शंका

  • Uploaded by: Ajit arya
  • 0
  • 0
  • October 2019
  • PDF

This document was uploaded by user and they confirmed that they have the permission to share it. If you are author or own the copyright of this book, please report to us by using this DMCA report form. Report DMCA


Overview

Download & View शंका as PDF for free.

More details

  • Words: 195
  • Pages: 1
आध्यात्मिकता के अनु सार कुछ मु ख्य प्रश्नो के उत्तर:१. वास्तव मे हम सभी चेतन सत्ताये हैं , अर्ाा त् आिा और हमारा शरीर नाशवान जड़रुपी वस्तु । आिा और शरीर के संयोग का नाम जन्म और ववयोग का नाम मृ त्यु। हमारे शरीर की उत्पवत्त रज् और वीया से हुई। २. ब्रह्माण्ड एक अनन्त आकाश(space) है , वजसमें असंख्य सूया, तारे नक्षत्र आवि समाये है । इसका संचालक वह रचनाकार परमे श्वर हैं , हमे ये जन्म मोक्ष प्रात्मि हे तु वमला है । ३. मृ त्यु के बाि आिा यमालय(वाय्वालय) अर्ाा त् अन्तररक्ष को जाती है , तत्पश्चात कमाा नुसार ववववध योवनयो प्राि होती हैं । जीवािा से सभी इत्मिया और प्राण जु ड़े रहते हैं यही शत्मि सचालन का काया करता हैं , इसके ववयोग से शरीर चेतना शू न्य हो जाता हैं । जन्म और मृ त्यु, विन और रात की तरह होते हैं , वजस प्रकार रात के पीछे विन, और विन के पीछे रात होती है , उसी प्रकार जन्म-मृ त्यु का चक्र(पुनजा न्म) चलता रहता है। परन्तु ये एक बधन है इस जन्म-मृ त्यु के बन्धन से मु ि होना ही हमारा प्रमु ख उद्दे श्य होना चावहए।

More Documents from "Ajit arya"

Bin12
August 2019 36
Bin.txt
October 2019 33
October 2019 31
Bin132.txt
October 2019 22
October 2019 16
Cld.txt
September 2019 27