'के पी की पाठशाला सम्पूर्ण' कोर्स।.pdf

  • Uploaded by: Ravi Goyal
  • 0
  • 0
  • December 2019
  • PDF

This document was uploaded by user and they confirmed that they have the permission to share it. If you are author or own the copyright of this book, please report to us by using this DMCA report form. Report DMCA


Overview

Download & View 'के पी की पाठशाला सम्पूर्ण' कोर्स।.pdf as PDF for free.

More details

  • Words: 48,502
  • Pages: 112
के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 वषय

पृसंया

ारं भका

1 से 6

ह क उ चता - नीचता क प रभाषा, न वामी टे बल, आकाशगं गा क

ा या, न

ह क रा श न

गु ण, न

तथा रा श का संप े ववरण

म रहने क अव ध ।

7 से 11 12 से 18 19 से 20

हाथ से सु य पं चां ग।

21 से 28

उपन

28 से 36

रा श न

क गणना। म सु य का मण।

ह को दशा

का आबं टन।

37 से 38 39 से 42

भावच लत कु ं डली तथा ह के कायश भाव बनाना।

43 से 47

फोर टे प योरी केनयम।

48

भाव के कायश ह बनाना।

49 से 51

ह कस कार से फल दे ते है ।

52 से 56

ी टे प योरी।

56 से 61

लग लै ने ट अथात शासक ह।

62 से 71

न और शरीर के अं ग, ह तथा उनसे सं बं धत अं ग तथा रोग।

72 से 76

मह वपू ण जानकारी, घटना से सं बं धत मु ख, सहायक, तकु ल भाव, कु ं डली, सगे -सं बं धय के भाव, सभी भाव से सं बं धत घटनाय तथा जानकारी।

77 से 85

1 से 12 भाव क व तृ त जानकारी।

86 से 111

0

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

ारं भका :के .पी.ए ो टयू शन्प ुम म नीरज सू द आप सब का हा दक वागत करता ।ंसबसे पहले म ी गु चरण म ाथना करता ंक उनके आश वाद तथा मागदशन सेप ु ारं भ करता ।ं ॐ ी गुवे नम: ॐ ी गुवे नम: ॐ ी गुवे नम:।। सव थम भगवान गणप त जी के चरण म शत् शत्णाम् ।। भगवान गणप त जी हम यो तष व ा के गू ढ़ वषय को समझने को े रत करे तथा हम न व न इस व ा को हण कर।। ण य शरसा दे वं गौरीपुंवनायकम् ।। भ ावासंमरे यमायु :कामाथ स ये ।।१ ।। थमं व तु डं च एकद तं तीयकम् ।। तृ तीयं कृ ण पङ्ं गजव

ं चतु थकम् ।।२ ।।

ल बोदरं प चमं च ष ंवकटमे व च ।। स तमं व नराजें धूवण तथा मम् ।।३ ।। नवमं भालच ं च दशमं तुवनायकम् । एकादशं गणप त ादशं तु गजाननम् ।।४ ।। ादशै ता न नामा न

सं यं य: पठेर: ।

न च व नभयं त य सव स

करंभो ।।५ ।।

व ाथ लभतेव ां धनाथ लभते धनम् । पुाथ लभते पुान् मो ाथ लभते ग तम् ।।६ ।। जपे त् गणप त तो ं षड् भमासै : फलं लभे त् । सं व सरे ण स अ

च लभते ना सं शय: ।।७ ।।

यो ा णे य

ल ख वा य: समपये त् ।

1

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 त य व ा भवे सवा गणे श य सादत: ।।८ ।। इ त ी नारदपु र ाणे सं कट वनाशनंीगणप त तो ं सं पू णम् । ...............

त प ात मां सर व त जी के चरण म शत् शत्णाम जो हम यो तष व ा म नपु ण कर तथा हमारी वाक्स

कर।।

सर वती मं– सर वती महाभागेव े कमललोचने । व ा पेवशाला

व ां दे ह नमो तु ते ।।

सर वती व दना – रव

पतामह व णु नत ुम, ह रच दन कुकु म पड् कयु तम ।

मु नवृ दगणे समानयु तम, तव नौ म सर व त पादयु गम ।।1।। श श शु सु धा हमधामयु गम, शू रदा बर ब बसमानकरम । ब र न मनोहर का तयु तम, तव नौ म सर व त पादयु गम ।।2।। कनका ज वभू षत भू तपदम, भवभाव वभा षत भ पदम । भु चत समा हत साधु पदम, तव नौ म सर व त पादयु गम ।।3।। भवसागरभं जन धी तनु तम,

तपा दत स त त कार मदम ।

वमला दक शु- वशुपदम, तव नौ म सर व त पादयु गम।।4।। म तहीन जना य पाद मदम, सकलागम भा षत भ पदम । प रका रत व मने कभवम, तव नौ म सर व त पादयु गम ।।5।। प रपू णमने कं धाम न धम, परमाथ – वचार – ववे क न धम । सु रया दक – से वतपादतलम, तव नौ म सर व त पादयु गम ।।6।। 2

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 सु रमौ ल ग ण ु त शु भकरम, वषया द महामय पापहरम । नजका त – वले सत च

सवम, तव नौ म सर व त पादयु गम ।।7।।

गु णने क कु ला सत भी तपदम, गु व गौरव गौ वत सकलपदम । कमलोदर कोमल पादतलम । तव नौ म सर व त पादयु गम ।।8।। ........................ भगवान शवशकं र जी के चरण म को ट को ट नमन् ।। भगवान शव म यो तष व ा म तट था दान कर ।।



ा कम

नमामीशमीशान नवाण पंवभु ं ापकं वे द व पम् | नजंनगु णंन वक पंनरीहंचदाकाशमाकाशवासं भजे ङहम् ||१|| नराकारम कारमू लं तु र ीयंगरा ानगोतीतमीशंगरीशम् | करालं महाकालकालं कृ पालं गु णागारसं सारपारं नतोङहम् ||२|| तु षारा सं काशगौरं गभीरं मनोभू तको ट भा ीशरीरम् | फु र मौ लक लो लनी चा गं गा लसदभालबालेक ठे भु जं गा ||३|| चल कुडलंस ुु नेंवशालंस ाननं नीलक ठं दयालम् | मृ गाधीशचमा बरं मु डमालं यं शं करं सवनाथं भजा म ||४|| च डंकृंग भं परे शं अख डं अजं भानु को ट काशम् | यः शू ल नमू लनं शू लपा ण भजे ङहं भावानीप त भावग यम् ||५|| कला तक याण क पा तकारी सदा स जना ददाता पु र ारी | चदानं दसं दोह मोहापहारी सीद सीद भो म मथारी ||६|| न यावद उमानाथपादार व दं भज तीह लोके परे वा नराणाम् | न ताव सु खं शा त सं तापनाशंसीद भो सवभू ता धवासम् ||७|| न जाना म योगं जपं नै व पू जां नतोङहं सदा सवदा श भु तु यम् | जरज म ःखौ घतात यमानंभो पा ह आप मामीश श भो ||८|| ा क मदंो ंव े ण हरतोषये ।ये पठ त नरा भ या ते षां श भु : सीद त॥ 3

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 ................

मां बगलामु खी तथा मां पं चागु ली दे वी के चरण म शत् शत्णाम।। यो तषी क यो यता - ऋ षय मु नय का कहना है क यो तषी को कु लीन, सदाचारी, बालकपन, आड बरहीन, ईमानदार, समदश तथा उ म वा य का होना चा हए। वह शु वचार वाला तथा कमठ तथा साहसी होना चा हए। उसके वाक् अथवा व प , नपु ण तथा दोषमु होना चा हए। वह ई दे व क पू जा तथा अ य दे वी दे वता क पू जा करने वाला या अपने र ब या वाहे गु को मानने वाला अरदासी होना चा हए। शा केमम को समझने वाला होना चा हए। यो तष व ा के गणीतीय तथा मू लभू त स ां त को समझने क परख होनी चा हए। नरं तर अ यासी होना चा हए तभी वह इस ेम सफलता तथा स ा त करे गा। भारत म एक ल बे समय तक परतंता के काल म वै दक यो तष क क ड़याँबखर गयी या लु त हो गई। सू म अ ययन एवं शोध के प ात्ी के . एस कृ णामू त मह ष पाराशर जी वशो री दशा ( जसे उ दशा अथात न दशा) से ब त भा वत ए। मह ष पाराशर के अनु सार कु ं डली म चं जस रा श म थत होता है , उस रा श का या उसकेवामी का भाव ब त कम होता है , क तु चं जस न म होता है , उसकेवामी क महादशा होती है एवं जो न नवां श होता है , उसक अं तर क दशा होती है , जसका भाव मुय प से उस जातक पर होता है । वशो री दशा केनयम पर आधा रत नयम केआधार पर ही न का वभाजन उप न तथा उप उप न म करके फलादे श क व ा ने एक नई प त को ज म दया। यही नह , कृ णामू त जी ने च मा के ही नह , वरन शे ष सभी ह क थ त न , उप न , उप उप न म बां ट द । इतना ही नह , बारह भाव म आर भ क कला वकला को भी न , उप न एवं उप उप न म वभाजन कर दया और यह स कर दया क उप न ही उस भाव केफल का सही व ष ेण करता है । इसी न ीय व ा को कृ णामू तप त कहते ह। 27 न के249 उप न बनते ह। इ ह 249 उप न केकसी नं बर केआधार पर कु ं डली से सट क फलादे श क व ा भी इस प त क मु ख कड़ी है । ी कृ णामू त जी ने शासक ह क व ा ( जससे चं द मनट से वष म होने वाली घटना का समय आसानी सेात कया जा सकता है .) भी इसी प त म शा मल है । 9 ह, 12 रा श, 27 न ाथ मक न

=360 ड ी=भच

ीय यो तष श ा

कृ णमू त प त कसी भी यो त षय व ा से सीखने म न के वल सरल है , अ पतु एकदम सट क भी है । पू यनीय दादा गु ी के एस कृ णमू त जी ने जब इसका आ व कार कया तो सोचा भी नह होगा क यह ते जी से लोक य होगी और हर आय, आयु वग केलोग इसे सीखना चाहगे । द ण भारत से ले कर उ र भारत म इसेसखाने केतरीकेभी अलग-अलग ह। यह इतनी आसान और रोचक हैक आप बात -बात म और अपने रोजमरा केकामकाज करतेए आसानी से इसे सीख सकते ह। आप कसी यो तषी के पास तब जाते है जब समय अनु कु ल नही होता या कोई काय न हो रहा हो या वलं ब से हो रहा हो जै सेववाह केबारे म या पढ़ाई केबारे म या ापार केबारे म। ब त बार एे सा होता हैक जब हम यो तषी से पू छते हैक कोई काय कब होगा तो वो परं परागत या वै दक तरीकेसे बताता हैक दशा अनु कू ल है इस वष तो काय हो जाएगा परं तु वो वष नकलने के उपरां त भी वो काय नह होता तो हम अगले साल या आगे क दशा का सोचते है , हमारे जीवन म हर चीज़ हर काय हम कब मले गा या उसका हमारे जीवन म सु ख है या नह उसकेबारे म कृ णमू त यो तष व ा केमा यम से जान सकते है और क वो सु ख कब मले गा? उदाहरण केतौर पर य द ववाह नही हो रहा हो तो हम पहले ये जान सकते हैक या वाकई वै वा हक योग है या नह और य द है तो ववाह कब होगा ? या वै वा हक सु ख उसके बाद है या नह , कह तलाक या सं बं ध व छे द तो नह । या जीवन म सं तान का योग है और य द है तो या पू णतया वो सं तान का सु ख बाद म मले गा या नह । ापार केमामले या ापार म पाटनर शप म लाभ होगा या नु कसान या या पाटनर धोखा दे गा या नह । अभी कै सा समय चल रहा है ? य द लाभ द है तो

