डा. गंगा सहाय शमा
एम. ए., ( हद -सं कृत), पी-एच. डी.,
ाकरणाचाय
सं कृत सा ह य काशन नई द ली
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© सं कृत सा ह य काशन सं करण : २०१५
ISBN 81-87164-97-2 व. .- 535.5H15* सं कृत सा ह य काशन के लए व बु स ा. ल. एम-१२, कनाट सरकस, नई द ली-११०००१ ारा वत रत
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भू मका है—
महाभा य के रच यता मह ष पतंज ल ने अथववेद क नौ सं हता
का उ लेख कया
नवधाऽथवाणोवेदः. इस का ता पय यह है क पतंज ल के समय अथववेद क नौ सं हताएं उपल ध थ . पतंज ल का समय २०० ईसा पूव से १५० ईसा पूव तक माना जाता है. इन सं हता के नाम इस कार ह— (१) प लाद, (२) तोद अथवा तोद, (३) मोद, (४) शौनक य, (५) जावल, (६) जलद, (७) दे व (८) दे वदश (९) चारणवै . आजकल तीन सं हताएं उपल ध ह— प लाद, मोद और शौनक. इन म शौनक सं हता का आजकल ब त चार है. म ने जो अनुवाद तुत कया है, उस का आधार शौनक सं हता ही है. शौनक सं हता म २० कांड, ७३१ सू तथा ५९८७ मं ह. अथववेद क शौनक सं हता के कांड क थ त इस कार है— आरंभ के सात कांड म छोटे छोटे सू ह. थम कांड के येक सू म ४ मं , तीय कांड के येक सू म ५ मं , तृतीय कांड के येक सू म ६ मं , चतुथ कांड के येक सू म ७ मं तथा पंचम कांड के येक सू म ८ मं ह. ष कांड म १४२ सू ह और येक सू म कम से कम तीन मं ह. स तम कांड म ११८ सू ह. इन म अ धकांश सू एक अथवा दो मं वाले ह. आठव से ले कर बारहव कांड तक अ धक मं वाले बड़े सू ह. तेरहव से अठारहव कांड तक भी अ धक मं वाले सू ह. स हव कांड म ३० मं का केवल एक सू है. उ ीसव कांड म ७२ सू ह और बीसव कांड म १४३ सू ह. अथववेद म ऋ वेद से लए गए मं क सं या १२०० है. ऋ वेद क वषय व तु डा. उमाशंकर शमा ऋ ष ने अपने ‘सं कृत सा ह य का इ तहास’ म अथववेद क वषय व तु का वणन करते ए लखा है— “ थम कांड म व वध रोग क नवृ , बंधन से मु , रा स का वनाश, सुख ा त आ द का न पण है. तीय कांड म रोग, श ु एवं कृ मनाश तथा द घायु य क ाथना है. तृतीय कांड म श ुसेना का स मोहन, राजा का ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नवाचन, शाला नमाण, कृ ष तथा पशु पालन का ववरण है. चतुथ कांड म व ा, वषनाशन, रा या भषेक, वृ , पापमोचन तथा ोदन का वणन है. पंचम कांड म मु यत व ा और कृ या रा सी के प रहार से संब मं ह. ष कांड म ः व नाशन और अ समृ के मं ह. स तम कांड आ मा का वणन करता है. अ म कांड म मु यतया वराट् का वणन है. नवम कांड म मधु व ा, पंचोदन, अज, अ त थ स कार, गो म हमा एवं य मा का नाश—ये वषय ह. दशम कांड म कृ या नवारण, व ा, श ु नाश के लए वरणम ण, सप वषनाशन एवं ये वषनाशन का वणन है. एकादश कांड म ोदन, तथा चय का वणन है. ादश कांड म स पृ वी सू है, जस म भू म का मह व व णत है. योदश कांड म पूणतयाः अ या म का करण है. चतुदश कांड म ववाह सं कार से संब काय का वणन है. पंचदश कांड म ा य का ग म वणन है. षोडश कांड म ःखमोचन के लए ग ा मक मं ह. स तदश कांड म अ युदय के लए ाथना है. अ ादश कांड पतृमेध से संब है . एकोन वश कांड म व वध वषय ह—य , न , व वध म णयां, छं द के नाम, रा का वणन, काल का मह व. वश कांड म सोमयाग का वणन तथा इं क तु त है. इस के अंत म 10 सू ‘कुंताय सू ’ के नाम से स ह. अथववेद का मह व अथववेद क वषयव तु शेष तीन वेद —ऋ वेद, यजुवद और सामवेद से भ है. इन तीन वेद म य , दे व तु तय , वग ा त आ द को मह व दया गया है. इस के वपरीत अथववेद म व णत ओष धयां, जा , टोनाटोटका आ द लौ कक जीवन से संबं धत ह. ब त समय तक तीन वेद क मा यता रही थी. इस वषय म एक सू तुत है— योऽ य ययो वेदा योदे वा योगुणाः यो दं ड बंध षुलोकेषु व ुताः.. अथात तीन अ नयां, तीन वेद, तीन गुण और दं डी क व के तीन बंध-तीन लोक म स ह. अथववेद क भाषा भी शेष तीन वेद क भाषा से सरल है. इन य से प होता है क अथववेद क रचना बाद म ई है. वैसे य म अथववेद को वशेष मह व ा त है. य म चार वेद से संबं धत चार ऋ वज होते ह. उन म धान ऋ वज् ा कहलाता है. वह अपनी दे खरेख म य काय कराता है और शेष ऋ वज को नदश दे ता है. ा एक कार से य का अ य अथवा धान होता है. यह ा अथववेद का ही ाता होता है. आचाय बलदे व साद उपा याय के अनुसार— अथववेद का वषय ववेचन अ य वेद क अपे ा नतांत वल ण है. इस म व णत वषय का तीन कार से वभाजन कया जा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सकता है— (१) अ या म (२) अ धभूत और (३) अ धदै वत. उन के अनुसार अथववेद के सू
का वषयगत वभाजन न न ल खत है—
(१) भैष य सू —इन सू
म रोग क च क सा और ओष धय का वणन है.
(२) आयु य सू —इन सू
म द घ आयु के लए ाथना क गई है.
(३) पौ क सू —इन सू म घर बनाने, हल जोतने, बीज बोने, अनाज उ प करने आ द का वणन है. (४) ाय त सू —इन सू ाय त का वणन है. (५)
ीकम सू —ये सू
म अनेक कार के पाप और न ष
कम के
ववाह तथा ेम से संबं धत ह.
(६) राजकम सू —इन सू का संबंध राजा और उन के काय से है. अथववेद का वशेष सू अथववेद का वशेष सू ‘पृ वी सू ’ है. इस सू म पृ वी को ‘माता’ कहा गया है. इस के एक मं का अंश है— माता पृ थवी पु ो ऽ
ह पृ थ ाः.
अथात पृ वी मेरी माता है और म इस पृ वी का पु ं. यह भावना शेष तीन वेद म से कसी म नह है. जहां तक संभव आ है, म ने सरल भाषा म अथववेद के मं भा य के आधार पर अनुवाद कया है.
का आचाय सायण के —गंगा सहाय शमा
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अनु म पहला कांड सरा कांड तीसरा कांड चौथा कांड पांचवां कांड छठा कांड सातवां कांड आठवां कांड नौवां कांड दसवां कांड यारहवां कांड बारहवां कांड तेरहवां कांड चौदहवां कांड पं हवां कांड सोलहवां कांड स हवां कांड अठारहवां कांड उ ीसवां कांड बीसवां कांड
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पहला कांड सू १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३.
वषय वाणी के वामी दे व क तु त पज य अथात् बादल तथा पृ वी का वणन इं क तु त पज य, व ण, चं व सूय का वणन जल दे वता क तु त जल का ओष ध के प म वणन जल संसार का क याणकारी त व अ न और इं क श का वणन बृह प त, अ न एवं सोम से श ु को दं डत करने का आ ह वसु, इं , पूषा, व ण, म , अ न एवं व े दे व से धन संप क कामना व ण से जलोदर रोग से मु क कामना सव दे व पूषा से सव वेदना से छु टकारा पाने का अनुरोध व भ रोग से छु टकारा पाने के लए सूय क च आ द से शंसा पज य क तु त यम और सोम क शंसा सधु, पवन आ द क शंसा अ न और व ण दे व से चोर का संहार करने का अनुरोध ीक र वा हनी का वणन स वता, व ण म , अयमा आ द दे व क तु त इं आ द दे व को श ु से र ा करने का आ ह सोम, इं और व ण दे व से श ु ारा छोड़े गए आयुध को न काम करने का आ ह इं दे व से श ु का वनाश करने के लए आ ह दय रोग नवारण हेतु सूय दे व क तु त ह र ा, इं ावा ण आ द ओष ध का वणन
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मं १-४ १,२,४ ३ १-९ १-४ १-४ १-४ १-७ १-४ १-४ १-४ १-६ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-४
२४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५.
आसुरी माया से उ प वन प त का वणन य मा नाशक अ न क तु त इं , म त् व पज य दे व क तु त श ु सेना को परा जत और अपनी सेना को आगे बढ़ाने के लए इं प नी क तु त अ न दे व क तु त ण प त दे व क तु त व े दे व, आ द य एवं वसु क तु त इं , यम आ द चार दे व के लए मं क आ त दे व कुबेर से वण व रजत आ द धन दे ने का आ ह पृ वी और आकाश को नमन रोग वनाशक जल दे व क तु त मधु लता का वणन हर य का वणन
१-४ १-४ १-४ १-४ १-४ १-६ १-४ १-४ ४ १-४ १-४ १-५ १-४
सरा कांड सू १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४.
वषय और आ मा का वणन के प म सूय क आराधना ाव वरोधी ओष ध का वणन जं गड़ वृ से न मत जं गड़ म ण का वणन इं क तु त अ न दे व क तु त पाप का वनाश करने वाली म ण का गुणगान य मा और कु रोग से मु करने वाले तारे वन प तय से न मत म ण का वणन ावा और पृ वी का व भ रोग म क याणकारी होना तलक वृ से न मत म ण ावा, पृ वी और अंत र के अ धप त दे व मशः अ न, वायु और सूय का वणन अ न, बृह प त और व े दे व का गुणगान अ न, भूतप त तथा इं क तु त
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मं १-५ १-५ १-६ १-६ १-७ १-५ १-५ १-५ १-५ १-८ १-५ १-८ १-५ १-६
१५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५. ३६.
ाण को बल दान करना ाण और अपान से मृ यु से र ा के लए ाथना ावा और पृ वी क तु त अ न क ओज के प म तु त अ न दे व से श दान करने क ाथना अ न दे व क तु त वायु दे व क तु त सूय दे व क तु त चं दे व क तु त जल दे व क तु त रा स के वामी से अनुरोध रोग को परा जत करने वाली जड़ी पृ पण का वणन स वता दे वता क शंसा वारपाठा नामक जड़ी का वणन अ न दे व क तु त अ न, सूय और इं क तु त अ नीकुमार क तु त मही दे वता ारा क टाणु का नाश सूय क करण ारा क टाणु का नाश य मा रोग का वनाश व कमा क तु त व कमा क तु त अ न, सोम व व ण क तु त
१-६ १-५ २ १-७ १-५ १-५ १-५ १-५ १-५ १-५ १-८ १-५ १-५ १-७ १-५ १-७ १-५ १-५ १-६ १-७ १-५ १-५ १-८
तीसरा कांड सू १. २. ३. ४. ५.
वषय अ न, म त् व इं दे व क तु त अ न, इं और म त् से श ु का वनाश करने का अनुरोध अ न क तु त इं दे व से राजा, रा य पुनः ा त होना ओष धय क सार प पणम ण का वणन
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मं १-६ १-६ १-६ १-७ १-८
६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१.
अ थ म ण क तु त हरण के सर म स ग क रोग नवारक ओष ध का वणन म आ द दे व से आयु को द घ करने का अनुरोध स वता, व ा, इं आ द दे व क तु त सोम, स वता आ द दे वता का आ ान पशु से सुर ा के लए दे व से ाथना एका का उषा क तु त इं और अ न दे व से य मा रोग से मु क ाथना शाला, वा तो प त का वणन इं और बृह प त से शाला के नमाण का नवेदन सधु और जल का वणन गाय का वंश बढ़ाने के लए तु त ापार से लाभ क कामना के लए इं व अ न दे व क तु त अ न, इं , म , व ण आ द क शंसा खेती बढ़ाने के लए इं , सूय, वायु आ द दे व क शंसा पाठा जड़ीबूट का वणन पुरो हत ारा राजा क जय क कामना अ न क तु त अ न क तु त इं , व ण आ द से बल क ाथना पु ा त क कामना वन प त क शंसा काम दे व क शंसा म व ण क तु त गंधव क तु त दशा क तु त जुड़वां ब च को ज म दे ने वाली गाय का वणन सफेद पैर वाली भेड़ क मह ा का वणन सौमन य कम क वशेषताएं अ नीकुमार , इं , वायु आ द क तु त
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१-८ १-७ १-६ २ ३ १-६ १-१३ १-८ १-९ ४ १-७ १-६ १-८ १-७ १-९ १-६ १-८ १-१० १-१० १-६ १-६ १-७ १-६ ६ १-६ १-६ १-६ १-८ १-७ १-११
चौथा कांड सू १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०.
वषय बृह प त आ द दे व क तु त जाप त क शंसा बाघ, चोरमनु य और भे ड़ए से बचाव क कामना वन प त व जड़ीबू टय का वणन व के दे व क शंसा त क क उ प का वणन वष का वणन वषहारी वारण वृ का वणन वषमूलक जड़ीबूट का वणन जल का वणन अंजन म ण क म हमा का वणन शंख म ण का वणन इं के प म अनड् वान अथात् बैल का वणन रो हणी वन प त का वणन वायु और इं क तु त य क म हमा वषा दे व क तु त व ण दे व क शंसा सहदे वी व अपामाग वन प त का वणन सहदे वी व अपामाग जड़ी का वणन सहदे वी व अपामाग ओष ध का वणन सदा पु पा नाम क जड़ीबूट का वणन गाय क म हमा का वणन इं व य राजा क तु त अ न दे व क तु त इं दे व क तु त वायु और स वता दे व क तु त ावा पृ वी क तु त म त् क तु त भव और शव क तु त म और व ण दे व क शंसा वा दनी पु ी वाक् का वणन
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मं १-७ १-८ १-७ १-८ १-७ १-८ ३ १-७ १-६ १-७ १-१० १-७ १-१२ १-७ १-७ १-९ १-१६ १-९ १-८ १-८ १-८ १-९ १-७ १-७ १-७ १-७ १-७ १-७ १-७ १-७ १-७ १-८
३१. ३२. ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०.
ोध के अ भमानी दे व म यु का वणन म यु क तु त अ न दे व क तु त ौदन क तु त ा णय के नमाणकता दे व का वणन स य एवं ओज वाले अ न दे व क तु त व भ जड़ीबू टय का वणन अ सरा ारा अ शलाका क तु त अ न, वायु, सूय आ द क शंसा जातवेद अ न क तु त
१-७ १-७ १-८ १-८ १-७ १-१० १-१२ १-७ १-१० १-८
पांचवां कांड सू १. २. ३.
वषय व ण क तु त इं क म हमा का वणन अ न दे व क शंसा भारती, सर वती और पृ वी क तु त इं क तु त ४. कु ओष ध का वणन ५. लाख ओष ध का वणन ६. क तु त सूय क तु त अ न क तु त ७. अरा त क तु त ८. अ न दे व से य म सभी दे व को लाने का आ ह इं को य म आने का नमं ण अ य दे व से य म आने का आ ह इं से श ु को मारने का आ ह ९. पृ वी, वग और आकाश से ाथना १०. प थर से बने घर क तु त चं मा, वायु, सूय, अंत र और पृ वी क तु त ११. व ण दे व क तु त १२. अ न क तु त १३. सप वषनाशन वणन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मं १-९ १-९ १-११ ७ ८ १-१० १-९ १-१४ ४ ११ १-१० १-९ २ ३ ९ १-८ १-८ ८ १-११ १-११ १-११
१४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१.
ओष ध से ाथना मधुला ओष ध का वणन लवण को संतानो प के लए उ सा हत करना जाया का वणन ा ण क गाय का वणन ा ण के साथ बुरे वहार के फल का वणन ं भ क म हमा का वणन ं भ क म हमा का वणन दे ह को न कर दे ने वाले वर का वणन इं क तु त स वता, अ न, ावा और पृ वी, व ण, म , वायु दे व, चं मा आ द क तु त अ न, व ण, म आ द क तु त अ न, स वता दे व, इं व अ नीकुमार क तु त अ न सभी दे व म े उषा दे वी, आ द य आ द का वणन जातवेद अ न दे व क तु त यम, आयु और अ न से ाथना कृ या का तहरण
१-१३ १-११ १-११ १-१८ १-१५ १-१५ १-१२ १-१२ १-१४ १-१३ १-१७ १-१३ १-१२ १-१२ १-१४ १-१५ १-१७ १-१२
छठा कांड सू १. २. ३. ४.
वषय स वता दे व क तु त इं के लए सोमरस का बंध इं और पूषा दे व क तु त व ा क तु त अ द त क तु त अ नीकुमार क तु त ५. अ न और इं क तु त ६. ण प त व सोम क शंसा ७. सोम से क याण क याचना ८. कामा मा का वणन ९. कामा मा का वणन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मं १-३ १-३ १-३ १-३ २ ३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३
१०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०. ४१. ४२. ४३. ४४.
अ न और वायु क तु त पुंसवन कम का वणन वष नवारण वणन मृ यु क तु त े मा रोग का नवारण वन प तय म उ म पलाश वृ का वणन खाई जाने वाली सरस का वणन नारी के गभ म थत रहने क कामना ई या वनाशन दे व से शु के लए ाथना बल प वर से छु टकारे क कामना धनवती ओष धय का वणन आ द य, र म व म त् क तु त जल क शंसा जल का वणन म यु वनाशन पा मा क तु त यम क पूजा अचना यम क शंसा यम क तु त जौ सौभा य सूचक शमी का वणन गौ अथात् सूय क करण का वणन अ न क तु त इं क तु त अ न क तु त वै ानर अ न क तु त वै ानर अ न क आराधना इं क तु त तेज व पा दे वी क तु त इं क तु त ावा, पृ वी व इं क आराधना ाण के अ ध ाता दे व एवं द गुण क शंसा पु ष के लए उपदे श ोध को शांत करना गाय के स ग ारा वषाण रोग का इलाज
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१-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-४ १-४ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-५ १-३ १-३ १-३ १-४ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३
४५. ४६. ४७. ४८. ४९. ५०. ५१. ५२. ५३. ५४. ५५. ५६. ५७. ५८. ५९. ६०. ६१. ६२. ६३. ६४. ६५. ६६. ६७. ६८. ६९. ७०. ७१. ७२. ७३. ७४. ७५. ७६. ७७. ७८. ७९.
ः व का वनाश ः व का वनाश अ न क तु त सवन नामक य का उ लेख अ न क तु त अ नीकुमार क तु त व ण दे व क तु त सूय दे व क तु त पृ वी आ द क तु त इं , अ न और सोम क तु त छह ऋतु के अ ध ाता दे व क शंसा व े दे व और क तु त रोग क ओष ध का वणन इं , स वता, अ न, सोम आ द क शंसा सहदे वी नामक ओष ध का वणन अयमा दे व क तु त जल के अ ध ाता दे व क तु त वै ानर अ न क तु त अ न का रणी दे वी नऋ त का वणन सोमन य के इ छु क जन को उपदे श इं क तु त इं क तु त इं क तु त स वता दे व व माता अ द त क शंसा अ नीकुमार क तु त ेम बंधन का वणन अ न क शंसा अक म ण का वणन व ण दे व क तु त ण प त दे व क तु त इं क तु त सायंतन अ न क तु त जातवेद अ न क शंसा अ न दे व क शंसा अंत र के पालनकता अ न क शंसा
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१-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-४ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-४ १-३ १-३ १-३
८०. ८१. ८२. ८३. ८४. ८५. ८६. ८७. ८८. ८९. ९०. ९१. ९२. ९३. ९४. ९५. ९६. ९७. ९८. ९९. १००. १०१. १०२. १०३. १०४. १०५. १०६. १०७. १०८. १०९. ११०. १११.
अ न क तु त अ न क तु त इं क शंसा सूय ारा गंडमाला क च क सा नऋ त का वणन वरण म ण ारा राजय मा रोग का नवारण इं क तु त अ छे राजा क कामना अ छे रा य के लए व ण, बृह प त और सूय क शंसा व ण, सर वती, आ द क प तप नी मलन के लए शंसा दे व क शंसा य मा रोग का वनाश वेगवान अ क शंसा यम आ द क शंसा सर वती दे वी क आराधना कूठ वन प त का वणन वन प तय के दे व राजा सोम क शंसा मेधावी म और व ण का वणन इं क तु त इं क तु त इड़ा, सर वती और भारती ारा वष वनाशक ओष ध दान करना पु ष को गभाधान करने म समथ होने का आशीवाद अ नीकुमार क तु त बृह प त दे व क आराधना इं और अ न क शंसा खांसी रोग से मु क कामना अ नशाला क तु त व जत दे व क तु त मेघा दे वी और अ न क आराधना प वली ओष ध का वणन अ न दे व क तु त अ न क तु त
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१-३ १-३ १-३ १-४ १-४ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-४ १-३ १-३ १-३ १-३ १-२ १-३ १-३ १-३ १-४ १-५ १-३ १-३ १-४
११२. ११३. ११४. ११५.
अ न क तु त पूषा दे व क तु त अ न और अ द त पु दे व क शंसा व े दे व क तु त पाप से छु टकारे का आ ह ११६. वव वान क तु त ोध शांत हो ११७. अ न क तु त ऋण क वापसी ११८. उ ंप या एवं उ जता अ सरा क तु त पाप ऋण से मु क कामना ११९. वै ानर अ न क तु त लौ कक और दै वक ऋण प फंद को ढ ला करना १२०. अ न क तु त पृ वी, अ द त, अंत र तथा आकाश का वणन वग म अपने माता, पता तथा पु से मलना १२१. बंधन के दे वता नऋ त क तु त बंधन से मु क कामना १२२. व कमा क तु त अ न क तु त इं से अ भलाषा पूरी करने क कामना १२३. वग म वराजमान दे व क तु त पतर का वणन य करना और दान दे ना सोम से वग म थत रहने क ाथना १२४. अ न क तु त जल वृ का फल ही है १२५. वन प त क तु त वृ से ा त रस का वणन द गुण से यु रथ क तुलना १२६. ं भ क तु त ं भ से बल को बढ़ाने के लए ाथना इं क शंसा १२७. वसप ा ध ओष ध का वणन पीपु नाम क ओष ध का वणन १२८. शंकधूम और चं मा क तु त १२९. भग दे व क शंसा १३०. माष नाम क जड़ीबूट का वणन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
१-३ १-३ १-३ १-३ २ १-३ ३ १-३ २ १-३ २ १-३ २ १-३ २ ३ १-४ २ १-५ ४ ५ १-५ ३ ४ ५ १-३ २ १-३ २ ३ १-३ २ ३ १-३ २ १-४ १-३ १-४
१३१. १३२.
१३३. १३४. १३५. १३६. १३७. १३८. १३९. १४०. १४१.
१४२.
म द्गण और अ न दे व क तु त संक प क दे वी आकू त क शंसा दे व ारा कामदे व व उस क प नी आ ध को जल म डु बोया जाना म और व ण दे व ारा कामदे व व उस क प नी आ ध को जल म डु बोया जाना श ु को मारने के लए बांधी जाने वाली मेखला का वणन श ु के वनाश हेतु यमराज से ाथना व का वणन व तु त व का वणन व तु त श ु का वनाश कालमाची नामक जड़ीबूट का वणन व तु त केश को उ प करना और ढ़ बनाना वन प त क शंसा केश का बढ़ना श हीन करने वाली जड़ीबूट वीयवा हनी ना ड़य का नाश शंखपु पी जड़ीबूट का वणन ण प त दे व और जातवेद अ न क तु त वायु, व ा, दे व आ द क गाय क वृ और च क सा के लए तु त गाय क असी मत वृ के लए अ नीकुमार क शंसा जौ नामक अ क शंसा जौ को खाने और ले जाने वाले वनाश र हत ह
४ १-३ १-५ ५ १-५ ३ १-३ १-३ ३ १-३ २ १-३ ३ १-५ ४ १-५ १-३ १-३ ३ १-३ ३
सातवां कांड सू १.
वषय जाप त ारा संसार के लोग को अपने अपने कम करने क ेरणा दे ना २. जाप त क तु त ३. जाप त क तु त ४. वायु दे व क तु त ५. य प जाप त क शंसा ६. पृ वी एवं दे वमाता का वणन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मं १-२ १ १ १ १-५ १-२
७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५. ३६.
अ द त क तु त अ द त के पु अथात दे व का वणन बृह प त क तु त सब के पोषक सूय दे व क तु त सर वती क तु त पज य दे व क तु त जाप त क दोन पु य , सभा तथा सभासद क तु त े ष करने वाले पु ष के तेज का वनाश स वता दे व क तु त सब के ेरक स वता दे व क तु त बृह प त एवं स वता दे व क तु त धाता दे व क तु त स वता व जाप त क तु त धाता क शंसा जाप त और धाता क तु त अनुम त नामक दे वी क शंसा सुख ा त करने का अनु ह सु णी त दे वी से य पूण करने का आ ह पुरातन सूय क शंसा स कम क ेरणा दे ने के लए सूय दे व क तु त ः व वनाश क कामना स वता व जाप त दे व क आराधना व णु और व ण क शंसा व णु के वीरतापूण कम का वणन इडा क तु त काम म आने वाले उपकरण क शंसा अ न और व णु क तु त दे व से य के यूप को रंगने क कामना धनवान एवं शौय संप इं क शंसा अ न दे व क तु त म त् आ द दे वगण से सुखसमृ क कामना अ न दे व व अद ना दे वमाता क शंसा अ न से श ु के वनाश क कामना व े ष करने वाली ी संतान र हत नारी
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१-२ १ १ १-४ १ १ १-४ १-२ १-४ १ १ १-४ ४ १-२ १ १-६ ३ ४ १ १-२ १ १ १-२ १-८ १ १ १-२ १ १ १ १ १ १-३ २ ३
३७. ३८. ३९.
प नी तथा प त का पर पर अनुर होना मं से यु व सौवचा नामक जड़ी का वणन प त वशीकरण शंखपु पी ४०. सार वत दे व क शंसा ४१. सर वान दे वी क तु त ४२. सूय और इं क तु त ४३. अमीवा नामक रोग के लए सोम एवं दे व क ाथना ४४. वा णय के प ४५. इं और व णु क आराधना ४६. स ु मंथ नामक जड़ीबूट का वणन ४७. ई या को शांत करने के लए आ ह ४८. सनीवाली क शंसा ४९. कु क शंसा ५०. शो भत व शोभन तु त वाली पू णमा का आ ान ५१. सुख के लए दे व प नय क तु त ५२. अ न क तु त जुआ रय का वध जुआ रय को जीतने के लए इं से ाथना इं क शंसा वजय के लए पास क पूजा ५३. श ु से र ा के लए बृह प त व इं क शंसा ५४. आपस म सौमन य के लए अ नीकुमार क आराधना ५५. बृह प त, अ न और अ नी कुमार क तु त ाण और अपान वायु आयु क कामना वग म आरोहण ५६. इं से सुख क कामना ५७. ऋ वेद और सामवेद का पूजन ५८. मधु नामक जड़ीबूट का वणन सप का वष नकालना शक टक सप के टु कड़े परपीड़ादायक ब छू वषनाशक जड़ीबूट ५९. सर वती क तु त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
१ १ १-५ २ ३ १ १-२ १-२ १-२ १ १ १ १ १-३ १-२ १-२ १-२ १-९ १ ४ ७ ९ १ १-२ १-७ २ ३ ७ १ १-२ १-८ २ ५ ६ ७ १-२
६०. ६१. ६२.
६३. ६४. ६५. ६६. ६७. ६८. ६९. ७०. ७१. ७२. ७३. ७४. ७५. ७६. ७७.
७८. ७९.
सोमरस क ाथना सोमरस पीने के लए इं और व ण का आ ान नदा करने वाले श ु का वनाश घर क तु त घर म सौमन य घर धनधा य से प रपूण ह घर म गाएं, बक रयां व भेड़ ह तप के लए अ न दे व क तु त जा को वश म करने क कामना अ न क तु त अ भमं त जल ारा कौवे के पंख क चोट से र ा मृ यु दे वता क आराधना अपामाग क तु त पाप का नवारण वेदा ययन का फल इं य क श क कामना सर वती दे वी क शंसा सर वती दे वी क शंसा सुख क कामना नऋ त दे वी क तु त अ जर और अ धराज अ न क तु त इं के लए ह व का पकाया जाना ह व के लए इं का आ ान ध के प म ह व अ नीकुमार क तु त गोशाला स वता दे व व उषा गाय का आ ान अ न क तु त अ न क तु त धम घा धेनु गंडमाला का वणन ोध का वनाश जातवेद अ न गाय क तु त गोशाला
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१-२ २ १ १-७ ३ ४ ५ १-२ १ १ १-२ २ १-३ ३ १ १ १-२ १ १ १-५ ३ १ १-२ २ १ १-११ ४ ६ ७ ९ १० ११ १-४ ३ ४ १-२ २
८०. ८१. ८२. ८३. ८४. ८५. ८६. ८७. ८८. ८९. ९०. ९१. ९२. ९३. ९४. ९५. ९६. ९७. ९८. ९९. १००. १०१. १०२.
१०३. १०४.
मं और ओष ध के योग य रोग का वणन य रोग सोमरस म त क तु त अ न क तु त अमाव या का वणन और तु त अ और धन पूणमासी क तु त पूणमास य जाप त क शंसा सूय और चं का वणन सोम चं कला का वणन अ न क तु त व ण क तु त अ न व इं क तु त इं क शंसा ग ड़ का आ ान इं का आ ान अ न प इं क शंसा सप वष का वनाश अ न क तु त जल क तु त अ न व इं क तु त धन के वामी इं क शंसा इं क शंसा इं क तु त सोमरस उ छोचन व शोचन नामक मृ यु दे व श ु और भे ड़या अ न क तु त इं क आराधना य माग को जानने वाला दे व इं क तु त य वेद
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१-४ ४ १-२ २ १-३ १-२ १-४ ३ १-४ २ ३ १-६ ३ ४ १-६ १-४ १-३ २ १ १ १ १ १-४ ३ १-३ १ १ १ १ १-३ १ १-८ २ ५ ७ १ १
१०५. १०६. १०७. १०८. १०९. ११०. १११. ११२. ११३. ११४. ११५. ११६. ११७. ११८. ११९. १२०.
१२१. १२२. १२३.
बुरे व का वनाश व म खाया अ दन म दखाई न दे ना धरती, आकाश अंत र और मृ यु को नम कार राजा का आ ान बृह प त दे व क तु त चारी का वणन अ न क तु त सूय क तु त अ न दे व क तु त अ न क तु त जुए क दे वयां गंधव अ न और इं क शंसा वृषभ क शंसा ावा पृ वी क तु त पाप से छु टकारा वाणाप य जड़ीबूट का वणन अ न क तु त मान सक ा ध स वता दे व क तु त द र ता अ न दे व क शंसा पु य और पापका रणी ल मयां उ णक वर से संबं धत दे व क शंसा इं क तु त सोम व व ण क तु त
१ १ १ १ १ १ १ १ १-२ १-७ ३ ६ १-३ १ १-२ २ १-२ १-२ २ १-४ २ ३ ४ १-२ १ १
आठवां कांड सू १.
वषय मृ यु दे व क तु त पाप दे वता के बंधन से उ ार मृ यु से छु टकारा अंधकार से काश क ओर वाडव आ द अ नय ारा र ा मृ यु से छ नने वाले इं , धाता एवं स वता
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मं १-२१ ३ ६ ८ ११ १५
२.
३. ४. ५.
६.
७. ८.
९.
अ द त पु दे व मृ यु से छु ड़ाएं ौ दे वता एवं पृ वी बाहरी और आंत रक रोग का वनाश आयु क कामना नदा से मु पु ष क च क सा वारपाठा नामक जड़ीबूट भव और शव क तु त आ द दे व अ न से ाण क याचना स वता दे व क शंसा बालक क र ा शां त अ न दे व क तु त इं और सोम क तु त सोम दे व ारा पापी रा स का वध म त क शंसा तलक वृ से न मत म ण का वणन कृ या रा सी से बचाव तलक वृ क तु त म ण क म हमा इं का वणन नाम और सुनाम नामक रोग और उनके नवारण का वणन पीली सरस पी ओष ध ककुंभ पशाच का नाश गभ क र ा आयु य ओष धय का वणन वृ का गभ पीपल इं क तु त पीपल और खैर के वृ इं से श ु वध का आ ह सूय क शंसा मृ यु त से श ुवध का आ ह अ न का वणन वराट् के दोन व स का वणन वराट् का वणन सूय, चं एवं अ न का वणन छः मास सात होम
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१६ १७ २१ १-२८ २ ५ ६ ७ ९ १३ १७ २० २६ १-२६ १-२५ १३ १८ १-२२ ७ ११ १३ १७ १-२६ ६ ११ १८ १-२८ २० १-२४ ३ ६ ७ ११ २३ १-२६ ११ १३ १७ १८
१०. १०. १०. १०. १०. १०.
(१) (२) (३) (४) (५) (६)
वराट् वराट् वराट् वराट् वराट् वराट्
का वणन का वणन का वणन का वणन का वणन का वणन
१-१३ १-१० १-८ १-१६ १-१६ १-४
नौवां कांड सू १.
२.
३. ४. ५.
६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३.
वषय मधुकशा गौ क तु त व वणन सोमरस अ न क तु त अ नीकुमार क तु त वृषभ पी काम क तु त काम दे व से द र ता र करने क ाथना काम दे व क तु त अ न, इं और सोम काम दे व क तु त शाला का वणन शाला क पूव दशा को नम कार श शाली ऋषभ का वणन जड़ीबू टय के रस का प रचय बैल का दान अज का वणन अज ही अ न है और अज ही यो त है अ न क शंसा पंचौदन अ त थ स कार का वणन अ त थ स कार का वणन अ त थ स कार का वणन अ त थ स कार का वणन अ त थ स कार का वणन अ त थ स कार का वणन गो म हमा वणन सवशीषामय रीकरण तथा सभी
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मं १-२४ १३ १५ १७ १-२५ ४ १० १३ २५ १-३१ २५ १-२४ ५ १८ १-३८ ७ १७ ३१ १-१७ १-१३ १-९ १-१० १-१० १-१४ १-२६
१४.
१५.
रोग का रीकरण सूय क तु त पांच अर वाला प हया बारह आकृ तयां बारह अर वाला प हया गाय का वणन गाय य क तीन स मधाएं भू म क पूजा म और व ण का प तीन यो तयां
१-२२ १-२२ ११ १२ १३ १-२८ ३ २० २३ २६
दसवां कांड सू १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८.
९. १०.
वषय कृ या का प र याग मनु य के शरीर का नमाण दे व क नगरी का वणन वरणम ण का वणन सम त रोग क ओष ध सोमपीथ और मधुपक य दे व के रथ का वणन ेत पद ारा सप का वनाश इं क शंसा जल क तु त तथा वणन स तऋ षय का अनुवतन द जन और अ न दे व से ाथना वन प तफला म ण का वणन अ न का आ ान अंग क मह ा का बखान वह जगदाधार कौन है े परमा मा को नम कार क तु त बारह अरे तथा तीन ने मयां परमा मा संसार के म य थत है आ म त व एक है शतौदना गो का वणन व तु त वशा गौ का वणन व तु त
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मं १-३२ १-३३ ३१ १-२५ ३ २१ १-२६ ३ १७ १-५० ३९ ४६ १-३५ ३५ १-४४ ४ ३६ १-४४ ४ १५ २५ १-२७ १-३४
यारहवां कांड सू १. २.
३. ४. ५. ६. ७. ८.
९. १०.
११. १२.
वषय अ न दे व क तु त ौदनासव य सोम पी ौदन भव और शव क तु त पशुप त को नम कार अ तशय बलशाली क तु त के आयुध बृह प त का भोजन ओदन क म हमा जानने वाला स गु ओदन का खाया जाना ओदन क थ त ाण के लए नम कार ाण अथात् सूय दे व चारी क म हमा का वणन चारी क पहली स मधा चारी पहली भ ा अ न, वन प त, जड़ीबूट और फसल क तु त सभी दे व क तु त इं तथा मात ल क शंसा हवन से बचा भात य शेष क शंसा नौ खंड वाली पृ वी सृ क रचना लय काल के महासागर म तप और कम इं , अ न, सोम, व ा क उ प ान यां तथा कम यां परमे र और माया अबु द सप क तु त यु के लए तैयार होने क ेरणा जातवेद अ न और आ द य क तु त ेत चरण वाली गाय ण प त दे व से वजय दान करने का अनुरोध
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मं १-३७ २० २६ १-३१ ६ १० २२ १-३१ २३ १-६ १-१८ १-२६ ३ १-२६ ४ ९ १-२३ २ २३ १-२७ ११ १४ १-३४ ६ ८ १३ १७ १-२६ १-२७ ४ ६ ९
बारहवां कांड सू १. २. ३.
४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११.
वषय पृ वी क तु त व वणन धरातल क वशेषता पृ वी का नमाण कुंताप अ न को र करना शव भ क अ न गाहप य अ न क तु त अ न क तु त ओदन का भाव पृ वी क तु त वन प त क शंसा गोदान का वणन वशा गौ का वणन नारद क तु त गवी का वणन गवी का वणन गवी का वणन गवी का वणन गवी का वणन गवी का वणन गवी का वणन
मं १-६३ २ १० १-५५ १२ १८ १-६० ३ १२ १८ १-५३ ३ ४५ १-६ १-५ १-१६ १-११ १-८ १-१५ १-१२
तेरहवां कांड सू १.
वषय सूय दे व क तु त अ न क तु त वाच प त क शंसा य क वृ २. सूय दे व क तु त रो हत दे व का वणन और शंसा ३. रो हत दे व क तु त ४. सूय क तु त ५. एक वृ अथात् के ाता ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मं १-६० १५ १७ ६० १-४६ ४१ १-२६ १-१३ १-७
६. ७. ८. ९.
के ाता का वणन के ाता का वणन इं क तु त वचस दान करने क कामना
१-७ १-१७ १-६ १-५
चौदहवां कांड सू १.
२.
वषय सोम क तु त अ नीकुमार क शंसा इं क शंसा चं का वणन गाय क तु त बृह प त, इं और स वता दे व क शंसा अ न दे व क तु त सर वती क शंसा ी के लए सुखकारी उपदे श वंशवृ बृह प त दे व का वणन प त और प नी का ेम स वता दे व से द घजीवन क कामना
मं १-६४ १४ १८ २४ ३२ ६२ १-७५ १५ २६ ३१ ५३ ६४ ७५
पं हवां कांड सू १. २. ३.
४. ५.
वषय समूह का हत करने वाले समूह प त का वणन ा य का वणन शरीर पी रथ का वणन ा य का वणन आसंद और बैठने क चौक ऋ वेद के मं और यजुवद के मं आसंद बुनने के तंतु ा य का वणन ऋतु के र क भव अथात् महादे व का वणन ुव दशा के र क
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मं १-८ १-२८ ७ १-११ २ ६ १-१८ ४ १-१६ १२
६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८.
ा य का वणन पृ वी, अ न, वन प त और ओष धयां साम, यजु, और ा य का वणन ा य का वणन ा य का वणन ानी ा य का वणन बल और ा बल आकाश और पृ वी ा य क तु त और वणन ा य क तु त और वणन व ान् तधारी क आ ा से हवन ा य क तु त और वणन ा य अ त थ के प म ा य क तु त तथा वणन ा य क तु त तथा वणन ा य का वणन ा य का वणन ा य का वणन
१-२६ २ ८ १-५ १-३ १-३ १-११ ४ ६ १-११ १-११ ४ १-१४ ५ १-२४ १-९ १-७ १-१० १-५
सोलहवां कांड सू १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८.
वषय जल क तु त और वणन जल के े भाग को सागर क ओर े रत करना जाप त से ाथना आ द य का वणन आ द य का वणन व क उप व मृ यु है व नधनता का पु ः व का नाश ः व का नाश बुरे व का नाश श ु बृह प त के बंधन से मु न हो
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मं १-१३ ६ १-६ १-६ १-७ १-१० २ ६ १-११ १-१३ १-३३ १०
९.
श ु का वध करके लाए ए पदाथ हमारे मृ यु के पाश जाप त दे व क तु त
१६ ३२ १-४
स हवां कांड सू १.
वषय इं प सूय क तु त सूय क श यां अनेक ह परम ऐ य वाले सूय का वणन सूय दे व सब के क याणकारी
मं १-३० ८ १३ २६
अठारहवां कांड सू १.
२.
३.
वषय यमयमी संवाद एवं अ न आ द दे व क तु त भाई और बहन पर आ ेप दे व ने जल, वायु और ओष ध त व को पृ वी पर था पत कया सोमा न के स होने पर अ न ोम आ द कम अ न क शंसा आकाश तथा पृ वी मु य तथा स यवाणी ह म एवं व ण दे वता से ाथना पतर ारा सर वती का आ ान दाह सं कार यम आ द क तु त जातवेद अ न क तु त ेत का वणन कु े यमपुर के र क अनंत ा ऋ ष सूय के पु यम यम का वचन मशान भू म मृतक का ा यम क तु त काई और बत म जल का सार अ नय का वणन
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मं १-६१ १२ १७ २१ २२ २९ ३९ ४१ ६१ १-६० ५ ७ १२ १८ ३२ ३७ ३८ ५० १-७३ ५ ६
४.
े का वणन त पतृ याग नामक कम मह षय से सुख क कामना दे वमाता अ द त क शंसा भू दे वता क शंसा शीतका रणी जड़ीबू टयां और मंडूकपण ओष ध से ा त पृ वी वन प त म अ थ प पु ष ढांचा अ न क तु त अ न, वायु और सूय का वग म नवास ेत का सं कार वै ानर अ न ारा पतर का पोषण दाह सं कार करने वाले पु ष ारा सर वती का आ ान सोमरस ा त करने वाले अ धकारी पतर अ न, पतर और यम के लए नम कार काशमान अ न क तु त
७ १४ १६ २७ ५० ६० ७० १-८९ ४ १६ ३५ ४५ ६३ ७२ ८८
उ ीसवां कांड सू १. २. ३. ४. ५. ६.
वषय दे व के उ े य से य म आ त आ तय से य क र ा क कामना क याणकारी जल का वणन जल क वंदना अ न दे व क तु त अ न हर व तु म व मान है अ न क म हमा अ न क तु त सर वती क कामना बृह प त का आ ान दे वता के वामी इं क तु त नारायण नाम के पु ष क तु त य पु ष क क पना ा ण, य, वै य और शू क उ प चं मा और सूय क उ प अंत र लोक, वगलोक, भू म और दशा क उ प
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मं १-३ २ १-५ ३ १-४ २ ३ १-४ २ ३ १ १-१६ ५ ६ ७ ८
७. ८.
९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३.
वराट् क उ प घोड़ आ द क उ प अ मेध य न क तु त वभ न के अनुकूल होने क कामना न क तु त अट् ठाईस न न के दे वता का अ भनंदन इं क तु त दे व क तु त ान य का वणन शां त क कामना इं और अ न क तु त सभी दे व से सुख क याचना सोम स य पालक दे व और पतर क तु त उषा क शंसा इं क शंसा इं क सहायता से श ु वजय क कामना श ु को न करने वाले बृह प त ावा और पृ वी क तु त अभय करने वाले इं आ द क शंसा कम क स हेतु इं से ाथना स वता दे व क तु त अ नीकुमार क तु त पृ वी क तु त अंत र का थायी दे वता सोम व क तु त श ु के वनाश क कामना वायु से श ु वनाश क कामना म नाम वाले अ न आ द दे व क तु त वायु ारा पुर क र ा इं , अ न, स वता आ द दे व क तु त सभी ा णय के पालनकता जाप त छं द के लए आ त अं गरा गो वाले ऋ षय के लए आ त छठे के लए आ त ऋ षय के लए आ त पांच ऋचा क रचना करने करने
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९ १२ १५ १-५ २ १-७ २ ३ ६ १-१४ ५ ९ १-१० ४ ७ १-६ १ १-११ ३ ८ १ १-६ २ १-२ २ १-१० २ ३ १-१० २ १-११ २ १-४ २ १ १-२१ २ १-३०
२४. २५. २६. २७.
२८. २९. ३०. ३१.
३२. ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०.
वाले ऋ षय को आ त ा का वणन श ु वनाशकता ण प त क तु त इं क तु त दे व से ाथना श शाली अ क कामना अ न से उ प वण को धारण करने वाले पु ष का वणन ववृत नामक म ण का वणन सोम आ द दे व क तु त म णधारक पु ष आ द य नाम के दे व क शंसा दभम ण का वणन व तु त े ष करने वाल के वनाश के लए ाथना दभम ण क तु त तथा वणन सेना एक करने वाल के नाश क कामना दभम ण क तु त दभम ण क गांठ म सुर ा कवच औ ं बरम ण क तु त पु ष , पशु , अ तथा ओष धय क अ धकता क कामना सर वती दे वी क तु त उ ओष ध दभ का वणन सौ गांठ वाली दभ ओष ध क तु त दभ नाम का र ा साधन श संप जं गड़ नामक जड़ीबूट का वणन जं गड़ म ण क म हमा महा रोग नाशक जं गड़ म ण का वणन राजय मा अथात् ट बी रोग नाशक शतवार ओष ध का वणन पागलपन व अ यरोग का नवारण अ न क तु त स ता के लए य गु गुलु नाम क ओष ध का वणन कूठ नामक वशेष ओष ध का वणन वग म दे व का घर पीपल वृ दोष को र करने के लए बृह प त क तु त जल दे वता क शंसा
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२ ३० १-८ २ ४ १ १-४ १-१५ २ ८ ११ १-१० २ १-९ २ १-५ २ १-१४ ४ १० १-१० १-५ ४ १-१० २ १-५ १-६ ६ १-४ ४ १-३ १-१० ६ १-४ २
ावा पृ वी क शंसा अ नीकुमार क शंसा ४१. तप क द ा ४२. का वणन इं क शंसा ४३. अ न आ द दे व क तु त सगुण का व प जानने वाले कहां जाते ह ४४. आंजन का वणन तथा तु त ाण र क आंजन राजा व ण क तु त ४५. आंजन का वणन और तु त अ न क तु त इं क शंसा भगदे व क तु त ४६. आ तृत म ण का वणन तथा तु त ४७. नीलवण के अंधकार वाली रा का वणन क याण का रणी रा रा के गण दे वता ४८. रा का वणन तथा शंसा उषःकाल क कामना ४९. रा का वणन व तु त ५०. रा का वणन व वंदना ५१. कम का अनु ान करने का इ छु क ५२. काम क तु त काम से म के समान आचरण करने क इ छा ५३. काल का वणन काल प परमा मा सूय का संसार को का शत करना ५४. काल का वणन सभी क ग त का कारण काल ५५. अ न दे व क तु त संपूण अ और जीवन क कामना ५६. बुरे व के अ भमानी ू र पशाच का वणन व से बचने का उपाय व ण ने आ द य को बताया ५७. ः व नाशन ५८. परमा मा से संबं धत ान आकाश और पृ वी से तेज क याचना इं य को नदश ******ebook converter DEMO Watermarks*******
३ ४ १ १-४ ३ १-८ २ १-१० ४ ८ १-१० ६ ७ ९ १-७ १-९ २ ४ १-६ २ १-१० १-७ १-२ १-५ २ १-१० २ ६ १-५ २ १-६ ६ १-६ ४ १-५ १-६ ३ ४
५९. ६०. ६१. ६२. ६३. ६४. ६५. ६६. ६७. ६८. ६९. ७०. ७१. ७२.
अ न क तु त शारी रक वा य क कामना अ न क तु त अ न क तु त ण प त क तु त जातवेद अ न क तु त सूय क शंसा जातवेद सूय क वंदना सूय दे व क तु त ान और ाण वायु के मूल आधार का व तार इं आ द दे वगण क तु त इं क तु त सा व ी दे वी क तु त दे व से मनचाहे कम के फल क याचना
१-३ १-२ १ १ १ १-४ १ १ १-८ १ १-४ १ १ १
बीसवां कांड सू १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११.
वषय इं से सोम पीने का अनुरोध वेद मं ारा अ न दे व क तु त अ न, म त एवं इं दे व क तु त वणोदा से सोमपान करने का अनुरोध इं क तु त इं से सोमरस पीने का अनुरोध इं से सोम ा त करने का अनुरोध इं से य म आने का आ ह कामना क वषा करने वाले इं से मधुर सोम पान करने का आ ह म त के वामी इं क तु त इं क तु त इं से सोम पीने का आ ह दशनीय और ःख वनाशक इं क तु त उ म अ क याचना इं क तु त इं के काय का वणन
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मं १-३ ३ १-४ ४ १-३ १-३ १-७ ७ १-९ ३ १-४ १-३ १-४ ३ १-२ १-११
१२. १३. १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. २५. २६. २७. २८. २९. ३०. ३१.
इं वग ा त कराने श ु का वनाश करने वाले ह तु त कता को धन दे ने वाले इं इं ारा वन प तय एवं दवस क रचना इं क तु त बृह प त दे व और इं से य शाला म आने के लए आ ह अ न से य म आने का आ ह र ा क कामना से इं का आ ान इं क तु त इं के य का थान सारा जगत् बृह प त दे व क शंसा बृह प त ने छपी ई गाएं बाहर नकाल इं क तु त इं से सोमरस पीने का आ ह बृह प त दे व क शंसा व धारी इं क तु त इं क तु त इं क तु त पांच वण म ा त बल क कामना इं क तु त वषा करने वाले इं क शंसा इं से य म आने का आ ह इं क तु त इं को सोम पान के लए बुलावा धन के वजेता इं इं क म हमा का गान अ वनाशी इं का पूजन इं क तु त अ ानी को ान दे ने वाले सूय का उदय इं क तु त इं के काय का वणन इं क तु त तथा वणन इं के अ का वणन इं के सुंदर शरीर व श का वणन इं के केश अ ारा इं को य म लाया जाना इं का नवास
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४ ७ १० १-७ १-४ ४ १-४ १-६ २ १-१२ ४ १-१२ २ ११ १-६ १-७ १-७ २ १-११ १-६ १-९ १-९ ४ ६ १-७ ५ १-६ ६ १-६ १-४ १-५ १-५ ३ ५ १-५ ५
३२. ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०. ४१. ४२. ४३. ४४. ४५. ४६. ४७. ४८. ४९. ५०. ५१. ५२. ५३. ५४. ५५. ५६. ५७. ५८. ५९. ६०.
इं क म हमा इं के लए सोम रस का सं कार इं के बल क म हमा शंबर असुर का वध इं क तु त महान् इं के असाधारण कम का वणन इं क तु त धन क याचना इं क तु त का वणन इं का व इं से सोम रस पीने का आ ह इं का पूजन इं का आ ान इं क म हमा का गुणगान बलशाली इं का वणन इं क श इं से श ु वनाश क कामना इं क तु त इं को पास बुलाने का आ ह इं क म हमा इं का वणन व तु त इं के रथ म घोड़ को जोड़ना इं क तु त सूय क करण के तीस मु त द त इं क तु त इं क म हमा का गुणगान इं के आयुध का वणन सोमरस इं से य म आने का अनुरोध इं से य म आने का अनुरोध इं को य म बुलाने का संक प इं क तु त और वणन र ा के लए इं का आ ान इं क म हमा क शंसा इं क तु त इं का य भाग अ एवं धन के वामी इं क शंसा
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१-३ १-३ १-१८ ११ १-१६ ७ १-११ ३ १-११ ३ १-६ ४ १-५ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-३ १-२१ ११ १-६ ६ १-७ १-२ १-४ १-३ १-३ १-३ १-३ १-६ १-१६ १-४ १-४ ३ १-६
६१. ६२. ६३. ६४. ६५. ६६. ६७. ६८. ६९. ७०. ७१. ७२. ७३. ७४. ७५. ७६. ७७. ७८. ७९. ८०. ८१. ८२. ८३. ८४.
इं को य लगने वाली तु तयां इं क ह व से पूजा इं से र ा क कामना इं क तु त इं क तु त वग के वामी इं क तु त इं क तु त इं का य म बैठना इं क म हमा का गुणगान अ न क तु त र ा के लए इं का आ ान य शाला म इं का गान इं का चतन सूय प इं इं क तु त इं क म हमा इं क म हमा का वणन श ु ारा इं के बल क शंसा इं क तु त और वणन इं क शंसा ह व प अ का सेवन इं ारा कम करने वाल का वध इं क तु त पाप वृ वाले रा स के वध क कामना गोदान के अवसर पर अ क कामना अ नीकुमार क तु त इं क शंसा इं क शंसा इं हेतु मं के समूह का उ चारण मं के ारा दशनीय वग का ान सोमरस का सं कार और इं क तु त इं क तु त इं क तु त इं के समान कोई महान नह इं क तु त इं से मंगलकारी घर क कामना इं क तु त का परामश
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६ १-६ १-१० ४ १-९ १-६ १-३ १-३ १-७ ३ १-१२ ११ १-१२ ११ १-२० १२ १-१६ १६ १-३ १-६ ३ ६ १-७ ५ १-३ १-८ ३ १-८ २ ३ १-३ १-२ १-२ १-२ १-२ १-२ १-३
८५. ८६. ८७. ८८. ८९. ९०. ९१. ९२. ९३. ९४. ९५. ९६.
९७. ९८. ९९. १००. १०१. १०२. १०३. १०४. १०५.
इं क तु त करने क ेरणा इं क तु त इं क तु त बृह प त क तु त बृह प त दे व क तु त ह वय और नम कार के ारा बृह प त क पूजा इं क तु त ती वाद वाला सोमरस बृह प त दे व से र ा क कामना बृह प त क तु त वशाल गोशालाएं बृह प त दे व क तु त बृह प त तु तकता के र क इं ारा मेघ पर हार इं क तु त भार को संभालने वाले इं वृ क कामना इं क तु त इं से श ु के वनाश का आ ह हसक श ु से र ा क कामना सोमरस पान इं के बल क पूजा का परामश इं क तु त सोम का सं कार न करने वाला हार के यो य रोगी क चरायु क कामना अ न दे व क तु त य मा रोग को न करना इं क शंसा इं क तु त इं क तु त इं क तु त अ न क तु त अ न क तु त अ न क तु त इं के लए शंसा मं ो चारण अ न क तु त इं क तु त वृ के हंता इं
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१-४ १ १-७ ६ १-६ ६ १-११ ८ ११ १-३ ३ १-१२ ११ १२ १-२१ ११ २१ १-८ १-११ ११ १-४ २ १-२४ ४ ९ ११ १९ १-३ १-२ १-२ १-३ १-३ १-३ १-३ १-४ ४ १-५ ४
१०६. १०७. १०८. १०९. ११०. १११. ११२. ११३. ११४. ११५. ११६. ११७. ११८. ११९. १२०. १२१. १२२. १२३. १२४. १२५. १२६.
१२७. १२८. १२९. १३०. १३१.
इं क तु त इं और सूय क शंसा रणभू म म वरो धय क हसा सूय और उषादे वी इं क तु त इं क तु त सोम का सं कार इं क पूजा इं क तु त सोम का सं कार सूय क शंसा करने वाले इं इं के हतकारी काय इं क तु त इं क तु त इं क तु त इं से सोमरस पान का अनुरोध इं क तु त ाचीन तो के ारा इं क तु त इं से य म पधारने का अनुरोध वग के सृ ा इं क तु त इं क तु त म व व ण क म हमा का गान इं क तु त दे व व क र ा के लए रा स का वध इं से चार दशा से श ु को रोकने का आ ह इं के सहायक अ नीकुमार इं क तु त य म नारी और पु ष एक साथ इं ाणी क शंसा वृषाक प क शंसा मं उ चारण कुंता सू के वै ानर क मंगलमयी तु त इं क तु त इं क तु त दान और साधु कृ त का पोषक परम त व
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१-३ १-१५ ८ १५ १-३ १-३ २ १-३ १-३ ३ १-३ १-२ १-२ १-३ १-२ १-३ १-४ १-२ १-२ १-३ १-३ १-२ १-६ ५ १-७ ४ १-२३ १० ११ १३ १-१४ ७ १३ १-१४ १-२० १-२० १-२०
१३२. १३३. १३४. १३५. १३६. १३७. १३८. १३९. १४०. १४१. १४२. १४३.
रामतोरई का वणन अस य से मु चार दशाएं इं क तु त वन प त का वणन महान् अ न का कथन इं का वणन व तु त सोमरस का शोधन इं ारा पृ वी पर जल वाली श इं क तु त अ नीकुमार क तु त अ नीकुमार क तु त अ नीकुमार क तु त अ नीकुमार क तु त अ नीकुमार क तु त अ नीकुमार क तु त
य क थापना
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१-१६ १-६ १-६ १-१३ १-१६ ५ १-१४ ५ ७ १-३ २ १-५ १-५ १-५ १-६ १-९
पहला कांड सू -१
दे वता—वाच प त
ये ष ताः प रय त व ा पा ण ब तः. वाच प तबला तेषां त वो अ दधातु मे.. (१) जो रजोगुण, तमोगुण एवं सतोगुण तीन गुण और पृ वी, जल, तेज, वायु, आकाश, त मा ा एवं अहंकार सात पदाथ द प म सव मण करते ह, वाणी के वामी उन त व और पदाथ क द श मुझे द. (१) पुनरे ह वाच पते दे वेन मनसा सह. वसो पते न रमय म येवा तु म य ुतम्.. (२) हे वाणी के वामी दे व! आप द मन के साथ मेरे समीप आइए. हे ाण के वामी ! इ छत फल दे कर मुझे आनं दत क जए. मेरे ारा अ ययन कए गए वेदशा धारण करने क मुझे बु द जए. (२) इहैवा भ व तनूभे आ न इव यया. वाच प त न य छतु म येवा तु म य ुतम्. (३) हे वाणी के वामी ! जस कार धनुष क डोरी चढ़ाने से उस के दोन सरे समान प से खच जाते ह, उसी कार मुझे वेदशा धारण करने क श एवं आनंदोपभोग के इ छत साधन दान करो. (३) उप तो वाच प त पा मान् वाच प त यताम्. सं ुतेन गमेम ह मा ुतेन व रा ध ष.. (४) वाणी के वामी का हम आ ान करते ह. हमारे ारा आ ान कए गए अपने समीप बुलाएं. हम संपूण ान से सदै व यु रह तथा कभी र न ह . (४)
सू -२
दे वता—पज य
वद्मा शर य पतरं पज यं भू रधायसम्. वद्मो व य मातरं पृ थव भू रवपसम्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम
जड़ चेतन सब का पोषण कता एवं सब को धारण करने वाला बादल बाण का पता है तथा सभी त व से यु पृ वी इस बाण क माता है. ता पय यह है क बादल और पृ वी दोन से बाण अथात् श क उ प होती है. यह बात हम जानते ह. (१) या के प र णो नमा मानं त वं कृ ध. वीडु वरीयो ऽ रातीरप े षां या कृ ध.. (२) हे धनुष क नदनीय डोरी! तुम हमारी ओर न झुक कर हमारे श ु क ओर झुको. हे दे वप त! हमारे शरीर को प थर के समान सु ढ़ बनाओ, हम श ु के े षपूण कम से र रखो एवं हमारे श ु का बल न करो. (२) वृ ं यद्गावः प रष वजाना अनु फुरं शरमच यृभुम्. श म मद् यावय द ु म .. (३) हे इं ! जस कार गरमी से ाकुल गाएं वट वृ क छाया म शरण लेती ह, उसी कार हमारे श ु के े षपूण बाण हम से र रह कर उ ह के समीप जाएं. (३) यथा ां च पृ थव चा त त त तेजनम्. एवा रोगं चा ावं चा त त तु मु इत्.. (४) जस कार पृ वी और ुलोक के म य तेज रहता है, उसी कार यह बाण ब मू , अ तसार (द त) आ द रोग तथा घाव को दबाए रहे. (४)
सू -३
दे वता—पज य
वद्मा शर य पतरं पज यं शतवृ यम्. तेना ते त वे ३ शं करं पृ थ ां ते नषेचनं ब ह े अ तु बा ल त.. (१) हम सैकड़ साम य वाले एवं बाण के पता पज य अथात् बादल को जानते ह. हे मू रोगी! म तेरे मू ा द रोग को समा त करता ं. शरीर म रखा आ मू बाहर नकल कर पृ वी पर गरे. (१) वद्मा शर य पतरं म ं शतवृ यम्. तेना ते त वे ३ शं करं पृ थ ां ते नषेचनं ब ह े अ तु बा ल त.. (२) हम सैकड़ साम य वाले एवं बाण के पता म अथात् सूय को जानते ह. हे रोगी मनु य! इसी बाण से म तेरे मू ा द रोग को न करता ं. तेरे पेट म का आ मू बाहर नकल कर पृ वी पर गरे. (२) वद्मा शर य पतरं व णं शतवृ यम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तेना ते त वे ३ शं करं पृ थ ां ते नषेचनं ब ह े अ तु बा ल त.. (३) हम सैकड़ साम य से संप एवं बाण के पता व ण को जानते ह. हे रोगी मनु य! इसी बाण से म तेरे मू ा द रोग को र करता ं. तेरे पेट म का आ मू बाहर नकल कर धरती पर गरे. (३) वद्मा शर य पतरं च ं शतवृ यम्. तेना ते त वे ३ शं करं पृ थ ां ते नषेचनं ब ह े अ तु बा ल त.. (४) हम सैकड़ श य वाले एवं बाण के पता चं को जानते ह. हे रोगी मनु य! म उसी बाण से तेरे मू ा द रोग को समा त करता ं. तेरे पेट म का आ मू बाहर नकले और धरती पर गरे. (४) वद्मा शर य पतरं सूय शतवृ यम्. तेना ते त वे ३ शं करं पृ थ ां ते नषेचनं ब ह े अ तु बा ल त.. (५) हम सैकड़ श य वाले एवं बाण के पता सूय को जानते ह. हे रोगी! म इसी बाण से तेरे मू ा द रोग को न करता ं. उदर (पेट) म सं चत तेरा मू बाहर नकल कर धरती पर गरे. (५) यदा ेषु गवी योय ताव ध सं तम्. एवा ते मू ं मु यतां ब हबा ल त सवकम्.. (६) जो मू तेरी आंत म, मू नाड़ी म एवं मू ाशय म का आ है, वह तेरा सारा मू श द करता आ शी बाहर नकल आए. (६) ते भन द्म मेहनं व वेश या इव. एवा ते मू ं मु यतां ब हबा ल त सवकम्.. (७) हे मू ा ध से पी ड़त रोगी! म तेरे मू नकलने के माग का उसी कार भेदन करता ं, जस कार जलाशय का जल बाहर नकालने के लए नाली खोदते ह. तेरा सारा मू श द करता आ बाहर नकले. (७) व षतं ते व त बलं समु योदधे रव. एवा ते मू ं मु यतां ब हबा ल त सवकम्.. (८) हे मू रोग से ःखी रोगी! जस कार सागर, जलाशय आ द का जल नकलने के लए माग बना दया जाता है, उसी कार म ने तेरे के ए मू को बाहर नकालने के लए तेरे मू ाशय का ार खोल दया है. तेरा सारा मू श द करता आ बाहर नकले. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यथेषुका परापतदवसृ ा ध ध वनः. एवा ते मू ं मु यतां ब हबा ल त सवकम्.. (९) जैसे खची ई डोरी वाले धनुष से छोड़ा आ बाण तेजी से ल य क ओर जाता है, वैसे तेरा का आ सारा मू श द करता आ बाहर नकले. (९)
दे वता—जल
सू -४
अ बयो य य व भजामयो अ वरीयताम्. पृंचतीमधुना पयः.. (१) य करने के इ छु क जन अपनी माता घृत आ द य साम ी ले कर आते ह. (१)
और बहन के समान जल, सोमरस, ध एवं
अमूया उप सूय या भवा सूयः सह. ता नो ह व व वरम्.. (२) जो जल सूय मंडल म थत है अथवा सूय जस जल के साथ थत है, वह जल हमारे य को फल दे ने म समथ बनाए. (२) अपो दे वी प
ये य गावः पब त नः. स धु यः क व ह वः.. (३)
म व छ एवं दे वता प जल का आ ान करता ं. जल से पूण जलाशय अथात् न दय और तालाब म हमारी गाएं जल पीती ह. (३) अ व १ तरमृतम सु भेषजम्. अपामुत श त भर ा भवथ वा जनो गावो भवथ वा जनीः.. (४) जल म अमृत है. जल म ओष धयां नवास करती ह. इन जल के भाव से हमारे घोड़े बलवान बन, हमारी गाएं श संप बन. (४)
सू -५
दे वता—जल
आपो ह ा मयोभुव ता न ऊज दधातन. महे रणाय च से.. (१) हे जल! आप सभी कार का सुख दे ने वाले ह. अ आ द सुख का उपभोग करने के इ छु क हम सब को आप उन के उपभोग क श दान कर. आप हम महान एवं रमणीय आनंद व प के सा ा कार का साम य द. (१) यो वः शवतमो रस त य भाजयतेह नः. उशती रव मातरः.. (२) जस कार माताएं अपनी इ छा से ध पला कर बालक को पु करती ह, उसी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कार हे जल! आप अपने अ य धक क याणकारी रस का हम अ धकारी बनाएं. (२) त मा अरं गमाम वो य य याय ज वथ. आपो जनयथा च नः.. (३) हे जल! हम जस अ आ द को पा कर तृ त होते ह, उसे ा त करने के लए हम आप को पया त प म पाएं. हे जल! आप पया त प म आ कर हम तृ त कर. (३) ईशाना वायाणां य ती षणीनाम्. अपो याचा म भेषजम्.. (४) म धन के वामी एवं सुख साधन दान कर के ग तशील मनु य को एक थान पर बसाने वाले जल क ओष ध के प म याचना करता ं. (४)
सू -६
दे वता—जल
शं नो दे वीर भ य आपो भव तु पीतये. शं योर भ व तु नः.. (१) द गुण वाला जल सभी ओर से हमारा क याण करने वाला हो. जल हमारे चार ओर क याण क वषा करे एवं पीने के लए उपल ध हो. (१) अ सु मे सोमो अ वीद त व ा न भेषजा. अ नं च व श भुवम्.. (२) मुझे सोम ने बताया है क सारी ओष धयां एवं अ न जल म नवास करती ह. अ न सारे संसार का क याण करने वाली है. (२) आपः पृणीत भेषजं व थं त वे ३ मम. योक् च सूय शे.. (३) हे जल! तुम मेरे रोग का नवारण करने के लए ओष धयां दान करो. अ धक समय तक सूय के दशन करने के लए तुम मेरे शरीर को पु करो. (३) शं न आपो ध व या ३: शमु स वनू याः. शं नः ख न मा आपः शमु याः कु भ आभृताः शवा नः स तु वा षक ः.. (४) जल हम म भू म म सुखकारी ह . जन थान म जल क ा त सुलभ है, वहां के जल हमारा क याण कर. कुआं, बावड़ी आ द खोद कर ा त कए गए जल हमारे लए क याणकारी ह . घड़े म भर कर लाया गया जल हम सुख दे . वषा से ा त होने वाला जल हमारे लए सुखकारी हो. (४)
सू -७
दे वता—अ न और इं
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तुवानम न आ वह यातुधानं कमी दनम्. वं ह दे व व दतो ह ता द योबभू वथ.. (१) हे अ न! हम जन दे व क तु त करते ह, उ ह तुम हमारे समीप लाओ एवं हम मारने क इ छा से घूमने वाले रा स को हम से र भगाओ. हे द गुण वाले अ न! हमारे नम कार आ द से स तुम द युजन क ह या कर दे ते हो. (१) आ य य परमे न् जातवेद तनूव शन्. अ ने तौल य ाशान यातुधानान् व लापय.. (२) हे वग आ द उ म थान म नवास करने वाले, हे जातवेद एवं हे जलश पम सब के शरीर म थत अ न! हमारे ारा ुवा आ द से नाप कर दए गए घृत का भोजन क जए एवं रा स का वनाश भी क जए. (२) व लप तु यातुधाना अ अथेदम ने नो ह व र
णो ये कमी दनः. त हयतम्.. (३)
हे अ न! आप और परम ऐ य वाले इं , हमारे दए गए ह व को स तापूवक वीकार कर. रा स, सब का भ ण करने वाले द यु एवं इधरउधर घूमने वाले जन न हो जाएं. (३) अ नः पूव आ रभतां े ो नुदतु बा मान्. वीतु सव यातुमान् अयम मी ये य.. (४) सब से पहले अ न दे व रा स को दं ड दे ना आरंभ कर. इस के प ात श शाली भुजा वाले इं रा स को र भगाएं. अ न और इं से पी ड़त सभी रा स आ कर आ मसमपण कर और अपना प रचय द क म अमुक ं. (४) प याम् ते वीय जातवेदः णो ू ह यातुधानान् नृच ः. वया सव प रत ताः पुर तात् त आ य तु ुवाणा उपेदम्.. (५) हे सब को जानने वाले अ न! हम आप का परा म दे ख. हे उपासना के यो य अ न! हमारी इ छानुसार रा स से क हए क वे हम ःख न द. आप के ारा सताए ए रा स अपना प रचय दे ते ए हमारी शरण म आएं. (५) आ रभ व जातवेदो ऽ माकाथाय ज षे. तो नो अ ने भू वा यातुधानान् व लापय.. (६) हे सब को जानने वाले अ न! तुम रा स के वनाश का काय आरंभ करो, य क तुम हमारे योजन पूण करने के लए उ प ए हो. हे अ न! तुम हमारे त बन कर रा स को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
र भगाओ. (६) वम ने यातुधानानुपब ाँ इहा वह. अथैषा म ो व ेणा प शीषा ण वृ तु.. (७) हे अ न! तुम र सी आ द से रा स के हाथपैर बांध कर उ ह यहां ले आओ. इस के प ात इं अपने व से उन के सर काट द. (७)
सू -८
दे वता—बृह प त
इंद ह वयातुधानान् नद फेन मवा वहत्. यं इदं ी पुमानक रह स तुवतां जनः.. (१) मेरे ारा अ न आ द दे व को दया आ घृत आ द ह व रा स को यहां से उसी कार र हटा दे , जस कार नद क धारा फेन को एक थान से सरे थान तक ले जाती है. मेरे त अ भचार, जा , टोना, टोटका करने वाले ीपु ष अपने मनोरथ म असफल हो कर यहां मेरी शरण म आएं और मेरी तु त कर. (१) अयं तुवान आगम दमं म त हयत. बृह पते वशे ल वा नीषोमा व व यतम्.. (२) हे बृह प त आ द दे वो! आप क तु त करता आ जो यह मनु य आप क शरण म आया है, यह हमारा वरोधी श ु है. हे बृह प त, अ न एवं सोम! इन उप वका रय को वश म कर के अनेक कार से दं डत करो. (२) यातुधान य सोमप ज ह जां नय व च. न तुवान य पातय परम युतावरम्.. (३) हे सोमरस पीने वाले अ न दे व! तुम रा स क संतान के समीप प ंच कर उ ह समा त कर दो और हमारी संतान क र ा करो. हमारे जो श ु तुम से भयभीत हो कर तु हारी ाथना करते ह, तुम उन क दा और बा दोन आंख बाहर नकाल लो. (३) य ष ै ाम ने ज नमा न वे थ गुहा सताम णां जातवेदः. तां वं णा वावृधानो ज ेषां शततहम ने.. (४) हे सब के वषय म जानने वाले अ न! तुम गुहा म नवास करने वाले रा स को जानते हो. हे मं ारा वृ पाते ए अ न! इन रा स ारा सैकड़ कार क हसा को रोको एवं संतान स हत इन का वनाश करो. (४)
सू -९
दे वता—वसु
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अ मन् वसु वसवो धारय व ः पूषा व णो म ो अ नः. इममा द या उत व े च दे वा उ र मन् य यो त ष धारय तु.. (१) भां तभां त क धन संप क कामना करने वाले इस पु ष को वसु, इं , पूषा, व ण, म , अ न एवं व े दे व धन दान कर तथा ये दे व इसे उ म यो त संप बनाएं. (१) अ य दे वाः द श यो तर तु सूय अ न त वा हर यम्. सप ना अ मदधरे भव तू मं नाकम ध रोहयेमम्.. (२) हे इं ा द दे वो! ामा द सुख के इ छु क इस पु ष के अ धकार म सूय, अ न, चं , वग आ द क यो त पूण प से रहे. इस के कारण श ु हमारे अ धकार म रह. तुम हम सभी कार के ःख से हीन वग म प ंचाओ. (२) येने ाय समभरः पयां यु मेन णा जातवेदः. तेन वम न इह वधयेमं सजातानां ै ् य आ धे ेनम्.. (३) हे सब कुछ जानने वाले अ न! आप ने जन उ म मं ारा इं के लए ध, घृत आ द रस ह व के प म ा त कराए, हे अ न! उ ह मं के ारा इस पु ष क वृ करो एवं इसे अपनी जा त वाल म े बनाओ. (३) ऐषां य मुत वच ददे ऽ हं राय पोषमुत च ा य ने. सप ना अ मदधरे भव तू मं नाकम ध रोहयेमम्.. (४) हे अ न! तु हारी कृपा से म इन श ु के वग आ द लोक के साधक य , कम, तेज, धन एवं च का हरण करता ं. मेरे श ु मुझ से न न थ त म रह. आप मुझ यजमान को सभी ःख से र हत एवं उ म वग म प ंचा दो. (४)
सू -१०
दे वता—व ण
अयं दे वानामसुरो व राज त वशा ह स या व ण य रा ः. तत प र णा शाशदान उ य म यो दमं नया म.. (१) इं ा द दे व म व ण पा पय को दं ड दे ने वाले ह. इस कार के यह व ण सब से उ कृ ह. सभी पदाथ तेज वी व ण दे व के वश म ह. इस लए म व ण क तु त संबंधी मं से श ा त कर के व ण दे व के चंड कोप के कारण उ प जलोदर रोग वाले इस पु ष को रोगमु करता ं. (१) नम ते राजन् व णा तु म यवे व ं न चके ष धम्. सह म यान् सुवा म साकं शतं जीवा त शरद तवायम्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे तेज वी व ण! तु हारे ोध के लए नम कार है. तुम सभी ा णय ारा कए गए अपराध को जानते हो. म हजार अपराधी पु ष को तु हारी सेवा म भेज रहा ं. ये मनु य आप के त न ा वाले बन कर सौ वष तक जी वत रह. (२) य व थानृतं ज या वृ जनं ब . रा वा स यधमणो मु चा म व णादहम्.. (३) हे जलोदर रोग से सत पु ष! अपनी ज ा से तूने पाप का साधन अस य भाषण अ धक कया है. म स य धम वाले एवं तेज वी व ण के कोप से तेरी र ा करता ं. (३) मु चा म वा वै ानरादणवान् महत प र. सजातानु ेहा वद चाप चक ह नः.. (४) हे पु ष! म तुझे जठरा न को मंद करने वाले महान जलोदर रोग से छु ड़ाता ं. हे परम श शाली व ण! आप अपने सहचर , भट अथात् अपने सेवक से क हए क वे बारबार आ कर इस मनु य को पीड़ा न द. आप हमारे ारा दए गए ह व प अ और तु त से स हो कर हमारे भय का वनाश क जए. (४)
सू -११
दे वता—पूषा आ द
वषट् ते पूष म सूतावयमा होता कृणोतु वेधाः. स तां नायृत जाता व पवा ण जहतां सूतवा उ.. (१) हे पूषा दे व! सुख उ प करने वाले इस य कम म ा ण समूह के ेरक दे व अयमा होता बन कर आप को ह व दान कर. संपूण जगत् के नमाता वेधा दे व आप को वषट् कार के ारा ह व दान कर. आप क कृपा से यह ग भणी नारी सव संबंधी क से छु टकारा पा कर जी वत संतान को ज म दे . सुखपूवक सव के लए इस के सं ध बंध श थल हो जाएं. (१) चत ो दवः दश त ो भू या उत. दे वा गभ समैरयन् तं ूणव ु तु सूतवे.. (२) ुलोक से संबं धत ाची आ द चार दशा एवं भूलोक क आ नेयी आ द चार दशा ने एवं इन दशा के अ ध ाता इं आ द दे व ने पहले गभ को पूण कया था. वे सभी दे व इस समय गभ को गभाशय से बाहर नकाल एवं जरायु के आ छादन से मु कर. (२) सूषा ूण तु व यो न हापयाम स. थया सूषणे वमव वं ब कले सृज.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सव क दे वता पूषा गभ को जरायु के बंधन से अलग कर. हम भी सुखपूवक सव के लए यो न माग को खोल रहे ह. तुम भी सुखपूवक सव के लए यो न माग को श थल करो. हे सू तमा त दे व! आप भी गभ का मुख नीचे को कर के उसे बाहर नकलने हेतु े रत करो. (३) नेव मांसे न पीव स नेव म ज वाहतम्. अवैतु पृ शेवलं शुने जरा व वे ऽ व जरायु प ताम्.. (४) हे सव करने वाली नाड़ी! तू इस उदरगत जरायु से पु नह होगी, य क इस का संबंध मांस, म जा आ द से नह है. इस लए उजले रंग क यह जरायु दोन के ऊपर तैरने वाली काई के समान नीचे गर जाए. इसे कु े के खाने के लए नीचे गर जाने द. (४) व ते भन द्म मेहनं व यो न व गवी नके. व मातरं च पु ं च व कुमारं जरायुणाव जरायु प ताम्.. (५) हे ग भणी! म गभ थ बालक को बाहर नकालने के लए मू माग को फैलाता ं तथा यो न के आसपास क ना ड़य को भी फैलाता ं. य क ये सव म बाधा डालती ह. म माता और पु को अलगअलग करता ं. इस के बाद म पु को जरायु से अलग करता ं. जरायु गभाशय से नीचे गर जाए. (५) यथा वातो यथा मनो यथा पत त प णः. एवा वं दशमा य साकं जरायुणा पताव जरायु प ताम्.. (६) हे दशमास गभ थ शशु! जस कार वायु, मन एवं आकाश म उड़ने वाले प ी आकाश म बना रोकटोक के वचरण करते ह, उसी कार तू जरायु के साथ गभ से बाहर आ. जरायु गभाशय से नीचे गरे. (६)
सू -१२
दे वता—य मानाशन
जरायुजः थम उ या वृषा वाता जा तनय े त वृ ् या. स नो मृडा त त व ऋजुगो जन् य एकमोज ेधा वच मे.. (१) न को परा जत कर के कट होने वाले, संसार म सब से थम उ प एवं वायु के समान शी गामी सूय बादल को गजन करने के लए े रत करते ए वषा के साथ आते ह. वे सूय दोष से उ प रोग आ द का वनाश करते ए हमारी र ा कर. सीधे चलने वाले जो सूय एक हो कर भी अपने तेज को तीन कार से का शत करते ह, वे हम सुख दान कर. (१) अ े अ े शो चषा श याणं नम य त वा ह वषा वधेम. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अङ् का समङ् कान् ह वषा वधेम यो अ भीत् पवा या भीता.. (२) हे ा णय के येक अंग म अपनी द त से वतमान सूय! हम तु ह नम कार करते ए च आ द से तु हारी उपासना करते ह. हम तु हारे अनुचर एवं प रवार प दे व क भी ह व से सेवा करते ह. जस वर आ द रोग ने इस पु ष के शरीर के अवयव को जकड़ रखा है, हम उस क नवृ के लए ह व ारा तु हारी पूजा करते ह. (२) मु च शीष या उत कास एनं प प रा ववेशा यो अ य. यो अ जा वातजा य शु मो वन पती सचतां पवतां .. (३) हे सूय! इस पु ष को सर के रोग से छु टकारा दलाओ. जो खांसी का रोग इस के जोड़जोड़ म वेश कर गया है, उस से भी इसे मु कराओ. वषा एवं जल से उ प जो प के वकार से ज नत आ द रोग ह, उन से इस पु ष को मु कराइए. ये रोग इस पु ष को छोड़ कर वन प त और पवत म चले जाएं. (३) शं मे पर मै गा ाय शम ववराय मे. शं मे चतु य अ े यः शम तु त वे ३ मम.. (४) मेरे शरीर के अवयव सर का रोग शां त के प म क याणकारी हो. मेरे चरण आ द न न अंग को सुख मले. मेरे दोन हाथ और दोन चरण को सुख ा त हो. मेरे शरीर के म य भाग को नीरोगता ा त हो. (४)
सू -१३
दे वता— व ुत्
नम ते अ तु व ुते नम ते तन य नवे. नम ते अ व मने येना डाशे अ य स.. (१) हे पज य! व ुत को मेरा नम कार हो. गजन करते ए व आप आतता यय को र फक दे ते ह. (१)
को मेरा नम कार हो.
नम ते वतो नपाद् यत तपः समूह स. मृडया न तनू यो मय तोके य कृ ध.. (२) हे पज य! आप स पु ष क र ा करते ह. आप को नम कार है. आप जल को भीतर धारण कए रहते ह और समय से पहले नीचे नह गरने दे ते ह. आप पाप वनाशक तप को एक करते ह एवं पा पय पर अपना व फकते ह. आप हमारे शरीर को सुख द और हमारे पु , पौ आ द का क याण कर. (२) वतो नपा म एवा तु तु यं नम ते हेतये तपुषे च कृ मः. वद्म ते धाम परमं गुहा यत् समु े अ त न हता स ना भः.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ऊंचाई से नीचे क ओर गरने वाले पज य! तु हारे लए नम कार है. तु हारे संतापकारी आयुध व को नम कार है. हम आप के गुफा के समान अग य एवं उ म नवास थान को जानते ह. जस कार शरीर म ना भ म य थ है, उसी कार तुम अंत र के क सागर म थत हो. (३) यां वा दे वा असृज त व इषुं कृ वाना असनाय धृ णुम्. सा नो मृड वदथे गृणाना त यै ते नमो अ तु दे व.. (४) हे अ न! सभी दे व के अ य पु ष पर गराने के लए एवं श ु पर बाण के प म फकने के लए तु हारी रचना क गई है. य म तु हारी तु त भी क जाती है. तुम हमारी र ा करो. हे आकाश म चमकती ई अ न! तु हारे लए नम कार हो. (४)
सू -१४
दे वता—यम
भगम या वच आ द य ध वृ ा दव जम्. महाबु न इव पवतो योक् पतृ वा ताम्.. (१) मनु य जस कार वृ से माला बनाने हेतु फूल तोड़ता है, उसी कार म इस ी के भा य और तेज को वीकार करता ं. धरती म भीतर तक धंसा आ पवत जस कार थर रहता है, उसी कार यह बुरे भा य वाली ी चरकाल तक पता के घर रहे अथात् यह कभी प त का मुख न दे खे. (१) एषा ते राजन् क या वधू न धूयतां यम. सा मातुब यतां गृहे ऽ थो ातुरथो पतुः.. (२) हे सुशो भत सोम! यह क या आप क प नी है, य क इस ने पहले आप को वीकार कया है, इस लए यह प तगृह से नकाल द जानी चा हए. यह क या चरकाल तक अपने पता एवं भाई के घर पड़ी रहे. (२) एषा ते कुलपा राजन् तामु ते प र दद्म स. योक् पतृ वासाता आ शी णः शमो यात्.. (३) हे सुशो भत सोम! यह ी प त ता होने के कारण आप के कुल का पालन करने वाली है, इस लए हम इसे र ा के लए आप को दे ते ह. यह तब तक अपने पता के घर पर रहे. यह धरती पर सर गरने तक अथात् मरण पयत अपने पता के घर रहे. (३) अ सत य ते णा क यप य गय य च. अ तःकोश मव जामयो ऽ प न ा म ते भगम्.. (४) हे ी! म तेरे भा य को अ सत, ा, क यप एवं गय ऋ षय के मं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से इस कार
सुर त करता ं, जस कार
यां घर म अपना धन, व
सू -१५
आ द छपा कर रखती ह. (४)
दे वता— सधु आ द
सं सं व तु स धवः सं वाताः सं पत णः. इमं य ं दवो मे जुष तां सं ा ेण ह वषा जुहो म.. (१) न दयां हमारे अनुकूल बह, पवन हमारे अनुकूल चले एवं प ी हमारी इ छा के अनुसार (ग त कर). पुरातन दे व मेरे इस य को वीकार कर, य क म घी, ध आ द का सं ह कर के यह य कर रहा ं. (१) इहैव हवमा यात म इह सं ावणा उतेमं वधयता गरः. इहैतु सव यः पशुर मन् त तु या र यः.. (२) हे दे वो! आप सब को याग कर मेरे इस य म पधार. इस म आ य आ द का होम है. हे तु तय ारा बढ़ाए जाते ए दे वो! आप इस यजमान क वृ कर. हे दे वो! हमारी तु तय को सुन कर स ए आप क कृपा से हमारे घर म गाय, अ आ द पशु एवं अ य संप नवास करे. (२) ये नद नां सं व यु सासः सदम ताः. ते भम सवः सं ावैधनं सं ावयाम स.. (३) गंगा आ द न दय क जो अ य धारा एवं झरने सदा बहते रहते ह तथा ी म ऋतु म कभी नह सूखते ह, उन के कारण हमारा सम त पशु धन सदै व समृ हो. (३) ये स पषः सं व त ीर य चोदक य च. ते भम सवः सं ावैधनं सं ावयाम स.. (४) घी, ध और जल के जो वाह सदै व ग तशील रहते ह, उन सभी न सूखने वाले वाह के कारण हमारी सभी संप बढ़ती रहे. (४)
सू -१६
दे वता—अ न, व ण आ द
ये ऽ मावा यां ३ रा मु थु ाजम णः. अ न तुरीयो यातुहा सो अ म यम ध वत्.. (१) मनु य का भ ण करने वाले जो रा स अमाव या क अंधेरी रात म इधर उधर घूमते ह. चौथे अ न दे व उन रा स एवं चोर का संहार कर के हमारी र ा कर. (१) सीसाया याह व णः सीसाया न पाव त. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सीसं म इ ः ाय छत् तद यातुचातनम्.. (२) व ण दे व ने फेन के वषय म कहा है. सीसे ज ते के वषय म अ न ने भी यही कहा है. परम ऐ ययु इं ने मुझे सीसा दान कया है. इं ने कहा है क हे य! यह सीसा रा स का संहार करने वाला है. (२) इदं व क धं सहत इदं बाधते अ णः. अनेन व ा ससहे या जाता न पशा याः.. (३) यह सीसा रा स, पशाच आ द ारा डाले जाने वाले व न को समा त करने वाला है. यह मनु य का भ ण करने वाले रा स को न करता है. म इस सीसे के ारा सभी रा स को परा जत करता ं. वे रा स पशाची से उ प ह. (३) य द नो गां हं स य ं य द पू षम्. तं वा सीसेन व यामो यथा नो ऽ सो अवीरहा.. (४) हे श ु! य द तू हमारी गाय , घोड़ एवं सहायता करने वाले सेवक क ह या करता है तो म सीसे से तुझे मा ं गा. तू मेरे वीर क ह या नह कर सकेगा. (४)
सू -१७
दे वता—
यां एवं धमप नयां
अमूया य त यो षतो हरा लो हतवाससः. अ ातर इव जामय त तु हतवचसः.. (१) य क लाल र वा हनी जो ना ड़यां रोग के कारण सदा वा हत होती रहती ह, वे रोग न हो जाने के कारण इस कार क जाएं, जस कार बना भाइय वाली बहन ससुराल न जा कर अपने पता के घर म ही क जाती ह. (१) त ावरे त पर उत वं त म यमे. क न का च त त त ा द म नमही.. (२) हे शरीर के नचले भाग म वतमान नाड़ी! हे शरीर के ऊपरी भाग म थत नाड़ी! हे शरीर के म य भाग म वतमान नाड़ी! तू भी थर हो जा. धर का वाह बंद करने के लए छोट और बड़ी सभी ना ड़यां थर हो जाएं. (२) शत य धमनीनां सह य हराणाम्. अ थु र म यमा इमाः साकम ता अरंसत.. (३) दय संबंधी सैकड़ धम नयां, हजार शराएं एवं उन क म यवत र वा हनी ना ड़यां इस मं के भाव से खून बहाना बंद कर द. शेष ना ड़यां पूववत र ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाह
चालू रख. (३) प र वः सकतावती धनूबृह य मीत्. त तेलयता सु कम्.. (४) हे पथरी रोग उ पन करने वाली नाड़ी! हे धनु और बृहती नाड़ी! तुम धर वाह के सभी माग को चार ओर से घेर कर फैली ई हो. तुम र ाव र हत बनो तथा इस जन का सुख बढ़ाओ. (४)
सू -१८
दे वता—सा व ी आ द
नल यं लला यं १ नररा त सुवाम स. अथ या भ ा ता न नः जाया अरा त नयाम स.. (१) हम ललाट के असौभा य सूचक च को श ु के समान अपने शरीर से र करते ह. जो सौभा य सूचक च ह, वे हमारी संतान को ा त ह . हम ने अपने शरीर से बुरे च र कए ह, वे हमारे श ु को ा त ह . (१) नरर ण स वता सा वषक् पदो नह तयोव णो म ो अयमा. नर म यमनुमती रराणा ेमां दे वा असा वषुः सौभगाय.. (२) सब को ेरणा दे ने वाले स वता दे व, व ण दे व, म एवं अयमा दे व हमारे हाथ और पैर म थत असौभा य सूचक ल ण को र कर द. अनुम त दे वी, ‘भय मत करो’, कहती ई हमारे शरीर म वतमान सभी बुरे ल ण को नकाल द. इं आ द दे व ने इस अनुम त दे वी को हम सौभा य दे ने के लए े रत कया है. (२) य आ म न त वां घोरम् अ त य ा केशेषु तच णे वा. सव तद् वाचाप ह मो वयं दे व वा स वता सूदयतु.. (३) हे पु ष! तेरे अपने शरीर, केश एवं ने के जो बुरे ल ण ह, हम मं पी वाणी से उन सभी बुरे ल ण का वनाश करते ह. स वता दे व तुझे क याण क ेरणा द. (३) र यपद वृषदत गोषेधां वधमामुत. वलीढ् यं लला यं १ ता अ म ाशयाम स.. (४) हम से संबं धत जो ी ह रण के समान पैर वाली, बैल के समान दांत वाली, गाय के समान ग त वाली एवं वकृत श द बोलने वाली है; हम मं के भाव से उस के इन ल ण को र करते ह. जस ी के माथे पर ल ण के तीक उलटे रोम ह, उ ह भी हम अपने मं के भाव से र करते ह. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -१९
दे वता—इं आ द
मा नो वदन् व ा धनो मो अ भ ा धनो वदन्. आरा छर ा अ म षूची र पातय.. (१) अ श आ द से ता ड़त करने वाले जो श ु ह, वे हम ा त न कर सक. सामने आ कर हसा करने वाले हम न पा सक. हे परम ऐ य संप इं दे व! श ु ारा बारबार छोड़े गए अनेक कार के मुख वाले जो बाण ह, उ ह हम से र थान म गराओ. (१) व व चो अ म छरवः पत तु ये अ ता ये चा याः. दै वीमनु येषवो ममा म ान् व व यत्.. (२) जो बाण श ु ारा धनुष से छोड़े जा रहे ह अथवा जो बाण छोड़ने के लए तरकस म सुर त ह, वे हम से र रह. जो दै वी एवं मानवीय अ श ह, वे जा कर हमारे श ु को वेध डाल. (२) यो नः वो यो अरणः सजात उत न ् यो यो अ माँ अ भदास त. ः शर यैतान् ममा म ान् व व यतु.. (३) हमारी जा त का अ धक बली, श ु समान श वाला अथवा नकृ बलशाली जो मनु य हम दास बनाना चाहता है, हमारे उन अ म को, सब को लाने वाले संहार कता दे व अपने बाण से ब ध डाल. (३) यः सप नो यो ऽ सप नो य ष छपा त नः. दे वा तं सव धूव तु वम ममा तरम्.. (४) जो हमारी जा त का अथवा भ जा त का पु ष हम से े ष रखने के कारण हम शाप दे ता है, इं आ द सभी दे व उस का वनाश कर. मेरे ारा योग कए गए मं उस के शाप से मेरी र ा कर. (४)
सू -२०
दे वता—सोम, म त् आ द
अदारसृद ् भवतु दे व सोमा मन् य े म तो मृडता नः. मा नो वदद भभा मो अश तमा नो वदद् वृ जना े या या.. (१) हे सोम दे व! हमारा श ु अपने थान से भागा आ होने के कारण कभी भी अपनी ी के पास न प ंच सके. हे म त् दे व! इस य म आप हमारी र ा कर. सामने से आता आ तेज वी श ु मुझे ा त न कर सके. क त और उ त के माग म व न डालने वाले पाप भी हम न पा सक. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो अ से यो वधो ऽ घायूनामुद रते. युवं तं म ाव णाव मद् यावयतं प र.. (२) आज यु म हसक और पापी श ु के हम पर चलाए गए जो आयुध हमारी ओर आ रहे ह, हे व ण दे व! उ ह आप हम से र रखो. हे म और व ण! यु म श ु को हम से इस कार र रखो क वह हम छू भी न सके. (२) इत यदमुत यद् वधं व ण यावय. व मह छम य छ वरीयो यावया वधम्.. (३) हे व ण! हमारे समीपवत श ु ारा चलाया आ जो आयुध हम तक आता है अथवा रवत श ु का जो आयुध हमारे ऊपर चलाया जाता है, उसे हम से र करो. हम महान सुख दान करो एवं मं योग आ द के कारण असफल न होने वाले श ा से हम र रखो. (३) शास इ था महाँ अ य म साहो अ तृतः. न य य ह यते सखा न जीयते कदा चन.. (४) हे इं ! आप शासक और नयंता होने के कारण महान गुण से यु ह. आप श ु को परा जत करने वाले ह. आप क म ता ा त करने वाला पु ष कभी परा जत नह होता. श ु कभी भी उस का अपमान नह कर पाते. (४)
सू -२१
दे वता—इं
व तदा वशां प तवृ हा वमृधो वशी. वृषे ः पुर एतु नः सोमपा अभयङ् करः.. (१) वनाश र हत, ोभ न दे ने वाले, सभी जा के पालनकता, वृ नामक रा स अथवा जल के आधार मेघ को न करने वाले, श ु क वशेष प से हसा करने वाले, सभी ा णय को वश म रखने वाले, मनोकामना क वषा करने वाले एवं सोमरस को पीने वाले इं दे व हमारे लए अभय करने वाले बन कर सं ाम म हमारे नेता बन. (१) व न इ मृधो ज ह नीचा य छ पृत यतः. अधमं गमया तमो यो अ माँ अ भदास त.. (२) हे परम ऐ य यु इं दे व! हमारी वजय के लए हम से सं ाम करने वाले श ु का वनाश करो. जो यु का य न करने वाले श ु ह, उन को परा जत करो. हमारे खेत, धन आ द छ न कर हम हा न प ंचाने वाले श ु को अवन त पी अंधकार म प ंचाओ. (२) व र ो व मृधो ज ह व वृ य हनू ज. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व म यु म
वृ ह म या भदासतः.. (३)
हे वृ रा स को मारने वाले इं ! तुम रा स का वनाश करो एवं सं ाम म वजय ा त करो. तुम वृ के समान श शाली हमारे श ु के कपोल को वद ण करो. (३) अपे षतो मनो ऽ प ज यासतो वधम्. व मह छम य छ वरीयो यावया वधम्.. (४) हे परम ऐ य वाले इं दे व! हम से े ष करने वाले श ु के हसक मन को न क जए. जो श ु हम समा त करने का इ छु क है, उस के आयुध का वनाश करो. हम महान सुख दान करो एवं मं योग के कारण असफल न होने वाले श को हम से र रखो. (४)
सू -२२
दे वता—सूय और दय रोग
अनु सूयमुदयतां द् ोतो ह रमा च ते. गो रो हत य वणन तेन वा प र द म स.. (१) हे रोग सत पु ष! तेरे दय को संताप प ंचाने वाला दय रोग एवं कामला आ द रोग से उ प तेरे शरीर का पीलापन सूय क ओर चला जाए. हे रोगी! गाय के लाल वण से पहचाने जाने वाले के प म म तुझे व थ कराता ं. (१) प र वा रो हतैवणद घायु वाय द म स. यथायमरपा असदथो अह रतो भुवत्.. (२) हे ा ध त पु ष! तेरी द घायु के लए हम तुझे गाय के समान लाल रंग से ढकते ह. यह पु ष पापर हत हो कर कामला आ द रोग के कारण होने वाले शरीर के पीले रंग से छू ट जाए. (२) या रो हणीदव या ३ गावो या उत रो हणीः. पं पं वयोवय ता भ ् वा प र द म स.. (३) दे व क जो लाल रंग क कामधेनु आ द गाएं एवं मनु य क जो लाल रंग क गाएं ह, इन दोन कार के लाल रंग के प और यौवन को ले कर, हे रोगी पु ष! हम तुझे ढकते ह. (३) शुकेषु ते ह रमाणं रोपणाकासु द म स. अथो हा र वेषु ते ह रमाणं न द म स.. (४) हे रोगी पु ष! हम तेरे शरीर म रहने वाले रोग से उ प हरे रंग को ोत म तथा रोपणक नामक प य म था पत करते ह. हम तेरे हलद के समान पीले रंग को गोपीतनक ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नामक पीले रंग के प य म था पत करते ह. (४)
सू -२३
दे वता—वन प त
न ं जाता योषधे रामे कृ णे अ स न च. इदं रज न रजय कलासं प लतं च यत्.. (१) हे ह र ा! हलद नामक ओष ध! तू रात म उ प ई है. इस लए तू शरीर क सफेद र करने म समथ है. हे भृंगराज (भागरा) नामक ओष ध! रंग काला कर दे ने वाली इं ावा ण नामक ओष ध! एवं अ सत वण करने वाली नील नामक ओष ध! तुम कु रोग के कारण वकृत रंग वाले इस अंग को अपने रंग म रंग दो. वृ ाव था के कारण जो बाल ेत हो गए ह, उ ह भी अपने रंग म रंग दो. (१) कलासं च प लतं च न रतो नाशया पृषत्. आ वा वो वशतां वणः परा शु ला न पातय.. (२) हे ओष ध! कु रोग और असमय म केश ेत होने के रोग को शरीर से र कर के न करो. हे रोगी! तु ह अपने बाल का पहले वाला रंग पुनः ा त हो. हे ओष ध! तू इस के ेत रंग को र कर दे . (२) अ सतं ते लयनमा थानम सतं तव. अ स य योषधे न रतो नाशया पृषत्.. (३) हे नील नामक ओष ध! तेरे उ प होने का थान काले रंग का होता है. तू काले रंग क होती है, इस लए तू कु रोग के कारण षत अंग के सफेद रंग और बाल के पकने को र कर. (३) अ थज य कलास य तनूज य च यत् व च. या कृत य णा ल म ेतमनीनशम्.. (४) ह ड् डय से उ प , वचा से उ प एवं इन दोन के म यवत मांस से उ प कु रोग के कारण जो ेत च शरीर पर उ प हो गए ह, उ ह म मं के भाव से न करता ं. (४)
सू -२४
दे वता—आसुरी वन प त
सुपण जातः थम त य वं प म् आ सथ. तद् आसुरी युधा जता पं च े वन पतीन्.. (१) हे ओष ध! सब से पहले ग ड़ उ प ए. तू उन के शरीर म प दोष के ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प म थी.
आसुरी माया ने ग ड़ से यु कर के प प को ओष ध का प दे दया. (१)
को जीत लया एवं वजय के कारण ा त उस
आसुरी च े थमेदं कलासभेषजम् इदं कलासनाशनम्. अनीनशत् कलासं स पाम् अकरत् वचम्.. (२) आसुरी माया पी ी ने सब से पहले कु रोग र करने क ओष ध बनाई थी. नीली आ द ओष धय ने कु रोग को न कर के वचा को पहले के समान व थ बनाया. (२) स पा नाम ते माता स पो नाम ते पता. स पकृत् वमोषधे सा स प मदं कृ ध.. (३) हे ओष ध! तेरी माता तेरे समान ही काले रंग वाली है. तेरा पता आकाश भी तेरे ही समान नीले रंग का है. हे नील नामक ओष ध! तू अपने संपक म आने वाले पदाथ को अपने समान रंग वाला बना दे ती है. इस लए कु रोग से षत इस अंग को अपने समान रंग वाला अथात् काला कर दे . (३) यामा स पंकरणी पृ थ ा अ युदभृ ् ता. इदमू षु साधय पुना पा ण क पय.. (४) हे काले रंग क एवं अपने संपक म आने वाले को अपने समान बना दे ने वाली ओष ध! तू आसुरी माया ारा धरती से उ प क गई है. तू कु रोग से आ ांत इस अंग को पुनः पहले के समान रंग वाला बना दे . (४)
सू -२५
दे वता—य मानाशक अ न
यद नरापो अदहत् व य य ाकृ वन् धमधृतो नमां स. त त आ ः परमं ज न ं स नः सं व ान् प र वृ ङ् ध त मन्.. (१) हे जीवन को क पूण बनाने वाले वर! जस अ न ने वेश कर के जल को जलाया अथात् गरम कया, यश, दान आ द धा मक कृ य करने वाल ने जस अ न म होम कया है, उसी उ म अ न म से तेरा ज म बताया गया है. यह सब जानता आ तू गरम जल से नान करने वाले हमारे शरीर को याग कर अ न म वेश कर. (१) य चय द वा स शो चः शक ये ष य द वा ते ज न म्. डु नामा स ह रत य दे व स नः सं व ान् प र वृ ङ् ध त मन्.. (२) हे जीवन को ःखमय बनाने वाले वर! तू य प उ णता कारक एवं सुखाने वाला है. य प तेरा ज म अ न से आ है, तथा प हे द तशाली वर! तू मनु य के शरीर म पीले रंग को उ प करने वाला है. इस लए तू ढ़ नाम से स है. तू हमारे गरम जल से भीगे ए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शरीर को अपना ज म थान अ न जान कर हमारे शरीर से बाहर नकल जा. (२) य द शोको य द वा भशोको य द वा रा ो व ण या स पु ः. डु नामा स ह रत य दे व स नः सं व ान् प र वृ ङ् ध त मन्.. (३) हे शीत वर! तुम शरीर को शोकाकुल करने वाले, शरीर को सभी कार से सुखाने वाले एवं तेज वी व ण के पु हो. तुम ढ़ नाम से स हो. तुम हमारे गरम जल से भीगे ए शरीर को अपना ज म थान अ न जान कर हमारे शरीर से बाहर नकल जाओ. (३) नमः शीताय त मने नमो राय शो चषे कृणो म. यो अ ये ु भय ुर ये त तृतीयकाय नमो अ तु त मने.. (४) म शीत उ प करने वाले वर को नम कार करता ं. म ठं ड लगने के बाद चढ़ने वाले एवं शोककारक वर को णाम करता ं. जो वर त दन सरे दन एवं तीसरे दन आता है, म उस के लए नम कार करता ं. (४)
सू -२६
दे वता—इं आ द
आरे ३ साव मद तु हे तदवासो असत्. आरे अ मा यम यथ.. (१) हे दे वो! आप क कृपा से श ु ारा यु खड् ग आ द आयुध हमारे शरीर से र हो जाएं. हे श ुओ! तुम यं आ द के ारा जो प थर फकते हो, वे भी हम से र रह. (१) सखासाव म यम तु रा तः सखे ो भगः स वता च राधाः.. (२) आकाश म दखाई दे ते ए सूय दे व हमारे म ह . संप दे ने वाले स वता दे व हमारे म ह . स वता दे व अनेक कार के धन के वामी ह. वे तथा इं दे व हमारे म ह. (२) यूयं नः वतो नपा म तः सूय वचसः. शम य छाथ स थाः.. (३) हे सूय ारा पृ वी से सोखे ए जल को न गराने वाले पज य दे व! हे सात गण वाले म त् दे व! आप सब सूय के समान तेज वाले ह. आप सब हमारा व तार से क याण कर. (३) सुषूदत मृडत मृडया न तनू यो मय तोके य कृ ध.. (४) हे इं आ द दे वो! आप श ु ारा छोड़े जाने वाले आयुध को हम से र करो तथा हम सुख दो. हे इं आ द दे वो! आप हमारे शरीर को सुख द एवं हमारी संतान को सुखी बनाएं. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -२७
दे वता—
ण पत
अमूः पारे पृदा व ष ता नजरायवः. तासां जरायु भवयम या ३ व प याम यघायोः प रप थनः.. (१) सांप क ये इ क स जा तयां दे व के समान बुढ़ापे से र हत ह एवं नागलोक म नवास करती ह. इन सांप क कचुली जरायु के समान उन से लपट रहती है. सांप क उस कचुली के ारा हम सर का अ हत सोचने वाले श ु क आंख को ढकते ह. (१) वषू येतु कृ तती पनाक मव ब ती. व वक् पुनभुवा मनो ऽ समृ ा अघायवः.. (२) शव के धनुष पनाक के समान श ु के मारने म स म आयुध धारण करती ई, खड् ग आ द आयुध से श ु को फाड़ती ई हमारी सेना मारकाट मचाती ई आगे बढ़े . य द श ु सेना उस का सामना करने के लए एक हो, तो श ु सै नक का मन कुछ सोचने और न य करने म समथ न हो. ऐसी थ त म हमारे श ु रा , कोश आ द से र हत हो जाएं. (२) न बहवः समशकन् नाभका अ भ दाधृषुः. वेणोरद्गा इवा भतो ऽ समृ ा अघायवः.. (३) हाथी, घोड़े और रथ से यु ब त से श ु सै नक हम जीतने म असमथ हो कर हार जाएं. अ प सं या वाले श ु हमारे सामने आने का साहस न कर सक. बांस क ऊपरी शाखाएं जस कार बल होती ह, हम से परा जत हो कर धनहीन बने श ु उसी कार समृ र हत हो जाएं. (३) ेतं पादौ फुरतं वहतं पृणतो गृहान्. इ ा येतु थमाजीतामु षता पुरः.. (४) हे चलने के इ छु क के चरणो! तुम आगे बढ़ो एवं शी चलने के लए ग त करो. तुम हम इ छत फल दे ने वाले पु ष के नवास थान तक प ंचाओ. कसी से परा जत न होने वाले इं क प नी हमारी सेना क दे वता ह. वह हमारी सेना क र ा के लए आगेआगे चल. (४)
सू -२८
दे वता—अ न
उप ागाद् दे वो अ नी र ोहामीवचातनः. दह प या वनो यातुधानान् कमी दनः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रा स के वनाशक और रोग को र करने वाले अ न दे व उ ह न करने के लए उन के समीप चल. अ न दे व मायामय, सौ य, हसक एवं भयावह प धारण करने वाले, सर के दोष खोजने वाले, पीड़ादायक एवं परेशान करने वाले रा स को भ म करते ए इस पु ष के समीप आ रहे ह. (१) त दह यातुधानान् त दे व कमी दनः. तीचीः कृ णवतने सं दह यातुधा यः.. (२) हे अ न दे व! आप इन रा स और सर के दोष दे खने वाले पशाच को भ म कर दो. हे काले माग वाले अ न! सर के तकूल आचरण करने वाली रा सय को भी आप भ म कर द. (२) या शशाप शपनेन याघं मूरमादधे. या रस य हरणाय जातमारेभे तोकम ु सा.. (३) जन रा सय ने कठोर वचन के ारा हम शाप दया है, जन रा सय ने सभी पाप क जड़ हसा को वीकार कर लया है तथा जो हमारी संतान, रस, स दय एवं पु का वनाश करती ह, वे सभी अपने अथवा हमारे श ु के बालक का भ ण कर. (३) पु म ु यातुधानीः वसारमुत न यम्. अधा मथो वके यो ३ व नतां यातुधा यो ३ व तृ
तामरा यः.. (४)
रा सयां अपने पु , बहन और नाती को खा जाएं. रा सयां एक सरे के केश ख च कर लड़ने के कारण बाल बखेर तथा मृ यु को ा त ह . दान न करने वाली रा सयां आपस म लड़ कर मर जाएं. (४)
सू -२९
दे वता—
ण पत
अभीवतन म णना येने ो अ भवावृधे. तेना मान् ण पते ऽ भ रा ाय वधय.. (१) हे
ण प त! समृ एवं श दान करने वाली जस म ण को धारण कर के इं उ म ए ह, उसी म ण के ारा श ु से पी ड़त हमारे रा क संप ता बढ़ाओ. आप क कृपा से हम संप जन ारा सुर त रा म श ु के भय से र हत ह . (१) अ भवृ य सप नान भ या नो अरातयः. अ भ पृत य तं त ा भ यो नो र य त.. (२) हे अभीवत म ण! तुम हमारे श ु के सामने डट कर उ ह परा जत करो. जो हमारे रा , धन आ द का अपहरण कर के हमारे त श ुता का वहार करते ह, उन के सामने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
डट कर तुम उन को परा जत करो. जो हम से यु करने के लए सेना सजाते ह अथवा हमारे त अ भचार (जा टोने) के प म श ुता करते ह, तुम उ ह भी परा जत करो. (२) अ भ वा दे वः स वता भ सोमो अवीवृधत्. अ भ वा व ा भूता यभीवत यथास स.. (३) हे अभीवत म ण! स वता दे व ने तु हारी वृ क है और सोम दे व ने तु ह समृ बनाया है. हे म ण! सभी ा णय ने तु हारी वृ क है. जो तु ह धारण करता है, वह सभी साधन से संप हो जाता है. (३) अभीवत अ भभवः सप न यणो म णः. रा ाय म ं ब यतां सप ने यः पराभुवे.. (४) श ु क पराजय करने वाली एवं रा स का वनाश करने वाली अभीवत म ण रा क समृ और श ु के वनाश के लए मेरे हाथ म बांधो. (४) उदसौ सूय अगा ददं मामकं वचः. यथाहं श ुहो ऽ सा यसप नः सप नहा.. (५) आकाश मंडल म दखाई दे ने वाले एवं सभी ा णय के ेरक सूय दे व उ दत हो गए ह. अपनी वजय क एवं श ु क पराजय क कामना करने वाली मेरी वेद पी वाणी भी कट हो गई है. अभीवत म ण को धारण करने वाला म जस कार श ु को मारने वाला बनूं, ऐसा सुयोग उप थत हो. म श ुर हत हो जाऊं. य द मेरा कोई श ु हो भी तो उसे म परा जत क ं . (५) सप न यणो वृषा भरा ो वषास हः. यथाहमेषां वीराणां वराजा न जन य च.. (६) हे म ण! म तु हारे भाव से श ु का नाशक, जा का पालक, अपने रा का वामी एवं श ु को वश म करने वाला बनूं. म श ु सेना के वीर एवं उन क जा पर शासन करने म समथ बनूं. (६)
सू -३०
दे वता— व े दे व
व े दे वा वसवो र तेममुता द या जागृत यूयम मन्. मेमं सना भ त वा यना भममं ापत् पौ षेयो वधो यः.. (१) हे व े दे व! वसु एवं आ द य दे वो! द घ आयु क कामना करने वाले इस पु ष क र ा करो एवं द घ आयु क कामना करने वाले इस पु ष के वषय म सावधान रहो. इस का सजातीय अथवा वजातीय श ु इस के पास तक न आ सके. कोई भी इस क हसा करने म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समथ न हो. (१) ये वो दे वाः पतरो ये च पु ाः सचेतसो मे शृणुतेदमु म्. सव यो वः प र ददा येतं व ये नं जरसे वहाथ.. (२) हे दे वो! आप के जो पतर एवं पु ह , वे भी इस पु ष के वषय म क गई मेरी ाथना पर यान द. द घ आयु क कामना करने वाले इस पु ष को म आप सब को स पता ं. इस क वृ ाव था तक आप इस का क याण कर. (२) ये दे वा द व ये पृ थ ां ये अ त र ओषधीषु पशु व व१ तः. ते कृणुत जरसमायुर मै शतम यान् प र वृण ु मृ यून्.. (३) जो दे व वग म एवं पृ वी पर नवास करते ह, वायु आ द जो दे व अंत र म गमन करते ह तथा जो दे व ओष धय , पशु एवं जल म थत ह, वे सब दे व इस द घ आयु क कामना करने वाले पु ष को वृ ाव था पयत आयु दान कर एवं इसे मृ यु से बचाएं. (३) येषां याजा उत वानुयाजा तभागा अ ताद दे वाः. येषां वः प च दशो वभ ा तान् वो अ मै स सदः कृणो म.. (४) जस दे व के न म पंचयाग कए जाते ह, वह अ न दे व; जन दे व के न म बाद वाले तीन य कए जाते ह, वह इं आ द दे व; जो ब ल का अपहरण करते ह, दशा के वामी दे व ह, इन सब को एवं इन के अ त र जो दे व ह, उन को भी म इस द घ आयु चाहने वाले पु ष के समीप बैठने के लए नयु करता ं. (४)
दे वता—आशापाल वा तो प त
सू -३१
अथात्
आशानामाशापाले य तु य अमृते यः. इदं भूत या य े यो वधेम ह वषा वयम्.. (१) पूव आ द दशा क र ा करने वाले एवं कभी न मरने वाले इं , यम आ द चार दे व के लए हम इस भाग म मं के साथ आ त दे ते ह. वे दे व सभी ा णय के वामी ह. (१) य आशानामाशापाला वार थन दे वाः. ते नो नऋ याः पाशे यो मु चतांहसो अंहसः.. (२) जो दशा का पालन करने वाले इं आ द चार दे व ह, वे हम मृ यु दे व के पाश से छु ड़ाएं तथा पाप से हमारी र ा कर. (२) अ ाम वा ह वषा यजा य
ोण वा घृतेन जुहो म.
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य आशानामाशापाल तुरीयो दे वः स नः सुभूतमेह व त्.. (३) हे धन दे ने वाले दे व कुबेर! म अपने अ भमत धन आ द ा त करने के लए ह व से इं आ द दे व क स ता के लए हवन करता ं. दशा क र ा करने वाले इं आ द दे व म जो चौथे दे व कुबेर ह, वे इस य म हम वण, रजत आ द धन द. (३) व त मा उत प े नो अ तु व त गो यो जगते पु षे यः. व ं सुभूतं सु वद ं नो अ तु योगेव शेम सूयम्.. (४) हमारी माता, हमारे पता, हमारी गाय और सारे संसार का क याण हो. हमारी माता आ द उ म धन एवं े ान वाले ह. हम सौ वष तक सूय के दशन करते रह. (४)
सू -३२
दे वता— ावा पृ थवी
इदं जनासो वदथ महद् व द य त. न तत् पृ थ ां नो द व येन ाण त वी धः.. (१) हे जानने के इ छु क जनो! इस बात को जानो क वह जल प पृ वी पर नह रहता और न वह आकाश म नवास करता है. उसी जल के कारण सभी वृ एवं लताएं जी वत रहती ह. (१) अ त र आसां थाम ा तसदा मव. आ थानम य भूत य व द् वेधसो न वा.. (२) जस कार गंधव का नवास थान अंत र है, उसी कार इन ओष धय का कारण प जल आकाश और धरती के म य अथात् अंत र म नवास करता है. इस लोक म जो भी थावर और जंगम ह, उन सब का आ य भी जल है. वधाता मनु आ द भी इसे नह जानते. (२) यद् रोदसी रेजमाने भू म नरत तम्. आ तद सवदा समु येव ो याः.. (३) हे जल उ प करने के लए कांपती ई उ म पृ वी एवं आकाश! तुम दोन पहले बताए ए जल का उ पादन करो. वह जल वतमान काल म नया रहता है अथात् वषा का जल समा त हो जाने पर भी आकाश म जल उसी कार समा त नह होता, जस कार सागर म मलने वाली स रताएं कभी नह सूखत . (३) व म यामभीवार तद य याम ध तम्. दवे च व वेदसे पृ थ ै चाकरं नमः.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सारा संसार आकाश से चार ओर से घरा आ है. यह संसार पृ वी पर आ त है. म संसार के धन के प म थत ुलोक को तथा पृ वी को नम कार करता ं. (४)
सू -३३
दे वता—जल
हर यवणाः शुचयः पावका यासु जातः स वता या व नः. या अ नं गभ द धरे सुवणा ता न आपः शं योना भव तु.. (१) सोने के रंग क शु अ नयां एवं स वता जन जल से उ प ए ह, बादल म थत जन जल म व ुत पी अ न तथा सागर म थत जन जल म वाडवा न उ प ई है, जन शोभन रंग वाले जल ने अ न को गभ के प म धारण कया है, वे जल हमारे लए रोग नाशक और सुखकारक ह . (१) यासां राजा व णो या त म ये स यानृते अवप यन् जनानाम्. या अ नं गभ द धरे सुवणा ता न आपः शं योना भव तु.. (२) राजा व ण जन जल के म य म थत हो कर मनु य के स य और अस य को जानते ए चलते ह, जन शोभन वण वाले जल ने अ न को गभ के प म धारण कया है, वे जल हमारे लए रोग के नाशक और सुखकारक ह . (२) यासां दे वा द व कृ व त भ ं या अ त र े ब धा भव त. या अ नं गभ द धरे सुवणा ता न आपः शं योना भव तु.. (३) इं आ द दे व जन जल के सार प अमृत को ुलोक म भ ण करते ह तथा जो जल अनेक कार से थत रहते ह, जन शोभन वण वाले जल ने अ न को गभ के प म धारण कया है, वे जल हमारे लए रोग के नाशक और सुखकारक ह . (३) शवेन मा च ुषा प यतापः शवया त वोप पृशत वचं मे. घृत तः शुचयो याः पावका ता न आपः शं योना भव तु.. (४) हे जल के अ भमानी दे व! मुझे सुखकर से दे खो तथा अपने क याणकारी शरीर से मेरी दे ह का पश करो. जो जल अमृत को टपकाने वाले तथा प व करने वाले ह, वे हमारे लए रोग वनाशक और सुखकारी ह . (४)
सू -३४
दे वता—मधु, वन प त
इयं वी माधुजाता मधुना वा खनाम स. मधोर ध जाता स सा नो मधुमत कृ ध.. (१) यह सामने वतमान लता मधुर रस से यु भू म म उ प ई है. म इसे मधुर ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प वाले
फावड़े आ द क सहायता से खोदता ं. तू मुझ से उ प बना. (१)
ई है. तू हम भी मधु रस से यु
ज ाया अ े मधु मे ज ामूले मधूलकम्. ममेदह तावसो मम च मुपाय स.. (२) हे मधु लता! तू मेरी जीभ के अ भाग पर शहद के समान थत हो तथा जीभ क जड़ म मधु रस वाले मधु नामक जल वृ के फूल के प म वतमान रह. तू केवल मेरे शरीर ापार म लग तथा मेरे च म आ. (२) मधुम मे न मणं मधुम मे परायणम्. वाचा वदा म मधुमद् भूयासं मधुस शः.. (३) हे मधु लता! तु ह धारण करने से मेरा नकट गमन सर को स करने वाला हो तथा मेरा र गमन सर को स करे. म वाणी से मधुयु हो कर तथा सम त काय के ारा मधु के समान बन कर सब के ेम का पा बनूं. (३) मधोर म मधुतरो म घा मधुम रः. मा मत् कल वं वनाः शाखां मधुमती मव.. (४) हे मधु लता! म तुझ से उ प होने वाले शहद से भी अ धक मधुर ं. म शहद टपकाने वाले पदाथ से भी अ धक मधुर ं. तुम न य ही केवल मुझे उसी कार ा त हो जाओ, जस कार शहद वाली डाल के पास लोग प ंच जाते ह. (४) प र वा प रत नुने ुणागाम व षे. यथा मां का म यसो यथा म ापगा असः.. (५) हे प नी! म तुझे सभी ओर के लए ा त आ ं. (५)
ा त एवं ईख के समान मधुर मधु के ारा आपस म ेम
सू -३५
दे वता— हर य
यदाब नन् दा ायणा हर यं शतानीकाय सुमन यमानाः. तत् ते ब ना यायुषे वचसे बलाय द घायु वाय शतशारदाय.. (१) हे यजमान! द क संतान मह षय ने सौमन य को ा त हो कर राजा शतानीक के लए जस नद ष वण को बांधा था, वही वण म तेरी द घ आयु, तेज, बल, एवं सौ वष क आयु पाने के लए तुझे बांधता ं. (१) नैनं र ां स न पशाचाः सह ते दे वानामोजः थमजं
े ३ तत्.
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यो बभ त दा ायणं हर यं स जीवेषु कृणुते द घमायुः.. (२) वण बंधे ए इस पु ष को रा स और पशाच परा जत नह कर सकते, य क यह दे व का थम उ प आ ओज है. द पु से संबं धत इस वण को जो बांधता है, वह ा णय के म य सौ वष क आयु ा त करता है. (२) अपां तेजो यो तरोजो बलं च वन पतीनामुत वीया ण. इ इवे या य ध धारयामो अ मन् तद् द माणो बभर (३)
र यम्..
म जल के तेज, यो त, ओज और बल तथा वन प तय का वीय उसी कार धारण करता ,ं जस कार इं म इं य के असाधारण च वतमान ह. इसी लए वृ ात करता आ यह पु ष हर य धारण करे. (३) समानां मासामृतु भ ् वा वयं संव सर य पयसा पप म. इ ा नी व े दे वा ते ऽ नु म य ताम णीयमानाः.. (४) हे संप चाहने वाले पु ष! म तुझे संव सर क , महीन क , ऋतु क एवं काल संबंधी ध क धार से पूण करता ं. इं और अ न तथा सम त दे व ोध न करते ए तुझे संप ता क अनुम त द. (४)
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सरा कांड सू -१
दे वता—
, आ मा
वेन तत् प यत् परमं गुहा यद् य व ं भव येक पम्. इदं पृ र ह जायमानाः व वदो अ यनूषत ाः.. (१) द तशाली आ द य ने सम त ा णय के दय म स य, ान आ द ल ण से यु का सा ा कार कया, जस म सम त व एकाकार हो जाता है. वग और आ द य ने इस व को कया. उ प होती ई तथा अपने उ प कता को जानती ई जाएं उस क तु त करती ह. (१) तद् वोचेदमृत य व ान् ग धव धाम परमं गुहा यत्. ी ण पदा न न हता गुहा य य ता न वेद स पतु पतासत्.. (२) अ वनाशी को जानते ए आ द य के वषय के वचन कर क वह उ कृ थान एवं दय म थत है. उस के तीन भाग दय म छपे ए ह. जो उ ह जानता है, वह अपने पता का भी पता होता है. (२) स नः पता ज नता स उत ब धुधामा न वेद भुवना न व ा. यो दे वानां नामध एक एव तं सं ं भुवना य त सवा.. (३) वह सूया मक परमा मा हमारा पालनकता, ज मदाता एवं बंधु है. वह वग आ द थान एवं वहां ा त होने वाले सम त ा णय को जानता है. एकमा वही इं आ द दे व का नाम रखने वाला है अथवा वह वयं ही इं आ द नाम धारण करता है. इस कार के परमा मा को सभी ाणी यह पूछते ए ा त होते ह क वह परमा मा कस कार का है? (३) प र ावापृ थवी स आयमुपा त े थमजामृत य. वाच मव व र भुवने ा धा युरेष न वे ३ षो अ नः.. (४) ान होने के प ात त व ानी कहता है, “म ने त व ान होते ही ावा और पृ वी को सभी ओर से ा त कर लया है तथा म ही से थम उ प ाणी एवं भौ तक पदाथ ं. जस कार व ा के समीपवत जन वाणी को त काल सुन और समझ लेते ह, उसी कार यह परमा मा संसार म थत, सब के पोषण का इ छु क एवं वै ानर के प म सब का ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पोषक है.” (४) प र व ा भुवना यायमृत य त तुं वततं शे कम्. य दे वा अमृतमानशानाः समाने योनाव यैरय त.. (५) ानो प से पूव म ने पृ वी आ द लोक को ा त कया. इस का योजन को दे खना है जो इस व का कारण है. उस म इं आ द दे व अमृत का वाद लेते ए अपनेआप को त मय कर दे ते ह. (५)
सू -२
दे वता—गंधव अ सराएं
द ो ग धव भुवन य य प तरेक एव नम यो व वी ः. तं वा यौ म णा द दे व नम ते अ तु द व ते सध थम्.. (१) द सूय पृ वी आ द लोक का पालनकता है. सम त जा के ारा वही अकेला नम कार करने एवं तु त के यो य है. हे द सूय दे व! म के प म आप क आराधना करता ं. आप को मेरा नम कार है. आप का आवास वग म है. (१) द व पृ ो यजतः सूय वगवयाता हरसो दै य. मृडाद् ग धव भुवन य य प तरेक एव नम यः सुशेवाः.. (२) आकाश म थत, य करने यो य, सूय के समान वण वाले एवं दे व संबंधी ोध को न करने वाले गंधव हम सुखी बनाएं. वे पृ वी आ द लोक के वामी, एकमा नम कार करने यो य एवं शोभन सुख दे ने वाले ह. (२) अनव ा भः समु ज म आ भर सरा व प ग धव आसीत्. समु आसां सदनं म आ यतः स आ च परा च य त.. (३) सूय पी गंधव नदा के अयो य करण पी अ सरा से मल गया था. समु इन अ सरा का नवास थान कहा गया है, जहां से ये सूय दय के साथ ही यहां आती ह और सूया त के साथ चली जाती ह. (३) अ ये द ु ये या व ावसुं ग धव सच वे. ता यो वो दे वीनम इत् कृणो म.. (४) हे आकाश म ज म लेने वाली, काशयु एवं न पणी करणो! तुम म से जो व ावसु गंधव अथात् चं मा के साथ संयु होती ह, हे द करणो! म तु हारे लए नम कार करता ं. (४) याः ल दा त मषीचयो ऽ कामा मनोमुहः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ता यो ग धवप नी यो ऽ सरा यो ऽ करं नमः.. (५) जो करण मनु य को लाने वाली, श संप , इं य को न य करने क इ छु क एवं मन को मोहने वाली ह, उन गंधव प नी अ सरा को म नम कार करता ं. (५)
सू -३
दे वता— ाव- वरोधी ओष ध
अदो यदवधाव यव कम ध पवतात्. तत् ते कृणो म भेषजं सुभेषजं यथास स.. (१) मुंजवान पवत से उतर कर जो मूंज धरती पर वतमान है, हे मूंज! तेरे उस अ भाग से म ओष ध बनाता ं, य क तू उ म जड़ीबूट है. (१) आद ा कु वद ा शतं या भेषजा न ते. तेषाम स वमु ममना ावमरोगणम्.. (२) हे ओष ध! योग के तुरंत बाद रोग समा त करो एवं ब त से रोग का वनाश करो. तुम से संबं धत अन गनत जड़ीबू टयां ह, उन म तुम उ म हो. तुम अ तसार आ द रोग र करने वाली एवं इन के मूल कारण का वनाश करने वाली हो. (२) नीचैः खन यसुरा अ ाण मदं महत्. तदा ाव य भेषजं त रोगमनीनशत्.. (३) ाण का अपहरण करने वाले रा स एवं शरीर को नबल बनाने वाले रोग वशाल घाव के पकने के थान को नीचे से वद ण करते ह, यह महती ओष ध उस का समूल वनाश करती है तथा अ तसार आ द रोग को जड़ से मटा दे ती है. (३) उपजीका उ र त समु ाद ध भेषजम्. तदा ाव य भेषजं त रोगमशीशमत्.. (४) बांमी बनाने वाली द मक पृ वी के नीचे थत जलरा श से रोग नवारक जड़ीबूट को उखाड़ती है. वह अ तसार आ द रोग क ओष ध है और उ ह शांत करने वाली है. (४) अ ाण मदं महत् पृ थ ा अ युदभृ ् तम्. तदा ाव य भेषजं त रोगमनीनशत्.. (५) घाव को पकाने वाली यह जड़ीबूट अथात् म खेत से खोद कर लाई गई है. यह अ तसार रोग क ओष ध है और उ ह शांत करती है. (५) शं नो भव वप ओषधयः शवाः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ
य व ो अप ह तु र स आराद् वसृ ा इषवः पत तु र साम्.. (६)
ओष धय के प म योग कए जाते ए जल एवं ओष धयां हमारे रोग को शांत करने वाले ह. इं का व रोग उ प करने वाले रा स का वनाश करे. मनु य को पीड़ा प ंचाने के न म यु रा स के रोग पी बाण हम से र गर अथात् रोग हम से र रह. (६)
सू -४
दे वता—जं गड़ म ण
द घायु वाय बृहते रणाया र य तो द माणाः सदै व. म ण व क ध षणं ज डं बभृमो वयम्.. (१) हम द घ जीवन के लए तथा महान् रमणीय कम के लए रा स, पशाच आ द को भगाने वाली इस म ण को धारण करते ह, जो वाराणसी म स जं गड़ वृ से बनती है. इस के कारण हम ह सत न होते ए अपना पालन करते ह. (१) ज डो ज भाद् वशराद् व क धाद् द अ भशोचनात्. म णः सह वीयः प र णः पातु व तः.. (२) असी मत साम य वाली जं गड़ म ण रा स के दांत ारा खाए जाने से, शरीर के खंडखंड हो कर बखरने से, रोग आ द प व न से, उ चत अनु चत काय के सोच वचार से एवं ज हाई आ द सब से हम बचाएं. (२) अयं व क धं सहते ऽ यं बाधते अ णः. अयं नो व भेषजो ज डः पा वंहसः.. (३) जं गड़ वृ से न मत यह म ण सर को परा जत करती है, कृ या आ द भ क को न करती है तथा सम त रोग क ओष ध है. यह जं गड़ म ण हम पाप से बचाए. (३) दे वैद न े म णना ज डेन मयोभुवा. व क धं सवा र ां स ायामे सहामहे.. (४) अ न आ द दे व के ारा द ई एवं सुख दे ने वाली जं गड़ म ण से हम व न करने वाले सभी रा स को अपने घूमने फरने के दे श म परा जत करते ह. (४) शण मा ज ड व क धाद भ र ताम्. अर याद य आभृतः कृ या अ यो रसे यः.. (५) म ण को बांधने वाले सू का कारण सन एवं यह जं गड़ म ण मुझ को व न से बचाएं. इन म से एक अथात् जं गड़ म ण वन से लाई गई है और अ य अथात् कृ ष से संबं धत सन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रस से लाया गया है. (५) कृ या षरयं म णरथो अरा त षः. अथो सह वान् ज ङ् गडः ण आयूं ष ता रषत्.. (६) यह म ण सर के ारा कए गए जा टोने से उ प पीड़ा क नवारक एवं श ु न करने वाली है. श संप यह जं गड़ म ण हमारी आयु को बढ़ाए. (६)
को
दे वता—इं
सू -५ इ जुष व वहा या ह शूर ह र याम्. पबा सुत य मते रह मधो कान ा मदाय.. (१)
हे परम ऐ य वाले इं ! तुम हम पर स हो जाओ एवं हम मनचाहा फल दान करो. हे शूर इं ! अपने घोड़ क सहायता से तुम मेरे य म आओ तथा इस य म नचोड़े गए सोमरस को पयो. यह सोमरस शंसनीय एवं मधुर है. पीने पर यह सोमरस तृ त और उ म मादकता का कारण बनता है. (१) इ जठरं न ो न पृण व मधो दवो न. अ य सुत य व १ ण प वा मदाः सुवाचो अगुः.. (२) हे इं ! तुम नवीन के समान सोमरस से अपना पेट उसी कार भर लो जस कार वग के अमृत से पूण करते हो. इस नचोड़े गए सोमरस के मद से संबं धत उ म तु त तथा वग के समान आनंद तु ह यहां भी ा त हो. (२) इ तुराषा म ो वृ ं यो जघान यतीन. बभेद वलं भृगुन ससहे श ून् मदे सोम य.. (३) श ु वनाशक एवं सम त ा णय के म इं ने वृ रा स को आसुरी जा के समान मार डाला. जस कार य करते ए अं गरा गो ीय भृगु के य का आधार गौ का हरण करने वाले बल नामक असुर को मार डाला था, उसी कार इं ने वृ का हनन कया. इं ने सोमरस के मद म श ु को परा जत कया. (३) आ वा वश तु सुतास इ ुधी हवं गरो मे जुष वे
पृण व कु ी व श धये ा नः. वयु भम वेह महे रणाय.. (४)
हे इं ! नचोड़ा गया सोमरस तु हारे उदर म वेश करे. तुम इस से अपनी दोन कोख को भर लो. तुम हमारा आ ान सुन कर यहां आओ तथा हमारी तु तयां सुनो एवं उ ह वीकार करो. हे इं ! तुम इस य म अपने म म त् आ द दे व के साथ सोमरस पी कर तृ त बनो तथा हमारे य कम को संप बनाओ. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ य नु ा वोचं वीया ण या न चकार थमा न व ी. अह हम वप ततद व णा अ भनत् पवतानाम्.. (५) म व धारी इं के उन वीरता पूण काय का वणन करता ं जो उ ह ने पूव काल म कए ह. उ ह ने वृ ासुर का हनन कया तथा उस के बाद उस के ारा रोके गए जल को नकाल दया एवं पवत से नकलने वाली न दय को बहाया. (५) अह ह पवते श याणं व ा मै व ं वय तत . वा ा इव धेनवः य दमाना अ ः समु मव ज मुरापः.. (६) पवत पर सोते ए इस वृ ासुर का इं ने वध कया. वृ के पता व ा ने इं के लए सुगमता से चलाया जाने वाला तथा तेज धार वाला व बनाया. इस के बाद जल सागर क ओर इस कार बहने लगा, जस कार रंभाती ई गाएं दौड़ती ह. (६) वृषायमाणो अवृणीत सोमं क के व पबत् सुत य. आ सायकं मघवाद व मह ेनं थमजामहीनाम्.. (७) बैल के समान आचरण करते ए इं ने जाप त के पास से सोम पी अ ात कया. उस ने तीन सोम याग म नचोड़े गए सोमरस का पान कया. इस के प ात इं ने अपना श ुघातक व हाथ म लया एवं असुर म सव थम उ प ए वृ क ह या क . (७)
सू -६
दे वता—अ न
समा वा न ऋतवो वधय तु संव सरा ऋषयो या न स या. सं द ेन द द ह रोचनेन व ा आ भा ह दश त ः.. (१) हे अ न! संव सर, ऋ षगण एवं पृ वी आ द त व तु हारी वृ कर. इन सब के ारा बढ़े ए तुम काश यु शरीर से द त बनो तथा पूव आ द चार दशा को और आ नेय आ द चार व दशा अथात् दशा कोण को का शत करो. (१) सं चे य वा ने च वधयेममु च त महते सौभगाय. मा ते रष ुपस ारो अ ने ाण ते यशसः स तु मा ये.. (२) हे अ न! तुम वयं द त बनो एवं इस यजमान क इ छाएं पूण करते ए इसे समृ बनाओ एवं उस के सौभा य के हेतु उ सा हत बनो. तु हारे सेवक ऋ वज् आ द न न ह . हे अ न! तु हारे ऋ वज् ा ण ही यश वी ह, अ य नह . (२) वाम ने वृणते ा णा इमे शवो अ ने संवरणे भवा नः. सप नहा ने अ भमा त जद् भव वे गये जागृ यु छन्.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ न! हम ा ण तु हारी आराधना करते ह. तुम हमारे माद को शांत करते ए अथवा छपाते ए वतमान रहो. हे अ न! श ु को परा जत एवं पाप का वनाश करो. तुम माद न करते ए अपने घर म जागृत रहो. (३) े ा ने वेन सं रभ व म ेणा ने म धा यत व. ण सजातानां म यमे ा रा ाम ने वह ो द दहीह.. (४) हे अ न दे व! तुम अपने बल से संयु बनो. हे म का पोषण करने वाले अ न! तुम म भाव से उपकार करने वाले बनो. तुम अपने समान उ प ा ण म म य थ एवं य म य हो. हे अ न! इस कार के तुम, इस य म का शत हो जाओ. (४) अ त नहो अ त सृधो ऽ य च ीर त षः. व ा ने रता तर वमथा म यं सहवीरं र य दाः.. (५) हे अ न! तुम इं य के वषय से उ प दोष को, पाप बु वाले मनु य को, दे ह का शोषण करने वाले रोग को एवं हमारे श ु को समा त करो. तुम हम सम त पाप से पार करो तथा हमारे लए पु , पौ आ द से यु धन दान करो. (५)
सू -७
दे वता—वन प त
अघ ा दे वजाता वी छपथयोपनी. आपो मल मव ाणै ीत् सवान् म छपथाँ अ ध.. (१) पाप का वनाश करने वाली, दे व के ारा बनाई गई एवं पाप का नवारण करने वाली वा मुझ से सभी पाप को इस कार धो कर र कर दे , जस कार पानी मैल को धो डालता है. (१) य साप नः शपथो जा याः शपथ यः. ा य म युतः शपात् सव त ो अध पदम्.. (२) े ष करने वाले श ु से संबं धत एवं बहन से संबं धत जो आ ोश है तथा ा ण ने ो धत हो कर जो शाप दया है—ये तीन कार के शाप मेरे पैर के नीचे रह. (२) दवो मूलमवततं पृ थ ा अ यु तम्. तेन सह का डेन प र णः पा ह व तः.. (३) हे म ण! हम वग क जड़ के समान व तृत एवं पृ वी के ऊपर व तृत असी मत पाप से बचाओ और सभी कार से हमारी र ा करो. (३) प र मां प र मे जां प र णः पा ह यद् धनम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अरा तन मा तारी मा न ता रषुर भमातयः.. (४) हे म ण! मेरी, मेरी संतान क एवं मेरे धन क र ा करो. श ु हमारा अ त मण न करे अथात् हम परा जत न करे. हमारी ह या करने के इ छु क पशाच आ द हमारी हसा न कर. (४) श तारमेतु शपथो यः सुहा न नः सह. च ुम य हादः पृ ीर प शृणीम स.. (५) मुझे दया आ शाप उसी के पास लौट जाए, जस ने मुझे शाप दया है. जो पु ष शोभन दय वाला है, उस म के साथ हम सुखी रह. हम चुगली करने वाले दय वाले क आंख एवं पसली क हड् डी को न करते ह. (५)
सू -८
दे वता—य मा, कु आ द
उदगातां भगवती वचृतौ नाम तारके. व े य य मु चतामधमं पाशमु मम्.. (१) तेज वी एवं बंधन से छु ड़ाने वाले तारे उ दत ह . वे तारे पु , पौ आ द के शरीर म होने वाले य मा, कु आ द रोग एवं उन के फंद से हम छु ड़ाएं जो हमारे शरीर के नीचे एवं ऊपर के भाग म ह. (१) अपेयं रा यु छ वपो छ व भकृ वरीः. वी त् े यनाश यप े यमु छतु.. (२) यह ातःकाल के समीप वाली रात उसी कार हमारे शरीर से ा धय को समा त करे, जस कार काश के कारण अंधकार का वनाश होता है. रोग क शां त करते ए आ द य दे व आएं. न त ओष ध भी रोग का वनाश करे. (२) ब ोरजुनका ड य यव य ते पला या तल य तल प वी त् े यनाश यप े यमु छतु.. (३)
या.
मटमैले वण के अजुन वृ के काठ से, जौ क भूसी से एवं तल क मंजरी से न मत म ण तेरा रोग र करे. े ीय ा धय , अ तसार, य मा आ द का वनाश करने वाली ओष ध सम त रोग को र करे. (३) नम ते ला ले यो नम ईषायुगे यः. वी त् े यनाश यप े यमु छतु.. (४) हे रोगी! तेरे रोग को शांत करने के लए म बैल जुते ए हल को एवं हरण तथा जुए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को नम कार करता ं. े ीय ा धय अथात् अ तसार, य मा आ द रोग का वनाश करने वाली ओष ध सम त रोग र करे. (४) नमः स न सा े यो नमः संदे ये यः नमः े य पतये वी त् े यनाश यप े यमु छतु.. (५) ऐसे सूने घर को नम कार है, जन के ार एवं खड़क पी ने खुले ए ह. ऐसे गड् ढ के लए नम कार है, जन क म नकाल द गई है. सूने घर आ द प े के प त को नम कार है. े ीय ा धय अथात् अ तसार, य मा आ द रोग का वनाश करने वाली ओष ध सभी रोग र करे. (५)
सू -९
दे वता—वन प त
दशवृ मु चेमं र सो ा ा अ ध यैनं ज ाह पवसु. अथो एनं वन पते जीवानां लोकमु य.. (१) हे ढाक, गूलर आ द दस वृ से बनी ई म ण! रा स और रा सी से पकड़े ए इस पु ष को छु ड़ाओ. उस रा सी ने इसे शरीर के जोड़ म पकड़ा आ है. हे वन प त से न मत म ण! तू इसे जी वत ा णय के लोक म प ंचा अथात् इसे पुनः जी वत कर. (१) आगा दगादयं जीवानां ातम यगात्. अभू पु ाणां पता नृणां च भगव मः.. (२) हे म ण! तेरे भाव से यह पु ष गृह से यु हो कर इस लोक म आ गया है. इस ने जी वत मनु य के समूह को ा त कर लया है. यह पु का पता बन गया है तथा इस ने मनु य के म य अ तशय भा य पा लया है. (२) अधीतीर यगादयम ध जीवपुरा अगन्. शतं य भषजः सह मुत वी धः.. (३) ह से छू टा आ यह पु ष पूव म अ ययन कए गए वेद आ द शा को मरण करे तथा जीव के आवास थान को जाने, य क ह से गृहीत इस पु ष क च क सा करने वाले सौ वै ह और हजार जड़ीबू टयां ह. (३) दे वा ते ची तम वदन् ाण उत वी धः. ची त ते व े दे वा अ वदन् भू याम ध.. (४) हे म ण! ह वकार से रोगी को छु ड़ाने से तेरे भाव को इं आ द दे व जानते ह. ा ण एवं वृ भी तेरे इस भाव को जानते ह. हे रोगी! तुझ मू छत को चेतना ा त होने क बात धरती पर सभी दे व जानते ह. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य कार स न करत् स एव सु भष मः. स एव तु यं भेषजा न कृणवद् भषजा शु चः.. (५) वधान को जानने वाले जस मह ष ने इस म ण का बंधन कया है, वह ह वकार को शांत करे. वही वै म सव म है. नमल ान वाले वे ही वै तेरे लए ओष धय का नमाण कर. (५)
सू -१०
दे वता— ावा
े यात् वा नऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (१) हे ा ध पी ड़त पु ष! म तुझे य, कोढ़ आ द रोग से, रोग के कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से उ प पाप से, गु , दे व आ द के ोह से एवं व ण के पाप से छु ड़ाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी ह. (१) शं ते अ नः सहा र तु शं सोमः सहौषधी भः. एवाहं वां े या ऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (२) हे रोगी पु ष! जल के स हत अ न तेरे लए सुखकर हो. सभी जड़ीबू टय के साथ सोमलता तेरे लए सुखकारी हो. इसी कार म तुझे य, कोढ़ आ द से, रोग के कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से उ प पाप से, गु , दे व आ द के ोह से एवं व ण दे व के पाप से छु ड़ाता ं. म अपने मं से तुझे पाप र हत बनाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी बन. (२) शं ते वातो अ त र े वयो धा छं ते भव तु दश त ः. एवाहं वां े या ऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (३) हे रोगी पु ष! धरती और आकाश के म य तेरे लए प य को धारण करने वाली वायु सुखकारी हो. पूव, प म आ द चार उ म दशाएं तेरे लए सुखकारी ह . इसी कार म तुझे य, कु आ द से, रोग के कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से, उ प पाप से, गु , दे व आ द के ोह से एवं व ण दे व के पाप से छु ड़ाता ं. म अपने मं से तुझे पाप र हत बनाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी ह . (३) इमा या दे वीः दश त ो वातप नीर भ सूय वच े. एवाहं वां े या ऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे रोगी पु ष! ये द एवं वायु प नी पूव आ द चार दशाएं एवं सब के ेरक स वता सभी कार तु ह सुखी कर. इसी कार म तुझे य, कु आ द से, रोग के कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से उ प पाप से, गु , दे व आ द के ोह से तथा व ण दे व के पाप से छु ड़ाता ं. म अपने मं के ारा तुझे पाप र हत बनाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी ह . (४) तासु वा तजर या दधा म य म एतु नऋ तः पराचैः. एवाहं वां े या ऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (५) हे रोगी पु ष! म तुझे पूव आ द दशा के म य वृ ाव था तक नीरोग रह कर जीवन बताने यो य बनाता ं. तेरा राजय मा आ द रोग एवं पाप दे वता न मत रोग तुझ से र चले जाएं. इसी कार म तुझे य, कोढ़ आ द से, रोग के कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से उ प पाप से, गु , दे व आ द के ोह से एवं व ण दे व के पाप से छु ड़ाता ं. म अपने मं से तुझे पाप र हत बनाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी ह . (५) अमु था य माद् रतादव ाद् हः पाशाद् ा ा ोदमु थाः. एवाहं वां े या ऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (६) हे रोगी पु ष! तू य मा रोग से छू ट गया है. रोग के कारण बने ए पाप से, नदा से, ोह से, व ण के पाप से तू छू ट गया है. इसी कार म तुझे य, कोढ़ आ द से, रोग के कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से उ प पाप से, गु , दे व आ द के ोह से तथा व ण दे व के पाप से छु ड़ाता ं. म अपने मं से तुझे पाप र हत बनाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी ह . (६) अहा अरा तम वदः योनम यभूभ े सुकृत य लोके. एवाहं वां े या ऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (७) हे रोगी पु ष! तूने श ु के समान बाधा प ंचाने वाले रोग को याग दया है एवं सुख ा त कर लया है. उ म कम के फल के प म ा त होने वाले इस क याणमय भूलोक म तू थत है. इसी कार म तुझे य, कोढ़, आ द से, रोग का कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से उ प पाप से, दे व, गु आ द के ोह से एवं व ण दे व के पाप से छु ड़ाता ं. म अपने मं से तुझे पाप र हत बनाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी ह . (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सूयमृतं तमसो ा ा अ ध दे वा मु च तो असृज रेणसः. एवाहं वां े या ऋ या जा मशंसाद् हो मु चा म व ण य पाशात्. अनागसं णा वा कृणो म शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्.. (८) हे रोगी पु ष! स य बने ए सूय अंधकार पी ह से तुझे छु ड़ाते ह. इं आ द दे व तुझे पाप से मु करते ह. इसी कार म तुझे य, कोढ़ आ द से, रोग का कारण बने ए पाप दे वता से, बांधव के आ ोश से उ प पाप से, गु , दे व आ द के ोह से, व ण दे व के पाप से छु ड़ाता ं. म अपने मं के ारा तुझे पाप र हत बनाता ं. ावा और पृ वी दोन तेरे लए क याणकारी ह . (८)
दे वता—मं
सू -११
म बताए गए
या षर स हे या हे तर स मे या मे नर स. आ ु ह ेयांसम त समं ाम.. (१) हे तलक वृ से न मत म ण! वनाश करने वाली कृ या का तू नवारण करती है. तू यु को न एवं व को असफल करने वाली है. तू हम से अ धक श शाली श ु को मारने के लए पकड़ तथा हमारे समान श शाली श ु को छोड़ कर चली जा. (१) यो ऽ स तसरो ऽ स य भचरणो ऽ स. आ ु ह ेयांसम त समं ाम... (२) हे म ण! तू तलक वृ से न मत है. तू कृ या आ द को भगाने वाला र ा सू है. तू सर के ारा कए गए जा टोन का नवारण करने वाली है. तू मुझ से अ धक श शाली श ु को मारने के लए पकड़ तथा मेरे समान श शाली श ु को छोड़ कर आगे बढ़ जा. (२) त तम भ चर यो ३ मान् े यं वयं आ ु ह ेयांसम त समं ाम.. (३)
मः.
जो श ु हम से और हमारे पु , बांधव तथा पशु से े ष करता है एवं हम जस के वनाश क इ छा करते ह, हे म ण! तुम इन दोन कार के श ु का वनाश करो. तुम मुझ से अ धक श शाली श ु को मारने के लए पकड़ो तथा मेरे समान श वाले श ु को छोड़ कर आगे बढ़ जाओ. (३) सू रर स वच धा अ स तनूपानो ऽ स. आ ु ह ेयांसम त समं ाम.. (४) हे म ण! तू हमारे श ु ारा कए गए जा टोन को जानने वाली, तेज वनी एवं हमारे शरीर क र ा करने वाली है. तू हम से अ धक श शाली श ु को मारने के लए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पकड़ एवं हमारे समान श
वाले श ु को छोड़ कर आगे चली जा. (४)
शु ो ऽ स ाजो ऽ स वर स यो तर स. आ ु ह ेयांसम त समं ाम.. (५) हे म ण! तू श ु को शोक म डु बाने वाली, तेज वनी, संताप दे ने वाली एवं यो त के समान न छू ने यो य है. तू मुझ से अ धक श शाली श ु को मारने के लए पकड़ ले और मेरे समान श वाले श ु को छोड़ कर आगे बढ़ जा. (५)
सू -१२
दे वता— ावा, पृ वी, अंत र
ावापृ थवी उव १ त र ं े य प नयु गायो ऽ तः. उता त र मु वातगोपं त इह त य तां म य त यमाने.. (१) ावा और पृ वी के म य व तृत अंत र व मान है. इन तीन लोक के अ धप त दे व मशः अ न, वायु और सूय ह. ये अद्भुत एवं महापु ष ारा शं सत व णु, ांड म ा त, आकाश, लोक एवं लोका धप त ह. मुझ अ भचारकता के द ा नयम के कारण संत त होने पर संत त ह . ता पय यह है क जस कार म अपने श ु के वनाश हेतु त पर ं, उसी कार ये दे व भी उस के हसक बन. (१) इदं दे वाः शृणुत ये य या थ भर ाजो म मु था न शंस त. पाशे स ब ो रते न यु यतां यो अ माकं मन इदं हन त.. (२) हे दे वो! मेरा यह वचन सुनो, तुम सब य के यो य हो. भर ाज मु न मेरी अ भलाषा पू त के लए शा पाठ कर रहे ह. जो श ु मेरे स मागगामी मन को क प ंचाता है, वह मेरे ारा कए गए जा टोने के पाप म बंध कर मृ यु पी ग त को ा त हो. (२) इद म शृणु ह सोमप यत् वा दा शोचता जोहवी म. वृ ा म तं कु लशेनेव वृ ं यो अ माकं मन इदं हन त.. (३) हे सोमरस के पीने से संतु मन वाले इं , मेरे ारा कहे गए वा य को सुनो. म श ु के ारा कए गए अपकार से ःखी मन के ारा तु ह बारबार बुला रहा ं. जो मेरे मन को इस कार ःखी कर रहे ह, म उन श ु को उसी कार काटता ं, जस कार कु हाड़ी वृ को काटती है. (३) अशी त भ तसृ भः सामगे भरा द ये भवसु भर रो भः. इ ापूतमवतु नः पतॄणामामुं ददे हरसा दै ेन.. (४) तीन और अ सी अथात् तरासी सभा गायन कता के, बारह आद मय के, आठ वसु के एवं द घ स का अनु ान करने वाले अं गरा गो ीय ऋ षय के सहयोग से हमारे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पूवज ने जो य , कुआं एवं बाग से संबं धत उ म कम कए ह, वे श ु से हमारी र ा कर. हम अपकार करने वाले श ु को जा टोने पी दे वता के ोध के ारा अपने वश म करते ह. (४) ावापृ थवी अनु मा द धीथां व े दे वासो अनु मा रभ वम्. अ रसः पतरः सो यासः पापमाछ वपकाम य कता (५) हे ावा पृ वी! तुम श ु को जीतने म मेरे अनुकूल बनो. हे सम त दे वो! तुम मेरे श ु को पकड़ने के लए तैयार हो जाओ. हे सोमरस के पा अं गरा गो ीय ऋ षयो एवं पतरो! तुम ऐसा य न करो क मुझ से ोह करने वाले श ु मृ यु को ा त ह . (५) अतीव यो म तो म यते नो तपूं ष त मै वृ जना न स तु
वा यो न दषत् यमाणम्. षं ौर भसंतपा त.. (६)
हे म तो! जो श ु अपनेआप को हम से अ धक श शाली मानता है अथवा जो हमारे ारा कए जाने वाले मं संबंधी कम क नदा करता है, उस के लए संतापकारी आयुध बाधक ह . मेरे कम से े ष करने वाले को ौ संताप दे . (६) स त ाणान ौ म य तां ते वृ ा म णा. अया यम य सादनम न तो अरङ् कृतः.. (७) हे श !ु तेरे सात ाण अथात् आंख, नाक, कान और मुंह के सात छ को तथा तेरे कंठ क आठ धम नय को म अपने मं संबंधी अ भचार कम के ारा काटता ं. छ अंग वाला तू यमराज के घर जा. तेरे जलाने के लए अ न त के समान आ गई है. इस के बाद तेरे शव को सजाया जाएगा. (७) आ दधा म ते पदं स म े जातवेद स. अ नः शरीरं वेवे ् वसुं वाग प ग छतु.. (८) हे श ु! म जलती ई अ न म तेरे कटे ए चरण के साथ तेरे पैर क धूल फकता ं. अ न तेरे शरीर म वेश कर के तेरे सारे अंग म फैल जाए. तेरी वाणी और ाण भी समा त हो जाएं. (८)
सू -१३
दे वता—अ न, बृह प त, व े दे व
आयुदा अ ने जरसं वृणानो घृत तीको घृतपृ ो अ ने. घृतं पी वा मधु चा ग ं पतेव पु ान भ र ता दमम्.. (१) हे अ न! तू इस चारी को वृ ाव था तक आयु दान कर. हे घृत के कारण ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व लत एवं घृत पी रीढ़ वाले अ न दे व! मधुर एवं नमल गोघृत से संतु हो कर तुम इस चारी क र ा उसी कार करो, जस कार पता पु क र ा करता है. (१) प र ध ध नो वचसेमं जरामृ युं कृणुत द घमायुः. बृह प तः ाय छद् वास एतत् सोमाय रा े प रधातवा उ.. (२) हे दे वो! इस चारी को व पहनाओ एवं हमारे तेज से इस का पोषण करो. इसे ऐसा बनाओ क वृ ाव था ही इस क मृ यु बने. इस कार इस क आयु को द घ बनाओ. बृह प त दे व ने यह व ा ण के राजा सोम को पहनने के लए दया था. (२) परीदं वासो अ धथाः व तये ऽ भूगृ ीनाम भश तपा उ. शतं च जीव शरदः पु ची राय पोषमुपसं य व.. (३) हे व ाथ ! तुम ने यह व ेम ा त करने के हेतु धारण कया है. इसे धारण कर के तुम हसा के भय से जा क र ा करो. तुम अ धक समय तक पु , पौ आ द को ा त करने वाले सौ वष तक जी वत रहो एवं धन क पु धारण करो. (३) ए मानमा त ा मा भवतु ते तनूः. कृ व तु व े दे वा आयु े शरदः शतम्.. (४) हे चारी! तू आ और अपने दा हने पैर से प थर पर आ मण कर. तेरा शरीर प थर के समान ढ़ हो. सम त दे व तेरी आयु सौ वष क बनाएं. (४) य य ते वासः थमवा यं १ हराम तं वा व े ऽ व तु दे वाः. तं वा ातरः सुवृधा वधमानमनु जाय तां बहवः सुजातम्.. (५) हे चारी! तुम ने नवीन व धारण कया है. हम तुम से पहले पहना आ व ले रहे ह. सभी दे व तु हारी र ा कर. शोभन वृ से बढ़ते ए ब त से भाई तु हारे बाद ज म ल. (५)
सू -१४
दे वता—अ न, भूतप त, इं
नःसालां धृ णुं धषणमेकवा ां जघ वम्. सवा ड य न यो नाशयामः सदा वाः.. (१) म शाल वृ से भी ऊंची नःसाला नामक रा सी को न करता ं. वह भय उ प करने वाली, परा जत करने वाली, कठोर वचन बोलने वाली एवं मुझे खाने क इ छु क है. चंड नामक पाप ह क सभी ना तन को म न करता ं, जो मुझ पर ोध करने वाली ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नव गो ादजाम स नर ा पानसात्. नव मगु ा हतरो गृहे य ातयामहे.. (२) हे मगुंद नाम क रा सी क पु यो! म तु ह अपनी गोशाला से, जुए खेलने के थान से तथा धा य रखने के घर से र भगाता ं. म तु ह अपने घर से नकाल कर वशेष कार से न करता ं. (२) असौ यो अधराद् गृह त स वरा यः. त से द यु यतु सवा यातुधा यः.. (३) यह जो अ य धक स पाताललोक है, क याण म व न करने वाली रा सयां वहां चली जाएं. पाप दे वता न मत वह पाताल म नीचे चली जाएं. सभी रा सयां भी वह रह. (३) भूतप त नरज व ेतः सदा वाः. गृह य बु न आसीना ता इ ो व ेणा ध त तु.. (४) भूत के वामी और इं ोध करने वाली रा सय को मेरे घर से नकाल. इं मेरे घर के नीचे के भाग म नवास करने वाली पशा चय को व से दबा कर रख. (४) य द थ े याणां य द वा पु षे षताः. य द थ द यु यो जाता न यतेतः सदा वाः.. (५) हे पशा चयो! य द तुम माता पता के शरीर से आए ए कोढ़, पागलपन, सं हणी आ द का कारण बनी ई हो अथवा तु ह मेरे श ु ने यहां भेजा है, य द तुम चोर आ द के समीप से काश म आई हो, तो तुम सब यहां से भाग जाओ. (५) प र धामा यासामाशुगा ा मवासरम्. अजैषं सवान् आजीन् वो न यतेतः सदा वाः.. (६) इन पशा चय के नवास थान पर म ने चार ओर से इस कार आ मण कया है, जस कार तेज दौड़ने वाला घोड़ा अपनी घुड़साल क ओर जाता है. हे पशा चयो! म ने तुम सब को सं ाम म जीत लया है. इस कारण तुम सब नरा त हो कर भाग जाओ. (६)
सू -१५
दे वता— ाण
यथा ौ पृ थवी च न बभीतो न र यतः. एवा मे ाण मा बभेः.. (१) जस कार ौ और पृ वी न कसी से भयभीत और आशं कत होते ह और न न होते ह, हे मेरे ाणो! उसी कार तुम भी श ,ु ह, रोग आ द से मत डरो. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यथाह रा ी च न बभीतो न र यतः. एवा मे ाण मा बभेः.. (२) जस कार दन और रात न कसी से भयभीत और आशं कत होते ह तथा न न होते ह, हे मेरे ाणो! उसी कार तुम भी श ु, ह, रोग आ द से मत डरो. (२) यथा सूय च
न बभीतो न र यतः. एवा मे ाण मा बभेः.. (३)
जस कार सूय और चं न कसी से भयभीत होते ह, न आशं कत होते ह और न न होते ह, हे मेरे ाणो! इसी कार तुम भी श ु, ह, रोग आ द से डरो मत. (३) यथा
च
ं च न बभीतो न र यतः. एवा मे ाण मा बभेः.. (४)
जस कार ा ण और य न कसी से भयभीत होते ह, न आशं कत होते ह और न न होते ह, हे मेरे ाणो! उसी कार तुम भी कसी से मत डरो. (४) यथा स यं चानृतं च न बभीतो न र यतः. एवा मे ाण मा बभेः.. (५) जस कार स य और अस य न कसी से भयभीत होते ह, न आशं कत होते ह और न कभी न होते ह, हे मेरे ाणो! उसी कार तुम भी मत डरो. (५) यथा भूतं च भ ं च न बभीतो न र यतः. एवा मे ाण मा बभेः.. (६) जस कार वतमान का व तु समूह और भ व य म उ प होने वाली व तुएं न कसी से भयभीत होती ह, न आशं कत होती ह और न कभी न होती ह, हे मेरे ाणो! उसी कार तुम भी कसी से मत डरो. (६)
दे वता— ाण, अपान आ द
सू -१६ ाणापानौ मृ योमा पातं वाहा.. (१)
हे ाण और अपान वायु के अ भमानी दे वो! मृ यु से मेरी र ा करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (१) ावापृ थवी उप ु या मा पातं वाहा.. (२) हे ावा और पृ वी! मुझे सुनने क श हवन कया आ हो. (२)
दे कर मेरी र ा करो. यह ह व भलीभां त
सूय च ुषा मा पा ह वाहा.. (३) सूय
प दे खने वाली इं य आंख के
ारा मेरी र ा करे. यह ह व भलीभां त हवन
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कया आ हो. (३) अ ने वै ानर व ैमा दे वैः पा ह वाहा.. (४) हे वै ानर अ न! सभी दे व के साथ मेरी इं य को श यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (४) व
दान करके मेरी र ा करो.
भर व ेन मा भरसा पा ह वाहा.. (५)
हे व भ ं र! अपनी सम त पोषण श हवन कया आ हो. (५)
सू -१७
के ारा मेरी र ा करो. यह ह व भलीभां त
दे वता—ओज आ द
ओजो ऽ योजो मे दाः वाहा.. (१) हे अ न! तुम ओज हो. इसी लए मुझ म ओज धारण करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (१) सहो ऽ स सहो मे दाः वाहा.. (२) हे अ न! तुम श ु को परा जत करने म समथ तेज हो, इसी लए तुम मुझे तेज दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (२) बलम स बलं मे दाः वाहा.. (३) हे अ न! तुम बल हो, इसी लए मुझे बल दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (३) आयुर यायुम दाः वाहा.. (४) हे अ न दे व! तुम आयु हो, इसी लए मुझे आयु दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (४) ो म स ो ं मे दाः वाहा.. (५) हे अ न दे व! तुम ो हो, इसी लए मुझे ो अथात् सुनने क श ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (५) च ुर स च ुम दाः वाहा.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दान करो. यह
हे अ न दे व! तुम च ु हो, इसी लए मुझे च ु अथात् दे खने क श ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (६)
दान करो. यह
प रपाणम स प रपाणं मे दाः वाहा.. (७) हे अ न दे व! तुम सभी कार से पालन करने वाले हो, इसी लए मेरा पालन करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (७)
दे वता—अ न
सू -१८ ातृ
यणम स ातृ चातनं मे दाः वाहा.. (१)
हे अ न दे व! तुम श ु का वनाश करने वाले हो, इसी लए मुझे श ु नाश क श दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (१) सप न यणम स सप नचातनं मे दाः वाहा.. (२) हे अ न दे व! तुम वरो धय का नाश करने वाले हो, इसी लए तुम मुझे वरो धय का वनाश करने क श दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (२) अराय यणम यरायचातनं मे दाः वाहा.. (३) हे अ न दे व! तुम दान न करने वाल का वनाश करने वाले हो, इसी लए मुझे भी दान न करने वाल का वनाश करने क श दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (३) पशाच यणम स पशाचचातनं मे दाः वाहा.. (४) हे अ न दे व! तुम मांस भ ण करने वाले पशाच का नाश करने वाले हो, इसी लए मुझे भी पशाच का वनाश करने क श दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (४) सदा वा यणम स सदा वाचातनं मे दाः वाहा.. (५) हे अ न दे व! तुम आ ोश करने वाली पशा चय का वनाश करने वाले हो, इसी लए मुझे भी पशा चय के वनाश क श दान करो. यह ह व भलीभां त हवन कया आ हो. (५)
सू -१९
दे वता—अ न
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अ ने यत् ते तप तेन तं
त तप यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (१)
हे अ न दे व! तु हारी जो तपाने क श है, उस से उस को संत त करो जो हम से े ष करता है अथवा हम जस से े ष करते ह. (१) अ ने यत् ते हर तेन तं
त हर यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (२)
हे अ न दे व! तु हारी जो संहार क श है, उस के ारा उस का संहार करो जो हम से े ष करता है अथवा हम जस से े ष करते ह. (२) अ ने यत् ते ते ऽ च तेन तं
यच यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (३)
हे अ न दे व! तु हारी जो द त है, उस के ारा उ ह जलाने के लए द त बनो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (३) अ ने यत् ते शो च तेन तं
त शोच यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (४)
हे अ न दे व! तु हारी जो सर को शोकम न करने क श है, उस के ारा तुम उ ह शोक म न करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (४) अ ने यत् ते तेज तेन तमतेजसं कृणु यो ३ मान् े (५)
यं वयं
मः..
हे अ न दे व! तु हारा जो तेज है, उस से उन लोग को तेजहीन बनाओ जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह (५)
दे वता—वायु
सू -२० वायो यत् ते तप तेन तं
त तप यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (१)
हे वायु दे व! तु हारी जो संताप प च ं ाने क श है, उस से उ ह संताप प ंचाओ जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (१) वायो यत् ते हर तेन तं
त हर यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (२)
हे वायु दे व! तु हारी जो छ नने क श है, उस का योग उन लोग के हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (२) वायो यत् ते ऽ च तेन तं
यच यो ३ मान् े
यं वयं
हे वायु दे व! तु हारा जो वेग है, उस का योग उन के
त करो जो
मः.. (३) त करो जो हम से े ष रखते ह
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अथवा हम जन से े ष रखते ह. (३) वायो यत् ते शो च तेन तं
त शोच यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (४)
हे वायु दे व! तु हारी जो सर को शोक म न करने क श है, उस का योग उन लोग के त करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (४) वायो यत् ते तेज तेन तमतेजसं कृणु यो ३ मान् े (५)
यं वयं
मः..
हे वायु दे व! तु हारा जो तेज है, उस के ारा उ ह तेजहीन बनाओ, जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (५)
दे वता—सूय
सू -२१ सूय यत् ते तप तेन तं
त तप यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (१)
हे सूय दे व! आप क जो त त करने क श है, उस से उ ह संताप प ंचाओ, जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (१) सूय यत् ते हर तेन तं
त हर यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (२)
हे सूय दे व! आप क जो सुख, शां त एवं श हरण करने वाली श है, उस से उन लोग क सुख, शां त एवं श का हरण करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (२) सूय यत् ते ऽ च तेन तं
यच यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (३)
हे सूय दे व! तु हारी जो द त है, उस से उ ह जलाओ जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (३) सूय यत् ते शो च तेन तं
त शोच यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (४)
हे सूय दे व! तु हारी जो शोक म न करने क श है, उस से उ ह शोक म न करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (४) सूय यत् ते तेज तेन तमतेजसं कृणु यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (५)
हे सूय दे व! आप का जो तेज है, उस से उ ह तेजहीन बनाओ जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -२२ च
दे वता—चं यत् ते तप तेन तं
त तप यो ३ मान् े
यं वयं
हे चं दे व! तु हारी जो सर को संत त करने क श हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (१) च श
यत् ते हर तेन तं
त हर यो ३ मान् े
मः.. (१) है, उस से उ ह संत त करो जो
यं वयं
मः.. (२)
हे चं दे व! तु हारी जो छ नने क श है, उस का योग उन लोग के सुख, शां त एवं छ नने के लए करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (२) च
यत् ते ऽ च तेन तं
यच यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (३)
हे चं दे व! तु हारी जो द त है, उस से उन लोग को द तहीन बनाओ, जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (३) च
यत् ते शो च तेन तं
त शोच यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (४)
हे चं दे व! तु हारी जो सर को शोक म न करने क श है, उस के ारा उ ह शोक म न करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (४) च
यत् ते तेज तेन तमतेजसं कृणु यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (५)
हे चं दे व! तु हारा जो तेज है, उस से उ ह तेजहीन करो, जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (५)
दे वता—आप अथात् जल
सू -२३ आपो यद् व तप तेन तं
त तपत यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (१)
हे जल दे व! तु हारी जो सर को संताप दे ने क श है, उस से उ ह संताप दान करो जो हम से े ष करते ह और हम जन से े ष करते ह. (१) आपो यद् वो हर तेन तं
त हरत यो ३ मान् े
यं वयं
मः.. (२)
हे जल दे व! तु हारी जो हरण करने क श है, उस से उन क सुखशां त का हरण करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (२) आपो यद् वो ऽ च तेन तं
यचत यो ३ मान् े
यं वयं
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मः.. (३)
हे जल दे व! तु हारी जो द त है, उस के ारा उन लोग को द तहीन बनाओ जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (३) आपो यद् वः शो च तेन तं (४)
त शोचत यो ३ मान् े
यं वयं
मः..
हे जल दे व! तु हारी जो सर को शोकम न करने क श है, उस से उ ह शोकम न करो जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (४) आपो यद् व तेज तेन तमतेजसं कृणुत यो ३ मान् े (५)
यं वयं
मः..
हे जल दे व! तु हारा जो तेज है, उस के ारा उन लोग को तेजहीन बनाओ जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. (५)
सू -२४
दे वता—आयुध
शेरभक शेरभ पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (१) हे रा स के गांव के मु खया और रा स के वामी! तुम ने हमारी ओर जो द र ता दान करने वाली रा सी भेजी है तथा जो रा स भेजे ह, वे हमारी ओर से लौट जाएं. तु हारे जो आयुध ह, वे भी लौट जाएं. तु हारे अनुचर चोर भी लौट जाएं. तुम हमारे जस श ु के हो, उसी के पास चले जाओ तथा उसे खा डालो. जस योग करने वाले ने तु ह मेरे पास भेजा है. तुम उसी को खाओ. तुम उसी का मांस भ ण करो. (१) शेवृधक शेवृध पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (२) हे अपने आ त का सुख बढ़ाने वाले एवं गांव के मु खया के वामी! तुम ने हमारी ओर जो द र ता दान करने वाली रा सी भेजी है तथा जो रा स भेजे ह, वे हमारी ओर से लौट जाएं. तु हारे जो आयुध ह वे भी लौट जाएं. तु हारे अनुचर चोर भी लौट जाएं. तुम हमारे जस श ु के हो, उसी के पास चले जाओ तथा उसे खा डालो. जस योग करने वाले ने तु ह मेरे पास भेजा है, तुम उसी को खाओ. तुम उसी का मांस भ ण करो. (२) ोकानु ोक पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (३) हे धन आ द छ न कर छपे
प म चलने वाले एवं उस का अनुसरण करने वाले चोरो!
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तुम ने हमारी ओर द र ता दान करने वाली जो रा सी और रा स भेजे ह, वे हमारी ओर से लौट जाएं. तु हारे जो आयुध ह वे भी लौट जाएं. तु हारे अनुचर चोर भी लौट जाएं. तुम हमारे जस श ु के हो उसी के पास चले जाओ तथा उसे खा डालो. जस योग करने वाले ने तु ह मेरे पास भेजा है, तुम उसी को खाओ. तुम उस का मांस भ ण करो. (३) सपानुसप पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (४) हे कु टल चलने वाले रा स के वामी एवं उस के अनुचर! तुम ने हमारी ओर द र ता दान करने वाली रा सी और रा स भेजे ह, वे हमारी ओर से लौट जाएं. तु हारे जो आयुध ह, वे भी लौट जाएं. तु हारे अनुचर चोर भी चले जाएं. तुम हमारे जस श ु के हो, उसी के पास चले जाओ तथा उसे खा डालो. जस योग करने वाले ने तु ह हमारे पास भेजा है, तुम उसी को खाओ. तुम उसी का मांस भ ण करो. (४) जू ण पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनीः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (५) हे ा णय के शरीर को वृ बनाने वाली रा सी! तूने हमारी ओर द र ता दान करने वाली जो रा सयां भेजी ह, वे हमारी ओर से लौट जाएं. तेरे जो आयुध ह वे भी लौट जाएं. तेरे अनुचर चोर भी लौट जाएं. तू हमारे जस श ु क है, उसी के पास चली जा तथा उसे खा डाल. जस योग करने वाले ने तुझे मेरे पास भेजा है, तू उसी को खा. तू उसी का मांस भ ण कर. (५) उप दे पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनीः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (६) हे ू र श द करने वाली रा सी! तुम ने हमारी ओर द र ता दान करने वाली जो रा सयां भेजी ह, वे हमारी ओर से लौट जाएं. तु हारे जो आयुध ह, वे भी लौट जाएं. तु हारे अनुचर चोर भी चले जाएं. तुम हमारे जस श ु क हो, उसी के पास चली जाओ तथा उसे खा डालो. जस योग करने वाले ने तु ह मेरे पास भेजा है, तुम उसी को खाओ. तुम उसी का मांस भ ण करो. (६) अजु न पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनीः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (७) हे अजुन वृ के समान रंग वाली रा सी! तुम ने मेरी ओर द र ता दान करने वाली जो रा सी भेजी है, वह हमारी ओर से लौट जाए. तु हारे जो आयुध ह, वे भी लौट जाएं. तु हारे अनुचर चोर भी चले जाएं. तुम हमारे जस श ु क हो, उसी के पास चली जाओ तथा उसे खा डालो. जस योग करने वाले ने तु ह मेरे पास भेजा है, तुम उसी को खाओ. तुम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उसी का मांस भ ण करो. (७) भ ज पुनव य तु यातवः पुनह तः कमी दनीः. य य थ तम यो वः ाहैत् तम वा मांसा य .. (८) हे शरीर का अपहरण करने हेतु आने वाली रा सी! तुम ने हमारी ओर द र ता दान करने वाली जो रा सयां भेजी ह, वे हमारी ओर से लौट जाएं. तु हारे जो आयुध ह, वे भी लौट जाएं. तु हारे अनुचर चोर भी चले जाएं. तुम हमारे जस श ु क हो, उसी के पास वापस लौट जाओ तथा उसे खा डालो. जस योग करने वाले ने तु ह मेरे पास भेजा है, तुम उसी को खा डालो. तुम उसी का मांस भ ण करो. (८)
सू -२५
दे वता—पृ पण
शं नो दे वी पृ प यशं नऋ या अकः. उ ा ह क वज भनी तामभ सह वतीम्.. (१) चमकती ई पृ पण नाम क जड़ीबूट हम सुख दान करे तथा रोग उ प करने वाली पाप दे वता नऋ त को ःख दे . म ने अ य धक श शाली, पापना शनी एवं रोग को परा जत करने वाली जड़ी पृ पण को खाया है. (१) सहमानेयं थमा पृ प यजायत. तयाहं णा नां शरो वृ ा म शकुने रव.. (२) रोग को परा जत करने वाली पृ पण सभी जड़ीबू टय म मुख बन कर उ प ई है. इस के ारा म दाद, खुजली, कोढ़ आ द रोग के कारण को इस कार समा त करता ,ं जस कार खड् ग से प ी का सर काटा जाता है. (२) अरायमसृ पावानं य फा त जहीष त. गभादं क वं नाशय पृ प ण सह व च.. (३) हे पृ पण नामक जड़ी! मेरे शरीर के र को गराने वाले कु आ द रोग को, शरीर वृ को रोकने वाले सं हणी आ द रोग को तथा गभ को न करने वाले रोग के उ पादक क व नामक पाप को न करो एवं मेरे श ु को परा जत करो. (३) ग रमेनाँ आ वेशय क वान् जी वतयोपनान्. तां वं दे व पृ प य न रवानुदह ह.. (४) हे पृ पण नाम क बूट ! ाण का नाश करने वाले एवं कु आ द रोग को उ प करने वाले पाप क व को पवत क गुफा म घुसा दो. जस कार अ न वन म रहने वाले पशु को जला दे ती है, उसी कार तू पवत क गुफा म घुसे ए पाप को जलाती ई जा. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(४) पराच एनान् णुद क वान् जी वतयोपनान्. तमां स य ग छ त तत् ादो अजीगमम्.. (५) हे पृ पण ! ाण का नाश करने वाले एवं कोढ़ आ द रोग को उ प करने वाले क व नामक पाप को पीछे क ओर जाने को ववश कर. म भी कु आ द रोग को वहां भेजता ं, जहां सूय दय के बाद अंधकार चला जाता है. (५)
सू -२६
दे वता—पशुगण
एह य तु पशवो ये परेयुवायुयषां सहचारं जुजोष. व ा येषां पधेया न वेदा मन् तान् गो े स वता न य छतु.. (१) जो पशु कभी न लौटने के लए चले गए ह, वे मेरी इस गोशाला म आ जाएं. वायु जन क र ा के लए साथ चलती है एवं व ा जन के गभाशय के बछड़ का प जानते ह, उन सम त पशु को स वता दे व इस गोशाला म इस कार था पत कर क वे कभी न भाग. (१) इमं गो ं पशवः सं व तु बृह प तरा नयतु जानन्. सनीवाली नय वा मेषामाज मुषो अनुमते न य छ.. (२) गाय आ द पशु मेरी इस गोशाला म आएं. उ ह यहां लाने का ढं ग जानते ए बृह प त दे व उ ह यहां लाएं. हे सनीवाली अथात् पू णमा और अमाव या क दे वयो! तुम इन पशु के पीछे चलती हो. तुम गोशाला म आए ए इन पशु को रोको. (२) सं सं व तु पशवः समा ाः समु पू षाः. सं धा य य या फा तः सं ा ण ह वषा जुहो म.. (३) गाय आ द पशु, घोड़े, सेवक आ द पु ष तथा गे ,ं जौ आ द अ आए. इस के न म म घृत से हवन करता ं. (३)
क वृ
मेरे पास
सं स चा म गवां ीरं समा येन बलं रसम्. सं स ा अ माकं वीरा ुवा गावो म य गोपतौ.. (४) म पहली बार ब चा दे ने वाली गाय के ताजा ध म घी मलाता ं तथा घी म श दे ने वाला अ और जल मलाता ं. मेरे पु , पौ आ द घी से शरीर चुपड़ कर ढ़ गा वाले बन. इस के न म मुझ गो वामी के पास गाएं थत रह. (४) आ हरा म गवां ीरमाहाष धा यं १ रसम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ ता अ माकं वीरा आ प नी रदम तकम्.. (५) म गाय का ध लाता ं तथा अ एवं जल भी लाता ं. म पु , पौ एवं प नी को ले आया ं. इन सब से मेरा घर पूण रहे. (५)
सू -२७
दे वता—ओष ध, इं ,
ने छ ःु ाशं जया त सहमाना भभूर स. ाशं त ाशो ज रसान् कृ वोषधे.. (१) हे वारपाठा नामक जड़ी! तु हारा सेवन करने वाले व ा को उस का वरोधी न जीत सके. तु हारा वभाव श ु को सहन करने का है, इसी लए तुम तवाद को परा जत कर दे ती हो. मुझ पूछने वाले से जो वरोधी त पूछते ह, उन को तुम परा जत करो. हे ओष ध! मेरे वरोधी व ा का गला सुखा दो, जस से वे बोल न सक. (१) सुपण वा व व दत् सूकर वाखन सा. ाशं त ाशो ज रसान् कृ वोषधे.. (२) हे वारपाठा नामक जड़ी! सुंदर पंख वाले ग ड़ ने वष र करने के लए तु ह खोज कर ा त कया था. आ द वाराह ने अपनी थूथन से तु ह खोदा था. मुझ पूछने वाले से जो वरोधी त पूछते ह, उ ह तुम परा जत करो. हे ओष ध! मेरे वरोधी व ा का गला सुखा दो, जस से वे बोल न सक. (२) इ ो ह च े वा बाहावसुरे य तरीतवे. ाशं त ाशो ज रसान् कृ वोषधे.. (३) हे वारापाठा नामक जड़ी! इं ने असुर क हसा करने के लए तु ह अपनी भुजा म धारण कया था. मुझ पूछने वाले से जो वरोधी त पूछते ह, उ ह तुम परा जत करो तथा मेरे वरोधी व ा का गला सुखा दो, जस से वे बोल न सक. (३) पाटा म ो ा ादसुरे य तरीतवे. ाशं त ाशो ज रसान् कृ वोषधे.. (४) इं ने असुर क हसा करने के लए वारपाठा नाम क जड़ी को खाया था. हे वारपाठा! मुझ पूछने वाले से जो वरोधी त पूछते ह, उ ह तुम परा जत करो तथा मेरे वरोधी व ा का गला सुखा दो, जस से बोल न सक. (४) तयाहं श ू सा इ ः सालावृकाँ इव. ाशं त ाशो ज रसान् कृ वोषधे.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वारपाठे को धारण कर के अथवा खा कर म अपने वरोधी व ा को उसी कार न र कर ं गा, जस कार इं ने जंगली कु का प धारण करने वाले असुर को हराया था. हे वारापाठा! मुझ करने वाले से जो वरोधी त करते ह, उ ह तुम परा जत करो तथा मेरे वरोधी व ा का गला सुखा दो, जस से वे बोल न सक. (५) जलाषभेषज नील शख ड कमकृत्. ाशं त ाशो ज रसान् कृ वोषधे.. (६) हे सुखकर जड़ीबू टय वाले, नीले रंग के वखंड अथात् मोर के पंख के मुकुट से यु एवं अपने उपासक के कम को काटने वाले ! मेरे ारा सेवन क जाती ई वारपाठा नाम क जड़ी को मेरे वरोधी व ा का तर कार करने यो य बनाओ. हे वारपाठा! मुझ करने वाले से जो वरोधी त पूछते ह, उ ह तुम परा जत करो तथा मेरे वरोधी व ा का मुंह सुखा दो, जस से वे बोल न सक. (६) त य ाशं वं ज ह यो न इ ा भदास त. अ ध नो ू ह श भः ा श मामु रं कृ ध.. (७) हे इं ! जो वरोधी व ा अपनी यु य से मेरा तर कार करता है, तुम उस के उस को समा त कर दो, जो मेरे तकूल हो. तुम अपनी श य से मुझे अ धक बोलने वाला बनाओ तथा मुझ पूछने वाले को उ र दे ने वाले से े बनाओ. (७)
सू -२८
दे वता—ज रमा, आयु आ द
तु यमेव ज रमन् वधतामयं मेमम ये मृ यवो ह सषुः शतं ये. मातेव पु ं मना उप थे म एनं म यात् पा वंहसः.. (१) हे तु त कए जाते ए अ न दे व! तु हारी सेवा के लए ही यह कुमार रोग आ द से र हत हो कर बढ़े . जो असं य हसक रोग एवं पशाच ह, वे भी इस बालक क हसा न कर. माता जस कार पु को गोद म ले कर उस क र ा करती है, उसी कार म नाम के दे व पाप से इस बालक क र ा कर. (१) म एनं व णो वा रशादा जरामृ युं कृणुतां सं वदानौ. तद नह ता वयुना न व ान् व ा दे वानां ज नमा वव
.. (२)
हसक का भ ण करने वाले म एवं व ण एक मत हो कर इस बालक को वृ ाव था के ारा मरने वाला बनाएं. दे व का आ ान करने वाले एवं जानने यो य बालक को जानने वाले अ न दे व सम त ा भाव के थान को पा कर इस के लए द घ आयु का वचन द अथात् इस क आयु बढ़ाएं. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वमी शषे पशूनां पा थवानां ये जाता उत वा ये ज न ाः. मेमं ाणो हासी मो अपानो मेमं म ा व धषुम अ म ाः.. (३) हे अ न दे व! पृ वी पर जो पशु उ प हो चुके ह और जो उ प होने वाले ह, तुम उन के वामी हो. ाण और अपान वायु इस बालक का याग न कर. म एवं श ु इस का वध न कर. (३) ौ ् वा पता पृ थवी माता जरामृ युं कृणुतां सं वदाने. यथा जीवा अ दते प थे ाणापाना यां गु पतः शतं हमाः.. (४) हे बालक! ौ तेरा पता और पृ वी तेरी माता है. ये दोन एकमत हो कर तुझे द घ आयु दान कर, जस से तू पृ वी क गोद म ाण और अपान वायु से सुर त हो कर सौ वष तक जी वत रहे. (४) इमम न आयुषे वचसे नय यं रेतो व ण म राजन्. मातेवा मा अ दते शम य छ व े दे वा जरद यथासत्.. (५) हे अ न दे व! इस बालक को द घ जीवन दान करो एवं तेज वी बनाओ. हे तेज वी व ण एवं म दे व! इसे पु उ प करने यो य वीय दान करो. हे अ द त! तुम माता के समान इस बालक को सुख दान करो. हे सम त दे वो! यह ऐसा हो क इस का शरीर वृ ाव था को ा त करे. (५)
सू -२९
दे वता—अ न, सूय आ द
पा थव य रसे दे वा भग य त वो ३ बले. आयु यम मा अ नः सूय वच आ धाद् बृह प तः.. (१) पृ वी संबंधी पदाथ के रस को पीने वाले पु ष को इं आ द दे व भग दे वता के समान बली बनाएं. सूय इस पु ष को द घ आयु दान कर. सब के ेरक आ द य एवं बृह प त इसे तेज दान कर. (१) आयुर मै धे ह जातवेदः जां व र ध नधे मै. राय पोषं स वतरा सुवा मै शतं जीवा त शरद तवायम्.. (२) हे जातवेद अ न! इसे सौ वष क द घ आयु दान करो. हे व ा दे व! इस के लए अ धक संतान था पत करो. हे सब के ेरक स वता दे व! इस के लए धन क अ धकता को े रत करो. आप सब का यह पु सौ वष तक जी वत रहे. (२) आशीण ऊजमुत सौ जा वं द ं ध ं वणं सचेतसौ. जयं े ा ण सहसाय म कृ वानो अ यानधरा सप नान्.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हमारे आशीवाद स य ह . हे ावा पृ वी! इसे अ दो तथा उ म संतान वाला बनाओ. तुम दोन एकमत हो कर इसे बल एवं धन दान करो. हे इं दे व! यह पु ष अपने बल से श ु को वजय और खेत को अपने अ धकार म करता आ अपने श ु को परा जत करे. (३) इ े ण द ो व णेन श ो म ः हतो न आगन्. एष वां ावापृ थवी उप थे मा ुध मा तृषत्.. (४) इं से जीवन ा त कर के, व ण क अनुम त ले कर तथा म त से बल ा त कर के भेजा आ यह हमारे समीप आया है. हे ावा पृ वी! तु हारी गोद म वतमान यह पु ष न कभी भूखा रहे और न कभी यास से ाकुल हो. (४) ऊजम मा ऊज वती ध ं पयो अ मै पय वती ध म्. ऊजम मै ावापृ थवी अधातां व े दे वा म त् ऊजमापः.. (५) हे श शा लनी ावा पृ वी! इस भूखे को बलकारक अ दो. हे जलपूण ावा पृ वी! इस यासे क रोग नवृ के लए जल दान करो. ाथना करने पर ावा पृ वी इसे अ द. व े दे व, म दगण एवं जल दे वता इसे बल दान कर. (५) शवा भ े दयं तपया यनमीवो मो दषी ाः सुवचाः. सवा सनौ पबतां म थमेतम नो पं प रधाय मायाम्.. (६) हे यासे पु ष! म तेरे नीरस दय को सुखकारी जल से तृ त करता ं. इस के प ात तू रोग र हत, उ म तेज यु एवं स हो जाएगा. एक मत धारण करने वाले अ नीकुमार माया प बना कर इस स ू को पीने के लए श तैयार कर. (६) इ एतां ससृजे व ो अ ऊजा वधामजरां सा त एषा. तया वं जीव शरदः सुवचा मा त आ सु ोद् भषज ते अ न्.. (७) ाचीन काल म वृ ासुर के ारा घायल इं ने यास से ाकुल हो कर बलकारक अ एवं वृ ाव था का वनाश करने वाला यह स ू बनाया था. वही अ और स ू तुझे दया जा रहा है. इस के ारा तू उ म तेज वाला बन कर सौ वष तक जी वत रह. पया आ स ू तेरे शरीर म रह कर बल दान करे. दे व के वै अ नीकुमार ने तेरे लए यह ओष ध तैयार क है. (७)
सू -३०
दे वता—अ नीकुमार आ द
यथेदं भू या अ ध तृणं वातो मथाय त. एवा म ना म ते मनो यथा मां का म यसो यथा म ापगा असः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ी! धरती के ऊपर पड़े ए तनके को वायु जस कार मत करती है, म तेरे मन को उसी कार चंचल बना ं गा. इस से तू मुझे चाहने वाली बन जाएगी तथा मेरे पास से कह अ य नह जा सकेगी. (१) सं चे याथो अ ना का मना सं च व थः. सं वां भगासो अ मत सं च ा न समु ता.. (२) हे अ नीकुमारो! मेरी चाही गई ी को मेरे समीप ले आओ तथा मुझ कामी पु ष से मला दो. हम दोन के भा य एक साथ मल जाएं. हमारे मन और कम भी समान ह . (२) यत् सुपणा वव वो अनमीवा वव वः. त मे ग छता वं श य इव कु मलं यथा.. (३) शोभन पंख वाले कबूतर आ द प ी जो ी वषयक बात कहने के इ छु क होते ह, रोग र हत कामीजन भी वही बात कहना चाहते ह. उस वषय म कया जाता आ मेरा आ ान उस का मनी के लए मैल भरे बाण के समान हो. अथात् वह मेरी बात सुन कर मेरे वश म हो जाए. (३) यद तरं तद् बा ं यद् बा ं तद तरम्. क यानां व पाणां मनो गृभायौषधे.. (४) जो अथ मन म होता है, वही वाणी के ारा कट होता है. बाहर वाणी के ारा जो बात कही जाती है, वही मनु य के मन म रहती है. हे जड़ीबूट ! सव गुण संप क या के मन को हण करो. अथात् तु हारा लेपन करने से उस क या का मन मेरे वश म हो जाए. (४) एयमगन् प तकामा ज नकामो ऽ हमागमम्. अ ः क न दद् यथा भगेनाहं सहागमम्.. (५) प त क अ भलाषा करती ई यह ी मेरे समीप आई थी. म ने भी प नी क कामना से इसे ा त कया था. घोड़ा जस कार हन हनाता आ घोड़ी के पास जाता है, उसी कार म इस नारी से मला ं. (५)
सू -३१
दे वता—मही
इ य या मही षत् मे व य तहणी. तया पन म सं मीन् षदा ख वाँ इव.. (१) सभी क ड़ को मारने वाली जो इं क शला है, उसी शला के ारा म शरीर के भीतर थत क टाणु को उसी कार मारता ं, जस कार सलबट् टे से चने पीसे जाते ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म मतृहमथो कु मतृहम्. अ ग डू सवान्छलुनान् मीन् वचसा ज भयाम स.. (२) म आंख से दखाई दे ने वाले और न दखाई दे ने वाले क टाणु को मारता ं. इस के अ त र शरीर के अंतगत जाल के समान थत क टाणु का भी म वनाश करता ं. म अपने मं के बल से अलगंडू एवं श ग नाम के क टाणु को तथा अ य सभी क टाणु को न करता ं. (२) अ ग डू न् ह म महता वधेन ना अ ना अरसा अभूवन्. श ान श ान् न तरा म वाचा यथा मीणां न क छषातै.. (३) म हवन के साधन अ और जड़ीबू टय के ारा र तथा मांस को षत करने वाले अलगंडू नाम के क टाणु का वध करता ं. मेरी जड़ीबूट और मेरे मं के ारा संत त अथवा असंत त वे क टाणु नज व हो जाएं. म बचे ए और पहले न मरे ए क टाणु को अपने मं के ारा इस कार मारता ं, जस से अनेक कार के क टाणु म से एक भी न बचे. (३) अ वा यं शीष य १ मथो पा यं मीन्. अव कवं वरं मीन् वचसा ज भयाम स.. (४) म से आंत म होने वाले, सर म होने वाले, तथा पस लय म थत क टाणु को म मं के ारा न करता ं. ये क टाणु शरीर म वेश करने वाले एवं भां तभां त के माग से गमन करने वाले ह. (४) ये मयः पवतेषु वने वोषधीषु पशु व व १ तः. ये अ माकं त वमा व वशुः सव त म ज नम मीणाम्.. (५) जो क टाणु पवत म, वन म, ओष धय म, पशु म तथा जल म थत ह, वे घाव के ारा अथवा अ पान के ारा हमारे शरीर म वेश कर चुके ह. म इन सभी कार के क टाणु क उ प समा त करता ं. (५)
सू -३२
दे वता—आ द य
उ ा द यः मीन् ह तु न ोचन् ह तु र म भः. ये अ त मयो ग वः.. (१) उदय होते ए तथा अ त होते ए सूय अपनी फैलने वाली करण के क टाणु का वनाश करे जो गाय के शरीर के भीतर थत ह. (१) व पं चतुर ं म सार मजुनम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ारा उन
शृणा य य पृ ीर प वृ ा म य छरः.. (२) म नाना आकार वाले, चार आंख वाले, चतकबरे रंग के एवं धवल वण के क टाणु का वनाश करता ं. म उन क टाणु क पीठ और शीश का भी वनाश करता ं. (२) अ वद् वः अग य य
मयो ह म क वव जमद नवत्. णा सं पन यहं मीन्ः.. (३)
हे क टाणुओ! म तु ह उसी कार पुनः उ प न होने के लए न करता ं, जस कार अ न, क व और जमद न ऋ ष ने मं क श से तु हारा वनाश कया था. म अग य ऋ ष के मं ारा सभी क टाणु का वनाश करता ं. (३) हतो राजा मीणामुतैषां थप तहतः. हतो हतमाता महत ाता हत वसा.. (४) क टाणु का राजा मारा गया एवं इन का स चव भी मारा गया. जन क टाणु माता, भाई और बहन भी मारी गई थ , वे न हो गए. (४)
क
हतासो अ य वेशसो हतासः प रवेशसः. अथो ये ु लका इव सव ते मयो हताः.. (५) इन क टाणु के कुल के नवास थान न हो गए एवं इन के घर के आसपास के घर भी न हो गए. इस के अ त र जो क टाणु बीज अव था म थे, वे भी न हो गए. (५) ते शृणा म शृ े या यां वतुदाय स. भन द्म ते कुषु भं य ते वषधानः.. (६) हे क टाणु! म तेरे उन स ग को तोड़ता ं, जन के ारा तू था प ंचाता है. म तेरे कुषुंभ नामक अंग वशेष को भी वद ण करता ं जो वष को धारण करने वाला है. (६)
सू -३३
दे वता—य मा का वनाश
अ ी यां ते ना सका यां कणा यां छु बुकाद ध. य मं शीष यं म त का ज ाया व वृहा म ते.. (१) हे य मा रोग से पी ड़त पु ष! म तेरी आंख से, नाक से, कान से तथा ठोड़ी से य मा रोग को बाहर नकालता ं. म तेरे सर म से, म त क से तथा जीभ से य मा रोग को बाहर नकालता ं. (१) ीवा य त उ णहा यः क कसा यो अनू यात्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य मं दोष य १ मंसा यां बा यां व वृहा म ते.. (२) हे य मा रोग से पी ड़त पु ष! म तेरी गरदन से, र से पूण ना ड़य से, हंसली एवं सीने क ह ड् डय से, सं धय से, कंध से तथा भुजा से य मा रोग को बाहर नकालता ं. म बा म होने वाले य मा रोग को भी न करता ं. (२) दयात् ते प र लो नो हली णात् पा ा याम्. य मं मत ना यां ली ो य न ते व वृहाम स.. (३) हे रोगी! म तेरे दय से, दय के समीपवत मांस पड लोम से, लोम से संबं धत हल ण नामक मांस पड से, दोन ओर थत गुरद से, त ली से एवं दय के समीपवत यकृत से य मा रोग को बाहर नकालता ं. (३) आ े य ते गुदा यो व न ो दराद ध. य मं कु यां लाशेना या व वृहा म ते.. (४) हे य मा रोग से पी ड़त पु ष! म तेरी आंख से, गुदा से, बड़ी आंत से, पेट से, दोन कोख से, अनेक छ वाले मलाशय से तथा ना भ से य मा रोग को बाहर नकालता ं. (४) ऊ यां ते अ ीव यां पा ण यां पदा याम्. य मं भस ं १ ो ण यां भासदं भंससो व वृहा म ते.. (५) हे रोगी पु ष! म तेरी जंघा से, घुटन से, घुटन के नीचे वाले भाग से, पैर के पंज से, कमर से, नतंब से तथा गुरद म थत य मा रोग को वहां से बाहर नकालता ं. (५) अ थ य ते म ज यः नाव यो धम न यः. य मं पा ण याम ल यो नखे यो व वृहा म ते.. (६) हे रोगी पु ष! म ह ड् डय से, चरबी से, शरा से, धम नय से, हाथ से, हाथ क उंग लय से तथा नाखून से य मा रोग को बाहर नकालता ं. (६) अ े अ े लो नलो न य ते पव णपव ण. य मं वच यं ते वयं क यप य वीबहण व व चं व वृहाम स.. (७) हे य मा रोगी पु ष! तेरे अंगअंग म, रोमरोम म तथा जोड़जोड़ म जो य मा रोग है, उसे म क यप मह ष के मं के सू के ारा बाहर नकालता ं. (७)
दे वता— व कमा
सू -३४ य ईशे पशुप तः पशूनां चतु पदामुत यो
पदाम्.
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न
तः स य यं भागमेतु राय पोषा यजमानं सच ताम्.. (१)
जो पशुप त चार पैर वाले पशु और दो पैर वाले मनु य के वामी ह, उन के पास से ा त कया आ यह य के यो य पशु य का भाग बने एवं यजमान को धन क समृ यां ा त ह . (१) मु च तो भुवन य रेतो गातुं ध यजमानाय दे वाः. उपाकृतं शशमानं यद थात् यं दे वानाम येतु पाथः.. (२) हे दे वो! इस मारे जाते ए पशु को याग कर जाते ए च ु, ाण आ द इसे यजमान के लए वीय के ारा पु य लोक म जाने का माग बनाएं. इस पशु म दे व का य जो मांस है, वह भी इसे ा त हो. (२) ये ब यमानमनु द याना अ वै त मनसा च ुषा च. अ न ान े मुमो ु दे वो व कमा जया संरराणः.. (३) इस य ीय पशु के समूह के जो पशु इसे मारा जाता आ दे ख कर खी होते ह और खी मन से इसे ेम भरे ने ारा दे खते ह, अ न दे व उन सब के लए ेम का फंदा खोल द. अपनी सृ के साथ श द करते ए व कमा भी इसे मु कर. (३) ये ा याः पशवो व पा व पाः स तो ब धैक पाः. वायु ान े मुमो ु दे वः जाप तः जया संरराणः.. (४) जो ामीण पशु सभी प से यु एवं व वध प वाले हो कर भी ायः एक प वाले ह, उन सब को वायु दे व सब से पहले मु कर. अपनी जा के साथ एकमत होते ए जाप त भी बाद म इस पशु को मु कराएं. (४) जान तः दवं ग छ
त गृ तु पूव ाणम े यः पयाचर तम्. त त ा शरीरैः वग या ह प थ भदवयानैः.. (५)
हे पशु! इस य म तेरे माहा य को जानते ए अंत र म थत दे व तेरे अंग क सेवा करते ए सभी ओर से नकल कर सामने आते ए तेरे ाण को हण कर. इस के प ात तुम दे व के ारा गृहीत हो कर वग म जाओ तथा वहां द भोग के त थत बनो. इस य के बाद तुम दे व के माग से वग म जाओ. (५)
सू -३५
दे वता— व कमा
ये भ य तो न वसू यानृधुयान नयो अ वत य त ध याः. या तेषामवया र ः व न तां कृणवद् व कमा.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम ने भोजन करते ए पृ वी म धन को गाड़ दया है. प व थान म अ नय को जानते ए व कमा हमारे य को सफल बनाएं. जो लोग हवन नह करते ह अथवा दोष पूण य करते ह, वे मेरे य क सफलता दे ख कर शोक कर. (१) य प तमृषय एनसा नभ ं जा अनुत यमानम्. मथ ा तोकानप यान् रराध सं न े भः सृजतु व कमा.. (२) ऋ षय ने ऐसे यजमान को पाप यु बताया है, जो ग त वाला हो तथा जस क जाएं उस के साथसाथ ःखी ह . उस यजमान ने सोमरस क बूद ं को चुरा कर जो अपराध कया है, व कमा सोमरस क उन बूंद से हमारे यजमान को मलाएं. (२) अदा या सोमपान् म यमानो य य व ा समये न धीरः. यदे न कृवान् ब एष तं व कमन् मु चा व तये.. (३) य का व प जानने के गव से मो हत तथा अपने अ त र सोम पीने वाले पं डत को भी अ ानी समझने वाला उसी कार पाप करता है, जस कार सं ाम म अपने को महाबली समझने वाला और श ु यो ा का तर कार करने वाला बंद बन कर क उठाता है. हे व कमा! उस पापी को क याण ा त के लए पाप से छु ड़ाओ. (३) घोरा ऋषयो नमो अ वे य ुयदे षां मनस स यम्. बृह पतये म हष ुम मो व कमन् नम ते पा १ मान्.. (४) जो ू र ऋ ष अथात् ाण, च ु आ द ह, उन के लए नम कार है. इन ाण और अंतःकरण के म य म जो यथाथदश ने ह, उन के लए भी नम कार है. बृह प त दे व के लए भी इसी कार का द तशाली एवं मह वपूण नम कार है. हे व कमा, आप को नम कार है, आप हमारी र ा कर. (४) य य च ुः भृ तमुखं च वाचा ो ेण मनसा जुहो म. इमं य ं वततं व कमणा दे वा य तु सुमन यमानाः.. (५) य के ने , य के आ द प एवं मुख प अ न के त म वाणी, कान तथा मन के ारा हवन करता ं. व कमा के ारा व तृत इस य म सम त दे व एकमत हो कर आएं. (५)
सू -३६
दे वता—अ न आ द
आ नो अ ने सुम त संभलो गमे दमां कुमार सह नो भगेन. जु ा वरेषु समनेषु व गुरोषं प या सौभगम व यै.. (१) हे अ न दे व! हमारी मा यता के अनुसार, सव ल ण से यु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एवं क या चाहने वाला
वर हम ा त हो तथा सौभा य के कारण हमारी इस कुमारी को वर ा त हो, यह कुमारी समान दय वाले वर को पा कर वयं स हो और उसे भी स करे. प त के साथ नवास थान इस के लए सौभा यदायक हो. (१) सोमजु ं जु मय णा संभृतं भगम्. धातुदव य स येन कृणो म प तवेदनम्.. (२) सोमदे व के ारा से वत, से अथवा गंधव से यु , ववाह क अ न से वीकृत क या पी भा य को दे व क आ ा के अनुसार यथाथ वचन से म मनु य अथात् वर को ा त कराता ं. (२) इयम ने नारी प त वदे सोमो ह राजा सुभगां कृणो त. सुवाना पु ान् म हषी भवा त ग वा प त सुभगा व राजतु.. (३) हमारी यह क या प त को ा त करे, जस से सोम राजा इसे सौभा यशा लनी बनाएं. ववाह के प ात यह पु को ज म दे ती ई े प नी स हो. इस कार यह प त को पा कर सौभा ययु एवं सुशो भत हो. (३) यथाखरो मघवं ा रेष यो मृगाणां सुषदा बभूव. एवा भग य जु ेयम तु नारी स या प या वराधय ती.. (४) जस कार शंसनीय भो य पदाथ से यु , शोभन एवं पशु के आवास वाला यह दे श य एवं सुखद होता है, उसी कार यह क या प त के साथ स ता दे ने वाली व तुएं बनाती ई सुख समृ ा त करे. (४) भग य नावमा रोह पूणामनुपद वतीम्. तयोप तारय यो वरः तका यः.. (५) हे क या! तू भा य के साधन से पूण एवं वनाशर हत नाव पर सवार हो. इस नाव के सहारे तू अपने मनचाहे प त को ा त कर. (५) आ दय धनपते वरमामनसं कृणु. सव द णं कृणु यो वरः तका यः.. (६) हे धनप त कुबेर! प त के ारा यह कहलवाओ क यह क या मेरी प नी बने. इस वर को क या क ओर अ भमुख करो तथा सभी ा णय को इस के ववाह के अनुकूल काय करने वाला बनाओ. यह क या अपना मनचाहा प त ा त करे. (६) इदं हर यं गु गु वयमौ ो अथो भगः. एते प त य वाम ः तकामाय वे वे.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोने के आभूषण, धूपन का गूगल, लेपन का तथा औ अलंकार के अ ध ाता दे व भग ने तुझे गंधव तथा अ न ारा अ भल षत प त को ा त करने के हेतु दए ह. (७) आ ते नयतु स वता नयतु प तयः वम यै धे ोषधे.. (८)
तका यः.
हे क या! सब के ेरक स वता दे व तेरे लए मनचाहे वर को लाएं. वह भी तुझ से ववाह कर के तुझे अपने घर ले जाए. हे जड़ीबूट ! तुम इस कुमारी के लए प त दान करो. (८)
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तीसरा कांड दे वता—अ न, म त्, इं
सू -१
अ ननः श ून् येतु व ान् तदह भश तमरा तम्. स सेनां मोहयतु परेषां नह तां कृणव जातवेदाः.. (१) हसक श ु क सेना को मो हत कर के जातवेद अथात् अ न श ा उठाने म असमथ बना द. दे वासुर सं ाम म दे व सेना का त न ध व करने वाले अ न दे व श ु के अंग को भ म करते ए आगे बढ़. (१) यूयमु ा म त् ई शे था भ ेत मृणत सह वम्. अमीमृणन् वसवो ना थता इमे अ न षां तः येतु व ान्.. (२) हे म तो! तुम सं ाम म सहायता करने के लए मेरे समीप रहो एवं मेरे श ु करने जाओ. वसु दे वगण भी मेरी ाथना पर श ुनाश के लए आगे बढ़. वसु अ न भी श ु को जानते ए त के समान अ सर हो. (२)
पर हार म धान
अ म सेनां मघव मा छ ूयतीम भ. युवं ता म वृ ह न दहतं त.. (३) हे इं ! नरापराध के त श ु के समान आचरण करने वाली सेना के सामने जाओ. हे वृ नाशक इं ! तुम और अ न दोन तकूल बन कर श ु सेना को भ म करो. (३) सूत इ वता ह र यां ते व ः मृण ेतु श ून्. ज ह तीचो अनूचः पराचो व वक् स यं कृणु ह च मेषाम्.. (४) हे इं ! ह र नाम के अ से यु रथ म बैठ कर तुम समतल माग से अपने व को धारण करते ए श ु सेना क ओर गमन करो. तुम सामने और पीछे से आते ए तथा यु से मुंह मोड़ कर भागते ए श ु का वनाश करो. हमारे वनाश के त ढ़ न य वाले इन के च को तुम सवथा अ व थत कर दो. (४) इ सेनां मोहया म ाणाम्. अ नेवात य ा या तान् वषूचो व नाशय.. (५) हे इं ! हमारे श ु
क सेना को कत
ान से शू य बना दो. अ न और वायु के
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सहयोग से भ म करने हेतु वकराल बनी ई अपनी ग त से श ु सेना को यु कर भागने पर ववश कर के न कर दो. (५)
से मुंह मोड़
इ ः सेनां मोहयतु म तो न वोजसा. च ूं य नरा द ां पुनरेतु परा जता.. (६) दे व के अ धप त इं श ु सेना को ककत वमूढ़ कर द और म त् अपने तेज से उस का वनाश कर. अ न दे व उन क आंख से दे खने क श छ न ल. इस कार परा जत श ु सेना वापस चली जाए. (६)
सू -२
दे वता—अ न, इं आ द
अ नन तः येतु व ान् तदह भश तमरा तम्. स च ा न मोहयतु परेषां नह तां कृणव जातवेदाः.. (१) सब कुछ जानने वाले और दे व त अ न हमारे श ु को जला डाल और सामने क ओर से आते ए हसक श ु के मन को ककत वमूढ़ कर द. जातवेद अ न उ ह इस यो य न रख क वे हाथ से श उठा सक. (१) अयम नरमूमुहद् या न च ा न वो द. व वो धम वोकसः वो धमतु सवतः.. (२) हे श ुओ! तु हारे दय म जो हम पर आ मण करने संबंधी वचार ह, उ ह समा त करते ए अ न दे व तु हारे दय को मो हत कर. वे तु ह तु हारे नवास से पूरी तरह नकाल द एवं तु हारे थान को न कर द. (२) इ च ा न मोहय वाङाकू या चर. अ नेवात य ा या तान् वषूचो व नाशय.. (३) हे इं ! तुम हमारे श ु के दय को मत करते ए एवं अपने मन म उ ह न करने का संक प लए ए श ुसै य के सामने जाओ. तुम अ न और वायु के सहयोग से भ म करने हेतु वकराल बनी ई अपनी ग त से श ु सेना को यु से मुंह मोड़ कर भागने पर ववश कर के न कर दो. (३) ाकूतय एषा मताथो च ा न मु त. अथो यद ैषां द तदे षां प र नज ह.. (४) हे व संक पो! तुम श ु के दय म जाओ. हे श ु के दयो! तुम मत हो जाओ. यु करने के लए उ त हमारे श ु के दय म जो काय करने क इ छा है, उसे पूण प से न कर दो. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अमीषां च ा न तमोहय ती गृहाणा ा य वे परे ह. अ भ े ह नदह सु शोकै ा ा म ां तमसा व य श ून्.. (५) हे सुख और ाण को न करने वाली अ या नाम क पापदे वी! तुम हमारे श ु के दय को मत करती ई उन के शरीर म ा त हो जाओ. तुम हम से मुंह मोड़ कर हमारे श ु क ओर जाओ और रोग, भय आ द से उ प शोक से उन के दय को संत त करो. तुम अ ान प पशाची के सहयोग से हमारा अ हत चाहने वाले श ु को मार डालो. (५) असौ या सेना म त्ः परेषाम मानै य योजसा पधमाना. तां व यत तमसाप तेन यथैषाम यो अ यं न जानात्.. (६) हे म तो! श ु क यह सेना अपने बल क अ धकता के कारण हमारे साथ संघष करती ई हमारी ओर आ रही है. इसे अपने ारा े रत माया से कत ान शू य बना करके न कर दो. इन श ु को ऐसा बना दो क इन म से कोई भी एक सरे को न पहचान सके. (६)
सू -३
दे वता—अ न
अ च दत् वपा इह भुवद ने च व रोदसी उ ची. यु तु वा म तो व वेदस आमुं नय नमसा रातह म्.. (१) हे अ न! अपने रा य से युत आ यह राजा पुनः रा य पाने के लए तु हारी ाथना कर रहा है. तु हारी कृपा से यह अपने रा य म जा का पालक बने. हे ापनशील अ न! इस के न म तुम धरती और आकाश म ा त हो जाओ. व े दे व और उनचास म त् तु हारी सहायता कर. तु ह नम कार करने वाले एवं ह व दे ने वाले इस राजा को इस का रा य पुनः ा त कराओ. (१) रे चत् स तम षास इ मा यावय तु स याय व म्. यद् गाय बृहतीमकम मै सौ ाम या दधृष त दे वाः.. (२) हे ऋ वजो! आप लोग वग म नवास करने वाले मेधावी इं को राजा क सहायता करने हेतु बुलाएं. दे व ने गाय ी और बृहती छं द तथा इं संबंधी सौ ामणी य के ारा इं को अ तशय श शाली बना दया है. (२) अ य वा राजा व णो यतु सोम वा यतु पवते यः. इ वा यतु वड् य आ यः येनो भू वा वश आ पतेमाः.. (३) हे राजन्! आप का रा य श ु ने छ न लया है. आप को आप के रा य पर था पत करने के लए व ण अपने से संबं धत जल से, सोम अपने आ य थान पवत से तथा इं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आप क जा के मा यम से आप के रा य म वेश के लए बुलाएं. आप श ु ारा अपरा जत होते ए बाज के समान ही ती ग त से आएं और अपनी इन जा का पालन कर. (३) येनो ह ं नय वा पर माद य े े अप ं चर तम्. अ ना प थां कृणुतां सुगं त इमं सजाता अ भसं वश वम्.. (४) वग म नवास करने वाले दे व श ु ारा पराए रा य म बंद बनाए गए आप को अपने दे श म लाएं. अ नीकुमार आप के माग को श ु से शू य बनाएं. हे बांधवो! अपने रा य म पुनः व इस राजा क तुम सब सेवा करो. (४) य तु वा तजनाः त म ा अवृषत. इ ा नी व े दे वा ते व श ेममद धरन्.. (५) हे राजन्! जो लोग अब तक आप के वरोधी थे, वे भी आप के अनुकूल बन कर नेह कर और आप के आ ापालक बन. इं , अ न और व े दे व आप म जापालन क मता उ प कर. (५) य ते हवं ववदत् सजातो य न ः. अपा च म तं कृ वाथेम महाव गमय.. (६) हे राजन्! आप के समान श शाली, आप से उ च बलशाली और आप से हीन परा म वाला जो श ु आप से सहमत न हो, इं उसे उस रा से ब ह कृत कर के वहां के राजा को वहां था पत कर. (६)
सू -४
दे वता—इं
आ वा गन् रा ं सह वचसो द ह ाङ् वशां प तरेकराट् वं व राज. सवा वा राजन् दशो य तूपस ो नम यो भवेह.. (१) हे राजन्! आप का रा य आप को पुनः ा त हो गया. इस कारण आप तेज के साथ पुनः स ह तथा जापालक और श ु वनाशक बन. सभी दशा के दे व और उन म नवास करने वाले जाजन आप को अपना वामी वीकार कर. आप के रा य के सभी नवासी आप क सेवा कर और आप का अ भवादन कर. (१) वां वशो वृणतां रा याय वा ममाः दशः प च दे वीः. व मन् रा य ककु द य व ततो न उ ो व भजा वसू न.. (२) हे राजन्! जाएं रा य शासन के लए आप का वरण कर. पूव आ द चार और म यवत पांचव दशा आप के लए तेज वनी बन कर आप का वरण करे. आप अपने दे श ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के उ च सहासन पर वराजमान ह . उस के प ात आप श ु सेवक को यथायो य धन दान कर. (२)
से अपरा जत रहते ए हम
अ छ वा य तु ह वनः सजाता अ न तो अ जरः सं चरातै. जायाः पु ाः सुमनसो भव तु ब ं ब ल त प यासा उ ः.. (३) हे राजन्! आप के सजातीय अ य राजा आप के बुलाने पर आएं. आप का त अ न के समान नबाध हो कर सव वचरण करे. आप क प नयां तथा पु आप क पुनः रा य ा त से स ह . आप पया त श शाली बन कर अनेक कार के उपायन अथात् भट म आई ई व तुएं अपने सामने आई दे ख. (३) अ ना वा े म ाव णोभा व े दे वा म त् वा य तु. अधा मनो वसुदेयाय कृणु व ततो न उ ो व भजा वसू न.. (४) हे राजन्! अ नीकुमार, दोन म -व ण, व े दे व एवं म त् आप को रा य म वेश करने के लए बुलाएं. आप अपना मन, धन दान करने म लगाएं. इस के प ात आप श ु से अपरा जत रहते ए हम सेवक को यथायो य धन दान कर. (४) आ व परम याः परावतः शवे ते ावापृ थवी उभे ताम्. तदयं राजा व णा तथाह स वायम त् स उपेदमे ह.. (५) हे रदे श म थत राजन्! र दे श से अपने रा य म शी आइए. अपने रा य म वेश के समय धरती और आकाश दोन आप के लए मंगलकारी बन. व ण आप को बुला रहे ह. आप अपने रा म आओ. (५) इ े मनु या ३: परे ह सं ा था व णैः सं वदानः. स वायम त् वे सध थे स दे वान् य त् स उ क पयाद् वशः.. (६) हे परम ऐ य संप इं ! हम मनु य के समीप आओ. हे राजन्! व ण के साथ एकमत हो कर इं आप को बुला रहे ह, इस लए आप अपने रा य म वेश कर एवं वहां रह कर इं आ द दे व के न म य कर तथा जा को अपनेअपने काम म लगाएं. (६) प या रेवतीब धा व पाः सवाः स य वरीय ते अ न्. ता वा सवाः सं वदाना य तु दशमीमु ः समुना वशेह.. (७) धनवती एवं माग म हतका रणी दे वयां आप का क याण कर. हे राजन्! अनेक प वाली जल दे वयां एक हो कर आप के लए ेय कर बन एवं एकमत हो कर आप को आप के रा म बुलाएं. वहां आप सश और स रह कर सौ वष का जीवन भोग. (७)
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सू -५
दे वता—सोम
आयमगन् पणम णबली बलेन मृण सप नान्. ओजो दे वानां पय ओषधीनां वचसा मा ज व व यावन्.. (१) अपनी श क अ धकता से श ु को न करने वाली तथा सभी ओष धय क सार प तथा े फल दे ने वाली यह पणम ण मुझे ा त हो. हे दे वो! ओज प यह पणम ण मुझे अपने तेज से तेज वी बनाए. (१) मय ं पणमणे म य धारयताद् र यम्. अहं रा याभीवग नजो भूयासमु मः.. (२) हे पलाश से न मत पणम ण! मुझ म ण धारण कता को बल एवं धन दान करो. तु ह धारण करने के कारण म अपने रा य को वाधीन करने म कसी क सहायता न लेने से सव म बनूं. (२) यं नदधुवन पतौ गु ं दे वाः यं म णम्. तम म यं सहायुषा दे वा ददतु भतवे.. (३) इं आ द दे व ने मनचाहा फल दे ने के कारण य इस म ण को पलाश वृ म गोपनीय प से छपा कर रखा था. दे वगण मेरी आयु वृ कर और भरणपोषण के न म मुझे वह पणम ण दान कर. (३) सोम य पणः सह उ माग े ण द ो व णेन श ः. तं यासं ब रोचमानो द घायु वाय शतशारदाय.. (४) सर को परा जत करने क श दे ने वाली सोम म ण मुझे ा त हो. इं ारा द ई और व ण ारा अनुमत उस य म ण को म सौ वष क द घ आयु पाने के लए धारण क ं . (४) आ मा त् पणम णम ा अ र तातये. यथाहमु रो ऽ सा यय ण उत सं वदः.. (५) यह पणम ण मेरा क याण करने के लए मुझे चरकाल तक ा त हो. यह म ण धारण कर के म अयमा क कृपा से श ु नाश म समथ, अ धक बली एवं उ म बन जाऊं. (५) ये धीवानो रथकाराः कमारा ये मनी षणः. उप तीन् पण म ं वं सवान् कृ व भतो जनान्.. (६) हे पणम ण! तुम सभी मछली पकड़ने वाले, रथकार अथात् बढ़ई, लुहार और ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बु
जीवी जन को मेरी सेवा करने के लए मेरे चार ओर उप थत करो. (६) ये राजानो राजकृतः सूता ाम य ये. उप तीन् पण म ं वं सवान् कृ व भतो जनान्.. (७)
हे पणम ण! जो राजगण, राजा बनाने म समथ स चवगण, रथ हांकने वाले सूत और गांव के मु खया ह, उन सब को तू मेरी सेवा करने के लए मेरे चार ओर उप थत कर. (७) पण ऽ स तनूपानः सयो नव रो वीरेण मया. संव सर य तेजसा तेन ब ना म वा मणे.. (८) हे पणम ण! सोमलता के प से न मत होने के कारण तुम दे ह क र ा करने वाली हो. तुम श शा लनी और मुझ वीर के समान ज म वाली हो. सूय के समान तेज वनी तुझ पणम ण को म तेज ा त के लए बांधना चाहता ं. (८)
दे वता—अ
सू -६
थ
पुमान् पुंसः प रजातो ऽ थः ख दराद ध. स ह तु श ून् मामकान् यानहं े म ये च माम्.. (१) अ यंत श संप वृ पीपल से तथा गाय ी के सार से उ प सहयोग से न मत अ थ म ण धारण करने पर मेरे उन श ु का वनाश कर, जन से म े ष करता ं और जो मुझ से े ष करते ह. (१) तान थ नः शृणी ह श ून् वैबाधदोधतः. इ े ण वृ ना मेद म ेण व णेन च.. (२) हे ख दर वृ म उ प पीपल से न मत अ थम ण! तू मेरे श ु का पूण नाश कर दे . वृ का नाश करने वाले इं और व ण के साथ तेरी म ता है. (२)
प से
यथा थ नरभनो ऽ तमह यणवे. एवा ता सवा भङ् ध यानहं े म ये च माम्.. (३) हे म ण के उपादानकारण अ थ! तुम जस कार, ख दर वृ उ प ए हो, उसी कार मेरे सभी श ु का वनाश कर दो. (३)
के कोटर को भेद कर
यः सहमान र स सासहान इव ऋषभः. तेना थ वया वयं सप ना स हषीम ह.. (४) पीपल उसी कार सरे वृ
को परा जत करता आ बढ़ता है, जस कार बैल अपने
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दप से अ य पशु को परा जत करता है. हे पीपल! तुम से न मत म ण को धारण करने वाले हम श ु का नाश कर. (४) सना वेनान् नऋ तमृ योः पाशैरमो यैः. अ थ श ून् मामकान् यानहं े म ये च माम्.. (५) हे अ थ! पाप क दे वी मृ यु के न छू टने वाले फंद से मेरे उन श ु से म े ष करता ं और जो मुझ से े ष करते ह. (५)
को बांधो, जन
यथा थ वान प यानारोहन् कृणुषे ऽ धरान्. एवा मे श ोमूधानं व वग् भ सह व च.. (६) हे अ थ! जस कार तुम सभी वन प तय अथात् वृ को नीचे छोड़ते ए ऊपर उठते हो, उसी कार मेरे श ु के शीश को सभी और से कुचलो और उन का वनाश कर दो. (६) ते ऽ धरा चः लव तां छ ा नौ रव ब धनात्. न वैबाध णु ानां पुनर त नवतनम्.. (७) तट के वृ से र सी के सहारे बंधी ई नाव खुलने के बाद जस कार कनारे को ा त न कर के नद क धारा के साथ नीचे क ओर बहती जाती है, उसी कार मेरे श ु नीचे को मुंह कर के नद के वाह म बह, य क ख दर के वृ म उ प पीपल के भाव म आए ए श ु का उ ार नह होता. (७) ैणान् नुदे मनसा च न े ोत णा. ैणान् वृ य शाखया थ य नुदामहे.. (८) मं
म ढ़ मान सक श और गंध के भाव ारा अपने श ु का उ चाटन करता ं. म से भा वत पीपल वृ क शाखा के ारा श ु का वनाश करता ं. (८)
सू -७
दे वता—ह रण आ द
ह रण य रघु यदो ऽ ध शीष ण भेषजम्. स े यं वषाणया वषूचीनमनीनशत्.. (१) तेज दौड़ने वाले काले ह रण के सर म जो स ग पी रोग नवारक ओष ध है, वह माता पता से आए ए य, कु , मरगी आ द का पूणतया नाश करे. (१) अनु वा ह रणो वृषा प तु भर मीत्. वषाणे व य गु पतं यद य े यं द.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे मृगशृंग! तु ह े ीय रोग का वनाश करने के लए म ने म ण के प म धारण कया है. इस रोगी के दय म जो रोग बसे ए ह, तुम उन का वनाश करो. (२) अदो यदवरोचते चतु प मव छ दः. तेना ते सव े यम े यो नाशयाम स.. (३) यह चार कोन वाला मृगचम चौकोरी चटाई के समान सुशो भत हो रहा है. हे रोगी! इस के ारा म तेरे य, कु आ द रोग का नाश करता ं. (३) अमू ये द व सुभगे वचृतौ नाम तारके. व े य य मु चतामधमं पाशमु मम्.. (४) आकाश म थत वचृत नामक दो तारे य, कु , मरगी आ द े ीय रोग का वनाश कर. (४) आप इद् वा उ भेषजीरापो अमीवचातनीः. आपो व य भेषजी ता वा मु च तु े यात्.. (५) जल ही ओष ध है. जल ही सब रोग का नाश करने वाला है. जल कसी एक रोग क नह , सम त रोग क ओष ध है. हे रोगी! जल तुझे य, कु , मरगी आ द े ीय रोग से छु ड़ाएं. (५) यदासुतेः यमाणायाः े यं वा ानशे. वेदाहं त थ भेषजं े यं नाशया म वत्.. (६) हे रोगी! अ का यथा व ध उपयोग न करने के कारण तेरे शरीर म जो य, कु , मरगी आ द े ीय रोग उ प हो गए ह, म च क सक उन क जौ आ द के प म ओष ध जानता ं. उस ओष ध के ारा म तेरे े ीय रोग का वनाश करता ं. (६) अपवासे न ाणामपवास उषसामुत. अपा मत् सव भूतमप े यमु छतु.. (७) तार के छपने के समय अथात् उषाकाल से पूव और उषाकाल के समय कए गए नान आ द न य कम के भाव से रोग का कारण र हो जाए. इस के प ात हमारे य, कु , मरगी आ द े ीय रोग न हो जाएं. (७)
सू -८
दे वता— म आ द व े दे व
आ यातु म ऋतु भः क पमानः संवेशयन् पृ थवीमु या भः. अथा म यं व णो वायुर नबृहद् रा ं संवे यं दधातु.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मृ यु से र ा करने म समथ और म वत् सब के उपकारी म दे वता अथात् सूय वसंत आ द ऋतु के ारा हमारी आयु को द घ करने म समथ ह . वे अपनी करण से पृ वी को ा त कर. सूय दे व के आगमन के प ात व ण, वायु और अ न हम शासन करने यो य वशाल रा य दान कराएं (१) धाता रा तः स वतेदं जुष ता म व ा त हय तु मे वचः. वे दे वीम द त शूरपु ां सजातानां म यमे ा यथासा न.. (२) सब के वधाता धाता दे व, दानशील अयमा और सब के ेरक स वता दे व मेरी ह व हण कर. इन के साथसाथ इं और व ा दे व भी मेरी तु तयां सुन. म वीर पु क माता अ द त का आ ान करता ं, जस से म अपने समान य म स मान पा सकूं. (२) वे सोमं स वतारं नमो भ व ाना द याँ अहमु र वे. अयम नद दायद् द घमेव सजातै र ो ऽ त ुव ः.. (३) म यजमान को े पद ा त करने के लए सोम का, स वता का तथा सम त अ द त पु का नम कारा मक मं के ारा आ ान करता ं. सब के आधारभूत अ न दे व अपनी द त बढ़ाएं. म अपने अनुकूलवत बंधु बांधव के साथ चरकाल तक े ता ा त क ं . (३) इहेदसाथ न परो गमाथेय गोपाः पु प तव आजत्. अ मै कामायोप का मनी व े वो दे वा उपसंय तु.. (४) हे का म नयो! तुम सब क या के समीप ही रहो. इस के सामने से र मत जाओ. माग क ेरणा दे ने वाले एवं पालन कता पूषा दे व तु ह ेरणा द. इस वर क इ छा पू त के लए व े दे व तुझ कामना करने वाली ी को उस के समीप जाने क ेरणा द. (४) सं वो मनां स सं ता समाकूतीनमाम स. अमी ये व ता थन तान् वः सं नमयाम स.. (५) हे हमारे वरोधी जनो! हम तु हारे च , कम और संक प को अपने अनुकूल बनाते ह. इन म जो नयम के व काम करने वाले ह , उ ह हम तु हारे सामने ही दं ड द. (५) अहं गृ णा म मनसा मनां स मम च मनु च े भरेत. मम वशेषु दया न वः कृणो म मम यातमनुव मान एत.. (६) हे मेरे वरोधी जनो! म अपने मन के ारा तुम सब के मन को और अपने च के ारा तुम सब के च को अपने वश म करता ं. आओ और तुम सब भी अपने दय को मेरे वश म करो. तुम सब भी मेरी इ छा के अनुसार मेरा अनुगमन करो और मेरे अनुकूल बनो. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -९
दे वता— ावा, पृ वी, व े दे व
कशफ य वशफ य ौ पता पृ थवी माता. यथा भच दे वा तथाप कृणुता पुनः.. (१) जो नाखून और खुर वाले बाघ आ द पशु ह, जो बना खुर वाले सप आ द जंतु ह तथा जो फटे ए खुर वाले गाय, बैल, भस आ द पशु ह उन का पता ुलोक है और माता पृ वी है. हे दे वो! इन व नकारी पशु और जीवजंतु को आप ने जस कार हमारे अ भमुख कया है, उसी कार इ ह हम से अलग करो. (१) अ े माणो अधारयन् तथा त मनुना कृतम्. कृणो म व व क धं मु काबह गवा मव.. (२) षत शरीर से र हत दे व ने अ भमत काय म आने वाले व न क शां त के लए अरलू वृ से बने दं ड को धारण कया है. मनु य क सृ करने वाले मनु ने भी यही कया था. बैल को जस कार जनन म असमथ बनाया जाता है, उसी कार म सूखे चमड़े क र सी से व न को न य कर रहा ं. (२) पश े सू े खृगलं तदा ब न त वेधसः. व युं शु मं काबवं व कृ व तु ब धुरः.. (३) पीले रंग के धागे जस कार कवच को धारण करते ह, उसी कार साधक अरलू म ण को अथात् अरलू वृ से बने डंडे को धारण करते ह. हमारे ारा धारण क ई अरलू म ण व यु, शोधक और कबरे रंग के ू र ा णय से संबं धत व न को समा त करे. (३) येना व यव रथ दे वा इवासुरमायया. शुनां क प रव द्षणो ब धुरा काबव य च.. (४) हे श ु को जीत कर यश क इ छा करने वाले मनु यो! जस कार दे वगण असुर क माया से मो हत थे, उसी कार तुम श ु ारा डाले गए व न से मो हत हो. जस कार बंदर कु को भगा दे ता है, उसी कार तु हारे ारा धारण कया आ खड् ग व न को र भगा दे . (४) ् यै ह वा भ या म ष य या म काबवम्. उदाशवो रथा इव शपथे भः स र यथ.. (५) हे म ण! म श ु ारा डाले गए व न को समा त करने के लए तुझे धारण करता ं. इसी कार म काबव नाम के व न को र करता ं. हे मनु यो! तुम दौड़ने के लए व तृत घोड़ वाले रथ के समान श ु ारा उ प व न से र हत हो कर अपने काय म लगो. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(५) एकशतं व क धा न व ता पृ थवीमनु. तेषां वाम उ जह म ण व क ध षणम्.. (६) हे म ण! धरती पर एक सौ एक व न ह. दे व ने उन क शां त के लए तुझे धारण कया था. हे व न को र करने वाली म ण! म भी तुझे उसी उ े य से धारण करता ं. (६)
सू -१०
दे वता—इ का
थमा ह ु वास सा धेनुरभवद् यमे. सा नः पय वती हामु रामु रां समाम्.. (१) सृ के आ द म उ प एका का उषा ने अंधकार र कर दया था. यह हमारे पूवज के लए ध दे ने वाली ई थी. यह हमारे लए भी ध दे ने वाली हो और अ भमत फल दान करे. (१) यां दे वाः तन द त रा धेनुमुपायतीम्. संव सर य या प नी सा नो अ तु सुम ली.. (२) जस एका का संबंधी रा को धेनु के प म समीप आती ई दे ख कर ह व का भोग दे ने वाले दे वगण, उस क शंसा करते ह. वह एका का रा संव सर क प नी है. वह हमारे लए क याण करने वाली हो. (२) संव सर य तमां यां वा रा युपा महे. सा न आयु मत जां राय पोषेण सं सृज.. (३) हे रा ! तुम संव सर क तमा हो. हम तु हारी उपासना करते ह. तुम हमारे पु , पौ आ द को लंबी आयु वाला बनाओ तथा हम गाय आ द धन से संप करो. (३) इयमेव सा या थमा ौ छदा वतरासु चर त व ा. महा तो अ यां म हमानो अ तवधू जगाय नवग ज न ी.. (४) यह आज क एका क ल णा वह थम उ प उषा है, जस ने सृ के आरंभ म उ प हो कर अंधकार का वनाश कया था. वही उषा इन दखाई दे ने वाली अ य उषा म अनुगत हो कर उ दत होती है. इस उषा म असी मत म हमा है. इस म सूय, अ न और सोम का नवास है. सूय क प नी, यह उषा ा णय को काश दे ती ई सब से उ म रहे. (४) वान प या ावाणो घोषम त ह व कृ व तः प रव सरीणम्. एका के सु जसः सुवीरा वयं याम पतयो रयीणाम्.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे एका क वृ से बने ऊखल! मूसल आ द ने तथा प थर ने संव सर म तैयार होने वाले जौ, धान आ द कूटतेपीटते ए श द कया है. तु हारी कृपा से हम उ म पु , पौ , श शाली सेवक तथा धन के वामी बन. (५) इडाया पदं घृतवत् सरीसृपं जातवेदः त ह ा गृभाय. ये ा याः पशवो व पा तेषां स तानां म य र तर तु.. (६) हे जातवेद अ न! तुम ह हण करो. तु हारी कृपा से ध, घी दे ने वाली गाएं, तेज दौड़ने वाले घोड़े तथा गांव म होने वाले बकरी, भेड़, गधा, ऊंट आ द नाना आकार वाले सात कार के पशु मुझ से ेम रख. (६) आ मा पु े च पोषे च रा दे वानां सुमतौ याम. पूणा दव परा पत सुपूणा पुनरा पत. सवान् य ा संभु तीषमूज न आ भर.. (७) हे रा ! मुझे समृ धन और पु , पौ आ द का वामी बनाओ. तु हारी कृपा से म दे व का भी कृपापा बनूं. हे दव अथात् हवन के साधन पा ! तू ह व से पूण हो कर दे व के पास जा और वहां से हमारे मन चाहे फल ले कर हमारे समीप आ. तू ह व से सभी य का पालन करता आ दे व के पास से अ और बल ला कर हम दान कर. (७) आयमग संव सरः प तरेका के तव. सा न आयु मत जां राय पोषेण सं सृज.. (८) हे एका का! यह संव सर आ गया है. यह तेरा प त है. तू अपने प त संव सर के स हत हमारी संतान को अ धक आयु वाली करती ई हम धन संप बना. (८) ऋतून् यज ऋतुपतीनातवानुत हायनान्. समाः संव सरान् मासान् भूत य पतये यजे.. (९) हे एका का! म वसंत आ द ऋतु को और उन के अ ध ाता दे व को दय के ारा स करता ं. म ऋतु संबंधी, दनरात संबंधी और बारह मास से संबं धत य करता ं. म चराचर ा णय के वामी काल के न म भी तेरे ारा य करता ं. (९) ऋतु य ् वातवे यो मा यः संव सरे यः. धा े वधा े समृधे भूत य पतये यजे.. (१०) हे एका का! म वसंत आ द ऋतु , ऋतु संबंधी दनरात, बारह मास , संव सर के धाता वधाता दे व और सभी चराचर ा णय के वामी काल के न म तेरा य करता ं. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इडया जु तो वयं दे वान् घृतवता यजे. गृहानलु यतो वयं सं वशेमोप गोमतः.. (११) हम गाय के घी से यु ह व के ारा य करते ए दे व को स करते ह. उन दे व क कृपा से हम सभी अ भल षत व तु एवं अनेक गाय से यु घर को ा त कर के उन म सुख से नवास कर. (११) एका का तपसा त यमाना जजान गभ म हमान म म्. तेन दे वा सह त श ून् ह ता द यूनामभव छचीप तः.. (१२) सब क वा मनी एका का ने तप या के ारा म हमा यु इं को ज म दया. इं क सहायता से दे व ने श ु को परा जत कया. शची दे वी के प त वह इं , द यु जन के वनाशक ए. (१२) इ पु े सोमपु े हता स जापतेः. कामान माकं पूरय त गृह्णा ह नो ह वः.. (१३) हे इं और सोम क माता एका का! तू जाप त क पु ी है. तू हमारे ारा द को वीकार करती ई हम सतान तथा पशु से संप बना. (१३)
सू -११
ईहव
दे वता—इं , अ न आ द
मु चा म वा ह वषा जीवनाय कम ातय मा त राजय मात्. ा हज ाह य ेतदे नं त या इ ा नी मुमु मेनम्.. (१) हे ा ध त मनु य! म ह व के अ ारा तुझे उस य मा रोग से मु करता ं जो मेरे जाने बना ही तेरे शरीर म वेश कर गया है. राजा सोम को जस राजय मा ने गृहीत कया था, द घ जीवन के लए उस से भी म तुझे मु करता ं. हे इं और अ न! जस पशा चनी ने इस बालक को पकड़ लया है, आप दोन उस से इस बालक को छु ड़ाइए. (१) य द तायुय द वा परेतो य द मृ योर तकं नीत एव. तमा हरा म नऋते प थाद पाशमेनं शतशारदाय.. (२) यह ा ध त मनु य चाहे ीण आयु वाला हो गया हो अथवा इस लोक को छोड़ कर मृ यु के दे व यमराज के समीप चला गया हो अथात् चाहे उस क च क सा असंभव हो-इस कार के पु ष को भी म मृ यु के पास से वापस ला कर सौ वष जी वत रहने के लए श शाली बनाता ं. (२) सह ा ेण शतवीयण शतायुषा ह वषाहाषमेनम्. इ ो यथैनं शरदो नया य त व य रत य पारम्.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो ह व दे खने क श दान करती है तथा जस से सुनने आ द क सैकड़ श यां ा त होती ह, उस ह व क श से म इस रोगी को मृ यु से लौटा लाया ं. उस ह व म सौ वष जीने का फल दान करने क श है. म ह व के ारा इं को इस कारण स करता ं क ये इस पु ष को सैकड़ वष तक क आयु का वनाश करने वाले पाप से छु टकारा दलाएं. इस कार यह सौ वष तक जी वत रह सके. (३) शतं जीव शरदो वधमानः शतं हेम ता छतमु वस तान्. शतं त इ ो अ नः स वता बृह प तः शतायुषा ह वषाहाषमेनम्.. (४) हे रोग से मु पु ष! तुम त दन वृ ा त करते ए सौ शरद ऋतु , सौ हेमंत ऋतु और सौ वसंत ऋतु तक जी वत रहो. इं , अ न, स वता और बृह प त तु ह सौ वष क आयु दान कर. सैकड़ वष क आयु दान करने वाले ह व के ारा म इसे मृ यु के पास से लौटा लाया ं. (४) वशतं ाणापानावनड् वाहा वव जम्. १ ये य तु मृ यवो याना रतरा छतम्.. (५) हे ाण और अपान वायु! जस कार वृषभ अपनी पशुशाला म वेश करता है, उसी कार तुम इस य रोग से त रोगी के शरीर म वेश करो. इस राजय मा के अ त र , जो मृ यु के हेतु सैकड़ रोग कहे गए ह, वे भी इस रोगी से वमुख हो जाएं. (५) इहैव तं ाणापानौ माप गात मतो युवम्. शरीरम या ा न जरसे वहतं पुनः.. (६) हे ाण और अपान वायु! तुम इस के शरीर म ही रहो, इस के शरीर से अकाल म ही मत नकलो. इस रोगी के शरीर के ह त, चरण आ द अंग को तुम वृ ाव था तक मत यागो. (६) जरायै वा प र ददा म जरायै न धुवा म वा. जरा वा भ ा ने १ ये य तु मृ यवो याना रतरा छतम्.. (७) हे रोग मु पु ष! म तुझे वृ ाव था को दे ता ं अथात् तुझे वृ ाव था तक जी वत रहने वाला बनाता ं. म वृ ाव था तक रोग से तेरी र ा करता ं. वह वृ ाव था तुझे क याण ा त कराए. (७) अ भ वा ज रमा हत गामु ण मव र वा. य वा मृ युर यध जायमानं सुपाशया. तं ते स य य ह ता यामुदमु चद् बृह प तः.. (८) हे रोग मु पु ष! जस कार गभाधान म समथ बैल को र सी से बांधा जाता है, उसी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कार म तुझे वृ ाव था से बांधता ं. अथात् तुझे वृ ाव था तक जी वत रहने वाला बनाता ं. तुझे ज म लेते ही अकाल म मृ यु ने अपने फंदे म कस लया है. उस फंदे को बृह प त ा के हाथ के ारा कटवा द. (८)
सू -१२
दे वता—शाला, वा तो प त
इहैव ुवां न मनो म शालां ेमे त ा त घृतमु माणा. तां वा शाले सववीराः सुवीरा अ र वीरा उप सं चरेम.. (१) म इसी दे श म खंभ आ द के कारण थर रहने वाली शाला बनाता ं. वह शाला मुझे अ भमत फल दे ती ई कुशलतापूवक थर रहे. हे शाला! म अनेक पु पौ , शोभन गुण वाली संतान एवं रोग आ द बाधा से हीन प रवार वाला हो कर तुझ म नवास क ं . (१) इहैव ुवा त त शालेऽ ावती गोमती सूनृतावती. ऊज वती घृतवती पय व यु य व महते सौभगाय.. (२) हे शाला! तू ब त से घोड़ , गाय , य बालक क मधुर वाणी, पया त अ , घृत एवं ध से पूण हो कर इसी दे श म थर हो और हमारे महान क याण के लए य नशील बन. (२) ध य स शाले बृह छ दाः पू तधा या. आ वा व सो गमेदा कुमार आ धेनवः सायमा प दमानाः.. (३) हे शाला! तू ब त से भोग को धारण करने वाली है. अनेक वेद मं से और पके होने के कारण सुगं धत बने व वध कार के अ से यु तुझ म बछड़े और बालक आएं तथा गाएं सं या काल म थन से ध टपकाती ई आएं. (३) इमां शालां स वता वायु र ो बृह प त न मनोतु जानन्. उ तूदना ् म तो घृतेन भगो नो राजा न कृ ष तनोतु.. (४) इं और बृह प त खंभ को था पत कर के इस शाला का नमाण कर. म त् इस शाला को जल से स च तथा भग दे व इस के आसपास क भू म को कृ ष के यो य बनाएं. (४) मान य प न शरणा योना दे वी दे वे भ न मता य े. तृणं वसाना सुमना अस वमथा म यं सहवीरं र य दाः.. (५) हे शाला! तू धा य आ द का पोषण करने वाली, सुखकरी, र का एवं तेज वनी है. दे व ने सृ के आरंभ म तेरा नमाण कया था. तनक से ढक ई तू उ म आशा वाली हो कर हम पु , पौ आ द से यु धन दान कर. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ऋतेन थूणाम ध रोह वंशो ो वराज प वृङ् व श ून्. मा ते रष ुपस ारो गृहाणां शाले शतं जीवेम शरदः सववीराः.. (६) हे बांस! तू बाधाहीन प से इस शाला के खंभे के प म खड़ा रह तथा श शाली बन कर वराजता आ हमारे श ु को यहां से र भगा. हे शाला! तेरे आवास म नवास करने वाल क हसा न हो. हम अ भल षत पु और पौ से यु हो कर सौ वष तक जी वत रह. (६) एमां कुमार त ण आ व सो जगता सह. एमां प र ुतः कु भ आ द नः कलशैरगुः.. (७) युवक पु और गाय के स हत बछड़े इस शाला म आएं. टपकने वाले शहद तथा दही के कलश भी इस शाला म आएं. (७) पूण ना र भर कु भमेतं घृत य धाराममृतेन संभृताम्. इमां पातॄनमृतेना समङ् धी ापूतम भ र ा येनाम्.. (८) हे ी! तू अमृत के समान जल से यु शहद, घी आ द क धारा बहाती ई जल से भरे घड़े को ले कर इस शाला म आ तथा इस घट को अमृत के समान जल से पूण कर. इस शाला म कए जाने वाले ौत और मात कम चोर , अ न आ द से हमारी र ा कर. (८) इमा आपः भरा यय मा य मनाशनीः. गृहानुप सीदा यमृतेन सहा नना.. (९) म य मा रोग से र हत और अपने सेवक के य मा रोग का वनाश करने वाले जल से पूण कलश को शाला म लाता ं. इस के साथ ही म कभी न बुझने वाली अ न को भी लाता ं. (९)
सू -१३
दे वता— सधु, जल, व ण
यददः सं यतीरहावनदता हते. त मादा न ो ३ नाम थ ता वो नामा न स धवः.. (१) हे जल! मेघ के ारा ता ड़त हो कर इधरउधर गमन करने और नाद करने के कारण तु हारा नाम नद आ है. हे बहने वाले जल! तु हारे उदक आ द अ य नाम भी इसी कार साथक ह. (१) यत् े षता व णेना छ भं समव गत. तदा ो द ो वो यती त मादापो अनु न.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
राजा व ण के ारा े रत होने के तुरंत बाद तुम एक हो कर नृ य करने लगे थे. उस समय तु ह इं ा त ए थे. इस कारण तु हारा नाम आप आ. (२) अपकामं य दमाना अवीवरत वो ह कम्. इ ो वः श भदवी त माद् वानाम वो हतम्.. (३) बना कसी कामना के बहने वाले तु हारा वरण इं ने अपनी श ड़ा करने वाले जल! इस कारण तु हारा नाम वा र पड़ा. (३)
से कया था. हे
एको वो दे वो ऽ य त त् य दमाना यथावशम्. उदा नषुमही र त त मा दकमु यते.. (४) अकेले इं ने इ छानुसार इधरउधर बहने वाले तु ह त त कया था. इं से स मा नत हो कर तुम ने अपने को महान समझ लया. इस कारण तु ह उदक कहा जाता है. (४) आपो भ ा घृत मदाप आस नीषोमौ ब याप इत् ताः. ती ो रसो मधुपृचामरंगम आ मा ाणेन सह वचसा गमेत्.. (५) क याण करने वाला जल ही घृत आ. अ न म हवन कया आ घृत ही जल बन जाता है. जल ही अ न और सोम को धारण करता है. इस कार के जल का मधुर रस कभी ीण न होने वाले बल के साथ मुझे ा त हो. (५) आ दत् प या युत वा शृणो या मा घोषो ग छ त वाङ् मासाम्. म ये भेजानो अमृत य त ह हर यवणा अतृपं यदा वः.. (६) इस के प ात म दे खता ं और सुनता ं क बोले जाते ए श द मेरी वाणी को ा त हो रहे ह. म क पना करता ं क उन जल के आने से ही मुझे अमृत ा त आ है. हे सुनहरे रंग वाले जलो! तु हारे सेवन से म तृ त हो गया ं. (६) इदं व आपो दयमयं व स ऋतावरीः. इहे थमेत श वरीय द े ं वेशया म वः.. (७) हे जलो! यह सोना तु हारा दय है और यह मेढक तु हारा बछड़ा है. हे अ भमत फल दे ने म समथ जलो! इस खोदे गए थान म मेढक के ऊपर फक ई अबका घास उग आती है, उसी कार तुम इस म थर वाह वाले बनो. म इस खोदे गए थान म तु ह व कराता ं. (७)
सू -१४
दे वता—गो , अयमा आ द
सं वो गो ेन सुषदा सं र या सं सुभू या. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अहजात य य ाम तेना वः सं सृजाम स.. (१) हे गायो! म तु ह सुखपूण गोशाला से यु करता ं तथा तु ह आहार करता ं. म तु ह पु , पौ आ द संतान से यु करता ं. (१)
पी धन दान
सं वः सृज वयमा सं पूषा सं बृह प तः. स म ो यो धन यो म य पु यत यद् वसु.. (२) हे गायो! अयमा, उषा एवं धन जीतने वाले इं तु ह उ प अपने ध, घी आ द धन से मुझे पु करो. (२)
कर. इस के प ात तुम
संज माना अ ब युषीर मन् गो े करी षणीः. ब तीः सो यं म वनमीवा उपेतन.. (३) हे गायो! मेरी इस गोशाला म तुम पु , पौ आ द संतान से यु तथा चोर, बाघ आ द के भय से र हत हो कर नवास करो. गोबर दे ने वाली तथा रोग र हत और अमृत के समान ध धारण करने वाली तुम मुझे ा त होओ. (३) इहैव गाव एतनेहो शकेव पु यत. इहैवोत जाय वं म य सं ानम तु वः.. (४) हे गायो! तुम मेरी गोशाला म आओ. म खी जस कार संतान वृ करती ई, ण भर म अग णत हो जाती है, उसी कार तुम भी अ धक संतान वाली बनो. तुम इसी गोशाला म पु पौ को ज म दो और मुझ साधक के त ेम रखो. (४) शवो वो गो ो भवतु शा रशाकेव पु यत. इहैवोत जाय वं मया वः सं सृजाम स.. (५) हे गायो! तु हारे रहने का थान सुखमय हो. तुम ण म हजार के प म बढ़ने वाले शा रशाक जीव के समान मेरी पशुशाला म ही समृ बनो. तुम यह संतान उ प करो. म तु ह अपने से यु करता ं. (५) मया गावो गोप तना सच वमयं वो गो इहं पोष य णुः. राय पोषेण ब ला भव तीज वा जीव ती प वः सदे म.. (६) हे गायो! तुम मुझ गो वामी क गोशाला म आओ. यह गोशाला तु हारा पोषण करने वाली है. चारे पी धन के कारण अन गनत होती ई तुम चरकाल तक मुझ चरजीवी के साथ रहो. (६)
सू -१५
दे वता—इं , अ न
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इ महं व णजं चोदया म स न ऐतु पुरएता नो अ तु. नूद रा त प रप थनं मृगं स ईशानो धनदा अ तु म म्.. (१) य करने वाला म इं को वा ण य करने वाला समझ कर तु त करता ं. वे इं यहां आएं और मेरे स मुख ह . इं मेरे वा ण य म बाधा प ंचाने वाले श ु तथा माग रोकने वाले चोर और बाघ क हसा करते ए अ सर ह तथा मुझ ापारी को धन दे ने वाले बन. (१) ये प थानो बहवो दे वयाना अ तरा ावापृ थवी संचर त. ते मा जुष तां पयसा घृतेन यथा वा धनमाहरा ण.. (२) ापार के जो ब त से माग ह और धरती तथा आकाश के म य म लोग जन माग पर गमन करते ह, वे माग घी, ध से हमारी सेवा कर, जस से हम ापार कर के लाभ स हत मूल धन ले कर अपने घर आ सक. (२) इ मेना न इ छमानो घृतेन जुहो म ह ं तरसे बलाय. यावद शे णा व दमान इमां धयं शतसेयाय दे वीम्.. (३) हे अ न! ापार से लाभ क कामना करता आ म शी गमन क श पाने के न म घी के साथ ह क आ त दे ता ं. म मं से तु हारी तु त करता आ अपनी वहार कुशल बु को असं य धन वाला होने के लए होम म लगाता ं. (३) इमाम ने शर ण मीमृषो नो यम वानमगाम रम्. शुनं नो अ तु पणो व य तपणः फ लनं मा कृणोतु. इदं ह ं सं वदानौ जुषेथां शनुं नो अ तु च रतमु थतं च.. (४) हे अ न! हम से र तक चलने से जो हसा ई है और हमारे त का लोप आ है, उसे मा करो. ापार क व तु का य और व य दोन ही मुझे लाभकारी ह . हे इं और अ न! तुम एकमत हो कर इस ह को वीकार करो. तुम दोन क कृपा से मेरा य व य और उस से लाभ के प म ा त धन मेरे लए सुखकारी हो. (४) येन धनेन पणं चरा म धनेन दे वा धन म छमानः. त मे भूयो भवतु मा कनीयो ऽ ने सात नो दे वान् ह वषा न षेध.. (५) हे दे वो! जस मूल धन से लाभ पी धन क इ छा करता आ म ापार करता ं, वह मेरे लए सुखकारी हो. हे अ न! इस हवन कए जाते ए ह से लाभ म बाधा डालने वाले दे व को संतु कर के रोको. हे दे वो, तु हारे भाव से मेरा धन बढ़े , कम न हो. (५) येन धनेन पणं चरा म धनेन दे वा धन म छमानः. त मन् म इ ो चमा दधातु जाप तः स वता सोमो अ नः.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जस मूल धन से म लाभ पी धन क इ छा करता आ ापार करता ,ं इं , स वता, सोम, जाप त और अ न दे व मेरा मन उस धन क ओर े रत कर. (६) उप वा नमसा वयं होतव ानर तुमः. स नः जा वा मसु गोषु ाणेषु जागृ ह.. (७) हे दे व का आ ान करने वाले अ न दे व! हम ह ले कर तु हारी तु त करते ह. तुम हमारे पु , पौ , गाय और ाण क र ा के लए सावधान रहो. (७) व ाहा ते सद म रेमा ायेव त ते जातवेदः. राय पोषेण स मषा मद तो मा ते अ ने तवेशा रषाम.. (८) हे जातवेद अ न! हमारे घर म न य नवास करने वाले तु ह हम त दन उसी कार ह व दे ते ह, जस कार हम अपने घर म रहने वाले घोड़े को समयसमय पर घास आ द खलाते ह. हे अ न! तु हारे सेवक हम धन और अ क समृ से स होते ए कभी न न ह . (८)
सू -१६
दे वता—इं , अ न
ातर नं ात र ं हवामहे ात म ाव णा ातर ना. ातभगं पूषणं ण प त ातः सोममुत ं हवामहे.. (१) हम श और बु उषा, बृह प त, सोम और
ा त करने के न म ातःकाल अ न, इं , म , व ण, भग, का आ ान करते ह. (१)
ात जतं भगमु ं हवामहे वयं पु म दतेय वधता. आ द् यं म यमान तुर द् राजा चद् यं भगं भ ी याह.. (२) जो आ द य वषा आ द के ारा सब के धारण कता और पोषण करने वाले ह. द र भी ज ह अपने अ भमत फल का साधन जानता आ पूजा करता है तथा राजा भी ज ह पूजने का इ छु क रहता है, हम ातःकाल उन अ द त पु एवं अपरा जत श वाले सूय का आ ान करते ह. (२) भग णेतभग स यराधो भगेमां धयमुदवा दद ः. भग णो जनय गो भर ैभग नृ भनृव तः याम.. (३) हे सूय! तुम सारे जगत् के नेता हो. तु हारा धन कभी न नह होता. हमारी तु त को तुम सफल करो. हे भग! हम गाय और घोड़ से संप करो. हम पु , पौ , सेवक आ द मनु य वाले बन. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उतेदान भगव तः यामोत प व उत म ये अ ाम्. उतो दतौ मघव सूय य वयं दे वानां सुमतौ याम.. (४) इस कम का अनु ान करने के समय हम भग दे व क कृपा पा कर धन और सौभा य वाले रह. हे इं ! हम ातःकाल, म या , सं या के समय सूय, अ न आ द दे व क कृपा ा त करते रह. (४) भग एव भगवाँ अ तु दे व तेना वयं भगव तः याम. तं वा भग सव इ जोहवी म स नो भग पुरएता भवेह.. (५) भग दे व ही धनवान ह. उन क कृपा से हम धन के वामी ह. हे भग! इस कार के तु ह सभी लोग बुलाते ह. इस ापार म तुम हमारे आगे चलने वाले बनो. (५) सम वरायोषसो नम त द ध ावेव शुचये पदाय. अवाचीनं वसु वदं भगं मे रथ मवा ा वा जन आ वह तु.. (६) जस कार सवार के पीठ पर बैठ जाने के बाद घोड़ा चलने के लए तैयार हो जाता है, उसी कार उषा दे वी धन दे ने वाले भग दे व को मेरे य म लाने के लए तुत ह . तेजी से दौड़ने वाले घोड़े जस कार रथ को ले जाते ह, उसी कार उषा दे वी भग दे व को मेरे पास ले आएं. (६) अ ावतीग मतीन उपासो वीरवतीः सदमु छ तु भ ाः. घृतं हाना व तः पीता यूयं पात व त भः सदा नः.. (७) हे उषा दे वी! ब त से अ , गाय , पु पौ आ द से यु एवं क याण का रणी बन कर सदा हमारे लए उ दत ह . हे उषा दे वी! तुम जल दान करती ई तथा सम त गुण से यु हो कर अपने अ वनाशी धन से हमारी सदा र ा करो. (७)
दे वता—सीता
सू -१७ सीरा यु त कवयो युगा व त वते पृथक्. धीरा दे वेषु सु नयौ.. (१)
बु मान लोग बैल को हल म जोतते ह. दे व को सुखकर अ बैल के कंध पर जुआ रखते ह. (१)
ा त क इ छा से वे
युन सीरा व युगा तनोत कृते योनौ वपतेह बीजम्. वराजः ु ः सभरा अस ो नेद य इत् सृ यः प वमा यवन्.. (२) हे कसानो! हल को जु
से यु
करो और जु
को बैल के कंध पर था पत करो.
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अंकुर उगने यो य इस जुते ए खेत म गे ं, जौ आ द बीज को बोओ. हमारे अ के पौधे दान के भार वाले ह . शी ही वे पौधे पक कर दरांती का पश पाने यो य हो जाएं. (२) ला लं पवीरवत् सुशीमं सोमस स . उ दद् वपतु गाम व थावद् रथवाहनं पीबर च फ म्.. (३) लोहे के फाल वाला हल कृ ष यो य खेत को सुख दे ता है. गे ं, जौ आ द धा य क उ प का कारण होने से यह हल सोमयाग का कता है. हल का भाग फाल भू म के भीतर रह कर ग त करता है. यह हल गाय आ द पशु क समृ का कारण बने. (३) इ ः सीतां न गृहणातु ् तां पूषा भ र तु. सा नः पय वती हामु रामु रां समाम्.. (४) इं हल ारा खेत म बनाई गई रेखा अथात् कूंड़ को हण कर तथा पूषा दे व उस क र ा कर. हल से जुती ई भू म हम अ भमत फल दे ने वाली बन कर सभी वष म जौ, गे ं आ द अ दे . (४) शुनं सुफाला व तुद तु भू म शुनं क नाशा अनु य तु वाहान्. शुनासीरा ह वषा तोशमाना सु प पला ओषधीः कतम मै.. (५) सुंदर फाल अथात् हल के लोहे वाले भाग हम सुख दे ते ए भू म को जोत. कसान हम सुख दे ते ए बैल के पीछे चल. हे सूय और वायु! तुम हमारे ारा दए गए ह व से संतु होते ए इस यजमान के लए जौ, गे ं आ द के पौध को शोभन बा लय से यु करो. (५) शुनं वाहाः शुनं नरः कृषतु ला लम्. शुनं वर ा ब य तां शुनम ामु द य.. (६) बैल और कसान सुखपूवक हल जोत. हल सुखपूवक धरती को फाड़े. र सयां सुखपूवक बांधी जाएं. हे शुनः अथात् वायु दे व! तुम बैल के हांकने के लए यु होने वाले चाबुक को सुखपूवक ेरणा दो. (६) शुनासीरेह म मे जुषेथाम्. यद् द व च थुः पय तेनेमामुप स चतम्.. (७) हे सूय और वायु दे व! तुम इस खेत म मेरा ह व हण करो. सूय और वायु दोन ने आकाश म बादल के प म जो जल प ंचाया है, उस से वषा के प म इस जुती ई भू म को स च . (७) सीते व दामहे वावाची सुभगे भव. यथा नः सुमना असो यथा नः सुफला भुवः.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे जुती ई भू म! हम तुझे नम कार करते ह. हे सुंदर भा य वाली भू म! तू हमारे अनुकूल बन. तू जस कार से हमारे अनुकूल मन वाली हो, उसी कार हम शोभन फल दे ने वाली हो जा. (८) घृतेन सीता मधुना सम ा व ैदवैरनुमता म ः. सा नः सीते पयसा याववृ वोज वती घृतवत् प वमाना.. (९) हे जुती ई भू म! तू मधुर वाद वाले जल से भली कार सची ई हो कर तथा व े दे व और म त ारा अनुम त पा कर जल स हत हमारे सामने आ. तू श संप हो कर घी से मले ए अ को स चने वाली है. (९)
दे वता—वन प त
सू -१८ इमां खना योष ध वी धां बलव माम्. यया सप न बाधते यया सं व दते प तम्.. (१)
पाठा नाम क इस लता पी जड़ीबूट को म खोदता ं जो सभी जड़ीबू टय से अ धक बलवान है. इस जड़ीबूट के ारा सौत को बाधा प ंचती है तथा इसे धारण करने वाली ी प त को ा त करती है. (१) उ ानपण सुभगे दे वजूते सह व त. सप न मे परा णुद प त मे केवलं कृ ध.. (२) हे ऊपर क ओर मुख वाले प से यु जड़ीबूट पाठा! तू इं आ द दे व क कृपा से मुझे ा त ई है. तू मेरी सौत को परा जत करने वाली है. तू मेरी सौत को मेरे प त से र ले जा और मेरे प त को केवल मेरा बना. (२) न ह ते नाम ज ाह नो अ मन् रमसे पतौ. परामेव परावतं सप न गमयाम स.. (३) हे सौत! म तेरा नाम कभी नह लेना चाहती. मेरे प त के साथ तू रमण मत कर. म तुझे ब त र भेज रही ं. (३) उ राहमु र उ रे
रा यः. अधः सप नी या ममाधरा साधरा यः.. (४)
हे सभी जड़ीबू टय म े पाठा! म अ धक े बनूं. लोक म जो अ धक े यां ह, म उन से भी अ धक े बनूं. मेरी जो सौत है, वह अ त नीच ना रय से भी नीच बने. (४) अहम म सहमानाथो वम स सास हः. उभे सह वती भू वा सप न मे सहावहै.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे पाठा नामक जड़ीबूट ! म तेरी कृपा से अपनी सौत को परा जत करने वाली बनूं और तू भी श ु का तर कार करने म समथ हो. इस कार हम दोन श ु को परा जत करने वाली बन. म अपनी सौत को परा जत क ं . (५) अ भ ते ऽ धां सहमानामुप ते ऽ धां सहीयसीम्. मामुन ते मनो व सं गौ रव धावतु पथा वा रव धावतु.. (६) हे सौत! म तेरे पलंग के चार ओर तथा पलंग के ऊपर इस परा जत करने वाली पाठा नाम क जड़ीबूट को रखती ं. थन से ध टपकाती ई गाय जस कार बछड़े क ओर दौड़ती है तथा जल जस कार नीचे क ओर बहता है, उसी कार तू मेरे पीछे पीछे चल. (६)
सू -१९
दे वता—इं
सं शतं म इदं सं शतं वीय १ बलम्. सं शतं मजरम तु ज णुयषाम म पुरो हतः.. (१) मेरा ा ण व जा त से प तत करने वाले दोष का वनाश करने म बल हो. मं के भाव से उ प मेरी श और मेरा शारी रक बल अमोघ अथात् कभी असफल न होने वाला बने. म जस का पुरो हत ,ं वह य जा त जय ा त करने वाली तथा वृ ाव था से र हत बने. (१) समहमेषां रा ं या म समोजो वीय १ बलम्. वृ ा म श ूणां बा ननेन ह वषाहम्.. (२) म जस राजा के रा य म नवास करता ,ं उस रा य को म समृ बनाता ं. म अपने मं के भाव से अपने राजा को शारी रक श तथा हाथी, घोड़ा आ द से यु बनाता ं. अ न म हवन कए जाते ए इस ह व के ारा म अपने राजा के श ु क भुजा को छ भ करता ं. (२) नीचैः प तामधरे भव तु ये नः सू र मघवानं पृत यान्. णा म णा म ानु या म वानहम्.. (३) हमारे राजा काय और अकाय को जानने वाले तथा अ धक धन वाले ह. जो श ु हमारे ऐसे राजा को परा जत करने क इ छा से सेना एक करते ह, हमारे राजा के वे श ु नीचे क ओर मुंह कर के गर और पैर से कुचले जाएं. इस योजन क स के न म म असफल न होने वाले मं के ारा अपने राजा के श ु को ीण करता ं और अपने राजा को वजय दलाता ं. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ती णीयांसः परशोर ने ती णतरा उत. इ य व ात् ती णीयांसो येषाम म पुरो हतः.. (४) म जन राजा का पुरो हत ं, वे तेज धार वाले फरसे से भी अ धक श ु के छे दन म समथ ह तथा अ न से अ धक श ु सेना को भ म करने वाले बन. वे राजा इं के व से भी अ धक ती ण बन अथात् उन क ग त कह के नह . (४) एषामहमायुधा सं या येषां रा ं सुवीरं वधया म. एषां मजरम तु ज वे ३ षां च ं व े ऽ व तु दे वाः.. (५) म अपने राजा के आयुध को तेज धार वाला बनाता ं तथा इन के रा य को शोभन वीर से यु करता ं. इन का शारी रक बल, बुढ़ापे से र हत तथा श ु को जीतने वाला हो. इन के यु ो मुख मन क सभी दे व र ा करे. (५) उ ष तां मघवन् वा जना युद ् वीराणां जयतामेतु घोषः. पृथग् घोषा उलुलयः केतुम त उद रताम्. दे वा इ ये ा म तो य तु सेनया.. (६) हे इं ! तु हारी कृपा से हमारी हा थय , घोड़ और रथ वाली सेना यु म ह षत रहे. वजय ा त करने वाले हमारे वीर का जयघोष श ु के कान को बहरा बनाता आ उठे . सब से पृथक् एवं सभी के ारा जाने गए जयघोष फैल. इं जन म सब से बड़े ह, ऐसे म त् यु म हमारी सहायता करने के लए अपनी सेना ले कर आएं. (६) े ा जयता नर उ ा वः स तु बाहवः. त ती णेषवो ऽ बलध वनो हतो ायुधा अबलानु बाहवः.. (७) हे सै नको! यु भू म क ओर बढ़ो तथा दे व क कृपा से श ु पर वजय ा त करो. तेज धार वाले आयुध को धारण करने वाली तु हारी भुजाएं श शा लनी बन और श र हत आयुध को धारण करने वाले तथा बलहीन श ु का वनाश कर. (७) अवसृ ा परा पत शर े सं शते. जया म ान् प व ज ेषां वरंवरं मामीषां मो च क न.. (८) हे बाण! तू मं के ारा ती ण बनाया गया है तथा श ु के वनाश म कुशल है. तू हमारे धनुष से छू ट कर श ु सेना क ओर जा कर गर और उन के शरीर म वेश कर के उन क उ म सेना का वनाश कर. श ु सै नक म से कोई भी बचने न पाए. (८)
सू -२०
दे वता—अ न
अयं ते यो नऋ वयो यतो जातो अरोचथाः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तं जान न आ रोहाधा नो वधया र यम्.. (१) हे अ न दे व! यह अर ण अथवा यजमान तेरी उ प का कारण बने. जस से उ प हो कर तुम द त होते हो, अपने उस उ प कारण को जानते ए उस म वेश करो. इस के प ात तुम हमारे धन क वृ करो. (१) अ ने अ छा वदे ह नः यङ् नः सुमना भव. णो य छ वशां पते धनदा अ स न वम्.. (२) हे अ न दे व! हमारे सामने हो कर हम ा त होने वाले फल को य कहो तथा हमारे सामने आ कर स मन वाले बनो. हे वै ानर प से जापालक अ न! हम अपे त धन दान करो, य क तुम ही हमारे धनदाता हो. (२) णो य छ वयमा भगः बृह प तः. दे वीः ोत सूनृता र य दे वी दधातु मे.. (३) अयमा, भग और बृह प त दे व, हम धन दान कर. इं ाणी आ द दे वयां तथा वाणी वाली सर वती दे वी हम धन दान कर. (३)
य
सोमं राजानमवसे ऽ नं गी भहवामहे. आ द यं व णुं सूय ाणं च बृह प तम्.. (४) हम तेज वी सोम और अ न को तु त पी वचन के ारा यहां बुलाते ह. वे हमारा मनचाहा फल दे कर हमारी र ा कर. हम अ द त के पु , म और व ण को, सब के ेरक सूय को तथा इन सभी दे व को बनाने वाले ा को तथा दे व के हतकारक बृह प त को बुलाते ह. (४) वं नो अ ने अ न भ य ं च वधय. वं नो दे व दातवे र य दानाय चोदय.. (५) हे अ न! तुम अ य अ नय के साथ मल कर हमारी मं वाली तु त को और तु तय ारा सा य य को सफल करो. हे अ न दे व! ह व दे ने वाले हमारे यजमान को हम धन दे ने के लए े रत करो. (५) इ वायू उभा वह सुहवेह हवामहे. यथा नः सव इ जनः संग यां सुमना असद् दानकाम नो भुवत्.. (६) इं और अ न सुखपूवक बुलाए जा सकते ह, इस लए हम इस य म उन का आ ान करते ह. हम इस कारण उन का आ ान करते ह क हमारे सभी जन उन क संग त से शोभन मन वाले बन तथा हम दान दे ने क इ छा करे. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अयमणं बृह प त म ं दानाय चोदय. वातं व णुं सर वत स वतारं च वा जनम्.. (७) हे तोता! तुम अयमा, बृह प त, इं , वाणी हम धन दे ने के लए े रत करो. (७)
पी सर वती एवं वेग वाले स वता दे व को
वाज य नु सवे सं बभू वमेमा च व ा भुवना य तः. उता द स तं दापयतु जानन् र य च नः सववीरं न य छ.. (८) हम अ उ प करने वाले कम को शी ा त करे. दखाई दे ने वाले सभी ाणी वाज सव अथात् वृ ारा अ पैदा करने वाले दे व के म य नवास करते ह. सभी ा णय के दय के अ भ ाय को जानने वाले वाज- सव दे व दान न करने वाले मुझ पु ष को धन दान करने क ेरणा द तथा हमारे धन को पु , पौ आ द से यु कर. (८) ां मे प च दशो ामुव यथाबलम्. ापेयं सवा आकूतीमनसा दयेन च.. (९) पूव, प म, उ र, द ण एवं इन क म यवत दशा—इस कार पांच दशाएं, पृ वी, आकाश, दन, रात, जल, तथा जड़ीबू टयां मुझे अ भमत फल द. म दय और अंतःकरण से उ प संक प को ा त क ं . (९) गोस न वाचमुदेयं वचसा मा यु द ह. आ धां सवतो वायु व ा पोषं दधातु मे.. (१०) म सभी कार के धन दे ने वाली वाणी का उ चारण करता ं. हे वाणी पी दे वी! तुम अपने तेज से मेरा मनचाहा फल दे ने के लए आओ. वायु सभी ओर से मेरे ाण को आ छा दत करे तथा व ा दे व मेरे शरीर को पु बनाएं. (१०)
सू -२१
दे वता—अ न
ये अ नयो अ व १ तय वृ े ये पु षे ये अ मसु. य आ ववेशोषधीय वन पत ते यो अ न यो तम वेतत्.. (१) मेघ म रहने वाली व ुत पी अ न को, जल म वाडव के प म नवास करने वाली अ न को, मनु य के शरीर म वै ानर के प म रहने वाली अ न को, सूयकांत आ द म णय म गे ,ं जौ, आ द फसल म तथा वृ म रहने वाली अ न को यह ह व ा त हो. (१) यः सोमे अ तय गो व तय आ व ो वयःसु यो मृगेषु. य आ ववेश पदो य तु पद ते यो अ न यो तम वेतत्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो अ न सोमलता म अमृत रस का प रपाक करने के लए रहती है, जो अ न गाय, भस आ द पशु म नवास कर के उन के ध को प रप व करती है, जो अ न प य और पशु म व है तथा जो अ न मनु य और चौपाय म ा त है. मेरे ारा दया आ ह व उसे ा त हो. (२) य इ े ण सरथं या त दे वो वै ानर उत व दा ः. यं जोहवी म पृतनासु सास ह ते यो अ न यो तम वेतत्.. (३) दान आ द गुण वाले जो अ न दे व इं के साथ एक रथ म बैठ कर गमन करते ह, जो अ न मनु य म वै ानर तथा व को जलाने वाले दावा न ह, जो अ न दे व यु म श ु को परा जत करने वाले ह, उन सभी अ नय को मेरा ह व ा त हो. (३) यो दे वो व ाद् यमु काममा य दातारं तगृह्ण तमा ः. यो धीरः श ः प रभूरदा य ते यो अ न यो तम वेतत्.. (४) जो अ न दे व सब का भ ण करने वाले ह, ज ह कामना करने यो य तथा मनचाहा फल दे ने वाला कहा जाता है, जो अ न दे व, बु मान, सभी काय करने म समथ, श ु को परा जत करने वाले तथा कसी से परा जत न होने वाले ह, उ ह मेरी आ त ा त हो. (४) यं वा होतारं मनसा भ सं व योदश भौवनाः प च मानवाः. वच धसे यशसे सूनृतावते ते यो अ न यो तम वेतत्.. (५) जस से ाणी स ा ा त करते ह, उस संव सर के तेरह महीने, मनु के ारा सृ क आ द म क पत वसंत, ी म, वषा, शरद, हेमंत, पांच ऋतुएं तु ह दे व का आ ान करने वाला जानते ह, उस तेज वी, यश वी और य वाणी वाले अ न को यह ह व ा त हो. (५) उ ा ाय वशा ाय सोमपृ ाय वेधसे. वै ानर ये े य ते यो अ न यो तम वेतत्.. (६) वृषभ जन के ह व पी अ ह, बांझ गाएं जन का ह व ह, सोम जन क पीठ पर रहता है तथा जो आ त के ारा सारे जगत् के वधाता ह और वै ानर अ न जन म सब से बड़े ह, उन सभी अ नय को मेरा ह ा त हो. (६) दवं पृ थवीम व त र ं ये व त ु मनुसंचर त. ये द व १ तय वाते अ त ते यो अ न यो तम वेतत्.. (७) जो अ न दे व आकाश, पृ वी और इन के म य भाग म ा त ह, जो बादल म थत बजली म संचरण करते ह, जो अ न तीन लोक म ा त दशा म वतमान ह तथा सारे जगत् के आधार वायु म संचरण करते ह, उन सभी को मेरी आ त ा त हो. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हर यपा ण स वतार म ं बृह प त व णं म म नम्. व ान् दे वान रसो हवामह इमं ादं शमय व नम्.. (८) तोता को दे ने के लए जन के हाथ म सुवण रहता है, ऐसे स वता, बृह प त, व ण, इं तथा अ न का और व े दे व का म अं गरा ऋ ष आ ान करता ं. वे इस मांस खाने वाली अ न को शांत कर. (८) शा तो अ नः अथो यो व दा
ा छा तः पु षरेषणः. १ तं ादमशीशमम्.. (९)
मांस भ क अ न स वता आ द दे व क कृपा से शांत ह . पु ष क हसा करने वाली अ न भी सुखकारी ह . जो सब को जलाने वाली और मांस भ क अ न है, उस को म ने शांत कर दया है. (९) ये पवताः सोमपृ ा आप उ ानशीवरीः. वातः पज य आद न ते ादमशीशमन्.. (१०) सोमलता जन के ऊपर वतमान है, ऐसे मुंजवान आ द पवत के ऊपर शयन करने वाले जल, वायु और बादल ने मांसभ क अ न को शांत कर दया है. (१०)
सू -२२
दे वता— व े दे व
ह तवचसं थतां बृहद् यशो अ द या यत् त वः संबभूव. तत् सव सम म मेतद् व े दे वा अ द तः सजोषाः.. (१) हम म हाथी के समान अपराजेय एवं स बल हो. दे वमाता अ द त के शरीर से जो महान एवं स तेज उ प आ है, सभी दे व, अ द त के साथ मल कर मुझे वह तेज और यश दान कर. (१) म व ण े ो चेततु. दे वासो व धायस ते मा तु वचसा.. (२) दन के वामी इं , रा के वामी व ण, वग के अ धप त इं और सब का संहार करने वाले मुझे अनु ह करने यो य समझ. सारे संसार का पोषण करने वाले म आ द दे व मुझे तेज वी बनाएं. (२) येन ह ती वचसा संबभूव येन राजा मनु ये व व १ तः. येन दे वा दे वताम आयन् तेन माम वचसा ने वच वनं कृणु.. (३) जस तेज से हाथी वशालकाय बनता है, जस तेज से राजा मनु य म तेज वी होता है, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जस तेज से जल म ाणी तेज वी बनते ह अथवा जस तेज से आकाश म गंधव आ द तेज वी बनते ह तथा सृ के आ द म जस तेज के कारण इं आ द ने दे व व ा त कया, हे अ न, उस संपूण तेज से इस समय मुझे तेज वी बनाओ. (३) यत् ते वच जातवेदो बृहद् भव या तेः. यावत् सूय य वच आसुर य च ह तनः. ताव मे अ ना वच आ ध ां पु कर जा.. (४) हे ज म लेने वाले ा णय के ाता तथा आ तय ारा हवन कए जाते ए अ न दे व! तुम म जतना तेज है, सूय म जतना तेज है तथा असुर के हाथ म जतना तेज है, उतना ही तेज कमल क माला से सुशो भत अ नीकुमार मुझ म धारण कर. (४) याव चत ः दश ुयावत् सम ुते. तावत् समै व यं म य त तवचसम्.. (५) चार दशाएं जतने थान को ा त करती ह तथा प को हण करने वाले ने जतने न को दे खते ह, परम ऐ य वाले इं का असाधारण च तथा पूव दे व का तेज हम ा त हो. (५) ह ती मृगाणां सुषदाम त ावान् बभूव ह. त य भगेन वचसा ऽ भ ष चा म मामहम्.. (६) वन म वे छा से रहने वाले ह रण आ द पशु के म य जंगली हाथी अपने बल क अ धकता के कारण राजा होता है. उस हाथी के भा य पी तेज से म अपनेआप को स चता ं. (६)
सू -२३
दे वता—यो न
येन वेहद् बभू वथ नाशयाम स तत् वत्. इदं तद य वदप रे न द म स.. (१) हे ी! जस पाप से ज नत रोग के कारण तू बांझ ई है, उस पाप को हम तुझ से र करते ह. यह पाप रोग तुझे बारा न हो जाए, इस लए हम इसे र दे श म प ंचाते ह. (१) आ ते यो न गभ एतु पुमान् बाण इवेषु धम्. आ वीरो ऽ जायतां पु ते दशमा यः.. (२) हे ी! बाण जस कार वाभा वक प से तरकश म प च ं जाता है, उसी कार पु ष के वीय से यु गभ तेरे जननांग म प ंचे. वह गभ दस मास के प ात पु के प म प रव तत हो कर तथा सश बन कर ज म ले. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पुमांसं पु ं जनय तं पुमाननु जायताम्. भवा स पु ाणां माता जातानां जनया यान्.. (३) हे ी! तू पु को ज म दे . उस पु क प नी से पु ही उ प हो. इस कार अ व छ प से उ प पु क भी तू माता होगी. उन के जो पु ह गे, उन क भी तू माता होगी. (३) या न भ ा ण बीजा यृषभा जनय त च. तै वं पु ं व द व सा सूधनुका भव.. (४) हे नारी! बैल जस कार अपने अमोघ वीय से गाय म बछड़े उ प करता है, उसी कार तू अमोघ वीय से उ प पु को ा त कर. तू सूता हो कर पु के साथ वृ को ा त हो. (४) कृणो म ते ाजाप यमा यो न गभ एतु ते. व द व वं पु ं ना र य तु यं शमस छमु त मै वं भव.. (५) हे ी! ा ने वृषभ संबंधी जो व था क है, उस के अनुसार म तेरे लए संतानो प संबंधी कम करता ं. गभ तेरी यो न म जाए. उस के प ात तू पु ा त करे, वह पु तेरे लए सुख दान करे तथा तू भी उस के लए सुख का कारण बने. (५) यासां ौ पता पृ थवी माता समु ो मूलं वी धां बभूव. ता वा पु व ाय दै वीः ाव वोषधयः.. (६) जन वृ का पता आकाश और माता पृ वी है, जलरा श उन क वृ का मूल कारण है. वृ के प म वे द जड़ीबू टयां पु लाभ के लए तेरी र ा कर. (६)
सू -२४
दे वता—वन प त
पय वतीरोषधयः पय व मामकं वचः. अथो पय वतीनामा भरे ऽ हं सह शः.. (१) मेरे जौ, गे ं आ द अ सारयु ह तथा मेरा वचन भी सारयु फसल से उ प धा य को अनेक कार से ा त क ं . (१)
हो. म उन सार वाली
वेदाहं पय व तं चकार धा यं ब . स भृ वा नाम यो दे व तं वयं हवामहे यो यो अय वनो गृहे.. (२) म उस सार वाले दे व को जानता ं. उस ने जौ, गे ं आ द क वृ क है. भ रे के समान सं ह करने वाले जो दे व ह, उन का म तु तय के ारा आ ान करता ं. य करने वाले के घर म जो जौ, गे ं आ द धा य है, दे व उसे एक कर के मुझे दान कर. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इमा याः प च दशो मानवीः प च कृ यः. वृ े शापं नद रवेह फा त समावहान्.. (३) पूव, प म, उ र, द ण और इन क म यवत —ये पांच दशाएं तथा ा ण, य, वै य, शू और नषाद—ये पांच जा तयां इस यजमान के धनधा य क उसी कार वृ कर, जस कार वषा का जल वाह म पड़े ए जल को एक थान से सरे थान पर ले जाता है. (३) उ सं शतधारं सह धारम तम्. एवा माकेदं धा यं सह धारम तम्.. (४) जल क उ प का थान सौ अथवा हजार धारा वाला होने पर भी कभी ीण नह होता है, इसी कार हमारा यह धा य अनेक कार से हजार धारा वाला हो कर य र हत बने. (४) शतह त समाहर सह ह त सं कर. कृत य काय य चेह फा त समावह.. (५) हे सौ हाथ वाले दे व! तुम अपनी भुजा से धन एक करो तथा हजार हाथ से ला कर हम धन दो. इस के प ात अपने ारा दए ए धन से मुझे समृ बनाओ. (५) त ो मा ा ग धवाणां चत ो गृहप याः. तासां या फा तम मा तया वा भ मृशाम स.. (६) व ावसु आ द गंधव क संप ता के कारण ह—उन क तीन कलाएं. उन क चार अ सरा पी प नयां ह. हे धा य! प नय म जो अ तशय समृ है, उस से हम तेरा पश कराते ह. (६) उपोह समूह ारौ ते जापते. ता वहा वहतां फा त ब ं भूमानम तम्.. (७) हे जाप त! उपोह नाम का दे व और धन क वृ करने वाले दे व का समूह—ये दोन तु हारे सारथी ह. अनेक कार के तथा य र हत धन धा य को एवं समृ को ये हमारे समीप लाएं. (७)
सू -२५ उ ुद वोत् तुदतु मा धृथाः शयने वे. इषुः काम य या भीमा तया व या म वा
दे वता—कामेषु द.. (१)
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हे नारी! उ ुद नाम के दे व अ य धक थत करने वाले ह. वे तुझे कामाता कर. मदन वकार से थत हो कर तू अपने पलंग पर सोना पसंद मत कर. कामदे व का जो भयानक बाण है, उस से म तेरे दय को ता ड़त करता ं. (१) आधीपणा कामश या मषुं सङ् क पकु मलाम्. तां सुस तां कृ वा कामो व यतु वा द.. (२) मन का कामो माद जस का पण अथात् पीछे वाला भाग है और रमण करने क अ भलाषा जस का फल अथात् आगे वाला भाग है तथा भोग वषयक संक प जस के दोन भाग को जोड़ने वाला है, इस कार के बाण को अपने धनुष पर रख कर कामदे व तेरे दय का वेधन कर. (२) या लीहानं शोषय त काम येषुः सुस ता. ाचीनप ा ोषा तया व या म वा द.. (३) कामदे व के ारा भलीभां त ख चा गया बाण ाण के आ य लीहा को जलाता है. हे नारी! म सीधे पंख वाले तथा अनेक कार से दहन करने वाले उस बाण से तेरे दय का वेधन करता ं. (३) शुचा व ा ोषया शु का या भ सप मा. मृ नम युः केवली यवा द यनु ता.. (४) दाह करने वाले तथा शोका मक बाण से घायल होने के कारण तेरा कंठ सूख जाए और उस कंठ के कारण अपना अ भ ाय कट करने म असमथ हो कर तू मेरे समीप आ. तू मृ भा षणी, एकमा मुझ से र ा पाने वाली तथा मेरे अनुकूल बोलने वाली बन और मेरे अनुकूल आचरण कर. (४) आजा म वाज या प र मातुरथो पतुः. यथा मम तावसो मम च मुपाय स.. (५) हे नारी! म कोड़े से मार कर तुझे अपने अ भमुख करता ं. म वहां से तुझे अपने समीप बुलाता ं, जस से तू मेरे संक प को पूरा करे और मेरी बु के अनुसार चले. (५) यै म ाव णौ द ा य यतम्. अथैनाम तुं कृ वा ममैव कृणुतं वशे.. (६) हे म और व ण! इस ी के दय को ानशू य कर दो. इस के प ात इसे कत और अकत के ान से शू य कर के मेरे वशीभूत बना दो. (६)
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सू -२६
दे वता—अ न
ये ३ यां थ ा यां द श हेतयो नाम दे वा तेषां वो अ न रषवः. ते नो मृडत ते नो ऽ ध त ू ते यो वो नम ते यो वः वाहा.. (१) हे दान आ द गुण यु गंधव ! तुम हमारे नवास थान से पूव दशा म हमारे वरो धय को मारने वाले बनो. तु हारे अ न तु य बाण उन पूव दशा के नवा सय से हमारी र ा करने म समथ ह . वे हम सुखी कर. तु हारे बाण सप, ब छू आ द श ु को हम से र रख. तुम हम अपना कहो. हम तु ह नम कार करते और आ त दे ते ह. (१) ये ३ यां थ द णायां द य व यवो नाम दे वा तेषां वः काम इषवः. ते नो मृडत ते नो ऽ ध ूत ते यो वो नम ते यो वः वाहा.. (२) हे दान आ द गुण से यु गंधव ! तुम हमारे नवास थान से द ण दशा म हमारे वरो धय से हमारे र क बनो. हमारी अ भलाषा ही तु हारा बाण है, वह हमारी र ा करे. तुम हम अपना कहो. हम तु ह नम कार कर और आ त दे ते रह. (२) ये ३ यां थ ती यां द श वैराजा नाम दे वा तेषां व आप इषवः. ते नो मृडत ते नो ऽ ध ूत ते यो वो नम ते यो वः वाहा.. (३) हे दे वो! तुम प म दशा म हम अ दे ने वाले बनो. वषा के जल तु हारे बाण ह. वे हमारी र ा कर. तुम हम अपना बनाओ. तु ह हम नम कार करते ह और आ त दे ते ह. (३) ये ३ यां थोद यां द श व य तो नाम दे वा तेषां वो वात इषवः. ते नो मृडत ते नो ऽ ध त ू ते यो वो नम ते यो वः वाहा.. (४) हे दान आ द गुण से यु गंधव ! तुम उ र दशा म हमारी हसा करने वाल को मारने वाले बनो. वायु ही तु हारा बाण है, वह हमारी र ा करे. तुम हम अपना कहो. हम तु ह नम कार करते ह और आ त दे ते ह. (४) ये ३ यां थ ुवायां द श न ल पा नाम दे वा तेषां व ओषधी रषवः. ते नो मृडत ते नो ऽ ध ूत ते यो वो नम ते यो वः वाहा.. (५) हे दान आ द गुण से यु गंधव ! तुम ुव दशा म अथात् पृ वी पर हमारी र ा करने वाले बनो. जौ, गे ,ं पेड़, पौधे आ द तु हारे बाण ह. वे हमारी र ा कर. तुम हम अपना कहो. हम तु ह नम कार करते ह और आ त दे ते ह. (५) ये ३ यां थो वायां द यव व तो नाम दे वा तेषां वो बृह प त रषवः. ते नो मृडत ते नो ऽ ध त ू ते यो वो नम ते यो वः वाहा.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे दान आ द गुण से यु गंधव ! इस ऊपर क दशा म तुम हमारे र क बनो. बृह प त तु हारे बाण ह. वे हमारी र ा कर. हम तु ह नम कार करते ह और आ त दे ते ह. (६)
सू -२७
दे वता— ाची
ाची दग नर धप तर सतो र ता द या इषवः. ते यो नमो ऽ धप त यो नमो र तृ यो नम इषु यो नम ए यो अ तु. यो ३ मान् े यं वयं म तं वो ज भे द मः.. (१) पूव दशा हम पर कृपा करे. अ न इस दशा के अ धप त ह. काले रंग के सांप उस म र ा करने के लए थत ह. अ द त के पु धाता, अयमा आ द इस दशा के आयुध ह. इस के अ धप त अ न, र क काले सांप, धाता अयमा आ द आयुध को मेरा नम कार स करने वाला हो. जो श ु हम बाधा प ंचाता है अथवा हम जस से े ष रखते ह. हे अ न आ द दे वो! उसे हम तु हारे भोजन के लए तु हारी दाढ़ के नीचे रखते ह. (१) द णा द ग ो ऽ धप त तर राजी र ता पतर इषवः. ते यो नमो ऽ धप त यो नमो र तृ यो नम इषु यो नम ए यो अ तु. यो ३ मान् े यं वयं म तं वो ज भे द मः.. (२) द ण दशा हम पर कृपा करे. इं इस के अ धप त ह. टे ढ़ेमेढ़े चलने वाले सप इस दशा के र क ह. पतर इस दशा के का न ह करने वाले आयुध ह. इस के अ धप त इं को, र क टे ढ़ेमेढ़े चलने वाले सप को और आयुध प पतर को मेरा नम कार स करने वाला हो. जो श ु मुझे बाधा प ंचाता है अथवा म जन से े ष रखता ं, हे इं आ द दे वो! म उसे तु हारे भ ण के लए तु हारी दाढ़ म रखता ं. (२) तीची दग् व णो ऽ धप तः पृदाकू र ता मषवः. ते यो नमो ऽ धप त यो नमो र तृ यो नम इषु यो नम ए यो अ तु. यो ३ मान् े यं वयं म तं वो ज भे द मः.. (३) प म दशा हम पर कृपा करे. व ण इस के अ धप त ह. कु सत श द करने वाला पृदाकू नाम का सप इस का र क है और जौ, गे ं आ द इस दशा के को वश म करने वाले बाण ह. इस के अ धप त व ण को, र क कु सत श द करने वाले पृदाकू नाम वाले सप को और जौ तथा गे ं आ द बाण को हमारा नम कार स करने वाला हो. जो श ु हम बाधा प ंचाता है अथवा हम जन से े ष करते ह, हे व ण आ द दे वो! हम उसे तु हारे भ ण के लए तु हारी दाढ़ म रखते ह. (३) उद ची दक् सोमोऽ धप तः वजो र ताश न रषवः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ते यो नमो ऽ धप त यो नमो र तृ यो नम इषु यो नम ए यो अ तु. यो ३ मान् े यं वयं म तं वो ज भे द मः.. (४) उ र दशा हम पर अनु ह करे. सोम इस दशा के अ धप त अथात् वामी ह. वयं उ प होने वाला सप इस का र क है और व इस के को वश म करने वाला बाण है. इस के अ धप त सोम को, वयं उ प होने वाले र क सप को और व प बाण को हमारा नम कार स करने वाला हो. जो श ु हम बाधा प ंचाते ह अथवा हम जन से े ष करते ह. हे सोम आ द दे वो! उ ह हम तु हारे भ ण के लए तु हारी दाढ़ म रखते ह. (४) ुवा दग् व णुर धप तः क माष ीवो र ता वी ध इषवः. ते यो नमो ऽ धप त यो नमो र तृ यो नम इषु यो नम ए यो अ तु. यो ३ मान् े यं वयं म तं वो ज भे द मः.. (५) नीचे क ओर वाली अथात् थर दशा हम पर अनु ह करे. व णु इस के अ धप त ह, काली गरदन वाला सांप इस का र क है और वृ इस के नाशकारी बाण ह. इस के अ धप त व णु को, र क काली गरदन वाले सप को और आयुध वृ को हमारा नम कार स करने वाला हो. हे व णु आ द दे वो! जो श ु हम बाधा प ंचाते ह अथवा हम जन से े ष रखते ह, उ ह हम तु हारे भ ण के हेतु तु हारी दाढ़ म रखते ह. (५) ऊ वा दग् बृह प तर धप तः ो र ता वष मषवः. ते यो नमो ऽ धप त यो नमो र तृ यो नम इषु यो नम ए यो अ तु. यो ३ मान् े यं वयं म तं वो ज भे द मः.. (६) ऊपर वतमान दशा हम पर कृपा करे. बृह प त इस के वामी ह, ेतवण का सप इस का र क है और वषा का जल इस का नवारक आयुध है. हम इस के वामी बृह प त को र क ेत वण के सप को तथा नवारक आयुध वषा के जल को नम कार करते ह. हे बृह प त आ द दे वो! जो श ु हम बाधा प ंचाते ह अथवा हम जन से े ष रखते ह, उ ह हम तु हारे भ ण के हेतु तु हारी दाढ़ म रखते ह. (६)
सू -२८
दे वता—अ नीकुमार
एकैकयैषा सृ ् या सं बभूव य गा असृज त भूतकृतो व पाः. य वजायते य म यपतुः सा पशून् णा त रफती शती.. (१) वधाता के ारा बनाई गई यह सृ मशः एकएक कर के उ प ई. यहां पृ वी आ द त व के नमाता ऋ षय ने अनेक रंग वाली गाय , मानु षय और घो ड़य को उ प कया. उ प वाली इस सृ म य द कोई गाय आ द नकृ रज और वीय से उ प जुड़वां संतान को ज म दे ती है, वह यजमान के गाय आ द पशु का भ ण करती ई और चोर, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बाघ आ द के ारा हसा करती ई वनाश करती है. (१) एषा पशू सं णा त ाद् भू वा री. उतैनां णे द ात् तथा योना शवा यात्.. (२) दो ब च को एक साथ ज म दे ने वाली यह गाय मांस खाने वाली एवं ःख दे ने वाली के समान यजमान के अ य पशु का वनाश करती है. यह टोनेटोटके के समान संताप दे ने वाली है. इसे ा ण को दान कर दे ना चा हए. ऐसा करने से यह अपनी संतान के ारा यजमान के लए क याणका रणी बन जाती है. (२) शवा भव पु षे यो गो यो अ े यः शवा. शवा मै सव मै े ाय शवा न इहै ध.. (३) हे जुड़वां ब च को ज म दे ने वाली गाय! तू मनु य , गाय और घोड़ के लए क याणका रणी बन. तू इस दे श म हम सब कार से सुखदायी हो. (३) इह पु रह रस इह सह सातमा भव. पशून् य म न पोषय.. (४) मेरे यजमान के इस घर म गाय आ द धन पु ह तथा ध, दही आ द रस समृ ह . हे जुड़वां ब च को ज म दे ने वाली गाय! तू इस यजमान के पशु का पोषण कर और इसे हजार कार के धन दान कर. (४) य ा सुहादः सुकृतो मद त वहाय रोगं त व १: वायाः. तं लोकं य म य भसंबभूव सा नो मा हसीत् पु षान् पशूं .. (५) जस लोक म शोभन दय वाले तथा उ म कम करने वाले पु ष स होते ह तथा वर आ द रोग का याग कर के उन के शरीर पु होते ह, वहाँ य द जुड़वां ब च को ज म दे ने वाली गाय सामने आ जाए तो वह हमारे मनु य और पशु क हसा न करे. (५) य ा सुहादा सुकृताम नहो तां य लोकः. तं लोकं य म य भसंबभूव सा नो मा हसीत् पु षान् पशूं .. (६) जस लोक म शोभन दय, शोभन ान और शोभन कम वाले अपने शरीर से वर आ द रोग का याग कर के स होते ह, वहां जुड़वां ब च को ज म दे ने वाली गाय आ गई है. वह हमारे पु ष और पशु क हसा न करे. (६)
सू -२९
दे वता—अ व, काम, भू म
यद् राजानो वभज त इ ापूत य षोडशं यम यामी सभासदः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ व त मात्
मु च त द ः श तपात् वधा.. (१)
द ण दशा के आकाश म दखाई दे ने वाले यमराज के सभासद को दं ड द और धमा मा का पालन करने म यु ह . ु त म बताए गए य आ द और मृ तय म बताए गए वापी, कूप, सरोवर आ द कम के जो सोलह पाप होते ह, उ ह यमराज के सभासद पु य से पृथक् करते ह. उस पाप से य म ब ल के प म द गई यह सफेद पैर वाली भेड़ हम मु करे. यह भेड़ यमराज के सभासद के लए अ न हो. (१) सवान् कामान् पूरय याभवन् भवन् भवन्. आकू त ो ऽ वद ः श तपा ोप द य त.. (२) चार दशा को ा त करने वाला, फल दे ने म समथ एवं वृ करने वाला यह य हमारी सभी अ भलाषा को पूण करता है. संक प को पूण करने वाली यह सफेद पैर वाली भेड़ इस य म द जा रही है. यह ीण न हो कर हमारी इ छा के अनुसार बढ़े गा ही. (२) यो ददा त श तपादम व लोकेन सं मतम्. स नाकम यारोह त य शु को न यते अबलेन बलीयसे.. (३) जो यजमान सफेद पैर वाली एवं लोक व ास के अनुसार फल दे ने वाली भेड़ का दान करता है, वह वग को ा त करता है. वगलोक म नबल सबल का शासन मान कर शु क नह दे ता. (३) प चापूपं श तपादम व लोकेन सं मतम्. दातोप जीव त पतॄणां लोकेऽ तम्.. (४) जस भेड़ के चार पैर और ना भ पर पांच पूए रखे जाते ह, उसे पंचापूप कहते ह. पंचापूप अथात् पांच पू वाली और सफेद पैर वाली भेड़ का दाता पृ वी आ द लोक के पांच समान पतर के लोक म समा त न होने वाला फल भोगता है. (४) प चापूपं श तपादम व लोकेन सं मतम्. दातोप जीव त सूयामासयोर तम्.. (५) पंचापूप अथात् पांच पू वाली और सफेद पैर वाली भेड़ को लोक व ास के अनुसार दान करने वाला सूय और चं मा के लोक म समा त न होने वाला फल भोगता है. (५) इरेव नोप द य त समु इव पयो महत्. दे वौ सवा सना वव श तपा ोप द य त.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य म द गई सफेद पैर वाली भेड़ सागर के जल के समान कभी ीण नह होती और इस का ध बढ़ता ही जाता है. अ नीकुमार के समान यह भेड़ कभी ीण नह होती. (६) क इदं क मा अदात् कामः कामायादात्. कामो दाता कामः त हीता कामः समु मा ववेश. कामेन वा त गृ ा म कामैतत् ते.. (७) यह द णा पी धन जाप त ने जाप त को ही दया था. द णा दे ने वाला पारलौ कक फल का अ भलाषी है और लेने वाला लौ कक फल का इ छु क है. इस कार द णा का दाता और लेने वाला दोन ही इ छा वाले ह. इ छा का प सागर के समान असी मत है. इ छा का अंत नह है. हे द णा ! म इसी कार क इ छा से तुझे हण करता ं. हे अ भलाषा! वीकार कया आ यह धन तेरे लए हो. (७) भू म ् वा त गृ ा व त र मदं महत्. माहं ाणेन मा मना मा जया तगृ व रा ध ष.. (८) हे द णा ! तुझे यह धरती और वशाल आकाश हण करे. इसी लए तुझे हण कर के म ाण से, आ मा से और पु पौ आ द संतान से हीन न बनूं. (८)
सू -३०
दे वता—सौमन य
स दयं सांमन यम व े षं कृणो म वः. अ यो अ यम भ हयत व सं जात मवा या.. (१) हे ववाद करने वाले पु षो! म तु हारे लए सौमन य कम करता ं जो व े ष र हत एवं पर पर ेम कराने वाला है. जस कार गाय अपने बछड़े से ेम करती है. उसी कार तुम भी पर पर ेम करो. (१) अनु तः पतुः पु ो मा ा भवतु संमनाः. जाया प ये मधुमत वाचं वदतु श तवाम्.. (२) पु पता के अनुकूल कम करने वाला हो. माता पु आ द के प नी प त से मधुर एवं सुखकर वचन कहे. (२)
त सौमन य वाली बने.
