो नमा.. (२) हे अ न! आप पृ वी माता के गभ म वशेष प से का शत ह व अंत र म पता क भू मका म वराजमान ह. अ न य म वेद पर त त ह. (२) जावदा भर जातवेदो वचषणे. अ ने य दय
व.. (३)
हे अ न! जोजो सुख वगलोक म उपल ध ह, आप उन सुख को हम ा त कराने क कृपा क जए. आप सव ा व वल ण ह. आप हम ान व संतान दान क जए. (३) अ य ेषा हेमना पूयमानो दे वो दे वे भः समपृ रसम्. सुतः प व ं पय त रेभ मतेव स पशुम त होता.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यजमान के पशु आ द वाले घर म वेश करने के समान कूट व छान कर तैयार कया आ सोमरस ोणकलश म वेश करता है. काशमान सोमरस वण के समान कां तमान है और काशमान वह दे वता से मलता है. (४) भ ा व ा सम या ३ वसानो महा क व नवचना न श सन्. आ व य व च वोः पूयमानो वच णो जागृ वदववीतौ.. (५) हे सोम! आप जा त, वल ण, महान, क व, अ नवचनीय, शं सत एवं क याणकारी ह. आप वीरता से सम वत (यु ) ह. आप प व बरतन म वेश क जए. (५) समु यो मृ यते सानो अ े यश तरो यशमां ैतो अ मे. अ भ वर ध वा पूयमानो यूयं पात व त भः सदा नः.. (६) हे सोम! त (पृ वी) पर कट ह आप यश वय म यशवान, छका दे ने वाले और प व ह. हे यजमानो! आप सब व त वचन से सदै व उ च वर से ाथनाएं करते ए सोम क तु त क जए. (६) एतो व तवाम शु शु ै थैवावृ वा स
शु े न सा ना. शु ै राशीवा मम ु.. (७)
हे इं ! हम शु सामगायन से आप क तु त व शु मदम त बनाने वाला सोमरस आप को भट करते ह. हम शु वचन वाली तु तय से आप क बढ़ोतरी क कामना करते ह. (७) इ शु ो न आ ग ह शु ः शु ा भ त भः. शु ो र य न धारय शु ो मम सो य.. (८) हे इं ! आप शु ह. हम शु वाणी से आप क तु त करते ह. आप हम भी शु बनाइए. आप मेरे ारा भट कए गए इस शु सोमरस को वीका रए. आप हमारे लए शु धन धारण क रए. (८) इ शु ो ह नो र य शु ो र ना न दाशुषे. शु ो वृ ा ण ज नसे शु ो वाज सषास स.. (९) हे इं ! आप शु ह. आप हम शु बल द जए. आप शु होइए और व न बाधा को र क जए. हमारे मन को मा रए. आप हम शु धन और र न व ऐ य आ द द जए. (९)
चौथा खंड अ ने तोमं मनामहे स म
द व पृशः. दे व य
वण यवः.. (१)
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हे अ न! आप वगलोक का पश करते ह. हम आप से वैभव चाहते ह. हम क याणदायी तो से आप क तु त करते ह, आप को मनाते ह. (१) अ नजुषत नो गरो होता यो मानुषे वा. स य
ै ं जनम्.. (२)
हे अ न! आप मनु य को द ता दान क जए. आप य के मुख और मनु य के लए होता (पुरो हत क तरह) ह. आप हमारी वाणी सुनने क कृपा क जए. (२) वम ने स था अ स जु ो होता वरे यः. वया य ं व त वते.. (३) हे अ न! आप वरे य (सव े वरण करने यो य), होता व य म मुख ह. हम आप के ारा य का व तार करते ह. (३) अ भ पृ ं वृषणं वयोधाम ो षणमवावशंत वाणीः. वना वसानो व णो न स धु व र नधा दयते वाया ण.. (४) हे सोम! आप अ दाता, धनदाता और र नदाता ह. आप क ओर हमारी वा णयां दौड़ती ह. आप वयं भी वाणीमय (आवाज करने वाले), वनवासी, जलमय एवं तीन काल म बरसने वाले ह. (४) शूर ामः सववीरः सहावान् जेता पव व स नता धना न. त मायुधः ध वा सम वषाढः सा ा पृतनासु श ून्.. (५) हे सोम! आप सब से शूरवीर, सहनशील, वजेता, धनदाता, प व , शी ग त वाले, ती ण अ श वाले व श ु को हराने वाले ह. आप ोणकलश म बर सए. (५) उ ग ू तरभया न कृ व समीचीने आ पव वा पुर धी. अपः सषास ुषसः व ऽ ३ गाः सं च दो महो अ म यं वाजान्.. (६) हे सोम! आप व तृत पथवान, नभय, वग और पृ वी के योजक (जोड़ने वाले, मलाने वाले) ह. आप उषा और सूय क करण से पोषण पाते ह. आप आवाज करते ए छन कर प व होइए. आप हमारे लए धन द जए. (६) व म यशा अ यृजीषी शवस प तः. वं वृ ा ण ह य ती येक इ पुवनु
षणीधृ तः.. (७)
हे इं ! आप यश वी, धैयवान, मन को मारने वाले व श दे वता के बारे म हम ने पहले नह सुना. (७) तमु वा नूनमसुर चेतस महीव कृ ः शरणा त इ
के वामी ह. आप जैसे
राधो भाग मवेमहे. ते सु ना नो अ वन्.. (८)
हे इं ! बेटा जैसे पता से धनभाग चाहता है, वैसे ही हम पता तु य आप से धन चाहते ह. आप धनवान, ानवान व शरणदाता ह. हम े सुख दान करने क कृपा क जए. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ज ं वा ववृमहे दे वं दे व ा होतारमम यम्. अ य य
य सु तुम्.. (९)
हे अ न! आप इस य म े काय करने वाले ह. आप भजनीय (भजन करने यो य) ह. दे वता म हम आप का वरण करते ह. आप अमर व दे वता म सवा धक द दे व ह. (९) अपां नपात सुभग सुद द तम नमु े शो चषम्. स नो म य व ण य सो अपामा सु नं य ते द व.. (१०) हे अ न! आप सुभग ( े धन वाले), सुद त (अ छ तरह का शत), े वाला वाले व आकाश के जल को धारते ह. आप हम म और व ण दे वता से ा त होने वाला सुख तथा द लोक का जल ा त कराइए. (१०)
पांचवां खंड यम ने पृ सु म यमवा वाजेषु यं जुनाः. स य ता श ती रषः.. (१) हे अ न! आप यु म जन लोग को लगाते ह, उ ह अ व बल दान करते ह और मृ यु से उन क र ा करते ह. (१) न कर य सह य पयता कय य चत्. वाजो अ त वा यः.. (२) हे अ न! आप ने जस को बल दया है, उस बलवान वीर को कोई भी नह हरा सकता है. (२) स वाजं व चष णरव द्भर तु त ता. व े भर तु स नता.. (३) हे अ न! ा ण ारा आप क शंसा क जाती है. आप संसार के घोड़ के ारा हम यु जताएं. आप क याणकारी ह. (३)
ा ह. आप
साकमु ो मजय त वसारो दश धीर य धीतयो धनु ीः. ह रः पय व जाः सूय य ोणं नन े अ यो न वाजी.. (४) सोमरस द , प व और ह रत आभा वाला है. सूय क करण से शु हो कर वह ोणकलश म जाता है. वह घोड़े क तरह वेगवान हो कर कलश म जाता है. दस अंगु लयां उस को मसलमसल कर शु बनाती ह. (४) सं मातृ भन शशुवावशानो वृषा दध वे पु वारो अ द्भः. मय न योषाम भ न कृतं य सं ग छते कलश उ या भः.. (५) सोमरस सव े , दे वता को य व बलवान है. वह ध व जल म ऐसे एकमेक हो जाता है, जैसे पु ष और ी तथा मां और ब चा एक सरे म एकमेक हो जाते ह. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उत प य ऊधर याया इ धारा भः सचते सुमेधाः. मूधानं गावः पयसा चमू व भ ीण त वसु भन न ै ः.. (६) सोम बु शाली ह. वे गाय को ध से भरपूर करते ह. गाय के ध को सोमरस म मलाया जाता है. लोग जैसे व से अपने को ढकते ह, वैसे ही गाएं सोमपा को ( ध दे ने के लए) ढक लेती ह. (६) पबा सुत य र सनो म वा न इ गोमतः. आ पन बो ध सधमा े वृधे ३ ऽ मां अव तु ते धयः.. (७) हे इं ! आप के पु ने रसीला सोमरस तैयार कया है. आप उस को पी कर म त होइए. आप उस से अपनी और हमारी बढ़ोतरी क जए. आप हम गोम त (सुबु वान) बनाइए. आप अपनी बु य से हमारी बु क र ा क जए. (७) भूयाम ते सुमतौ वा जनो वयं मा न तर भमातये. अ मा च ा भरवताद भ भरा नः सु नेषु यामय.. (८) हे इं ! हम आप क सुम त से म तवान व आप के बल से बलवान ह . आप अपने अभी साधन से हमारी र ा कर. आप हम सुखी व समृ बनाएं. हम आप क कृपा ा त हो. (८) र मै स त धेनवो रे स यामा शरं परमे ोम न. च वाय या भुवना न न णजे चा ण च े य तैरवधत.. (९) हे सोम! परम ोम म सात से तीन गुनी अथात् इ क स गाएं े ध दे ती ह. चार अ य लोक के सुंदर जल से सोम क बढ़ोतरी होती है. सोमरस क याणकारी च से ( म से) वा हत होता है. (९) स भ माणो अमृत य चा ण उभे ावा का ेना व श थे. ते ज ा अपो म हना प र त यद दे व य वसा सदो व ः.. (१०) सोमरस अमृत भ ण करता है. वह वग और पृ वी दोन लोक को अमृत जैसे जल से भर दे ता है. जब यजमान दे व थान को ह वमय बनाते ह तो सोम जल को अपने मह व से तेजोमय बना दे ते ह. (१०) ते अ य स तु केतवो ऽ मृ यवो ऽ दा यासो जनुषी उभे अनु. ये भनृ णा च दे ा च पुनत आ द ाजानं मनना अगृ णत.. (११) सोम मनु य म अमर, अद य व दोपाय और चौपाय के संर क ह. वे मनु य और दे व म राजा ह. हम उन सोम क उपासना करते ह. (११)
छठा खंड ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ भ वायुं वी यषा गृणानो ३ ऽ भ म ाव णां पूयमानः. अभी नरं धीजवन रथे ामभी ं वृषणं व बा म्.. (१) हे सोम! आप तु त के बाद वायु, म और व ण को ा त होने क कृपा क जए. आप नेतृ ववान, बु दाता और रथ पर सवार अ नीकुमार क ओर प ंच. आप व बा इं को ा त होइए. (१) अ भ व ा सुवसना यषा भ धेनूः सु घाः पूयमानः. अ भ च ा भतवे नो हर या य ा थनो दे व सोम.. (२) हे सोम! आप हम उ म व , अ छे ध वाली गाएं, सुनहरा सोना व धन द जए. आप हम रथ के लए उ म घोड़े द जए. (२) अभी नो अष द ा वसू य भः व ा पा थवा पूयमानः. अ भ येन वणम वामा याषयं जमद नव ः.. (३) हे सोम! आप हम द धन पृ वीलोक के सारे वैभव द जए. हम े धन को े काय म लगाने क मता ा त हो. हम जमद न आ द ऋ षय जैसी मता दान करने क कृपा क जए. (३) य जायथा अपू मघव वृ ह याय. त पृ थवीम थय तद त ना उतो दवम्.. (४) हे इं ! श ु नाश हेतु आप पृ वीलोक को ढ़ता मली. (४)
कट ह . आप के कारण वगलोक को
थरता व
त े य ो अजायत तदक उत ह कृ तः. त म भभूर स य जातं य च ज वम्.. (५) हे इं ! आप के कट होने पर सूय था पत ए व उ प ए. उस के बाद ाणी उ प होने शु ए. आप सभी ा णय म ा त हो गए. आप ने े य कम को उपजाया. (५) आमासु प वमैरय आ सूय रोहयो द व. घम न साम तपता सुवृ भजु ं गवणसे बृहत्.. (६) हे इं ! आप ने वगलोक म सूय को था पत कया. यजमान जैसे अ न कट करते ह, वैसे ही हे यजमानो! आप बृह साम गा कर इं म स ता कट कराइए. इं ने शशु क उ प से पहले ही पु कारी त व ( ध) उ प कर दए. (६) म यपा य ते महः पा येव ह रवो म सरो मदः. वृषा ते वृ ण इ वाजी सह सातमः.. (७) हे इं ! आप हरे घोड़ वाले, वशाल पा क भां त, श ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मान, हषदायी व बलदायी ह.
सोमरस अन गनत दानदाता है. आप उसे पी जए और अपना आनंद बढ़ाइए. (७) आ न ते ग तु म सरो वृषा मदो वरे यः सहावाँ इ सान सः पृतनाषाडम यः.. (८) हे इं ! सोमरस बलदायी, हषदायी, उ म, अमर, श ु वजेता और मददायी ह. आप इस सोमरस को पीने क कृपा क जए. (८) व ह शूरः स नता चोदयो मनुषो रथम्. सहावा द युम तमोषः पा ं न शो चषा.. (९) क
हे इं ! आप शूरवीर व दानशील ह और मनु य को स माग पर े रत करते ह. अ न वाला जैसे तपाती है, वैसे ही आप श ु को तपाते ह. (९)
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तेरहवां अ याय पहला खंड पव व वृ मा सुनो ऽ पामू म दव प र. अय मा बृहती रषः.. (१) हे सोम! आप प व व द , जल को लहराएं. आप अ य वा य दान करने क कृपा क जए. (१) तया पव व धारया यया गाव इहागमन्. ज यास उप नो गृहम्.. (२) हे सोम! आप उन द जलधारा से प व होइए, जन से धा आ सक, धनधा य हमारे घर प ंच सक. (२)
गाएं हमारे यहां
घृतं पव व धारया य ेषु दे ववीतमः. अ म यं वृ मा पव.. (३) हे सोम! आप दे वता ारा चाहे गए घृत क प व धाराएं चुआइए. आप हमारे लए मूसलाधार बरसात क जए. (३) स न ऊज
३
यं प व ं धाव धारया. दे वासः शृणवन् ह कम्.. (४)
हे सोम! आप हम ऊजा दान क जए. आप अ य व प व धारावान ह. आप धारा से दौड़ कर कलश म वेश क जए. आप क आवाज सुन कर दे वतागण आनं दत ह . (४) पवमानो अ स यद
ा
यपजङ् घनत्.
नव ोचय ुचः.. (५)
प व , श ुनाशक, काशमान और छना आ सोमरस ोणकलश म झरता है. (५) य मै पपीषते व ा न व षे भर. अर माय ज मये ऽ प ाद वने नरः.. (६) हे यजमानो! इं य के संचालक, व के ाता, अ णी, ग तशील व सोमरस पान के इ छु क ह. आप इं के लए सोमरस को ोणकलश म भर द जए. (६) एमेनं येतन सोमे भः सोमपातमम्. अम े भऋजी षण म सुते भ र
भः.. (७)
हे यजमानो! सोमरस रसीला है. आप उसे प र कृत क जए. इं ब त अ धक सोमरस पीने वाले ह. वे ब च से सोमरस पीते ह. आप इं के पास जा कर ाथना क जए. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यद सुते भ र
भः सोमे भः
तभूषथ. वेदा व
य मे धरो धृष त मदे षते.. (८)
हे यजमानो! आप चमक ला, रसीला सोमरस ले कर इं के पास जाइए. वे शरणागत क मनोकामना जान लेते ह. वे उन क इ छा पूरी करते ह. वे व न, लेश र करते ह. (८) अ माअ मा इद धसो ऽ वय भरा सुतम्. कु व सम य जे य य शधतो ऽ भश तेरव वरत्.. (९) हे पुरो हतो! सोमरस इं के लए ाणभूत है. आप उ ह खूब सोमरस भट क जए. वे जीतने यो य श ु को न करगे. वे आप क र ा करगे. (९)
सरा खंड ब वे नु वतवसे ऽ णाय द व पृशे. सोमाय गाथमचत.. (१) हे यजमानो! सोम ललाई वाले भूरे और श आप उन द सोम क उपासना क जए. (१) ह त युते भर
भःसुत
मान ह. वे वगलोक को पश करते ह.
