फॉजाये -गीत (काव्म सॊग्रह)
यभेश हठीरा
शशवना प्रकाशन सीहोय (भ.प्र.) फॉजाये -गीत : (काव्म-सॊग्रह) यभेश हठीरा
भुकेयी राइन सीहोय
दयू बाष : 07562-228435, भो. 09977515484 (काव्म सॊग्रह) प्रकाशक :
शशवना प्रकाशन, ऩी.सी. रेफ,
सम्राट कॉम्प्रेक्स फेसभंट, सीहोय, भ.प्र., 466001 पोन 07562-405545 सवााशधकाय सुयक्षऺत
प्रकाशन के आधीन शशवना प्रकाशन सीहोय कम्पऩंक्षजॊग-डडॊ जाइशनॊग : सनी गोस्वाभी
ऩी.सी.रेफ, सीहोय
आवयण :
ऩॊकज 'सुफीय'
ऩी.सी.रेफ, सीहोय
पोन -09977855399 भुद्रक :
दृष्टि आपसेट बोऩार
भूल्म : भात्र 50 रुऩमे
प्रथभ सॊस्कयण : शयद ऩूक्षणाभा 2007
सभऩाण भेये फॊजाये गीत सभष्टऩात सुख दख ु की साथी भेयी सहधशभाणी
गॊगा दे वी हठीरा को .........
ऩरयचम यभेश हठीरा ष्टऩता : स्व. श्री याधावल्रब जी शभाा भाता : श्रीभशत शाॊशत दे वी शभाा
जन्भ : याभनवभी, 1952 खानदे श के गाॉव फेटावद भं शशऺा : फी. ए.
प्रसायण : आकाशवाणी औय दयू दशान से काव्म ऩाठ प्रसारयत।
प्रकाशन : ''काव्म करश'' ऩष्टत्रका भुम्पफई, ''आस्था'' ऩष्टत्रका शासकीम स्नातकोत्तय भहाष्टवद्यारम सीहोय एवॊ ऑॊचशरक ऩत्र ऩष्टत्रकाओॊ भं कष्टवताएॉ प्रकाशशत।
काव्म ऩाठ : दे श के नगयं एवॊ भहानगयं भं अक्षखर बायतीम भॊचं एवॊ स्थानीम कष्टव सम्पभेरनं तथा गोष्टिमं भं सहबाशगता।
सम्पभान : फोहया सभाज, शशवायाध्मा सशभशत, जनादा न शभाा ऩुरुस्काय, स्टे ट फंक, रामॊस एवॊ शसध्दऩुय सायस्वत सम्पभान।
सम्पप्रशत : दै शनक पुसात, जनशचॊगायी, दै शनक बास्कय एवॊ क्षऺशतज डकयण भं चुयकडटमाई,
ठरुवाई एवॊ सडकाट नाभ के स्तम्पबं भं सभसाभशमक ष्टवषमं ऩय अऩनी ष्टवशशि ष्टवधा कुण्डशरमं का प्रकाशन।
आगाभी सॊकरन : बष्टवष्म के गबा भं।
ऩल्रष्टवत सुयशबत सुभन : भोशनका हठीरा बोजक, डॉ. अक्षखरेश हठीरा सॊऩका: भुकेयी राइन, सीहोय, भ.प्र.- 466001 दयू बाष : 07562-228435 भोफाइर : 09977515484
गीत के फॊजाये के फॊजाये गीत गीतकाय श्री यभेश हठीरा का गीत-सॊग्रह प्रकाशशत होने जा यहा है । मह शुब सूचना है औय भेये गीतकाय भन को प्रसन्न कयती है । गीत की ष्टवधा को कोई सभष्टऩात कष्टव,
सॊकल्ऩशीर साधना एवॊ बष्टि की सीभा तक सभष्टऩात आयाधक ही अऩनाता है । गीत की याह सयर नहीॊ है । मह ऩूणा रगन, श्रभ के सडहत सतत साधना भाॊगती है । श्री
हठीरा ने गीत का ऩथ का चुनाव कयके अऩनी सॊकल्ऩशीरता एवॊ साधना का प्रभाण डदमा है । गीत रेखन छॊ द को साधने की करा है । छॊ द सधता है उऩमुि साथाक शब्द का चमन, रम एवॊ साॊगीशतकता की सतत साधना से । इसकी साधना बी सयर नहीॊ
सॊऩण ू ा सभऩाण एवॊ शनयॊ तय अभ्मास की भाॊग कयती है । श्री हठीरा ने अऩने गीतं से इन सफ वाॊशछत अहा ताओॊ की उऩक्षस्थशत का प्रभाण डदमा है
-तथाष्टऩ मह मह गीत
रेखन की करा ऩूणा शुद्धता के साथ आते आते ही आ ऩाती है ।
भंने शीषाक भं उन्हं गीतं का फॊजाया मं ही नहीॊ कह डदमा । उनके गीतं का क्रभवाय ऩाठ कयं तो मह फात शसद्ध हो जाती है । उनका गीत है -
भं हॊू फॊजाया फादर बटकता हुआ, ्मासा धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा ।
भं क्मा कहॉू , वे स्वमॊ अऩने को फॊजाया फादर इस गीत भं कह गमे हं । ्मासी धयती
ऩे फयस जाने की उनकी उत्कॊठा बी प्राकृ शतक एवॊ सहज है -फादर का मही स्वबाव होता है अऩने बौशतक स्वरूऩ सडहत वह बटकता ही यहता है -हवाओॊ के
सॊग औय इसीशरए
सीयत से वह आवाया हो जाता है । इसी गीत अॊतये भं वे शरखते हं -
नेह के नीय से बय शरमा है करश, याह भं शभर गमा कल्ऩना का ऩयस। रयश्ते नातं की झीनी चुनय पंककय, बावना के
नगय भं भं फस जाऊॉगा॥
फादर तो फॊजाया होता है वह कैसे फस जाएगा ? शनडहताथा दे खं तो सभझ भं आता है
डक वे धयती के ह्रदम भं फस जाने की इच्छा यखते हं । फादर के फॊजाये को ऩथ का
ध्मान तो यहता है भॊक्षजर का ध्मान नहीॊ यहता है । उसकी साथाकता उसके घुभन्तु होने भं है । इसशरए वे आगे कहते हं -
भेयी भॊक्षजर का भुझको नहीॊ है ऩता, भं हूॉ फेयॊग शरपापा भेयी मे खता
औय गीत के अन्त भं उनका शनणाम शाधनीम है । वे शरखते हं - कार के बार ऩय गीत
भंने शरखा, भौत आमी अगय उसका बी भन यखा, क्षजन्दगी के शरए गीत भं गाऊॉगा ....
जीवन के शरए गाने औय गाते यहने की मह आकाॊऺा सवाथा शुब है औय गीत के फॊजाये के शरए मश को दे ने वारी है ।
एक अन्म गीत की ध्रुव ऩॊष्टिमाॊ दे क्षखमे क्षजसभं वे अऩने ष्टप्रम को ष्टवशबन्न सम्पफोधन दे ते हुए ष्टप्रम को श्रॊगाय का आधाय फता यहे हं - साॊस तुभ, भधुआस तुभ, श्रृग ॊ ाय का आधाय तुभ, तुभ ही उद्गभ, अॊत तुभ ही, कूर तुभ, भझधाय तुभ । अऩने रूऩवान ष्टप्रम को वे
सावधान कयते हं डकतनी यसभमी बावना से ष्टप्रम को कह यहे हं - चाॊदनी यात भं मूॊ न
घय से शनकर, दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर। अऩने ष्टप्रम के रूऩ का यणान डकस तयह कयते हं वे दे खं- रूऩ कुन्दन सा चभकता, दे ह चॊदन सी भहकती, रजीरी शचतवन
चुयाने चाॊदनी नब की तयसती, चन्द्र चॊचर के चयण मे बोय की रारी ऩखाये ऩूक्षणाभा के चन्द्र सी भुसकान अधयं ऩय तुम्पहाये । एक औय गीत का अन्तया दे ख-ं भंहदी चढ़य
हथेरी दहकने रगी, साॊस ऩी का ऩयस ऩा फहकने रगी, नैन फोक्षझर हुए भुख ऩे थी राशरभा, ऩूक्षणाभा ऩूक्षणाभा । कष्टववय हठीरा अऩने गीत अऩने ष्टप्रम के नाभ कय दे ना चाहते
हं - आज की शाभ तुम्पहाये नाभ, गीत के जाभ तुम्पहाये नाभ, याधा के
सॊग यास
यचामा भुयरीधय नटवय ने, व्माकुर भुयरी को सहरामा भडदय भधुय भधुकय ने, भीया ने शनष्काभ सभऩाण डकमा कृ ष्ण के नाभ। एक अन्म गीत भं फच्चन जी की प्रणम
ऩष्टत्रका को इस तयह स्भयण कयते हं - आठं माभ प्रतीऺा कयता मे भन का सन्मासी,
प्रणम ऩष्टत्रका फाॊच यहा है द्वाये एक प्रवासी। कष्टववय हठीरा गीतं की ऩयम्पऩया एवॊ गीतं की ष्टवयासत से ऩरयशचत हं ,मह स्ऩि होता है । वे भस्त भस्त गीत कष्टव हं । अऩनी
आॊतरयक प्राकृ शतक साॊशगशतकता के फर ऩय गीत यचते हं औय झूभकय गाते हं । मह
तो शुब है डकॊतु गीतं भं भाष्टत्रक छॊ दं की शुद्धता की शचन्ता वे नहीॊ कयते मह सुधी ऩाठकं को शचन्ता भं डार दे ता है उन्हं इस फाफत सावधान होना चाडहए । मह डहदामत नहीॊ
भेयी ओय से ष्टवनम्र सुझाव बी है । मह सवाथा उनके डहत भं है , औय उससे फढ़कय मह गीत ष्टवधा के डहत भं होगा । रम की ऩकड उन्हं है तथाष्टऩ छॊ द की शुद्धता के शरए सावधानी यखना उनके शरए आवश्मक है मह साधना उन्हं सही एवॊ शुद्ध गीत कष्टव फनामेगी।
चन्द्रसेन 'ष्टवयाट'
-भेयी शुबकाभनाएॉ ।
सभम, 121, वैकुण्ठ धाभ कॉरोनी, ओल्ड ऩराशसमा, खजयाना कोठी आनॊद फाजाय के ऩीछे ,
इन्दौय 452018, भ.प्र.
दे न हाय कोई औय है बेजत है डदन यै न खान खाना की उऩयोि ऩॊष्टिमाॉ भेयी काव्म मात्रा का ऩरयचामक हं शब्दं के अनन्त
आकाश भं एक नन्हीॊ सी शचडिमा के ऩॉख पैरा कय उिने के प्रमास का दस ू या नाभ है
फॉजाये -गीत । मे काव्म सॊग्रह आऩके हाथं भं संऩने का द:ु स्साहस कय तो यहा हूॊ ऩय
उसके ऩूवा अऩनी स्वीकायोष्टि आऩके सभऺ इसशरमे बी कयना आवश्मक सभझता हूॊ डक इस काव्म सॉग्रह भं भुझ अडकॊचन का अऩना तो कुछ बी नहीॊ, न तो भेया अऩना
शब्द सॊसाय, न कल्ऩना, न ष्टफॊफ औय ना ही परक है । भं तो फस काव्म ऩथ की यज बय फनने की कोशशश कय यहा हॊू ।
अबावं से जूझते, प्रकृ शत के क्रूय भॊजाक का शशकाय होने के कायण शशऺा को फीच भं
ही ष्टवयाभ दे फचऩन को अरष्टवदा कह गृहस्थी के सभय भं कूदना ऩिा। सभम के थऩेिं से दो चाय होते होते न जाने कफ काव्म का झयना प्रस्पुडटत हो गमा, ऩता ही नहीॊ चर ऩामा। कष्टव सम्पभेरनं की नगयी होने के कायण काव्मानुयाग तो अनुवाॊशशक था ही, साथ
भं काव्म ऩशथक शभत्रं के नेह गेह ने इस अनुज को अऩाय राि ्माय दर ु ाय बी डदमा
। योना औय गाना तो प्रकृ शत जन्म हं सो मह सुख बी प्रायब्ध से भुझे शभरा । बजन औय डपल्भी गीतं की फैसाखी तो ऩास थी ही थी, साथ ही फैयागी दादा (फारकष्टव फैयागी)
के गीतं का प्रबाव बी फचऩन से भुझ ऩय यहा । ऩरयवाय भं एवॊ शभत्रं भं याष्ट्रवादी फाहुल्म
होने के कायण प्रायॊ शबक यचनाओॊ भं ओज का वचास्व ही कष्टव भन ऩय हावी यहा । प्रकृ शत औय संदमा से जुिने का अवसय तो फिे बाई नायामण कासट के साशनध्म भं आने के
फाद ही भेयी यचनाधशभाता भं आमा औय शनै: शनै: ओज ऩय श्रॉगाय का ऐसा नशा चढ़ा
डक डपय तो मे श्रॉगाय गीत ही भेयी ऩहचान फन गमे। भुझे मे स्वीकाय कयने से कोई गुयंज नहीॊ डक भेयी कल्ऩना, भेया शब्द कोष, बाई नायामण कासट के प्रबाव की छामा भं खिा नॊजय आता है क्मंडक अशधकतय गीत उन्हंने औय भंने साथ साथ ही यचे । भेयी काव्म मात्रा के प्रायॊ ब भं बाई धभायाज दे शयाज, याभडकशोय नाष्टवक, शभरे जो आज बी हभयाह फने हुए हं , वहीॊ हयीश नाष्टवक, डॉ. कैराश गुरू स्वाभी, कृ ष्ण हयी ऩचौयी,
दाऊ हयी ओभ शभाा, दे वेन्द्र शभाा, ब्रजेश शभाा, डॉ. भो. आज़भ, डॉ. याजेश शम्पफय, सुबाष
चौहान, जोयावय शसॊह तथा रक्ष्भीनायामण याम ने भुझे इस ऩथ ऩय चरने की प्रेयणा हभेशा दी। इस सॊग्रह के प्रकाशन का भागा बाई ऩॊकज सुफीय, फेटी-फेटे भोशनका एवॊ
अक्षखरेश ने प्रशस्त कय उस सऩने को साकाय रूऩ दे ने भं तन भन धन से सहमोग डदमा। स्व. भोहन याम के फाये भं क्मा शरखूॉ ? भेये साये शब्द सायी बावनाएॉ भानो उनका नाभ रेते ही डठठक जाते हं । अॊत भं आबाय उन आशशवााद दाताओॊ का क्षजनकी प्रशॊसा के कायण ही आज भं इस भुॊकाभ ऩय हॊू । ष्टवशेष तौय ऩय आबाय स्व. बाई ऋषब गाॉधी,
स्व. डॉ. के. एन. साहू, श्री अम्पफादत्त बायतीम, फोहया सभाज, शशवायाध्मा सशभशत, रामॊस क्रफ सीहोय, बायतीम स्टे ट फंक का क्षजन्हंने सभम-सभम ऩय भुझे सम्पभान दे कय भेयी काव्म मात्रा का भान फढ़ामा। साथ ही पुयसत, जन शचॊगायी, दै शनक क्षऺशतज डकयण,
दै शनक बास्कय एवॊ सीहोय एक्सप्रेस जैसे सभाचाय ऩत्रं तथा उनके स्थानीम सॊऩादकं बाई ऋषब जी, फाफा बायती, कैराश गौय, फसॊत दासवानी का बी क्षजन्हंने रगाताय
कॊु डशरमं के रूऩ भं शरखे गमे सभाचायं का प्रकाशशत कय भेया उत्साह वद्धा न डकमा।
आबाय अभय ज्मोशत सॊगठन का क्षजन्हंने ऩाॉच फाय अक्षखर बायतीम कष्टव सम्पभेरन के
भॊच ऩय काव्म ऩाठ कयने का अवसय प्रदान डकमा । अऩने उन श्रोताओॊ का आबाय व्मि कयने के शरमे भेये ऩास शब्द नहीॊ हं क्षजन्हंने गोष्टिमं, कष्टव सम्पभेरनं भं भुझे सुना
औय सयाहा, भं जो कुछ बी हूॊ वो उन्हीॊ के कायण हूॊ । आबाय उस फारक सनी गोस्वाभी
का बी क्षजसने टॊ कण कय भेये ष्टफखये हुए काव्म सॊसाय को ऩुस्तक की शक्र दी । साथ
ही सीधी सादी बोरी बारी ऩत्नी का जो आज बी इस भ्रभ भं भ्रशभत है डक उसे दे ख कय ही भेये गीत ऩल्रष्टवत हो यहे हं । यभेश हठीरा
भुकेयी राइन
सीहोय, भ.प्र.-466001
दयू बाष 07562-228435
जॊगर भं भहकने वारे ऩराश का टटकाऩन है इन गीतं भं
न तो भं कोई बाषा ष्टवद् हूॉ औय ना ही काव्म भभाऻ व्माकयणाचामा, हाॉ डहन्दी कष्टवता का एक आभ श्रोता औय ऩाठक अवश्म हूॉ । 'फॉजाये -गीत' के प्रणेता सुकष्टव श्री यभेश
हठीरा का काॊपी रम्पफा एवभ ् आत्भीम साथ भुझे प्राप्त हुआ है , क्षजसके शरमे भं ईश्वय औय उनका ह्रदम से आबायी हूॉ।
सुकष्टव यभेश हठीरा के गीतं भं फाकामदा डकसी ऩडठत आचामा का ऩाॊडडत्म बरे नहीॊ
हो भगय एक सहज सयर बावुक ह्रदम की शनभार, शनश्छर, आडॊ फय ष्टवहीन अशबव्मष्टि अवश्म है जो कष्टवमं की बीि भं उन्हं स्ऩित: अरग से ये ख्रडकत कयती है । उनके सॊग्रह भं सॊकशरत गीतं भं फॉजाये भन का दशान अऩनी आरौडकक छटा के साथ ष्टवद्यभान है ,
इसीशरमे उनके इस सॊग्रह का नाभ फॉजाये -गीत के अरावा कुछ औय हो बी नहीॊ सकता था ।
उनकी यचनाओॊ भं गभरं भं भहकने वारे नेटयशभ, डडमाॊथस, फयवीना की भहक औय जतन से सॉवायी गई फशगमा के खु़शयॊ ग पूरं की ़ाशतर अदाएॉ नहीॊ वयन जॊगर भं भहकने वारे ऩराश का टटकाऩन, गुरभुहय का छतनायी फाॉकऩन औय भहुआ की तन भन को झकझोय दे ने वारी अल्हि भादकता अऩनी ऩूयी जीवॊतता के साथ डहरोयं रेती,
झूभ-झनन ् भचरती, नृत्म कयती है । भंने तो अनेकं अवसयं ऩय मह भहसूस डकमा डक वे गीत नहीॊ शसयजते, गीतं ने उनको शसयजा है । उनके प्राणं भं गीत शछऩा है । डदर
गीतं भं धिकता है । गीत भं साॉसं भहकतीॊ हं । खू़न भं गीत घुरा-शभरा है । उनका जीवन ही गीत सॊगीत भम है ।
सभाज भं फॉजाये -गीत स्नेह, ्माय औय दर ु ाय ऩाएॉगे ऐसा भेया ष्टवश्वास है । फॉजाये -गीतं