मा ाता ातरं मा वसारमुत वसा. स य चः स ता भू वा वाचं वदत भ या.. (३) भाई अपने सगे भाई से उ रा धकार को ले कर तथा बहन अपनी सगी बहन से े ष न करे. यह सब समान ग त वाले एवं समान कम वाले हो कर क याणकारी वचन कह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
येन दे वा न वय त नो च व षते मथः. तत् कृ मो वो गृहे सं ानं पु षे यः.. (४) जस मं के बल से दे वगण, भ भ वचार वाले नह बनते और पर पर े ष नह करते, उसी मं का योग म तु हारे घर म एकमत था पत करने के लए करता ं. (४) याय व त नो मा व यौ संराधय तः सधुरा र तः. अ यो अ य मै व गु वद त एत स ीचीनान् वः संमनस कृणो म.. (५) हे मनु यो! तुम छोटे बड़े क भावना से एक सरे का अनुसरण करते ए समान च वाले, समान स वाले तथा समान काय करने वाले बनो. इस कार आचरण करते ए तुम एक सरे से बछु ड़ो मत तथा एक सरे से य वचन बोलते ए आओ. म भी तुम सब से मलकर तु ह काय म वृ होने वाला तथा समान वचार वाला बनाता ं. (५) समानी पा सह वो ऽ भागः समाने यो े सह वो युन म. स य चो ऽ नं सपयतारा ना भ मवा भतः.. (६) हे समानता के इ छु क जनो! तुम पर पर ेम के कारण एक थान पर रह कर समान जल और अ का उपयोग करो. इस के लए म तुम सब को ेम के एक बंधन म बांधता ं. जस कार प हए के अनेक अरे एक ना भ को घेरे रहते ह, उसी कार तुम सब एक फल क कामना करते ए अ न क उपासना करो. (६) स ीचीनान् वः संमनस कृणो येक ु ी संवननेन सवान्. दे वा इवामृतं र माणाः सायं ातः सौमनसो वो अ तु.. (७) म तुम सब को एक काय करने म एक साथ संल न कर के समान वचार वाला बनाता ं तथा समान अ का उपयोग करने वाला और सौमन य कम के ारा तु ह वश म करता ं. वगलोक म अमृत र ा करने वाले इं आ द दे व का मन जस कार समान बना रहता है, उसी कार म तु ह सभी समय म समान मन वाला बनाता ं. (७)
सू -३१
दे वता—अ न आ द
व दे वा जरसावृतन् व वम ने अरा या. १हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (१) हे अ नीकुमारो! तुम इस बालक को आयु क हा न करने वाली वृ ाव था से र रखो. हे अ न! तुम इसे दान न दे ने के वभाव से और श ु से र रखो. म इसे रोग आ द ःख को उ प करने वाले पाप तथा य मा रोग से पृथक् कर के चर जीवन से संयु करता ं. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ा या पवमानो व श ः पापकृ यया. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (२) वायु इस बालक को रोगज नत पीड़ा से अलग रखे तथा इं पाप के काय से बचाएं. म इसे रोग आ द ःख को उ प करने वाले पाप तथा य मा रोग से पृथक् कर के चर जीवन से यु करता ं. (२) व ा याः पशव आर यै ाप तृ णयासरन्. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (३) जस कार गाय, भस आ द ामीण पशु वन के पशु से तथा जल यासे य से र रहता है, उसी कार म इस चारी को रोग आ द ःख उ प करने वाले पाप से तथा य मा रोग से र कर के चर जीवन से यु करता ं. (३) वी ३ मे ावापृ थवी इतो व प थानो दशं दशम्. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (४) जस कार धरती और आकाश एक सरे से अलग रहते ह तथा एक गांव से येक दशा म जाने वाले माग वाभा वक प से पृथक् होते ह, उसी कार म इस चारी को रोग आ द ःख के उ पादक पाप तथा य मा रोग से पृथक कर के चर जीवन से यु करता ं. (४) व ा ह े वहतुं युन तीदं व ं भुवनं व या त. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (५) व ा ने अपनी पु ी के ववाह म जो दहेज दया था, उसे था पत करने के न म धरती और आकाश जस कार पृथक् ए थे, उसी कार म इस चारी को रोग आ द ःख को उ प करने वाले पाप तथा य रोग से पृथक् कर के द घ जीवन से संयु करता ं. (५) अ नः ाणा सं दधा त च ः ाणेन सं हतः. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (६) जस कार जठरा न च ु आ द इं य को अ से बना आ रस प ंचा कर अपनाअपना काय करने म समथ बनाती है तथा चं मा ाण वायु से यु हो कर अमृत रस से सभी आ मा का पोषण करता है, उसी कार म इस चारी को रोग आ द ःख के उ पादक पाप से तथा य मा रोग से पृथक् करके द घ जीवन दान करता ं. (६) ाणेन व तोवीय दे वाः सूय समैरयन्. १हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे व ने सारे व के ेरक सूय को ाण के प म उ प कया. म ऐसे सूय को इस चारी क आयु वृ के न म इस म था पत करता ं. म इस चारी को रोग आ द ःख के उ पादक पाप से, तथा य मा रोग से पृथक् कर के चर जीवन से यु करता ं. (७) आयु मतामायु कृतां ाणेन जीव मा मृथाः. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (८) हे चारी! तू द घ आयु वाले पु ष क आयु से द घ आयु दान करने वाले दे व के ाण से चरकाल तक जीवन धारण कर तथा मृ यु को ा त मत हो. म तुझे रोग आ द ःख के जनक पाप तथा य मा रोग से पृथक् कर के चर जीवन से यु करता ं. (८) ाणेन ाणतां ाणेहैव भव मा मृथाः. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (९) हे चारी! ास लेने वाले ा णय क ाण वायु से तू सांस ले. तू इसी लोक म नवास कर अथात् जी वत रह, मर मत. म तुझे रोग के उ पादक पाप तथा य मा रोग से पृथक् कर के चर जीवन से यु करता ं. (९) उदायुषा समायुषोदोषधीनां रसेन. १ हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (१०) हम चर काल के जीवन से मृ यु को ा त करते ह, इस लोक म नवास करते ह तथा जौ, गे ं आ द के रस से वृ को ा त करते ह. म इस चारी को रोग आ द ःख के जनक पाप तथा य मा रोग से पृथक् कर के चर जीवन से संयु करता ं. (१०) आ पज य य वृ ् योद थामामृता वयम्. १हं सवण पा मना व य मेण समायुषा.. (११) हम वृ करने वाले पज य दे व के ारा बरसाए ए जल से अमरता ा त कर के उठ बैठते ह. हे चारी! म तुझे रोग आ द ःख से ज य पाप से पृथक् कर के चर जीवन से संयु करता ं. (११)
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चौथा कांड सू -१
दे वता—बृह प त
ज ानं थमं पुर ताद् व सीमतः सु चो वेन आवः. स बु या उपमा अ य व ाः सत यो नमसत व वः.. (१) सत्, चत, आनंद और सारे व का कारण सब से पहले सूय प म कट आ जो पूव दशा म उ प होता है तथा अपने तेज से सारे जगत् को ा त करता है. यह काश और वषा का कारण सूया मक तेज सभी दशा से आरंभ हो कर अपने शोभन काश को फैलाता है. सत् और असत् के उ प थान के ान का तथा धरती, आकाश आ द का ान कट करने वाला वही सूया मक तेज है. (१) इयं प या रा ये व े थमाय जनुषे भुवने ाः. त मा एतं सु चं ारम ं घम ीण तु थमाय धा यवे.. (२) संपूण जगत् को उ प करने वाले पता जाप त ा ह. उन से ा त और नाद प म सभी ा णय म ा त वाणी सारे संसार के वहार क वा मनी है. ये थम श द से वा य सूया मक तेज अथात् को तु त प म ा त ह . (२) यो ज े व ान य ब धु व ा दे वानां ज नमा वव . ण उ जभार म या ीचै चैः वधा अ भ त थौ.. (३) इस पंच के कारण, हतकारी एवं नरावरण ान से सारे जगत् को जानते ए जो दे व सव थम उ प ए, वे इं आ द सभी दे व के ज म का वणन करते ह. थम उ प दे व ने सब के कारण प के म य भाग से, नीचे वाले भाग से और ऊपर वाले भाग से वेद का उ ार कया. इस के प ात दे व को ह व के प म अ मला. (३) स ह दवः स पृ थ ा ऋत था मही ेमं रोदसी अ कभायत्. महान् मही अ कभायद् व जातो ां सद्म पा थवं च रजः.. (४) सूय के प म सव थम उ प ए दे व आकाश म कारण प म तथा पृ वी म स य प म थत ह एवं उ ह ने धरती व आकाश को अ वनाशी प म था पत कया. धरती और आकाश को ा त कर के वतमान उस थम दे व ने धरती और आकाश को था पत कया है. वह इन दोन के म य म सूय के प म उ प आ है तथा आकाश और पृ वी को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपने तेज से
ा त कर रहा है. (४)
स बु यादा जनुषो ऽ य ं बृह प तदवता त य स ाट् . अहय छु ं यो तषो ज न ाथ ुम तो व वस तु व ाः.. (५) थम तेज के वाले भाग तक को द त वाला दन उस ऋ वज् अपनेअपने
प म उ प पर ने लोक के मूल अथात् नचले भाग से ले कर ऊपर ा त कया. दान आ द गुण से यु बृह प त इस लोक के अ धप त ह. काश वाले सूय से उ प आ. इस के प ात द त वाले एवं मेधावी ापार म लग गए. (५)
नूनं तद य का ो हनो त महो दे व य पू य धाम. एष ज े ब भः साक म था पूव अध व षते ससन् नु.. (६) ऋ वज का य इस दखाई न दे ने वाले और सब से पहले उ प सूय दे व का मंडल न य ही सब को ेरणा दे ता है. यह सूय हजार करण के साथ इस कार पूव दशा म कट होता है क इ ह ह व ल ण अ शी ा त हो जाता है. (६) यो ऽ थवाणं पतरं दे वब धुं बृह प त नमसाव च ग छात्. वं व ेषां ज नता यथासः क वदवो न दभायत् वधावान्.. (७) बृह प त दे व ने जाप त अथवा को लोक का उ प करने वाला और इं आ द दे व का बंधु जाना. बृह प त एवं अथवा को हमारा नम कार है. ह व प अ से यु हो कर वे हम पर उसी कार कृपा करते ह, जस कार वे अ से यु एवं सभी ा णय के ज म दाता ह. (७)
सू -२
दे वता—आ मा
य आ मदा बलदा य य व उपासते शषं य य दे वाः. यो ३ येशे पदो य तु पदः क मै दे वाय ह वषा वधेम.. (१) जो जाप त सभी ा णय को ाण एवं शां त दे ने वाले ह, सभी ाणी एवं दे व भी जन का शासन मानते ह तथा दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह. हम ह व ारा इस कार के जाप त दे व क पूजा करते ह. (१) यः ाणतो न मषतो म ह वैको राजा जगतो बभूव. य य छायामृतं य य मृ युः क मै दे वाय ह वषा वधेम.. (२) जो जाप त अपने माहा य से सांस लेने वाले और पलक झपकाने वाले सम त ग तशील ा णय के एकमा वामी ह, जीवन और मृ यु छाया के समान जन के अधीन ह, म ह व के ारा उन जाप त दे व क पूजा करता ं. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यं दसी अवत कभाने भयसाने रोदसी अ येथाम. य यासौ प था रजसो वमानः क मै दे वाय ह वषा वधेम.. (३) संसार क र ा के लए धरती और आकाश अपने थान पर थर ह. जाप त ने उ ह नराधार दे श म धारण कया है. नीचे गरने क आशंका से भयभीत धरती और आकाश के म य व मान वे जाप त रोए थे, इस लए इन दोन का नाम रोदसी आ. जस जाप त का आकाश म थत माग वषा के जल का नमाण करता है, हम ह व ारा उन जाप त क पूजा करते ह. (३) य य ौ व पृ थवी च मही य याद उव १ त र म्. य यासौ सूरो वततो म ह वा क मै दे वाय ह वषा वधेम.. (४) जन जाप त क म हमा से आकाश व तीण और पृ वी व तृत ई है, जन क म हमा से अंत र अथात् आकाश और पृ वी के म यवत भाग का व तार आ है तथा आकाश म य दखाई दे ने वाला सूय व तीण आ है, हम ह ारा उस जाप त क पूजा करते ह. (४) य य व े हमव तो म ह वा समु े य य रसा मदा ः. इमा दशो य य बा क मै दे वाय ह वषा वधेम.. (५) जस जाप त दे व क म हमा से हमालय आ द सभी पवत उ प ए ह, सागर म सभी स रताएं जस क म हमा से समा जाती ह—पूव, प म, उ र एवं द ण चार दशाएं जस जाप त क भुजाएं ह, हम ह व के ारा उस क पूजा करते ह. (५) आपो अ े व मावन् गभ दधाना अमृता ऋत ाः. यासु दे वी व ध दे व आसीत् क मै दे वाय ह वषा वधेम.. (६) सृ के आ द म जन बल ने सारे जगत् क र ा क , अ वनाशी और जगत् के कारण हर यगभ को जन द जल ने गभ के प म धारण कया, उन जल को अपने म य धारण करने वाले जाप त क हम ह व के ारा पूजा करते ह. (६) हर यगभः समवतता े भूत य जातः प तरेक आसीत्. स दाधार पृ थवीमुत ां क मै दे वाय ह वषा वधेम.. (७) सृ के आ द म हर यगभ उ प ए तथा उ प होते ही सभी ा णय के वामी हो गए. उ ह ने इस धरती और आकाश को धारण कया. हम ह व ारा उन जाप त क पूजा करते ह. (७) आपो व सं जनय तीगभम े समैरयन्. त योत जायमान यो ब आसी र ययः क मै दे वाय ह वषा वधेम.. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(८) ई र के ारा सब से थम न मत जल ने हर यगभ को ज म दे ने के लए ई र के वीय को धारण कया. उस उ प होने वाले जाप त के उ ब अथात् गभ को घेरने वाली झील वणमय थी. हम ह ारा उस जाप त क पूजा करते ह. (८)
सू -३
दे वता— ा
उ दत यो अ मन् ा ः पु षो वृकः. ह घ य त स धवो ह ग् दे वो वन प त ह ङ् नम तु श वः.. (१) बाघ, चोर मनु य और भे ड़ए—ये तीन इस थान से भाग कर र चले जाएं. जस कार स रताएं गूढ़ प म बहती ह, उसी कार बाघ आ द भी दखाई न द. वन प तय के अ ध ाता दे व जस कार वन प तय म छपे रहते ह, उसी कार बाघ आ द भी लु त हो जाएं. बाघ आ द के जो श ु ह, वे उ ह र भगा द. (१) परेणैतु पथा वृकः परमेणोत त करः. परेण द वती र जुः परेणाघायुरषतु.. (२) जंगली हसक पशु भे ड़या हमारे चलने फरने के माग से र चला जाए. चोर भे ड़ए से भी अ धक र चला जाए. दांत वाले, र सी के आकार वाले एवं सरे क हसा करने वाले सांप के अ त र अ य हसक ाणी भी हमारे संचरण माग से र चले जाएं. (२) अ यौ च ते मुखं च ते ा ज भयाम स. आत् सवान् वश त नखान्.. (३) हे बाघ! म तेरी दोन आंख और मुख को न करता ं. इस के अ त र पैर के बीस नाखून को भी न करता ं. (३)
म तेरे चार
ा ं द वतां वयं थमं ज भयाम स. आ न े मथो अ ह यातुधानमथो वृकम्.. (४) हम दांत से हसा करने वाले पशु म सब से पहले बाघ का नाश करते ह. इस के प ात हम चोर, सप, य , रा स आ द तथा भे ड़ए का नाश करते ह. (४) यो अ तेन आय त स सं प ो अपाय त. पथामप वंसन े ै व ो व ेण ह तु तम्.. (५) आज जो चोर आता है, वह हमारे ारा कुट पट कर र भागे. वह माग म से क दायक माग से जाए और इं अपने व से उस क हसा कर. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मूणा मृग य द ता अ पशीणा उ पृ यः. न ुक् ते गोधा भवतु नीचाय छशयुमृगः.. (६) बाघ आ द हसक पशु के दांत भोथरे अथात् खाने म असमथ हो जाएं. उन के स ग और पस लय क ह ड् डयां भी पैनी न रह. हे प थक! वह तेरे माग म दखाई न दे और सोने वाले पशु भी पछले माग से र चले जाएं. (६) यत् संयमो न व यमो व यमो य संयमः. इ जाः सोमजा आथवणम स ा ज भनम्.. (७) जहां मं के साम य से इं और सोम से संबं धत संयमन कभी वपरीत भाव नह डालता. हे याकलाप! तू अथवा मह ष ारा दया आ है, इस लए तू बाघ आ द ा णय का हसक बन. (७)
दे वता—वन प त आ द
सू -४ यां वा ग धव अखनद् व णाय मृत जे. तां वा वयं खनाम योष ध शेपहषणीम्.. (१)
हे क प थ अथात् कैथ नाम के वृ एवं फल! व ण का पौ ष न होने पर उ ह वह श पुनः ा त कराने के लए गंधव ने तुझे खोद कर ा त कया था. उसी श वधक ओष ध को हम खोदते ह. (१) उ षा उ सूय उ ददं मामकं वचः. उदे जतु जाप तवृषा शु मेण वा जना.. (२) सूयप नी उषा श शाली वीय से यु यह मं भी श शाली हो तथा जगत् के कर. (२)
हो तथा सूयदे व उसे उ कृ वीय संप कर. मेरा ा जाप त दे व भी इसे अपने बल वीय से उ त
यथा म ते वरोहतोऽ भत त मवान त. तत ते शु मव र मयं कृपो वोष धः.. (३) हे वीय के इ छु क पु ष! पु , पौ आ द के प म वरोहण के कारण तेरी पु ष इं य ो धत सांप के फन के समान चे ा कर सके, इसी कारण म तुझे यह ओष ध दान करता ं. (३) उ छु मौषधीनां सार ऋषभाणाम्. सं पुंसा म वृ यम मन् धे ह तनूव शन्.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वीय वधक ओष धय म े तथा गभाधान म समथ पु ष का सार यह ओष ध तुझे वीय यु करे. हे इं ! पु करने वाली ओष धय म जो वीय है, उसे इस पु ष के शरीर म धारण करो. (४) अपां रसः थमजो ऽ थो वन पतीनाम्. उत सोम य ाता युताशम स वृ यम्.. (५) हे क प थ क जड़! तू जल के मंथन के समय सब से पहले रस के प म उ प ई. तू सभी वृ का सार और सोम क सजातीय है. तू अं गरा आ द ऋ षय के मं से उ प वीय है. (५) अ ा ने अ स वतर दे व सर व त. अ ाय ण पते धनु रवा तानया पसः.. (६) हे अ न, स रता, दे वी सर वती और ण प त! इस वीय चाहने वाले पु ष क पु षइं य को आज वीय दान कर के धनुष के समान तान दो. (६) आहं तनो म ते पसो अ ध या मव ध व न. म वश इव रो हतमनव लायता सदा.. (७) हे वीय के इ छु क पु ष! म तेरी पु षइं य को अपने मं के भाव से धनुष पर चढ़ डोरी के समान सश बनाता ं. इस कारण तू गभाधान करने म समथ बैल के समान स मन से सदा अपनी प नी पर आ मण कर. (७) अ या तर याज य पे व य च. अथ ऋषभ य ये वाजा तान तन् धे ह तनूव शन्.. (८) हे ओष ध! घोड़ , ब च , बकर , मेढ़ और बैल म जो वीय है, तू इस पु ष के शरीर म वैसा ही वीय था पत कर. (८)
सू -५
दे वता—वृषभ
सह शृ ो वृषभो यः समु ा दाचरत्. तेना सह येना वयं न जना वापयाम स.. (१) कामना एवं जल क वषा करने वाले सूय उदयाचल के समीपवत सागर से उदय होते ह. उ दत एवं श ु को वश म करने वाले सूय के ारा हम अपने सामने थत य को न ा-परवश बनाते ह. (१) न भू म वातो अ त वा त ना त प य त क न. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य सवाः वापय शुन े सखा चरन्.. (२) भू म पर वायु अ धक न चले अथात् तेज हवा के कारण लोग क न द न टू टे. सोए ए य म से कोई भी सर को न दे ख सके. हे इं के म वायु! तुम ाण वायु के प म शरीर म वतमान रह कर सभी समीपवत य और कु को सुला दो. (२) ो ेशया त पेशया नारीया व शीवरीः. यो याः पु यग धय ताः सवाः वापयाम स.. (३) जो यां आंगन म अथवा पलंग पर सो रही ह अथवा जो यां झूले आ द म सोने क अ य त ह और उ म गंध वाली ह, उन सब को म सुलाता ं. (३) एजदे जदज भं च ुः ाणमज भम्. अ ा यज भं सवा रा ीणाम तशवरे.. (४) सभी ग तशील ा णय को म ने सुला दया. उन के ने और ना सका न ा ारा गृहीत ह. उन के ह त, चरण आ द को भी म ने न ा म न करा दया है. यह सब म य रा के समय कया है, जब अंधकार क अ धकता होती है. (४) य आ ते य र त य त न् वप य त. तेषां सं द मो अ ी ण यथेदं ह य तथा.. (५) हमारे संचरण के समय जो माग म बैठा है तथा जो ठहर कर दे ख रहा है, म उन सब क आंख इस कार बंद करता ,ं जस कार दखाई दे ने वाला यह भवन दे खने म असमथ है. (५) व तु माता व तु पता व तु ा व तु व प तः. वप व यै ातयः व वयम भतो जनः.. (६) जस ी को न त कर के हम वश म करने के इ छु क ह, उस क माता सब से पहले सो जाए. इस के प ात उस का पता, घर क र ा करने वाला कु ा और घर का वामी उस का प त भी सो जाए. उस के बंधुबांधव एवं उस के घर क र ा के लए नयु चार ओर थत जन भी सो जाएं. (६) व व ा भकरणेन सव न वापया जनम्. ओ सूयम या वापया ुषं जागृतादह म इवा र ो अ तः.. (७) हे व के दे व! श या आ द पर सोने वाले इन जन को तथा अ य य को सूय दय तक न ा म न रखो. सब के सो जाने पर हसा और य से र हत हो कर इं के समान म भोग म संल न र ं एवं जागरण क ं . (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -६
दे वता— ा ण आ द
ा णो ज े थमो दशशीष दशा यः. स सोमं थमः पपौ स चकारारसं वषम्.. (१) सप म सब से पहले त क उ प आ, जो मनु य म था. उस के दस शीश और दस मुख थे. य आ द जा तय के कारण त क ने सब से पहले वगलोक म थत अमृत वाला ा ण त क कंद मूल आ द से उ प रस को वष के
ा ण के समान सप म पू य वाले सप से पहले उ प होने पया. सोम अथात् अमृत पीने भाव से हीन बनाए. (१)
यावती ावापृ थवी व र णा यावत् स त स धवो वत रे. वाचं वष य षण ता मतो नरवा दषम्.. (२) धरती और आकाश का जतना व तार है तथा सागर जतने प रमाण म थत है, म इन दोन थान म थत कंद, मूल, फल से उ प वष को न करने वाले मं से यु वाणी का उ चारण करता ं. (२) सुपण वा ग मान् वष थममावयत्. नामीमदो ना प उता मा अभवः पतुः.. (३) हे वष! सब से पहले सुंदर पंख वाले ग ड़ ने तु ह खाया था. इस कारण तू इस पु ष को मतवाला मत बना एवं वमूढ़ मत कर. हे वष! तू इस के लए अ बन जा. (३) य त आ यत् प चाङ् गु रव ा चद ध ध वनः. अप क भ य श या रवोचमहं वषम्.. (४) पांच अंगु लय वाले जस हाथ ने डोरी चढ़े ए होने के कारण झुके ए धनुष के ारा पु ष के शरीर म वष को प ंचाया है, उस हाथ को म सुपारी वृ के टु कड़े से मं क सहायता से भावहीन करता ं. (४) श याद् वषं नरवोचं ा ना त पणधेः. अपा ा छृ ात् कु मला रवोचमहं वषम्.. (५) बाण म लगे फल से जस वष ने शरीर म वेश कया, उसे म मं बल से बाहर नकालता ं. वषैले प वाले वृ से, लेप से, प से, पशु के स ग से एवं मल से जो वष उ प आ है, उसे म अपने मं बल से शरीर से अलग करता ं. (५) अरस त इषो श यो ऽ थो ते अरसं वषम्. उतारस य वृ य धनु े अरसारसम्.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे बाण! तेरा वष बुझा आ फल वष र हत हो जाए. इस के बाद तेरा वष भावहीन हो जाए. सारहीन वृ से बना आ और तुझ से संबं धत धनुष भी भावहीन हो जाए. (६) ये अपीषन् ये अ दहन् य आ यन् ये अवासृजन्. सव ते व यः कृता व वष ग रः कृतः.. (७) जो लोग वषपूण जड़ीबू टय को पीस कर खलाते ह, जो लोग लेप के प म वष का योग करते ह, जो वष को र से फकते ह तथा जो समीप रह कर अ , फल आ द म वष मला दे ते ह, म ने अपने मं के भाव से इन सब को श हीन बना दया है. जन पवत पर कंद मूल के प म वष उ प होता था, उ ह भी म ने श हीन कर दया है. (७) व य ते ख नतारो व वम योषधे. व ः स पवतो ग रयतो जात मदं वषम्.. (८) हे वषयु जड़ीबूट ! तुझे खोदने वाले श हीन हो जाएं तथा मेरे मं के भाव से तू भी भावहीन हो जा. जन पवत पर वषैले कंदमूल उ प होते ह, वे भी श हीन हो जाएं. (८)
सू -७
दे वता—वन प त
वा रदं वारयातै वरणाव याम ध. त ामृत या स ं तेना ते वारये वषम्.. (१) वारण वृ जहां उ प होते ह, उस वारणावती का वषहारी जल हम मनु य के वष को र करता है. उस जल म वग थत अमृत का वषनाशक भाव व मान है. इस कारण म उस अमृतमय जल से तेरे कंद, मूल आ द से उ प वष को र करता ं. (१) अरसं ा यं वषमरसं य द यम्. अथेदम रा यं कर भेण व क पते.. (२) मेरी मं श से पूव दशा और उ र दशा म उ प होने वाला वष भावहीन हो जाए. द ण, प म तथा नीचे क दशा म उ प होने वाला वष करंभ (भात) से साम यहीन हो जाए. (२) कर भं कृ वा तय पीब पाकमुदार थम्. ुधा कल वा नो ज वा स न पः.. (३) हे शरीर वाले वष! बना जाने ए खाया आ तू चरबी को जलाने वाला और उदर संबंधी रोग का जनक है. इस पु ष ने तुझे करंभ (भात) समझ कर खाया था. तू इस पु ष को मू छत मत बना. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व ते मदं मदाव त शर मव पातयाम स. वा च मव येष तं वचसा थापयाम स.. (४) हे मू छत करने वाली जड़ीबूट ! तेरे मू छा लाने वाले वष को म शरीर से इस कार र करता ं, जस कार धनुष से छू टा आ बाण र गरता है. हे वष! तू गु त प से जाने वाले त के समान शरीर के अंग म ा त हो जाता है. म अपनी मं श से तुझे शरीर से नकाल कर र करता ं. (४) प र ाम मवा चतं वचसा थापयाम स. त ा वृ इव था य खाते न पः.. (५) हे खोदने से ा त होने वाली जड़ीबूट ! जनसमूह के समान भावशाली तेरे वष को भी हम अपनी मं श के ारा शरीर से नकाल कर र था पत करते ह. तू अपने थान पर वृ के समान न ल रह तथा इस पु ष को मू छत मत कर. (५) पव तै वा पय णन् श भर जनै त. र स वमोषधे ऽ खाते न पः.. (६) हे वषमूलक जड़ीबूट ! मह षय ने तुझे झाड के तनक के बदले खरीदा है. तू ह रण आ द पशु के चम के बदले य क गई है. तू बड़े प र म से खरीद गई है, इस लए यहां से र हो जा और इस पु ष को मू छत मत कर. (६) अना ता ये वः थमा या न कमा ण च रे. वीरान् नो अ मा दभन् तद् व एतत् पुरो दधे.. (७) हे पु षो! तु हारे तकूल आचरण करने वाले श ु ने पहले जो य आ द कम कए ह, उन कम के ारा वे हमारे पु , पौ आ द को इस थान पर ह सत न कर. कया जाता आ यह च क सा कम म उन क र ा के लए तु हारे सामने उप थत करता ं. (७)
सू -८
दे वता—जल
भूतो भूतेषु पय आ दधा त स भूतानाम धप तबभूव. त य मृ यु र त राजसूयं स राजा रा यमनु म यता मदम्.. (१) अ भषेक ारा ऐ य ा त करने वाला राजा ही समृ जनपद म भो य साम ी प ंचाता है. इस कार वह ा णय का वामी आ. मृ यु के दे व यमराज को दं ड दलाने और स जन का पालन करने के लए ही राजा का राजसूय य कराते ह. वह राजा इस रा य को तथा न ह और स जन प रपालन के कम को वीकार करे. (१) अ भ े ह माप वेन उ े ा सप नहा. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ त
म वधन तु यं दे वा अ
ुवन्.. (२)
हे राजा! तुम सहासन तथा हाथी, रथ, घोड़ा आ द सवा रय के त अ न छा मत करो. तुम श शाली एवं काय अकाय का ान रखने वाले हो. तुम श ु हंता हो, राज सहासन पर बैठ कर तुम म का क याण करो. इं आ द दे व तु ह अपना कह. (२) आ त तं प र व े अभूषञ् यं वसान र त वरो चः. महत् तद् वृ णो असुर य नामा व पो अमृता न त थौ.. (३) सहासन पर बैठे ए राजा क सब लोग सेवा कर. राजा भी सहासन पर बैठ कर रा यल मी को धारण करे, तेज वी बने तथा जा पालन म त पर हो. अ भषेक से उ प रा यतेज दस दशा म फैल जाए. श ु को र भगाने वाले राजा के नाममा से श ु भयभीत होने लग. यह राजा श ु, म , प नी आ द के त व वध कार का वहार करता आ दं ड, यु , अ ययन आ द कम करे. (३) ा ो अ ध वैया े व म व दशो महीः. वश वा सवा वा छ वापो द ाः पय वतीः.. (४) हे राजा! तुम ा चम पर बैठ कर और बाघ के समान अपराजेय हो कर पूव आ द वशाल दशा को जीतो. तेज वी होने के कारण सारी जाएं तु हारी कामना कर तथा द जल तु हारे रा य को ा त हो, जस से तु हारे रा य म अकाल न पड़े. (४) या आपो द ाः पयसा मद य त र उत वा पृ थ ाम्. तासां वा सवासामपाम भ ष चा म वचसा.. (५) हे राजा! आकाश से बरसने वाले जो जल अपने रस से, ा णय को तृ त करते ह, अंत र और पृ वी पर जो जल थत ह, म तीन लोक म थत इन जल से तु हारा अ भषेक करता ं. (५) अ भ वा वचसा सच ापो द ाः पय वतीः. यथासो म वधन तथा वा स वता करत्.. (६) हे राजा! द जल अपने तेज से तु ह स चे, जस से तुम म सब को ेरणा दे ने वाले स वता दे व तु ह साम य द. (६)
के बढ़ाने वाले बनो.
एना ा ं प रष वजानाः सहं ह व त महते सौभगाय. समु ं न सुभुव त थवांसं ममृ य ते पनम व १ तः.. (७) नद के प म जल जस कार सागर को स करते ह, उसी कार द जल राजा को श शाली बनाएं. जस कार माता पु का आ लगन करती है, उसी कार महान ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सौभा य ा त करने के लए जल राजा को श पूण बनाते ह. जल म वतमान गडे के समान अपराजेय राजा को सेवक जन अ भषेक के ारा और व ाभूषण से अलंकृत कर. (७)
सू -९
दे वता— ैककुदांजन
ए ह जीवं ायमाणं पवत या य यम्. व े भदवैद ं प र धज वनाय कम्.. (१) हे अंजन म ण! तू ककुद नामक पवत से जी वत ा णय क र ा के लए आ. तू ककुद पवत क आंख है. इं आ द सभी दे व ने रोग र हत रहने के लए तुझे चहारद वारी के प म दान कया है. (१) प रपाणं पु षाणां प रपाणं गवाम स. अ नामवतां प रपाणाय त थषे.. (२) हे ककुद पवत पर उ प अंजन म ण! तू पु ष , गाय , घोड़ और घो ड़य क र ा के लए थत है. (२) उता स प रपाणं यातुज भनमा न. उतामृत य वं वे थाथो अ स जीवभोजनमथो ह रतभेषजम्.. (३) हे अंजन! तू रा स, पशाच आ द से उ प पीड़ा का नाश करने वाला है. तू अमृत का सार जानता है. तू अ न नवारण करने के कारण जीव का पालक है. तू पांडु रोग से उ प कालेपन को र करने वाला है. (३) य या न सप य म ं प प ः. ततो य मं व बाधस उ ो म यमशी रव.. (४) हे अंजन! तू जस पु ष के शरीर के सभी अंग और अंग क सं धय म वेश कर के ा त होता है, उस के शरीर से तू य मा रोग को इस कार र करता है, जस कार श शाली वायु मेघ के जल को णमा म र ले जाती है. (४) नैनं ा ो त शपथो न कृ या ना भशोचनम्. नैनं व क धम ुते य वा बभ या न.. (५) हे अंजन! जो पु ष तुझे धारण करता है, उस तक सरे के ारा ा त कया आ पाप नह प ंचता तथा सरे य ारा कए गए अ भचार से उ प कृ या नाम क रा सी भी उस तक न प ंचे. कृ या से उ प शोक भी तुझे ा त न हो तथा व न भी उस तक न प ंचे. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अस म ाद् व याद् कृता छमला त. हाद ुषो घोरात् त मा ः पा ा न.. (६) हे अंजन म ण! अ भचार संबंधी बुरे मं से उ प ःख से, बुरे व से ा त ःख से, पूवज म म कए ए पाप से, सरे के ारा कए ए पाप से, षत मन से तथा सर के ू र ने से हमारी र ा करो. (६) इदं व ाना न स यं व या म नानृतम्. सनेयम ं गामहमा मानं तव पू ष.. (७) हे अंजन! तेरी म हमा को जानता आ म यथाथ ही क ंगा, अस य नह बोलूंगा. तु हारा दास बन कर म घोड़ा, गाय एवं जीवन को ा त क ं . (७) यो दासा आ न य त मा बलास आद हः. व ष ः पवतानां ककु ाम ते पता.. (८) क ठनता से जी वत रखने वाला वर, स पात और सप का वष—ये तीन दास के समान अंजन म ण के वश म ह. अथात् अंजनम ण इन के वकार को र कर दे ती है. पवत म सब से ाचीन ककुद तु हारा पता है. (८) यदा नं ैककुदं जातं हमवत प र. यातूं सवाञ्ज भयत् सवा यातुधा यः.. (९) हमालय पवत के ऊपर के भाग म ककुद नाम का पवत है. वहां उ प अंजन वृ सभी रा स और सभी रा सय को न करे. (९) य द वा स क ै कुदं य द यामुनमु यसे. उभे ते भ े ना नी ता यां नः पा ा न.. (१०) हे अंजन! तू मनु य ारा चाहे ककुद पवत से संबं धत कहा जाता है अथवा यमुना से संबं धत. तेरे ैककुद और यामुन दोन ही नाम क याणकारी ह. तू अपने दोन नाम के ारा हमारी र ा कर. (१०)
सू -१०
दे वता—शंखम ण, तृशन
वाता जातो अ त र ाद् व ुतो यो तष प र. स नो हर यजाः शङ् खः कृशनः पा वंहसः.. (१) वायु से उ प , अंत र से उ प , बजली से उ प , यो त मंडल के ऊपर के थान से उ प तथा वग से उ प शंख पाप से हमारी र ा करे. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो अ तो रोचनानां समु ाद ध ज षे. शङ् खेन ह वा र ां य णो व षहामहे.. (२) हे शंख! तू का शत होने वाले न के आगे वतमान होता है तथा सागर के ऊपर वाले भाग पर ज म लेता है. हम तेरे ारा रा स और पशाच को परा जत करते ह. (२) शङ् खेनामीवामम त शङ् खेनोत सदा वाः. शङ् खो नो व भेषजः कृशनः पा वंहसः.. (३) हम म ण के प म ा त शंख से रोग और सभी अनथ के मूल अ ान के साथसाथ द र ता को भी परा जत करते ह. सभी उप व का वनाशक और वण से उ प शंख पाप से हमारी र ा करे. (३) द व जातः समु जः स धुत पयाभृतः. स नो हर यजाः शङ् ख आयु तरणो म णः.. (४) शंख पहले वगलोक म और उस के बाद समु म उ प आ. नद के उद्गम थान से लाया आ तथा वण न मत शंख और शंख से न मत म ण हमारी आयु वृ करने वाली हो. (४) समु ा जातो म णवृ ा जातो दवाकरः. सो अ मा सवतः पातु हे या दे वासुरे यः.. (५) समु अथवा आकाश से उ प म ण शंख का उपादान है अथात् म ण से ही शंख का नमाण होता है. यह म ण न मत शंख बादल से बाहर नकले सूय के समान दमकता है. शंख से न मत यह म ण हम दे व और असुर के भय से बचाए. (५) हर यानामेको ऽ स सोमात् वम ध ज षे. रथे वम स दशत इषधौ रोचन वं ण आयूं ष ता रषत्.. (६) हे शंख! तू वण, रजत आ द भा वर म मुख है, य क तू अमृतमय चं मंडल से उ प आ है. यु म तू रथ पर दखाई दे ने यो य है. तरकश म भरा आ तू द त दखाई दे ता है. इस कार का शंख अथवा शंख से न मत म ण हमारी आयु को बढ़ाए. (६) दे वानाम थ कृशनं बभूव तदा म व चर य व १ तः. तत् ते ब ना यायुषे वचसे बलाय द घायु वाय शतशारदाय काशन वा भ र तु.. (७) इं आ द दे व का जो र क था, वह वण शंख का कारण आ अथात् वण से शंख का नमाण आ. वह वण शंख के प म शरीर धारण कर के जल के भीतर व मान ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रहता है. हे य ोपवीतधारी चारी! म इस कार से शंख के प म थत वण को तेरे शरीर म चरकाल जीवन के लए बांधता ं. यह वण संबंधी म ण तुझे श , तेज एवं द घ आयु दान करने के साथसाथ सौ वष तक तेरी र ा करे. (७)
सू -११
दे वता—इं अनड् वान
के
प
म
अनड् वान् दाधार पृ थवीमुत ामनड् वान् दाधारोव १ त र म्. अनड् वान् दाधार दशः षडु व रनड् वान् व ं भुवनमा ववेश.. (१) गाड़ी ढोने म समथ बैल हल जोतने आ द के कारण पृ वी का पोषक है. वही बैल च , पुरोडाश आ द क उ प म सहायक होने के कारण आकाश और अंत र को भी धारण करता है. पूव आ द महा दशा का पोषण कता भी यही धम पी बैल है. इस कार ा ारा बनाया गया यह बैल पृ वी आ द सभी लोक क र ा के लए उन म वेश कर के थत रहता है. (१) अनड् वा न ः स पशु यो व च े या छ ो व ममीते अ वनः. भूतं भ व यद् भुवना हानः सवा दे वानां चर त ता न.. (२) यह बैल इं है. इस लए सभी पशु क अपे ा अ धक तेज वी है. जस कार बैल अव छ प से संतान उ प करता है, इं उसी कार भूत, भ व य और वतमान व तु को उ प करता आ अ य दे व के काय करता है. (२) इ ो जातो मनु ये व तघम त त र त शोशुचानः. सु जाः स स उदारे न सषद् यो ना ीयादनडु हो वजानन्.. (३) मनु य म वह बैल इं के समान है. वह बैल धम है. वह सूय के प म सारे जगत् को ऊजा एवं काश दे ता आ वचरण करता है. जो हमारे ारा बैल को दया गया मह व वशेष प से जानता है, वह सभी सुख को भोगता है और शोभन संतान यु हो कर दे ह याग करने के बाद संसार म नह आता. (३) अनड् वान् हे सुकृत य लोक ऐनं यायय त पवमानः पुर तात्. पज यो धारा म त ऊधो अ य य ः पयो द णा दोहो अ य.. (४) इं दे व पी यह बैल य आ द पु य से ा त लोक म अ धक फल दे ता है. य के आरंभ म शोधन कया गया यह अमृतमय सोम इस बैल को रस से भर दे ता है. वृ ेरकदे व ध क धारा है. उनचास पवन ऐन ह, सभी कार का य इस का ध है और य म द गई द णा ही हने क या है. इस कार इस इं और धम पी बैल का दोहन अ य होता है. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य य नेशे य प तन य ो ना य दातेशे न त हीता. यो व जद् व भृद ् व कमा घम नो ूत यतम तु पात्.. (५) यजमान इस दे वता प बैल का वामी नह है. य , दान दे ने वाला और दान हण करने वाला भी इस का वामी नह है. यह व को जीतने वाला तथा व का भरणपोषण करने वाला है. सम त व इसी का काय है. चार चरण वाला यह वृषभ हम तेज वी सूय का व प बताता है. (५) येन दे वाः वरा ह वा शरीरममृत य ना भम्. तेन गे म सुकृत य लोकं घम य तेन तपसा यश यवः.. (६) इस वृषभ प धम क सहायता से दे वगण शरीर याग कर वग को ा त ए ह. वह वग अमृत क ना भ है. इस वृषभ क सहायता से हम पु य के फल के प म ा त भूलोक पर वजय करते ह. द त वाले सूय से संबं धत वृ के ारा हम आ द य के सुख क इ छा करते ह. (६) इ ो पेणा नवहेन जाप तः परमे ी वराट् . व ानरे अ मत वै ानरे अ मतानडु मत. सो ऽ ं हयत सो ऽ धारयत.. (७) यह वृषभ आकृ त से इं तथा अपने कंधे से अ न के समान है. इस कार यह वृषभ जाप त प है. (७) म यमेतदनडु हो य ैष वह आ हतः. एतावद य ाचीनं यावान् यङ् समा हतः.. (८) इस वृषभ के शरीर म जाप त व ह. उ ह ने इस के शरीर के म य भाग को भार वहन करने यो य बनाया है. इस के म य भाग म भार रखा है. इस के अगले और पछले दोन भाग समान ह. (८) यो वेदानडु हो दोहा स तानुपद वतः. जां च लोकं चा ो त तथा स तऋषयो व ः.. (९) जो पु ष इस बैल के य र हत जौ आ द प सात दोहन को जानता है, वह पु , पौ आ द संतान तथा वग आ द लोक को ा त करता है. इस बात को स त ऋ ष जानते ह. (९) प
ः से दमव ाम रां जङ् घा भ खदन्. मेणानड् वान् क लालं क नाश ा भ ग छतः.. (१०)
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यह जाप त प वृषभ नराशा उ प करने वाली द र ता को अपने चार चरण से धे मुंह गरा कर अपनी जंघा से धरती को खोदता है. यह बैल अपने म से कसान को अ दे ता है. (१०) ादश वा एता रा ी या आ ः जापतेः. त ोप यो वेद तद् वा अनडु हो तम्.. (११) इस वृषभ म ा त य ा मक जाप त के त के यो य बारह रा य को व मान बताते ह. उन रा य म जाप त पी वृषभ को जो जानता है, वही इस त का अ धकारी है. (११) हे सायं हे ात हे म य दनं प र. दोहा ये अ य संय त तान् व ानुपद वतः.. (१२) ऊपर बताए गए ल ण वाले वृषभ को म सायंकाल, ातःकाल और दोपहर के समय हता ं. म सभी य के अनु ान के फल को भी हता ं. इस वृषभ के जो दोहन फल दान करते ह, उ ह म जानता ं. (१२)
दे वता—रो हणी वन प त
सू -१२ रोह य स रोह य न छ रोहयेदम ध त.. (१)
य रोहणी.
हे लाल रंग वाली लाख! तू घाव को भरने वाली है, इस लए तू तलवार क धार से कटे ए इस अंग से बहते र को उसी थान पर रोक दे . हे अ ं धती दे वी! तू इस र नकले ए अंग को र यु एवं बना घाव वाला बना. (१) यत् ते र ं यत् ते ु म त पे ं त आ म न. धाता तद् भ या पुनः सं दधत् प षा प ः.. (२) हे श से घायल पु ष! तेरा जो अंग घायल और श हार क वेदना से जल रहा है तथा तेरा जो अंग मुगदर आ द के हार से भ न हो गया है, वधाता तेरे उन अंग को लाख के ारा जोड़ दे . (२) सं ते म जा म ा भवतु समु ते प षा प ः. सं ते मांस य व तं सम य प रोहतु.. (३) हे घायल पु ष! तेरे शरीर क जो चरबी चोट से वभ हो गई है, वह जुड़ जाए और तू सुख का अनुभव करे. तेरे शरीर क टू ट ई हड् डी भी जुड़ जाए. हार के घाव से कटा आ मांस सुखपूवक उ प हो जाए तथा तेरे शरीर क टू ट ई हड् डी सुख से जुड़ जाए. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म जा म ा सं धीयतां चमणा चम रोहतु. असृक् ते अ थ रोहतु मांसं मांसेन रोहतु.. (४) तेरी चरबी से चरबी मल जाए. चमड़ा चमड़े से मल जाए और तेरे शरीर से टपकता आ र मं और ओष ध के भाव से पुनः हड् डी को ा त हो. तेरा मांस मांस से मल जाए. (४) लोम लो ना सं क पया वचा सं क पया वचम्. असृक् ते अ थ रोहतु छ ं सं धे ोषधे.. (५) हे लाख नाम क ओष ध! तू हार के कारण शरीर से पृथक् वचा को वचा से मला दे . हे घायल पु ष! तेरी ह ड् डय पर र दौड़ने लगे. हे ओष ध! शरीर का जो भी कटा आ भाग है, उसे जोड़ कर दै नक ग त व धय म स म बना. (५) स उत् त े ह व रथः सुच ः सुप वः सुना भः. त त ो वः.. (६) हे श के हार से घायल पु ष! मं और ओष ध क श से तेरा घायल अंग व थ हो गया है. तू चारपाई से उठ कर उसी कार तेजी से दौड़, जस कार रथ उ म प हय और ढ़ धुर से यु हो कर तेजी से चलता है. (६) य द कत प त वा संश े य द वाशमा तो जघान. ऋभू रथ येवा ा न सं दधत् प षा प ः.. (७) हे पु ष! य द काटने वाला आयुध तेरे शरीर पर गर कर उस को काट रहा है अथवा सर के ारा फका आ प थर तुझे चोट प ंचा रहा है, तेरे शरीर के उन अंग को मं और ओष ध का भाव उसी कार व थ बनाए, जस कार बढ़ई रथ के भ अंग को जोड़ कर एक कर दे ता है. (७)
सू -१३
दे वता— व े दे व
उत दे वा अव हतं दे वा उ यथा पुनः. उताग ु षं दे वा दे वा जीवयथा पुनः.. (१) हे दे वो! य ोपवीत सं कार वाले इस बालक को धम पालन के वषय म सावधान करो. इसे अ ययन से उ प ान आ द फल ा त कराओ. हे दे वो! इस ने अनु ान न करने के प म जो पाप कया है, उस से इस क र ा करो. तुम इसे सौ वष तक जी वत रखो. (१) ा वमौ वातौ वात आ स धोरा परावतः. द ं ते अ य आवातु १ यो वातु यद् रपः.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सागर और उस से भी र दे श से आने वाली दोन कार क हवाएं चल. ाण और अपान वायु इस के शरीर म ग त कर. हे उपनयन सं कार वाले पु ष! ाण वायु तुझे बल दान करे तथा अपान वायु तेरे पाप को र करे. (२) आ वात वा ह भेषजं व वात वा ह यद् रपः. वं ह व भेषज दे वानां त ईयसे.. (३) हे वायु! सभी रोग का वनाश करने वाली जड़ीबूट लाओ तथा रोग उ प करने वाले पाप का वनाश करो. हे वायु! तुम सभी ा धय को र करने वाली हो, इसी लए तु ह इं आ द दे व का त कहा जाता है. (३) ाय ता ममं दे वा ाय तां म तां गणाः. ाय तां व ा भूता न यथायमरपा असत्.. (४) इं आ द दे व इस उपनयन सं कार वाले चारी क र ा कर. उनचास म त् इस क र ा कर. सभी ाणी इस क इस कार र ा कर, जस से यह पाप र हत हो सके. (४) आ वागमं श ता त भरथो अ र ता त भः. द ं त उ माभा रषं परा य मं सुवा म ते.. (५) हे उपनयन सं कार वाले चारी! म सुख दे ने वाले मं और क याणकारी कम के साथ तेरे पास आया ं. म तेरे लए उ एवं समृ दे ने वाला बल लाया ं. म य मा रोग को तुझ से र भगाता ं. (५) अयं मे ह तो भगवानयं मे भगव रः. अयं मे व भेषजो ऽ यं शवा भमशनः.. (६) मुझ ऋ ष का यह हाथ भा य वाला एवं भा यवा लय से भी अ धक उ म है. मेरा यह हाथ सभी रोग को र करने वाली ओष ध है. इस का पश सुख दे ने वाला हो. (६) ह ता यां दशशाखा यां ज ा वाचः पुरोगवी. अनाम य नु यां ह ता यां ता यां वा भ मृशाम स.. (७) हे उपनयन सं कार वाले बालक! जाप त के दस उंग लय वाले हाथ के ारा न मत जीभ श द के आगेआगे चलती है. सर वती का उस म अ ध ान है. जाप त के उ ह रोगनाशक हाथ से म तेरा पश करता ं. (७)
सू -१४ अजो
दे वता—अ न, आ य १ नेरज न शोकात् सो अप य ज नतारम े.
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तेन दे वा दे वताम आयन् तेन रोहान्
म यासः.. (१)
बकरा अ न के ताप से उ प आ था. उस ने सभी पशु क सृ करने वाले जाप त को सब से पहले दे खा. सृ के आ द म इं आ द दे व उसी बकरे के कारण दे व व को ा त ए. उसी बकरे को साधन बना कर अ य ऋ ष भी वग आ द लोक म प ंचे. (१) म वम नना नाकमु यान् ह तेषु ब तः. दव पृ ं वग वा म ा दे वे भरा वम्.. (२) हे मनु यो! तुम य के न म व लत अ न के ारा ःख र हत वग म प ंचो. अंत र क पीठ के समान वग म प ंच कर तुम दे व के समान ऐ य ा त करो तथा वह नवास करो. (२) पृ ात् पृ थ ा अहम त र मा हम त र ाद् दवमा हम्. दवो नाक य पृ ात् व १ य तरगामहम्.. (३) म पृ वी क पीठ अथात् भूलोक से अंत र लोक पर और अंत र से वगलोक पर चढ़ता ं. ःख र हत वग क पीठ से म सूयमंडल म थत हर यगभ पी यो त को ा त करता ं. (३) व १ य तो नापे त आ ां रोह त रोदसी. य ं ये व तोधारं सु व ांसो वते नरे.. (४) य के फल से ा त होने वाले वग को जाने वाले लोग पु , पशु आ द संबंधी सुख क इ छा नह करते ह. जो यजमान व को धारण करने वाले य को भलीभां त जानते ए उस का व तार करते ह, वे वग को जाते ह. (४) अ ने े ह थमो दे वतानां च ुदवानामुत मानुषाणाम्. इय माणा भृगु भः सजोषाः वय तु यजमानाः व त.. (५) हे अ न दे व! तुम दे व म मु य होने के कारण य करने यो य थान पर प ंचो. अ न दे व ह व प ंचाने के कारण इं आ द दे व को ने के समान य ह तथा मनु य को य के ारा पु यलोक का दशन कराते ह. अ न के काश म य करने के इ छु क एवं य करने वाले भृगुवंशी मह षय के साथ समान ी त वाले बन कर य के फल के प म वग ा त कर. (५) अजमन म पयसा घृतेन द ं सुपण पयसं बृह तम्. तेन गे म सुकृत य लोकं वरारोह तो अ भ नाकमु मम्.. (६) ुलोक के यो य एवं यजमान को वग म प ंचाने वाले बकरे को म रसयु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
घी से
चुपड़ता ं. इस कार के बकरे क सहायता से पु य के फल के प म मलने वाले वगलोक को जाएं तथा ःख के पश से शू य हो कर उ म सूय यो त को ा त कर. (६) प चौदनं प च भरङ् गु ल भद र प चधैतमोदनम्. ा यां द श शरो अज य धे ह द णायां द श द णं धे ह पा म्.. (७) हे पाचक! पांच भाग म कटे ए इस बकरे को अपनी पांच उंग लय क सहायता से पकड़ी ई कलछ के सहारे बटलोई से नकाल कर कुश पर रखो. पांच भाग म वभा जत इस बकरे के पके ए सर को पूव दशा म रखो तथा इस के शरीर के दाएं भाग को द ण दशा म था पत करो. (७) ती यां द श भसदम य धे र यां द यु रं धे ह पा म्. ऊ वायां द य१ज यानूकं धे ह द श ुवायां धे ह पाज यम त र े म यतो म यम य.. (८) इस बकरे क कमर के पके ए मांस को प म दशा म तथा इस के बाएं भाग के मांस को उ र दशा म रखो. इस क पीठ के मांस को ऊपर क दशा म तथा पेट के मांस को नीचे क दशा म रखो. इस के शरीर के म यवत मांस को आकाश म था पत करो. (८) शृतमजं शृतया ोणु ह वचा सवर ै ः स भृतं व पम्. स उत् त ेतो अ भ नाकमु मं प तु भः त त द ु.. (९) अपने सभी अंग से पूण बने बकरे को सभी दशा म ा त करो. हे बकरे! तुम इस लीक से चार पैर के ारा वगलोक म चढ़ते ए चार दशा को ा त करो. (९)
सू -१५
दे वता— दशाएं
समु पत तु दशो नभ वतीः सम ा ण वातजूता न य तु. महऋषभ य नदतो नभ वतो वा ा आपः पृ थव तपय तु.. (१) पूव आ द दशाएं वायु एवं मेघ से यु हो कर उदय ह . जल से भरे ए मेघ वायु से े रत हो कर पर पर मल जाएं. सांड़ के समान गजन करते ए एवं वायु से े रत मेघ ारा बरसाए गए जल धरती को तृ त कर. (१) समी य तु त वषाः सुदानवो ऽ पां रसा ओषधी भः सच ताम्. वष य सगा महय तु भू म पृथग् जाय तामोषधयो व पाः.. (२) महान् एवं शोभन गान वाले म द्गण वषा के ारा हम पर अनु ह कर. जल के रस धरती म बोए गे ,ं जौ आ द के बीज से मल जाएं. वषा के जल क धाराएं धरती क पूजा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कर. वषा ारा स चत भू म से नाना अलगअलग उ प ह . (२)
कार क जौ, गे ं आ द फसल जा त भेद से
समी य व गायतो नभां यपां वेगासः पृथगुद ् वज ताम्. वष य सगा महय तु भू म पृथग् जाय तां वी धो व पाः.. (३) हे म द्गण! तुम तु त करते ए हम लोग को मेघ के दशन कराओ. वेग यु जल धाराएं इधरउधर बह. वषा के जल क धाराएं धरती क पूजा कर. वषा ारा स चत भू म से नाना कार क जौ, गे ं आ द फसल जा त भेद से अलगअलग उ प ह . (३) गणा वोप गाय तु मा ताः पज य घो षणः पृथक्. सगा वष य वषतो वष तु पृ थवीमनु.. (४) हे पज य अथात् वषा के दे व! गजन करते ए म त का समूह तु हारी तु त करे. वषा के जल क बूंद अनेक प धारण कर के पृ वी को गीला कर. (४) उद रयत म तः समु त वेषो अक नभ उत् पातयाथ. महऋषभ य नदतो नभ वतो वा ा आपः पृ थव तपय तु.. (५) हे म तो! समु से वषा का जल ऊपर उठाओ. द तशाली एवं जलयु आकाश बादल को ऊपर उठाएं. सांड़ के समान गजन करते ए एवं वायु से े रत मेघ ारा बरसाए गए जल धरती को तृ त कर. (५) अ भ द तनयादयोद ध भू म पज य पयसा सम ङ् ध. वया सृ ं ब लमैतु वषमाशारैषी कृशगुरे व तम्.. (६) हे पज य! चार ओर गजन करो एवं मेघ म वेश कर के श द करो. तुम बरसे ए जल से धरती को स चो. तु हारे ारा े रत गाढ़ा एवं वषा करने म समथ बादल आए. जल क धारा का इ छु क एवं कृश करण वाला सूय छप जाए. (६) सं वो ऽ व तु सुदानव उ सा अजगरा उत. म ः युता मेघा वष तु पृ थवीमनु.. (७) हे मनु यो! शोभन दान वाले म त् तु ह तृ त कर. अजगर से भी मोट जल धाराएं उ प ह . वायु के ारा े रत मेघ पृ वी पर वषा कर. (७) आशामाशां व ोततां वाता वा तु दशो दशः. म ः युता मेघाः सं य तु पृ थवीमनु.. (८) येक दशा म बजली चमके और बादल को लाने वाली हवाएं चल. वायु के ारा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
े रत मेघ पृ वी पर वषा कर. (८) आपो व ुद ं वष सं वो ऽ व तु सुदानव उ सा अजगरा उत. म ः युता मेघाः ाव तु पृ थवीमनु.. (९) हे शोभन दान वाले म तो! तुम से संबं धत मेघ का जल, बजली, जल से भरे ए मेघ तथा अजगर के समान मोट जल धाराएं पृ वी पर वा हत ह . (९) अपाम न तनू भः सं वदानो य ओषधीनाम धपा बभूव. स नो वष वनुतां जातवेदाः ाणं जा यो अमृतं दव प र.. (१०) बादल म थत जल के शरीर से मली ई बजली पी अ न पैदा होने वाली जड़ीबू टय क वा मनी है. उ प होने वाले ा णय के ाता अ न दे व जा को जीवन दे ने वाली तथा वग का अमृत ा त कराने वाली वषा हम दान कर. (१०) जाप तः स ललादा समु ादाप ईरय ुद धमदया त. यायतां वृ णो अ य रेतो ऽ वाङे तेन तन य नुने ह.. (११) जा के पालक सूय ापक सागर से जल को वषा के न म े रत करते ए पी ड़त कर. ापक एवं घोड़े के समान वेग वाले मेघ का वषा जल पी वीय वृ को ा त हो. हे पज य! तुम इस श शाली मेघ के ारा हमारे सामने आओ. (११) अपो न ष च सुरः पता नः स तु गगरा अपां व णाव नीचीरपः सृज. वद तु पृ बाहवो म डू का इ रणानु.. (१२) मेघ के ज मदाता एवं वषा के जल के ारा सब के र क सूय हमारे पता ह. वे वषा के जल को नीचे गराएं. इस के प ात गड़गड़ श द करती ई जल धाराएं बह. हे व ण! तुम भी पृ वी को स चने वाले जल मेघ से नीचे गराओ. ेत भुजा वाले मेढक तृण र हत भू म पर चेतना ा त कर के श द कर. (१२) संव सरं शशयाना ा णा तचा रणः. वाचं पज य ज वतां म डू का अवा दषुः.. (१३) एक वष तक सोए रहने वाले मेढक वष के अंत म वषा के जल से जागृत हो कर तचारी ा ण के समान पज य को स करने वाली वाणी बोलते ह. (१३) उप वद म डू क वषमा वद ता र. म ये द य लव व वगृ चतुरः पदः.. (१४) हे मेढक ! तू स ता को ा त कर के टरटर श द कर. हे द री! तू ऐसा श द कर क ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तेरे घोष से वषा होने लगे. वषा के जल से भरे ए सरोवर के म य म तू अपने चार पैर को उछलने के अनुसार फैला कर छलांग लगा. (१४) ख वखा ३ इ खैमखा ३ इ म ये त र. वष वनु वं पतरो म तां मन इ छत.. (१५) हे खंडख, हे खेमख और हे ता री नामक मेढ कयो! तुम तालाब के म य म रह कर अपने घोष से हम वषा दान करो. हे हमारे पालनकता मंडूको! तुम अपने घोष से वायु का मन वश म कर लो. (१५) महा तं कोशमुदचा भ ष च स व ुतं भवतु वातु वातः. त वतां य ं ब धा वसृ ा आन दनीरोषधयो भव तु.. (१६) हे पज य! तुम सागर से वशाल मेघ का उ ार करो तथा मेघ क वषा से सारी धरती को स चो. तुम उस मेघ को बजली वाला बनाओ. हवा वषा के अनुकूल चले तथा हवा वषा के अनुकूल हो. वषा के ारा अनेक कार से े रत जल य का व तार करे. जौ, गे ं आ द फसल वषा के जल से ह षत ह . (१६)
सू -१६
दे वता—व ण
बृह ेषाम ध ाता अ तका दव प य त. य ताय म यते चर सव दे वा इदं व ः.. (१) महान व ण इन श ु का नयं ण करते ए इन के सभी अ यायी जन को समीप से दे खते ह. व ण जगत् क थावर एवं जंगम सभी व तु को जानते ह. अत य ान के कारण दे वगण थर और न र सभी त व को जानते ह. (१) य त त चर त य व च त यो नलायं चर त यः तङ् कम्. ौ सं नष य म येते राजा तद् वेद व ण तृतीयः.. (२) जो श ु सामने खड़ा होता है, जो चलता है, जो कु टलतापूवक ठगता है, जो छप कर तकूल आचरण करता है तथा जो श ु क मय जीवन पा कर वरोध करता है, महान व ण इन सभी श ु को समय से दे खते ह. दो एकांत म बैठ कर जो गु त मं णा करते ह, उसे राजा व ण तीसरे के प म जानते ह. (२) उतेयं भू मव ण य रा उतासौ ौबृहती रेअ ता. उतो समु ौ व ण य कु ी उता म प उदके नलीनः.. (३) यह भू म भी का न ह करने वाले वामी व ण के वश म रहती है. समीप और र तक फैली ई धरती भी उ ह के अ धकार म है. पूव और प म म वतमान सागर व ण क ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कोख म है. इस कार व प जल म भी सारा जगत् छपा आ है. (३) उत यो ाम तसपात् पर ता स मु यातै व ण य रा ः. दव पशः चर तीदम य सह ा ा अ त प य त भू मम्.. (४) जो अनथकारी श ु पु य कम से ा त होने वाले वग का अ त मण कर के कुमाग पर चलता है, वह राजा व ण के पाश से न छू टे . वगलोक से नकलने वाले व ण के गु तचर पृ वी पर घूमते ह. वे हजार आंख वाले होने के कारण भूलोक के सारे वृ ांत को दे खते ह. (४) सव तद् राजा व णो व च े यद तरा रोदसी यत् पर तात्. सं याता अ य न मषो जनानाम ा नव नी न मनो त ता न.. (५) धरती और आकाश के म य म तथा राजा व ण के सामने जो ाणी रहते ह, उ ह वे वशेष प से दे खते ह. उन के भलेबुरे कम क गणना करने वाले व ण उन के कम के अनुसार ऐसा दं ड न त करते ह, जस कार जुआरी अपनी वजय के लए पासे फकता है. (५) ये ते पाशा व ण स तस त ेधा त त व षता श तः. छन तु सव अनृतं वद तं यः स यवा त तं सृज तु.. (६) हे व ण! तु हारे उ म, म यम एवं अधम ेणी के सातसात पा पय के न ह के न म जहांतहां बंधे ए ह. वे पाश पा पय क हसा करते ए थत ह, वे पाश अस य भाषण करने वाले हमारे श ु को काट द और जो स यवाद है, उसे छोड़ द. (६) शतेन पाशैर भ धे ह व णैनं मा ते मो यनृतवाङ् नृच ः. आ तां जा म उदरं ंश य वा कोश इवाब धः प रकृ यमानः.. (७) हे व ण! अपने सौ पाश से इस अस यवाद को बांधो. हे मनु य के भलेबुरे कम को दे खने वाले! अस य बोलने वाला तुम से छू टने न पाए. बना वचारे काम करने वाला अपने उदर को जलोदर रोग से षत पा कर तलवार क यान के समान झूलता रहे. (७) यः समा यो ३ व णो यो ो यो ३ यः संदे यो ३ व णो यो वदे यः. यो दै वो व णो य मानुषः.. (८) व ण के सामा य पाश समान प से एवं वशेष पाश व ध प से मनु य को रोगी बनाते ह. व ण का जो पाश समान दे श म तथा जो वदे श म बांधने वाला है, जो पाश दे व से संबं धत और जो मनु य से संबं धत है, म उन सब पाश से तुझे बांधता ं. (८) तै वा सवर भ या म पाशैरसावामु यायणामु याः पु . ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तानु ते सवाननुसं दशा म.. (९) हे अमुक श ु, अमुक गो वाले एवं अमुक के पु , म तुझे व ण के इन सभी पाश से बांधता ं. (९)
सू -१७
दे वता—अपामाग, वन प त
ईशानां वा भेषजानामु जेष आरभामहे. च े सह वीय सव मा ओषधे वा.. (१) हे सहदे वी! तू जड़ीबू टय क वा मनी है. म श ु ारा कए गए अ भचार के दोष को शांत करने के लए तेरा पश करता ं. म अ भचार से उ प दोष को र करने के लए तुझे साम य वाली बनाता ं. (१) स य जतं शपथयावन सहमानां पुनःसराम्. सवाः सम ोषधी रतो नः पारया द त.. (२) वा तव म अ भचार आ द दोष को र करने वाली स य जत, सरे के आ ोश को मटाने वाली शपथ यो गनी, सब को परा जत करने वाली सहमाना, बारबार ा ध का वनाश करने वाली पुनःसरा नामक जड़ीबूट को अ य जड़ीबू टयां अ भचार दोष का नाश करने के लए ा त होती ह. (२) या शशाप शपनेन याघं मूरमादधे. या रस य हरणाय जातमारेभे तोकम ु सा.. (३) जस पशाची ने आ ोश म भर कर हम शाप दया है, जस ने मू छा दान करने वाला पाप हमारी ओर भेजा है और जो शरीर के र आ द का हरण करने के लए मेरे पु आ द का आ लगन करती है, वह मेरे ऊपर अ भचार करने वाले श ु के पु को खा जाए. (३) यां ते च ु रामे पा े यां च ु न ललो हते. आमे मांसे कृ यां यां च ु तया कृ याकृतो ज ह.. (४) हे कृ या नाम क रा सी! अ भचार करने वाल ने तुझे मट् ट के बना पके पा म धुआं उगलती ई नीली और लाल वाला वाली अ नय म तथा बना पके मांस म अ भमं त कया है, तू उन का वनाश कर. (४) दौ व यं दौज व यं र ो अ वमरा यः. णा नीः सवा वाच ता अ म ाशयाम स.. (५) हम अ भचार ारा सताए ए इस पु ष से बुरे व संबंधी भय को, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जीवन वाले
लोग संबंधी भय को, रा स संबंधी भय को और महान अ भचार से उ प भय के कारण को न करते ह. द र ता के कारण पाप ल मयां, छे दका, भे दका आ द नाम वाली जो पशा चयां ह, म उ ह भी इस के शरीर से र भगाता ं. (५) ु ामारं तृ णामारमगोतामनप यताम्. ध अपामाग वया वयं सव तदप मृ महे.. (६) हे अपामाग! हम तेरी सहायता से भूख क पीड़ा से पु ष को मारने वाले एवं यास क अ धकता से पु ष क मृ यु करने वाले अ भचार का वनाश करते ह. हम तेरी सहायता से गाय के अभाव को और संतानहीनता को भी समा त करते ह. (६) तृ णामारं ुधामारमथो अ पराजयम्. अपामाग वया वयं सव तदप मृ महे.. (७) हे अपामाग! हम तेरी सहायता से यास क पीड़ा से पु ष को मारने वाले, भूख क पीड़ा से पु ष को मारने वाले अ भचार एवं जुए म पराजय को र भगाना चाहते ह. (७) अपामाग ओषधीनां सवासामेक इद् वशी. तेन ते मृ म आ थतमथ वमगद र.. (८) हे अ भचार के दोष से गृहीत पु ष! एकमा अपामाग ही सब जड़ीबू टय को वश म करने वाला है. हम अपामाग क सहायता से तुझ म अ भचार ारा उ प रोग आ द को र करते ह. इस के प ात तू रोग र हत हो कर वचरण कर. (८)
सू -१८
दे वता—अपामाग, वन प त
समं यो तः सूयणा ा रा ी समावती. कृणो म स यमूतये ऽ रसाः स तु कृ वरीः.. (१) सूय से उस का यो तमंडल कभी अलग नह होता. रा दन के समान व तार वाली होती है, उसी कार म यथाथ कम करता ं. म अ भचार से पी ड़त पु ष क र ा के लए वनाश करने वाली कृ या को काय करने म असमथ बनाता ं. (१) यो दे वाः कृ यां कृ वा हराद व षो गृहम्. व सो धा रव मातरं तं यगुप प ताम्.. (२) हे दे वो! जो मनु य मं और ओष ध के ारा पीड़ा प ंचाने वाली कृ या के नमाण हेतु उस के घर जाता है. जस कार बछड़ा गाय के पीछे पीछे जाता है, उसी कार वह कृ या अ भचार करने वाले पु ष के समीप जाए. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अमा कृ वा पा मानं य तेना यं जघांस त. अ मान त यां द धायां ब लाः फट् क र त.. (३) जो श ु अनुकूल के समान साथ रह कर कृ या नमाण पी पाप करता है और उस के ारा उस मनु य को मारना चाहता है, जस के त उस का े ष होता है. उस कृ या के तकार के ारा भावहीन होने पर मेरे मं के साम य से उ प पाषाण कृ या बनाने वाले श ु क हसा कर. (३) सह धामन् व शखान् व ीवाञ्छायया वम्. त म च ु षे कृ यां यां यावते हर.. (४) हे हजार थान म होने वाली सहदे वी! तू हमारे श ु के केश एवं ीवा को काट कर उन का वनाश कर. तू हमारे श ु का हत करने वाली कृ या को उ ह क ओर लौटा दे , ज ह ने उस का नमाण कया है. (४) अनयाहमोष या सवाः कृ या अ षम्. यां े े च ु या गोषु यां वा ते पु षेषु.. (५) इस सहदे वी नाम क जड़ीबूट के ारा म ने सभी कृ या को षत एवं भावहीन बना दया है. मेरे श ु ने जस कृ या को मेरे खेत म, मेरी गोशाला म और वायु संचार वाले थान म गाड़ दया है, उन सभी कृ या को म भावहीन कर चुका ं. (५) य कार न शशाक कतु श े पादमङ् गु रम्. चकार भ म म यमा मने तपनं तु सः.. (६) जस श ु ने कृ या का नमाण कया है तथा उस के ारा मेरे एक पैर और एक उंगली को न करना चाहता है, वह मेरी हसा न कर सके. उस के ारा कया गया अ भचार कम मेरे मं और जड़ीबूट के भाव से मेरा मंगल करे तथा कृ या नमाण करने वाले को जला दे . (६) अपामाग ऽ प मा ु े यं शपथ यः. अपाह यातुधानीरप सवा अरा यः.. (७) अपामाग जड़ी माता पता से होने वाले सं ामक रोग के प म हम को ा त य, कु , अप मार आ द को र करे. यह हमारे श ु ारा दए ए पाप को, पशा चय को और द र ता को भी र करे. (७) अपमृ य यातुधानानप सवा अरा यः. अपामाग वया वयं सव मृ महे.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अपामाग! तुम सभी य , रा स और द र ता उ प करने वाली पशा चय को मुझ से र करो. हम य , रा स एवं पशा चय ारा कए ए सभी ःख को तु हारे ारा भावहीन करते ह. (८)
दे वता—अपामाग वन प त
सू -१९
उतो अ यब धुकृ तो अ स नु जा मकृत्. उतो कृ याकृतः जां नड मवा छ ध वा षकम्.. (१) हे अपामाग अथवा सहदे वी! तू श ु और वरो धय का वनाश करने म समथ है. तू कृ या का योग करने वाले के पु , पौ आ द को वषा ऋतु म उ प होने वाली नड नाम क घास के समान काट कर न कर दे . (१) ा णेन पयु ा स क वेन नाषदे न. सेनेवै ष वषीमती न त भयम त य
ा ो याषधे.. (२)
हे सहदे वी अथवा अपामाग नषाद के पु कण नामक मं ा ा ण ने तेरा योग कया है. यजमान क र ा के लए तू सेना के समान गमन करती है. तू जस दे श म ा त होती है, वहां अ भचार संबंधी भय नह रहता. (२) अ मे योषधीनां यो तषेवा भद पयन्. उत ाता स पाक याथो ह ता स र सः.. (३) हे सहदे वी अथवा अपामाग! तू सभी जड़ीबू टय म उसी कार े है, जस कार काश करने वाल म सूय! तू बल क र क और उसे बाधा प ंचाने वाले रा स क वनाशक है. (३) यददो दे वा असुरां वया े नरकुवत. तत वम योषधे ऽ पामाग अजायथाः.. (४) हे ओष ध! ाचीन काल म इं आ द दे व ने तेरे ारा ही रा स को परा जत कया था. इसी कारण तू ने अपामाग नाम ा त कया था. (४) व भ दती शतशाखा व भ दम् नाम ते पता. यग् व भ ध वं तं यो अ मां अ भदास त.. (५) हे अपामाग! तू सैकड़ शाखा वाली हो कर व भदती नाम ा त करती है. तूझे उ प करने वाला व भद कहलाता है. जो श ु हमारा वनाश करना चाहता है, तू उस क वरोधी बन कर उस का वनाश कर. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
असद् भू याः समभवत् तद् यामे त महद् चः. तद् वै ततो वधूपायत् यक् कतारमृ छतु.. (६) हे ओष ध! तेरे पास से नकल कर महान् तेज जस भू म तक जाता है, वहां गाड़ी गई कृ या कसी को हा न नह प ंचा सकती. तू अपने थान से नकल कर वशेष प से व लत होती ई कृ या के नमाण करने वाले को पीड़ा प ंचा. (६) यङ् ह संबभू वथ तीचीनफल वम्. सवान् म छपथाँ अ ध वरीयो यावया वधम्.. (७) हे आ मा भमुख फल दे ने वाले अपामाग! तू श ु के वनाश को मुझ से र कर के उसी के पास भेज दे . श ु ारा मेरे त कए गए हसा साधन और कृ या को तू मुझ से र कर. (७) शतेन मा प र पा ह सह ेणा भ र मा. इ ते वी धां पत उ ओ मानमा दधत्.. (८) हे सहदे वी अथवा अपामाग! तू सैकड़ और हजार उपाय से मेरी र ा कर और मुझे कृ या के दोष से छु ड़ा. हे लता पी जड़ीबू टय क वा मनी! महा तेज वी इं तेरा तेज मुझ म था पत कर. (८)
सू -२०
दे वता—जड़ीबूट
आ प य त त प य त परा प य त प य त. दवम त र माद् भू म सव तद् दे व प य त.. (१) हे सदापु पा नाम क जड़ीबूट ! यह पु ष तेरी म ण को धारण करने वाला होने से आने वाले भय के कारण को, वतमान भय के कारण को तथा भ व य काल म होने वाले भय के कारण को दे खता है और र करना जानता है. यह वग, अंत र एवं पृ वी पर नवास करने वाले सभी ा णय को म ण धारण के कारण दे खता है. (१) त ो दव त ः पृ थवीः षट् चेमाः दशः पृथक्. वयाहं सवा भूता न प या न दे ोषधे.. (२) हे सदापु पा जड़ीबूट ! तेरी म ण को धारण करने के भाव से म तीन वग , तीन पृ वय , छह दशा , अथात् पूव, प म, उ र, द ण, ऊपर, नीचे तथा इन सब म रहने वाले सभी ा णय को जानता ं. (२) द य सुपण य त य हा स कनी नका. सा भू ममा रो हथ व ं ा ता वधू रव.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सदापु पा जड़ीबूट ! तू द ग ड़ क कनी नका अथात् आंख क पुतली के समान है. तू ग ड़ के ने से नकल कर धरती पर उसी कार उगी है, जस कार थकान के कारण चलने म असमथ वधू सवारी पर बैठ जाती है. (३) तां मे सह ा ो दे वो द णे ह त आ दधत्. तयाहं सव प या म य शू उतायः.. (४) हजार आंख वाले इं दे व ने उस सदा पु पा को मेरे दा हने हाथ म धारण कराया है. तेरे भाव से म सब को दे खता और वश म करता ं, चाहे वह शू हो अथवा आय अथात् ा ण, य और वै य. (४) आ व कृणु व पा ण मा मानमप गूहथाः. अथो सह च ो वं त प याः कमी दनः.. (५) हे ओष ध! तू अपने रा स, पशाच आ द को र करने वाले प को का शत कर तथा अपने व प को मत छपा. हे जड़ीबूट ! हमारी र ा के लए उन रा स क ती ा कर जो छपे ए प से यह खोजते ए घूमते ह क यह या है, यह या है? (५) दशय मा यातुधानान् दशय यातुधा यः. पशाचा सवान् दशये त वा रभ ओषधे.. (६) हे सदापु पा जड़ी! मुझे रा स एवं रा सय के दशन कराओ. वे गूढ़ प से मुझे बाधा न प ंचा सक. म तु ह इसी लए धारण करता ं क तुम मुझे सभी पशाच को दखाओ. (६) क यप य च ुर स शु या चतुर याः. वी े सूय मव सप तं मा पशाचं तर करः.. (७) हे सदापु पा जड़ी! तू मह ष क यप एवं चार आंख वाली दे वशुनी सरमा क आंख है अथात् उन क आंख के समान आकृ त वाली है. अंत र म सूय जस कार वचरण करते ह, उसी कार चलते फरते पशाच को तू मुझ से मत छपा. (७) उद भं प रपाणाद् यातुधानं कमी दनम्. तेनाहं सव प या युत शू मुतायम्.. (८) खोज करने के लए घूमते ए रा स को म ने अपनी र ा क से वश म कर लया है. उस पशाच क सहायता से म शू एवं ा ण जा त वाले ह को दे खता ं. (८) यो अ त र ेण पत त दवं य ा तसप त. भू म यो म यते नाथं तं पशाचं दशय.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो पशाच अंत र से गरता है, जो वगलोक से ऊपर गमन करता है और धरती को अपने अ धकार म मानता है, उस पशाच को भी मुझे दखा, जस से म उस का नराकरण कर सकूं. (९)
सू -२१
दे वता—गाएं
आ गावो अ म त ु भ म सीद तु गो े रणय व मे. जा ऽ वतीः पु पा इह यु र ाय पूव षसो हानाः.. (१) गाएं हमारी ओर आएं, हमारा क याण कर, हमारी गोशाला म बैठ तथा हम ध आ द दे कर स कर. ेत, कृ ण आ द अनेक वण क गाएं अ धक संतान वाली हो कर यजमान के घर म समृ बन तथा अ धक समय तक इं के न म ध दे ती रह. (१) इ ो य वने गृणते च श त उपेद ् ददा त न वं मुषाय त. भूयोभूयो र य मद य वधय भ े ख ये न दधा त दे वयुम्.. (२) इं तु त करने वाले यजमान को गाय ा त करने का उपाय बताते ह तथा उ ह ब त सी गाएं दान करते ह. इं उस यजमान के धन का अपहरण नह करते. वे उस तोता और यजमान के धन को अ धक मा ा म बढ़ाते ए उसे वग म थान दलाते ह, जस म ःख नह होता. (२) न ता नश त न दभा त त करो नासामा म ो थरा दधष त. दे वां या भयजते ददा त च यो गत् ता भः सचते गोप तः सह.. (३) इं के ारा द गई गाएं न न ह तथा उ ह चोर न चुरा सक. श ु के आयुध उन गाय को पीड़ा न प ंचाएं. जन गाय के ध और घी के ारा य कया जाता है और ज ह य क द णा के प म दया जाता है, उन गाय के साथ यजमान अ धक समय तक रहे, उन से वयु न हो. (३) न ता अवा रेणुककाटो ऽ ुते न सं कृत मुप य त ता अ भ. उ गायमभयं त य ता अनु गावो मत य व चर त य वनः.. (४) हसक एवं कमर के टु कड़े करने वाले बाघ आ द पशु उन गाय तक न प ंच. वे गाएं मांस पकाने वाले के समीप न जाएं एवं यजमान के भय र हत थान को ा त ह . (४) गावो भगो गाव इ ो म इ छाद् गावः सोम य थम य भ ः. इमा या गावः स जनास इ इ छा म दा मनसा च द म्.. (५) गाएं ही पु ष का धन और सौभा य ह. इं ऐसी इ छा कर, जस से मुझे गाएं मल सक. छाना गया सोमरस गाय के ध और दही म ही स कया जाता है. हे मनु यो! ये जो ******ebook converter DEMO Watermarks*******
गाएं दखाई दे ती ह, वे ही इं ह. इस हेतु म गाय के ध, घी आ द ह व के ारा दय और ान से इं का य करना चाहता ं. (५) यूयं गावो मेदयथा कृशं चद ीरं चत् कृणुथा सु तीकम्. भ ं गृहं कृणुथ भ वाचो बृहद् वो वय उ यते सभासु.. (६) हे गायो! तुम अपने ध, घी आ द से बल मनु य को भी मोटाताजा बनाओ तथा अशोभन अंग वाले को शोभन अवयव वाला बनाओ. हे क याणी वाणी वाली गाय! हमारे घर को अलंकृत बनाओ. तु हारे ध, दही, घी आ द से बना भोजन सभा म अ धक शंसा पाता है. (६) जावतीः सूयवसे श तीः शु ा अपः सु पाणे पब तीः. मा व तेन ईशत माघशंसः प र वो य हे तवृण ु .. (७) हे गाय! तुम उ म घास वाली भू म म चलती ई व छ जल पयो और उ म संतान वाली बनो. चोर तु ह न चुरा सके. बाघ आ द पशु तु हारी हसा न कर. का आयुध तु हारा पश न करे. (७)
सू -२२ इम म वधय नर म ान णु
दे वता—इं ,
य राजा
यं म इमं वशामेकवृषं कृणु वम्. य सवा तान् र धया मा अहमु रेष.ु . (१)
हे इं ! मेरे इस य राजा को पु , पौ , वाहन आ द से समृ बनाओ. इस राजा को तुम वीय वाल म मुख बनाओ. जो इस के श ु राजा ह, उन सब को तुम ाण हीन कर दो. तुम सभी को इस के वश म करो. म भी इसे अपने मं के साम य से इं आ द लोकपाल म से एक बनाता ं. (१) एमं भज ामे अ ेषु गोषु न ं भज यो अ म ो अ य. वम ाणामयम तु राजे श ुं र धय सवम मै.. (२) हे इं ! इस राजा को जनसमूह से, घोड़ से और गाय से संयु करो, इस का जो श ु है, उसे जन समूह आ द से अलग करो. यह राजा अ य य के शीश पर वतमान हो अथात् सव े य बने. इस के सभी श ु को तुम इस के वश म करो. (२) अयम तु धनप तधनानामयं वशां व प तर तु राजा. अ म म ह वचा स धे वचसं कृणु ह श ुम य.. (३) हे इं ! यह राजा धनप तय म उ म धनप त तथा जा तय म उ म जापालक हो. इस राजा म महान तेज और वीय धारण करो तथा इस राजा के श ु को तेजहीन बनाओ. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(३) अ मै ावापृ थवी भू र वामं हाथां घम घे इव धेनू. अयं राजा य इ य भूयात् यो गवामोषधीनां पशूनाम्.. (४) हे ावा और पृ वी! मेरे इस राजा के लए धम घा गौ के समान अ धक मा ा म धन दान करो. यह राजा इं का अ य धक य हो जाए तथा उस के कारण म गाय , जड़ीबू टय और पशु का य बनूं. (४) युन म त उ राव त म ं येन जय त न पराजय ते. य वा करदे कवृषं जनानामुत रा ामु मं मानवानाम्.. (५) हे राजन्! म अ तशय उ कष वाले इं को तु हारा म बनाता ं. उन इं क ेरणा से तु हारे यो ा वजयी ह गे, कभी परा जत नह ह गे. जस इं ने तु ह अ य मनु य के म य गाय म सांड़ के समान उ म बनाया है, उसी ने तु ह मनु य और राजा म े बनाया है. (५) उ र वमधरे ते सप ना ये के च राजन् तश व ते. एकवृष इ सखा जगीवाञ्छ ूयतामा भरा भोजना न.. (६) हे राजन्! तुम े बनो तथा तु हारे वरोधी न नतम बन. वे वरोधी तु हारे त श ुता का भाव रखते ह. तुम सव मुख एवं इं के म बन कर सभी पर वजय ा त करो. जो तु हारे श ु के समान आचरण करते ह, तुम उन के भोगसाधन धन को छ न लो. (६) सह तीको वशो अ सवा ा तीको ऽ व बाध व श ून्. एकवृष इ सखा जगीवाञ्छ ूयतामा खदा भोजना न.. (७) हे राजन्! तुम सह के समान परा मी बन कर सभी जा पर शासन करो तथा बाघ के समान आ मणकारी बन कर सभी श ु को बाधा प ंचाओ. तुम सव मुख एवं इं के म बन कर सभी पर वजय ा त करो. जो तु हारे श ु के समान आचरण करते ह, तुम उन के भोग साधन धन को छ न लो. (७)
सू -२३
दे वता—अ न
अ नेम वे थम य चेतसः पा चज य य ब धा य म धते. वशो वशः व शवांसमीमहे स नो मु च वंहसः.. (१) म मु य वशेष ानी एवं दे वय , पतृय , सूतय , मनु यय और बृहत्य नामक पांच य करने वाले अ न दे व का मह व जानता ं. उ ह अनेक कार से व लत कया जाता है. सभी जा म जठरा न के प म वेश करने वाले अ न दे व से म याचना करता ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ं क वह मुझे पाप से बचाएं. (१) यथा ह ं वह स जातवेदो यथा य ं क पय स जानन्. एवा दे वे यः सुम त न आ वह स नो मु च वंहसः.. (२) हे जातवेद अ न! तुम जस कार च , पुरोडाश आ द ह को दे व तक प ंचाते हो तथा जस कार ान रखते ए य पूण करते हो, उसी कार हमारे वषय म दे व क उ म बु को लाओ. इस कार के अ न हम पाप से छु ड़ाएं. (२) याम याम प ु यु ं व ह ं कम कम ाभगमम नमीड़े. र ोहणं य वृधं घृता तं स नो मु च वंहसः (३) होम के आधार पर होने के कारण अनेक फल ा त कराने म नयु , ढोने वाल म े , अनेक य कम के ारा सेवनीय, रा स के वनाश कता, य क वृ करने वाले एवं घृत क आ तय से द त अ न क म तु त करता ं. इस कार के अ न मुझे पाप से छु ड़ाएं. (३) सुजातं जातवेदसम नं वै ानरं वभुम्. ह वाहं हवामहे स नो मु च वंहसः.. (४) शोभन ज म वाले, उ प होने वाले ा णय के ाता, संसार के मनु य के हतैषी, ापक एवं ह वहन करने वाले अ न का म आ ान करता ं. वह पाप से मेरी र ा कर. (४) येन ऋषयो बलम ोतयन् युजा येनासुराणामयुव त मायाः. येना नना पणी न ो जगाय स नो मु च वंहसः.. (५) ऋ षय ने जन म बने ए अ न क सहायता से अपना साम य बढ़ाया, दे व ने जन क सहायता से असुर क माया को न कया तथा जन अ न क सहायता से इं ने प णय को परा जत कया, वे अ न मुझे पाप से बचाए. (५) येन दे वा अमृतम व व दन् येनौषधीमधुमतीरकृ वन्. येन दे वाः व १ राभर स नो मु च वंहसः.. (६) जस अ न क सहायता से दे व ने अमृत ा त कया, जन अ न क सहायता से जड़ीबू टय ने मधुर रस ा त कया तथा जन क सहायता से वग ा त कया जाता है, वह अ न दे व मुझे पाप से छु ड़ाएं. (६) य येदं द श यद् वरोचते य जातं ज नत ं च केवलम्. तौ य नं ना थतो जोहवी म स नो मु च वंहसः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जस अ न के शासन म सारा जगत् वतमान है, अंत र म ह, न आ द का शत ह, उ प ए और उ प होने वाले सभी ाणी जन के शासन म ह, म उन अ न क तु त करता ं तथा फल क कामना से बार-बार हवन करता ं. ऐसे अ न दे व मुझे पाप से छु ड़ाएं. (७)
सू -२४
दे वता—इं
इ य म महे श दद य म महे वृ न तोमा उप मेम आगुः. यो दाशुषः सुकृतो हवमे त स नो मु च वंहसः.. (१) म बारबार इं का मह व वीकार करता ं. वृ क ह या करने वाले इं के ये तो मेरे समीप आ कर मुझे तोता बनाते ह. जो इं च , पुरोडाश आ द दे ने वाले एवं उ म य करने वाले यजमान का आ ान वीकार करते ह, वह इं मुझे पाप से बचाएं. (१) य उ ीणामु बा ययुय दानवानां बलमा रोज. येन जताः स धवो येन गावः स नो मु च वंहसः.. (२) जो इं ऊपर हाथ उठा कर श ु सेना को भगा दे ते ह, ज ह ने दानव के बल को सभी ओर से न कर दया है, जन इं ने मेघ म थत जल को जीता था तथा ज ह ने प णय के ारा चुराई ई गाएं ा त क , वह हम पाप से छु ड़ाएं. (२) य ष ण ो वृषभः व वद् य मै ावाणः वद त नृ णम्. य या वरः स तहोता म द ः स नो मु च वंहसः.. (३) जो इं मनु य को मनचाहा फल दे कर पूण करने वाले, बैल के समान श शाली और वग ा त करने वाले ह, जन इं के लए प थर सोमरस दान करते ह एवं सात होता से यु जन इं से संबं धत सोमयाग स करने वाला होता है, वह हम पाप से बचाएं. (३) य य वशास ऋषभास उ णो य मै मीय ते वरवः व वदे . य मै शु ः पवते शु भतः स नो मु च वंहसः.. (४) जन इं के य के न म बांझ गाएं, बैल एवं सांड़ लाए जाते ह, वग ा त करने वाले जन इं के न म य म गांठ वाले खंभे गाड़े जाते ह तथा जन इं के न म नचोड़ने के साधन से यु एवं नमल सोमरस छाना जाता है, वह इं हम पाप से बचाएं. (४) य य जु सो मनः कामय ते यं हव त इषुम तं ग व ौ. य म कः श ये य म ोजः स नो मु च वंहसः.. (५) सोमरस वाले यजमान जन क ी त क कामना करते ह तथा जन आयुध धारी इं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को प णय ारा चुराई गई गाय क खोज के लए बुलाया जाता है तथा जन इं के वषय म अचना के साधन मं आ त ह, वह इं हम पाप से बचाएं. (५) यः थमः कमकृ याय ज े य य वीय थम यानुबु म्. येनो तो व ो ऽ यायता ह स नो मु च वंहसः.. (६) जो इं मुख प से यो त ोम आ द य करने के लए उ प ए थे, जन मुख इं का वृ हनन संबंधी शौय कम स है तथा जन के ारा उठाया गया व सभी ओर हसा करता है, वह इं दे व मुझे पाप से बचाएं. (६) यः सङ् ामान् नय त सं युधे वशी यः पु ा न संसृज त या न. तौमी ं ना थतो जोहवी म स नो मु च वंहसः.. (७) जो वतं इं हार करने के लए यु करते ह, जो पु ीपु ष के जोड़े बनाते ह, म फल क कामना से उ ह इं क तु त करता ं और उन के न म बारबार हवन करता ं. वह मुझे पाप से छु ड़ाएं. (७)
सू -२५
दे वता—वायु, स वता
वायोः स वतु वदथा न म महे यावा म वद् वशथो यौ च र थः. यौ व य प रभू बभूवथु तौ नो मु चतमंहसः.. (१) वायु और स वता के वेद म वणन कए गए कम को म जानता ं. हे वायु एवं स वता दे व! तुम दोन थावर और संगम जीव म वेश करते हो एवं र ा करते हो. तुम दोन व क र ा के लए उ प ए हो. तुम दोन हम पाप से छु ड़ाओ. (१) ययोः सङ् याता व रमा पा थवा न या यां रजो यु पतम त र े. ययोः ायं ना वानशे क न तौ नो मु चतमंहसः.. (२) जन वायु और स वता दे व के मह व जन के ारा भलीभां त स ह, जन दोन के ारा आकाश म जल को धारण कया जाता है तथा कोई अ य दे व जन वायु और स वता के उ म गमन को ा त नह कर पाता, वे दोन हम पाप से मु कर. (२) तव ते न वश ते जनास व यु दते ेरते च भानो. युवं वायो स वता च भुवना न र थ तौ नो मु चतमंहसः.. (३) हे स वता! तुम से संबं धत कम म लोग नयम से लगे रहते ह. हे व च द त वाले सूय! तु हारे नकलने पर सभी लोग अपनेअपने काम म लग जाते ह. तुम दोन अथात् वायु और स वता लोक क र ा करते हो. तुम दोन हम पाप से बचाओ. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपेतो वायो स वता च कृतमप र ां स श मदां च सेधतम्. सं ३ जया सृजथः सं बलेन तौ नो मु चतमंहसः.. (४) हे वायु एवं स वता दे व! तुम मेरे पाप को मुझ से र करो. उप वकारी रा स तथा जलती ई कृ या रा सी को यहां से र भगाओ. तुम ऊजा और बल से मेरा सृजन करो तथा मुझे पाप से बचाओ. (४) र य मे पोषं स वतोत वायु तनू द मा सुवतां सुशेवम्. अय मता त मह इह ध ं तौ नो मु चतमंहसः.. (५) स वता और वायु मेरे लए धन और पु को े रत कर. ये दोन मेरे शरीर म सुख एवं बल दान कर. इस यजमान के शरीर म ये दोन रोगहीनता तथा तेज धारण कर और हम पाप से बचाएं. (५) सुम त स वतवाय ऊतये मह व तं म सरं मादयाथः. अवाग् वाम य वतो न य छतं तौ नो मु चतमंहसः.. (६) हे स वता एवं वायु दे व! हमारी र ा के लए हम उ म बु दान करो तथा द तशाली एवं मादक सोमरस को पी कर स बनो. तुम दोन उ म धन को हमारी ओर े रत करो तथा हम पाप से छु ड़ाओ. (६) उप े ा न आ शषो दे वयोधाम थरन्. तौ म दे वं स वतारं च वायुं तौ नो मु चतमंहसः.. (७) वायु और स वता दे व के तेज के वषय म हमारी उ म एवं फलदायक ाथनाएं उप थत ह. हम धन आ द गुण से यु वायु एवं स वता दे व क तु त करते ह. ये दोन हम पाप से छु ड़ाएं. (७)
सू -२६
दे वता— ावा, पृ वी
म वे वां ावापृ थवी सुभोजसौ सचेतसौ ये अ थेथाम मता योजना न. त े भवतं वसूनां ते नो मु चतमंहसः.. (१) हे ावा पृ वी! तुम दोन शोभन भोग वाले एवं समान च वाले हो. म तु हारी तु त करता ं. तुम दोन अनंत योजन व तार वाले हो. तुम दोन नवास करने वाले दे व मनु य अथवा धन के उ म थान बनते ह . तुम दोन हम पाप से छु ड़ाओ. (१) त े भवतं वसूनां वृ े दे वी सुभगे उ ची. ावापृ थवी भवतं मे योने ते नो मु चतमंहसः.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सभी ा णय के आधार बने ए ावा पृ वी सारे जगत् म व ह. हे द , उ म सौभा य वाले एवं ा त ावा पृ वी! मेरे सुख के कारण बनो एवं मुझे पाप से बचाओ. (२) अस तापे सुतपसौ वे ऽ हमुव ग भीरे क व भनम ये. ावापृ थवी भवतं मे योने ते नो मु चतमंहसः.. (३) संताप र हत, उ म ताप वाले, गंभीर एवं व ान मेरे सुख के कारण बन एवं मुझे पाप से छु ड़ाएं. (३)
ारा नम कार के यो य ावा पृ वी,
ये अमृतं बभृथो ये हव ष ये ो या बभृथो ये मनु यान्. ावापृ थवी भवतं मे योने ते नो मु चतमंहसः.. (४) जो ावा पृ वी अमृत को धारण करते ह तथा जो च , पुरोडाश आ द को, न दय को एवं मनु य को धारण करते ह, वे मेरे लए सुख के कारण बन एवं मुझे पाप से छु ड़ाएं. (४) ये उ या बभृथो ये वन पतीन् ययोवा व ा भुवना य तः. ावापृ थवी भवतं मे योने ते नो मु चतमंहसः.. (५) जो ावा पृ वी सभी गाय को धारण करते ह, जो सभी वृ को धारण करते ह तथा जन दोन के म य सम त भवन ह, वे ावा पृ वी, मेरे लए सुख का कारण बन एवं मुझे पाप से छु ड़ाएं. (५) ये क लालेन तपयथो ये घृतेन या यामृते न क चन श नुव तः. ावापृ थवी भवतं मे योने ते नो मु चतमंहसः.. (६) जो ावा पृ वी अ एवं घृत के ारा सम त व को तृ त करते ह, जन दोन के बना मनु य कुछ भी नह कर सकते, वे ावा पृ वी मेरे लए सुख का कारण बन एवं मुझे पाप से छु ड़ाएं. (६) य मेदम भशोच त येनयेन वा कृतं पौ षेया दै वात्. तौ म ावापृ थवी ना थतो जोहवी म ते नो मु चतमंहसः.. (७) यह पाप और उस का फल मुझे सभी ओर से जलाता है एवं इसी के कारण बारबार पाप कए जाते ह. पु ष से े रत पाप के समान दे व कम से संबं धत पाप भी मुझे जलाता है. म फल क कामना से ावा पृ वी क तु त करता ं. ये दोन मुझे पाप से छु ड़ाएं. (७)
सू -२७
दे वता—म त्
म तां म वे अ ध मे ुव तु ेमं वाजं वाजसाते अव तु. आशू नव सुयमान ऊतये ते नो मु च वंहसः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म उनचास म त का माहा य जानता ं. वे म त मुझे अपना कह. अ के लाभ का अवसर आने पर वे इस अ क मेरे लए र ा कर. म घोड़ क लगाम के समान संय मत म त को अपनी र ा के लए बुलाता ं. वे मुझे पाप से छु ड़ाएं. (१) उ सम तं च त ये सदा य आ स च त रसमोषधीषु. पुरो दधे म त्ः पृ मातॄं ते नो मु च वंहसः.. (२) जो म त सदै व वषा क धारा से यु एवं वनाश र हत मेघ को आकाश म फैलाते ह तथा गे ं, जौ, वृ आ द म रस स चते ह. म यमा वाणी जन क माता ह, ऐसे म त को म अपने सामने रखता ं. वे मुझे पाप से बचाएं. (२) पयो धेनूनां रसमोषधीनां जवमवतां कवयो य इ वथ. श मा भव तु म तो नः योना ते नो मु च वंहसः.. (३) हे म तो! तुम ांतदश हो कर गाय के ध को, जड़ीबू टय के रस को तथा घोड़ के वेग को बढ़ाते हो. सभी काय करने म समथ वे म त् हमारे लए सुखकारी ह तथा हम पाप से बचाएं. (३) अपः समु ाद् दवमुद ् वह त दव पृ थवीम भ ये सृज त. ये अ रीशाना म त र त ते नो मु च वंहसः.. (४) जो म त्, सागर के जल को मेघ के ारा अंत र म प ंचाते ह, इस के प ात उसी जल को अंत र से धरती पर छोड़ते ह, उ ह जल के वामी बन कर जो म त् वचरण करते ह, वे हम पाप से छु ड़ाएं. (४) ये क लालेन तपय त ये घृतेन ये वा वयो मेदसा संसृज त. ये अ रीशाना म तो वषय त ते नो मु च वंहसः.. (५) म त् वषा से उ प अ के ारा एवं जल के ारा जन को तृ त करते ह. जो प य को चरबी से यु करते ह, जो म त् मेघ के ईश बन कर वचरण करते ह, वे हम पाप से बचाएं. (५) यद ददं म तो मा तेन य द दे वा दै ेने गार. यूयमी श वे वसव त य न कृते ते नो मु च वंहसः.. (६) हे म तो! य द मेरा ःख अथवा ःख का कारण पाप मुझे म त् संबंधी अपराध के कारण ा त आ है, हे इं आ द दे वो! य द मुझे यह ःख दे व संबंधी अपराध के कारण ा त आ है तो हे म तो! इस ःख अथवा पाप को मटाने म तुम समथ हो. तुम मुझे पाप से छु ड़ाओ. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त ममनीकं व दतं सह वन् मा तं शधः पृतनासू म्. तौ म म तो ना थतो जोहवी म ते नो मु च वंहसः.. (७) ती ण समय बना आ स एवं परा जत करने वाला म त का बल सेना को ः सह होता है. उ ह म त क म तु त करता ं एवं उ ह सुख ा त के लए बुलाता ं. वे मुझे पाप से बचाएं. (७)
सू -२८
दे वता—भव, शव
भवाशव म वे वां त य व ं ययोवा मदं द श यद् वरोचते. याव येशाथे पदो यौ चतु पद तौ नो मु चतमंहसः.. (१) हे भव और शव! म तु हारा मह व जानता ं. मेरे ारा कहा जाता आ अपना मह व तुम जानो. तुम दोन के शासन म यह सारा व का शत होता है. भव और शव श ु को अपने व से संयु करते ह, इस समय या उ प आ है, ऐसी खोज करने वाले रा स को भी अपने आयुध से मारो. जो भव और शव इस व के दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह, वे हम पाप से बचाएं. (१) ययोर य व उत यद् रे चद् यौ व दता वषुभृताम स ौ. याव येशाथे पदो यौ चतु पद तौ नो मु चतमंहसः.. (२) जन भव और शव के माग के समीप अथवा र जो कुछ भी है, वह उ ह के अ धकार म है, जो भव और शव सब के ारा ात, वपुषधारी और बाण फकने म कुशल है, जो इस संसार के दो पैर वाले मनु य तथा चार पैर वाले पशु के वामी ह, वे हम पाप से बचाएं. (२) सह ा ौ वृ हणा वे ऽ हं रेग ूती तुव े यु ौ. याव येशाथे पदो यौ चतु पद तौ नो मु चतमंहसः.. (३) म हजार आंख वाले वृ का त करता ं एवं र दे श म वतमान भव और शव का आ ान करता ं. म उ ह श शा लय क शंसा करता ं जो भव और शव इस संसार के दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह, वे हम पाप से बचाएं. (३) यावारेभाथे ब साकम े चेद ा म भभां जनेषु. याव येशाथे पदो यौ चतु पद तौ नो मु चतमंहसः.. (४) हे भव और शव! तुम ने सृ के आ द म ब त से ा णय के समूह का नमाण कया है. इस के प ात उन म वीय क पया त मा ा म रचना कर, जो भव और शव इस व के दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह, वे हम पाप से छु ड़ाएं. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ययोवधा ापप ते क ना तदवेषूत मानुषेषु. याव येशाथे पदो यौ चतु पद तौ नो मु चतमंहसः.. (५) जन भव और शव के हनन साधन आयुध से दे व और मनु य के म य कोई नह बचता तथा जो इस व के दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह, वे हम पाप से बचाएं. (५) यः कृ याकृ मूलकृद् यातुधानो न त मन् ध ं व मु ौ. याव येशाथे पदो यौ चतु पद तौ नो मु चतमंहसः.. (६) हे भव और शव! जो श ु कृ या रा सी के ारा सर का वनाश करता है एवं जो रा स वंशवृ के मूल आधार संतान का वनाश करता है, इन दोन कार के श ु पर अपना व छोड़ो. जो भव और शव इस व के दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह, वे हम पाप से बचाएं. (६) अ ध नो ूतं पृतनासू ौ सं व ेण सृजतं यः कमीद . तौ म भवाशव ना थतो जोहवी म तौ नो मु चतमंहसः.. (७) हे परा जत न होने वाले भव और शव! हमारे वषय म प पात के वचन कहो एवं सं ाम म हमारे बल को परा जत न होने वाला बनाओ. म ावा और पृ वी क तु त करता ं. मुझे पाप से छु ड़ाएं. (७)
सू -२९
दे वता— म , व ण
म वे वां म ाव णावृतावृधौ सचेतसौ णो यौ नुदेथे. स यावानमवथो भरेषु तौ नो मु चतमंहसः.. (१) हे ऋत् अथात् स य, जल अथवा य को बढ़ाने वाले एवं समान ान वाले म और व ण! म तुम दोन के मह व क तु त करता ं. तुम ोह करने वाल का हनन कर दे ते हो. तुम स य त पु ष क सं ाम म र ा करते हो. ऐसे म और व ण मुझे पाप से बचाएं. (१) सचेतसौ णो यौ नुदेथे स यावानमवथो भरेषु. यौ ग छथो नृच सौ ब ुणा सुतं तौ नो मु चतमंहसः.. (२) हे समान ान वाले म और व ण! तुम दोन ोह करने वाल का पतन करते हो और स य त जन क यु म र ा करते हो. तुम दोन पीले रंग के रथ के ारा चल कर नचोड़े गए सोमरस को ा त करते हो एवं मनु य के कम के सा ी हो. तुम दोन हम पाप से बचाओ. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
याव रसमवथो यावग तं म ाव णा जमद नम म्. यौ क यपमवथो यौ व स ं तौ नो मु चतमंहसः.. (३) हे म और व ण! तुम अग य, अं गरस, जमद न एवं अ ऋ ष क र ा करते हो. जन म और व ण ने क यप और व स ऋ षय क र ा क , वे हम पाप से छु ड़ाएं. (३) यौ यावा मवथो व य ं म ाव णा पु मीढम म्. यौ वमदमवथः स तव तौ नो मु चतमंहसः.. (४) जन म और व ण ने यावा , व य पु षमीढ एवं अ क र ा क , जन म और व ण ने वमद और स तव ऋ ष क र ा क , वे हम पाप से बचाएं. (४) यौ भर ाजमवथो यौ ग व रं व ा म ं व ण म कु सम्. यौ क ीव तमवथः ोत क वं तौ नो मु चतमंहसः.. (५) हे म और व ण! तुम ने भर ाज, ग व र, व ा म एवं कु स ऋ ष क र ा क . जन म और व ण ने क ीवान तथा क व ऋ ष क र ा क , वे हम पाप से बचाएं. (५) यौ मेधा त थमवथो यौ शोकं म ाव णावुशनां का ं यौ. यौ गोतममवथः ोत मुदगलं ् तौ नो मु चतमंहसः.. (६) जन म और व ण ने मेधा त थ, शक तथा शु ाचाय के पु उशना ऋ ष क र ा क , ज ह ने गोतम एवं मुदगल ् ऋ ष क र ा क , वे हम पाप से छु ड़ाएं. (६) ययो रथः स यव मजुर म मथुया चर तम भया त षयन्. तौ म म ाव णौ ना थतो जोहवी म तौ नो मु चतमंहसः.. (७) जन म और व ण का स यमाग पर चलने वाला एवं र सय से यु रथ न ष माग पर चलते ए पु ष को बाधा प ंचाता आ सामने आता है, म ऐसे म और व ण क तु त करता ं एवं सुख क इ छा से उन के न म बारबार हवन करता ं. वे दोन मुझे पाप से बचाएं. (७)
सू -३०
दे वता—वाक्
अहं े भवसु भ रा यहमा द यै त व दे वैः. अहं म ाव णोभा बभ यह म ा नी अहम नोभा.. (१) अंभृण मह ष क वा दनी पु ी वाक् ने वयं को समझ कर तु त क है. म और वसु के साथ संचरण करती ं. म आ द य और व े दे व के साथ संचरण करती ं. म और व ण को म ही धारण करती ं. इं , अ न तथा दोन अ नीकुमार को भी म ने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ही धारण कया है. (१) अहं रा ी स मनी वसूनां च कतुषी थमा य यानाम्. तां मा दे वा दधुः पु ा भू र था ां भूयावेशय तः.. (२) म ही दखाई दे ने वाले व का नयं ण करने वाली, उपासक को फल के प म धन दलाने वाली, पर का सा ा कार करने वाली तथा य के यो य दे व म मुख ं. अनेक भाग से पंच म थत मुझ को उपासक को फल दे ने वाले दे व ब त से साधन म नधा रत करते ह. (२) अहमेव वय मदं वदा म जु ं दे वानामुत मानुषाणाम्. यं कामये त तमु ं कृणो म तं ाणं तमृ ष तं सुमेधाम्.. (३) म ही वयं अनुभव कए गए के वषय म लोक हत क से कह रही ं. वह दे व और मनु य का य है. म जस जस पु ष क र ा करना चाहती ,ं उसउस को बलवान बना दे ती ं. म उसे , ऋ ष और उ म बु वाला बना दे ती ं. (३) मया सो ऽ म यो वप य त यः ाण त य शृणो यु म्. अम तवो मां त उप य त ु ध ुत े यं ते वदा म.. (४) भोग करने वाला जो मनु य अ खाता है, वह मुझ श पा के ारा ही अ खाता है. जो मनु य व को दे खता है, सांस लेता है अथवा सुनता है, ये सब ापार श थान म म ही करती ं. मुझे न मानते ए वे संसार म ीण होते ह. हे सखा! मेरी कही ई बात सुन. म तुझे ा के यो य का उपदे श करती ं. (४) अहं ाय धनुरा तनो म षे शरवे ह तवा उ. अहं जनाय समदं कृणो यहं ावापृ थवी आ ववेश.. (५) म ा ण के े षी एवं हसक को मारने के लए महादे व का धनुष तानती ं अथात् उस क डोरी ख चती ं. म ही तोता जन के लए सं ाम करती ं तथा ावा और पृ वी म म ही व ं. (५) अहं सोममाहनसं बभ यहं व ारमुत पूषणं भगम्. अहं दधा म वणा ह व मते सु ा ा ३ यजमानाय सु वते.. (६) नचोड़ने यो य सोमरस को अथवा श ु का वनाश करने एवं वग म थत सोम को म ही धारण करती ं. व ा, पूषा और भव को भी म ही धारण करती ं. ह व लए ए, दे व को ह व ा त कराने वाले एवं सोमरस नचोड़ने वाले यजमान के लए य के फल के प म धन म ही धारण करती ं. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अहं सुवे पतरम य मूध मम यो नर व १ तः समु े . ततो व त े भुवना न व ोतामूं ां व मणोप पृशा म.. (७) इस दखाई दे ने वाले पंच के ऊपरी भाग अथात् स यलोक म वतमान इस पंच के जनक को म जानती ं. इस जगत् के कारण प मेरा उ प थान सागर के जल म थत ह. तेज का कारण होने से म भुवन को का शत करती ं. म इस दे ह से वग का पश करती ं. (७) अहमेव वात इव वा यारभमाणा भुवना न व ा. परो दवा पर एना पृ थ ैतावती म ह ना सं बभूव.. (८) सभी भूत को कारण के प म उ प करती ई म वायु के समान वतमान ं. इस आकाश और इस पृ वी से भ रहने वाली म अपनी म हमा से इस कार क ई ं. (८)
सू -३१
दे वता—म यु
वया म यो सरथमा ज तो हषमाणा षतासो म वन्. त मेषव आयुधा सं शशाना उप य तु नरो अ न पाः.. (१) हे ोध के अ भमानी दे व म यु! तेरे ारा रथ वाले श ु को पी ड़त करते ए, स एवं ोध म भरे, तेज बाण वाले तथा आयुध क धार तेज करते ए हमारे मनु य तेरी कृपा से वायु के समान वेग वाले एवं अ न के समान अपरा जत बन कर श ु के पास जाएं. (१) अ न रव म यो व षतः सह व सेनानीनः स रे त ए ध. ह वाय श ून् व भज व वेद ओजो ममानो व मृधो नुद व.. (२) हे म यु! तुम आग के समान द त हो कर श ु को परा जत करो. हे सहनशील म यु! तुम हमारी सेना के सेनाप त बन कर बुलाए जाने पर आओ और हमारे श ु को मार कर उन का धन हम दान करो. तुम श का दशन करते ए सं ामकारी श ु का वध करो. (२) सह व म यो अ भमा तम मै जन् मृणन् मृणन् े ह श ून्. उ ं ते पाजो न वा र े वशी वशं नयासा एकज वम्.. (३) हे म यु! इस राजा के श ु क सेना के हाथी, घोड़े आ द को कुचलते ए एवं न करते ए श ु को परा जत करने के लए आओ. हे अ धक श शाली म यु! तु हारे बल को कोई रोक नह सकता. हे बना सहायक के काय करने वाले एवं सब को वश म करने वाले म यु! तुम सभी जन को वाधीन बनाते हो. (३) एको ब नाम स म य ई डता वशं वशं यु ाय सं शशा ध. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अकृ
क् वया युजा वयं ुम तं घोषं वजयाय कृ म स.. (४)
हे म यु! हमारे ारा तुत तुम अकेले ही ब त से श ु का वनाश करने म समथ हो. तुम सभी जा म वेश कर के उ ह यु के लए े रत करो. हे अ व छ द त वाले म यु! तु हारी सहायता से हम वजय के लए सहनाद के समान घोष करते ह. (४) वजेषकृ द इवानव वो ३ माकं म यो अ धपा भवेह. यं ते नाम स रे गृणीम स व ा तमु सं यत आबभूथ.. (५) हे म यु! वजय करने वाले तुम इं के समान वजय के ाचीन उपाय के बताने वाले बन कर इस सं ाम म हमारा पालन करो. हे सहनशील म यु! हम तु ह स करने वाली तु तयां बोल रहे ह. जस थान से तुम कट होते हो, हम उस अमृत धारा वाले थान को जानते ह. (५) आभू या सहजा व सायक सहो बभ ष सहभूत उ रम्. वा नो म यो सह मे े ध महाधन य पु त संसृ ज.. (६) हे व के समान अकुं ठत श वाले! हे श ु का अंत करने वाले एवं श ु के पराजय के साथ उ प म यु! तुम उ म बल धारण करते हो. तुम हमारे य के साथ चकने बनो. हे ब त से यजमान ारा बुलाए गए म यु! धन ा त वाले सं ाम म हमारे सहायक बनो. (६) संसृ ं धनमुभयं समाकृतम म यं ध ां व ण म युः. भयो दधाना दयेषु श वः परा जतासो अप न लय ताम्.. (७) व ण और म यु अपना धन ला कर हम द. हमारे श ु दय म भय धारण करते ए परा जत ह तथा भयभीत हो कर भाग जाएं. (७)
सू -३२
दे वता—म यु
य ते म यो ऽ वधद् व सायक सह ओजः पु य त व मानुषक्. सा ाम दासमाय वया युजा वयं सह कृतेन सहसा सह वता.. (१) हे म यु! जो पु ष तु हारी सेवा करता है, हे व के समान अकुं ठत श वाले एवं श ु का अंत करने वाले! वह पु ष न य श ु को परा जत करने वाला अपना बल संपूण प से बढ़ाता है. तुम बल उ प करने वाले, हराने वाले और श दे ने वाले हो. तु हारी सहायता से हम असुर एवं उन के श ु दे व को भी परा जत कर. (१) म यु र ो म युरेवास दे वो म युह ता व णो जातवेदाः. म युं वश ईडते मानुषीयाः पा ह नो म यो तपसा सजोषाः.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म यु ही इं ह और म यु ही सम त दे व ह. म यु दे व का आ ान करने वाले, व ण एवं जातवेद अ न ह. जो मानुषी जाएं ह, वे भी म यु क ही तु त करती ह. हे म यु! तुम तप से संयु हो कर हमारी र ा करो. (२) अभी ह म यो तवस तवीयान् तपसा युजा व ज ह श ून्. अ म हा वृ हा द युहा च व ा वसू या भरा वं नः.. (३) हे म यु! हमारे सामने आओ एवं महान से भी महान बन कर अपने संताप क सहायता से हमारे श ु का वनाश करो. नेह न करने वाले के हंता, श ु वधकारक एवं द यु वनाशकारी तुम हमारे लए सभी धन को लाओ. (३) वं ह म यो अ भभू योजाः वयंभूभामो अ भमा तषाहः. व चष णः स रः सहीयान मा वोजः पृतनासु धे ह.. (४) हे म यु! तु हारा बल परा जत करने वाला है. तुम वयंभू, ोधी, श ु को सहन करने वाले, व के ा, सहनशील एवं सहने वाल म े हो. तुम सं ाम म हम बल दान करो. (४) अभागः स प परेतो अ म तव वा त वष य चेतः. तं वा म यो अ तु जहीडाहं वा तनूबलदावा न ए ह.. (५) हे उ म ान वाले म यु! तु हारे महान य म भाग न लेने वाला अथात् तु हारा यजमान न बनने वाला म यु से भाग आया ं. तु हारे संतोष के कम न करने वाले म ने तु ह ो धत बना दया. इस समय तुम मेरे बलदाता बन कर आओ. (५) अयं ते अ युप न ए वाङ् तीचीनः स रे व दावन्. म यो व भ न आ ववृ व हनाव द यूं त बो यापेः.. (६) हे म यु! म तु हारा य कम करने वाला हो गया .ं तुम मेरे समीप आओ और मेरे सामने हो कर श ु क ओर चलो. हे सहनशील एवं सभी फल दे ने वाले! हे वजनशील आयुधधारी म ! हमारे सामने रहो. हम दोन अपने श ु का वनाश करगे. तुम हम अपना बंधु जानो. (६) अ भ े ह द णतो भवा नो ऽ धा वृ ा ण जङ् घनाव भू र. जुहो म ते ध णं म वो अ मुभावुपांशु थमा पबाव.. (७) हे म यु! हमारे सामने आओ और हमारी दा हनी ओर रह कर हमारे स चव का काम करो. इस के प ात हम ब त से श ु का वनाश करगे. हम तु हारे लए धारण करने वाले मधुर सोमरस का सार अंश दे ते ह. हम दोन सब से पहले इस कार सोमरस पएं क कसी को पता नह चले. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -३३
दे वता—अ न
अप नः शोशुचदघम ने शुशु या र यम्. अप नः शोशुचदघम्.. (१) हे अ न! तु हारी कृपा से हमारा पाप न हो जाए. तुम हमारे धन को सभी ओर से समृ करो और हमारे पाप को न करो. (१) सु े या सुगातुया वसूया च यजामहे. अप नः शोशुचदघम्.. (२) हे अ न! हम शोभन े एवं शोभन माग पाने क इ छा से तु हारा हवन करते ह. तुम हमारे धन को सभी ओर समृ करो तथा हमारे पाप को न करो. (२) यद् भ द एषां ा माकास सूरयः. अप नः शोशुचदघम्.. (३) हे अ न! म उन तोता के म य े तोता ं और मेरे ानी पु आ द भी तोता म े ह, इस लए तुम हमारे पाप को न करो. (३) यत् ते अ ने सूरयो जायेम ह
ते वयम्. अप नः शोशुचदघम्.. (४)
हे अ न! तु हारे तोता जो तु हारी कृपा से ज म लेते ह. इस लए हम व ान् भी तु हारी तु त के कारण पु , पौ आ द से समृ ह . तुम हमारे पाप को न करो. (४) यद नेः सह वतो व तो य त भानवः. अप नः शोशुचदघम्.. (५) बलवान अ न क करण सभी ओर व तत होती ह, इस लए तुम हमारे पाप को न करो. (५) वं ह व तोमुख व तः प रभूर स. अप नः शोशुचदघम्.. (६) हे अ न! तुम सभी ओर मुख वाले एवं सव ापक हो. तुम हमारे पाप न करो. (६) षो नो व तोमुखा त नावेव पारय. अप नः शोशुचदघम्.. (७) हे सभी ओर मुख वाले अ न! जस कार लोग नाव के ारा उस पार प ंच जाते ह, उसी कार हमारे श ु को हम से र करो तथा हमारे पाप को न करो. (७) स नः स धु मव नावा त पषा व तये. अप नः शोशुचदघम्.. (८) हे उ हमारे श ु
गुण वाले अ न! जस कार नाव के ारा सागर को पार करते ह, उसी कार को हम से र करो एवं हमारे पाप को न करो. (८)
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सू -३४
दे वता—
ौदन
ा य शीष बृहद य पृ ं वामदे मुदरमोदन य. छ दां स प ौ मुखम य स यं व ारी जात तपसो ऽ ध य ः.. (१) दए जाते ए ौदन क तु त क जा रही है—“ अथात् रथंतर साम इस ओदन का शीश एवं बृहत् साम इस क पीठ है. वामदे व ऋ ष ारा दे खा गया साम इस का पेट तथा गाय ी आ द छं द इस के प अथात् दोन कोख ह. स य नाम का साम इस का मुख है. व तार वाला ौदन स य के भीतरी भाग से उ प आ है.” (१) अन थाः पूताः पवनेन शु ाः शुचयः शु चम प य त लोकम्. नैषां श ं दह त जातवेदाः वगलोके ब ैणमेषाम्.. (२) स य के करने वाले अमृतमय, वायु के ारा प व , नमल, एवं द तशाली होते ह और दे हावसान के प ात यो तमय लोक को जाते ह. वगलोक म वतमान ौदन स य करने वाल क इं य को अ न नह जलाती. इ ह भोगने के लए य का समूह ा त होता है. (२) व ा रणमोदनं ये पच त नैनानव तः सचते कदा चन. आ ते यम उप या त दे वा सं ग धवमदते सो ये भः.. (३) जो यजमान बताई ई री त से व तृत अवयव वाले ब ौदन को पकाते ह, उन के समीप द र ता कभी नह आती. वह यजमान दे हांत के प ात यमराज के ारा पू जत हो कर सुख से नवास करता है तथा यम क अनुम त पा कर दे व के समीप प ंचता है. वह सोमरस के यो य व ावसु आ द गंधव के साथ स रहता है. (३) व ा रणमोदनं ये पच त नैनान् यमः प र मु णा त रेतः. रथी ह भू वा रथयान ईयते प ी ह भू वा त दवः समे त.. (४) जो यजमान बताई ई री त से व तृत अवयव वाले ौदन को पकाते ह, यमराज उन के वीय का अपहरण नह करते. रथ ारा जाने यो य भूलोक म वे जब तक जी वत रहते ह, तब तक रथ पर बैठ कर चलते ह या प वाले हो कर अंत र के ऊपर वतमान लोक को पार कर के भोग से यु होते ह. (४) एष य ानां वततो व ह ो व ा रणं प वा दवमा ववेश. आ डीकं कुमुदं सं तनो त बसं शालूकं शफको मुलाली. एता वा धारा उप य तु सवाः वग लोके मधुमत् प वमाना उप वा त तु पु क रणीः सम ताः.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वह ौदन स य व तृत होने के कारण य म सब से अ धक वहन करने वाला है. यजमान इस व तीण अवयव वाले ओदन को पका कर वग ा त करता है, अंडे क आकृ त वाले कंद से उ प कुमुद फूल को दय पर रखता है तथा कमल तंतु को, उ पल (कमल) के कंद को एवं जल म उ प तथा खुर क आकृ त वाली मृणाली अथात् कम लनी को सीने पर रखता है. हे यजमान! वग म तेरे समीप चार ओर कमल के सरोवर थत रह. ये सभी धाराएं ौदन स य के फल के प म ा त वग म मधुरता पूण सचन करती ई तेरे समीप प ंच तथा समीप म वतमान सरोवर भी तेरे समीप उप थत ह . (५) घृत दा मधुकूलाः सुरोदकाः ीरेण पूणा उदकेन द ना. एता वा धारा उप य तु सवाः वग लोके मधुमत् प वमाना उप वा त तु पु क रणीः सम ताः.. (६) हे यजमान! वगलोक म घी से भरे ए गड् ढ वाली, शहद के कनार वाली, म दरा पी जल वाली तथा ध, दही एवं जल से पूण सभी धाराएं तेरे समीप प ंच. ौदन स य के फल के प म ा त वग म मधुरता पूण सचन करती ई ये सभी धाराएं तेरे समीप प ंच तथा समीप म वतमान सरोवर भी उप थत ह . (६) चतुरः कु भां तुधा ददा म ीरेण पूणा उदकेन द ना. एता वा धारा उप य तु सवाः वग लोके मधुमत् प वमाना उप वा त तु पु क रणीः सम ताः.. (७) म ध, दही, शहद और म दरा से भरे ए चार घड़ को पूव, द ण, प म एवं उ र दशा म रखता ं. हे यजमान! ौदन स य के फल के प म ा त वग म ध, जल एवं दही से पूण ये सभी धाराएं तेरे समीप प ंच एवं माधुय का सचन करते ए सरोवर तेरे समीप उप थत रह. (७) इममोदनं न दधे ा णेषु व ा रणं लोक जतं वगम्. स मे मा े वधया प वमानो व पा धेनुः काम घा मे अ तु.. (८) इस व तृत अवयव वाले, कम फल को जीतने वाले एवं वग के साधन ओदन को म ा ण म रखता ं. ीर आ द रस से बढ़ता आ यह न न हो. इस के फल के प म मुझे भां तभां त के फल दे ने वाली एवं कामनाएं पूण करने वाली धेनु ा त हो. (८)
दे वता—अ तमृ यु
सू -३५
यमोदनं थमजा ऋत य जाप त तपसा णेऽपचत्. यो लोकानां वधृ तना भरेषात् तेनौदनेना त तरा ण मृ युम्.. (१) पर
से थम उ प
हर यगभ नामक जाप त ने तप के ारा
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के लए जो
ओदन पकाया था तथा जो ओदन पृ वी आ द लोक को बांधने वाला है, उस ओदन से म मृ यु को पार क ं . (१) येनातरन् भूतकृतो ऽ त मृ युं यम व व दन् तपसा मेण. यं पपाच णे पूव तेनौदनेना त तरा ण मृ युम्.. (२) ा णय के नमाण कता दे व ने जस ओदन क सहायता से मृ यु का अ त मण कया था, जस ओदन को तप और म के ारा ा त कया था तथा जसे हर यगभ जाप त ने सब से पहले के लए पकाया था, उसी ओदन क सहायता से म मृ यु को पार क ं . (२) यो दाधार पृ थव व भोजसं यो अ त र मापृणाद् रसेन. यो अ त नाद् दवमू व म ह ना तेनौदनेना त तरा ण मृ युम्.. (३) जस ओदन ने सम त ा णय का भोग बनी ई पृ वी को धारण कया था, जो ओदन अपने रस से अंत र को पूण करता है तथा जस ओदन ने अपनी मह ा से ुलोक अथात् वग को ऊपर धारण कया था, उसी ओदन क सहायता से म मृ यु को पार करता ं. (३) य मा मासा न मता ंशदराः संव सरो य मा मतो ादशारः. अहोरा ा यं प रय तो नापु तेनौदनेना त तरा ण मृ युम्.. (४) जस ौदन से मास उ प ए, जन म प हए के ‘अरे’ के समान तीस दन थत ह, जस ौदन से बारह महीन वाला संव सर उ प आ, जस ौदन को रात और दन समीप रहते ए भी ा त नह कर पाते, उसी ओदन क सहायता से म मृ यु को पार क ं . (४) यः ाणदः ाणदवान् बभूव य मै लोका घृतव तः र त. यो त मतीः दशो य य सवा तेनौदनेना त तरा ण मृ युम्.. (५) जो ओदन मृ यु के समीप प ंचे ए जन को ाण दे ने वाला आ, जस ओदन के लए लोक घी क धाराएं बरसाते ह तथा जस ओदन के तेज से सभी दशाएं का शत ह, उसी ओदन क सहायता से म मृ यु को पार करता ं. (५) य मात् प वादमृतं संबभूव यो गाय या अ धप तबभूव. य मन् वेदा न हता व पा तेनौदनेना त तरा ण मृ युम्.. (६) जस पके ए ौदन से वग का अमृत उ प आ, जो छं द क मुख गाय ी का अ धप त बना तथा जस म शाखा भेद से सम त वेद थत ह, उसी ओदन क सहायता से म मृ यु को पार करता ं. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अव बाधे ष तं दे वपीयुं सप ना ये मे ऽ प ते भव तु. ौदनं व जतं पचा म शृ व तु मे द्दधान य दे वाः.. (७) म हसा करने वाले श ु का वध करता ं तथा दे व के हसक क ह या करता .ं जो मेरे श ु ह, वे भाग जाएं. इस के न म म सब को जीतने वाले ौदन को पकाता ं. मुझ ालु के वचन को दे व सुन और मेरी सहायता कर. (७)
सू -३६
दे वता—स य ओज वाले अ न
ता स यौजाः दह व नव ानरो वृषा. यो नो र याद् द सा चाथो यो नो अरा तयात्.. (१) स चे बल वाले, वै ानर एवं गभाधान म समथ अ न उन श ु को जलाएं, जो हमारे त के समान आचरण कर, जो हमारी हसा करना चाह तथा जो हमारे त श ु के समान आचरण कर. (१) यो नो द साद द सतो द सतो य द स त. वै ानर य दं योर नेर प दधा म तम्.. (२) जो श ु हसा क इ छा न करने वाले मुझ को मारना चाहता है तथा जस हसा क इ छा करने वाले को म मारना चाहता ,ं उस को म वै ानर अ न क दाढ़ म रखता ं. (२) य आगरे मृगय ते त ोशे ऽ मावा ये. ादो अ यान् द सतः सवा ता सहसा सहे.. (३) यु भू म म जो पशाच हम खाने के लए खोजते ह तथा श ु ारा कए गए आ ोश के कारण अमाव या क आधी रात म हम मारना चाहते ह, हम मं के भाव से उ ह परा जत करते ह. (३) सहे पशाचा सहसैषां वणं ददे . सवान् र यतो ह म सं म आकू तऋ यताम्.. (४) म बल के ारा रा स को परा जत करता ं तथा उन रा स के धन को अपने अ धकार म करता ं. म े ष करने वाले सभी श ु को मारता ं. मेरा इ फल वषयक संक प और सुख समृ हो. (४) ये दे वा तेन हास ते सूयण ममते जवम्. नद षु पवतेषु ये सं तैः पशु भ वदे .. (५) हे अ न आ द दे वो! जो पशु, रा स, पशाच आ द से बचना चाहते ह तथा उ ह छोड़ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कर सूय के समान वेग से भागते ह तथा जो पशु न दय और तीथ म घूमते ह, तु हारे भाव से म उन रा स आ द को मार कर उन पशु के साथ संयु होता ं. (५) तपनो अ म पशाचानां ा ो गोमता मव. ानः सह मव ् वा ते न व द ते य चनम्.. (६) म मं के साम य से पशाच को उसी कार संताप दे ता ,ं जस कार बाघ गाय के वा मय को ःखी करता है. सह को दे ख कर जस कार कु ा भय से छप जाता है, उसी कार मेरे मं के भाव से वे अधोग त पाते ह. (६) न पशाचैः सं श नो म न तेनैन वनगु भः. पशाचा त मा य त यमहं ाममा वशे.. (७) म पशाच , चोर और वन म रहने वाले लुटेर से न मलूं. म जस ाम म वेश कर के नवास क ं , उस से पशाच भाग जाएं. (७) यं ाममा वशत इदमु ं सहो मम. पशाचा त मा य त न पापमुप जानते.. (८) मं के भाव से उ प मेरा यह बल जस ाम म वेश कर के नवास करता है, पशाच उस ाम से भाग जाता है. वहां रहने वाले लोग पशाच के हसा पी पाप को नह जानते. (८) ये मा ोधय त ल पता ह तनं मशका इव. तानहं म ये हतान् जने अ पशयू नव.. (९) जो पशाच मल कर मुझे इस कार ो धत करते ह, जस कार म छर हाथी को ोध बढ़ा दे ते ह; म उ ह उसी कार हनन के यो य जानता ,ं जस कार जनसंचार के थान पर छोटे शरीर वाले क ड़े होते ह. (९) अ भ तं नऋ तध ाम मवा ा भधा या. म वो यो म ं ु य त स उ पाशा मु यते.. (१०) पाप दे वता मेरे श ु को उसी कार बांध ल, जस कार र सी घोड़े को बांधती ह. जो श ु मेरे लए ोध करता है, वह श ु पाप दे वता नऋ त के पाश से न छू टे . (१०)
सू -३७
दे वता—जड़ीबूट आ द
वया पूवमथवाणो ज नू र ां योषधे. वया जघान क यप वया क वो अग यः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे जड़ीबू टयो! ाचीन काल म तु ह साधन बना कर अथववेद संबंधी मह षय ने रा स को मारा था. तु हारे ारा क यप, क व और अग य ऋ षय ने रा स का वध कया. (१) वया वयम सरसो ग धवा ातयामहे. अजशृङ् यज र ः सवान् ग धेन नाशय.. (२) हे अजशृंगी नाम क जड़ी! तुझे साधन बना कर हम उप व करने वाली अ सरा और गंधव का नाश करते ह. तू रा स को यहां से र भगा तथा अपनी गंध से सभी रा स का वनाश कर. (२) नद य व सरसो ऽ पां तारमव सम्. गु गुलूः पीला नल ौ ३ ग धः म दनी. तत् परेता सरसः तबु ा अभूतन.. (३) गंधव क प नयां अ सराएं अपने वास थान पर उसी कार चली जाएं, जस कार नद पार करने वाले म लाह के समीप प ंचते ह. हे अ सराओ! गु गुलु, पीला, नलवी, ओ गं ध एवं मं दनी के हवन से भयभीत हो कर अपने नवास थान को चली जाओ तथा वह रहो. (३) य ा था य ोधा महावृ ाः शख डनः. तत् परेता सरसः तबु ा अभूतन.. (४) जहां अ थ, य ोध आ द महावृ एवं मोर होते ह, हे अ सराओ! वहां से अपने नवास थान को चली जाओ तथा वह क रहो. (४) य वः ेङ्खा ह रता अजुना उत य ाघाटाः ककयः संवद त. तत् परेता सरसः तबु ा अभूतनः.. (५) हे अ सराओ! तु हारे खेलने के लए जहां झूले पड़े ह, उन झूल का रंग हरा और सफेद है. जहां ककरी नाम के बाजे बजाए जाते ह, वहां से भाग कर अपने नवास थान को चली जाओ तथा वह रहो. (५) एयमग ोषधीनां वी धां वीयावती. अजशृङ् यराटक ती णशृ ृषतु.. (६) जड़ीबू टय एवं वृ म सब से अ धक श वाली अजशृंगी, अराटक तथा ती ण शृंगी नाम क जड़ीबू टयां आ गई ह. इस थान से रा स भाग जाएं. (६) आनृ यतः शख डनो ग धव या सरापतेः. भन द्म मु काव प या म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शेपः.. (७) म मोर के समान नाचते ए अ सरा के प त गंधव के अंडकोष को फोड़ता ं तथा उस के पु ष जननांग को न य बनाता ं. (७) भीमा इ य हेतयः शतमृ ीरय मयीः. ता भह वरदान् ग धवानवकादान् ृषतु.. (८) इं का आयुध भयंकर, सौ धार वाला एवं लोहे का बना आ है. उसी से वह ह व न दे ने वाले एवं शैवाल खाने वाले गंधव को मार. (८) भीमा इ य हेतयः शतमृ ी हर ययीः. ता भह वरदान् ग धवानवकादान् ृषतु.. (९) इं के आयुध भयंकर, सौ धार वाले एवं सोने के बने ह. इं उ ह से ह व न दे ने वाले तथा शैवाल भ ण करने वाले गंधव का वध कर. (९) अवकादान भशोचान सु योतय मामकान्. पशाचा त् सवानोषधे मृणी ह सह व च.. (१०) हे अजशृंगी जड़ी! शैवाल खाने वाले, सभी को शोक प च ं ाने वाले उन गंधव को जल म का शत करो, जो यु से संबं धत ह. तुम सभी पशाच को मारो तथा परा जत करो. (१०) ेवैकः क प रवैकः कुमारः सवकेशकः. यो श इव भू वा ग धवः सचते य त मतो नाशयाम स वीयावता.. (११)
णा
मायावी होने के कारण एक गंधव कु े के समान, सरा बंदर के समान है. गंधव सारे शरीर पर बाल उगे होने पर भी बालक ही होता है. गंधव दे खने म य प बना कर य से मलते ह. म अ य धक श शाली मं क सहायता से उ ह यहां से भगाता ं. (११) जाया इद् वो अ सरसो ग धवाः पतयो यूयम्. अप धावताम या म यान् मा सच वम्.. (१२) हे गंधव ! ये अ सराएं तु हारी प नयां ह और तुम इन के प त हो. तुम गंधव जा त के हो, इस लए मनु य से र भाग जाओ, इन से मत मलो. (१२)
सू -३८
दे वता—अ सराएं, शलाका
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अ
उ दत स य तीम सरां साधुदे वनीम्. लहे कृता न कृ वानाम सरां ता मह वे.. (१) बाजी लगा कर धन का भेदन करती ई एवं भलीभां त जुए म जीतने वाली एवं अ शलाका आ द से अ छ तरह जुआ खेलने वाली अ सरा क म तु त करता ं. सदै व दांव पर लगाए गए धन पर जुआ जीतने के च बनाने वाली उस अ सरा को म यहां बुलाता ं. (१) व च वतीमा कर तीम सरां साधुदे वनीम्. लहे कृता न गृ ानाम सरां ता मह वे.. (२) एक न त काठ पर तीनचार अ अथात् पास को एक करती ई, पुनः उ ह ही जुए म जीतने के लए ब त से काठ पर बखेरती ई एवं जय के उपाय जानने के कारण भलीभां त जुआ खेलती ई अ सरा को म अपने समीप बुलाता ं. वह जुए म लगाए गए धन को च बना कर जीत लेती है. (२) यायैः प रनृ य याददाना कृतं लहात्. सा नः कृता न सीषती हामा ोतु मायया. सा नः पय व यैतु मा नो जैषु रदं धनम्.. (३) जो अ सरा जुए म जीते गए धन को ‘यह मेरा है’ कह कर अ धकार म कर लेती ह तथा पास क सं या के ारा जुए म जीत कर स तापूवक नृ य करती ह, वे हमारे कृत म अथात् चार सं या के दांव को सोखती ई पास को अपनी माया से ा त कर के गाय आ द धन वाली अ सराएं हमारे समीप आएं. जुए के दांव पर लगा हमारा धन सरे न जीत सक. (३) या अ ेषु मोद ते शुचं ोधं च ब ती. आन दन मो दनीम सरां ता मह वे.. (४) जो अ सरा जुए म जीतने के कारण स ता एवं हार के कारण शोक और ोध को धारण करती है, जुए के कारण ह षत होने वाली तथा वा रय को स ता दे ने वाली उस अ सरा को म बुलाता ं. (४) सूय य र मीननु याः स चर त मरीचीवा या अनुस चर त. यासामृषभो रतो वा जनीवा स ः सवान् लोकान् पय त र न्. स न ऐतु होम ममं जुषाणो ३ त र ेण सह वा जनीवान्.. (५) जो अ सराएं सूय क करण के पीछे घूमती ह अथवा सूय क करण उन के पीछे चलती ह, उन अ सरा के गभाधान म समथ प त सदा उषा से संबं धत रहते ह. वे सभी लोक क र ा करने के लए त दन आते ह. उषा के प त सूय अ सरा के साथ हमारे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
होम के ह व को वीकार करते ए आएं. (५) अ त र ेण सह वा जनीवन् कक व सा मह र वा जन्. इमे ते तोका ब ला ए वा ङयं ते मनो ऽ तु.. (६) हे बलवान सूय! इस थान पर धौरे (सफेद) रंग के बछड़ का पालन करो. तु हारी ये ध क बूंद हमारे लए समृ ह . तुम यहां शी आओ. यह धौरे रंग क गौ तु हारी है. तु हारे लए नम कार है. (६) अ त र ेण सह वा जनीवन् कक व सा मह र वा जन्. अयं घासो अयं ज इह व सां न ब नीमः यथानाम व ई महे वाहा.. (७) हे बलवान सूय! इस थान पर धौरे रंग के बछड़ का पालन करो. यह घास और गोशाला पु कर हो. इस गोशाला म म बछड़ को बांधता ं. म तु ह उसी कार बांधता ं, जस से तु हारा वामी बन सकूं. यह ह व उ म आ त वाला हो. (७)
सू -३९
दे वता—पृ वी, अ न
पृ थ ाम नये समनम स आ न त्. यथा पृ थ ाम नये समनम ेवा म ं संनमः सं नम तु.. (१) पृ वी पर दे वता प म थत अ न के लए सभी ाणी नमन करते ह. वे अ न इस से समृ होते ह. पृ वी पर ाणी जस कार अ न के लए नमन करते ह, उसी कार का नमन मेरे लए भी हो. (१) पृ थवी धेनु त या अ नव सः. सा मे ऽ नना व सेनेषमूज कामं हाम्. आयुः थमं जां पोषं र य वाहा.. (२) पृ वी गाय है और अ न उस का बछड़ा है. अ न पी बछड़े के कारण पृ वी मेरे लए मनचाही मा ा म बल कारक अ दे . पृ वी मुझे सौ वष क आयु, जा, पु एवं धन दे . यह ह व उ म आ त वाला हो. (२) अ त र े वायवे समनम स आ न त्. यथा त र े वायवे समनम ेवा म ं संनमः सं नम तु.. (३) अंत र म अ धप त के प म थत वायु के लए य , गंधव आ द ने भलीभां त नम कार कया. वायु उन के नम कार से स ए. जस कार गंधव आ द ने अंत र म वायु के लए नम कार कया, उसी कार वह मेरे लए नम कार कर. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ त र ं धेनु त या वायुव सः. सा मे वायुना व सेनेषमूज कामं हाम्. आयुः थमं जां पोषं र य वाहा.. (४) अंत र गाय है और वायु उस का बछड़ा है. वह गाय वायु पी बछड़े के कारण मुझे बलकारक अ पया त मा ा म दान करे. वायु मुझे सौ वष क आयु, जा, पु एवं धन दे . यह ह व उ म आ त वाला हो. (४) द ा द याय समनम या आ न त्. यथा द ा द याय समनम ेवा म ं संनमः सं नम तु.. (५) ु ोक म थत सूय के लए वहां के सभी ा णय ने नम कार कया. उस नम कार से ल सूय स ए. ा णय ने जस कार ुलोक के सूय के लए नम कार कया, उसी कार मेरे लए भी नम कार कर. (५) ौधनु त या आ द यो व सः. सा म आ द येन व सेनेषमूज कामं हाम्. आयुः थमं जां पोषं र य वाहा.. (६) ौ गाय है और सूय उस का बछड़ा है. वह ौ पी गाय सूय पी बछड़े के कारण मेरे लए मनचाहा बलकारक अ दान करे. वह मुझे सौ वष क आयु, जा, पु और धन दान करे. यह ह व उ म आ त वाला हो. (६) द ु च ाय समनम स आ न त्. यथा द ु च ाय समनम ेवा म ं संनमः सं नम तु.. (७) दशा म वतमान चं मा के लए वहां के जीव ने नम कार कया. इस से चं मा ब त स ए. जीव ने जस कार चं मा के लए नम कार कया, उसी कार मेरे लए भी करगे. (७) दशो धेनव तासां च ो व सः. ता मे च े ण व सेनेषमूज कामं हाम्. आयुः थमं जां पोषं र य वाहा.. (८) दशाएं गाय ह और चं मा उन का बछड़ा है. वे दशाएं चं मा पी बछड़े के कारण मुझे मनचाहा बलकारक अ दान कर. वे मुझे सौ वष क आयु, जा, पु एवं धन द. (८) अ नाव न र त व ऋषीणां पु ो अ भश तपा उ. नम कारेण नमसा ते जुहो म मा दे वानां मथुया कम भागम्.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अंगार प लौ कक अ न म वेश कर के दे वता प अ न संचरण करते ह. अथवा, अं गरा आ द ऋ षय के पु हम आरोप के प म ा त पाप से बचाएं. म नम कार के साथ अ से तु हारे न म हवन करता ं. हम दे व के भाग ह व को म या न कर. (९) दा पूतं मनसा जातवेदो व ा न दे व वयुना न व ान्. स ता या न तव जातवेद ते यो जुहो म स जुष व ह त्.. (१०) हे जातवेद अ न! म तु हारे लए दय और मन से प व ह व का हवन करता ं. हे दे व! तुम सभी ान को जानते हो. हे जातवेद अ न! तु हारे सात मुख ह. उन मुख के लए म घी का हवन करता ं. तुम मेरे ह को वीकार करो. (१०)
सू -४०
दे वता—जातवेद
ये पुर ता जु त जातवेदः ा या दशोऽ भदास य मान्. अ नमृ वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (१) हे जातवेद अ न! जो श ु पूव दशा म हवन करते ए हम पर जा टोने तथा पूव दशा से हमारी हसा करना चाहते ह, अ न म गर कर हमारे वे वरोधी ःखी ह . हम उन के ारा कए गए जा टोने को वापस लौटा कर उ ह मारते ह. (१) ये द णतो जु त जातवेदो द णाया दशो ऽ भदास य मान्. यममृ वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (२) हे जातवेद अ न! जो श ु हमारे नवास थान क द ण दशा म हवन कर के जा टोना कर रहे ह, वे द ण दशा से हमारी हसा करते ह. वे श ु हमारी ओर से मुंह फेर कर जल जाएं. इन जा टोना करने वाल को हम उन के जा टोने को उ ह क ओर लौटा कर मारते ह. (२) ये प ा जु त जातवेदः ती या दशो ऽ भदास य मान्. व णमृ वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (३) हे जातवेद अ न! जो श ु हमारे नवास थान क प म दशा म हवन कर के जा टोना कर रहे ह, वे प म दशा से हमारी हसा करते ह. वे श ु हमारी ओर से मुंह फेर कर जल जाएं. उन जा टोना करने वाल को हम उन के जा टोने को उ ह क ओर लौटा कर मारते ह. (३) य उ रतो जु त जातवेद उद या दशो ऽ भदास य मान्. सोममृ वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (४) हे जातवेद अ न! जो श ु हमारे नवास थान क उ र दशा म हवन कर के जा टोना ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कर रहे ह, वे उ र दशा से हमारी हसा करते ह. वे श ु हमारी ओर से मुंह फेर कर जल जाएं. उन जा टोना करने वाल को हम उन के जा टोने उ ह क ओर लौटा कर मारते ह. (४) ये ३ ऽ ध ता जु त जातवेदो व ु ाया दशो ऽ भदास य मान्. भू ममृ वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (५) हे जातवेद अ न! जो श ु हमारे नवास से नीचे क दशा म हवन कर के जा टोना कर रहे ह, वे नीचे क दशा से हमारी हसा करते ह. वे श ु हमारी ओर से मुंह फेर कर जल जाएं. उन जा टोना करने वाल को हम उन के जा टोने उ ह क ओर वापस कर के मारते ह. (५) ये ३ ऽ त र ा जु त जातवेदो वाया दशो ऽ भदास य मान्. वायुमृ वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (६) हे जातवेद अ न! जो श ु हमारे नवास थान से अंत र क दशा म हवन कर के जा टोना कर रहे ह, वे अंत र क दशा से हमारी हसा करते ह, वे श ु हमारी ओर से मुंह फेर कर जल जाएं. उन जा टोना करने वाल को हम उन के जा टोने उ ह क ओर वापस कर के मारते ह. (६) य उप र ा जु त जातवेदः ऊ वाया दशो ऽ भदास य मान्. सूयमृ वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (७) हे जातवेद अ न! जो श ु हमारे नवास थान से ऊपर क दशा म हवन कर के जा टोना कर रहे ह, वे ऊपर क दशा से हमारी हसा करते ह. वे श ु हमारी ओर से मुंह फेर कर जल जाएं. उन जा टोना करने वाल को हम उन के जा टोने उ ह क ओर वापस कर के मारते ह. (७) ये दशाम तदशे यो जु त जातवेदः सवा यो द यो भदास य मान्. वा ते परा चो थ तां यगेनान् तसरेण ह म.. (८)
ऽ
हे जातवेद अ न! जो श ु अ त दशा म आ त डालकर जा टोने ारा दशा के कोण से हम न करना चाहता, वह श ु परा जत होते ए क भोगे. अपने श ु को हम तसर कम से न करते ह. (८)
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पांचवां कांड सू -१
दे वता—व ण
ऋधङ् म ो यो न य आबभूवामृतासुवधमानः सुज मा. अद धासु ाजमानो ऽ हेव तो धता दाधार ी ण (१) जस के ाण मरण र हत ह, जो ज म ले कर बढ़ता है, कोई भी जस क हसा नह कर सकता, जो दन के समान काश वाला है, जो तीन लोक का धारणकता और पालक है, वह यो न से उ प आ है. (१) आ यो धमा ण थमः ससाद ततो वपूं ष कृणुषे पु ण. धा युय न थम आ ववेशा यो वाचमनु दतां चकेत.. (२) जो जीवा मा सब से पहले धम का पालन करता है तथा इसी हेतु अनेक शरीर को धारण करता है, जो सं ा के ारा आकृ वाणी का नमाण करता है, वह अ क इ छा से यो न म सब से पहले वेश करता है. (२) य ते शोकाय त वं ररेच र र यं शुचयो ऽ नु वाः. अ ा दधेते अमृता न नामा मे व ा ण वश एरय ताम्.. (३) हे व ण! जो जीवा मा तु हारे न म धम पालन हेतु क सहता आ सुवण के समान अपनी क त फैलाने के लए शरीर म आया है, उसे ावा पृ वी अमर व दान करते ह तथा जाएं व दे ती ह. (३) यदे ते तरं पू गुः सदःसद आ त तो अजुयम्. क वः शुष य मातरा रहाणे जा यै धुय प तमेरयेथाम्.. (४) जो उ म थान पर बैठ कर उस परमा मा का चतन करते ह, जो ा ण के हतैषी ह तथा उसे ा त कर चुके ह, वे लोक परमा मा क उपासना करके उस ी को भी ई र के दशन कराएं, जो जा को अपनी बहन समझ कर उस का भार वहन करती है. (४) त षु ते महत् पृथु मन् नमः क वः का ेना कृणो म. यत् स य चाव भय ताव भ ाम ा मही रोधच े वावृधेते.. (५) पृ वी को थर रखने वाले दो राजा प हए के समान तेज चाल से आगे बढ़ रहे ह. हे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पृ वी! म अथववेद का ाता ा ण ं और तु हारे लए अ भट करता ं. (५) स त मयादाः कवय तत ु तासा मदे काम यं रो गात्. आयोह क भ उपम य नीडे पथां वसग ध णेषु त थौ.. (६) मनु आ द ऋ षय ने चोरी, गु प नीगमन, ह या, ूणह या, म पान, म याभाषण एवं पापकम — इन सात कम के प म धा मक, मयादा न त क है. जो इस मयादा को नह मानता, वह पापी है. इन सात मयादा का पालन करने वाला पु ष मृ यु के प ात सूय मंडल म थत आ द य को ा त करता है और लय काल तक वह थत रहता है. (६) उतामृतासु त ए म कृ व सुरा मा त व १ तत् समुदगु ् ः. उत वा श ो र नं दधा यूजया वा यत् सचते ह वदाः.. (७) शरीर से संबं धत जो वयं काश उभरता है, म उसी का ती ं. म अपने बल के सहारे आ रहा ं. जो इं को श वाला ह व दे ता है, इं उसे र न आ द धन दान करते ह. (७) उत पु ः पतरं मीडे ये ं मयादम य व तये. दशन् नु ता व ण या ते व ा आव ततः कुणवो वपूं ष.. (८) य जा त का पु अपने पता क पूजा करे तथा उ म क याण पाने के लए धम पालन म वृ हो. हे व ण! अनेक थान को दखाते ए तुम सांसा रक जीव क रचना करते हो. (८) अधमधन पयसा पृण यधन शु म वधसे अमुर. अ व वृधाम श मयं सखायं व णं पु म द या इ षरम्. क वश ता य मै वपूं यवोचाम रोदसी स यवाचा.. (९) म और व ण अ द त के पु ह. हम इन दोन क वृ करते ह. हे व ण! तुम आधे ध, घृत आ द से इस सेना का बल बढ़ाते हो और आधे से अपनी वृ करते हो. हे आकाश और पृ वी के दे वो! व ान् ऋ षय ने जन शरीर का वणन कया है, हम अपनी स य वाणी से उ ह का वणन करते ह. (९)
सू -२
दे वता—व ण
त ददास भुवनेषु ये ं यतो ज उ वेषनृ णः. स ो ज ानो न रणा त श ूननु यदे नं मद त व ऊमाः.. (१) इं संसार म धनवान एवं बली होने के कारण े माने जाते ह. इं ने ज म लेते ही श ु का संहार करना आरंभ कर दया था, इसी लए इन के सै नक इन क र ा करते ह एवं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स रहते ह. (१) वावृधानः शवसा भूय जाः श ुदासाय भयसं दधा त. अ न च न च स न सं ते नव त भृता मदे षु.. (२) बढ़ता, श शाली एवं ओज वी श ु अपने दास को भयभीत करता है. चर और अचर सारा व हम म लीन हो जाता है. वेतन पाने वाले स चे वीर यु म परमा मा क ाथना करते ह. (२) वे तुम प पृ च त भू र यदे ते भव यूमाः. वादोः वाद यः वा ना सृजा समदः सु मधु मधुना भ योधीः.. (३) हे इं ! ज म, सं कार और यु क द ा से तीन बात मनु य के ज म के साथ ही न त हो जाती ह एवं वशाल य को तुम तक प ंचाती ह. तुम सभी पदाथ को उ म वाद वाला बनाने वाले हो तुम हमारे पदाथ को भी वा द बनाओ एवं सुंदर री त से यु करो. (३) य द च ु वा धना जय तं रणेरणे अनुमद त व ाः. ओजीयः शु म थरमा तनु व मा वा दभन् रेवासः कशोकाः.. (४) हे बलशाली इं ! तुम सभी यु म वजय ा त करते हो. य द ा ण तु हारी तु त कर तो तुम उ ह थर रहने वाला बल दान करो. जो मु य सुखमय वातावरण को ःखमय बना दे ते ह अथवा जन क ग त बुरी है, वे तुम तक न आ सक. (४) वया वयं शाशद्महे रणेषु प य तो यधे या न भू र. चोदया म त आयुधा वचो भः सं ते शशा म णा वयां स.. (५) हे इं ! तु हारी सहायता से हम यु म अपने सभी वरो धय को समा त कर दे ते ह. म तप या ारा स अपनी वाणी से तु हारे श को ेरणा दान करता ं तथा तु हारी ग तशील वाणी को तीखा बनाता ं. (५) न तद् द धषेऽवरे परे च य म ा वथावसा रोणे. आ थापयत मातरं जग नुमत इ वत कवरा ण भू र.. (६) जस घर म उ म एवं साधारण ा णय का पालन आ तथा जस घर म अ ारा उन क र ा क गई, उस घर म का लका माता क ग तशील श क थापना करो. इस कार वह घर अद्भुत पदाथ से पूण हो जाएगा. (६) तु व व मन् पु व मानं समृ वाण मनतममा तमा यानाम्. आ दश त शवसा भूय जाः स त तमानं पृ थ ाः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे शरीरधारी पु ष! तू उस राजा क तु त कर जो वचरण करने वाला, तेज वी, वामी एवं उन गुण से यु है, जो आ त जन म होते ह. राजा पृ वी का त प है एवं यु म जुटा आ है. (७) इमा बृह द्दवः कृणव द ाय शूषम यः वषाः. महो गो य य त वराजा तुर द् व मणवत् तप वान्.. (८) यह राजा वग ा त क अ भलाषा से महान तो ारा इं को स कर रहा है. वग के वामी इं मेघ के ारा जल वषा कर के व को जल से पूण करते ह. (८) एवा महान् बृह द्दवो अथवावोचत् वां त व १ म मेव. वसारौ मात र वरी अ र े ह व त चैने शवसा वधय त च.. (९) अपने शरीर को इं मान कर मह ष अथवा ने कहा था क पाप र हत भ ग नयां इसे बल के ारा बढ़ाती ई स करती ह. (९)
सू -३
दे वता—अ न
ममा ने वच वहवे व तु वयं वे धाना त वं पुषेम. म ं नम तां दश त वया य ेण पृतना जयेम.. (१) हे अ न दे व! यु म हम वच वी बन. हम तु ह कट करते ए अपने शरीर को श शाली बनाएं. चार दशाएं और दशाएं हमारे सामने तथा आप के संर ण म श ु क इस सेना पर वजय ा त कर. (१) अ ने म युं तनुदन् परेषां वं नो गोपाः प र पा ह व तः. अपा चो य तु नवता र यवो ऽ मैषां च ं बुधां व नेशत्.. (२) हे अ न दे व! तुम हजार श ु का ोध समा त करते ए सभी ओर से हमारी र ा करो. हम ःख दे ने के इ छु क लोग हमारे सामने न बन तथा हमारे सामने से चले जाएं. (२) मम दे वा वहवे स तु सव इ व तो म तो व णुर नः. ममा त र मु लोकम तु म ं वातः पवतां कामाया मै.. (३) इं के साथ म त्, व णु और अ न आ द सभी दे व यु भू म म मेरे अनुकूल बन. अंत र म मेरा यशोगान गूंजे तथा वायु क ग त मेरे अनुकूल हो. (३) म ं यज तां मम यानी ाकू तः स या मनसो मे अ तु. एनो मा न गां कतम चनाहं व े दे वा अ भ र तु मेह.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म जो इ छा और संक प करता ं, वह स य हो. म सभी कार के पाप से र र ं तथा व े दे व मेरी र ा कर. (४) म य दे वा वणमा यज तां म याशीर तु म य दे व तः. दै वा होतारः स नषन् न एतद र ाः याम त वा सुवीराः.. (५) म जन दे व को बुलाता ,ं वे मुझे अ से संप बनाएं. य समीप बैठ, जस से हम रोगर हत और श शाली बन सक. (५)
म दे व के होता हमारे
दै वीः षडु व नः कृणोत व े दे वास इह मादय वम्. मा नो वदद भभा मो अश तमा नो वदद् वृ जना े या या.. (६) हे व े दे व! आप सब हमारे लए पृ वी, आकाश, जल, ओष ध, दन और रात—इन छह द श य को बढ़ाइए. आप स ह , जस से कोई न हमारा तर कार करे और न हमारी नदा करे. हम पाप न लगे. (६) त ो दे वीम ह नः शम य छत जायै न त वे ३ य च पु म्. मा हा म ह जया मा तनू भमा रधाम षते सोम राजन्.. (७) भारती, सर वती और पृ वी—ये तीन दे वयां हमारा क याण कर. हमारी जाएं पोषक पदाथ पा कर पु य शरीर वाली ह . हे तेज वी सोम! हम संतान एवं पशु से हीन न ह तथा श ु हम ःख न द. (७) उ चा नो म हषः शम य छ व मन् हवे पु तः पु ु. स नः जायै हय मृडे मा नो री रषो मा परा दाः.. (८) हे इं ! तुम नद के समान ग तशील, गुणसंप एवं अ के वामी हो. तुम हम इस य के कारण सुख दान करो. तुम हमारी संतान का नाश मत करो तथा हमारा याग मत करो. (८) धाता वधाता भुवन य य प तदवः स वता भमा तषाहः. आ द या ा अ नोभा दे वाः पा तु यजमानं नऋथात्.. (९) धाता, वधाता, संसार के वामी एवं श ुहंता स वता दे व, आ द य, अ नीकुमार यजमान को पाप से बचाएं और उ श ु से र ा कर. (९)
तथा दोन
ये नः सप ना अप ते भव व ा न यामव बाधामह एनान्. आ द या ा उप र पृशो न उ ं चे ारम धराजम त.. (१०) जो हमारे श ु ह, वे हम से र भाग जाएं. हम इं और अ न के ारा अपने श ु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को
बांधते ह. आ द य और
ने हम जो राजा बना दया है, वह सावधान करने वाला है. (१०)
अवा च म ममुतो हवामहे यो गो जद् धन जद जद् यः. इमं नो य ं वहवे शृणो व माकमभूहय मेद .. (११) हम ऐसे इं को य म बुलाते ह जो भू म के वजेता, धन के वजेता और घोड़ को जीतने वाले ह, वह इं हमारी तु त सुन. हे इं ! तुम हम से नेह करने वाले बनो. (११)
दे वता—कु , त मा-नाशन
सू -४ यो ग र वजायथा वी धां बलव मः. कु े ह त मनाशन त मानं नाशय तः.. (१)
हे पवत म उ प होने वाली तथा श शाली ओष ध कु ! तू कोढ़ नामक क ठन रोग का नाश करने वाली है. तू हम क दे ने वाले रोग को न करती ई यहां आ. (१) सुपणसुवने गरौ जातं हमवत प र. धनैर भ ु वा य त व ह त मनाशनम्.. (२) ग ड़ को उ प करने वाले हमवंत पवत के ऊपर उ प होने वाली इस ओष ध के वषय म हम ने लोग से सुना और अ ले कर वहां गए. इस कार हम ने इस ओष ध को ा त कया. (२) अ थो दे वसदन तृतीय या मतो द व. त ामृत य च णं दे वाः कु मव वत.. (३) यहां तीसरे दे व थान म अ थ अथात् पीपल वराजमान है. यहां दे व ने अमृत के समान गुण वाले कूठ को जाना. (३) हर ययी नौरचर र यब धना द व. त ामृत य पु पं दे वाः कु मव वत.. (४) दे व ने सोने के र से से बंधी ई वग क नौका के ारा अमृत के पु प के समान कूठ को ा त कया. (४) हर ययाः प थान आस र ा ण हर यया. नावो हर ययीरासन् या भः कु ं नरावहन्.. (५) सोने के बने ए माग से वण क नाव के पतवार भी सोने क थ . (५)
ारा कूठ को लाया गया. उन नाव क
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इमं मे कु पू षं तमा वह तं न कु . तमु मे अगदं कृ ध.. (६) हे कूठ! मेरे इस पु ष को अपने समीप ले कर और इस रोग से छु टकारा दला कर व थ बनाओ. (६) दे वे यो अ ध जातो ऽ स सोम या स सखा हतः. स ाणाय ानाय च ुषे मे अ मै मृड.. (७) हे कूठ! तुम दे व के समीप उ प ए हो तथा सोम के हतकारक म हो. तुम मेरे इस पु ष के ाण, ान एवं ने को सुख दे ने वाले बनो. (७) उदङ् जातो हमवतः स ा यां नीयसे जनम्. त कु य नामा यु मा न व भे जरे.. (८) कूठ हमालय पवत के उ रभाग म उ प आ है एवं मनु य के ारा पूव दशा म लाया गया है. वहां उस के उ म नाम का वभाजन आ. (८) उ मो नाम कु ा यु मो नाम ते पता. य मं च सव नाशय त मानं चारसं कृ ध.. (९) हे कूठ! तु हारी स उ म है तथा तु हारे पता भी उ म थे. तुम सभी कार के राजय मा रोग का नाश करो तथा कु रोग को हम से र भगाओ. (९) शीषामयमुपह याम यो त वो ३ रपः. कु तत् सव न करद् दै वं समह वृ यम्.. (१०) सर संबंधी रोग, ने संबंधी ा धयां एवं रोग उ प करने वाले पाप को कूठ ने दै वी बल पा कर इन सब को न कर दया. (१०)
सू -५
दे वता—ला ा
रा ी माता नभः पतायमा ते पतामहः. सलाची नाम वा अ स सा दे वानाम स वसा.. (१) हे लाख नामक ओष ध! तू चं मा क करण से पु होती है. इस लए रा तेरी माता है. तू वषा काल म उ प होती है, इस लए आकाश तेरा पता है. आकाश म मेघ को उ प करने के कारण सूय तेरा पतामह है. तेरा नाम सलाची है और तू दे व क बहन है. (१) य वा पब त जीव त ायसे पु षं वम्. भ ह श ताम स जनानां च य चनी.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो तुझे पीता है, वह जी वत रहता है. तू पु ष क र ा करती है, तू मनु य का भरणपोषण करने वाली एवं उ त बनाने वाली है. (२) वृ ंवृ मा रोह स वृष य तीव क यला. जय ती या त ती परणी नाम वा अ स.. (३) तू बैल क इ छा करने वाली गाय के समान येक वृ पर चढ़ती है. तू वजय ा त करती है एवं थत रहती है, इस लए तेरा नाम मरणी है. (३) यद् द डेन य द वा यद् वा हरसा कृतम्. त य वम स न कृ तः सेमं न कृ ध पू षम्.. (४) हे लाख! जो डंडे से चोट खाया है और जो धारदार श से घायल है, तू उन के घाव को ठ क करने का उपाय है, इस लए तू इस पु ष को घाव वहीन बना. (४) भ ात् ल ा त य थात् ख दराद् धवात्. भ ा य ोधात् पणात् सा न ए ध त.. (५) हे लाख! तू कदं ब, पाकड़, पीपल, खैर, धौ, भ , य ोध एवं पण नामक वृ से उ प होती है. हे घाव को शु करने वाली एवं भरने वाली ओष ध लाख! तू हम ा त हो. (५) हर यवण सुभगे सूयवण वपु मे. तं ग छा स न कृते न कृ तनाम वा अ स.. (६) हे वण के समान वण वाली सुभगा एवं सूय के समान चमक वाली ओष ध लाख! तू शरीर को व थ बनाती है. तू घाव को ठ क करती है, इस लए तेरा नाम न कृ त है. (६) हर यवण सुभगे शु मे लोमशव णे. अपाम स वसा ला े वातो हा मा बभूव ते.. (७) हे सोने के समान वण वाली, सुभगा, सूय के समान वण वाली एवं लोग का वनाश करने वाली लाख! तू जल क बहन है और वायु तेरी आ मा है. (७) सलाची नाम कानीनो ऽ जब ु पता तव. अ ो यम य यः याव त य हा ना यु ता.. (८) हे लाख! तेरे नाम सलाची और कानीन ह. बक रय का पालक तेरा पता है. यमराज का जो पीले रंग का घोड़ा है, उस के र से तुझे स चा गया है. (८) अ या नः स प तता सा वृ ां अ भ स यदे . सरा पत णी भू वा सा न ए ध त.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे घाव भरने वाली लाख! तू घोड़े के रंग वाली है एवं वृ वाली है, इस लए च ड़या बन कर हमारे समीप आ. (९)
को स चती ह. तू सरकने
दे वता—
सू -६
ज ानं थमं पुर ताद् व सीमतः सु चो वेन आवः. स बु या उपमा अ य व ाः सत यो नमसत व वः.. (१) संपूण सृ का कारण सृ के आरंभ म सूय के प म कट आ. उस का तेज सीमा र हत है, जो सभी दशा और लोक म ा त होता है. वह अनुपम है. सत् इसी से उ प आ है और असत् इसी म समा जाता है. (१) अना ता ये वः थमा या न कमा ण च रे. वीरान् नो अ मा दभन् तद् व एतत् पुरो दधे.. (२) हे मनु यो! तु हारे वरोधी श ु ने जो उ म कम कए ह, उन कम से वे हमारी संतान तथा वीर का वनाश न कर, इस लए म वह अ भचार कम तु हारे सामने तुत कर रहा ं. (२) सह धार एव ते सम वरन् दवो नाके मधु ज ा अस तः. त य पशो न न मष त भूणयः पदे पदे पा शनः स त सेतवे.. (३) आकाश म थत एवं हजार माग वाले वग म वनाश करने वाले यह घो षत कर चुके ह. जो लोग यु म जाने के लए आनाकानी करते ह, उ ह बांधने के लए यम त पाश लए ए सदा त पर रहते ह एवं अपनी आंख कभी बंद नह करते. (३) पयू षु ध वा वाजसातये प र वृ ा ण स णः. ष तद यणवेनेयसे स न सो नामा स योदशो मास इ
य गृहः.. (४)
हे सूय! तुम अ उ पादन के न म मेघ के समीप जाते हो और उ ह ता ड़त कर के सागर के पास प ंचाते हो. इसी कारण तु हारा नाम स न त है. वष का तेरहवां महीना जो इं का घर है, तुम उस म भी वषा करने को त पर हो. (४) वे ३ तेनारा सीरसौ वाहा. त मायुधौ त महेती सुशेवौ सोमा
ा वह सु मृडतं नः.. (५)
इसी अ भचार कम ारा इस पु ष ने स आ त वाला हो. हे सोम और ! तुम तीखे अ बना कर सुख दान करो. (५)
ा त क थी. यह अ भचार कम सुंदर वाले हो. तुम हम इस यु म वजयी
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अवैतेनारा सीरसौ वाहा. त मायुधौ त महेती सुशेवौ सोमा
ा वह सु मृडतं नः.. (६)
इस अ भचार कम के ारा ही इस राजा ने स ा त क है एवं श ु का वनाश कया है. इस क छ व सुंदर आ त वाली हो. हे सोम एवं ! तुम ती ण श वाले हो. तुम इस यु म वजय दान करा के हम सुख दो. (६) अपैतेनारा सीरसौ वाहा. त मायुधौ त महेती सुशेवौ सोमा
ा वह सु मृडतं नः.. (७)
इस अ भचार कम ारा ही इस राजा ने अपने श ु का वरोध करते ए उन का दमन कया तथा स ा त क . इस क यह ह व सुंदर आ त वाली हो. हे सोम और ! तुम अ य धक ती ण आयुध वाले तथा सुख ा त करने वाले हो. तुम हम इस यु म वजयी बना कर सुख दान करो. (७) मुमु म मान् रतादव ा जुषेथां य ममृतम मासु ध म्.. (८) हे सोम एवं दे व! हम ऐसे पाप से बचाओ, जस का नाम लेने म भी ल जा आती है. तुम इस य को ा त करो और इस म अमृत धारण करो. (८) च ुषो हेते मनसो हेते णो हेते तपस हेते. मे या मे नर यमेनय ते स तु ये३ मां अ यघाय त.. (९) हे ने क , मन क , क एवं तप क संहारक श ! तुम सभी आयुध क अपे ा े आयुध हो. जो आयुधधारी हम न करना चाहते ह, वे आयुधहीन हो जाएं. (९) यो ३ मां ुषा मनसा च याकू या च यो अघायुर भदासात्. वं तान ने मे यामेनीन् कृणु वाहा.. (१०) हे अ न! हमारी ह या पी पाप करने का इ छु क जो और च वृ से ीण करना चाहता है, उसे अपने आयुध के हमारी यह आ त उ म हो. (१०)
हम को च ु से, मन से ारा आयुधहीन बनाओ.
इ य गृहो ऽ स. तं वा प े तं वा वशा म सवगुः सवपू षः सवा मा सवतनूः सह य मेऽ त तेन.. (११) हे अ न! तुम इं के गृह हो. तुम सव गमन करने वाले, सब के पु ष, सब क आ मा एवं सब के शरीर हो. म अपने सभी सहयो गय स हत आप क शरण म आया ं. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ य शमा स. तं वा प े तं वा वशा म सवगुः सवपू षः सवा मा सवतनूः सह य मेऽ त तेन.. (१२) हे अ न! तुम इं के मुख, सव गमन करने वाले, सब क आ मा, सब के शरीर एवं सब के पु ष हो. म अपने सभी सहयो गय स हत तु हारी शरण म आया ं. (१२) इ य वमा स. तं वा प े तं वा वशा म सवगुः सवपू षः सवा मा सवतनूः सह य मे ऽ त तेन.. (१३) हे अ न! तुम इं के कवच, सव गमन करने वाले, सब क आ मा, सब के शरीर और सब के पु ष हो. म अपने सम त प रवार और पूरी संप के साथ तु हारी शरण म आता ं. (१३) इ य व थम स. तं वा प े तं वा वशा म सवगुः सवपू षः सवा मा सवतनूः सह य मे ऽ त तेन.. (१४) हे अ न! तुम इं के सै नक, सव गमन करने वाले, सब के पु ष, सब क आ मा और सब के शरीर हो. म अपने सभी सहयो गय स हत तु हारी शरण म आया ं. (१४)
सू -७
दे वता—अरा त
आ नो भर मा प र ा अराते मा नो र ीद णां नीयमानाम्. नमो वी साया असमृ ये नमो अ वरातये.. (१) हे अरा त! हम को धन संप बना. तू हमारे चार ओर थत मत हो और हमारे ारा लाई गई द णा को भा वत मत कर. यह ह व हम दान हीनता क अ ध ा ी दे वी को वृ न होने क इ छा से दे रहे ह. यह तुझे ा त हो. (१) यमराते पुरोध से पु षं प ररा पणम्. नम ते त मै कृ मो मा व न थयीमम.. (२) हे अरा त! हम उस पु ष को र से णाम करते ह, जो तु हारे स मुख रहता है एवं केवल बोलने वाला है, काम नह करता. तुम हमारी इस इ छा को ठु कराना मत. (२) णो व नदवकृता दवा न ं च क पताम्. अरा तमनु ेमो वयं नमो अ वरातये.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम म दे व क भ रात दन बढ़ती रहे. इसी लए हम अरा त क शरण म जाते ह. अरा त को नम कार हो. (३) सर वतीमनुम त भगं य तो हवामहे. वाचं जु ां मधुमतीमवा दषं दे वानां दे व तषु.. (४) म दे व का आ ान करने वाले य म उस वाणी का उ चारण करता ं, जो उ ह स करने वाली है. हम सब सर वती, अनुम त और भगदे व क शरण ा त करते ह और उ ह बुलाते ह. (४) यं याचा यहं वाचा सर व या मनोयुजा. ा तम व दतु द ा सोमेन ब ुणा.. (५) मन से उ प सर वती क वाणी के ारा म जस व तु को पाने क वह श शाली सोमदे व क ा ारा द ई ा त हो. (५)
ाथना करता ,ं
मा व न मा वाचं नो वी स भा व ा नी आ भरतां नो वसू न. सव नो अ द स तो ऽ रा त त हयत.. (६) हे अरा त! तू हमारी वाणी और भ को अव मत कर. इं और अ न हम धन दान कर तथा वे इस समय हमारे श ु के अनुकूल न ह . (६) परो ऽ पे समृ े व ते हे त नयाम स. वेद वाहं नमीव त नतुद तीमराते. (७) हे अरा त! म जानता ं क तू बल बनाने वाला और पीड़ा दे ने वाला है. इस कारण तू मुझ से र रह. म तेरी वनाशक श को र कर सकता ं. (७) उत न ना बोभुवती व या सचसे जनम्. अराते च ं वी स याकू त पु ष य च.. (८) हे अरा त! तू मनु य क कामना प म ा त होता है. (८)
को असफल करता है तथा उ ह सदा भाव के
या महती महो माना व ा आशा ानशे. त यै हर यके यै नऋ या अकरं नमः.. (९) असमृ अथात् द र ता हमारी सभी आशा वाली इस असमृ को म नम कार करता ं. (९)
को सी मत कर रही है. सुनहरे केश
हर यवणा सुभगा हर यक शपुमही. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त यै हर य ापये ऽ रा या अकरं नमः.. (१०) यह सुनहरे रंग वाली पृ वी ा त के कारण हर यक यप के वश म हो कर समृ हीन हो गई थी. यह असमृ रमणीयता का वनाश करती है. म इस को नम कार करता ं. (१०)
दे वता—अ न
सू -८ वैकङ् कतेने मेन दे वे य आ यं वह. अ ने ताँ इह मादय सव आ य तु मे हवम्.. (१)
हे अ न! तुम श शाली ओष ध के धन से दे व के हेतु घृत का वहन करो. इस कम से तुम दे व को स करो. मेरे यह म सभी दे व आएं. (१) इ ा या ह मे हव मदं क र या म त छृ णु. इम ऐ ा अ तसरा आकू त सं नम तु मे. ते भः शकेम वीय १ जातवेद तनूव शन्.. (२) हे इं ! मेरे इस य म आओ और म जो तु त कर रहा ं, उसे सुनो. सभी ऋ वज् मेरी इ छा के अनुसार काय कर. हे ज म लेने वाल के ाता इं ! जन ऋ वज का म ने वणन कया है, उन के य न से हम श शाली बन. (२) यदसावमुतो दे वा अदे वः सं क ष त. मा त या नह ं वा ी वं दे वा अ य मोप गुममैव हवमेतन.. (३) हे दे वगण! जो भ हीन पु ष य करना चाहता है, उस के ह को अ न तु हारे पास तक न प ंचाएं. दे वगण उस भ हीन पु ष के य म न जा कर मेरे य म पधार. (३) अ त धावता तसरा इ य वचसा हत. अ व वृक इव म नीत स वो जीवन् मा मो च ाणम या प न त.. (४) हे मनु यो! तुम इं के वचन से वृ ा त करो और श ु का वनाश करो. तुम श ु को इस कार मथो, जस कार भे ड़या भेड़ को मथता है. वह जी वत न रहने पाए. तुम उसे न कर दो. (४) यममी पुरोद धरे मृ यवे.. (५)
ाणमपभूतये. इ
स ते अध पदं तं
य या म
हे इं ! इन श ु ने हमारी ग त के न म य म जसे अपना पुरो हत बनाया है, उस का अधःपतन हो जाए. म उसे मृ यु के समीप फक रहा ं. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य द ेयुदवपुरा वमा ण च रे. तनूपानं प रपाणं कृ वाना य पो चरे सव तदरसं कृ ध.. (६) हे दे व! हमारे श ु ने तनुपान एवं प रपाण नामक कम के समय अपने मं मय कवच को स कर लया है. तुम इन कम से संबं धत मं को असफल बनाओ. (६) यानसाव तसरां कार कृणव च यान्. वं ता न वृ हन् तीचः पुनरा कृ ध यथामुं तृणहां जनम्.. (७) हे वृ रा स का नाश करने वाले इं ! हमारे श ु ने जन यो ा को आगे क ओर बढ़ाया है, उ ह तुम पीछे धकेल दो, जस से म श ु क सेना का वनाश कर सकूं. (७) यथे उ ाचनं ल वा च े अध पदम्. कृ वे ३ हमधरां तथामू छ ती यः समा यः.. (८) इं ने जस कार तु त वचन के े अ कार म इन श ु का तर कार करता ं. (८)
से अपने श ु को परा जत कया था, उसी
अ ैना न वृ ह ु ो मम ण व य. अ ैवैनान भ त े मे १हं तव. अनु वे ा रभामहे याम सुमतौ तव.. (९) हे वृ को मारने वाले इं ! तुम उ बन कर इस यु म मेरे श ु के मम थल का वेध करो. म तु हारा नेहपा ं, इसी लए तुम मेरे इन श ु से यु करो. म तु हारा अनुगामी ं और भ व य म भी तु हारी सुम त म र ंगा. (९)
सू -९
दे वता—वा तो प त
दवे वाहा.. (१) ुलोक के अ ध ाता दे व के लए हमारी यह ह व सम पत है. (१) पृ थ ै वाहा.. (२) पृ वी के अ ध ाता दे व के लए हमारी यह ह व सम पत है. (२) अ त र ाय वाहा.. (३) आकाश के अ ध ाता दे व के लए हमारी यह ह व सम पत है. (३) अ त र ाय वाहा.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अंत र अथात् धरती और आकाश के अ ध ाता दे व के लए यह ह व सम पत है. (४) दवे वाहा.. (५) ुलोक अथात् वग के अ ध ाता के लए हमारी यह ह व सम पत है. (५) पृ थ ै वाहा.. (६) पृ वी के लए हमारी यह ह व सम पत है. (६) सूय मे च ुवातः ाणो ३ त र मा मा पृ थवी शरीरम्. अ तृतो नामाहमयम म स आ मानं न दधे ावापृ थवी यां गोपीथाय.. (७) वायु मेरे ने ह, वायु मेरा ाण है, अंत र के अ ध ाता दे व मेरी आ मा ह और पृ वी मेरा शरीर है. म अमर अथवा मृ युर हत नाम वाला ं. हे ावा पृ वी! म अपनी आ मा को सुर ा के न म आपके सामने सम पत करता ं. (७) उदायु द् बलमुत् कृतमुत् कृ यामु मनीषामु द यम्. आयु कृदायु प नी वधाव तौ गोपा मे तं गोपायतं मा. आ मसदौ मे तं मा मा ह स म्.. (८) हे ावा पृ वी! तुम हमारी आयु, बल, कम, कृ या, बु तथा इं य को उ कृ बनाओ. हे आयु बढ़ाने वाले, आयु क र ा करने वाले एवं व भासमान ावा पृ वी! तुम मेरी र ा करो! आप मेरी आ मा म थत हो और कभी मेरी हसा न कर. (८)
सू -१० अ मवम मे ऽ स यो मा ऋ छात्.. (१)
दे वता—वा तो प त ा या दशो ऽ घायुर भदासात्. एतत् स
हे प थर के बने घर! तू मेरा है. जो पापी ह यारा मुझे पूव दशा क ओर से न करना चाहता है, वह नाश को ा त हो. (१) अ मवम मे ऽ स यो मा द णाया दशो ऽ घायुर भदासात्. एतत् स ऋ छात्.. (२) हे प थर के बने ए घर! तू मेरा है. जो ह या करने का इ छु क पापी द ण दशा से मुझे न करने का इ छु क है, वह यहां आतेआते वयं न हो जाए. (२) अ मवम मे ऽ स यो मा ती या दशो ऽ घायुर भदासात्. एतत् स ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ऋ छात्.. (३) हे प थर के बने ए घर! तू मेरा है. जो ह या करने का इ छु क पापी मुझे प म दशा से न करना चाहता है, वह मेरे समीप आने से पहले ही न हो जाए. (३) अ मवम मे ऽ स यो मोद या दशो ऽ घायुर भदासात्. एतत् स ऋ छात्.. (४) हे प थर के बने घर! तू मेरा है. जो पापी मेरी ह या करने क इ छा से उ र दशा से आता है, वह मेरे समीप आ कर न हो जाए. (४) अ मवम मे ऽ स यो मा ऋ छात्.. (५)
ुवाया दशो ऽ घायुर भदासात्. एतत् स
हे प थर के बने ए घर! तू मेरा है. जो पापी ुव दशा अथात् नीचे क ओर से मुझे न करने क इ छा करता है, उस का नाश हो. (५) अ मवम मे ऽ स यो मा मो वाया दशो ऽ घायुर भदासात्. एतत् स ऋ छात्.. (६) हे प थर के घर! तू मेरा है. जो पापी मुझे ऊपर क दशा से समा त करना चाहता है, उस का नाश हो. (६) अ मवम मे ऽ स यो मा दशाम तदशे यो ऽ घायुर भदासात्. एतत् स ऋ छात्.. (७) हे प थर के बने ए घर! तू मेरा है जो पापी दशा चाहता है, उस का नाश हो. (७)
के कोन से मेरा नाश करना
बृहता मन उप ये मात र ना ाणापानौ. सूया च ुर त र ा पृ थ ाः शरीरम्. सर व या वाचमुप यामहे मनोयुजा.. (८)
ो ं
म चं मा के मन का आ ान करता ं. म वायु से ाण अपान क , सूय से ने क , अंत र से े क , पृ वी से शरीर क और सर वती से मन यु वाणी क ाथना करता ं. (८)
सू -११
दे वता—व ण
कथं महे असुराया वी रह कथं प े हरये वेषनृ णः. पृ व ण द णां ददावान् पुनमघ वं मनसा च क सीः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे श शाली व ण! तुम ने जगत् के पालन करने वाले सूय से या कहा था? तुम सूय को द णा दे ते हो एवं मन से च क सा करते हो. (१) न कामेन पुनमघो भवा म सं च े कं पृ मेतामुपाजे. केन नु वमथवन् का ेन केन जातेना स जातवेदाः.. (२) म इ छा मा से ही संप शाली नह बन गया ं, अ पतु सूय दे व से ाथना करता .ं म यह सुख ा त करता र ं. हे ऋ वज्! तुम कस व ा और चातुय के ारा सभी ज म लेने वाल के ाता बन गए हो? (२) स यमहं गभीरः का ेन स यं जातेना म जातवेदाः. न मे दासो नाय म ह वा तं मीमाय यदहं ध र ये.. (३) यह स य बात है क म का अथात् अथव के ारा ा त चतुरता से ानी बन गया ं तथा अ न के समान सब का मागदशन करता ं. म जस त को धारण क ं गा, उसे कोई भंग नह कर सकता. (३) न वद यः क वतरो न मेधया धीरतरो व ण वधावन्. वं ता व ा भुवना न वे थ स च ु व जनो मायी बभाय.. (४) हे वधा वाले व ण! तु हारे अ त र कोई भी सरा व ान् मेधावी और वीर नह है. तुम सभी भुवन को जानते हो, इस लए सब लोग तुम से भयभीत रहते ह. (४) वं १ व ण वधावन् व ा वे थ ज नमा सु णीते. क रजस एना परो अ यद येना क परेणावरममुर.. (५) हे सुधा के पा एवं नी त पालक व ण! तुम ा णय के सभी ज म को जानते हो. तुम सभी से मोह रखते हो. इस रजोगुण यु धन से े कौन सी व तु है. इस से े कुछ भी नह है. (५) एकं रजस एना परो अ यद येना पर एकेन णशं चदवाक्. तत् ते व ान् व ण वी यधोवचसः पणयो भव तु नीचैदासा उप सप तु भू मम्.. (६) इस रजोगुण यु धन से े गुण यु धन है. सतोगुण यु से े है. हे व ण दे व! तुम इस वषय के जानने वाले हो, इस लए म तुम से नवेदन करता ं क बुरा वहार करने वाले लोग मेरे सामने नकृ वचन न बोल और दास जन झुक कर चल. (६) वं १ व ण वी ष पुनमघे वव ा न भू र. मो षु पण र ये ३ तावतो भू मा वा वोच राधसं जनासः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे व ण दे व! तुम बारबार धन ा त के अवसर के वषय म बताते हो. तुम इन वहार करने वाल क उपे ा मत करो. अ यथा ये तु ह धनहीन समझने लगगे. (७) मा मा वोच राधसं जनासः पुन ते पृ ज रतददा म. तो ं मे व मा या ह शची भर त व ासु मानुषीषु द ु.. (८) लोग बारबार तु ह धनहीन अथवा कंजूस न समझ ल, इस लए म तु ह यह थोड़ा सा धन भट करता ं. मेरी इ छा है क तु हारी यह तु त सारे संसार म फैल जाए और सभी दशा म मनु य इसे गाएं. (८) आ ते तो ा यु ता न य व त व ासु मानुषीषु द ु. दे ह नु मे य मे अद ो अ स यु यो मे स तपदः सखा स.. (९) हे व ण! मनु य से यु सभी दशा म तु हारी तु तयां फैल जाएं. तुम मुझे यह व तु दो जो अब तक नह द है. तुम मेरे स तदा अथात् सात कदम साथ चलने वाले सखा हो. (९) समा नौ ब धुव ण समा जा वेदाहं त ावेषा समा जा. ददा म तद् यत् ते अद ो अ म यु य ते स तपदः सखा म.. (१०) हे बंधु व ण! हम और तुम दोन समान ह. हमारी संतान भी समान हो. इन बात को म जानता ं. म ने तु ह अब तक जो नह दया है, वह अब दे रहा ं. म तु हारा स तदा सखा ं. (१०) दे वो दे वाय गृणते वयोधा व ो व ाय तुवते सुमेधाः. अजीजनो ह व ण वधाव थवाणं पतरं दे वब धुम्. त मा उ राधः कृणु ह सु श तं सखा नो अ स परमं च ब धुः.. (११) हे अ धारक व ण दे व! दे वगण दे व क तु त करते ह तथा बु मान ा ण ा ण क तु त करते ह. हे सुधा के पा व ण! तुम ने दे व को बंधु एवं हमारे पता के समान अथव को जानने वाले को उ प कया है. तुम मुझे े धन म था पत करो. तुम हमारे सब से बड़े बंधु एवं सखा हो. (११)
सू -१२
दे वता—अ न
स म ो अ मनुषो रोणे दे वो दे वान् यज स जातवेदः. आ च वह म मह क वान् वं तः क वर स चेताः.. (१) हे उ प को जानने वाले अ न! तुम आज मनु य के य म व लत ए हो और दे व का यजन कर रहे हो. तुम म क पूजा करने वाले एवं ाता हो. तुम दे व का आ ान ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करो. तुम दे व के त, ानवान और
ांतदश हो. (१)
तनूनपात् पथ ऋत य यानान् म वा सम म मा न धी भ त य मृ धन् दे व ा च कृणु
वदया सु ज . वरं नः.. (२)
हे शरीरर क एवं उ म ज ा वाले अ न! तुम स यलोक को ा त कराने वाले माग को मधुर बना कर उन का आ वादन करो एवं मेरे य को बढ़ाते ए इसे दे व को ा त कराओ. (२) आजु ान ई ो व ा या ने वसु भः सजोषाः. वं दे वानाम स य होता स एनान् य ी षतो यजीयान्.. (३) हे अ न! तुम पू य व वंदना करने यो य हो. तुम म भलीभां त हवन कया जाता है. हमारे इस य कम म तुम वसु के स हत आओ. तुम दे व के होता हो. तुम हमारी ेरणा से दे व क पूजा करो. (३) ाचीनं ब हः दशा पृ थ ा व तोर या वृ यते अ े अ ाम्. ु थते वतरं वरीयो दे वे यो अ दतये योनम्.. (४) वेद पी भू म को ढकने वाले आ नीय अ न पूवा म व तृत होते ह. अ न अ य यो तय क अपे ा े , धनवान तथा पृ वी को सुख दे ने वाले ह. (४) च वती वया व य तां प त यो न जनयः शु भमानाः. दे वी ारो बृहती व म वा दे वे यो भवत सु ायणाः.. (५) अ न क वाला ह व को वहन करने वाली और ा धय को रोकने वाली है. इस कारण वह ार के समान है. हे अ न क काशमान वाला! जस कार यां प तय का आदर करती है, उसी कार तुम दे व को सुख दे ने वाली बनो. तुम ह व को ा त करने वाली हो. (५) आ सु वय ती यजते उपाके उषासान ा सदतां न योनौ. द े योषणे बृहती सु मे अ ध यं शु पशं दधाने.. (६) अ न क द त उषा और य क द त से यु है. वह य का संपादन करती एवं दे व से संयु होती है. वह द , पर पर मलने वाली एवं उ म द त यजमान के हेतु अ न क थापना करे. (६) दै ा होतारा थमा सुवाचा ममाना य ं मनुषो यज यै. चोदय ता वदथेषु का ाचीनं यो तः दशा दश ता.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वायु और अ न द ह. मनु य होता म मुख ह. वे सुंदर वाणी वाले, य के ेरक एवं य के नमाता ह. वायु होता पर अनु ह करते ह और आ नीय अ न क सेवा का आदे श दे ते ह. अतएव य पर उपकार करने वाले वायु और अ न दे व मुझ पर भी उपकार कर. (७) आ नो य ं भारती तूयमे वडा मनु व दह चेतय ती. त ो दे वीब हरेदं योनं सर वतीः वपसः सद ताम्.. (८) सब ा णय को जल से संतु करने वाले अ न दे व क कां त पृ वी का और सर वती का आ ान करने पर सचेत हो. सुंदर कम करने वाली ये तीन दे वयां कुश पर वराजमान ह . (८) य इमे ावापृ थवी ज न ी पैर पशद् भुवना न व ा. तम होत र षतो यजीयान् दे वं व ार मह य व ान्.. (९) हे अ न! जो व ा दे वता ावा पृ वी तथा सम त ा णय को अनेक है, हमारी ेरणा से आज उस का यजन करो. (९)
प दान करता
उपावसृज म या सम न् दे वानां पाथ ऋतुथा हव ष. वन प तः श मता दे वो अ नः वद तु ह ं मधुना घृतेन.. (१०) हे अ न दे व! यह य प अ दे व का भाग है. इसे और ह वय को येक ऋतु म दे व तक प ंचाओ. वन प त, स वता दे व और अ न इस ह को मधु और घृत से यु कर के वा द बनाएं. (१०) स ो जातो अ य होतुः
ममीत य म नदवानामभवत् पुरोगाः. श यृत य वा च वाहाकृतं ह वरद तु दे वाः.. (११)
अ न दे व कट होते ही य का आरंभ करते ह और कट होते ही सम त दे व म अ ग य बन जाते ह. दे व का आ ान करने वाले इस अ न के मुख म दे व गण वाहा श द से यु ह व हण कर. (११)
सू -१३ द द ह म ं व णो दवः क ववचो भ खातमखातमुत स म भ मरेव ध व
दे वता—सप- वषनाशन ै न रणा म ते वषम्. जजास ते वषम्.. (१)
वग के दे वता व ण ने मुझे उपदे श दया है. उन के वचन के ारा म तेरे वष को र करता ं. जो वष मांस के ऊपर अथवा मांस के भीतर है, उसे म हण करता ं. जस कार जल रेत म गरने पर न हो जाता है, उसी कार तेरा वष न हो जाए. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यत् ते अपोदकं वषं तत् त एता व भम्. गृ ा म ते म यममु मं रसमुतावमं भयसा नेशदा ते.. (२) जल को षत करने वाला तेरा जो वष है, उसे म ने भीतर ही रोक लया है. तेरे उ म और म यम रस अथात् वष को म हण करता ं. वह रस अथात् तेरा वष न हो जाए. (२) वृषा मे रवो नभसा न त यतु ेण ते वचसा बाध आ ते. अहं तम य नृ भर भं रसं तमस इव यो त दे तु सूयः.. (३) मेरा वचन वषा करने वाला तथा मेघ के समान गजन करता है. म अपने उ वचन से तुझ सप को बांधता ं. जस कार सूय दय होने पर अंधकार न हो जाता है, उसी कार यह पु ष वष से मु हो कर जी वत हो जाए. (३) च ुषा ते च ुह म वषेण ह म ते वषम्. अहे य व मा जीवीः यग येतु वा वषम्.. (४) हे सप! म अपनी ने श से तेरी ने श का वनाश करता ं तथा ऋ ष के ारा तेरे वष को समा त करता ं. तू मृ यु को ा त हो, जी वत न रहे. तेरा वष तुझ पर ही बुरा भाव डाले. (४) कैरात पृ उपतृ य ब आ मे शृणुता सता अलीकाः. मा मे स युः तामानम प ाता ावय तो न वषे रम वम्.. (५) हे सप ! तुम जंगल म घूमने वाले, काले ध ब से यु , घास म रहने वाले, भूरे वण वाले, काले वण वाले तथा नदनीय हो. तुम हमारे कथन को सुनो. तुम हमारे सखा के घर के समीप नवास मत करो. हमारा यह कथन तुम सरे सप को भी सुना दो. (५) अ सत य तैमात य ब ोरपोदक य च. सा ासाह याहं म योरव या मव ध वनो व मु चा म रथाँ इव.. (६) गीली जगह म नवास करने वाले, याम एवं ेत वण से यु , पानी से र रहने वाले और सब को परा जत करने वाले ोध पूण सप के वष को हम उसी कार र करते ह, जस कार धनुष क डोरी और रथ के बंधन को उतारा जाता है. (६) आ लगी च व लगी च पता च माता च. व वः सवतो ब वरसाः क क र यथ.. (७) हे सप ! तु हारे माता पता आ लगी अथात् चपकने वाले और वलगी अथात् न चपकने वाले ह. हम तु हारे सभी बंधु से प र चत ह. तुम रसहीन अथात् वष हीन हो कर ******ebook converter DEMO Watermarks*******
या करोगे? (७) उ गूलाया हता जाता दा य स या. तङ् कं षीणां सवासामरसं वषम्.. (८) जो सां पन गूलर नाम के वशाल वृ से उ प ई है, वह काली सां पन क दासी है. जो सां पन दांत के मा यम से अपना ोध कट करती है, इस का वष हम ःख दान करता है यह वष भावहीन हो जाए. (८) कणा ा वत् तद वीद् गरेरवचर तका. याः का म े ाः ख न मा तासामरसतमं वषम्.. (९) पवत पर घूमने वाली और कांट वाली ने कहा क जो सां पन धरती म बल बना कर नवास करती ह, उन का वष भावहीन हो जाए. (९) ताबुवं न ताबुवं न घेत् वम स ताबुवम्. ताबुवेनारसं वषम्.. (१०) (१०)
तुम ताबुव नह हो, तुम ताबुव नह हो, य क ताबुव वष को भावहीन कर दे ता है. त तुवं न त तुवं न घेत् वम स त तुवम्. त तुवेनारसं वषम्.. (११)
तुम त तुव नह हो, तुम त तुव नह हो. न त को भावहीन कर दे ता है. (११)
प से तुम त तुव नह हो. त तुव वष
सू -१४
दे वता—ओष ध
सुपण वा व व दत् सूकर वाखन सा. द सौषधे वं द स तमव कृ याकृतं ज ह.. (१) हे ओष ध! सुपण अथात् ग ड़ या सूय ने तु ह ा त कया था. सुअर ने अपनी नाक से तु ह खोदा था. हे कृ या से संबं धत ओष ध! तुम कृ या का योग करने वाले और हम मारने का य न करने वाले का नाश करो. (१) अव ज ह यातुधानानव कृ याकृतं ज ह. अथो यो अ मान् द स त तमु वं ज ोषधे.. (२) हे ओष ध! तुम याततुधान अथात् रा स और कृ या का नमाण करने वाले का ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वनाश करो. तुम उस का भी वनाश करो जो हमारी मृ यु क इ छा करता है. (२) र य येव परीशासं प रकृ य प र वचः. कृ यां कृ याकृते दे वा न क मव त मु चत.. (३) हे दे वो! जो हमारी हसा करने वाले ह, उन क वचा पर अपने आयुध से घाव बना कर अपने आयुध को अलग करो. लोग जस कार सोने के स के अथवा आभूषण को हण करते ह, उसी कार कृ या का नमाण करने वाला उस को वीकार करे. (३) पुनः कृ यां कृ याकृते ह तगृ परा णय. सम म मा आ धे ह यथा कृ याकृतं हनत्.. (४) हे ओष ध! तुम कृ या का हाथ पकड़ कर उन के समीप ले जाओ, ज ह ने इस का नमाण कया है. उन के समीप प ंची ई कृ या उन का वनाश कर दे गी. (४) कृ याः स तु कृ याकृते शपथः शपथीयते. सुखो रथइव वततां कृ या कृ याकृतं पुनः.. (५) कृ या का योग करने वाले पर कृ या का बुरा भाव पड़े और शाप दे ने वाले को ही शाप लगे. जस कार रथ सरलतापूवक घूम जाता है, उसी कार कृ या अपने ेरक क ओर घूम जाए. (५) य द ी य द वा पुमान् कृ यां चकार पा मने. तामु त मै नयाम य मवा ा भधा या.. (६) य द कसी ी अथवा पु ष ने तुझे पाप कम अथात् मुझे डसने के लए ेरणा द है तो जस कार लगाम का संकेत करने से घोड़ा पीछे क ओर लौट पड़ता है, उसी कार हम तुझे ेरणा दे ने वाल क ओर ही लौटाते ह. (६) य द वा स दे वकृता य द वा पु षैः कृता. तां वा पुनणयामसी े ण सयुजा वयम्.. (७) हे कृ या! य द तुझे दे व ने अथवा पु ष ने े रत कया है तो हम तुझे उ ह क ओर वापस लौटाते ह, य क हम इं के सखा ह. (७) अ ने पृतनाषाट् पृतनाः सह व. पुनः कृ यां क याकृते तहरणेन हराम स.. (८) हे रा स क सेना का सामना करने वाले अ न दे व! तुम इन सेना हम इस कृ या को कृ या के ेरक क ओर ही वापस लौटा रहे ह. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का सामना करो.
कृत ध न व य तं य कार त म ज ह. न वामच ु षे वयं वधाय सं शशीम ह.. (९) हे संहार का साधन कृ या! जस ने तेरा नमाण कया है, तू उसी का छे दन कर के मार डाल. जस ने तेरा नमाण नह कया है, उस के वध के न म हम तुझे श शा लनी नह बनाते. (९) पु इव पतरं ग छ वज इवा भ तो दश. ब ध मवाव ामी ग छ कृ ये कृ याकृतं पुनः.. (१०) हे कृ या! जस कार पु पता के पास जाता है, उसी कार तू अपने उ प कता के समीप जा. दबने पर जस कार सांप काट लेता है, उसी कार तू उसे डस ले, जस ने तुझे बनाया है. जस कार टू टा आ बंधन अपने ही शरीर पर गरता है, उसी कार तू कृ याकता के पास लौट जा. (१०) उढे णीव वार य भ क दं मृगीव. कृ या कतारमृ छतु.. (११) कृ या इस कार अपने नमाणकता के पास जाए, जस कार ऐणी नाम क हरनी, ह थनी और मृगी शी ता से झपटती है. (११) इ वा ऋजीयः पततु ावापृ थवी तं त. सा तं मृग मव गृ ातु कृ या कृ याकृतं पुनः.. (१२) कृ या अपने नमाण कता क ओर उस के तकूल आचरण करती ई अ न के समान जाए. जैसे कनारे को काट कर गराता आ जल का वेग मलता है अथवा रथ जस कार सरलता से मुड़ जाता है, उसी कार कृ या अपने नमाणकता से मले. (१२) अ न रवैतु तकूलमनुकूल मवोदकम्. सुखो रथ इव वततां कृ या कृ याकृतं पुनः.. (१३) अ न क तरह कृ याकारी से तकूल आचरण करती ई वह कृ या उस के पास प ंचे. जस कार पानी कनार को काटता आ बढ़ता है उसी कार वह कृ या कृ याकारी के अनुकूल हो कर उस के पास प ंचे. वह कृ या सुखकारी रथ के समान कृ याकारी के पास पुनः चली आए. (१३)
सू -१५
दे वता—मधुला ओष ध
एका च मे दश च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे य के न म उ प ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे एक और दस अथात् यारह ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना. य क तू मधुर है. (१) े च मे वश त च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (२) हे ऋतु के अनुसार उ प होने वाली ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे दो और बीस अथात् बाईस ह , परंतु तू मेरे श द को मधुर बना, य क तू मधुर है. (२) त मे श च च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (३) हे ऋतु के अनुसार उ प होने वाली ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे तीन और तीस अथात् ततीस ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (३) चत मे च वा रश च च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (४) हे ऋतु के अनुसार उ प होने वाली ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे चार और चालीस अथात् चवालीस ह , परंतु तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (४) प च च मे प चाश च च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (५) हे ऋतु के अनुसार ऊ प होने वाली ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे पांच और पचास अथात् पचपन ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (५) षट् च मे ष च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (६) हे ऋतु के अनुसार उ प ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे छः और साठ अथात् छयासठ ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (६) स त च मे स त त च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (७) हे ऋतु के अनुसार उ प ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे सात और स र अथात् सतह र ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (७) अ च मे ऽ शी त मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ऋतु के अनुसार उ प ओष ध! मेरी नदा करने वाले आठ और अ सी अथात अ ासी ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (८) नव च मे नव त मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (९) हे ऋतु के अनुसार उ प ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे नौ और न बे अथात् न यानवे ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (९) दश च मे शतं च मे ऽ पव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (१०) हे ऋतु के अनुसार उ प ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे दस और सौ अथात एक सौ दस ह , परंतु तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (१०) शतं च मे सह ं चापव ार ओषधे. ऋतजात ऋताव र मधु मे मधुला करः.. (११) हे ऋतु के अनुसार उ प ओष ध! मेरी नदा करने वाले चाहे सौ और हजार अथात् यारह सौ ह , पर तू मेरी वाणी को मधुर बना, य क तू मधुर है. (११)
दे वता—एक वृष
सू -१६ य ेकवृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (१)
हे लवण! य द तू एक वृषभ अथात् बैल के समान श उ प कर, अ यथा तू भावहीन समझा जाएगा. (१) यद
वृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (२)
हे लवण! य द तू दो बैल के समान श अ यथा तू श हीन समझा जाएगा. (२) यद
वाला है तो इस गाय से संतान
शाली है तो इस गाय को संतान वाली बना,
वृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (३)
हे लवण! य द तू तीन बैल के समान श अ यथा तू भावहीन समझा जाएगा. (३)
वाला है तो इस गाय से संतान उ प कर,
य द चतुवृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (४) हे लवण! य द तू चार बैल के समान श
वाला है तो इस गाय को संतान वाली बना,
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अ यथा तू श
हीन समझा जाएगा. (४)
य द प चवृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (५) हे लवण! य द तू पांच बैल के समान श अ यथा तू भावहीन समझा जाएगा. (५)
वाला है तो इस गाय से संतान उ प कर,
य द षड् वृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (६) हे लवण! य द तू छह बैल के समान श अ यथा तू श हीन समझा जाएगा. (६)
वाला है तो इस गाय से संतान उ प कर,
य द स तवृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (७) हे लवण! य द तू सात बैल के समान श अ यथा तू श हीन समझा जाएगा. (७) य
शाली है तो इस गाय को संतान वाली बना,
वृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (८)
हे लवण! य द तू आठ बैल के समान श अ यथा तू श र हत समझा जाएगा. (८)
वाला है तो इस गाय से संतान उ प कर,
य द नववृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (९) हे लवण! य द तू नौ बैल के समान श अ यथा तू भावर हत समझा जाएगा. (९)
शाली है तो इस गाय से संतान उ प कर,
य द दशवृषो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (१०) हे लवण! य द तू दस बैल के समान श अ यथा तू भावहीन समझा जाएगा. (१०)
शाली है तो इस गाय को संतान वाली बना,
य ेकादशो ऽ स सृजारसो ऽ स.. (११) हे लवण! य द तू यारह बैल के समान श कर, नह तो तू श हीन समझा जाएगा. (११)
सू -१७
वाला है तो इस गाय से संतान उ प
दे वता—
ते ऽ वदन् थमा क बषे ऽ कूपारः स ललो मात र ा. वीडु हरा तप उ ं मयोभूरापो दे वीः थमजा ऋत य.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जाया
सूय, व ण, वायु, चं तथा आप अथात् जलदे वी—ये दे वता इ ह ने ा ण ारा अपराध करने के वषय म कहा है. (१)
से उ प
ए ह.
सोमो राजा थमो जायां पुनः ाय छद णीयमानः. अ व तता व णो म आसीद नह ता ह तगृ ा ननाय.. (२) सब से पहले सोम ने के लए उस गाय को दे दया, जस ने उ ह उ प उस समय व ण और सूय सोम के सहयोगी बने और अ न उन के होता थे. (२)
कया था.
ह तेनैव ा आ धर या जाये त चेदवोचत्. न ताय हेया त थ एषा तथा रा ं गु पतं य य.. (३) यह हम को उ प करने वाली है, इस कार जो कहे उस का संक प हाथ म ले. यह संक प लेने के लए त को न भेजे. (३) यामा तारकैषा वकेशी त छु नां ाममवप मानाम्. सा जाया व नो त रा ं य ापा द शश उ कुषीमान्.. (४) ाम क ओर बढ़ती ई ता रका को उ का कहते ह. उस उ का का अंश जहां गरता है, उस रा य का नाश हो जाता है. इस कार से उ प ता रका रा य का नाश कर दे ती है. (४) चारी चर त वे वषद् वषः स दे वानां भव येकम म्. तेन जायाम व व दद् बृह प तः सोमेन नीतां जु ं १ न दे वाः.. (५) चय दे वता का अंग प होता है. वह चय म रमण करता आ जा के म य घूमता है. जस कार दे व ने सोम के चमस को ा त कया है, उसी कार बृह प त ने चय के ारा प नी को पाया. (५) दे वा वा एत यामवद त पूव स तऋषय तपसा ये नषे ः. भीमा जाया ा ण यापनीता धा दधा त परमे ोमन्.. (६) तप या म लीन रहने वाले स त ऋ षय ने और दे व ने ा ण जाया क चचा क थी क ा ण क अपहरण क गई ी वग म भयंकर बन जाती है और अपहरण कता क ग त करती है. (६) ये गभा अवप ते जगद् य चापलु यते. वीरा ये तृ ते मथो जाया हन त तान्.. (७) जो गभ गराए जाते ह, संसार म जो उथलपुथल होती है, वीर क पर पर मारकाट, ये ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सारे कम ा ण क प नी ही करती है. (७) उत यत् पतयो दश याः पूव अ ा णाः. ा चे तम हीत् स एव प तरेकधा.. (८) ा ण क प नी के पूव अ ा ण बालक चाहे दस ह , पर जो ा ण उस का पा ण हण करता है, वही उस का प त होता है. (८) ा ण एव प तन राज यो ३ न वै यः. तत् सूयः ुव े त प च यो मानवे यः.. (९) ा णी का प त ा ण ही हो सकता है, य और वै य नह . सूय दे व पांच कार के मानव— ा ण, य, वै य, शू और नषाद यह कहते ए दमन करते ह. (९) पुनव दे वा अद ः पुनमनु या अद ः. राजानः स यं गृ ाना जायां पुनद ः.. (१०) (१०)
ा ण प नी को दे व , मनु य और राजा
ने स य को हण कर के दान कया.
पुनदाय जायां कृ वा दे वै न क बषम्. ऊज पृ थ ा भ वो गायमुपासते.. (११) हम दे व ारा व छ कए ए श दायक अ का वभाग कर के ा ण प नी को दे ते ह तथा अ य धक क तशाली परमा मा क उपासना करते ह. (११) ना य जाया शतवाही क याणी त पमा शये. य मन् रा े न यते जाया च या.. (१२) जस रा य म ा ण क प नी और गाय को बाधा प ंचाई जाती है, वहां भां तभां त के क याण करने वाली प नी शै या पर शयन नह करती. (१२) न वकणः पृथु शरा त मन् वे म न जायते. य मन् रा े न यते जाया च या.. (१३) जस रा य म ा ण क प नी को अचेत कर के रोका जाता है, उस रा य म वशाल म तक वाले पु ष ज म नह लेते. (१३) ना य ा न क ीवः सूनानामे य तः. य मन् रा े न यते जाया च या.. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जस रा य म ा ण क प नी को मो हत कर के रोका जाता है, उस रा य का वीर न क नाम का सोने का आभूषण धारण कर के भी सूना से आगे नह जा पाता. (१४) ना य ेतः कृ णकण धु र यु ो महीयते. य मन् रा े न यते जाया च या.. (१५) जस रा य म ा ण क प नी को चेतनाहीन कर के रोका जाता है, उस रा य म राजा का ेत कान वाला घोड़ा रथ के आगे जुत कर भी शं सत नह होता. (१५) ना य े े पु क रणी ना डीकं जायते बसम्. य मन् रा े न यते जाया च या.. (१६) जस रा म ा ण क प नी को अचेत कर के रोका जाता है, उस रा क पु क रणी म कमल और कमल तंतु उ प नह होते. (१६) ना मै पृ व ह त ये ऽ या दोहमुपासते. य मन् रा े न यते जाया च या.. (१७) जस रा म ा ण क प नी अचेत कर के रोक जाती है, उस रा म ध हने क इ छा करने वाले थोड़ा ध भी नह ह पाते. (१७) ना य धेनुः क याणी नानड् वा सहते धुरम्. वजा नय ा णो रा वस त पापया.. (१८) जस रा म जाया अथात् प नी से र हत ा ण पाप क भावना से रा नवास करता है, उस रा के वामी के यहां गाय क याण करने वाली नह होती और बैल गाड़ी या रथ के जुए को नह ख चते. (१८)
सू -१८
दे वता— ा ण क गाय
नैतां ते दे वा अद तु यं नृपते अ वे. मा ा ण य राज य गां जघ सो अना ाम्.. (१) हे राजन्! दे व ने यह गाय तुम को भ ण करने के लए नह द है. ा ण क गाय अखा है. इसे खाने क इ छा मत कर. (१) अ धो राज यः पाप आ मपरा जतः. स ा ण य गाम ाद जीवा न मा ः.. (२) इं य को वश म न करने वाला एवं आ मपरा जत जो राजा ा ण क गाय का ******ebook converter DEMO Watermarks*******
भ ण करता है, वह पापी राजा जी वत नह रहता. (२) आ व ताघ वषा पृदाकू रव चमणा. सा ा ण य राज य तृ ैषा गौरना ा.. (३) ा ण क चम से ढक ई गाय कचुली से ढक राजन्! यह भ ण करने यो य नह है. (३)
ई
ानी स पणी के समान है. हे
नव ं नय त ह त वच ऽ न रव र धो व नो त सवम्. यो ा णं म यते अ मेव स वष य पब त तैमात य.. (४) जो राजा ा ण के पदाथ का भ ण करता है, वह वष पीता है और अपना ा तेज गवां दे ता है. जस कार ोध म भरे ए अ न दे व सब कुछ न कर दे ते ह, उसी कार ा ण के पदाथ को खाने यो य समझने वाला राजा न हो जाता है. (४) य एनं ह त मृ ं म यमानो दे वपीयुधनकामो न च ात्. सं त ये ो दये ऽ न म ध उभे एनं ो नभसी चर तम्.. (५) ा ण को मृ समझने वाला जो अ ानी उसे न करना चाहता है, वह दे व हसक है. इं उस पापी के दय म अ न व लत कर दे ते ह और आकाश तथा पृ वी दोन उस के त वैर भाव रखते ह. (५) न ा णे ह सत ो ३ नः यतनो रव. सोमो य दायाद इ ो अ या भश तपाः.. (६) जस कार अपने शरीर को कोई न नह करना चाहता, उसी कार अ न के समान तेज वी ा ण का नाश भी नह करना चा हए. सोम ा ण का संबंधी ह और इं ा ण के शाप को पूण करते ह. (६) शतापा ां न गर त तां न श नो त नः खदम्. अ ं यो णां म वः वा १द्मी त म यते.. (७) जो पापी ा ण के अ को वा द समझ कर भ ण करता है, वह पापी मानव सैकड़ वप य को नगलता है. (७) ज ा या भव त कु मलं वाङ् नाडीका द ता तपसा भ द धाः. ते भ ा व य त दे वपीयून् द्बलैधनु भदवजूतैः.. (८) ा ण क जीभ धनुष क प व दांत तीर ह. ा ण दे वता
यंचा, वाणी धनुष क लकड़ी और तप या के कारण से े रत इ ह धनुष बाण से दे व हसंक को ब धता है.
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(८) ती णेषवो ा णा हे तम तो याम य त शर ां ३ न सा मृषा. अनुहाय तपसा म युना चोत रादव भ द येनम्.. (९) ा ण अपने तप और ोध प बाण को जस क ओर फकता है, वे बेकार नह जाते. वे बाण र से ही श ु को वेध दे ते ह. (९) ये सह मराज ासन् दशशता उत. ते ा ण य गां ज वा वैतह ाः पराभवन्.. (१०) वीरह के वशंज हजार राजा पृ वी पर रा य करते थे. ा ण क गाय का अपहरण करने के कारण वे पराभव को ा त ए. (१०) गौरेव तान् ह यमाना वैतह ाँ अवा तरत्. ये केसर ाब धाया रमाजामपे चरन्.. (११) वीरह के वशंज जन राजा ने केशर ाबंधा नाम क चरम अजा का मांस पकाया था, उन राजा क मार खाते ए गाय ने ही उ ह छ भ कर दया था. (११) एकशतं ता जनता या भू म धूनुत. जां ह स वा ा णीमसंभ ं पराभवन्.. (१२) जो सैकड़ लोग अपने चलने से धरती को कं पत कर दे ते थे, वे ा ण क संतान क हसा करने के कारण ही परा जत ए. (१२) दे वपीयु र त म यषु गरगीण भव य थभूयान्. यो ा णं दे वब धुं हन त न स पतृयाणम ये त लोकम्.. (१३) जो दे वबंधु ा ण क हसा करता है, वह दे वश मनु य के म य वष खाने वाले के समान चलता फरता है और अ थ मा रह जाता है. वह पतृयान ारा मलने वाले लोक को ा त नह करता. (१३) अ नव नः पदवायः सोमो दायाद उ यते. ह ता भश ते तथा तद् वेधसो व ः.. (१४) अ न हम हमारे पद तक प ंचाता है और सोम हमारा दायाद कहा जाता है. इं हमारी ओर से मारने वाले एवं घायल करने वाले ह. (१४) इषु रव द धा नृपते पृदाकू रव गोपते. सा ा ण येषुघ रा तया व य त पीयतः.. (१५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे राजन्! ा ण क वाणी पी बाण वष म बुझे बाण एवं स पणी के समान भयानक होता है. जो पापी ा ण को क दे ते ह, ा ण उ ह उ ह के ारा न करता है. (१५)
सू -१९
दे वता—
गवी
अ तमा मवध त नो दव दवम पृशन्. भृगुं ह स वा सृ या वैतह ाः पराभवन्.. (१) सृंजय के पु एवं वीतह के वंशज क ब त वृ ई. उ ह ने भृगुवंशी ा ण क ह या कर द , इस लए उन क पराजय ई तथा वे वग को नह पा सके. (१) ये बृह सामानमा रसमापयन् ा णं जनाः. पे व तेषामुभयादम व तोका यावयत्.. (२) जन लोग ने बृहत् साम वाले अं गरा गो ी ा ण को आप य और वप य से ढक दया था, ा ने उ ह ऐसा पु दया जो उ ह न करने वाला था. दे व ने उन क संतान को र फक दया. (२) ये ा णं य ीवन् ये वा म छु कमी षरे. अ न ते म ये कु यायाः केशान् खाद त आसते.. (३) ज ह ने ा ण पर थूका और ज ह ने ा ण से धन लेने क इ छा क , वे र स रता म पड़े ह और बाल को खा रहे ह. (३)
क
गवी प यमाना यावत् सा भ वज हे. तेजो रा य नह त न वीरो जायते वृषा.. (४) ा ण क पकाई जाती ई गाय जस रा म तड़पती है, वह उस रा का तेज समा त कर दे ती है और उस म वीय को स चने वाले वीर पु ष ज म नह लेते. (४) ू रम या आशसनं तृ ं प शतम यते. ीरं यद याः पीयते तद् वै पतृषु क बषम्.. (५) ा ण क गाय को काटना ू र कम है. इस का मांस खाने के बाद यास यास करता है. जो लोग मारने क इ छा से रखी ई ऐसी गाय का ध पीते ह, उन के पतर को वह ध पाप का भागी बनाता है. (५) उ ो राजा म यमानो ा णं यो जघ स त. परा तत् स यते रा ं ा णो य जीयते.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो राजा अपनेआप को उ मानता आ ा ण क ह या करता है एवं ा ण जस रा य म ःखी रहता है, वह राजा और रा दोन समा त हो जाते ह. (६) अ ापद चतुर ी चतुः ोता चतुहनुः. द् ा या ज ा भू वा सा रा मव धूनुते
य य.. (७)
राजा के ारा ा ण पर डाली गई वप आठ पैर , चार आंख , चार कान , चार ठो ड़य , दो मुख और दो जीभ वाली रा सी बन कर उन के रा य को समा त कर दे ती है. (७) तद् वै रा मा व त नावं भ ा मवोदकम्. ाणं य हस त तद् रा ं ह त छु ना.. (८) जस रा म ा ण क हसा होती है, उस रा का पी पाप उसे छे द वाली नौका के साथ डु बा दे ता है. ा ण पर डाली गई वप ही उस रा को डु बा दे ती है. (८) तं वृ ा अप सेध त छायां नो मोपगा इ त. यो ा ण य स नम भ नारद् म यते.. (९) हे नारद! जो ा ण के धन को अपना धन समझता है, उस से वृ और उसे अपनी छाया म नह आने दे ना चाहते. (९)
भी े ष मानते ह
वषमेतद् दे वकृतं राजा व णोऽ वीत्. न ा ण य गां ज वा रा े जागार क न.. (१०) राजा व ण ने कहा है क ा ण का धन दे व ारा न मत वष ही है. ा ण क गाय को मार कर रा म कोई भी जी वत नह रहता. (१०) नवैव ता नवतयो या भू म धूनुत. जां ह स वा ा णीमसंभ ं पराभवन्.. (११) जन आठ सौ दस पु ष से धरती कांपती थी, वे ा ण क संतान क हसा कर के असंभव पराजय को ा त ए. (११) यां मृतायानुब न त कू ं पदयोपनीम्. तद् वै य ते दे वा उप तरणम ुवन्.. (१२) हे ा ण को हा न प ंचाने वाले पु ष! जो र सी मरे ए पु ष के शव म बांधी जाती है, उसी से दे व ने तेरा बछौना बनाया है. (१२) अ ू ण कृपमाण य या न जीत य वावृतुः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तं वै
य ते दे वा अपां भागमधारयन्.. (१३)
हे ा ण को हा न प ंचाने वाले पु ष! कृपा के पा होता है, वही जल दे व ने तेरे लए न त कया है. (१३)
ा ण के आंसु
का जो जल
येन मृतं नपय त म ू ण येनो दते. तं वै य ते दे वा अपां भागमधारयन्.. (१४) हे ा ण को हा न प ंचाने वाले पु ष! जो जल मृतक को नान करने के लए एवं मूंछ भगोने से बचता है, वही जल दे व ने तेरे पीने के लए न त कया है. (१४) न वष मै ाव णं यम भ वष त. ना मै स म तः क पते न म ं नयते वशम्.. (१५) जस रा य म ा ण को ःख दया जाता है, उस म व ण वषा नह करते. उस रा क सभा साम य हीन होती है तथा उस क सेना श ु को वश म नह रख पाती है. (१५)
सू -२०
दे वता—वान प य
उ चैघ षो भः स वनायन् वान प यः संभृत उ या भः. वाचं ुणुवानो दमय सप ना संह इव जे य भ तं तनी ह.. (१) हे ं भ! तू वन प तय से बनाई गई है तथा उ च वर करती है. तू श समान आचरण कर तथा उ च घोष से श ु का मान मदन कर. (१)
शाली जन के
सह इवा तानीद् वयो वब ोऽ भ द ृषभो वा सता मव. वृषा वं व य ते सप ना ऐ ते शु मो अ भमा तषाहः.. (२) हे ं भ! तू सह के समान गजन कर. हे वृ के समान अ धक आयु वाली ं भी! तू गाय को दे ख कर रंभाने वाले बैल के समान श द करती है. वशेष प से बंधी ई तू वीय वषा करने वाली है, इस कारण तेरे श ु श र हत हो जाते ह. तेरा बल इं के समान है, इस लए उसे वीय ही सहन कर पाता है. (२) वृषेव यूथे सहसा वदानो ग भ व स धना जत्. शुचा व य दयं परेषां ह वा ामान् युता य तु श वः.. (३) जस कार गाय क कामना करने वाला बैल अपने श द के कारण झुंड म भी पहचान लया जाता है, उसी कार हे ं भी! श ु को जीतने क इ छा से श द कर के उन के दय म संताप भर दे . वे श ु हमारे गांव को छोड़ कर चले जाएं. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
संजयन् पृतना ऊ वमायुगृ ा गृह्णानो ब धा व च व. दै व वाचं भ आ गुर व वेधाः श ूणामुप भर व वेदः.. (४) हे ं भ! तू उ च श द करती ई श ु सेना को जीत लेती है. तू उ ह पकड़ कर यु म वजय ा त करती है. तू दै वी वाणी का उ चारण कर और श ु का धन मुझे ा त करा. (४) भेवाचं यतां वद तीमाशृ वती ना थता घोषबु ा. नारी पु ं धावतु ह तगृ ा म ी भीता समरे वधानाम्.. (५) श ु
ं भ क घोर गजना से श ु क ना रयां होश म आ जाती ह. वे यु म मारे गए को दे ख कर भयभीत होती ह और अपने पु का हाथ पकड़ कर भाग जाती ह. (५) पूव भे वदा स वाचं भू याः पृ े वद रोचमानः. अ म सेनाम भज भानो ुमद् वद भे सूनृतावत्.. (६)
हे ं भ! तेरी व न सब से पहले नकलती है, इस लए तू श ु सेना का वनाश कर तथा पृ वी के ऊपर स य वचन का चार कर. (६) अ तरेमे नभसी घोषो अ तु पृथक् ते वनयो य तु शीभम्. अ भ द तनयो पपानः ोककृ म तूयाय वध .. (७) हे ं भ! धरती और आकाश के म य तेरी व नयां अनेक प म ा त ह तथा शोभन तीत ह . तू उ च श द से समृ हो तथा म म वेग ा त करने के लए उ च वर से गजन कर. (७) धी भः कृतः वदा त वाचमु षय स वनामायुधा न. इ मेद स वनो न य व म ैर म ाँ अव जङ् घनी ह.. (८) हे ं भ! कुशलतापूवक बजाने पर तू मोहक श द नकालती है. श शाली मनु य के आयुध को ऊंचा कर के तू उ ह स बना. तू वीर का आ ान करती ई हमारे म ारा हमारे श ु का वनाश करा, य क तू इं क या है. (८) सं
दनः वदो धृ णुषेणः वेदकृद् ब धा ामघोषी. ेयो व वानो वयुना न व ान् क त ब यो व हर राजे.. (९)
हे ं भ! तू गजन करने वाले गौव को गुं जत करने वाली, धनदा ी और सेना को साहस दान करने वाली है. तू क याण करने वाली एवं उ म पु ष को जानने वाली है. तू इन दो राजा के यु के म य अनेक वीर को क त दान कर. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
े ःकेतो वसु जत् सहीया सं ाम जत् सं शतो य णा स. अंशू नव ावा धषवणे अ ग न् भेऽ ध नृ य वेदः.. (१०) हे सं ाम म वजय ा त करने वाली ं भी! तू क याणी, धन जीतने वाली, श शा लनी एवं मं के ारा ती ण बनाई ई है. अ ध वण काल म पवत अपने पाषाण खंड को दबाता आ नृ य करता है, उसी कार तू भी श ु के धन पर अ धकार करती ई नृ य कर. (१०) श ूषा नीषाड भमा तषाहो गवेषणः सहमान उ त्. वा वीव म ं भर व वाचं सां ाम ज यायेषमुद ् वदे ह.. (११) हे ं भ! तू ऐसा श द नकालती है, जो श ु क वाणी से ट कर ले सके. तू गवेषणा करने वाले बातूनी पु ष के समान यु जीतने के न म श द करती ई गूंज. (११) अ युत युत् समदो ग म ो मृधो जेता पुरएतायो यः. इ े ण गु तो वदथा न च यद्धृद ् ोतनो षतां या ह शीभम्.. (१२) हे यु म वजय ा त करने वाली ं भी! तू हष से पूण है एवं डगती नह है. तू आगे यु म जा कर यो ा क ेरक और यु जीतने वाली है. इं के ारा र त तू श ु के दय को जलाती ई उन के समीप जा. (१२)
दे वता—वान प य
सू -२१ व दयं वैमन यं वदा म ष े ु भे. व े षं क मशं भयम म ेषु न द म यवैनान्
भे जा ह.. (१)
हे ं भ! तू श ु म वैमन य फैला एवं उन के दय म एक सरे के त े ष भर दे . हम अपने श ु म े ष क भावना फैलाना चाहते ह. तू उन का तर कार करती ई उ ह समा त कर दे . (१) उ े पमाना मनसा च ुषा दयेन च. धाव तु ब यतो ऽ म ाः ासेना ये ते.. (२) हमारे ारा होम कए गए घृत से हमारे श ु कं पत ह और मन, ने तथा दय से भयभीत हो कर भाग जाएं. (२) वान प यः संभृत उ या भ व गो यः. ासम म े यो वदा येना भघा रतः.. (३) हे वन प त से बनी ई
ं भी! तू चमड़े से मढ़
ई है तथा मेघ घटा के समान घोर
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श द करती है. घी से चुपड़ी ई तू श ु
को भय उ प करने वाला श द कर. (३)
यथा मृगाः सं वज त आर याः पु षाद ध. एवा वं भे ऽ म ान भ द ासयाथो च ा न मोहय.. (४) हे ं भ! वनचारी शकारी पु ष से जस कार वन के पशु भयभीत होते ह, उसी कार तू अपने गजन से श ु को भयभीत करती ई, उन के च को मो हत बना. (४) यथा वृकादजावयो धाव त ब ब यतीः. एवा वं भे ऽ म ान भ द ासयाथो च ा न मोहय.. (५) जस कार भेड़ और बक रयां भे ड़ए के कारण अ धक भयभीत हो कर भागती ह, उसी कार तू गड़गड़ाहट करती ई श ु को भयभीत कर के उन का च मो हत कर. (५) यथा येनात् पत णः सं वज ते अह द व सह य तनथोयथा. एवा वं भे ऽ म ान भ द ासयाथो च ा न मोहय.. (६) हे ं भ! जस कार बाज से सभी प ी और सह से सभी ाणी भयभीत रहते ह, उसी कार तू श ु के त गड़गड़ाहट कर के उ ह भयभीत कर के उन के च को मो हत कर. (६) परा म ान् भना ह रण या जनेन च. सव दे वा अ त सन् ये सं ाम येशते.. (७) जो सं ाम के दे वता ह, उ ह ने हरण के चमड़े से मढ़ भयभीत कर के परा जत कया. (७)
ई
ं भ बजा कर श ु
को
यै र ः डते पद्घोषै छायया सह. तैर म ा स तु नो ऽ मी ये य यनीकशः.. (८) इं
जन पदघोष से खेलते ह, उन से अ धक सं या वाले श ु भयभीत ह . (८)
याघोषा भयो ऽ भ ोश तु या दशः. सेना परा जता यतीर म ाणामनीकशः.. (९) श ु क परा जत सेनाएं जस ओर भाग रही ह, हमारे बाण क डोरी और श द मल कर उधर ही उन को भयभीत कर और हरा द. (९) आ द य च ुरा द व मरीचयो ऽ नु धावत. प स नीरा सज तु वगते बा वीय.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ं भ का
हे सप! तुम श ु के ने क दे खने क श छ न लो. हे सूय करणो! तुम दौड़ते ए श ु क पीठ पर पड़ो. भुजा क श ीण होने पर जब श ु भागने लगे तो उन का साथ मत दो. (१०) यूयमु ा म तः पृ मातर इ े ण युजा मृणीत श ून्. सोमो राजा व णो राजा महादे व उत मृ यु र ः.. (११) हे म तो! तुम उ कम करने वाले हो. तुम इं के साथ मल कर श ु सोम राजा, व ण राजा, महादे व और मृ युदेव इं का सहयोग कर. (११)
का मदन करो.
एता दे वसेनाः सूयकेतवः सचेतसः. अ म ान् नो जय तु वाहा.. (१२) ये दे व सेनाएं समान च वाली ह और इन के झंडे म सूय वराजमान ह. ये सेनाएं श ु पर वजय ा त कर. मेरी यह आ त हण करने यो य हो. (१२)
सू -२२
दे वता—त मानाशन
अ न त मानमप बाधता मतः सोमो ावा व णः पूतद ाः. वे दब हः स मधः शोशुचाना अप े षां यमुया भव तु.. (१) अ न दे व वर को बाधा प ंचाएं. प थर के समान ढ़ सौ य, प व और द वे वी, कुश तथा व लत स मधाएं वर से े ष करने वाली ह . (१)
वरण,
अयं यो व ान् ह रतान् कृणो यु छोचय न रवा भ वन्. अधा ह त म रसो ह भूया अधा य ङ् ङधराङ् वा परे ह.. (२) हे दे ह को न कर दे ने वाले वर! तू सभी मनु य को संताप दे ता है. इस लए तू तर कृत, नबल एवं अधम थान को चला जा. (२) यः प षः पा षेयो ऽ व वंस इवा णः. त मानं व धावीयाधरा चं परा सुवा.. (३) हे श शाली! तुम कठोर एवं अव वंस के समान लाल रंग वाले वर को मुझ से र हटाओ. (३) अधरा चं हणो म नमः कृ वा त मने. शक भर य मु हा पुनरेतु महावृषान्.. (४) म वर को नम कार कर के उसे न न थान म जाने के लए े रत करता ं. मु के के ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समान हार करने वाला वर महावृषभ को पुनः ा त हो. (४) ओको अ य मूजव त ओको अ य महावृषाः. याव जात त मं तावान स ब हकेषु योचरः.. (५) मूंज से यु थान इस वर का घर है तथा वीय क महान वषा करने वाले इस के थान ह. हे त मा! तू बा क दे श म जतना है, उतना ही उ प आ है. (५) त मन् ाल व गद भू र यावय. दास न वरी म छ तां व ेण समपय.. (६) हे जीवन को सप के समान क दे ने वाले वर! तू चोरी कर ने वाली दासी से व म मल और हम से अपनेआप को र रख. (६)
प
त मन् मूजवतो ग छ ब हकान् वा पर तराम्. शू ा म छ फ १ तां त मन् वीव धूनु ह.. (७) हे त मा! तू मूंज वाले दे श को अथवा बा क दे श को अथवा उस से भी र चला जा. तू सव अव था वाली दासी से मल और उसे कं पत कर. (७) महावृषान् मूजवतो ब व परे य. ैता न त मने ूमो अ य े ा ण वा इमा.. (८) हम मूंज वाले एवं अ धक वषा वाले थान पर जाने के लए वर से नवेदन करते ह क तू वहां जा कर अथवा अ य थान पर जा कर वहां क व तु का भ ण कर. (८) अ य े े न रमसे वशी सन् मृडया स नः. अभू ाथ त मा स ग म य त ब हकान्.. (९) हे वर! तू अ य थान म य रमण नह करता है? तू हमारे वश म हो कर हम सुखी बना. हम तुझ से बा क दे श म जाने क ाथना करते ह. (९) यत् वं शीतो ऽ थो रः सह कासावेपयः. भीमा ते त मन् हेतय ता भः म प र वृङ् ध नः.. (१०) हे वर! तू शीत के साथ रहता है तथा खांसी के साथ कं पत करने वाला है. तेरे आयुध भयंकर ह. इन के साथ तू हम से र चला जा. (१०) मा मैता सखीन् कु था बलासं कासमु ग ु म्. मा मातो ऽ वाङै ः पुन तत् वा त म ुप व ु े.. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे वर! तू खांसी और श ीण करने वाले रोग को हमारा म मत बना. म तुझसे बारबार नवेदन करता ं क तू उस नचले थान से यहां मत आ. (११) त मन् ा ा बलासेन व ा का सकया सह. पा मा ातृ ण े सह ग छामुमरणं जनम्.. (१२) हे वर! श ीण करने वाले रोग तु हारे भाई और खांसी तु हारी बहन है. पाप तु हारा भतीजा है. इन सब के साथ तुम पु ष के पास जाओ. (१२) तृतीयकं वतृतीयं सद दमुत शारदम्. त मानं शीतं रं ै मं नाशय वा षकम्.. (१३) हे दे व! तजारी, चौथइया, वषा संबंधी, शरद, ी मकाल म होने वाले वर के साथसाथ शीत वर का वनाश करो. (१३) ग धा र यो मूजवद् यो ऽ े यो मगधे यः. ै यन् जन मव शेव ध त मानं प र दद्म स.. (१४) हम मूंज वाले थान से, अंग दे श से, म य दे श से और गांधार दे श से क वाले रोग वर को भगाते ए सुखी बनते है. (१४)
दे वता—इं
सू -२३ ओते मे ावापृ थवी ओता दे वी सर वती. ओतौ म इ ा न म ज भयता म त.. (१)
ावा पृ वी, सर वती दे वी, इं और अ न मुझ म ओत ोत ह. वे कृ मय का वनाश कर. (१) अ ये कुमार य मीन् धनपते ज ह. हता व ा अरातय उ ेण वचसा मम.. (२) हे धन के वामी इं ! इस बालक के श ु वचन के साथ पूरी तरह न करो. (२)
प कृ मय का वनाश करो. इ ह मेरे उ
यो अ यौ प रसप त यो नासे प रसप त. दतां यो म यं ग छ त तं म ज भयाम स.. (३) जो कृ म आंख म घूमते ह जो नाखून म चलते फरते ह तथा जो दांत के म य नवास करते ह, उन कृ मय को हम न करते ह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स पौ ौ व पौ ौ कृ णौ ौ रो हतौ ौ. ब ु ुकण गृ ः कोक ते हताः.. (४) दो समान प वाले, दो भ प वाले, दो काले, दो लाल रंग के, एक खाक रंग वाला, एक खाक रंग के कान वाला, एक ग और कोक—हम इन सभी कृ मय को मं क श से न करते ह. (४) ये मयः श तक ा ये कृ णाः श तबाहवः. ये के च व पा तान् मीन् ज भयाम स.. (५) जो कृ म तीखी कोख वाले ह, जो काले ह, जो तीखी भुजा वाले ह, उन सब को हम मं क श से न करते ह. (५)
वाले एवं जो अनेक
प
उत् पुर तात् सूय ए त व ो अ हा. ां न ां सवा मृणन् मीन्.. (६) सभी को दखाई दे ने वाले सूय अ य कृ मय को न करते ह. वे कृ मय को न करते ए पूव दशा से उदय हो रहे ह. (६)
य और अ य
येवाषासः क कषास एज काः शप व नुकाः. ह यतां म ता ह यताम्.. (७) हे इं ! तुम शी गमन करने वाले, क दे ने वाले, कं पत करने वाले, ती ण कृ म, दखाई दे ने वाले अथवा दखाई न दे ने वाले सभी कृ मय को न करो. (७) हतो येवाषः मीणां हतो नद नमोत. सवान् न म मषाकरं षदा ख वाँ इव.. (८) ती गामी कृ म मेरी मं श से न हो गए. नद मना नाम के क ड़ को म ने इस कार पीस डाला है, जस कार चने प थर से पीसे जाते ह. (८) शीषाणं ककुदं म सार मजुनम्. शृणा य य पृ ीर प वृ ा म य छरः.. (९) म तीन सर वाले, तीन ककुद वाले, चतकबरे रंग वाले और ेत वण वाले कृ मय को मं क श से न करता आ, उन क पस लय और सर को कुचलता ं. (९) अ वद् वः अग य य मअ
मयो ह म क वव जमद नवत्. णा सं पन यहं मीन्.. (१०)
ऋ ष, क व ऋ ष और जमद न ऋ ष के समान मं बल से कृ मय का वनाश
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करता ं. हे कृ मयो! म अग य ऋ ष के समान मं श
से तु ह मारता ं. (१०)
हतो राजा मीणामुतैषां थप तहतः. हतो हतमाता महत ाता हत वसा.. (११) हमारे मं और ओष ध क श से कृ मय के राजा और मं ी न हो गए ह. माता, भाई और बहन स हत कृ मय का पूरा कुटुं ब न हो गया है. (११) हतासो अ य वेशसो हतासः प रवेश सः. अथो ये ु लका इव सव ते मयो हताः.. (१२) इन कृ मय के बैठने के थान न हो गए और इन के आसपास के थान भी न हो गए. जो कृ म बीज प म थे, वे भी न हो गए. (१२) सवषां च मीणां सवासां च मीणाम्. भनद्म्य मना शरो दहा य नना मुखम्.. (१३) म सभी नर कृ मय और मादा कृ मय को प थर से न करता ं एवं उन का मुंह अ न से न करता ं. (१३)
सू -२४
दे वता—स वता
स वता सवानाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१) स वता सभी उ प पदाथ के अ धप त ह. वे इस कम म, इस पुरोधा म, इस संक प म, इस दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (१) अ नवन पतीन्म धप तः स मावतु. अ मन् य मनाकम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (२) अ न वन प तय के अ धप त ह. वह इस वेदो पौरो ह य कम म, म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (२) ावापृ थवी दातृणाम धप नीः ते मावताम्. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त ा म, संक प
ावा और पृ वी दाता के अ धप त ह. वे इसे वेदो , पौरो ह य कम म, संक प, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (३)
त ा म,
व णो ऽ पाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (४) व ण जल के अ धप त ह. वह इस वेदो पौरो ह य कम म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (४)
त ा म, संक प म,
म ाव णौ वृ ा धपती तौ मावताम्. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (५) म और व ण वषा के अ धप त ह. वे इस वेदो पौरो ह य कम म, संक प म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (५)
त ा म,
म तः पवतानाम धपतय ते माव तु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (६) म द्गण पवत के अ धप त ह. वे इस वेदो पौरो ह य कम म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (६)
त ा म, संक प म,
सोमो वी धाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (७) सोम लता के वामी ह, वह इस वेदो पौरो ह य कम म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (७)
त ा म, संक प म,
वायुर त र या धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (८) वायु दे व अंत र के अ धप त ह. वे इस वेदो पौरा ह य कम म, म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (८) सूय ुषाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां
त ायाम यां
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त ा म, संक प
च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (९) सूय दे व अंत र के अ धप त अथात् हमारे वामी ह. वह हमारी र ा कर. वह इस वेदो स हत कम म, त ा म, संक प म, वेद के आ ान कम म तथा आशीवाद प म हमारी र ा कर. (९) च मा न ाणाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१०) चं मा न के अ धप त ह. वह इस वेदो पौरो ह य कम म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (१०)
त ा म, संक प म,
इ ो दवो ऽ धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (११) इं वग के राजा ह. वह इस वेदो पौरो ह य कम म, कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (११)
त ा म, संक प म, दे वाह्वान
म तां पता पशूनाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१२) म त के पता पशु के अ धप त ह. वह इस वेदो पौरो ह य कम म, संक प म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद कम म मेरी र ा कर. (१२)
त ा म,
मृ युः पतृणाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१३) मृ यु जा के वामी है. वह इस वेदो पौरो ह य कम म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (१३)
त ा म, संक प म,
यमः जानाम धप तः स मावतु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१४) यम पतर के अ धप त ह. वह मेरे इस वेदो पौरो ह य कम म, दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी सहायता कर. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त ा म, संक प म,
पतरः परे ते माव तु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१५) सात पी ढ़य के ऊपर के पतर इस वेदो पौरो ह य कम म, संक प म दे वाह्वान कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (१५)
त ा म,
तता अवरे ते माव तु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१६) स पड पतर इस वेदो पौरो ह य कम म, संक प म, तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (१६)
त ा म, दे वाह्वान कम म
तत ततामहा ते माव तु. अ मन् य मन् कम य यां पुरोधायाम यां त ायाम यां च याम यामाकू याम यामा श य यां दे व यां वाहा.. (१७) पतर के पतामह मेरे इस वेदो पौरा ह य कम म, कम म तथा आशीवाद प कम म मेरी र ा कर. (१७)
सू -२५
त ा म, संक प म, दे वाह्वान
दे वता—यो न
पवताद् दवो योनेर ाद ात् समाभृतम्. शेपो गभ य रेतोधाः सरौ पव मवा दधत्.. (१) पवत क ओष ध, वग के पु य और अंग क श पु ष जल म प े के समान गभाधान करता है. (१)
से पु वीय धारण करने वाला
यथेयं पृ थवी मही भूतानां गभमादधे. एवा दधा म ते गभ त मै वामवसे वे.. (२) जस कार वशाल पृ वी सभी भूत अथात् ा णय का गभ धारण करती ह, उसी कार म तेरा गभ धारण करती ं और उस क र ा के न म तुझे बुलाती ं. (२) गभ धे ह सनीवा ल गभ धे ह सर वती. गभ ते अ नोभा ध ां पु कर जा.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सनीवाली एवं सर वती! मेरे गभ को पु बनाओ. फूल क माला धारण करने वाले अ नीकुमार मेरे गभ क र ा कर. (३) गभ ते म ाव णौ गभ दे वो बृह प तः. गभ त इ ा न गभ धाता दधातु ते.. (४) म , व ण, बृह प त दे व, इं , अ न और धाता दे व तेरे गभ को पु कर. (४) व णुय न क पयतु व ा पा ण पशतु. आ स चतु जाप तधाता गभ दधातु ते.. (५) व णु तेरी यो न क क पना कर, व ा तेरे कर और धाता तेरे गभ को पु कर. (५)
प क रचना कर, जाप त तेरा सचन
यद् वेद राजा व णो यद् वा दे वी सर वती. य द ो वृ हा वेद तद् गभकरणं पब.. (६) राजा व ण, दे वी सर वती एवं वृ नाशक इं तू पी ले. (६)
जस गभपोषक व तु को जानते ह, उसे
गभ अ योषधीनां गभ वन पतीनाम्. गभ व य भूत य सो अ ने गभमेह धाः.. (७) हे अ न! तुम ओष धय के, वन प तय के तथा सभी ा णय के गभ हो. अतएव तुम मेरे गभ को पु करो. (७) अ ध क द वीरय व गभमा धे ह यो याम्. वृषा स वृ यावन् जायै वा नयाम स.. (८) हे वृषण अथवा अंडकोष वाले! तू वषण अथात् सेचन करता है. तू यो न म गभ था पत कर. तू ऊपर हो कर चलता आ वीरता का दशन कर. हम तुझे जा के न म हण करते ह. (८) व जही व बाह सामे गभ ते यो नमा शयाम्. अ े दे वाः पु ं सोमपा उभया वनम्.. (९) हे सां वनामयी सा वी! तू वशेष ग त वाली हो. म तुझ म गभाधान करता ं. सोमपान करने वाले दे व ने इस लोक म और परलोक म र ा करने वाला पु दान कया है. (९) धातः े ेन पेणा या नाया गवी योः. पुमांसं पु मा धे ह दशमे मा स सूतवे.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे धाता! इस नारी क आंत से नकले मू को मू ाशय म ले जाने वाली जो ना लयां दोन पस लय क ओर थत ह, उन म थत पु गभ को पु करो, जस से यह दसव मास म सव कर सके. (१०) व ः े ेन पेणा या नाया गवी योः. पुमांसं पु मा धे ह दशमे मा स सूतवे.. (११) हे व ा! इस नारी क आंत से नकले मू को मू ाशय म ले जाने वाली जो ना ड़यां दोन पस लय क ओर थत ह, उन म थत पु गभ को पु करो. जस से यह दसव मास म सव कर सके. (११) स वतः े ेन पेणा या नाया गवी योः. पुमांसं पु मा धे ह दशमे मा स सूतवे.. (१२) हे स वता! इस नारी क आंत से नकले मू को मू ाशय म ले जाने वाली जो ना लयां दोन पस लय क ओर थत ह, उन म थत पु गभ को पु करो, जस से यह दसव मास म सव कर सके. (१२) जापते े ेन पेणा या नाया गवी योः. पुमांसं पु मा धे ह दशमे मा स सूतवे.. (१३) हे जाप त! इस नारी क आंत से नकले मू को मू ाशय तक ले जाने वाली जो ना ड़यां दोन पस लय क ओर थत ह, उन म थत पु गभ को पु करो, जस से यह दसव मास म सव कर सके. (१३)
दे वता—अ न
सू -२६ यजूं ष य े स मधः वाहा नः
व ा नह वो युन ु .. (१)
यजुवद के मं ो और स मधाओ! सब कुछ जानने वाले अ न दे व इस य म तुम से मल. (१) युन ु दे वः स वता जान
मन् य े म हषः वाहा.. (२)
सब को उ प करने वाले स वता दे व इस य म तुम से मल. उन के लए यह आ त सुंदर हो. (२) इ हे उ
उ थामदा य मन् य े
व ान् युन ु सुयुजः वाहा.. (३)
कम करने वालो! सब कुछ जानने वाले इं इस य
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म तुम से मल. उन के
न म यह आ त सुंदर हो. (३) ैषा य े न वदः वाहा श ाः प नी भवहतेह यु ाः.. (४) हे श मनु यो! तुम अपनी प नय के स हत इस य म आदे श को धारण करो. यह आ त उ म हो. (४) छ दां स य े म तः वाहा मातेव पु ं पपृतेह यु ाः.. (५) जस कार माता पु का पालन करती है, उसी कार इस य म म द्गण छं द का पालन कर. म द्गण के लए यह आ त उ म हो. (५) एयमगन् ब हषा ो णी भय ं त वाना द तः वाहा (६) यह अ द तदे वी कुश और ो णय के साथ य का वणन करती ई आई है. (६) व णुयुन ु ब धा तपां य मन् य े सुयुजः वाहा.. (७) भगवान व णु भलीभां त कए गए तप का फल द. यह आ त व णु के न म उ म हो. (७) व ा युन ु ब धा नु
पा अ मन् य े सुयुजः वाहा.. (८)
व ा दे व इस य म भलीभां त संभाले गए के न म हो. (८)
प को संयु
भगो युन वा शषो व १ मा अ मन् य े वाहा.. (९)
कर. यह आ त व ा दे व
व ान् युन ु सुयुजः
भग दे वता इस य म सुंदर आशीवाद दान कर. यह आ त उन के न म हो. (९) सोमो युन ु ब धा पयां य मन् य े सुयुजः वाहा.. (१०) (१०)
सोमदे व इस य म संयु
होने वाले जल को मलाएं. यह आ त उन के न म हो.
इ ो युन ु ब धा वीया य मन् य े सुयुजः वाहा.. (११) (११)
इं इस य म य के अनु प श अ ना
य को संयु
कर. यह आ त इं के न म हो.
णा यातमवा चौ वषट् कारेण य ं वधय तौ.
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बृह पते
णा या वाङ् य ो अयं व रदं यजमानाय वाहा.. (१२)
हे अ नीकुमारो! तुम बृह प त दे व एवं मं के साथ इस य क वृ करते ए हमारे सामने आओ. यह य यजमान के हेतु क याण करने वाला हो. यह आ त अ नीकुमार एवं बृह प त के हेतु उ म हो. (१२)
दे वता—अ न
सू -२७
ऊ वा अ य स मधो भव यू वा शु ा शोच य नेः. ुम मा सु तीकः ससूनु तनूनपादसूरो भू रपा णः.. (१) अ न क स मधाएं ऊंची और वीय तेजयु होते ह. यह अ यंत द त, सुंदर एवं सूय के समान है. ाणदाता अ न का य म ब त सहयोग रहता है. (१) दे वो दे वेषु दे वः पथो अन
म वा घृतेन.. (२)
अ न दे व सभी दे व म े ह और मधु से माग का शोधन करते ह. (२) म वा य ं न त ैणानो नराशंसो अ नः सुकृद् दे वः स वता व वारः. (३) सुंदर कम करने वाले तथा सभी मनु य ारा वरण करने यो य अ न दे व य को मधुयु
ारा शंसनीय स वता दे व तथा संसार के करते ए ा त होते ह. (३)
अ छायमे त शवसा घृता चद डानो व नमसा.. (४) (४)
घृत एवं ह
अ के स हत तु तय को ा त करने वाले अ न दे व सामने से आते ह.
अ नः ुचो अ वरेषु य ु स य द य म हमानम नेः.. (५) यु
य म दे व क संग त करने वाले अ न दे व इस य क म हमा और ुव को अपने से कर. (५) तरी म ासु य ु वसव ा त न् वसुधातर .. (६)
दे व क संग त करने वाले एवं हष उ प करने वाले य वाले व ण दे वता नवास करते ह. (६) ारो दे वीर व य व े तं र
त व हा.. (७)
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म तारक और धन को बढ़ाने
अ न क तेज वनी लपट यजमान के त क सभी कार से र ा करती ह. (७) उ चसा नेधा ना प यमाने. आ सु वय ती यजते उपाके उषासान े मं य मवताम वरं नः.. (८) मह व वाले तथा ग तशील अ न दे व इस य द त का संपादन करते ह. (८)
म तेज को ऐ यपूण एवं आ त क
दै वा होतार ऊ वम वरं नो ऽ ने ज या भ गृणत गृणता नः व ये. त ो दे वीब हरेदं सद ता मडा सर वती मही भारती गृणाना.. (९) हे होताओ! य क इस अ न क शंसा करो. इस से हमारा क याण होगा. पृ वी, अ न और सर वती—ये तीन दे वयां शंसा करती ई कुश पर वराजमान ह . (९) त तुरीपमद्भुतं पु .ु दे व व ा राय पोषं व य ना भम य.. (१०) हे व ा दे व! हमारे जल, अ और धन क पु दो. (१०)
करते ए तुम इस
ी क ना भ खोल
वन पते ऽ व सृजा रराणः. मना दे वे यो अ नह ं श मता वदयतु.. (११) हे वन प त! तुम श द करती ई अपनेआप को इस य म छोड़ो तथा अ न इस ह व को दे व के लए वा द बनाएं. (११) अ ने वाहा कृणु ह जातवेदः. इ ाय य ं व े दे वा ह व रदं जुष ताम्.. (१२) हे ज म लेने वाल के ाता अ न दे व! इं के न म इस य को संप करो. सभी दे व इस ह व को हण कर. (१२)
दे वता— वृ अ न
सू -२८
नव ाणा व भः सं ममीते द घायु वाय शतशारदाय. ह रते ी ण रजते ी यय स ी ण तपसा व ता न.. (१) हम सौ वष क आयु पाने के लए नव ाण को इन तीन से संयु करते ह. इन नौ म सोने, चांद और लोहे के तीनतीन धागे अथात् तार ह जो उ णता लए ए ह. (१) अ नः सूय
मा भू मरापो ौर त र ं
दशो दश .
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आतवा ऋतु भः सं वदाना अनेन मा
वृता पारय तु.. (२)
अ न, चं , सूय, पृ वी, जल, आकाश, अंत र , दशाएं और उप दशाएं इस वृ अथात् नौ कम से मुझे ऋतु स हत ा त हो कर पार कर. इस म ऋतु के अंश भी सहायता कर. (२) यः पोषा वृ त य तामन ु पूषा पयसा घृतेन. अ य भूमा पु ष य भूमा भूमा पशूनां त इह य ताम्.. (३) तीन पु कारक इस वृ के आ त ह . उषा दे वी ध और घी से इस य कम को बढ़ाएं. इस के आ य म अ , पु ष और पशु क अ धकता रहे. (३) इममा द या वसुना समु तेमम ने वधय वावृधानः. इम म सं सृज वीयणा मन् वृ यतां पोष य णु.. (४) आ द य इस बालक को धन से पूण कर. हे अ न, तुम वयं बढ़ते ए इस बालक क भी वृ करो. हे इं ! तुम इसे वीय यु करो. पोषण करने वाला वृ इस का आ त हो. (४) भू म ् वा पातु ह रतेन व भृद नः पप वयसा सजोषाः. वी े अजुनं सं वदानं द ं दधातु सुमन यमानम्.. (५) पृ वी वग के ारा तेरी र ा करे. व का भरणपोषण करने वाले अ न दे व लोहे के ारा तेरा पालन कर तथा तुझ म लता से ा त जल के ारा बल धारण कर. (५) े ा जातं ज मनेदं हर यम नेरेकं यतमं बभूव सोम यैकं ह सत य ध परापतत्. अपामेकं वेधसां रेत आ तत् ते हर यं वृद वायुषे.. (६) ज म से ही यह वण तीन कार से उ प आ है. अ न को उस वण का एक ज म य आ. वह सोम के पी ड़त होने पर गरा. व ान् लोग एक को जल का वीय कहते थे. हे चारी! वह वण तेरी आयु वृ के हेतु वृ अथात् तगुना हो जाए. (६) यायुषं जमद नेः क यप य यायुषम्. ेधामृत य च णं ी यायूं ष ते ऽ करम्.. (७) जमद न ऋ ष क तीन आयु ह—बचपन, यौवन और वृ ाव था. मह ष क यप क भी यही तीन अव थाएं ह. अमृत के नदशन प म तीन आयु म तुझे दे ता ं. (७) यः सुपणा
वृता यदाय ेका रम भसंभूय श ाः.
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यौह मृ युममृतेन साकम तदधाना
रता न व ा.. (८)
वृ प से तीन समथ वण एक अ र पर आकर श शाली बनते ह. वे सभी पाप को न कर के अमृत के ारा तेरी मृ यु को समा त कर. (८) दव वा पातु ह रतं म यात् वा पा वजुनम्. भू या अय मयं पातु ागाद् दे वपुरा अयम्.. (९) आकाश वण के ारा तेरी र ा करे. म य लोक से रजत तेरी र ा करे. पृ वीलोक तेरी र ा करे. ये तीन दे व नग रय को ा त होते ह. (९) इमा त ो दे वपुरा ता वा र तु सवतः. ता वं ब द् वच ु रो षतां भव.. (१०) ये दे वता क जो तीन नग रयां ह, वे सभी ओर से तेरी र ा कर. उ ह धारण करता आ तू अपने श ु क अपे ा अ धक तेज वी बन. (१०) पुरं दे वानाममृतं हर यं य आबेधे थमो दे वो अ े. त मै नमो दश ाचीः कृणो यनु म यतां वृदाबधे मे.. (११) दे व के आगे मुख दे व ने वण पी अमृत को बांधा था. म उस के लए दस बार नम कार करता ं. वह दे वता मुझे इस वृ को मांगने क आ ा दे . (११) आ वा चृत वयमा पूषा बृह प तः. अहजात य य ाम तेन वा त चृताम स.. (१२) अयमा, पूषा और बृह प त तुझे भली कार बांध. दन म उ प होने वाले का जो नाम है, उस नाम से हम तुझे बांधते ह. (१२) ऋतु भ ् वातवैरायुषे वचसे वा. संव सर य तेजसा तेन संहनु कृ म स.. (१३) हे चारी! आयु और तेज क ा त के लए म तुझे ऋतु तेज प सूय से संबं धत करता ं. (१३)
, मास और संव सर के
घृता लु तं मधुना सम ं भू म ं हम युतं पार य णु. भ दत् सप नानधरां कृ वदा मा रोह महते सौभगाय.. (१४) घी से तर तथा शहद से सचा आ तू पृ वी के समान ढ़ है. तू श ु को चीरता आ एवं उ ह तर कृत करता आ महान सौभा य दे ने के लए मुझ पर थत हो. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -२९
दे वता—जातवेद
पुर ताद् यु ो वह जातवेदोऽ ने व यमाणं यथेदम्. वं भषग् भेषज या स कता वया गाम ं पु षं सनेम.. (१) हे सभी कम म थम नयु होने वाले अ न दे व! मेरे ारा कए गए इस काय का भार वहन करो. तुम ओष ध दान करने वाले वै हो. हम तु हारे ारा गाय, अ एवं मनु य को रोग र हत दशा म ा त कर. (१) तथा तद ने कृणु जातवेदो व े भदवैः सह सं वदानः. यो नो ददे व यतमो जघास यथा सो अ य प र ध पता त.. (२) हे जातवेद अ न दे व! जो हमारे व खेल खेल रहा है तथा जो हमारा भ ण करना चाहता है, सभी दे व के साथ मल कर उस का परकोटा गरा दो. (२) यथा सो अ य प र ध पता त तथा तद ने कृणु जातवेदः. व े भदवैः सह सं वदानः.. (३) हे अ न! तुम सभी दे व के साथ मल कर ऐसा य न करो, जस से उस का परकोटा गर जाए जो हमारे वरोध म खेल खेल रहा है और जो हम खाना चाहता है. (३) अ यौ ३ न व य दयं न व य ज ां न तृ दतो मृणी ह. पशाचो अ य यतमो जघासा ने य व त तं शृणी ह.. (४) जो पशाच हम खाना चाहता है, तुम उस क आंख फोड़ दो, जीभ काट डालो और दांत तोड़ दो. इस कार तुम उस का वनाश कर दो. (४) यद य तं व तं यत् पराभृतमा मनो ज धं यतमत् पशाचैः. तद ने व ान् पुनरा भर वं शरीरे मांसमसुमेरयामः.. (५) हे अ न दे व! इस का जो मांस पशाच ने इस के शरीर से न च कर खा लया है, उसे इस के शरीर म पुनः था पत कर दो तथा मं श से इस के शरीर म ाण का पुनः संचार कर दो. (५) आमे सुप वे शबले वप वे यो मा पशाचो अशने दद भ. तदा मना जया पशाचा व यातय तामगदो३यम तु.. (६) हे अ न! जो पशाच क चे, प के और चतकबरे पा म वशेष प से पके ए एवं क चे, प के भोजन म इस पु ष के मांस को घोल कर हमारे वनाश क इ छा कर रहा है, वह पशाच अपनी संतान स हत क भोगे तथा यह पु ष आरो य को ा त करे. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ीरे मा म थे यतमो दद भाकृ प ये अशने धा ये ३ यः. तदा मना जया पशाचा व यातय तामगदो ३ यम तु.. (७) हे अ न! ध म, मट् ठे म एवं कृ ष ारा पके ए अ म व हो कर जो पशाच इस पु ष को न करने क इ छा कर रहा है, वह अपनी संतान के साथ क भोगे एवं यह पु ष रोग र हत हो जाए. (७) अपां मा पाने यतमो दद भ ाद् यातूनां शयने शयानम्. तदा मना जया पशाचा व यातय तामगदो ३ यम तु.. (८) जस पशाच ने मुझे जल पीने म, या ा करने म तथा सोते समय पी ड़त कया है, हे अ न! वह संतान के स हत इसी कार का क भोगे एवं यह पु ष रोग र हत हो जाए. (८) दवा मा न ं यतमो दद भ ाद् यातूनां शयने शयानम्. तदा मना जया पशाचा व यातय तामगदो३यम तु.. (९) हे अ न! मुझे रात और दन म या ा करते समय और सोते समय जस मांस भ ी पशाच ने पी ड़त कया है, वह अपनी संतान स हत क भोगे तथा यह पु ष नीरोग हो जाए. (९) ादम ने धरं पशाचं मनोहनं ज ह जातवेदः. त म ो वाजी व ेण ह तु छन ु सोमः शरो अ य धृ णुः.. (१०) हे अ न! तुम मांसभ ी, धर पीने वाले तथा मन को क दे ने वाले पशाच को न करो. अ के वामी इं उसे अपने व से मार तथा सोम उस का शीश काट ल. (१०) सनाद ने मृण स यातुधानान् न वा र ां स पृतनासु ज युः. सहमूराननु दह ादो मा ते हे या मु त दै ायाः.. (११) हे अ न! तुम सदा से रा स का मदन करते आए हो, रा स यु म तु ह कभी नह जीत सके ह, तुम मांस भ य को जला दो. ये तु हारे द अ से बच न सक. (११) समाहर जातवेदो यद्धृतं यत् पराभृतम्. गा ा य य वध तामंशु रवा यायतामयम्.. (१२) हे अ न! इस मनु य का जो ान और मांस न हो गया है, उसे तुम पुनः इस के शरीर म लाओ. यह सोमलता के अंकुर के समान पु हो तथा इस के अंग यंग पूण ह . (१२) सोम येव जातवेदो अंशुरा यायतामयम्. अ ने वर शनं मे यमय मं कृणु जीवतु.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ न! सोमलता के अंकुर के समान पु होने के कारण इस पु ष के अंग यंग पूणता को ा त ह . इस गुणवान पु ष को जी वत रहने के लए नीरोग क जए. (१३) एता ते अ ने स मधः पशाचज भनीः. ता वं जुष व त चैना गृहाण जातवेदः.. (१४) हे अ न! तु हारी ये स मधाएं पशाच को न स मधा को ा त कर के तुम स बनो. (१४)
करने वाली ह. हे जातवेद! इन
ता ाघीर ने स मधः त गृहणा ् चषा. जहातु ा प ू ं यो अ य मांसं जहीष त.. (१५) हे अ न! तृषा शांत करने वाली इन स मधा को घी के साथ हण करो. जो रा स इस पु ष के मांस क इ छा करता है, वह अपने काय से वमुख हो जाए. (१५)
सू -३०
दे वता—आयु
आवत त आवतः परावत त आवतः. इहैव भव मा नु गा मा पुवाननु गाः पतॄनसुं ब ना म ते ढम्.. (१) म समीप के दे श से और र के दे श से तेरे ाण को ढ़ता से बांधता ं. तू यह रह और अपने पूववत पतर का अनुकरण मत कर. (१) यत् वा भचे ः पु षः वो यदरणो जनः. उ मोचन मोचने उभे वाचा वदा म ते.. (२) पतृऋण को न चुकाने वाले जस पु ष ने तुझ पर अ धकार कया है, म उस से छू टने का उपाय अपने मं बल से तुझे बताता ं. (२) यद् ो हथ शे पषे यै पुंसे अ च या. उ मोचन मोचने उभे वाचा वदा म ते.. (३) तूने जस ी अथवा पु ष के त वैरभाव रखते ए इस पापपूण अ भचार का योग कया है, म तुझे उस से मु करने से संबं धत बात बताता ं. (३) यदे नसो मातृकृता छे षे पतृकृता च यत्. उ मोचन मोचने उभे वाचा वदा म ते.. (४) तू अपने पता अथवा माता ारा कए गए पाप के कारण रोगी हो कर श या पर पड़ा है. म अपनी वाणी से उस रोग से उ मोचन और मोचन क बात तुझे बताता ं. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यत् ते माता यत् ते पता जा म ाता च सजतः. यक् सेव व भेषजं जरद कृणो म वा.. (५) तेरी माता, तेरे पता, तेरे भाई अथवा तेरी बहन ने जस मं अथवा ओष ध का योग तेरे लए न त कया है, उसे भली कार से सेवन कर. म तुझे वृ ाव था तक जी वत रहने वाला बनाता ं. (५) इहै ध पु ष सवण मनसा सह. तौ यम य मानु गा अ ध जीवपुरा इ ह.. (६) हे पु ष! तू यमराज के त का अनुकरण मत कर अथात् मर मत. तू अपने सम त प रवार जन के साथ यहां जी वत रह. (६) अनु तः पुनरे ह व ानुदयनं पथः. आरोहणमा मणं जीवतोजीवतोऽयनम्.. (७) तू उदय होने के माग को जानने वाला है और इस य कम के ारा बुलाया गया है. उ रायण एवं द णायन तेरे जीवन म ही तीत ह . (७) मा बभेन म र य स जरद कृणो म वा. नरवोचमहं य मम े यो अ वरं तव.. (८) हे रोगी! तू भय याग दे , य क तू मरेगा नह . म तुझे वृ ाव था तक इस लोक म रहने यो य बनाता ं. तेरे शरीर म से य मा रोग और अ थगत वर र हो चुका है. (८) अ भेदो अ वरो य ते दयामयः. य मः येन इव ाप तद् वाचा साढः पर तराम्.. (९) तेरे शरीर म ा त वर, तेरा दय रोग एवं य मा रोग—ये सभी मेरे मं तर कृत हो कर उड़ने वाले बाज प ी के समान र जा कर गरे ह. (९)
पी बाण से
ऋषी बोध तीबोधाव व ो य जागृ वः. तौ ते ाण य गो तारौ दवा न ं च जागृताम्.. (१०) जो बोध, रह. (१०)
तबोध, व और जागृ त नामक तेरे ाणर क ऋ ष ह, वे रात दन जागते
अयम न पस इह सूय उदे तु ते. उदे ह मृ योग भीरात् कृ णा चत् तमस प र.. (११) यह अ न समीप रहने यो य है. तेरे लए सूय इसी लोक म उदय हो. तू गहरी, काली ******ebook converter DEMO Watermarks*******
और अंधकारपूण मृ यु से नकल कर जीवन को ा त हो. (११) नमो यमाय नमो अ तु मृ यवे नमः पतृ य उत ये नय त. उ पारण य यो वेद तम नं पुरो दधे ऽ मा अ र तातये.. (१२) यमराज के लए नम कार है. मृ यु के लए नम कार है. पतर के लए नम कार है. ये तुझे ले जाने वाले ह. जो अ न शरीर के पारण क व ध जानते ह, वे तेरे क याण के लए आए ह. म तुझे था पत करता ं. (१२) ऐतु ाण ऐतु मन ऐतु च ुरथो बलम्. शरीरम य सं वदां तत् पद् यां त त तु.. (१३) इस पु ष को ाण, ने और बल ा त ह . म ने इस के शरीर को मं श ाण यु कया है. वह अपने पैर पर खड़ा हो जाए. (१३)
के ारा
ाणेना ने च ुषा सं सृजेमं समीरय त वा ३ सं बलेन. वे थामृत य मा नु गा मा नु भू मगृहो भुवत्.. (१४) हे अ न! तुम इस पु ष को ाण और च ु से यु करो तथा इस के शरीर म बल भर दो. तुम अमृत के जानने वाले हो. यह इस लोक से थान न करे और मशान इस का घर न बने. (१४) मा ते ाण उप दस मो अपानो ऽ प धा य ते. सूय वा धप तमृ यो दाय छतु र म भः.. (१५) हे रोगी! तेरे ाण का य न हो तथा तेरी अपान वायु भी तेरा याग न करे. सूय अपनी करण ारा मृ यु श या पर पड़े ए तुझे उस से उठा द. (१५) इयम तवद त ज ा ब ा प न पदा. वया य मं नरवोचं शतं रोपी त मनः.. (१६) भीतर से हलती ई और मुख म बांधी ई मेरी जीभ कहती है क तुझे य मा रोग ने याग दया है और तेरे ऊपर वर का आ मण शांत हो गया है. (१६) अयं लोकः यतमो दे वानामपरा जतः. य मै व मह मृ यवे द ः पु ष ज षे. स च वानु याम स मा पुरा जरसो मृथाः.. (१७) यह परा जत न होने वाला मृ युलोक दे व को भी य है. इस लोक म तूने मृ यु के लए ही ज म लया है. वह मृ यु तेरा आ ान करती है. तू वृ ाव था से पहले मृ यु को ा त न ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हो. (१७)
सू -३१
दे वता—कृ या का
तहरण
यां ते च ु रामे पा े यां च ु म धा ये. आमे मांसे कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (१) हे कृ या! अ भचार करने वाले ने म के क चे पा म चावल, जौ, गे ं, उपवाक, तल एवं कांगनी के मले ए अ म अथवा मुरगे आ द के मांस म तुझे थत कया है. म तुझे उसी क ओर लौटाता ,ं जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (१) यां ते च ु ः कृकवाकावजे वा यां कुरी र ण. अ ां ते कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (२) हे कृ या! अ भचारकता ने तुझे मुरगे अथवा बकरे के मांस म अथवा पेड़ पर कया है. म तुझे उसी क ओर लौटाता ,ं जस ने तुझे अ भचार कर के भेजा है. (२)
थत
यां ते च ु रेकशफे पशूनामुभयाद त. गदभे कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (३) हे कृ या! अ भचारकता ने तुझे एक शाफ अथात् टाप वाले और दोन ओर दांत वाले (घोड़े या गधे) पशु पर थत कया है. हम तुझे उसी क ओर लौटाते ह, जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (३) यां ते च ु रमूलायां वलगं वा नरा याम्. े े ते कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (४) हे कृ या! अ भचारकता ने तुझे मनु य ारा पू जत खाने के पदाथ म ढक कर खेत म थत कया है. हम तुझे उसी क ओर लौटाते ह, जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (४) यां ते च ु गाहप ये पूवा नावुत तः. शालायां कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (५) हे कृ या! अ भचार करने वाले ने तुझे गाहप य अ न म अथवा य शाला म कया है. हम तुझे उसी क ओर लौटाते ह, जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (५)
थत
यां ते च ु ः सभायां यां च ु र धदे वने. अ ेषु कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (६) हे कृ या! अ भचार करने वाले ने तुझे सभा म अथवा जुआ खेलने के पास म थत ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कया है. हम तुझे उसी क ओर लौटाते ह, जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (६) यां ते च ु ः सेनायां यां च ु र वायुधे. भौ कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (७) हे कृ या! अ भचार करने वाले ने तुझे सेना म, बाण पर अथवा ं भ पर थत कया है. हम तुझे उसी क ओर लौटाते ह, जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (७) यां ते कृ यां कूपे ऽ वदधुः मशाने वा नच नुः. सद्म न कृ यां यां च ु ः पुनः त हरा म ताम्.. (८) हे कृ या! अ भचार करने वाले ने तुझे कुएं म, मशान म अथवा घर म थत कया है. हम तुझे उसी क और लौटाते ह, जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (८) यां ते च ु ः पु षा थे अ नौ संकसुके च याम्. ोकं नदाहं ादं पुनः त हरा म ताम्.. (९) हे कृ या! अ भचार करने वाले मांसभ ी ने तुझे पु ष क हड् डी पर अथवा का शत अ न पर थत कया है. हम तुझे उसी क ओर लौटाते ह, जस ने अ भचार कर के तुझे भेजा है. (९) अपथेना जभारैणां तां पथेतः ह म स. अधीरो मयाधीरे यः सं जभारा च या.. (१०) जस अ ानी अ भचारकता ने कृ या को बुरे माग से हम मयादा म रहने वाल पर भेजा है, हम कृ या को उसी माग से अ भचार करने वाल क ओर लौटाते ह. (१०) य कार न शशाक कतु श े पादमङ् गु रम्. चकार भ म म यमभागो भगवद् यः.. (११) जस ने हमारे ऊपर कृ या का अ भचार कया है, वह हमारी उंगली अथवा पैर को न नह कर सका है. वह अपनी अ भसं ध म सफल न हो और हम भा यशा लय का अमंगल न कर सके. (११) कृ याकृतं वल गनं मू लनं शपथे यम्. इ तं ह तु महता वधेना न व य व तया.. (१२) श ुता रखने वाले जस अ भचारकता ने छप कर हम पर कृ या भेजने का कम कया है, इं उसे अपने वशाल श से न कर द और अ न दे व उसे अपनी वाला से जला द. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
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छठा कांड सू -१
दे वता—स वता
दोषो गाय बृहद् गाय ुम े ह. आथवण तु ह दे वं स वतारम्.. (१) हे अथवा ऋ ष के पु द यङ् ऋ ष! तु त के यो य एवं वशाल साम मं का रात दन अथात् हर समय गुणगान करो तथा उन के ारा हम धन यु बनाओ. हे तु त करने वाले द यङ् ऋ ष! तुम अपने नाम मं ारा दाना द गुण से संप स वता दे व क तु त करो. (१) तमु ु ह यो अ तः स धौ सूनुः. स य य युवानम ोघवाचं सुशेवम्.. (२) हे तु त करने वाले! उ ह स वता दे व क तु त करो जो वाहशील सागर से उ दत होते दखाई दे ते ह. वे न य त ण, रा करने वाले एवं शोभन वचन उ चारण करने वाले ह. (२)
के थम पु ह एवं जो के अंधकार का वनाश
स घा नो दे वः स वता सा वषदमृता न भू र. उभे सु ु ती सुगातवे.. (३) वे ही स वता दे व हम अमर बनाने के साधन य अ धक मा ा म दे व को ा त कराएं एवं हम मृ यु वरोधी बल दान कर. वे स वता दे व हम शोभन तु त के साधन दोन कार के रथंतर साम गान हेतु े रत कर. (३)
सू -२
दे वता—सोम
इ ाय सोममृ वजः सुनोता च धावत. तोतुय वचः शृणव वं च मे.. (१) हे अ वयु आ द ऋ वजो! इं के लए सोम को नचोड़ो और नचोड़े गए सोम का दशाप व के ारा सभी कार शोधन करो. वे इं मुझ तोता के तु त ल ण आ ान को सुन तथा आदरपूवक जान. (१) आ यं वश ती दवो वयो न वृ म धसः. वर शन् व मृधो ज ह र वनीः.. (२) जस कार प ी अपने नवास वाले वृ पर वे छा से शी प ंच जाते ह, उसी कार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोम इं के शरीर म श उ पादक के प म वयं प च ं जाते ह. हे महान इं ! सोम पान से उ े जत हो कर हम बाधा प ंचाने वाले सै नक से यु एवं यु करती ई श ु सेना का वनाश करो. (२) सुनोता सोमपा ने सोम म ाय व
णे. युवा जेतेशानः स पु
ु तः.. (३)
हे अ वयुगण! सोमपान के लए उ सुक एवं हाथ म व धारण करने वाले इं के लए सोमरस नचोड़ो. वे इं न य त ण, वजयी, सारे संसार के समीप तथा ब त से यजमान ारा शं सत ह. (३)
सू -३
दे वता—इं , पूषा
पातं न इ ापूषणा द तः पा तु म तः. अपां नपात् स धवः स त पातन पातु नो व णु त ौः.. (१) हे इं और पूषादे व! हमारी र ा करो. दे वमाता अ द त हमारी र ा कर. उनचास म द्गण हमारी र ा कर. अपानपात अथात् जल को धन बनाने वाले अ न दे व एवं सात सागर हमारी र ा कर. व णु एवं आकाश हमारी र ा कर. आ नीय अ न और अ न क सुखकर तथा रा स ारा दए ए ःख से र क करण हमारी र ा कर. (१) पातां नो ावापृ थवी अ भ ये पातु ावा पातु सोमो नो अंहसः. पातु नो दे वी सुभगा सर वती पा व नः शवा ये अ य पायवः.. (२) ावा और पृ वी अ भमत फल पाने के लए हमारी र ा कर. सोमरस कुचलने का प थर और सोमरस पाप से हमारी र ा करे. सौभा ययु दे वी सर वती हमारी र ा करे. अ न हमारी र ा करे, जनक करण हम प व करती ह. (२) पातां नो दे वा ना शुभ पती उषासान ोत न उ यताम्. अपां नपाद भ ती गय य चद् दे व व वधय सवतातये.. (३) हे दाना द गुणयु एवं द त तेज वाले अ नीकुमारो! हे दन और रात के अ ध ाता दे वो! हमारी र ा करो. अपानपात अथात् मेघ के जल को बढ़ाने वाले अ न रा स आ द क हसा से हम बचाएं. हे व ा दे व! सभी फल क ा त के लए हम बढ़ाओ. (३)
सू -४ व ा मे दै ं वचः पज यो पु ै ातृ भर द तनु पातु नो
दे वता— व ा ण प तः. रं ायमाणं सहः.. (१)
व ा एवं ण प त अथात् इस मं के अ धप तदे व मेरे तु त ल ण वचन को सुन. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ द त अपने पु और ाता क शी र ा कर. (१)
के साथ हमारे र क एवं श ु
ारा अ त मण र हत बल
अंशो भगो व णो म ो अयमा द तः पा तु म तः. अप त य े षो गमेद भ तो यावय छ ुम ततम्.. (२) अ द त और उन के भग, व ण, म और अयमा नामक पु और उनचास म त का समूह मेरी र ा कर. इन का े ष कम हम से र चला जाए. तुम हम से े ष रखने वाले श ु को हम से पृथक् करो. (२) धये सम ना ावतं न उ या ण उ ौ ३ पयावय छु ना या.. (३)
म
यु छन्.