सोमं पुनीतन. मधावा धावता मधु.. (२)
हे यजमानो! प थर से कूट कर सोमरस नकाला गया है. व छ कर के छाना गया है. आप उस सोमरस म गाय का ध मलाइए. (२) नमसे प सीदत द नेद भ ीणीतन. इ
म े दधातन.. (३)
हे यजमान! आप सोमरस म दही मलाइए. इस सोमरस को नम कारपूवक प व बनाइए. उस के बाद आप यह सोमरस इं को पीने के लए भट क जए. (३) अ म हा वचष णः पव व सोम शं गवे. दे वे यो अनुकामकृत्.. (४) हे सोम! आप प व ह. आप सब कुछ दे खने वाले ह. आप दे वता के लए उन क इ छानुसार काम करने वाले ह. आप श ुहंता ह. आप हमारी गाय के लए सुखशां त दान क जए. (४) इ ाय सोम पातवे मदाय प र ष यसे. म
मनस प तः.. (५)
इं मन के मा लक ह. वे मन म रमते ह. ऐसे इं के पीने के लए, मद दे ने के लए सोमरस प र कृत होता है. (५) पवमान सुवीय
रय
सोम ररी ह णः. इ द व े ण नो युजा.. (६)
हे सोम! आप प व व अ छे वीयवान ह. आप हम इं से जो ड़ए. आप हम उन से चाहा गया धन ा त कराने क कृपा क जए. (६) उद्घेद भ ुतामघं वृषभं नयापसम्. अ तारमे ष सूय.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप सूय के समान काशमान ह. आप धनवान, श ह. आप दानशील मनु य के पास प ंचते ह. (७)
मान, यश वी व हतैषी
नव यो नव त पुरो बभेद बा ोजसा. अ ह च वृ हावधीत्.. (८) हे इं ! आप अपनी भुजा के ओज से मन के न यानवे ठकाने न करने वाले ह. आप वृ ासुर के नाशक ह. आप हम मनपसंद वैभव दान करने क कृपा क जए. (८) स न इ ः शवः सखा ावद्गोम वमत्. उ धारेव दोहते.. (९) हे इं ! आप हमारा क याण क जए. गाएं हमारी म ह. वे हमारे लए जैसे अग णत धारा से ध बरसाती ह, वैसे ही आप भी हमारे लए धन बरसाइए. (९)
तीसरा खंड व ाड् बृह पबतु सो यं म वायुदध पताव व तम्. वातजूतो यो अ भर त मना जाः पप त ब धा व राज त.. (१) सूय काशमान ह. वे जा का पालन करते ह, यजमान को नरोग बनाते ह, लंबी आयु दे ते ह, हवा बहाते ह व सब के र क ह. इं कई प म सुशो भत हो रहे ह. वे भरपूर सोमपान कर. (१) व ाड् बृह सुभृतं वाजसातमं धम दवो ध णे स यम पतम्. अ म हा वृ हा द युह तमं यो तज े असुरहा सप नहा.. (२) सूय ब त काशमान व अ और बलदाता ह. वे धम से वगलोक को धारण करते ह, अ म के नाशक ह, वृ हंता ह. वे श ु , रा स व के नाशक ह. वे सव अपना काश फैलाते ह. (२) इद व
े ं यो तषां यो त मं व ज न ज यते बृहत्. ाड् ाजो म ह सूय श उ प थे सह ओजो अ युतम्.. (३)
सूय यो तमान और मतावान ह. वे पूरी पृ वी को का शत करते ह. वे अ युत ह. वे बल के साथ रहते ह. वे धन जीतने वाले ह. उन क यो त वशाल, यो तय म सव े एवं व को जीतने वाली है. (३) इ तुं न आ भर पता पु े यो यथा. श ा णो अ म पु त याम न जीवा यो तरशीम ह.. (४) हे इं ! पता जैसे पु का लालनपालन करता है, वैसे ही आप हमारा पोषण क जए. आप हम य के े फल दान क जए. हम जीव को आप द यो त द जए. हम और अनेक लोग सहायता के लए आप को पुकारते रहते ह. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मा नो अ ाता वृजना रा यो ३ मा शवासो ऽ व मुः. वया वयं वतः श तीरपो ऽ त शूर तराम स.. (५) हे इं ! जन का आनाजाना अ ात हो, जो पापाचारी ह , जो बु ह वे हमारा कुछ न बगाड़ सक. आप हमारी र ा क जए. अपने संर ण म हम अनेक व न पी वाह से पार प ंचाइए. (५) अ ा ा ः इ ा व परे च नः. व ा च नो ज रतॄ स पते अहा दवा न ं च र षः.. (६) हम आज भी व कल भी इं संर त कर. वे दनरात हमारी र ा कर. वे व प त और स जन के पालनहार ह. (६) भ शूरो मघवा तुवीमघः स म ो वीयाय कम्. उभा ते बा वृषणा शत तो न या व ं म म तुः.. (७) हे इं ! आप मतावान ह. आप सैकड़ काम करते ह. आप क भुजाएं व करती ह. आप श ुनाशक, सव ापक व ऐ यशाली ह. (७)
धारण
चौथा खंड जनीय तो व वः पु ीय तः सुदानवः. सर व त
हवामहे.. (१)
हे सर वती! आप े काय म अ ग या ह. हम अ छ संतान व दान के आकां ी ह. हम आप को आमं त करते ह. (१) उत नः
या
यासु स त वसा सुजु ा. सर वती तो या भूत्.. (२)
हे सर वती! आप हम आप क तु त करते ह. (२)
य ह. आप क सात बहन ह. आप हम उन से जो ड़ए. हम
त स वतुवरे यं भग दे व य धीम ह. धयो यो नः चोदयात्.. (३) हम उन स वता दे वता का वरे य तेज धारण करना चाहते ह, जो हमारी बु पथ क ओर उ मुख एवं े रत करते ह. (३) सोमानां वरणं कृणु ह
को
े
ण पते. क ीव तं य औ शजः.. (४)
हे ण प त! आप ने जैसे उ शज से उ प पु क ीवान को ानी, यश वी बनाया, उसी तरह हम सोमया गय को भी बनाने क कृपा क जए. (४) अ न आयू हे अ न! आप
ष पवस आ सुवोज मषं च नः. आरे बाध व
छु नाम्.. (५)
को हम से र भगाइए. आप हम द घायु बनाएं. हम बल व
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पु व क अ द जए. (५) ता नः श ं पा थव य महो रायो द
य. म ह वां
ं दे वेषु.. (६)
हे व ण! आप हम अपनी श द जए. आप हम धरती और आकाश म फैला आ सम त धन और ा तेज दान करने क कृपा क जए. (६) ऋतमृतेन सप ते षरं द माशाते. अ हा दे वौ वधते.. (७) व ण ोह न करने वाल क बढ़ोतरी करते ह. वे स य से स य के पालक ह. वे अभी बलदायी ह. (७) वृ
ावा री यापेष पती दानुम याः. बृह तं गतमाशाते.. (८)
हे म ! आप उ म थान पर वरा जत ह. हम वषा के लए उन क उपासना करते ह. वे पृ वी पर सब कुछ नयम से उपल ध कराते ह, दानशील व अ के वामी ह. (८) यु
त
नम षं चर तं प र त थुषः. रोच ते रोचना द व.. (९)
सूय ग तशील दखाई दे ते ह, पर थर ह. वे अ न व प ह. हम उन क उपासना करते ह. उन क करण सम त वगलोक को का शत कर सुशो भत होती ह. (९) यु
य य का या हरी वप सा रथे. शोणा धृ णू नृवाहसा.. (१०)
हे इं ! आप मनु य के र और बु को स माग पर ले जाने के लए अपने मनचाहे लाल और ौढ़ घोड़ को रथ म जोतने क कृपा क जए. (१०) केतुं कृ व केतवे पेशो मया अपेशसे. समुष
रजायथाः.. (११)
हे सूय! आप असुंदर को सुंदर बना दे ने क साम य रखते ह. आप उषाकाल म उ दत होते ह. (११)
पांचवां खंड अय व
सोम इ तु य सु वे तु यं पवते वम य पा ह. ह यं चकृषे वं ववृष इ ं मदाय यु याय सोमम्.. (१)
हे इं ! आप के लए सोमरस तैयार कया जाता है. आप इस को पी जए. आप ही उस को बरसाते ह, उपजाते ह. आप आनंद हेतु इसे हण क जए. आप हम इस से मलाइए. हम आप क शरण म ह. (१) सई रथो न भु रषाडयो ज महः पु ण सातये वसू न. आद व ा न या ण जाता वषाता वन ऊ वा नव त.. (२) हे इं ! आप यु म हमारे श ु को न कर दे ते ह. रथ म जैसे यादा वजन हो ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जाता है, वैसे ही आप हम धन द जए. आप हम धन दे ते ह. (२) शु मी शध न मा तं पव वान भश ता द ा यथा वट् . आपो न म ू सुम तभवा नः सह ा साः पृतनाषा न य ः.. (३) हे सोम! आप प व ह. आप हम म द्गण जैसा बल ा त कराइए. आप य वत प व और अनेक कार से सुशो भत होते ह. आप श ु को जीतने वाले और जल जैसे प व ह. हम वैसी ही प व बु द जए. जैसे प व जा ई या, े ष से र रहती है, वैसे ही हम भी वृ य से र रह. (३) वम ने य ाना
होता व ेष
हे अ न! आप को दे वता होता (पुरो हत) ह. (४)
हतः. दे वे भमानुषे जने.. (४)
ने मनु य के क याण हेतु नयु
स नो म ा भर वरे ज ा भयजा महः. आ दे वा व
य
कया है. आप य
के
च.. (५)
हे अ न! आप हमारे य म अपनी ज ा (लपट ) से दे वता का यजन क जए. आप दे वता को आमं त क जए और दे वता तक तृ तकारी ह व प ंचाने क कृपा क जए. (५) वे था ह वेधो अ वनः पथ दे वा हे अ न! आप य सव ाता ह. (६)
सा. अ ने य ेषु सु तो.. (६)
म पथ दशक ह. आप र या पास सभी पथ को जानते ह. आप
होता दे वो अम यः पुर तादे त मायया. वदथा न चोदयन्.. (७) (७)
हे अ न! आप अमर व होता ह. आप माया से स मुख कट होते ह. आप ेरक ह. वाजी वाजेषु धीयते ऽ वरेषु
णीयते. व ो य
य साधनः.. (८)
अ न बलवान ह. यु म श ुनाश हेतु उ ह था पत कया जाता है. ा ण य के मुख साधन ह. उन से य फलीभूत होते ह. (८) धया च े वरे यो भूतानां गभमा दधे. द
य पतरं तना.. (९)
अ न वरे य (सव े ), सव ापक व व पालक ह. य के लए अ न को द पु ी (वेद ) ने धारण कया. (९)
छठा खंड आ सुते स चत
य
रोद योर भ यम्. रसा दधीत वृषभम्.. (१)
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क
हे दे वताओ! सोमरस चमक ला और धया है. आप आकाश और पृ वी पर उस सोमरस को मलाइए. वह धयापन सोमरस को अपने म मला लेता है. (१) ते जानत वमो यं ३ सं व सासो न मातृ भः मथो नस त जा म भः.. (२) भीड़ म भी जैसे बछड़े अपनी मां गाय के पास चले जाते ह, वैसे ही सोम आ यदाता के पास चले जाते ह. गाएं जैसे अपने बाड़ को जानती ह, वैसे ही ये अपने जाने यो य थान को जानते ह. (२) उप
वेषु ब सतः कृ वते ध णं द व. इ े अ ना नमः वः.. (३)
इं और अ न अपनी वाला से ह व को वगलोक तक प ंचा दे ते ह. उस के बाद सभी इं और अ न को पोषक बनाते ह. (३) त ददास भुवनेषु ये ं यतो ज उ वेषनृ णः. स ो ज ानो न रणा त श ूननु यं व े मद यूमाः.. (४) सभी भुवन म वे सब से बड़े कहलाए, सव उन क द त ा त ई. उन के बल से सूय कट ए, जन के कट होने से श ु समा त हो जाते ह. सभी ाणी उ ह दे खते ही खुश हो जाते ह. (४) वावृधानः शवसा भूय जाः श ुदासाय भयसं दधा त. अ न च न च स न सं ते नव त भृता मदे षु.. (५) हे इं ! आप ने अपनी मता से बढ़ोतरी पाई. आप श मान, के मन ह और उ ह य दे ते ह. आप चराचर के संचालक ह. हम उ ह (इं ) एक साथ नमन एवं उन क उपासना करते ह. हम उ ह स ता दे ते ह और वयं भी स होते ह. (५) वे तुम प वृ त व े यदे ते भव यूमाः. वादोः वाद यः वा ना सृजा समदः सु मधु मधुना भ योधीः.. (६) यजमान इं के लए य करते ह. हम जब दो और दो से तीन होते ह तो हमारी य संतान को आप य ऐ य दान करने व उन के बाद आने वाली पीढ़ को भी मधुरता से यु करने क कृपा क जए. (६) क केषु म हषो यवा शरं तु वशु म तृ पत् सोमम पब णुना सुतं यथावशम्. स ममाद म ह कम कतवे महामु सैन स े वो दे व सय इ ः स य म म्.. (७) सोम सव ापक काशमान इं को आनंद दे ते ह, जस से वे और भी अ धक महान काम कर सक. वे स यवान और दे व व प ह. तीन ुक (पा ) म नकाले गए जौ के साथ मले ए सोमरस को इं व णु के साथ पीते ह. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
साकं जातः तुना साकमोजसा वव थ साकं वृ ो वीयः सास हमृधो वचष णः. दाता राध तुवते का यं वसु चेतन सैन स े वो दे व स य इ ः स य म म्.. (८) हे इं ! आप अपने तेज से संसार को उठा सकते ह. आप य के साथ कट ए ह. आप वृ को वीयवान बना सकते ह. आप वशेष ानी, उपासक के लए धनदाता और चेतन ह. स य व प का शत सोमरस आप तक प ंचता है. (८) अध वषीमाँ अ योजसा कृ व युधाभवदा रोदसी अपृणद य म मना वावृधे. अध ा यं जठरे ेम र यत चेतय सैन स े वो दे व स य इ ः स य म म्.. (९) हे इं ! अपनी श से आप ने कृ व रा स को हराया. आप ने वगलोक और पृ वीलोक के तेज म बढ़ोतरी क . आप ने सोमरस का एक भाग पेट म प ंचाया, सरा शेष भाग दे वता के लए बचाया. आप अ य दे वता को सोमपान हेतु ेरणा द जए. स य व प का शत सोमरस इं तक प ंचता है. (९)
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चौदहवां अ याय पहला खंड अभ
गोप त गरे मच यथा वदे . सूनु
स य य स प तम्.. (१)
हे यजमानो! इं स यप त, स य के वामी, गोप त व पवतप त ह. वे यथाश आराधक का संर ण करते ह. आप इं क अचना क जए. (१) आ हरयः ससृ
रे ऽ षीर ध ब ह ष. य ा भ संनवामहे.. (२)
इं के घोड़े उन को घास के उन आसन पर था पत कर के उन क उपासना करते ह. (२) इ ाय गाव आ शरं
ेव
त ा पत कर, जन पर हम य म उ ह
णे मधु. य सीमुप रे वदत्.. (३)
पास ही य म जब इं मधुर सोमरस का पान करते ह, उस समय व पा ण इं के लए गाएं मीठा ध दे ती ह. (३) आ नो व ासु ह म सम सु भूषत. उप ा ण सवना न वृ हन् परम या ऋचीषम.. (४) हे इं ! हमारे य आप क शोभा बढ़ाते ह. आप के लए गाई गई हमारी ाथनाएं आप क शोभा बढ़ाती ह. हम यु म अपनी सहायता के लए आप को याद करते ह. आप वृ नाशक ह. आप हम मनपसंद धन दान करने क कृपा क जए. (४) वं दाता थमो राधसाम य स स य ईशानकृत्. तु व ु न य यु या वृणीमहे पु य शवसो महः.. (५) हे इं ! आप पहले दाता ह. आप धनदाता और स य के वामी ह. हम आप क काशशीलता से जुड़ने एवं आप से बलवान और उ म संतान क कामना करते ह. (५) नं पीयूषं पू य इ म भ जायमान
यं महो गाहा व आ नरधु त. सम वरन्.. (६)
अमृत तु य सोमरस अपूव और सव े है. यह वगलोक से कट आ. इं के सामने यजमान मं गागा कर सोम क तु त करते ह. (६) आद के च प यमानास आ यं वसु चो द ा अ यनूषत. दवो न वार स वता ूणुते.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त प ात वसु च दे वगण सोम का दशन करते ह. अंधेरे को र करने वाले सूय के उगने से पहले पूजनीय सोम क तु त क जाती है. यह तु त ऐसे क जाती है, जैसे आदरणीय भाई क क जाती है. (७) अध य दमे पवमान रोदसी इमा च व ा भुवना भ म मना. यूथे न न ा वृषभो व राज स.. (८) हे सोम! आप प र कृत व प व ह. गाय के झुंड म बैल के समान आप वगलोक और पृ वीलोक के बीच सुशो भत होते ह. (८) इममू षु वम माक
स न गाय ं न ा
सम्. अ ने दे वेषु
वोचः.. (९)
हे अ न! हमारे साम मं गायक (पुरो हत) भलीभां त और भाव भरे साम मं गाते ह. आप हमारी उन ाथना को नधा रत दे वता के पास प ंचाने क कृपा क जए. (९) वभ ा स च भानो स धो मा उपाक आ. स ो दाशुषे र स.. (१०) हे अ न! आप समु क लहर क तरह ह व दे ने वाले को उ म फल दे ते ह. आप धनदाता और लपट से सुशो भत ह. (१०) आ नो भज परमे वा वाजेषु म यमेषु. श ा व वो अ तम य.. (११) आप हम ये , म यम, क न आ द सभी कार क धनसंप हम आप को आमं त करते ए भजते ह. (११) अह म
पतु प र मेधामृत य ज ह. अह
हे इं ! हम जब पता जैसे आप क सूय जैसे हो गए ह . (१२) अहं
े बु
व श ा धन द जए.
सूय इवाज न.. (१२) पाते ह, तो हम ऐसा लगता है मानो हम
नेन ज मना गरः शु भा म क ववत्. येने ः शु म म धे.. (१३)
हम क व ऋ ष क भां त य नपूवक रचे गए पुरातन वेदवाणी से मं पाठ कर के इं क छ व बढ़ाते ह. उ ह के भाव से वे हम पर कृपालु होते ह. (१३) ये वा म
न तु ु वुऋषयो ये च तु ु वुः. ममे ध व सु ु तः.. (१४)
हे इं ! आप को स करने वाले और संतु ऋ षय म हमारी ाथना होती है. उन के भाव से आप संतु होइए, बढ़ोतरी पाइए. (१४)
सरा खंड अ ने व े भर न भज ष सह कृत. ये दे व ा य आयुषु ते भन महया गरः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क
शंसा
हे अ न! आप सभी अ नय के साथ हमारी ाथना को सु नए व ाथना क म हमा बढ़ाइए. जो अ न व प ह, जो मनु य म ह उन सब से हमारा अनुरोध है. (१) स व े भर न भर नः स य य वा जनः. तनये तोके अ मदा स यङ् वाजैः परीवृतः.. (२) य क अ न श शाली है. उस म सभी ह व भट करते ह. वे अ न अ य सभी अ नय स हत श से घर कर हमारे क याण हेतु पधारने व हमारे स जन (पु ) का भी क याण करने क कृपा कर. (२) वं नो अ ने अ न भ य ं च वधय. वं नो दे वतातये रायो दानाय चोदय.. (३) हे अ न! आप अ य दे वता को हम धनदान करने के लए े रत करने क कृपा क जए. आप अ य अ नय स हत हमारे आ म ान व य क भी बढ़ोतरी करने क कृपा क जए. (३) वे सोम थमा वृ ब हषो महे वाजाय वसे धयं दधुः. स वं नो वीर वीयाय चोदय.. (४) हे सोम! मुख यजमान अ बल के बारे म आप के लए े बु धारण करते ह. आप हम वीर को (और अ धक) वीरता के लए ो सा हत करने क कृपा क जए. (४) अ य भ ह वसा तत दथो सं न कं च जनपानम तम्. शया भन भरमाणो गभ योः.. (५) हे सोम! आप का रस छनछन कर छलनी से टपकता आ ोणकलश को उसी तरह लबालब भर दे ता है, पीने वाले जल को चु लू से डालडाल कर जैसे पानी के हौज को पूरा भर दे ते ह. (५) अजीजनो अमृत म याय कमृत य धम मृत य चा णः. सदासरो वाजम छा स न यदत्.. (६) हे सोम! आप अमृतमय ह. आप मनु य के लए स य और मंगलकारी त व धारण करते ह. आप ने सूय को कट कया, दे वगण क सेवा क और सदै व यजमान को अ , धन दे ने हेतु लाला यत रहते ह. (६) ए
म ाय स चत पबा त सो यं मधु.