का यचनाकाय मे कष्टव औय अऩने उन फॉजाये गीतं को झूभ कय भस्ती भं गाने वारा मे गामक मशस्वी एवभ ् दीघा जीवी हो इसी भॊगर काभना के साथ........। नायामण कासट 'नदीभ'
अभय टॉकीॊज योड
सीहोय, भ.प्र.-466001
दयू बाष 07562-404478
शशवना भानो अऩने ही ऑॊगन भं आई है सुकष्टव यभेश हठीरा उन रोगं भं से हं क्षजन्हंने शशवना साडहक्षत्मक सॊस्था की स्थाऩना की थी। औय डपय फाद भं जफ शशवना प्रकाशन की मोजना फनी तो उसको बी भूता रूऩ
दे ने भं श्री हठीरा का भहती मोगदान यहा है । आज जफ शशवना प्रकाशन एक स्थाष्टऩत
नाभ होता जा यहा है तो ऐसे भं श्री हठीरा का काव्म सॊग्रह फॉजाये -गीत शशवना प्रकाशन से प्रकाशशत होना ऐसा ही है जैसे कोई नदी वाऩस घूभ कय अऩने ही उद्गभ ऩय आ गई
हो, भानो कोई ऑॊगन की शचडिमा उि कय अऩने ही ऑॊगन भं रौट आई हो । सीहोय
की साडहक्षत्मक गशतष्टवशधमं का क्ष़जक्र श्री हठीरा के ष्टफना अधूया ही यहे गा क्मंडक उन्हंने इस सोते से शहय भं साडहत्म की अरख जगाने का काभ डकमा है औय उसे एक कताव्म
की तयह डकमा है । डकसी बी शहय भं उनकी तयह के कुछ ही रोग होते हं जो साडहत्म को साधना की तयह रेते हं । गीतं औय छॊ दं की दशु नमा भं यहने वारा मे पक्कि
कष्टव डकसी अघोय की तयह से साडहत्म की साधना कय यहा है । उनके गीत तथा छॊ द
सुनने वारं को कबी यसशसि श्रॊगाय की दशु नमा की सैय कयवाते हं तो अगरे ही ऩर आध्मात्भ के धयातर ऩय उताय राते हं , ऩूणा ष्टवष्टवधता शरमे हुए है श्री हठीरा का साडहत्म ।
जफ हभने मे प्रकाशन प्रायॊ ब डकमा था तफ हभ साडहत्म सेवा का उद्दे श्म तथा स्थानीम साडहत्मकायं को जन जन तक ऩहुचाने का सॊकल्ऩ रेकय शनकरे थे। आज हभ उस रक्ष्म
के डकतने ऩास हं तथा अबी हभं डकतनी दयू ी तम कयनी है मे तो डपरहार बष्टवष्म के
गबा भं है रेडकन हभ तो फस मे जानते हं डक हभ चर यहे हं । गशतभान यहना औय सही डदशा भं गशतभान यहना डकसी बी सॊस्था के शरमे सफसे आवश्मक है , औय हभ ऐसा कय ऩा यहे हं , ऩहरे 'गुरभोहय के तरे' डपय 'झीर का ऩानी' औय अफ 'फॉजाये -गीत' । साडहत्म प्रेशभमं से वादा डकमा था डक हभ अऩने प्रवाह को फनाए यखंगं उसी वादे को ऩूया कयते हुए मे काव्म सॊग्रह हभ आऩको दे यहे हं । ऩॊकज 'सुफीय'
प्रकाशक शशवना प्रकाशन सीहोय, भ.प्र.-466001
दयू बाष 07562-405545
जफ वे भॊच ऩय होते हं तो डपय भॊच उनका ही
होता है यभेश हठीरा सीहोय भं साडहक्षत्क आमोजनं के सूत्रधाय प्रत्मऺ मा अप्रत्मऺ रूऩ से होते
यहे हं । साडहत्म के प्रशत उनकी रगन डकसी के शरमे बी प्रेयणा फन सकती है । उनका स्वमभ ् का साडहत्म बी एसा है डक डहॊ दी छॊ द की ऩूयी ऩयॊ ऩया का दशान हो जाता है ।
''साॉस तुभ भधुआस तुभ श्रॉगाय का आधाय तुभ, तुभ ही उद्गभ अॊत तुभ ही कूर तुभ भझधाय तुभ'' जैसा गीत शरखना डकसी बी कष्टव का स्वऩ ् हो सकता है । वे क्षजतने अच्छे
कष्टव हं उतने ही अच्छे कॊठ से अऩनी कष्टवताओॊ का ऩाठ बी कयते हं । जफ वे भॊच ऩय होते हं तो डपय भॊच उनका ही होता है । मे उनकी जीक्षजष्टवषा ही है जो फाय फाय
व्माशधमं द्वाया ऩीडित डकमे जाने के फाद बी वे ऩुन: ऩूयी ताकत के साथ साडहत्म के भॊच ऩय रौट आते हं । वे भेये अशबन्न शभत्र हं अत: उनके काव्म सॊग्रह के प्रकाशन के
अवसय ऩय भं ईश्वय से मही प्राथाना कयता हॊू डक उन्हं स्वस्थ औय सुदीघा जीवन दे ताडक वे मूॊ ही काव्म शसयजते यहं , औय श्रोताओॊ को यसाफोय कयते यहं । (मे बूशभका स्व. श्री भोहन याम ने शनधन से ऩूवा शरखी थी) भोहन याम 'गीतकाय' फडिमाखेिी, सीहोय
वे हय जगह कष्टवता को तराश रेते हं फहुत भुक्षश्कर होता है अऩने ही ष्टऩता ऩय करभ चराना औय डपय औय भुक्षश्कर होता है तफ बी जफ वो आऩके गुरू बी हं । कष्टवता के ऺेत्र भं भं आज जहाॉ बी हॊू तो उन्हीॊ
के कायण हॊू । उनकी सफसे फिी ष्टवशेषता मे है डक वे हय जगह कष्टवता को तराश रेते हं ।
भन से बावुक ऩय फरा के स्वाशबभानी औय छोटी सी फात बी उन्हं अॊदय तक
प्रबाष्टवत कय दे ती है । शामद मे ही फात है डक वे कष्टवता को सहजता के साथ यच रेते हं । उनके अॊदय का सॊवेदनशीर भन उनका सफसे सशि ऩहरू है औय इसी के चरते
उन्हंने 'भं हूॊ फॊजाया फादर ' जैसे गीतं का सृजन डकमा है । ारत को ारत औय सही
को सही कहने की उनकी क्षजद उनकी कष्टवताओॊ भं अक्सय नॊजय आती यही है । उनके
गीतं भं सबी यॊ ग हं उदासी हो तो इतनी गहयी डक सागय से बी ज्मादा औय उल्रास हो तो इतना डक फसॊत बी शयभाए। उनकी कष्टवताएॉ सॊग्रह भं ढर कय आ यहीॊ हं , भेयी ओय से उनको भॊगर काभनाएॉ । भोशनका हठीरा (बोजक) कच्छ, बुज, गुजयात
अनुक्रभ
(अ) गीत खण्ड:-
15 से 68 तक
1. जम जम जम गणयाज 17 2. जम हो वीणा ऩाणी
3. शशव सत्म है शशव सुॊदयभ
18 19
4. क्षजसभं फहती है गॊगो जभन 20 5. बायती की आयती
21
7. नैन नशीरे दे ह सॊदरी
23
6. हे भाॉ सयस्वती
8. भं हूॉ फॊजाया फादर 9. चाॉदनी यात भं
10. साॉस तुभ भधुआस तुभ 11. क्षजसको हभने अऩना
12. केश मभुना की रहय 13. साॉझ सकाये फाट
14. नैन शभराकय चैन
15. भुझे कयो न माद ष्टप्रमे 16. डदन कटते ना यै न
17. ऩूक्षणाभा के चॉद्र सी 18. नैनं ने फाॉच री
22 24 26 28
30 31
32 33 34 36 37 38
19. मे कैसी भजफूयी है
40
21. ऑॊखं ऑॊखं भं फात
42
20. जीवन की ढरती
41
22. तुभ भुसकाकय जग
44
23. आज भहायास की है
46
24. चॊदा ने डे या डारा है
48
25. आ बी जा फेवपा
26. डकसके आगे योना योएॉ 27. बोय की ऩहरी डकयण 28. सुनहये सऩनं को 29. डकस ऑॊगन की 30.चाॉदनी यात हो
57
49
50 52 54 56
31. जफ जफ माद तुम्पहायी
58
33. डकतना डदरकश है
60
32. तुझे दे वता फनाकय 34. कय यहा है कोई
35. आज की शाभ तुम्पहाये 36. भेये सऩनं भं आ
37. नेह गेह फयसाने वारी
38. भं श्रशभक अजय अभय 39. बय यही कुराॉच
59 62 63 64 65 66 68
(फ) दे श बष्टि गीत:- 69 से 86 तक 1. छब्फीस जनवयी
71
3. केसय की क्मायी भं
72
2. गणतॊत्र हभाया
4. स्वायथ के अॊधं ने
5. अभय क्राॉशत की भशार
71
74 76
6. आज़ादी का डदन है
79
8. चोय चोय भौसेये बाई
82
7. नेता साये दे श के 9. कौवे हॉ स फने
10. सॊसद भं नृत्म कयं
11. सावधान दे श के सऩूतं 12. ऩऺ की आज तो कर
80 84 86 86 86
(स) छॊ द, भुिक:- 87 से 98 तक 1. अम्पफय के अॊगना
89
3. ओढ़े हुए चूनरयमा
89
2. इठराती फर खाती 4. चन्द्र कश्ती छोटी सी 5. धयती के ऍॊगना भं
6. इक अधूयी कहानी का
7. एसे भं नहीॊ जाने वारा
8. भं क्रूय कार से टकयामा 9. भेये अऩने हं आठं माभ 10. भुट्ठी भं फाॉधा
11. भन भस्त भरॊग भेया 91
89 89 89
90 90 90 90 90
12. नन्हे से उस ऩरयॊ दे को
91
14. अफ न डपय अश्क
91
13. ताउम्र उन्हं ढोमा है 15. हय सभम एक सा
16. रूऩ को सॊवाया कयी 17. वो रूठा डकमे
18. मे फतराओ कफ तक 92
91 91
92 92
19. मे ज़भाना तो था कफ का 93
20. भुझको साजन से शभरने
93
22. याह नैनन की आम गमे
94
21. भं डगरयमा ्माय की 23. आऩके रूऩ का भं 24. दो नमन दीऩ से
25. सीधी साधी बोरी बारी
26. गीत भेये गाएॉ तेये अधय
27. ्माय के वास्ते डपय यहा 28. हभ ्माय कयं गं
29. वो ्माय जताती है 30. यात सऩने भं वे
31. कूके कोमर दयू कहीॊ 32. ष्टफखयी अल्कं
33. गोयी तेयी कारी रट
34. डटभडटभाता दीऩ औय 35. फन घटा सावनी
93 94 94 95 95 95 96 96 96 97 97 97 97 98
36. भेघ शघय कय फयसता यहा 98 37. ऽजाना ्माय का 38. रूऩ ऐसा डक
(द) ाज़र खण्ड:-
98 98
99 से 120 तक
1. तुम्पहाये ्माय की भूयत
101
3. यात एक फात हो गई
103
2. फनूॊ गय ऑॊख का
4. आज क्षजस चौखट ऩे 5. माद भं उनकी
6. है महाॉ दष्टू षत फहुत 7. जीवन एक ऩहे री
102 104 105 106 107
8. सुफह सुफह धूऩ
108
10. सूयज की हितार
110
9. अऩना सामा हुआ ऩयामा 11. आसभान ऩय फादर छाए 12. हादसं का शहय
13. फॊद भुट्ठी ऑॊखं भं 14. ्माय से तेया अबी
15. क्षजसने जीवन भं कबी 16. कर हुआ खैय
17. उम्र बय तुझको दॊ ग ू ा 18. फेटी हो गई आज 19. हादसा दय हादसा 20. चाॉद से चाॉदनी
21. गूॉगे गुनगुनाते हं 22. रयश्तं भं ऩिे
23. ऩहरी फयसात का
109 111
112 113 114 115 115 116 117 117 118 119 119
120
गीत खण्ड जम जम गणयाज।
जमती जम, जम जम जम गणयाज। जमती जम, जम जम जम गणयाज।
जम जम जम गणयाज, फना दो सफके ष्टफगडे ़ ़ाज। जमती जम, जम जम जम गणयाज।
शगयजा नन्दन, सफ दख ु बॊजन, शसन्दयु फदन तुम्पहाया। भोटा भस्तक, कणा सूऩ से, कय भं अॊकुश ्माया॥ हे ष्टवघ्नेजश्वय , हे भोये श्वय, गॊ गणऩशत भहायाज॥
जमती जम, जम जम जम गणयाज ॥
भॊगर दाता, फुष्टद्ध ष्टवधाता, शॊकय तनम गजानन। हे रम्पफोदय, सफके दख ु हय, तेये दशान ऩावन॥
कयं तुम्पहाया ऩूजन अचान, यखना सफकी राज॥ जमती जम, जम जम जम गणयाज ॥
हे गणनामक, शसष्टद्ध ष्टवनामक, तेयी भडहभा न्मायी। शसष्टद्ध फुष्टद्ध, चॊवय ढु रावे, भूषक याज सवायी॥
भोदक दव ू ाा तुम्पहं चढ़ा सफ, दे यहे हं आवाॊज॥ जमती जम, जम जम जम गणयाज ॥
बोरे से, सॊग्राभ डकमा था, भातृ बष्टि के कायण । भस्तक कटा, आऩने ऩामा, शॊकय से गज-आनन॥ कय ऩरयक्रभा सोभेश्वय की, फन फैठे गणयाज ॥ जमती जम, जम जम जम गणयाज॥
तेयी प्रेयणा, ऩाकय हभने, मे गणतॊत्र फनामा ।
क्षजनका सूयज, कबी ना डू फा, उनका सूमा डु फामा । रोकभान्म के भहाभॊत्र से, हभको शभरा स्वयाज ॥ जमती जम, जम जम जम गणयाज ॥
जम हो वीणा ऩाणी। जमती वीणा ऩाणी, जम हो वीणा ऩाणी। तू ही भाॉ शायदे है , तू ही ब्रह्माणी॥
जमती वीणा ऩाणी, जमती जम हो वाणी। जग का तभ दयू कय भाॉ, ऻान ऩथ प्रकाश दे । त्वदीम ऩाद ऩॊकजभ, नभाभी दे वी शायदे ।
तेयी शयण भं आमे, हभ सफ अऻानी॥
जमती वीणा ऩाणी, जमती जम हो वाणी। अऩना ऩथ बूर गमे, भाॉ तेये आयाधक।
भूढ़भशत हो गमे सफ, मे सुष्टवधा के साधक। सूख गमा भाॉ इनकी, आॊखं का ऩानी॥
जमती वीणा ऩाणी, जमती जम हो वाणी। तेये ऩग फाॊध यहे , घुॊघरू ऩंजशनमा।
ताय ताय कय दी श्वेत, शनभार चुनरयमा।
छोि कभर आसन भाॉ, होगी भेहयफानी॥
जमती वीणा ऩाणी, जमती जम हो वाणी। वीणा औय वाणी का, चीय हयण हो यहा। ष्टवषऩामी नीरकॊठ, रे सभाधी सो यहा।
जागो जागो अफ भाॉ, रे रो चक्रऩाणी॥
जमती वीणा ऩाणी, जमती जम हो वाणी।
शशव सत्म है , शशव सुॊदयभ ्। शशव सत्म है , शशव सुॊदयभ ्। शशव ऩूणा ब्रह्म सनातनभ ् । शशव शॊकयभ ् प्ररमॊकयभ ् ।
शशव को नभन ् शत ्-शत ् नभन॥ शशव शष्टि है , शशव बष्टि है ।
शशव जगत की अशबव्मष्टि है । शशव तायणभ ् शशव भायणभ ् ।
शशव ष्टवश्व ऩारन हायणभ ् ॥ शशव शॊकयभ ् प्ररमॊकयभ ् ।
शशव को नभन ् शत ्-शत ् नभन॥ शशव ओभ बी, ओॊकाय बी,
शशव व्मोभ का आधाय बी।
शशव रुण्ड भुण्ड ष्टत्रऩुण्ड बी।
शशव स्वमॊ भं हष्टव कुण्ड बी॥ शशव शॊकयभ ् प्ररमॊकयभ ् ।
शशव को नभन ् शत ्-शत ् नभन॥ शशव आडद अनाडद अनॊत है । शशव सॊत ऩॊत फसॊत है ।
शशव शब्द है शशव नाद है । शशव ब्रह्म औय शननाद है ॥
शशव शॊकयभ ् प्ररमॊकयभ ् ।
शशव को नभन ् शत ्-शत ् नभन॥
क्षजसभं फहती है गॊगो जभन।
क्षजसभं फहती है गॊगो जभन। उस भु़द्दस धया को नभन।
फायहा उस धया को नभन। उस धया को है शत ्-शत ् नभन॥ फपा का ताज ऩहने हुए, फन के प्रहयी डहभारा खिा।
क्षजसके चयणं भं सय ऽभ डकमे, हाथ जोिे सभॊदय खिा।
ऩूवा ऩक्षिभ हं क्षजसके नमन। उस भुकद्दस धया को नभन। वाडदमं की हसीॊ गोद भं, शंख गुर भहके-भहके हुए। कैपो भस्ती भं डू फे हुए, फुत अजॊता के फहके हुए।
यश्के जन्नत है मे फाॊकऩन, उस भुकद्दस धया को नभन। क्षजसकी सुफह फनायस सी है , क्षजसकी सॊध्मा है शाभे अवध। ऩुय सुकॊू है शफे भारवा, क्षजसकी जीनत है शाने भगध॥
क्षजसभं खेरे हं याभ ओ डकसन, उस भुकद्दस धया को नभन। है डदवारी भनाता कयीभ, ईद ऩय भुस्कुयाता डकसन। फ्राॊशसस नाचता बाॊगिा, ईस्टय ऩय भगन गुयवचन।
दे यहा जो ऩमाभे अभन, उस भुकद्दस धया को नभन। क्षजसभं फहती है गॊगो जभन। उस भुकद्दस धया को नभन।
फायहा उस धया को नभन। उस धया को है शत ्-शत ् नभन॥ भाॉ बायती की आयती॥ दसं डदशा उतायती, भाॉ बायती की आयती।
सभीय शनत उचायती, भाॉ बायती की आयती॥ शसॊदयू ऊषा ने डदमा, भरम ने शुब शतरक डकमा। बोय की डकयण ने आके, दीऩ नव जरा डदमा। शसॊधू ने डकमा शननाद, बायती जम बायती।
दसं डदशा उतायती, भाॉ बायती की आयती॥ भेघ ढोर फन फजे, चऩरा झाॊझ फन गई।
अचाना को शततशरमाॊ, चभन से ऩुष्ऩ चुन गई। गुनगुना यहा भ्रभय, भाॉ बायती की आयती।
दसं डदशा उतायती, भाॉ बायती की आयती॥
वेद भॊत्र गान ऩॊछी, कय यहे प्रबात से।