4

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 सही नवे श य द खराब तो हर फालतु खच पर नयंण। पढ़ाई का कसी केया अपन केजीवन म तर। या लव मै र ीज़ होगी ? या जससेे म करते है उससे ही होगी या वो शाद से इं कार कर दे गा? कोई व तु खो गई या चोरी हो गई तो या वो मले गी या नह य द मले गी तो सं भा वत समय। य द कोई घर छोड़कर चला गया उसकेबारे म जानकारी, या वो जी वत है या नह य द है तो वा पस कब तक आएगा? कहने का ता पय ये हैक आपके जीवन, श ा, ववाह, सं तान, धन, छोटे या बड़े भाई ब हन , घर, भु म, वाहन, शे यर, लाटरी, रोग, श ु , कज़, कोट,के स, ापार, पाटनर,सां झे दारी,आयु , मृ यु , इं योरस,भा य, धम, धा मक या ा, वदे श या ा, नौकरी, ोफे शन, पता, आय,यश,लाभ,जे ल,अ पताल इ या द इन सबसे सं बं धत कसी भी कार के शन के उ र आसानी सेदये जा सकते है । शन कु डं ली म हर कार के का उ र दया जा सकता है । इसम इतनी सट कता होती हैक हम हर कार केकाम के बारे म क या उसम वचनब दता है , य द है तो वह काम कब होगा इसकेबारे म जान सकते है । नौकरी मले गी या नह या तबादला कब होगा या नौकरी और ापार म या कर सकते हैकसम अ धक सफलता मले गी इ या द केबारे म जानकर सही दशा चु न सकते है । ववाह का योग हैक नही अगर है तो शाद कब होगी। इसी कार सं तान सु ख हैक नही य द है तो कब है । श ा से सं बं धत शन, या श ा होगी , उ च होगी या न न। वाहन / घर खरीदना या बे चना या इनकेसु ख मलग या नह । इसी कार हजार शन के उ र जाने जा सकते ह। सबसे पहले हर शन केलए जातक से 1-249 तक क संया ली जाती है येसफ सं खया नही अ पतु हर एक न केवश तरी दशा केअनु सार नौ भाग करकेएे से 27 न ो के249 भाग कये । जातक जो संया दे ता है उस संया सेशन का लगन कौन सी रा श अं श कला का होगा ये पता चलता है । इस तरीके से एक ही समय कई जातको के अलग अलग शन के उ र आसानी सेदए जा सकते ह। हर जातक जब अपनेकसी शन केसाथ आता है तब वो उ र भी साथ ले कर आता है । उसके शन क सट कता शन समय चं दरमा उस शन से सं बं धत भाव तथा सहायक भाव से सं बं ध बनाकर दे ता है या सं बं धत होता है । अगर कोई जातक आकर पु छेक ववाह कब होगा? , कु छ पल बाद कोई सरा जातक आकर पु छेक तलाक कब होगा? तब न तो ह थ त बदलती है और न ही शन कु ं डली तो इस कार क थ त म सही अवलोकन केलए ही कृ णमू त जी ने 1-249 तक क संया का नरमान्कया , ये वल ण खोज उनक ही दे न है । शनकु डं ली म सं बं धत शन का मु ख भाव का उपन वामी य द मु ख या सहायक भाव का कायश हो तो सं बं धत घटना या काम होगा अ यथा नह । उदाहरण के तौर पर नौकरी केवषय म मु ख भाव ष का वचार कया जाता है तथा स तम भाव से ापार का वचार, अब य द कोई शन करे क म नौकरी क गां या ापार ? य द दशम् भाव का उपन वामी 7,10,2 या 11 का कायश होगा तो ापार य द 6,10,2,11 का कायश होगा तो नौकरी करे गा वो भी सं बं धत भाव के कायश ह क दशा अं तरा म। इसी कार जै से अपनी से हत केलए ल न भाव, धन सं बं धी बात केलए तीय भाव, ले खन केलए तृ तीय भाव, मकान केलए चतु थ भाव, सं तान केलए पं चम भाव, नौकरी केलए ष भाव, अपने कारोबार तथा ववाह केलए स तम भाव, पता केलए नवम भाव इ छा क पू त केलए यारहवाँ भाव, खच केलए ादश भाव आ द। इस से हम मुय भाव का पता चलता है जै सेक एक हाथ से ताली नह बजती उसी कार एक मुय भाव से घटना का पता नह चलता इस लए हम सहायक भाव का भी ान होना अ त आव यक है । जै सेववाह केलए स तम भाव दे खा जाता है । ववाह से हमे ऐसा जीवन साथी मलता है जो हम हर कार केसु ख दे ता है । इस सं बं ध को समाज तथा कानू न से मा यता ा त होती है , स तम थान ववाह का मु ख थान है । इससे प रवार म बढ़ौ री होती है । इस लए सरा यानी के तीय थान भी सहायक है तथा ववाह क इ छा पू त के लए एकादश भाव भी सहायक है ।, कृ णमू त णाली म स तम के उप न वामी अगर सरे सातव या एकादश भाव म से कसी एक भाव का कायश हो तो अव य ववाह होगा ले कन अगर स तम का यही उप न वामी वरोध भावो का कायश होगा तो ववाह नह होगा अगर सहायक तथा वरोधी दोनो कार के भावो का कायश होगा तो ववाह होने के उपरां त भी पू री तरह से वै वा हक सु ख नह मले गा। कृ णमू त प

त म नयम या योग के ढे र नह है , हर काय का ला ज़कली ढं ग सेव

ष ेण कया गया है ।

आगामी वषय म हम आगे बढ़े ग आप सब तै यार रहे । वशे ष :- आप सब के .पी. टारवन सॉ टवे यर जो क इं टरने ट ारा डाउनलोड कर ले जो क नशु क है , केपी टारवन म

5

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 के .पी.अयनां श के ारा च लत है या य द आप के पास अ य कोई सॉ टवे यर जो कृ णमू त प त से ही सं बं धत हो इ ते म ाल म ले सकते है । कसी अ य वै दक सॉ टवे यर जन म ल हरी या अ य अयनां श होते है उनका इस प त म ब कु ल इ ते म ाल नह होता सफ और सफ के .पी.अयनां शा ही इ ते म ाल होगा इस प त म, ध यवाद।। नीरज सू द, लु धयाणा :- 6239225015

भारतीय यो तष क भारत म एक ल बे समय तक परतंता के काल म यो तष क क ड़याँबखर गयी या लु त हो गई। सू म अ ययन एवं शोध के प ात्ी कृ णामू त जी ज ह ने मह ष पाराशर जी क वशो री दशा से ब त भा वत ए। मह ष पाराशर के अनु सार कु ं डली म चं जस रा श म थत होता है , उस रा श का या उसकेवामी का भाव ब त कम होता है , क तु चं जस न म होता है , उसकेवामी क महादशा होती है एवं जो न नवां श होता है , उसक अं तर क दशा होती है , जसका भाव मुय प से उस जातक पर होता है । वशो री दशा केनयम पर आधा रत नयम के आधार पर ही न का वभाजन उप न तथा उप उप न म करके फलादे श क व ा ने एक नई प त को ज म दया। यही नह , कृ णामू त जी ने च मा के ही नह , वरन शे ष सभी ह क थ त न , उप न , उप उप न म बां ट द । इतना ही नह , बारह भाव म आर भ क कला वकला को भी न , उप न एवं उप उप न म वभाजन कर दया और यह स कर दया क उप न ही उस भाव के फल का सही व ष ेण करता है । इसी न ीय व ा को कृ णामू त प त कहते ह। 27 न के 249 उप न बनते ह। इ ह 249 उप न केकसी नं बर के आधार पर कु ं डली से सट क फलादे शक व ा भी इस प त क मु ख कड़ी है । ी कृ णामू त जी ने शासक ह क व ा ( जससे चं द मनट से वष म होने वाली घटना का समय आसानी सेात कया जा सकता है .) भी इसी प त म शा मल है । कृ णामू त प त म भाव सं ध अथवा भाव म य नाम क कोई चीज नह होती है . इस प त म के वल भाव ार भ ही होता है . जै सेथम भाव- थम भाव के आर भ से तीय भाव आर भ तक होता है . तीय भाव- तीय भाव ार भ से तृ तीय भाव ार भ तक होता है . इसी कार एक सेादश भाव तक होता है . इस प त म सही फलादे श पाने केलए कृ णामू त अयनां श ही योग कर, जो च लत ला हड़ी के अयनां श से लगभग 6 मनट कम है । अब ह क उ च-नीच थ त भी समझ ले ते ह. वै दक यो तष म कसी भी ह को उनक उ च या नीच रा श केहसाब से उस ह को उ च या नीच मान लया जाता है , जब क यह पू ण स य नह है कृ णमू त यो तष म वैा नक आधार सेकसी भी ह के उ च या नीच होने क थ त को समझ सकते ह. दरअसल वै दक यो तष म जहाँह को ही पू ण मा यता द गई है वह के पी यो तष म भाव (क प या न नवां श ) को काफ कु छ माना गया है . क प क ड ी से ही ह का बलाबल पता चलता है . के पी म कसी भी ह या उप ह के न वामी को मा यता द गई है या न कोई भी ह या उप ह अपने न वामी क थ त के आधार पर प रणाम दे ता है यदन वामी उ च या नीच का है . तो वह उसी केहसाब से फल दे गा। कोई भी ह उ च या नीच का वा तब म कब होता है …मान ली जये वै दक यो तष के अनु सार गुमकर रा श म है तो वह नीच का होगा, और शु य द मीन रा श म है तो वह उ च का माना जाता है . ले कन यह पू ण स य नह है . मान ली जये गुकक रा श म 15 ड ी का है तो या वह उ च का माना जाये गा? जी नह , य ? यु क गुकक रा श म के वल 05 ड ी तक ही उ च के प रणाम दे ता है , इससेयादा ड ी होने पर वह साधारण थ त म आ जाता है . कसी भी ह के उ च या नीच भाव केलए उसक क ा उस थ त म होनी चा हए, जो ड ी से तय होती है । कसी भी भाव या क प क अ धकतम 30 ड ी होती है और ह क उ चता व नीचता केलए एक नधा रत ड ी मानक है । कोई भी ह कस रा श म उ च या नीच व कब ा त करता है , इसकेलए नीचे द गयी टे बल दे ख।

6

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

ह क उ चता - नीचता क प रभाषा। ह

उ च रा श ह-न

नीच रा श - उपन

सु य

मे ष 10 ड ी

आ मा, ध वं त र, अहं कार, तबा

मं गल - के तु -शन

चं

वृ ष3 ड ी

मन, इ छा, मोह

शु - सु य - गु/श न

ह-न

- उपन

तु ला 10 ड ी

सु य आ मा और ध वं त र है , उसम अं हकार और तबा है , वो राजा है । के तु मो है जो अ नी कु मार ारा ने तृ व है , श न याग है तो जब तक मनु य अं हकार का याग नही करे गा वो मो नही पाये गा। इस लए सु य मे ष रा श म 10 ड ी पर के तु के न और श न के उपन पर उ च का होता है ।

वृक 3 ड ी

आ मा/मनु य भौ तक सु ख का याग कर ान ा त करे तभी आ मा परमा मा (सु य) का मलन होता है ।