हे अ नीकुमारो! अ नहो आ द उ म कम करने क सद्बु के लए हमारी र ा करो. हे व तीण गमन वाले वायु दे व! तुम माद न करते ए हमारी र ा करो. हे पता के समान ुलोक! कु े के समान आ मण करने वाली पाप क दे वी को हमारे पास से भगाओ. (३)
सू -५
दे वता—अ न, इं
उदे नमु रं नया ने घृतेना त. समेनं वचसा सृज जया च ब ं कृ ध.. (१) हे घृत के ारा बुलाए गए अ न दे व! तुम इस यजमान को उ म पद ा त कराओ. उ म पद ा त कराने के प ात तुम इस यजमान को शारी रक तेज से यु करो तथा पु , पौ आ द से समृ बनाओ. (१) इ े मं तरं कृ ध सजातानामसद् वशी. राय पोषेण सं सृज जीवातवे जरसे नय.. (२) हे इं ! इस यजमान क अ तशय वृ करो. तु हारी कृपा से यह अपने बंधु के म य सब को वश म करने वाला तथा वयं वतं बने. तुम इसे धन संप बनाओ तथा इस के जीवन को वृ ाव था तक प ंचाओ. (२) य य कृ मो ह वगृहे तम ने वधया वम्. त मै सोमो अ ध वदयं च ण प तः.. (३) हे अ न दे व! हम जस यजमान के घर म य कर रहे ह, उस यजमान को तुम समृ बनाओ. सोम दे व एवं ण प त दे व इसे अपना कह. (३)
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सू -६
दे वता—
ण पत
यो ३ मान् ण पते ऽ दे वो अ भम यते. सव तं र धया स मे यजमानाय सु वते.. (१) हे ण प त दे व! जो दे व वरोधी श ु हम वध करने यो य मानता है, उस को सोम रस नचोड़ने वाले मुझ यजमान के वश म करो. (१) यो नः सोम सुशं सनो ःशंस आ ददे श त. व ेणा य मुखे ज ह स सं प ो अपाय त.. (२) हे सोम! वचन बोलने वाला जो श ु हम बाधा प ंचाता है और अपने कठोर वचन से हमारा पराभव करता है, उस के मुख पर व का हार करो. वह श ु व के आघात से छ भ हो कर भाग जाए. (२) यो नः सोमा भदास त सना भय न ः. अप त य बलं तर महीव ौवध मना.. (३) हे सोम! हमारा जो संबंधी हमारा अ भभव करना चाहता है तथा जो नकृ श ु हम बाधा प ंचाता है, तुम उस को उसी कार न कर दो, जस कार ुलोक व के ारा वनाश करता है. (३)
दे वता—सोम
सू -७
येन सोमा द तः पथा म ा वा य य हः. तेना नो ऽ वसा ग ह.. (१) हे सोम! जस माग से, अ द त म एवं उस के बारह पु अनु ह करते ए सरंचना करते ह, उसी माग से हमारा क याण करते ए आओ. (१) येन सोम साह यासुरान् र धया स नः. तेना नो अ ध वोचत.. (२) श
हे सोम! जस बल के ारा तुम हमारे श के ारा हम आशीवाद वचन सुनाओ. (२)
शाली श ु
का वनाश करते हो, उसी
येन दे वा असुराणामोजां यवृणी वम्. तेना नः शम य छत.. (३) हे दे वो! तुम अपने जस बल से श ु ारा हमारे लए सुख दान करो. (३)
सू -८
क श
अपने म मला लेते हो, उसी बल के
दे वता—कामा मा
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यथा वृ ं लबुजा सम तं प रष वजे. एवा प र वज व मां यथा मां का म यसो यथा म ापगा असः.. (१) हे प नी! जस कार लता चार ओर से वृ को लपेटती है, उसी कार तू मेरा आ लगन कर. जस कार तू मेरी कामना करती ई मेरे समीप से कह न जाए, उसी कार म तुझे अपने वश म करता ं. (१) यथा सुपणः पतन् प ौ नह त भू याम्. एवा न ह म ते मनो यथा मां का म यसो यथा म ापगा असः.. (२) हे का मनी! जस कार ग ड़ अपने नवास थान से उड़ता आ धरती पर अपने दोन पंख को पटकता है, उसी कार म तेरे दय को पी ड़त करता ं. जस कार तू मेरी कामना करती ई मेरे समीप से कह न जाए, उसी कार म तुझे अपने वश म करता ं. (२) यथेमे ावापृ थवी स ः पय त सूयः. एवा पय म ते मनो यथा मां का म यसो यथा म ापगा असः.. (३) हे नारी! सब का ेरक सूय जस कार इस आकाश और धरती को शी ा त कर लेता है, उसी कार म तेरे मन को ा त क ं गा. जस कार तू मेरी कामना करती ई मेरे समीप से कह न जाए, उसी कार म तुझे अपने वश म करता ं. (३)
सू -९
दे वता—कामा मा
वा छ मे त वं १ पादौ वा छा यौ ३ वा छ स यौ. अ यौ वृष य याः केशा मां ते कामेन शु य तु.. (१) हे का मनी! तू मेरे शरीर, पैर , ने और जंघा क कामना कर. तू ऐसे पु ष क कामना करती है, जो तुझे संतु कर सके. तेरी सुंदर आंख और केश मेरे मन को ाकुल करते ह. (१) मम वा दोष ण षं कृणो म दय षम्. यथा मम तावसो मम च मुपाय स.. (२) हे प नी! म तुझे अपनी बांह और दय म आ य लेने वाली बनाता ं. इस कार तू मेरे संक प के अधीन होगी और मेरे च को ा त करेगी. (२) यासां ना भरारेहणं द संवननं कृतम्. गावो घृत य मातरो ऽ मूं सं वानय तु मे.. (३) जन के अंग आनंद ा त के साधन होते ह और जन के दय म वधाता ने वशीकरण ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क श
दान क है; घी, ध दे ने वाली गाएं मेरे ऐसे अ धकार म रह. (३)
दे वता—अ न, वायु
सू -१०
पृ थ ै ो ाय वन प त यो ऽ नये ऽ धपतये वाहा.. (१) पृ वी के लए, श द सुनने के साधन कान के लए, भू म पर थत वृ के अ ध ाता दे व के लए तथा धरती के वामी अ न के लए ह शोभन आ त वाला हो. (१) ाणाया त र ाय वयो यो वायवे ऽ धपतये वाहा.. (२) वायु प ाण के लए, वायु से संबं धत अंत र के लए, प य के लए तथा वायु के अ धप त दे वता के लए यह ह शोभन आ त वाला हो. (२) दवे च ुषे न
े यः सूयाया धपतये वाहा.. (३)
आकाश के लए, ने के लए, न यह ह शोभन आ त वाला हो. (३)
के लए तथा
सू -११
ुलोक के अ धप त सूय के लए
दे वता—वीय
शमीम थ आ ढ त पुंसुवनं कृतम्. तद् वै पु य वेदनं तत् ी वा भराम स.. (१) शमी वृ ी है और अ थ अथात् पीपल का वृ पु ष है. अ न प पु उ प करने के लए वह शमी वृ पर आ ढ़ है. उसी पीपल वृ से अर णयां बनाई जाती ह, जो अ न उ पादन के काम आती ह. इस कार के अ थ पर पुंसवन कया गया है. वह पुंसवन अथात् पु ा त कम हम य म करते ह. (१) पुं स वै रेतो भव त तत् यामनु ष यते. तद् वै पु य वेदनं तत् जाप तर वीत्.. (२) पु षमय बीज प वीय होता है. वह गभाधान कम के ारा नारी के गभाशय म डाला जाता है. वही पु ा त का साधन बनता है. यह पुंसवन कम जाप त ने बताया है. (२) जाप तरनुम तः सनीवा य ची लृपत्. ैषूयम य दधत् पुमांसमु दध दह.. (३) जाप त ने, अमाव या क दे वी सनीवाली ने और पूणमासी के दे वता ने गभाशय म थत वीय के अंश से हाथ, पैर आ द क रचना क है. उ ह ने ी के सव संबंधी न म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अथात् गभ को हम से पृथक् अथात् नारी म पु लेने यो य बनाया. (३)
पी संतान को एक वष के प ात ज म
सू -१२
दे वता— वष नवारण
प र ा मव सूय ऽ हीनां ज नमागमम्. रा ी जग दवा य ं सात् तेना ते वायरे वषम्.. (१) जस कार सूय अंत र म ा त होता है, उसी कार म सप के ज म को जानता ं. जस कार रा अपने अंधकार से सारे संसार को ा त कर लेती है, उसी कार शरीर म ा त वष को म ओष ध से र करता ं. (१) यद् भय ष भयद् दे वै व दतं पुरा. यद् भूतं भ मास वत् तेना ते वायरे वषम्.. (२) जस ओष ध को ाचीन काल म मं ने, अग य, व स आ द ऋ ष तथा इं आ द दे व ने जाना है, उन भूत, वतमान और भ व यकाल क ओष धय से म तेरे शरीर म थत वष का नवारण करता ं. (२) म वा पृ चे न १: पवता गरयो मधु. मधु प णी शीपाला शमा ने अ तु शं दे .. (३) गंगा आ द न दयां, हमालय आ द वशाल पवत और छोटे पवत तेरे शरीर म वष नाशक अमृत स च. शैवाल से यु प णी नाम क नद तेरे शरीर पर अमृत चुपड़े. यह वषनाशक अमृत तेरे और मेरे दय के लए सुखकारी हो. (३)
सू -१३
दे वता—मृ यु
नमो दे ववधे यो नमो राजवधे यः. अथो ये व यानां वधा ते यो मृ यो नमो ऽ तु ते.. (१) इं आ द के हनन साधन व आ द को नम कार है, जस से वे हमारा याग कर द. राजा से संबं धत आयुध को नम कार है. हे मृ यु! वै य जा तय के वध के जो साधन ह, उन से बचाने के लए हम तुझे नम कार करते ह. (१) नम ते अ धवाकाय परावाकाय ते नमः. सुम यै मृ यो ते नमो म यै त इदं नमः.. (२) हे मृ यु! तेरा प पात कर के वचन बोलने वाले त को तथा पराभव का वणन करने वाले के लए नम कार है. हे मृ यु! तेरी अनु हका रणी बु के लए एवं न ह करने वाली ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बु
के लए नम कार है. (२) नम ते यातुधाने यो नम ते भेषजे यः. नम ते मृ यो मूले यो णे य इदं नमः.. (३)
हे मृ यु! तुझ से संबं धत रा स को नम कार है, जो लोग को पीड़ा प ंचाते ह. तुझ से र ा करने वाली ओष धय को नम कार है. तुझ से संबं धत मूल पु ष तथा शापानु ह समथ ा ण के लए नम कार है. (३)
सू -१४
दे वता—बलास
अ थ ंसं प ंसमा थतं दयामयम्. बलासं सव नाशया े ा य पवसु.. (१) मं क श से ह ड् डय को कं पत करने वाले, शरीर के जोड़ को ढ ला करने वाले तथा सारे शरीर म ा त े मा ारा कए ए दय रोग क श का वनाश करे. वह रोग खांसी और सांस से संबं धत है. (१) नबलासं बला सनः णो म मु करं यथा. छनद् य य ब धनं मूलमुवावा इव.. (२) जस कार सरोवर से कमल उखाड़ा जाता है, उसी कार म इस रोगी पु ष के े मा रोग को जड़ से न करता ं. जस कार पक ई ककड़ी अपने नाल से अपनेआप अलग हो जाती है, उसी कार म इस रोगी के े मा रोग का बंधन तोड़ता ं. (२) नबलासेतः पताशु ः शशुको यथा. अथो इट इव हायनो ऽ प ा वीरहा.. (३) हे े मा रोग! जस कार भागा आ शुंशु क ह रण र चला जाता है तथा गया आ संव सर फर वापस नह आया, उसी कार हमारे वीर के वनाशकारी तू इस रोगी को छोड़ कर बुरी दशा म चला जा. (३)
सू -१५
दे वता—वन प त
उ मो अ योषधीनां तव वृ ा उप तयः. उप तर तु सो ३ माकं यो अ मां अ भदास त.. (१) हे सोमपण से उ प पलाश वृ ! तू वन प तय म उ म है. सभी वृ तेरे उपासक अथात् तुझ से न न थ त वाले ह. तेरी कृपा से हमारा वह श ु हमारा उपासक बने जो हम न करना चाहता है. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सब धु ासब धु यो अ माँ अ भदास त. तेषां सा वृ ाणा मवाहं भूयासमु मः.. (२) हमारे गो वाला अथवा हमारे गो से भ जो श ु हम ीण करना चाहता है, उन सब म म उसी कार उ म बनूं, जस कार तू सभी वृ म े है. (२) यथा सोम ओषधीनामु मो ह वषां कृतः. तलाशा वृ ाणा मवाहं भूयासमु मः.. (३) जस कार पुरोडाश के योग के लए सोमलता सभी लता मानी जाती है, उसी कार म अपने गो वाल म े बनूं. (३)
और वन प तय म े
दे वता—मं म उ
सू -१६
आबयो अनाबयो रस त उ आबयो. आ ते कर भम स.. (१) हे रोग नवृ के लए खाई जाने वाली सरस एवं न खाए जाने वाले सरस के तने! तेरा रस अथात् तेल रोग नवारण म स म है. हे सरस ! हम तेरा कर भ (साग) मं से यु कर के खाते ह. (१) वहह्लो नाम ते पता मदावती नाम ते माता. स ह न वम स य वमा मानमावयः.. (२) हे सरस के साग! तेरा पता वह ल तथा माता मदावती नाम क है. तू अपना साग मनु य को खाने के लए दे दे ती है, इस लए तू अपने माता पता के समान नह रहती. (२) तौ व लके ऽ वेलयावायमैलब ऐलयीत्. ब ु (३)
ब ुकण ापे ह नराल..
हे तौ व लक नाम क पशाची! तू रोग का कारण है. तू हमारे रोग को परा जत कर के लौटा दे . तेरे ारा होने वाला ऐलय नाम का ने रोग र चला जाए. हे ब ,ु ब ुवण तथा नराल नामक रोग! तुम इस पु ष के शरीर से भाग जाओ. (३) अलसाला स पूवा सला
ाला यु रा. नीलागलसाला.. (४)
पौध क मंजरी अलसाला थम उ प होने के कारण पूव है और बाद म उ प होने के कारण सलांजाला उ रा है. नीलागलसाला इन के म य वाली है. (४)
सू -१७
दे वता—गभ बृंहण
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यथेयं पृ थवी मही भूतानां गभमादधे. एवा ते यतां गभ अनु सूतुं स वतवे.. (१) हे नारी! जस कार वशाल पृ वी ा णय के शरीर को धारण करती है, उसी कार तेरा गभ भी सव के समय ज म लेने के लए थत रहे. (१) यथेयं पृ थवी मही दाधारेमान् वन पतीन्. एवा ते यतां गभ अनु सूतुं स वतवे.. (२) यह वशाल पृ वी जस कार वृ को धारण करती है, उसी कार तेरा गभ भी सव के समय ज म लेने के हेतु थत रहे. (२) यथेयं पृ थवी मही दाधार पवतान् गरीन्. एवा ते यतां गभ अनु सूतुं स वतवे.. (३) हे नारी! जस कार यह वशाल पृ वी पवत को धारण करती है, उसी कार तेरा गभ भी सव के समय ज म लेने के लए थत रहे. (३) यथेयं पृ थवी मही दाधार व तं जगत्. एवा ते यतां गभ अनु सूतुं स वतवे.. (४) हे नारी! यह वशाल पृ वी जस कार चराचर जगत् को धारण करती है. उसी कार तेरा गभ भी सव के समय ज म लेने के लए थत रहे. (४)
दे वता—ई या वनाशन
सू -१८ ई याया ा ज थमां थम या उतापराम्. अ नं द यं १ शोकं तं ते नवापयाम स.. (१)
हे ई या करने वाले पु ष! तेरी ई यापूण म त यह है क इस ी को कोई दे ख न ले. इस म त को शांत करते ए हम तेरे दय वदारक शोक एवं ोध को शांत करते ह. (१) यथा भू ममृतमना मृता मृतमन तरा. यथोत म ुषो मन एवे य मृतं मनः.. (२) सब ा णय से अ ध त पृ वी शांत मन वाली और सब के शरीर से भी उदा मन वाली होती है. जस कार मृत पु ष का मन ई या र हत होता है, उसी कार ी वषयक ई यायु पु ष का मन भी शांत हो जाए. (२) अदो यत् ते
द
तं मन कं पत य णुकम्.
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तत त ई या मु चा म न
माणं ते रव.. (३)
हे ई या त पु ष! लोहार जस कार भ ा अथात् ध कनी से सांस बाहर नकालता है, वैसे ही म तेरे दय से ई या र करता ं. (३)
दे वता—मं म उ
सू -१९ पुन तु मा दे वजनाः पुन तु मनवो धया. पुन तु व ा भूता न पवमानः पुनातु मा.. (१)
दे वगण मुझे प व कर. मनु य मुझे बु अथवा कम के ारा प व कर. सभी ाणी मुझे प व कर और अंत र म वचरण करने वाली वायु मुझे प व करे. (१) पवमानः पुनातु मा
वे द ाय जीवसे. अथो अ र तातये.. (२)
नचोड़ा जाता आ सोम मुझे य कम के लए, बल ा त के लए, जीवन के लए तथा अ हसा करने के लए प व करे. (२) उभा यां दे व स वतः प व ेण सवेन च. अ मान् पुनी ह च से.. (३) हे सब के ेरक स वता दे व! तु हारा तेज प व करने का साधन है. अपने तेज और ेरणा से हम इहलोक और परलोक के सुख के साधन य के लए शु करो. (३)
सू -२०
दे वता—य मा नाशक
अ ने रवा य दहत ए त शु मण उतेव म ो वलप पाय त. अ यम म द छतु कं चद त तपुवधाय नमो अ तु त मने.. (१) गीले और सूखे सब को जलाने वाली दावा न के समान अंग को जलाने वाले इस वर का दाह सारे शरीर म ा त है. उस समय उ म के समान वलाप करता आ इस लोक से चला जाता है. इस कार का बल प वर हम याग कर कसी च र हीन पु ष के पास चला जाए. (१) नमो ाय नमो अ तु त मने नमो रा े व णाय वषीमते. नमो दवे नमः पृ थ ै नम ओषधी यः.. (२) वर के अ भमानी दे व के लए नम कार है. वर के लए नम कार है. द तशाली एवं वामी व ण के लए नम कार है. ुलोक तथा पृ वी के लए नम कार है. पृ वी पर उ प ओष धय को नम कार है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अयं यो अ भशोच य णु व ा पा ण ह रता कृणो ष. त मै ते ऽ णाय ब वे नमः कृणो म व याय त मने.. (३) सभी ओर से पूरे शरीर को शोकयु करता आ, जो यह प वर है, वह सभी ा णय का र षत कर के उ ह हलद के समान पीला बना दे ता है. उस र वण एवं पीत वण तथा सेवा करने यो य वर को नम कार है. (३)
दे वता—चं मा
सू -२१ इमा या त ः पृ थवी तासां ह भू म मा. तासाम ध वचो अहं भेषजं समु ज भम्.. (१)
ये जो पृ वी आ द तीन लोक ह, उन म यह पृ वी उ म है, जस पर हम थत ह. पृ वी क वचा के समान ऊपर वतमान जो भू म है, म उस पर उ प ओष धय का सं ह करता ं. (१) े म स भेषजानां व स ं वी धानाम्. सोमो भग इव यामेषु दे वेषु व णो यथा.. (२) हे ह र ा! तू अमोघ श के कारण अ य भेषज म उसी कार शंसनीय है तथा वी ध म मु य है, जैसे रा और दन के काल वभाग के कारण चं मा एवं सूय मु य ह. (२) रेवतीरनाधृषः सषासवः केशवधनीः.. (३)
सषासथ. उत
थ केश ं हणीरथो ह
हे धनवती ओष धयो! तुम कसी के ारा ह सत नह हो. तुम आरो य दे ने के लए इ छु क हो, इस लए मुझे आरो य दान करो. तुम केश को ढ़ बनाने वाली हो, इस लए मेरे केश को ढ़ करो. (३)
सू -२२
दे वता—आ द य र म, म त्
कृ णं नयानं हरयः सुपणा अपो वसाना दवमुत् पत त. त आववृ सदना त या दद् घृतेन पृ थव ू ः.. (१) कृ ण वण अंत र को पा कर सूय क करण पृ वी के पदाथ का रस हण करती ई ुलोक म प ंच जाती ह. वे सूय करण जल को सूय मंडल से वृ के प म लाती ह और बाद म धरती को जल से गीला कर दे ती ह. (१) पय वतीः कृणुथाप ओषधीः शवा यदे जथा म तो मव सः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ऊज च त सुम त च प वत य ा नरो म त्ः स चथा मधु.. (२) हे म द्गण! वण से बने आभूषण व थल पर धारण कर के तुम जब चलते हो तो जल को रसमय और ओष धय को सुखकारी बनाते हो. हे नेता म द्गण! तुम जहां पर वषा का जल गराते हो, उस दे श म बल कारक अ और बु यु जा का पोषण करो. (२) उद ुतो म त ताँ इयत वृ या व ा नवत पृणा त. एजा त लहा क येव तु ै ं तु दाना प येव जाया.. (३) हे म द्गण! तुम जल बरसाने वाले उन मेघ को े रत करो, जन से संबं धत वषा सभी फसल को और स रता को पु करती है. जस कार द र माता पता अपनी क या को दे ख कर ःखी होते ह, मेघ उसी कार अपनी गजना से लोग को भयभीत और कं पत करते ह. प नी जस कार प त से बातचीत करती ई उसे अ आ द दान करती है, मेघ गजन पी वाणी उसी कार गमनशील मेघ से बात करती है. (३)
सू -२३
दे वता—जल
स ुषी तदपसो दवा न ं च स ुषीः. वरे य तुरहमपो दे वी प (१)
ये..
उ म कम करने वाला म सभी ा णय के जीवन का प ा त करने वाले, जगत् के र क एवं सदै व बहने वाले जल को अपने समीप बुलाता ं. (१) ओता आपः कम या मु च वतः णीतये. स कृ व वेतवे.. (२) सदै व बहने वाले, लौ कक और वै दक कम के साधन जल हम उ म फल शी पाने के लए सभी पाप से बचाएं. (२) दे व य स वतुः सवे कम कृ व तु मानुषाः. शं नो भव वप ओषधीः शवाः.. (३) का शत होने वाले एवं सब के ेरक सूय क ेरणा होने पर मनु य लौ कक और वै दक कम करे. जल हमारे लए क याणकारी ह और ओष धयां हमारे पाप को शांत कर. (३)
सू -२४
दे वता—जल
हमवतः व त स धौ समह संगमः. आपो ह म ं तद् दे वीददन् द् ोतभेषजम्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पाप नाशक गंगा आ द न दय का जल हमालय से नकलता है और सागर म मलता है. इस कार का द जल दय क जलन मटाने वाली ओष धयां दान करे. (१) य मे अ योरा द ोत पा णय ः पदो यत्. आप तत् सव न करन् भषजां सु भष माः.. (२) जो रोग मेरी आंख को ा ध वनाशक म कुशल द
थत करते ह, जो मेरे घुटन और जांघ म आ य लेते ह, जल उन सब को न कर. (२)
स धुप नीः स धुरा ीः सवा या न १ थन. द न त य भेषजं तेना वो भुनजामहै.. (३) हे जलो! सागर तु हारा प त है और तुम सागर पी राजा क प नयां हो. तुम सब नद प हो जाओ. तुम सब मुझे उस रोग को र करने क ओष ध दो, जस से म नरोग हो सकूं. (३)
सू -२५
दे वता—गंडमाला वनाशन
प च च याः प चाश च संय त म या अ भ. इत ताः सवा न य तु वाका अप चता मव.. (१) गले के ऊपरी भाग म थत पचपन कार क गंड मालाएं गले के ऊपरी भाग क धम नय को ा त करती ह. वे सब इस कार न हो जाएं, जस कार प त ता को पा कर सभी दोष न हो जाते ह. (१) स त च याः स त त संय त ै ा अ भ. इत ताः सवा न य तु वाका अप चता मव.. (२) गरदन क नस म थत सतह र कार क गंडमालाएं गरदन क धम नय को ा त करती ह. वे सब इस कार न हो जाएं, जस कार प त ता को पा कर सभी दोष न हो जाते ह. (२) नव च या नव त संय त क या अ भ. इत ताः सवा न य तु वाका अप चता मव.. (३) कंध क नस म थत न यानवे कार क गंडमालाएं कंध क धम नय को ा त करती ह. वे सब इस कार न हो जाएं, जस कार प त ता को पा कर सभी दोष न हो जाते ह. (३)
सू -२६
दे वता—पा मा
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अव मा पा म सृज वशी सन् मृडया स नः. आ मा भ य लोके पा मन् धे व तम्.. (१) हे पाप के अ भमानी दे व! मुझे छोड़ दो. तुम सब को वश म करने वाले हो. तुम मुझे सुख दो. हे पा मा! पीड़ार हत मुझ को पु य के फल के प म ा त होने वाले लोक म था पत करो. (१) यो नः पा मन् न जहा स तमु वा जा हमो वयम्. पथामनु ावतनेऽ यं पा मानु प ताम्.. (२) हे पा मा! य द मुझे नह छोड़ोगे तो म इस अनु ान ारा तु ह बलपूवक चार माग के संगम प चौराहे पर छोडू ंगा. वहां छोड़ा आ पाप हमारे श ु म वेश करे. (२) अ य ा म यु यतु सह ा ो अम यः. यं े षाम तमृ छतु यमु म त म ज ह.. (३) इं के समान अमर रहने वाला एवं बली पाप उसी को ा त हो, जस से हम े ष करते ह. हे पाप! जो हमारा श ु है, तू उसी के पास जा. (३)
सू -२७
दे वता—यम
दे वाः कपोत इ षतो य द छन् तो नऋ या इदमाजगाम. त मा अचाम कृणवाम न कृ त शं नो अ तु पदे शं चतु पदे .. (१) हे दे वो! पाप दे वता ारा भेजा गया त कबूतर हम को पी ड़त करने क इ छा करता आ हमारे घर आया है. उसे लौटाने के लए हम ह व के ारा तु हारी अचना करते ह. हमारे पाय अथात् उ रा धका रय और चौपाय अथात् पशु का क याण हो. (१) शवः कपोत इ षतो नो अ वनागा दे वाः शकुनो गृहं नः. अ न ह व ो जुषतां ह वनः प र हे तः प णी नो वृण ु .. (२) हे दे वो! पाप दे वता ारा भेजा आ कबूतर हमारे लए सुखकारी हो तथा घर को पी ड़त न करे, य क यह अनपराधक है. इस के लए मेधावी अ न हमारे ह व को वीकार कर. उस क कृपा से पंख वाला कबूतर नाम का आयुध हम छोड़ दे . (२) हे तः प णी न दभा य माना ी पदं कृणुते अ नधाने. शवो गो य उत पु षे यो नो अ तु मा नो दे वा इह हसीत् कपोतः.. (३) पंख वाला आयुध अथात् कबूतर हम न मारे. वह दावा न से ा त वन म चला जाए. हे दे वो! वह कबूतर हमारी गाय और पु ष को सुख दे ने वाला हो. वह कबूतर हमारी हसा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
न करे. (३)
दे वता—यम
सू -२८
ऋचा कपोतं नुदत णोद मषं मद तः प र गां नयामः. संलोभय तो रता पदा न ह वा न ऊज पदात् प थ ः.. (१) हे दे वो! इस मं के ारा कबूतर को हमारे घर से र जाने के लए े रत करो. हम अ को पा कर तृ त होते ए धरती पर गाय को सभी ओर चराएं. हम कबूतर के पंज के च को भली कार धोएं और वह कबूतर हमारी पाकशाला के अ को याग कर प य म े हो तथा उड़ जाए. (१) परीमे ३ नमषत परीमे गामनेषत. दे वे व त वः क इमां आ दधष त.. (२) हे ऋ वज्! लोग कबूतर के वेश के दोष क शां त के लए अ न को मेरे घर म ले आए ह और घर म गाय को सभी ओर घुमा रहे ह. इ ह ने अ न आ द दे व को ह व प म अ पत कया है. अब हमारे पु ष को कौन परा जत कर सकता है. (२) यः थमः वतमाससाद ब यः प थामनुप पशानः. यो ३ येशे पदो य तु पद त मै यमाय नमो अ तु मृ यवे.. (३) यह आज मरने यो य है, यह कल मरने यो य है, इस कार क गणना करते ए दे व म मु य यमराज ने उ म माग ा त कया है. वे यम इस यजमान के दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह. मृ यु को े रत करने वाले उन यम को नम कार है. (३)
सू -२९
दे वता—यम
अमून् हे तः पत णी येकतु य लूको वद त मोघमेतत्. यद् वा कपोतः पदम नौ कृणो त.. (१) यह पंख वाला आयुध हमारे र थ श ु के पास जाए. यह उ लू जो कहता है, वह अस य हो. कबूतर ने अशुभ क सूचना के लए जो हमारे चू हे क अ न के समीप पंजे का च बनाया है, वह भी भावहीन हो जाए. (१) यौ ते तौ नऋत इदमेतो ऽ हतौ कपोतोलूका यामपदं तद तु.. (२)
हतौ वा गृहं नः.
हे पाप दे वता नऋ त! तेरे ारा भेजे ए जो कबूतर और उ लू ह. वे मेरे घर म आ कर भी आ य न पा सक. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अवैरह यायेदमा पप यात् सुवीरताया इदमा सस ात्. पराङे व परा वद पराचीमनु संवतम्. यथा यम य वा गृहे ऽ रसं तचाकशानाभूकं तचाकशान्.. (३) कबूतर और उ लू के आने का जो अपशकुन है, वह हमारे वीर क हसा न करे तथा हमारे वीर के सद्भाव के न म वह अपशकुन र चला जाए. हे यम के त कबूतर! तेरे वामी के घर म ाणी जस कार तुझे भावहीन समझते ह, उसी कार तुझे हम भी दे ख. (३)
सू -३०
दे वता—शमी
दे वा इमं मधुना संयुतं यवं सर व याम ध मणावचकृषुः. इ आसीत् सीरप तः शत तुः क नाशा आसन् म तः सुदानवः.. (१) दे व ने सर वती नद के समीप मनु य को शहद से यु जौ दए. उस समय जोतने से भू म म अ उ प करने के लए इं हल के वामी और शोभन दान वाले म त् कसान बने थे. (१) य ते मदो ऽ वकेशो वकेशो येना भह यं पु षं कृणो ष. आरात् वद या वना न वृ वं श म शतव शा व रोह.. (२) हे शमी नामक वृ ! तेरा जो मद मन चाहे केश को उ प करने वाला और वृ करने वाला है तथा जस के ारा तुम पु ष को सभी कार स करते हो, म भी तुम से र थत वन को काटता ं. हे शमी! तू सौ शाखा वाला हो कर बढ़े . (२) बृहत्पलाशे सुभगे वषवृ ऋताव र. मातेव पु े यो मृड केशे यः श म.. (३) हे बड़ेबड़े प वाली, केवल वषा के जल से बढ़ने वाली एवं सौभा य सूचक शमी! माता जस कार पु को बढ़ाती है, तू उसी कार हमारे केश क वृ कर. (३)
सू -३१ आयं गौः पृ र मीदसद मातरं पुरः. पतरं च य
दे वता—गौ वः.. (१)
ये अगमनशील और तेज वी सूय उदयाचल पर प ंच कर पूव दशा म दखाई दे रहे ह और अपनी करण से सभी ा णय क माता भू म को ा त कर रहे ह. इ ह ने वग और अंत र को ढक लया है. ये सूय वषा का जल दे ने के कारण गौ कहे जाते ह. (१) अ त र त रोचना अ य ाणादपानतः. य म हषः वः.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क (२)
ाण वायु हण करने के प ात अपान वायु छोड़ते ए इस ा णसमूह के शरीर म सूय भा वतमान है. वह महान सूय वग तथा सभी ऊपर वाले लोक को का शत करता है. शद् धामा व राज त वाक् पत ो अ श यत्. (३)
त व तोरह ु भः..
दवस एवं रात के अवयव तीस मु त तेज के थान ह और इस सूय क चमक से वराजमान रहते ह. तीन वेद के प वाली वाणी भी सूय के आ य म ही रहती है. (३)
दे वता—अ न
सू -३२
अ तदावे जु ता वे ३ तद् यातुधान यणं घृतेन. आराद् र ां स त दह वम ने न नो गृहाणामुप तीतपा स.. (१) हे ऋ वजो! रा स का वनाश करने वाले इस ह व को घी के साथ अ न म हवन करो. हे अ न! उप व करने वाले इन रा स को भ म करो तथा हमारे घर को संताप यु मत करो. (१) ो वो ीवा अशरैत् पशाचाः पृ ीव ऽ प शृणातु यातुधानाः. वी द् वो व तोवीया यमेन समजीगमत्.. (२) हे पशाचो! तु हारी गरदन को का ही वनाश कर. सभी कार क श (२)
दे व काट. हे यातुधानो! तु हारी पीठ क ह ड् डय वाली ओष ध तुम यातुधान को मृ यु से मला दे .
अभयं म ाव णा वहा तु नो ऽ चषा णो नुदतं तीचः. मा ातारं मा त ां वद त मथो व नाना उप य तु मृ युम.् . (३) हे म और व ण! इस दे श म हम भय नह रहे. तुम अपने तेज से मानव भ ी रा स को हम से पराङ् मुख करो. र भागे ए वे मुझ ानी को ा त न कर तथा मेरी आवास भू म को ा त न कर सक. वे एक सरे पर हार करते ए मृ यु को ा त कर. (३)
सू -३३ य येदमा रजो युज तुजे जना वनं वः. इ
दे वता—इं य र यं बृहत्.. (१)
हे मनु यो! जस इं का स ताकारक काश श ु वनाश के लए त पर करता है, उस इं के रमणीय एवं सेवा के यो य तेज को तुम हण करो. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नाधृष आ दधृषते धृषाणो धृ षतः शवः. पुरा यथा थः व इ य नाधृषे शवः.. (२) वह इं सर से तर कृत नह होते तथा अपना तर कार करने वाले क श को परा जत करते ह. ाचीन काल म वृ ासुर के वध के समय इं के बल को कोई परा जत नह कर सका, उसी कार अब भी उन का बल परा जत न हो. (२) स नो ददातु तां र यमु ं पश सं शम्. इ ः प त तु व मो जने वा.. (३) हे इं ! हम पीले रंग का धन अथात् वण अ धक मा ा म दान करो. इं सभी मनु य के वामी तथा सभी कार के उ कष वाले ह. (३)
दे वता—अ न
सू -३४ ा नये वाचमीरय वृषभाय
तीनाम्. स नः पषद त
षः.. (१)
हे तोता! मनु य क कामनाएं पूरी करने वाले तथा रा स के हंता अ न क तु त करो. वे अ न हम रा स, पशाच आ द से छु ड़ाएं. (१) यो र ां स नजूव य न त मेन शो चषा. स नः पषद त
षः.. (२)
जो अ न, अपने ती ण तेज से रा स का वनाश करते ह, वह अ न हम रा स, पशाच आ द से बचाएं. (२) यः पर याः परावत तरो ध वा तरोचते. स नः पषद त
षः.. (३)
जो अ न अ यंत र दे श से जल र हत म भू म म छप जाते ह और ब त सुंदर लगते ह, वह अ न हम रा स, पशाच आ द से छु ड़ाएं. (३) यो व ा भ वप य त भुवना सं च प य त. स नः पषद त
षः.. (४)
जो अ न सभी भुवन को संपूण प से दे खते ह और सूय का शत करते ह, वह हम रा स, पशाच आ द से बचाएं. (४) यो अ य पारे रजसः शु ो अ नरजायत. स नः पषद त इस भूलोक के ऊपर जो अंत र वह हम श ु से बचाए. (५)
सू -३५
पी एक साधन से
षः.. (५)
है, उस म जो नमल सूय
पी अ न उ प
दे वता—वै ानर
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ई थी,
वै ानरो न ऊतय आ यातु परावतः. अ ननः सु ु ती प.. (१) सभी मनु य के हतकारी अ न हमारी र ा के लए र दे श से आएं. वह अ न हमारी सुंदर तु तय को हण कर. (१) वै ानरो न आगम दमं य ं सजू प. अ न थे वंहसु.. (२) सभी मनु य के हतकारी अ न हमारे समीप आएं और आ कर हमारे ारा क जाती ई तु तय से स होते ए इस य को वीकार कर. (२) वै ानरो ऽ रसां तोममु थं च चा लृपत्. ऐषु ु नं वयमत्.. (३) वै ानर अ न ने मह षय ारा कए गए तो और श को समथ बनाया है तथा स यश एवं अ ा त कराया है अथवा इ ह वग ा त कराया है. (३)
दे वता—अ न
सू -३६ ऋतावानं वै ानरमृत य यो तष प तम्. अज ं घममीमहे.. (१)
हम य ा मक यो त के वामी एवं सतत द तशाली वै ानर अ न क आराधना करते ह. हम उन से उ म फल क याचना करते ह. (१) स व ा त चा लृप ऋतूं त् सृजते वशी. य य वय उ रन्.. (२) वै ानर अ न सभी जा को सभी फल दे ने म समथ ह. वतं अ न सूय के वसंत आ द ऋतु का नमाण करते ह. वे य का अ दे व को ा त कराते ह. (२) अ नः परेषु धामसु कामो भूत य भ स ाडेको व राज त.. (३)
पम
य.
उ म थान म अ न स ाट् , भूत और भ व यत काल म कामनापूण करने वाला हो कर वराजता है. (३)
सू -३७
दे वता—चं मा
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उप ागात् सह ा ो यु वा शपथो रथम्. श तारम व छन् मम वृक इवा वमतो गृहम्.. (१) हजार आंख वाले इं शाप या के कता होते ए अपने रथ म घोड़े जोड़ कर हमारे समीप आएं. जस कार भेड़ के वामी के घर म भे ड़या जाता है, उसी कार वह मुझे शाप दे ने वाले श ु को मार. (१) प र णो वृङ् ध शपथ दम न रवा दहन्. श तारम नो ज ह दवो वृ मवाश नः.. (२) हे शपथ! तू हमारा वध मत कर. तू अ न के समान हमारे श ु के कुल को जला. आकाश से गरा आ व जस कार वृ को न कर दे ता है, उसी कार तू इस दे श म हम शाप दे ने वाले श ु का वनाश कर. (२) यो नः शपादशपतः शपतो य नः शपात्. शुने पे मवाव ामं तं य या म मृ यवे.. (३) जो श ु हम शाप न दे ने वाल को कठोर वचन के ारा शाप दे तथा जो हम शाप दे ने वाल को शाप दे , उन दोन को हम इस कार मृ यु के आगे फकते ह, जैसे कु े के आगे रोट डाली जाती है. (३)
सू -३८
दे वता—बृह प त
सहे ा उत या पृदाकौ व षर नौ ा णे सूय या. इ ं या दे वी सुभगा जजान सा न ऐतु वचसा सं वदाना.. (१) सह, बाघ और सप म जो आ मण के प म तेज है, अ न म दाह के प म, ा ण म शाप के प म और सूय म ताप के प म जो तेज है, उसी सौभा यशाली तेज ने इं को ज म दया है. वह तेज व प दे वी हमारे तेज से एक होती ई हमारे समीप आए. (१) या ह त न प न या हर ये व षर सु गोषु या पु षेषु. इ ं या दे वी सुभगा जजान सा न ऐतु वचसा सं वदाना.. (२) जो तेज गज म बल क अ धकता के प म, चीते म हसा के प म तथा सोने म आ ाद के प म है, जल म, गाय म और मनु य म जो तेज है, उसी सौभा यशाली तेज ने इं को ज म दया है. वह तेज व पा दे वी हमारे तेज से एक होती ई हमारे समीप आए. (२) रथे अ े वृषभ य वाजे वाते पज ये व ण य शु मे. इ ं या दे वी सुभगा जजान सा न ऐतु वचसा सं वदाना.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
गमन के साधन रथ म, उस के प हय म, गभाधान करने म समथ बैल के शी गमन म, वायु म, वषा करने वाले जल म एवं व ण के बल म जो तेज है, उसी सौभा यशाली तेज ने इं को ज म दया है. वह तेज पा दे वी हमारे तेज से एक होती ई हमारे समीप आए. (३) राज ये भावायतायाम य वाजे पु ष य मायौ. इ ं या दे वी सुभगा जजान सा न ऐतु वचसा सं वदाना.. (४) राजकुमार म, बजाई जाती ई ं भी म, घोड़े के शी गमन म एवं पु ष क उ च घोषणा म जो तेज है, उसी सौभा यशाली तेज ने इं को ज म दया है. वह तेज पी दे वी हमारे तेज से एक होती ई हमारे समीप आए. (४)
सू -३९
दे वता—बृह प त
यशो ह ववधता म जूतं सह वीय सुभृतं सह कृतम्. स ाणमनु द घाय च से ह व म तं मा वधय ये तातये.. (१) हमारे ारा इं के उ े य से द ई अप र मत साम य से यु , भलीभां त वतमान एवं हजार को परा जत करने वाले बल को दे ने वाली ह व क वृ हो. हे इं ! उस ह व क वृ के प ात मुझ ह व दे ने वाले यजमान को चरकाल तक होने वाले दशन और े ता के लए बढ़ाओ. (१) अ छा न इ ं यशसं यशो भयश वनं नमसाना वधेम. स नो रा व रा म जूतं त य ते रातौ यशसः याम.. (२) सामने वतमान, यश दे ने वाले एवं अ धक यश वी इं को हम नम कार आ द के ारा पूजते ए उन क सेवा करते ह. हे इं ! तुम हम अपने ारा े रत रा य दान करो. तु हारे उस दान से हम यश वी बन. (२) यशा इ ो यशा अ नयशाः सोमो अजायत. यशा व य भूत याहम म यश तमः.. (३) इं , अ न और सोम यश क इ छा करते ए उ प ा णय क अपे ा अ तशय यश वी बनूं. (३)
सू —४०
ए. यश का इ छु क म भी सम त
दे वता—इं
अभयं ावापृ थवी इहा तु नो ऽ भयं सोमः स वता नः कृणोतु. अभयं नो ऽ तूव १ त र ं स तऋषीणां च ह वषाभयं नो अ तु.. (१) हे ावा पृ वी! तु हारी कृपा से हम नभय ह. चं मा एवं सूय हम नभय कर. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ावा
और पृ वी के म य म वतमान अंत र हमारे लए अभय करे. हमारे ारा स त ऋ षय को दया जाता आ ह व हम अभय दे ने वाला हो. (१) अ मै ामाय दश त ऊज सुभूतं व त स वता नः कृणोतु. अश व ो अभयं नः कृणो व य रा ाम भ यातु म युः.. (२) सूय दे व हमारे नवास के गांव म और उस क चार दशा म अ उ प कर एवं कुशल दान कर. हमारे म इं हम अभय दान कर तथा राजा का ोध हम याग कर हम से र चला जाए. (२) अन म ं नो अधरादन म ं न उ रात्. इ ान म ं नः प ादन म ं पुर कृ ध.. (३) हे इं ! हमारी द ण दशा को श ुर हत करो. हमारी उ र दशा को श ु वहीन बनाओ. हमारी प म और पूव दशा को भी श ुहीन बनाओ. (३)
सू -४१
दे वता—मन
मनसे चेतसे धय आकूतय उत च ये. म यै ुताय च से वधेम ह वषा वयम्.. (१) हे पु ष! सुख का अनुभव कराने वाले मन के लए, ान के साधन च के लए, यान के साधन बु के लए, मृ त के साधन संक प के लए, ान के साधन चेतना के लए, अतीत क मृ त के कारण म त के लए, सुनने से उ प ान के लए एवं च ु से उ प ान के लए हम आ य से सेवा करते ह. (१) अपानाय ानाय ाणाय भू रधायसे. सर व या उ चे वधेम ह वषा वयम्.. (२) अपान वायु को, ान वायु को, ाण वायु को, ाणापान ान वायु को धारण करने वाले ा णय क , अ य धक ा त वाली सर वती क हम आ य आ द के ारा सेवा करते ह. (२) मा नो हा सषुऋषयो दै ा ये तनूपा ये न त व तनूजाः. अम या म या भ नः सच वमायुध तरं जीवसे नः.. (३) ाण के अ ध ाता दे व एवं द गुण वाले स त ऋ ष हम नह याग. शरीर के र क ऋ ष हम सभी ओर से ा त ह . वे हम जीवन के लए अ य धक आयु दान कर. (३)
सू -४२
दे वता—म यु
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अव या मव ध वनो म युं तनो म ते दः. यथा संमनसौ भू वा सखाया वव सचावहै.. (१) हे पु ष! धनुधारी जस कार धनुष पर चढ़ तेरे दय से ोध को र करता ं. (१)
ई डोरी को उतारता है, उसी कार म
सखाया वव सचावहा अव म युं तनो म ते. अध ते अ मनो म युमुपा याम स यो गु .. (२) म के समान हम एकमत हो कर र ा काय कर. हे ु प थर के नीचे दबाता ं. (२)
पु ष! म तेरे
ोध को भारी
अ भ त ा म ते म युं पा या पदे न च. यथावशो न वा दषो मम च मुपाय स.. (३) हे वृ पु ष! म तेरे ोध को अपने अधीन करने के लए पैर के ऊपर और नीचे के भाग से खड़ा होता ं. जस कार तुम परवश हो कर मेरा वरोध करने म समथ न बनो तथा जस कार तुम मेरे मन के अनुकूल बनो, म वैसा ही उपाय करता ं. (३)
सू -४३
दे वता—म युशमन
अयं दभ वम युकः वाय चारणाय च. म यो वम युक यायं म युशमन उ यते.. (१) यह दभ अथात् कुश अपनी जा तय और श ु के ोध के वनाश का कारण है. यह ोध करने वाले श ु तथा परमाथ प से ोधा व आ मीय का ोध शांत करने का उपाय कहा जाता है. (१) अयं यो भू रमूलः समु मव त त. दभः पृ थ ा उ थतो म युशमन उ यते.. (२) अ धक जड़ वाला यह कुश अ धक जल वाले भाग म थत है. पृ वी पर ऊपर क ओर उठा आ कुश ोध शांत करने वाला बताया जाता है. (२) व ते हन ां शर ण व ते मु यां नयाम स. यथावशो न वा दषो मम च मुपाय स.. (३) हे पु ष! हम तेरी उस व न को न बनाते ह, जो ोध करने वाली है. हम तेरे मुख क उस व न को भी शांत बनाते ह जो ोध को उ प करती है. ता पय यह है क हम तेरा ोध शांत करते ह. तू हमारे वरोध म बोलने म समथ न हो. इस कार हम तेरा मन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपने मन म मलाते ह. (३)
दे वता—मं म उ
सू -४४ अ थाद् ौर थात् पृ थ थाद् व मदं जगत्. अ थुवृ ा ऊ व व ा त ाद् रोगो अयं तव.. (१)
हे रोगी पु ष! जस कार गृह न से यु ुलोक म थत है, जस कार सब क आधार बनी ई पृ वी थत है, जस कार यह दखाई दे ता आ जगत् थत है, जस कार खड़े एवं सोने वाले वृ ऊपर क ओर थत ह, उसी कार तेरा यह र बहने का रोग थत हो, अथात् तेरा र वाह क जाए. (१) शतं या भेषजा न ते सह ं संगता न च. े मा ावभेषजं व स ं रोगनाशनम्.. (२) हे रोगी पु ष! जो सैकड़ अथवा हजार सं या वाली ओष धयां रोग शांत करती ह, यह कम उन सब म े एवं र ाव र करने वाला है. (२) य मू म यमृत य ना भः. वषाणका नाम वा अ स पतॄणां मूला
थता वातीकृतनाशनी.. (३)
हे गाय के स ग से नकले ए जल! तू का मू तथा अमृत का बंधक है. हे गाय के स ग! तू वषाण नाम के रोग को शां त क सूचना दे ता है. तू पतर के मूल से उ प तथा र ाव के आधार पाप का नाश करने वाला है. (३)
सू -४५
दे वता— ः व
वनाश
परो ऽ पे ह मन पाप कमश ता न शंस स. परे ह न वा कामये वृ ां वना न सं चर गृहेषु गोषु मे मनः.. (१) हे पापमय अश मन! तू हम से र चला जा. तू अशोभन बात मुझ तक य लाता है? तू र चला जा. म तुझे नह चाहता. यहां से र जा कर तू घने वृ वाले वन म वेश कर और वह रह. मेरा शोभन मन प नी, पु आ द से यु घर म और गौ आ द पशु म संल न रहे. (१) अवशसा नःशसा यत् पराशसोपा रम जा तो यत् वप तः. अ न व ा यप कृता यजु ा यारे अ मद् दधातु.. (२) सामा य हसा, अ य धक हसा तथा मुंह फेरने वाल क हसा के ारा जा त अव था म हम जस बुरे व से पी ड़त होते ह, न ाव था म भी वही बुरा व हम को पी ड़त करता ******ebook converter DEMO Watermarks*******
है. बुरे व
के न म उन सभी अशोभन पाप को अ न दे व हम से र कर. (२)
यद ण पते ऽ प मृषा चराम स. चेता न आ रसो रतात् पा वंहसः.. (३) हे इं और ण प त! ःख के न म जस पाप के कारण हम व म अ य धक नदनीय आचरण करते ह, उस ःख दे ने वाले पाप के आं गरस मं के अ ध ाता दे व व ण हमारी र ा कर. (३)
सू -४६
दे वता— ः व
वनाश
यो न जीवो ऽ स न मृतो दे वानाममृतगभ ऽ स व . व णानी ते माता यमः पतार नामा स.. (१) हे व ! न तुम जी वत हो, न मृत हो. तुम इं य के अ ध ाता अ न आ द दे व के अमृत से पूण हो. व ण क प नी तेरी माता और यम तेरे पता ह. तेरा नाम ःख दे ने वाला अशुभ अर है. (१) वद्म ते व ज न ं दे वजामीनां पु ो ऽ स यम य करणः. अ तको ऽ स मृ युर स. तं वा व तथा सं वद्म स नः व पा ह.. (२)
व यात्
हे व के अ भमानी दे व! हम तु हारे ज म को जानते ह. तुम व णानी आ द दे व प नय के पु एवं यम के साधन हो, इस लए तुम अंतक और मृ यु हो. हे व ! हम तुझे उसी कार जानते ह. तू बुरे व से उ प ःख से हमारी र ा कर. (२) यथा कलां यथा शफं यथण संनय त. एवा व यं सव षते सं नयाम स.. (३) जैसे गाय के खुर आ द षत अंग को काट कर र कर दे ते ह, जैसे ऋणी मनु य सा कार को धन दे ता है, उसी कार बुरे व से उ प सभी भय को म उस मनु य को दे ता ं जो मुझ से े ष करता है. (३)
सू -४७
दे वता—अ न
अ नः ातःसवने पा व मान् वै ानरो व कृद् व शंभूः. स नः पावको वणे दधा वायु म तः सहभ ाः याम.. (१) सभी ा णय का हत करने वाले, जगत् के कता एवं सब को सुख दे ने वाले अ न ातःसवन नामक सोम य म हमारी र ा कर. सब को प व करने वाले अ न दे व हम य ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के फल व प धन म था पत कर. अ न दे व क कृपा से हम अपने पु , पौ आ द के साथ भोजन करने वाले बन. (१) व े दे वा म त् इ ो अ मान मन् तीये सवने न ज ः. आयु म तः यमेषां वद तो वयं दे वानां सुमतौ याम .. (२) सभी दे श, दान आ द गुण वाले उनचास म त् और उन के वामी इं म या सवन नामक सोमयाग म हम ऋ वज को न छोड़. हम उन दे व को स करने वाली तु तयां बोलते ए दे व क अनु ह बु म थत ह . (२) इदं तृतीयं सवनं कवीनामृतेन ये चमसमैरय त. ते सौध वनाः व रानशानाः व नो अ भ व यो नय तु.. (३) तृतीय सवन नाम का यह सोम याग उन ऋभु का है, ज ह ने अपने श प कम से चमस क रचना क थी. आं गरस के पु वे सुध वा रथ, चमस आ द बनाने के कारण दे व व को ा त ए ह. वे ऋभु उ म फल का यान कर के हम को य पू त का अ धकारी बनाएं. (३)
सू -४८
दे वता—मं म बताए गए
येनो ऽ स गाय छ दा अनु वा रभे. व त मा सं वहा य य यो च वाहा.. (१) हे बाज के समान शी ग त वाले ातःसवन नामक य ! तेरे तो म गाय ी छं द है. म तुझे डंडे के समान आधार प म हण करता ं, इसी लए तू इस य क समा त को मेरे पास ला. मेरा यह ह व उ म आ तय वाला हो. (१) ऋभुर स जग छ दा अनु वा रभे. व त मा सं वहा य य यो च वाहा.. (२) हे तृतीय सवन वाले यम! तेरी तु तय म जगती छं द का अ धक योग होने से तेरा नाम जग छं द है तथा तू आं गरस के पु सुध वा को स करने के कारण ऋभु कहलाता है. म ने तुझे डंडे के समान आधार प म हण कया है, इस लए तू इस य क समा त को मेरे समीप ला. मेरा यह ह व उ म आ तय वाला हो. (२) वृषा स ु छ दा अनु वा रभे. व त मा सं वहा य य यो च वाहा.. (३) हे म या सवन! तू सेचन समथ इं ही है. तेरी तु तय म ु प् छं द क अ धकता है, इसी लए तू ु प् छं द कहलाता है. म तुझे डंडे के समान आधार प म हण करता ं, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इसी लए तू इस य क समा त को मेरे समीप ला. मेरा यह ह व उ म आ तय वाला हो. (३)
सू -४९
दे वता—अ न
न ह ते अ ने त वः ू रमानंश म यः. क पबभ त तेजनं वं जरायु गौ रव.. (१) हे अ न! तु हारे वाला प शरीर के ती ण तेज को मरणधमा पु ष ा त नह कर सकता. ये बंदर के समान चंचल वभाव वाली और शरीर के जल को पीने वाली तु हारी वालाएं इस दे ह को उसी कार भ म कर दे ती ह, जस कार पहली बार ब चा दे ने वाली गाय अपनी जेर को खा जाती है. (१) मेष इव वै सं च व चोव यसे य र ावुपर खादतः. शी णा शरो ऽ ससा सो अदय ंशून् बभ त ह रते भरास भः.. (२) हे अ न! मेढ़ा जस कार अ धक घास वाले थान पर जाता है और घास चरने के प ात उस थान से अ य चला जाता है, उसी कार तुम पहले जलाने यो य पु ष शरीर के अंग से मलते हो और बाद म उसे जलाने के बाद अ य चले जाते हो. वन को जलाने वाली दावा न और शव को जलाने वाली शवा न-ये दोन अ नयां वृ अथवा शव को भ म करती ई अपनी वाला से लता आ द को भी जला दे ती ह. (२) सुपणा वाचम तोप ाखरे कृ णा इ षरा अन तषुः. न य य युपर य न कृ त पु रेतो द धरे सूय तः.. (३) हे अ न! तु हारी वालाएं बाज प ी के समान शी ापक होने वाली ह. काला ह रण जस कार अपने नवास थान म ग त करता है, उसी कार तु हारी वालाएं समीप आ कर नृ य करती है. धुआं उ प करने के कारण तु हारी वालाएं मेघ का नमाण करती ह. हे अ न! तु हारी द तयां सूय मंडल को पा कर सभी ा णय के जीवन के आधार जल को उ प करती ह. (३)
सू -५०
दे वता—अ नीकुमार
हतं तद समङ् कमाखुम ना छ तं शरो अ प पृ ीः शृणीतम्. यवा ेददान प न तं मुखमथाभयं कृणुतं धा याय.. (१) हे अ नीकुमारो! हसक एवं बल म वेश करने वाले चूहे का वनाश करो. उस का सर काट डालो तथा उस क पीठ क हड् डी चूरचूर कर दो. चूहा हमारे जौ नह खा पाए, इस लए उस का मुंह बंद कर दो. ऐसा कर के तुम धा य के लए अभय करो. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तद है पत है ज य हा उप वस. ेवासं थतं ह वरनद त इमान् यवान हस तो अपो दत.. (२) हे हसक चूहो तथा हे पतंगो! तुम उप व करते हो, इसी लए तु हारे वनाश के न म द गई ह व के समान भावशील हो. तुम हमारे जौ आ द अ का वनाश न करते ए इस थान से भाग जाओ. (२) तदापते वघापते तृ ज भा आ शृणोत मे. य आर या रा ये के च थ रा ता सवान्ज भयाम स.. (३) हे हसक चूह एवं पतंग आ द के वामी! तुम तीखे दांत वाले हो. तुम मेरे इस वचन को सुनो. तुम चाहे जंगल म रहने वाले हो अथवा ाम म नवास करने वाले हो, हम अपने इस अनु ान ारा तु हारा वनाश करते ह. (३)
दे वता—सोम
सू -५१ वायोः पूतः प व ेण
यङ् सोमो अ त तः. इ
य यु यः सखा.. (१)
वायु से संबं धत दशाप व के ारा शो धत सोमरस मुख से चल कर ना भ दे श म प ंचता है. वह इं का यो य म है. (१) आपो अ मान् मातरः सूदय तु घृतेन नो घृत वः पुन तु. व ं ह र ं वह त दे वी ददा यः शु चरा पूत ए म.. (२) संसार क माता जलदे वी हम शु करे तथा अपने व प रस से हम प व करे, य क दे वता प जल नान, आचमन एवं ेपण आ द करने वाले के सभी पाप को धोते ह, इसी लए ऐसे जल म नान कर के म प व हो कर य कम के हेतु उप थत होता ं. (२) यत् क चेदं व ण दै े जने ऽ भ ोहं मनु या ३ र त. अ च या चेत् तव धमा युयो पम मा न त मादे नसो दे व री रषः.. (३) हे जल के वामी व ण दे व! मनु यगण जो पाप करते ह तथा हम सब भी अ ान के कारण तुम से संबं धत धम के वपरीत जो काय करते ह, उस अ ान ज नत पाप के कारण हमारी हसा मत करो. (३)
सू -५२
दे वता—सूय, गाएं
उत् सूय दव ए त पुरो र ां स नजूवन्. आ द यः पवते यो व ो अ हा.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सूय दे व हमारे त उप व करने वाले रा स, पशाच आ द का वनाश करते ए पूव दशा म उदय होते ह. सभी ा णय के ारा दे खे गए और हमारे ारा अ य रा स आ द के हंता आ द य उदयाचल पवत से उदय होते ह. (१) न गावो गो े असदन् न मृगासो अ व त. यू ३ मयो नद नां य १ ा अ ल सत.. (२) सूय दय के कारण रा स के वनाश से इस समय हमारी गाएं नभय हो कर गोशाला म बैठ ह तथा वन के पशु भी अपनेअपने थान पर नभय थत ह. न दय क तरंग सुख से उठ रही है. रा म न दखाई दे ने वाली जाएं सूय के काश म पूणतया दे खी जा सकती ह. (२) आयुददं वप तं ुतां क व य वी धम्. आभा रषं व भेषजीम या ान् न शमयत्.. (३) सौ वष क आयु दे ने वाली, रोगशां त के उपाय जानने वाली, मह ष क व ारा बताई गई ओष ध तथा सभी रोग का वनाश करने वाली शमी को म इस रोगी का रोग मटाने के लए ले आया ं. यह शमी प ओष ध दखाई न दे ने वाले शरीर के म यवत रोग और रा स आ द को शांत करे. (३)
सू -५३
दे वता—पृ वी आ द
ौ म इदं पृ थवी च चेतसौ शु ो बृहन् द णया पपतु. अनु वधा च कतां सोमो अ नवायुनः पातु स वता भग .. (१) पृ वी और आकाश मेरे त अनु ह वाले बन कर मुझे मनचाहा फल द. द तशाली और महान सूय द ण दशा से मेरी र ा कर. पतर से संबं धत एवं वधा क अ ध ा ी दे वी मुझ पर अनु ह कर. सोम, अ न, वायु स वता और भग मेरी र ा कर. (१) पुनः ाणः पुनरा मा न ऐतु पुन ुः पुनरसुन ऐतु. वै ानरो नो अद ध तनूपा अ त त ा त रता न व ा.. (२) मुख और ना सका ारा शरीर म वेश करने वाला ाण वायु तथा जीवा मा हम पुनः ा त हो. च ु और जीवन हम पुनः ा त ह . संसारभर के मनु य के हतैषी, रोग आ द से परा जत न होने वाले एवं शरीर के पालक अ न हमारे शरीर म थत रहते ह. वे रोग के कारण होने वाले सभी पाप का वनाश कर. (२) सं वचसा पयसा सं तनू भरग म ह मनसा सं शवेन. व ा नो अ वरीयः कृणो वनु नो मा ु त वो ३ यद् व र म्.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम द त से तथा दे ह क थ त के आधार रस से यु ह . हम शरीर के अंग — हाथ, पैर आ द से यु ह तथा शोभन मन से यु ह . व ा दे व हमारे शरीर को श यु बनाएं तथा हमारे शरीर का जो रोग वाला भाग ह, उसे अपने हाथ से शु कर. (३)
सू -५४
दे वता—अ न, सोम
इदं तद् युज उ र म ं शु भा य ये. अय ं यं मह वृ रव वधया तृणम्.. (१) सभी दे व म े इं को म अभी फल पाने के लए तु त आ द से स करता ं. हे इं ! अ धक वषा जस कार घास क वृ करती है, उसी कार तुम अ भचार से पी ड़त इस पु ष के बल और पु , पौ ा द स हत धन क वृ करो. (१) अ मै म नीषोमाव मै धारयतं र यम्. इमं रा याभीवग कृणुतं युज उ रम्.. (२) हे अ न और सोम! इस यजमान म बल था पत करो और इसे धन दान करो. तुम इस यजमान को जनपद के उ च वग का सद य बनाओ. इस फल को पाने के लए म उ म य कम करता ं. (२) सब धु ासब धु यो अ माँ अ भदास त. सव तं र धया स मे यजमानाय सु व.. (३) हे इं ! मेरे समान गो वाला अथवा मुझ से भ गो वाला जो श ु मेरा वनाश करना चाहता है, इन दोन कार के श ु को सोम अ भषव करने वाले यजमान के वश म करो. (३)
सू -५५
दे वता— व े दे व
ये प थानो बहवो दे वयाना अ तरा ावापृ थवी संचर त. तेषाम या न यतमो वहा त त मै मा दे वाः प र ध ेह सव.. (१) जन माग से केवल दे व ही जाते ह, वे ब त से माग पृ वी और आकाश के म य वतमान ह. उन माग म जो समृ लाने वाला है, मुझे सभी दे व उसी माग पर था पत कर. (१) ी मो हेम तः श शरो वस तः शरद् वषाः वते नो दधात. आ नो गोषु भजता जायां नवात इद् वः शरणे याम.. (२) ी म, हेमंत, श शर, वसंत, शरद और वषा—इन छः ऋतु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के अ ध ाता दे व हम
सरलता से ा त होने वाले धन म था पत कर. हे ऋतु के अ भमानी दे वो! तुम हम गाय एवं पु , पौ आ द से यु करो. हम तु हारे ऐसे घर म रह, जहां सभी ःख के कारण का अभाव हो. (२) इदाव सराय प रव सराय संव सराय कृणुता बृह मः. तेषां वयं सुमतौ य यानाम प भ े सौमनसे याम.. (३) हे मनु यो! इदाव सर, प रव सर और संव सर को बारबार नम कार कर के स करो. हम य के यो य इदाव सर आ द के अ ध ाता दे व क अनु ह बु म ह तथा उन क कृपा का फल ा त कर. (३)
सू -५६
दे वता— व े दे व,
मा नो दे वा अ हवधीत् सतोका सहपू षान्. संयतं न व परद् ा ं न सं यम मो दे वजने यः.. (१) हे वष को शांत करने वाले दे वो! सांप हम और हमारे पु , पौ आ द क एवं सेवक क हसा न करे. हम काटने के लए सांप का मुंह न खुले. उस का खुला आ मुख मं श के कारण बंद न हो. सप वष शांत करने म समथ दे व को नम कार है. (१) नमो ऽ व सताय नम तरर राजये. वजाय ब वे नमो नमो दे वजने यः.. (२) अ सत, तर राजी, बबे और वज नामक सप को नम कार है. सप के वष को शमन करने म समथ दे व को नम कार है. (२) सं ते ह म दता दतः समु ते ह वा हनू. सं ते ज या ज ां स वा नाह आ यम्.. (३) हे सांप! म तेरे ऊपर वाले और नीचे वाले दांत को मलाता ं. म तेरी कौड़ी के ऊपर और नीचे वाले भाग को भी मलाता ं. म तेरी एक जीभ से सरी जीभ को मलाता ं. म तेरे मुख के ऊपर और नीचे वाले भाग को भी मलाता ं. (३)
सू -५७
दे वता—
, भेषज
इद मद् वा उ भेषज मदं य भेषजम्. येनेषुमेकतेजनां शतश यामप वत्.. (१) यही रोग क ओष ध है और यही अंतकाल म सब को लाने वाले क ओष ध है. इस एक गांठ वाली ओष ध का योग सौ कांट वाले बांस के प म ल य को समीप जान ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कर कया था. (१) जालाषेणा भ ष चत जालाषेणोप स चत. जालाषमु ं भेषजं तेन नो मृड जीवसे.. (२) हे प रचय करने वालो! गोमू के फेन से मले जल से घाव को धोओ. उसी जल से घाव के आसपास वाले भाग को धोओ. गोमू का झाग अ य धक भावशाली ओष ध है. इस के ारा हम जी वत रहने के लए सुखी बनाओ. (२) शं च नो मय नो मा च नः क चनाममत्. मा रपो व ं नो अ तु भेषजं सव नो अ तु भेषजम्.. (३) हे दे व! हमारे रोग का शमन हो, हम सुख ा त हो तथा हमारी जा, पशु आ द रोग त न ह . हमारे रोग का कारण जो पाप ह. उस का वनाश हो. सम त य ा मक कम और थावर जंगम प ओष ध हमारे रोग और पाप का वनाश करने वाली हो. (३)
सू -५८
दे वता—इं आ द
यशसं मे ो मघवान् कृणोतु यशसं ावापृ थवी उभे इमे. यशसं मा दे वः स वता कृणोतु यो दातुद णाया इह याम.. (१) धन के वामी इं मुझे यश वी बनाएं. ये दोन धरती और आकाश मुझे यश वी बनाएं. स वता दे व मुझे यश वी बनाएं. म यश वी बन कर ाम, नगर आ द म द णा दे ने वाले का य बनूं. (१) यथे ो ावापृ थ ोयश वान् यथाप ओषधीषु यश वतीः. एवा व ष े ु दे वेषु वयं सवषु यशसः याम.. (२) इं जस कार धरती और आकाश के म य वषा करने के कारण यश वी ह, जस कार जल धान, जौ आ द क वृ के कारण यश वी ह. उसी कार हम सम त दे व तथा मनु य म यश वी बन. (२) यशा इ ो यशा अ यशाः सोमो अजायत. यशा व य भूत याहम म यश तमः.. (३) इं , अ न और सोम यश क इ छा करते ए उ प ा णय क अपे ा अ धक यश वी बनूं. (३)
सू -५९
ए. यश का इ छु क म भी सम त
दे वता—अ ं धती आ द
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अनडु द ् य वं थमं धेनु य वम ध त. अधेनवे वयसे शम य छ चतु पदे .. (१) हे सहदे वी नाम क ओष ध! तुम सब से पहले गाड़ी ख चने म समथ मेरे बैल को सुख दो. इस के प ात तुम मेरी धा गाय को सुखी बनाओ. मेरी गाय के अ त र तुम पांच वष क अव था वाले नए बैल, घोड़े आ द चौपाय को भी सुख दान करो. (१) शम य छ वोष धः सह दे वीर धती. करत् पय व तं गो मय माँ उत पू षान्.. (२) मनचाहा फल दे ने वाली सहदे वी नाम क ओष ध मुझे सुख दे . वह मेरी गोशाला को अ धक ध वाला तथा मेरे पु , सेवक आ द को रोग र हत करे. (२) व पां सुभगाम छावदा म जीवलाम्. सा नो या तां हे त रं नयतु गो यः.. (३) नाना प वाली, सौभा य वाली एवं जीवन दे ने वाली सहदे वी नाम क ओष ध के सामने हो कर म ाथना करता ं. वह हमारे हसक ारा हमारी ओर चलाई गई तलवार को हम से और हमारी गाय से र ले जाए. (३)
सू -६०
दे वता—अयमा
अयमा या ययमा पुर ताद् व षत तुपः. अ या इ छ ुवै प तमुत जायामजानये.. (१) जन क करण वशेष प से उजली ह, वह सूय पूव दशा म उग रहे ह. वह इस प त र हत क या को प त और ीहीन पु ष को प नी दान करने क इ छा से उदय हो रहे ह. (१) अ म दयमयम यासां समनं यती. अ ो वयम या अ याः समनमाय त .. (२) हे अयमा दे व! अ य प त ता ना रय ने प तय को पाने के उपाय के प म शां त पाने के लए जन कम को कया था, उ ह प त क अ भलाषा करने वाली यह क या कर चुक है तथा प त को ा त न करने के कारण ःखी है. अ य यां इस प तकामा क शां त के उपाय कर रही ह. (२) धाता दाधार पृ थव धाता ामुत सूयम्. धाता या अ ुवै प त दधातु तका यम्.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
संपूण जगत् के धारणकता वधाता ने इस पृ वी को धारण कया है. उसी ने ल ु ोक को भी धारण कया है. धाता ही इस प त क कामना करने वाली क या को प त द, य क वह जगत् का नयं ण करते ह. (३)
सू -६१
दे वता—
म मापो मधुमदे रय तां म ं सूरो अभर यो तषे कम्. म ं दे वा उत व े तपोजा म ं दे वः स वता चो धात्.. (१) जल के अ ध ाता दे व अपना मधुर रस मेरे लए लाएं. सभी के ेरक सूय ने मेरे लए अपना सुखकारी और का शत तेज दया है. के तप से उ प सभी दे व मुझे मनचाहा फल द. (१) अहं ववेच पृ थवीमुत ामहमृतूंरजनयं स त साकम्. अहं स यमनृतं यद् वदा यहं दै व प र वाचं वश .. (२) मं ा अपने सवगत भाव क खोज करता आ कहता है क म ने व तृत धरती और आकाश को पृथक् कया है. म ने सात ऋतु को ज म दया है. सात ऋतु का ता पय वसंत आ द छः ऋतु और एक अ धक मास से है. स य और अस य के प म जो लोक स वा य ह, उ ह म ही बोलता ं. दै वीय वाणी को म ने ही ा त कया है. (२) अहं जजान पृ थवीमुत ामहमृतूंरजनयं स त स धून्. अहं स यमनृतं यद् वदा म यो अ नीषोमावजुषे सखाया.. (३) म ने धरती और आकाश को उ प कया है. म ने ही छः ऋतु और गंगा आ द सात न दय और सात सागर का नमाण कया है. म अ न और सोम को सागर के नमाण म सहयोग के प म ा त करता ं. (३)
सू -६२
दे वता—वै ानर आ द
वै ानरो र म भनः पुनातु वातः ाणेने षरो नभो भः. ावापृ थवी पयसा पय वती ऋतावरी य ये नः पुनीताम्.. (१) सभी ा णय म जठरा न के प म वतमान अ न दे व मुझे प व कर. शरीर के म य वचरण करते ए वायु दे व मुझे ासो छ् वास के ारा प व कर. वे ही वायु दे व अंत र म गमन करते ए मुझे नव दे श के ारा प व कर. जल के सार रस के ारा सार वाले, य पूण कराने म समथ तथा स य से पूण ावा पृ वी मुझे प व कर. (१) वै ानर सूनृतामा रभ वं य या आशा त वो वीतपृ ाः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तया गृण तः सधमादे षु वयं याम पतयो रयीणाम्.. (२) हे मनु यो! वै ानर अ न से संबं धत तथा य त व से पूण तु त को आरंभ करो. उस वाणी का शरीर बने ए ऊपर के भाग व तृत ह. उस वै ानर अ न क तु त करते ए हम सं ाम म धन के वामी बन. (२) वै ानर वचस आ रभ वं शु ा भव तः शुचयः पावकाः. इहेडया सधमादं मद तो योक् प येम सूयमु चर तम्.. (३) हे मनु यो! तेज पाने के लए वै ानर अ न क तु त आरंभ करो. हम वै ानर अ न क कृपा से शु तथा वच व के ारा द त हो कर सर को भी प व कर. हम अ से पु हो कर पर पर स ता के हेतु बन तथा इस लोक म थत रह कर उदय होते ए सूय के दशन कर. (३)
सू -६३
दे वता— नऋ त
यत् ते दे वी नऋ तराबब ध दाम ीवा व वमो यं यत्. तत् ते व या यायुषे वचसे बलायादोमदम म सूतः.. (१) हे पु ष! अ न का रणी दे वी ने तेरे सभी अंग म पाप पी फंदा डाला है और तेरी गरदन म ऐसी र सी बांधी है, जस से छू टना असंभव है. म उस नऋ त पी फंदे से तुझे चर काल तक जी वत रहने के लए, बल के लए एवं तेज के लए छु ड़ाता ं. मेरे ारा छु ड़ाया आ तू मेरी ेरणा से सदा अ का भ ण कर. (१) नमो ऽ तु ते नऋते न मतेजो ऽ य मयान् व चृता ब धपाशान्. यमो म ं पुन रत् वां ददा त त मै यमाय नमो अ तु मृ यवे.. (२) हे ती ण द त वाली एवं अ न का रणी दे वी नऋ त! तुझे नम कार है. नम कार से स हो कर तू लोहे के बने बंधन के फंद से हम छु ड़ा. हे साधक पु ष! पाप से मु होने पर यम ने तु ह इसी लोक को दे दया है. मृ यु के दे व उन यम को नम कार है. (२) अय मये पदे बे धष इहा भ हतो मृ यु भय सह म्. यमेन वं पतृ भः सं वदान उ मं नाकम ध रोहयेमम्.. (३) हे नऋ त! लोहे क शृंखला म अथवा लकड़ी के बने चरण बंधन म जब तुम कसी पु ष को बांधती हो, तब वह इस लोक म मृ यु के ारा बंधा हो जाता है. स वर आ द रोग और रा स, पशाच आ द मृ यु के हजार कारण ह. हे नऋ त! तुम मृ यु दे व यम से और दे वता, पतर आ द से तालमेल कर के इस पु ष को उ म सुख दान करो. (३) संस मद् युवसे वृष ने व ा यय आ. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इड पदे स म यसे स नो वसू या भर.. (४) हे अ भलाषाएं पूण करने वाले अ न दे व! तुम सम त कार के धन ा त कराते हो. तुम य वेद म व लत होते हो. तुम हम धन दो. (४)
सू -६४
दे वता—सौमन य
सं जानी वं सं पृ य वं सं वो मनां स जानताम्. दे वा भागं यथा पूव संजानाना उपासते.. (१) हे सौमन य के इ छु क जनो! तुम समान ान वाले बनो और समान काय म संल न हो जाओ. ान क उ प के न म तु हारे अंतःकरण समान ह . इं आ द दे व जस कार एक ही काय को जानते ए यजमान ारा दए गए ह व को हण करते ह, उसी कार तुम भी वरोध याग कर इ छत फल पाओ. (१) समानो म ः स म तः समानी समानं तं सह च मेषाम्. समानेन वो ह वषा जुहो म समानं चेतो अ भसं वश वम्.. (२) हमारा गु त भाषण एक प हो. हमारे काय म वृ समान हो. हमारा कम भी एक प हो तथा हमारा अंतःकरण भी इसी कार का हो. उ फल पाने के लए हे दे वो! हम एकता उ प करने वाले आ य आ द से आप के न म हवन कर. इस से आप सब एक च ता को ा त करो. (२) समानी व आकू तः समाना दया न वः. समानम तु वो मनो यथा वः सुसहास त.. (३) हे सौमन य चाहने वालो! तु हारा संक प समान हो. तु हारे संक प को उ प करने वाले दय समान ह . तु हारा मन एक प हो, जस से तुम सब सभी काय ठ क से कर सको. (३)
सू -६५
दे वता—इं
अव म युरवायताव बा मनोयुजा. पराशर वं तेषां परा चं शु ममदयाधा नो र यमा कृ ध.. (१) हमारे श ु का ोध शांत हो तथा उस का तर कार न हो. उस के ारा ताने गए आयुध वफल ह . हमारे श ु क भुजाएं आयुध उठाने म असमथ ह . हे श ुनाशक इं ! तुम उन श ु के बल को वमुख करो. इस के प ात उन श ु का धन हमारे समीप लाओ. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नह ते यो नैह तं यं दे वाः श म यथ. वृ ा म श ूणां बा ननेन ह वषाहम्.. (२) हे दे वो! असुर का बा बल समा त करने के लए तुम जो हसक बाण चलाते हो, म उस बाण प दे वता को दए जाने वाले ह व से अपने श ु क भुजा को काटता ं. (२) इ कार थमं नैह तमसुरे यः. जय तु स वानो मम थरेणे े ण मे दना.. (३) इं ने सब से पहले अपने श ु असुर को भुजबल वहीन कया था. यु हमारे सहायक इं क सहायता से मेरे यो ा श ु को परा जत कर. (३)
सू -६६
म ढ़ एवं
दे वता—इं
नह तः श ुर भदास तु ये सेना भयुधमाय य मान्. समपये महता वधेन ा वेषामघहारो व व ः.. (१) हम पी ड़त करने वाला श ु हाथ क श से हीन हो जाए. हे इं ! जो श ु अपनी सेना क सहायता से हम यु के लए ललकारते ह, उ ह अपने हनन साधन वशाल व से संयु करो. इन शूर म जो मुझे मृ यु पी ःख प ंचाने वाला है, वह अ धक घायल हो कर बुरी दशा को ा त हो. (१) आत वाना आय छ तो ऽ य तो ये च धावथ. नह ताः श वः थने ो वो ऽ पराशरीत्.. (२) हे श ुओ! तुम धनुष पर डोरी चढ़ाते ए, धनुष को ख चते ए और बाण फकते ए हमारे सामने आ रहे हो. तुम सब अश हाथ वाले बन जाओ. आज इं तु ह आहत कर. (२) नह ताः स तु श वो ऽ ै षा लापयाम स. अथैषा म वेदां स शतशो व भजामहै.. (३) हमारे श ु हाथ क श से हीन ह . हम उन के अंग को हष र हत करगे. हे इं ! इस के प ात हम तु हारी कृपा से उन श ु के धन को वभा जत कर के ा त कर. (३)
सू -६७
दे वता—इं
प र व मा न सवत इ ः पूषा च स तुः. मु व ऽ मूः सेना अ म ाणां पर तराम्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं और उषा — ये दोन दे व सभी दशा के संचरण माग को रोक द. इस समय र दखाई दे ने वाली श ु सेनाएं अ य धक मोह म पड़ जाएं और उन म कायअकाय का नणय करने क मता न रहे. (१) मूढा अ म ा रताशीषाण इवाहयः. तेषां वो अ नमूढाना म ो ह तु वरंवरम्.. (२) हे श ुओ! कटे ए शीश वाले सांप जस कार हलतेडुलते ह, कुछ कर नह पाते, उसी कार तुम जय के उपाय से शू य हो कर यु भू म म घूमो. हमारी आ तय के कारण मोह को ा त उन श ु का वध े नायक इं कर. (२) ऐषु न वृषा जनं ह रण या भयं कृ ध. पराङ म एष ववाची गौ पेषतु.. (३) हे इ छा पूण करने वाले इं ! तुम सोम म ण को ढकने वाले कृ ण मृग-चम को हमारे यो ा म बांधो. हमारे श ु हमारे सामने से भाग जाएं तथा उन श ु का पशु धन हम ा त हो. (३)
सू -६८
दे वता—स वता आ द
आयमग स वता ुरेणो णेन वाय उदकेने ह. आ द या ा वसव उ द तु सचेतसः सोम य रा ो वपत चेतसः.. (१) आकाश म दखाई दे ते ए सब के ेरक स वता दे व मुंडन करने वाले उ तरे के साथ आए ह. हे वायु! गरम जल के साथ तुम भी आओ. बारह आ द य, एकादश तथा आठ वसु—ये सब समान ान वाले हो कर उस जल से बालक का सर गीला कर. हे सेवको! तुम व ण और राजा सोम से संबं धत उ तरे के ारा गीले बाल को काटो. (१) अ द तः म ु वप वाप उ द तु वचसा. च क सतु जाप तद घायु वाय च से.. (२) दे व माता अ द त इस पु ष के दाढ़ मूंछ के बाल अलग कर. जल के दे वता अपने तेज से उ ह भगोएं. जाप त चरकाल तक जीवन के लए एवं दे खने के लए इस क च क सा कर. (२) येनावपत् स वता ुरेण सोम य रा ो व ण य व ान्. तेन ाणो वपतेदम य गोमान वानयम तु जावान्.. (३) स वता दे व ने जानते ए जस उ तरे से सोम के और राजा व ण के बाल को काटा, हे ा णो! तुम उसी उ तरे से इस पु ष क दाढ़ और मूंछ के बाल काटो. इस वशेष सं कार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से यह पु ष अनेक गाय , घोड़ और जा
से यु
सू -६९
हो. (३)
दे वता—बृह प त
गरावरगराटे षु हर ये गोषु यद् यशः. सुरायां स यमानायां क लाले मधु त म य.. (१) हमालय पवत म जो यश है, रथ म बैठ कर चलने वाले राजा म, वण म और गाय म जो यश है, वह मुझे ा त हो. पा म ढाली जाती ई म दरा म और अ म जो मधुर रस पी यश है, वह मुझे ा त हो. (१) अ ना सारघेण मा मधुनाङ् ं शुभ पती. यथा भग वत वाचमावदा न जनाँ अनु.. (२) हे सुंदर सूया के प त अ नीकुमारो! मुझे मधुम खय ारा एक स चो, जस से म मनु य को ल य कर के, मधुर वाणी बोलूं. (२)
कए गए मधु से
म य वच अथो यशो ऽ थो य य यत् पयः. त म य जाप त द व ा मव ं हतु.. (३) जाप त जस कार अंत र म यो तमंडल को ढ़ करते ह, उसी यजमान म तेज, यश और य का फल धारण कर. (३)
सू -७०
कार मुझ
दे वता—सं या
यथा मांसं यथा सुरा यथा ा अ धदे वने. यथा पुंसो वृष यत यां नह यते मनः. एवा ते अ ये मनो ऽ ध व से न ह यताम्.. (१) मांसभ ी को मांस, शराबी को शराब और जुआरी को पासे जस कार य होते ह तथा जस कार सुरत चाहने वाले पु ष का मन ी म लगा रहता है, हे गौ! उसी कार तेरा मन तेरे बछड़े म लगा रहे. (१) यथा ह ती ह त याः पदे न पदमु ुजे. यथा पुंसो वृष यत यां नह यते मनः. एवा ते अ ये मनो ऽ ध व से न ह यताम्.. (२) हाथी जस कार अपने पैर से ेम के साथ ह थनी का पैर मोड़ता है तथा जस कार सुरत के इ छु क पु ष का मन ी म लगा रहता है, हे गौ! उसी कार तेरा मन तेरे बछड़े म लगा रहे. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यथा धयथोप धयथा न यं धाव ध. यथा पुंसो वृष यत यां नह यते मनः. एवा ते अ ये मनो ऽ ध व से न ह यताम्.. (३) हे गौ! जस कार रथ के प हए क ने म अर से संबं धत रहती है और सुरत के इ छु क पु ष का मन जस कार नारी म लगा रहता है, उसी कार तेरा मन अपने बछड़े म लगा रहे. (३)
सू -७१
दे वता— व े दे व, अ न
यद म ब धा व पं हर यम मुत गामजाम वम्. यदे व क च तज हाहम न ोता सु तं कृणोतु.. (१) भूख क पीड़ा के वशीभूत हो कर म व वध कार का जो अ अनेक कार से खाता ,ं अ के अ त र म द र ता के कारण जो सोना, घोड़े और गाएं हण करता ,ं मुझ यजमान को वह सब अ , सोना आ द अ न दे व भली कार हवन कया आ बनाएं. (१) य मा तम तमाजगाम द ं पतृ भरनुमतं मनु यैः. य मा मे मन उ दव रारजी य न ोता सु तं कृणोतु.. (२) होम के ारा सं कार वाला और इस से वपरीत जो धन मुझे ा त आ है, वह पतृ दे व ारा मुझे उपभोग के लए दया गया है. मनु य ने उस के उपभोग क अनुम त द है. जस धन के कारण मेरा मन हष क अ धकता से उ त रहता है, अ न दे व क कृपा से वह धन मुझ यजमान के लए दोषर हत हो. (२) यद मद् यनृतेन दे वा दा य दा य त ु संगृणा म. वै ानर य महतो म ह ना शवं म ं मधुमद व म्.. (३) हे दे वो! अस य भाषण के ारा सर का जो अ अपहरण कर के म खाता ं, उसे म अ के मा लक को चाहे दे ता रहा ं अथवा नह दे ता रहा ं, पर म उसे दे ने क त ा करता ं. वै ानर दे व क अ य धक म हमा से वह अ मेरे लए सुखकर और मधुर हो. (३)
सू -७२
दे वता—शेप, अक
यथा सतः थयते वशाँ अनु वपूं ष कृ व सुर य मायया. एवा ते शेपः सहसायमक ऽ े ना ं संसमकं कृणोतु.. (१) जैसे बंधा आ पु ष अपने वशवत पु ष को ल त कर के आसुरी माया के ारा अपने शरीर को सा रत करता है, उसी कार अकौआ के वृ से बनी यह ओष ध अथात् ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अकम ण तेरे जनन अंग अथात् लग को
ी के उपभोग के यो य बनाए. (१)
यथा पस तायादरं वातेन थूलभं कृतम्. यावत् पर वतः पस तावत् ते वधतां पसः.. (२) हे साधक! जस कार तायादर नाम के ाणी का जनन अंग अथात् लग वायु लगने से मोटा हो जाता है और जैसा पर वर नाम के ाणी का लग होता है, तेरा लग भी बढ़ कर उसी प रमाण का हो जाए. (२) यावद नं पार वतं हा तनं गादभं च यत्. यावद य वा जन तावत् ते वधतां पसः.. (३) हे साधक पु ष! पार वत नामक ह रण क , हाथी क , गधे क जनन य जस कार क होती है तथा यौवन म थत घोड़े क जनन य जैसी होती है, तेरी पु ष य भी उसी प रमाण म बढ़ जाए. (३)
सू -७३
दे वता—व ण
एह यातु व णः सोमो अ नबृह प तवसु भरेह यातु. अ य यमुपसंयात सव उ य चे ुः संमनसः सजाताः.. (१) व ण, सोम एवं अ न दे व कम के न म यहां आएं. बृह प त दे व आठ वसु के साथ यहां आएं. हे समान ज म वाले बांधवो! तुम सब समान मन वाले हो कर इस श शाली एवं कायअकाय जानने वाले यजमान के अधीन हो जाओ. (१) यो वः शु मो दये व तराकू तया वो मन स व ा. ता सीवया म ह वषा घृतेन म य सजाता रम तव अ तु.. (२) हे बांधवो! तु हारे दय म जो शीषक बल है और तु हारे मन म जो सब कुछ ा त करने क अ भलाषा है, म हवन कए जाते ए इस ह व के ारा बल और उस अ भलाषा को पर पर संबं धत करता ं. तु हारी अनुकूल वृ मुझ सौमन य के इ छु क पु ष को ा त हो. (२) इहैव त माप याता य मत् पूषा पर तादपथं वः कृणोतु. वा तो प तरनु वो जोहवीतु म य सजाता रम तव अ तु.. (३) हे बांधवो! आप मेरे घर म ेम से नवास कर तथा यहां से कह न जाएं. य द तुम मेरे तकूल आचरण करो तो स वता दे व तु हारा माग रोक. घर के पालक दे व वा तो प त तु ह मेरे लए बुलाएं. सौमन य के इ छु क मुझ यजमान के त तु हारी अनुकूल वृ हो. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -७४
दे वता—
ण पत
सं वः पृ य तां त व १: सं मनां स समु ता. सं वो ऽ यं ण प तभगः सं वो अजीगमत्.. (१) हे सौमन य के इ छु क पु षो! तु हारे शरीर पर पर के अनुराग से बंध तथा दय भी एक सरे के समीप आएं. तु हारे कृ ष, वा ण य आ द कम भी सामंज य पूण रह. ण प त दे व तु ह संगत दय वाला बनाएं तथा भग नामक दे व तु ह पर पर तालमेल वाला कर. (१) सं पनं वो मनसो ऽ थो सं पनं दः. अथो भग य य ा तं तेन सं पया म वः.. (२) हे सौमन य चाहने वाले पु षो! म ऐसा य कम करता ं, जस से तु हारा मन उ चत ान से पूण हो. भग नाम के दे व का जो म से उ प तप है, उस के ारा म तु ह समान ान वाला बनाता ं. (२) यथा द या वसु भः संबभूवुम ा अ णीयमानाः. एवा णाम णीयमान इमान्जना संमनस कृधीह.. (३) जस कार अ द त के पु म , व ण आ द आठ वसु के साथ समान ान वाले ए, जस कार उनचास म त के साथ उ एवं बलशाली ोध करते ए समान ान वाले ए, हे तीन नाम अथात् पा थव, व ुत और सूय अ न! तुम ोध न करते ए इन जन को समान ान वाला बनाओ. (३)
सू -७५
दे वता—इं
नरमुं नुद ओकसः सप नो यः पृत य त. नैबा येन ह वषे एनं पराशरीत्.. (१) जो श ु सेना ले कर हम से यु करने आता है, हम उसे अपने नवास थान से नकालते ह. हमारे श ु को मारने म समथ ह व के ारा इं इस श ु क हसा कर, जस से यह लौट कर न आए. (१) परमां तं परावत म ो नुदतु वृ हा. यतो न पुनराय त श ती यः समा यः.. (२) वृ ासुर का वध करने वाले इं उस श ु को अ य धक र दे श म जाने क ब त वष तक वापस न आए. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ेरणा द. वह
एतु त ः परावत एतु प च जनाँ अ त. एतु त ो ऽ त रोचना यतो न पुनराय त श ती यः समा यो यावत् सूय असद् द व.. (३) इं के ारा े रत हमारा श ु तीन भू मय और नषाद आ द पांच जन को पार कर के र वहां चला जाए, जहां से वापस न आए. जब तक सूय आकाश म रहे, तब तक वह अनेक वष तक न लौटे . (३)
सू -७६
दे वता—सायंतन अ न
य एनं प रषीद त समादध त च से. सं े ो अ न ज ा भ दे तु दयाद ध.. (१) जो रा स आ द इस के चार ओर बैठते ह तथा हसा करने के लए त पर हो जाते ह, उन के दय से उ प च लत अ न उ ह जला दे . (१) अ नेः सांतपन याहमायुषे पदमा रभे. अ ा तय य प य त धूममु तमा यतः.. (२) अ धक तपन वाले उन अ न दे व के जीवन के लए म उप म करता ं, जन के मुख से नकलते ए धूम को अ ा त नाम के ऋ ष दे खते ह. (२) यो अ य स मधं वेद येण समा हताम्. ना भ ारे पदं न दधा त स मृ यवे.. (३) वजय के इ छु क य जा त के पु ष के ारा था पत अ न और द त करने वाली आ तय को जो पु ष जानता है, वह मृ यु का कारण बनने वाले ऐसे थान म पैर नह रखता है, जहां हाथी, बाघ आ द घूमते ह. (३) नैनं न त पया यणो न स ां अव ग छ त. अ नेयः यो व ा ाम गृ यायुषे.. (४) क याण क कामना करने वाले को श ु नह मार पाते. वह अपने समीपवत श ु को भी नह जानता. जो य इस कार से महा मा अ न को जानता आ, अ न का नाम चरकाल तक जी वत रहने के लए उ चारण करता है, श ु उस का वध नह कर पाते. (४)
सू -७७
दे वता—जातवेद
अ थाद् ौर थात् पृ थ थाद् व मदं जगत्. आ थाने पवता अ थु था य ां अ त पम्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नयंता ई र क आ ा से जस कार आकाश और पृ वी अपने थान पर थत ह, उन के म य म थत जगत् भी अपने थान पर वतमान है. मे , मंदार आ द पवत भी ई र के ारा बनाए गए थान पर थत ह. हे नारी! उसी कार म तुझे घर क थूनी से बांधता ं. बांधने का कार वही है, जस कार घुड़सवार घोड़ को र सी से बांधता है. (१) य उदानट् परायणं य उदान यायनम्. आवतनं नवतनं यो गोपा अ प तं वे.. (२) म उस दे वता का आ ान करता ,ं जो पीछे गमन करने वाल म ा त है. जो नीचे गमन करने वाल म ा त है और जो भागने वाल के लौटने क ग त को रोकता है. (२) जातवेदो न वतय शतं ते स वावृतः. सह ं त उपावृत ता भनः पुनरा कृ ध.. (३) हे जातवेद अ न! इस भागने वाली ी को घर म था पत करो. तु हारे पास इसे लौटाने के सैकड़ उपाय ह. तुम इसे मेरे पास लौटाने के लए हजार उपाय जानते हो. उन के ारा तुम इस ी को पुनः मेरी ओर आक षत करो. (३)
सू -७८
दे वता—चं मा
तेन भूतेन ह वषा ऽ यमा यायतां पुनः. जायां याम मा आवा ु तां रसेना भ वधताम्.. (१) स एवं समृ करने वाले ह व से यह प त पुनः जा और पशु आ द से समृ हो. ववाह करने वाले पता आ द जस प नी को इस के समीप लाए थे, उस प नी क द ध, मधु, घृत आ द से हवन कए जाते ए अ न दे व वृ कर. (१) अ भ वधतां पयसा ऽ भ रा ेण वधताम्. र या सह वचसेमौ तामनुप तौ.. (२) यह वर एवं वधू गाय के ध से समृ ह . इ ह गाय आ द क समृ प तप नी असी मत तेज और धन के ारा पूण काम बन. (२)
ा त हो. ये
व ा जायामजनयत् व ा ऽ यै वां प तम्. व ा सह मायूं ष द घमायुः कृणोतु वाम्.. (३) हे वर! व ा दे व ने ी को ज म दया एवं व ा ने ही तु ह इस ी का प त बनाया है. व ा दे व तुम दोन अथात् प तप नी क हजार वष क द घ आयु दान कर. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -७९
दे वता—सं फान
अयं नो नभस प तः सं फानो अ भ र तु. असमा त गृहेषु नः.. (१) ह व दान करने के कारण आकाश के पालन कता अ न धा य क वृ करते ए हमारी र ा कर एवं हमारे घर क कु ठया को कभी धा य से र हत न बनाएं. (१) वं नो नभस पत ऊज गृहेषु धारय. आ पु मे वा वसु.. (२) हे अंत र के पालन कता अ न! तुम हमारे घर म रस वाले अ को था पत करो. जा, पशु एवं धन हमारे पास आएं. (२) दे व सं फान सह ापोष ये शषे. त य नो रा व त य नो धे ह त य ते भ
वांसः याम.. (३)
हे दाना दगुण यु एवं जापालन म वृ आ द य, तुम हजार सं या वाली जा का पोषण करने वाले धन के वामी हो. तुम उसी कार का धन हम दान करो तथा उस धन का भाग हम भोग करने के लए दो. तु हारी कृपा से हम उस धन के वामी बन. (३)
सू -८०
दे वता—चं मा
अतर ण े पत त व ा भूतावचाकशत्. शुनो द य य मह तेना ते ह वषा वधेम.. (१) कौआ, कबूतर आ द घात करने क इ छा से बारबार दे खते ए इस पु ष के शरीर पर गरते ह. हे अ न! इस दोष को शांत करने के लए हम वग म रहने वाले ान के तेज क ह व से तु हारी सेवा करते ह. (१) ये यः कालका ा द व दे वा इव ताः. ता सवान ऊतये ऽ मा अ र तातये.. (२) कालकांज नाम के जो तीन असुर उ म कम के कारण दे व के समान वग म वतमान ह, म इस पु ष क र ा के लए तथा कौए, कबूतर आ द प य के आघात संबंधी दोष क भी त के न म सभी कालकांज असुर का आ ान करता ं. (२) अ सु ते ज म द व ते सध थं समु े अ तम हमा ते पृ थ ाम्. शुनो द य य मह तेना ते ह वषा वधेम.. (३) हे अ न, वाडवा न के प म तु हारा ज म सागर म आ था तथा सूय के प म तु हारी थ त आकाश म रही है. सागर और धरती के म य तु हारी म हमा दे खी जाती है. हे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ न! हम ह व के ारा तु हारी सेवा करते ह. (३)
सू -८१
दे वता—आ द य
य ता ऽ स य छसे ह तावप र ां स सेध स. जां धनं च गृ ानः प रह तो अभूदयम्.. (१) हे अ न! तुम गभ को न करने वाले रा स आ द को वश म करने म समथ हो, इसी लए अपने दोन हाथ फैलाओ तथा उन के ारा गभ का नाश करने वाले रा स का वनाश करो. पु आ द प जा और उन के भोग के लए धन दान करते ए अ न अपने हाथ फैला कर र ा कर. (१) प रह त व धारय यो न गभाय धातवे. मयादे पु मा धे ह तं वमा गमयागमे.. (२) हे कंकण! तुम गभ धारण करने के लए गभाशय को व तृत करो. हे प नी! तुम अपने गभाशय म पु को धारण करो तथा प त के आगमन पर मेरे मनचाहे पु को ज म दो. (२) यं प रह तम बभर द तः पु का या. व ा तम या आ ब नाद् यथा पु ं जना द त.. (३) पु क इ छा से दे वता अ द त ने जस कंकण को धारण कया, वही कंकण व ा दे व मेरी इस प नी के हाथ म बांध, जस से यह पु को ज म दे सके. (३)
सू -८२
दे वता—इं
आग छत आगत य नाम गृ ा यायतः. इ य वृ नो व वे वासव य शत तोः.. (१) म अपने समीप आए ए इं को स करने वाले नाम वृ हंता का उ चारण करता ं. ववाह क इ छा वाला म वृ का वध करने वाले, वसु ारा उपासना कए गए और श क स करने वाले सौ कम के वामी इं क उपासना अ भमत फल को पाने के लए करता ं. (१) येन सूया सा व ीम नोहतुः पथा. तेन माम वीद् भगो जायामा वहता द त.. (२) जस कार अ नीकुमारो ने स वता क पु ी सूया से ववाह कया, उसी कार से भग ने मुझ से कहा क प नी ले आओ. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ते ऽ ङ् कुशो वसुदानो बृह हर ययः. तेना जनीयते जायां म ं धे ह शचीपते.. (३) हे इं ! तु हारा जो हाथ आकषक धन धारण करने वाला एवं वण से यु के प त! उसी हाथ से प नी के इ छु क मुझ को प नी दान करो. (३)
सू -८३
ह. हे शची
दे वता—सूय दय
अप चतः पतत सुपण वसते रव. सूयः कृणोतु भेषजं च मा वो ऽ पो छतु.. (१) हे गंडमालाओ! जस कार बाज प ी अपने नवास थान से उड़ता है, उसी कार तुम मेरे शरीर से नकल जाओ. सूय मेरी च क सा कर और चं मा मेरे शरीर से तु ह र कर. (१) ए येका ये येका कृ णैका रो हणी े . सवासाम भं नामावीर नीरपेतन.. (२) एक गंडमाला लाल रंग क , सरी ेत वण क तथा तीसरी काले रंग क है. इन के अ त र दो गंडमालाएं लाल रंग क ह. म इन सब को स करने वाले नाम का उ चारण करता ं. इस से स हो कर तुम इस पु ष को याग कर अ य चली जाओ. (२) असू तका रामाय यप चत् प त य त. लौ रतः प त य त स गलु तो न श य त.. (३) पीब बहाने वाली तथा घाव के प वाली गंडमाला इस पु ष के शरीर से र जाएगी. इस के घाव के कारण होने वाला ःख न हो जाएगा तथा चं मा गंडमाला क पीड़ा को शेष नह रखेगा. (३) वी ह वामा त जुषाणो मनसा वाहा मनसा य ददं जुहो म.. (४) हे घाव रोग के अ भमानी दे व! तुम अपनी आ त का भ ण करो. सेवा कए जाते ए तुम आ त का भ ण करो. म भी मन से यह ह व दे ता ं. (४)
सू -८४
दे वता— नऋ त
य या त आस न घोरे जुहो येषां ब ानामवसजनाय कम्. भू म र त वा भ म वते जना नऋ त र त वाहं प र वेद सवतः.. (१) हे रोगा भमा ननी पाप क दे वी! घाव के रोग से उ प ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बंधन से छू टने के लए म
तु हारे भयानक मुख म ह व डालता ं तथा घाव को धोने के लए यह ह व ओष ध यु जल योग करता ं. तु ह ानहीन जन पृ वी समझते ह. तु हारा व प जानता आ म सभी कार नऋ त अथात् सभी रोग का कारण जानता ं. (१) भूते ह व मती भवैष ते भागो यो अ मासु. मु चेमानमूनेनसः वाहा.. (२) हे सव व मान नऋ त! तुम हमारे ारा दया आ आ य वीकार करो. यह तु हारा भा य है जो इस समय हम ने न त् कया है. तुम हम रोग के कारण पाप से बचाओ. हमारा यह ह व उ म आ त वाला हो. (२) एवो व १ म ऋते ऽ नेहा वमय मयान् व चृता ब धपाशान्. यमो म ं पुन रत् वां ददा त त मै यमाय नमो अ तु मृ यवे.. (३) हे पाप दे वता नऋ त! तुम हम बाधा न प ंचाती ई अ यंत ढ़ बंधन वाले र सी के फंद को हम से र करो. ये फंदे रोगा मक ह. हे रोगी! यमराज तु ह मेरे लए दे ते ह. मृ यु के दे वता उस यम को नम कार है. (३) अय मये पदे बे धष इहा भ हतो मृ यु भय सह म्. यमेन वं पतृ भः सं वदान उ मं नाकम ध रोहयेमम्.. (४) हे नऋ ! लोहे क शृंखला से अथवा लकड़ी के बने चरण बंधन से जब तुम कसी पु ष को बांधती हो, तब वह इस लोक म मृ यु के ारा ब हो जाता है. स वर आ द रोग और रा स, पशाच आ द मृ यु के हजार कारण ह. हे नऋ त! तुम मृ यु के दे व यम से और दे वता, पतर आ द से तालमेल कर के इस पु ष को उ म सुख दान करो. (४)
सू -८५
दे वता—वन प त
वरणो वारयाता अयं दे वो वन प तः. य मो यो अ म ा व तमु दे वा अवीवरन्.. (१) यह द गुण यु वरण नाम क वन प त से बनी ई म ण राजय मा रोग का नवारण करे. इस पु ष म जस य मा रोग का नवास है, उस रोग का नवारण इं आ द दे व कर. (१) इ य वचसा वयं म य व ण य च. दे वानां सवषां वाचा य मं ते वारयामहे.. (२) हे रोगी पु ष! तेरे हाथ म वरण वृ से बनी ई म ण बांधने वाले हम सब इं , म और व ण क आ ा से य मा रोग का नवारण करते ह. हम सभी दे व क आ ा से तेरे य मा रोग को तेरे शरीर से नकालते ह. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यथा वृ इमा आप त त भ व धा यतीः. एवा ते अ नना य मं वै ानरेण वारये.. (३) व ा का पु वृ ासुर जस कार थावर और जंगम व का पोषण करने वाले इन मेघ के जल क ग त रोकता है, हे रोगी! म वै ानर अ न क सहायता से तेरे य मा रोग का उसी कार नवारण करता ं. (३)
सू -८६
दे वता—एक वृष
वृषे य वृषा दवो वृषा पृ थ ा अयम्. वृषा व य भूत य वमेकवृषो भव.. (१) यह पु ष इं क कृपा से सेचन समथ हो. यह ुलोक एवं पृ वीलोक म े ता के इ छु क पु ष! तू संसार के सभी ा णय म े बन. (१)
े बने. हे
समु ईशे वताम नः पृ थ ा वशी. च मा न ाणामीशे वमेकवृषो भव.. (२) सागर बहने वाले जल का वामी है. अ न दे व पृ वी के वामी ह. चं मा न वामी है. तुम सभी ा णय म े बनो. (२)
का
स ाड यसुराणां ककु मनु याणाम्. दे वानामधभाग स वमेकवृषो भव.. (३) हे इं ! तुम असुर के वामी हो. तुम बैल क ठाट के समान सभी मनु य म उ त बनो. हे इं ! सभी दे व मल कर तु हारे बराबर होते ह. हे े ता के इ छु क मनु य! तू इं क कृपा से सभी ा णय म े बन. (३)
सू -८७
दे वता— ुव
आ वाहाषम तर भू ुव त ा वचाचलत्. वश वा सवा वा छ तु मा व ा म ध शत्.. (१) हे राजन्! हम तु ह अपने रा म लाए ह! तुम हमारे म य हमारे वामी बनो. तुम चंचलता र हत हो कर रा य के अ धकार पर ढ़ बनो. सभी जाएं तु ह चाह. यह रा तु हारे अ धकार से न हो. (१) इहैवै ध मा ऽ प यो ाः पवत इवा वचाचलत्. इ इवेह ुव त ेह रा मु धारय.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे राजन्! तुम इसी रा य सहासन पर सदा वतमान रहो. इस से कभी वं चत न बनो. तुम पवत के समान न ल हो कर इं के समान इसी रा म थर रहो. तुम अपने इस रा को धारण करो. (२) इ एतमद धरद् ुवं ुवेण ह वषा. त मै सोमो अ ध वदयं च ण प तः.. (३) थरता दान करने वाले हमारे ारा दए ए ह व से संतु इं ने इस रा म इस राजा को थर प से था पत कया है. सोम ने इस राजा को अपना कहा है. वेद रा श का पालन करने वाले दे व यही कह. (३)
सू -८८
दे वता— ुव
ुवा ौ ुवा पृ थवी ुवं व मदं जगत्. ुवासः पवता इमे ुवो राजा वशामयम्.. (१) आकाश जस कार थत है, यह पृ वी जस कार ुव दखाई दे ती है. यह दखाई दे ता आ व जस कार ुव है तथा ये सभी पवत जस कार थर ह, जा का वामी यह राजा भी उसी कार थर हो. (१) ुवं ते राजा व णो ुवं दे वो बृह प तः. ुवं त इ ा न रा ं धारयतां ुवम्.. (२) हे राजन्! राजा व ण तु हारे रा य को थर कर. काश करते ए बृह प त तु हारे रा को ुव बनाएं. इं और अ न तु हारे रा को थर बनाएं. (२) ु ो ऽ युतः मृणी ह श ून्छ ूयतो ऽ धरान् पादय व. व सवा दशः संमनसः स ीची ुवाय ते स म तः क पता मह.. (३) हे राजन्! तुम इस रा म थर और अ युत रह कर श ु का वनाश करो तथा श ु के समान आचरण करने वाले अ य जन को भी अधोमुख गराओ. सभी दशाएं सौमन य वाली बन कर तु हारी सेवा म लग. तु हारा यह आयोजन सभी दशा म तु ह थरता दान करने म समथ हो. (३)
सू -८९
दे वता—मं
म बताए गए
इदं यत् े यः शरो द ं सोमेन वृ यम्. ततः प र जातेन हा द ते शोचयाम स.. (१) मुझ ेम ा त करने वाले का जो यह श दान करने वाला शीश है, वह मुझे सोम ने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दया है. उन के ारा उ प
वशेष नेह से म तु हारे मन को संताप यु
करता ं. (१)
शोचयाम स ते हा द शोचयाम स ते मनः. वातं धूम इव स य १ ङ् मामेवा वेतु ते मनः.. (२) हे प त और प नी! म तुम दोन के दय को पर पर ेम उ प कर के संत त करता ं. म तु हारे मन को उसी कार संत त करता ,ं जस कार धुआं वायु का अनुगमन करता है. तु हारा मन इसी कार मेरा अनुगामी हो. (२) म ं वा म ाव णो म ं दे वी सर वती. म ं वा म यं भू या उभाव तौ सम यताम्.. (३) हे प नी! म और व ण दे व तु ह मुझ से मलाएं. सर वती दे वी तु ह मुझ से मलाएं. धरती पर थत सभी ाणी तु ह मुझ से मलाएं तथा इस भू म के ऊपर और नीचे के दे श तु ह मुझ से मलाएं. (३)
दे वता—
सू -९० यां ते इषुमा यद े यो दयाय च. इदं ताम वद् वयं वषूच व वृहाम स.. (१)
हे रोगी! तेरे हाथ, पैर और दय आ द अंग को बेधने के लए दे व ने जो बाण अपने धनुष पर चढ़ा कर फका है, आज म उस का तकार करने के लए उस बाण को तुझ से वमुख करने के लए शरीर से र फकता ं. (१) या ते शतं धमनयो ऽ ा यनु व ताः. तासां ते सवासां वयं न वषा ण याम स.. (२) हे शूल रोगी! तेरे हाथ, पैर आ द अंग म जो सैकड़ धमनी ना ड़यां थत ह, उन के लए म वषर हत एवं शूलहीन ओष धयां बनाता ं. (२) नम ते (३)
ा यते नमः
त हतायै. नमो वसृ यमानायै नमो नप ततायै..
हे ा ध प अ चलाने वाले ! तुम को नम कार है. धनुष पर चढ़े ए तु हारे बाण को नम कार है. धनुष से छोड़े जाते ए तु हारे बाण को नम कार है. ल य पर गरने वाले तु हारे बाण को नम कार है. (३)
सू -९१
दे वता—य मा का वनाश
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इमं यवम ायोगैः ष ये.. (१)
ोगे भरचकृषुः. तेना ते त वो ३ रपो ऽ पाचीनमप
ओष ध के प म योग म लाए जाते ए जौ को आठ बैल वाले तथा छः बैल वाले हल से जोत कर उ प कया गया है. हे रोगी! उस जौ से म तेरे शरीर के रोग के कारण पाप को र करता ं. (१) य१ग् वातो वा त यक् तप त सूयः. नीचीनम नया हे यग् भवतु ते रपः.. (२) वायु जस कार नीचे चलती है, सूय जस कार नीचे तपते ह, जस कार गाय से नीचे क ओर ध काढ़ा जाता है, हे रोगी! उसी कार तेरे रोग का कारण पाप शांत हो जाए. (२) आप इद् वा उ भेषजीरापो अमीवचातनीः. आपो व य भेषजी ता ते कृ व तु भेषजम्.. (३) सभी ओष धयां जल का वकार ह. इस कार जल ही रोग नवारण के लए उ म ओष ध है. जल सारे संसार के लए ओष ध प है, वे ही जल तेरे लए रोग नवारक ओष ध बन. (३)
सू -९२
दे वता—बा ज अथात् घोड़ा
वातरंहा भव वा जन् यु यमान इ य या ह सवे मनोजवाः. यु तु वा म तो व वेदस आ ते व ा प सु जवं दधातु.. (१) हे रथ के जुए म जुते ए अ ! तू वायु के समान तेज चलने वाला बन. इं क ेरणा होने पर तू मन के समान वेग से गंत पर प ंच. सारे संसार को जानने वाले उनचास म द्गण तुझ से मल जाएं एवं व ा दे व तेरे चरण को वेग दान कर. (१) जव ते अवन् न हतो गुहा यः येने वात उत यो ऽ चरत् परी ः. तेन वं वा जन् बलवान् बलेना ज जय समने पार य णुः.. (२) हे अ ! तेरा वेग असाधारण थान गुफा म छपा है. तेरा जो वेग बाज प ी और वायु म सुर त है, तू उसी वेगशाली बल से बलवान हो कर हम सं ाम म सफलता दला. (२) तनू े वा जन् त वं१ नय ती वामम म यं धातवु शम तु यम्. अ तो महो ध णाय दे वो दवीव यो तः वमा ममीयात्.. (३) हे वेगवान अ ! सवार के शरीर को यु भू म म प ंचाता आ तेरा शरीर हम धन ा त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कराए तथा तुझे सुख प ंचाता आ दौड़े. तू खाली थान म फैले गांव, जनपद आ द को धारण करने के लए सीधा चलता आ इस कार अपने थान को जा, जस कार सूय का काश अपने थान पर प ंचता है. (३)
सू -९३
दे वता—यम
यमो मृ युरघमारो नऋथो ब ुः शव ऽ ता नील शख डः. दे वजनाः सेनयो थवांस ते अ माकं प र वृ तु वीरान्.. (१) पा पय क हसा के लए यम, मृ यु, अघमार, नऋ त, ब ,ु शव एवं नील शखंड आ द दे वगण, अपने प रवार जन के साथ अपनेअपने थान से चल दए ह. वे हमारे पु , पौ आ द को छोड़ द. (१) मनसा होमैहरसा घृतेन शवाया उत रा े भवाय. नम ये यो नम ए यः कृणो य य ा मदघ वषा नय तु.. (२) शव के लए, े के लए एवं उन सब के वामी महादे व के लए म मन से, तेज से, घृत और आ य से नम कार करता ं. ये सभी नम कार के यो य ह. स हो कर ये पाप पी वष से पूण कृ या को हम से र ले जाएं. (२) ाय वं नो अघ वषा यो वधाद् व े दे वा म तो व वेदसः. अ नीषोमा व णः पूतद ा वातापज ययोः सुमतौ याम.. (३) हे सब कुछ जानने वाले म दगण एवं व े दे व! तुम कृ या क मारक श से हमारी र ा करो. हम अ न, सोम, व ण, शु बलशाली म , वायु एवं पज य के कृपा पा रह. (३)
सू -९४
दे वता—सर वती
सं वो मनां स सं ता समाकूतीनमाम स. अमी ये व ता थन तान् वः सं नमयाम स.. (१) हे उदास मन वाले लोगो! म तु हारे पर पर व दय को एक वषय पर सहमत करता ं. म तु हारे कम एवं संक प को भी एक प बनाता ं. पहले तुम सब पर पर व कम करने वाले थे. म तुम सब को समान मन वाला बनाता ं. (१) अहं गृ णा म मनसा मनां स मम च मनु च े भरेत. मम वशेषु दया न वः कृणो म मम यातमनुव मान एत.. (२) हे पर पर वरोधी मन वाले लोगो! म तु हारे दय को अपने दय के अधीन बनाता ं. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तुम सब भी अपने दय को मेरे दय का अनुगमन करने वाला बनाओ. तु हारे दय मेरे वश म ह एवं तुम सब मेरा अनुगमन करो. (२) ओते मे ावापृ थवी ओता दे वी सर वती. ओतौ म इ ा न या मेदं सर व त.. (३) धरती और आकाश सदा मेरे स मुख और पर पर संब रह. दे वी सर वती भी मेरे अ भमुख और अनुकूल रहे. इं और अ न मेरे अनुकूल रह. हे सर वती दे वी! इस समय हम समृ ह . (३)
सू -९५
दे वता—वन प त
अ थो दे वसदन तृतीय या मतो द व. त ामृत य च णं दे वाः कु मव वत.. (१) तीसरे आकाश म दे व का थान पीपल है. वहां दे व ने अमृत के गुण वाले वन प त कूठ को जाना. (१) हर ययी नौरचर र यब धना द व. त ामृत य पु पं दे वाः कु मव वत.. (२) दे व ने सोने के बंधन वाली वग क ना भ के ारा कूठ वन प त को ा त कया, जो अमृत का पु ष है. (२) गभ अ योषधीनां गभ हमवतामुत. गभ व कृ ध.. (३)
य भूत येमं मे अगदं
हे अ न! तुम वषा से उ प होने वाली वन प तय के भीतर थत हो तथा शीतल पश वाली वन प तय म भी थत हो. तुम संसार के सभी ा णय म थत हो. तुम मेरे इस मनु य को रोग र हत बनाओ. (३)
सू -९६
दे वता—वन प त, सोम
या ओषधयः सोमरा ीब ः शत वच णाः. बृह प त सूता ता नो मु च वंहसः.. (१) जन वृ और वन प तय के राजा सोम ह तथा जो रस, वीय आ द के वपाक के कारण सैकड़ कार क दखाई दे ती ह, बृह प त दे व के ारा उन रोग क ओष ध के प म नयत वे वन प तयां हम पाप से बचाएं. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मु च तु मा शप या ३ दथो व या त. अथो यम य पड् वीशाद् व माद् दे व क बषात्.. (२) जल अथवा ओष धयां मुझे ा ण के ोध से उ प पाप से बचाएं तथा व ण दे व ारा न त अस य भाषण आ द पाप से भी बचाएं. वे हम यम के उस फंदे से बचाएं जो पैर को बांधता है. वे मुझे सभी दे व से संबं धत पाप से बचाएं. (२) यच ष ु ा मनसा य च वाचोपा रम जा तो यत् वप तः. सोम ता न वधया नः पुनातु.. (३) हमने आंख के ारा, मन के ारा, वाणी के ारा जागते ए अथवा सोते ए जो पाप कए ह. पतृलोक के वामी सोमदे व पतर को ल य कर के कए गए पतृ कम के ारा हम प व कर. (३)
सू -९७
दे वता— म , व ण
अ भभूय ो अ भभूर नर भभूः सोमो अ भभू र ः. अ य १ हं व ाः पृतना यथासा येवा वधेमा नहो ा इदं ह वः.. (१) वजय क कामना करने वाले हम लोग के ारा कया आ य श ु का पराभव करने वाला हो. य को पूण करने वाले अ न एवं य के साधन सोम श ु को परा जत कर. इं एवं सभी श ु सेना को परा जत करने के इ छु क हम श ु क सभी सेना को जस कार परा जत कर, उसी के न म सं ाम म वजय के इ छु क हम ह व का हवन करते ह. (१) वधा ऽ तु म ाव णा वप ता जावत् ं मधुनेह प वतम्. बाधेथां रं नऋ त पराचैः. कृतं चदे नः मुमु म मत्.. (२) हे मेधावी म और व ण! तु हारे लए दया गया वह ह व प अ तु ह तृ त दे . तुम इस राजा पर जा से यु बल एवं मधुर रस स चो. तुम पराजय करने वाली पाप दे वी नऋ त को हम से वमुख कर के र दे श म ले जाओ. तुम हमारे श ु के ारा कया आ पाप हम से र ले जाओ. (२) इमं वीरमनु हष वमु म ं सखायो अनु सं रभ वम्. ाम जतं गो जतं व बा ं जय तम म मृण तमोजसा.. (३) हे सै नको! अ धक बलशाली एवं परम ऐ य यु इस वीर राजा क वीरता से स बनो एवं इस के लए यु हेतु त पर रहो. हे म तो! गांव को एवं श ु क गाय को जीतने वाले तथा हाथ म व धारण करने वाले इं क वीरता से स बनो. इं श ु को जीतने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाले, जयशील एवं अपने बल से श ु
क हसा करने वाले ह. (३)
सू -९८
दे वता—इं
इ ो जया त न परा जयाता अ धराजो राजसु राजयातै. चकृ य ई ो व ोपस ो नम यो भवेह.. (१) इस सं ाम म इस राजा क सहायता के लए आए ए इं वजयी ह . वह कसी से परा जत न ह . सभी राजा के वामी इं इन राजा म सुशो भत ह . श ु को अ य धक काटने वाले ये तु य एवं वंदनीय ह. हे सब के ारा सेवा करने यो य इं ! तुम इस सं ाम म हमारे ारा पू जत बनो. (१) व म ा धराजः व यु वं भूर भभू तजनानाम्. वं दै वी वश इमा व राजायु मत् मजरं ते अ तु.. (२) हे इं ! तुम राजा के राजा एवं यश वी हो. तुम अपने तेज से सभी ा णय को परा जत करते हो. ये दे व संबं धनी जाएं तु ह शोभा दे ती है. हे राजन्! तु हारा बल चरकाल तक जीवन से यु एवं वृ ाव था से वहीन हो. (२) ा या दश व म ा स राजोतोद या दशो वृ ह छ ह ु ोऽ स. य य त ो या त जतं ते द णतो वृषभ ए ष ह ः.. (३) हे इं ! तुम पूव दशा के राजा हो. हे वृ रा स को मारने वाले इं ! तुम उ र दशा के भी वामी तथा श ु के हंता हो. हमारी इ छाएं पूण करने वाले तुम हमारे ारा बुलाए जाने पर यु के समय हमारे द ण भाग म वतमान रहो. (३) पालनकता इं क भुजाएं हम अपने चार ओर धारण करते ह, वे सब ओर से हमारी र ा कर. हे सब के ेरक और राजा सोमदे व! मुझे सं ाम म क न होने वाला और शोभन वजयवाला बनाओ. (४)
सू -९९
दे वता—इं
अ भ वे व रमतः पुरा वां रणा वे. या यु ं चे ारं पु णामानमेकजम्.. (१) हे इं ! व तीण शरीर के कारण म तुझे सं ाम म बुला रहा ं. म सं ाम म पराजय से बचने के लए तु हारा आ ान पहले ही करता ं. हे इं ! तुम अ य धक श शाली, जय के उपाय जानने वाले, अनेक श ु को जीतने वाले एवं अकेले ही यु जीतने वाले हो. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो अ से यो वधो जघांसन् न उद रते. इ दद्मः.. (२)
य त बा सम तं प र
इस समय श ु क सेना के आयुध हम मारने के लए उठ रहे ह. इस वध से हमारी र ा के लए इं क भुजाएं सव सहायता कर. हे राजन्! हे स वता! हे सोम! वनाश से बचने के लए मुझे सं ाम म उ म वजय दान करो. (२) प र दद्म इ य बा सम तं ातु ायतां नः. दे व स वतः सोम राज सुमनसं मा कृणु व तये.. (३) पालनकता इं क भुजाएं हम अपने चार ओर धारण करते ह, वे सब ओर से हमारी र ा कर. हे सबके ेरक और राजा सोम दे व! मुझे सं ाम ने न न होने वाला और शोभन वजय वाला बनाओ. (३)
सू -१००
दे वता—वन प त
दे वा अ ः सूय अदाद् ौरदात् पृ थ दात्. त ः सर वतीर ः स च ा वष षणम्.. (१) इं आ द सभी दे व ने एकमत हो कर मुझे थावर और जंगम वष को र करने वाली ओष ध दान क है. सूय, आकाश एवं पृ वी ने मुझे वष नाशक ओष ध द है. इड़ा, सर वती और भारती—इन तीन दे वय ने एकमत हो कर मुझे वष नाशक ओष ध दान क है. (१) यद् वो दे वा उपजीका आ स चन् ध व युदकम्. तेन दे व सूतेनेदं षयता वषम्.. (२) हे दे वो! तुम से संबं धत और व मीक का नमाण करने वाले उपजीक नामक ा णय ने जलहीन थान म तु हारा वरदान पा कर जो जल बरसाया, दे व ारा दए ए उस जल से, इस वष का भाव न करो. (२) असुराणां हता स सा दे वानाम स वसा. दव पृ थ ाः संभूता सा चकथारसं वषम्.. (३) हे व मीक क म ! तुम दे व वरोधी असुर क पु ी और दे व क बहन हो. आकाश और धरती से उ प व मीक क यह म थावर और जंगम ा णय से उ प वष को भावहीन करे. (३)
सू -१०१
दे वता—बृह प त
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आ वृषाय व स ह वध व थय व च. यथा ं वधतां शेप तेन यो षत म ज ह.. (१) हे पु ष! तू सांड़ के समान गभाधान समथ हो एवं जी वत रहे. तेरे अंग का वकास हो और तेरा शरीर व तीण हो. जैसे तेरी जनन य बढ़े , वैसे ही तू संभोग क इ छु क नारी के समीप जा. (१) येन कृशं वाजय त येन ह व यातुरम्. तेना य ण पते धनु रवा तानया पसः.. (२) जस रस के ारा वीयर हत पु ष को जनन समथ बनाया जाता है, जस रस के ारा रोगी पु ष को स कया जाता है, हे मं समूह के पालक दे व! उसी रस वशेष से इस पु ष क इं य को धनुष के समान व तृत करो. (२) आहं तनो म ते पसो अ ध या मव ध व न. म वश इव रो हतमनव लायता सदा.. (३) हे वीय के इ छु क! हम तेरी पु ष य को धनुष क डोरी के समान व तृत करते ह. तू गभाधान म समथ बैल के समान स मन से अपनी प नी पर आ मण कर. (३)
सू -१०२
दे वता—अ नीकुमार
यथायं वाहो अ ना समै त सं च वतते. एवा माम भ ते मनः समैतु सं च वतताम्.. (१) हे अ नीकुमारो! भलीभां त सखाया आ घोड़ा जस कार सवार क इ छा के अनुसार चलता है और उस के अधीन रहता है. हे का मनी! उसी कार तेरा मन मुझ कामुक को ल य कर के आए और मेरे अधीन रहे. (१) आहं खदा म ते मनो राजा ः पृ ा मव. रे म छ ं यथा तृणं म य ते वे तां मनः.. (२) हे का मनी! म तेरे मन को इस योग के ारा उसी कार अपने अनुकूल बनाता ं, जस कार े अ लगाम को चबाता है. हे का मनी! वायु के ारा छ भ तनका जस कार घूमता है, उसी कार तेरा मन मेरे अधीन हो कर मण करे. (२) आ न य म घ य कु य नलद य च. तुरो भग य ह ता यामनुरोधनमु रे.. (३) हे नारी! म सौभा यकारी दे व के शी ता करते ए हाथ के ारा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ककुद पवत पर
उ प नीलांजन, मधूक वृ क लकड़ी, कूठ नामक वन प त और खस को पीस कर बनाए गए उबटन से तेरे शरीर पर लेप करता ं. (३)
दे वता—बृ ण प त
सू -१०३ संदानं वो बृह प तः संदानं स वता करत्. संदानं म ो अयमा संदानं भगो अ ना.. (१)
हे श ु सेनाओ! बृह प त दे व इन फके ए पाश के ारा तु हारा बंधन कर. सब के ेरक स वता दे व तु हारा बंधन कर. म तथा अयमा दे व तु हारा बंधन कर. भग और अ नीकुमार तु हारा बंधन कर. (१) सं परमा समवमानथो सं ा म म यमान्. इ तान् पयहादा ना तान ने सं ा वम्.. (२) म श ु क र दे श व तनी तथा समीप व तनी सेना को पाश के ारा बांधता ं. म समीप और र के म य थान म वतमान सेना को भी पाश से बांधता ं. इस कार क सेना एवं सेनाप तय को सं ाम के वामी इं याग द. हे अ न! इं ारा यागे ए इन य को तुम पाश से बांधो. (२) अमी ये युधमाय त केतून् कृ वानीकशः. इ तान् पयहादा ना तान ने सं ा वम्.. (३) (३)
हमारे
त स बने ए इं दे व और अ न दे व हमारे उन श ु
सू -१०४
को बंधन म बांध.
दे वता—इं
आदानेन संदानेना म ाना ाम स. अपाना ये चैषां ाणा असुनासू सम छदन्.. (१) आदान नाम के पाश यं वशेष के ारा तथा संधान नाम के पाश यं के ारा हम श ु को बांधते ह. इन श ु क ाण एवं अपान वायु को म अपने ाण के ारा भलीभां त छ करता ं. (१) इदमादानमकरं तपसे े ण सं शतम्. अ म ा ये ऽ नः स त तान न आ ा वम्.. (२) म ने तप के ारा बांधने का साधन यह पाश यं न मत कया है. इसे इं ने पहले ही तेज कर दया है. इस सं ाम म हमारे जो श ु ह, हे अ न! उन सब को पाश बंधन से बांधो. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(२) ऐनान् ता म ा नी सोमो राजा च मे दनौ. इ ो म वानादानम म े यः कृणोतु नः.. (३) हमारे ारा दए गए ह व से स होने वाले इं और अ न हमारे इन श ु को बांध तथा राजा सोम इ ह बांध. म द्गण के स हत इं हमारे श ु का पाश बंधन कर. (३)
सू -१०५
दे वता—कास
यथा मनो मन केतैः परापत याशुमत्. एवा वं कासे पत मनसोऽनु वा यम्.. (१) जस कार मन के ारा जाने जाते ए र थ वषय के साथ पु ष शी ता से ुव मंडल तक जाता है, उसी कार हे खांसी और कफ रोग वाली कृ वा! तू मन के वेग से पु ष के शरीर से नकल कर र दे श म चली जा. (१) यथा बाणः सुसं शतः परापत याशुमत्. एवा वं कासे पत पृ थ ा अनु संवतम्.. (२) जस कार अ छ तरह तेज कया आ बाण धनुष से छू ट कर शी ही भू म को छे दता आ गरता है. हे खांसी! तू उसी कार बाण से बधी ई पृ वी को ल य कर के इस पु ष से र चली जा. (२) यथा सूय य र मयः परापत याशुमत्. एवा वं कासे पत समु यानु व रम्.. (३) जस कार सूय क करण लोक परलोक तक शी जाती ह. हे खांसी! तू उस दे श को ल य कर के चली जा, जस दे श म सागर के जल के व वध वाह ह. (३)
सू -१०६
दे वता— वा
आयने ते परायणे वा रोहतु पु पणीः. उ सो वा त जायतां दो वा पु डरीकवान्.. (१) हे अ न! तु हारे अ भमुख जाने म अथवा पराङ् मुख जाने म हमारे दे श म पु प यु कोमल वा उ प हो. हमारे घर और खेत म पानी के सोते उ प ह तथा कमल वाला सरोवर न मत हो. (१) अपा मदं ययनं समु य नवेशनम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म ये द य नो गृहाः पराचीना मुखा कृ ध.. (२) हमारा वह घर जल का थान एवं सागर का नवेश बने. हमारे घर गहरे तालाब के म य म ह . हे अ न! तुम अपने वाला पी मुख हमारी ओर से फेर लो. (२) हम य वा जरायुणा शाले प र याम स. शीत दा ह नो भुवो ऽ न कृणोतु भेषजम्.. (३) हे शाला! हम तुझे हमालय के शीतल जल से इस कार घेरते ह, जस कार जरायु गभ को तथा शैवाल जल को घेरता है. हे शाला! तू हमारे लए शीतल जल वाली बन जा. हमारी ाथना सुन कर अ न हमारे घर को जलने से बचाने वाली ओष ध बन. (३)
सू -१०७
दे वता— व जत
व जत् ायमाणायै मा प र दे ह. ायमाणे पा च सव नो र चतु पाद् य च नः वम्.. (१) हे व जत् दे व! जगत् का पालन करने वाली दे वी के लए र ा के हेतु मुझ व ययन इ छु क को दो. हे ायमाणा नामक दे वी! हमारे दो पैर वाले सभी पु , पौ आ द क र ा करो तथा मेरे सभी चौपाय क भी र ा करो. (१) ायमाणे व जते मा प र दे ह. व जद् पा च सव नो र चतु पाद् य च नः वम्.. (२) हे पालन करने वाली दे वी ायमाणा! मुझे व जत् नाम के दे वता को दे दो. हे सब को जीतने वाले! हमारे दो पैर वाले पु , पौ आ द और सभी चौपाय क र ा करो. (२) व जत् क या यै मा प र दे ह. क या ण पा च सव नो र चतु पाद् य च नः वम्.. (३) हे व जत्! मुझे सवमंगलका रणी दे वी को दे दो. हे क याणी! हमारे सभी दो पैर वाले पु , पौ आ द और चौपाय क र ा करो. (३) क या ण सव वदे मा प र दे ह. सव वद् पा च सव नो र चतु पाद् य च नः वम्.. (४) हे क याणी! मुझे सब कुछ जानने वाले दे व को दे दो. हे सव हत! हमारे सभी दो पैर वाले पु , पौ आ द और चौपाय क र ा करो. (४)
सू -१०८
दे वता—मेधा, अ न
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वं नो मेधे थमा गो भर े भरा ग ह. वं सूय य र म भ वं नो अ स य या.. (१) हे दे व और मनु य आ द के ारा उपासना क जाती ई मेधा दे वी! तुम हम दे ने के लए गाय और अ के साथ आओ. तुम सूय क करण के समान अपनी ा त क साम य के साथ हमारे समीप आओ. तुम हमारे लए य के यो य हो. (१) मेधामहं थमां वत जूतामृ ष ु ताम्. पीतां चा र भदवानामवसे वे.. (२) म वेद से यु एवं दे व, मनु य आ द के ारा पूजी जाती ई मेधा दे वी का आ ान करता ं. ा ण के ारा से वत, ऋ षय के ारा तु त क गई और चा रय ारा से वत मेधा दे वी को म इं आ द क र ा पाने के लए बुलाता ं. (२) यां मेधामृभवो व या मेधामसुरा व ः. ऋषयो भ ां मेधां यां व तां म या वेशयाम स.. (३) ऋभु नाम के दे व जस मेधा को जानते थे, जस मेधा को रा स जानते थे तथा व स आ द ऋ ष वेद शा वषयक जस मेधा को जानते थे, उसे हम अपने म था पत करते ह. (३) यामृषयो भूतकृतो मेधां मेधा वनो व ः. तया माम मेधया ने मेधा वनं कृणु.. (४) जस मेधा को पृ वी आ द त व का नमाण करने म समथ, मं जानते ह. हे अ न! उसी मेधा के ारा तुम मुझे मेधावी बनाओ. (४)
ा एवं
स
ऋष
मेधां सायं मेधां ातमधां म य दनं प र. मेधां सूय य र म भवचसा वेशयामहे.. (५) म ातःकाल, सायंकाल और म या काल म मेधा दे वी क तु त करता ं. म सूय क करण के साथ दन म तु त वचन के ारा उस महानुभावा मेधा को अपने म था पत करता ं. (५)
सू -१०९
दे वता— प पली
प पली तभेष यू ३ ता त व भेषजी. तां दे वाः समक पय यं जी वतवा अलम्.. (१) प वली अथात् पीपल ने सभी ओष धय का तर कार कर दया है तथा सभी रोग को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पी ड़त कया है. इं आ द दे व ने अमृत मंथन के समय इस का नमाण कया था, य क यही एक ओष ध सभी रोग के नवारण म समथ है. (१) प प य १: समवद तायतीजननाद ध. यं जीवम वामहै न स र या त पू षः.. (२) प व लय ने सागर मंथन के समय अपने ज म के प ात आ कर आकाश म संभाषण कया क जी वत पु ष को हम ओष ध के प म ा त करते ह. वह पु ष न न हो. (२) असुरा वा यखनन् दे वा वोदवपन् पुनः. वातीकृत य भेषजीमथो त य भेषजीम्.. (३) हे प वली! असुर ने तुझे खोदा तथा दे व ने सभी ा णय के हत के लए तुझे उखाड़ा. तुम वातरोग से पी ड़त क ओष ध बनी ई आ ेपक अथात् मरगी नाम के वातरोग क ओष ध हो. (३)
सू -११०
दे वता—अ न
नो ह कमी ो अ वरेषु सना च होता न स स. वां चा ने त वं प ाय वा म यं च सौभगमा यज व.. (१) सभी दे व क आ मा होने के कारण ये अ न चरंतन ह. ये तु त के यो य एवं य म दे व को बुलाने वाले ह. हे अ न! इस कार तुम नवीन बने रहते हो. तुम अपने शरीर को घृत आ द से पूण करो तथा हमारे लए सौभा य दान करो. (१) ये यां जातो वचृतोयम य मूलबहणात् प र पा ेनम्. अ येनं नेषद् रता न व ा द घायु वाय शतशारदाय.. (२) ये ा न म उ प पु पता, बड़े भाई आ द का हंता होता है. मूल न मउप पु पूरे कुल क हसा करता है. इस लए इस कुमार के यम ारा कए जाने वाले संतान के मूलो छे द से र ा करो. सौ वष तक जी वत रहने के द घ जीवन के लए सभी पाप इस कुमार से र चले जाएं. (२) ा ेऽ यज न वीरो न जा जायमानः सुवीरः. स मा वधीत् पतरं वधमानो मा मातरं मनी ज न ीम्.. (३) बाघ के समान ू र एवं पाप न म वीर पु ने ज म लया. न म उ प यह पु ज म लेते ही उ म श वाला बने. यह पु बड़ा हो कर पता का वध न करे तथा ज म दे ने वाली माता क हसा न करे. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -१११
दे वता—अ न
इमं मे अ ने पु षं ममु ययं यो ब ः सुयतो लालपी त. अतो ऽ ध ते कृणवद् भागधेयं यदानु म दतो ऽ स त.. (१) हे अ न! मेरे इस पु ष को रोग के आधार पाप से बचाओ. पाप पी पाश से बंधा आ यह पु ष जो नय मत प से लाप करता है, इसी लए यह तु हारे न म ह व पी भाग अ धक मा ा म दे . इस कार यह उ माद र हत बने. (१) अ न े न शमयतु य द ते मन उ ुतम्. कृणो म व ान् भेषजं यथानु म दतो ऽ स स.. (२) हे गंधव ह से गृहीत पु ष! य द तेरा मन गंधव ह के वकार से उद् ांत है तो अ न तेरे मन को शांत कर. तकार को जानता आ म इस ह वकार क ओष ध करता ं, जस से तू उ माद र हत बन. (२) दे वैनसा म दतमु म ं र स प र. कृणो म व ान् भेषजं यदानु म दतो ऽ स त.. (३) हे पु ष! तूने दे व के वषय म कए ए पाप के कारण च का उ माद पाया है. रा स अथात् रा स आ द ह के कारण उ म इस पु ष के रोग के तकार को जानता आ म इस क ओष ध करता ं. (३) पुन वा र सरसः पुन र ः पुनभगः. पुन वा व े दे वा यथानु म दतो ऽ स स.. (४) हे उ माद से गृहीत पु ष! अ सराएं और गंधव तेरा उ माद रोग र कर के तुझे हम पुनः दान कर. इस के प ात इं ने तुझे मेरे लए दया है. ह व एवं सभी दे व ने तु ह मेरे लए इस हेतु दया है क तुम उ माद र हत हो सको. (४)
सू -११२
दे वता—अ न
मा ये ं वधीदयम न एषां मूलबहणात् प र पा ेनम्. स ा ाः पाशान् व चृत जानन् तु यं दे वा अनु जान तु व े.. (१) हे अ न! यह वेदना इन पता, माता, ाता आ द के म य बड़े भाई का वध न करे. तुम जड़ उखाड़ने के अथात् बड़े भाई से पहले ववाह करने वाले दोष के कारण भी इस क र ा करो. हे अ न! तुम इस को छु ड़ाने के उपाय जानते हो, इसी लए इसे पकड़ने वाली पशाची के बंधन से छु ड़ाओ. इस के बंधन छु ड़ाने के लए सभी दे व तु ह अनुम त द. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ मु च पाशां वम न एषां य भ सता ये भरासन्. स ा ाः पाशान् व चृत जानन् पतापु ौ मातरं मु च सवान्.. (२) हे अ न! माता, पता और पु को वेदना के दोष पी पाश बंधन से छु ड़ाओ. वेदना के दोष उ म, म यम और अधम—तीन कार के ह. हे अ न! तुम इस को छु ड़ाने के उपाय जानते हो, इस लए पकड़ने वाली पशाची के बंधन क र सयां छु ड़ाओ. इस के बंधन छु ड़ाने के लए तु ह सभी दे व अनुम त द. (२) ये भः पाशैः प र व ो वब ो ऽ े अ आ पत उ सत . व ते मु य तां वमुचो ह स त ूण न पूषन् रता न मृ व.. (३) बड़े भाई से पहले ववाह कराने वाला छोटा भाई जन पाप प पाश से येक अंग म बंधा, रोगी एवं अशांत थ त वाला है; उस के वे पाश छू ट जाएं. य क इं आ द सभी दे व छु ड़ाने वाले ह; हे दे व! इस ूण हंता को उन पाप से छु ड़ाओ जो इसे बढ़े भाई से पहले ववाह करने से ा त ए ह. (३)
सू -११३
दे वता—पूषा
ते दे वा अमृजतैतदे न त एन मनु येषु ममृजे. ततो य द वा ा हरानशे तां ते दे वा णा नाशय तु.. (१) अपने बड़े भाई से पहले ववाह करने से संबं धत पाप को ाचीन काल के दे व ने त म वस जत कर दया था. त ने अपने म वस जत पाप को मनु य म था पत कर दया. हे बड़े भाई से पहले ववाह करने वाले! इस कारण य द हणशील पाप दे वता ाही ने तु ह ा त कया है, उसे दे वगण मं से न कर द. (१) मरीचीधूमान् वशानु पा म ुदारान् ग छोत वा नीहारान्. नद नां फेनाँ अनु तान् व न य ूण न पूषन् रतान मृ व.. (२) हे बड़े भाई से पहले ववाह करने से उ प पाप दे वता! तू प र व ी अथात् बड़े भाई से पहले ववाह करने वाले को याग कर अ न, सूय आ द म, चमस म अथवा अ न से उ प धुएं म अथवा उस से बने बादल म वेश कर जा अथवा तू कोहरे म मल जा. हे पाप दे वता! तू न दय के जल म वेश कर के व वध कार से ग त कर. (२) ादशधा न हतं त यापमृ ं मनु यैनसा न. ततो य द वा ा हरानशे तां ते दे वा णा नाशय तु.. (३) त के पाप को बारह थान पर रखा गया. पहले मनु य म, उस के बाद तीन आ तय म, इस के प ात सूय दय क आठ दशा म—इस कार वह पाप बारह थान पर रखा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
गया है. इस कारण य द हणशील पाप दे वता ाही ने तु ह ा त कया है तो उसे दे वगण मं के ारा न कर द. (३)
सू -११४
दे वता— व े दे व
यद् दे वा दे वहेडनं दे वास कृमा वयम्. आ द या त मा ो यूयमृत यतन मु चत.. (१) हे अ न आ द दे वो! इं य के वशीभूत हो कर हम ने जो पाप कया है, हे अ द त पु दे वो! तुम य संबंधी स य के ारा उस पाप से हम बचाओ. (१) ऋत यतना द या यज ा मु चतेह नः. य ं यद् य वाहसः श तो नोपशे कम.. (२) हे अ द त पु दे वो! तुम य के ारा स करने यो य हो. तुम य संबंधी स य के ारा इस य काय ारा हम सभी पाप से मु करो. (२) मेद वता यजमानाः ुचा या न जु तः. अकामा व े वो दे वाः श तो नोप शे कम.. (३) चरबी वाले पशु से य पूण करते ए यजमान ुच (चमस) के ारा य म आ य डालते ह. हे व े दे व! हम कामना र हत हो कर और पाप से डरते ए पाप के वश म न ह . (३)
सू -११५
दे वता— व े दे व
यद् व ांसो यद व ांस एनां स चकृमा वयम्. यूयं न त मा मु चत व े दे वाः सजोषसः.. (१) हे व े दे वो! पाप का न म जानते ए अथवा न जानते ए हम ने जो पाप कया, हमारे साथ स होते ए तुम हम उस पाप से छु ड़ाओ. (१) य द जा द् य द वप ेन एन यो ऽ करम्. भूतं मा त माद् भ ं च पदा दव मु चताम्.. (२) पाप को ेम करने वाले हम ने जा त अव था म अथवा सोते ए जो पाप कए, उन से व े दे व हम भूतकाल और भ व यकाल म काठ के चरण बंधन के समान छु ड़ाएं. (२) पदा दव मुमुचानः व ः ना वा मला दव. पूतं प व ेणेवा यं व े शु भ तु मैनसः.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
काठ के चरण बंधन से छू टने अथवा पसीने से भीगा आ नान कर के मैल से मु होने से प व होता है अथवा घी जस कार कपड़े से छानने पर शु होता है, उसी कार व े दे व मुझे पाप से छु ड़ाएं. (३)
सू -११६
दे वता— वव वान
यद् यामं च ु नखन तो अ े काष वणा अ वदो न व या. वैव वते राज न त जुहो यथ य यं मधुमद तु नो ऽ म्.. (१) खेती करने वाले कसान ने ाचीनकाल म भू म को खोदते ए जो यम संबंधी ू र कम कया था, वे बुरे और भले काम म वभाजन न करने के कारण जानकार नह थे. घृत, मधु, तेल से यु अ हम अ द त पु दे व और यमराज के लए हवन करते ह. इस के प ात वह य यो य अ मधुरता यु तथा हमारे भोग करने यो य है. (१) वैव वतः कृणवद् भागधेयं मधुभागो मधुना सं सृजा त. मातुयदे न इ षतं न आगन् यद् वा पतापरा ो जहीडे.. (२) वव वान अथात् सूय के पु यमराज अपने लए ह व का भाग कर तथा माधुय से यु उस भाग को हम दान कर. माता के पास से जो पाप हम अपराध करने वाल के पास आया है अथवा पता हमारे ारा कए गए अपराध से ो धत है, वह पाप भी शांत हो. (२) यद दं मातुय द वा पतुनः प र ातुः पु ा चेतस एन आगन्. याव तो अ मान् पतरः सच ते तेषां सवषां शवो अ तु म युः.. (३) दखाई दे ता आ यह पाप य द हमारे माता पता, भाई, कसी प रजन, पु अथवा आ मीय के पास से आया है, उस पाप के कारण ो धत जतने पतर हमारे समीप आते ह, उन सब का ोध शांत हो. (३)
सू -११७
दे वता—अ न
अप म यम ती ं यद म यम य येन ब लना चरा म. इदं तद ने अनृणो भवा म वं पाशान् वचृतं वे थ सवान्.. (१) म ही इस कार का ऋणी ं जो ऋण लेने के बाद धनी को नह लौटाता ं. उसी श शाली ऋण के कारण म शासक यम के वश म रहता ं. हे अ न, तु हारे भाव से म उस ऋण से छू ट गया ं. म ऋण न चुकाने के कारण होने वाले पारलौ कक पाश से छू ट जाऊंगा. (१) इहैव स तः
त दद्म एन जीवा जीवे यो न हराम एनत्.
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अप म य धा यं १ य जघसाह मदं तद ने अनृणो भवा म.. (२) हम इस लोक म रहते ए ही धनी को ऋण लौटाते ह. इस लोक म जी वत रहते ए ही जी वत धनी को ऋण चुकाना चा हए. म ने धनी से ले कर जो अ खाया है, हे अ न! तु हारी कृपा से म सरे का धा य खाने के ऋण से छू ट जाऊं. (२) अनृणा अ म नृणाः पर मन् तृतीये लोके अनृणाः याम. ये दे वयानाः पतृयाणा लोकाः सवान् पथो अनृणा आ येम.. (३) हे अ न! तु हारी कृपा से म इस लोक म, वग आ द परलोक म तथा वग से उ म लोक म ऋण र हत हो कर जाऊं. जो दे व के गमन के लोक ह, पतर के गमन से लोक ह, म वहां ऋण र हत हो कर ही जाऊं. (३)
सू -११८
दे वता—अ न
य ता यां चकृम क बषा य ाणां ग नुमुप ल समानाः. उ ंप ये उ जतौ तद ा सरसावनु द ामृणं नः.. (१) इं य के वषय —श द, पश, प आ द को ा त करने के लए हम ने जो पाप कए ह, हे उ ंप या एवं उ जता नाम क अ सराओ! आज हमारा ऋण अनुकूल प से धनी को चुकाओ, जस से हम उऋण हो सक. (१) उ ंप ये रा भृत् क बषा ण यद वृ मनु द ं न एतत्. ऋणा ो नणमे समानो यम य लोके अ धर जुरायत्.. (२) हे उ ंप या और रा भी त नामक अ सराओ! हम ने जो पाप कए ह जैसे इं य का न ष वषय म जाना; हमारे ऊपर ऋण के प म चढ़ा आ जो पाप है, उसे हमारे अनुकूल हो कर समा त कर दो. इस से हमारे ऋणी होने के कारण यमराज इस लोक म पाश ले कर हम पकड़ने न आ सक. (२) य मा ऋणं य य जायामुपै म यं याचमानो अ यै म दे वाः. ते वाचं वा दषुम रां मद्दे वप नी अ सरसावधीतम्.. (३) म जस धनी का ऋण धारण करता ं, म कामुक बन कर जस क प नी के पास जाता ं अथवा जस पु ष के पास म ऋण के प म धन मांगने के लए जाता ,ं हे दे व! वे सब मुझ से तकूल बात न कह. हे अ सराओ! मेरी यह बात अपने मन म धारण करो. (३)
सू -११९
दे वता—वै ानर अ न
यदद ृणमहं कृणो यदा य न उत संगृणा म. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वै ानरो नो अ धपा व स उ द या त सुकृत य लोकम्.. (१) हे अ न दे व! वहार करने म अश हो कर म ने जो ऋण लया और उसे नह चुका पाया; म उसे दे ने क त ा करता ं. सभी ा णय के हतैषी, पालन कता एवं वश म करने वाले अ न हम पु य कम के फल के प म मलने वाला लोक दान कर. (१) वै ानराय त वेदया म य ृणं संगरो दे वतासु. स एतान् पाशान् वचृतं वेद सवानथ प वेन सह सं भवेम.. (२) मुझ पर जो लौ कक ऋण एवं दे व के त क गई त ा पूण न करने का ऋण है, उन सब को म अ न दे व को बताता ं. अ न दे व इन लौ कक और दै वक ऋण पी पाश को ढ ला करना जानते ह. (२) वै ानरः प वता मा पुनातु यत् संगरम भधावा याशाम्. अनाजानन् मनसा याचमानो यत् त ैनो अप तत् सुवा म.. (३) सभी भाव को प व करने वाले अ न मुझे प व कर. म ने ऋण चुकाने एवं य करने का जो वचन दया है तथा म दे व म जो आशा उ प करता ं, उन के ऋण को चुकाता नह ं. म अपने मन से लौ कक सुख क याचना करता ं. इस कार के अस य भाषण म जो पाप है, उसे म र करता ं. (३)
सू -१२०
दे वता—अंत र आ द
यद त र ं पृ थवीमुत ां य मातरं पतरं वा ज ह सम. अयं त माद् गाहप यो नो अ न द या त सुकृत य लोकम्.. (१) म ने अंत र म रहने वाले, पृ वी पर रहने वाले तथा वगलोक म रहने वाले जन क हसा के प म जो पाप कया है, म ने अपने माता पता के तकूल आचरण कर के जो हसा पी पाप कया है, गृह थ ारा से वत यह अ न मुझे उन पाप से छु ड़ा कर उन लोक को ा त कराएं जो पु य कम करने वाल को ा त होते ह. (१) भू ममाता द तन ज न ं ाता ऽ त र म भश या नः. ौनः पता प या छं भवा त जा ममृ वा माव प स लोकात्.. (२) पृ वी हमारी माता है और दे वमाता अ द त हमारे ज म का कारण है. अंत र हमारा भाई है. यह मुझे म या भाषण पी पाप से बचाए. आकाश हमारा पता है. वह पता से आए दोष से हम बचाए एवं हम सुखी बनाए. म थ ही ाण याग कर के तथा य आ द न कर के वगलोक से अधोग त ा त न क ं . (२) य ा सुहादः सुकृतो मद त वहाय रोगं त व १: वायाः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ
ोणा अ ै र ताः वग त प येम पतरौ च पु ान्.. (३)
य आ द करने वाले स दय जन अपने शरीर के वर आ द रोग को याग कर वग आ द लोक म स होते ह. हम भी कु आ द रोग से हीन अंग के ारा सरल ग त से चलते ए वगलोक म अपने पता, माता और पु से मल. (३)
सू -१२१
दे वता—अ न आ द
वषाणा पाशान् व या ऽ य मद् य उ मा अधमा वा णा ये. व यं रतं नः वा मदथ ग छे म सुकृत य लोकम्.. (१) हे बंधन क दे वी नऋ त! हमारे शरीर के माग को बांधने वाले फंदे क र सय को हम से छु ड़ाती ई हम मु करो. जो पाश उ म, अधम और व ण से संबं धत ह, उ ह हम से अलग करो. बुरे व से उ प पाप के फंद को भी हम से अलग करो. इन फंद से छू ट कर हम पु य के फल के प म मलने वाले लोक को ा त कर. (१) यद् दा ण ब यसे य च र वां यद् भू यां ब यसे य च वाचा. अयं त माद् गाहप यो नो अ न द या त सुकृत य लोकम्.. (२) हे पु ष! तुम काठ के बंधन म, र सी म अथवा धरती के गड् ढे म राजा क आ ा से बांधे गए हो. यह गाहप य अ न तु ह उन बंधन से छु ड़ा कर वह लोक ा त कराएं, जो उ म कम करने के फल के प म मलता है. (२) उदगातां भगवती वचृतौ नाम तारके. ेहामृत य य छतां ैतु ब कमोचनम्.. (३) वचृत अथात् मूल न म उदय या उ प होने वाली वचृत नाम क ता रकाएं इस बंधे ए पु ष को मरने से बचाएं तथा साथ ही बंधन से मु कर. (३) व जही व लोकं कृणु ब धा मु चा स ब कम्. यो या इव युतो गभः पथः सवा अनु य.. (४) हे बंधन से संबं धत दे वता! तुम अनेक कार से आओ और इस थान पर बंधे ए पु ष को उसके बंधन से छु ड़ाओ. हे पु ष! जस कार माता के गभ से ब चा बाहर नकल आता है, उसी कार तू बंधन से छू ट कर व छं द प से सभी माग पर चल. (४)
सू -१२२
दे वता— व कमा
एतं भागं प र ददा म व ान् व कमन् थमजा ऋत य. अ मा भद ं चरसः पर ताद छ ं त तुमनु सं तरेम.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे व कमा! तुम ा ण से पहले उ प ए हो. तु हारे इस मह व को जानता आ म अपनी र ा के लए तु ह ह व दान करता ं. मेरे ारा तु ह दया आ यह ह व मुझे वृ ाव था तक द घ जीवन दान करे और म अपनी संतान के म य जीवन तीत क ं . (१) ततं त तुम वेके तर त येषां द ं प यमायनेन. अब वेके ददतः य छ तो दातुं चे छ ा स वग एव.. (२) कुछ ऋणी जन दे ह याग के प ात पु , पौ आ द ारा पतर संबंधी ऋण चुकाने के कारण ऋण से छू ट गए. पु , पौ आ द संतान से र हत लोग धनी को धन धा य का ऋण चुका कर उस वग को ा त करते ह, जसे ऋण चुकाने के इ छु क ा त करते ह. (२) अ वारभेथामनुसंरभेथामेतं लोकं द्दधानाः सच ते. यद् वां प वं प र व म नौ त य गु तये दं पती सं येथाम्.. (३) हे प तप नी! परलोक म हत करने वाला कम आरंभ करो तथा इस के प ात संयु हो जाओ. कमफल के प म ा त होने वाले वग आ द लोक म ा रखते ए तुम दोन सेवा करो. (३) य ं य तं मनसा बृह तम वारोहा म तपसा सयो नः. उप ता अ ने जरसः पर तात् तृतीये नाके सधमादं मदे म.. (४) अनशन आ द द ा नयम के ारा द दे ह पाने का पा बना आ म अपने ारा कए गए महान य का वचार कर के उसी म थत रहता ं. हे अ न! तु हारी अनुम त पा कर म वृ ाव था से भी अ धक आयु पा कर ःख र हत वगलोक म पु , पौ आ द स हत ह षत बनूं. (४) शु ाः पूता यो षतो य या इमा णां ह तेषु पृथक् सादया म. य काम इदम भ ष चा म वो ऽ ह म ो म वा स ददातु त मे.. (५) शु , प व और य के यो य उन जल को म ऋ वज् ा ण के हाथ धोने के लए अलग रखता ं. हे जलो! जस अ भलाषा से म तु ह छड़कता ,ं म द्गण के स हत इं मेरी वह अ भलाषा पूण कर. (५)
सू -१२३
दे वता— व े दे व
एतं सध थाः प र वो ददा म यं शेव धमावहा जातवेदाः. अ वाग ता यजमानः व त तं म जानीत परमे ोमन्.. (१) हे वग म यजमान के साथ बैठने वाले दे वो! म यह ह व भाग तु ह दे ता ं. यह व ध ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पी भाग अ न तुम सब को ा त कराते ह. यह यजमान उस ह व करता आ आएगा. इस यजमान को तुम वगलोक म जानना. (१)
पी व ध का अनुगमन
जानीत मैनं परमे ोमन् दे वाः सध था वद लोकम . अ वाग ता यजमानः व ती ापूत म कृणुता वर मै.. (२) हे यजमान के साथ वग म बैठने वाले दे वो! उस वग म इस यजमान को जानना. यह यजमान उस ह व पी व ध का अनुगमन करता आ आएगा. इस यजमान को तुम वगलोक म पहचान लेना. (२) दे वाः पतरः पतरो दे वाः. यो अ म सो अ म.. (३) वसु, आ द जो दे व ह, वे हमारे पतर ह. जो पता, पतामह आ द हमारे पतर ह, वे ही दे व ह. उन सब का म जो ं, सो ं. (३) स पचा म स ददा म स यजे स द ा मा यूषम्.. (४) उ ह दे व और पतर क संतान म पाक य करता ं और दान दे ता ं. वही म य करता ं. अनु ान के फल के कारण म पु , पौ आ द से र हत न बनूं. (४) नाके राजन् त त त ैतत् त त तु. व पूत य नो राज स दे व सुमना भव.. (५) हे वामी सोम! तुम वगलोक म सुखपूवक थत रहो, हमारे अनु ान भी वग म थत रह. तुम अपने मन म यह न य कर लो क तुम को मुझे इस अनु ान का फल दे ना है. हे दे व! इस कार के तुम शोभन मन वाले बनो. (५)
सू -१२४
दे वता— द जल
दवो नु मां बृहतो अ त र ादपां तोको अ यप तद् रसेन. स म येण पयसा ऽ हम ने छ दो भय ैः सुकृतां कृतेन.. (१) ुलोक से अथवा वशाल मेघ र हत आकाश से जल क बूंद मेरे ऊपर गरी. हे अ न! तु हारी कृपा से म इं दे व के च जल से संयु बनूं. म वेदमं और य के मा यम से पु यवान जन ारा कए गए कम क सहायता से उ म फल ा त क ं . (१) य द वृ ाद यप तत् फलं तद् य त र ात् स उ वायुरेव. य ा पृ त् त वो ३ य च वासस आपो नुद तु नऋ त पराचैः.. (२) वृ से पानी क जो बूंद मेरे ऊपर गरी, वह उस वृ का फल ही है. मेघ र हत आकाश ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से जो बूंद मेरे ऊपर गरी, वह वायु भी है. वषा क वे बूंद मेरे शरीर का पश करती ह अथवा मेरे व को भगोती ह. वे बूंद पाप दे वता नऋ त का ालन करने म समथ होने के कारण मेरे पाप को र कर. (२) अ य नं सुर भ सा समृ हर यं वच त पू ममेव. सवा प व ा वतता य मत् त मा तारी ऋ तम अरा तः.. (३) मेरे शरीर पर गरी ई वषा क बूंद सुगं धत तेल और उबटन मुझे प व करने वाले ही ह. प व ता के सभी कहे गए और न कहे गए साधन मेरे ऊपर फैले ह. प व ता के साधन से ढके ए मेरे शरीर को पाप दे वता नऋ त एवं कोई श ु अ त मण न करे. (३)
सू -१२५
दे वता—वन प त
वन पते वीड् व ो ह भूया अ म सखा तरणः सुवीरः. गो भः संन ो अ स वीडय वा थाता ते जयतु जे वा न.. (१) हे वृ से बने ए रस! तेरे अंग ढ़ ह . तू हमारा सखा, श ु से हम पार करने वाला और शोभन वीर से यु है. तू गाय के चम से बनी ई र सय से बंधे होने के कारण ढ़ हो. तुझ पर बैठा आ पु ष श ु को जीतने वाला हो. (१) दव पृ थ ाः पय ज उ तं वन प त यः पयाभृतं सहः. अपामो मानं प र गो भरावृत म य व ं ह वषा रथं यज.. (२) हे रस! तेरा बल आकाश के पास से ा त आ है. सार वाले वृ से ा त बल ही यह रथ है. जल का बल एवं गाय के चम से बनी र सय से ढका आ यह रथ इं के व के समान ग त वाला हो. हे होता! इस कार के रथ का ह से यजन करो. (२) इ यौजो म तामनीकं म य गभ व ण य ना भः. स इमां नो ह दा त जुषाणो दे व रथ त ह ा गृभाय.. (३) हे द गुण से यु रथ! तुम इं के बल, म त क सेना, म अथात् सूय के गभ और व ण क ना भ हो. इस कार के तुम हमारी य या क सेवा करते ए ह व को हण करो. (३)
सू -१२६
दे वता— ं भ
उप ासय पृ थवीमुत ां पु ा ते व वतां व तं जगत्. स भे सजू र े ण दे वै राद् दवीयो अप सेध श ून्.. (१) हे ं भ! तू अपने घोष से पृ वी और आकाश को भर दे . अनेक कार से थत ाणी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अनेक दे श म तेरा जय घोष सुन. इस कार का तू सं ाम के दे व इं और उन के अनुचर म त के ारा हमारे श ु को र से भी र थान पर भगा दे . (१) आ दय बलमोजो न आ धा अ भ न रता बाधमानः. अप सेध भे छु ना मत इ य मु र स वीडय व.. (२) हे ं भ! तू अपने श द से श ु क सेना अथात् रथ, घोड़े हाथी और पैदल सै नक को परा जत कर के हमारे बल को बढ़ा. तू पराजय के कारण और श ु ारा दए ए ःख को र करता आ ऐसा वण कटु श द कर, जस से श ु के दय फट जाएं. तू इस यु थल से श ु क सेना को भगा दे . तू इं दे व क मुट्ठ के समान श ु नाशकारी है, इस लए तू ढ़ हो. (२) ामूं जयाभी ३ मे जय तु केतुमद् भवावद तु. सम पणाः पत तु नो नरो ऽ माक म र थनो जय तु.. (३) हे इं ! तुम र दखाई दे ने वाली श ु सेना को इस कार परा जत करो क वह दोबारा हम पर आ मण न कर सके. हमारे यो ा श ु सेना पर वजय ा त कर तथा वजय सूचक ं भ बजाएं. हमारे सेनानायक घोड़ पर सवार हो कर यु भू म म जाएं तथा हमारे अमा य और राजा वजयी ह . (३)
सू -१२७
दे वता—वन प त
व ध य बलास य लो हत य वन पते. वस पक योषधे मो छषः प शतं चन.. (१) हे पलाश वृ एवं हे वसप ा ध क ओष ध! खांसी और सांस से र वसपक रोग से संबं धत मांस, र आ द को हम से र करो. (१)
बहाने वाले
यौ ते बलास त तः क े मु कावप तौ. वेदाहं त य भेषजं चीपु र भच णम्.. (२) हे खांसी और सांस रोग! तेरे वसपक आ द प कांख अथात् बगल म वद नाम के वशेष घाव के प म थत रहते ह तथा अंडकोष म आ य लेते ह. म उन क ओष ध जानता ,ं चीपु नाम का वशेष वृ इसे मटाने वाली ओष ध है. (२) यो अङ् यो यः क य यो अ यो वस पकः. व वृहामो वस पकं व धं दयामयम्. परा तम ातं य ममधरा चं सुवाम स.. (३) हमारे हाथ, पैर आ द अंग म, कान म और आंख म जो वसपक ह, उ ह म जड़ से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उखाड़ता ं. म वद को, दय रोग को तथा अ ात व प वाले य मा रोग को भी नीचे क ओर वमुख करता ं. (३)
सू -१२८
दे वता—शकधूम, सोम
शकधूमं न ा ण यद् राजानमकुवत. भ ाहम मै ाय छ दं रा मसा द त.. (१) ाचीन काल म शकधूम नाम के ा ण को तार ने चं मा के समान राजा बनाया. मुझ भ ा ने इस शकधूम ा ण को ाचीन काल म क याणकारी समय इस लए दया था क उसे न मंडल का वा म व ा त हो. (१) भ ाहं नो म य दने भ ाहं सायम तु नः. भ ाहं नो अ ां ाता रा ी भ ाहम तु नः.. (२) हमारे लए दोपहर और सायंकाल पु यकारक ह . इस के अ त र पूरी रा भी हमारे लए शुभ हो. (२)
ातःकाल और
अहोरा ा यां न े यः सूयाच मसा याम्. भ ाहम म यं राज छकधूम वं कृ ध.. (३) हे शकधूम ा ण तथा हे न के राजा चं मा! रात दन, न पास हमारे लए पु य वाला दन लाओ. (३)
, सूय और चं मा के
यो नो भ ाहमकरः सायं न मथो दवा. त मै ते न राज शकधूम सदा नमः.. (४) हे शकधूम ा ण और हे तार के वामी चं मा! तुम ने जो सायंकाल म, रात म और दन म हमारा क याण कया, उसे तु हारे लए नम कार है. (४)
सू -१२९
दे वता—भग
भगेन मा शांशपेन साक म े ण मे दना. कृणो म भ गनं माप ा वरातयः.. (१) म गाय एवं भस के खुर क आकृ त वाले दे व के ारा अपनेआप को सौभा यशाली बनाता ं. म अपनी सेवा से संतु इं के ारा अपने को सौभा यशाली बनाता ं. हमारे श ु हमारे समीप से र चले जाएं और बुरी दशा को ा त ह . (१) येन वृ ाँ अ यभवो भगेन वचसा सह. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तेन मा भ गनं कृ वप ा वरातयः.. (२) हे ओष ध! तुम जस सौभा य दान करने वाले दे व से तेज ा त कर के समीपवत वृ का तर कार करती हो, उसी सौभा य से मुझे सौभा यशाली बनाओ. हमारे श ु हम से र चले जाएं और बुरी ग त को ा त ह . (२) यो अ धो यः पुनःसरो भगो वृ े वा हतः. तेन मा भ गनं कृ वप ा वरातयः.. (३) जो भग नामक दे व, अंधे होने के कारण आगे चलने म असमथ ह और माग म थत वृ को नह छोड़ते ह, हे ओष ध! मुझे उस भा य से भा यशाली बनाओ. हमारे श ु हम से र चले जाएं और बुरी दशा को ा त ह . (३)
सू -१३०
दे वता— मर
रथ जतां राथ जतेयीनाम सरसामयं मरः. दे वाः हणुत मरमसौ मामनु शोचतु.. (१) हे रथ जता अथात् माष नाम क जड़ीबूट ! अपने वाहन रथ से व को जीतने वाली एवं वशेष वैरा य उ प करने वाली अ सरा से संबं धत मर अथात् कामदे व को र करो. हे दे व! उस कामदे व को इस नारी के समीप भेजो. मुझ से वमुख यह ी कामदे व से पी ड़त हो कर मेरी याद कर के ःखी हो. (१) असौ मे मरता द त यो मे मरता द त. दे वाः हणुत मरमसौ मामनु शोचतु.. (२) यह पु ष मेरा मरण करे तथा मेरे त अनुराग पूण हो कर मेरा मरण करे. हे दे व! इस के त कामदे व को भेजो, जस से यह मेरा मरण करे और मेरे मरण के कारण ःखी हो. (२) यथा मम मरादसौ नामु याहं कदा चन. दे वाः हणुत मरमसौ मामनु शोचतु.. (३) जस कार यह ा ी मेरा मरण करती है, उस कार आत हो कर म कभी भी इस ी का मरण नह करता ं. हे दे वो! कामदे व को इस क ओर भेजो, जस से यह मेरा मरण करे और मेरे मरण के कारण ख का अनुभव करे. (३) उ मादयत म त उद त र मादय. अ न उ मादया वमसौ मामनु शोचतु.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे म द्गण! इस ी को मतवाली बनाओ. हे आकाश! तुम भी इसे मतवाली बना कर मेरे वश म करो. हे अ न दे व! तुम इसे मतवाली बनाओ, जस से यह अपनेआप को भूल कर मेरा चतन करे. (४)
सू -१३१
दे वता— मर
न शीषतो न प त आ यो ३ न तरा म ते. दे वाः हणुत मरमसौ मामनु शोचतु.. (१) हे प नी! म तेरे सर से ले कर सारे शरीर म चता का वेश कराता !ं दे वगण तेरे त कामदे व को भेज, जस से ःखी हो कर तू मेरा चतन करे. (१) अनुमते ऽ वदं म य वाकूते स मदं नमः. दे वाः हणुत मरमसौ मामनु शोचतु.. (२) हे सब कम क अनुम त दे ने वाली दे व प नी! मुझ पर कृपा करो. हे संक प क दे वी आकू त! तुम मेरे इस नम कार को वीकार करो. हे दे वो! इस के त कामदे व को भेजो, जस से ःखी हो कर यह मेरा मरण करे. (२) यद् धाव स योजनं प चयोजनमा नम्. तत वं पुनराय स पु ाणां नो असः पता.. (३) हे पु ष! य द तू यहां से भाग कर तीन योजन र चला जाता है, पांच योजन र चला जाता है अथवा उतनी र चला जाता है, जतनी र घोड़ा दनभर म प ंच सकता है, तू वहां से भी मेरे पास आ जा और मेरे पु का पता बन. (३)
सू -१३२
दे वता— मर
यं दे वाः मरम स च व १ तः शोशुचानं सहा या. तं ते तपा म व ण य धमणा.. (१) सभी दे व ने कामदे व को उस क प नी, आ ध अथात् चता के साथ जल म डु बो दया, य क वह उस के वयोग म संत त था. हे नारी! म तेरे लए उस कामदे व को जल के वामी व ण क धारण श से संत त करता ं. (१) यं व े दे वाः मरम स च व १ तः शोशुचानं सहा या. तं ते तपा म व ण य धमणा.. (२) व े दे व नामक दे व ने कामदे व को उस क प नी आ ध अथात् चता के साथ जल म डु बो दया, य क वह उस के वयोग म संत त था. हे नारी! म तेरे लए उस कामदे व को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जल के वामी व ण क धारण श
से संत त करता ं. (२)
य म ाणी मरम स चद व १ तः शोशुचानं सहा या. तं ते तपा म व ण य धमणा.. (३) इं प नी ने कामदे व को उस क प नी आ ध अथात् चता के साथ जल म डु बो दया, य क वह उस के वयोग म संत त था. हे नारी! म तेरे लए उस कामदे व को जल के वामी व ण क धारण श से संत त करता ं. (३) य म ा नी मरम स चताम व १ तः शोशुचानं सहा या. तं ते तपा म व ण य धमणा.. (४) इं और अ न दे व ने कामदे व को उस क प नी आ ध अथात् चता के साथ जल म डु बो दया, य क वह उस के वयोग म संत त था. हे नारी! म तेरे लए उस कामदे व को जल के वामी व ण क धारण श से संत त करता ं. (४) यं म ाव णौ मरम स चताम व १ तः शोशुचानं सहा या. तं ते तपा म व ण य धमणा.. (५) म और व ण दे व ने कामदे व को उस क प नी आ ध अथात् चता के साथ जल म डु बो दया, य क वह उस के वयोग म संत त था. हे नारी! म तेरे लए उस कामदे व को जल के वामी व ण क धारण श से संत त करता ं. (५)
सू -१३३
दे वता—मेखला
य इमां दे वो मेखलामाबब ध यः संननाह य उ नो युयोज. य य दे व य शषा चरामः स पार म छात् स उ नो व मु चात्.. (१) श ु को मारने म कुशल दे व ने अपने श ु को मारने के लए यह मेखला बांधी है, जो इस समय भी सर क मेखला को बांधता है, जस ने मेखला के ारा हम अ भचार कम म लगाया है तथा जस दे व क आ ा से हम चलते फरते ह, वह हमारे ारा ारंभ कए गए अ भचार क समा त क इ छा करे. वही हम श ु से छु ड़ाए. (१) आ ता य भ त ऋषीणाम यायुधम्. पूवा त य ा ती वीर नी भव मेखले.. (२) हे मेखला! तुम आ तय के ारा सं कार क गई तथा बंधन हेतु बुलाई गई हो, जस से वे श ु का बंधन करते थे. तुम ारंभ कए गए कम से पहले होने वाली तथा श ु के वीर का वनाश करने वाली हो. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मृ योरहं चारी यद म नवाचन् भूतात् पु षं यमाय. तमहं णा तपसा मेणानयैनं मेखलया सना म.. (३) म चारी होने के कारण सूय के पु यमराज का सेवक ं. इसी कारण म ा णय म से अपने श ु के वनाश हेतु यमराज से ाथना करता ं. मारने यो य उस श ु को म मं , तप, शारी रक दं ड एवं मेखला के ारा बांधता ं. (३) ाया हता तपसो ऽ ध जाता वस ऋषीणां भूतकृतां बभूव. सा नो मेखले म तमा धे ह मेधामथो नो धे ह तप इ यं च.. (४) ा क पु ी सृ के आ द म के तप से उ प ई. ा णय को ज म दे ने वाले मरी च आ द ऋ षय क जो यह मेखला है, वह इसी कार उ प ई है. हे मेखला! तू हम ांतद शनी बु दान कर तथा हम मेधा दे . इस के अ त र तू मुझे ताप तथा वीय दान कर. (४) यां वा पूव भूतकृत ऋषयः प रबे धरे. सा वं प र वज व मां द घायु वाय मेखले.. (५) हे मेखला! पृ वी आ द त व क रचना करने वाले ाचीन ऋ षय ने तुझे बांधा था. द घ आयु दान करने के लए तू मेरा भी आ लगन कर. (५)
सू -१३४
दे वता—व
अयं व तपयतामृत यावा य रा मप ह तु जी वतम्. शृणातु ीवाः शृणातू णहा वृ येव शचीप तः.. (१) मेरे ारा धारण कया गया, यह दं ड इं के व के समान स य और य के साम य से तृ त हो. यह व हमारे े षी राजा के रा का वनाश करे तथा उस क गले क ह ड् डयां काट दे . यह गले क धम नय को भी उसी कार काट दे , जस कार शचीप त इं ने वृ के गले क धम नयां काट थी. (१) अधरो ऽ धर उ रे यो गूढः पृ थ ा मो सृपत्. व ेणावहतः शयाम्.. (२) अ धक ऊंच क अपे ा, अ तशय अधोग त वाला एवं धरती म छपा आ धरती से बाहर न नकले, वह इस व के ारा घायल हो कर सोता रहे. (२) यो जना त तम व छ यो जना त त म ज ह. जनतो व वं सीम तम व चमनु पातय.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे व ! जो श ु हम हा न प ंचाता है, उसी के समीप जा. जो हम हा न प ंचाता है, उसी को मार. जो श ु हम हा न प ंचाता है, तू उस के शरीर के भाग को वद ण कर. (३)
दे वता—व
सू -१३५ यद ा म बलं कुव इ थं व मा ददे . क धानमु य शातयन् वृ येव शचीप तः.. (१)
म जो भोजन करता ,ं उस से मुझे बल ा त होता है. उस बल से म व पकड़ता ं. हे व ! इं ने जस कार रा स के शरीर के अवयव को काट डाला था, उसी कार तू मेरे श ु के शरीर को काट डाल. (१) यत् पबा म सं पबा म समु इव सं पबः. ाणानमु य संपाय सं पबामो अमुं वयम्.. (२) म जो जल पीता ं, उस के ारा मानव श ु को पकड़ कर उस का रस पीता ं. जस कार सागर नद मुख से पूरा जल हण कर के पी जाता है, उसी कार म श ु का रस पीता ं. म पहले इस श ु के ाण को रस बना कर पीता ं और बाद म इस पूरे श ु का वनाश कर दे ता ं. (२) यद् गरा म सं गरा म समु इव सं गरः. ाणानमु य संगीय सं गरामो अमुं वयम्.. (३) म जो कुछ नगलता ं, उस के ारा अपने मानव श ु को ही नगल जाता ं. जस कार सागर नद के जल को नगल जाता है, उसी कार म श ु के अंग को नगलता ं. म पहले इस श ु के अंग को नगलता ं और बाद म इसे समा त कर दे ता ं. (३)
दे वता—वन प त
सू -१३६ दे वी दे ाम ध जाता पृ थ ाम योषधे. तां वा नत न केशे यो ं हणाय खनाम स.. (१)
हे काश करती ई, कालमाची नामक जड़ीबूट ! तू द पृ वी म उ प ई है. हे नीचे क ओर जाने वाली जड़ीबूट ! म तुझे अपने केश को ढ़ करने के लए खोदता ं. (१) ंह
नान्जनयाजातान्जातानु वष यस कृ ध.. (२)
हे जड़ीबूट ! तू मेरे केश को ढ़ बना तथा मेरे जो केश उ प नह कर. मेरे जो केश उ प हो गए ह, उ ह तू अ धक वशाल बना दे . (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ए, उ ह उ प
य ते केशो ऽ वप ते समूलो य वृ ते. इदं तं व भेष या ऽ भ ष चा म वी धा.. (३) हे केश को ढ़ करने के इ छु क पु ष! तेरा जो केश धरती पर गरता है तथा जो जड़ र हत काटा जाता है, म तेरे उन सभी केश को, केश संबंधी रोग का वनाश करने वाली ओष ध से गीला करता ं. (३)
दे वता—वन प त
सू -१३७ यां जमद नरखनद् ह े केशवधनीम्. तां वीतह आभरद सत य गृहे यः.. (१)
जमद न ऋ ष ने अपनी पु ी के केश को बढ़ाने वाली जस ओष ध को खोदा था, उसे वीतह मह ष ने अपने केश बढ़ाने के लए अ सत केश नामक मु न के घर से जसे चुराया था. (१) अभीशुना मेया आसन् ामेनानुमेयाः. केशा नडा इव वध तां शी ण ते अ सताः प र.. (२) हे केश को बढ़ाने के इ छु क पु ष! पहले तेरे केश अंगुल म (दो अंगुल, चार अंगुल आ द प म) नापने यो य थे. इस के प ात वे दोन हाथ फैला कर नापने यो य हो गए. हे पु ष! तेरे शीश के चार ओर केश नड नामक घास के समान बढ़. (२) ं ह मूलमा ं य छ व म यं यामयौषधे. केशा नडा इव वध ता शी ण ते अ सताः प र.. (३) हे ओष ध, मेरे बाल क जड़ को ढ़ बना तथा उन के ऊपरी भाग को लंबा बना. इस के अ त र तू मेरे केश के म य भाग को ढ़ बना. हे पु ष! तेरे शीश के चार ओर केश नई घास के समान बढ़. (३)
सू -१३८ वं वी धां े तमा ऽ भ ुता ऽ लीबमोप शनं कृ ध.. (१)
दे वता—वन प त योषधे. इमं मे अ
पू षं
हे श हीन करने वाली जड़ीबूट ! तू सभी लता म े एवं सभी ओर आज मेरे इस श ु पु ष को नपुंसक तथा ी के समान बना दे . (१) लीबं कृ योप शनमथो कुरी रणं कृ ध. अथा ये ो ाव यामुभे भन वा ौ.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स
है.
हे जड़ीबूट ! मेरे श ु को नपुंसक तथा ी के समान बना दे . तू इसे ी के समान बड़ेबड़े केश वाला बना दे . इस के प ात इं इस के दोन अंडकोष को प थर से फोड़ डाल. (२) लीब लीबं वा ऽ करं व े व वा ऽ करमरसारसं वा ऽ करम्. कुरीरम य शीष ण कु बं चा ध नद म स.. (३) हे नपुंसक! म ने तुझे इस अनु ान के ारा नपुंसक बना दया है. हे षंढ अथात् ज मजात नपुंसक! म ने तुझे षंढ बना दया है. हे वीयहीन! म ने तुझे वीय र हत बना दया है. म नपुंसक बने ए इस पु ष के शीश पर ना रय के शृंगार बने ए केश समूह को उ प करता ं. (३) ये ते ना ौ दे वकृते ययो त त वृ यम्. ते ते भन द्म श यया ऽ मु या अ ध मु कयोः.. (४) तेरी ये ना ड़यां वधाता ारा बनाई गई ह, जन म वीय आ य लेता है. म अंडकोष पर थत तेरी उन वीयवा हनी ना ड़य को प थर पर रख कर डंडे से तोड़ता ं. (४) यथा नडं क शपुने यो भ द य मना. एवा भन ते शेपोऽमु या अ ध मु कयोः.. (५) यां चटाई बनाने के लए जस कार नड नामक घास को प थर से कूटती ह, हे श !ु म तेरे अंडकोष को उसी कार प थर के ऊपर रख कर सरे प थर से फोड़ता ं. (५)
सू -१३८
दे वता—वन प त
य तका रो हथ सुभगंकरणी मम. शतं तव ताना य तया सह प या दयं शोषया म ते.. (१)
ंश तानाः.
हे शंखपु पी! तू भा य के ल ण को पूरी तरह नगलती ई उ प होती है. तू मेरे सौभा य का नमाण करती है. हे जड़ीबूट ! तेरी सौ शाखाएं तथा ततीस जड़ ह. हे नारी! इस हजार प वाली शंखपु पी के ारा म तेरे दय को कामा न से संत त करता ं. (१) शु यतु म य ते दयमथो शु य वा यम्. अथो न शु य मां कामेनाथो शु का या चर.. (२) हे का मनी! मेरे वषय म तेरा दय संत त हो. तेरा मुख भी सूख जाए इस के अ त र तू मेरे त अ भलाषा करती ई अ य धक संत त हो. तू सूखे मुंह वाली बन कर मेरे समीप आ. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
संवननी समु पला ब ु क या ण सं नुद. अमूं च मां च सं नुद समानं दयं कृ ध.. (३) हे पीले प वाली एवं क याण करने वाली जड़ीबूट ! तू वशीकरण करने वाली है. तू फल से यु हो कर उस नारी को मेरे समीप आने क ेरणा दे . इस के प ात मुझ कामुक और का मनी को मला दे . (३) यथोदकमपपुषो ऽ पशु य या यम्. एवा न शु य मां कामेनाथो शु का या चर.. (४) हे का मनी! जस कार जल न पीने वाल का मुंह सूख जाता है, उसी कार तू मेरे त काम भावना से संत त हो. तू सूखे मुंह वाली बन कर मेरे समीप आ. (४) यथा नकुलो व छ संदधा य ह पुनः. एवा काम य व छ ं सं धे ह वीयाव त.. (५) हे अ तशय वीयवधक जड़ीबूट ! नेवला जस कार सांप के टु कड़े कर के पुनः उ ह जोड़ता है, उसी कार ी के वमुख होने के कारण जो मुझ म काम वकार आ गया है उसे र कर के मुझे मेरी प नी से पुनः मला द. (५)
सू -१४०
दे वता—
ण पत
यौ ा ावव ढौ जघ सतः पतरं मातरं च. यौ द तौ ण पते शवौ कृणु जातवेदः.. (१) हे ण प त और हे जातवेद अ न! बाघ के समान जो दो दांत ऊपर क पं म अतर प से नीचे क ओर मुंह कर के थत ह, वे माता पता को खाना चाहते ह. वे दांत माता पता का क याण करने वाले ह . (१) ी हम ं यवम मथो माषमथो तलम्. एष वां भागो न हतो र नधेयाय द तौ मा ह स ं पतरं मातरं च.. (२) हे पहले नकले ए, ऊपर वाले दो दांतो! तुम गे ं, जौ, उरद और तल खाओ. तु हारे रमणीय फल के लए ही गे ,ं जौ आ द का भाग रखा गया है. तुम माता और पता क हसा मत करो. (२) उप तौ सयुजौ योनौ द तौ सुम लौ. अ य वां घोरं त व १: परैतु द तौ मा ह स ं पतरं मातरं च.. (३) दोन ऊपर वाले दांत दे व के ारा अनुम त ा त, म बने ए, सुखकारक एवं शोभन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह . हे दोन दांतो! नरमादा का संकेत करने वाला च बनाओ. वह च पु , पौ आ द के प म समृ करने वाला हो. (३)
सू -१४१
दे वता—अ नीकुमार
वायुरेनाः समाकरत् व ा पोषाय यताम्. इ आ यो अ ध वद् ो भू ने च क सतु.. (१) वायु दे व हमारी इन गाय को एक कर, व ा दे व इ ह पोषण के लए धारण कर, इं इन के त ेम भरी बात कह तथा दे व इन क सं या वृ के लए इन क च क सा कर. (१) लो हतेन व ध तना मथुनं कणयोः कृ ध. अकताम ना ल म तद तु जया ब .. (२) हे गोपाल! तांबे के बने ए लाल रंग के श से गाय के बछड़ और ब छय के कान म नर और मादा होने का च बनाओ. अ नीकुमार भी इन के कान म इसी कार का च बनाएं. यह च पूजा के प म सं या म अ धकता ा त करे. (२) यथा च ु दवासुरा यथा मनु या उत. एवा सह पोषाय कृणुतं ल मा ना.. (३) दे व और असुर ने पशु के कान म श से जस कार का नरमादा होने का च बनाया, मनु य ने भी इसी कार च बनाया. अ नीकुमार गाय क असी मत वृ के लए इसी कार का च बनाएं. (३)
सू -१४२
दे वता—वायु
उ य व ब भव वेन महसा यव. मृणी ह व ा पा ा ण मा वा द ाश नवधीत्.. (१) हे जौ अ ! तू उगता आ ऊंचा हो तथा अनेक कार का बन. तू अपने तेज से कुसूल, को आ द सभी पा को भर दे . आकाश से गरने वाला व तेरी हसा न करे. (१) आशृ व तं यवं दे वं य वा छा ऽ वदाम स. त य व ौ रव समु इवै य तः.. (२) सामने हो कर हमारी बात सुनते ए जौ नामक दे व क म इस भू म म ाथना करता ं. तू धरती पर आकाश के समान ऊंचा हो तथा सागर के समान य र हत हो कर बढ़. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ ता त उपसदो ऽ ताः स तु राशयः. पृण तो अ ताः स व ारः स व ताः.. (३) हे जौ! तुझ से संबं धत कम करने वाले वनाश र हत ह . तेरे ढे र नाश र हत ह . तुझे घर म रखने को ले जाने वाले लोग वनाश र हत ह . तुझे खाने वाले लोग भी वनाश र हत ह . (३)
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सातवां कांड सू -१
दे वता—आ मा
धीती वा ये अनयन् वाचो अ ं मनसा वा ये ऽ वद ृता न. तृतीयेन णा वावृधाना तुरीयेणाम वत नाम धेनोः.. (१) जाप त अथवा इं और अ न क तु त करने वाल ने वाणी वहार के सम त अथ का यान कया. जन कहने के इ छु क ने दे वता वाचक श द के प म स य बोला, उ ह ने तृतीय अथात् म यमा नामक भाषा श के ारा वृ ा त करते ए चौथी अथात् वैखरी वाणी से स होने वाले जाप त का नाम उ चारण कया. (१) स वेद पु ः पतरं स मातरं स सूनुभुवत् स भुवत् पुनमघः. स ामौण द त र ं व १: स इदं व मभवत् स आभवत्.. (२) भलीभां त जानने वाले पु को अनथ से बचाने वाला जाप त ुलोक तथा पृ वी को जानता है. वह जाप त संसार के लोग को अपनेअपने कम करने क ेरणा दे ता है. वह आकाश तथा पृ वी को अपनी म हमा से ा त करता है. वह जाप त ही यह दखाई दे ता आ व बन गया है. (२)
सू -२
दे वता—आ मा
अथवाणं पतरं दे वब धुं मातुगभ पतुरसुं युवानम्. य इमं य ं मनसा चकेत णो वोच त महेह वः.. (१) जा के पालक दे व क सृ करने वाले, माता के गभ से ज म लेने वाले बालक को युवा बनाने वाले एवं गभ के जनक को ाण यु करने वाले जाप त से म अपनी अ भलाषा क स के लए याचना करता ं. उस ने इस यो तहोम आ द य को मन से जाना है. हे ! उस जाप त को मुझे बताओ. इस बात क अ भलाषा पूण करने वाले य कम म बताओ. (१)
सू -३
दे वता—आ मा
अया व ा जनयन् कवरा ण स ह घृ ण वराय गातुः. स युदैद ् ध णं म वो अ ं वया त वा त वमैरयत.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इस माया के ारा व आ मा के प म थत यह जाप त य आ द कम को उ प करता है. वह द तशाली उ म कम फल के लए महान माग है. वह थायी एवं चरकाल तक रहने वाले मधुर जल को उ प करता है. उस ने अपने वराट् शरीर के ारा सभी ा णय के शरीर को े रत कया है. (१)
सू -४
दे वता—वायु
एकया च दश भ ा सु ते ा या म ये वश या च. तसृ भ वहसे शता च वयु भवाय इह ता व मु च.. (१) हे शोभन आ ान वाले वायु दे व! सब के ेरक जाप त अपने रथ म जुड़े ए यारह घोड़ के सहारे हमारे य म आएं. तुम बाईस तथा ततीस अ के ारा वहन कए जाते हो. हे वायु! हमारे य म आ कर अपने घोड़ को यह रोके रहो अथात् हमारे य से सरी जगह मत जाओ. (१)
सू -५
दे वता—आ मा
य ेन य मयज त दे वा ता न धमा ण थमा यासन्. ते ह नाकं म हमानः सच त य पूव सा याः स त दे वाः.. (१) दे व व को ा त यजमान ने अ न के ारा य पूण कया. अ न के कम उन के मुख कम थे. वे मह व यु दे व वग को ा त ए. वहां ाण के अ भमानी ाचीन दे व नवास करते ह. (१) य ो बभूव स आ बभूव स ज े स उ वावृधे पुनः. स दे वानाम धप तबभूव सो अ मासु वणमा दधातु.. (२) य प जाप त, व आ मा के प म स एवं सब के कारण ए. वे स ए तथा वे आज भी जगत् क आ मा के प म बारबार बढ़ते ह. वे इं आ द दे व म मुख ए. यह य हम सेवक को अ धक धन दान करे. (२) यद् दे वा दे वान् ह वषा ऽ यज ताम यान् मनसा ऽ म यन. मदे म त परमे ोमन् प येम त दतौ सूय य.. (३) कम से दे व व को ा त जन ने न मरने वाले इं आ द दे व के हेतु दे व वषयक मन से च , पुरोडाश आ द के ारा य कया. हम यजमान उस वशाल वग म स ह एवं जब तक सूय का काश रहे, तब तक इस य का फल रहे. (३) यत् पु षेण ह वषा य ं दे वा अत वत. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ त नु त मादोजीयो यद् वह ेने जरे.. (४) यजमान ने पु ष प ह व से पु षमेध नामक य ओज वी एवं सारवान है, उसे ह व के प म दे खा. (४)
का व तार कया. उस म जो
मु धा दे वा उत शुना ऽ यज तोत गोर ै ः पु धा ऽ यज त. य इमं य ं मनसा चकेत णो वोच त महेह वः.. (५) काय और अकाय के ववेक से हीन यजमान ने कु े के ारा य कया तथा गाय के अंग के ारा भी अनेक बार य कया. जो इस य करने यो य परमा मा को मन से जानता है, वह गु हम बताओ. उसे यह और इसी समय परमा मा का व प बताओ. (५)
सू -६
दे वता—अ द त
अ द त र द तर त र म द तमाता स पता स पु ः. व े दे वा अ द तः प च जना अ द तजातम द तज न वम्.. (१) खंड न होने यो य जो पृ वी एवं दे वमाता है, वही वग और अंत र है. वही संसार क नमा ी माता और उ प करने वाला पता है. वही माता और पता से उ प पु है. ा ण, य, वै य, शू एवं नषाद—ये पांच जा तय वाले जन भी अ द त ह. जा क उ प और ज म का अ धकरण भी अ द त है. (१) महीमू षु मातरं सु तानामृत य प नीमवसे हवामहे. तु व ामजर तीमु च सुशमाणम द त सु णी तम्.. (२) महती एवं शोभन कम वाली माता को स य और य का पालन करने वाली माता के उ े य से हम अपनी र ा के लए य करते ह. अ धक बल एवं श संप , वनाश र हत, अ त र तक जाने वाली, शोभन सुख वाली एवं उ म कम से स होने वाली दे व माता अ द त को हम अपनी र ा के लए बुलाते ह. (२)
सू -७
दे वता—अ द त
सु ामाणं पृ थव ामनेहसं सुशमाणम द त सु णी तम्. दै व नावं व र ामनागसो अ व तीमा हेमा व तये.. (१) भलीभां त र ा करती ई, व तीण, प ंचने यो य, पाप र हत, सुख वाली सुखमय कम क ेरणा एवं अखंडनीय दै वी नाव म हम सवार ह . उस शोभन डांड वाली एवं छ र हत दै वी नाव पर अपराध न करने वाले हम क याण ा त करने के लए सवार ह . (१) वाज य नु सवे मातरं महीम द त नाम वचसा करामहे. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य या उप थ उव १ त र ं सा नः शम
व थं न य छात्.. (२)
हम अ क उ प के लए, अ का नमाण करने वाली वशाल एवं अखंडनीय अ द त क तु त करते ह. जस अ द त क गोद म व तृत आकाश है, वही अ द त हम तीन मं जला और तीन क वाला घर दान करे. (२)
सू -८
दे वता—अ द त
दतेः पु ाणाम दतेरका रषम् अमव दे वानां बृहतामनमणाम्. तेषां ह धाम ग भषक् समु यं नैनान् नमसा परो अ त क न.. (१) म द त के पु अथात् दै य का थान छ न कर अ द त के पु अथात् दे व को दे ता ं. वे दे व गुण से महान एवं श ु ारा परा जत न होने वाले ह. उन का सागर अथवा आकाश म थत नवास थान सर के लए जय और गम है. इन दे व से महान कोई भी नह है. (१)
सू -९
दे वता—बृह प त
भ ाद ध ेयः े ह बृह प तः पुरएता ते अ तु. अथेमम या वर आ पृ थ ा आरेश ुं कृणु ह सववीरम्.. (१) हे व , धन आ द का लाभ चाहने वाले पु ष! तू उ रोतर क याणकारी संप ात कर. लाभ के हेतु जाते ए तेरे आगेआगे बृह प त चल. हे बृह प त! तुम पृ वी के उस उ म थान पर इस पु ष को था पत करो, जहां धन आ द लाभ ा त ह . इस के सभी पु , पौ आ द वीर ह एवं इस के श ु इस से र रह. (१)
सू -१०
दे वता—पूषा
पथे पथामज न पूषा पथे दवः पथे पृ थ ाः. उभे अ भ यतमे सध ते आ च परा च चर त जानन्.. (१) माग र क सूय दे व, माग के आरंभ म र ा करने के लए उप थत होते ह. सूय दे व पृ वी एवं आकाश के वेश ार म उप थत होते ह. अ य धक ेम करने वाले एवं पर पर एक साथ थत धरती और आकाश दोन को ल त कर के यजमान ारा कए गए कम और उस का फल जानते ए सूय आकाश से पृ वी पर आते ह और पृ वी से आकाश पर जाते ह. (१) पूषेमा आशा अनु वेद सवाः सो अ माँ अभयतमेन नेषत्. व तदा आघृ णः सववीरो ऽ यु छन् पुर एतु जानन्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सब के पोषक सूय दे व सभी दशा को जानते ह. वे हम भयर हत माग से ले चल. क याण के दाता, द तपूण एवं पु , पौ आ द वीर से यु तथा माद न करते ए और हम पूण प से जानते ए आगेआगे चल. (२) पूषन् तव ते वयं न र येम कदा चन. तोतार त इह म स.. (३) हे पूषा! अथात् सूय दे व! तु हारे य प कम म संल न हम कभी भी न न ह . इस कम म हम सदा तु हारे तु तकता बन. (३) प र पूषा पर ता तं दधातु द णम्. पुनन न माजतु सं न ेन गमेम ह.. (४) पोषक सूय दे व अ धक र दे श से भी धन दे ने के लए अपना दा हना हाथ फैलाएं. हमारा न आ धन पुनः हमारे पास आए. हम अपने न ए धन से पुनः मल जाएं. (४)
सू -११
दे वता—सर वती
य ते तनः शशयुय मयोभूयः सु नयुः सुहवो यः सुद ः. येन व ा पु य स वाया ण सर व त त मह धातवे कः.. (१) हे वाणी क दे वी सर वती! तेरा जो तन शशु का पोषण करता है, सुख दाता है, सर को सुख दे ता है, जो सब के ारा आ ान कया जाता है, जो क याण के साधन दे ता है और जस के ारा सम त धन का पोषण होता है, अपने इस कार के तन को इस ज मगृहीत करने वाले बालक के पीने यो य बनाओ. (१)
सू -१२
दे वता—सर वती
य ते पृथु तन य नुय ऋ वो दै वः केतु व माभूषतीदम्. मा नो वधी व ुता दे व स यं मोत वधी र म भः सूय य.. (१) हे दे वपज य! तु हारा जो व तृत और महान गजन करता आ व है, जो बाधक, दे व न मत एवं अनथ ापक व है, वह इस सारे व को ा त करता है. हे पज य दे व! इस कार के व से हमारी फसल का वनाश मत करो, इस के अ त र सूय क करण से हमारी फसल का वनाश मत होने दो. (१)
सू -१३
दे वता—सभा, स म त आ द
सभा च मा स म त ावतां जापते हतरौ सं वदाने. येना संग छा उप मा स श ा चा वदा न पतरः संगतेषु.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व ान का समाज एवं सं ाम करने वाले यो ा जन का समूह मेरी र ा करे. सारे संसार क सृ करने वाले जाप त क वे दोन पु यां मेरी र ा कर. जो मेरी र ा के वषय म एकमत ह, उन से म संगत होऊं तथा व ान् मेरे समीप आ कर मुझे श ा द. हे सभासदजनो! जो मेरी कही बात का ‘साधुसाधु’ कह कर समथन कर, उन के साथ मल कर म वाद ववाद म याय यु उ र ं . (१) वद्म ते सभे नाम न र ा नाम वा अ स. ये ते के च सभासद ते मे स तु सवाचसः.. (२) हे सभा! म तेरे नाम को जानता ं. तेरा नाम न र ा अथात् सर के ारा अ भभूत न होने वाली है. तुझ से संबं धत जो सभासद ह, वे सब मेरे समान वचन वाले अथात् मेरा अनुमोदन करने वाले ह . (२) एषामहं समासीनानां वच व ानमा ददे . अ याः सव याः संसदो मा म भ गनं कृणु.. (३) सभा म सामने बैठे ए इन बोलने वाल के तेज और व ान को म वीकार करता ं. हे इं ! मुझे इस समुदाय म थत सभा का वजयी बनाओ. (३) यद् वो मनः परागतं यद् ब मह वेह वा. तद् व आ वतयाम स म य वो रमतां मनः.. (४) हे सभासदो! तु हारा जो मन हम से हट कर र चला गया है तथा जो मन इस वषय से संबं धत है, म तु हारे उस मन को अपने अनुकूल करता ं. तु हारा मेरी ओर आया आ मन मेरे अनुकूल चतन करे. (४)
सू -१४
दे वता—सूय
यथा सूय न ाणामु ं तेजां याददे . एवा ीणां च पुंसां च षतां वच आ ददे .. (१) उदय होता आ सूय जस कार तार का काश छ न लेता है, उसी कार म े ष करने वाले ीपु ष के तेज का अपहरण करता ं. (१) याव तो मा सप नानामाय तं तप यथ. उ सूय इव सु तानां षतां वच आ ददे .. (२) श ु के म य म जन श ु को म यु के लए आता आ दे ख रहा ,ं उन के तेज का अपहरण म उसी कार करता ं, जस कार सूय उदय के समय सोने वाले पु ष का तेज छ न लेते ह. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -१५
दे वता—स वता
अ भ यं दे वं स वतारमो योः क व तुम्. अचा म स यसवं र नधाम भ यं म तम्.. (१) धरती और आकाश का नमाण करने वाले स वता दे व क म तु त करता ं. ये स वता दे व कमनीय कम करने वाले, यथाथ के ेरक, र न को धारण करने वाले एवं सब का य करने वाले ह, इस लए सब के माननीय ह. (१) ऊ वा य याम तभा अ द ुतत् सवीम न. हर यपा णर ममीत सु तुः कृपात् वः.. (२) जन स वता दे व क ा त करने वाली द त उ कृ है तथा सारे जगत् को का शत करती है उन क आ ा होने पर शोभन कम वाले ा हाथ म सोना ले कर क पना के ारा सुख दे ने वाले सोम का नमाण करते ह. (२) सावी ह दे व थमाय प े व माणम मै व रमाणम मै. अथा म यं स वतवाया ण दवो दव आ सुवा भू र प ः.. (३) हे स वता दे व! इस मुख एवं पु क कामना करने वाले यजमान को पु , पौ आ द संतान क ेरणा दो. इस पु चाहने वाले यजमान को उ मता दान करो. हे स वता दे व! इस के प ात हमारे लए त दन वरण करने यो य फल एवं अ धक मा ा म पशु दान करो. (३) दमूना दे वः स वता वरे यो दधद् र नं द ं पतृ य आयूं ष. पबात् सोमं ममददे न म े प र मा चत् मते अ य धम ण.. (४) दान दे ने क इ छा रखने वाले, े एवं सब के ेरक स वता दे व धन एवं बल दान करते ए तथा पूवज के पास से सौ वष क आयु दे ते ए नचोड़े गए सोम का पान कर. पया आ यह सोम स वता दे व से संबं धत याग म स वता दे व को स करे. सभी ओर ा त होने वाला वह सोम स वता दे व के पेट म नवास करे. (४)
सू -१६
दे वता—स वता
तां स वतः स यसवां सु च ामाहं वृणे सुम त व वाराम्. याम य क वो अ हत् पीनां सह धारां म हषो भगाय.. (१) हे सब के रे क स वता दे व! म स य से अनुमत, इ छा करने यो य एवं सब के ारा वरण करने यो य तु हारी कृपा क याचना करता ं. स वता दे व क उस कृपा को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क व नामक ऋ ष ने ा त कया था. वह कृपा तथा सौभा यदा यनी थी. (१)
सू -१७
अ य धक बढ़
ई, अनेक धारा
वाली
दे वता—स वता
बृह पते स वतवधयैनं योतयैनं महते सौभगाय. सं शतं चत् स तरं सं शशा ध व एनमनु मद तु दे वाः.. (१) हे बृह प त एवं हे स वता दे व! सूय दय तक सोने वाले इस चारी और यजमान को बढ़ाओ. इस यजमान और चारी को महान सौभा य के लए का शत करो. त धारण करने वाले इस को भलीभां त कुशल बनाओ. सभी दे व इस यजमान का अनुमोदन कर. (१)
सू -१८
दे वता—धाता आ द
धाता दधातु नो र यमीशानो जगत् प तः. स नः पूणन य छतु.. (१) सभी साधन से यु एवं जगत् के पालक धाता दे व हमारे लए धन दान कर. वे धाता दे व हम पूण और समृ कर. (१) धाता दधातु दाशुषे ाच जीवातुम तात्. वयं दे व य धीम ह सुम त व राधसः.. (२) धाता दे व ह व दे ने वाले मुझ यजमान को हमारे अ भमुख आने वाली, जीवनदा यनी एवं ीण न होने वाली सुम त दान कर. हम भी ीण न होने वाले धन को धारण करने वाले धाता दे व क अनु ह बु धारण कर. (२) धाता व ा वाया दधातु जाकामाय दाशुषे रोणे. त मै दे वा अमृतं सं य तु व े दे वा अ द तः सजोषाः.. (३) धाता दे व वरण करने यो य सम त फल को धारण कर. वे फल ा त क इ छा करने वाले यजमान के हेतु ह . उस यजमान के लए इं आ द अमृत दान कर. वे सभी दे व एवं दे वमाता अ द त पर पर मल कर य नशील ह . (३) धाता रा तः स वतेदं जुष तां जाप त न धप तन अ नः. व ा व णु जया संरराणो यजमानाय वणं दधातु.. (४) सभी क याण के दे ने वाले धाता, कम के ेरक स वता और वेद के र क जाप त, अ न, प के नमाता व ा, ापक दे व व णु—ये सभी हमारे ह व को वीकार कर एवं य करने वाले यजमान के लए धन द. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -१९
दे वता—पृ थवी, पज य
नभ व पृ थ व भ ३ दं द ं नभः. उद्नो द य नो धातरीशानो व या तम्.. (१) हे पृ वी! बादल फसल क वृ के लए तुझ पर महती वषा करगे. उस वषा के कारण तू ढ़ बन. आकाश म उ प होने वाला यह बादल पृ वी को वद ण करे. हे धाता! आकाश म होने वाले जल का भाग हम दान करो. तुम वषा दान करने म समथ मेघ पी जलपूण मशक को छोड़ो अथात् महती वषा करो. (१) न ं तताप न हमो जघान नभतां पृ थवी जीरदानुः. आप द मै घृत मत् र त य सोमः सद मत् त भ म्.. (२) ी म ऋतु हम संताप न दे और शीत ऋतु हम कांपने क बाधा न प ंचाए. अ य धक दान दे ने वाली पृ वी वषा से भीग जाए. इस यजमान के लए जल भी स ता कारक ह . जहां सोम नामक दे व ह, उस दे श म सदा ही क याण होता है. (२)
सू -२०
दे वता— जाप त, धाता
जाप तजनय त जा इमा धाता दधातु सुमन यमान.: संजानानाः संमनसः सयोनयो म य पु ं पु प तदधातु.. (१) जाप त इस पु , पौ आ द प जा को उ प कर तथा अनुकूल मन वाले धाता इस जा का पोषण कर. ये जाएं समान ान वाली, मले ए मन वाली और समान कारण वाली ह . पु प त नाम के दे व मुझे जा वषयक पोषण दान कर. (१)
सू -२१
दे वता—अनुम त
अ व नो ऽ नुम तय ं दे वेषु म यताम्. अ न ह वाहनो भवतां दाशुषे मम.. (१) सभी कम क अनुम त दे ने वाली पौणमासी क दे वी हमारा य इस समय दे व को बताएं. अ न दे व भी मुझ यजमान क ह व दे व को ा त कराने वाले ह . (१) अ वदनुमते वं मंससे शं च न कृ ध. जुष व ह मा तं जां दे व ररा व नः.. (२) हे अनुम त नामक दे वी! तुम हम अनुम त दो तथा हम सुख ा त कराओ. तुम सामने आ कर अ न म डाला आ हमारा ह व वीकार करो. हे दे व! पु , पौ आ द प हमारी जा क र ा करो. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अनु म यतामनुम यमानः जाव तं र यम ीयमाणम्. त य वयं हेड स मा ऽ प भूम सुमृडीके अ य सुमतौ याम.. (३) हे अनुम त नामक दे वी! मुझे पु , पौ आ द से यु एवं कभी समा त न होने वाले धन को ा त कराओ. हम तेरे ोध के वषय न बन. हम इस अनुम त दे वी क सुख दे ने वाली और अनु ह करने वाली बु म रह. (३) यत् ते नाम सुहवं सु णीते ऽ नुमते अनुमतं सुदानु. तेना नो य ं पपृ ह व वारे र य नो धे ह सुभगे सुवीरम्.. (४) हे यजमान को धन दे ने वाली सु णी त दे वी एवं हे अनुम त! हमारे य को इस कार पूण करो क तु हारा हवन स हो सके. यह स करने यो य एवं अ भमत फल दे ने वाला है. (४) एमं य मनुम तजगाम सु े तायै सुवीरतायै सुजातम्. भ ा याः म तबभूव सेमं य मवतु दे वगोपा.. (५) अनुम त दे वी हमारे ारा दए जाते ए य म आएं. वे हम उ म फल दे ने वाली ह . हे व धारा तथा हे सुभगा अनुम त! हम उ म संतान वाला धन दान करो. (५) अनुम तः सव मदं बभूव यत् त त चर त य च व मेज त. त या ते दे व सुमतौ यामानुमते अनु ह मंससे नः.. (६) अनुम त दे वी ही यह सारा दखाई दे ता आ संसार है. वह जगत् म थावर, जंगम आ द के प म वतमान है एवं बना वचारे ये ता करती ह. यह सारा संसार बु पूवक चे ा करता है. हे अनुम त दे वी! हम तेरी अनु ह बु म ह . हे अनुम त! तुम हम अनुम त दो. (६)
सू -२२
दे वता—आ मा
समेत व े वचसा प त दव एको वभूर त थजनानाम्. स पू नूतनमा ववासत् तं वत नरनु वावृत एक मत् पु .. (१) हे सब बांधवो! आकाश के वामी सूय क तु त मं के ारा करो. वे सूय ा णय के मु य वामी एवं न य चलते रहने वाले ह. वे पुरातन सूय इस नूतन पु ष क सेवा कर. ब त से स कम उस एकमा सूय के माग का अनुवतन करते ह. (१)
सू -२३
दे वता— न
अयं सह मा नो शे कवीनां म त य त वधम ण.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यह दखाई दे ता आ सूय हजार वष तक हम दखाई दे ता रहे. ांतदश पु ष के ारा मनन करने यो य, सब को अपनेअपने कम म लगाने वाले ये सूय हम त दन स कम करने क ेरणा दे ते रह. (१) नः समीची षसः समैरयन्. अरेपसः सचेतसः वसरे म युम मा ते गोः.. (२) पाप र हत, समान ान वाले एवं दन के समय अ तशय द तशाली सूय हम पूजा आ द कम म े रत कर. (२)
सू -२४
दे वता— ः व
वनाश
दौ व यं दौज व यं र ो अ वमरा यः. णा नीः सवा वाच ता अ म ाशयाम स.. (१) ा ध दखाने वाले बुरे सपने को, रा स को, टोनेटोटके से उ प भीषण भय को, पशा चय को तथा द र ता को हम इस होने वाले टोटके से त पु ष से र करते ह. (१)
सू -२५
दे वता—स वता
य इ ो अखनद् यद न व े दे वा म तो यत् वकाः. तद म यं स वता स यधमा जाप तरनुम त न य छात्.. (१) परम ऐ य वाले इं दे व ने हमारे लए जो फल दया तथा अ न, व े दे व, म द्गण और वका नामक दे व ने हमारे लए जो फल दया. सब के ेरक स वता और यथाथ नाम वाले जाप त ने जस फल क अनुम त द . वह फल हम ा त हो. (१)
सू -२६
दे वता— व णु
ययोरोजसा क भता रजां स यौ वीयव रतमा श व ा. यौ प येते अ तीतौ सहो भ व णुमगन् व णं पूव तः.. (१) जन व णु और व ण के बल के ारा पृ वी आ द थान ढ़ कए गए ह, जो व णु और व ण अपने वीरतापूण कम के ारा अ तशय श शाली ऐ य ा त कर चुके ह, उन व णु और व ण को सभी दे व से पहले कया गया आ ान ा त हो. (१) य येदं द श यद् वरोचते चान त व च च े शची भः. पुरा दे व य धमणा सहो भ व णुमगन् व णं पूव तः.. (२) व णु और व ण क आ ा म यह जगत् वशेष प से द त है, सांस लेता है और ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपनेअपने काय का फल दे खता है. इस के अ त र जगत् को का शत करने वाले व णु और व ण के धारक कम और बल के साथ ाचीन काल म चे ा करता था. इस कार के व णु और व ण को फल चाहने वाले लोग अपने थम आ ान से जोड़. (२)
सू -२७
दे वता— व णु
व णोनु कं ा वोचं वीया ण यः पा थवा न वममे रजां स. यो अ कभाय रं सध थं वच माण ेधो गायः.. (१) म उन व णु के कन वीरतापूण कम का वणन क ं , ज ह ने पृ वी के प म लोक का नमाण कया है. व णु ने इस से भी ऊंचे तर के थान वग को धारण कया है. महापु ष ारा तु त कए गए व णु ने पृ वी, अंत र और आकाश म चरण रखते ए यह नमाण कया है. (१) तद् तवते वीया ण मृगो न भीमः कुचरो ग र ाः. परावत आ जग यात् पर याः.. (२) वीरतापूण कम के कारण व णु क तु त क जाती है. व णु सह के समान भयानक, भू म पर वचरण करने वाले एवं पवत म थत ह. वे व णु मेरी तु त सुन कर र दे श से भी यहां आएं. (२) य यो षु षु व मणे व ध य त भुवना न व ा. उ व णो व म वो याय न कृ ध. घृतं घृतयोने पब य प त तर.. (३) उन व णु के तीन व तृत चरण व ेप म सभी भुवन एवं ाणी नवास करते ह. हे ापक व णु! तीन लोक म अपने तीन चरण रखने का परा म करो तथा हमारे नवास थान को धन संयु बनाओ. हे घृत के कारण प व णु! यह हवन कया जाता आ घृत पयो तथा य के वामी यजमान क वृ करो. व णु ने इस व म व म का दशन कया है. उ ह ने तीन बार अपने चरण था पत कए ह. इन व णु के तीन चरण व ेप म सारा व था पत है. (३) इदं व णु व च मे ेधा न दधे पदा. समूढम य पांसुरे.. (४) सब के र क और सर के ारा परा जत न होने वाले व णु ने इस पृ वीलोक से आरंभ कर के ा णय को धारण करने वाले तीन लोक धारण कए. (४) ी ण पदा व च मे व णुग पा अदा यः. इतो धमा ण धारयन्.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे तोताओ! सव ापक व णु दे व के उन कम को दे खो, जन कम के ारा उ ह ने तु हारे कम का पश कया. ये व णु इं दे व के यो य सखा ह. (५) व णोः कमा ण प यत यतो ता न प पशे. इ
य यु यः सखा.. (६)
ापक व णु दे व के उ म थान को मेधावी लोग दे खते ह. उन का थान आकाश म सूय मंडल के समान व तृत है. (६) तद् व णोः परमं पदं सदा प य त सूरयः. दवीव च ुराततम्.. (७) हे व णु दे व! पृ वी एवं ुलोक से भी महान कसी अ य लोक से अथात् व तीण अंत र से लाए ए ब त से धन से अपने हाथ को पूण करो. इस के प ात हमारे सामने आ कर अपने दा हने और बाएं हाथ से हम अ धक धनरा श दान करो. (७) दवो व ण उत वा पृ थ ा महो व ण उरोर त र ात्. ह तौ पृण व ब भवस ैरा य छ द णादोत स ात्.. (८) हे व णु दे व! आप अपने दोन हाथ के ारा हम ब त से साधन दान करो. (८)
सू -२८
ुलोक, भूलोक और अंत र
लोक से
दे वता—इडा
इडैवा मां अनु व तां तेन य याः पदे पुनते दे वय तः. घृतपद श वरी सोमपृ ोप य म थत वै दे वी.. (१) गहन पा इडा ही हमारे ारा कए जाते ए यह कम को फल दे ने वाला बनाएं. उस इडा के चरण म दे व क कामना करने वाले यजमान अपनेआप को प व करते ह. हम जहांजहां चरण रख वहांवहां घृत टपकाने वाली, फल दे ने म समथ एवं पीठ पर सोम लए ए इडा नाम क बहन हमारे य को व तृत कर. (१)
सू -२९
दे वता—झंडा
वेदः व त घणः व तः परशुव दः परशुनः व त. ह व कृतो य या य कामा ते दे वासो य ममं जुष ताम्.. (१) वेद (दभ समूह) हमारे लए अ वनाश का कारण बने. पेड़ काटने के काम आने वाली कु हाड़ी हमारा क याण करे. घास काटने का साधन वे द अथात् खुरपी तथा परशु हमारा क याण करे. ह व का नमाण करने वाले, य के यो य एवं य क कामना करते ए मुझ यजमान का य वे दे व वीकार कर. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -३०
दे वता—अ न, व णु
अ ना व णू म ह तद् वां म ह वं पाथो घृत य गु य नाम. दमेदमे स त र ना दधानौ त वां ज ा घृतमा चर यात्.. (१) हे अ न और व णु! तुम दोन कहे जाते ए माहा यपूण, महान गोपनीय, और टपकने वाले घृत को पयो. अ न और व णु येक य शाला म र न धारण करते ह. तुम दोन क ज ा हवन म डाले गए घृत को सामने आ कर ा त करे. (१) अ ना व णू म ह धाम यं वां वीथो घृत य गु ा जुषाणौ. दमेदमे सु ु या वावृधानौ त वां ज ा घृतमु चर यात्.. (२) हे अ न और व णु! तुम दोन का तेज महान एवं सब को स करने वाला है. तुम दोन , घृत के च , पुरोडाश आ द प का भ ण करो. पर पर स होते ए तुम दोन सभी यजमान के घर म शोभन तु त से बढ़ते ए अपनी ज ा से घृत का भ ण करो. (२)
दे वता— ावा, पृ वी, बृह प त
सू -३१
म ,
वा ं मे ावापृ थवी वा ं म ो अकरयम्. वा ं मे ण प तः वा ं स वता करत्.. (१) धरती और आकाश मेरे य के ब लदान वाले खंबे अथात् यूप को भलीभां त रंग. दखाई दे ते ए ये सूय य के यूप को रंग. मं का पालन करने वाले दे व मेरे यूप को रंग. सब के ेरक स वता दे व इस यूप को रंगा आ बनाएं. (१)
सू -३२ इ ो त भब ला भन अ याव यो नो े धरः स पद यमु
दे वता—इं े ा भमघव छू र ज व. म तमु ाणो जहातु.. (१)
हे इं ! आज ब त सी र ा अथात् र ा साधन के ारा हमारा पालन करो. हे धनवान एवं शौय संप इं ! शंसनीय र ा साधन के ारा हम पूणतया स करो. जो श ु हम से े ष करते ह, वे अधोमुख हो कर गर. जस श ु से हम े ष करते ह, उसे तु हारा ाण याग दे . (१)
सू -३३
दे वता—आयु
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उप यं प न तं युवानमा तीवृधम्. अग म ब तो नमो द घमायुः कृणोतु मे.. (१) सब को स करने वाले, तु त कए जाते ए, न य त ण एवं घृत क आ तय से बढ़ने वाले अ न दे व को हम नम कार एवं ह व प अ ले कर मल. वे मेरी और मेरे व ाथ क आयु १०० वष कर. (१)
सू -३४
दे वता—पूषा
सं मा स च तु म तः सं पूषा सं बृह प तः. सं मायम नः स चतु जया च धनेन च द घमायुः कृणोतु मे.. (१) म त् आ द दे वगण मुझ फल चाहने वाले यजमान को पु आ द से यु कर. अ न मेरे व ाथ क आयु लंबी कर. (१)
सू -३५
प जा से और धन
दे वता—जातवेद
अ ने जातान् णुदा मे सप नान् यजातान्जातवेदो नुद व. अध पदं कृणु व ये पृत यवोऽनागस ते वयम दतये याम.. (१) हे अ न! मेरे उ प श ु को मुझ से ब त र जाने क ेरणा दो. हे जातवेद अ न! मेरे जो श ु उ प नह ए ह, उन का वनाश करो. जो श ु सेना ले कर मुझ से यु करने के इ छु क ह. उ ह अपने पैर के नीचे कुचल दो. हे खंड न करने यो य पृ वी अथवा अद ना दे वमाता! हम पापर हत हो कर तु हारे कृपा पा बन. (१)
सू -३६
दे वता—जातवेद
ा या सप ना सहसा सह व यजाता ातवेदो नुद व. इदं रा ं पपृ ह सौभगाय व एनमनु मद तु दे वाः.. (१) हे अ न! मेरे उ प श ु को ब त र भगा दो. हे उ प को जानने वाले अ न दे व! मेरे ऐसे श ु का वनाश करो, ज ह म नह जानता. हमारे इस रा को तुम सौभा य से पूण करो. सभी दे व श ु वनाश का योग करने वाले इस यजमान को स कर. (१) इमा या ते शतं हराः सह ं धमनी त. तासां ते सवासामहम मना बलम यधाम्.. (२) हे मुझ से व े ष करने वाली ी! तेरी जो गभधारण संबंधी सौ से अ धक ना ड़यां ह तथा हजार धम नयां ह, म उन सब का मुख प थर से ढक कर तुझे बांझ बनाता ं. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
परं योनेरवरं ते कृणो म मा वा जा भ भू मोत सूनुः. अ वं १ वा जसं कृणो य मानं ते अ पधानं कृणो म.. (३) हे मेरे तकूल रहने वाली नारी! म तेरी यो न के भीतर वाले थान अथात् गभाशय को गभ धारण के अयो य बनाता ं. इसी लए तुझे क या पी संतान भी ा त न हो. तुझे पु संतान भी न मले. म तुझे ख चरी के समान संतान र हत बनाता ं. म तेरे गभाशय को प थर से ढकता ं. (३)
सू -३७
दे वता—अ , मन
अ यौ नौ मधुसंकाशे अनीकं नौ सम नम्. अ तः कृणु व मां द मन इ ौ सहास त.. (१) हे प नी! मेरी और तेरी आंख शहद के समान मधुर ह अथात् हम एक सरे के त अनुर ह . हमारी आंख का अ भाग काजल से यु हो. तू मुझे दयंगम कर अथात् ऐसा य न कर, जस से म तेरा य बन सकूं. हम दोन का मन समान काय करने वाला हो. (१)
सू -३८
दे वता—व
अ भ वा मनुजातेन दधा म मम वाससा. यथा ऽ सो मम केवलो ना यासां क तया न.. (१) ी अपने प त से कहती है—हे प त! म तुम को अपने मं से यु व से बांधती ं. इस कार तुम केवल मेरे ही हो सकोगे तथा सरी ना रय का नाम भी नह लोगे. (१)
सू -३९
दे वता—वन प त
इदं खना म भेषजं मां प यम भरो दम्. परायतो तन दनम्.. (१)
नवतनमायतः
म वश म करने वाली इस सौवचा नामक जड़ी को खोदता ं. यह मेरे प त को मेरे अनुकूल बनाए और मेरे प त का अ य ना रय से संबंध रोके. यह जड़ी मुझे छोड़ कर जाते ए प त को वापस लाए तथा मेरी ओर आते ए प त को आनं दत करे. (१) येना नच आसुरी ं दे वे य प र. तेना न कुव वामहं यथा ते ऽ सा न सु या.. (२) असुर क माया ने जस जड़ी के बल से इं के अ त र सभी दे व को यु म अपने अधीन कया था, हे प त! उसी जड़ी के ारा म तुझे अपने वश म करती ं. म ऐसा इसी लए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करती ,ं जस से म तेरी असाधारण यारी हो सकूं. (२) तीची सोमम स ती युत सूयम्. तीची व ान् दे वान् तां वा ऽ छावदाम स.. (३) हे शंखपु पी नामक जड़ी! तू वशीकरण के न म सोम के स मुख होती है. तू सब के ेरक सूय के भी स मुख होती है. अ धक कहने से या लाभ, तू सभी दे व के स मुख होती है. म अपने प त को अपनी ओर आक षत करने के लए तेरी तु त करती ं. (३) अहं वदा म नेत् वं सभायामह वं वद. ममेदस वं केवलो ना यासां क तया न.. (४) प त के वशीकरण के लए जड़ीबूट पा कर नारी अपने प त से कहती है—हे प त! आओ. अब म ही बोलूंगी. तुम कभी मत बोलना. तुम केवल व ान क सभा म बोलना. हे प त! तुम केवल मेरे ही रहोगे, अ य ना रय के नह . (४) य द वा स तरोजनं य द वा न तरः. इयं ह म ं वामोष धबद् वेव यानयत्.. (५) हे प त! य द तुम मेरी से ओझल हो जाओगे अथवा मुझ से र नद के पार चले जाओगे, तब भी यह शंखपु पी नामक जड़ी प त से ेम करने वाली मेरे समीप तु ह इस कार लाएगी, जैसे कसी को बांध कर लाया जाता है. (५)
सू -४०
दे वता—मं
म बताए गए छं द
द ं सुपण पयसं बृह तमपां गभ वृषभमोषधीनाम्. अभीपतो वृ ा तपय तमा नो गो े र य ां थापया त.. (१) हे इं ! हमारी गोशाला म द , शोभन ग त वाले, जल से पूण, महान जल के म य रहने वाले, जड़ीबू टय क वृ के लए वषा करने वाले, सभी ओर से जल से संगत एवं सारे संसार को वषा से तृ त करने वाले सार वत नामक दे व को था पत करो. वे सदा धन वाले दे श म ठहरते ह. (१)
सू -४१
दे वता—सर वान
य य तं पशवो य त सव य य त उप त त आपः. य य ते पु प त न व तं सर व तमवसे हवामहे.. (१) सम त पशु अपनी पु के न म जस के कम का अनुगमन करते ह, जस के कम म जल आपस म मलते ह तथा जस के कम के अधीन पोषण के वामी ह, उन सर वान दे व ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क तृ त के लए हम उन का आ ान करते ह. (१) आ य चं दाशुषे दा ंसं सर व तं पु प त र य ाम्. राय पोषं व युं वसाना इह वेम सदनं रयीणाम्.. (२) सामने हो कर स करने के लए हम ह व दे ने वाले यजमान को मनचाहा फल दे ने वाले, पोषण के वामी, धन के थान पर ठहरने वाले एवं धन के पोषक सर वान दे व को सेवा के न म बुलाते ह. (२)
सू -४२
दे वता— येन
अ त ध वा य यप ततद येनो नृच ा अवसानदशः. तरन् व ा यवरा रजासी े ण स या शव आ जग यात्.. (१) मनु य के सभी कम के सा ी एवं अंत म आकाश म दखाई दे ने वाले सूय म थल को पार कर के अ य धक जलपूण कर. वे आकाश से नीचे थत सम त लोक को पार करते ए अपने म इं के साथ क याणकारी बन कर नवीन गृह नमाण के थान म आएं. (१) येनो नृच ा द ः सुपणः सह पा छतयो नवयोधाः. स नो न य छाद् वसु यत् पराभृतम माकम तु पतृषु वधावत्.. (२) मनु य के सभी कम को दे खने वाले, द एवं शोभन ग त वाले, हजार करण वाले, असं य काय के कारण एवं अ के दाता सूय हम चरकाल तक था पत कर. हमारा जो धन चोर ने चुरा लया है, वह हमारे पतर के न म वधा के प म हो. (२)
सू -४३
दे वता—सोम
सोमा ा व वृहतं वषूचीममीवा या नो गयमा ववेश. बाधेथां रं नऋ त पराचैः कृतं चदे नः मुमु म मत्.. (१) हे सोम एवं दे व! सभी ओर फैलने वाले उस अमीवा नामक रोग का वनाश करो जो हमारे शरीर म वेश कर गया है. इस के अ त र अमीवा रोग का कारण बनी ई पशाची को वमुख कर के र ले जाओ, जस से वह हमारे पास न आ सके. हमारे ारा कए ए पाप को भी हम से र करो. (१) सोमा ा युवमेता य मद् व ा तनूषु भेषजा न ध म्. अव यतं मु चतं य ो असत् तनूषु ब ं कृतमेनो अ मत्.. (२) हे सोम एवं दे व! तुम दोन हमारे शरीर म रोग को नकालने वाली जड़ीबू टय को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
था पत करो. हमारे शरीर म थत हमारे ारा कया आ जो पाप है, उसे भी हम से अलग करो और न कर दो. (२)
दे वता—वाक्
सू -४४
शवा त एका अ शवा त एकाः सवा बभ ष सुमन यमानः. त ो वाचो न हता अ तर मन् तासामेका व पपातानु घोषम्.. (१) हे अकारण न दत पु ष! तेरे वषय म कुछ वा णयां तु त पा एवं क याणी ह तथा कुछ वा णयां तेरे वषय म नदापूण ह. सौमन य का आचरण करती ई इन दो कार क वा णय के अ त र तीन वा णयां अथात् परा, प यंती और म यमा-इस श द योग म शरीर के भीतर छपी रहती ह. केवल एक अथात् वैखरी वाणी व न के प म नकलती है. (१)
दे वता—इं
सू -४५
उभा ज यथुन परा जयेथे न परा ज ये कतर नैनयोः. इ व णो यदप पृधेथां ेधा सह ं व तदै रयेथाम्.. (१) हे इं और व णु! तुम दोन सवदा वजयी बनो और कसी से कभी परा जत न होओ. इन दोन म से एक भी सरे से परा जत नह होता. हे इं और व णु! तुम दो असुर के साथ जस व तु क पधा करते हो, वह व तु लोक, वेद और वाणी के प म थत हो कर हजार से भी बढ़कर हो. (१)
दे वता—ई या
सू -४६ जनाद् व जनीनात् स धुत पयाभृतम्. रात् वा म य उद्भृतमी याया नाम भेषजम्.. (१)
ई या समा त करने वाली जड़ीबूट को संबो धत कर के कहा जा रहा है— सभी जन के हतकारक जनपद से तथा सागर से लाई ई को एवं र दे श से उखाड़ कर लाई तुझ, स ु मंथ नामक जड़ीबूट को म ोध का नवारण करने वाली मानता ं. (१)
दे वता—ई या
सू -४७ अ ने रवा य दहतो दाव य दहतः पृथक्. एतामेत ये यामुदना ् न मव शमय.. (१) जस
कार अ न व तु
को जलाती है, उसी
कार
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ोध के कारण मेरे काय
बगाड़ने वाले तथा दावा न के जलाने के समान ोध करते ए सामने वाले पु ष को मेरे वषय म योग क जाती ई ई या को इस कार शांत करो, जस कार शीतल जल डालने से अ न शांत कर द जाती है. (१)
सू -४८
दे वता— सनीवाली
सनीवा ल पृथु ु के या दे वानाम स वसा. जुष व ह मा तं जां दे व द द ड् ढ नः.. (१) हे सनीवाली! अथात् ऐसी अमाव या! जस म चं मा दखाई नह दे ता है, तू ब त से जन ारा तु त क गई एवं दे व क बहन है. तू सामने डाले गए ह को वीकार कर तथा हमारे लए पु आ द के प म जा दान कर. (१) या सुबा ः वङगु रः सुषूमा ब सूवरी. त यै व प यै ह वः सनीवा यै जुहोतन.. (२) हे सनीवाली! तू सुंदर हाथ वाली, शोभन उंग लय वाली, सुंदर सव वाली तथा ब त सी जा को ज म दे ने वाली है. हे ऋ वजो तथा यजमानो! जा का पालन करने वाली उस सनीवाली के लए ह व दो. (२) या व प नी म स तीची सह तुका भय ती दे वी. व णो प न तु यं राता हव षप त दे व राधसे चोदय व.. (३) जो सनीवाली जा का पालन करने वाली तथा परमै य संप इं के सामने खड़ी होने वाली है तथा हजार तोता ारा शं सत एवं का शत होने वाली है. हे व णु अथवा इं क प नी! तेरे लए ह व द गई है. हे दे वी! तू स हो कर अपने प त इं को हम धन दे ने के लए े रत कर. (३)
सू -४९
दे वता—कु
कु ं दे व सुकृतं व नापसम मन् य े सुहवा जोहवी म. सा नो र य व वारं न य छाद् ददातु वीरं शतदायमु यम्.. (१) कु अथवा चं मा दखाई न दे ने वाली अमाव या दे वी को म इस य म बुलाता ं अथवा ह व से होम करता ं. शोभन कम करने वाली, व दत कम वाली एवं शोभन आ ान वाली वह अमाव या हम सब के ारा वरणीय धन दे तथा अ धक धन दे ने वाला, शंसनीय एवं वीर पु दान करे. (१) कु दवानाममृत य प नी ह ा नो अ य ह वषो जुषेत. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शृणोतु य मुशती नो अ राय पोषं च कतुषी दधातु.. (२) दे व के म य कु अथात् अमाव या प दे वी अमृत अथवा जल क प नी अथात् पालन करने वाली है. ह दे ने यो य यह हमारे ारा दए जाते ए ह व को ा त करे तथा हमारे य क कामना करती ई आज हमारा आ ान सुने. इस के प ात हमारे य को जानने वाली वह हमारे धन को पु करे. (२)
सू -५०
दे वता—राका अथात् पूणमासी
राकामहं सुहवा सु ु ती वे शृणोतु नः सुभगा बोधतु मना. सी वपः सू या ऽ छ मानया ददातु वीरं शतदायमु यम्.. (१) म शोभन आ ान वाली, पूण चं से सुशो भत एवं शोभन तु त वाली पू णमा का आ ान करता ं. यह शोभन ान वाली पू णमा मेरा आ ान सुने तथा जनन के ल ण को सी दे . ऐसा वह न टू टने वाली नाड़ी पी सूई से सए. ऐसा कर के पू णमा हम व ांत पु एवं ब त सा धन दान करे. (१) या ते राके सुमतयः सुपेशसो या भददा स दाशुषे वसू न. ता भन अ सुमना उपाग ह सह ापोषं सुभगे रराणा.. (२) हे राका अथात् पू णमा दे वी! तेरी जो सुंदर प वाली क याण बु यां ह, जन के ारा तू ह व दे ने वाले यजमान को धन दान करती है, आज तू उ ह क याणकारी बु य एवं शोभन मन से यु हो कर हमारे समीप आ. तू हम ब त से धन का पोषण दे ती ई आ. (२)
सू -५१
दे वता—दे व प नयां
दे वानां प नी शतीरव तु नः ाव तु न तुजये वाजसातये. याः पा थवासो या अपाम प ते ता नो दे वीः सुहवाः शम य छ तु.. (१) हमारी कामना करती ई दे व प नयां हमारी र ा कर तथा हम संतान और अ दान करने के लए आएं. जो दे व प नयां पृ वी पर रहने वाली तथा अंत र म थत ह, वे शोभन आ ान सुन कर हम सुख और गृह दान कर. (१) उत ना तु दे वप नी र ा य१ ना य नी राट् . आ रोदसी व णानी शृणोतु तु दे वीय ऋतुजनीनाम्.. (२) दे व प नयां अथात् दे वयां मेरी कामना कर. वे दे वयां इं प नी, अ न प नी एवं अ नीकुमार क प नयां ह. क प नी ाणी और व ण क प नी व णानी मेरे सामने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ कर मेरी तु त सुन. ना रय का जो ऋतु काल है, उस समय दे व प नयां हमारी ह व को वीकार कर. (२)
दे वता—इं
सू -५२ यथा वृ मश न व ाहा ह य त. एवाहम (१)
कतवान ैब यासम त..
बजली क आग अ तीय है तथा वह जस कार वृ का वनाश करती है, उसी कार म भी अ तीय हो कर आज जुआरी पु ष का वध क ं . म जुआ रय का वध पास से क ं गा अथात् उ ह पास से हराऊंगा, परा जत क ं गा. (१) तुराणामतुराणां वशामवजुषीणाम्. समैतु व तो भगो अ तह तं कृतं मम.. (२) जुआ खेलने म चाहे जुआरी शी ता करे अथवा दे री करे, म ही उस से जुए म जीतूंगा. जो जुआरी हार जाने पर भी इस आशा से जुआ खेलना बंद नह करता क म ही जीतूंगा, ऐसे जुआरी लोग का धन सभी ओर से मेरे ही पास आए. जुए के पासे मेरे ही हाथ म रह. (२) ईडे अ नं वावसुं नमो भ रह स ो व चयत् कृतं नः. रथै रव भरे वाजय ः द णं म तां तोममृ याम्.. (३) जो अ न दे व अपना धन अपने तु तकता को दे ते ह, म उन क तु त करता ं. इस ूत कम के अ धप त अ न दे व हम जुआ रय के लाभ के लए कृपा कर. अ न दे व रथ के समान थत पास से हार कर. इस के प ात म सभी दे व क म से तु त ारंभ क ं . (३) वयं जयेम वया युजा वृतम माकमंशमुदवा भरेभरे. अ म य म वरीयः सुगं कृ ध श ूणां मघवन् वृ या ज.. (४) हे इं ! तु हारी सहायता से हम अपने वरोधी जुआरी को जीत ल. तुम येक ूत ड़ा म हम जीत के इ छु क का अंश सुर त करो. इस के अ त र तुम हम अ य धक धन ा त कराओ. हे धनवान इं ! तुम मेरे वरोधी जुआ रय को जीतने क श को समा त कर दो. (४) अजैषं वा सं ल खतमजैषमुत सं धम्. अ व वृको यथा मथदे वा म ना म ते कृतम्.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वरोधी जुआरी को संबोधन कर के कहा जा रहा है—हे जुआरी! तूने अपने पैर म अंक को ठ क से लख लया है. फर भी म तुझे जीतूंगा. म तुझे ऐसे थान म जीत लूंगा, जहां अंक रोके जाते ह. भे ड़या जस कार भेड़ को मसल डालता है, उसी कार म तेरे दांव को न कर ं गा. (५) उत हाम तद वा जय त कृत मव नी व चनो त काले. यो दे वकामो न धनं ण स मत् तं रायः सृज त वधा भः.. (६) अ धक जुआ खेलता आ पु ष अपने वरोधी जुआरी को जीत लेता है, य क सरे का धन हरण करने वाला जुआरी पासे फकने से पहले ही उस के अंक का न य कर लेता है. दे व क कामना करता आ जो जुआरी जीत म ा त धन को दे व संबंधी काय म लगाता है, उसे इं धन और अ से यु करते ह. (६) गो भ रेमाम त रेवां यवेन वा ुधं पु त व े. वयं राजसु थमा धना य र ासो वृजनी भजयेम.. (७) हे इं ! द र ता के कारण आई ई बु को म पशु के ारा पार क ं . हे ब त ारा बुलाए गए इं ! हम सभी जौ आ द अ क सहायता से भूख का नवारण कर. वरोधी जुआ रय से परा जत न होते ए हम मु य धन को जुआघर से जीत कर ले जाएं. (७) कृतं मे द णे ह ते जयो मे स आ हतः. गो जद् भूयासम जद् धनंजयो हर य जत्.. (८) मेरे दा हने हाथ म लाभ का कारण कृत अथात् जुए क महान वजय तथा बाएं हाथ म ऐसी वजय है, जो जुए का सा य है. इस कार म सर क गाय को जीतने वाला, घोड़ को जीतने वाला, धन को जीतने वाला और वण जीतने वाला बनूं. (८) अ ाः फलवत ुवं द गां ी रणी मव. सं मा कृत य धारया धनुः ना नेव न त.. (९) वजय के लए पास से ाथना क जा रही है—हे पासो! तुम इस जुए के खेल को मेरे लए इस कार फल दे ने वाला बनाओ, जस कार ध दे ने वाली गाय होती है. धनुष जस कार तांत से बनी डोरी के ारा बाण को र फकता है, उसी कार पासे चार सं या वाले दाव के लए मुझे वजय से जोड़. (९)
सू -५३
दे वता—इं , बृह प त
बृह प तनः प र पातु प ा तो र मादधरादघायोः. इ ः पुर ता त म यतो नः सखा स ख यो वरीयः कृणोतु.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बृह प त प म दशा से, उ र दशा से तथा नीचे वाले थान से हसा करने वाले पु ष से मेरी र ा कर. इं पूव दशा से तथा बीच के थान से हमारी र ा कर. म बने ए इं हम तोता के लए अ धक धन दान कर. (१)
सू -५४
दे वता—सौमन य
सं ानं नः वे भः सं ानमरणे भः. सं ानम ना युव महा मासु न य छतम्.. (१) अपने लोग के साथ हमारा एकमत हो तथा अनुकूल न बोलने वाले अथात् तकूल पु ष के साथ हम समान ान वाले ह . हे अ नीकुमारो! तुम दोन इस समय इस वषय म अपने और पराय के साथ हम एकमत बनाओ. (१) सं जानामहै मनसा सं च क वा मा यु म ह मनसा दै ेन. मा घोषा उ थुब ले व नहते मेषुः प त द याह यागते.. (२) हम अपने मन के साथ सर के मन को संयु कर और जाग कर सर के काय से संगत बन. हम दे व संबंधी मन अथात् दे व के त ा रखने वाले मन के कारण सर से अलग न ह . अ धक कु टलता संबंधी श द न उठ. दन नकलने पर इं के व के समान ममवेधी वाणी हम सुनाई न दे . (२)
सू -५५
दे वता—आयु
अमु भूयाद ध यद् यम य बृह पतेअ भश तेरमु चः. यौहताम ना मृ युम मद् दे वानाम ने भषजा शची भः.. (१) हे बृह प त! परलोक म भवन वाले यमराज के शाप से तुम इस चारी को छु ड़ाते हो. यमराज का शाप मरण का कारण है. हे अ न! तु हारी कृपा से अ नीकुमार अपनी या के ारा हमारे चारी को मृ यु के कारण से छु ड़ाएं. (१) सं ामतं मा जहीतं शरीरं ाणापानौ ते सयुजा वह ताम्. शतं जीव शरदो वधमानो ऽ न े गोपा अ धपा व स ः.. (२) हे ाण और अपान वायु! तुम दोन आयु क कामना करने वाले मनु य के शरीर म सं मण करो तथा उस के शरीर का याग मत करो. हे आयु क कामना करने वाले पु ष! तेरे इस शरीर म ाण और अपान वायु संयु रह. इस के प ात तू सौ वष तक जी वत रहे. जी वत रहते ए तेरे ह व आ द से समृ होते ए अ न दे व तेरी र ा करने वाले, तुझे अपना समझने वाले तथा नवास थान दे ने वाले ह . (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आयुयत् ते अ त हतं पराचैरपानः ाणः पुनरा ता वताम्. अ न दाहा नऋते प थात् तदा म न पुनरा वेशया म ते.. (३) हे आयु क कामना करने वाले पु ष! तु हारा जो जीवन तु ह छोड़ कर और तु हारा अ त मण कर के गया है, वह ाण और अपान वायु क कृपा से पुनः वापस आ जाए. उस आयु का अ न ने नकृ ग त वाली मृ यु के पास से हरण कर लया है. अ न के ारा हरण कर के लाई गई उस आयु को म तेरे शरीर म पुनः था पत करता ं. (३) मेमं ाणो हासी मो अपानो ऽ वहाय परा गात्. स त ष य एनं प र ददा म त एनं व त जरसे वह तु.. (४) ाण वायु इस आयु चाहने वाले पु ष का याग न करे तथा अपान वायु भी इसे छोड़ कर न जाए. म इस पु ष को र ा के हेतु स त ऋ षय के लए स प रहा ं. वे सात ऋ ष अथात् सात ाण इसे वृ ाव था तक ले जाएं. (४) वशतं ाणापानावनड् वाहा वव जम्. अयं ज र णः शेव धर र इह वधताम्.. (५) हे ह, उसी पु ष वृ एवं वृ
ाण और अपान वायु! जस कार गाड़ी को ख चने वाले बैल गोठ म वेश करते कार तुम आयु चाहने वाले पु ष के शरीर म वेश करो. वह आयु चाहने वाला ाव था क न ध बने. वह इस लोक म मृ यु क बाधा से र हत हो कर जी वत रहे को ा त करे. (५)
आ ते ाणं सुवाम स परा य मं सुवा म ते. आयुन व तो दधदयम नवरे यः.. (६) हे आयु चाहने वाले पु ष! हम तेरे ाण को वापस बुलाते ह. हम तेरी आयु के तबंधक य मा रोग को पीछे हटने के लए े रत करते ह. वे वरे य एवं हवन कए जाते ए अ न दे व हमारे इस यजमान को सभी कार से सौ वष क आयु दान कर. (६) उद् वयं तमस प र रोह तो नाकमु मम्. दे वं दे व ा सूयमग म यो त मम्.. (७) पाप से ऊपर उठे ए हम उ म एवं ःख र हत वग म आरोहण कर. इस के प ात हम उ म एवं यो त प म का शत सूय दे व के समीप जाएं. (७)
सू -५६
दे वता—इं
ऋचं साम यजामहे या यां कमा ण कुवते. एते सद स राजतो य ं दे वेषु य छतः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे धन दे ने वाले इं ! तु हारे जो माग ुलोक से नीचे वतमान ह, उन व ारा हम सुख म था पत करो. अथात् हम सुख दान करो. (१)
सू -५७
ेरक माग के
दे वता—इं
ऋचं साम यद ा ं ह वरोजो यजुबलम्. एष मा त मा मा हसीद् वेदः पृ ः शचीपते.. (१) हम ऋ वेद और सामवेद को ह व के ारा पूजते ह. यजमान ऋ वेद और सामवेद के ारा य कम करते ह. ये दोन वेद सदस नामक मंडप म शोभा दे ते ह तथा य को दे व तक प ंचाते ह. (१) ये ते प थानो ऽ व दवो ये भ व मैरयः. ते भः सु नया धे ह नो वसो.. (२) म ने ऋ वेद से ह व, सामवेद से ओज और यजुवद से बल के वषय म पूछा था. अथात् ऋ वेद आ द म ह व आ द का अ ययन कया था. हे शची के प त और ाकरण के नयम बनाने वाले इं ! इस कार सु वचा रत ऋ वेद, सामवेद और यजुवद मुझ अ यापक के अ ययनअ यापन म बाधा न डाल कर मनचाहा फल द. (२)
सू -५८
दे वता— ब छू
तर राजेर सतात् पृदाकोः प र संभृतम्. तत् कङ् कपवणो वष मयं वी दनीनशत्.. (१) तर राजी अथात् तरछ रेखा वाले काले और पृदाकू अथात् अपने ारा काटे ए ा णय को लाने वाले सप के वष को तथा कंकपव नामक काटने वाले वषैले जंतु के वष को यह मधु नाम क जड़ीबूट न करे. (१) इयं वी मधुजाता मधु मधुला मधूः. सा व त य भेष यथो मशकज भनी.. (२) यह योग क जाती ई ओष ध मधु अथात् शहद से न मत है, इस लए इस से शहद टपकता है. मधु यु तथा मधूक नाम वाली यह जड़ीबूट कु टलता करने वाले वष का नाश करने वाली तथा म छर को समा त करने वाली है. (२) यतो द ं यतो धीतं तत ते न याम स. अभ य तृ दं शनो मशक यारसं वषम्.. (३) वषैले जंतु ारा काटे गए पु ष से कहा जा रहा है—हे सप ारा काटे गए पु ष! तु हारे जस अंग म वषैले सप ने काटा है अथवा तु हारे जस अंग को सप आ द ने पया है, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उस अंग से म सप का वष नकालता ं तथा मुख, पूंछ और चरण-इन तीन अंग से काटने वाले म छर के वष को भी म भावहीन बनाता ं. (३) अयं यो व ो वप ो मुखा न व ा वृ जना कृणो ष. ता न वं ण पत इषीका मव सं नमः.. (४) हे ण प त! सप आ द के ारा काटा आ जो यह पु ष अंग को सकोड़ता है, इस के अंग के जोड़ ढ ले पड़ गए ह, इस के अवयव ववश हो गए ह तथा इस के मुख आ द अंग टे ढ़े पड़ गए ह. तुम इस के सभी अंग को उसी कार सीधा बनाओ, जस कार टे ढ़ स क को सरल बनाया जाता है. (४) अरस य शक ट य एनमजीजभम्.. (५)
नीचीन योपसपतः.
वषं
१
या द यथो
वष र हत, नीचे क ओर मुंह कए ए एवं तेरे समीप आते ए शक टक नाम के सांप के म ने टु कड़े कर दए ह अथात् म ने इस का वष समा त कर दया है तथा इस सप को म ने न कर दया है. (५) न ते बा ोबलम त न शीष नोत म यतः. अथ क पापया ऽ मुया पु छे बभ यभकम्.. (६) ब छू को संबोधन कर के कहा जा रहा है – हे ब छू ! तेरे हाथ म सर को पीड़ा प ंचाने वाला बल नह है. तेरे सर म भी बल नह है. तेरे म य भाग अथात् कमर म भी बल नह है. तू अपनी, परपीड़ाका रणी बु के ारा थोड़ा वष अपनी पूंछ म य धारण करता है? (६) अद त वा पपी लका व वृ त मयूयः. सव भल वाथ शक टमरसं वषम्.. (७) हे सप! तुझे ची टयां खा लेती ह और मोर नयां तेरे टु कड़ेटुकड़े कर दे ती ह. हे सप का वष र करने म समथ जड़ीबू टयो! तुम शक टक सप के वष को साम यहीन कर दे ती हो, यह बात भलीभां त कही जाती है. (७) य उभा यां हर स पु छे न चा ये न च. आ ये ३ न ते वषं कमु ते पु छधावसत्.. (८) हे ब छू ! तू पूंछ और मुख दोन के ारा ा णय को बाधा प ंचाता है तेरे म य भाग और मुख म वष नह है. तेरे रो वाले भाग अथात् पूंछ म वष य हो. (८)
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सू -५९
दे वता—सर वती
यदाशसा वदतो मे वचु ुभे यद् याचमान य चरतो जनाँ अनु. यदा म न त वो मे व र ं सर वती तदा पृणद् घृतेन.. (१) मांगने के लए दाता से प बात कहने वाला मेरा जो अंग ु ध था तथा मांगने के लए जनजन के समीप मेरा जो अंग ाकुल था, मेरे शरीर का वह बा धत अंग सर वती ोभ र हत कर तथा उसे घृत से पूण कर. (१) स त र त शशवे म वते प े पु ासो अ यवीवृत ृता न. उभे इद योभे अ य राजत उभे यतेते उभे अ य पु यतः.. (२) म त से यु एवं जल के पु व ण के लए सात न दयां बहती ह. ुलोक म थत इं के न म मनु य य आ द कम करते ह. वे य कम दे व और मानव के संघ के नवास थान होते ह एवं आकाश और धरती इन दे व और मनु य के ऐ य बनते ह. आकाश और धरती इन दे व तथा मनु य के लए य न करते ह तथा अ , जल आ द से पोषण करते ह. (२)
सू -६०
दे वता—इं , व ण
इ ाव णा सुतपा वमं सुतं सोमं पबतं म ं धृत तौ. युवो रथो अ वरो दे ववीतये त वसरमुप यातु पीतेय.. (१) हे नचोड़े गए सोमरस को पीने वाले एवं त धारण करने वाले इं और व ण! मद करने वाले एवं हमारे ारा नचोड़े गए सोमरस को पयो. श ु के ारा परा जत न होने वाला तु हारा रथ तुम दोन को सोमरस पीने और य कम करने के लए यजमान के घर के समीप ले जाए. (१) इ ाव णा मधुम म य वृ णः सोम य वृषणा वृषेथाम्. इदं वाम धः प र ष मास ा मन् ब ह ष मादयेथाम्.. (२) हे मनचाहा फल दे ने वाले इं और व ण! तुम दोन अ य धक मधुर और मनचाहा फल दे ने वाले सोमरस को पयो. यह सोमल ण अ हम ने चमस आ द पा म रख दया है, इसी लए इस कुशासन पर बैठ कर सोमरस पयो और तृ त हो जाओ. (२)
सू -६१
दे वता—श ु नाशन
यो नः शपादशपतः शपतो य नः शपात्. वृ इव व ुता हत आ मूलादनु शु यतु.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो श ु हम नदा न करने वाल क नदा करता है और जो श ु हम नदा करने वाल क नदा करता है, वह इस कार न हो जाए जस कार बजली से मारा आ वृ जड़ से सूख जाता है. (१)
सू -६२
दे वता—गुहा
ऊज ब द् वसुव नः सुमेधा अघोरेण च ुषा म येण. गृहानै म सुमना व दमानो रम वं मा बभीत मत्.. (१) हे घरो! अ धारण करता आ और धन का वामी म शोभन बु वाला हो कर तु ह अनुकूल और मै ी पूण से दे खूं. म तु हारी तु त करता आ तु हारे पास आऊं. मेरे अ धकार म तुम सुखी रहो, इस लए जब म सरे थान से तु हारे पास आऊं तो तुम मुझे पराया समझ कर भय मत करो. (१) इमे गृहा मयोभुव ऊज व तः पय व तः. पूणा वामेन त त ते नो जान वायतः.. (२) यह घर सुख दे ने वाले, अ एवं रस से यु , ध आ द एवं धन से समृ दखाई दे ते ए ये घर वास से आते ए हम वामी के प म जान. (२)
रहे ह. सामने
येषाम ये त वसन् येषु सौमनसो ब ः. गृहानुप यामहे ते नो जान वायतः.. (३) वास करता आ पु ष जन घर का मरण करता है तथा जन घर म सौमन य वाला पदाथ अ धक मा ा म है, म ऐसे घर पाने के लए ाथना करता ं. हमारे ये घर वास से आते ए हम वामी के प म जान. (३) उप ता भू रधनाः सखायः वा संमुदः. अ ु या अतृ या त गृहा मा मद् बभीतन.. (४) हे घरो! अनुम त हेतु ाथना करने पर तुम अ धक धन यु , मै ीपूण तथा वा द और मधुर पदाथ से यु बनो. तुम सदा भूख और यास से र हत अथात सभी कार तृ त जन वाले बनो. हे घरो! जब हम बाहर से आएं, तब तुम हम पराया समझ कर भयभीत मत बनो. (४) उप ता इह गाव उप ता अजावयः. अथो अ य क लाल उप तो गृहेषु नः.. (५) हमारे घर म गाएं, बक रयां और भेड़ बुलाई जाएं. इस के अ त र का सारभूत अंश भी चाहा जाए. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हमारे घर म अ
सूनृताव तः सुभगा इराव तो हसामुदाः. अतृ या अ ु या त गृहा मा मद् बभीतन.. (६) हे घरो! तुम म यारी और स ची बात कही जाएं, तुम शोभन भा य वाले बनो. सदा तुम म अ भरा रहे. तुम लोग क हंसी से मुख रत रहो. हम जब बाहर से आएं तो तुम हम पराया समझ कर भयभीत मत होना. (६) इहैव त मानु गात व ा पा ण पु यत. ऐ या म भ े णा सह भूयांसो भवता मया.. (७) हे घरो! तुम इसी थान पर सुखी रहो. वास करते ए मुझ गृह वामी के पीछे मत आओ. तुम पशु आ द सभी प वाले का पोषण करो. म धन ले कर पुनः तु हारे समीप आऊंगा. दे शांतर से वापस आते मुझे पराया समझ कर तुम भयभीत मत होना. (७)
सू -६३
दे वता—अ न
यद ने तपसा तप उपत यामहे तपः. याः ुत य भूया मायु म तः सुमेधसः.. (१) हे अ न दे व! तु हारे समीप स मदाधान आ द प कम के ारा जो तप कया जा सकता है, वह तप हम करते ह. उस तप के ारा हम अ ययन कए ए वेदमं के य, अ धक आयु वाले और उ म धारण श से संप बन. (१) अ ने तप त यामह उप त यामहे तपः. ुता न शृ व तो वयमायु म तः सुमेधसः.. (२) हे अ न दे व! तु हारे समीप ही हम शरीर को सुखाने वाला तप कर. हम इस का तप कसी सरे थान पर न कर. हम अ ययन कए गए वेदमं को सुनते ए अ धक आयु वाले और उ म बु वाले बन. (२)
सू -६४
दे वता—जातवेद
अयम नः स प तवृ वृ णो रथीव प ीनजयत् पुरो हतः. नाभा पृ थ ां न हतो द व ुतदध पदं कृणुतां ये पृत यवः.. (१) यह अ न दे व दे व का पालन करने वाले तथा अ धक श संप ह. रथ म बैठा आ जस कार सरे क प नी अथवा जा को अपने अ धकार म कर लेता है, उसी कार जा को हम अपने वश म कर. य थल क ना भ अथात् उ रवेद म था पत तथा अ य धक द त होते ए अ न सं ाम म हम जीतने वाले श ु को हमारे पैर के नीचे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अथात् हमारा वशवत बनाएं. (१)
सू -६५
दे वता—अ न
पृतना जतं सहमानम नमु थैहवामहे परमात् सध थात्. स नः पषद त गा ण व ा ामद् दे वो ऽ त रता य नः.. (१) सं ाम म श ु को जीतने वाले, श ु को परा जत करने वाले एवं अर ण पी उ म थान से ज म लेने वाले अ न का आ ान हम मं के ारा करते ह. वह हमारे सभी क का वनाश कर. द त वाले अ न हमारे सभी पाप को द ध कर. (१)
सू -६६
दे वता—जल, अ न
इदं यत् कृ णः शकु नर भ न पत पीपतत्. आपो मा त मात् सव माद् रतात् पा वंहसः.. (१) काले प ी अथात् कौए ने आकाश से नीचे आते ए, जो पंख से मेरे अंग पर चोट क है, उस से होने वाले सम त पाप से अ भमं त जल मेरी र ा करे. (१) इदं यत् कृ णः शकु नरवामृ ऋते ते मुखेन. अ नमा त मादे नसो गाहप यः मु चतु.. (२) हे मृ युदेवता! काले प ी अथात् कौए ने जो अपने मुख से मेरे अंग को पश कया है, उस से होने वाले पाप से मुझे गाहप य नामक अ न बचाएं. (२)
सू -६७
दे वता—अपामाग
तीचीनफलो ह वमपामाग रो हथ. सवान् म छपथाँ अ ध वरीयो यावया इतः.. (१) हे अपामाग अथात् चर चटा के झाड़! तुम सामने क ओर मुख वाले फल के उगे हो, इस कारण मेरे सभी दोष को मुझ से अ य धक र करो. (१)
पम
यद् कृतं य छमलं यद् वा चे रम पापया. वया तद् व तोमुखापामागाप मृ महे.. (२) हमने जो कम, पाप एवं म लन आचरण कया है, हे सभी ओर शाखा अपामाग अथात् चर चटा के झाड़! तेरे ारा हम उसे र करते ह. (२) यावदता कुन खना ब डेन य सहा सम. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाले
अपामाग वया वयं सव तदप मृ महे.. (३) हम ने काले दांत वाले, बुरे नाखून वाले एवं नपुंसक पु ष के साथ भोजन कया है. हे अपामाग अथात् चर चटा के झाड़! तेरे ारा उस से होने वाले पाप का हम नवारण करते ह. (३)
सू -६८
दे वता—
ा
य त र े य द वात आस य द वृ ेषु य द वोलपेषु. यद वन् पशव उ मानं तद् ा णं पुनर मानुपैतु.. (१) आकाश के मेघा छ होने पर, आंधी चलने पर, वृ क छाया म, फसल म, ामीण एवं जंगली पशु के समीप म ने जो वेदा ययन कया है अथवा वेदपाठ सुना है, वह भी मेरे लए फलदायक हो. (१)
सू -६९
दे वता—आ मा
पुनम व यं पुनरा मा वणं ा णं च. पुनर नयो ध या यथा थाम क पय ता महैव.. (१) इं के ारा दया आ वीय अथवा द ई च ु आ द इं य क श मेरे पास पुनः आए. आ मा, धन एवं वेद का अ ययन मुझे पुनः ा त हो. य आ द कम म था पत अ नयां इसी थान म पुनः वृ ह . (१)
सू -७०
दे वता—सर वती
सर व त तेषु ते द ेषु दे व धामसु. जुष व ह मा तं जां दे व ररा व नः.. (१) हे सर वती दे वी! तुम अपने से संबं धत त म एवं गाहप य य आ द प द थान म सामने आ कर ह व वीकार करो तथा हम पु आ द प जा दान करो. (१) इदं ते ह ं घृतवत् सर वतीदं पतॄणां ह वरा यं १ यत्. इमा न त उ दता शंतमा न ते भवयं मधुम तः याम.. (२) हे सर वती! तु हारे लए हवन कया जाता आ घृतयु यह ह व तथा पतर के न म दया जाता आ यह ह व तथा हमारे लए सुख दे ने वाले जो ह व ह, ये तु हारे न म सम पत कए गए ह. तु हारे न म दए गए ह वय के ारा हम मधुर रस से यु अ वाले ह . (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -७१
दे वता—सर वती
शवाः न शंतमा भव सुमृडीका सर व त. मा ते युयोम सं शः.. (१) हे सर वती! तुम हमारे न म सभी सुख दे ने वाली, रोग नवारण म अ य धक समथ एवं शोभन सुख दे ने वाली बनो. हम तु हारे यथाथ प के ान से अलग न ह . (१)
सू -७२ शं नो वातो वातु शं न तपतु सूयः. अहा न शं भव तु नः शं रा ी त धीयतां शमुषा नो
दे वता—सुख ु छतु.. (१)
बाहर चलती ई वायु हमारे लए सुख दे ती ई बहे. सब के रे क सूय हमारे लए सुख दे ते ए तप. दन हमारे लए सुख दे ने वाले ह तथा रात भी हम सुख दान करे. उषाकाल इस कार वक सत ह , जस से हम सुख मल सके. (१)
सू -७३
दे वता— येन आ द मं म उ
यत् क चासौ मनसा य च वाचा य ैजुहो त ह वषा यजुषा. त मृ युना नऋ तः सं वदाना पुरा स यादा त ह व य.. (१) र थत मेरा श ु मेरी ह या करने क इ छा से जो कम करने का वचार करता है तथा वचन से जो कम करने क बात कहता है, अ भचार कम अथात् जा टोने के ारा उस के लए उ चत के ारा तथा मं के ारा जो होम करता है, उस कम को सफल होने से पहले ही पाप दे वता नऋ त मृ यु के साथ मल कर न कर. (१) यातुधाना नऋ तरा र ते अ य न वनृतेन स यम्. इ े षता दे वा आ यम य म न तु मा तत् सं पा द यदसौ जुहो त.. (२) सर को पीड़ा दे ने वाली पाप क दे वी नऋ त एवं रा स मेरे इस श ु के यथाथ कम फल को अस य फल के ारा समा त कर. ता पय यह है क मेरे श ु के ारा कया आ अ भचार कम फल दे ने वाला न हो. उस का फल वपरीत हो. इं के ारा े रत दे व इस श ु का होम कम न कर. यह श ु हमारे वध के लए जो कम करता है, वह संप एवं फलदायक न हो. (२) अ जरा धराजौ येनौ संपा तना वव. आ यं पृत यतो हतां यो नः क ा यघाय त.. (३) अ जर और अ धराज नामक मृ यु त मुझ से सं ाम करने के इ छु क पु ष के घृत से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पूण होने वाले होम कम का उसी कार वनाश कर, जस कार प य के ऊपर बाज आकाश माग से गरता है. जो श ु हमारे वपरीत हसा कम करने क इ छा करता है, उस का आ य न हो जाए. (३) अपा चौ त उभौ बा अ प न ा या यम्. अ नेदव य म युना तेन ते ऽ व धषं ह वः.. (४) हे हमारे न म अ भचार कम करने वाले मनु य! होम कम म लगे ए तेरे दोन हाथ को म पीछे क ओर बांधता ,ं जस से वे होम करने म समथ न हो सक. मं का उ चारण करने म समथ तेरे मुख को भी म बंद करता ं. तेरे हाथ और मुख को बांधने से अ न दे व के ोध के कारण तेरे ह व को म न क ं गा. (४) अ प न ा म ते बा अ प न ा या यम्. अ नेघ र य म युना तेन ते ऽ व धषं ह वः.. (५) म अ भचार कम म संल न तेरे दोन हाथ और मुख को बांधता ,ं जस से तेरे हाथ आ त न दे सक और मुख मं का उ चारण न कर सके. इस कार अ न दे व के भयानक ोध के ारा म तेरे ह व एवं उस से स होने वाले कम का वनाश करता ं. (५)
सू -७४
दे वता—अ न
प र वा ऽ ने पुरं वयं व ं सह य धीम ह. धृष ण दवे दवे ह तारं भंगुरावतः.. (१) हे अर ण मंथन से उ म अ न! तुम कम फल को पूण करने वाले एवं मेधावी हो. हम रा स का हनन करने के लए तु ह चार ओर धारण करते ह. तुम घषक प वाले एवं रा स का त दन वनाश करने वाले हो. (१)
सू -७५
दे वता—इं
उत् त ता ऽ व प यते य भागमृ वयम्. य द ातं जुहोतन य ातं मम न.. (१) ऋ वजो! उठो, अथात् अपने आसन पर बैठे मत रहो. वसंत आ द ऋतु म इं को दे ने के लए पकाए जाने वाले ह व के भाग को दे खो. य द वह ह व पक गया है तो उसे इं के न म अ न म हवन कर दो. य द वह नह पका है तो उसे पकाओ. (१) ातं ह वरो व या ह जगाम सूरो अ वनो व म यम्. प र वासते न ध भः सखायः कुलपा न ाजप त चर तम्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! तु हारे न म ह व पक गया है. इस लए तुम शी आओ. सूय अपने गंत माग के म य भाग म प ंच गए ह अथात् दोपहर हो गया है. ऋ वज् नचोड़े ए सोमरस के ारा उसी कार तु हारी उपासना कर रहे ह, जस कार वंश के र क पु गृहप त क उपासना करते ह. (२)
सू -७६
दे वता—इं
ातं म य ऊध न ातम नौ सुशृतं म ये त तं नवीयः. मा य दन य सवन य द नः पबे व न् पु कृ जुषाणः.. (१) ह व गाय के थन म ध के प म पका है और थन से काढ़ा आ ध अ न पर तपा कर पकाया जाता है. म मानता ं क यह ह व भलीभां त पक चुका है, इस लए यह ह व स य एवं अ धक नवीन है. हे व धारी एवं ब त से कम करने वाले इं ! तुम स होते ए, मा यं दन सवन अथात् य म सोमरस से संबं धत द ध म त सोमरस नामक ह व का पान करो. (१)
सू -७७
दे वता—अं गरस
स म ो अ नवृषणा रथी दव त तो घम ते वा मषे मधु. वयं ह वां पु दमासो अ ना हवामहे सधमादे षु कारवः.. (१) हे मनचाहा फल दे ने वाले अ नीकुमारो! ुलोक म थत दे व के रथी अ न दे व द त हो चुके ह. उस अ न से आ य ठ क से पक गया है. इस के प ात तु हारे अ के हेतु मधुर रस वाला ध काढ़ा जाता है. तुम दोन के तु तकता हम ह व से पूण घर वाले ह एवं य म तु हारा आ ान कर. (१) स म ो अ नर ना त तो वां घम आ गतम्. ते नूनं वृषणेह धेनवो द ा मद त वेधसः.. (२) हे अ नीकुमारो! अ न द त हो गई है और उस पर तु हारे लए आ य त त हो चुका है, इसी लए तुम आ जाओ. हे अ भमत फल दे ने वाले अ नीकुमारो! तु हारे न म वय नामक कम म गाएं अ धक मा ा म ही जाती ह इस लए श ु का वनाश करने वाले तुम अ नीकुमार क तु तय के ारा सेवा करते ए होता स हो रहे ह. (२) वाहाकृतः शु चदवेषु य ो यो अ नो मसो दे वपानः. तमु व े अमृतासो जुषाणा ग धव य या ना रह त.. (३) द त व ययाग अ नीकुमार आ द दे व के न म दया गया है. अ नीकुमार चमस के ारा उस का पान करते ह. अ नीकुमार के उसी चमस को सभी अमर दे व स होते ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ए आ द य के मुख से चाटते ह. (३) य या वा तं घृतं पयो ऽ यं स वाम ना भाग आ गतम्. मा वी धतारा वदथ य स पती त तं घम पबतं रोचने दवः.. (४) गोशाला म थत गाय म वतमान जो घृत का उ पादक ध है, वह य के पा म डाल दया गया है. वह तुम दोन का भाग है, इसी लए आओ. हे मधु व ा के ाता अ नीकुमारो! तुम य के धारण कता हो. हे दे व का पालन करने वाले अ नीकुमारो! ुलोक के काशक अ न म तपाए ए घी का पान करो. (४) त तो वां घम न तु वहोता वाम वयु रतु पय वान्. मधो ध या ना तनाया वीतं पातं पयस उ यायाः.. (५) हे अ नीकुमारो! तुम दोन होता के ारा भलीभां त तु त कए गए हो. तुम ठ क से तपाए गए एवं वशाल पा म थत आ य अथात् घी को ा त करो. तु हारे लए अ वयु नामक ऋ वज् य करे. इस के प ात ध, घी आ द के ारा य का व तार करने वाली गाय के मधुर रस से यु ध को तुम दोन पयो. (५) उप व पयसा गोधुगोषमा घम स च पय उ यायाः. व नाकम यत् स वता वरे यो ऽ नु याणमुषसो व राज त.. (६) हे गाय को हने वाले अ वयु! तुम तपाए ए ध के साथ मेरे समीप आओ तथा गाय के ध को तपे ए घी म डालो, जस से सब के ेरक स वता दे व वग को का शत कर. वे आ द उषा के गमन के पीछे वराजते ह. (६) उप ये सु घां धेनुमेतां सुह तो गोधुगुत दोहदे नाम् े ं सवं स वता सा वष ोऽभी ो घम त षु वोचत्.. (७) म सरलता से ही जाने यो य इस गाय का आ ान करता .ं आई ई इस गाय को क याणमय हाथ वाला अ वयु हे. सब के ेरक स वता दे व हम उ म ध दान कर. (७) हङ् कृ वती वसुप नी वसूनां व स म छ ती मनसा यागन्. हाम यां पयो अ येयं सा वधतां महते सौभगाय.. (८) अपने बछड़े के लए ंकार करती ई, धन का पालन करने वाली तथा मन से अपने बछड़े क कामना करती ई गाय सभी कार मेरे समीप आए. यह गाय अ नीकुमार के लए ध दे तथा हमारे सौभा य के हेतु अपने प रवार क वृ करे. (८) जु ो दमूना अ त थ रोण इमं नो य मुप या ह व ान्. व ा अ ने अ भयुजो वह य श ूयतामा भरा भोजना न.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ न! सब के ारा से वत एवं स मन वाला अ त थ सभी यजमान के घर म आए तथा तु हारे वषय म मेरी भ को जाने. हे अ न! तुम मुझ पर आ मण करने वाली श ु सेना को याग कर मेरे श ु का भोजन मेरे लए लाओ. (९) अ ने शध महते सौभगाय तव ु ना यु मा न स तु. सं जा प यं सुयममा कृणु वश ूयताम भ त ा महां स.. (१०) हे अ न! तुम हम धनधा य दे ने के लए कोमल मन वाले बनो. तु हारे का शत होते ए तेज उ म ह . तुम इस कार क कृपा करो, जस से हम प तप नी दोन एकमा तु हारी सेवा कर. जो अपनेआप को हमारा श ु मानते ह, उन के तेज पर तुम आ मण करो. (१०) सूयवसाद् भगवती ह भूया अधावयं भगव तः याम. अ तृणम ये व दान पब शु मुदकमाचर ती.. (११) हे धम घा धेनु! तू उ म घास खाती ई हमारे लए सौभा यशा लनी हो, इस से हम भी धन वाले बन. तू सदा घास का भ ण कर तथा शोभन भा य वाली बन. हे गाय! तू सवदा घास खा तथा सभी ओर घूमती ई नमल जल पी. (११)
सू -७८
दे वता—मं म बताए गए
अप चतां लो हनीनां कृ णा माते त शु ुम. मुनेदव य मूलेन सवा व या म ता अहम्.. (१) हम ने ऐसा सुना है क लाल रंग क गंडमाला रा सी है. इस कार क बढ़ ई सभी गंडमाला बताए ए बाण से वद ण करता ं. (१)
को उ प करने वाली कृ णा नाम क को म ोतमान अथवा ऋ ष के ारा
व या यासां थमां व या युत म यमाम्. इदं जघ या मासामा छन तुका मव.. (२) दोष क से गंडमालाएं तीन कार क ह. उ ह का यहां वणन है. म इन पक ई गंडमाला म से मु य गंडमाला को जानता ं, जस क च क सा करना क ठन है. म बाण से उसे फाड़ता ं. सरे कार क सुसा य अथात् सरलता से च क सा के यो य गंडमाला म यमा है. म उसे भी फोड़ता ं. इस समय म इन गंडमाला के म य उस को ऊन के धागे के समान तोड़ता ,ं जस क च क सा थोड़े य न से हो सकती है. (२) वा ेणाहं वचसा व त ई याममीमदम्. अथो यो म यु े पते तमु ते शमयाम स.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ई यायु पु ष! ी के वषय म तेरा जो ोध है, उसे म व ा संबंधी मं से र करता ं. हे इस के प त! तेरा जो ोध है उसे भी म शांत करता ं. (३) तेन वं तपते सम ो व ाहा सुमना द दहीह. तं वा वयं जातवेदः स म ं जाव त उप सदे म सव.. (४) हे त के पालन कता अ न! दश, पौणमास आ द य कम ारा स मा नत तुम सभी दन म स मन वाले हो कर हमारे घर म द त बनो. हे जातवेद अ न! भलीभां त द त तु हारे चार और हम पु , पौ आ द के साथ बैठ. (४)
सू -७९
दे वता—गौ
जावतीः सूयवसे श तीः शु ा अपः सु पाणे पब तीः. मा व तेन ईशत माघशंसः प र वो य हे तवृण ु .. (१) हे गायो! तुम संतान से यु , शोभन घास वाले दे श म घास चरती हो तथा सुख से जल पीने यो य तालाब आ द म जल पीती हो. तु ह कोई चोर न चुरा सके. बाघ आ द पशु भी तु ह न खा सक. वर के दे व के आयुध तु ह याग द. (१) पद ा थ रमतयः सं हता व ना नीः. उप मा दे वीदवे भरेत. इमं गो मदं सदो घृतेना मा समु त.. (२) हे गायो! तुम अपनी सहचरी गाय के खुर के च को जानो. बछड़ एवं सरी गाय के साथ मल कर तुम अनेक नाम वाली बनो. हे द तशा लनी धेनुओ! तुम दे व के स हत मुझ पु के इ छु क के समीप आओ तथा यहां आ कर मेरी गोशाला, घर एवं मुझ गृह वामी को घी और ध से स चो. (२)
सू -८०
दे वता—अप चत ओष ध आ द
आ सु सः सु सो असती यो अस राः. सेहोररसतरा लवणाद् व लेद यसीः.. (१) अ य धक पीब टपकाने वाली और बाधा प ंचाने वाले रोग के ल ण से भी अ धक क प ंचाने वाली गंडमालाएं सभी ओर से बहने वाली बन. ता पय यह है क मं तथा ओष ध के योग से गंडमालाएं समा त हो जाएं. गंडमालाएं ई से भी अ धक नीरस तथा नमक से भी अ धक भीगने वाली बन. (१) या ै ा अप चतो ऽ थो या उपप याः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वजा न या अप चतः वयं सः.. (२) जो गंडमालाएं गले म होती ह, बगल म होती ह और गोपनीय थान म होती ह, वे सब बना पक ई गंडमालाएं पक कर फूट जाएं. (२) यः क कसाः शृणा त तली मव त त. नहा तं सव जाया यं यः क ककु द तः.. (३) जो क सा य राजय मा रोग ह ड् डय म ा त होता है, जो अ थय के समीप वाले मांस को सुखाता है, जो गरदन के ऊपर वाले भाग को पतला कर दे ता है तथा जो प नी के नरंतर संभोग से उ प होता है, इन सभी कार के य रोग को यह जड़ी न करे. (३) प ी जाया यः पत त स आ वश त पू षम्. तद त य भेषजमुभयोः सु त य च.. (४) य रोग प ी बन कर गरता है तथा पु ष म वेश करता है. हम शरीर क सभी धातु का शोषण करने वाले तथा शोषण न करने वाले दोन कार के रोग को मं और ओष ध से र करते ह. (४)
सू -८१
दे वता—इं
व वै ते जाया य जानं यतो जाया य जायसे. कथं ह त वं हनो य य कृ मो ह वगृहे.. (१) उप
हे
य रोग! हम तेरी उ प के उस थान को जानते ह, जहां से तू ज म लेता है. तेरी के थान को जानते ए हम यजमान के घर म इं आ द दे व के लए तुझे दे ते ह. (१)
धृषत् पब कलशे सोम म वृ हा शूर समरे वसूनाम्. मा य दने सवन आ वृष व र य ानो र यम मासु धे ह.. (२) हे श ु को द लत करने वाले इं ! ोण कलश म थत सोमरस का पान करो. हे शूर एवं वृ का हनन करने वाले इं ! तुम धन संबंधी यु के न म अथात् हम धन ा त कराने के लए सोमपान करो. तुम हमारे मा यं दन य म भरपेट सोमरस पयो. तुम धन के अ ध ान हो, इसी लए हम धन दान करो. (२)
सू -८२
दे वता—म त्
सांतपना इदं ह वम त त जुजु न. अ माकोती रशादसः.. (१) हे संतपन अथात् सूय से संबं धत अथवा संताप के समय अथात् दोपहर म य करने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो य म तो! यह ह व तु हारे न म बनाया गया है, इसी लए इसे सेवन करो. श ु बाधा प ंचाने वाले तुम हमारी र ा के लए ह व का सेवन करो. (१)
को
यो नो मत म तो णायु तर ा न वसवो जघांस त. हः पाशान् त मु चतां स त प ेन तपसा ह तना तम्.. (२) हे धन दे ने वाले म तो! जो मनु य हम से छप कर हमारे मन को ु ध करता है, वह श ु पा पय से ोह करने वाले व ण के पाश को धारण करे. हे म तो! हम मारने क इ छा करने वाले मनु य को अपने आयुध से मार डालो. (२) संव सरीणा म तः वका उ याः सगणा मानुषासः. ते अ मत् पाशान् मु च वेनसः सांतपना म सरा माद य णवः.. (३) तवष उ प होने वाले, शोभन मं ारा तुत, व तृत आकाश के नवासी, अपनेअपने संघ से यु , वषा के ारा सब के हतकारी, श ु को संताप दे ने वाले, स होते ए और सब को संतु करने वाले म त् पाप के कारण होने वाले दोष को हम से र रख. (३)
सू -८३ व ते मु चा म रशनां व यो (१)
दे वता—अ न ं व नयोजनम्. इहैव वमज
ए य ने..