जर तयॊ ग को शभर गमा है , आज सुय प्रऩात से। गॊग की डहरोय फढ़ के, वायती है आयती।
दसं डदशा उतायती, भाॉ बायती की आयती॥ शशखय करश मे भॊडदयं के, मोग ध्मान कय यहे । हये बये तरू भगन हो, भाॉ के चॊवय डु र यहे । फाट जो यही है साॊझ, दीष्टऩका शनहायती।
दसं डदशा उतायती, भाॉ बायती की आयती॥ दसं डदशा उतायती, भाॉ बायती की आयती।
सभीय शनत उचायती, भाॉ बायती की आयती॥ हे भाॉ सयस्वती
हे भाॉ सयस्वती दे दो सन्भशत, औय दफ ुा ी हयो। ु द्ध
सत्मभ ् शशवभ ् की इस धया ऩय, ऻान का सागय बयो॥ हभ कयते अचान औय वॊदन, शनत उतायं आयती।
हे वीणा ऩाणी वेद वाणी, जमती जम भाॉ बायती।
हे हॊ स वाडहनी ऻान दाशमनी, जग आरोडकत तुभ कयो॥ सत्मभ ् शशवभ ् की इस धया ऩय, ऻान का सागय बयो॥
छामा है तभ ् भाॉ ष्टववश हभ भाॉ, ऩथ प्रदशाक तुभ फनो। हभ भूढ़भशत अऻाशनमं की, प्राथाना भाॉ तुभ सुनो। हे शायदे सुष्टवचाय दे भाॉ, जगत का सॊकट हयो॥
सत्मभ ् शशवभ ् की इस धया ऩय, ऻान का सागय बयो॥
है ष्टवशार बार डकयीट सोहे , गर वैजॊती हाय है । श्री ऩाद ऩॊकज श्वेत अचया, ऻानदा दाताय है ।
हभ कयते अनुनम जग हो शनबाम, फुद्धी दो भॊगर कयो॥ सत्मभ ् शशवभ ् की इस धया ऩय, ऻान का सागय बयो॥ तू है कृ ऩारू तू दमारू, तू ही भाॉ करूणाशनधी।
जग तायणी बमहारयणी, वयदाशमनी अफ रे सुधी।
हे प्रशतपरा हे उज्जववरा , भाॉ वीणा की झणझण कयो॥ सत्मभ ् शशवभ ् की इस धया ऩय, ऻान का सागय बयो॥ हे भाॉ सयस्वती दे दो सन्भशत, औय दफ ुा ी हयो। ु द्ध
सत्मभ ् शशवभ ् की इस धया ऩय, ऻान का सागय बयो॥ नैन नशीरे नैन नशीरे दे ह सॊदरी गार हुए शसॊदयू ी।
सुयशबत साॉसं बयं कुराचं जैसे भृग कस्तूयी। उभय की सोन शचिी, दे खो ऩयवान चढ़ी॥
चॊदा का फंदा भाथे ऩय चभ-चभ चभ-चभ चभके काॉधे से पैरीॊ शनतम्पफ तक कारी-कारी अरकं स्वणा गर भार ऩिी, वेणी भुशतमन से जिी॥
इन्द्र धनुष सी बृकुटी तुम्पहायी नाक नथशनमा झूभे। अरकं की रट ऩगरी गोये गार के शतर को चूभे। रूऩ ऩय धूऩ चढ़ी, शछऩी अचया भं गढ़ी॥
कणा पूर के भोती चभके जैसे जुगनू वन भं।
हॉ सी तुम्पहायी ऐसी ज्मं ष्टफजुयी दभके सावन भं। रगी फयखा की झिी, फेडिमाॉ ऩाॉव ऩिी॥
नाक नथशनमा अधयं ऊऩय फैठी डे या डारे।
झयनं जैसे उफर ऩिं न फोर तेये भतवाये । नीॊद नैनं से उिी, द्वाय ऩय राज खिी॥
शैर शशखय वऺं के ऊऩय रहयाता है ऑॊचर। नीय बयन को आमे रगते हं आषाढ़ी फादर। शभरन की आई घिी, प्रीत की फेर चढ़ी॥ नैन नशीरे दे ह सॊदरी गार हुए शसॊदयू ी।
सुयशबत साॉसं बयं कुराचं जैसे भृग कस्तूयी। उभय की सोन शचिी, दे खो ऩयवान चढ़ी॥
भं हॉ फॊजाया फादर,
भं हॉ फॊजाया फादर, बटकता हुआ।
्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥ नेह के नीय से बय शरमा है करश।
याह भं शभर गमा कल्ऩना का ऩयस। शसॊदयू ी सऩनं के अश्व ऩय फैठकय।
रयश्ते नातं की झीनी चुनय पंककय। बावना के नगय भं, भं फस जाऊॉग॥
्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥
चाॊद सूयज धया सा भं चरता यहा।
डहभ शगयी सा सतत भं ष्टऩघरता यहा। भंने फस्ती फसाई नहीॊ अफ तरक।
दे ख ऩामा नहीॊ एक झरक आज तक। है मे ष्टवश्वास उसका दयस ऩाऊॉगा॥
्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥ भेयी भॊक्षजर का भुझको नहीॊ है ऩता। भं हॉ फेयॊग शरपापा भेयी मे ऽता। वि का डाडकमा रे भुझे घूभता। हॉ ऩहे री क्षजसे योज ही फूझता ।
शभर गई भुझको भॊक्षजर हयष जाऊॉगा॥ ्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥ भं सभम की सुई सा चरा औय रुका। भं नहीॊ वि ही भेये आगे झुका। आॊधीमं ने डयामा डडगामा भुझे।
तीय भौसभ चराता यहा ष्टवष फुझे।
भेयी भॊक्षजर वहीॊ भं क्षजधय जाऊॉगा॥
्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥ फस्तीमं ने खिी नेह दीवाय की । रूऩ ने डार दी फेिीमाॊ ्माय की।
फाॊधना चाहा रयश्तं ने भोहऩाश भं।
द्वॊ द चरने रगा तृप्ती औय ्मास भं।
भूक अधयं ने सभझा भं भुस्काऊॉगा॥
्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥ नैनं का नीय फनने की आदत नहीॊ।
स्वाती की फूॊद फन जाऊॉ चाहत नहीॊ। ्मासा ऩऩीहा बरे फाट जोहे भेयी।
कान्हा के अधयं की भं फनूॊ फाॊसयु ी।
फन के ऩोखय भं शसॊधू भं खो जाऊॉगा॥ ्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥ कार के बार ऩय गीत भंने शरखा।
भौत आई अगय उसका बी भन यखा। हाय भानी नहीॊ कार हाया स्वमॊ।
एक ऩर को भुझे क्मं हुआ मे बयभ। क्षजॊदगी के शरमे गीत भं गाऊॉगा।
्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥ भं हॉ फॊजाया फादर, बटकता हुआ।
्मासी धयती डदखी तो फयस जाऊॉगा॥
चाॊदनी यात भं
चाॊदनी यात भं मूॉ न घय से शनकर।
दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर॥ तुभ हो ष्टवधना के हाथं की चॊचर कृ शत। राज से गि गई दे ख तुभको यशत॥
काभ शसॊधू सा उच्छर तयॊ शगत हुआ। रूऩ के आगे सॊमभ ऩयाक्षजत हुआ॥
हो गमा डहभ सा जरता हुआ दावानर॥ दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर॥ उवाशी बंट की रूऩ की गागयी।
कय यही यम्पबा-सम्पबा तेयी चाकयी॥
अरकं सुरझा यही तेयी चॊचर ऩवन।
आके उफटन भरे गोये तन ऩे भदन॥
कजयाये दो नमन झीर भं ज्मं कॊवर॥ दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर॥ सुयभई शाभ कजया रगाने रगी।
यात यानी प्रणम गीत गाने रगी॥
तायं की सेज जुन्हाई ने दी सजा।
प्रहयी ऩूनभ का चॊदा कये यतजगा॥
नेह की गॊध ऩा हो गई दे ह ष्टवकर॥
दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर॥
छुई भुई सी सुकोभर है कामा तेयी । फैन कान्हा के अधयं फजे फाॊसयु ी॥
शततरी के ऩॊख से पिपिाते ऩरक।
भन है फैचेन ऩाने तेयी एक झरक॥
चार अल्हि डहयशनमा सी चॊचर चऩर॥ दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर॥
भन की शभट्टी को भरभर के भूयत घिी। यख दी ओठं ऩे नीयज से रे ऩॊखुिी॥ डहयनी से रे शरए नैन चॊचर चऩर।
चरते चरते कभरयमा ऩे ऩिते हं फर॥ रूऩ की रहरहाने रगी है पसर॥
दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर॥ चाॊदनी यात भं मॉ न घय से शनकर।
दे खकय चाॊद तुभको न जामे ष्टऩघर॥
साॊस तुभ, भधू आस तुभ,
साॊस तुभ, भधू आस तुभ, श्रॊगाय का आधाय तुभ।
तुभ ही उद्गभ, अॊत तुभ ही, कूर तुभ भझधाय तुभ॥ गीत तुभ सॊगीत तुभ हो, ्माय की गीता ष्टप्रमे।
भुझ अडकॊचन की चहकती, ठु भकती कष्टवता ष्टप्रमे॥
साॊध्म की भृद ु राशरभा हो, बोय का शुब गान तुभ। तृष्टषत चातक के शरमे हो, स्वाती का अयभान तुभ॥ साॊस तुभ, भधू आस तुभ, श्रॊगाय का आधाय तुभ। गॊग का हो नीय शनभार, वेद की ऩावन ऋचा।
साधना का ऩुण्म फर, दे वं की हो तुभ वॊदना॥
साध तुभ साधन तुम्पहीॊ हो, साधना तुभ साध्म तुभ। अघा तुभ आयाधना तुभ, अचाना आयाध्म तुभ॥
साॊस तुभ, भधू आस तुभ, श्रॊगाय का आधाय तुभ। तुभ हो फासॊती सभीयण, तुभ ही सावन की पुहाय।
तुभ ही रुक्भणी, याशधका तुभ, तुभ ही हो भीया का ्माय॥ तुभ शयद की चाॊदनी हो, पागुनी आबास तुभ।
अवनी से आकाश तक, पैरा हुआ ष्टवश्वास तुभ॥
साॊस तुभ, भधू आस तुभ, श्रॊगाय का आधाय तुभ॥ तुभ सखा हो सूय के, भीया का ऩावन ्माय तुभ।
तुरसी के आयाध्म तुभ, कान्हा का गीतासाय तुभ॥ तुभ हो वयदामी का यासो, प्रेभ का गोदान तुभ।
तुभ कफीया की हो साखी, कृ ष्णभम यसखान तुभ॥ साॊस तुभ, भधू आस तुभ, श्रॊगाय का आधाय तुभ।
तुभ शनयारा की भहकती, झूभती जुही की करी। डहन्दी के साकेत के, ऩयचभ हं फाफू भैशथरी॥
आधुशनक भीया की यश्भी, उवाशी डदनकय की तुभ। तुभ हो वीणा ऩॊत की, काभामनी शॊकय की तुभ॥
साॊस तुभ, भधू आस तुभ, श्रॊगाय का आधाय तुभ। काव्म के बूषण हो तुभ, छॊ दं भं हो ष्टवद्याऩती। बिी की स्माही, सभऩाण की सजीरी रेखनी।
बाव ऩट ऩय काव्म सा, अॊडकत सरोना शचत्र तुभ । तुभ सुदाभा से सखा हो, ऩाथा से हो शभत्र तुभ
साॊस तुभ भधू आस तुभ श्रॊगाय का आधाय तुभ॥ साॊस तुभ, भधू आस तुभ, श्रॊगाय का आधाय तुभ।
तुभ ही उद्गभ, अॊत तुभ ही, कूर तुभ भझधाय तुभ॥ क्षजसको हभने अऩना सभझा
क्षजसको हभने अऩना सभझा उसने हभं छरा है । जीवन की आऩा धाऩी भं कुछ न हभं शभरा है ॥ सागय ने भमाादा छोिी, गुभ सुभ चाॊद शसताये । झुरस गई है धयती सायी, फयस यहे अॊगाये ।
ष्टवचशरत हो गई आज ऩवनीमा, चहुॊ डदस जहय घुरा है ॥ जीवन की आऩा धाऩी भं कुछ न हभं शभरा है H रयश्ते नाते शनिु य हो गए, जग ऩाषाण हुआ है ।
ऩत्थय की भूयत से फढ़कय, अफ इॊ सान हुआ है ।
डकससे कयं शशकामत उसकी, क्षजसने डदमा शसरा है ॥
जीवन की आऩा धाऩी भं कुछ न हभं शभरा है H क्षजसको हभने अऩना सभझा उसने हभं छरा है । जीवन की आऩा धाऩी भं कुछ न हभं शभरा है ॥ केश मभुना की रहय
केश मभुना की रहय रूऩ तेया ताज भहर।
फनाने वारे ने री तुझसे अजन्ता की शकर॥ चन्द्र दशान को तेये भोभ सा ष्टऩघरता है । आईना दे ख तुझे आहं बयने रगता है ।
तेये ओठं ऩे क्षखर उठे हं तफस्सुभ के कॊवर।
फनाने वारे ने री तुझसे अजन्ता की शकर॥ नमन तुम्पहाये दे यहे शनशा शनभॊत्रण है ।
झुकी ऩरकं रगं ऐसे के प्रणम का ऺण है ।
हॊ सी तुम्पहायी जैसे नभादा की कर-कर-कर।
फनाने वारे ने री तुझसे अजन्ता की शकर॥ चन्द्र गरहाय फन के कय यहा ऩयस तेया।
डार यक्खा है ऩवशनमा ने साॉस फन डे या।
अऩरक दे ख यहा तुझको गगन से फादर।
फनाने वारे ने री तुझसे अजन्ता की शकर॥ गगरयमा उम्र की कोयी है छरक ना जाए। ऊॉची नीची है डगय ऩाॉव फहक ना जाए।
हाथ से सोन शचयै मा न कहीॊ जाए डपसर
फनाने वारे ने री तुझसे अजन्ता की शकर॥ शब्द श्रॉगाय कय यहे तेया दशु नमा के कष्टव। ष्टवधाता सोच यहा भंने कफ गढ़ी मे छष्टव।
थभ ना जाए कहीॊ डपय बाव नगय की हरचर॥ फनाने वारे ने री तुझसे अजन्ता की शकर॥ केश मभुना की रहय रूऩ तेया ताज भहर।
फनाने वारे ने री तुझसे अजन्ता की शकर॥ साॊझ सकाये फाट
साॊझ सकाये फाट शनहारूॉ, झय गए हाय शसॊगाय। सजन नहीॊ आमे क्मं इस फाय॥
भरम गॊध के ऩवन झकोयं ने,फागं की सुध री।
शनमशत ने जफ-जफ चाहा भौसभ ने कयवट फदरी। ऩतझय का भौसभ फीता, फह यही फसॊती फमाय। सजन नहीॊ आमे क्मं इस फाय॥
शॊकाओॊ के भकि जार भं भ्रशभत हुई ष्टवयहन। ष्टफन ऩानी के फादर से सून-े सूने शचतवन।
आषाढ़ी फादर से उठ यहे भन भं कई ष्टवचाय।
सजन नहीॊ आमे क्मं इस फाय॥
सावन की ठण्डी पुहाय भनवा भं आग रगामे।
फोर ऩऩीहे के गुऩ-चुऩ अधयं की ्मास जगाए। आशाओॊ के भुयझ गमे इस फाय बी वन्दनवाय।
सजन क्मं नहीॊ आमे इस फाय॥ भयघट के सूनेऩन सा सावन का भौसभ रागे।
रयभक्षझभ फयखा की फूॊदं से आग फदन भं जागे। डदन फीते यशतमाॊ फीतीॊ, फीता सावन त्मौहाय। सजन नहीॊ आमे क्मं इस फाय॥
शयद ऋतु की भॊद ऩवन भं अवशन अॊषय झूभे। फासॊती चॊदा के सॊग-सॊग चटक चाॊदनी झूभे। भेये खाशतय चॊदा थोिा कय रेना भनुहाय। सजन नहीॊ आमे क्मं इस फाय॥
साॊझ सकाये फाट शनहारूॉ, झय गए हाय शसॊगाय। सजन नहीॊ आमे क्मं इस फाय॥ नैन शभरा कय
नैन शभरा कय चैन चुया कय, कय गई भुझको ऩागर। भेयी नीॊद चुया कय रे गई, एक हसीना चॊचर॥
आठं माभ प्रशतऺा कयता, मे भन का सन्मासी। प्रणम ऩष्टत्रका फाॊच यहा है , द्वाये एक प्रवासी॥
गयज तयज कय रयज गमा भं, ज्मं आषाढ़ी फादर। भेयी नीॊद चुया कय रे गई, एक हसीना चॊचर॥
ठु भक उठी साॊसं की सयगभ, प्रणम शनभॊत्रण ऩाकय। शथयक यहे हं आज फॊधग ू ण, दल् ू हा भुझे फनाकय।
भॊगर शतरक रगामा भाॊ ने, फहन रगा यही काजर।
भेयी नीॊद चुया कय रे गई, एक हसीना चॊचर॥ बोरा बारा भुख था उसका, चॊचर चॊचर शचतवन। ष्टफखय यहा था चॊद्र डकयण सा, चॊऩई चॊऩई मौवन। वसुॊधया ऩय चयण ऩिे तो, ऩुयवा हो गई ऩामर॥ भेयी नीॊद चुया कय रे गई, एक हसीना चॊचर॥
नैन शभरा कय चैन चुया कय, कय गई भुझको ऩागर। भेयी नीॊद चुया कय रे गई, एक हसीना चॊचर॥
भुझे कयो न माद
भुझे कयो न माद ष्टप्रमे तुभ भं अतीत फीता हॉू ।
तुभ हो चॊचर शनभार सरयता भं फादर यीता हॉ ॥ सुशधमं का सन्मासी शनश डदन आकय अरख जगाता। भौसभ का फॊजाया इक ताये ऩय गीत सुनाता।
भं अतीत हूॉ वताभान का गयर यंज ऩीता हूॉ॥
तुभ हो चॊचर शनभार सरयता भं फादर यीता हॉ ॥ वताभान की बूर बुरम ै ा भं तुभ बी खो जाओ।
नीर गगन की चन्द्र डकयण सी भॊद-भॊद भुस्काओ॥ तुभ सावन की बयी गगरयमा औय भं घट यीता हूॉ॥ तुभ हो चॊचर शनभार सरयता भं फादर यीता हॉ ॥ द्वाये आते आते रुट गई अयभानं की डोरी। हौरे से भुस्का ना ऩाई भंहदी रगी हथेरी।
ष्टफना तुम्पहाये ष्टप्रमवय शनत भयता हूॊ शनत जीता हूॊ॥ तुभ हो चॊचर शनभार सरयता भं फादर यीता हॉ ॥ सूना सूना भन भॊडऩ ऑॊहं फन गई हभजोरी।