राधा
स चोदयते म ह वना.. (७)
हे यजमानो! आप इं को सोमरस से स चए. वे मधुर सोम रस को पीते ह. वे अपने मह व से धन को आप लोग (के पास आने) के लए े रत करते ह. (७) उपो हरीणां प त राधः पृ च तम वम्. नून
ु ध तुवतो अ
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य.. (८)
हे इं ! आप अ प त व धनप त ह. हम आप के लए ाथनाएं बोलते ह. आप तु त करते ए अ ऋ ष क तु त अव य ही सुनने क कृपा क जए. (८) न
ं ३ ग पुरा च न ज े वीरतर वत्. न क राया नैवथा न भ दना.. (९)
हे इं ! आप से वीरतर कोई दे व व धनदाता पहले नह कोई आप जैसा उपासना यो य दे व आ है. (९)
आ है. आप से पहले न ही
नदं व ओदतीनां नदं योयुवतीनाम्. प त वो अ यानां धेनूना मषु य स.. (१०) हे यजमानो! इं युवती उषा को उपजाने वाले ह, चं करण को उ प करने वाले और गोपालक ह. वे गाय के ध को पोषक अ के प म ा त करने क इ छा रखते ह. इं सब कुछ करने म समथ ह. (१०)
तीसरा खंड दे वो वो वणोदाः. पूणा वव ् वा सचम्. उ ा स च वमुप वा पृण वमा द ो दे व ओहते.. (१) हे यजमानो! धनदाता अ न को घी और सोमरस से स चए. उ ह पूरी ह व द जए. वे आप का पालनपोषण करने वाले ह. (१) त होतारम वर य चेतसं व दे वा अकृ वत. दधा त र नं वधते सुवीयम नजनाय दाशुषे.. (२) दे वता ने े बु मान अ न को अपना होता बनाया है. वे ह व से हवन करते ह, यजमान के लए र न धारते ह, अ छ संतान दे ते ह, दानदाता यजमान को श दान करते ह. (२) अद श गातु व मो य म ता यादधुः. उपो षु जातमाय य वधनम नं न तु नो गरः.. (३) अ न म यजमान त धारण करते ह. अ न े पथ दशक ह. वे े पथ दखाते ह. अ न आय क बढ़ोतरी चाहते ह. अ न को हमारी वाणी ा त हो. (३) य मा े ज त कृ य कृ या न कृ वतः. सह सां मेधसाता वव मना नं धी भनम यत.. (४) हे यजमानो! आप बु पूवक अ न को नमन क जए. आप हजार बु पूवक काय से उन क उपासना क जए, जस से अ न कत परायण यजमान के लए श ुप को ब त पी ड़त कर सक. (४) दै वोदासो अ नदव इ ो न म मना. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अनु मातरं पृ थव व वावृते त थौ नाक य शम ण.. (५) अ न उ कृ वगलोक म नवास करते ह. वे इं जैसी साम य वाले ह. वे पृ वी माता पर े य काय पूण कराते ह. वे व गक सुख दान करते ह. (५) अ न आयू
ष पवस आ सुवोज मषं च नः. आरे बाध व
हे अ न! आप हम द घायु बनाइए. आप हम बा धत क जए. (६)
छु नाम्.. (६)
े अ , बल द जए. आप
को
अ नऋ ष पवमानः पा चज यः पुरो हतः. तमीमहे महागयम्.. (७) अ न ऋ ष ह. वे प व , पुरो हत, पंच व सव
ा ह. हम उन के गुण गाते ह. (७)
अ ने पव व वपा अ मे वचः सुवीयम्. दध य म य पोषम्.. (८) हे अ न! आप पोषक अ व धन धारण क रए. आप हम श और प व बनाइए. (८) अ ने पावक रो चषा म या दे व ज या. आ दे वा व
य
व
े संतान द जए
च.. (९)
हे अ न! आप प व एवं दे वता को खुश रखने वाले ह. आप अपनी ज ा (लपट ) से दे वता को बुलाइए और दे वता के लए य कराइए. (९) तं वा घृत नवीमहे च भानो व शम्. दे वाँ आ वीतये वह.. (१०) हे अ न! आप सव ा ह. हम आप को घी से स चते ह. आप अद्भुत ह. हम आप से दे वता का आ ान करने के लए नवेदन करते ह. (१०) वी तहो ं वा कवे ुम त
स मधीम ह. अ ने बृह तम वरे.. (११)
हे अ न! आप बु मान, य ेमी ह और स मधा से व लत करते ह. (११)
ु तमान ह. हम वशाल य
म आप को
चौथा खंड अवा नो अ न ऊ त भगाय य भम ण. व ासु धीषु व
.. (१)
हे अ न! आप क सभी य म बु पूवक वंदना क जाती है. आप गाय ी छं द म तु त गाने पर स होते ह. आप अपने र ा साधन से हमारी र ा करने क कृपा क जए. (१) आ नो अ ने र य भर स ासाहं वरे यम्. व ासु पृ सु
रम्.. (२)
हे अ न! आप भरपूर धन द जए. आप श ुनाशक
े साम य द जए. आप सभी
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को र क जए. आप सभी वैभव हम दान क जए. (२) आ नो अ ने सुचेतुना र य व ायुपोषसम्. माड कं धे ह जीवसे.. (३) हे अ न! आप सुचेतना संप , संपूण पोषण (आयु पयत) दाता व सुखदाता ह. आप हम पूरे जीवन के लए धन द जए. (३) अ न
ह व तु नो धयः स तमाशु मवा जषु. तेन जे म धनंधनम्.. (४)
हे अ न! हमारी बु यां आप को े रत कर. यु म घोड़े को े रत करने क भां त हम आप को े रत करते ह, जस से हम जीवन सं ाम म सारे वैभव जीत सक. (४) यया गा आकरामहै सेनया ने तवो या. तां नो ह व मघ ये.. (५) हे अ न! संर ण श से हम र त क जए. द करते ह. आप हम उ म को ट का धन दान क जए. (५) आ ने यूर
ान हेतु हम आप को आमं त
र य भर पृथुं गोम तम नम्. अ ङ् ध खं वतया प वम्.. (६)
हे अ न! आप हम गोवान व अ वान बनाइए. आप हम चुर धन द जए. आकाश आप के तेज से प व ह. आप गुण को र भगाइए. (६) अ ने न
मजरमा सूय
रोहयो द व. दध
यो तजने यः.. (७)
हे अ न! आप लोग के लए यो त धारण क जए. आप वगलोक म सूय को था पत क जए. जजर न होने वाले सूय सव काशदाता ह. (७) अ ने केतु वशाम स े ः े उप थसत्. बोधा तो े वया दधत्.. (८) हे अ न! आप य, सव म व ानदाता ह. आप हमारे तो जगाइए. आप हमारे लए आयु धारण क रए. (८) अ नमूधा दवः ककु प तः पृ थ ा अयम्. अपा
रेता
स ज व त.. (९)
हे अ न! आप मूध य, वगलोकवासी व पृ वी के पालनहार ह. आप जल को अपने म समा हत कए रहते ह. (९) ई शषे वाय य ह दा या ने वः प तः. तोता यां तव शम ण.. (१०) हे अ न! आप वरणीय ह. आप वग के ई र ह. आप दाता व अ ध ाता ह. हम आप के सुख भोग, सदै व आप के पूजक बने रह. (१०) उद ने शुचय तव शु ा ाज त ईरते. तव योती
यचयः.. (११)
हे अ न! हम यो तपूवक आप क अचना करते ह. हम आप को प व , चमकदार का शत यो त से भजते ह. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
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पं हवां अ याय पहला खंड क ते जा मजनानाम ने को दा
वरः. को ह क म स
तः.. (१)
हे अ न! मनु य म कौन आप का सगा, पथ दशक, य क ा व आप के व प का ाता है? आप का आ य कहां है? (१) वं जा मजनानाम ने म ो अ स
यः. सखा स ख य ई
हे अ न! मनु य म कौन आप का म है, सवा धक य है? (२)
ः.. (२)
य है? सखा स खय म कौन आप को
यजा नो म ाव णा यजा दे वाँ ऋतं बृहत्. अ ने य
वं दमम्.. (३)
हे अ न! आप हमारे लए म और व ण क पूजा करने क कृपा क जए. आप ब त से दे वता क पूजा करने क कृपा क जए. आप य क पूजा क जए. (३) ईडे यो नम य तर तमा
स दशतः. सम न र यते वृषा.. (४)
हे अ न! आप पूजनीय, नमन के यो य, तमहारी व दशनीय ह. आप को स मधा भलीभां त व लत कया जाता है. (४) वृषो अ नः स म यते ऽ ो न दे ववाहनः. त
से
ह व म त ईडते.. (५)
हे अ न! आप श शाली ह. घोड़े जैसे वाहन को ले जाते ह, वैसे ही आप दे वता वाहन को ले जाते ह. हे ह वमान! आप हमारी ाथनाएं वीका रए. (५)
के
वृषणं वा वयं वृष वृषणः स मधीम ह. अ ने द तं बृहत्.. (६) हे अ न! आप श स मधा से आप को
मान ह. हम श मान आप को ा त करने क इ छा रखते ह. हम व लत करते ह. आप द तमान व वशाल ह. (६)
उ े बृह तो अचयः स मधान य द दवः. अ ने शु ास ईरते.. (७) हे अ न! हम स मधा से आप को वाला से बढ़ोतरी ा त करते ह. (७)
व लत करते ह. हमारी अ धक अचना से आप
उप वा जु ो ३ मम घृताचीय तु हयत. अ ने ह ा जुष व नः.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ न! हमारी घी से भरी ई ह व आप का मन हरे. वह आप तक प ंचे. हे अ न! आप हमारी उपासना को वीकार करने क कृपा क जए. (८) म
होतारमृ वजं च भानुं वभावसुम्. अ नमीळे स उ वत्.. (९)
हे अ न! आप दे वता के होता, आनंददाता, अद्भुत, वैभववान व काशमान ह. आप हमारी तु तयां सुनने क कृपा क जए. (९) पा ह नो अ न एकया पा ३ त तीयया. पा ह गी भ तसृ भ जा पते पा ह चतसृ भवसो.. (१०) हे अ न! आप एक तु त सुन कर हमारी र ा क जए. आप सरी तु त सुन कर हमारी र ा क जए. आप तीसरी तु त सुन कर हमारी र ा क जए. आप चौथी तु त सुन कर हमारी र ा क जए. (१०) पा ह व मा सो अरा णः म वाजेषु नो ऽ व. तवा म ने द ं दे वतातय आ प न ामहे वृधे.. (११) हे अ न! आप सारी रा सी व वाथ वृ य से हमारी र ा क जए. आप हमारे हतैषी ह. आप हमारे अभी दे व ह. हम आप क शरण म ह. (११)
सरा खंड इनो राज र तः स म ो रौ ो द ाय सुषुमाँ अद श. च क भा त भासा बृहता स नीमे त शतीमपाजन्.. (१) हे अ न! आप राजा और श ु के लए भयानक ह. आप यजमान क मनोकामना पूरी करते ह. आप च कत करने वाले आप भा कर ( काशमान) व वशाल ह. आप रा म हवन के लए चमकते ह. (१) कृ णां यदे नीम भ वपसाभू जनय योषां बृहतः पतुजाम्. ऊ व भानु सूय य तभायन् दवो वसु भरर त व भा त.. (२) हे अ न! आप पता (सूय) के जाए ह. आप ी प को कट करते ह. अंधेरी रात को अपनी वाला से हटाते ह (परा त करते ह). आप अपने द तेज से सूय का तेज ऊपर वगलोक म ही रोक लेते ह. आप अपने ही तेज से तेज वी होते ह. (२) भ ो भ या सचमान आगा वसारं जारो अ ये त प ात्. सु केतै ु भर न व त ुश द्भवणर भ रामम थात्.. (३) क याणकारी अ न क क याणका रणी उषा सेवा करती ह. अ न श ुनाशक ह. वे अपनी य बहन उषा के पास प ंचते ह. वे अंधेरे का नाश करते ह. वे सव गमनशील ह. वे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपनी लपट से सव
का शत हो रहे ह. (३)
कया ते अ ने अ र ऊज नपा प तु तम्. वराय दे व म यवे.. (४) हे अ न! आप अंग को का शत करते ह. आप ऊजा बढ़ाते ह. सब आप को अंगीकार करते ह. हम आप के अलावा और कस को े दे व मान? (४) दाशेम क य मनसा य
य सहसो यहो. क वोच इदं नमः.. (५)
हे अ न! हम कस मन से आप का भजन कर? हम कब आप को नमन कर? कब हमारी वा णयां आप को ा त कर? (५) अधा व
ह न करो व ा अ म य
सु तीः. वाज वणसो गरः.. (६)
हे अ न! आप हम पर सब कृपा क जए. हम अपनी ाथना कृपालु बनाएं. आप हम धनधा यमय बनाइए. (६) अ न आ या आ वामन ु
से आप को अपने
त
न भह तारं वा वृणीमहे. यता ह व मती य ज ं ब हरासदे .. (७)
हे अ न! आप दे व को आमं त करने वाले ह. आप हमारी तु तयां सु नए. आप अ य अ नय के साथ हमारे य थान पर पधा रए, कुश का आसन हण क जए. हमारी ह व से यु आ तयां वीकार करने क कृपा क जए. (७) अ छा ह वा सहसः सूनो अ रः च ु र य वरे. ऊज नपातं घृतकेशमीमहे ऽ नं य ष े ु पू म्.. (८) हे अ न! आप सव मणशील और बलव क ह. आप के यजमान पु आप के पास ह व प ंचाने के लए आतुर ह. आप उन क आ तयां अंगीकार क जए. आप ऊजा का नाश रोकते ह. हम आप क य म सव थम आराधना करते ह. आप घी से बढ़ते ह. (८) अ छा नः शीरशो चषं गरो य तु दशतम्. अ छा य ासो नमसा पु वसुं पु श तमूतये.. (९) हे अ न! आप दशनीय व लपट वाले ह. हमारी वा णयां शी आप तक प च ं . आप य म हमारा माग श त क जए. हम य म आप को नमन करते ह. आप ब त शंसनीय ह. आप भलीभां त व लत ह. (९) अ न सूनु सहसो जातवेदसं दानाय वायाणाम्. ता यो भूदमृतो म य वा होता म तमो व श.. (१०) हे अ न! आप अमर ह. आप पृ वी पर अमृत व प ह. आप य को सफल बना कर आनंददायक ह. आप को दान दे ने के लए हम बारबार बुलाते ह. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तीसरा खंड अदा यः पु रएता वशाम नमानुषीणाम्. तूण रथः सदा नवः.. (१) हे अ न! आप मनु य के पथ दशक, आगे चलने वाले, रथ के समान वेगवान व युवा ह. आप को कोई नह दबा सकता है. (१) अ भ या
स वाहसा दा ाँ अ ो त म यः. यं पावकशो चषः.. (२)
हे अ न! आप प व , काशमान व ह ववाहक ह. हम ह वदाता मनु य आप से अ छा घर मांगते ह. (२) सा ा व ा अ भयुजः
तुदवानाममृ ः. अ न तु व व तमः.. (३)
हे अ न! आप श ु क सेना को हराने वाले, द गुणदाता व भरपूर अ दाता ह. हम आप को सभी अ नय स हत आमं त करते ह. (३) भ ो नो अ नरा तो भ ा रा तः सुभग भ ो अ वरः. भ ा उत श तयः.. (४) हे अ न! हम आप को आ त दे ते ह. आप हमारा क याण क जए. आप सौभा यशाली ह. आप क कृपा हम ा त हो. हम क याणकारी तु तयां गा रहे ह. आप हमारा क याण क जए. (४) भ ं मनः कृणु व वृ तूय येना सम सु सास हः. अव थरा तनु ह भू र शधतां वनेमा ते अ भ ये.. (५) हे अ न! आप हमारा मन क याणकारी बनाइए, पापमय वचार व बुरी वृ य को र क जए. हम क याण के लए आप क तु त करते ह. आप हम थर बनाइए और हम ब त सा धन द जए. (५) अ ने वाज य गोमत ईशानः सहसो यहो. अ मे दे ह जातवेदो म ह वः.. (६) हे अ न! आप बलवान, ई र व गाय के वामी ह. आप सब कुछ जानते ह. आप हम भरपूर वैभव दान करने क कृपा क जए. (६) स इधानो वसु क वर नरीडे यो गरा. रेवद म यं पुवणीक द द ह.. (७) हे अ न! आप सब के लए आवासदाता ह. ान से भरी तु त से आप क उपासना क जाती है. आप काशमान ह. आप हम काशमान संपदा द जए. (७) पो राज ुत मना ने व तो तोषसः. स त मज भ र सो दह हे अ न! आप काशमान ह. आप दनरात (हर समय) तेज वी ह. आप रा स को जला कर भ म कर द जए. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त.. (८)
को पीड़ा प ंचाइए. आप
चौथा खंड वशो वशो वो अ त थ वाजय तः पु यम्. अ नं वो य वच तुषे शूष य म म भः.. (१) हे अ न! आप मेहमान क तरह स कार के यो य एवं सभी को य ह. आप को सभी ह व दान करते ह. हम मन से और य वेद म आप को था पत कर के आप क बारबार तु त करते ह. (१) यं जनासो ह व म तो म ं न स परासु तम्. श
स त श त भः.. (२)
हे अ न! हम ह वदाता आप के म ह. आप ब त पूजनीय ह. हम वै दक श तय से आप क शंसा करते ह. (२) प या
सं जातवेदसं यो दे वता यु ता. ह ा यैरय
व.. (३)
हे अ न! आप सारे ान से प रपूण ह. आप ह व को वगलोक म प ंचाते ह. हम आप क तु त करते ह. (३) स म म नं स मधा गरा गृणे शु च पावकं पुरो अ वरे ुवम्. व होतारं पु वारम हं क व सु नैरीमहे जातवेदसम्.. (४) हे अ न! आप प व ह. आप स मधा से कट होते ह. आप थर व य म अ थानी ह. ा ण, होता, सव ाता, व ान् आ द सभी को आप धन दे ते ह. हम ब त अ छे मन से आप क उपासना करते ह. (४) वां तम ने अमृतं युगेयुगे ह वाहं द धरे पायुमी म्. दे वास मतास जागृ व वभुं व प त नमसा न षे दरे.. (५) हे अ न! आप अमर ह. हम युग से आप को अपना त मानते ह. आप ह ववाहक ह. आप दे वता और मनु य दोन को जा त करते ह. आप संसार व धन के वामी ह. हम आप को नमन एवं आप क तु त करते ह. (५) वभूष न उभयाँ अनु ता तो दे वाना रजसी समीयसे. य े धी त सुम त मावृणीमहे ऽ ध म न व थः शवो भव.. (६) हे अ न! आप दे व और मनु य दोन क शोभा बढ़ाते ह. आप त य, दे व के त, ह ववाहक व तीन लोक म मणशील ह. हम आप क तु त करते ह. हम आप से सुख चाहते ह. आप क याणकारी होइए. (६) उप वा जामयो गरो दे दशतीह व कृतः. वायोरनीके अ थरन्.. (७) हे अ न! हमारी तु तयां बहन के समान आप का गुण गाती ह. हम वायु क सहायता ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से आप को यय
व लत करते ह. हम य
थान म आप क थापना करते ह. (७)
धा ववृतं ब ह त थावस दनम्. आप
दधा पदम्.. (८)
हे अ न! आप म जल भी व मान ह. आप के चार ओर य कुंड के पास कुश के आसन बछे ह. हम आप क उपासना करते ह. (८) पदं दे व य मीढु षो ऽ नाधृ ा भ
त भः. भ ा सूय इवोष क्.. (९)
हे अ न! आप काशवान, सराहनीय, श ुहीन और धैयशाली ह. आप का दशन करना सूय के दशन के समान क याणकारी है. (९)
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सोलहवां अ याय पहला खंड अ भ वा पूवपीतये इ तोमे भरायवः. समीचीनास ऋभवः सम वर ुदा गृण त पू म्.. (१) हे इं ! यजमान चाहते ह क आप सब से पहले सोमरस पी जए. यजमान वै दक मं से आप क तु त कर रहे ह. आप उ चत वाले ह. और ऋभुगण आप क गणना सव थम करते ह. वे भी आप ही क तु त करते ह. (१) अ ये द ो वावृधे वृ य शवो मदे सुत य व ण व. अ ा तम य म हमानमायवो ऽ नु ु व त पूवथा.. (२) हे इं ! आप सोमरस पी कर स होते ह. आप यजमान का वीय और श बढ़ाते ह. आप म हमावान ह. यजमान आप क उसी म हमा का बखान करते ह. (२)
दोन
वामच यु थनो नीथा वदो ज रतारः. इ ा नी इष आ वृणे.. (३) हे इं ! हे अ न! यजमान आप क अचना करते ह. सामगायक आप के गुण गा रहे ह. अ धन हेतु हम भी आप को आमं त करते ह. (३) इ ा नी नव त पुरो दासप नीरधूनुतम्. साकमेकेन कमणा.. (४) हे इं ! हे अ न! आप ने एक ही बार एक साथ न बे नगर को कंपकंपा दया. (४) इ ा नी अपस पयुप हे इं ! हे अ न! य उप थत होते ह. (५) इ ा नी त वषा ण वा
य त धीतयः. ऋत य प या ३ अनु.. (५) के होता आ द पुरो हत स य के माग से हमारे य सध था न या