हे अ न दे व! म तु हारे ारा न मत एवं रोगी के गल को बांधने वाली र सी को खोलता ं. म रोगी क कमर को बांधने वाली तथा रोगी के पैर को बांधने वाली र सय को खोलता ं. हे अ न! इसी ण शरीर म तुम सदै व वृ ा त करो. (१) अ मै ा ण धारय तम ने युन म वा णा दै ेन. द द १ म यं वणेह भ ं ेमं वोचो ह वदा दे वतासु.. (२) हे अ न दे व! इस यजमान के लए बल धारण करने वाले तुम को म दे व संबंधी मं के ारा ह व वहन करने के लए यु करता ं. इस समय हम धन एवं पु आ द क ा त का सुख दान करो. ह व दे ने वाले इस यजमान के वषय म अ न, इं आ द दे व को बताओ. (२)
सू -८४
दे वता—अमाव या
यत् ते दे वा अकृ वन् भागधेयममावा ये संवस तो म ह वा. तेना नो य ं पपृ ह व वारे र य नो धे ह सुभगे सुवीरम्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अमाव या! तु हारे मह व के कारण नवास करते ए फल क कामना करने वाले लोग तु ह ह व दे ते ह. हम वह फल ा त हो और हम धन के वामी बन. पूण चं से यु पौणमासी प म दशा म वजयी होती है तथा पूव दशा म वजय ा त करती है. (१) अहमेवा यमावा या ३ मामा वस त सुकृतो मयीमे. म य दे वा उभये सा या े ये ाः समग छ त सव.. (२) म ही अमाव या संबंधी दे व ं. शोभन कम वाले दे वय यो यता के कारण मुझ म नवास करते ह. सा य और स नामक दोन कार के इं आ द दे व मुझ से मलते ह. (२) आगन् रा ी संगमनी वसूनामूज पु ं व वावेशय ती. अमावा यायै ह वषा वधेमोज हाना पयसा न आगन्.. (३) अमाव या क रा हम धन दान करने के न म आए. वह हम अ का रस, पोषण और धन दे ती ई आए. (३) अमावा ये न वदे ता य यो व ा पा ण प रभूजजान. य कामा ते जु म त ो अ तु वयं याम पतयो रयीणाम्.. (४) हे अमाव या! तेरे अ त र कोई भी दे व इस समय वतमान सम त साकार ा णय म ा त होने वाला नह है. हम जस फल क कामना करते ए तु ह ह व दे ते ह, हम वह फल ा त हो और हम धन के वामी बन. (४)
सू -८५
दे वता—पौणमासी जाप त
पूणा प ा त पूणा पुर ता म यतः पौणमासी जगाय. त यां दे वैः संवस तो म ह वा नाक य पृ े स मषा मदे म.. (१) पूण चं से यु पौणमासी प म दशा म वजयी होती है तथा पूव दशा म वजय ा त करती है. यह आकाश के म य म भी सव कृ स होती है. हम इस पौणमासी म य करने यो य दे व के साथ मह व से नवास करते ए, वग के ऊपरी भाग म अ के साथ स ह . (१) वृषभं वा जनं वयं पौणमासं यजामहे. स नो ददा व तां र यमनुपद वतीम्.. (२) हम अ भल षत फल दे ने वाले तथा अ धन से यु पौणमास पव का य करते ह. पौणमास य हम वनाश र हत, श ु क बाधा से र हत एवं उपभोग करने पर भी ीण न होने वाला धन दे . (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जापते न वदे ता य यो व ा पा ण प रभूजजान. य कामा ते जु म त ो अ तु वयं याम पतयो रयीणाम्.. (३) हे जाप त! तु हारे अ त र कोई भी दे व इस समय वतमान सम त आकार के ा णय म ा त होने वाला नह है. हम जस फल क कामना करते ए तु ह ह व दे ते ह, हम वह फल ा त हो और हम धन के वामी बन. (३) पौणमासी थमा य यासीदह्नां रा ीणाम तशवरेषु. ये वां य ैय ये अधय यमी ते नाके सुकृतः व ाः.. (४) पौणमासी दन और रा य म य के यो य मुख त थ है. पौणमासी सभी रा य और सोम आ द ह वय म उ म है. हे य के यो य पौणमासी! जो दश, पौणमास आ द य के ारा तु हारी अचना करते ह, वे शोभन कम वाले यजमान वग म थत होते ह. (४)
सू -८६
दे वता—सा व ी
पूवापरं चरतो माययैतौ शशू ड तौ प र यातो ऽ णवम्. व ा यो भुवना वच ऋतूँर यो वदध जायसे नवः.. (१) सूय और चं आगेपीछे चलते ए आकाश म साथसाथ गमन करते ह. ये शशु के प म सागर के पास जाते ह. इन म से एक आ द य अथात् सूय सम त ा णय को दे खता है तथा सरा चं मा ऋतु , मास एवं प का नमाण करता आ नवीन होता रहता है. (१) नवोनवो भव स जायमानो ऽ ां केतु षसामे य म्. भागं दे वे यो व दधा यायन् च म तरसे द घमायुः.. (२) हे चं मा! तू शु ल प क तपदा आ द त थय म उ प होता आ नवीन बनता है. झंडे के समान दन का प रचय कराता आ तू रा य के आगेआगे चलता है. हे चं मा! इस कार ास और वृ के ारा पखवाड़े के अंत को ा त आ तू ह व का वभाग करता है. इस कार तू द घ आयु धारण करता है. (२) सोम यांशो युधां पतेऽनूनो नाम वा अ स. अनूनं दश मा कृ ध जया च धनेन च.. (३) हे सोम अथात् चं मा के अंश प पु अथात् बुध एवं यो ा के पालक! तुम सवदा तेज वी हो, इस लए हे बुध! ह व के ारा तु हारी पूजा करने वाले मुझ को पु आ द जा एवं धन से संप बनाओ. (३) दश ऽ स दशतो ऽ स सम ो ऽ स सम तः. सम ः सम तो भूयासं गो भर ैः जया पशु भगृहैधनेन.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे चं ! तुम अमाव या के साथ ही सूय के भी दे खने यो य हो. इस के बाद तृतीया आ द त थय म भी तुम कला प से दखाई दे ते हो. इस के प ात अ मी आ द त थय म इस से भी अ धक प दखाई दे ते हो. पौणमासी त थ म तुम संपूण कला से यु हो जाते हो. इसी कार म भी गाय आ द से समृ और संपूण बनूं. (४) यो ३ मान् े यं वयं म त य वं ाणेना याय व. आ वयं या सषीम ह गो भर ैः जया पशु भगृहैधनेन.. (५) हे सोम! जो श ु हम से े ष करता है अथवा जस श ु से हम े ष करते ह, तुम उस श ु के ाण का अपहरण करो. हम गाय , अ , जा , पशु , धन और घर से यु ह . (५) यं दे वा अंशुमा यायय त यम तम ता भ य त. तेना मा न ो व णो बृह प तरा यायय तु भुवन य गोपाः.. (६) जस सोम को दे वगण शु ल प म त दन एकएक कला दे कर बढ़ाते ह तथा जस सोम को संपूण प म सभी दन म ीणता र हत पतर आ द पीते ह. उस सोम के साथ इं , व ण, बृह प त एवं सभी ा णय के र क दे व ह व आ द से स करने वाले हम को बढ़ाएं. (६)
सू -८७
दे वता—अ न
अ यचत सु ु त ग मा जम मासु भ ा वणा न ध . इमं य ं नयत दे वता नो घृत य धारा मधुमत् पव ताम्.. (१) गाय के समूह आ द क से जन क शोभन तु त क जाती है, उन अ न क अचना करो. वह हम भ धन दान कर तथा हमारे इस य म अ य दे व को लाएं. इस लए घृत क मधुवण धाराएं दे व को ा त ह . (१) म य े अ नं गृ ा म सह ेण वचसा बलेन. म य जां म यायुदधा म वाहा म य नम्.. (२) म सब से पहले अर ण मंथन से उ प अ न को धारण करता ं. म अ न को संबंधी तेज, बल और साम य के साथ ह व दे ता ं. (२)
य
इहैवा ने अ ध धारया र य मा वा न न् पूव च ा नका रणः. ेणा ने सुयमम तु तु यमुपस ा वधतां ते अ न ् टतः.. (३) हे अ न! तु हारी प रचया करने वाले हम ह. हम ही धन दो. हम से पहले जो लोग तु हारे त आक षत थे और हमारे अपकारी थे, वे तु ह वाधीन न बनाएं. हे अ न! तु हारा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व प बल के साथ थर हो, तु हारा प रचारक यह यजमान अपनी कामनाएं ा त करे तथा कसी से भी परा जत न हो. (३) अ व न षसाम म यद वहा न थमो जातवेदाः. अनु सूय उषसो अनु र मीननु ावापृ थवी आ ववेश.. (४) अ न दे व ातःकाल के पूव से ही का शत होते ह. महान जातवेद अ न इस के प ात दनभर का शत रहते ह. ये सूया मक अ न ातःकाल के प ात ापक करण के ारा का शत होते ह. अ न का यह काश धरती और आकाश दोन म वेश कर के का शत करता है. (४) य न षसाम म यत् यहा न थमो जातवेदाः. त सूय य पु धा च र मीन् त ावापृ थवी आ ततान.. (५) अ न दे व ातःकाल से पूव ही का शत होते ह. महान जातवेद अ न इस के प ात दन भर का शत रहते ह. अ न अनेक प से वृ होने के कारण सूय क करण के प म वयं ही का शत होते ह. इस कार अ न दे व धरती और आकाश म सभी जगह का शत होते ह. (५) घृतं ते अ ने द े सध थे घृतेन वां मनुर ा स म धे. घृतं ते दे वीन य १ आ वह तु घृतं तु यं तां गावो अ ने.. (६) हे अ न! तुम से संबं धत ह व दे व के साथ उन के नवास थान अथात् वग म है. इस समय हम तु ह घृत के ारा भलीभां त तृ त करते ह. हे अ न! तु ह द जल ा त हो तथा गाएं तु हारे लए घृत दान कर. (६)
सू -८८
दे वता—व ण
अ सु ते राजन् व ण गृहो हर ययो मथः. ततो धृत तो राजा सवा धामा न मु चतु.. (१) हे सम त दे व के वामी व ण! जल के म य तु हारा वण न मत नवास थान है, जहां सरे नह प ंच सकते. इस कारण स चे कम वाले राजा व ण हमारे शरीर के सभी थान को याग द अथात् हम जलोदर आ द रोग न हो. (१) धा नोधा नो राज तो व ण मु च नः. यदापो अ या इ त व णे त य चम ततो व ण मु च नः.. (२) हे राजा व ण! इन सभी रोग थान से हम याग दो तथा उन से संबंधी पाप से हम बचाओ. हे जल के वामी एवं हसा र हत व ण! हम ने स दे व का नाम न ले कर जो ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पाप कया है, उस से भी हम बचाओ. (२) उ मं व ण पाशम मदवाधमं व म यमं थाय. अधा वयमा द य ते तवानागसो अ दतये याम.. (३) हे व ण! हमारे शरीर के ऊपरी भाग म थत अपने पाश को श थल करो तथा हमारे शरीर के म य भाग म थत अपने पाश को भी श थल करो. इस के प ात हे अ द त पु व ण! सभी पाप से छू ट कर हम तु हारे कम म पापर हत होने के लए स म लत ह . (३) ा मत् पाशान् व ण मु च सवान् य उ मा अधमा वा णा ये. व यं रतं न वा मदथ ग छे म सुकृत य लोकम्.. (४) हे व ण! तु हारे जो उ म और अधम पाप ह, उन सब पाप से हम छु ड़ाओ. ः व म होने वाले पाप को भी हम से र करो. पापहीन हो कर हम पु य के लोक म प ंच. (४)
सू -८९
दे वता—अ न, इं
अनाधृ यो जातवेदा अम य वराड ने भृद ् द दहीह. व ा अमीवाः मु चन् मानुषी भः शवा भर प र पा ह नो गमय्.. (१) हे अ न! कोई तु ह त नक भी परा जत नह कर सकता. हे जातवेद! अमर, वराट् और बल को धारण करने वाले व ण हमारे इस य थल म अ तशय द त बन तथा सभी रोग का वनाश कर के इस समय सभी मनु य संबंधी क याण से हमारे घर क र ा कर. (१) इ म भ वाममोजो ऽ जायथा वृषभ चषणीनाम्. अपानुदो जनम म ाय तमु ं दे वे यो अकृणो लोकम्.. (२) हे इं ! तुम क से ाण करने वाले बल को धारण कर के उ प ए हो. हे अ भमत फल दे ने वाले! जो हम मनु य क उ प के प ात श ु के समान आचरण करता है, उस को हम से र कर के तुम ने दे व के लए वग नाम का व तीण लोक बनाया है. (२) मृगो न भीमः कुचरो ग र ाः परावत आ जग यात् पर याः. सृकं संशाय प व म त मं व श ून् ता ढ व मृधो नुद व.. (३) इं बुरे चरण वाले एवं पवत नवासी सह के समान भयानक ह. वह अ य धक रवत आकाश से आएं. आने के प ात वे अपने ग तशील व को भलीभां त तेज कर के हमारे श ु को मार तथा सं ाम के लए उ त अ य श ु का भी वनाश कर. (३)
सू -९०
दे वता—ग ड़
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यमू षु वा जनं दे वजूतं सहोवानं त तारं रथानाम्. अ र ने म पृतना जमाशुं व तये ता य महा वेम.. (१) हम य कम क पू त के न म ग ड़ का आ ान करते ह. वह बलशाली, दे व के ारा सोम लाने हेतु े रत तथा सब को परा जत करने वाले ह. उन के रथ पर कोई आ मण नह कर सकता. वह सं ाम म श ु को न करने वाले ह. ग ड़ श ु सेना के वजेता एवं शी गामी है. (१)
सू -९१
दे वता—इं
ातार म म वतार म ं हवेहवे सुहवं शूर म म्. वे नु श ं पु त म ं व त न इ ो मघवान् कृणोतु.. (१) हम ाण एवं र ा करने वाले इं का आ ान करते ह. हम अपने आ ान के ारा शूर इं को बुलाते ह. हम श शाली एवं पु त इं को बुलाते ह. श शाली इं हम वा य दान कर. (१)
सू -९२
दे वता—इं
यो अ नौ ो यो अ सव १ तय ओषधीव ध आ ववेश. य इमा व ा भुवना न चा लृपे त मै ाय नमो अ व नये.. (१) जो दे व य करने यो य होने के कारण अ न म वेश कर गए ह तथा ज ह ने व ण के प म जल म वेश कया है, ज ह ने वृ , लता और जड़ीबू टय म थान ा त कया है, इन सभी ा णय का नमाण करने म समथ ए ह, उन अ न प को नम कार है. (१)
सू -९३
दे वता—सप वष का वनाश
अपे रर य रवा अ स. वषे वषमपृ था वष मद् वा अपृ थाः. अ हमेवा यपे ह तं ज ह.. (१) हे सप वष! तू इस डसे ए पु ष के शरीर से र चला जा, य क तू श ु है. तू केवल इस का ही नह , सभी मनु य का श ु है, इसी लए तू वषैले सप म ही अपना वष संयु कर. तू अपना वषैला भाव ही संयु कर. हे वष! तू जस सप का है, उसी के समीप जा तथा उसी का वनाश कर. (१)
सू -९४
दे वता—अ न
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अपो द ा अचा यषं रसेन समपृ म ह. पय वान न आगमं तं मा सं सृज वचसा.. (१) म द जल क पूजा करता ं. म उन जल के रस से यु हो जाऊं. हे अ न! म तु हारे लए ह व ले कर आया ं. इस कार के मुझे तुम तेज से यु करो. (१) सं मा ने वचसा सृज सं जया समायुषा. व ुम अ य दे वा इ ो व ात् सह ऋ ष भः.. (२) हे अ न! मुझे तेज से, बल से, संतान से एवं लंबी आयु से यु करो. मेरी प व ता को दे वगण जाने तथा अत य मु नय के साथ इं भी मेरी प व ता को जाने. (२) इदमापः वहताव ं च मलं च यत्. य चा भ ोहानृतं य च शेपे अभी णम्.. (३) हे जलो! मेरे इस पाप को र करो. मुझ म जो नदा पी मल तथा अस य है, उस से दे वगण ोह कर. अथात् उसे समा त कर द. म ने ऋण ले कर उसे न चुकाने के लए जो शपथ खाई है, उस पाप को भी दे वगण मुझ से र कर. (३) एधो ऽ ये धषीय स मद स समे धषीय. तेजो ऽ स तेजो म य धे ह.. (४) हे अ न! तुम द त होते हो, इस के फल के प हो, इसी लए मुझ म भी तेज धारण करो. (४)
सू -९५
प म म समृ
बनूं. हे अ न! तुम तेज
दे वता—मं
म बताए गए
अ प वृ पुराणवद् तते रव गु पतम्. ओजो दास य द भय.. (१) हे अ न! तुम पुराने श ु के समान इस समय भी जार वनाश करो, जस कार लता के समूह को काट दे ते ह. (१)
प श ु का उसी कार
वयं तद य स भृतं व व े ण व भजामहै. लापया म जः श ं व ण य तेन ते.. (२) हम इं दे व क सहायता से इस सामने बैठे श ु के धन को अपने अधीन कर ल. हे जार! तेरे शुभ वण वाले एवं द त वीय को व ण दे व संबंधी कम के ारा हम ीण करते ह. (२) यथा शेपो अपायातै ीषु चासदनावयाः. अव थ य नद वतः शाङ् कुर य नतो दनः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यदाततमव त नु य
तं न त नु.. (३)
जस कार जार का जनन अंग नारी संभोग के यो य न रहे तथा नारी के समीप थ स हो, उस कार जार परक या य म संभोग र हत हो जाए. जो जार संभोग हेतु बुलाए जाने पर नारी को अ य धक थत करता था, उस जार का वशाल जनन अंग छोटा हो जाए तथा उस का ऊपर उठा आ जनन अंग नीचे को झुक जाए. (३)
सू -९६
दे वता—चं मा, इं
इ ः सु ामा ववाँ अवो भः सुमृडीको भवतु व वेदाः. बाधतां े षो अभयं नः कृणोतु सुवीय य पतयः याम.. (१) भली कार र ा करने वाले एवं धन के वामी इं अपने र ा साधन से हम सभी कार सुखी बनाएं. वह इं हम अभय दान कर तथा हम शोभन श वाले धन के वामी बन. (१)
सू -९७
दे वता—चं मा, इं
स सु ामा ववाँ इ ो अ मदारा चद् े षः सनुतयुयोतु. त य वयं सुमतौ य य या प भ े सौमनसे याम.. (१) शोभन र ा वाले एवं धन के वामी इं हम से र से ही े ष करने वाल को न कर. हम य के यो य इं क शोभन बु म ह तथा वह हमारे त सौमन य रख. (१)
सू -९८
दे वता—इं
इ े ण म युना वयम भ याम पृत यतः. न तो वृ ा य त.. (१) सहायक इं के कोप के कारण हम सं ाम क इ छा रखने वाले श ु कर. पाप को इं इस कार न कर क वह शेष न बच. (१)
सू -९९
को परा जत
दे वता—सोम
ु ं ुवेण ह वषा ऽ व सोमं नयाम स. यथा न इ ः केवली वशः व संमनस करत्.. (१) हम सोमरस को रथ म आसीन कर के ह व के साथ लाते ह, जस से इं हमारी संतान को असाधारण एवं पर पर सौमन य वाली बनाएं. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -१००
दे वता— ग
उद य यावौ वथुरौ गृ ौ ा मव पेततुः. उ छोचन शोचनाव यो छोचनौ दः.. (१) इस श ु के न य चलने वाले दोन काले ह ठ वद ण हो जाएं तथा इस कार गर पड़, जस कार आकाश म उड़ता आ ग नीचे गरता है. उ छोचन और शोचन नामक मृ यु दे व इस श ु के दय को अ धक प म शोक प ंचाने वाले ह . (१) अहमेनावुद त पं गावौ वृका वव.. (२)
ा तसदा वव. कुकुरा वव कूज तावुदव तौ
अनु ान करने वाला म इस श ु के दोन काले ह ठ को इस कार उखाड़ता ं, जस कार थक कर बैठ ई गाय को डंडे से क च कर उठाया जाता है. भूंकते ए कु को प थर आ द फक कर भगाया जाता है और गाय के झुंड म से बछड़ को पकड़ कर ले जाते ए भे ड़य को वाले बलपूवक भगाते ह. (२) आतो दनौ नतो दनावथो संतो दनावुत. अ प न ा य य मे ं य इतः ी पुमान्जभार.. (३) सभी कार से था प ंचाने वाले श ु के अ य धक बाधा डालने वाले दोन ह ठ को म उखाड़ता ं जो मल कर बोलते ए मुझे थत करते ह. हम से े ष रखने वाले जस पु ष अथवा ी ने इस थान से हमारा धन चुराया है, उस श ु के जनन अंग को भी म बांधता ं. (३)
सू -१०१
दे वता—प ी
असदन् गावः सदने ऽ प तद् वस त वयः. आ थाने पवता अ थुः था न वृ काव त पम्.. (१) गाय जस कार गोशाला म बैठती है, प ी जस कार अपने घ सले म जाते ह और पवत जस कार अपने थान पर थत रहते ह, म अपने श ु के घर म उसी कार भे ड़य को था पत करता ं. (१)
सू -१०२
दे वता—इं , अ न
यद वा य त य े अ मन् होत क व वृणीमहीह. ुवमयो ुवमुता श व व ान् य मुप या ह सोमम्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे य म दे व का आ ान करने वाले एवं हे ानवान अ न! हम ने तु ह आज इस य म होता के प म वरण कया है, इसी लए तुम न य ही य करो तथा इस य कम के दोष को शांत करो. तुम इस य को वशेष प से सोमरस यु जानकर आओ. (१) स म नो मनसा नेष गो भः सं सू र भह रव सं व या. सं णा दे व हतं यद त सं दे वानां सुमतौ य यानाम्.. (२) हे इं ! हम तु त पी श द से यु कर के बोलने म कुशल बनाओ, जस से हम तु हारी तु त कर सक. हे अ के वामी इं ! हम व ान से यु करो, जस से हमारा वनाश न हो. हम ान एवं दे व हतकारी अ नहो आ द से यु बनाओ. हम अ न आ द य के यो य दे व क सुम त म था पत करो. (२) यानावह उशतो दे व दे वां तान् ेरय वे अ ने सध थे. ज वांसः प पवांसो मधू य मै ध वसवो वसू न.. (३) हे द तशाली अ न! तुम ने ह व क कामना करने वाले दे व का आ ान कया है. तुम उ ह अपने नवास थान म रहने के लए े रत करो. हे पुरोडाश का भ ण करने वाले, मधु रस से यु आ य को पीने वाले एवं लोक के र क दे वो! तुम इस यजमान के लए धन दो. (३) सुगा वो दे वाः सदना अकम य आज म सवने मा जुषाणाः. वहमाना भरमाणाः वा वसू न वसुं घम दवमा रोहतानु.. (४) हे दे वो! तु हारे घर सुख से प ंचने यो य बनाए गए ह. ह व का सेवन करने वाले तुम सब घर म आए थे. तुम अपने धन को ा त कर के हमारा पोषण करते ए सम त लोक म नवास करने वाले आ द य म थत बनो और हम धन दे ने के प ात अपने थान को जाओ. (४) य य ं ग छ य प त ग छ. वां यो न ग छ वाहा.. (५) हे य ! तू य कर ने यो य परमा मा व णु के समीप जा, जस से तू त त हो सके. इस के प ात तू य का पालन करने वाले यजमान को फल दे ने के हेतु ा त हो. इस के प ात तू सारे संसार के कारण बने ए परमे र क श को ा त कर. यह आ य शोभन आ त वाला हो. (५) एष ते य ो य पते सहसू वाकः. सुवीयः वाहा.. (६) हे यजमान! यह य व वध तो वाला, शोभन पु , पौ आ द से यु मले. यह आ य शोभन आ त वाला हो. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हो एवं तु ह
वषड् ढु ते यो वषड ते यः. दे वा गातु वदो गातुं व वा गातु मत.. (७) इ दे व और अ न दे व के लए यह आ य अ न म दया जाए. हे माग को जानने वाले दे वो! तुम माग पा कर हमारे य म जस माग से आए हो, उसी माग से लौट जाओ. (७) मनस पत इमं नो द व दे वेषु य म्. वाहा द व वाहा पृ थ ां वाहा ऽ त र े वाहा वाते धां वाहा.. (८) हे सम त ा णय के वामी दे व! हमारे इस य को वग म वतमान दे व तक प ंचाओ. तुम हमारे य को आकाश म, पृ वी पर, अंत र म एवं सभी कम के आधार वायु म था पत करो. (८)
सू -१०३
दे वता—इं
सं ब हर ं ह वषा घृतेन स म े ण वसुना सं म ः. सं दे वै व दे वे भर म ं ग छतु ह वः वाहा.. (१) ु आ द पा पुरोडाश और आ य से पूण हो कर इं के साथ, वसु के साथ क म द्गण के साथ तथा व े दे व के साथ संप ए. इस कार का पा इं को ा त हो तथा यह ह व शोभन आ त वाला हो. (१)
सू -१०४
दे वता—वेद
प र तृणी ह प र धे ह वे द मा जा म मोषीरमुया शयानाम्. होतृषदनं ह रतं हर ययं न का एते यजमान य लोके.. (१) हे दभ घास के फूल! तुम य वेद के चार ओर व तीण हो कर उसे ढक लो. तुम इस वेद पर सोते ए यजमान के सहयो गय का एवं संतान का वनाश मत करो. हे होता के बैठने के थान ह रत वण वाले एवं वग के समान रमणीय दभ! तुम य वेद पर फैल जाओ. ये फैले ए दभ यजमान के लोक म सोने के अलंकार ह . (१)
सू -१०५
दे वता—बुरे व का वनाश
पयावत व यात् पापात् व यादभू याः. ाहम तरं कृ वे परा व मुखाः शुचः.. (१) म बुरे व से उ प पाप से छू ट जाऊं तथा व के दोष से भी अलग र ं. म बुरे व का नवारण करने वाले मं को बोलता ं. बुरे व से संबंध रखने वाले शोक मुझ से र ह . ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(१)
सू -१०६
दे वता—बुरे व का वनाश
यत् व े अ म ा म न ातर धग यते. सव तद तु मे शवं न ह तद् यते दवा.. (१) व दे खते समय म जो अ खाता ं, वह अ ातःकाल दखाई नह दे ता. वह अ दन म भी नह दखाई दे ता. व म खाया गया सम त भोजन मेरे लए क याण करने वाला हो. (१)
सू -१०७
दे वता— ावा, पृ वी आ द
नम कृ य ावापृ थवी याम त र ाय मृ यवे. मे ा यू व त न् मा मा ह सषुरी राः.. (१) म धरती, आकाश, अंत र और मृ यु को नम कार कर के बैठा .ं म ऊ व लोक को न जाऊं अथात् मृ यु को ा त न क ं . ावा, पृ वी आ द के अ ध ाता दे व मेरी हसा न कर. (१)
सू -१०८
दे वता—आ मा
को अ या नो हो ऽ व व या उ े य त यो व य इ छन्. को य कामः क उ पू तकामः को दे वेषु वनुते द घमायुः.. (१) हम नवास थान दे ने का इ छु क कौन य राजा इस समय बाधा प ंचाने वाली एवं अ हतका रणी पशाची से हमारा उ ार करेगा? हमारे ारा कए जाते ए य क कामना करता आ एवं हम धन क आपू त क इ छा करता आ कौन सा दे व दे व के म य चरकाल तक होने वाले जीवन को ा त करता है. (१)
सू -१०९
दे वता—आ मा
कः पृ धेनुं व णेन द मथवणे सु घां न यव साम्. बृह प तना स यं जुषाणो यथावशं त वः क पया त.. (१) लाल आ द रंग वाली, सरलता से ही जाने वाली, सवदा बछड़े दे ने वाली एवं अथवा ऋ ष के लए व ण ारा द गई गाय को बृह प त दे व के साथ म ता का भाव रखता आ कौन सा दे व इ छानुसार क पत कर सकता है. आशय यह है क केवल बृह प त दे व ही ऐसा कर सकते ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -११०
दे वता—
चारी
अप ामन् पौ षेयाद् वृणानो दै ं वचः. णीतीर यावत व व े भः स ख भः सह.. (१) हे चारी! तू पु ष के हतकारी लौ कक कम याग कर दे व संबंधी वा य अथात् वेद मं के वा याय को वीकार करता आ संयमी बन तथा सभी चा रय के साथ नवास कर. (१)
सू -१११
दे वता—जातवेद
यद मृ त चकृम क चद न उपा रम चरणे जातवेदः. ततः पा ह वं नः चेतः शुभे स ख यो अमृत वम तु नः.. (१) हे अ न दे व! हम ने तु हारे मरण से र हत जो कम कया है तथा इस य के अनु ान म जो कमी रह गई है, हे उ म कम जानने वाले अ न दे व! तुम उस पाप से हमारी र ा करो. इस के प ात म अपने य य के शोभन य कम म संल न र ं. (१)
सू -११२
दे वता—सूय
अव दव तारय त स त सूय य र मयः. आपः समु या धारा ता ते श यम स सन्.. (१) क यप नामक धान सूय से संबं धत सात ापक करण वाले आरो य आ द सूय ह. वे आकाश म उ प धारा पी जल को आकाश से नीचे उतारते ह. हे रोगी! वे जल श य के समान तेरे य मा रोग को न कर द. (१)
सू -११३
दे वता—अ न
यो न तायद् द स त यो न आ वः वो व ानरणो वा नो अ ने. ती ये वरणी द वती तान् मैषाम ने वा तु भू मो अप यम्.. (१) हे अ न! जो श ु हम छ प से मारना चाहता है, जो श ु हम काश प म मारना चाहता है तथा सरे को बाधा प ंचाने के उपाय जानता आ आ मीय बंधु हम मारना चाहता है – इन तीन को दांत वाली तथा क का रणी रा सी ा त हो. अथात् वह अपने दांत से खाने के लए उन के समीप आए. हे अ न! उ तीन का घर एवं संतान न हो जाए. (१) यो नः सु तान्जा तो वा भदासात् त तो वा चरतो जातवेदः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वै ानरेण सयुजा सजोषा तान् तीचो नदह जातवेदः.. (२) हे अ न! जो श ु हम सोते ए मारना चाहता है, जो हम जागते ए मारना चाहता है, जो श ु हम बैठे ए मारना चाहता है तथा जो श ु हम चलते ए मारना चाहता है, हे अ न! तुम जठरा न से मल कर और समान ी त वाले बन कर हम मारने के लए सामने आते ए श ु को जलाओ. (२)
सू -११४
दे वता—अ न
इदमु ाय ब वे नमो यो अ ेषु तनूवशी. घृतेन क ल श ा म स नो मृडाती शे.. (१) अ धक बलशाली एवं मटमैले रंग वाले उस दे व को नम कार है जो जुए म वजय ा त कराता है. वह जुए म पास से इ छानुसार वजय दलाने वाला है. मं यु घृत के ारा म क ल अथात पराजय दे ने वाले पांच अंक को न करता ं. नम कार से स जुए का दे व इस कार के जय ल ण फल के ारा हम सुखी कर. (१) घृतम सरा यो वह वम ने पांसून े यः सकता उप . यथाभागं ह दा त जुषाणा मद त दे वा उभया न ह ा.. (२) हे अ न! तुम हमारी वजय के लए अंत र म घूमने वाली अ सरा को आ य अथात् घृत प ंचाओ तथा हमारे वरोधी जुआ रय के लए सू म धूल के कण, शकर और जल प ंचाओ, जस से वे परा जत ह . अपनेअपने भाग के अनुसार ह व ा त करते ए दे व दो कार के ह व से अथात् सोम और घृत से तृ त होते ह. (२) अ सरसः सधमादं मद त ह वधानम तरा सूय च. ता मे ह तौ सं सृज तु घृतेन सप नं मे कतवं र धय तु.. (३) जुए क दे वयां अ सराएं भूलोक और अंत र लोक म एक साथ स होती ह. वे अ सराएं मेरे दोन हाथ को जय ल ण फल से संयु कर तथा मेरे वरोधी जुआरी को मेरे वश म कर. (३) आ दनवं तद ने घृतेना माँ अ भ र. वृ मवाश या ज ह यो अ मान् तद त.. (४) म अपने वरोधी जुआरी को जीतने के लए पास के ारा जुआ खेलता ं. हे जुए से संबं धत दे वयो! मुझे सारपूण वजय से यु कराओ. जो जुआरी मुझे जीतने के लए मेरे वरोध म जुआ खेलता है, उस का उसी कार वनाश करो, जस कार बजली सूखे वृ का वनाश कर दे ती है. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो नो ुवे धन मदं चकार यो अ ाणां लहनं शेषणं च. स नो दे वो ह व रदं जुषाणो ग धव भः सधमादं मदे म.. (५) जस दे व ने जुआ खेलते ए लोग को वरोधी जुआरी क हार के प म धन दलाया है तथा जस दे व ने वरोधी जुआरी के पास का हण और वरोध म दमन कया है, वह दे व हमारी इस ह व को वीकार करे. हम जुए के दे व अथात् गंधव के साथ स रह. (५) संवसव इ त वो नामधेयमु ंप या रा भृतो १ ाः. ते यो व इ दवो ह वषा वधेम वयं याम पतयो रयीणाम्.. (६) हे गंधव अथात् जुए के पासो! तुम वसु अथात् धन ा त कराते हो, इस लए तु हारा नाम संवसु है. य क पासे उ ंप या रा भृत नामक दो अ सरा से संबं धत ह, इस लए हम उन गंधव अथवा पास के लए सोमयु ह व यु करते ह. इस के प ात जुआ खेलते ए हम धन के वामी बन. (६) दे वान् य ा थतो वे चय य षम. अ ान् यद् ब ूनालभे ते नो मृड वी शे.. (७) म ःखी हो कर अ न आ द दे व को धन लाभ के हेतु बुलाता ं. म ने वेदमं के हण के नयम का पालन कया है तथा म मटमैले रंग के पास को जुआ खेलने के लए न मत कर रहा ं इस लए जुए के अ ध ाता दे व जय ल ण फल के ारा हम सुखी कर. (७)
सू -११५ अनइ
दे वता—इं , अ न दाशुषे हतो वृ ा य त. उभा ह वृ ह तमा.. (१)
हे अ न और इं ! तुम ह व दे ने वाले यजमान के पाप को पूण य क तुम दोन अथात् अ न और इं ने वृ का वध कया है. (१)
प से न करो,
या यामजय व १ र एव यावात थतुभुवना न व ा. चषणी वृषणा व बा अ न म ं वृ हणा वे ऽ हम्.. (२) पूवज ने जन अ न और इं क सहायता से वग को अपने अधीन कया है, जन अ न और इं ने सारे लोक को अपनी म हमा से ा त कर लया है तथा जो अपने उपासक के कम के फल को वशेष प से दे खते ह, उ ह मनचाहा फल दे ने वाले, हाथ म व धारण करने वाले तथा वृ हंता अ न और इं को म वजय पाने के लए बुलाता ं. (२) उप वा दे वो अ भी चमसेन बृह प तः. इ गी भन आ वश यजमानाय सु वते.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! तु ह बृह प त दे व ने सोमपान के ारा अ य जाने से रोक दया है. हे इं ! तुम सोम नचोड़ने वाले यजमान को धन आ द से पु करने के लए हम तोता क तु तयां सुन कर आओ. (३)
सू -११६
दे वता—वृषभ
इ य कु र स सोमधान आ मा दे वानामुत मानुषाणाम्. इह जा जनय या त आसु या अ य ेह ता ते रम ताम्.. (१) हे छोड़े गए बैल! तुम सोम के आधार और इं के उदर हो. तुम दे व और मनु य के शरीर हो. तुम इस लोक म संतान उ प करो. सामने उप थत इस गांव म अथवा तु हारे न म जो गाएं अ य व मान ह, उन म तु हारी जाएं सुख से वहार कर. (१)
सू -११७
दे वता—जल
शु भनी ावापृ थवी अ तसु ने म ह ते. आपः स त सु व ु ुदवी ता नो मु च वंहसः.. (१) शोभाका रणी, ावा पृ वी के म य जो अ ानावृत जन चेतन और अचेत क म यवत दशा म वतमान ह, वे सात कार के द जल बरसाते ह. ऐसे ावा पृ वी हम पाप कम से बचाएं. (१) मु च तु मा शप या ३ दथो व या त. अथो यम य पड् वीशाद् व माद् दे व क बषात्.. (२) जल अथवा ओष धयां मुझे ा ण के आ ोश से उ प पाप से तथा अस य भाषण के कारण लगने वाले पाप से छु ड़ाएं. वे यम के पाश से तथा दे व संबंधी सभी पाप से मुझे बचाएं. (२)
सू -११८
दे वता—तृ का
तृ के तृ व दन उदमूं छ ध तृ के. यथा कृत शे यावते.. (१)
ासो ऽ मु मै
हे तृ का अथात् दाह उ प करने वाली वाणाप य नामक जड़ीबूट तथा हे दाह उ प करने वाली तृ वंदना नामक जड़ीबूट ! इस ी को भो ा पु ष से बलपूवक र करो. हे कोक उ प करने वाली जड़ीबूट तृ का! जनन एवं संभोग म स म इस पु ष के लए तू े ष करने वाली बन. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तृ ा स तृ का वषा वषात य स. प रवृ ा यथास यृषभ य वशेव.. (२) हे तृ का नामक जड़ीबूट ! तेरा वभाव दाह उ प करना है. जस कार तू वष व पा एवं वष का संयोग करने वाली है तथा जस कार तू सभी के ारा व जत है, जस कार बांझ गाय सांड़ के लए या य होती है, उसी कार वह नारी पु ष के लए वष पणी हो. (२)
सू -११९
दे वता—अ न, सोम
आ ते ददे व णा य आ ते ऽ हं दयाद् ददे . आ ते मुख य संकाशात् सव ते वच आ ददे .. (१) हे नारी! म तेरी यो न एवं जांघ के तेज का अपहरण करता ं. हे नारी! म तेरे व थ मन से साधु पु ष के यान पी तेज का अपहरण करता ं. म तेरे मुख से सब को स करने वाले तेज का अपहरण करता ं. अ धक या क ं, म तेरे सभी अंग से सौभा य पी तेज का अपहरण करता ं. (१) े ो य तु ा यः ानु याः ो अश तयः. त अ नी र वनीह तु सोमो ह तु र यतीः.. (२) मान सक ा धयां इस गृह के पी ड़त पु ष से र चली जाएं तथा मान सक ा धय से संबं धत लगातार मरण भी इस से र हो जाए. सर के ारा होने वाली नदा एवं हसा भी इस से र रहे. अ न दे व रा स और रा सय का वनाश कर तथा सोमदे व सर ारा होने वाली बुरी इ छा को इस से र कर. (२)
सू -१२०
दे वता—स वता
पतेतः पा प ल म न येतः ामुतः पत. अय मयेनाङ् केन षते वा सजाम स.. (१) हे पाप पणी ल मी अथात् द र ता! तू इस दे श से र चली जा. तू इस दे श म दखाई मत दे तथा इस दे श से ब त र चली जा. म तुझे अपने श ु के साथ लोहे के कांट से बांधता ं. (१) या मा ल मीः पतयालूरजु ा ऽ भच क द व दनेव वृ म्. अ य ा मत् स वत ता मतो धा हर यह तो वसु नो रराणः.. (२) वंदना नाम क लता वशेष जस कार वृ को चार ओर से लपेट लेती है, उसी कार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ग त करने वाली तथा य न लगने वाली द र ता ने मुझे सभी ओर से घेर लया है. हे स वता दे व! इस द र ता को मुझ से एवं मेरे दे श से अ य था पत करो. हाथ म सोना लए ए स वता ने हम धन दया है. (२) एकशतं ल यो ३ म य य साकं त वा जनुषो ऽ ध जाताः. तासां पा प ा न रतः ह मः शवा अ म यं जातवेदो न य छ.. (३) एक सौ ल मयां मनु य के ज म के साथ ही उ प होती ह. उन म से अ तशय पा प ल मी को हम इस दे श से र भेजते ह. हे ज म लेने वाल के ाता अ न दे व! उन ल मय म जो मंगलका रणी ह, उ ह हमारे साथ था पत करो. (३) एता एना ाकरं खले गा व ता इव. रम तां पु या ल मीयाः पापी ता अनीनशम्.. (४) म इन बताई गई एक सौ ल मय को उसी कार वभा जत कर के दो भाग म रखता ं जस कार गोशाला म बैठ ई गाय को वाला वभा जत करता है. पु य ल मयां मुझ म सुख से नवास कर और पापका रणी ल मयां मुझ से र चली जाएं. (४)
सू -१२१
दे वता—चं मा
नमो राय यवनाय नोदनाय धृ णवे. नमः शीताय पूवकामकृ वने.. (१) शरीर का पसीना गराने वाले, ेरक एवं सहन करने वाले, उ णक् वर से संबं धत दे व को नम कार है. अ भलाषा का वनाश करने वाले शीत वर से संबं धत दे व को नम कार है. (१) यो अ ये ु भय ुर येतीमं म डू कम ये व तः.. (२) (२)
जो वर सरे अथवा चौथे दन आता है, वह नयमहीन वर मेढक के पास चला जाए.
सू -१२२
दे वता—इं
आ म ै र ह र भया ह मयूररोम भः. मा वा के चद् व यमन् व न पा शनो ऽ त ध वेव तां इ ह.. (१) हे इं ! तु त करने वाले यो य एवं मोर के समान रोम वाले घोड़ क सहायता से यहां आओ. हे इं ! कोई भी तोता अपनी तु तय के ारा तु ह उस कार न रोके, जस कार प य को पकड़ने वाला चड़ीमार प य को रोकता है. जस कार यासा या ी जल वाले ******ebook converter DEMO Watermarks*******
थान पर जाता है, उसी कार सरे तु तकता पास आओ. (१)
सू -१२३
का अ त मण कर के तुम शी हमारे
दे वता—सोम, व ण
ममा ण ते वमणा छादया म सोम वा राजा ऽ मृतेनानु व ताम्. उरोवरीयो व ण ते कृणोतु जय तं वा ऽ नु दे वा मद तु.. (१) हे वजय के इ छु क राजा! म तेरे मम थान को कवच से ढकता ं. सोम राजा तुझे अपने अ वनाशी तेज से आ छा दत कर. व ण दे व तेरे लए अ धक सुख द. इं आ द सभी दे व श ु सेना को भयभीत करते ए तुझे ह षत कर. (१)
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आठवां कांड सू -१
दे वता—आयु
अ तकाय मृ यवे नमः ाणा अपाना इह ते रम ताम्. इहायम तु पु षः सहासुना सूय य भागे अमृत य लोके.. (१) सभी ा णय का वनाश करने वाले मृ यु को नम कार है. हे चारी! ाण और अपान वायु तेरे शरीर म रमण कर. यह पु ष ाण से यु हो. यह सूय दे श म, भूलोक म एवं अमृतलोक म वतमान रहे. (१) उदे नं भगो अ भी दे नं सोमो अंशुमान्. उदे नं म तो दे वा उ द ा नी व तये.. (२) भग नामक अ द त पु ने इस मू छत पु ष का उ ार कया है. अमृतमयी करण से सोम ने इस का उ ार कया है. म त् दे व ने एवं अ न ने ेम के लए इस का उ ार कया है. (२) इह ते ऽ सु रह ाण इहायु रह ते मनः. उत् वा नऋ याः पाशे यो दै ा वाचा भराम स.. (३) हे आयु क कामना करने वाले पु ष! तेरी ाण वायु एवं च ु आ द इं यां तेरे शरीर म नवास कर. तेरी आयु एवं मन भी तेरे इसी शरीर म रह. हम नऋ त नामक पाप दे वता के बंधन से अपने मं ारा तेरा उ ार करते ह. (३) उत् ामातः पु ष माव प था मृ योः पड् वीशमवमु चमानः. मा छ था अ मा लोकाद नेः सूय य सं शः.. (४) हे पु ष! तू मृ यु के उन पाश से छू ट जा एवं पतन से बच. मृ युदेव के पाश तेरे पैर को बांधने वाले ह. तू उ ह काटता आ भूलोक से अलग मत हो. तू अ न और सूय का दशन करने के लए इस लोक म रह. (४) तु यं वातः पवतां मात र ा तु यं वष वमृता यापः. सूय ते त वे ३ शं तपा त वां मृ युदयतां मा मे ाः.. (५) हे मरण के समीप प ंचे ए पु ष! वायु तेरे सुख के लए चले. जल तेरे लए अमृत क ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वषा करे. सूय दे व तेरे शरीर को सुख दे ने के लए तप. हे पु ष! मृ यु दे व तुझ पर दया कर. (५) उ ानं ते पु ष नावयानं जीवातुं ते द ता त कृणो म. आ ह रोहेमममृतं सुखं रथमथ ज व वदथमा वदा स.. (६) हे पु ष! म तेरे जीवन के लए ओष धय का नमाण करता ं तथा तुझे बल दान करता ं. मृ यु के पाश से तेरा छु टकारा हो, तू उन पाश म न फंसे. तू समा त न होने वाले तथा इं य सुख के अनुकूल शरीर पी रथ पर बैठ. इस शरीर पी रथ पर बैठ कर तू कह क मुझे चेतना ा त हो गई है. (६) मा ते मन त गा मा तरो भू मा जीवे यः व े दे वा अ भ र तु वेह.. (७)
मदो मानु गाः पतॄन्.
तेरा मन यमराज के वषय म न जाए तथा तेरा मन वलीन भी न हो. तू अपने बंधु के त असावधान न रहे. तू मरे ए पूवज का अनुगमन मत कर. इं आ द दे व इसी शरीर म तेरा पालन कर. (७) मा गतानामा द धीथा ये नय त परावतम्. आ रोह तमसो यो तरे ा ते ह तौ रभामहे.. (८) तू पतृलोक म गए के माग का यान मत कर तथा मृत पूवज के लए मत रो. मरे ए लोग तुझे भी यहां से र दे श म ले जाएंगे. तू अंधकार को याग कर काश म थत हो. हम अंधकार से काश म ले जाने के लए तेरे हाथ पकड़ते ह. (८) याम वा मा शबल े षतौ यम य यौ प थर ी ानौ. अवाङे ह मा व द यो मा त ः पराङ् मनाः.. (९) हे मरने के समीप प ंचे ए पु ष! यमराज के माग के र क दो कु े ह— एक काला और सरा चतकबरा. वे दोन तुझे बाधा न प ंचाएं. कु के काटने से बच कर तू हमारी ओर आ. तू मृत पु ष का यान मत कर तथा इसी भूलोक म नवास करता आ एक बार भी वहां से वमुख मत हो. (१) मैतं प थामनु गा भीम एष येन पूव नेयथ थं वी म. तम एतत् पु ष मा प था भयं पर तादभयं ते अवाक्.. (१०) हे ाणहीन पु ष! तू मरे ए लोग के माग पर गमन मत कर. वह माग भयानक है. म तुझे उस माग के वषय म बताता ं, जस माग से लोग मृ यु से पूव नह जाते ह. तू इस मृ यु पी अंधकार म वेश मत कर, य क यमराज क नगरी म वेश करने पर भय तीत होता है. हमारी ओर आने म तुझे अभय मलेगा. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
र तु वा ऽ नयो ये अ व १ ता र तु वा मनु या ३ य म धते. वै ानरो र तु जातवेदा द वा मा धाग् व ुता सह.. (११) जल के म य म जो वाडव आ द अ नयां ह, वे तेरी र ा कर. मनु य य करने के लए अथवा भोजन पकाने के लए जन अ नय को जलाते ह, वे तेरी र ा कर. ज म लेने वाल को जानने वाले जठरा न दे व तेरी र ा कर. आकाश क बजली तेरे शरीर के साथ रहती ई तुझे भ म न करे. (११) मा वा ाद भ मं तारात् संकसुका चर. र तु वा ौ र तु पृ थवी सूय वा र तां च मा . अ त र ं र तु दे वहे याः.. (१२) मांस का नाश करने वाली अ न तुझे अपना आहार बनाने का वचार न करे. तू सब का भ ण करने वाली अ न से र दे श म वचरण कर. पृ वी, आकाश, सूय, चं मा तथा अंत र दे व के आयुध से तेरी र ा कर. (१२) बोध वा तीबोध र ताम व व ऽ नव ाण र ताम्. गोपायं वा जागृ व र ताम्.. (१३) गोबोध और तबोध नामक ऋ ष तेरी र ा कर. व न दे खने वाला, न ा न लेने वाला, सदा शरीर क र ा करने वाला तथा जागने वाला दे व – ये सब तेरी र ा कर. (१३) ते वा र
तु ते वा गोपाय तु ते यो नम ते यः वाहा.. (१४)
बोध आ द तेरा पालन कर और तेरी र ा कर. उन बोध आ द को नम कार है. यह ह व उन के लए उ म आ त वाला हो. (१४) जीवे य वा समु े वायु र ो धाता दधातु स वता ायमाणः. मा वा ाणो बलं हासीदसुं ते ऽ नु याम स.. (१५) जीवनोपयोगी इं य के लए एवं पु , प नी, दास आ द क स ता के लए वायु, इं , धाता एवं स वता तुझे मृ यु से छ न कर हम दान कर. तेरी र ा करते ए स वता दे व तेरे ाण और शरीर के बल को तुझ से न छ न. म तेरे ाण के अनुकूल उन का आ ान करता ं. (१५) मा वा ज भः संहनुमा तमो वद मा ज ा ब हः मयुः कथा याः. उत् वा द या वसवो भर तू द ा नी व तये.. (१६) हे पु ष! तुझे भ ण करने के लए मले ए दांत वाला जंभ असुर न आए. अ ान अथवा अंधकार भी तुझे ा त न करे. तेरी व तृत जीभ रा स का वणन न करे. जस ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कार तू हसा र हत बने, उसे जंभ असुर न जाने. अ द त पु दे व तुझे मृ यु से छु ड़ाएं. आठ वसु इं और अ न क याण के लए तेरा उ ार कर. (१६) उत् वा ौ त् पृ थ ुत् जाप तर भीत्. उत् वा मृ योरोषधयः सोमरा ीरपीपरन्.. (१७) ौ दे वता एवं पृ वी तेरा भरणपोषण कर. सभी दे व के पता जाप त ने तेरा उ ार कया था. सोम क प नय और जड़ीबू टय ने मृ यु से तुझे छु ड़ाया था. (१७) अयं दे वा इहैवा वयं मा ऽ मु गा दतः. इमं सह वीयण मृ यो त् पारयाम स.. (१८) हे आ द य आ द दे वो! यह पु ष यह भूलोक म रहे. यह पु ष इस भूलोक से वग म न जाए. हम र ा करने वाले तुझ पु ष को असी मत श के र ा वधान ारा मृ यु से छ नते ह. (१८) उत् वा मृ योरपीपरं सं धम तु वयोधसः. मा वा तके यो ३ मा वा ऽ घ दो दन्.. (१९) हे आयु क कामना करने वाले पु ष! अ के दे व धाता तुझे मृ यु से बचाएं एवं तेरा उ ार कर. बखरे ए केश वाले बांधव एवं ना रयां तेरी मृ यु पर न रोएं. तेरे संबंधी ःख के कारण न रोएं. (१९) आहाषम वदं वा पुनरागाः पुनणवः. सवा सव ते च ुः सवमायु ते ऽ वदम्… (२०) हे मृ यु के ारा पकड़े ए पु ष! म ने तुझे मृ यु से छ न लया है और इस कार तुझे ा त कया है. हे पुनः ज म लेने वाले! तू संसार म बारा आया है. हे संपूण अंग वाले! तेरी च ु आ द इं यां अपनेअपने वषय का काशन करने वाली ह . म ने तेरी सौ वष क आयु ा त कर ली है. (२०) वात् ते यो तरभूदप वत् तमो अ मीत्. अप व मृ युं नऋ तमप य मं न द म स.. (२१) हे अचेतन पु ष! तेरी अचेतना नकल गई है. तुझे जीवन पी काश ा त हो गया है. म ने तुझ से मृ यु क दे वता नऋ त को र कर दया है. म तेरे बाहरी और आंत रक रोग का भी वनाश करता ं. (२१)
सू -२
दे वता—आयु
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आ रभ वेमाममृत य ु म छ माना जरद र तु ते. असुं ते आयुः पुनरा भरा म रज तमो मोप गा मा मे ाः.. (१) हे आयु क कामना करने वाले पु ष! तुम हमारे ारा कए जाते ए अमरण संबंधी अनु ान को अनुभव करो. तु हारा शरीर श ु के ारा छ भ न होने वाला तथा वृ ाव था को ा त करने वाला हो. इस के लए मृ यु से छ ने गए तेरे ाण को म पुनः आयु से भरता ं. तू स व गुण के तबंधक रजोगुण और तमोगुण को ा त न हो. तू हसा को भी ा त न हो. (१) जीवतां यो तर ये वाङा वा हरा म शतशारदाय. अवमु चन् मृ युपाशानश तं ाघीय आयुः तरं ते दधा म.. (२) हे पु ष! तू मनु य क ान द त ा त कर के हमारे सामने आ. हम तुझे सौ संवत तक जीने के लए मृ यु से छ न लाए ह. मृ यु के वर, सरदद आ द पाश से हम ने तुझे छु ड़ाया है. हम तुझे नदा से मु करते ए सौ वष क द घ आयु म अ य धक प से था पत करते ह. (२) वातात् ते ाणम वदं सूया च ुरहं तव. यत् ते मन व य तद् धारया म सं व वा ै वद ज यालपन्.. (३) हे ाणर हत पु ष! म ने तु हारे ाण को वायु से ा त कया है. म ने तु हारे च ु को सूय से ा त कया है तथा म तु हारे मन को तु ह म धारण करता ं. इस कार तुम सभी अंग से यु हो कर एवं जीभ से बोलते ए उ चारण करो. (३) ाणेन वा पदां चतु पदाम न मव जातम भ सं धमा म. नम ते मृ यो च ुषे नमः ाणाय ते ऽ करम्.. (४) हे ाणहीन पु ष! म दो पैर वाले अथात् ीपु ष और चार पैर वाले अथात् गाय, घोड़े आ द पशु के ाण से तुझे इस कार संयु करता ,ं जस कार अर ण मंथन से अ न उ प होती है. हे मृ यु! म ने तेरे ू र ने के लए नम कार कया है तथा तेरे अ य धक बल के लए भी म नम कार करता ं. (४) अयं जीवतु मा मृतेमं समीरयाम स. कृणो य मै भेषजं मृ यो मा पु षं वधीः.. (५) यह ाणहीन पु ष जी वत रहे. यह मरण को ा त न हो. हम इसे चे ा करने के लए े रत करते ह. हम इस मरने वाले पु ष क च क सा करते ह. हे मृ यु! तू इस का वध मत कर. (५) जीवलां नघा रषां जीव तीमोषधीमहम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ायमाणां सहमानां सह वती मह वे ऽ मा अ र तातये.. (६) जीवन दे ने वाली, रोष र हत, सेवन करने वाले क र का, रोग को परा जत करने वाली एवं श संप जीवंती अथात् वारपाठा नामक जड़ीबूट को ा धय के नाश का इ छु क म इस शां त कम के लए बुलाता ं. वह इस समीपवत पु ष का रोग नवारण करे. (६) अ ध ू ह मा रभथाः सृजेमं तवैव स सवहाया इहा तु. भवाशव मृडतं शम य छतमप स य रतं ध मायुः.. (७) हे मृ यु! तुम इस के प पात का वचन कहो. अथात् बोलो क यह मेरा है. तुम इसे मारने का आरंभ मत करो. यह तु हारा ही जन है. यह भूलोक म सव ग त वाला बने. हे भव और शव! तुम इसे सुखी करो तथा इस के क याण का य न करो. तुम इस के ा ध पी पाप को नकाल कर इस म आयु को था पत करो. (७) अ मै मृ यो अ ध ह ू ीमं दय वो दतो ३ यमेतु. अ र ः सवा ः सु ु जरसा शतहायन आ मना भुजम ुताम्.. (८) हे मृ यु! यह तुम से भयभीत है. तुम इसे बताओ क यह तु हारी कृपा के यो य है. तुम इस पर दया करो. यह अ ह सत, च ु आ द सभी अंग से यु , उ म ोता एवं वृ ाव था पा कर सौ वष तक अ य जन क अपे ा अ धक भोग ा त करे. (८) दे वानां हे तः प र वा वृण ु पारया म वा रजस उत् वा मृ योरपीपरम्. आराद नं ादं न हं जीवातवे ते प र ध दधा म.. (९) आ द दे व का आयुध तु हारी हसा न करे. म मू छा ल ण वाले आवरण से तु ह अलग करता ं. म मृ यु के पाश से तु हारा उ ार करता ं. म मांस खाने वाली अ न को तुझ से र नकालता ं तथा तेरे जीवन के लए परकोटे के प म य क अ न को धारण करता ं. (९) यत् ते नयानं रजसं मृ यो अनवध यम्. पथ इमं त माद् र तो ा मै वम कृ म स.. (१०) हे मृ यु! तेरे रजोमय माग को कोई ध षत नह कर सकता. उस माग से म इस मृ यु के समीप प ंचे ए पु ष के लए मनन पी कवच पहनाता ं. (१०) कृणो म ते ाणापानौ जरां मृ युं द घमायुः व त. वैव वतेन हतान् यम तां रतो ऽ प सेधा म सवान्.. (११) हे आयु को चाहने वाले पु ष! म तेरे शरीर म ाण और अपान वायु को थर करता ं. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म ऐसा उपाय करता ,ं जस से बुढ़ापा और मृ यु तुझे न छू सक. म तेरी आयु का व तार कर के तेरा क याण करता ं तथा यमराज के ारा भेजे ए एवं सभी जगह घूमते ए यम त को तुझ से र करता ं. (११) आरादरा त नऋ त परो ा ह ादः पशाचान्. र ो यत् सव भूतं तत् तम इवाप ह म स.. (१२) श ु बनी ई एवं आगे आ कर पकड़ने वाले पाप दे वता नऋ त का म समीप से हनन करता ं तथा मांसाहारी पशाच का वनाश करता ं. इस कार ता को ा त जो संपूण रा स जा त है तथा जो अंधकार के समान सर को ढकने वाले ह, उन का म वनाश करता ं. (१२) अ ने े ाणममृतादायु मतो व वे जातवेदसः. यथा न र या अमृतः सजूरस तत् ते कृणो म त ते समृ यताम्.. (१३) हे पाप दे वता नऋ त के ारा ाणर हत बनाए गए पु ष! चरजीवी एवं मरणर हत दे व अ न से म तेरे ाण क याचना करता ं. वह अ न दे व सभी ज म लेने वाल को जानते ह. हे पु ष! जस कार तू न मरे और मरणर हत हो कर स बने, म तेरे लए उसी कार का शां तकम करता ं. तुझ से संबं धत यह शां तकम समृ हो. (१३) शवे ते तां ावापृ थवी असंतापे अ भ यौ. शं ते सूय आ तपतु शं वातो वातु ते दे . शवा अ भ र तु वापो द ाः पय वतीः.. (१४) हे कुमार! तेरे घर से नकलने के समय ावा पृ वी मंगल करने वाली ह , संताप न प ंचाएं तथा तुझे धन दान कर. सूय तेरे लए सुखकारक तप तथा वायु तेरे मन के अनुकूल बन कर एवं सुखकारी हो कर चले. द जल तेरे लए अनेक कार के वाद से यु एवं क याणकारी हो कर बरस. (१४) शवा ते स वोषधय उत् वाहाषमधर या उ रां पृ थवीम भ. त वा द यौ र तां सूयाच मसावुभा.. (१५) हे कुमार! तेरे भोजन के उपयोग म आने वाले गे ं आ द अ सुखकारी ह . पृ वी के नचले भाग क अपे ा तेरे न म ऊंची पृ वी का उ ार कया गया है. पृ वी के उ च भाग म अ द त के पु सूय और चं मा दोन तेरी र ा कर. (१५) यत् ते वासः प रधानं यां नी व कृणुषे वम्. शवं ते त वे ३ तत् कृ मः सं पशऽ ू णम तु ते.. (१६) हे बालक! जो व तेरे ऊपरी भाग को ढक रहा है और जसे तूने कमर के नीचे पहना ******ebook converter DEMO Watermarks*******
है, ये दोन कार के व तेरे शरीर के लए क याणकारी एवं सुखद ह . इस व ऐसा बनाता ं क यह छू ने म कठोर न लगे. (१६)
को म
यत् ुरेण मचयता सुतेजसा व ता वप स केश म ु. शुभं मुखं मा न आयुः मोषीः.. (१७) हे स वता दे व! अथवा हजामत बनाने वाले पु ष! जब तुम केश काटने वाले नाई हो कर शोभन तेज वाले उ तरे को चलाते हो, सर और दाढ़ के बाल काटते हो, तब मुंडन कए जाते ए इस बालक का मुख तेज वी बनाओ तथा इस क आयु को मत चुराओ. (१७) शवौ ते तां ी हयवावबलासावदोमधौ. एतौ य मं व बाधेते एतौ मु चतो अंहसः.. (१८) हे अ खाते ए बालक! तेरे खाने के लए न त कए गए गे ं और जौ तेरे लए सुखकारी एवं शरीर बढ़ाने वाले ह . उपयोग के प ात ये गे ं और जौ तेरे शरीर को वशेष प से पी ड़त न कर और तुझे पाप से छु ड़ाएं. (१८) यद ा स य पब स धा यं कृ याः पयः. यदा ं १ यदना ं सव ते अ म वषं कृणो म.. (१९) हे कुमार! तुम जस कार के अनाज को क ठनता से खाते हो तथा ध के समान सारवान पसे ए धा य को पीते हो, जो अ सुख से खाने यो य है तथा जो खाने म क ठन है, इन सभी कार के अ को म वषहीन बनाता ं. (१९) अ े च वा रा ये चोभा यां प र दद्म स. अराये यो जघ सु य इमं मे प र र त.. (२०) हे कुमार! म र ा के न म तुझे दन और रात अथात् दोन के दे वता के लए दे ता ं. हे दे वताओ! तुम नधन के पास से तथा खाने वाले रा स के पास से इस बालक क र ा करना. (२०) शतं ते ऽ युतं हायनान् े युगे ी ण च वा र कृ मः. इ ा नी व े दे वा ते ऽ नु म य ताम णीयमानाः.. (२१) हे बालक! म तेरी अव था के सौ वष को हजार वष, हजार वष को दो युग, दो युग को तीन युग और तीन युग को चार युग बनाता ं. इस कार क ाथना को स इं , अ न तथा व े दे व ल जा अथवा ोध न करते ए वीकार कर. (२१) शरदे वा हेम ताय वस ताय ी माय प र दद्म स. वषा ण तु यं योना न येषु वध त ओषधीः.. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे बालक! म तुझे शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, वसंत ऋतु और ी म ऋतु के लए दे ता .ं हे बालक! जन वष म भोग के साधन गे ं, जौ आ द बढ़ते ह, वे वष तेरे लए सुखकारी ह . (२२) मृ युरीशे पदां मृ युरीशे चतु पदाम्. त मात् वां मृ योग पते रा म स मा बभेः.. (२३) मृ यु दे व दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु के वामी ह. जस कार वाला पशु का वामी होता है, उसी कार मृ यु दे व सभी ा णय के वामी ह. म तेरा मृ यु से उ ार करता ं. तू भयभीत न हो. (२३) सो ऽ र न म र य स न म र य स मा बभेः. न वै त य ते नो य यधमं तमः.. (२४) हे मृ यु दे व से वमुख अथात् मृ यु क हसा से र हत पु ष! तू मरेगा नह . तू मरेगा नह , इसी लए भय मत कर. जस थान म शां त कम कया जाता है, वहां के लोग ाण याग नह करते ह तथा असहनीय मू छा को भी ा त नह करते. (२४) सव वै त जीव त गौर ः पशुः. य ेदं यते प र धज वनाय कम्.. (२५) जहां गाय, घोड़े, पु ष और पशु सभी जी वत रहते ह, वहां महाशां त के लए य कम एवं रा स, पशाच आ द का नवारण करने वाला कम कया जाता है जो जीवन के लए क याणकारी होता है. (२५) प र वा पातु समाने यो ऽ भचारात् सब धु यः. अम भवा ऽ मृतो ऽ तजीवो मा ते हा सषुरसवः शरीरम्.. (२६) हे शां त चाहने वाले पु ष! मेरे ारा कया गया शां त कम सभी ओर से तेरा पालन करे. यह तुझे व ा एवं ऐ य म समान अ य मनु य और संबं धय ारा कए ए जा टोने से बचाए. तेरी मृ यु न हो और तू अ य धक जीवन ा त करे. ाण तेरे शरीर का याग न कर. (२६) ये मृ यव एकशतं या ना ा अ ततायाः. मु च तु त मात् वां दे वा अ नेव ानराद ध.. (२७) यमराज के जो स आयुध वर, सरदद आ द सौ सं या म ह और जो लोग का नाश करने वाले ह, उन से बचना क ठन है. अ न और वै ानर आ द दे व तुझे उन सब से बचाएं. (२७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ नेः शरीरम स पार य णु र ोहा स सप नहा. अथो अमीवचातनः पूतु नाम भेषजम्.. (२८) हे पूत नामक वृ ! तू अ न से ा त शरीर वाला है. तू रा स और श ु वनाशक है तथा रोग को बाहर नकालने वाला है. (२८)
सू -३
का
दे वता—अ न
र ोहणं वा जनमा जघ म म ं थ मुप या म शम. शशानो अ नः तु भः स म ः स नो दवा स रषः पातु न म्.. (१) म रा स का हनन करने वाले एवं बल के साधन अ से यु अ न के लए हवन करता ं. य के ारा म म बने ए व तार को ा त अ न क शरण जाता ं. ती ण वाला वाले वे अ न दे व आ य आ द के ारा व लत ह . इस कार के अ न दे व दन म हसा करने वाले से हमारी र ा कर. (१) अयोदं ो अ चषा यातुधानानुप पृश जातवेदः स म ः. आ ज या मूरदे वान् रभ व ादो वृ ् वा प ध वासन्.. (२) हे ज म लेने वाल के ाता अ न दे व! हमारे ारा कए ए घृत आ द से भलीभां त व लत हो कर तुम लोहे के दांत के समान अपनी वाला के ारा रा स को जला दो. जा टोने के ारा जो सर क ह या का खेल खेलते ह, उ ह तुम अपनी जीभ से पश करो तथा मांस भ क रा स पशाच आ द का वनाश कर के अपना मुख बंद कर लो. (२) उभोभया व ुप धे ह दं ौ ह ः शशानो ऽ वरं परं च. उता त र े प र या ने ज भैः सं धे भ यातुधानान्.. (३) यह र ा करने यो य है और यह मारने यो य है—इन दो कार के ान वाले हे अ न दे व! तुम हसक एवं तीखी वाला वाले हो. तुम हमारे श ु एवं हमारे ारा े ष कए गए पु ष को अपनी दोन दाढ़ के बीच म रख लो. इस के प ात तुम आकाश म वचरण करो. हे अ न दे व! मुझे बाधा प ंचाने के न म घूमते ए रा स को दांत से चबा डालो. (३) अ ने वचं यातुधान य भ ध ह ा ऽ श नहरसा ह वेनम्. पवा ण जातवेदः शृणी ह ात् व णु व चनो वेनम्.. (४) हे अ न दे व! तुम रा स क वचा का छे दन करो. तु हारा हसक व अपने ताप से इन रा स क ह या करे. हे जातवेद अ न! रा स के जोड़ को अलगअलग कर दो. इस के प ात भ क भे ड़या मांस क इ छा करता आ इ ह ख च कर ले जाए. (४) य ेदान प य स जातवेद त तम न उत वा चर तम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उता त र े पत तं यातुधानं तम ता व य शवा शशानः.. (५) हे जातवेद अ न दे व! तुम कह बैठे ए और कह चलते फरते ए रा स को दे खते हो. वे इस दे श म हमारे त उप व करते ह. आकाश म भी जाते ए उस रा स को ख च लेने वाले तुम ती ण हो कर अपनी वाला से मारो. (५) य ै रषूः संनममानो अ ने वाचा श याँ अश न भ दहानः. ता भ व य दये यातुधानान् तीचो बा न् त भङ् येषाम्.. (६) हे अ न! तुम हमारे य के ारा अपने बाण को सीधा करते ए एवं हमारी तु तय के ारा उन के फल को तेज करते ए उन बाण को रा स के दय म चुभा दो. इस के प ात हमारे वध के लए उठ रा स क भुजा को भ न कर दो. (६) उतार धा पृणु ह जातवेद उतारेभाणाँ ऋ भयातुधानान्. अ ने पूव न ज ह शोशुचान आमादः वङ् का तमद वेनीः.. (७) हे जातवेद अ न दे व! हम तु हारी तु त करते ह. तुम हमारा पालन करो तथा ह ला करने वाले रा स का अपने आयुध के ारा वध करो. तुम श ु को उस के आ मण के पूव ही मार डालो. उस मारे ए का भ ण क चा मांस खाने वाले प ी कर. (७) इह ू ह यतमः सो अ ने यातुधानो य इदं कृणो त. तमा रभ व स मधा य व नृच स ुषे र धयैनम्.. (८) हे अ न दे व! इस शां त कम म जो रा स हमारे शरीर को पीड़ा दे ने वाला काम करता है, उन से कह दो क वह तु हारे ारा हार करने यो य है. हे अ धक युवा अ न दे व, उस पापी को अपनी जलाने वाली वाला से पश करो. हे अ न दे व! तुम पु या मा और पा पय को सा ी प हो कर दे खते हो. तुम इस पापी को अपनी के ारा वश म कर लो. (८) ती णेना ने च ुषा र य ं ा चं वसु यः णय चेतः. ह ं र ां य भ शोशुचानं मा वा दभन् यातुधाना नृच ः.. (९) हे अ न दे व! अपने भयंकर एवं उ तेज के ारा हमारे य क र ा करो. हे दयालु मन वाले अ न दे व! हमारे इस य को दे व तक प ंचाओ और य क र ा करते ए तुम रा स को मारो. वे तु ह अपने वश म न कर सक. (९) नृच ा र ः प र प य व ु त य ी ण त शृणी ा. त या ने पृ ीहरसा शृणी ह ेधा मूलं यातुधान य वृ .. (१०) हे अ न दे व! मनु य का जो दं ड एवं अनु ह काय है, उस के ा तुम ही हो. जो रा स जा को पीड़ा प ंचाते है, तुम उन के ऊपर से तीन अंग अथात् दो हाथ और तीसरे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शीश को काट दो. तुम अपने तेज से उन रा स क पस लय तथा पैर के तीन भाग को भी काट दो. (१०) यातुधानः स त त ए वृतं यो अ ने अनृतेन ह त. तम चषा फूजयन्जातवेदः सम मेनं गृणते न युङ् ध.. (११) हे अ न दे व! रा स तु हारी वाला को तीन बार ा त कर. अथात् अ न उ ह तीन बार ातः, दोपहर और शाम को जलाएं. जो मेरे स य य को छल से न करता है, उसे पकड़ कर मेरे सामने ही अपनी वाला से न कर दो. (११) यद ने अ मथुना शपातो यद् वाच तृ ं जनय त रेभाः. म योमनसः शर ा ३ जायते या तया व य दये यातुधानान्.. (१२) हे अ न दे व! जस रा स के कारण ी और पु ष आ ोश से भरे ए ह तथा य के ोता कटु वाणी से मं का उ चारण कर रहे ह, उस रा स पर अपने वाला यु मन का हार करो. (१२) परा शृणी ह तपसा यातुधानान् परा ने र ो हरसा शृणी ह. परा चषा मूरदे वान्छृ णी ह परासुतृपः शोशुचतः शृणी ह.. (१३) हे अ न दे व! अपने तेज से रा स का वनाश करो तथा अपने ाणनाशक तेज से उ ह मार डालो. ह या कम के ारा पीड़ा करने वाले उन रा स को अपनी वाला से जला दो. जो सरे के ाण से अपनेआप को तृ त करते ह, ऐसे रा स को तुम अपनी वाला से जला दो. (१३) परा दे वा वृ जनं शृण तु यगेनं शपथा य तु सृ ाः. वाचा तेनं शरव ऋ छ तु ममन् व यैतु स त यातुधानः.. (१४) आज दे वगण रा स एवं पाप दे वता को ऐसा मार क वे लौट कर न आएं. रा स अथवा पाप को संतु करने वाले जो लोग हम शाप दे ते ह वह उ ह क ओर चला जाए. अस य वचन के ारा जो हार करता है, दे व के बाण उस के मम थल म लग. वह रा स संसार को ा त करने वाले अ न दे व क वाला म गरे. (१४) यः पौ षेयेण वषा समङ् े यो अ ेन पशुना यातुधानः. यो अ याया भर त ीरम ने तेषां शीषा ण हरसा प वृ .. (१५) जो रा स पु ष के मांस से अपना पोषण करता है तथा घोड़े और बकरी आ द के मांस से पु होता है, हे अ न दे व! जो रा स गाय का ध चुराता है. उन सब के सर को अपनी वाला से काट दो. (१५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वषं गवां यातुधाना भर तामा वृ ताम दतये रेवाः. परैणान् दे वः स वता ददातु परा भागमोषधीनां जय ताम्.. (१६) गाय के ध क कामना करते ए रा स उन से वष ा त कर. ग त वाले रा स सब को आ य दे ने वाली पृ वी के सुख के लए छ भ हो जाएं अथात् भू म पर ा त होने वाले पदाथ को न पा सक. स वता दे व ये रा स व धक को स प दे . ये सब गे ं, जौ आ द के भागीदार न बन. (१६) संव सरीणं पय उ याया त य माशीद् यातुधानो नृच ः. पीयूषम ने यतम ततृ सात् तं य चम चषा व य मम ण.. (१७) हे मनु य को दे खने वाले अ न दे व! रा स हमारी गाय के वष म होने वाले गभाधान, सव आ द को न न कर तथा उन का ध न पएं. उन म से जो रा स ह व पी अमृत एवं गो घृत से अपनेआप को तृ त करना चाहे, उस रा स को अपनी वाला से ता ड़त कर के वमुख करो. (१७) सनाद ने मृण स यातुधानान् न वा र ां स पृतनासु ज युः. सहमूराननु दह ादो मा ते हे या मु त दै ायाः.. (१८) हे अ न दे व! तुम चरकाल से रा स का हनन करते हो, फर भी रा स यु म तु ह जीत नह सकते ह. इस लए तुम मांसाहारी रा स को मूल स हत जला दो. वे तु हारे दै वी आयुध से न बच सक. (१८) वं नो अ ने अधरा द वं प ा त र ा पुर तात्. त ये ते अजरास त प ा अघशंसं शोशुचतो दह तु.. (१९) हे अ न दे व! तुम नीचे क दशा से पीड़ा प ंचाने वाले रा स से, ऊपर क दशा से पीड़ा प ंचाने वाले रा स से तथा पूव दशा से पीड़ा प ंचाने वाले रा स से हमारी र ा करो. सव वतमान तु हारी चनगारी पापी रा स का वनाश करे. हे रा स! अ न दे व वृ न होने वाले, अ तशय संतापकारी एवं द त वाले ह. (१९) प ात् पुर तादधरा तो रात् क वः का ेन प र पा ने. सखा सखायमजरो ज र णे अ ने मता अम य वं नः.. (२०) हे सब कुछ जानने वाले अ न दे व! तुम ांतदश हो. इस लए द ण, उ र, पूव और प म दशा से बाधा प ंचाने वाले रा स को जानते हो. तुम अपने र ा ापार के ारा हमारी र ा करो. तुम मेरे सखा हो, इस लए अपने सखा अथात् मेरी र ा करो. हे अ न दे व! तुम वृ ाव था र हत हो, मुझ वृ और बल क र ा करो. तुम मरण र हत हो, मुझ मरणधमा क र ा करो. (२०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तद ने च ःु त धे ह रेभे शफा जो येन प य स यातुधानान्. अथवव यो तषा दै ेन स यं धूव तम चतं योष.. (२१) हे अ न दे व! तुम श द करते ए रा स पर अपनी वह डालो अथात् उसे जला दो, जस से तुम पशु पधारी रा स को दे खते हो. अथवा नाम के मह ष ने अपने तप और मं के भाव से जस कार रा स को जलाया, उसी कार तुम भी अपनी द यो त से स य क हसा करने वाले एवं ानहीन रा स को पूरी तरह जला दो. (२१) प र वा ने पुरं वयं व ं सह य धीम ह. धृष ण दवे दवे ह तारं भङ् गुरावतः.. (२२) हे सबको परा जत करने वाले अ न दे व! हम तु हारा सभी कार से यान करते ह. तुम अ भलाषाएं पूण करने वाले, मेधावी, अ धक वषा यु तथा त दन गरते ए बल और वभाव वाले रा स के हंता हो. (२२) वषेण भङ् गुरावतः त म र सो ज ह. अ ने त मेन शो चषा तपुर ा भर च भः.. (२३) हे अ न दे व! वष के समान वनाशक अपने तीखे तेज से भ नच र वाले रा स का वनाश करो. तुम उ ह अपनी ताप यु वाला से भी जलाओ. (२३) व यो तषा बृहता भा य नरा व व ा न कृणुते म ह वा. ादे वीमायाः सहते रेवाः शशीते शृ े र ो यो व न े.. (२४) ये अ न दे व महान तेज से का शत ह. हे अ न दे व! अपने तेज क अ धकता से तुम सम त ा णय को कट करते हो. ये अ न दे व रा स से संबं धत और क से जानने यो य माया का पूणतया वनाश करते ह तथा रा स के वनाश के लए अपने स ग पैने करते ह. (२४) ये ते शृ े अजरे जातवेद त महेती ता यां हादम भदास तं कमी दनं (२५)
सं शते. य चम चषा जातवेदो व न व..
हे जातवेद अ न! तु हारे जो स स ग ह, उन के ारा तुम अपने वरो धय का वनाश करो. तु हारे स ग जरा र हत, तीखे आयुध के समान एवं हमारे मं के ारा श शाली बनाए गए ह. तुम दय वाले सब के वनाशक एवं यह कौन है, यह कौन है, इस कार बोल कर वनाश करने वाले रा स को मारो. (२५) अ नी र ां स सेध त शु शो चरम यः. शु चः पावक ई
ः.. (२६)
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ये अ न दे व सभी कार से बाधा प ंचाने वाले रा स का वनाश करते ह. अ न दे व द त काश वाले, मृ यु र हत, शु और सब को प व करने वाले ह. (२६)
सू -४
दे वता—मं म बताए गए इं आद
इ ासोमा तपतं र उ जतं यपयतं वृषणा तमोवृधः. परा शृणीतम चतो यो षतं हतं नुदेथां न शशीतम णः.. (१) हे इं और सोम! रा स को संत त करो तथा मार डालो. हे अ भलाषाएं पूण करने वालो! अंधकार म बढ़ने वाले ानहीन रा स को न न ग त दान करो तथा अ य धक जलाओ. मनु य का भ ण करने वाले रा स को मारो तथा मारे ए रा स को हम से र ले जाओ. इस कार उन क सं या कम करो. (१) इ ासोमा समघशंसम य १ घं तपुयय तु च र नमाँ इव. षे ादे घोरच से े षो ध मनवायं कमी दने.. (२) हे इं और सोम! अनथ बोलने वाले एवं पापी रा स को परा जत करो. वह रा स संताप को ा त हो तथा अ न म डाले गए अ के समान जल जाए. तुम दोन ा ण से े ष करने वाले मांसाहारी एवं अब कसे, अब कसे खाऊं कहते ए रा स के पीछे े ष और वरोध धारण करो. (२) इ ासोमा कृतो व े अ तरनार भणे तम स व यतम्. यतो नैषां पुनरेक नोदयत् तद् वाम तु सहसे म युम छवः.. (३) हे इं और सोम! तुम कम करने वाले रा स को ढकने वाले तथा बना सहारे वाले अंधकार म धकेलो, जस से अंधकार म पड़े ए रा स म से एक भी बाहर न आ सके. तुम दोन का यह बल रा स को हराने के लए ोध यु हो. (३) इ ासोमा वतयतं दवो वधं सं पृ थ ा अघशंसाय तहणम्. उत् त तं वय १ पवते यो येन र ो वावृधानं नजूवथः.. (४) हे इं एवं सोम! अंत र से वध का साधन आयुध एक बार ही चलाओ. पाप क बात करने वाले रा स के वध के लए अपना आयुध पृ वी से भी एक बार ही चलाओ. उन के वध के लए अपने हसक व को तेज करो तथा श द करते ए जस आयुध व से तुम ने मेघ से जल ा त कया है, उस से रा स का वध करो. (४) इ ासोमा वतयतं दव पय नत ते भयुवम मह म भः. तपुवधे भरजरे भर णो न पशाने व यतं य तु न वरम्.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं और सोम! तुम दोन अ न के ारा तपाए ए, फौलाद के बने ए, संतापकारी एवं पुराने न होने वाले अपने आयुध को अंत र म घुमाओ तथा उन के ारा मानवभ ी रा स को समीपवत दे श म भेज दो, जहां जा कर वे मर जाएं. (५) इ ासोमा प र वां भूतु व त इयं म तः क या ेव वा जना. यां वां हो ां प र हनो म मेधयेमा ा ण नृपती इव ज वतम्.. (६) हे इं तथा सोम! तुम दोन हमारे ारा क गई तु त को उसी कार सब ओर से वीकार करो, जस कार र सी श शाली घोड़ को बांध लेती है. हम आ ान के यो य बु से तुम दोन को े रत करते ह. हमारे मं तु ह उसी कार स कर, जस कार राजा चारण के वचन सुन कर स होते ह. (६) त मरेथां तुजय रेवैहतं हो र सो भङ् गुरावतः. इ ासोमा कृते मा सुगं भूद ् यो मा कदा चद भदास त
ः.. (७)
हे इं एवं सोम! तुम दोन श शाली एवं गमन के साधन अ के ारा हमारा मरण करते ए आओ तथा आ कर हम से ोह करने वाले और वनाशकारी रा स क हसा करो. हे इं एवं सोम! बुरे कम करने वाले रा स को सुख न मले. जो एक बार भी मुझे बाधा प ंचाए, उसे तुम ःख दो. (७) यो मा पाकेन मनसा चर तम भच े अनृते भवचो भः. आप इव का शना संगृभीता अस वासत इ व ा.. (८) हे इं ! जो रा स स चे मन से काय करने वाले मुझ ा ण को शाप दे ता है और मुझ से अस य वचन बोलता है, उस क बात अंज ल से नकल जाने वाले जल के समान सारहीन है. अस य बोलने वाला वह वयं ही शू य हो जाए अथात् न हो जाए. (८) ये पाकशंसं वहर त एवैय वा भ ं षय त वधा भः. अहये वा तान् ददातु सोम आ वा दधातु नऋते प थे.. (९) जो रा स मुझ स यवाद क इ छानुसार नदा करते ह और जो रा स मुझ क याणकारी के य कम को अ के ारा षत करते ह—इन दोन कार के रा स को सोमदे व सप के लए दे द अथवा पाप दे वता नऋ त क गोद म बैठा द. (९) यो नो रसं द स त प वो अ ने अ ानां गवां य तनूनाम्. रपु तेन तेयकृद् द मेतु न ष हीयतां त वा ३ तना च.. (१०) हे अ न दे व! जो रा स हमारे शरीर के सार को न करना चाहता है तथा जो हमारे घोड़ , गाय और पु , पौ आ द के शरीर के रस को षत करना चाहता है, इस कार का श ु त कर और लुटेरा है. वह न हो जाए. वह अपने शरीर से और अपनी संतान से न हो ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जाए. (१०) परः सो अ तु त वा ३ तना च त ः पृ थवीरधो अ तु व ाः. त शु यतु यशो अ य दे वा यो मा दवा द स त य न म्.. (११) हे दे वो! वह रा स अपने शरीर से और अपने पु से अलग हो जाए. वह तीन कार क पृ वी के नीचे प ंचे अथात् नरक को ा त हो. उस पापी का अ एवं यश न हो जाए. जो े षकता दन अथवा रात म मुझे मारना चाहता है, उस का वनाश करो. (११) सु व ानं च कतुषे जनाय स चास च वचसी प पृधाते. तयोयत् स यं यतर जीय त दत् सोमो ऽ व त ह यासत्.. (१२) व ान् को स य और अस य वचन जानना सरल होता है. स य और अस य वचन पर पर व होते ह. इन स य और अस य वचन म जो यथाथ है और जो सरल है, सोमदे व उस क र ा करते ह तथा अस य वचन का वनाश करते ह. (१२) न वा उ सोमो वृ जनं हनो त न यं मथुया धारय तम्. ह त र ो ह यासद् वद तमुभा व य सतौ शयाते.. (१३) सोमदे व पापी रा स को जी वत रहने के लए नह छोड़ते ह. अस य को धारण करने वाले पापी रा स को भी सोमदे व जी वत रहने के लए नह छोड़ते ह. सोमदे व रा स का वनाश करते ह और अस यवाद का भी वनाश करते ह. ये दोन इं के पाश म बंध जाते ह. (१३) य द वा हमनृतदे वो अ म मोघं वा दे वाँ अ यूहे अ ने. कम म यं जातवेदो णीषे ोघवाच ते नऋथं सच ताम्.. (१४) हे अ न दे व! न तो म दे व क नदा करने वाला ं तथा न म तु त यो य दे व के त थ धारण करता ं. हे जातवेद अ न दे व! फर मुझ पर तुम ोध य करते हो? मुझ से अ त र जो दे व वरोधी रा स ह, वे नाश को ा त ह . (१४) अ ा मुरीय य द यातुधानो अ म य द वायु ततप पू ष य. अधा स वीरैदश भ व यूया यो मा मोघं यातुधाने याह.. (१५) हे म या आरोप लगाने वाले पु ष! म य द सर को पीड़ा प ंचाने वाला ं अथवा म ने कसी पु ष के जीवन क हसा क है तो म इसी दन मर जाऊं. तुम ने मुझे थ ही रा स कहा है. ऐसे तुम अपने दस वीर पु से बछु ड़ जाओ. (१५) यो मायातुं यातुधाने याह यो वा र ाः शु चर मी याह. इ तं ह तु महता वधेन व य ज तोरधम पद .. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जस म या आरोप लगाने वाले ने मुझ अरा स को रा स कहा है, अथवा जस ने रा स होते ए भी अपनेआप को शु बताया है—इन दोन अस यवा दय को इं दे व अपने वध साधन व के ारा मार. ये दोन कार के जन संसार के सभी ा णय से अधम हो कर न ह . (१६) या जगा त खगलेव न मप त वं १ गूहमाना. व मन तमव सा पद ावाणो न तु र स उप दै ः.. (१७) जो रा सी उलूक के समान हम मारने को आती है तथा जो ोह करने वाली रा सी अपने शरीर को छपाती ई आती है, वह रा सी अंतहीन गड् ढे म नीचे मुंह कए ए गरे. सोमलता को पीसने वाले प थर अपनी व नय से रा स का वनाश कर. (१७) व त वं म तो व वी ३ छत गृभायत र सः सं पन न. वयो ये भू वा पतय त न भय वा रपो द धरे दे वे अ वरे.. (१८) हे म तो! तुम सब जा के म य अनेक कार से थत रहो तथा रा स का वनाश करने क इ छा करो. तुम पकड़े ए रा स को भलीभां त चूण कर दो. जो रा स प ी बन कर रात म घूमते ह अथवा जो दे व संबंधी य म हसा करते ह , उन रा स का वनाश करो. (१८) वतय दवो ऽ मान म सोम शतं मघव सं शशा ध. ा ो अपा ो अधरा द ो ३ भ ज ह र सः पवतेन.. (१९) हे इं ! अंत र से अपना व नीचे गराओ. उस व को तुम ऐसा तेज करो, जैसा सोमदे व ने कया था. तुम उस तेज कए ए व से पूव, प म, उ र एवं द ण सभी दशा म रा स का वनाश करो. (१९) एत उ ये पतय त यातव इ ं द स त द सवो ऽ दा यम्. शशीते श ः पशुने यो वधं नूनं सृजदश न यातुमद् यः.. (२०) इस कार के जो रा स कु के समान खाते ए घूमते ह और आ कर हसा क इ छा करते ए अपरा जत इं क हसा करना चाहते ह, इं उन रा स का वध करने के लए अपना व तेज करते ह. वे इं हसक रा स के न म न य ही अपना व तैयार कर. (२०) इ ो यातूनामभवत् पराशरो ह वमथीनाम या ३ ववासताम्. अभी श ः परशुयथा वनं पा ेव भ द सत एतु र सः.. (२१) इं दे व के न म दए गए ह व को चुराने वाले तथा वरोधी ग त व ध करने वाले रा स का वनाश कर. इं रा स को मारने के लए इस कार आ मण कर, जस कार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कु हाड़ी वृ को काटने के लए उठती है. ा त होने वाले रा स को इं दे व म बरतन के समान काटते ए आएं. (२१)
के
उलूकयातुं शुशुलूकयातुं ज ह यातुमुत कोकयातुम्. सुपणयातुमुत गृ यातुं षदे व मृण र इ .. (२२) हे इं ! जो रा स प रवार के साथ आते ह, जो अकेले आते ह, जो कु , चकव , ग ड़ एवं ग के समान आ मण करते ह, उन का वनाश करो. जस कार प थर से मट् ट का पा तोड़ा जाता है, उसी कार अनेक आकार म वतमान रा स को मारो. (२२) मा नो र ो अ भ नड् यातुमावदपो छ तु मथुना ये कमी दनः. पृ थवी नः पा थवात् पा वंहसो ऽ त र ं द ात् पा व मान्.. (२३) हम हसक रा स जा त ा त न करे. अब कसे खाएं, अब कसे खाएं— ऐसा कहते ए जो रा स जोड़े अथात् ीपु ष घूमते ह, वे र चले जाएं. पृ वी माता हम रा स, पशाच आ द ारा कए गए पाप से बचाएं. (२३) इ ज ह पुमांसं यातुधानमुत यं मायया शाशदानाम्. व ीवासो मूरदे वा ऋद तु मा ते श सूयमु चर तम्.. (२४) हे इं ! तुम पु ष पधारी रा स का वध करो तथा सर को माया के ारा ह सत करने वाली ी प धा रणी रा सी का वध करो. मृ यु जन के लए खेल है, ऐसे रा स क गरदन कट जाएं और वे मर जाएं. वे उदय होते ए सूय को न दे ख. (२४) त च व व च वे सोम जागृतम्. र ो यो वधम यतमश न यातुमद् यः.. (२५) हे इं एवं सोम! तुम येक रा स को अपने तकूल दे खो तथा व वध रा स को अपने वपरीत समझो. तुम दोन हमारी र ा के लए जा त रहो और हसक रा स के वध के लए अपना आयुध व चलाओ. (२५)
सू -५
दे वता—मं म बताए गए
अयं तसरो म णव रो वीराय ब यते. वीयवा सप नहा शूरवीरः प रपाणः सुम लः.. (१) तलक वृ से न मत यह म ण कृ या रा सी को उसी के पास लौटा दे ती है, जो उसे कसी पर जा टोने के प म भेजता है. यह वीरकम करने वाले श ु को भगाने म समथ है. यह म ण अ तशय श शा लनी, श ु घातक एवं यजमान क र ा करने वाले पुरो हत का मंगल करने वाली है. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अयं म णः सप नहा सुवीरः सह वान् वाजी सहमान उ ः. यक् कृ या षय े त वीरः.. (२) तलक वृ से न मत म ण श ु घातक, संतान दे ने वाली, श शा लनी, वेगवती, श ु को परा जत करने वाली, उ तथा सरे के ारा भेजी गई कृ या रा सी को उसी के वरोध म भेजने वाली है. श ु को अनेक कार से षत करने वाली यह म ण हमारे सामने आती है. (२) अनेने ो म णना वृ मह नेनासुरान् पराभावय मनीषी. अनेनाजयद् ावापृ थवी उभे इमे अनेनाजयत् दश त ः.. (३) कसी भी उपाय से वृ ासुर को मारने म असफल होने पर इं ने इसी म ण को बांधने के भाव से वजय के उपाय जाने एवं रा स को परा जत एवं न कया था. इं ने इसी म ण के भाव से धरती और आकाश पर वजय ा त क है. इसी म ण के भाव से इं ने पूव, प म, उ र एवं द ण-चार दशा को जीता है. (३) अयं ा यो म णः तीवतः तसरः. ओज वान् वमृधो वशी सो अ मान् पातु सवतः.. (४) तलक वृ से न मत यह म ण, वरो धय को लौटाने वाली तथा रोग आ द का वनाश करने वाली है. श ु वनाशक तेज से यु , श ु को भगा कर यु का अभाव करने वाली एवं सब को वश म करने वाली यह म ण सभी से हमारी र ा करे. (४) तद नराह त सोम आह बृह प तः स वता त द ः. ते मे दे वाः पुरो हताः तीचीः कृ याः तसरैरज तु.. (५) उस अ न दे व ने कृ या रा सी को वापस लौटाने वाली म ण के वषय म मुझे बताया है. सोम, बृह प त, स वता एवं इं ने भी म ण के वषय म यही कहा है. अ य स दे व एवं पुरो हत ने भी इस म ण के ारा कृ या रा सी को वापस लौटाया है. (५) अ तदधे ावापृ थवी उताह त सूयम्. ते मे दे वाः पुरो हताः तीचीः कृ याः तसरैरज तु.. (६) म धरती और आकाश को तथा दवस और सूय को अपने तथा कृ या रा सी के म य म था पत करता ं. धरती, आकाश आ द दे व एवं यजमान को कृ या से बचाने वाले पुरो हत तलक वृ से म ण के ारा कृ या रा सी को वापस कर. (६) ये ा यं म ण जना वमा ण कृ वते. सूय इव दवमा व कृ या बाधते वशी.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कृ या रा सी से बचाने वाले लोग तलक वृ से न मत म ण को अपना कवच बना लेते ह. यह म ण सरे ारा भेजी गई कृ या का उसी कार वनाश करती है, जस कार सूय आकाश म प ंच कर अंधकार का वनाश करते ह. (७) ा येन म णन ऋ षणेव मनी षणा. अजैषं सवाः पृतना व मृधो ह म र सः.. (८) मुझ साधक ने तलक वृ ारा न मत म ण क सहायता से पूतना नामक सभी रा सय को उसी कार जीत लया है, जस कार व ान् ऋ ष अथवा ने जीता था. म उप वकारी रा स को तलक वृ से न मत म ण के ारा न करता ं. (८) याः कृ या आ रसीयाः कृ या आसुरीयाः कृ याः उचा ये भराभृताः. उभयी ताः परा य तु परावतो नव त ना ा ३ अ त.. (९)
वयंकृता या
जो कृ या रा सयां अं गरा ऋ ष ारा बताई ई व ध से यु ह, जो कृ या रा सयां असुर ारा न मत ह, जो कृ या रा सयां च वकलता के कारण कसी के ारा अपने ऊपर क गई ह अथवा अ य अ भचारक ारा क गई ह, ये दोन कार क कृ याएं र चली जाएं. कृ याएं नौ न दय के पार चली जाएं. (९) अ मै म ण वम ब न तु दे वा इ ो व णुः स वता ो अ नः. जाप तः परमे ी वराड् वै ानर ऋषय सव.. (१०) इं , व णु, स वता, एवं अ न कृ या से बचने के इ छु क इस यजमान को कवच के थान पर तलक वृ से न मत म ण बांध अथवा सव च थान पर वराजमान जाप त एवं सभी ऋ ष यजमान क र ा के लए यह म ण बांध. जाप त संपूण ांड के वामी तथा सभी मनु य के हतकारी हर यगभ ह. (१०) उ मो अ योषधीनामनड् वान्जगता् मव ा ः पदा मव. यमै छामा वदाम तं त पाशनम ततम्.. (११) हे म ण के उपादान तलक वृ ! तू सभी वृ म उ म है, य क अ य वृ सी मत फल के साधक ह और तू सम त अ भमत फल दे ने वाला होने के कारण उसी कार े है, जस कार बैल पालतू चौपाय म और बाघ हसक जंगली पशु म े है. हम ने जस क इ छा क थी, उसे तेरी सहायता से पा लया. मेरी इ छत व तु वरोधी अ भचारक क बाधक एवं मेरे अ यंत समीप रहने वाली है. (११) स इद् ा ो भव यथो सहो अथो वृषा. अथो सप नकशनो यो बभत मं म णम्.. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो पु ष तलक वृ से न मत म ण को बांधता है, वह बाघ और सह के समान सर को परा जत करने वाला होता है. वह गाय म सांड़ के समान व छं द घूमने वाला होता है एवं श ु का वनाश करता है. (१२) नैनं न य सरसो न ग धवा न म याः. सवा दशो व राज त यो बभत मं म णम्.. (१३) तलक वृ से न मत म ण धारण करने वाले को अ सराएं, गंधव और मनु य कोई नह मार पाता है, वह सभी दशा का वामी होता है. (१३) क यप वामसृजत क यप वा समैरयत्. अ बभ वे ो मानुषे ब त् सं े षणे ऽ जयत्. म ण सह वीय वम दे वा अकृ वत.. (१४) हे म ण! क यप ऋ ष ने तु हारा नमाण कया था और उ ह ने तु ह सब के उपकार करने क ेरणा द थी. सभी दे व के अ धप त इं ने वृ ासुर को मारने के लए तु ह धारण कया था. इसी कारण मनु य म जो तु ह धारण करता है, वह सं ाम म वजयी होता है. ाचीन काल म असी मत साम य वाली इस म ण को दे व ने अपना कवच बनाया था. (१४) य वा कृ या भय वा द ा भय ैय वा जघांस त. यक् व म तं ज ह व ेण शतपवणा.. (१५) हे शां त क कामना करने वाले पु ष! जो तुझे कृ या संबं धनी हसक या ारा एवं य द ा ारा मारना चाहता है, तू इं के समान बन कर अपने सौ पव वाले व के ारा उसे मार डाल. (१५) अय मद् वै तीवत ओज वान्संजयो म णः. जां धनं च र तु प रपाणः सुम लः.. (१६) तलक वृ से न मत यह म ण न य ही पाप रा सी कृ या को लौटाने म समथ, अ तशय ओज वी एवं वजय ा त करने वाली है. यह म ण पु , पौ आ द क र ा करे एवं मेरी भी सभी कार र ा करे. (१६) असप नं नो अधरादसप नं न उ रात्. इ ासप नं नः प ा यो तः शूर पुर कृ ध.. (१७) हे इं ! तुम शूर हो. तुम द ण दशा से, उ र दशा से प म दशा से एवं पूव दशा से हम वनाशक तेज दान करो. (१७) वम मे ावापृ थवी वमा ऽ हवम सूयः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वम म इ
ा न वम धाता दधातु मे.. (१८)
धरती और आकाश के दे वता मेरे लए कवच बन. दवस और सूय मेरे लए कवच बन. इं और अ न मेरे लए कवच बन. (१८) ऐ ा नं वम ब लं य ं व े दे वा ना त व य त सव. त मे त वं ायतां सवतो बृहदायु मान्जरद यथासा न.. (१९) इं और अ न दे व ारा स मत म ण पी कवच अ तशय श शाली होता है. सभी दे व इस म ण पी कवच का भेदन नह करते अथात् उसे धारण करने वाले का पालन करते ह. इस कार का म ण पी कवच मेरे शरीर क सभी ओर से र ा करे, जस से म सौ वष क आयु ा त क ं तथा वृ ाव था तक जी वत र ं. (१९) आ मा द् दे वम णम ा अ र तातये. इमं मे थम भसं वश वं तनूपानं व थमोजसे.. (२०) इं , अ न आ द दे व के ारा धारण क गई म ण वनाश से बचाने के लए मेरी भुजा म बंधी है. हे मनु यो! तुम भी श ु का वनाश करने वाली इस म ण का सभी कार आ य लो. यह म ण शरीर क र ा करने वाली, तीन कार के आवरण से यु एवं बल बढ़ाने वाली है. (२०) अ म ो न दधातु नृ ण ममं दे वासो अ भसं वश वम्. द घायु वाय शतशारदायायु मान्जरद यथ ऽ सत्.. (२१) इं उस म ण म हमारा चाहा आ सुख था पत कर. हे दे वो! अ धक आयु ा त करने के लए तुम भी इस म ण के चार ओर थत रहो. यह ाथना सौ वष क एवं वृ ाव था पयत आयु ा त करने के लए है. (२१) व तदा वशां प तवृ हा वमृधो वशी. इ ो ब नातु ते म ण जगीवाँ अपरा जतः सोमपा अभयङ् करो वृषा. स वा र तु सवतो दवा न ं च व तः.. (२२) अपने भ का क याण करने वाले, दे व मनु य पी जा के पालक, वृ रा स का वध करने वाले, अपरा जत, सोम पीने वाले, अभय कता एवं अ भमत फल दाता इं दे व उस म हमामयी म ण को तु हारी भुजा म बांध एवं तु ह सभी भय से रात दन तथा सभी ओर से बचाएं. (२२)
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सू -६
दे वता—मं म बताए गए मातृनामा
यौ ते मातो ममाज जातायाः प तवेदनौ. णामा त मा गृधद लश उत व सपः.. (१) हे ग भणी! तेरे ज म लेने के समय तेरी माता ने प त को ा त होने वाले जो नाम और सुनाम नामक दो उ माजन कए थे, उन म वचा के दोष से सुगं धत नाम तेरी इ छा न करे अथात् तुझे ा त न हो तथा अलीश एवं व सप नामक रोग भी तुझे न ह . (१) पलालानुपलालौ शकु कोकं म ल लुचं पलीजकम्. आ ेषं व वाससमृ ीवं मी लनम्.. (२) ग भणी को पीड़ा प ंचाने वाले जो पलाल, अनुपलाल, शकु, कोक, म ल लुच, पलीजक, आ ेष, व वास, ऋ ीव एवं मीली नामक रा स ह, म उन सब का वनाश करता ं. (२) मा सं वृतो मोप सृप ऊ माव सृपो ऽ तरा. कृणो य यै भेषजं बजं णामचातनम्.. (३) हे नाम रोग से संबं धत रा स! इस ग भणी क जंघा के म य म संकोच उ प मत कर तथा उन के भीतर वेश भी मत कर. तू ग भणी क जंघा के नीचे क ओर भी मत खसक. इस ग भणी से संबं धत सफेद सरस के प म म जो ओष ध तैयार करता ,ं वह नाम रोग का वनाश करने वाली है. (३) णामा च सुनामा चोभा संवृत म छतः. अरायानप ह मः सुनामा ैण म छताम्.. (४) नाम और सुनाम नामक दोन रोग एक साथ ही संचरण करना चाहते ह. म उन म से नाम को न करता ,ं जो सुंदरता का वरोधी है. सुनाम ी क इ छा करने वाला हो. (४) यः कृ णः के यसुर त बज उत तु डकः. अरायान या मु का यां भंससोऽप ह म स.. (५) जो कृ णकेशी, तंबज एवं तुं डक नामक असुर ह, ये सब भा य ग भणी क जंघा तथा कमर से र करता ं. (५)
पी रोग ह. म इ ह
अनु ज ं मृश तं ादमुत रे रहम्. अरायांछ्व क कणो बजः प ो अनीनशत्.. (६) अनु ज , मृश त, कृ ाद एवं रे रह नामक जो सुंदरता वनाशक रोग से संबं धत ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रा स ह, म ने पीली सरस (६)
पी ओष ध के ारा इन सभी हसक का वनाश कर दया है.
य वा व े नप ते ाता भू वा पतेव च. बज ता सहता मतः लीब पां तरी टनः.. (७) हे ग भणी! जो रा स तेरी व अव था म सहोदर ाता एवं पता के समान व ास उ प करता आ गभ न करने के वचार से तुझ म वेश करता है, म सफेद सरस पी ओष ध के ारा इन सब को तथा नपुंसक का प बना कर घूमने वाले सभी रा स का वनाश करता ं. (७) य वा वप त सर त य वा द स त जा तीम्. छाया मव ता सूयः प र ाम नीनशत्.. (८) हे ग भणी! जो रा स सोते समय तेरे समीप आता है अथवा जो जा त अव था म तेरी हसा करना चाहता है, यह सरस उन सब को उसी कार न कर दे , जस कार आकाश म वचरण करने वाला सूय अंधकार का वनाश करता है. (८) यः कृणो त मृतव सामवतोका ममां यम्. तमोषधे वं नाशया याः कमलम वम्.. (९) जो रा स ग भणी को मरे ए पु वाली बनाता है अथवा जो उसे न गभ वाली बनाता है, हे सरस पी ओष ध! तू उस का वनाश कर तथा इस के गभ ार को प कर. (९) ये शालाः प रनृ य त सायं गदभना दनः. कुसूला ये च कु लाः ककुभाः क माः माः. तानोषधे वं ग धेन वषूचीनान् व नाशय.. (१०) जो पशाच सं या के समय गध के समान श द करते ए घर के चार ओर नाचते ह तथा जो कुसूल के समान आकृ त बना कर नाचते ह, इन के अ त र जो बड़े पेट वाले, अजुन वृ के समान भयानक आकृ त वाले एवं भां तभां त के आकार तथा व नयां करने वाले रा स घर के चार ओर नाचते ह, हे सरस पी ओष ध! तू अपनी गंध से उन सभी व लवका रय को समा त कर. (१०) ये कुकु धाः कुकूरभाः कृ ी शा न ब त. लीबा इव नृ य तो वने ये कुवते घोषं ता नतो नाशयाम स.. (११) मुरगे के समान व न करने वाले जो ककुंध नामक पशाच ह तथा जो षत कम धारण करते ह, जो पशाच हजड़ और पागल के समान नृ य करते ह तथा जो वन म ह ला ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मचाते ह, इन सब को म ग भणी के पास से भगाता ं. (११) ये सूय न त त त आतप तममुं दवः. अरायान् ब तवा सनो ग ध लो हता यान् मककान् नाशयाम स.. (१२) जो वशेष ाणी आकाश म सभी ओर चलते ए इन सूय को सहन नह करते ह जो ी वहीन ह, भेड़ का चमड़ा पहनते ह, गध वाले ह, सदा मांस खाने के कारण जन का मुंह लाल रहता है एवं जन क चाल बुरी है, ऐसे पशाच का म नाश करता ं. (१२) य आ मानम तमा मंस आधाय ब त. ीणां ो ण तो दन इ र ां स नाशय.. (१३) जो पशाच ग भणी ना रय के थूल शरीर को कंधे पर धारण करते ह तथा जो ग भणी य क कमर को अ य धक थत करते ह, हे इं ! उन रा स का वनाश करो. (१३) ये पूव व वो ३ य त ह ते शृ ा ण ब तः. आपाके ाः हा सन त बे ये कुवते यो त ता नतो नाशयाम स.. (१४) जो पशाच अपने बजाने के लए अथवा पीने के लए अपने हाथ म स ग ले कर अपनी प नय के साथ घूमते ह जो पाकशाला अथवा कु हार के घर म थत ह, जो अट् टहास करते ह तथा जो घर के खंभ पर अ न का प बना लेते ह, उन सब को हम ग भणी के नवास थान से र भगाते ह. (१४) येषां प ात् पदा न पुरः पा ण ः पुरो मुखा. खलजाः शकधूमजा उ डा ये च मट् मटाः कु भमु का अयाशवः. तान या ण पते तीबोधेन नाशय.. (१५) जन रा स के पंजे पीछे क ओर ह, ए ड़यां तथा मुख आगे क ओर ह, जो ख लहान म ज मे ह, जो गाय, घोड़े आ द के गोबर से उ प ए ह, जो शीष र हत ह, जो मुटमुट श द करते ह, जन के मुंह घोड़े के समान ह तथा जो वायु के समान तेज चलते ह, हे ण प त! उन सब को नरोध के साधन इस सरस के ारा न करो. (१५) पय ता ा अ चङ् कशा अ ैणाः स तु प डगाः. अव भेषज पादय य इमां सं ववृ स यप तः वप त
यम्.. (१६)
इधरउधर फैली ई आंख वाले, पतली जंघा वाले एवं पैर से न चलने वाले जो पशाच ह, वे बना य वाले हो जाएं. हे सरस पी ओष ध! तुम उ ह नीचे क ओर मुंह कर के गराओ. जो अ नयं त पशाच इस प त वाली ग भणी ी को वश म करना चाहते ह, उन का वनाश करो. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ षणं मु नकेशं ज भय तं मरीमृशम्. उपेष तमु बलं तु डेलमुत शालुडम्. पदा व य पा या थाल गौ रव प दना.. (१७) अ य धक घषण वाले, मु नय के समान लंबी जटा वाले, हसक, बारबार क दे ने वाले एवं ग भणी को सभी ओर खोजने वाले उ ं बल, तुंडेल एवं शालुड असुर को हे सरस नामक ओष ध! अपने पैर से भलीभां त चोट कर के इस कार मार डाल, जस कार बुरी गाय म क दोहनी को पछले पैर मार कर तोड़ दे ती है. (१७) य ते गभ तमृशा जातं वा मारया त ते. प तमु ध वा कृणोतु दया वधम्.. (१८) हे ग भणी ी! जो रा स और पशाच तेरे गभ को इस कार पीड़ा दे ते ह क वह जी वत ज म न ले अथवा जो तेरे ज म लए ए पु को मारते ह, सफेद सरस उन गभघातक को दौड़ादौड़ा कर उन के दय म चोट मार. (१८) ये अ नो जातान् मारय त सू तका अनुशेरते. ीभागान् प ो ग धवान् वातो अ मवाजतु.. (१९) जो रा स, पशाच आ द आधे ज मे ए ब च को मार डालते ह एवं जो ी का प धारण कर के सूता के समीप सो जाते ह. य को बाधा प ंचाने वाले उन रा स, पशाच आ द को पीली सरस इस कार भगा दे , जैसे वायु बादल को हटा दे ती है. (१९) प रसृ ं धारयतु य तं माव पा द तत्. गभ त उ ौ र तां भेषजौ नी वभाय .. (२०) ग भणी ी होम के व नयोग से यु सरस के दो दान को इस लए धारण करे, जस से उस क मनचाही संतान पु आ द न न ह . हे ग भणी ी! तेरे गभ को अ य धक बलयु ओष ध के प म सफेद और पीली – दोन कार क सरस र ा कर. सरस तुझे नीवी अथात् कमर म पहने ए व म अथवा ओढ़नी के सरे म रखनी चा हए. (२०) पवीनसात् त वा ३ छायका त न नकात्. जायै प ये वा प ः प र पातु कमी दनः.. (२१) व के समान नाक वाले तंग व नामक वनाशकारी रा स से तथा न न नामक असुर से हे ग भणी ी! पीले रंग क सरस तेरी संतान क एवं तेरे प त क र ा करे एवं इन के अनुकूल बने. (२१) द् ा या चतुर ात् प चपादादन रेः. वृ ताद भ सपतः प र पा ह वरीवृतात्.. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे जड़ीबूट ! तू दो मुख वाले, चार आंख वाले, पीछे क ओर पैर वाले, अंगुली र हत एवं लता के कुंज से सामने क ओर आते ए तथा सारे शरीर को अ धक प म ा त करते ए रा स से ग भणी ी क र ा कर. (२२) य आमं मांसमद त पौ षेयं च ये वः. गभान् खाद त केशवा ता नतो नाशयाम स.. (२३) जो रा स क चा मांस खाते ह, जो मानव मांस का भ ण करते ह तथा जो लंबे केश वाले ह. वे माया प धारण कर के गभ म वेश करते ह और उसे खा जाते ह. हम उन तीन कार के रा स को ग भणी के समीप से र भगाते ह. (२३) ये सूयात् प रसप त नुषेव शुराद ध. बज तेषां प दये ऽ ध न व यताम्.. (२४) जस कार वधू अपने ससुर क आ ा पा कर प त के समीप जाती है, उसी कार जो पीड़ा प ंचाने वाले रा स सूय क अनुम त से भूलोक म घूमते ह, उन के दय म पीली और सफेद सरस के ारा हार करना चा हए. (२४) प र जायमानं मा पुमांसं यं न्. आ डादो गभ मा दभन् बाध वेतः कमी दनः.. (२५) हे पीली सरस ! तू ज म लेते ए बालक क र ा कर. तू ज म लेते ए लड़के एवं लड़क को पीड़ा मत प ंचा. जरायु का भ ण करने वाले रा स गभ क हसा न कर. हे पीली सरस ! “यह या है, यह या है.” इस कार कह कर घूमने वाले रा स को ग भणी के पास से र भगा. (२५) अ जा वं मातव समाद् रोदमघमावयम्. वृ ा व जं कृ वा ऽ ये त मु च तत्.. (२६) हे पीली सरस ! जस कार वृ से फूल तोड़ कर और उन क माला बना कर यतम को पहनाई जाती है, उसी कार तू इस ी के बांझपन को, ब चे मर जाने पी भा य को, सदा उ प होने वाले ःख को, पाप अथवा उन के फल पी ःख को सदा सोने क माला बना कर उसे पहना दे , जस से यह े ष करती है. (२६)
सू -७
दे वता—आयु य ओष धयां
या ब वो या शु ा रो हणी त पृ यः. आ स नीः कृ णा ओषधीः सवा अ छावदाम स.. (१) जो जड़ीबू टयां व भ आकार तथा शु ल, लाल आ द रंग क ह, उन सभी के सामने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उप थत हो कर म रोग नवारण क
ाथना करता ं. (१)
ाय ता ममं पु षं य माद् दे वे षताद ध. यासां ौ पता पृ थवी माता समु ो मूलं वी धां बभूव.. (२) पृ वी जन क माता, आकाश जन का पता और सागर जन का मूल है, वे जड़ीबू टयां भा य के कारण उ प इस राजय मा रोग से इस पु ष क र ा कर. (२) आपो अ ं द ा ओषधयः. ता ते य ममेन य१म ाद ादनीनशन्.. (३) हे रोगी पु ष! जो प व जल और द य मा रोग का वनाश कर द. (३)
जड़ीबू टयां ह, वे तेरे शरीर के
तृणती त बनीरेकशु ाः त वतीरोषधीरा वदा म. अंशुमतीः का डनीया वशाखा या म ते वी धो वै दे वी पु षजीवनीः… (४)
येक अंग से
ाः
हे य मा रोग से सत पु ष! म तेरे वा य लाभ के न म फैली ई, ब त सी टह नय वाली, एक टहनी वाली, गांठ वाली, प य वाली, शाखा से र हत एवं नस वाली जो जड़ीबू टयां तुझे जीवन दे ने वाली ह, उन सभी अ य धक भावशा लनी एवं सम त दे व के नवास वाली जड़ीबू टय को तेरे लए हण करता ं. (४) यद् वः सहः सहमाना वीय १ य च वो बलम्. तेनेमम माद् य मात् पु षं मु चतौषधीरथो कृणो म भेषजम्.. (५) हे रोग का वनाश करने वाली जड़ीबू टय ! तुम म जो रोग नाश करने वाली श , वीय और बल है, उस के ारा इस पु ष क य मा रोग से र ा करो. म सभी ओष धय को मं से यु बनाता ं. (५) जीवलां नघा रषां जीव तीमोषधीमहम्. अ धतीमु य त पु पां मधुमती मह वे ऽ मा अ र तातये.. (६) क याण के न म म जीवन दे ने वाली एवं ोध न करने वाली जीवंती एवं अ ं धती नामक जड़ी बू टय का आ ान करता ं. ये जड़ीबू टयां ऊपर क ओर बढ़ने वाली, पु प से यु एवं मधु स हत ह. (६) इहा य तु चेतसो मे दनीवचसो मम. यथेमं पारयाम स पु षं रताद ध.. (७) मेरे मं
के भाव से चेतनायु
जड़ीबू टयां यहां आएं तथा इस रोग के कारण
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प
पाप का वनाश कर. (७) अ नेघासो अपां गभ या रोह त पुनणवाः. ुवाः सह ना नीभषजीः स वाभृताः.. (८) जो जड़ीबू टयां जल का गभ ह, अ न का भोजन ह तथा बारबार उगने के कारण नवीन रहती ह, इस कार क हजार नाम वाली जड़ीबू टयां न य यहां लाई जाएं. (८) अवको बा उदका मान ओषधयः. ृष तु रतं ती णशृङ् यः.. (९) जो जड़ीबू टयां सवार घास का गभ ह और जल जन का जीवन है, बारबार उगने के कारण जो सदा नवीन रहती ह, वे रोग के कारण प पाप का नाश कर. उन ओष धय के प े अथवा कांटे नोक ली स क के समान ह. (९) उ मु च ती वव णा उ ा या वष षणीः. अथो बलासनाशनीः कृ या षणी या ता इहा य वोषधीः.. (१०) जलोदर रोग का वनाश करने वाली, वष को शांत करने वाली, खांसी आ द रोग पर भावशा लनी तथा जो कृ या नामक पाप दे वता को र भगाने वाली ह, वे जड़ीबू टयां यहां लाई जाएं. (१०) अप ताः सहीयसीव धो या अ भ ु ताः. ाय ताम मन् ामे गाम ं पु षं पशुम्.. (११) हमारे ारा लाई गई, रोग का वनाश करने म समथ एवं मं जड़ीबू टयां ह, वे इस गांव के मनु य और पशु क र ा कर. (११) मधुम मूलं मधुमद मासां मधुम म यं वी धां बभूव. मधुमत् पण मधुमत् पु पमासां मधोः संभ ा अमृत य भ ो घृतम ं (१२)
ारा
भा वत जो
तां गोपुरोगवम्..
जन वृ क जड़, ऊपर का भाग एवं म य भाग मधुरता पूण ह, जन के प े एवं फूल मधु से भरे ए ह, जो मधु से भलीभां त पूण ह, उन का सेवन करने वाला अमृत का सेवन करता है. वह व थ रहता आ गाय से घृत तथा अ ा त करता है. (१२) यावतीः कयती ेमाः पृ थ ाम योषधीः. ता मा सह प य मृ योमु च यंहसः.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(१३)
पृ वी पर जतनी भी हजार प
वाली जड़ीबू टयां ह, वे मुझे मृ यु एवं पाप से बचाएं.
वैया ो म णव धां ायमाणो ऽ भश तपाः. अमीवाः सवा र ां यप ह व ध रम मत्.. (१४) वृ से न मत वैया म ण र क एवं प व करने वाली है. वह सभी रोग और रा स को हम से र करे. (१४) सह येव तनथोः सं वज ते ऽ ने रव वज त आभृता यः. गवां य मः पु षाणां वी र तनु ो ना ा एतु ो याः.. (१५) जस कार सह क गजना से ाणी भयभीत होते ह एवं व लत अ न से सभी जीव ाकुल हो कर भागते ह, उसी कार हमारे गौ आ द पशु तथा पु , पौ आ द मनु य का य मा रोग न दय को पार कर ब त र चला जाए. (१५) मुमुचाना ओषधयो ऽ नेव ानराद ध. भू म संत वती रत यासां राजा वन प तः.. (१६) जो ओष धयां धरती को आ छा दत कए ए ह और वन प त जन के राजा ह, वै ानर अ न से भी अ धक भाव वाली वे ओष धयां हम रोग से मु करती ह. (१६) या रोह या रसीः पवतेषु समेषु च. ता नः पय वतीः शवा ओषधीः स तु शं दे .. (१७) अं गरा ऋ ष ारा बताई गई जो जड़ीबू टयां ऊंचे पवत पर एवं समतल मैदान म उ प होती ह, वे ध के समान सार वाली जड़ीबू टयां हमारे लए क याणका रणी ह एवं हमारे दय को शां त दान कर. (१७) या ाहं वेद वी धो या प या म च ुषा. अ ाता जानीम या यासु वद्म च संभृतम्.. (१८) जन वृ को म जानता ,ं जन को म अपनी आंख से दे ख सकता ं और जन को म नह जानता, वे सभी रोग वनाश म समथ ह. (१८) सवाः सम ा ओषधीब ध तु वचसो मम. यथेमं पारयाम स पु षं रताद ध.. (१९) सभी जड़ीबू टयां मेरी तु तय का अ भ ाय संपूण प से जान ल तथा मुझे इस यो य बना द क म इस रोगी पु ष को रोग पी पाप से उस पार प ंचा सकूं. (१९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ थो दभ वी धां सोमो राजा ऽ मृतं ह वः. ी हयव भेषजौ दव पु ावम य .. (२०) वृ का गभ पीपल, राजा सोम और अमृत ह व ह. धान और जौ नामक फसल आकाश से होने वाली वषा से उ प होने के कारण आकाश क संतान तथा अमर ह. (२०) उ जही वे तनय य भ द योषधीः. यदा व पृ मातरः पज यो रेतसा ऽ व त.. (२१) जड़ीबू टयां बजली क कड़क से और बादल के गजन से जी वत रहती ह. वायु और मेघ वषा पी जीवन से जड़ीबू टय क र ा करते ह. (२१) त यामृत येमं बलं पु षं पाययाम स. अथो कृणो म भेषजं यथा ऽ स छतहायनः.. (२२) जड़ीबू टय के अमृत पी बल को म रोगी पु ष को पलाता ं. म इस क च क सा इस कार करता ं क यह रोगी पु ष सौ वष क अव था ा त करे. (२२) वराहो वेद वी धं नकुलो वेद भेषजीम्. सपा ग धवा या व ता अ मा अवसे वे.. (२३) सुअर जन वृ को जानता है और नेवला जन जड़ीबू टय से प र चत है तथा सांप और गंधव ज ह जानते ह, उन जड़ीबू टय को म इस रोगी पु ष क र ा के लए बुलाता ं. (२३) याः सुपणा आ रसी द ा या रघटो व ः. वयां स हंसा या व या सव पत णः. मृगा या व रोषधी ता अ मा अवसे वे.. (२४) जन सुंदर प वाली जड़ीबू टय का अं गरा ऋ ष ने रो गय पर योग कया, रम ट जन द जड़ीबू टय को जानते थे, हंस एवं अ य सभी प ी जन जड़ीबू टय से प र चत ह तथा ह रण जन जड़ीबू टय को जानते ह, उन सभी जड़ीबू टय को म इस रोगी पु ष क च क सा के लए बुलाता ं. (२४) यावतीनामोषधीनां गावः ा य या यावतीनामजावयः. तावती तु यमोषधीः शम य छ वाभृताः.. (२५) हे रोगी पु ष! हसा के अयो य गाएं जतनी जड़ीबू टय को खाती ह और बक रयां या भेड़ जन जड़ीबू टय को चरती ह, मेरे ारा लाई गई वे सभी जड़ीबू टयां तेरा क याण कर. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यावतीषु मनु या भेषजं भषजो व ः. तावती व भेषजीरा भरा म वाम भ.. (२६) हे रोगी पु ष! वै जतनी भी जड़ीबू टय को ओष ध के जड़ीबू टय को म तेरी च क सा के लए लाता ं. (२६)
प म जानते ह, उन सम त
पु पवतीः सूमतीः फ लनीरफला उत. संमातर इव ाम मा अ र तातये… (२७) फूल वाली, अंकुर उ प करने वाली, फल वाली और बना फल वाली जो जड़ीबू टयां ह, म इस रोगी पु ष के क याण के लए उन सब का योग इस कार करता ं, जस कार माता बालक को ध पलाती है. (२७) उत् वाहाष प चशलादथो दशशला त. अथो यम य पड् वीशाद् व माद् दे व क बषात्.. (२८) हे रोगी पु ष! म ने पंच शलाका एवं दस शलाका वाली, काठ के चरण बंधन से यमराज के पाश से तथा सभी पाप से छु ड़ा कर तुझे ा त कर लया है. (२८)
दे वता—इं
सू -८ इ ो म थतु म थता श ः शूरः पुरंदरः. यथा हनाम सेना अ म ाणां सह शः.. (१)
श ु का दलन करने वाले, श शाली, वीर एवं वरो धय के नगर को उजाड़ने वाले इं इस य म अर ण मंथन कर के अ न व लत कर, जस के भाव से हम अपने श ु क हजार सै नक वाली सेना का वनाश कर सक. (१) पू तर जु प मानी पू त सेनां कृणो वमूम्. धूमम नं परा या ऽ म ा वा दधतां भयम्.. (२) अ न म गरने वाली पुरानी र सी श ु क सेना को श हीन करे. इस य अ न का धुआं दे ख कर ही श ु भयभीत ह और अपना धन छोड़ कर भाग जाएं. (२) अमून ताज
थ नः शृणी ह खादामून् ख दरा जरम्. इव भ य तां ह वेनान् वधको वधैः.. (३)
हे पीपल के वृ ! तुम इन श ु को समा त करो. हे खैर के वृ तुम इन सभी गमनशील श ु को खा डालो. श ु अरंडी के वृ के समान टू ट जाएं. तुम अपने का के हार से इन का वध करो. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प षानमून् प षा ः कृणोतु ह वेनान् वधको वधैः. ं शर इव भ य तां बृह जालेन सं दताः.. (४) प ष नाम का काठ इन श ु को कठोर अथात् ग तहीन बनाए तथा वधक नाम का काठ अपने हार से इन का वध करे. वृहत् जाल से टू टने वाले बाण के समान ये श ु भी शी टू ट जाएं. (४) अ त र ं जालमासी जालद डा दशो महीः. तेना भधाय द यूनां श ः सेनामपावपत्.. (५) इं ने आकाश का जाल बनाया और पृ वी क दशा को डंडा बना कर उसे ताना. इं ने रा स क सेना को ललकार कर इसी जाल से न कर दया. (५) बृह जालं बृहतः श य वा जनीवतः. तेन श ून भ सवान् यु ज यथा न मु यातै कतम नैषाम्.. (६) सेनाप त इं का आकाश पी जाल अ य धक वशाल है. हे इं ! इस जाल म फंसा कर श ु को इस कार मारो क उन म से एक भी न बचे. (६) बृहत् ते जालं बृहत इ शूर सह ाघ य शतवीय य. तेन शतं सह मयुतं यबुदं जघान श ो द यूनाम भधाय सेनया.. (७) हे सूय एवं इं ! तु हारा जाल वशाल है. तुम हजार के आधे अथात् पांच सौ सै नक के वामी हो, जन म से येक सौ मनु य के समान श शाली है. श शाली इं ने ललकार कर अपनी सेना क सहायता से रा स के सौ हजार, दस हजार एवं एक अरब सै नक को अंधकार से ढक दया था. (७) अयं लोको जालमासी छ य महतो महान्. तेनाह म जालेनामूं तमसा भ दधा म सवान्.. (८) यह वशाल लोक ही महान इं का जाल था. म इं के इसी जाल क सहायता से इन सभी श ु को अंधकार से ढकता ं. (८) से द ा मत
ृ
रा त ानपवाचना. मोह तैरमून भ दधा म सवान्.. (९)
म सु ती, ाकुलता, धनहीनता, ःख, वचन का अभाव, थकान, तं ा और बेहोशी के ारा इन सभी श ु को आ छा दत करता ं. (९) मृ यवे ऽ मून्
य छा म मृ युपाशैरमी सताः.
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मृ योय अघला ता ते य एनान्
त नया म बद् वा.. (१०)
ये श ु मृ यु के पाश से बंध चुके ह, इस लए म इ ह मृ यु को दे ता ं. म इ ह बांध कर मृ यु के श शाली त क ओर ले जाता ं. (१०) नयतामून् मृ यु ता यम ता अपो भत. परः सह ा ह य तां तणेढ्वेनान् म यं भव य.. (११) हे मृ यु तो! इन श ु सै नक को ले जाओ. हे यम तो! इन का वनाश करो. जस कार तनका तोड़ दे ते ह, उसी कार इन हजार से अ धक रा स का वध करो. (११) सा या एकं जालद डमु य य योजसा. ा एकं वसव एकमा द यैरक े उ तः.. (१२) सा य दे वता जाल के एक डंडे को पकड़ कर श ु पर बल से आ मण कर रहे ह. जाल के शेष तीन डंड म से एक को ने, सरे को वसु ने और तीसरे को आ द य ने उठा लया है. (१२) व े दे वा उप र ा ज तो य वोजसा. म येन न तो य तु सेनाम रसो महीम्.. (१३) व े दे व अपने बल के ारा ऊपर से मारते ए जाएं. अं गरा के पु सेना के म य भाग का वनाश करते ए जाएं. (१३) वन पतीन् वान प यानोषधी त वी धः. पा चतु पा द णा म यथा सेनाममूं हनन्.. (१४) म अपने मं बल से वन प तय को, वन प तय से बनी ई ओष धय को, वृ को, दो चरण वाले मनु य को े रत करता ,ं जस से वे श ु सेना का वनाश कर सक. (१४) ग धवा सरसः सपान् दे वान् पु यजनान् पतॄन्. ान ा न णा म यथा सेनाममूं हनन्.. (१५) म गंधव , अ सरा , सप , दे व , प व जन , पतर तथा दे खे और बना दे खे ए ा णय को अपने मं बल से े रत करता ं क वे श ु सेना को मार डाल. (१५) इम उ ता मृ युपाशा याना य न मु यसे. अमु या ह तु सेनाया इदं कूटं सह शः.. (१६) हे श ु! म ने ये मृ युपाश फैला दए ह. तू इन को पार कर के छू ट नह सकता. यह कूट इस श ु सेना का हजार क सं या म संचार करे. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
घमः स म ो अ ननायं होमः सह हः. भव पृ बा शव सेनाममूं हतम्.. (१७) धूप चढ़ ई है और यह होम अ न के कारण हजार गुना बढ़ चुका है. हे भव! पृ बा और सव नामक दे वो! इस श ु सेना का संहार करो. (१७) मृ योराषमा प तां ुधं से द वधं भयम्. इ ा ुजाला यां शव सेनाममूं हतम्.. (१८) ये श ु भूख, द र ता, वध और भय के कारण मृ यु के मुख म चले जाएं. हे इं और शव अ और जाल के ारा इस श ु सेना का संहार करो. (१८) परा जताः सता म ा नु ा धावत णा. बृह प त णु ानां मामीषां मो च क न.. (१९) हे श ओ ु ! तुम हमारे मं बल से परा जत, भयभीत एवं द लत हो कर यहां से भाग जाओ. बृह प त के ारा मं बल से भा वत इन म से एक भी न बचे. (१९) अव प तामेषामायुधा न मा शकन् तधा मषुम्. अथैषां ब ब यता मषवो न तु मम ण.. (२०) इन श ु के आयुध न उठ सक. इन के हाथ बाण चलाने म समथ न ह . इन अ य धक भयभीत श ु के मम थल को हमारे बाण ब ध द. (२०) सं ोशतामेनान् ावापृ थवी सम त र ं सह दे वता भः. मा ातारं मा त ां वद त मथो व नाना उप य तु मृ युम्.. (२१) छाया, पृ वी एवं आकाश सभी दे व के साथ इन श ु को शाप द. ये श ु अथववेद के कसी व ान् का आ य न ले सक और त ा को ा त न कर. ये एक सरे के त व े ष करते ए मृ यु को ा त ह . (२१) दश त ो ऽ तय दे वरथ य पुरोडाशाः शफा अ त र मु ः. ावापृ थवी प सी ऋतवो ऽ भीशवो ऽ तदशाः ककरा वाक् प रर यम्.. (२२) चार दशाएं, अ न दे व के रथ क चार अ त रयां अथात् ख च रयां ह. य का पुरोडाश उन ख च रय का सुम है तथा अंत र उन का नवास थान है. धरती और आकाश के बीच का भाग बाण और वाणी उस रथ को हांकने वाला सारथी है. (२२) संव सरो रथः प रव सरो रथोप थो वराडीषा नी रथमुखम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ ःस
ा
माः सार थः.. (२३)
संवत सर अ न दे व का रथ, प रव सर उस का पछला भाग, वराट् लगाम और अ न मुख तथा चं मा उस का सारथी है. इं इन क बा ओर बैठते ह. (२३) इतो जयेतो व जय सं जय जय वाहा. इमे जय तु परामी जय तां वाहै यो राहा ऽ मी यः. नीललो हतेनामून यवतनो म.. (२४) हे राजन्! इधर से, उधर से एवं सभी ओर से आप क शोभन जय हो. इन म क वजय के लए यह आ त उ म हो. आप के श ु हार जाएं और म वजयी ह . म नीले और लाल डोर से इन श ु को लपेटता ं. यह आ त म के लए क याणकारी और श ु के लए हा नकारक हो. (२४)
सू -९
दे वता—मं म बताए गए
कुत तौ जातौ कतमः सो अधः क मा लोकात् कतम याः पृ थ ाः. व सौ वराजः स लला दै तां तौ वा पृ छा म कतरेण धा.. (१) वराट् के दोन व स कहां से उ प ए? उन म से एक कसी लोक से उ प आ. उन म से पृ वी से कौन सा व स उ प आ? वराट् के दोन व स जल से नकले. म तुम से पूछता ं क तुम ने इ ह कस कार समझा है. (१) यो अ दयत् स ललं म ह वा यो न कृ वा भुजं शयानः. व सः काम घो वराजः स गुहा च े त वः पराचैः.. (२) जस ने जल को मह व दे ते ए, ं दन कया और जल को भुज बना कर सोता रहा. वराट् का यह व स अ भलाषा पूण करने वाला है. उस ने सर के शरीर को अपनी गुफा बनाया है. (२) या न ी ण बृह त येषां चतुथ वयुन वाचम्. ैनद् व ात् तपसा वप द् य म ेकं यु यते य म ेकम्.. (३) इन म से तीन बृहती एवं मह वपूण ह तथा चौथी वाणी है. व ान् ा ने इस वाणी को तप या के ारा जाना. एकाक रहने वाला ही इन म से एक को जान सकता है. (३) बृहतः प र सामा न ष ात् प चा ध न मता. बृहद् बृह या न मतं कुतो ऽ ध बृहती मता.. (४) बृहती से पांच सोम न मत ए. इन म छठे से पांच का नमाण आ. अथात् ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से
पांच त व—पृ वी, जल, तेज, वायु और आकाश क उ प तो बृहती न मत कैसे ई? (४)
ई. बृहत् बृहती से उ प
आ
बृहती प र मा ाया मातुमा ा ध न मता. माया ह ज े मायाया मायाया मातली प र.. (५) बृहती मा ा अथात् पंचत मा ा कृ त से ज मती ह. ये माया से ही उ प
से बढ़ कर है, य क पंच त मा ाएं अपनी माता . इस कार मातली माया से महान है. (५)
वै ानर य तमोप र ौयावद् रोदसी वबबाधे अ नः. ततः ष ादामुतो य त तोमा उ दतो य य भ ष म ः.. (६) यह ौ वै ानर अ न पर ही थत है. धरती और आकाश जहां तक ह, वह तक अ न दे व बाधा प च ं ा सकते ह. दन के छठे भाग से तोत उ प आ. उस छठे भाग से ये आते ह. (६) षट् वा पृ छाम ऋषयः क यपेमे वं ह यु ं युयु े यो यं च. वराजमा णः पतरं तां नो व धे ह य तधा स ख यः.. (७) हे क यप ऋ ष! आप यु और यो य को संयु करते ह. हम छः ऋ ष तुम से पूछते ह क वराट् को का पता य कहा जाता है. इन सखा को उस का उपदे श करो. (७) यां युतामनु य ाः यव त उप त त उप त मानाम्. य या ते सवे य मेज त सा वराडृ षयः परमे ोमन्.. (८) जस के अनुप थत होने पर य नह होते तथा जस के उप थत होने पर य का अनु ान होता है, जस से संबं धत त होने पर य ा त होता है, उसी वराट् के परम ोम म होने क बात कही जाती है. (८) अ ाणै त ाणेन ाणतीनां वराट् वराजम ये त प ात्. व ं मृश तीम भ पां वराजं प य त वे न वे प य येनाम्.. (९) हे ऋ षयो! ाण वायु से हीन वराट् ाण वायु का सेवन करने वाली जा के ाण के प म वेश करता है. इस के प ात वह वराज को ा त होता है. अनु प एवं जी वत व म वराट् को दे खा जाता है तथा नह भी दे खा जाता. (९) को वराजो मथुन वं वेद क ऋतून् क उ क पम याः. मान् को अ याः क तधा व धान् को अ या धाम क तधा (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ु ीः..
जाप त वराट् के मथुन को जानते ह. ऋतु और क प के जानने वाले भी वे ही ह. जाप त ही इस के म को जानते ह क वे कतने ह तथा वे ही इस के थान क सं या जानते ह. (१०) इयमेव सा या थमा ौ छदा वतरासु चर त व ा. महा तो अ यां म हमानो अ तवधू जगाय नवग ज न ी.. (११) वह वराट् ही है, जो सब से पहले उषा के प म उ प आ था तथा उसी ने सृ का अंधकार मटाया था. वराट् से संबं धत उषा ही सम त उषा म वेश कर के काश करती है. सोम, सूय, अ न आ द सभी दे व वराट् के अधीन ह. वराट् प उषा ही सूय क प नी है. (११) छ दः प े उषसा पे पशाने समानं यो नमनु सं चरेते. सूयप नी सं चरतः जानती केतुमती अजरे भू ररेतसा.. (१२) वृ ाव था को ा त न होने वाले छं द प ी उषा पी वराट् के कट होते ही समान कारण का अनुसरण करते ह. सूय क प नी उषा यो त के वीय को जानती है. (१२) ऋत य प थामनु त आगु यो घमा अनु रेत आगुः. जामेका ज व यूजमेका रा मेका र त दे वयूनाम्.. (१३) सूय, चं एवं अ न—ये तीन स य के माग पर चलते एवं श के अनुसार अपने धम का पालन करते ह. इन तीन म से एक क श ऋ वज को ा त करती है. सरी श बल क वृ करती है और तीसरी श रा क र ा करती है. (१३) अ नीषोमावदधुया तुरीयासीद् य य प ावृषयः क पय तः. गाय ु भं जगती्मनु ु भं बृहदक यजमानाय व राभर तीम्.. (१४) अ न तथा सोम ने एवं य क क पना करते ए ऋ षय ने उस श को धारण कया जो चौथी थी. इस के प ात उस के गाय ी, ु प,् जगती्, अनु ु प् और अक नामक प बनाए गए. (१४) प च ु ीरनु प च दोहा गां प चना नीमृतवो ऽ नु प च. प च दशः प चदशेन लृ ता ता एकमू न र भ लोकमेकम्.. (१५) पांच श य के अनुकूल पांच दोहन, पांच गाएं एवं पांच ऋतुएं बनाई ग . पांच दशाएं इन पं ह अथात् पांच दोहन , पांच गाय और पांच ऋतु के ारा समथ . ये योगी के लए एक लोक के प म बन . (१५) षड् जाता भूता थमजत य षडु सामा न षडहं वह त. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ष
ोगं सीरमनु सामसाम षडा
ावापृ थवीः षडु व ः.. (१६)
ऋतु अथात् स य से पहलेपहल छः ने ज म लया. छः साम दन के छः वभाग को वहन करते ह. छः साम पृ वी का अनुगमन करते ह. धरती, आकाश एवं छः मास ये सब उ णता से संबं धत ह. (१६) षडा ः शीतान् षडु मास उ णानृतुं नो त ू यतमो ऽ त र ः. स त सुपणाः कवयो न षे ः स त छ दां यनु स त द ाः.. (१७) छः मास शीत ऋतु के और छः मास ी म ऋतु के कहे गए ह. हम स य बताओ क उन के अ त र कौन है. व ान् लोग सात सुंदर पण , सात छं द और सात द ा को जानते ह. (१७) स त होमाः स मधो ह स त मधू न स ततवो ह स त. स ता या न प र भूतमायन् ताः स तगृ ा इ त शु ुमा वयम्.. (१८) सात होम क सात स मधाएं, सात मधु और सात ऋतुएं ह. पु ष को सात कार के घृत ा त होते ह. हम ने ऐसा भी सुना है क इसी कार गृ भी सात ह. (१८) स त छ दां स चतु रा य यो अ य म या पता न. कथं तोमाः त त त तेषु ता न तोमेषु कथमा पता न.. (१९) सात छं द और चार उ र अथात् वेद पर पर संबं धत ह. ये दोन कार के सात एक सरे म थत ह. तोम उन म कस कार थत रहते ह तथा वे तो म कस कार समा हत ह? (१९) कथं गाय ी वृतं ाप कथं ु प् प चदशेन क पते. य ंशेन जगती् कथमनु ु प् कथमेक वशः.. (२०) ववृत म गाय ी कस कार ा त तथा ु प् पं ह वण से कस कार न मत होता है. जगती् छं द ततीस वण से कस कार बनता है और अनु ु प् म इ क स वण कस कार होते ह. (२०) अ जाता भूता थमजत या े वजो दै ा ये. अ यो नर द तर पु ा म रा म भ ह मे त.. (२१) ऋतु से सव थम आठ भूत अथात् त व उ प ए. हे इं ! वे आठ द ऋ वज् ह. आठ यो नय और आठ पु वाली अ द त अ मी त थ क रात म ह हण करती ह. (२१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ थं ेयो म यमानेदमागमं यु माकं स ये अहम म शेवा. समानज मा तुर त वः शवः स वः सवाः सं चर त ऽ जानन्.. (२२) इस कार तु हारा समान ज मा म तु हारी म ता ा त कर के सुखी ं और अपने को ेय कर मानता ं. क याण करने वाला य ही तुम सब को जानता आ सव संचरण करता है. (२२) अ े य षड् यम य ऋषीणां स त स तधा. अपो मनु या ३नोषधी ताँ उ प चानु से चरे.. (२३) इं क आठ, यम क छः और ऋ षय क सतह र जड़ीबू टयां ह. (२३) केवली ाय हे ह गृ वशं पीयूषं थमं हाना. अथातपय चतुर तुधा दे वान् मनु यां ३ असुरानुत ऋषीन्.. (२४) इन जड़ीबू टय को और मनु य को पांच जल स चते ह. पहली बार ब चा दे ने वाली गाय ने इं के लए अमृत पी ध दया. उसी ध से इं ने दे व , मनु य , ऋ षय एवं असुर —इन चार को तृ त कया. (२४) को नु गौः क एकऋ षः कमु धाम का आ शषः. य ं पृ थ ामेकवृदेकतुः कतमो नु सः.. (२५) वह गाय कौन सी है? एक ऋ ष कौन है. उन का थान या है और आशीवाद या है. पृ वी पर एक वृ और एक ऋतु ही पूजनीय है. वह कौन सी है? (२५) एको गौरेक एकऋ षरेकं धामैकधा शषः. य ं पृ थ ामेकवृदेकतुना त र यते.. (२६) वह धेनु एक ही है. वह ऋ ष भी अकेला ही है. वे धाम और आशीवाद भी एक ही कार के ह. पृ वी पर एक वृत और एक ऋतु ही पूजनीय है. इन से बढ़ कर कोई भी नह है. (२६)
सू -१० (१) वराड् वा इदम भ व यती त.. (१)
दे वता— वराट् आसीत् त या जातायाः सवम बभे दयमेवेदं
ारंभ म वराट् ही था. उस के उ म होने से सब को भय आ क भ व य म यह अकेला ही रहेगा. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोद ामत् सा गाहप ये य ामत्.. (२) उस वराट् ने उ
म कया. वह जल बन कर गाहप य अ न म वेश कर गया. (२)
गृहमेधी गृहप तभव त य एवं वेद.. (३) जो गृहप त इस कार जानता है, वह गृहमे ध बन जाता है. (३) सोद ामत् साहवनीये य ामत्.. (४) उस वराट् ने पुनः उ य य य दे वा दे व त
म कया और आ नीय अ न म वेश कर गया. (४) यो दे वानां भव त य एवं वेद.. (५)
जो इस बात को जानता है, वह दे व का दे वगण पधारते ह. (५)
य हो जाता है और उस के आ ान पर
सोद ामत् सा द णा नौ य ामत्.. (६) उस वराट् ने पुनः उ
म कया और वह द णा न म वेश कर गया. (६)
य त द णीयो वासतेयो भव त य एवं वेद.. (७) जो इस बात को जानता है, वह य , ऋत और द णा न म नवास करने वाला बनता है. (७) सोद ामत् सा सभायां य ामत्.. (८) वराट् ने पुनः उ
म कया तथा वह सभा म वेश कर गया. (८)
य य य सभां स यो भव त य एवं वेद.. (९) जो इस बात को जानता है, वह स य अथात् सभा म बैठने यो य बनता है और उस क सभा म सभी जाते ह. (९) सोद ामत् सा स मतौ य ामत्.. (१०) उस ने पुनः उ
म कया और वह स म त म वेश कर गया. (१०)
य य य स म त सा म यो भव त य एवं वेद.. (११) जो इस को जानता है, वह स म य अथात् स म त म स म लत होने यो य बन जाता है. उस क स म त म सभी स म लत होते ह. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोद ामत् साम णे य ामत्.. (१२) उस वराट् ने पुनः उ
म कया और वह आमं ण म वेश कर गया. (१२)
य य याम णमाम णीयो भव त य एवं वेद.. (१३) जो इस बात को जानता है, वह आमं णीय अथात् आमं ण के यो य बन जाता है और सभी जन उस का आमं ण वीकार करते ह. (१३)
दे वता— वराट्
सू -१० (२)
सोद ामत् सा ऽ त र े चतुधा व ा ऽ ता त त्.. (१) उस वराट् ने अंत र म उ आ. (१)
मण कया और उ
मण कर के वह चार कार से थत
तां दे वमनु या अ ुव यमेव तद् वेद य भय उपजीवेमेमामुप इ त.. (२) इस से दे व और मनु य ने कहा—“इसे जो जानता है, वे दोन जी वत ह. हम उन का आ ान करते ह.” (२)
यामहा ाता और गेय के सहारे
तामुपा य त.. (३) उ ह ने उसे बुलाया. (३) ऊज ए ह वध ए ह सूनृत एहीराव येही त.. (४) हे ऊजा! यहां आओ. हे वधा! हमारे समीप आओ. हे सूनृता! यहां आओ. हे इरावती! हमारे समीप आओ. (४) त या इ ो व स आसीद् गाय य भधा य मूधः.. (५) इं उस का बछड़ा बना, गाय ी उस क र सी बनी और मेघ उस के थन बन. (५) बृह च रथ तरं च ौ तनावा तां य ाय यं च वामदे ं च ौ.. (६) बृहत् साम और रथंतर साम उस गाय के दो थन थे. उस गाय के शेष दो थन— य ाय य और वामदे . (६) ओषधीरेव रथ तरेण दे वा अ
न्
चो बृहता.. (७)
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दे व ने गाय के रथंतर हा. (७)
पी थन से जड़ीबू टय को और बृहत साम पी थन से
च को
अपो वामदे ेन य ं य ाय येन.. (८) दे व ने वामदे कया. (८)
साम पी थन से जल का और य य
ओषधीरेवा मै रथंतरं हे
पी थन से य
का दोहन
चो बृहत्.. (९)
इस बात को जो जानता है, उस के लए रथंतर साम जड़ीबू टयां और बृहत् साम अथात् ा त आकाश दान करते ह. (९) अपो वामदे ं य ं य ाय यं य एवं वेद.. (१०) इस बात को जानने वाले के लए वामदे करते ह. (१०)
साम जल और य ाय य साम य
दान
दे वता— वराट्
सू -१० (३)
सोद ामत् सा वन पतीनाग छत् तां वन पतयो ऽ समभवत्.. (१)
त सा संव सरे
उस वराट् ने उ मण कया और वह वन प तय के समीप प ंचा. वन प तय ने उस का हनन कया तो वह संव सर बन गया. (१) त माद् वन पतीनां संव सरे वृ णम प रोह त. वृ ते ऽ या यो ातृ ो य एवं वेद.. (२) इसी कारण वन प तय का कटा आ भाग संव सर अथात् एक वष म उ प हो जाता है. जो इस बात को जानता है, उस का श ु नाश को ा त होता है. (२) सोद ामत् सा पतॄनाग छत् तां पतरोऽ नत सा मा स समभवत्.. (३) उस वराट् ने उ मण कया और वह पतर के समीप प ंचा. पतर ने उस का हनन कया तो वह वराट् मास बन गया. (३) त मात् पतृ यो मा युपमा यं दद त वेद.. (४) इसी लए
पतृयाणं प थां जाना त य एवं
तमास पतर क उपासना कर के उ ह भोजन दया जाता है. जो इस बात
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को जानता है, वह पतृयान माग का ाता होता है. (४) सोद ामत् सा दे वानाग छत् तां दे वा अ नत साधमासे समभवत्.. (५) उस वराट् ने उ मण कया और वह दे व के समीप प ंचा. दे व ने उस का हनन कया, तब प उ प आ. (५) त माद् दे वे यो ऽ धमासे वषट् कुव त वेद.. (६)
दे वयानं प थां जाना त य एवं
इसी लए आधा मास अथात् पखवाड़े म दे व के लए वषट् करते ह. जो इस बात को जानता है, वह दे वयान माग का ात होता है. (६) सोद ामत् सा मनु या३नाग छत् तां मनु या अ नत सा स ः समभवत्.. (७) उस वराट् ने उ मण कया और वह मनु य के समीप प ंचा. मनु य ने उस का हनन कया तो वह तुरंत ही कट हो गया. (७) त मा मनु ये य उभय ु प हर युपा य गृहे हर त य एवं वेद.. (८) इसी लए मनु य के लए सरे दन अपहरण करते ह. जो इस बात को जानता है, उस के घर म त दन अ प च ं ाया जाता है. (८)
दे वता— वराट्
सू -१० (४)
सोद ामत् सा ऽ सुरानाग छत् तामसुरा उपा य त माय एही त.. (१) उस वराट् ने पुनः उ मण कया और वह असुर के समीप प ंचा. असुर ने उस का आ ान कया क हमारे समीप आओ. (१) त या वरोचनः ा ा दव स आसीदय पा ं पा म्.. (२) (२)
थम आ ान करने वाला वरोचन उस का व स आ. लोहे का पा उस का पा बना. तां
मूधा ऽ
ऽ धोक् तां मायामेवाधोक्.. (३)
दो सर वाले ऋतुपु ने उस का तथा माया का दोहन कया. (३) तां मायामसुरा उप जीव युपजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
असुर उसी माया के उपजीवी ह. जो इस बात को जानता है, वह सब के उपजीवन के यो य है. (४) सोद ामत् सा पतॄनाग छत् तां पतर उपा य त वध एही त.. (५) वह वराट् उ मण कर के पतर के समीप प ंचा. पतर ने उस का आ ान कया— “हे वधा, आओ.” (५) त या यमो राजा व स आसीद् रजतपा म् पा म्.. (६) राजा यम उस के व स ए तथा चांद का पा उस का पा
आ. (६)
ताम तको मा यवो ऽ धोक् तां वधामेवाधोक्.. (७) मृ यु के दे वता यमराज ने उस का तथा वधा का भी दोहन कया. (७) तां वधां पतर उप जीव युपजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (८) पतर उस वधा के उपजीवी बनते ह. जो इस बात को जानता है, वह सब के उपजीवन के यो य बनता है. (८) सोद ामत् सा मनु या ३ नाग छत् तां मनु या ३ उप य तेराव येही त.. (९) वह वराट् उ मण कर के मनु य के समीप आया. मनु य ने उस का आ ान करते ए कहा, “हे इरावती, यहां आओ.” (९) त या मनुवव वतो व स आसीत् पृ थवी पा म्.. (१०) वैव वत मनु उस के व स थे और पृ वी उस का पा बनी. (१०) तां पृथी वै यो ऽ धोक् तां कृ ष च स यं चाधोक्.. (११) (११)
वेन के पु पृथु ने उस पृ वी का दोहन करते ए उस से फसल और कृ ष ा त क . ते कृ ष च स यं च मनु या ३ उप जीव त कृ रा ध पजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (१२)
मनु य उस कृ ष और फसल के सहारे जी वत रहते ह. जो इस बात को जानता है, वह कृ ष कम म कुशल होता है तथा उस के सहारे सब जीवन यापन करते ह. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोद ामत् सा स तऋषीनाग छत् तां स तऋषय उपा य त व येही त.. (१३) उस वराट् ने उ मण कया और वह सात ऋ षय के समीप प ंचा. सात ऋ षय ने उस का आ ान करते ए कहा—“ ण प त, आओ.” (१३) त याः सोमो राजा व स आसी छ दः पा म्.. (१४) राजा सोम उस के व स थे और छं द उस का पा था. (१४) तां बृह प तरा रसो ऽ धोक् तां
च तप ाधोक्.. (१५)
आं गरस बृह प त ने उस का दोहन कया तथा उस के कया. (१५) तद्
और तप का भी दोहन
च तप स तऋषय उप जीव त वच युपजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (१६)
उस और तप के उपजीवी सात ऋ ष होते ह. जो इस बात को जानता है, वह वच व वाला होता है और सभी ा णय को उपजीवन दे ता है. (१६)
दे वता— वराट्
सू -१० (५)
सोद ामत् सा दे वानाग छत् तां दे वा उपा य तोज एही त.. (१) उस वराट् ने उ मण कया और वह दे व के समीप प ंचा. दे व ने उस का आ ान करते ए कहा—“हे ऊजा, आओ.” (१) त या इ ो व स आसी चमसः पा म्.. (२) उस के व स इं
ए और चमस उस का पा था. (२)
तां दे वः स वता ऽ धोक् तामूजामेवाधोक्.. (३) स वता दे व ने उस का दोहन कया और ऊजा को हा. (३) तामूजा दे वा उप जीव युपजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (४) दे वगण उस ऊजा के सहारे जी वत रहते ह. जो इस बात को जानता है, वह सब को जीने का सहारा दे ने यो य बनता है. (४) सोद ामत् सा ग धवा सरस आग छत् ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तां ग धवा सरस उपा य त पु यग ध एही त.. (५) उस वराट् ने उ मण कया और वह गंधव तथा अ सरा के समीप प ंचा. गंधव और अ सरा ने उस का आ ान करते ए कहा—“हे पु य गंध, आओ.” (५) त या
रथः सौयवचसो व स आसीत् पु करपण पा म्.. (६)
सूयवचस का पु उस का व स था और पु करपण अथात् सरोवर का प ा उस का पा था. (६) तां वसु चः सौयवचसो ऽ धोक् तां पु यमेव ग धमधोक्.. (७) सूयवचस के पु वसु च ने उस का दोहन कया और पु यगंध को ही हा. (७) तं पु यं ग धं ग धवा सरस उप जीव त पु यग ध पजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (८) गंधव और अ सराएं उस पु यगंध को अपने जीवन का सहारा बनाते ह. जो इस बात को जानता है, वह सब को जीवन का आ य दे ने वाला बनता है. (८) सोद ामत् सेतरजनानाग छत् ता मतरजना उपा य त तरोध एही त.. (९) उस वराट् ने उ मण कया और वह अ य जन के समीप गया. अ य जन ने उस का आ ान करते ए कहा—“हे तरोधा, आओ.” (९) त याः कुबेरो वै वणो व स आसीदामपा ं पा म्.. (१०) (१०)
व वा ऋ ष के पु कुबेर उस के व स थे और म
का क चा पा उस का पा था.
तां रजतना भः काबेरकोऽधोक् तां तरोधामेवाधोक्.. (११) रजत ना भ काबेरक ने उस का दोहन कया और उस से तरोधा को हा. (११) तां तरोधा मतरजना उप जीव त तरो ध े सव पा मानमुपजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (१२) अ य जन तरोधा को जीवन का सहारा बनाते ह. जो इस बात को जानता है, वह सब के पाप को तरो हत करता है और सब को जीवन का सहारा दे ने वाला बनता है. (१२) सोद ामत् सा सपानाग छत् तां सपा उपा य त वषव येही त.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उस वराट ने उ मण कया और वह सप के समीप प ंचा. सप ने उस का आ ान करते ए कहा—“हे वषवाले आओ.” (१३) त या त को वैशालेयो व स आसीदलाबुपा ं पा म्.. (१४) वैशालेय त क उस का व स और अलाबु उस का पा था. (१४) तां धृतरा ऐरावतो ऽ धोक् तां वषमेवाधोक्.. (१५) ऐरावत संबंधी सप ने उस का दोहन कया और वष का दोहन कया. (१५) तद् वषं सपा उप जीव युपजीवनीयो भव त य एवं वेद.. (१६) उस वष के सहारे सप जी वत रहते ह. जो इस बात को जानता है, वह सब को जीवन का सहारा दे ने वाला बनता है. (१६)
दे वता— वराट्
सू -१० (६) तद् य मा एवं व षे ऽ लाबुना भ ष चेत् (१)
याह यात्.. (१)
जो इस को जानने वाले को अलाबु के ारा स चता है, वह उस का हनन कर दे ता है. नच
याह या मनसा वा
याह मी त
याह यात्.. (२)
वैसे तो इस का हनन नह करता, पर जब मन से सोचता है क उस का हनन क ं तो हनन कर दे ता है. (२) यत्
याह त वषमेव तत्
याह त.. (३)
जो वषकारी वनाश करते ह, वे ही वनाश करवाते ह. (३) वषमेवा या यं ातृ मनु व ष यते य एवं वेद.. (४) जो इस बात को जानता है, उस का वष ही सचन करता है. (४)
य होता है. वह अपने भाई के पु का ही
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नौवां कांड सू -१
दे वता—मधु, अ नीकुमार
दव पृ थ ा अ त र ात् समु ाद नेवाता मधुकशा ह ज े. तां चा य वामृतं वसानां ः जाः त न द त सवाः.. (१) वग, पृ वी, अंत र , सागर और अ न से मधुकशा गौ उ प ई. अमृत को धारण करने वाली उस मधुकशा गौ का स चे मन से पूजन करने वाली सम त जाएं संतु होती ह. (१) महत् पयो व पम याः समु य वोत रेत आ ः. यत ऐ त मधुकशा रराणा तत् ाण तदमृतं न व म्.. (२) इस मधुकशा गौ के व पी महान ध को सागर का बल कहा गया है. तु तय से आक षत हो कर यह मधुकशा गौ जधर जाती है, वहां रहने वाल के ाण म अमृत था पत हो जाता है. (२) प य य या रतं पृ थ ां पृथङ् नरो ब धा मीमांसमानाः. अ नेवाता मधुकशा ह ज े म तामु ा न तः.. (३) पृ वी पर मनु य मधुकशा गौ के च र क अनेक कार से मीमांसा करते ह एवं इसे अनेक प वाली दे खते ए इसे म द्गण क चंड पु ी अ न और वायु से उ प ई बताते ह. (३) माता द यानां हता वसूनां ाणः जानाममृत य ना भः. हर यवणा मधुकशा घृताची महान् भग र त म यषु.. (४) यह मधुकशा गौ आ द य क माता, वसु क पु ी, जा का ाण और अमृत क ना भ ह. सोने के रंग वाली मधुकशा घृत दान करने वाली है. मनु य म इस का महान तेज वचरण करता है. (४) मधोः कशामजनय त दे वा त या गभ अभवद् व पः. तं जातं त णं पप त माता स जातो व ा भुवना व च े.. (५) दे व ने मधुकशा को ज म दया. उस का गभ व
प आ. त ण
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पमउप
ए
व प का उस क माता मधुकशा ने भरणपोषण कया. व संसार को मो हत कर दया. (५)
प ने उ प होते ही सारे
क तं वेद क उ तं चकेत यो अ या दः कलशः सोमधानो अ तः. ा सुमेधाः सो अ मन् मदे त.. (६) उस व प को कौन भलीभां त जानता है? उस का दय सोम को धारण करने के लए कलश प म अ अथात् वनाश र हत रहता है, इस का सा ा कार कस को है? शोभन बु वाले ा इस म आनं दत होते ह. (६) स तौ वेद स उ तौ चकेत याव याः तनौ सह धाराव तौ. ऊज हाते अनप फुर तौ.. (७) उस के थन कभी ध से शू य न होने वाले एवं ध क हजार धाराएं बहाने वाले ह. ये थन सदै व ध दान करते रहते ह. इन थन को वही ा जानते ह. (७) हङ् क र ती बृहती वयोधा उ चैघ षा ऽ ये त या तम्. ीन् घमान भ वावशाना ममा त मायुं पयते पयो भः.. (८) श द करने वाली एवं ध के प म ह व धारण करने वाली मुधकशा गौ रंभाती ई कम े म आती है. वह गौ दे व का आ य ा त करने वाल के श द को अपने ध से सश बनाती है. (८) यामापीनामुपसीद यापः शा वरा वृषभा ये वराजः. ते वष त ते वषय त त दे काममूजमापः.. (९) मनोकामना क वषा करने वाले उ वल जल आते ह, वे जल मधुकशा को जानने के लए श दे ने वाले अ दे ते ह एवं अ भलाषा पूण करते ह. (९) तन य नु ते वाक् जापते वृषा शु मं प स भू याम ध. अ नेवाता मधुकशा ह ज े म तामु ा न तः.. (१०) हे वषा करने वाले जाप त-प त! तु हारी वाणी बजली के समान भड़कने वाली है. तुम सारी पृ वी पर जल को स चते हो. म त क उ पु ी मधुकशा का ज म अ न और वायु से आ है. (१०) यथा सोमः ातःसवने अ नोभव त यः. एवा मे अ ना वच आ म न यताम्.. (११) जस कार अ नीकुमार को ातः सवन म सोमरस ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य लगता है, अ नीकुमार
उस कार मुझ म तेज क थापना कर. (११) यथा सोमो तीये सवन इ ा योभव त यः. एवा म इ ा नी वच आ म न यताम्.. (१२) जस कार सोमरस तीसरे सवन म इं और अ न को और अ न मुझ म तेज क थापना कर. (१२)
य होता है, उसी कार इं
यथा सोम तृतीये सवन ऋभूणां भव त यः. एवा म ऋभवो वच आ म न यताम्.. (१३) जस कार सोमरस तीसरे सवन म श ु म तेज धारण कर. (१३)
को
य होता है, उसी कार ऋभुगण मुझ
मधु ज नषीय मधु वं सषीय. पय वान न आगमं तं मा सं सृज वचसा.. (१४) हे अ न! म ध आ द ह व से यु हो कर आया ं. म मधु को कट कर के उस के ारा तेज वी बनूं. मुझ म अपने वचन से तेज था पत करो. (१४) सं मा ऽ ने वचसा सृज सं जया समायुषा. व ुम अ य दे वा इ ो व ात् सह ऋ ष भः.. (१५) हे अ न! तुम मुझे अपने तेज, संतान एवं आयु से यु साथ इं मुझे तु हारी सेवा करने वाला जान. (१५)
करो. दे वगण और ऋ षय के
यथा मधु मधुकृतः संभर त मधाव ध. एवा मे अ ना वच आ म न यताम्.. (१६) जैसे मधु एक करने वाले मुझ पर मधु गराते ह, उसी कार अ नीकुमार मुझ म तेज को था पत कर. (१६) य ा म ा इदं मधु य त मधाव ध. एवा मे अ ना वच तेजो बलमोज यताम्.. (१७) जस कार मधुम खयां मधु के ऊपर मधु रखती है, उसी कार अ नीकुमार मुझ को वच वी, तेज वी, बली और ओज यु बनाएं. (१७) यद् ग रषु पवतेषु गो व ेषु य मधु. सुरायां स यमानायां यत् त मधु त म य.. (१८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पवत म, पहाड़ी दे श म, गाय म तथा अ म जो मधु है, जो मधु नीचे क ओर बहने वाले जल म है, वह मधु मुझ म थत हो. (१८) अ ना सारघेण मा मधुना ऽ ङ् ं शुभ पती. यथा वच वत वाचमावदा न जनाँ अनु.. (१९) हे शोभा के लए वण के आभूषण धारण करने वाले अ नीकुमारो! तुम मुझे मधुम खय ारा एक कए गए मधु से यु करो, जस से म मनु य के त ओजपूण वाणी का उ चारण कर सकूं. (१९) तन य नु ते वाक् जापते वृषा शु मं प स भू यां द व. तां पशव उप जीव त सव तेनो सेषमूज पप त.. (२०) हे जाप त! मेघ का गजन ही तु हारी वाणी है. हे वषा करने वाले जाप त! तुम पृ वी और वग को जल से स चते हो. पशु उसी जल से जी वत रहते है तथा वही वषा अ और जल का पोषण करती है. (२०) पृ थवी द डो ३ त र ं गभ (२१) (२१)
पृ वी दं ड है, अंत र
गभ है,
ौः कशा व ुत् कशो हर ययो ब ः.. ौ
है, व ुत काश है और ब
हर यमय है.
यो वै कशायाः स त मधू न वेद मधुमान् भव त. ा ण राजा च धेनु ानड् वां ी ह यव मधु स तमम्.. (२२) न य ही जो के सात मधु को जानता है, वह मधु वाला बन जाता है तथा ा ण, राजा, गौ, बैल, धान, जौ के अ त र दसवां मधु है. (२२) मधुमान् भव त मधुमद याहाय भव त. मधुमतो लोका य त य एवं वेद.. (२३) जो इस बात को जानता है, वह मधु वाला होता है, मधु पूणलोक पर वजय ा त करता है तथा मधुमय भोजन का भोग करता है. (२३) यद् वी े तनय त जाप तरेव तत् जा यः ा भव त. त मात् ाचीनोपवीत त े जापते ऽ नु मा बु य वे त. अ वेनं जा अनु जाप तबु यते य एवं वेद.. (२४) आकाश म जो मेघ गजन होता है, वह जाप त है, वह जा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के लए ही कट होता
है. इसी लए य ोपवीत धारण करने वाला इस बात के लए त पर हो जाए क जाप त मुझे जाने. जो इस बात को जानता है, वही जाप त के प ात ज म लेने वाला समझा जाता है. (२४)
सू -२
दे वता—काम
सप नहनमृषभं घृतेन कामं श ा म ह वषा येन. नीचैः सप नान् मम पादय वम भ ु तो महता वीयण.. (१) म श ु वनाशक वृषभ पी काम को ह व एवं आ य से स करता ं. हे वृषभ! तु हारी तु त करने वाले मुझ तोता के श ु को तुम अपने महान परा म से नीचे गराओ. (१) य मे मनसो न यं न च ुषो य मे बभ त ना भन द त. तद् व यं त मु चा म सप ने कामं तु वोदहं भदे यम्.. (२) जो बुरा व न मुझ को अ छा लगता है और न मेरे ने को सुहाता है, जो मुझे भ ण करता आ मालूम होता है और मुझे स नह करता, उस बुरे व को काम क तु त करने वाला म श ु क ओर छोड़ता ं. वह बुरा व पी श ु का भेदन करे. (२) व यं काम रतं च कामा ज ताम वगतामव तम्. उ ईशानः त मु च त मन् यो अ म यमं रणा च क सात्.. (३) हे उ एवं वामी कामदे व! तुम अपने व पी पाप को जा अथात् संतान क हीनता को एवं नधनता को उसी और भेजो जो पराजय कर के हम वप म डालने क चे ा करता है. (३) नुद व काम णुद व कामाव त य तु मम ये सप नाः. तेषां नु ानामधमा तमां य ने वा तू न नदह वम्.. (४) हे कामदे व! द र ता को उन क और जाने के लए े रत करो जो मेरे श ु ह. वे ही मेरी द र ता को ा त कर. हे अ न! वे अंधकार म पड़े रह. तुम उन के घर क व तु को भ म कर दो. (४) सा ते काम हता धेनु यते यामा वाचं कवयो वराजम्. तया सप नान् प र वृङ् ध ये मम पयनान् ाणः पशवो जीवनं वृण ु .. (५) हे कामदे व! सभी जसे ओजपूण वाणी कहते ह, वह तु हारी पु ी है. तुम उस के ारा मेरे श ु का नाश करो. ाण, पशु और जीवन उन के पास न रह. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
काम ये य व ण य रा ो व णोबलेन स वतुः सवेन. अ नेह ेण णुदे सप ना छ बीव नावमुदकेषु धीरः.. (६) जस कार पतवार धारण करने वाला म लाह नौका चलाता है, उसी कार म कामदे व के, इं के, राजा व ण के, व णु के और स वता के बल से तथा दे व के य से श ु को र भगाता ं. (६) अ य ो वाजी मम काम उ ः कृणोतु म मसप नमेव. व े दे वा मम नाथं भव तु सव दे वा हवमा य तु म इमम्.. (७) सभी दे व मेरे इस य म आएं एवं मेरे वामी, श ही इसे पूण कर तथा मुझे श ु र हत बनाएं. (७)
शाली कामदे व मेरी आंख के सामने
इदमा यं घृतव जुषाणाः काम ये ा इह मादय वम्. कु व तो म मसप नमेव.. (८) हे कामदे व को अपने से बड़ा मानने वाले दे वो! मेरे घृत वाले आ य का सेवन करते ए तुम सुखी रहो. (८) इ ा नी काम सरथं ह भू वा नीचैः सप नान् मम पादयाथः. तेषां प ानामधमा तमां य ने वा तू यनु नदह वम्.. (९) हे कामदे व! इं और अ न रथ पर सवार हो कर मेरे श ु को नीचे गराते ह. हे अ न! उन गरे ए श ु को अंधकार कट कर के न करो एवं उन के घर क सभी व तु को जला डालो. (९) ज ह वं काम मम ये सप ना अ धा तमां यव पादयैनान्. न र या अरसाः स तु सव मा ते जी वषुः कतम चनाहः.. (१०) हे कामदे व! तुम मेरे श ु का संहार करो तथा उ ह घने अंधकार म गराओ. वे सब इं य र हत एवं श हीन हो जाएं तथा वे कुछ ही दन जी वत रह. (१०) अवधीत् कामो मम ये सप ना उ ं लोकमकर म मेधतुम्. म ं नम तां दश त ो म ं षडु व घृतमा वह तु.. (११) कामदे व ने मेरे श ु का वनाश कर डाला तथा मेरी वृ के लए उस ने महान लोक का नमाण कया. चार दशा के ाणी मुझे नम कार कर तथा छः पृ वयां मेरे लए घृत दान कर. (११) ते ऽ धरा चः
लव तां छ ा नौ रव ब धनात्.
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न सायक णु ानां पुनर त नवतनम्.. (१२) बंधन टू टने पर नौका जस कार नीचे क ओर बहती है, मेरे श ु उसी कार नीचे गरते चले जाएं, य क जो लोग बाण से घायल हो कर भागते है, वे वापस नह आते. (१२) अ नयव इ ो यवः सोमो यवः. यवयावानो दे वा यावय वेनम्.. (१३) अ न, इं और सोमदे व—ये सभी दे व मेरे श ु
को र भगाएं. (१३)
असववीर रतु णु ो े यो म ाणां प रव य १: वानाम्. उ त पृ थ ामव य त व ुत उ ो वो दे वः मृणत् सप नान्.. (१४) इस मं क श से ेरणा पा कर मेरा श ु पु , पौ एवं सम त वीर से र हत हो कर घूमे. उस के म भी उस का याग कर द. व ुत पृ वी पर उस के टु कड़े कर दे . हे यजमान! दे वगण तु हारे श ु का मदन कर. (१४) युता चेयं बृह य युता च व ुद ् बभ त तन य नूं सवान्. उ ा द यो वणेन तेजसा नीचैः सप नान् नुदतां मे सह वान्.. (१५) जो बजली अपने गजन से सभी मेघ को पूण कर दे ती है, वह नीचे गर कर अथवा अपने थान पर रह कर तथा उदय होते ए सूय अपने श शाली तेज के ारा मेरे श ु को नीचे गराएं. (१५) यत् ते काम शम व थमु वम वततमन त ा यं कृतम्. तेन सप नान् प र वृङ् ध ये मम पयनान् ाणः पशवो जीवनं वृण ु .. (१६) हे कामदे व! तु हारा जो क याणकारी बल तीन लोक को परा जत करने वाला है, उस के एवं पी व तृत कवच के ारा तुम मेरे श ु का वनाश करो. उन का जीवन एवं पशु ाणहीन हो जाएं. (१६) येना दे वा असुरान् ाणुद त येने ो द यूनधमं तमो ननाय. तेन वं काम मम ये सप ना तान मा लोकात् णुद व रम्.. (१७) हे कामदे व! जस श के ारा इं ने दै य को मृ यु पी भयानक अंधकार म धकेल दया था और दे व ने जस श के ारा असुर को भगा दया था, तुम उसी श के ारा मेरे श ु को इस लोक से र भगा दो. (१७) यथा दे वा असुरान् ाणुद त यथे ो द यूनधमं तमो बबाधे. तथा वं काम मम ये सप ना तान मा लोकात् णुद व रम्.. (१८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे कामदे व! दे व ने जस कार असुर को भगाया था तथा इं ने दै य को घोर अंधकार म धकेल कर संताप दया था, उसी कार तुम मेरे श ु को इस लोक से र भगा दो. (१८) कामो ज े थमो नैनं दे वा आपुः पतरो न म याः. तत वम स यायान् व हा महां त मै ते काम नम इत् कृणो म.. (१९) कामदे व सव थम उ प आ. दे व, पतर और मनु य कोई भी उस क समानता नह कर सकता. इस कारण तुम सभी से ये और सम त व म महान हो. म तु हारे लए नम कार करता ं. (१९) यावती ावापृ थवी व र णा यावदापः स य यावद नः. तत वम स यायान् व हा महां त मै ते काम नम इत् कृणो म.. (२०) हे कामदे व! ावा, पृ वी का जतना व तार है, जल और अ न जतने व तृत ह, तुम उन से कह अ धक व तृत हो, इसी लए तुम सभी से ये हो और सम त व म ा त हो. म तु हारे लए नम कार करता ं. (२०) यावती दशः दशो वषूचीयावतीराशा अ भच णा दवः. तत वम स यायान् व हा महां त मै ते काम नम इत् कृणो म.. (२१) हे कामदे व! दशाएं और दशाएं जतनी व तृत ह और वग क जतनी दशाएं बताई गई ह, तुम उन सभी से ये हो और सम त व म ा त हो. म तुम को नम कार करता ं. (२१) यावतीभृ ा ज वः कु रवो यावतीवघा वृ स य बभूवुः. तत वम स यायान् व हा महां त मै ते काम नम इत् कृणो म.. (२२) हे कामदे व! भृंग, जतु, कर, वृ एवं सप जतने वशाल ह, तुम उन सभी से महान हो. तुम सभी म त हो. म तुम को नम कार करता ं. (२२) यायान् न मषतो ऽ स त तो याया समु ाद स काम म यो. तत वम स यायान् व हा महां त मै ते काम नम इत् कृणो म.. (२३) हे कामदे व! हे म यु! पलक झपकाने वाले एवं थत रहने वाले ा णय तथा समु से भी तुम महान हो. तुम सारे व म ा त हो. म तुम को नम कार करता ं. (२३) न वै वात न काममा ो त ना नः सूय नोत च माः. तत वम स यायान् व हा महां त मै ते काम नम इत् कृणो म.. (२४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ न, सूय, चं मा और वायु कामदे व क समानता नह कर पाते. इस कारण हे कामदे व! तुम सब से ये एवं सम त व म ा त हो. म तुम को नम कार करता ं. (२४) या ते शवा त वः काम भ ा या भः स यं भव त यद् वृणीषे. ता भ ् वम माँ अ भसं वश वा य पापीरप वेशया धयः.. (२५) हे कामदे व! तु हारे जो क याणकारी एवं भ शरीर ह, उन के ारा तुम जन का वरण करते हो, वही स य है. उ ह के ारा तुम हमारे शरीर म वेश करो. तुम अपनी पापबु य को हम से र रखो तथा उ ह श ु म व करो. (२५)
सू -३
दे वता—शाला
उप मतां त मतामथो प र मतामुत. शालाया व वाराया न ा न व चृताम स.. (१) उप मता, त मता और प र मता जो शालाएं ह, उन म से कसी भी शाला को खोलते ए हम सब के लए वरण करने यो य शाला के ार खोलते ह. (१) यत् ते न ं व वारे पाशो थ यः कृतः. बृह प त रवाहं बलं वाचा व ंसया म तत्.. (२) हे वरण करने यो य शाला! तुझ म जो बंधन है, जो पाश है और जो गांठ ह, उ ह बृह प त के समान श शाली म अपने मं बल से खोलता ं. (२) आ ययाम सं बबई थ कार ते ढान्. पं ष व ा छ तेवे े ण व चृताम स.. (३) हे शाला! बनाने वाले ने तु ह ब त लंबा बनाया है. उस ने तुझ म मजबूत गांठ लगाई ह. उन कठोर गांठ को जानता आ म इं क श से उ ह खोलता ं. (३) वंशानां ते नहनानां ाणाह य तृण य च. प ाणां व वारे ते न ा न व चृताम स.. (४) हे सब के ारा वरण करने यो य शाला! तेरे बांस के बंधन क , लक ड़य क , तनक क तथा वृ क जो गांठ ह, म उ ह खोलता ं. (४) संदंशानां पलदानां प र व य य च. इदं मान य प या न ा न व चृताम स.. (५) म मान क प नी अथात् शाला के ारा बांधे गए संदेश के, पलद के, प र यंद के तथा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तृण के बंधन को खोलता ं. (५) या न ते ऽ तः श या याबेधू र याय कम्. ते ता न चृताम स शवा मान य प नी न उ
ता त वे भव.. (६)
हे क याण करने वाली मान क प नी! तुझ म भीतर जो छ के बांधे गए ह तथा मचान बनाए गए ह, हम उ ह खोलते ह. तुम हम वगलोक म सुख दो तथा हम पर ो धत न होओ. (६) ह वधानम नशालं प नीनां सदनं सदः. सदो दे वानाम स दे व शाले.. (७) हे शाला! तुम म ह ा त अ न, कुंड, दे व के बैठने यो य आसन तथा प नय स हत यजमान के बैठने यो य थान है. (७) अ ुमोपशं वततं सह ा ं वषूव त. अवन म भ हतं णा व चृताम स.. (८) हे द ता संप शाला! शयन क म मं क श से खोलता ं. (८)
म व तृत झरोखा है. इस कार के शयन क
को
य वा शाले तगृ ा त येन चा स मता वम्. उभौ मान य प न तौ जीवतां जरद ी.. (९) हे शाला! जो तुझे हण करता है तथा जस ने नाप कर तेरा नमाण कया है. हे मान क प नी! ये दोन शरीर के श थल हो जाने तक जी वत रह. (९) अमु ैनमा ग छताद् ढा न ा प र कृता. य या ते वचृताम य म ं प प ः.. (१०) हे शाला! हम तेरे ढ़तापूवक बंधे ए अंग को अलग कर रहे ह. जस ने तेरा नमाण कया है, उसे तू वग दान कर. (१०) य वा शाले न ममाय संजभार वन पतीन्. जायै च े वा शाले परमे ी जाप तः.. (११) हे शाला, जस ने तेरा नमाण कया है और तेरा नमाण करने के लए जो वृ लकड़ी लाया है, जाप त ने जा के न म तेरा नमाण कया है. (११) नम त मै नमो दा े शालापतये च कृ मः. नमो ऽ नये चरते पु षाय च ते नमः.. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क
हे कृ ण! शलाका दान करने वाले को, शाला के वामी को, अ न के लए, घूमने फरने वाले पु ष के लए तथा तुझे भी नम कार है. (१२) गो यो अ े यो नमो य छालायां वजायते. वजाव त जाव त व ते पाशां ताम स.. (१३) शाला म ज म लेने वाली गाय और घोड़ को नम कार है. हे वजावती और जावती! हम तेरे बंधन को खोलते ह. (१३) अ नम त छादय स पु षान् पशु भः सह. वजाव त जाव त व ते पाशां ताम स.. (१४) हे वजावती और जावती! तुम अ न को, पु ष को और पशु लेती हो. हम तु हारे फंद को खोलते ह. (१४)
को अपने म छपा
अ तरा ां च पृ थव च यद् च तेन शालां त गृ ा म त इमाम्. यद त र ं रजसो वमानं तत् कृ वे ऽ हमुदरं शेव ध यः तेन शालां त गृ ा म त मै.. (१५) ौ और पृ वी के म य जो व तृत आकाश ह, उस के ारा हम तेरी इस शाला को हण करते ह. अंत र और पृ वी क जो रचना श है, वह तेरे उदर म थत है. (१५) ऊज वती पय वती पृ थ ां न मता मता. व ा ं ब ती शाले मा हसीः तगृ तः.. (१६) हे शाला! तू श शा लनी एवं ध से पूण है. तुझे पृ वी पर नापतोल कर बनाया गया है. तू सभी कार का अ धारण करती है. जो तुझे हण करते ह, तू उन का वनाश मत कर. (१६) तृणैरावृता पलदान् वसाना रा ीव शाला जगतो् नवेशनी. मता पृ थ ां त स ह तनीव प ती.. (१७) घासफूंस से ढक ई अथात् चटाइय को धारण करती ई शाला जगत् के ा णय को रा के समान व ाम दे ने वाली है. हे शाला! तू ह थनी के पैर के च के समान पृ वी पर थत है. (१७) इट य ते व चृता य पन मपोणुवन्. व णेन समु जतां म ः ात ु जतु.. (१८) हे शाला! म
तीत ए संव सर के समान तेरे बंधन को खोल कर अलग करता ं.
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तुझे व ण ने खोला है, आ द य तेरा उद्घाटन करते ह. (१८) णा शालां न मतां क व भ न मतां मताम्. इ ा नी र तां शालाममृतौ सो यं सदः.. (१९) ने इस शाला का नमाण कया है और व ान ने इस नमाण क नापतोल म सहायता क है. सोमरस पीने के थान पर बैठे ए इं और अ न दे व इस शाला क र ा कर. (१९) कुलाये ऽ ध कुलायं कोशे कोशः समु जतः. त मत व जायते य माद् व ं जायते.. (२०) इस शाला पी घ सले के भीतर शरीर पी घ सला है. कोश म कोश सुस जत ह. ता पय यह है क यह शाला कोश के समान है और इस म रहने वाला शरीर भी कोश के समान है. मरणधमा मनु य इसी म ज म लेता है. सारे संसार क उ प इसी कार होती है. (२०) या प ा चतु प ा षट् प ा या नमीयते. अ ाप ां दशप ां शालां मान य प नीम नगभ इवा शये.. (२१) जो शाला दो क , चार क , छः क , आठ क और दस क वाली बनाई जाती है, म उस शाला म इस कार सोता ं, जस कार गभ म जठरा न व मान रहती ह. (२१) तीच वा तीचीनः शाले ै य हसतीम्. अ न १ तराप त य थमा ाः.. (२२) हे शाला! म हसा र हत हो कर तुझ म वेश करता ं. तेरा मुख य द प म क ओर है तो म पूवा भमुख हो कर तुझ म वेश करता ं. से उ प होने वाले अ न और जल भी मेरे साथ तुझ म वेश करते ह. (२२) इमा आपः भरा यय मा य मनाशनीः. गृहानुप सीदा यमृतेन सहा नना.. (२३) य मा रोग से र हत म य मा रोग का वनाश करने वाले जल को भरता ं तथा अमृतमय अ न ले कर घर म वेश करता ं. (२३) मा नः पाशं त मुचो गु भारो लघुभव. वधू मव वा शाले य कामं भराम स.. (२४) हे शाला! अपने पाश को हमारी ओर मत फक. गु भार वाली तू मेरे लए कम भार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाली तीत हो. हम वधू के समान तेरा शृंगार करते एवं तुझे साम ी से भरते ह. (२४) ा या दशः शालाया नमो म ह ने वाहा दे वे यः वा े यः.. (२५) शाला क पूव दशा को नम कार है. वाहा के यो य इन महान दे व के लए यह आ त शुभ हो. (२५) द णाया दशः शालाया नमो म ह ने वाहा दे वे यः वा े यः.. (२६) शाला क द ण दशा को नम कार है. वाहा के यो य इन महान दे व के लए यह आ त शुभ हो. (२६) ती या दशः शालाया नमो म ह ने वाहा दे वे यः वा े यः.. (२७) शाला क प म दशा को नम कार है. वाहा के यो य इन महान दे व के लए यह आ त शुभ हो. (२७) उद या दशः शालाया नमो म ह ने वाहा दे वे यः वा े यः.. (२८) शाला क उ र दशा को नम कार है. वाहा के यो य इन महान दे व के लए आ त शुभ हो. (२८) ुवाया दशः शालाया नमो म ह ने वाहा दे वे यः वा े यः.. (२९) शाला क नीचे क दशा को नम कार है. वाहा के यो य इन महान दे व के लए यह आ त शुभ हो. (२९) ऊ वाया दशः शालाया नमो म ह ने वाहा दे वे यः वा े यः.. (३०) शाला क ऊपर क दशा को नम कार है. वाहा के यो य इन महान दे व के लए यह आ त शुभ हो. (३०) दशो दशः शालाया नमो म ह ने वाहा दे वे यः वा े यः.. (३१) शाला क येक दशा को नम कार है. वाहा के यो य इन महान दे व के लए यह आ त शुभ हो. (३१)
सू -४
दे वता—ऋषभ
साह वेष ऋषभः पय वान् व ा पा ण व णासु ब त्. भ ं दा े यजमानाय श न् बाह प य उ य त तुमातान्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यह श शाली वृषभ अथात् बैल हजार गाय को ग भणी बनाने म समथ है. यह अपनी वीयवा हनी ना ड़य म अनेक प धारण करता है. बृह प त संबंधी मं से यु यह बैल गाय के यो य है. यह दान दे ने वाले यजमान का मंगल करता आ अपनी संतान क वृ करे. (१) अपां यो अ े तमा बभूव भूः सव मै पृ थवीव दे वी. पता व सानां प तर यानां साह े पोषे अ प नः कृणोतु.. (२) जो बैल जल के समान एवं तमा के समान खड़ा आ, जो पृ वी के समान सब का वामी है, जो बछड़ का पता तथा हसा न करने यो य गाय का प त है, वह हम हजार कार से संप बनाए. (२) पुमान तवा थ वरः पय वान् वसोः कब धमृषभो बभ त. त म ाय प थ भदवयानै तम नवहतु जातवेदाः.. (३) वसु के कबंध को धारण करने वाला यह बैल पुमान अथात् नर, आंत रक श वाला एवं वीययु है. ज म लेने वाल को जानने वाले अ न दे व दे व के माग से हम इं तक प ंचाएं. (३) पता व सानां प तर यानामथो पता महतां गगराणाम्. व सो जरायु तधुक् पीयूष आ म ा घृतं तद् व य रेतः.. (४) बैल बछड़ का पता एवं हसा के अयो य गाय का प त होने के साथ ही गरजने वाले मेघ का पालनकता भी है. इस बैल का वीय, बछड़ा, जरायु (जेर) तधुक, अमृत, आ म ा एवं घृत के समान है. (४) दे वानां भाग उपनाह एषो ३ पां रस ओषधीनां घृत य. सोम य भ मवृणीत श ो बृह रभवद् य छरीरम्.. (५) यह जड़ीबू टय का रस जल एवं घृत का भाग है. उपनय दे व का भाग है. इं ने सोम के भ ण के लए अथात् सोमरस पीने के लए पवत के समान वशाल शरीर धारण कया था. (५) सोमेन पूण कलशं बभ ष व ा पाणां ज नता पशूनाम्. शवा ते स तु ज व इह या इमा य१ म यं व धते य छ या अमूः.. (६) हे व ध त! तुम सोमरस से भरा आ कलश धारण करती हो. व ा पशु को आकार दे ने वाले ह. ज म लेने वाले तु हारे लए मंगलकारी ह . तुम अपनी इन संतान को हम दान करो. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ यं बभ त घृतम य रेतः साह ः पोष तमु य मा ः. इ य पमृषभो वसानः सो अ मान् दे वाः शव ऐतु द ः.. (७) यह बैल आ य अथात् य के कारण प ध आ द को धारण करता है. घृत इस का वीय है. यह जन सह पु य को दान करता है, उ ह को य कहा जाता है. हे दे वो! इं का प धारण करता आ एवं यजमान के ारा दया आ यह बैल हमारे लए शुभ हो. (७) इ यौजो व ण य बा अ नोरंसौ म ता मयं ककुत्. बृह प त संभृतमेतमा य धीरासः कवयो ये मनी षणः.. (८) जो धीर, मनीषी एवं व ान् पु ष ह, वे बताते ह क इस बैल का ओज अथात् बल इं का भाग है, इस के बा अथात् पैर व ण के भाग ह, इस का कंधा अ नीकुमार का भाग है और इस क ठाट म त का भाग है. इस का संभृत बृह प त का भाग है. (८) दै वी वशः पय वाना तनो ष वा म ं वां सर व तमा ः. सह ं स एकमुखा ददा त यो ा ण ऋषभमाजुहो त.. (९) हे बैल! तू अपने ध आ द से दे व का व तार करता है. तुझे इं एवं सार वत कहा गया है. जो ा ण मं ारा संप होने वाले य म बैल का दान करता है, वह एक मुख वाली हजार गाय के दान का पु य ा त करता है. (९) बृह प तः स वता ते वयो दधौ व ु वायोः पया मा त आभृतः. अ त र े मनसा वा जुहो म ब ह े ावापृ थवी उभे ताम्.. (१०) बृह प त एवं स वता ने तेरी आयु को धारण कया है. व ा एवं वायु ने तेरे संपूण शरीर म आ मा को धारण कया है. म मन से अंत र म तेरी आ त दे ता ं. धरती तथा आकाश दोन तेरे ब ह अथात् कुश ह . (१०) य इ इव दे वेषु गो वे त ववावदत्. त य ऋषभ या ा न ा सं तौतु भ या.. (११) जस कार इं दे व के म य म आते ह, उसी कार यह बैल गजन करता आ गाय के म य जाता है. ा अपनी मं मयी क याणी वाणी से इस बैल के अंग क तु त कर. (११) पा आ तामनुम या भग या तामनूवृजौ. अ ीव ताव वी म ो ममैतौ केवला व त.. (१२) इस बैल के पा अथात् दोन ओर के भाग अनुम त के ह तथा इस के अनुबृज अथात् पीछे चलने वाले भाग अ न दे व के ह. म दे व ने कहा था क बैल के केवल टखने मेरे भाग ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. (१२) भसदासीदा द यानां ोणी आ तां बृह पतेः. पु छं वात य दे व य तेन धूनो योषधीः.. (१३) बैल क कमर आ द य क , पीठ बृह प त क तथा पूंछ वायु दे व क है. उसी से यह जड़ीबू टय को कं पत करता है. (१३) गुदा आस सनीवा याः सूयाया वचम ुवन्. उ थातुर ुवन् पद ऋषभं यदक पयन्.. (१४) बैल क गुदा सनीवाली अथात् अमाव या का भाग है एवं वचा को सूय क प नी सूया का भाग कहा गया है. इस के पैर उ थाता का भाग कहे गए ह. इस कार ऋ षय ने बैल क क पना क . (१४) ोड आसी जा मशंस य सोम य कलशो धृतः. दे वाः संग य यत् सव ऋषभं क पयन्.. (१५) बैल क गुदा सनीवाली का भाग थी तथा धारण कया गया कलश सोम का भाग था. सभी दे व ने एक हो कर इस कार बैल क क पना क थी. (१५) ते कु काः सरमायै कूम यो अदधुः शफान्. ऊब यम य क टे यः वत या अधारयन्.. (१६) उन बैल ने सरमा के लए कु का को तथा कम के लए खुर को धारण कया. उ ह ने बैल के ऊपर के भाग को खान और क ड़ के लए धारण कया. (१६) शृ ा यां र ऋष यव त ह त च ुषा. शृणो त भ ं कणा यां गवां यः प तर यः.. (१७) जो बैल हसा न करने यो य गाय का प त है, वह अपने स ग से रा स को तथा ने से द र ता को र भगाता है. वह अपने कान से क याणकारी बात सुनता है. (१७) शतयाजं स यजते नैनं व य नयः. ज व त व े तं दे वा यो ा ण ऋषभमाजुहो त.. (१८) जो ा ण बैल का दान करता है, वह शतयाज नामक य करने का पु य ा त करता है. उसे अ न दे व संताप नह दे ते और सभी दे व उसे संतु करते ह. (१८) ा णे य ऋषभं द वा वरीयः कृणुते मनः. पु सो अ यानां वे गो े ऽ व प यते.. (१९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो ा ण को बैल का दान कर के अपने मन को उदार बनाता है, वह अपनी गोशाला म गाय क समृ दे खता है. (१९) गावः स तु जाः स वथो अ तु तनूबलम्. तत् सवमनु म य तां दे वा ऋषभदा यने.. (२०) गाएं ह , संतान ह तथा शरीर म श सब दान कर. (२०)
हो. बैल का दान करने वाले के लए दे वगण यह
अयं पपान इ इद् र य दधातु चेतनीम्. अयं धेनुं सु घां न यव सां वशं हां वप तं परो दवः.. (२१) ह व ा त करने वाले इं यजमान को ान पी धन के अ त र सरलता से ही जाने वाली एवं सदा बछड़ को ज म दे ने वाली गाय तथा वग दान कर. (२१) पश पो नभसो वयोधा ऐ ः शु मो व पो न आगन्. आयुर म यं दधत् जां च राय पोषैर भ नः सचताम्.. (२२) पीले रंग वाला, आकाश के अ को धारण करने वाला एवं अनेक प वाला इं संबंधी बैल हम ा त आ. वह हम आयु, संतान एवं धन दे ता आ सभी कार से पु करे. (२२) उपेहोपपचना मन् गो उप पृ च नः. उप ऋषभ य यद् रेत उपे वीयम्.
तव
हे उपपृंच! यहां आओ तथा गोशाला म हम से मलो. हे इं ! इस वृषभ का वीय ही तु हारा वीय है. (२३) एतं वो युवानं त द मो अ तेन ड ती रत वशाँ अनु. मा नो हा स जनुषा सुभागा राय पोषैर भ नः सच वम्.. (२४) हे गायो! यह युवा बैल तु हारे लए है. इस गोशाला म इस के साथ डा करती ई तुम वचरण करो. तुम हमारा याग मत करो तथा हम सुंदर धन से पु बनाओ. (२४)
सू -५
दे वता—अज मा
आ नयैतमा रभ व सुकृतां लोकम प ग छतु जानन्. ती वा तमां स ब धा महा यजो नाकमा मतां तृतीयम्.. (१) इस अज को लाओ और य कम आरंभ करो. जानता आ यह पु या मा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के लोक
को भी जाए. यह अनेक कार के वशाल अंधकार को पार कर के तीसरे वग म प ंचे. (१) इ ाय भागं प र वा नया य मन् य े यजमानाय सू रम्. ये नो ष यनु तान् रभ वानागसो यजमान य वीराः.. (२) हे अज! म इस य म तुझे इं के भाग के लए यजमान के समीप ले जा रहा ं. जो हमारे श ु ह, तू उन पर पैर रख और यजमान के पु आ द को पाप र हत बना. (२) पदो ऽ व ने न ध रतं य चचार शु ै ः शफैरा मतां जानन्. ती वा तमां स ब धा वप य जो नाकमा मतां तृतीयम्.. (३) हे पाप कम करने वाले अज! तू अपने पैर को प व कर एवं जानता आ अपने खुर से वग म आरोहण कर. यह अज अनेक कार के अंधकार को पार करता आ तृतीय वग म प ंचे. (३) अनु यामेन वचमेतां वश तयथापव १ सना मा भ मं थाः. मा भ हः प शः क पयैनं तृतीये नाके अ ध व यैनम्.. (४) हे वश त! अथात् वशेष शासक काले लोहे के श के ारा इस को शु करो. इस के जोड़ को क न हो. इस के येक जोड़ क क पना करते ए इसे तीसरे वग म प ंचाओ. (४) ऋचा कु भीम य नौ या या स चोदकमव धे न े म्. पयाध ा नना श मतारः शृतो ग छतु सुकृतां य लोकः.. (५) म ऋ वेद के मं के ारा कुंभी को अ न पर रखता ं. तू जल छड़क कर इसे अ न पर रख. हे श मता जनो! यह शु अथात् प रप व हो कर पु यवान के लोक को जाए. (५) उ ामातः प र चेदत त त ता चरोर ध नाकं तृतीयम्. अ नेर नर ध सं बभू वथ यो त म तम भ लोकं जयैतम्.. (६) हे अज! तू इस तपे ए अथात् प रप व च के ारा वग म जाने के लए ऊपर चढ़. तू अ न के ारा अ न प हो गया है एवं काश वाले लोक को ा त कर. (६) अजो अ नरजमु यो तरा रजं जीवता णे दे यमा ः. अज तमां यप ह त रम मं लोके द्दधानेन द ः.. (७) मनी षय ने ऐसा कहा है क अज ही अ न है और अज ही यो त है. जी वत पु ष के ारा अज को के लए दे ने यो य कहा गया है. श ालु पु ष ारा इस लोक म दान कया आ अज रवत लोक म अंधकार का वनाश करता है. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प चौदनः प चधा व मतामा ं यमान ी ण योत ष. ईजानानां सुकृतां े ह म यं तृतीये नाके अ ध व य व.. (८) पंचौदन अथात् पांच कार के भात के पांच म दए जाएं. वह आ मण करता आ सूय, चं , अ न—इन तीन यो तय म आ ढ़ हो. तू य करने वाले पु या मा के म य म जा कर तीसरे वग को ा त हो. (८) अजा रोह सुकृतां य लोकः शरभो न च ो ऽ त गा येषः. प चौदनो णे द यमानः स दातारं तृ या तपया त.. (९) हे अज! तू ऐसे पु या मा के लोक म आरोहण कर, जहां शरभ अथात् हसक बाघ नह जा सकता और जहां सम त लभ पदाथ उपल ध ह. ा के न म दया जाने वाला पंचौदन दाता को तृ त दान करता है. (९) अज नाके दवे पृ े नाक य पृ े द दवांसं दधा त. प चौदनो णे द यमानो व पा धेनुः काम घा ऽ येका.. (१०) यह अज दे ने वाले को तीसरे वग म और तीन पृ वाले वग म प ंचाता है. ा के न म दया आ पंचौदन यजमान को इ छानुसार ध दे ने वाली एवं अनेक प वाली धेनु बन जाता है. (१०) एतद् वो यो तः पतर तृतीयं प चौदनं णे ऽ जं ददा त. अज तमां यप ह त रम मं लोके द्दधानेन द ः.. (११) हे पतरो! जो ा के न म तृतीय पंचौदन के प म अज का दान करता है, ालु के ारा इस लोक म दया आ यह अज रवत लोक म व तृत अंधकार का वनाश करता है. (११) ईजानानां सुकृतां लोकमी सन् प चौदनं णे ऽ जं ददा त. स ा तम भ लोकं जयैतं शवो ३ म यं तगृहीतो अ तु.. (१२) य करने वाले पु या मा के लोक म जाने क इ छा करने वाला जो यजमान ा के लए अज का दान करता है, वह मंगलमय थान ा त करता है एवं वग को जीतता है. (१२) अजो १ नेरज न शोकाद् व ो व य सहसो वप त्. इ ं पूतम भपूत वषट् कृतं तद् दे वा ऋतुशः क पय तु.. (१३) यह ानी एवं व ान् अज ा ण क अ न से कट आ है. दे वगण इस के कारण इ , पूत एवं वषट् कम क ऋतु के अनुसार क पना कर. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अमोतं वासो द ा र यम प द णाम्. तथा लोका समा ो त ये द ा ये च पा थवाः.. (१४) जो वण क द णा को व को ा त करता है. (१४)
म लपेट कर दे ता है, वह पु ष द
एवं पा थव लोक
एता वाजोप य तु धाराः सो या दे वीघृतपृ ा मधु तः. तभान पृ थवीमुत ां नाक य पृ े ऽ ध स तर मौ.. (१५) हे अज! ये घृत म त और मधु टपकाने वाली सोमरस क द धाराएं तुझे ा त ह . तू सूय के ऊपर थत वग म वराजमान हो कर पृ वी और ौ को तं भत कर. (१५) अजो ३ यज वग ऽ स वया लोकम रसः ाजानन्. तं लोकं पु यं ेषम्.. (१६) हे अज! तू वग है. तेरे ारा ही अं गरावंशी ऋ षय ने वग को जाना है. म ने भी तेरे ारा उस पु यशाली लोक का ान ा त कया है. (१६) येना सह ं वह स येना ने सववेदसम्. तेनेमं य ं नो वह वदवेषु ग तवे.. (१७) हे अ न! अपने जस बालक के ारा तुम हजार कार के ऐ य को दे व तक ले जाते हो, वग ा त के न म हमारे इस य को उसी बल के ारा दे वता तक प ंचाओ. (१७) अजः प वः वग लोके दधा त प चौदनो नऋ त बाधमानः. तेन लोका सूयवतो जयेम.. (१८) पंचौदन के प म पका आ अज वगलोक म था पत करता है और पाप क दे वी नऋ त को बाधा प च ं ाता है. हम इस अज पी धन के ारा सूयवान लोक पर वजय ा त कर. (१८) यं ा णे नदधे यं च व ु या व ुष ओदनानामज य. सव तद ने सुकृत य लोके जानीता ः संगमने पथीनाम्.. (१९) अज के ओदन क जन बूंद को ा ण के म य एवं जा म था पत करते ह, हे अ न दे व! वह सब हम पु या मा के लोक म एवं भाग के संगम म जान. (१९) अजो वा इदम े मत त योर इयमभवद् ौः पृ म्. अ त र ं म यं दशः पा समु ौ कु ी.. (२०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अज ने सब से पहले त मण कया तो उस का पेट भू म, पीठ भाग, पस लयां दशाएं और कोख सागर . (२०)
ौ, अंत र
मय
स यं चत च च ुषी व ं स यं ा ाणो वराट् शरः. एष वा अप र मतो य ो यदजः प चौदनः.. (२१) अज के ने स य और ऋत ए, ाण ा ए एवं शीश वराट् आ. इस कार वह अज वा तव म व आ. यह पंचौदन पी अज असी मत य है. (२१) अप र मतमेव य मा ो यप र मतं लोकमव े. यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (२२) जो यजमान द णा से का शत अज को पंचौदन के प म दे ता है, वह य असी मत फल को ा त करता है तथा अप र मत लोक का उद्घाटन करता है. (२२)
के
ना या थी न भ ा म ो नधयेत्. सवमेनं समादायेद मदं वेशयेत्.. (२३) न तो इस अज क ह ड् डय को तोड़े और न इस क म जा अथात् चरबी को धोए. इसे पूण प से ले कर यह कहे क म इस म वेश करता ं. (२३) इद मदमेवा य पं भव त तेनैनं सं गमय त. इषं मह ऊजम मै हे यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (२४) उस का प यही है. इसी से वह हम को फल ा त कराता है. जो द णा से का शत अज का पंचौदन के प म दान करता है, वह अज दानकता को अ के साथ बल दान करता है. (२४) प च मा प च नवा न व ा प चा मै धेनवः काम घा भव त. यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (२५) जो द णा से का शत होते ए अज को पंचौदन के प म दान करता है, उस को पांच वण मु ाएं, पांच नवीन व और इ छानुसार ध दे ने वाली पांच गाएं ा त होती ह. (२५) प च मा यो तर मै भव त वम वासां स त वे भव त. वग लोकम ुते यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (२६) जो द णा से का शत अज को पंचौदन के प म दान करता है, वह वगलोक का भोग करता है. उसे चमकती ई पांच वण मु ाएं तथा शरीर पर व और कवच ा त होते ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह. (२६) या पूव प त व वाथा यं व दते ऽ परम्. प चौदनं च तावजं ददातो न व योषतः.. (२७) जो ी पूव प त को वा दान के प म जान कर भी अ य पु ष को ा त कर लेती है, वे दोन पंचौदन के प म अज का दान करने से कभी अलग नह होते. (२७) समानलोको भव त पुनभुव ऽ परः प तः. यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (२८) जो द णा से का शत अज को पंचौदन के साथ समान लोक म नवास करता है. (२८)
प म दान करता है, वह पुन ववा हता के
अनुपूवव सां धेनुमनड् वाहमुपबहणम्. वासो हर यं द वा ते य त दवमु माम्.. (२९) जो वण के तार से कढ़े ए व स हत उपबहण अथात् गभाधान समथ बैल और तवष बछड़ा दे ने वाली गाय का दान करते ह, वे उ म वग म जाते ह. (२९) आ मानं पतरं पु ं पौ ं पतामहम्. जायां ज न मातरं ये या तानुप ये.. (३०) म अपनेआप को, पता को, पु को, पौ को, बाबा को, प नी तथा ज म दे ने वाली माता को एवं सम त यजन को बुलाता ं. (३०) यो वै नैदाघं नामतु वेद. एष वै नैदाघो नामतुयदजः प चौदनः. नरेवा य य ातृ य यं दह त भव या मना. यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (३१) के के
जो नैदाघ अथात् ी म नाम क ऋतु को जानता है, वह कहता है—“यह जो पंचौदन प वाला अज है, वही नैदाघ नामक ऋतु है. जो द णा से काश यु अज को पंचौदन प म दान करता है, वह अ य श ु एवं बांधव के ऐ य को छ न लेता है.” (३१) यो वै कुव तं नामतु वेद. कुवत कुवतीमेवा य य एष वै कुव ामतुयदजः प नरेवा य य ातृ य यो ३ जं प चौदनं द णा
ातृ य यमा द े. चौदनः. यं दह त भव या मना. यो तषं ददा त.. (३२)
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जो कुवती नामक ऋतु को न त प से जानता है, वह कुवती का ान करता आ भी अ य श ु तथा बांधव के ऐ य को छ न लेता है. यह जो कुवती नाम क ऋतु है, वह पंचौदन प अज ही है. यह जानने वाला अपने अ य श ु एवं बांधव के ऐ य को अपनी श से जला डालता है तथा द णा से का शत होते ए अज को पंचौदन के प म दान करता है. (३२) यो वै संय तं नामतु वेद. संयत संयतीमेवा य य ातृ एष वै संय ामतुयदजः प चौदनः. नरेवा य य ातृ य यं दह त भव या मना. यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (३३)
य
यमा द े.
जो संयंती नामक ऋतु को न त प से जानता है, वह समझता है क यह पंचौदन प अज है, वही संयंती नाम क ऋतु है. जो द णा से का शत अज को पंचौदन के प म दान करता है, वह अपने अ य व तु तथा बांधव के ऐ य को अपने बल से जला दे ता है. (३३) यो वै प व तं नामतु वेद. प वत प वतीमेवा य य ातृ य यमा द े. एष वै प व ामतुयदजः प चौदनः. नरेवा य य ातृ य यं दह त भव या मना. यो३जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (३४) जो प वंती नाम क ऋतु को जानता है, वह प वंती को जानता आ ही अ य श ु एवं बांधव के ऐ य को हण करता है. यह जो पंचौदन प अज है, यही प वंती नाम क ऋतु है. जो पु ष द णा से का शत अज को पंचौदन के प म दे ता है, वह अपने अ य श ु एवं बांधव के ऐ य को अपनी श से जला दे ता है. (३४) यो वा उ तं नामतु वेद. उ तीमु तीमेवा य य ातृ य यमा द े. एष वा उ ामतुयदजः प चौदनः. नरेवा य य ातृ य यं दह त भव या मना. यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (३५) जो उ ंती नाम क ऋतु को जानता है, वह अपने अ य श ु और बांधव क संप को हण करता है. वह समझता है क यह पंचौदन प अज ही उ ंती नाम क ऋतु है. जो द णा से का शत अज को पंचौदन के प म दे ता है, वह अपने अ य श ु एवं बांधव के ऐ य को अपने तेज से जला डालता है. (३५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो वा अ भभुवं नामतु वेद. अ भभव तीम भभव तीमेवा य य ातृ य यमा द े. एष वा अ भभूनामतुयदजः प चौदनः. नरेवा य य ातृ य यं दह त भव या मना. यो ३ जं प चौदनं द णा यो तषं ददा त.. (३६) जो अ भभवंती नाम क ऋतु को जानता है, वह अ भभवंती ऋतु को जानता आ ही अपने अ य श ु एवं बांधव के ऐ य को छ न लेता है. यह अ भभू नाम क ऋतु ही पंचौदन प अज है. जो द णा से का शत पंचौदन प अज का दान करता है, वह अपने अ य श ु और बांधव के ऐ य को अपने तेज से जला दे ता है. (३६) अजं च पचत प च चौदनान्. सवा दशः संमनसः स ीचीः सा तदशाः पंचौदन प अज को पकाओ. अंत दशा स हत उसे हण करे. (३७) ता ते र
त गृहण ् तु त एतम्.. (३७) के स हत दशाएं एकमत हो कर अंतदश
तु तव तु यमेतं ता य आ यं ह व रदं जुहो म.. (३८)
वे सभी दशाएं मेरे य क र ा कर. उन के लए म यह ह व दे ता ं. (३८)
दे वता—अ त थ, व ा
सू -६ यो व ाद् जो को अनू य ह. (१)
य ं प ं ष य य संभारा ऋचो य यानू यम्.. (१) य
प म जानता है, उस क गांठ ही संभार ह तथा ऋचाएं उस का
सामा न य य लोमा न यजु दयमु यते प र तरण म सामवेद के मं
वः.. (२)
जस के रोम ह और प र तरण जस का ह व है. (२)
यद् वा अ त थप तर तथीन्
तप य त दे वयजनं े ते.. (३)
अथवा जो अ त थय का वामी और अ त थय को दे खता है, वह दे व य दे खता है. (३) यद भवद त द ामुपै त य दकं याच यपः
णय त.. (४)
अ त थ से जो बोलता है, वही द ा है. जल क याचना ही उस को लाना है. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को ही
या एव य आपः णीय ते ता एव ताः.. (५) ज ह य म लाया जाता है, ये वे ही जल ह. (५) यत् तपणमाहर त य एवा नीषोमीयः पशुब यते स एव सः.. (६) जो तपण को लाते ह, वही अ न सोमीय तपण है. जो य म पशु का वध कया जाता है, वही वह है. (६) यदावसथान् क पय त सदोह वधाना येव तत् क पय त.. (७) जो टखन क क पना करता है, वही मानो ह व धा य का नमाण है. (७) य प तृण त ब हरेव तत्.. (८) ज ह उप तरण कहते ह, वे ही कुश ह. (८) य प रशयनमाहर त वगमेव तेन लोकमव
े .. (९)
जो उप रशयन का आहरण करते ह, उस से वगलोक का उद्घाटन करते ह. (९) यत् क शपूपबहणमाहर त प रधय एव ते.. (१०) जो क शपु उपबहण को लाते ह, वे ही य क प र धयां ह. (१०) यदा
ना य
नमाहर या यमेव तत्.. (११)
जो क शपु उपबृंहण लाते ह, वे ही आ य ह. (११) यत् पुरा प रवेषात् खादमाहर त पुरोडाशावेव तौ.. (१२) जो सामने परोसने के लए खा पदाथ लाते ह, वे ही पुरोडाश ह. (१२) यदशनकृतं
य त ह व कृतमेव तद् वय त.. (१३)
भोजन के हेतु जो आमं त करते ह, वही ह व वीकार करने के लए आ ान है. (१३) ये ीहयो यवा न य त ऽ शव एव ते.. (१४) जो धान और जौ न
पत कए जाते ह, वे ही सोम ह. (१४)
या युलूखलमुसला न ावाण एव ते.. (१५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो उलूखल अथात् ओखली और मूसल ह, वे ही प थर है. (१५) शूप प व ं तुषा ऋजीषा भषवणीरापः.. (१६) सूप ही प व छ ा है, भू म ऋजीषा है और अ भषवणी ही जल है. (१६) ु ् द वन णमायवनं ोणकलशाः कु यो वाय ा न ग पा ाणीयमेव कृ णा जनम्.. (१७) वाय
ु ा ही दव अथात करछु ली ह, शु करना ही आयवन है, ोण कलश ही घड़ा है, व पा ही कृ णा जन अथात् काले मृग का चम है. (१७)
दे वता—अ त थ, व ा
सू -७ यजमान ा णं वा एतद त थप तः कु ते यदाहाया ण े त इदं भूया ३ इदा ३ म त.. (१)
जो यजमान को अथवा ा ण को अ त थ प त अथात् अ त थ का पालन करने वाला बनता है, वह आहाय अथात् य संबध ं ी को दे खता आ कहता है क यह होना चा हए. (१) यदाह भूय उ रे त ाणमेव तेन वष यांसं कु ते.. (२) जो अ त थ से बारबार भोजन करने क बात कहता है, वह ाण श है. (२)
क वृ
करता
उप हर त हव या सादय त.. (३) जो अ त थ के लए भोजन लाता है, वह ह व ा त करता है. (३) तेषामास ानाम त थरा मन्जुहो त.. (४) अ त थ उन परोसे ए भो य पदाथ का आ मा म ही हवन करता है. (४) ुचा ह तेन ाणे यूपे ु कारेण वषट् कारेण.. (५) अ त थ का हाथ ुवा, उस के ाण तूप अथात् य ीय पशु को बांधने का खंभा और खाते समय चटखारे लेना ही वषट् श द है. (५) एते वै
या ा या
वजः वग लोकं गमय त यद तथयः.. (६)
अ त थ ही वे य अथवा अ य अ त थ ह, जो यजमान को वगलोक म भेजते ह. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(६) स य एवं व ान् न ष ीया षतो ऽ म ीया मीमां सत य न मीमांसमान य.. (७) जस के वषय म वचार कर चुका हो, अ त थ उस का अ खाए, जस के वषय म वचार चल रहा हो, उस का अ न खाए. (७) सव वा एष ज धपा मा य या ं ना
त.. (८)
अ त थ जस का अ खाता है, उस के सभी पाप को भी खाता है. (८) सव वा एषो ऽ ज धपा मा य या ं ना
त.. (९)
अ त थ जस का अ नह खाता है, उस के पाप को भी नह खाता है. (९) सवदा वा एष यु (१०)
ावा प व ो वतता वर आ तय
तुय उपहर त..
जो यजमान अ त थय को अ दे ता रहता है, वह ावा अथात् सोमलता कूटने वाले प थर से गीले य का कता और उस य को पूण करने वाला होता है. (१०) ाजाप यो वा एत य य ो वततो य उपहर त.. (११) अ त थ के न म अ दे ना ाजाप य य है. (११) जापतेवा एष व माननु व मते य उपहर त.. (१२) (१२)
जो अ त थ के न म
भोजन लाता है, वह जाप त के समान ही परा म करता है.
योऽ तथीनां स आहवनीयो यो वे म न स गाहप यो य मन् पच त स द णा नः.. (१३) अ त थय को बुलाना आ नीय अ न है, अपने घर म उ ह भोजन कराना गाहप य अ न है और जस पा म अ त थ के लए भोजन पकाया जाता है, वह द ा न है. (१३)
सू -८
दे वता—अ त थ, व ा
इ ं च वा एष पूत च गृहाणाम ा त यः पूव ऽ तथेर ा त.. (१) जो अ त थ से पहले भोजन कर लेता है, वह अपने म होने वाले इ ापूत कम का फल ******ebook converter DEMO Watermarks*******
खा लेता है. सं या आ द न य कम इ और कसी योजन से कए जाने वाले य आ द कम आपूत कहलाते ह. (१) पय वा एष रसं च गृहाणाम ा त यः पूव ऽ तथेर ा त.. (२) जो अ त थय से पहले भोजन करता है, वह अपने घर के ध और रस को न करता है. (२) ऊजा च वा एष फा त च गृहाणाम ा त यः पूव ऽ तथेर ा त.. (३) जो अ त थ से पहले भोजन कर लेता है, वह अपने घर के बल और समृ नाश करता है. (३)
का
जां च वा एष पशूं गृहाणाम ा त यः पूव ऽ तथेर ा त.. (४) जो अ त थ से पहले भोजन करता है, वह अपने घर क संतान और पशु करता है. (४)
का भ ण
क त च वा एष यश गृहाणाम ा त यः पूव ऽ तथेर ा त.. (५) जो अ त थ से पूव भोजन करता है, वह अपने घर क क त और यश को समा त करता है. (५) यं च वा एष सं वदं च गृहाणाम ा त यः पूव ऽ तथेर ा त.. (६) जो अ त थ से पूव भोजन करता है, वह अपने घर क करता है. (६) एष वा अ त थय
ी और सौमन य का वनाश
ो य त मात् पूव ना ीयात्.. (७)
ो य ा ण ही वा तव म अ त थ है. यजमान को चा हए क उस से पूव भोजन नह करे. (७) अ शताव य तथाव ीयाद् य तम्.. (८)
य सा म वाय य
या व छे दाय तद्
अ त थ के भोजन कर लेने पर ही यजमान भोजन करे. य व छे द न होने के लए ही यह त है. (८)
के नवाह एवं य
एतद् वा उ वाद यो यद धगवं ीरं वा मांसं वा तदे व ना ीयात्.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का
(९)
चाहे जतना वा द हो, पर यजमान को गाय का ध और मांस नह खाना चा हए.
दे वता—अ त थ, व ा
सू -९ स य एवं व ान् ीरमुप स योपहर त.. (१)
जो इस बात को जानता है, वह ध का उपसेचन कर के अ त थ के लए भोजन लाता है. (१) यावद न ोमेने ् वा सुसमृ े नाव
े तावदे नेनाव
यजमान अ न ोम य के ारा वग म जतना समृ ही अ त थ सेवा के ारा ा त कर सकता है. (२)
े .. (२) पूण थान पा सकता है, उतना
स य एवं व ा स प प स योपहर त.. (३) इस का ाता घी का उपसेचन कर के अ त थ के लए भोजन लाता है. (३) यावद तरा ेणे ् वा सुसमृ े नाव
े तावदे नेनाव
अ तरा य के ारा यजमान वग म जतना समृ उतना ही अ त थ सेवा के ारा ा त करता है. (४)
े .. (४) पूण पद ा त कर सकता है,
स य एवं व ान् मधूप स योपहर त.. (५) जो इस बात को जानता है, वह मधुर शहद का उपसेचन कर के अ त थ के लए भोजन लाता है. (५) यावत् स स ेने ् वा सुसमृ े नाव
े तावदे नेनाव
यजमान स य कर के वग म जो समृ सेवा के ारा पाया जा सकता है. (६)
े .. (६)
पूण थान ा त करता है, उसे अ त थ क
स य एवं व ान् मांसमुप स योपहर त.. (७) जो इस बात को जानता है, वह मांस का उपसेचन कर के अ त थ के लए भोजन लाता है. (७) यावद् ादशाहेने ् वा सुसमृ े नाव
े तावदे नेनाव
े .. (८)
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यजमान बारह दन तक चलने वाले य के ारा वग म जतना समृ पाता है, वही अ त थ क सेवा के ारा पा सकता है. (८)
पूण थान
स य एवं व ानुदकमुप स योपहर त.. (९) जो इस बात को जानता है, वह जल का उपसेचन कर के अ त थ के लए भोजन लाता है. (९) जानां जननाय ग छ त त ां यः जानां भव त य एवं व ानुदकमुप स योपहर त.. (१०) जो इस बात को जानता है और जल का उपसेचन कर के अ त थ के हेतु भोजन लाता है, वह संतान को ज म दे ने क मता ा त करता है, त ा पाता है और जा का य बनता है. (१०)
दे वता—अ त थ, व ा
सू -१० त मा उषा हङ् कृणो त स वता
तौ त.. (१)
उषा उस के लए ंकार करती है और सूय उस क तु त करता है. (१) बृह प त जयोद् गाय त व ा पु (२)
ा
त हर त व े दे वा नधनम्..
अ के रस से उ प ऊजा से बृह प त उदगायन करते ह, व ा पु और व े दे व पूणता दान करते ह. (२)
दान करते ह
नधनं भू याः जायाः पशूनां भव त य एवं वेद.. (३) जो इस बात को जानता है, वह सेवक , संतान और पशु करता है. (३) त मा उ
सूय हङ् कृणो त संगवः
के पालन क पूणता ा त
तौ त.. (४)
उदय होते ए सूय उस के लए ंकार करते ह और करण वाले सूय उस क करते ह. (४)
शंसा
म य दन उद्गाय यपरा ः त हर य तंयन् नधनम्. नधनं भू याः जायाः पशूनां भव त य एवं वेद.. (५) सूय मा यं दन अथात् दोपहर के समय उस क
शंसा करते ह और दोपहर के बाद उस
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क मृ यु का वनाश करते ह. जो इस बात को जानता है, वह समृ पशु को ा त करता है. (५) त मा अ ो भवन् हङ् कृणो त तनयन्
क
जा
और
तौ त.. (६)
उ प होने वाला बादल उस के लए ंकार करता है और गजन करता आ उस क शंसा करता है. (६) व ोतमानः त हर त वष ुदगाय ् युदगृ ् न् नधनम्. नधनं भू याः जायाः पशूनां भव त य एवं वेद.. (७) बादल दमकता आ उस का तहार करता है, बरसता आ उद्गान करता है तथा उद् हण करता आ उसे पूणता दान करता है. जो इस कार जानता है, वह जा और पशु क संप ता ा त करता है. (७) अ तथीन् त प यत याच युदगाय ् त.. (८)
हङ् कृणो य भ
वद त
तौ युदकं
वह अ त थय को दे खता है तो उ ह बुलाता है, अ भवादन करता है, जल है और उन क शंसा करता है. (८) उप हर त
तुत करता
त हर यु छ ं नधनम्.. (९)
वह अशेष पूणता का उपहार और
तहार करता है. (९)
नधनं भू याः जायाः पशूनां भव त य एवं वेद.. (१०) जो इस कार जानता है, वह जा और पशु ा त करता है. (१०)
जो है. (१)
क अं तम अव था को
दे वता—अ त थ, व ा
सू -११ यत्
क समृ
ारं
य या ावय येव तत्.. (१)
ा अथात् इ छत काय करने वाले का आ ान करता है, वह ु त को ही सुनाता
यत्
तशृणो त
या ावय येव तत्.. (२)
जो
त ा करता है, वही ु त को सुनाने का आ ह करता है. (२)
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यत् प रवे ारः पा ह ताः पूव चापरे च प ते चमसा वयव एव ते.. (३) हाथ म पा ह. (३)
लए जो परोसने वाले आगेपीछे चलते ह, वे ही य के चमस और अ वयु
तेषा नं क नाहोता.. (४) उन अ त थय म कोई भी ऐसा नह है जो होता अथात् हवन करने वाला न हो. (४) यद् वा अ त थप तर तथीन् प र व य गृहानुणेदै यवभृथमेव त पावै त.. (५) जो अ त थ स कार कता अ त थय को भोजन परोस कर घर म आता है, वह य के प ात होने वाले अवभृथ नान का फल ा त करता है. (५) यत् सभागय त द णाः सभागय त यदनु त त उदव य येव तत्.. (६) जो यजमान भो य पदाथ को अलगअलग करता अनु ान करता है, वह उदवास करता है. (६)
आ तथा द णा दे ता
स उप तः पृ थ ां भ य युप त त मन् यत् पृ थ ां व
आ
पम्.. (७)
वह बुला कर पृ वी के सम त ा णय को भोजन कराता है, उस अ त थ स कार म मानो व प ही बुलाए जाते ह. (७) स उप तो ऽ त र े भ य युप त त मन् यद त र े व वह बुलाने पर वग म भोजन करता है. अंत र बुलाया जाता है. (८)
म जो व
स उप तो द व भ य युप त त मन् यद् द व व
प है, वह उस के यहां
पम्.. (९)
वह बुलाए जाने पर वग म भ ण करता है. वग म जो व जाता है. (९) स उप तो दे वेषु भ य युप त त मन् यद् दे वेषु व
पम्.. (८)
प है, उस म वह बुलाया
पम्.. (१०)
वह बुलाए जाने पर दे व के म य भोजन करता है. दे व म जो व बुलाया जाता है. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प है, उस म वह
स उप तो लोकेषु भ य युप त त मन् य लोकेषु व
पम्.. (११)
वह बुलाया गया लोक म भोजन करता है. लोक म जो व जाता है. (११)
प है, उस म वह बुलाया
स उप त उप तः.. (१२) वह इस लोक और परलोक दोन म आदर से बुलाया जाता है. (१२) आ ोतीमं लोकमा ो यमुम्.. (१३) वह इस लोक को और परलोक को ा त करता है. (१३) यो त मतो लोकान्जय त य एवं वेद.. (१४) जो इस बात को जानता है, वह यो तमय लोक को जीतता है. (१४)
दे वता—गौ
सू -१२
जाप त परमे ी च शृ े इ ः शरो अ नललाटं यमः कृकाटम्.. (१) इस गाय के दोन स ग जाप त और परमे ी ह. इं ही इस का सर, अ न ललाट और यम कृकाट अथात् गले के नीचे लटकता आ भाग है. (१) सोमो राजा म त को ौ
रहनुः पृ थ धरहनुः.. (२)
सोम राजा गाय का म तक है, भाग है. (२)
ौ ऊपर क ठोड़ी और धरती ठोड़ी का ऊपर वाला
व ु ज ा म तो द ता रेवती वाः कृ का क धा घम वहः.. (३) बजली गाय क जीभ, म द्गण, दांत, रेवती न धम र का वाह है. (३)
गरदन, कृ का न
कंधा और
व ं वायुः वग लोकः कृ ण ं वधरणी नवे यः.. (४) व वायु, वगलोक तथा कृ णा येनः (५)
वधरणी (धारक श
) नवे य (पृ भाग) है. (४)
ोडो ३ त र ं पाज यं १ बृह प तः ककुद् बृहतीः क कसाः..
येन गाय का
ोड अथात् कोख अथवा बगल, अंत र
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पाज य (उदर), बृह प त
ककुद, अथात् ठाट तथा बृहती छं द ह ड् डयां ह. (५) दे वानां प नीः पृ य उपसदः पशवः.. (६) दे व क प नयां गाय क पस लयां ह और उपसद उस क कोख ह. (६) म
व ण ांसौ व ा चायमा च दोषणी महादे वो बा .. (७)
म और व ण गाय के कंधे ह, व ा तथा अयमा गाय क भुजाएं अथात् अगले पैर ह तथा महादे व बा ह. (७) इ ाणी भसद् वायुः पु छं पवमानो बालाः.. (८) इं ाणी गाय क कमर है. वायु पूंछ है और पवमान बाल ह. (८) च
ं च ोणी बलमू .. (९)
ा ण और
य गाय के नतंब ह तथा बल उस क जंघाएं ह. (९)
धाता च स वता चा ीव तौ जङ् घा ग धवा अ सरसः कु का अ द तः शफाः.. (१०) धाता और स वता गाय के ह ठ, गंधव जंघाएं, अ सराएं कोख और अ द त शफ अथात् खुर ह. (१०) चेतो दयं यकृ मेधा तं पुरीतत्.. (११) चेत गाय का दय, यकृत अथात् जगर मेधा अथात् बु नाड़ी है. (११) ुत् कु
है तथा त पुरीतत (आंत)
ररा व न ु ः पवताः लाशयः.. (१२)
पवत बैल क ला श (छोट आंत) है, इरा उस क बड़ी आंत है और भूख के अ भमानी दे वता इस क कोख ह. (१२) ोधो वृ कौ म युरा डौ जा शेपः.. (१३) ोध इस के गुरदे ह, म यु इस के अंडकोष ह और जा इस का जननांग है. (१३) नद सू ी वष य पतय तना तन य नु धः.. (१४) नद इस गाय का मू , वष के वामी इस के थन और मेघगजन इस का एन है. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व
चा म षधयो लोमा न न
ाण
पम्.. (१५)
व
चा इस का चम है, जड़ीबू टयां इस के लोम ह तथा न
इस का
प है. (१५)
दे वजना गुदा मनु या आ ा य ा उदरम्.. (१६) दे वजन इस क गुदा, मनु य आंत तथा अ उदर है. (१६) र ां स लो हत मतरजना ऊब यम्.. (१७) रा स इस के लो हत अथात र
और अ य जन इस के ऊव य ह. (१७)
अ ं पीबो म जा नधनम्.. (१८) बादल इस का मोटापा है तथा नधन म जा अथात् चरबी है. (१८) अ नरासीन उ थतो ऽ अ न इस क बैठ
ना.. (१९)
ई दशा और दोन अ नीकुमार इस क उठ
ई दशा ह. (१९)
इ ः ाङ् त न् द णा त न् यमः.. (२०) इं इस का पूव दशा म तथा यम इस का द ण दशा म ठहरना है. (२०) यङ् त न् धातोदङ् त
स वता.. (२१)
पूव दशा म गाय का ठहरना इं तथा द ण दशा म ठहरी ई गाय यम है. (२१) तृणा न ा तः सोमो राजा.. (२२) प म दशा म ठहरी ई गाय और उ र दशा म ठहरी ई गाय स वता ह. (२२) म ई माण आवृ आनंदः.. (२३) गाय को घास के तनक क
ा त सोम राजा है. (२३)
यु यमानो वै दे वो यु ः जाप त वमु ः सवम्.. (२४) गाय का दे खना म और लौटना आनंद है. (२४) एतद् वै व
पं सव पं गो पम्.. (२५)
व का यह
प ही गाय का
प है. (२५)
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उपैनं व
पाः सव पाः पशव त
त य एवं वेद.. (२६)
जो इस बात को जानता है, वह सारे संसार के सभी है. (२६)
प वाले पशु
दे वता—सव रीकरण
सू -१३
का वामी बनता
शीषामय
शीष शीषामयं कणशूलं वलो हतम्. सव शीष यं ते रोगं ब ह नम यामहे.. (१) हम तेरे शीश के रोग अथात् शीष से र करते ह. (१)
, शीषामय और कण शूल तथा वलो हत को तुझ
कणा यां ते कङ् कूषे यः कणशूलं वस पकम्. सव शीष यं ते रोगं ब ह नम यामहे.. (२) म तेरे कान से तथा कान के गड् ढ से कणशूल अथात् कान के दद को तथा वस पक ( वशेष क दे ने वाले)को र करता ं. इस कार म तेरे शीश संबध ं ी सभी रोग को र करता ं. (२) य य हेतोः यवते य मः कणत आ यतः. सव शीष यं ते रोगं ब ह नम यामहे.. (३) जस सर रोग के कारण य मा रोग, कान और मुख से काश म आता है, हम तेरे उस सर रोग को पूणतया बाहर नकालते ह. (३) यः कृणो त मोतम धं कृणो त पू षम्. सव शीष यं ते रोगं ब ह नम यामहे.. (४) जो रोग पु ष को श हीन बनाता है और अंधा कर दे ता है, तेरे उन सभी शीश संबंधी रोग को म तुझ से बाहर नकालता ं. (४) अ भेदम वरं व ा यं वस पकम्. सव शीष यं ते रोगं ब ह नम यामहे.. (५) अंग भेद, अंग वर, व ां य एवं वस पक—ये सभी शीश संबंधी रोग ह. हम इ ह पूण प से तुझ से र करते ह. (५) य य भीमः तीकाश उ े पय त पू षम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त मानं व शारदं ब ह नम यामहे.. (६) जस का भयानक आवेश मनु य को कं पत कर दे ता है, शरद ऋतु म होने वाले उस वर को हम तुझ से पूण प से र करते ह. (६) य उ अनुसप यथो ए त गवी नके. य मं ते अ तर े यो ब ह नम यामहे.. (७) जो गवी नका नाम क ना ड़य म तथा जंघा अंतरंग अंग से बाहर नकालते ह. (७)
म घूमता है, उस य मा रोग को हम तेरे
य द कामादपकामाद्धृदया जायते प र. दो बलासम े यो ब ह नम यामहे.. (८) दय क श कम करने वाला जो रोग काम के वश म होने अथवा न होने से उ प होता है, उस बलास (कफ) रोग को हम तेरे अंग से बाहर नकालते ह. (८) ह रमाणं ते अ े यो ब ह नम यामहे.. (९)
ऽ
वाम तरोदरात्.
य मोधाम तरा मनो
हम तेरे अंग से ह रमा (र हीनता) रोग को, तेरे उदर से अ वा (जलोदर) रोग को तथा तेरी अंतरा मा से य मा रोग को पूणतया बाहर नकालते ह. (९) आसो बलासो भवतु मू ं भव वामयत्. य माणां सवषां वषं नरवोचमहं वत्.. (१०) बलास रोग न हो तथा मू रोग समा त हो. सभी रोग का वष य मा रोग है, उसे म तुझ से र करता ं. (१०) ब ह बलं न वतु काहाबाहं तवोदरात्. य माणां सवषां वष नरवोचमहं वत्.. (११) काहावाह नामक (फड़फड़ाने वाला) रोग तेरे पेट से बाहर नकल जाए. म सभी कार के य मा रोग के वष को तुझ से बाहर करता ं. (११) उदरात् ते लो नो ना या दयाद ध. य माणां सवषां वषं नरवोचमहं वत्.. (१२) हम तेरे उदर से, लोम से, ना भ से और दय से य मा रोग को बाहर नकालते ह जो सभी वष का वष है. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
याः सीमानं व ज त मूधानं यषणीः. अ हस तीरनामया न व तु ब ह बलम्.. (१३) जो अंडकोष को पी ड़त करने वाली एवं म तक का नमाण करने वाली ह ड् डयां वकार र हत ह, वे तेरे शरीर का याग न कर. (१३) या दयमुपष यनुत व त क कसाः. अ हस तीरनामया न व तु ब ह बलम्.. (१४) क कस नाम क जो अ थयां दय के ऊपरी और नचले भाग म फैली ई ह, वे रोग र हत अ थयां हसा न करती ई तु हारे शरीर से बाहर न जाएं. (१४) याः पा उपष यनु न त पृ ीः. अ हस तीरनामया न व तु ब ह बलम्.. (१५) जो अ थयां दोन पस लय क ओर जाती ह तथा पीठ वाले भाग को सश ह, वे रोगर हत रहती ई तु हारे शरीर का याग न कर. (१५)
बनाती
या तर ी पष यषणीव णासु ते. अ हस तीरनामया न व तु ब ह बलम्.. (१६) जो अ थयां तरछ थत ह एवं व णा (पेड और जांघ के बीच के भाग) से संबं धत ह, वे तु ह हा न न प ंचाती ई एवं नीरोग रहती ई तु हारे शरीर का याग न कर. (१६) या गुदा अनुसप या ा ण मोहय त च. अ हस तीरनामया न व तु ब ह बलम्.. (१७) गुदा के पीछे फैली एवं आंत को सहारा दे ने वाली जो अ थयां ह, वे रोग र हत रहती ई तथा तु ह हा न न प ंचाती ई तु हारे शरीर का याग न कर. (१७) या म ो नधय त प ं ष व ज त च. अ हस तीरनामया न व तु ब ह बलम्.. (१८) जो अ थयां गांठ का नमाण करती ह तथा जो म जा अथात् चब से न ध होती ह, वे तु ह हा न न प ंचाती ई और नीरोग रहती ई तु हारे शरीर का याग न कर. (१८) ये अ ा न मदय त य मासो रोपणा तव. य माणां सवषां वषं नरवोचमहं वत्.. (१९) म ने तुझे वे सभी ओष धयां बता द ह जो अंग को व थ बनाती ह एवं य मा रोग को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समा त करती ह. म ने य मा रोग के सम त वष का नवारण करने वाली ओष धयां भी तुझे बता द ह. (१९) वस प य व ध य वातीकार य वालजेः. य माणां सवषां वषं नरवोचमहं वत्.. (२०) म तेरे लए वस प (पीड़ा), व (सूजन), वातीकार एवं वाल ज (सं ध) नामक सम त य मा रोग के वषय को न करने वाले मं का उ चारण कर चुका ं. (२०) पादा यां ते जानु यां ो ण यां प र भंससः. अनूकादषणी णहा यः शी ण रोगमनीनशम्.. (२१) म ने तेरी जंघा , पैर , घुटन , अनूक, उ णहा एवं शीश संबंधी सम त रोग का वनाश कर दया है. (२१) सं ते शी णः कपाला न दय य च यो वधुः. उ ा द य र म भः शी ण रोगमनीनशो ऽ भेदमशीशमः.. (२२) तेरे शीश पर काशमान सूय ने अपनी करण के ारा तेरे सभी रोग समा त कर दए ह. तेरे शीश म और दय म जो अंग संबंधी बलता थी, उसे चं मा ने समा त कर दया है. (२२)
सू -१४
दे वता—आ द य, अ या म
अ य वाम य प लत य होतु त य ाता म यमो अ य ः. तृतीयो ाता घृतपृ ो अ या ाप यं व प त स तपु म्.. (१) आ ान करने यो य सूय तु त कता का पालन करते ह. उन सूय के म यम ाता वायु दे व ह जो आकाश म जल ले जाते ह. इन सूय दे व के तीसरे ाता अ न ह. इस कार म सूय को ही मुख एवं आ यजनक समझता ं. (१) स त यु त रथमेकच मेको अ ो वह त स तनामा. ना भ च मजरमनव य ेमा व ा भुवना ध त थुः.. (२) सूय के एक प हए वाले रथ म सात करण जुड़ जाती ह जो सरकने वाली ह एवं अ य यो तय को परा जत करने वाली ह. सात ऋ षय ारा नम कार करने यो य उन सूय के रथ को एक घोड़ा ख चता है. सूय के रथ के प हए म ी म, वषा एवं शीत ऋतु पी तीन ना भयां ह. यह जजर न होने वाला प हया सदै व घूमता रहता है. सूय के ारा काल नधारण म ही सम त व आ त है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इमं रथम ध ये स त त थुः स तच ं स त वह य ाः. स त वसारो अ भ सं नव त य गवां न हता स त नामा.. (३) सूय के सात प हय वाले रथ को सात घोड़े ख चते ह. सात ऋ ष इस रथ के समीप खड़े रहते ह. सात बहन सूय क तु त करती ह. करण पी सात गाएं सूय के रथ से संबं धत ह, जो इसे रस यु बनाती ह. (३) को ददश थमं जायमानम थ व तं यदन था बभ त. भू या असुरसृगा मा व वत् को व ांसमुप गात् ु मेतत्.. (४) सव थम उ प होने वाले अ थर हत को कस ने दे खा था जो सम त व को धारण करता है? भू म को ाणवंत करने वाले जल क आ मा कहां थत है? इस बात को पूछने के लए व ान् के समीप कौन गया था? (४) इह वीतु य ईम वेदा य वाम य न हतं पदं वेः. शी णः ीरं ते गावो अ य व वसाना उदकं पदा ऽ पुः.. (५) इन सूय के वषय म जो जानता हो, वह बताए क इन के चरण आकाश म कहां थत ह? गाएं इ ह सूय के मंडल म ध हाती ह तथा वे गाएं इ ह सूय क करण के ारा जल पीती ह. (५) पाकः पृ छा म मनस ऽ वजानन् दे वानामेना न हता पदा न. व से ब कये ऽ ध स त त तून् व त नरे कवय ओतवा उ.. (६) सूय के प को पूण प से न जानता आ म अपने मन से पूछता ं क सम त दे व के र ासाधन इन सूय म ही न हत ह. व ान ने सूय दे व के व तार के हेतु सात तंतु था पत कर दए ह. (६) अ च क वां कतुष द कवीन् पृ छा म व नो न व ान्. व य त त भ ष डमा रजां यज य पे कम प वदे कम्.. (७) अ ानी म व ान और ा नय से पूछता ं क जस ने छः रजोगुणी त व को तं भत कया है, वह अज मा या एक ही है? म संदेह म पड़ा ं. और संदेहर हत जन से अपना संदेह नवारण करना चाहता ं. (७) माता पतरमृत आ बभाज धी य े मनसा सं ह ज मे. सा बीभ सुगभरसा न व ा नम व त इ पवाकमीयुः.. (८) सूय के ज म लेते समय ही उन क माता उन के पता क सेवा करती है. इस के फल व प वह बु और मन से यु हो जाती है एवं गभ पी रस से नबद्ध हो जाती है. ह व ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का अ
लए ए मनु य इस कथा के समीप प ंच जाते ह. (८)
यु ा मातासीद् धु रद णाया अ त द् गभ वृजनी व तः. अमीमेद ् व सो अनु गामप यद् व यं षु योजनेषु.. (९) माता द ण दशा म थत ई. इस के प ात बलवती ना रय म गभ था पत आ. ज म लेने के प ात बछड़ा गाय क ओर दे खता आ रंभाने लगा. व प तीन योजन म ा त आ. (९) त ो मातॄ ीन् पतॄन् ब दे क ऊ व त थौ नेमव लापय त. म य ते दवो अमु य पृ े व वदो वाचम व व ाम्.. (१०) तीन माता और तीन पता को धारण करता आ सूय इन के म य म थत है. व का ान रखने वाले आकाश के पृ पर यही वाणी बोलते ह, जसे सरे लोग नह सुन पाते. (१०) प चारे च े प रवतमाने य म ात तुभुवना न व ा. त य ना त यते भू रभारः सनादे व न छ ते सना भः.. (११) पांच अर वाला प हया चलता है. उस म सम त भुवन थत ह. उस के अ धक भार को सहने वाली धुरी वयं था पत नह होती. वह धुरी पी ना भ पुरानी होने पर टू टती नह है. (११) प चपादं पतरं ादशाकृ त दव आ ः परे अध पुरी षणम्. अथेमे अ य उपरे वच णे स तच े षडर आ र पतम्.. (१२) बारह आकृ तय अथात् बारह मास और पांच चरण अथात् ऋतु वाले पता अथात् सूय को वग के ऊपरी भाग म सोने वाला कहा गया है. अ य चतुर जन इस म सात प हय और छः अर को थत बताते ह. (१२) ादशारं न ह त जराय वव त च ं प र ामृत य. आ पु ा अ ने मथुनासो अ स त शता न वश त त थुः.. (१३) बारह अर वाला प हया अथात् सूय वयं ग त करता आ भी जीण नह होता है. हे अ न! सात सौ बीस युगल अथात् तीन सौ साठ दन और रात के जोड़े उस के पु पम थत ह. (१३) सने म च मजरं व वावृत उ ानायां दश यु ा वह त. सूय य च ू रजसै यावृतं य म ात थुभुवना न व ा.. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कभी ाचीन न होने वाला बारह मास पी अर से यु सूय पी प हया सदै व चलता रहता है. दस घोड़े उस प हए को आगे बढ़ाते ह. सूय के ने अंधकार से ढके होते ह. उसी म सम त व थत रहता है. (१४) यः सती ताँ उ मे पुंस आ ः प यद यवान् न व चेतद धः. क वयः पु ः स ईमा चकेत य ता वजानात् स पतु पता ऽ सत्.. (१५) सभी यां उसी को ानी पु ष कहती ह, जो उ ह यहीन तीत होता है. इस के वपरीत दशा वाले पु ष को वे ान शू य समझती ह. जो व ान् पु इस बात को जानता है, वह पालक का भी पालन करता है. (१५) साकंजानां स तथमा रेकजं ष ड मा ऋषयो दे वजा इ त. तेषा म ा न व हता न धामश था े रेज ते वकृता न पशः.. (१६) दे व के साथ उ प ऋ ष छः बताए गए ह. ऋ ष और दे व बताते ह क यह छः एक से ही उ प ए ह. इस के मनचाहे थान न त ह. ये अनेक कार से वराजमान होते ह. (१६) अवः परेण पर एना ऽ वरेण पदा व सं ब ती गौ द थात्. सा क ची कं वदध परागात् व वत् सूते न ह यूथे अ मन्.. (१७) धवल वण क गौ अगले पैर से अ को तथा पछले पैर से अपने बछड़े को धारण करती ई उड़ती है. वह कसी आधे भाग म गई थी. वह इस झुंड म ब चा नह दे ती. (१७) अवः परेण पतरं यो अ य वेदावः परेण पर एनावरेण. कवीयमानः क इह वोचद् दे वं मनः कुतो अ ध जातम्.. (१८) अगले पैर के ारा इस के पता अ को जानने वाला एवं पछले पैर के ारा पर को जानने वाला द मन कहां से कट आ? यह बात जाप त ने कही. (१८) ये अवा च ताँ उ पराच आ य परा च ताँ उ अवाच आ ः. इ या च थुः सोम ता न धुरा न यु ा रजसो वह त.. (१९) जो नवीन ह, वे ाचीन के वषय म बताते ह और जो ाचीन ह, वे नवीन का प रचय दे ते ह. हे सोम! तुम और सोम ज ह था पत करते ह, वे लोक को धारण करने म समथ बनते ह. (१९) ा सुपणा सयुजा सखाया समानं वृ ं प र ष वजाते. तयोर यः प पलं वा यन यो अ भ चाकशी त.. (२०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सुंदर पंख वाले दो प ी अथात् आ मा और परमा मा एक ही संसार पी वृ पर बैठे ह. इन म से एक अथात् आ मा पीपल के वा द फल को खाता है. सरा अथात् परमा मा पीपल के फल को न खाता आ अपने सरे साथी को दे खता है. (२०) य मन् वृ े म वदः सुपणा न वश ते सुवते चा ध व े. त य यदा ः प पलं वा े त ो श ः पतरं न वेद.. (२१) वृ पर मधु का भ ण करने वाले जो प ी बैठते ह, वे व का व तार करते ह. जो पीपल के फल को वा द बताते ह तथा जो अपने पालक पता को नह जानते, वे वनाश को ा त होते ह. (२१) य ा सुपणा अमृत य भ म नमेषं वदथा ऽ भ वर त. एना व य भुवन य गोपाः स मा धीरः पाकम ा ववेश.. (२२) जहां प ी कम के अमृत के समान वा द फल समझते ह, वे ही संसार क र ा करते ह और अंत म सूयलोक म वेश करते ह. (२२)
दे वता—गौ
सू -१५
यद् गाय े अ ध गाय मा हतं ै ु भं वा ै ु भा रत त. य ा जग जग या हतं पदं य इत् तद् व ते अमृत वमानशुः.. (१) गाय म गाय छपा आ है और ै ु भ म ै ु भ जगत् को जानते ह, वे अमृत का उपभोग करते ह. (१)
ा त है. जो लोग जगती् म छपे ए
गाय ेण त ममीते अकमकण साम ै ु भेन वाकम्. वाकेन वाकं पदा चतु पदा ऽ रेण ममते स त वाणीः.. (२) गाय से अक अथात् सूय का नमाण होता है. अक से साम का और ै ु भ से वाक का नमाण होता है. वाक् से वाक् को तथा पदा एवं चतु पदा तथा अ वनाशी से स तवाणी अथात् सात कार के वेद के छं द न मत होते ह. (२) जगता् स धुं द कभायद् रथंतरे सूय पयप यत्. गाय य स मध त आ ततो म ा र रचे म ह वा.. (३) संसार के ारा सधु को लोक क ओर े रत कया गया. ा नय ने रथंतर म सूय का दशन कया. उ ह ने गाय य क तीन स मधाएं बता . इस के प ात वे अपनी मह ा से ही वृ को ा त ए. (३) उप
ये सु घां धेनुमेतां सुह तो गोधुगुत दोहदे नाम्.
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े ं सवं स वता सा वष ो ऽ भी ो घम त षु
वोचत्.. (४)
शोभन हाथ से गाय को दोहने वाला म सरलता से ही जाने वाली गाय का ध हता आ उसे अपने समीप बुलाता ं. स वता ने मुझे े गौ दान क है. उ ह म तेज वी धम का कथन कया गया है. (४) हङ् कृ वती वसुप नी वसूनां व स म छ ती मनसा ऽ यागात्. हाम यां पयो अ येयं सा वधता महते सौभगाय.. (५) ं ार करती ई, धन से पालने यो य एवं बछड़े क इ छा करती ई गौ धनवान के क समीप प ंची. हसा न करने यो य यह गाय अ नीकुमार के न म ध दे ती ई हम महान सौभा य के लए ा त हो. (५) गौरमीमेद भ व सं मष तं मूधानं हङ् ङकृणो मातवा उ सृ वाणं घमम भ वावशाना ममा त मायुं पयते पयो भः.. (६) ंकार करती ई गाय उस बछड़े के समीप जा कर उसे सूंघती है जो उस क ओर ताकता है. यह बताने के लए क यह बछड़ा मेरा ही है, यह गौ रंभाती है और अपने ध से उसे बढ़ाती है. (६) अयं स शङ् े येन गौरभीवृता ममा त मायुं वसनाव ध ता. सा च भ न ह चकार म यान् व ु व ती त व मौहत.. (७) गरजते ए मेघ ने वाणी को ढक लया है. मेघ ारा ढक ई वाणी श द करती है. यही वाणी मेघ से बजली के प म कट हो कर मनु य को भयभीत करती है. (७) अन छये तुरगातु जीवमेजद् ुवं म य आ प यानाम्. जीवो मृत य चर त वधा भरम य म यना सयो नः.. (८) यमलोक क पीड़ा के भय से कांपते ए ाणी के दय म जीव सांस लेता है. मरणशील जीव अ य मरणधमा ा णय का सयो न अथात् समान शरीर वाला है एवं वधा का भ ण करता है. (८) वधुं द ाणं स लल य पृ े युवानं स तं प लतो जगार. दे व य प य का ं म ह व ऽ ा ममार स ः समान.. (९) दमनशील एवं युवा चं मा को सूय नगल जाता है. परमे र क सृ क मह ा दे खो क आज जो मर जाता है, कल वही जी वत हो कर सांस लेने लगता है. ता पय यह है क आज छप जाने वाला चं मा सरे दन फर नकल आता है. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य चकार न सो अ य वेद य ददश ह ग ु त मात्. स मातुय ना प रवीतो अ तब जा नऋ तरा ववेश.. (१०) जस ने इस क रचना क है, वह इस के गभ को नह दे खता. जो इस के गभ म जाता है, वही इस को दे खता है. माता क यो न से उ प बालक अनेक बार ज ममरण पी पाप दे वता नऋ त के जाल म फंसता है. (१०) अप यं गोपाम नप मानमा च परा च प थ भ र तम्. स स ीचीः स वषूचीवसान आ वरीव त भुवने व तः.. (११) म ने र ा करने वाली आ मा को ज ममरण के च म घूमते दे खा. म ने उसे इहलोक और परलोक म एवं स व, रज, तम तीन गुण म मण करते दे खा. आ मा अपने म ा त लोक एवं इं य म मण करती है. (११) ौनः पता ज नता ना भर ब धुन माता पृ थवी महीयम्. उ ानयो वो ३ य नर नर ा पता हतुगभमाधात्.. (१२) सृ क रचना करने वाला एवं वीय पादक ौ भी हमारा पता है. ना भ अथात् धरती और आकाश का म य भाग मेरा भाई है. महीयसी पृ वी मेरी माता है. यह वषा के जल को ओष ध के प म धारण करती है. आकाश और पृ वी सू प म वायु को धारण करते ह. पता पी ौ पृ वी म वषा पी गभ धारण करता है. (१२) पृ छा म वा परम तं पृ थ ाः पृ छा म वृ णो अ य रेतः. पृ छा म व य भुवन य ना भ पृ छा म वाचः परमं ोम.. (१३) म तुम से पृ वी के अं तम थान के वषय म पूछता ं. म इ छा पूण करने वाले एवं ापक परमे र के वषय म पूछता ं. म संपूण भुवन क ना भ अथात् क के वषय म पूछता ं. म वाक् के परम ोम म ा त होने के वषय म भी पूछता ं. (१३) इयं वे दः परो अ तः पृ थ ा अयं सोमो वृ णो अ य रेतः अयं य ो व य भुवन य ना भ ा ऽ यं वाचः परमं ोम.. (१४) यह दे वी पृ वी का परम अंत है. यह सोम इ छापूण करने वाले ापक व णु का वीय है. यह य सम त भुवन क ना भ अथात क है. इस वाणी का परम ोम है. (१४) न व जाना म य दवेदम म न यः संन ो मनसा चरा म. यदा मागन् थमजा ऋत या दद् वाचो अ ुवे भागम याः.. (१५) म यह नह जानता क म ही जानने यो य परम आ उसी के म य वचरण करता ं. अतएव जो बु
ं तथा म ै ता ै त संदेह म पड़ा सम त इं य म मुख है, उस के
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ारा म यह जानता ं क म काय ं अथवा कारण ं. उसी के अनुसार म वाणी का उपयोग करता ं. (१५) अपाङ् ाङे् त वधया गृभीतो ऽ म य म यना सयो नः. ता श ता वबूचीना वय ता य १ यं च युन न च युर यम्.. (१६) मरणध मता से र हत अथात् अमर आ मा मरणधमा मन के साथ गभ से कट होती है. इन म से आ मा म मल कर तदाकार हो जाती है. (१६) स ताधगभा भुवन य रेतो व णो त त दशा वधम ण. ते धी त भमनसा ते वप तः प रभुवः प र भव त व तः.. (१७) उप
ापक क सात करण वीय के प म वतमान रहती ह. वे करण कम क के प से सम त जगत् म व तृत होती ह. (१७) ऋचो अ रे परमे ोमन् य मन् दे वा अ ध व े नषे ः. य त वेद कमृचा क र य त य इत् तद् व ते अमी समासते.. (१८)
परम ोम म कार का अ र है. उस म सम त दे व नवास करते ह. जो इस बात को नह जानता, वह वेद मं को जान कर भी या करेगा? जो इस बात को जानते ह, वे उसी म नवास करते ह. (१८) ऋचः पदं मा या क पय तो ऽ धचन चा लृपु व मेजत्. पाद् पु पं व त े तेन जीव त दश त ः.. (१९) कार के पद क क पना करते ए जन ने उसी अथ म इस चैत य और ग तशील व क क पना क . न ल तीन मा ा से नज प म थत रहता है और इस क एक मा ा से चार दशाएं अथात् चार दशा म वतमान ाणी जी वत रहते ह. (१९) सूयवसाद् भगवती ह भूया अधा वयं भगव तः याम. अ तृणम ये व दान पब शु मुदकमाचर ती.. (२०) हे भू म! तू जलमय सूय के संपक के कारण जल प ऐ य को ा त कर सक . हम भी तेरे जल प ऐ य से संप शाली बन. हे ह सत न होने वाली पृ वी! तू मेघ को चूरचूर कर के शु जल का सेवन कर एवं सूय क करण के ारा जल का सेवन कर. (२०) गौ र ममाय स लला न त येकपद पद सा चतु पद . अ ापद नवपद बभूवुषी सह ा रा भुवन य पङ् त याः समु ा अ ध व र त.. (२१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इस वाणी पी गौ ने ही व क रचना क है. यही जल का नमाण करती है. म यम के साथ एक व ा त कर के यह सूय के साथ एकपद , दशा के साथ चतु पद और अंत दशा के साथ अ पद होती है. दशा , व दशा एवं सूय के साथ यह नवपद हो जाती है. यह अ वभ आ मा म मल कर भुवन क रचना करती है. इसी के कारण मेघ वषा करते ह. (२१) कृ णं नयानं हरयः सुपणा अपो वसाना दवमु पत त. त आववृ सदना त या दद् घृतेन पृ थव ू ः.. (२२) जल को लपेटती ई करण आकाश म उछलती ह. वे ही करण द णायन सूयमंडल से लौटती ह, तभी धरती जल से भीग जाती है. (२२)
पम
अपादे त थमा प तीनां क तद् वां म ाव णा चकेत. गभ भारं भर या चद या ऋतं पप यनृतं न पा त.. (२३) हे म और व ण! तु हारे प को कौन जानता है? बना चरण वाली करण चरण वाले ा णय से पहले इस जगत् म आ जाती ह. धरती इन का भार धारण करती है तथा स य बोलने वाले का पालन करती है. यह धरती झूठ बोलने वाले का वनाश कर दे ती है. (२३) वराड् वाग वराट् पृ थवी वराड त र ं वराट् जाप तः. वरा मृ युः सा यानाम धराजो बभूव त य भूतं भ ं वशे स मे भूतं भ ं वशे कृणोतु.. (२४) वराट् ही वाणी है, वराट् पृ वी है, वराट् अंत र है और वराट् जाप त है. वराट् मृ यु और सा य का वामी है. भूत और भ व य उसी के वश म है. वही वराट् भूत और भ व य को मेरे वश म करे. (२४) शकमयं धूममारादप यं वषूवता पर एना ऽ वरेण. उ ाणं पृ मपच त वीरा ता न धमा ण थमा यासन्.. (२५) श
म ने वषुवत एवं ऐनावर य के ारा सव ा त धूम को समीप से दे खा. वीर ने दे ने वाले सोमरस को पकाया. वे ही मुख धम थे. (२५) यः के शन ऋतुथा व च ते संव सरे वपत एक एषाम्. व म यो अ भच े शची भ ा जरेक य द शे न पम्.. (२६)
तीन यो तय अथात् अ न, सूय एवं वायु ऋतु के अनुसार अपने काय के प म समयसमय पर संसार पर कृपा करती ह. इन म से एक अथात् अ न संव सर म पृ वी को भ म करती है. इस कार वह कम करने यो य बनती है. इन म वायु का प अ य है. उस ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क केवल ग त जानी जाती है. (२६) च वा र वाक् प र मता पदा न ता न व ा णा ते मनी षणः. गुहा ी ण न हता ने य त तुरीयं वाचो मनु या वद त.. (२७) वाणी के चार न त पद अथात् चरण ह. जो मनीषी ा ण ह, वे उ ह जानते ह. इन म से तीन चरण बु पी गुफा म छपे होने के कारण ग त नह करते ह. मनु य वाणी के चौथे चरण का उ चारण करते ह. (२७) इ ं म ं व णम नमा रथो द ः स सुपण ग मान्. एकं सद् व ा ब धा वद य नं यमं मात र ानमा ः.. (२८) त व ानी व ान् उस द ग तशील को इं , म , व ण और अ न कहते ह. यह द ग तशील एक है, पर व ान् उसे अनेक कार से कहते ह. वे उसे अ न, वायु एवं यम कहते ह. (२८)
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दसवां कांड दे वता—मं म उ
सू -१ यां क पय त वहतौ वधू मव व सारादे वप नुदाम एनाम्.. (१)
पां ह तकृतां च क सवः.
कृ या को बनाने वाले उसे दहेज के साथ ा त होने वाली वधू के समान सजाते ह. हम उसी कृ या को भगाते ह. वह कृ या हम से र चली जाए. (१) शीष वती न वती क णनी कृ याकृता संभृता व सारादे वप नुदाम एनाम्.. (२)
पा.
सर, नाक, कान आ द अंग से यु बनाई गई कृ या अनेक कार क आप यां लाती है. उसे हम भगाते ह. वह हमारे पास से र चली जाए. (२) शू कृता राजकृता ीकृता भः कृता. जाया प या नु ेव कतारं ब वृ छतु.. (३) शू के ारा न मत, राजा के ारा न मत, ी के ारा न मत एवं मं के ारा े रत कृ या अपने बनाने वाले के समीप उसी कार लौट जाए, जस कार भाइय के ारा वदा क गई प नी अपने प त के समीप लौट जाती है. (३) अनया ऽ हमोष या सवाः कृ या अ षम्. यां े े च ु या गोषु यां वा ते पु षेषु… (४) म इस जड़ीबूट के ारा सम त कृ या कृ या को श हीन कर चुका ं. (४)
को
े म गाय पर एवं पु ष पर क गई
अघम वघकृते शपथः शपथीयते. यक् त ह मो यथा कृ याकृतं हनत्.. (५) पाप उसे ा त हो, जस ने पाप कया है. शपथ उसी के पास जाए, जस ने शपथ क है. म कृ या को इस कार वापस लौटाता ं क वह अपने नमाता का ही वनाश कर दे . (५) तीचीन आ रसो ऽ य ो नः पुरो हतः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तीचीः कृ या आकृ यामून् कृ याकृतो ज ह.. (६) हमारा पुरो हत प म दे श का रहने वाला एवं हमारे सामने उप थत है. पूव के नवा सय ने कृ या का नमाण कया है. हे पुरो हत! तुम उस को न करो. (६) य वोवाच परेही त तकूलमुदा यम्. तं कृ ये ऽ भ नवत व मा ऽ मा न छो अनागसः.. (७) हे कृ या! जस ने तुझे आदे श दया क र जा. उस ने हमारे तकूल आचरण कया है. तू उसी के पास लौट जा तथा हम नरपराध क इ छा मत कर. (७) य ते प ं ष संदधौ रथ येवभु धया. तं ग छ त ते ऽ यनम ात ते ऽ यं जनः.. (८) हे कृ या! बढ़ई जस कार रथ के अंग को जोड़ता है, उसी कार जस ने बु म ा के साथ तेरी ह ड् डय को जोड़ा है, तू उसी के समीप लौट जा. तेरा गंत वही है. म तेरा अप र चत ं. (८) ये वा कृ वाले भरे व ला अ भचा रणः. शं वी ३ दं कृ या षणं तव म पुनःसरं तेन वा नपयाम स.. (९) हे कृ या! जस जा टोना करने वाले ने तुझे ा त कया है, वह माग को तुझे लौटा सकता है. हम उसी के र से तुझे नान कराते ह. (९)
षत कर के
यद् भगां न पतां मृतव सामुपे यम. अपैतु सव मत् पापं वणं मोप त तु.. (१०) हम जस कृ या को ा त कर के मृतव सा गौ क दशा वाले हो गए ह. अथात् हमारी प नयां मरे ए ब चे को ज म दे ती ह. मुझ से संबं धत सम त पाप र हो जाएं तथा मुझे धन ा त हो. (१०) यत् ते पतृ यो ददतो य े वा नाम जगृ ः. संदे या ३ त् सव मात् पापा दमा मु च तु वौषधीः.. (११) य म पतर का भाग दे ते ए जो नाम लया गया था, ये जड़ीबू टयां उस नाम लेने के पाप से तुझे छु ड़ाएं. (११) दे वैनसात् प या ाम ाहात् संदे या द भ न कृतात्. मु च तु वां वी धो वीयण ण ऋ भः पयस ऋषीणाम्.. (१२) दे व के
त कए गए पाप से, पतर का नाम लेने के पाप से, अपमा नत करने से और
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अपश द कहने के पाप से ये जड़ीबू टयां तपोबल के ारा हम छु ड़ाएं. (१२)
ा ण के मं
बल के
ारा एवं ऋ षय के
यथा वात यावय त भू या रेणुम त र ा चा म्. एवा मत् सव भूतं नु मपाय त.. (१३) वायु जस कार धरती से धूल को और आकाश म मेघ को उड़ा ले जाती है, उसी कार मं का बल मेरे सभी पाप को र करे. (१३) अप ाम नानदती वन ा गदभीव. कतॄन् न वेतो नु ा णा वीयावता.. (१४) हे कृ या! जस कार खुली ई गधी रकती ई भागती है, उसी कार तू हमारे मं बल के कारण अपने नमाता के समीप जा और उ ह न कर. (१४) अयं प थाः कृ ये त वा नयामो ऽ भ हतां त वा ह मः. तेना भ या ह भ यन वतीव वा हनी व पा कु टनी.. (१५) हे कृ या! यह माग है. तू श ु के ारा हमारे पास भेजी गई है. हम तुझे उसी के पास भेजते ह. तू बैलगा ड़य , वाणी एवं अनेक वीर से यु सेना के समान ह ला करती ई हमारे श ु पर आ मण कर. हम मं के बल से तुझे लौटाते ह. (१५) पराक् ते यो तरपथं ते अवाग य ा मदयना कृणु व. परेणे ह नव त ना ा ३ अ त गाः ो या मा ण ाः परे ह.. (१६) हे कृ या! तेरी यो त श ु के समीप प ंचे. तू अपना नवास थान हम से र कसी अ य थान म बना. तू नाव के ारा पार क जा सकने वाली न बे गम न दय के पार चली जा और हमारी हसा मत कर. (१६) वात इव वृ ान् न मृणी ह पादय मा गाम ं पु षमु छष एषाम्. कतॄन् नवृ येतः कृ ये ऽ जा वाय बोधय.. (१७) हे कृ या! वायु जस कार वृ को उखाड़ दे ती है, उसी कार तू श ु को कुचल दे . उन श ु क गाएं, घोड़े और पु ष शेष न रह. तू अपने बनाने वाल के पास जा एवं उ ह संतानहीन बना. (१७) यां ते ब ह ष यां मशाने े े कृ यां वलगं वा नच नुः. अ नौ वा वा गाहप ये ऽ भचे ः पाकं स तं धीरतरा अनागसम्.. (१८) हे कृ या! जा टोना करने वाल ने तुझे कुशा
पर, मरघट म अथवा खेत म गु त
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प
से बनाया है अथवा उ ह ने गाहप य अ न पर पाक कर के तेरा नमाण कया है. म अपराधहीन होने के कारण तुझे श हीन बनाता ं. (१८) उपा तमनुबु ं नखातं वैरं साय व वदाम क म्. तदे तु यत आभृतं त ा इव व वततां ह तु कृ याकृतः जाम्.. (१९) कपटपूण वैर को हम उसी के पास लौटाते ह और वैर के कारण बनाई गई कृ या को हम उसी के नमाणकता के पास वापस भेजते ह. कृ या घोड़े के समान अपने थान पर चली जाए और कृ या का योग करने वाले क संतान का वनाश कर दे . (१९) वायसा असयः स त नो गृहे वद्मा ते कृ ये य तधा प ं ष. उ ैव परेहीतोऽ ाते क महे छ स.. (२०) हे कृ या! हम तेरी ह ड् डय के जोड़ को जानते ह. हमारे घर म अ छे लोहे से बनी तलवार ह. भलाई इसी म है क तू यहां से शी ही हमारे श ु के समीप चली जा. हम तुझे नह जानते. तू यहां या चाह रही है? (२०) ीवा ते कृ ये पादौ चा प क या म न व. इ ा नी अ मान् र तां यौ जानां जावती.. (२१) हे कृ या! म तेरी गरदन और पैर काट डालूंगा. तू यहां से भाग जा. जा करने वाले इं और अ न हमारी र ा कर. (२१)
क र ा
सोमो राजा ऽ धपा मृ डता च भूत य नः पतयो मृडय तु.. (२२) राजा सोम ा णय के र क ह. ा णय क र ा करने वाले वे हम सुखी बनाएं. (२२) भवाशवाव यतां पापकृते कृ याकृते.
कृते व ुतं दे वहे तम्.. (२३)
कृ या का नमाण करने वाला पापी है. भव और शव उस के वनाश के लए व ुत को े षत कर जो दे व का श है. (२३) य ेयथ पद चतु पद कृ याकृता संभृता व सेतो ३ ापद भू वा पुनः परे ह छु ने.. (२४)
पा.
हे कृ या! तेरा नमाण करने वाल ने तुझे दो पैर वाली अथवा चार पैर वाली बनाया है. य द तू हमारे समीप आ रही है तो आठ पैर वाली बन कर यहां से लौट जा. (२४) अ य १ ा ा वरंकृता सव भर ती रतं परे ह. जानी ह कृ ये कतारं हतेव पतरं वम्.. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे कृ या! तू घी से भीगी ई, भलीभां त अलंकृत और बुरे कम करने वाली है. जस कार पु ी अपने पता को जानती है, उसी कार तू अपने रच यता को जान अथात् उसी के समीप लौट जा. (२५) परे ह कृ ये मा त ो व येव पदं नय. मृगः स मृगयु वं न वा नकतुमह त.. (२६) हे कृ या! तू यहां से चली जा, यहां ठहर मत. जस कार सह घायल ह रण के थान क ओर जाता है, उसी कार तू अपने बनाने वाले के पास चली जा. तेरा बनाने वाला ह रण के समान है और तू सह के समान है, अतएव वह तुझे न नह कर सकता. (२६) उत ह त पूवा सनं यादायापर इ वा. उत पूव य न नतो न ह यपरः त.. (२७) थम बैठे ए को सरा मनु य बाण से मार डालता है. मारने वाले को अ य मनु य मार डालता है. हे कृ या! तू अपने बनाने वाले के समीप लौट जा. (२७) एत
शृणु मे वचो ऽ थे ह यत एयथ. य वा चकार तं
त.. (२८)
हे कृ या! मेरी यह बात सुन. तू जहां से यहां आई है और जस ने तेरा नमाण कया है, तू वह जा. (२८) अनागोह या वै भीमा कृ ये मा नो गाम ं पु षं वधीः. य य ा स न हता तत वो थापयाम स पणा लघीयसी भव.. (२९) नरपराध क ह या करना भयंकर कम है. तू हमारी गाय , अ , और पु ष क ह या मत कर. तुझे जहांजहां था पत कया गया है, वहांवहां से हम तुझे हटाते ह. तू प े से भी हलक हो जा. (२९) य द थ तमसावृता जालेना भ हता इव. सवाः संलु येतः कृ याः पुनः क ह म स.. (३०) हे कृ याओ! य द तुम अंधकार से ढक ई और जाल म फंसी ई के समान ववश हो तो हम तुम सब को यहां से र भगाते ह और तु हारे रच यता के पास भेजते ह. (३०) कृ याकृतो वल गनोऽ भ न का रणः जाम्. मृणी ह कृ ये मो छषोऽमून् कृ योकृतो ज ह.. (३१) हे कृ या! तू अपने रच यता कपट क संतान का वनाश कर. हे कृ या! इ ह मत छोड़. तू अपने रच यता का वनाश कर दे . (३१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यथा सूय मु यते तमस प र रा जहा युषस केतून्. एवाहं सव भूतं क कृ याकृता कृतं ह तीव रजो रतं जहा म.. (३२) जस कार सूय अंधकार से छू ट जाता है और रा तथा उषा के उ प के कारण को याग दे ता है और हाथी जस कार अपने शरीर पर लगी ई धूल झाड़ दे ता है, उसी कार म कृ या का नमाण करने वाले के कम को अपने से पूरी तरह र करता ं. (३२)
सू -२
दे वता—
केन पा ण आभृते पू ष य केन मांसं संभृतं केन गु फौ. केना लीः पेशनीः केन खा न केनो छ् लङ् खौ म यतः कः
- काशन
त ाम्.. (१)
मनु य क ए ड़य को, टखन को और मांस को कस ने पु बनाया? मनु य क सुंदर उंग लय को कस ने पु कया? उंग लय के म य म नस को कस ने थत कया? (१) क मा ु गु फावधरावकृ व ीव तावु रौ पू ष य. जङ् घे नऋ य यदधुः व व जानुनोः स धी क उ त चकेत.. (२) नीचे के टखन को कस से बनाया गया? पु ष के घुटन को, जांघ को तथा चरण के म य को कस से बनाया गया? घुटन का जोड़ कहां है और उसे कौन जानता है? (२) चतु यं यु यते सं हता तं जानु यामू व श थरं कब धम्. ोणी य क उ त जजान या यां कु स धं सु ढं बभूव.. (३) घुटन के ऊपर चार भाग ह— श थल, धड़, कंधे और जंघाएं. इ ह कस ने बनाया, जस से शरीर का भाग धड़ ढ़ आ? (३) क त दे वाः कतमे त असन् य उरो ीवा युः पू ष य. क त तनौ दधुः कः कफोडौ क त क धान् क त पृ ीर च वन्.. (४) वे दे व कतने थे, ज ह ने पु ष के दय को और गरदन को बनाया? कतने दे व ने पु ष के तन बनाए. फेफड़ को कस ने बनाया? कंध क रचना कतने दे व ने क ? पीठ क रचना कतने दे व ने क ? (४) को अ य बा समभरद् वीय करवा द त. अंसौ को अ य तद् दे वः कु स धे अ या दधौ.. (५) कस दे व ने मनु य के बा को श से भर दया और कस ने उस म वीय क रचना क ? पु ष के कंध क रचना करने वाला दे व कौन है? इसे धड़ पर कस ने था पत कया? (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कः स त खा न व ततद शीष ण कणा वमौ ना सके च णी मुखम्. येषां पु ा वजय य म न चतु पादो पदो य त यामम्.. (६) मनु य के सर म सात छे द अथात् दो कान, दो नथुन,े दो आंख और एक मुख कस दे व ने बनाया? इ ह दे व क म हमा से दो पैर और चार पैर वाले ाणी अनेक थान म ग त करते ए यमराज के थान पर जाते ह. (६) ह वो ह ज मदधात् पु चीमधा महीम ध श ाय वाचम्. स आ वरीव त भुवने व तरपो वसानः क उ त चकेत.. (७) अनेक थल को छू ने वाली जीभ को ठोड़ी म कस ने था पत कया? जीभ म वाणी क थापना कस ने क . अपने शरीर के भीतर जल को धारण करता आ कौन सा दे व ा णय म ा त है? उस का जानने वाला कौन है? (७) म त कम य यतमो ललाटं कका टकां थमो यः कपालम्. च वा च यं ह वोः पु ष य दवं रोह कतमः स दे वः.. (८) इस का म त क, ललाट और जबड़ के जोड़ एवं कपाल कस ने बनाया? वह दे व कौन सा है? पु ष क ठोड़ी क ह य को जोड़ कर जो वग को गया था, वह दे व कौन सा है? (८) या या ण ब ला व ं संबाधत यः. आन दानु ो न दां क माद् वह त पू षः.. (९) मनु य के य और अ य व कौन सा दे व धारण करता है? (९)
को, संबं धत इं य को, आनंद को तथा ःख को
आ तरव त नऋ तः कुतो नु पु षे ऽ म तः. रा ः समृ र ृ म त दतयः कुतः.. (१०) स
पु ष म पाप, आजी वका वरोधी त व, कम आ द कहां से ा त होते ह? इसे ऋ , समृ , बु एवं उ त कहां से ा त होती है. (१०)
,
को अ म ापो दधाद् वषूवृतः पु वृतः स धुसृ याय जाताः. ती ा अ णा लो हनी ता धू ा ऊ वा अवाचीः पु षे तर ीः.. (११) इस पु ष म सव व मान सागर को और सदा तेजी से बहने वाले जल को कस ने व कया है जो लाल, लो हत, तांबई एवं धुमेले रंग के ह? इन जल को ऊपर, नीचे और तरछा जाने क श कस ने दान क ? (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को अ मन् पमदधात् को म ानं च नाम च. गांतु को अ मन् कः केतुं क र ा ण पू षे.. (१२) कस दे व ने पु ष म प, म हमा एवं नाम को धारण कया? इसे ान, च र और ग त कस दे व ने दान क ? (१२) को अ मन् ाणमवयत् को अपानं ानमु. समानम मन् को दे वो ऽ ध श ाय पू षे.. (१३) इस पु ष म ाण, अपान एवं ान वायु को कस ने धारण कया? इस पु ष म समान वायु को कस ने आ त कया? (१३) को अ मन् य मदधादे को दे वो ऽ ध पू षे. को अ म स यं को ऽ नृतं कुतो मृ युः कुतो ऽ मृतम्.. (१४) कस धान दे व ने इस पु ष म य प कम को था पत कया है? इस म स य, अस य, अमृत और मृ यु क थापना कस ने क ? (१४) को अ मै वासः पयदधात् को अ यायुरक पयत्. बलं को अ मै ाय छत् को अ याक पय जवम्.. (१५) इस पु ष के शरीर पर वचा पी व कस ने रखा और इस क आयु क रचना कस दे व ने क ? इस पु ष के लए बल कस दे व ने दान कया और कसने इसे ग त द ? (१५) केनापो अ वतनुत केनाहरकरोद् चे. उषसं केना वै केन सायंभवं ददे .. (१६) कस दे व ने इस पु ष के लए जल क रचना क और कस ने इस के लए काश वाला दवस बनाया? उषा को कस दे व ने उ वल कया तथा सायंकाल कस ने दान कया? (१६) को अ मन् रेतो यदधात् त तुरा तायता म त. मेधां को अ म यौहत् को बाणं को नृतो दधौ.. (१७) इस पु ष म वीय का आधान कस ने कया, जस से जा पी तंतु का व तार हो सके? इस पु ष म बु क थापना कस दे व ने क तथा कस ने इस म बाण धारण कया? (१७) केनेमां भू ममौण त् केन पयभवद् दवम्. केना भ म ा पवतान् केन कमा ण पू षः.. (१८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पु ष ने कस कार से भू म को आवृत कया तथा यह कस भाव से वग पर आ ढ़ आ? यह पु ष कस भाव से पवत पर आरोहण करता और कम करता है? (१८) केन पज यम वे त केन सोमं वच णम्. केन य ं च ां च केना मन् न हतं मनः.. (१९) यह पु ष कस भाव से बादल को ा त करता और सोमलता को खोजता है? यह पु ष य को और ा को कस के ारा ा त करता है तथा इस के मन को उ म कम म कस ने संल न कया है? (१९) केन ो यमा ो त केनेमं परमे नम्. केनेमम नं पू षः केन संव सरं ममे.. (२०) यह पु ष कस के ारा ो य ा ण को ा त करता है? यह कस के ारा परमे ी को पाता है? यह पु ष अ न को कस के ारा े रत करता है और संव सर क गणना कैसे कर पाता है? (२०) ो यमा ो त े म नं पू षो म
े ं परमे नम्. म संव सरं ममे.. (२१)
ो य को ा त करता है और ही परमे ी को ा त करता है. पु ष है और अ न को ा त करता है तथा संव सर क गणना करता है. (२१)
ही यह
केन दे वाँ अनु य त केन दै वजनी वशः. केनेदम य ं केन सत् मु यते.. (२२) पु ष कस कम के ारा दे व क अनुकूलता ा त करता है तथा कस कम को दे वी जा के अनुकूल बनाता है. यह पु ष इस कम के ारा नह बनता और कस कम के ारा कहलाता है? (२२) दे वाँ अनु य त दै वजनी वशः. ेदम य ं सत् मु यते.. (२३) ही
दे व के अनुकूल रहता है तथा ही दै वी जा के अनुकूल का अभाव है और ही उ म धन कहलाता है. (२३)
वहार करता है.