कक 28 ड ी

ताक़त हो और उसका सही दशा म इ ते म ाल ही सही कम है ।

मीन 15 ड ी

बु , मन, दमाग ान के साथ ही सही नणय पर प च ंा जा सकता है ।

मकर 5 ड ी

गु ानदायक और मन के अं हकार को ख म करने वाला धम पर चलने वाला तथा बना भौ तक सु ख के कम करने को े रत करना।

के तु - मो , श न - याग

शु - भौ तक सु ख , गुान , श न याग मं गल

मकर 28 ड ी

बल, ताक़त, ऊजा

श न - मं गल - श न श न कमकारक , मं गल बल, ताक़त, ऊजा

बु ध

क या 15 ड ी

बु , चतु र ाई

बु ध - चं- गु बु ध - बु , चं- मन, माइं ड, गु- ान

गु ान, धम

कक 5 ड ी चं- श न - श न चं- मन , सोच श न कम, काया वत।

7

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 शु

मीन 27 ड ी

भौ तक सु ख, ऐ यपू ण जीवन, सं जीवनी, मोह

गु- बु ध - गु

शन

तु ला 20 ड ी

कम, याग, याय

शु - रा /गु- मं गल/गु

क या 27 ड ी

इ छा का याग और ान तथा समझ के साथ जीवन तीत करना ही स ची सं जीवनी ( शु ) है ।

मे ष 20 ड ी

श न कमकारक याय का प रचायक है तो मनु य को पू ण ान के साथ और बना भौ तक सु ख क इ छा केयायो चत कम करना ही न काम कम है ।

वृक 20 ड ी

भौ तक सु ख, आडं बर, मोह को यागकर ही मो क ा त सं भव है ।

वृ ष 20 ड ी

मान सक तथा बौ क ऊजा को नयंण म रखकर कु ं ड लनी श जागृ त करके ही मो तथा सं जीवनी ा त क जा सकती है ।

गु- ान, बु ध - समझ, बु

तु ला - याय, रा - भौ तक सु ख, गु- ान, मं गल ऊजा। रा

वृ ष 20 ड ी

भौ तक सु ख, आडं बर

शु - चं- के तु शु - वला सता, भौ तक सु ख, चं- मन, मोह, के तु मो

के तु

वृक 20 ड ी

मो

मं गल - बु ध - शु मं गल - ऊजा, बु ध - बु शु - सं जीवनी

सू म अ ययन एवं शोध के प ात्ी कृ णामू त मह ष पाराशर जी क वशो री दशा ( जसे उ दशा अथात न दशा) से ब त भा वत ए। मह ष पाराशर के अनु सार कु ं डली म चं जस रा श म थत होता है , उस रा श का या उसकेवामी का भाव ब त कम होता है , क तु चं जस न म होता है , उसकेवामी क महादशा होती है एवं जो न नवां श होता है , उसक अं तर क दशा होती है , जसका भाव मुय प से उस जातक पर होता है । वशो री दशा केनयम पर आधा रत नयम के आधार पर ही न का वभाजन उप न तथा उप उप न म करके फलादे श क व ा ने एक नई प त को ज म दया। यही नह , कृ णामू त जी ने च मा के ही नह , वरन शे ष सभी ह क थ त न , उप न , उप उप न म बां ट द । इतना ही नह , बारह भाव म आर भ क कला वकला को भी न , उप न एवं उप उप न म वभाजन कर दया और यह स कर दया क उप न ही उस भाव के फल का सही व ष ेण करता है । इसी न ीय व ा को कृ णामू त प त कहते ह। 27 न के 249 उप न बनते ह। इ ह 249 उप न केकसी नं बर के आधार पर कु ं डली से सट क फलादे श क व ा भी इस प त क मु ख कड़ी है । ी कृ णामू त जी ने शासक ह क व ा ( जससे चं द मनट से वष म होने वाली घटना का समय आसानी सेात कया जा सकता है .) भी इसी प त म शा मल है ।

8

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 कृ णमू त प त म जातक फलादे श केलए न और उसके उप न का योग करते ह। गुजी कृ णमू त जी ने कु ं डली म 249 तक के अं क के उप न नधा रत कए ह। उ ह ने भावपरक कारक एवं ता का लक ह ( लग लाने ट् स) के योग को जातक के फ लत कथन म वशे ष प से मह व दया है । इस प त म यह दे खते ह क ह कस ह के न म है एवं उस न का अ धप त ( वामी) कस भाव म थत है तथा न अ धप त कन भाव का वामी है । इसी नयम के आधार पर जातक को फल बताया जाता है । के पी म भाव के कारक व को सवा धक मह व दया गया है । वै दक यो तष म रा शय का सू म फल जानने केलए नवां श का योग करते ह। या न एक रा श के समान प से नौ भाग करते ह। वशो री दशा प त म ज मकालीन चंमा के अं श एक समान होने पर कोणगत रा शयां जै से 1-5-9, 2-6-10, 3-7-11, 4-8-12, म न वामी एक ही होता, जसे महादशा का वामी कहा जाता है और इसके बाद मानु सार दशा वामी होते ह। कृ णमू त गुजी ने अपने अ ययन म पाया क जब एक ही न अथवा एक सेसरेकोण म आने वाली रा शय म थत न म एक से अ धक ह ह तो सबका न वामी एक ही होतेए भी उनके फल अलग-अलग मलते ह। यह एक च काने वाली थी, लहाजा उ ह ने इसके प रणाम दे खने केलए न का वभाजन अ तदशा के अनु सार कया, जै सा क चंमा क दशा म होता है ।न को वशो री दशा के अनु सार नौ भाग म वभा जत कया। इस वभा जत न के भाग को उप न (सब लाड ) कहा जाता है । कृ णमू त प त कसी भी यो त षय वधा से सीखने म न के वल सरल है , अ पतु एकदम सट क भी है । पू यनीय दादा गु ी के एस कृ णमू त जी ने जब इसका आ व कार कया तो सोचा भी नह होगा क यह ते जी से लोक य होगी और हर आय, आयु वग के लोग इसे सीखना चाहगे । द ण भारत से ले कर उ र भारत म इसेसखाने के तरीके भी अलग-अलग ह। यह इतनी आसान और रोचक हैक आप बात -बात म और अपने रोजमरा के कामकाज करते ए आसानी से इसे सीख सकते ह। कृ णमू त यो तष प ती - सबसे पहले तो हम मालू म है क सात ह, दो छाया ह रा , के तु साथ म कु ल 9 ह - सु य, चं, मं गल, बु ध, गु, शु, शनी तथा छाया ह रा , के तु । 12 रा शयां तथा 27 न होते है । इस कार नौ ह, 12 रा शयां तथा 27 न ए। हमारी आकाशगं गा 360° के भच म फै ली ई है ।

360° ड ी यहां ड ी को अं श भी कहते है । 60 अं श या ड ी का एक ह सा बनता हैजसको हम कला कहते है और इस कला के आगे 60 उप वभाग बनते हैज ह हम वकला कहते है ये उसी तरह हैजस तरह हमारी घड़ी या समय म हावस - मनट - से कं डस् होते है । ड ी मनट से कं डस् = अं श कला वकला या न क 60 वकला = 1 कला 60 कला = 1 अं श

9

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 360 अं श = एक रा शच 360 अं श = 27 न

( 12 रा शयां )

( 12 रा श ÷ 27 न

)

जै से 60 से कं ड = 1 मनट 60 मनट = 1 घं टा हमारी बारह रा शयां मे ष से मीन तक होती है । कु ल नौ ह है अौर 27 न है तो हर ह केह से तीन - तीन न के पी न आधा रत व ा है । हर ह कसी न कसी ह के न म थत होता है ।

आते है ।

ह-न तथा आगे वह कसी न कसी ह के उपन ह-न

म थत होता है ।

- उपन

कसी भी घटना के बनने का तो ह होता है ।न उस घटना का कार बताता है तथा उपन उस घटना के बारे म बताता है क वो घटना शु भ है या अशु भ। इस कार हमारी कु ं डली म कोई ह कस भाव या रा श म बै ठा है उसका उतना मह व नह ब क वो ह कस ह के न तथा उपन म थत है ये दे खना ज री होता है । न





1 अ नी

10 मघा

19 मू ला

के तु

2 भरनी

11 पू वाफा गु नी

20 पू वाषाढ़ा

शु

3 कृ तका

12 उ राफा गु नी

21 उ राषाढ़ा

सु य

4 रो हणी

13 ह त

22 वण

चं

5 मृ गशीष

14 च ा

23 ध न ा

मं गल

6आ ा

15 वा त

24 शततारका

रा

7 पु नवसु

16 वशाखा

25 पू वाभा पद

गु

8 पु य

17 अनु र ाधा

26 उ राभा पद

शन

18 येा

27 रे वती

बु ध

9आ

ष ेा

यहां पर हम हर न

वामी ह

केवामी ह का पता चलता है ।

10

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

आगे हर रा श केवामी ह का भी टे बल दया है जो आपको मालू म ह गे जै से रा श

रा श

वामी ह

1 मे ष

8 वृक

मं गल

2 वृ षभ

7 तु ला

शु

3 मथु न

6 क या

बु ध

4 कक

-----------

चं

5 सह

-----------

सु य

9 धनु

मीन

गु

मकर

कुभ

शन

रा तथा के तु दोन ही छाया ह है अतः येकसी भी रा श केवामी नही, येजस रा श म हो उसकेवामी के त न ध के प म काय करते है ।न तथा रा शय पर उनकेवामी ह का पू र ा वच व अथात अ धकार रहता है ।

11

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 आकाशगं गा / भच



या :-

आकाशगं गा का आकार गोल होता है जै सा क आप ऊपर च म दे ख सकते है । इस गोल के 360° 360 अं श होते है या ड ी होती है । इनम 12 रा शयां होती है जो इस कार है - मे ष, वृ षभ, मथु न, कक, सह, क या, तु ला, वृक, धनु , मकर, कु ं भ, मीन। इन रा शय को समान तीन भाग म वभ या बां ट ा गया है । पहला भाग 120° मे ष से कक सरा भाग 120° सह से वृक तीसरा भाग 120° धनु से मीन इस कार 120°+120°+120° = 360° पू र ा भच

आ।

हर भाग के नौ बराबर वभाग होते है । हर वभाग 13°20' (13 ड ी 20 कला ) का होता है जो 0° मे ष - अ न से शु होता है । हर वभाग को न कहा जाता है । कु ल 27 न होते है । वशो री दशा के मा यम् से हर न पर कसी न कसी ह का वा म व है । वशो री दशा मा यम् सेह का म इस कार है । के तु , शु, सु य, चंमा, मं गल, रा , गु, शनी, बु ध। हर

12

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 ह का तीन न

पर वा म व हैजसे न

प त या टारलाड कहते है ।

पहला भाग 120° मे ष से कक तक -





प त या न

वामी

रा श ड ी सेड ी तक

अ नी

के तु

मे ष 00° से 13°20'

भरनी

शु

मे ष 13°20' से 26°40'

कृ का

सु य

मे ष 26°40' से 30°

कृ का

सु य

वृ ष 00°00' से 10°

रो हणी

चं

वृ ष 10° से 23°20'

मृ ग शरा

मं गल

वृ ष 23°20 से 30°

मृ ग शरा

मं गल

मथु न 00° से 6°40'

आ ा

रा

मथु न 06°40 से 20°

पु नवसु

गु

मथु न 20° से 30°

पु नवसु

गु

कक 00°00' से 3°20'

पु य

शनी

कक 03°20' से 16°40'

बु ध

कक 16°40' से 30°00'



ष ेा

13

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

सरा भाग 120° सह से वृक तक -





प त या न

वामी

रा श ड ी सेड ी तक

मघा

के तु

सह 00°-13°20'

पू वाफा गु नी

शु

सह 13°20'- 26°40'