स च. युवोर तूय
के पास
हतम्.. (६)
हे इं ! हे अ न! आप हत साधने वाले ह. आप के यास सदै व शुभ काय क ओर लगे रहते ह. (६) श यू ३ षु शचीपत इ व ा भ त भः. भगं न ह वा यशसं वसु वदमनु शूर चराम स.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप शचीप त, श अनुगमन करते ह. (७)
मान, धनवान, सौभा यवान और यश वी ह. हम आप का
पौरो अ य पु कृद्गवाम यु सो दे व हर ययः. न क ह दानं प र म धष वे य ा म तदा भर.. (८) हे इं ! आप अ , गौ आ द पशु का पालन करते ह. वणमयी मु ा से जैसे स ता होती है, वैसे ही आप को दे ख कर स ता होती है. कोई भी आप के दान को भूल नह सकता. आप हम भरपूर धन द जए. (८) व े ह चेरवे वदा भगं वसु ये. उ ावृष व मघवन्ग व य उ द ा म ये.. (९) हे इं ! आप हम धन दे ने के लए पधा रए. आप स माग पर चलने वाले को सौभा यवान बनाइए. आप हमारी गौ संबंधी इ छा को पूरा क जए. (९) वं पु सह ा ण शता न च यूथा दानाय म हसे. आ पुरंदरं चकृम व वचस इ ं गाय तो ऽ वसे.. (१०) हे इं ! आप सैकड़ हजार गाय के झुंड दे ने व श ु नग रय को न करने क साम य रखते ह. यजमान अपनी र ा के लए साम मं गा रहे ह. इं ा ण के वचन से यु ह. हम उन को आमं त करते ह. (१०) यो व ा दयते वसु होता म ो जनानाम्. मधोन पा ा थमा य मै तोमा य व नये.. (११) हे अ न! आप धनदाता, होता व आनंददाता ह. सोमरस से भरे पा आप तक प ंच. सव थम हम आप क तु त करते ह. वे तु तयां भी आप तक प ंच. (११) अ ं न गीभ र य सुदानवो ममृ य ते दे वयवः. उभे तोके तनये द म व पते प ष राधो मघोनाम्.. (१२) हे अ न! सारथी जैसे रथ म जोते गए घोड़ को जोश दलाने के लए बोलता रहता है, वैसे ही यजमान आप के लए तु तयां बोलते ह. आप रा स से धन छ न कर अपने उपासक को दे ने क कृपा क जए. आप उ म को ट के दानदाता ह. (१२)
सरा खंड इमं मे व ण ुधी हवम ा च मृडय. वामव युरा चके.. (१) हे व ण! आप हमारी इन तु तय पर कान ( यान) द जए. आप हम सुख द जए. हम आप से अपनी र ा क ाथना करते ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कया वं न ऊ या भ
म दसे वृषन्. कया तोतृ य आ भर.. (२)
हे इं ! आप कन साधन से हमारी र ा करते ह? आप हम कस कार ब त स ता दे ते ह? आप कैसे यजमान ( तोता ) क इ छापू त करते ह? (२) इ इ
म े वतातय इ ं य य वरे. समीके व ननो हवामह इ ं धन य सातये.. (३)
हे इं ! हम य म व वीर भ गण सं ाम म आप को आमं त करते ह. हम धन हेतु आप का आ ान करते ह. (३) इ ो म ा रोदसी प थ छव इ ः सूयमरोचयत्. इ े ह व ा भुवना न ये मरे इ े वानास इ दवः.. (४) हे इं ! आप महान ह. आप ने वगलोक और पृ वीलोक का फैलाव कया. आप ने सूय को काश से चमकाया. आप ने सकल भुवन को शरण द . हम आप के लए सोमरस भट करते ह. (४) व कम ह वषा वावृधानः वयं यज व त व ३ वा ह ते. मु व ये अ भतो जनास इहा माकं मघवा सू रर तु.. (५) हे इं ! आप ह व से बढ़ोतरी पाते ह. आप सभी कम साधते ह. हम संसार के क याण के लए अपने को योछावर करते ह. य से वरोध रखने वाले लोग का मनोबल टू टे. इं हमारे हो जाएं. बु जीवी लोग हमारे हो जाएं. (५) अया चा ह र या पुनानो व ा े षा स तर त सयु व भः सूरो न सयु व भः धारा पृ य रोचते पुनानो अ षो ह रः. व ाय प ू ा प रया यृ व भः स ता ये भऋ व भः.. (६) हे सोम! आप का रस चपूण है व ह रत आभा वाला है. आप उस से े षय का वैसे ही संहार करते ह, जैसे सूय अपनी करण से अंधेरे का संहार करते ह. आप का रस काशमान है. छलनी पर आप क धारा काशमान है. आगेपीछे सब ओर आप क धारा शो भत होती है. आप अपने सात मुख से नकलने वाली सात करण से कह यादा काशमान व उ म ह. (६) ाचीमनु दशं या त चे कत स र म भयतते दशतो रथो दै ो दशतो रथः. अ म ु था न पौ ये ं जै ाय हषयन्. व य वथो अनप युता सम वनप युता.. (७) हे सोम! आप पूव दशा म थान करते ह. तब आप का रथ ब त चमकता है. आप का रथ द व दशनीय है. यजमान मं गागा कर अपनी तु तयां आप और इं तक प ंचाते ह. यजमान वजय पाने क इ छा से आप को स करते ह. वे आप से व ात ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करते ह. आप दोन मल कर कसी भी यु
म यजमान को हारने नह दे ते ह. (७)
व ह य पणीनां वदो वसु सं मातृ भमजय स व आ दम ऋत य धी त भदमे. परावतो न साम त ा रण त धीतयः. धातु भर षी भवयो दधे रोचमानो वयो दधे.. (८) हे सोम! आप ने ापा रय से धन पाया. आप मातृ जल से प व कए जाते ह. आप के लए गाए जाने वाले सामगान य थान से ब त र र तक गूंजते ह. आप वगलोक, अंत र लोक एवं पृ वीलोक तीन ही जगह सुशो भत होते ह. आप हम द घायु क जए. (८)
तीसरा खंड उत नो गोष ण धयम सां वाजसामुत. नृव कृणु तये.. (१) हे पूषा! आप हमारी बु ा त कराती है. (१)
क र ा क जए. हमारी बु
हम गोधन, अ धन व धन
शशमान य वा नरः वेद य स यशवसः. वदाकाम य वेनतः.. (२) हे म द्गण! स य हमारा बल है. हम य करते ए पसीने से तर हो गए ह. आप ऐसे उपासक क मनोकामनाएं पूरी करने क कृपा क जए. (२) उप नः सूनवो गरः शृ व वमृत य ये. सुमृडीका भव तु नः.. (३) हे म द्गण! आप जाप त के पु ह. आप अमर ह. आप हम सुखी बनाने क कृपा क जए. आप तु तयां सुनने क कृपा क जए. (३) वां म ह वी अ युप तु त भरामहे. शुची उप श तये.. (४) हे वगलोक! हे पृ वीलोक! हम तु तय से आप के समीप प ंचते ह. हम आप दोन लोक के लए भरपूर तु तयां उचारते ह. (४) पुनाने त वा मथः वेन द ेण राजथः. ऊ ाथे सना तम्.. (५) हे दे वी! आप वगलोक व पृ वीलोक को प व करती ह. आप काशवती ह. आप य क प रपा टय का नवाह करती ह. (५) मही म य साधथ तर ती प ती ऋतम्. प र य ं नषेदथुः.. (६) हे दे वयो! हे अंत र लोक! यजमान आप के सखा ह. आप यजमान क मनोकामनाएं पूरी करते ह. आप य को पूण कराते ह. आप य को पूरा सहयोग दे ते ह. (६) अयमु ते समत स कपोत इव गभ धम्. वच त च ओहसे.. (७) हे इं ! हमारी तु तयां नेह से आप के पास उसी तरह प ंचती ह, जैसे कबूतर ेम से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कबूतरी के पास प ंचता है. (७) तो
राधानां पते गवाहो वीर य य ते. वभू तर तु सूनृता.. (८)
हे इं ! आप धन के वामी व वीर ह. आप वाणी से तु त यो य, अ छे ऋत (स य) वाले और वैभववान ह. (८) ऊ व त ा न ऊतये ऽ मन् वाजे शत तो. सम येषु वावहै.. (९) हे इं ! आप सैकड़ काय करने वाले ह. आप हमारे संर ण के लए यास क जए. आप उ च थान पर त त ह. हम आप से कुछ अ य बात के बारे म भी परामश ( नवेदन) करते रह. (९) गाव उप वदावटे मही य
य र सुदा. उभा कणा हर यया.. (१०)
हे गौओ! य थान के पास आप को बुलाया जा रहा है. आप रंभा कर आवाज क जए. आप य फल दे ने वाली ह. आप के दोन ही कान सोने के ह. (१०) अ यार मद यो न ष ं पु करे मधु. अवट य वसजने.. (११) हम प थर से कूट कर नकाला गया, बचा आ सोमरस परम वीर इं के वसजन पर भट करने के लए ोणकलश म था पत करते ह. (११) स च त नमसावटमु चाच ं प र मानम्. नीचीनबारम तम्.. (१२) हम यजमान उस परम श को नम कार करते ह, नमनपूवक य वधान करते ह. उस परम श का च ऊपर (लोक) थत है, नीचे का ार चार ओर झुका आ है. वह ार अ त है. (१२)
चौथा खंड मा भेम मा म मो य स ये तव. मह े वृ णो अ भच यं कृतं प येम तुवशं य म्.. (१) हे इं ! हम आप के म ह, इस कारण हम कभी भी म से थके नह , कभी भी कसी से डरे नह . आप महान ह. आप क कृपा सराहनीय है. तुवश और य दोन ही स दखाई दे ते ह. (१) स ामनु फ यं वावसे वृषा न दानो अ य रोष त. म वा संपृ ाः सारघेण धेनव तूयमे ह वा पब.. (२) हे इं ! आप मतावान ह. आप बाएं हाथ से ही (आसानी से) सब को शरण दे दे ते ह. अ यंत ू र भी आप का कुछ बगाड़ नह सकते. मीठे ध वाली गाय के समान सुखदायी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आप क हमारे य
तु त हम करते ह. आप उ ह के समान सुखद ह. आप जतनी ज द हो सके थान पर पधा रए व सोमपान क रए. (२)
इमा उ वा पु वसो गरो वध तु या मम. पावकवणाः शुचयो वप तो ऽ भ तोमैरनूषत.. (३) हे इं ! हमारी तु तयां आप का यशवधन कर. हमारी तु तयां और तेज वी यजमान आप क तु त करते ह. (३)
े
ानमय ह. ानी
अय सह मृ ष भः सह कृतः समु इव प थे. स यः सो अ य म हमा गृणे शवो य ेषु व रा ये.. (४) हे इं ! आप समु क भां त व तृत ह. आप हजार ऋ षय जैसे बलवान ह. आप स यवान व श मान ह. ानी लोग के नदशन म आप क तु तयां गाई जाती ह. (४) य यायं व आय दासः शेवा धपा अ रः. तर दय शमे पवीर व तु ये यो अ यते र यः.. (५) हे इं ! यह सारा व आप का है. आय दास क भां त आप क सेवा करते ह. आप श ु के अधीश ह. म और प व श मान हो कर भी आप क पूजा करते ह. (५) तुर यवो मधुम तं घृत तं व ासो अकमानृचुः. अ मे र यः प थे वृ य शवो ऽ मे वानास इ दवः.. (६) हे इं ! हम आप क अचना करते ह. यजमान ा ण य करते ह. वे य म शहद और घी से भरी ई आ तयां व हम ह व पी धन दे ते ह. सोम स ा त कर. (६) गोम इ दो अ व सुतः सुद ध नव. शु च च वणम ध गोषु धारय.. (७) हे सोम! आप हम गोवान व अ वान बनाइए. आप गाय के ध म मल कर प व सफेद रंग ा त करते ह. (७) स नो हरीणां पत इ दो दे व सर तमः. सखेव स ये नय
चे भव.. (८)
हे सोम! आप हरे ह. आप दे वता ारा ई सततम (सब से यादा चाहे गए) ह. आप उसी तरह हम म च लेते ह, जैसे एक म सरे म का सहयोग करने के लए च लेता है. (८) सने म वम मदा अदे वं कं चद णम्. सा ाँ इ दो प र बाधो अप युम्.. (९) हे इं ! आप ाचीन काल से चले आ रहे सुख हम द जए. आप सुख म बाधा पैदा करने वाले श ु , दोगले वहार वाल व वा थय का भी नाश क जए. (९) अ
ते
ते सम
ते
तु
रह त म वा य
ते.
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स धो छ् वासे पतय तमु ण
हर यपावाः पशुम सु गृ णते.. (१०)
हे सोम! सोमरस म यजमान गाय का ध मलाते ह. उसे पी कर स होते ह, अनेक कार से उसे अनेक प म तैयार करते ह. उसे मीठे ध व सोने जैसे चमकते ए जल म मलाते ह. सोम ऊंचे थान से, जल के ऊंचे भाग से गरते ह. वे सव ा ह. (१०) वप ते पवमानाय गायत मही न धारा य धो अष त. अ हन जूणाम त सप त वचम यो न ड सरद्वृषा ह रः.. (११) हे यजमानो! आप सोम के गुण गाइए. सोम ानी व हरे ह. वे वशाल धाराएं धारण करते ह. सांप के कचुली बदलने क तरह वे अपनी पुरानी छाल बदल दे ते ह. वे घोड़े जैसे खेलते ए ोणकलश म जाते ह. (११) अ ेगो राजा य त व यते वमानो अ ां भुवने व पतः. ह रघृत नुः सु शीको अणवो योतीरथः पवते राय ओ यः.. (१२) सोम अ गामी ह, राजा ह, जल म मलते ह और शंसा ा त करते ह. वे लोक म दन के (समय के) मापक, सुंदर व हरे ह. वे जलवासी, यो तमय रथ वाले व धन का भंडार ह. (१२)
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स हवां अ याय पहला खंड व े भर ने अ न भ रमं य मदं वचः. चनो धाः सहसो यहो.. (१) हे अ न! आप सम त अ नय के साथ य म पधा रए. आप इस य म हमारे वचन सु नए. आप हम अ दान करने क कृपा क जए. (१) य च
श ता तना दे वं दे वं यजामहे. वे इ यते ह वः.. (२)
हे अ न! हम इं , व ण और अ य दे वता आप तक प ंचता है. (२) यो नो अ तु व प तह ता म ो वरे यः. अ न हम
को ह व दे कर भजन करते ह. वह सब याः व नयो वयम्.. (३)
य ह. वे व प त, होता और वरे य ह. उ ह हम सब
य ह . (३)
इ ं वो व त प र हवामहे जने यः. अ माकम तु केवलः.. (४) हे यजमानो! इं सभी लोक से ऊपर ह. लोग के क याण के लए हम उन का आ ान करते ह. आप क कृपा से हम सब का क याण हो. (४) स नो वृष मुं च
स ादाव पा वृ ध. अ म यम त कुतः.. (५)
हे इं ! हमारे ारा सम पत ह व हण क जए. हमारी इ छा आप ज द से ज द फल दे ने वाले ह. (५) वृषा यूथेव व
को खाली न लौटाएं.
सगः कृ ी रय य जसा. ईशानो अ त कुतः.. (६)
हे इं ! आप बलवान ह. आप उसी तरह उपासक क इ छा पूरी करने जाते ह, जैसे गाय के झुंड म बैल जाता है. आप ई र ह. आप हमारे वरोधी नह हो सकते. (६) वं न ऊ या वसो राधा स चोदय. अ य राय वम ने रथीर स वदा गाधं तुचे तु नः.. (७) हे अ न! आप हम संर ण द जए. आप जो धन अपने रथ से ले जाते ह, वह हम द जए. आप वल ण ह. हमारी पी ढ़यां भी यश वी ह . (७) प ष तोकं तनयं पतृ भ ् वमद धैर यु व भः ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ ने हेडा
स दै ा युयो ध नो ऽ दे वा न
रा
स च.. (८)
हे अ न! आप सहयोगी व वतं ह. आप अपने र ा साधन से हमारी व पी ढ़य क र ा क जए. आप ाकृ तक कोप और वृ य से हम बचाइए. (८) क म े व णो प रच नाम य व े श प व ो अ म. मा वप अ मदप गूह एत द य पः स मथे बभूथ.. (९) हे व णु! आप सव ा त ह. आप अपना यह वराट् और ापक व प हम से छपा कर (गु त) न र खए. आप कतने ही प य न धारण कर ल फर भी आप हमारी र ा अव य करते ह. (९) त े अ श प व ह मयः श सा म वयुना न व ान्. तं वा गृणा म तवसमत ा य त म य रजसः पराके.. (१०) हे व णु! आप र मवान व आदरणीय ह. म व व ान् भी आप क शंसा करते ह. हम आप के व णुलोक से र ह, फर भी हम अपने लोक से आप क वैसे ही शंसा करते ह, जैसे कोई छोटा भाई करता है. (१०) वषट् ते व णवास आ कृणो म त मे जुष व श प व ह म्. वध तु वा सु ु तयो गरो मे यूयं पात व त भः सदा नः.. (११) हे व णु! वषट् कार से हम आप को आमं त करते ह. आप र मवान ह. आप हमारी ह व को वीका रए. हमारी अ छ तु तयां आप क बढ़ोतरी कर. आप मंगलकारी आशीवाद से हमारा क याण करने क कृपा क जए. (११)
सरा खंड वायो शु ो अया म ते म वो अ ं द व षु. आ या ह सोमपीतये पाह दे व नयु वता.. (१) हे वायु! हम य म सब से पहले आप को सोमरस चढ़ाते ह. आप आदरणीय ह. हे दे व! आप नयुत नामक घोड़े के साथ सोमपान के लए आ जाइए. (१) इ वायवेषा सोमानां पी तमहथः. युवा ह य ती दवो न नमापो न स यक्.. (२) हे इं ! हे वायु! आप सोमपान के यो य ह. जलधार जैसे नीचे क ओर जाती है, वैसे ही आप दोन के लए सोमरस क धारा प ंचती है. (२) वाय व शु मणा सरथ नयु व ता न ऊतय आ यात
शवस पती. सोमपीतये.. (३)
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हे इं ! हे वायु! आप बलवान व सोमपान हेतु आइए. (३)
मतावान ह. आप नयुत घोड़े को रथ म जोत कर
अध पा प र कृतो वाजाँ अ भ गाहसे. यद वव वतो धयो ह र ह व त यातवे.. (४) हे सोम! आप पौ क अ दे ते ह. आधी रात के बीत जाने पर छने ए सोम म जल मलाया जाता है. यजमान क बु ह रत सोमरस को कलश क ओर उ मुख करती है. (४) तम य मजयाम स मदो य इ पातमः. यं गाव आस भदधुः पुरा नूनं च सूरयः.. (५) सोमरस मददायी है. यह इं के पीने यो य है. इसे आज भी पीया जाता है. यह पहले भी पीया जाता था. सोम को गाएं भी खुशीखुशी खाती ह. (५) तं गाथया पुरा या पुनानम यनूषत. उतो कृप त धीतयो दे वानां नाम ब तीः.. (६) यजमान पुरानी गाथा से सोमरस क उपासना करते ह. य कम हेतु चमकता आ सोम दे वता को आ त के प म भी दया जाता है. (६) अ ं न वा वारव तं व द या अ नं नमो भः. स ाज तम वराणाम्.. (७) हे अ न! आप य के स ाट् ह. घुड़सवार जैसे घोड़े से ेम करता है, उसी तरह हम आप से ेम व आप को नम कार करते ह. (७) स घा नः सूनुः शवसा पृथु गामा सुशेवः. मीढ् वाँ अ माकं बभूयात्.. (८) हे अ न! हम आप के पु ह. हम व ध वधान से आप क उपासना करते ह. आप ब त शी गामी ह. आप हमारे लए सुखदायी ह . (८) स नो रा चासा च न म यादघायोः. पा ह सद म
ायुः.. (९)
हे अ न! आप मनु य का भला चाहते ह. आप र और पास दोन हमारी र ा करने क कृपा क जए. (९)
य से श ु
से
वम तू त व भ व ा अ स पृधः. अश तहा ज नता वृ तूर स वं तूय त यतः.. (१०) (१०)
हे इं ! आप यु
म पधा करने वाले सभी श ु
को र करते ह. आप व नहारी ह.
अनु ते शु मं तुरय तमीयतुः ोणी शशुं न मातरा. व ा ते पृधः थय त म यवे वृ ं य द तूव स.. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! अंत र लोक और पृ वीलोक आप के बल का वैसे ही अनुसरण करते ह, जैसे माता पता ब चे के पीछे चलचल कर उस क र ा करते ह. जब आप वृ ासुर से यु करते ह तो आप के सामने यु के लए तैयार श ु के भी हौसले प त हो जाते ह. (११)
तीसरा खंड य इ मवधय द्भू म
वतयत्. च ाण ओपशं द व.. (१)
य इं क बढ़ोतरी व भू म को व तृत करते ह. वे वगलोक से मेघ को वषा के लए े रत करते ह. (१) ३ त र म तर मदे सोम य रोचना. इ ो यद भन लम्.. (२) (२)
इं मेघ को भेदते व अंत र
म वशेष शोभा बढ़ाते ह. वे सोमरस से स होते ह.