औय कल्ऩना की दल् ु हन शनत कयती आॊख शभचौरी। ष्टफयहा के अॊगायं ऩय चरती डपयती सीता हूॊ॥
तुभ हो शनभार चॊचर सरयता भं फादर यीता हॉ ॥ चाॉद शसतायं जिी चुनरयमा तुझे उढ़ा ना ऩामा। सॊध्मा का शसॊदयू भाॉग भं तेयी बय ना ऩामा। सूखे फन्दनवायं की भं भौन सुप्त सरयता हॉू ॥
तुभ हो शनभार चॊचर सरयता भं फादर यीता हॉ ॥ आहं दल् ु हन फनीॊ आॊख के ऑॊसू फने फयाती।
ऩीिा आठं माभ अधय की फन गई सॊगी साथी।
ष्टफना तुम्पहाये गयर ष्टवयह का योज योज ऩीता हूॉ॥ तुभ हो शनभार चॊचर सरयता भं फादर यीता हॉ ॥ भुझे कयो न माद ष्टप्रमे तुभ भं अतीत फीता हॉू ।
तुभ हो चॊचर शनभार सरयता भं फादर यीता हॉ ॥
डदन कटते न यै न
डदन कटते न यै न गुजयती, साॊसं की सॊध्मा शनत्म ढरती। सूना है भन का भुख्मारम, इक ऩगरी रिकी के ष्टफन। खोमा खोमा भन यहता है , नीयस नडदमा सा फहता है ।
हॊ सी जा छुऩी कोऩ बवन भं, करूॊ प्रशतऺा आए डदन।
इक ऩगरी रिकी के ष्टफन, इक बोरी रिकी के ष्टफन॥ अफ कोराहर नहीॊ सुहाता, तन्हा यहने को भन चाहता। आज हुई शनष्प्राण फीन ष्टफन, भेयी खुशीमं की नाशगन।
एक ऩगरी रिकी के ष्टफन, एक अल्हि रिकी के ष्टफन॥ ऩॊख ऩास ऩयवाज नहीॊ है , था कर भेया आज नहीॊ है ।
एक बूर का उसकी सुशधमाॉ, फदरा रे यही हं शगन-शगन। एक ऩगरी रिकी के ष्टफन, एक नाजुक रिकी के ष्टफन॥ रहयं रूठ गईं सागय से, याधा रूठी नट नागय से।
ऩॊगु हो गईं भन की उभॊगं, घामर है हय ऩर हय डदन।
एक ऩगरी रिकी के ष्टफन, एक कभशसन रिकी के ष्टफन॥ डदन कटते न यै न गुजयती, साॊसं की सॊध्मा शनत्म ढरती। सूना है भन का भुख्मारम, इक ऩगरी रिकी के ष्टफन।
ऩूक्षणाभा के चन्द्र ऩूक्षणाभा के चन्द्र सी भुस्कान अधयं ऩय तुम्पहाये । यात यानी से भहकते मे घने गेसू तुम्पहाये ॥
यात कजयायी अभाॊ की आॊझ कय तुभने नमन भं। फाॊध रीॊ ऋतूऐॊ नशीरी शथयकते चॊचर चयण भं।
मूॊ न खोरो केश काये , छा यहा नब ऩय नशा ये ॥
ऩूक्षणाभा के चन्द्र सी भुस्कान अधयं ऩय तुम्पहाये ॥ फोर कोमर से सुयीरे नमन हं यस के कटोये । भयभयी सी फाॊह क्षजसभं रे यहा सागय डहरोये । मे तेया रहयाता आॊचर जैसे फाॊसती हवा ये ॥
ऩूक्षणाभा के चन्द्र सी भुस्कान अधयं ऩय तुम्पहाये ॥ रूऩ के अनुरूऩ सजकय ओढ़री धानी चुनरयमा।
भूक आॊभत्रण रुटाती शथयकती चॊचर नथशनमा। जफ बी तू दऩाण शनहाये आईना मे ही ऩुकाये ॥
ऩूक्षणाभा के चन्द्र सी भुस्कान अधयं ऩय तुम्पहाये ॥ रूऩ कॊु दन सा चभकता दे ह चॊदन सी भहकती।
रजीरी शचतवन चुयाने चाॊदनी नब की तयसती। चन्द्र चॊचर के चयण मे बोय की रारी ऩखाये ॥
ऩूक्षणाभा के चन्द्र सी भुस्कान अधयं ऩय तुम्पहाये ॥ ऩूक्षणाभा के चन्द्र सी भुस्कान अधयं ऩय तुम्पहाये । यात यानी से भहकते मे घने गेसू तुम्पहाये ॥ नैनं ने फाॊच री
नैनं ने फाॊच री नैनं की व्माकयण। प्रीत के फीज का हो गमा अॊकुयण॥
साॊझ शसॊदयू ी सज-धज के द्वाये खडी। डपय शसभटने रगी है कॊवर ऩॊखुिी। कसभसाने रगा गुन गुनाता भ्रभय।
कयना अफ है शमन तृप्ती की सेज ऩय। अनवयत कय यहा चन्द्रभा जागयण॥ प्रीत के फीज का हो गमा अॊकुयण॥
भन की वीणा स्वत: आज झॊकृत हुई। भूक अधयं की यसधाय अभृत हुई। उठ यही हं तयॊ गं ह्रदम शसॊधू भं।
सृिी का साय है शसॊधू के ष्टफॊद ू भं।
अनष्टफॊधे भोती ऩय सीऩ का आवयण॥ प्रीत के फीज का हो गमा अॊकुयण॥ दृष्म ऐसा ष्टवहॊ गभ न दे खा कबी।
रूऩ की शाश्वत थी वो चॊचर नदी।
अरकं कारी घटा काभ क्षजस ऩय शभटा। भोडहनी रूऩ ज्मं चन्द्र चॊचर छटा।
कान्हा ने ऩूजे जफ याशधका के चयण॥ प्रीत के फीच का हो गमा अॊकुयण॥ प्रीत ही बिी है प्रीत ही शिी है ।
प्रीत ही भुिी की फन गई मुिी है । प्रीत ही याग, अनुयाग, वैयाग्म है ।
प्रीत ही त्माग है प्रीत ही बाग्म है ।
प्रीत की जीत का क्षखर यहा है सुभन॥ प्रीत के फीच का हो गमा अॊकुयण
नैनं ने फाॊच री नैनं की व्माकयण। प्रीत के फीज का हो गमा अॊकुयण॥
मे कैसी भजफूयी है । मे कैसी भजफूयी है ।
ऩास हॊू डपय बी दयू ी है ।
उम्र ष्टफता दी भंने सॊग-सॊग। रेडकन फात अधूयी है ॥
व्माकुर है भन की यजधानी। आकुर है आॊखं का ऩानी।
अन ब्माही साॊसं की दल् ु हन। दे खे स्व्न शसॊदयू ी है ॥ मे कैसी भजफूयी है ॥
सूनी है बावं की नगयी। जैसे हो आषाढ़ी फदयी।
बये कल्ऩना शनत्म कुराॊचे। भृग खोजे कस्तूयी है ॥ मे कैसी भजफूयी है ॥
हाय गमा हॉू दाॉव प्रीत का।
दे ख शरमा था स्व्ने जीत का। बटक यहा फॊजाये सा भन। आस हुई न ऩूयी है ॥ मे कैसी भजफूयी है ॥ मे कैसी भजफूयी है ।
ऩास हॊू डपय बी दयू ी है ।
उम्र ष्टफता दी भंने सॊग-सॊग। रेडकन फात अधूयी है ॥
जीवन की ढरती
जीवन की ढरती दोऩहय भं कैसी बूर हुई है ।
पुर फशगमा सी मे क्षजॊदगानी आज फफूर हुई है ॥ कोमर भूक हुई जाने क्मं गुभसुभ है अभयाई। अभय फेर सी भन ऑॊगन भं पैरी ऩीय ऩयाई। झुरस गमे सफ भोय आभ के
ऩुयवा की रऩटं से।
कैसी आई फहाय फाग की करीमाॊ शूर हुई हं ॥
पुर फशगमा सी मे क्षजॊदगानी आज फफूर हुई है ॥ भडदय भधुय भुस्कान तुम्पहायी हभ ष्टफसया न ऩामे। स्भृतीमं का अॊगद ऩग हभ भन से हटा न ऩामे। आठं ऩहय रहय सरयता की चुऩके चुऩके योती। शैर शशखय ऩीडा की छै नी से कट धूर हुई है ॥
पुर फशगमा सी मे क्षजॊदगानी आज फफूर हुई है ॥ तेये दयस को शनश डदन तयसे ्मासे नैन हभाये । मे कैसा प्रायब्ध जगत भं शभरते नहीॊ डकनाये ।
टू ट यही साॊसं की कश्ती तट का ऩता नहीॊ है । भाॊझी थक कय चूय हवाएॉ बी प्रशतकूर हुई हं ॥
पुर फशगमा सी मे क्षजॊदगानी आज फफूर हुई है ॥ जीवन की ढरती दोऩहय भं कैसी बूर हुई है ।
पुर फशगमा सी मे क्षजॊदगानी आज फफूर हुई है ॥ ऑॊखं ऑॊखं भं
ऑॊखं ऑॊखं भं फात कय गई गुजरयमा।
आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ दे य यात आई भं सोरह शसॊगाय कय।
चॊदा को फदया की गठयी भं फाॉधकय।
दफे ऩाॊव आई फज न जाए कहीॊ ऩंजशनमा॥ आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ ऩूनभ से भावस तक सोरह ऩिाव है ।
सागय की रहयं ऩय शशश का झुकाव है । उम्र रदी फोयी सी फाॊकी है उभरयमा।
आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ क्षखर क्षखराती हॊ सी जैसे स्वय हो नूऩयू के। ष्टफखयी अरकं रागे ऩॊख ज्मं भमूय के। तायो जिी भाथे ऩे ओढ़ी ये चुनरयमा॥
आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ बुनसाये बुनसाये ऩनघट ऩय भं गई।
सक्षखमं को याहं भं चकभा भं दे गई।
सोच यही सक्षखमाॊ शनकरी हाथ से भछरयमा॥ आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ भोहे दे ख याहं भं फाॊछ-फाॊछ क्षखर गई।
्मासे ऩऩीहे को स्वाती फूॊद शभर गई।
अभय फैर सो शरऩटो डार गर गईमाॉ।
आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ फैमाॉ थाभ भुखिे से घूॊघट हटा डदमा।
अधयं ऩे धय के अधय सुप्त स्वय जगा डदमा। नाच उठा भन भमूय फयसी ये फदरयमा।
आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ ऑॊखं ऑॊखं भं फात कय गई गुजरयमा।
आधी यात अए हं खोर यक्षखमो डकवरयमा॥ तुभ भुस्काकय
तुभ भुस्काकय जग आरोडकत कय दो। भं अॊशधमायं को गीत फना रूॊगा॥
मूॊ टु कुय-टु कुय भत झाॊको घूॊघट से। भं इन नमनं भं प्रीत जगा दॊ ग ू ा॥ हे भॊत छे िता तान चाॉदनी भं ।
ऩतझय फसॊत के ऩाॊव ऩखाये है ।
कोमर कायी कुहू कुहू कयती शनशडदन। टे सू पागुन के ऩॊथ फुहाये है ।
तू ऩुयवा फन आजा भोये अॊगना।
भं इन्द्र धनुष के यॊ ग चुया रूॊगा॥
मूॊ टु कुय-टु कुय भत झाॊको घूॊघट से॥ ऩरकं भं डारा मादं का ऩरना।
अरकं भं गूॊथा चॊदा का गजया। ऊषा की रारी गारं ऩय छाई।
हे भरम गॊध सा भहक यहा अचया। तुभ फाय-फाय मूॊ दऩाण भत दे खो।
दऩाण टू टा तो जग को क्मा दॊ ग ू ा॥
मूॊ टु कुय-टु कुय भत झाॊको घूॊघट से॥
भेघं से चुयाओ तुभ ना मूॊ कजया।
अवनी ऩय कहीॊ ना फयस ऩिे फदया। नथनी है चूभे तेये ओठं को।
भम के ्मारं से छरक ऩिी भडदया। कॊगना ऩामर तुभ मूॊ ना खनकाओ।
भं ष्टफॊडदमा फन कय हय दख ु हय रूॊगा॥ मूॊ टु कुय-टु कुय भत झाॊको घूॊघट से॥
क्मं डार यखा भुखिे ऩय अवगुॊठन।
नहीॊ दे ख सकॊू गा तेये खॊजन शचतवन।
भत भौन यहो तुभ भुखरयत हो जाओ। भीठे फोरं से भधु यस झरकाओ।
फस एक फाय घूॊघट ऩट तो खोरो।
सच कहता हूॊ भं जग ष्टफसया दॊ ग ू ा॥
मूॊ टु कुय-टु कुय भत झाॊको घूॊघट से॥ तुभ भुस्काकय जग आरोडकत कय दो। भं अॊशधमायं को गीत फना रूॊगा॥
मूॊ टु कुय-टु कुय भत झाॊको घूॊघट से।
भं इन नमनं भं प्रीत जगा दॊ ग ू ा॥ आज भहायास की है
आज भहायास की है शयद ऩूक्षणाभा।
चाॊद को दे ख कय छुऩ गई काशरभा॥ कृ ष्ण के ऩा अधय वेणू होगी भुखय।
चाॊद को दे ख व्माकुर है शसॊधू रहय। ऩग शथयकने रगे भौन जुन्हाई के। पि पिाने रगे ऩॊख ऩुयवाई के।
नीरा-नीरा गगन औय धवर चन्द्रभा॥ चाॊद को दे ख कय छुऩ गई काशरभा॥
हं सजर आज वसुधा के ऩुरडकत नमन। झूभंगं नाचेगं याशधका के चयण।
जाने क्मं हो गई माशभनी फावयी। जाद ू कयने रगी भदबयी फाॊसयु ी।
ऩरकं फोक्षझर हुईं दे ख वो बॊशगभा॥
चाॊद को दे ख कय छुऩ गई काशरभा॥ धाय अभृत की डपय हो गमे ओस कण। कसभसाने रगा आज वातावयण।
कयने को भन भुडदत आ गई है शयद।
अफ ष्टवगत हो गमे फयखा के ऺण सुखद् । फाॊहं भं बय यहा धयती को असाभाॊ॥
चाॊद को दे ख कय छुऩ गई काशरभा॥
आमा भधुभास तो भौन भुखरयत हुआ। चूिी ऩंजन कॊगनवा से गुॊक्षजत हुआ। भेहॊदी चढ़ कय हथेरी दहकने रगी। साॊसं ऩी का ऩयस ऩा फहकने रगी।
नैन फोक्षझर हुए भुख ऩे थी राशरभा॥ ऩूक्षणाभा, ऩूक्षणाभा, ऩूक्षणाभा, ऩूक्षणाभा॥
आज भहायास की है शयद ऩूक्षणाभा।
चाॊद को दे ख कय छुऩ गई काशरभा॥ चॊदा ने डे या डारा है
चॊदा ने डे या डारा है घनी जुल्प की छाॊव भं।
चटक चाॊदनी ष्टफखय यही है गोयी तेये गाॊव भं॥ चॊऩई-चॊऩई रूऩ तुम्पहाया जैसे कान्हा का भधुवन।
सूयज ने अरकं ष्टफखयाई साॊझ छे ि यही याग मभन। सोन भछरयमा हभने दे खी अॊक्षखमन के दो ठाॊव भं॥ चॊदा ने डे या डारा है घनी जुल्प की छाॊव भं।
नीॊद भेयी ऩयदे सी हो गई स्वऩ ् रूठ कय चरे गमे। तेयी मादं के आॊगन भं भन को भोती छरे गमे।
तयस यहा भन भधुय शभरन को छारे ऩि गमे ऩाॊव भं॥ चॊदा ने डे या डारा है घनी जुल्प की छाॊव भं। चॊदा ने डे या डारा है घनी जुल्प की छाॊव भं।
चटक चाॊदनी ष्टफखय यही है गोयी तेये गाॊव भं॥
आबी जा फेवपा
आबी जा फेवपा आबी जा आबी जा। आक्षखयी वि है , अऩना वादा शनबा॥
फायहा भुझको आ कय सताती है क्मं। दयू से ही खिी भुस्कुयाती है क्मं।
भेये नजदीक आ औय गरे से रगा। भं तेयी याह भं कय यहा यतजगा।
माय भेयी बी सुन रे तू अफ के सदा॥ आबी जा फेवपा आबी जा आबी जा। तेये काष्टफर नहीॊ भान रूॊ भं अगय।
तू है नाजुक करी भेयी चाहत भ्रभय। है तभन्ना तुझे रे रूॊ आगोश भं।
फह यहा भौन सरयता सा खाभोश भं।
आक्षखय भुझ से हुई क्मा खता मे फता॥ आबी जा फेवपा आबी जा आबी जा।
आ के अफ तो शनबा दे प्रणम का वचन। कयते-कयते प्रशतऺा थके अफ नमन।
आमेगी कफ तरक अफ शभरन माशभनी। गाते गाते थकी साॊसं की याशगनी।
भुझको अऩना फना के गरे से रगा॥
आबी जा फेवपा आबी जा आबी जा। आबी जा फेवपा आबी जा आबी जा।
आक्षखयी वि है , अऩना वादा शनबा॥
डकसके आगे योना योमं
डकसके आगे योना योमं डकसके आगे गाएॉ।
अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥ सफके सफ गहये सागय हं सफकी अऩनी रहयं । सफकी अऩनी नीॊद सुहानी, सुन्दय स्वऩ ् सुनहये । अऩनी फस्ती याख हो गई धू-ॊ धूॊ जरते सऩने।
डकसकी भस्ती कीफस्ती भं जाकय धुॊआ उिाएॉ।
अऩनी याभ कहानी फोरो जा कय डकसे सुनाएॉ॥ डकसको दं डकस्भत का रेखा, डकसको ऩीय फताएॉ।
डकसको डदर के ददा का दरयमा सीना चीय डदखाएॉ। सूख गमा ऑॊखं का ऩानी चायं औय तभस है । सफ के सफ ही तो शनिु य हं , टू ट गई आशाएॉ।
अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥ याभ बटकते हं कानन भं, कान्हा कॊु ज गशरन भं। बटक यही वदे ही वन-वन याधा वृॊदावन भं।
डकसकी ऑॊख न योई शभशथरा, ब्रज भं, अवधऩुयी भं। रेडकन कोई फदर न ऩामा डकस्भत की ये खाएॉ। अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥ ढरते दे खा है सूयज को, चॊदा दे खा गरते।
कार चक्र की चऩर शचता भं दे खा सफको जरते।
अऩना जीवन ऩूया कयके टू ट गमा हय ताया।
शनमती के इस किवे सच क्मं हभ आॊख चुयाएॉ॥ अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥ इन्साॉ दयू हुआ इन्साॉ से फही फमाय मे कैसी।