उ राफा गु नी

सु य

सह 26°40' - 30°00'

उ राफा गु नी

सु य

क या 00°00' - 10°00'

हत

चं

क या 10°00' - 23°20'

च ा

मं गल

क या 23°20'- 30°00'

च ा

मं गल

तु ला 00°00'-6°40'

वा त

रा

तु ला 06°40'-20°00'

वशाखा

गु

तु ला 20°00'-30°00'

वशाखा

गु

वृक 00°00'-03°20'

अनु र ाधा

शनी

वृक 03°20'-16°40'

येा

बु ध

वृक 16°40'-30°00'

14

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 तीसरा भाग 120° धनु रा श से मीन रा श तक न



प त या न

वामी

रा श ड ी सेड ी तक

मू ला

के तु

धनु 00°00'-13°20'

पू वाषाढ़ा

शु

धनु 13°20'-26°40'

उ राषाढ़ा

सु य

धनु 26°40'-30°00'

उ राषाढ़ा

सु य

मकर 00°00'-10°00'

वण

चं

मकर 10°00'-23°20'

धन ा

मं गल

मकर 23°20'-30°00'

धन ा

मं गल

कु ं भ 00°00'-06°40'

शत भषा

रा

कु ं भ 06°40'-20°00'

पू वाभा पद

गु

कु ं भ 20°00'-30°00'

पू वाभा पद

गु

मीन 00°00'-03°20'

उ राभा पद

शनी

मीन 03°20'-16°40'

रे वती

बु ध

मीन 16°40'-30°00'

ऊपर दए गए च म सव थम सु य सेरी के अनु सार सभी ह को था पत कर दया फर सु य को अपनेथान से हटाकर जहां पृ वी लखा है वहां पर लख दया। बु ध व शु के म य के तु तथा मं गल व गु के म य रा को लख दया। अब सु य से घड़ी के चालन केवपरीत गनने सेह का म कु छ इस तरह से हो गया। - सु य चंमं गल रा गु शनी बु ध के तु तथा शु।

15

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 इसी तरह सेह का वशो री दशा म भी हो गया। ऊपर च म सु य को कृ का न का वामी मानतेए हम य द म को आगे बढ़ाये तो हर न अपनेवामी ह म आएं गे जो वैा नक आधार पर भी सही पु करते है ।

ऊपर दो डाय ाम दए गए है कु ं ड लय केजनम आप दे खगेक एक कु ं डली म मे ष से ले कर मीन रा श तक सभी रा शयां लखी गई है तथा सरी कु ं डली के डाय ाम म सभी भाव नं बर लखे गए है । ल न या रा श इस कार है - मे ष वृ ष मथु न कक सह क या तु ला वृक धनु मकर कु ं भ मीन मवर है । कसी जातक का ज म मे ष ल न म होता हैकसी जातक का वृ ष म तो कसी का कु ं भ म और कसी का मीन म। य द मे ष ल न म ज म आ है तो जै से ऊपर पहले डाय ाम म पहले खाने म मे ष लखा है उस कार से मे ष ल न क कु ं डली होगी। य द कसी का कु ं भ ल न म ज म आ हो तो मे ष केथान पर कु ं भआ जाएगा और बा क म से आएं गे जै से कु ं भ मीन मे ष वृ ष ..... इ या द। सरी कु ं डली के डाय ाम् म आप भाव/घर/खाना नं बर दे खगे जो म से 1 से 12 होते है । जातक का ज म कसी भी ल न म हो पर इनक ( भाव/घर/खाना ) थ त कभी नह बदलती। ये भाव यथा थ त म ही रहते है ।



गु ण

गु ण के आधार पर ह को 3 भाग म बां ट ा गया है ! 1. सतोगु णी- सू य, च , गु. 2.रजोगु णी- बु ध, शु. 3.तमोगु णी- मं गल, श न, रा , के तु . इसी आधार पर1. सतोगु णी न

-

सू य के -3 कृ तका, 12 उ रा फा गु नी, 21 उ रा षाढा च

के - 4 रो हणी, 13 ह त, 22 वण.

गुके - 7 पु नवसु , 16 वशाखा, 25 पू वा भा पद 16

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 2.रजोगु णी न

-

बु ध के -9आ

ष ेा, 18 येा, 27 रे वती

शु के - 2 भरणी, 11 पू वा फा गु नी, 20 पू वा षाढा 3.तमोगु णी न

-

मं गल के - 5 मृ गशीष, 14 च ा, 23 ध न ा श न के - 8 पु य, 17 अनु र ाधा, 26 उ रा भा पद. रा के - 6 आ ा, 15 वा त, 24 शत भषा के तु के - 1अ नी , 10 मघा, 19 मू ल. सतोगु णी न

के फल-

सतोगु णी न

के भाव से जातक म दै वीय गु ण क अ धकता होती है !

इनमे ज मा जातक दे व भ , नमल दय, स य व ा,ईमानदार, मावान, न कपट, न वाथ , परोपकारी,धै यवान, स कम , और सं तोषी होता है ! वह सर को ःख नह दे ता,ब क उनको ःख म दे ख कर खु द भी खी हो जाता है ! रजोगु णी न

के फल-

रजोगु णी न

के जातक म दे व और असु र दोन के गु ण का मे ल होता है !

ऐसे गु ण मानव म होते है ! मानव भौ तकतावाद है ! धन, भोग और वलास का इ छु क होता है ! ऐसे जातक वाथवश गलत काय भी करते है ! अगर यह कहा जाय क मानवीय भावनाएंयादा होती है तो गलत नह है ! तमोगु णी न

के फल-

तमोगु णी न

के भाव से जातक म आसु र ी वृयां आ जात है !

तमोगु णी जातक म ोध, ू रता, कु बु ,अस य, घमं ड, ढ ग,बे ईमानी,छल आ द गु ण भरे होते है ! ऐसे लोग वाथ स

केलए सर को तकलीफ भी प च ंाते है !

17

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015



का संप ेम ववरण-

दो त य द हम न का ववरण दे ना आरं भ कर तो 27 न का ववरण दे ने म एक पू र ी कताब भी कम है । ये कन पर उस केवामी ह का पु र ा भाव होता है । जस कार हम जानते ह हर ह के गु ण होते ह सतोगु ण रजोगु ण तथा तमोगु ण सतोगु णी म सू य चंगुआते ह। रजोगु णी म बु ध और शु आते ह तमोगु णी म मं गल श न रा एवं के तु आते ह। इसी कार सतोगु णी ह सू य के न कृ तका उ राफा गु नी एवं उ राषाढ़ा होते ह। चंके न रो हणी ह त एवंवण होते ह तथा सतोगु णी ह गुके न पु नवसुवशाखा व पू वाभा पद होते ह। यह सभी न सतोगु णी होते ह। इसी कार रजोगु णी ह के रजोगु णी न बु के अ ष ेा येा तथा रे वती होते ह। शु के भरणी पू वाफा गु नी एवं पू वाषाढ़ा होते ह। यह न अपने म रजोगु णी या राज सक गु ण लए होते ह। इसी कार तमोगु णी ह के न मं गल के मृ ग शरा च ा एवं ध न ा होते ह। श न के पु य अनु र ाधा व उ राभा पद होते ह इस कार तमोगु णी ह श न के न पु य अनु र ाधा एवं उ राभा पद होते ह। इसी कार तमोगु णी ह रा के न आ ा वा त एवं शत भषा न होते ह। तमोगु णी ह के तु के न अ नी मघा एवं मु ला होते ह। सतोगु णी न - कृ का, रो हणी, पु नवसु , उ राफा गु नी, ह त, वशाखा, उ राषाढ़ा, वण एवं पू वाभा पद इन सब सतोगु णी न का भाव जातक म ई रीय गु ण को दे ता है । वह नमल दय, स यवाद , ईमानदार, मावान, दयालु , न कपट, धै यवान, न वाथ , परोपकारी स कम तथा सं तोषी होते ह वह सर को क नह दे ते ब क उन को खी दे खकर खु द भी खी हो जाते ह तथा मदद करने को त पर रहते ह। स वगु ण के लोग साफ दल के होते ह। वह मब तथा मे हनती होते ह। वह फल क चता कए बना कम कए जाते ह। जस काय को करने क वह सोच ले ते ह उनको पू र ा कए बना आराम से नह बै ठते , उनक बाहरी अ भ कु छ अ श होती है । रजोगु णी न - भरनी, आ ष ेा, पू वाफा गु नी, येा, पू वाषाढ़ा एवं रे वती न वाले लोग म दे व तथा दानव गु ण का म ण होता है भौ तकवाद होते ह वे धन, भोग एवंवलास के इ छु क होते ह। उनम स गु णी भी होते ह तथा अवगु णी भी। वह कई कई कार के गलत काय भी करते ह तथा उन पर पछताते भी ह। ोधी अं हकारी भी होते ह, दखावा भी करते ह तथा कभी परोपकारी भी हो जाते ह। रजोगु णी जातक म मले -जु ले गु ण का भाव होता है । वह अशां त जीवन भी जीते ह धन और सं प ा त करना उनका बल ल य होता है । वह एक ही समय म ब त से काय करना चाहते ह तथा त होने का दखावा करते ह परं तु कु छ करते नह । उनक आं त रक और बाहरी श यां नकारा मक होती ह। वह वाथ भी होते ह। ताम सक न - अ नी,मृ गशीष,आ ा, पु य,मघा, च ा, वा त,अनु र ाधा,मू ला,ध न ा, शत भषा तथा उ राभा पद इन न म ज मे जातक तमोगु णी भाव लए होते ह अथात उनम दानव वृ त होती है इस समू ह के य म कसी भी बात को चाहे वह सही हो अथवा गलत वरोध करने क आदत होती है । जस कारण प रवार म तथा समाज म उस को टकराव का सामना करना पड़ता है । उसक आं त रक श तो सकारा मक वचार दे ती है जब क उसक बाहरी श नकारा मक वचार वाली होती है , सरे श द म ऐसे मन से बु रे नह होते ले कन उनक आं त रक गु ण क जो श होती है वह ताम सक वचार कट करने को बात करती है । ाथना या मे डके शन के ारा इस को काबू म कया जा सकता है । परं तु कु छ जातक म तमोगु णी गु ण अ य धक मा ा म होते ह जस कारण उनम ोध, ू रता, कु बु ,अस य,अहं कार,ढ ग, ता, ई या बे ईमानी, छल-कपट, े ष कू ट-कू ट कर भरे होते ह तथा ऐसे वाथवश अपने फायदे केलए सर का कतना भी नु कसान हो जाए उसक चता नह करते । संप ेम न

के बारे म इतनी जानकारी मा से ही सब पता चलता है ।

18

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

ह क गोचर रा श - न

म रहने क अव ध

सू य एक रा श म लगभग एक माह तक रहता है तथा न

म 13 दन तक।

चंएक रा श म लगभग सवा दो दन तक रहता है तथा एक न

म 24 घं टे ।

मं गल एक रा श म लगभग डे ढ़ माह तक रहता है तथा एक न

म कु छ दन लगभग 20 दन।

बु ध एक एक रा श म लगभग एक माह तक रहता है तथा बु ध क एक न

गुएक रा श म लगभग एक वष तक रहता है तथा न

म ग त क सी मतता् नह होती।

म 5 महीने 10 दन लगभग।

शु एक रा श म लगभग एक माह तक रहता है तथा बु ध क तरह ही एक न श न एक रा श म लगभग ढाई वष तक रहता है तथा एक न