केनेयं भू म व हता केन ौ रा हता. केनेदमू व तयक् चा त र ं चो हतम्.. (२४) इस भू म को कस ने था पत कया है तथा ौ को इस के ऊपर कस ने थत कया ******ebook converter DEMO Watermarks*******
है? यह ऊपर का भाग, तरछा भाग एवं अनेक ा णय के लए हतकारी अंत र बनाया? (२४)
कस ने
णा भू म व हता ौ रा हता. ेदमू व तयक् चा त र ं चो हतम्.. (२५) ने भू म को था पत कया है और कया है. ही ऊपर एवं तरछा है तथा रचना क है. (२५)
ने ही इस के ऊपरी भाग म ौ को थत ने अनेक ा णय के हतकारी अंत र क
मूधानम य संसी ाथवा दयं च यत्. म त का वः ैरयत् पवमानो ऽ ध शीषतः.. (२६) अथवा ने मूधा और दय क एक पता था पत क . इस ऊपर गमन करने वाले पवन ने म त क के ारा उ म ेरणा दान क . (२६) तद् वा अथवणः शरो दे वकोशः समु जतः. तत् ाणो अ भ र त शरो अ मथो मनः.. (२७) अथवा क वह वाणी दे वकोष के क र ा करते ह. (२७)
प म उप थत ई. ाण और मन उस अ मय शीश
ऊ व नु सृ ा ३ तयङ् नु सृ ा ३: सवा दशः पु ष आ बभूवाँ ३. पुरं यो णो वेद य याः पु ष उ यते.. (२८) जस को पु ष कहा जाता है, उस क पुरी को जो जानता है, उसी ने ऊपरी और तरछे भाग का नमाण कया है. वही पु ष सम त दशा म ा त है. (२८) यो वै तां णो वेदामृतेनावृतां पुरम्. त मै च ा ा च ुः ाणं जां द ः.. (२९) जो है, उस पु ष को
क उस पुरी को जानता है, जो अमृत अथात् मरणहीनता से ढक एवं मं च ,ु ाण एवं संतान दान करते ह. (२९)
ई
न वै तं च ुजहा त न ाणो जरसः पुरा. पुरं यो णो वेद य याः पु ष उ यते.. (३०) जो क पुरी अथात् नवास थान को जानता है और उस म शयन करने के कारण ही पु ष कहा जाता है, उसे जो जानता है, वृ ाव था तक ने एवं ाण उस का याग नह करते. (३०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ ाच ा नव ारा दे वानां पूरयो या. त यां हर ययः कोशः वग यो तषावृतः.. (३१) दे व क नगरी आठ च और नौ ार वाली है. कोई यु कर के उसे जीत नह सकता. उस म हर यमय कोष और काश से ढका आ वण है. (३१) त मन् हर यये कोशे यरे त ते. त मन्ं यद् य मा म वत् तद् वै वदो व ः.. (३२) उस नौ ार वाले हर यमय कोष म जो आ मा करते ह, वे ही ानी माने जाते ह. (३२)
थत है, वहां जो य
का व तार
ाजमानां ह रण यशसा संपरीवृताम्. पुरं हर यय ा ववेशापरा जताम्.. (३३) उस काशमान, पाप का वनाश करने वाली, यश से ढक वेश करता है. (३३)
सू -३
ई एवं हर यमय पुरी म
दे वता—वरणम ण, वन प त
अयं मे वरणो म णः सप न यणो वृषा. तेना रभ व वं श ून् मृणी ह र यतः.. (१) यह मेरी वरण वृ क म ण श ु का नाश करने वाली और अ भलाषा पूरक है. इसे धारण कर के तू उ ोग कर और ता करने वाले श ु का वनाश कर. (१) ै ा छृ णी ह मृणा रभ व म ण ते अ तु पुरएता पुर तात्. ण अवारय त वरणेन दे वा अ याचारमसुराणां ः ः.. (२) तू इन श ु का वनाश कर, इ ह मसल दे और स बन. यह म ण तेरे आगेआगे चले. वरण वृ से न मत इस म ण क सहायता से दे व ने असुर ारा कए गए जा टोन का सरे दन ही नवारण कर दया था. (२) अयं म णवरणो व भेषजः सह ा ो ह रतो हर ययः. स ते श ूनधरान् पादया त पूव तान् द नु ह ये वा ष त.. (३) वरण वृ से न मत यह म ण सम त रोग क ओष ध है. यह म ण हजार आंख वाले इं के समान श शा लनी, हरे रंग क और हर यमय है. यह म ण तेरे श ु को मार डाले, उस से पहले ही तू उन का वनाश कर दे . (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अयं ते कृ यां वततां पौ षेयादयं भयात्. अयं वा सव मात् पापाद् वरणो वार य यते.. (४) तेरे न म जो कृ या बनाई गई है, यह वरण वृ से न मत म ण उस को भावहीन बना दे गी एवं तुझे भयर हत कर दे गी. द वन प त से न मत यह म ण तेरे सभी पाप का वनाश कर दे गी. (४) वरणो वारयाता अयं दे वो वन प तः. य मो यो अ म ा व तमु दे वा अवीवरन्.. (५) द गुण से संप यह वरण वृ से न मत म ण हमारे शरीर म साथ हमारे श ु को भी समा त कर दे गी. (५)
व य मा रोग के
व ं सु वा य द प या स पापं मृगः सृ त य द धावादजु ाम्. प र वा छकुनेः पापवादादयं म णवरणो वार य यते.. (६) हे पु ष! वरण वृ से न मत यह म ण पापपूण व के भय से, अ न छत दशा क ओर दौड़ने वाले मृग से, छ क से तथा कौआ आ द प ी से संबं धत अपशकुन से तुझे बचाएगी. (६) अरा या वा नऋ या अ भचारादथो भयात्. मृ योरोजीयसो वधाद् वरणो वार य यते.. (७) हे पु ष! यह म ण श ु से, नऋ त नामक पाप दे वता से, जा टोने के भय से तथा मृ यु से तु हारी र ा करे. (७) य मे माता य मे पता ातरो य च मे वा यदे न कृमा वयम्. ततो नो वार य यते ऽ यं दे वो वन प तः.. (८) यह वन प त से न मत द गुण वाली म ण मेरी माता, मेरे पता, मेरे ाता और मुझे कए गए सम त पाप से बचाएगी. (८) वरणेन थता ातृ ा मे सब धवः. असूत रजो अ यगु ते य वधमं तमः.. (९) मेरे जो बांधव एवं भतीजे मुझ से श ुता रखते ह, वे वरण वृ से न मत इस म ण के भाव से थत ह . वे क दा यनी धूल को ा त ह तथा घने अंधकार म वेश कर. (९) अ र ो ऽ हम र गुरायु मा सवपू षः. तं मा ऽ यं वरणो म णः प र पातु दशो दशः.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हसा र हत म शां त ा त कर रहा ं. मेरी संतान, प रवारीजन एवं सेवक अ धक अव था ा त कर. वरण वृ से न मत यह श शा लनी म ण उन क सभी कार र ा करे. (१०) अयं मे वरण उर स राजा दे वो वन प तः. स मे श ून् व बाधता म ो द यू नवासुरान्.. (११) वरण वृ से न मत यह द म ण मेरे सीने पर थत है. इं ने जस कार असुर का वनाश कया, उसी कार यह मेरे श ु का वनाश करे. (११) इमं बभ म वरणमायु मा छतशारदः. स मे रा ं च ं च पशूनोज मे दधत्.. (१२) सौ क आयु ा त करने का इ छु क म इस म ण को धारण करता ं. यह म ण मेरे रा , बल, पशु एवं घोड़े क र ा करे. (१२) यथा वातो वन पतीन् वृ ान् भन योजसा. एवा सप नान् मे भङ् ध पूवान्जाताँ उतापरान् वरण वा ऽ भ र तु.. (१३) वायु जस कार अपनी श से वृ एवं वन प तय को तोड़ दे ती है, उसी कार यह म ण मेरे पूववत और बाद म होने वाले श ु का वनाश कर के मेरी र ा करे. (१३) यथा वात ा न वृ ान् सातो वन पतीन्. एवा सप नान् मे सा ह पृवान्जाताँ उतापरान् वरण वा ऽ भ र तु.. (१४) हे वरण वृ से न मत म ण! वायु एवं अ न जस कार वृ के पास जा कर उ ह जला डालते ह, उसी कार तुम मेरे पूववत और बाद म होने वाले श ु का वनाश करो. (१४) यथा वातेन ीणा वृ ाः शेरे य पताः. एवा सप नां वं मम णी ह यपय पूवान्जातां उतापरान् वरण वा ऽ भ र तु.. (१५) सूखे ए वृ जस कार वायु के कारण गर जाते ह, उसी कार हे म ण! तुम मेरे पूववत एवं बाद म होने वाले श ु का वनाश कर के मेरी र ा करो. (१५) तां वं छ वरण पुरा द ात् पुरायुषः. य एनं पशुषु द स त ये चा य रा द सवः.. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे वरण वृ से न मत म ण! जो इस यजमान के पशु एवं रा का अपहरण करना चाहते ह, तू उन के भा य और आयु को उन से छ न कर उ ह न कर दे . (१६) यथा सूय अ तभा त यथा ऽ मन् तेज आ हतम्. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (१७) जस कार यह सूय अ य धक का शत होता है और जस कार इस म तेज ा त है, उसी कार वरण वृ से न मत म ण मुझे क त एवं ऐ य दान करे. यह म ण मुझे तेज वी और यश वी बनाए. (१७) यथा यश म या द ये च नृच स. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (१८) सभी मनु य के सा ी चं मा म और सूय म जैसा यश न मत म ण उसी कार मुझे यश और ऐ य दान करे. (१८)
ा त है, यह वरण वृ
से
यथा यशः पृ थ ां यथा ऽ मन्जातवेद स. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (१९) पृ वी और अ न म जस कार यश त त है, वरण वृ उसी कार यश और ऐ य दान करे. (१९)
से न मत यह म ण मुझे
यथा यशः क यायां यथा म संभूते रथे. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (२०) क या म और भरे ए रथ म जस कार यश मुझे उसी कार यश और ऐ य दान करे. (२०)
ा त है, वरण वृ
से न मत यह म ण
यथा यशः सोमपीथे मधुपक यथा यशः. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (२१) जस कार सोमपीथ और मधुपक नामक य या के करने से यश ा त होता है, उसी कार वरण वृ से न मत म ण मुझे यश और ऐ य दान करे. (२१) यथा यशोऽ नहो े वषट् कारे यथा यशः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (२२) अ नहो एवं वषट् करने से जस कार य ा त होता है, उसी कार वरण वृ न मत यह म ण मुझे क त और ऐ य दान करे. (२२)
से
यथा यशो यजमाने यथा ऽ मन् य आ हतम्. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (२३) इस यजमान म एवं इस य म जस कार यश थत है, वरण वृ से न मत यह म ण उसी कार मुझे क त और ऐ य दान करे. (२३) यथा यशः जापतौ यथा ऽ मन् परमे न. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (२४) जस कार जाप त म और परमे ी म यश ा त है, उसी कार वरण वृ से न मत यह म ण मुझ म क त और ऐ य था पत करे तथा मुझे तेज और यश से सुशो भत करे. (२४) यथा दे वे वमृतं यथैषु स यमा हतम्. एवा मे वरणो म णः क त भू त न य छतु तेजसा मा समु तु यशसा समन ु मा.. (२५) जस कार दे व म अमृत एवं स य त त है, उसी कार वरण वृ से न मत यह म ण मुझे क त और ऐ य दान करे तथा मुझे तेज और यश से सुशो भत करे. (२५)
सू -४
दे वता—सप, वषापकरण
इ य थमो रथो दे वानामपरो रथो व ण य तृतीय इत्. अहीनामपमा रथः थाणुमारदथाषत्.. (१) इं का रथ पहला, दे व का सरा और व ण का तीसरा है. सप का रथ अपमा अथात् न न ग तशील नामक है, जो थाणु अथात् सूखे वृ से अ धक रमणीय है एवं तेज चलता है. (१) दभः शो च त णकम
य वारः प ष य वारः. रथ य ब धुरम्.. (२)
दभ सप को शोक दे ने वाला है, यह त णक एवं अ नामक सप के वष का नरोधक है. प ष नामक सप के वष का नवारण करने वाला दभ रथ का बाधक है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अव ेत पदा ज ह पूवण चापरेण च. उद लुत मव दावहीनामरसं वषं वा म्… (३) हे ेतपद! तू अपने अगले एवं पछले पैर के ारा सप का वनाश कर. गरता आ का जस कार श से हीन हो जाता है, उसी कार सप वष भावहीन हो जाता है. हे दभ! तू इस भयानक सप वष का नवारण कर. (३) अरंघुषो नम यो म य पुनर वीत्. उद लुत मव दावहीनामरसं वषं वा
म्.. (४)
अरंघुष नाम क ओष ध ने पानी म डु बक लगाई और ऊपर आ कर कहा क जस कार गरता आ का श हीन होता है, उसी कार सप का वष भी भावहीन हो जाए. हे कुश! तू इस भयानक सप वष का नवारण कर. (४) पै ो ह त कसण लं पै ः मुता सतम्. पै ो रथ ाः शरः सं बभेद पृदा वाः.. (५) पै नामक ओष ध कसण ल नामक सप को, ेत सप को और काले सप को न करती है. पै ने रथ ा और पृदाकू नामक नाग का सर तोड़ दया था. (५) पै े ह थमो ऽ नु वा वयमेम स. अहीन् यतात् पथो येन मा वयमेम स.. (६) हे पै ! तुम सव े हो. हम तु हारी ाथना करते ह. तुम यहां आओ. हम जस माग से आतेजाते ह, तुम उस माग से सप को र भगा दो. (६) इदं पै ो अजायतेदम य परायणम्. इमा यवतः पदा ऽ ह यो वा जनीवतः.. (७) यह पै उ प आ है. यह इस के आ य म है. वह इन शी चलने वाले सप का नवतन करने वाला है. (७) संयतं न व परद् ा ं न सं यमत्. अ मन् े े ावही ी च पुमां तावुभावरसा.. (८) सप का बंद मुख हम डसने के लए न खुले. इस े म नवास करने वाले नर और मादा सप अथात् सांप और सां पन मं क श से श हीन हो जाएं. (८) अरसास इहाहयो ये अ त ये च रके. घनेन ह म वृ कम ह द डेनागतम्.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो सप यहां से समीप रहते ह और जो र रहते ह, वे वषहीन हो जाएं. म ब छू को हथौड़ा से मारता ं और सांप को डंडे से मारता ं. (९) अघा येदं भेषजमुभयोः वज य च. इ ो मे ऽ हमघाय तम ह पै ो अर धयत्.. (१०) मेरे पास जो जड़ीबू टयां ह, वे अघा और वज दोन कार के सप का वष र करने वाली ह. हसा पी पाप करने वाले सांप को रोकने के हेतु इं ने पै को मेरे वश म कया है. (१०) पै य म महे वयं थर य थरधा नः. इमे प ा पृदाकवः द यत आसते.. (११) थर एवं थायी तेज वाले पै को हम मानते ह. ये प शोकम न करते ह. (११) न ासवो न वषा हता इ े ण व
और पृदाकू नामक सप को
णा. जघाने ो ज नमा वयम्.. (१२)
व धारी इं ने उन सप के ाण एवं वष को समा त कर दया था, ज ह इं ने मारा था. हम उन का वनाश करते ह. (१२) हता तर राजयो न प ासः पृदाकवः. द व क र तं ं दभ व सतं ज ह.. (१३) तर राजी सांप मार दए गए ह और पृदाकू नामक सांप पीस डाले गए ह. हे दव ! तू दभ पर पड़े ए सफेद और काले क रकृत सांप का वनाश कर दे . (१३) कैरा तका कुमा रका सका खन त भेषजम्. हर ययी भर भ गरीणामुप सानुषु.. (१४) करात जा त क कुमारी कुदाल से सप क ओष ध खोजती है. वह पवत क चो टय पर सोने के फावड़ से ओष ध खोदती है. (१४) आयमगन् युवा भषक् पृ हापरा जतः. स वै वज य ज भन उभयोवृ क य च.. (१५) कभी परा जत न होने वाला युवा वै मं श ब छू का वनाश कर सकता है. (१५) इ ो मे ऽ हमर धय म
से संप है. यह वज नामक सप और
व ण . वातापज यो ३ भा.. (१६)
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(१६)
इं , म , व ण, वायु और पज य अथात् बादल ने सप को मेरे वश म कर दया है. इ ो मे ऽ हमर धयत् पृदाकुं च पृदा वम्. वजं तर रा ज कसण लं दशोन सम्.. (१७)
इं ने मेरे क याण के हेतु पृदाकू, पृदा व, वज तर राजी, कसण ल एवं दशोन स नामक सप को मेरे वश म कर दया है. (१७) इ ो जघान थमं ज नतारमहे तव. तेषामु तृ माणानां कः वत् तेषामसद् रसः.. (१८) हे सप! इं ने सब से पहले तेरे ज म दे ने वाल को मारा था. उन सप के वनाश के समय कस सप म वष शेष रहा? (१८) सं ह शीषा य भं पौ इव कवरम्. स धोम यं परे य नजमहे वषम्.. (१९) केवट जस कार पतवार को हण करता है, उसी कार म ने सप शीश पकड़ लए ह. म ने सधु के म य भाग से लौट कर सप के वष को भावहीन बना दया है. (१९) अहीनां सवषां वषं परा वह तु स धवः. हता तर राजयो न प ासः पृदाकवः.. (२०) सभी न दयां सप के वष को अपने जल के साथ बहा ले जाएं. तर राजी नामक सप न हो गए और पृदाकू नामक सप पीस डाले गए. (२०) ओषधीनामहं वृण उवरी रव साधुया. नया यवती रवाहे नरैतु ते वषम्.. (२१) म अपनी उ म बु के ारा उपजाऊ भू म पर उगी ई जड़ीबू टय को वीकार कर के उ ह इस कार े रत करता ,ं जस कार वेग वाली न दयां बहती ह. हे सप! उन जड़ीबू टय से वष समा त हो जाए. (२१) यद नौ सूय वषं पृ थ ामोषधीषु यत्. का दा वषं कन ककं नरै वैतु ते वषम्.. (२२) अ न म, सूय म, पृ वी म तथा जड़ीबू टय म जो वष है, वह तथा कंद का वष पूणतया न हो जाए. (२२) ये अ नजा ओष धजा अहीनां ये अ सुजा व ुत आबभूवुः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
येषां जाता न ब धा महा त ते यः सप यो नमसा वधेम.. (२३) अ न, जड़ीबू टय , जल एवं सप म जो वष है तथा जन के ारा भयानक कम ए ह, हम उन सभी सप को ह ारा तृ त करते ह. (२३) तौद नामा स क या घृताची नाम वा अ स. अध पदे न ते पदमा ददे वष षणम्.. (२४) हे जड़ीबूट ! तू तौद और घृताची नाम वाली हो. नीचे क ओर कए गए अपने पैर के ारा म वष समा त करता ं और सभी को वश म करता ं. (२४) अ ाद ात् यावय दयं प र वजय. अधा वष य यत् तेजो ऽ वाचीनं तदे तु ते.. (२५) हे रोगी! तू अपने येक अंग से वष को टपकाता आ अपने दय क र ा कर. वष का जो तेज है, वह अधोग त को ा त हो कर न हो जाए. (२५) आरे अभूद ् वषमरौद् वषे वषम ाग प. अ न वषमहे नरधात् सोमो नरणयीत्. दं ारम वगाद् वषम हरमृत.. (२६) नवीन वष भी ाचीन वष म मल कर क गया है. इस कार वष न हो चुका है. अ न ने सांप के वष को न कर दया है. सोम सप के वष को र ले गया है. काटने वाले सांप को ही उस का वष ा त आ, जस से उस क मृ यु हो गई. (२६)
सू -५ इ यौज थे य सह थे य बलं थे थ. ज णवे योगाय योगैयव युन म.. (१)
दे वता—जल य वीय १ थे
य नृ णं
हे जलो! तुम इं के ओज, बल एवं वीय हो. तुम ही इं को नवीन बनाने वाली श हो तथा तुम ही इं के ऐ य हो. म तु ह योग से यु कर के वजय दलाने वाले योग क मता वाला बनाता ं. (१) इ यौज थे य सह थे य बलं थे थ. ज णवे योगाय योगैव युन म.. (२)
य वीय १ थे
य नृ णं
हे जलो! तुम इं के ओज, बल एवं वीय हो. तुम ही इं को नवीन बनाने वाली श ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हो
तथा तुम ही इं के ऐ य हो. म तु ह योग क मता वाला बनाता ं. (२)
य संबंधी योग से यु
इ यौज थे य सह थे य बलं थे थ. ज णवे योगाये योगैव युन म.. (३)
कर के वजय दलाने वाले
य वीय १ थे
य नृ णं
हे जलो! तुम इं के ओज, बल एवं वीय हो. तुम ही इं को नवीन बनाने वाली श एवं तुम ही इं के ऐ य हो. म तु ह इं संबंधी योग से यु कर के वजय दलाने वाले योग क मता वाला बनाता ं. (३) इ यौज थे य सह थे य बलं थे थ. ज णवे योगाय सोमयोगैव युन म.. (४)
य वीय १ थे
य नृ णं
हे जलो! तुम इं के ओज, वीय एवं बल हो. तुम ही इं को नवीन बनाने वाली श एवं ऐ य दान करने वाले हो. म तु ह जल संबंधी योग से यु करता ,ं जस से म वजय ा त कर सकूं. (४) इ यौज थे य सह थे य बलं थे थ. ज णवे योगाया सुयोगैव युन म.. (५)
य वीय १ थे
य नृ णं
हे जलो! तुम इं के ओज, बल एवं वीय हो. तुम ही इं को नवीन बनाने वाली श हो एवं तुम ही इं के ऐ य हो. म वजय ा त करने वाले योग के हेतु तु ह अपने समीप रखना चाहता ं. सम त ाणी मेरे समीप रह. (५) इ यौज थे य सह थे य बलं थे य वीय १ थे य नृ णं थ. ज णवे योगाय व ा न मा भूता युप त तु यु ा म आप थ.. (६) हे जलो! तुम अ न के भाग हो. जल से मु भाग को एवं द करो. अ न का भाग इस लोक के जाप त के तेज से यु हो. (६)
तेज को हम म धारण
अ नेभाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (७) हे जलो! तुम इं के भाग को, जल के वीय एवं द तेज को हम म थत करो. लोक का क याण करने के लए जाप त का तेज हम म धारण करो. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ य भाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (८) हे द वाह वाले जलो! तुम इं के अंश हो. तेज जल का वीय है. तुम हम म तेज था पत करो. तुम जाप त के नवास थान से पधारे हो. हम तु ह इस लोक म न त थान दान करते ह. (८) सोम य भाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (९) हे जलो! तुम सोम के भाग हो, तुम जल का वीय एवं द लोक के क याण के लए जाप त का तेज हम म थत हो. (९)
तेज हम म धारण करो.
व ण य भाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (१०) हे जलो! तुम व ण के भाग हो. तुम जल का वीय एवं द तेज हम म धारण करो. तुम लोक के क याण के लए जाप त का तेज हम म थत हो. (१०) म ाव णयोभाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (११) हे जलो! तुम म और व ण के भाग हो. तुम जल का वीय और द तेज हम म धारण करो. तुम लोक के क याण के लए जाप त का तेज हम म थत करो. (११) यम य भाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (१२) हे जलो! तुम यम के भाग हो. तुम जल का वीय और द तेज हम म धारण करो. तुम लोक क याण के लए जाप त का तेज हम म थत करो. (१२) पतॄणां भाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे जलो! तुम पतर के भाग हो. तुम जल का वीय और द तेज हम म धारण करो. लोक के क याण के लए तुम हम म जाप त का तेज थत करो. (१३) दे व य स वतुभाग थ. अपां शु मापो दे वीवच अ मासु ध . जापतेव धा ना ऽ मै लोकाय सादये.. (१४) हे जलो! तुम स वता दे व के भाग हो. तुम जल का वीय एवं द तेज हम म धारण करो. लोक क याण के न म तुम हम म जाप त का तेज थत करो. (१४) यो व आपो ऽ पां भागो ३ व १ तयजु यो दे वयजनः. इदं तम त सृजा म तं मा यव न . तेन तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः. तं वधेयं तं तृषीयानेन णा ऽ नेन कमणा ऽ नया मे या.. (१५) हे जलो! तु हारा जो जलीय भाग यजुवद के मं ारा सेवा करने यो य एवं दे व से संयु है, उसे म अपने श ु क ओर भेजता ं. वह जलीय भाग मुझे पु करे. म इस मं से होने वाले जा टोने के ारा और जल प व से आ छा दत कर के उ ह न करता ं. (१५) यो व आपो ऽ पामू मर व १ तयजु यो दे वयजनः. इदं तम त सृजा म तं मा यव न . तेन तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः. तं वधेयं तं तृषीयानेन णा ऽ नेन कमणा ऽ नया मे या.. (१६) हे जलो! तु हारी जो लहर यजुवद के मं से सेवा करने यो य एवं दे व से संयु ह, म उ ह अपने श ु क ओर भेजता ं. वे लहर मुझे पु कर. म इस मं के ारा होने वाले जा टोने से और जल क लहर पी श से आ छा दत कर के उ ह न करता ं. (१६) यो व आपो ऽ पां व सो ३ व १ तयजु यो दे वयजनः. इदं तम त सृजा म तं मा यव न . तेन तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः. तं वधेयं तं तृषीयानेन णा ऽ नेन कमणा ऽ नया मे या.. (१७) हे जलो! तुम म जो जल का व स है, वह यजुवद के मं ारा सेवा करने यो य है एवं दे व से संयु है. म उसे अपने श ु क ओर भेजता ं. जल के वे व स मुझे पु कर. म इस मं के ारा होने वाले जा टोने से और जल के व स पी श से आ छा दत कर के उ ह न करता ं. (१७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यो व आपो ऽ पां वृषभो ३ व १ तयजु यो दे वयजनः. इदं तम त सृजा म तं मा यव न . तेन तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः. तं वधेयं तं तृषीयानेन णा ऽ नेन कमणा ऽ नया मे या.. (१८) हे जलो! तुम म जो वृषभ अथात् बैल है, वह यजुवद के मं ारा सेवा करने यो य है एवं दे व से संयु है. उसे म अपने श ु क ओर भेजता ं. जल का वृषभ मुझे पु करे. म इस मं के ारा होने वाले जा टोने से और जल के वृषभ पी श से उ ह न करता ं. (१८) यो व आपो ऽ पां हर यगभ ३ व १ तयजु यो दे वयजनः. इदं तम त सृजा म तं मा यव न . तेन तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः. तं वधेयं तं तृषीयानेन णा ऽ नेन कमणा ऽ नया मे या.. (१९) हे जलो! तु हारे म य जो हर यगभ है, वह यजुवद के मं ारा सेवा करने यो य है एवं दे व से संयु है. उसे म अपने श ु क ओर भेजता ं. जल का हर यगभ अंश मुझे पु करे. म इस मं के ारा होने वाले जा टोने से और जल के हर यगभ पी श से उ ह न करता ं. (१९) यो व आपो ऽ पाम मा पृ द ो ३ व १ तयजु यो दे वयजनः. इदं तम त सृजा म तं मा यव न . तेन तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः. तं वधेयं तं तृषीयानेन णा ऽ नेन कमणा ऽ नया मे या.. (२०) हे जलो! तुम म जो द एवं दे व से संयु है; उसे म अंश मुझे पु करे. म इस मं पी श से उ ह न करता
पृ अ मा है, वह यजुवद के मं ारा सेवा करने यो य है अपने श ु क ओर भेजता ं. जल का द पृ अ मा के ारा होने वाले जा टोने से और जल के द पृ अ मा ं. (२०)
यो व आपो ऽ पाम नयो ३ व १ तयजु या दे वयजनाः. इदं तान त सृजा म तान् मा यव न . तै तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः. तं वधेयं तं तृषीयानेन णा ऽ नेन कमणा ऽ नया मे या.. (२१) हे जलो! तुम म जो अ नयां ह, वे यजुवद के मं के ारा सेवा करने यो य एवं दे व क संग त करने वाली ह. उ ह म अपने श ु क ओर भेजता ं. जल क अ नयां मुझे पु कर. इस मं क श से होने वाले जा टोने के ारा और जल पी अ के ारा म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपने श ु
को न करता ं. (२१)
यदवाचीनं ह ै ायणादनृतं क चो दम. आपो मा त मात् सव माद् रतात् पा वंहसः.. (२२) हम ने तीन वष म जो झूठ बोला है, वह नवीन ग त लाने वाला है. जल मुझे इस सम त पाप से बचाएं. (२२) समु ं वः हणो म वां यो नमपीतन. अ र ाः सवहायसो मा च नः क चनाममत्.. (२३) हे जलो! म तु ह सागर क ओर जाने क ेरणा दे ता ं. सागर तु हारा उ प थान है. तुम उस म मल जाओ. सभी ओर ग त वाले तुम हसा समा त करने वाले हो. हम कोई न न करे. (२३) अ र ा आपो अप र म मत्. ा मदे नो रतं सु तीकाः व यं
मलं वह तु.. (२४)
हे श ु का वनाश करने वाले जलो! हमारे श ु का वनाश करो. तुम हमारे पाप का वनाश करो एवं बुरे व पी मैल को हम से र कर दो. (२४) व णोः मो ऽ स सप नहा पृ थवीसं शतो ऽ नतेजाः. पृ थवीमनु व मे ऽ हं पृ थ ा तं नभजामो यो ३ मान् े मः. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (२५)
यं वयं
तू व का परा म एवं श ु का वनाश करने वाला है. तू पृ वी पर आ त एवं अ न का तेज है. म पृ वी पर व म का दशन करता ं तथा पृ वी से उसे हटाता ं. जो हम से े ष करता है अथवा हम जस से े ष करते ह, वह जी वत न रहे. ाण उसे याग द. (२५) व णोः मो ऽ स सप नहा ऽ त र सं शतो वायुतेजाः. अ त र मनु व मे ऽ हम त र ात् तं नभजामो यो ३ मान् े वयं मः. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (२६)
यं
तू व का परा म एवं श ु का वनाश करने वाला है. तू अंत र पर आ त एवं व का तेज है. म अंत र म परा म दखाता ं एवं उसे अंत र से र भगाता ं. जो हम से े ष करता है अथवा हम जस से े ष करते ह, वह जी वत न रहे. ाण उस का याग कर द. (२६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व णोः मो ऽ स सप नहा ौसं शतः सूयतेजाः. दवमनु व मे ऽ हं दव तं नभजामो यो ३ मान् े स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (२७)
यं वयं
मः.
तू व णु का परा म एवं श ु का वनाश करने वाला है. तू ुलोक म आ त एवं सूय का तेज है. म ुलोक म परा म द शत करता और उसे ुलोक से बाहर नकालता ं. जो हम से े ष करता है अथवा हम जस से े ष करते ह, वह जी वत न रहे. ाण उसका याग कर द. (२७) व णोः मो ऽ स सप नहा द सं शतो मन तेजाः. दशो ऽ नु व मे ऽ हं द य तं नभजामो यो ३ मान् े मः. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (२८)
यं वयं
तू व णु का परा म एवं श ु का वनाश करने वाला है. तू दशा म थत है एवं मन का तेज है. म दशा म परा म का दशन करता ं तथा दशा से उसे हटाता ं. जो हम से े ष करता है अथवा हम जससे े ष करते ह, उसका वनाश हो. ाण उसका याग कर द. (२८) व णोः मो ऽ स सप नहाशासं शतो वाततेजाः. आशा अनु व मे ऽ हमाशा य तं नभजामो यो ३ मान् े मः. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (२९)
यं वयं
तू व णु का परा म एवं श ु का वनाश करने वाला है. तू आकाश म थत है एवं वायु का तेज है. म आकाश म परा म का दशन करता ं और आकाश से उसे हटाता ं. जो हम से े ष करते ह अथवा हम जन से े ष करते ह, उन का वनाश हो. ाण उन का याग कर द. (२९) व णोः मो ऽ स सप नह ऋ सं शतः सामतेजाः. ऋचो ऽ नु व मे ऽ हमृ य तं नभजामो यो ३ मान् मः. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (३०) े
यं वयं
तू व णु का परा म एवं श ु का वनाश करने वाला है. तू ऋचा म थत है. सोम तेरा तेज है. म आकाश के म य ऋचा म परा म का दशन करता ं और ऋचा से उसे हटाता ं. जो हम से े ष करता है अथवा हम जस से े ष करते ह, उस का वनाश हो. ाण उस का याग कर द. (३०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व णोः मो ऽ स सप नहा य सं शतो तेजाः. य मनु व मे ऽ हं य ात् तं नभजामो यो ३ मान् े स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (३१)
यं वयं
मः.
तू व णु का तेज एवं श ु का वनाश करने वाला है. तू य म थत है एवं का तेज है. म म परा म का दशन करता ं तथा से उसे हटाता ं. हम जस से े ष करते ह अथवा जो हम से े ष करता है, उस का वनाश हो. ाण उस का याग कर द. (३१) व णोः मो ऽ स सप नहौषधीसं शतः सोमतेजाः. ओषधीरनु व मे ऽ हमोषधी य तं नभजामो यो ३ मान् े मः. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (३२)
यं वयं
तुम व णु के परा म एवं श ु का वनाश करने वाले हो. तुम ओष ध म आ त हो एवं सोम के तेज हो. म ओष धय म अपने परा म का दशन करता ं तथा ओष धय से उसे हटाता ं. म जस से े ष करता ं अथवा जो हम से े ष करता है. उस का वनाश हो. ाण उस का याग कर. (३२) व णो मो ऽ स सप नहा सुसं शतो व णतेजाः. अपो ऽ नु व मे ऽ हम य तं नभजामो यो ३ मान् मः. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (३३) े
यं वयं
तुम व णु के परा म एवं श ु का वनाश करने वाले हो. तुम जल म थत एवं व ण का तेज हो. म जल म अपने परा म का दशन करता ं तथा जल से उसे हटाता ं. म जस से े ष करता ं अथवा जो मुझ से े ष करता है, उस का वनाश हो. ाण उस का याग कर. (३३) व णोः मो ऽ स सप नहा कृ षसं शतो ऽ तेजाः. कृ षमनु व मे ऽ ह कृ या तं नभजामो यो ३ मान् े स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (३४)
यं वयं
मः.
तुम व णु के परा म एवं श ु वनाशकता हो. तुम कृ ष म थत एवं अ के तेज हो. म कृ ष म अपने परा म का दशन करता ं तथा कृ ष से उसे हटाता ं. हम जस से े ष करते ह अथवा जो हम से े ष करता है, उस का वनाश हो. ाण उस का याग कर. (३४) व णोः मो ऽ स सप नहा ाणसं शतः पु षतेजाः. ाणमनु व मे ऽ हं ाणात् तं नभजामो यो ३ मान् मः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
े
यं वयं
स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (३५) तुम व णु के परा म एवं श ु वनाशकता हो. तुम ाण म थत हो एवं पु ष तु हारा तेज है. हम ाण म अपने परा म का दशन करते ह और उसे ाण से र करते ह. जो हम से े ष करता है अथवा हम जस से े ष करते ह, उस का वनाश हो. ाण उस का याग कर द. (३५) जतम माकमु म माकम य ां व ाः पृतना अरातीः. इदमहमामु यायण यामु याः पु य वच तेजः वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (३६)
ाणमायु न
जीते ए पदाथ हमारे ह और लाए ए सभी पदाथ भी हमारे ह. श ु क सभी सेनाएं और श ु परा जत हो गए ह. अमुक गो म उ प एवं अमुक माता का पु यह मेरा श ु है. म इस के वच, तेज, ाण एवं आयु को घेरता ं तथा इस श ु को परा जत करता ं. (३६) सूय यावृतम वावत द णाम वावृतम्. सा मे वणं य छतु सा मे ा णवचसम्.. (३७) जो माग द ण म फैला आ है और जसे सूय ने आवृत कया आ है, म उस माग का अनुगमन करता ं. यह द ण दशा मुझे धन एवं तेज दान करे. (३७) दशो यो त मतीर यावत. ता मे (३८) म काश से पूव दशा तेज द. (३८) स तऋषीन यावत. ते मे
वणं य छ तु ता मे ा णवचसम्..
का अनुवतन करता ं. वे दशाएं मुझे धन दान कर एवं वणं य छ तु ते मे ा णवचसम्.. (३९)
म स त ऋ षय का अनुवतन करता ं. वे मुझे धन दान कर एवं ा यावत. त मे म
वणं य छतु त मे ा णवचसम्.. (४०)
का अनुवतन करता ं. वह मुझे धन दान करे और
ा णाँ अ यावत. ते मे (४१)
तेज द. (३९)
तेज दे . (४०)
वणं य छ तु ते मे ा णवचसम्.. (४१)
म ा ण के अनुकूल आचरण करता ं. वे ा ण मुझे धन एवं यं वयं मृगयामहे तं वधै तृणवामहै.
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तेज दान करे.
ा े परमे नो
णापीपदाम तम्.. (४२)
हम जसे खोज रहे ह, उसे वध के साधन अथात् आयुध के ारा न कर. हम मं बल से उसे परमे ी अथात् क दाढ़ के नीचे डाल द. (४२) वै ानर य दं ा यां हे त तं समधाद भ. इयं तं सा वा तः स मद् दे वी सहीयसी.. (४३) वै ानर अथात् अ न क जो दाढ़ आयुध के समान है, हम श ु को उस म धारण करते ह अथात् रखते ह. उस श ु का नाश कर के अ न म जो स मधा डाली जाती है, वह द स मधा श ु को र भगाने म समथ है. (४३) रा ो व ण य ब धो ऽ स. सो ३ मुमामु यायणममु याः पु म े ाणे बधान.. (४४) तू राजा व ण के बंधन म पड़ा है. वे इस गो वाले एवं अमुक माता के पु को अ और ाण के बंधन म बांधते ह. (४४) यत् ते अ ं भुव पत आ य त पृ थवीमनु. त य न वं भुव पते सं य छ जापते.. (४५) हे पृ वी के वामी! तु हारा जो अ जाप त हम दान कर. (४५)
पृ वी पर बखरा आ है, वह पृ वी के वामी
अपो द ा अचा यषं रसेन समपृ म ह. पय वान न आगमं तं मा सं सृज वचसा.. (४६) हे द जलो! म तुम से याचना करता ं. तुम मुझे अपने रस से संयु दे व! म अ ले कर आ रहा ं. तुम मुझे तेज से यु बनाओ. (४६)
करो. हे अ न
सं मा ऽ ने वचसा सृज सं जया समायुषा. व ुम अ य दे वा इ ो व ात् सह ऋ ष भः.. (४७) हे अ न दे व! तुम मुझे तेज से यु करो एवं संतान दान करो. सम त दे व मेरे इस भाव को जान. ऋ षय के साथ-साथ इं भी मेरे इस भाव को जान. (४७) यद ने अ मथुना शपातो य ाच तृ ं जनय त रेभाः. म योमनसः शर ा ३ जायते या तया व य दये यातुधानान्.. (४८) हे अ न दे व! जो लोग एक हो कर हम गा लयां दे रहे ह तथा जो बोलने वाले दोष पूण वाणी का उ चारण कर रहे ह, जो श ु अपने ोधपूण दय के कारण तु हारे बाण के ल य ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बन रहे ह, अपने वाला
प बाण से उन के दय को भेद दो. (४८)
परा शृणी ह तपसा यातुधानान् परा ऽ ने र ो हरसा शृणी ह. परा ऽ चषा मूरेदेवांछृणी ह परासु तृपः शोशुचतः शृणी ह.. (४९) हे अ न दे व! अपनी वाला से इन रा स को र भगा दो एवं इ ह न कर दो. तुम अपनी लपट से मूख को र भगा दो. जो सर के ाण को न कर के संतु होते ह, तुम उन का संहार करो. (४९) अपाम मै व ं हरा म चतुभृ शीष भ ाय व ान्. सो अ या ा न शृणातु सवा त मे दे वा अनु जान तु व े.. (५०) इन मं को जानने वाला म इस श ु का सर तोड़ने के लए उस व का हार करता ,ं जो जल के चार ओर वनाश करने वाला है. वह व इस श ु के सभी अंग को काट दे . मेरा यह कम सम त दे व अनुकूलता से जान अथात् उ चत समझ. (५०)
दे वता—वन प तफला म ण
सू -६ अरातीयो ातृ
य हाद
बंधु म जो मेरा श ,ु से तोड़ता ं. (१)
षतः शरः. अ प वृ ा योजसा.. (१) दय वाला और े ष करने वाला है, उस का शीश भी म वेग
वम म मयं म णः फाला जातः क र य त. पूण म थेन मागमद् रसेन सह वचसा.. (२) फाल से उ प यह म ण मेरे लए कवच बन कर र ा करेगी. मंथन क साम य एवं रस बल से यु होने के कारण समथ यह म ण मेरे पास आई है. (२) यत् वा श वः परा ऽ वधीत् त ा ह तेन वा या. आप वा त मा जीवलाः पुन तु शुचयः शु चम्.. (३) कुशल बढ़ई जो तुझे औजार स हत हाथ से मारता है अथात् छ ल कर तेरा नमाण करता है, इसी कारण जीवन दे ने वाले एवं प व जल तुझे शु कर और प व बनाएं. (३) हर य गयं म णः
ां य ं महो दधत्. गृहे वसतु नो ऽ त थः.. (४)
सुवण क माला से यु यह म ण अ त थ बन कर नवास करे. (४)
ा, य एवं तेज को धारण करती ई हमारे घर म
त मै घृतं सुरां म व म ं दामहे. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स नः पतेव पु े यः म णरे य.. (५)
ेयः
ेय
क सतु भूयोभूयः
ः
ोः दे वे यो
हम इस अ त थ के लए घृत, म दरा, शहद और अ दे ते ह. जस कार पता पु को परम क याण दे ता है, उसी कार यह म ण मुझे क याण दे . यह म ण दे व के समीप से मेरे पास आ कर बारबार और त दन मुझे सुख दान करे. (५) यमब नाद् बृह प तम ण फालं घृत तमु ं ख दरमोजसे. तम नः यमु चत सो अ मै ह आ यं भूयोभूयः ः तेन वं ज ह.. (६)
षतो
यह म ण फाल से उ प , घृत टपकाने वाली, बल यु एवं ख दर अथात् खैर वृ क लकड़ी से बनी है. बृह प त ने बल ा त के लए इसे बांधा था. अ न ने यह म ण मुझे द है. हे यजमान! यह म ण तुझे बारबार और त दन बल दान करे, जस से तू त दन एवं बारबार श ु का वनाश कर सके. (६) यमब नाद् बृह प तम ण फालं घृत तमु ं ख दरमोजसे. त म ः यमु चतौजसे वीयाय कम्. सो अ मै बल मद् हे भूयोभूयः ः तेन वं षतो ज ह.. (७) यह म ण फाल से उ प , घृत टपकाने वाली, बल यु एवं ख दर अथात् खैर वृ क लकड़ी से बनी है. बृह प त ने बल ा त के लए इसे बांधा था. इं ने बल, वीय और सुख दान करने हेतु इस म ण को मुझे दया है. हे यजमान! यह म ण बारबार और त दन तुझे बल दान करे. उस बल क सहायता से तू श ु का वनाश करे. (७) यमब नाद् बृह प तम ण फालं घृत तमु ं ख दरमोजसे. तं सोमः यमु चत महे ो ाय च से. सो अ मै वच इद् हे भूयोभूयः ः तेन वं षतो ज ह.. (८) बृह प त ने जस फाल से उ प , घी टपकाने वाली, श शा लनी एवं खैर वृ क लकड़ी से बनी म ण को बल ा त करने के लए बांधा था, उसे सोम ने मह व, सुनने क श और उ म पाने के लए मुझे दान कया है. हे यजमान! यह म ण तुझे बारबार एवं त दन तेज दान करे, जस क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर सके. (८) यमब नाद् बृह प तम ण फालं घृत तमु ं ख दरमोजसे. तं सूयः यमु चत तेनेमा अजयद् दशः. सो अ मै भू त मद् हे भूयोभूयः ः तेन वं षतो ज ह.. (९) बृह प त ने फाल से उ प , घी टपकाने वाली, श
शा लनी एवं खैर वृ
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क लकड़ी
से बनी म ण को बल ा त के लए बांधा था. उसे सूय ने मुझे दया था. इस से म ने इन सभी दशा को जीत लया था. हे यजमान! यह म ण तेरे लए त दन और बार-बार ऐ य दान करे, जस क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर सके. (९) यमब नाद् बृह प तम ण फालं घृत तमु ं ख दरमोजसे. तं ब च मा म णमसुराणां पुरो ऽ जयद् दानवानां हर ययीः. सो अ मै य मद् हे भूयोभूयः ः तेन वं षतो ज ह.. (१०) बृह प त ने फाल से उ प , घी टपकाने वाली, श शा लनी एवं खैर वृ क लकड़ी से बनी म ण को बल ा त के लए बांधा था. उसे धारण करते ए चं मा ने असुर के नगर एवं दा नय के वण को जीत लया था. यह म ण इस यजमान के लए बारबार एवं त दन ी दान करे. हे यजमान! उस क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर. (१०) यमब नाद् बृह प तवाताय म णमाशवे. सो अ मै वा जनं हे भूयोभूयः ः तेन वं
षतो ज ह. (११)
बृह प त ने जस को यह म ण वायु के समान शी ग त ा त करने के लए बांधी, उस के लए यह म ण त दन एवं बारबार घोड़े दान करे. हे यजमान! उन क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर. (११) यमब नाद् बृह प तवाताय म णमाशवे. तेनेमां म णना कृ षम नाव भ र तः. स भष यां महो हे भूयोभूयः ः तेन वं
षतो ज ह.. (१२)
बृह प त दे व ने जसे यह म ण वायु के समान शी ग त ा त करने के लए बांधी, उसी म ण के ारा अ नीकुमार इस कृ ष क र ा कर. इस ने अ नीकुमार का बारबार एवं त दन मह व दान कया. हे यजमान! इस म ण क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर. (१२) यमब नाद् बृह प तवाताय म णमाशवे. तं ब त् स वता म ण तेनेदमजयत् वः. सो अ मै सूनृतां हे भूयोभूयः ः तेन वं
षतो ज ह.. (१३)
बृह प त दे व ने जस को यह म ण वायु के समान वेग ा त करने के लए बांधी थी, उसे धारण करते ए स वता दे व ने वग को वजय कया. उस ने यजमान के लए स य दान कया. हे यजमान! इस से तू अपने श ु का वनाश कर. (१३) यमब नाद् बृह प तवाताय म णमाशवे. तमापो ब तीम ण सदा धाव य ताः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सो आ यो ऽ मृत मद् हे भूयोभूयः ः
तेन वं
षतो ज ह.. (१४)
बृह प त ने वायु के समान वेग ा त करने के लए जस को यह म ण बांधी, उस म ण को धारण करने वाले जल सदा अ वनाशी हो कर दौड़ते है अथात् बहते ह. इस म ण ने जल के लए बारबार और त दन अमृत दान कया. हे यजमान! इस म ण क सहायता से तुम श ु का वनाश करो. (१४) यमब नाद् बृह प तवाताय म णमाशवे. तं राजा व णो म ण यमु चत शंभुवम्. सो अ मै स य मद् हे भूयोभूयः ः तेन वं
षतो ज ह.. (१५)
जस म ण को बृह प त दे व ने वायु के समान वेग ा त करने के लए बांधा, उसी सुखदायी म ण को राजा व ण ने हम दया है. वह म ण इस यजमान के लए त दन और बारबार स य दान करे. हे यजमान! इस क सहायता से तुम अपने श ु का वनाश करो. (१५) यमब नाद् बृह प तवाताय म णमाशवे. तं दे वा ब तो म ण सवा लोकान् युधा ऽ जयन्. स ए यो ज त मद् हे भूयोभूयः ः तेन वं षतो ज ह.. (१६) बृह प त दे व ने जस म ण को वायु के समान वेग ा त करने के लए बांधा था, उसी म ण को धारण करने वाले दे व ने यु के ारा सभी लोक को जीत लया. वह म ण इस यजमान के लए वजय दान करे. हे यजमान! इस क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर. (१६) यमब नाद् बृह प तवाताय म णमाशवे. त ममं दे वता म ण यमु च त शंभुवम्. स आ यो व मद् हे भूयोभूयः ः तेन वं
षतो ज ह.. (१७)
बृह प त ने वायु के समान वेग ा त करने के लए जस म ण को बांधा, दे व ने उसी सुखदायी म ण को मुझे दया है. इस म ण ने दे व के लए बारबार और त दन स य दान कया है. हे यजमान! इस म ण क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर. (१७) ऋतव तमब नतातवा तमब नत. संव सर तं बद् वा सव भूतं व र त.. (१८) वसंत आ द ऋतु ने इस म ण को बांधा और ऋतु से उ प चै आ द मास ने इस म ण को बांधा है. संव सर इसी म ण को बांध कर सम त ा णय क र ा करता है. (१८) अ तदशा अब नत दश तमब नत. जाप तसृ ो म ण षतो मे ऽ धरां ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अकः… (१९) आ नेय, ईशान आ द अंत दशा ने इस म ण को बांधा तथा पूव आ द दशा इस को बांधा. जाप त के ारा न मत यह म ण मेरे श ु को परा जत करे. (१९) अथवाणो अब नताथवणा अब नत. तैम दनो अ रसो द यूनां ब भ ः पुर तेन वं
ने भी
षतो ज ह.. (२०)
अथवा ऋ षय ने इस म ण को बांधा तथा उन क संतान आथवण ने भी इस म ण को बांधा. उन क अथात् अथवा ऋ षय और उन क संतान क सहायता से श शाली बने अं गरा गो वाल ने लुटेर के नगर का वनाश कर दया. हे यजमान! इस म ण क सहायता से तू अपने श ु को मार. (२०) तं धाता
यमु चत स भूतं
क पयत्. तेन वं
षतो ज ह.. (२१)
इस म ण को वधाता ने हम दया. वधाता ने इस म ण क सहायता से सम त ा णय क रचना क . हे यजमान! इस म ण क सहायता से तू अपने श ु का वनाश कर. (२१) यमब नाद् बृह प तदवे यो असुर सहवचसा… (२२)
तम्. स मा ऽ यं म णरागमद् रसेन
बृह प त ने असुर का वनाश करने वाली जस म ण को दे व के हाथ म बांधा था, वही म ण रस और तेज के साथ मेरे पास आई है. (२२) यमब नाद् बृह प तदवे यो असुर तम्. स मा ऽ यं म णरागमत् सह गो भरजा व भर ेन जया सह.. (२३) बृह प त ने असुर का वनाश करने वाली जस म ण को दे व के हाथ म बांधा था, वही म ण गाय , बक रय , भेड़ , अ एवं संतान के साथ मुझे ा त ई है. (२३) यमब नाद् बृह प तदवे यो असुर तम्. स मा ऽ यं म णरागमत् सह ी हयवा यां महसा भू या सह.. (२४) बृह प त ने असुर का वनाश करने वाली जस म ण को दे व के हाथ म बांधा था, वही म ण गे ,ं जौ एवं महान वभू त के साथ मुझे ा त ई है. (२४) यमब नाद् बृह प तदवे यो असुर तम्. स मा ऽ यं म णरागम मधोघृत य धारया क लालेन म णः सह.. (२५) असुर का वनाश करने वाली जस म ण को बृह प त ने दे व के हाथ म बांधा था, वही म ण मधु एवं घृत क धारा तथा म दरा क धारा के साथ मुझे ा त ई है. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यमब नाद् बृह प तदवे यो असुर तम्. स मा ऽ यं म णरागम जया पयसा सह वणेन
या सह.. (२६)
बृह प त दे व ने असुर का वनाश करने वाली जस म ण को दे व के हाथ म बांधा था, वही म ण ऊजा, ध एवं शोभा के साथ मुझे ा त ई है. (२६) यमब नाद् बृह प तदवे यो असुर तम्. स मा ऽ यं म णरागमत् तेजसा व या सह यशसा क या सह.. (२७) बृह प त ने अुसर का वनाश करने वाली जस म ण को दे व के हाथ म बांधा था, वही म ण तेज, काश, य एवं क त के साथ मुझे ा त ई है. (२७) यमब नाद् बृह प तदवे यो असुर तम्. स मा ऽ यं म णरागमत् सवा भभू त भः सह.. (२८) बृह प त ने असुर का वनाश करने वाली जस म ण को दे व के हाथ म बांधा था, वही म ण मुझे सम त वभू तय के साथ ा त ई है. (२८) त ममं दे वता म ण म ं ददतु पु ये. अ भभुं वधनं सप नद भनं म णम्… (२९) दे व वही म ण मुझे पु के लए दान कर. वह म ण श ु नाशक, वाली एवं श ु का वनाश करने वाली है. (२९)
ा श
बढ़ाने
णा तेजसा सह त मु चा म मे शवम्. असप नः सप नहा सप नान् मेऽधरां अकः.. (३०) तेज के साथ म इस म ण को धारण करता ं. यह म ण मेरे लए क याणकारी है. इस म ण का कोई श ु नह है. श ुघातक इस म ण ने मेरे श ु क अवन त क है. (३०) उ रं षतो मामयं म णः कृणोतु दे वजाः. य य लोका इमे यः पयो धमुपासते. स मा ऽ यम ध रोहतु म णः ै ाय मूधतः.. (३१) दे व से उ प इस म ण ने मुझे श ु क अपे ा उ म थ त म रखा. इस म ण से हे सार प ध का तीन लोक सेवन करते ह. यह म ण मुझे े थान पर आरो पत करे. (३१) यं दे वाः पतरो मनु या उपजीव त सवदा. स मायम ध रोहतु म णः ै ाय मूधतः.. (३२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे व, मनु य और पतर सदा जस म ण के सहारे जी वत रहते ह, वह म ण मुझे थान पर आरो पत करे. (३२)
े
यथा बीजमुवरायां कृ े फालेन रोह त. एवा म य जा पशवो ऽ म ं व रोहतु.. (३३) जस कार हल के फाल से जुती ई उपजाऊ भू म म बीज उगता है, उसी कार मुझे पु , पौ आ द संतान, अ और पशु ा त ह . (३३) य मै वा य वधन मणे यमुचं शवम्. तं वं शतद ण मणे ै ाय ज वतात्.. (३४) हे य बढ़ाने वाली म ण! तू क याणका रणी है. म तुझे जस को बांध,ूं तू उस को े ता दान कर. (३४) एत म मं समा हतं जुषाणो अ ने त मन् वदे म सुम त व त णा.. (३५)
त हय होमैः. जां च ुः पशू स म े जातवेद स
हे अ न! इस म ण को ा त होते ए तुम हवन से समृ ा त करो. इस व लत अ नम ान के ारा उ म बु , क याण, संतान, आंख तथा पशु को ा त करो. (३५)
दे वता— कंभ, अ या म
सू -७
क म े तपो अ या ध त त क म ऋतम या या हतम्. व तं व ऽ य त त क म े स यम य त तम्.. (१) इस मनु य के कस अंग म तप या करने क श थत है? इस मनु य के कस अंग म स य भाषण क मता थत है? इस मनु य के कस अंग म त अथात् ढ़ न य और ा, कस अंग म थत रहती है? इस मनु य के कस अंग म स य त त है? (१) क माद ाद् द यते अ नर य क माद ात् पवते मात र ा. क माद ाद् व ममीते ऽ ध च मा मह क भ य ममानो अ म्.. (२) इस परमे र के कस अंग से अ न द त होती है? इस के कस अंग से वायु चलती है? चं मा का नमाण इस के कस अंग से आ है? वह चं मा इस व ाधार से कस अंग को नापता है? (२) क म
े त त भू मर य क म
े त य त र म्.
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क म
े त या हता ौः क म
े त यु रं दवः.. (३)
इस परमा मा के कस अंग म भू म थत रहती है? इस के कस अंग म अंत र होता है? यह ढ़ ौ इस के कस अंग म थत है? ऊंचा वग इस के कस अंग म थत है? (३) व १ े सन् द यत ऊ व अ नः व १ े सन् पवते मात र ा. य े स तीर भय यावृतः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (४) ऊपर क ओर चलने वाली अ न, कहां जाने क इ छा से व लत होती है? वायु कहां जाने क इ छा करती ई चलती ह? आवागमन के च कर म पड़े ए ाणी जहां जाने क इ छा से ग तशील ह, उस जगदाधार का वणन करो क वह कौन है. (४) वाधमासाः व य त मासाः संव सरेण सह सं वदानाः. य य यृतवो य ातवाः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (५) संव सर के साथ मलते ए अधमास अथात् प एवं मास कहां चले जाते ह? ये ऋतुएं और ऋतु से संबं धत पदाथ कहां चले जाते ह? उस परमा मा के वषय म बताओ क वह या है? (५) व १ े स ती युवती व पे अहोरा े वतः सं वदाने. य े स तीर भय यापः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (६) पर पर वरोधी प वाले युवा दन और युवती रात कहां जाने क इ छा से एकमत हो कर जाते ह. जल जहां जाने क इ छा से चले आ रहे ह, उसी परमा मा के वषय म बताओ क वह कौन है? (६) य म त वा जाप तल का सवा अधारयत्. क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (७) जस म थत रह कर जाप त सम त लोक को धारण करता है, उस परमा मा के वषय म बताओ क वह कौन है? (७) यत् परममवमं य च म यमं जाप तः ससृजे व पम्. कयता क भः ववेश त य ा वशत् कयत् तद् बभूव.. (८) जाप त ने उ म, अधम और म यम के प म संसार क सभी व तु और ा णय को बनाया है. इस संसार के कतने पदाथ जाप त म वेश कर चुके ह? जो वेश नह करता, वह कौन है? (८) कयता क भः
ववेश भूतं कयद् भ व यद वाशये ऽ य.
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एकं यद मकृणोत् सह धा कयता क भः
ववेश त .. (९)
कतने पदाथ भूतकाल म वेश कर चुके ह अथात् न हो चुके ह? इस के आशय अथात् उदर म कतने पदाथ ह गे? अथात् भ व य म कतने पदाथ उ प ह गे. इस ने अथात् परमा मा ने अपने एक अंश को हजार प म कट कया है, उस म कतने पदाथ ने वेश कया? (९) य लोकां कोशां ापो जना व ः. अस च य स चा तः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१०) ानी लोग जानते है क जहां लोक और कोष नवास करते ह तथा जहां जल एवं थत ह, स य और अस य दोन कार के पदाथ जहां थत ह, उस परमा मा के वषय म बताओ क वह कौन है? (१०) य तपः परा ऋतं च य सः.. (११)
य तं धारय यु रम्. ा चापो समा हताः क भं तं ू ह कतमः
वदे व
जस को आधार बना कर तप या का वधान कया जाता है एवं उ म वृ का नवाह होता है, जस म स य ा जल एवं ा त ह, उस परमा मा के वषय म बताओ क वह कौन है? (११) य मन् भू मर त र ं ौय म या हता. य ा न माः सूय वात त या पताः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१२) जस के आधार पर भू म, आकाश और वग टके ए ह तथा अ न, चं मा, सूय और वायु जस म अ पत हो कर थत है, उस परमे र के वषय म बताओ क वह कौन है? (१२) य य य ंशद् दे वा अ े सव समा हताः. क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१३) जस के अंग म सभी ततीस दे व समाए ए ह, उस परमे र के वषय म बताओ क वह कौन है? (१३) य ऋषयः थमजा ऋचः साम यजुमही. एक षय म ा पतः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१४) पूववत ऋ ष, ऋचाएं, साममं , यजुवद के मं तथा महती ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व ा जस म थत है
एवं एक ऋ ष जस म समाया आ है, उस परमा मा के वषय म बताओ क वह कौन है? (१४) य ामृतं च मृ यु पु षे ऽ ध समा हते. समु ो य य ना १: पु षे ऽ ध समा हताः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१५) जस आ द पु ष म अमृत और मृ यु थत ह तथा सागर जस आ द पु ष क ना ड़य म समाया आ है, उस परमे र के वषय म बताओ क वह कौन है? (१५) य य चत ः दशो ना १ त त थमाः. य ो य परा ा तः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१६) जस आ द पु ष के शरीर म थम क पत पूव, प म आ द चार दशाएं ना ड़य के प म थत है तथा य जहां परा म करता है, उस परमे र के वषय म बताओ क वह कौन है? (१६) ये पु षे व ते व ः परमे नम्. यो वेद परमे नं य वेद जाप तम्. ये ं ये ा णं व ते क भमनुसं व ः.. (१७) जो इस आ द पु ष म को थत जानते ह, वे परमे ी को जानते ह. जो परमे ी एवं जाप त को जानता है तथा जो उ म ा ण को जानता है, वह परमा मा को भलीभां त जानता है. (१७) य य शरो वै ानर ुर रसो ऽ भवन्. अ ा न य य यातवः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१८) जस का शीश वै ानर अ न और ने अं गरस ए, जस के अंग ही रा स बने, उस परमा मा के वषय म बताओ क वह कौन है? (१८) यय मुखमा ज ां मधुकशामुत. वराजमूधो य या ः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (१९) जस का मुख कहा गया है, मधुकशा जस क जीभ बताई गई है एवं वराट् ऐन कहा गया है, उस के वषय म बताओ क वह कौन है? (१९) य मा चो अपात न् यजुय मादपाकषन्. सामा न य य लोमा यथवा ऽ रसो मुखं क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (२०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जस से ऋचाएं बन एवं जस से यजुवद के मं बने, सामवेद के मं जस के रोम एवं अथववेद के मं जस का मुख है, उस परमे र के वषय म बताओ क वह कौन है? (२०) अस छाखां त त परम मव जना व ः. उतो स म य ते ऽ वरे ये ते शाखामुपासते.. (२१) असत् अथात् नराकार से उ प ई शाखा थत है. मनु य उसी को सब से े त व मानते ह तथा उस शाखा क उपासना करते ह. (२१) य ा द या ा वसव समा हताः. भूतं च य भ ं च सव लोकाः त ताः क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (२२) जस म बारह आ द य, एकादश वषय म बताओ क वह कौन है. (२२)
और आठ वसु समाए ए ह, उस परमे र के
य य य ंशद् दे वा न ध र त सवदा. न ध तम को वेद यं दे वा अ भर थ.. (२३) ततीस दे वता सदा जस क न ध अथात् खजाने क र ा करते ह, हे दे वो! जस क न ध क तुम र ा करते हो, आज उसे कौन जानता है? (२३) य दे वा वदो यो वै तान् व ात्
ये मुपासते. य ंस ा वे दता यात्.. (२४)
उस को जानने वाले दे व ये क उपासना करते ह, जो उस प से जानता है, वह हो सकता है. (२४)
को न त
बृह तो नाम ते दे वा ये ऽ सतः प र ज रे. एकं तद ं क भ यासदा ः परो जनाः.. (२५) वे बृहत् नाम के दे व ह, जो असत् अथात् कृ त से उ प है. (२५)
ए ह. लोक उ ह े कहता
य क भः जनयन् पुराणं वतयत्. एकं तद ं क भ य पुराणमनुसं व ः.. (२६) जहां परमा मा पुराण पु ष को उ प करता आ व तृत करता है, उस परमा मा के एक अंग को ानी जन पुराण के नाम से ही जानते ह. (२६) यय य
ंशद् दे वा अ े गा ा वभे जरे.
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तान् वै य
ंशद् दे वानेके
वदो व ः.. (२७)
जस के शरीर के अवयव म ततीस दे वता अलगअलग नवास करते ह, उन ततीस दे व को केवल वे ही जानते ह जो के ाता ह. (२७) हर यगभ परममन यु ं जना व ः. क भ तद े ा स च र यं लोके अ तरा.. (२८) लोग हर यगभ को महान और े जानते ह. परमा मा ने ही इस संसार के म य उस हर यगभ को बनाया था. (२८) क भे लोकाः क भे तपः क भे ऽ यृतमा हतम्. क भं वा वेद य म े सव समा हतम्.. (२९) उस परमा मा म सम त लोक, तप और ऋत अथात् स य समाया आ है. हे परमा मा! म तुझे य प से जानता ं. इं म ही यह सब समाया आ है. (२९) इ े लोका इ े तप इ े ऽ यृतमा हतम्. इ ं वा वेद य ं क भे सव त तम्.. (३०) इं म सम त लोक, तप और ऋत अथात् स य समाया आ है. हे इं ! म तुझे प से जानता ं. परमा मा म ही यह सब समाया आ है. (३०)
य
नाम ना ना जोहवी त पुरा सूयात् पुरोषसः. यदजः थमं संबभूव स ह तत् वरा य मयाय य मा ा यत् परम त भूतम्.. (३१) सूय दय से पूव एवं उषा काल से पूव अथात् परमा मा के नाम के ारा उस के मह जो अज मा आ मा अथात् भ परमा मा के ा त करता है अथात् ज ममरण के बंधन से कोई त व े नह है. (३१)
ालु जन नाम के ारा नाम का हवन करते ह व का वणन करते ह. इस कार य नशील साथ संयोग ा त करता है, वह वरा य को मु पा जाता है. उस परमा मा क अपे ा
य य भू मः मा ऽ त र मुतोदरम्. दवं य े मूधानं त मै ये ाय णे नमः.. (३२) धरती जस के पैर का नाम है, अंत र जस का उदर है तथा जस ने वग को अपना शीश बनाया है, उस ये को मेरा नम कार है. (३२) य य सूय
ु
मा पुनणवः.
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अ नं य
आ यं १ त मै ये ाय
णे नमः.. (३३)
सूय एवं बारबार नवीन होने वाला चं मा जस के ने ह तथा अ न को जस ने अपना मुख बनाया है, उस े के लए मेरा नम कार है. (३३) य य वातः ाणापानौ च ुर रसो ऽ भवन्. दशो य े ानी त मै ये ाय ब णे नमः.. (३४) वायु जस के ाण और अपान तथा अं गरस जस के ने बने थे तथा दशा जस ने अपनी ा का साधन बनाया था, उस ये के लए मेरा नम कार है. (३४)
को
क भो दाधार ावापृ थवी उभे इमे क भो दाधारोव१ त र म्. क भो दाधार दशः षडु व ः क भ इदं व ं भुवनमा ववेश.. (३५) परमा मा ने वग और पृ वी दोन को धारण कया है. उसी ने अंत र अथात् आकाश को धारण कया है. उसी परमा मा ने छः वशाल दशा —अथात् पूव, प म, उ र, द ण, ऊपर और नीचे क दशा को धारण कया है. वही परमा मा इस सारे संसार म समाया आ है. (३५) यः मात् तपसो जातो लोका सवा समानशे. सोमं य े केवलं त मै ये ाय णे नमः.. (३६) जो तप या पी म से उ प हो कर सम त लोक म ा त रहता है तथा जस ने एक मा सोमलता को ही उ म जड़ी बनाया है, उस े परमा मा के लए मेरा नम कार है. (३६) कथं वातो नेलय त कथं न रमते मनः. कमापः स यं े स तीनलय त कदा चन.. (३७) वायु थर य नह रहती तथा मन शांत य नह रहता? स य क अ भलाषा करते ए जल कभी अ थर य नह होते? (३७) महद् य ं भुवन य म ये तप स ा तं स लल य पृ े. त मन् य ते य उ के च दे वा वृ य क धः प रत इव शाखाः.. (३८) संसार के म य महान य , अथात् परमा मा है. संताप अथात् गरमी दे ने वाला वह परमा मा जल के ऊपर वतमान है. ऐसा सुना जाता है क सभी दे व उस म इस कार ा त ह, जस कार वृ क शाखाएं उस म ा त रहती ह. (३८) य मै ह ता यां पादा यां वाचा ो ेण च ुषा. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य मै दे वाः सदा ब ल य छ त व मते ऽ मतं क भं तं ू ह कतमः वदे व सः.. (३९) जस असी मत परमा मा के लए दे वगण हाथ , पैर , वाणी, कान और आंख के ारा सदा उपहार दान करते ह, उसी परमा मा के वषय म बताओ क वह कौन है? (३९) अप त य हतं तमो ावृ ः स पा मना. सवा ण त मन् योत ष या न ी ण जापतौ.. (४०) जो परमा मा को जान लेता है, उस का अ ान मट जाता है तथा उस का पाप न हो जाता है. जाप त म जो तीन यो तयां ह, वे उसे ा त हो जाती ह. (४०) यो वेतसं हर ययं त तं स लले वेद. स वै गु ः जाप तः.. (४१) (४१)
जल म सोने का बत ठहरा आ है. जो इस बात को जानता है, वही गु त जाप त है. त मेके युवती व पे अ या ामं वयतः ष मयूखम्. ा या त तूं तरते ध े अ या नाप वृन्जाते न गमातो अ तम्.. (४२)
एक सरे से भ प वाली दो युव तयां लगातार घूमती ह तथा छः खू टय वाला एक ताना पूरती ह. उन म से एक धाग को फैलाती है और सरी उ ह संभाल कर रखती है अथात् समेटती है. वे दोन न व ाम करती ह और न अंत को ा त होती ह. ता पय यह है क रात और दन ही वे युव तयां ह. छः ऋतुएं छः खूंटे तथा समय ही अनंग धागा है. (४२) तयोरहं प रनृ य यो रव न व जाना म यतरा पर तात्. पुमानेनद् वय युद ् गृण पुमानेनद् व जभारा ध नाके.. (४३) उन नृ य करती ई दो य अथात् दन और रात म कौन सी सरी है, यह म नह जानता. उस व को एक पु ष बुनता है तथा सरा उधेड़ता है. इसे वह वग म धारण करता है. (४३) इमे मयूखा उप त तभु दवं सामा न च ु तसरा ण वातवे.. (४४) ये खू टयां अथात् छः ऋतुएं वग को धारण करती है तथा व के मं को धागा बनाए ए ह. (४४)
सू -८
बुनने के लए सामवेद
दे वता—अ या म
यो भूतं च भ ं च सव य ा ध त त. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व १ य य च केवलं त मै ये ाय
णे नमः.. (१)
जो इन भूत, भ व य तथा वतमान काल को ा त कर के थत है तथा जस का व प केवल काशमय है, उसी ये को म नम कार करता ं. (१) क भेनेमे व भते ौ भू म त तः. क भ इदं सवमा म वद् यत् ाण मष च यत्.. (२) परमा मा के ारा धारण क ई भू म और वग अपने थान पर थत ह. जो सांस लेते ह और जो पलक झपकाते ह, वे सब आ मा के समान परमा मा म ा त ह. (२) त ो ह जा अ यायमायन् य १ या अकम भतो ऽ वश त. बृहन् ह त थौ रजसो वमानो ह रतो ह रणीरा ववेश.. (३) तीन कार क जाएं अ त मण करती ई परमे र को ा त होती ह. एक कार क अथात् सतोगुणी जाएं सूय म व होती ह. सरे कार क अथात् रजोगुणी जाएं रजोलोक को नापती ई थत रहती ह. तीसरी अथात् तमोगुणी जाएं सब का हरण करती ई हरे रंग म अथात् अंधकार म वेश करती ह. (३) ादश धय मेकं ी ण न या न क उ त चकेत. त ाहता ी ण शता न शङ् कवः ष खीला अ वचाचला ये.. (४) बारह अरे तथा तीन ने मयां एक प हए से संबं धत ह. बारह मास, बारह अरे तथा शीत, ी म, वषा, तीन ऋतुएं तीन ने मयां ह. ये समय पी प हए म थत ह. इस बात को कौन जानता है अथात् कोई नह जानता. उस प हए म तीन सौ साठ खूं टयां तथा इतनी ही क ल लगाई गई ह जो थर ह. वष के दन और रात ही खूं टयां और क ल ह. (४) इदं स वत व जानी ह षड् यमा एक एकजः. त मन् हा प व म छ ते य एषामेक एकजः.. (५) हे स वता दे व! तुम यह जानो क ये एक से एक बने ए छः जोड़े ह. इन म जो एकएक से बने जोड़े ह, वे उस म समा हत होना चाहते ह. ता पय दो-दो मास वाली छः ऋतु के वष अथवा काल म समा हत होने से है. (५) आ वः स हतं गुहा जर ाम महत् पदम्. त ेदं सवमा पतमेजत् ाणत् त तम्.. (६) कट होने वाला एवं संचार करने वाला मह व पद गुफा म है. यह शरीर ही गुफा है और आ मा उस म संचार करने वाला मह व पद है. वह मह व पद अथात् आ मा ग तशील एवं सांस लेने वाला है तथा उसी म यह सारा व समा हत और त त है. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एकच ं वतत एकने म सह ा रं पुरो न प ा. अधन व ं भुवनं जजान यद याध व १ तद् बभूव.. (७) बीच क ना भ वाला एक प हया है. इस म आगेपीछे से हजार अरे लगे ए ह. यह प हया लगातार चल रहा है. इस के आधे भाग से संसार उ प आ है तथा इस का शेष भाग कहां है? सूय ही एक ना भ वाला एक प हया है. उस क हजार करण हजार अरे ह. दन उस का आधा भाग है, जस के कारण संसार ग तशील रहता है. शेष आधा भाग अथात् रा म वह सूय न जाने कहां चला जाता है? (७) प चवाही वह य मेषां यो यु ा अनुसंवह त. अयातम य द शे न यातं परं नेद यो ऽ वरं दवीयः.. (८) इन म जो आगे चलने वाला है, वह पंचवाही (पांच के ारा उठाया जाने वाला). इस म जुड़े ए घोड़े इसे ठ क से ले कर चलते ह. इस का न आना दखाई दे ता है और न जाना. यह अ यंत र और अ य धक समीप है. ता पय यह है क ाण, अपान पांच वायुएं जीवन को ग तशील रखती ह. इं यां ही शरीर को आगे बढ़ाने वाले घोड़े ह. शरीर म आ मा का आना और जाना गोचर नह होता है. यह आ मा अ यंत समीप और अ य धक र है. (८) तय बल मस ऊ वबु न त मन् यशो न हतं व पम्. तदासत ऋषयः स त साकं ये अ य गोपा महतो बभूवुः.. (९) एक चमचा है, जस का मुख नीचे क ओर है और जड़ अथात् पकड़ने वाला भाग ऊपर क ओर है. उस म अनेक प वाला यश वी छपा आ है. वहां सात ऋ ष एक साथ बैठे ह. वे ही अनेक प वाले के र क बन. (९) या पुर ताद् यु यते या च प ाद् या व तो यु यते या च सवतः. यया य ः ाङ् तायते तां वा पृ छा म कतमा सचाम्.. (१०) ऋचा के म य वह कौन सी ऋचा है जो आगे से और पीछे से जुड़ी ई है. जो चार ओर से तथा सभी कार जुड़ी ई है. जस क सहायता से पूव क ओर य व तृत कया गया, म तुम से उसी के वषय म पूछता ं. (१०) यदे ज त पत त य च त त ाणद ाण मष च यद् भुवत्. तद् दाधार पृ थव व पं तत् संभूय भव येकमेव.. (११) जो कांपता है, गरता है और थत रहता है; जो सांस लेता है, सांस नह लेता तथा सत् है, उसी व प ने पृ वी को धारण कया है. वह सब से मल कर एक प हो जाता है. (११) अन तं वततं पु ा ऽ न तम तव चा सम ते. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ते नाकपाल र त व च वन् व ान् भूतमुत भ म य.. (१२) एक त व अंतहीन तथा चार ओर व तृत है. सरा अंतहीन तथा अंत वाला है. ये दोन पर पर मले ए ह. वग सुख का इ छु क उ ह खोजता फरता है. वही सब जानता है तथा भूत और भ व य उसी के कम ह. यहां पहला परमा मा और सरा आ मा है. (१२) जाप त र त गभ अ तर यमानो ब धा व जायते. अधन व ं भुवनं जजान यद याध कतमः स केतुः.. (१३) जाप त दखाई न दे ता आ गभ म संचरण करता है तथा अनेक प म ज म लेता है. उस के आधे भाग से सारा व उ प आ है. उस का शेष भाग ा है, वही उस क पहचान है. (१३) ऊ व भर तमुदकं कु भेनेवोदहायम्. प य त सव च ुषा न सव मनसा व ः.. (१४) घड़े क सहायता से कुएं के जल को ऊपर नकालते ए को सभी आंख से दे खते ह, परंतु मन से नह जान पाते. (१४) रे पूणन वस त र ऊनेन हीयते. महद् य ं भुवन य म ये त मै ब ल रा भृतो भर त.. (१५) अपने को पूण मानने वाले से वह ब त र रहता है तथा अपने को हीन मानने वाले से भी र भागता है. ऐसा महान दे व अथात् परमा मा संसार के म य ा त है. रा का भरणपोषण करने वाला उस क सेवा करता है. (१५) यतः सूय उदे य तं य च ग छ त. तदे व म ये ऽ हं ये ं त ना ये त क चन.. (१६) सूय जहां से उदय होता है और जहां अ त होता है, म उसी को सब से बड़ा मानता ं. कोई भी उस का अ त मण नह करता अथात् कोई भी उस से महान नह है. (१६) ये अवाङ् म य उत वा पुराणं वेदं व ांसम भतो वद त. आ द यमेव ते प र वद त सव अ न तीयं वृतं च हंसम्.. (१७) जो पुराण, ानी एवं व ान् उस के पीछे , बीच म अथवा चार ओर बताते ह, वे सब सूय क ही शंसा करते ह. वे अ न को सरा और हंस को तीसरा बताते ह. (१७) सह ाह् यं वयताव य प ौ हरेहस य पततः वगम्. स दे वा सवानुर युपद संप यन् या त भुवना न व ा.. (१८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पाप का वनाश करने वाला यह हंस जब वग क ओर गमन करता है तो इस के दोन पंख हजार दन तक फैले रहते ह. यह सभी दे व को अपनी छाती पर बैठा कर सारे संसार को दे खता आ जाता है. (१८) स येनो व तप त णा ऽ वाङ् व प य त. ाणेन तयङ् ाण त य मन् ये म ध तम्.. (१९) वह स य क सहायता से ऊपर तपता है तथा वेद मं के ारा नीचे क ओर दे खता है. वह ाण वायु म तरछ सांस लेता है, उसी म वह सब से महान परमा मा थत है. (१९) यो वै ते व ादरणी या यां नम यते वसु. स व ान् ये ं म येत स व ाद् ा णं महत्.. (२०) जो उन दोन अ णय को जानता है, जस के ारा धन का मंथन कया जाता है, वही व ान् परमा मा को सब से महान मानता है और वही महान वेद मं को जानता है. (२०) अपाद े समभवत् सो अ े व १ राभरत्. चतु पाद् भू वा भो यः सवमाद भोजनम्.. (२१) सब से पहले चरणहीन आ मा उ प आ. उस ने आगे चल कर आनंद को अपने म पूण कया. उस ने चार चरण वाला अथात् अथ, धम, काम, मो चतुवग बन कर सम त भोजन को वीकार कया अथात् सारे भोग भोगे. (२१) भो यो भवदथो अ मदद् ब . यो दे वमु राव तमुपासातै सनातनम्.. (२२) पहले भो य अथात् भोजन करने वाला उ प आ. इस के प ात उस ने ब त सा अ खाया. वही सनातन एवं े दे व क उपासना करता है. वही भो य आ और अ धक मा ा म अ खाने लगा, जो सनातन एवं सव े दे व परमा मा क उपासना करता है. (२२) सनातनमेनमा ता यात् पुनणवः. अहोरा े जायेते अ यो अ य य पयोः.. (२३) इस सूय को सनातन कहा गया है. वह आज भी पुनः नवीन है. उसी परमा मा से दन और रात उ प होते ह जो एक सरे से भ प वाले ह. (२३) शतं सह मयुतं यबुदमसं येयं वम मन् न व म्. तद य न य भप यत एव त माद् दे वो रोचत एष एतत्.. (२४) सौ, एक हजार, दस हजार, एक अरब एवं अन गनती दवस इसी सूय म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ा त ह. वे
दवस इस के दे खतेदेखते ही आघात करते ह. इसी कारण यह दे व अथात् सूय इस व को का शत करता है. (२४) बालादे कमणीय कमुतैकं नेव यते. ततः प र वजीयसी दे वता सा मम या.. (२५) आ मत व एक है. यह बाल से भी सू म होने के कारण दखाई नह दे ता. इस आ मा का आ लगन करने वाला दे वता अथात् परमा मा मुझे य है. (२५) इयं क या य १ जरा म य यामृता गृहे. य मै कृता शये स य कार जजार सः.. (२६) यह क याणी आ मा वृ ाव था से र हत है तथा मरणशील शरीर पी घर म रह कर भी अमर है. जस आ मा के लए शरीर का नमाण आ है, वह इस म शयन करती है. वह शरीर ही वृ होता है. (२६) वं ी वं पुमान स वं कुमार उत वा कुमारी. वं जीण द डेन व च स वं जातो भव स व तोमुखः.. (२७) हे आ मा! तू ी है, तू ही पु ष है. तू ही कुमार है और तू ही कुमारी है. वृ होने पर तू ही डंडे के सहारे चलता है तथा तू ही उ प होने पर सभी ओर मुख वाला बनता है. (२७) उतैषां पतोत वा पु एषामुतैषां ये उत वा क न ः. एको ह दे वो मन स व ः थमो जातः स उ गभ अ तः.. (२८) इन सम त जीव म पता और पु के प म एवं बड़े और छोटे के प म एक ही दे व है जो मन म व है. वह सब से पहले उ प आ था. वही गभ म थत होता है. (२८) पूणात् पूणमुदच त पूण पूणन स यते. उतो तद व ाम यत तत् प र ष यते.. (२९) पूण अथात् परमा मा से ही पूण अथात सम त व अलग होता है अथात् ज म लेता है. उसी पूण के ारा यह व स चत होता है अथात् पालन कया जाता है. आज हम उस त व को जान, जहां से वह स चा जाता है अथात् जो इस व का पालन करता है. (२९) एषा सन नी सनमेव जातैषा पुराणी प र सव बभूव. मही दे ु १ षसो वभाती सैकेनैकेन मषता व च े.. (३०) यह सनातन श वाला आकषण सनातन परमा मा के साथ ही उ प आ है. वही पुराण श सब कुछ बन गई है. वही महती, द श उषा को का शत करती है तथा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वह
येक ाणी के साथ अलगअलग दखाई दे ती है. (३०) अ वव नाम दे वततना ते परीवृता. त या पेणेमे वृ ा ह रता ह रत जः.. (३१)
वही र ा करने वाली द श है और स य से घरी ई है. उसी के वृ हरेभरे ह और हरे प से ढके रहते ह. (३१)
प से वे सारे
अ त स तं न जहा य त स तं न प य त. दे व य प य का ं न ममार न जीय त.. (३२) समीप से आए ए को वह छोड़ता नह है तथा समीप होने पर भी वह दखाई नह दे ता है. उस दे व अथात् परमा मा का का दे खो जो कभी न मरता है और न वृ होता है. (३२) अपूवणे षता वाच ता वद त यथायथम्. वद तीय ग छ त तदा ा णं महत्.. (३३) वह परमा मा अपूव है अथात् उस से पहले कोई नह था. उस ने ही इन वा णय को े रत कया है जो वा त वकता का वणन करती ह. वणन करती ई वा णयां जहां प ंचती ह, उसी को महान ा ण अथात वेद मं का समूह कहा गया है. (३३) य दे वा मनु या ारा नाभा वव ताः. अपां वा पु पं पृ छा म य त मायया हतम्.. (३४) म जल के उस कमल के वषय म पूछता ं, जस म सभी मनु य और दे व इस कार आ त ह, जस कार कमल म उस क पंखु ड़यां रहती ह. माया से ढका आ वह कहां रहता है? (३४) ये भवात इ षतः वा त ये दद ते प च दशः स ीचीः. य आ तम यम य त दे वा अपां नेतारः कतमे त आसन्.. (३५) जन दे व से े रत हो कर वायु चलती है तथा जो पांच पर पर मली ई दशा अथात् पूव, प म, उ र, द ण और ऊपर को दान करता है. जो दे व आ त को अ य धक महान मानते ह, जल के नेता वे दे व कौन ह. (३५) इमामेषां पृ थव व त एको ऽ त र ं पयको बभूव. दवमेषां ददते यो वधता व ा आशाः त र येके.. (३६) इन म से एक इस पृ वी पर नवास करता है तथा अंत र म ा त रहता है, जो धारण करता है एवं इन जीव को वग दान करता है. कुछ अथात् शेष दे व ऐसे ह जो सभी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दशा
क र ा करते ह. (३६) यो व ात् सू ं वततं य म ोताः जा इमाः. सू ं सू य यो व ात् स व ाद् ा णं महत्.. (३७)
जस म सारी जाएं परोई ई ह तथा जो इस फैले ए सू अथात् धागे को जानता है. संसार पी व तृत सू के कारण बने ए सू अथात् परमा मा को जो जानता है, वही महान को जानता है अथवा वही वशाल वेद मं का ाता है. (३७) वेदाहं सू ं वततं य म ोताः जा इमाः. सू ं सू याहं वेदाथो यद् ा णं महत्.. (३८) म उस व तृत धागे अथात् परमा मा को जानता ,ं जस म ये सारी जाएं परोई ई ह. म इस संसार पी व तृत सू के मूल कारण को जानता ,ं जो महान अथवा वशाल वेद मं का समूह ह. (३८) यद तरा ावापृ थवी अ नरैत् दहन् व दा ः. य ा त ेकप नीः पर तात् वे वासी मात र ा तदानीम्.. (३९) इस संसार को जलाने वाली अ न ावा और पृ वी के म य आती है. वह पोषण करने वाली दे वयां नवास करती ह. उस समय माता र ा अथात् वायु कहां रहती है? (३९) अ वा सी मात र ा व ः व ा दे वाः स लला यासन्. बृहन् ह त थौ रजसो वमानः पवमानो ह रत आ ववेश.. (४०) उस समय वायु जल म व थी तथा दे वगण भी जल म ही वेश कए ए थे. पृ वी का नमाण करने वाला महान उस समय कहां थत था? उस समय वायु ने दशा म वेश कया. (४०) उ रेणेव गाय ीममृते ऽ ध व च मे. सा ना ये साम सं व रज तद् द शे व.. (४१) जो साम मं के ारा परमा मा को जानने वाले ह, उ ह ने अंत म गाय ी वेश कया. वह अज मा कहां दखाई दया था अथात् कह नह . (४१)
प अमृत म
नवेशनः संगमनो वसूनां दे व इव स वता स यधमा. इ ो न त थौ समरे धनानाम्.. (४२) स य धम वाले स वता उसी द परमा मा के समान ह. वे ही सम त धन के संगम ह अथात् पु या मा जन उ ह म वेश करते ह. धन के समूह म अथात् पु या मा म इं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वेश नह करते. (४२) पु डरीकं नव ारं भगुणे भरावृतम्. त मन् यद् य मा म वत् तद् वै वदो व ः.. (४३) नौ ार वाला कमल तीन अथात् रजोगुण, तमोगुण और सतोगुण से घरा आ है. उस म जो आ मा वाला द दल है, उसे ानी जानते ह. (४३) अकामो धीरो अमृतः वयंभू रसेन तृ तो न कुत नोनः. तमेव व ान् न बभाय मृ योरा मानं धीरमजरं युवानम्.. (४४) वह परमा मा कामना र हत, धीर, मरण र हत, वयं उ प होने वाला तथा रस से तृ त है. वह कह से भी कम नह है अथात् सवथा पूण है. उसी धीर, जरा अथात् वृ ाव था से र हत तथा युवा आ मा को जानने वाला मृ यु से नह डरता. (४४)
सू -९
दे वता—शतौदना गौ
अघायताम प न ा मुखा न सप नेषु व मपयैतम्. इ े ण द ा थमा शतौदना ातृ नी यजमान य गातुः.. (१) यह धेनु पा पय के मुख को बंद करे और श ु पर इस व को गराए. इं के ारा द ई यह सब से पहली शतौदना गाय श ु वना शनी एवं यजमान का मागदशन करने वाली है. (१) वे द े चम भवतु ब हल मा न या न ते. एषा वा रशना भीद् ावा वैषो ऽ ध नृ यतु.. (२) हे शतौदना गौ! तेरे रोम कुश के प म ह और य वेद तेरा चम है. यह र सी तुझे बांध रही है. यह प थर तेरे ऊपर नृ य करे. (२) बाला ते ो णीः स तु ज ा सं मा ् व ये. शु ा वं य या भू वा दवं े ह शतौदने.. (३) हे हसा के अयो य गौ! तेरे बाल य का ो णी नामक पा बन तथा तेरी जीभ य वेद का माजन करे अथात् सफाई करे. हे शतौदना गौ! तू इस कार शु और य के यो य बन कर वग को गमन कर. (३) यः शतौदनां पच त काम ण े स क पते. ीता य वजः सव य त यथायथम्.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो शतौदना गौ का पालन करता है, वह अपनी कामनाएं पूण करता है. उस के संतु ए सभी ऋ वज् जहां से आते ह, वह चले जाते ह. (४) स वगमा रोह त य ाद दवं दवः. अपूपना भ कृ वा यो ददा त शतौदनाम्… (५) वह उस वग म प ंचता है जो अंत र को दे ता है. (५)
म थत है तथा जो पुए बना कर शतौदना गौ
स तां लोका समा ो त ये द ा ये च पा थवाः. हर य यो तषं कृ वा यो ददा त शतौदनाम्.. (६) जो वण से अलंकृत कर के शतौदना गौ का दान करता है, वह उन लोक को ा त करता है, जो द एवं पा थव अथात् पृ वी से संबं धत ह. (६) ये ते दे व श मतारः प ारो ये च ते जनाः. ते वा सव गो य त मै यो भैषीः शतौदने.. (७) हे शतौदना गौ! तेरी शां त करने वाले एवं तेरे पालन कता तेरे र क ह गे. तू उन से भयभीत मत हो. (७) वसव वा द णत उ रा म त वा. आ द याः प ाद् गो य त सा न ोमम त व.. (८) हे शतौदना गौ! आठ वसु, द ण क ओर, उनचास म त् उ र क ओर तथा आ द य पीछे से तेरी र ा करगे. तू अ न ोम य के पार जा. (८) दे वाः पतरो मनु या ग धवा सरस ये. ते वा सव गो य त सा तरा म त व.. (९) हे शतौदना गौ! दे व, पतर, मनु य, गंधव, और अ सराएं—ये सभी तेरी र ा करगे. तू अ तशय नामक य कम के पार जा. (९) अ त र ं दवं भू ममा द यान् म तो दशः. लोका स सवाना ो त यो ददा त शतौदनाम्.. (१०) जो शतौदना गौ का दान करता है, वह अंत र को, वग को, भू म को, आ द य को, म त को, दशा को तथा सभी लोक को ा त करता है. (१०) घृतं ो ती सुभगा दे वी दे वान् ग म य त. प ारम ये मा हसी दवं े ह शतौदने.. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
घी टपकाती ई, सौभा यशा लनी एवं द गुणयु शतौदना गौ दे व के समीप जाएगी. हे हसा के अयो य शतौदना गौ! तू अपने पालने वाले क हसा मत कर और वग को जा. (११) ये दे वा द वषदो अ त र सद ये ये चेमे भू याम ध. ते य वं धु व सवदा ीरं स परथो मधु.. (१२) हे शतौदना गौ! जो दे व वग म थत ह, जो अंत र म ह एवं जो पृ वी पर नवास करते ह, तू उन के लए सदा मीठा ध, दही और घी दान कर. (१२) यत् ते शरो यत् ते मुखं यौ कण ये च ते हनू. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (१३) हे शतौदना गौ! तेरा जो शीश, तेरा जो मुख, तेरे जो दो कान एवं तेरी ठोड़ी है—ये सब अंग तेरे दानदाता को दही, मधुर ध एवं घी दे ते रह. (१३) यौ त ओ ौ ये ना सके ये शृ े ये च ते ऽ णी. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (१४) हे शतौदना गौ! तेरे जो दोन ह ठ, तेरी नाक, तेरे जो दोन स ग तथा जो दोन आंख ह, वे तेरे दानदाता को सदा दही, मधुर ध एवं घी दे ते रह. (१४) यत् ते लोमा यद् दयं पुरीतत् सहक ठका. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (१५) हे शतौदना गौ! तेरा लोम, दय, मलाशय और गला तेरे दानदाता को सदा दही, मधुर ध और घी दे ते रह. (१५) यत् ते यकृद् ये मत ने यदा ं या ते गुदाः. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (१६) हे शतौदना गौ! तेरा जगर, तेरी आंत तथा तेरी गुदा तेरे दानदाता को सदा दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (१६) य ते ला शय व न ु य कु ी य च चम ते. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (१७) हे शतौदना गौ! तेरी जो त ली, गुदा, दोन आंख और तेरा चमड़ा है, ये सब तेरे दानदाता को सदा दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (१७) यत् ते म जा यद थ य मांसं य च लो हतम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ म ां
तां दा े ीरं स परथो मधु.. (१८)
हे शतौदना गौ! तेरी चरबी, तेरी ह ड् डयां, मांस और र मीठा ध और घी दे ते रह. (१८)
तेरे दानदाता को सदा दही,
यौ ते बा ये दोषणी यावंसौ या च ते ककुत्. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (१९) हे शतौदना गौ! तेरी दोन भुजाएं, दोन पड लयां, दोन कंधे और ठाट तेरे दानदाता को सदा दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (१९) या ते ीवा ये क धा याः पृ ीया पशवः. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (२०) हे शतौदना गौ! तेरी जो गरदन, तेरे जो कंधे, जो पीठ और जो पस लयां ह, वे तेरे दानदाता को सदा दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (२०) यौ त ऊ अ ीव तौ ये ोणी या च ते भसत्. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (२१) हे शतौदना गौ! तेरे पैर, तेरे घुटने, तेरे कू हे और जनन अंग सदा तेरे दानदाता को दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (२१) यत् ते पु छं ये ते बाला य धो ये च ते तनाः. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (२२) हे शतौदना गौ! तेरी जो पूंछ, तेरे जो बाल, तेरा जो ऐन एवं जो थन ह, वे तेरे दानदाता को सदा दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (२२) या ते जङ् घा याः कु का ऋ छरा ये च ते शफाः. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (२३) हे शतौदना गौ! तेरी जो जंघाएं, जो घुटने, कू हे और खुर ह, वे सदा तेरे दानदाता को दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (२३) यत् ते चम शतौदने या न लोमा य ये. आ म ां तां दा े ीरं स परथो मधु.. (२४) हे शतौदना गौ! तेरा जो चमड़ा है, हे हसा के अयो य! तेरे जो बाल ह, वे सदा तेरे दानदाता को दही, मीठा ध और घी दे ते रह. (२४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ोडौ ते तां पुरोडाशावा येना भघा रतौ. तौ प ौ दे व कृ वा सा प ारं दवं वह.. (२५) हे शतौदना गौ! तेरे पछले दोन भाग घी से स चत ह एवं पुरोडाश ह. हे दे वी! उ ह पंख बना कर तू पालनकता को वग म ले जा. (२५) उलूखले मुसले य चम ण यो वा शूप त डु लः कणः. यं वा वातो मात र ा पवमानो ममाथा न ोता सु तं कृणोतु.. (२६) जो ओखली और मूसल ह, जो चमड़े, जो सूप, चावल और चावल के टू टे ए भाग ह तथा जन को प व करने वाली वायु ने मथा है, उ ह होता अ न क उ म आ त बनाएं. (२६) अपो दे वीमधुमतीघृत तो णां ह तेषु पृथक् सादया म. य काम इदमभ ष चा म वो ऽ हं त मे सव सं प तां वयं याम पतयो रयीणाम्.. (२७) मधु से यु एवं घी टपकाने वाले जल हम ा ण के हाथ म अलग-अलग डालते ह. जस कामना से हम ा ण के हाथ को धुलाते ह, हमारी वह कामना पूण हो तथा हम धन के वामी बन. (२७)
सू -१०
दे वता—वशा गौ
नम ते जायमानायै जाताया उत ते नमः. बाले यः शफे यो पाया ऽ ये ते नमः.. (१) हे हसा न करने यो य गौ! तुझ ज म लेती ई को एवं उ प होती ई को नम कार है. तेरे बाल के लए, खुर के लए तथा प के लए नम कार है. (१) यो व ात् स त वतः स त व ात् परावतः. शरो य य यो व ात् स वशां त गृ यात्.. (२) जो वशा गौ के समीप रहने वाली सात व तु और र रहने वाली सात व तु जानता हो तथा य का शीश जानता हो, वही वशा गौ का दान वीकार करे. (२)
को
वेदाहं स त वतः स त वेद परावतः. शरो य याहं वेद सोमं चा यां वच णम्.. (३) म वशा गौ के समीप रहने वाली सात व तु और र रहने वाली सात व तु को जानता ं. म य के शीश को जानता ं तथा वशा गौ म होने वाले काशशील सोम को भी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जानता ं. (३) यया ौयया पृ थवी ययापो गु पता इमाः. वशां सह धारां णा छावदाम स.. (४) जस के ारा ौ, जस के ारा पृ वी तथा जस के ारा ये जल सुर त ह, ध क हजार धाराएं बहाने वाली वशा क हम वेद मं ारा शंसा करते ह (४) शतं कंसाः शतं दो धारः शतं गो तारो अ ध पृ े अ याः. ये दे वा त यां ाण त ते वशां व रेकधा.. (५) इस वशा गौ क पीठ पर ध पा लए ए सौ ध काढ़ने वाले एवं सौ र क ह. जो दे व इस गौ के कारण सांस लेते ह अथात् जी वत ह, एकमा वे ही इस गौ को जानते ह. (५) य पद रा ीरा वधा ाणा महीलुका. वशा पज यप नी दे वां अ ये त णा.. (६) जस वशा गौ को य म थान ा त है, जो अ य धक ध दे ती है, वधा जस के ाण ह तथा जो धरती पर परम स है, उस का वषा के कारण उ प घास से पालनपोषण होता है, वह वशा गौ य के ारा दे व को तृ त करती है. (६) अनु वा नः ा वशदनु सोमो वशे वा. ऊध ते भ े पज यो व ुत ते तना वशे.. (७) हे वशा गौ! अ न ने तुझ म वेश कया था तथा सोम भी तुझ म व आ था. पज य अथात् बादल ने तेरे एन म और बजली ने तेरे थन म नवास कया था. (७) अप वं धु े थमा उवरा अपरा वशे. तृतीयं रा ं धु े ऽ वम्.. (८)
ं
ीरं वशे
हे वशा गौ! सब से पहले तू जल को दोहन के प म दान करती है. इस के प ात भू म को उपजाऊ बना कर हम अ दे ती है. तीसरे तू रा को श पी ीर दान करती है. (८) यदा द यै यमानोपा त वशे.. (९)
ऋताव र. इ ः सह ं पा ा सोमं वापाययद्
हे ऋतावरी अथात् ध दे ने वाली गौ! तू आ द य ारा बुलाए जाने पर समीप आई थी. हे वशा गौ! तब इं ने हजार पा ले कर तुझे सोमरस पलाया था. (९) यदनूची मैरात् व ऋषभो ऽ यत्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त मात् ते वृ हा पयः ीरं ु
ो हरद् वशे.. (१०)
हे वशा गौ! जब तू अनुकूल बन कर इं के समीप जाती है, तब बैल तुझे समीप से बुलाता है. इस कारण इं ो धत हो कर तेरे मधुर ध को हता है. (१०) यत् ते ु ो धनप तरा र त.. (११)
ीरमहरद् वशे. इदं तद
नाक
षु पा ेषु
हे वशा गौ! जब ोध म भरा आ धनप त अथात् कुबेर तेरा ध लेता है, तो उसे वग तीन पा म सुर त रखता है. (११) षु पा ेषु तं सोममा दे हरद् वशा. अथवा य द तो ब ह या त हर यये.. (१२) जहां द ा धारण करने वाला अथववेद यजमान वणमय कुश के आसन पर बैठा था, वहां द गुण वाली वशा गौ ने तीन पा म सोमरस को भर दया. (१२) सं ह सोमेनागत समु सवण प ता. वशा समु म य ाद् ग धवः क ल भः सह.. (१३) वह वशा गौ चरण वाले सभी मनु य के साथ सोमरस ले कर आई. वह गौ कलह करने वाले गंधव के साथ सागर म त ा पाती रही. (१३) सं ह वातेनागत समु सवः पत भः. वशा समु े ानृ य चः सामा न ब ती.. (१४) ऋचा और सामवेद के मं को धारण करती ई वशा गौ सभी प य के साथ वायु के पास गई और सागर पर नृ य करने लगी. (१४) सं ह सूयणागत समु सवण च ुषा. वशा समु म य यद् भ ा योत ष ब ती.. (१५) सभी ने के साथ वशा गौ सूय से मली. क याणका रणी उस गौ ने काश को धारण करते ए सागर से भी अ धक स ा त क . (१५) अभीवृता हर येन यद त ऋताव र. अ ः समु ो भू वा ऽ य क दद् वशे वा.. (१६) हे ऋतावरी अथात् अ धक मा ा म ध दे ने वाली गौ! तू जब सोने के आभूषण से ढक ई खड़ी थी, तो हे वशा गौ! सागर घोड़ा बन कर अथात् घोड़े के समान तेज चाल से तेरे समीप आ गया था. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तद् भ ाः समग छ त वशा दे यथो वधा. अथवा य द तो ब ह या त हर यये.. (१७) य म द त अथववेद के मं का ाता ा ण जहां वणमय कुश के आसन पर बैठता है, वहां भ पु ष अथवा क याणकारी त व एक होते ह, वहां वशा गौ अ दे ने वाली एवं य के साधन के प म उप थत होती है. (१७) वशा माता राज य य वशा माता वधे तव. वशाया य आयुधं तत मजायत.. (१८) हे वशा गौ! तू य क माता है. हे वधा अथात् अ ! वशा गौ तेरी माता है. य वशा गौ का आयुध है. वशा गौ म ही च अथात् बु उ प ई है. (१८) ऊ व ब दचरद् णः ककुदाद ध. तत वं ज षे वशे ततो होताजायत.. (१९) उप
के ककुद अथात् ऊपर वाले भाग से एक बूंद उछली. हे वशा गौ! तू उसी बूंद से ई है तथा उसी बूंद से हवन करने वाले होता उ प ए ह. (१९) आ न ते गाथा अभव ु णहा यो बलं वशे. पाज या ज े य तने यो र मय तव.. (२०)
हे वशा गौ! तेरे मुख से गाथाएं उ प तथा तेरी गरदन से बल क उ प ऐन से य उ प आ तथा तेरे थन से करण उ प . (२०)
ई. तेरे
ईमा यामयनं जातं स थ यां च वशे तव. आ े यो ज रे अ ा उदराद ध वी धः.. (२१) हे वशा गौ! तेरे बा अथात् अगली टांग और पछले पैर से तेरा चलना होता है. तेरी आंत से अनेक पदाथ उ प ए तथा तेरे पेट से वृ उ प ए. (२१) य दरं व ण यानु ा वशथा वशे. तत वा ोद यत् स ह ने मवेत् तव.. (२२) हे वशा गौ! व ण के उदर म तेरा वेश आ. इस के प ात वही तेरा ने जानता है. (२२) सव गभादवेप त जायमानादसू वः. ससूव ह तामा वशे त भः लृ तः स
ने तेरा आ ान कया.
या ब धुः.. (२३)
ाणहीन उ प होने वाले गभ से सभी कांपने लगे. उस ने कहा क हे वशा! तू ब चे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को ज म दे . ा ण ने उसी को वशा का बंधु न त कया. (२३) युध एकः सं सृज त यो अ या एक इद् वशी. तरां स य ा अभवन् तरसां च ुरभवद् वशा.. (२४) एक यो ा इस के समीप आता है, जो एक मा एक गौ को वश म करने वाला है. य ही पार करने वाले बने. वशा गौ ही पार करने वाल क आंख बनी. अथात् वशा गौ के पीछे चल कर ही सब ने ःख को पार कया. (२४) वशा य ं यगृहणाद् ् वशा सूयमधारयत्. वशायाम तर वशदोदनो णा सह.. (२५) वशा गौ ने य को वीकार कया तथा सूय को धारण कया. ओदन अथात् भात वशा गौ म व आ. (२५)
अथात् ान के साथ
वशामेवामृतमा वशां मृ युमुपासते. वशेदं सवमभवद्दे वा मनु या ३ असुराः पतर ऋषयः.. (२६) वशा गौ को ही अमृत कहा गया है. मृ यु समझ कर भी वशा गौ क उपासना क जाती है. वशा ही यह सब ई जैसे—दे व, मनु य, असुर, पतर और ऋ ष. (२६) य एवं व ात् स वशां त गृह्णीयात्. तथा ह य ः सवपाद् हे दा े ऽ नप फुरन्.. (२७) जो इस बात को जानता है, वही वशा गौ का दान वीकार करेगा. यश सभी चरण से ग त करता आ अथात् थर हो कर वशा गौ का दान दे ने वाले को सभी पु य फल दान करता है. (२७) त ो ज ा व ण या तद यास न. तासां या म ये राज त सा वशा त हा.. (२८) व ण के मुख म तीन ज ाएं द त ह. उन के म य म जो वराजमान है, वही वशा है. उस को दान के प म वीकार करना क ठन काम है. (२८) चतुधा रेतो अभवद् वशायाः. आप तुरीयममृतं तुरीयं य तुरीयं पशव तुरीयम्.. (२९) वशा गौ का वीय अथात् बल चार भाग म वभा जत आ. जल, अमृत, य और पशु उस के चौथे भाग ह. (२९) वशा ौवशा पृ थवी वशा व णुः जाप तः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वशाया
धम पब सा या वसव ये.. (३०)
वशा गौ ौ, पृ वी, व णु और जाप त ह. जो सा य और वायु ह, उ ह ने वशा गौ का ध पया. (३०) वशाया धं पी वा सा या वसव ये. ते वै न य व प पयो अ या उपासते.. (३१) जो सा य और वसु थे, वे वशा गौ का ध पी कर वग के थान म प ंचे और सदा वशा गौ का ध पीते ह. (३१) सोममेनामेके े घृतमेक उपासते. य एवं व षे वशां द ते गता दवं दवः.. (३२) कुछ ने इस वशा गौ से सोम का दोहन कया. कुछ ने इस के घृत क उपासना क अथात् घृत ा त कया. जो इस कार जानने वाले को वशा गौ का दान करते ह, वे दे व के वग म जाते ह. (३२) ा णे यो वशां द वा सवा लोका सम ुते. ऋतं यामा पतम प ाथो तपः.. (३३) मनु य ा ण को वशा गौ दे कर सभी लोक का सुख भोगता है. वशा गौ म स य, ान एवं तप आ त है. (३३) वशां दे वा उप जीव त वशां मनु या उत. वशेदं सवमभवद् यावत् सूय वप य त.. (३४) दे वगण एवं मनु य वशा गौ के सहारे जी वत रहते ह. जहां तक सूय का काश है, वहां तक यह वशा गौ ही है. (३४)
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यारहवां कांड सू -१
दे वता—
ौदन
अ ने जाय वा द तना थतेयं ौदनं पच त पु कामा. स तऋषयो भूतकृत ते वा म थ तु जया सहेह.. (१) हे अ न दे व! तुम अर ण मंथन से उ प ए हो. यह दे व माता अ द त पु क कामना से इस ौदनासव नामक कम म ा ण को खलाने के हेतु भात पकाना चाहती है. मरीच आ द स त ऋ ष पृ वी आ द को बनाने वाले ह. वे इस दे वय म मंथन के ारा तु ह यजमान के पु , पौ आ द के साथ उ प कर. (१) कृणुत धूमं वृषणः सखायोऽ ोघा वता वाचम छ. अयम नः पृतनाषाट् सुवीरो येन दे वा असह त द यून्.. (२) हे कामना पूण करने वाले एवं जगत् के म स त ऋ षयो! तुम अर ण मंथन के ारा धुआं उ प करो. ये अ न दे व तु त पी ऋचाएं सुन कर उ म च र वाले यजमान क श ु से र ा करते ह. दे व स हत ये अ न दे वश ु सेना को परा जत करते ह. अ न क सहायता से दे व ने रा स को परा जत कया था. (२) अ ने ऽ ज न ा महते वीयाय ौदनाय प वे जातवेदः. स त ऽ ऋषयो भूतकृत ते वा ऽ जीजन यै र य सववीरं न य छ.. (३) हे उ प होने वाले ा णय के ाता अ न दे व! तुम परम साम य के लए अर ण मंथन से उ प होते हो. पृ वी आ द क रचना करने वाले स त ऋ षय ने तु ह ौदन पकाने के लए उ प कया था. तुम इस प नी को पु , पौ आ द वीर से यु धन दान करो. (३) स म ो अ ने स मधा सा म य व व ान् दे वान् य याँ एह व ः. ते यो ह वः पयं जातवेद उ मं नाकम ध रोहयेमम् .. (४) हे व लत अ न! तुम स मधा के ारा अ धक द त बनो एवं य के यो य दे व को जानते ए उ ह यहां लाओ. हे जातवेद अ न! उन दे व के न म ौदन पी ह व पकाते ए तुम इस यजमान को उ म वगलोक म प ंचाओ. (४) ेधा भागो न हतो यः पुरा वो दे वानां पतृणां म यानाम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अंशान्जानी वं व भजा म तान् वो यो दे वानां स इमां पारया त.. (५) तु हारे लए अथात् अ न आ द दे व के लए, पतर के लए और मनु य के लए पहले जो भाग तीन से वभा जत कए गए ह, हे दे व! पतर एवं मनु य! उन भाग को जानो. म तु हारे लए उन भाग को अलगअलग करता ं. उन म दे व का जो भाग है, वह अ न म ह व के प म हवन कया जा रहा है. वह दे व भाग इस यजमान प नी को इ फल दान करे. (५) अ ने सह वान भभूरभीद स नीचो यु ज षतः सप नान्. इयं मा ा मीयमाना मता च सजातां ते ब ल तः कृणोतु .. (६) हे अ न दे व! तुम साम य वाले होने के कारण श ु को परा जत करते हो. तुम बुरे कम करने वाले हमारे श ु को नीचे क ओर मुंह कर के गराओ. हे यजमान! कारीगर के ारा बनाई गई यह शाला तुझे भट लाने वाले पु , पौ आ द से संप करे. (६) साकं सजातैः पयसा सहै यु जैनां महते वीयाय. ऊ व नाक या ध रोह व पं वग लोक इ त यं वद त .. (७) हे यजमान! तू समान ज म वाले पु ष के साथ कमफल के स हत वृ को ा त हो एवं इस प नी को अ धक वीय ा त करने हेतु वा भमानी बने. हे यजमान! तू दे हांत के प ात उस वग म प ंच, जसे उ म कम का फल कहा जाता है. (७) इयं मही त गृ ातु चम पृ थवी दे वी सुमन यमाना. अथ ग छे म सुकृत य लोकम् .. (८) दे वगण क यह भू म बछे ए चम को वीकार करे एवं हमारे त कोमल दय बन कर दया करे. पृ वी क कृपा के कारण हम य के फल के प म ा त होने वाले वग म प ंच. (८) एतौ ावाणौ सयुजा युङ् ध चम ण न भ यंशून् यजमानाय साधु. अव नती न ज ह य इमां पृत यव ऊ व जामु र यु ह.. (९) हे ऋ वज्! सामने रखे ए एवं लोहे के समान ढ़ उलूखल और मूसल को एक साथ मला कर बछे ए बैल के चमड़े पर रख लो तथा यजमान के लए सोमलता के अंश से बने ए धान को कूटो. हे प नी! उलूखल और मूसल से धान को कूटती ई तू हमारी संतान को सेना क सहायता से मारने के इ छु क श ु को बाधा प ंचा. तू मूसल उठाती ई हमारी संतान को उ त थान ा त करो. (९) गृहाण ावाणौ सकृतौ वीर ह त आ ते दे वा य या य मगुः. यो वरा यतमां तवं वृणीषे ता ते समृ रह राधया म.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे वीर अ वयु! अपने हाथ म उ म कम वाले उलूखल और मूसल नाम के दो प थर हण करो. स एवं य के यो य दे व तु हारे य म आए ह. हे यजमान! तू य कम क समृ , सांसा रक सुख क समृ और परलोक क समृ — इन तीन वर क कामना करता है. म इस य के ारा इन तीन समृ य क साधना करता ं. (१०) इयं ते धी त रदमु ते ज न ं गृह्णातु वाम द तः शूरपु ा. परा पुनी ह य इमां पृत यवो ऽ यै र य सववीरं न य छ.. (११) हे सूप! चावल से भूसी को अलग करना तेरा काय है और यही तेरे ज म का कारण है. शूर पु वाली दे वमाता अ द त इस काय के लए तुझे हाथ म ल. जो श ु इस प नी क हसा करने के लए सेना ले कर आए ह, उन क हसा करने के लए तू चावल से भूसी को अलग कर. तू इस प नी के लए वीर पु एवं पौ से यु धन अ धक मा ा म दान कर. (११) उप से वये सीदता यूयं व व य वं य यास तुषैः. या समानान त सवा यामाध पदं षत पादया म.. (१२) हे चावलो! म थर एवं उ म फल वाले कम के न म तु ह अ धक बना रहा ं. इसी लए तुम सूप म बैठ जाओ. य म उपयोग के यो य तुम भूसी से अलग हो जाओ. हम भी तु हारे कारण उ प संप से अपने समान ज म वाले पु ष क अपे ा े हो जाएं और े ष करने वाले श ु को अपने पैर म गराएं. (१२) परे ह ना र पुनरे ह मपां वा गो ो ऽ य द् भराय. तासां गृ ताद् यतमा य या असन् वभा य धीरीतरा जहीतात्.. (१३) हे नारी! तू मुझ से वमुख हो कर जल भरने जा और जल ले कर शी लौट आ. उस समय गाय के जल पीने का जलाशय जल भरने के हेतु तेरे शीष पर चढ़े अथात् उस जलाशय से जल ले कर तू जल पा सर पर रख ले. जलाशय के जल म जो जल य के यो य ह, उ ह हण करना. हे बु मती! तू य के यो य जल को अलग कर के याग दे ना. (१३) एमा अगुय षतः शु भमाना उ ना र तवसं रभ व. सुप नी प या जया जाव या वागन् य ः त कु भं गृभाय.. (१४) हे प नी! शोभन अलंकार से यु ये ना रयां जल भरने के लए आ गई ह. तू भी उठ कर जल भरने के लए तैयार हो जा. तू उ म प त के कारण े प नी एवं संतान के कारण जावती है. य तुझे जल के प म ा त आ है. तू जल से भरा आ घड़ा ले कर आ जा. (१४) ऊज भागो न हतो यः पुरा व ऋ ष श ाप आ भरैताः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अयं य ो गातु व ाथ वत् जा व
ः पशु वद् वीर वद् वो अ तु.. (१५)
हे जलो! तु हारा जो बलकारक अंश ा ने बनाया था, वही इस य म लाया जाता है. हे प नी! ये जल मं एवं ा के ारा अनुम त ा त ह. इ ह तू घड़े म भर. यह तैयार कया जाता आ ौदनासव नामक य तेरे लए वग के माग को ा त कराने वाला, चाहे गए वग आ द फल को दे ने वाला, पु , पौ का दाता, गाय, घोड़े आ द पशु को ा त कराने वाला एवं अनेक सेवक को दान करने वाला हो. (१५) अ ने च य य वा य छु च त प तपसा तपैनम्. आषया दै वा अ भस य भाग ममं त प ा ऋतु भ तप तु.. (१६) हे अ न! य के यो य च अथात् ह व पकाने क बटलोई तु हारे ऊपर थत हो. तुम अपने तेज से इस शु एवं तपी ई बटलोई को अ धक तपाओ. गो वतक ऋ षय को जानने वाले ा ण एवं इं ा द दे व अपनाअपना भाग पा कर इस बटलोई से संतु ह और इसे अ धक तपाएं. (१६) शु ाः पूता यो षतो य या इमा आप मव सप तु शु ाः. अ ः जां ब लान् पशून् नः प ौदन य सुकृतामेतु लोकम्.. (१७) शु और प व यां य के यो य इन ेत रंग के जल को बटलोई म डाल. वे जल हम पु आ द प संतान और गाय, भस आ द पशु दान कर. ौदन को पकाने वाला यजमान पु य करने वाल के लोक अथात् वग को जाए. (१७) णा शु ा उत पूता घृतेन सोम यांशव त डु ला य या इमे. अपः वशत त गृह्णातु व रमं प वा सुकृतामेत लोकम्.. (१८) ये चावल मं के ारा शु तथा जल के ारा धोए गए एवं अमृत के अंश ह. य के यो य ये चावल बटलोई म भरे ए जल म वेश कर. हे चावल! बटलोई तु ह वीकार करे. यजमान इस ौदन को पका कर पु य करने वाल के लोक अथात् वग को ा त हो. (१८) उ ः थ व महता म ह ना सह पृ ः सुकृत य लोके. पतामहाः पतरः जोपजा ऽ हं प ा प चदश ते अ म.. (१९) हे भात! तू पु य के फल के प म ा त होने वाले वग म अ तशय व तीण हो और हजार अवयव वाला बन कर फैल. हमारे पता, पतामह आ द सात पु ष तेरे ारा तृ त ह एवं हमारे पु , पौ आ द सात पी ढ़यां तेरे ारा स ह . ौदन को पकाने वाला म तेरे लए पं हवां ं. (१९) सह पृ ः शतधारो अ तो ौदनो दे वयानः वगः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अमूं त आ दधा म जया रेषयैनान् ब लहाराय मृडता म मेव.. (२०) हे यजमान! तेरे ारा कया जाता आ यह ौदनासव नाम का य हजार शरीर वाला, अमृतमयी सौ धारा से यु , दे व तक प ंचाने वाला तथा पल के प म वग ा त कराने वाला है. यह ौदन खाए जाने पर भी कभी समा त नह होता है. हे ौदन! म अपने सजातीय पु ष को तेरे सामने खड़ा करता ं. इ ह पु , सेवक आ द जा के प म मेरी अपे ा हीन बना. यह सब य केवल तुझे ही सुखी और उ म बनाए. (२०) उदे ह वे द जया वधयैनां नुद व र ः तरं धे ेनाम्. या समानान त सवा यामाध पदं षत पादया म.. (२१) हे पके ए भात! अ न से उठ कर य वेद पर आओ. इस प नी को पु , पौ पी जा के ारा बढ़ाओ. य म व न डालने वाले रा स को इस थान से भगाओ तथा इस प नी को उ म बनाने के लए इस का पोषण करो. (२१) अ यावत व पशु भः सहैनां यङे नां दे वता भः सहै ध. मा वा ाप छपथो मा ऽ भचारः वे े े अनमीवा व राज.. (२२) हे यजमान एवं यजमान प नी! सर के ारा कया आ आ ोश तुम तक न प ंचे. सर के ारा कया आ मारण संबंधी जा टोना भी तु ह ा त न हो. तुम इस थान म नरोग हो कर नवास करो. हे ौदन! प नी, यजमान, आ द को गाएं, भसे आ द पशु के साथ ा त ह तथा तुम य के यो य इन दे व के साथ यजमान के सामने खड़े होओ. (२२) ऋतेन त ा मनसा हतैषा ौदन य व हता वे दर े. अंस शु ामुप धे ह ना र त ौदनं सादय दै वानाम्.. (२३) ा ने इस वेद का नमाण कया. हर यगभ ने इसे था पत कया एवं ौदन को पकाने के लए मह षय ने इस वेद क क पना क . हे प नी! तू दे व , पतर और मनु य के भाग को धारण करने वाली इस वेद के समीप बैठ तथा दे व के इस भाग को पका. (२३) अ दतेह तां च ु मेतां तीयां स तऋषयो भूतकृतो यामकृ वन्. सा गा ा ण व योदन य द वव ाम येनं चनोतु.. (२४) ा णय क सृ करने वाले स त ऋ षय ने दे व माता अ द त के तीय हाथ के प म होम के साधन इस करछु ली को बनाया था. यह करछु ली पके ए भात के शरीर को जानती ई वेद के ऊपर इस भात को था पत करे. (२४) शृंत वा ह मुप सीद तु दै वा नःसृ या नेः पुनरेनान् सीद. सोमेन पूतो जठरे सीद णामाषया ते मा रषन् ा शतारः.. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे पके ए एवं हवन के यो य भात! दे व तु हारे समीप बैठ. तुम अ न के समीप से नकल कर इ ह स करो. ध, दही, प, अमृत से प व तुम ा ण के पेट म बैठो. अपनेअपने गो और वर को जानने वाले ये ा ण तु ह खा कर न न ह अथात् तुम इन क हसा मत करना. (२५) सोम राज सं ानमा वपै यः सु ा णा यतमे वोपसीदान्. ऋषीनाषयां तपसो ऽ ध जातान् ौदने सुहवा जोहवी म.. (२६) हे राजा सोम पी ौदन! इन खाने वाले ा ण को उ म ान दो. इन म जो उ म ा ण तु हारे समीप बैठे ह, उ ह भी उ म ान ा त कराओ. तप से उ प एवं शोभन आ ान वाली प नी म ानी ऋ षय को ौदन के न म बारबार बुलाती ं. (२६) शु ाः पूता यो षतो य या इमा णां ह तेषु पृथक् सादया म. य काम इदम भ ष चा म वो ऽ ह म ो म वा स ददा ददं मे.. (२७) पाप र हत एवं अपने संसग से अ य को भी प व करने वाले एवं य के यो य इन जल को म धोने के योजन से ा ण के हाथ म डालता ं. हे जलो! म जस अ भलाषा से इस समय तु ह सब ओर छड़कता ,ं म त से मु इं मेरी वह कामना पूरी कर. (२७) इदं मे यो तरमृतं हर यं प वं े ात् काम घा म एषा. इदं धनं न दधे ा णेषु कृ वे प थां पतृषु यः वगः.. (२८) यह वण मेरे वग के माग क कभी न बुझने वाली यो त है. यह पकाया आ अ मेरी कामधेनु है. म द णा के प म दया जाता आ धन ा ण म धारण करता ं तथा मेरे पता, पतामह आ द के ारा अ भल षत जो वगलोक है, म उस का माग बनाता ं. (२८) अ नौ तुषाना वप जातवेद स परः क बूकां अप मृ ड् द रम्. एतं शु ुम गृहराज य भागमथो वद्म नऋतेभागधेयम्.. (२९) हे ऋ वज्! ौदन से अलग क गई भूसी को जातवेद अ न म डालो तथा कंबूक अथात् फलकण को पैर से र मसल दो. इस कंबूक को म ने गृहप त अथात् वा तु दे वता का भाग सुना है. इसे म पाप दे वता नऋ त का भाग जानता ं. (२९) ा यतः पचतो व सु वतः प थां वगम ध रोहयैनम्. येन रोहात् परमाप यद् वय उ मं नाकं परमं ोम.. (३०) हे ौदन! इन द ा प तप करने वाल को, ौदन पकाने वाल को एवं सोमरस नचोड़ने वाले यजमान को जानो तथा वग के माग पर था पत करो. उस माग से चल कर यजमान उ म एवं ःख र हत वग म थत हो. उ म प ी बाज के समान ये जस कार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वग म प ंच सके, वैसा करो. (३०) ब ेर वय मुखमेतद् व मृड् ा याय लोकं कृणु ह व ान्. घृतेन गा ानु सवा न मृड् ढ कृ वे प थां पतृषु यः वगः.. (३१) हे अ वयु! ऋ वज् का भरणपोषण करने वाले पके ए भात का मुंह शु करो. हे व ान् अ वयु! ओदन म घी डालने के लए ग ा बनाओ. इस के प ात बटलोई के भाग के सभी अंग को घी से चकना करो. इस ओदन के ारा म पूवज के अ भल षत वग का माग बनाऊंगा. (३१) ब े र ः समदमा वपै यो ऽ ा णा यतमे वोपसीदान्. पुरी षणः थमानाः पुर तादाषया ते मा रषन् ा शतारः.. (३२) हे भरणशील ौदन! ा ण के अ त र य आ द जो तुझे खाने के लए बैठ, उ ह तू वह पीड़ा प ंचा जो रा स प ंचाते ह. पूव म जो ऋ ष गो एवं वर के ाता, जा पशु आ द के पूरक एवं लोक म पु , पौ आ द के ारा समृ भृगु अं गरा आ द के मं को जानने वाले ा ण तुझे खाते ह, वे तुझे खा कर क ा त न कर. (३२) आषयेषु न दध ओदन वा नानाषयाणाम य य . अ नम गो ता म त सव व े दे वा अ भ र तु प वम्.. (३३) हे भात! म तु ह ऋ ष आ द को जानने वाले ा ण म धारण करता ं और इस कार के ा ण को तु ह खलाता ं. इस ौदन म ऋ ष, गो आ द न जानने वाले ा ण क संभावना भी नह है. अ न दे व मेरे र क ह. सभी अथात् उनचास म त् एवं व े दे व मेरे ारा पकाए ए भात क र ा कर. (३३) य ं हानं सद मत् पीनं पुमांसं धेनुं सदनं रयीणाम्. जामृत वमुत द घमायू राय पोषै प वा सदे म.. (३४) यह ौदन य को उ प करने वाला, सदै व बढ़े ए ऊध क अथात् एन वाला पु ष पी धेनु है. हे भात! संप य के गृह प तुझ को खाते ए हम पु , पौ आ द के ारा अमरता, द घ आयु, धन एवं समृ ा त कर. (३४) वृषभो ऽ स वग ऋषीनाषयान् ग छ. सुकृतां लोके सीद त नौ सं कृतम्.. (३५) हे ौदन! तुम कामना के पूरक एवं वगलोक म प ंचाने वाले हो. तुम मं जानने वाले ऋ षय के पास जाओ. उन के ारा खाए जाने पर तुम हम पु य करने वाल के लोक अथात् वग म प ंचाओ. वहां हमारा और तु हारा सं कार होगा. (३५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समा चनु वानुसं या ने पथः क पय दे वयानान्. एतैः सुकृतैरनु ग छे म य ं नाके त तम ध स तर मौ.. (३६) हे ौदन! तुम अपने सभी अंग को समूह बनाते ए वहां जाओ, जहां तु ह जाना है. हे अ न दे व! तुम भी इस ओदन के जाने हेतु दे व के जाने यो य माग बनाओ. इन दे व माग एवं पु य कम के कारण हम वग के ऊपर सूय मंडल म थत य को ा त ह गे. (३६) येन दे वा यो तषा ामुदायन् ौदनं प वा सुकृत य लोकम्. तेन गे म सुकृत य लोकं वरारोह तो अ भ नाकमु मम्.. (३७) इं आ द दे व जस यो त के ारा ौदनासव नामक य पूण कर के वग को गए, वह वग पु य कम करने वाल का लोक है. उसी दे वयान माग से हम भी पु य के फल के प म ा त होने वाले वगलोक को जीतगे. उ म एवं सुखकारक लोक को ल य कर के हम वग म प ंचगे. (३७)
सू -२
दे वता—मं
मउ
भव आ द
भवाशव मृडतं मा भ यातं भूतपती पशुपती नमो वाम्. त हतामायतां मा व ा ं मा नो ह स ं पदो मा चतु पदः.. (१) हे संसार क सृ करने वाले भव एवं संसार क हसा करने वाले शव! हम सुखी करो तथा हमारी र ा के लए हमारे सामने आओ. ा णय एवं पशु के पालक तुम दोन को नम कार है. अपने धनुष क डोरी पर रखा आ बाण हमारी ओर मत छोड़ो. हमारे मनु य एवं पशु क हसा मत करो. (१) शुने ो े मा शरीरा ण कतम ल लवे यो गृ े यो ये च कृ णा अ व यवः. म का ते पशुपते वयां स ते वघसे मा वद त.. (२) हे भव एवं शव! तुम हमारे शरीर को कु े और सयार के खाने यो य मत बनाओ. कातर न होने वाले ग एवं मांस क इ छा करने वाले कौ को भी हमारे शरीर मत खाने दो. हे पशुप त ! म खयां और तु हारे प ी भी भोजन क इ छा से हमारे शरीर को ा त न कर. (२) दाय ते ाणाय या ते भव रोपयः. नम ते कृ मः सह ा ायाम य.. (३) हे भव! हम तु हारे श द और ाण वायु को नम कार करते ह. हम तु हारे मोहक शरीर को नम कार करते ह. हे ! हे सह ा एवं मृ यु र हत! हम तु ह नम कार करते ह. (३) पुर तात् ते नमः कृ म उ रादधरा त. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अभीवगाद् दव पय त र ाय ते नमः.. (४) हे ! हम तु ह सामने से, उ र दशा से एवं द ण दशा से नम कार करते ह. काशपूण आकाश के ऊपर वाले भाग म वतमान तु हारे लए नम कार है. (४) मुखाय ते पशुपते या न च ूं ष ते भव. वचे पाय सं शे तीचीनाय ते नमः.. (५) हे पशुप त! तु हारे मुख को नम कार है. हे भव! तु हारे तीन ने तु हारे चम को, प को एवं स यक दशन क श को नम कार है. (५)
को नम कार है.
अ े य त उदराय ज ाया आ याय ते. दद् यो ग धाय ते नमः.. (६) हे पशुप त! तु हारे हाथ, पैर आ द अंग को नम कार है. तु हारी जीभ को, मुख को, दांत को और तु हारी गंध ाहक इं य नाक को नम कार है. (६) अ ा नील शख डेन सह ा ेण वा जना. े णाधकघा तना तेन मा समराम ह.. (७) हम अ फकने वाले, नीले रंग के शखंड अथात् मोर के पंख से यु , हजार आंख वाले, वेगशाली एवं सेना के आधे भाग का वध करने वाले के ारा ःखी न ह . (७) स नो भवः प र वृण ु व त आप इवा नः प र वृण ु नो भवः. मा नो ऽ भ मां त नमो अ व मै.. (८) बताए ए भाव वाले भव हम सभी उप व से बचाएं. जस कार जलती ई अ न जल का प र याग करती है, उसी कार भव हम याग द. वे हम बाधा न प ंचाएं. इस भव के लए नम कार है. (८) चतुनमो अ कृ वो भवाय दश कृ वः पशुपते नम ते. तवेमे प च पशवो वभ ा गावो अ ाः पु षा अजावयः.. (९) शव को चार बार और भव को आठ बार नम कार है. हे पशुप त! तु ह दस बार नम कार है. हे पशुप त! भ भ जा त वाले पांच पशु अथात् गाय, घोड़े, पु ष, बक रयां और भेड़ तु हारे ही ह. इन क र ा करो. (९) तव चत ः दश तव ौ तव पृ थवी तवेदमु ोव १ त र म्. तवेदं सवमा म वद् यत् ाणत् पृ थवीमनु.. (१०) हे अ तशय बलशाली ! पूव आ द चार दशाएं तु हारे अ धकार म ह. ौ, पृ वी, वशाल अंत र तथा आ मा के ारा भो ा के प म वतमान सारे शरीर तु हारे अ धकार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म है. पृ वी पर जतने सांस लेने वाले ह, वे भी तु हारे अ धकार म ह. इन सब पर कृपा करने के लए तु ह नम कार है. (१०) उ ः कोशो वसुधान तवायं य म मा व ा भुवना य तः. स नो मृड पशुपते नम ते परः ो ारो अ भभाः ानः परो य वघ दो वके यः.. (११) हे पशुप त! व तीण एवं पापपु य प कम को धारण करने वाला यह कोष ांड एवं कटाह तु हारा है. सभी इसी कोष के अंदर व मान ह. हे पशुप त! तुम हम सुखी बनाओ. तु ह नम कार है. तु हारी कृपा से हम परा जत करने वाले सयार एवं कु े हम से र दे श म चले जाएं. अमंगल पूण रोदन करने वाली पशा चयां भी हम से र चली जाएं. (११) धनु बभ ष ह रतं हर ययं सह न शतवधं शख डन्. येषु र त दे वहे त त यै नमो यतम यां दशी ३ तः.. (१२) हे ! तुम व के संहार के लए धनुष धारण करते हो. जो हरे रंग का, वण न मत, एक बार म एक हजार जन को ता पत करने वाला तथा सौ ा णय का वध करने वाला है. हे मोरपंख से न मत मुकुट वाले ! तु हारे उस धनुष के लए नम कार है. दे व का बाण बना के सव जाता है. यह दे व का हनन साधन है. यह बाण जस दशा म है, उसी दशा म इस बाण को नम कार है. (१२) यो ३ भयातो नलयते वां न चक ष त. प ादनु युङ् े तं व य पदनी रव.. (१३) हे ! जस पु ष पर तुम आ मण करते हो, वह तु हारे सामने नह ठहर पाता एवं तु हारी हसा करने क इ छा करता है. हे दे व! इस कार के अपकारी पु ष को तुम उस के अपराध के अनुसार उसी कार दं ड दे ते हो, जस कार घायल के पद च के अनुसार प ंच कर श ु उस पर वार करता है. (१३) भवा ौ सयुजा सं वदानावुभावु ौ चरतो वीयाय. ता यां नमो यतम यां दशी ३ तः.. (१४) भव और म बने ए, एक मत को ा त एवं श ु ारा अपराजेय हो कर अपना शौय कट करने के लए सव घूमते ह. इन दोन के लए नम कार है. हमारे नवास थान से वे जस दशा म वतमान ह , वह उन को नम कार है. (१४) नम ते ऽ वायते नमो अ तु परायते. नम ते त त आसीनायोत ते नमः.. (१५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ! हमारे स मुख आते ए तु ह नम कार है और हमारी ओर पीठ कर के जाते ए तु ह नम कार है. खड़े ए एवं अपने थान पर बैठे ए तु ह नम कार है. (१५) नमः सायं नमः ातनमो रा या नमो दवा. भवाय च शवाय चोभा यामकरं नमः.. (१६) हे ! तु ह सायंकाल, ातःकाल, रा तुम दोन को नम कार करता ं. (१६)
म एवं दन म नम कार है. हे भव और शव! म
सह ा म तप यं पुर ताद् म य तं ब धा वप तम्. मोपाराम ज येयमानम्.. (१७) हजार ने वाले, ांतदश , सामने क ओर बाण चलाने वाले, मेधावी एवं भ ण के लए सारे संसार को अपनी जीभ के अ भाग से ा त करने वाले के सामने हम न जाएं. (१७) यावा ं कृ णम सतं मृण तं भीमं रथं के शनः पादय तम्. पूव तीमो नमो अ व मै.. (१८) काले रंग वाले, काले व वाले, हसक एवं भयंकर ने केशी नामक असुर के रथ को तोड़ कर धरती पर डाल दया था. अ य तोता के पूववत हम को अपना र क जानते ह. ऐसे को नम कार है. (१८) मा नो ऽ भ ा म यं दे वहे त मा नः ु धः पशुपते नम ते. अ य ा मद् द ां शाखां व धूनु.. (१९) हे ! अपने दै वी बाण को हम मरणधमा पर मत चलाओ. हे पशुप त! हमारे त ोध न करो. तु हारे लए नम कार है. शाखा के समान व तृत अपने द बाण को हमारी अपे ा अ य छोड़ो. (१९) मा नो हसीर ध नो ू ह प र णो वृङ् ध मा ु धः. मा वया समराम ह.. (२०) हे ! हमारी हसा मत करो. हमारे त प पात के वचन अ धक मा ा म बोलो. हम तुम अपने आयुध का ल य मत बनाओ एवं हमारे त ोध मत करो. हम कभी भी तुम से न मल. (२०) मा नो गोषु पु षेषु मा गृधो नो अजा वषु. अ य ो व वतय पया णां जां ज ह.. (२१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ! हमारी गाय , पु , भृ य आ द को मारने क इ छा मत करो. हमारी बक रय एवं भेड़ क हसा करने क बात मत सोचो. हे श शाली ! अपना आयुध हम छोड़ कर अ य चलाओ तथा दे व हसक क संतान का वध करो. (२१) य य त मा का सका हे तरेकम येव वृषणः अ भपूव नणयते नमो अ व मै.. (२२)
द ए त.
वर एवं खांसी जन के आयुध ह, वे गभाधान म समथ घोड़े के समान श द करते ए अपकारी पु ष के पास जाते ह. के वे आयुध अपराधी के अपराध का वचार कर के म से नाश करते ह. ऐसे को मेरा नम कार है. (२२) यो ३ त र े त त व भतो ऽ य वनः मृणन् दे वीपीयून्. त मै नमो दश भः श वरी भः.. (२३) जो अंत र म थत हो कर य न करने वाल एवं दे व हसक क ह या करते ह, उन के लए मेरा हाथ जोड़ कर नम कार है. (२३) तु यमार याः पशवो मृगा वने हता हंसाः सुपणाः शकुना वयां स. तव य ं पशुपते अ व १ त तु यं र त द ा आपो वृधे.. (२४) हे पशुप त! वन म ज म लेने वाले ह रण, सह आ द पशु एवं हंस आ द नर प ी तु हारे लए बनाए गए ह. तुम उ ह को वीकार करो और हमारे पशु का वध मत करो. तु हारा पू य व प जल के भीतर वतमान है, इस लए तु हारे नान के हेतु द जल बहते ह. तुम हमारे उपयोग के जल को मत छु ओ. (२४) शशुमारा अजगराः पुरीकया जषा म या रजसा ये यो अ य स. न ते रं न प र ा त ते भव स ः सवान् प र प य स भू म पूव मा ं यु र मन् समु े .. (२५) हे ! मगर, अजगर, झष, म य आ द जलचर तु हारे हेतु ह, जन क ओर तुम अपने तेज से आयुध चलाते हो. तुम सारी भू म को एक ण म ही दे ख लेते हो और पूव दशा म वतमान सागर से उ र दशा म थत सागर तक एक ण म ही प ंच जाते हो. (२५) मा नो त मना मा वषेण मा नः सं ा द ेना नना. अ य ा मद् व ुतं पातयैताम्.. (२६) हे ! वर के ारा, वष के ारा एवं बजली पी द मत करो. तुम अपने काश यु आयुध को हम छोड़ कर अ य भवो दवो भव ईशे पृ थ ा भव आ प उव १ त र म्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तेज के ारा हमारा पश गराओ. (२६)
त मै नमो यतम यां दशी ३ तः.. (२७) भव ुलोक और पृ वी के वामी ह. ये व तृत अंत र को अपने तेज से पूण करते ह. ये भव और जस दशा म भी व मान ह, उन लोक ापी को उसी दशा म नम कार है. (२७) भव राजन् यजमानाय मृड पशूनां ह पशुप तबभूथ. यः द्दधा त स त दे वा इ त चतु पदे पदे ऽ य मृड.. (२८) हे सब के वामी भव! यजमान को सुखी बनाओ. हे गाय, अ आ द पशु के पालको! जो मनु य ऐसी ा करता है क इं आ द दे व मेरे र क ह, उस मनु य क संतान और पशु क र ा करो. (२८) मा नो महा तमुत मा नो अभकं मा नो वह तमुत मा नो व यतः. मा नो हसीः पतरं मातरं च वां त वं मा री रषो नः.. (२९) हे ! हमारे संबंधी वृ क हसा मत करो. हमारे शशु क तथा भार वहन के यो य युवक क हसा मत करो. भार ढोने वाले सेवक क भी हसा मत करो. हे ! हमारे माता पता क तथा हमारे अपने शरीर क भी हसा मत करो. (२९) यैलबकारे यो ऽ संसू गले यः. इदं महा ये यः यो अकरं नमः.. (३०) म को ेरणा दे ने वाले कम करने वाल को नम कार करता .ं म अशोभन वचन बोलने वाले गण को तथा शकार के सहायक वशाल मुख वाले कु को नम कार करता ं. (३०) नम ते घो षणी यो नम ते के शनी यः. नमो नम कृता यो नमः स भु ती यः. नम ते दे व सेना यः व त नो अभयं च नः.. (३१) हे ! घोष करती ई एवं बखरे ए केश वाली तु हारी सेना को नम कार है. तु हारी चंडे र सेना को नम कार है, ज ह सब णाम करते ह. तु हारी एक साथ भोजन करती ई सेना को नम कार है. हे दे व, तु हारी कृपा से हम कुशल और नभयता ा त हो. (३१)
दे वता—बृह प त का भोजन
सू -३ त यौदन य बृह प तः शरो
मुखम्.. (१)
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वराट् के
प म क पत ओदन अथात् भात का शीश बृह प त और मुख
है. (१)
ावापृ थवी ो े सूयाच मसाव णी स तऋषयः ाणापानाः.. (२) ावा पृ वी उस ओदन के दोन कान, सूय, चं मा दोन आंख और सात ऋ ष उस के ाण तथा अपान वायु ह. (२) च ुमुसलं काम उलूखलम्.. (३) इस कार क म हमा वाले ओदन का मूसल च ु और उलूखल कान ह. (३) द तः शूपम द तः शूप ाही वातो ऽ पा वनक्.. (४) असुर क माता इस का सूप ह, दे व माता अ द त उस सूप को पकड़ने वाली ह और वायु चावल और भूसी का ववेचन करने वाले ह. (४) अ ाः कणा गाव त डु ला मशका तुषाः.. (५) ओदन संबंधी कण अ , चावल गाय और भूसी मशक अथात् म छर ह. (५) क ु फलीकरणाः शरो ऽ म्.. (६) इस ओदन का फलीकरण ही क ु नामक ाणी है, जस के सर और भ ह म भेद नह होता. आकाश म घूमता आ मे ही उस का सर है. (६) याममयो ऽ य मांसा न लो हतम य लो हतम्.. (७) ख न अथवा फावड़े का काले रंग का लोहा इस वराट् रंग का तांबा इस का र है. (७)
प ओदन का मांस और लाल
पु भ म ह रतं वणः पु करम य ग धः.. (८) ओदन पकाने के प ात होने वाली राख ज ता है, सोना इस ओदन का रंग है और कमल इस क गंध है. (८) खलः पा ं
यावंसावीषे अनू ये.. (९)
खल अथात् ख लहान इस ओदन का पा तथा अनाज भरने क गाड़ी के फूले ए भाग इस के कंधे और गाड़ी क हरस इस ओदन के कंध और शरीर के बीच के जोड़ है. (९) आ ा ण ज वो गुदा वर ाः.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सभी ा णय से संबं धत जो आंत ह, वे ही बैल को गाड़ी म जोड़ने क र सयां ह. सम त ा णय के शरीर क गुदा गाड़ी और जुए को जोड़ने हेतु चमड़े क र सयां ह. (१०) इयमेव पृ थवी कु भी भव त रा यमान यौदन य ौर पधानम्.. (११) यह दखाई दे ती ई पृ वी पकाए जाते ए पूव तथा ुलोक उसे ढकने का पा है. (११)
ओदन को पकाने क बटलोई है
सीताः पशवः सकता ऊब यम्.. (१२) खेत म हल चलाने से बनने वाली रेखाएं इस ओदन क पसली क ह ड् डयां ह तथा न दय क बालू इस के पेट के भीतर के आधे पके ए तृण ह. (१२) ऋतं ह तावनेजनं कु योपसेचनम्.. (१३) लोक म व मान सम त जल इस ओदन के हाथ धुलाने के लए ह तथा छोट न दयां इस ओदन को मलाने का साधन ह. (१३) ऋचा कु य ध हता व येन े षता.. (१४) वराट् प ओदन को पकाने वाली बटलोई ऋ वेद म अ न पर रखी है और यजुवद ने इस म आग जलाई है. (१४) णा प रगृहीता सा ना पयूढा.. (१५) इस ओदन को पकाने वाली बटलोई अथववेद ने पकड़ी है और सामवेद ने इसे चार ओर से अंगार से घेर दया है. (१५) बृहदायवनं रथ तरं द वः.. (१६) बृहत् साम पानी म डाले गए चावल को मलाने का काठ है तथा रथंतर साम बटलोई से भात नकालने क करछु ली है. (१६) ऋतवः प ार आतवाः स म धते.. (१७) वसंत आ द ऋतुएं इस ओदन को पकाने वाली ह और ऋतु को जलाते ह. (१७)
संबंधी रात दन अ न
च ं प च बलमुखं घम ३ भी धे.. (१८) गाय, अ , पु ष, बकरी, भेड़ क उ प
का कारण वराट् ही च अथात् ओदन
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पकाने का पा है. सूय क धूप उसे गरम करती है. (१८) ओदनेन य वचः सव लोकाः समा याः.. (१९) इस कार महा भाव से पके ए ओदन के ारा य पाए जा सकते ह. (१९) य म समु ो ौभू म यो ऽ वरपरं
से ा त होने वाले सभी लोग
ताः.. (२०)
इस ओदन म सागर, ौ और भू म ऊपरनीचे थत है. (२०) य य दे वा अक प तो छ े षडशीतयः.. (२१) य से बचे ए इस ओदन के अंश से चार सौ अ सी दे व श
शाली बन. (२१)
तं वौदन य पृ छा म यो अ य म हमा महान्.. (२२) श य ने कया—‘हे गु ! म आप के इस ओदन क उस म हमा को पूछता ं, जो अ य धक है.’ (२२) स य ओदन य म हमानं व ात्.. (२३) वह
स
गु है, जो इस ओदन क म हमा जाने. (२३)
ना प इ त ूया ानुपसेचन इ त नेदं च क चे त.. (२४) गु ओदन क म हमा के उपदे श के समय म हमा क अ पता का उपदे श न करे. वह ओदन ध, घी, आ द से र हत है, ऐसा भी न कहे. वह ओदन सामने रखा है अथवा वह अ न द है, ऐसा भी न कहे. (२४) यावद् दाता ऽ भमन येत त ा त वदे त्.. (२५) ौदन स य का अनु ान करने वाला मन से जतना फल पाना चाहे, गु उस से अ धक फल न बताए. (२५) वा दनो वद त परा चमोदनं ाशी ३:
य चा ३ म त.. (२६)
वेद के वचारक मह ष पर पर कहते ह क हे दे वद ! तुम ने इस ओदन को पराङ् मुख हो कर खाया है अथवा आ मा भमुख हो कर खाया है. (२६) वमोदनं ाशी३ वामोदना ३ इ त.. (२७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तुम ने ओदन को खाया है अथवा ओदन ने तु ह खाया है. (२७) परा चं चैनं ाशीः ाणा वा हा य ती येनमाह.. (२८) य द तुम ने पराङ् मुख हो कर ौदन खाया है, तो ाण तु ह याग दगे. ऐसे ओदन खाने वाले क म हमा को व ान् बताएं. (२८) य चं चैनं ाशीरपाना वा हा य ती येनमाह.. (२९) य द तुम ने आ मा भमुख हो कर ौदन खाया है तो अपान वायु तु ह याग दे गी. ऐसा ओदन खाने वाले क म हमा को व ान् बताएं. (२९) नैवाहमोदनं न मामोदनः.. (३०) न म ने ओदन खाया है और न ओदन ने मुझे खाया है. (३०) ओदन एवौदनं ाशीत्.. (३१) ओदन ने ही ओदन को खाया है. (३१)
सू -४
दे वता—मं म बताए गए
तत ैनम येन शी णा ाशीयन चैतं पूव ऋषयः ा न्. ये त ते जा म र यती येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. बृह प तना शी णा. तेनैनं ा शषं तेनैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा .: सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१) ‘हे दे वद ! पूववत अनु ान करने वाल ने जस शीश से इस ओदन को खाया था, तुम ने य द उस से भ शीश के ारा खाया है तो तु हारी संतान ये म से मरेगी अथात् सब से पहले बड़ा लड़का मरेगा, उस के प ात उस से कम आयु वाला’—ऐसा श य से गु कहे. श य कहे क इस ओदन को म ने न पराङ् मुख हो कर खाया था और न आ मा भमुख हो कर खाया है. बृह प त से संबं धत ओदन का जो शीश है, उस ओर से म ने ओदन को खाया था तथा उसी शीश से ओदन को वहां प ंचाया है, जहां उसे प ंचना चा हए. यह ओदन सभी अंग से यु , सभी जोड़ से यु एवं संपूण शरीर वाला है. जो पु ष ऊपर बताए ए ढं ग से ओदन को खाना जानता है, वही संपूण अंग से यु , सभी जोड़ से यु एवं संपूण शरीर वाला होता है. (१) तत ैनम या यां ो ा यां ाशीया यां चैतं पूव ऋषयः ा न्. ब धरो भ व यसी येनमाह. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. ावापृ थवी यां ो ा याम्. ता यामेनं ा शषं ता यामेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा ः एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (२) ‘हे दे वद ! इन पूववत अनु ान कता ऋ षय ने जन कान क ओर से इस ओदन को खाया था, तुम ने य द उस से भ ओर से उस को खाया तो तुम बहरे हो जाओगे.’—गु श य से इस कार कहे. श य कहे क म ने इस ओदन को न पराङ् मुख हो कर खाया, न सामने हो कर खाया और न आ मा भमुख हो कर खाया. म ने ओदन को ावा, पृ वी प कान क ओर से खाया है. उ ह के ारा म ने ओदन खाया है और उसे वहां प ंचा दया, जहां उसे प ंचना था. यह ओदन सभी अंग से यु , सभी जोड़ वाला और संपूण शरीर के प म है. जो इस ओदन को इस प म जानता है, वही सम त अंग वाला, सभी जोड़ स हत एवं संपूण शरीर यु होता है. (२) तत ैनम या याम ी यां ाशीया यां चैतं पूव ऋषयः ा न्. अ धो भ व यसी येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. सूयाच मसा या म ी याम्. ता यामेनं ा शषं ता यामेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (३) ‘हे दे वद ! पूववत अनु ान कता ऋ षय ने जन आंख क ओर से इस ओदन को खाया था, तुम ने य द उस से भ उस क आंख क ओर से खाया तो तुम अंधे हो जाओगे’—गु इस कार अपने श य से कहे. श य कहे क म ने इस ओदन को न पराङ् मुख हो कर खाया और न सामने हो कर खाया और न आ मा भमुख हो कर खाया है. म ने इस ओदन को सूय और चं मा पी आंख क ओर से खाया है. म ने इसे उ ह के ारा खाया है और इसे वह प ंचा दया है, जहां इसे प ंचना चा हए. यह ओदन सभी अंग से यु , सभी जोड़ स हत एवं संपूण शरीर वाला है. जो इस ओदन को इस प म खाना जानता है, वही सम त अंग से यु , सभी जोड़ स हत एवं संपूण शरीर वाला है. (३) तत ैनम येन मुखने ाशीयन चैतं पूव ऋषयः ा न्. मुखत ते जा म र यती येनहमा. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. णा मुखेन. तेनैनं ा शषं तेनैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (४) ‘हे दे वद ! पूववत अनु ान कता ऋ षय ने जस मुख से इस ओदन को खाया था, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य द तुम ने उस से भ उस के मुख क ओर से खाया तो तु हारी संतान मर जाएगी’—गु इस कार अपने श य से कहे. श य कहे क म ने इस ओदन को न पराङ् मुख हो कर खाया और न सामने हो कर खाया और न आ मा भमुख हो कर खाया. म ने इसे पी मुख क ओर से खाया. म ने इस ओदन को इसी मुख से खाया और वह प ंचाया है, जहां इसे प ंचना चा हए था. यह ओदन सभी अंग से यु , सभी जोड़ वाला एवं संपूण शरीर से यु है. जो पु ष ऊपर बताई ई व ध से इस ओदन को खाना जानता है, वही संपूण अंग से यु , सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला होता है. (४) तत ैनम यया ज या ाशीयया चैतं पूव ऋषयः ा न्. ज ा ते म र यती येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. अ ने ज या. तयैनं ा शषं तेयैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (५) ‘हे दे वद ! पूववत अनु ान कता ऋ षय ने जस जीभ क ओर से इस ौदन को खाया है, तुम ने य द उस से भ उस क जीभ क ओर से खाया तो तु हारी जीभ मर जाएगी अथात् तुम गूंगे हो जाओगे’— गु अपने श य से इस कार कहे. श य कहे क म ने इस ओदन को न पराङ् मुख हो कर खाया और न सामने से खाया और न आ मा भमुख हो कर खाया. म ने इसे अ न क जीभ से खाया है. म ने इसे वह प ंचा दया है, जहां इसे प ंचना चा हए था. यह ओदन सम त अंग स हत, सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला है. इस व ध से जो इस ओदन को खाना जानता है, वही सब अंग से यु , पूरे जोड़ स हत एवं संपूण शरीर वाला होता है. (५) तत ैनम यैद तैः ाशीय ैतं पूव ऋषयः ा न्. श य ती येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. ऋतु भद तैः तैरेनं ा शषं तैरेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (६)
द ता ते
‘हे दे वद ! पूववत अनु ान कता ऋ षय ने जन दांत क ओर से इस ौदन को खाया था, तुम ने य द उस से भ उस के दांत क ओर से इसे खाया तो तु हारे दांत गर जाएंगे.’ गु अपने श य से इस कार कहे. श य कहे क म ने इस ओदन का न पराङ् मुख हो कर खाया, न सामने से खाया और न आ मा भमुख हो कर खाया. म ने इसे वसंत आ द ऋतु पी दांत से खाया है. म ने इसे उ ह के ारा खाया है और इसे जहां जाना चा हए था, वह प ंचा दया है. यह ओदन सम त अंग से यु सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाला है. इस व ध से जो इस ओदन को खाना जानता है, वही सम त अंग वाला, सभी जोड़ स हत एवं संपूण शरीर वाला है. (६)
दे वता—मं म बताए गए
सू -५ एतद् वै
न य व पं यदोदनः.. (१)
यह जो पूव ओदन अथात् भात है, वह सूय मंडल के म यवत ई र के आकाश म थत मंडल ह. (१) नलोको भव त
न य व प यते य एवं वेद.. (२)
जो पु ष ओदन के सूय मंडल म थत होने के वषय म जानता है, वह सूय मंडल म थत होता है तथा सूय मंडल प थान म आ य पाता है. (२) एत माद् वा ओदनात् य
ंशतं लोकान् नर ममीत जाप तः.. (३)
जाप त ने सम त जगत् के उपादान के बनाया. (३) तेषां
प म इस ओदन से ततीस दे व लोक को
ानाय य मसृजत.. (४)
जाप त ने उन ततीस दे व लोक का सा ा कार करने के लए य क रचना क . (४) स य एवं व ष उप
ा भव त ाणं ण
.. (५)
जो कोई पु ष इस कार से उपासक का सा ा कार करने वाला होता है एवं उस के काय म बाधा डालता है, वह अपने शरीर म ाण क ग त को रोकता है. (५) न च ाणं ण
सव या न जीयते.. (६)
वह न केवल शरीर म ाण क ग त को रोकता है, अ पतु आयु से सवथा हीन हो जाता है अथात् अ प आयु म मर जाता है. (६) तत ैनम यैः ाणापानैः ाशीय ैतं पूव ऋषयः ा न्. ाणापाना वा हा य ती येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. स त ष भः ाणापानैः. तैरेनं ा शषं तैरेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (७) गु अपने श य से इस कार कहे—हे दे वद ! पूववत अनु ानकता ऋ षय ने जन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ाण और अपन क सहायता से ओदन का सेवन कया था, तुम ने य द उस से भ अथात् लौ कक ाण और अपन क सहायता से इस ओदन का सेवन कया तो तु हारे ाण और प वायु तु हारा याग कर दगे. इस के उ र के प म श य अपने गु से कहे क मने इस का सेवन अ भमुख, पराङ् मुख और आ मा भमुख हो कर कया है. मने इस ओदन का सेवन स त ष प ाण और अपान वायु क सहायता से कया है इस कार सेवन कया आ होदन संपूण शरीर वाला होता है मने इसे वह प ंचा दया है, जहां इसे जाना चा हए था. इस कार सेवन कया आ ओदन मनचाहा फल दे ने वाला होता है. इस व ध से जो इस ओदन का सेवन करता है, वही सम त अंग वाला, सभी जोड़ स हत एवं संपूण शरीर वाला है. (७) तत ैनम येन चसा ाशीयन चैतं पूव ऋषयः ा न्. राजय म वा ह न यती येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. अ त र ेण चसा. तेनैनं ा शषं तेनैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (८) गु अपने श य से इस कार कहे—‘हे दे वद ! पूववत अनु ानकता ऋ षय ने जस व ध से इस ओदन का सेवन कया था, उस के अ त र य द कसी अ य लौ कक व ध से तुम ने इस ओदन का सेवन कया तो राजय मा रोग तु हारा वनाश कर दे गा.’ इस के उ र के प म श य गु से कहे, क म ने इस ओदन का सेवन न पराङ् मुख हो कर कया है, न सामने से कया है और न आ मा भमुख हो कर कया है. मने इस ओदन का सेवन अंत र व ध से कया है. इस व ध से सेवन कया आ ओदन सवाग पूण हो जाता है. जो पु ष इस कार से ओदन का सेवन करना जानता है वह सवाग पूण फल को ा त करता है. (८) तत ैनम येन पृ ेन ाशीयन चैतं पूव ऋषयः ा न्. व ुत् वा ह न यती येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. दवा पृ ेन. तेनैनं ा शषं तेनैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (९) गु अपने श य से इस कार कहे—हे दे वद ! पूववत अनु ान करने वाले ऋ षय ने जस पृ से इस ओदन का सेवन कया है, तू ने य द उस से भ अथात् लौ कक पृ से इस ओदन का सेवन कया तो व ुत तेरा वनाश कर दे गी. इस के उ र के प म श य अपने गु से कहे क म ने इस ओदन का सेवन न पराङ् मुख होकर कया है, न सामने से कया है और न आ मा भमुख होकर कया है म ने ौ पी पृ से इस ओदन का सेवन कया है. इसे जहां जाना चा हए था मने उसे वह प ंचा दया है. यह ओदन सम त अंग से यु सभी जोड़े वाला और संपूण शरीर वाला है. इस व ध से जो इस ओदन का सेवन करना चाहता है. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वही सब अंगो से यु थत होता है. (९)
सभी जोड़ वाला और संपूण फलवाला हो कर वग आ द लोक म
तत ैनम येनोरसा ाशीयन चैतं पूव ऋषयः ा न्. कृ या न रा यसी येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. पृ थ ोरसा तेनैनं ा शषं तेनैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१०) गु अपने श य से इस कार कहे—‘हे दे वद ! पूववत अनु ानक ा ऋ षय ने जस व थल से इस ओदन का सेवन कया था, तुम ने उस से भ पृ से य द इस ओदन का सेवन कया तो तु ह ऋ ष काय म सफलता ा त नह होगी.’ इस के उ र के प म श य अपने गु से नवेदन करे क मने इस ओदन का सेवन न पराङ् मुख हो कर कया है, न सामने से कया है और न आ मा भमुख हो कर कया है. म ने पृ वी प व थल से इस ओदन का सेवन कया है. इसे जहां जाना चा हए था म ने उसे वह प ंचा दया है. यह ओदन सभी अंग से यु , सभी जोड़ स हत और संपूण शरीरवाला है. इस व ध से जो उस ओदन का सेवन करना जानता है, वह सम त अंग वाला सभी जोड़ वाला संपूण शरीर वाला तथा सवागफल से यु हो कर वग आ द पु य लोक म थत होता है. (१०) तत ैनम येनोदरेण ाशीयन चैतं पूव ऋषयः ा न्. उदरदार वा ह न यती येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. स येनोदरेण. तेनैनं ा शषं तेनैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (११) गु अपने श य से इस कार कहे—‘हे दे वद ! पूववत अनु ानकता ऋ षय ने जस उदर से इस ओदन का सेवन कया था, तुम ने य द उस से भ अथात् लौ कक उदर से इस ओदन का सेवन कया तो उदर के लए क दे ने वाला अ तसार रोग तु ह न कर दे गा. इस के उ र के प म श य अपने गु से कहे क म ने उस ओदन का सेवन न पराङ् मुख होकर कया है, न सामने से कया है, न आ मा भमुख हो कर कया है. म ने स य पी उदर से इस ओदन का सेवन कया है. इसे जहां जाना चा हए था म ने उसे वह प ंचा दया है. यह ओदन सम त अंश से यु सभी जोड़ वाला और संपूण शरीर से यु है इस व ध से जो पु ष इस ओदन का सेवन करना जानता है, वही सम त अंग वाला सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला है वह वग आ द उ म लोक म थत होता है. (११) तत ैनम येन व तना ाशीयन चैतं पूव ऋषयः ा न्. अ सु म र यसी येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समु े ण व तना. तेनैनं ा शषं तेनैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१२) गु अपने श य से इस कार कहे—‘हे दे वद पूववत अनु ान करने वाले ऋ षय ने उस ओदन का सेवन जस अथात् मू ाशय क सहायता से कया, तुम ने य द उस से भ व ध से इस ओदन का सेवन कया तो तु हारी मृ यु जल म होगी.’ उस के उ र प म श य अपने गु से कहे क म ने इस ओदन का सेवन न पराङ् मुख होकर कया, न सामने से कया और न आ मा भमुख हो कर कया है. म ने इसका सेवन समु पी ब ती अथात् मू ाशय क सहायता से कया है. म ने इस ओदन को वह प ंचा दया है जहां इसे जाना चा हए था. यह ओदन सम त अंग से यु सभी जोड़ वाला और संपूण शरीर र हत है. इस थ त से जो इस ओदन का सेवन करना जानता है वही सम त अंग वाला सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला है. वह वग आ द पु य लोक म थत होता है. (१२) तत ैनम या यामू यां ाशीया यां चैतं पूव ऋषयः ा न्. ऊ ते म र यत इ येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. म ाव णयो याम्. ता यामेनं ा शषं ता यामेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१३) गु अपने श य से इस कार कहे— ‘हे दे वद ! पूववत अनु ानक ा ऋ षय ने इस ओदन का सेवन जन जंघा क सहायता से कया, य द तुम ने उस से भ अथात् लौ कक जंघा क सहायता से इस का सेवन कया तो तु हारी जंघाएं न हो जाएंगी.’ इसे उ र के प म श य अपने गु से नवेदन करे—‘म ने उस ओदन का सेवन न पराङ् मुख हो कर कया है, न सामने से कया है और न आ मा भमुख हो कर कया है. म ने इस ओदन का सेवन म और व ण पी जंघा क सहायता से कया है. इसे जहां जाना चा हए था, म ने उसे वह प ंचा दया है. यह ओदन सम त अंग से यु , सभी जोड़ वाला और संपूण शरीर स हत है. इस व ध से जो इस ओदन का सेवन करना जानता है, वह सम त अंग स हत, सभी जोड़ से यु और संपूण शरीर वाला होता है. वह वग आ द पु यलोक म ती त होता है.’ (१३) तत ैनम या याम ीवद् यां ाशीया यां चैतं पूव ऋषयः ा न्. ामो भ व यसी येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. व ु र ीवद् याम्. ता यामेनं ा शषं ता यामेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१४) गु अपने श य से इस कार कह—“हे दे वद ! पूववत अनु ान करने वाले ऋ षय ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ने जन अ थयु …. अथात् ह य वाले घुटन क सहायता से सेवन कया था, य द तुम ने उस से भ अथात् लौ कक अ थयु जानु अथात् ह य वाले घुटन क सहायता से ओदन का सेवन कया तो तु हारे घुटने सूख जाएंगे.” इस के उ र के प म श य अपने गु से कहे—“मने इस ओदन का सेवन न पराङ् मुख हो कर कया है न सामने से कया है और न आ मा भमुख होकर कया है. म ने इस ओदन का सेवन दे व के घुटन क सहायता से कया है. उसे वह प ंचा दया है जहां उसे जाना चा हए था. यह ओदन सम त अंग से यु , सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला है, इस व ध से जो ओदन का सेवन करना जानता है, वह सम त अंग से यु , सभी जोड़ वाला और संपूण शरीर स हत होता है, वह वग आ द पु य लोक म त त होता है. (१४) तत ैनम या यां पादा यां ाशीया यां चैतं पूव ऋषयः ा न्. ब चारी भ व यसी येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. अ नोः पादा याम्. ता यामेनं ा शषं ता यामेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१५) गु अपने श य से इस कार कहे—“हे दे वद ! पूववत अनु ानक ा ऋ षय ने जन पैर क सहायता से इस ओदन का सेवन कया था, उस से भ अथात् लौ कक पैर क सहायता से य द तुम ने इस ओदन का सेवन कया तो तुम ब चरी अथात् नरथक ब त चलने वाले बनोगे.” इस के उ र म श य अपने गु से कहे क म ने इस ओदन का सेवन न तो पराङ् मुख होकर कया है, न सामने से कया है और न आ मा भमुख हो कर कया है. म ने इस का सेवन अ नीकुमार पी चरण क सहायता से कया है. म ने इसे वह प ंचा दया है जहां इसे जाना था. यह ओदन सम त अंग से यु , सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला है. इस थ त से जो उस ओदन का सेवन करता है, वह सम त अंग वाला, सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला है. वह वग आ द पु य लोक म थत होता है. (१५) तत ैनम या यां पदा यां ाशीया यां चैतं पूव ऋषयः ा न्. सप वा ह न यती येनमहा. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. स वतुः पदा याम्. ता यामेनं ा शषं ता यामेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१६) गु अपने श य से इस कार कहे—“हे दे वद पूववत अनु ानक ा ऋ षय ने जन चरणांश अथात् पंज क सहायता से ौदन सेवन कया था उससे भ कार से य द तुमने इस का सेवन कया तो सप तु हारी मृ यु कर दे गा.” इस के उ र के प म श य अपने गु से कहे — मने इस ओदन का सेवन न पराङ् मुख हो कर कया है, न सामने से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कया है और न आ मा भमुख हो कर कया है. म ने इसे वह प ंचा दया, जहां इसे जाना चा हए था. मने स वता दे व के पद अथात् अथात् पंज क सहायता से उस का सेवन कया है, यह ओदन सम त अंग से यु सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला है. जो इस ओदन को उस व ध से सेवन करना जानता है, वही सम त अंग वाला, सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर वाला ह. वह वग आ द े थान म थत होता है. (१६) तत ैनम या यां ह ता यां ाशीया यां चैतं पूव ऋषयः ा न्. ा णं ह न यसी येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. ऋत य ह ता याम्. ता यामेनं ा शषं ता यामेनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१७) गु अपने श य से इस कार कहे—“हे दे वद ! पूववत अनु ानकता ऋ षय ने इस ओदन को जन हाथ क सहायता से सेवन कया उस के अ त र अथात् लौ कक हाथ से य द इस ओदन का सेवन कया है. य द उस से भ अथात् लौ कक हाथ क सहायता से उस ौदन का सेवन कया तो ा ण क ह या करोगे अथवा तु ह ह या का पाप लगेगा. इस के उ र के प म श य अपने गु से कहे—म ने इस ओदन का सेवन न पराङ् मुख हो कर कया है, न सामने से खाया है और न आ मा भमुख हो कर खाया है. म ने ऋतु पी हाथ क सहायता से इस ओदन का सेवन कया है. मने ओदन को वह प ंचा दया है, जहां उसे जाना था. यह ओदन सम त अंग से यु , सभी जोड़ वाला और संपूण अंग स हत है. इस व ध से जो इस ओदन का सेवना करना जाता. वह सम त अंग वाला है. सभी जोड़ से यु और संपूण शरीर वाला हो जाता है, वह वग आ द पु य लोक म त त होता है. (१७) तत ैनम यया त या ाशीयया चैतं पूव ऋषयः ा न्. अ त ानो ऽ नायतनो म र यसी येनमाह. तं वा अहं नावा चं न परा चं न य चम्. स ये त ाय. तयैनं ा शषं तयैनमजीगमम्. एष वा ओदनः सवा ः सवप ः सवतनूः. सवा ः एव सवप ः सवतनूः सं भव त य एवं वेद.. (१८) गु अपने श य से कहे—“हे दे वद ! पूववत अनु ानकता ऋ षय ने जस त ा के मा यम से इस ौदन का सेवन कया है उस के अ त र लौ कक त ा के मा यम से तुम य द इस ओदन का सेवन करोगे तो तुम बना त ा वाले और बना घर के वामी ए मरोगे. इस के उ र म श य अपने गु से नवेदन करे—मने इस ौदन का न पराङ् मुख हो कर सेवन कया है, न सामने से सेवन कया है और न आ मा भमुख हो कर सेवन कया है. म ने स य म त त हो कर उस त ा के मा यम से इस ओदन का सेवन कया है. इस ौदन को जहां जाना चा हए था. म ने उसे वह प ंचा दया है. यह ओदन सम त अंग से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यु , सभी जोड़ स हत एवं संपूण शरीर वाला है इस व ध से जो इस ओदन का सेवन करना जानता है वह सम त अंग वाला, सभी जोड़ स हत और संपूण शरीर है. (१८)
दे वता— ाण
सू -६ ाणाय नमो य य सव मदं वशे. यो भूतः सव ये रो य म सव
त तम्.. (१)
इस ाण के लए नम कार है, जस के वश म यह सम त चराचर जगत् है. यह ाण सब का ई र है और इसी म सारा जगत् थत है. (१) नम ते ाण दाय नम ते तन य नवे. नम ते ाण व ुते नम ते ाण वषते.. (२) हे व न करते ए ाण! तु हारे लए नम कार है, मेघ घटा म घुस कर वषा करने वाले तु हारे लए नम कार है. बजली के प म का शत एवं वषा करते ए तु ह नम कार है. (२) यत् ाण तन य नुना भ द योषधीः. वीय ते गभान् दधतेऽथो ब व जाय ते.. (३) जब ाण अथात् सूया मक दे व वषा काल म मेघ व न के ारा जौ, गे ं, एवं जंगली वृ को ल य कर के गरजते ह, तब सभी फसल गभ धारण करती ह एवं अनेक कार से उ प होती ह. (३) यत् ाण ऋतावागते ऽ भ द योषधीः. सव तदा मोदते यत् क च भू याम ध.. (४) जब ाण अथात् सूया मक दे व वषा ऋतु आने पर फसल को ल य कर के गजन करते ह, तब भू म पर जतने भी ाणी ह, वे सब स होते ह. (४) यदा ाणो अ यवष द् वषण पृ थव महीम्. पशव तत् मोद ते महो वै नो भ व य त.. (५) जस समय ाण अथात् सूय दे व, पृ वी को वषा के जल से सभी ओर गीला कर दे ते ह, उस समय गाय आ द पशु स होते ह क घास क अ धकता से हमारे लए उ सव होगा. (५) अ भवृ ा ओषधयः ाणेन समवा दरन्. आयुव नः ातीतरः सवा नः सुरभीरकः.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ाण अथात् सूय दे व के ारा वषा के जल से स ची गई फसल और जड़ीबू टयां सूय से संभाषण करने लगती ह—“हे ाण अथात् सूय दे व! तुम हमारा जीवन बढ़ाओ तथा हम शोभन गंध वाली बनाओ.” (६) नम ते अ वायते नमो अ तु परायते. नम ते ाण त त आसीनायोत ते नमः.. (७) हे ाण दे व! तुझ आते ए को नम कार है और वापस जाते ए को नम कार है. हे ाण दे व! तुझ थर रहने वाले को तथा बैठे ए को नम कार है. (७) नम ते ाण ाणते नमो अ वपानते. पराचीनाय ते नमः तीचीनाय ते नमः सव मै त इंद नमः.. (८) हे ाण दे व! सांस लेने का ापार करने वाले तु ह नम कार है तथा अपान वायु छोड़ने वाले तु ह नम कार है. अ धक कहने से या लाभ है, सम त ापार अथात् याएं करने वाले तु ह नम कार है. (८) या ते ाण या तनूय ते ाण ेयसी. अथो यद् भेषजं तव त य नो धे ह जीवसे.. (९) हे ाण दे व! तु हारा य जो शरीर है एवं ाण, अपान अथात् अ न और सोम पी तु हारी जो दो याएं ह तथा जो तु हारी अमरता दान करने वाली ओष ध है, इन सब से हम जीवन के अमृत का साधन ओष ध दान करो. (९) ाणः जा अनु व ते पता पु मव यम्. ाणो ह सव ये रो य च ाण त य च न.. (१०) हे ाण दे व! सम त जा के शरीर म तुम इस कार नवास करते हो, जस कार पता अपने व से य पु को ढकता है. ाण उन सब के वामी ह, जो सांस लेते ह अथवा सांस नह लेते ह. (१०) ाणो मृ युः ाण त मा ाणं दे वा उपासते. ाणो ह स यवा दनमु मे लोक आ दधत्.. (११) ये ाण दे व ही मृ यु करने वाले ह एवं यही जीवन को क मय बनाने वाले वर ह. शरीर के म य म वतमान इ ह ाण क दे वगण उपासना करते ह. (११) ाणो वराट् ाणो दे ी ाणं सव उपासते. ाणो ह सूय माः ाणमा ः जाप तम्.. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ाण अथात् थूल पंच का अ भमानी दे वता ई र ाण है तथा अपनेअपने ापार म सब को े रत करने वाला परम दे वता ाण है. अपने मनचाहे फल को पाने के लए सभी ाण क उपासना करते ह. ाण सूय और चं मा है तथा ाण को ही ानी जन सब क रचना करने वाला जाप त कहते ह. (१२) ाणापानौ ी हयवावनड् वान् ाण उ यते. यवे ह ाण आ हतो ऽ पानो ी ह यते.. (१३) ाण और अपान धान ाण क वशेष वृ यां ह. ाण ही गे ,ं जौ तथा अपान बैल कहे जाते ह. ाण वायु जौ म आ त है तथा अपान वायु को ही गे ं कहा जाता है. (१३) अपान त ाण त पु षो गभ अ तरा. यदा वं ाण ज व यथ स जायते पुनः.. (१४) पु ष ी के गभाशय के म य सांस लेता और अपान वायु छोड़ता है. हे ाण! जब तुम गभ थ ूण को पु करते हो, तब वह ज म लेता है. (१४) ाणमा मात र ानं वातो ह ाण उ यते. ाणे ह भूतं भ ं च ाणे सव त तम्.. (१५) ाण को मात र ा अंत र का वामी वायु कहा जाता है. उसी वायु को ाण कहा जाता है. उन दोन म केवल नाम का भेद है. जगत् के आधार बने ए उस ाण म भूतकाल से संबं धत और भ व य काल म उ प होने वाला जगत् आ त रहता है. इस कार ाण म ही सब त त ह. (१५) आथवणीरा रसीदवीमनु यजा उत. ओषधयः जाय ते यदा वं ाण ज व स.. (१६) अथवा मह ष ारा, अं गरा मह ष ारा, दे व ारा तथा मनु य ारा उ प अनेक कार क जड़ीबू टय और फसल को हे ाण! तुम ही वषा का जल दान कर के स करते हो. (१६) यदा ाणो अ यवष द् वषण पृ थव महीम्. ओषधयः जाय तेऽथो याः का वी धः.. (१७) ाण जब वषा के प म वशाल पृ वी पर जल गराता है, तभी जड़ीबू टयां, फसल और जो भी वृ ह, वे सब उ प होते ह. (१७) य ते ाणेदं वेद य मं ा स त तः. सव त मै ब ल हरानमु मं लोक उ मे.. (१८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ाण! यह कहा आ तु हारा माहा य जो जानता है एवं जस व ान् म तुम त त रहते हो, उस के लए सभी दे व वग म अमृतमय भाग तुत करते ह. (१८) यथा ाण ब ल त तु यं सवाः जा इमाः. एवा त मै ब ल हरान् य वा शृणवत् सु वः.. (१९) हे ाण! जस कार ये सभी जाएं तु हारे लए ब ल तुत कर. हे सुनने वाले ाण! जो तु हारा माहा य सुनता है, उस के लए भी सब ब ल तुत कर दे ते ह. (१९) अ तगभ र त दे वता वाभूतो भूतः स उ जायते पुनः. स भूतो भ ं भ व यत् पता पु ं ववेशा शची भः.. (२०) ाण गभ हो कर दे वता म वचरण करता है, वही भलीभां त ा त हो कर मनु य आ द के शरीर के प म पुनः उ प होता है. न य वतमान वह ाण भूतकाल क व तु म तथा भ व य काल क व तु के प म उ प होता है. वही अपनी श य से पता और पु म वेश करता है. (२०) एकं पादं नो खद त स लला ं स उ चरन्. यद स तमु खदे ैवा न ः या रा ी नाहः या ु छे त् कदा चन.. (२१) हंस अथात् जगत् के ाण बने ए सूय जल से उ दत होते ए अपने एक चरण अथात् भाग को जल से ऊपर नह उठाते ह. य द वे अपने सरे चरण को भी ऊपर उठा ल तो काल वभाजन नह हो सकेगा. तब वे कह न जा सकगे और न दन और रात हो सकगे. (२१) अ ाच ं वतत एकने म सह ा रं पुरो न प ा. अधन व ं भुवनं जजान यद याध कतमः स केतुः.. (२२) वचा, र आ द आठ धातुएं शरीर का नमाण करती ह. उ ह का यहां रथ के प हय के प म न पण है—यह शरीर आठ प हय वाला रथ है. ाण ही इस क एकमा धुरी है. लोक म रथ के प हए धुरी को घेरे रहते ह. ाण पी धुरी एक प हए से नकल कर सरे म वेश करती है. वह ाण अपने एक अंश से सारे ा णय म वेश कर के आ मा के प म उ प होता है. उस का सरा भाग असी मत का झंडा अथात् ांड बन जाता है. (२२) यो अ य व ज मन ईशे व य चे तः. अ येषु ध वने त मै ाण नमो ऽ तु ते.. (२३) जो ाण नाना प को ज म दे ने वाला है, जो इस संसार का वामी है तथा नाना ा णय के शरीर म ा त है, उस ती ता से ा त होने वाले हे ाण! तु हारे लए नम कार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
है. (२३) यो अ य सवज मन ईशे सव य चे तः. अत ो णा धीरः ाणो मानु त तु.. (२४) वह जगद र ाण आल य र हत सदा सूय के प म वचरण करने वाला, ानवान एवं सव ापक होने के कारण मेरा अनुवतन करे. (२४) ऊ वः सु तेषु जागार ननु तय न प ते. न सु तम य सु ते वनु शु ाव क न.. (२५) हे ाण! तुम ऊ वगामी हो कर न ा परवश ा णय म जागते रहो. सोने वाला ाणी न ा के वशीभूत हो जाता है. इस लए उस क र ा हेतु तुम जा त रहो. ऐसा कसी ने नह सुना है क मनु य के न ा पर वश होने पर उस का ाण भी सो गया हो. (२५) ाण मा मत् पयावृतो न मद यो भ व य स. अपां गभ मव जीवसे ाण ब ना म वा म य.. (२६) हे ाण! आप मुझ से न तो वमुख ह तथा न मुझे याग कर अ य जाएं. जल जस कार वाडवा न को धारण करते ह, उसी कार हम अपनी दे ह म आप को धारण करते ह. (२६)
सू -७
दे वता—
चारी
चारी णं र त रोदसी उभे त मन् दे वाः संमनसो भव त. स दाधार पृ थव दवं च स आचाय १ तपसा पप त.. (१) वेद का अ ययन करने वाला अपने तप से धरती और आकाश दोन म ा त होता है. इं आ द सभी दे व इस चारी के त अनु ह करते ह. यह चारी अपने तप से धरती और वग को धारण करता है तथा स माग पर चलता आ अपने आचाय का पालन करता है. (१) चा रणं पतरो दे वजनाः पृथग् दे वा अनुसंय त सव. ग धवा एनम वायन् य ंशत् शताः षट् सह ाः सवा स दे वां तपसा पप त.. (२) पतर, दे वजन एवं इं आ द सभी दे व चारी क र ा के लए उस के पीछे चलते ह. गंधव भी चारी का अनुगमन करते ह. चारी अपने तप से ततीस, तीस और छह हजार सं या वाले सभी दे व का पालन करता है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आचाय उपनयमानो चा रणं कृणुते गभम तः. तं रा ी त उदरे बभ त तं जातं ु म भसंय त दे वाः.. (३) आचाय चारी का उपनयन अथात् य ोपवीत सं कार कर के अपने समीप रखता आ उसे व ा से संप करता है. आचाय उस चारी को तीन रा य तक अपने अ य धक समीप रखता है. चौथे दन व ामय शरीर से उ प उस चारी को दे खने के लए दे वगण एक हो कर आते ह. (३) इयं स मत् पृ थवी ौ तीयोता त र ं स मधा पृणा त. चारी स मधा मेखलया मेण लोकां तपसा पप त.. (४) यह पृ वी चारी क पहली स मधा है. ुलोक अथात् वग चारी क सरी स मधा है. चारी वग और पृ वी के म य अथात् अंत र को अ न म डाली गई स मधा के ारा पूण करता है. इस कार चारी स मधा, मेखला, म और तप के ारा लोक को पूण करता है अथात् भर दे ता है. (४) पूव जातो णो त मा जातं ा णं
चारी घम वसान तपसोद त त्. ये ं दे वा सव अमृतेन साकम्.. (५)
सव जगत् के कारण से सब से पहले चारी उ प आ. उ प आ चारी धम से अपनेआप को ढकता आ तप के ारा उठा. उस चारी पी से ा ण का धन वेद उ प आ. उस वेद से अमृत के साथ अ न आ द दे व उ प ए. (५) चाय त स मधा स म ः का ण वसानो द तो द घ म ुः. स स ए त पूव मा रं समु ं लोका संगृ य मु राच र त्.. (६) स मधा से उ प तेज को धारण करता आ, नयम के ारा वश म कया गया, लंबी दाढ़ वाला चारी पूव सागर से उ र सागर क ओर गया. उस ने पृ वी, अंत र आ द लोक को वश म कर के अपने अ भमुख कया. (६) चारी जनयन् ापो लोकं जाप त परमे नं वराजम्. गभ भू वा मृत य योना व ो ह भू वा ऽ सुरां ततह.. (७) उस चारी ने ा ण जा त के जल अथात् गंगा आ द न दय को, वग आ द लोक को, जा क सृ करने वाले जाप त को तथा जाप त के बाद सृ क रचना करने वाले परमे ी को उ प कया. वह चारी मृ यु र हत क स ा, रज, तमोगुण वाली कृ त म गभ बन कर सब को ज म दे ता है. उस ने तप के बल से इं हो कर दे व के वरोधी असुर का वनाश कया. (७) आचाय तत नभसी उभे इमे उव ग भीरे पृ थव दवं च. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ते र त तपसा
चारी त मन् दे वाः संमनसो भव त.. (८)
आचाय ने उसी ण आकाश और धरती दोन को ज म दया. ये दोन व तृत और गंभीर ह. पृ वी व तृत है और आकाश गंभीर है. चारी अपने तप से दोन क चचा करता है. उस चारी से सभी दे व स होते ह. (८) इमां भू म पृ थव चारी भ ामा जभार थमो दवं च. ते कृ वा स मधावुपा ते तयोरा पता भुवना न व ा.. (९) सब से पहले उ प चारी ने इस व तृत भू म को पहली भ ा के प म हण कया. इस के बाद वग को सरी भ ा के प म हण कया. वह भ ा म ा त उन वग और धरती को स मधा बना कर अ न क प रचया अथात् सेवा करता है. वग और पृ वी के म य सभी ाणी था पत कए गए ह. (९) अवाग यः परो अ यो दव पृ ाद् गुहा नधी न हतौ ा ण य. तौ र त तपसा चारी तत् केवलं कृणुते व ान्.. (१०) वग के ऊपरी भाग से तथा उस के नीचे के भाग अथात् धरती पर वेद पी खजाने को आचाय क दय पी गुफा म छपा दया. सरा खजाना अथात् वेद के ारा तपा दे व को था पत कया. वेद पढ़ने वाले से संबं धत इन दोन खजान क र ा चारी अपने तप से करता है. वह वेद के प म उस के वषय का ही सा ा कार करता है. (१०) अवाग य इतो अ यः पृ थ ा अ नी समेतो नभ ी अ तरेमे. तयोः य ते र मयो ऽ ध ढा ताना त त तपसा चारी.. (११) इस वग के नीचे एक सूया मक अ न है और सरी पृ वी के ऊपर है. इस वग और धरती के म य दोन अ नयां आपस म मल कर उदय होती ह. उन सूय और अ न से संबं धत करण धरती और वग के म य आ य लेती ह. चारी अपने तप क म हमा से उन का दे वता बनता है. (११) अ भ दन् तनय णः श त ो बृह छे पो ऽ नु भूमौ जभार. चारी स च त सानौ रेतः पृ थ ां तेन जीव त दश त ः.. (१२) मेघ म गजन करता आ, जल पूण मेघ को ा त वह चारी व ण बन कर अपने जल पी वीय को ऊंचे थान पर बरसाता है. उस जल से धरती पर चार दशाएं ा णय को धारण करती ह. (१२) अ नौ सूय च म स मात र न् चाय १ सु स मधमा दधा त. तासामच ष पृथग े चर त तासामा यं पु षो वषमापः.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
चारी अ न म, सूय म, चं मा म, वायु म और जल म स मधा को धारण करता है. अ न आ द क करण अंत र अथात् आकाश म अलग-अलग वचरण करती ह. वे करण गाय म घृत को, पु ष और ी म संतान को तथा वषा म जल को उ प करती ह. (१३) आचाय मृ युव णः सोम ओषधयः पयः. जीमूता आस स वान तै रदं व १ राभृतम्.. (१४) आचाय ही मृ यु, व ण, सोम, जड़ीबू टयां, फसल एवं जल है. आचाय पी व ण के अनुचर जलपूण मेघ ए. उन मेघ ने अपने भीतर वषा के न म जल धारण कया है. (१४) अमां घृतं कृणुते केवलमाचाय भू वा व णो य दै छत् जापतौ. तद् चारी ाय छत् वा म ो अ या मनः.. (१५) व ण दे व आचाय हो कर जल को ही उ प करते ह. वह व ण अपने जनक जाप त अथात् से जो चाहता है, म दे व बन कर अपने चय के माहा य के ारा अपने शरीर से ही ा त कर लेता है. (१५) आचाय चारी चारी जाप तः. जाप त व राज त वरा ड ो ऽ भव शी.. (१६) आचाय पहले व ा का उपदे श कर के चारी के प म उ प आ. चारी तप के ारा अ धक म हमा को ा त कर के जगत् ा जाप त आ. जाप त वराट् आ. बाद म वह वतं इं आ. (१६) चयण तपसा राजा रा ं व र त. आचाय चयण चा रण म छते.. (१७) चय पी तप से राजा रा क र ा करता है. आचाय भी ारा अपने श य को अपने समान बनाना चाहता है. (१७)
चय के नयम के
चयण क या ३ युवानं व दते प तम्. अनड् वान् चयणा ो घासं जगीष त.. (१८) चय के ारा क या युवा प त को ा त करती है. घास खाने क इ छा करता है. (१८)
चय के ारा बैल और घोड़ा
चयण तपसा दे वा मृ युमपा नत. इ ोह चयण दे वे यः व १ राभरत्.. (१९) चय
पी तप के ारा दे व ने मृ यु का हनन कर दया अथात् दे व अमर हो गए. इं
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ने
चय के ारा दे व के लए वग पर अ धकार कया. (१९) ओषधयो भूतभ महोरा े वन प तः. संव सरः सहतु भ ते जाता चा रणः… (२०)
जड़ीबू टयां और फसल, भूतकाल म उ प और भ व य म उ प होने वाला ा ण समूह, दन और रात, ऋतु के साथ संव सर—ये सब चय से उ प ए. (२०) पा थवा द ाः पशव आर या ा या ये. अप ाः प ण ये ते जाता चा रणः.. (२१) पृ वी पर रहने वाले मनु य, दे व, जंगली और ामीण पशु, बना पंख के और पंख वाले ाणी सभी चय से उ प ए. (२१) पृथक् सव ाजाप याः ाणाना मसु ब त. ता सवान् र त चा र याभृतम्.. (२२) जाप त के ारा उ प दे व, मनु य आ द सभी अपने शरीर म ाण को धारण करते ह. उन सभी क र ा आचाय के ारा चारी म धारण कया आ अथात् पढ़ाया आ वेद करता है. (२२) दे वानामेतत् प रषूतमन या ढं चर त रोचमानम्. त मा जातं ा णं ये ं दे वा सव अमृतेन साकम्.. (२३) इस अपरो का सा ा कार दे व ने कया है. यह अपने काश से का शत और सब से उ कृ है. ा ण से सब से अ धक बढ़ा आ और शंसनीय वेद पी उप आ है. अ न आ द सब दे व अपने ारा उपभोग कए जाने वाले अमृत के साथ उ प ए. (२३) चारी ाजद् बभ त त मन् दे वा अ ध व े समोताः. ाणापानौ जनय ाद् ानं वाचं मनो दयं मेधाम्.. (२४) चय का पालन करने वाला पु ष द त वाले वेद पी को धारण करता है. उस वेद से सभी दे व संबं धत ह. दे व का नवास बना आ चारी ाण और अपान के बाद ान को, मन, वाणी, दय और मेधा को उ प करता है. (२४) च ुः ो ं यशो अ मासु धे
ं रेतो लो हतमुदरम्.. (२५)
हे चारी पी ! हम तो ा म च ु, े अथात् य अ , वीय, र तथा संपूण शरीर को हम म धारण करो. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को धारण करो. तुम
ता न क पद् चारी स लल य पृ े तपो ऽ त त् त यमानः समु े . स नातो ब ुः प लः पृ थ ां ब रोचते.. (२६) चारी उन अ आ द को उ प करता आ, जल के ऊपर तप या करता आ सागर पर वतमान रहता है. नान से प व आ एवं कबरे रंग के साथ पीले रंग का होता आ पृ वी पर अ धक द त होता है. अथात् अ धक चमकता है (२६)
दे वता—अ न
सू -८ अ नं ूमो वन पतीनोषधी त वी धः. इ ं बृह प त सूय ते नो मु च वंहसः.. (१)
हम अ न क , वन प तय क , जड़ीबू टय और फसल क , वृ क , इं बृह प त क तथा सूय क तु त करते ह. वे हम सभी पाप से मु कर. (१)
क,
ू ो राजानं व णं म ं व णुमथो भगम्. म अंशं वव व तं ूम ते नो मु च वंहसः.. (२) हम तेज वी व ण क , म क , व णु क , भग क , अंश और वव वान अथात् सूय क तु त करते ह. वे हम पाप से मु कर. (२) ू ो दे वं स वतारं धातारमुत पूषणम्. म व ारम यं ूम ते नो मु च वंहसः.. (३) हम दाना द गुण से यु हम पाप से मु कर. (३)
स वता, धाता, पूषा, व ा और अ न क तु त करते ह. वे
ग धवा सरसो ूमो अ ना ण प तम्. अयमा नाम यो दे व ते नो मु च वंहसः.. (४) हम थम गने जाने वाले गंधव क , अ सरा तु त करते ह. वे हम पाप से मु कर. (४)
क , अ नीकुमार क , व ा क
अहोरा े इदं ूमः सूयाच मसावुभा. व ाना द यान् ूम ते नो मु च वंहसः.. (५) हम दनरात तथा सूय चं मा दोन क करते ह. वे हम पाप से मु कर. (५)
तु त करते ह. हम सभी आ द य क
वातं ूमः पय यम त र मथो दशः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तु त
आशा सवा ूम ते नो मु च वंहसः.. (६) हम वायु क , मेघ क , आकाश क तथा दशा क तु त करते ह. हम सभी व दशा अथात् दशा के कोन क तु त करते ह. वे हम पाप से मु कर. (६) मु च तु मा शप यादहोरा े अथो उषाः. सोमो मा दे वो मु चतु यमा मा इ त.. (७) मु
दन, रात और उषाएं शपथ से उ प पाप से हमारी र ा कर. वे सोम दे व मुझे पाप से कर, ज ह लोग चं मा कहते ह. (७) पा थवा द ाः पशव आर या उत ये मृगाः. शकु तान् प णो ूम ते नो मु च वंहसः.. (८)
हम पृ वी पर रहने वाले मनु य , दे व , ामीण पशु और सह आ द जंगली पशु क तु त करते ह. हम शकुन बने ए प य क तु त करते ह. वे हम पाप से मु कर. (८) भवाशवा वदं ूमो ं पशुप त यः. इषूया एषां सं वद्म ता नः स तु सदा शवाः.. (९) हम उन भव, शव, और पशुप त क तु त करते ह. हम इन दे व के बाण को जानते ह. वे सदा हमारे लए क याणकारी ह . (९) दवं म ू ो न ा ण भू म य ा ण पवतान्. समु ा न ो वेश ता ते नो मु च वंहसः.. (१०) हम वग क , न अथात् तार क , भू म क , य और पवत क तु त करते ह. जो सागर, न दयां और सरोवर ह, वे हम पाप से बचाएं. (१०) स तष न् वा इदं म ू ो ऽ पो दे वीः जाप तम्. पतॄन् यम े ान् म ू ते नो मु च वंहसः.. (११) हम उन स त षय क , जल दे वय क और जाप त क पतर क तु त करते ह, जन म यमराज े ह. वे हम पाप से मु
तु त करते ह. हम ऐसे कर. (११)
ये दे वा द वषदो अ त र सद ये. पृ थ ां श ा ये ता ते नो मु च वंहसः.. (१२) जो दे व वग म नवास करते ह और अंत र अथात् धरती और आकाश के म य नवास करते ह, जो दे व पृ वी पर आ त ह, वे हम पाप से मु कर. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ द या ा वसवो द व दे वा अथवाणः. अ रसो मनी षण ते नो मु च वंहसः.. (१३) आ द य, और वसु दे व वग म नवास करते ह. जो दे व पृ वी पर श शाली ह, वे हम पाप से मु कर. वेद मं के ा अं गरा गो ीय ऋ ष तथा मनीषी पाप से हमारी र ा कर. (१३) य ं ूमो यजमानमृचः सामा न भेषजा. यजूं ष हो ा ूम ते नो मु च वंहसः.. (१४) हम य क , यजमान क , ऋचा क , सामवेद के मं क , यजुवद के मं तथा इन वेद म बताई गई ओष धय एवं होता क तु त करते ह. वे हम पाप से मु कर. (१४) प च रा या न वी धां सोम े ा न ूमः. दभ भ ो यवः सह ते नो मु च वंहसः.. (१५) फल पकने पर उ त होने वाली जड़ीबू टय और फसल म जो पांच े ह और इन के राजा ह, हम उन क तु त करते ह. दभ भाग, जौ और सह नाम क वशेष ओष ध क तु त करते ह. वे हम पाप से मु कर. (१५) अरायान् ूमो र ां स सपान् पु यजनान् पतृन्. मृ यूनेकशतं ूम ते नो मु च वंहसः.. (१६) हम दान के तबंधक हसक , रा स , सप , यातुधान और पतर क तु त करते ह. म एक से एक मृ यु क तु त करता ं. वे मुझे पाप से मु कर. (१६) ऋतून् ूम ऋतुपतीनातवानुत हायनान्. समाः संव सरान् मासां ते नो मु च वंहसः.. (१७) हम ऋतु क , ऋतु के वा मय क , ऋतु से संबं धत पदाथ क , अथात् चं वष क , सूय वष क , सवं सर क तथा मास क तु त करते ह. वे हम पाप से मु कर. (१७) एत दे वा द णतः प ात् ा च उदे त. पुर ता रा छ ा व े दे वाः समे य ते नो मु च वंहसः.. (१८) हे द ण दशा म थत दे वो! तुम आओ. चार दशा आ कर हम पाप से मु कर. (१८)
म थत सभी दे व यहां य म
व ान् दे वा नदं ूमः स यसंधानृतावृधः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व ा भः प नी भः सह ते नो मु च वंहसः.. (१९) हम स ची त ा वाले, स य अथवा य क वृ करने वाले सभी दे व क तु त करते ह. वे अपनी प नय के साथ यहां हमारे य म आएं और हम पाप से मु कर. (१९) सवान् दे वा नदं ूमः स यसंधानृतावृधः. सवा भः प नी भः सह ते नो मु च वंहसः.. (२०) हम कहे गए और न कहे गए स ची त ा वाले और य अथवा स य क र ा करने वाले सभी दे व क तु त करते ह. वे सभी अपनी प नय के साथ आएं और हम पाप से मु कर. (२०) भूतं ूमो भूतप त भूतानामुत यो वशी. भूता न सवा संग य ते नो मु च वंहसः.. (२१) हम भूत क , भूत के वामी क तथा भूत को वश म करने वाले क तु त करते ह. सभी भूत मल कर हम पाप से मु कर. (२१) या दे वीः प च दशो ये दे वा ादशतवः. संव सर य ये दं ा ते नः स तु सदा शवाः.. (२२) पांच धान दशा क जो दे वयां ह तथा बारह मास के वामी जो दे व ह और वतं प जाप त क जो दाढ़ अथात् प , स ताह आ द ह, वे हम पाप से मु कर. (२२) य मातली रथ तममृतं वेद भेषजम्. त द ो अ सु ावेशयत् तदापो द भेषजम्.. (२३) इं का सारथी मात ल रथ के बदले म खरीद ई मृ यु का नाश करने वाली ओष ध को जानता है. इं ने उस ओष ध को जल म डु बा दया है. जल हम वह ओष ध दान करे. (२३)
सू -९
दे वता—हवन से बचा भात
उ छ े नाम पं चो छ े लोक आ हतः. उ छ इ ा न व म तः समा हतम्.. (१) उ छ अथात् होम के बाद बचे ए भात म नाम और प वाला व थत है. इस उ छ म पृ वी आ द सभी लोक थत ह. उ छ ही इं और अ न ह. होम के बाद शेष बचे ए इस भात म ई र ने सारा जगत् था पत कया है. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ छ े ावापृ थवी व ं भूतं समा हतम्. आपः समु उ छ े च मा वात आ हतः.. (२) उ छ अथात् होम करने के बाद बचे ए भात म वग, पृ वी तथा उन म थत ाणी आ त ह. इस उ छ म जल, सागर, चं मा और वायु थत ह. (२) स ु छ े असं ोभौ मृ युवाजः जाप तः. लौ या उ छ आय ा ा प ीम य.. (३) उ छ अथात् होम करने के बाद शेष बचे भात म सत् और असत् दोन के अ त र मृ यु, मृ यु का बल, जाप त तथा जाएं था पत ह. व ण और सोम भी इस म थत ह. उन क कृपा से मुझ म भी ी थत हो. (३) ढो ं ह थरो यो व सृजो दश. ना भ मव सवत मु छ े दे वताः ताः.. (४) ढ़ अंग वाला दे व, ढ़ होने के कारण थर कया आ लोम, सभी ाणी, जगत् का कारण , दस ाण एवं सभी दे वता त श अथात् हवन करने के बाद शेष बचे भात म उसी कार आ त ह, जस कार रथ का प हया धुरी पर आ त रहता है. (४) ऋक् साम यजु छ उद्गीथः तुतं तुतम्. हङ् कार उ छ े वरः सा नो मे ड त म य.. (५) ऋ वेद, सामवेद और यजुवद के मं , इन का गाया आ भाग एवं तुत तु तयां उ छ अथात् होम के बाद बचे ए भात म आ त ह. सभी उद्गाता के ारा योग कया जाता आ ‘ ह’ श द, सामवेद के वर, सामवेद संबं धत वाणी—ये सब य शेष के लए मुझ म थत ह. (५) ऐ ा नं पावमानं महाना नीमहा तम्. उ छ े य या ा य तगभइव मात र.. (६) इं और अ न क तु त से संबं धत सामवेद के मं , तीन म सोम दे वता से संबं धत सामवेद के मं , महाना नी और महा त नाम के तो तथा य के अंग होम के बाद बचे भात म उसी कार थत ह, जस कार गभ माता के पेट म थत रहता है. (६) राजसूयं वाजपेयम न ोम तद वरः. अका मेधावु छ े जीवब हम द तमः.. (७) राजसूय, वाजपेय और अ न ोम नाम के य हसा र हत ह. अक, अ मेध, जीवब ह तथा मादक सोमयाग—ये सभी उ छ अथात् होम से शेष बचे भात म आ त ह. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ याधेयमथो द ा काम छ दसा सह. उ स ा य ाः स ा यु छ े ऽ ध समा हताः.. (८) मं
अ न के आधान के प ात सोम याग क द ा, यजमान क इ छाएं पूण करने वाले के साथ लु त ाय य एवं सोमयाग उ छ पी म आ त ह. (८) अ नहो ं च ा च वषट् कारो तं तपः. द णे ं पूत चो छ े ऽ ध समा हताः.. (९)
अ न होम, ा, वषट श द, त, तप, द णा, वेद म बताए गए याग, होमा द कम तथा मृ तय और पुराण म बताए गए बावड़ी, कुआं आ द बनवाने के कम उ छ अथात् य शेष पी म थत ह. (९) एकरा ो रा ः स ः ओतं न हतमु छ े य
ः यः. याणू न व या.. (१०)
एक रा वाला सोमयाग, दो रा य तक चलने वाला सोमयाग, एक दन म होने वाले और नाम के सोमयाग, उ थ वाला सोमयाग, य से संबं धत सू म प, भावना के साथ य शेष अथात् य के प ात बचे ए भात पी म थत है. (१०) चतूरा ः प चरा ः ष ा ोभयः सह. षोडशी स तरा ो छ ा ज रे सव ये य ा अमृते हताः.. (११) चार रा य वाला, पांच रा य वाला, छह रा य वाला तथा इन से नी रा य वाले सोमयाग, सोलह रा य वाले, सात रा य वाले सोमयाग तथा अमृत का फल दे ने वाले जो य ह, वे सब उ छ अथात् य शेष पी से उ प ए ह. (११) तीहारो नधनं व ज चा भ ज च यः. सा ा तरा ावु छ े ादशाहो ऽ प त म य.. (१२) उद्गीथ के बाद गाए जाने वाले सामवेद के मं , तीहार तथा सोमयाग क समा त के मं , व जत और अ भ जत नाम के य , एक दन म होने वाला सोमयाग साहन, अ तरा नाम के जो सोमयाग य शेष पी म थत ह, वे सब मुझ म ह अथात् मेरे ारा कए जाएं. (१२) सूनृता संन तः म े ः वधोजामृतं सहः. उ छ े सव य चः कामाः कामेन तातृपुः.. (१३) सूनृता, वन भाव, ेम, वधा, अमृत, बल तथा सामने उप थत सभी कामनाएं य शेष पी म थत ह. ये सभी कामना करने वाले यजमान को तृ त करते ह. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नव भूमीः समु ा उ छ े ऽ ध ता दवः. आ सूय भा यु छ े ऽ होरा े अ प त म य.. (१४) नौ खंड वाली पृ वी, सात सागर तथा वग य शेष पी म थत है. सूय और रात दन भी उ छ अथात् य शेष पी म थत ह. ये सभी मेरे ारा ह . (१४) उपह ं वषूव तं ये च य ा गुहा हताः. बभ त भता व यो छ ो ज नतुः पता.. (१५) उपह , वषूवान नाम के सोमयाग तथा जो सोमयाग ात नह है, व का भरणपोषण करने वाला तथा सवनय का अनु ान करने वाले का पालनकता य शेष पी है. (१५) पता ज नतु छ ो ऽ सोः पौ ः पतामहः. स य त व येशानो वृषा भू याम त यः.. (१६) य शेष पी अपने को उ प करने वाले का पता है. यह भात ाण वायु का पौ और पतामह है. व का वामी और कामनाएं पूण करने वाला वह सब को अ त मण कर के भू म पर नवास करता है. (१६) ऋतं स यं तपो रा ं मो धम कम च. भूतं भ व य छ े वीय ल मीबलं बले.. (१७) ऋत, स य, तप, रा , म, धम, कम, भूतकाल, भ व यकाल, वीय, ल मी और बल य शेष पी बल म आ त है. (१७) समृ रोज आकू तः ं रा ं षडु ः. संव सरो ऽ यु छ इडा ैषा हा ह वः.. (१८) समृ , ओज, आकू त अथात् मन चाहे फल संबंधी संक प, य का तेज, रा , छह पृ थ वयां, संव सर, इडा नाम क दे वी, य कम म ऋ वज के ेरक मं , गृह और ह व ये सभी य शेष पी म थत ह. (१८) चतुह तार आ य ातुमा या न नी वदः. उ छ े य ा हो ाः पशुब धा त द यः.. (१९) चतुह नाम के मं , पशुयाग संबंधी मं , चार मास म कए जाने वाले चार पव, तु त संबंधी दे व के उ कष को बताने वाले मं , नी वद, य , होता, इ यां—ये सब य शेष पी म थत ह. (१९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अधमासा मासा ातवा ऋतु भः सह. उ छ े घो षणीरापः तन य नुः ु तमही.. (२०) आधा महीना अथात् प , महीने, ऋतु के साथ उन म उ प होने वाले पदाथ, श द करने वाले जल, गजन करते ए मेघ और प व भू म—ये सभी य शेष पी म थत ह. (२०) शकराः सकता अ मान ओषधयो वी ध तृणा. अ ा ण व ुतो वषमु छ े सं ता ता.. (२१) प थर के छोटे टु कड़े, बालू, प थर, जड़ीबूट और फसल, लताएं, तनके, मेघ, बज लयां और वषा ये सब य शेष पी म थत ह. (२१) रा ः ा तः समा त ा तमह एधतुः. अ या त छ े भू त ा हता न हता हता.. (२२) स , ा त, समा त, ा त, तेज, वृ , अ य धक थत हतकारी पदाथ य शेष पी म थत है. (२२)
ा त, समृ
तथा सामने
य च ाण त ाणेन य च प य त च ष ु ा. उ छ ा ज रे सव द व दे वा द व तः.. (२३) जो ाण वायु के ारा जी वत रहता है, जो आंख से दे खता है, वग म थत दे व और वग—ये सभी य शेष पी से उ प है. (२३) ऋचः सामा न छ दां स पुराणं यजुषा सह. उ छ ा ज रे सव द व दे वा द व तः.. (२४) ऋ वेद और सामवेद के मं , छं द, यजुवद के स हत ाचीन मं , वग और वग म थत दे व—ये सभी य पी से उ प ए ह. (२४) ाणापानौ च ःु ो म त त या. उ छ ा ज रे सव द व दे वा द व तः.. (२५) ाण और अपान वायु, ने , कान, वनाश का अभाव और वनाश, वग और वग म थत दे व—ये सभी य शेष पी से उ प ए ह. (२५) आन दा मोदाः मुदोऽभीमोदमु ये. उ छ ा ज रे सव द व दे वा द व तः.. (२६) वषय के उपभोग से उ प आनंद नाम के वशेष सुख, हष, अ धक स ता एवं इ ह ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे ने वाले पदाथ, वग और वग म (२६)
थत दे व—ये सभी य शेष
पी
से उ प
ए.
दे वाः पतरो मनु या ग धवा सरस ये. उ छ ा ज रे सव द व दे वा द व तः.. (२७) दे व, पतर, मनु य, गंधव, अ सराएं, वग और वग म पी से उ प ए. (२७)
थत दे व—ये सभी य शेष
दे वता—म यु
सू -१०
य म युजायामावहत् संक प य गृहाद ध. क आसं ज याः के वराः क उ ये वरो ऽ भवत्.. (१) माया के अ भमुख उसी कार ा त आ, जस कार प त प नी के सामने जाता है. ने माया को उसी कार ा त कया, जस कार प त अपनी प नी को घर से ा त करता है. ा क सृ रचना क इ छा म वधू प के बंधन कौन थे? क या का वरण करने वाले कौन थे? उस समय धान वर अथात् ववाह करने वाला कौन था? (१) तप ैवा तां कम चा तमह यणवे. त आसं ज या ते वरा ये वरो ऽ भवत्.. (२) उस सृ रचना के समय सृ क रचना करने वाले परमे र का तप और कम ही उस समय थत थे. यह तप और कम लय काल के सागर का मं था. ववाह के मु त पर जो क या प वाले बंधन थे, वे ही ववाह करने वाले थे. उन म सब से बड़ा वर था. (२) दश साकमजाय त दे वा दे वे यः पुरा. यो वै तान् व ात् य ं स वा अ महद् वदे त्.. (३) अ न आ द दे व क उ प से पहले ही उपासक उन दे व को जान सकेगा, वह य ही
ान यां और कम यां उ प का उपदे श करेगा. (३)
. जो
ाणापानौ च ुः ो म त त या. ानोदानौ वाङ् मन ते वा आकू तमावहन्.. (४) ाण और अपान वायु, नयन, कान, ीण होने वाली या श , य र हत ान और उदान वायुए,ं वाणी और मन ने दे वकृत संक प को धारण कया. (४) अजाता आस ृतवो ऽ थो धाता बृह प तः. इ ा नी अ ना त ह कं ते ये मुपासत.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
,
सृ रचना के समय वसंत आ द ऋतुएं उ प नह ई थ . धाता, बृह प त, इं , अ न तथा दो अ नीकुमार भी उस समय उ प नह ए थे. धाता आ द वे दे व अपने ज मदाता क उपासना कर रहे थे. (५) तप ैवा तां कम चा तमह यणवे. तपो ह ज े कमण तत् ते ये मुपासत.. (६) लय काल के महासागर म तप और कम ही थे. तप कम से उ प आ द सृ के कारण बने ए क उपासना कर रहे थे. (६)
आ था. वे धाता
येत आसीद् भू मः पूवा याम ातय इद् व ः. यो वै तां व ा ामथा स म येत पुराण वत्.. (७) सामने वतमान इस भू म से पहले जो भू म थी. उसे तप के भाव से श ा त करने वाले ऋ ष जानते थे. जो अतीत काल के क प म थत उस भू म को जो जानेगा, वह ाचीन अथ को जानने वाला माना जाएगा. (७) कुत इ ः कुतः सोमः कुतो अ नरजायत. कुत व ा समभवत् कुतो धाताजायत.. (८) कहां से इं , कहां से सोम और कहां से अ न उ प तथा धाता क उ प कहां से ई? (८)
ई? व ा कहां से उ प
आ
इ ा द ः सोमत् सोमो अ नेर नरजायत. व ा ह ज े व ु धातुधाताजायत.. (९) पूव काल म जो इं थे, उन से इन वतमान काल के इं क उ प सोम, अ न से अ न, व ा से व ा और धाता से धाता उ प ए. (९)
ई. इसी सोम से
ये त आसन् दश जाता दे वा दे वे यः पुरा. पु े यो लोकं द वा क मं ते लोक आसते.. (१०) ाचीन काल म दे व से जो दस दे व उ प वयं कस लोक म नवास करते ह? (१०)
ए, वे अपने पु
को यह लोक दे कर भी
यदा केशान थ नाव मांसं म जानमाभरत्. शरीरं कृ वा पादवत् कं लोकमनु ा वशत्.. (११) जस सृ रचना के समय रचना करने वाले ने केश को, अ थय को, नायु अथात् नस को, मांस को और म जा अथात् चरबी को एक कया. हाथपैर वाले शरीर क रचना ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कर के सृ
रचना करने वाले
ने उस शरीर म आ मा के
प म वेश कया. (११)
कुतः केशान् कुतः नाव कुतो अ थी याभरत्. अ ा पवा ण म जानं को मांसं कुत आभरत्.. (१२) सृ रचना करने वाले ई र ने केश , नायु अथात् नस को और ह ड् डय को कस उपादान कारण से बनाया, अंग , जोड़ , चरबी और मांस क रचना उस ने कहां से क ? (१२) सं सचो नाम ते दे वा ये संभारा समभरन्. सव सं स य म य दे वाः पु षमा वशन्.. (१३) ान यां, कम य एवं ाण, अपान आ द के प म जन साधन को पहले बताया गया है, उ ह सृ रचना करने वाले ने एक कया. उन साधन से बने शरीर को र , म जा आ द से गीला कर के उन दे व ने मरण धमा पु ष का नमाण कर के आ मा के प म उस म वेश कया. (१३) ऊ पादाव ीव तौ शरो ह तावथो मुखम्. पृ ीबज े पा क तत् समदधा षः.. (१४) जंघा को, पैर को, घुटन को, शीश को, हाथ को और मुख को, पस लय को कस ऋ ष ने बनाया. (१४) शरो ह तावथो मुखं ज ां ीवा क कसाः. वचा ावृ य सव तत् संधा समदधा मही.. (१५) शीश को, दोन हाथ को, मुख को, जीभ को, गरदन को, ह ड् डय को एवं उस सारे शरीर को वचा से ढक कर इस के नमाण कता दे वता ने आपस म जोड़ दया. (१५) य छरीरमशयत् संधया सं हतं महत्. येनेदम रोचते को अ मन् वणमाभरत्.. (१६) इस कार के शरीर का नमाण करने वाले दे वता स हत जो बढ़ा आ शरीर है, वह इस समय जस रंग के कारण सुंदर लगता है, उस शरीर म कस नाम के दे व ने उस रंग को बनाया है? (१६) सव दे वा उपा श न् तदजानाद् वधूः सती. ईशा वश य या जाया सा मन् वणमाभरत्.. (१७) सभी दे व ने समीप म श शाली होने क इ छा क . परमे र के साथ ववाह करने वाली माया ने दे व के ारा बनाए ए उस शरीर को जाना. जो माया सारे संसार का नयं ण ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करने वाली है, उस ने इस शरीर म रंग भरा है. (१७) यदा व ा तृणत् पता व ु य उ रः. गृहं कृ वा म य दे वाः पु षमा वशन्.. (१८) उस शरीर म आ मा के प म उस का नमाण करने वाला ई र थत है. उस नमाण काय से भी े इस व च संसार का नमाण करने वाला जो दे व है, उस ने नमाण के समय पु ष के शरीर, आंख , कान आ द के प म छे द कए, तब उस नमाण दे व ने उस पु ष शरीर को घर बना कर उस म वेश कया. (१८) व ो वै त नऋ तः पा मानो नाम दे वताः. जरा खाल यं पा ल यं शरीरमनु ा वशन्.. (१९) न द, आल य, पापदे वता एवं ह या आ द पाप ने इस शरीर म वेश कया. वृ ाव था, नयन आ द का न होना, वचा का ढ ला हो जाना आ द के अ भमानी दे व ने शरीर म वेश कया. (१९) तेयं कृतं वृ जनं स यं य ो यशो बृहत्. बलं च मोज शरीरमनु ा वशन्.. (२०) चोरी, सुरा पीना आ द बुरे कम, इन से उ प पाप, स य भाषण, य , महान यश, बल और य से संबं धत ओज ने इस शरीर म वेश कया. (२०) भू त वा अभू त रातयो ऽ रातय याः. ुध सवा तृ णा शरीरमनु ा वशन्.. (२१) समृ , असमृ अथात् संप ता और द नता, म और श ,ु भूख और यास, इन सब ने पु ष के शरीर म वेश कया. (२१) न दा वा अ न दा य च ह ते त ने त च. शरीरं ा द णा ा चानु ा वशन्.. (२२) नदा और शंसा, हष और शोक, धन क समृ शरीर म वेश कया. (२२)
और इ छा का अभाव— इ ह ने
व ा वा अ व ा य चा य पदे यम्. शरीरं ा वश चः सामाथो यजुः.. (२३) शा आ द म ान और अ ान ने, अ य उपदे श यो य भाव ने, ऋ वेद, सामवेद और यजुवद के मं के प ात अथात् के अंश आ मा ने शरीर म वेश कया. (२३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आन दा मोदाः मुदो ऽ भीमोदमुद ये. हसो न र ा नृ ा न शरीरमनु ा वशन्.. (२४) आनंद, मोद, मोद, सामने वतमान मोद अथात् अ भमोद, हंसी, श द, आ द एवं नृ य आ द ने इस शरीर म वेश कया. (२४)
प, पश
आलापा लापा ाभीलापलप ये. शरीरं सव ा वश ायुजः यजो युजः.. (२५) साथक वचन, नरथक वचन, अ भलाषा से पूण वचन, आयोजन, योजन और योजना—इन सब ने मनु य के शरीर म वेश कया. (२५) ाणापानौ च ुः ो म त त या. ानोदानौ वाङ् मनः शरीरेण त ईय ते.. (२६) ाण और अपान वायुए,ं ने , कान, वनाश का अभाव और वनाश, ान और उदान वायुए,ं वाणी और मन—ये सभी इस शरीर म वेश कर के अपने-अपने काम लगे ह. (२६) आ शष शष सं शषो व शष याः. च ा न सव संक पाः शरीरमनु ा वशन्.. (२७) मनचाहे फल क ाथनाएं, उ कृ ाथनाएं, भलीभां त होने वाली ाथनाएं तथा अनेक कार क ाथनाएं, मनबु और अहंकार, सभी संक प—इ ह ने पु ष शरीर म वेश कया. (२७) आ तेयी वा तेयी वरणाः कृपणी याः. गु ाः शु ा थूला अप ता बीभ सावसादयन्.. (२८) भलीभां त नान, नान से संबं धत जल, शी ता से चलने वाले तथा थोड़ी मा ा म होने वाले जल, गुफा म होने वाले, ेत वण के अथात् व छ जल, अ धक मा ा म होने वाले नद प म वतमान जल—इन सब ने पु ष के शरीर म वेश कया. (२८) अ थ कृ वा स मधं तद ापो असादयन्. रेतः कृ वा यं दे वाः पु षमा वशन्.. (२९) ह ड् डय को स मधा बना कर पहले कहे गए आठ कार के जल ने पु ष के शरीर म वेश कया. वीय को घृत बना कर दे व ने पु ष के शरीर म वेश कया. (२९) या आपो या दे वता या वराड् णा सह. शरीरं ा वश छरीरे ऽ ध जाप तः.. (३०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो जल, जो दे वता, जो वराट् तथा जो जाप त कहे गए ह, प म उन सभी ने पु ष के शरीर म वेश कया. (३०)
के साथ आ मा के
सूय व ु ातः ाणं पु ष य व भे जरे. अथा येतरमा मानं दे वाः ाय छ नये.. (३१) सूय ने पु ष के नयन को तथा वायु ने पु ष के ाण को मृ यु के बाद ले लया. ाण और इं य के अ त र पु ष के शरीर को दे व ने अ न को दे दया. (३१) त माद् वै व ान् पु ष मदं े त म यते. सवा मन् दे वता गावो गो इवासते.. (३२) इसी कारण व ान् इस पु ष को मानते ह. जस कार गाएं गोशाला म रहती ह, उसी कार सब दे वता मनु य के इस शरीर म नवास करते ह. (३२) थमेन मारेण ेधा व वङ् व ग छ त. अद एकेन ग छ यद एकेन ग छतीहैकेन न षेवते.. (३३) पु ष के शरीर म वेश करने वाला जीवा मा इं य के ारा पु य और पाप पी कम पूरे कर के मृ यु के बाद वग या नरक म थान ा त करता है. पहले होने वाले थूल शरीर क मृ यु के बाद वह जीवा मा शरीर याग कर अनेक नयम के अनुसार तीन कार से जाता है. एक अथात् पाप कम से नरक म जाता है, पु य कम से वग म जाता है तथा पु य और पाप से मले ए दोन कार के कम से यहां सुख ःख को अनुभव करता है. (३३) अ सु तीमासु वृ ासु शरीरम तरा हतम्. त म छवो ऽ य तरा त मा छवो ऽ यु यते.. (३४) संसार को गीला करने वाले एवं बढ़े ए उन जल के म य शरीर थत है. उस शरीर के ऊपर, नीचे और म य म वह आ मा कहा जाता है. (३४)
सू -११ ये बाहवो या इषवो ध वनां वीया ण च. असीन् परशूनायुधं च ाकूतं च यद्धृ द. सव तदबुदे वम म े यो शे कु दारां
ांड
दे वता—अबु द
दशय.. (१)
हमारे यो ा के जो बाण, जो भुजाएं और बल है, तलवार और फरसा पी आयुध, च म संक पत श ु को मारना काय है, हे अबुद ऋ ष के पु षाथ! तुम यह सब हमारे श ु को दखलाओ. श ु को डसने के लए हम अंत र म वचरण करने वाले रा स और पशाच को दखाओ. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ सं
त सं न वं म ा दे वजना यूयम्. ा गु ता वः स तु या नो म ा यबुदे .. (२)
हे म ो अथात् हमारी वजय के दानशील दे वगणो! तुम सेना क इस छावनी से वजय ा त के लए ाथना करो. आप के ारा दए ए हमारे यो ा आप के ारा र त ह. हे अबुद सप! हमारे जो म ह जो हमारे श ु के साथ यु करने के लए आए ह, उन के तुम अंग बनो. (२) उ तमा रभेथामादानसंदाना याम्. अ म ाणां सेना अ भ ध मबुदे .. (३) यु
हे अबु द सप! तुम और नबुद इस थान से चले जाओ. तुम यहां से र जाओ. तथा करो. तुम आदान और संदान नाम क र सय से श ु क सेना को बांधो. (३) अबु दनाम यो दे व ईशान यबु दः. या याम त र मावृत मयं च पृ थवी मही. ता या म मे द यामहं जतम वे म सेनया.. (४)
अबु द, ईशान और यबु द नाम के जो दे व है, उन के ारा आकाश और वशाल पृ वी को ढक लया है. वग और धरती को ा त कर के थत एवं इं के म अबु द और यबु द के ारा जीती ई सेना का म अनुगमन क ं . (४) उ भ
वं दे वजनाबुदे सेनया सह. म ाणां सेनां भोगे भः प र वारय.. (५)
हे दे व जा त से संबं धत अबु द नाम के सप! तुम अपनी सेना के साथ उठो. इस के बाद तुम श ु क सेना का वध करते ए अपने सप शरीर के ारा उन क आंख बंद कर लो. (५) स त जातान् यबुद उदाराणां समी यन्. ते भ ् वमा ये ते सव सेनया.. (६) हे यबु द नाम के सप! पहले बताए ए आंख को बंद करने वाले सब शरीर के शु को दखाते ए तुम घृत एवं आ य के होने पर उन सब के ारा जाते ए श ु को उन सब को दखाओ जो उन क आंख को बंद कर दे ते ह. तुम उन सब के साथ हमारी सेना के संग उठो. (६) त नाना म ु ुखी कृधुकण च ोशतु. वकेशी पु षे हते र दते अबुदे तव.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अबु द नाम के सप! तु हारे ारा काटे जाने पर हमारे श ु पु ष के मर जाने पर उस क प नी छाती पीटती ई, आंसू बहाती ई, गहन से शू य कान वाली, बाल बखराए ए रोए. (७) संकष ती क करं मनसा पु म छ ती. प त ातरमात् वान् र दते अबुदे तव.. (८) हे अबु द नाम के सप! काटने के कारण शरीर म वष फैल जाने पर श ु क प नी हाथ मलती ई वष के नाश के लए अपने पु क इ छा करती ई, इस के बाद प त क भी इ छा करती ई तथा वष र करने के लए अपने संबं धय क इ छा कर. (८) अ ल लवा जा कमदा गृ ाः येनाः पत णः. वाङ् ाः शकुनय तृ य व म ेषु समी यन् र दते अबुदे तव.. (९) हे अबु द नाम के सप! तु हारे ारा हमारे श ु को काटे जाने पर धृ प ी, शरीर को क दे ने वाले प ी, ग , बाज तथा अ य मांस खाने वाले प ी और कौवे, जो हमारे श ु का मांस खाने क ती ा कर रहे ह, वे तृ त ह . (९) अथो सव ापदं म का तृ यतु मः. पौ षेये ऽ ध कुणपे र दते अबुदे तव.. (१०) हे अबु द! तु हारे ारा काटे जाने पर हमारे श ु के शरीर म जो घाव हो जाते ह, उन के शरीर को खा कर मांसभ ी पशु, म खयां और क ड़े तृ त ह . (१०) आ गृ तं सं बृहतं ाणापानान् यबुदे . नवाशा घोषाः सं य व म ेषु समी यन् र दते अबुदे तव.. (११) हे यबु द तथा अबु द नाम के सप ! तुम हमारे श ु के ाण और अपान को हण करो. तु हारे ारा हमारे श ु को काटे जाने पर उ ह दे खने वाल के ारा ःख भरे वर उ चारण कए जाएं. (११) उद् वेपय सं वज तां भया म ा सं सृज. उ ाहैबा ङ् कै व या म ान् यबुदे .. (१२) हे यबु द नाम के सप! तुम हमारे श ु को कं पत करो. तु हारे भय के कारण वे अपने थान से भाग जाएं. इस के बाद तुम हमारे श ु के पैर और हाथ को बांध कर मारो. (१२) मु वेषां बाहव ाकूतं च यद् द. मैषामु छे ष क चन र दते अबुदे तव.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अबु द नाम के सप! तु हारे खाए जाने पर उन श ु क भुजाएं न य हो जाएं. उन के मन म जो भी भावनाएं ह, वे भी मो हत हो जाएं. हमारे श ु क जो रथ, घोड़ा हाथी आ द सेना है, वह भी शेष न बचे. (१३) त नानाः सं धाव तूरः पटू रावा नानाः. अघा रणी वके यो द य १: पु षे हते र दते अबुदे तव.. (१४) हे अबु द! तु हारे ारा जन के प तय को काटा गया है. हमारे उन श ु क प नयां अपने हाथ से अपने मुख और सीने को पीटती ई, केश बखेरे ए उन मृत पु ष के समीप शी जाएं. (१४) वतीर सरसो पका उताबुदे . अ तःपा े रे रहत रशां ण हतै षणीम्. सवा ता अबुदे वम म े यो शे कु दारां
दशय.. (१५)
हे अबु द! तुम हमारे श ु क माया के ारा न मत ऐसी अ सरा को दखाओ, जन के साथ शकारी कु े ह . तुम उ ह ऐसी गाय को दखाओ जो पा को बारबार चाट रही ह . तुम उ ह उ कापात आ द अद्भुत अपशकुन दखाओ. (१५) खडू रे ऽ धचङ् मां ख वकां खववा सनीम्. य उदारा अ त हता ग धवा सरस ये. सपा इतरजना र ां स.. (१६) हे अबु द नाम के सप! तुम हमारे श ु को माया के ारा न मत ऐसे छोटे ा णय को दखाओ. जो आकाश म चल फर रहे ह और धीमी आवाज कर रहे ह . (१६) चतुद ां (१७)
ावदतः कु भमु काँ असृङ्मुखान्. व यसा ये चोद् यसाः..
जो य , रा स आ द अपनी माया से छपे रहते ह, उन काले रंग वाल और चार दांत वाल को हमारे श ु को दखाओ. जो रा स अनेक प के कारण भयानक ह, उ ह भी तुम हमारे श ु को दखाओ. (१७) उद् वेपय वमबुदे ऽ म ाणाममूः सचः. जयां ज णु ा म ाँजायता म मे दनौ.. (१८) हे अबु द नाम के सप! वष क अ धकता के कारण हमारे श ु क जो सेनाएं खी ह, उ ह कं पत करो. हे वजय ा त करने वाले अबु द और यबु द नाम के सप ! तुम हमारे श ु को परा जत करते ए वजयी बनो एवं इं के साथ मल कर हम वजयी बनाओ. (१८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
लीनो मृ दतः शयां हतो ३ म ो यबुदे . अ न ज ा धूम शखा जय तीय तु सेनया.. (१९) हे यबु द नाम के सप! हमारे श ु तु हारे ारा काटे जाने पर ाण हीन हो कर सोएं. तु हारे ारा माया के बल से उ प क गई अ न क वालाएं और धुएं क शखाएं हमारे श ु क सेना को परा जत करती ई हमारे साथ चल. (१९) तयाबुदे णु ाना म ो ह तु वरंवरम्. अ म ाणां शचीप तमामीषां मो च क न.. (२०) हे अबु द नाम के सप! तु हारे ारा यु भू म से भगाए गए हमारे जो श ु ह, उन म जो े ह, उ ह शची के प त इं मार. वे हमारे कसी श ु को न छोड़. (२०) उ कस तु दया यू वः ाण उद षतु. शौ का यमनु वतताम म ान् मोत म णः.. (२१) हमारे श ु के दय उन के शरीर से नकल जाएं. उन क ाण वायु भी उन के शरीर से नकल जाए. मुख सूख जाने से हमारे श ु मर जाएं. हमारे म का मुख न सूखे. (२१) ये च धीरा ये चाधीराः परा चो ब धरा ये. तमसा ये च तूपरा अथो ब ता भवा सनः. सवा तां अबुदे वम म े यो े कु दारां
दशय.. (२२)
हे अबु द नाम के सप! हमारे श ु म जो वीर कायर, यु से भागने वाले, भय के कारण कुछ न सुनने वाले, बना स ग के पशु के समान हा न न प ंचाने वाले और भेड़ के समान श द करने वाले ह, उन सब को अपनी माया से परा जत होने वाला बनाओ. हे सप! तुम हमारे श ु को अपनी माया के ारा उ कापात आ द अपशकुन दखाओ. (२२) अबु द ष ध ा म ान् नो व व यताम्. यथैषा म वृ हन् हनाम शचीपते ऽ म ाणां सह शः.. (२३) वषं ध अथात् सेना को मो हत करने वाला दे व और अबु द नाम का सप हमारे श ु को अनेक कार से चोट प ंचाए. हे शचीप त इं ! हम जस कार उन श ु से संबं धत लोग को हजार क सं या म मारे, हम ऐसी श दो. (२३) वन पतीन् वान प यानोषधी त वी धः. ग धवा सरसः सपान् दे वान् पु य-जनान् पतॄन्. सवा तां अबुदे वम म े यो शे कु दारां दशय.. (२४) हे अबु द नाम के सप! तुम हमारे श ु
को अपनी माया से वृ , वृ
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के वकार ,
गे ं, जौ आ द फसल , वन के वृ गंधव और अ सरा आ द अद्भुत अपशकुन दखाओ. (२४)
को दखाओ. तुम उ ह उ कापात
ईशां वो म तो दे व आ द यो ण प तः. ईशां व इ ा न धाता म ः जाप तः. ईशां व ऋषय ु र म ेषु समी यन् र दते अबुदे तव.. (२५) हे श ुओ! म त दे व और ण प त तु हारे श क ह . इं , अ न, धाता, म और जाप त तु हारा नयं ण करने वाले ह . हे अबु द नाम के सप! तु हारे ारा हमारे श ु को काटे जाने पर ऋ षगण उ ह दे खते ए उन के श क बन. (२५) तेषां सवषामीशाना उ सं न वं म ा दे वजना यूयम्. इमं सं ामं सं ज य यथालोकं व त वम्.. (२६) हमारे म दे वगण उन सभी श ु के श क होते ए उठ. ये सभी उन क श ा के लए तैयार हो जाएं. हे श ुओ! दे वगण इस सं ाम को जीत कर श ु का वनाश कर के अपने थान को जाएं. (२६)
सू -१२
दे वता— षं ध
उ त सं न वमुदाराः केतु भः सह. सपा इतरजना र ां य म ाननु धावत.. (१) हे उदार गुण वाले सेनानायको! अपने झंड के साथ उठो और यु के लए चलो. तुम कवच आ द पहन कर यु के लए तैयार हो जाओ. हे सप क आकृ त वाले दे वो! हे रा सो! तुम भी हमारे श ु के पीछे दौड़ो. (१) ईशां वो वेद रा यं ष धे अ णैः केतु भः सह. ये अ त र े ये द व पृ थ ां ये च मानवाः. ष धे ते चेत स णामान उपासताम्.. (२) हे श ुओ! व के अ भमानी दे व षं ध तु हारा रा य छ न कर अपने अ धकार म कर. हे व ा मक दे व! तु हारे जो लाल झंडे आकाश म उ पात के प म उ प होते ह तथा भूलोक म मनु य संबंधी ह, तुम उन के साथ आओ. (२) अयोमुखाः सूचीमुखा अथो वकङ् कतीमुखाः. ादो वातरंहस आ सज व म ान् व ेण ष धना.. (३) लोहे के समान मुख वाले, सूई के आकार के मुंह वाले, ब त से कांट जैसे पंख वाले प ी, ग आ द मांस भ ी प ी और हवा के समान तेजी से उड़ने वाले प ी, हमारे जस ******ebook converter DEMO Watermarks*******
श ु के आसपास मंडराते ह, वे व
से मारे जाएं. (३)
अ तध ह जातवेद आ द य कुणपं ब . ष धे रयं रोना सु हता तु मे वशे.. (४) हे जातवेद अ न! आ द य दे व अथात् सूय को आकाश म गरते ए शव के शरीर के ारा ढक दो. षं ध नामक दे व से संबंध रखने वाली यह सेना भलीभां त मेरे वश म हो, जस से म श ु को मार सकूं. (४) उ वं दे वजनाबुदे सेनया सह. अयं ब लव आ त ष धेरा तः या.. (५) हे दे व जा त के अबु द नाम के सप! तुम अपनी सेना के साथ उठो. हमारा यह ब ल काय तु हारी तृ त करने वाला हो. षं ध दे व क जो सेना है, वह भी ब ल ा त होने के कारण श ु का वनाश करे. (५) श तपद सं तु शर े ३ यं चतु पद . कृ ये ऽ म े यो भव ष धेः सह सेनया.. (६) े चरण वाली गाय, चार चरण वाली हो कर तथा बाण का समूह बना कर हमारे त श ु को ा त हो. हे कृ या पणी गौ! तू षं ध दे व के समान हमारे श ु का संहार करने वाली बन. (६) धूमा ी सं पततु कृधुकण च ोशतु. ष धेः सेनया जते अ णाः स तु केतवः.. (७) हमारे श ु क सेना माया से उ प धुएं से ढके ए नयन वाली हो जाए. हमारे रण के बाज के कारण उन के कान बहरे हो जाएं. इस कार षं ध नामक दे व के ारा श ु क सेना को जीत लए जाने पर दे व सेना के झंडे लाल रंग को हो जाएं. (७) अवाय तां प णो ये वयां य त र े द व ये चर त. ापदो म काः सं रभ तामामादो गृ ाः कुणपे रद ताम्.. (८) जो प ी मरी ई श ु सेना का मांस खाने के लए नीचे क ओर मुंह कर के आकाश म उड़ते ह तथा ुलोक अथात् वग म जो प ी उड़ते ह, वे तथा मांसभ ी सह, गीदड़ आ द पशु और मांस भ णी नीले रंग क म खयां शव का मांस खाने के लए श ु सेना म वचरण कर. मांस भ क ग श ु सेना के शरीर को अपनी च च से नोच. (८) या म े ण संधां समध था णा च बृह पते. तया ऽ ह म संधया सवान् दे वा नह व इतो जयत मामुतः.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे बृह प त दे व! इं और जाप त दे व के साथ जो आपने त ा क है. म उस दे व सेना को उस सं ाम म बुलाता ं. हे बुलाए गए दे व! हमारी सेना को वजय दान करो. हमारे श ु सै नक को वजय मत दान करो. (९) बृह प तरा रस ऋषयो सं शताः. असुर यणं वधं ष धं द ा यन्.. (१०) अं गरा ऋ ष के पु बृह प त जो दे व के मं ी ह, वेद मं के अ यास से श शाली बन अ य ऋ षय ने असुर का नाश करने वाले आयुध व को ल ु ोक अथात् वग म थत कया है. (१०) येनासौ गु त आ द य उभा व त तः. ष धं दे वा अभज तौजसे च बलाय च.. (११) जस व के ारा दखाई दे ने वाले आ द य अथात् सूय को वग म पाला गया है, जस व क श के कारण आ द य और इं दोन अपनेअपने थान पर थत ह, उस षं ध नाम के दे व अथात् व क सभी दे व ने तेज और बल क ा त के लए सेवा क है. (११) सवा लोका समजयन् दे वा आ यानया. बृह प तरा रसो व ं यम स चतासुर यणं वधम्.. (१२) अं गरा ऋ ष के पु एवं दे व के मं ी बृह प त ने तथा इं आ द दे व ने इस आ त के ारा असुर को मार कर सभी लोक को ा त कया है. बृह प त ने असुर का वनाश करने के साधन उस व को इस आ त के ारा ही बनाया है. (१२) बृह प तरा रसो व ं यम स चतासुर यणं वधम्. तेनाहममूं सेनां न ल पा म बृह पते ऽ म ान ह योजसा.. (१३) अं गरा ऋ ष के पु एवं दे व के मं ी बृह प त ने तथा इं आ द दे व ने असुर का वध करने वाले जस व क रचना घृत क आ त से क है, हे दे वो! उस व के ारा म अपनी श ु सेना का वनाश करता ं. सेना के वनाश के कारण म अपने श ु का वनाश अपने बल से क ं . (१३) सव दे वा अ याय त ये अ त वषट् कृतम्. इमां जुष वमा त मतो जयत मामुतः.. (१४) इं आ द सभी दे व हमारे श ु को छोड़ कर हमारे सामने आएं. वे दे व वषट् श द के साथ दए गए ह व का भोग करते ह. वे सब हमारी उस आ त का सेवन कर. उस आ त से स सभी दे व हमारी सेना को वजयी बनाएं. हमारे श ु क सेना को वजयी न ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बनाएं. (१४) सव दे वा अ याय तु ष धेरा तः या. संधां महत र त यया े असुरा जताः.. (१५) इं आ द सभी दे व हमारे श ु क सेना को छोड़ कर हमारे पास आएं. सेना को मो हत करने वाले दे व को हमारी यह आ त स करने वाली हो. हे दे वो! अपनी असुर वजय क महती त ा क र ा करो. इस षं ध क आ त ने पहले असुर को जीत लया था. (१५) वायुर म ाणा म व ा या चतु. इ एषां बा न् त भन ु मा शकन् तधा मषुम्. आ द य एषाम ं व नाशयतु च मा युतामगत य प थाम्.. (१६) वायु दे व श ु के बाण के आगे जाएं. ता पय यह है क तकूल हवा के कारण उन के बाण अपना ल य ा त न कर सक. इं दे व उन क घायल भुजा को आयुध पकड़ने के अयो य बनाएं. सूय उन श ु के आयुध का वनाश कर. चं मा हमारे श ु को उस माग से अलग कर जो हमारे समीप तक आता है. (१६) य द ेयुदवपुरा वमा ण च रे तनूपानं प रपाणं कृ वाना य पो चरे सव तदरसं कृ ध.. (१७) हे दे व! हमारे श ु ने तनूपान एवं प रमाण नामक कम के समय अपने मं मय कवच को स कर लया है. तुम इन कम से संबं धत मं को असफल बनाओ. (१७) ादानुवतयन् मृ युना च पुरो हतम्. ष धे े ह सेनया जया म ान् प व.. (१८) हे षं ध दे व! हमारे सामने थत श ु के पीछे मांसभ ी पशु चल. तुम हमारी सेना के साथ जाओ और हमारे श ु का वनाश करने के लए उन म घुसो. (१८) ष धे तमसा वम म ान् प र वारय. पृषदा य णु ानां मामीषां मो च क न.. (१९) हे षं ध! तुम हमारे श ु को अंधकार के ारा घेर लो. हमारे य काय म तुम दही से मले भात को खाने के लए बुलाए गए हो. तुम हमारे श ु म से एक को भी जी वत मत छोड़ो. (१९) श तपद सं पत व म ाणाममूः सचः. मु व ामूः सेना अ म ाणां यबुदे .. (२०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
े चरण वाली गौ हमारे श ु क उस सेना को शोक दान करने के लए जाए त और हमारे बाण से पी ड़त उस सेना पर टू ट पड़े. हे यबु द! सामने दखाई दे ने वाली यह सेना आज यु के समय मोह को ा त हो जाए. (२०) मूढा अ म ा यबुदे ज ेषां वरंवरम्. अनया ज ह सेनया.. (२१) हे यबु द! तुम हमारे श ु को अपनी माया के कत और अकत जानने के लए मूख बना दो. तुम इस सेना के े को न कर दो. तु हारी कृपा से हमारी सेना वजय ा त करे. (२१) य कवची य ाकवचो ३ म ो य ा म न. यापाशैः कवचपाशैर मना भहतः शयाम्.. (२२) हमारा जो श ु कवच धारण कए है अथवा जो कवच र हत है, हमारे जो श ु रथ म बैठे ह, वे अपनेअपने पाश से बंधे ए सो जाएं. (२२) ये व मणो ये ऽ वमाणो अ म ा ये च व मणः. सवा ताँ अबु दे हतांछ्वानो ऽ द तु भू याम्.. (२३) हमारे जो श ु कवच धारण करने वाले, कवचहीन और कवच के अ त र अ य श से र ा करने वाले साधन से यु ह, हे यबु द! तु हारे ारा मारे गए उन श ु को कु े आ द मांसभ ी पशु खाएं. (२३) ये र थनो ये अरथा असादा ये च सा दनः. सवानद तु तान् हतान् गृ ाः येनाः पत णः (२४) हमारे जो श ु रथ म बैठे ह, जो रथहीन ह, जो घोड़े पर सवार ह और जो बना घोड़े वाले ह, उन सब को ग , बाज तथा अ य मांसभ ी प ी खाएं. (२४) सह कुणपा शेतामा म ी सेना समरे वधानाम्. व व ा ककजाकृता.. (२५) हमारे श ु क सेना हमारी सेना को ा त कर के आयुध साधन क यु होने पर मरी ई एवं अन गनती लाश वाली हो. (२५)
म भड़ंत
ममा वधं रो वतं सुपणरद तु तं मृ दतं शयानम्. य इमां तीचीमा तम म ो नो युयु स त.. (२६) शोभन पतन वाले बाण के ारा मम थल म व एवं अ य धक रोते ए ःख से पूण, चूण कए ए और धरती पर पड़े ए श ु सै नक को गीदड़ आ द मांसभ ी पशु खाएं. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हमारा जो श ु हमारी इस आ त को पा कर इस क ग त त नवृ कर के हमारे साथ यु करना चाहता है, इस कार के श ु को भी मांसभ ी पशु खाएं. (२६) यां दे वा अनु त त य या ना त वराधनम्. तये ो ह तु वृ हा व ेण ष धना.. (२७) जस द ध म त भात क आ त को दे वगण व बनाने का साधन बनाते ह, जस आयुध क असमानता नह है. उस आ त ारा उ प व से वृ असुर का वध करने वाले इं इस श ु सेना का वध कर. (२७)
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बारहवां कांड सू -१
दे वता—भू म
स यं बृह तमु ं द ा तपो य ः पृ थव धारय त. सा नो भूत य भ य प यु ं लोकं पृ थवी नः कृणोतु.. (१) पृ वी को धारण करने वाले , तप, य द ा तथा वशाल प म फैले ए जल ह. इस पृ वी ने भूत काल के जीव का पालन कया था और भ व य काल के जीव का भी पालन करेगी. इस कार क पृ वी हम नवास के हेतु व तृत थान दान करे. (१) असंबाधं म यतो मानवानां य या उ तः वतः समं ब . नानावीया ओषधीया बभ त पृ थवी नः थतां रा यतां नः.. (२) जस भू म पर ऊंचे, नीचे तथा समतल थान ह तथा जो अनेक कार क साम य वाली जड़ीबू टय को धारण करती है, वह भू म हम सभी कार तथा पूण प से ा त हो और हमारी सभी कामना को पूण करे. (२) य यां समु उत स धुरापो य याम ं कृ यः संबभूवुः. य या मदं ज व त ाणदे जत् सा नो भू मः पूवपेये दधातु.. (३) यह पृ वी सागर , न दय , झरन और सरोवर के जल से सुशो भत है. इस पृ वी पर कृ ष क जाती है, जस से अ उ प होता है. उस अ से संसार के ाणवान मनु य, पशु आ द तृ त पाते ह. इस कार क पृ वी हम उस दे श म त त करे, जहां पर रसदार फल उ प होते ह. (३) य या त ः दशः पृ थ ा य याम ं कृ यः संबभूवुः. या बभ त ब धा ाणदे जत् सा नो भू मग व य े दधातु.. (४) जस पृ वी पर चार दशाएं ह, जस पर अ उ प होता है और जस पर कसान खेती करते ह तथा जो सांस लेने वाले एवं ग तशील ा णय को धारण करती है, वह पृ वी हमारे लए धा गाएं और अ धारण करे. (४) य यां पूव पूवजना वच रे य यां दे वा असुरान यवतयन्. गवाम ानां वयस व ा भगं वचः पृ थवी नो दधातु.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हमारे पूव पु ष अथात् पूवज ने जस पृ वी पर अनेक शंसनीय काय कए, जस पृ वी पर दे व ने अ याचारी दै य के साथ सं ाम कया तथा जो पृ वी गाय , घोड़ तथा प य को आ य दान करने वाली है, वह पृ वी हम तेज और ऐ य दान करे. (५) व ंभरा वसुधानी त ा हर यव ा जगतो् नवेशनी. वै ानरं ब ती भू मर न म ऋषभा वणे नो दधातु.. (६) जो पृ वी वन को धारण करने वाली तथा संसार के ा णय का भरणपोषण करने वाली है, जो पृ वी अपने सीने अथात् खदान म वण को धारण करती है तथा वै ानर अ न को आ य दान करती है, वह पृ वी हमारे लए धन दान करे. (६) यां र य व ा व दान दे वा भू म पृ थवीम मादम्. सा नो मधु यं हामथो उ तु वचसा.. (७) दे वगण जा त रहते ए अथवा सावधान रहते ए जस पृ वी क र ा करते ह, वह पृ वी हम मधु, धन एवं बल से यु करे. (७) याणवे ऽ ध स ललम आसीद् यां माया भर वचरन् मनी षणः. य या दयं परमे ोम स येनावृतममृतं पृ थ ाः. सा नो भू म व ष बलं रा े दधातू मे.. (८) जो पृ वी पहले सागर के जल म डू बी ई थी, मनीषीजन ने अनेक कार के काय करते ए, जस पृ वी पर वचरण कया था, जस का दय वशाल आकाश म थत है, वह मरण र हत पृ वी हम े रा , बल और द त दान करे. (८) य यामापः प रचराः समानीरहोरा े अ मादं र त. सा नो भू मभू रधारा पयो हामथो उ तु वचसा.. (९) जस पृ वी पर बहता आ जल रात म और दन म समान प से गमन करता है, ऐसी अ धक जल वाली पृ वी हम ध के समान सार प फल तथा तेज से यु करे. (९) याम नाव ममातां व णुय यां वच मे. इ ो यां च आ मने ऽ न म ां शचीप तः. सा नो भू म व सृजतां माता पु ाय मे पयः.. (१०) अ नीकुमार ने जस पृ वी का नमाण कया, व णु ने जस पर परा म का दशन कया तथा इं ने जस पृ वी को अपने अधीन कर के श ु से हीन कर दया, वह पृ वी अपना सार प जल मुझे उसी कार पलाए, जस कार माता पु को ध पलाती है. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
गरय ते पवता हमव तो ऽ र यं ते पृ थ व योनम तु. ब ुं कृ णां रो हण व पां ुवां भू म पृ थवी म गु ताम्. अजीतो ऽ हतो अ तो ऽ य ां पृ थवीमहम्.. (११) हे पृ वी! तेरे बफ से ढके ए पवत एवं घने वन हम सुख दान कर. म इं दे व के ारा सुर त पृ वी पर इस कार त त र ं क न मेरा वनाश हो तथा न म कसी से प र चत होऊं. (११) यत् ते म यं पृ थ व य च न यं या त ऊज त वःसंबभूवुः. तासु नो धे भ नः पव य माता भू मः पु ो अहं पृ थ ाः. पज यः पता स उ नः पपतु.. (१२) हे पृ वी! तेरी ना भ अथात् म य भाग से सभी के शरीर को पु करने वाले जो पदाथ उ प होते ह, मुझे उ ह के म य थत करो. भू म मेरी माता है और मेघ मेरे पता ह. ये दोन य कम को पूण करते ह. (१२) य यां वे द प रगृ त भू यां य यां य ं त वते व कमाणः. य यां मीय ते वरवः पृ थ ामू वाः शु ा आ याः पुर तात्. सा नो भू मवधयद् वधमाना.. (१३) य म आ त दे ने से पूव ही जस पृ वी पर लकड़ी के तंभ गाढ़े जाते ह, वह पृ वी वयं वृ को ा त कर के हम समृ शाली बनाए. (१३) यो नो े षत् पृ थ व यः पृत याद् यो ऽ भदासा मनसा यो वधेन. तं नो भूमे र धय पूवकृ व र.. (१४) हे पृ वी! हम से े ष करता आ जो सेना ले कर हम तुम हमारी र ा के लए उस का वनाश कर दो. (१४)
ीण करना अथवा मारना चाहे,
व जाता व य चर त म या वं बभ ष पद वं चतु पदः. तवेमे पृ थ व प च मानवा ये यो यो तरमृतं म य य उ र म भरातनो त.. (१५)
सूय
हे पृ वी! जो ाणी तु हारे ऊपर ज म लेते ह, वे तु हारे ही ऊपर मण करते है. तुम जन चार पैर वाले पशु तथा दो पैर वाले मनु य का पोषण करती हो, उन के लए सूय अपनी करण के ारा जीवन पयत अमृतमयी यो त फैलाता है. (१५) ता नः जाः सं
तां सम ा वाचो मधु पृ थ व धे ह म म्.. (१६)
हे पृ वी! सूय क करण हमारे हेतु जा अथात् संतान और सेवक वग के अ त र ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सभी कार क वाणी दान कर. हे पृ वी! तुम मुझे मधुर पदाथ दान करो. (१६) व वं मातरमोषधीनां व ु ां भू म धमणा धृताम्. शवां योनामनु चरेम व हा.. (१७) हम ऐसी पृ वी पर सदा वचरण करते रह जो ओष धय को उ प करने वाली, संसार क ऐ य प, धम के ारा आ त क याणमयी एवं सुख दे ने वाली है. (१७) महत् सध थं महती बभू वथ महान् वेग एजथुवपथु े. महां वे ो र य मादम्. सा नो भूमे रोचय हर य येव सं श मा नो त क न.. (१८) हे पृ वी! तू महती नवास भू म है. तेरा वेग और कंपन भी भाव पूण है. वे इं तेरे र क ह. तू हम सब का य बनाए. जस कार वग सब को य होता है, उसी कार हमारा े षी कोई न हो अथात् हम सब के य बन. (१८) अ नभू यामोषधी व नमापो ब य नर मसु. अ नर तः पु षेषु गो व े व नयः.. (१९) जल अ न को धारण करता है. पृ वी म अ न है. जल म, पु ष म, मेरे अ ा द पशु म भी अ न है. (१९) अ न दव आ तप य नेदव योव १ त र म्. अ नं मतास इ धते ह वाहं घृत यम्.. (२०) अ न दे व वग म तपते ह, अंत र को द त करते ह. (२०) अ नवासाः पृ थ (२१)
म भी ह और मरण धम वाले मनु य हमारी अ न
सत ू वषीम तं सं शतं मा कृणोतु.. (२१)
जस धूम म अ न का वास है, उस धूम को जानने वाली पृ वी मुझे तेज वी बनाए. भू यां दे वे यो दद त य ं ह मरंकृतम्. भू यां मनु या जीव त वधया ेन म याः. सा नो भू मः ाणमायुदधातु जरद मा पृ थवी कृणोतु.. (२२)
पृ वी पर जो य सुशो भत ह, उन म दे व के हेतु ह व दान क जाती है. इसी पृ वी पर मरणधमा जीव अ जल से अपना जीवन तीत करते ह. यह पृ वी हम को ाण और आयु दान करती ई वृ ाव था तक जी वत रहने वाला बनाए. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ते ग धः पृ थ व संबभूव यं ब योषधयो यमापः. यं ग धवा अ सरस भे जरे तेन मा सुर भ कृणु मा नो (२३)
त क न..
हे पृ वी! तेरी जस गंध को ओष धयां और जल धारण करते ह, जस का सेवन गंधव और अ सराएं करती ह, तू मुझे उसी गंध से सुशो भत बना. कोई मेरा वैरी न रहे. (२३) य ते ग धः पु करमा ववेश यं संज ःु सूयाया ववाहे. अम याः पृ थ व ग धम े तेन मा सुर भ कृणु मा नो त क न.. (२४) हे पृ वी! तु हारी जो गंध कमल म है, जस गंध को सूय के ववाहो सव म मरणधमा जीव को धारण कया था, उस गंध से मुझे सुगं धत बना. मुझ से े ष करने वाले कोई न रहे. (२४) य ते ग धः पु षेषु ीषु पुंसु भगो चः. यो अ ेषु वीरेषु यो मृगेषूत ह तषु. क यायां वच यद् भूमे तेना माँ अ प सं सृज मा नो त क न.. (२५) हे पृ वी! तु हारी जो गंध ीपु ष म, घोड़ म, वीर म, मृग म, हाथी म तथा क या म है, मुझे उन सब क गंध से संप बना. मुझ से े ष करने वाला कोई न रहे. (२५) शला भू मर मा पांसुः मा भू मः संधृता धृता. त यै हर यव से पृ थ ा अकरं नमः.. (२६) जो पृ वी शला, भू म, प थर और धूल के प को धारण करती है, ऐसी पृ वी हर यव ा अथात् सोने के सीने वाली है. म उस पृ वी को नम कार करता ं. (२६) य यां वृ ा वान प या ुवा त त व हा. पृ थव व धासयं धृताम छावदाम स.. (२७) वन प तयां उ प करने वाले वृ जस भू म पर अ डग प म खड़े रहते ह, वे वृ ओषधालय के प म सब क सेवा करते ह. ऐसी धम आ ता पृ वी क हम तु त करते ह. (२७) उद राणा उतासीना त तः पद् यां द णस ा यां मा
ाम तः. थ म ह भू याम्.. (२८)
हम अपने दाएं अथवा बाएं पैर से चलते ए, बैठते अथवा खड़े होते ए कभी न ह . (२८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
थत
वमृ वर पृ थवीमा वदा म मां भू म णा वावृधानाम्. ऊज पु ं ब तीम भागं घृतं वा भ न षीदे म भूमे.. (२९) धम पणी, परम प व ा तथा मं के ारा बढ़ने वाली पृ वी क म तु त करता ं. हे पृ वी! तू पोषक अ और बल को धारण करने वाली है. म तुझ पर घृत क आ त दे ता ं. (२९) शु ा न आप त वे र तु यो नः से र ये तं न द मः. प व ेण पृ थ व मोत् पुना म.. (३०) प व जल हमारी दे ह को स चे. हमारे शरीर पर हो कर जाने वाले जल श ु को ा त ह . हे पृ वी! म अपनी दे ह को प व जल के ारा प व करता ं. (३०) या ते ाचीः दशो या उद चीया ते भूमे अधराद् या प ात्. योना ता म ं चरते भव तु मा न प तं भुवने श याणः.. (३१) श
हे पृ वी! तु हारी पूव, उ र, द ण और प म प चार दशाएं मुझे वचरण क दान कर. इस लोक म रहता आ म गरने न पाऊं. (३१) मा नः प ा मा पुर ता ु द ा मो रादधरा त. व त भूमे नो भव मा वदन् प रप थनो वरीयो यावया वधम्.. (३२)
हे पृ वी! तू मेरे पूव, प म, उ र, द ण चार ओर खड़ी रहे. मुझे द यु ा त न करे. तू वशाल हसा से मुझे बचाती ई मंगल करने वाली हो. (३२) यावत् ते ऽ भ वप या म भूमे सूयण मे दना. ताव मे च ुमा मे ो रामु रां समाम्.. (३३) (३३)
म जब तक तुझे सूय के सामने दे खता र ं, तब तक मेरे दे खने क श
न न हो.
य छयानः पयावत द णं स म भ भूमे पा म्. उ ाना वा तीच यत् पृ ी भर धशेमहे. मा हसी त नो भूमे सव य तशीव र.. (३४) हे पृ वी! सोता आ म करवट लूं अथवा सीधा हो कर सोऊं, उस समय कोई मेरी हसा न करे. (३४) यत् ते भूमे वखना म ं तद प रोहतु. मा ते मम वमृ व र मा ते दयम पपम्.. (३५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे पृ वी! म तेरे जस थल को खो ं वह शी ही पहले जैसा हो जाए. म तेरे मम को पूण करने म समथ नह ं. (३५) ी म ते भूमे वषा ण शर े म तः श शरो वस तः. ऋतव ते व हता हायनीरहोरा े पृ थ व नो हाताम्.. (३६) हे पृ वी! ी म, वषा, शरद, हेमंत, श शर और वसंत—ये छह ऋतुएं तथा दन, रात और वष—ये सब हम को फल दे ने वाले ह . (३६) याप सप वजमाना वमृ वरी य यामास नयो ये अ व१ तः. परा द यून् ददती दे वपीयू न ं वृणाना पृ थवी न वृ म्. श ाय द े वृषभाय वृ णे.. (३७) जो पृ वी सूय के हलने पर कांपती है, व ुत के प म जल म रहने वाली अ न जस पृ वी म भी नवास करती है, जस ने वृ ासुर को याग कर इं का वरण कया था, जो दे व हसक के लए फल दे ने वाली नह होती तथा जो पु और श शाली पु ष के अधीन रहती है. (३७) य यां सदोह वधाने यूपो य यां नमीयते. ाणो य यामच यृ भः सा ना यजु वदः. यु य ते य यामृ वजः सोम म ाय पातवे.. (३८) जस पृ वी पर य मंडप क रचना होती है, जस पर यूप खड़े कए जाते ह. जस पृ वी पर ऋ वेद, सामवेद तथा यजुवद के मं ारा दे व पूजन और इं को सोमपान कराने का काय होता है. (३८) य यां पूव भूतकृत ऋषयो गा उदानृचुः. स त स ेण वेधसो य ेन तपसा सह.. (३९) जस पृ वी पर ा णय क रचना करने वाले ऋ षय ने स त सू तु त पी वा णय से दे व पूजन कया था. (३९)
वाले
योग और
सा नो भू मरा दशतु य नं कामयामहे. भगोः अनु युङ् ा म एतु पुरोगवः.. (४०) वह भू म हमारा चाहा आ धन दान करे. भग हम को ेरणा दे ने वाले ह तथा इं हमारे आगे चलने वाले ह . (४०) य यां गाय त नृ य त भू यां म या यु य ते य यामा ो य यां वद त
ैलबाः. भः.
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सा नो भू मः
णुदतां सप नानसप नं मा पृ थवी कृणोतु.. (४१)
जस पृ वी पर मनु य नाचते और गाते ह, जस पर दन होता है और ं ं भ बजती है, वह पृ वी मुझे श ुहीन बनाए. (४१) य याम ं ी हयवौ य या इमाः प च कृ यः. भू यै पज यप यै नमोऽ तु वषमेदसे.. (४२) जस पृ वी पर गे ं और जौ जैसे अ पैदा होते ह, जस पर पांच कार क खे तयां होती ह, वषा ारा पु क जाने वाली पृ वी को नम कार है. (४२) य याः पुरो दे वकृताः े े य या वकुवते. जाप तः पृ थव व गभामाशामाशां र यां नः कृणोतु.. (४३) दे वता ारा बनाए गए हसक पशु जस पृ वी पर अनेक कार क ड़ाएं करते ह, जो पूरे संसार को अपने म धारण करती है, उस पृ वी क दशा को जाप त हमारे लए मंगलमय कर. (४३) न ध ब ती ब धा गुहा वसु म ण हर यं पृ थवी ददातु मे. वसू न नो वसुदा रासमाना दे वी दधातु सुमन यमाना.. (४४) न धय को धारण करने वाली पृ वी मुझे गुफा, वण, म ण आ द धन दान करे. धन दान करने वाली पृ वी हम पर स होती ई वरदा यनी बने. (४४) जनं ब ती ब धा ववाचसं नानाधमाणं पृ थवी यथौकसम. सह ं धारा वण य मे हां ुवेव धेनुरनप फुर ती.. (४५) अनेक धम और अनेक भाषा वाले मनु य को धारण करने वाली पृ वी अ डग धेनु के समान मेरे लए धन क हजार धारा को हाए. (४५) य ते सप वृ क तृ दं मा हेम तज धो भृमलो गुहा शये. म ज वत् पृ थ व य दे ज त ावृ ष त ः सप मोप सृपद् य छवं तेन नो मृड.. (४६) हे पृ वी! तुम म जो सप नवास करते ह, उन का दं श यास लगाने वाला है. तुम म जो ब छू ह, वे हेमंत ऋतु म डंक नीचे कए ए गुफा म शयन करते ह. वषा ऋतु म स ता पूवक वचरण करने वाले ये ाणी अथात् सांप और ब छू मेरे समीप न आएं. (४६) ये ते प थानो बहवो जनायना रथ य व मानस यातवे. यैः संचर युभये भ पापा तं प थानं जयेमान म मत करं य छवं तेन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नो मृड.. (४७) हे पृ वी! मनु य के चलने के और रथ आ द के चलने के जो माग ह, उन माग पर धमा मा और पापा मा दोन कार के मनु य चलते ह. जो माग चोर और श ु से हीन है, उसी क याणमय माग के ारा तुम हम सुखी बनाओ. (४७) म वं ब ती गु भृद ् भ पाप य नधनं त त ुः. वराहेण पृ थवी सं वदाना सूकराय व जहीते मृगाय.. (४८) पु य एवं पाप कम करने वाल के शव को तथा श ु को भी धारण करने वाली जस पृ वी को वाराह खोज रहे थे, वह पृ वी उन वाराह को ही ा त ई थी. (४८) ये त आर याः पशवो मृगा वने हताः सहा ा ाः पु षाद र त. उलं वृकं पृ थ व छु ना मत ऋ ीकां र ो अप बाधया मत्.. (४९) जो ा आ द हसक पशु घूमते ह, उन को और क अथात् भे ड़य , भालु रा स को हम से र कर के बाधा प ंचाओ. (४९)
और
ये ग धवा अ सरसो ये चारायः कमी दनः. पशाचा सवा र ां स तान मद् भूमे यावय.. (५०) हे पृ वी! गंधव, अ सरा, रा स, मांसभ ी, पशाच आ द को हम से र करो. (५०) यां पादः प णः संपत त हंसाः सुपणाः शकुना वयां स. य यां वातो मात र ेयते रजां स कृ वं यावयं वृ ान्. वात य वामुपवामनु वा य चः.. (५१) जस पृ वी पर दो पांव वाले प ी हंस, कौवे, ग आ द घूमते ह, जस पृ वी पर वायु धूल उड़ाती और वृ को गराती है तथा वायु के ती ण होने पर अ न भी उस के साथ चलती है. (५१) य यां कृ णम णं च सं हते अहोरा े व हते भू याम ध. वषण भू मः पृ थवी वृतावृता सा नो दधातु भ या ये धाम नधाम न.. (५२) जस पृ वी पर काले और लाल दनरात मले रहते ह, जो पृ वी वषा से ढक रहती है, वह पृ वी सुंदर च वृ से हम य थान ा त कराए. (५२) ौ म इदं पृ थवी चा त र ं च मे चः. अ नः सूय आपो मेधां व े दे वा सं द ः.. (५३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
श
आकाश, पृ वी, अंत र , अ न, सूय, जल, मेघ तथा सब दे वता दान क है. (५३)
ने मुझे चलने क
अहम म सहमान उ रो नाम भू याम्. अभीषाड म व ाषाडाशामाशां वषास हः.. (५४) म पृ वी पर श ु का तर कार करने वाले के प म स ं. म अपने श ु के सामने जा कर उ ह दबाऊं. म हर दशा म रहने वाले श ु को भलीभां त वश म कर लूं. (५४) अदो यद् दे व थमाना पुर ताद् दे वै ा आ वा सुभूतम वशत् तदानीमक पयथाः
सप म ह वम्. दश त ः.. (५५)
हे पृ वी! तु हारे व तृत होने से पहले दे वता ने तुम से व तार वाली होने को कहा था. उस समय तुम म भूत ने वेश कया. तभी चार दशाएं बनाई ग . (५५) ये ामा यदर यं याः सभा अ ध भू याम्. ये सं ामाः स मतय तेषु चा वदे म ते.. (५६) पृ वी पर जो गांव, जंगल और सभाएं ह, जो यु हे भू म! हम उन सब म तेरी वंदना करते ह. (५६)
क म ंणाएं ह तथा जो यु
होते ह,
अ इव रजो धुवे व तान् जनान् य आ यन् पृ थव यादजायत. म ा े वरी भुवन य गोपा वन पतीनां गृ भरोषधीनाम्.. (५७) पृ वी म उ प ए पदाथ पृ वी पर ही रहते ह तथा अ के समान उस पर धूल उड़ाते ह. यह भू म भ ा और उवरा ह. यह वन प तय तथा ओष धय के भाव से लोक का पालन करने वाली है. (५७) यद् वदा म मधुमत् तद् वदा म यद े तद् वन त मा. वषीमान म जु तमानवा यान् ह म दोधतः.. (५८) म जो कुछ क ,ं वह मधुर हो, म जसे दे ख,ूं वही मेरा य हो जाए. म यश वी और वेग वाला बनूं. म सर का र क होता आ उन का संहार क ं जो मुझे कं पत कर. (५८) श तवा सुर भः योना क लालो नी पय वती. भू मर ध वीतु मे पृ थवी पयसा सह.. (५९) सुख और शां त दान करने वाली, अ और ध दे ने वाली, ध के समान सार पदाथ वाली होती ई पृ वी मेरे प म रहे. (५९) याम वै छ
वषा व कमा तरणवे रज स
व ाम्.
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भु ज यं १ पा ं न हतं गुहा यदा वभ गे अभव मातृमद् यः.. (६०) व कमा ने ह व ारा पृ वी को रा स के च कर से नकालने क इ छा क थी. तब गु त रहने वाला भु ज य पा अथात् अ उपभोग के सामान दखाई पड़ने लगा. (६०) वम यावपनी जनानाम द तः काम घा प थाना. यत् त ऊनं तत् त आ पूरया त जाप तः थमजा ऋत य.. (६१) हे पृ वी! तुम कामना को पूण करने वाली हो. तुम इस व क वाली हो. तु हारे कम होने वाले भाग को जाप त पूरा करते ह. (६१)
े
पी व तार
उप था ते अनमीवा अय मा अ म यं स तु पृ थ व सूताः. द घ न आयुः तबु यमाना वयं तु यं ब ल तः याम.. (६२) यु
हे पृ वी! तुम म रहने वाले हमारे लोग य मा रोग र हत रह. हम अपनी द घ आयु से हो कर तु ह ह व दे ने वाले बन. (६२) भूमे मात न धे ह मा भ या सु त तम्. सं वदाना दवा कवे यां मा धे ह भू याम्.. (६३) हे पृ वी माता! मुझे मंगलमय त ा दान करो. हे वश! मुझे ल मी और वभू त म थत रखती ई वग दान कराओ. (६३)
सू -२
दे वता—अ न तथा मृ यु
नडमा रोह न ते अ लोक इदं सीसं भागधेयं त ए ह. यो गोषु य मः पु षेषु य म तेन वं साकमधराङ् परे ह.. (१) हे ाद अ न! तू नड अथात् सरकंडे पर आरोहण कर. जो य मा रोग मनु य म अथवा जो य मा गौ म है, तू उस के साथ यहां से र चली जा. तू अपने भा य क सीमा पर आ. (१) अघशंस ःशंसा यां करेणानुकरेण च. य मं च सव तेनेतो मृ युं च नरजाम स.. (२) पाप और भावना का नाश करने वाले कर तथा अनुकर से म य मा रोग को पृथक् करता ं. म मृ यु को भी र भगाता ं. (२) न रतो मृ युं नऋ त नररा तमजामा स. यो नो े तम ने अ ाद् यमु म तमु ते
सुवाम स.. (३)
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हे ाद अ न! हम पाप दे वता नऋ त और मृ यु को र करते ह. हम अपने श ु को भी र करते ह. जो हमारे श ु ह, हम उ ह तु हारी ओर भेजते ह. तुम उन का भ ण करो. (३) य नः ाद् य द वा ा इमं गो ं ववेशा योकाः. तं माषा यं कृ वा हणो म रं स ग छ व सुषदोऽ य नीन्.. (४) यद ाद अ न ने अथवा ा ने हमारे गो म वेश कया है तो म उसे माष अथात् उरद आ य ारा र करता ं. (४) यत् वा ु ाः च ु म युना पु षे मृते. सुक पम ने तत् वया पुन वोद्द पयाम स.. (५) पु ष क मृ यु के कारण ो धत ए ा णय ने तु ह द त कया. वह काय पूण हो गया, इसी लए हम ने तु ह तुम से ही द त कया है. (५) पुन वा द या ा वसवः पुन ा वसुनी तर ने. पुन वा ण प तराधाद् द घायु वाय शतशारदाय.. (६) हे अ न! वसु, ण प त, , , सूय और वसुनी त ने तु ह सौ वष का जीवन ा त करने के लए पुनः द त कया था. (६) यो अ नः ात् ववेश नो गृह ममं प य तरं जातवेदसम्. तं हरा म पतृय ाय रं स घम म धां परमे सध थे.. (७) अ य अ नय को दे खने के लए य द ाद अ न हमारे घर म व आ है तो पतृय करने के लए म उसे र भगाता ं. वह पाप नाश म थत हो धम को बढ़ाए. म ाद अ न को र भगाता ं. वह पाप को साथ लेता आ य के थान को ा त हो. जातवेद अ न यहां त त हो कर दे व के लए ह व वहन करे. (७) ादम नं हणो म रं यमरा ो ग छतु र वाहः. इहाय मतरो जातवेदा दे वो दे वे यो ह ं वहतु जानन्.. (८) उ थ के शंसक ाद अ न को म पतृयान माग से भेजता ं. हे ाद! तू पतर म ही बु हो और वह जागता रह. दे वयान माग ारा तू यहां बारा मत आ. (८) ादम न म षतो हरा म जनान् ं ह तं व ेण मृ युम्. न तं शा म गाहप येन व ान् पतॄणां लोके अ प भागो अ तु.. (९) म अपने मं
पव
से
ाद अ न को र करता ं. गाहप य अ न के ारा म
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उस अ न का शासन करता ं. यह पतर का भाग होता आ, उन के लोक म थत हो. (९) ादम नं शशमानमु यं १ हणो म प थ भः पतृयाणैः. मा दे वयानैः पुनरा गा अ ैवै ध पतृषु जागृ ह वम्.. (१०) उ थ शंसक ाद अ न को म पतृयान माग म भेजता ं. हे ाद! तू पतर म ही बढ़ और वह जागता रह. दे वयान माग ारा तू यहां बारा मत आ. (१०) स म धते संकसुकं व तये शु ा भव तः शुचयः पावकाः. जहा त र म येन ए त स म ो अ नः सुपुना पुना त.. (११) प व ता दान करने वाले अ न दे व शु होने के लए शवभ क अ न को द त करते ह. वह अ न अपने पाप का याग करता आ जाता है. उसे यह प व अ न शु करते ह. (११) दे वो अ नः संकसुको दव पृ ा या हत्. मु यमानो नरेणसो ऽ मोग माँ अश याः.. (१२) शव भ क अ न वयं पाप से मु जाते ह. (१२)
होते ह और अमंगल से हमारी र ा करके वग पर
अ मन् वयं संकसुके अ नौ र ा ण मृ महे. अभूम य याः शु ाः ण आयूं ष ता रषत्.. (१३) इस शव भ क अ न म हम पाप को शु हम को पूण आयु वाला बनाए. (१३)
करते ह. हम शु
हो गए. अब यह अ न
संकसुको वकसुको नऋथो य न वरः. ते ते य मं सवेदसो राद् रमनीनशन्.. (१४) य मा रोग को जानने वाले जो संघा मक, वघातक और श दर हत अ न ह, वे य मा के साथ ही सु र चले गए और वहां जा कर न हो गए. (१४) यो नो अ ेषु वीरेषु यो नो गो वजा वषु. ादं नणुदाम स यो अ नजनयोपनः.. (१५) जो ाद हमारे अ , गाय , बक रय तथा वीरपु , पौ ा द म हम र भगाते ह. (१५) अ ये य वा पु षे यो गो यो अ े य वा. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व
आ है, उसे
नः
ादं नुदाम स यो अ नज वतयोपनः.. (१६)
जो ाद जीवन का म बगाड़ने वाला है, उसे हम मं बल से र भगाते ह. हे ाद अ न! हम तुझे मनु य , गाय और घोड़ से र भगाते ह. (१६) य मन् दे वा अमृजत य मन् मनु या उत. त मन् घृत तावो मृ ् वा वम ने दवं ह.. (१७) हे अ न! जस म दे वता और मनु य शु जा. (१७)
होते ह, उस म शु
हो कर तू भी वग को
स म ो अ नं आ त स नो मा यप मीः. अ ैव द द ह व योक् च सूय शे.. (१८) हे गाहप य अ न! तुम हमारा याग मत करो. तुम भलीभां त द त हो रही हो. तुम म आ तयां द जा रही ह. तुम चरकाल तक सूय के दशन कराने के लए द त रहो. (१८) सीसे मृड्ढ् वं नडे मृड्ढ् वम नौ संकसुके च यत्. अथो अ ां रामायां शीष मुपबहणे.. (१९) हे पु षो! तुम सर के रोग को सीसे म, नड नाम क घास म और काली भेड़ म शु करो. (१९) सीसे मलं साद य वा शीष मुपबहणे. अ ाम स यां मृ ् वा शु ा भवत य याः.. (२०) शु
हे पु षो! सर के रोग को त कए म था पत करो. मल को सीसे म तथा काली भेड़ म कर के वयं शु बनो. (२०) परं मृ यो अनु परे ह प थां य त एष इतरो दे वयानात्. च ु मते शृ वते ते वीमीहेमे वीरा बहवो भव तु.. (२१)
हे मृ यु! तू दे वयान से भ माग म जा. तू दशन और ो श तू सुन ले क हमारे ब त से वीर पु बढ़ते रहगे. (२१)
य से यु
है. इस लए
इमे जीवा व मृतैराववृ भूद ् भ ा दे व तन अ . ा चो अगाम नृतये हसाय सुवीरासो वदथमा वदे म.. (२२) ये ाणी मृ यु को र करने वाली श से यु हो गए. हम सुंदर वीर से संप हो कर नृ य, गान, हा य म रत ह. हम य क शंसा करते ए कहते ह क दे वता को आ त दे ना क याणकारी है. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इमं जीवे यः प र ध दधा म मैषां नु गादपरो अथमेतम्. शतं जीव तः शरदः पु ची तरो मृ युं दधतां पवतेन.. (२३) हे मनु यो! तुम अपनी मृ यु को प थर से दबाओ. म तु ह प थर उसे कोई अ य ा त न करे. तुम सौ वष तक जी वत रहो. (२३)
पी कवच दे ता ं.
आ रोहतायुजरसं वृणाना अनुपूव यतमाना य त थ. तान् व व ा सुज नमा सजोषाः सवमायुनयतु जीवनाय.. (२४) हे मनु यो! तुम वृ ाव था क द घ आयु को ा त करो. तुम सुंदर ज म वाले और मान ी त वाले हो. व ा तु ह द घ जीवन के हेतु पूण आयु दान कर. (२४) यथाहा यनुपूव भव त यथतव ऋतु भय त साकम्. यथा न पूवमपरो जहा येवा धातुरायूं ष क पयैषाम्.. (२५) जस कार ऋतुएं एक के पीछे सरी आती ह, जैसे दन एक के पीछे सरे आते ह, जैसे बाद वाला पहले का याग नह करता, हे माता! उसी कार कार इ ह आयु मान बनाओ. (२५) अ म वती रीयते सं रभ वं वीरय वं तरता सखायः. अ ा जहीत ये असन् रेवा अनमीवानु रेमा भ वाजान्.. (२६) हे मनु यो! यह नद पाषाण से यु बह रही है. वीरतापूवक इस नद के पार हो जाओ. अपने पाप को तुम इसी नद म डाल दो. इस के बाद हम रोग नवारक वेग को ा त कर. (२६) उ ता तरता सखायो ऽ म वती नद य दत इयम्. अ ा जहीत ये अस शवाः शवा योनानु रेमा भ वाजान्.. (२७) हे म ो! हे म ो! उठो और तैरना आरंभ करो. प थर वाली स रता तेजी से बह रही है. जो अक याणकारी ह. उ ह हम यह पर याग द. हम नद को पार करके सुख दे ने वाले अ क ा त कर. (२७) वै दे व वचस आ रभ वं शु ा भव तः शुचयः पावकाः. अ त ाम तो रता पदा न शतं हमाः सववीरा मदे म.. (२८) हे प व दे व वाली अ नयो! तुम शु होने के समय सब दे वता का तवन करो. ऋ वेद के पद से पाप को लांघते ए हम सौ हेमंत तक पु ा द स हत आनं दत रह. (२८) उद चीनैः प थ भवायुम
र त ाम तो ऽ वरान् परे भः.
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ः स त कृ व ऋषयः परेता मृ युं
यौहन् पदयोपनेन.. (२९)
परलोक गमन म वायु से पूण उ रायण माग म जाने वाले ऋ षय ने नकृ माग को लांघा था. उ ह ने मृ यु को भी इ क स बार पार कया था. (२९) मृ योः पदं योपय त एत ाघीय आयुः तरं दधानाः. आसीना मृ युं नुदता सध थे ऽ थ जीवासो वदथमा वदे म.. (३०) मृ यु के ल य को मत करने वाले ऋ ष आयु से प रपूण ह. तुम भी इस मृ यु को भगाओ. फर हम जीवन म य क तु त कर. (३०) इमा नारीर वधवाः सुप नीरा नेन स पषां सं पृश ताम्. अन वो अनमीवाः सुर ना आ रोह तु जनयो यो नम े.. (३१) ये यां सुंदर प तय से यु रह. ये वधवा न ह . ये अ ु ह . ये सुंदर अलंकार को धारण करने वाली ह तथा संतानो प रह. (३१)
से र हत और घृत से यु के हेतु मनु य यो न म ही
ाकरो म ह वषाहमेतौ तौ णा १हंक पया म. वधां पतृ यो अजरां कृणो म द घणायुषा स ममा सृजा म.. (३२) म उन दोन को मं श के ारा साम य वाला बनाता ं. म पतर क जीणता यु करता आ उ ह द घ आयु वाला बनाता ं. (३२)
वधा को
यो नो अ नः पतरो व १ तरा ववेशामृतो म यषु. म यहं तं प र गृह्णा म दे वं मा सो अ मान् त मा वयं मत्.. (३३) हे पतरो! न न होने वाले फल को दे ने वाले अ न हमारे दय म वराजमान ह. वे हम सब से े ष करने वाले न ह . हम भी उन के त े ष न कर. (३३) अपावृ य गाहप यात् यं पतृ य आ मने
ादा ेत द णा. यः कृणुता यम्.. (३४)
हे ा णयो! मं के ारा इस गाहप य अ न से र हटो तथा ाद अ न से द ण दशा को जाओ. वहां तु हारे लए और पतर के लए जो य हो, वही काय करो. (३४) भागधनमादाय णा यव या. अ नः पु य ये य यः ाद नरा हतः.. (३५) जो पु ष ाद अ न को नह छोड़ता, वह अपने ये पु को तथा अपने धन को लेता आ य का पा होता है. (३५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यत् कृषते यद् वनुते य च व नेन व दते. सव म य य त ा त ा चेद नरा हतः.. (३६) जो पु ष ाद अ न का सेवन करना न छोड़े, उस क कृ ष, सेवनीय व तु, ब मू य व तु आ द जो उस के पास है, वे शू य के समान रह जाती ह. (३६) अय यो हतवचा भव त नैनेन ह वर वे. छन कृ या गोधनाद् यं ादनुव .. (३७) जो पु ष ाद अ न को नह छोड़ता, वह य करने का अ धकारी नह रहता. उस का तेज न हो जाता है तथा आ त अथात् बुलाए गए दे वता उस के पास नह आते. (३७) मु गृ यैः वद या त म य नी य. ाद् यान नर तकादनु व ान् वताव त.. (३८) ाद अ न जस के पास रह कर ताप दे ता है, वह पु ष अ यंत था को ा त होता है. आव यक व तु के समेत उसे बारबार द न वचन कहने पड़ते ह. (३८) ा ा गृहाः सं सृ य ते ैव व ाने यो ३ यः
या य यते प तः. ादं नरादधत्.. (३९)
जो पु ष ाद अ न को पूण प से हण करता है, उस के लए घर कारागार के समान बन जाता है और ी का प त मृ यु को ा त होता है. उसे व ान् मनु य का आदे श मानना चा हए. (३१) यद् र ं शमलं चकृम य च कृतम्. आपो मा त मा छु भ व नेः संकसुका च यत्.. (४०) हम जो पाप कर चुके ह, उस पाप से तथा शव भ क अ न के पश के दोष से मुझे जल बचाएं. (४०) ता अधरा द चीराववृ न् जानतीः प थ भदवयानैः. पवत य वृषभ या ध पृ े नवा र त स रतः पुराणीः.. (४१) जल दे व माग के ारा द ण से उ र को जाते ह तथा नवीन बन कर वषा के पवत पर नद का प धारण कर लेते ह. (४१) अ ने अ
ा ः
हे गाहप य अ न! तुम वहन करो. (४२)
प
ादं नुदा दे वयजनं वह.. (४२) ाद अ न को हम से र करो तथा दे व पूजन क साम ी को
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इमं ादा ववेशायं ादम वगात्. ा ौ कृ वा नानानं तं हरा म शवापरम्.. (४३) इस पु ष ने ाद अ न का अपने घर म वेश कर लया है तथा यह उसी का अनुगामी हो गया है. म उन दोन को बाधक के समान मानता ं तथा इस ाद अ न को अलग करता ं. (४३) अ त धदवानां प र धमनु याणाम नगाहप य उभयान तरा दे वता के भीतरी और मनु य के प र ध के म य थ ह. (४४)
तः.. (४४)
प गाहप य अ न दे वता
और मनु य
जीवानामायुः तर वम ने पतॄणां लोकम प ग छ तु ये मृताः. सुगाहप यो वतप रा तमुषामुषां ेयस धे मै.. (४५) हे अ न! तुम जी वत क आयु क वृ करो तथा मृतक को दे वलोक म भेजो. गाहप य अ न श ु को जलाएं. हे गाहप य अ न! तुम मंगलमयी उषा को हम म त त करो. (४५) सवान ने सहमानः सप नानैषामूज र यम मासु धे ह.. (४६) हे अ न! तुम सब श ु करो. (४६)
को वश म करते ए उन के बल और धन को हम म
त त
इम म ं व प म वारभ वं स वो नव द् रतादव ात्. तेनाप हत श मापत तं तेन य प र पाता ताम्.. (४७) इन ऐ य वाली अ न का तवन करो. ये तु ह पाप से मु के बाण को र हटाते ए अपनी र ा करो. (४७)
कर. उन के ारा तुम
अनड् वाहं लवम वारभ वं स वो नव द् रतादव ात्. आ रोहत स वतुनावमेतां षड् भ व भरम त तरेम.. (४८) ह व प माता क वाहक अ न का तवन करो. वे पाप से तु हारी र ा कर. अ न स वता क नौका पर चढ़ कर छह दे वय के ारा हम बु से बचाएंगे. (४८) अहोरा े अ वे ष ब त े य त न् तरणः सुवीरः. अनातुरा सुमनस त प ब योगेव नः पु षग धरे ध.. (४९) हे गाहप य अ न! तुम दन और रात के आ य प होते ए हम ा त हो. तुम क याण द होते ए हम पु , पौ ा द से यु करते हो. तु हारी आराधना सुगम है. तुम हम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नीरोग तथा हष यु (४९)
करो तथा पयक (पलंग) पर चढ़ाते ए द घ काल तक द त होते रहो.