सफ के सफ ही तो गुभसुभ हं चॊहू डदस है खाभोशी। यहन यखी है हॊ सी अधय की ऩीिा के ऑॊगन भं। अफ न होती चौऩारं ऩय सुख-दख ु : की चचााएॉ॥ अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥
हभने बी सऩना दे खा था, सऩने भं शहॊ जादी ।
दे ख भेये भन की कुडटमा वो भॊद-भॊद भुस्कादी। जीवन का साया अॊशधमाया दयू डकमा था उसने।
वो नन्ही भुस्कान अरोडकत कय गई दसं डदशाएॉ॥ अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥
सफकी ढऩरी अऩनी-अऩनी, याग अरग हं सफके। हभसे तो फेहतय हं जग भं चाॊद शसताये नब के।
ष्टफन ऩानी के चॊचर भन की सरयता सूख गई है । धूऩ छाॉव सी आती दे खीॊ जीवन भं ष्टवऩदाएॉ॥
अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥ डकसके आगे योना योमं डकसके आगे गाएॉ।
अऩनी याभ कहानी फोरो जाकय डकसे सुनाएॉ॥ बोय की ऩहरी डकयण,
बोय की ऩहरी डकयण, तुझको जगाने आई।
उठ ए भॊजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥ नसीभे सुफह के झंके बी गुनगुनाने रगे।
ऩाके शफनभ का ऩयस पूर बी भुस्काने रगे। फाॊग भुगे की तुझे माद डदराने आई॥
उठ ए भॊजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥ सूने ऩनघट ऩे चूडिमाॉ बी खनखनाने रगी।
औय ऩामर बी उभॊगं के स्वय रुटाने रगी। झीर भं रेने रगा नीर कभर अॊगिाई॥ उठ ए भॊजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥
तेयी जफीॊ ऩे रयजता है आफ भुशतमन का।
चभकता जैसे गुरं ऩय हो कतया शफनभ का। भीर की शचभशनमं से गूॊज यही शहनाई॥ उठ ए भॊजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥
तेयी भेहनत ऩे हभं नाज दे श को है गुरूय।
होगा सय सब्ज भुल्क तेयी भशक्कत से जरूय। श्रभ ही आयाध्म तेया जान रे मे सच्चाई॥ उठ ऐ भॊजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥
चर के खेतं भं तुझे अऩना रहू फोना है ।
तेया ऩसीना ही खानं से शनकरा सोना है । तेयी भेहनत से भहकते हं भहर अॊगनाई॥ उठ ए भॊजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥
तेये इभान की यॊ गत है चटक केसरयमा।
सपेदी जैसे सच्चाई का उभिता दरयमा। मे हया यॊ ग है ऩाकीॊजगी की यानाई॥
उठ ए भॊजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥ बोय की ऩहरी डकयण, तुझको जगाने आई। उठ ए भजदयू तुझे सुफह जगाने आई॥ सुनहये सऩनं को
सुनहये सऩनं को साकाय फनाने के शरमे।
आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥ चाॊद तायं को दे ख ्माय डकतना आऩस भं।
कय शरमा पूरं की खुश्फू ने जहाॊ को फस भं। ्माय को दशु नमा का आधाय फनाने के शरमे॥
आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥ ्माय की एक नई दशु नमा फसाना है हभं।
फीज नॊपयत के आज जि से शभटाना है हभं।
्माय की दशु नमा को एतफाय डदराने के शरमे॥ आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥ ्माय से फढ़ के नही कोई बी नेभत मायं।
्माय ही याभ औय यहभान की दोरत मायं। याभ यहभान का डकयदाय शनबाने के शरमे॥
आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥
मे एक ऩदाा ही दीवाय फना उल्पत भं।
आ गरे रग जा बरा क्मा यखा है नॊपयत भं। रयवाॊजो यस्भ की दीवाय शगयाने के शरमे॥
आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥ जहन भं घूभती तस्वीय तेयी मादं की।
मे तस्व्वुय है मा ताभीय भेये ख्वाफं की।
उसी तस्वीय का आकाय फनाने के शरमे॥
आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥ मे माद यखना है हभको मे चभन अऩना है ।
है हभ वतन के शरमे ्माया वतन अऩना है ।
चभन को आज डपय गुरॊजाय फनाने के शरमे॥ आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥ सुनहये सऩनं को साकाय फनाने के शरमे।
आओ हभ ्माय कयं , क्मं न हभ ्माय कयं ॥
डकस आॊगन भं फीता
डकस आॊगन भं फीता फचऩन डकस आॊगन की धूऩ है तू। चॊचर चऩर भीन से शचतवन ष्टवदना का प्रारूऩ है तू॥ मे शसॊदयू ी गात तुम्पहायी, बोय साॉध्म का है सॊगभ।
केश श्माभ घनघोय तुम्पहाये , हॊ सी चाॊद की ज्मं ऩूनभ।
भं यजधानी प्रेभ नगय की, क्षजसकी फन गई बूऩ है तू ॥ चॊचर चऩर भीन से शचतवन ष्टवदना का प्रारूऩ है तू॥
सोरह करा श्माभ ने ऩाई, जफ तूने री अॊगिाई।
श्माभ अधय ऩाने को भुयरी, घामर भन से भुस्काई याधा रुक्भणी बोय साॊझ है , भीया जैसा दीऩ है तू॥
चॊचर चऩर भीन से शचतवन ष्टवदना का प्रारूऩ है तू॥
चाॊदनी यात हो
चाॊदनी यात हो चाॊद बी साथ हो। औय ऐसे भं उनसे भुराकात हो॥
ओ ऩवन फावयी शोय मूॊ न भचा।
आने को है कोई कह यही है घटा।
ऩॊख ष्टफजुयी के फयफस शथयकने रगे। भौन जुगनू बी कयने रगे यत जगे।
आमे ष्टप्रमतभ औय डपय जभ के फयसात हो॥ औय ऐसे भं उनसे भुराकात हो॥ नीॊद आगोश भं रेना चाहे भुझे।
सऩने शसन्दयू ी कुछ कहना चाहे भुझे। ऩरकं फोक्षझर हुईं आॊखं भं है नशा। धिकनं फढ़ यहीॊ मे हुई क्मा दशा।
सजनी आगे बरा अफ क्मा हारात हो॥ औय ऐसे भं उनसे भुराकात हो॥
हौरे से आ गई रो प्रणम माशभनी। अफ शभरंगे गरे याग से याशगनी।
कल्ऩना आज साकाय हो जामेगी।
शसॊधू भं ष्टफॊद ू जा कय सभा जामेगी। हल्दी भंहदी रगे हाथ भं हाथ हो॥ औय ऐसे भं उन से भुराकात हो॥ चाॊदनी यात हो चाॊद बी साथ हो। औय ऐसे भं उनसे भुराकात हो॥ जफ-जफ माद तुम्पहायी
जफ-जफ माद तुम्पहायी आई फयफस आॊखं बय आईं। सुधीमं ने री अॊगिाई॥
दयू हुए नॊजयं से रेडकन फसे हो भन वृॊदावन भं।
जैसे हुईं सभाडहत साॊसं भोहन की भुयरी धुन भं।
ऩा यसऩान अधय का भुयरी भन ही भन भं इतयाई॥ सुधीमं ने री अॊगिाई॥
हय ऩर हय शछन स्भृशत-ऩट ऩय वे सफ शचत्र उबय आते हं । जैसे तुभ सम्पभुख फैठी हो एसा भन को बयभाते है । गूॊज यहे हं फैन तेये ज्मं कोमर कुहके अभयाई॥ सुधीमं ने री अॊगिाई॥
जॊगर-जॊगर बटक यहा है मे ्मासा भृग भन फेचाया। ज्मं फॊजाया फस्ती घूभे रे के साॊसं का इकताया।
जैसे तृषा अधय के घट की आज तरक न फुझ ऩाई॥ सुधीमं ने री अॊगिाई॥
ऩूनभ के चॊदा सा भुखिा छुऩा शरमा क्मं घूघट ऩट भं। फॊध न जामे भन फेचाया उरझी-उरझी सी रट भं। टे य यही अऩने चॊदा को सूनी सूनी जुन्हाई॥ सुधीमं ने री अॊगिाई॥
तेये द्वाये कदभ फेचाये आते-आते रूक जाते हं ।
तुभ जफ-जफ होती हो सम्पभुख राज फोध से झुक जाते हं । तुभ जा फैठी कोऩ बवन कौन कये अफ सुनवाई॥
सुधीमं ने री अॊगिाई॥
तुझे दे वता फनाकय
तुझे दे वता फनाकय भैने की है तेयी इफादत। भीया की फॊदगी सी ऩाकीजा भेयी उल्पत।
तुझे ्माय की कसभ है भुझसे जुदा न होना। तू फावपा तो होना ऩय फेवपा न होना॥
जो था अभीय अफ तक वो डदर डदवाशरमा है । इक हुस्न की ऩयी ने उसको चुया शरमा है ।
भेया डदर चुयाने वारी तुझसे मही है कहना। भुझे फेवपा तो कहना तू फावपा ही यहना॥
तुझे ्माय की कसभ है भुझसे जुदा न होनाH तू साज है ाज़र का भेये गीत की है धिकन ।
भेया डदर तो हो गमा है तेये ्माय का ही भधुफन। तुझसे भहक यहा है भेये घय का हय इक कोना॥ तुझे ्माय की कसभ है भुझसे जुदा न होनाH
तुझे दे वता फनाकय भैने की है तेयी इफादत। भीया की फॊदगी सी ऩाकीॊजा भेयी उल्पत।
तुझे ्माय की कसभ है भुझसे जुदा न होना। तू फावपा तो होना ऩय फेवपा न होना॥ डकतना डदर कश है
डकतना डदर कश है मे साॊझ का हसीॊ भॊजय धुॊआ-धुॊआ सा डदख यहा हय घय भाह ऩूयफ भं खिा ऩूनभ का ऩुयवा होरे से दे यही ठु भका चटक यही परक ऩे जुन्हाई फज यही दयू कहीॊ शहनाई
जर उठे दीऩ तुरसी क्माये ऩय झुक गमा शीश साॊझ ताये ऩय नभाॊज भक्षस्जदं भं होने रगी आयती घॉटीमं भं खोने रगी फच्चे फैठे हं ऩास नानी के
जो डक शौकीन हं कहानी के
अम्पभा चूल्हे ऩे योटी संक यही फुआ अब्फू की फाट दे ख यही
चूल्हे ऩय हॊ स यहा है आज तवा कोई आएगा कहती छोटी फुआ डकसी ने आके कॊु डी खटकाई चच्ची होरे से भॊद भुस्काई
शामद ऩयदे सी सजन आए हं
भन ही भन ओॊठ फुदफुदाए हं
चाची उठ कय खिी हुई झट से
ढक शरमा भुख को खट से घूॊघट से सने हुए थे हाथ आटे से
ऩसीना चुह यहा था भाथे से द्वाय की ओट से खडी होकय
डटक गई द्वाय ऩे नजय जाकय
गंद के भाशनॊद डदर उछरने रगा शततरी के ऩॊख सा शथयकने रगा कभये भं भॊद योशनी ऩीरी
फडे अब्फू ने कॊु डी झट खोरी
खुर गमा द्वाय एक खटके से
टू टा भोती ऩरक का झटके से याह चरते भं रुट गई डोरी
कॊु वाये अयभाॊ की जर गई होरी ख्वाफ चाची का टू टा द्वाये ऩय
कश्ती डू फी तो जा डकनाये ऩय
कैसे सभझाऊॉ चची को भं क्मा करूॉ यब्फा खेत से आए सरभा के अब्फा
योटी चूल्हे ऩे चढ़ी जरती यही
सुयभई शाभ डपय डपसरती यही
ढरता है योज ही खुशशाद जहाॊ ऩय अक्सय
डकतना डदरकश नॊजय आता है वहाॊ का भॊजय॥ कय यहा है
कय यहा है कोई भेया इॊ तॊजाय।
झीर के उस ऩाय साथी झीर के उस ऩाय॥
साॊस की सयगभ रगी है बीगने। धिकनं की धुन रगी है टू टने।
बीग कय बायी चुनरयमा हो गई। अफ ऩयाई मे उभरयमा हो गई।
आस सायी हो गई है ऺाय-ऺाय॥
झीर के उस ऩय साथी झीर के उस ऩाय॥ ऩृि अॊशतभ शेष है जीवन कथा का।
अफ न कोई कथ्म है फाकी व्मथा का।
रौ डदमे की आज थय-थय कय यही है । चुक गमा है तेर फाती जर यही है । स्वऩ ् साये हो गमे हं ताय-ताय॥
झीर के उस ऩय साथी झीर के उस ऩाय॥ आज साजन का सॊदेशा आ गमा है ।
मे शनभॊत्रण भुझको बी तो बा गमा है । आओ सफ शभरकय फधावे गीत गाओ। औय दल् ु हन की तयह डोरी सजाओ।
आज डपय कय दो भेया सोरह शसॊगाय॥
झीर के उस ऩाय साथी झीर के उस ऩाय॥ आज की शाभ तुम्पहाये नाभ
आज की शाभ तुम्पहाये नाभ गीतं के जाभ तुम्पहाये नाभ। जाभ तुम्पहाये नाभ करूॉ फेदाभ तुम्पहाये नाभ॥
भेये इन गीतं ने अक्सय धिकन दी सागय को।
औय प्ररम का नाद सुनामा ष्टवषऩामी शॊकय को।
चरा शनयॊ तय कार चक्र सा डकमा नहीॊ आयाभ॥
आज की शाभ तुम्पहाये नाभ गीतं के जाभ तुम्पहाये नाभ। याधा के सॊग यास यचामा भुयरीधय नटवय ने।
व्माकुर भुयरी को सहरामा भडदय भधुय भधुकय ने। भीया ने शनष्काभ सभऩाण डकमा कृ ष्ण के नाभ॥
आज की शाभ तुम्पहाये नाभ गीतं के जाभ तुम्पहाये नाभ। मे छन्दं का यॊ ग भहर है गीतं के गशरमाये ।
याग यागनी सप्त सुयं ऩय शथयके साॊझ सकाये ।
बावनगय के गीत कय यहा आज तुम्पहाये नाभ॥
आज की शाभ तुम्पहाये नाभ गीतं के जाभ तुम्पहाये नाभ। कर-कर कयती शनभार शनिर मे ष्टवमोगी की धाया। फस्ती-फस्ती गाता डपयता गीतं का फॊजाया। तुरसी भीया सूय कफीया चायं तीयथ धाभ॥
आज की शाभ तुम्पहाये नाभ गीतं के जाभ तुम्पहाये नाभ। आज की शाभ तुम्पहाये नाभ गीतं के जाभ तुम्पहाये नाभ। जाभ तुम्पहाये नाभ करूॉ फेदाभ तुम्पहाये नाभ॥
भेये सऩनं भं आ जाते
भेये सऩनं भं आ जाते हय यात सुहागन हो जाती।
भन भॊडदय की भूयत होते भं आज ऩुजायन हो जाती॥ शनशडदन कयती ऩूजन अचान, कयती तुझऩे जीवन अऩाण ।
ऩर बय तुभ भोहन हो जाते, भं याधा रुक्भण हो जाती॥ भेये सऩनं भं आ जाते हय यात सुहागन हो जाती॥
फन वेणु करूॊ यसऩान अधय, रेती भं फरैमाॉ जी बय कय। तुभ फस जाते साॉसं भं भेयी, भं तेयी धिकन हो जाती॥ भेये सऩनं भं आ जाते हय यात सुहागन हो जाती॥
भीया सा जग को ष्टफसयाती, फस्ती फस्ती डपयती गाती।
भं तुरसी तेये आॊगन की, ऩा तुझको ऩावन जहो जाती॥ भेये सऩनं भं आ जाते हय यात सुहागन हो जाती॥ भेये सऩनं भं आ जाते हय यात सुहागन हो जाती।
भन भॊडदय की भूयत होते भं आज ऩुजायन हो जाती॥ नेह गेह फयसाने वारी
नेह गेह फयसाने वारी गीत तुम्पहाये नाभ है ।
एसी हरयमारी धयती को फायम्पफाय प्रणाभ है ॥ कृ ष्णा कावेयी सी आॊखं रूऩ तेया वृॊदावन सा।
भन शनभार गॊगा की धाया नेह तुम्पहाया दऩाण सा।
बृकुटी काभ दे व सी क्षखॊच यही नैन यशत से वाय कये । गरफॊडहमा वयभारा फन कय सॊमभ की भनुहाय कये । शनशा शनभॊत्रण ऩाकय चॊदा कयता शनत आयाभ है ॥ नेह गेह फयसाने वारी गीत तुम्पहाये नाभ है ॥
अधयं ऩय ऊषा की रारी दॊ त भुि चभ चभ चभके।
बार भध्म शशश दीऩशशखा सा क्षझरशभर क्षझरशभर शनत दभके ।
गजगाशभनी सी चार भदबयी साॊसं खुश्फू का उऩवन। अरकं नीरशगयी सी गहयी आठं माभ जहाॊ सावन।
भडदय भधुय भुस्कान तुम्पहायी फंदा रशरत रराभ है ॥ नेह गेह फयसाने वारी गीत तुम्पहाये नाभ है । नेह गेह फयसाने वारी गीत तुम्पहाये नाभ है ।
एसी हरयमारी धयती को फायम्पफाय प्रणाभ है ॥ भं श्रशभक
भं श्रशभक अजय अभय गुभनाभ।
भं श्रशभक अक्षजय अभय गुभनाभ। अजय अभय गुभनाभ।
ऩसीना डकमा जगत के नाभ।
भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥ कारजमी है भेयी भेहनत इन्द्र धनुष सी फाहं ।