म इसक भी ग त सी मत नह होती।

म लगभग 13 महीने रहता है ।

रा एक रा श म लगभग डे ढ़ वष तक रहता है तथा न

म 8 महीने लगभग।

के तु एक रा श म लगभग डे ढ़ वष तक रहता है तथा न

म 8 महीने लगभग।

सु य 14 जनवरी से 13 फरवरी तक दसव रा श मकर म रहता है । 14 फरवरी से 13 माच तक यारहव रा श कु ं भ म रहता है । 14 माच से 13 अ ै ल तक बारहव रा श मीन म रहता है । 14 अ ै ल से 13 मई तक पहली रा श मे ष म रहता है । 14 मई से 13 जू न तक सरी रा श वृ ष म रहता है । 14 जू न से 13 जु लाई तक तीसरी रा श मथु न म रहता है । 14 जु लाई से 13 अग त तक चौथी रा श कक म रहता है । 14 अग त से 13 सत बर तक पां चव रा श सह म रहता है । 14 सत बर से 13 अ ू बर तक छठ रा श क या म रहता है । 14 अ ू बर से 13 नब बर तक सातव रा श तु ला म रहता है । 14 नबं वर से 13 दसं बर तक आठव रा श वृक म रहता है । 14 दसं बर से 13 जनवरी तक नौव रा श धनु म रहता है ।

19

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 ल न: कसी नधा रत समय पर पू व दशा म ल न कहलाती है ।

तज पर जहां सू य दय होता है , वहां जो रा श उदय हो रही होती है , वह रा श

1- एक रा श लगभग दो घं टे तक रहती है । चौबीस घं ट म बारह रा शयाँ पृ वी का एक च कर लगा ले ती ह। 2- जस रा श म सू य होता है , सू य दय के समय वही रा श उदय हो रही होती है । 3- रा -के तू सदै व एक सरे सेवपरीत दशा अथात एक सरे से 180 ( ड ी) अं श पर होते ह।

4- बु ध सदै व सू य के साथ अथवा सू य से एक भाव आगे या पीछे हो सकता है । 5- शु सदै व सू य के साथ अथवा सू य से दो भाव तक आगे या पीछे हो सकता है । 6- एक रा श 30 अं श क होती है । 7- एक रा श म सवा दो न 8-

ये कन

होते ह।

ये कन

13 अं श 20 कला का होता है ।

म 4 चरण होते ह। एक चरण 3 अं श 20 कला का होता है ।

9- कु ं डली म पहले भाव म जो रा श होती ह, वह रा श उस जातक क ल न कहलाती है । 10- कु ं डली म चं जस रा श म होता है , वह रा श उस जातक क रा श कहलाती है । 11- अमाव या केदन सू य-चंएक ही रा श म एक ही भाव म होते ह। 12- च

24 घं टे तक एक ही न

म रहता है ।

13- सू य और चंसदै व सीधी ग त से चलते ह। 14- मं गल, बु ध, गु, शु और श न क ग त भी सीधी है , क तु कभी-कभी इनम से कोई ह व

हो कर माग हो जाता है ।

15- रा और के तू सदै व उलट ग त से ही चलते ह। 16- रा और के तू ठोस ह नह ह। यह चंजहां सू य पथ को उ र तथा द ण म काटता है , उन ब कहते ह। इन ब का भाव ह के भाव से अ धक होने के कारण इ ह भी ह मान लया है ।

को ही रा और के तू

20

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

हाथ से सु य पं चां ग

हमारे हाथ क अं गु लय म 12 रे खाएं होती है जो आप नीचेदए डाय ाम म दे ख सकते है । ये 12 रे खाए कतनी उपयोगी है आज आपको बताएग। आप दे खे हर अं गल ुी म तीन रे खाए होती है इस कार चार अं गु लय क बारह रे खाए हो गई। इनको आप नीचेदए डाय ाम को समझे । 1

5

9

2

6

10

3

7

11

4

8

12

आप इसे 1-2-3-4 क जगह 1-5-9, 2-6-10, 3-7-11 और 4-8-12 क तरह याद रखे । 1

के तु

5

शु

9

2

सु य

6

चं

10

मं गल

3

मं गल

7

रा

11

गु

4

गु

8

शनी

12

बु ध

अब ऊपर का डाय ाम दे खकर आप समझ गये ह गे क येवशोतरी दशा का - गु - शनी - बु ध।

सु य

मवर है । के तु - शु - सु य - चं- मं गल - रा

आप इसे अपने हाथ पर इस तरह याद रखे । पहली अं गल ुी म के तु शु सु य - सरी अं गल ुी म सु य चंमं गल - तीसरी अं गल ुी म मं गल रा गु - चौथी अं गल ुी म गु शनी बु ध।

21

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

1

2

3

0 से 13.20 ड ी

13.20 से 26.40 ड ी

26.40 से 30 ड ी

पहला खाना

0 से 10 ड ी

10 से 23.20 ड ी

23.20 से 30 ड ी

सरा खाना

0 से 6.40 ड ी

6.40 से 20 ड ी

20 से 30 ड ी

तीसरा खाना

0 से 3.20 ड ी

3.20 से 16.40 ड ी

16.40 से 30 ड ी

चौथा खाना

ऊपर के डाय ाम को समझे यहां हर न का े दया गया है । ऊपर हर खाना 0 से 30 ड ी तक का है । पहले खाना म तीन खाने है उसम पहला खाना अशवनी न का हैजसका पड़ाव या े0 से 13.20 ड ी है । अब सरे खाने म अगले न शु ने अपना पू र ा े13.20 से 26.40 तक लया है । अगला तीसरे न सु य का ेहै जहां 26.40 से 30 ड ी या न 3.20 ड ी क ही जगह बची है तो जो बा क का ेसु यन का है तो वो सरे खाने के पहले खाने तक है इस लए सरे खाने के पहले खाने म 0 से 10 ड ी है । अब नीचे इसी डाय ाम को रा शय तथा न मे ष

(अ ै ल)

सह

(अग त)

स हत दे खे । धनु( दसं बर)

के तु

शु

सु य

0° - 13.20°

13.20° - 26.40°

26.40° - 30°

वृ ष (मई)

क या ( सतं बर)

मकर (जनवरी)

सु य

चं

मं गल

0° - 10°

10° - 23.20°

23.20° - 30°

मथु न (जू न)

तु ला (अ ु बर)

कु ं भ (फरवरी)

मं गल

रा

गु

0°- 6.40°

6.40° - 20°

20° - 30°

कक

वृक (नवं बर)

मीन (माच)

गु

शनी

बु ध

0° - 3.20°

3.20° - 16.40°

16.40° - 30°

(जु लाई)

22

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

सु य वृ ष 5°53'



वामी सु य

चंक या 5°58'



वामी सु य

मं गल मे ष 3°59'



वामी के तु

बु ध वृ ष 26°9'



वामी मं गल

गु तु ला 13°36'



वामी रा

शु मथु न 6°3'



वामी मं गल

शनी कु ं भ 17°48'



वामी रा

रा वृक 0°0'



वामी गु

के तु वृ ष 0°0'



वामी सु य

आप ऊपर दये गए डाय ाम म दे खे जहां हर ह कस रा श म तथा कस ड ी पर हैलखा गया है तथा इससे पहले वाले डाय ाम को दे खे तो हर ह का न वामी कौन है आसानी से पता चल जाएगा। आगे आपको उसी डाय ाम क सहायता से सु य का गोचर दे खने के बारे म बताया जाएगा जससेबना पं चां ग क सहायता से आप सु य का गोचर दे ख सकते है तथा सं भा वत काय पू र ा होने के टाइम इवट के बारे म बताया जाएगा। हाथ से पं चां ग - जै सा क आप सब ने दे खा क मने हाथ क एक प चर डाली है उसम इस तरह सेलखा गया है । 1

5

9

2

6

10

3

7

11

4

8

12

पहली लाइन म अ न रा शयां 1 मे ष 5 सह 9 धनु

23

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

सरी लाइन म पृ वी रा शयां 2 वृ ष 6 क या 10 मकर

तीसरी लाइन म वायु त व रा शयां 3 मथु न 7 तु ला 11 कु ं भ

चौथी लाइन म जल त व रा शयां 4 कक 8 वृक 12 मीन

आप सब इ ह 1,2,3,4.....ऐसे न याद रखे ब क 1,5,9 2,6,10 3,7,11 ऐसे याद रखे ।

फर उसके बाद न

को इस कार याद रखे -

पहली अं गल ुी म

के तुशु सु य

सरी अं गल ुी म

सु य चं मं गल

तीसरी अं गल ुी म

मं गल रा

गु

चौथी अं गल ुी म

गु शनी बु ध

आप मे ष को इस तरह पढ़े मे ष के तु

शु

सु य

0-13.20'/13.20'-26.40/26.40-30

आप सह को इस तरह पढ़े सह के तु

शु

सु य

24

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 0-13.20'/13.20'-26.40/26.40-30

या न सह रा श 0 से 30° पू ण जसम के तु का न जसम शु का न

0 से 13°20' तक

13°20' से 26°40' तक जसम सु य का न

26°40' से 30° पू ण।

इसी कार धनु को पढ़े धनु के तु

शु

सु य

0-13.20'/13.20'-26.40/26.40-30 या न धनु रा श 0 से 30° पू ण जसम के तु का न जसम शु का न

13°20' से 26°40' तक

जसम सु य का न

26°40' से 30° पू ण।

0 से 13°20' तक

इस कार पहली अं गल ुी म 1-5-9 रा श तथा उनके न

कतनेड ी से शु होकर कतनी ड ी तक है पता चलता है ।

इसी कार 2-6-10 या न वृ ष क या मकर का पता चलता है । वृ ष

क या

मकर

सु य

चं

मं गल

0-10° 10-23°20' 23°20'-30°

या न वृ ष सु य

चं

मं गल

0-10° 10-23°20' 23°20'-30°

या न 25

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 क या सु य

चं

मं गल

0-10° 10-23°20' 23°20'-30°

या न

मकर सु य

चं

मं गल

0-10° 10-23°20' 23°20'-30°

इसी कार 3-7-11 या न मथु न तु ला कु ं भ का पता चलता है । मथु न

तु ला

कु ं भ

मं गल

रा

गु

0-6°40' 6°40'-20° 20°-30°

या न मथु न मं गल

रा

गु

0-6°40' 6°40'-20° 20°-30°

या न तु ला मं गल

रा

गु

0-6°40' 6°40'-20° 20°-30°

या न

26

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 कु ं भ मं गल

रा

गु

0-6°40' 6°40'-20° 20°-30°

इसी कार 4-8-12 या न कक वृक मीन का पता चलता है ।

कक

वृक

मीन

गु

शनी

बु ध

0-3°20' 3°20'-16°40'16°40-30

या न कक गु

शनी

बु ध

0-3°20' 3°20'-16°40'16°40-30

या न वृक गु

शनी

बु ध

0-3°20' 3°20'-16°40'16°40-30

या न मीन गु

शनी

बु ध

0-3°20' 3°20'-16°40'16°40-30

27

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 मान ले आज 13/04/2017 क तारीख है आज 13/04/2017 रा

को सु य मे ष रा श म 23:55:12 बजेवे श करे गा।

मे ष रा श 0 से 30 ड ी (0°-30°) या न आज रा

से पू रे 30 दन तक सु य मे ष रा श म ही रहे गा।

अब मे ष रा श के तीन न

के तु - शु - सु य ( अ नी - भरणी - कृ का )

या न क मे ष रा श म के तु का न 0° से 13°20' तो अब सु य जो रोज़ एक ड ी चलता है तो (0°-13°20') सु य के तु के न म पू रे सवा 13 दन (13.20) तक रहे गा। इस कार आज रा