ते दे वे य आ वृ ते पापं जीव त सवदा. ाद् यान नर तकाद इवानुवपते नडम्.. (५०) जन का पाप अ ारा घास को कुचलने के समान ाद अ न को कुचलता है, पाप से अपनी जी वका चलाने वाले वे पु ष दे वयान के घातक ह. तू इस पशु धम पर चढ़. (५०) ये ऽ ा धनका या ादा समासते. ते वा अ येषां कु भ पयादध त सवदा.. (५१) जो मनु य धन क इ छा से र ा करते ह. (५१)
ाद अ न क सेवा करते ह, वे पु ष सदा सर क
ेव पप तष त मनसा मु रा वतते पुनः. ाद् यान नर तकादनु व ान् वताव त.. (५२) जस पु ष के पास आ कर ाद अ न तपती है, वह बारबार आवागमन के च पड़ा रहता है तथा अधोग त को ा त होता है. (५२)
म
अ वः कृ णा भागधेयं पशूनां सीसं ाद प च ं त आ ः. माषाः प ा भागधेयं ते ह मर या या ग रं सच व.. (५३) हे ाद अ न! काली भेड़, सीसा और चं मा को तेरा भाग माना जाता है तथा पसे ए उरद भी तेरे ह प ह. अतः तू फर जंगल म प ंच जा. (५३) इषीकां जरती म ् वा त प ं द डनं नडम्. त म इ मं कृ वा यम या नं नरादधौ.. (५४) पुरानी स क, दं ड, तल का ढे र तथा सरकंडे को इं ने धन बनाया और उस के ारा यम क इस अ न को पृथक् कर दया. (५४) य चमक यप य वा व ान् प थां व ा ववेश. परामीषामसून् ददे श द घणायुषा स ममा सृजा म.. (५५) गाहप य अ न सूय को अ पत हो कर दे वयान माग म व ई थी और जन के ाण को न कर दया, म उन यजमान को चर आयु से यु करता ं. (५५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -३
दे वता— वग अ न
पुमान् पुंसो ऽ ध त चम ह त य व यतमा या ते. याव ताव े थमं समेयथु तद् वां वयो यमरा ये समानम्.. (१) हे पु षाथ वाले पु ष! तू इस पशु धम पर चढ़ जा. तू अपने य य को भी बुला ले. पहले जतने प तप नय ने इस काय को कया, उन का और तु हारा समान फल हो. (१) तावद् वां च ु त त वीया ण तावत् तेज त तधा वा जना न. अ नः शरीरं सचते यदै धो ऽ धा प वा मथुना सं भवाथः.. (२) वग म तु हारे शरीर को यह अ न ही सं चत करेगी. उस समय तुम प व ओदन के भाव से इसी प म वग म होओगे. तुम से उ प शशु को भी दशन श तथा उसी कार का तेज ा त होगा. यह श दा मक य भी इसी कार अ न के यो य होगा. (२) सम मं लोके समु दे वयाने सं मा समेतं यमरा येषु. पूतौ प व ै प तद् वयेथां य द् रेतो अ ध वां संबभूव.. (३) इस ओदन के भाव से इस लोक म तुम दोन साथ रहो. तुम यम माग म तथा यह मेरे य म साथ ही रहो. इन प व य को पूरा करने के कारण तुम प व हो चुके हो. तुम ने जस जस काय के लए संकेत कया, तुम उन कम के फल ा त करो. (३) आप पु ासो अ भ सं वश व ममं जीवं जीवध याः समे य. तासां भज वममृतं यमा यमोदनं पच त वां ज न ी.. (४) हे प त और प नयो! तुम द घ पी जल हो. इस जीवन म ध य होते ए वेश करो. तु हारा उ पादन ज द ही ओदन को पकाता है. तुम उसी जल के अमृतमय अंश का सेवन करो. (४) यं वां पता पच त यं च माता र ा मु यै शमला च वाचः. स ओदनः शतधारः वग उभे ाप नभसी म ह वा.. (५) माता और पता य द वाणी ज य पाप से अथवा अ य पाप से नवृ होने के लए ओदन पकाते ह तो वह ओदन अपनी म हमा से वग और ावा पृ वी म ा त होता है. (५) उभे नभसी उभयां लोकान् ये य वनाम भ जताः वगाः. तेषां यो त मान् मधुमान् यो अ े त मन् पु ैजर स सं येथाम्.. (६) हे प त और प नी! यजमान आकाश और पृ वी पर तथा जन लोक म अ धकार पाते ह, उन म जो का शत और मधुमय लोक है. उस लोक को अथवा पृ वी और वग दोन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
लोक को ा त करो तथा संतान से संप होते ए वृ ाव था तक जी वत रहो. (६) ाच ाच दशमा रभेथामेतं लोकं द्दधानाः सच ते. यद् वां प वं प र व म नौ त य गु तये द पती सं येथाम्.. (७) हे प त और प नी! तुम पूव क ओर बढ़ो. उस वग पर ालु जन ही चढ़ पाते ह. तुम ने जो पका आ ओदन अ न पर रखा है उस क र ा के लए खड़े रहो. (७) द णां दशम भ न माणौ पयावतथाम भ पा मेतत्. त मन् वां यमः पतृ भः सं वदानः प वाय शम ब लं न य छात्.. (८) हे प त और प नी! तुम द ण क ओर जा कर इस क द णा करते ए आओ. असमय पतर से सहमत ए यमराज तु हारे ओदन के लए अनेक कार के क याण दान कर. (८) तीची दशा मय मद् वरं य यां सोमो अ धपा मृ डता च. त यां येथां सुकृतः सचेथामधा प वा मथुना सं भवाथः.. (९) प म दशा म वामी और सुख दे ने वाला ोम है, इस लए यह दशा े मानी जाती है. तुम इस दशा म पके ए ओदन को रख कर पु य कम का फल ा त करो. फर इस पके ए ओदन के भाव से तुम दोन वग और पृ वी पर कट होओ. (९) उ रं रा ं जयो रावद् दशामुद ची कुणव ो अ म्. पाङ् ं छ दः पु षो बभूव व ै व ा ै ः सह सं भवेम.. (१०) उ र दशा जा से यु है. यह े दशा हम को े ता दान करे. पं छं द ओदन के प म कट होता है. हम भी पृ वी और वग को अपने सभी अंग स हत ा त ह . (१०) ु ेयं वरा नमो अ व यै शवा पु े य उत म म तु. व सा नो दे दते व वार इय गोपा अ भ र प वम्.. (११) यह वरण करने यो य तथा खंड न होने वाली पृ वी है. यह हमारे लए सुख दे ने वाली हो. यह हमारे पु का मंगल करे तथा नयु र क के समान यह ओदन क र ा करे. (११) पतेव पु ान भ सं वज व नः शवा नो वाता इह वा तु भूमौ. यमोदनं पचतो दे वते इह त तप उत स यं च वे ु.. (१२) हे पृ वी! जस कार पता अपने पु का आ लगन करता है, उसी कार तुम इस ओदन का आ लगन करो. यहां मंगलमय व तु वा हत हो. तुम हमारे ओदन को तपाओ तथा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हमारे यथाथ संक प को जानो. (१२) य त् कृ णः शकुन एह ग वा सरन् वष ं बल आससाद. य ा दा या ३ ह ता समङ् उलूखलं मुसलं शु भतापः.. (१३) कौवे ने कपट कर के इस म बल बनाया हो अथवा दासी ने भीगे ए हाथ से मूसल और उलूखल का पश कर लया हो, तब भी यह मंगलकारक हो. (१३) अयं ावा पृथुबु नो वयोधाः पूतः प व ैरप ह तु र ः. आ रोह चम म ह शम य छ मा द पती पौ मघं न गाताम्.. (१४) यह ढ़ पाषाण ह व धारण करने वाला है. यह शु हो कर रा स को न करे. हे ओदन! तू चरम पर आता आ क याण करने वाला हो. इस दं पती के पौ को उन का पाप न छू सके. (१४) वन प तः सह दे वैन आगन् र ः पशाचाँ अपबाधमानः. स उ यातै वदा त वाचं तेन लोकां अ भ सवाजयेम.. (१५) यह वन प त रा स और पशाच को रोकती ई हम को ा त ई है. वह हम उ च वर वाला तथा सभी लोक पर वजय ा त करने वाला बनाए. (१५) स त मेधान् पशवः पयगृह्णन् य एषां यो त मां उत य कश. य ंशद् दे वता ता सच ते स नः वगम भ नेष लोकम्.. (१६) इन चावल म जो पतला, परंतु अ धक चमकता आ है, ऐसे सात चावल को लोग ने पशु के समान हण कया है. यह ततीस दे वता के ारा सेवन करने यो य है. यह ओदन हम को वग म प ंचाए. (१६) वग लोकम भ नो नया स सं जायया सह पु ैः याम. गृह्णा म ह तमनु मै व मा न तारी ऋ तम अरा तः.. (१७) हे ओदन! तू हम वग म लए जा रहा है. वहां हम ीपु ष स हत कट ह . पाप दे वता नऋ त और श ु वहां हम को अपने वश म न कर इस लए तू अनुगमन कर. म तेरे हाथ को पकड़ रहा ं. (१७) ा ह पा मानम त ताँ अयाम तमो य वदा स व गु. वान प य उ तो मा ज हसीमा त डु लं व शरीदवय तम्.. (१८) हे वन प त! तुम पाप से उ प होने वाले अंधकार को र करते ए मधुर श द करती हो. हम अपने पाप से पार हो जाएं. यह वन प त मेरी हसा न करे और न मुझे दे वमाग ा त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कराने वाले चावल क हसा करे. (१८) व चा घृतपृ ो भ व य सयो नल कमुप या ेतम्. वषवृ मुप य छ शूप तुषं पलावानप तद् वन ु .. (१९) हे ओदन! तू घृतपृ अथात् घी क पीठ वाला हो कर मत आ. तू परलोक म हमारे साथ कट होने के लए हमारे पास आ और वषा ऋतु म वृ उपकरण वाले प को ा त हो. वह तुझ से भूसी को अलग करे. (१९) यो लोकाः सं मता ा णेन ौरेवासौ पृ थ १ त र म्. अंशून् गृभी वा वारभेथामा याय तां पुनरा य तु शूपम्.. (२०) आकाश, अंत र और पृ वी इन तीन लोक को ा ण ा त कराता है. हे प त और प नी! तुम चावल को फटकना आरंभ करो. यह धान उछालते ए सूप को ा त हो. (२०) पृथग् पा ण ब धा पशूनामेक पो भव स सं समृ ा. एतां वचं लो हन तां नुद व ावा शु भा त मलग इव व ा.. (२१) हे धान! पशु व भ प वाले होते ह, परंतु तू एक ही ारा अपनी भूसी का याग कर. (२१)
प वाला है. तू पाषाण के
पृ थव वा पृ थ ामा वेशया म तनूः समानी वकृता त एषा. य द् ु ं ल खतमपणेन तेन मा सु ो णा प तद् वपा म.. (२२) हे मूसल! तू पृ वी का बना आ है. इस लए तू पृ वी ही है. पृ वी क तथा तेरी दे ह एक समान है. इस लए म पृ वी को ही पृ वी पर मार रहा ं. हे ओदन! मूसल के ा त होने से तेरे अंग म जो पीड़ा हो रही है, उस पीड़ा से तू भूसी से अलग हो कर छू ट जा. म तुझे मं ारा अ न को अ पत करता ं. (२२) ज न ीव त हया स सूनुं सं वा दधा म पृ थव पृ थ ा. उखा कु भी वे ां मा थ ा य ायुधैरा येना तष ा.. (२३) माता जस कार अपने पु को ा त करती है, उसी कार म मूसल पी पृ वी को पृ वी से मलाता ं. वेद म भी ओखली पी कुंभी अथात् पकाने वाला पा है, इस लए तू थत मत हो. तू य के आयुध ारा घृत से यु क जा चुक है. (२३) अ नः पचन् र तु वा पुर ता द ो र तु द णतो म वान्. व ण वा ं हा णे ती या उ रात् वा सोमः सं ददातै.. (२४) अ न पाचन अथात् पकाने के कम म तेरी र क हो. इं पूव से, म द्गण द ण से, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व ण प म से तथा सोम उ र दशा क ओर से तेरी र ा कर. (२४) पूताः प व ैः पव ते अ ाद् दवं च य त पृ थव च लोकान्. ता जीवला जीवध याः त ाः पा आ स ाः पय न र धाम्.. (२५) पु य कम ारा शु ए जल तुझे शु करने वाले ह . वे मेघ ारा आकाश म जाते और फर पृ वी पर आ कर मनु य क सेवा करते ह. जल पृ वी से पुनः अंत र म प ंचते ह तथा ा णय को सुखी करने वाले पा म थत होते ह. अ न इन आस होने वाले जल को सभी ओर द त कर. (२५) आ य त दवः पृ थव सच ते भू याः सच ते अ य त र म्. शु ाः सती ता उ शु भ त एव ता नः वगम भ लोकं नय तु.. (२६) आकाश से आने वाले ये जल पृ वी क सेवा करते ह तथा पृ वी से पुनः आकाश म प ंचते ह. ये प व जल प व ता दे ने वाले ह. ये जल हम को वग क ा त कराएं. (२६) उतेव वी त सं मतास उत शु ाः शुचय ामृतासः. ता ओदनं दं प त यां श ा आपः श तीः पचता सुनाथाः.. (२७) ये जल ेत रंग वाले, दमकते ए एवं अमृत के समान ह. हे जलो! इस दं पती ारा डाले जाने पर ओदन को शु करते ए पकाओ. (२७) सं याता तोकाः पृ थव सच ते ाणापानैः सं मता ओषधी भः. असं याता ओ यमानाः सुवणाः सव ापुः शुचयः शु च वम्.. (२८) ाण, अपान तथा समान व प ओष धय से यु पृ वी का सेचन करते ह और शोभन वण वाले जीव म व असं य जल शु ता दे ते ए ा त होते ह. (२८) उ ोध य भ व ग त त ताः फेनम य त ब लां ब न्. योषेव ् वा प तमृ वयायैतै त डु लैभवता समापः.. (२९) ताप दे ने पर ये जल श द करते ह तथा बूंद को उड़ाते ए यु सा करते ह. हे जलो! जस कार प त को दे ख कर प नी उस से मल जाती है, उसी कार तुम ऋतु म होने वाले य के न म चावल म मल जाओ. (२९) उ थापय सीदतो बु न एनान रा मानम भ सं पृश ताम्. अमा स पा ै दकं यदे त मता त डु लाः दशो यद माः.. (३०) हे ओदन क अ ध ा ी दे वी! मूसल क जड़ से थत होते ए इन चावल को उठाओ. ये जल से मल. हे यजमान! तू जल को पा ारा नाप रहा है. इधर ये चावल भी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नप गए ह. इ ह जल म डालने क अनु ा दान कर. (३०) य छ पशु वरया हरौषम हस त ओषधीदा तु पवन्. यासां सोमः प र रा यं बभूवाम युता नो वी धो भव तु.. (३१) कलछ को चलाओ और जो चावल पक चुके ह, उ ह ले लो. ये कसी क हसा न करते ए येक पव म ओष ध पी फल ा त कर. जन लता का राजा सोम है, ये लताएं मो करने वाली ह . (३१) नवं ब हरोदनाय तृणीत यं द ष ु ो व व तु. त मन् दे वाः सह दै वी वश वमं ा वृतु भ नष .. (३२) ओदन रखने के लए नवीन कुशा फैला दो. यह कुशा का आसन दय और ने को सुंदर लगे. दे वता उस पर अपनी प नय स हत वराजमान होते ए इस ओदन का सेवन कर. (३२) वन पते तीणमा सीद ब हर न ोमैः सं मतो दे वता भः. व ेव पं सुकृतं व ध यैना एहाः प र पा े द ाम्.. (३३) हे वन प त! कुशा बछा द है. तुम उस पर बैठो. दे वता ने तु ह अ न सोम के समान समझा है. व ध त ने उसे व ा के समान शोभन प दया है. वह अब पा म दखाई दे ता है. (३३) ष ां शर सु न धपा अभी छात् वः प वेना य वातै. उपैनं जीवान् पतर पु ा एतं वग गमया तम नेः.. (३४) इस न ध का र क यजमान इस पके ए ओदन के भ ण का फल वग म साठ वष प ात ा त करे. हे यश के अ भमानी दे व! तुम इस यजमान को वग ा त कराते ए इस के पतर , पु आ द को भी इस के समीप रखो. (३४) धता य व ध णे पृ थ ा अ युतं वा दे वता यावय तु. तं वा द पती जीव तौ जीवपु ावुद ् वासयातः पय नधानात्.. (३५) हे ओदन! तू धारण करने वाला है. इस लए भू म के थान म त त हो. तू अ युत है, दे वता तुझे युत न कर. जी वत पु वाले प तप नी तुझे धान के ारा पु कर. (३५) सवा समागा अ भ ज य लोकान् याव तः कामाः समतीतृप तान्. व गाहेथामायवनं च द वरेक मन् पा े अ यु रैनम्.. (३६) हे ओदन! तू सभी लोक पर वजय ा त करता आ आ. तू हमारी सभी इ छा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को
पूरी तरह तृ त कर. कलछ को घुमाते ए प तप नी ओदन को नकाल कर पा म थत कर. (३६) उप तृणी ह थय पुर ताद् घृतेन पा म भ घारयैतत्. वा ेवो ा त णं तन यु ममं दे वासो अ भ हङ् कृणोत.. (३७) तुम इसे परोस कर फैलाओ तथा इस म घी डालो. हे दे वगण! ध पीने वाले को दे ख कर धा गाएं ध पीने वाले बछड़े को दे खकर श द करती ई जस कार उस क ओर दौड़ती ह, उसी कार इस तैयार ओदन क ओर तुम श द करो. (३७) उपा तरीरकरो लोकमेतमु ः थतामसमः वगः. त म यातै म हषः सुपण दे वा एनं दे वता यः य छान्.. (३८) हे यजमान! ओदन परोस कर तुम ने इस लोक को वश म कर लया है. उस के भाव से वग के यही ओदन तुझे अ धक बढ़े ए ा त ह . हे प त और प नी! यह सुंदर म हमा वाला और गमनशील ओदन तु ह वग को ा त कराए. दे वता इस यजमान को दे व के समीप प ंचा द. (३८) य जाया पच त वम् परः परः प तवा जाये वत् तरः. सं तत् सृजेथां सह वां तद तु संपादय तौ सह लोकमेकम्.. (३९) हे जाया! तू इस ओदन को पकाती है. य द तू अपने प त से पहले चली जाए तो तुम दोन वग म मल जाना. तुम दोन एक लोक म रहो तथा यह ओदन भी वहां तु हारे पास रहे. (३९) याव तो अ याः पृ थव सच ते अ मत् पु ाः प र ये संबभूवुः. सवा तां उप पा े येथां ना भ जानानाः शशवः समायान्.. (४०) हे यजमान! तुम अपनी प नी और सब पु को इस पा के पास बुलाओ. वे बालक अपनी ना भ (क ) को जानते ए यहां आएं (४०) वसोया धारा मधुना पीना घृतेन म ा अमृत य नाभयः. सवा ता अव धे वगः ष ां शर सु न धपा अभी छात्.. (४१) वसुयु ओदन क मधु के ारा मोट बनी ई धाराएं घी से मली ई ह. वग अमृत क थाली के समान है. वग इन को रोकता है. वसु क धाराएं न ध क र क ह. मनु य साठ वष क अव था म इन क इ छा करे. (४१) न ध न धपा अ येन म छादनी रा अ भतः स तु ये ३ ये. अ मा भद ो न हतः वग भः का डै ी वगान त्.. (४२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यजमान को इस न ध क कामना करनी चा हए. हमारे ारा दया आ भात धरोहर के प म है. यह ओदन वगगामी होता आ अपने तीन कांड स हत वग म प ंचे. (४२) अ नी र तपतु यद् वदे वं ात् पशाच इह मा पा त. नुदाम एनमप मो अ मदा द या एनम रसः सच ताम्.. (४३) जो रा स मेरे कम फल म बाधा प ंचाते ह. ये अ न दे व उ ह बा धत कर अथात् रोक. ाद और पशाच हमारा शोषण न कर. इस रा स को यहां आने से रोकते ए हम भागते ह. आं गरस और सूय इस रा स को वश म कर. (४३) आ द ये यो अ रो यो म वदं घृतेन म ं त वेदया म. शु ह तौ ा ण या नह यैतं वग सुकृतावपीतम्.. (४४) म यह घृत यु मधु आं गरस तथा आ द य के हेतु नवे दत करता ं. ा ण के प व हाथ फल के प म इस ओदन को वग म प ंचाएं. (४४) इदं ापमु मं का डम य य मा लोकात् परमे ी समाप. आ स च स पघृतवत् समङ् येष भागो अ रसो नो अ .. (४५) जाप त ने जस दखाई दे ते ए कांड के ारा फल ा त कया था. उस उ म कांड को म ने भी ा त कर लया है. इसे घृत से स चो. यह घृत यु भाग हम अं गरा गो वाले ऋ षय का है. (४५) स याय च तपसे दे वता यो न ध शेव ध प र दद्म एतम्. मा नो ूते ऽ व गा मा स म यां मा मा य मा उ सृजता पुरा मत्.. (४६) सत अथात् थायी फल के न म हम यह ओदन प धरोहर दे वता को स पते ह. पर पर कम के आदान दान प ूत म तथा स म त म भी यह हम से अलग न हो. इसे अ य पु ष का भो य मत बनाओ. (४६) अहं पचा यहं ददा म ममे कमन् क णे ऽ ध जाया. कौमारो लोको अज न पु ो ३ वारभेथां वय उ रावत्.. (४७) पाक या करने वाला म ही इस का दान कर रहा ं. हे य ा मक कम! इस काय म मेरे साथ मेरी प नी भी सहयोग कर रही है. हमारे घर म कुमार अव था वाला एक पु है. हम इस उ म कम प य ा के पाक तथा दान आ द कम को उसके क याण के हेतु करते ह. (४७) न क बषम नाधारो अ त न य म ैः समममान ए त. अनूनं पा ं न हतं न एतत् प ारं प वः पुनरा वशा त.. (४८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इस कम म कसी कार का हेरफेर नह है. इस का कोई अ य आधार भी नह है. यह अपने म के साथ मल कर भी नह आता है. यह जो पूण पा रखा गया है, वही पकाने वाले को पुनः ा त हो जाता है. (४८) यं याणां कुणवाम तम ते य तु यतमे ष त. धेनुरनड् वान् वयोवय आयदे व पौ षेयमप मृ युं नुद तु.. (४९) हे यजमान! य से भी य फल वाले कम को भी हम तेरे लए करते ह. तेरे े षी पु ष नरक के प अंधकार क करे. गौ, बेल, अ , आयु और पु षाथ ये हमारे समीप आते ए अपमृ यु आ द को र भगाएं. (४९) सम नयो व र यो अ यं य ओषधीः सचते य स धून्. याव तो दे वा द ा ३ तप त हर यं यो तः पचतो बभूव.. (५०) ओष धय का भ ण करने वाले अ न तथा जल के सेवन कता अ न एक सरे को जानते ह. उन के अ त र अ य अ न भी इस कम को जानते ह. दे वता के तप, सुवण तथा चमचमाते ए अ य पदाथ पाक कम करने वाले को ा त होते ह. (५०) एषा वचां पु षे सं बभूवान नाः सव पशवो ये अ ये. ेणा मानं प र धापयाथो ऽ मोतं वासो मुखमोदन य.. (५१) ये पशु चम से आ छा दत दखाई पड़ते ह. इन क वचा पहले पु ष म थी. हे प त और प नी! तुम अपने को मा तेज से संप करो तथा इस भात के मुख को ढक दो. (५१) यद ेषु वदा यत् स म यां य ा वदा अनृतं व का या. समानं त तुम भ संवसानौ त म सव शमलं सादयाथः.. (५२) ूत कम म अथवा यु म धन ा त क अ भलाषा से तुम ने जो म या भाषण कया है, सम त तंतु से बने इस व से ढकते ए अ न म उस दोष को व कर दो. (५२) वष वनु वा प ग छ दे वां वचो धूमं पयु पातया स. व चा घृतपृ ो भ व य सयो नल कमुप या ेतम्.. (५३) हे ओदन! तू फल क वषा करने वाला हो. तू दे वता के पास जा कर अपनी वचा को धुएं के समान उछालना. तू घृत पृ होता आ अनेक कार से पू जत हो कर तथा समान उ प वाला बन कर इस पु ष को वग म ा त हो. (५३) त वं वग ब धा व च े यथा वद आ म यवणाम्. अपाजैत् कृ णां शत पुनानो या लो हनी तां ते अ नौ जुहो म.. (५४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यह ओदन वग म अपनेआप को उसी कार अनेक आकार वाला बना लेने म समथ है. जस कार आ मा ानी को अनेक कार का बना दे ता है तथा का लमा को शु करता जाता है, उसी कार म तेरे प को अ न म होम करता ं. (५४) ा यै वा दशे ३ नये ऽ धपतये ऽ सताय र आ द यायेषुमते. एतं प र दद्म तं नो गोपायता माकमैतोः. द ं नो अ जरसे न नेष जरा मृ यवे प र णो ददा वथ प वेन सहं सं भवेम.. (५५) हम तुझे पूव दशा, अ न, काले सप और आ द य को दान करते ह. तू हमारे यहां से जाने तक इस पु ष क र ा कर. इसे वृ ाव था तक हम को माननीय प म ा त कराओ. हमारी वृ ाव था ही इसे मृ यु दान कर. हम इस पके ए ओदन स हत वग वासी होते ए आनंद को ा त कर. (५५) द णायै वा दश इ ाया ऽ धपतये तर राजये र े यमायेषुमते. एतं प र दद्म तं नो गोपायता माकमैतोः. द ं नो अ जरसे न नेष जरा मृ यवे प र णो ददा वथ प वेन सह सं भवेम.. (५६) हम तुझे द ण दशा, इं , तर ी सप और यम को दान करते ह. तू हमारे यहां से जाने तक इस क र ा कर. इसे वृ ाव था तक हम भा य प म ा त कर. हमारी वृ ाव था इसे मृ यु दान करे. (५६) ती यै वा दशे व णाया ऽ धपतये पृदाकवे र े ऽ ायेषुमते. एतं प र दद्म तं नो गोपायता माकमैतोः. द ं नो अ जरसे न नेष जरा मृ यवे प र णो ददा वथ प वेन सह सं भवेम.. (५७) हम तुझे प म दशा, व ण, पृदाकू सप तथा व णधारी अ को दान करते ह. तू हमारे यहां से थान करने तक इस क र ा कर. इसे वृ ाव था तक भा य प म हम ा त करा. हमारी वृ ाव था ही इसे मृ यु दान करे और मरने पर हम इस पके ए ओदन स हत वग म जा कर आनंद ा त कर. (५७) उद यै वा दशे सोमाया धपतये वजाय र े ऽ श या इषुम यै. एतं प र दद्म तं नो गोपायता माकमैतोः. द ं नो अ जरसे न नेष जरा मृ यवे प र णो ददा वथ प वेन सह सं भवेम.. (५८) हम तुझे उ र दशा, सोम, वज नामक सप एवं अश न को दान करते ह. तू हमारे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यहां से थान करने तक इस क र ा कर. इसे वृ ाव था तक भा य के प म हम ा त करा. हमारी वृ ाव था इसे मृ यु दान करे. मरने पर हम इस पके ए ओदन के साथ वग म आनंद ा त कर. (५८) ु ायै वा दशे व णवे ऽ धपतये क माष ीवाय र व ओषधी य इषुमती यः. एतं प र दद्म तं नो गोपायता माकमैतोः. द ं नो अ जरसे न नेष जरा मृ यवे प र णो ददा वथ प वेन सह सं भवेम.. (५९) हे ओदन! हम तुझे ुव अथात् नीचे क ओर वाली दशा, उस के अ धप त व णु, संर ण कता क माष ीव नामक सप और इषुमती ओष धय को दे ते ह. तुम हमारे जाने के समय तक इस क र ा करो. उसे हमारे कम के फल व प जीण अव था ा त कराओ. जीणाव था इसे मृ यु को स पे. इस पके ए अ के साथ हम पुनः उ प ह गे. (५९) ऊ वायै वा दशे बृह पतये ऽ धपतये ाय र े वषायेषुमते. एतं प र दद्म तं नो गोपायता माकमैतोः. द ं नो अ जरसे न नेष जरा मृ यवे प र णो ददा वथ प वेन सह सं भवेम.. (६०) हम तुझे ऊ व दशा, बृह प त, सप और इषुमान वष को दे ते है. हमारे यहां से थान करने तक तू इस क र ा कर. इसे वृ ाव था तक हमारे भा य के प म ा त करा. वृ ाव था मृ यु दान करे. मरने पर हम इस सुप व ओदन स हत वगगामी ह तथा वहां आनंद ा त कर. (६०)
सू -४
दे वता—वशा
ददामी येव ूयादनु चैनामभु सत. वशां यो याच य तत् जावदप यवत्.. (१) म मांगने वाले ा ण को दे ता ं, ऐसा कह कर उ र दे , फर वे ा ण कह क यह कम यजमान को संतान आ द से संप कराने वाला हो. (१) जया स व णीते पशु भ ोप द य त. य आषये यो याच यो दे वानां गां न द स त.. (२) जो पु ष ऋ षय स हत मांगने वाले ा ण को दे वता के न म गोदान नह करता, वह अपनी संतान व य करने वाला होता आ पशु से हीन हो जाता है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कूटया य सं शीय ते ोणया काटमद त. ब डया द ते गृहाः काणया द यते वम्.. (३) वशा गौ के कूटा अथात् बना स ग वाले अंग के कारण दान न करने वाले के पदाथ समा त हो जाते ह. दान न करने वाला लकड़ी से गाय के सीग के थान को पी ड़त करता है. बंडी अथात् बना स ग वाली गाय दे ने से उस के घर का नाश हो जाता है तथा कानी गाय दे ने से धन चला जाता है. (३) वलो हतो अ ध ाना छ नो व द त गोप तम्. तथा वशायाः सं व ं रद ना १ यसे.. (४) बना यायी ई गौ दमना कहती है. गौ के वामी को वशा के अ ध ान अथात् रहने के थान से वलो हत श और सं व अथात् र वर ा त होता है. (४) पदोर या अ ध ानाद् व ल नाम व द त. अनामनात् सं शीय ते या मुखेनोप ज त.. (५) गौ के वामी को वशा अथात् बना यायी गाय के पांव के थान से व लं नाम क वप मलती है. उस के सूंघने से बना जाने ही उस के पदाथ न हो जाते ह. (५) यो अ याः कणावा कुनो या स दे वेषु वृ ते. ल म कुव इ त म यते कनीयः कृणुते वम्.. (६) वशा गौ के कान को ःख दे ने वाला दे वता पर हार करता है. जो अपनेआप को इस गाय के कंध पर च न करने वाला मानता है, वह अपनेआप को छोटा बना लेता है. (६) यद याः क मै चद् भोगाय बालान् क त् कृ त त. ततः कशोरा य ते व सां घातुको वृकः.. (७) कसी भोग के न म इस वशा गाय के बाल को काटने से काटने वाले का युवा पु मृ यु को ा त होता है तथा उस के पु का संहार शृगाल अथात् सयार करते ह. (७) यद या गोपतौ स या लोम वाङ् ो अजी हडत्. ततः कुमारा य ते य मो व द यनामनात्.. (८) गौ के वामी क उप थ त म य द गाय के बाल को कौआ नौचता है तो उस के पु मर जाते ह तथा वह वयं य रोग को ा त होता है. (८) यद याः प पूलनं शकृद् दासी सम य त. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ततो ऽ प पं जायते त माद े यदे नसः.. (९) य द गाय के गोबर आ द को दासी फकती है तो गाय का वामी उस पाप से नह छू ट पाता तथा कु प हो जाता है. (९) जायमाना भ जायते दे वा स ा णान् वशा. त माद् यो दे यैषा तदा ः व य गोपनम्.. (१०) वशा अथात् तुरंत यायी ई गाय दे वता और ा ण के लए ही कट होती है. इस लए ा ण को उस का दान दे ना ही अपनी र ा करना है, ऐसा व ान् लोग कहते ह. (१०) य एनां व नमाय त तेषां दे वकृता वशा. येयं तद ुवन् य एनां न यायते.. (११) जो लोग गाय को परम य समझते ए उस क सेवा करते ह उन के लए यह होती है, ऐसा व ान का कथन है. (११)
या
य आषये यो याच यो दे वानां गां न द स त. आ स दे वेषु वृ ते ा णानां च म यवे.. (१२) जो दे वता क गाय को ऋ ष पु वाले ा ण को नह दे ना चाहता है, वह कोप के कारण दे वता के ारा नाश को ा त होता है. (१२) यो अ य याद् वशा ऽ भोगो अ या म छे त त ह सः. ह ते अद ा पु षं या चतां च न द स त.. (१३) य द वशा अथात् तुरंत यायी ई गाय उस के वामी के लए उपभोग यो य हो तो वह अ य गाय क कामना करे. जो पु ष याचक को वशा गाय का दान नह दे ता है तो यह दान न क ई वशा गौ उसे न कर दे ती है. (१३) यथा शेव ध न हतो ा णानां तथा वशा. तामेतद छाय त य मन् क मं जायते.. (१४) वशा गाय ा ण क धरोहर के समान होती है. यह गाय वा तव म ा ण क ही है. वह चाहे जस के घर म कट हो जाए, ये ा ण गो वामी के सामने आ कर इस गाय को मांगते ह. (१४) वमेतद छाय त यद् वशां ा णा अ भ. यथैनान य मन् जनीयादे वा या नरोधनम्.. (१५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वशा गाय के सामने आने वाले ा ण अपने ही धन के समान उस के पास जाते ह. इ ह व जत करना अथात् इ ह रोकना गाय के वामी को हा न प ंचाता है. (१५) चरेदेवा ह ै ायणाद व ातगदा सती. वशां च व ा ारद ा णा त याः.. (१६) हे नारद! यह धेनु अ वजात गद अथात् रोग को न जानती ई तीन वष तक वचरण करे अथवा घास आ द खाए. यजमान इस के बाद इस धेनु को वशा मानता आ ा ण क खोज करे. (१६) य एनामवशामाह दे वानां न हतं न धम्. उभौ त मै भवाशव प र येषुम यतः.. (१७) यह वशा इन दे वता क धरोहर के प म है. इस वशा को जो मनु य अवशा कहता है वह भव और शव के बाण का ल य बनता है. (१७) यो अ या ऊधो न वेदाथो अ या तनानुत. उभयेनैवा मै हे दातुं चेदशकद् वशाम्.. (१८) जो मनु य इस वशा के थन और ऊधस अथात् ऐन को जानता आ इस का दान करता है, यह वशा उसे अपने थन और उन दोन के ारा फल दे ने वाली होती है. (१८) रद नैनमा शये या चतां च न द स त. ना मै कामाः समृ य ते सामद वा चक ष त.. (१९) जो मांगने पर उस वशा का दान नह करता है, उस को द न अथात् वश म न आने वाली दशा जकड़ लेती है. जो उसे अपने पास ही रखना चाहता है, उस क इ छाएं पूण नह होत . (१९) दे वा वशामयाचन् मुखं कृ वा ा णम्. तेषां सवषामदद े डं ये त मानुषः.. (२०) के
ा ण को अपना मुख बना कर दे वता वशा को मांगते ह. इसे न दे ने वाला मनु य उन ोध का ल य बनता है. (२०) हेडं पशूनां ये त ा णे यो ऽ ददद् वशाम्. दे वानां न हतं भागं म य े यायते.. (२१)
जो पु ष दे वता क धरोहर प भाग को अपना अ यंत य समझता है, वह ा ण को वशा का दमन करने के कारण पशु का ोध ा त करता है. (२१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यद ये शतं याचेयु ा णा गोप त वशाम्. अथैनां दे वा अ ुव ेवं ह व षो वशा.. (२२) गौ के वामी से चाहे अ य सैकड़ होती है, ऐसी दे व क उ है. (२२)
ा ण वशा क याचना कर, पर वशा व ान् क
य एवं व षे ऽ द वाथा ये यो ददद् वशाम्. गा त मा अ ध ाने पृ थवी सहदे वता… (२३) जो पु ष व ान् को गौ न दे ता आ, अ य ा ण को दे ता है, उस के लए पृ वी दे वता स हत गम हो जाती है. (२३) दे वा वशामयाचन् य म े अजायत. तामेतां व ा ारदः सह दे वै दाजत… (२४) जस के सामने वशा कट होती है, दे वता उस से वशा मांगते ह. यह जान कर नारद भी दे वता स हत वहां प ंच गए. (२४) अनप यम पपशुं वशा कृणो त पू षम्. ा णै या चतामथैनां न यायते… (२५) ा ण के ारा मांगी गई वशा को जो पु ष अ यंत य मानता आ नह दे ता है, वही वशा उसे संतानहीन तथा अ य पशु वाला बना दे ती है. (२५) अ नीषोमा यां कामाय म ाय व णाय च. ते यो याच त ा णा ते वा वृ ते ऽ ददत्… (२६) ा ण सोम के लए, अ न के लए, काम के लए और म ाव ण के लए वशा को मांगते ह. वशा न दे ने पर ये वशा के वामी को काटते ह. (२६) यावद या गोप तन पशृणुया चः वयम्. चरेद य तावद् गोषु ना य ु वा गृहे वसेत… ् (२७) गौ का वामी जब तक गौ के संबंध म कोई संक प न करे, तब तक वह उस क गाय म वचरे, फर उस के घर म वास न करे. (२७) यो अ या ऋच उप ु याथ गो वचीचरत्. आयु त य भू त च दे वा वृ त ही डताः… (२८) जो संक प प वाणी के प ात भी अपनी गाय म वचरण करता है, वह दे वता का अपमान करता है और दे वता ारा ही अपनी आयु और ऐ य को न करने वाला होता है. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(२८) वशा चर ती ब धा दे वानां न हतो न धः. आ व कृणु व पा ण यदा थाम जघांस त… (२९) दे वता क न ध प वशा अनेक कार से वचरण करती ई जब थान को न करना चाहती है, तब व भ प को कट करती है. (२९) आ वरा मानं कृणुते यदा थाम जघांस त. अथो ह यो वशा या याय कृणुते मनः... (३०) जब वशा अपने थान का नाश करने क इ छा करती है, तब वह ा ण के ारा मांगे जाने क इ छा करती ई अनेक प को कट करती है. (३०) मनसा सं क पय त तद् दे वाँ अ प ग छ त. ततो ह ाणो वशामुप य त या चतुम्… (३१) वशा जब इ छा करती है, तब उस क इ छा दे वता वशा को मांगने के लए उस के पास आते ह. (३१)
के पास जाती है. तब ा ण
वधाकारेण पतृ यो य ेन दे वता यः. दानेन राज यो वशाया मातुहडं न ग छ त... (३२) पतर के लए वधा करने से, दे वता के व भ य करने से तथा वशा का दान करने से य अपनी माता का ोध ा त नह करता है. (३२) वशा माता राज य य तथा संभूतम शः. त या आ रनपणं यद् यः द यते.. (३३) वशा य क माता है. वशा का समूह पहले कट आ था. ा ण को वशा का दान करने से पहले उस वशा को अनपण अथात् अपण न क ई कहा जाता है. (३३) यथा यं गृहीतमालु पेत् ुचो अ नये. एवा ह यो वशाम नय आ वृ ते ऽ ददत्.. (३४) हण कया आ घृत जस कार ुवा से अ न के लए पृथक् होता है, उसी कार अ न का यान करते ए ा ण के लए वशा का दान करना चा हए. (३४) पुरोडाशव सा सु घा लोके ऽ मा उप त त. सा मै सवान् कामान् वशा द षे हे… (३५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सुंदरता और सुख से हाने वाली वशा इस लोक म यजमान के पास रहती है. यजमान जब वशा का दान करता है तो वह उसे सभी अभी दान करती है. (३५) सवान् कामान् यमरा ये वशा द षे हे. अथा नारकं लोकं न धान य या चताम्… (३६) यह वशा यम के रा य म दाता क सभी कामना को पूरा करने वाली है. मांगी ई वशा के न दे ने पर नरक ा त होता है, ऐसा व ान का कथन है. (३६) वीयमाना चर त ु ा गोपतये वशा. वेहतं मा म यमानो मृ योः पाशेषु ब यताम्.. (३७) ोध म भरी ई वशा गाय अपने वामी को खाती ई सी घूमती है. वह कहती है क मुझ गभघा तनी को अपनी जानने वाला मूख मृ यु के बंधन म पड़े. (३७) यो वेहतं म यमानो ऽ मा च पचते वशाम्. अ य य पु ान् पौ ां याचयते बृह प तः. (३८) यह वशा अ य गाय म ताप बढ़ाती ई घूमती है. य द इस का वामी इसे दान नह करता तो वह उस के लए वष का दोहन करती है. (३८) महदे षाव तप त चर ती गोषु गौर प. अथो ह गोपतये वशाद षे वषं हे.. (३९) जो गभघा तनी वशा को अपनी मानता है या उस का पाचन करता है, बृह प त उस के पु , पौ आ द को लेने क इ छा करते ह. (३९) यं पशूनां भव त यद् यः द यते. अथो वशाया तत् यं यद् दे व ा ह वः यात्.. (४०) ा ण को वशा का दान कर दे ने पर वशा का वामी पशु दे वता को ह व के प म दान क जाती है. (४०)
का
य होता है. वशा
या वशा उदक पयन् दे वा य ा दे य. तासां व ल यं भीमामुदाकु त नारदः.. (४१) य से लौट कर दे वता ने वशा का नमाण कया, तब नारद ने अ धक घी वाली और वशालकाय वशा को वीकार कया. (४१) तां दे वा अमीमांस त वशेया ३ मवशे त. ताम वी ारद एषा वशानां वशतमे त.. (४२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उस समय दे वता ने यह कहा क यह वशा अवशा है अथात् इस पर कसी का अ धकार नह है. नारद ने उसे वशा म परम वशा अथात् सब से वही वशा बनाया. (४२) क त नु वशा नारद या वं वे थ मनु यजाः. ता वा पृ छा म व ांसं क या ना ीयाद ा णः.. (४३) हे नारद! तुम ऐसी कतनी गाय को जानने वाले हो जो मनु य म कट होती ह. तुम व ान् हो, इसी कारण म तुम से पूछता ं. अ ा ण वशा के ाशन अथात् खाने से बचे. (४३) व ल या बृह पते या च सूतवशा वशा. त या ना ीयाद ा णो य आशंसेत भू याम्.. (४४) हे बृह प त! जो अ ा ण ऐ य चाहे वह व ल ती अथात् वशेष योजन म ल त सूतवशा और वशा का भोजन न करे. (४४) नम ते अ तु नारदानु ु व षे वशा. कतमासां भीमतमा यामद वा पराभवेत्.. (४५) हे नारद! तु ह नम कार है. वशा व ान् क तु त के अनुकूल ही है. इन म भयंकर वशा कौन सी है, जस का दान न करने पर पराजय ा त होती है. (४५) व ल ती या बृह पते ऽ थो सूतवशा वशा. त या ना ीयाद ा णो य आशंसेत भू याम्.. (४६) हे बृह प त! ऐ य क का भोजन न करे. (४६)
ाथना करने वाला अ ा ण व ल ती और सूत वशा और वशा
ी ण वै वशाजाता न व ल ती सूतवशा वशा. ताः य छे द ् यः सो ऽ ना कः जापतौ.. (४७) वशा के तीन भेद होते ह— व ल ती, सूत वशा और वशा. इ ह ा ण को दान कर दे तो वह जाप त को ोध उ प करने वाला नह होता है. (४७) एतद् वो ा णा ह व र त म वीत या चतः. वशां चेदेनं याचेयुया भीमाद षो गृहे.. (४८) दान करने वाले के घर म य द भीमा वशा है तो उस वशा क याचना करने पर यह कहे क हे ा णो! यह तु हारे लए ह व है. (४८) दे वा वशां पयवदन् न नो ऽ दा द त ही डताः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एता भऋ भभदं त माद् वै स पराभवत्.. (४९) ो धत दे वता ने वशा से कहा क इस यजमान ने हम को दान नह कया, यह दान न करने वाला इसी कारण परा जत होता है. (४९) उतैनां भेदो नाददाद् वशा म े ण या चतः. त मात् तं दे वा आगसो ऽ वृ हमु रे.. (५०) इं के ाथना करने पर भी य द वशा का दान न करे तो उस से इस पाप के कारण दे वता अहंकार ा त कर के उसे मटा दे ते ह. (५०) ये वशाया अदानाय वद त प ररा पणः. इ य म यवे जा मा आ वृ ते आ च या.. (५१) जो लोग वशा का दान न करने का परामश दे ते ह, वे मूख लोग इं के कोप के कारण वयं न हो जाते ह. (५१) ये गोप त पराणीयाथा मा ददा इ त. या तां ते हे त प र य य च य.. (५२) जो लोग वशा गौ के वामी से उस का दान न करने के लए कहते ह, वे मूख इं के आयुध व के ल य बनते ह. (५२) य द तां य ताममा च पचते वशाम्. दे वा स ा णानृ वा ज ो लोका ऋ छ त.. (५३) त अथात् दान म द गई या अ त अथात् दान म न द गई वशा का पालन करने वाला दे वता और ा ण का अपमान करने वाला होता है. वह इस लोक म बुरी ग त ा त करता है. (५३)
दे वता—
सू -५ मेण तपसा सृ ा
णा व त
तप के ारा वर चत तथा पर है. (१) स येनावृता
ता.. (१) म आ त इस धेनु को ा ण ने यम से ा त कया
या ावृता यशसा परीवृता.. (२)
यह धेनु स य, संप
गवी
और यश से प रपूण है. (२)
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वधया प र हता नधनम्.. (३)
या पयूढा द या गु ता य े
त ता लोको
यह धेनु ा से ा त, वधा से यु और द ा के ारा र त है. यह मन से त त है. य का इस क ओर डालना मृ यु के समान है. (३) पदवायं ा णो ऽ धप तः.. (४) इस धेनु के ारा
पद ा त होता है. इस गौ का वामी ा ण ही है. (४)
तामाददान य गव जनतो ा णं य य. अप ाम त सूनृता वीय १ पु या ल मीः.. (५-६) जो य ा ण क इस कार क गौ का अपहरण करता है और ा ण को खी करता है, उस क ल मी, श और य वाणी पलायन कर जाती है. (५-६)
दे वता—
सू -६ ओज तेज सह बलं च वाक् चे च आयु
ं च रा ं च वश पं च नाम च क त
गवी
यं च ी धम . (१)
व ष यश वच ाण ापान च ु
वणं च. (२) ो ं च. (३)
पय रस ा ं चा ा ं चत च स यं चे ं च पूत च जा च पशव . (४) ता न सवा यप (५)
ाम त
गवीमाददान य जनतो ा णं
य य.
उस य के ओज, तेज, , वाणी, इं य , ल मी, धम, वेद, ा श , रा , ह व, यश, परा म, धन, आयु, प, नाम, क त, ने , कान, ध, रस, अ , अ न, स य, इ , पूत, जा आ द सभी छन जाते ह. जो ा ण गौ का अपहरण करता है. वह अपनी आयु को ीण करता है. (१-५)
दे वता—
सू -७ सैषा भीमा से यु
ग
गवी
१ घ वषा सा ात् कृ या कू बजमावृता.. (१)
ा ण क यह धेनु वराजमान होती है. कू बज पाप से ढके ए हसा करने वाले वष ई यह धेनु कृ या के समान हो जाती है. (१)
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सवा य यां घोरा ण सव च मृ यवः.. (२) (२)
ा ण क इस गाय म सभी वकराल कम और मृ यु दे ने वाले कारण
ा त रहते है.
सवा य यां ू रा ण सव पु षवधाः.. (३) ा ण क इस गाय म सभी कार के कूट कम तथा पु ष के सब कार के वध ा त रहते ह. (३) सा
यं दे वपीयुं
ग ा द यमाना मृ योः पड् वीश आ
त.. (४)
ा ण से छ नी ई इस कार क यह गाय ा ण व को अपमा नत करने वाले मनु य को मृ यु के बंधन म बांध दे ती है. (४) मे नः शतवधा ह सा
यय
त ह सा.. (५)
जो मनु य ा ण क आयु ीण करता है. उस को कार के संहारक अ के समान बन जाती है. (५)
ीण करने वाली यह गौ सैकड़
त माद् वै ा णानां गौ राधषा वजानता.. (६) (६)
इस लए ा ण क धेनु को व ान् पु ष सैकड़ का वध करने वाली के
प म जाने.
व ो धाव ती वै ानर उ ता.. (७) ा ण क गाय व
के समान दौड़ती है तथा अ न के समान ऊपर उठती है. (७)
हे तः शफानु खद ती महादे वो ३ पे माणा.. (८) (८)
खुर का श द करती ई ा ण क गाय महादे व के आयुध के
प म बन जाती है.
ुरप वरी माणा वा यमाना भ फूज त.. (९) रंभाती ई ा ण क गाय के खुर व
के समान होते ह. (९)
मृ यु हङ् कृ व यु १ ो दे वः पु छं पय य ती.. (१०) ंकार का श द करती ई ा ण क गाय मृ यु के समान होती ह. सभी ओर पूंछ को घुमाती ई यह गाय उ प वाली हो जाती है. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सव या नः कण वरीवजय ती राजय मो मेह ती.. (११) सभी कार से आयु को ीण करने वाली यह गौ कान को हलाती है. यह गौ अपने मू को यागती ई य अथात् वनाश को उ प करने वाली हो जाती है. (११) मे न
माना शीष
धा.. (१२)
यह गौ जब ही जाती है तब यह अ दद व पा बन जाती है. (१२)
के समान होती है. तब ही जाने के बाद सर
से द प त ती मथोयोधः परामृ ा.. (१३) यह गाय पश करने पर आपस म यु अथात् टु कड़ेटुकड़े कर दे ती है. (१३)
कराती है तथा समीप खड़ी होने पर वद ण
शर ा ३ मुखे ऽ पन मान ऋ तह यमाना.. (१४) (१४)
यह गाय पीटने पर ग त दान करती है तथा ढकने पर वनाश करने वाली होती है. अघ वषा नपत ती तमो नप तता.. (१५)
यह गाय बैठती ई भयानक वष के समान तथा बैठ जाने पर सा ात मृ यु पी अंधकार के समान हो जाती है. (१५) अनुग छ ती ाणानुप दासय त
गवी
य य.. (१६)
ा ण क यह गाय ा ण को हा न प ंचाने वाले के पीछे चलती ई उस के ाण का वनाश करती है. (१६)
दे वता—
सू -८
गवी
वैरं वकृ यमाना पौ ा ं वभा यमाना.. (१) यह ा ण क अप त अथात् चुराई ई गाय है. यह पु , पौ आ द का बंटवारा कर उन का वनाश करने वाली है. (१) दे वहे त यमाणा
ृ
ता.. (२)
ा ण क यह गाय हरण करते समय अथात् चुराते समय अ बाद चुराने वाले को ीण करने वाली होती है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प है और चुराने के
पा मा धधीयमाना पा यमवधीयमाना.. (३) पाप
प होने वाली ा ण क यह गाय कठोरता उ प करती है. (३)
वषं य य ती त मा य ता.. (४) ा ण क चुराई ई गाय य द ध दे ती है तो इस का ध और मांस वष के समान होता है तथा यह चुराने वाले का जीवन संकट म डालने का कारण बनती है. (४) अघं प यमाना
व यं प वा.. (५)
ा ण क यह गाय पकाते समय सन अथात् बुरी लत को बढ़ाने वाली है तथा पक जाने पर बुरे व का कारण बनती है. (५) मूलबहणी पया
यमाणा
तः पयाकृता.. (६)
ा ण क चुराई ई गाय को अगर बेचा जाए तो चुराने वाले को जड़ से उखाड़ दे ती है. बेचने के बाद यह चुराने वाले को ीण करती है. (६) असं ा ग धेन शुगुद ् यमाणाशी वष उद्धृता.. (७) य द ा ण क गाय को उठाया तो उठाते समय यह शोक दान करती है और उठाने के बाद उठाने वाले के लए सप के वष के समान बन जाती है. यह अपनी गंध से चुराने वाले क चेतना न कर दे ती है. (७) अभू त प यमाणा पराभू त प ता.. (८) य द ा ण क गाय चुरा कर कसी को उपहार म द जाए तो यह पराभव अथात् हार का कारण बनती है. उपहार म दे ने के बाद यह उपहार दे ने वाले क समृ न करती है. (८) शवः ु
ः प यमाना श मदा प शता.. (९)
य द ा ण क गाय को लेश दया जाए तो यह ोध म भरे शव शंकर के समान बन जाती है. य द इस का र नकाला जाए तो यह र नकालने वाले को मृ यु दे ने वाली होती है. (९) अव तर यमाना नऋ तर शता.. (१०) य द ा ण क गाय का मांस खाया जाए तो यह खाने वाले को द र बना दे ती है. मांस खाने के बाद यह खाने वाले को बुरी ग त दान करती है. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ शता लोका छन
गवी
यम मा चामु मा च.. (११)
य द ा ण को हा न प ंचाई जाए तो ा ण क गाय इहलोक और परलोक दोन को बगाड़ दे ती है. (११)
दे वता—
सू -९
गवी
त या आहननं कृ या मे नराशसनं वलग ऊब यम्. (१) ा ण क गाय को मारना मरणास बन जाता है. इस को हनन करना कृ या रा सी है. इस का गोबर यु आधा पका आ चारा शपथ के समान है. (१) अ वगता प रह्णुता.. (२) ा ण क अपहरण क गई गाय अपने वश म नह रहती है. (२) अ नः
ाद् भू वा
गवी
यं
व या . (३)
मारी ई ा ण क गाय मांसाहारी पशु बन कर मारने वाले को खाती है. (३) सवा या पवा मूला न वृ त. (४) य द ा ण क गाय को कोई मारता है तो यह मारने वाले के शरीर के सभी जोड़ को छ भ कर दे ती है. (४) छन य य पतृब धु परा भावय त मातृब धु. (५) यह ा ण क गाय चुराने वाले के पता के बांधव का छे दन करती है और माता के बांधव को अपमा नत करती है. (५) ववाहां ाती सवान प येणापुनद यमाना. (६) है. (६)
ापय त
गवी
य ारा ा ण क गाय न लौटाई जाने पर उस के सभी बंधु
यय को न कर दे ती
अवा तुमेनम वगम जसं करो यपरापरणो भव त ीयते. (७) ा ण क गाय को अगर य न लौटाए तो वह य को गृहहीन तथा संतानहीन कर दे ती है. ा ण क गाय चुराने वाला य अपरा रोग से सत हो कर न हो जाता है. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य एवं व षो ा ण य (८)
यो गामाद े.. (८)
ऊपर बताई गई दशा उस
य क होती है, जो व ान् क गौ का अपहरण करता है.
दे वता—
सू -१०
गवी
ं वै त याहनने गृ ाः कुवत ऐलबम्.. (१) जो
य ा ण क गाय को ले जाता है, ग
उस के ने
नकालते ह. (१)
ं वै त यादहनं प र नृ य त के शनीरा नानाः. पा णनोर स कुवाणाः पापमैलबम्.. (२) जो य ा ण क गाय ले जाता है, उस क चता भ म के समीप केश वाली यां अपनी छाती कूटती ह और आंसू बहाती ह. (२) ं वै त य वा तुषु वृकाः कुवत ऐलबम्.. (३) जो ह. (३)
य ा ण क गाय ले जाता है उस के घर म शृगाल शी ही अपने ने घुमाते ं वै त य पृ छ त यत् तदासी ३ ददं नु ता ३ द त.. (४)
जो य ा ण क गाय ले जाता है, उस के वषय म यह कहा जाने लगता है क या यह उस का घर है. (४) छ या छ ध
छ य प ापय ापय.. (५)
हे ा ण क गाय! तू इस चुराने वाले का छे दन कर और उसे न कर डाल. (५) आददानमा र स
यमुप दासय.. (६)
हे आं गरस! तू अपहरणकता वै दे वी
य का नाश कर दे . (६)
१ यसे कृ या कू बजमावृता.. (७)
हे ा ण क गौ! तू मांस ओष ती समोष ती
पी व
से अपने अपहरणकता को न करने वाली है. (७)
णो व ः.. (८)
हे ा ण क गाय! तू व
से ढक
ई व दे वी कृ या कही जाती है. (८)
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ुरप वमृ युभू वा व धाव वम्.. (९) हे ा ण क गौ! तू मृ य
प होती ई दौड़. (९)
आ द ते जनतां वच इ ं पूत चा शषः.. (१०) हे ा ण क गाय! तू अपहरण करने वाले के तेज, कामना, पूत और आशीवादा मक श द का हरण करती है. (१०) आदाय जीतं जीताय लोके ३ ऽ मु मन्
य छ स.. (११)
हे ा ण क गाय! तू ा ण को हा न प ंचाने वाले को यून आयु वाला करने के लए पकड़ कर परलोकगामी बनाती है. (११) अ ये पदवीभव ा ण या भश या.. (१२) (१२)
हे अ या! ा ण के शाप के कारण तू अपहरण कता के पैर क बेड़ी बन जाती है. मे नः शर ा भवाघादघ वषा भव.. (१३)
हे ा ण क गाय! तू अ कारण अ ध ाता बन जा. (१३) अ ये
शरो ज ह
प बाण के समूह को ा त होती ई उस के पाप के
य य कृतागसो दे वपीयोरराधसः.. (१४)
हे अ या! तू उस दे व हसक अपरधी के काय को वफल करने के लए उस के शीश को काट डाल. (१४) वया मूण मृ दतम नदहतु
तम्.. (१५)
हे ा ण क गौ! तेरे ारा कुचले और मसले ए उस पाप पूण च भ म कर डाल. (१५)
दे वता—
सू -११ वृ
वाले को अ न
गवी
वृ सं वृ दह दह सं दह.. (१)
हे ा ण क गाय! तू अपने अपहरण करने वाले को बारबार काट और जला दे . (१) यं दे
य आ मूलादनुसंदह.. (२)
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हे अ या! तू अपहरण करने वाले को समूल न कर दे . (२) यथायाद् यमसादनात् पापलोकान् परावतः.. (३) हे अ या! तेरा अपहरण करने वाला यम के लोक और पाप के घर को ा त हो. (३) एवा वं दे
ये
य य कृतागसो दे वपीयोरराधसः.. (४)
हे अ या दे वी! तू अपराध करने वाले अपहरणकता, दे व हसक के कंध और सर को काट दे . (४) व ेण शतपवणा ती णेन ुरभृ ना.. (५) (५)
हे अ या! तू सौ पैर वाले एवं तेज धार वाले व क धान्
से अपने अपहरणकता का वध कर.
शरो ज ह.. (६)
हे अ या! तू अपने अपहरणकता को न कर दे . (६) लोमा य य सं छ ध वचम य व वे य.. (७) हे अ या! तू अपने अपहरणकता के लोम को न कर उस का चमड़ा उधेड़ दे . (७) मांसा य य शातय नावा य य सं वृह.. (८) हे अ या! तू अपने अपहरणकता के मांस को काट कर उस क नस को सुखा दे . (८) अ थी य य पीडय म जानम य नज ह.. (९) हे अ या! तू इस अपहरणकता क ह ड् डय म दाह और म जा म य भर दे . (९) सवा या ा पवा ण व थय.. (१०) हे अ या! इस अपहरणकता के अवयव और जोड़ को ढ ला कर दे . (१०) अ नरेनं (११)
ात् पृ थ ा नुदतामुदोषतु वायुर त र ा महतो व र णः..
इस अपहरण करने वाले को वायु अंत र इसे भ म कर दे . (११)
और पृ वी से खदे ड़ दे तथा
सूय एनं दवः णुदतां योषतु.. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ाद अ न
सूय भी इस अपहरणकता को वग से नीचे ढकेल दे तथा भ म कर डाले. (१२)
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तेरहवां कांड सू -१
दे वता—अ या म आ द
उदे ह वा जन् यो अ व १ त रदं रा ं वश सूनृतावत्. यो रो हतो व मदं जजान स वा रा ाय सुभृतं बभतु.. (१) हे सूय! तुम अंत र म य छपे हो, तुम उदय ा त करो. तुम स य और य वाणी से यु हो कर यहां आओ. इस कार के सूय दे व ने संसार का काशन कया. सूय दे व तु ह रा के भरणकता के प म पु करे. (१) उ ाज आ गन् यो अ व १ त वश आ रोह व ोनयो याः. सोमं दधानो ऽ प ओषधीगा तु पदो पद आ वेशयेह.. (२) हे सूय! जल म रहने वाली जो जाएं तथा जल द अ ह, वे तु हारे पास आएं. तुम जल पर चढ़ो और सोम को धारण करते ए जल, ओष ध तथा दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु को इस रा म व करो. (२) यूयमु ा म तः पृ मातर इ े ण युजा मृणीत श ून्. आ वो रो हतः शृणवत् सुदानव ष तासो म तः वा संमुदः.. (३) हे म द्गण! तुम इं के सखा हो. तुम श ु का नाश करो. तुम वा द पदाथ से स होने वाले हो और सुंदर वषा दान करते हो. सूय तु हारी बात सुन. (३) हो रोह रो हत आ रोह गभ जनीनां जनुषामुप थम्. ता भः संर धम व व दन् षडु व गातुं प य ह रा माहाः.. (४) सूय उदय होते ए आकाश पर चढ़ रहे ह. छह उ वय क न य त दे खते ए उ वय को ा त करते ह. (४)
ा त के हेतु वे रा को
आ ते रा मह रो हतोऽहाष द् ा थ मृधो अभयं ते अभूत्. त मै ते ावापृ थवी रेवती भः कामं हाता मह श वरी भः.. (५) हे यजमान! तेरे रा पर सूय आ गए ह, इस लए तू यु का भय मत कर. आकाश, पृ वी और धन दे ने वाली ऋचाएं तेरे लए कामना का दोहन कर. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रो हतो ावापृ थवी जजान त त तुं परमे ी ततान. त श ये ऽ ज एकपादो ऽ ं हद् ावापृ थवी बलेन.. (६) सूय ने आकाश और पृ वी को कट कया. सूय ने उस म तंतु को बढ़ाया. एक पाद अज ने वहां आ य ले कर आकाश और पृ वी को बल से यु कया. (६) रो हतो ावापृ थवी अ ं हत् तेन व त भतं तेन नाकः. तेना त र ं व मता रजां स तेन दे वा अमृतम व व दन्.. (७) सूय ने आकाश और पृ वी को ढ़ कया. उसी सूय ने ःख से र हत आकाश को थर कया. उसी सूय ने अंत र तथा व य सुख लोक को बनाया. दे वता ने उसी से अमृत व ा त कया है. (७) व रो हतो अमृशद् व पं समाकुवाणः हो ह . दवं ढ् वा महता म ह ना सं ते रा मन ु पयसा घृतेन.. (८) ह और ह अथात् उगने वाले लता वृ आ द को भलीभां त कट करने वाले सूय ने सब शरीर का पश कया. हे यजमान! वे सूय अपने मह व से तेरे रा को घृत और ध से संप कर. (८) या ते हः हो या त आ हो या भरापृणा स दवम त र म्. तासां णा पयसा वावृधानो व श रा े जागृ ह रो हत य.. (९) हे मनु यो! तु हारी जो रोहण, रोहण और आरोहण करने वाली फसल, लताएं आ द ह, जन के ारा तुम अंत र के ा णय का भरणपोषण करते हो, उस के ध के समान सारयु कम के ारा म बाल और वृ को ा त होते ए तुम सूय के रा म सचेत रहो. (९) या ते वश तपसः संबभूवुव सं गाय ीमनु ता इहागुः. ता वा वश तु मनसा शवेन संमाता व सो अ येतु रो हतः.. (१०) जो जाएं तपोबल से कट ई ह, जो गाय ी प व स के साथ यहां आई ह, वे क याण करने वाले च से तुम म रम. इन का व स सूय तु हारे पास आए. (१०) ऊ व रो हतो अ ध नाके अ थाद् व ा पा ण जनयन् युवा क वः. त मेना न य तषा व भा त तृतीये च े रज स या ण.. (११) जब वे सूय ऊंचे हो कर वग म त त होते ह, तब वे सब प को कट करते ह. उन सूय क ही ती ण यो त से अ न यो त वाली है. वे तृतीय लोक अथात् ुलोक म इ छत फल को कट करते ह. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सह शृ ो वृषभो जातवेदा घृता तः सोमपृ ः सुवीरः. मा मा हासी ा थतो नेत् वा जहा न गोपोषं च मे वीरपोषं च धे ह.. (१२) सह स ग वाले, घृत के ारा बुलाए गए, इ क पू त करने वाले, सोम, पृ , सुवीर तथा जातवेद अ न मेरा याग न कर. वे अ न मुझे गाय तथा पु , पौ आ द क पु म त त कर. (१२) रो हतो य य ज नता मुखं च रो हताय वाचा ो ण े मनसा जुहो म. रो हतं दे वा य त सुमन यमानाः स मा रोहैः सा म यै रोहयतु.. (१३) सूय य को कट करने वाले तथा य के मुख प ह. वाणी, घोष और मन से म उन सूय के लए आ त दे ता ं. सब दे वता स होते ए सूय के समीप जाते ह. वे सूय मुझे सं ाम के लए उ त बनाएं. (१३) रो हतो य ं दधाद् व कमणे त मात् तेजां युप मेमा यागुः. वोचेयं ते ना भ भुवन या ध म म न.. (१४) सूय ने व कमा के लए य का पोषण कया. उस य के ारा मुझे वह तेज ा त हो रहा है. म तु हारी ना भ को लोक क म जा पर वीकार करता ं. (१४) आ वा रोह बृह यू ३ त पङ् रा ककुब् वचसा जातवेदः. आ वा रोहो णहा रो वषट् कार आ वा रोह रो हतो रेतसा सह.. (१५) हे अ न! बृहती पं और ककुप छं द ने तथा उ णहा अ र ने तुम म वेश कया है. वषट् कार भी तुम म व हो गया है. सूय भी अपने तेज से तुम म वेश करते ह. (१५) अयं व ते गभ पृ थ ा दवं व ते ऽ यम त र म्. अयं न य व प वल कान् ानशे.. (१६) सूय पृ वी के गभ को, आकाश और अंत र को भी ढक लेते ह. ये संपूण संसार के काशक ह और सभी वग म ा त होते ह. (१६) वाच पते पृ थवी नः योना योना यो न त पा नः सुशेवा. इहैव ाणः स ये नो अ तु तं वा परमे न् पय नरायुषा वचसा दधातु.. (१७) हे वाच प त! हमारे लए पृ वी, यो न और श या सुख दे ने वाली ह . ाण हमारे लए सुख दे ने वाला हो. हम द घ जीवी ह हे परमे ी! ये अ न दे व हम द घायु और तेज वी बनाएं. (१७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाच पत ऋतवः प च ये नौ वै कमणाः प र ये संबभूवुः. इहैव ाणः स ये नो अ तु तं वा परमे न् प र रो हत आयुषा वचसा दधातु.. (१८) हे वाच प त! हमारे कम के ारा जो पांच ऋतुएं उ प ई ह, उन म हमारा हमारा ाण म के भाव से थर रहे. हे जाप त! सूय तु ह अपने तेज और आयु से धारण करे. (१८) वाच पते सौमनसं मन गो े नो गा जनय यो नषु जाः. इहैव ाणः स ये नो अ तु तं वा परमे न् पयहमायुषा वचसा दधा म.. (१९) हे वाच प त! हमारा मन स रहे. तुम हमारे गो म गाय को कट करो तथा हमारी प नय म संतान को उ प करो. ाण हमारे साथ म भाव से रहे. म आयु और तेज से तु ह धारण करता ं. (१९) प र वा धात् स वता दे वो अ नवचसा म ाव णाव भ वा. सवा अरातीरव ाम ेहीदं रा मकरः सूनृतावत्.. (२०) हे राजन्! स वता दे व तु ह सभी ओर से पु कर. अ न, म और व ण तु ह पु बनाएं. तुम सभी श ु को वश म करते ए इस रा म आ कर स ची और य वाणी बोलो. (२०) यं वा पृषती रथे
वह त रो हत. शुभा या स रण पः.. (२१)
हे सूय! हर णय का समूह तु ह रथ म धारण करता है. तुम जल म चलते ए क याण के न म ग त करते हो. (२१) अनु ता रो हणी रो हत य सू रः सुवणा बृहती सुवचाः. तया वाजान् व पां जयेम तया व ाः पृतना अ भ याम.. (२२) रो हणी चढ़ते ए से रो हत अथात् लाल वण के सूय का अनुगमन करने वाली है. सुंदर वण वाली वह बृहती सुंदर तेज वाली है. उसी के कारण हम व भ प वाले ा णय पर वजय ा त करते ह. उसी के कारण हम सेना को अपने वश म कर. (२२) इदं सदो रो हणी रो हत यासौ प थाः पृषती येन या त. तां ग धवाः क यपा उ य त तां र त कवयो ऽ मादम्.. (२३) यह रो हणी और रो हत का धाम है, पृषती इसी माग से गमन करती है. उसे गंधव ऊपर ले जाते ह. चतुर सावधानी से इस क र ा करते ह. (२३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सूय या ा हरयः केतुम तः सदा वह यमुताः सुखं रथम्. घृतपावा रो हतो ाजमानो दवं दे वः पृषतीमा ववेश.. (२४) सूय के घोड़े वेगशाली और ान यु ह. वे अमर व वाले रथ को सरलता से ख चते ह. फल से संप करने यो य वे सूय पृषती के साथ वग म वेश कर. (२४) यो रो हतो वृषभ त मशृ ःपय नं प र सूय बभूव. यो व ना त पृ थव दवं च त माद् दे वा अ ध सृ ः सृज ते.. (२५) वे रो हत अथात् लाल रंग के तथा अभी क वषा करने वाले ह. वे ती ण रा शय वाले ह. जो अ न दे व सूय, पृ वी और आकाश को थर रखते ह, दे वता उ ह के बल से सृ क रचना करते ह. (२५) रो हतो दवमा ह महतः पयणवात्. सवा रोह रो हतो हः.. (२६) वे सूय आकाश पर चढ़ते ह तथा रोहणशील व तु
पर भी चढ़ते ह. (२६)
व ममी व पय वत घृताच दे वानां धेनुरनप पृगेषा. इ ः सोमं पबतु ेमो अ व नः तौतु व मृधो नुद व.. (२७) हे यजमान! तुम दे वता क धा और पूजनीय गौ का मान करने के कारण अ य को पश करने वाले अथात् परा जत करने वाले हो. अ न तु हारा कुशलमंगल कर तथा इं दे व सोम रस का पान कर. इस के बाद तू श ु को यु थल से खदे ड़ दे . (२७) स म ो अ नः स मधानो घृतवृ ो घृता तः. अभीषाड् व ाषाड नः सप नान् ह तु ये मम.. (२८) ये अ न द त हो कर घृत से बु ए ह. इस म घृत क आ त द गई है. अ न दे व श ु को परा जत करने वाले ह. अतः वे मेरे श ु का संहार कर. (२८) ह वेनान् दह व रय नः पृत य त. ादा नना वयं सप नान् दहाम स.. (२९) अ न दे व उन सब श ु का संहार कर जो श ु सेना स हत आ कर हम मारना चाहे, अ न दे व उसे भ म कर द. (२९) अवाचीनानव जही व ेण बा मान्. अधा सप नान् मामकान ने तेजो भरा द ष.. (३०) हे श शाली भुजा वाले इं ! तुम हमारे श ु वाला से उ ह भ म कर दो. (३०)
को मारो. हे अ न! तुम अपनी
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अ ने सप नानधरान् पादया मद् थया सजातमु पपानं बृह पते. इ ा नी म ाव णावधरे प ताम तम यूयमानाः.. (३१) हे अ न! तुम हमारे श ु को प तत बनाओ. हे बृह प त! तुम उ तशील होते ए हमारे श ु का संत त करो. इं , अ न, म और व ण दे वता हमारे श ु का वरोध कर. हमारे श ु प तत हो जाएं. (३१) उ ं वं दे व सूय सप नानव मे ज ह. अवैनान मना ज ह ते य वधमं तमः.. (३२) हे उदय होते ए सूय! तुम मेरे श ु का वध करो. तुम इ ह प थर से मार डालो. मेरे श ु मृ यु के समान घोर अंधकार को ा त ह . (३२) व सो वराज वृषभो मतीनामा रोह शु पृ ो ऽ त र म्. घृतेनाकम यच त व सं स तं णा वधय त.. (३३) वराट् के व स सूय अंत र अथात् आकाश पर चढ़ते ह. सूय प व स जब हो जाते ह, तभी वे ा ण उ ह घृत से बढ़ाते ह और मं के ारा उन क पूजा करते ह. (३३) दवं च रोह पृ थव च रोह रा ं च रोह वणं च रोह. जां च रोहामृतं च रोह रो हतेन त वं १ सं पृश व.. (३४) हे राजन्! तुम पृ वी पर अ ध त रहो. तुम रा और धन पर अ ध त रहो. तुम छ के समान जा पर छाया करते रहो. तुम अमृत पर अ ध त होते ए सूय का पश करने वाले बनो तथा वग पर आरोहण करो. (३४) ये दे वा रा भृतो ऽ भतो य त सूयम्. तै े रो हतः सं वदानो रा ं दधातु सुमन यमानः.. (३५) रा का भरणपोषण करने वाले जो दे वता सूय के चार ओर घूमते ह, रो हतदे व उन से समान म त रखते ए तु हारे रा को संतु कर. (३५) उत् वा य ा पूता वह य वगतो हरय वा वह त. तरः समु म त रोचसे ऽ णवम्.. (३६) हे सूय! मं के ारा ये य तु ह वहन करते ह. तुम तरछे हो कर सागर को अ य धक शोभायमान करते हो. (३६) रो हते ावापृ थवी अ ध ते वसु ज त गो ज त संधना ज त. सह ं य य ज नमा न स त च वोचेयं ते ना भ भुवन या ध म म न.. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(३७) वसु जत, गो जत और साधना जत नामक रो हत म आकाश और पृ वी थत ह. म उन के सह ा भाव का वणन करता आ उ ह लोक क म हमा का क मानता ं. (३७) यशा या स दशो दश यशाः पशूनामुत चषणीनाम्. यशाः पृ थ ा आ द या उप थे ऽ हं भूयासं स वतेव चा ः.. (३८) हे सूय! तुम अपने यश के ारा दशा और दशा म गमन करते हो. तुम अपने यश के ारा ही मनु य और पशु म घूमते हो. म भी अखंडनीय पृ वी क गोद म स वता दे व के समान यश से समृ बनूं. (३८) अमु स ह वे थेतः सं ता न प य स. इतः प य त रोचनं द व सूय वप तम्.. (३९) हे सूय! तुम परलोक म अथवा इस लोक म रहते ए यहां क सभी बात को जानते हो. तुम यहां और वहां के सब ा णय को दे खते हो तथा सभी ाणी इस लोक से आकाश म थत सूय को दे खते ह. (३९) दे वो दे वान् मचय य त र यणवे. समानम न म धते तं व ः कवयः परे.. (४०) हे सूय! तुम दे वता हो कर भी अ य दे वता को कम म े रत करते हो तथा आकाश म घूमते हो. सूय अपने समान तेज वी अ न को द त करते ह. ानी जन ऐसे सूय को जानते ह. (४०) अवः परेण पर एनावरेण पदा व सं ब ती गौ द थात्. सा क ची कं वदध परागात् व वत् सूते न ह यूथे अ मन्.. (४१) एक पैर से बछड़े को तथा सरे से अ को धारण करती ई ेत रंग क गौ उठती है. यह कसी अ भाग म जाती और स रहती है. यह झुंड म जा कर नह रहती. (४१) एकपद पद सा चतु प ापद नवपद बभूवुषी. सह ा रा भुवन य पङ् त याः समु ा अ ध व र त.. (४२) यह वाणी पी गौ अथात् का मयी भाषा एक, दो, चार, आठ अथवा नौ पाद वाले छं द म वभा जत ई ह. इस कार इस भाषा क मयादा हजार अ र तक है. ऐसा तीत होता है क यह सब भुवन क पूण करने वाली है तथा इस से का के व वध रस टपकते ह. (४२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आरोहन् ाममृतः ाव मे वचः. उत् वा य ा पूता वह य वगतो हरय वा वह त.. (४३) हे सूय दे व! तुम अमृत हो. सूयलोक म चढ़ते ए तुम मेरे वचन क र ा करो. मं मय य और मागगामी अ तु ह वहन करते ह. (४३) वेद तत् ते अम य यत् त आ मणं द व. यत् ते सध थं परमे ोमन्.. (४४) हे अ वनाशी सूय! ल ु ोक म तु हारा थान है. तुम इस म गमन करते हो. म उस थान को जानता ं. उपासक स हत आकाश म तु हारा जो नवास थान है, उसे म भलीभां त जानता ं. (४४) सूय ां सूयः पृ थव सूय आपो ऽ त प य त. सूय भूत यैकं च ुरा रोह दवं महीम्.. (४५) सूय दे व आकाश, पृ वी और जल के सा ी ह. वे सभी ा णय क दशन श ही आकाश और पृ वी पर चढ़ते ह. (४५)
ह. वे
उव रासन् प रधयो वे दभू मरक पत. त ैताव नी आध हमं ंसं च रो हतः.. (४६) भू म पी वेद पर य का अनु ान आ. इस य क प र धयां व तृत थ . वह पर शीतकाल और ी म काल पी दो अ नय का आधान कया गया. (४६) हमं ंसं चाधाय यूपान् कृ वा पवतान्. वषा याव नी ईजाते रो हत य व वदः.. (४७) सूय पी वग को पाने क अ भलाषा वाले पु ष हम और ी म पी दो अ नय का आधान कर के पवत को यूप अथात् लकड़ी का खंभा बनाते ह. वषा ऋतु पी घृत ा त करने के लए ये दोन अ न तथा आ य दे व के हेतु य करते ह. (४७) व वदो रो हत य त माद् ंस त मा
णा नः स म यते. म त माद् य ो ऽ जायत.. (४८)
आ म ानी सूय संबंधी मं के ारा अ न को द त कया जाता है. उसी से हम, दवस और य क उ प ई. (४८) णा नी वावृधानौ वृ ौ ा तौ. े ाव नी ईजाते रा हत य व वदः.. (४९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो पु ष सूय पी वग क कामना करते ह, वे मं के साथ आ त द गई तथा मं के ारा वृ क गई अ नय का पूजन करते ह, उ ह सदा द त रखते ह. (४९) स ये अ यः समा हतो ऽ व १ यूः स म यते. े ाव नी ईजाते रो हत य व वदः.. (५०) स य म अ य अ नयां समा हत ह. जल म द त होने वाली अ नयां इस से भ ह. सूय पी वग क ा त क इ छा करने वाले पु ष ने उन अ नय का पूजन कया है. जो मं के ारा बढ़ है. (५०) यं वातः प रशु भ त यं वे ो ण प तः. े ाव नी ईजाते रो हत य व वदः.. (५१) वायु, इं तथा ण प त जस पु ष को सुशो भत करना चाहते ह, वे पु ष ही सूया मक वग क ा त क कामना करते ए मं ारा बढ़ ई अ न क पूजा करते ह. (५१) वे द भू म क प य वा दवं कृ वा द णाम्. ंसं तद नं कृ वा चकार व मा म वद् वषणा येन रो हतः.. (५२) रो हत ने पृ वी को वेद बना कर, आकाश को द णा का प दे कर और दन को अ न वीकार कर के वषा पी घृत से जगत् को आ मा के समान बना लया है. (५२) वषमा यं ंसो अ नव दभू मरक पत. त ैतान् पवतान नग भ वा अक पयत्.. (५३) पृ वी को वेद , दन को अ न और वषा को घृत बनाया गया. तु तय के ारा समृ ए अ न दे व ने ही इन पवत को उ त कया है. (५३) गी भ वान् क प य वा रो हतो भू मम वीत्. वयीदं सव जायतां यद् भूतं य च भा म्.. (५४) रो हत ने पृ वी को तु तय से उ त करते ए उस से कहा क भूत और भ व य जो कुछ ह , वे तुम से ही उ प ह . (५४) स य ः थमो भूतो भ ो अजायत. त मा ज इदं सव यत् क चेदं वरोचते रो हतेन ऋ षणाभृतम्.. (५५) य क उ प पहले भूत और भ व यत के प म ही ई. जो कुछ भी रोचमान है, वह सब पृ वी से ही कट आ था. रो हत ने उसे पु कया. (५५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य गां पदा फुर त यङ् सूय च मेह त. त य वृ ा म ते मूलं न छायां करवोऽपरम्.. (५६) जो सूय क ओर मुंह कर के मू का याग करता है तथा गौ को अपने पैर से छू ता है, म उस का मूल छ करता ं. म उस के ऊपर कभी छाया नह करता. (५६) यो मा भ छायम ये ष मां चा नं चा तरा. त य वृ ा म ते मूलं न छायां करवो ऽ परम्.. (५७) जो मनु य मेरे और अ न के म य से हो कर नकलता है अथवा जो मेरी छाया को लांघता है, म उस क जड़ काट ं गा तथा उस के ऊपर कभी छाया नह क ं गा. (५७) यो अ दे व सूय वां च मां चा तराय त. व यं त मंछमलं रता न च मु महे.. (५८) हे सूय दे व! हमारे और आप के म य जो बाधक होना चाहता है, उसे म पाप, ः व तथा कम म था पत करता ं. (५८) मा
गाम पथो वयं मा य ा द
सो मनः. मा त थुन अरातयः.. (५९)
हे इं दे व! जस य व ध म सोम का योग होता है, हम उस प जाएं. हमारे दे श म श ु न रह. (५९) यो य
त से पृथक् न
य साधन त तुदवे वाततः. तमा तमशीम ह.. (६०)
जो य दे वता
म अ धक व तृत है, हम उस य क वृ
सू -२
करने वाले बन. (६०)
दे वता—अ या म रो हत
उद य केतवो द व शु ा ाज त ईरते. आ द य य नृच सां म ह त य मीढु षः.. (१) महान कम करने वाले, सेचन करने वाले और समथ एवं सा ी र मयां आकाश म चमकती ह और सूय को ऊपर उठाती ह. (१)
प सूय क नमल
दशां ानां वरय तम चषा सुप माशुं पतय तमणवे. तवाम सूय भुवन य गोपां यो र म भ दश आभा त सवाः.. (२) हम ानमयी दशा म अपने तेज से श द भरने वाले, सुंदर पंख वाले, अपनी र मय से काश दे ने वाले तथा लोक के र क सूय क तु त करते ह. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यत् ाङ् यङ् वधया या स शीभं नाना पे अहनी क ष मायया. तदा द य म ह तत् ते म ह वो यदे को व ं प र भूम जायसे.. (३) हे सूय दे व! तुम अ मय वधा अथात् ह वय के साथ पूव और प म दशा को गमन करते हो. तुम अपने तेज से दवस और रा को भ भ प वाला बनाते हो. हे सूय दे व! यह तु हारी ब त बड़ी म हमा है, जो तुम अकेले पूरे संसार को भा वत करते हो. (३) वप तं तर ण ाजमानं वह त यं ह रतः स त ब ः. ुताद् यम दवमु नाय तं वा प य त प रया तमा जम्.. (४) सात तेज वी करण सूय के काश को भावशाली बनाती ह. ानीजन इस का मह व जानते ह. ये सूय ुलोक पर चढ़ कर अपना तेज सव फैलाते ह. (४) मा वा दभन् प रया तमा ज व त गा अ त या ह शीभम्. दवं च सूय पृ थव च दे वीमहोरा े व ममानो यदे ष.. (५) हे सूय दे व! तुम आकाश और पृ वी पर दन तथा रा का नमाण करते ए वचरण करते हो. तुम गम थल का शी और सुखपूवक उ लंघन करो. चार ओर घूमने वाले तुम को श ु वश म न कर सक. (५) व त ते सूय चरसे रथाय येनोभाव तौ प रया स स ः. यं ते वह त ह रतो व ह ाः शतम ा य द वा स त ब ः.. (६) हे सूय दे व! तु हारा रथ सब का क याण करने वाला है. उस रथ के ारा तुम उदय से अ त तक वचरण करते हो. सात करण और अनंत काश तु हारे भाव क वृ कर रहे ह. (६) सुखं सूय रथमंशुम तं योनं सुव म ध त वा जनम्. यं ते वह त ह रतो व ह ाः शतम ा य द वा स त ब ः.. (७) हे सूय दे व! तुम अपने उस रथ पर बैठो जो अ न के समान यो त वाला तथा वेग से चलने वाला है. तुम ने काश करने वाले सौ अथवा अ धक सात घोड़ को अपने रथ म जोड़ा है. (७) स त सूय ह रतो यातवे रथे हर य वचसो बृहतीरयु . अमो च शु ो रजसः पर ताद् वधूय दे व तमो दवमा हत्.. (८) सूय अपनी माया के लए अपने रथ म सुनहरी वचा वाले तथा हरे रंग के सात घोड़ को जोड़ते ह. वे अंधकार का वनाश करते ए उन घोड़ को छोड़ कर अपने लोक म चले जाते ह. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उत् केतुना बृहता दे व आग पावृक् तमो ऽ भ यो तर ैत्. द ः सुपणः स वीरो यद दतेः पु ो भुवना न व ा.. (९) सूय दे व महान काश के साथ उदय को ा त ए ह. उ ह ने अंधकार को र कर के तेज का आ य लया है. अ द त के वीर पु आ द य अथात् सूय द काश वाले ह. उ ह ने ही भुवन को का शत कया है. (९) उ न् र मीना तनुषे व ा पा ण पु य स. उभा समु ौ तुना व भा स सवा लोकान् प रभू ाजमानः.. (१०) हे सूय दे व! तुम उदय होने के बाद अपनी करण का व तार करते हो. तु हारे उदय होने पर सागर पयत धरती पर य कम आरंभ होते ह. तुम ग त करते ए दोन सागर तथा सम त लोक को का शत करते हो. (१०) पूवापरं चरतो माययैतौ शशू ड तौ प र यातो ऽ णवम्. व ा यो भुवना वच े हैर यैर यं ह रतो वह त.. (११) सूय और चं दोन बालक के समान ड़ा करते ए अपनी श से ही आगेपीछे चलते ह और मण करते ए सागर तक प ंच जाते ह. इन दोन म एक अथात् चं सभी भुवन को का शत करता है और सरा अथात सूय सभी ऋतु का नमाण करता आ सभी को नवीनता दान करता है. (११) द व वा रधारयत् सूया मासाय कतवे. स ए ष सुधृत तपन् व ा भूतावचाकशत्.. (१२) हे सूय दे व! दै हक, दै वक और भौ तक तीन ताप से मु होने वाले अ ऋ ष ने तु ह महीन को बनाने के लए आकाश म था पत कया है. तुम वह रहो और तपते ए आकर सभी ा णय को का शत करते रहो. (१२) उभाव तौ समष स व सः संमातरा वव. न वे ३ त दतः पुरा दे वा अमी व ः.. (१३) बालक जस कार कुशलतापूवक अपने पता और माता के पास सरलता से प ंच जाता है, उसी कार तुम दोन सागर के समीप प ंच जाते हो. यह न य है क इस से पहले ही दे वगण को जानते ह. (१३) यत् समु मनु तं तत् सषास त सूयः. अ वा य वततो महान् पूव ापर यः.. (१४) समु म जो भी र न आ द ह उ ह सूय दे व ा त करते ह. सूय का पूव से प म तक ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का माग वशाल है. (१४) तं समा ो त जू त भ ततो नाप च क स त. तेनामृत य भ ं दे वानां नाव धते.. (१५) हे सूय दे व! तुम शी चलने वाले अ क सहायता से उस माग को शी ा त कर लेते हो. तुम अपना मन इधरउधर नह होने दे त,े इस कारण तुम को अमृत अ का भाग नय मत प से ा त होता है. (१५) उ
यं जातवेदसं दे वं वह त केतवः. शे व ाय सूयम्.. (१६)
सूय दे व क करण व को भा वत करने के लए नकलती ह. सभी को जानने वाले सूय के दशन सब जन कर सक, इस हेतु उन क र मयां ऊपर उठती ह. (१६) अप ये तायवो यथा न
ा य य ु भः. सूराय व च से.. (१७)
रा क समा त पर जस कार चोर भाग जाता है, उसी कार सूय को दे ख कर रा के साथसाथ सब तारे भाग जाते ह. (१७) अ
य केतवो व र मयो जनाँ अनु. ाज तो अ नयो यथा.. (१८)
सूय दे व क करण अ न के समान चमकती ह और सभी को काश दे ती ह. (१८) तर ण व दशतो यो त कृद स सूय. व मा भा स रोचन.. (१९) हे सूय दे व! तुम नौका के समान सब के तारक, सब को दे खने वाले, यो त दान करने वाले तथा सब को काशमय करने वाले हो. (१९) यङ् दे वानां वशः
यङ् ङु दे ष मानुषीः.
हे सूय दे व! तुम सभी मानवी और द जा दे खने के लए य प से उदय होते हो. (२०)
यङ् व ं व शे.. (२०) के सामने कट होते हो. तुम सभी को
येना पावक च सा भुर य तं जनाँ अनु. वं व ण प य स.. (२१) हे पाप नाशक सूय! जस से तुम सब का भरणपोषण करने वाले मनु य को दे खते हो, उसी से हम भी दे खो. (२१) व ामे ष रज पृ वह ममानो अ ु भः. प यन् ज मा न सूय.. (२२) हे सूय दे व! तुम सभी जीव को कृपा से दे खते ए तथा रा और दन का नमाण करते ए इन आकाश, पृ वी और अंत र म अनेक कार से मण करते हो. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स त वा ह रतो रथे वह त दे व सूय. शो च केशं वच णम्.. (२३) हे सूय दे व! तेज वी र मय वाले रथ से जुड़े ए हरे रंग के सात घोड़े तुम को वहन करते ह. (२३) अयु
स त शु युवः सूरो रथ य न यः. ता भया त वयु
भः.. (२४)
सूय सब को प व करने वाले सात घोड़ को अपने रथ म जोड़ते ह तथा उन के सहारे अपनी यु य से गमन करते ह. (२४) रो हतो दवमा हत् तपसा तप वी. स यो नमै त स उ जायते पुनः स दे वानाम धप तबभूव.. (२५) सूय अपने तेज के सहारे वग पर चढ़ते ह. इस कार उदय को ा त होते ए सूय अ य सभी दे व के वामी हो गए ह. (२५) यो व चष ण त व तोमुखो यो व त पा ण त व त पृथः. सं बा यां भर त सं पत ै ावापृ थवी जनयन् दे व एकः.. (२६) अनेक सुख वाले, सब को दे खने वाले और सभी ओर करण फैलाने वाले सूय अपनी नीचे क ओर आती ई करण के ारा आकाश और पृ वी को कट करते ए अपनी भुजा से सब का भरणपोषण करते ह. (२६) एकपाद् पदो भूयो व च मे पात् पादम ये त प ात्. पा षट् पदो भूयो व च मे त एकपद त वं १ समासते.. (२७) सूय दे व एक चरण वाले होने पर भी अनेक चरण वाल से आगे बढ़ जाते ह. अनेक चरण वाले अनेक ाणी इस एक चरण वाले सूय के आ य म रहते ह. (२७) अत ो या यन् ह रतो यदा थाद् े पे कृणुते रोचमानः. केतुमानु सहमानो रजां स व ा आ द य वतो व भा स.. (२८) अ ान से र हत सूय चलते ए जब व ाम करते ह, तब अपने दो प बनाते ह. हे सूय दे व! तुम उदय हो कर सभी लोक को वश म करते ए उ ह का शत करते हो. (२८) ब महाँ अ स सूय बडा द य महाँ अ स. महां ते महतो म हमा वमा द य महाँ अ स.. (२९) हे सूय दे व! यह स य है क तुम महान हो और तु हारी म हमा भी महती है. (२९) रोचसे द व रोचसे अ त र े पत पृ थ ां रोचसे रोचसे अप व १ तः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उभा समु ौ
या
ा पथ दे वो दे वा स म हषः व जत्.. (३०)
हे सूय दे व! तुम वग म, अंत र म, पृ वी पर तथा जल म दमकते हो. तुम अपने तेज से पूव और प म सागर को ा त कर लेते हो. (३०) अवाङ् पर तात् यतो व आशु वप त् पतयन् पत ः. व णु व च ः शवसा ध त न् केतुना सहते व मेजत्.. (३१) द ण क ओर जाते ए सूय अपना माग शी ही पूरा कर लेते ह. ये ापक दे व परम ानी ह. ये अपनी श से अ ध त होते ह. ये अपने ान के बल से सम त व को अपने वश म कर लेते ह. (३१) च क वान् म हषः सुपण आरोचयन् रोदसी अ त र म्. अहोरा े प र सूय वसाने ा य व ा तरतो वीया ण.. (३२) म हमामय सूय ानवान एवं पू य ह. सूय दे व शोभन माग से गमन करते ह. सूय दे व आकाश, पृ वी और अंत र को दमकाते ए दवस और रा को आ य दे ते ह. सूय दे व के बल से ही सब पार होते ह. (३२) त मो व ाजन् त वं १ शशानो ऽ रंगमासः वतो रराणः. यो त मान् प ी म हषो वयोधा व ा आ थात् दशः क पमानः.. (३३) सूय दे व अपनी करण दमकाते ए अपने शरीर को तपाते ह. ये सुंदर ग त वाले, यो तमान, म हमाशाली तथा अ को पु करने वाले ह. (३३) च ं दे वानां केतुरनीकं यो त मान् दशः सूय उ न्. दवाकरो ऽ त ु नै तमां स व ातारीद् रता न शु ः.. (३४) दे वता क धजा प सूय सब के दशनीय ह. ये उदय हो कर दशा को का शत करते ह तथा सभी कार के अंधकार को मटाते ए अपने काश से दन को कट करते ह. सूय दे व पाप को र करते ह. (३४) च ं दे वानामुदगादनीकं च ु म य व ण या नेः. आ ाद् ावापृ थवी अ त र ं सूय आ मा जगत् त थुष .. (३५) र मय का शंसनीय समूह म ाव ण के च ु के समान है. सूय दे व भी ा णय के आ मा प ह. सभी ा णय म वेश करने वाले सूय, आकाश, अंत र और पृ वी को ा त कए ए ह. (३५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ चा पत तम णं सुपण म ये दव तर ण ाजमानम्. प याम वा स वतारं यमा रज ं यो तयद व दद ः.. (३६) ऊ वगामी, अ ण वण वाले एवं शुभ ग त वाले सूय के हम सदा तभी दशन कर, जब वे आकाश म गमन कर रहे ह . (३६) दव पृ े धावमानं सुपणम द याः पु ं नाथकाम उप या म भीतः. स नः सूय तर द घमायुमा रषाम सुमतौ ते याम.. (३७) म भयभीत हो कर आकाश म त गमन करते ए सूय क तु त करता आ उन का आ य ा त करता ं. हे सूय! हम तु हारी शोभन कृपा म रह तथा हसा को ा त न ह . तुम हम द घ जीवन दान करो. (३७) सह ाह् यं वयताव य प ौ हरेहस य पततः वगम्. स दे वा सवानुर युपद संप यन् या त भुवना न व ा.. (३८) हम पाप के नाशक, सुंदर गमन वाले तथा वगगामी सूय दे व के दोन अथात् उ रायण व द णायन तथा सह दन तक नयम म रहते ह. ये सूय दे व सभी दे व को अपने म लीन कर के सभी भूत अथात् ा णय को दे खते ए चलते ह. (३८) रो हतः कालो अभवद् रो हतो ऽ े जाप तः. रो हतो य ानां मुखं रो हतः व १ राभरत्.. (३९) रो हत काल म ये जाप त थे. ये य पोषण करते ह. (३९)
के मूल
प ह तथा ये ही रो हत अब वग का
रो हतो लोको अभवद् रो हतो ऽ यतपद् दवम्. रो हतो र म भभू म समु मनु सं चरत्.. (४०) वग म रहने वाले रो हत अपनी र मय से सागर और पृ वी म वचरते ह. ऐसे रो हत दशन करने यो य ह. (४०) सवा दशः समचरद् रो हतो ऽ धप त दवः. दवं समु माद् भू म सव भूतं वर त.. (४१) वग के अ धप त रो हत सब दशा म मण करते तथा वग सागर म जाते ह. ये सभी जीव के साथसाथ पृ वी क र ा करते ह. (४१) आरोहंछु ो बृहतीरत ो े पे कृणुते रोचमानः. च क वान् म हषो वातमाया यावतो लोकान भ यद् वभा त.. (४२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ये रो हत सूय रथ पर और अ पर अपने दो प बनाते ह. ये पू य मह वशाली और काशमान ह. सुंदर गमन वाले सूय सभी लोक को का शत करते ह. (४२) अ य १ यदे त पय यद यते ऽ होरा ा यां म हषः क पमानः. सूय वयं रज स य तं गातु वदं हवामहे नाधमानाः.. (४३) दन तथा रा य के ारा सूय का एक प सामने आता है. उन का सरा प गमनशील है. वग के माग म चलने वाले एवं अंत र गामी सूय का हम आ ान करते ह. (४३) पृ थवी ो म हषो नाधमान य गातुरद धच ुः प र व ं बभूव. व ं संप य सु वद ो यज इदं शृणोतु यदहं वी म.. (४४) जन क कभी हीन नह होती जो पृ वी के पालनकता और म हमाशाली ह, वे सूय संसार के सभी ओर ा त ह. वे जगत् के ा, अ य धक ानी और पू य ह. ऐसे सूय मेरे वचन सुन. (४४) पय य म हमा पृ थव समु ं यो तषा व ाजन् प र ाम त र म्. सव संप य सु वद ो यज इदं शृणोतु यदहं वी म.. (४५) सूय अपनी यो त के ारा ा त हो कर पृ वी, सागर और अंत र म अपनी यो त के ारा ा त ह. सब के कम को दे खने वाले सूय क म हमा अंत र म फैली ई है. सूय शोभना व ा वाले तथा पू य ह. (४५) अबो य नः स मधा जनानां त धेनु मवायतीमुषासम्. य ा इव वयामु जहानाः भानवः स ते नाकम छ.. (४६) गौ के समान आने वाली उषा के अ न दे व मनु य क सु वधा के ारा जाने जाते ह. उन क ऊ वगामी र मयां वग क ओर शी जाती ह. म सूय का आ य ा त करता ं. (४६)
सू -३
दे वता—अ या म रो हत
य इमे ावापृ थवी जजान यो ा प कृ वा भुवना न व ते. य मन् य त दशः षडु व याः पत ो अनु वचाकशी त. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१) इस आकाश और पृ वी को उ ह ने कट कया जो सभी लोक को आ छा दत करते ह, जन म छह उ वयां और दशाएं नवास करती ह. जन दशा को वे ही का शत करते ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह, उन ोधपूण सूय का जो अपमान करता है अथवा व ान् ा ण क हसा करता है अथवा क दे ता है, हे रो हत दे व! तुम उस को कं पत करो तथा उसे ीण करते ए बंधन म डाल दो. (१) य माद् वाता ऋतुथा पव ते य मात् समु ा अ ध व र त. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (२) जस दे वता के भाव से वायु ऋतु के अनुसार चलती है तथा समु भा वत होते ह, ोध म भरे ए सूय का जो अपमान करता है अथवा व ान् ा ण क हसा करता है, हे रो हत दे व! उस घाती को कं पत करते ए ीण करो और बंधन म डाल दो. (२) यो मारय त ाणय त य मात् ाण त भुवना न व ा. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (३) जो मनु य म ाण भरते ह, जो मनु य क हसा करते ह, उन के ारा सभी ाणी ास लेते और ास के प म छोड़ते ह, ोध म भरे उस दे वता का जो अपमान करता है अथवा व ान् ा ण क हसा करता है, उस घाती को कं पत करते ए हे रो हत दे व! ीण करो एवं बंधन म डालो. (३) यः ाणेन ावापृ थवी तपय यपानेन समु य जठरं यः पप त. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (४) जो दे वता ाण, आकाश और पृ वी को तृ त करता है तथा अपमान से समु के पेट को पालता है, ोध म भरे उस के अपराधी और व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व कं पत करते ए ीण बनाओ एवं बंधन म डालो. (४) य मन् वराट् परमे ी जाप तर नव ानरः सह पङ् या तः. यः पर य ाणं परम य तेज आददे . त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (५) जस म वराट् परमे ी वै ानर पं , जा और अ न स हत नवास करते ह, जस ने उ कृ ाण के महान तेज को धारण कया है, उन ोधवंत दे वता के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! कं पत करते ए ीण करो तथा अपने बंधन म बांध लो. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य मन् षडु व ः प च दशो अ ध ता त आपो य य यो ऽ राः. यो अ तरा रोदसी ु ुषै त. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (६) पांच दशाएं, छह उ वयां, चार जल तथा य के तीन अ र जस म आ त ह, जो आकाश और पृ वी के म य अपने ोधपूण ने से दे खता है, उस ोधवान दे वता के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! कं पत करते ए ीण बनाओ और अपने पाश म बांध लो. (६) यो अ ादो अ प तबभूव ण प त त यः. भूतो भ व यद् भुवन य य प तः. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (७) जो ण प त ह, जो अ के पालक और भ क ह, जो भूत, भ व य और लोक के वामी ह, उन ोधयु दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! कं पत करते ए ीण बनाओ तथा अपने पाश म बांध लो. (७) अहोरा ै व मतं शद ं योदशं मासं यो न ममी त. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (८) ज ह ने तीन दनरा का समूह बना कर तेरहव अ धक मास का नमाण कया, ऐसे ोधयु दे व के अपराधी और व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! कं पत करते ए ीण बनाओ तथा उसे अपने पाश म बांध लो. (८) कृ णं नयानं हरयः सुपणा अपो वसाना दवमुत् पत त. त आववृ सदना त य. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (९) सूय क सुंदर र मयां जल को सोख कर वग म जाती ह तथा द णायन म जल थान से लौटती ह, उन ोध वाले दे व के अपराधी एवं व ान् ा ण के हसक को हे रो हतदे व! कं पत करते ए ीण बनाओ तथा अपने पाश म बांध लो. (९) यत् ते च ं क यप रोचनावद् यत् सं हतं पु कलं च भानु. य म सूया आ पताः स त साकम्. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उद् वेपय रो हत
णी ह
यय
त मु च पाशान्.. (१०)
हे क यप! तु हारे रोचमान च भानु म सात सूय एक साथ रहते ह. ऐसे ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! कं पत करते ए ीण बनाओ और अपने पाश म बांध लो. (१०) बृहदे नमनु व ते पुर ताद् रथ तरं त गृहणा ् त प ात्. यो तवसाने सदम मादम्. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (११) जस के अनुकूल रह कर बृहत् आ छादन करता और रथंतर उसे धारण करता है, वे दोन ही जा तय से सदै व ढके रहते ह. ऐसे ोधवंत दे व के अपराधी एवं व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ अपने पाश से बांध दो. (११) बृहद यतः प आसीद् रथ तरम यतः सबले स ीची. यद् रो हतमजनय त दे वाः. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१२) दे वता ारा रो हत को उ प करने के समय बृहत् एक ओर तथा रथंतर सरी ओर ए. ये दोन ही श शाली और साथ रहने वाले प ह. इस ोधवंत दे व के अपराधी और व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! कं पत करते ए ीण बनाओ तथा अपने बंधन म बांध लो. (१२) स व णः सायम नभव त स म ो भव त ात न्. स स वता भू वा त र ेण या त स इ ो भू वा तप त म यतो दवम्. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१३) वे व ण दे व सायं समय अ न होते ह और ातःकाल उ दत होते ए म बन जाते ह. वे स वता के प से अंत र म तथा इं के प म वग म थत रहते ह. ऐसे ोधवंत दे व का जो अपराध करता है और व ान् ा ण क हसा करता है, उसे हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ तथा अपने पाश म बांध लो. (१३) सह ा यं वयताव य प ौ हरेहस य पततः वगम्. स दे वा सवानुर युपद संप यन् या त भुवना न व ा. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इन पापनाशक और वगगामी सूय से दोन अयन अथात् उ रायण और द णायन सह दवस म नयमपूवक बंधे रहते ह. ये सब दे वता को अपने म लीन कर के सभी जीव को दे खते ए चलते ह. ऐसे ोधवंत दे व के अपराधी और व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ और अपने पाश के बंधन म डालो. (१४) अयं स दे वो अ व १ तः सह मूलः पु शाको अ ः. य इदं व ं भुवनं जजान. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१५) सभी लोक को ज ह ने का शत कया वे दे व जल म वास करते ह. वे ही सह के मूल प तथा तीन ताप अथात् दै हक, दै वक भौ तक से र हत अ न ह. इस ोधवंत दे व के अपराधी और व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ और अपने पाश म बांध लो. (१५) शु ं वह त हरयो रघु यदो दे वं द व वचसा ाजमानम्. य यो वा दवं त व १ तप यवाङ् सुवणः पटरै व भा त. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१६) वग म अपने तेज से दमकते ए सूय को उन क तगामी र मयां नमल रस ा त कराती ह उन क दे ह के ऊ व भाग प र मयां वग को संत त करती ह. जो व णम र मय ारा काश फैलाते ह, उन ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ और अपने पाश से बांध दो. (१६) येना द यान् ह रतः संवह त येन य ेन बहवो य त जान तः. यदे कं यो तब धा वभा त. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१७) जन के भाव से सूय के अ सूय को वहन करते ह तथा जन के भाव से व पु ष य आ द कम को ा त होते ह, जो एक यो त होते ए भी अनेक प से काशमान ह, ऐसे ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ तथा उसे अपने पाश से बांधो. (१७) स त यु त रथमेकच मेको अ ो वह त स तनामा. ना भ च मजरमनव य ेमा व ा भुवना ध त थुः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१८) फैलने वाली करण अ य जा तय को न तेज कर के च वाले सूय के रथ म यु होती ह. ये सूय स तऋ षय ारा कए ए नम कार को वीकार कर के घूमते ह. ये ी म, वषा और हेमंत—इन तीन ऋतु वाले वष को बनाते ह. सब लोक इस काल के आ त ह. ऐसे ोधवंत दे वता के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! कं पत करते ए ीण बनाओ और उसे अपने पाश से बांध लो. (१८) अ धा यु ो वह त व ः पता दे वानां ज नता मतीनाम्. ऋत य त तुं मनसा ममानः सवा दशः पवते मात र ा. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (१९) आठ कार से बहने वाले अ न उ ह. वे दे व के पालक तथा बु य को उ प करने वाले ह. ऐसे ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ तथा उसे अपने पाश से बांध दो. (१९) स य चं त तुं दशो ऽ नु सवा अ तगाय याममृत य गभ. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (२०) गाय ी म, अमृत के गभ म तथा सभी दशा म पूजनीय जलतंतु को वायु प व करते ह. उन ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ तथा उसे अपने पाश से बांध दो. (२०) न ुच त ो ुषो ह त ी ण रजां स दवो अ त ः. वद्मा ते अ ने ेधा ज न ं ेधा दे वानां ज नमा न वद्म. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (२१) हे अ न! हम तु हारी तीन उ प य को जानते ह. तु हारी तीन ग तयां भ म करने वाली ह. हम तीन लोक तथा वग म तीन भेद को भी जानते ह. ऐसे उन ोधवंत दे व के अपराधी को तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हतदे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ तथा उसे अपने पाश से बांध लो. (२१) व य औण त् पृ थव जायमान आ समु मदधाद त र े. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो उ प हो कर भू म को आ छा दत करता है तथा जल को अंत र म थर करता है, ऐसे उस ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ तथा अपने पाश से बांध लो. (२२) वम ने तु भः केतु भ हतो ३ कः स म उदरोचथा द व. कम याच म तः पृ मातरो यद् रो हतमजनय त दे वाः. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (२३) हे अ न! तुम ऋतु संबंधी दश म द त कए जाते हो तथा वग म अचना के साधन प बनते हो. या प माता के पु म द्गण ने तु हारी पूजा क थी जो दे वता रो हत दे व से मले थे. उन ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ और अपने पाश से बांध लो. (२३) य आ मदा बलदा य य व उपासते शषं य य दे वाः. यो ३ येशे पदो य तु पदः. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (२४) शारी रक बल के दाता आ मक बल के ेरक, जन के बल क दे वता आराधना करते ह तथा जो ा णमा के वामी ह, ऐसे ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक को हे रो हत दे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ तथा अपने पाश से बांध लो. (२४) एकपाद् पदो भूयो व च मे पात् पादम ये त प ात्. चतु पा च े पदाम भ वरे संप यन् प ङ् मुप त मानः. त य दे व य ु यैतदागो य एवं व ांसं ा णं जना त. उद् वेपय रो हत णी ह य य त मु च पाशान्.. (२५) यह दे व एक पैर वाला होने पर भी दो पैर वाल से तेज दौड़ता है, दो पैर वाला तीन पैर वाल के पीछे चलता है. चार पैर वाला दो पैर वाल तथा एक वर म रहने वाल क पं म दे खता आ उन से सेवा लेता है. ऐसे उन ोधवंत दे व के अपराधी तथा व ान् ा ण के हसक घाती को हे रो हतदे व! तुम कं पत करते ए ीण बनाओ और उसे अपने ढ़ पाश से बांध लो. (२५) कृ णायाः पु ो अजुनो रा या व सो ऽ जायत. स ह ाम ध रोह त हो रोह रो हतः.. (२६) काले रंग क रा
का पु
काशमान सूय आ है. लाल रंग वाला वह वृ
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करने वाले
सब से ऊपर चढ़ा है. वही न त
प से ुलोक पर चढ़ता है. (२६)
दे वता—अ या म
सू -४ स ए त स वता व दव पृ े ऽ वचाकशत्.. (१)
वे सूय आकाश क पीठ पर दमकते ए आते ह. (१) र म भनभ आभृतं महे
ए यावृतः.. (२)
सूय ने अपनी र मय से आकाश को ढक दया है. सूय र मय से यु
ह. (२)
स धाता स वधता स वायुनभ उ तम्. र म भनभ आभृतं महे ए यावृतः.. (३) वह धाता है, वधाता है तथा वही वायु है, जस ने आकाश को ऊंचा बनाया है. (३) सो ऽ यमा स व णः स र म भनभ आभृतं महे
ः स महादे वः. ए यावृतः.. (४)
वही अयमा, वही व ण, वही
और वही महादे व है. (४)
सो अ नः स उ सूयः स उ एव महायमः. र म भनभ आभृतं महे ए यावृतः.. (५) वही अ न, वे ही सूय तथा वे ही महान यम ह. (५) तं व सा उप त येकशीषाणो युता दश. र म भनभ आभृतं महे ए यावृतः.. (६) एक शीश वाले दस व स उ ह क आराधना करते ह. (६) प ात् ा च आ त व त य दे त व भास त. र म भनभ आभृतं महे ए यावृतः.. (७) वे उदय होते ही दमकने लगते ह तथा उन के पीछे उन क पूजनीय र मयां उन के चार ओर छा जाती ह. (७) त यैष मा तो गणः स ए त श याकृतः.. (८) छ के के आकार वाला उन का ही एक गण मा त उनके पीछे आ रहा है. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
र म भनभ आभृतं महे
ए यावृतः.. (९)
उ ह ने अपनी र मय से आकाश को ढक लया है. ये महान इं के ारा करण से ढके ए चले आ रहे ह. (९) त येमे नव कोशा व भा नवधा हताः.. (१०) उस के नौ कोष व वध
प धारण कए ए ह. (१०)
स जा यो व प य त य च ाण त य च न.. (११) वे थावर और जंगम सभी जा
के
ा और सभी के सा ी ह. (११)
त मदं नगतं सहः स एष एक एकवृदेक एव.. (१२) यह सब उसी को ा त होता है. वह अकेला ही एकवृत है. (१२) एते अ मन् दे वा एकवृतो भव त.. (१३) सब दे वता इस एक का ही वरण करते ह. (१३)
दे वता—अ या म
सू -५
क त यश ा भ नभ बा णवचसं चा ं चा ा ं च य एतं दे वमेकवृतं वेद.. (१) क त, यश, आकाश, जल, वचस् अथात् या उसे ही ा त होती है, जो इन एकवृत अथात् न
तेज अ और अ को पचाने क का ाता है. (१)
तीयो न तृतीय तुथ ना यु यते. य एतं दे वमेकवृतं वेद.. (२)
इन एकवृत अथात्
का ाता
तीय, तृतीय चतुथ नह कहलाता. (२)
न प चमो न ष ः स तमो ना यु यते. य एतं दे वमेकवृतं वेद.. (३) इन एकवृत अथात्
का ाता पंचम, ष अथवा स तम नह कहलाता है. (३)
ना मो न नवमो दशमो ना यु यते. य एतं दे वमेकवृतं वेद.. (४) जो इन एकवृत अथात्
का ाता है वह अ म, नवम नह कहलाता है. (४)
स सव मै व प य त य च ाण त य च न. य एतं दे वमेकवृतं वेद.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(५)
इन एकवृत अथात्
का
ाता थावर और जंगम सभी को दे खने वाला होता है.
त मदं नगतं सहः स एष एक एकवृदेक एव. य एतं दे वमेकवृतं वेद.. (६) वह असाधारण एकवृत अथात्
ही है, यह सब उसे ही ा त होता है. (६)
सव अ मन् दे वा एकवृतो भव त. य एतं दे वमेकवृतं वेद… (७) ये सब दे व उस
म एक
प होते ह, जो एक त को जानता है. (७)
दे वता—अ या म
सू -६ च तप क त दे वमेकवृतं वेद.. (१)
यश ा भ
भूतं च भ ं च ाच च य एतं दे वमेकवृतं वेद.. (३)
वग
नभ
ा णवचसं चा ं चा ा ं च. य एतं
वधा च.. (२)
, तप, क त, यश, जल, आकाश, चय, अ और अ को पचाने क श व भूत, भ व य, ा, च, वग और वधा—ये सभी उस एक वृत अथात् के ाता को ा त होते ह. (१-३) य एव मृ युः सो ३ मृतं सो ३ वं १ स र ः. (४) वे ही मृ यु, अमृत, अ व ह तथा वही रा स ह. (४) स
ो वसुव नवसुदेये नमोवाके वषट् कारो ऽ नु सं हतः.. (५)
वही धनदान के समय धन ा त करने वाले तथा वही नम कार य म उ म री त से बोला गया व कार है. (५) त येमे सव यातव उप
शषमासते.. (६)
ये सब रा स आ द उस क आ ा म रहते ह. (६) त यामू सवा न ये सब न
सू -७
ा वशे च मसा सह.. (७)
चं मा के साथ उस के वश म रहते ह. (७)
दे वता—अ या म
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स वा अ ो ऽ जायत त मादहरजायत.. (१) उस से दन कट आ और वह दन से कट आ. (१) स वै रा या अजायत त माद् रा रजायत.. (२) रा
उह
से कट ई और वे रा
से उ प
ए. (२)
स वा अ त र ादजायत त माद त र मजायत.. (३) अंत र उन से कट आ और वे अंत र से कट ए. (३) स वै वायोरजायत त माद् वायुरजायत.. (४) वायु उन से कट ई और वे वायु से कट ए. (४) स वै दवो ऽ जायत त माद् ौर यजायत.. (५) आकाश उन से कट आ और वे आकाश से कट ए. (५) स वै द यो ऽ जायत त माद् दशो ऽ जाय त.. (६) दशाएं उन से कट
और वे दशा
से कट ए. (६)
स वै भूमेरजायत त माद् भू मरजायत.. (७) पृ वी उन से कट
और वे पृ वी से कट ए. (७)
स वा अ नेरजायत त माद नरजायत.. (८) अ न उन से कट ई और वे अ न से कट ए. (८) स वा अ यो ऽ जायत त मादापो ऽ जाय त.. (९) जल उन से कट आ और वे जल से कट ए. (९) स वा ऋ यो ऽ जायत त मा चो ऽ जाय त.. (१०) ऋचाएं उन से कट
और वे ऋचा
से कट ए. (१०)
स वै य ादजायत त माद् य ो ऽ जायत.. (११) य उन से कट आ और वे य से कट ए. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सय
त यय ःसय
य शर कृतम्.. (१२)
य उन का है और वे य के ह एवं य के शीष
प ह. (१२)
स तनय त स व ोतते स उ अ मानम य त.. (१३) वे ही दमकते और कड़कते ह वे ही उपल गराते है. (१३) पापाय वा भ ाय वा पु षायासुराय वा.. (१४) (१४)
तुम पा पय को, क याणकारी पु ष को, असुर को और ओष धय को उ प करते हो. य ा कृणो योषधीय ा वष स भ या य ा ज यमवीवृधः.. (१५) क याणमयी वृ
के
प म तुम रसते हो तथा उ प
को बढ़ाते हो. (१५)
तावां ते मघवन् म हमोपो ते त वः शतम्.. (१६) (१६)
तुम मघवन अथात् इं हो. तुम सैकड़ दे व से यु
हो और म हमा के ारा महान हो.
उपो ते ब वे ब ा न य द वा स यबुदम्.. (१७) तुम सैकड़ बांधे
के बांधने वाले और अंत र हत हो. (१७)
सू -८
दे वता—अ या म रो हत
भूया न ो नमुराद् भूया न ा स मृ यु यः.. (१) वे इं नमुर से े ह. हे इं ! तुम मृ यु के कारण से भी उ कृ हो. (१) भूयानरा याः श याः प त व म ा स वभूः भू र त वोपा महे वयम्.. (२) हे इं ! तुम श ु क अपे ा महान हो. तुम श हो. इस कार के तु हारी हम उपासना करते ह. (२)
के प त हो, तुम
नम ते अ तु प यत प य मा प यत.. (३) हे दशनीय! तु हारे लए नम कार है. हे शोभन! तुम मुझे दे खो. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ापक और वामी
अ ा ेन यशसा तेजसा ा णवचसेन.. (४) तुम मुझे खानपान, यश, तेज और
वचस से यु
करो. (४)
अ भो अमो महः सह इ त वोपा महे वयम्. नम ते अ तु प यत प य मा प यत. अ ा ेन यशसा तेजसा ा णवचसेन.. (५) तुम जल, पौ ष, मह ा और बल व प हो. हम तु हारी उपासना करते ह. हे दशनीय! आप को नम कार है. हे शोभन! आप मुझे दे ख. आप हम अ , यश, तेज एवं वचस से यु कर. (५) अ भो अ णं रजतं रजः सह इ त वोपा महे वयम्. नम ते अ तु प यत प य मा प यत. अ ा ेन यशसा तेजसा ा णवचसेन.. (६) हे जल! आप अ ण एवं ेत वण के ह. हम आप को या मक तथा श प समझ कर आपक उपासना करते ह. आप हम अ , यश, तेज तथा वचस दान कर. (६)
दे वता—अ या म रो हत
सू -९ उ ः पृथुः सुभूभुव इ त वोपा महे वयम्. नम ते अ तु प यत प य मा प यत. अ ा ेन यशसा तेजसा ा णवचसेन.. (१) तुम हम अ , यश, तेज और
वचस दान करो. तु हारी हम उपासना करते है. (१)
थो वरो चो लोक इ त वोपा महे वयम्. नम ते अ तु प यत प य मा प यत. अ ा ेन यशसा तेजसा ा णवचसेन.. (२) आप महान, व तृत, उ म होने वाले एवं साम य प ह. हे शोभन! आप को नम ते, हे दशनीय! आप मुझे दे ख, आप हम अ , यश तेज तथा वचस दान कर. हम आप क उपासना करते ह. (२) भव सु रद सुः संय सुराय सु र त वोपा महे वयम्.. (३) हम तु ह भागमु , संबंध को एक करने वाले, संबंध को ा त करने वाले मान कर तु हारी उपासना करते ह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नम ते अ तु प यत प य मा प यत.. (४) हे दशनीय! तु हारे लए नम कार है. तुम मुझे दे खो. (४) अ ा ेन यशसा तेजसा ा णवचसेन.. (५) तुम मुझे खानपान, यश, तेज और
वचस से यु
करो. (५)
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चौदहवां कांड दे वता—सोम
सू -१ स येनो भता भू मः सूयणो भता ौः. ऋतेना द या त त द व सोमो अ ध तः.. (१)
स य से भू म और सूय से आकाश थत है. सूय के बना आकाश म चं मा थत नह होता. (१) सोमेना द या ब लनः सोमेन पृ थवी मही. अथो न ाणामेषामुप थे सोम आ हतः.. (२) सोम के कारण आ द य बलशाली है तथा सोम के कारण पृ वी वशाल है. इसी कारण यह सोम न के समीप रहता है. (२) सोमं म यते प पवान् यत् सं पष योष धम्. सोमं यं ाणो व न त या ा त पा थवः.. (३) जो सोम प ओष ध को पीस कर पीते ह, वे अ न को सोमपान करने वाला समझते ह. ानी जन जस सोम को जानते ह, उस का भ ण साधारण ाणी नह कर सकते. (३) यत् वा सोम पब त तत आ यायसे पुनः. वायुः सोम य र ता समानां मास आकृ तः.. (४) हे सोम! पु ष तु ह पीते ह, फर भी तुम वृ प से वायु इस सोम क र ा करता है. (४)
को ा त होते रहते हो. अनेक संव सर
आ छ धानैगु पतो बाहतैः सोम र तः. ा णा म छृ वन् त स न ते अ ा त पा थवः.. (५) हे सोम! बृहती छं द वाले कम से तथा आ छद वधान से तु हारी र ा होती है. सोम कूटने के पाषाण से जो श द होता है, उस से तु हारी थ त है. पा थव जीव तु हारा सेवन नह कर सके. (५) च रा उपबहणं च ुरा अ य
नम्.
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ौभू मः कोश आसीद् यदयात् सूया प तम्.. (६) जब सूया अपने प त के पास गई, तब ान उस का त कया तथा च ु ही अंजन बने. आकाश और पृ वी उस के कोष थे. (६) रै यासीदनुदेयी नाराशंसी योचनी. सूयाया भ मद् वासो गाथयै त प र कृता.. (७) वेदमं के साथ उस क पता के घर से वदाई ई. मं से ही प त गृह म उस का वागत आ. मं के ारा प व बना प त के घर का व उस वधू का क याण करता है. (७) तोमा आसन् तधयः कुरीरं छ द ओपशः. सूयाया अ ना वरा नरासीत् पुरोगवः.. (८) प त के घर के य वधू के लए भोग तथा वेदमं ही उस के आभूषण ए थे. कुरीर नाम का छं द उस के शरीर का आभूषण बना. दोन अ नीकुमार सूय के घर म और अ न दे व उस के आगे चल रहे थे. (८) सोमो वधूयुरभवद ना तामुभा वरा. सूया यत् प ये शंस त मनसा स वताददात्.. (९) सोम वधू क इ छा करने वाले ए. दोन अ नीकुमार उन के सा ी थे. तब स वता ने मन से तु त करने वाली सूया को प त के हाथ म दान के प म दया. (९) मनो अ या अन आसीद् ौरासी त छ दः. शु ावनड् वाहावा तां यदयात् सूया प तम्.. (१०) जब सूया अपने प त को ा त ई तब मन रथ बना तथा उस रथ म दो बलवान बैल जुड़े ए थे. (१०)
ुलोक उस क छत आ.
ऋ सामा याम भ हतौ गावौ ते सामनावैताम्. ो े ते च े आ तां द व प था राचरः.. (११) ऋ वेद और सामवेद से अ भमं त तेरे दोन बल श पूवक चलते ह. दोन कान तेरे रथ के दो प हए ह. ुलोक म तेरा चर और अचर माग है. (११) शुची ते च े या या ानो अ आहतः. अनो मन मयं सूयारोहत् यती प तम्.. (१२) तुझे ले जाने वाले रथ के दोन प हए शु
ह. उस रथ के अ
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के थान पर
ान
नामक वायु रखी है. अपने प त के पास जाने वाली सूया इस मनोमय रथ पर चढ़ती है. (१२) सूयाया वहतुः ागात् स वता यमवासृजत्. मघासु ह य ते गावः फ गुनीषु ु ते.. (१३) स वता दे व ने जस को भेजा था, सूया का वह दहेज आगे गया है. मघा न भेजी जाती ह और फा गुनी न म ववाह होता है. (१३)
म गाएं
यद ना पृ छमानावयातं च े ण वहतुं सूयायाः. वैकं च ं वामासीत् व दे ाय त थथुः.. (१४) हे अ नीकुमारो! जब तुम सूया का दहेज ले कर चले, उस समय तुम दे व को पूछते ए तीन प हय वाले रथ के सहारे चले. तु हारा वह कम सब दे व को चकर तीत आ. पूषा ने तु ह इस कार वीकार कया जैसे पु पता को वीकार करता है. (१४) यदयातं शुभ पती वरेयं सूयामुप. व े दे वा अनु तद् वामजानन् पु ः पतरमवृणीत पूषा.. (१५) हे सूया! तेरे रथ के दोन च को ानीजन ऋतु के अनुसार जानते ह. तेरे रथ का जो एक च गु त है, उसे वशेष ानी ही जानते ह. (१५) े ते च े सूय ाण ऋतुथा व ः. अथैकं च ं यद् गुहा तद ातय इद् व ः.. (१६) हे शुभ करने वाले अ नीकुमारो! तुम दोन जब वर के ारा पूछने यो य सूय के समीप गए, तु हारे उसे कम को सभी दे व ने सराहा. पूषा ने तु ह उसी कार वीकार कया जस कार पु पता को वीकार करता है. (१६) अयमणं यजामहे सुब धुं प तवेदनम्. उवा क मव ब धनात् ेतो मु चा म नामुतः.. (१७) अ छे बंधुबांधव से यु प त का ान दे ने वाले तथा े मनवाले हम तेरा स कार करते ह. खरबूजा जस कार अपनी बेल से छू ट जाता है, उसी कार म तुझे तेरे पतृकुल से छु ड़ाता ,ं म तुझे प तकुल से अलग नह करता. (१७) े ो मु चा म नामुतः सुब ाममुत करम्. त यथेय म मीढ् वः सुपु ा सुभगास त.. (१८) म तुझे तेरे पतृकुल से मु करता ं, प तकुल से नह . प तकुल से तो म तुझे भलीभां त बांधता ं. हे दाता इं ! ऐसी कृपा करो क यह वधू उ म पु वाली तथा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सौभा यशा लनी बने. (१८) वा मु चा म व ण य पाशाद् येन वाब नात् स वता सुशेवाः. ऋत य योनौ सुकृत य लोके योनं ते अ तु सहसंभलायै.. (१९) म तुझे व ण के उस शाप से मु करता ,ं जस से तुझे सेवा करने यो य स वता ने बांधा था. सदाचारी और उ म कम करने वाले प त के घर म तुझे सुख ा त हो. (१९) भग वेतो नयतु ह तगृ ा ना वा वहतां रथेन. गृहान् ग छ गृहप नी यथासो व शनी वं वदथमा वदा स.. (२०) भग नाम के दे व तेरा हाथ पकड़ कर तुझे यहां से चलाएं. अ नीकुमार तुझे रथ म बैठा कर तेरे प त के घर प ंचाएं. तू अपने प त के घर को जा. वहां तू घर क वा मनी बन और सब को वश म रख. प त के घर म तू उ म ववेक क बात कह. (२०) इह यं जायै ते समृ यताम मन् गृहे गाहप याय जागृ ह. एना प या त वं १ सं पृ वाथ ज व वदथमा वदा स.. (२१) अपने प त के घर म तू गाहप य अ न के त सचेत रह. तेरी संतान के लए व तुएं बढ़. तू अपनी आयु पूण होने तक बोलती रहे. (२१) इहैव तं मा व यौ ं व मायु ुतम्. ड तौ पु ैन तृ भम दमानौ व तकौ.. (२२) तुम दोन प तप नी सदा साथ रहो. तुम कभी एक सरे से अलग मत होओ. तुम दोन जीवन पयत अनेक कार के भोजन करो, अपने पु आ द के साथ ड़ा कर के तथा क याण से मु होते ए सदा स रहो. (२२) पूवापरं चरतो माययैतौ शशू ड तौ प र यातो ऽ णवम्. व ा यो भुवना वच ऋतूंर यो वदध जायसे नवः.. (२३) ये सूय और चं मा शशु के समान ड़ा करते ए पूव से प म क ओर गमन करते ह. इन म से एक अथात् सूय लोक को दे खता आ ऋतु का नमाण करता है तथा नवीन प म कट होता है. (२३) नवोनवो भव स जायमानो ऽ ां केतु षसामे य म्. भागं दे वे यो व दधा यायन् च म तरसे द घमायुः.. (२४) हे चं ! तुम मास म थत हो कर सदा नवीन रहते हो. तुम अपनी कला को घटाते और बढ़ाते ए तपदा आ द त थय का नमाण करते हो. तुम उषा काल म आगे आ कर ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे व को उ म भाग दे ते हो तथा सभी को द घ जीवन दान करते हो. (२४) परा दे ह शामु यं यो व भजा वसु. कृ यैषा प ती भू वा जाया वशते प तम्.. (२५) हे वर! तुम उ म व दान करो तथा ा ण को धन दो, जब यह कृ या अथात् वनाशक वभाव वाली ी बन कर प त के समीप जाती है. (२५) नीललो हतं भव त कृ यास यते. एध ते अ या ातयः प तब धेषु ब यते.. (२६) जब नीला और लाल व होता है अथवा पु ष ो धत होता है, तभी यह कृ या अथात् वनाशक वभाव वाली ी बढ़ती है तथा इस क जा त के मनु य क वृ होती है. इसी के कारण इस का प त बंधन म बंध जाता है. (२६) अ ीला तनूभव त शती पापयामुया. प तयद् व वो ३ वाससः वम म यूणुते.. (२७) जब प नी के व से प त अपना शरीर ढकता है, तब सुंदर शरीर वाला प त भी इस पाप पूण री त के कारण शोभाहीन हो जाता है. (२७) आशसनं वशसनमथो अ ध वकतनम्. सूयायाः प य पा ण ता न ोत शु भ त.. (२८) धारी वाले व म सर के व तथा सभी अंग पर रहने वाले व म कृ या अथात् वभाव वाली ी के प को दे खो. इन प को ा ही तेज वी करता है. (२८) तृ मेतत् कटु कमपा वद् वषव ैतद वे. सूया यो ा वेद स इद् वाधूयमह त.. (२९) यह अ यास उ प करने वाला तथा कड़वा है. यह अ घृ णत तथा वषैला है. यह खाने यो य नह है. जो ा ण सूया को इस कार क श ा दे ता है, वह न त प से वधू संबंधी व लेने यो य है. (२९) स इत् तत् योनं हर त ा वासः सुम लम्. ाय यो अ ये त येन जाया न र य त.. (३०) जस व से ाय होता है अथात् चत् क शु होती है तथा जस के कारण प नी मरण को ा त नह होती है, उस क याणकारी व को ा धारण करता है. (३०) युवं भगं भरतं समृ मृतं वद तावृतो ेषु. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ण पते प तम यै रोचय चा संभलो वदतु वाचमेताम्.. (३१) हे प त और प नी! तुम दोन स य वहार के रहते ए तथा स य भाषण करते ए समृ वाला भा य ा त करो. हे बृह प त! इस प नी के दय म प त के त च उ प करो. प त इस के त सुंदर वाणी बोले. (३१) इहेदसाथ न परो गमाथेमं गावः जया वधयाथ. शुभं यती याः सोमवचसो व े दे वाः ह वो मनां स.. (३२) हे गायो! तुम यहां ही रहो. तुम यहां से र मत जाओ. तुम इसे उ म संतान के साथ बढ़ाओ. हे गायो! तुम शुभ को ा त कराने वाली तथा चं मा क करण के समान भा वाली बनो. सभी दे व तु हारे दय को थर बनाएं. (३२) इमं गावः जया सं वशाथायं दे वानां न मना त भागम्. अ मै वः पूषा म त सव अ मै वो धाता स वता सुवा त.. (३३) हे गायो! तुम इस के घर म अपनी संतान के साथ वेश करो. यह मनु य दे व के भाग का लोप नह करता. वधाता और स वता तु ह सरे मनु य के लए उ प करते ह. (३३) अनृ रा ऋजवः स तु प थानो ये भः सखायो य त नो वरेयम्. सं भगेन समय णा सं धाता सृजतु वचसा.. (३४) हमारे वे सभी माग कंटक र हत और सरल ह, जन से हमारे म क या के घर तक प ंचते ह. धाता, भग और अयमा दे व इसे तेज से यु कर. (३४) य च वच अ ेषु सुरायां च यदा हतम्. यद् गो व ना वच तेनेमां वचसावतम्.. (३५) हे अ नीकुमारो! जो तेज आंख म होता है, जो संप जो तेज गाय म है, उसी तेज से इस क र ा करो. (३५)
म थान ा त करता है तथा
येन महान या जघनम ना येन वा सुरा. येना ा अ य ष य त तेनेमां वचसावतम्.. (३६) हे अ नीकुमारो! जस से बड़ी गौ का नचला धाशय का भाग, जस से संप जस से आंख भरी रहती ह, उस तेज से उस वधू क र ा करो. (३६)
तथा
यो अ न मो द दयद व १ तय व ास ईडते अ वरेषु. अपां नपा मधुमतीरपो दा या भ र ो वावृधे वीया वान्.. (३७) जो जल म बना धन के चमकने वाला तेज है, जो य ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के
ज का ान
प तेज
है, जो जल म मधुरता और पु ष म वीय है; इस तेज, ान, माधुय और वीय से गृह थ यु ह . इं इ ह क अ धकता से सब से महान बने ह. (३७) इदमहं श तं ाभं तनू षमपोहा म. यो भ ो रोचन तमुदचा म.. (३८) म शरीर म दोष उ प करने वाले वनाशक रोग को र करता ं. जो क याणमय तेज वी है, उसे अपने पास बुलाता ं. (३८) आ यै ा णाः नपनीहर वीर नी दज वापः अय णो अ नं पयतु पूषन् ती ते शुरो दे वर .. (३९) ा ण इस के लए नान का जल ले आएं. वे ऐसा जल लाएं जो वीर का नाश न करे. वह अयमा दे व क अ न क द णा करे. हे पूषा दे व! ससुर और दे वर इस वधू क ती ा कर. (३९) शं ते हर यं शमु स वापः शं मे थभवतु शं युग य तद्म. शं त आपः शतप व ा भव तु शमु प या त वं १ सं पृश व.. (४०) तेरे लए सुवण क याणकारी तथा जल सुख दे ने वाला हो. गाय बांधने का खंभा तुझे सुख दे ने वाला हो. जुए का छे द तुझे सुखकर हो. सौ कार से प व ता दान करने वाला जल तेरे लए सुखकारी हो. तू सुखकारक एक री त से अपने प त के साथ अपने शरीर का पश कर. (४०) खे रथ य खे ऽ नसः खे युग य शत तो. अपाला म पू वाकृणोः सूय वचम्.. (४१) हे सौ य करने वाले इं दे व! रथ के छ म, गाड़ी के छ तथा जुए के छ म अयो य री त से पाली ई युवती को तुम ने तीन बार प व कर के सूय के समान तेज वी वचा वाला बनाया है. (४१) आशासाना सौमनसं जां सौभा यं र यम्. प युरनु ता भू वा सं न वामृताय कम्.. (४२) उ म मन, संतान, सौभा य और धन क आशा करने वाली तू प त के अनुकूल आचरण करने वाली हो कर सुखपूवक अमर व के हेतु स हो. (४२) यथा स धुनद नां सा ा यं सुषुवे वृषा. एवा वं स ा ये ध प युर तं परे य.. (४३) जस कार श
शाली सागर न दय पर शासन करता है, उसी कार तू भी अपने
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प त के घर प ंच कर स ा ी बनती ई नवास कर. (४३) स ा ये ध शुरेषु स ा युत दे वृषु. नना ः स ा ये ध स ा युत वाः.. ् (४४) तू ससुर म वा मनी के समान, वर म महारानी के समान आदर पा कर रह. तू ननद के साथ रानी के समान तथा सास के साथ स ा ी के समान नवास कर. (४४) या अकृ त वयन् या त नरे या दे वीर ताँ अ भतो ऽ दद त. ता वा जरसे सं य वायु मतीदं प र ध व वासः.. (४५) जन दे वय ने वयं सूत काता है, ज ह ने बुना है, जो ताना तानती ह तथा चार ओर अं तम भाग को ठ क रखती है, वे तुझे वृ ाव था तक रहने के लए चुन. तू द घ आयु वाली हो कर इन सब को ध य बना. (४५) जीवं द त व नय य वरं द घामनु स त द युनरः. वामं पतृ यो य इदं समी ररे मयः प त यो जनये प र वजे.. (४६) जी वत मनु य क वदाई पर लोग रोते ह, य को साथ ले जाते ह तथा द घ माग का वचार करते ह. वे लोग अपने माता पता के लए यह सुंदर काय करते ह. वे प नी को सुख दे ने वाले ह, जो ी का आ लगन करते ह. (४६) योनं ुवं जायै धारया म ते ऽ मानं दे ाः पृ थ ा उप थे. तमा त ानुमा ा युवचा द घ त आयुः स वता कृणोतु.. (४७) म पृ वी माता के पास संतान के लए सुख दे ने वाला तथा थर प थर के समान आधार बनाता ं. तू उस पर खड़ा तथा आनंद का अनुभव कर. तुम उ म तेज वाला बनो. स वता तुझे लंबी आयु दान करे. (४७) येना नर या भू या ह तं ज ाह द णम्. तेन गृहणा म ते ह तं मा थ ा मया सह जया च धनेन च.. (४८) जस कारण अ न ने इस भू म का दायां हाथ हण कया है, उसी उ े य से म तेरा हाथ पकड़ता ं. तू ःख मत कर. तू मेरे साथ जा अथात् संतान और धन के साथ नवास कर. (४८) दे व ते स वता ह तं गृहणातु सोमो राजा सु जसं कृणोतु. अ नः सुभगां जातवेदाः प ये प न जरद कृणोतु.. (४९) स वता दे व तेरा पा ण हण कर. राजा लोग तुझे उ म संतान वाली बनाएं. जातवेद ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ न प त के लए सौभा य वाली
ी को वृ ाव था तक जी वत रहने वाली बनाएं. (४९)
गृहणा म ते सौभग वाय ह तं मया प या जरद यथासः. भगो अयमा स वता पुर धम ं वा गाहप याय दे वाः.. (५०) म सौभा य के लए तेरा हाथ पकड़ता .ं तू मुझ प त के साथ वृ ाव था तक जी वत रह. भग, अयमा, स वता तथा सभी दे व ने तुझ को मेरे हाथ म गृह था म चलने के लए दया है. (५०) भग ते ह तम हीत् स वता ह तम हीत्. प नी वम स धमणाहं गृहप त तव.. (५१) भग तथा सूय दे व ने तेरा हाथ पकड़ा है, इस लए तू धमपूवक मेरी प नी है और म तेरा प त ं. (५१) ममेयम तु पो या म ं वादाद् बृह प तः. मया प या जाव त सं जीव शरदः शतम्.. (५२) बृह प त ने तुझे मेरे लए दया है. तू मुझ प त के साथ रहती ई संतान वाली बन तथा सौ वष क आयु भोगती ई मेरी पो या अथात् पु होने वाली और पोषण ा त करने वाली बन. (५२) व ा वासो दधा छु भे कं बृह पतेः शषा कवीनाम्. तेनेमां नार स वता भग सूया मव प र ध ां जया.. (५३) हे शुभे! इस क याणकारी व को बृह प त क आ ा से व ा ने बनाया है. स वता तथा भग दे वता सूया के समान ही इस ी को इस व के ारा संतान आ द से संप बनाएं. (५३) इ ा नी ावापृ थवी मात र ा म ाव णा भगो अ नोभा. बृह प तम तो सोम इमां नार जया वधय तु.. (५४) दोन अ नीकुमार, इं और अ न, म और व ण, आकाश और पृ वी, बृह प त, वायु, म द्गण, तथा सोम दे वता इस ी को संतान से बढ़ाएं. (५४) बृह प तः थमः सूयायाः शीष केशाँ अक पयत्. तेनेमाम ना नार प ये सं शोभयाम स.. (५५) हे अ नीकुमारो! बृह प त ने सूया के केश का व यास कया था. उसी के अनुसार हम वरभाव आ द के ारा इस ी को प त के न म सजाते ह. (५५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इदं त प ू ं यदव त योषा जायां ज ासे मनसा चर तीम्. ताम व त ये स ख भनव वैः क इमान् व ान् व चचत पाशान्.. (५६) इस प को योषा धारण करती है. म योषा को जानता ं. म इस क नवीन चाल वाली स खय के अनुसार चलूंगा. यह केश व यास कस व ान् ने कया है. (५६) अहं व या म म य पम या वेद दत् प यन् मनसः कुलायम्. न तेयम द्म मनसोदमु ये वयं नानो व ण य पाशान्.. (५७) म इस के दय को जानता आ तथा उस के प को दे खता आ अपने से आब करता ं. म चोरी का काम नह करता. म वयं मन लगा कर तेरे केश को गूंथता आ तुझे व ण के पाश से मु करता .ं (५७) वा मु चा म व ण य पाशाद् येन वाब नात् स वता सुशेवाः. उ ं लोकं सुगम प थां कृणो म तु यं सहप यै वधु.. (५८) स वता ने तुझे व ण के जस पाश म बांधा है उस पाश से म तुझे छु ड़ाता ं. हे प नी! म तेरे साथ लोक के इस व तृत माग को सरल बनाता ं. (५८) उ छ वमप र ो हनोथेमां नार सुकृते दधात. धाता वप त् प तम यै ववेद भगो राजा पुर एतु जानन्.. (५९) जल दान करो. रा स को मारो. इस ी को पु य म दान कया है. व ान् भग इस के सामने ह. (५९)
त त करो. धाता ने इसे प त
भग तत चतुरः पादान् भग तत च वायु पला न. व ा पपेश म यतो ऽ नु व ा सा नो अ तु सुम ली.. (६०) भग दे वता ने इस के पैर के लए चार आभूषण को तथा शरीर पर धारण करने यो य चार फूल को बनाया है. उ ह ने कमर म पहनने यो य करधनी बनाई है. इन आभूषण को धारण कर के यह ी उ म मंगलमयी बने. (६०) सु कशुकं वहतुं व पं हर यवण सुवृतं सुच म्. आ रोह सूय अमृत य लोकं योनं प त यो वहतुं कृणु वम्.. (६१) हे सूया! तू उ म पु प वाले, अनेक प वाले तथा चमकने वाले अनेक रंग से सुशो भत इस रथ पर आसीन हो. जो उ म वे न वाला तथा सुंदर प हय वाला है. तू अमृत के लोक पर प ंच तथा ववाह के दहेज के प म ा त इसे अपने प त के लए सुखदायक बना. (६१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ ातृ न व णापशु न बृह पते. इ ाप त न पु णीमा म यं स वतवह.. (६२) हे बृह प त, हे इं , हे स वता दे व! इस वधू को अपने ाता, प त, पशु आ द का वनाश करने वाली मत बनाओ. इसे पु , धन आ द म संप प म हम ा त कराओ. (६२) मा ह स ं कुमाय १ थूणे दे वकृते प थ. शालाया दे ा ारं योनं कृ मो वधूपथम्.. (६३) हे दे व! इस वधू को वहन करने वाले रथ को हा न मत प ंचाओ. हम इस वधू के माग को शाला के ार पर क याणमय बनाते ह. (६३) ापरं यु यतां पूव ा ततो म यतो सवतः. अना ाधां दे वपुरां प शवा योना प तलोके व राज.. (६४) हे वधू! तेरे आगेपीछे , भीतर बाहर एवं म य म अथात् सभी ओर ा ण रह. तू दे व के नवास वाली एवं रोगर हत शाला को ा त कर तथा प त गृह म मंगलमयी होती ई स ता ा त कर. (६४)
सू -२
दे वता—आ मा, य माना शनी
तु यम े पयवह सूया वहतुना सह. स नः प त यो जायां दा अ ने जया सह.. (१) हे अ न दे व! हम दहेज के साथ सूया को तु हारे न म लाए थे. तुम हम संतान वाली प नी दो. (१) पुनः प नीम नरदादायुषा सह वचसा. द घायुर या यः प तज वा त शरदः शतम्.. (२) अ न दे व ने हम आयु और तेज के साथसाथ प नी दान क है. इस का प त द घजीवी हो और सौ वष क आयु ा त करे. (२) सोम य जाया थमं ग धव ते ऽ परः प तः. तृतीयो अ न े प त तुरीय ते मनु यजाः.. (३) हे वधू! तू पहले सोम क प नी ई. इस के बाद तू गंधव क प नी बनी. इस के बाद तेरे तीसरे प त अ न दे व बने. म मनु य तेरा चौथा प त ं. (३) सोमो ददद् ग धवाय ग धव ददद नये. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
र य च पु ां ादाद नम मथो इमाम्.. (४) हे वधू! सोम ने तुझे गंधव को दया. गंधव ने तुझे अ न को दान कया तथा अ न ने तुझे मेरे लए दया है. उ ह ने मुझे धन और पु से भी संप कया. (४) आ वामग सुम तवा जनीवसू यू ना सु कामा अरंसत. अभूतं गोपा मथुना शुभ पती या अय णो या अशीम ह.. (५) हे उषाकालीन ऐ य वाले अ नकुमारो! तु हारे दय म जो अभी है, वह तु हारी कृपामयी बु के ारा हम ा त हो. तुम हमारे य तथा र क बनो. हम सूय दे व क कृपा से घर म सुख का भोग करने वाले ह. (५) सा म दसाना मनसा शवेन र य धे ह सववीरं वच यम्. सुगं तीथ सु पाणं शुभ पती थाणुं प थ ामप म त हतम्.. (६) तुम क याणकारी मन से वीर से यु धन का पोषण करो. हे अ नी कुमारो! तुम इस तीथ को सुफल करते ए माग म ा त होने वाली ग त आ द को र करो. (६) या ओषधयो या न ो ३ या न े ा ण या वना. ता वा वधु जावत प ये र तु र सः.. (७) हे वधू! ओष ध, नद , र ा कर. (७)
ेत और वन तुझे संतान वाली बनाएं तथा
से तेरे प त क
एमं प थाम ाम सुगं व तवाहनम्. य मन् वीरो न र य य येषां व दते वसु.. (८) हम उस माग पर चलते ह, जस पर वाहन सुखपूवक चल सकते ह. इस माग पर वीर क हा न नह होती तथा अ य जन का धन ा त होता है. (८) इदं सु मे नरः शृणुत यया शषा द पती वामम ुतः. ये ग धवा अ सरस दे वीरेषु वान प येषु ये ऽ ध त थुः. योना ते अ यै व वै भव तु मा ह सषुवहतुमु मानम्.. (९) हे मनु यो! मेरी बात सुनो. वन प तय म गंधव तथा अ सराएं ह. वे इसे सुख दे ने वाले ह. इस दहेज प धन को न न कर. इस आशीवादा मक वाणी से ये दोन उ म पदाथ का उपभोग कर. (९) ये व व ं वहतुं य मा य त जनाँ अनु. पुन तान् य या दे वा नय तु यत आगताः.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
चं मा के समान स ता दे ने वाले दहेज क ओर जो साधन आते ह, य ीय दे वता उ ह वह प ंचा द, जहां से वे आते ह. (१०) मा वदन् प रप थनो य आसीद त द पती. सुगेन गमतीतामप ा वरातयः.. (११) जो द यु दं पती के समीप आना चाहते ह, वे इ ह ा त न कर सक. हम इस गम माग को सुगमता से पार कर तथा हमारे श ु ग त म पड़. (११) सं काशया म वहतुं णा गृहैरघोरेण च ुषा म येण. पयाण ं व पं यद त योनं प त यः स वता तत् कृणोतु.. (१२) म मं और न के ारा दहेज को द त करता ं. इस म जो व भ कार के पदाथ ह, स वता दे व उन पदाथ को ा त करने वाल को सुख दे ने वाला बनाएं. (१२) शवा नारीयम तमाग मं धाता लोकम यै ददे श. तामयमा भगो अ नोभा जाप तः जया वधय तु.. (१३) इस ी के लए धाता ने घर के प म लोक का नमाण कया है. यह क याणी इसे ा त हो गई है. इस वधू को अ नीकुमार, अयमा, भग और जाप त संतान के ारा बढ़ाएं. (१३) आ म व युवरा नारीयमागन् त यां नरो वपत बीजम याम्. सा वः जां जनयद् व णा यो ब ती धमृषभ य रेतः.. (१४) हे पु ष! तू इस उवरा नारी म बीज का वपन कर. वृषभ के समान तेरे वीय को और अपने ध को धारण करने वाले यह तेरे न म संतान उ प करे. (१४) त त वराड स व णु रवेह सर व त. सनीवा ल जायतां भग य सुमतावसत्.. (१५) हे सर वती! तू व णु के समान वराट् है. इस लए तू दे वता क सुंदर बु म रहती ई संतान उ प कर. (१५)
त त हो. हे सनीवाली! तू भग
उद् व ऊ मः श या ह वापो यो ा ण मु चत. मा कृतौ े नसाव यावशुनमारताम्.. (१६) हे जलो! अपने कम क तरंग को शांत करो तथा लगाम को ढ ला करो. करने वाले तथा न मारने यो य वाहन अशुभ न करने लग. (१६) अघोरच ुरप त नी योना श मा सुशेवा सुयमा गृहे यः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
े कम
वीरसूदवृकामा स वयै धषीम ह सुमन यमाना.. (१७) हे वधू! तू न ध रखती ई तथा प त को ीण न करने वाली हो. तू वीर पु को स करती ई तथा अपने मन म स होती ई सब को सुखी करने वाली हो. तू इस घर को ा त हो तथा हम भी तेरे ारा वृ ा त कर. (१७) अदे वृ यप त नीहै ध शवा पशु यः सुयमा सुवचाः. जावती वीरसूदवृकामा योनेमम नं गाहप यं सपय.. (१८) हे वधू! तू अपने प त और दे वर को हा न न प ंचाने वाली, पशु का हत करने वाली, जावती, शोभन कां त से यु तथा सुख दे ने वाली होती ई प त और दे वर को क मत प ंचाए. तू अ न का पूजन कर. (१८) उ ेतः क म छ तीदमागा अहं वेडे अ भभूः वाद् गृहात्. शू यैषी नऋते याजग धो ाराते पत मेह रं थाः.. (१९) हे नऋ त! तू यहां से उठ कर भाग. तू कसी व तु क इ छा से यहां उप थत ई है. म तुझे अपने घर से भगाता आ तेरा स कार करता ं. तू शुभ पणी है तथा शू य बनाने क इ छा से यहां आई है, परंतु तू यहां वहार मत कर. (१९) यदा गाहप यमसपयत् पूवम नं वधू रयम्. अधा सर व यै ना र पतृ य नम कु .. (२०) गृह थ प आ म म वेश करने से पहले यह वधू अ न का पूजन कर रही है. हे अब तू सर वती को तथा पतर को नम कार कर. (२०)
ी!
शम वमतदा हरा यै नाया उप तरे. सनीवा ल जायतां भग य सुमतावसत्.. (२१) इस ी के लए मृगचम प आसन मंगल और र ा को ा त कराए. ये भग दे वता स रह. हे सनीवाली! यह ी संतानो प करती रहे. (२१) यं ब बजं य यथ चम चोप तृणीथन. तदा रोहतु सु जा या क या व दते प तम्.. (२२) यह जावती और प त क कामना करने वाली क या तु हारे ारा रखे गए तृण और मृगचम पर आसीन हो. (२२) उप तृणी ह ब बजम ध चम ण रो हते. त ोप व य सु जा इमम नं सपयतु.. (२३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पहले चटाई फैला दो. इस के बाद मृगचम के ऊपर उ म जा उ प करने वाली यह ी अ न क उपासना करे. (२३) आ रोह चम प सीदा नमेष दे वो ह त र ां स सवा. इह जां जनय प ये अ मै सु यै ो भवत् पु त एषः.. (२४) हे ी! तू इस मृगचम पर चढ़ कर अ न दे व के पास बैठ. ये दे वता सभी रा स को मारने म समथ ह. तू इस घर म अपनी थम संतान को उ प कर. यह तेरा ये पु कहलाएगा. (२४) व त तां मातुर या उप था ाना पाः पशवो जायमानाः. सुम युप सीदे मम नं संप नी त भूषेह दे वान्.. (२५) इस माता से अनेक पु कट हो कर इस क गोद म बैठ. हे सुंदर क याण वाली तू अ न के पास बैठ कर इन सब दे वता को सुशो भत कर. (२५)
ी!
सुम ली तरणी गृहाणां सुशेवा प ये शुराय शंभूः. योना ्वै गृहान् वशेमान्.. (२६) तू क याणकारी, प त को सुख दे ने वाली, घर का काम करने वाली ससुर और सास के लए सुखका रणी होती ई घर म वेश कर. (२६) योना भव शुरे यः योना प ये गृहे यः. योना यै सव यै वशे योना पु ायैषां भव.. (२७) तू प त को सुख दे ने वाली तथा घर के लए मंगलमयी हो. तू सुर का क याण करने वाली तथा संतान को सुख दे ती ई उन का पालन पोषण कर. (२७) सुम ली रयं वधू रमां समेत प यत. सौभा यम मै द वा दौभा यै वपरेतन.. (२८) यह वधू क याणमयी है. सब मल कर इसे दे खो. तुम सब इस के भा य को र करते ए इसे भा य दान करो. (२८) या हाद युवतयो या ेह जरतीर प. वच व १ यै सं द ाथा तं वपरेतन.. (२९) जो यां जाएं. (२९)
षत दय वाली तथा वृ ाएं ह , वे इसे तेज दान करती ई यहां से चली
म तरणं व ं व ा
पा ण ब तम्.
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आरोहत् सूया सा व ी बृहते सौभगाय कम्.. (३०) सूया सुख दे ने के लए इस पलंग पर चढ़ थी जस पर मन को अ छा लगने वाला बछौना बछा था. (३०) आ रोह त पं सुमन यमानेह जां जनय प ये अ मै. इ ाणीव सुबुधा बु यमाना यो तर ा उषसः त जागरा स.. (३१) हे ी! तू स होती ई इस पलंग पर चढ़ तथा प त हेतु संतान उ प कर. तू अपने प त के समान बु से संप बन तथा न य उषाकाल म जागने वाली बन. (३१) दे वा अ े य प त प नीः सम पृश त त व तनू भः. सूयव ना र व पा म ह वा जावती प या सं भवेह.. (३२) ाचीन काल म दे वता अंग का पश कया था. हे संतानवती बन. (३२)
ने भी पलंग पर चढ़ कर अपने अंग से अपनी प नय के ी! तू सूया के समान ही प त के साथ नवास करती ई
उ ेतो व ावसो नमसेडामहे वा. जा म म छ पतृषदं य ां स ते भागो जनुषा त य व
.. (३३)
हे व ावसु! यहां से उठो. हम तु ह नम कार करते ह. तू पता के घर रहने वाली सुशो भत वधू को ा त करने क इ छा कर. यह तेरा भाग है. ज म से उस का ान ा त कर. (३३) अ सरसः सधमादं मद त ह वधानम तरा सूय च. ता ते ज न म भ ताः परे ह नम ते ग धवतुना कृणो म.. (३४) ह वधान और सूय के म य म अ सराएं साथसाथ मल कर आनं दत होने वाले कम म ह षत होती ह. वह तेरा ज म थान है. तू उन के समीप जा. गंधव तथा ऋतु के साथ म तुझे नमन करता ं. (३४) नमो ग धव य नमसे नमो भामाय च ुषे च कृ मः. व ावसो णा ते नमोऽ भ जाया अ सरसः परे ह.. (३५) गंधव के नम कार को हमारा नम कार है. उस क तेज वी आंख के लए हम नम कार करते ह. हे सभी कार के धन के वामी! तुझे हम ानपूवक नमन करते ह. तुम अ सरा के समान हमारी प नय से र रहो. (३५) राया वयं सुमनसः यामो दतो ग धवमावीवृताम. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अग स दे वः परमं सध थमग म य
तर त आयुः.. (३६)
हम लोग धन के साथ उ म मन वाले ह. हम यहां रहते ए गंधव को घेर. वे हमारा नम कार वीकार कर. हम उन क कृपा ा त कर. वह दे व उस परम े थान को ा त आ है, जहां अपनी आयु को द घ बनाते ए हम भी प ंचते ह. (३६) सं पतरावृ वये सृजेथां माता पता च रेतसो भवाथः. मय इव योषाम धरोहयैनां जां कृ वाथा मह पु यतं र यम्.. (३७) तुम दोन ऋतुकाल म माता पता बनने के लए संयु होओ. वीय के योग से तुम माता और पता बनो. हे प त! मानवो चत नणय से पलंग पर चढ़ो. इस कार तुम संतान को ज म दो तथा अपने धन क वृ करो. (३७) तां पूष छवतमामेरय व य यां बीजं मनु या ३ वप त. या न ऊ उशती व या त य यामुश तः हरेम शेपः.. (३८) हे पूषा दे व! तुम उस क याणमयी ी को ा त करो, जस म बीज बोया जाता है. जो इ छा करती ई हम अपना शरीर सम पत करती है, हम उस के साथ इं य सुख ा त कर. (३८) आ रोहो मुप ध व ह तं प र वज व जायां सुमन यमानः. जां कृ वाथा मह मोदमानौ द घ वामायुः स वता कृणोतु.. (३९) हे प त! तू अपनी प नी को पश कर. स होते ए तुम दोन संतान को उ प करो. स वता दे व तु हारी आयु म वृ कर. (३९) आ वां जां जनयतु जाप तरहोरा ा यां समन वयमा. अ म ली प तलोकमा वशेमं शं नो भव पदे शं चतु पदे .. (४०) जाप त तुम दोन क संतान को ज म द. अयमादे व तुम दोन को रात दन संयु कर. हे वधू! तू अमंगल से अलग रहती ई इस घर म वेश कर और दो पैर वाले मनु य तथा चार पैर वाले पशु को सुख दे ने वाली बन. (४०) दे वैद ं मनुना साकमेतद् वाधूयं वासो व व व म्. यो णे च कतुषे ददा त स इद् र ां स त पा न ह त. (४१) मनु के साथसाथ दे व ारा दया आ ववाह के समय का यह व यह न त पसे पलंग पर रहने वाले रा स का वनाश करता है. (४१) यं मे द ो
भागं वधूयोवाधूयं वासो व व व म्.
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वधू का व
है.
युवं
णे ऽ नुम यमानौ बृह पते साक म
द म्.. (४२)
हे बृह प त दे व! तुम इं के साथ मल कर वधू का ववाह के समय पहना जाने वाला व इस वधू को दान करो. जो ा ण का भाग है, तुम दोन वह व मुझे दान करते हो. तुम दोन ा ण क अनुम त से यह व मुझे दे ते हो. (४२) योना ोनेर ध बु यमानौ हसामुदौ महसा मोदमानौ. सुगू सुपु ौ सुगृहौ तराथो जीवावुषसो वभातीः.. (४३) हम दोन हंसते ए स ता को तथा सुखपूवक ान को ा त कर. हम सुंदर ग त वाले ह तथा पु आ द से संप रहते ए उषा को पार कर. (४३) नवं वसानः सुर भः सुवासा उदागां जीव उषसो वभातीः. आ डात् पत ीवामु व मादे नस प र.. (४४) म नवीन व धारण करता ं. सुगंध धारण कर के उ म व पहनने वाला म जीवधारी मनु य के समान उषा काल म उठता ं. जस कार प ी अंडे से नकलता है, उसी कार म भी सब पाप से छू ट जाऊं. (४४) शु भनी ावापृ थवी अ तसु ने म ह ते. आपः स त सु व ु ुदवी ता नो मु च वंहसः.. (४५) सुशो भत पृ वी और आकाश के म य चेतन और अचेतन दोन कार के ाणी नवास करते ह. वशाल कम वाले आकाश और पृ वी तथा ये वा हत होने वाले सात कार के जल हम पाप से मु कर. (४५) सूयायै दे वे यो म ाय व णाय च. ये भूत य चेतस ते य इदमकरं नमः.. (४६) जो सूया को, दे वगण को, म और व ण को तथा सभी ा णय को जानने वाले ह, उ ह म नम कार करता ं. (४६) य ऋते चद भ षः पुरा ज ु य आतृदः. संधाता सं ध मघवा पु वसु न कता व तं पुनः.. (४७) जो चपके बना तथा छे द कए बना इन ह ड् डय को जोड़ दे ता है, जो फटे ए को पुनः जोड़ता है तथा उ म और पया त धन दान करता है, वही ई र है. (४७) अपा मत् तम उ छतु नीलं पश मुत लो हतं यत्. नदहनी या पृषात य १ मन् तां थाणाव या सजा म.. (४८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क
जो नीला, पीला तथा लाल रंग का अंधकार है, वह हम से र रहे. जो जलाने वाली दोष थ त इस म है, म उसे इस तंभ म लगा दे ता ं. (४८) यावतीः कृ या उपवासने याव तो रा ो व ण य पाशाः. ृ यो या असमृ यो या अ मन् ता थाणाव ध सादया म.. (४९)
उपव म हसा करने वाली जो कृ याएं ह, राजा व ण के जतने पाश ह तथा जो द र ताएं और बुरी अव थाएं ह, उन सब को म इस खंभे म था पत करता ं. (४९) या मे यतमा तनूः सा मे बभाय वाससः. त या े वं वन पते नी व कृणु व मा वयं रषाम.. (५०) मेरा य शरीर मेरे व म भयभीत होता है, इस लए हे वन प त! पहले तुम इस क गांठ बांध दो जस से हम खी न ह . (५०) ये अ ता यावतीः सचो य ओतवो ये च त तवः. वासो यत् प नी भ तं त ः योनमुप पृशात्.. (५१) इस व म जो झालर और कना रयां ह, जो ताने और बाने ह तथा जो व बुना है, वह हमारे शरीर का सुखपूवक पश करने वाला हो. (५१)
य ने
उशतीः क यला इमाः पतृलोकात् प त यतीः. अव द ामसृ त वाहा.. (५२) प त क इ छा करने वाली ये क याएं पता के घर से प त के घर जाती ई द ा का त धारण कर. यही उ म उपदे श है. (५२) बृह प तनावसृ ां व े दे वा अधारयन्. वच गोषु व ं यत् तेनेमां सं सृजाम स.. (५३) बृह प त क यह ओष ध व े दे व के ारा पु क गई है. हम इसे गाय के तेज से मलाते ह. (५३) बृह प तनावसृ ां व े दे वा अधारयन्. तेजो गोषु व ं यत् तेनेमां सं सृजाम स.. (५४) बृह प त क रची ई इस ओष ध को व े दे व ने पु संयु करते ह जो गाय म वेश कर गया है. (५४) बृह प तनावसृ ां व े दे वा अधारयन्. भगो गोषु व ो य तेनेमां सं सृजाम स.. (५५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कया है. हम इसे उस तेज से
बृह प त ारा वर चत इस ओष ध को व े दे व ने धारण कया था. जो भग गाय म वेश कर चुका है, हम इस ओष ध को उस भग से संप करते ह. (५५) बृह प तनावसृ ां व े दे वा अधारयन्. यशो गोषु व ं यत् तेनेमां सं सृजाम स.. (५६) बृह प त दे व ारा इस ओष ध का सृजन आ है. गाय म जो य उस य से इसे संयु करता ं. (५६)
वेश कर गया है, म
बृह प तनावसृ ां व े दे वा अधारयन्. पयो गोषु व ं यत् तेनेमां सं सृजाम स.. (५७) बृह प त ारा यह ओष ध व े दे व के हेतु पु इस ओष ध को उस से संयु करते ह. (५७)
ई है. गाय म जो ध थत है, हम
बृह प तनावसृ ां व े दे वा अधारयन्. रसो गोषु व ो य तेनेमां सं सृजाम स.. (५८) बृह प त के ारा न मत इस ओष ध को सभी दे व ने पु व है, हम उस रस से इस ओष ध को संयु करते ह. (५८)
कया है. गाय म जो रस
यद मे के शनो जना गृहे ते समन तषू रोदे न कृ व तो ३ घम्. अ न ् वा त मादे नसः स वता च मु चताम्.. (५९) लंबे केश वाले ये लोग तेरे घर म नाचते रहे ह तथा रोके से पाप करते रहे ह, अ न दे व तुझे उस पाप से मु कराएं. (५९) यद यं हता तव वके य दद् गृहे रोदे न कृ व य १ घम्. अ न ् वा त मादे नसः स वता च मु चताम्.. (६०) तेरी पु ी अपने केश को फैला कर रोती रही है, तेरे घर म ए इस पाप से स वता और अ न तुझे छु ड़ाएं. (६०) य जामयो य ुवतयो गृहे ते समन तषू रोदे न कृ वतीरघम्. अ न ् वा त मादे नसः स वता च मु चताम्.. (६१) तेरी बहन तथा अ य यां ःखी और रोती ई तेरे घर म घूमती रही ह. स वता और अ न तुझे उस पाप से मु कर. (६१) यत् ते जायां पशुषु य ा गृहेषु न तमघकृ रघं कृतम्. अ न ् वा त मादे नसः स वता च मु चताम्.. (६२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
संतान और पशु को ःखी करने वाल ने तेरे घर म जस ःख का व तार कया है. उस पाप से स वता और अ न तुझे छु ड़ाएं. (६२) इयं नायुप ूते पू या यावप तका. द घायुर तु मे प तज वा त शरदः शतम्.. (६३) अ न म खील क आ त दे ती ई यह वधू कामना करती है क मेरा प त द घ आयु वाला हो और सौ वष तक जी वत रहे. (६३) इहेमा व सं नुद च वाकेव द पती. जयैनौ व तकौ व मायु ुताम्.. (६४) हे इं ! इन प त और प नी को ऐसा ेम दो, जैसे चकवी और चकवे म होता है. इ ह सुंदर घर और संतान से यु रखो. ये दोन जीवनभर भां तभां त के सुख भोगते रह. (६४) यदास ामुपधाने यद् वोपवासने कृतम्. ववाहे कृ यां यां च ु रा नाने तां न द म स.. (६५) हम ने असंद अथात् कुरसी पर, ब तर पर, सरहाने तथा उपव पर जो पाप कया और अपने ववाह म जो हसक योग कया, उसे हम नान के ारा धो डालते ह. (६५) यद् कृतं य छमलं ववाहे वहतौ च यत्. तत् संभल य क बले मृ महे रतं वयम्.. (६६) हम ने ववाह म तथा बरात के रथ म जो भाषी पु ष के कंबल से यु करते ह. (६६)
और म लन कम कया, उसे हम मधुर
संभले मलं साद य वा क बले रतं वयम्. अभूम य याः शु ाः ण आयूं ष ता रषत्.. (६७) शु
संभल अथात् त म मन को तथा कंबल म पाप को थत कर के हम य करने यो य हो जाएं. वह शु हमारी आयु को शु बनाए. (६७) कृ मः क टकः शतदन् य एषः. अपा याः के यं मलमप शीष यं लखात्.. (६८)
यह सैकड़ दांत वाला कंघा कृ म कर हमारे शीश के मैल को छु ड़ाए. (६८)
प से बनाया गया है. यह हमारे शीश पर प ंच
अ ा ाद् वयम या अप य मं न द म स. त मा ापत् पृ थव मोत दे वान् दवं मा ाप व १ त र म्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपो मा ाप मलमेतद ने यमं मा ापत् पतृं सवान्.. (६९) म इस कंघे से अपने शरीर के संहारक दोष को र करता ं. यह दोष मुझे न लगे, पृ वी को, आकाश को, अंत र को, दे व को तथा जल को भी वह दोष न लगे. हे अ न! यह दोष पतर तथा उन के अ ध ाता दे व यमराज को भी न लगे. (६९) सं वा न ा म पयसा पृ थ ाः सं व न ा म पयसौषधीनाम्. सं वा न ा म जसा धनेन सा संन ा सनु ह वाजमेमम्.. (७०) हे प नी! म पृ वी के जल के समान सारत व से तथा ओष धय के सारत व से तुझे बांधता ं. तू जा और धन से संप होती ई मुझे धन दे ने वाली हो. (७०) अमो ऽ हम म सा वं सामाहम यृक् वं ौरहं पृ थवी वम्. ता वह सं भवाव जामा जनयावहै.. (७१) हे प नी! म साम ं और तू ऋचा है. म आकाश ं और तू पृ वी है. म व णु प ं और तू मेरी ल मी है. हम इस लोक म साथसाथ नवास करते ए संतान को उ प कर. (७१) ज नय त नाव वः पु य त सुदानवः. अ र ासू सचेव ह बृहते वाजसातये.. (७२) हे प नी! अ ववा हत लोग हम लोग के समान ववाह करने क इ छा करते ह. दाता लोग पु क कामना करते ह. जब तक हमारे शरीर म ाण रह, तब तक हम दोन एक ह तथा बल ा त के लए मल कर रह. (७२) ये पतरो वधूदशा इमं वहतुमागमन्. ते अ यै व वै संप यै जाव छम य छ तु.. (७३) नव वधू को दे खने क इ छा वाले ब त से लोग इस बरात को दे खगे. वे इस वधू के लए उ म सुख दान कर. (७३) येदं पूवागन् रशनायमाना जाम यै वणं चेह द वा. तां वह वगत यानु प थां वरा डयं सु जा अ यजैषीत्.. (७४) र सी के समान बांधने वाली जो नारी पहले इस थान को ा त ई थी, हम संतान और धन के ारा उस वधू को उस माग से ले जाएं, जस पर अब तक कोई नह चला है. (७४) बु य व सुबुधा बु यमाना द घायु वाय शतशारदाय. गृहान् ग छ गृहप नी यथासो द घ त आयुः स वता कृणोतु.. (७५) हे उ म बु
वाली! जगाई जाने पर तू सौ वष क द घायु ा त करने के लए जाग. तू
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गृहप नी बनने के लए घर चल. स वता दे व तुझे द घ जीवन दान कर. (७५)
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पं हवां कांड दे वता—अ या म, ा य
सू -१
ा य आसीद यमान एव स जाप त समैरयत्.. (१) ा य अथात् समूह का हत करने वाला समूहप त सब का जापालक को उ म ेरणा द . (१)
ेरक था. भग ने
स जाप तः सुवणमा म प यत् तत् ाजनयत्.. (२) (२)
उस जाप त ने आ मा को उ म तेज से यु
कया तथा उस ने सब को उ प
कया.
तदे कमभवत् त ललाममभवत् त महदभवत् त ये मभवत् तद् ाभवत् तत् तपो ऽ भवत् तत् स यमभवत् तेन ाजायत.. (३) वह वल ण तथा वशाल आ. वह उस के ारा यह व कट आ. (३)
े
आ. वह तपाने वाला तथा स य आ.
सो ऽ वधत स महानभवत् स महादे वो ऽ भवत्.. (४) वह वृ
को ा त आ. वही महान और महादे व आ. (४)
स दे वानामीशां पयत् स ईशानो ऽ भवत्.. (५) वह दे व का वामी एवं ईशान आ. (५) स एक ा यो ऽ भवत् स धनुराद तदे वे धनुः.. (६) वह एक ा य अथात् समूह का वामी आ. उस ने धनुष उठाया और वह इं धनुष बन गया. (६) नीलम योदरं लो हतं पृ म्.. (७) उस का पेट नीला और पीठ लाल है. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नीलेनैवा यं वद त.. (८)
ातृ ं
ोण त लो हतेन
ष तं व यती त
वा दनो
वह नीले भाग से अ य श ु को घेरता है तथा अपने लाल भाग से े ष करने वाल को वेधता है. ऐसा वाद जन कहते ह. (८)
दे वता—अ या म, ा य
सू -२ स उद त त् स ाच दशमनु चलत्.. (१) वह उठ कर पूव दशा म चल दया. (१) तं बृह च रथ तरं चा द या
व े च दे वा अनु
चलन्.. (२)
बृहत् साम, रथंतर साम, सूय तथा सभी दे वता उस के पीछे पीछे चले. (२) बृहते च वै स रथ तराय चा द ये य व ांसं ा यमुपवद त.. (३)
व े य
दे वे य आ वृ ते य एवं
उस का स कार करने वाला बृहत् साम, रथंतर, सूय और सब दे वता दशा म अपना य धाम बनाता है. (३) बृहत वै स रथ तर य चा द यानां च व ेषां च दे वानां त य ा यां द श.. (४)
क
य पूव
यं धाम भव त
जो ऐसे व ान् तचारी को अपश द कहता है, वह बृहत्, रथंतर, आ द य और व े दे व का अपराधी होता है. (४) ा पुं ली म ो मागधो व ानं वासोऽह णीषं रा ी केशा ह रतौ वत क म लम णः.. (५) ा पुं ली, म अथात सूय तु त करने वाला, व ान व , दन पगड़ी, रा करण कुंडल तथा तारे म ण के समान होते ह. (५)
केश,
भूतं च भ व य च प र क दौ मनो वपथम्.. (६) भूत और भ व यत—ये दोन काल उस के र क ह तथा मन उस का यु है. (६) मात र ा च पवमान
वपथवाहौ वातः सारथी रे मा तोदः.. (७)
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संबंधी रथ
ास और उ वास उस के रथ के घोड़े ह. ाण उस का सारथी है और वायु उस सारथी का चाबुक है. (७) क त यश पुरःसरावैनं क तग छ या यशो ग छ त य एवं वेद.. (८) क त और यश उस के आगे चलने वाले ह. क त उस के समीप आती है तथा यश उस के पास आता है. जो इस कार जानता है, उसे क त और यश ा त होते ह. (८) स उद त त् स द णां दशमनु
चलत्.. (९)
वह उठा और द ण दशा क ओर चला. (९) तं य ाय यं च वामदे ं च य
यजमान पशव ानु चलन्.. (१०)
य करने वाले और न करने वाले, वामदे व से संबं धत, य , यजमान उस के अ य धक अनुकूल ए और पीछे पीछे चले. (१०) य ाय याय च वै स वामदे ाय च य ाय च यजमानाय च पशु य ा वृ ते य एवं व ांसं ा यमुपवद त.. (११) जो इस कार के व ान् और त का आचरण करने वाले का उपहास करता है, वह य करने वाले तथा न करने वाले, वामदे व संबंधी का, य का, यजमान का और पशु का अपराधी बनता है. (११) य ाय य य च वै स वामदे य च य य च यजमान य च पशूनां च यं धाम भव त त य द णायां द श.. (१२) जो उस का स कार करता है, वह य ा य, वामदे , य , यजमान और पशु य होता है. उस का थान द ण दशा म होता है. (१२)
का
उषाः पुं ली म ो मागधो व ानं वासो ऽ ह णीषं रा ी केशा ह रतौ वत क म लम णः.. (१३) उस क उषा ी, मं शंसक, व ान व , दन पगड़ी, रा तथा तारे म ण के समान होते ह. (१३)
केश, करण कुंडल
अमावा या च पौणमासी च प र क दौ मनो वपथम्. मात र ा च पवमान वपथवाहौ वातः सारथी रे मा तोदः. क त यश पुरःसरावैनं क तग छ या यशो ग छ त य एवं वेद.. (१४) अमाव या और पूणमासी उस क र ा करने वाली होती ह. मन उस का यु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
संबंधी रथ
होता है. ास एवं उ छवाए उस के रथ के घोड़े ह. ाण उस का सारथी है. क त उस के नकट आती है तथा उस के पास यश मलते ह उसे क त एवं यश मलते ह. (१४) स उद त त् स तीच दशमनु
चलत्.. (१५)
वह उठा और पूव दशा म चल दया. (१५) तं वै पं च वैराजं चाप व ण राजानु चलन्.. (१६) जल, व ण, वै प और वैराज उस के पीछे पीछे चले. (१६) वै पाय च वै स वैराजाय चा य व ांसं ा यमुपवद त.. (१७)
व णाय च रा
आ वृ ते य एवं
जो इस कार जानने वाले और तधारी का अपमान करता है, वह वै प, वैराज, जल और राजा व ण का अपराधी होता है. (१७) वै प य च वै स वैराज य चापां च व ण य च रा ः त य ती यां द श.. (१८)
यं धाम भव त
जो यह बात जानता है, वह वै प, वैराज, जल और राजा व ण का है. (१८)
य धाम बनता
इरा पुं ली हसो मागधो व ानं वासो ऽ ह णीषं रा ी केशा ह रतौ वत क म लम णः.. (१९) ऐसे दन पगड़ी, रा
के लए प म दशा म भू म ी, हा य शंसा करने वाला, व ान व , केश, करण कुंडल तथा तारे म ण होते ह. (१९)
अह रा ी च प र क दौ मनो वपथम्. मात र ा च पवमान वपथवाहौ वातः सारथी रे मा तोदः. क त यश पुरःसरावैनं क तग छ या यशो ग छ त य एवं वेद.. (२०) दन और रात उस के र क होते ह. ेसो छ् वास म से उस के रथ के अ ह. ाण उस का सारथी है. वायु उस सारथी का चाबुक है. क त एवं यश उस के आगे चलने वाले ह. क त तथा यश उस के समीप ह जो यह जानता है, उसे यश और क त मलते ह. (२०) स उद त त् स उद च दशमनु
चलत्.. (२१)
वह उठा और उ र दशा क ओर चलने लगा. (२१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तं यैतं च नौधसं च स तषय सोम राजानु चलन्.. (२२) ेत, नौधस, स त ष और राजा सोम उस के पीछे चलने लगे. (२२) यैताय च वै स नौधसाय च स त ष य सोमाय च रा आ वृ ते य एवं व ांसं ा यमुपवद त.. (२३) जो इस कार जानने वाले ा य का अपमान करता है, वह राजा सोम का अपराधी बनता है. (२३)
ेत, नौधस, स त ष और
यैत य च वै स नौधस य च स तष णां च सोम य च रा ः भव त त योद यां द श.. (२४)
यं धाम
जो यह बात जान लेता है वह ेत, नौधस, स त ष और राजा व ण का उ र दशा म उस का य थान होता है. (२४)
य बनता है.
व ुत् पुं ली तन य नुमागधो व ानं वासो ऽ ह णीषं रा ी केशा ह रतौ वत क म लम णः.. (२५) उस के लए बजली ी, गरजने वाला मेघ शंसक, व ान व , दन पगड़ी, रात केश, करण, कुंडल तथा तारे म ण बन जाते ह. (२५) ुतं च व ुतं च प र क दौ मनो पपथम्.. (२६) ान और व ान उस के र क होते ह तथा मन उस का यु मात र ा च पवमान
संबंधी रथ होता है. (२६)
वपथवाहौ वातः सारथी रे मा तोदः.. (२७)
ास और उ छ् वास उस के रथ के घोड़े, ाण सारथी और वायु उस का चाबुक बनता है. (२७) क त यश पुरःसरावैनं क तग छ या यशो ग छ त य एवं वेद.. (२८) जो इस बात को जानता है क त और यश उस के आगे चलने वाले होते ह. क त उस के पास आती है और यश उस के समीप आता है. (२८)
सू -३
दे वता—अ या म, ा य
सं संव सरमू व ऽ त त् तं दे वा अ ुवन्न ा य क नु त सी त.. (१) वह एक वष तक खड़ा रहा, तब दे वता
ने उस से पूछा—“हे ा य! यह तप य कर
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रहे हो?” (१) सो ऽ वीदास द मे सं भर व त.. (२) उस ने उ र दया—“मेरे लए आसंद और बैठने क चौक बनाओ.” (२) त मै ा यायास द समभरन्.. (३) तब दे वता
ने उस के लए आसंद बनाई. (३)
त या ी म वस त
ौ पादावा तां शर च वषा
ौ.. (४)
उस के दो पाए ी म और वसंत ऋतुएं तथा शेष दो पाए शरद और वषा नामक ऋतुएं . (४) बृह च रथ तरं चानू ये ३ आ तां य ाय यं च वामदे ं च तर ये.. (५) बृहत् और रथंतर उस चौक के बाजू अथात् अगलबगल के फलक या त ते थे. य ाय य और वामदे उस के तरछे फलक अथात् त ते थे. (५) ऋचः ा च त तवो यजूं ष तय चः.. (६) ऋ वेद के मं उसे बुनने के लए लंबाई के तंतु और यजुवद के मं वेद आ तरणं
तरछे तंतु थे. (६)
ोपबहणम्.. (७)
वेद उस का बछौना था और
उस के ओढ़ने का व
था. (७)
सामासाद उद्गीथो ऽ प यः.. (८) सामवेद के मं उस का ग ा था और उद्गीथ उस का त कया था. (८) तामास द
ा य आरोहत्.. (९)
ा य इस कार क
ानमयी चौक पर चढ़ा. (९)
त य दे वजनाः प र क दा आस संक पाः भूता युपसदः.. (१०)
हा या ३
व ान
संक प उस के त बने तथा सभी ाणी उस के साथ बैठने वाले ए. (१०) व ा येवा य भूता युपसदो भव त य एवं वेद.. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो इस बात को जानता है, सभी ाणी उस के म हो जाते ह. (११)
सू -४
दे वता—अ या म, ा य
त मै ा या दशः. वास तौ मासौ गो तारावकुवन् बृह च रथ तरं चानु ातारौ.. (१-२) दे वता ने उस के लए वसंत ऋतु के दो महीन को पूव दशा म र क नयु बृहत्साम और रथंतर को उस का अनु ान करने वाला बनाया. (१-२)
कया.
वास तावेनं मासौ ा या दशो गोपायतो बृह च रथ तरं चानु त तो य एवं वेद.. (३) जो यह बात जानता है, वसंत ऋतु के दो महीने, पूव दशा क ओर से उस क र ा करते ह. बृहत् साम और रथंतर उस के अनुकूल हो जाते ह. (३) त मै द णाया दशः ै मौ मासौ गो तारावकुवन् य ाय यं च वामदे ं चानु ातारौ.. (४-५) द ण दशा क ओर दे वता ने ी म ऋतु के दो महीन को उस का र क बनाया तथा य ाय य और वामदे को उस का अनु ान करने वाला नयु कया. (४-५) ै मावेनं मासौ द णाया दशो गोपायतो य ाय यं च वामदे ं चानु त तो य एवं वेद.. (६) जो इस बात को जानता है, द ण दशा क ओर से ी म ऋतु के दो महीने उस क र ा करते ह तथा य ाय य और वामदे व उस के अनुकूल होते ह. (६) त मै ती या दशः.. (७) वा षकौ मासौ गो तारावकुवन् वै पं च वैराजं चानु ातारौ.. (८) दे वता ने प म दशा म वषा ऋतु के दो महीन को उस का र क नयु तथा वै प और वैराज को उस का अनु ान करने वाला नयु कया. (७-८)
कया
वा षकावेनं मासौ ती या दशो गोपायतो वै पं च वैराजं चानु त तो य एवं वेद.. (९) जो इस बात को जानता है, वह प म दशा क ओर से वषा ऋतु के दो महीन र त रहता है तथा वै प और वैराज उस के अनुकूल रहते ह. (९) त मा उद या दशः.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ारा
शारदौ मासौ गो तारावकुव छ् यैतं च नौधसं चानु ातारौ.. (११) दे वता ने उ र दशा क ओर से शरद ऋतु के दो महीन को उस का र क नयु कया तथा येत और नौधस को उस का अनु ान करने वाला बनाया. (१०-११) शारदावेनं मासावुद या दशो गोपायतः यैतं च नौधसं चानु त तो य एवं वेद.. (१२) जो यह बात जानता है, उ र दशा क ओर से उस क र ा शरद ऋतु के दो महीने करते ह तथा नौधस और येत उस के अनुकूल बन जाते ह. (१२) त मै ुवाया दशः.. (१३) हैमनौ मासौ गो तारावकुवन् भू म चा नं चानु ातारौ.. (१४) दे वता ने ुव दशा अथात् पृ वी क अथवा नीचे क ओर से हेमंत ऋतु के दो महीन को उस का र क नयु कया तथा पृ वी और अ न को उस का अनु ान करने वाला बनाया. (१३-१४) हैमनावेनं मासौ वेद.. (१५)
ुवाया दशो गोपायतो भू म ा न ानु त तो य एवं
जो इस बात को जानता है, ुव दशा क ओर से हेमंत ऋतु के दो महीने उस पु ष क र ा करते ह. पृ वी और अ न उस के अनुकूल हो जाते ह. (१५) त मा ऊ वाया दशः.. (१६) शै शरौ मासौ गो तारावकुवन् दवं चा द यं चानु ातारौ... (१७) दे वता र क नयु (१६-१७)
ने ऊ व दशा अथात् ऊपर क ओर से श शर ऋतु के दो महीन को उस का कया और आकाश तथा सूय को उस का अनु ान करने वाला बनाया.
शै शरावेनं मासावू वाया दशो गोपायतो वेद.. (१८)
ौ ा द य ानु त तो य एवं
जो इस बात को जानता है. वह ऊपर क दशा क ओर से श शर ऋतु के दो महीन के ारा र त होता है. आकाश तथा सूय उस के अनुकूल हो जाते ह. (१८)
सू -५
दे वता—
त मै ा या दशो अ तदशाद् भव म वासमनु ातारमकुवन्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे वता ने पूव दशा के कोने से उस क र ा के लए धनुष धारण करने वाले भव अथात् महादे व को उस का अनु ान करने वाला बनाया. (१) भव एन म वासः ा या दशो अ तदशादनु ातानु त त. नैनं शव न भवो नेशानः.. (२) जो इस बात को जानता है, धनुष धारण करने वाले भव अथात् महादे व, शव, ईशान उस के अनुकूल रहते ह. (२) ना य पशून् न समानान् हन त य एवं वेद.. (३) जो इसे जानता है, उस के अनुकूल रहने वाले पु ष और पशु करते. (३)
क वे हसा नह
त मै द णाया दशो अ तदशा छव म वासमनु ातारमकुवन्.. (४) दे वता ने द ण दशा क ओर से बाण चलाने वाले शव अथात् शव को उस का अनु ान करने वाला बनाया. (४) शव एन म वासो द णाया दशो अ तदशादनु ातानु त त. नैनं शव न भवो नेशानः ना य पशून् न समानान् हन त य एवं वेद.. (५) जो इस बात को जानता है, द ण दशा के कोण से शव, भव और ईशान उस के अनुकूल रहते ह. जो पु ष और पशु उस के अनुकूल होते ह. शव उन क हसा नह करते. (५) त मै ती या दशो अ तदशात् पशुप त म वासमनु ातारमकुवन्.. (६) दे वता ने प म दशा के कोने से बाण फकने वाले पशुप त को उस का अनु ान करने वाला नयु कया. (६) पशुप तरेन म वासः ती या दशो अ तदशादनु ातानु त त. नैनं शव न भवो नेशानः. ना य पशून् समानान् हन त य एवं वेद.. (७) जो इस बात को जानता है, पशुप त प म दशा के कोने से उस के अनुकूल रहते ह. जो पु ष और पशु उस के अनुकूल होते ह, पशुप त उन क हसा नह करते ह. (७) त मा उद या दशो अ तदशा
ं दे व म वासमनु ातारमकुवन्.. (८)
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दे व ने प म दशा के कोने से धनुष धारण करने वाले पशुप त को इस का अनु ान करने वाला बनाया. (८) उ एनं दे व इ वास उद या दशो अ तदशादनु ातानु त त नैनं शव न भवो नेशानः. ना य पशून् न समानान् हन त य एवं वेद.. (९) दे व ने उ र दशा के कोने से धनुष धारण करने वाले उ दे व को इस का अनु ान करने वाला बनाया. (९) त मै ुवाया दशो अ तदशाद्
म वासमनु ातारमकुवन्.. (१०)
जो इस बात को जानता है, धनुष धारण करने वाले उ दे व उ र दशा के कोने से इस के प म रहते ह, शव, भव और ईशान उसे हा न नह प ंचाते. जो पु ष और पशु इस के अनुकूल होते ह, उ दे व उन क हसा नह करते. (१०) एन म वासो ुवाया दशो अ तदशादनु ातानु त त नैनं शव न भवो नेशानः ना य पशून् न समानान् हन त य एवं वेद.. (११) ु दशा के कोने से दे व ने धनुष धारण करने वाले व वाला बनाया है. (११)
को इस का अनु ान करने
त मा ऊ वाया दशो अ तदशा महादे व म वासमनु ातारमकुवन्.. (१२) बाण धारण करने वाले ुव दशा म इस क र ा करते ह. जो इस बात को जानता है, शव, भव और ईशान उसे हा न नह प ंचाते. जो मनु य और पशु इस के अनुकूल होते ह. उन क हसा नह करते. (१२) महादे व एन म वास ऊ वाया दशो अ तदशादनु ातानु त त. नैनं शव न भवो नेशानः. ना य पशून् न समानान् हन त य एवं वेद.. (१३) दे वता ने ऊपर क दशा के कोने से धनुष धारण करने वाले महादे व को तेरा अनु ान करने वाला नयु कया. जो इस बात को जानता है, महादे व ऊपर क दशा के कोने से उस क र ा करते ह. जो पु ष और पशु इस के अनुकूल होते ह, उन क महादे व हसा नह करते ह. (१३) त मै सव यो अ तदशे य ईशान म वासमनु ातारमकुवन्.. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे वता ने उस क सभी दशा के कोन से र ा करने के लए धनुष धारण करने वाले ईशान को अनु ान करने वाला नयु कया. (१४) ईशान एन म वासः सव यो अ तदशे यो ऽ नु ातानु त त नैनं शव न भवो नेशानः.. (१५) ना य पशून् न समानान् हन त य एवं वेद.. (१६) जो इस बात को जानता है, ईशान उस क सभी दशा के कोन से र ा करते ह. जो पु ष एवं पशु उस के अनुकूल होते ह, ईशान भव और शव उन क हसा नह करते. (१५-१६)
दे वता—अ या म, ा य
सू -६ स ुवां दशमनु
चलत्.. (१)
वह ा य ुव दशा क ओर चल पड़ा. (१) तं भू म ा न ौषधय (२)
वन पतय
वान प या
वी ध ानु
चलन्..
पृ वी, अ न, ओष ध, वन प त तथा ओष धयां उस के पीछे चले. (२) भूमे वै सो ३ ने ौषधीनां च वन पतीनां च वान प यानां च वी धां च यं धाम भव त य एवं वेद.. (३) (३)
जो इस बात को जानता है, वह पृ वी, अ न, ओष ध एवं वन प तय का स ऊ वा दशमनु
य होता है.
चलत्.. (४)
वह ऊपर क दशा क ओर चला. (४) तमृतं च स यं च सूय च ऋतु, स य, सूय, चं और न
न
ा ण चानु चलन्.. (५) उस के पीछे चले. (५)
ऋत य च वै स स य य च सूय य च च यं धाम भव त य एवं वेद.. (६)
यचन
जो इस बात को जानता है वह सूय, चं मा तथा न
ाणां च का
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य थान होता है. (६)
स उ मां दशमनु
चलत्.. (७)
वह उ र दशा क ओर चला. (७) तमृच सामा न च यजूं ष च साम, यजु, ऋचाएं और
चानु चलन्.. (८) उस के पीछे चले. (८)
ऋचां च वै स सा नां च यजुषां च (९)
ण
यं धाम भव त य एवं वेद..
जो इस बात को जानता है, वह साम, यजु, ऋचा और स बृहत दशमनु
का
य धाम होता है. (९)
चलत्.. (१०)
उस ने बृहती दशा म गमन कया. (१०) त म तहास पुराणं च गाथा नाराशंसी ानु पुराण, इ तहास तथा मनु य क
चलन्.. (११)
शंसा मक गाथाएं उस के पीछे पीछे चल . (११)
इ तहास य च वै स पुराण य च गाथानां च नाराशंसीनां च यं धाम भव त य एवं वेद.. (१२) (१२)
इस बात को जो जानता है, वह पुराण, इ तहास तथा गाथा स परमां दशमनु
का
य धाम बनता है.
चलत्.. (१३)
उस ने परम दशा क ओर तमाहवनीय गाहप य चलन्.. (१४)
थान कया. (१३) द णा न
य
यजमान
पशव ानु
आहवनीय, गाहप य तथा द ण अ नयां उस के पीछे पीछे चल . (१४) आहवनीय य च वै स गाहप य य च द णा ने य य च यजमान य च पशूनां च यं धाम भव त य एवं वेद.. (१५) जो इस बात को जानता है, आहवनीय, गाहप य और द ण नाम क अ नय का वह य धाम बनता है. (१५) सो ऽ ना द ां दशमनु
चलत्.. (१६)
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वह अना द तमृतव ातवा चलन्.. (१७)
दशा क ओर चल पड़ा. (१६) लोका
लौ या
मासा ाधमासा ाहोरा े चानु
ऋतुए,ं पदाथ, लोक, मास, प , दवस और रा उस के पीछे पीछे चलने लगे. (१७) ऋतूनां च वै स आतवानां च लोकानां च लौ यानां च मासानां चाधमासानां चाहोरा यो यं धाम भव त य एवं वेद.. (१८) जो इस बात को जानता है, वह पु ष ऋतु , पदाथ , लोक, मास , प , दवस और रा य का य धाम बनता है. (१८) सो ऽ नावृ ां दशमनु
चलत् ततो नाव य म यत.. (१९)
वह अनावृत दशा क ओर चला. (१९) तं द त ा द त ेडा चे ाणी चानु चलन्.. (२०) इडा, इं ाणी, द त और अ द त उस के पीछे पीछे चल . (२०) दते वै सो ऽ दते ेडाया (२१)
ा या
यं धाम भव त य एवं वेद..
जो इस बात को जानता है. वह पु ष इडा, इं ाणी, द त और अ द त का बनता है. (२१) स दशो ऽ नु (२२) उस ने दशा चलने लगे. (२२)
चलत् तं वराडनु
य धाम
चलत् सव च दे वाः सवा दे वताः..
क ओर गमन कया. वराट् , अ द त दे व और दे वता उस के पीछे पीछे
वराज वै स सवषां च दे वानां सवासां च दे वतानां. एवं वेद.. (२३)
यं धाम भव त य
जो इस बात को जानता है, वह वराट और सभी दे व का स सवान तदशाननु
य धाम होता है. (२३)
चलत्.. (२४)
वह सभी अंत दशा क ओर चला. (२४) तं जाप त परमे ी च पता च पतामह ानु चलन्.. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जाप त, परमे ी पता और पतामह उस के पीछे चले. (२५) जापते वै स परमे न वेद.. (२६)
पतु
पतामह य च
यं धाम भव त य एवं
जो पु ष इस बात को जानता है, वह जाप त, परमे ी, पता और पतामह का धाम होता है. (२६)
य
दे वता—अ या म, ा य
सू -७
स म हमा स भू वा तं पृ थ ा अग छत् स समु ो ऽ भवत्.. (१) वह बड़ा समथ और ग तशाली हो कर पृ वी के अंत तक गया है और वह सागर बन गया. (१) तं जाप त परमे ी च पता च पतामह ाप वतय त.. (२) उस के साथ जाप त, परमे ी, पता, पतामह ऐनमापो ग छ यैनं (३)
ा च वष भू वानु ा और वृ
ा ग छ यैनं वष ग छ त य एवं वेद.. (३)
जो इस बात को जानता है, जल उसे ा त होते ह. उसे तं
ाचय
हो कर रहने लगे. (२)
ा और वषा ा त होती है.
लोक ा ं चा ा ं च भू वा भपयावत त.. (४)
ा, य , लोक अ और खानपान उस के चार ओर रहने लगे. (४) ऐनं ा ग छ यैनं य ो ग छ यैनं लोको ग छ यैनम ं ग छ यैनम ा ं ग छ त य एवं वेद.. (५) जो यह जानता है, उसे ा ा त होती है, उसे लोक ा त होते ह. उस को अ ा त होता है और उस को खानपान ा त होता है. (५)
दे वता—अ या म, ा य
सू -८ सो ऽ र यत ततो राज यो ऽ जायत.. (१) वह अनुर
आ. उस के बाद वह राजा बन गया. (१)
स वशः सब धून म ा म युद त त्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वह जा
के, बंधु
के अ के और खानपान के अनुकूल
वशां च वै स सब धूनां चा वेद.. (३) (३)
य चा ा
जो पु ष इस कार जानता है, वह जा
यच
वहार करने लगा. (२)
यं धाम भव त य एवं
,अ
और खानपान का
य धाम होता है.
दे वता—अ या म, ा य
सू -९ स वशो ऽ नु
चलत्.. (१)
उस ने जा
के अनुकूल
वहार कया. (१)
तं सभा च स म त सेना च सुरा चानु चलन्.. (२) इस से स म त, सभा, सेना और सुख उस के अनुकूल ए. (२) सभाया वै स स मते सेनाया सुराया (३)
यं धाम भव त य एवं वेद..
इस बात को जानने वाला सभा, स म त, सेना
क सुरानुकूलता ा त करता है. (३)
दे वता—अ या म, ा य
सू -१०
तद् य यैवं व ान् ा यो रा ो ऽ त थगृहानाग छे त्.. (१) ेयांसमेनमा मनो मानयेत् तथा ाय ना वृ ते तथा रा ाय ना वृ ते.. (२) ऐसा वशेष ानी ा य जस राजा का अ त थ हो, राजा उस का स मान करे. ऐसा करने से ा य रा को तथा श को न नह करता. (१-२) अतो वै इस के बाद
च
ं चोद त तां ते अ ूतां कं बल और ा श
अतो वै बृह प तमेव
वशावे त.. (३)
को हम कस म वेश कर. (३)
ा वश व ं
ं तथा वा इ त.. (४)
बल बृह प त म और ा बल इं म वेश करे. (४) अतो वै बृह प तमेव
ा वश द ं
म्.. (५)
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तब
बल बृह प त म और ा बल इं म
व
ए. (५)
इयं वा उ पृ थवी बृह प त रेवे ः.. (६) आकाश ही इं है और पृ वी ही बृह प त है. (६) अयं वा उ अ न आदय
ासावा द यः
बल है और अ न
म्.. (७) बल है. (७)
ऐनं ग छत वचसी भव त.. (८) यः पृ थव बृह प तम नं वेद.. (९) जो पृ वी, बृह प त और अ न को ा त करता है. (८-९)
जानता है, वह
बल और
वचस को
ऐन म यं ग छती यवान् भव त.. (१०) य आ द यं ं दव म ं वेद.. (११) जो आ द य को (१०-११)
और
ुलोक को इं
जानता है, उसे इं यां
ा त होती ह.
दे वता—अ या म, ा य
सू -११
तद् य यैवं व ान् ा यो ऽ त थगृहानाग छे त्.. (१) वयमेनम युदे य ूयाद् ा य वा ऽ वा सी ा योदकं ा य तपय तु ा य यथा ते यं तथा तु ा य यथा ते वश तथा तु ा य यथा ते नकाम तथा व त.. (२) इस कार का वशेष ानी ा य जस घर म अ त थ हो, उसे वयं आसन दे कर कहे —हे ा य! तुम कहां नवास करते हो? यह जल है. हमारे घर के तु ह संतु कर. तु ह जो य हो, जैसा तु हारा वश हो और जैसा तु हारा काम हो उसी कार का रहे. (१-२) यदे नमाह ा य वा ऽ वा सी र त पथ एव तेन दे वयानानव
े .. (३)
यह कहने पर क हे ा य! तुम कहां रहोगे? दे वयान माग ही खुल जाता है. (३) यदे नमाह ा योदक म यप एव तेनाव
े .. (४)
ा य से यह कहने वाला क हे ा य! यह जल है, अपने लए जल को ही खोल लेता ******ebook converter DEMO Watermarks*******
है. (४) यदे नमाह ा य तपय व त ाणमेव तेन वष यांसं कु ते.. (५) यह कहने वाला क हमारे यदे नमाह ा य यथा ते ऐसा जानने वाला जाता है. (६) ऐनं (७)
यं ग छ त
तु ह तृ त कर, अपने ही ाण को स चता है. (५) यं तथा व त
यमेव तेनाव
य पु ष को ा त होता आ यः
े .. (६) य पु ष का भी
य हो
य य भव त य एवं वेद.. (७)
यह कहने वाला क जैसा तु हारा व
है वैसा ही हो, अपने हेतु व
यदे नमाह ा य यथा ते वश तथा व त वशमेव तेनाव
को खोल लेता है.
े .. (८)
यह कहने वाला क जैसा तु हारी इ छा है, वैसा ही हो, अपने लए इ छा खोल लेता है. (८)
को ही
ऐनं वशो ग छ त वशी व शनां भव त य एवं वेद.. (९) इस बात को जानने वाला वश को ा त करता है. वह वश म करने वाल को भी वश म कर लेता है. (९) यदे नमाह (१०)
ा य यथा ते नकाम तथा व त नकाममेव तेनाव
े ..
यह कहने वाला क तु हारा नवास जैसा है, वैसा ही हो, अपने लए कामना खोल लेता है. (१०) ऐनं नकामो ग छ त नकामे नकाम य भव त य एवं वेद.. (११) इस कार जानने वाला अभी को ा त करता है. (११)
सू -१२
दे वता—अ या म, ा य
तद् य यैवं व ान् ा य उद्धृते व न व ध ते ऽ त थगृहानाग छे त्.. (१) वयमेनम युदे य ूयाद् ा या त सृज हो यामी त.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नहो े ऽ
का ार
जस के घर म ऐसा व ान् तधारी अ त थ बन कर उस समय आए, जब अ नयां द त हो गई ह और अ नहोम चल रहा हो तो गृह थ वयं उस के सामने जा कर कहे क हे ती! तुम आ ा दो, म हवन क ं गा. (१-२) स चा तसृजे जु या चा तसृजे जु यात्.. (३) अ त थ व ान् आ ा दे , तभी हवन करे. य द वह आ ा न दे तो हवन न करे. (३) स य एवं व षा ा येना तसृ ो जुहो त.. (४) पतृयाणं प थां जाना त दे वयानम्.. (५) जो इस कार के व ान् तधारी क आ ा से हवन करता है, वह पतृयान और दे वयान माग पर जाता है. (४-५) न दे वे वा वृ ते तम य भव त.. (६) पय या मं लोक आयतनं श यते य एवं व षा ा येना तसृ ो जुहो त.. (७) जो इस कार के व ान् तधारी क आ ा से हवन करता है, उस का अ न होम सफल होता है तथा दे व इस का कोई दोष नह होता. इस लोक के उस गृह थ का आ म सुर त रहता है. (६-७) अथ य एवं व षा ा येनान तसृ ो जुहो त.. (८) न पतृयाणं प थां जाना त न दे वयानम्.. (९) जो इस कार के व ान् तधारी क आ ा के बना हवन करता है, वह न पतृयान माग को जानता है और न दे वयान माग का उसे ान होता है. (८-९) आ दे वेषु वृ ते अ तम य भव त.. (१०) उस का हवन वफल होता है और वह दे व का अपराधी होता है. (१०) ना या मं लोक आयतनं जुहो त.. (११)
श यते य एवं
व षा
ा येनान तसृ ो
इस लोक म उस का आधार नह रहता, जो ऐसे व ान् क आ ा के बना हवन करता है. (११)
सू -१३
दे वता—अ या म, ा य
तद् य यैवं व ान् ा य एकां रा म त थगृहे वस त.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ये पृ थ ां पु या लोका तानेव तेनाव
े .. (२)
जस के घर म ऐसा व ान् ा य रा म अ त थ होता है, वह उस के आने के फल से पृ वी के सभी पु य लोक पर वजय ा त करता है. (१-२) तद् य यैवं व ान् ा यो तीयां रा म त थगृहे वस त.. (३) ये३ त र े पु या लोका तानेव तेनाव े .. (४) जस गृह थ के घर म ऐसा व ान् ा य रा म नवास करता है, वह गृह थ उस के फल के प म अंत म थत सभी पु य लोक को जीत लेता है. (३-४) तद् य यैवं व ान् ा य तृतीयां रा म त थगृहे वस त.. (५) ये द व पु या लोका तानेव तेनाव े .. (६) य द ऐसा व ान् ा य अ त थ के प म गृह थ के घर म तीसरी रा म भी नवास करता है तो उस के फल से वह गृह थ आकाश म थत सम त पु य लोक को अपने लए मु कर लेता है. (५-६) तद् य यैवं व ान् ा य तुथ रा म त थगृहे वस त.. (७) ये पु यानां पु या लोका तानेव तेनाव े . (८) जस गृह थ के घर म ऐसा ा य चौथी रात नवास करता है तो उस के फल के वह गृह थ पु या मा के सभी लोक को अपने लए मु कर लेता है. (७-८)
पम
तद् य यैवं व ान् ा यो ऽ प र मता रा ीर त थगृहे वस त.. (९) य एवाप र मताः पु या लोका तानेव तेनाव े .. (१०) जस गृह थ के घर म ऐसा व ान् ा य अनेक रात तक नवास करता है तो उस के फल के प म वह गृह थ अनेक पु य लोक को अपने लए मु कर लेता है. (९-१०) अथ य या ा यो वा य ुवो नाम ब कषदे नं न चैनं कषत्.. (१२)
य त थगृहानाग छे त्.. (११)
जस के घर अपनेआप को ा य बताने वाला कोई अ ा य आए तो या गृह थ उसे अपने घर से भगा दे . नह , उस को भी भगाना नह चा हए. (११-१२) अ यै दे वताया उदकं याचामीमां दे वतां वासय इमा ममां दे वतां प र वेवे मी येनं प र वे व यात्.. (१३) म इस दे वता को अपने घर म नवास दे ता .ं म इस से जल हण करने क ाथना करता ं. म इस दे वता के लए भोजन परोसता ं. ऐसा वीकार करता आ उस के लए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
भोजन परोसना आ द काय करे. (१३) त यामेवा य तद् दे वतायां तं भव त य एवं वेद.. (१४) जो इस बात को जानता है, उस क आ त दे वता बन जाती है. (१४)
के लए द जाने पर उ म आ त
दे वता—अ या म, ा य
सू -१४ स यत् ाच दशमनु कृ वा.. (१)
चल मा तं शध भू वानु
चल मनो ऽ
ादं
जब वह पूव दशा क ओर चला, तब उस ने बलशाली हो कर अपनी आयु के अनुकूल आचरण करते ए अपने मन को अ ाद अथात् अ खाने वाला बनाया. (१) मनसा ादे ना म
य एवं वेद.. (२)
जो मनु य इस बात को जानता है, वह अ ाद मन से अ को खाता है. (२) स यद् द णां दशमनु (३)
चल द ो भू वानु
चलद् बलम ादं कृ वा..
जब वह द ण दशा क ओर गया, तब वह अपने बल को अ ाद बताता आ इं बन कर गमनशील आ. (३) बलेना ादे ना म
य एवं वेद.. (४)
इस बात को जानने वाला अ ाद बल से अ का सेवन करता है. (४) स यत् तीच दशमनु कृ वा.. (५)
चलद् व णो राजा भू वानु
चलदपो ऽ ाद ः
जब वह प म दशा क ओर चला, तब वह जल को अ ाद बताता आ व ण बन कर ग तशील आ. (५) अ
र ा द भर म
य एवं वेद.. (६)
इस बात को जानने वाला अ ाद जल से अ का भ ण करता है. (६) स य द च दशमनु चलत् सोमो राजा भू वानु चलत् स त ष भ त आ तम ाद कृ वा.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जब वह उ र दशा क ओर चला, तब वह स त षय बना कर तथा सोम हो कर चला. (७) आ या ा ा म
ारा द गई आ त को अ ाद
य एवं वेद.. (८)
इस बात को जानने वाला अ ाद आ त से अ का भ ण करता है. (८) स यद् ुवां दशमनु (९)
चलद् व णुभू वानु चलद् वराजम ाद कृ वा..
जब वह ुव दशा क ओर चला, तब वराट् को अ ाद बता कर वयं व णु चला. (९) वराजा ा ा म
पम
य एवं वेद.. (१०)
इस बात को जानने वाला अ ाद वराट के ारा अ का भ ण करता है. (१०) स यत् पशूननु
चलद्
ो भू वानु
चलदोषधीर ाद ः कृ वा.. (११)
जब वह पशु क ओर चला तब ओष धय को अ ाद बनाते ए उस ने म गमन कया. (११) ओषधी भर ाद भर म
के
प
य एवं वेद.. (१२)
इस बात को जानने वाला अ ाद ओष धय से अ को खाता है. (१२) स यत् पतॄननु कृ वा.. (१३)
चलद् यमो राजा भू वानु
चलत् वधाकारम ादं
जब वह पतर क ओर चला, तब उस ने वधा को अ ाद बनाया और वह हो वयं यमराजा बन कर चला. (१३) वधाकरेणा ादे ना म
य एवं वेद.. (१४)
इस बात को जानने वाला वधाकार अ ाद से अ को खाता है. (१४) य मनु या ३ ननु (१५) (१५)
चलद नभू वानु
चलत् वाहाकारम ादं कृ वा..
जब वह मनु य क ओर चला, तब वाहा को अ ाद बना कर अ न होता आ चला.
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वाहाकारेणा ादे ना म
य एवं वेद.. (१६)
इस बात को जानने वाला वाहाकार अ ाद के ारा अ का सेवन करता है. (१६) स य वा दशमनु कृ वा.. (१७)
चलद् बृह प तभू वानु
चलद् वषट् कारम ादं
जब वह ऊ व दशा क ओर चला, तब वषट् कार को अ ाद बना कर बृह प त बनता आ चला. (१७) वषट् कारेणा ादे ना म (१८)
(१९)
य एवं वेद.. (१८)
इस बात को जानने वाला वषट् कार
प अ ाद के
स यद् दे वाननु
चल म युम ादं कृ वा.. (१९)
चलद शानो भू वानु
ारा अ
का भ ण करता है.
जब वह दे वता क ओर चला, तब य को अ ाद बना कर ईशान बनता आ चला. म युना ादे ना म
य एवं वेद.. (२०)
इस बात को जानने वाला अ ाद य के ारा अ को खाता है. (२०) स यत् जा अनु (२१) जब वह जा चला. (२१) ाणेना ादे ना म
चलत् जाप तभू वानु
चलत् ाणम ादं कृ वा..
क ओर चला, तब ाण को अ ाद बना कर जाप त के
पम
य एवं वेद.. (२२)
इस बात को जानने वाला अ ाद ाण के ारा अ का भोजन करता है. (२२) स यत् सवान तदशाननु कृ वा.. (२३)
चलत् परमे ी भू वानु
जब वह सब अंतदश क ओर चला, तब आ चला. (२३) णा ादे ना म
चलद्
ा ादं
को अ ाद बना कर जाप त बनाता
य एवं वेद.. (२४)
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इस बात को जानने वाला पु ष अ ाद
के ारा अ का भोजन करता है. (२४)
दे वता—अ या म, ा य
सू -१५ त य ा य य.. (१) स त ाणाः स तापानाः स त
ानाः.. (२)
इस ा य के सात ाण, सात अपान तथा सात ही
ान ह. (१-२)
त य ा य य. यो ऽ य थमः ाण ऊ व नामायं सो अ नः.. (३) इस वा य का पहला ऊ व ाण अ न है. (३) त य ा य य. यो ऽ य इस ा य का
तीयः ाणः ौढो नामासौ स आ द यः.. (४)
तीय ौढ़ ाण आ द य है. (४)
त य ा य य. यो ऽ व तृतीयाः ाणो ३ यू ढो नामासौ स च माः.. (५) इस का जो तृतीय ाण है, वह अ ूढ़ नाम का चं मा है. (५) त य ा य य. यो ऽ व चतुथः ाणो वभूनामायं स पवमानः.. (६) इस का चतुथ ाण वभु पवमान है. (६) त य ा य य. यो ऽ य प चमः ाणो यो ननाम ता इमा आपः.. (७) इस ा य का पांचवां ाण यो न जल है. (७) त य ा य य. यो ऽ य ष ः ाणः इस का छठा ाण
यो नाम त इमे पशवः.. (८)
य नाम वाला पशु है (८)
त य ा य य. यो ऽ य स तमः ाणो ऽ प र मतो नाम ता इमाः जाः.. (९) इस के स तम ाण का नाम अप र मत है. यह जा है. (९)
सू -१६
दे वता—अ या म, ा य
त य ा य य. यो ऽ य थमो ऽ पानः सा पौणमासी.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इस ा य का थम अपान पूणमासी है. (१) त य ा य य. यो ऽ य इस का
तीयो ऽ पानः सा का (२)
तीय अपान अ कार है. (२)
त य ा य य. यो ऽ य तृतीयो ऽ पानः सामावा या.. (३) इस का तृतीय अपान अमाव या है. (३) त य ा य य. यो ऽ य चतुथ ऽ पानः सा इस का चतुथ अपान
ा.. (४)
ा है. (४)
त य ा य य. यो ऽ य प चमो ऽ पानः सा द ा.. (५) इस का पांचवां अपान द ा है. (५) त य ा य य. यो ऽ य ष ो ऽ पानः स य ः.. (६) इस का छठा अपान य है. (६) त य ा य य. यो ऽ य स तमो ऽ पान ता इमा द णाः.. (७) इस का स तम अपान द णा है. (७)
दे वता—अ या म, ा य
सू -१७ त य ा य य. यो ऽ य थमो इस ा य का थम
ान भू म है. (१)
त य ा य य. यो ऽ य इस का
तीय
तीयो
ानः सा ौ:.. (३)
ान ौ है. (३)
त य ा य य. यो ऽ य चतुथ इस का चतुथ
ान तद त र म्.. (२)
ान अंत र है. (२)
त य ा य य. यो ऽ य तृतीयो इस का तृतीय
ानः सेयं भू मः.. (१)
ान न
ान ता न न
ा ण.. (४)
है. (४)
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त य ा य य. योऽ य प चमो इस का पांचवां
ान ऋतु ह. (५)
त य ा य य. यो ऽ य ष ो इस का छठा
ान त आतवाः.. (६)
ान आतव है. (६)
त य ा य य. यो ऽ य स तमो इस का सातवां
ान त ऋतवः.. (५)
ानः स संव सरः.. (७)
ान संव सर है. (७)
त य ा य य. समानमथ प र य त दे वाः संव सरं वा एत तवो ऽ नुप रय त ा यं च.. (८) दे वगण इस के समान अथ को ा त होते तथा संव सर और ऋतुएं भी इस का अनुमान करते ह. (८) त य ा य य. यदा द यम भसं वश यमावा यां चैव तत् पौणमास च.. (९) त य ा य य. एकं तदे षाममृ व म या तरेव.. (१०) अमाव या और पू णमा आ द य म वेश करती ह. आ त ही इन का अ वनाशी होना है. (९-१०)
सू -१८
दे वता—अ या म, ा य
त य ा य य.. (१) इस ा य का द ण च ु आ द य है. (१) यद य द णम यसौ स आ द यो यद य स म यसौ स च माः.. (२) इस का वाम च ु चं मा है. (२) यो ऽ य द णः कण ऽ यं सो अ नय ऽ य स ः कण ऽ यं स पवमानः.. (३) इस का दा हना कान अ न और बायां कान पवमान है. (३) अहोरा े ना सके द त द त शीषकपाले संव सरः शरः.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इस क ना सका दन और रात ह. इस का शीष द त और कपाल अ द त है. इस का शीश संव सर है. (४) अ ा
यङ् ा यो रा या ाङ् नमो ा याय.. (५)
यह ा य दन म सबके लए पू य है. इस कार के ा य को नम कार है. (५)
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सोलहवां कांड दे वता— जाप त
सू -१
अ तसृ ो अपां वृषभो ऽ तसृ ा अ नयो द ाः.. (१) (१)
जल म जो वृषभ के समान जल है वह मु
आ है और द
अ नयां मु
ई ह.
जन् प र जन् मृणन् मृणन्.. (२) ोको मनोहा खनो नदाह आ म ष तनू षः.. (३) इदं तम त सृजा म तं मा यव न .. (४) तेन तम य तसृजामो यो ३ मान् े यं वयं मः.. (५) भंग करने वाला, वनाशक, पलायन करने वाला, मन को दबाने वाला, दाह उ प करने वाला, खोदने से ा त होने वाला और दे ह को षत करने वाला जो जल है, उस से अपने श ु को यु करता आ म उस का याग करता ं. म वयं उस का पश नह क ं गा. (२-५) अपाम म स समु ं वो ऽ यवसृजा म.. (६) हे जल के े भाग! म तु ह सागर क ओर े रत करता ं. (६) यो ३ व १ नर त तं सृजा म ोकं ख न तनू षम्.. (७) शरीर के बल का अपहरण कर के जल के भीतर ले जाने वाले अ न का भी म याग करता ं. (७) यो व आपो ऽ नरा ववेश स एष यद् वो घोरं तदे तत्.. (८) हे जल! जो अ न तुम म इ
यवइ
व
ई है वह तु हारा भयानक भाग है. (८)
येणा भ ष चेत्.. (९)
हे जल! जो तु हारा अ य धक ऐ य वाला भाग है, उसे हम इं य से स च. (९) अ र ा आपो अप र म मत्.. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जल हमारे पाप को हमसे र करे. पाप हमे अलग ह . (१०) ा मदे नो वह तु
ः व यं वह तु.. (११)
यह जल हमारे पाप और बुरे व को बहा कर ले जाए. (११) शवेन मा च ुषा प यतापः शवया त वोप पृशत वचं मे.. (१२) हे जल! तुम मुझे कृपा क का पश करो. (१२)
से दे खो और अपने क याणकारक भाग से मेरी वचा
शवान नीन सुषदो हवामहे म य
ं वच आ ध दे वीः.. (१३)
हम जल म ा त और मंगलका रणी अ नय को बुलाते ह. यह जल मुझे वाली श से संप करे. (१३)
माबल
दे वता— जाप त
सू -२ न रम य ऊजा मधुमती वाक्.. (१) म
षत चमरोग से मु
र ं. मेरी वाणी श
शा लनी तथा मधुयु
हो. (१)
मधुमती थ मधुमत वाचमुदेयम्.. (२) हे ओष धयो! तुम मधुरस से पूण रहो. मेरी वाणी भी मधुररस से पूण हो. (२) उप तो मे गोपा उप तो गोपीथः.. (३) मेरे कान क याण करने वाली बात सुन. म मंगलपूण एवं शंसाभरी बात सुनूं. (३) सु ुतौ कण भ
ुतौ कण भ ं
ोकं ूयासम्.. (४)
मेरे कान भलीभां त तथा नकट से सुनना कभी न छोड़. मेरे ने ग ड़ के समान ह तथा सदै व दे खने क श से स प रह. (४) सु ु त मोप ु त मा हा स ां सौपण च ुरज ं यो तः.. (५) श
मेरे कान ठ क से सुनना और पास से सुनना न छोड़. मेरी आंख ग ड़ क दे खने क से पूण रह. (५) ऋषीणां
तरो ऽ स नमो ऽ तु दै वाय
तराय.. (६)
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तू ऋ षय का पाषाण है. तुझ दे व प पाषाण को म नम कार करता ं. (६)
दे वता—आ द य
सू -३ मूधाहं रयीणां मूधा समानानां भूयासम्.. (१) (१)
म धन का शीष
प र ं. जो
मेरे समान ह, उन म म म तक के समान उ च र ं.
ज मा वेन मा हा स ां मूधा च मा वधमा च मा हा स ाम्.. (२) रज, य , मूधा अथात् शीश और वशेष धम मेरा याग न कर. (२) उव मा चमस मा हा स ां धता च मा ध ण मा हा स ाम्.. (३) उव अथात् पकाने वाला पा , चमस अथात् चमचा धारण करने वाले और आधार मुझ से अलग न ह . (३) वमोक मा प व हा स ाम्.. (४)
मा हा स ामा दानु
मा मात र ा च मा
मु करने वाला तथा गीला आयुध, आ दानु और मात र ा अथात् पवन मुझ से अलग न हो. (४) बृह प तम आ मा नृमणा नाम
ः.. (५)
हष दे ने वाले, अनु ह करने वाले तथा मन को लगाने वाले बृह प त मेरी आ मा ह. (५) असंतापं मे दयमु
ग ू तः समु ो अ म वधमणा.. (६)
दो कोस तक क भू म मेरे अ धकार म हो. मेरा दय कभी संत त न रहे. म धारण करने क श के ारा सागर के समान गंभीर बनूं. (६)
सू -४
दे वता—आ द य
ना भरहं रयीणां ना भः समानानां भूयासम्.. (१) (१)
म धन क ना भ के समान बनूं. जो पु ष मेरे समान ह, उन म भी म ना भ वासद स सूषा अमृतो म य वा.. (२)
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प बनूं.
(२)
े उषा मरण धमा मनु य म अमृत से यु
है तथा सुंदरता के साथ
त त होती है.
मा मां ाणो हासी मो अपानो ऽ वहाय परा गात्.. (३) ाण वायु मेरा याग न करे. अपान वायु भी मुझे छोड़ कर न जाए. (३) सूय मा ः पा व नः पृ थ ा वायुर त र ाद् यमो मनु ये यः सर वती पा थवे यः.. (४) सूय दन म मेरी र ा कर. अ न पृ वी पर मेरी र ा करे. वायु अंत र से तथा सर वती पा थव पदाथ से मेरी र ा करने वाली ह. (४) ाणापानौ मा मा हा स ं मा जने
म, यम मनु य
मे ष.. (५)
ाण और अपान वायु मेरा याग न कर. म सदा स र ं. (५) व य १ ोषसो दोषस सव आपः सवगणो अशीय. (६) उषा काल और रा बनूं. (६)
के ारा मंगल हो. म सभी गण और जल का उपयोग करने वाला
श वरी थ पशवो मोप दधातु.. (७)
थेषु म ाव णौ मे
ाणापानाव नम द ं
हे पशुओ! तुम भुजा वाले बनो तथा मेरे पास थत रहो. व ण दे व मेरी ाण और अपान वायु को पो षत कर. अ न दे व मेरे बल को ढ़ कर. (७)
दे वता— ः व नाशन
सू -५
वद्म ते व ज न ं ा ाः पु ो ऽ स यम य करणः.. (१) हे व ! तू ाहय पशाच से उ प उ प जानता ं. (१)
आ है तथा यम को ा त करने वाला है. म तेरी
अ तको ऽ स मृ युर स.. (२) हे व ! तू जीवन का अंत करने वाली मृ यु है. (२) तं वा व तथा सं वद्म स नः व
व यात् पा ह.. (३)
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हे
! हम तु ह भलीभां त जानते ह. तुम हम बुरे व
से बचाओ. (३)
वद्म ते व ज न ं नऋ याः पु ो ऽ स यम य करणः. अ तको ऽ स मृ युर स. तं वा व तथा सं वद्म स नः व पा ह.. (४)
व यात्
हे व ! हम तु हारे ज म को जानते ह. तुम नऋ त अथात् पाप दे वता के पु हो तथा यम दे व के साधन हो. तुम जीवन का अंत करने वाली मृ यु हो. हम तु हारे इस प को जानते ह. तुम हम बुरे व से बचाओ. (४) वद्म ते व ज न मभू याः पु ो ऽ स यम य करणः. अ तको ऽ स मृ युर स. तं वा व तथा सं वद्म स नः व पा ह.. (५)
व यात्
हे व ! हम तु हारी उ प को जानते ह. तुम मृ यु और अभू त अथात् द र ता के पु हो. हे व ! हम तु ह भ लभां त जानते ह. तुम हमारी बुरे व से र ा करो. (५) वद्म ते व ज न ं नभू याः पु ो ऽ स यम य करणः. अ तको ऽ स मृ युर स. तं वा व तथा सं वद्म स नः व पा ह.. (६)
व यात्
हे व ! हम तु हारी उ प को जानते ह. तुम नभू त अथात् नधनता के पु और यमराज के साधन हो. हम तु ह भलीभां त जानते ह, इस लए तुम हम बुरे व से बचाओ. (६) वद्म ते व ज न ं पराभू याः पु ो ऽ स यम य करणः. अ तको ऽ स मृ युर स. तं वा व तथा सं वद्म स नः व पा ह.. (७)
व यात्
हे व ! हम तु हारी उ प को जानते ह. तुम पराभू त अथात् पराजय के पु और यमराज के साधन हो. तुम यमराज के साधन और मृ यु हो. हम तु हारे व प को भलीभां त जानते ह. तुम हम बुरे व से बचाओ. (७) वद्म ते व ज न ं दे वजामीनां पु ो ऽ स यम य करणः.. (८) हे व ! हम तु हारे ज म को जानते ह. तुम इं य वकार के पु और यम के साधन हो. तुम जीवन का अंत करने वाली मृ यु हो. हम तु ह भलीभां त जानते ह. तुम हम बुरे व से बचाओ. (८) अ तको ऽ स मृ युर स.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे व ! तुम जीवन का अंत करने वाली मृ यु हो. (९) तं वा व तथा सं वद्म स नः व
व यात् पा ह.. (१०)
हे व ! म तु ह भलीभां त जानता ं. तुम मुझे बुरे व
से बचाओ. (१०)
दे वता— ः व नाशन
सू -६ अजै मा ासनामा ाभूमानागसो वयम्.. (१)
हम आज वजय ा त कर. हम आज खा पदाथ ा त कर. आज हम पाप र हत हो जाएं. (१) उषो य माद्
व यादभै माप त छतु.. (२)
हे उषा दे वी! जस बुरे व से हम डरते ह, वह बुरा व समा त हो जाए. (२) षते तत् परा वह शपते तत् परा वह.. (३) हे दे व! आप उसे भय को ा त कराएं जो हमसे े ष करता है तथा हमारी न दा करता है. (३) यं
मो य नो े
त मा एनद् गमयामः.. (४)
हम जससे े ष करते ह और जो हमसे े ष करता है, हम इस भय को उस के पास भेजते ह. (४) उषा दे वी वाचा सं वदाना वाग् दे ु १ षसा सं वदाना.. (५) उषा दे वी वाणी के साथ और वाणी क दे वी उषा के साथ एकमत था पत कर. (५) उष प तवाच प तना सं वदानो वाच प त ष प तना सं वदानः.. (६) उषा के प त वाच प त अथात् वाणी के वामी के साथ तथा वाच प त उषा दे वी के प त के साथ एकमत था पत कर. (६) ते ३ मु मै परा वह वरायान् णा नः सदा वाः.. (७) कु भीका षीकाः पीयकान्.. (८) वे इस श ु के लए षत नाम वाले ःख को, आप य को घड़े के समान बढ़ने वाले उदर रोग को, शरीर के षत रोग को तथा ाणघातक रोग को ा त कराएं. (७-८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जा द् व यं व े व यम्.. (९) अनाग म मतो वरान व ेः संक पानमु या हः पाशान्.. (१०) हम जा त अव था म जो ः व दे खते ह और सोते ए जो ः व दे खते ह, उनके बुरे फल से तथा धनहीनता के अतीतकाल के संक प से, न ा त होने वाले उ म पदाथ से और न छू टने वाले ोहज नत पाश से मु ह . (९-१०) तदमु मा अ ने दे वाः परा वह तु व यथासद् वथुरो न साधुः.. (११) हे अ न दे व! सभी दे व सभी कार क उन आप य को हमारे श ु क ओर ले जाएं, जनके कारण हमारे श ु पौ षहीन ा ध और स जन को ा त होने वाले य को न पाकर अपयश भोग. (११)
दे वता— ः व नाशन
सू -७
तेनैनं व या यभू यैनं व या म नभू यैनं व या म पराभू यैनं व या म ा ैनं व या म तमसैनं व या म.. (१) म इस अथात् बुरे व को अ भचार कम अथात् जा टोने से, ग त से, द र ता से तथा रोग से व करता ं. (१) दे वानामेनं घोरैः ू रैः ैषैर भ े या म.. (२) म इस बुरे व को दे वता
क भयंकर आ ा
के सामने उप थत करता ं. (२)
वै ानर यैनं दं योर प दधा म.. (३) म इस बुरे व को वै ानर अथात् अ न क दाढ़ म डालता ं. (३) एवानेवाव सा गरत्.. (४) वै ानर इस बुरे व को नगल जाएं. (४) यो ३ मान् े
तमा मा े ु यं वयं
मः स आ मानं े ु .. (५)
जो हम से े ष करता हो, उस से आ मा े ष करे. जस से हम े ष करते ह, वह आ मा से े ष करे. (५) न ष तं दवो नः पृ थ ा नर त र ाद् भजाम.. (६) जो हम से े ष करता है, उसे हम आकाश, पृ वी और अंत र से र भगाते ह. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सुयामं ा ुष.. (७) इदमह मामु यायणे ३ मु याः पु े
व यं मृजे.. (८)
हे उ म नयामक और नरी क! म बुरे व से होने वाले फल को अमुक गो वाले तथा अमुक ी के पु के पास भेजता ं. (७-८) यददो अदो अ यग छन् यद् दोषा यत् पूवा रा म्.. (९) य जा द यत् सु तो यद् दवा य म्.. (१०) यदहरहर भग छा म त मादे नमव दये.. (११) म पहली रात म अमुकअमुक कम कर चुका ं. जा ताव था म, सुषु ताव था म, दन म अथवा रा म म न य त जस पाप और दोष को ा त करता ं, उ ह के ारा म उस बुरे व को न करता .ं (९-११) तं ज ह तेन म द व त य पृ ीर प शृणी ह.. (१२) (१२)
हे दे व! उस श ु क हसा करो, उस के साथ चलो तथा उस क पस लय को तोड़ दो. स मा जीवीत् तं ाणो जहातु.. (१३) वह ाणहीन हो जाए, वह जी वत न रहे. (१३)
सू -८
दे वता—बुरे व का नाश
जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्.. (१) हमारा उदय हो. हम स य को ा त कर, हमारा तेज बढ़े . हमारा ान बढ़े तथा हमारे उ म काश म वृ हो. हमारे य सफल ह , हमारे अ धकार म पशु ह , हमारी संतान क वृ हो. हमारे लोग वीर ह . (१) त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः.. (२) इस अपराध के कारण हम श ु पर आ मण करते ह. इस गो वाला तथा इस का पु हमारा श ु है. (२) स ा ा: पाशा मा मो च.. (३) वह रोग के पाश से न छू ट सके. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (४) उस के तेज, बल, ाण और आयु को म घेरता ं. म इसे नीचे गराता ं. (४) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स नऋ याः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (५) श ु को मार कर लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, जा तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को, हम इस लोक से र करते ह. म उस के तेज, बल, ाण और आयु को घेरता ं. वह ग त के पाश से न छू ट सके. (५) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. सो ऽ भू याः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (६) श ु को मार कर लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, जा तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को, हम इस लोक से र करते ह. म उस के तेज, बल, ाण और आयु को घेरता ं. वह द र ता के पाश से न छू टने पाए. (६) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स नभू याः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा यं पादया म.. (७) श ु को मार कर लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, जा तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को, हम इस लोक से र करते ह. म उस के तेज, बल, ाण और आयु को घेरता ं. वह बुरी अव था ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के पाश से न छू ट सके. (७) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः स पराभू याः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (८) श ु को मार कर लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, जा तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को, हम इस लोक से र करते ह. म उस के तेज, बल, ाण और आयु को घेरता ं. वह पराजय के पाश से न छू टने पाए. (८) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स दे वजामीनां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (९) श ु को मार कर लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, जा तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को, हम इस लोक से र करते ह. म उस के तेज, बल, ाण और आयु को घेरता ं. वह इं य संबंधी दोष से छू टने न पाए. (९) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स बृह पतेः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१०) श ु को मार कर लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, जा तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को, हम इस लोक से र करते ह. वह बृह प त के बंधन से मु न हो. म उस के तेज, वच, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराता ं. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स जापतेः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (११) श ु को मार कर और जीत कर लाए ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को हम इस लोक से र करते ह, वह जाप त के बंधन से मु न हो. म उस के तेज, वच, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराता ं. (११) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवोऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स ऋषीणां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१२) श ु को घायल कर के लाए ए तथा जीते ए सब पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , पशु, जा तथा सब वीर हमारे ह. अमुक गो वाले और अमुक ी के पु को हम इस लोक से र करते ह. वह ऋ षय के बंधन से मु न हो. म उस के तेज, वच, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराना चाहता ं. (१२) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स आषयाणां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१३) श ु को वद ण कर के लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान तथा सभी वीर हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक ी के पु को इस लोक से र भेजते ह. वह ऋ षय से उ प पाश से कभी छू टने न पाए. म उस के तेज, वच, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराता ं. (१३) जतम माकमु वर माकं
म माकमृतम माकं तेजो ऽ
माकं
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ा माकं
य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. सो ऽ रसां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१४) श ु को वद ण कर के लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह अं गरा के बंधन से मु न हो. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (१४) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स आ रसानां पाशा मामो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१५) श ु को घायल कर के लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान तथा सभी वीर हमारे ह. अमुक गो वाला तथा अमुक नाम वाली ी के पु को हम इस लोक से र करते ह. वह आं गरस अथात् अं गरा गो वाल के बंधन से मु न हो. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह डालते ह. (१५) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. सो ऽ थवणां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१६) श ु का वध कर के लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को लोक से र करते ह. वह अथवा गो वाल के बंधन से मु न हो. हम उस के तेज, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (१६) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त मादमुं नभजामोऽमुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स आथवणानां पाशा मामो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१७) श ु को घायल कर के लाए ए और जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह अथवण के बंधन से न छू टे . हम उस के तेज, , ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (१७) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स वन पतीनां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१८) श ु को वद ण कर के लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सभी वीर पु ष हमारे ह. अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को हम इस लोक से र करते ह. वह वन प तय के बंधन से मु न हो. हम उस के तेज, बल, ाण तथा आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (१८) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स वन प यानां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (१९) श ु का वध कर के लाए गए और जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. हम स य, तेज, , वग, पशु, संतान तथा सभी वीर पु ष के अ धकारी ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह वन प तय के पाश से मु न हो. हम उस के तेज, बल, वग, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (१९) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स ऋतूनां पाशा मा मो च. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२०) श ु का वध कर के लाए ए तथा जीते ए सभी पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान, ी तथा वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह ऋतु के बंधन से मु न होने पाए. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२०) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामोऽमुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स आतवानां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२१) श ु को घायल कर के लाए ए तथा जीत कर लाए ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, ब , वग, पशु, संतान तथा सभी वीर पु ष हमारे ह. अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को हम इस लोक से र करते ह. वह ऋतु के पदाथ के बंधन से मु न हो. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२१) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स मासानां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२२) श ु
का वध कर के लाए ए पदाथ तथा जीत कर लाए ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान तथा सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह मास के पाश से न छू टने पाए. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२२) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामोऽमुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. सो ऽ धमासानां पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यायीदमेनमधरा चं पादया म.. (२३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
श ु को मार कर लाए ए पदाथ तथा जीते ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह अधमास के बंधन से मु न होने पाए. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२३) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामोऽमुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. सो ऽ होरा योः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२४) श ु को घायल कर के लाए ए पदाथ और जीते ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह दन और रा य के पाश से मु न होने पाए. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२४) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामोऽमुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. सो ऽ ोः संयतोः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२५) श ु को न कर के लाए ए पदाथ और जीते ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह रात दन के संयत पाश से मु न होने पाए. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२५) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामोऽमुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स ावापृ थ ोः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२६) श ु को वद ण कर के लाए ए पदाथ तथा जीते ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, जा और सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह ावा पृ वी के पाश से छू ट न सके. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२६) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजोऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स इ ा योः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२७) श ु को मार कर लाए ए पदाथ तथा जीते पशु, संतान और सभी वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक के पु को इस लोक से र करते ह. वह इं और अ उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे
ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी न के बंधन से मु न होने पाए. हम धे मुंह गराते ह. (२७)
जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स म ाव णयोः पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (२८) श ु को वद ण कर के लाए ए पदाथ और जीते ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सब वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से र करते ह. वह म और व ण के बंधन से छू टने न पाए. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२८) जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्. त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः. स रा ो व ण य पाशा मा मो च. त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म. (२९) श ु को घायल कर के लाए ए पदाथ तथा जीते ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सब वीर पु ष हमारे ह. हम अमुक गो वाले और अमुक नाम वाली ी के पु को इस लोक से मु करते ह. वह राजा व ण के पाश से मु न होने पाए. हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे धे मुंह गराते ह. (२९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जतम माकमु म माकमृतम माकं तेजो ऽ माकं ा माकं वर माकं य ो ३ ऽ माकं पशवो ऽ माकं जा अ माकं वीरा अ माकम्.. (३०) श ु को मार कर लाए ए पदाथ और जीत कर लाए ए पदाथ हमारे ह. स य, तेज, , वग, पशु, संतान और सब वीर पु ष हमारे ह. (३०) त मादमुं नभजामो ऽ मुमामु यायणममु याः पु मसौ यः.. (३१) (३१)
हम अमुक गो वाले तथा अमुक नाम वाली
ी के पु को इस लोक से र करते ह.
स मृ योः पड् वीशात् पाशा मा मो च.. (३२) वह मृ यु के पाश से कभी मु
न हो. (३२)
त येदं वच तेजः ाणमायु न वे यामीदमेनमधरा चं पादया म.. (३३) हम उस के तेज, बल, ाण और आयु को लपेट कर उसे
दे वता— जाप त
सू -९ जतम माकमु
धे मुंह गराते ह. (३३)
म माकम य ां व ाः पृतना अरातीः.. (१)
श ु को घायल कर के लाए ए पदाथ तथा जीते ए पदाथ हमारे ह. हम श ु सेना पर अ धकार कर. (१)
क
तद नराह त सोम आह पूषा मा धात् सुकृत य लोके.. (२) अ न और सोम इसी बात को कह रहे ह. पूषा दे व हम पु य लोक म
त त कर. (२)
अग म व १: वरग म सं सूय य यो तषाग म.. (३) हम वग ा त है, जो लोक सूय क
यो त से उ म बना है, हम उसे ा त कर. (३)
व योभूयाय वसुमान् य ो वसु वं शषीय वसुमान् भूयासं वसु म य धे ह.. (४) म स कार पाने के यो य ं. म परमधनी बनने के लए धन पर अ धकार कर सकूं. हे दे व! मेरे धन को पु करो. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
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स हवां कांड सू -१
दे वता—आ द य
वषास ह सहमानं सासहानं सहीयांसम्. सहमानं सहो जतं व जतं गो जतं संधना जतम्. ई ं नाम इ मायु मान् भूयासम्. (१) सहमान अथात् सर को दबाने वाले तेज से यु , श ु के उस तेज को जीतने वाले, वग के वजेता, श ु के गाय आ द पशु को जीतने वाले तथा जल पर वजय ा त करने वाले इं प सूय को म ातः, म या तक सं या के कम के ारा बुलाता ं. उन इं प सूय क कृपा से म अ धक आयु वाला बनूं. (१) वषास ह सहमानं सासहानं सहीयांसम्. सहमानं सहो जतं व जतं गो जतं संधना जतम्. ई ं नाम इ ं यो दे वानां भूयासम् (२) सहमान अथात् सर को दबाने वाले तेज से यु , श ु के उस तेज को जीतने वाले, वग के वजेता, श ु के गाय आ द पशु को जीतने वाले तथा जल पर वजय ा त करने वाले इं प सूय को बुलाता ं. उन इं क कृपा से म संतान आ द का य बनूं. (२) वषास ह सहमानं सासहानं सहीयांसम्. सहमानं सहो जतं व जतं गो जतं संधना जतम्. ई ं नाम इ ं यः जानां भूयासम् (३) म सहमान अथात् सर को दबाने वाले तेज से यु , श ु के उस तेज को जीतने वाले, वग के वजेता, श ु के गाय आ द पशु को जीतने वाले तथा जल पर वजय ा त करने वाले इं प सूय को म बुलाता ं. उन इं प सूय क कृपा से म जा का य बनूं. (३) वषास ह सहमानं सासहानं सहीयांसम्. सहमानं सहो जतं व जतं गो जतं संधना जतम्. ई ं नाम इ ं यः पशूनां भूयासम् (४) सहमान अथात् सर को दबाने वाले तेज से यु , श ु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के उस तेज को जीतने वाले,
वग के वजेता, श ु के गाय आ द पशु को जीतने वाले तथा जल पर वजय ा त करने वाले इं प सूय का म ातः, सायं तथा म या के कम के ारा आ ान करता ं. उन क कृपा से म गाय, भस आ द पशु का य बनूं. (४) वषास ह सहमानं सासहानं सहीयांसम्. सहमानं सहो जतं व जतं गो जतं संधना जतम्. ई ं नाम इ ं यः समानानां भूयासम् (५) सहमान अथात् सर को दबाने वाले तेज से यु , श ु के उस तेज को जीतने वाले, वग के वजेता, श ु के गाय आ द पशु को जीतने वाले तथा जल पर वजय ा त करने वाले सूय को म ातः, म या और सं या के कम के ारा बुलाता ं. उन इं प सूय क कृपा से म अपने समान लोग का य बनूं. (५) उ द द ह सूय वचसा मा यु द ह. षं म ं र यतु मा चाहं षते रधं तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (६) हे सूय दे व! आप उ दत ह और उ दत हो कर अपने तेज से मुझे का शत कर. जो लोग मुझ से े ष करते ह. वे मेरे वश म हो जाएं. म कसी भी कार उन के वशीभूत न बनूं. हे ापनशील सूय दे व! आप का परा म सीमार हत है आप मुझे अमुक प वाले अथात् गाय, घोड़ा, भस आ द पशु से पूण करं तथा परम ोम म जो अमृत है, उस म मुझे था पत कर. (६) उ द द ह सूय वचसा मा यु द ह. या ं प या म या ं न तेषु मा सुम त कृ ध तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (७) हे सूय दे व! तुम उदय होओ. हे अपने तेज से सर को दबाने वाले सूय दे व! तुम उदय होओ. म जन को दे ख रहा ं और ज ह नह दे ख रहा ं, उन के वषय म मुझे शोभन बु वाला बनाओ. हे ापनशील सूय! तु हारे वीय अथात् श यां अंतहीन ह. तुम मुझे अनेक प वाले अथात् गाय, अ , भस आ द पशु से पूण करो तथा परम ोम म जो अमृत है उस म मुझे था पत करो. (७) मा वा दभ स लले अ व १ तय पा शन उप त य . ह वाश तं दवमा एतां स नो मृड सुमतौ ते याम तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (८) हे पाश को धारण करने वाले सूय! रा स तु ह जल म वेश करने से न रोक. तुम उस ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नदा को याग कर आकाश म आरोहण करो. तुम मुझ पर कृपा करो. हम तु हारी शोभन बु म रह. हे ा त होने वाले सूय! यहां तु हारे वीय अथात् श यां अनेक ह. तुम गाय, अ आ द अनेक प वाले पशु से हम पूण करो तथा परम ोम म जो सुधा है, उस म हम था पत करो. (८) वं न इ महते सौभगायाद धे भः प र पा ु भ तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (९) हे परम ऐ य संप सूय! ऐ य को ा त करने के हेतु तुम ब त से परा म करते हो. तुम ा ध, चोर, भूत, रा स, अ नदाह आ द क हसा से र हत दवस के ारा हमारी र ा करो. हे ापक सूय! तु हारे वीय अथात् श यां अनेक कार क ह. तुम गाय, अ आ द अनेक प वाले पशु से मुझे पूण करो तथा परम ोम म जो सुधा है, उस म मुझे था पत करो. (९) वं न इ ो त भः शवा भः शंतमो भव. आरोहं दवं दवो गृणानः सोमपीतये यधामा व तये तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१०) हे इं ! तुम अपनी मंगलमयी र ा के ारा हमारे लए अ धक सुखकारी बनो. तुम अंत र संबंधी वग पर चढ़ते ए सोम याग म सोमरस पीने के लए आओ. हे य नवास थान वाले इं ! तुम हमारे क याण के न म पधारो. हे ापक इं ! तु हारे वीय अथात् श यां अनंत ह. तुम हम गाय, अ आ द अनेक प वाले पशु से पूण करो और परम ोम म जो सुधा है. उस म हम था पत करो. (१०) व म ा स व जत् सव वत् पु त व म . व म े मं सुहवं तोममेरय व स नो मृड सुमतौ ते याम तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (११) हे इं ! तुम व वजयी एवं सभी को जीतने वाले हो. हे इं ! तुम ब त के ारा य म बुलाए जाने वाले हो. हे इं ! तुम इस समय क जाती ई शोभन ान क साधन तु तय के लए हम े रत करो. तुम हमारी र ा करो. हम तु हारी उ म बु म रह अथात् हमारे त तु हारी े भावना हो. हे ापक इं ! तु हारे वीय अथात् श यां अनेक कार क ह. तुम हम गाय, अ आ द अनेक प वाले पशु से पूण करो तथा हम परम ोम म थत सुधा म था पत करो. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अद धो द व पृ थ ामुता स न त आपुम हमानम त र े. अद धेन णा वावृधानः स वं न इ द व ष छम य छ तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१२) हे इं ! तुम ुलोक अथात् वग म तथा पृ वी पर कसी के ारा ह सत नह हो. ता पय यह है क इन दोन थान पर कोई भी तु हारा वरोध करने का साहस नह करता है. आकाश म तु हारी म हमा को सहन करने म कोई समथ नह है. जस क साम य कुं ठत नह होती है, ऐसे मं के ारा वृ ा त करते ए तुम हमारी र ा करो. हे ापक इं ! तु हारे वीय अथात् श यां अनंत ह. तुम हम गाय, घोड़ा आ द अनेक प वाले पशु से पूण करो तथा परम ोम म जो सुधा है, उस म हम था पत करो. (१२) या त इ तनूर सु या पृ थ ां या तर नौ या त इ पवमाने व व द. यये त वा३ त र ं ा पथ तया न इ त वा३ शम य छ तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१३) हे परम ऐ य वाले सूय! तु हारी जो वभू तयां जल म, पृ वी पर, आकाश म ह तथा तु हारी जो वभू त अंत र म ग तशील वायु म है, हे इं उन वभू तय अथवा मू तय के ारा हम सुख दान करो. हे ापक सूय! तु हारी श यां अनंत ह. तुम हम गाय, भस आ द अनेक प वाले पशु से पूण करो तथा परम ोम म थत जो सुधा है, उस म हम था पत करो. (१३) वा म णा वधय तः स ं न षे ऋषयो नाधमाना तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१४) हे ऐ य वाले सूय! अं गरा आ द ाचीन ऋ ष अपने मं के तो आ द के ारा अपने सोमरस आ द के प वाले ह व से तु हारी वृ करते ए नयम से नवास करते रह. हे ापक सूय! तु हारी ये श यां अनेक कार क ह. तुम हम गाय, अ आ द अनेक प वाले पशु से पूण करो एवं परम ोम म ा त जो सुधा है, उस म हम था पत करो. (१४) वं तृतं वं पय यु सं सह धारं वदथं व वदं तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१५) हे इं ! तुम व तृत अंत र को ा त करते हो. तुम अनेक धारा वाले जल को ा त करते हो. तुम ान के साधन य पर अ धकार करते हो. हे ापक इं ! तु हारे वीय ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अथात् श यां अनेक कार क ह. तुम हम गौ, अ आ द अनेक करो तथा हम परम ोम म थत सुधा म था पत करो. (१५)
प वाले पशु
से पूण
वं र से दश त वं शो चषा नभसी व भा स. व ममा व ा भुवनानु त स ऋत य प थाम वे ष व ां तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१६) हे सूय! तुम चार दशा क र ा करते हो और अपनी करण से आकाश को का शत करते हो. तुम इन सभी भुवन को का शत करते हो. तुम स य अथवा य क थ त जानते ए उन के माग को म से ा त करते हो. हे ापक सूय! तु हारी श यां अनंत ह. तुम हम धेनु, अ आ द अनेक प वाले पशु से पूण करो एवं परम ोम म जो सुधा है, उस म हम था पत करो. (१६) प च भः पराङ् तप येकयावाङश तमे ष सु दने बाधमान तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१७) हे सूय! तुम अपनी पांच करण से ऊपर क ओर मुख करके तपते हो तथा अपनी एक करण से नीचे क ओर मुख करके पृ वी पर तपते हो. पाला, बादल आ द से र हत दन क याचना करने पर तुम अपनी करण से पृ वी पर तपते हो. हे ापक सूय! तु हारी ही श यां अनंत ह. तुम गौ, अ आ द अनेक प वाले पशु से हम पूण करो तथा परम ोम म जो सुधा है, उस म हम था पत करो. (१७) वम वं महे वं लोक वं जाप तः. तु यं य ो व तायते तु यं जु त जु त तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१८) हे ऐ य शाली सूय! तुम वग के वामी एवं मह वपूण गुण से यु हो. वग आ द लोक तुम ही हो तथा तुम ही जा के वामी हो. तु हारे लए य व तृत कए गए. (१८) अस त सत् त तं स त भूतं त तम्. भूतं ह भ आ हतं भ ं भूते त तं तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (१९) यह यमान जगत् नराकार म त त है. इस यमान जगत् म पृ वी आ द पांच त व त त ह. हे ापक सूय! तु हारी ही श यां अनेक कार क ह. तुम हम गौ, अ आ द सभी प के पशु से पूण करो तथा परम ोम म जो सुधा थत है, उस म हम था पत करो. (१९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शु ो ऽ स ाजो ऽ स. स यथा वं ाजता ाजो ऽ येवाहं ाजता ा यासम्.. (२०) हे सूय! तुम शु ल अथात् अ य धक उ वल हो तथा तुम द तशाली हो. तुम जस कार क यो त से पूण रहते हो, म तु हारे उसी यो त पूण भाव क उपासना करता ं. (२०) चर स रोचो ऽ स. स यथा वं या रोचो ऽ येवाहं पशु भ ा णवचसेन च चषीय.. (२१) हे सूय! तुम द त प हो तथा सर को द त वाला बनाते हो. तुम जस कार द त से द त म न हो, उसी कार म पशु तथा ा णो चत तेज से संप बनूं. (२१) उ ते नम उदायते नम उ दताय नमः. वराजे नमः वराजे नमःस ाजे नमः.. (२२) हे सूय! उदय होते ए तुम को नम कार है तथा उदय के प ात ऊपर उठते ए तुम को नम कार है. हे वराट् प वाले सूय! तुम को नम कार है! वयं का शत होने वाले तुम को नम कार है. अ तशय प से का शत होने वाले तुम को नम कार है. (२२) अ तंयते नमो ऽ तमे यते नमो ऽ त मताय नमः. वराजे नमः वराजे नमः स ाजे नमः.. (२३) अ त होने वाले, अ त हो रहे और अ त हो चुके सूय दे व को मेरा नम कार है. वशेष तेजवान को नम कार है, शोभनीय तेज वाले को नम कार है तथा उ म तेज वाले को नम कार है. (२३) उदगादयमा द यो व ेन तपसा सह. सप नान् म ं र धयन् मा चाहं षते रधं तवेद ् व णो ब धा वीया ण. वं नः पृणी ह पशु भ व पैः सुधायां मा धे ह परमे ोमन्.. (२४) यह सूय पूण व को संत त करने वाली करण के साथ उदय ए ह. ये मेरे श ु को मेरे वश म करते ह तथा मुझे कसी श ु के वशीभूत नह बनाते. हे ापक सूय! तु हारी ही श यां अनंत ह. तुम मुझे गाय, भस आ द सभी पशु से पूण करो और परम ोम म जो सुधा है, उस म मुझे थत करो. (२४) आ द य नावमा ः शता र ां व तये. अहमा यपीपरो रा स ा त पारय.. (२५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे आ द य अथात् अ द त पु सूय! तुम रथ के ल ण वाली नाव पर सवार हो. वह नाव सौ डांड वाली है. उस नाव पर तु हारे चढ़ने का योजन सभी का क याण है. इस कार क नाव पर आ ढ़ तुम मुझे अनेक आ या मक, अ धभौ तक तथा अ धदै वक व वध बाधा से पार कर के रा और दन के म य माग के पार प ंचाओ. (२५) सूय नावमा ः शता र ां व तये. रा मा मपीपरो ऽ हः स ा त पारय.. (२६) सूय दे व सब के क याण के लए सौ डांड वाली नाव पर सवार होते ह. यह नाव रथ के ल ण वाली है. हे सूय! रा म मुझे कोई बाधा न प ंचाए तथा दन के तीन स अथात् ातः, म या और सं या से मुझे पार करो. (२६) जापतेरावृतो णा वमणाहं क यप य यो तषा वचसा च. जरद ः कृतवीय वहाया: सह ायुः सुकृत रेयम्.. (२७) वषा आ द के ारा जा कवच से तथा क यप ऋ ष क वृ हो कर भी ढ़ अंग वाला ा त करता आ तथा लौ कक र ं. (२७)
का पालन करने से सूय जाप त ह. म जाप त सूय के यो त और तेज से घरा आ ं, सुर त ं. म जीण अथात् ं तथा अनेक कार के भोग को भोगता ं. म द घ आयु और वेद का काय करता आ सूय दे व क कृपा का पा
परीवृतो णा वमणाहं क यप य यो तषा वचसा च. मा मा ाप षवो दै या मा मानुषीरवसृ ा वधाय.. (२८) म क यप पी सूय के मं पी कवच से ढका आ ं तथा स य और र ा करने वाली करण से आ छा दत ं. इस लए मनु य और दे वता मेरी हसा करने के लए जन आयुध का योग करते ह, वे मुझे भा वत नह कर सकगे. (२८) ऋतेन गु त ऋतु भ सवभूतेन गु तो भ ेन चाहम्. मा मा ापत् पा मा मोत मृ युर तदधे ऽ हं स ललेन वाचः.. (२९) स य, सूय पी और सभी ऋतुएं मेरी र ा कर रही ह. इस कारण पाप मेरे समीप नह आ सकता जो नरक म नवास का कारण बनता है, म उसी कार अ य रहता ं, जस कार अ भमं त जल म छपे ाणी कसी को दखाई नह दे ते. म पाप से सुर त होने के लए अपनेआप को अ भमं त और प व करता ं. (२९) अ नमा गो ता प र पातु व त उ सूय नुदतां मृ युपाशान्. ु छ ती षसः पवता ुवाः सह ं ाणा म या यत ताम्.. (३०) अपने आ त के र क अ न दे व मेरी र ा कर. उदय होते ए सूय मृ यु के पाश से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
मेरी र ा कर. उषा मृ यु के पाश को मुझ से र रख. म आयु क कामना करता ं. मुझ म ाण थत रह. मेरी इं यां चे ा करती रह. (३०)
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अठारहवां कांड सू -१
दे वता—मं
म कहे गए
ओ चत् सखायं स या ववृ यां तरः पु चदणवं जग वान्. पतुनपातमा दधीत वेधा अ ध म तरं द यानः.. (१) यमी का कथन—म समान स वाले म यम को आदर भाव के अनुकूल बनाती ं. समु तट के समीप वाले प म चलते ए यम अपने पु को मुझ म था पत कर. हे यम! तु हारी स सभी लोक म है. तुम सदा तेज से द त रहो. (१) न ते सखा स यं व ेतत् सल मा यद् वषु पा भवा त. मह पु ासो असुर य वीरा दवो धतार उ वया प र यन्.. (२) यम का कथन—म तेरा सोदर अथात् एक ही पेट से उ प आ तेरा म ं. पर म भाई और बहन के समागम संबंधी म भाव क इ छा नह करता ं. तू एक उदर से उ प हो कर भी मेरी प नी बनने क कामना करती है. म ऐसे म भाव को वीकार नह करता ं. श ु को दबाने वाले महाबली के पु म द्गण भी इस क नदा करगे. (२) उश त घा ते अमृतास एतदे क य चत् यजसं म य य. न ते मनो मन स धा य मे ज युः प त त व१मा व व याः.. (३) यमी—हे यम! म द्गण उस माग क इ छा करते ह, जस का म ने तुम से नवेदन कया है. इस लए तुम अपने मन को मेरी ओर लगाओ. फर तुम संतान को उ प करने वाले मेरे प त बनते ए भाई के भाव को छोड़ कर मुझ म व हो जाओ. (३) न यत् पुरा चकृमा क नूनमृतं वद तो अनृतं रपेम. ग धव अ व या च योषा सा नौ ना भः परमं जा म त ौ.. (४) यम—हे यमी! अस य बात को हम स य भाषण करने वाले कस कार स य कह? जल को धारण करने वाले सूय भी आकाश म अपनी प नी के स हत थत ह. इस लए एक ही माता और पता वाले हम दोन उ ह के सामने तेरी इ छा पूण करने म समथ न ह गे. (४) गभ नु नौ ज नता द प त कदव व ा स वता व पः. न कर य मन त ता न वेद नाव य पृ थवी उत ौः.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यमी—हे यम! संतान उ प करने वाले दे व ने हम दोन को माता के उदर म ही दांप य बंधन म बांध दया है. उस दे व के कम का जो फल है, उसे कौन न फल कर सकता है. व ा दे व के गभ म ही हमारे दं पती बनाने वाले कम को आकाश और पृ वी दोन जानते ह. इस कारण यह अस य नह है. (५) को अ युङ् े धु र गा ऋत य शमीवतो भा मनो णायून्. आस षून् वसो मयोभून् य एषां भृ यामृणधत् स जीवात्.. (६) यम—हे यमी! स य का भार वहन करने के न म अपनी वाणी प वृषभ को कौन नयु कर सकता है. कमठ, तेज वी, ोध और ल जा से हीन तथा अपने श द से ोता के दय म बैठने वाला जो पु ष स य वचन से ही वृ करता है, वह उस के फल के कारण द घजीवी होता है. (६) को अ य वेद थम या ः क ददश क इह वोचत्. बृह म य व ण य धाम क व आहनो वी या नॄन्.. (७) यमी—हे यम! हमारे थम दन को कौन जान रहा है और कौन दे ख रहा है? फर कौन पु ष इस बात को सर से कह सकेगा? दन म दे वता का थान है. ये दोन ही वशाल ह. इस लए मेरी इ छा के तकूल मुझे लेश दे ने वाले तुम अनेक कम वाले मनु य के संबंध म ऐसा कस कार कहते हो. (७) यम य मा य यं १ काम आग समाने योनौ सहशे याय. जायेव प ये त वं र र यां व चद् वृहव े र येव च ा.. (८) मेरी इ छा है क प त को अपना शरीर अपण करने वाली प नी के समान यम को अपनी दे ह अ पत क ं . वे दोन प हए के समान माग म एक सरे से मलते ह. म उसी कार क हो जाऊं. (८) न त त न न मष येते दे वानां पश इह ये चर त. अ येन मदाहनो या ह तूयं तेन व वृह र येव च ा.. (९) यम—हे यमी! दे व त लगातार वचरण करते रहते ह. इस लए हे मेरी धम बु को न करने क इ छा करने वाली! तू मुझे छोड़ कर कसी अ य को अपना प त बना तथा शी जा कर रथ के प हए के समान संयु हो जा. (९) रा ी भर मा अह भदश येत् सूय य च ुमु ममीयात्. दवा पृ थ ा मथुना सब धू यमीयम य ववृहादजा म.. (१०) यमी—यम के न म यजमान दनरात आ त द. काश करने वाला सूय का तेज न य त इस के न म उदय हो. आकाश और पृ वी जस कार आपस म मले ए ह. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उसी कार म इस के ातृ व से अलग होती ई इस से मल जाऊं. (१०) आ घा ता ग छानु रा युगा न य जामयः कृणव जा म. उप बबृ ह वृषभाय बा म य म छ व सुभगे प त मत्.. (११) यम—संभव है, आगे चल कर ऐसे ही दन और रात आएं, जब बहन अपने बंधु भाव को छोड़ कर प नी का प ा त करने लगेगी. पर अभी ऐसा नह हो रहा है. इस लए हे यमी! तू ी म गभ धारण करने म समथ कसी अ य पु ष क ओर अपना हाथ बढ़ा और मुझे छोड़ कर उसी को अपना प त बनाने क इ छा कर. (११) क ातासद् यदनाथं भवा त कमु वसा य ऋ त नग छात्. काममूता ब े ३ तद् रपा म त वा मे त वं १ सं पपृ ध.. (१२) यमी—वह भाई कैसा है, जस के व मान रहते ए उस क बहन अपनी चाही ई कामना से हीन रह जाए. वह कैसी बहन है, जस के सामने ही उस का भाई काम संत त हो. इसी कारण तुम मेरी इ छा के अनुसार आचरण करो. (१२) न ते नाथं य य ाहम म न ते तनूं त वा ३ सं पपृ याम्. अ येन मत् मुदः क पय व न ते ाता सुभगे व ेतत्.. (१३) यम—हे यमी! म तेरी इस कामना को पूण करने वाला नह हो सकता. म तेरी दे ह को पश नह कर सकता. इस लए तू अब मुझे छोड़ कर कसी अ य पु ष से इस कार का संबंध था पत कर. म तुझे प नी बनाने क कामना नह करता ं. (१३) न वा उ ते तनूं त वा ३ सं पपृ यां पापमा यः वसारं नग छात्. असंयदे त मनसो दो मे ाता वसुः शयने य छयीय.. (१४) यम—हे यमी! म तेरे शरीर का पश नह कर सकता. धम के जानने वाले भाई और बहन के ऐसे संबंध को पाप कहते ह. य द म ऐसा क ं तो यह कम मेरे दय, मन और ाण का नाश कर दे गा. (१४) बतो बता स यम नैव ते मनो दयं चा वदाम. अ या कल वां क येव यु ं प र वजातै लबुजेव वृ म्.. (१५) यमी—हे यम! तेरी बलता पर म खी .ं तेरा मन मुझ म नह लगा है. म अभी तक तेरे मन को नह समझ सक . तू कसी अ य ी से संबं धत होगा. (१५) अ यमू षु य य य उ वां प र वजातै लबुजेव वृ म्. त य वा वं मन इ छा स वा तवाधा कृणु व स वदं सुभ ाम्.. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यम—हे यमी! र सी जस कार घोड़े से मलती है, बेल जैसे पेड़ से लपट जाती है, उसी कार तू कसी अ य पु ष से मल. तुम दोन पर पर अनुकूल मन वाले बनो. इस के बाद तू अ य धक क याण वाले पु को ा त कर. (१६) ी ण छ दा स कवयो व ये तरे पु पं दशतं व च णम्. आपो वाता ओषधय ता येक मन् भुवन आ पता न.. (१७) दे वता ने संसार को ढकने का य न कया. जल त व दे खने म य लगने वाला तथा व को दे खने वाला है, वायु त व भी दशनीय और व ा है. ओष ध त व भी इसी कार का है. इन तीन त व को दे वता ने पृ वी का भरणपोषण करने के लए त त कया है. (१७) वृषा वृ णे हे दोहसा दवः पयां स य ो अ दतेरदा यः. व ं स वेद व णो यथा धया स य यो यज त य याँ ऋतून्.. (१८) महान अ न दे व यजमान के न म पाश आ द के ारा जल क वषा करते ह. वे अपनी बु के मा यम से सब को ऐसे जान लेते ह, जैसे व ण दे व अपनी बु से सब को जानते ह. ये ही अ न य म दे व क पूजा करते ह जो पूजा करने के यो य है. (१८) रपद् ग धव र या च योषणा नद य नादे प र पातु नो मनः. इ य म ये अ द त न धातु नो ाता नो ये ः थमो व वोच त.. (१९) जल धारण करने वाले सूय क वाणी और अंत र म वचरने वाली सर वती मेरे ारा अ न क तु त कराएं तथा मेरे तु त प नाद म मन क र ा करे. इस के बाद दे वमाता अ द त मुझे फल के म य था पत कर. बंधु के समान हतकारी अ न मुझे उ म यजमान बनाएं. (१९) सो च ु भ ा ुमती यश व युषा उवास मनवे ववती. यद मुश तमुशतामनु तुम नं होतारं वदथाय जीजनन्.. (२०) अ वयु जन ने दे वता का आ ान कर के अ न को दे व के हेतु ह वहन के लए कट कया है. तभी क याणमयी मं प वाणी तथा सूय से संबंध रखने वाली उषा य आ द क स के लए कट होती है. (२०) अध यं सं व वं वच णं वराभर द षरः येनो अ वरे. यद वशो वृणते द ममाया अ नं होतारमध धीरजायत.. (२१) जब सोम के लाए जाने के बाद यह को पूरा करने वाली अ न का वरण कया जाता है, तब सोम और अ न के स होने पर अ न ोम आ द कम भी पूण होते ह. (२१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सदा स र वो यवसेव पु यते हो ा भर ने मनुषः व वरः. व य वा य छशमान उ यो ३ वाजं ससवाँ उपया स भू र भः.. (२२) हे अ न! तुम य को सुंदरतापूवक पूण करते हो. जस कार हरी घास आ द को खाने वाला पशु अपने पालने वाले को सुंदर दखाई दे ता है, उसी कार घृत आ द से अपनेआप को पु करने वाले यजमान के लए तुम दशनीय हो जाते हो. (२२) उद रय पतरा जार आ भग मय त हयतो इ य त. वव व ः वप यते मख त व यते असुरो वेपते मती.. (२३) हे अ न! आकाश पी अपने पता और पृ वी पी माता को तुम यहां के लए े रत करो. जस कार सूय अपने काश को े रत करते ह, उसी कार तुम अपने तेज को े रत करो. यह यजमान जन दे वता क कामना करता है, अ न वयं उस क कामना करते ह. वे इ छत पदाथ दे ने क बात कहते ह और य के हेतु यजमान के समीप आते ह. (२३) य ते अ ने सुम त मत अ यत् सहसः सूनो अ त स शृ वे. इषं दधानो वहमानो अ ैरा ुमां अमवान् भूष त ून्.. (२४) हे अ न! जो यजमान तु हारी कृपा का सर के सामने वणन करता है, वह तु हारी कृपा के कारण सभी जगह स होता है. वह अ , अ आ द से यु होता आ चरकाल तक ऐ य से त त रहता है. (२४) ु ी नो अ ने सदने सध थे यु वा रथममृत य व नुम्. ध आ नो वह रोदसी दे वपु े मा कदवानामप भू रह याः.. (२५) हे अ न! तुम इस दे व थान अथात् य शाला म हमारा आ ान सुनो. तुम अपने जल बरसाने वाले रथ को लाने लए तुत करो. जो आकाश और पृ वी दे वता के पलक के समान है, उ ह भी अपने साथ लाओ. ऐसा कोई भी दे वता शेष न रहे जो यहां न आया हो. (२५) यद न एषा स म तभवा त दे वी दे वेषु यजता यज . र ना च यद् वभाजा स वधावो भागं नो अ वसुम तं वीतात्.. (२६) हे अ न! तुम पूजा करने यो य हो. जब दे वता म ोत और ह वय क संग त हो, तब तुम तु त करने वाल के लए र न दाता बनो तथा उ ह ब त धन दान करो. (२६) अ व न षसाम म यद वहा न थमो जातवेदाः. अनु सूय उषसो अनु र मीननु ावापृ थवी आ ववेश.. (२७) अ न उषा काल के साथ ही का शत होते ह. ये दन के साथ भी का शत होते ह. ये ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ही अ न सूय बन कर उषा क ओर अपनी करण का शत करते ह. ये ही सूया मक अ न आकाश और पृ वी को सब ओर से का शत रखते ह. (२७) य न षसाम म यत् यहा न थमो जातवेदाः. त सूय य पु धा च र मीन् त ावापृ थवी आ ततान.. (२८) ये अ न उषाकाल म न य का शत होते तथा दन के समय भी काश वाले रहते ह. ये ही सूया मक अ न अनेक कार से कट होने वाली करण म भी काश भरते ह. ये आकाश और पृ वी दोन को काश से भर दे ते ह. (२८) ावा ह ामा थमे ऋतेना भ ावे भवतः स यवाचा. दे वो य मतान् यजथाप कृ व सीद ोता यङ् वमसुं यन्.. (२९) आकाश और पृ वी मुख तथा स य वाणी ह. जब अ न दे व यजमान के समीप आ कर य संप करने के लए बैठे, तब ये आकाश और पृ वी तु त सुनने के यो य ह. (२९) दे वो दे वान् प रभूऋतेन वहा नो ह ं थम क वान्. धूमकेतुः स मधा भाऋजीको म ो होता न यो वाचा यजीयान्.. (३०) हे अ न! तुम चंड वाला से संप हो. तुम पू य दे वता को य के ारा अपने वश म करते ए तथा उन के पूजन क इ छा करते ए उन के पास ह व को प ंचाओ. तुम धूम प वजा वाले, स मधा से द त होने वाले, दे व वाहक तथा पूजा के पा हो. तुम हमारी ह व को दे व के समीप प ंचाओ. (३०) अचा म वां वधायापो घृत नू ावाभूमी शृणुतं रोदसी मे. अहा यद् दे वा असुनी तमायन् म वा नो अ पतरा शशीताम्.. (३१) हे आकाश और पृ वी के अ ध ाता दे वताओ! म य कम क स के लए तु हारी तु त करता ं. हे आकाश और पृ वी! तुम दोन मेरी तु त को सुनो तथा जब ऋ वज् अपने य काय म लगा हो, तब तुम जल दान के ारा हमारी वृ करो. (३१) वावृग् दे व यामृतं यद गोरतो जातासो धारय त उव . व े दे वा अनु तत् ते यजुगु हे यदे नी द ं घृतं वाः.. (३२) अमृत के समान उपकार करने वाला जल जब करण से कट होता है, तब ओष धयां आकाश और पृ वी म ा त होती ह. जब अ न क द तयां अंत र से टपकने वाले जल का दोहन करती ह, तब हे अ न! उस जल का सब अनुगमन करते ह जो तु हारे ारा कट कया जाता है. (३२) क व ो राजा जगृहे कद या त तं चकृमा को व वेद. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म
मा जु राणो दे वा छ् लोको न याताम प वाजो अ त.. (३३)
दे वता म य संबंधी श वाले यम हमारे ह का कुछ भाग हण कर. कह हम से उस काय का अ त मण हो गया जो यम को स करने म स म है तो यहां दे व का आ ान करने वाले अ न वराजमान ह. वे ही हमारे अपराध को र करगे. हमारे पास तु त के समान ह व भी है. उस के ारा हम अ न को संतु कर के यम के अपराध से छू ट सकते ह. (३३) म व ामृत य नाम सल मा यद् वषु पा भवा त. यम य यो मनवते सुम व ने तमृ व पा यु छन्.. (३४) यहां पर यम का नाम लेना उपयु नह है, य क उन क बहन ने उन क प नी बनने क इ छा क थी. फर भी जो इन यम क तु त करे, हे अ न! तुम उस नदा को भुलाते ए उस तोता क र ा करो. (३४) य मन् दे वा वदथे मादय ते वव वतः सदने धारय ते. सूय यो तरदधुमा य १ ू न् प र ोत न चरतो अज ा.. (३५) जस अ न के य पूण कराने वाले प से त त होने पर दे वता स होते ह तथा जस के कारण मनु य सूयलोक म नवास करते ह, जस अ न ने ही दे वता के काशमान तेज को तीन लोक म त त कया है तथा अंधकार का नाश करने वाली करण को जस से लेकर चं मा म था पत कया है, सूय और चं मा ऐसे तेज वी अ न क नरंतर पूजा करते ह. (३५) य मन् दे वा म म न संचर यपी ये ३ न वयम य वद्म. म ा नो अ ा द तरनागा स वता दे वो व णाय वोचत्.. (३६) व ण के जस थान म दे वता घूमते ह, उस थान से हम प र चत नह ह. दे वगण उस थान से हमारे नद ष होने क बात कह. स वता अ द त, आकाश तथा म दे वता भी अ न क कृपा से हम को नद ष कह. (३६) सखाय आ शषामहे (३७)
े ाय व
णे. तुष ऊ षु नृतमाय धृ णवे..