उद्गा आजद रो य आ व कृ व गुहा सतीः. अवा चं नुनुदे वलम्.. (३) सूय ने गुफा क करण को बाहर नकाल कर उसे अं गरा प ंचाया. उन करण को छपा कर रखने वाला रा स भाग गया. (३)
(अंगधा रय ) तक
यमु वः स ासाहं व ासु गी वायतम्. आ यावय यूतये.. (४) हे इं ! आप श ु को एक साथ मारते ह. हम अपनी र ा के लए तु तय से आप को आमं त करते ह. (४) यु म
स तमनवाण
सोमपामनप युतम्. नरमवाय तुम्.. (५)
हे इं ! आप यु करते ए कभी नह हारते. सोमपान के लए आप का मन ढ़ न य वाला है. हम य म आप का सहयोग चाहते ह. (५) श ाणइ
राय आ पु
व ां ऋचीषम. अवा नः पाय धने.. (६)
हे इं ! आप सव ाता व दशनीय ह. आप हमारे लए धन द जए. श ु को जो धन मले, वह हम द जए. (६) तव य द
यं बृह व द मुत
तुम्. व
शशा त धषणा वरे यम्.. (७)
हे इं ! आप अपनी वशालता, द ता और े बु ह. (७) तव ौ र
पौ
से भी आप
से य और व
यं पृ थवी वध त वः. वामापः पवतास
को ती ण बनाते
ह वरे.. (८)
हे इं ! वगलोक और पृ वीलोक से आप के व प का व तार होता है. जल और पवत आप को अपना वामी मानते ह. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वां व णुबृह
यो म ो गृणा त व णः. वा
श
मद यनु मा तम्.. (९)
हे इं ! आप वशाल व आ यदाता ह. व णु, म और व ण आप क तु त गाते ह. म द्गण आप को स करते ह. (९)
चौथा खंड नम ते अ न ओजसे गृण त दे व कृ यः. अमैर म मदय.. (१) हे अ न! हम बल ा त के लए आप को आमं त करते ह. आप अ म करने क कृपा क जए. (१) कु व सु नो ग व ये ऽ ने संवे षषो र यम्. उ कृ
का मदन
ण कृ ध.. (२)
हे अ न! आप महान ह. आप से हम महानता चाहते ह. आप हम गौ इ छु क को चुर गोधन दान करने क कृपा क जए. (२) मा नो अ ने महाधने परा व भारभृ था. संवग
स
र य जय.. (३)
हे अ न! आप हम से वमुख मत होइए. भारवाही जैसे बोझा ढोता है, वैसे ही आप श ु समूह से जीते ए धन को हमारे लए ढोइए. (३) सम य म यवे वशो व ा नम त कृ यः. समु ायेव स धवः.. (४) न दयां जैसे समु क ओर जाती ह, वैसे ही सारे लोग आप के जाते ह. (४) व चद्वृ य दोधतः शरो बभेद वृ णना. इं ने अपनी श से सैकड़ धार वाले व संसार को भयभीत कर रखा था. (५) ओज तद य त वष उभे य समवतयत्. इ (६)
ोध के सामने नत हो
ेण शतपवणा.. (५) से वृ ासुर का सर काट डाला. वृ ासुर ने ेमव रोदसी.. (६)
इं ने अपने ओज से वगलोक और भूलोक को चमड़ी क तरह धारण कर रखा है. सुम मा व वी र ती सूनरी.. (७) हे इं ! आप अ छे मन वाले, वैभवशाली व रमणीय ह. (७) स प वृष ा गहीमौ भ ौ धुयाव भ. ता वमा उप सपतः.. (८)
(८)
हे इं ! क याणकारी सुंदर घोड़ वाले रथ को धुरी पर चढ़ा कर हमारे पास प ं चए.
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नीव शीषा ण मृढ्वं म य आप य त त. शृ े भदश भ दशन्.. (९) हे यजमानो! अभी फलदायी इं हमारे य के म य उप थत ह. हम सर झुका कर उन दशनीय इं का दशन कर. (९)
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अठारहवां अ याय पहला खंड प यंप य म सोतार आ धावत म ाय. सोमं वीराय शूराय.. (१) हे यजमानो! आप सोमरस तैयार करने म लगे ए हो. आप शूरवीर इं को सोमरस भट क जए. सोमरस मददायी है. आप ज द ज द दौड़ कर वह सोमरस इं को भट क जए. (१) एह हरी
युजा श मा व तः सखायम्. इ ं गी भ गवणसम्.. (२)
इं के घोड़े वाणी के संकेत से ही रथ म जुत जाते ह. इं हमारे सखा व वाणी से उपा य ह. इं के घोड़े उ ह ले कर य म आने क कृपा कर. (२) पाता वृ हा सुतमा घा गम ारे अ मत्. न यमते शतमू तः.. (३) हे इं ! आप वृ ासुर हंता व सोमपायी ह. आप अव य पधारने क कृपा क जए. (३)
मन को र भगाने व हमारे य म
आ वा वश व दवः समु मव स धवः. न वा म ा त र यते.. (४) हे इं ! आप के अ त र और कोई दे व े नह ह. आप को सोमरस वैसे ही ा त हो, जैसे समु को न दयां ा त होती ह. (४) व
थ म हना वृष भ
सोम य जागृवे. य इ
जठरेषु ते.. (५)
हे इं ! आप जा त व श मान ह. सोम के कारण आप क या त ब त आप के जठर (पेट) म प ंचा आ सोम भी शंसा ा त करता है. (५) अरं त इ
ापक है.
कु ये सोमो भवतु वृ हन्. अरं धाम य इ दवः.. (६)
हे इं ! आप ने वृ ासुर का हनन कया. हम ने आप को जो सोमरस भट कया, वह आप के लए भरपूर हो. वह सोमरस अ य दे वता के लए भी भरपूर हो. (६) जराबोध त
व
वशे वशे य याय. तोम
ाय शीकम्.. (७)
हे अ न! आप को ाथना से व लत कया जाता है. आप बारबार यजमान के क याण के लए य मंडप म कट होने क कृपा क जए. यजमान के लए अ छे तो ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बोले. (७) स नो महाँ अ नमानो धूमकेतुः पु
ः. धये वाजाय ह वतु.. (८)
हे अ न! आप क वजा ब त ही धू मय (धुएं वाली) है. आप महान व आनंददायी ह. आप हम बौ क वैभव दान करने क कृपा क जए. (८) स रेवाँ इव व प तद ः केतुः शृणोतु नः. उ थैर नबृहद्भानुः.. (९) हे अ न! आप व पालक, द , रदश व राजा जैसे ह. आप वाणी से क गई हमारी तु त को सुनने क कृपा क जए. (९) त ो गाय सुते सचा पु
ताय स वने. शं यद्गवे न शा कने.. (१०)
हे यजमानो! आप इं के लए एक त हो कर ाथनाएं गाइए. इं को तो ऐसे लगते ह, जैसे गाय को घास. (१०)
य
न घा वसु न यमते दानं वाज य गोमतः. य सीमुप वद् गरः. (११) हे इं ! तु त से भरी ई हमारी वा णयां जब आप के समीप प ंचती ह तो आप यजमान को धनवान और गोवान बनाने म नह चूकते ह. (११) कु व स य
ह जं गोम तं द युहा गमत्. शची भरप नो वरत्.. (१२)
हे इं ! चोर व डाकू जो गाएं चुराते ह, आप उन गाय को अपने अधीन कर लेते ह. आप उन गाय से हम गोवान बना दे ते ह. (१२)
सरा खंड इदं व णु व च मे ेधा न दधे पदम्. समूढम य पा
सुले.. (१)
व णु ने अपने पैर को तीन कार से रखा. उन पैर क पदधू ल म ही सारा संसार समा गया. (१) ी ण पदा व च मे व णुग पा अदा यः. अतो धमा ण धारयन्.. (२) व णु अपने तीन पैर म धम को धारण करते ए संसार को संचा लत करते ह. वे सव ा त ह. (२) व णोः कमा ण प यत यतो ता न प पशे. इ
य यु यः सखा.. (३)
हे यजमानो! आप व णु के कम को दे खने क कृपा क जए. उन कम के वे ेरक और इं के यो य म ह. (३) त
णोः परमं पद
सदा प य त सूरयः. दवीव च ुराततम्.. (४)
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बु
वगलोक म थत सूय को जैसे साधारण आंख से आसानी से दे ख सकते ह, वैसे ही मान यजमान व णु के परमपद को दे ख लेते ह. (४) त
ासो वप युवो जागृवा
सः स म धते. व णोय परमं पदम्.. (५)
जा त यजमान अपने े य कम से व णु के े पद को ा त करते ह. (५) अतो दे वा अव तु नो यतो व णु वच मे. पृ थ ा अ ध सान व.. (६) व णु ई र ह. उ ह ने पृ वी के सब से ऊंचे थान से अपनी े लोक से दे वता हमारी र ा करने क कृपा कर. (६)
त ा था पत क है. उस
मो षु वा वाघत नारे अ म रीरमन्. आरा ा ा सधमादं न आ गहीह वा स ुप ु ध.. (७) हे इं ! आप हम से ब त र ह. फर भी हमारे य म पधारने क कृपा क जए. हमारे मन क भावना से ई ाथना पर यान दे ने क कृपा क जए. व ान का ान भी आप को हम से र न कर सके. हमारा आप से यही अनुरोध है. (७) इमे ह ते कृतः सु ते सचा मधौ न म आसते. इ े कामं ज रतारो वसूयवो रथे न पादमा दधुः.. (८) हे इं ! हम आप के लए सोमरस तैयार कर के उसी तरह बैठे ए ह, जस तरह शहद पर मधुम खयां बैठती ह. वीर जैसे धन क इ छा से रथ पर पैर रखता है, वैसे ही हम भी धन क इ छा से आप पर अपनी आशाएं क त कर रहे ह. (८) अ ता व म म पू े ाय वोचत. पूव ऋत य बृहतीरनूषत तोतुमधा असृ त.. (९) हे यजमानो! आप इं के लए ाथनाएं याद क जए, उन ाथना को गाइए. पहले य म हम ने बृहती छं द म साम गाए. इस से यजमान म बु उपजती है और वह बु मंजती है. (९) स म ो रायो बृहतीरधूनुत सं ोणी समु सूयम्. स शु ासः शुचयः सं गवा शरः सोमा इ मम दषुः.. (१०) हे इं ! गाय के ध म मला आ सोमरस आप के लए सम पत है. यह मददायी है. आप इस से तृ त होइए. आप हम सूय जैसी काश वाली गाएं और धन दान क जए. (१०) इ ाय सोम पातवे वृ ने प र ष यसे. नरे च द णावते वीराय सदनासदे .. (११) हे इं ! आप ने वृ ासुर का नाश कया. आप द णा दाता ह. आप को मद दे ने के लए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ोणकलश म थर कया जाता है. यजमान क मनोकामना को स पा म रखा जाता है. (११)
क पू त के लए सोमरस
त सखायः पु चं वयं यूयं च सूरयः. अ याम वाजग य सनेम वाजप यम्.. (१२) हे यजमानो! तुम सब और हम सब सोमरस को ा त कर. वह सोमरस (सफेद), परा मी, फू तदायी, सुगंधमय और मताशाली है. (१२)
धया
पर य हयत ह र ब ुं पुन त वारेण. यो दे वान् व ाँ इत् प र मदे न सह ग छ त.. (१३) सोमरस हरा, भूरा व मनोहर है. वह सभी दे वता जाता है. (१३)
क
स ता के साथ ोणकलश म
क त म वा वसवा म य दधष त. ा इत् ते मघवन पाय द व वाजी वाजं सषास त.. (१४) हे इं ! कस म इतनी साम य है जो आप का तर कार कर दे . आप ऐ यशाली ह. आप के भ आप के त ा के कारण ही दन म आप से श और साम य ा त करते ह. (१४) मघोनः म वृ ह येषु चोदय ये दद त या वसु. तव णीती हय सू र भ व ा तरेम रता.. (१५) हे इं ! आप ऐ यशाली और अ वान ह. आप वृ ासुर जैसे अ याचा रय को न करने क श द जए. यजमान को दे ने के लए आप य धन को े रत क जए. शूरवीर और ानी आप क कृपा से पाप से छु टकारा पाएं. (१५)
तीसरा खंड ए मधोम द तर
स चा वय अ धसः. एवा ह वीर तवते सदावृधः.. (१)
हे यजमानो! सोमरस मधुर, सुखदायी व इं के लए आनंददायी है. आप इं क तु त क जए. वे ही तु त के यो य ह. आप सोमरस भी उ ह क सेवा म सम पत क जए. (१) इ
थातहरीणां न क े पू
तु तम्. उदान
श शवसा न भ दना.. (२)
हे इं ! आप अ प त ह. ऋ षय ने आप के लए ाथनाएं रची ह. उन ाथना को (आप ारा द गई) साम य के अलावा और कसी तरह नह ा त कया जा सकता है. (२) तं वो वाजानां प तम म ह व यवः. अ ायु भय े भवावृधे यम्.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप वैभवशाली, धनप त व फुत ले ह. यजमान जो य करते ह, उन य आप बढ़ोतरी ा त करते ह. हम आप का आ ान करते ह. (३)
से
तं गूधया वणरं दे वासो दे वमर त दध वरे. दे व ाह मू हषे.. (४) हे यजमानो! य दे वलोक का त न ध व करते ह. आप इन य क पूजा क जए. इन य के मा यम से यजमान द वभू तयां पाते ह और धारण करते ह. अ न हमारी ह वय को दे वता तक प ंचाने के लए म य थ क भू मका नभाते ह. (४) वभूतरा त व च शो चषम नमी ड व य तुरम्. अ य मेध य सो य य सोभरे ेम वराय पू म्.. (५) हे ा णो! आप अ न क उपासना क जए. य क सफलता के लए आप को यह उपासना करनी है. वे अ तशय वैभवदाता, काशमान, े और य के मुख ह. (५) आ सोम वानो अ भ तरो वारा य या. जनो न पु र च वो वश रः सदो वनेषु द षे.. (६) हे सोम! प थर से कूट कर आप का रस नकाला गया है, छान कर उस रस को प व कया गया है. हरा सोमरस वन क लकड़ी के बने पा म उसी तरह वेश कर रहा है, जैसे शूरवीर अपनी वीरता से नगर म वेश करने जाता है. (६) स मामृजे तरो अ वा न मे यो मीढ् वां स तन वाजयुः. अनुमा ः पवमानो मनी ष भः सोमो व े भऋ व भः.. (७) ा ण ऋ वज् सोमरस को प व कर रहे ह. तो से वे इस क शंसा कर रहे ह. वे भेड़ के बाल से बनी छलनी से इसे छान रहे ह. इसे छानने वाले ऋ वज् श मान, पु और घोड़े जैसे बलवान ह. (७) वयमेन मदा ो ऽ पीपेमेह व णम्. त मा उ अ सवने सुतं भरा नूनं भूषत ुते.. (८) हे यजमानो! हम व धारी इं को पहले से ही सोमरस पलाते रहे ह. आज भी हम उ ह यह सोमरस पलाना चा हए. वे सोमपान और तो वण (सुनने) हेतु हमारे य म पधारने क कृपा कर. (८) वृक द य वारण उराम थरा वयुनेषु भूष त. सेमं न तोमं जुजुषाण आ गही च या धया.. (९) हे यजमानो! भे ड़ए जैसे भयंकर श ु भी इं के सामने झुक जाते ह. वे इं हमारी ाथना वीकार करने क कृपा कर. इं हम ववेक व अद्भुत बु दान करने क कृपा कर. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ ा नी रोचना दवः प र वाजेषु भूषथः. त ां चे त
वीयम्.. (१०)
हे इं ! हे अ न! यह द गुण आप दोन के लए वीरता का प रचायक है. आप गुण पी धन से वगलोक म शोभायमान और भू षत होते ह. (१०) इ ा नी अपस पयुप
य त धीतयः. ऋत य प या ३ अनु.. (११)
हे इं ! हे अ न! होता ऋत् (स य) के पथ का अनुगमन कर के स जाते ह. (११)
क ओर समीप
इ ा नी त वषा ण वां सध था न यां स च. युवोर तूय हतम्.. (१२) हे इं ! हे अ न! आप दोन क श और व ा हतकारी भाव से काय करती है. आप शी काय करने क साम य रखते ह. (१२) क वेद सुते सचा पब तं कद् वयो दधे. अयं यः पुरो व भन योजसा म दानः श य धसः.. (१३) इं और उन क आयु को कौन जान सकता है? वे श ु के नगर को अपने ओज से न करने वाले ह. वे मदम त रहते ह और सुर ा कवचधारी ह. (१३) दाना मृगो न वारणः पु ा च रथं दधे. न क ् वा न यमदा सुते गमो महा र योजसा.. (१४) हे इं ! आप महान, वचरण कता और आदरणीय ह. आप अपने बल स हत य म पधारने क कृपा क जए. आप को रथ ले कर य म आने से भला कौन रोक सकता है? आप श ु को वैसे ही खोजते ह, जैसे मतवाला हाथी अपने श ु को खोजता है. (१४) य उ ः स न ् टतः थरो रणाय स कृतः. य द तोतुमघवा शृणव वं ने ो योष या गमत्.. (१५) हे इं ! हमारी सं कृत म रची ई तु तय को सुन कर आप अव य ही कह और नह जाएंगे. आप हमारे ही य म आने क कृपा करगे. वे रण (यु ) म थर, अ श से स जत व उ रहते ह. (१५)
चौथा खंड पवमाना असृ त सोमाः शु ास इ दवः. अ भ व ा न का ा.. (१) हे सोम! आप का रस प व व चमक ला है. उसे सभी का सं का रत कया जाता है. (१) पवमाना दव पय त र ादसृ त. पृ थ ा अ ध सान व.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(वेद मं ) के साथ
हे सोम! आप का रस प व और वह वगलोक से धरती के उ च शखर को पश करता आ बहता है. (२) पवमानास आशवः शु ा असृ म दवः. न तो व ा अप
षः.. (३)
हे सोम! आप का रस प व और चमक ला है. वह ( वा य संबंधी) सभी गड़ब ड़य का नाश करता है. आप ज द ोणकलश म पधारते ह. (३) तोशा वृ हणा वे स ज वानापरा जता. इ ा नी वाजसातमा.. (४) हे इं ! हे अ न! आप वृ नाश से संतोष करते ह. आप को कोई परा जत नह कर सकता. आप उपासक को चुर धन दे ते ह. हम आप क उपासना करते ह. (४) वामच यु थनो नीथा वदो ज रतारः. इ ा नी इष आ वृणे.. (५) हे इं ! हे अ न! हम मनोकामना पू त के लए आप का वरण करते ह. हम वै दक मं से व साम गागा कर आप क उपासना करते ह. (५) इ ा नी नव त पुरो दासप नीरधूनुतम्. साकमेकेन कमणा.. (६) हे इं ! हे अ न! दास और उन क प नय के नगर आप ने एक साथ एक काय (यु ) से ही कंपकंपा कर न कर दए. हम आप दोन क तु त करते ह. (६) उप वा र वसं शं य व तः सह कृत. अ ने ससृ महे गरः.. (७) हे अ न! आप (अर णय म) रगड़ से पैदा होते ह. आप दशनीय ह. हम वाणी से आप क तु त करते ह. हम आप क समीपता चाहते ह. हम आप क उपासना करते ह. (७) उप छाया मव घृणेरग म शम ते वयम्. अ ने हर यसं शः.. (८) हे अ न! आप सोने क तरह चमक ले ह. हम आप से उसी कार सुख पाते ह, जस कार लोग गरमी म छाया से पाते ह. (८) य उ इव शयहा त मशृ ो न व
सगः. अ ने पुरो रो जथ.. (९)
हे अ न! आप उ , वीर व धनुधर ह. आप क वालाएं (बैल के) तीखे स ग क भां त ह. आप ने मन के ठकान को न कया है. (९) ऋतावानं वै ानरमृत य यो तष प तम्. अज ं घममीमहे.. (१०) हे अ न! आप स यवान ह. सभी मनु य के लए अमृत जैसे क याणकारी ह. आप यो त के वामी व अज ह. हम आप से य क र ा करने का अनुरोध करते ह. (१०) य इदं
तप थे य
य व
रन्. ऋतूनु सृजे वशी.. (११)
हे अ न! आप स य के माग म आने वाली
कावट को र हटाते ह. संसार को
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वशीभूत रखते ह. आप क कृपा से संसार व तृत होता है. आप ऋतु (११) अ नः
येषु धामसु कामो भूत य भ
का सृजन करते ह.
