Vivek Jagriti Ishwariye Prasad Ka Adar Karain Rpaugust2008

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  • Words: 384
  • Pages: 2
ििि ेक जाग ृ िि ईशरीय पस ाद का आदर कर े पूजय बाप ू जी क े सतस ंग प िचन से

आपको दै ियोग से कोई ऊँचा पद ििल जाये, दे ि की दी हुई िसिि, दे ि का िदया हुआ

पसाद, गुरजनो का िदया हुआ पसाद-हार, उसका अगर आप आदर नहीं करिे िो आपके यहाँ से िह चीज चली जािी है । गुर की दी हुई कृ पा, िेज, बल, पसननिा का आदर नहीं िकया िो चली

जायेगी। दे िदत, गुरदत, ईशरदत पसाद का आदर करिे है िो बढिा है , अगर कद नहीं करिे िो नष हो जािा है ।

गंगा िाँ ने जटाशंकर को एक कंगन पसाद िे िदया था। जटाशंकर ने िह राजा को दे

िदया, राजा ने रानी को दे िदया। रानी ने कंगर फेक के शोक कर िदया िक 'एक कंगन से कया, ऐसा दस ू रा लाओ।' उसने कंगन फेका िो िह चला गया, अदशय हो गया कयोिक िह दे िदत िसिु थी िो दे िदत चीज का आदर न करो िो ििसक जािी है ।

गुर भी िदििे शरीर िे है लेिकन गुर का आतिदे ि िो दे ि ही है न ! और गुर के हदय

िे दे ि है । अगर गुर के हदय को ठे स पहुँचायी और उस दे ि की उफ् आयी िो कहाँ पहुँचा दे गी! िकिने जनिो िे कया कर दे ! उनकी दआ काि कर लेिी है , हजारो-लािो का िचत पािन कर ु

दे िी है िो उनकी नाराजी भी िो काि करे गी ! छल, िछद, कपट से कोई गुरजी को िरझा ले या गुरजी को पसनन करे ऐसा नहीं होिा। हि कभी ऐसा वयिहार नहीं करे िक हिारे गुरजी नाराज हो जाये कयोिक

गुरकृपा ही क ेि लं िश षयस य पर ं ि ं गलि।्

आकलपज निकोटीना ं यजवििप ः िियाः।

िाः स िाा ः सफ ला देिि ग ु रसंिोषिाति ः।।

आतिरािी गुर के हदय िे आपके वयिहार से संिोष है िो आपके करोडो यज, करोडो जनिो के िप, वि सबका फल गुर की कृ पा यूँ डाल दे िी है ! हिको उसी से िो ििला। कंगला

िेहनि करके कब करोडपिि बनेगा? सिझदार बचचा िो करोडपिि की गोद िे गया िो करोडपिि बन गया, ऐसे ही गुरकृ पा की झोली िे चले जािे है िो उसी सिय भगितपसाद ! ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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