हम सखा प इं के लए ढ़ काय करने क इ छा रखते ह. उन श ु करने वाले महान नेता और व धारी इं क हम तु त करते ह. (३७) शवसा
का मदन
स ुतो वृ ह येन वृ हा. मघैमघोनो अ त शूर दाश स.. (३८)
हे वृ रा स का वनाश करने वाले इं ! तुम जस कार वृ रा स का हनन करने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वाले प म स हो, उसी कार अपने धन के कारण भी व यात हो. तुम अपना धन मुझे दान करो. (३८) तेगो न ाम ये ष पृ थव मही नो वाता इह वा तु भूमौ. म ो नो अ व णो यु यमानो अ नवने न सृ शोकम्.. (३९) वषा ऋतु म मेढक जस कार पृ वी को लांघ जाता है, उसी कार तुम पृ वी को लांघ कर ऊपर जाते हो. अ न क कृपा से वायु हमारे लए सुखकर हो. म एवं व ण दे वता भी हम सुख दे ने वाले काय म लग. अ न जस कार तनक आ द को भ म करते ह, उसी कार हमारे शोक को समा त कर. (३९) तु ह ुतं गतसदं जनानां राजानं भीममुपह नुमु म्. मृडा ज र े तवानो अ यम मत् ते न वप तु से यम्.. (४०) हे तोता! उन दे वता क तु त करो, जन का नवास थान मशान म है, जो पशाच आ द के वामी ह तथा जो परा मी, भय उ प करने वाले तथा समीप आ कर ह सत करने वाले ह. हे ःख का नाश करने वाले इं ! तुम हमारी तु त से स हो कर हम सुख दान करो. तु हारी सेना हम को याग कर उन पर आ मण करे जो हम से े ष रखते ह. (४०) सर वत दे वय तो हव ते सर वतीम वरे तायमाने. सर वत सुकृतो हव ते सर वती दाशुषे वाय दात्.. (४१) मृतक सं कार करने वाले तथा अ न क इ छा करते ए पु ष सर वती का आ ान करते ह. हम यो त ोम आ द य म भी सर वती को बुलाते ह. दे वी सर वती ह व दान करने वाले यजमान को मनचाहा धन द. (४१) सर वत पतरो हव ते द णा य म भन माणाः. आस ा मन् ब ह ष मादय वमनमीवा इष आ धे मे.. (४२) वेद क द ण दशा म त त पतर भी सर वती का आ ान करते ह. हे पतरो! तुम इस य म वराजमान होते ए स रहो. तुम सर वती को स करो तथा ह वय को ा त कर के संतु बनो. हे सर वती! तुम पतर के ारा बुलाई गई हो. तुम हम म ऐसे अ को था पत करो जो रागर हत और हमारा इ छत है. (४२) सर व त या सरथं ययाथो थैः वधा भद व पतृ भमद ती. सह ाघ मडो अ भागं राय पोषं यजमानाय धे ह.. (४३) हे सर वती! तुम अपनेआप को तृ त करती ई पतर स हत एक ही रथ पर आती हो. अनेक य तथा जा को तृ त कर के अ के भाग को और अ के बल को मुझ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यजमान को दान करो. (४३) उद रतामवर उत् परास उ म यमाः पतरः सो यासः. असुं य ईयुरवृका ऋत ा ते नो ऽ व तु पतरो हवेषु.. (४४) अव था एवं गुण म े , नकृ एवं म यम ेणी के पतर भी उठ. ये पतर सोम का भ ण करने वाले ह. ये ाण से उपल त शरीर को ा त होने वाले, अ हसक और पदाथ के ाता ह. बुलाए जाने पर ये पतर हमारी र ा कर. (४४) आहं पतृ सु वद ां अ व स नपातं च व मणं च व णोः. ब हषदो ये वधया सुत य भज त प व त इहाग म ाः.. (४५) म क याण करने वाले पतर के सामने उप थत होता ं. म य क र ा करने वाले अ न के सामने उप थत होता ं. इस लए जो पतर ब हषद अथात् कुशा पर बैठने वाले ह, वे वधा के साथ सोमरस पीते ह. हे अ न! उ ह मेरे समीप बुलाओ. (४५) इदं पतृ यो नमो अ व ये पूवासो ये अपरास ईयुः. ये पा थवे रज या नष ा ये वा नूनं सुवृजनासु द ु.. (४६) जो पतर पहले पतरलोक को ा त ए थे तथा जो अब वहां गए ह, जो अभी पृ वीलोक म ही ह तथा जो भ भ दशा म ह, उन सभी पतर को नम कार है. (४६) मातली क ैयमो अ रो भबृह प तऋ व भवावृधानः. यां दे वा वावृधुय च दे वां ते नो ऽ व तु पतरो हवेषु.. (४७) मातल नाम वाले पतृ दे वता यजमान के ारा दए गए ह व से क नाम वाले पतर के साथ वृ पाते ह. पतर के नेता यम नाम के दे व यजमान को इस ह व से अं गरा नाम के पतर के साथ बढ़ते ह. मातल आ द दे वता जन पतर के य म बु करते ह तथा जो कु ा द क आ त से बु करते ह, वे पतर आ ान काल म हमारी र ा कर. (४७) वा कलायं मधुमाँ उतायं ती ः कलायं रसवां उतायम्. उतो व १ य प पवांस म ं न क न सहत आहवेषु.. (४८) यह सोमरस न त प से वा द है, यह सोमरस माधुय गुण से यु है. यह सोमरस पीने म न त प से तीखा लगता है. यह सोम उ म वाद वाला है. इस को पीने के इ छु क इं को सं ाम म कोई भी सहन नह कर पाता. ता पय यह है क सं ाम म इं के सामने कोई भी नह टक पाता है. (४८) परे यवांसं वतो मही र त ब यः प थामनुप पशानम्. वैव वतं संगमनं जनानां यमं राजानं ह वषा सपयत.. (४९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पृ वी को लांघ कर र दे श म गमन करने वाले अनेक पतर के माग पर चलने वाले वव वान अथात् सूय के पु मृतक के धाम प यमराज को रखते ह. (४९) यमो नो गातुं थमो ववेद नैषा ग ू तरपभतवा उ. य ा नः पूव पतरः परेता एना ज ानाः प या ३ अनु वाः.. (५०) यम ने सब से पहले हमारे माग को जाना. यह माग अपसरण अथात् छु टकारे के लए नह है. इस माग से छु टकारा नह पाया जा सकता. जहां पर हमारे पूवज पतर गए ह, इस माग को न जानने वाले ाणी अपनेअपने कम के अनुसार जाते ह. (५०) ब हषदः पतर ऊ य १ वा गमा वो ह ा चकृमा जुष वम्. त आ गतावसा शंतमेनाधा नः शं योररपो दधात.. (५१) हे य म आए ए एवं कुश पर बैठे ए पतरो! तुम हमारी र ा करने के लए हमारे सामने आओ. ये ह वयां तु हारे न म ह. तुम इन का सेवन करो. तुम अपने क याणकारी र ा साधन के साथ आओ तथा राग का शमन करने वाले तथा पाप का नाश करने वाले बल को हम म था पत करो. (५१) आ या जानु द णतो नष ेदं नो ह वर भ गृण तु व े. मा ह स पतरः केन च ो यद् व आगः पु षता कराम.. (५२) हे पतरो! घुटने सकोड़ कर वेद क द ण दशा म बैठे ए तुम हमारी ह व क शंसा करो. हमारे कसी भी छोटे अथवा बड़े अपराध के कारण हमारी हसा मत करना. मनु य वभाव के कारण हम से अपराध का होना असंभव नह है. (५२) व ा ह े वहतुं कृणो त तेनेदं व ं भुवनं समे त. यम य माता पयु माना महो जाया वव वतो ननाश.. (५३) स चत वीय को पु ष आ द क आकृ त म बदलने वाले व ा ने अपनी पु ी सर यु का ववाह कया. उसे दे खने के लए पूरा व एक आ. यम क माता सर यु जब सूय से ववाह आ, तब सूय क अ धक भाव वाली प नी उन के समीप से अ य हो गई. (५३) े ह े ह प थ भः पूयाणैयना ते पूव पतरः परेताः. उभा राजानौ वधया मद तौ यमं प या स व णं च दे वम्.. (५४) हे ेत! जस अथ को मनु य उठाते ह. उस से यम के माग को गमन करो. तु हारे पूव पु ष इसी माग से गए ह. वहां दे वता म अ न के समान कम करने वाले व ण और यम दोन ह. वे हमारे ारा द गई ह वय से स हो रहे ह. इस लोक म तुम यम और व ण के दशन करोगे. (५४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपेत वीत व च सपतातो ऽ मा एतं पतरो लोकम न्. अहो भर र ु भ ं यमो ददा यवसानम मै.. (५५) हे रा सो! तुम इस थान से भागो. तुम चाहे यहां पर पहले से रहते हो अथवा नए आकर रहने लगे हो, तुम यहां से चले जाओ, य क यह थान इस ेत के लए दन, रात और जल के स हत रहने के लए यम ने दान कयाहै. (५५) उश त वेधीम श तः स मधीम ह. उश ुशत आ वह पतॄन् ह वषे अ वे.. (५६) हे अ न! इस पतृ य को संप करने के लए हम तु हारी कामना करते ह तथा तु हारा आ ान करते ह. तुम भलीभां त द त हो कर वधन क इ छा करने वाले पतर को लए ह व भ ण करने आओ. (५६) ुम त वेधीम ह ुम तः स मधीम ह. ुमान् ुमत आ वह पतॄन् ह वषे अ वे.. (५७) हे अ न! हम तु हारा आ ान करते ह. तु हारी कृपा से हम यश वी हो गए ह. हम तु ह द त करते ह. तुम हमारी ह व वीकार कर के उसे भ ण करने के लए पतर के यहां ले आओ. (५७) अ रसो नः पतरो नव वा अथवाणो भृगवः सो यासः. तेषां वयं सुमतौ य यानाम प भ े सौमनसे याम.. (५८) ाचीन अं गरा ऋ ष हमारे पतर ह. नवीन तोक वाले अथवा तथा भृगु हमारे पतर ह. ये सब सोमरस का पान करने वाले ह. हम उन क कृपा म रह. वे हम से स रह. (५८) अ रो भय यैरा गहीह यम वै पै रह मादय व. वव व तं वे यः पता ते ऽ मन् ब ह या नष .. (५९) हे यम! अं गरा नाम के य संबंधी पतर के साथ यहां आ कर तृ त बनो. म तुम को ही नह , तु हारे पता सूय को भी बुलाता ं, जस से वे इस कुश के आसन पर बैठ कर ह व हण कर. म इस कार तु ह आ त करता ं. (५९) इमं यम तरमा ह रोहा रो भः पतृ भः सं वदानः. आ वा म ाः क वश ता वह वेना राजन् ह वषो मादय व.. (६०) हे यम! तुम अं गरा नाम वाले पतर के समान म त वाले बन कर कुश के इस आसन पर बैठो. मह षय के मं तु ह बुलाने म समथ ह . तुम ह व ा त कर के स बनो. (६०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इत एत उदा हन् दव पृ ा या हन्. भूजयो यथा पथा ाम रसो ययुः (६१) दाह सं कार करने वाले पु ष ने मृतक को पृ वी से उठा कर अरथी पर रखा और आकाश के उपभोग यो य थान पर चढ़ा दया. पृ वी को जीतने वाले आं गरस जस माग से गए ह, उसी माग से इसे भी आकाश म प ंचा दया. (६१)
सू -२
दे वता—यम तथा मं गए
म कहे
यमाय सोमः पवते यमाय यते ह वः. यमं ह य ो ग छ य न तो अरंकृतः.. (१) य म यम के लए सोम को प व कया जाता है. यम के लए ह व द जाती है. नाना कार के से सुशो भत कया गया य अ न को त बना कर यम के पास जाता है. ये यो त ोम आ द य यम को ा त होते ह. (१) यमाय मधुम मं जुहोता च त त. इदं नम ऋ ष यः पूवजे यः पूव यः प थकृद् यः.. (२) हे यजमानो! यम के लए सोम, घृत आ द क आ त दो. पूव पु ष तथा मं अं गरा आ द ऋ षय के लए नम कार है. (२)
ा
यमाय घृतवत् पयो रा े ह वजुहोतन. स नो जीवे वा यमेद ् द घमायुः जीवसे.. (३) हे यजमानो! घृत से यु ीर प ह व यम के लए अपण करो. वे ह व पा कर हम जी वत मनु य म रखगे और सौ वष क आयु दान करगे. (३) मैनम ने व दहो मा भ शूशुचो मा य वचं च पो मा शरीरम्. शृतं यदा कर स जातवेदो ऽ थेमेनं हणुतात् पतॄं प.. (४) हे अ न! इस ेत को भ म मत करो; इस क वचा को अ य मत फको. इस के लए शोक भी मत करो. जब तुम इस ह व प शरीर को पका लो, तब इसे र ा के लए पतर को दो. इस ेत क आ मा पतृलोक म चली जाए. (४) यदा शृतं कृणवो जातवेदो ऽ थेममेनं प र द ात् पतृ यः. यदो ग छा यसुनी तमेतामथ दे वानां वशनीभवा त.. (५) हे जातवेद अ न! जब तू इस ेत को पूरी तरह भ म कर दे , तब इसे पतर के लए ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स प दे . जब इस के ाण नकल जाते ह, तब यह ेत दे व के वश म हो जाता है. (५) क के भः पवते षडु व रेक मद् बृहत्. ु ब् गाय ी छ दां स सवा ता यम आ पता.. (६) यह सब का नयं ण करने वाला तथा महान यम क क नाम के तीन यं से छह उ वय को ा त होता है. ु प, गाय ी आ द छं द सब का नयं ण करने वाले परमा मा म थत ह. (६) सूय च ुषा ग छ वातमा मना दवं च ग छ पृ थव च धम भः. अपो वा ग छ य द त ते हतमोषधीषु त त ा शरीरैः.. (७) हे ेत! तू ने ार से सूय को ा त हो. तू आ मा के ारा वायु को ा त हो तथा व य इं य से आकाश और पृ वी को ा त हो तथा अंत र और जल को ा त हो. य द इन थान म जाने क तेरी इ छा हो तो जा अथवा ओष ध आ द म व हो जा. (७) अजो भाग तपस तं तप व तं ते शा च तपतु तं ते अ चः. या ते शवा त वो जातवेद ता भवहैनं सुकृतामु लोकम्.. (८) हे अ न! इस ेत का जो ज म न लेने वाला भाग अथात् आ मा है, उसे तुम अपने तप से संत त करो. तेरी द त होती ई वाला इस ेत क आ मा को तपाए. हे जातवेद अ न! तेरा जो वाला पी क याणकारी शरीर है, उस के ारा इस ेत क आ मा को उ म कम करने वाल के लोक म ले जा. (८) या ते शोचयो रंहयो जातवेदो या भरापृणा स दवम त र म्. अजं य तमनु ताः समृ वतामथेतरा भः शवतमा भः शृतं कृ ध.. (९) हे जातवेद अ न! तेरा जो वाला पी शरीर है, उस से तू ुलोक तथा अंत र लोक ा त करता है. तेरा वाला पी शरीर ुलोक को जाती ई इस ेत क आ मा के पीछे जाए तथा सरे क याणकारी शरीर के पीछे रह गई इस ेत क मृत दे ह को पूरी तरह जला दे . (९) अव सृज पुनर ने पतृ यो य त आ त र त वधावान्. आयुवसान उप यातु शेषः सं ग छतां त वा सुवचाः.. (१०) हे अ न! ह व के प म जो ेत तु ह दया गया है तथा हमारे त वधा से संप हो कर तु हारे ारा जलाया जा रहा है, उसे तुम पतृलोक के लए छोड़ दो. उस का पु आयु से संप होता आ अपने घर को लौटे . यह ेत सुंदर श वाला तथा पतृलोक म नवास करने वाला हो. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ त व ानौ सारमेयौ चतुर ौ शबलौ साधुना पथा. अधा पतॄ सु वद ाँ अपी ह यमेन ये सधमादं मद त.. (११) हे ेत! तू पतृलोक को जाने वाला है. तू सरमा नाम क दे व क कु तया के याम और शबल नाम वाले दोन पु के साथ स रहने वाले एवं ह संप पतर के पास प ंचे. (११) यौ ते ानौ यम र तारौ चतुर ौ प थषद नृच सा. ता यां राजन् प र धे ेनं व य मा अनमीवं च धे ह.. (१२) हे पतर के भु! पतर माग म थत चार ने वाले जो कु े यमपुर क र ा करने के हेतु तु हारे ारा नयु कए गए ह, इस ेत क र ा के लए उ ह स प दो. यह तु हारे लोक म रहने को आया है. इसे बाधा र हत थान दो. (१२) उ णसावसुतृपावु बलौ यम य तौ चरतो जनाँ अनु. ताव म यं शये सूयाय पुनदातामसुम ेह भ म्.. (१३) बड़ीबड़ी नाक वाले ा णय के ाण से तृ त को ा त ए तथा ाण का अपहरण करने वाले महाबली यम त सभी जगह घूमते ह. ये दोन त सूय दशन के न म पांच इं य वाले ाण को हमारे शरीर म पुनः था पत कर. (१३) सोम एके यः पवते घृतमेक उपासते. ये यो मधु धाव त तां दे वा प ग छतात्.. (१४) कुछ पतर के लए नद के प म सोमरस बहता है. अ य पतर घृत का उपभोग करते ह. याग म अथववेद के मं का पाठ करने वाल के लए मधु अथात् शहद क नद है. हे मृता मा को ा त ेत! तू उन सब को ा त हो. (१४) ये चत् पूव ऋतसाता ऋतजाता ऋतावृधः. ऋषीन् तप वतो यम तपोजाँ अ प ग छतात्.. (१५) जो पूव पु ष स य से यु थे, जो साम से उ प हो कर स य क वृ के न म पु ष! उन तपोबल वाले ऋ षय को तू ा त हो. (१५)
करते थे, हे यम
तपसा ये अनाधृ या तपसा ये वययुः. तपो ये च रे मह तां दे वा प ग छतात्.. (१६) तप के ारा, य आ द साधन के ारा, कर कम और उपासना के ारा महान तप करते ए जो पु ष पु य लोक को जाते ह, हे पु ष! तू उन तप वय के लोक को जा. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ये यु य ते धनेषु शूरासो ये तनू यजः. ये वा सह द णा तां दे वा प ग छतात्.. (१७) जो वीर पु ष यु म श ु पर हार करते ह, जो रण े म शरीर का याग करते ह तथा जो अ , द णा आ द वाले य को पूण करते ह, उ ह जो फल ा त है, तू उन सभी फल को ा त कर. (१७) सह णीथाः कवयो ये गोपाय त सूयम्. ऋषीन् तप वतो यम तपोजाँ अ प ग छतात्.. (१८) जो अनंत ा ऋ ष सूय क र ा करते ह, हे पु ष! तू यम के पास ले जाने वाला हो कर उन तप वी ऋ षय के कम फल को ा त कर. (१८) योना मै भव पृ थ नृ रा नवेशनी. य छा मै शम स थाः.. (१९) हे वेद पणी पृ वी! तू मरने वाले पु ष के लए कंटकहीन बन जा तथा इसे सभी कार का सुख दान कर. (१९) असंबाधे पृ थ ा उरौ लोके न धीय व. वधा या कृषे जीवन् ता ते स तु मधु तः.. (२०) हे मरने वाले पु ष! तू य आ द क वेद के व तृत थान म त त हो. पहले तू ने जन उ म ह वय को दया है, वे तुझे मधु आ द रस के प म ा त ह . (२०) या म ते मनसा मन इहेमान् गृहाँ उप जुजुषाण ए ह. सं ग छ व पतृ भः सं यमेन योना वा वाता उप वा तु श माः.. (२१) हे ेत पु ष! म अपने मन के ारा तेरे मन को इस लोक म बुलाता ं. जन घर म तेरे लए औ वदै हक अथात् दे ह याग के बाद का कम कया जाता है, तू हमारे उन घर म जा तथा सं कार के बाद पता, पतामह, पतामह आ द के साथ स प डीकरण क व ध के अनुसार मल. यम के पास प ंचा आ तू पतृलोक म जा कर म को र करने वाली वायु को ा त कर. (२१) उत् वा वह तु म त उदवाहा उद ुतः. अजेन कृ व तः शीतं वषणो तु बा ल त.. (२२) हे ेत! म द्गण तुझे ोम म धारण कर. वायु तुझे ऊ वलोक म प ंचाए. जल को धारण करने वाले तथा वषा करने वाले मेघ समीप म भी अज अथात् अज मा आ मा स हत तुझे वषा के जल से स च. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उद मायुरायुषे वे द ाय जीवसे. वान् ग छतु ते मनो अधा पतॄँ प व.. (२३) हे ेत! ाणन अथात् सांस लेने और अपानन अथात् अपान वायु छोड़ने के ापार अथात् काय के लए म तेरी आयु का आ ान करता ं. तेरा मन सं कार से उ प नवीन शरीर को ा त हो. इस के बाद तू पतर के समीप प ंच. (२३) मा ते मनो मासोमा ानां मा रस य ते. मा ते हा त त व १: क चनेह.. (२४) हे ेत! तेरा मन और तेरी इं यां तेरा याग न कर. तेरे ाण के कसी अंश का य न हो. तेरे शरीर के अंग म कसी कार का वकार न हो. तेरे शरीर म धर रस आ द भी पूरी मा ा म रह. तेरा कोई भी भाग तुझ से अलग न हो. (२४) मा वा वृ ः सं बा ध मा दे वी पृ थवी मही. लोकं पतृषु व वैध व यमराजसु.. (२५) हे ेत! तू जस वृ के नीचे बैठे, वह तुझे थत न करे. तू जस धरती का आ य ले, वह भी तुझे पीड़ा न प ंचाए. तू यम क जा प पतर के थान पर जा कर वृ ात कर. (२५) यत् ते अ म त हतं पराचैरपानः ाणो य उ वा ते परेतः. तत् ते संग य पतरः सनीडा घासाद् घासं पुनरा वेशय तु.. (२६) हे ेत! तेरा जो अंग तेरे शरीर से अलग हो गया था, जो ाण वापस न होने के लए तेरे शरीर से नकल गए थे, उन सब को एक थान पर थत पतर तुझे एक शरीर से सरे शरीर म व कर. (२६) अपेमं जीवा अ धन् गृहे य तं नवहत प र ामा दतः. मृ युयम यासीद् तः चेता असून् पतृ यो गमयां चकार.. (२७) हे जी वत बंधुओ! इस ेत को घर से ले जाओ. उसे उठा कर ाम से बाहर ले जाओ. यम के त प मृ यु ने इस के ाण को पतर के प म करने के लए ले लया है. (२७) ये द यवः पतृषु व ा ा तमुखा अ ताद र त. परापुरो नपुरो ये भर यु न ान मात् धमा त य ात्.. (२८) जो रा स के समान पता, पतामह आ द पतर म मल कर बैठ जाते ह, माया कर के ह व का भ ण करते ह तथा पडदान करने वाले पु और पौ क हसा करते ह, उन मायावी रा स को पतृयाग से अ न दे व बाहर नकाल. (२८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सं वश वह पतरः वा नः योनं कृ व तः तर त आयुः. ते यः शकेम ह वषा न माणा योग् जीव तः शरदः पु चीः. (२९) हमारे गो म उ प पता, पतामह आ द सभी पतर भलीभां त य म आ कर बैठ तथा हम सुखी बनाएं. वे हमारी आयु क वृ कर. हम भी आयु ा त कर के ह वय ारा पतर को पूजते ए चरकाल तक जी वत रह. (२९) यां ते धेनुं नपृणा म यमु ते ीर ओदनम्. तेना जन यासो भता यो ऽ ासदजीवनः.. (३०) हे ेत! म तेरे न म गोदान करता ं. म तेरे लए ध से बना जो भात दे ता ,ं उस के ारा तू यमलोक म अपने जीवन को पु करने वाला हो. (३०) अ ावत तर या सशेवा ाकं वा तरं नवीयः. य वा जघान व यः सो अ तु मा सो अ यद् वदत् भागधेयम्.. (३१) हे ेत! म नए वन माग म रीछ आ द पशु से बचता आ पार हो जाऊं. तू हम अ ावती नद के उस पार उतार दे . यह नद हम सुख दे ने वाली हो. जस ने तेरा वध कया है, वह वध के यो य होता आ उपभोग के यो य पदाथ न पा सके. (३१) यमः परो ऽ वरो वव वान् ततः परं ना त प या म क चन. यमे अ वरो अ ध मे न व ो भुवो वव वान वाततान.. (३२) सूय के पु यम अपने पता से भी अ धक तेज वी ह. म कसी भी ाणी को यम से े नह पाता ं. तेरा य उन े यम म ा त हो रहा है. य क स के लए ही सूय ने भूखंड को व तृत कया है. (३२) अपागूह मृतां म य यः कृ वा सवणामदधु वव वते. उता नावभरद् यत् तदासीदजहा ा मथुना सर यूः.. (३३) मरणधमा मनु य से दे वता ने अपनेअपने अ वनाशी प अ य कर लए. उ ह ने सूय को अ य वण वाली ी बना कर द . सर यु ने घोड़ी का प धारण कर के अ नीकुमार का पालन कया. व ा क पु ी सर यु ने सूय का घर छोड़ते समय यमयमी के जोड़े को घर पर ही छोड़ा था. (३३) ये नखाता ये परो ता ये द धा ये चो ताः. सवा तान न आ वह पतॄन् ह वषे अ वे.. (३४) जो पता भू म म गाड़े जा कर, जो काठ के समान यागे जा कर तथा जो अ न दाह के सं कार के ारा ऊपर थत पतृलोक को ा त ए ह, इस कार के पतरो! ह व भ ण के ******ebook converter DEMO Watermarks*******
लए यहां आओ. (३४) ये अ नद धा ये अन नद धा म ये दवः वधया मादय ते. वं तान् वे थ य द ते जातवेदः वधया य ं व ध त जुष ताम्.. (३५) जो पतर अ न के ारा सं कृत ए, जो गाड़ने आ द के ारा सं कृत ए और जो पड, पतृयाग आ द से तृ त ए आकाश म नवास करते ह, हे अ न! तुम उ ह भलीभां त जानते हो. वे अपनी संतान के ारा कए जाने वाले पतृयाग आ द का सेवन कर. (३५) शं तप मा त तपो अ ने मा त वं १ तपः. वनेषु शु मो अ तु ते पृ थ ाम तु य रः.. (३६) हे अ न! इस ेत के शरीर को अ धक मत जलाओ. जस कार इसे सुख मले, वैसा करो. शोषण करने वाली तु हारी वालाएं जंगल म जाएं तथा रस का हरण करने वाला तेज पृ वी म रहे. तुम हमारे शरीर को भ म मत करो. (३६) ददा य मा अवसानमेतद् य एष आगन् मम चेहभू दह. यम क वान् येतदाह ममैष राय उप त ता मह.. (३७) यम का वचन—यह आया आ पु ष मेरा हो तो म उसे थान ं . अब यह मेरे पास आया है. य द यह मेरा तवन करता रहे तो यहां रह सकता है. (३७) इमां मा ां ममीमहे यथापरं न मासातै. शते शर सु नो पुरा.. (३८) हम इस मशान को नापते ह, य क ा ने हम सौ वष क आयु दान क है. इस लए बीच म ही मशान हम अपने कम के ारा ा त न हो. (३८) े ां मा ां ममीमहे यथापरं न मासातै. म शते शर सु नो पुरा.. (३९) हम इस मशान को अ छ मशान कम ा त न हो. (३९)
कार नापते ह, जस से हम सौ वष से पहले बीच म ही
अपेमां मा ां ममीमहे यथापरं न मासातै. शते शर सु नो पुरा.. (४०) हम इस मशान के नाप संबंधी दोष को हटाते ए नापते ह, जस से हम सौ से पहले बीच म ही सरा मृतक कम ा त न हो. (४०) वी ३ मां मा ां ममीमहे यथापरं न मासातै. शते शर सु नो पुरा.. (४१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम इस मशान भू म को वशेष कार से नापते ह, जस से हम सौ वष से पहले बीच म ही सरा मशान कम ा त न हो. (४१) न रमां मा ां ममीमहे यथापरं न मासातै. शते शर सु नो पुरा.. (४२) हम दोष र हत करते ए इस मशान को नापते ह, जस से हम सौ वष से पहले बीच म ही सरा मशान कम ा त न हो. (४२) उ दमां मा ां ममीमहे यथापरं न मासातै. शते शर सु नो पुरा.. (४३) उ कृ साधन वाली नाप से हम इस मशान को नापते ह, जस से हम सौ वष से पहले बीच म ही सरा मशान कम ा त न हो. (४३) स ममां मा ां ममीमहे यथापरं न मासातै. शते शर सु नो पुरा.. (४४) इस मशान भू म को हम भलीभां त नापते ह, जस से हम सौ वष से पहले बीच म ही सरा मशान कम ा त न हो. (४४) अमा स मा ां व रगामायु मान् भूयासम्. यथापरं न मासातै शते शर सु नो पुरा.. (४५) म ने मशान क भू म को नाप लया है, उसी नाप के ारा म इस ेत को वग भेज चुका ं. उस कम से ही म सौ वष क आयु ा त क ं तथा सौ वष से पहले बीच म ही मुझे अ य मशान कम ा त न हो. (४५) ाणो अपानो ान आयु ु शये सूयाय. अप रपरेण पथा यमरा ः पतॄन् ग छ.. (४६) ाण, अपान, ान, आयु तथा च ु—सब आ द य के दशन करने वाले ह . हे पु ष! तू भी यमराज के य माग के ारा पतर को ा त हो. (४६) ये अ वः शशमानाः परेयु ह वा े षां यनप यव तः. ते ामु द या वद त लोकं नाक य पृ े अ ध द यानाः.. (४७) जो पतर संतान र हत होने पर भी पाप का याग करते ए परलोक म गए, वे अंत र को लांघ कर वग के ऊपरी भाग म नवास करते ह तथा पु य का फल ा त करते ह. (४७) उद वती ौरवमा पीलुमती त म यमा. तृतीया ह ौ र त य यां पतर आ ते.. (४८) सब से नीचे उदं चती नाम का
ुलोक है, जस म जल रहता है. उस के ऊपर अथात्
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बीच म पीलुमती नाम का ुलोक है, जस म न आ द रहते ह. सब से ऊपर तीसरा नाम का ुलोक है, जस के इसी तीसरे भाग म पतर नवास करते ह. (४८)
ौ
ये नः पतुः पतरो ये पतामहा य आ व वशु व १ त र म्. य आ य त पृ थवीमुत ां ते यः पतृ यो नमसा वधेम.. (४९) हमारे पता के ज मदाता पतर, पतामह के ज मदाता पतर, वे पतर जो वशाल अंत र म व ए ह तथा जो पतर वग अथवा पृ वी पर नवास करते ह, हम इन सभी लोक म नवास करने वाले पतर का नम कार के ारा पूजन करते ह. (४९) इद मद् वा उ नापरं द व प य स सूयम्. माता पु ं यथा सचा ये नं भूम ऊणु ह.. (५०) हे मृतक! हम ा आ द म जो कुछ दे ते ह, वही तेरा जीवन है. तेरे जीवन का अ य कोई साधन नह है. इस मशान को ा त आ तू सूय के दशन करता है. हे पृ वी! जस कार माता अपने पु को आंचल से ढकती है. उसी कार तुम इस मृतक को अपने तेज से ढक लो. (५०) इद मद् वा उ नापरं जर य य दतो ऽ परम्. जाया प त मव वाससा ये नं भूम ऊणु ह.. (५१) जीण होते ए इस शरीर ने जो भोजन कया था, उस के अ त र इस के लए कुछ भी अनुकूल नह है. इस के लए इस मशान के अ त र कोई अ य थान भी नह है. हे भू म! मशान को ा त ए पतर को तुम उसी कार ढक लो, जस कार प नी व से अपने प त को ढकती है. (५१) अ भ वोण म पृ थ ा मातुव ेण भ या. जीवेषु भ ं त म य वधा पतृषु सा व य. (५२) हे मृतक! सब क मंगलमयी माता पृ वी के व से म तुझे ढकता ं. जी वत अव था म दान करने के लए जो सुंदर व तु ाणी के पास होती है, वह मुझ सं कार करने वाले के पास हो. वधाकार जो अ पतर म होता है, वह तुझ म हो. (५२) अ नीषोमा प थकृता योनं दे वे यो र नं दधथु व लोकम्. उप े य तं पूषणं यो वहा य ोयानैः प थ भ त ग छतम्.. (५३) हे अ न एवं सोम! तुम पु यलोक के माग का नमाण करते हो. तुम ने सुख दे ने वाले वगलोक क रचना क है. जो लोक सूय को अपने म धारण करता है, इस ेत को सरल माग ारा उस लोक म प ंचाओ. (५३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पूषा वेत चावयतु व ानन पशुभुवन य गोपाः. स वैते यः प र ददत् पतृ योऽ नदवे यः सु वद ये यः.. (५४) हे त े ! पशु क हसा न करने वाले पशुपालक पूषा तुझे यहां से उस थान से ले जाएं. ा णय क र ा करने वाले ये दोन तुझे पतर को अपण कर. अ न दे व तुझे ऐ य वाले दे वता को स प. (५४) आयु व ायुः प र पातु वा पूषा वा पातु पथे पुर तात्. य ासते सुकृतो य त ईयु त वा दे वाः स वता दधातु.. (५५) जीवन का अ भमानी दे वता आयु तेरा र क हो. पूषा दे व तेरे उस माग क र ा कर जो पूव क ओर जाता हो. हे ेत! पु य आ मा के नवास प वग म स वता दे व तुझे प ंचाएं. (५५) इमौ युन म ते व असुनीताय वोढवे. ता यां यम य सादनं स मती ाव ग छतात्.. (५६) हे मृतक! भार ढोने वाले इन बैल को म तेरे लए छोड़ रहा ं. म इ ह ाण का वहन करने के लए बैलगाड़ी म जोड़ता ं. बैल से यु इस गाड़ी के ारा तू यम के घर को ा त हो. (५६) एतत् वा वासः थमं वाग पैत ह य दहा बभः पुरा. इ ापूतमनुसं ाम व ान् य ते द ं ब धा वब धुषु.. (५७) हे मृतक! तू अपने पहने ए मु य व को याग. जन इ छा क पू त के लए तूने अपने बांधव को धन दया था, उस इ कम के फल के प बावड़ी, कुआं, तालाब आ द को ा त हो. (५७) अ नेवम प र गो भ य व सं ोणु व मेदसा पीवसा च. नेत् वा धृ णुहरसा ज षाणो दधृग् वध न् परीङ् खयातै.. (५८) हे ेत! इं य संबंधी अवयव से तू अ न का पाप नवारक कवच पहन. अपने भीतर व मान थूल चरबी से ये अ न तुझे अ धक भ म करने क इ छा रखते ए इधरउधर न गराएं. (५८) द डं ह तादाददानो गतासोः सह ो ेण वचसा बलेन. अ ैव व मह वयं सुवीरा व ा मृधो अ भमातीजयेम.. (५९) ा ण के हाथ से बांस के दं ड को हण करता आ म कान के तेज तथा उस से ा त बल से यु र ं. हे ेत! तू इस चता म ही रह. हम इस पृ वी पर सुख से रहते ए अपने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
श ु
तथा उन के उप व को दबाएं. (५९) धनुह तादाददानो मृत य सह ेण वचसा बलेन. समागृभाय वसु भू र पु मवाङ् वमे प जीवलोकम्.. (६०)
मृतक य के हाथ से धनुष हण करता आ म तेज और बल से यु होऊं. हे धनुष! तू इस जी वत लोक म ही हमारे सामने आ तथा हम दे ने के लए धन ला. (६०)
सू -३
दे वता—यम
इयं नारी प तलोकं वृणाना न प त उप वा म य ेतम्. धम पुराणमनुपालय ती त यै जां वणं चेह धे ह.. (१) यह ी धम का पालन करने के लए तेरे दान आ द क इ छा करती ई तेरे समीप आती है. इस कार तेरा अनुकरण करने वाली इस ी को तू अगले ज म म भी संतान वाली बनाना. (१) उद व नाय भ जीवलोकं गतासुमेतमुप शेष ए ह. ह त ाभ य द धषो तवेदं प युज न वम भ सं बभूथ.. (२) हे नारी! तू इस ाणहीन प त के पास बैठ है. अब तू इस के पास से उठ. तू अपने प त से उ प ए पु , पौ आ द को ा त हो गई है. (२) अप यं युव त नीयमानां जीवां मृते यः प रणीयमानाम्. अ धेन यत् तमसा ावृतासीत् ा ो अपाचीमनयं तदे नाम्.. (३) म त ण अव था वाली जी वत गौ को मृतक के समीप ले जाई जाती ई दे खता .ं यह भी अ ान से ढक ई है, इस लए म इसे शव के पास से हटा कर अपने सामने लाता ं. (३) जान य ये जीवलोकं दे वानां प थामनुसंचर ती. अयं ते गोप त तं जुष व वग लोकम ध रोहयैनम्.. (४) हे गौ! तू पृ वीलोक को भलीभां त जानती तथा य माग को दे खती है. तू ध, दही आ द से यु हो कर जा. तू अपने उस वामी का सेवन कर जो गाय का वामी है. तू इस मृतक को वग क ा त करा. (४) उप ामुप वेतसमव रो नद नाम्. अ ने प मपाम स.. (५) जल म उगी ई काई और बत म जल का सार अंश है जो उन का र क है. हे अ न! तू जल संबधी प है. इस लए म तुझे बत क शाखा, नद के फेन और ब आ द से शांत ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करता ं. (५) यं वम ने समदह तमु नवापया पुनः. या बूर रोहतु शा ड वा कशा.. (६) हे अ न! जस पु ष को तुम ने भ म कया है, उसे सुखी करो. इस थान पर ःखनाशक ब घास उग सके, उस के लए यहां कतना जल डालना चा हए? (६) इदं त एकं पर ऊ त एकं तृतीयेन यो तषा सं वश व. संवेशने त वा ३ चा रे ध यो दे वानां परमे सध थे.. (७) हे ेत! यह गाहप य अ न तुझे परलोक प ंचाने वाली यो त है. न कने वाली पवन सरी तथा आहवनीय अ न तीसरी यो त है. तू आहवनीय अ न से मल तथा अ न म वेश करने के कारण दे व शरीर को ा त कर के बढ़. इस के बाद तू इं आ द दे वता का य पा होगा. (७) उ त
ेह वौकः कृणु व स लले सध थे. वं पतृ भः सं वदानः सं सोमेन मद व सं वधा भः.. (८)
हे ेत! तू इस थान से उठ और चल. शी ता से चलता आ तू अंत र को अपना नवास थान बना तथा पतर से मल कर सोमरस का पान करता आ ह षत हो. (८) यव व त वं १ सं भर व मा ते गा ा व हा य मो शरीरम्. मनो न व मनुसं वश व य भूमेजुषसे त ग छ.. (९) हे ेत! तू अपने शरीर के सब अंग को एक कर. तेरा कोई भी अंग यहां न छू ट जाए. तेरा मन जन वग आ द थान म रमा है, तू वहां वेश कर. तू जस भू म से ेम करता है, उसी भू म को ा त हो. (९) वचसा मां पतरः सो यासो अ तु दे वा मधुना घृतेन. च ुषे मा तरं तारय तो जरसे मा जरद वध तु.. (१०) सोमरस पीने के अ धकारी पतर मुझे तेज वी बनाएं. व े दे व मुझे मधुर घृत से यु कर. म द घकाल तक दे खता र ं, इस लए तू मुझे रोग से मु करते ए बढ़. (१०) वचसा मां समन व नमधां मे व णु य न वासन्. र य मे व े न य छ तु दे वाः योना मापः पवनैः पुन तु.. (११) अ न दे व मुझे तेज वी बनाएं तथा व णु मेरे मुख म बु को भलीभां त था पत कर. व े दे व मुझे सुख दे ने वाले धन का वामी बनाएं. जल अपने शु साधन वायु के ारा मुझे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प व कर. (११) म ाव णा प र मामधातामा द या मा वरवो वधय तु. वच म इ ो यन ु ह तयोजरद मा स वता कृणोतु.. (१२) दवस के अ भमानी दे वता म अथात् सूय तथा रा के अ भमानी दे व व ण मुझे व आ द दान कर. आ द य दे व हम सब क वृ करते ए हमारे श ु को संत त बनाएं. इं मुझे भुजा का बल द तथा स वता मुझे द घ आयु वाला बनाएं. (१२) यो ममार थमो म यानां यः ेयाय थमो लोकमेतम्. वैव वतं संगमनं जनानां यमं राजानं ह वषा सपयत.. (१३) यम मरणधमा मनु य म उ प ए थे. सब से पहले उ ह क मृ यु ई थी. इस के प ात ये सरे लोक म प ंचे. यम सूय के पु ह. सभी ाणी मृ यु के प ात इ ह के पास जाते ह. हे ऋ वजो! इन यम का पूजन करो जो सब को पाप और पु य के अनुसार फल दे ते ह. (१३) परा यात पतर आ च यातायं वो य ो मधुना सम ः. द ो अ म यं वणेह भ ं र य च नः सववीरं दधात.. (१४) हे पतरो! तुम हमारे पतृयाग नामक कम से संतु हो कर अपने थान क ओर जाओ. हम जब तु हारा पुनः आ ान कर, तब आना. हम ने तु ह मधु और घृत से यु य दया है. तुम इस य को वीकार कर के हमारे घर म मंगलमय ऐ य तथा पु , पौ , पशु आ द को था पत करो. (१४) क वः क ीवान् पु मीढो अग यः यावा ः सोभयचनानाः. व ा म ो ऽ यं जमद नर रव तु नः क यपो वामदे वः.. (१५) पूजा के यो य क व, क ीवान, पु मीढ, अग य, यावा , सौभ र, व ा म , जमद न, अ न, क यप तथा वामदे व नाम वाले अनेक ऋ ष हमारे र क ह. (१५) व ा म जमद ने व स भर ाज गोतम वामदे व. श दन अ र भी मो भः सुसंशासः पतरो मृडता नः.. (१६) हे व ा म , जमद न, व स , भार ाज, गौतम, वामदे व नामक मह षयो! तुम हम सुख दान करो. मह ष अ ने हमारे घर र ा करना वीकार कर लया है. हे पतरो! तुम हमारे नम कार आ द के ारा पूजने के यो य हो. तुम भी हम सुख दान करो. (१६) क ये मृजाना अ त य त र मायुदधानाः तरं नवीयः. आ यायमानाः जया धनेनाध याम सुरभयो गृहेषु.. (१७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम मशान म अपने बांधव क मृ यु के ःख का याग करते ए तथा शव के पश के पाप से मु होते ए अपने घर जाते ह. इस कार हम ःख से छू ट गए ह. इस कारण हम पु , पौ , पशु, सुवण, धन, सुंदर गंध और वायु से संप रह. (१७) अ ते ते सम ते तुं रह त मधुना य ते. स धो छ् वासे पतय तमु णं हर यपावाः पशुमासु गृह्गते.. (१८) ऋ वज् सोमयाग के आरंभ म यजमान क आंख म अंजन लगाते ह. सागर क वृ के समय उदय होने वाले, र मय ारा दे खने वाले तथा काशमय चं मा क र ा करने वाले सोम के प म था पत करते ए हम चार था लय म उस का शोधन करते ह. (१८) यद् वो मु ं पतरः सो यं च तेनो सच वं वयशसो ह भूत. ते अवाणः कवय आ शृणोत सु वद ा वदथे यमानाः.. (१९) हे पतरो! तुम अपने सोम पी धन के स हत हम से मलो, य क तुम अपने य के कारण यश वी हो. तुम हम हमारा अभी दान करो और बुलाए जाने पर हमारे आ ान को सुनो. (१९) ये अ यो अ रसो नव वा इ ाव तो रा तषाचो दधानाः. द णाव तः सुकृतो य उ थास ा मन् ब ह ष मादय वम्.. (२०) हे पतरो! तुम अ और अं गरा गो वाले हो. तुम नौ महीने तक स याग करने के कारण वग म आरोहण करने वाले होता हो. तुम दस मास वाला याग पूण करने पर द णा दे ने वाले पु य आ मा हो. इस कारण इस व तृत कुश पर बैठ कर हमारी ह व से तृ त करो. (२०) अधा यथा नः पतरः परासः नासो अ न ऋतमाशशानाः. शुचीदयन् द यत उ थशासः ामा भ द तो अ णीरप न्.. (२१) हे अ न! जस कार हमारे े पतर वग को ा त ए ह, उसी कार उ थ का गान करने वाले पतर रा के अंधकार को अपने तेज से र कर के उषा को का शत करते ह. (२१) सुकमाणः सु चो दे वय तो अयो न दे वा ज नमा धम तः. शुच तो अ नं वावृध त इ मुव ग ां प रषदं नो अ न्.. (२२) सुंदर कम तथा सुंदर तेज वाले दे व का य तप से अपने ज म का शोधन करने वाले दे व व को ा त ए. गाहप य अ न को द त करते ए तथा अपनी तु तय से इं को बु बनाते ए वे पतर गाय को हमारे यहां नवास करने वाली बनाएं. (२२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ यूथेव ुम त प ो अ यद् दे वानां ज नमा यु ः. मतास वशीरकृ न् वृधे चदय उपर यायोः.. (२३) हे अ न! तु हारे ारा भ म कया जाता आ यह यजमान दे वता के ा भाव को दे खे. मरणधमा मनु य तु हारी कृपा से उवशी आ द अ सरा को भोगने वाले होते ह. तु हारी कृपा से दे व व को ा त मनु य भी गभाशय म थत जीवन क वृ वाला होता है. (२३) अकम ते वपसो अभूम ऋतमव ुषसो वभातीः. व ं तद् भ ं यदव त दे वा बृहद् वदे म वदथे सुवीराः.. (२४) हे अ न! हम तु हारे सेवक ह और तुम हमारा पालन करने वाले हो. इस कारण हम शोभन कम करने वाले बन. उषा काल हमारे कम को स य बनाए. दे वता ारा र त कम हमारे लए क याणकारी हो. हम भी सुंदर पु आ द से यु रहते ए य म व तृत तो का उ चारण कर. (२४) इ ो मा म वान् ा या दशः पातु बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२५) म त के वामी इं पूव दशा से मेरी र ा कर. बा म ा त पृ वी जस कार ऊपर थत वग क र ा करती है, उसी कार लोक तथा माग के नमाता क पूजा हम य ारा करते ह. हे दे वगण! तुम इस य म भाग ा त करने वाले बनो. (२५) धाता मा नऋ या द णाया दशः पातु बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२६) द ण के धाता दे व पाप क दे वी नऋ त के भय से मेरी र ा कर. दाता के ारा द गई पृ वी जस कार वग के उपभो ा क र ा करती है, उसी कार मेरी र ा करने वाली हो. पु य के फल के प म वग के माग का वतन करने वाल को हम ह व के ारा पूजते ह. हे दे वगण! इस य म तुम भाग ा त करने वाले बनो. (२६) अ द तमा द यैः ती या दशः पातु बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२७) दे व माता अ द त प म दशा के भय से मेरी र ा कर. दाता के ारा द गई पृ वी जस कार दाता और दान हण करने वाले के वग संबंधी उपभोग क र ा करती है, उसी कार मेरी र ा करने वाली बने. पु य के फल के प म वग के माग का वतन करने वाल को हम ह व के ारा पूजते ह. हे दे वगण! इस य म तुम भाग ा त करने वाले बनो. (२७) सोमो मा व ैदवै द या दशः पातु बा युता पृ थवी ा मवोप र. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२८) सभी दे व के साथ सोम उ र दशा म थत रा स आ द से मेरी र ा कर. पु य के फल के प म वग म माग का वतन करने वाल क हम ह व के ारा पूजा करते ह. हे दे वगण! इस य म तुम भाग ा त करने वाले बनो. (२८) धता ह वा ध णो धारयाता ऊ व भानुं स वता ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२९) हे ेत! संपूण जगत् को धारण करने वाले तथा ऊपर क दशा का वामी धाता दे व ऊपर के लोक को जाने के लए इ छु क तेरी उसी कार र ा कर, जस कार सब के ेरक सूय द त आकाश को धारण करते ह. पु य के फल के प म वग के माग का वतन करने वाल को हम ह व के ारा पूजते ह. हे दे वगण! तुम हमारे इस य म भाग ा त करने वाले बनो. (२९) ा यां वा द श पुरा संवृतः वधायामा दधा म बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (३०) हे ेत! दहन के थान से पूव दशा म कंबल से लपटा आ म शरीर वाला रहा ं, उस दशा म म तुझे पतर क तृ त करने वाली वधा नाम क दे वी पर था पत करता ं. दाता ारा ा ण को दान क गई पृ वी जस कार ऊपर क दशा म थत वग का पालन करती है, हम ह व के ारा तु हारा वागत करते ह. हे दे वगण! तुम इस य म भाग लेने वाले बनो. (३०) द णायां वा द श पुरा संवृतः वधायामा दधा म बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (३१) हे ेत! हम दहन के थान से द ण दशा म पहले से थत तथा कंबल से ढक ई वधा नाम क पतृ दे वता म तुझे था पत करते ह. दाता ारा ा ण को दान क गई पृ वी जस कार ऊपर क दशा म वग का पालन करती है, उसी कार वधा नाम क पतृ दे वता तु हारा पालन कर. पु य के फल के प म वग के माग का वतन करने वाल क पूजा हम ह व ारा करते ह. हे दे वगण! तुम इस य म भाग लेने वाले बनो. (३१) ती यां वा द श पुरा संवृतः वधायामा दधा म बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (३२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ेत! हम दहन के थान से प म दशा म पहले से थत तथा कंबल से ढक ई वधा नाम क पतृदेवता म तुझे था पत करते ह. दाता ारा ा ण को दान म द गई पृ वी जस कार ऊपर क दशा म वग का पालन करती है, उसी कार वधा नाम क पतृदेवता तु हारा पालन कर. पु य के फल के प म वग के माग का वतन करने वाल क पूजा हम ह व के ारा करते ह. हे दे वगण! तुम इस य म भाग लेने वाले बनो. (३२) उद यां वा द श पुरा संवृतः वधायामा दधा म बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (३३) हे ेत! हम दहन के थान से उ र दशा म पहले से थत तथा कंबल से ढक ई वधा नाम क पतृ दे वता म तुझे था पत करते ह. दाता ारा ा ण को दान क गई पृ वी जस कार ऊपर क दशा म वग का पालन करती है उसी कार वधा नाम क पतृदेवता तु हारा पालन कर. पु य के फल म प म वग का वतन करने वाल क पूजा हम ह व के ारा करते ह. हे दे वगण! तुम इस य म भाग लेने वाले बनो. (३३) ुवायां वा द श पुरा संवृतः वधायामा दधा म बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (३४) हे ेत! थर रहने वाली नीचे क दशा म हम तुझे पहले से थत तथा कंबल से ढक ई वधा नाम क पतृ दे वता म था पत करते ह. जस कार दाता ारा ा ण के लए दान क गई पृ वी ऊपर क दशा म वग क र ा करती है, उसी कार वधा नाम क पतृ दे वता तु हारा पालन कर. पु य के फल के प म वग के माग का वतन करने वाल क पूजा हम ह व के ारा करते ह. हे दे वगण! तुम इस य म भाग लेने वाले बनो. (३४) ऊ वायां वा द श पुरा संवृतः वधायामा दधा म बा युता पृ थवी ा मवोप र. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (३५) हे ेत! म तुझे ऊपर क दशा म थत वधा नाम क पतृ दे वता म था पत करता ं. म पहले से ही कंबल से ढका आ ं. जस कार पु य करने वाल ारा ा ण को दान क ई पृ वी ऊपर क दशा म थत वग का पालन करती है, उसी कार वधा दे वी तु हारा पालन कर. पु य के फल के प म वग के माग का वतन करने वाल क पूजा म ह व के ारा करता ं. हे दे वगण! तुम इस य म भाग लेने वाले बनो. (३५) धता स ध णो ऽ स वंसगो ऽ स.. (३६) हे अ न! तुम सब के धारणकता एवं ध ण हो. (३६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उदपूर स मधुपूर स वातपूर स.. (३७) हे अ न! तुम उदक को पूण करने वाले, मधु को पूण करने एवं ाण वायु को पूण करने वाले हो. (३७) इत मामुत ावतां यमे इव यतमाने यदै तम्. वां भरन् मानुषा दे वय तो आ सीदतां वमु लोकं वदाने.. (३८) हे पु ष! जन से ह वधान होता है अथात् ह व द जाती है, ऐसे ावा पृ वी, भूलोक और वगलोक से होने वाले भय से तेरी र ा कर. हे ावा पृ वी! तुम जुड़वां संतान के समान सव ा त होने वाले हो, इस लए तुम जगत् के पोषण के लए आओ. तु तय का समूह तु ह इस कार ा त होता है. तुम जुड़वां संतान के सम जगत् के पोषण हेतु य न करो. दे व क कृपा ा त करने वाले पु ष जब तु ह ह व दान कर, तब तुम उस थान को जानती ई, वहां त त हो जाओ. (३८) वास थे भवत म दवे नो युजे वां पू नमो भः. व ोक ए त प येव सू रः शृ व तु व े अमृतास एतत्.. (३९) हे ह वधान! तुम हमारे सोम के लए सुख के आसन पर बैठ ई एवं थर होओ. तुम से पूव काल म उ प नमकारा मक मं का समूह तु ह वशेष प से ा त हो. धम पथ पर चलने वाला व ान् जस कार इ छत फल ा त करता है, उसी कार म तो के स हत तु ह नम कार करता ं. ये तो तु ह ा त होते ह. तुम हमारे सोम के लए थर बनो. हमारे इस तो को मरण र हत सभी दे व सुन. (३९) ीणी पदा न पो अ वरोह चतु पद म वैतद् तेन. अ रेण त ममीते अकमृत य नाभाव भ सं पुना त.. (४०) मृत पु ष वग म थत तीन सी ढ़य को म से चढ़ गया था. वह इस अनु रणी गौ को यान म रखता आ ुलोक के तीन थान म प ंचा. तुम अपने ारा अ जत वनाश र हत पु य से सूयलोक को ा त करो. इस कार सूय के समान हो जाता है. सूय म फल सभी ओर से पूण है. (४०) दे वे यः कमवृणीत मृ युं जायै कममृतं नावृणीत. बृह प तय मतनुत ऋ षः यां यम त व १ मा ररेच.. (४१) सृ के आरंभ म वधाता ने इं आ द दे व के न म कस कार क मृ यु क व था क थी? इस के बाद सूय पु यम ने बृह प त के कृपा पा मनु य क दे ह को सभी ओर से ख च कर ाण हीन कया. (४१) वम न ई डतो जातवेदो ऽ वाड् ढ ा न सुरभी ण कृ वा. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ादाः पतृ यः वधया ते अ
वं दे व यता हव षी.. (४२)
हे अ न! तुम उ प होने वाले मनु य को जानने वाले हो. हमारे ारा तु त कए गए तुम हमारे सुगं धत एवं रस यु च , पुरोडाश आ द को दे व के लए वहन करो. तुम ने पतृ दे वता के लए वधा श द के साथ का नामक इं य को दया है. उन पतर ने तु हारे ारा द ई ह वय का उपभोग कया है. हे काश यु अ न! तुम हमारे ारा अ धक मा ा म द ई ह वय का भ ण करो. (४२) आसीनासो अ णीनामुप थे र य ध दाशुषे म याय. पु े यः पतर त य व वः य छत त इहोज दधात.. (४३) हे पतरो! लाल रंग क माता क गोद म बैठे ए एवं ह व का दान करने वाले मरणधमा यजमान के लए धन दान करो. वह स धन हम पु को दान करो. हे पतरो! तुम इस भूलोक म हमारे लए बलकारक अ धारण करो. (४३) अ न वा ाः पतर एह ग छत सदःसदः सदत सु णीतयः. अ ो हव ष यता न ब ह ष र य च नः सववीरं दधात.. (४४) पतर दो कार के होते ह. ब हषद एवं अ न वा . इस मं म अ न वा पतर को संबो धत कया गया है. हे अ न वा पतरो! इस य म आओ. हम ने पता, पतामह और पतामह आ द के लए जो थान न त कया है, उसे ा त करो. कुशा पर जो ह वयां शु क गई ह, उन च , पुरोडाश आ द ह वय का भ ण करो. ह व भ ण से संतु तुम हमारे लए सभी वीर से यु धन दान करो. (४४) उप ता नः पतरः सो यासो ब ह येषु न धषु येषु. त आ गम तु त इह ुव व ध ुव तु ते ऽ व व मान्.. (४५) हमारे ारा बुलाए गए पतर सोमरस पान के अ धकारी ह. वे अपनी ह वय के रखे होने पर आएं एवं हमारे इस य म हमारे तो सुन, हमारे त प पात पूण वचन कर एवं हमारी र ा कर. (४५) ये नः पतुः पतरो ये पतामहा अनूज हरे सोमपीथं व स ाः. ते भयमः संरराणो हव युश ुश ः तकामम ु.. (४६) हमारे पता के जो पतर ह, उन को ज म दे ने वाले अथात् हमारे बाबा अ धक धन वाले थे और म से सोम पान करते थे. उन पतर के साथ रमण करते ए यम कामना करते ए उन पतर को हमारे ारा दए ए च , पुरोडाश आ द का भ ण कर. (४६) ये तातृषुदव ा जेहमाना हो ा वद तोमत ासो अकः. आ ने या ह सह ं दे वव दै ः स यैः क व भऋ ष भघमस ः.. (४७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे व म ा त होने वाले, सात प र मा करने वाल के ारा कए ए य को जानते ए, अचनीय तु त करने वाले जो पतर यासे ह, दे व को णाम करने वाले, उन दे व के साथ तथा स य फल एवं ांतदश ऋ षय के साथ सोमयाग म बैठने वाले हे अ न! हमारे लए अप र मत धन ले कर आओ. (४७) ये स यासो ह वरदो ह व पा इ े ण दे वैः सरथं तुरेण. आ ने या ह सु वद े भरवाङ् परैः पूवऋ ष भघमस ः.. (४८) जो पतर स य का भाषण करने वाले, च , पुरोडाश आ द ह वय का भ ण करने वाले, सोमरस का पान करने वाले इं तथा अ य दे व के साथ एक रथ पर बैठे ए ह. उन शोभन धन वाले एवं उ कृ पूव पु ष के साथ य म बैठने वाले हे अ न! तुम शी हमारे सामने आओ. (४८) उप सप मातरं भू ममेतामु चसं पृ थव सुशेवाम्. ऊण दाः पृ थवी द णावत एषा वा पातु पथे पुर तात्.. (४९) हे ेत! व तीण ा त वाली, सुख दे ने वाली माता भू म के समीप आओ. यह पृ वी य संबंधी ब त सी द णा से यु तु हारे लए ऊन से बने ए कंबल दान करने वाली एवं सुखकारी हो कर पूव दशा के न म माग म तु हारी र ा करे. (४९) उ छ् व च व पृ थ व मा न बाधथाः सूपायना मै भव सूपसपणा. माता पु ं यथा सचा येनं भूम ऊणु ह.. (५०) हे भू दे वता! तुम पुल कत हो जाओ और अपने समीप आए ए पु ष को बाधा मत दो. अ पतु इस पु ष के सुख से ा त होने वाली बनो. माता जस कार अपने पु को आंचल से ढकती है, उसी कार अपने पास आए इस पु ष को चार ओर से ढक लो. इस से इसे शीत, उ ण आ द ःख नह ह गे. (५०) उ छ् व चमाना पृ थवी सु त तु सह ं मत उप ह य ताम्. ते गृहासो घृत तः योना व ाहा मै शरणाः स व .. (५१) पु लकत पृ वी सुखपूवक थर रहे. मशान म उगी ई हजार ओष धयां अथात् जड़ीबू टयां तु हारे आ त ह , तु हारे लए ही टपकाने वाली ह . इस मृत पु ष के लए सभी दान सुख दे ने वाली पृ वी को गृह नमाण के लए धारण करते ह. वे मशान दे श म र क बन. (५१) उ े त ना म पृ थव वत् परीमं लोगं नदध मो अहं रषम्. एतां थूणां पतरो धारय त ते त यमः सादना ते कृणोतु.. (५२) हे मृत पु ष! तेरे लए म इस पृ वी को ऊंची बनाता ं. तेरे चार ओर सभी ा णय से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यु इस भूलोक को धारण करता आ म हसा का आधार न बनूं. पतृ दे वता उस यूनी को तु हारे घर का नणायक करने के लए था पत करते ह. (५२)
स
इमम ने चमसं मा व ज रः यो दे वानामुत सो यानाम्. अयं य मसो दे वपान त मन् दे वा अमृता मादय ताम्.. (५३) हे अ न! खाने के इस साधन को टे ढ़ा मत करो. यह चमचा दे व तथा मनु य और सोमरस के पा दे व को स करने वाला है. दे वता इस चमस के ारा अमृत पीते ह. इस चमचे से मृ यु र हत इं आ द सभी दे व स ह. अथवा ऋ ष के ारा बनाए ए इस च मच म थ त वा द वाद होने के कारण सभी दे व स ह. (५३) अथवा पूण चमसं य म ाया बभवा जनीवते. त मन् कृणो त सुकृत य भ ं त म ः पवते व दानीम्.. (५४) अथवा नाम के ऋ ष ने य या वाले इं को स करने के लए सोमरस पीने का साधन यह चमस भरा है. ऋ वज का समूह इस चमस से हवन से बची ई ह व का भ ण करता है. अथवा ऋ ष ारा बनाए ए इस च मच के लए चं मा सदा सोमरस टपकाता है. (५४) यत् ते कृ णः शकुन आतुतोद पपीलः सप उत वा ापदः. अ न द् व ादगदं कृणोतु सोम यो ा णां आ ववेश.. (५५) हे पु ष! तेरे जस अंग को काले रंग के प ी कौवे ने काट लया है तथा वषैले दांत वाली वशेष च टय ने, सांप ने अथवा बाघ ने काट लया है, तेरे उस अंग को सवभ क अ न रोग र हत बनाएं. जस सोम ने रस के प म ऋ षय म वेश कया है, वह सोम तुझे रोग र हत बनाए. (५५) पय वतीरोषधयः पय व मामकं पयः. अपां पयसो यत् पय तेन मा सह शु भतु.. (५६) फल पकने पर समा त होने वाली ओष धयां हमारे लए सार वाली ह . मेरे शरीर म थत जो बल है, वह भी सार वाला बने. जल से संबं धत ध का जो सार अंश है, वह फसल और जड़ीबू टय म थत सार अंश के साथ मुझे शोभन बनाए. जल के अ धकारी दे व व ण नान से मुझे शु कर. (५६) इमा नारीर वधवाः सुप नीरा नेन स पषा सं पृश ताम्. अन वो अनमीवाः सुर ना आ रोह तु जनयो यो नम े.. (५७) े के कुल म उ प ये ना रयां वैध से हीन े प तय वाली होती ई घृत से मले त ए अंजन से पश ा त कर. ये आंसू न बहाने वाली, रोगर हत और शोभन आभरण वाली ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हो कर संतान को ज म दे ने के लए व थ ह . (५७) सं ग छ व पतृ भः सं यमेने ापूतन परमे ोमन्. ह वाव ं पुनर तमे ह सं ग छतां त वा सुवचाः.. (५८) हे मृत पु ष! तुम पता, पतामह और पतामह अथात् बाबा के साथ स पडी व ध के ारा मल जाओ. अथात् तुम पतर के म य थान ा त करो. पतर के राजा जो यम ह, तुम उन के साथ भी हो जाओ. पतृलोक से भी े एवं आकाश म थत ुलोक अथात वग म इ अथात् वेद ारा प कहे गए य , होम आ द, पूत अथात् मृ त, पुराण एवं शा ारा े रत बावड़ी, कुआं, तालाब, दे वमं दर नमाण आ द दोन कार के कम से मलो. ता पय यह है क वग म उन दोन कार के कम के फल का उपभोग करो. तुम पाप का याग कर के वगलोक म बने ए उ म घर को ा त करो. शोभन द त वाली तु हारी आ मा वगलोक का सुख भोगने म समथ शरीर से मल जाए. (५८) ये नः पतुः पतरो ये पतामहा य आ व वशु व १ त र म्. ते यः वराडसुनी तन अ यथावशं त वः क पया त.. (५९) हमारे पता के जो पतर अथात् पतामह आ द तथा हमारे गो म उ प पतर व तीण अंत र म व ह, उन के शरीर का आज राजा यम अपनेआप हमारी इ छा के अनुसार नमाण कर. (५९) शं ते नीहारो भवतु शं ते ु वाव शीतयाम्. शी तके शी तकाव त ा दके ा दकाव त. म डू य १ सु शं भुव इमं व १ नं शमय.. (६०) हे ेत पु ष! पाला तेरे लए सुखकारी हो तथा जल तुझे सुखी करता आ वषा करे. हे शीतका रणी जड़ीबू टय से ा त पृ वी तथा हे सुख उ प करने वाली मंडूकपण ओष ध! तू इस द ध पु ष को सुख दान कर तथा जलाने वाली अ न को शांत कर. (६०) वव वान् नो अभयं कृणोतु यः सु ामा जीरदानुः सुदानुः. इहेमे वीरा बहवो भव तु गोमद व म य तु पु म्.. (६१) वव वान अथात् सूय हम मृ यु संबंधी भय से र हत कर. जीवन के कता एवं शोभनदान वाले सु ामा नामक दे व भी हम मृ यु के भय से मु कर. इस लोक म हमारे पु , पौ आ द अनेक वीर पु ष ह . इस के अ त र ब त-सी गाय वाला एवं ब त से अ वाला पोषक मेरे पास हो. (६१) वव वान् नो अमृत वे दधातु परैतु मृ युरमृतं न ऐतु. इमान् र तु पु षाना ज र णो मो वे षामसवो यमं गुः.. (६२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वव वान अथात् सूय हम अमृत व म धारण कर अथात् हम मृ यु र हत बनाएं. उस के भाव से मृ यु मुझ से वमुख हो जाए. हम को मरणहीनता ा त हो. सूय दे व हमारे पु और पौ का वृ ाव था तक पालन कर. इन पु ष के पु वव वान के पु यम के पास न जाएं. (६२) यो द े अ त र े न म ा पतॄणां क वः म तमतीनाम्. तमचत व म ा ह व भः स नो यमः तरं जीवसे धात्.. (६३) ांतदश एवं उ म बु वाले यम अपनी म हमा से तोता और पतर को अंत र म धारण करते ह. हे ा णो! तुम सभी ा णय के म हो. तुम ह व आ द से यम क पूजा करो. वे यम हमारा जीवन पु बनाएं. (६३) आ रोहत दवमु मामृषयो मा बभीतन. सोमपाः सोमपा यन इदं वः यते ह वरग म यो त
मम्.. (६४)
हे मं दश मनु यो! तुम उ म वग को ा त करो. तुम भय मत करो. मं दश ऋ षय ने वयं सोमरस को पया है तथा सर को सोमरस का पान कराया है. वग म आ ढ़ तु हारे न म यह ह व संप क गई है. इस से तुम चरकाल का जीवन ा त करो. (६४) केतुना बृहता भा य नरा रोदसी वृषभो रोरवी त. दव द ता पमामुदानडपामुप थे म हषो ववध.. (६५) यह अ न दे व धूम पी महान अंडे के ारा ब त द त होते ह. वग और पृ वीवा सय क कामना क वषा करने वाले अ न महान श द करते ह. ये अ न आकाश से भी ऊपर ा त होते ह. उस के बाद जल के दे श म महान हो कर वृ ा त करते ह. (६५) नाके सुपणमुप यत् पत तं दा वेन तो अ यच त वा. हर यप ं व ण य तं यम य योनौ शकुनं भुर युम्.. (६६) हे ेत! हम जब तु ह उ म ग त से वग क ओर जाता आ दे खते ह, तब तु ह व णम पंख वाले व ण के त यमराज के घर म प ी के समान तथा भरण करने वाले के प म दे खते ह. (६६) इ तुं न आ भर पता पु े यो यथा. श ा णो अ मन् पु त याम न जीवा यो तरशीम ह.. (६७) हे परम ऐ य वाले इं दे व! हम सोमयाग ल ण कम अथवा उस से संबं धत ान इस कार दान करो, जस कार पता पु के लए उन के मनचाहे फल लाता है. हे पु त! हम संसार गमन क श ा दो अथवा हम मनचाहा फल दान करो. हम तु हारी कृपा से चरकाल के जीवन से यु ह और इस लोक के सुख का अनुभव कर. (६७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपूपा प हतान् कु भान् यां ते दे वा अधारयन्. ते ते स तु वधाव तो मधुम तो घृत तः.. (६८) हे ेत! तेरे लए दे व ने पू से ढके ए तथा घी से भरे ए घड़ को धारण कया था, वे घड़े तेरे लए घी टपकाने वाले ह . (६८) या ते धाना अनु करा म तल म ा वधावतीः. ता ते स तु व वीः वी ता ते यामो राजानु म यताम्.. (६९) हे ेत! म तेरे लए जो तल से यु वधान वाले भुने जौ दे रहा ं. वे तेरे लए तृ त करने वाले ह . यमराज तुझे इन तल के उपयोग का आदे श दान कर. (६९) पुनद ह वन पते य एष न हत व य. यथा यम य सादन आसातै वदथा वदन्.. (७०) हे वन प त! तुझ म जो अ थ प पु ष अथात् पु ष क ह ड् डय का ढांचा छपा आ है, उसे हम दान करो. जस से वह यमराज के घर म य संबंधी काय करता आ थत हो सके. (७०) आ रभ व जातवेद तेज व रो अ तु ते. शरीरम य सं दहाथैनं धे ह सुकृतामु लोके.. (७१) हे अ न! तु हारी वालाएं दहनशील अथात् जलाने वाली ह. उन म रस का हरण करने वाली श आ जाए. तुम इस मृतक के शरीर को पूरी तरह से जलाओ. शरीर दहन के प ात इस पु ष को पु य करने वाल के लोक वग प ंचाओ. (७१) ये ते पूव परागता अपरे पतर ये. ते यो घृत य कु यै तु शतधारा ु दती.. (७२) जो पहले उ प ये पतर हम से मुंह मोड़ कर चले गए. उन के प ात जो उ प ए, उन सभी पतर के लए घृत पूण वाह ा त हो. वह धारा सौ सं या वाली हो. इस लए सभी को भगोती ई बहे. (७२) एतदा रोह वय उ मृजानः वा इह बृह द दय ते. अ भ े ह म यतो माप हा थाः पतॄणां लोकं थमो यो अ .. (७३) हे मृत पु ष! तू इस दखाई दे ने वाले अंत र अथात् आकाश म आ ढ़ हो. तू आ मा के उ मण से शरीर को शु करता आ अंत र म आ ढ़ हो. तू अपने बंधुजन के म य से लोकांतर को गमन कर. तेरे बंधु इस लोक म अ धक द त ह . ुलोक अथात् वग पतर से संबं धत मृ युलोक है. तू उस लोक का याग मत कर अथात् वहां ब त दन तक नवास ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कर. (७३)
सू -४
दे वता—अ न
आ रोहत ज न जातवेदसः पतृयाणैः सं व आ रोहया म. अवाड् ढ े षतो ह वाह ईजानं यु ाः सुकृतां ध लोके.. (१) हे अ नयो! तुम अपनी उ प करने वाली के पास प ंचो. म तु ह पतृयान माग से वहां भलीभां त प ंचाता ं. ह के वाहक अ न ह को वहन करते ह. हे अ नयो! तुम मल कर य कता को े कम करने वाल के लोक म प ंचाओ. (१) दे वा य मृतवः क पय त ह वः पुरोडाशं ुचो य ायुधा न. ते भया ह प थ भदवयानैयरीजानाः वग य त लोकम्.. (२) दे वगण और वसंत आ द ऋतुएं अनेक कार के य क रचना करते ह. इस य म डालने के लए घृत आ द से बनाए ए पदाथ को अ न म डालने के लए चमचे क आकृ त के अनेक पा बनाते ह. हे मनु य! उन दे वयान माग अथात् य करने क व धय से तू न य त य कर. इन दे वयान माग से य करने वाले जन वगलोक जाते ह. (२) ऋत य प थामनु प य सा व रसः सुकृतो येन य त. ते भया ह प थ भः वग य ा द या मधु भ य त तृतीये नाके अ ध व य व.. (३) हे ेत! तू स य के कारण प माग को भलीभां त जानता आ मह ष अं गरस आ द के वग को जा, जस माग म अ द त के पु दे वगण अमृत का सेवन करते ह. तू उस तीसरे वग म नवास कर. (३) यः सुपणा उपर य मायू नाक य पृ े अ ध व प ताः. वगा लोका अमृतेन व ा इषमूज यजमानाय ाम्.. (४) अ न, वायु और सूय उ म व ध से गमन करने वाले ह. वायु तथा पज य मेघ के समान श द करते ह. ये सभी वगलोक से ऊपर व प म नवास करते ह. अपने कम से ा त होने वाला यह वगलोक अमृत से संप है. यह वग य कम का अनु ान करने वाले ेत को मनचाहा अ तथा रस दे ने वाला है. (४) जु दाधार ामुपभृद त र ं ुवा दाधार पृ थव त ाम्. तीमां लोका घृतपृ ाः वगाः कामंकामं यजमानाय ाम्.. (५) होम के पा जु ने आकाश को पु कया, उपभूत नाम के य पात ने अंत र को धारण कया तथा ुवा नाम के य पा ने पृ वी का पालन कया. यह ुवा पा पृ वी का ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यान करते ए ऊपर थत वगलोक म यजमान को मनचाहा फल दान करे. (५) ु आ रोह पृ थव व भोजसम त र मुपभृदा म व. व जु ां ग छ यजमानेन साकं ुवेण व सेन दशः धु वा णीयमानः.. (६)
पीनाः सवा
हे ुवा नामक च मच! तू पृ वी पर आरोहण कर और यजमान भी पृ वी पर त त रहे. हे उपभृत नाम के पा ! तू अंत र पर आरोहण कर. हे जु नामक पा ! तू यजमान के साथ ुलोक अथात् वग को गमन कर तथा सभी दशा से मनचाहे फल का दोहन कर. (६) तीथ तर त वतो मही र त य कृतः सुकृतो येन य त. अ ादधुयजमानाय लोकं दशो भूता न यदक पय त.. (७) लोग तीथ तथा य ा द कम के ारा बड़ीबड़ी वप य से पार हो जाते ह. इस कार वचार करने वाले तथा य कम करते ए पु ष जस माग से वग को जाते ह, उस माग को खोजते ए य कता इस यजमान के लए वह माग खोल. (७) अ रसामयनं पूव अ नरा द यानामयनं गाहप यो द णानामयनं द णा नः. म हमानम ने व हत य णा सम ः सव उप या ह श मः.. (८) आं गरस का माग पूव के नाम क अ न है. आ द य का माग गाहप य अ न है. य काय म द जन का माग द णा अ न है. वेदमं के ारा य म था पत क गई अ न क म हमा को ढ़ अंग तथा पूण शरीर वाला तू ा त कर. (८) पूव अ न ् वा तपतु शं पुर ता छं प ात् तपतु गाहप यः. द णा न े तपतु शम वम रतो म यतो अ त र ाद् दशो दशो अ ने प र पा ह घोरात्.. (९) हे भ म होते ए ेत! पूव क अ न तुझे आगे से सुखपुवक संत त करे. गाहप य अ न तुझे पीछे से सुखपूवक तपाए. द णा न तेरे लए सुख प हो तथा तेरा कवच बन कर तुझे तपाए. हे अ न! तू उ र दशा से, दशा के बीच से, अंत र से तथा येक दशा से आने वाले हसक से हमारी ठ क से र ा करे. (९) यूयम ने शंतमा भ तनू भरीजानम भ लोकं वगम्. अ ा भू वा पृ वाहो वहाथ य दे वैः सधमादं मद त.. (१०) हे गाहप य आ द अ नयो! तुम पीठ से वहन करने वाले घोड़ के समान बन कर अपने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सुखकारी शरीर से य करने वाले को वगलोक क ओर ले जाओ. य करने वाले लोग उस वग म दे व के साथ आनंद का भोग करते ए तृ त होते ह. (१०) शम ने प ात् तप शं पुर ता छमु रा छमधरात् तपैनम्. एक ेधा व हतो जातवेदः स यगेनं धे ह सुकृतामु लोके.. (११) हे अ न! तुम प म, पूव, उ र, द ण आ द दशा से इस मृतक को सुखपूव भ म करो. तुम एक हो, पर यजमान ने तु ह तीन प म था पत कया था. तुम इस यजमान को े जन के लोक म भलीभां त था पत करो. (११) शम नयः स म ा आ रभ तां ाजाप यं मे यं जातवेदसः. शृतं कृ व त इह माव च पन्.. (१२) व धपूवक का शत क गई अ नयां तथा उ प पदाथ म वतमान अ नयां जाप त को दे वता मानने वाले इस प व यजमान को सुखपूवक य काय के हेतु उ सुक बनाएं. इस लोक म वे अ नयां यजमान को पूण बनाएं तथा उसे य काय से वमुख न होने द. (१२) य ए त वततः क पमान ईजानम भ लोकं वगम. तम नयः सव तं जुष तां ाजाप यं मे यं जातवेदसः. शृतं कृ व त इह माव च पन्.. (१३) व तृत य समथ हो कर य कता को वगलोक म प ंचाता है. सव व होम करने वाले य कता को अ नयां संतु कर. इस लोक म वे अ नयां यजमान को पूण बनाएं. अ नयां यजमान को इस य काय से वमुख न होने द. (१३) ईजान तमा द नं नाक य पृ ाद् दवमु प त यन्. त मै भा त नभसो यो तषीमा वगः प थाः सुकृते दे वयानः.. (१४) वग के ऊपर थत ुलोक जाने क इ छा करता आ य कता पु ष चयन क ई अ न को कट करता है. अथात् व लत करता है. उस उ म कम करने वाले यजमान के लए आकाश को का शत करने वाले जस माग से जाते ह, उसी कार का सुख दे ने वाला माग का शत होता है. (१४) अ नह ता वयु े बृह प त र ो ा द णत ते अ तु. तो ऽ यं सं थतो य ए त य पूवमयनं तानाम्.. (१५) हे ेत! तेरे पतृमेघ य म अ न होता बने, बृह प त अ वयु का काय करे और इं ा हो. इस कार पूण कया आ यह य पहले कए गए अनेक य का थान ा त करता है. (१५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपूपवान् ीरवां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (१६) पसे ए गे ं म ध मला कर तैयार कया आ ओदन प च इस कम म अ थय के समीप प म दशा म रखा रहे. इस सं कार को ा त ए ेत के लए वग के नमाता इं आ द दे व म से इस ह व के अ धकारी यहां वतमान दे व को म स करता .ं (१६) अपूपवान् द धवां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (१७) पसे ए गे ं तथा दही मले ए ओदन प च इस कम म अ थय के समीप प म दशा म थत रहे. इस सं कार को ा त ए ेत के लए वग का नमाण करने वाले इं आ द दे वता म से इस ह व के अ धकारी यहां वतमान दे वता को हम स करते रह. (१७) अपूपवान् सवां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (१८) पसे ए गे ं और गाय का घी मले ए च से जस ेत का सं कार कया गया है, उस के लए वग के नमाता इं आ द दे वता म से इस ह व का अ धकारी जो दे वता यहां वतमान हो, उसे हम स करते ह. (१८) अपूपवान् घृतवां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (१९) मालपूए आ द से यु तथा मु ध करने वाले अ य से यु च इस य म थत हो. लोक और माग का नमाण करने वाले तथा यहां उप थत इं आ द दे व के म य जन के लए य भाग दया गया है, उ ह हम स करते ह. (१९) अपूपवान् मांसवां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२०) मालपूए तथा मांस से यु यह च यहां इस य म थत हो. हम लोक और माग का नमाण करने वाले इं आ द दे व के लए य करते ह. य के भाग का उपभोग करने वाले यहां थत रह. (२०) अपूपवान वां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२१) पसे ए गे ं के पू
से यु , अ से म त पवन का ओदन रस यह च इस य
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काय म प म दशा म थत रहे. जस त े का सं कार कया जा रहा है, उस के लए वग का नमाण करने वाले इं आ द दे वता म से इस ह व के जो दे वता यहां वतमान ह, हम उ ह स करते ह. (२१) अपूपवान् मधुमां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२२) पसे ए गे ं के पू से यु और शहद मले ए कुंभी प व भात प च इस काय म अ थय के प म भाग म रखा रहे. जस का सं कार कया जा रहा है उस ेत के लए वग का नमाण करने वाले इं आ द दे वता म से इस ह व के अ धकारी जो दे वता यहां व मान ह, हम उन का वागत करते ह. (२२) अपूपवान् रसवां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२३) जस गे ं तथा छह रस से यु मालपूए से यु कुंभी प व ओदन प च इस काय म अ थय के प म भाग म थत रहे. यह सं कार जस ेत के लए कया जा रहा है, उस के लए वग का नमाण करने वाले इं आ द दे वता म से इस ह व के अ धकारी यहां वतमान दे व को हम स करते ह. (२३) अपूपवानपवां रेह सीदतु. लोककृतः प थकृतो यजामहे ये दे वानां तभागा इह थ.. (२४) जस गे ं तथा अ य कार के पू से यु कुंभी प व ओदन प च इस काय म अ थय के प म भाग म रहे. यह सं कार जस ेत के लए कया जा रहा है, उस के लए वग का नमाण करने वाले इं आ द दे वता म से ह व के अ धकारी यहां वतमान दे वता को हम स करते ह. (२४) अपूपा प हतान् कु भान् यां ते दे वा अधारयन्. ते ते स तु वधाव तो मधुम तो घृत तः.. (२५) हे ेत! ह व के अ धकारी जन दे वता ने च से पूण कलश को अपने भाग के म हण कया है, वे च तुझे परलोक म वधा से यु कर. (२५)
प
या ते धाना अनु करा म तल म ाः वधावतीः. ता ते स तूद ् वीः वी ता ते यमो राजानु म यताम्.. (२६) अ त भूयसीम्.. (२७) हे ेत! तेरे लए म जन काले तल से यु जौ क खील को बखेरता ,ं वे तुझे परलोक म चुर प रमाण म ा त ह तथा उ ह खाने के लए यमराज तुझे आ ा द. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(२६-२७) स क द पृ थवीमनु ा ममं च यो नमनु य पूवः. समानं यो नमनु संचर तं सं जुहो यनु स त हो ाः.. (२८) सब को स करने वाला आ द य सब से पहले का है. यह चराचर जगत् क कारण प पृ वी पर और ुलोक म वचरण करता रहता है. ता पय यह है क आ द य इन दोन म ा त है. सब क कारण बनी ई पृ वी संचरण करते ए हष दे ने वाले आ द य को म सात होता ारा सभी दशा म ह व दान करता ं. (२८) शतधारं वायुमक व वदं नृच स ते अ भ च ते र यम्. ये पृण त च य छ त सवदा ते ते द णां स तमातरम्.. (२९) हे ेत! मनु य को दे खने वाले दे वता टपकते ए जल से यु वायु के वेग से चलते ए एवं वग ा त कराने वाले इस कुंभ को तेरे लए धन के प म जानते ह. तेरे गो वाले तुझे इस कुंभ के जल से तृ त करते ह. कुंभोदक अथात् घड़े का जल दे ने वाले तुझे सात माता पी जल धारा क द णा सदा दान करते ह. (२९) कोशं ह त कलशं चतु बल मडां धेनुं मधुमत व तये. ऊज मद तीम द त जने व ने मा हसीः परमे ोमन्.. (३०) मनु य के वभाव को जानने वाले बु मान मनु य अनेक कार के दोन के प म पानी के समान बहाए जाने वाले, वचरण करते ए और सुख दे ने वाले धन को ा त करते ह. जो मनु य अपने को उस धन से सदा पूण करते रहते ह तथा उ म पा के लए उस धन का दान करते ह, वे मनु य सात माता वाली द णा ा त करते ह. (३०) एतत् ते दे वः स वता वासो ददा त भतवे. तत् वं यम य रा ये वसान ता य चर.. (३१) व
हे पु ष! स वतादे व तुझे पहनने के लए यह व को पहन कर यम के रा य म वचरण कर. (३१)
दान करते ह. तू इस तृ त दे ने वाले
धाना धेनुरभवद् व सो अ या तलोऽभवत्. तां वै यम य रा ये अ तामुप जीव त.. (३२) हे ेत! मं के अनुसार दए गए धान यमलोक म जा कर तृ त करने वाली गाय बनते ह और तल उस धन पी गाय का बछड़ा बनता है. ेत यम के रा य म उन धान से बनी ई गाय पर ही आ त होता आ जी वत रहता है. (३२) एता ते असौ धेनवः काम घा भव तु. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एनीः येनीः स पा व पा तलव सा उप त तु वा .. (३३) हे पु ष! ये गाएं तेरे लए कामनाएं पूण करने वाली ह . लाल और ेत रंग वाली, समान और भ रंग वाली तथा अनेक प वाली इन गाय का तल बछड़ा है. ऐसी गाएं तेरे नवास थान म न य तेरे समीप रह तथा तेरी सेवा करती रह. (३३) एनीधाना ह रणीः येनीर य कृ णा धाना रो हणीधनव ते. तलव सा ऊजम मै हाना व ाहा स वनप फुर तीः.. (३४) हे ेत! ये हरे रंग वाले धान तेरे लए लाल ेत रंग वाली गाएं बन जाएं. काले धान लाल रंग क गाएं बन और तल उन के बछड़े ह . इस कार क गाएं कभी न नह होत . वे तेरे लए सदा बल दे ने वाला ध दे ती रह. (३४) वै ानरे ह व रदं जुहो म साह ं शतधारमु सम्. स बभ त पतरं पतामहान् पतामहान् बभ त प वमानः.. (३५) म वै ानर अ न म यह ह व डालता .ं ये ह व सैकड़ हजार धारा वाले सोने के समान ह. वै ानर अ न इस ह व से तृ त ए ह. यह अ न हमारे पता , पतामह तथा पतामह का पोषण करते ह. (३५) सह धारं शतधारमु सम तं यमानं स लल य पृ े. ऊज हानमनप फुर तमुपासते पतरः वधा भः.. (३६) पतर सैकड़ व हजार धारा वाले सोते के समान जो अंत र के ऊपर तथा अ जल को दे ने वाली है, उस का सेवन वधा के साथ करते ह. (३६)
ा त है
इदं कसा बु चयनेन चतं तत् सजाता अव प यतेत. म य ऽ यममृत वमे त त मै गृहान् कृणुतु याव सब धु.. (३७) हे समान गो वालो! इस एक आ था समूह को यान से दे खो. यह ेत अमर व को ा त हो रहा है. तुम सब इस के लए घर का नमाण करो. (३७) इहैवै ध धनस न रह च (३८)
इह तुः. इहै ध वीयव रो वयोधा अपराहतः..
हे मनु य! तू यह पर वृ ा त कर. तू यह पर ानवान आ है. तू यह कम करता आ हम धन दान कर. तू यह पर अ तशय बलवान बना तथा श ु से परा जत नह आ. तू अ को धारण करने वाला एवं द घ आयु वाला हो कर वृ ा त कर. (३८) पु ं पौ म भतपय तीरापो मधुमती रमाः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वधां पतृ यो अमृतं हाना आपो दे वी भयां तपय तु.. (३९) यह मधुर जल पु , पौ आ द को पूण तृ त करता है, ये द पतर के लए वधा तथा अमृत का दोहन करते ए पु और पौ दोन को तृ त कर. (३९) आपो अ नं हणुत पतॄँ पेमं य ं पतरो मे जुष ताम्. आसीनामूजमुप ये सच ते ते नो र य सववीरं न य छान्.. (४०) हे जल! अ न को पतर के पास भेजो. मेरे पतृगण इस य का सेवन करते ह. जो पतर हमारे ारा तुत कए गए अ का सेवन करते ह, वे हम नरंतर वीर व तथा धन संप दे ते रह. (४०) स म धते अम य ह वाहं घृत यम्. स वेद न हतान् नधीन् पतॄन् परावतो गतान्.. (४१) मरणधम से र हत अथात् अमर और घी को म े करने वाली तथा ह को वहन करने वाली अ न को पतृगण द त करते ह. ये अ न र चले गए पतर को जानते ह. (४१) यं ते म थं यमोदनं य मांसं नपृणा म ते. ते ते स तु वधाव तो मधुम तो घृत तः.. (४२) हे ेत! म तेरे लए जो मंथ अथात् दही मथने से ा त म खन दे रहा ,ं यह तुझे वधा और घृत से संप हो कर ा त हो. (४२) या ते धाना अनु करा म तल म ाः वधावतीः. ता ते स तूद ् वीः वी ता ते यमो राजानु म यताम्.. (४३) हे त े ! ये काले तल से म त तथा वधा से पूण खील परलोक क व तृत प म ा त ह . यमराज तुझे इन को खाने क अनुम त द. (४३)
ा त पर तुझे
इदं पूवमपरं नयानं येना ते पूव पतरः परेताः. पुरोगवा ये अ भषाचो अ य ते वा वह त सुकृतामु लोकम्.. (४४) इस लोक म ाणी जस के मा यम से या ा करते ह, मृतक को ढोने वाली वह गाड़ी ाचीन और नवीन दोन कार क है. हे ेत! इसी के ारा तेरे पूव पु ष ढोए गए थे. इस के दोन ओर जोड़े गए दोन बैल तुझे पु या मा का लोक ा त कराएं. (४४) सर वत दे वय तो हव ते सर वतीम वरे तायमाने. सर वत सुकृतो हव ते सर वती दाशुषे वाय दात्.. (४५) मृतक का दाह सं कार करने वाले पु ष अ न क इ छा करते ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ए सर वती का
आ ान करते ह. यो त ोम आ द य के अवसर पर भी सर वती का आ ान कया जाता है. वे सर वती ह व दे ने वाले यजमान को वरण करने यो य पदाथ दान कर. (४५) सर वत पतरो हव ते द णा य म भन माणाः. आस ा मन् ब ह ष मादय वमनमीवा इष आ धे मे.. (४६) वेद के द ण भाग म बैठे ए पतर भी सर वती का आ ान करते ह. हे पतरो! तुम इस य म स ता ा त करो. हे सर वती! तुम पतर के ारा बुलाए जाने पर हम मन चाहे अ से त त करो. (४६) सर व त या सरथं ययाथो थैः वधा भद व पतृ भमद ती. सह ाघ मडो अ भांग राय पोषं यजमानाय धे ह.. (४७) हे सर वती! तुम उ थ, श और वधा प अ से तृ त होती ई पतर स हत एक ही रथ पर बैठ कर आती हो. तुम यजमान को वह अ दान करो जो अनेक य को तृ त कर सके. (४७) पृ थव वा पृ थ ामा वेशया म दे वो नो धाता तरा यायुः. परापरैता वसु वद् वो अ वधा मृताः पतृषु सं भव तु.. (४८) हे मट् ट से बने ए मृत पु ष! म तुझे मट् ट म मलाता ं अथात् जला कर तेरे शरीर को राख कर के मट् ट म मलाता ं अथवा तुझे म म गाड़ता ं. धाता दे वता य का अनु ान करने वाले हम सब क आयु बढ़ाएं. हे र लोक म वास करने वाले पतरो! धाता दे व तु हारे लए नवास थान दे ने वाले ह . तुम पतर म भलीभां त जा कर मलो. (४८) आ यवेथामप त मृजेथां यद् वाम भभा अ ोचुः. अ मादे तम यौ तद् वशीयो दातुः पतृ वहभोजनौ मम.. (४९) हे ेत का वहन करने वाले बैलो! तुम हमारे सामने ही इस गाड़ी से अलग हो जाओ तथा ेत क सवारी करने से संबं धत नदा वचन से छू ट जाओ. तुम इस गाड़ी स हत हमारे पास आओ. तु हारा आना शुभ हो. इस पतृमेध य म पतर के लए ह व दे ने वाले बनो. (४९) एयमगन् द णा भ तो नो अनेन द ा सु घा वयोधाः. यौवने जीवानुपपृ चती जरा पतृ य उपसंपराणया दमान्.. (५०) यह सं कार करने वाल के पास यह गौ प द णा आ रही है. सुंदर फल और ध पी अ को दे ती ई यह गौ वृ ाव था म भी युवती रहे. सं कार कए गए पु ष को यह पूव काल के पतर के पास प ंचाए. (५०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इदं पतृ यः भरा म ब हज वं दे वे य उ रं तृणा म. तदा रोह पु ष मे यो भवन् त वा जान तु पतरः परेतम्.. (५१) सं कार करने वाले पु ष! पतर और दे वता के जीवन क कामना करता आ म कुश को फैलाता ं. हे मृत पु ष! तू यो य होता आ इन कुशा पर बैठा. पतर यहां से गए ए तुझ ेत को इन कुश पर बैठने क अनुम त द. (५१) एदं ब हरसदो मे यो ऽ भूः त वा जान तु पतरः परेतम्. यथाप त वं १ सं भर व गा ा ण ते णा क पया म.. (५२) हे ेत! चता के समीप बछे ए कुश पर बैठ कर तू प व हो गया है. तू दहन से शु हो गया है. यहां से गए ए पतर तुझ को जान ल. तू जोड़ के अनुसार अपने शरीर को पूण कर. म मं के ारा तेरे अंग को समथ बनाता ं. ता पय यह है क म मं के ारा तुझे श दान करता ं. (५२) पण राजा पधानं च णामूज बलं सह ओजो न आगन्. आयुज वे यो व दधद् द घायु वाय शतशारदाय.. (५३) ढाक का प ा च का ढ कन है. इस पलाश प से हम अ , बल, श ु का नाश करने का साम य तथा तेज ा त हो. यह पलाश प हम सौ वष क आयु वाला बनाए. (५३) ऊज भागो य इमं जजाना मा ानामा धप यं जगाम. तमचत व म ा ह व भः स नो यमः तरं जीवसे धात्.. (५४) च प अ के अ धकारी जन यमराज ने इसे ेत बनाया है, जो यम इन च को ढकने वाले प थर के वामी ह, हे बंधुओ! उन यम दे व को ह वय के ारा संतु करो. वे द घ जीवन के हेतु हमारा पोषण करे. (५४) यथा यमाय ह यमवपन् प च मानवाः. एवा वपा म ह य यथा मे भूरयो ऽ सत.. (५५) जस कार पांच मनु य ने यमराज के लए घर बनाया है, उसी कार म भी घर बनाता ं. इस कार मेरे ब त से घर हो जाएं. (५५) इदं हर यं बभृ ह यत् ते पता बभः पुरा. वग यतः पतुह तं नमृड् ढ द णम्.. (५६) हे मरणास पु ष! तू इस सोने को धारण कर, जसे तेरे पता ने पहले धारण कया था. हे पु ष! तू वग को जाते ए अपने पता के दाएं हाथ को सुशो भत कर. (५६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ये च जीवा ये च मृता ये जाता ये च य याः. ते यो घृत य कु यैतु मधुधारा ु दती.. (५७) जो जी वत ह, जो मर गए ह, जो उ प ए ह तथा जो भ व य म ज म लेने वाले ह, इन सब के लए उमड़ती ई जलधारा वाली छोट नद ा त हो. (५७) वृषा मतीनां पवते वच णः सूरो अ ां तरीतोषसां दवः. ाणः स धूनां कलशाँ अ च द द य हा दमा वश मनीषया.. (५८) तु त करने वाल को मनचाहा फल दे ने वाला सोम कपड़े से छान कर तैयार कया जाता है. यह सोम दन और रा य को े रत करने वाला है. उषाकाल और काश को भी यही बढ़ाता है. यह न दय के जल का ाण है. कलश क ओर जाता आ यह सोम ब त श द करता है. यह सोम तीन सवन म पू य इं के पेट म वेश करे. (५८) वेष ते धूम ऊण तु द व ष छु आततः. सूरो न ह ुता वं कृपा पावक रोचसे.. (५९) हे ेत! तेरा धुआं मेघ का प धारण कर के अंत र द त हो कर सूय के समान का शत होते हो. (५९)
को ढक ले. तुम तु त के कारण
वा एती र य न कृ त सखा स युन मना त सं गरः. मय इव योषाः समषसे सोमः कलशे शतयामना पथा.. (६०) कपड़े से छनता आ यह सोम इं के पेट म जाता है. यह य करने वाले के लए म के समान है तथा उस क इ छत कामना यह थ नह करता. यह सोम पु ष के ी से मलने के समान सह धारा म मलता है. (६०) अ मीमद त व याँ अधूषत. अ तोषत वभानवो व ा य व ा ईमहे.. (६१) कुश पर रखे गए पड को खा कर पतर तृ त ए तथा उ ह ने अपने शरीर को कं पत कया. इस के प ात वे हमारी शंसा करने लगे. उन तृ त पतर से हम अपने लए मनचाहे वरदान क याचना करते ह. (६१) आ यात पतरः सो यासो ग भीरैः प थ भः पतृयाणैः. आयुर म यं दधतः जां च राय पोषैर भ नः सच वम्.. (६२) हे पतरो! आप सोमरस ा त करने यो य हो. तुम गंभीर पतृयान से आ कर पडदान के लए बछाए गए कुश पर तल बखेरने वाले हम द घ जीवन तथा पु एवं पौ के प म संतान दान करो तथा हम धन क समृ से मलाओ. (६२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
परा यात पतरः सो यासो ग भीरैः प थ भः पूयाणैः. अधा मा स पुनरा यात नो गृहान् ह वर ुं सु जसः सुवीराः.. (६३) हे सोमरस ा त करने के अ धकारी पतरो! तुम पतृयान से अपने लोक को गमन करो तथा अमाव या के दन ह व भ ण करने हेतु हमारे घर पुनः आना. हमारे घर शोभन पु और उ म वीर से यु ह . (६३) यद् वो अ नरजहादे कम ं पतृलोकं गमयंजातवेदाः. तद् व एतत् पुनरा यायया म सा ाः वग पतरो मादय वम्.. (६४) हे ेत! तु हारे जस अंग को अ न ने र फक कर भ म नह कया है. उसे म पुनः अ न म डाल कर तु हारी वृ करता ं. तूम पूण अंग वाले हो कर वग क ओर गमन करते ए स ता ा त करो. (६४) अभूद ् तः हतो जातवेदाः सायं य उपव ो नृ भः. ादाः पतृ यः वधया ते अ वं दे व यता हव ष.. (६५) हम ने ातः और सायं काल वंदना के यो य अ न को त बना कर पतर के पास भेजा है. हे अ न! हमारी ह वय को तुम पतर को दान करो. हे अ न! वे पतर उन ह वय का सेवन कर. इस के प ात जो ह व तु ह द गई है, तुम भी उस का सेवन करो. (६५) असौ हा इह ते मनः ककु सल मव जामयः. अ ये नं भूम ऊणु ह.. (६६) हे त े ! तेरा मन उस मशान म है. हे मशान भू म! इस ेत को तुम उसी कार ढको, जस कार यां अपने कंध को व से ढकती ह. (६६) शु भ तां लोकाः पतृषदनाः पतृषदने वा लोक आ सादया म.. (६७) हे ेत! तेरे बैठने के लए पतर के लोक कट ह . म तुझे उसी लोक म करता ं. (६७)
त त
ये ३ माकं पतर तेषां ब हर स.. (६८) हे कुश! तू हमारे पूवज पतर के बैठने का थान बन. (६८) उ मं व ण पाशम मदवाधमं व म यमं थाय. अधा वयमा द य ते तवानागसो अ दतये याम.. (६९) हे व ण! तुम अपने उ म, म यम और नकृ पाश अथात् फंद को हम से र रखो. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तु हारे पाश से छू टते ए हम तु हारी सेवा कर तथा कोई हमारी हसा न करे. (६९) ा मत् पाशान् व ण मु च सवान् यैः समामे ब यते यै ामे. अधा जीवेम शरदं शता न वया राजन् गु पता र माणाः.. (७०) हे व ण! जन पाश अथात् फंद से मनु य जकड़ जाता है, उ ह हम से र रखो. तु हारे ारा र त ए तथा भ व य म तुम से र ा ा त करते ए हम सौ वष क आयु ा त कर. (७०) अ नये क वाहनाय वधा नमः.. (७१) क वहन करने वाले अ न को वधा यु करते ह. (७१)
ह व ा त हो. हम अ न को नम कार
सोमाय पतृमते वधा नमः.. (७२) े
पता वाले अ न को वधा और नम कार है. (७२)
पतृ यः सोमवद् यः वधा नमः.. (७३) सोमवान पतर के लए वधा व नम कार है. (७३) यमाय पतृमते वधा नमः.. (७४) उ म पता वाले यम के लए वधा और नम कार है. (७४) एतत् ते ततामह वधा ये च वामनु.. (७५) हे पतामह तु हारे लए दया आ यह पदाथ वधा हो. जो तु हारे अनुगामी ह, उन के लए भी यह वधा हो. (७५) एतत् ते ततामह वधा ये च वामनु.. (७६) हे पतामह! तु हारे लए दया आ यह पदाथ वधा हो. (७६) एतत् ते तत वधा.. (७७) हे पता! तु हारे लए यह ह व वधा हो. (७७) वधा पतृ यः पृ थ वषद् यः.. (७८) पृ वी पर बैठने वाले पतर के लए यह ह व वधा हो. (७८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वधा पतृ यो अ त र सद् यः.. (७९) अंत र म थत पतर के लए यह ह व वधा हो. (७९) वधा पतृ यो द वषद् यः.. (८०) ुलोक म थत पतर के लए ह व वधा हो. (८०) नमो वः पतर ऊज नमो वः पतरो रसाय.. (८१) हे पतरो! तु हारे अ अथवा बल के लए नम कार है. हे पतरो! तु हारे रस और अ के लए नम कार है. (८१) नमो वः पतरो भामाय नमो वः पतरो म यवे.. (८२) हे पतरो! तु हारे ोध के लए नम कार है. हे पतरो! तु हारे म यु अथात् आ ोश के लए नम कार है. (८२) नमो वः पतरो यद् घोरं त मै नमो वः पतरो यत् ू रं त मै.. (८३) हे पतरो! तु हारा जो घोर कम है, उस के लए नम कार है. हे पतरो! तु हारा जो ू र कम है उस के लए नम कार है. (८३) नमो वः पतरो य छवं त मै नमो वः पतरो यत् योनं त मै.. (८४) हे पतरो! तु हारा जो क याणमय कम है, उस के लए नम कार है. हे पतरो! तु हारा जो सुखमय कम है, उस के लए नम कार है. (८४) नमो वः पतरः वधा वः पतरः.. (८५) हे पतरो! तु हारे लए नम कार है. हे पतरो! तु हारे लए वधा ा त हो. (८५) ये ऽ पतरः पतरो ये ऽ भूया थ.. (८६)
यूयं थ सु मां ते ऽ नु युयं तेषां
े ा
ये अ य पतर यहां ह. जो पतृगण यहां पर ह. अ य पतर तु हारे अनुकूल ह . (८६) य इह पतरो जीवा इह वयं मः. अ माँ ते ऽ नु वयं तेषां (८७)
े ा भूया म..
जो पतर यहां ह, उन के अनु ह से हम यहां जी वत ह. ये पतर हमारे अनुकूल बने रह. हम उन म े ह. हम दोन मल कर पर पर े ह . (८७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ वा न इधीम ह ुम तं दे वाजरम्. यद् घ सा ते पनीयसी स मद् द दय त इषं तोतृ य आ भर.. (८८)
व.
हे काशमान अ न! तुम चमकने वाली और जरा र हत हो. हम तु ह का शत करते ह. तु हारी अ य धक शंसनीय द त अंत र म का शत हो रही है. हे अ न! जो तु हारी तु त करते ह, उन के लए तुम अ दान करो. (८८) च मा अ व १ तरा सुपण धावते द व. न वो हर यनेमयः पदं व द त व त ु ो व ं मे अ य रोदसी.. (८९) सुंदर करण वाला चं मा जल के भीतर नवास करता आ दौड़ता रहता है. हे ावा पृ वी! तु हारी थ त को सोने के चमक ले सीमा भाग वाली बज लयां ा त नह कर पाती ह. तुम दोन मेरी इस तु त को जानो. (८९)
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उ ीसवां कांड सू
दे वता—य
पहला
सं सं व तु न १: सं वाताः सं पत णः. य ममं वधयता गरः सं ा ेण ह वषा जुहो म.. (१) नाद करती सभी ाणी हमारे न म यह य म आप दे व के उ
ई स रताएं भलीभां त वा हत ह . वायु हमारे अनुकूल बहे. प ी आ द अनुकूल आचरण कर. हे तु त कए जाते ए दे वो! जस यजमान के प शां त कम कया जा रहा है, तुम पु , पशु आ द से उस क वृ करो. े य से घृत, ीर आ द से यु ह व क अ न म आ त दे ता ं. (१)
इमं होमा य मवतेमं सं ावणा उत. य ममं वधयता गरः सं ा ेण ह वषा जुहो म.. (२) हे आ तयो! तुम इस य क र ा करो. हे घृत, ीर आ द! तुम इस य का पालन करो. हे दे वो! फल क कामना वाले इस यजमान क र ा करो. इस यजमान क पु , पशु आ द से वृ करो. म आप दे व के उ े य से घृत, ीर आ द से यु ह व क अ न म आ त दे ता ं. (२) पं पं वयोवयः संर यैनं प र वजे. य ममं चत ः दशो वधय तु सं ा ेण ह वषा जुहो म.. (३) म फल क कामना करने वाले तथा य कम के योजक यजमान को पशु, पु आ द फल से संब करता ं. चार दशाएं एवं उन दशा म नवास करने वाले जन इस यजमान को अ भल षत फल दान कर. म आप दे व के उ े य से घृत, ीर आ द से यु ह व क अ न म आ त दे ता ं. (३)
सू -२
दे वता—आप अथात् जल
शं त आपो हैमवतीः शमु ते स तू याः. शं ते स न यदा आपः शमु ते स तु व याः.. (१) हे यजमान! हमवान पवत से आए ए जल, झरन के जल तथा सदा बहने वाले जल तेरे लए सुख करने वाले ह . वषा के जल भी तेरा क याण करने वाले ह . म आप दे व के ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ े य से घृत, ीर आ द से यु
ह व क अ न म आ त दे ता ं. (१)
शतं त आपो ध व या ३: शं ते स वनू याः शं ते ख न मा आपः शं याः कु भे भराभृताः.. (२) हे यजमान! म थल के जल तथा जल वाले दे श के जल तेरे लए क याणकारी ह . कुएं, तालाब आ द के जल तुझे सुख दे ने वाले बन. घड़ के ारा लाए गए जल भी तेरा क याण कर. (२) अन यः खनमाना व ा ग भीरे अपसः. भष यो भष रा आपो अ छा वदाम स.. (३) खोदने के साधन म कुदाल आ द से र हत एवं लकड़ी, हाथ और पैर से खोदने म समथ एवं असा य कम को भी मं के बल से स करने वाले हम मेधावी ा ण वै से बढ़ कर वै ह. हम जल क वंदना करते ह. (३) अपामह द ानामपां ोत यानाम्. अपामह णेजने ऽ ा भवथ वा जनः.. (४) हे ऋ वजो! तुम आकाश से बरसने वाले, न दय म बहने वाले तथा अ य कार के जल और तेज दौड़ने वाले घोड़ के समान इस जल श वाले य कम म शी ता करने वाले बनो. (४) ता अपः शवा अपो ऽ य मंकरणीरपः. यथैव तृ यते मय ता त आ द भेषजीः.. (५) हे ऋ वजो! स , क याण करने वाले तथा य मा आ द रोग से छु टकारा दलाने वाले ओष ध प जल को मेरे सुख क वृ के लए यहां ले आओ. (५)
सू -३
दे वता—अ न
दव पृ थ ाः पय त र ाद् वन प त यो अ योषधी यः. य य वभृतो जातवेदा तत तुतो जुषमाणो न ए ह.. (१) हे अ न दे व! आकाश से पृ वी से अंत र से, वन प तय से, ओष धय से तथा जहांजहां तुम वशेष प से पूण हो, वहांवहां से हम स करते ए यहां आओ. (१) य ते अ सु म हमा यो वनेषु य ओषधीषु पशु व व१ तः. अ ने सवा त व १: सं रभ व ता भन ए ह वणोदा अज ः.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ न! तु हारी जो म हमा वाडवा न प से जल म वतमान है, दावा न प से वन म व मान है, जो ओष धय म फल के पकने का कारण बनती है, जो सभी ा णय म जठरा न के प म थत है तथा जो व ुत के प म बादल म रहती है, इन सब को एक कर के न य धनदाता के प म आओ. (२) य ते दे वेषु म हमा वग या ते तनूः पतृ वा ववेश. पु या ते मनु येषु प थे ऽ ने तया र यम मासु धे ह.. (३) हे अ न! तु हारी जो म हमा वगगामी के प म दे व म है, तु हारा जो नाम का ह व वधा के प म पतृलोक जाने वाला है तथा मनु य, पशु आ द चराचर म तु हारी जो पु है, अपने उन सभी प के ारा हम धन दो. (३) ु कणाय कवये वे ाय वचो भवाकै प या म रा तम्. यतो भयमभयं त ो अ वव दे वानां यज हेडो अ ने.. (४) हे अ न दे व! तुम हमारे तो को सुनने म समथ करने वाले, मनचाहा फल दे ने वाले एवं सब के ारा जानने यो य हो. म मं प वा य , अनुवाक तथा सू से तु हारी तु त करता ं, जस से मुझे अभय ा त हो, जो दे व हमारे त ोध करते ह , तुम उन का ोध शांत करो. (४)
सू -४
दे वता—अ न
यामा त थमामथवा या जाता या ह मकृणो जातवेदाः. तां त एतां थमो जोहवी म ता भ ु तो वहतु ह म नर नये वाहा.. (१) हे अ न! अथवा प परमा मा ने सृ से पूव अपने ारा रचे ए दे वता को स करने के लए तुम म जो आ त द थी और तुम ने उस आ त को दे वगण तक प ंचने यो य बनाया, हे अ न! म सब यजमान से पहले उस आ त को तु हारे मुख म डालता ं. ह व ा त कराने वाले त प, दे वता प एवं ह व ेप के आधार प तीन प से तु त कए गए अ न मेरा यह ह व दे व को ा त कराएं. (१) आकू त दे व सुभगां पुरो दधे च य माता सुहवा नो अ तु. यामाशामे म केवली सा मे अ तु वदे यमेनां मन स व ाम्.. (२) म ता पय क सेवा करता रखती ई हमारे कसी अ य को
प, का शत होने वाली एवं शोभन भा य से यु वाणी अथात् सर वती ं. पु जस कार माता के वश म होता है, उसी कार मेरे मन को वश म आ ान से हमारे अनुकूल हो. म जो कामना करता ं, वह केवल मेरी हो, ा त न हो. म अपनी कामना को सदा ा त क ं . (२)
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आकू या नो बृह पत आकू या न उपा ग ह. अथो भग य नो धे थो नः सुहवो भव.. (३) हे बृह प त! तुम सब दे व के पालनकता हो. तुम सभी को दे ने के लए आओ. तुम सर वती को हमारे अनुकूल करने के लए आओ. तुम हम सौभा य दान करो. तुम हमारे आ ान मा से हमारे अनुकूल बनो. (३) बृह प तम आकू तमा रसः त जानातु वाचमेताम्. य य दे वा दे वताः संबभूवुः स सु णीताः कामो अ वे व मान्.. (४) अं गरा के पु बृह प त दे व सब वा य क पा सर वती को मुझे दे ने के लए मरण कर. ी-पु ष प सभी दे वता जस बृह प त के वश म है और सभी दे वता जस बृह प त के ारा काय म लगाए गए ह, वे बृह प त दे व हम कामना करने वाल को फल दे ने के लए आएं. (४)
सू -५
दे वता—इं
इ ो राजा जगत् षणीनाम ध म वषु पं यद त. ततो ददा त दाशुषे वसू न चोदद् राध उप तुत दवाक्.. (१) तीन लोक म नवास करने वाले मनु य एवं दे वता के वामी इं ह व दे ने वाले यजमान को धन ला कर द. धरती पर जो अनेक प वाला धन है, उसे मुझे दान कर. तु त कए गए इं धन को हमारे सामने े रत कर, हम दान कर. (१)
सू -६
दे वता—पु ष
सह बा ः पु षः सह ा ः सह पात्. स भू म व तो वृ वा य त द् दशाङ् गुलम्.. (१) अनंत भुजा , अनंत ने और अनंत चरण वाले य का अनु ान करने वाले नारायण नाम के पु ष ह, वे सात समु और सात प वाली भू म को अपनी म हमा से सभी ओर से कर के दश अंगुल वाले दय प आकाश म थत ए. (१) भः प ामरोहत् पाद येहाभवत् पुनः. तथा ामद् व वङशनानशने अनु.. (२) य के अनु ाता वे नारायण नाम के पु ष अपने तीन चरण से वगलोक पर आ ढ़ ए. उन का चौथा चरण इस भूलोक म बारबार कट होता है. यह चौथा चरण भोजन करने वाले मनु य, पशु आ द और भोजन न करने वाले दे व, वृ आ द सभी म ा त है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ताव तो अ य म हमान ततो यायां पू षः. पादो ऽ य व ा भूता न पाद यामृतं द व.. (३) जतनी इस नारायण नाम के पु ष क म हमाएं ह, ये उन से भी अ धक महान ह. इस का एकमा अथात् चौथा अंश सभी ा णय म ा त है. इस के तीन चरण अथात् मा मरण र हत होते ए वगलोक म वतमान ह. (३) पु ष एवेदं सव यद् भूतं य च भा म्. उतामृत व ये रो यद येनाभवत् सह.. (४) जो अतीत जगत्, भ व य म होने वाला जगत् और यह यमान जगत् है, वह सब पु ष ही है. यह पु ष मरण र हत दे व का भी वामी है तथा जो भो य अ के साथ ए यह उन का भी ई र है. (४) यत् पु षं दधुः क तधा क पयन्. मुखं कम य क बा कमू पादा उ येते.. (५) सा य और वसु नाम के दे वता ने जब य पु ष क क पना क , तब उ ह ने यह क पना कतने कार से क थी. इस का मुख या था, इस क भुजाएं या थ और इस के चरण या कहलाते थे. (५) ा णो ऽ य मुखमासीद् बा राज यो ऽ भवत्. म यं तद य यद् वै यः पद् यां शू ो अजायत.. (६) इस य ा मा पु ष का मुख ा ण था. इस क भुजा य ए. इस का जो म य भाग था, उससे वै य जा त के पु ष ए और इस के दोन चरण से शु क उ प ई. (६) च मा मनसो जात ोः सूय अजायत. मुखा द ा न ाणाद् वायुरजायत.. (७) इस य प पु ष के मन से चं मा उ प आ और नयन से सूय क उ प के मुख से इं और अ न दे व तथा ाण से अ न क उ प ई. (७)
ई. इस
ना या आसीद त र ं शी ण ौः समवतत. पद् यां भू म दशः ो ात् तथा लोकाँ अक पयन्.. (८) इस य पु ष क ना भ से अंत र लोक, शीश से वगलोक, चरण से भू म तथा कान से दशाएं उ प . इस कार सा य और वसु नाम के दे व ने लोक क क पना क , लोक का नमाण कया. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वराड े समभवद् वराजो अ ध पू षः. स जातो अ य र यत प ाद् भू ममथो पुरः.. (९) इस सृ के आ द म वराट् उ प आ. उस वराट् से पु ष क उ प ई. वह पु ष उ प होते ही वृ को ा त आ. वह भू म आ द लोक के पीछे और आगे ा त कर के उन से अ त र आ. ता पय यह है क पु ष ने जीव क रचना क . (९) यत् पु षेण ह वषा दे वा य मत वत. वस तो अ यासीदा यं ी म इ मं: शर
वः.. (१०)
जब दे व ने पु ष प अथवा अ प ह व से य कया, उस समय वसंत ऋतु अपनी म हमा से इस य का घृत, ी म स मधा तथा शरद ऋतु य ीय च , पुरोडाश आ द ह व आ. (१०) तं य ं ावृषा ौ न् पु षं जातम शः. तेन दे वा अयज त सा या वसव ये.. (११) सृ के आरंभ म उ प उस य ीय पशु अथवा पु ष को वषा ऋतु के ारा धोया गया. उस पु ष के ारा सा य और वसु नाम वाले दे व ने य कया. (११) त माद ा अजाय त ये च के चोभयादतः. गावो ह ज रे त मात् त मा जाता अजावयः.. (१२) उस य ा मक पु ष से घोड़े उ प ए. उन घोड़ के अ त र गधे और ख चर भी उ प ए जो ऊपर और नीचे अथात् दोन ओर दांत वाले थे. उस य ा मक पु ष से गाएं उप तथा उससे बक रयां और भेड़ उ प . (१२) त माद् य ात् सव त ऋचः सामा न ज रे. छ दो ह ज रे त माद् यजु त मादजायत.. (१३) उस अ प य ीय पु ष से ऋक् नाम के पशु बद्ध मं तथा गीत प साम नाम के मं उ प ए. उसी य ीय पु ष से छं द क उ प ई. उसी से ग प के स म लत पाठ वाले यजुष नाम के मं कट ए. (१३) त माद् य ात् सव तः संभृतं पृषदा यम्. पशूँ तां े वाय ा नार या ा या ये.. (१४) उस अ प य ीय पु ष से दही से मले ए घी का संपादन आ. सा य नाम वाले दे व ने वायु दे वता वाले वन म वचरणशील सह, हाथी आ द पशु को तथा ाम म रहने वाले गाय, घोड़े, गधे आ द पशु को बनाया. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स ता यासन् प रधय ः स त स मधः कृताः. दे वा यद् य ं त वाना अब नन् पु षं पशुम्.. (१५) अ मेध अथवा पु ष मेध य करते ए दे व ने अपने य म अ प पु ष को यूप अथात् लकड़ी के खंभे से बांधा. दे व ने गाय ी आ द सात छं द को प र ध बनाया तथा इ क स स मधा क रचना क . (१५) मू न दे व य बृहतो अंशवः स त स ततीः. रा ः सोम याजाय त जात य पु षाद ध.. (१६) उस य र मयां उ प
सू -७
प पु ष के म तक से सोम राजा क चार सौ न बे महान शोभा वाली . (१६)
दे वता—न
च ा ण साकं द व रोचना न सरीसृपा ण भुवने जवा न. तु मशं सुम त म छमानो अहा न गी भः सपया म नाकम्.. (१) अनेक प वाले जो काश यु न आकाश म चमकते ह, वे त ण त ग त से सरकने वाले ह. म उन न क मं प वाली तु त करता ं, य क म उन क बाधा नवारण करने वाली क याणमयी बु क इ छा करता ं. (१) सुहवम ने कृ का रो हणी चा तु भ ं मृग शरः शमा ा. पुनवसू सुनृता चा पु यो भानुरा ेषा अयनं मघा मे.. (२) हे अ न! कृ का न हमारे आ ान के अनुकूल हो. हे जाप त! रो हणी न हमारे सुंदर आ ान के यो य हो. हे सोम! मृग शरा न हमारे लए मंगलदायक तथा आ ान के यो य हो. हे ! आ ा न हमारे लए सुखकारी हो. हे अ द त! पुनवसु न हम स य वाणी दे ने वाला हो. बृह प त संबंधी पु य न हमारे लए ेय दे ने वाला हो. सप दे वता वाला आ ेषा न हम द त दान करे. पतृ दे वता वाला मघा न मेरा गंत थान हो. (२) पु यं पूवा फ गु यौ चा ह त ा शवा वा त सुखो मे अ तु. राधे वशाखे सुहवानुराधा ये ा सुन म र मूलम्.. (३) अयमा दे व का पूवाफा गुनी न , भग दे व का उ रा फा गुनी न , स वता दे व का हतन तथा इं दे व का च ा न मुझे पु य से भरा आ सुख दे . वायु दे व का वा त न , इं दे वता वाला राधा अथवा वशाखा न और म दे व का अनुराधा न हमारे लए सुख से आ ान यो य हो. इं दे व का ये ा न हम सुखी बनाए. पतर दे व का ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ा धय से पूण मूल न
मेरे लए क याणकारी हो. (३)
अ ं पूवा रासतां मे अषाढा ऊज दे ु रा आ वह तु. अ भ ज मे रासतां पु यमेव वणः व ाः कुवतां सुपु म्.. (४) जल दे वता का पूवाषाढ़ा न मुझे खाने यो य उ म अ दे . व े दे व का उ राषाढ़ा न हम बलदायक रस दान करे. दे वता का अ भ जत न मुझे पु य दे . व णु दे व का वण न तथा वसु दे वता का ध न ा न भी भलीभां त मेरा पालन करे. (४) आ मे मह छत भषग् वरीय आ मे या ो पदा सुशम. आ रेवती चा युजौ भगं म आ मे र य भर य आ वह तु.. (५) इं दे व का शत भषा न , अजैकपाद का पूवाभा पद न तथा अ हबु य दे व का उ राभा पद न हमारे लए महान फल दे और सुस जत घर दान करे. पूषा दे व का रेवती न तथा अ नीकुमार का अ नी न मुझे सौभा यशाली बनाए. यम दे वता का भरणी न मुझे ऐ य दान करे. (५)
सू -८
दे वता—न
या न न ा ण द १ त र े अ सु भूमौ या न नगेषु द ु. क पयं मा या ये त सवा ण ममैता न शवा न स तु.. (१) जो न अंत र अथात् आकाश म, जल म, भू मय तथा पवत पर एवं दशा म ह तथा चं मा जन न को कट करता आ उदय होता है, वे न मुझे सुख दे ने वाले ह . (१) अ ा वशा न शवा न श मा न सह योगं भज तु मे. योगं प े ेमं च म े ं प े योगं च नमो ऽ होरा ा याम तु.. (२) दे खने म सुख दे ने वाले तथा सुख दान करने वाले जो अट् ठाईस न ह, वे एकसाथ मल कर मुझे ा त ह एवं मुझे सुख दान कर. म न क कृपा से अ ा त व तु को ा त क ं तथा ा त व तु क सुर ा कर सकूं. दन और रात को मेरा नम कार है. (२) व ततं मे सु ातः सुसायं सु दवं सुमृगं सुशकुनं मे अ तु. सुहवम ने व य १ म य ग वा पुनराया भन दन्.. (३) ातःकाल मुझे सुख दान कर, सायं काल मुझे सुख दान करे तथा दनरात मुझे सुखी बनाएं. म जस योजन संबंधी न म थान क ं , उस म ह रण आ द शुभ शकुन के प मेरे अनुकूल ग त वाले ह . हे अ न! सभी न के दे वता का अ भनंदन करने वाले एवं अ वन र ुलोक म जा कर ह व दे ने वाले हम यजमान और ऋ वज को स ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करने के हेतु पुनः यहां आओ. (३) अनुहवं प रहवं प रवादं प र वम्. सवम र कु भान् परा ता स वतः सुव.. (४) हे स वता दे व! काय के न म जाते ए मुझ को तुम सभी न म अनुभव नाम ले कर पीछे से बुलाना, प रहव नाम ले कर दोन ओर से पुकारना. प रवाद अथात् कठोर भाषण, प र व अथात् व जत थल म वेश व खाली घड़े आ द दे खना—अपशकुन से बचाओ. (४) अपपापं प र वं पु यं भ ीम ह वम्. शवा ते पाप ना सकां पु यग ा भ मेहताम्.. (५) अ हत करने वाली छ क हम से र हो. धन ा त के लए जाते ए पु ष को गीदड़ी का दशन, उस का श द सुनना तथा नपुंसक का दशन—ये सभी हमारे पाप को शांत करने वाले ह . (५) इमा या ण पते वषूचीवात ईरते. स ीची र ा ताः कृ वा म ं शवतमा कृ ध.. (६) हे ण प त इं ! ये सभी दशाएं आंधी के कारण धुंधली हो जाती ह तथा पता नह चलता क यह कौन सी दशा है. उन अंधकार से ढक ई दशा को मेरे अनुकूल करते ए क याण करने वाली बनाओ. (६) व त नो अ वभयं नो अ तु नमो ऽ होरा ा याम तु.. (७) (७)
हमारा क याण हो तथा हमारा भय र हो. दन और रात के लए हमारा नम कार हो.
सू -९
दे वता—मं म बताए ए
शा ता ौः शा ता पृ थवी शा त मदमुव१ त र म्. शा ता उद वतीरापः शा ता नः स वोषधीः.. (१) अपने कारण से उ प दोष को शांत करता आ ुलोक हम सुख दान करे. वशाल अंत र और पृ वी हम सुख दान कर. सागर के जल तथा ओष धयां हम सुख दे ने वाले ह . (१) शा ता न पूव पा ण शा तं नो अ तु कृताकृतम्. शा तं भूतं च भ ं च सवमेव शम तु नः.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
काय से पहले होने वाले कारण मेरे लए शांत ह . मेरे ारा कए गए और न कए गए कम मुझे शां त दान करने वाले ह . भूतकाल के काय और भ व यत् काल के काय मेरे लए शां त द ह . भूत, भ व यत् और वतमान काल से संबं धत सभी काय मेरे लए शां त दे ने वाले ह . (२) इयं या परमे नी वाग् दे वी सं शता. ययैव ससृजे घोरं तयैव शा तर तु नः.. (३) उ म थान म रहने वाली अथवा ा क प नी, मं के ारा भलीभां त उ े जत एवं व ान के ारा वयं अनुभव क गई जो वा दे वी अथवा सर वती ह, ये शाप दे ने आ द म भी उ चारण क जाती ह—ये हमारे लए शां त दे ने वाली ह . (३) इदं यत परमे नं मनो वां सं शतम्. येनैव ससृजे घोरं तेनैव शा तर तु नः.. (४) परमे ी ने सृ के आ द म मन क रचना क , जो संसार का मूल कारण है. ऐसा ने कहा है. जस मन के ारा कम कया जाता है, उसी मन के ारा हम शां त ा त हो. (४) इमा न या न प चे या ण मनःष ा न मे द यैरेव ससृजे घोरं तैरेव शा तर तु नः.. (५)
णा सं शता न.
जो पांच ान यां, (आंख, कान, नाक, ज ा और वचा) ह, इन के अ त र मन छठ ान य है. ये मेरे दय म थत ह और चेतन आ मा इन पर नयं ण करता है. इ ह के ारा घोर कम कया जाता है. इ ह के ारा हम शां त ा त हो. (५) शं नो म ः शं व णः शं व णुः शं जाप तः. शं न इ ो बृह प तः शं नो भव वयमा.. (६) म अथात् सूय, व ण, व णु, जाप त, इं , बृह प त और अयमा हम शां त दान करने वाले ह . (६) शं नो म ः शं व णः शं वव वा छम तकः. उ पाताः पा थवा त र ाः शं नो द वचरा हाः.. (७) म , व ण, सूय तथा अंतक हम शां त दान कर. पृ वी और अंत र उ पात एवं ुलोक म संचरण करने वाले गृह हम शां त दान कर. (७) शं नो भू मव यमाना शमु का नहतं च यत्. शं गावो लो हत ीराः शं भू मरव तीयतीः.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म होने वाले
ा णय का संहार करने वाले काल के कारण कांपती ई पृ वी हमारे कंपन पी दोष को र करने वाली बने. वाला के प म गरने वाली उ का के थान हम शां त दान कर. ध के थान पर र दे ने वाली गाएं तथा फटती ई धरती हम शां त दान करे. (८) न मु का भहतं शम तु नः शं नोऽ भचाराः शमु स तु कृ याः. शं नो नखाता व गाः शमु का दे शोपसगाः शमु नो भव तु.. (९) आकाश से गरती ई उ का से अपने थान से प तत होने वाले न हम शां त दान कर. श ु ारा हम मारने के न म कए गए अ भचार कम (जा टोने, टोटके) तथा पशा चयां हमारे उप व को शांत करने वाली ह . भू म खोद कर तथा हड् डी, केश आ द लपेट कर बनाई गई वष पु लकाएं हम शां त दे ने वाली ह . आकाश से गरने वाली उ काएं दे खने से जो अ न होता है, उसे उ काएं ही शांत कर. रा म होने वाले व न भी शांत ह . (९) शं नो हा ा मसाः शमा द य रा णा. शं नो मृ युधूमकेतुः शं ा त मतेजसः.. (१०) चं मंडल भेदक मंगल आ द ह हम शां त दान कर. रा के ारा सत सूय हमारी श का न म बने. मारक धूमकेतु हम शां त दे ने वाला हो. ती ण तेज वाले हम शां त दे ने वाले ह . (१०) शं ाः शं वसवः शमा द याः शम नयः. शं नो महषयो दे वाः शं दे वाः शं बृह प तः.. (११) , वायु, आ द य और अ न दे व हमारे लए शां त के कारण बन. अ तमान तेज वाले सात मह ष, इं आ द दे व और दे व के पुरो हत बृह प त हमारी शां त के कारण बन. (११) जाप तधाता लोका वेदाः स तऋषयो ऽ नयः. तैम कृतं व ययन म ो मे शम य छतु ा मे शम य छतु. व े मे दे वाः शम य छ तु सव मे दे वाः शम य छ तु.. (१२) स चदानंद ल ण वाला , जाप त, चार मुख वाले ा, सात लोक, अंग स हत चार वेद, सात ऋ ष तथा तीन अ नयां मुझे शां त दे ने वाली ह . इन सब ने मुझे व य यमन अथात् शां त दान क है. इं और ा मुझे सुख दान कर. व े दे व मुझे सुख दान कर तथा व े दे व मुझे सुख दान कर. (१२) या न का न च छा ता न लोके स तऋषयो व ः. सवा ण शं भव तु मे शं मे अ वभयं मे अ तु.. (१३) स त ऋ ष लोक म जन श य को जानते थे, वे सब मुझे सुख दे ने वाली ह , मुझे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सुख ा त हो तथा मुझे सभी से अभय मले. (१३) पृ थवी शा तर त र ं शा त ः शा तरापः शा तरोषधयः शा तवन पतयः शा त व े मे दे वाः शा तः सव मे दे वाः शा तः शा तः शा तः शा त भः. ता भः शा त भः सव शा त भः शमयामो ऽ हं य दह घोरं य दह ू रं य दह पापं त छा तं त छवं सवमेव शम तु नः.. (१४) पृ वी, अंत र , ुलोक, जल, ओष धयां, वन प तयां तथा सभी दे व हमारी अपे ा अ धक श ा त कर. सभी कार क इस शां त या म यहां जो भयानक और नदय फल है, उसे हम र करते ह. ये सभी शांत बन कर हम क याण दान कर. (१४)
सू -१०
दे वता—मं म बताए ए
शं न इ ा नी भवतामवो भः शं न इ ाव णा रातह ा. श म ासोमा सु वताय शं योः शं न इ ापूषणा वाजसातौ.. (१) हे इं और अ न! तुम अपनी र ा बु के ारा हमारे सकल ःख को र करने वाले बनो. यजमान के ारा ह व दए गए इं और व ण हमारे ःख को र कर. इं और सोम हम सुख दे ने के लए हमारा ःख नवारण कर. इं और पूषा दे व भयंकर यु म हमारे ःख , भय एवं रोग का शमन कर. (१) शं नो भगः शमु नः शंसो अ तु शं नः पुरं धः शमु स तु रायः. शं नः स य य सुयम य शंसः शं नो अयमा पु जातो अ तु.. (२) भग और नराशंस दे वता हमारा क याण करने वाले ह . हमारी बु और हमारा धन हम सुख दे ने वाले ह . शोभन संयम से यु स य वचन हमारे ःख नवारण और सुख दे ने के हेतु बन. सब से आरंभ म उ प अयमा दे व हम सुख द. (२) शं नो धाता शमु धता नो अ तु शं न उ ची भवतु वधा भः. शं रोदसी बृहती शं नो अ ः शं नो दे वानां सुहवा न स तु.. (३) सब का नमाण करने वाले ा तथा व ण दे व हम सुख दे ने वाले ह . पृ वी अ के साथ हमारे ःख का नवारण कर के सुख दे ने वाली बने. धाता, पृ वी एवं पवत हम सुख दान कर. दे वता क तु तयां हमारा क याण कर. (३) शं नो अ न य तरनीको अ तु शं नो म ाव णाव ना शम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शं नः सुकृतां सुकृता न स तु शं न इ षरो अ भ वातु वातः.. (४) जस के मुख म यो त है, ऐसी अ न हम सुख दे ने वाले ह . म , व ण और अ नीकुमार हमारे सुख के कारण बन. पु य कम करने वाल के उ म कम हम सुख दान कर. गमनशील वायु हमारे सुख के उ े य से चले. (४) शं नो ावापृ थवी पूव तौ शम त र ं शये नो अ तु. शं न ओषधीव ननो भव तु शं नो रजस प तर तु ज णुः.. (५) दे व के ारा सब से पहले तु त कए गए ावा और पृ वी हमारा क याण करने वाले ह . अंत र अथात् म यम लोक हमारी को सुख दे ने वाला हो. ओष धयां अथात् जड़ीबू टयां तथा वन के वृ हमारा क याण कर. लोक के पालनकता एवं जयशील इं हम सुख दान कर. (५) शं न इ ो वसु भदवो अ तु शमा द ये भव णः सुशंसः. शं नो ो े भजलाषः शं न व ा ना भ रह शृणोतु.. (६) वसु नाम के दे व के साथ इं हम सुख दान कर. शोभन तु तय वाले व ण आ द य दे व के साथ हमारा क याण कर. सुखकारी के साथ हम सुख द. व ा दे व सभी दे व प नय के साथ इस य म हम सुख दान करने वाले बन. (६) शं नः सोमो भवतु शं नः शं नो ावाणः शमु स तु य ाः. शं नः व णां मतयो भव तु शं नः व १: श व तु वे दः.. (७) नचोड़े गए सोम, तो तथा शंस वाले मं , सोमलता कुचलने के साधन प थर तथा य हमारा क याण कर. यूप के समूह हम सुख द. च और पुरोडाश बनाने म काम आने वाली तथा अ धकता से उ प होने वाली ओष धयां अथात जड़ीबू टयां हमारा क याण कर. य क वेद हम सुख दान करे. (७) शं नः सूय उ च ा उदे तु शं नो भव तु दश त ः. शं नः पवता ुवयो भव तु शं नः व धवः शमु स वापः.. (८) फैले ए तेज वाले सूय हम सुख दे ने के लए उदय ह . चार दशाएं, थर रहने वाले पवत, न दयां और जल हमारा क याण करने वाले ह . (८) शं नो अ द तभवतु ते भः शं नो भव तु म तः वकाः. शं नो व णुः शमु पूषा नो अ तु शं नो भ व ं श व तु वायुः.. (९) दे वमाता अ द त त के साथ हम सुख दे ने वाली ह . उ म तु तय वाले म त् हमारा क याण कर. व णु, पूषा, अंत र अथवा जल हम सुख दे ने वाले ह . वायु हमारा क याण ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करते ए चल. (९) शं नो दे वः स वता ायमाणः शं नो भव तूषसो वभातीः. शं नः पज यो भवतु जा यः शं नः े य प तर तु शंभुः.. (१०) भय से र ा करते ए स वता दे व हमारे सुख के कारण बन. सुंदर तीत होती ई उषाएं हमारा क याण कर. वृ करने वाले बादल हमारी जा अथात् पु और सेवक को सुख दे ने वाले ह . े के वामी शंभु हमारा क याण कर. (१०)
सू -११
दे वता—मं म कहे गए
शं नः स य य पतयो भव तु शं नो अव तः शमु स तु गावः. शं न ऋभवः सुकृतः सुह ताः शं नो भव तु पतरो हवेषु.. (१) स य का पालन करने वाले दे व हमारी शां त के कारण बन. घोड़े और गाएं हम शां त दे ने वाले ह . उ म कम करने वाले तथा शोभन हाथ वाले दे व हम सुख द. पतर हमारे तो अथवा मं को सुन कर सुख दे ने वाले ह . (१) शं नोः दे वा व दे वा भव तु शं सर वती सह धी भर तु. शम भषाचः शमु रा तषाचः शं नो द ाः पा थवाः शं नो अ याः.. (२) व े दे व एवं इं आ द दे व हम शां त दान कर. हमारी तु तय के साथ सर वती हम सुख दे ने वाली ह . य म चार ओर से आने वाले एवं दान के हेतु एक होने वाले दे वता हम शां त द. दे व, पृ वी पर उ प होने वाले मनु य, पशु आ द तथा आकाश म उड़ने वाले प ी हम सुख द. (२) शं नो अज एकपाद् दे वो अ तु शम हबु य १: शं समु ः. शं नो अपां नपात् पे र तु शं नः पृ भवतु दे वगोपा.. (३) ज म न लेने वाले तथा थावर जंगम प एक चरण वाले एकपाद दे व हम शां त दान कर. अ हबु य नाम के दे व एवं सागर हम सुख द. अपानपात नाम के दे व हम शां त दान कर तथा ःख से पार करने वाले ह . दे व जस क र ा करते ह, ऐसी पृ हमारी र ा करे. (३) आ द या ा वसवो जुष ता मदं यमाणं नवीयः. शृ व तु नो द ाः पा थवासो गोजाता उत ये य यासः.. (४) अ द त के पु दे व, एवं वसु हमारे कए गए इस नवीन तो को वीकार कर. द पा थव अथात् पृ वी पर उ प मनु य पशु, वृ आ द, पृ से उ प म त् नाम के दे व तथा य के यो य दे व हमारी र ा कर. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ये दे वानामृ वजो य यासो मनोयज ा अमृता ऋत ाः. ते नो रास तामु गायम यूयं पात व त भः सदा नः.. (५) दे वता के ऋ वज्, य कता, मनु के पु अथात् मनु य, अमृत व को ा त तथा स य न दे वता ह, वे आज हम अ धक य दान कर. हे दे वताओ! तुम क याणकारी र ा साधन से सदा हमारी र ा करो. (५) तद तु म ाव णा तद ने शं योर म य मदम तु श तम्. अशीम ह गाधमुत त ां नमो दवे बृहते सादनाय.. (६) हे म और व ण! हम कहा जाता आ फल ा त हो. भय एवं रोग से र ा करने वाला शंसनीय फल हम ा त हो. हम धन लाभ और त ा का अनुभव कर. वशाल एवं सभी दे व के नवास थान ुलोक को नम कार है. (६)
सू -१२
दे वता—उषा
उषा अप वसु तमः सं वतय त वत न सुजातता. अया वाजं दे व हतं सनेम मदे म शत हमाः सुवीराः.. (१) उषा आते ही अपनी बहन रा के अंधकार को र कर दे ती है. इस के प ात उषा लौ कक और वै दक माग को पूण प से खोलती है. इस उषा के ारा हम दे व ारा भली कार दए ए एवं हतकारी अ को ा त कर. कम करने म कुशल पु एवं पौ वाले हम सौ वष तक स ह . (१)
सू -१३
दे वता—इं
इ य बा थ वरौ वृषाणौ च ा इमा वृषभौ पार य णू. तौ यो े थमो योग आगते या यां जतमसुराणां व१यत्.. (१) इं क भुजाएं दे व से वैर करने वाले रा स पर वजय ा त करने वाली, थूल तथा अ भमत फल दे ने वाली ह. म अपने क याण के लए इन भुजा का पूजन करता ं. ये भुजाएं सब के ारा शंसनीय, सांड़ के समान सबल तथा श ु का हनन करने म समथ ह. परम ऐ य संप इं क दोन भुजाएं सभी उपासक के लए पूव न त है. म अ ा त क ा त अथात् योग और ा त के र ण अथात् ेम के लए इन क पूजा करता ं. इन भुजा ने वग के नवासी दे व को बाधा प ंचाने वाली सेना को परा जत कया है. (१) आशुः शशानो वृषभो न भीमो घनाघनः ोभण षणीनाम्. सं दनो ऽ न मष एकवीरः शतं सेना अजयत् साक म ः.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शी कारी, अपनी इ छा पूरी करने म संल न, सांड़ के समान भयंकर, श ु के हंता, मनु य को ु ध करने वाले, यु म श ु का आ ान करने वाले, आंख न झपकाने वाले, बना कसी सहायक के काय पूण करने वाले एवं वीर इं ने श ु क सौ सेना को एक साथ जीत लया था. (२) सं दनेना न मषेण ज णुना ऽ यो येन यवनेन धृ णुना. त द े ण जयत तत् सह वं युधो नर इषुह तेन वृ णा.. (३) यु
म श ु को लाने वाले, न मषहीन नयन वाले, जयशील, यु म हार करने वाले, ःख से वचल करने यो य, श ु का वार सहन करने वाले, धनुधारी तथा मनचाही वषा करने वाले इं क सहायता से हम वजय ा त हो. हे यो ाओ! उ ह इं क सहायता श ु को परा जत करे. (३) स इषुह तैः स नष भवशी सं ा स युध इ ो गणेन. संसृ जत् सोमपा बा श यु १ ध वा त हता भर ता.. (४) खड् ग धारण करने वाले एवं बाण धारण करने वाले इं अपने वीर अनुचर को श ु के सामने भेजते ह. इं यु क इ छा से आने वाले श ु पर इसी कार वजय ा त करते ह. सोमपान करने वाले इं श ु के समूह को जीतने वाले, बा बल से यु , भयंकर धनुष वाले एवं सर के शरीर पर मारे गए बाण से उन के संहारक ह. हे वीरो! तुम इस कार के इं क सहायता से जय ा त करो. (४) बल व ायः थ वरः वीरः सह वान् वाजी सहमान उ ः. अ भवीरो अ भष वा सहो ज जै म रथमा त गो वदन्.. (५) श ु के बल को जानने वाले, पुरातन, उ , बलवान वीर के वामी, परा जत करने क श वाले, वेगवान, श ु को अपमा नत करने वाले, श ु क सेना के वजेता एवं सर क गाय को अपनी जानने वाले हे इं ! तुम हमारी सहायता के लए अपने जयशील रथ पर बैठने यो य हो. (५) इमं वीरमनु हष वमु म ं सखायो अनु सं रभ वम्. ाम जतं गो जतं व बा ं जय तम म मृण तमोजसा.. (६) हे समान बु और कम वाले यो ाओ! तुम सब इस श ु को परा जत करने म समथ, वीर एवं उ इं को आगे कर के उ साह वाले बनो. श ु के वनाश के लए उ ोगशील इं के साथ तुम भी उ ोग करो. इं श ु के समूह के वजेता, श ु क गाय के वजेता एवं हाथ म व धारण करने वाले ह. इं श ु पर वजय ा त करने वाले एवं अपनी श से श ु क सेना का वनाश करने वाले ह. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ भ गो ा ण सहसा गाहमानो ऽ दाय उ ः शतम यु र ः. यवनः पृतनाषाडयो यो ३ माकं सेना अवतु यु सु.. (७) इं यु े म अपनी श से श ु सेना के सामने से वेश करने वाले, दयाहीन, ोध करने वाले एवं चंड परा मी ह. ये श ु क सेना को वश म कर लेते ह. कोई भी इ ह यु े से भगाने म समथ नह है. ये श ु सेना को परा जत करने वाले ह. इन से यु करने म कोई भी समथ नह है. इस कार के इं यु म हमारी सेना क र ा कर. (७) बृह पते प र द या रथेन र ोहा म ां अपबाधमानः. भ छ ून् मृण म ान माकमे य वता तनूनाम्.. (८) हे दे व का पालन करने वाले बृह प त! तुम रथ म बैठ कर यु म सभी ओर गमन करो. तुम रा स का वध करने वाले एवं श ु को बाधा प ंचाने वाले हो. तुम श ु को सभी ओर से न करते ए एवं उन क हसा करते ए हमारे शरीर के र क बनो. (८) इ एषां नेता बृह प तद णा य ः पुर एतु सोमः. दे वसेनानाम भभ तीनां जय तीनां म तो य तु म ये.. (९) हमारे श ु को सामने से न करने के लए वजय ा त करने वाली दे व सेना के इं नेता ह. बृह प त इन दे व सेना क द ण दशा म चल. य और सोम इन के आगे चल तथा म द्गण इन सेना के म य भाग म गमन कर. (९) इ य वृ णो व ण य रा आ द यानां म तां शध उ म्. महामनसां भुवन यवानां घोषो दे वानां जयतामुद थात्.. (१०) कामना को पूण करने वाले अथवा नरंतर श क वषा करने वाले इं , श ु को यु भू म से भगाने वाले व ण, म द्गण तथा आ द य श ु को वश म करने वाली श स हत कट ह . आ द य श ु को इस लोक से भी र भगाने म समथ ह. वे श ु पर वजय ा त कर. सभी दे व क जय व न उठे . (१०) अ माक म ः समृतेषु वजे व माकं या इषव ता जय तु. अ माकं वीरा उ रे भव व मान् दे वासो ऽ वता हवेषु.. (११) वजा वाले सं ाम के ा त होने पर इं हमारे र क ह . हमारे बाण श ु पर वजय ा त कर. हमारे वीर उ र दशा म अथवा उ म थ त म ह . हे दे वो! आप सब भी सं ाम म हमारी र ा करो. (११)
सू -१४
दे वता— ावा पृ वी
इदमु े यो ऽ वसानमागां शवे मे ावापृ थवी अभूताम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
असप नाः
दशो मे भव तु न वै वा
मो अभयं.. (१)
म ने े फल के प म अपने ल य को ा त कर लया है. ावा और पृ वी मुझे उ म फल दे ने वाले ह . पूव आ द उ म दशाएं मेरे लए श ु र हत ह . हे वरोधी! म तुझ से े ष न क ं , इस लए मुझे अभय ा त हो. (१)
सू -१५
दे वता—इं एवं मं म कहे गए
यत इ भयामहे ततो नो अ रं कृ ध. मघव छ ध तव वं न ऊ त भ व षो व मृधो ज ह.. (१) हे अभय करने वाले इं ! हम भयभीत ह. इस लए हमारे भय के कारण उप व को समा त कर के हम भय र हत बनाइए. हे धनवान इं ! तुम अपने र ा साधन से हमारी र ा करने के लए समथ बनो. तुम हमारे श ु को न करो तथा हमारे श ु संबंधी सं ाम म हम वजयी बनाओ. (१) इ ं वयमनूराधं हवामहे ऽ नु रा या म पदा चतु पदा. मा नः सेना अर षी प गु वषूची र हो व नाशय.. (२) सब अपनेअपने काय क स के लए इं से ही ाथना करते ह. हम म के अनुसार पूजनीय इं का आ ान करते ह. इं क कृपा से हम दो पैर वाले सेवक तथा चार पैर वाले पशु से संप बन. हमारे मन चाहे फल म बाधा डालने वाली श ुसेनाएं हमारे सामने न आएं. हे इं ! सब थान पर फैली ई श ु सेना का नाश करो. (२) इ ातोत वृ हा पर फानो वरे यः. स र ता चरमतः स म यतः स प ात् स पुर ता ो अ तु.. (३) वृ असुर का अथवा जल रोकने वाले मेघ का वध करने वाले इं हमारे र क ह . वरण करने यो य इं श ु से हमारी र ा करने वाले ह. वे ही इं अंत म, म य म, पीछे और आगे हमारी र ा करने वाले ह . (३) उ ं नो लोकमनु ने ष व ा व१य यो तरभयं व त. उ ा त इ थ वर य बा उप येम शरणा बृह ता.. (४) हे इं ! तुम सब कुछ जानते हो. तुम हम इहलोक और व तृत वगलोक का सुख ा त कराओ. वग को ा त करने वाला काश हम भय र हत कर के सुख दान करे. हे इं ! तुम महान हो. श ु का संहार करने म समथ, श ु से र ा करने वाली एवं वशाल आप क भुजा क हम शरण म जाते ह. (४) अभयं नः कर य त र मभयं ावापृ थवी उभे इमे. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अभयं प ादभयं पुर ता
रादधरादभयं नो अ तु.. (५)
अंत र अथात् म यमलोक हम अभय दान करे. ये दोन ावा और पृ वी हम अभय दान कर. पीछे से, आगे से, ऊपर से तथा नीचे से हम अभय ा त हो. (५) अभयं म ादभयम म ादभयं ातादभयं पुरो यः. अभयं न मभयं दवा नः सवा आशा मम म ं भव तु.. (६) हम म से तथा श ु से अभय ा त हो. हम य और परो जन से भयभीत न ह . दन म और रात म हम अभय ा त हो. सभी दशाएं मेरे लए म के समान हत करने वाली ह . (६)
सू -१६
दे वता—मं म कहे गए
असप नं पुर तात् प ा ो अभयं कृतम्. स वता मा द णत उ रा मा शचीप तः.. (१) हे सब के रे क स वता दे व! पूव दशा म हम श ु र हत बनाओ तथा प म दशा को भी हमारे श ु से शू य कर दो. स वता दे व उ र दशा म तथा शची के प त इं द ण दशा म मेरी र ा कर. (१) दवो मा द या र तु भू या र व नयः. इ ा नी र तां मा पुर ताद ना— व भतः शम य छताम्. तर ीन या र तु जातवेदा भूतकृतो मे सवतः स तु वम.. (२) आ द य अथात् अ द त के पु सभी दे व ुलोक म मेरी र ा कर. भू म संबंधी उप व से तीन अ नयां मेरी र ा कर. इं और अ न पूव दशा म मेरी र ा कर. सूय के पु एवं दे व के वै अ नीकुमार सभी ओर से मुझे सुख दान कर. जातवेद अ न सभी दशा म मेरी र ा कर. भूत और पशाच क र ा करने वाले दे व सभी ओर से हमारी र ा कर. (२)
सू -१७
दे वता—मं म कहे गए
अ नमा पातु वसु भः पुर तात् त मन् मे त म ये तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (१) पृ वी थानीय दे व अ न वसु नाम वाले दे व के साथ पूव दशा म मेरी र ा कर. वे पैर रखने क या म और पैर रखने के थान म मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा कर, जहां म जाऊं एवं वे मेरा हत साधन कर. म सभी कार से र क अ न के त समपण ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करता ं. यह ह व अ न को ा त हो. (१) वायुमा त र ेणैत या दशः पातु त मन् मे त म ये मे तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (२) अंत र के थायी दे वता वायु अंत र म एवं पूव दशा म मेरी र ा कर. वे पैर रखने क या म और पैर रखने के थान म मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा कर, जहां म जाऊं एवं वे मेरा हत साधन कर. म वायु के त आ म समपण करता ं. यह ह व वायु को ा त हो. (२) सोमो मा ै द णाया दशः पातु त मन् मे त म ये तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (३) सोम दे वता नाम के दे व के साथ मल कर द ण दशा म मेरी र ा कर. वे पैर रखने क या म एवं पैर रखने के थान म मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा कर, जहां म जाऊं. वे मेरा हत साधन कर. म सोम के त आ म समपण करता ं. यह ह व सोम को ा त हो. (३) व णो मा द यैः रेत या दशः पातु त मन् मे त म ये तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (४) व ण आ द य के साथ मल कर द ण दशा म मेरी र ा कर. वे पैर रखने क या म एवं पैर रखने के थान म मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा कर एवं मेरा हत साधन कर, जहां म जाऊं. म व ण के त आ म समपण करता ं. यह ह व व ण को ा त हो. (४) सूय मा ावापृ थवी यां ती या दशः पातु त मन् मे त म पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (५)
ये तां
सूय दे वता ावा और पृ वी के साथ प म दशा म मेरी र ा कर. वे पैर रखने क या म एवं पैर रखने के थान म मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा एवं मेरा हत साधन कर, जहां म जाऊं. म सूय दे व के त आ म समपण करता ं. यह ह व सूय को ा त हो. (५) आपो मौषधीमतीरेत या दशः पा तु मे तासु ये तां पुरं ै म. त् मा र तु स तु मा गोपायता त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (६) जल ओष धय अथात् जड़ीबू टय वाली प म दशा म मेरी र ा कर. वे मेरी पैर रखने ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क या म एवं पैर रखने के थान म मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा एवं मेरा हत साधन कर, जहां म जाऊं. म वायु दे व के त आ म समपण करता ं. यह ह व जल को ा त हो. (६) व कमा मा स तऋ ष भ द याः दशः पातु त मन् मे त म तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (७)
ये
व कमा स त ऋ षय के साथ उ र दशा म मेरी र ा कर. वे मेरी पैर रखने क या म एवं थान म र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा और हत साधन कर, जहां म जाऊं. म व कमा के त आ मसमपण करता ं. यह ह व व कमा को ा त हो. (७) इ ो मा म वानेत या दशः पातु त मन् मे त म ये तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (८) म त से यु इं उ र दशा म मेरी र ा कर. वे मेरी पैर रखने क या म एवं पैर रखने के थान पर मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा और मेरा हत साधन कर, जहां म जाऊं. म इं के त आ मसमपण करता ं. यह ह व इं को ा त हो. (८) जाप तमा जननवा सह त या ुवाया दशः पातु त मन् त म ये तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (९)
मे
सव जगत् को उ प करने के साधन वाले जाप त त ा के साथ भू म क दशा म मेरी र ा कर. वे मेरी पैर रखने क या म एवं पैर रखने के थान म मेरी र ा कर. वे उस नगर म मेरी र ा और मेरा हत साधन कर, जहां म जाऊं. म जाप त के त आ मसमपण करता ं. यह ह व जाप त को ा त हो. (९) बृह प तमा व ैदवै वाया दशः पातु त मन् मे त म ये तां पुरं ै म. स मा र तु स मा गोपायतु त मा आ मानं प र ददे वाहा.. (१०) बृह प त व े दे व के साथ ऊपर क दशा म मेरी र ा कर. वे मेरी पैर रखने क या म तथा पैर रखने के थान म मेरी र ा करे. वे उस नगर म मेरी र ा और मेरा हत साधन कर, जहां म जाऊं. म बृह प त के त आ मसमपण करता ं. यह आ त बृह प त के लए हो. (१०)
सू -१८
दे वता—मं म कहे गए
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अ नं ते वसुव तमृ छ तु. ये माघा ऽ यवः ा या दशो ऽ भदासात्.. (१) जो मेरी हसा पी पाप क इ छा करते ह, वे पूव दशा से आ कर रा क पूजा करने वाले मुझे कसी कार ह सत न कर. वे श ु अपने वनाश के लए वसु नामक दे व वाली अ न के पास जाएं. (१) वायुं ते ३ त र व तमृ छ तु. ये माघायव एत या दशो ऽ भदासात्.. (२) सर क हसा करने के इ छु क जो श ु पूव दशा से आ कर रा क पूजा करने वाले मेरी हसा कर, वे श ु अपने वनाश के लए अंत र अ ध ान वाली वायु को ा त ह . (२) सोमं ते (३)
व तमृ छ तु. ये माघा ऽ यवो द णाया दशो ऽ भदासात्..
सर क हसा करने के इ छु क जो श ु द ण दशा से आ कर रा क पूजा करने वाले मेरी हसा कर, वे श ु अपने वनाश के लए का सहयोग ा त करने वाले सोम को ा त ह . (३) व णं त आ द यव तमृ छ तु. ये माघायव एत या दशो ऽ भदासात्.. (४) जो सर क हसा करने क इ छा वाले श ु ह, वे द ण दशा म आ कर रा क पूजा करने वाले मेरी हसा कर. वे अपने वनाश के लए आ द य का सहयोग ा त करने वाले व ण को ा त ह . (४) सूय ते ावापृ थवीव तमृ छ तु. ये माघायव ती या दशो ऽ भदासात्.. (५) सर क हसा करने के इ छु क जो श ु ह, वे प म दशा से आ कर रा क पूजा करने वाले मेरी हसा कर, वे अपने वनाश के लए ावा पृ वी का सहयोग ा त करने वाले सूय को ा त ह . (५) अप त ओषधीमतीऋ छ तु. ये माघायव एत या दशो ऽ भदासात्.. (६) सर क हसा करने के इ छु क जो श ु ह, वे प म दशा से आ कर रा क उपासना करने वाले मेरी हसा कर, वे अपने वनाश क ओष धय अथात् जड़ीबू टय का सहयोग ा त करने वाले जल को ा त ह . (६) व कमाणं ते स तऋ षव तमृ छ तु. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ये माघायव उद या दशो ऽ भदासात्.. (७) सर क हसा करने के इ छु क जो श ु ह, वे उ र दशा से आ कर रा क अचना करने वाले मेरी हसा कर, वे स त ऋ षय का सहयोग ा त करने वाले व कमा को अपने वनाश के हेतु ा त ह . (७) इ ं ते म व तमृ छ तु. ये माघायव एत या दशो ऽ भदासात्.. (८) सर क हसा करने के इ छु क जो श ु उ र दशा से आ कर रा क अचना करने वाले मेरी हसा कर, वे म त का सहयोग ा त करने वाले इं को अपने वनाश के लए ा त ह . (८) जाप त ते जननव तमृ छ तु. ये माघा ऽ यवा भदासात्.. (९)
ुवाया दशो ऽ
सर क हसा करने के इ छु क जो श ु पृ वी क दशा से आ कर रा क अचना करने वालो मेरी हसा करे, वे अपने वनाश के लए जनन म समथ जाप त को ा त ह . (९) बृह प त ते व दे वव तमृ छ तु. ये माघा ऽ यव ऊ वाया दशो ऽ भदासात्.. (१०) सर क हसा के इ छु क जो श ु ऊपर क दशा से आ कर मुझ रा क अचना करने वाले क हसा कर, वे अपने वनाश के लए व े दे व से यु बृह प त को ा त ह . (१०)
सू -१९
दे वता—मं म कहे गए
म : पृ थ ोद ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (१) म नाम वाले अ न जस पुर क र ा के लए पृ वी से उठते ह, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ं. वह पुर तुम को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (१) वायुर त र ेणोद ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (२) वायु अंत र अथात् म यम लोक से जस पुर क र ा के लए अंत र से उठते ह, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ं. वह पुर तुम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (२) सूय दवोद ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (३) सूय ुलोक अथात् अपने नवास थान से जस पुर क र ा के लए उठते ह. उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा स हत वेश कराता ,ं वह पुर तुम को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (३) च मा न ै द ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (४) चं मा न के साथ जस पुर क र ा के लए उदय होता है, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ं. वह पुर तुम को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (४) सोम ओषधी भ द ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (५) सोम ओष धयां अथात् जड़ीबू टय के साथ जस पुर क र ा के लए कट होते ह, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ं, वह पुर तुम को सुख और कवच अथात र ा दान करे. (५) य ो द णा भ तामा वशत तां
ामत् तां पुरं णया म वः. वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (६)
य द णा के साथ जस पुर क र ा के लए कट आ है, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ं. वह पुर तुम को सुख और कवच अथात र ा दान करे. (६) समु ो नद भ द ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (७) सागर न दय के साथ जस पुर क र ा के लए उ त आ है, उस शैया यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ,ं वह पुर तु ह सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (७) चा र भ द ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वे अथात् वेद चा रय स हत जस पुर क र ा के लए कट ए ह, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ,ं वह पुर तुम को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (८) इ ो वीय ३ णोद ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (९) इं अपने श शाली बा के ारा जस पुर क र ा को उ त होते ह, उस शैया यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ,ं वह पुर तुम को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (९) दे वा अमृतेनोद ा तां पुरं णया म वः. तामा वशत तां वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (१०) सभी दे व अमृत के साथ जस पुर क र ा के लए त पर रहते ह, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा के साथ वेश कराता ं, वह पुर तुम को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (१०) जाप तः जा भ द ामत् तां पुरं णया म वः. तामा वशत तं वशत सा वः शम च वम च य छतु.. (११) जाप त ने मनु य आ द के साथ जस पुर क र ा क है, उस श या यु पुर म म तुझ राजा को प नी और जा स हत वेश कराता ,ं वह पुर तुझ को सुख और कवच अथात् र ा दान करे. (११)
सू -२०
दे वता—मं म कहे गए
अप यधुः पौ षेयं वधं य म ा नी धाता स वता बृह प तः. सोमो राजा व णो अ ना यमः पूषा ऽ मान् प र पातु मृ योः.. (१) श ु पु ष ारा गु त प से हमारे व जो मृ यु साधन कया गया है, उस म इं , अ न, धाता, स वता, बृह प त, सोम, व ण, अ नीकुमार, यम और पूषा हमारे कवचधारी राजा क र ा कर. (१) या न चकार भुवन य य प तः जाप तमात र ा जा यः. दशो या न वसते दश ता न मे वमाण ब ला न स तु.. (२) सभी ा णय के पालनकता जाप त ने मनु य, पशु आ द जा क र ा के लए जो कवच बनाए ह तथा सभी दशाएं, दशाएं तथा अवंतर दशाएं जन कवच को र ा के लए धारण करती ह, वे कवच मुझ यु करने के इ छु क के लए अ धक सं या म ा त ह . ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(२) यत् ते तनू वन त दे वा ुराजयो दे हनः. इ ो य च े वम तद मान् पातु व तः.. (३) वगलोक म वराजमान शरीरधारी दे व ने असुर से यु करते समय अपने शरीर क र ा के लए जन कवच को धारण कया था, इं ने भी जस कवच को पहना था, वह कवच यु करने के लए उ त हमारी सभी ओर से र ा करे. (३) वम मे ावापृ थवी वमाहवम सूयः. वम मे व े दे वाः न् मा मा ापत् ती चका.. (४) ावा पृ वी, अ न एवं सूय मुझ यु करने के इ छु क को र ा करने वाला कवच दान करे. हमारे अथवा हमारे राजा के समीप श ु सेना गु त प से न प ंच सके. (४)
दे वता—इं
सू -२१ गाय यु १ णुगनु ु ब् बृहती पङ् गाय ी, उ णक, अनु ु प, बृहती, पं आ त भलीभां त ा त हो. (१)
ु ब् जग यै.. (१) ,
सू -२२
ु प तथा जगती् नाम के छं द के लए यह
दे वता—मं म कहे गए
आ रसानामा ैः प चानुवाकैः वाहा.. (१) आं गरस अथात् अं गरा गो वाले ऋ षय के लए आरंभ के पांच अनुवाक के ारा यह आ त भलीभां त ा त हो. (१) ष ाय वाहा.. (२) ष अथात छठे के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (२) स तमा मा यां वाहा.. (३) सातव और आठव के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (३) नीलनखे यः वाहा.. (४) नीले नाखून वाल के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह रते यः वाहा.. (५) ह रत नाम के ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (५) ु े यः वाहा.. (६) ु
अथात् तु छ
य के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (६)
पया यके यः वाहा.. (७) (७)
पया यक अथात् पया यक नाम वाले ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. थमे यः शङ् खे यः वाहा.. (८) थम शंख नाम के ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (८) तीये यः शङ् खे यः वाहा.. (९) तीय शंख नाम के ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (९) तृतीये यः शङ् खे यः वाहा.. (१०) तीसरे शंख नाम के ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (१०) उपो मे यः वाहा.. (११)
(११)
उपो म अथात् उ म के समीपवत ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. उ मे यः वाहा.. (१२) उ म ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (१२) उ रे यः वाहा.. (१३) उ रवत अथात् बाद म होने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१३) ऋ ष यः वाहा.. (१४) ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१४) श ख यः वाहा.. (१५)
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श ख नाम के ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (१५) गणे यः वाहा.. (१६) गण के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (१६) महागणे यः वाहा.. (१७) महागण के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (१७) सव योऽ रो यो वदगणे यः वाहा.. (१८) सभी व ान् अं गरा गण के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (१८) पृथ सह ा यां वाहा.. (१९) पृथक् और सह ऋ षय के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (१९) णे वाहा.. (२०) ा के लए यह आ त भलीभां त ा त हो. (२०) ये ा संभृता वीया ण ा े ये ं दवमा ततान. भूतानां ा थमोत ज े तेनाह त णा प धतुं कः.. (२१) ा जन ऋ षय म ये अथात् बड़े ह, उन ऋ षय ने जो वीर कम कए, वे ही सब से े ह, इस से सृ के आ द म ये ने ुलोक का व तार कया. ा सभी ा णय से पहले उ प ए. उन ा से पधा करने के लए कौन दे व अथवा मनु य समथ है. (२१)
दे वता—मं म कहे गए
सू -२३ आथवणानां चतुऋचे यः वाहा.. (१) आथवण क पांच ऋचा को अथात् इन ऋचा यह आ त भलीभां त ा त हो. (१)
क रचना करने वाले ऋ षय को
प चच यः वाहा.. (२) पांच ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२)
षडृ चे यः वाहा.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
छह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (३)
स तच यः वाहा.. (४) सात ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (४)
अ च यः वाहा.. (५) आठ ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (५)
नवच यः वाहा.. (६) नौ ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (६)
दशच यः वाहा.. (७) दस ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (७)
एकादशच यः वाहा.. (८) यारह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (८)
ादशच यः वाहा.. (९) बारह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (९)
योदशच यः वाहा.. (१०) तेरह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१०)
चतुदशच यः वाहा.. (११) चौदह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (११)
प चदशच यः वाहा.. (१२) पं ह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१२)
षोडशच यः वाहा.. (१३) (१३)
सोलह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो.
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स तदशच यः वाहा.. (१४) स ह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१४)
अ ादशच यः वाहा.. (१५) (१५)
अठारह ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो.
एकोन वश तः वाहा.. (१६) (१६)
उ ीस ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो.
वश तः वाहा.. (१७) बीस ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१७)
मह का डाय वाहा.. (१८) बीस कांड वाले अथात् बीस कांड क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१८) तृचे यः वाहा.. (१९) तीन ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (१९)
एकच यः वाहा.. (२०) एक ऋचा क रचना करने वाले ऋ षय क यह आ त भलीभां त ा त हो. (२०) ु े यः वाहा.. (२१) (२१)
यजुवद के मं
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो.
एकानृचे यः वाहा.. (२२) आधी ऋचा
क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२२)
रो हते यः वाहा.. (२३) रो हत आ द कांड क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(२३) सूया यां वाहा.. (२४) सूया नाम क दो ऋ ष प नय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२४) ा या यां वाहा.. (२५) ा य नाम के दोन ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२५) ाजाप या यां वाहा.. (२६) जाप त के पु दो ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२६) वषास ै वाहा.. (२७) स ह कांड क रचना करने वाले ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२७) म लके यः वाहा.. (२८) मांग लक नाम के ऋ षय को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२८) णे वाहा.. (२९) ा को यह आ त भलीभां त ा त हो. (२९) ये ा संभृता वीया ण ा े ये ं दवमा ततान. भूतानां ा थमोत ज े तेनाह त णा प धतुं कः.. (३०) ा जन ऋ षय म ये अथात् बड़े ह. उन ऋ षय ने जो वीर कम कए. सब म यही े है, इस से सृ के आ द म ा ने ुलोक अथात वग का व तार कया. ा सभी ा णय से पहले उ प ए. उन ा से कौन दे व तथा मनु य पधा कर सकता है. (३०)
सू -२४
दे वता—मं म कहे गए
येन दे वं स वतारं प र दे वा अधारयन्. तेनेमं ण पते प र रा ाय ध न.. (१) इं आ द दे व ने सब के ेरक आ द दे व को जस कारण चार ओर से घेर लया था. उस कारण से हे श ु वनाशकता ण प त! महा शां त का योग करने वाले इस यजमान को राजा बनाओ. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
परीम म मायुषे महे ाय ध न. यथैनं जरसे याज् योक् े ऽ ध जागरत्… (२) हे परम ऐ य संप इं ! मुझ साधक को आयु और महान बल लाभ करने के लए था पत करो. चरकाल तक बाधा न करने वाला बल ा त होने पर यह शां तकता यजमान जागृत रहे. इसे वृ ाव था को ा त कराओ. (२) परीमं सोममायुषे महे ो ाय ध न. यथैनं जरसे याज् योक् ोते ऽ ध जागरत्.. (३) हे सोम! शां तकता मुझ यजमान को चरकालीन जीवन के लए तथा इं य से सा य उपदान आ द काय के लए सभी ओर से धारण करो. चरकाल तक सभी इं यां स य रहने पर यह शां तकता यजमान जागृत रहे. इसे वृ ाव था को ा त कराओ. (३) प र ध ध नो वचसेमं जरामृ युं कृणुत द घमायुः. बृह प तः ाय छद् वास एतत् सोमाय रा े प रधातवा उ.. (४) हे दे वो! इस चारी को व धारण कराओ. हमारे इस चारी को तेज से पो षत करो. वृ ाव था ही इसक मृ यु करने वाली हो. इसे ऐसी द घ आयु वाला बनाओ. बृह प त ने यह व राजा सोम को धारण करने के हेतु दया था. (४) जरां सु ग छ प र ध व वासो भवा गृ ीनाम भश तपा उ. शतं च जीव शरदः पु ची राय पोषमुपसं य व.. (५) हे शां त यो ा! तुम वृ ाव था को ा त करो. तुम इस व को धारण करो. तुम गाय को हसा के भय से बचाने वाले बनो. तुम अनेक कार के पु पौ को ा त करने वाली सौ शरद् ऋतु तक जी वत रहो. तुम धन और पु धारण करो. (५) परीदं वासो अ धथाः व तये ऽ भूवापीनाम भश तपा उ. शतं च जीव शरदः पु चीवसू न चा व भजा स जीवन्.. (६) हे शां तकता यजमान! तुम ने यह व ेम अथात् पा क र ा के लए धारण कया है. इस व को धारण कर के तुम गाय को चमड़ा उतारने के भय से र ा करने वाले बनो. तुम अनेक कार के पु पौ को ा त कराने वाली सौ शरद् ऋतु तक जी वत रहो. सौ वष तक जी वत रहने वाले तुम सुंदर व से सुशो भत रहो तथा धन को पु , म आ द म वभा जत करो. (६) योगेयोगे तव तरं वाजेवाजे हवामहे. सखाय इ मूतये.. (७) हम तु तकता सभी अ ा त फल क
ा त होने पर तथा अ ा द क
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ा त होने पर
इं दे व को अपनी र ा के लए बुलाते ह. (७) हर यवण अजरः सुवीरो जरामृ युः जया सं वश व. तद नराह त सोम आह बृह प तः स वता त द ः.. (८) हे यजमान! तू सोने के समान कां त वाला, जरा र हत, कम करने म कुशल पु वाला तथा वृ ाव था से ही मृ यु ा त करने वाला हो कर अपने घर म नवास करे. अ न इस सू म कहे गए अथ से प र चत ह. यही सोम दे व ने कहा है. बृहत् प त, स वता और इं ने भी यही कहा है. (८)
सू -२५
दे वता—वाजी
अ ा त य वा मनसा युन म थम य च. उ कूलमु हो भवो त धावतात्.. (१) हे अ ! म तुझे श ु सेना पर आ मण करने म भी न थकने वाला तथा सृ के आ द म उ प घोड़े के मन से यु करता ं. शरीर क ढ़ता, शी गमन तथा श ु सेना को परा जत करने वाली साम य वाले तुम गव ले बनो. जस कार स रता का वाह तट को न कर के चलता है, उसी कार तुम भी यु के लए तुत हो. इस कार के अ से म मन चाहे फल ा त क ं . हे अ ! तुम जीतने यो य थान क ओर शी दौड़ो. (१)
सू -२६
दे वता—अ न
अ नेः जातं प र य र यममृतं द े अ ध म यषु. य एनद् वेद स इदे नमह त जरामृ युभव त यो बभ त.. (१) अ न से उ प वण तथा मरणधमा मनु य म अमृत अथात् आ मा के प म ा त सुवण के प को जानने वाला पु ष ही वण को धारण करने का अ धकारी है. इस सुवण का आभूषण जो धारण करता है, वह वृ ाव था म मृ यु को ा त करता है. (१) य र यं सूयण सुवण जाव तो मनवः पूव ई षरे. तत् वा च ं वचसा सं सृज यायु मान् भव त यो बभ त.. (२) ावान मनु ने सूय से उ प जस सुवण को ा त कया था, मनु य ारा धारण कया गया वह सुवण स ता प ंचाने वाले तेज से तु ह संयु करे. जो पु ष इस सुवण को धारण करता है, वह चरजीवी होता है. (२) आयुषे वा वचसे वौजसे च बलाय च. यथा हर यतेजसा वभासा स जनाँ अनु.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे वण को धारण करने वाले पु ष! चं मा उस वण को तु हारे बल, लाभ एवं तेज ा त करने के लए नमाण करे. जस कार वण तेज से भा वर होता है, उसी कार तुम भी मनु य को ल य कर के सुशो भत बनो. (३) यद् वेद राजा व णो वेद दे वो बृह प तः. इ ो यद् वृ हा वेद तत् त आयु यं भुवत् तत् ते वच यं भुवत्.. (४) जस वण को तेज वी व ण दे व जानते ह तथा बृह प त दे व जानते ह, वह वण तु हारी आयु बढ़ाने वाला हो तथा तेज दान करने वाला हो. (४)
सू -२७
दे वता— ववृत
गो भ ् वा पा वृषभो वृषा वा पातु वा ज भः. वायु ् वा णा पा व वा पा व यैः.. (१) हे ववृत नाम क म ण धारण करने वाले पु ष! सांड़ गाय के साथ तु हारी र ा करे तथा जनन करने म समथ अ घोड़ के साथ तु हारी र ा करे. अंत र म वचरण करने वाले वायु दे वता य ल ण वाले कम के ारा तु हारी र ा कर. इं दे वता इं य के साथ तु हारी र ा कर. (१) सोम वा पा वोषधी भन ैः पातु सूयः. माद् य वा च ो वृ हा वातः ाणेन र तु.. (२) ओष धय अथात् जड़ीबू टय के राजा सोम ओष धय क सहायता से तु हारी र ा कर. सूय दे व न क सहायता से तु हारी र ा कर. महीन क सहायता से चं मा, वृ अथात् आवरण करने वाले अंधकार का नाश करने वाले इं एवं ाण वायु क सहायता से वायु दे व तु हारी र ा कर. (२) त ो दव त ः पृ थवी ी य त र ा ण चतुरः समु ान्. वृतं तोमं वृत आप आ ता वा र तु वृता वृ .. (३) तीन ुलोक, तीन पृ वयां, तीन अंत र अथात् म यम लोक, चार सागर, वृत नाम के तीन कार के तो तथा तीन कार के जल ये—सभी वृत नाम क म ण के साथ तु हारी र ा कर. (३) ी ाकां ीन् समु ां ीन् नां ीन् वै पान्. ीन् मात र न ी सूयान् गो तॄन् क पया म ते.. (४) हे हर य! रजत और लोहे क तीन कार क म ण धारण करने वाले पु ष! म तीन आकाश , तीन समु , तीन आ द य , तीन भुवन , तीन वायु तथा तीन वग को तेरा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
र क नयु
करता ं. (४)
घृतेन वा समु ा य न आ येन वधयन्. अ ने य सूय य मा ाणं मा यनो दभन्.. (५) हे अ न! म होम के साधन घृत से तु ह बढ़ाता आ तु ह घी से स चता ं. घृत के कारण वृ ा त अ न क , चं क एवं सूय क कृपा से हे वृत म ण धारण करने वाले पु ष! तेरे ाण का अपहरण रा स न कर. (५) मा वः ाणं मा वो ऽ पानं मा हरो मा यनो दभन्. ाज तो व वेदसो दे वा दै ेन धावत.. (६) हे पु ष! तु हारे ाण क हसा मायवी रा स न कर. तु हारी अपान वायु क हसा मायावी रा स न कर. हे अ न, चं आ द दे वो! का शत होते ए सभी ानी दे व संबंधी रथ आ द साधन से हमारी ाण र ा के लए दौड़ कर आएं. (६) ाणेना नं सं सृज त वातः ाणेन सं हतः. ाणेन व तोमुखं सूय दे वा अजनयन्.. (७) पु ष मुख म थत ाण वायु से अ न को संयु करता है. इस लए ाण क र ा करनी चा हए. बाहरी वायु मुख म थत ाण वायु से मलती है. इं आ द दे व ने ाण वायु से सव काश करने वाले सूय को उ प कया है. (७) आयुषायुः कृतां जीवायु मान् जीव मा मृथाः. ाणेना म वतां जीव मा मृ यो दगा वशम्.. (८) हे म णधारक पु ष! सर क आयु क वृ करने वाले ाचीन मह ष तप आ द के ारा चरकाल तक जी वत रहते थे. उन के ारा जी वत आयु से तुम जी वत रहो एवं मृ यु को ा त मत करो. थर आ मा वाल के ाण से तुम जी वत रहो तथा मृ यु के वश म मत जाओ. (८) दे वानां न हतं न ध य म ो ऽ व व दत् प थ भदवयानैः. आपो हर यं जुगुपु वृ ता वा र तु वृता वृ ः.. (९) सुर त प से था पत दे व के जस हर य नाम के धन को इं ने दे व के गमन पर चल कर ा त कया था, उस को तीन कार के जल ने तीन कार के साधन से सुर त कया. ये तीन कार के जल, वण, रजत और लोहे के तीन प के ारा तु हारी र ा कर. (९) य
ंशद् दे वता ी ण च वीया ण
यायमाणा जुगुपुर व१ तः.
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अ मं
ेअधय
र यं तेनायं कृणवद् वीया ण.. (१०)
ततीस दे वा ने का यक, वा चक तथा मान सक तीन कार के साम य से स होते ए जल म वण को सुर त रखा था. इस चं मा म जो वण है, उस से यह वृत नाम क म ण ततीस दे व के तीन बल के समान म णधारक पु ष म धारण करे. (१०) ये दे वा द ेकादश थ ते दे वासो ह व रदं जुष वम्.. (११) जो आ द य नाम के दे व सेवन कर. (११)
ुलोक म एकादश ह, वे इस हवन कए जाते ए ह व का
ये दे वा अ त र एकादश थ ते दे वासो ह व रदं जुष वम्.. (१२) जो आ द य नाम के दे व अंत र जाते ए ह व का सेवन कर. (१२)
अथात म य भाग म एकादश ह, वे इस हवन कए
ये दे वाः पृ थ ामेकादश थ ते दे वासो ह व रदं जुष वम्.. (१३) जो आ द य नाम के दे व पृ वी पर एकादश ह, वे इस हवन कए जाते ए ह व का सेवन कर. (१३) असप नं पुर तात् प ा ो अभयं कृतम्. स वता मा द णत उ रा मा शचीप तः. (१४) अ न और स वता नाम के दो दे व पूव दशा को श ु से र हत बनाएं तथा प म दशा को भय र हत बनाएं. स वता द ण दशा म तथा शचीप त इं उ र दशा म मेरी र ा कर. (१४) दवो मा द या र तु भू या र व नयः… इ ा नी र तां मा पुर ताद नाव भतः शम य छताम्. तर ीन या र तु जातवेदा भूतकृतो मे सवतः स तु वम.. (१५) आ द य अथात् सूय मेरी ुलोक से र ा कर. अ न मेरी भू म से र ा कर. इं और अ न सामने से मेरी र ा कर. अ नीकुमार मुझे चार ओर से सुख दान कर. हसा र हत अ न तरछ दशा म मेरी र ा कर. पृ वी आ द भूत क रचना करने वाले अ न आ द दे व सभी ओर से मेरे लए कवच अथात् र क बन. (१५)
सू -२८
दे वता—दभम ण
इमं ब ना म ते म ण द घायु वाय तेजसे. दभ सप नद भनं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
षत तपनं
दः.. (१) हे वजय, बल आ द के इ छु क पु ष! म तु ह द घ आयु और तेज को ा त कराने के लए यह दभमय म ण तु हारे हाथ म बांधता ं. यह म ण श ु क हसा करने वाली और श ु के दय को संताप दे ने वाली है. (१) षत तापयन् दः श ूणां तापयन् मनः. हादः सवा वं दभ घम इवाभी संतापयन्.. (२) हे दभम ण! तू े ष करने वाले के दय को संत त करने वाली तथा श ु के मन को खी करने वाली है. दय वाल के घर, खेत, पशु आ द तुम इस कार संत त करते ए न कर दो, जस कार सूय सब को सुखा दे ता है. जो जन भय र हत ह, उ ह तुम संत त करो. (२) घम इवा भतपन् दभ दः सप नानां भ
षतो नतपन् मणे. इव व जं बलम्.. (३)
हे दभम ण! गरमी क धूप के समान हम से े ष करने वाले श ु को न करो. इं जस कार अपने श ु के बल को न करते ह, उसी कार तुम हमारे श ु को समा त करो. (३) भ दभ सप नानां दयं षतां मणे. उ न् वच मव भू याः शर एषां व पातय.. (४) हे दभम ण! हमारे श ु तथा हम से े ष करने वाल के दय का भेदन करो. तुम हमारे श ु का शीश इस कार काट कर गरा दो, जस कार धरती पर उपजने वाले तृण, घास आ द को काट दया जाता है. (४) भ भ
दभ सप नान् मे भ मे सवान् हाद भ
मे पृतनायतः. मे षतो मणे.. (५)
हे दभम ण! मेरे श ु तथा मेरे व सेना एक करने वाल का वनाश करो. तुम मेरे त भावना रखने वाल तथा मुझ से े ष करने वाल का वनाश करो. (५) छ छ
दभ सप नान् मे छ मे सवान् हादश छ
मे पृतनायतः. मे षतो मणे.. (६)
हे दभम ण! मेरे श ु तथा मेरे व सेना एक करने वाल को काट दो. मेरे भावना रखने वाल और े ष करने वाल को काट दो. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त
वृ दभ सप नान् मे वृ मे पृतनायतः. वृ मे सवान् हाद वृ मे षतो मणे.. (७) हे दभम ण! मेरे श ु को तथा मेरे व मेरे त भावना रखने वाले सभी को तथा मेरे
सेना एक करने वाल का छे दन करो. तुम त े ष करने वाल का छे दन करो. (७)
कृ त दभ सप नान् मे कृ त मे पृतनायतः. कृ त मे सवान् हादा कृ त मे षतो मणे.. (८) हे दभम ण! तुम मेरे श ु तथा मेरे व सेना एक करने वाल को काट दो. मेरे त भावना रखने वाले सब को तथा मुझ से े ष करने वाल को काट दो. (८) पश दभ सप नान् मे पश मे पृतनायतः. पश मे सवान् हादः पश मे षतो मणे.. (९) हे दभम ण! मेरे श ु को तथा मेरे व सेना एक करने वाल को पीस दो. मेरे त भावना रखने वाले सभी को तथा मुझ से े ष रखने वाल को पीस डालो. (९) व य दभ सप नान् मे व य मे पृतनायतः. व य मे सवान् हाद व य मे षतो मणे.. (१०) हे दभम ण! मेरे श ु को तथा मेरे व सेना एक करने वाल को ता ड़त करो. जो मेरे त भावना रखते ह तथा जो मेरे े षी ह, तुम उन क ताड़ना करो. (१०)
दे वता—दभम ण
सू -२९ न दभ सप नान् मे न मे पृतनायतः. न मे सवान् हाद न मे षतो मणे.. (१)
हे दभम ण! मेरे श ु तथा मेरे व सेना एक करने वाल को चूम ले. जो मेरे भावना रखते ह तथा जो मेरे े षी ह, तुम उ ह चूम लो. (१) तृ तृ
दभ सप नान् मे तृ मे सवान् हाद तृ
त
मे पृतनायतः. मे षतो मणे.. (२)
हे दभम ण! मेरे श ु का तथा मेरे व सेना एक करने वाल का नाश करो. मेरे त भावना रखने वाले सभी मनु य का तथा मुझ से े ष करने वाल का नाश करो. (२) दभ सप नान् मे मे सवान् हाद
मे पृतनायतः. मे षतो मणे.. (३)
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हे दभम ण! मेरे श ु को तथा मेरे व सेना एक करने वाल को रोक दो. मेरे त भावना रखने वाले सभी य तथा मुझ से े ष करने वाल को रोक दो. (३) मृण दभ सप नान् मे मृण मे पृतनायतः. मृण मे सवान् हाद मृण मे षतो मणे.. (४) हे दभम ण! मेरे श ु क तथा मेरे व सेना एक करने वाल क हसा करो. मेरे त भावना रखने वाले सभी य क तथा मुझ से े ष करने वाल क हसा करो. (४) म थ दभ सप नान् मे म थ मे पृतनायतः. म थ मे सवान् हाद म थ मे षतो मणे.. (५) हे दभम ण! मेरे श ु तथा मेरे व सेना एक वाल को मथ दो. मेरे रखने वाले सभी य को तथा मुझ से े ष रखने वाल को मथ दो. (५)
त भावना
प ड् ढ दभ सप नान् मे प ड् ढ मे पृतनायतः. प ड् ढ मे सवान् हादः प ड् ढ मे षतो मणे.. (६) हे दभम ण! मेरे श ु का तथा मेरे व सेना एक करने वाल का चूण बना दो. मेरे त भावना रखने वाले सभी य को तथा मुझ से े ष रखने वाल का चूण बना दो. (६) ओष दभ सप नान् मे ओष मे पृतनायतः. ओष मे सवान् हाद ओष मे षतो मणे.. (७) हे दभम ण! मेरे श ु को तथा मेरे व सेना एक करने वाल को जला दो. मेरे त भावना रखने वाले सभी य को तथा मुझ से े ष करने वाल को जला दो. (७) दह दभ सप नान् मे दह मे पृतनायतः. दह मे सवान् हाद दह मे षतो मणे.. (८) हे दभम ण! मेरे श ु भावना रखने वाले सभी
को तथा मेरे त सेना एक करने वाल को जला दो. मेरे य को तथा मुझ से े ष रखने वाल को जला दो. (८)
त
ज ह दभ सप नान् मे ज ह मे पृतनायतः. ज ह मे सवान् हाद ज ह मे षतो मणे.. (९) हे दभम ण! मेरे श ु को तथा मेरे व सेना एक करने वाल को मारो. तुम मेरे त भावना रखने वाले सभी य को तथा मुझ से े ष करने वाल को मारो. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -३०
दे वता—दभम ण
यत् ते दभ जरामृ युः शतं वमसु वम ते. तेनेमं व मणं कृ वा सप ना ह वीयः.. (१) हे दभ! तेरी गांठ म सैकड़ वृ ाव थाएं और मृ यु ा त ह. तेरे पास वृ ाव था और मृ यु से बचाने वाला कवच है. उस कवच से र ा, जय आ द क कामना करने वाले पु ष को सुर त कर के अपनी श य से इस राजा के श ु को मारो. (१) शतं ते दभ वमा ण सह ं वीया ण ते. तम मै व े वां दे वा जरसे भतवा अ ः.. (२) हे दभम ण! तु हारी गांठ म सैकड़ सुर ा कवच और श यां व मान ह. सभी दे व से र ा क कामना करने वाले इस राजा को वृ ाव था र करने के लए तु ह दया है. (२) वामा दववम वां दभ ण प तम्. वा म या वम वं रा ा ण र स.. (३) हे दभम ण! तु ह दे व का कवच और वेद का र क कहा गया है. तु ह इं क कवच बताया गया है. तुम रा क र ा करते हो. (३) सप न यणं दभ षत तपनं दः. मण य वधनं तनूपानं कृणो म ते.. (४) हे दभम ण! तुम श ु का वनाश करने वाले तथा े ष करने वाल के दय को संत त करने वाले हो. हे राजन्! म दभम ण को तु हारा र क एवं श बढ़ाने वाला बनाता ं. (४) यत् समु ो अ य दत् पज यो व ुता सह. ततो हर ययो ब ततो दभ अजायत.. (५) जस मेघ से जल बरसता है, उस से बजली क गड़गड़ाहट के साथ हर यमय बूंद कट ई, उ ह से दभ उ प आ है. (५)
सू -३१
दे वता—औ ं बरम ण
औ बरेण म णना पु कामाय वेधसा. पशूनां सवषां फा त गो े मे स वता करत्.. (१) वधाता ने पशु, पु , धन, शरीर आ द क कामना करने वाले पु ष के लए ाचीन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
काल म उ ं बर अथात् गूलर क म ण के ारा इ ह दान करने का योग कया है. म उसी उ ं बर म ण के ारा तेरी र ा करता ं. स वता दे व मेरी गोशाला म दो पैर वाले मनु य और चार पैर वाले पशु क वृ कर. (१) यो नो अ नगाहप यः पशूनाम धपा असत्. औ बरो वृषा म णः सं मा सृजतु पु ा.. (२) जो गाहप य अ न है, वह हमारे पशु का पालनकता है. मनचाहा फल दे ने वाली उ ं बर म ण मेरे शरीर क वृ तथा सभी कार से पशु का पोषण करे. (२) करी षण फलवत वधा मरां च नो गृहे. औ बर य तेजसा धाता पु दधातु मे.. (३) वधाता दे व गूलर क म ण के तेज के ारा मेरे शरीर क पु तथा गोबर करने वाली गाएं दान कर. (३)
कर तथा मेरे घर म अ
यद् पा च चतु पा च या य ा न ये रसाः. गृ े ३ हं वेषां भूमानं ब दौ बरं म णम्.. (४) उ ं बर म ण को धारण करता आ म दो पैर वाले पु ष , चार पैर वाले पशु कार के अ तथा शहद, ध आ द रस क अ धकता को वीकार क ं . (४)
, सभी
पु पशुनां प र ज भाहं चतु पदां पदां य च धा यम्. पयः पशूनां रसमोषधीनां बृह प तः स वता मे न य छात्.. (५) उ ं बर म ण के तेज से तथा बृह प त और स वता दे व क कृपा से म दो पैर वाले मनु य , चार पैर वाले पशु तथा गे ं, जौ आ द अ क अ धकता वीकार क ं . ये दे व मुझे पशु का ध और ओष धयां अथात् जड़ीबू टय का रस दान कर. (५) अहं पशूनाम धपा असा न म य पु ं पु प तदधातु. म मौ बरो म ण वणा न न य छतु.. (६) पु क कामना करने वाला म दो पैर वाले मनु य तथा चार पैर वाले पशु का वामी बनूं. पशु आ द क पु क वा मनी उ बर म ण मुझे वण आ द धन दान करे. (६) उप मौ बरो म णः जया च धनेन च. इ े ण ज वतो म णरा माग सह वचसा.. (७) उ ं बर म ण मुझ को पु , पौ आ द जा और सोना, चांद ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प धन से संप करे. इं
के ारा े रत उ ं बर म ण वशेष तेज के साथ मेरे समीप आए. (७) दे वो म णः सप नहा धनसा धनसातये. पशोर य भूमानं गवां फा त न य छतु.. (८) काश यु उ ं बर म ण श ु का हनन करने वाली, धन का लाभ कराने वाली हो. वह म ण मुझे पशु तथा अ क अ धकता तथा गाय क अ धकता दान करे. (८) यथा े वं वन पते पु ा सह ज षे. एवा धन य मे फा तमा दधातु सर वती.. (९) हे वन का पालन करने वाली उ ं बर म ण! तुम जस कार ओष धय और वन प तय क रचना के समय पु के साथ उ प ई हो, उसी कार तु हारे साधन से सर वती दे वी मुझे धन क अ धकता दान कर. (९) आ मे धनं सर वती पय फा त च धा यम्. सनीवा यु १ पा वहादयं चौ बरो म णः.. (१०) सर वती दे वी मेरे धन क , ध क तथा अ क वृ सनीवाली तथा यह उ ं बर म ण धन आ द दान कर. (१०)
कर. अमाव या क दे वी
वं मणीनाम धपा वृषा स व य पु ं पु प तजजान. वयी मे वाजा वणा न सव बरः स वम मत् सह वारादरा तमम त ुधं च.. (११) हे उ ं बर म ण! तुम अ य र ा साधन क वा मनी हो. जाप त ने तुम को गाय, घोड़ा आ द क पु क मता दान क है. तुम म ये सभी घोड़े और अ ा त ह. तुम इन सब को परा जत करो. तुम श ु तथा द र ता को हम से र करो. तुम बु के अभाव और भूख को हम से र करो. (११) ामणीर स ामणी थाया भ ष ो ऽ भ मा स च वचसा. तेजो ऽ स तेजो म य धारया ध र यर स र य मे धे ह.. (१२) हे उ ं बर म ण! तुम गाय क वा मनी हो. तुम हमारी सभी अ भलाषा को पूण करो. तुम तेज से अ भ ष हो, उठ कर मुझे भी तेज से स चत करो. तुम तेज प हो, मुझ म भी तेज धारण करो. तुम धन ा त करने वाली हो, मुझे भी धन ा त कराओ. (१२) पु र स पु ा मा समङ् ध गृहमेधी गृहप त मा कृणु. औ बरः स वम मासु धे ह र य च नः सववीरं न य छ राय पोषाय मु चे अहं वाम्.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त
हे उ ं बर म ण! तुम पु हो, मुझे भी पु से यु करो. तुम गृहमेधी हो, मुझे गृहप त बनाओ. तुम हम धन दान करो. तुम हम ऐसा धन दान करो, जस से हमारे पु , पौ , सेवक आ द पु ह . हे म ण! म तुझे धन क वृ के लए बांधता ं. (१३) अयमौ बरो म णव रो वीराय ब यते. स नः स न मधुमत कृणोतु र य च नः सववीरं न य छात्.. (१४) अ म का वनाश करने वाली यह उ ं बर म ण वीरता को ा त करने के लए बांधी जाती है. यह म ण हमारी उपल ध को मधुमती करे. यह हमारे सभी वीर अथात पु , पौ आ द को धन दान करे. (१४)
सू -३२
दे वता—दभ
शतका डो यवनः सह पण उ रः. दभ य उ औष ध तं ते ब ना यायायु पे… (१) हे मृ यु के भय से ःखी पु ष! म सौ गांठ वाली, ःख म चबाने यो य, हजार पु वाली एवं उ म दभ उ ओष ध अथात् जड़ीबूट है, उसे म द घ आयु ा त करने के लए बांधता ं. (१) ना य केशान् वप त नोर स ताडमा नते. य मा अ छ पणन दभण शम य छ त.. (२) उस के केश को मृ यु त नह ख चते ह तथा रा स, पशाच आ द दय म चोट प ंचा कर उसी क हसा नह करते, जसे यो ा बना कटे ए प वाले दभ से बनी म ण सुख प ंचाती है. (२) द व ते तूलमोषधे पृ थ ाम स न तः. वया सह का डेनायुः वधयामहे.. (३) हे सौ गांठ वाली दभ नामक ओष ध! तेरा ऊपर वाला भाग ुलोक अथात् वग म है तथा तू पृ वी पर थत है. इस कार पृ वी से वग तक ा त होने वाली तथा हजार गांठ वाली दभ नाम क ओष ध के ारा म तेरी आयु को बढ़ाता ं. (३) त ो दवो अ यतृणत् त इमाः पृ थवी त. वयाहं हाद ज ां न तृण द्म वचां स.. (४) हे हजार गांठ वाली ओष ध दभ! तू तीन वग का अ त मण गई है तथा तूने इन तीन पृ वय का अ त मण कया है. म तेरे ारा उस क जीभ को लपेटता ं जो मेरे त भावना रखता है तथा उस के वचन को बांधता ं. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वम स सहमानो ऽ हम म सह वान्. उभौ सह व तौ भू वा सप ना स हषीव ह.. (५) हे सौ गांठ वाली ओष ध दभ! तुम श ु को वश म करने वाली हो तथा म श ु क हसा के साधन और बल से यु ं. हम दोन श ु को दबा के वभाव वाले हो कर अपने श ु को परा जत कर. (५) सह व नो अ भमा त सह व पृतनायतः. सह व सवान् हादः सुहाद मे ब न् कृ ध.. (६) हे सौ गांठ वाली ओष ध दभ! हमारे श ु अथवा पाप को परा जत करो. जो लोग हमारे व सेना एक कर रहे ह, उन को भी परा जत करो. मेरे त भावना रखने वाले य का वनाश करो और मेरे म क सं या बढ़ाओ. (६) दभण दे वजातेन द व भेन श दत्. तेनाहं श तो जनाँ असनं सनवा न च.. (७) दे व के समीप से उ प , ुलोक अथात् वग म थत रहने वाले दभ के ारा म सवदा द घजीवी जन को ा त क ं . (७) यं मा दभ कृणु राज या यां शू ाय चायाय च. य मै च कामयामहे सव मै च वप यते.. (८) हे दभ! मुझ धारणकता को ा ण, य, शू तथा े जन का य बनाओ. अनुलोम और तलोम जा त के म य जन लोग को म अपना य बनाना चा ं, पाप अ वेषण करने वाले उस पु ष को मेरा य बनाओ. (८) यो जायमानः पृ थवीम ं हद् यो अ त नाद त र ं दवं च. यं ब तं ननु पा मा ववेद स नो ऽ यं दभ व णो दवा कः.. (९) जस दभ ने उ प होते ही पृ वी को ढ़ कया था तथा जस ने अंत र और ल ु ोक अथात् वग को थर कया, उस दभ को जानने वाले को पाप पश नह करता. इस कार का अंधकार नवारक दभ हम काश दे . (९) सप नहा शतका डः सह वानोषधीनां थमः सं बभूव. स नोऽयं दभः प र पातु व त तेन सा ीय पृतनाः पृत यतः.. (१०) श ु का वनाश करने वाला, सौ गांठ से यु एवं श शाली दभ सभी ओष धय अथात् जड़ीबू टय से पहले उ प आ है. इस कार का दभ सभी दशा के भय से हमारी र ा कर. उस दभम ण क सहायता से म उस सेना को परा जत क ं , जसे मेरा श ु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एक करता है. (१०)
सू -३३
दे वता—दभ
सह ाघः शतका डः सह वानपाम नव धां राजसूयम्. स नो ऽ यं दभः प र पातु व तो दे वो म णरायुषा सं सृजा त नः.. (१) ब मू य, सौ गांठ वाली, श संप , जल क अ न अथात् वाडवा न, राजसूय कम के समान यह दभ चार ओर से हमारी र ा करे. यह दे व के ारा न मत म ण हम आयु से मलाए. (१) घृता लु तो मधुमान् पय वान् भू म ं होऽ युत याव य णुः. नुद सप नानधरां कृ वन् दभा रोह महता म येण.. (२) हवन करने से शेष बचे घृत से चकना बना आ, मधुरता से यु , अ धक अपनी जड़ से धरती को ढ़ करने वाला, अपने थान से प तत न होने वाला, पतन कराने वाला, श ु को र भगाता आ और श हीन बनाता आ अ धक बल यु ओष धय अथात् जड़ीबू टय म इं के ारा द साम य से (२)
ध वाला, सर का दभ अ य थत बने.
वं भू मम ये योजसा वं वे ां सीद स चा र वरे. वां प व मृषायो ऽ भर त वं पुनी ह रता य मत्.. (३) हे दभम ण! तुम अपने बल से भू म का अ त मण करते हो. तुम य म सुंदर वेद पर थत होते हो. ऋ षय ने तु ह प व करके आहरण कया है. तुम पाप को हम से र भगाओ. (३) ती णो राजा वषासही र ोहा व चष णः. ओजो दे वानां बलमु मेतत् तं ते ब ना म जरसे व तये.. (४) ती ण, सभी ओष धय म े , वशेष प से श ु नाशक, रा स का हनन करने वाला, सारे संसार को दे खने वाला, दे व का बल तथा सर के ारा असहनीय श संप यह दभ नाम का र ा साधन है. हे र ा क इ छा करने वाले पु ष! इस कार क दभम ण को म तेरी वृ ाव था र करने एवं क याण के लए तेरे हाथ म बांधता ं. (४) दभण वं कृणवद् वीया ण दभ ब दा मना मा थ ाः. अ त ाया वचसाधा या सूय इवा भा ह दश त ः.. (५) हे पु ष! तुम दभम ण पी साधन के ारा वीरता पूण कम करो. श के साधन इस दभम ण को धारण करते ए तुम ःखी मत होओ. तुम अपने शरीर के बल से श ु को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
थत कर के सूय के समान चार दशा
को का शत करो. (५)
सू -३४
दे वता—जं गड़ वन प त
ज डो ऽ स ज डो र ता स ज डः. पा चतु पाद माकं सव र तु ज डः.. (१) हे जं गड़ नाम क ओष ध अथात् जड़ीबूट ! तुम कृ या नाम क रा सी को तथा उस के ारा कए ए कम को नगल लेती हो. इस आधार पर तुम सभी भय से र ा करने वाली होती हो. हे जं गड़! तुम हमारे दो पैर वाले पु , पौ आ द क तथा चार पैर वाले गाय, अ आ द पशु क र ा करो. (१) या गृ य प चाशीः शतं कृ याकृत ये. सवान् वन ु तेजसो ऽ रसांज ड करत्.. (२) तरेपन कार क जो हा न प ंचाने वाली रा सयां, कृ याएं है तथा पुत लयां बनाने वाले जो सैकड़ जा टोना करने वाले ह, जं गड नाम क ओष ध से बनी ई म ण उन सभी को न श वाला तथा रसहीन करे. (२) अरसं कृ मं नादमरसाः स त व सः. अपेतो ज डाम त मषुम तेव शातय.. (३) अ भचार अथात् जा टोना करने वाले के ारा उ प क गई हा न को यह जं गड म ण सारहीन करे. सात छे द —नाक, ने , कान तथा मुख म उ प कए गए अ भचार कम को यह जं गड म ण न करे. बाण फकने वाला श ु को जस कार न कर दे ता है, उसी कार जं गड म ण हम से बु और द र ता को र करे. (३) कृ या षण एवायमथो अरा त षणः. अथो सह वा डः ण आयूं ष ता रषत्.. (४) यह जं गड़ म ण श ु के ारा उ प कृ या रा सी का नराकरण करने वाली है तथा श ु को न करने का साधन है. यह जं गड़ म ण ऊपर बताए ए काय क श से यु है. यह हमारी आयु को बढ़ाए. (४) स ज ड य म हमा प र णः पातु व तः. व क धं येन सासह सं क धमोज ओजसा.. (५) जं गड़ म ण का यह मह व सभी ओर से हमारी र ा करे. यह म ण व कंद नाम के वातरोग को अपने बल से न करती है. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
् वा दे वा अजनयन् न तं भू याम ध. तमु वा रा इ त ा णाः पू ा व ः.. (६) इस समय धरती पर थत तुम को इं आ द दे व ने तीन बार उ प कार के तुम को अं गरा गो ीय ऋ ष एवं ा ण जानते थे. (६)
कया था. इस
न वा पूवा ओषधयो न वा तर त या नवाः. वबाध उ ो ज डः प रपाणः सुम लः.. (७) हे जं गड़ म ण! सृ के आ द म उ प ओष धयां अथात् जड़ीबू टयां तुम से े नह ह. नई ओष धयां भी तुम से े नह ह. हे श ुसेना आ द को बाधा उ प करने वाली जं गड म ण! तुम उ , चार ओर से र ा करने वाली तथा भलीभां त मंगलकारी हो. (७) अथोपदान भगवो ज डा मतवीय. पुरा त उ ा सत उपे ो वीय ददौ.. (८) हे कृ या रा सी को र करने म वीकृत! हे अ धक माहा य वाली! हे असी मत श वाली जं गड़ म ण! अ धक श वाले ाणी तु ह खा लगे, ऐसा जान कर इं ने तु ह अ धक बल दान कया है. (८) उ इत् ते वन पत इ ओ मानमा दधौ. अमीवाः सवा ातयंज ह र ां योषधे.. (९) हे जं गड़ नाम क वन प त अथात् जड़ीबूट ! तुम अ धक श वाली ही हो. इं ने तुम म बल धारण कया है, इस कारण हे जं गड़ ओष ध! तुम सभी रोग का नाश करती ई रा स को न करो. (९) आशरीकं वशरीकं बलासं पृ ामयम्. त मानं व शारदमरसां ज ड करत्.. (१०) सभी कार से हसक आशरीक रोग को, वशेष प से हसक वशरीक रोग को, बल का नाश करने वाले बलास रोग को, सभी अंग म ा त पृ म रोग को, त मा रोग को तथा व शारद रोग को जं गड म ण पीड़ा प ंचाने म असमथ बनाए. (१०)
सू -३५
दे वता—जं गड़ वन प त
इ य नाम गृ त ऋषयो ज डं द ः. दे वा यं च ु भषजम े व क ध षणम्.. (१) ाचीन ऋ षय ने इं का नाम लेते ए र ा के इ छु क मनु य को जं गड़ म ण द . ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सृ को आ द म इं आ द दे व ने जं गड़ ओष धय को व कांध नाम के महारोग न करने वाली बनाया था. (१) स नो र तु ज डो धनपालो धनेव. दे वा यं च ु ा णाः प रपाणमरा तहम्.. (२) राजा का धना य जस कार धन क र ा करता है, उसी कार जं गड म ण हमारी र ा करे. जं गड म ण को दे व तथा ा ण ने सभी कार से र क और श ु का वनाश करने वाला बनाया है. (२) हादः संघोरं च ःु पापकृ वानमागमम्. तां वं सह च ो तीबोधेन नाशय प रपाणो ऽ स ज डः.. (३) हे जं गड़ म ण! तुम दय वाले श ु का नाश करो. तुम अ त भयानक का नाश करो. हसा आ द पाप करने वाले का तुम नाश करो. हे हजार ने वाली जं गड़ म ण! तुम उन श ु को अपनी तकूल बु से न करो. हे जं गड़! तुम सभी कार से र ा करने वाली हो. (३) प र मा दवः प र मा पृ थ ाः पय त र ात् प र मा वी द् यः. प र मा भूतात् प र मोत भ ाद् दशो दशो ज डः पा व मान्.. (४) यह जं गड़ म ण मुझे ुलोक अथात् वग से होने वाले भय से, पृ वी से होने वाले भय से, अंत र के रा स आ द के भय से तथा वृ से होने वाले भय से बचाएं. यह जं गड़ म ण मुझे अतीत काल के ा णय से एवं भ व य म होने वाले ा णय से बचाए. जं गड़ म ण सभी दशा म होने वाले भय से हमारी र ा करे. (४) य ऋ णवो दे वकृता य उतो ववृते ऽ यः. सवा तान् व भेषजो ऽ रसां ज ड करात्.. (५) दे व के ारा बनाए ए जो हसक पु ष ह तथा मनु य आ द के ारा े रत जो बाधक ह, उन सभी भेषज अथात् ओष धय को जं गड़ म ण श हीन करे. (५)
सू -३६
दे वता—शतवार
शतवारो अनीनशद् य मान् र ां स तेजसा. आरोहन् वचसा सह म ण णामचातनः.. (१) शतवार नाम क वशेष ओष ध अथात् जड़ीबूट अपनी म हमा से य मा अथात् ट . बी. रोग को न करे. यह म ण रा स का भी वनाश करे. वचा के दोष को न करने वाली शतवार म ण अपनी द त के साथ पु ष क भुजा पर वराजमान हो. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शृ ा यां र ो नुदते मूलेन यातुधा यः. म येन य मं बाधते नैनं पा मा त त त.. (२) यह शतवार म ण! अपने स ग अथात् अगले भाग से अंत र म थत रा स को भगाती है तथा अपनी जड़ अथात् नीचे वाले भाग से रा सय को र करती है. यह म ण अपने म य भाग से य मा अथात् ट . बी. रोग को र करती है. पाप इस का अ त मण नह कर पाता. (२) ये य मासो अभका महा तो ये च श दनः. सवान् णामहा म णः शतवारो अनीनशत्.. (३) जो उ प ए अथात् ारं भक अव था वाले य मा अथात् ट . बी. रोग ह, जो बढ़े ए य मा तथा जो क से च क सा यो य य मा रोग ह, इन सभी बुरे नाम वाले रोग को शतवार म ण न कर दे ती है. (३) शतं वीरानजनय छतं य मानपावपत्. णा नः सवान् ह वाव र ां स धृनुते.. (४) धारण क जाती ई यह शतवार म ण सौ वीर पु को ज म दे ती है तथा य मा नाम के सौ रोग को र भगाती है. यह सभी बुरे नाम वाले रा स को न कर के ऐसा कर दे ती है क ये पुनः उप व न कर सक. (४) हर यशृ ऋषभः शातवारो अयं म णः. णा नः सवा तृ ढ्वाव र ां य मीत्.. (५) सोने के समान चमकने वाले अ भाग वाली शतवार ओष ध अथात् जड़ीबूट सभी ओष धय म े है. यह सभी अयश वाले जन को तनके के समान न कर के रा स पर आ मण करे. (५) शतमहं णा नीनां ग धवा सरसां शतम्. शतं श वतीनां शतवारेण वारये.. (६) म कोढ़, दाद आ द सौ ा धय , सौ गंधव तथा सौ अ सरा को र करता ं. बारबार पीड़ा दे ने के लए आने वाली सैकड़ अप मार अथात पागलपन आ द ा धय को शतवार ओष ध से र करता ं. (६)
सू -३७
दे वता—अ न
इदं वच अ नना द मागन् भग यशः सह ओजो वयो बलम्. य ंशद् या न च वीया ण ता य नः ददातु मे.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ न दे व के ारा द ई यह द त आए. तेज एवं यश के साथ ओज, यौवन और बल आए. ततीस कार के जो काय अथात् वीरतापूण साम य ह, अ न उ ह मुझे दान कर. (१) वच आ धे ह मे त वां ३ सह ओजो वयो बलम्. इ याय वा कमणे वीयाय त गृ ा म शतशारदाय.. (२) हे अ न! मेरे शरीर म श ु को परा जत करने वाला तेज हो तथा तेज के साथ मुझे पूण आयु और बल दान करो. म ान य तथा कम य क ढ़ता के लए तुझे वीकार करता ं. म अ नहो आ द कम के लए वायु पर वजय ा त करने वाले काय के लए तथा सौ वष का जीवन ा त करने के लए तुझे हण करता ं. (२) ऊज वा बलाय वौजसे सहसे वा. अ भभूयाय वा रा भृ याय पयूहा म शतशारदाय.. (३) हे वीकार कए गए पदाथ! म तु ह अ ा त के लए, बल ा त के लए, तेज ा त के लए, धन ा त के लए, श ु जय के लए तथा रा य के भरणपोषण के लए सौ वष क अव ध हेतु हण करता ं. (३) ऋतु य ् वातवे यो मा यः संव सरे यः. धा े वधा े समृधे भूत य पतये यजे.. (४) हे पदाथ! म तुझे ी म आ द ऋतु को स करने के लए, ऋतु संबंधी दे वता को स करने के लए, चै आ द मास को स करने के लए, संव सर को स करने के लए, धाता और वधाता तथा सभी ा णय के वामी समृध को स करने के लए य करता ं. (४)
सू -३८
दे वता—गु गुलु
न तं य मा अ धते नैनं शपथो अ ुते. यं भेषज य गु गुलोः सुर भग धो अ ुते.. (१) उस राजा को य मा अथात् ट . बी. नाम का रोग पी ड़त नह करता और सर के ारा अ भशाप उस पर भाव डालता है, जस राजा को गूगल नाम क ओषध क सुखदायक गंध ा त करती है. (१) व व च त माद् य मा मृगा अ ा इवेरते. यद् गु गुलु सै धवं यद् वा या स समु यम्.. (२) गूगल क गंध सूंघने वाली यह य मा अथात् ट . बी. नाम क ा ध हरन और घोड़े के समान सभी दशा म ती ग त से भागती है. गु गुल या तो सधु दे श म उ प हो अथवा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समु म उ प हो. (२) उभयोर भं नामा मा अ र तातये.. (३) हे गु गुलु! म तुझे दोन कार के रोग का नाम बताता ं. ःख दे ने वाले वतमान रोग के वनाश हेतु म तुझ से ाथना करता ं. (३)
दे वता—कु
सू -३९ ऐतु दे व ायमाणः कु ो हमवत प र. त मानं सव नाशय सवा यातुधा यः.. (१)
कूठ नाम क वशेष ओष ध ुलोक म उ प ई है. यह हमारी र ा करती ई हमवान पवत से आए. वह सभी लेशकारी रोग का नाश करे तथा सभी रा सय को न करे. (१) ी ण ते कु नामा न न मारो न ा रषः. न ायं पु षो रषत्. य मै प र वी म वा सायं ातरथो दवा.. (२) हे कु ! तु हारे तीन नाम न मार, न ा रष और न ह. तु हारा नाम लेने के अभाव म यह पु ष ह सत आ है. म रोग से ःखी पु ष के लए तु हारा नाम मं के प म बता रहा ं. वह सायंकाल, ातः और दन म तु हारे नाम का उ चारण करे. (२) जीवला नाम ते माता जीव तो नाम ते पता. न ायं पु षो रषत्. य मै प र वी म वासायं ातरथो दवा.. (३) हे कु नाम क ओष ध! जीवला तेरी माता है और जीवंत तेरे पता ह. तु हारा नाम न लेने के कारण इस पु ष क हसा ई है. म रोग से ःखी पु ष को तु हारा नाम मं के प म ातः, सायं और दन म उ चारण हेतु बताता ं. (३) उ मो अ योषधीनामनड् वान् जगता् मव न ायं पु षो रषत्. य मै प र वी म सायं ातरथो दवा.. (४)
ा ः पदा मव.
हे कु ओष ध! जस कार ग त करने वाला बैल े है उसी कार ओष धय म तुम े हो. जंगली पशु म बाघ जस कार े है. उसी कार तुम ओष धय म े हो. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ः शा बु यो अ रे य रा द ये य प र. जातो व दे वे यः. स कु ो व भेषजः साकं सोमेन त त. त मानं सव नाशय सवा यातुधा यः.. (५) हे कु ओष ध! तुम अं गरा गो ीय ऋ षय क संतान शांबु नाम के ऋ षय से तीन बार उ प ए, आ द य से तीन बार उ प तथा व े दे व से तीन बार उ प कहे जाते हो. सभी रोग क ओष ध कु सोम के साथ थत होती ह. तुम सभी रोग तथा सभी रा सय का नाश करो. (५) अ थो दे वसदन तृतीय या मतो द व. त ामृत य च णं ततः कु ो अजायत. स कु ो व भेषजः साकं सोमेन त त. त मानं सव नाशय सवा यातुधा यः.. (६) इस भूलोक से तीसरे ुलोक अथात् वग म दे व का घर पीपल का वृ है. उस पीपल पर मरण र हत सोम उ प आ है. उस सोम से कु ओष ध उ प ई है. सभी रोग क ओष ध यह कु सोम के साथ थत होता है. हे कु ! तुम सभी रोग और सभी रा सय का नाश करो. (६) हर ययी नौरचर र यब धना द व. त ामृत य च णं ततः कु ो अजायत. स कु ो व भेषजः साकं सोमेन त त. त मानं सव नाशय सवा यातुधा यः.. (७) वग म सोने से बनी र सी से बंधी ई सोने क नाव घूमती रहती है. वहां मरणर हत सोम क उ प ई है. उस सोम से कु उ प आ है. सभी रोग क ओष ध यह कु सोम के साथ थत रहता है. हे कु ! तुम सभी रोग और रा सय का वनाश करो. (७) य नाव ंशनं य हमवतः शरः. त ामृत य च णं ततः कु ो अजायत. स कु ो व भेषजः साकं सोमेन त त. त मानं सव नाशय सवा यातुधा यः.. (८) जस वग से उ म कम करने वाल का पतन नह होता तथा जहां हमवान पवत शीश अथात् सब से ऊंचा शखर है वहां अमृत क थ त है. उस अमृत से कु उ प आ है. सभी रोग क ओष ध कु वहां वग म सोम से संबं धत रहता है. हे कु ! सभी रोग और रा सय का वनाश करो. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यं वा वेद पूव इ वाको यं वा वा कु का यः. यं वा वसो यमा य तेना स व भेषजः.. (९) हे कु नाम क ओष ध! तुम को इ वाकु वंश के ाचीन राजा जानते थे तथा तुझ को कामदे व का पु जान गया था. तु ह वसु नाम का दे वता जानता था. इस कारण तुम सभी रोग क ओष ध हो, तु ह सभी रोग के वनाश के प म जाना जाता है. (९) शीषलोकं तृतीयकं सद दय हायनः. त मानं व धावीयाधरा चं परा सुव.. (१०) तृतीय लोक अथात् वग को तु हारा शीश कहा जाता है. वह सभी रोग का खंडन करने वाला हो. हे सभी कार क श य से यु कु ! तुम सभी रोग को तथा नीचे होने वाले पतन को हम से र करो. (१०)
दे वता— व े दे व, बृह प त
सू -४०
य मे छ ं मनसो य च वाचः सर वती म युम तं जगाम. व ै तद् दे वैः सह सं वदानः सं दधातु बृह प तः.. (१) जो मेरे मन का छ अथात् दोष है तथा वाणी का दोष है, उस के कारण सर वती ोध से यु मुझ को छोड़ कर चली गई है. सभी दे व के साथ एकमत ए बृह प त मेरे इन दोष को र कर. (१) मा न आपो मेधां मा म थ न. सु यदा यूयं य द वमुप तो ऽ हं सुमेधा वच वी.. (२) हे जल दे वता! तुम मेरी बु को मत करो. ा मेरे ारा अ ययन कए गए वेद को न कर. मेरा जो जो कम सूख रहा है अथात् न हो रहा है, उसे ल य बना कर तुम सभी ओर से उसे गीला बनाओ अथात् सुर त करो. आप सभी क अनुम त से म उ म बु वाला बनूं तथा के तेज से यु हो जाऊं. (२) मा नो मेधां मा नो द ां मा नो ह स ं यत् तपः. शवा नः शं स वायुषे शवा भव तु मातरः.. (३) हे ावा पृ वी! तुम मेरी बु सुखकारी ह तथा मेरी आयु वृ क याणकारी ह . (३)
को तथा द ा को न मत करो. जल दे वता मेरे लए के लए कह. माता के समान हतकारी जल मेरे लए
या नः पीपरद ना यो त मती तम तरः. ताम मे रासता मषम्.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ नीकुमारो! सभी वहार को बाधा प ंचाने वाला अंधकार हमारे पास आए. काश वाली रात उस अंधकार का तर कार करे. हम इस कार क काश यु रा दान करो. (४)
दे वता—तप
सू -४१
भ म छ त ऋषयः व वद तपो द ामुप नषे र े. ततो रा ं बलमोज जातं तद मै दे वा उपसंनम तु.. (१) सृ के आ द म सब के क याण क इ छा करते ए ऋ षय ने वग ा त करते ए तप क द ा ा त क . उस से रा , बल और ओज उ प ए. दे व उस रा आ द को इस पु ष के लए दान कर. (१)
दे वता—
सू -४२ होता य ा अ वयु णो जातो
णा वरवो मताः. णो ऽ त हतं हवः.. (१)
जगत् क उ प का कारण होता है, ही य है. ने उदा , अनुदा , व रत आ द वर का गमन न त कया है. से ही अ वयु उ प ए. य का साधन हव म ही थत है. (१) ुचो घृतवती णा वे द ता. य य त वं च ऋ वजो ये ह व कृतः. श मताय वाहा.. (२) घृत से पूण तथा होम का साधन ुवा भी है. ने ही य वेद को खोदा है. य का त व है. ह व तैयार करने वाले ऋ वज् भी ही ह. अभेद को ा त के लए आ त उ म हो. (२) अंहोमुचे इम म
भरे मनीषामा सु ा णे सुम तमावृणानः. त ह ं गृभाय स याः स तु यजमान य कामाः.. (३)
पाप से छु टकारा दलाने वाले तथा भलीभां त र ा करने वाले इं के लए म उ म तु त बोलता आ उपासना पूण करता ं. हे इं ! तुम मेरा ह वीकार करो. तु हारी कृपा से यजमान क इ छाएं पूण ह . (३) अंहोमुचं वृषभं य यानां वराज तं थमम वराणाम्. अपां नपातम ना वे धय इ येण त इ यं द मोजः.. (४) य के यो य दे व म े , पाप से मु कराने वाले तथा य ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म
मुख
प म
वराजमान इं का म आ ान करता ं. जल क वषा करने वाले अ न तथा अ नीकुमार का म आ ान करता ं. वे अ नीकुमार इं य क साम य से तु ह बु , ओज और बल दान कर. (४)
सू -४३
दे वता—मं आद
म कहे गए अ न
य वदो या त द या तपसा सह. अ नमा त नय व नमधा दधातु मे. अ नये वाहा.. (१) जस थान म सगुण के व प को जानने वाले द ा और तप के ारा जाते ह, अ न दे व मुझे वहां ले जाएं. अ न दे व मुझे बु दान कर. यह आ त अ न को भलीभां त ा त हो. (१) य वदो या त द या तपसा सह. वायुमा त नयतु वायुः ाणान् दधातु मे. वायवे वाहा.. (२) सगुण के व प को जानने वाले द ा और तप के कारण जहां जाते ह, वायु मुझे वहां ले जाएं तथा वायु मुझ म ाण का आधान कर. यह आ त भलीभां त वायु को ा त हो. (२) य वदो या त द या तपसा सह. सूय मा त नयतु च ुः दधातु मे. सूयाय वाहा.. (३) सगुण के व प को जानने वाले द ा और तप क सहायता से जहां जाते ह, सूय दे व मुझे वहां ले जाएं. सूय दे व मुझे ने दान कर. यह आ त सूय दे व को भलीभां त ा त हो. (३) य वदो या त द या तपसा सह. च ो मा त नयतु मन ो दधातु मे. च ाय वाहा.. (४) सगुण का व प जानने वाले द ा और तप क सहायता से जहां जाते ह, चं मुझे वहां प ंचाएं. चं दे व मुझ म मन धारण कर. यह आ त चं दे व को भलीभां त ा त हो. (४) य वदो या त द या तपसा सह. सोमो मा त नयतु पयः सोमो दधातु मे. सोमाय वाहा.. (५) सगुण के व प को जानने वाले द ा और तप क सहायता से जहां जाते ह, सोम मुझे वहां ले जाएं. सोम मुझे ध दान कर. यह आ त सोम को भलीभां त ा त हो. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(५) य वदो या त द या तपसा सह. इ ो मा त नयतु बल म ो दधातु मे. इ ाय वाहा.. (६) सगुण का व प जानने वाले द ा और तप क सहायता से जहां जाते ह, इं दे व मुझे वहां ले जाएं. इं दे व मुझ म बल धारण कर. यह आ त इं को भलीभां त ा त हो. (६) य वदो या त द या तपसा सह. आपो मा त नय वमृतं मोप त तु. अद् यः वाहा.. (७) सगुण का व प जानने वाले अपनी द ा और तप क सहायता से जहां जाते ह, जल दे वता मुझे वहां ले जाएं. जल दे वता मुझ म अमृत धारण कर. यह आ त जल दे वता को भलीभां त ा त हो. (७) य
वदो या त द या तपसा सह. ा मा त नयतु ा दधातु मे.
णे वाहा.. (८)
सगुण का व प जानने वाले द ा और तप क सहायता से जहां प ंचते ह, ा मुझे वहां ले जाएं. ा मुझ म क उपासना कर. यह आ त ा को भलीभां त ा त हो. (८)
दे वता—आंजन, व ण
सू -४४ आयुषो ऽ स तरणं व ं भेषजमु यसे. तदा न वं शंताते शमापो अभयं कृतम्.. (१)
हे आंजन! तुम सौ वष क आयु दे ने वाले हो. तुम स करने वाली ओष ध कहे जाते हो, इस लए हे आंजन! तुम सुख प कहे जाते हो. हे जल के ल ण आंजन! तुम और जल दे वता मुझे सुख दान कर तथा अभय दान कर. (१) यो ह रमा जाया यो ऽ भेदो वस पकः. सव ते य मम े यो ब ह नह वा नम्.. (२) हलद के समान पीले रंग का जो पांडु रोग क ठनता से च क सा करने यो य है, वह अंग को भ करता है और अनेक कार के घाव कर दे ता है. यह आंजन के अंग से सभी रोग को बाहर नकाल कर न करे. (२) आ
नं पृ थ ां जातं भ ं पु षजीवनम्.
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कृणो व मायुकं रथजू तमनागसम्.. (३) पृ वी पर उ प आ आंजन क याण करने वाला तथा पु ष को जी वत करने वाला है. यह आंजन हम मरण र हत, रथ के समान ती ग त वाला तथा पाप र हत करे. (३) ाण ाणं ाय वासो असवे मृड. नऋते नऋ या नः पाशे यो मु च.. (४) हे ाण प आंजन! तुम मेरे ाण क र ा करो तथा अकाल म न न होने वाला बनाओ. हे ाण प आंजन! तुम ाण को सुखी बनाओ. हे नऋ त प आंजन! हम नऋ त के फंद से छु ड़ाओ. (४) स धोगभ ऽ स व ुतां पु पम्. वातः ाणः सूय ु दव पयः.. (५) हे आंजन! तुम सागर के गभ और बजली के फूल हो. तुम वायु के ाण, सूय के ने और आकाश के जल हो. (५) दे वा न ैककुद प र मा पा ह व तः. न वा तर योषधयो बा ाः पवतीया उत.. (६) हे ककुद पवत पर उ प एवं दे व के ारा अपनी र ा के लए धारण कए जाते ए आंजन! सभी ओर से हमारी र ा करो. पवत से अ धक ऊंचे थान पर उ प ओष धयां अथात् जड़ीबू टयां तु हारे भाव को नह लांघ सकत . (६) वी ३ दं म यमवासृपद् र ोहामीवचातनः. अमीवाः सवा ातयन् नाशयद भभा इतः.. (७) रा स का वनाश करने वाला तथा रोग को न करने वाला यह आंजन सभी रोग का वनाश करता आ तथा सभी रोग को परा जत करता आ स हो. (७) ब ३ दं राजन् व णानृतमाह पू षः. त मात् सह वीय मु च नः पयहसः.. (८) हे राजा व ण! यह मनु य सवेरे से शाम तक अनेक कार का अस य भाषण करता है. इस के अस य भाषण को मा करो. हे हजार कार क श वाले आंजन! इस अस य भाषण प बाण से हम सभी ओर से छु ड़ाओ. (८) यदापो अ या इ त व णे त य चम. त मात् सह वीय मु च नः पयहसः.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे व ण! हम ने जो कहा था, तुम जल के वामी होने के कारण उसे जानते हो. हे गायो! तुम मेरे च को जानती हो. हे व ण! म ने जो कहा है, उसे तुम जानते हो. हे हजार गुणी श वाले आंजन! हम उस पाप से मु दलाओ. (९) म वा व ण ानु ेयतुरा न. तौ वानुग य रं भोगाय पुनरोहतुः.. (१०) हे आंजन! म दे व और व ण दे व तु हारे पीछे पीछे भू म पर प ंचे तथा बाद म वग को गए. तुम सुख का उपभोग करने के लए उ ह लाओ. (१०)
सू -४५
दे वता—आंजन
ऋणा ण मव संनयन् कृ यां कृ याकृतो गृहम्. च ुम य हादः पृ ीर प शृणा न.. (१) हे आंजन! जस कार ऋण लेने वाला धन ऋण दाता को लौटा दे ता है, उसी तरह मुझे पीड़ा प ंचाने वाली कृ या नाम क रा सी को उसी के घर भेज दो, जस ने उसे मेरे पास भेजा है. हे आ द य के च ु आंजन! दय वाल के समीपव तय का भी वनाश करो. (१) यद मासु व यं यद् गोषु य च नो गृहे. अनामग तं च हादः यः त मु चताम्.. (२) हमारे पु , पौ आ द म जो बुरा व है, हमारी गाय से संबं धत जो बुरा व है, हमारे घर म थत दास आ द का जो बुरा व है, उसे नाम र हत श ु के लए छोड़ दो. (२) अपामूज ओजसो वावृधानम नेजातम ध जातवेदसः. चतुव रं पवतीयं यदा नं दशः दशः कर द छवा ते.. (३) हे जल के सार, ओज को बढ़ाने वाले तथा जातवेद अ न से उ प तथा ककुद नाम के पवत पर ज म लेने वाले आंजन! मेरे लए दशा और दशा को मंगलकारी बनाओ. (३) चतुव रं ब यत आ नं ते सवा दशो अभया ते भव तु. ुव त ा स स वतेव चाय इमा वशो अ भ हर तु ते ब लम्.. (४) हे र ा पी फल क कामना करने वाले पु ष! तेरे हाथ म चार दशा म श का दशन करने वाली आंजन म ण पी ओष ध अथात् जड़ी बांधी जाती है. इस म ण को धारण करने से तेरी दशाएं और दशाएं भय र हत हो जाएं. हे अ धकार संप आंजन! तुम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सूय के समान चार दशा बल दान कर. (४)
को का शत करते ए थर
प म रहो. ये सभी दशाएं तु ह
आ वैकं म णमेकं कृणु व ना ेकेना पबैकमेषाम्. चतुव रं नैऋते य तु य ा ा ब धे यः प र पा व मान्.. (५) हे पु ष! एक आंजन को अपनी आंख म धारण करो तथा सरे आंजन को म ण बनाओ. एक आंजन से नान करो. इस कार पवत क तीन चो टय पर उ प तीन आंजन का उपयोग करो. ये तीन वहां धारण क जाएं. इस का ान न कर के इ छानुसार इन का योग करो. चार श य वाले इस आंजन को हण करने के यो य ओष ध अथात् जड़ीबूट के साथ नऋ त दे वता से संबं धत बंधन से हमारी र ा करो. (५) अ नमा ननावतु ाणायापानायुषे वचस ओजसे तेजसे व तये सुभूतये वाहा.. (६) अ न अपने अ न व धम के ारा मेरी र ा कर. अ न ाण क थरता के लए, अपान क थरता के लए, आयु क वृ के लए, वेद के अ ययन से उ प तेज के लए, बल के लए, शरीर क कां त के लए, कुशल के लए तथा शोभन संप के लए मेरी र ा कर. यह आ त भलीभां त अ न को ा त हो. (६) इ ो मे येणावतु ाणायापानायायुषे वचस ओजसे तेजसे व तये सुभूतये वाहा.. (७) इं अपनी असाधारण श से मेरी र ा कर. इं ाण क थरता के लए, अपान क थरता के लए, आयु क वृ के लए, शरीर क कां त के लए, कुशल के लए तथा शोभन संप के लए मेरी र ा कर. यह आ त भलीभां त इं को ा त हो. (७) सोमो मा सौ येनावतु ाणायापानायायुषे वचस ओजसे तेजसे व तये सुभूतये वाहा.. (८) सोम अपनी श ाण क थरता के लए, अपान क थरता के लए, आयु क वृ के लए, शरीर क कां त के लए, कुशल के लए तथा शोभन संप के लए मेरी र ा कर. यह आ त सोम को भलीभां त ा त हो. (८) भगो मा भगेनावतु ाणायापानायायुषे वचस ओजसे तेजसे व तये सुभूतये वाहा.. (९) भग दे व अपनी श से ाण क थरता के लए, अपान क थरता के लए, आयु क वृ के लए, शरीर क कां त के लए, कुशल के लए तथा शोभन संप के लए मेरी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
र ा कर. यह आ त कामदे व को भलीभां त ा त ह (९) म तो मा गणैरव तु ाणायापानायायुषे वचस ओजसे तेजसे व तये सुभूतये वाहा.. (१०) म त अपने गण के साथ ाण क थरता के लए, अपान क थरता के लए, आयु क वृ के लए, शरीर क ां त के लए, कुशल के लए तथा शोभन संप के लए मेरी र ा कर. यह आ त म त् दे व को भलीभां त ा त हो. (१०)
सूं -४६
दे वता—आ तृत म ण
जाप त ् वा ब नात् थमम तृतं वीयाय कम्. तत् ते ब ना यायुषे वचस ओजसे च बलाय चा तृत वा भ र तु (१) हे आ तृत म ण! सृ के आ द से जाप त ने तु ह वीरता पूण काम के लए बांधा था. श ु तु ह बाधा नह प ंचा सकते. हे पु ष! आयु वृ के लए, द त के लए, ओज के लए तथा बल के लए म तेरे हाथ म श ु का उप व शांत करने वाली म ण को बांधता ं. यह म ण तु हारी र ा करे. (१) ऊ व त तु र मादम तृतेमं मा वा दभन् पणयो यातुधानाः. इ इव द यूनव धूनु व पृत यतः सवा छ ून् व षह वा तृत वा भ र तु.. (२) हे आ तृत म ण! तुम सावधानीपूवक इस धारणकता क र ा करती ई सवदा जाग क रहो. यातुधान अथात् रा स एवं प ण नाम के असुर तु हारी हसा न कर. इं ने जस कार अपने श ु को रण से भगाते ए कं पत कया था, उसी कार तुम लुटेर को कं पत करो. जो सं ाम क इ छा करते ह उन सभी श ु को वशेष प से परा जत करो. आ तृत म ण तु हारी र ा करे. (२) शतं च न हर तो न न तो न त तरे. त म ः पयद च ुः ाणमथो बलम तृत वा भ र तु.. (३) सैकड़ श ु श आ द से हार करते ए तथा ाण से हीन करते ए हसा न कर सक. इं ने श ु ारा ह सत न होने वाली आ तृत म ण के म य च ु, ाण तथा बल पूण कया. आ तृत म ण तु हारी र ा करे. (३) इ य वा वमणा प र धापयामो यो दे वानाम धराजो बभूव. पुन वा दे वाः णय तु सवऽ तृत वा भ र तु.. (४) हे आ तृत म ण! म तु ह इं के कवच से आ छा दत करता ं. वे इं दे व के राजा ए. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सभी दे व तुझे अपने काय क स के लए अपनेअपने कवच से आ छा दत कर. हे आ तृत म ण! सब दे व तु हारी र ा कर. (४) अ मन् मणावेकशतं वीया ण सह ं ाणा अ म तृते. ा ः श ून भ त सवान् य वा पृत यादधरः सो अ व तृत वा भ र तु.. (५) इं के कवच से सुर त होने के कारण इस आ तृत म ण के एक सौ एक साम य ह तथा हजार ाण अथात् बल ह. तुम बाघ के समान सभी श ु पर आ मण कर के उ ह परा जत करने म समथ बनो. मेरा जो श ु तुझ म ण से यु करने क इ छा करे, वह परा जत हो. हे आ तृत म ण! सब दे व तु हारी र ा कर. (५) घृता लु तो मधुमान् पय वा सह ाणः शतयो नवयोधाः. शंभू मयोभू ोज वां पय वां ा तृत वा भ र तु.. (६) ऊपर के भाग म घी से लए ए, शहद से यु , ध से संप , सभी दे व से अनुगृहीत होने के कारण हजार श य से पूण, इं के कवच से सुर त होने के कारण सौ बल से संप , म ण धारक पु ष को अ दान करने वाले, सुख दे ने वाले, सु वधा दान करने वाले, अ के दाता तथा ध आ द दे ने वाले आ तृत नाम क इस म ण क सभी दे व र ा कर. (६) यथा वमु रो ऽ सो असप नः सप नहा. सजातानामसद् वशी तथा वा स वता करद तृत वा भ र तु.. (७) हे साधक! तुम सब से े बनो. कोई तु हारा श ु न बने तथा तुम सभी श ु का वनाश करो. तुम अपने सजातीय जन के म य म सर को वश म करने वाले बनो. स वता दे व म ण बांधने वाले तुम को इसी कार का कर. आ तृत म ण तु हारी र ा करे. (७)
सू -४७
दे वता—रा
आ रा पा थवं रजः पतुर ा य धाम भः. दवः सदां स बृहती व त स आ वेषं वतते तमः.. (१) हे रा ! तुम ने अपने अंधकार से पृ वीलोक तथा पतर के लोक वग को पूण कर दया है. महती रा ुलोक के थान को वशेष प ये ा त करती है. नील वण का अंधकार सब को ा त करता है. (१) न य याः पारं द शे न योयुवद् व म यां न वशते यदे ज त. अ र ास त उ व तम व त रा पारमशीम ह भ े पारमशीम ह.. (२) रात का पार दखाई नह दे ता है. लोक ा पनी रा म चराचर व ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एकाकार ही हो
जाता है, अलगअलग दखाई नह दे ता है. जगत् कांपता है, तथा ाणी इस रा म इधरउधर जाने म असमथ हो जाते ह. हे अंधकार वाली रा ! सप, बाघ, चोर आ द क बाधा से र हत हम तेरे अं तम नाम अथात् ातःकाल को ा त कर. हे क याणका रणी रा ! हम क याण को ा त कर. (२) ये ते रा नृच सो ारो नव तनव. अशी तः स य ा उतो ते स त स त तः.. (३) हे रा ! मनु य के कम फल के दे खने वाले तु हारे जो न यानवे गण दे वता ह, अठासी गण दे वता ह तथा सतह र गण दे वता ह, वे तु हारी म हमा का व तार करते ह. (३) ष षट् च रेव त प चाशत् प च सु न य. च वार वा रश च य ंश च वा ज न.. (४) हे धन दान करने वाली रा ! छयासठ और पचपन जो गण दे वता ह, हे सुख दे ने वाली रा ! चवालीस जो गण दे वता ह, हे अ दान करने वाली रा ! ततीस जो गण दे वता ह, वे तु हारी म हमा का व तार करते ह. (४) ौ च ते वश त ते रा येकादशावमाः. ते भन अ पायु भनु पा ह हत दवः.. (५) हे रा ! तु हारे जो बाईस और यारह गण दे वता ह तथा इस से कम सं या वाले जो गण दे वता ह, हे ुलोक क पु ी रा ! इस समय उन र क गण दे व के साथ हमारी र ा करो. (५) र ा मा कन अघशंस ईशत मा नो ःशंस ईशत. मा नो अ गवां तेनो मावीनां वृक ईशत.. (६) हे रा ! हमारा पालन करो, पाप कम करने क बात कहने वाला कोई भी हम बाधा प ंचाने म समथ न हो. ता पूण वचन बोलने वाला हम बाधा न प ंचाए. हे रा ! आज चोर हमारी सभी गाय को चुराने म समथ न हो. भे ड़या हमारी भेड़ का बलपूवक अपहरण करने म समथ न हो. (६) मा ानां भ े त करो मा नृणां यातुधा यः. परमे भः प थ भ तेनो धावतु त करः. परेण द वती र जुः परेणाघायुरषतु.. (७) हे भली रा ! चोर हमारे घोड़ को चुराने म समथ न हो तथा यातुधान हमारे पु आ द के वामी न बन सक. चोर और त कर अ त र माग से अपने साधन ारा र भाग जाएं. दांत वाली र सी के समान वशाल सप र भाग जाएं. सर क हसा करने के इ छु क हम ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से र चले जाएं. (७) अध रा तृ धूममशीषाणम ह कृणु. हनू वृक य ज भया तेन तं पदे ज ह.. (८) हे रा ! यास उ प करने वाले तथा धुआं छोड़ने वाले सप को तुम बना शीश वाला बनाओ अथात् मार डालो. ढ़ दाढ़ के कारण सर का भ ण करने वाले भे ड़य को टू ट ई ठोड़ी वाला बना कर न करो. हे सव ा त रा उस भे ड़ए को मारो. (८) व य रा वसाम स व प याम स जागृ ह. गो यो नः शम य छा े यः पु षे यः.. (९) हे रा ! हम तुझ म नवास करते ह. हम रा के समय सोते ह, पर तुम जा त रहो. तुम हमारी गाय को, घोड़ को तथा प रवारी जन को सुख दान करो. (९)
सू -४८
दे वता—रा
अथो या न च य मा ह या न चा तः परीण ह. ता न ते प र दद्म स.. (१) मुझ से संबं धत जो बाहरी व तुएं गोचर तथा खुले दे श म ह तथा जो आसपास के घर म व मान ह, म वे सभी व तुएं तुझे दे ता ं. (१) रा मात षसे नः प र दे ह. उषा नो अ े प र ददा वह तु यं वभाव र.. (२) हे माता रा ! हम उषाःकाल को दान करो तथा उषाःकाल हम दन को दान करे. हे रा ! दन हम तुम को दान कर. (२) यत् क चेदं पतय त यत् क चेदं सरीसृपम्. यत् क च पवतायास वं त मात् वं रा पा ह नः.. (३) जो प ी आ द आकाश म संचरण करते ह, जो धरती पर सरकने वाले सप आ द ह, जो पवत संबंधी जीव—जंतु ह, हे रा उन से हमारी र ा करो. (३) सा प ात् पा ह सा पुरः सो रादधरा त. गोपाय नो वभाव र तोतार त इह म स.. (४) हे पूव उ ल ण वाली रा ! तुम प म दशा म, पूव दशा म, उ र दशा म तथा द ण दशा म हमारी र ा करो. हे रा ! हमारी र ा करो. हम इस समय तु हारी तु त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करने वाले ह . (४) ये रा मनु त त ये च भूतेषु जा त. पशून् ये सवान् र त ते न आ मसु जा त ते नः पशुषु जा त.. (५) जो मनु य रा के समय अचनपूजन आ द अनु ान करते ह तथा जो भवन संबंधी ा णय के कारण जागते ह, जो सभी पशु क र ा करते ह, वे हमारे तथा हमारे पु आ द क र ा के लए जागते ह, वे पशु क र ा के लए भी जाग. (५) वेद वै रा ते नाम घृताची नाम वा अ स. तां वां भर ाजो वेद सा नो व े ऽ ध जा त.. (६) हे रा ! म तेरे नाम को जानता .ं तू द तमती नाम वाली है. ऐसी तुझ रा भर ाज जानते ह. वह रा हमारे धन क र ा के लए जागृत रहे. (६)
सू -४९
को
दे वता—रा
इ षरा योषा युव तदमूना रा ी दे व य स वतुभग य. अ भा सुहवा संभृत ीरा प ौ ावापृ थवी म ह वा.. (१) सब के ारा ाथनीय, यौवन वाली तथा े मन वाली रा सभी के ेरक स वता और भग दे व क प नी है. यह अपने वषय म च ु आ द इं य का तर कार करती है. यह उ म हवन करने यो य तथा संपूण कां त वाली रा अपने मह व से ावा और पृ वी को पूण करती है. (१) अ त व ा य हद् ग भीरो व ष म ह त व ाः. उशती रा यनु सा भ ा भ त ते म इव वधा भः.. (२) जस म वेश करना क ठन है, ऐसी रा सभी चराचर व तु को ा त कर के वतमान है. इस अ तशय अ वाली रा क सब तु त करते ह. यह वन, पवत, सागर आ द को ा त कर के थत है. यजमान आ द के ारा द अ आ द साधन से सूय जस कार अपने तेज से त ण व को आ ांत करते ह, उसी कार यह रा भी जगत् पर छा जाती है. (२) वय व दे सुभगे सुजात आजगन् रा सुमना इह याम्. अ मां ाय व नया ण जाता अथो या न ग ा न पु ा.. (३) हे न कने वाले भाव वाली, सभी के ारा तु त क गई, सौभा य वाली तथा भलीभां त उ प रा ! तुम आ गई हो. तु हारे आने पर म सुंदर मन वाला बनूं. मेरा पालन करो तथा उ प व तु को, मनु य क हतकारी व तु को तथा पु करने वाली गाय ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ द जो हतकारी व तुएं ह, उन क र ा करो. (३) सहं य रा युशती प ष य ा य पनो वच आ ददे . अ य नं पू ष य मायुं पु पा ण कृणुषे वभाती.. (४) इ छा करती ई यह रा सह, हाथी, गडा, बाघ आ द के तेज का अपहरण करती है. यह अ के वेग को तथा पु ष के श द को ख च लेती है. हे रा ! तुम द तमती हो कर नाना कार के प धारण करती हो. (४) शवां रा मनुसूय च हम य माता सुहवा नो अ तु. अ य तोम य सुभगे न बोध येन वा व दे व ासु द ु.. (५) हे रा ! म क याण करने वाली तेरी तथा सूय क वंदना करता ं. तुषार क माता रा हमारे उ म आ ान का वषय हो. हे सौभा यशा लनी रा ! तुम इस समय कए जाते ए हमारे तो को जानो. इस तो के ारा हम सभी दशा म तेरी वंदना करते ह. (५) तोम य नो वभाव र रा राजेव जोषसे. आसाम सववीरा भवाम सववेदसो ु छ तीरनूषसः.. (६) हे का शत होती ई रा ! जस कार राजा तोता के ारा क जाती ई तु त को यानपूवक सुनता है, उसी कार तुम हमारी तु तय को सावधान हो कर सुनो. अंधकार का वनाश करती ई एवं उषाःकाल के प ात आती ई रा क कृपा से हम वीर पु , पौ और सेवक वाले बन तथा सभी कार के धन से संप ह . (६) श या ह नाम द धषे मम द स त ये धना. रा ी ह तानसुतपा य तेनो न व ते यत् पुनन व ते.. (७) हे रा ! तुम श या अथात् श ु के बल को शांत करने वाला नाम धारण करती हो. जो श ु मेरे धन का अपहरण करने क इ छा करते ह, हे रा ! तुम उन श ु के ाण को संत त करती ई आओ. मेरा वरोधी जो दखाई दे रहा है, वह पुनः दखाई न दे . (७) भ ा स रा चमसो न व ो व वङ् गो पं युव त बभ ष. च ु मती मे उशती वपूं ष त वं द ा न ाममु थाः.. (८) हे रा ! तुम च मच के समान क याण पा हो. तुम सव ा त यौवन वाली गाय का प धारण करती हो. हमारा पोषण करने क कामना करती ई एवं दे खने क श से संप तुम मेरे तथा मेरे पु आ द के शरीर क र ा करो. जस कार द पु ष शरीर का याग नह करते, उसी कार तुम धरती को मत छोड़ो. (८) यो अ
तेन आय यघायुम य रपुः.
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रा ी त य ती य
ीवाः
शरो हनत्.. (९)
इस समय जो चोर, हसा करने वाला तथा मरणधमा श ु आता है, हे सुंदर प वाली रा ! मेरे समीप आने वाले श ु के समीप जा कर उस क ज ा और शीश को काट दो. (९) पादौ न यथाय त ह तौ न यथा शषत्. यो म ल लु पाय त स सं प ो अपाय त. अपाय त वपाय त शु के थाणावपाय त.. (१०) हे रा ! तुम मेरे श ु के पैर को इस कार काट दो क वह फर आने यो य न रहे. तुम उस के हाथ को इस कार काट दो जस से वह मेरा आ लगन न कर सके. जो चोर मेरे समीप आता है. उसे इस कार पीस दो क वह मुझ से र चला जाए. वह भलीभां त पूण प से चला जाए. वह मेरे पास से जा कर सूखे खंभे का आ य ा त करे. (१०)
सू -५०
दे वता—रा
अध रा तृ धूममशीषाणम ह कृणु. अ ौ वृक य नज ा तेन तं पदे ज ह.. (१) हे रा ! जस सप क धुएं के समान सांस क दायक है, उस का सर काट दो. भे ड़ए को ने हीन कर के वृ के नीचे मार डालो. (१) ये ते रा यनड् वाह ती णशृ ाः वाशवः. ते भन अ पारया त गा ण व हा.. (२) हे रा ! तु हारे वाहन जो नुक ले स ग वाले तथा अ य धक शी चलने वाले बैल ह, उन के ारा हम सभी रा य के सभी अनथ से पार कराओ. (२) रा रा म र य त तरेम त वा वयम्. ग भीरम लवा इव न तरेयुररातयः.. (३) सभी रा य म गमन करते ए हम शरीर से पुनः पौ आ द के साथ रा को पार कर. हमारे श ु नद पार करने के साथ नाव आ द से हीन पु ष के समान रा को पार न कर पाएं अथात् रा म ही न हो जाएं. (३) यथा शा याकः पत पवान् नानु व ते. एवा रा पातय यो अ माँ अ यघाय त.. (४) जस कार सवां अ पकने पर गरता आ सारहीन हो जाता है तथा बलकुल नह बचता, हे रा ! जो हमारे त हसा करने क इ छा रखता है, उसे उसी कार गरा दो. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अप तेनं वासो गोअजमुत त करम्. अथो यो अवतः शरो ऽ भधाय ननीष त.. (५) जो चोर हमारे व , गाय तथा बक रयां ले जाना चाहते ह तथा जो हमारे घोड़ के सर को र सी से बांध कर ले जाना चाहते ह, उ ह र भगाओ. (५) यद ा रा सुभगे वभज ययो वसु. यदे तद मात् भोजय यथेद यानुपाय स.. (६) हे सौभा यशा लनी रा ! आज जो चोर वण आ द धातु का अपहरण करते ह, उस धन को हमारे उपभोग का साधन बनाओ. इस से श ु ारा छ ने गए हमारे घोड़े, हाथी भी हम ा त हो जाएं. (६) उषसे नः प र दे ह सवान् रा यनागसः. उषा नो अ े आ भजादह तु यं वभाव र.. (७) हे रा ! हम सभी तु तकता तथा पशु , पु , म आ द को र ण के लए उषा को दान करो. हे वभावरी! उषः हम सब को दन दान करे तथा दन पुनः तु ह ा त करे. (७)
सू -५१
दे वता—आ मा, स वता
अयुतो ऽ हमयुतो म आ मायुतं मे च ुरयुतं मे ो मयुतो मे. ाणो ऽ युतो मे ऽ पानो ऽ युतो मे ानो ऽ युतो ऽ हं सवः.. (१) कम का अनु ान करने का इ छु क म पूण ं. मेरा शरीर पूण है, मेरी आ मा पूण है, मेरे ने , कान, मेरी ाण वायु, मेरी अपान वायु तथा मेरी ान वायु पूण है. इस कार म सभी से पूण ं. (१) दे व य वा स वतुः सवे ऽ (२)
नोबा यां पू णो ह ता यां सूत आ रभे..
हे कम! म सब के ेरक स वता दे व क आ ा से, अ नीकुमार क भुजा पूषा दे व के हाथ से तेरा आरंभ करता ं. (२)
सू -५२
दे वता—काम
काम तद े समवतत मनसो रेतः थमं यदासीत्. स काम कामने बृहता सयोनी राय पोषं यजमानाय धे ह.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
से तथा
इस वतमान सृ के पहले परमे र के मन म काम भलीभां त ा त हो गया. माया म वलीन अंतःकरण म वही काम बीज बना. हे काम! सारे संसार का नमाण करने के लए उ प कए गए तुम महान परमे र के ारा समान कारण बने. हे काम! तुम यजमान को धन क अ धकता दान करो. (१) वं काम सहसा स त तो वभु वभावा सख आ सखीयते. वमु ः पृतनासु सास हः सह ओजो यजमानाय धे ह.. (२) हे काम! तुम अपने साम य से त त हो. हे ापक एवं वशेष द त वाले! तुम हमारे त म के समान आचरण करते हो. हे काम! तुम ो धत होने पर श ु सेना को सहन करते हो. तुम यजमान को ऐसा बल दान करो जो श ु को परा जत करने म समथ हो. (२) रा चकमानाय तपाणाया ये. आ मा अशृ व ाशाः कामेनाजनय
वः.. (३)
अ त लभ फल क इ छा करने वाले मुझ को सभी ओर से र ा करने के लए तथा अ न के नवारण के लए सभी दशाएं काम के सहयोग से सुख उ प कर. (३) कामेन मा काम आगन् दयाद् दयं प र. यदमीषामदो मन तदै तूप मा मह.. (४) फल वषयक इ छा से काम मेरे समीप आए. ा ण का फल ा त करने वाला मन भी मुझे ा त हो. (४) य काम कामयमाना इदं कृ म स ते ह वः. त ः सव समृ यतामथैत य ह वषो वी ह वाहा.. (५) हे काम! जस फल क इ छा करते ए हम तेरे लए ह व दान करते ह, उस ह व का तुम भ ण करो. यह ह व तु ह भलीभां त ा त हो. हम ने जो कामना क है, यह सभी कार से पूण हो. (५)
सू —५३
दे वता—काल
कालो अ ो वह त स तर मः सह ा ो अजरो भू ररेताः. तमा रोह त कवयो वप त त य च ा भुवना न व ा.. (१) सात करण अथवा र सय वाला, हजार ने वाला, वृ ाव था र हत तथा अ य धक वीय से यु काल पी घोड़ा रथ को ख चता है. सभी लोक उस के च अथात् प हए ह. व ान् पु ष उस रथ पर सवार होते ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स त च ान् वह त काल एष स ता य नाभीरमृतं व ः. स इमा व ा भुवना य त् कालः स ईयते थमो नु दे वः.. (२) यह काल प परमा मा म से प हय के समान सात ऋतु को धारण करता है. इस संव सर प काल क सात ना भयां ह और इस के अ अथात् अरे न न होने वाले ह. वह संव सर प काल उन सात भुवन तथा इन म रहने वाले ा णय को करता आ सब से पहले उ प एवं द है. (२) पूणः कु भो ऽ ध काल आ हत तं वै प यामो ब धा नु स तम्ः. स इमा व ा भुवना न यङ् कालं तमा ः परमे ोमन्.. (३) यह ांड प भरा आ कुंभ अथात् घड़ा संव सर पी काल पर रखा आ है. संत अथात् ानी पु ष उस काल के दवस, रा आ द अनेक प को दे खते ह. यह काल प परमा मा सभी उप थत ा णय के सामने कट होता है तथा उ ह अपने म मला लेता है. इस काल को आकाश के समान नलप कहा जाता है. (३) स एव सं भुवना याभरत् स एव सं भुवना न पयत्. पता स भवत् पु एषां त माद् वै ना यत् परम त तेजः.. (४) वही काल सब भुवन को उ प करता है. वही काल सब भुवन म ा त होता है. वही काल इन भुवन को उ प करने वाला पता होता आ पु भी होता है. उस काल के अ त र कोई भी तेज महान नह है. (४) कालोऽमूं दवमजनयत् काल इमाः पृ थवी त. काले ह भूतं भ ं चे षतं ह व त ते.. (५) काल प परमा मा ने इस ुलोक अथात वग को ज म दया. काल ने उन पृ वय को उ प कया. काल म ही यह भूत, भ व य एवं वतमान व चे ा करता है. (५) कालो भू तमसृजत काले तप त सूयः. काले ह व ा भूता न काले च ु व प य त.. (६) काल ने भवन वाले संसार को उ प कया है. काल क रे णा से ही सूय संसार को का शत करता है. सभी ाणी काल म ही वतमान रहते ह. च ु आ द इं यां अपना काम करती ह. (६) काले मनः काले ाणः काले नाम समा हतम्. कालेन सवा न द यागतेन जा इमाः.. (७) काल म मन, ाण तथा नाम
ा त ह. ये सब जाएं वसंत आ द
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प काल के कारण
स रहती है. (७) काले तपः काले ये ं काले समा हतम्. कालो ह सव ये रो यः पतासीत् जापतेः.. (८) काल म तप, काल म संसार का कारण हर य गभ ा त है. काल म ही अंग स हत वेद ा त था. काल ही सब का वामी है. काल ही जा का ई र और पता था. (८) तेने षतं तेन जातं त त मन् त तम्. कालो ह ब भू वा बभ त परमे नम्.. (९) काल ने इस संसार को बनाने क इ छा क . काल से उ प जगत् काल म ही आ. काल ही बल बन कर परमे ी को धारण करता है. (९)
त त
कालः जा असृजत कालो अ े जाप तम्. वय भूः क यपः कालात् तपः कालादजायत.. (१०) काल ने जा को उ प कया. काल ने सृ के आरंभ म जाप त को उ प कया. काल से ही वयंभू ा और क यप ऋ ष उ प ए. तेज भी काल से ही उ प आ. (१०)
दे वता—काल
सू —५४ कालादापः समभवत् कालाद् तपो दशः. कालेनोदे त सूयः काले न वशते पुनः.. (१) काल से जल क उ प तथा पूव आ द दशाएं उ प अ त हो जाता है. (१)
ई. काल से अथात् य आ द कम, चां ायण आ द तप . काल के कारण ही सूय उदय होता है तथा काल म ही
कालेन वातः पवते कालेन पृ थवी मही. ौमही काल आ हता.. (२) काल के कारण वायु चलती है. काल के कारण पृ वी म हमामयी है. म हमामय है तथा काल के आ त है. (२)
ुलोक काल से
कालो ह भूतं भ ं च पु ो अजनयत् पुरा. काला चः समभवन् यजुः कालादजायत.. (३) पहले काल से भूत, भ व य, पु तथा ऋचाएं उ प आ. (३)
. काल से ही यजुवद का ज म
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कालो य ं समैरयद्दे व ् े यो भागम तम्. काले ग धवा सरसः काले लोकाः त ताः.. (४) काल ने य को दे वता सब लोक त त ह. (४)
के भाग के
प म कट कया. काल म गंधव, अ सराएं एवं
काले ऽ यम रा दे वो ऽ थवा चा ध त तः. इमं च लोकं परमं च लोकं पु यां लोकान् वधृती पु याः. सवा लोकान भ ज य णा कालःस ईयते परमो नु दे वः.. (५) ये अं गरा दे व और अथवा ऋ ष अ ध त ह. इस लोक को, परलोक को, पु यलोक को, ःखर हत लोकधारक को, सभी कहे गए और बना कहे गए लोक को यह प काल ा त कर के उ म काल दे व सभी थावर और जंगम जगत् को उ प करता है. (५)
सू —५५
दे वता—अ न
रा रा म यातं भर तो ऽ ायेव त ते घासम मै. राय पोषेण स मषा मद तो मा ते अ ने तवेशा रषाम (१) हे अ न दे व! तुम य के साधन के प म गाहप य आ द य शाला म वतमान हो. जस कार घोड़े को घास द जाती है, उसी कार तु हारे लए हम यह खाने यो य ह व रात दन दान करते ए अ और धन से स होते ए तु हारा सामी य ा त कर तथा हम नाश क ा त न हो. (१) या ते वसोवात इषुः सा त एषा तया नो मृड. रास पोषेण स मषा मद तो मा ते अ ने तवेशा रषाम.. (२) हे नवास करने वाले अ न दे व! तु हारी तथा अ य दे व क जो कृपामयी बु है, अपनी इस बु से हमारी र ा करो. धन और अ से स होते ए हम तु हारा सामी य ा त कर और हम नाश को ा त न ह . (२) सायंसायं गृहप तन अ नः ातः ातः सौमनस य दाता. वसोवसोवसुदान ए ध वयं वे धाना त वं पुषेम.. (३) गृहप त ारा आधान क गई अ न सायं और ातः तथा सभी काल म सुख को दे ने वाली हो. हे अ न! तुम सभी कार के धन को दे ने वाली बनो. तु ह ह व के ारा द त करते ए हम पु , म आ द सभी के शरीर को पु कर. (३) ातः ातगृहप तन अ नः सायंसायं सौमनस य दाता. वसोवसोवसुदान एधी धाना वा शतं हमा ऋधेम.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे गृहप त ारा आधान क गई अ न! तुम सायं और ातः हम सुख दे ने वाली बनो. हे धन दान करने वाली अ न! तुम वृ दान करो. हम तु ह ह व ारा द त करते ए सौ वष तक जी वत रह. (४) अप ा द धा य भूयासम्. अ ादाया पतये ाय नमो अ नये. स यः सभां मे पा ह ये च स याः सभासदः.. (५) बटलोई के नचले भाग म जले ए भोजन को ा त करने वाला म न बनूं. ता पय यह है क म अ धक भोजन ा त क ं . अ दान करने वाले अ न और अ के वामी के लए नम कार है. हे सभा के यो य अ न! तुम मेरी सभा अथात् पु , म , पशु आ द के समूह क र ा करो. जो उस समूह म थत रहने वाले ह, हे अ न दे व! उन क र ा करो. (५) व म ा पु त व मायु वत्. अहरहब ल म े हर तो ऽ ायेव त ते घासम ने.. (६) हे ब त के ारा आ ान कए गए इं और ऐ य वाले अ न! तुम हम संपूण अ और जीवन ा त कराओ. बंधे ए घोड़े को जस कार घास ा त कराई जाती है, उसी कार तु ह त दन ह व दान करते ए हम पूण आयु ा त कर. (६)
सू —५६
दे वता— ः व नाशन
यम य लोकाद या बभू वथ मदा म यान् युन धीरः. एका कना सरथं या स व ा व ं ममानो असुर य योनौ.. (१) हे बुरे व के अ भमानी ू र कर य और पु ष के समीप प जानता आ तू ाण के आ मीय सहायक हीन रथ के ारा यमलोक
पशाच! तू यमलोक से धरती पर आया है. तू नभय हो ंच जाता है. शरीरधा रय क आयु क वृ और हा न थान दय म व के क का नमाण करता आ ा त कराता है. (१)
ब ध वा े व चया अप यत् पुरा रा या ज नतोरेके अ . ततः व द े म या बभू वथ भष यो पमपगूहमानः.. (२) हे ः व के अ भमानी! सब के ा और वधाता ने तुझे सृ से पहले दे खा था. मानस, थाप य आ द ने तुझे दवस और रा के ज म से पूव दे खा था. हे व ! तुम इस जगत् को ा त कर रहे हो. तुम च क सक से अपना प छपाए रहते हो. ता पय यह है क च क सक तु हारा भाव समा त नह कर पाते. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बृहद्गावासुरे यो ऽ ध दे वानुपावतत म हमान म छन्. त मै व ाय दधुरा धप यं य ंशासः व रानशाना.. (३) सब को ा त करने वाला व असुर के पास से चल कर दे व को ा त आ था. व दे व के पास मह व ा त करने के लए गया था. ततीस दे वता ने उस व को अ न करने क श दान क . (३) नैतां व ः पतरो नोत दे वा येषां ज प र य तरेदम्. ते व मदधुरा ये नर आ द यासो व णेनानु श ाः.. (४) दे व के ारा व को जो अ न कारक श दान क गई थी, उसे न पता जानते ह और न दे व जानते ह. आ द य ने ः व से बचने का उपाय व ण से पूछा. व ण ने आ द य को व से बचने का उपाय बताया. आ द य ने जल के पु म नामक ऋ ष पर अ न फल सूचक व को था पत कर दया. (४) य य ू रमभज त कृतो ऽ व ेन सुकृतः पु यमायुः. वमद स परमेण ब धुना त यमान य मनसो ऽ ध ज षे.. (५) पापी पु ष उस ः व का भयंकर फल ा त करते ह. उ म कम करने वाले ः व न दे ख कर पु य कम करने के लए आयु ा त करते ह. हे बुरे व ! तुम वगलोक म सव े वधाता के साथ स रहते हो तथा मृ यु के पास से संत त बुरे कम करने वाले पु ष के मन म मृ यु क सूचना दे ने के लए उ प होते हो. (५) वद्म ते सवाः प रजाः पुर ताद् वद्म व यो अ धपा इहा ते. यश वनो नो यशसेह पा ाराद् षे भरप या ह रम्.. (६) हे व ! हम तेरे सभी प रजन को जानते ह तथा इस समय तेरा जो वामी है, उसे भी जानते ह. तेरे प रजन तथा वामी को जानने वाले हम यश वीजन क इस संग म य अथवा अ के लए र ा करो. जो लोग हम से े ष करते ह, तुम उन के साथ र दे श म चले जाओ. (६)
सू —५७
दे वता— ः व नाशन
यथा कलां यथा शफं यथण संनय त. एवा व यं सवम ये सं नयाम स.. (१) जैसे ऋ वज् मारे गए ब ल पशु को काट कर टु कड़े यो य अंग का सं कार करते ए खुर आ द योग म न आने वाले अंग को साथ ले कर अ य जाते ह तथा जस कार ऋण दे ने वाले को मूल धन और याज लौटाते ह, उसी कार बुरे व के कारण जतने भी अनथ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ह, उ ह हम जल के म य
त नाम के मह ष पर धारण करते ह. (१)
सं राजानो अगुः समृणा यगुः सं कु ा अगुः सं कला अगुः. सम मासु यद् व यं न षते व यं सुवाम.. (२) जस कार राजा लोग सरे के रा का वनाश करने के लए एक हो जाते ह, जस कार एक ऋण के न चुकाने पर ब त से ऋण हो जाते ह, जस कार कु रोग होने पर ब त से रोग हो जाते ह, जैसे पशु के खुर आ द अनुपयोगी अंग फकने से गड् ढे अथवा पुराने कुएं म एक हो जाते ह, उसी कार हम अपने ः व को उस के पास भेजते ह जो हम से े ष करता है. (२) दे वानां प नीनां गभ यम य कर यो भ ः व . स मम यः पाप तद् ह मः. मा तृ ानाम स कृ णशकुनेमुखम्.. (३)
षते
हे व ! तुम अ सरा के गभ हो, यमराज के हाथ हो. तु हारा जो मंगलकारी अंश है, वह मुझे ा त हो. तु हारा जो ू र अंश है, उसे म उस के पास म भेजता ं जो मुझ से े ष करता है. हे कौए के मुख से उ प ः व ! तुम मेरे लए बाधक मत बनो. (३) तं वा व तथा सं वद्म स वं व ा इव कायम इव नीनाहम्. अना माकं दे वपीयुं पया ं वप यद मासु व यं यद् गोषु य च नो गृहे.. (४) हे व ! तुम कस लए उ प ए हो, यह सब हम जानते ह. घोड़ा जस कार अपने धू ल धूस रत अंग को कं पत करता है और अपनी काठ आ द को र फक दे ता है, उसी कार म तु ह अपने श ु के पास तथा दे व के य म बाधा डालने वाले के पास फकता ं. हमारे शरीर म, हमारी गाय म और हमारे घर म जो ः व का फल है, वह हमारे श ु और दे व श ु अथात् य कम म बाधा डालने वाले पर प ंचे. (४) अना माक तद् दे वपीयुः पया न क मव नवार नीनपमया अ माकं ततः प र. व यं सव षते नदयाम स.. (५)
त मु चताम्.
हे व ! तेरे अ न फल को हमारा तथा दे व का श ु अपने शरीर पर वण के आभूषण के समान धारण करे. हमारे ः व का जो फल है, वह हम से नौ मुट्ठ र हट जाए. हम ः व के बुरे भाव को अपने श ु क ओर भेजते ह. (५)
सू —५८
दे वता—मं
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म बताए गए
घृत य जू तः समना सदे वा संव सरं ह वषा वधय ती. ो ं च ःु ाणो ऽ छ ो नो अ व छ ा वयमायुषो वचसः.. (१) परमा मा के व प के वषय म जो ान है, वह सभी ा णय के दय तथा सभी ा णय क इं य म थत है. परमा मा से संबं धत ान परमा मा को ह व के ारा बढ़ाता आ हमारे कान और आंख को व थ करे. हम जीवन के तेज से यु रह. (१) उपा मान् ाणो यतामुप वयं ाणं हवामहे. वच ज ाह पृ थ १ त र ं वचः सोमो बृह प त वध ा.. (२) शरीर को धारण करने वाली ाण वायु मानस य करने वाले हम को द घ जीवन क अनुम त दान करे. हम ाण वायु को अपने शरीर म चरकाल तक थत रहने के लए बुलाते ह. पृ वी और अंत र ने हम दे ने के लए ही तेज हण कया है. हे सोम! बृह प त एवं अ न अथवा सूय हम दे ने के लए तेज हण कर. (२) वचसो ावापृ थवी सं हणी बभूवभुवच गृही वा पृ थवीमनु सं चरेम. यशसं गावो गोप तमुप त यायतीयशो गृही वा पृ थवीमनु सं चरेम.. (३) हे आकाश और पृ वी! तुम हम तेज दान करने वाली बनो. हम तेज हण कर के पृ वी पर संचरण कर. गाय के वामी मेरे अ धकार म अ और गाएं थत ह. हम आती ई गाय को हण कर के पृ वी पर संचरण कर. (३) जं कृणु वं स ह वो नुपाणो वमा सी वं ब ला पृथू न. पुरः कृणु वमायसीरधृ ा मा वः सु ो चमसो ं हता तम्.. (४) हे इं यो! तुम शरीर म थान बनाओ, य क यह शरीर अपनेअपने वषय म तु हारा र क है. तुम अपने व तृत वषय को अ धकार म करो. यह शरीर तु हारा चमस अथात् तु हारे भोग का साधन है. इस का वनाश न हो. तुम इस शरीर को ढ़ करो. (४) य य च ुः भृ तमुखं च वाचा ो ेण मनसा जुहो म. इमं य ं वततं व कमणा दे वा य तु सुमन यमानाः.. (५) च ु आ द इं य को म मानस य म हवन करता ं. यह य कया है. उ म दय वाले दे व इस मानस य को ा त कर. (५)
व कमा दे व ने व तृत
ये दे वानामृ वजो ये च य या ये यो ह ं यते भागधेयम्. इमं य ं सह प नी भरे य याव तो दे वा त वषा मादय ताम्.. (६) दे वता
म जो समय-समय पर य
करने वाले अथात् ऋ वज् ह तथा जो य
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के
यो य ह, इन दोन के भाग के प म ह व दान कया जाता है. जतने महान दे व ह, वे अपनीअपनी प नय , इं ाणी आ द के साथ इस य म आ कर ह व ा त कर तथा तृ त ह . (६)
सू —५९ वम ने तपा अ स दे व आ म य वा. वं य े वी
दे वता—अ न ः.. (१)
हे अ न! तुम य कम का पालन करने वाली हो. तुम मनु य म जठरा न के सभी ओर ा त हो. तुम दश, पौणमास आ द य क तु त के यो य हो. (१)
पम
यद् वो वयं मनाम ता न व षां दे वा अ व ारासः. अ न द् व ादा पृणातु व ा सोम य यो ा णाँ आ ववेश.. (२) हे दे वो! अपने त को न जानने वाले हम जानने वाल को न करते ह. उस लु त कम को जानती ई अ न पूण करे. वह अ न सोम के संबंध से ा ण के स मुख जाती है. (२) आ दे वानाम प प थामग म य छ नवाम तदनु वोढु म्. अ न व ा स यजात् स इ ोता सो ऽ वरा स ऋतून् क पया त.. (३) जस माग पर चल कर दे व को ा त कया जाता है, हम उस माग पर चल. हम जो अनु ान कर सकते ह, उसे करने के हेतु दे व के माग पर गमन कर. जानने वाली अ न उस माग को दे व को ा त कराएं. वही अ न दे व और मनु य का आ ान करने वाली है. अ न य तथा ऋतु को सुर त कर. (३)
सू —६०
दे वता—याग आ द
वाङ् म आस सोः ाण ुर णोः ो ं कणयोः. अप लताः केशा अशोणा द ता ब बा ोबलम्.. (१) मेरे मुख म वाणी हो. मेरी ना सका म ाण रह. मेरी आंख म दे खने क श रहे. मेरे कान म सुनने क श हो. मेरे केश ेत न ह . मेरे दांत कभी न टू ट. मेरी भुजा म अ धक बल रहे. (१) ऊव रोजो जङ् घयोजवः पादयोः. त ा अ र ा न मे सवा मा नभृ ः.. (२) मेरे उ म ओज रहे, जंघा म वेग रहे तथा चरण म चलने क श आ मा अ ह सत रहे तथा मेरे सभी अंग पाप र हत ह . (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
रहे. मेरी
सू —६१
दे वता—
ण पत
तनू त वा मे सहे दतः सवमायुरशीय. योनं मे सीद पु ः पृण व पवमानः वग.. (१) म जीवनभर अपने दांत से खाता र ं. म श ु को अपने शरीर से दबाने म समथ र ं. हे अ न! तुम मेरे घर म सुख से त त रहो. तुम वग म भी मुझे सुख से संप बनाओ. (१)
दे वता—
सू —६२
ण पत
यं मा कृणु दे वेषु यं राजसु मा कृणु. यं सव य प यत उत शू उताय.. (१) हे अ न! तुम मुझे दे व का य बनाओ. मुझे राजा का भी य करो. म सभी दे खने वाल का, शू का और आय का य बनूं. अथात् सब का य बनूं. (१)
दे वता—
सू —६३
ण पत
उत् त ण पते दे वान् य ेन बोधय. आयुः ाणं जां पशून् क त यजमानं च वधय.. (१) हे
ण प त! उठो और दे व को मेरे य का ान कराओ. तुम इस यजमान क आयु, ाण, जा, पशु तथा क त को बढ़ाओ. तुम इस यजमान क वृ करो. (१)
दे वता—अ न
सू —६४ अ ने स मधमाहाष बृहते जातवेदसे. स मे ां च मेधां च जातवेदाः य छतु.. (१)
म महान और जातवेद अ न के लए व लत होने का साधन स मधाएं लाया ं. स मधा से वृ को ा त जातवेद अ न मुझे ा और बु दान कर. (१) इ मेन वा जातवेदः स मधा वधयाम स. तथा वम मान् वधय जया च धनेन च.. (२) हे जातवेद अ न! हम व लत होने के साधन स मधा हम जा और धन से बढ़ाओ. (२) यद ने या न का न चदा ते दा
ण द म स.
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के ारा तु ह बढ़ाते ह. तुम
सव तद तु मे शवं त जुष व य व
.. (३)
हे अ न! म तु हारे लए जो य के यो य और य के अयो य का (लकड़ी) दान करता ,ं वह सब मेरे लए क याणकारी हो अथात् उन से मेरा क याण हो. हे अ तशय युवा अ न! तुम मेरे ारा दए गए का (लकड़ी) को वीकार करो. (३) एता ते अ ने स मध व म ः स मद् भव. आयुर मासु धे मृत वमाचायाय.. (४) हे अ न! म तु हारे लए ये स मधाएं लाया ं. उन स मधा के ारा तुम व लत होओ. तुम हम सब म आयु और जीवन का आधान करो. तुम हमारे उपा याय के लए अमृत दान करो. (४)
सू —६५
दे वता—सूय, जातवेद, व
ह रः सुपण दवमा हो ऽ चषा ये वा द स त दवमु पत तम्. अव तां ज ह हरसा जातवेदो ऽ ब य ो ऽ चसा दवमा रोह सूय.. (१) हे सूय! तुम अंधकार का नाश करने वाले तथा उ म पालन वाले हो. तुम अपने तेज से ुलोक अथात् आकाश पर बढ़ते हो. आकाश पर चढ़ते ए तुम को जो श ु तर कृत करना चाहते ह, हे जातवेद सूय! उ ह तुम अपने श ु वनाशक तेज से न करो. इस के प ात श ु से भयभीत न होते ए तुम अपने तेज से आकाश म थत बनो. (१)
सू —६६
दे वता—सूय, जातवेद
अयोजाला असुरा मा यनो ऽ य मयैः पाशैरङ् कनो ये चर त. तां ते र धया म हरसा जातवेदः सह ऋ ः सप नान् मृणन् पा ह व ः.. (१) हे जातवेद सूय! जो मायावी असुर लोहे का जाल ले कर तथा लोहे के बने फंदे हाथ म ले कर उ म कम करने वाल को मारने के लए घूमते ह, उ ह म तु हारे तेज के ारा अपने वश म करता ं. हे हजार सं या वाले आयुध से यु तथा व धारी! तुम श ु को अ धक मा ा म न करो तथा हमारा पालन करो. (१)
सू —६७
दे वता—सूय
प येम शरदः शतम्.. (१) हे सूय! हम सौ वष तक दे खते रह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जीवेम शरदः शतम्.. (२) हे सूय! हम सौ वष तक जी वत रह. (२) बु येम शरदः शतम्.. (३) हे सूय! हम सौ वष तक बु
यु
रह. (३)
रोहेम शरदः शतम्.. (४) हे सूय! हम सौ वष तक वृ
करते रह. (४)
पूषेम शरदः शतम्.. (५) हे सूय! हम सौ वष तक पु रह. (५) भवेम शरदः शतम्.. (६) हे सूय! हम सौ वष तक पु आ द से यु
रह. (६)
भूयेम शरदः शतम्.. (७) हे सूय! हम सौ वष तक संतान वाले रह. (७) भूयसीः शरदः शतात्.. (८) हे सूय दे व! हम सौ वष से भी अ धक समय तक जी वत रह. (८)
दे वता—मं म बताए गए
सू —६८ अ स चस बलं व या म मायया. ता यामुदधृ ् य वेदमथ कमा ण कृ महे.. (१)
म सभी के शरीर म ा त ान वायु और गत प से ा त ाण वायु के मूल आधार को कम के ारा व तृत करता ं. हम उन ान और ाण वायु के ारा अ रा मक वेद को परा, प यंती और वैखरी वा णय के म से य कर के य कम करते ह. (१)
दे वता—आप अथात् जल
सू —६९ जीवा थ जी ासं सवमायुज
ासम्.. (१)
हे दे वगण! आप आयु वाले ह. आप क कृपा से म भी आयु वाला बनूं. म पूण आयु ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अथात् सौ वष तक जी वत र ं. (१) उपजीवा थोप जी ासं सवमायुज
ासम्.. (२)
हे दे वगण! आप अ धक जीवन वाले ह. आप क कृपा से म भी अ धक जीवन वाला बनूं. म सौ वष तक जी वत र ं. (२) संजीवा थ सं जी ासं सवमायुज
ासम्.. (३)
हे दे वगण! आप जीवन का एक ण भी थ नह करते ह. म भी आप क कृपा से जीवन का एक ण भी थ न क ं . म सौ वष तक जी वत र ं. (३) जीवला थ जी ासं सवमायुज
ासम्.. (४)
हे इं ! तुम सभी ऐ य के काशक हो. म भी तु हारी कृपा से पूण ऐ य का काशक बनूं. म सौ वष तक जी वत र ं. (४)
सू —७० इ
दे वता—मं आद
जीव सूय जीव दे वा जीवा जी ासमहम्. सवमायुज
म क थत इं
ासम्.. (१)
हे इं ! तुम जी वत रहो. हे सूय! तुम जी वत रहो. हे इं आ द दे वो! तुम जी वत रहो. म भी आप क कृपा से जी वत र ं. म पूण आयु अथात् सौ वष तक जी वत र ं. (१)
सू —७१ तुता मया वरदा वेदमाता चोदय तां पावमानी आयुः ाणं जां पशुं क त वणं वचसम्. म ं द वा जत लोकम्.. (१)
दे वता—गाय ी जानाम्.
वेद का अ ययन करने वाले अथवा गाय ी का जप करने वाले म ने इ छा को पूण करने वाली, पाप से छु ड़ाने वाली एवं वेद क माता सा व ी क तु त क है. ा ण को प व करने वाली सा व ी हम े रत करे. वह सा व ी दे वी मुझे आयु, ाण, जा, पशु, क त और तेज दे कर लोक को गमन करे. (१)
सू —७२
दे वता—परमा मा और दे व
य मात् कोशा दभराम वेदं त म तरव द म एनम्. कृत म ं णो वीयण तेन मा दे वा तपसावतेह.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम ने मूल आधार प कोश से वेद का उ ार कया है, हम ने वेद का उ ार य काय के हेतु कया है. हम वेद को उसी थान पर था पत करते ह. परमा मा क श प वेद से हम ने जो य ा द कम कए ह, हे दे वो! उस मन चाहे कम के फल के ारा तुम मेरा पालन करो. (१)
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बीसवां कांड दे वता—य
सू —१ इ
वा वृषभं वयं सुते सोमे हवामहे. स पा ह म वो अ धसः.. (१)
हे कामना क वषा करने वाले इं ! हम यजमान नचोड़े ए सोम को पीने के लए तु ह बुलाते ह. तुम मधुर सोम का पान करो. (१) म तो य य ह ये पाथा दवो वमहसः.. स सुगोपातमो जनः.. (२) हे अ तशय तेज यु म तो! तुम आकाश से आ कर जस यजमान क य शाला म सोमपान करते हो, उस गृह का वामी यजमान अपने आ त क र ा वाल म े बन जाता है. (२) उ ा ाय वशा ाय सोमपृ ाय वेधसे. तोमै वधेमा नये.. (३) गभधारण करने म समथ बैल और बांझ बकरी जस का भोजन है तथा सोम जस के ऊपर थत है, ऐसे अ न दे व क हम वेद मं ारा तु त करते ह. (३)
दे वता—म त्, वणोदा
सू —२
अ न,
इं ,
म तः पो ात् सु ु भः वका तुना सोमं पब तु.. (१) म द्गण होता के सुंदर तो वाले तथा सुंदर मं गए अथात् कूटे और नचोड़े गए सोम का पान कर. (१)
से यु
य कम म सं कार कए
अ नरा नी ात् सु ु भः वका तुना सोमं पबतु.. (२) अ न दे व! अ न को व लत करने वाले ऋ वज् के कम से स होते ए सोम रस का पान कर. यह कम सुंदर तो और सुंदर मं वाला है. (२) इ ो
ा ा णात् सु ु भः वका तुना सोमं पबतु.. (३)
ा मा इं ! ा ण नाम के ऋ वज् क सुंदर तु तय से पूण य कम म सं कार ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कए गए अथात् नचोड़े गए सोम का पान करो. (३) दे वो
वणोदाः पो ात् सु ु भः वका तुना सोमं पबतु.. (४)
वणोदा अथात् धन दे ने वाले दे व होता के सुंदर तो तथा सुंदर मं म सं कार कए गए अथात् नचोड़े गए सोम का पान कर. (४)
वाले य कम
दे वता—इं
सू —३ आ या ह सुषुमा ह त इ
सोमं पबा इमम्. एदं ब हः सदो मम.. (१)
हे इं ! आओ. तु हारे न म बछाए गए कुश पर बैठो. (१) आ वा
सोम नचोड़ा गया है, इस का पान करो तथा मेरे ारा
युजा हरी वहता म
के शना. उप
ा ण नः शृणु.. (२)
हे इं ! मं के ारा रथ म जुड़ने वाले तथा अभी थान पर प ंचने वाले ह र नाम के घोड़े तु ह हमारे समीप लाएं. तु हारे घोड़े लंबे बाल वाले ह. तुम हमारे य म आ कर हमारी तु तय को सुनो. (२) ाण वा वयं युजा सोमपा म
सो मनः. सुताव तो हवामहे.. (३)
हे इं ! हम यजमान तुम को तु हारे यो य तो के ारा बुलाते ह. हे इं ! तुम सोम को पीने वाले हो. हम सोमरस तैयार करने वाले ह तथा हम ने सोम रस को नचोड़ा है. (३)
सू —४
दे वता—इं
आ नो या ह सुतावतो ऽ माकं सु ु ती प. पबा सु श
धसः.. (१)
हे इं ! सोम को नचोड़ने वाले हम यजमान के समीप आओ. हम शोभन तु तय वाले ह. हे सुंदर ठोड़ी वाले इं ! सोमरस का पान करो. (१) आ ते स चा म कु योरनु गा ा व धावतु. गृभाय ज या मधु.. (२) हे इं ! म तु हारी दोन कोख को सोमरस से भरता ं. यह सोमरस तु हारी ना ड़य म बहे. तुम मधु वाले सोमरस को अपनी जीभ से हण करो. (२) वा
े अ तु संसुदे मधुमान् त वे ३ तव. सोमः शम तु ते दे .. (३)
हे उ म दान करने वाले इं ! मेरे ारा दया आ सोम तु हारे लए वा द हो. इस के बाद यह सोम तु हारे शरीर के लए सुख दे ने वाला हो. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू —५
दे वता—इं
अयमु वा वचषणे जनी रवा भ संवृतः.
सोम इ
सपतु.. (१)
हे वशेष ा इं ! संतान वाली यां जस कार पु आ द से सभी ओर से घरी रहती ह, उसी कार यह सोम अ वयु आ द से घरा आ रखा है. यह सोम तु ह ा त हो. (१) तु व ीवो वपोदरः सुबा र धसो मदे . इ ो वृ ा ण ज नते.. (२) सोमपान करने से इं के कंधे बैल के समान मोटे हो जाते ह. सोमपान से इं का उदर वशाल और भुजाएं ढ़ हो जाती ह. इस कार सोम पान के कारण श शाली बने इं वृ असुर के समान आ ामक श ु का वनाश करते ह. (२) इ
े ह पुर वं व
येशान ओजसा. वृ ा ण वृ हंज ह.. (३)
हे इं ! तुम सभी के वामी हो. तुम हमारी सेना के आगे चलो. हे वृ नाम के असुर के हंता इं ! तुम हमारे श ु का वनाश करो. (३) द घ ते अ वङ् शो येना वसु य छ स. यजमानाय सु वते.. (४) हे इं ! अंकुश के समान झुक ई उंग लय वाला तु हारा हाथ वशाल है. उस हाथ से तुम सोम नचोड़ने वाले यजमान को धन दे ते हो. (४) अयं त इ
सोमो नपूतो अ ध ब ह ष. एहीम य वा पब.. (५)
हे इं ! भलीभां त छान कर व छ कया आ यह सोम बछे ए कुश पर रखा है. तुम यहां शी आ कर उस सोम का पान करो. (५) शा चगो शा चपूजनायं रणाय ते सुतः. आख डल
यसे.. (६)
हे प णय ारा अप त गाय को वापस लाने म समथ इं ! ये तो तु हारे गुण को का शत करने वाले ह. यह सोम तु हारी स ता के लए नचोड़ा गया है. हे श ु का वनाश करने वाले इं ! हम तु ह यह सोम पीने के लए बुलाते ह. (६) य ते शृ वृषो नपात् णपात् कु डपा यः. य मन् द आ मनः.. (७) हे इं ! तुम स ग के समान ऊपर क ओर उठने वाली करण से संप सूय को गरने नह दे ते हो. हमारा य कुंड म भरे सोमरस को पीने से संबं धत है. तुम इस य म आने के लए अपना मन बनाओ. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू —६ इ
दे वता—इं वा वृषभं वयं सुते सोमे हवामहे. स पा ह म वो अ धसः.. (१)
हे कामना क वषा करने वाले इं ! हम यजमान नचोड़े ए सोम को पीने के लए तु ह बुलाते ह. तुम मधुर सोम का पान करो. (१) इ
तु वदं सुतं सोमं हय पु
ु त. पबा वृष व तातृ पम्.. (२)
हे अनेक यजमान ारा तु त कए गए इं ! य को पूण करने वाला यह सोम नचोड़ा गया है. तुम तृ त करने वाले इस सोमरस का दान करो. तुम इस सोम को पेट भर कर पयो. (२) इ
णो धतावानं य ं व े भदवे भः. तर तवान व पते.. (३)
हे तु त कए गए एवं म त के वामी इं ! तुम सब दे व के साथ हमारे इस सोममय य म आ कर ह व हण करो तथा हमारे य क वृ करो. (३) इ
सोमाः सुता इमे तव
य त स पते. यं च ास इ दवः.. (४)
हे यजमान का पालन करने वाले इं ! नचोड़ा गया और चं मा क करण के समान सुख दे ने वाला यह सोम तु हारे पेट म जाता है. (४) द ध वा जठरे सुतं सोम म
वरे यम्. तव ु ास इ दवः.. (५)
हे इं ! वरण करने यो य एवं नचोड़े गए इस सोम को अपने पेट म धारण करो. द त वाले सोम तु हारे वशेष भाग ह. (५) गवणः पा ह नः सुतं मधोधारा भर यसे. इ
वादात मद् यशः.. (६)
हे तु तय ारा पूजन करने यो य इं ! तुम हमारे ारा नचोड़े गए सोम को पयो. तुम मधुर सोम क धारा के ारा भगोए जाते हो. हे इं ! यह सोम तु हारे यश का प है. (६) अ भ ु ना न व नन इ ं सच ते अ ता. पी वी सोम य वावृधे.. (७) यजमान का उ वल सोम इं को भी सभी ओर से ा त हो रहा है. इस सोम का पान करते ए इं वृ ा त कर. (७) अवावतो न आ ग ह परावत वृ हन्. इमा जुष व नो गरः.. (८) हे वृ असुर के हंता इं ! तुम समीपवत दे श से तथा रवत दे श से हम यजमान के ******ebook converter DEMO Watermarks*******
समीप आओ और आ कर हमारी इन तु तय को वीकार करो. (८) यद तरा परावतमवावतं च यसे. इ े ह तत आ ग ह.. (९) हे इं ! तुम र दे श म अथवा समीपवत दे श म जहां भी हो. वहां से बुलाए जा रहे हो. हे इं ! तुम इस य म शी आओ. (९)
दे वता—इं
सू —७
उद् घेद भ ुतामघं वृषभं नयापसम्. अ तारमे ष सूय.. (१) हे सूय! य करने वाल अथवा तु त करने वाल के लए इं के ारा धन दया जाना स है. इं अभी फल क वषा करने वाले ह. उन के कम मनु य के लए हतकारी ह. अ न को र करने तथा श ु को दबाने के काय को यान म रख कर तुम उ दत होते हो. (१) नव यो नव त पुरो बभेद बा ो जसा. अ ह च वृ हावधीत्.. (२) जन इं ने शंबर असुर क माया के लए न यानवे नगर को अपने बा बल से तोड़ डाला था, उ ह इं ने वृ ासुर का वध कया था. (२) स न इ ः शवः सखा ावद् गोमद् यवमत्. उ धारेव दोहते. (३) अ
इं हमारे लए क याणकारी तथा हमारे म ह. वे हम घोड़े, गाएं और जौ नाम का दान कर. इं अ धक ध दे ने वाली गाय के समान धन दे ते ह. (३) इ
तु वदं सुतं सोमं हय पु
ु त. पबा वृष व तातृ पम्.. (४)
हे ब त के ारा शं सत इं ! य के साधक और नचोड़े गए सोम को पीने क इ छा करो. तुम इस सोम को अपने उदर म भर लो. (४)
सू —८
दे वता—इं
एवा पा ह नथा म दतु वा ु ध वावृध वोत गी भः. आ वः सूय कृणु ह पी पहीषो ज ह श ूँर भ गा इ तृ ध.. (१) हे इं ! तुम ने जस कार ाचीन काल म अं गरा आ द ऋ षय के य म सोमपान कया था, उसी कार हमारे इस य म भी करो. पया आ सोम तु ह स करे. तुम हमारे मं प तो को सुनो. तुम हमारी तु तय के ारा वृ को ा त करो. तुम सूय को का शत करो. तुम अ को हमारे उपभोग का साधन बनाओ तथा हमारे श ु का वनाश ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करो. हे इं ! पा णय
ारा चुराई गई हमारी गाय को हम लाकर दो. (१)
अवाङे ह सोमकामं वा रयं सुत त य पबा मदाय. उ चा जठर आ वृष व पतेव नः शृणु ह यमानः (२) हे इं ! तु ह सोम क इ छा करने वाला कहा जाता है, तुम हमारे सामने आओ. यह नचोड़ा आ सोम तुम अपनी स ता के लए पयो. तुम वशाल कोख वाले अपने उदर को इस सोम से भर लो. हे इं ! पता जस कार पु का वचन सुनता है, उसी कार तुम हमारे आ ान को सुनो. (२) आपूण अ य कलशः वाहा से े व कोशं स सचे पब यै. समु या आववृ न् मदाय द णद भ सोमास इ म्.. (३) इं के लए यह पूण कलश सोम रस से भरा आ है. जस कार जल छड़कने वाला मशक को जल से भरता है, उसी कार अ वयु इं के पीने के लए सोमरस नचोड़ता है. ये सोम इं क स ता के लए इं क ओर जाते ह. (३)
सू —९
दे वता—इं
तं वो द ममृतीषहं वसोम दानम धसः. अ भ व सं न वसरेषु धेनव इ ं गी भनवामहे.. (१) हे यजमानो! तु हारे य क पूणता तथा तु हारे अभी फल क ा त के लए हम तु तय के ारा इं से ाथना करते ह. इं दशनीय और ःख वनाशक ह. इं सोम पीने के हष से पूण रहते ह. गाएं सायं और ातःकाल रंभाती जस कार अपने बछड़ के पास जाती ह, उसी कार हम भी तु त करते ए इं क ओर जाते ह. (१) ु ं सुदानुं त वषी भरावृतं ग र न पु भोजसम्. ुम तं वाजं श तनं सह णं म ू गोम तमीमहे.. (२) जस कार भ पड़ने पर लोग कंद, मूल, फल आ द से संप पवत क ाथना करते ह, उसी कार हम सुंदर दान वाले, जा के पोषक, द त यु , तु त करने यो य एवं गाय आ द से संप धन क ाथना करते ह. (२) तत् वा या म सुवीय तद् पूव च ये. येना य त यो भृगवे धने हते येन क वमा वथ.. (३) हे इं ! म तुम से शोभन बल यु एवं उ म अ क याचना करता ं. तुम ने जो धन य कम न करने वाल से छ न कर भृगु ऋ ष को शां त दान क थी और जस धन से तुम ने क व के पु क व का पालन कया, वही धन हम तुम से मांगते ह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
येना समु मसृजो महीरप त द वृ ण ते शवः. स ः सो अ य म हमा न संनशे यं ोणीरनुच दे .. (४) हे इं ! जस बल से तुम ने सागर को भरने वाले भूत जल का नमाण कया था, तु हारा वह बल सब को अभी फल दे ता है. हम भूलोकवासी तु हारी जस म हमा का गान करते ह, उसे सरे अथात् श ु भलीभां त नह जान सकते. (४)
सू —१०
दे वता—इं
उ ये मधुम मा गर तोमास ईरते. स ा जतो धनसा अ तोतयो वाजय तो रथा इव.. (१) जो तु तयां कट हो रही ह, वे गाए जाने वाले मं से सा व और न गाए जाने वाले मं से असा य ह. ये तु तयां अ दान करती ह और र ा करने म समथ ह. जैसे रथ रथारोही के अ भ ाय के अनुसार गमन करता है, उसी कार ये तु तयां इं को स करने के लए गमन करती ह. (१) क वा इव भृगवः सूया इव व मद् धीतमानशुः. इ ं तोमे भमहय त आयवः यमेधासो अ वरन्.. (२) मनु य तो के ारा इं को उसी कार ा त होते ह, जस कार क व गो ीय ऋ ष तीन लोक के वामी एवं फल क कामना करने वाल के ारा पू जत इं को तु तय के कारण ा त ए थे. जस कार सूय अपने नयंता इं को ा त होते ह, उसी कार भृगवंश के ऋ ष इं को ा त होते ह. (२)
सू —११
दे वता—इं
इ ः पू भदा तरद् दासमक वद सुदयमानो व श ून्. जूत त वा वावृधानो भू रदा आपृणद् रोदसी उभे.. (१) इं दे व ने श ु के नगर को अपने पूजनीय बल से न कर दया है और श ु क पूण प से हसा कर द है. इं ने करण के ारा अंधकार का नाश करने वाले दन को बढ़ाया है. इं ने श ु का धन ा त कया है तथा उन के पु आ द क वशेष प से हसा क है. पया त तो के कारण वृ को ा त शरीर ारा धन संप इं ने धरती और आकाश दोन को ा त कया है. (१) मख य ते त वष य जू त मय म वाचममृताय भूषन्. इ तीनाम स मानुषीणां वशां दै वीनामुत पूवयावा. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! म तु हारे शंसनीय बल को बढ़ाने वाली तु त पी वाणी को े रत करता ं. म अ ा त के लए तु ह अलंकृत करता ं. हे इं ! तुम मनु य संबंधी और दे व संबंधी जा के आगे चलने वाले हो. (२) इ ो वृ मवृणो छधनी तः मा यनाम मनाद् वपणी तः अहन् ं समुशधग् वने वा वधना अकृणोद् रा याणाम्.. (३) अपने हसक बल का श ु पर योग करने वाले इं दे व ने सभी ओर से ा त करने वाले वृ को रोका और अपने श से मायावी श ु का वनाश कया. इं ने वृ असुर को भुजा से हीन कर के मारा. इस के बाद उस के रमण के साधन — प नी अथवा गौ आ द को अपने अ धकार म कया. (३) इ ः वषा जनय हा न जगायो श भः पृतना अ भ ः. ारोचय मनवे केतुम ाम व द यो तबृहते रणाय.. (४) इं वग ा त कराने वाले तथा श ु का वनाश करने वाले ह. इं अंधकार का वनाश कर के दन को ज म दे ते ह. इं ने असुर के साथ यु कर के उन क सेना को जीता है. इं ने यजमान के अ धक सुख के लए दन के वामी सूय को आकाश म द त कया और उस से महान तेज ा त कया है. (४) इ तुजो बहणा आ ववेश नृवद् दधानो नया पु ण. अचेतयद् धय इमा ज र े ेमं वणम तर छु मासाम्.. (५) जैसे यु का इ छु क वीर श ु सेना म वेश करता है, उसी कार इं भी यजमान के हत के लए असुर क वशाल सेना म वेश करते ह तथा तु त करने वाल के लए उषा का उदय करते ह. इं ही उषा के ेत रंग को बढ़ाते ह. (५) महो महा न पनय य ये य कम सुकृता पु ण. वृजनेन वृ जना सं पपेष माया भद यूँर भभू योजाः.. (६) इं ने जो अनेक शंसनीय काय कए ह, ोता उन क शंसा करते ह. श ु को वश म करने वाले इं ने पापी रा स को अपने अ से न कर दया है तथा श शाली असुर का वनाश कर दया. (६) युधे ो म ा व रव कार दे वे यः स प त ष ण ाः. वव वतः सदने अ य ता न व ा उ थे भः कवयो गृण त.. (७) कसी क सहायता न ले कर इं ने अकेले ही अपने तु तकता को धन ा त कराया. इं यजमान क सदा र ा करते ह और मनु य को इ छत फल दे ते ह. य आ द कम करने वाले मनु य इं का वरण करते ह. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
स ासाहं वरे यं सहोदां ससवांसं वरप दे वीः. ससान यः पृ थव ामुतेमा म ं मद यनु धीरणासः.. (८) बल दान करने वाले, श ु सेना को परा जत करने वाले एवं वग य जल के सेवनकता इं ने मनु य को धरती तथा आकाश दए ह. उन इं क तु त करने वाले और य कता यजमान ह व दे कर उ ह स करते ह. (८) ससाना याँ उत सूय ससाने ः ससान पु भोजसं गाम्. हर ययमुत भोगं ससान ह वी द यून् ाय वणमावत्.. (९) इं ने मनु य के उपभोग के लए घोड़े, हाथी और ऊंट दए ह. गाय , भस तथा सोने के आभूषण को भी इं ने ही दया है. इं ने सूय को का शत कया है तथा रा स का वनाश कर के सभी वण का पालन कया है. (९) इ ओषधीरसनोदहा न वन पत रसनोद त र म्. बभेद वलं नुनुदे ववाचो ऽ थाभवद् द मता भ तूनाम्.. (१०) इं ने ा णय के उपभोग के लए जौ, गे ं आ द क रचना क है. इं ने ही वन प तय एवं दवस क रचना क है. उ ह ने सब के उपकारकता अंत र क र ा क है. इं ने बल नाम के असुर को चीर डाला तथा वरो धय का अनु ान करने वाल का मदन कया. (१०) शुंन वेम मघवान म म मन् भरे नृतमं वाजसातौ. शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण सं जतं धनानाम्.. (११) हम धन और ऐ य वाले तथा सुखदाता इं को इस सं ाम म बुलाते ह. जस यु से अ ा त होता है, हम उस म अपनी र ा के लए इं का आ ान करते ह. श ु का नाश करने वाले और धन के वजेता इं का हम आ ान करते ह. (११)
सू —१२
दे वता—इं
उ ा यैरत व ये ं समय महया व स . आ यो व ा न शवसा ततानोप ोता म ईवतो वचां स.. (१) हे ऋ वजो! तुम अ ा त क इ छा से तो का उ चारण करो. हे यजमान व स ! अपने ऋ वज के साथ ह व आ द साधन से इ दे व क पूजा करो. जस इं ने अपने बल से सभी ा णय का व तार कया है, वे इं प रचया करते ए मुझ व स के वचन को यहां आ कर सुने. (१) अया म घोष इ दे वजा म रर य त य छु धो ववा च. न ह वमायु कते जनेषु तानीदं हां य त प य मान्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! म उस तो का उ चारण करता ं जो दे व को बंधु के समान य है. इस तो के ारा उस सोम क वृ होती है जो यजमान को वग का फल दे ने वाला है. मनु य के म य रहने वाला यह यजमान अपनी आयु नह जानता है. हम इतनी द घ आयु दान करो, जस से यह तु हारे लए य आ द का अनु ान कर सके. आयु का नाश करने वाले जो पाप ह, उ ह इस से र रखो. (२) युजे रथं गवेषणं ह र यामुप ा ण जुजुषाणम थुः. व बा ध य रोदसी म ह वे ो वृ ा य ती जघ वान्.. (३) इं गौ को ा त कराने वाले अपने रथ म ह र नाम के अ को जोड़ते ह. हमारे तो सभी के ारा सेवा कए जाते ए इं को ा त होते ह. इं ने अपनी म हमा से धरती और आकाश को आ ांत कया है. इं ने अपने श ु अथात् वृ आ द रा स को इस कार मारा है क वे शेष नह रहे ह. (३) आप त् प यु तय ३ न गावो न ृतं ज रतार त इ . या ह वायुन नयुतो नो अ छा वं ह धी भदयसे व वाजान्.. (४) हे इं ! यह नचोड़ा गया सोमरस गाय के समान वृ को ा त हो रहा है. हे इं ! तु हारी तु त करने वाले ऋ वज् य मंडप म प ंच चुके ह, इस लए तुम हमारे तो को सुनने के लए आओ. वायु दे व य थल म जाने के लए जस कार अपने अ क ओर जाते ह, तुम भी उसी कार संतु हो कर हम अ दे ने के लए आओ. (४) ते वा मदा इ मादय तु शु मणं तु वराधसं ज र े. एको दे व ा दयसे ह मतान म छू र सवने मादय व.. (५) हे इं ! सं कार कए गए सोम तु ह मदयु कर. तुम बलशाली और तोता को अ धक धन दे ने वाले हो. दे व के म य अकेले तु ह ऐसे हो जो मनु य पर दया करते हो. हे इं ! इस य म मनचाहा फल दे कर हम स करो. (५) एवे द ं वृषणं व बा ं व स ासो अ यच यकः. स न तुतो वीरवद् धातु गोमद् यूयं पात व त भः सदा नः.. (६) व स कुल के ऋ ष कामना क वषा करने वाले और हाथ म व धारण करने वाले इं क पूजा तो से करते ह. वे इं हमारे तो के ारा पू जत हो कर हम पु एवं गाय से यु धन दान कर. हे दे वो! आप भी इं का अनुकरण करते ए ेम से सदा हमारी र ा कर. (६) ऋजीषी व ी वृषभ तुराषाट् छु मी राजा वृ हा सोमपावा. यु वा ह र यामुप यासदवाङ् मा यं दने सवने म स द ः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सोमरस के ेमी, व धारी, कामना क वषा करने वाले, श ु को परा जत करने वाले, श ु पराभवकारी बदल से संप , सभी दे व के वामी, वृ असुर का वनाश करने वाले एवं नयम से सोमरस का पान करने वाले इं अपने ह र नाम के घोड़ को रथ म जोड़ कर हमारे य म आएं और इस मा यां दन य म सोमपान कर के स ह . (७)
सू —१३
दे वता—इं
इ सोमं पबतं बृह पते ऽ मन् य े म दसाना वृष वसू. आ वां वश वव दवः वाभुवो ऽ मे र य सववीरं न य छतम्.. (१) हे बृह प त दे व! तुम और इं इस य म स होने वाले तथा धन क वषा करने वाले हो. तुम दोन सोमरस का पान करो. उ म सोमरस ने तुम दोन के शरीर म वेश कया है. तुम हम सभी पु से यु धन दान करो. (१) आ वो वह तु स तयो रघु यदो रघुप वानः जगात बा भः. सीदता ब ह वः सद कृतं मादय वं म तो म वो अ धसः.. (२) हे म तो! मंद ग त वाले अ तु ह य शाला म लाएं. तुम भी शी गमन के साधन ारा यहां आओ. हम ने तु हारे बैठने के लए य वेद के प म वशाल थान बनाया है. उस पर हम ने कुश बछाए ह. तुम उन कुश पर बैठो. वहां बैठ कर तुम सोमरस पयो और स होओ. (२) इमं तोममहते जातवेदसे रथ मव सं महेमा मनीषया. भ ा ह नः म तर य संस ने स ये मा रषामा वयं तव.. (३) रथकार जस कार रथ बनाता है, उसी कार हम पू य अ न के लए अपनी ती बु से बनाए गए तो से अ न दे व क पूजा करते ह. अ न के नवास थान अथात् य शाला म हमारी उ म बु क याणका रणी हो. हे अ न दे व! तु हारे बंधुभाव को ा त कर के हम कसी के ारा परा जत न ह . (३) ऐ भर ने सरथं या वाङ् नानारथं वा वभवो ाः. प नीवत ंशतं दे वाननु वधमा वह मादय व.. (४) हे अ न! तुम ततीस दे वता के साथ एक रथ पर बैठ कर हमारे य म आओ. तुम चाहो तो अनेक रथ म बैठ कर आओ. तु हारे अ अ य धक श शाली ह. इस लए तुम जबजब सोमरस पान के लए बुलाए जाओ, तबतब उन दे व को प नय स हत यहां लाओ और सोमपान से उ ह आनं दत करो. (४)
सू —१४
दे वता—इं
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वयमु वामपू (१)
थूरं न क चद् भर तो ऽ व यवः. वाजे च ं हवामहे..