ऩवात का सीना ऩानी कय सुरब फना दी याहं । श्रभ के भोती फेच यहा भं रे रो ये फेदाभ॥ भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥
सात अजूफे भेये दभ ऩय खिे हुए हं जग भं।
सजग शसॊधू सा यि फह यहा आज भेयी यग यग भं।
भुझ से है इस मुग की धिकन भुझसे फना शनॊजाभ॥ भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥
श्रभ ष्टफॊद ू भेये रराट के सहज यख यहा सागय। चोदह यत्नं से बय दी है भंने उसकी गागय।
चरता यहा शनॊयतय घिी सा भं तो आठं माभ। भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥
भॊडदय भक्षस्जद शगयजाघय भंने बगवान फनामे।
भहर-भाशरमे, उऩवन-भधुवन भुझे दे ख हयषामे।
भं ठहया शनष्काभ ऩशथक भुझसे सफ तीयथ धाभ॥ भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥
भं मुग दृिा भं मुग सृिा भं मुग का शनभााता। भेयी छे नी ने तोिा है हय मुग का सन्नाटा।
भुझे शभरी हय बोय सुहानी यॊ ग यॊ गीरी शाभ॥ भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥
भं खेतं भं अन्न उगाता वषाा गभी सहकय।
हरुवा ऩूयी उन्हं क्षखराता भं खुद बूखा यह कय। भेयी धिकन का शननाद मे है आयाभ हयाभ॥ भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥
भं श्रशभक अजय अभय गुभनाभ।
भं श्रशभक अक्षजय अभय गुभनाभ। अजय अभय गुभनाभ।
ऩसीना डकमा जगत के नाभ।
भं श्रशभक अजय अभय फेनाभ॥ बय यही कुराॉच
बय यही कुराॉच चऩर दृष्टि की डहयशनमा।
जैसे गगन भं डोरे फावयी ष्टफजुरयमा॥ इन्द्र धनुषी गजये को अरकं भं फाॊधकय। सॊध्मा के सुयभे को नैनं भं आॊझकय।
कयके शसॊगाय चढ़ी सऩनं की अटरयमा। जैसे गगन भं डोरे फावयी ष्टफजुरयमा॥
ष्टऩॊजये भं फॊद भगय ऩॊछी सी उिान है ।
शछऩा यखी ऩरकं भं अॊसव ु न की खान है ।
कल्ऩना की गूॊथ यही भारा ज्मं भरशनमा। जैसे गगन भं डोरे फावयी ष्टफजुरयमा॥ चॊदा से फाय फाय नजयं शभराए है ।
ऩर भं रजवॊती सी खुद भं गि जाए है ।
झाॉक यही ऩरकं की खोर कय डकवरयमा॥ जैसे गगन भं डोरे फावयी ष्टफजुरयमा॥
केसय की क्मायी से सुयशबत भधुभास रे। शसॊदयू ी सऩनं का ऩुरडकत एहसास रे। डोरे डहॊ डोरे सी चॊचर नथनीमा॥
जैसे गगन भं डोरे फावयी ष्टफजुरयमा॥ बय यही कुराॉच चऩर दृष्टि की डहयशनमा। जैसे गगन भं डोरे फावयी ष्टफजुरयमा॥
दे शबष्टि गीत
26 जनवयी इस भुल्क की ऩहचान है 26 जनवयी गणतॊत्र की जुफान है 26 जनवयी
जो सह के जुल्भ रिते यहे भुल्क के शरमे उनका डदमा वयदान है 26 जनवयी
आॊजाद,बगत फोस के जैसे शहीदं की सुनाती दास्तान है 26 जनवयी
डहन्द ू हो भुसरभाॉ मा शसख फोद्ध इसाई सफके शरमे सभान है 26 जनवयी गणतॊत्र हभाया
इस भुल्क की ऩहचान है गणतॊत्र हभाया
जन-जन को मे वयदान है गणतॊत्र हभाया
डहन्द ू भुसरभाॊ शसक्ख इसाई ने शभर कहा हभ सफ की तो भुस्कान है गणतॊत्र हभाया फहती अभन-ओ-चैन की गॊगो जभन महाॊ भुयरी की भधुय तान है गणतॊत्र हभाया आतॊकी ऑॊधीमाॉ हभं अक्सय डया यहीॊ
उनके शरमे तूपान है गणतॊत्र हभाया है ऩाॊच दशक फाद डहभारा से अडडग
हभ वीयं की आन फान है गणतॊत्र हभाया केसय की क्मायी भं
केसय की क्मायी भं रगी भजहफ की आग।
सतरज के सारू भं रग चुके हं खूॊ के दाॊग।
कॊचन काभनी ऩय है ऩिोसी की नजय। सागय भं वे घोरते हं बाषा का जहय। मही हार यहा तो अॊजाभ क्मा होगा।
21वीॊ सदी का डहन्दस् ु तान क्मा होगा॥ कहीॊ ऩय अऩभान होता याष्ट्र गान का।
कोई ऩयचभ रहयाता है खाशरस्तान का । डकसी ने जराई होरी सॊष्टवधान की।
कोई हत्मा कयता है घय के प्रधान की। मही हार यहा तो ऩरयणाभ क्मा होगा॥ 21वीॊ सदी का डहन्दस् ु तान क्मा होगा॥ कैसा प्रजातॊत्र औय कैसी मे व्मवस्था।
राशं के हं ढे य औय शैतान है हॊ सता। पॊु सी पोिा फन गई जया सी बूर भं।
राश अफ तक तैयती सतरज के कूर भं। मही हार यहा तो ऩरयणाभ क्मा होगा॥ 21वीॊ सदी का डहन्दस् ु तान क्मा होगा॥ भॊडया यहे दे श ऩे ष्टफखयाव के फादर।
ताय-ताय हो यहा है भाता का आॊचर। आज दे श चौयाहे ऩय खिा हुआ है ।
इस ऩीढी ऩय पाशरज सा क्मं ऩिा हुआ है । मही हार यहा तो ऩरयणाभ क्मा होगा। 21वीॊ सदी का डहन्दस् ु तान क्मा होगा॥
फस इतना शनवेदन है के नहीॊ कामय फनो तुभ।
इन दे शद्रोडहमं के शरए पामय फनो तुभ।
स्वक्षणाभ अऺयो भं शरक्खंगं तुम्पहाया नाभ। बून दो इन आॊतकी गुॊडो को सये आभ। मही हार यहा तो ऩरयणाभ क्मा होगा। 21वीॊ सदी का डहन्दस् ु तान क्मा होगा॥
साठ वषं भं सुरझा न बाषा का ष्टववाद।
अऩनी भाता को न अऩनाती अऩनी औराद। भाॉ कैसी बी हो भाॉ तो भाॉ ही होती है ।
अऩनी डहन्दी खूॊ के आॊसू अफ तक योती है ॥ मही हार यहा तो ऩरयणाभ क्मा होगा। 21वीॊ सदी का डहन्दस् ु तान क्मा होगा॥ स्वायथ के अॊधं ने
स्वायथ के अॊधं ने कैसा हश्र डकमा फशरदान का। रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥
ऩूयफ, ऩक्षिभ, उत्तय, दक्षऺण डदखता है चहुॉ ओय धुऑ।ॊ ऩृथ्वीयाज फॊदीग्रह भं जमचॊदं की बयभाय महाॉ।
वयदामी का ऩता नहीॊ है क्मा होगा चौहान का॥
रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥ केशय की क्मायी भं फोरो डकसने आग रगाई है ।
वोटं की खाशतय भाॉ फहनं की इज्ज़त रुटवाई है ।
क्मं कय वहाॉ जरामा जाता झण्डा डहन्दस् ु तान का॥ रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥
ष्टफछी हुई चहुॉ ओय आज फारूद अभन की घाटी भं। खूनी होरी शनत खेरी जाती केसरयमा भाटी भं । कैसे रुके ऩरामन दश्ु भन इन्साॊ है इन्सान का॥
रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥ सतरज के सारू भं खूॊ के दाग डदखाई दे ते हं ।
गोष्टवन्द फॊदा बगत स्वगा भं सौ सौ आॊसू योते हं । भत बंको भाॊ के सीने भं खॊजय खशरस्तान का॥ रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥
डहभशगरय के आॊसू का अबी तो कजा चुकाना फाकी है । हायी हुई बूशभ बायत भं अबी शभराना फाकी है । अबी तो फदरा रेना है फाॊसठ के अऩभान का॥
रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥ हभे नहीॊ डय चीन ऩाक से डय है उन गद्दायं से । खादी की वादी भं ष्टवचयण कयते यॊ गे शसमायं से।
डपय से सौदा कय न दं मे बायत दे श भहान का॥ रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥
स्वायथ के अॊधं ने कैसा हश्र डकमा फशरदान का। रहूरह ु ान नजय आता है नक्शा डहन्दस् ु तान का॥ अभय क्राॉती की मे भशार
अभय क्राॉती की मे भशार दे यही गवाही है । भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है । आजादी राठी गोरी फदॊ क ू से आई है ॥
14 अगस्त सन ् 47 कय डारा दे श ष्टवबाजन।
स्माह अऺयं भं शरक्खा जाएगा तेया शुब डदन । तेयी इक गरती का हभ ऩरयणाभ बुगत यहे हं । आए डदन सीभा ऩय शगयगट यॊ ग फदर यहे हं । एक नहीॊ कई फाय कहूॊगा नहीॊ फुयाई है ॥ भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥
इसीशरए क्मा बगत शसॊह ने पाॊसी गरे रगाई।
डहन्द शसन्धू भं सावयकय ने थी छल्राॊग रगाई। आॊजादी की दल् ु हन का रहू से श्रॊगाय डकमा है ।
क्राॊशतकारयमं का सऩना तफ कहीॊ साकाय हुआ है । श्रेम अडहॊ सा को दे ने भं नहीॊ सच्चाई है ॥ भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥
शभॊमा की घोिी के खुद फने फैठे शभमाॊ दरार।
कच्चे धागे सा तोि डदमा था इक ऩर भं फॊगार। अऩने चायण बाटं से अऩना इशतहास शरखामा। दे श ऩे भयने वारे वीयं को तुभने ष्टफसयामा। एसी ही नीशत क्मं कय तुभने अऩनाई है ॥ भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥
नाचे कूदे फाॊदया औय भार भदायी खामे।
भेहनत भुगाा कये पकीया अॊडे चटकय जामे।
गीदि, शसमाय, श्वान महाॊ शचरगोजे खाते हं । आदा शं का ऩाठ महाॊ ऩय गधे ऩढ़ाते हं ।
डकॊकताव्म ष्टवभूढ दे श के आगे खाई है ।
भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥ साठ वषं भं ऩीढ़ी नाभदा फना डारी।
कुसी की खाशतय टोऩी पुटफार फना डारी ।
डकसको संऩं फागडोय डकस ऩय ष्टवश्वास कयं । क्षजनकी दभ ु ं उठाई वो ही भादे नॊजय ऩिे । याजनीती की यक्कासा डकसकी हो ऩाई है । भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥
कुछ वॊशज द्रोही जापय के कुछ अफ बी जमचॊद। पाि यहे भाता का दाभन कयते शनत छर छॊ द। कुसी के ठे केदायं ने गरत डकमे अनुफॊध।
दे श को डहन्दस् ु तान कहं तो उस ऩय बी प्रशतफॊध। कुछ कऩूत फेटं ने भाॉ की कोख रजाई है । भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥
यऺक
बऺक फन फैठे नामक हो गमे खरनामक।
चोय उच्चके डाकू तक फन फैठे आज ष्टवधामक। श्वेत वस्त्र की आि भं मे कयते कारे धॊधे। कुसी के खाशतय कयवाते मे कौभी दॊ गे।
इनके ऩुण्म प्रताऩ से दडु दा न ऩिे डदखाई है ॥ भेये दे श भं आॊजादी फन्दक ू सेय ् आई है ॥
फाऩू तेये याजघाट ऩय क्षजनने कसभं खाई।
साझे की हाॊडी भं उनकी क्षखचिी न ऩक ऩाई।
सॊसद के इशतहास का उनने ऩृि डकमा कारा। चरा सके सयकाय नहीॊ तो स्वणा फेच डारा। इक फॊदय के हाथं सफने भुॊह की खाई है ॥ भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥
सॊसद से ऩॊचामत तक सफ कय यहे भ्रिाचाय।
थाने चौयाहं ऩय हो यहे खुरे आभ व्मशबचाय।
आने वारी ऩीढ़ी अफ तुभको नहीॊ भाप कये गी।
मे इशतहास फदर दो वनाा डपय नई फात फनेगी। चॊफर ने भॊजफूयी भं फॊदक ू उठाई है ॥
भेये दे श भं आजादी फन्दक ू से आई है ॥ अभय क्राॉती की मे भशार दे यही गवाही है । भेये दे श भं आॊजादी फन्दक ू सेय ् आई है । आज़ादी राठी गोरी फदॊ क ू से आई है ॥ आजादी का डदन है
आजादी का डदन है मायं आओ खुशी भनामं हभ ।
नीर गगन भं आज शतयॊ गा शभर जुर कय पहयामं हभ॥ आज़ादी की कीभत हभने दे फशरदान चुकाई है । गूॊज यही 47 की अफ बी भीठी शहनाई है ।
आओ आज अनाभ शहीदं ऩय दो सुभन चढ़ामं हभ॥
नीर गगन भं आज शतॊयगा शभर जुर कय पहयामं हभ॥ गोष्टवॊद याजा शशवा ऩुरू की भहक यही है अभयाई।
ऩशिनीमं की जौहय की ज्वारा अफ तक न फुझ ऩाई ।
हािा ऩन्ना रक्ष्भी की गाथाऐॊ आज सुनामं हभ॥
नीर गगन भं आज शतॊयगा शभर जुर कय पहयामं हभ॥ फार ऩार गोऩार कहीॊ तो याज गुरू सुख दे व बगत।
गाॊधी नेहरू औय सुबाष के सऩनं का ्माया बायत । यॊ ग दे फॊसती चोरा वारा गीत आज दोहयामं हभ॥
नीर गगन भं आज शतयॊ गा शभर जुर कय पहयामं हभ॥ अऩने स्वायथ के कायण भाॊ के दो टु कडे ़य डारे। भाॊ की हत्मा कयना चाहते दे खो भाॊ के यखवारे।
खूनी ऩॊजं से अफ इनके भुल्क को आज फचामं हभ॥
नीर गगन भं आज शतयॊ गा शभर जुर कय पहयामं हभ॥ आजादी का डदन है मायं आओ खुशी भनामं हभ।
नर गगन भं आज शतयॊ गा शभर जुर कय पहयामे हभ॥ नेता साये दे श के
नेता साये दे श के हो गए नभक हयाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥
इनके कायण दे श की मे हारत हो यही। दे श तोिने की डपय शयायत ही यही।
इनके फोए फीज हं ऩॊजाफ औय आसाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥
इनको बेजा दे श की डहपाजत के शरए।
मे बस्भासुय शसद्ध हुए हं बायत के शरए।
इनकी गरशतमं का जनता बोगती ऩरयणाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥ क्षजनकी आस्था नहीॊ बायत भहान भं।
उनको इक ऩर यहने न दो डहन्दस् ु तान भं। ऐसे गद्दायं का कय दो जीना तुभ हयाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥
क्षजतना स्वच्छ आवयण उतना ही कारा भन। झूठ भक्कायी से शरप्त इनके आचयण।
मे स्वास्थ्म के अॊधे कय न दं दे श नीराभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥ जाशत, धभा,बाषाओॊ भं फाॊट यहे दे श। पूट डारो याज कयो इनका उद्दे श्म।
इनके कायण त्राडह-त्राडह कय यही आवाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥ दे श से फिा कोई धभा नहीॊ है ।
याष्ट्र बष्टि से फिा सत्कभा नहीॊ है ।
सवे बवॊतु सुखीनाभ है बायत का ऩैगाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥ ऩैदा होने वारा फच्चा कजादाय है ।
इसके शरए फोरो कौन क्षजम्पभेदाय है ।
दध ू तक भमस्सय नहीॊ दे ते हुए दाभ।
अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥
मे सफ के सफ इक थैरी के चट्टे -फट्टे हं । जनता का रहू ऩी हो गए हट्टे कट्टे हं ।
कुसी है आयाध्म इनकी डदल्री तीयथ-धाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥ याभ को बी याजनीशत भं धकेर कय ।
बोरी-बारी जनता के बावं से खेरकय।
कय यहे थे याभ जी के नाभ को फदनाभ। अफ तो भेये दे श का यखवारा है याभ॥
चोय चोय भौसेये बाई,
चोय चोय भौसेये बाई, कयो न इनकी फात ये ।