को सु य 0° तो कल रा

फर 15/04 रा

को 2°

फर 16/04 रा

को 3°

फर 17/04 रा

को 4°

फर 18/04 रा

को 5°

फर 19/04 रा

को 6°

फर 20/04 रा

को 7°

फर 21/04 रा

को 8°

फर 22/04 रा

को 9°

फर 23/04 रा

को 10°

फर 24/04 रा

को 11°

फर 25/04 रा

को 12°

फर 26/04 रा

को 13°

(14/04) को 1°,

फर 27/04/2017 को दोपहर 15:42:23 बजे तक के तु का अ नी न 13°20' को पू र ा कर ले गा तथा उसके बाद सु य मे ष रा श म भरणी न म वे श कर जाएगा जहां पर 13°20' से 26°40' तक रहे गा लगभग 11 मई 2017 सु बह 09:52:09 बजे तक। अब आप सब को रा श एवम न

के बारे म पता लग गया है ।

आगे उपन तक का टे बल भी दया हैजसम आपको ये पता चले गा क य द कोई ह कसी रा श म जतनी ड ी पर हो तो वो ह कस रा श - न - उपन म है यहां नीचेदए टे बल से पता चले गा।

28

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

( मे ष) अ ै ल

( सह ) अग त

( धनु ) दसं बर

के तु

शु

सु य

0°-13°20

13°20-26°40

26°40-30°

के , शु , सु , चं , मं , रा , गु , श, बु

शु , सु , चं , मं , रा , गु ,श, बु , के

सु , चं , मं , रा ,

0.0.0/0.46.40/3.0.0/3.40.0/4.46.40/5.33.20/7.33. 20/9.20.0/11.26.40-13.20.0

13.20.0/15.33.20/16.13.20/17.20.0/18.6.40/20. 6.40/21.53.20/24.0.0/25.53.20-26.40.0

26.40.0/27.20.0/28.26.40/29.13.20-30.0.0

( वृ ष ) मई

( क या ) सतं बर

( मकर ) जनवरी

सु य

चं

मं गल

0°-10°

10°-23°20

23°20-30°

रा , गु , श, बु , के , शु

चं , मं , रा , गु , श, बु , के , शु , सु

मं , रा , गु ,श

0.0.0/1.13.20/3.0.0/5.6.40/7.0.0/ 7.46.40-10.0.0

10.0.0/11.6.40/11.53.20/13.53.20/15.40.0/ 17.46.40/19.40.0/20.26.40/22.40.00-23.20.0

23.20.0/24.6.40/26.6.40/27.53.20-30.0.0

( मथु न ) जु न

( तु ला ) अ ु बर

( कु ं भ ) फरवरी

मं गल

रा

गु

0°- 6°40'

06°40 - 20°

20° - 30°

बु , के , शु , सु , चं

रा , गु , श, बु , के , शु , सु , चं , मं

गु , श, बु , के , शु , सु , चं

0.0.0/1.53.20/2.40.0/4.53.20/5.33.20 - 6.40.0

6.40.0/8.40.0/10.26.40/12.33.20/14.26.40/ 15.13.20/17.26.40/18.6.40/19.13.20 - 20.0.0

20.0.0/21.46.40/23.53.20/25.46.40/ 26.33.20/28.46.40/29.26.40 - 30.0.0

( कक ) जु लाई

( वृ क ) नवं बर

( मीन ) माच

गु

शनी

बु ध

0° - 3°20

03°20 - 16°40

16°40 - 30°

चं , मं , रा ,

श, बु , के , शु , सु , चं , मं , रा , गु

बु , के , शु , सु , चं , मं , रा , गु ,श

0.0.0/0.33.20/1.20.0 - 3.20.0

3.20.0/5.26.40/7.20.0/8.6.40/10.20.0/11.0.0/12. 6.40/12.53.20/14.53.20 - 16.40.0

16.40.0/18.33.20/19.20.0/21.33.20/ 22.13.20/23.20.0/24.6.40/26.6.40/ 27.53.20 30.0.0

29

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 अब आप सब को रा श एवम न

रा श - न

- उप न

एक रा श म सवा दो न

ओर एक न

अब मे ष रा श म पहला न

अब न

के बारे म पता लग गया है ।

म उप न

म 9 उप न

होते है ।

के तु का होगा

क गणना करगे ।

हर ह कसी ह के न

म होता है तथा ये कै से दे खना है ये आपको बताया गया।

हर ह पहलेकसी ह के न

म फर कसी ह के उपन



या न ह-न

वामी - उपन

वामी

Planet - starlord - sublord मे ष रा श म पहला न

के तु का होता है ।



के तुअब के तु के न म पहला उप न के तु का , सरा शु का ,तीसरा सू य का ,चौथा च रा का ,स तम उप न गुका ,अ म श न का ,नवम उप न बु ध का जब एक न

को अ समान भागो म बां ट ा जाता है । और न

मे ष रा श म पहला न

के 9 भाग को उप न

का, पं चम मं गल का , छठा

कहते है ।

के तु का होता है ।



30

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 के तुअब के तु के न म पहला उप न के तु का , सरा शु का ,तीसरा सू य का ,चौथा च रा का ,स तम उप न गुका ,अ म श न का ,नवम उप न बु ध का।

अब कसी न

म उसके 9 उप न

का, पं चम मं गल का , छठा

होते है ।

दे खे

के तु शु सू य च मं गल रा गु शन बु ध अब के तु का न

के तु के न

है ।



1 पहला उप न

के तु का होगा।

2 सरा उप न

शु का होगा।

3 तीसरा उप न

सू य का होगा।

4 चौथा उप न 5 पां चवा उप न 6 छठा उप न



का होगा।

मं गल का होगा। रा का होगा।

7 स तम उप न

गुका होगा।

8 अ म उप न

श न का होगा।

31

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 9 नवम उप न

बु ध का होगा।

अब हम उप न

को कै से एक न

एक न

म बां ट ा गया है उसको समझे गे

13 ड ी 20 कला का होता है यह आप सब को पता है ।

मे ष रा श म पहला न

के तु का तो के तु = 13°20'

हम 13°20' को मनटस् म बदलगे । ड ी = घं टे कला = मनट 1° = 60 मनट तो 13° = 13 × 60 = 780 मनट हम 13°20' को मनटस् म बदलगे । ड ी = घं टे कला = मनट

1° = 60 मनट तो 13° = 13 × 60 = 780 मनट और 20' = या न 20 मनट तो अब मनट को जोड़गे 780+20 = 800 मनट अब हमारे पास कोई भी न

हो तो उसे हम 13°20' = 800 मनट मानगे ।

अब आपको ये भी मालू म है क वशो री दशा पू रे 120 साल क होती है ।

जसम के तु को 7 वष क अव ध मली है ये भी आप सब को मालू म है । के तु 7 साल ÷ 120 × 800 मनट तो आएगा 00.46.66 जसको हम 00°46'40" लगे 32

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

अब शु के 20 वष क दशा अव ध होती है तो शु 20÷120×800= 133.33 अब 133 म से 2×60 =120 नकले गा। या न 2°, तो बचगे 133-120 = 13 या न 2°13'20" या न 2 ड ी 13 मनट 20 सकड अब शु के 20 वष क दशा अव ध होती है तो शु 20÷120×800= 133.33 यहां 133 को हम मनट म बदलगे यहां 133 को हम मनट म बदलगे 1 मनट म कतने से कं ड होते है = 60 तो 133 म से 60 × 2 = 120 सकड ही बाहर नकलगे जो मनट या न ड ी म तबद ल ह गे । या न 120 = 2° पीछे बचगे 13 य क 133-120=13 तो 2°13' 133.33 आया था ठ क 133 केमनट बनाए तो 2°13' आया ऊपर .33 बचा उसको राउं ड 20 लया 0.33*60=19.80=20

सु य का दे खे

तो सु य 6 ÷ 120 × 800 = 40 सु य का दे खे

तो सु य 6 ÷ 120 × 800 = 40 तो अब 40 म सेमनट नही नकलते तो हम 00°40'00" लगे 33

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

अब चंका दे खे -

चं10 ÷ 120 × 800 = 66.66 आएगा अब 66 म से घं टेनकाले तो 1°06' यही आएगा न तो अब .66 × 60 = 39.6 या न 40 जी ब कु ल

चं10 ÷ 120 × 800 = 66.66 आएगा अब 66 म से घं टेनकाले तो 1°06' यही आएगा न तो अब .66 × 60 = 39.6 या न 40 तो 1°06'40" आ।

मं गल के 7 वष तो मं गल 7÷120×800=46.66 तो 00°46'40"

आगे रा का रा 18÷120×800=120 तो 120 बने पू रे 2° या न रा 02°00'00"

गु 16÷120×800=106.66 106 म से 1 (60) नकले गा तो पीछे 46 बचे तो 01°46' 34

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 और .66 का 40 तो 01°46'40"

शनी 19÷120×800=126.66 तो 126.66 = 02°06'40"

बु ध 17÷120×800=113.33 113.33=01°53'20"

अब जो हमने सभी ह क गणना नकाली है य द उनको जोड़े तो 13°20' आएगा जो एक न

का होता है ।

के तु - 00°46'40" शु - 2°13'20" सु य - 00°40'00" चं- 1°06'40" मं गल - 00°46'40" रा - 02°00'00" गु - 01°46'40" शनी - 02°06'40" बु ध - 01°53'20" --------------------13°20'00" --------------------आ खर के से कं ड जोड़े तो 240 आया अब उनको मनट म बदले तो 4 मनट बने (4×60=240) तो जब येमनट ही बन गए तो से कं ड वाली जगह 00 रहे गी। अब 4 मनट को मनट म जोड़े 4+46+13+40+06+46+00+46+06+53 = 260 तो अब 260 मनट मले तो अब इसम से घं टेनकाल ले तो 4 घं टे (4×60=240) नकलने के बाद 20 मनट बचगे जो क मनट वाली जगह पर लख ले ।

35

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 अब जो 4 घं टेमले है उ ह घं ट ो म जोड़ ले या न 4+2+01+00+02+01+02+01=13 आएगा तो इसे घं ट ो वाली जगह पर लखे । तो बन गया घं टे - मनट - से कं ड 13 - 20 - 00

.

.

.

.

.

.

.

. .

