Nalanda- A Historic Place

  • October 2019
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  • Words: 646
  • Pages: 2
नालंदा का लाल िकला खणडहर मे तबदील Mar 03, 10:16 pm

इसलामपुर (नालंदा) पुराततव िवभाग की किित लापरवाही के कारण इसलामपुर ििित बौलीबाग मे िदलली के लाल िकला एवं लखनऊ की तजज पर बना ऐितहािसक महल 'वावन कोठरी-ितरपन

दरवाजे' उिित दे खरे ख के अभाव मे खंडहर मे तबदील होता जा रहा है । इसके बनने से अब तक सूबे मे कई सरकारे आयी और िली गयी लेिकन इस ऐितहािसक महल की सुिि लेना िकसी ने

मुनािसब नहीं समझा ििर भी बाहर से इसलामपुर आये लोगो के िलए यह आकषक ज बना रहा। सनद रहे िक अंगेजो के भारत आने से पूवज मुगल काल मे इसलामपुर के ततकालीन िौिरी जहुरल हक के दारा बौली बाग मे िदलली दरबार एवं लखनऊ की भूल भूलैया की तजज पर इस दो मंिजला

इमारत का िनमाण ज कराया गया िा। इस इमारत के बारे मे यहां के जानकारो का कहना है िक यहां के शासक एक रहमिदल इं सान िे। ये अपने कायव ज श जहां भी जाते वहां के ऐितहािसक िीज को

िबना दे खे नहीं लौटते। एक बार की बात है िक ये िकसी कायव ज श िदलली और लखनऊ की याता पर िनकले तो िदलली के लाल िकला और लखनऊ के भूल भूलैया को दे ख ये बहुत पभािवत हुए और

जब वे अपनी याता को खतम कर इसलामपुर पहुंिे तो इनकी जेहन मे वहां का ऐितहािसक महल

समाया िा। बताया जाता है िक उनकी ये मंशा िी िक कािी दरूी होने के कारण इस केत के गरीब

तबके के लोग उस महल को नहीं दे ख पायेगे और इसी उममीद के साि अपने इरादे को हकीकत मे

बदलते हुए उस समय के कुशल कारीगरो को बुलाकर उनहे लाल िकला एवं भूल भुलैया की तजज पर समझाते हुए महल बनवाना शुर कर िदया। इस इमारत को बनाने मे कुशल कारीगरो ने ऐसी कारीगरी िदखायी िक 'मानो िवशकमाज ने िवयं अपने हािो से उसका िनमाण ज िकया हो'।

िनमाण ज ािीन भवन मे वावन कमरे , ितरपन दरवाजे, हािी जैसे िवशाल जानवरो के आनेजाने के

िलए हािी दरवाजा सिहत कई आशयज जनक िीजे बनायी गयी। इस महल के भीतर एक तालाब, एक आशयज कुआं का भी िनमाण ज कराया गया। िजसके भीतर आराम के िलए एक िवशेष कमरा

बनाया गया तािक गमी के िदनो मे वहां आराम िरमाया जा सके। कुछ लोगो का यह भी कहना है िक इस महल से 1/4 िकमी की दरूी पर अवििित शासक के गढ और इस महल के बीि आने व

जाने के िलए एक सुरंग भी बनी है िजसके जिरये शासक की रािनयां यहां आती िी। सुरका की दिि से दरू-दराज के केतो पर कड़ी िौकसी के िलए यहां गुमबद भी बना हुआ है जो इमारत को सुरका पहरी के िलए िवशेष तौर पर बनाया गया िा। जानकारो का कहना है िक इस गुमबद मे लगी

पतिरो को इस तरह से बैठाया गया िा िक िकसी भी केत से गोली िलाने पर सुरका पहरी को गोली लगती। इस िनमाण ज ािीन महल को अजूबा व आशयज बनाने के िलए शासन के एकमात पुत

वायजउदीन भी युदितर पर लगे िे। बताया जाता है िक िोड़ी बहुत तिबयत खराब होने के पशात शासक के एकमात पुत वायजउदीन का इं तकाल हो गया और अपने एकमात पुत को दिुनया छोड़

िले जाने के बाद शासन बदहवाश हो बैठे और 1902 ई. मे इनका भी इं तकाल हो गया। तभी से यह

इमारत उसी अवििा मे पड़ा रहा और 1946 के संगाम के बाद से ही यह खानाबदोश का आशय ििल बन गया। एक समय िा िक इसलामपुर की िरती पर आने वाले लोग इसे दे खे िबना नहीं

जाते िे और आज भी यह आम लोगो के िलए आशयज से कम नहीं है । बताया जाता है िक आज से दस वषज पूवज तातकािलक िजला िवकास पदा. एवं िहलसा के तातकािलक अनु. पदा. ने इस महल का िनरीकण िकया लेिकन सतर िीसदी धवित हो िुकी इस महल के जीणोदार का कोई रािता न िनकला।

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