दे श भेया शगयवी न यख दं ऩयदे सी के हाथ ये ॥ वो आए तो उनने भेया दे श खोखरा कय डारा।
मे आमे तो इनने दे श भं यखा स्वणा फेच डारा । याष्ट्र हुआ शतयॊ ज मे दे ते यहते शह औय भात ये । दे श भेया शगयवी न यख दे ऩयदे सी के हाथ ये ॥
ऩाॊच दशक भं काश्भीय का भसरा हर न हो ऩामा। गूॊगा अऩना याष्ट्र तोतरी फोरी फोर नही ऩामा।
आस का ऩॊछी कये प्रशतऺा कफ होगी शुब प्रात ये । दे श भेया शगयवी न यख दं ऩयदे सी के हाथ ये ॥
ऩयवत याज डहभारा के जख्भं ऩय भयहभ यखा नहीॊ।
खोमा ही खोमा हभने क्मा ऩामा अफ तक शरखा नहीॊ।
फन के बाई रूट शरमा हभसे शतब्फत रद्दाख ये । दे श भेया शगयवी न यख दं ऩयदे सी के हाथ ये ॥
स्वाण जमॊती भनाए कैसे प्रश ् कय यही तरुणाई।
खारी ऩेट फदन नॊगा नीरी छतयी बय शभर ऩाई। ऑॊखो भं शोरे नॊपयत के ऩत्थय दे डदमे हाथ ये । दे श भेया शगयवी न यख दं ऩयदे सी के हाथ ये ॥
काटे गी वो ही तो ऩीढी ज़ो कुछ हभने फोमा है ।
रेखा जोखा रेगी हभसे क्मा ऩामा क्मा खोमा है । नई नस्र को खारी ष्टऩॊजये की दोगे सौगात ये । दे श भेया शगयवी न यख दं ऩयदे सी के हाथ ये ॥ तोऩ अटै ची औय हवारा घोटारे ऩय घोटारा।
शक्कय खा गमे डीजर ऩी गए चाया तक बी चय डारा। फगुरा बिं से कयनी है अफ तो दो दो फात ये । दे श भेया शगयवी न यख दं ऩयदे सी के हाथ ये ॥ चोय चोय भौसेये बाई, कयो न इनकी फात ये ।
दे श भेया शगयवी न यख दं ऩयदे सी के हाथ ये ॥ कौवे हॊ स फने
कौवे हॊ स फने डपयते हं धवर धवर ऩरयधान भं। गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥
कथनी औय कयनी भं इनके धया गगन सा अॊतय है ।
प्रगती चक्र कााज़ के ऩडहमं ऩय फढ़ यहा शनयॊ तय है ।
नाभ शहीदं भं शरखा यहे कटवा कय नख अॊगुरी का। आए डदन कयवाते दॊ गे गीता औय कुयान भं॥
गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥ ऩथ भ्रिं ने फोई पसरं दे श भं भ्रिाचाय की ।
बूर गमे कताव्म फोध औय फात कयं अशधकाय की।
सफ के सफ पॊस कय यह गमे हं याजनीशत के दरदर भं घोर कॉु ए भं बाॊग जुटे सफ आज याष्ट्र अऩभान भं ॥ गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥
चीॊटी को ऩय डपय फयसाती भौसभ ने डदरवामे हं । नार ठु काने को भंढक ने अऩने ऩाॊव फढ़ाए है ।
आज उल्रूओॊ की फस्ती भं फगुरं की फन आई है । तोता चश्भ जुटे हं साये आज प्रशस्ती गान भं॥
गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥ गॊजो को नाखून क्मा शभरे ऩये शान हं खुजा खुजा।
चूहे को शचॊदी क्मा शभर गई फन फजाज खा यहा शगजा। शगद्ध रे उडे भाणक भोती हॊ स कय यहे रॊघन हं ।
गीदि, शसमाय, श्वान उि यहे अफ तो वामूमान भं॥ गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥
सफकी अऩनी-अऩनी ढऩरी सफका अऩना याग है । सबी यॊ डाऩा काट यहे हं सफका उजिा फाग है ।
साये तीस भाय खाॉ शभर कय दार फाॊट यहे जूतं भं। भुदाा सऩने जगा यहे हं फैठ आज शभशान भं।
गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥
वाह ये नाथू बरा हो तेया तूने गाॊधी को भाया।
इनकी कयतूतं को दे ख कय खुद भय जाता फेचाया। कोइ कोय कसय न छोिी दे श को शगयवी यखने भं। तेये स्वऩ ् जरा यहे फाऩू तेये ही उद्यान भं।
गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥ कौवे हॊ स फने डपयते हं धवर धवर ऩरयधान भं। गधे गवा से गुरकॊद खा यहे भेये डहन्दस् ु तान भं॥ छॊ द
सॊसद भं नृत्म कयं औय कुकृ त्म कयं ।
एसा नेता दे श की तयक्की भं दीवाय है ।
ओढ़े हं धवर वस्त्र चाहे जनता यहे त्रस्त। चोय गुॊडे डाकू इनके शसऩाहे साराय है ।
डाकू इनके गुरु बाई चोयं के भौसये बाई। गुॊडो की कभाई भं मे आधे साझेदाय है । एसे नेताओॊ से बया डदल्री दयफाय है ।
सावधान दे श के सऩूतं डपय सावधान। सभय डपय फजती यणबेयी है ।
दस ू यं के टु किं ऩय ऩरने वारे गीदि ने। आज भेये दे श ऩे डपय आॊख तये यी है ।
गोयी की ही तयह मह बी हाया हभसे कई फाय। कई फाय हभने सेना ढाका तक खदे िी है ।
तोिे हभने टं क औय ष्टवभान क्षखरोनं की तयह। कई फाय हभने इनकी धक्षज्जमाॊ ष्टफखेयी है ॥
ऩऺ की आज तो कर प्रशतऩऺ की । दे खते हभ शनकरती हुई ये शरमाॊ।
आज इसको तो कर उसको संऩी गई। भ्रि धन से बयी ये शभी थैरीमाॉ।
पका ऩडता नहीॊ अफ कोई यॊ ग से । हो गई दाग वारी सबी टोष्टऩमाॉ।
पेय री ऑॊख तोते सी कभफख्त ने।
साथ फोतर के शभर क्मा गई फोडटमाॉ॥
भुिक औय छन्द अम्पफय के अॊगना
अम्पफय के अॊगना क्षखरी शुभ्र धवर चाॊदनी।
क्षझरशभर क्षझरशभर कयती चुस्त चऩर चाॉदनी। चम्पऩशतमा चॊदा का आशरगॊन कयने को।
दे हयी राज की उराॉघकयती ऩहर चाॉदनी॥ इठराती फरखाती
इठराती फरखाती भुस्काती चाॉदनी।
अॊफय की चौसय ऩय ष्टफछ जाती चाॉदनी। चुगर खोय चॊदा की भटभैरी ऩाती ऩय।
्माय का ऩमाभ शनत्म शरखवाती चाॉदनी॥ ओढ़े हुए चूनरयमा
ओढ़े हुए चूनरयमा ताय ताय चाॉदनी।
चुऩके चुऩके चॊदा से कयती ्माय चाॉदनी। भुस्काते, सकुचाते, शयभाते, इठराते।
खुद को चन्द्र दऩाण भं यही शनहाय चाॉदनी॥ चन्द्र कश्ती छोटी सी
चन्द्र कश्ती छोटी सी मात्री है चाॉदनी।
नीर नदी के तट ऩय उतयी है चाॉदनी ।
कशरमं ऩे शफनभ को भुस्काता दे खकय। भोती के दानं सी ष्टफखयी है चाॉदनी॥ धयती के अॊगना भे
धयती के अॊगना भं उतयी है चाॉदनी। चोटी कजयी ट्ऩा ठु भयी है चाॉदनी।
कशरमं को शफनभ ऩय भुस्काता दे खकय। महाॉ वहाॉ भोती सी ष्टफखयी है चाॉदनी॥ इक अधूयी कहानी
इक अधूयी कहानी का भं ऩात्र हॉ ।
अनुबवं के भदयसे का भं छात्र हॉू । वि को भंने दे खा है योते हुए।
उस नॊजाये का भं ही गवाह भात्र हॉू ॥ एसे भं नहीॊ
एसे भं नहीॊ जाने वारा।
है उम्र भेयी साकी फारा॥
शनश डदन जग का क्रन्दन ऩीता। भं याही बटकता भतवारा॥
भं क्रूय कार से
भं क्रूय कार से टकयामा।
यही करभ साथ फनकय सामा॥ इस नीर कॊठ की फेटी ने ।
अग्नी ऩथ चरना शसखरामा॥ भेये अऩने हं
भेये अऩने हं आठं माभ।
है बोय फनायस अवध शाभ॥
भीया भॊडदय का शशखय करश॥ याधा रुकभणी है चायं धाभ॥ भुठ्ठी भं फाॊधा
भुठ्ठी भं फाॊधा अम्पफय को।
कय डदमा ष्टववश नट नागय को॥ शसॊधू का भान घटाने को।
ऩी डारा ऩर भं सागय को॥ भन भस्त भरॊग
भन भस्त भरॊग भेया काशी। सासं ये वा सी सन्मासी।
मे काभ क्रोध भद भोह भामा।
भय घटीमा भीन सी है ्मासी॥ नन्हे से उस ऩरयन्दे
नन्हे से उस ऩरयन्दे को दर ु ाय न सकी।
उस ्माय के याहगीय को ऩुकाय न सकी। तन्हाईमं भं क्षजसने सहाया भुझे डदमा। भं कॊजा साहूकाय का उताय न सकी॥ ताउम्र उन्हं ढोमा है
ताउम्र उन्हं ढोमा है फेतार की तयह।
उनको सहा है मऺ के सवार की तयह।
तुभ कफ तरक दफाओगे इस उठते धुऐॊ को। मे पट न जामे धयती के बूचार की तयह॥ अफ न डपय अश्क
अफ न डपय अश्क फहाओ साथी।
याजे डदर रफ ऩे तो राओ साथी।
आऩके गभ भं हंगं हभ बी शयीक। हारे डदर कुछ तो सुनाओ साथी॥ हय सभम इक सा
हय सभम इक सा जीवन भं नहीॊ यहता। आके बॊवया पूर से गुरशन भं कहता।
इस ऺक्षणक जीवन ऩे भत कय नाज इतना। साॊस का स्वय भौत की सयगभ भं फहता॥ रूऩ को सॊवाया कयी
रूऩ को सॊवाया कयी भॊत्र सा उचाया कयी। फावयी सी ऩॊथ शनहाया कयी यात बय।
ताये शगन काटी यात चाॊद फेयी कये घात। ऩऩीहे की टे य भं ऩुकाया कयी यात बय ।
सुधी नहीॊ रीनी दगा फाज दगा कीनी।
फदरा चुकामा जाने कौन से जनभ का। फह गमा कजया भुयझ गमा गजया।
ददा की हॊु डी शसकाया कयी यात बय॥ वे रूठा डकमे
वे रूठा डकमे हभ भनाते यहे ।
इस तयह वे हभं आॊजभाते यहे ।
गुनगुनाते यहे नग्भे खुशशमं के वे।
अश्क ऩीकय बी हभ साथ गाते यहे । ये त ऩय हभ घयंदे फनाते यहे ।
वे रहय फन घयंदे शभटाते यहे ।
्माय का दीऩ बी फुझ गमा तूपाॊ भं। दीऩ फुझते यहे हभ जराते यहे ॥ मे फताओ
मे फताओ कफ तरक फचते यहोगे प्रीत से।
शब्द जफ जफ बी ष्टफॊधा है तार सुय औय गीत से। हो सृजन श्रॉगाय का मा वेदना हॉ सती यहे । बावना नतान कये गी ददा के सॊगीत ऩे॥ मे जभाना तो था
मे जभाना तो था कफ का ठु कया चुका। कय शरमा आऩने बी डकनाया सनभ।
भेयी डकस्भत भं शरक्खीॊ है तन्हाईमाॊ। दोष इसभं नहीॊ कुछ तुम्पहाया सनभ। तेयी मादं के सामे भेये साथ हं ।
मे बी कुछ कभ नहीॊ क्षजन्दगी के शरमे। तेया गभ है भेयी क्षजन्दगी का शसरा। छीन रेना न मे बी सहाया सनभ॥ भुझको साजन
भुझको साजन से शभरने था जाना सनभ।
फज उठी छभछभाछभ यात फैयन ऩंजशनमा। खोर ऩंजन चरी शभरने को फावयी।
काॊटं ने थाभ री झट गुराफी चुनयीमा। जैसे तैसे छुिाई चुनय काॊटं से।
शघय के आई घटा चभके चभचभ ष्टफजुरयमा। खोर कय द्वाय झट से अटायी चढ़ी।
दे खा सौतन की फाॉहं भं फेयी साॊवयीमा॥ भं डगरयमा ्माय
भं डगरयमा ्माय की तुभको डदखा दॉ ।ू भं तुम्पहं अयभान की चूनय उढ़ा दॉ ।ू
तुभ भुझे भनुहाय की सौगात दे दो।
प्रीत का जीवन सुभन तुभ ऩय चढ़ा दॉ ॥ ू याह नैनन की आमे
याह नैनन की आमे,गमे डदर भं सभाम।
भोहे रई बयभामे शचत भेया डकमो चोयी ये । यात सऩने भं आम, दई नीॊद से जगामे।
धयी फाॊह गोयी गोयी,कीनी भोसे झकझोयी ये । भंने राख भना कीनी एक कान नहीॊ दीनी। भोहे सीने से रगाम कीनी खूफ फयजोयी ये ।
घुॊघटा हटाम दीने अधय डटकाम।
अॊग अॊग यशसमा ने भोहे दई यसफोयी ये ॥ आऩके रूऩ का भं
आऩके रूऩ का भं दीवाना हुआ।
मूॊ भजाक उिा न भेये ्माय का।
रुख से ऩयदा हटा दे अये फावयी। भं तरफगाय हूॊ तेये दीदाय का।
नाज इतना न कय रूऩ की धूऩ ऩय। साॊझ के आते आते मे ढर जामेगी। भेयी आॊखं को तू रे फना आईना।
तफ भॊजा आएगा सोरह शसॊगाय का॥ दो नमन दीऩ से
दो नमन दीऩ से डटभडटभाते हुए। दो अधय गीत सा गुनगुनाते हुए। घेय रेते हं ऩाकय अकेरा भुझे।
कुछ सजीरे सऩन क्षझरकभराते हुए॥ सीधी सादी बोरी बारी
सीधी सादी बोरी बारी नैन भडदया की ्मारी। चार अल्हि नदी सी ऩाई तू ने ओयी काभनी। रार सेफ से कऩोर शभश्री से भीठे फोर।
तूॊ हॊ से तो रगे गगन ऩे चभके है चाॊदनी। ओॊठ ऩॊखुिी गुराफ,ऩामा भादक शफाफ।
अरकं शानं से कटी तक ष्टफखयी हो जैसे माभनी। कोयी भन की डकताफ जैसे भोतीमं ऩे आफ।
ऩाके ऩयस तुम्पहाया गीत गूॊज उठे यागनी॥ गीत भेये अगय
गीत भेये अगय गामं तेये अधय।
मह तो अहसान होगा भेये गीत ऩय।
गूॊगे प्राणं को शभर जामे स्वय भाधुयी। गुनगुनादं भेये गीत को आऩ गय॥ शब्द का शशल्ऩ है भेयी आयाधना। भेयी ऩूजा ऋचा का मही भॊत्र है । प्राण सॊचाय हो भृणभमी दे ह भं।
भौन व्रत तोि कय तू अगय हो भुखय॥ ्माय के वास्ते
्माय के वास्ते डपय यहा दय फदय।
आज तक न शभरा कोई बी हभसपय। रूठ कय नीॊद जाने कहाॉ छुऩ गई।
भं तो कयवट फदरता यहा यात बय॥ हभ ्माय कये गं
हभ ्माय कये गं तुम्पहं उम्र बय। तुभ हभसे ्माय कयो न कयो।
भय शभटे हभ तेयी सादगी ऩे सनभ।
क्मा गयज अफ शसॊगाय कयो न कयो।
आऩ ऩय डदर को आना था आ ही गमा। ्माय सभझो इसे चाहे डदवानगी। ्माय को है सभष्टऩात भेयी वॊदना अचाना स्वीकाय कयो न कयो॥
वो ्माय जताती है
वो ्माय जताती है भगय ऊऩयी भन से।
वो नैन चुयाती है भगय ऊऩयी भन से।
भं साॊझ से ही उसका इॊ तजाय कयता हूॊ। वो छो ऩे आती है भगय ऊऩयी भन से। यातं को दफे ऩाॉव चाॉदनी की ओट भं।
वो ख्वाफं भं आती है भगय ऊऩयी भन से॥
हभने तो उनके ददा को अऩना सभझ शरमा। वो ्माय बी जताते भगय ऊऩयी भन से॥ यात सऩने भं
यात सऩने भं वे आ गमे।
भौन यहकय बी फशतमा गमे। फाॉध सॊमभ के टू टे सबी।
भेघ आऩस भं टकया गमे॥ कूके कोमर
कूके कोमर कहीॊ दयू अभयाई भं।
जान रेना डपजाॉ भं फहाय आ गई । टे सू भुस्कामे चम्पऩा चटकने रगा।
ऋतू यॊ गीरी कयन को शसॊगाय चूनय शरमे। राजवॊती को छे िे शनगोिा भदन।
भय शभटी राजवन्ती भदन रूऩ ऩय । ओढ़नी राज की सय उताय आ गई॥ ष्टफखयी अरकं
ष्टफखयी अरकं शनभार शचतवन रूऩ की तू यजधानी है । अॊग अॊग भहुए सा भहके कोमर सी भृद ु वाणी है ।
तुझ ष्टफन सूना भन का आॊगन जैसे ष्टफन शशी नीर गगन। तेयी प्रीत गॊग सी ऩावन तू अनकही कहानी है ॥ गोयी तेयी कारी रट
गोयी तेयी कारी रट ने भन भेया बयभाम शरमा।
नथनी के भोती नटखट ने भन भेया बयभाम शरमा। शघय आई ऊषा की रारी गोये गोये गारं ऩय।
फदयी जैसे घूॊघट ऩट ने भन भेया बयभाम शरमा॥ डटभडटभाता दीऩ
डटभडटभाता दीऩ औय स्माह थी भावस की यात। आसभाॉ से थी नदायत चाॉद तायं की फयात।
एक नन्हा दीऩ फोरा तुभ न घफयाओ ऩशथक।
तभ का ष्टवष ऩीकय के भं दॊ ग ू ा अॊधेये से शनॊजात॥ फन घटा सावनी
फन घटा सावनी कोई शघयता यहा।
स्वऩ ् फन कोई ऑॊखं भं शतयता यहा।
भन का भरुथर भहकता यहा यात बय। कोई फाॉहं भं भेयी भचरता यहा॥ भेघ शघय कय