रा श/न

म सु य का मण -

36

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

रा श





वामी

सु य मण क तारीख

अं श

त थ/महीना सेत/म मे ष

अ न

के तु

14/04 - 27/04

0° - 13°20'

मे ष

भरणी

शु

28/04 - 10/05

13°20' - 26°40'

मे ष

कृ का

सु य

11/05 - 13/05

26°40'-30°

वृ ष

कृ का

सु य

14/05 - 24/05

0°-10°

वृ ष

रो हणी

चंमा

25/05 - 07/06

10°-23°20'

वृ ष

मृ गशीष

मं गल

08/06 -14/06

23°20'-30°

मथु न

मृ गशीष

मं गल

15/06 - 21/06

0°-6°40'

मथु न

आ ा

रा

22/06 - 05/07

06°40'-20°

मथु न

पु नवसु

गु

06/07 - 15/07

20°-30°

कक

पु नवसु

गु

16/07 - 19/07

0°-3°20'

कक

पु य

शनी

20/07 - 02/08

3°20'-16°40'

कक



बु ध

03/08 - 16/08

16°40'-30°

सह

मघा

के तु

17/08 - 30/08

0°-13°20'

सह

पू रवाफा गु नी

शु

31/08 - 13/09

13°20'-26°40'

सह

उ राफा गु नी

सु य

14/09 - 16/09

26°40'-30°

क या

उ राफा गु नी

सु य

17/09 - 26/09

0°-10°

क या

हत

चं

27/09 - 10/10

10°-23°20'

क या

च ा

मं गल

11/10 - 16/10

23°20'-30°

तु ला

च ा

मं गल

17/10 - 23/10

0°-6°40'

तु ला

वा त

रा

24/10 - 06/11

6°40'-20°

तु ला

वशाखा

गु

07/11 - 16/11

20°-30°

वृक

वशाखा

गु

17/11 - 19/11

0°-3°20'

ष ेा

37

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 वृक

अनु र ाधा

शनी

20/11 - 02/12

3°20'-16°40'

वृक

येा

बु ध

03/12 - 15/12

16°40'-30°

धनु

मू ला

के तु

16/12 - 28/12

0°-13°20'

धनु

पू वाषाढ़ा

शु

29/12 - 10/01

13°20'-26°40'

धनु

उ राषाढ़ा

सु य

11/01 - 13/01

26°40'-30°

मकर

उ राषाढ़ा

सु य

14/01 - 23/01

0°-10°

मकर

वण

चं

24/01 - 05/02

10°-23°20'

मकर

धन ा

मं गल

06/02 - 12/02

23°20'-30°

कु ं भ

धन ा

मं गल

13/02 - 19/02

0°-6°40'

कु ं भ

शत भषा

रा

20/02 - 03/03

06°40'-20°

कु ं भ

पू वाभा पद

गु

04/03 - 13/03

20°-30°

मीन

पू वाभा पद

गु

14/03 - 16/03

0°-3°20'

मीन

उतराभा पद

शनी

17/03 - 30/03

3°20'-16°40'

मीन

रे वती

बु ध

31/03 - 13/04

16°40'-30°

इस कार आप सु य के रा श न मण को दे ख सकते है । इतना ही नह कोई भी ह जस रा श ड ी पर हो उसका न ात आसानी से कर सकते है । इस कार ऊपर दए टे बल से आप सु य का मण तथा कसी भी ह क न थ त दे ख सकते है आगे इसी टे बल का अ य उपयोग भी बताया जाएगा।

ह को दशा

का आबं टन कस आधार पर कया गया है ?

येी एंयु द ा जी (इंजीत जी) ने ब त ही खोज के बाद हमारे सम आपके सम तु त करने जा रहा ।ं

तु त करके ब त ही अतु लनीय काय कया है जो म

38

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 भगवान ी ब ा जी का एक दन कतना लं बा है ? ब ा जी का एक दन हज़ार महायु ग के बराबर तथा हज़ार महायु ग एक क प के बराबर होते है । व णु पु र ाण खं ड 3 के अनु सार 1 मनु य जा त वष जो क 360 दन दे वता

के 1 दन के बराबर होता है ।

12000 दे व वष × 360 = 4320000 मनु य जा त वष = 1 महायु ग। ब ा जी का 1 दन = 1000 महायु ग = 1 क पा हर महायु ग 10 चरण का होता हैव णु पु र ाण के अनु सार तो 12000 दे व वष = 12000×360 मनु य जा त वष = 4320000 = 1 महायु ग = 10 चरण 1 चरण भगवान ब ा जी का = 1200 दे व वष = 432000 मनु य सोलर वष 1 महायु ग 4 यु ग सेमलकर बना है वो है स ययु ग- े तायु ग- ापरयु ग- क लयु ग स ययु ग जो क स य पर आधा रत था और जसको चार चरण मले 4 चरण × 1200 दे व वष = 4800 दे व वष = 1728000 = मनु य सोलर वष इसी तरह े ता म तीन त व ही रहेय क तब भी वे आसानी से ई रीय सं पक म होता था 3 चरण × 1200 दे व वष = 3600 दे व वष = 1296000 मनु य सोलर वष इसी तरह ापर म लोग म भ

कम ई और दे वता

ने पृ वी छोड़ द तब ब ा जी नेापर म सफ दो चरण दए

2 चरण × 1200 दे व वष = 2400 दे व वष = 864000 मनु य सोलर वष जब क लयु ग म असीम पाप वृ ई तब ब ा जी नेसफ 1 चरण ही दया 1 चरण × 1200 दे व वष = 1200 = 432000 मनु य सोलर वष स ययु ग = 1728000 मनु य सोलर वष = 40% महायु ग का े तायु ग = 1296000 मनु य सोलर वष = 30% महायु ग का ापरयु ग = 864000 मनु य सोलर वष = 20% महायु ग का क लयु ग = 432000 मनु य सोलर वष = 10% महायु ग का

% यु ग का महायु ग ÷ 360 भच

क डी ी का

स ययु ग 691200 ÷ 360= 1920 वष े तायु ग 388800÷360=1080 वष 39

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 ापर 172800÷360=480 वष क ल 43200÷360= 120वष यही कारण हैक क लयु ग म मनु य जा त जीवन धारा वशो री दशा 120 वष नधा रत है । ापर यु ग म 120×4=480 वष मनु य जीवन होता था। े तायु ग म 120×9=1080 वष तो सतयु ग म 120×16=1920 वष मनु य जीवन होता था। पाठक ये भी यान देक कु ल महायु ग (सतयु ग 1920 + े तायु ग 1080 + ापरयु ग 480 + क लयु ग 120 = 3600 कु ल वष) का दसवां (10 वो द अं क जसका भगवान ी ब ा चरण नकालने म उपयोग करते थे ) ह सा जो 360 बनता है वो हमारे भच या न आकाशमं डल तथा रा शच का ही पू र ा 360° फै ला आ है । यही 3600 का अं क 1 घं टे 3600 से कं ड बनते है । यही 3600 से य द क लयु ग के मनु य जा त कु ल वष 432000 को भाग दे तो वशो री दशा के 120 वष ा त होते है जो गणीतीय मापदं ड से तकसं गत है । यही नह मनु य जा त कु ल वष 432000 का 10% कु ल मान जो क 43200 क लयु ग के लए नधा रत है , य द उसको 3600 से भाग दे तो 12 अं क क ा त होगी जो 12 रा शय को द शत करती है । यही नह जै सा क ऊपर बताया गया हैक - (यही कारण हैक क लयु ग म मनु य जा त जीवन धारा वशो री दशा 120 वष नधा रत है । ापर यु ग म 120×4=480 वष मनु य जीवन होता था। े तायु ग म 120×9=1080 वष तो सतयु ग म 120×16=1920 वष मनु य जीवन होता था।) य द 16+9+4+1 जोड़े तो 30 क ा त 30 अं श या 30° जो क एक रा श क होती है का नधारण करती है । इन चार यु ग के दौरान मनु य कद म भी कमी आई है जो ी लं का क सामुक व ा तथा अँ गल ु णा व ा के ारा अँ गल ुसे नापी जा सकती है ।हमारा शरीर कसी न कसी ह से सं बं धत है तथा उसक बनावट पं चागु ल या न हथे ली से नापी जा सकती हैजसको अँ गल ु णा कहते है । इस लए अब कलयु ग म 9 ह का अँ गल ु णा से इस कार नापा जा सकता है । सु य - जो सर का

त न ध व करता है = 1.5 अँ गल ु

चं- जो आँ ख से नाक तक = 2.5 अँ गल ु मं गल - जो गदन का = 1.75 अँ गल ु बु ध - जो चलायमान अं गो का = 4.25 अँ गल ु गु - जो नीचे के घु टन तक = 4 अँ गल ु शु - जो जननां गो का = 5 अँ गल ु शनी - पां वो का = 4.75 अँ गल ु रा - छ यु अं गो का = 4.5 अँ गल ु के तु - रा केवपरीत अं ग भाग का = 1.75 अँ गल ु इन सबका जोड़ 30 अँ गल ुका अा तथा जो हर रा श 30° को सु न त करता है तथा कलयु ग म मनु य शरीर 120 अँ गल ु जो क साधारणतः 5'8" बनता है सां यो गक है । 9 ह का वशो री दशा 120 वष मनु य आयु इसी कार ात है । सु य 4 यु ग × 1.5 अँ गल ु= 6 वष चं4×2.5=10 वष 40

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 मं गल 4×1.75= 7 वष बु ध 4×4.25= 17 वष गु 4×4 = 16 वष शु 4 × 5 = 20 वष शनी 4×4.75= 19 वष रा 4 ×4.5 = 18 वष के तु 4 × 1.75 = 7 वष इन सबका जोड़ = 120 वष यही 4 यु ग का 4 त व द शत करते है । अ न पृ वी वायु जल और यही 4 अं क का य द द अं क 10 से भाग दे तो 2.5 (10÷4=2.5) ा त होता है जो घट को द शत करता है जो 1 घं टे म होती है । हम मालू म हैक 24 मनट क एक घट बनती है तो 60 मनट म 2.5 घट ा त ई जो 10÷4=2.5 से थी। आगेकस कार सेवशो री दशा के अनु सार ह का म है ये भी आपको पता है जो इस कार है - बु ध के तु शु सु य चं मं गल रा गु शनी। येकस कार बना है ये भी ी एंयु द ा जी ने ब त ही खु बसू रती से बताया है । ये जानने केलए सबसे पहले हम सौरमं डल का डाय ाम दे खकर समझगे ।

हम पृ वी पर है और आकाशमं डल ारा तार और ह को जानते है । आप दे खगेक रा तथा के तुवभाजन रे खा नेह को दो भाग म बां ट दया है एक आं त रक और एक बाहरी। पृ वी के बाहरी भाग/ज़ोन म रा (18 वष), मं गल (7 वष), गु (16 वष), शनी (19 वष) जनके दशा वष का कु ल जोड़ 60 वष आधी वशो री दशा का भाग बनता है आते है । इसी तरह पृ वी के आं त रक भाग/ज़ोन म सरे भाग केह ज ह के तु (7 वष), शु (20 वष), सु य (6 वष), चं(10 वष), बु ध (17 वष) जनके दशा वष का कु ल जोड़ 60 वष आधी वशो री दशा का भाग बनता है आते है । दोन भाग के कु ल वष का जोड़ 120 वष पू री वशो री दशा का जोड़ बनता है । वशो री दशा म ह का म बु ध-के तु -शु-सु य-चं-मं गल-रा -गु-शनी है । ीमद् भगवदगीता म ी कृ ण के अनु सार कृ त वाह भाव म बालक से बु ढ़ापे तक का वकास उसी कार हैजस कार दशा म 41

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 बु ध का जो यु वा का

त न ध व है से शनी तक जो बु ढ़ापे का

त न ध व है । इस कार वशो री दशा पर ले ख पू ण आ।

ये ले ख ी एंयु द ा जी ने अपनी दवं गत माता जी को सम पत क है जो 22 अ ै ल 2014 को अपनी सां सा रक या ा पू ण करके भु चरण म लीन हो गई तथा म नीरज सू द इस ले ख केहद यां तरण म हर कार क ग त के मा ाथ ।ं .

.

.

.

.

.

.

.

.

.

.