य. स ाडेको वराज त.. (१२)
हे अ न! आप एकमा स ाट् ह. आप अपने य धाम म सुशो भत होते ह. आप अतीत और भ व य म चाहने वाल क इ छा पूरी करते ह. (१२)
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उ ीसवां अ याय पहला खंड अ नः
नेन ज मना शु भान त व ३
वाम्. क व व ेण वावृधे.. (१)
हे अ न! आप काशमान व मेधावी ह. पुराने तो कर के आप का व तार करते ह. (१)
से यजमान आप को
व लत
ऊज नपातमा वे ऽ नं पावकशो चषम्. अ म य े व वरे.. (२) हे अ न! हम अपने इस य म अ न को आमं त करते ह. आप प व व काशमान ह. आप ऊजा को नीचे नह गरने दे ते ह. (२) स नो म मह वम ने शु े ण शो चषा. दे वैरा स स ब ह ष.. (३) हे अ न! आप अपनी चमक ली लपट से अ य दे वता वरा जए. आप हमारे म ह. (३)
के साथ कुश के आसन पर
उ े शु मासो अ थू र ो भ द तो अ वः. नुद व याः प र पृधः.. (४) हे सोम! प थर से कूट कर आप का रस नकाला जाता है. आप क उमड़ती ई लहर से रा स का नाश होता है. जो हम से त पधा करते ह, आप उन श ु का नाश करने क कृपा क जए. (४) अया नज नरोजसा रथस े धने हते. तवा अ ब युषा दा.. (५) हे सोम! आप साम यवान व श न ु ाशक ह, रथ को साथ ले कर श ु क जए. हम दय से आप से धन दे ने के लए अनुरोध करते ह. (५)
को न
अ य ता न नाधृषे पवमान य ढ् या. ज य वा पृत य त.. (६) यु
हे सोम! आप प व ह. आप के ढ़ त से रा स ग त नह कर सकते. जो श ु करना चाहते ह, आप उन श ु का नाश क जए. (६) त
ह व त मद युत
ह र नद षु वा जनम्. इ
म ाय म सरम्.. (७)
सोमरस मद बरसाने वाला, फू तदायक व हरी कां त वाला है. इं हेतु सोम को नद के जल से े रत कया जाता है. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ म ै र द ह र भया ह मयूररोम भः. मा वा के च येमु र पा शनो ऽ त ध वेव ताँ इ ह.. (८) हे इं ! आप के घोड़े मनोहर ह. उन के बाल मोरपंख जैसे ह. आप उन घोड़ स हत य म पधारने क कृपा क जए. शकारी आप क राह म जाल न फैला सक, अतः आप उ ह रे ग तान म प ंचा द जए. (८) वृ खादो वलं जः पुरां दम अपामजः. थाता रथ य हय र भ वर इ ो ढा चदा जः.. (९) हे इं ! आप घोड़ से सजे ए रथ म बैठ कर बलवान श ु को भी हरा दे ते ह. आप उन क नग रय का भी नाश कर दे ते ह. आप रा स के बलनाशक ह. आप क वृ य का भी नाश करते ह. (९) ग भीराँ उदधी रव तुं पु य स गा इव. सुगोपा यवसं धेनवो यथा दं कु या इवाशत.. (१०) हे इं ! गंभीर समु को जैसे छोटे तालाब अ धक जल दे कर पोसते ह, वैसे ही आप यजमान क मनोकामना पूरी कर के उ ह पोसते ह. वाले जैसे गाय को घास चारा डाल कर पोसते ह, वैसे ही यजमान इं को सोमरस भट कर के पोसते ह. (१०) यथा गौरो अपा कृतं तृ य े यवे रणम्. आ प वे नः प वे तूयमा ग ह क वेषु सु सचा पब.. (११) हे इं ! आप हमारे दो त क तरह आइए. आप उसी ललक से आइए, जैसे यास से ाकुल हरण तालाब के पास जाता है. आप क व के नकट सोमपान करने क कृपा क जए. (११) म द तु वा मघव े दवो राधोदे याय सु वते. आमु या सोमम पब मू सुतं ये ं त धषे सहः.. (१२) हे इं ! आप धनवान ह. सोमरस आप को मदम त बना दे . आप इस सोमरस को पी जए. आप हम और हमारे बेट को खूब धन द जए. (१२) वम श सषो दे वः श व म यम्. न वद यो मघव त म डते वी म ते वचः.. (१३) हे इं ! आप हमारी शंसा करते ह. आप सब से ब ढ़या सुख दे ते ह. हम आप ही से ाथना करते ह, य क आप के अ त र कोई सरा उतना धनवान और सुखदायक नह है. (१३) मा ते राधा
स मा त ऊतयो वसो ऽ मा कदा चना दभन्.
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व ा च न उप ममी ह मानुष वसू न चष ण य आ.. (१४) हे इं ! आप के धन कभी भी हमारे लए हा नकारक न ह . आप के र ा साधन भी कभी हम हा न न प ंचाएं. आप संसार के शरणदाता ह. आप मनु य को सभी धन दे ने क कृपा क जए. (१४)
सरा खंड त या सूनरी जनी
ु छ ती प र वसुः. दवो अद श
हता.. (१)
उषा सूय क बेट ह. वे े नारी ह. वे अपना काश चार ओर फैलाती ई जाती ह. दन के न दखाई दे ने पर वे अपना काश फैलाती ह. (१) अ ेव च ा षी माता गवामृतावरी. सखा भूद नो षाः.. (२) उषा र मय क मां ह. वे र मयां अद्भुत और चमक ली ह. वे अ नीकुमार क म ह. (२) उत सखा य नो त माता गवाम स. उतोषो व व ई शषे.. (३) उषा उपासना के यो य ह. वे र मय क मां ह और अ नीकुमार क म ह. (३) एषो उषा अपू ा
ु छत
हे अ नी! उषा अपूव, करते ह. (४)
या दवः. तुषे वाम ना बृहत्.. (४) य व दन लाती ह. हम वशाल तो
से उन क उपासना
या द ा स धुमातरा मनोतरा रयीणाम्. धया दे वा वसु वदा.. (५) हे अ नीकुमारो! आप बु मनोहर व धनवान ह. (५)
मान के धनदाता ह. आप न दय को पैदा करने वाले,
व य ते वां ककुहासो जूणायाम ध व प. य ा
रथो व भ पतात्.. (६)
जब आप दोन अ नीकुमार का रथ प ी क भां त उड़ कर ऊपर जाता है तब आप दोन के लए वग म भी तो पढ़े जाते ह. (६) उष त च मा भरा म यं वा जनीव त. येन तोकं च तनयं च धामहे.. (७) हे उषा! आप धनवती और य काय भी आरंभ करने वाली ह. आप अद्भुत वैभव द जए, जस से हम संतान और अपने म का भरणपोषण करने म समथ हो सक. (७) उषो अ ेह गोम य ाव त वभाव र. रेवद मे
ु छ सूनृताव त.. (८)
हे उषा! आप गोवती व अ वती ह. आप रा
के बाद दन लाने वाली ह. आप हम पु
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और धन द जए. (८) युं वा ह वा जनीव य ाँ अ ा णाँ उषः. अथा नो व ा सौभगा या वह.. (९) हे उषा! आप य काय आरंभ कराने वाली व धनवती ह. आप अपने रथ म लाल घोड़ को जो तए. हम संसार म सौभा यवान बनाने क कृपा क जए. (९) अ ना व तर मदा गोम
ा हर यवत्. अवा थ
समनसा न य छतम्.. (१०)
हे अ नीकुमारो! आप श ु का नाश करने वाले ह. आप हम गोवान बनाइए. आप अपने सुनहरे रथ को मन से हमारे य म लाने क कृपा क जए. (१०) एह दे वा मयोभुवा द ा हर यवतनी. उषबुधो वह तु सोमपीतये.. (११) उषा के साथ उद्बु (जा त) सुनहरी करण, इन सुखमय अ नीकुमार को सोमपान करने के लए हमारे य म लाने क कृपा कर. (११) या व था ोकमा दवो यो तजनाय च थुः. आ न ऊज वहतम ना युवम्.. (१२) हे अ नीकुमारो! आप वगलोक से य के लए यो त ला कर लोग का हत करने क कृपा क जए. आप दोन हम अ वान व ऊजावान बनाने क कृपा क जए. (१२)
तीसरा खंड अ नं तं म ये यो वसुर तं यं य त धेनवः. अ तमव त आशवो ऽ तं न यासो वा जन इष
तोतृ य आ भर.. (१)
हे अ न! आप सव ापक ह. हम आप क उपासना करते ह. घोड़े व गाएं जन क शरण म ह, हम यजमान को भी आप अपनी शरण म ली जए. हम न य नयम नभाने वाले और ह व दे ने वाले ह. आप हम अ दान क जए. हम आप क उपासना करते ह. (१) अ न ह वा जनं वशे ददा त व चष णः. अ नी राये वाभुव स ीतो या त वाय मष
तोतृ य आ भर.. (२)
हे अ न! आप यजमान को अ वान बनाने वाले, ापक वाले और पूजनीय ह. आप स हो कर आसानी से यजमान को धन दे ते ह. आप उपासक को भरपूर धन दे ने क कृपा क जए. (२) सो अ नय वसुगृणे सं यमाय त धेनवः. समव तो रघु वः स सुजातासः सूरय इष
तोतृ य आ भर.. (३)
हे अ न! सारी गौएं तेज ग त वाले घोड़े व व ान् आप क शरण म ह. आप पूजनीय ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. आप यजमान को भरपूर अ
दान करने क कृपा क जए. (३)
महे नो अ बोधयोषो राये द व मती. यथा च ो अबोधयः स य व स वा ये सुजाते अ सूनृते.. (४) हे उषा! आप काशवती ह. आप हम सभी को पहले क तरह आज भी बो धत (जा त) करने क कृपा क जए. आप हम पर भी वैसी ही कृपा क जए, जैसी आप ने व य के पु स य वा पर क . जैसा आप ने उ ह (स य वा को) जा त कया, वैसे ही हम भी जा त करने क कृपा क जए. (४) या सुनीथे शौच थे ौ छो हत दवः. या ु छ सहीय स स य व स वा ये सुजाते अ सूनृते.. (५) हे उषा! आप वगलोक क हता (पु ी) ह. आप शुच थ के पु सुनीथ हेतु अंधेरे को भगा कर कट . आपने सुनीथ पर जैसी कृपा क , वैसी ही आप व य के पु स य वा पर भी क जए. (५) सा नो अ ाभर सु ु छा हत दवः. यो ौ छः सहीय स स य व स वा ये सुजाते अ सूनृते.. (६) हे उषा! आप वगलोक क हता (बेट ) ह. आप हम भरपूर धन दे ने व आज हमारे अंधेरे ( ाकृ तक और अ ान प दोन ) को न करने क कृपा क जए. आप स य व पा ह. आप व य के पु स य वा पर अपनी कृपा क जए. (६) त यतम रथं वृषणं वसुवाहनम्. तोता वाम नावृ ष तोमे भभूष त त मा वी मम ुत
हवम्.. (७)
हे अ नीकुमारो! आप का रथ वैभव व परा म धारण करता है. आप का रथ उपासक क ाथना से सुशो भत होता है. आप हमारी ाथना को सुनने क कृपा क जए. (७) अ यायातम ना तरो व ा अह सना. द ा हर यवतनी सुषु णा स धुवाहसा मा वी मम ुत
हवम्.. (८)
हे अ नीकुमारो! आप सर का अ त मण कर के (लांघ कर) हमारे पास पधारने क कृपा क जए. आप श ुनाशक ह. आप क कृपा से हम अपने श ु पर वजय पा सक. आप सोने के रथ वाले ह. आप धनवान ह. आप नद के समान बहते ह. आप हमारी ाथना को सुनने क कृपा क जए. (८) आ नो र ना न ब ताव ना ग छतं युवम्. ा हर यवतनी जुषाणा वा जनीवसू मा वी मम ुत ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हवम्.. (९)
हे अ नीकुमारो! आप सोने के रथ वाले, श ुनाशी, धनधारी, धनधा य वाले व य ेमी ह. आप हमारे य म पधा रए और त त होइए. आप हमारी ाथना को सुनने क कृपा क जए. (९)
चौथा खंड अबो य नः स मधा जनानां त धेनु मवायतीमुषासम्. य ा इव वयामु जहानाः भानवः स ते नाकम छ.. (१) हे अ न! आप लोग (यजमान ) क स मधा से द त होते ह. न द से उठ कर गौएं जैसे जा त होती ह, वैसे ही आप जा त ह. पेड़ क शाखाएं जैसे आकाश क ओर फैलती ह, वैसे ही आप क लपट वग क ओर फैलती ह. (१) अबो ध होता यजथाय दे वानू व अ नः सुमनाः ातर थात्. स म य शदद श पाजो महान् दे व तमसो नरमो च.. (२) हे अ न! आप य के बल आधार ह. दे व के लए (ह व प ंचाने हेतु) आप को व लत कया जाता है. आप ऊ वगामी ह व सुबह अ छे मन से ऊपर क ओर जाते ह. आप महान ह. आप को हम य दे ख सकते ह. आप दे वता व संसार को अंधकार से र करते ह. (२) यद गण य रशनामजीगः शु चरङ् े शु च भग भर नः. आ णा यु यते वाजयं यु ानामू व अधय जु भः.. (३) हे अ न! आप बाधाएं व अंधेरे को र करते ह. आप संसार को काशमान व यजमान घी क आ तय से बलवान बनाते ह. आप ऊ वगामी हो कर उस घी वाली आ तय को वीकारते ह. (३) इद े ं यो तषां यो तरागा च ः केतो अज न व वा. यथा सूता स वतुः सवायैवा रा युषसे यो नमारैक्.. (४) हे उषा! आप सभी यो तय से े यो त वाली ह. आप क यो त सव फैलती है. सभी व तु को यो तमय बना दे ती ह. स वता के अ त होने के बाद रा उषा को उ प होने के लए जगह दे ती ह. (४) श सा शती े यागादारैगु कृ णा सदना य याः. समानब धू अमृते अनूची ावा वण चरत आ मनाने.. (५) हे उषा! आप सूय का चमक ला व प ले कर पैदा और रा काले रंग का. सूय दोन के समान प से बंधु ह, दोन अमर ह. वगलोक म एक के बाद एक आतीजाती ह. दोन एक सरे का भाव समा त करती ह. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समानो अ वा व ोरनंत तम या या चरतो दे व श .े न मेथेते न त थतुः सुमेके न ोषासा समनसा व पे.. (६) दोन बहन (उषा और रा ) क एक ही राह है. वह राह अनंत है. उसी राह पर ये दोन एक सरे के पीछे चलती ह, भले ही इन के व प एक सरे से अलग ह पर इन के मन समान ह. ये दोन अपनेअपने काय म लगी रहती ह. (६) आ भा य न षसामनीकमु ाणां दे वया वाचो अ थुः. अवा चा नून र येह यातं पी पवा सम ना घमम छ.. (७) अ न व लत हो गए ह. उषा के कट होते ही अ न व लत हो जाते ह. द ाथनाएं शु हो गई ह. अ नीकुमार रथ म वराज गए ह. हम उन से सोमरस पीने के लए य म पधारने का अनुरोध करते ह. (७) नस कृतं ममीतो गम ा त नूनम नोप तुतेह. दवा भ प वे ऽ वसाग म ा यव त दाशुषे श भ व ा.. (८) हे अ नीकुमारो! आप प र कृत पदाथ को हण करने क कृपा क जए. य थान के समीप आने वाले आप के लए उपासना क जाती है. दन के आते ही आप त त हो जाते ह. आप यजमान को त ा ा त कराने क कृपा क जए. (८) उता यात संगवे ातर ो म य दन उ दता सूय य. दवा न मवसा श तमेन नेदान पी तर ना ततान.. (९) हे अ नीकुमारो! सूय उगने के समय, दन के म य म, शाम और दन रात म आप पधा रए. आप अपने र ा साधन स हत पधारने क कृपा क जए. आप के ये साधन दनरात सुखदायी ह. अभी तक आप के बना सोमरस पीने का काय शु नह कया गया है. (९)
पांचवां खंड एता उ या उषसः केतुम त पूव अध रजसो भानुम ते. न कृ वाना आयुधानीव धृ णवः त गावो ऽ षीय त मातरः.. (१) हे उषा! आप उजाला फैलाती ह. आप के आने से पूव दशा म काश हो जाता है. वीर अपने आयुध को जैसे चमकाते ह, वैसे ही आप संसार को चमचमा दे ती ह. माता उषा त दन आती और जाती ह. (१) उदप त णा भानवो वृथा वायुजो अ षीगा अयु त. अ ुषासो वयुना न पूवथा श तं भानुम षीर श युः.. (२) उषा के आते ही लाल करण आकाश म छा गई ह. अपनेआप जुते ए रथ से वे चेतना ******ebook converter DEMO Watermarks*******
फैलाती ह तथा सूय क सेवा करती ह. (२) अच त नारीरपसो न व भः समानेन योजनेना परावतः. इषं वह तीः सुकृते सुदानवे व ेदह यजमानाय सु वते.. (३) जो यजमान अचना करते ह, सोमरस को प र कृत करते ह, अ छे काय करते ह, दान करते ह, उन यजमान को उषा अ व बल दे ती ह और काशमान बना दे ती ह. यु म स जत वीर क भां त वे आकाश क शोभा बढ़ा दे ती ह. (३) अबो य न म उदे त सूय ू ३ षा ा म ावो अ चषा. आयु ाताम ना यातवे रथं ासावी े वः स वता जग पृथक्.. (४) अ न वेद म व लत हो गए ह. सूय आकाश म उ दत हो गए ह. उषा महान ह. वे अपनी तेज वता से सब को स कर दे ती ह. हे अ नीकुमारो! आप अपने घोड़े रथ म जो तए, यहां थान क रए. सूय सभी को अलगअलग काय करने क ेरणा दे रहे ह. (४) यु ु ाथे वृषणम ना रथं घृतेन नो मधुना मु तम्. अ माकं पृतनासु ज वतं वयं धना शूरसाता भजेम ह.. (५) हे अ नीकुमारो! आप अपने रथ म घोड़े जोत कर हमारे य म प ं चए. हम घृत से पु क रए, हम आ म ान द जए, हम श ु को जीतने क मता द जए. हम धन पा सक. हम आप को भजते ह. (५) अवाङ् च ो मधुवाहनो रथो जीरा ो अ नोयातु सु ु तः. ब धुरो मघवा व सौभगः शं न आ व पदे चतु पदे .. (६) हे अ नीकुमारो! आप रथ पर वराज कर य म पधा रए. आप का रथ तीन प हय वाला, मधुर अमृतधारी, तगामी, अ जुत, सराहनीय व तीन लोग के बैठने क जगह वाला है. वह चुर ऐ यवान और सौभा यवान है. आप सब के त क याणकारी भावना रख कर हमारे य थान म पधारने क कृपा क जए. (६) ते धारा अस तो दवो न य त वृ यः. अ छा वाज
सह णम्.. (७)
हे सोम! आप क झरने वाली धाराएं वैसे ही बरसती ह, जैसे वगलोक से बरसात होती है. आप क धाराएं अ बरसाती ह. (७) अभ
या ण का ा व ा च ाणो अष त. हर तु
हे सोम! आप सव य, सव ह. (८)
ान आयुधा.. (८)
ा व ह रताभ ह. आप श ु
स ममृजान आयु भ रभो राजेव सु तः. येनो न व
पर आयुध से हार करते
सु षीद त.. (९)
हे सोम! आप े कमा (अ छे काय करने वाले) ह. यजमान आप को प र कृत करते ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. आप राजा के समान व अ छे संक प वाले ह. बाज प ी जैसे वेगवान होता है, वैसे ही आप वेगवान ह. आप ब त वेग से जल म मल जाते ह. (९) स नो व ा दवो वसूतो पृ थ ा अ ध. पुनान इ दवा भर.. (१०) हे सोम! आप वगलोक, पृ वीलोक और सव क याण दान करने क कृपा क जए. (१०)
ा त ह. आप हम सब कार का
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बीसवां अ याय पहला खंड ा य धारा अ र वृ णः सुत यौजसः. दे वाँ अनु भूषतः.. (१) हे सोम! आप का रस बलव क है. दे वता पर अनुकूल भाव डालने वाला है. सोमरस क धाराएं वेगवती व ोणकलश म सुशो भत हो रही ह. (१) स तं मृज त वेधसो गृण तः कारवो गरा. यो तज ानमु यम्.. (२) हे सोम! आप काशमान, उपासना के यो य, अ के समान वेगशाली और व ान् ह. अ वयुगण (पुरो हत) वाणीमय ाथना से सोमरस को प र कृत करते ह. (२) सुषहा सोम ता न ते पुनानाय भूवसो. वधा समु मु य.. (३) हे सोम! आप धनवान, उपासना के यो य, प व , ब त श आप समु के समान इस पा को भर दे ने क कृपा क जए. (३) एष
शाली ह और र क ह.