भेघ शघय कय फयसता यहा यात बय। फूॉद को भं तयसता यहा यात बय।
एक बीनी सी खुश्फू शथयकती यही।
घाव डदर का भहकता यहा यात बय॥ खजाना ्माय का
खजाना ्माय का दशु नमा को रुटामा जाए। ईद औय होरी ऩे मूॉ जश्ना भनामा जाए।
जरे न शसपा जो अऩनी ही योशनी के शरमे। दीऩ अफके कोई ऐसा बी जरामा जाए रुऩ ऐसा की
रुऩ ऐसा की धूऩ शयभाए।
दे खकय झीर कॊवर भुसकाए। सॊदरी क्षजस्भ नमन कजयाये ।
फाॊध सॊमभ का टू ट ना जाए॥
ाज़र खण्ड तुम्पहाये ्माय की भूयत तुम्पहाये ्माय की भूयत भेया अचान है सच भानो
भेये जीवन का हय इक ऩर तुम्पहं अऩाण है सच भानो तुम्पहाये रूऩ का जाद ू भुझे फैचेन कय दे ता
तुम्पहाये चऺु की ज्मोती भेया दऩाण है सच भानो तुम्पहाये गेसओ ू ॊ के सामे से उठती घटा कारी
रगे फदरा कहीॊ भौसभ जवाॊ सावन है सच भानो डगय ऩय ऩाॉव तुभने जफ बी हौरे से धये हंगे
वही ऩद शचन्ह भेये वास्ते अमभन है सच भानो
तुम्पहाये ष्टफन मे सूनी है भेये जीवन की भधुशारा
अगय तुभ हो तो सीने भं भेये धिकन है सच भानो तुम्पहाये रूऩ के दऩाण से मे शचरभन सयक जामे
तुम्पहाये चेहये का घूॊघट भेया दश्ु भन है सच भानो अरॊकायं से कष्टवता का कयो श्रॊगाय तुभ साथी
करभ का आज कष्टवता से प्रणम फॊधन है सच भानो इन्हीॊ यस मुि छन्दं का अशभट सॊसाय है भेया
वही काॊगज की नगयी फस भेया आॊगन है सच भानो चरो
सद्भावना की नाव भं सागय की रहयं ऩय
अडम्पफय की इस दशु नमा भं फिी उरझन है सच भानो तुम्पहायी आॊख के आॊसू भुझे फैचेन कय दे ते
तुम्पहायी एक भुस्काहट भेया जीवन है सच भानो फनूॊ गय आॊख का काजर
फनूॊ गय आॊख का काजर तो तुभ अऩना नहीॊ सकते फनूॊ गय राज का आॊचर तो तुभ अऩना नहीॊ सकते डदवाना था डदवाना हूॉ तुम्पहाये नाभ के ऩीछे
अगय हो जाऊॊ भं ऩागर तो तुभ अऩना नहीॊ सकते इयादे ऩाॊक थे भेये भगय नाऩाॊक कह डारा
मदी फन जाऊॊ गॊगाजर तो तुभ अऩना नहीॊ सकते फुरॊदी के शशखय ऩय जाके तुभ जफ बी शनहायोगे
मदी फन जाऊॊ अरुणाचर तो तुभ अऩना नहीॊ सकते तुम्पहाये ्माय की भूयत तयाशी अऩने हाथं से
फनूॊ मदी ऩाॊव की ऩामर तो तुभ अऩना नहीॊ सकते यात एक फात
यात एक फात हो गई
उनसे भुराकात हो गई
ख्वाफ भं हभं वो क्मा शभरे सीरी सीरी घात हो गई सार सोरवाॊ उन्हं रगा उम्र जर प्रऩात हो गई
ऩर बय को उसने क्मा छुआ शसन्दयू ी गात हो गई
घूॊघट भं चाॊद हॊ स डदमा
फस भं कामनात हो गई कजया भेहॊदी के भेर से
यॊ ग बयी फयसात हो गई आज क्षजस चौखट ऩे
आज क्षजस चौखट ऩे मायं आऩ तोयण द्वाय हं नीॊव का ऩत्थय यहा हूॉ उस इभायत के शरमे
इतने सजदे कय चुका हूॉ इन फुतं के साभने हाथ उठते ही नहीॊ है अफ इफादत के शरमे
आए डदन रुसवा डकमा, कयता यहा जुल्भो शसतभ कोशशशं कयता यहा भेयी शहादत के शरमे
काभ आऊॉगा सॊपय भं साथ यख रो भुझको बी
खाय आते काभ ज्मं गुर की डहपाजत के शरमे दे खते हं वे डहॊ कायत की नजय से आज बी
कर खिे थे याह भं जो पूर उल्पत के शरमे भौत से ऩॊजा रिामा आई जफ जफ द्वाय ऩय
आज तक शशभंदा हूॉ भं उस डहभाकत के शरमे जी यहा हॉ भं पकत क्षजसकी इफादत के शरमे
कय डदमा रुसवा भुझे उसने बी उल्पत के शरमे
माद भं उनकी
माद भं उनकी अश्क फहाना छोि डदमा दीवायं से सय टकयाना छोि डदमा
क्षजन गशरमं भं उनका आना जाना था उन गरीमं भं आना जाना छोि डदमा साकी तेये दभ से तो भमखाना था
अफ तो हभने वो भमखाना छोि डदमा डदर का सोभनाथ भॊडदय जफ से टू टा ऩत्थय ऩय शसन्दयू रगाना छोि डदमा
आस्तीन भं डदखा सऩोरा क्षजस डदन से अऩनं से बी हाथ शभराना छोि डदमा
हभने डदर का साज फजाना छोि डदमा
उसने डदर के साज ऩे गाना छोि डदमा सॊसद के ऑॊगन भं दॊ गर जफ दे खा
भतऩत्रं ऩय भोहय रगाना छोि डदमा
आग रगी घय के चयाग से जफ घय को साॉझ जरे अफ दीऩ जराना छोि डदमा भोय ऩॊख सी छुअन सयीखी मादं ने
हये जख्भ ऩय भयहभ रगाना छोि डदमा डे या डार डदमा भधुवन भं ऩतझय ने
शततरी ने बॊवये सॊग आना छोि डदमा गोकुर से भथुया कान्हा जफ से ऩहुॊचे
याधा ने जभना तट आना छोि डदमा
है महाॊ दष्टू षत
है महाॊ दष्टू षत फहुत वातावयण
फैठे हं हय द्वाय ऩय चायण चयण फात गीतं की कोई कयता नहीॊ
शब्द शूरं ऩय शससकता व्माकयण गॊध से दग ं अफ आने रगी ु ध
डकतना फदरा आदभी का आचयण राऩता जफ से हुआ है आदभी
हो गमा इॊ साशनमत का अऩहयण
शभा को बी शभा अफ आने रगी इतना झीना हो गमा है आवयण
आस्था सॊग छर डकमा ष्टवश्वास ने शनझायी सा यो यहा अॊत:कयण जीवन एक ऩहे री है जीवन एक ऩहे री है
अऩनी भौत सहे री है
खट्टी भीठी मादं की योज गुजयती यै री है
ईष्मां की इक शचन्गायी दावानर सी पैरी है
काभ वासना है भक्खी
दे ह तो गुि की बेरी है झूठ है शभश्री सा भीठा
सत्म नीभ की गोरी है
ऩुण्म बटक गमा जॊगर भं ऩाऩ कये यॊ ग यै री है
जीवन के इस भेरे भं
भृत्मू स्वमॊ अकेरी है
प्रीत की कोयी चादय को सफने कय दी भैरी है
दख ु : भं याजा बोज महाॊ सुख भं गॊगू तेरी है सुफह सुफह धूऩ
सुफह सुफह धूऩ सुहानी रगती है
भौसभ की अर भस्त जवानी रगती है फहुत डदनं के फाद भेये अॊगना उतयी सूयत तो जानी ऩहचानी रगती है
चॊद्र-फदन भृग-रोचन खुरी खुरी अरकं डदखने भं वो रूऩ की यानी रगती है
भरम ऩवशनमा के झंकं सॊग वो आई इसकी उसकी प्रीत ऩुयानी रगती है आहं , ऑॊस,ू ददा भं डू फे गशरमाये
मे उजिे डदर की यजधानी रगती है अऩना सामा हुआ
अऩना सामा हुआ ऩयामा जॊगर भं
इक जुगनू ने साथ शनबामा जॊगर भं जानवयं ने शोय भचामा जॊगर भं
ऩहन भुखौटा गीदि आमा जॊगर भं बागो-बागो शेय आ यहा है रोगं
आज गिरयमा डपय शचल्रामा जॊगर भं उिे ऩरयॊ दे, चौऩामे इत उत बागे
डकसने दावानर पैरामा जॊगर भं
हाथी,बारू,शेय,डहयण, औय रोभि का
हभने तुभने, डकमा सपामा जॊगर भं जॊगर जॊगर फस्ती अफ तो ऊगेगी इॊ सानी आतॊक है छामा जॊगर भं
अऩनी फस्ती छोि महाॊ क्मं आमे हो आदभॊखोय शेय गुयाामा जॊगर भं सूयज की हितार
सूयज की हितार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो जुगनू हुए दरार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो
सैमाॊ बमे कुतवार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो
चढ़ यहे गार ऩे गार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो
क्षजन्ना से ऩयवंज तरक हुई गुटुय गुटुय सुरझे नहीॊ सवार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो सॊसद से ऩॊचामत तक भॊडूक शभरे
सफ नेता घडिमार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो
बीख भाॊग सत्ता की सीढ़ी चढ़ कय के हो गमे भारा भार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो जन सेवा औय दे श बष्टि कयने वारे
सफ के सफ दग्गार डढॊ डोया ष्टऩटवा दो मे कय दे गं वो कय दे कहने वारी
भछरी पॊस गई जार डढॊ डोया ष्टऩटवादो आसभान ऩय फादर
आसभान ऩय फादर छामे शाभ ढरे फयखा ने भोती फयसामे शाभ ढरे नायॊ गी सूयज ऩक्षिभ भं डू फ यहा
माद न जाने डकसकी आमे शाभ ढरे गो धूरी भं ऩशुधन आमा जॊगर से ष्टवश्वासं के दीऩ जरामे शाभ ढरे
मादं की जुन्हाई ष्टफखयी अम्पफय ऩय ऩुयवैमा ने भॊगर गामे शाभ ढरे
फयगद ऩीऩर नीभ आभ की डारी ऩय ऩॊछी आ कय शोय भचामे शाभ ढरे
बयी दऩ ु हयी तवा हॊ सा था चूल्हे ऩय ऩयदे सी साजन घय आमे शाभ ढरे हादसं का शहय है
हादसं का शहय है सम्पबर कय चरो
ऊॉची नीची डगय है सम्पबर कय चरो डहर यहे इस इभायत के ऩत्थय सबी
शगयने वारा शशखय है सम्पबर कय चरो
ऺीय कफ तक ष्टऩराओगे ष्टवषधय को तुभ मे उगरता जहय है सम्पबर कय चरो रुट न जामे कहीॊ काडपरा याह भं
याहजन यहफय है सम्पबर कय चरो चर यहीॊ दे श भं ऩक्षिभी ऑॊशधमाॉ
सफ को अऩनी डपकय है सम्पबर कय चरो फॊद भुट्ठी ऑॊखं भं
फॊद भुट्ठी ऑॊखं भं रहया यहा तूपान है
इस सदी के नौजवाॊ की फस मही ऩहचान है ऩत्थयं के इस शहय भं खो गमा इॊ सान है
हय तयप डदखराई दे ता शसपा ये शगस्तान है
कश्तीमाॉ रे कय डकनायं ऩय खिे कफ तक यहं नाॊखुदा दरयमा के धायं से अबी अॊजान है
भौन रहयं आॊशधमाॉ गुभ सुभ खिीॊ सागय के ऩाय चु्ऩीमाॉ फतरा यहीॊ आने को डपय तूपान है
इतनी सायी फोशरमाॊ हं धभा औय यस्भो रयवाॊज क्षजस सहन भं खेरते वो भेया डहन्दस् ु तान है मे गगन चुॊफी इभायत डकसशरमे फनवा यहा तूॊ महाॊ फस चाय डदन के वास्ते भेहभान है वामदं के फीज फोमे पस्र चौऩट हो गई
औय अफ खारी ऩिा इस दे श का खशरहान है
रहरहाते खेत, दरयमा, नीभ, ऩीऩर, आभ वन भेये छोटे से शहय की फस मही ऩहचान है ्माय से तेया अबी
्माय से तेया अबी ऩरयचम नहीॊ है
मे सभऩाण है कोई ष्टवशनभम नहीॊ है भात्र भोहये हं सबी शतयॊ ज के हभ
भौत कफ हो जामे मे शनिम नहीॊ है भत उिाओ बावानाओॊ की हॊ सी तुभ ्माय भेया ्माय है अशबनम नहीॊ है
इस जहाॉ की ऑॊशधमं से भत डयाओ
्माय तो वट वृऺ है डकसरम नहीॊ है
्माय शाश्वत सत्म शशव, सुन्दय, सनातन रूऩ मौवन कोष तो अऺम नहीॊ है
जो शभरा उनभुि हाथं से रुटाओ
अथा जीवन का कबी सॊचम नहीॊ है
क्षजसने जीवन भं
क्षजसने जीवन भं कबी दो योडटमाॊ ऩाई नहीॊ
उसके दस्तय खान ऩय कर फोटीमाॊ खाई गईं हभ बी उस नक्काय खाने भं गमे तूती शरमे हभ को मे भारूभ था डक होगी सुनवाई नहीॊ
हभको अऩनी है सीमत का आज तक बी बान है इसशरमे चादय से ज्मादा टाॊग पैराई नहीॊ
तुभ भेयी दीवानगी ऩय औय हॊ स रो चाय डदन स्वऩ ् भं बी आके तुभको दॊ ग ू ा डदखराई नहीॊ कर हुआ खैय भकदभ
कर हुआ खैय भकदभ गुनाहगाय का तोिा डदर आईने ने भेये माय का फात जो बी कयो वो इशाये
भं हो
धिकनं शगन यहा कान दीवाय का आफो दाना नहीॊ न डठकाना कहीॊ
दय फदय हो गमा काडपरा ्माय का आज कर भुल्क का हार फेहार है यि यॊ क्षजत है हय ऩृि अखवाय का
गुर करी खाय बॊवयो ने साक्षजश मे की कय डदमा खून शभरकय के गुरजाय का
उम्र बय तुझको
उम्र बय तुझको दॊ ग ू ा सदा फेवपा, फेवपा, फेवपा
खूफ दी खूफीमाॉ ए खुदा
बा गई उनकी फाॉकी अदा
शसपा उठकय नॊजय झुक गई हो गए वो भेये डदर रुफा
हय खुशी हो भमस्सय तुम्पहं यफ से है मे भेयी इक्षल्तज़ा
मूॊ ही टकया गई थी नॊजय
हो गमा आऩ ऩय डदर डपदा
अफ बरा डकसको आवाॊज दॉ ू तूॊ ही तूपाॊ तूही नाखुदा
डदर को आना था आ ही गमा था इयादा नहीॊ फाखुदा
खुश यहो ्माय की याह भं
हभ सपय अरष्टवदा अरष्टवदा फेटी हो गई आज
फेटी हो गई आज समानी शचॊता है फाऩू को फेटा फोरे ककाश वाणी शचॊता है फाऩू को
गहन अॊधेया यात तूपानी शचॊता है फाऩू को
उि न जामे छ्ऩय छानी शचॊता है फाऩू को
साॊझा चूल्हा वो चौऩारं वो सुख दख ु की फातं मे सफ फातं रगे ऩुयानी शचॊता है फाऩू को
ऩक्षिभ की ऑॊधी भं बटके हभ सफ ऩूयफ वारे
भय गमा सफकी ऑॊख का ऩानी शचॊता है फाऩू को हादसा दय हादसा
हादसा दय हादसा होता यहा है
खून के आॊसू शहय योता यहा है
गुरशसताॊ से पूर चुन कय आदभी मे खाय औयं के शरमे फोता यहा है
फक्षस्तमं भं पंक कय नपयत के शोरे तान खूॊटी आज वो सोता यहा है
यॊ ग दशु नमा को फदरते दे खकय के
वो कबी शगयगट कबी तोता यहा है
भौत से कयने को मायी उम्र बय वो क्षजॊदगी के फोझ को ढोता यहा है
चाॉद से चाॉदनी
चाॉद से चाॉदनी छीन कय यात यानी झयी यात बय जन्नत से बी है फेहतय
भेया घय ,भेया घय भेया घय अफ चरो छोि दं मे शहय है ऩये शाॊ महाॊ हय फशय
है नहीॊ क्षजसभं दीवायोदय
एसा है भेया घय भेया घय
चर के आए वो खुद भेये घय क्षजन्दगी हो गई भोतफय
खुद नहीॊ हभको अऩनी खफय कैसा डदवायो दय कैसा घय
भुझको कजया फना आॊझकय कहते जाओगे अफ कैसे घय
सुनके आने की उनकी खफय
वज्द भं है भेया फाभो दय मे सये फज्भ डाका जनी
हो गमा डदर इधय से उधय
गभ नहीॊ हभ जो रुसवा हुए आॊच आने न दी आऩ ऩय इतना ऊॊचा न उडिमे हुजूय
जर न जामे कहीॊ फारो ऩय जफ बी चाहा तुझे बूरना
हय तयप तू ही आमा नॊजय
गूॊगे गुन गुनाते हं
गूॊगे गुन गुनाते हं फहये हाॉ शभराते हं रोग महाॉ अॊधं को आईना डदखाते हं
ख्वाफ भं तस्व्वुय भं जागते भं सोते भं
हभ तो उनकी मादं के दीऩ शनत जराते हं रोग डदर रगाकय के कैसे बूर जाते हं
चाह कय बी हभ उनको बूर नहीॊ ऩाते हं रयश्तं भं ऩि
रयश्तं भं ऩि गई दयाय
प्रीत हुई आज ताय ताय आदभी तो राऩता हुआ
उठ यहे हं ददा के गुफाय
तेयी दशु नमा भं माय अफ रागे न क्षजमया हभाय
यऺा फॊधन की डोय बी
हो गई है अथा की शशकाय
ऩहरी फयसात
ऩहरी फयसात का भॊजा रीक्षजमे हुॊजूय बीग कय
फयखा का अवतयण हुआ
हो गई धया बी तय फतय
संधी संधी भाटी की भहक उठ यही धया को चूभकय
भस्त ऩवन शोय कय यही फादरं का जोय दे खकय
छत ऩे खिी वो नहा यही
हभ खिे हं भन भसोस कय चऩरा डपय नाचने रगी भेघं का शोय दे खकय सभाप्तॊ