हे सदा नवीन रहने वाले इं ! तुम पू य हो और अपने उपासक का पोषण करने वाले हो. हम र ा क कामना करते ए तु ह बुलाते ह. तुम हमारे कसी वरोधी के पास मत जाओ. हम तु ह उसी कार बुलाते ह, जैसे कसी अ य धक श शाली राजा को वजय के हेतु बुलाया जाता है. (१) उप वा कम ूतये स नो युवो ाम यो घृषत्. वा म वतारं ववृमहे सखाय इ सान सम्.. (२) हे इं ! हम यु ारंभ होने पर र ा के लए तु हारे समीप जाते ह. जो इं न य युवा और श ु को परा जत करने वाले तथा अ य धक श शाली ह, वे हमारी र ा के लए आएं. हे इं ! हम तु ह अपना सखा मानते ह, इस लए हम अपनी र ा के हेतु तु हारी ही इ छा करते ह. (२) यो न इद मदं पुरा
व य आ ननाय तमु व तुषे. सखाय इ मूतये.. (३)
हे म बने ए यजमान! म तु हारी र ा के लए इं क तु त करता ं. जस इं ने पहले हम नदश कर के गाय आ द धन दया था, हम उसी इं क तु त करते ह. (३) हय ं स प त चषणीसहं स ह मा यो अम दत. आ तु नः स वय त ग म ं तोतृ यो मघवा शतम्.. (४) इन मनु य के र क इं के अ हरे रंग के ह. जो इं मनु य पर नयं ण रखते ह तथा तु तयां सुन कर स होते ह, म उ ह इं क तु त करता ं. वे इं हम तोता को सौ गाएं तथा सौ घोड़े दान कर. (४)
सू —१५
दे वता—इं
मं ह ाय बृहते बृह ये स यशु माय तवसे म त भरे. अपा मव वणे य य धरं राधो व ायु शवसे अपावृतम्.. (१) म अ तशय महान, गुण म बढ़े ए, अ य धक धन वाले एवं स ची साम य वाले इं क तु त बल ा त करने के लए करता ं. उन इं का धन सभी मनु य का पोषण करने म समथ है. जस कार जल नीचे क ओर जाता है, उसी कार इं का धन बल दान करने के लए वृ होता है. (१) अध ते व मनु हास द य आपो न नेव सवना ह व मतः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यत् पवते न समशीत हयत इ
यव ः
थता हर ययः.. (२)
हे इं ! जस कार जल नीचे क ओर जाता है, उसी कार यह सारा जगत् तु हारे य का थान है. यजमान के तीन सवन तु ह ा त होते ह. इं का सुंदर, श ु क हसा करने वाला और वण से वभू षत व पवत को वद ण करने म समथ आ. (२) अ मै भीमाय नमसा सम वर उषो न शु आ भरा पनीयसे. य य धाम वसे नामे यं यो तरका र ह रतो नायसे.. (३) हे द त उषा दे वता! श ु के लए भयंकर एवं तु त के अ धक यो य इं को अ स हत हमारे य म लाओ. जन इं का जल अ क समृ करता है तथा जो इं दशा को का शत करते ह, उ ह हमारी य शाला म लाओ. (३) इमे त इ ते वयं पु ु त ये वार य चराम स भूवसो. न ह वद यो गवणो गरः सघत् ोणी रव त नो हय तद् वचः.. (४) हे इं ! तुम महान धन से संप और तु तय के पा हो. हम तु हारे ही आ त ह. हे इं ! तु हारी म हमा ब त अ धक है तथा हमारी तु तयां ब त कम ह. इस कारण तु ह हमारी तु त सुननी चा हए. जस कार राजा जा क बात सुनता है, उसी कार तुम हमारी ाथना सुनो. (४) भू र त इ वीय १ तव म य य तोतुमघवन् काममा पृण. अनु ते ौबृहती वीय मम इयं च ते पृ थवी नेम ओजसे.. (५) हे इं ! तु हारा वृ वध का वीरतापूण काय महान है. इसी को यान म रख कर हम तु हारे उपासक बने ह. हे धन के वामी इं ! तु त करते ए इस यजमान क अ भलाषा पूण करो. हे इं ! तु हारा बल महान आकाश को नापता है. यह पृ वी तु हारे बल के कारण झुकती है. (५) वं त म पवतं महामु ं व ेण व न् पवश क तथ. अवासृजो नवृताः सतवा अपः स ा व ं द धषे केवलं सहः.. (६) हे व धारी इं ! तुम ने स , महान और वशाल पवत के पंख आ द को अपने व से काटा था. इस के बाद तुम ने पवत ारा रोके गए जल को नद के प म बहने के लए छोड़ दया था. केवल तुम ही इस कार का असाधारण बल धारण करते हो. (६)
सू —१६
दे वता—बृह प त
उद ुतो न वयो र माणा वावदतो अ य येव घोषाः. ग र जो नोमयो मद तो बृह प तम य १ का अनावन्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जस कार जल म गमन करते ए तथा ाध आ द से अपनी र ा करते ए प ी उ च व न करते ह, जस कार मेघ समूह गजन करता है तथा जस कार मेघ से बरसने वाला जल फसल आ द को तृ त करता है, उसी कार तोता अपनी तु तय से बृह प त दे व क शंसा करते ह. (१) सं गो भरा रसो न माणो भग इवेदयमणं ननाय. जने म ो न द पती अन बृह पते वाजयाशूँ रवाजौ.. (२) मह ष अं गरस जस कार भगदे व के समान ववाह के समय प तप नी को गोघृत आ द स हत अयमा दे व क शरण ा त कराते ह, उसी कार अं गरस ऋ ष इस प तप नी को अयमा दे व क शरण ा त कराएं. सूय जस कार काश के न म अपनी करण को एक करते ह, उसी कार अं गरस ऋ ष इन प तप नी को एक कर. (२) सा वया अ त थनी र षरा पाहाः सुवणा अनव पाः. बृह प तः पवते यो वतूया नगा ऊपे यव मव थ व यः.. (३) जस कार को ठय से अ नकालते ह, उसी कार स जन पु ष को ा त होने वाले, अ त थय को तृ त करने वाले, सब के ारा चाहे गए, सुंदर रंग वाले एवं शंसनीय प वाले बृह प त दे व पवत से नकाल कर गाएं तु त करने वाल को दान करते ह. (३) आ ष ु ायन् मधुन ऋत य यो नमव प क उ का मव ोः. बृह प त र मनो गा भू या उद्नेव व वचं बभेद.. (४) बृह प त दे व ने जल से धरती को सभी ओर से स चते ए जल के समूह मेघ को आकाश से उसी कार नीचे गराया, जस कार सूय आकाश से उ का गराते ह. जस कार जल धरती को कोमल बना दे ते ह, उसी कार बृह प त दे व प णय के ारा चुरा कर पवत म रखी गई गाय को बाहर नकाल कर उन के खुर से धरती को खुदवाते ह. (४) अप यो तषा तमो अ त र ा द्नः शीपाल मव वात आजत्. बृह प तरनुमृ या वल या मव वात आ च आ गाः.. (५) वायु जस कार जल से काई को अलग कर दे ते ह, उसी कार बृह प त ने अपने काश से पवत क गुफा के उस अंधकार का वनाश कर दया था जो गाय को छपाए ए था. वायु जस कार बादल को सभी ओर बखरा दे ती है, बृह प त दे व ने उसी कार बल नामक असुर ारा चुरा कर पवत क गुफा म रखी गई गाय को नकाल कर सभी ओर फैला दया था. (५) यदा वल य पीयतो जसुं भेद ् बृह प तर नतपो भरकः. द न ज प र व माददा व नध रकृणो याणाम्.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बृह प त दे व ने जस समय बल नामक असुर के हसा के साधन आयुध को अ न के समान ताप वाले अपने मं से तोड़ दया था, उस समय उ ह ने बल असुर के ारा छपाई गई धा गाय को उसी कार कट कर दया था, जस कार चबाए ए अ को जीभ भ ण करती है. जब बृह प त दे व ने पवत क गुफा म छपी ई गाय को उन के रंभाने के वर से जान लया, तब पवत का भेदन कर के उ ह ने गाय को इस कार बाहर नकाल लया, जस कार मोर आ द के अंडे को तोड़ कर उस के भीतर से ब चा नकाला जाता है. (६) बृह प तरमत ह यदासां नाम वरीणां सदने गुहा यत्. आ डेव भ वा शकुन य गभमु याः पवत य मनाजत्.. (७) बृह प त दे व ने पवत म छपाई ई गाय को शला हटा कर उसी कार दे ख लया, जस कार जल कम हो जाने पर मनु य उस म रहने वाली मछ लय को दे ख लेते ह. जस कार वृ से चमस बाहर नकाला जाता है, उसी कार बृह प त दे व ने गाय को छपाने वाले बल असुर को मार कर गाय को बाहर नकाला था. (७) अ ा पन ं मधु पयप य म यं न द न उद न य तम्. न जभार चमसं न वृ ाद् बृह प त वरवेणा वकृ य.. (८) बृह प त दे व ने पवत म छपाई ए गाय को उसी कार दे ख लया, जस कार जल कम हो जाने पर मनु य उस म रहने वाली मछ लय को दे ख लेते ह. जस कार वृ से चमस बाहर नकाला जाता है उसी कार बृह प त दे व ने गाय को छपाने वाले असुर को मार कर गाय को बाहर नकाला था. (८) सोषाम व दत् स व १: सो अ नं सो अकण व बबाधे तमां स. बृह प तग वपुषो वल य नम जानं न पवणो जभार.. (९) बृह प त दे व ने पवत क गुफा म अंधकार से छपी ई गाय को दे खने के लए उषा दे वी को ा त कया. बृह प त दे व ने काश करने के लए सूय एवं अ न को ा त कया. इ ह ा त कर के बृह प त दे व ने काश से अंधकार को न कर दया. बृह प त दे व ने गौ पधारी असुर का हनन कर के गाय को इस कार बाहर नकाला, जस कार ह ड् डय से म जा अथात् चरबी बाहर नकाली जाती है. (९) हमेव पणा मु षता वना न बृह प तनाकृपयद् वलो गाः. अनानुकृ यमपुन कार यात् सूयामासा मथ उ चरातः.. (१०) जस कार हमपात सारहीन प को हण करता है, उसी कार बृह प त दे व ने बल असुर के ारा चुराई गई गाय को ा त कया. बल असुर ने भी गाएं बृह प त दे व को दान क . बृह प त ारा ही सूय दन को और चं मा रा को कट करता आ घूमता है. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बृह प त दे व का यह कम ऐसा है, जसे कोई सरा नह कर सकता और उसे बारा नह कया जा सकता. (१०) अ भ यावं न कृशने भर ं न े भः पतरो ाम पशन्. रा यां तमो अदधु य तरहन् बृह प त भनद वदद् गाः.. (११) बृह प त दे व ने जब गाय को छपाने वाले पवत को वद ण कर के गाय को ा त कया, तब इं आ द दे व ने आकाश को न से उसी कार अलंकृत कया, जस कार घोड़े को सजाते ह. इस कार उ ह ने रा म अंधकार को तथा दन म काश को था पत कया. (११) इदमकम नमो अ याय यः पूव र वानोनवी त. बृह प तः स ह गो भः सो अ ैः स वीरे भः स नृ भन वयो धात्.. (१२) मेघ को वद ण कर के जल दान करने वाले बृह प त दे व को हम यह ह व दान करते ह. बृह प त दे व ने हमारी ऋचा क शंसा क है. वे हम गाय , घोड़ , पु तथा सेवक स हत अ दान कर. (१२)
सू —१७
दे वता—इं
अ छा म इ ं मतयः व वदः स ीची व ा उशतीरनूषत. प र वज ते जमयो यथा प त मय न शु युं मघवानमूतये.. (१) म सुंदर हाथ और वाणी वाला ं. मेरी तु तयां इं दे व क शंसा करती ह. ये तु तयां वग ा त करने म सहायक एवं पर पर मली ई ह. इं क कामना करती ई ये तु तयां इस कार आपस म लपट ई ह, जस कार पु क कामना करने वाली यां प त से लपटती ह. जस कार पता आ द को आता आ दे ख कर पु अपनी र ा के लए उन से लपट जाते ह, उसी कार मेरी तु तयां इं से लपटती ह. (१) न घा व गप वे त मे मन वे इत् कामं पु त श य. राजेव द म न षदो ऽ ध ब ह य म सु सोमेवपानम तु ते.. (२) हे इं ! मेरा मन कभी तुम से अलग नह होता और सदा तु हारी ही कामना करता रहता है. हे श ु का वनाश करने वाले इं दे व! जस कार राजा सहासन पर बैठता है, उसी कार तुम इन कुश पर बैठो तथा भलीभां त सं कार कए गए इस सोम धारा म सोमरस का पान करो. (२) वषूवृ द ो अमते त ुधः स इ ायो मघवा व व ईशते. त ये दमे वणे स त स धवो वयो वध त वृषभ य शु मणः.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं दे व हमारी द र ता, बु हीनता तथा भूख का नाश कर. इं दे व ही दे ने यो य धन के वामी ह. वषा करने वाले इं क ही गंगा आ द सात न दयां नचले थान म अ को बढ़ाती है. (३) वयो न वृ ं सुपलाशमासद सोमास इ ं म दन मूषदः. ैषामनीकं शवसा द व ुतद् वदत् व १ मनवे यो तरायम्.. (४) जस कार प ी वृ पर बैठते ह, उसी कार स ता दे ने वाले सोम इं का आ य लेते ह. इन सोम का मुख तेज से द त होता है. इ ह सोम ने मनु य को काश ा त करने के लए सूय के प म यो त दान क है. (४) कृतं न नी व चनो त दे वने संवग य मघवा सूय जयत्. न तत् ते अ यो अनु वीय शक पुराणो मघवन् नोत नूतनः.. (५) जुआरी जस कार पास को पकड़ता है, उसी कार हमारी तु तयां इं को हण करती है. धन के वामी इं ने अंधकार का वनाश करने वाले सूय दे व को आकाश म था पत कया है. हे इं ! तु हारे इस काय का अनुकरण ाचीन अथवा आधु नक कोई अ य नह कर सकता है. (५) वशं वशं मघवा पयशायत जनानां धेना अवचाकशद् वृषा. य याह श ः सवनेषु र य त स ती ैः सोमैः सहते पृत यतः.. (६) कामना को पूण करने वाले इं अपने सभी उपासक के पास एक साथ प ंच जाते ह तथा सब क तु तयां एक ही समय म सुन लेते ह. इस कार के इं जस यजमान के तीन सपन म त त होते ह, वह अ य धक मादकता दान करने वाले सोम के भाव से यु के इ छु क श ु को परा जत करता है. (६) आपो न स धुम भ यत् सम र सोमास इ ं कु या इव दम्. वध त व ा महो अ य सादने यवं न वृ द न े दानुना.. (७) जस कार जल सागर म जाता है और छोट न दयां सरोवर को ा त करती ह, उसी कार सोमरस इं दे व क ओर जाते ह. तोता अपनी तु तय से इं दे व क म हमा को उसी कार बढ़ाते ह, जस कार जल दे ते ए मेघ अ को बढ़ाते ह. (७) वृषा न ु ः पतयद् रजः वा यो अयप नीरकृणो दमा अपः. स सु वते मघवा जीरदानवे ऽ व द यो तमनवे ह व मते.. (८) जो इं सूय के ारा र त जल को पृ वी पर गराते ह, वे ो धत बैल के समान मेघ को छ भ कर दे ते ह. इस के प ात धन के वामी इं सोमरस नचोड़ने वाले एवं शी ह व दान करने वाले यजमान को काश यु तेज दान करते ह. (८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ जायतां परशु य तषा सह भूया ऋत य सु घा पुराणवत्. व रोचताम षो भानुना शु चः य १ ण शु ं शुशुचीत स प तः.. (९) मेघ को वद ण करने के लए इं का व अपने तेज के साथ कट हो तथा जल का दोहन करने वाली म यमा वाणी पहले के समान कट हो तथा अपने तेज से काश वाली हो. सूय दे व जस कार अपने ही तेज से का शत होते ह, उसी कार स जन का पालन करने वाले इं अ य धक द त ह . (९) गो भ रेमाम त रेवां यवेन ध ु ं पु त व ाम्. वयं राज भः थमा धना य माकेन वृजनेना जयेम.. (१०) हे ब त के ारा तु त कए गए इं ! तु हारी कृपा को ा त करते ए हम यजमान तु हारे ारा द गई गाय के कारण द र ता को पार कर. तु हारे ारा दए ए अ से हम अपने लोग क भूख र कर. तु हारी कृपा से हम अपने समान जन म े ह तथा राजा से धन ा त कर के अपने श ु को परा जत कर. (१०) बृह प तनः प र पातु प ा तो र मादधरादघायोः. इ ः पुर ता त म यतो नः सखा स ख यो व रवः कृणोतु.. (११) बृह प त दे व प म दशा से, ऊपर से एवं नीचे से अपने वाले हसक पा पय से हमारी र ा कर. इं दे व सामने से तथा म य भाग से आते ए हसक से हमारी र ा कर. इस कार चार ओर से हमारी र ा करते ए सखा प इं हम धन दान कर. (११) बृह पते युव म व वो द येशाथे उत पा थव य. ध ं र य तुवते क रये च ूयं पात वा त भः सदा नः.. (१२) हे बृह प त एवं इं ! तुम दोन आकाश और धरती संबंधी धन के वामी हो. इस लए मुझ तोता को धन दान करते ए सदा र ा करो. (१२)
दे वता—इं
सू —१८ वयमु वा त ददथा इ
वाय तः सखायः. क वा उ थे भजर ते.. (१)
हे इं ! हम क व गो वाले मह ष सखा के समान तु हारी कामना करते ए तुम से संबं धत तो से तु हारी तु त करते ह. (१) न घेम यदा पपन व
पसो न व ौ. तवे
तोमं चकेत.. (२)
हे व धारी इं ! य पी नवीन कम क इ छा पर हम इस समय तु हारे अ त र कसी अ य दे व क तु त नह करते ह. हम केवल तु हारी तु त को जानते ह. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ छ त दे वाः सु व तं न व ाय पृहय त. य त मादमत ाः.. (३) इं आ द दे व सोमरस नचोड़ने वाले यजमान क कामना करते ह. वे उदासीनता नह करते ह. वे अ यंत मदकारी सोम रस के लए आल य र हत हो कर जाते ह. (३) वय म
वायवो ऽ भ
णोनुमो वृषन्. व
व १ य नो वसो.. (४)
हे कामना को पूण करने वाले इं ! तु हारी इ छा करते ए हम तु हारे सामने तु हारी तु त करते ह. तुम भी हमारे तो क कामना करो. (४) मा नो नदे च व वे ऽ य र धीररा णे. वे अ प
तुमम.. (५)
हे वामी इं ! तुम हम नदक के वश म मत करो. हम कठोर वचन बोलने वाल तथा दान न करने वाले श ु के अधीन मत करो. (५) वं वमा स स थः पुरोयोध वृ हन्. वया
त ुवे युजा.. (६)
हे वृ का हनन करने वाले और सब से महान इं ! तुम आगे रह कर यु मेरे कवच हो. म तु हारी सहायता से श ु को भयभीत करता ं. (६)
सू —१९ वा ह याय शवसे पृतनाषा ाय च. इ
दे वता—इं वा वतयाम स.. (१)
हे इं ! हम वृ हनन के समान बल दशन और श ु सेना कम के न म तु ह अपने सामने बुलाते ह. (१) अवाचीनं सु ते मन उत च ुः शत तो. इ
करते हो. तुम
को अपमा नत करने जैसे
कृ व तु वाघतः.. (२)
हे अनेक कम करने वाले इं ! य कम का नवाह करने वाले ऋ वज् तु ह हमारे सामने लाएं. वे तु हारी को भी हमारे सामने कर. (२) नामा न ते शत तो व ा भग भरीमहे. इ ा भमा तषा े.. (३) हे शत तु इं ! हम पाप का वनाश करने वाले य कम म तु हारी सभी तु तय क कामना करते ह. हे इं ! तुम सं ाम म श ु का वनाश करने वाले हो. (३) पु यु
ु त य धाम भः शतेन महयाम स. इ
य चषणीधृतः.. (४)
सैकड़ तोता ारा पूजा के यो य, मनु य के र क एवं सैकड़ इं क हम पूजा करते ह. (४)
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कार के तेज से
इ ं वृ ाय ह तवे पु अ
तमुप ुवे. भरेषु वाजसातये.. (५)
यु भू म म अनेक यो ा ारा वजय पाने के लए बुलाए गए एवं यजमान ा त के लए बुलाए गए इं क म तु त करता ं. (५) वाजेषु सास हभव वामीमहे शत तो. इ
ारा
वृ ाय ह तवे.. (६)
हे शत तु इं ! तुम सं ाम म श ु को परा जत करने वाले हो. म तु हारी तु त करता ं. म वृ अथात् पाप के नाश के लए तु हारी तु त करता ं. (६) ु नेषु पृतना ये पृ सुतूषु वःसु च. इ
सा वा भमा तषु.. (७)
हे इं ! धन ा त के लए यु उप थत होने पर, अ क ा त के अवसर पर, पाप और श ु का नाश करने के न म तुम हमारा सहयोग करो. (७)
दे वता—इं
सू —२० शु म तमं न ऊतये ु नन पा ह जागृ वम्. इ
सोमं शत तो.. (१)
हे इं ! तुम हमारी र ा के न म अ तशय बल कारक, बुरे व का नाश करने वाले तथा तेज से दमकते ए सोमरस का पान करो. (१) इ
या ण शत तो या ते जनेषु प चसु. इ
हे इं ! तु हारा जो बल ा ण, उसी बल क याचना करते ह. (२) अग
वो बृहद् ु नं द ध व
ता न त आ वृणे.. (२)
य, वै य, शू और नषाद—पांच वण म है, हम रम्. उत् ते शु मं तराम स.. (३)
हे इं ! तु हारा अ धक अ हम ा त हो. तुम श ु के ारा ा त न करने यो य यश अथवा धन को हम ा त कराओ. हम सोमरस अथवा तो के ारा तु हारा बल बढ़ाते ह. (३) अवावतो न आ ग थो श परावतः. उ लोको य ते अ व इ े ह तत आ ग ह.. (४) हे शत तु इं ! तुम समीप और र दे श से हमारे समीप आओ. हे व धारी इं ! तु हारा जो भी लोक है, वहां से इस दे व कम अथात् य म सोमरस पीने के लए आओ. (४) इ ो अ महद् भयमभी षदप चु यवत्. स ह थरो वचष णः.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं दे व हमारे उस भय का वनाश करते ह, जसे सरे र नह कर सकते. वे इं अ य के ारा अ थर होने वाले नह ह. वे सभी को दे खने वाले ह. (५) इ
कसी
मृडया त नो न नः प ादघं नशत्. भ ं भवा त नः पुरः.. (६)
हम जस क शरण म जाते ह, वे इं दे व य द सब ा णय के र क ह तो हम भी सुखी बनाएं. हमारे सामने सदा मंगल उप थत हो. (६) इ
आशा य प र सवा यो अभयं करत्. जेता श ून् वचष णः.. (७)
इं चार दशा , दशा इं हम से े ष रखने वाले श ु
सू —२१
के चार कोण तथा ऊपर नीचे से हम अभय दान कर. को जीतने वाले और े ष करने वाले ह. (७)
दे वता—इं
यू ३ षु वाचं महे भरामहे गर इ ाय सदने वव वतः. नू च र नं ससता मवा वद ु त वणोदे षु श यते.. (१) हम इन इं के लए शोभन तु तयां दान करते ह. उपासना करने वाले यजमान के य मंडप म इं के लए तु तयां क जा रही ह. जस कार चोर सोते ए लोग का धन शी ा त कर लेता है, उसी कार इं असुर का धन ा त करते ह. धन दे ने वाले पु ष के त बुरी तु त योग नह क जाती. (१) रो अ य र इ गोर स रो यव य वसुन इन प तः. श ानरः दवो अकामकशनः सखा स ख य त मदं गृणीम स.. (२) हे इं ! तुम अ , गज आ द वाहन , गाय, भस आ द पशु तथा जौ, गे ं आ द अ के दे ने वाले हो. तुम वण, म ण, मोती आ द धन के वामी एवं र क हो. तुम दान के नेता, अपने सेवक क इ छा बढ़ाने वाले तथा अपने ऋ वज के म हो, इस लए तु हारे त हम इस तु त का उ चारण करते ह. (२) शचीव इ पु कृद् ुम म तवे ददम भत े कते वसु. अतः संगृ या भभूत आ भर मा वायतो ज रतुः काममूनयीः.. (३) हे इं ! तुम बु मान, परम ऐ य यु तथा ब त से कम करने वाले हो. सव व मान धन के तु ह वामी हो. हे श ु को बारबार परा जत करने वाले इं ! इस लए तुम पूरे धन का सं ह कर के मुझे दान करो. म तु हारी कामना करता आ तु हारी तु त करता ं. मुझे तुम अपूण मत रहने दो. (३) ए भ ु भः सुमना ए भ र
भ न धानो अम त गो भर ना.
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इ े ण द युं दरय त इ
भयुत े षसः स मषा रभेम ह.. (४)
हे इं ! हमारी अ धक ह व और सोमरस से स होते ए तुम गाय और अ आ द धन दे कर हमारी द र ता समा त करो. हे शोभन मन वाले इं ! हमारे ारा दए ए सोमरस से स हो कर तुम श ु क हसा करते ए हम श ु वहीन बनाओ. हम इं के ारा दए ए अ से संप ह . (४) स म राया स मषा रभेम ह सं वाजे भः पु ै र भ ु भः. सं दे ा म या वीरशु मया गोअ या ऽ ाव या रभेम ह.. (५) हे इं ! हम सब के ारा चाहे गए धन से संप ह . हम जा को स करने वाले बल से यु ह . हम तु हारी कृपामयी बु ा त हो. वह बु हम गाय को दे ने वाली तथा हमारे लेश का नवारण करने वाली हो. (५) ते वा मदा अमदन् ता न वृ या ते सोमासो वृ ह येषु स पते. यत् कारवे दश वृ ा य त ब ह मते न सह ा ण बहयः.. (६) हे स जन के र क इं ! श ु के हनन कम म स एवं मादक आ य, पुरोडाश आ द तु ह स कर. हमारे स तो भी स ता के साधन होने के कारण तु ह ह षत कर. स सोमरस भी तु ह स कर. तु त करते ए यजमान के दस सह पाप को तुम समा त करो. (६) युधा युधमुप घेदे ष धृ णुया पुरा पुरं स मदं हं योजसा. न या य द स या पराव त नबहयो नमु च नाम मा यनम्.. (७) हे इं ! तुम अपने हार के साधन व के ारा श ु के आयुध पर आ मण करते हो. तुम श ु के नगर म नवास करने वाले वीर को अपने म द्गण आ द वीर के ारा न कराते हो. तुम ने मायावी नमु च का संहार कया था, इस लए हम तु हारी तु त करते ह. (७) वं कर मुत पणयं वधी ते ज या त थ व य वतनी. वं शता वङ् गृद या भनत् पुरो ऽ नानुदः प रषूता ऋ ज ना.. (८) हे इं ! तुम ने अपनी अ तशय तेज यु वतनी नाम क श से अ त थ अ त थ व के राजा के श ु करंज एवं पणय असुर का वध कया था. तुम ने ऋ ज ा राजा के श ु वंगृदासुर के सौ नगर का भी व वंस कया था. (८) वमेतां जनरा ो दशाब धुना सु वसोपज मुषः. ष सह ा नव त नव ुतो न च े ण र या पदावृणक्.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! तुम ने सहायक वहीन सु वा राजा को घेरने वाले साठ हजार न यानवे सेनाप तय को अपने उस च से न कर दया जो र ा के यो य था और जसे श ु ा त नह कर सकते थे. (९) वमा वथ सु वसं तवो त भ तव ाम भ र तूवयाणम्. वम मै कु सम त थ वमायुं महे रा े यूने अर धनायः.. (१०) हे इं ! तुम ने सहायक वहीन राजा सु वा क अपने र ा साधन से र ा क . तुम ने तूवयाण नाम के राजा का पालन कया. तुम ने युवराज बने ए कु स, अ त थ व और आयु का आ य सु वा को ा त कराया. (१०) य उ ची दे वगोपाः सखाय ते शवतमा असाम. वां तोषाम वया सुवीरा ाघीय आयुः तरं दधानाः.. (११) हे इं ! इस य क समा त पर हम तु हारी र ा ा त हो. सखा के समान तु हारे अ यंत य होते ए हम इस य के बाद भी अ तशय क याण को ा त कर. इस य क समा त के उ रकाल म भी हम तु हारी तु त कर. तु हारी तु तयां करते ए हम शोभन पु को तथा द घ आयु को ा त कर. (११)
दे वता—इं
सू —२२ अ भ वा वृषभा सुते सुतं सृजा म पातये. तृ पा
ुही मदम्.. (१)
हे वषा करने वाले इं ! सोम के नचोड़ लए जाने पर एवं शु हो जाने पर हम उसे पीने के लए तु ह बुलाते ह. उस हषदायक सोम को पी कर तुम तृ त बनो. तुम उस स करने वाले सोम रस को वशेष प से ा त करो. (१) मा वा मूरा अ व यवो मोपह वान आ दभन्. माक
षो वनः.. (२)
हे इं ! तु हारी कृपा से हम अपने पालन क इ छा करते ह. अपनी र ा का उपाय न जानते ए मूख तु हारी हसा न कर. जो ा ण से े ष करने वाले ह, तुम उन क सेवा को वीकार मत करो. (२) इह वा गोपरीणसा महे म द तु राधसे. सरो गौरो यथा पब.. (३) हे इं ! ऋ वज् धन ा त के लए तु ह गाय के ध से म त सोमरस दे कर स कर. गौर मृग अ य धक यासा होने पर जस कार जल पीता है, तुम उसी कार सोमरस को पयो. (३) अभ
गोप त गरे मच यथा वदे . सूनुं स य य स प तम्.. (४)
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हे तोता! तुम इं क पूजा उस कार करो, जस से वे हम अपना मान ल. इं स य के पु और स य क र ा करने वाले ह. (४) आ हरयः ससृ
रेऽ षीर ध ब ह ष. य ा भ संनवामहे.. (५)
इं के सुंदर अ उन के रथ को हमारे य म बछे ए कुश के समीप लाएं. (५) इ ाय गाव आ शरं
ेव
णे मधु. यत् सीमुप रे वदत्.. (६)
व धारी इं के लए गाएं उस समय मधुर ध हाती ह जस समय पास म रखे ए मधुर एवं वा द सोमरस को इं पीते ह. (६)
दे वता—इं
सू —२३ आ तू न इ
म य ् घुवानः सोमपीतये. ह र यां या
वः.. (१)
हे व धारी इं ! हमारे ारा आ ान करने पर तुम सोमरस का पान करने के लए अपने अ ारा हमारे य म आओ. (१) स ो होता न ऋ वय त तरे ब हरानुषक्. अयु न् ातर यः.. (२) हे इं ! हमारे य म होता नाम का ऋ वज् समय पर उप थत हो कर बैठे. हमारे य म कुश एक सरे से मले ए बछ. सोमरस कूटने के लए ातः व म प थर एक सरे से मल. (२) इमा
वाहः
य त आ ब हः सीद. वी ह शूर पुरोळाशम्.. (३)
हे इं ! हम तु हारी तु त कर रहे ह. तुम इन कुशा पर बैठो. हे वीर! कुशा कर तुम हमारे ारा दए गए पुरोडाश का भ ण करो. (३) रार ध सवनेषु ण एषु तोमेषु वृ हन्. उ थे व
पर बैठ
गवणः.. (४)
हे तु तय ारा सेवा करने यो य तथा वृ ासुर का वध करने वाले इं ! हमारे तीन सवनो म क जाती ई तु तय से स बनो. (४) मतयः सोमपामु ं रह त शवस प तम्. इ ं व सं न मातरः.. (५) हमारी तु तयां महान सोमरस का पान करने वाले तथा बल के वामी इं को उसी कार ा त होती ह, जस कार गाय अपने बछड़े को चाटती है. (५) स म द वा
धसो राधसे त वा महे. न तोतारं नदे करः.. (६)
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हे इं ! तुम अपने शरीर म बल ा त करने के लए सोमरस पी कर स बनो. मुझे अ धक धन दे ने के लए तुम ह षत होओ. म तु हारा तोता ं. मुझे सरे का नदक मत बनाओ. (६) वय म
वायवो ह व म तो जरामहे. उत वम मयुवसो.. (७)
हे इं ! हम सोम प ह व से यु हो कर तु हारी कामना करते ह. हे सब को वास दे ने वाले इं ! तुम हम मनचाहा फल दे ने के लए स बनो. (७) मारे अ मद् व मुमुचो ह र यावाङ् या ह. इ
वधावो म वेह.. (८)
हे इं ! तुम अ को ेम करने वाले हो. अपने अ को तुम हम से र रथ से अलग मत करो. तुम अ यु रथ पर चढ़े ए ही हमारे य म आओ. यहां आ कर तुम सोमरस पयो और हष पूण बनो. (८) अवा चं वा सुखे रथे वहता म
के शना. घृत नू ब हरासदे .. (९)
हे इं ! म क बूंद के कारण भीगे ए घोड़े तु ह सुख दे ने वाले रथ पर बैठा कर बछ ई कुशा पर वराजमान करने के लए हमारे सामने लाएं. (९)
दे वता—इं
सू —२४ उप नः सुतमा ग ह सोम म
गवा शरम्. ह र यां य ते अ मयुः.. (१)
हे इं ! हमारा सोम गाय के ध से यु है. तुम उसे पीने के लए हमारे पास आओ. तु हारे जन रथ म घोड़ को जोड़ दया गया है, वे रथ हमारे य म आना चाहते ह. (१) तम
मदमा ग ह ब ह ां ाव भः सुतम्. कु व व य तृ णवः.. (२)
हे इं ! यह सोम कुशा बनो. (२) इ
पर रखा है. तुम इस क ओर आओ तथा इसे पी कर तृ त
म था गरो ममा छागु र षता इतः. आवृते सोमपीतये.. (३)
हमारी तु त
पी वा णयां इं को हमारे य म लाने के लए उन के पास जाती ह. (३)
इ ं सोम य पीतये तोमै रह हवामहे. उ थे भः कु वदागमत्.. (४) हम अपनी तु तय के अनेक बार आएं. (४)
ारा इं को सोम पान के लए बुलाते ह. इं हमारे य
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म
इ
सोमाः सुता इमे तान् द ध व शत तो. जठरे वा जनीवसो.. (५)
हे इं ! ये सोम, चमस आ द तु हारे हेतु एक करो. (५)
कए गए ह. तुम इस सोम को उदर थ
वद्मा ह वा धनंजयं वाजेषु दधृषं कवे. अधा ते सु नमीमहे.. (६) हे इं ! हम जानते ह क तुम यु धन के वजेता हो. (६) इम म
के अवसर पर श ु
को अपने वश म करते हो तथा
गवा शरं यवा शरं च नः पब. आग या वृष भः सुतम्.. (७)
हे इं ! यहां आ कर प थर से कूट कर तैयार कए गए और गाय का ध मले ए सोम का पान करो. (७) तु ये द
व ओ ये ३ सोमं चोदा म पीतये. एषा रार तु ते
द.. (८)
हे इं ! म इस सोम को पी कर अपने उदर म भर लेने के लए तु ह े रत करता ं. यह सोम पीने के बाद तु हारे दय म रमा रहेगा. (८) वां सुत य पीतये
नम
हवामहे. कु शकासो अव यवः.. (९)
हे इं ! हम कौ शक गो ी ऋ ष तुम से र ा क कामना करते ए तैयार कए ए सोम रस पीने के लए तु ह बुलाते ह. (९)
सू —२५
दे वता—इं
अ ाव त थमो गोषु ग छ त सु ावी र म य तवो त भः. त मत् पृण वसुना भवीयसा स धमापो यथा भतो वचेतसः… (१) हे इं ! जो पु ष तु हारे ारा र त होता है, वह ब सं यक अ वाले यु म तथा अ ारो हय म मुख बन जाता है. वह गाय वाले पु ष म भी े होता है. जस कार जल सब ओर से सागर को भरते ह, उसी कार तुम भी उसे अनेक कार से ा त होने वाले धन से पूण करते हो. (१) आपो न दे वी प य त हो यमवः प य त वततं यथा रजः. ाचैदवासः णय त दे वयुं यं जोषय ते वरा इव.. (२) हे इं ! जस कार जल नीचे क ओर बहता आ सागर म जाता है, उसी कार तु तयां तुम से जा कर मल जाती ह. जस कार मनु य सूय के काश क चकाच ध के ******ebook converter DEMO Watermarks*******
कारण नीचे क ओर दे खने लगते ह, उसी कार लोग तु हारे तेज से यां बचाते ह. जस कार तोता तु ह य वेद के सामने बुला लेते ह, उसी कार ऋ वज् तु हारी सेवा करते ह. (२) अ ध योरदधा उ यं १ वचो यत ुचा मथुना या सपयतः. असंय ो ते ते े त पु य त भ ा श यजमानाय सु वते.. (३) जो य साधन पा रखे ह, ऋ वज् उन पा के ारा इं आ द का पूजन करते ह. उन पा पर तु त के यो य उ थ था पत कया गया है. हे इं ! तु हारे न म य करने वाला यजमान संतान, पशु आ द से संप हो तथा क याणमयी श को ा त करे. (३) आद राः थमं द धरे वय इ ा नयः श या ये सुकृ यया. सव पणेः सम व द त भोजनम ाव तं गोम तमा पशुं नरः.. (४) हे इं ! जब प णय ने गाय का अपहरण कर लया, तब अं गरागो ी ऋ षय ने सब से पहले तु हारे न म ही ह व अ का संपादन कया. हम जो भीषण भय ा त है, उसे इं हम से र करते ह. वे इं सदै व अपने उ म कम से आहवनीय अ न को द त करते ह. दे व के नेता इं ने प णय से छ ना आ धन गौ, अ , भेड़, बकरी आ द से ा त कया था. (४) य ैरथवा थमः पथ तते ततः सूय तपा वेन आज न. आ गा आज शना का ः सचा यम य जातममृतं यजामहे.. (५) इं के लए य करने वाले अथवा ऋ ष ने प णय ारा चुराई ई गाय को छपा कर रखने के थान का माग पहले ही जान लया था. जब सूय दय हो गया, तब क व के पु उशना ने इं क सहायता से उन गाय को ा त कया था. हम अ वनाशी इं का पूजन करते ह. (५) ब हवा यत् वप याय वृ यते ऽ क वा ोकमाघोषते द व. ावा य वद त का य १ त ये द ो अ भ प वेषु र य त.. (६) सुंदर संतान प फल को पाने के लए य म कुशाएं बछाई जाती ह. वाणी के प म य के जस तो का उ चारण कया जाता है तथा जस य म सोम को कूटने वाला प थर तोता के समान श द करता है, वहां इं वराजमान होते ह. (६) ो ां पी त वृ ण इय म स यां यै सुत य हय तु यम्. इ धेना भ रह मादय व धी भ व ा भः श या गृणानः.. (७) हे इं ! तुम ह र नाम के अ ारा े गमन करने वाले तथा कामना के वषक हो. म तु ह सोमरस पीने को े रत करता ं. तुम तु तयां सुन कर हमारे य म स बनो. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू —२६
दे वता—इं
योगेयोगे तव तरं वाजेवाजे हवामहे. सखाय इ मूतये.. (१) य के अवसर पर अथवा यु करते ह. (१)
ा त होने पर अपने सखा
आ घा गमद् य द वत् सह णी भ
प इं का हम आ ान
त भः. वाजे भ प नो हवम्.. (२)
इं मेरी तु तयां और आ ान को सुन कर अपने र ा साधन और अ ले कर यहां आएं. (२) अनु
न यौकसो वे तु व त नरम्. यं ते पूव पता वे.. (३)
हे इं ! तुम ाचीन वग के वामी तथा असं य वीर के त न ध हो. ाचीन काल म मेरे पता ने तु हारा आ ान कया था, इस लए म भी तु ह बुलाता ं. (३) यु
त
नम षं चर तं प र त थुषः. रोच ते रोचना द व.. (४)
इं के वशाल, दे द यमान तथा वचरणशील रथ म ह र नाम के अ अ आकाश म दमकते रहते ह. (४) यु
जुड़े रहते ह. वे
य य का या हरी वप सा रथे. शोणा धृ णू नृवाहसा.. (५)
इं के सारथी उन के रथ म घोड़ को जोड़ते ह. वे घोड़े रथ के दोन ओर रहते ह. वे अ कामना करने यो य एवं इं को वहन करने वाले ह. (५) केतुं कु व केतवे पेशो मया अपेशसे. समुष
रजायथाः.. (६)
हे मनु यो! अंधकार म छपे पदाथ को अपने काश से आकार दे ने वाले तथा अ ानी को ान दान करने वाले सूय अपनी करण के साथ उदय हो गए ह. तुम इन के दशन करो. (६)
सू —२७
दे वता—इं
य द ाहं यथा वमीशीय व व एक इत्. तोता मे गोषखा यात्.. (१) हे इं ! तुम ऐ यवान हो. जस कार तुम दे व म े तथा धन के वामी हो, उसी कार म भी धन का वामी बनूं. जस कार तु हारी तु त करने वाला गाय का म हो जाता है, उसी कार मेरी शंसा करने वाला भी गौ आ द धन ा त करे. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
श ेयम मै द सेयं शचीपते मनी षणे. यदहं गोप तः याम्.. (२) हे शचीप त इं ! जब तु हारी कृपा से म गाय से संप हो जाऊंगा, तब इस तु त करने वाले व ान् को धन दे ने क इ छा करता आ इसे धन दे सकूंगा. (२) धेनु इ
सूनृता यजमानाय सु वते. गाम ं प युषी हे.. (३)
हे इं ! हमारी स ची तु त तु ह उसी कार तृ त करे, जस कार गाएं लोग को अपने ध से तृ त करती ह. यह तु त सोम का सं कार करने वाले यजमान क वृ करे. यह तु त गौ आ द अभी पदाथ को दान करती है. (३) न ते वता त राधस इ
दे वो न म यः. यद् द स स तुतो मघम्.. (४)
हे इं ! तु हारे धन को कोई रोक नह सकता. दे वगण तु हारे धन को अ यथा नह कर सकते तथा मनु य तु हारे धन को मटाने म समथ नह ह. हमारी तु त से स हो कर तुम य द हम को धन दे ना चाहो, उस धन को कोई न नह कर सकता. (४) य इ मवधयद् यद् भू म
वतयत्. च ाण ओपशं द व.. (५)
जो इं आकाश म मेघ को व तृत करते ह तथा वषा के जल से धरती को गीला करते ह, वे ही वषा के जल से भू म के धा य को पु बनाते ह. (५) वावृधान य ते वयं व ा धना न ज युषः. ऊ त म ा वृणीमहे.. (६) हे इं ! तुम तु तय से वृ ा त करते हो. हम तु हारी उस श जो श ु के धन को जीतने वाली और हमारी र ा करने वाली है. (६)
सू —२८
का वरण करते ह,
दे वता—इं
१ त र म तर मदे सोम य रोचना. इ ो यद भनद् वलम्.. (१) सोमपान से उ प श अंत र क वृ क . (१)
के ारा जब इं ने मेघ को वद ण कया, तब वषा के जल से
उद्गा आजद रो य आ व कृ वन् गुहा सतीः. अवा चं नुनुदे वलम्.. (२) इं ने अं गरा गो वाले ऋ षय के लए गुफा म छपी गाय को कट कया तथा उ ह नकाल कर उन का अपहरण करने वाले रा स को अधोमुख कर के मटा दया. (२) इ े ण रोचना दवो ढा न ं हता न च. थरा ण न पराणुदे.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो ह और न आकाश म थत ह, उ ह इं ने ढ़ कया है, इसी लए उ ह कोई नीचे नह गरा सकता. (३) अपामू ममद व तोम इ ा जरायते. व ते मदा अरा जषुः.. (४) हे इं ! तु हारा तो वषा के जल से सागर आ द को ह षत करता आ तथा रस के समान हमारे मुख से कट होता है. सोमपान के बाद तु हारी श व श हो जाती है. (४)
दे वता—इं
सू —२९
वं ह तोमवधन इ ा ऽ यु थवधनः. तोतॄणामुत भ कृत्.. (१) हे इं ! तुम तो क याणकारी हो. (१) इ
तथा उ थ से वृ
ा त करते हो. तुम तु त करने वाल के
मत् के शना हरी सोमपेयाय व तः. उप य ं सुराधसम्.. (२)
इं के ह र नाम के अ उ ह हमारे सुंदर फल वाले य म सोमपान के लए लाएं. (२) अपां फेनेन नमुचेः शर इ ोदवतयः. व ा यदजय पृधः.. (३) हे इं ! तुम ने जल के फेन का व बना कर नमु च रा स का सर काट दया था तथा वरोधी सेना पर वजय ा त क थी. (३) माया भ
ससृ सत इ
ामा
तः. अव द यूंरधूनुथाः.. (४)
हे इं ! जो असुर अपनी माया से आकाश पर चढ़ने क इ छा करते ह, उ ह तुम अधोमुख कर के गरा दे ते हो. (४) असु वा म
संसदं वषूच
नाशयः. सोमपा उ रो भवन्.. (५)
हे इं ! तुम सोमरस पी कर बलवान बनते हो. जहां सोमरस नह नचोड़ा जाता, उस समाज को तुम न कर दे ते हो. (५)
सू —३०
दे वता—इं
ते महे वदथे शं सषं हरी ते व वे वनुषो हयतं मदम्. घृतं न यो ह र भ ा सेचत आ वा वश तु ह रवपसं गरः.. (१) हे इं ! तु हारे अ शी ता से गमन करने वाले ह. इस वशाल य म म उन क शंसा करता ं. तुम श ु का वध करने वाले हो. सोमपान से उ प ईश वाले इं से म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपना अभी फल मांगता ं. जैसे अ न म घृत स चा जाता है, उसी कार इं अपने ही नाम के अ स हत आते ए धन क वषा करते ह. (१) ह र ह यो नम भ ये सम वरन् ह व तो हरी द ं यथा सदः. आ यं पृण त ह र भन धेनव इ ाय शूषं ह रव तमचत.. (२) ाचीन मह षय ने इं को अपने य म शी ता से बुलाने के लए उन के अ को े रत कया. उन का तो मूल प से इं के ही न म था. नव सूता गाय जैसे ध दे कर अपने वामी को तृ त करती है, उसी कार यजमान सोमरस के ारा इं को तृ त करते ह. हे ऋ वजो! श ु वनाशक, श शाली तथा ह र नामक अ वाले इं का पूजन करो. (२) सो अ य व ो ह रतो य आयसो ह र नकामो ह ररा गभ योः. ु नी सु श ो ह रम युसायक इ े न पा ह रता म म रे.. (३) इं का लौह न मत व हरा है. इं का सुंदर शरीर भी हरे रंग का है. इं के पास हरे रंग का ही बाण रहता है. इं क पूरी साजस जा हरे रंग क है. (३) द व न केतुर ध धा य हयतो व चद् व ो ह रतो न रं ा. तुदद ह ह र श ो य आयसः सह शोका अभव रभरः.. (४) इं का व सूय के समान अंत र म थत है. जस कार सूय के अ वेग से आकाश को ा त होते ह, उसी कार इं का व गंत थान पर प ंच जाता है. इं ने अपने हरे व से वृ ासुर को संत त कया तथा उस के सह सा थय को शोक म डाल दया. (४) वं वमहयथा उप तुतः पूव भ र ह रकेश य व भः. वं हय स तव व मु य १ मसा म राधो ह रजात हयतम्.. (५) हे इं ! तु हारे केश हरे रंग के ह. जहां सोम प ह व होता है, वहां तुम उप थत होते हो. तुम तु तयां सुन कर ह व क इ छा करते रहे हो और अब भी कर रहे हो. तुम अपने ह र नाम के अ स हत य म आते हो. हे इं ! ये सोम, अ और उ थ तु हारे लए ही ह. (५)
सू —३१
दे वता—इं
ता व णं म दनं तो यं मद इ ं रथे वहतो हयता हरी. पु य मै सवना न हयत इ ाय सोमा हरयो दध वरे.. (१) सोमरस से उ प श ा त करने के लए इं के अ तीन सवन म नचोड़े गए सोम इं को धारण करते ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ ह हमारे य म ला रहे ह.
अरं कामाय हरयो दध वरे थराय ह वन् हरयो हरी तुरा. अव य ह र भज षमीयते सो अ य कामं ह रव तमानशे.. (२) हरे रंग वाले सोम यु म अटल रहने वाले इं को धारण करते ह. सोम ही इं के घोड़ को य क ओर जाने के लए े रत करते ह. जो इं अपने अ ारा वेग से य म आते ह, वे सोमरस वाले यजमान के पास प ंच जाते ह. (२) ह र मशा ह रकेश आयस तुर पेये यो ह रपा अवधत. अव य ह र भवा जनीवसुर त व ा रता पा रष री.. (३) इं के केश, दाढ़ और मूंछ सभी हरे रंग के ह. इं सं का रत होने पर सोमरस को पीते ए वृ ा त करते ह. इं सोमरस को पीने के लए अपने तेज चलने वाले घोड़ से सोमपान करने आते ह. ह व उन का धन है. इं अपने रथ म घोड़ को जोड़ कर हमारे सभी पाप न कर. (३) ुवेव य य ह रणी वपेततुः श े वाजाय ह रणी द व वतः. यत् कृते चमसे ममृज री पी वा मद य हयत या धसः.. (४) य म जस कार वे चलते ह, उसी कार सोमरस का पान करने के लए इं क हरे रंग क चबुक अथात् ठु ड्डी चलती है. जब चमस सोमरस से भर जाता है, तब उसे पीने के लए इं क ठु ड्डी फड़कने लगती है. उस समय इं अपने घोड़ का प रमाजन अथात् सफाई करते ह. (४) उत म सद्म हयत य प यो ३ र यो न वाजं ह रवाँ अ च दत्. मही च धषणाहयदोजसा बृहद् वयो द धषे हयत दा.. (५) इं का नवास ावा पृ वी म है. जस कार घोड़ा यु े म अ सर होता है, उसी कार इं अपने घोड़ पर चढ़ कर य शाला क ओर बढ़ते ह. हे इं ! हमारा तो तु हारी कामना करता है. तुम भी यजमान क कामना करते ए उसे असी मत धन दे ते हो. (५)
सू —३२
दे वता—इं
आ रोदसी हयमाणो म ह वा न ंन ं हय स म म नु प यमसुर हयतं गोरा व कृ ध हरये सूयाय.. (१)
यम्.
हे इं ! तुम अपनी म हमा से आकाश और धरती को ा त करते हो. तुम सदा नवीन रहते हो. तुम हमारे य तो क इ छा करते हो. तुम प णय ारा चुराई गई गाय को रखने का थान सूय को बता दे ते हो. ऐसी कृपा करो क सूय तु त करने वाल को वह गो अथात् गाय को रखने का थान दे द. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ वा हय तं युजो जनानां रथे वह तु ह र श म . पबा यथा तभृत य मत् वो हयन् य ं सधमादे दशो णम्.. (२) हे इं ! तुम सोमरस पीने के इ छु क हो. सोमरस पीने से तु हारी ठु ड्डी हरे रंग क हो गई है. तु हारे रथ म जुड़े ए घोड़े तुम को यहां लाएं. चमस आ द पा म रखे ए सोम वाले घर म आ कर तुम सोम को पी सको, इस लए तु हारे अ तु ह यहां ले आएं. (२) अपाः पूवषां ह रवः सुतानामथो इदं सवनं केवलं ते. मम सोमं मधुम त म स ा वृष ठर आ वृष व.. (३) हे इं ! तुम ातः सवन म सोम को पी चुके हो. यह मा यं दन सवन भी तु हारा ही है. इस सवन म तुम सोम का पान करते ए स बनो. तुम इस पूरे सोमरस को एक साथ ही अपने पेट म भर लो. (३)
सू -३३
दे वता—इं
अ सु धूत य ह रवः पबेह नृ भः सुत य जठरं पृण व. म म ुयम य इ तु यं ते भवध व मदमु थवाहः.. (१) हे इं ! अ वयु जन ने इस सोम का सं कार कया है. तुम इसे पी कर अपना पेट भर लो. जस सोम को प थर कूट चुके ह, उसे पीते ए तुम हष यु बनो. (१) ो ां पी त वृ ण इय म स यां यै सुत य हय तु यम्. इ धेना भ रह मादय व धी भ व ा भः श या गृणानः.. (२) हे इं ! तुम इ छत फल क वषा करते हो. म तु ह सोम क चंड श ा त करने के लए े रत करता ं. तुम य काय म आ कर तु तय से शं सत और ह व से तृ त बनो. (२) ऊती शचीव तव वीयण वयो दधाना उ शज ऋत ाः. जाव द मनुषो रोणे त थुगृण तः सधमा ासः.. (३) हे इं ! तु हारे ारा पु आ द प संतान तथा अ से यु स य के ाता तथा तु ह चाहने वाले ऋ वज् यजमान के घर म तु हारी तु त करते ए बैठ. (३)
सू -३४
दे वता—इं
यो जात एव थमो मन वान् दे वो दे वान् तुना पयभूषत्. य य शु माद् रोदसी अ यसेतां नृ ण य म ा स जनास इ ः.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं के बल से आकाश और पृ वी भयभीत रहते ह. इं ने कट होते ही अ य दे वता को अपनी र ा म ले लया. (१) यः पृ थव थमानाम ं हद् यः पवतान् कु पताँ अर णात्. यो अ त र ं वममे वरीयो यो ाम त नात् स जनास इ ः.. (२) हे असुर! इं वे ह, ज ह ने हलती ई भू म को थर कया, पंख वाले पवत के पंख काट कर उ ह अचल बना दया तथा अंत र और आकाश को थर कया. (२) यो ह वा हम रणात् स त स धून् यो गा उदाजदपधा वल य. यो अ मनोर तर नं जजान संवृक् सम सु स जनास इ ः.. (३) ज ह ने आकाश म वचरण करने वाले मेघ का भेदन कर के न दय को वा हत कया तथा बल असुर ारा चुराई गई गाय को कट कया, ज ह ने मेघ म भरे ए पाषाण से व ुत को उ प कया तथा जो यु म श ु का वनाश करते ह, वे ही इं ह. (३) येनेमा व ा यवना कृता न यो दासं वणमधरं गुहाकः. नीव यो जगीवांल माददयः पु ा न स जनास इ ः.. (४) हे असुरो! ज ह ने दखाई दे ते ए लोक को थर कया, असुर को गुफा म डाल दया, य श ु पर वजय ा त क तथा जो श ु के धन को छ न लेते ह, वे ही इं ह. (४) यं मा पृ छ त कुह से त घोरमुतेमा नषो अ ती येनम्. सो अयः पु ी वज इवा मना त द मै ध स जनास इ ः.. (५) श ु का वनाश करने वाले इं के संबंध म लोग अनेक शंकाएं करते ह. इं श ु क र ा करने वाली सेना का पूण नाश कर दे ते ह. हे मनु यो! उन इं पर व ास करो तथा उन के त ावान बनो. इं के अ त र वृ ासुर आ द श ु को कौन जीत सकता था. वे इं श ु वजेता ह. (५) यो र य चो दता यः कृश य यो णो नाधमान य क रेः. यु ा णो यो ऽ वता सु श ः सुतसोम य स जनास इ ः.. (६) जो इं नधन को धन दे ते ह और असहाय क सहायता करते ह, जो तु त करने वाले ा ण को मनचाहा फल दान करते ह, जन क चबुक अथात् ठु ड्डी सुंदर है तथा जो सोम का सं कार करने वाले यजमान के र क ह, हे मनु यो! वे ही इं ह. (६) य या ासः द श य य गावो य य ामा य य व े रथासः. यः सूय य उषसं जजान यो अपां नेता स जनास इ ः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जन के पास मांगने वाल को दे ने के लए ब त सी गाएं, अ , ाम, रथ, गज, ऊंट आ द सब कुछ है, ज ह ने काश के लए सूय का उदय कया है तथा उषा को कट कया है, जो वषा के जल के ेरक ह, वे ही इं ह. (७) यं दसी संयती व येते परे ऽ वर उभया अ म ाः. समानं च थमात थवांसा नाना हवेते स जनास इ ः.. (८) आकाश और पृ वी दोन एकमत हो कर इं का आ ान करते ह. ुलोक ह व के लए तथा पृ वी वषा के लए इं को बुलाते ह. समान रथ म बैठे ए सेनाप त ज ह बुलाते ह, वे ही इं ह. (८) य मा ऋते वजय ते जनासो यं यु यमाना अवसे हव ते. यो व य तमानं बभूव या अ युत युत् स जनास इ ः.. (९) इं क सहायता के बना वजय क कामना करने वाले लोग अपने श ु को परा जत नह कर सकते. इसी कारण वे यु के अवसर पर इं को बुलाते ह. जो अचल पवत को हटाने म समथ ह तथा जो ा णय का पु य दे खते ह, वे इं ह. (९) यः श तो म ेनो दधानानम यमाना छवा जघान. यः शधते नानुददा त शृ यां यो द योह ता स जनास इ ः.. (१०) जो लोग महान अपराधी ह, इं क स ा को नह मानते ह. इं उ ह ह सत करते ह. जो अपने कम म इं क अपे ा नह करते, इं उन के तकूल रहते ह. जो वृ आ द असुर के हसक ह, वे इं ह. (१०) यः श बरं पवतेषु य तं च वा र यां शर व व दत्. ओजायमानं यो अ ह जघान दानुं शयानं स जनास इ ः.. (११) ज ह ने चालीस वष तक पवत म छप कर रहते ए शंबर असुर का वध कया, ज ह ने शमन करने वाले श शाली वृ का संहार कया, वे इं ह. (११) यः श बरं पयतरत् कसी भय ऽ चा का ना पबत् सुत य. अ त गरौ यजमानं जनं ब ं य म ामूछत् स जनास इ ः.. (१२) जन क हसा करने के लए असुर ने सोमपान करने वाले अ वयुजन को घेर लया था, ज ह ने अपने व से शंबर का दमन कया तथा जो सं कार कए ए सोमरस को पी चुके ह, वे इं ह. (१२) यः स तर मवृषभ तु व मानवासृजत् सतवे स त स धून्. यो रौ हणम फुरद् व बा ामारोह तं स जनास इ ः.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
जो जल क वषा करते ह, जो कामना को पूण करते ह, जो सात र मय वाले सूय के प म थत ह, ज ह ने व हण कर के आकाश पर चढ़ते ए शंबर असुर का वध कया था तथा ज ह ने सात न दय को उ प कया, वे इं ह. (१३) ावा चद मै पृ थवी नमेते शु मा चद य पवता भय ते. यः सोमपा न चतो व बा य व ह तः स जनास इ ः.. (१४) जन के सामने आकाश और पृ वी झुकते ह, जन के भय से पवत भी कांपते ह, जो सोमपान करने के कारण ढ़ शरीर और श शाली भुजा वाले ह तथा जो व को धारण करते ह, वे इं ह. (१४) यः सु व तमव त यः पच तं यः शंस तं यः शशमानमूती. यय वधनं य य सोमो य येदं राधः स जनास इ ः.. (१५) हे मनु यो! जो सोमरस नचोड़ने वाले क , चमकाने वाल क तथा तु तयां करने वाले क र ा करते ह, सोमरस जसके बल, ान और यश को बढ़ाता है, वे ही इं है. (१५) जातो यत् प ो प थे भुवो न वेद ज नतुः पर य. त व यमाणो नो यो अ मद् ता दे वानां स जनास इ ः.. (१६) हे मनु यो! जो इं ज म लेते ही ावा पृ वी अथात् वग और धरती क गोद म का शत ए, जो अपनी मां पी पृ वी और पता पी आकाश को नह जानते तथा हमारे ारा तु त कए जाते ए दे व संबंधी कम अथात् य को पूण करते ह, वे ही इं ह. (१६) यः सोमकामो हय ः सू रय माद् रेज ते भुवना न व ा. यो जघान श बरं य शु णं य एकवीरः स जनास इ ः.. (१७) हे मनु यो! सोमरस क कामना करते ए जो इं अपने ह र नाम के घोड़ को चलने के लए े रत करते ह तथा ज ह ने शंबर और शु ण नाम के असुर को मारा, एकमा वे ही इं ह. (१७) यः सु वते पचते वयं त इ व ह
आ चद् वाजं दद ष स कला स स यः. यासः सुवीरासो वदथमा वदे म.. (१८)
हे मनु यो! जो इं सोमरस नचोड़ने वाले तथा च पकाने वाले को यथे अ दे ते ह तथा जो न त प से स य ह, हम सभी ऐसे इं के य होते ए उ म वीर के वामी बन. (१८)
सू -३५
दे वता—इं
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अ मा इ तवसे तुराय यो न ह म तोमं मा हनाय. ऋचीषमाया गव ओह म ाय ा ण राततमा.. (१) म इं को ा त होने वाले तो का भलीभां त उ चारण करता ं. इं बलवान, सोमपान के लए शी ता करने वाले तथा गुण से महान ह. इं तु तय के समान ह और उन का सव गमन है. जस कार भूखे को अ ेरणा दे ता है, उसी कार तु तय क इ छा करने वाले इं क म तु तयां करता ं. म इं के लए पूव यजमान के ारा दए सोमरस आ द ह व तुत करता ं. (१) अ मा इ य इव यं स भरा या षं बाधे सुवृ . इ ाय दा मनसा मनीषा नाय प ये धयो मजय त.. (२) म इं के लए अ के समान अपना तो अ पत करता ं. म अपने श ु को बाधा प ंचाने के लए तो पी घोष करता ं. अ य ऋ वज् भी सब के वामी इं के लए अपने मन और बु के अनुसार अपनी तु तय को तुत करते ह. (२) अ मा इ यमुपमं वषा भरा या षमा येन. मं ह म छो भमतीनां सुवृ भः सू र वावृध यै.. (३) म उन स इं को उपमा दे ने यो य, धन का दाता और वग ा त करने वाले तो बोलता ं. यह तो अ तशय धनवान इं क वृ के लए उ चारण कर रहा है. म इं के उपयोग के हेतु इस तो का घोष कर रहा ं. (३) अ मा इ तोमं सं हनो म रथं न त व े त सनाय. गर गवाहसे सुवृ ाय व म वं मे धराय.. (४) रथकार जस कार वामी के लए रथ का नमाण करता है, उसी कार म तु तय ारा ा त करने यो य एवं मेधावी इं के लए सभी यजमान ारा तुत करने यो य सोमरस आ द के प म ह व तथा तु तयां अ पत करता ं. ये तु तयां म अ ा त के हेतु कर रहा ं. (४) अ मा इ स त मव व ये ायाक जु ा ३ सम े. वीरं दानौकसं व द यै पुरां गूत वसं दमाणम्.. (५) म अ ा त क इ छा से इं के लए ह व प अ तुत करता ं जो घी से मला आ है. जस कार रथ म घोड़े जोड़े जाते ह, उसी कार म ह व को घृत यु करता ं. इं श ु को परा जत करने वाले, दान करने वाले और असुर के नगर को व त करने वाले ह. (५) अ मा इ व ा त द् व ं वप तमं वय १ रणाय. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वृ य चद् वदद् येन मम तुज ीशान तुजता कयेधाः.. (६) इ ह इं के लए व कमा ने व नाम का आयुध बनाया था जो अ तशय शोभन तथा तु त के यो य ह. इस व का नमाण यु के लए तथा आ मण करने वाले श ु को रोकने के लए कया गया है. सब के वामी इं ने इस व से वृ रा स के मम थान म हार कया था. (६) अ ये मातुः सवनेषु स ो महः पतुं प पवा चाव ा. मुषायद् व णुः पचतं सहीयान् व यद् वराहं तरो अ म ता.. (७) सब के नमाणकता और महान इं के असाधारण कम का वणन कया जा रहा है. इस इं ने सोमयाग संबंधी य म सोमरस का पान कया तथा पुरोडाश के अ का भ ण कया है. तीन सवन अथात् ातः, म या और सायंकाल के हवन म ा त तथा श ु का संहार करने वाले इं ने श ु का धन छ न लया है. पवत पर व का योग करने वाले इं ने वषा को रोकने वाले मेघ को वद ण कया था. (७) अ मा इ ना द् दे वप नी र ायाकम हह य ऊवुः. प र ावापृ थवी ज उव ना य ते म हमानं प र ः.. (८) इस इं के लए इं ाणी आ द दे व प नय ने तो का उ चारण कया. इस इं ने व तृत वग और पृ वी को अपने तेज से अ त मण कया था. धावा और पृ वी इ के मह व को परा जत नह कर पाए. (८) अ येदेव र रचे म ह वं दव पृ थ ाः पय त र ात्. वरा ल ो दम आ व गूतः व रम ो वव े रणाय.. (९) इस इं का मह व ल ु ोक और पृ वी से भी बढ़ कर है. ये इं श ु पर अपने ही तेज से सुशो भत होते ह. इस कार के इं सं ाम के लए जाते ह अथवा वषा करने के लए मेघ के समीप प ंचते ह. (९) अ येदेव शवसा शुष तं व वृ द् व ेण वृ म ः. गा न ाणा अवनीरमु चद भ वो दावने सचेताः.. (१०) इ ह इं दे व के बल से जो वृ रा स भयभीत हो रहा था इं ने अपने व से उस का शीश काट दया एवं पा णय ारा चुरा कर रखी गई गाय को मु कया. इं ने मेघ का भेदन कर के सभी ा णय क र ा के कारण जल को मु कया. इं ह व दे ने वाले यजमान के समान अपना मन बना कर स अ ा त कराएं. (१०) अ ये वेषसा र त स धवः प र यद् व ेण सीमय छत्. ईशानकृद दाशुषे दश यन् तुव तये गाधं तुव णः कः.. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इ ह इं के द त बल के कारण बहने वाली न दयां अपनेअपने थान पर सुशो भत होती ह, य क इं ने अपने व से उ ह नयं त कया है. इं श ु का वध कर के वयं को वामी बनाते ए ह व दे ने वाले यजमान के लए अ दान करते ह. (११) अ मा इ भरा तूतुजानो वृ ाय व मीशानः कयेधाः. गोन पव व रदा तर े य णा यपां चर यै.. (१२) वृ रा स के वध के लए अ य धक शी ता करते ए सब के वामी इं श ु क सेना कतनी है, ऐसा कह कर उस का बल हरण करने वाले तुम व का हार करो. जस कार पशु के मांस के टु कड़े कए जाते ह, उसी कार तुम श ु पर हार करो. हे इं ! तुम जल क इ छा करते ए भू म पर जल के वाह के लए वृ के शरीर को अपने व से न कर दो. (१२) अ ये ू ह पू ा ण तुर य कमा ण न उ थैः. युधे य द णान आयुधा यृघायमाणो न रणा त श ून्.. (१३) अपनी तु तय म इं क शंसा करो. हे तोता! तु तय के यो य इं क तु तय से शंसा करो. जब इं यु के लए अपने आयुध को चलाते ए तथा श ु क हसा करते ए उन क ओर जाते ह, हे तोता! उस समय तु तय का उ चारण करो. (१३) अ ये भया गरय हा ावा च भूमा जनुष तुजेते. उपो वेन य जोगुवान ओ ण स ो भुवद् वीयाय नोधाः.. (१४) इन इं के ज म से ही पंख कटने के भय से पवत भी ढ़ हो गए थे. इं के भय से धरती और वग भी कांपते ह. इन इं क अनेक तो से शंसा कर के नोधा नाम के ऋ ष साम य वाले ए. (१४) अ मा इ यदनु दा येषामेको यद् व ने भूरेरीशानः. ैतशं सूय प पृधानं सौव े सु वमाव द ः.. (१५) इ ह इं के लए तु तय और सोम ल ण अ दान कया जाता है. इस कारण अ धक धन के वामी इं तो आ द के वषय म अ तीय ए. इं ने सौव य क र ा के अवसर पर सूय से अ धक तेज वी एतश नाम वाले ऋ ष क भी र ा क थी. (१५) एवा ते हा रयोजना सुवृ ा ण गोतमासो अ न्. ऐषु व पेशसं धयं धाः ातम ू धयावसुजग यात्.. (१६) हे इं ! गौतम गो वाले अनेक ऋ ष तु हारे लए मं पी तो का उ चारण कर रहे ह. इन तु तकता को अनेक कार का धन और अ दान करो. जस कार इं दे व इस समय हमारी र ा के लए आए ह, उसी कार वे अ य दन म हमारे य म आएं. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -३६
दे वता—इं
य एक इ षणीना म ं तं गी भर यच आ भः. यः प यते वृषभो वृ यावा स यः स वा पु मायः सह वान्.. (१) जो इं यजमान के य म धान प से आ ान करने यो य ह, उन क म उन वा णय के ारा तु त करता ,ं जनके वामी इं ह. वे कामना को पूण करने वाले इं क तु तय के ारा ाथना क जाती है. वे इं बल के वनाशक, अनेक कम करने वाले तथा श शाली ह. (१) तमु नः पूव पतरो नव वाः स त व ासो अ भ वाजय तः. न द्दाभं ततु र पवते ा म ोघवाचं म त भः श व म्.. (२) हमारे समथ पूव पु ष ने ह व पी अ दे कर इं क कामना क तब वे नौ महीन के बाद स ा त कर पाए. इं क तु त करते ए उ ह ने पतृलोक ा त कया. इं श ु क हसा करते ह. गम माग को पार करते ह तथा अ तशय श शाली ह. इं क आ ा का कोई उ लंघन नह कर सकता. (२) तमीमह इ म य रायः पु वीर य नृवतः पु ोः. यो अ कृधोयुरजरः ववान् तमा भर ह रवो मादय यै.. (३) हम इं से वीर पु एवं सेवक के साथ असी मत धन क याचना करते ह. हे इं दे व! हम ऐसा धन दो जो कभी समा त न हो तथा हम सुख दे ता रहे. (३) त ो व वोचो य द ते पुरा च ज रतार आनशुः सु न म . क ते भागः क वयो ख ः पु त पु वसोऽसुर नः.. (४) हे इं दे व! हम तोता को तुम वह सुख दान करो, जसे ाचीन काल के तोता ने ा त कया था. य म नकट थ तु हारा भाग कौन सा है? या वह तु ह दे ने यो य ह व ल ण वाला आगे है. हे ख से धारण करने यो य, श ु को क दे ने वाले, ब त के ारा य म बुलाए गए एवं ब त धन वाले इं ! हम यह बताइए. (४) तं पृ छ ती व ह तं रथे ा म ं वेपी व वरी य य नू गीः. तु व ाभं तु वकू म रभोदां गातु मषे न ते तु म छ (५) व धारणकता तथा रथ म वराजमान इं को जस तो क तु त ा त होती है, अनेक कार के कम करने वाले तथा श शाली जस इं से यजमान सुख पाने क इ छा करता है, वह इं को ा त कर लेता है तथा अपने वश म कर लेता है. (५) अया ह यं मायया वावृधानं मनोजुवा वतवः पवतेन. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अ युता चद् वी लता वोजो जो व
हा धृषता वर शन्.. (६)
हे इं ! तु हारे व का वेग मन के समान है. तुम ने अपनी माया से श शाली वृ का नाश कया है तथा ऐसे श ु नगर को व त कया, ज ह आज तक कोई न नह कर सका. (६) तं वो धया न या श व ं नं नवत् प रतंसय यै. स नो व द नमानः सुव े ो व ा य त गहा ण.. (७) हे यजमानो! ाचीन ऋ षय ने जस कार नवीन तो से इं क शंसा क , उसी कार म भी इं क तु त करने के लए उ त ं. सुद ं र वाहन वाले इं सभी क ठन काय म हम सफलता ा त कराएं. (७) आ जनाय णे पा थवा न द ा न द पयो ऽ त र ा. तपा वृषन् व तः शो चषा तान् षे शोचय ामप .. (८) हे इं ! पृ वी, वग और उन के म य म थत अंत र को तुम रा स से र हत बनाओ. तुम अपने तेज से रा स को भ म कर दो. रा स ा ण से े ष करते ह. उन के वनाश के हेतु तुम धरती और आकाश को तेज यु बनाओ. (८) भुवो जन य द य राजा पा थव य जगत् वेषसं क्. ध व व ं द ण इ ह ते व ा अजुय दयसे व मायाः.. (९) हे इं ! तुम वग के नवा सय के राजा हो. तुम अपने दा हने हाथ म व रा स क माया का वनाश करो. (९)
ले कर
आ संयत म णः व तं श ुतूयाय बृहतीममृ ाम्. यया दासा याया ण वृ ा करो व सुतुका ना षा ण.. (१०) हे व धारी इं ! अपनी जस श से तुम श ु के समान मनु य को भी अपनी मंगलका रणी संप दान कर के महान बना दे ते हो, उस म हमा वाली संप को हम भी दान करो. (१०) स नो नयु ः पु त वेधो व वारा भरा ग ह य यो. न या अदे वो वरते न दे व आ भया ह तूयमा मद् क्.. (११) हे इं दे व! तुम अ य धक पूजा के यो य, सब के रच यता तथा यजमान ारा बुलाने यो य हो. तु हारे जन अ को रोकने म दे वता या असुर कोई भी समथ नह होता, उ ह अ क सहायता से तुम हमारे य म पधारो. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -३७
दे वता—इं
य त मशृ ो वृषभो न भीम एकः कृ ी यावय त व ाः. यः श तो अदाशुषो गय य य ता ऽ स सु वतराय वेदः.. (१) हे इं ! टे ढ़े स ग वाला बैल जस कार भयभीत करता है, तुम भी उसी कार सब को भयभीत करते हो. तुम हमारे श ु को र भगा सकते हो. जो मनु य तु ह ह व नह दे ता, उस के धन को तुम उसे दान करो जो तु ह ह व दे ता है. (१) वं ह य द कु समावः शु ूषमाण त वा समय. दासं य छु णं कुयवं य मा अर धय आजुनेयाय श न्.. (२) हे इं ! तुम ने सं ाम म कु स क र ा क . उस समय तुम ने अजुनी के पु क र ा के न म दास, शु ण और कुयव नाम के असुर को पूरी तरह वश म कया तथा उन का धन कु स को दया. (२) वं धृ णो धृषता वीतह ं ावो व ा भ त भः सुदासम्. पौ कु सं सद युमावः े साता वृ ह येषु पू म्.. (३) हे इं ! तु हारा व श ु को वश म करने वाला है. तुम ने अपने इस व से वीतह और सुदास नाम के राजा क र ा क . तुम ने इसी व से सं ाम म पुरकु स के पु सद यु और पु क र ा क . (३) वं नृ भनृमणो दे ववीतौ भूरी ण वृ ा हय हं स. वं न द युं चुमु र धु न चा वापयो दभीतये सुह तु.. (४) हे इं ! जब यु का अवसर आता है, तब तुम म द्गण का सहयोग ले कर ब त से द यु जन का वध कर दे ते हो. तुम ने राज ष दभी त क र ा के लए व हाथ म ले कर चुमु र और धु न नाम के द यु का नाश कया था. (४) तव यौ ना न व ह त ता न नव यत् पुरो नव त च स ः. नवेशने शततमा ववेषीरहं च वृ ं नमु चमुताहन्.. (५) हे व धारी इं ! तु हारा व ब त स है. तुम ने अपने इसी व से रा स के न यानवे नगर का वनाश कया था तथा उन के सौव नगर पर अ धकार कर लया था, तुम ने अपने व से वृ और नमु च नाम के असुर का भी वध कया था. (५) सना ता त इ भोजना न रातह ाय दाशुषे सुदासे. वृ णे ते हरी वृषणा युन म तु ा ण पु शाक वाजम्.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! यजमान राजा सुदास ने तु ह ह व दान कया था. वे धन सुदास के पास सदा रहे थे. हे इं ! तुम ब त से कम करने वाले तथा कामना क वषा करने वाले हो. हे इं ! तु ह य म लाने के लए म ह र नाम वाले अथवा हरे रंग के घोड़ को तु हारे रथ म जोड़ता ं. हे बलशाली इं ! हमारे तो तु ह ा त ह . (६) मा ते अ यां सहसावन् प र ावघाय भूम ह रवः परादै . ाय व नो ऽ वृके भव थै तव यासः सू रषु याम.. (७) हे श शाली एवं हरे रंग के अथवा ह र नाम के घोड़ के वामी इं ! हम तु हारी सेवा का याग करने वाले न ह अथात् सदा तु हारी सेवा करते रह. हे इं ! अपनी सेना के ारा हमारी र ा करो, ज ह कोई रोक नह सकता. हे इं ! हम तो का उ चारण करने वाल म तु हारे य बन. (७) यास इत् ते मघव भ ौ नरो मदे म शरणे सखायः. न तुवशं न या ं शशी त थ वाय शं यं क र यन्.. (८) हे इं ! हम यजमान तु हारे म ह. हम अपने घर म स रह. तुम अ त थ व नाम के राजा को सुख दान करते ए तुवश और य नाम के राजा क र ा करो. (८) स ु ते मघव भ ौ नरः शंस यु थशास उ था. ये ते हवे भ व पण रदाश मान् वृणी व यु याय त मै.. (९) हे धन के वामी इं ! तु हारे आने के समय ऋ वज् उ थ नाम के मं का उ चारण करते ह. जो ऋ वज् तु हारा आ ान कर के य न करने वाल को न करते ह, वे भी उ थ नाम के मं को बोलते ह. उ थ का उ चारण करने वाले हम को तुम फल दान करने के हेतु वरण करो. (९) एते तोमा नरां नृतम तु यम म य ् चो ददतो मघा न. तेषा म वृ ह ये शवो भूः सखा च शूरो ऽ वता च नृणाम्.. (१०) हे नेता के म य े इं ! हमारे सामने आकर धन दान करने वाले तु हारे लए ये तो कए जा रहे ह. हम तो ा के पाप न कर के हम सुखी बनाओ तथा हम घर दान करो. हम तु ह ह व दे ते ह. तुम म के समान हमारी र ा करो. (१०) नू इ शूर तवमान ऊती जूत त वा वावृध य. उप नो वाजान् ममी प तीन् यूयं पात व त भः सदा नः.. (११) हे इं ! तुम हम से तु त और ह व ा त करते ए अ धक उ त करो तथा हम धन और पु दान करो. हे अ न आ द दे वताओ! तुम भी हमारा क याण करते ए हमारे र क बनो. (११) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -३८
दे वता—इं
आ या ह सुषुमा ह त इ
सोमं पबा इमम्. एदं ब हः सदो मम.. (१)
हे इं ! हम ने सोमरस तैयार कर लया है. तुम यहां हमारे य म आओ तथा इन बछ ई कुशा पर बैठ कर सोमरस को पयो. (१) आ वा
युजा हरी वहता म
के शना. उप
ा ण नः शृणु.. (२)
हे इं ! तु हारे घोड़े हमारे मं ो चारण के साथ ही तु हारे रथ म जुड़ जाते ह. वे तु ह तु हारे मन चाहे थान पर ले जाते ह. तु हारे वे घोड़े तु ह हमारे य म लाएं, जस से तुम हमारे आ ान को सुन सको. (२) ाण वा वयं युजा सोमपा म
सो मनः. सुताव तो हवामहे.. (३)
हे इं ! हमारे पास तैयार कया आ सोमरस है. हम तु हारे सेवक ह और सोमयाग कर चुके ह. तुम सोमरस पीते हो, इस लए हम तु हारा आ ान कर रहे ह. (३) इ
मद् गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (४)
पूजा संबंधी मं से इं का पूजन कया जाता है. सामवेद के मं क ही तु त है. हमारी वाणी भी इं क ही तु त करती है. (४) इ
इ य ः सचा सं म
के गान म भी इं
आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (५)
व धारण करने वाले इं उपासक का हत चाहते ह. इं के घोड़े उन के साथ रहते ह. हमारे मं ो चारण के साथ ही वे घोड़े रथ म जोड़े जाते ह. (५) इ ो द घाय च स आ सूय रोहयद् द व. व गो भर मैरयत्.. (६) इं ने द घ काल तक काश दे ने के लए सूय को आकाश म था पत कया. सूय इं ने ही अपनी करण से मेघ का भेदन कया है. (६)
सू -३९
पी
दे वता—गोसू
इ ं वो व त प र हवामहे जने यः. अ माकम तु केवलः.. (१) हम व के सभी ा णय क ओर से इं का आ ान करते ह. वे इं हमारे ही ह . (१) १ त र म तर मदे सोम य रोचना. इ ो यद भनद् वलम्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वृ
इं ने सोमरस पान कर के स होने पर वषा के जल क अंत र क . उ ह ने अपनी श से मेघ को वद ण कया. (२)
अथात् आकाश से
उद् गा आजद रो य अ व कृ वन् गुहा सतीः. अवा चं नुनुदे वलम्.. (३) जो गाएं गुफा म बंद थ , इं ने अं गरा गो वाले ऋ षय के लए उ ह बाहर नकाला. गाय का अपहरण करने वाला बल रा स था. इं ने उस का मुंह नीचे कर के उसे गरा दया. (३) इ े ण रोचना दवो
हा न ं हता न च. थरा ण न पराणुदे.. (४)
इं ने आकाश म काश करते ए न कोई नीचे नह गरा सकता. (४)
को थर कया है. ये न
थर ह. इ ह
अपामू ममद व तोम इ ा जरायते. व ते मदा अरा जषुः.. (५) हे इं ! तु हारा तो रस के साथ उ चारण कया जाता है. यह तो वषा के जल से स रता और सागर को स करता है. इस से सोमरस पीने के कारण तु हारा हष कट होता है. (५)
दे वता—इं
सू -४० इ े ण सं ह
से संज मानो अ ब युषा. म
समानवचसा.. (१)
हे इं ! तुम म त के साथ रहते हो और अपने उपासक को अभय दान करते हो. म त के साथ रहते ए तुम स होते हो. म त का और तु हारा तेज समान है. (१) अनव ैर भ ु भमखः सह वदच त. गणै र
य का यैः.. (२)
यह य इं क कामना करने वाल से अ य धक सुशो भत हो रहा है. इं अ य धक तेज वी और न पाप अथात् पाप र हत ह. (२) आदह वधामनु पुनगभ वमे ररे. दधाना नाम य यम्.. (३) ह व वीकार कर के इं श
सू -४१
शाली बनते ह और या क नाम ा त करते ह. (३)
दे वता—इं
इ ो दधीचो अ थ भवृ ा य त कुतः. जघान नवतीनव.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं कभी भी यु से पीछे नह हटते ह. उ ह ने ही वृ (रा स ) का वनाश कया था. (१) इछ
असुर के न यानवे वृ
य य छरः पवते वप तम्. तद् वद छयणाव त.. (२)
पवत म छपे ए अपने घोड़े का सर ा त करने के इ छु क इं ने शयणावत म ा त कया था, तब उस का व बना कर उ ह ने असुर का वध कया था. (२) अ ाह गोरम वत नाम व ु रपी यम्. इ था च मसो गृहे.. (३) चं मंडल एक ह है. उस म सूय
पी इं ही अपनी एक करण म वराजते ह. (३)
दे वता—इं
सू -४२ वाचम ापद महं नव
मृत पृशम्. इ ात् प र त वं ममे.. (१)
म ने इस वाणी को इं से अपने शरीर म धारण कया है जो स य का पश करने वाली है. उस वाणी के आठ चरण और नौ शीष ह. (१) अनु वा रोदसी उभे
माणमकृपेताम्. इ
यद् द युहा ऽ भवः.. (२)
हे इं ! जब तुम ने असुर का वनाश कया था, तब तु हारी श अथात् वग और पृ वी ने तुम पर कृपा क थी. (२) उ
ोजसा सह पी वी श े अवेपयः. सोम म
को दे ख कर
ावा
चमू सुतम्.. (३)
हे इं ! भलीभां त तैयार कए गए सोमरस को पी कर तुम अपनी ठोड़ी चलाते ए उठो. (३)
दे वता—इं
सू -४३ भ ध व ा अप
षः प र बाधो जही मृधः. वसु पाह तदा भर.. (१)
हे इं ! तुम हमारे श ु को काट कर हमारी यु धन दान करो, जसे सभी पाना चाहते ह. (१) यद् वीला व
संबंधी बाधा र करो. तुम हम वह
यत् थरे यत् पशाने पराभृतम्. वसु पाह तदा भर.. (२)
हे इं ! तुम हम वह धन दान करो जो थर के पास रहता है और जसे बसनी अथात् कमर म बांधी जाने वाली कपड़े क बनी लंबी थैली म भरा जाता है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य य ते व मानुषो भूरेद
य वेद त. वसु पाहा तदा भर.. (३)
तु हारे ारा दए गए जस धन को तु हारे सभी उपासक ा त करते ह. तुम हम वही धन दान करो. (३)
सू -४४
दे वता—इं
स ाजं चषणीना म ं तोता न ं गी भः. नरं नृषाहं मं ह म्.. (१) म ऐसे इं क तु त करता ं, जो मनु य के मनु य के वामी और दयालु ह. (१)
त सहनशील, अ ग य, पूजने के यो य,
य म ु था न र य त व ा न च व या. अपामवो न समु े .. (२) जस कार नीचे क ओर बहने वाले जल सागर म जाते ह, उसी कार उ थ मं ारा अ क इ छा से कए जाने वाले य इं को ा त होते ह. (२)
के
तं सु ु या ववासे ये राजं भरे कृ नुम्. महो वा जनं स न यः.. (३) म इं को अपनी तु त से स करता ं. इं तेज वी श ु का भी हनन करने वाले ह. वे तु त करने वाल को अ तथा यश दान करते ह. म इं को ह व भी दान करता ं. (३)
सू -४५
दे वता—इं
अयमु ते समत स कपोत इव गभ धम्. वच त च ओहसे.. (१) हे इं ! कबूतर जस कार गभ धारण करने वाली कबूतरी के समीप जाता है, उसी कार तुम हमारी तु तय को सुन कर हमारे पास आओ. (१) तो ं राधानां पते गवाहो वीर य य ते. वभू तर तु सूनृता.. (२) हे धन के वामी इं ! तु हारा यह नाम स य हो. हमारी तु तयां तु ह हमारे पास लाने म समथ ह. (२) ऊ व त ा न ऊतये ऽ मन् वाजे शत तो. सम येषु वावहै.. (३) हे सैकड़ कम करने वाले इं ! तुम हमारी र ा करने के लए ऊंचे थान पर खड़े हो जाओ. अ य पु ष हम से े ष करते ह. हम तु हारी तु त करते ह. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -४६
दे वता—इं
णेतारं व यो अ छा कतारं यो तः सम सु. सास ांसं युधा ऽ म ान्.. (१) (१)
वे इं नेता, यु
े मश ु
को वश म करने वाले और य
स नः प ः पारया त व त नावा पु (२)
तः. इ ो व ा अ त
म काश करने वाले ह. षः.. (२)
इं अपनी क याणका रणी नाव के ारा हम पार लगाते ए श ु स वं न इ
से हमारी र ा कर.
वाजे भदश या च गातुया च. अ छा च नः सु नं ने ष.. (३)
हे इं ! तुम अपनी दस उंग लय से हमारे सामने उस सुख को लाते हो, जो अ आ द से संप है. (३)
दे वता—इं
सू -४७
त म ं वाजयाम स महे वृ ाय ह तवे. स वृषा वृषभो भुवत्.. (१) कामना क वषा करने वाले इं सभी दे व से े बन. हम वृ रा स का नाश करने के लए इं को श शाली बनाते ह. (१) इ ः स दामने कृत ओ ज ः स मदे हतः. ु नी इं
ोक स सो यः.. (२)
शंसनीय, सौ य, तेज वी, बलवान तथा सर को स करने वाले ह. (२)
गरा व ो न संभृतः सबलो अनप युतः. वव ऋ वो अ तृतः.. (३) इं अ छे लोग को धन दे ते ह. व धारी इं श इ
शाली एवं अ वनाशी ह. (३)
मद् गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (४)
तोता क वाणी इं क तु त करती ह, सामगान के इ छु क कस के यश का गान करते ह? पूजा संबंधी मं के ारा इं का ही पूजन कया जाता है. (४) इ
इ य ः सचा सं म
आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (५)
इं के घोड़े सदा उन के साथ रहते ह. ऋ वज के मं ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के उ चारण के साथ ही उ ह
रथ म जोड़ा जाता है. व
धारण करने वाले इं सोने के समान कां त वाले ह. (५)
इ ो द घाय च स आ सूय रोहयद् द व. व गो भर मैरयत्.. (६) इं ने सूय को आकाश म इस लए था पत कया क सब लोग उन का दशन कर सक. वे ही इं सूय के प म मेघ का भेदन करते ह. (६) आ या ह सुषुमा ह त इ
सोमं पबा इमम्. एदं ब हः सदो मम.. (७)
हे इं ! हम ने सोम तैयार कर लया है. तुम इन बछ पयो. (७) आ वा
युजा हरी वहता म
के शना. उप
ई कुशा
पर बैठ कर सोमरस
ा ण नः शृणु.. (८)
हे इं ! ऋ वज के मं ो चारण के साथ ही तु हारे घोड़े रथ म जोड़े जाते ह. वे घोड़े तु ह उस थान पर ले जाने म समथ ह, जहां तुम जाना चाहते हो. तु हारे घोड़े तु ह हमारे य म लाएं और तुम हमारे तो को सुनो. (८) ाण वा वयं युजा सोमपा म
सो मनः. सुताव तो हवामहे.. (९)
हे इं ! हम तु हारे उपासक ह. हम ने सोमपान कया है. तैयार कया आ सोमरस हमारे पास रखा है. इसी कारण हम तु ह सोमरस पीने को बुलाते ह. (९) यु
त
नम षं चर तं प र त थुषः. रोच ते रोचना द व.. (१०)
हे इं ! तु हारा रथ सभी ा णय को लांघता आ चलता है. तु हारे रथ म जुड़े ए हरे रंग अथवा ह र नाम वाले घोड़े आकाश म दमकते ह. (१०) यु
य य का या हरी वप सा रथे. शोणा धृ णू नृवाहसा.. (११)
इं के सारथी रथ म घोड़ को जोड़ते ह. ये घोड़े रथ के दोन ओर रहते ह. ये घोड़े कामना करने यो य ह एवं इं क या ा पूण करने म समथ ह. (११) केतुं कृ व केतवे पेशो मया अपेशसे. समुष
रजायथाः.. (१२)
हे मनु यो! ये सूय पी इं अ ा नय को ान दे ते ह तथा अंधकार से ढके पदाथ को का शत करते ह. ये अपनी करण के साथ उदय ए ह. हे मनु यो! इन सूय पी इं के दशन करो. (१२) उ
यं जातवेदसं दे वं वह त केतवः. शे व ाय सूयम्.. (१३)
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सूय क करण सभी ा णय को जा त करती ह. ाणी सूय सक, इस लए ये करण सूय को ऊपर उठाती ह. (१३) अप ये तायवो यथा न
पी इं का दशन कर
ा य य ु भः. सूराय व च से.. (१४)
जस कार रात के बीतते ही चोर भाग जाते ह, उसी कार सूय के उदय होते ही आकाश से तारे भाग जाते ह. (१४) अ
य केतवो व र मयो जनाँ अनु. ाज तो अ नयो यथा.. (१५)
सूय क करण ान दे ने वाली एवं अ न के समान द त ह. ये करण मनु य का अनुकरण करती ह. (१५) तर ण व दशतो यो त कृद स सूय. व मा भा स रोचन.. (१६) हे इं ! तुम संसार पी नाव के समान हो. तुम सब को दे खने वाले हो, सब को यो त दान करते हो और सब के काशक हो. (१६) यङ् दे वानां वशः
यङ् ङु दे ष मानुषीः.
यङ् व ं व शे.. (१७)
हे इं ! तुम मनु य और दे व के क याण के लए उदय होते हो. तुम सब के सामने का शत होते हो. (१७) येना पावक च सा भुर य तं जनाँ अनु. वं व ण प य स.. (१८) हे पाप का नाश करने वाले इं ! जो पु ष ाचीन काल के पु या मा लोग के माग पर चलते ह, तुम उ ह सदै व कृपा क से दे खते हो. (१८) व ोमे ष रज पृ वह ममानो अ ु भः. प यंज मा न सूय.. (१९) हे इं ! तुम सब पर कृपा करते हो तथा उ ह दे खते ए रा हो. तुम तीन लोक म वचरण करते हो. (१९)
और दन का नमाण करते
स त वा ह रतो रथे वह त दे व सूय. शो च केशं वच णम्.. (२०) हे सूय पी इं ! तु हारी दमकती ई सात करण घोड़ के रहती ह. वे ही तु हारा वहन करती ह. (२०) अयु
स त शु युवः सूरो रथ य न यः. ता भया त वयु
प म तु हारे रथ म जुड़ी भः.. (२१)
इं ने सात घोड़ को अपने रथ म जोड़ा है. घोड़े इं क इ छा के अनुसार अपने ढं ग से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आगे बढ़ते ह. (२१)
दे वता—गौ
सू -४८
अ भ वा वचसा गरः स च या राचर युवः. अ भ व सं न धेनवः.. (१) वचरण करने वाली गाएं, जस कार अपने बछड़ के पास जाती ह, उसी कार हमारी वाणी तु ह ा त होती है और तु ह स चती ह. (१) ता अष त शु यः पृ च तीवचसा
यः. जातं जा ीयथा दा.. (२)
जस कार माता ज म लेने वाले ब चे को अपने दय से लगा लेती है, उसी कार सुंदर तु तयां इं को तेज से सुशो भत करती ह. (२) व ापवसा यः क त यमाणमावहन्. म मायुघृतं पयः.. (३) ये व धारी इं मुझे यश, आयु, घृत और ध दान कर. (३) आयं गौः पृ र मीदसद मातरं पुरः. पतरं च य
वः.. (४)
ये सूय पी इं उदयाचल पर प ंच गए ह. इ ह ने पूव दशा म दशन दे कर सभी ा णय को अपनी करण से ढक लया है. इस के लए उ ह ने वग और अंत र को वषा के जल से ख च कर ा त कर लया है. वषा का जल अमृत के समान है. उस को हने के कारण ही इं को गौ कहा जाता है. (४) अ त र त रोचना अ य ाणादपानतः.
य म हषः व :.. (५)
जो ाणी ाण अथात् सांस लेने और अपान वायु यागने का काय करते ह, उन के शरीर म सूय क भा ाण के प म वचरण करती है. सूय ही सब लोक को का शत करते ह. (५) शद् धामा व राज त वाक् पत ो अ श यत्. (६)
त व तोरह ु भः..
सूय क करण से तीस मु त द त होते ह. वे ही दन और रात के अंग बनते ह. वेद क वाणी सूय का उसी कार आ य लेती है, जस कार प ी वृ का आ य लेते ह. (६)
सू -४९
दे वता—इं
य छ ा वाचमा ह त र ं सषासथः. सं दे वा अमदन् वृषा.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! जब तु त करने वाले व ान् अपनी वाणी का योग करते ह, तभी दे वता उन पर स होते ह. (१) श ो वाचमधृ ायो वाचो अधृ णु ह. मं ह आ मद द व.. (२) वे इं श जन के त कठोर वचन न बोल. हे अ तशय महान इं ! तुम अपनी यो त से आकाश को पूण करो. (२) श ो वाचमधृ णु ह धामधमन् व राज त. वमदन् ब हरासरन्… (३) हे इं ! तुम कठोर वचन मत बोलो. तुम हमारे य म आ कर बछ वराजमान होओ तथा स बनो. (३)
ई कुशा
पर
तं वो द ममृतीषहं वसोम दानम धसः. अ भ व सं न वसरेषु धेनव इ ं गी भनवामहे.. (४) हे यजमानो! ये इं ःख का नाश करने वाले, दे खने यो य एवं सोमरस पी कर स होते ह. तु हारे य क सफलता के लए हम इं क तु त करते ह. सूय दय और सूया त के समय रंभाती ई गाएं जस कार अपने बछड़े के पास जाती ह, उसी कार तु तयां करते ए हम इं क ओर जाते ह. (४) ु ं सुदानुं त वषी भरावृतं ग र न पु भोजसम्. ुम तं वाजं श तनं सह णं म ू गोम तमीमहे.. (५) भ के समय जस कार सभी जीवधारी कंद, मूल और फल वाले पवत क तु त करते ह, उसी कार हम उस क तु त करते ह जो दान करने यो य, पोषक, गाय से यु एवं तेजपूण होता है. (५) तत् वा या म सुवीय तद् पूव च ये. येना य त यो भृगवे धने हते येन क वमा वथ.. (६) हे इं ! म तुम से बल यु अ क याचना करता ं. जस अ प धन को ा त कर के भृगु ऋ ष ने शां त अनुभव क तथा क व ऋ ष के पु क व क र ा क , हम उसी धन क याचना करते ह. (६) येना समु मसृजो महीरप त द वृ ण ते शवः. स ः सो अ य म हमा न संनशे यं ोणीरनुच दे .. (७) हे इं ! जस बल से तुम ने सागर को भरने वाले जल क रचना क , वह बल हम को मनचाहा फल दे ने वाला हो. इं क म हमा को श ु ा त नह कर सकते. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -५०
दे वता—इं
क ो अतसीनां तुरो गृणीत म यः. नही व य म हमान म यं वगृण त आनशुः.. (१) जो इं मरणशील मनु य का आकार धारण करने वाले ह, हे तोताओ! उन क तु त करो. तुम इं क म हमा का पूण प से वणन न कर सको और थोड़ा गान कर सकोगे, इस से भी तु ह वग क ा त होगी. (१) क तुव त ऋतय त दे वत ऋ षः को व ओहते. कदा हवं मघव सु वतः क तुवत आ गमः.. (२) हे इं ! कौन सा ऋ ष तु हारे संबंध म तक करता है? कस कारण तुम सोमरस वाले तोता के बुलाने पर ही आते हो? स य क इ छा करने वाले दे व का समूह कस कारण तु हारी तु त करता है? (२)
सू -५१
दे वता—इं
अ भ वः सुराधस म मच यथा वदे . यो ज रतृ यो मघवा पु वसुः सह ेणेव श त.. (१) हे तोताओ! उन तो का उ चारण करो जो इं को मेरे समीप लाने के कारण बन. वे इं सह सं या वाला वशाल धन दे ते ह. (१) शतानीकेव जगा त धृ णुया ह त वृ ा ण दाशुषे. गरे रव रसा अ य प वरे द ा ण पु भोजसः.. (२) ह व दे ने वाले जो यजमान अपने श ु पर वजय ा त कर के उन का वध करते ह, उन यजमान के लए इं का वण प धन इस कार बरसता है, जस कार पवत से जल नकलता है. (२) सु ुतं सुराधसमचा श म भ ये. यः सु वते तुवते का यं वसु सह ेणव े मंहते.. (३) जो तोता य म अ भषव करता है, इं उसे हजार सं या वाला धन दे ते ह. हे तोता! तुम उ ह इं क भलीभां त पूजा करो. (३) शतानीका हेतयो अ य रा इ य स मषो महीः. ग रन भु मा मघव सु प वते यद सुता अम दषु.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पापी मनु य इं के आयुध से बच नह सकते, य क इं के आयुध सैकड़ सेना के समान वनाश करने वाले ह. भोग दान करने वाला पवत अपने पदाथ से जस कार संप बनता है, उसी कार तैयार कए ए सोमरस को पी कर इं श से पूण हो जाते ह और यजमान को अ दान करते ह. (४)
सू -५२
दे वता—इं
वयं घ वा सुताव त आपो न वृ ब हषः. पव य वणेषु वृ हन् प र तोतार आसते.. (१) हे इं ! हमारे पास वह सोमरस है जो तैयार करने पर जल के समान तरल हो गया है. हम तु हारी तु त करते ह. (१) वर त वा सुते नरो वसो नरेक उ थनः. कदा सुतं तृषाण ओक आ गम इ व द व वंसगः.. (२) हे इं ! सोमरस तैयार करने के बाद यजमान तु हारा आ ान करते ह. तुम बैल के समान यासे हो कर इस सोमरस को पीने के लए हमारे य म कब आओगे? (२) क वे भधृ णवा धृषद् वाजं द ष सह णम्. पश पं मघवन् वचषणे म ू गोम तमीमहे.. (३) हे इं ! तुम श शाली मनु य को भी मार डालते हो तथा उस के धन पर अ धकार कर लेते हो. हम तुम से धन मांगते ह, जो गौ आ द से यु हो. (३)
सू -५३
दे वता—इं
क वेद सुते सचा पब तं कद् वयो दधे. अयं यः पुरो व भन योजसा म दानः श य धसः.. (१) तो को सुन कर सुंदर ठु ड्डी वाले इं स होते ह और श ु के नगर का वनाश कर दे ते ह. इस बात को कौन नह जानता है क सोम के तैयार होने पर इं कौन सा वैभव धारण करते ह. (१) दाना मृगो प वारणः पु ा चरथं दधे. न क ् वा न यमदा सुते गमो महां र योजसा.. (२) हे इं ! रथ म बैठ कर तुम ह षत मृग के समान अनेक कार से गमन करते हो. तु हारे गमन को रोकने म कोई भी समथ नह है. तुम अपनी श के कारण महान हो. हमारे ारा सोमरस तैयार कए जाने पर तुम यहां आओ. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य उ ः स न ृ त थरो रणाय सं कृतः. य द तोतुमघवा शृणव वं ने ो योष या गमत्.. (३) श ु जन क हसा नह कर पाते, वे यु भू म म डटे रहते ह. जस कार प त प नी के पास जाता है, उसी कार इं हमारे आ ान को सुन कर इस य म आएंगे. (३)
दे वता—इं
सू -५४
व ाः पृतना अ भभूतरं नरं सजू तत ु र ं जजनु राजसे. वा व र ं वर आमु रमुतो मो ज ं तवसं तर वनम्.. (१) श
सभी सेना ने श ु को मू छत करने वाले इं का वरण कया है. वे इं अ य धक शाली और उ ह. (१) सम रेभासो अ वर ं सोम य पीतये. वप त यद वृधे धृत तो ेजसा समू त भः.. (२)
श
ये तोता सोमरस पीने के बाद इं क तु त करते ह. यह सोमरस अपनीअपनी र ा के साथ इन तोता क ओर जाता है. (२) ने म नम त च सा मेषं व ा अ भ वरा. सुद तयो वो अ होऽ प कण तर वनः समृ व भः.. (३)
इं के व पर पतर स हत, इस व
सू -५५
पड़ते ही तोता उ ह णाम करते ह. हे तोताओ! ऋ व नाम वाले क धमक तु हारे कान को थत न बनाए. (३)
दे वता—इं
त म ं जोहवी म मघवानमु ं स ा दधानम त कुतं शवां स. मं ह ो गी भरा च य यो ववतद् राये नो व ा सुपथा कृणोतु व ी.. (१) म ऐसे इं को अपने य म बुलाता ं जो श शाली, व धारण करने वाले, यु म आगे रहने वाले, उ , बल धारक एवं तु त के यो य ह, वे इं हमारे धन ा त के माग को सुंदर बनाएं. (१) या इ भुज आभरः ववा असुरे यः. तोतार म मघव य वधय ये च वे वृ ब हषः.. (२) हे इं ! तुम वग के वामी हो. तुम रा स का वध करने के लए अपनी जन भुजा को उठाते हो, उ ह भुजा के ारा यजमान और तोता क वृ करो. जो ऋ वज् तु हारे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त
ा परायण है, तुम उसी को बढ़ाओ. (२) य म द धषे वम ं गां भागम यम्. यजमाने सु व त द णाव त त मन् तं धे ह मा मणौ.. (३)
हे इं ! तुम जस गौ, अ आ द को पु बनाते हो, उसे सोमरस तैयार करने वाले और द णा दे ने वाले यजमान को दो, प णय के समान श ु को मत दो. (३)
दे वता—इं
सू -५६ इ ो मदाय वावृधे शवसे वृ हा नृ भः. त म मह वा जषूतेमभ हवामहे स वाजेषु
नो ऽ वषत्.. (१)
वृ असुर का वध करने वाले इं को श और स ता के लए बड़ा कया जाता है. हम उ ह बड़े और छोटे सभी कार के यु म बुलाते ह. वे यु के अवसर पर हमारे साथ मल जाएं. (१) अ स ह वीर से यो ऽ स भू र पराद दः. अ स द य चद् वृधो यजमानाय श स सु वते भू र ते वसु.. (२) हे वीर इं ! तुम श ु और खंडन करने वाले को दं ड दे ते हो. य म जो तु हारे न म सोमरस तैयार करता है उसे तुम परम ऐ य दे ते हो. (२) य द रत आजयो धृ णवे धीयते धना. यु वा मद युता हरी कं हनः कं वसौ दधो ऽ माँ इ
वसौ दधः (३)
हे इं ! यु के अवसर पर तुम डराने वाले पु ष से धन छ नने का य न कर रहे होओगे उस समय तुम हरे रंग वाले अथवा ह र नाम के अपने घोड़ के ारा कस का वध करोगे तथा कसे धन दे कर त त करोगे? उस समय तुम अपना धन हम दान करना. (३) मदे मदे ह नो द दयूथा गवामृजु तुः. सं गृभाय पु शतोभयाह या वसु शशी ह राय आ भर.. (४) हे इं ! तु हारा यश सरलता से सभी ओर फैल जाता है. तुम स हो कर हम गाएं दान करते हो. तुम हम उ म धन दो. (४) मादय व सुते सचा शवसे शूर राधसे. वद्मा ह वा पु वसुमुप कामा ससृ महे ऽ था नो ऽ वता भव.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे वीर इं ! हमारे य म सोमरस तैयार हो जाने पर तुम स बनो तथा बल धारण करो. हम तु ह असी मत श वाला जानते ह और तु हारी कामना करते ह. तुम हमारी र ा करो. (५) एते त इ ज तवो व ं पु य त वायम्. अ त ह यो जनानामय वेदो अदाशुषां तेषां नो वेद आ भर.. (६) हे इं ! हम तु हारी श बढ़ाते ह. जो लोग तु ह ह व नह दे ते और तु हारी नदा करते ह, उन का धन छ न कर तुम हम दो. (६)
दे वता—इं
सू -५७ सु पकृ नुमूतये सु घा मव गो हे. जु म स
व व.. (१)
जस कार गाय को हने के लए गोदोहक को बुलाया जाता है, उसी कार अवसर पर अपनी र ा के लए हम इं का आ ान करते ह. (१)
येक
उप नः सवना ग ह सोम य सोमपाः पब. गोदा इद् रेवतो मदः.. (२) सदा ह षत रहने वाले एवं धनवान इं गाएं दान करने वाले ह. हे इं हमारे सोमयाग म आ कर तुम सोमरस का पान करो. (२) अथा ते अ तमानां व ाम सुमतीनाम्. मा नो अ त य आ ग ह.. (३) हे इं ! हम तु हारी उ म बु को जानते ह. तुम सर के कराओ तथा हमारे य म पधारो. (३) शु म तमं न ऊतये ु ननं पा ह जागृ वम्. इ
सोमं शत तो.. (४)
हे सैकड़ कम वाले इं ! तुम हमारी र ा के लए श पान करो. (४) इ
या ण शत तो या ते जनेषु प चसु. इ
हे ब त से कम वाले इं ! म उन श ह. (५) अग
वो बृहद् ु नं द ध व
ारा हमारी नदा मत
बढ़ाने वाले इस सोमरस का
ता न त आ वृणे.. (५)
य का वरण करता ं जो दे वता, पतर आ द म रम्. उत् ते शु मं तराम स.. (६)
हे इं ! तु हारा असी मत बल हम ा त हो. तुम हम वह दमकता आ धन दान करो जो श ु से संघष होने पर हम वजय दला सके. हम अपने इस तो के ारा सोमरस क ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वृ
करते ए तु ह श
शाली बनाते ह. (६)
अवावतो न आ ग थो श परावतः. उ लोको य ते अ व इ े ह तत आ ग ह.. (७) हे इं ! तुम र या पास जहां कह हो, वह से हमारे समीप आओ. हे व धारी इं ! तुम अपने उ कृ वगलोक से भी सोमरस पीने के लए हमारे य म आओ. (७) इ ो अ महद् भयमभी षदप चु यवत्. स ह थरो वचष णः.. (८) हे ऋ वज्! इं बड़े से बड़े भय को भी र कर दे ते ह. उन सूय दे खने वाले इं को कोई परा जत नह कर सकता. (८) इ
ा अथात् सब को
मृ या त नो न नः प ादघं नशत्. भ ं भवा त नः पुरः.. (९)
य द इं हमारी र ा करगे तो हमारे ःख समा त हो जाएंगे और सुख हमारे सामने आएंगे. इं सदा मंगल कता ह. (९) इ
आशा य प र सवा यो अभयं करत्. जेता श ून् वचष णः.. (१०)
हमारे जो श ु सभी दशा म फैले ए ह, इं उन सभी को दे खते ह. इं उन भय को हम से अलग कर, जो सभी दशा और उप दशा से ा त होने वाले ह. (१०) क वेद सुते सचा पब तं कद् वयो दधे. अयं यः पुरो व भन योजसा म दानः श य धसः.. (११) इसे कौन जानता है क सोमरस नचोड़े जाने पर इं कौन से अ को धारण करते ह? ह व प अ से स ए इं अपनी श से श ु के नगर का वनाश करते ह. (११) दाना मृगो न वारणः पु ा चरथं दधे. न क ् वा न यमदा सुते गमो महां र योजसा.. (१२) हे इं ! तुम अपने रथ पर सवार हो कर ह षत बने ए हरन के समान अनेक थान पर जाते हो. जब सोमरस नचोड़ा जाता है, उस समय य म आने से तु ह कोई रोक नह सकता. तुम अपने ही बल से महान बन कर घूमते हो. हमारा सोमरस तैयार हो जाने पर तुम हमारे य म पधारो. (१२) य उ ः स न ृ त थरो रणाय सं कृतः. य द तोतुमघवा शृणव वं ने ो योष या गमत्.. (१३) इं श
शाली ह, इस लए श ु
के यु
करने के लए उ त होने पर वे कभी
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परा जत नह होते. जस कार प त अपनी प नी के पास जाता है, उसी कार इं ारा बुलाए जाने पर उस के समीप जाते ह. (१३)
तोता
वयं घ वा सुताव त आपो न वृ ब हषः. पव य वणेषु वृ हन् प र तोतार आसते.. (१४) हे इं ! तैयार हो जाने पर सोमरस जल के समान तरल हो गया है. इस अवसर पर हम ऋ वज् तु हारे तो का गान करते ए बैठे ह. (१४) वर त वा सुते नरो वसो नरेक उ थनः. कदा सुतं तृषाण ओक आ गम इ व द व वंसगः.. (१५) हे इं ! सोमरस तैयार हो जाने पर उ थ मं का गान करने वाले ऋ वज् तु ह बुला रहे ह. यासे बैल के समान आप कब हमारा सोमरस पीने के लए हमारे य म पधारगे. (१५) क वे भधृ णवा धृषद् वाजं द ष सह णम्. पश पं मघवन् वचषणे म ू गोम तमीमहे.. (१६) हे धन को अपने अधीन करने वाले इं ! तुम उन य को भी म दत कर दे ते हो जो सैकड़ साधन वाले ह. हम तुम से वह धन मांगते ह, जो गाय से संप हो. (१६)
सू -५८
दे वता—इं
ाय त इव सूय व े द य भ त. वसू न जाते जनमान ओजसा त भागं न द धम.. (१) न य त सूय के साथ रहने वाली करण जल के वामी इं के साथ भी रहती ह. हम यह कामना करते ह क इं के जल पी मेघ व तृत ह . जस कार इं भूत, वतमान और भ व य तीन काल के धन का वभाजन करते ह, उसी कार हम उस धन के भाग पर यान दे ते ह. (१) अनशरा त वसुदामुप तु ह भ ा इ य रातयः. सो अ य कामं वधतो न रोष त मनो दानाय चोदयन्.. (२) हे तोताओ! तुम धन दे ने वाले इं का स चे दय से आ य लो. इं का दान मंगलमय है, इस लए तुम उन क तु त करो. इं अपने उपासक क कामना पूण करते ह. तु त कर के धन मांगने वाला पु ष इं के मन को धन दे ने के लए आक षत करता है. (२) ब महाँ अ स सूय बडा द य महाँ अ स. मह ते सतो म हमा पन यते ऽ ा दे व महाँ अ स.. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे सूय पी इं ! हे आ द य! तु हारे महान होने क बात स य है. तुम स य प वाले हो. तु हारी म हमा क शंसा क जाती है, इस लए तु हारे म हमावान होने क बात यथाथ है. (३) बट् सूय वसा महाँ अ स स ा दे व महाँ अ स. म ा दे वानामसुयः पुरो हतो वभु यो तरदा यम्.. (४) हे सूय! तुम वयं महान हो. हमारे ह व प अ से तु हारी म हमा क वृ हो. तुम अपनी म हमा के कारण ही रा स से संघष करते हो. तुम ापक हो. कोई तु हारी हसा नह कर सकता. (४)
सू -५९
दे वता—इं
उ ये मधुम मा गर तोमास ईरते. स ा जतो धनसा अ तोतयो वाजय तो रथा इव.. (१) ये तो एवं गायन यो य वा णयां उ प हो रही ह. धन दे ने वाली वाणी श ु पर वजय पाती है. अ दे ने वाली तोता क सदा र ा करती है. जस कार रथ अपने वामी को गंत पर प ंचाने के लए चलता है, उसी कार हमारी ये वा णयां इं को स करने के लए उन के पास जाएं. (१) क वा इव भृगवः सूया इव व म तमानशुः. इ ं तोमे भमहय त आयवः यमेधासो अ वरन्.. (२) क व गो के ऋ षय क तु त जस कार तीन लोक के वामी इं को ा त होती है, जस कार ावा, अयमा आ द सूय अपने ेरणा द इं से मलते ह, उसी कार भृगु वंश के ऋ ष इं का आ य लेते ह और य बु वाले मनु य इं क तु त करते ह. (२) उ द व य र यत ऽ शो धनं न ज युषः. य इ ो ह रवा दभ त तं रपो द ं दधा त सो म न.. (३) इं का य भाग जीते ए धन के समान होता है. ह र नाम के अथवा हरे रंग के घोड़ वाले इं क हसा नह कर सकते. जो यजमान इं को सोमरस दे ता है, इं उस म बल को था पत करते ह. (३) म मखव सु धतं सुपेशसं दधात य ये वा. पूव न सतय तर त तं य इ े कमणा भुवत्.. (४) हे तोताओ! ऐसे य संबंधी मं का उ चारण करो जो सुंदर, तेज और प दान करने म समथ ह . इं क सेवा करने वाला मनु य सभी बंधन से छु टकारा पा जाता है. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -६० एवा
दे वता—इं स वीरयुरेवा शूर उत थरः. एवा ते रा यं मनः.. (१)
हे वीर एवं थर इं ! तुम
कम करने वाले वीर को रोकते हो. (१)
एवा रा त तुवीमघ व े भधा य धातृ भः. अधा च द श
मे सचा.. (२)
हे असी मत धन के वामी इं ! तुम मेरे सहायक बनो. तुम अपनी पु करने वाली से हम यजमान म दान करने क श क थापना करो. (२) मो षु
ेव त युभुवो वाजानां पते. म वा सुत य गोमतः.. (३)
हे अ के वामी इं ! तुम ा के समान आलसी मत बनो. तुम बु सोमरस के ारा अ य धक आनंद ा त करो. (३) एवा
दे ने वाले तैयार
य सूनृता वर शी गोमती मही. प वा शाखा न दाशुषे.. (४)
इं क भू म गाएं दान करने वाली ह. यह ह व दे ने वाले यजमान के लए पक शाखा के समान बने. (४) एवा ह ते वभूतय ऊतय इ
मावते. स
ई
त् स त दाशुषे.. (५)
हे इं ! जो यजमान तु ह ह व दान करता है, उस के लए तु हारे र ा के साधन शी ा त हो जाते ह. (५) एवा
य का या तोम उ थं च शं या. इ ाय सोमपीतये.. (६)
सोमरस का पान करते समय इं को तो , उ थ और श य लगती ह. (६)
सू -६१
नाम क
तु तयां ब त
दे वता—इं
तं ते मदं गृणीम स वृषणं पृ सु सास हम्. उ लोककृ नुम वो ह र यम्.. (१) हे व धारी, श ु को परा जत करने वाले, अ क शोभा से यु पदाथ के वषक इं ! हम तु हारे ह व क पूजा करते ह. (१) येन योत यायवे मनवे च ववे दथ. म दानो अ य ब हषो व राज स.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
एवं मनचाहे
हे इं ! जस सोमरस के भाव से तुमने आयु और मन को तेज ा त कराया था, उसी सोमरस से पु हो कर तुम उस यजमान के कुशा से बने आसन पर बैठो. (२) तद ा च (३)
उ थनो ऽ नु ु व त पूवथा. वृषप नीरपो जया दवे दवे..
हे इं ! उ थ नाम के मं के ये गायक तु हारी म हमा का गान कर रहे ह. तुम धम काय करते ए येक अवसर पर वजय ा त करो. (३) तवभ
गायत पु
तं पु
ु तम्. इ ं गी भ त वषमा ववासत.. (४)
ब त ने इन इं क तु त क है तथा ब त से लोग ने इन का आ ान कया है. हे तोता! तुम इ ह इं के यश का गान करो तथा अपनी तु त पी वाणी से उ ह त त करो. (४) यय (५)
बहसो बृहत् सहो दाधार रोदसी. गर र ाँ अपः व वृष वना..
जन इं के आ य के कारण वग और पृ वी महान बल, जल, पवत और व धारण करते ह, उ ह इं क तुम पूजा करो. (५) स राज स पु (६)
ु तं एको वृ ा ण ज नसे. इ
जै ा
को
व या च य तवे..
हे इं ! तुम वजय ा त करने वाले यश के कारण तेज वी बने हो तथा अकेले ही श ु का नाश करते हो. (६)
दे वता—इं
सू -६२ वयमु वामपू (१)
थूरं न क चद् भर तोऽव यवः. वाजे च ं हवामहे..
हे सदा नवीन रहने वाले इं ! अ ा त के अवसर पर हम तु हारी र ा क कामना करते ह और तु ह बुलाते ह. तुम हम वजय ा त कराने के लए हमारे समीप आओ, हमारे वरो धय क ओर मत जाओ. जस कार वजय क कामना से राजा यो ा को बुलाता है, उसी कार हम तु ह बुलाते ह. (१) उप वा कम ूतये स नो युवो ाम यो धृषत्. वा म वतारं ववृमहे सखाय इ सान सम्.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे इं ! काय के अवसर पर हम तु हारा ही आ य लेते ह. तुम श ु को वश म करने वाले, न य एवं अ य धक श शाली हो. तुम हम सहायक के प म ा त होओ. हम अपनी र ा के लए सखा के प म तु हारा वरण करते ह. (२) यो न इद मदं पुरा
व य आ ननाय तमु व तुषे. सखाय इ मूतये.. (३)
हे यजमानो! तु हारी र ा के न म हम इं का आ ान करते ह. हम पहले गौ आ द के प म धन दान करने वाले इं मनचाहा फल दे ने म समथ ह. हम उ ह इं क तु त करते ह. (३) हय ं स प त चषणीसहं स ह मा यो अम दत. आ तु नः स वय त ग म ं तोतृ यो मघवा शतम्.. (४) म उ ह इं क तु त करता ं जो सभी मनु य के र क, हरे रंग के अथवा ह रत नाम वाले घोड़ के वामी और सब का नयं ण करने वाले ह. म तु तय से स होने वाले इं क तु त करता ं. वे ही इं हम तो को गाएं तथा घोड़े दान कर. (४) इ ाय साम गायत व ाय बृहते बृहत्. धमकृते वप ते पन यवे.. (५) (५)
हे व ान् एवं धमा मा तु त कताओ! तुम महान इं क तु त सोम गान के ारा करो. व म ा भभूर स वं सूयमरोचयः. व कमा व दे वो महाँ अ स.. (६)
हे इं ! सूय को तुम ने ही आकाश म का शत कया है. तुम श ु वाले, व े दे व और महान व कमा हो. (६) व ाजं यो तषा व १ रग छो रोचनं दवः. दे वा त इ (७)
का तर कार करने
स याय ये मरे..
हे इं ! सभी दे वता तु हारे म ह. जो सूय वग म काश करते ह, वे तु हारे ारा ही यो तमान है. (७) तवभ
गायत पु
तं पु
ु तम्. इ ं गी भ त वषमा ववासत.. (८)
हे तोताओ! इं को अनेक तोता बुला चुके ह तथा ब त से तोता ने इं क तु त क है. उ ह परा मी इं को तुम भी अपनी तु तय के ारा सुशो भत करो. (८) यय (९)
बहसो बृहत् सहो दाधार रोदसी. गरीरँ ाँ अपः ववृष वना..
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जो इं अपनी म हमा से आकाश, पृ वी, जल, पवत , व , बल तथा वग को धारण करते ह, तुम उ ह इं का पूजन करो. (९) स राज स पु (१०)
ु तँ एको वृ ा ण ज नसे. इ
जै ा
व या च य तवे..
हे इं ! तुम वजय ा त करने वाले यश के लए तेज वी ए हो. तुम अकेले ही अपने श ु को न कर दे ते हो. (१०)
सू -६३
दे वता—इं
इमा नु कं भुवना सीषधामे व े च दे वाः. य ं च न त वं च जां चा द यै र दः सह ची लृपा त.. (१) यह इं , व े दे व और भुवन सुख पाने का य न करते ह. वे इं आ द य स हत आ कर हमारे य , शरीर और संतान को श दान कर. (१) आ द यै र ः सगणो म र माकं भू व वता तनूनाम्. ह वाय दे वा असुरान् यदायन् दे वा दे व वम भर माणाः.. (२) जन दे वता ने वग क र ा के लए रा स का वनाश कया था, वे इं आ द य और म त् हमारे शरीर क र ा के लए हमारे य म पधार. (२) य चमकमनयंछची भरा दत् वधा म षरां पयप यन्. अया वाजं दे व हतं सनेम मदे म शत हमाः सुवीराः.. (३) जन इं ने अपनी श से सूय को उ ह इं से हम दे वता का हतकारी अ क आयु ा त कर. (३)
य कया तथा पृ वी को अ वाली बनाया, ा त कर तथा वीर से यु रहते ए सौ वष
य एक इद् वदयते वसु मताय दाशुषे. ईशानो अ त कुत इ ो अ .. (४) इं ह व दे ने वाले यजमान को अ दे ते ह. इस काय म कोई भी इं क सहायता नह कर सकता. (४) कदा मतमराधसं पदा ु प मव फुरत्. कदा नः शु वद् गर इ ो अ .. (५) वे इं य न करने वाल पर अपने चरण का हार कर के उ ह कब ताड़ना दगे तथा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हम तोता
क
ाथना कब सुनगे? (५)
य वा ब य आ सुतावाँ आ ववास त. उ ं तत् प यते शव इ ो अ .. (६) हे इं ! जो पु ष सोमरस ले कर अनेक तो बल और ऐ य ा त करता है. (६) यइ (७)
ारा तु हारी ाथना करता है, वह चंड
सोमपातमो मदः श व चेत त. येना हं स य १
णं तमीमहे..
हे इं ! तुम सोमरस अ य धक पीते हो. उस से बल उ प होता है. हे इं ! तुम अपने जस बल से असुर का नाश करते हो, हम तुम से उसी बल क याचना करते ह. (७) येना दश वम गुं वेपय तं वणरम्. येना समु मा वथा तमीमहे.. (८) हे इं ! जस बल से तुम ने दश व, अ गु और कांपते ए वणरथ क र ा क थी तथा सागर को पु कया था, हम तुम से उसी बल क याचना करते ह. (८) येन स धुं महीरपो रथां इव चोदयः. प थामृत य यातवे तमीमहे.. (९) हे इं ! जस बल से तुम ने जल को सागर क ओर गमनशील बनाया. हम अमृत के माग म आगे बढ़ने के लए उसी बल क याचना करते ह. (९)
दे वता—इं
सू -६४ ए
नो ग ध
यः स ा जदगो ः. ग रन व त पृथुः प त दवः.. (१)
हे स य के ारा वजय ा त करने वाले इं ! तुम हमारे य हो. कोई भी तु ह ढक नह सकता. तुम वग के वामी हो और तु हारा व तार वग के समान है. तुम हम अपने य के प म वीकार करो. (१) अ भ ह स य सोमपा उभे बभूथ रोदसी. इ ा स सु वतो वृधः प त दवः.. (२) हे इं ! तुम य म सब के सामने आ कर सोमरस पीते हो तथा आकाश और पृ वी दोन म ही कट होते हो. तुम वग के वामी हो. जो तु हारे लए सोमरस नचोड़ता है, तुम उस क वृ करते हो. (२) वं ह श तीना म
दता पुराम स. ह ता द योमनोवृधः प त दवः.. (३)
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हे इं ! तुम ने असुर को मारा और उन के ढ़ नगर का वनाश कया है. तुम वग के वामी हो और मनु य क वृ करते हो. (३) ए म वो म द तरं स च वा वय अ धसः. एवा ह वीर तवते सदावृधः.. (४) हे अ वयुजनो! शहद से भी अ धक मीठे अ से इं को तृ त करो. ये इं सदा यजमान क वृ करते ए तु तयां वीकार करते ह. (४) इ
थातहरीणां न क े पू
तु तम्. उदानंश शवसा न भ दना.. (५)
हे हरे रंग के अथवा ह र नाम वाले घोड़ पर सवार होने वाले इं ! तु हारे पूव कम के बल और क याण क कोई समानता नह कर सकता. (५) तं वो वाजानां प तम म ह व यवः. अ ायु भय े भवावृधे यम्.. (६) अ क कामना वाले हम अ के वामी इं को अपने य म बुलाते ह. जन य अनु ान व धपूवक कया जाता है. उन से इं क सदा वृ होती है. (६)
का
दे वता—इं
सू -६५ एतो व ं तवाम सखाय तो यं नरम्. कु ीय व ा अ य येक इत्.. (१)
हम तु त के यो य एवं अपने सखा के समान इं से इधर आने के लए तु त करते ह. ये इं सभी कम के फल दान करते ह. (१) अगो धाय ग वषे ु ाय द यं वचः. घृतात् वाद यो मधुन वोचत.. (२) हे तोताओ! इन तेज वी, दे खने यो य वाणी पी अ वाले तथा गाय को न रोकने वाले इं के त शहद और घी से भी अ धक मधुर वाणी का उ चारण करो. (२) य या मता न वीया ३ न राधः पयतवे. यो तन व म य त द णा.. (३) काय साधन के हेतु असी मत श
सू -६६
वाले इं द तमती द णा के
प ह. (३)
दे वता—इं
तुही ं श चवदनू म वा जनं यमम्. अय गयं मंहमानं व दाशुषे.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे ऋ वजो! जो इं अपने रथ से घोड़ को खोल कर शांत भाव से य म बैठते ह, उ ह शंसा के यो य इं क तु त यजमान क क याण कामना के लए करो. (१) एवा नूनमुप तु ह वैय दशमं नवम्. सु व ांसं चकृ यं चरणीनाम्.. (२) जो इं सदा नवीन, महान और मेधावी ह, हे यजमान! तुम उ ह इं क पूजा करो. (२) वे था ह नऋतीनां व ह त प रवृजम्. अहरहः शु युः प रपदा मव.. (३) हे व धारी इं ! जस कर आ द य अपने सहयो गय को जानते ह, उसी कार तुम भी संत त करने वाले और श शाली असुर को जानते हो. (३)
सू -६७
दे वता—इं
वनो त ह सु वन् यं परीणसः सु वानो ह मा यज यव षः सु वान इत् सषास त सह ा वा यवृतः. सु वानाये ो ददा याभुवं र य ददा याभुवम्.. (१)
षो दे वानामव
सोमरस नचोड़ने वाला यजमान अपने श ु के साथसाथ दे वता के श ु का भी पराभव करता है. वह ब त से घर को ा त करता है तथा व वध पदाथ के दान क इ छा करता है. वह श ु से घरा आ नह रहता तथा अ का वामी बनता है. इं उसे पृ वी संबंधी सभी धन दे ते ह. (१) मो षु वो अ मद भ ता न प या सना भूवन् ु ना न मोत जा रषुर मत् पुरोत जा रषुः. यद् व ं युगेयुगे न ं घोषादम यम्. अ मासु त म तो य च रं दधृता य च रम्.. (२) हे म तो! तु हारा तेज संताप दे ने वाला है. वह हमारे सामने आ कर हम जीण न करे. तुम अपने नवीन, चयन यो य और अ वनाशी उस बल को हम म था पत करो, जसे श ु कभी ा त नह कर सकते. (२) अ नं होतारं म ये दा व तं वसुं सूनुं सहसो जातवेदसं व ं न जातवेदसम्. य ऊ वया व वरो दे वो दे वा या कृपा. घृत य व ा मनु व शो चषाजु ान य स पषः.. (३) अ न दे व बल दे ने वाले, दे व के होता, उ प
के जानने वाले तथा बल के अनुज
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ह. वे अपनी वाला से य को सुस जत करते ह तथा होम अ न म डाली गई घृत क बूंद तथा उन क द त क कामना करते ह. (३) य ैः सं म ाः पृषती भऋ भयामंछु ासो अ षु या उत. आस ा ब हभरत य सूनवः पो ादा सोमं पबता दवो नरः.. (४) हे वग के नेता म तो! फल दे ने के समान तुम अपनी पृषती नाम वाली घो ड़य के ारा य म आते हो. तुम इन बछ ई कुशा पर वराजमान हो कर सोमरस का पान करो. (४) आ व दे वाँ इह व य चोशन् होत न षदा यो नषु षु. त वी ह थतं सो यं मधु पबा नी ात् तव भाग य तृ णु ह.. (५) हे अ न! तुम दे वता को हमारे इस य म ला कर उन का पूजन करो. तुम होता के प म पृ वी, अंत र और वग तीन — थान म वराजमान होओ. तुम ह व का भाग सभी दे व को प ंचा कर वयं भी हण करो तथा मधुर सोमरस पी कर तृ त दान करो. (५) एष य ते त वो नृ णवधनः सह ओजः द व बा ो हतः. तु यं सुतो मघवन् तु यमाभृत वम य ा णादा तृपत् पब.. (६) हे इं ! यह सोमरस तु हारे शरीर के बल को बढ़ाने वाला है. अ य सब को वश म करने के लए तु हारी भुजा म बल ा त है. हे इं ! यह सोमरस नचोड़ा जा कर तु हारे पीने के लए पा म रखा है. तुम इसे तब तक पयो, जब तक ा ण संतु न हो जाएं. (६) यमु पूवम वे त मदं वे से ह ो द दय नाम प यते. अ वयु भः थतं सो यं मधु पो ात् सोमं वणोदः पब ऋतु भः.. (७) म पहले के समान ही अपने य म इं का आ ान करता ं. हे इं ! तुम अ वयुजन ारा दए गए इस सोमरस पी मधु का पान करो. (७)
सू -६८ सु पकृ नुमूतये सु घा मव गो हे. जु म स
दे वता—इं व व.. (१)
जस कार सरलता से गाय का ध हने के लए दोहनकता को बुलाया जाता है, उसी कार र ा का अवसर आने पर हर बार इं का आ ान करते ह. (१) उप नः सवना ग ह सोम य सोमपाः पब. गोदा इद् रेवतो मदः.. (२) ऐ य संप इं सदा स रहते ह और यजमान को गाएं दे ते ह. हे इं ! ातःकाल, ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म या और सायंकाल के तीन सवन म आ कर सोमरस का पान करो. (२) अथा ते अ तमानां व ाम सुमतीनाम्. मा नो अ त य आ ग ह.. (३) हे इं ! तु हारी उ म बु य म आओ. (३)
य को हम जानते ह. तुम हमारी नदा मत होने दो तथा हमारे
परे ह व म तृत म ं पृ छा वप तम्. य ते स ख य आ वरम्.. (४) हे तोताओ! कोई भी इं क हसा नह कर सकता. तुम म इं का आ य लो. (४) उत ुव तु नो नदो नर यत दारत. दधाना इ
का मंगल करने वाले
इद् वः (५)
हे तोताओ! तुम इं का आ य हण करो. इस से नदा करने वाले हमारी नदा नह कर सकगे. (५) उत नः सुभगाँ अ रव चेयुद म कृ यः. यामे द
य शम ण.. (६)
हम इतने यश वी बन क श ु भी हमारे यश का गान कर. इं के ारा सुख ा त कर के हम सुंदर कृ ष से संप बन. (६) एमाशुमाशवे भर य
यं नृमादनम्. पतय म दयत् सखम्.. (७)
हे तोता! ये इं मनु य को स करने वाले म को मु दत कराने वाले तथा य क शोभा के प ह. इन इं के लए सोमरस अपण करो. (७) अ य पी वा शत तो घनो वृ ाणामभवः. ावो वाजेषु वा जनम्.. (८) हे इं ! तुम सोमरस पी कर वृ असुर के लए मृ यु ऐ य क र ा करो. (८) तं वा वाजेषु वा जनं वाजयामः शत तो. धनाना म
प बनो तथा यु
े म हमारे
सातये.. (९)
हे इं ! तुम सैकड़ कम करने वाले हो! हम ह वय के ारा तु हारी पूजा करते ह और धन पाने के लए तु ह अपने य म बुलाते ह. (९) यो रायो ३ व नमहा सुपारः सु वतः सखा. त मा इ ाय गायत.. (१०) इं धन दान करने वाले एवं धन के र क ह. इं उस के लए म के समान ह जो सोमरस तैयार करता है. हे तोताओ! तुम इं क तु त करो. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ वेता न षीदते म भ हे मेरे म
गायत. सखाय तोमवाहसः.. (११)
तोताओ! तुम यहां य शाला म वराजो और इं का गुणगान करो. (११)
पु तमं पु णामीशानं वायाणाम्. इ
सोमे सचा सुते.. (१२)
हे तोताओ! वरण करने वाल के वामी इं अ य धक महान ह. सोमरस नचोड़ दए जाने पर उ ह यहां बुलाओ. (१२)
दे वता—इं
सू -६९
स घा नो योग आ भुवत् स राये स पुरं याम्. गमद् वाजे भरा स नः.. (१) जब हम कोई चता होती है अथवा हम इं का चतन करते ह, उस समय इं हमारे सामने कट होते ह. इं अ को साथ म ले कर हमारे पास आएं. (१) य य सं थे न वृ वते हरी सम सु श वः. त मा इ ाय गायत.. (२) हे तोताओ! जब इं यु समय इं क तु त करो. (२)
म लगे होते ह, तब श ु उन के घोड़ को नह घेर पाते ऐसे
सुतपा ने सुता इमे शुचयो य त वीतये. सोमासो द या शरः.. (३) दही से मला आ सोमरस प व है. यह सोमरस सोम पीने वाले इं के लए तैयार हो रहा है. (३) वं सुत य पीतये स ो वृ ो अजायथाः. इ
यै
ाय सु तो.. (४)
हे इं ! तुम सोमरस का पान करने के लए शी ही अपने शरीर का व तार कर लेते हो. (४) आ वा वश वाशवः सोमास इ (५)
गवणः शं ते स तु चेतसे.. (५)
हे इं ! तु ह फू त दे ने वाला सोमरस तु हारे शरीर म वेश करे तथा तु ह तृ त बनाए. वां तोमा अवीवृधन् वामु था शत तो. वां वध तु नो गरः.. (६) हे इं ! तोम, उ थ और हमारी वाणी
पी तु तयां तु हारी वृ
कर. (६)
अ तो तः सने दमं वाज म ः सह णम्. य मन् व ा न प या.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य कम क र ा करने वाले इं म सैकड़ परा म चा हए. (७) मा नो मता अ भ हन् तनूना म
ा त ह. हम उ ह क सेवा करनी
गवणः. ईशानो यवया वधम्.. (८)
हे इं ! हमारे श ु हमारी दे ह के त हसा क भावना न रख. हे वामी इं ! तुम हमारे वध प कारण को हम से र हटाओ. (८) यु
त
नम षं चर तं प र त थुषः. रोच ते रोचना द व.. (९)
इं के रथ म हरे रंग के अथवा ह र नाम के घोड़े जोते जाते ह. आकाश म दमकते ए वे घोड़े थावर और जंगम दोन कार के ा णय को लांघते ह. (९) यु
य य का या हरी वप सा रथे. शोणा धृ णू नृवाहसा.. (१०)
सारथी इं के रथ म ह र नाम के अथवा ह रत वण के घोड़ को जोड़ते ह. इं के रथ के दोन ओर रहने वाले घोड़े ऐसी सवारी ह, जस क कामना क जाती है. वे घोड़े सब को वश म करते ह. (१०) केतुं कृ व केतवे पेशो मया अपेशसे. समुष
रजायथाः.. (११)
हे मरणधमा मनु यो! सूय प इं अ ानी को अ और अंधकार म छपे ए पदाथ को प दे ते ह. सूय प इं अपनी करण से उदय ए ह. इन के दशन करो. (११) आदह वधामनु पुनगभ वमे ररे. दधाना नाम य यम्.. (१२) म द्गण ह व दे ने वाले क गभ म थत संतान क र ा करने के कारण य य नाम धारण करते ह. (१२)
दे वता—इं
सू -७० वीलु चदा ज नु भगुहा च द
व
भः. अ व द उ या अनु.. (१)
हे इं ! तुम ने उषा काल के बाद ही अपनी यो त वाली श धन को ा त कया था. (१)
य के ारा गुफा म छपे
दे वय तो यथा म तम छा वदद् वसुं गरः. महामनूषत ुतम्.. (२) बु
हे तु तयो! हम तोता दे वता क इ छा करते ह. हम इं के सामने अपनी उ म को तुत करगे. इस कार उन म हमा वाले इं क तु त क जाएगी. (२)
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इ े ण सं ह
से संज मानो अ ब युषा. म
समानवचसा.. (३)
हे इं ! तुम सदा ही म त के साथ दे खे जाते हो, वे म त् भय र हत ह. तु हारा और म त का तेज समान है, इस लए तुम सदा म त के साथ दे खे जाते हो. (३) अनव ैर भ ु भमखः सह वदच त. गणै र
य का यैः.. (४)
इं क कामना करने वाल से य क शोभा बढ़ती है. (४) अतः प र म ा ग ह दवो वा रोचनाद ध. सम म ृ हे इं ! तुम यो तमान वग से हमारे य संयोग करती ह. (५)
ते गरः.. (५)
म आओ. हमारी तु तयां इं के साथ ही
इतो वा सा तमीमहे दवो वा पा थवाद ध. इ ं महो वा रजसः.. (६) इं पृ वीलोक म, इहलोक म अथवा वगलोक म ता पय यह क जहां कह भी ह , हम वह से उ ह बुलाने क इ छा करते ह. (६) इ
मद् गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (७)
पूजा करने वाले यजमान इं क पूजा करते ह तथा तोता इं के ही यश का गान करते ह. (७) इ
इ य ः सचा सं म
आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (८)
इं के साथ रहने वाले घोड़े हमारे मं ो चारण के साथ ही रथ म जोड़ दए जाते ह. मनु य के हतैषी इं व धारण करते ह. (८) इ ो द घाय च स आ सूय रोहयद् द व. व गो भर मैरयत्.. (९) इं ने ही सूय को वग म इस लए था पत कया है क सब लोग उ ह दे ख सक तथा इं ने ही अपनी सूय पी करण के ारा मेघ का भेदन कया है. (९) इ
वाजेषु नो ऽ व सह
धनेषु च. उ उ ा भ
त भः.. (१०)
हे इं ! जो यु े धन ा त कराने वाला है, उस यु साधन से हमारी र ा करो. (१०) इ ं वयं महाधन इ मभ हवामहे. युजं वृ ेषु व
म तुम अपने अ त र
र ा
णम्.. (११)
अ धक अथवा थोड़ा धन पाने के लए हम इं को ही बुलाते ह. इं ने वृ असुर पर ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अपने व
का हार कया था. (११)
स नो वृष मुं च ं स ादाव पा वृ ध. अ म यम त कुतः.. (१२) हे इं ! यह स य है क तुम धन दे ने वाले और फल क वषा करने वाले हो. तुम कसी के हटाने से हटते नह हो. तुम हमारे इस च का भ ण करो तथा हमारा सुख बढ़ाओ. (१२) तु ेतु (१३)
े य उ रे तोमा इ
य व
णः. न व धे अ य सु ु तम्..
म धन ा त के येक अवसर पर तथा सदै व धन ा त करने पर धन से संतु होता .ं म जन तो का मरण करता ,ं उन म इं क म हमा क कोई सीमा नह होती. (१३) वृषा यूथेव वंसगः कृ ी रय य जसा. ईशानो अ त कुतः.. (१४) हे इं ! तुम कृ षय को संप करने वाली श वाले इं का तर कार कोई नह कर सकता. (१४) य एक षणीनां वसूना मर य त. इ ं : प च
से जल क वषा करते हो. ईशान नाम तीनाम्.. (१५)
इं पांच भू मय , मनु य तथा ऐ य के भी वामी ह. (१५) इ ं वो व त प र हवामहे जने यः. अ माकम तु केवलः.. (१६) इं का यान य द सरे तोता हमारे ही ह. (१६) ए
क ओर हो, तब भी हम इं को बुलाते ह. वे इं
सान स र य स ज वानं सदासहम्. व ष मूतये भर.. (१७)
हे इं ! तुम सदा स ता दे ने वाले धन तथा फल क वषा करने वाले बल को हमारी र ा करने के लए धारण करो. (१७) न येन मु ह यया न वृ ा णधामहै. वोतासो यवता.. (१८) हे इं ! हम तु हारे ारा र त हो कर घोड़ के वामी बन तथा वृ के समान श वाले श ु को भी न कर डाल. (१८) इ
वोतास आ वयं व ं घना दद म ह. जयेम सं यु ध पृधः.. (१९)
हे इं ! हम तु हारे ारा र त ह. हम तु हारे वकराल बल को धारण करते ए अपने श ु को न कर डाल. (१९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वयं शूरे भर तृ भ र
वया युजा वयम्. सास ाम पृत यतः.. (२०)
हे इं ! हमारे वीर क कोई हसा न कर सके. हम अपने वीर को साथ ले कर उन श ु को भी वश म कर ल जो सेना साथ ले कर हम पर आ मण करते ह. (२०)
दे वता—इं
सू -७१ महाँ इ ः पर नु म ह वम तु व
णे. ौन
थना शवः.. (१)
े और महान इं म हमा वाले ह. उन का परा म आकाश के समान वशाल हो. (१) समोहे वा य आशत नर तोक य स नतौ. व ासो वा धयायवः.. (२) जो मनु य यु
क कामना करते ह, वे अपने पु
के साथ भी यु
करने लगते ह. (२)
यः कु ः सोमपातमः समु इव प वते. उव रापो न काकुदः.. (३) सोमरस पीने वाले इं क कोख ककुद अथात् ठाट वाले बैल तथा अ धक जल को धारण करने वाले सागर के समान बढ़ जाती है. (३) एवा
य सूनृता वर शी गोमती मही. प वा शाखा न दाशुषे.. (४)
इं को गौ दान करने वाली धरती ह व दे ने वाले यजमान के लए उस वृ के समान हो जाती है, जस पर पके ए फल लगे होते ह. (४) एवा ह ते वभूतय ऊतय इ
मावते. स
त् स त दाशुषे.. (५)
हे इं ! जो यजमान तु ह ह व दे ता है, उस के न म रहते ह. (५) एवा
क शाखा
तु हारे र ा साधन सदा
तुत
य का या तोम उ थं च शं या. इ ाय सोमपीतये.. (६)
इं जब सोमरस पीते ह, उस समय तोम, उ थ और श स करने वाले होते ह. (६)
नाम वाले मं उन के लए
इ े ह म य धसो व े भः सोमपव भः. महां अ भ रोजसा.. (७) हे इं ! यहां अथात् हमारे य म आओ. सोमयाग म सोमरस पीने के कारण उ प तु हारा हषपूण ओज हमारे लए अभी और महान है. (७) एमेनं सृजता सुते म द म ाय म दने. च
व ा न च ये.. (८)
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हे अ वयुजनो! तुम उ थ मं बोलते ए सोमरस को चमस के सोम नचुड़ जाने पर इं को स करता है. (८)
ारा मलाओ. यह
म वा सु श म द भ तोमे भ व चषणे. सचैषु सवने वा.. (९) (९)
हे सुंदर ठु ड्डी वाले इं ! तुम सोमयाग म हषवधक सोमरस को पी कर हष ा त करो. असृ म
ते गरः
त वामुदहासत. अजोषा वृषभं प तम्.. (१०)
जस कार कामना करने वाली यां उस प त के पास जाती ह जो उन म गभाधान कर सकता है, उसी कार हमारी तु तयां तु ह ा त होती ह. (१०) सं चोदय च मवाग् राध इ
वरे यम्. अस दत् ते वभु भु.. (११)
हे इं ! हमारी ओर उस धन को आने क स य को धारण करने वाला हो. (११) अ मा सु त चोदये
ेरणा दो जो वरण करने यो य, सुंदर और
राये रभ वतः तु व ु न यश वतः.. (१२)
हे इं ! तुम हम महान, यश वी और ऐ य वाला होने क सं गोम द
वाजवद मे पृथु वो बृहत्. व ायुध
हे इं ! हम वह य दे ने वाला हो. (१३)
तम्.. (१३)
दान करो जो गाय से यु , ह वय से संप तथा पूण आयु को
अ मे धे ह वो बृहद् ु नं सह सातमम्. इ हे इं ! सह करो. (१४)
ेरणा दो. (१२)
मनु य
ता र थनी रषः.. (१४)
ारा सेवन करने वाले धन तथा रथ वाली सेना
को हम दान
वसो र ं वसुप त गी भगृण त ऋ मयम्. होम ग तारमूतये.. (१५) हम धन के वामी, वसु करते ह. (१५)
के ई र, ऋ वेद के ारा शं सत इं क साधन से पूजा
सुतेसुते योकसे बृहद् बृहत एद रः. इ ाय शूषमच त.. (१६) महान इं के लए सोमयाग म हर बार सोमरस नचोड़े जाने पर श ु भी इं के बल क शंसा करते ह. (१६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -७२
दे वता—इं
व ेषु ह वा सवनेषु तु ते समानमेकं वृषम यवः पृथक् स न यवः पृथक्. तं वा नावं न पष ण शूष य धु र धीम ह. इ ं न य ै तय त आयव तोमे भ र मायवः.. (१)
वः
हे इं ! फल क वषा क याचना करने वाले, भां तभां त के वग क कामना करने वाले तथा ातः, म या और सायं सवन म तु हारी ही ाथना करते ह. जस कार नौका अ के पूल से भरी होती है, उसी कार हम बल धारण के लए नयु करते ह. हम इं को स करने क इ छा से अपने तो का उ चारण करते ह. (१) व वा तत े मथुना अव वो ज य साता ग य नःसृजः स नःसृजः. यद् ग ता ा जना व १ य ता समूह स. आ व क र द् वृषणं सचाभुवं व म सचाभुवम्.. (२)
तइ
हे इं ! अ क कामना करने वाले दं पती गोदान के अवसर पर तु हारा यान करते ह तथा तुम से फल दे ने क ाथना करते ह. तुम वग म जाने वाले य को जानते हो. तु हारा वषा करने म सहायक व तु हारे हाथ म कट होता है. (२) उतो नो अ या उषसो जुषेत १ क य बो ध ह वषो हवीम भः वषाता हवीम भः. य द ह तवे मृधो वृषा व चकेत स. आ मे अ य वेधसो नवीयसो म म ु ध नवीयसः.. (३) हम वग ा त क कामना से सूय को कट करने वाली उषा को ह व दान करते ह. हे वषणशील इं ! तुम यु के इ छु क श ु का संहार करने के लए अपना व हाथ म लेते हो. म ने जन नवीन तो क रचना क है, तुम उ ह सुनो. (३)
दे वता—इं
सू -७३ तु ये दमा सवना शूर व ा तु यं वं नृ भह ो व धा ऽ स.. (१)
ा ण वधना कृणो म.
हे वीर इं ! य के सभी सवन तु हारे न म ह . तु हारे न म ही म उन मं करता ं. तुम सब के पोषक एवं आ ान के यो य हो. (१) नू च ु तो यमान य द मोद ुव त म हमानमु . ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का पाठ
न वीय म
ते न राधः.. (२)
हे इं ! तुम उ हो. तु हारा सुंदर नह कर सकता. (२)
प, श
, धन और म हमा को सरा कोई भी ा त
वो महे म हवृधे भर वं चेतसे सुम त कृणु वम्. वशः पूव ः चरा चष ण ाः.. (३) हे यजन करने वालो! तुम अपनी ह वय के ारा इं को स करो. इं मनु य को मन चाहे फल दान करते ह. हे इं ! तुम मेरे ह व प अ का सेवन करो. (३) यदा व ं हर य मदथा रथं हरी यम य वहतो व सू र भः. आ त त मघवा सन ुत इ ो वाज य द घ वस प तः.. (४) इं के हरे रंग के घोड़े इं के व णम व को एवं रथ बंधी र सय के सहारे रथ को ख चते ह. उस अवसर पर अ य धक तेज वाले इं उस रथ पर बैठते ह. (४) सो च ु वृ यू या ३ वा सचां इ ः म ू ण ह रता भ ु णुते. अव वे त सु यं सुते मधू द नो त वातो यथा वनम्.. (५) सोमरस के नचोड़े जाने पर इं हमारे य मंडप म आते ह. वायु जस कार वन को कं पत करता है, इं उसी कार मेघ को कं पत कर दे ते ह. (५) यो वाचा ववाचो मृ वाचः पु सह ा शवा जघान. त दद य प यं गृणीम स पतेव य त वष वावृधे शवः.. (६) इं कम करने वाल का वध करते ह एवं वकृत वाणी वाल क वाणी को मधुरता दान करते ह. पता जस कार बल क वृ करता है, इं उसी कार अपने भ का बल बढ़ाते ह. ऐसे परा मी इं क हम तु त करते ह. (६)
सू -७४
दे वता—इं
य च स य सोमपा अनाश ता इव म स. आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (१) हे सोमरस का पान करने वाले इं ! हमारे हजार क सं या वाले घोड़े, गाय और शु य के अमृत होने क बात कहो; य क तुम अमृत व को ा त कर चुके हो. (१) श न् वाजानां पते शचीव तव दं सना. आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे धन के वामी इं ! तुम श ु को दं ड दे ने म समथ हो. तुम अपनी उसी साम य को हमारे सह अ , गाय और शु य को दान करो. (२) न वापया मथू शा स तामबु यमाने. आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (३) हे इं ! मुझे मेरे दोन ने न ा दान करो. (३)
के ारा न ा दान करो. हमारी हजार गाय आ द को भी
सस तु या अरातयो बोध तु शूर रातयः. आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (४) हे अ धक धन के वामी इं ! तुम हमारी हजार गाय , घोड़ आ द को धन से भरो. हम जागृत रह और हमारे श ु न ा के वश म हो जाएं. (४) स म गदभं मृण नुव तं पापया ऽ मुया. आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (५) हे इं ! तुम पाप वृ वाले रा स का वध कर दो. तुम हमारी गाय आ द को सर का नाश करने क श दान करो. (५) पता त कु डृ णा या रं वातो वनाद ध. आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (६) वायु बवंडर के ारा जंगल से र े होने क बात कहो. (६)
थान करती ह. हे इं ! हमारे गौ आ द पशु
के
सव प र ोशं ज ह ज भया कृकदा म्. आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (७) हे इं ! कृकदा को न करो तथा प रकोश को हटाओ. हमारे अ , गौ आ द ा णय से तुम प रकोश को र करो. (७)
सू -७५
दे वता—इं
व वा तत े मथुना अव यवो ज य साता ग य नःसृजः स इ नःसृज. यद् ग ता ा जना व १ य ता समूह स. आ व क र द् वृषणं सचाभुवं व म सचाभुवम्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
त
हे इं ! गोदान के अवसर पर अ क कामना करने वाले प तप नी तु हारा यान करते ए तु ह फल दे ने के लए आक षत करते ह. तुम वग को गमन करने वाले दोन प त और प नी को जानते हो. उस समय तुम अपने वषणशील और सहायक व को कट करते हो. (१) व े अ य वीय य पूरवः पुरो य द शारद रवा तरः सासहानो अवा तरः. शास त म म यमय युं शवस पते. महीममु णाः पृ थवी ममा अपो म दसान इमा अपः.. (२) इं शरद ऋतु क व तु म कट हो कर श ु को बारबार थत करते ह. इं के बल को मनु य जानते ह. हे इं ! जो मृ युलोक वासी तु हारा पूजन नह करते, उन पर तुम शासन करो तथा इन जल और पृ वी क वृ करो. (२) आ दत् ते अ य वीय य च कर मदे षु वृष ु शजो यदा वथ सखीयतो यदा वथ. चकथ कारमे यः पृतनासु व तवे. ते अ याम यां न ं स न णत व य तः स न णत… (३) हे धन समथ जलो! हम तु हारे वीय का वणन करते ह. इं के उ म होने पर तुम ही उन क र ा करते हो. तुम सेना म सेवा यो य कम के करने वाले हो. तुम न दय के आ य म रहो तथा अ दान करते ए सब के नान के साधन बनो. (३)
सू -७६
दे वता—इं
वने न वा यो यधा य चाकंछु चवा तोमो भुरणावजीगः. य ये द ः पु दनेषु होता नृणां नय नृतमः पावान्.. (१) हे अ नीकुमारो! तुम दे वता का भरणपोषण करने वाले हो. यह नद ष तथा इं क कामना करने वाला तो ह. इं इस क कामना ब त दन से करते ह. वे इं मनु य के े सोमरस को ा त करने वाले ह. यह तो अथात् मं समूह उ ह क ओर अ सर होता है. (१) ते अ या उषसः ापर या नृतौ याम नृतम य नृणाम्. अनु शोकः शतमावह ृन् कु सेन रथो यो असत् ससवान्.. (२) हम वीर म े इं के व ास पा सेवक रह तथा सरी उषा को भी पार कर. लोक ऋ ष ने हम सैकड़ उषाएं ा त करा . कु स ऋ ष ने संसार पी रथ को अ से यु कया. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क ते मद इ र यो भूद ् रो गरो अ यु१ ो व धाव. कद् वाहो अवागुप मा मनीषा आ वा श यामुपमं राधो अ ैः.. (३) हे इं ! हम वह तोम अथात् मं समूह कौन दे गा जो तु ह स कर सके? कौन सा अ तु ह मेरे पास लाएगा? तुम मेरा तोम सुनने के लए आओ. तुम उपमेय हो, म तु ह ह वय ारा स करने म सफलता ा त क ं गा. (३) क ु न म वावतो नॄन् कया धया करसे क आगन्. म ो न स य उ गाय भृ या अ े सम य यदस मनीषाः.. (४) हे इं ! तुम कस बु से अपने आ त को यश वी बनाते हो? तुम महान क त वाले हो, इस लए स चे साथ के समय इस य को अ क वृ से संप करो. (४) रे य सूरो अथ न पारं ये अ य कामं ज नधा इव मन्. गर ये ते तु वजात पूव नर इ त श य ैः.. (५) हे इं ! जो र मयां इस यजमान क इ छा पू त के लए माता के समान मलती ह, उन र मय म हम अथ के समान पार करो. पवन दे व इसे अ दान कर. हे इं ! तुम अपनी ाचीन तु तयां इस क बु म लाओ. (५) मा े नु ते सु मते इ पूव ौम मना पृ थवी का ेन. वराय ते घृतव तः सुतासः वाद्मन् भव तु पीतये मधू न.. (६) हे इं ! घृत मला आ सोमरस तु हारे लए उ म वाद वाला तीत हो. पृ वी और आकाश अपने म समथ एवं उ म का रचना के लए उ म बु वाला हो. (६) आ म वो अ मा अ सच म म ाय पूण स ह स यराधाः. स वावृधे व रम ा पृ थ ा अ भ वा नयः प यै .. (७) इं के लए यह पा मधुर रस से पूण कया गया है. वे इं अपने बल से ही पृ वी पर बु होते ह तथा स य के ारा उ ह क पूजा होती है. (७) ान ळ ः पृतनाः वोजा आ मै यत ते स याय पूव ः. आ मा रथं न पृतनासु त यं भ या समु या चोदयासे.. (८) इं का बल े है. इं सेना म ा त होते ह. अन गनत वीर इन के मै ीभाव क कामना करते ह. हे इं ! तुम जस सुम त के ारा ेरणा दे ते हो, रथ के समान उसी सुम त से तुम हमारे वीर म ा त होओ. (८)
सू -७७
दे वता—इं
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आ स यो यातु मघवां ऋजीषी व व य हरय उप नः. त मा इद धः सुषुमा सुद महा भ प वं करते गृणानः.. (१) इं के घोड़े हमारी ओर आएं. धन के वामी, स य के त न ा रखने वाले एवं सोमपायी इं यहां आगमन कर. तु त करने वाला व ान् इसी कारण नान आ द कम कर रहा है तथा हम सोम का सं कार कर रहे ह. (१) अव य शूरा वनो ना ते ऽ मन् नो अ सवने म द यै. शंसा यु थमुशनेव वेधा कतुषे असुयाय म म.. (२) हे वीर इं ! हमारे इस य को ा त करो तथा अपना माग हमारे समीप बनाओ. ये व ान् उशना अथात् शु ाचाय के समान इं के हेतु उ थ अथात् मं के समूह का उ चारण करते ह. (२) क वन न यं वदथा न साधन् वृषा यत् सेकं व पपानो अचात्. दव इ था जीजनत् स त का न ा च च ु वयुना गृण तः.. (३) इं फल के वषक अथात् सब को य का फल दे ने वाले ह. ये वषा के जल के ारा पृ वी को श य अथात् फसल से संप बनाते ए आगमन कर. ऋ वज् य काय कर रहा है. सात तोता शोभन तो ारा इं क तु त कर रहे ह. (३) व १ यद् वे द सु शीकमकम ह यो त चुय व तोः. अ धा तमां स धता वच े नृ य कार नृतमो अ भ ौ.. (४) इन मं के ारा दशनीय वग का ान होता है. ये मं सूय को का शत करते ह तथा इन मं के ारा सूय पी इं र से भी अंधकार को हटा दे ते ह. अ तशय श शाली इं कामना क वषा करते ह. (४) वव इ ो अ मतमृजी यु १ भे आ प ौ रोदसी म ह वा. अत द य म हमा व रे य भ यो व ा भुवना बभूव.. (५) सोमरस पीने वाले इं असी मत धन हमारी ओर भेजते ह. इं सभी लोक म ा त होने के कारण म हमा वाले ह. उ ह इं क म हमा पृ वी और आकाश को पूण करती है. (५) व ा न शु ो नया ण व ानपो ररेच स ख भ नकामैः. अ यानं चद् ये ब भ वचो भ जं गोम तमु शजो व व ुः.. (६) वे छा से चलने वाले मेघ के ारा इं दे व ने हतकारी जल क वृ क है. ये जल अपने श द से पाषाण को भी तोड़ दे ते ह तथा इ छा होने पर गोचर भू म पर छा जाते ह. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(६) अपो वृ ं व वासं पराहन् ावत् ते व ं पृ थवी सचेताः. ाणा स समु या यैनोः प तभव छवसा शूर धृ णो.. (७) हे इं ! यह पृ वी सावधानी से तु हारे व क र ा करती है. यही समु क भी र का है. रोकने वाले वृ को जल ने छ भ कर दया है. हे इं ! तुम अपने बल के ारा ही पृ वी के वामी हो. (७) अपो यद पु त ददरा वभुवत् सरमा पू ते. स नो नेता वाजमा द ष भू र गो ा ज रो भगृणानः.. (८) हे इं ! तुम अनेक यजमान के ारा बुलाए जा चुके हो. तुम जस जल को हम दान करते हो, वह जल तुरंत कट हो कर बहने लगता है. तुम अं गरस ारा तु त कए गए मेघ को चीरते ए हम अप र मत अ दान करते हो. (८)
दे वता—इं
सू -७८ तद् वो गाय सुते सचा पु
ताय स वने. शं यद् गवे न शा कने.. (१)
हे तोता! सोमरस का सं कार हो जाने पर इं दे व क सोमरस दे ने वाल के लए गौ के समान क याणकारी ह . (१)
तु त करो, जस से वे हम
न घा वसु न यमते दानं वाज य गोमतः. यत् सीमुप वद् गरः.. (२) (२)
ये इं य द हमारी तु तय को सुन लेते ह तो गौ से यु कु व स य
अ दे ने म वलंब नह करते.
ह जं गोम तं द युहा गमत. शची भरप नो वरत्… (३)
हे इं ! तुम वृ रा स का वध करने वाले हो तथा सभी को अप र मत अ दे ते हो. तुम गौ से सुशो भत थान पर आ कर हम को बल से पूण बनाओ. (३)
सू -७९
दे वता—इं
इ तुं न आ भर पता पु े यो यथा. श ा णो अ मन् पु त याम न जीवा यो तरशीम ह.. (१) हे इं ! जस कार पता अपने पु को इ छत व तु दान करता है, उसी कार तुम भी हम हमारी मनचाही व तुएं दान करो. हे पु त! इस संसार या ा म तुम हम इ छत ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पदाथ दान करो, जस से हम द घजीवी हो कर इस लोक म सुख का अनुभव कर. (१) मा नो अ ाता वृजना रा यो ३ मा ऽ शवासो अव मुः. वया वयं वतः श तीरपो ऽ त शूर तराम स.. (२) हे वीर इं ! हम पर आ धय और ा धय का आ मण न हो. अमंगलमय वा णयां तथा पाप हम पर आ मण न कर. हम तु हारी कृपा ा त कर के सेवक वाले बन तथा सदा सफलतापूवक य करते रह. (२)
दे वता—इं
सू -८० इ ं ये ं न आ भरं ओ ज ं पपु र वः. येनेमे च व ह त रोदसी ओभे सु श ाः.. (१)
हे इं ! तुम अपने महान और ओज वी धन से हम संप बनाओ. हे व धारी इं ! तुम ने अपने जस धन से आकाश तथा पृ वी को पूण कया है, वही धन हम दान करो. (१) वामु मवसे चषणीसहं राजन् दे वेषु महे. व ा सु नो वथुरा प दना वसोऽ म ान् सुषहान् कृ ध.. (२) हे इं ! तुम उ हो. तुम हमारे भय के सभी कारण को र करो तथा हम श ु को वश म करने वाले बल से संप बनाओ. हम अपनी र ा के हेतु तु हारा आ ान करते ह. (२)
दे वता—इं
सू -८१
यद् ाव इ ते शतं शतं भूमी त युः. न वा व सह ं सूया अनु न जातम रोदसी.. (१) हे इं ! हे भु! सैकड़ आकाश और पृ वी भी य द तु हारी समानता करना चाह, तब भी तु हारे समान महान नह हो सकते. (१) आ प ाथ म हना वृ या वृषन् व ा श व शवसा. अ माँ अव मघवन् गोम त जे व च ा भ त भः.. (२) हे व धारी इं ! हमारे गोचर थान म अपने र ा साधन के ारा हमारी र ा करो तथा अपनी म हमा से हमारी वृ करो. (२)
दे वता—इं
सू -८२ यद
यावत वमेतावदहमीशीय.
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तोतार मद् द धषेय रदावसो न पाप वाय रासीय.. (१) हे इं ! म तु हारे समान भु व ा त क ं तथा तु त करने वाल को धन दे ने वाला बनूं. पाप कम करने वाले धनी मुझे थत न कर. (१) श य े म महयते दवे दवे राय आ कुह च दे . न ह वद य मघवन् न आ यं व यो अ त पता चन.. (२) हे इं ! म जहां से चा ं, वह से धन ा त कर सकूं. जो मुझ से उ कृ होना चाहे, उसे म वण का दं ड ं . हे इं ! मुझे इस कार क श दे ने वाला तु हारे अ त र सरा कौन र क हो सकता है? (२)
दे वता—इं
सू -८३
इ धातु शरणं व थं व तमत्. छ दय छ मघवद् य म ं च यावया द ुमे यः.. (१) (१)
हे इं ! मुझे मंगलकारी घर दो तथा हसा करने वाली श
य को यहां से र भगाओ.
ये ग ता मनसा श ुमादभुर भ न त धृ णुया. अध मा नो मघव गवण तनूपा अ तमो भव.. (२) हे इं ! तु हारे जो बल श ु हमारे शरीर क र ा करो. (२)
को संत त करते और मारते ह, तुम अपने उ ह बल से
दे वता—इं
सू -८४
इ ा या ह च भानो सुता इमे वायवः. अ वी भ तना पूतासः.. (१) हे इं ! यहां आओ. यह तैयार कया गया सोमरस तु हारे लए ही है. (१) इ ा या ह धये षतो व जूतः सुतावतः. उप
ा ण वाघतः.. (२)
हे इं ! ये व ान् ा ण तु ह अपने से े वीकार करते ह. इन मं और सोमरस वाले ऋ वज के समीप आओ. (२) इ ा या ह तूतुजान उप
से संप
ा ण
ा ण ह रवः. सुते द ध व न नः.. (३)
हे इं ! तुम अ के वामी हो, इस लए हमारे तो को सुनने के लए हमारे समीप शी आओ तथा हमारे तैयार सोमरस के पास अपने अ को रोको. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -८५
दे वता—इं
मा चद यद् व शंसत सखायो मा रष यत. इ मत् तोता वृषणं सचा सुते मु था च शंसत.. (१) हे तोताओ! तुम अ य कसी दे वता का आ य मत लो. तुम कसी अ य दे वता क तु त मत करो. हे तैयार कए गए सोमरस वाले होताओ! तुम इं क तु त करते ए बारबार उ थ का गान करो. (१) अव णं वृषभं यथा ऽ जुरं गा न चषणीसहम्. व े षणं संवननोभयंकरं मं ह मुभया वनम्.. (२) इं सांड़ के समान घूमने वाले, संघषशील, अवक ी, श ु म हमाशाली, सेवा के यो य तथा दोन लोक के र क ह. (२)
के े षी, अजर, अ तशय
य च वा जना इमे नाना हव त ऊतये. अ माकं े म भूतु ते ऽ हा व ा च वधनम्.. (३) द हे इं ! तु हारा संर ण पाने के लए ब त से पु ष तु ह बुलाते ह. हमारा यह तो भी तु हारी वृ करने वाला है. (३) व ततूय ते मघवन् वप तो ऽ य वपो जनानाम्. उप म व पु पमा भर वाजं ने द मूतये.. (४) हे इं ! तुम यहां शी आ कर वशाल प धारण करो. इन व ान् मनु य और यजमान क उंग लयां शी ताकारी ह. तुम हमारे पालन के लए अ हमारे समीप लाओ तथा हम दान करो. (४)
सू -८६
दे वता—इं
णा ते युजा युन म हरी सखाया सधमाद आशू. थरं रथं सुख म ा ध त न् जानन् व ां उप या ह सोमम्.. (१) हे इं ! म कमवान मं के ारा तु हारे रथ म अ को जोड़ता ं. हे व ान् इं ! इस सुखदायक रथ पर चढ़ कर तुम हमारे इस सोमरस के पास आओ. (१)
सू -८७
दे वता—इं , बृह प त
अ वयवो ऽ णं धमंशुं जुहोतन वृषभाय तीनाम्. गौराद् वेद यां अवपान म ो व ाहे ा त सुतसोम म छन्.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ वयुजनो! इं पृ वी पर वषा करने वाले ह. उन इं के लए सोमरस के ध अंश क आ त दो. ये इं सोमरस क कामना करते ए य म आते ह. (१)
प
यद् द धषे द व चाव ं दवे दवे पी त मद य व . उत दोत मनसा जुषाण उश थतान् पा ह सोमान्.. (२) हे इं ! तुम आकाश म उ म अ धारण करते हो तथा य आ द के अवसर पर सोमरस का पान करते हो. तुम सोमरस क कामना करते ए इस य क र ा करो. (२) ज ानः सोमं सहसे पपाथ ते माता म हमानमुवाच. ए प ाथोव १ त र ं युधा दे वे यो व रव कथ.. (३) हे इं ! तुम कट होते ही सोमरस क ओर जाते हो. तुम ने सं ाम म वजय ा त कर के दे वता को धन दया. तुम वशाल अंत र म गमन करते हो. यह अंत र तु हारी कामना का बखान करता है. (३) यद् योधया महतो म यमानान् सा ाम तान् बा भः शाशदानान्. य ा नृ भवृत इ ा भयु या तं वया ज सौ वसं जयेम.. (४) हे इं दे व! अहंकार से भरे ए तथा अपनेआप को बड़ा मानते ए श ु के साथ जब हम यु कर, तब हम अपनी भुजा से ही हसक श ु को न करने म समथ ह . आप य द कभी अ अथवा यश पाने के लए वयं यु कर, तब हम आपके सहयोगी बनकर वजय ा त कर. (४) े य वोचं थमा कृता न नूतना मघवा या चकार. यदे ददे वीरस ह माया अथाभवत् केवलः सोमो अ य.. (५) हे इं ! तुम हमारे वीर को साथ ले कर हमारे श ु से सं ाम करो. हम तु हारी श से इस सं ाम म वजय ा त करते ए यश वी बन. तुम अपनी जन भुजा से बड़ेबड़ से यु करते हो, हम भी उन भुजा के समान बल से यु ह . (५) तवेदं व म भतः पश ं १ यत् प य स च सा सूय य. गवाम स गोप तरेक इ भ ीम ह ते यत य व वः.. (६) हे इं ! म तु हारे नए एवं पुराने कम का वणन करता ं. तुम ने रा सी माया सामना कया है, इस कारण सोमरस तु हारा ही हो गया है. (६) बृह पते युव म व वो द येशाथे उत पा थव य. ध ं र य तुवते क रये चद् यूयं पात व त भः सदा नः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का
हे बृह प त! हे इं ! तुम दोन ही द तथा पा थव धन के वामी हो. तुम अपनी र क श य के ारा हमारी र ा करते ए हम तु त कता को धन दान करो. (७)
सू -८८
दे वता—बृह प त
य त त भ सहसा व मो अ तान् बृह प त षध थो रवेण. तं नास ऋषयो द यानाः पुरो व ा द धरे म ज म्.. (१) जन बृह प त ने अपने घोष से पृ वी के छोर को भी तं भत कया, ाचीन ऋ ष उन का बारबार यान करते ह. वे बृह प त स करने वाली ज ा के वामी ह. व ान् ा ण बृह प त को थम थान दे ते ह. (१) धुनेतयः सु केतं मद तो बृह पते अ भ ये न तत े. पृष तं सृ मद धमूव बृह पते र ताद य यो नम्.. (२) हे बृह प त! जो ऋ वज् तु ह हमारी ओर आक षत करते ह उन गमनशील, अ हसक तथा घृत क बूद ं धारण करने वाले ऋ वज क तुम र ा करो. (२) बृह पते या परमा परावदत आ त ऋत पृशो न षे ः. तु यं खाता अवता अ धा म व ोत य भतो वर शम्.. (३) हे बृह प त! मृत का पश करने वाले ऋ वज् तु हारी र ा साधन वाली महान र ा के न म बैठे ए, पवत से एक कए ए उ म मधु क तुम पर वषा करते ह. (३) बृह प तः थमं जायमानो महो यो तषः परमे ोमन्. स ता य तु वजातो रवेण व स तर मरधमत् तमां स.. (४) बृह प त महान यो तष च से परम ोम म आ वभूत अथात् बृह प त स त र म वाले बन कर अंधकार को मटा दे ते ह. (४)
कट होते ह. वे
स सु ु भा स ऋ वता गणेन वलं रोज फ लगं रवेण. बृह प त या ह सूदः क न दद् वावशती दाजत्.. (५) ऋचा वाले गण के ारा वे बृह प त मेघ को चीरते ह. वे ह करने वाली गाय को ा त होते ह और बारबार श द करते ह. (५)
से े रत हो कर इ छा
एवा प े व दे वाय वृ णे य ै वधेम नमसा ह व भः. बृह पते सु जा वीरव तो वयं याम पतयो रयीणाम्.. (६) हे बृह प त! हम सुंदर और वीर संतान से संप धन के वामी बन. हम उन बृह प त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
क ह वय और नम कार के ारा पूजा करते ह. (६)
सू -८९
दे वता—इं
अ तेव सु तरं लायम यन् भूष व भरा तोमम मै. वाचा व ा तरत वाचमय न रामय ज रतः सोम इ म्.. (१) हे ा णो! तुम इं के लए तोम का गान करो. तुम मं तु त करने वालो! तुम इं को सोमरस से यु बनाओ. (१)
प वाणी के पार जाओ. हे
दोहेन गामुप श ा सखायं बोधय ज रतजार म म्. कोशं न पूण वसुना यृ मा यावय मघदे याय शूरम्.. (२) हे तोताओ! वाणी तु हारी म है. उस का दोहन करो तथा जो इं श ु को ीण करते ह, उ ह बुलाओ. जो सोमरस धन से यु कोष के समान शु है, उसे इं के लए तैयार करो. (२) कम वा मघवन् भोजमा ः शशी ह मा शशयं वा शृणो म. अ वती मम धीर तु श वसु वदं भग म ा भरा नः.. (३) हे इं ! तुम भो ा हो. तुम श ु को ीण कर दे ते हो. तुम मुझे ीण मत करना. तुम मुझे धन ा त करने वाला सौभा य दो. मेरी बु कम क ओर अ सर हो. (३) वां जना ममस ये व संत थाना व य ते समीके. अ ा युजं कृणुते यो ह व मा ासु वता स यं व शूरः.. (४) हे इं ! मेरे पु ष तु ह को बुलाते ह. जो वीर तु हारी म ता क कामना करते ह तथा ह व वाला अनु ान करते ह, वे सोमरस का सं कार भी करते ह. (४) धनं न प ं ब लं यो अ मै ती ा सोमाँ आसुनो त य वान्. त मै श ू सुतुकान् ातर ो न व ान् युव त ह त वृ म्.. (५) ह व धारण करने वाला जो पु ष इं के न म सोमरस का सं कार नह करता, उस का धन सरकता जाता है. इं उसे अपने श ु म स म लत कर के उस पर व का हार करते ह. (५) य मन् वयं द धमा शंस म े यः श ाय मघवा कामम मे. आरा चत् सन् भयताम य श ु य मै ु ना ज या नम ताम्.. (६) जो इं हमारी इ छा
को पूण करने वाले ह, जन इं क हम शंसा करते ह, उन इं
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के समीप आते ही श ु भयभीत हो जाते ह. संसार के सभी ाणी इं को नम कार करते ह. (६) आरा छ ुमप बाध व रमु ो यः श बः पु त तेन. अ मे धे ह यवमद् गोम द कृधी धयं ज र े वाजर नाम्.. (७) हे इं ! तुम अपने उ व से पास के अथवा र के श ु को थत करो. तुम हम को अ वाली बु दान करते ए अ तथा पशु से पूण धन म त त करो. (७) यम तवृषसवासो अ मन् ती ाः सोमा ब ला तास इ म्. नाह दामानं मघवा न यंसन् न सु वते वह त भू र वामम्.. (८) जन इं के समीप ती वाद वाला सोमरस गमन करता है, वे इं धन क बाधक र सी को रोकते ह तथा सोम का सं कार करने वाले तोता को असी मत धन दान करते ह. (८) उत हाम तद वा जय त कृत मव नी व चनो त काले. यो दे वकामो न धनं ण स मत् तं रायः सृज त वधा भः.. (९) अ ड़ा म कुशल मनु य अपने वरोधी को जुए म हरा दे ता है, य क वह कृत नाम के पासे को ही खोजता है. वह खलाड़ी इं क कामना करता आ उस जीते ए धन को थ होने से रोकता है और इं के काय म लगता है. इं उसे वधा वाला बनाते ह. (९) गो भ रेमाम त रेवां यवेन वा ुधं पु त व े. वयं राजसु थमा धना य र सो वृजनी भजयेम.. (१०) हे इं ! द र ता के कारण ा त ई बु को हम पशु के ारा लांघ जाएं तथा अ से अपनी भूख शांत कर. जुए म तप ी खलाड़ी से जीतते ए हम राजा म थत उ कृ धन को बल संप पास से ा त कर. (१०) बृह प तनः प र पातु प ा तो र मादधरादघायोः. इ ः पुर ता त म यतो नः सखा स ख यो वरीयः कृणोतु.. (११) जो श ु हमारे वध प पाप क इ छा करता है, बृह प त दे वता उस से चार दशा म हमारी र ा कर. वे हम हमारे अ क अपे ा उ कृ बनाएं. (११)
सू -९०
दे वता—बृह प त
यो अ भत् थमजा ऋतावा बृह प तरा रसो ह व मान्. बह मा ाघमसत् पता न आ रोदसी वृषभो रोरवी त.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
थम कट होने वाले, मेघ को चीरने वाले, स यभाषी आं गरस अथात् अं गरा गो वाले बृह प त ह व ा त करने के अ धकारी ह. वे पालन कता, आकाश और पृ वी म श द करने वाले, दो बह अथात् मोर के पंख से सुशो भत, धम का पालन करने वाले और वषा करने वाले ह. (१) जनाय चद् य ईवत उ लोकं बृह प तदव तौ चकार. नन् वृ ा ण व पुरो ददरी त जयं छ ूंर म ान् पृ सु साहन्.. (२) दे व त म संतान को उ प करने वाले एवं मनु य को ा त होने वाले बृह प त मेघ को खं डत कर. वे वृ के नगर का वनाश करते ह. वे श ु पर वजय ा त करते ए सेना का सामना करते ह. (२) बृह प तः समजयद् वसू न महो जान् गोमतो दे व एषः. अपः सषास व १ र तीतो बृह प तह य म मकः.. (३) बृह प त ने गाय से भरी ई वशाल गोशाला तथा धन पर वजय ा त कर ली है. वे जल दे ने के लए वग पर चढ़ते ह तथा मं के ारा श ु को न कर दे ते ह. (३)
सू -९१
दे वता—बृह प त
इमां धयं स तशी ण पता न ऋत जातां बृहतीम व दत्. तुरीयं व जनयद् व ज यो ऽ या य उ थ म ाय शंसन्.. (१) बृह प त ने स य के ारा उ प सात सर वाली बु को ा त कया है. व उ प अया य ने इं से कह कर तुरीय को उ प कराया. (१)
से
ऋतं शंस त ऋजु द याना दव पु ासो असुर य वीराः. व ं पदम रसो दधाना य य धाम थमं मन त.. (२) स य कथन ारा ाण के वीय से उ प समझे जाते ह. (२)
ए अं गरा य शाला म थम अथात् उ म
हंसै रव स ख भवावद र म मया न नहना यन्. बृह प तर भक न दद् गा उत ा तौ च व ां अगायत्.. (३) गजन करने वाले मेघ का उद्घाटन करते ए बृह प त तु त करते ह. इसी कारण वे व ान् समझे जाते ह. (३) अवो ा यां पर एकया गा गुहा त तीरनृत य सेतौ. बृह प त तम स यो त र छ ु ा आक व ह त आवः.. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पहले दो से, फर एक से दय पी गुफा म थत वा णय को बाहर नकालते ए तथा अंधकार म काश क कामना करने वाले बृह प त काश को कट करते ह. (४) व भ ा पुरं शयथेमपाच न ी ण साकमुदधेरकृ तत्. बृह प त षसं सूय गामक ववेद तनय व ौः.. (५) बृह प त पुर का वनाश कर के प म दशा म सोते ह. वे सागर के भाग का याग नह करते तथा आकाश म कड़कते ए उषा, सूय तथा स य गौ को ा त करते ह. (५) इ ो वलं र तारं घानां करेणेव व चकता रवेण. वेदा भरा शर म छमानो ऽ रोदयत् प णमा गा अमु णात्.. (६) इं कामधेनु के पालक मेघ को छ भ कर दे ते ह. उ ह ने द ध क इ छा से गाय को चुराने वाले प णय को थत कया था. (६) स स ये भः स ख भः शुच ग धायसं व धनसैरददः. ण प तवृष भवराहैघम वेदे भ वणं ानट् .. (७) इं धन दे ने वाले तथा धरती को पु करने वाले मेघ को वद ण करते ह. आपस म टकराने वाले मेघ के ारा धन म ा त होते ह. (७)
ण पत
ते स येन मनसा गोप त गा इयानास इषणय त धी भः. बृह प त मथोअव पे भ या असृजत वयु भः.. (८) ये मेघ बैल और गाय के समीप जाने क कामना करते ए अपनी वृ य के ारा उ ह ा त करते ह. श द का पालन करते ए बृह प त मेघ के ारा गाय से संयु होते ह. (८) तं वधय तो म त भः शवा भः सह मव नानदतं सध थे. बृह प त वृषणं शूरसातौ भरेभरे अनु मदे म ज णुम्.. (९) उस यु म सह के समान गजन करने वाले बृह प त को हम अपनी उ म बु बढ़ाते ह. (९)
य से
यदा वाजमसनद् व पमा ाम रा ण सद्म. बृह प त वृषणं वधय तो नाना स तो ब तो यो तरासा.. (१०) बृह प त दे व जस समय संसार से संबं धत सभी ह का सेवन करते ह. तब वे आकाश के ऊपर जा कर उ म लोक म त ा पाते ह. उस समय श संप बृह प त दे व को शेष सभी दे व अपने वचन से उ साह दान करते ह. कामना को पूण करने वाले ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बृह प त को शेष दे व अलगअलग दशा
म रहते ए भी उ त दान करते ह. (१०)
स यामा शषं कृणुता वयोधै क र च वथ वे भरेवैः. प ा मृधो अप भव तु व ा तद् रोदसी शृणुतं व म वे.. (११) अ के पोषक कारण के आशीवाद को स य करते ए बृह प त तु तकता के र क बन. हे ावा पृ वी! तुम अ न संबंधी ऋचा का उ चारण सुनो. जतने भी यु ह, वे सब तु हारी कृपा से समा त हो जाएं. (११) इ ो म ा महतो अणव य व मूधानम भनदबुद य. अह हम रणात् स त स धून् दे वै ावापृ थवी ावतं नः.. (१२) इं अपनी म हमा के ारा मेघ का म तक काट दे ते ह. वे मेघ पर हार कर के सात न दय को कट करते ह. हे आकाश और पृ वी! तुम हमारा पोषण करने वाले बनो. (१२)
दे वता—इं
सू -९२ अभ
गोप त गरे मच यथा वदे . सूनुं स य य स प तम्.. (१)
हे तोता! म गाय के वामी इं को जस कार ा त कर सकूं, तुम उसी कार उन का पूजन करो. (१) आ हरयः ससृ (२)
रे ऽ षीर ध ब ह ष. य ा भ संनवामहे.. (२)
जन कुश पर हम इं का पूजन कर रहे ह, उन पर इं के घोड़े उनके रथ को प ंचाएं. इ ाय गाव आ शरं
ेव
णे मधु. यत् सीमुप रे वदत्.. (३)
जब गाएं इं के लए ध हाती ह, तब इं सभी ओर से मधुर सोमरस को ा त करते ह. (३) उद् यद् न य व पं गृह म ग व ह. म वः पी वा सचेव ह ः स त स युः पदे .. (४) ऊपर जो वृ रा स का हनन करने वाला वग है, उस म हम इं के साथ गमन कर. हम इ क स बार मधु को पी कर इं क म ता ा त कर. (४) अचत ाचत (५)
यमेधासो अचत. अच तु पु का उत पुरं न धृ वचत..
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हे तोताओ! तुम इं का पूजन े री त से करो. अपने श ु तुम इं का पूजन करो. (५)
का नाश करने के लए
अव वरा त गगरो गोधा प र स न वणत्. प ा प र च न कद द ाय ो तम्.. (६) जब हमारे मं इं के त गमन करते ह तो कलश श द करता है. उस समय पीले रंग का पदाथ गमन करता आ धनुष क यंचा के समान श द करता है. (६) आ यत् पत ये यः सु घा अनप फुरः. अप फुरं गृभायत सोम म ाय पातवे.. (७) हे तोताओ! ेत वण क जो गाएं ह, उन म थत अ वनाशी पदाथ को हण करते ए इं के पीने के लए सोमरस लाओ. (७) अपा द ो अपाद न व े दे वा अम सत. व ण इ दह यत् तमापो अ यनूषत व सं सं श री रव.. (८) इस पदाथ को अ न, इं ने तथा व े दे व ने पी लया है. हे जलो! सं श री के पु के समान व ण क तु त करो. (८) सुदेवो अ स व ण य य ते स त स धवः. अनु र त काकुदं सू य सु षरा मव.. (९) हे व ण! तु हारे पास सात न दयां ह. जस कार जल नगर के बाहर नकलता ह. उसी कार तुम इन सात न दय से जल वा हत करो. (९) यो त रफाणयत् सुयु ाँ उप दाशुषे. त वो नेता त दद् वपु पमा यो अमु यत.. (१०) ह व दाता के लए जो नेता उ म यु य का योग करते ह, उन क उपमा उन का शरीर ही है. ता पय यह है क कोई अ य उन के समान नह है. (१०) अती श ओहत इ ो व ा अ त षः. भनत् कनीन ओदनं प यमानं परो गरा.. (११) भार को संभालने वाले इं सभी श ु को वश म करते ह. मं से पकते ए ओदन को क ठन होते ए भी उ ह ने उस का भेदन कया. (११) अभको न कुमारको ऽ ध त वं रथम्. स प म हषं मृगं प े मा े वभु तुम्.. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
इं े राजकुमार के समान अपने रथ पर बैठते ह. वे अपने पता पृ वी के न म खाने के लए भोजन पकाते ह. (१२)
ावा और माता
आ तू सु श दं पते रथं त ा हर ययम्. अध ु ं सचेव ह सह पादम षं व तगामनेहसम्.. (१३) हे इं ! तुम वण से बने इस रथ पर बैठो. तु हारी कृपा से हम भी उस वग पर चढ़, जो सुंदर वा णय से संप एवं हजार माग वाला है. (१३) तं घे म था नम वन उप वराजमासते. अथ चद य सु धतं यदे तव आवतय त दावने.. (१४) उन इं क इस कार क म हमा जानने वाले अपने रा य म त त होते ह. ऋ वक् समूह ह व दे ने वाले यजमान के लए इं के पास जो धन होता है, उसे ा त कराते ह. (१४) अनु न यौकसः यमेधास एषाम्. पूवामनु य त वृ ब हषो हत यस आशत.. (१५) य मेधा वाले ऋ वज् इन इं के पूव दशा म बने भवन से हतकारी अ के ग त करते ह. (१५)
ा त कर
यो राजा चषणीनां याता रथे भर गुः. व ासां त ता पृतनानां ये ो वो वृ हा गृणे.. (१६) ये राजा इं अपने रथ के ारा गमन करते ए सभी सेना उन क तु त करता ं. (१६)
के पार चले जाते ह. म
इ ं तं शु भ पु ह म वसे य य ता वधत र. ह ताय व ः त धा य दशतो महो दवे न सूयः.. (१७) इं क स ा म यलोक म, अंत र म तथा वगलोक म भी ह. ड़ा के न म ऊंचा व इं के हाथ म है. वे सूय के समान दशन करने यो य ह. इस य म अ ा त के लए उ ह इं को आनं दत करो. (१७) न क ं कमणा नशद् य कार सदावृधम्. इ ं न य ै व गूतमृ वसमधृ ं धृ वो जसम्.. (१८) जो पु ष महान परा मी, ऋभु का नाश करने वाले, धृ न होने वाले, वृ कता तथा धषक तेज से संप इं क उपासना म संल न होता है, उसे उस के कम से कोई रोक ******ebook converter DEMO Watermarks*******
नह सकता. (१८) अषा हमु ं पृतनासु सास ह य मन् मही यः. सं धेनवो जायमाने अनोनवु ावः मो अनोनवुः.. (१९) वे चंड इं वशाल आ य के माग वाले, वा णय के ारा तु त ा त तथा सेना ारा असहनीय ह. आकाश और पृ वीलोक उन क तु त करते ह. (१९)
के
यद् ाव इ ते शतं शतं भू म त युः. न वा व सह ं सूया अनु न जातम रोदसी.. (२०) हे इं ! आकाश और पृ वी सौसौ ह अथवा हजार सूय और आकाश बन जाएं, तब भी वे तु हारी समानता करने म समथ नह ह. (२०) आ प ाथ म हना वृ या वृषन् व ा श व शवसा. अ माँ अव मघवन् गोम त जे व च ा भ त भः.. (२१) हे इं ! हमारी गोचर भू म म अपने र ा साधन से हम र त करते ए हमारी वृ करो. (२१)
दे वता—इं
सू -९३ उत् वा म द तु तोमाः कृणु व राधो अ वः. अव
षो ज ह.. (१)
हे व धारी इं ! यह तु त तु ह स करने वाली हो. तुम तथा हम धन दो. (१) पदा पण रराधसो न बाध व महाँ अ स. न ह वा क न
े षय को न करो
त.. (२)
हे इं ! तुम प णय का धन छ न लो और उ ह मार दो. तुम महान हो. कोई भी तुम से त पधा कर के तु हारे सामने नह ठहर सकता. (२) वमी शषे सुताना म
वमसुतानाम्. वं राजा जनानाम्.. (३)
हे इं ! तुम सं का रत सोमरस एवं मनु य के वामी हो. (३) ईङ् खय तीरप युव इ ं जातमुपासते. भेजानासः सुवीयम्.. (४) जल क कामना करती ई तथा े वीय से भरी ई ओष धयां उ प होते ही इं क इ छा करती ह. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
वम
बलाद ध सहसो जात ओजसः. वं वृषन् वृषेद स.. (५)
हे इं ! तुम कामना क वषा करने वाले अपने उस ओज के साथ कट ए हो, जो सभी को परा जत करता है. (५) व म ा स वृ हा
१ त र म तरः. उद् ाम त ना ओजसा.. (६)
हे इं ! तुम अंत र को लांघने म समथ हो. वहां तुम वृ रा स का नाश करते हो. तु हारा ओज तं भत करने वाला है, जस से ुलोक थर आ है. (६) वम
सजोषसमक बभ ष बा ोः. व ं शशान ओजसा.. (७)
हे इं ! तुम ीतकर म सूय को धारण करने के प ात ती व धारण करते हो. (७)
को अपने ओज से
व म ा भभूर स व ा जाता योजसा. स व ा भुव आभवः.. (८) हे इं ! तुम उ प होने वाले सभी पदाथ को अपने बल से अधीन कर लेते हो. तुम सभी श य को अपने वश म करो. (८)
सू -९४
दे वता—इं
आ या व ः वप तमदाय यो धमणा तूतुजान तु व मान्. व ाणो अ त व ा सहां यपारेण महता वृ येन.. (१) जो इं धम के ई र एवं वभाव से शी ता करने वाले ह, वे हष ा त करने के लए यहां आएं तथा अपनी श से हमारे उन श ु को सभी कार ीण कर जो हम दबाना चाहते ह. (१) सु ामा रथः सुयमा हरी ते म य व ो नृपते गभ तौ. शीभं राज सुपथा या वाङ् वधाम ते पपुषो वृ या न.. (२) हे इं ! तुम अपने हाथ म व धारण करते हो. तु हारे घोड़े सभी कार से तु हारे अधीन रहते ह. तु हारे रथ म बैठने का थान े है. तुम सुंदर माग ारा वग से आओ. हम सोमपान क कामना वाली तु हारी श को बढ़ाते ह. (२) ए वाहो नृप त व बा मु मु ास त वषास एनम्. व सं वृषभं स यशु ममेम म ा सधमादो वह तु.. (३) इं व धारी, राजा, भयंकर श ु का वनाश करने वाले, स य के कारण श शाली तथा कामना क वषा करने वाले ह. इं के श शाली घोड़े उ ह ले कर हमारे य म ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आएं. (३) एवा प त ोणसाचं सचेतसमूज क भं ध ण आ वृषायसे. ओजः कृ व सं गृभाय वे अ यसो यथा के नपाना मनो वृधे.. (४) हे ऋ वज्! ानी एवं श शाली ोण पा से सुसंगत होने वाले कंभ को जल म ख चो. म श य को बढ़ाने के हेतु तु हारे साथ र ं. तुम मुझे बल और आ य दो. (४) गम मे वसू या ह शं सषं वा शषं भरमा या ह सो मनः. वमी शषे सा म ा स स ब ह यनाधृ या तव पा ा ण धमणा.. (५) हे इं ! इस तोता को तुम शुभ आशीवाद दो तथा इस यजमान म धन को त त करो. हे वामी इं ! इस सोम के गृह म आ कर कुश के इस आसन पर वराजमान हो जाओ. तु हारे पा धारण श के कारण अपमान करने यो य नह ह. (५) पृथक् ायन् थमा दे व तयो ऽ कृ वत व या न रा. न ये शेकुय यां नावमा हमीमव ते य वश त केपयः.. (६) हे इं ! जो जन अपने ान और कम के अनुसार दे वयान आ द माग म जाने क कामना करते ह तथा जो सवसाधारण के लए क सा य दे व त आ द कम करते ह, वे तु हारी कृपा के अभाव म य पी नौका पर नह चढ़ पाते. इस कारण से वे साधारण कम करते ए मृ युलोक म ही के रहते ह. (६) एवैवापागपरे स तु ढू ो ऽ ा येषां युय आयुयु े. इ था ये ागुपरे स त दावने पु ण य वयुना न भोजना.. (७) जन अ को युज नाम का सारथी रथ म जोड़ता है, वे कभी वृ ब त से भो य पदाथ से यु बनाते ह, वे मेघ ह. (७)
न ह . जो दाता को
गर र ान् रेजमानाँ अधारयद् ौः दद त र ा ण कोपयत्. समीचीने धषणे व कभाय त वृ णः पी वा मद उ था न शंस त.. (८) सोमरस से ह षत ए इं पवत को धारण करते ह, अंत र करते ह तथा ुलोक को कुंदनमय बनाते ह. (८)
के पदाथ को कु पत
इमं बभ म सुकृतं ते अङ् कुशं येना जा स मघवंछफा जः. अ म सु ते सवने अ वो यं सुत इ ौ मघवन् बो याभगः.. (९) हे इं ! म तु हारे अंकुश को धारण करता ं. तुम अपने इस अंकुश के ारा नख वाले पीड़ा दाता ा णय को न करते हो. इस सवन म तुम जा ा त करो तथा सोमरस न प ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हो जाने पर धन के जानने वाले बनो. (९) गो भ रेमाम त रेवां यवेन ध ु ं पु त व ाम्. वयं राज भः थमा धना य माकेन वृजनेना जयेम.. (१०) हे अनेक पु ष ारा बुलाए गए इं ! हम यजमान तु हारे ारा द ई गाय के कारण द र ता को लांघ जाएं. तुम ने हम जो अ दया है, उस से हम अपने भृ य , पु आ द क भूख मटाएं. हम अपनी श से श ु पर वजय ा त कर तथा अपने समान पु ष म े बन कर धन ा त कर. (१०) बृह प तनः प र पातु प ा तो र मादधरादघायोः. इ ः पुर ता त म यतो नः सखा स ख यो व रवः कृणोतु.. (११) पूव दशा से आते ए हसक श ु से इं हमारी र ा कर तथा हम धन द. प म, उ र और द ण दशा से आते ए हसक श ु से बृह प त हमारी र ा कर. (११)
सू -९५
दे वता—इं
क केषु म हषो यवा शरं तु वशु म तृपत् सोमम पबद् व णुना सुतं यथावशत्. स ममाद म ह कम कतवे महामु ं सैनं स द् दे वो दे वं स य म ं स य इ ः.. (१) वे इं क क नाम के सोम पा म सोमरस पीते ह और जौ आ द म ण से तृ त ा त करते ह. इं व णु ारा तैयार कए गए सोमरस पर अ धकार करते ह, य क वह सोमरस उ ह बल दान करता है और उन म सुसंगत होता है. (१) ो व मै पुरोरथ म ाय शूषमचत. अभीके च लोककृत् संगे सम सु वृ हा ऽ माकं बो ध चो दता नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (२) हे ऋ वजो! इं के बल क पूजा करो तथा इं क आराधना करो. इं यु म श ु को मारते ह. अ य पु ष क यंचाएं उन के धनुष पर न चढ़ पाएं. ेरणा करने वाले ये इं हमारी तु त को जान गए ह. (२) वं स धूँरवासृजो ऽ धराचो अह हम्. अश ु र ज षे व ं पु य स वाय तं वा प र वजामहे नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (३) हे इं ! तुम ने मेघ का वध कर के स रता को द ण दशा क ओर बहने वाला ******ebook converter DEMO Watermarks*******
बनाया. तुम सब वरणीय पदाथ को पु करते तथा श ु का नाश करते हो. हम तु ह दय से लगाते ह. अ य पु ष क यंचाएं उन के धनुष पर न चढ़ सक. (३) व षु व ा अरातयो ऽ य नश त नो धयः. अ ता स श वे वधं यो न इ जघांस त या ते रा तद दवसु नभ ताम यकेषां याका अ ध ध वसु.. (४) हे वामी इं ! हमारे सभी श ु क बु यां न ह . जो श ु हमारी हसा क कामना करते ह, तुम उन पर मृ यु का साधन अपना व चलाओ तथा हम धन दान करो. अ य पु ष क यंचाएं उन के धनुष पर न चढ़ पाएं. (४)
सू -९६
दे वता—इं
ती या भवयसो अ य पा ह सवरथा व हरी इह मु च. इ मा वा यजमानासो अ ये न रीरमन् तु य ममे सुतासः.. (१) हे इं ! यह जो ह व प अ दे ने वाला यजमान है, तुम इस के र थय क र ा करो. हे इं ! सोमरस का सं कार कया जा चुका है, इस लए अपने घोड़ को छोड़ कर यहां आओ और सरे यजमान के यहां गमन मत करो. (१) तु यं सुता तु यमु सो वास वां गरः ा या आ य त. इ े दम सवनं जुषाणो व य व ां इह पा ह सोमम्.. (२) हे इं ! इस सोमरस को तु हारे लए ही छाना गया है. ये तु तयां तु हारा ही आ ान करती ह. तुम सब को जानने वाले हो. हमारे य म आ कर तुम सोमरस का पान करो. (२) य उशता मनसा सोमम मै सव दा दे वकामः सुनो त. न गा इ त य परा ददा त श त म चा म मै कृणो त.. (३) दे व क कामना करने वाला जो पु ष सोमरस को तैयार करता है, उस के ोत को इं वीकार कर लेते ह तथा मधुर वचन के ारा उसे संतु करते ह. (३) अनु प ो भव येषो अ य यो अ मै रेवान् न सुनो त सोमम्. नरर नौ मघवा तं दधा त षो ह यनानु द ः.. (४) जो पु ष सोम का सं कार नह करता, वह इं के हार के यो य होता है. उस और ह व का दान न करने वाले को इं न कर दे ते ह. (४) अ ाय तो ग तो वाजय तो हवामहे वोपग तवा उ. आभूष त ते सुमतौ नवायां वय म वा शुनं वेम.. (५) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
े षी
हे इं ! अ , गौ और अ क कामना करने वाले हम तु हारा आ य पाने के लए नवीन तथा उ म बु से संगत हो कर तु ह बुलाते ह. (५) मु चा म वा ह वषा जीवनाय कम ातय मा त राजय मात्. ा हज ाह य ेतदे नं त या इ ा नी मुमु मेनम्.. (६) हे रोगी पु ष! म तेरे जीवन के हेतु ह व दे ता आ तुझे य आ द रोग से मु करता ं. हे इं और अ न! य द इस पु ष को पशाची ने पकड़ लया हो तो इसे उस के पाप से छु ड़ाओ. (६) य द तायुय द वा परेतो य द मृ योर कं नीत एव. तमा हरा म नऋते प थाद पाशमेनं शतशारदाय.. (७) यह पु ष ग त को ा त हो गया है और इस क आयु ीण हो गई है. यह मृ यु के समीप प ंच गया है, तब भी म इस को, नऋ त के अंक को ख चता ं. म ने इस का पश इस हेतु कया है क यह सौ वष क आयु ा त करे. (७) सह ा ेण शतवीयण शतायुषा ह वषाहाषमेनम्. इ ो यथैनं शरदो नया य त व य रत य पारम्.. (८) म ह व के ारा इस रोगी पु ष को हजार सू म य , सैकड़ वीय तथा सौ वष क आयु के लए मृ यु से छ न लाया ं. इसे इं पूरी आयु के लए पाप के पार लगाएं. (८) शतं जीव शरदो वधमानः शतं हेम ता छतमु वस तान्. शतं त इ ो अ नः स वता बृह प तः शतायुषा ह वषाहाषमेनम्.. (९) हे रोगी! तू सौ वष तक जी वत रहता आ वृ ा त कर. तू सौ हेमंत तथा सौ वसंत तक जी वत रह. इं , अ न, स वता तथा बृह प त तुझे शतायु बनाएं. इस ह व के ारा म तुझे शतायु बना कर ले आया ं. (९) आहाषम वदं वा पुनरागाः पुनणवः. सवा सव ते च ुः सवमायु ते ऽ वदम्.. (१०) हे रोगी पु ष! तू लौट आ तथा पुनः नव जीवन ा त कर. इस कम के ारा म ने तुझे दशन श तथा पूण आयु दे ने म सफलता ा त कर ली है. (१०) णा नः सं वदानो र ोहा बाधता मतः. अमीवा य ते गभ णामा यो नमाशये.. (११) अ न दे वता रा स को न करने वाले मं से यु
हो कर तेरे
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षत रोग को रोक द.
यह रोग तेरे गभाशय म फैल रहा है. (११) य ते गभममीवा णामा यो नमाशये. अ न ं णा सह न ादमनीनशत्.. (१२) (१२)
जो
रोग तेरे गभाशय म
ा त हो रहा है, उसे अ न दे व मं के बल से न कर.
य ते ह त पतय तं नष नुं यः सरीसृपम्. जातं य ते जघांस त त मतो नाशयाम स.. (१३) जो तेरे गरते ए अथवा नकलते ए गभ को न करने क इ छा करता है, हम उसे न करते ह. (१३) य त ऊ वहर य तरा द पती शये. यो न यो अ तरारे ह त मतो नाशयाम स.. (१४) जो रोग तुम प तप नी म उसे र करते ह. (१४)
ा त है, जो तेरी यो न म तथा तेरी जंघा
म
ा त है, हम
य वा ाता प तभू वा जारो भू वा नप ते. जां य ते जघांस त त मतो नाशयाम स.. (१५) जो पशाच प त, उपप त अथवा भाई बन कर आता आ तेरे गभ म थत शशु को न करना चाहता है, हम उसे मारते ह. (१५) य वा व ेन तमसा मोह य वा नप ते. जां य ते जघांस त त मतो नाशयाम स.. (१६) जो तेरे व प अंधकार म हम न करते ह. (१६)
ा त हो कर तेरी संतान का नाश करना चाहता है, उसे
अ ी यां ते ना सका यां कणा यां छु बुकाद ध. य मं शीष यं म त का ज ाया व वृहा म ते.. (१७) म तेरे ने , ना सका, कान , ठु ड्डी आ द से शीष य रोग को तथा तेरे म तक और जीभ से य मा आ द रोग को बाहर करता ं. (१७) ीवा य त उ णहा यः क कसा यो अनू यात्. य मं दोष य १ मंसा यां बा यां व वृहा म ते.. (१८) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(१८)
म तेरी अ थय से, ना ड़य से, कंध और भुजा
म य मा रोग को न करता ं.
दयात् ते प र लो नो हली णात् पा ा याम्. य मं मत ना यां ली ो य न ते व वृहाम स.. (१९) हे रोगी! म तेरे दय से य मा रोग को नकालता ं. दय के समीप थत कलोम से, हली य से, प ाशय से, पा से, लीहा अथात् त ली से, यकृत से और तेरे उदर से भी तेरे य मा रोग को न करता ं. (१९) आ े य ते गुदा यो व न ो दराद ध. य मं कु यां लाशेना या व वृहा म ते.. (२०) हे य रोग से सत रोगी! म तेरी आंख से, गुदा से, उदर से, दोन कु य से, लाशी से तथा ना भ से य मा रोग को बाहर नकाल कर हटाता ं. (२०) ऊ यां ते अ ीव यां पा ण यां पदा याम्. य मं भस ं १ ो ण यां भासदं भंससो व वृहा म ते.. (२१) म तेरे उ अथात् जंघा , घुटन तथा पैर के ऊपर तथा आगे के भाग से, कमर से, कमर के नीचे से य मा रोग को बाहर नकाल कर अलग करता ं. (२१) अ थ य ते म ज यः नाव यो धम न यः. य मं पा ण याम ल यो नखे यो व वृहा म ते.. (२२) म जा, अ थ, सू म ना ड़य , उंग लय , नाखून और तेरे शरीर क सभी धातु य मा रोग को बाहर नकाल कर तुझ से र करता ं. (२२)
से तेरे
अ े अ े लो नलो न य ते पव णपव ण. य मं वच यं ते वयं क यप य वीबहण व व चं व वृहाम स.. (२३) हे रोगी! तेरे सब अंग , सभी रोम कूप तथा जोड़ म ा त य मा रोग को हम र करते ह. तेरी वचा म थत तथा ने म ा त य मा रोग को भी म मं ारा न करता ं. (२३) अपे ह मनस पते ऽ प ाम पर र. परो नऋ या आ च व ब धा जीवतो मनः.. (२४) हे रोग! तू मन पर भी अ धकार करने वाला है. तू र हो जा. इस जी वत पु ष के मन से र होने के लए तू नऋ त से कह. (२४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
सू -९७
दे वता—इं
वयमेन मदा ोपीपेमेह व णम्. त मा उ अ समना सुतं भरा नूनं भूषत ुते.. (१) हे तोताओ! हम ने इं को सोमरस से पु कया है. तुम भी स मन से उ ह सं कार कया आ सोम दान करो तथा उ ह तो के ारा सुस जत करो. (१) वृक द य वारण उराम थरा वयुनेषु भूष त. सेमं न तोमं जुजुषाण आ गही च या धया.. (२) इं का भे ड़या श ु को भगा दे ता है तथा भेड़ को मथ डालता है. हे इं ! तुम अपनी े बु के ारा इस य म आओ तथा तु तय को सुनो. (२) क व १ याकृत म या त प यम्. केनो नु कं ोमतेन न शु ुवे जनुषः प र वृ हा.. (३) यह कस ने नह सुना है क इं ने वृ रा स का नाश कया. ऐसा कोई परा म नह है, जो इं म न हो. (३)
सू -९८
दे वता—इं
वा म हवामहे साता वाज य कारवः. वां वृ े व स प त नर वां का ा ववतः.. (१) हे इं ! तु त करने वाले हम अ ा त से संबं धत य स जन के र क और जल को े रत करने वाले हो. (१)
म तु ह ही बुलाते ह. तुम
स वं न व ह त धृ णुया मह तवानो अ वः. गाम ं र य म सं कर स ा वाजं न ज युषे.. (२) हे इं ! तुम हमारे ारा पू जत हो कर वजय क इ छा करने वाले नरेश के अ , रथ, गाय आ द दान करो. हे इं ! तुम अपने हाथ म व धारण करने वाले हो. (२)
सू -९९
दे वता—इं
अ भ वा पूवपीतय इ तोमे भरायवः. समीचीनास ऋभवः सम वरन् ा गृण त पू म्.. (१) हे इं ! तुम ने पहले सोमरस पया था, उसी कार सोमरस पीने के लए ऋभु और ******ebook converter DEMO Watermarks*******
दे वता तु हारी तु त करते ह. (१) अ ये द ो वावृधे वृ यं शवो मदे सुत य व ण व. अ ा तम य म हमानमायवो ऽ नु ु व त पूवथा.. (२) वृ
तैयार कए ए सोम रस के ारा हष ा त होने पर वे इं यजमान के धन और बल क करते ह. तु त करने वाले ये जन उन इं क म हमा को ही पहले के समान गाते ह. (२)
दे वता—इं
सू -१०० अधा ही (१)
गवण उप वा कामान् महः ससृ महे. उदे व य त उद भः..
हे इं ! जस कार जल क कामना करते ए मनु य जल म जल को मलाते ह, उसी कार तु हारी कामना करने वाले मनु य तु ह सोम पी जल से मलाते ह. (१) वाण वा य ा भवध त शूर (२)
ा ण. वावृ वांसं चद वो दवे दवे..
हे व धारी इं ! तुम येक तु त पर अपनी वृ तु ह जल क भां त वृ यु बनाते ह. (२) यु
क कामना करते हो, इस लए ये मं
त हरी इ षर य गाथयोरौ रथ उ युगे. इ वाहा वचोयुजा.. (३)
यु के लए थान करने वाले इं के यशोगान संबंधी मं के घोड़े रथ म जुड़ते ह. (३)
दे वता—अ न
सू -१०१ अ नं तं वृणीमहे होतारं व वेदसम्. अ य य म सब के ाता, होता और य
से रथ म जुड़ने वाले इं
य सु तुम्.. (१)
को उ म बनाने वाले अ न का वरण करता ं. (१)
अ नम नं हवीम भः सदा हव त व प तम्. ह वाहं पु
यम्.. (२)
ह वाहक, ब त के य तथा जाप त अ न को यजमान ह व दान करते ह. इस कारण हम भी अ न को ह व दे ते ह. (२) अ ने दे वाँ इहा वह ज ानो वृ ब हषे. अ स होता न ई
ः.. (३)
हे अ न! ऋ वज् के हेतु द त होते ए तुम हमारे होता हो, इस लए तुम दे व को ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हमारे इस य म ले कर आओ. (३)
सू -१०२
दे वता—अ न
ईळे यो नम य तर तमां स दशतः. सम न र यते वृषा.. (१) अ न तु तय और नम कार के यो य ह. कामना क वषा करने वाले एवं दशनीय ह. अ न अपने धूम को तरछा करते ए व लत होते ह. (१) वृषो अ नः स म यते ऽ ो न दे ववाहनः. तं ह व म त ईळते.. (२) कामना क वषा करने वाले अ न दे वता को वहन करने वाले अ द त होते ह. ह व दे ने वाले यजमान उन द त अ न क पूजा करते ह. (२)
के समान
वृषणं वा वयं वृषन् वृषणः स मधीम ह. अ ने द तं बृहत्.. (३) हे कामना क वषा करने वाले अ न! ह व क वषा करने वाले हम कामना क वषा करने वाले तुम को भलीभां त व लत करते ह. इस लए तुम भलीभां त द त बनो. (३)
सू -१०३
दे वता—अ न
अ नमी ळ वावसे गाथा भः शीरशो चषम्. अ नं राये पु मी ह ुतं नरो ऽ नं सुद तये छ दः.. (१) हे मनु य! तू अ ा त के लए अ न क गाथा के ारा अ न क तु त कर. तू ऐसे अ न क पूजा कर जो धन दान के लए स , द त और शोभायमान ह. (१) अ न आ या आ वामन ु
न भह तारं वा वृणीमहे. यता ह व मती य ज ं ब हरासदे .. (२)
हे अ न! हम ोतागण तु ह य म बुलाते ह. तुम अपनी सभी श य के साथ इस य म आओ. भली कार तुत कए गए, ह व प से यु ब ह तु हारे साथ सुसंगत बन. (२) अ छा ह वा सहसः सूनो अ रः च ु र य वरे. ऊज नपातं घृतकेशमीमहे ऽ नं य ष े ु पू म्.. (३) हे अं गरा गो वाले अ न! तुम जल के पु के समान हो. य के ुच अथात् ुवा नाम के पा तु हारे सामने ग त करते ह. हम य म सदा नवीन और श शाली अ न क तु त ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करते ह. (३)
सू -१०४
दे वता—इं
इमा उ वा पु वसो गरो वध तु या मम. पावकवणाः शुचयो वप तो ऽ भ तोमैरनूषत.. (१) वृ
हे इं ! तुम अप र मत ऐ य वाले हो. अ न के समान प व हमारी वा णयां तु हारी कर. हे तोताओ! तुम इं के लए शंसा मं का उ चारण करो. (१) अयं सह मृ ष भः सह कृतः समु इव प थे. स यः सो अ य म हमा गृणे शवो य ेषु व रा ये.. (२)
जल के ारा बढ़े ए सागर के समान ये अ न ऋ षय ारा द गई ह वय से हजार गुना बढ़ते ह. म इन अ न क म हमा का यथाथ प म बखान कर रहा ं. इन अ न का बल य म दे खने यो य होता है. (२) आ नो व ासु ह इ ः सम सु भूषतु. उप ा ण सवना न वृ हा परम या ऋचीषमः.. (३) हे इं ! तुम ह व ा त करने यो य हो. तुम हम सभी य म सुशो भत करो. वृ रा स को मारने वाले इं ऋचा के अनुसार अपना प कट करते ह. वे इं हमारे सू , ह वय तथा मं को सुशो भत बनाएं. (३) वं दाता थमो राधसाम य स स य ईशानकृत्. तु व ु न य यु या वृणीमहे पु य शवसो महः.. (४) हे धन को दे ने वाले अ न! तुम सब को भुता दान करते हो. तुम जल के पु हो. हम द त अ न का वरण करते ह. (४)
सू -१०५
दे वता—इं
वम तृ त व भ व ा अ स पृधः. अश तहा ज नता व तूर स वं तूय त यतः.. (१) हे इं ! तुम अश के नाशक, क याणकारी तथा हसापूण यु वाले हो. तुम सब क अपे ा शी ता करने वाले हो. (१) अनु ते शु मं तुरय तमीयतुः ोणी शशुं न मातरा. व ा ते पृधः थय त म यवे वृ ं य द तूव स.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म
त पधा करने
हे इं ! तु हारे शी ता करने वाले व के पीछे पीछे आकाश और पृ वी उसी कार जाते ह, जस कार पता और माता पु के पीछे पीछे चलते ह. जब तुम वृ रा स का नाश कर रहे थे, उस समय उस क े ष पूण वृ यां तु हारे नाश क कामना कर रही थ . (२) इत ऊती वो अजरं हेतारम हतम्. आशुं जेतारं हेतारं रथीतममतूत तु यावृधम्.. (३) जब तुम वृ का नाश कर रहे थे, उस समय यहां े रत होने वाली र क श यां तु ह अ त हत म होने वाला, वृ ाव था से र हत, र थय म उ म, शी वजय ा त करने वाला, अपराजेय एवं वृ करने वाला बना रही थ . (३) यो राजा चषणीनां याता रथे भर गुः. व ासां त ता पृतनानां ये ो यो वृ हा गृणे.. (४) जो इं मनु य के राजा, सेना को परा जत करने वाले, वृ के हंता, ये एवं रथ के ारा मं कता के सामने जाने वाले ह, म ऐसे इं क तु त करता ं. (४) इ ं तं शु भ पु ह म वसे य य ता वधत र. ह ताय व ः त धा य दशतो महो दवे न सूयः.. (५) हे पु ह म ऋ ष! इं क स ा वग और अंत र म है. ड़ा के लए हाथ म लया आ इं का व सूय के समान दशनीय है. तुम इस य म उ ह इं को सुशो भत करो. (५)
दे वता—इं
सू -१०६ तव य द (१)
यं बृहत् तव शु ममुत
हे इं ! तु हारा बल बु करता है. (१) तव ौ र
तुम्. व ं शशा त धषणा वरे यम्..
से वरण करने यो य है. तु हारा बल कम पी व
प यं पृ थवी वध त वः. वामापः पवतास
को ती
ह वरे.. (२)
हे इं ! आकाश तु हारा वीय है तथा जल और पवत तु ह ेरणा दे ते ह. पृ वी तु हारे ारा ही अ क वृ करती है. (२) वां व णुबृहन् (३)
यो म ो गृणा त व णः. वां शध मद यनु मा तम्..
हे इं ! सूय, व ण, यम और व णु तु हारे शंसक ह. वायु के पीछे चलने वाला दल ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तु ह हष दान करता है. (३)
सू -१०७
दे वता—इं और सूय
सम य म यवे वशो व ा नम त कृ यः. समु ायेव स धवः.. (१) कम करने वाले इं के लए सभी जाएं उसी कार झुकती ह, जस कार समु के लए सभी न दयां झुक कर चलती ह. (१) ओज तद य त वष उभे यत् समवतयत्. इ
मव रोदसी.. (२)
इं ने आकाश और पृ वी को चम के समान लपेट लया था. यह इं का महान परा म है. (२) व चद् वृ य दोधतो व ेण शतपवणा. शरो बभेद वृ णना.. (३) इं ने ोध म भरे ए वृ के शीश को अपने सौ धार वाले एवं र काट दया था. (३)
वषक व
के ारा
त ददास भुवनेषु ये ं यतो ज उ वेषनृ णः. स ो ज ानो न रणा त श ूननु यदे नं मद त व ऊमाः.. (४) ये इं श शाली, धन संप तथा सभी लोक म े ह. ये उ प होते ही श ु का वध करते ह. इन के कट होते ही इन क र क श यां श शा लनी बन जाती ह. (४) वावृधानः शवसा भूय जाः श ुदासाय भयसं दधा त. अ न च न च स न सं ते नव त भृता मदे षु.. (५) थावर और जंगम जगत् म लीन हो जाता है. श शाली श ु दास को ास दे ता है. वेतन पाने वाले सै नक यु म इं क ही ाथना करते ह. (५) वे तुम प पृ च त भू र यदे ते भव यूमाः. वादोः वाद यः वा ना सृजा समदः सु मधु मधुना भ ऽ योधीः.. (६) ये वीर ज म के सं कार तथा यु क द ा लेने के कारण ज म अथात् तीन बार ज म लेने वाले कहलाते ह. इन वीर को वा द पदाथ वाला बनाओ. हे इं ! तुम इन वीर म वेश कर के सं ाम म त पर बनो. (६) य द च ु वा धना जय तं रणेरणे अनुमद त व ाः. ओजीयः शु म थरमा तनु व मा वा दभन् रेवासः कशोकाः.. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे वीर इं ! तुम येक यु म धन को जीतते हो. जो ा ण तु हारी तु त कर, उ ह तुम श शाली बनाओ. जो पु ष सर के सुख के अवसर पर ःख दे ते ह, वे तु ह ा त न ह . (७) वया वयं शाशद्महे रणेषु प य तो युधे या न भू र. चोदया म त आयुधा वचो भः सं ते शशा म णा वयां स.. (८) हे इं ! रणभू म म हम तु हारे ारा ही अपने वरो धय क हसा करते ह. म अपने तप के ारा स ा त वचन से तु हारे आयुध को े रत करता ं तथा प य के समान वेग वाले तु हारे बाण को ती ण बनाता ं. (८) न तद् द धषे ऽ वरे परे च य म ा वथावसा रोणे. आ थापयत मातरं जग नुमत इ वत कवरा ण भू र.. (९) हे इं ! जस घर म अ के ारा मेरा पालन आ है, जन े ा णय ने मुझे धारण कया है, उस घर म माता के ारा श क थापना हो. इस के बाद तुम उस घर म शोभन पदाथ को लाओ. (९) तु व व मन् पु व मानं समृ वाण मनतममा तमा यानाम्. आ दश त शवसा भूय जाः स त तमानं पृ थ ाः.. (१०) हे तोता! परम तेज वी, वचरण करने वाले एवं पी वे इं इस य शाला म ा त हो रहे ह. (१०)
े
वामी इं क तु त करो. पृ वी
इमा बृह द्दवः कृणव द ाय शूषम यः वषाः. महो गो य य त वराजा तुर द् व मणवत् तप वान्.. (११) यह राजा वग के वामी इं के न म तो क रचना करता आ वग ा त क कामना करता है. इं जल क वषा करते ए संसार को जल से पूण करते ह. (११) एवा महान् बृह द्दवो अथवावोचत् वां त व १ म मेव. वसारौ मात र वरी अ र े ह व त चैने शवसा वधय त च.. (१२) मह ष अथवा ने अपनेआप को इं मानते ए कहा क पाप र हत मातर और इ वरी दोन बहन इसे स करती ई बल क वृ करती ह. (१२) च ं दे वानां केतुरनीकं यो त मान् दशः सूय उ न्. दवाकरो ऽ त घु नै तमां स व ातारीद् रता न शु ः.. (१३) ये करण वाले इं सभी दशा
क ओर फैलाने वाले अपने काश से दवस को
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कट करते ह तथा सभी अंधकार और पाप से पार हो जाते ह. (१३) च ं दे वानामुदगादनीकं च ु म य व ण या नेः. आ ाद् ावापृ थवी अ त र ं सूय आ मा जगत् त थुष .. (१४) करण का पूजनीय समूह म , व ण तथा अ न के च ु के प म उदय हो रहा है. ये सूय ही ा णय क आ मा तथा अपनी म हमा से आकाश, पृ वी और अंत र को पूण करते ह. (१४) सूय दे वीमुषसं रोचमानां मय न योषाम ये त प ात्. य ा नरो दे वय तो युगा न वत वते त भ ाय भ म्.. (१५) जस कार पु ष नारी के पीछे जाता है. उसी कार सूय उषा दे वी के पीछे गमन करते ह. उस समय भले लोग अपना समय दे व काय म लगाते ए सूय के न म े कम करते ह. (१५)
दे वता—इं
सू -१०८
वं न इ ा भरँ ओजो नृ णं शत तो वचषणे. आ वीरं पृतनाषहम्.. (१) हे सैकड़ कम करने वाले इं ! तुम हम धन, बल तथा ऐसी संतान दो, जो हमारे श ु को हरा सके. (१) वं ह नः पता वसो वं माता शत तो बभू वथ. अधा ते सु नमीमहे.. (२) (२)
हे इं ! तुम हमारे पता और माता हो. इसी कारण हम तुम से सुख क याचना करते ह. वां शु मन् पु
त वाजय तमुप ुवे शत तो. स नो रा व सुवीयम्.. (३)
हे इं ! तुम ह व पी अ क कामना करते हो. म तु हारी बारबार तु त करता ं. तुम मुझे वीर से यु धन दान करो. (३)
सू -१०९
दे वता—इं
वादो र था वषूवतो म वः पब त गौयः. या इ े ण सयावरीवृ णा मद त शोभसे व वीरनु वरा यम्.. (१) तो
पी वा णयां वषूवत नाम के य के वा द मधु का इस कार पान करती ह,
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जस से वे अनेक श य वाले इं से मल कर उ ह स करती रह. हे यजमान! इस के बाद तू अपने रा य पर सुशो भत हो जाएगा. (१) ता अ य पृ ायुवः सोमं ीण त पृ यः. या इ य धेनवो व ं ह व त सायकं व वीरनु वरा यम्.. (२) पृ नाम क गाएं इस सोमरस का सं कार कर रही ह. इं क ये गाएं उन के बाण और व को ेरणा दे ती ह. हे यजमान! इन रा य के बाद तू अपने रा य पर त त होगा. (२) ता अ य नमसा सहः सपय त चेतसः. ता य य स रे पु ण पूव च ये व वीरनु वरा यम्.. (३) वा णयां ह व के ारा इं का पूजन करती ह तथा यजमान के महान त इं से मलते ह. हे यजमान! इन रा य के बाद तू अपने रा य पर त त होगा. (३)
दे वता—इं
सू -११०
इ ाय म ने सुतं प र ोभ तु नो गरः. अकमच तु कारवः.. (१) सेवा के यो य इस य म हमारी वा णयां सोमरस से यु ई उन क पूजा कर. (१) य मन् व ा अ ध
हो कर इं क तु त करती
यो रण त स त संसदः. इ ं सुते हवामहे.. (२)
वभू तमयी सभी सभाएं ज ह ा त होती ह, उन इं को उस समय बुलाते ह, जब सोमरस तैयार हो जाता है. (२) क केषु चेतनं दे वासो य म त. त मद् वध तु नो गरः.. (३) यह कर. (३)
ान दे ने वाला य
क क ने आरंभ कया. हमारी वा णयां इस य क वृ
सू -१११
दे वता—इं
यत् सोम म व ण व य ा घ त आ ये. य ा म सु म दसे स म भः.. (१) हे इं ! त और आ य य म जो तुम ह षत होते हो, उस हष का कारण जल पूण सोमरस ही है. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ा श पराव त समु े अ ध म दसे. अ माक मत् सुते रणा स म भः.. (२) हे इं ! या तो तुम र थत सागर म अथवा हमारे य म हष को ा त होते हो. तुम वा तव म जल पूण सोम के कारण ही ह षत होते हो. (२) य ा स सु वतो वृधो यजमान य स पते. उ थे वा य य र य स स म भः.. (३) हे इं ! तुम सोमरस का सं कार करने वाले यजमान क वृ कारण वा तव म जल पूण सोम ही है. (३)
करते हो. उस वृ
का
दे वता—इं
सू -११२ यद क च वृ ह ुदगा अ भ सूय. सव त द
ते वशे.. (१)
हे सूय क उपासना करने वाले इं ! तुम ने वृ असुर का नाश कया था. तुम जस समय नं दत होते हो, वह समय तु हारे ही अधीन है. (१) य ा वृ
स पते न मरा इ त म यसे. उतो तत् स य मत् तव.. (२)
हे इं ! तुम जस क यह मृ यु चाहते हो, यह कामना स य हो जाती है. (२) ये सोमासः पराव त ये अवाव त सु वरे. सवा तां इ
ग छ स.. (३)
जो सोमरस समीप अथवा र कह भी सं का रत कया जाता है, उस के समीप इं वयं प ंच जाते ह. (३)
सू -११३
दे वता—इं
उभयं शृणव च न इ ो अवा गदं वचः. स ा या मघवा सोमपीतये धया श व आ गमत्.. (१) इं दोन लोक म हतकारी काय करते ह. वे इं हमारा वचन वीकार करने के लए सुन. इं दे व सोमपान करने आ रहे ह. (१) तं ह वराजं वृषभं तमोजसे धषणे न त तुः. उतोपमानां थमो न षीद स सोमकामं ह ते मनः.. (२) वे इं कामना क वषा करने वाले तथा अपने तेज से तेज वी ह. वे आकाश और पृ वी को लघु बनाते ह. हे इं ! तुम उपमान म सव े होने के साथ ही सोमरस क कामना ******ebook converter DEMO Watermarks*******
करते हो. (२)
दे वता—इं
सू -११४ अ ातृ ो अना वमना प र (१)
जनुषा सनाद स. युधेदा प व म छसे..
हे इं ! तुम कट होते ही मलने क कामना करते हो तथा यु करते हो. तु हारा कोई भी श ु शेष नह है. (१)
म वजय क इ छा
नक रेव तं स याय व दसे पीय त ते सुरा ः. यदा कृणो ष नदनुं समूह या दत् पतेव यसे.. (२) हे इं ! सुरा अथात् म दरा पीने वाले तु ह ःखी करते ह. तुम जब गजन करने लगते हो, तब पता के समान कहे जाते हो. तुम धनी मनु य को म ता के लए ा त करते हो. (२)
सू -११५
दे वता—इं
अह म
पतु प र मेधामृत य ज भ. अहं सूय इवाज न.. (१)
म सूय के समान उ प अहं
आ ं. म ने अपने पता
ा क बु
ा त क है. (१)
नेन म मना गरः शु भा म क ववत्. येने ः शु म मद् दधे.. (२)
म ाचीन तो के ारा अपनी वा णय को सुस जत करता आ इं को श बनाता ं. (२) ये वा म
शाली
न तु ु वुऋषयो ये च तु ु वुः. ममेद ् वध व सु ु तः.. (३)
हे इं ! जन ऋ षय ने तु हारी तु त नह क है, उन से उदासीन रहते ए तुम मेरी तु त से ही वृ ा त करो. (३)
सू -११६
दे वता—इं
मा भूम न ा इवे वदरणा इव. वना न न ज हता य वो रोषासो अम म ह.. (१) हे इं ! हम तु हारा ऋण नह चुका सके ह, इस कारण तुम हम श ु के समान मत मानना. तु हारे ारा या य व तु को हम भी दावानल के समान या य समझ. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अम महीदनाशवो ऽ नु ास वृ हन्. सकृत् सु ते महता शूर राधसा ऽ नु तोमं मुद म ह.. (२) (२)
हे वृ हंता इं ! हम तु हारी वृ
के ारा सुखी ह तथा अपने को नाश से र हत मान.
सू -११७
दे वता—इं
पबा सोम म म दतु वा यं ते सुषाव हय ा ः. सोतुबा यां सुयतो नावा.. (१) हे इं ! हम जस सोमरस को प थर के ारा सं का रत करते ह, वह तु ह तृ त करे. इस का सं कार करने वाले के हाथ म प थर है. हे इं ! तुम इस सोमरस का पान करो. (१) य ते मदो यु य ा र त येन वृ ा ण हय हं स. स वा म भूवसो मम ु.. (२) हे ह र नाम वाले घोड़ के वामी एवं समृ दान करने वाले इं दे व! जस सोमरस से ा त ए उ साह के ारा आप असुर का वध करते ह, वह सोमरस आप को अ य धक मादकता दान करे. (२) बोधा सु मे मघवन् वाचमेमां यां ते व स ो अच त श तम्. इमा सधमादे जुष व.. (३) हे इं ! जस शंसा क व स पूजा करते ह, उस मं समूह वाली मेरी वाणी को यश के साथ वीकार करो. (३)
सू -११८
दे वता—इं
श यू ३ षु शचीपत इ व ा भ त भः. भगं न ह वा यशसं वसु वदमनु शूर चराम स.. (१) हे इं ! म यह चाहता ं क म तु हारे सभी र ा साधन के ारा यश और सौभा य ा त करने के हेतु तु हारा अनुयायी बनूं. (१) पौरो अ य पु कृद् गवाम यु सो दे व हर ययः. न क ह दानं प रम धषत् वे य ा म तदा भर.. (२) हे इं ! तुम नगरवा सय के लए अ के समान हो तथा धन को अप र मत बनाते हो. तुम गाय क वृ करने वाले तथा वण से पूण और मनचाहा दान दे ने वाले हो. म जन ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व तु
को पाने के लए तु हारे आ य म आया ं, उन व तु
को मुझे दान करो. (२)
इ मद् दे वतातय इ ं य य वरे. इ ं समीके व ननो हवामह इ ं धन य सातये.. (३) हम इं क सेवा करने वाले ह. सं ाम उप थत होने पर हम धन ा त के लए इं को बुलाते ह. (३) इ ो म ा रोदसी प थ छव इ ः सूयमरोचयत्. इ े ह व ा भुवना न ये मरे इ े सुवानास इ दवः.. (४) इं ने सूय को तेजोमय तथा आकाश और पृ वी को अपनी म हमा से व तृत कया है. इन इं ने सब भुवन को अपने आ य म लया है. ये सोमरस इं के लए न प कए जाते ह. (४)
सू -११९
दे वता—इं
अ ता व म म पू े ाय वोचत. पूव ऋत य बृहतीरनूषत तोतुमधा असृ त.. (१) हे ऋ वजो! म ने ाचीन तो के ारा इं क ाचीन ऋचा से इन क तु त करो. तोता क बु
तु त क है. अब तुम भी य मं से संप हो गई है. (१)
क
तुर यवो मधुम तं घृत तं व ासो अकमानृचुः. अ मे र यः प थे वृ यं शवोऽ मे सुवानास इ दवः.. (२) स (२)
इस यजमान का धन बढ़ता है और इस के लए बल ा त होता है. इं के लए सोमरस कया जाता है. शी ता करने वाले ा ण पूजा संबंधी मं से इं क शंसा करते ह.
सू -१२०
दे वता—इं
यद ागपागुदङ् य वा यसे नृ भः. समा पु नृषूतो अ यानवे ऽ स शध तुवशे.. (१) हे इं ! तुम चार दशा म थत मनु य के ारा बुलाए जाते हो. तुम श ु प से नाश कर दे ते हो. तुम इस यजमान के य म आओ. (१) य ा मे शमे यावके कृप इ मादयसे सचा. क वास वा भ तोमवाहस इ ा य छ या ग ह.. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
का पूण
हे इं ! क वगो वाले ऋ ष तु ह ह व दान करते ह. म, शम और कृप राजा एक साथ आनंद कट करते हो. तुम इस य म पधारो. (२)
म
दे वता—इं
सू -१२१ अ भ वा शूर नोनुमो ऽ धा इव धेनवः. ईशानम य जगत्ः व मीशान म त थुषः.. (१)
हे वीर इं ! हम तु ह उस गौ के समान े रत करते ह, जस का ध हा नह गया है. तुम संसार के वामी तथा वग के ा हो. (१) न वावाँ अ यो द ो न पा थवो न जातो न ज न यते. अ ाय तो मघव वा जनो ग त वा हवामहे.. (२) हे इं ! कोई भी पा थव और द
सू -१२२
ाणी तु हारी समानता नह कर सकता. (२)
दे वता—इं
रेवतीनः सधमाद इ े स तु तु ववाजाः. ुम तो या भमदे म.. (१) य म इं का आगमन होने पर हम अ क व भ ा त कर. (१)
वभू तय से संप होते ए सुख
आ घ वावान् मना त तोतृ यो धृ ण वयानः. ऋणोर ं न च योः.. (२) हे इं ! तु हारी दया ा त करने वाला पु ष तोता के अनु ह से चलने वाले रथ के दोन प हय के अ अथात् धुरे के समान ढ़ हो जाता है. (२) आ यद् वः शत तवा कामं ज रतॄणाम्. ऋणोर ं न शची भः.. (३) हे इं ! तु हारा उपासक तुम से बल ा त करता आ चलने वाले रथ के समान ढ़ होता है. (३)
सू -१२३
दे वता—इं
तत् सूय य दे व वं त म ह वं म या कत वततं सं जभार. यदे दयु ह रतः सध थादा ा ी वास तनुते सम मै.. (१) वे सूय जब अपनी म हमा से र मय को अपने म समेट लेते ह, तब लोग फैले ए अपने सब काय को भी समेट लेते ह. उस समय अंधकार को सब ओर से समेटती ई पृ वी ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व
धारण करती है. (१) त म य व ण या भच े सूय पं कृणुते ो प थे. अन तम यद् शद य पाजः कृ णम य रतः सं भर त.. (२)
म म और व ण क म हमा का गान करता ं. वे सूय के प म वग म अपने प का नमाण करते ह, जस से उन का तेज का शत होता है. इन का सरा तेज काले रंग का है. उसे सूय क र मयां धारण करती ह. (२)
दे वता—इं
सू -१२४ कया न वृ
आ भुव ती सदावृधः सखा. कया श च या वृता.. (१)
सदा वृ करने वाले ये सखा कस र ा साधन से हमारी र ा करगे? उन क र ा मक कस कार पूरी होगी? (१) क वा स यो मदानां मं ह ो म सद धसः.
हा चदा जे वसु.. (२)
हे इं ! हष उ प करने वाली ह वय म सोम प अ का कौन सा अंश े है, जस के ारा स होते ए तुम धन को अपने भ म वक ण कर दे ते हो. (२) अभी षु णः सखीनाम वता ज रतॄणाम्. शतं भवा यू त भः.. (३) हे इं ! तुम हम तु तकता कट ए हो. (३)
के सखा के समान हो. तुम हमारे सामने सैकड़ बार
इमा नु कं भुवना सीषधामे व े च दे वाः. य ं च न त वं च जां चा द यै र ः सह ची लृपा त.. (४) ऋ वज् तथा सभी दे वता
के साथ इं हमारे उस य को पूण कर. (४)
आ द यै र ः सगणो म र माकं भू व वता तनूनाम्. ह वाय दे वा असुरान् यदायन् दे वा दे व वम भर माणाः.. (५) दे व व क र ा के लए जन दे व ने रा स को न स हत हमारे शरीर क र ा कर. (५)
कया, वे इं आ द य और म त
य चमकमनयंछची भरा दत् वधा म षरां पयप यन्. अया वाजं दे व हतं सनेम मदे म शत हमाः सुवीराः.. (६) वे दे व अपने बल से सूय को सब के सामने उदय करते ह. उ ह ने पृ वी को ह वय से ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यु कया है. दे वता के सेवक हम उ ह के ारा अ ए सौ वष क आयु ा त कर. (६)
सू -१२५
ा त कर तथा वीर से सुसंगत रहते
दे वता—इं
अपे ाचो मघव म ानपापाचो अ भभूते नुद व. अपोद चो अप शूराधराच उरौ यथा तव शमन् मदे म.. (१) हे धन के वामी इं ! तुम पूव, प म, उ र, द ण—चार दशा से हमारे श ु को रोको. इस कार हम तु हारे ारा दए ए सुख से सुखी हो सकगे. (१) कु वद यवम तो यवं चद् यथा दा यनुपूव वयूय. इहेहैषां कृणु ह भोजना न ये ब हषो नमोवृ न ज मुः.. (२) हे अ न! जस कार संप कृषक जौ के ब त से पौध को मला कर काटते ह, उसी कार तुम ह व से यु कुश का सेवन करो. (२) न ह थूयृतुथा यातम त नोत वो व वदे संगमेषु. ग त इ ं स याय व ा अ ाय तो वृषणं वाजय तः.. (३) यु म हम अ ा त नह आ. फसल पकने के समय भी हम आव यकता के अनुसार अ ा त नह आ. इस कारण हम अपने म इं क कामना करते ए अ , गौ तथा अ मांगते ह. (३) युवं सुरामम ना नमुचावासुरे सचा. व पपाना शुभ पती इ ं कम वावतम्.. (४) हे अ नीकुमारो! नमु च रा स के साथ इं का यु वाला सोमरस पी कर इं क र ा क थी. (४)
होते समय तुम ने आनं दत करने
पु मव पतराव नोभे ावथुः का ैदसना भः. यत् सुरामं पबः शची भः सर वती वा मघव भ णक्.. (५) हे इं ! तुम ने शोभा धारण करने वाला सोमरस पया है. सर वती दे वी अपनी वभू तय से तु ह स चे. (५) इ ः सु ामा ववाँ अवो भः सुमृडीको भवतु व वेदाः. बाधतां े षो अभयं नः कृणोतु सुवीय य पतयः याम.. (६) र क एवं ऐ य वाले इं अपने र ा साधन से हम सुख दान कर. ये श ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शाली इं
हमारे श ु (६)
का वध कर के हमारा भय र कर. हम उ म और भाव पूण धन से संप ह .
स सु ामा ववाँ इ ो अ मदारा चद् े षः सनुतयुयोतु. त य वयं सुमतौ य य या प भ े सौमनसे याम.. (७) र ा करने वाले इं हमारे श ु को र से ही भगा द. यश के यो य उन इं क कृपामयी बु म रहते ए हम सब उन क मंगलकारी भावना ा त कर. (७)
दे वता—इं
सू -१२६ व ह सोतोरसृ त ने ं दे वममंसत. य ामदद् वृषाक परयः पु ेषु म सखा व
मा द
उ रः.. (१)
वृषाक प दे व ने इं को दे वता के समान समझा. वे वृषाक प पु य के पालनकता तथा मेरे म ह. हे इं ! इस कारण म उ म ं. (१) परा ही नो अह
धाव स वृषाकपेर त थः. व द य य सोमपीतये व मा द
उ रः.. (२)
हे इं ! तुम वृषाक प क अपे ा अ धक वेग वाले हो. तुम श ु को थत करने म समथ हो. जहां सोमपान का साधन नह होता, वहां तुम नह जाते हो. इस कार इं सब से बढ़ कर ह. (२) कमयं वा वृषाक प कार ह रतो मृगः. य मा इर यसी व १ य वा पु मद् वसु व
मा द
उ रः.. (३)
हे इं ! इन वृषाक प ने तु ह हरे रंग का मृग य बनाया है? तुम इ ह पु कारक अ दान करते हो. इस कार इं सब से बढ़ कर ह. (३) य ममं वं वृषाक प य म ा भर स. ा व य ज भषद प कण वराहयु व मा द
उ रः.. (४)
हे इं ! तुम जन वृषाक प का पालन करते हो, या वाराह पर आ मण करने वाला कु ा उस के कान पर काट लेता है? इस कार इं सब से बढ़ कर ह. (४) या त ा न मे क प ा षत्. शरो व य रा वषं न सुगं कृते भुवं व
मा द
उ रः.. (५)
वृषाक प ने मेरे नेही जन को बल बनाया है तथा ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ा ने उ ह दोषी कया है. बुरे
काय म कट होना सुगम नह होता. इस लए म इस के शीश को श द वाला बनाता ं. इस कार इं सब से उ कृ ह. (५) न म ी सुभस रा न सुयाशुतरा भुवत्. न मत् त यवीयसी न स यु मीयसी व
मा द
उ रः.. (६)
मेरी प नी से अ धक न कोई ी सौभा य वाली है और न कोई अ धक सुखी तथा उ म संतान वाली है. कोई ी उससे अ धक अपने प त को सुख दे ने वाली भी नह है. (६) उवे अ ब सुला भके यथेवा भ व य त. भस मे अ ब स थ मे शरो मे वी व य त व
मा द
उ रः.. (७)
हे माता! मेरा शीश, कमर और टांग प ी के समान फड़क रहे ह. जैसा होना है, वैसा ही हो. इं सब से उ कृ ह. (७) क सुबाहो व रे पृथु ो पृथुजाघने. क शूरप न न वम य मी ष वृषाक प व
मा द
उ रः.. (८)
हे शूर क प नी! तू सुंदर भुजा , सुंदर उंग लय , पृथु नतंब तथा मोट जांघ वाली है. वृषाक प के सामने तू हमारी हसा य करती है? इं सब से उ कृ ह. (८) अवीरा मव मामयं शरा र भ म यते. उताहम म वी रणी प नी म सखा व
मा द
उ रः.. (९)
यह अ न कारी पु ष मुझे वीर र हत मान रहा है. म शूर क प नी ं. मेरे प त म द्गण के म ह. इं सब क अपे ा े ह. (९) संहो ं म पुरा नारी समनं वाव ग छ त. वेधा ऋत य वी रणी प नी महीयते व
मा द
उ रः.. (१०)
य म नारी पु ष के साथ सहयो गनी के प म बैठती है. इस कार वह य क रचना करने वाली है. वह वीर प नी इं ाणी क तु त के यो य है, य क इं े ह. (१०) इ ाणीमासु ना रषु सुभगामहम वम्. न या अपरं चन जरसा मरते प त व
मा द
उ रः.. (११)
म इं ाणी को अ य धक सौभा यशा लनी मानता ं. इस का कारण इन के प त का अमर होना है. इं ाणी के प त वृ भी नह होते. अ य ना रय के प त मरने वाले ह. (११) नाह म ा ण रारण स युवृषाकपेऋते. य येदम यं ह वः यं दे वेषु ग छ त व
मा द
उ रः.. (१२)
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हे इं ाणी! म अपने म वृषाक प के अ त र अ य कसी के पास नह जाता ं. इन क ह व का सं कार जल से कया जाता है. ये मुझे सभी दे व क अपे ा अ धक य ह. ये इं सभी दे व म उ कृ ह. (१२) वृषाकपा य रेव त सुपु आ सु नुषे. घसत् त इ उ णः यं का च करं ह व व
मा द
उ रः.. (१३)
हे वृषाक प प सूय क प नी! तू सुपु वाली एवं धन से संप है. तेरी जल ह व का इं सेवन कर, य क वे सभी दे व म े ह. (१३) उ णो ह मे प चदश साकं पच त वश तम्. उताहम द्म पीव इ भा कु ी पृण त मे व मा द
पी
उ रः.. (१४)
मुझ महान के पं ह सेवक बीस कार क ह व का पाक करते ह. म उन ह वय का सेवन करता ं. इस कार मेरी दोन कोख भरी ई ह. इं सव े ह. (१४) वृषभो न त मशृ ो ऽ तयूथेषु रो वत्. म थ त इ शं दे यं ते सुनो त भावयु व
मा द
उ रः.. (१५)
हे इं ! जस कार स ग वाले बैल गाय म श द करते ह, उसी कार जन के दय को तु हारा मंथन सुख दे ता है, वही सुख ा त करता है, य क इं सव कृ ह. (१५) न सेशे य य र बते ऽ तरा स या ३ कपृत्. सेद शे य य रोमशं नषे षो वजृ भते व मा द
उ रः.. (१६)
जंघा म आभूषण लटकाने वाला ऐ य ा त नह करता. जस बैठने क इ छा वाले के रोम अंगड़ाई लेते ह, वह साम य वाला होता है. इं सव े ह. (१६) न सेशे य य रोमशं नषे षो वजृ भते. सेद शे य य र बते ऽ तरा स या ३ कपृद ् व
मा द
उ रः.. (१७)
जस का रोम वाला मेढ़ा जमुहाई लेता है, वह असमथ होता है. जस का पु ष अंग जांघ म लटकता है वह साम य वाला होता है. इं सव े ह. (१७) अय म वृषाक पः पर व तं हतं वदत्. अ स सूनां नवं च मादे ध यान आ चतं व
मा द
उ रः.. (१८)
हे इं ! वृषाक प ने अपने समीप न ए श ु के धन को ा त कया. इस के अ त र अ स, सूना तथा नवीन च को हण कया. वे इं सव े ह. (१८) अयमे म वचाकशद् व च वन् दासमायम्. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पबा म पाकसु वनो ऽ भ धीरमचाकशं व
मा द
उ रः.. (१९)
म य कम करने वाले को खोज रहा ं तथा प र कृत सोमरस को पी रहा ं. इं सव े ह. (१९) ध व च यत् कृ त ं च क त वत् ता व योजना. नेद यसो वृषाकपे तमे ह गृहाँ उप व मा द उ रः.. (२०) म थल और अंत र का व तार कतना है? हे वृषाक प तुम समीप के थान से हमारे घर म आओ. इं सव े ह. (२०) पुनरे ह वृषाकपे सु वता क पयावहै. य एष व नंशनो ऽ तमे ष पथा पुन व
मा द
उ रः.. (२१)
हे वृषाक प! तुम उ दत हो कर व को न कर दे ते हो. इस के बाद तुम अ त हो जाते हो. तुम पुनः आओ, जस से हम सब के हत म य कम क योजना बनाएं. इं सब से े ह. (२१) य द चो वृषाकपे गृह म ाजग तन. व १ य पु वघो मृगः कमगं जनयोपनो व
मा द
उ रः.. (२२)
हे वृषाक प! तुम उ र म नवास करते हो तथा सभी भुवन का च कर लगाते ए छपते हो. उस समय सभी लोक अंधकार के कारण आ य म पड़ जाते ह तथा कहते ह क सूय कहां गए? ा णय को मोहने वाले इं सव े ह. (२२) पशुह नाम मानवी साकं ससूव वश तम्. भ ं भल य या अभूद ् य या उदरमामयद् व
मा द
उ रः.. (२३)
मानवी नाम के पशु ने बीस को ज म दया. जस के उदर म रोग था, उस के लए क याणकारी आ. इं सव े ह. (२३)
सू -१२७ सू
वशेष : यहां से अथववेद के बीसव कांड के दस सू को सायण आचाय ने कुंताप कहा है. इन के ऋ ष, दे वता एवं छं द का सायण ने कोई संकेत नह कया है. इदं जना उप ुत नराशसं त व यते. ष सह ा नव त च कौरम आ शमेषु दद्महे.. (१)
हे नराशस तोताओ सुनो! हम साठ हजार न बे (६०.०९०) शम नाम क मु ा दान करते ह. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
उ ा य य वाहणो वधूम तो दश. व मा रथ य न जहीडते दव ईषमाणा उप पृशः.. (२) जस वधू वाले रथ को बारह ऊंट ख चने वाले ह, वह आकाश का पश करता आ चलता है. (२) एष इषाय मामहे शतं न कान् दश जः. ी ण शता यवतां सह ा दश गोनाम्.. (३) अ ा त के न म म न क नाम क सौ वण मु ाएं, तीन सौ घोड़े, दस हजार गाएं और दस मालाएं दे ता ं. (३) व य व रेभ व य व वृ े न प वे शकुनः. न े ज ा चचरी त ुरो न भु रजो रव.. (४) हे तु तकताओ! पके ए फल वाले वृ पर बैठा आ प ी जस कार का मधुर श द करता है, तुम भी उसी कार का श द करो. जस कार हाथ म पकड़ा आ छु रा नह कता, उसी कार तु हारी जीभ भी न के अथात् तुम उ चारण करते रहो. (४) रेभासो मनीषा वृषा गाव इवेरते. अमोतपु का एषाममोत गा इवासते.. (५) यह मनीषी तोता यहां श म पु , गाएं आ द ह. (५)
शाली वृषभ अथात् बैल के समान वतमान है. इन के घर
रेभ ध भर व गो वदं वसु वदम्. दे व ेमां वाचं ीणीहीषुनावीर तारम्.. (६) हे तोता! बाण जस कार मनु य क र ा करता है, उसी कार वाणी तेरी र ा करे. तू गौ तथा धन ा त कराने वाली बु को ा त करे. (६) रा ो व जनीन य यो दे वो ऽ म या अ त. वै ानर य सु ु तमा सुनोता प र तः.. (७) य द दे वता जा के मनु य का अ त मण करे तो वै ानर क मंगलमयी तु त करनी चा हए. (७) प र छ ः ेममकरोत् तम आसनमाचरन्. कुलायन् कृ वन् कौर ः प तवद त जायया.. (८) मंगल करने वाला दे वता आसन का व तार करता है. कौर ******ebook converter DEMO Watermarks*******
प त इस कार क श ा
दे ता आ अपनी प नी से कहता है. (८) कतरत् त आ हरा ण द ध म थां प र त ु म्. जायाः प त व पृ छ त रा े रा ः प र तः.. (९) राजा परी त के रा य म प नी अपने प त से पूछती है क म तेरे लए थाली म परोसा आ कतना दही लाऊं. (९) अभीव वः जहीते यवः प वः पथो बलम्. जनः स भ मेध त रा े रा ः प र तः.. (१०) राजा परी त के रा य म मनु य इस कार सुखी ह क उ ह अपने उदर भरने के लए जौ ा त हो जाता है. (१०)
पी बल को
इ ः का मबूबुध व चरा जनम्. ममे य चकृ ध सव इत् ते पृणाद रः.. (११) तु त करने वाल से इं ने कहा—उठ कर खड़ा हो जा और मनु य म घूम. तू मेरी कृपा से कम करने वाला बने. तेरा श ु तेरे पास अपना सव व छोड़ दे . (११) इह गावः जाय व महा ा इह पू षाः. इहो सह द णो ऽ प पूषा न षीद त.. (१२) यहां मनु य और घोड़े उ प ह तथा गाएं सव कर. हजार सं या वाली द णा दाता पूषन यहां वराजमान ह . (१२)
के
नेमा इ गावो रषन् मो आसां गोप री रषत्. मासाम म युजन इ मा तेन ईशत.. (१३) हे इं ! ये गाएं न न ह . इन का पालन करने वाला भी ह सत न हो. इन पर श ु और चोर का कोई भाव न पड़े. (१३) उप नो न रम स सू े न वचसा वयं भ े ण वचसा वयम्. वनाद ध वनो गरो न र येम कदा चन.. (१४) हे इं ! हम तु ह सू के ारा स करते ह. तुम हमारी वा णयां अंत र हमारा कभी नाश न हो. (१४)
सू -१२८ यः सभेयो वद यः सु वा य वाथ पू षः. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
म सुनो.
सूय चामू रशादस तद् दे वाः ागक पयन्.. (१) अ भषव अथात् सोमरस नचोड़ने का काम करने वाला, य कता एवं स य पु ष सूयलोक को भेद कर उस से ऊपर वाले लोक म जाता है. इस क क पना दे वता ने पहले कर ली थी. (१) यो जा या अ थय तद् यत् सखायं धूष त. ये ो यद चेता तदा रधरा ग त.. (२) जा य ने जसे व तृत कया, वह म को सुशो भत करता है. जो ये लोग अधराक् कहते ह. (२)
चेता है, उसे
यद् भ य पु ष य पु ो भव त दाधृ षः. तद् व ो अ वी तद् ग धवः का यं वचः.. (३) जस ा ण का पु धारण करने वाला होता है. वह ा ण अभी वचन करने म समथ है. ऐसा गंधव कहते ह. (३) य प ण रघु ज ो य दे वां अदाशु रः. धीराणां श तामहं तदपा ग त शु ुम.. (४) जो व णक् दे वता ऐसा सुना जाता है. (४)
को ह व दान नह करता, वह शा त वीर का सेवक बनता है.
ये च दे वा अयज ताथो ये च पराद दः. सूय दव मव ग वाय मघवा नो व र शते.. (५) जो तोता एवं परा गौ का दान करने वाले ह, वे सूय के समान वग म जाते ह. (५) योना ा ो अन य ो अम ण वो अ हर यवः. अ ा णः पु तोता क पेषु सं मता.. (६) जो भ नह है, जो आ जो ा ण नह है; वह पु
अद नह है, जो म णवान नह , जो हरपाप नह है तथा तोता क प म मा य है. (६)
य आ ा ः सु य ः सुम णः सु हर यवः. सु णः पु तोता क पेषु सं मता.. (७) जो आ अ ह, जो सुभ ह, जो सुंदर म ण वाले ह; ऐसे क प अथात् कला ंथ म माना गया है. (७) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पु
तोता ह, यह
अ पाणा च वेश ता रेवां अ त द ययः. अय या क या क याणी तोता क पेषु सं मता.. (८) जो सरोवर जलपूण नह ह; जो धनी ह, पर दानी नह है; जो क याएं गृह थ धम के यो य नह ह, ऐसा क प ंथ के अनुसार है. (८) सु पाणा च वेश ता रेवा सु त द ययः. सुय या क या क याणी तोता क पेषु सं मता.. (९) सरोवर का पीने यो य जल से भरा होना, धनी होने पर दानी होना तथा सुंदर क या होने पर गृह थ धम के यो य होना—ऐसा क प ंथ के अनुसार है. (९) प रवृ ा च म हषी व या च यु धगमः. अनाशुर ायामी तोता क पेषु सं मता.. (१०) हे इं ! तुम ने दाशराज यु म मनु य क खोज क थी. तुम सब के लए गए थे. तुम उन के साथ य के लए क पत ए. (१०)
पहीन बन
वावाता च म हषी व या च यु धगमः. ाशुर ायामी तोता क पेषु सं मता.. (११) हे कामना को पूरा करने वाले इं ! तुम सूय के प म अ ु को झुकाते हो तथा रो हणी को व तृत मुख वाला बना दे ते हो. तुम ने वृ असुर का सर काटा था. (११) य द ादो दाशरा े मानुषं व गाहथाः. व पः सव मा आसीत् सह य ाय क पते.. (१२) ज ह ने पंख काट कर पवत को थर कया, जल का अवगाहन कया और वृ असुर का वध कया, उन इं को नम कार है. (१२) वं वृषा ुं मघव ं मयाकरो र वः. वं रौ हणं ा यो व वृ या भन छः.. (१३) हरे रंग के घोड़ पर बैठ कर तेज चाल से आते ए इं ने घोड़ के वषय म उ चैः वा से कहा, “हे अ ! तेरा क याण हो. तू माला से सुशो भत इं को अपनी पीठ पर चढ़ाता है.” (१३) यः पवतान् दधाद् यो अपो गाहथाः. इ ो यो वृ हा महं त मा द नमो ऽ तु ते.. (१४) हे इं ! ेत अ तु हारे रथ क दा ओर जुड़ते ह. उन अ ******ebook converter DEMO Watermarks*******
पर सवारी करने वाले तुम
दे व के ारा नम कार के यो य तथा म हमाशाली हो. (१४)
सू -१२९
दे वता—
एता अ ा आ लव ते.. (१) यह घोड़ी अ छ तरह उछलती है. (१) तीपं ा त सु वनम्.. (२) ुवा तीप को संप करता है. (२) तासामेका ह र नका.. (३) उन म एक ह र नका है. (३) ह र नके क म छ स.. (४) हे ह र नका! तेरी या इ छा है? (४) साधुं पु ं हर ययम्.. (५) हे पु ! साधु को वण दो. (५) वाहतं परा यः.. (६) अवाहत अथात् घायल आ परा य कहां है? (६) य ामू त ः शशपाः.. (७) इस थान पर तीन श शपा वृ ह. (७) प र यः.. (८) सभी ओर तीन ह. (८) पृदाकवः.. (९) ब त से पृदाकू ह. (९) शृ ं धम त आसते.. (१०) वे स ग को न कर के बैठे ह. (१०) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
अय महा ते अवाहः.. (११) यह दवस तु हारा महान अ है. (११) स इ छकं सघाघते.. (१२) वह कामना करने वाल का समाधान कता है. (१२) सघाघते गोमी ा गोगती र त.. (१३) गोमीठ गाय क ग त को एक करता है. (१३) पुमां कु ते न म छ स.. (१४) पु ष और पृ वी तुझे स करते ह. (१४) प पब हे वृ ब
वयो इ त.. (१५)
प प! यह तेरा अ है. (१५) वो अघा इ त.. (१६)
बंधा होना पाप है. (१६) अजागार के वका.. (१७) से वकाएं जागी नह ह. (१७) अ
य वारो गोशप के.. (१८)
अ के सवार हो कर गाय के खुर के गड् ढे म पड़े ह. (१८) येनीपती सा.. (१९) यह येनीप त अथात् मादा बाज का वामी है. (१९) अनामयोप ज उप ज
का.. (२०)
का रोग र हत है. (२०)
सू -१३० को अय ब लमा इषू न.. (१) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ब त से बाण पर अ धकार करने वाला कौन है? (१) को अ स ाः पयः.. (२) रजोगुणी कृ त का पोषक कौन है? (२) को अजु याः पयः.. (३) अजुनी अथात् कृ त का पय अथात् ध कौन सा है? (३) कः का याः पयः.. (४) तमोगुणी कृ त का ध या है. (४) एतं पृ छ कुहं पृ छ.. (५) य द जानते नह हो तो पूछो. (५) कुहाकं प वकं पृ छ.. (६) कुशल एवं प रप व मनु य से पूछो. (६) यवानो य त व भः कु भः.. (७) य नकता समान पृ वय से यु
आ. (७)
अकु य तः कुपायकुः.. (८) पृ वी का मम न जानने वाला
ो धत हो गया. (८)
आमणको मण सकः.. (९) आमणक मण सक है. (९) दे व व तसूय.. (१०) हे सूय दे व. (१०) एन पङ्
का ह वः.. (११)
यह पापनाशक ह व है. (११) दो मघा त.. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यह ऐ य के
त ग त दे . (१२)
शृ उ प .. (१३) सगउप
आ. (१३)
मा वा भ सखा नो वदन्.. (१४) मेरा म मुझे और तुझे मले. (१४) वशायाः पु मा य त.. (१५) वशा गौ के पु को लाते ह. (१५) इरावे मयं दत.. (१६) ानपूण इरा उसे दो. (१६) अथो इय य
त.. (१७)
इस के प ात यह इस कार का है. (१७) अथो इय
त.. (१८)
फर यह इस कार है. (१८) अथो ा अ थरो भवन्.. (१९) इस के बाद ा अथात् कु ा अ थर आ. (१९) उयं यकांशलोकका.. (२०) क कारी लोक वाला हो. (२०)
सू -१३१ आ मनो न त भ ते.. (१) यह परम त व कहा जाता है. (१) त य अनु नभ
नम्.. (२)
उस के बाद वभाजन है. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
व णो या त व व भः.. (३) व ण रा
के साथ जाते ह. (३)
शतं वा भारती शवः.. (४) वाणी के सौ बल ह. (४) शतमा ा हर ययाः. शतं र या हर ययाः. शतं कुथा हर ययाः. शतं न का हर ययाः.. (५) सुनहरे रंग के सौ घोड़े, सोने के बने सौ रथ, सोने के बने सौ गछे और सोने के सौ न क अथात् स के या आभूषण ह. (५) अहल कुश व क.. (६) उ म कुश वतमान है. (६) शफेन इव ओहते.. (७) वह शफ अथात् खुर से वहन करता है. (७) आय वनेनती जनी.. (८) आप झुकने वाली माता क तरह आएं. (८) व न ा नाव गृ
त.. (९)
जल म थत नाव हण क जाती है. (९) इदं म ं म र त.. (१०) यह मुझे स करता है. (१०) ते वृ ाः सह त त.. (११) वे वृ
के साथ बैठते ह. (११)
पाक ब लः.. (१२) ब ल पक गई है. (१२) शक ब लः.. (१३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ब ल सश अ
है. (१३)
थ ख दरो धवः.. (१४)
पीपल, खैर, धव नाम के वृ ह. (१४) अर परम.. (१५) वराम ा त करो. (१५) शयो हत इव.. (१६) सोने वाला मृतक के समान होता है. (१६) ाप पू षः.. (१७) पु ष सव
ा त है. (१७)
अ ह म यां पूषकम्.. (१८) म पूषा का दोहन करता ं. (१८) अ यधच पर वतः.. (१९) अधच अथात् आधी ऋचा वृ हो. (१९) दौव ह तनो ती.. (२०) हा थय के लए दो म क बनाओ. (२०)
सू -१३२
दे वता—
आदलाबुकमेककम्.. (१) एक अलाबुक अथात् रामतोरई है. (१) अलाबुकं नखातकम्.. (२) रामतोरई खोद गई है. (२) कक रको नखातकः.. (३) ककड़ी को खोदा गया. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
तद् वात उ मथाय त.. (४) वह वायु को उखाड़ता है. (४) कुलायं कृणवा द त.. (५) घ सला बनाता है. (५) उ ं व नषदाततम्.. (६) व तृत उ क सेवा करता है. (६) न व नषदनाततम्.. (७) जस का व तार नह है, उस क सेवा नह करता. (७) क एषां ककरी लखत्.. (८) इन म से कौन ककरी को लखता है. (८) क एषां इन म
भ हनत्.. (९) ं भ रा स को कस ने मारा. (९)
यद यं हनत् कथं हनत्.. (१०) य द यह वध करती है तो कस कार करती है. (१०) दे वी हनत् कुहनत्.. (११) दे वी ने वध कया, बुरी तरह वध कया. (११) पयागारं पुनः पुनः.. (१२) नवास थान के चार ओर बारबार श द करती है. (१२) ी यु य नामा न.. (१३) ऊंट के तीन नाम ह. (१३) हर यं इ येके अ वीत्.. (१४) कुछ लोग ने हर य, ऐसा कहा. (१४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
ौ वा ये शशवः.. (१५) दो बालक ह. (१५) नील शख डवाहनः.. (१६) नील शखंड उन का वाहन है. (१६)
सू -१३३ वततौ करणौ ौ तावा पन पू षः. न वै कुमा र तत् तथा यथा कुमा र म यसे.. (१) हे कुमारी! तू उसे जैसा समझती है, वह वैसा नह है. दो करण फैली ई ह. पु ष उ ह पीसने वाला है. (१) मातु े करणौ ौ नवृ ः पु षानृते. न वै कुमा र तत् तथा यथा कुमा र म यसे.. (२) हे पु ष! तू जस अस य से मु आ है, वह तेरी माता क दो करण ह. हे कुमारी! उसे तू जैसा समझती है, वह उस तरह का नह है. (२) नगृ कणकौ ौ नराय छ स म यमे. न वै कुमा र तत् तथा यथा कुमा र म यसे.. (३) हे म यमा! तू दोन कान को पकड़ कर उसे नयु वह उस कार का नह है. (३)
करती है. तू उसे जैसा समझती है,
उ ानायै शयानायै त ती वाव गूह स. न वै कुमा र तत् तथा यथा कुमा र म यसे.. (४) हे कुमारी! तू सोने जाती है. तू उसे जैसा समझती है, वह वैसा नह है. (४) णायाँ णकायां णमेवाव गूह स. न वै कुमा र तत् तथा यथा कुमा र म यसे.. (५) हे कुमारी! तु आ लगन म अपना शरीर छपाती है. तू उसे जैसा समझती है वह उस तरह का नह है. (५) अव ण मव ंशद तल मम त दे . न वै कुमा र तत् तथा यथा कुमा र म यसे.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
आ लगन के समय टू टे ए दांत और रोम सरोवर म है. (६)
सू -१३४ इहे थ ागपागुदगधराग् अरालागुदभ सथ.. (१) यहां चार दशा
से घरे ए को भयभीत करो. (१)
इहे थ ागपागुदगधराग् व साः पु ष त आसते.. (२) यहां चार दशा
से घरे थान म बालक युवक बनने क इ छा से बैठे ह. (२)
इहे थ ागपागुदगधराग् थालीपाको व लीयते.. (३) यहां चार दशा से घरे ए थान म थालीपाक अथात् बटलोई म पकाया आ पदाथ समा त हो जाता है. (३) इहे थ ागपागुदगधराग् स वै पृथु लीयते.. (४) यहां चार दशा
से घरे थान म वह समा त हो जाता है. (४)
इहे थ ागपागुदगधराग् आ े लाह ण लीशाथी.. (५) यहां चार दशा
से घरे थान म युवती जीवन धारण करती है. (५)
इहे थ ागपागुदगधराग् अ लली पु छलीयते (६) चार दशा
से घरे इस थान म
ावहा रक बु
पूछ जाती है. (६)
सू -१३५ भु ग य भगतः श ल यप ा तः फ ल य भ तः. भमाहनना यां ज रतरो ऽ थामो दै व.. (१) खाने वाला चला गया, ग तशील जीव भाग गया है तथा उसका शरीर रखा है. हे तु त करने वालो! तुम इस के बाद ं भ जन दो डंड से बजाई जाती है, उस से खेलो. (१) कोश बले रज न थेधानमुपान ह पादम्. उ मां ज नमां ज यानु मां जनीन् व म यात्.. (२) पैर के जूते म, धान क कु टया म तथा उ म धरती से उ प पदाथ को माग म रखो. ******ebook converter DEMO Watermarks*******
(२) अलाबू न पृषातका य थपलाशम्. पपी लकावट सो व ु वापणशफो गोशफो ज रतरो ऽ थामो दै व.. (३) हे तोता! पृषातक अथात् तुंबी, लौक , पीपल, ढाक, बरगद, सुंदर प व ुत और गाय के खुर के बाद श से ड़ा कर. (३) वी मे दे वा अ ं सता वय (४)
वाले, कटहल,
ं चर. सुस य मद् गवाम य स खुद स..
हे अ वयु जनो! उन काश वाले अथवा तेज वी दे व के सामने शी उ चारण करो. गाय के लए तुम स य प हो. (४)
ही मं
का
प नी य यते प नी य यमाणा ज रतरो ऽ थामो दै व. होता व ीमेन ज रतरो ऽ थामो दै व.. (५) प नी य करती ई दखाई दे रही है. इस के बाद तुम भय पर वजय ा त करने क इ छा करना. (५) आ द या ह ज रतर रो यो द णामनयन्. तां ह ज रतः यायं तामु ह ज रतः यायन्.. (६) हे तोता! उस को उ ह ने हण कया. उसे तुम ने भी हण कया. हम चेतन ा णय को हा न प ंचाने वाल को तथा य न करने वाल को वशेष चेतन ा णय को दान करते ह. (६) तां ह ज रतनः यगृ णं तामु ह ज रतनः यगृ णः. अहानेतरसं न व चेतना न य ानेतरसं न पुरोगवामः.. (७) तुम ेत तथा आशुप य वाली ऋचा करता है. (७)
से युवा अव था ा त करते हो. यह शी पूण
उत ेत आशुप वा उतो प ा भय व ः. उतेमाशु मानं पप त.. (८) (८)
हे तोता! तुम अं गरागो ीय ऋ षय से द णा लाते थे. उसे वे लाए थे, वे उसे लाए थे.
आ द या ा वसव वेनु त इदं राधः त गृ णी रः. इदं राधो वभु भु इदं राधो बृहत् पृथु.. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अं गरागो ीय ऋ षयो! आ द य, वसु और ये सभी तुम पर कृपा करते ह. तुम इस धन को हण करो. यह धन वशाल, बृहत, ापक तथा भुता से संप है. (९) दे वा दद वासुरं तद् वो अ तु सुचेतनम्. यु मां अ तु दवे दवे येव गृभायत.. (१०) (१०)
दे वता तुझे ाण, श
एवं चेतना दान करते ए
येक अवसर पर ा त होते ह.
व म शम रणा ह ं पारावते यः. व ाय तुवते वसुव न र वसे वह.. (११) हे इं ! तुम इहलोक और परलोक दोन को पार करने वाल के लए ह व वहन करो. जस तोता ा ण को अ ा त करना क ठन है, उसे तुम बल दान करो. (११) व म कपोताय छ प ाय व चते. यामाकं प वं पीलु च वार मा अकृणोब ः.. (१२) हे इं ! पंख कटे ए कबूतर के लए तुम पके ए पीलु, अखरोट तथा अ धक मा ा म जल दान करो. (१२) अरंगरो वावद त ेधा ब ो वर या. इरामह शंस य नरामप सेध त.. (१३) चमड़े क र सी से बंधा आ रहट बारबार श द करता आ ऐसे थान को स चता है, जहां फसल ह. (१३)
सू -१३६ यद या अं भे ाः कृधु थूलमुपातसत्. मु का वद या एजतो गोशफे शकुला वव.. (१) पाप का वनाश करने वाली ओष ध को के खुर के गड् ढे म भरे पानी म कांपते ह. (१)
ोध हो गया है. इस के सूखे ए शकुल गाय
यथा थूलेन पससाणौ मु का उपावधीत्. व व चा व या वधतः सकता वेव गदभौ.. (२) जब थूल पसस् के ारा मनु य म अणु का हार कया गया, तब धूल म लोटने वाले गध के समान आ छादनी अथात् छ पर म मु क बढ़ते ह. (२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यद पका व पका ककधूकेवष ते. वास तक मव तेजनं य यवाताय व प त.. (३) जो ककधू अथात् बेरी के समान घर को न करने वाले तथा अ प से भी अ प कण ा त होते ह, तब वासं तक तेज आधान के न म उस म गमन करते ह. (३) यद् दे वासो ललामगुं व ी मनमा वषुः. सकुला दे द यते नारी स य या भुवो यथा.. (४) यु
जब सुंदर गौ म हो जाती है. (४)
व दे वता ह षत होते ह, तब नारी आंख दे खी के समान स य से
महान य तृ मो दद थानासरन्. श कानना वचमशकं स ु प म.. (५) महान अ न ऊपर खड़े ए जन पर आ मण न करते ए तृ त ा त करते ह. हम तेज वी जन को श ा त हो. (५) महान यु लूखलम त ाम य वीत्. यथा तव वन पते नर न त तथैव त.. (६) महान अ न उलूखल को लांघते ए कहने लगे—हे बृह प त! लोग जस कार तुझे कूटते ह, वैसा होना चा हए. (६) महान युप ूते ो ऽ था यभूभुवः. यथैव ते वन पते प प त तथैव त.. (७) महान अ न ने कहा—तू मट कर भी बारबार उ प होती है. हे वन प त! जस भां त तू पूण होती है, वैसा ही होना चा हए. (७) महान युप ूते यथा वयो वदा
ोऽथा यभूभुवः. वग नमवद ते.. (८)
महान अ न ने कहा—तू न हो कर भी उ प हो जाती है. जीण अव था म होने पर भी वग म तेरा दोहन ह व के समान कया जाता है. (८) महान युप ूते वसावे शतं पसः. इ थं फल य वृ य शूप शूप भजेम ह.. (९) महान अ न का कथन है क यह पापनाशक ओष ध भलीभां त उ े जत क गई है. हम फल वाले वृ के सूप म सूप को व करते ह. (९) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
महान नी कृकवाकं श यया प र धाव त. अयं न वद्म यो मृगः शी णा ह रत धा णकाम्.. (१०) महान अ न कृक श द करने वाले पर दौड़ते ह. हम यह ात है क वे मृग के समान शीश के ारा मौन अपण का हरण करते ह. (१०) महान नी महान नं धाव तमनु धाव त. इमा तद य गा र यभ माम ौदनम्.. (११) महान अ न महाअ न के पीछे दौड़ते ह. वे इस क इं य के र क हो कर ओदन अथात् भात को खाते ह. (११) सुदेव वा महान नीबबाधते महतः साधु खोदनम्. कुसं पीवरो नवत्.. (१२) महान अ न उ पीड़न करने वाले ह तथा बड़ेबड़ को कुरेदते ह. ये थूल और कृश सभी को न कर दे ते ह. (१२) वशा द धा ममा र सृजतो ऽ तं परे. महान् वै भ ो यभ माम ौदनम्.. (१३) वशा नाम क गाय ने इस जली ई उंगली क रचना क . अ य जन उ क रचना करते ह. यह ओदन अथात् भात अ य धक क याणमय है. इस ओदन अथात् भात का भ ण करो. (१३) वदे व वा महान नी वबाधते महतः साधु खोदनम्. कुमा रका प लका काद भ मा कु धाव त.. (१४) ये महान अ न वशेष पीड़ा दे ने वाले ह. ये बड़ को खोद डालते ह. पगल अथात् पीले रंग क यह कुमारी काय करने के बाद भाग जाती है. (१४) महान् वै भ ो ब वो महान् भ उ बरः. महाँ अ भ बाधते महतः साधु खोदनम्.. (१५) ब व अथात् बेल और उ ं बुर अथात् गूलर—ये दोन ही वृ इ ह सभी ओर से पी ड़त करता है, वह बड़ को कुरेदता है. (१५)
बड़े भले ह. जो महान
यः कुमारी प लका वस तं पीवरी लभेत्. तैलकु ड ममा ं रोद तं शुदमु रेत्.. (१६) पग लका अथात् पीले रंग क कुमारी य द वसंत को ा त करे तो तैलकुंड म से अंगूठे ******ebook converter DEMO Watermarks*******
के ारा कुरेदती ई इस का उ ार करे. (१६)
दे वता—अल मी नाशन
सू -१३७ य ाचीरजग तोरो म डू रधा णक ः. हता इ य श वः सव बुदबु ् दयाशवः.. (१) (१)
जब मंडूधाणक
ाची दशा दय दे श को ा त ई, तब इं के सभी श ु न हो गए.
कपृ रः कपृथमुद दधातन चोदयत खुदत वाजसातये. न यः पु मा यावयोतय इ ं सबाध इह सोमपीतये.. (२) हे कमशील मनु यो! तुम सुखद इं को दय म हण करो, तुम अ ा त के लए ेरणा करो. तुम अपनी र ा के लए पु को उ प करो तथा सोमरस पीने के लए इं का आ ान करो. (२) द ध ा णो अका रषं ज णोर य वा जनः. सुर भ नो मुखा करत् ण आयूं ष ता रषत्.. (३) इं क सवारी के लए म वेगवान अथात् तेज दौड़ने वाले घोड़े का पूजन कर चुका ं. वे इं हम सुर भ अथात् गाय का वामी बनाएं तथा हम े बनाते ए हमारा जीवन उ म बनाएं. (३) सुतासो मधुम माः सोमा इ ाय म दनः. प व व तो अ रन् दे वान् ग छ तु वो मदाः.. (४) हष दान करने वाला सोमरस इं के लए तैयार कया जा चुका है. सोमरस छ े अथात् छानने के लए योग कए गए कपड़े से टपक रहा है. हे सोम! तु हारी श दे वता को ह षत करे. (४) इ र ाय पवत इ त दे वासो अ ुवन्. वाच प तमख यते व येशान ओजसा.. (५) इं के लए सोमरस का शोधन कया जा चुका है. संसार के वामी वाच प त अपने ओज से शं सत होते ह. (५) सह धारः पवते समु ो वाचमीङ् खयः. सोमः पती रयीणां सखे य दवे दवे.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हजार धारा वाला गमनशील सोमरस तैयार कया जा रहा है. धन का वामी यह सोमरस येक तो म इं का सखा होता है. (६) अव सो अंशुमतीम त दयानः कृ णो दश भः सह ःै . आवत् त म ः श या धम तमप ने हतीनृमणा अध .. (७) दस हजार करण से आक षत करने वाले सूय पृ वी पर आ कर अपने ओज से खड़े ए तथा अपनी श से पृ वी क हसा करने लगे. तब इं ने अपने बल से सूय को हटा कर पृ वी क र ा क तथा अपनी श से ही इं ने पृ वी पर जल वाली श य क थापना क . (७) समप यं वषुणे चर तमुप रे न ो अंशुम याः. नभो न कृ णमवत थवांस म या म वो वृषणो यु यताजौ.. (८) वषम और वचरण करने वाले शुकु अथात् काले असुर को अंशुमती के पास घूमते ए दे खा है. वे भी सूय के समान ही आकाश म नवास करते ह. म उन का आ त ं. कामना क वषा करने वाले इं यु म तु हारा साथ द. (८) अध सो अंशुम या उप थे ऽ धारयत् त वं त वषाणः. वशो अदे वीर या ३ चर तीबृह प तना युजे ः ससाहे.. (९) इस के बाद शुकु ने अपने शरीर को सू म बना कर अंशुमती क गोद म रखा. बृह प त क सहायता से इं ने दे व क स ा वीकार न करने वाली जा का वध कर दया. (९) वं ह यत् स त यो जायमानो ऽ श ु यो अभवः श ु र . गू हे ावापृ थवी अ व व दो वभुमद् यो भुवने यो रणं धाः.. (१०) हे इं ! तुम ने आकाश और पृ वी का पश कया तथा उ ह ा त कर लया. सात म से उ प ए तुम बाद म उन के श ु बन जाते हो. तुम ने व तृत भुवन से यु कया. (१०) वं ह यद तमानमोजो व ेण व न् धृ षतो जघ थ. वं शु ण यावा तरो वध ै वं गा इ श येद व दः.. (११) हे व धारी इं ! तुम ने अपने व से बल नाम के असुर का वध कया. तुम ने अपने हसा मक साधन से उसे र कर दया और गाएं ा त कर ल . (११) त म ं वाजयाम स महे वृ ाय ह तवे. स वृषा वृषभो भुवत्.. (१२) वशाल शरीर वाले वृ असुर को न करने के कारण हम इं क कामना क वषा करने वाले इं सव े बन. (१२) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
शंसा करते ह.
इ ः स दामने कृत ओ ज ः स मदे हतः. ु नी ोक स सो यः.. (१३) पा पय को वश म करने के लए तुम ने श शाली का र सी के समान योग कया. वे स ता दे ने वाले य म त त होते ह. वे इं स य, स और तेज वी ह. (१३) गरा व ो न संभृतः सबलो अनप युतः. वव ऋ वो अ तृतः.. (१४) इं पवत से ा य व के समान श शाली ह. वे कभी प तत नह होते ह. वे यजमान के लए श ु का धन ा त करते ह. (१४)
े
दे वता—इं
सू -१३८
महाँ इ ो य ओजसा पज यो वृ माँ इव. तोमैव स य वावृधे.. (१) इं महान ह. वे वषा के जल से पूण मेघ के समान व स के तोम अथात् मं समूह ारा वृ ा त करते ह. (१) जामृत य प तः
यद् भर त व यः. व ा ऋत य वाहसा.. (२)
हे अ नीकुमारो! तुम उस जा का पालन करो जो स य को धारण करती है. अ नयां उस जा को पु करती ह तथा ा ण य का वहन करने वाले अ न दे व के ारा उस जा क र ा करते ह. (२) क वा इ ं यद त तोमैय
य साधनम्. जा म ुवत आयुधम्.. (३)
क व ने अपने तोम अथात् मं उसी को आयुध कहती है. (३)
सू -१३९
के समूह के ारा इं के य को पूण कया. जा म
दे वता—अ नीकुमार
आ नूनम ना युवं व स य ग तमवसे. ा मै य छतमवृकं पृथु छ दयुयुतं या अरातयः.. (१) हे अ नीकुमारो! इस के बालक के घूमने के हेतु एवं र ा के लए इसे ऐसा घर दो, जहां सयार न प ंच सके. इस के श ु को उस से र करो. (१) यद त र े यद् द व यत् प च मानुषाँ अनु. नृ णं तद् ध म ना.. (२) हे अ नीकुमारो अंत र
तथा वग म जो धन है तथा नषाद नाम क पांचव जा त
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दास के पास जो धन है, उसे हम दे दो. (२) ये वां दं सां य ना व ासः प रमामृशुः. एवेत् का व य बोधतम्.. (३) हे अ नीकुमारो! ा ण तु हारे कम का वणन करते ह. वे सब कम तुम मह ष क व के ारा कए ए समझो. (३) अयं वां घम अ ना तोमेन प र ष यते. अयं सोमो मधुमान् वा जनीवसू येन वृ ं चकेतथः.. (४) हे अ नीकुमारो! यह ह व धन स हत है. यह तोम अथात् मं समूह धम के ारा सं चत है. यह सोम मधुरता से पूण है. तुम इसी सोमरस के ारा आव यक श ु को जानो. (४) यद सु यद् वन पतौ यदोषधीषु पु दं ससा कृतम्. तेन मा व म ना.. (५) हे अ नीकुमारो! जल म, ओष धय तथा वन प तय म जो कम छपे ए ह, उन से मुझे संप बनाओ. (५)
सू -१४०
दे वता—अ नीकुमार
य ास या भुर यथो यद् वा दे व भष यथः. अयं वां व सो म त भन व धते ह व म तं ह ग छथः.. (१) हे अ नीकुमारो! तुम शी गमन करने वाले तथा च क सा करने म कुशल हो. तु हारा यह व स मो तय के ारा नह बांधा जाता है. तुम उस के समीप जाते हो, जस के पास ह व है. (१) आ नूनम नोऋ ष तोमं चकेत वामया. आ सोमं मधुम मं घम स चादथव ण.. (२) उपासना के यो य अपनी बु य के ारा ऋ षय ने अ नी कुमार के तो को जान लया. इस लए तुम मधुरता वाले सोमरस को अथव से स चत करो. (२) आ नूनं रघुवत न रथं त ाथो अ ना. आ वां तोमा इमे मम नभो न चु यवीरत.. (३) हे अ नीकुमारो! तुम तेज चलने वाले रथ पर बैठने वाले हो. तु हारे लए जो तु त क जाती है, वह आकाश के समान थर रहे. (३) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
यद वां नास यो थैराचु युवीम ह. यद् वा वाणी भर वनेवेत् का व य बोधतम्.. (४) हे अ नीकुमारो! हम उ थ अथात् मं समूह के ारा तु हारा आ य लेते ह. यह क व ऋ ष क कृपा है क हम वाणी के ारा तु हारी सेवा कर रहे ह. (४) यद् वां क ीवाँ उत यद् ऋ षयद् वां द घतमा जुहाव. पृथी यद् वां वै यः सादने वेवेदतो अ ना चेतयेथाम्.. (५) हे अ नीकुमारो! क ीवान, द घतमा और ऋ षय ने तु ह आ त द है. वेन का पु पृथु तु हारे सब सदन म है. इस लए तुम चैत य हो जाओ. (५)
सू -१४१
दे वता—इं
यातं छ द पा उत नः पर पा भूतं जग पा उत न तनूपा. व त तोकाय तनयाय यातम्.. (१) हे अ नीकुमारो! तुम हमारे र क के प म आओ. तुम हमारे घर क र ा करते ए हम मलो. तुम हमारे पु , पौ आ द के प म हम ा त होओ तथा संसार क र ा करने वाले हो कर हम से मलो. (१) य द े ण सरथं याथो अ ना यद् वा वायुना भवथः समोकसा. यदा द ये भऋभु भः सजोषसा यद् वा व णो व मणेषु त थः.. (२) हे अ नीकुमारो! तुम इं के रथ म उन के साथ बैठ कर चलते हो. तुम वायु के साथ चलने वाले, आ द य और ऋभु , नेही तथा व णु के व मण अथात् डग से भी यु हो. (२) यद ा नावहं वेय वाजसातये. यत् पृ सु तुवणे सह त े म नोरवः.. (३) श
हे अ नीकुमारो! तुम यजमान को शी ता से ा त होते ही यु म अपनी उ म र ण से श ु का वध करते हो. म तु ह अ ा त करने के लए बुलाता ं. (३) आ नूनं या म नेमा ह ा न वां हता. इमे सोमासो अ ध तुवशे यदा वमे क वेषु वामथ.. (४)
हे अ नीकुमारो! यह ह तु हारे लए हतकारी है. यह सोमरस तुवश, य तथा क व ऋ ष का है. तुम यहां अव य आगमन करो. (४) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
य ास या पराके अवाके अ त भेषजम्. तेन नूनं वमदाय चेतसा छ दव साय य छतम्.. (५) हे अ नीकुमारो! र क अथवा समीप क ओष ध को अपने दं भी मन के ारा हम वशेष श के लए दान करो तथा हमारे शशु के लए घर दो. (५)
दे वता—अ नीकुमार
सू -१४२ अभु यु दे ा साकं वाचाहम नोः. ावद ा म त व रा त म य यः.. (१) बु
म अपनेआप को अ नीकुमार क ान वृ के साथ रहने वाला मानता ं. तुम मेरी को का शत करो तथा मनु य के लए धन दो. (१) बोधयोषो अ ना दे व सूनृते म ह. य होतरानुषक् मदाय वो बृहत्.. (२)
हे तोताओ! तुम ातःकाल अ नीकुमार को जगाओ. हे स य प दे वो! तुम तोता को शंसनीय बनाओ. हे होता! तुम अ नीकुमार के यश को सभी ओर फैलाओ. (२) य षो या स भानुना सं सूयण रोचसे. आ हायम नो रथो व तया त नृपा यम्.. (३) हे अ नीकुमार के रथ! तू अपने तेज से उषा के साथ मलता आ सूय के साथ दमकता है. वह रथ अ के ारा माग पर जाता है. (३) यदापीतासो अंशवो गावो न ऊध भः. य ा वाणीरनूषत दे वय तो अ ना.. (४) जब र मयां जल पीने वाली गाय के समान होती ह, तब गाय के ऐन से ध काढ़ा जाता है. हे अ नीकुमारो! उस समय ऋ षय क वाणी तु हारी तु त करती है. (४) ु नाय
शवसे
नृषा ाय शमणे.
द ाय चेतसा.. (५)
हे अ नीकुमारो! म अपनी सुंदर बु के ारा तु हारी तु त इस लए करता ं क म मनु य को वश म करने वाला महान बल और क याण ा त कर सकूं. (५) य ूनं धी भर ना पतुय ना नषीदथः. य ा सु ने भ हे अ नीकुमारो! तुम अपनी बु
के
या.. (६)
ारा अपने पालनकता के समीप वराजमान
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होते हो. तुम क याणकारी शंसा के पा हो. (६)
सू -१४३
दे वता—अ नीकुमार
तं वां रथं वयम ा वेम पृथु यम ना संग त गोः. यः सूया वह त व धुरायु गवाहसं पु तमं वसूयुम्.. (१) हे अ नीकुमारो! आज हम तु हारे वेगवान रथ का आ ान करते ह. तु हारा वह रथ ऊंचेनीचे थान म जाता आ सूया को वहन करता है. वह रथ वाणी को वहन करने वाला, वसु को ा त करने वाला तथा गाय से सुसंगत है. म उसी रथ को बुलाता ं. (१) युवं यम ना दे वता तां दवो नपाता वनथः शची भः. युवोवपुर भ पृ ः सच ते वह त यत् ककुहासो रथे वाम्.. (२) हे अ नीकुमारो! तुम ल मी के अ ध ाता दे व हो. तुम उस का सेवन अपनी श य के ारा करते हो तथा उसे आकाश से नीचे नह गरने दे ते. रथ म तु ह वहन करने वाले वशाल घोड़े तथा अ तु हारे शरीर से सदा मले रहते ह. (२) को वाम ा करते रातह ऊतये वा सुतपेयाय वाकः. ऋत य वा वनुषे पू ाय नमो येमानो अ ना ववतत्.. (३) कौन सा ह व दाता र ा पाने के लए तथा तैयार कया आ सोमरस पीने के लए तु ह बुला रहा है. कौन तु हारी सेवा कर रहा है. य क सेवा करने वाले इं को नम कार है. अ नीकुमार को यहां लाने वाले रथ को म नम कार करता ं. (३) हर ययेन पु भू रथेनेमं य ं नास योप यातम्. पबाथ इ मधुनः सो य य दधथो र नं वधते जनाय.. (४) हे अ नीकुमारो! तुम सोने के बने ए अपने रथ के ारा इस य शाला म आओ. तुम मधुर सोमरस पीते ए इस सेवक पु ष को र न और धन दान करो. (४) आ नो यातं दवो अ छा पृ थ ा हर ययेन सुवृता रथेन. मा वाम ये न यमन् दे वय तः सं यद् ददे ना भः पू ा वाम्.. (५) हे अ नीकुमारो! तुम सोने के बने ए अपने रथ के ारा आकाश से पृ वी पर आओ. अ नपूजक तु ह न रोक सके. म तु हारे लए तु त करता ं. (५) नू नो र य पु वीरं बृह तं द ा ममाथामुभये व मे. नरो यद् वाम ना तोममाव सध तु तमाजमी हासो अ मन्.. (६) ******ebook converter DEMO Watermarks*******
हे अ नीकुमारो! तोता मनु य तु त के साथ ही अजमीढ के पु के समीप गए. इस तोता को तुम इस के वीय से उ प होने वाले पु और पौ के साथ दोन लोक म धन दान करो. (६) इहेह यद् वां समना पपृ े सेयम मे सुम तवाजर ना. ऊ यतं ज रतारं युवं ह तः कामो नास या युव क्.. (७) हे अ नीकुमारो! इस यजमान को तुम ऐसी बु रहे तथा तुम इस तोता के र क रहो. (७)
दो, जस से यह तुम पर ही नभर
मधुमतीरोषधी ाव आपो मधुम ो भव व त र म्. े य प तमधुमा ो अ व र य तो अ वेनं चरेम.. (८) हमारे लए आकाश मधुमय हो, अंत र मधुमय हो, ओष धयां मधुमती ह तथा े प त भी मधुमय हो. हम अमृत व को ा त कर के उस के अनुगामी बन कर घूम. (८) पना यं तद ना कृतं वां वृषभो दवो रजसः पृ थ ाः. सह ं शंसा उत ये ग व ौ सवा इत् तां उप याता पब यै.. (९) तु हारा तोता और कम आकाश और पृ वी क कामना क वषा करने वाला हो. तुम सोमपान कर के गोपूजा वाले सैकड़ तो को ा त होते हो. (९) (अथववेद संपूण)
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