ा य ऋ वय इ ो नाम ुतो गृणे.. (४)
हे इं ! आप मौसम के अनुसार बढ़ोतरी पाते ह. आप य जैसे काम से बढ़ोतरी पाते ह. आप बु मान और ानी ह. हम आप क उपासना करते ह. (४) वा म छवस पते य त गरो न संयतः.. (५) हे इं ! आप महान व बलवान ह. सदाचारी पु ष के पास जैसे क याण हेतु जाया जाता है, वैसे ही हमारी वाणीमय ाथनाएं आप के पास प ंचती ह. (५) व ुतयो यथा पथा इ
व तु रातयः.. (६)
हे इं ! राजपथ से जैसे सरे पथ मलते ह, वैसे ही आप से भां तभां त के दान अनुदान ा त होते ह. (६) आ वा रथं यथोतये सु नाय वतयाम स. तु वकू ममृतीषह म ं श व ं स प तम्.. (७) हे इं ! आप अ छे मन वाले ह. आप स प त ह. आप े मागगामी ह. हम सुख और क याण के लए उसी कार आप क उपासना करते ह, जस कार रथ क प र मा क जाती है. (७) तु वशु म तु व तो शचीवो व या मते. आ प ाथ म ह वना.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म
हे इं ! आप म हमाशाली व श ा त ह. (८)
शाली ह. आप े कम करने वाले और सम त व
य य ते म हना महः प र माय तमीयतुः. ह ता व हे इं ! आप अपने हाथ म वणमय व
हर ययम्.. (९)
धारण करते ह. आप क म हमा अनंत है. (९)
आ यः पुरं ना मणीमद दे द यः क वनभ यो ३ नावा. सूरो न वां छता मा.. (१०) हे अ न! आप सूय के समान काशमान ह. यजमान य वेद बनाते ह. आप उन य वे दय को व लत करते ह. आप वेगवान घोड़े क तरह ह. वायु क भां त ग तशील ह. आप रदश और अनेक प म सुशो भत होते ह. (१०) अ भ ज मा ी रोचना न व ा रजा होता य ज ो अपा सध थे.. (११)
स शुशुचानो अ थात्.
हे अ न! आप पृ वीलोक, अंत र लोक और वगलोक तीन को का शत करते ह. आप दे वता को बुलाने वाले ह. आप जल म बड़वानल के प म वराजमान रहते ह. आप य थान म य ा न के प म सुशो भत होते ह. (११) अय स होता यो ज मा व ा दधे वाया ण व या. मत यो अ मै सुतुको ददाश.. (१२) हे अ न! जो ज मा है ( ा ण), जो वीर ह, जो जग के धारक ह, वे यजमान अ न का आ ान करने वाले ह. अ न यजमान को े संतान दान करते ह. (१२) अ ने तम ा ं न तोमैः
तुं न भ ं
द पृशम्. ऋ यामा त ओहैः.. (१३)
हे अ न! आप इं को उसी तरह ह व प ंचाते ह जैसे उन के घोड़े उ ह नधा रत थान पर प ंचाते ह. आप वैसे ही हमारा क याण करते ह, जैसे य हमारा क याण करते ह. आप दय ाही ह. हम उपासना और ाथना से आप को भजते ह. (१३) अधा
ने
तोभ य द
य साधोः. रथीऋत य बृहतो बभूथ.. (१४)
हे अ न! आप बल क बढ़ोतरी करने वाले, क याणकारी, मनोकामना पूरक ह और ऋत् (स य) व प ह. आप य के मु य कताधता ह. (१४) ए भन अकभवा नो अवाङ् व ३ ण यो तः. अ ने व े भः सुमना अनीकैः.. (१५) हे अ न! आप सुमन (अ छे मन वाले) और सूय क तरह यो तमान ह. आप सभी पूजनीय दे व के साथ हमारे य म पधारने क कृपा क जए. (१५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सरा खंड अ ने वव व षस राधो अम य. आ दाशुषे जातवेदो वहा वम ा दे वाँ उषबुधः.. (१) हे अ न! आप अमर, सव ाता और सव ा ह. आप उषा से अनेक कार का धन ा त क जए. उस धन को आप यजमान को दान करने व वशेष प से जा त दे व को य म लाने क कृपा क जए. (१) जु ो ह तो अ स ह वाहनो ऽ ने रथीर वराणाम्. सजूर यामुषसा सुवीयम मे धे ह वो बृहत्.. (२) हे अ न! आप दे व त, ह वाहक व माग के रथी ह. आप उषा और अ नीकुमार स हत हम श शाली और यश वी बनाने क कृपा क जए. (२) वधुं द ाण समने ब नां युवान स तं प लतो जगार. दे व य प य का ं म ह वा ा ममार स ः समान.. (३) हे यजमानो! भले ही कोई कई काय करने क मता रखता हो, भले ही कोई कतना ही अ धक श ुनाशक हो, कतु ऐसे युवा को भी वृ ाव था सत कर लेती है. वृ ाव था के बाद मृ यु पाने वाला पुनः ज म पा लेता है. यह सब इं क कृपा से ही संभव है. हम उन के इस महान काय को बारबार मरण करना चा हए. (३) शा मना शाको अ णः सुपण आ यो महः शूरः सनादनीडः. य चकेत स य म मोघं वसु पाहमुत् जेतोत दाता.. (४) हे इं ! आप ढ़मन, सवश मान व सुपण प ी के समान ह. आप जो ठान लेते ह, वही करते ह. आप श पूवक जो वैभव ा त करते ह, उसे अपने उपासक को दे दे ते ह. (४) ऐ भददे वृ या पौ या न ये भरौ द्वृ ह याय व ी. ये कमणः यमाण य म ऋते कममुदजाय त दे वाः.. (५) हे इं ! आप म द्गण के सहयोग से पु षाथपूण काम करते ह. आप व धारी व वृ नाशक ह. आप श ुनाश हेतु जलवृ करते ह. महान काय करने वाले अ य दे वता भी उन का सहयोग करते ह. (५) अ त सोमो अय
सुतः पब य य म तः. उत वराजो अ ना.. (६)
हे सोम! सोमरस को म द्गण के लए नचोड़ा गया है. इसे म द्गण और अ नीकुमार सु च से पीते ह. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पब त म ो अयमा तना पूत य व णः.
षध थ य जावतः.. (७)
हे सोम! प र कृत कया आ सोमरस तीन बरतन म रखा आ है. म , अयमा और व ण उस को पीने क कृपा कर. (७) उतो व य जोषमा इ ः सुत य गोमतः. ातह तेव म स त.. (८) हे इं ! ातः जैसे होता य म उपासना करने क इ छा रखते ह, वैसे ही आप ातः सोमरस को पीने क इ छा रखते ह. वह प र कृत और गाय के ध म मला आ रहता है. (८) ब महाँ अ स सूय बडा द य महाँ अ स. मह ते सतो म हमा प न म म ा दे व महाँ अ स.. (९) हे सूय! आप महान ह. हे काशकता! आप महान ह. हे तु य! आप महान ह. हम आप क महानता क उपासना करते ह. आप क म हमा महान है. (९) बट् सूय वसा महाँ अ स स ा दे व महाँ अ स. म ा दे वानामसुयः पुरो हतो वभु यो तरदा यम्.. (१०) हे सूय! आप का यश महान है. दे व म आप वशेष महान ह. आप तम नाशक, दे वता के नेता ह. आप क यो त अमर व सव ापक है. (१०)
तीसरा खंड उप नो ह र भः सुतं या ह मदानां पते. उप नो ह र भः सुतम्.. (१) हे इं ! आप सोम के वामी ह. आप के घोड़े मनोहर ह. आप उन घोड़ के ारा इस य म अव य ही पधारने क कृपा क जए. (१) ता यो वृ ह तमो वद इ ः शत तुः. उप नो ह र भः सुतम्.. (२) हे इं ! आप सैकड़ कम करने वाले ह. आप वृ हंता ह. आप अपने घोड़ से इस य म अव य ही पधारने क कृपा कर. (२) व
ह वृ ह ेषां पाता सोमानाम स. उप नो ह र भः सुतम्.. (३)
हे इं ! आप वृ हंता एवं सोमरस पीने के इ छु क ह. आप अपने घोड़ से हमारे य म पधारने क कृपा क जए. (३) वो महे महेवृधे भर वं चेतसे सुम त कृणु वम्. वशः पूव ः चर चष ण ाः.. (४) हे इं ! मनु य अपने धन क बढ़ोतरी के लए आप को सोमरस सम पत करते ह. कतु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ऐसी े ाथना से आप क उपासना करते ह. आप जापालक ह. आप ह व दे ने वाले यजमान के पास पधारने क कृपा क जए. (४) उ चसे म हने सुवृ म ाय जनय त व ाः. त य ता न न मन त धीराः.. (५) हे इं ! आप वशाल और महान ह. यजमान आप क धीर पु ष इं के त को डगमगाने नह दे ते ह. (५)
तु त व ह व अ पत करते ह.
इ ं वाणीरनु म युमेव स ा राजानं द धरे सह यै. हय ाय बहया समापीन्.. (६) हे इं ! आप सब के राजा ह. आप के गु से के आगे कोई नह टक सकता. आप क उपासना करने से श ु हारते ह. हम अपने बंधुबांधव को भी उन क उपासना के लए े रत करते ह. (६) य द यावत वमेतावदहमीशीय. तोतारम धषे रदावसो न पाप वाय र
सषम्.. (७)
हे इं ! हम भी आप के समान धनप त होने क इ छा रखते ह. आप हम यजमान को पोषक धन द जए. आप पा पय को धन मत द जए. हम उपासक आप से यही ाथना करते ह. (७) श ेय म महयते दवे दवे राय आ कुह च दे . न ह वद यमघव आ यं व यो अ त पता च न.. (८) हे इं ! हम कह भी रह पर आप के लए य करने के लए समय व धन नकालते ह. आप के अलावा हमारा कोई घ न नह है, कोई पता के समान सहायक भी (पालक) नह है. (८) ु ी हवं व पपान या े ब धा व याचतो मनीषाम्. ध कृ वा वा य तमा सचेमा.. (९) हे इं ! आप हमारे आमं ण को यान से सुनने क कृपा क जए. आप ा ण व मनी षय क ाथना पर यान द जए. आप हम समान च वाला मान कर हमारे अनुरोध पर यान दे ने क कृपा क जए. (९) न ते गरो अ प मृ ये तुर य न सु ु तमसुय य व ान्. सदा ते नाम वयशो वव म.. (१०) हे इं ! हम आप का नाम (यश) बढ़ाने वाली ाथनाएं करते ह ( तो गाते ह). आप व ान् ह. आप क शूरवीरता को हम जानते ह. हम आप क उपासना करना नह छोड़ सकते. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
भू र ह ते सवना मानुषेषु भू र मनीषी हवते वा मत्. मारे अ म मघवं यो कः.. (११) हे इं ! मनु य आप के लए सोमय करते रहे ह. मनीषी आप के लए हवन भी करते रहे ह. य करने वाल को आप अपनेआप से कभी र मत क जए. (११)
चौथा खंड ो व मै पुरोरथ म ाय शूषमचत. अभीके च लोककृ स े सम सु वृ हा. अ माकं बो ध चो दता नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (१) हे यजमानो! आप इं के रथ के सामने उपासना क रए. आप श क उपासना क जए. इं संसार के पालक, वृ हंता व ेरक ह. हमारी हा दक इ छा है क हमारे श ु के धनुष क यंचा टू ट जाए. (१) व सधू रवासृजो ऽ धराचो अह हम्. अश ु र ज षे व ं पु य स वायम्. तं वा प र वजामहे नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (२) हे इं ! आप मेघ को भेदते ह. आप न दय के बहाव म आने वाली कावट को र करते ह. हम आप को ह व भट करते ए स होते ह. हमारी इ छा है क हमारे श ु के धनुष क यंचा टू ट जाए. (२) व षु व ा अरातयो ऽ य नश त नो धयः. अ ता स श वे वधं यो न इ जघा स त. या ते रा तद दवसु नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (३) हे इं ! हम पर आ मण करने वाले को आप वयं अपने श से मार डालते ह. हमारी बु को आप ेरणा द जए. आप हम धना द दान क जए. हमारी हा दक इ छा है क हमारे श ु के धनुष क यंचा टू ट जाए. (३) रेवाँ इ े वत तोता या वावतो मघोनः े ह रवः सुत य.. (४) हे इं ! आप धनवान ह. आप के उपासक भी धनवान हो जाते ह. आप के उपासक को सब कार का धन ा त होता है. (४) उ थं च न श यमानं नागो र यरा चकेत. न गाय ं गीयमानम्.. (५) हे इं ! आप वाणी से तु त न करने वाले अ ानी के भी मन क भावना जानते ह. तु त करने वाल के मन क भावना को भी जानते ह. आप गाया जाता आ साम गायन भी जानते ह. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मा न इ
पीय नवे मा शधते परा दाः. श ा शचीवः शची भः.. (६)
हे इं ! आप हम और अपमान करने वाल के भरोसे मत छो ड़ए. आप प व श ा के ारा शची क तरह प व धन दान क जए. (६) ए या ह ह र भ प क व य सु ु तम्. दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (७) हे इं ! आप घोड़ के ारा पधा रए. आप क व क तु त सु नए. हे वगलोकवासी! हम आप के राज म सुखी ह. (७) अ ा व ने मरेषामुरां न धूनुते वृकः. दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (८) हे इं ! सोम को कूटने वाले प थर भी मानो बोलते ए आप को बुला रहे ह. हे वगलोकवासी! हम आप के राज म सुखी ह. (८) आ वा ावा वद ह सोमी घोषेण व तु. दवो अमु य शासतो दवं यय दवावसो.. (९) हे सोम! कूटने वाला प थर आवाज करता आ सोमरस नकाल रहा है. उस से नकलने वाली सोम क धारा वैसे ही कांप रही है, जैसे भे ड़ए के डर से भेड़ कांपती है. हम वगलोकवासी इं के राज म सुखी ह. आप पधा रए. (९) पव व सोम म दय (१०)
ाय मधुम मः.. (१०)
हे सोम! आप प व ह. आप मदमाते ए इं के लए े रस झरने क कृपा क जए. ते सुतासो वप तः शु ा वायुमसृ त.. (११)
हे सोम! आप काशमान व बु जाता है. (११)
व क ह. आप को वायु दे व के लए प र कृत कया
असृ ं दे ववीतये वाजय तो रथा इव.. (१२) हे सोम! आप को अ धन के इ छु क यजमान ऐसे तैयार करते ह, जैसे रथ को तैयार कया जाता है. (१२)
पांचवां खंड अ न होतारं म ये दा व तं वसोः सूनु य ऊ वया व वरो दे वो दे वा या कृपा.
सहसो जातवेदसं व ं न जातवेदसम्.
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घृत य व ा मनु शु शो चष आजु ान य स पषः.. (१) हे अ न! आप को हम होता, धनवान, सव ाता और ा ण (य वे ा) मानते ह. आप ऊंचाई क ओर वयं अपना माग बनाते ह. आप घी क आ तय से चमक ले हो जाते ह. हम आप क उपासना करते ह. (१) य ज ं वा यजमाना वेम ये म रसां व म म भ व े भः शु प र मान मव ा होतारं चषणीनाम्. शो च केशं वृषणं य ममा वशः ाव तु जूतये वशः.. (२)
म म भः.
हे अ न! आप मनीषी ह. ा ण ारा रचे गए मं से हम य म आप का आ ान करते ह. आप होता, सव ा व ऊंची लपट वाले ह. हम अपनी र ा के लए आप क र ा करते ह. (२) स ह पु चदोजसा व मता द ानो भव त ह तरः परशुन ह तरः. वीडु च य समृतौ ुव नेव य थरम्. न षहमाणो यमते नायते ध वासहा नायते.. (३) हे अ न! परशु (फरसे) से जैसे श ु का नाश कया जाता है, वैसे ही आप क साम य से श ु म भय फैल जाता है, उन का नाश हो जाता है. आप क कृपा से कतना ही बलशाली श ु य न हो, वह आप के वशीभूत हो जाता है. आप धनुषधारी वीर जैसे ह. आप प थर जैसे कठोर श ु का भी नाश कर दे ते ह. (३) अ ने तव वो वयो म ह ाज ते अचयो वभावसो. बृहद्भानो शवसा वाजमु यां ३ दधा स दाशुषे कवे.. (४) हे अ न! आप क ह व सराहनीय है. आप क व ( व ान्) और काशमान ह. आप क वशाल लपट सुशो भत होती ह. आप यजमान को धन दे ते ह. (४) पावकवचाः शु वचा अनूनवचा उ दय ष भानुना. पु ो मातरा वचर ुपाव स पृण रोदसी उभे.. (५) हे अ न! आप क करण प व , चमक ली व खर ह. आप सूय जैसे उदय होते ह, फर आकाश म पूण काशमय हो जाते ह. माता के साथ घूमते ए पु क तरह आप यजमान के साथ रहते ह. (५) ऊज नपा जातवेदः सुश त भम द व धी त भ हतः. वे इषः सं दधुभू रवपस ोतयो वामजाताः.. (६) हे अ न! आप श मान व सव ाता ह. आप हमारी श तय को सु नए, हमारी सेवा से संतु होइए. आप वल ण व असं य पधारी ह. आप यजमान ारा द गई ह व को हण करने क कृपा क जए. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इर य ने थय व ज तु भर मे रायो अम य. स दशत य वपुषो व राज स पृण दशतं तुम्.. (७) हे अ न! आप अमर ह. आप व लत होइए. आप हमारे धन क बढ़ोतरी क जए. आप य म तेज वी व प धारण करते ह. आप हमारे य पर पूण रखते ए सुशो भत होते ह. (७) इ कतारम वर य चेतसं य त राधसो महः. रा त वाम य सुभगां मही मषं दधा स सान स र यम्.. (८) हे अ न! आप य के कताधता ह. आप व श चेतना से संप ह. आप अपार धन के वामी ह. हम आप क उपासना करते ह. आप हम म हमा, सौभा य, अ व धन दान करने क कृपा क जए. (८) ऋतावानं म हषं व दशतम न सु नाय द धरे पुरो जनाः. ु कण स थ तमं वा गरा दै ं मानुषा युगा.. (९) हे अ न! आप स यवान व व आप द ह. हम वाणी से आप क त त करते ह. (९)
ा ह. आप हमारी तु त सुनने वाले ह. सु यात व ाथना करते ह. यजमान सुखवृ के लए आप को
छठा खंड सो अ ने तवो त भः सुवीरा भ तर त वाजकम भः. यय व स यमा वथ.. (१) हे अ न! जो आप को मै ी भाव से पा लेता है, वह यजमान े वीर और कमवान हो जाता है. आप क र ा (आशीवाद) से उस का बेड़ा पार हो जाता है. (१)
े
तव सो नीलवा वाश ऋ वय इ धानः स णवा ददे . वं महीनामुषसाम स यः पो व तुषु राज स.. (२) हे अ न! आप को सोमरस से स चा जाता है. वह वहमान, इ छत व काशमान है. उस को आप के लए तैयार कया जाता है. आप म हमा वाली उषा दे वय के य ह. आप रात को व तु म शो भत होते ह. (२) तमोषधीद धरे गभमृ वयं तमापो अ नं जनय त मातरः. त म समानं व नन वी धो ऽ तवती सुवते च व हा.. (३) हे अ न! जलधाराएं मां क तरह आप को मानती ह. आप को ओष धयां गभ म धारण करती ह. वन प तयां आप को गभ म धारण करती ह और संसार के स मुख कट करती ह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ न र ाय पवते द व शु ो व राज त। म हषीव व जायते.. (४) अ न इं के लए व लत होती है. वह वगलोक म वशेष शो भत होती है. वह महारानी के समान दखाई दे ती है. (४)
प से चमकती ई
यो जागार तमृचः कामय ते यो जागार तमु सामा न य त. यो जागार तमय सोम आह तवाहम म स ये योकाः.. (५) जो जा त ह, ऋचाएं उन क कामना करती ह. जो जा त ह, उ ह ही सोम ा त होते ह. जो जा त ह, उ ह से सोम कहते ह क म तु हारा म ं. (५) अ नजागार तमृचः कामय ते ऽ नजागार तमु सामा न य त. अ नजागार तमय सोम आह तवाहम म स ये योकाः.. (६) अ न जा त ह, अतः ऋचाएं उन क कामना करती ह, सोम उ ह ा त होते ह. अ न जा त ह, अतः उ ह से सोम कहते ह क म तु हारा म .ं (६) नमः स ख यः पूवसद् यो नमः साकं नषे यः. यु
े वाच
शतपद म्.. (७)
य म शु से त त दे वता को हमारा नम कार. म दे वता सैकड़ पद वाली ऋचाएं दे वता तक प ंचने क कृपा कर. (७) यु
े वाच
गाय ी, ऋचाएं दे वता
को नम कार.
शतपद गाये सह वत न. गाय ं ै ु भं जगत्.. (८) ु प् एवं जगती छं द म साम को हजार के लए गाई जाती ह. (८)
गाय ं ै ु भं जग
ा
पा ण स भृता. दे वा ओका
हे अ न! गाय ी, ु प् और जगती छं द म नब कार से) आप के लए गाया जाता है. (९) अ न य त य तर न र ो यो त य त र ः. सूय हे अ न! अ न यो त है, यो त अ न है. इं यो त ही सूय है. (१०)
सच
रे.. (९)
साम को अनेक
प म (अनेक
यो त य तः सूयः.. (१०)
यो त है, यो त इं है. सूय यो त है,
पुन जा न वत व पुनर न इषायुषा. पुननः पा
हंसः.. (११)
हे अ न! आप ऊजा प म पधा रए. आप हम अ द जए. आप बारबार पाप से हम बचाइए. (११) सह र या न वत वा ने प व य धारया. व
कार से गाते ह. सैकड़ पद वाली
दान क जए. आप हम द घायु
या व त प र.. (१२)
हे अ न! आप सभी धन को साथ ले कर पधारने क कृपा क जए. संसार म आनंद ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क धारा से हम स चने क कृपा क जए. (१२)
सातवां खंड य द ाहं यथा वमीशीय व व एक इत्. तोता मे गोसखा यात्.. (१) हे इं ! आप धन के एकमा ई र ह. हम भी आप जैसे हो जाएं तो हमारे उपासक गाय के साथ हमारी शंसा करगे. (१) श ेयम मै द सेय
शचीपते मनी षणे. यदहं गोप तः याम्.. (२)
हे शचीप त (इं )! य द हम गोप त हो जाएं तो अपने इन मनीषी उपासक को धन दे ने क इ छा कर और उ ह धन भी द. (२) धेनु इ
सूनृता यजमानाय सु वते. गाम ं प युषी हे.. (३)
हे इं ! आप अपने पु यजमान को इ पदाथ गाय, घोड़े आ द दान करने क कृपा क जए. (३) आपो ह ा मयोभुव ता न ऊज दधातन. महे रणाय च से.. (४) हे जल! आप ऊजा धारक व सुखदायी ह. आप हम सं ाम के लए बल दान करने क कृपा क जए. (४) यो वः शवतमो रस त य भाजयतेह नः. उशती रव मातरः.. (५) हे जल! मां जैसे बालक को ध (रस) से पोसती है, उसी तरह आप अपने क याणकारी रस से हम पोसने क कृपा क जए. (५) त मा अरं गमाम वो य य याय ज वथ. आपो जनयथा च नः.. (६) हे जल! आप हम पु पौ स हत यकारी रोग को जीतने क श क जए. (६) वात आ वातु भेषज
श भु मयोभु नो दे .
न आयू
उपजाने क कृपा
ष ता रषत्.. (७)
हे वायु! आप पधा रए. आप हमारे दय को खलाइए (खुश र खए). आप हमारे लए क याणकारी ओष धयां ले कर आइए. आप हम द घायु दान क जए. (७) उत वात पता स न उत ातोत नः सखा. स नो जीवातवे कृ ध.. (८) हे वायु! आप के सवाय कोई हमारा पता, भाई व म नह है. आप हमारे जीवन को साम यवान बनाने क कृपा क जए. (८) यददो वात ते गृहे ३ ऽ मृतं न हतं गुहा. त य नो धे ह जीवसे.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे वायु! आप के पास गु त प से अमृत है. आप हम जीने के लए छपा कर रखा आ वह गु त अमृत दान करने क कृपा क जए. (९) अ भ वाजी व पो ज न हर ययं ब द क सुपणः. सूय य भानुमृतुथा वसानः प र वयं मेधमृ ो जजान.. (१०) हे अ न! आप व प व सुपण (ग ड़) जैसे वेगवान ह. आप उ प थान (य वेद ) को सोने सा चमका दे ते ह. आप ऋतु के अनुकूल सूय व मेघ को धारण करते ह. (१०) अ सु रेतः श ये व पं तेजः पृ थ ाम ध य संबभूव. अ त र े वं म हमानं ममानः क न त वृ णो अ य रेतः.. (११) हे अ न! आप का वीय घोड़े के वीय क तरह है, व प है, तेजोमय है, जल म (बादल प म) आ य पाता है, पृ वी पर जीवन श के प म है. अंत र म अपनी ापक म हमा को फैलाए ए है. वह सव अपनी ापकता लए ए है. (११) अय सह ा प र यु ा वसानः सूय य भानुं य ो दाधार. सह दाः शतदा भू रदावा धता दवो भुवन य व प तः.. (१२) हे यजमानो! अ न हजार करण वाले सूय के तेज को धारण करते ह. वे य का मूल आधार है. वे वगलोक व पृ वीलोक को धारण करते ह. वे सैकड़ हजार कार के ऐ यदाता व व प त ह. (१२) नाके सुपणमुप य पत त दा वेन तो अ यच त वा. हर यप ं व ण य तं यम य योनौ शकुनं भुर युम्.. (१३) हे वेन! उपासक आप को दय से पाने क इ छा करते ह. इस इ छा से वे ऊपर दे खते ह. तब वे आप को अंत र लोक म अ न ( व ुत् पधारी) के पास पाते ह. आप व ण के त ह, सोने के पंख वाले ह, यम क यो न म ह व व का भरणपोषण करने वाले ह. (१३) ऊ व ग धव अ ध नाके अ था वसानो अ क सुर भ शे क
यङ् च ा ब द यायुधा न. वा ३ ण नाम जनत या ण.. (१४)
हे वेन! आप ऊंचे वगलोक के पास रहते ह. आप अद्भुत आयुध धारण कर के सुशो भत होते ह. आप सूय क तरह ा णय के लए जल धारण कर के उसे बरसाते ह. (१४) सः समु म भ य जगा त प यन् गृ य च सा वधमन्. भानुः शु े ण शो चषा चकान तृतीये च े रज स या ण.. (१५) हे वेन! जब आप समु के जल को ले कर ग
जैसी
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से दे खते ए मेघ के पास
प ंचते ह तब सूय क तरह चमकते ए तीसरे लोक से ाण जल बरसाते ह. (१५)
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इ क सवां अ याय आशुः शशानो वृषभो न भीमो घनाघनः ोभण षणीनाम्. सङ् दनो ऽ न मष एकवीरः शत सेना अजय साक म ः.. (१) हे इं ! आप बैल क तरह भीमकाय, नाशक, वै रय के लए ोभदायी, फू तवान व आल यर हत ह. अकेले आप ही ऐसे वीर ह, जो सारी श ु क सेना को परा जत कर दे ते ह. (१) सङ् दनेना न मषेण ज णुना यु कारेण यवनेन धृ णुना. त द े ण जयत त सह वं युधो नर इषुह तेन वृ णा.. (२) हे इं ! आप श ु को ं दन करा ( ला) दे ने वाले ह. आप आल यर हत ह. आप वजेता व नपुण ह. यो ा इं क सहायता से यु जीत कर श ु को भगाते ह. (२) स इषुह तैः स नष भवशी स ा स युध इ ो गणेन. स सृ ज सोमपा बा श यू ३ ध वा त हता भर ता.. (३) इं यु ( व ा) म द ह. वे सृ के वजेता, सोमरस पीने वाले, बा बली, धनुधारी व श ु के नाशक ह. वे तलवार और बाण धारण करने वाले यो ा के सहयोग से श ु को वशीभूत कर लेते ह. (३) बृह पते प र द या रथेन र ोहा म ाँ अपबाधमानः. भ सेनाः मृणो युधा जय माकमे य वता रथानाम्.. (४) हे इं ! आप सब के पालनहार, रा स के नाशक, श ु व हमारे रथ के र क ह. यु म हम वजयी ह . (४)
के बाधक, सेना के व वंसक
बल व ायः थ वरः वीरः सह वा वाजी सहमान उ ः. अ भवीरो अ भस वा सहोजा जै म रथमा त गो वत्.. (५) हे इं ! आप सब के बल को जानते ह. आप अ यंत वीर, थ वर और उ ता सहन करने वाले ह. आप बल स हत ही पैदा ए ह. आप महावीर व गोपालक ह. आप वजयी रथ म बैठने क कृपा क जए. (५) गो भदं गो वदं व बा ं जय तम म मृण तमोजसा. इम सजाता अनु वीरय व म सखायो अनु स ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रभ वम्.. (६)
हे इं ! आप मन के गढ़ भेद दे ते ह. आप व बा , श ुनाशक, वजेता, गोपालक, नेता और परा मशील ह. श ु पर ोध करने म आप इं का अनुगमन क जए. (६) अ भ गो ा ण सहसा गाहमानो ऽ दयो वीरः शतम यु र ः. यवनः पृतनाषाडयु यो ३ माक सेना अवतु यु सु.. (७) हे इं ! आप हमारी व सेना क र ा क जए. आप अद्भुत यु वीर, श ु जत्, थर, वीर, अनी त के त ोधी व श ु पर दया न करने वाले ह. आप श ु के गढ़ भेदने वाले ह. (७) इ आसां नेता बृह प तद णा य ः पुर एतु सोमः. दे वसेनानाम भभ तीनां जय तीनां म तो य व म्.. (८) हे इं ! आप हमारे नेता होइए. बृह प त सब से आगे होने क कृपा कर. सोम द ण य के संचालक ह. वे भी अ गामी ह . म द्गण श ुनाशक ह. वे दे वता क सेना म सब से आगे होने क कृपा कर. (८) इ य वृ णो व ण य रा आ द यानां म ता शध उ म्. महामनसां भुवन यवानां घोषो दे वानां जयतामुद थात्.. (९) हे इं ! आप श मान ह. व ण राजा ह. म द्गण ती बल वाले ह. आप श ु के डेर के नाशक, महान मन वाले व वजयशील ह. दे वता का जयघोष सव ा त हो, सव गूंजे. सभी दे वता का हम सहयोग ा त हो. (९) उद्वृषय मघव ायुधा यु स वनां मामकानां मना स. उद्वृ ह वा जनां वा जना यु थानां जयतां य तु घोषाः.. (१०) हे इं ! आप मतावान ह. आप अ श धारी यु वीर के मन म उ साह भर. आप हमारे मन म भी जोश भर. आप हमारे यु रथ के घोड़ को वेगवान बनाइए. वजयी हो कर आते ए हमारे रथ के जयघोष गूंज. (१०) अ माक म ः समृतेषु वजे व माकं या इषव ता जय तु. अ माकं वीरा उ रे भव व माँ उ दे वा अवता हवेषु.. (११) यु (११)
हे इं ! आप यु म हमारी सेना के र क होइए. हमारे बाण श ु वजय कर. हमारे वीर म वजय ा त कर. य म दे वता हमारी र ा कर. हमारे वज पर वजय अं कत हो. असौ या सेना म तः परेषाम ये त न ओजसा पधमाना. तां गूहत तमसाप तेन यथैतेषाम यो अ यं न जानात्.. (१२) हे म द्गणो! बल से पधा करती ई श ुसेना हम पर आ मण करे तो आप उस सेना
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को घने अंधकार से घेर ली जए, जस से वे एक सरे को पहचान तक न सक और अपनी ही सेना का संहार कर द. (१२) अमीषां च ं तलोभय ती गृहाणा ा य वे परे ह. अ भ े ह नदह सु शोकैर धेना म ा तमसा सच ताम्.. (१३) हे पाप के दे वता! आप श ु के च त लोभी बनाइए. आप श ु के अंग को भी कस ली जए. आप शोक क वाला से श ु का दय दहलाइए. आप घनघोर अंधेरा कर के श ु को अचेत (बेहोश) बना द जए. (१३) ेता जयता नर इ ो वः शम य छतु. उ ा वः स तु बाहवो ऽ नाधृ या यथासथ.. (१४) हे वीर मनु यो! इं आप को सुखशां तमय बनाने क कृपा कर. आप के बा उ ह . आप को श ु अधीन न बना सके. आप उन पर आ मण कर के वजय ा त क जए. (१४) अवसृ ा परा पत शर े स शते. ग छा म ा प व मामीषां कं च नो छषः.. (१५) हमारे बाण वेदमं और तु तय से े रत कए गए ह. वे बाण जब हम छोड़ तो श ु कतना ही र य न हो, उस पर जा कर गर. उन श ु म से कोई भी बच न पाए. (१५) कङ् काः सुपणा अनु य वेनान् गृ ाणाम मसाव तु सेना. मैषां मो यघहार ने वया येनाननुसंय तु सवान्.. (१६) हे इं ! बाण मांसाहारी बाज क तरह श ु का अनुगमन (पीछा) कर. श ु क सेना गद्ध का भोजन हो जाए. उन का कोई अवशेष न रह पाए. पाप म लगे पापी भी बच न पाएं. मांसाहारी प ी उन का भी अनुगमन (पीछा) कर. (१६) अ म सेनां मघव
मां छ ुयतीम भ. उभौ ता म
वृ ह
न दहतं
त.. (१७)
हे इं ! आप अ म क सेना का नाश क जए. आप वृ हंता व धनवान ह. आप और अ न मल कर श ु क सेना को भ म करने क कृपा कर. (१७) य बाणाः संपत त कुमा व शखा इव. त नो ण प तर द तः शम य छतु व ाहा शम य छतु.. (१८) जहां बाण इस तरह गरते ह, जैसे बना चोट वाले चंचल बालक गर रहे ह , वहां अ द त और ण प त हम सुख दे ने क कृपा कर. वे सदै व हमारा क याण करने क कृपा कर. (१८) व र ो व मृधो ज ह व वृ य हनू ज. व म यु म वृ ह म या भदासतः.. (१९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप रा स व हसक का वनाश करने क कृपा क जए. आप वृ ासुर जैसे रा स क ठोड़ी तोड़ द जए. आप अ म का ोध और घमंड र करने क कृपा क जए. (१९) व न इ मृधो ज ह नीचा य छ पृत यतः. यो अ माँ अ भदास यधरं गमया तमः.. (२०) हे इं ! हमारी सेना यु म श ु को परा जत कर दे . हमारे श ु मुंह नीचा कर के हमारे सामने आएं. आप उन श ु को पतन के गत म डाल द जए, जो हम अपने अधीन (वश म) करना चाहते ह. (२०) इ य बा थ वरौ युवानावनाधृ यौ सु तीकावस ौ. तौ यु ीत थमौ योग आगते या यां जतमसुराणा सहो महत्.. (२१) इं के बा हाथी क सूंड़ क तरह ह. आप सव थम उन भुजा को यु म े रत करने क कृपा क जए. आप बल जत्, थर व जवान ह. आप पर कसी का वश नह चल सकता. (२१) ममा ण ते वमणा छादया म सोम वा राजामृतेनानु व ताम्. उरोवरीयो व ण ते कृणोतु जय तं वानु दे वा मद तु.. (२२) हे इं ! हम आप के मम थान को कवच से ढकते ह. राजा सोम आप को अमृतमय बनाने क कृपा कर. व ण आप को सुख दान करने क कृपा कर. दे वता आप को स ता दान कर. (२२) अ धा अ म ा भवताशीषाणो ऽ हय इव. तेषां वो अ ननु ाना म ो ह तु वरंवरम्.. (२३) हे इं ! सर र हत सांप जैसे अंधा होता है, वैसे ही हमारे अ म हो जाएं. उन म से जो अ न क वाला से बच जाएं, उन बचे ए श ु को आप वयं न करने क कृपा क जए. (२३) यो नः वो ऽ रणो य न दे वा त सव धूव तु
ो जघा स त. वम ममा तरं शम वम ममा तरम्.. (२४)
जो हमारे अपने हो कर व ासपूवक छल से हम मारना चाहते ह, दे वगण उन सभी धूत को न करने क कृपा कर. वेद के मं हमारे मम थान के कवच ह. वे हम सुख दान करने क कृपा कर. (२४) मृगो न भीमः कुचरो ग र ाः परावत आ जग था पर याः. सृक स शाय प व म त मं व श ूं ता ढ वमृधो नुद व.. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! आप पवत म रहने वाले शेर के समान भयंकर ह. र से यहां आ कर र तक मारक तीखे व से श ु का नाश करने क कृपा क जए. आप लड़ाकू श ु को र करने क कृपा क जए. (२५) भ ं कण भः शृणुयाम दे वा भ ं प येमा भयज ाः. थरैरंगै तु ु वा स तनू भ शेम ह दे व हतं यदायुः.. (२६) हे दे वगणो! आप क कृपा से कान से क याणकारी वचन सुन, आंख से मंगलमय य दे खने को मल. हम व थ हाथपैर और अंग से आप क तु त कर सक. आप दे वता क कृपा से हम जो भी आयु ा त ई है, उस का हम तु तपूवक स पयोग कर सक. (२६) व त न इ ो वृ वाः व त नः पूषा व वेदाः. व त न ता य अ र ने मः व त नो बृह प तदधातु.. (२७) इं हमारा क याण करने क कृपा कर. सव ाता पूषा हमारा क याण करने क कृपा कर. अ हसक अ श वाले ग ड़ व ान धारण करने वाले बृह प त हमारा क याण करने क कृपा कर. (२७) (सामवेद पूण)
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