भावच लत कु ं डली तथा ह के कायश भाव बनाना।

42

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

भावच लत कु ं डली ( ज म ववरण है - 21 मई 1994, 01:51 सु बह, मु र ादाबाद, उ र दे श।) नोट - हर भाव जस रा श से शु होगा वो ही रा श अं क या रा श उस भाव म लखी तथा मानी जाएगी। पहला भाव कु ं भ के 25°22' पर शु है तथा मे ष के 4°40' पर ख म है मीन रा श बीच म ही समा गई या लु त हो गई इस लए वो नही लखी जाएगी। ( इस लए पहले भाव म कु ं भ रा श का अं क 11 लखा।) सरा भाव मे ष के 4°40' पर शु है तथा वृ ष के 04°40' पर ख म है ।(इस लए सरे भाव म मे ष रा श का अं क 1 लखा।) तीसरा भाव वृ ष के 4°40' से शु होकर वृ ष के ही 29°15' पर ख म है । (इस लए तीसरे भाव म वृ ष रा श का अं क2 लखा।) चौथा भाव वृ ष के 29°15' से शु होकर मथु न के 22°53' पर ख म है । (इस लए चौथे भाव म वृ ष रा श का अं क 2 लखा।) पां चवा भाव मथु न के 22°53 से शु होकर कक के 19°50' पर ख म है । (इस लए पां चवे भाव म मथु न रा श का अं क3 लखा।) छठां भाव कक के 19°50' पर शु होकर सह के 25°22' पर ख म है । (इस लए छठ भाव म कक रा श का अं क 4 लखा।) सातवां भाव सह के 25°22' पर शु होकर तु ला के 04°40' पर ख म है इनके बीच म क या रा श समा हत या लु त हो गई। (इस लए सातव भाव म सह रा श का अं क 5 लखा।) आठवां भाव तु ला के 4°40' पर शु होकर वृक के 4°40' पर ख म है । (इस लए आठव भाव म तु ला रा श का अं क7 लखा।) नौवां भाव वृक के 4°40' पर शु होकर वृक के ही 29°15' पर ख म है । (इस लए नौव भाव म वृक रा श का अं क8 लखा।) दसवां भाव वृक के 29°15' पर शु होकर धनु के 22°53' पर ख म है । (इस लए दसव भाव म वृक रा श का अं क8 लखा।) यारहवां भाव धनु के 22°53' पर शु होकर मकर के 19°50' पर ख म है । (इस लए यारहव भाव म धनु रा श का अं क9 लखा।) बारहवां भाव मकर के 19°50' पर शु होकर कु ं भ के 25°22' पर ख म है । (इस लए बारहव भाव म मकर रा श का अं क 10 43

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 लखा।)

भावच लत कु ं डली अब हम ह को लगे । सबसे पहले सु य को ले - सु य वृ ष रा श म 5°53' पर है तो दे खे क भावच लत म वृ ष 5°53' कस भाव म आता है । सु य वृ ष रा श म 5°53' पर है तो दे खे क भावच लत म वृ ष 5°53' कस भाव म आता है । तीसरा भाव वृ ष के 4°40' से शु होकर वृ ष के ही 29°15' पर ख म है । तो यहां पर वृ ष 5°53' इनके बीच आ रहा है तो सु य को भावच लत म तीसरे भाव म लखगे ।

अब चंको दे खे - चंक या रा श म 5°58' पर है । अब यहां पर यान दे - सातवां भाव सह के 25°22 पर शु होकर तु ला के 04°40' पर ख म है । यहां पर क या सह और तु ला के बीच समा हत हो गई तो चंको यहां पर या न सातव भाव म लखगे ।

अब मं गल को दे खे - मं गल मे ष म 3°59' पर है । अब यहां पर यान दे पहला भाव कु ं भ 25°22' पर शु है और मे ष के 4°40' पर ख म है । मे ष 3°59' यहां पहले भाव म आ रहा है तो मं गल को यहां लखगे ।

अब बु ध को दे खे - बु ध वृ ष रा श म 26°9' पर है । तीसरा भाव वृ ष के 4°40' से शु होकर वृ ष के ही 29°15' पर ख म है । यहां पर वृ ष 26°9' का ह सा तीसरे भाव म आ रहा है तो बु ध को यहां तीसरे भाव म लखगे । 44

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

अब गु को

दे खे - गु तु ला म 13°36' म है ।

आठवां भाव

तु ला के 4°40' पर शु होकर वृक के 4°40' पर ख म है ।

तो यहां पर भावच लत म

तु ला का 13°36' का ह सा आठव भाव म आ रहा है तो गु को यहां आठव भाव म लखगे ।

अब शु को दे खे - शु मथु न रा श म 6°3' पर थत है । चौथा भाव वृ ष के 29°15' से शु होकर मथु न के 22°53' पर ख म है । तो यहां पर मथु न का 6°3' का ह सा चौथे भाव म आ गया तो अब शु को भावच लत म चौथे भाव म लखगे ।

अब शनी को दे खे - शनी कु ं भ म 17°48' पर है । बारहवां भाव मकर के 19°50' पर शु होकर कु ं भ के 25°18' पर ख म है । यहां पर कु ं भ का 17°48' का ह सा बारहव भाव म आ गया है तो शनी को भावच लत म बारहव भाव म लखगे ।

अब रा को ले - रा वृक म 0°0' पर है आठवां भाव तु ला के 4°40' पर शु होकर वृक के 4°40' पर ख म है । यहां पर वृक का 0°0' का ह सा आठव भाव म आ गया है तो रा को अब भावच लत म आठव भाव म लखगे ।

अब के तु को ले - के तु वृ ष रा श म 0°0' पर है । सरा भाव मे ष के 4°40' पर शु है तथा वृ ष के 04°40' पर ख म है । यहां पर वृ ष रा श का 0°0' का ह सा सरे भाव म आ गया तो अब के तु को हम भावच लत म सरे भाव म लखगे ।

इस कार हमारा ये भावच लत चाट पू र ा हो गया है ।

45

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

भावच लत चाट पू ण

अब हम ह के कायश भाव बनाएं गे ये हमारा भावच लत चाट है । ( ज म ववरण है - 21 मई 1994, 01:51 सु बह, मु र ादाबाद, उ र दे श।) यहां से हमने हर ह को ले ना है तथा वो ह भावच लत कु ं डली म कस भाव म बै ठा है तथा उसक रा श/ रा शयां भावच लत कु ं डली म कन भाव म है येलखना है । जै से सु य को ले - सु य तीसरे भाव म बै ठा है तथा उसक सह रा श स तम् भाव म थत है तो हम लखगे सु य 3,7 अब चंको दे खे - चंस तम् भाव म बै ठा है तथा उसक कक रा श छठ भाव म है तो चंको ऐसेलखगे चं7,6 अब मं गल को दे खे - मं गल भावच लत कु ं डली म पहले भाव म थत है तथा उसक मे ष रा श सरे भाव म तथा वृक रा श नौव और दसव भाव म थत है । तो मं गल का लखगे मं गल 1,2,9,10 अब बु ध को दे खे - बु ध भावच लत कु ं म तीसरे भाव म थत है तथा उसक मथु न रा श पां चवे भाव म तथा क या रा श गायब है तो बु ध को लखगे बु ध 3,5 अब गु को दे खे - गु भावच लत म आठव भाव म थत है तथा उसक धनु रा श यारहव भाव म तथा मीन रा श गायब है तो गु का लखगे । गु 8,11 अब शु को दे खे - शु भावच लत म चौथे भाव म थत है तथा उसक रा श वृ ष तीसरे तथा चौथे भाव म तथा तु ला रा श आठव भाव म थत है तो शु का लखगे शु 4,3,4,8 अब शनी को दे खे - शनी बारहव भाव म थत है तथा उसक मकर रा श बारहव म तथा कु ं भ रा श पहले भाव म थत है तो शनी - शनी 12,12,1

46

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 अब रा तथा के तु पर आते है । जै सा क आप सबने सभी ह सु य से शनी तक का समझा, क वो भावच लत म जस भाव म बै ठे है पहले वो भाव लखगे उसके बाद वो ह जन जन भाव केवामी है वो भाव लखगे । रा तथा के तु का थोड़ा सा अलग तरीका है । पहले हम रा के तु भावच लत म कहां बै ठे है या थत है वो भाव लखगे । रा आठव भाव म तथा के तुसरे भाव म थत है तो रा 8

के तु 2

अब यान दे - रा तथा के तु क अपनी कोई रा श नह होती। यहां पर अब हम दे खगे क वो कस ह क रा श म है पर भावच लत से नही ब क ल न कु ं डली से दे खगे । रा ल न कु ं डली म मं गल क वृक रा श म तथा के तु ल न कु ं डली म शु क वृ ष रा श म थत है तो हम ये मानगे क मं गल रा के एजट के प म तथा के तु शु के एजट के प म काय करे गा। पहले हमने- रा 8

के तु 2

लखा था अब हम लखगे - रा 8 (मं गल 1,2,9,10) = रा 8,1,2,9,10 तथा के तु 2 (शु 3,4,8) = के तु 2,3,4,8 इस कार हमने सभी भाव के कायश भाव बना लए तथा अब हम हर ह के आगे उसका न उपन का न लखकर टे बल बना लगे ।

तथा उपन



उपन

उपन

सु य 3. 7

सु य 3. 7

बु ध 3.5

मं गल 1,2,9,10

चं7. 6

सु य 3. 7

बु ध 3.5

मं गल 1,2,9,10

मं गल 1. 2,9,10

के तु 2 (शु 3,4,8 )

चं7. 6

सु य 3,7

बु ध 3.5

मं गल 1. 2,9,10

गु8.11

रा 8 (मं गल 1,2,9,10)

गु8.11

रा 8 (मं गल 1,2,9,10)

बु ध 3.5

मं गल 1,2,9,10

शु 4. 3,4,8

मं गल 1. 2,9,10

चं7. 6

सु य 3,7

श न 12. 1,12

रा 8 (मं गल 1,2,9,10)

सु य 3. 7

सु य 3,7

रा 8 (मं गल 1,2,9,10)

गु8.11

चं7. 6

सु य 3,7

के तु 2 (शु 3,4,8 )

सु य 3. 7

रा 8 (मं गल 1,2,9,10)

गु8,11

अब यहां पर हमारा ह - न

- उपन



थत , वामी

- उपन

का न

वामी तथा

का न

का टे बल बनकर तै यार हो गया है ।

फोर टे प योरी केनयम अनु सार - अब यहां तक हमनेह के कायश भाव बना लए परं तुया ये सभी कायश भाव पू ण प से फल दगे या इनम से कु छ मजबू त या कु छ कमजोर फल दगे । इसकेलए हम नयम को पहले समझगेफर उनका अनु सरण करगे । 47

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 ह तीन कार के होते है - 1 - टे नटे ड, 2 - अ टे नटे ड, 3 - रफोसमट 1 - टे नटे ड - जो ह कसी ह का न वामी बना हो या जस ह के न म कोई ह थत हो वो ह टे नटे ड होता है तथा वो ह भावच लत कु ं डली के अनु सार जस भाव म थत हो तथा जस भाव का वामी हो उनका कमजोर फल ही दे ता है । 2 - अ टे नटे ड - जो ह कसी ह का न वामी नही बना हो या जस ह के न म कोई भी ह थत नह हो वो ह अ टे नटे ड ह होता है तथा वो जस भाव म थत हो और जस भाव का वामी हो उनका मजबू ती से फल दे ने म स म है । 3 - रफोसमट - जो ह अपने ही न म थत हो वो ह रफोसमट कहलाता है तथा जस भाव म थत हो और जस भाव का वामी हो उनका मजबू ती से फल दे ने म स म है । यहां आगेह के चार ले वल ह गे जहां पर हर ले वल पर भी इनका ा प बदल जाये गा। हमारे पास चार तरह के ले वल है - 1- ह ले वल, 2 - न

ले वल, 3 - उपन

ले वल, 4 - उपन

का न

ले वल।

1- ह ले वल - इस ले वल पर य द ह टे नटे ड है तो वो जस भाव म थत है और जन भाव का वामी है उनका फल दे ने म कमजोर ही रहे गा और उसको हम इ ते म ाल नह करगे । इस ले वल पर य द अ टे नटे ड ह है तो वो जस भाव म थत है उसका तो मजबू त कायश होगा ही होगा और वो जन भाव का वामी होगा य द उसम कोई ह थत नही होगा तो उसका भी मजबू त अ यथा कमजोर कायश होगा य द उस भाव म कोई ह थत होगा य क थत वा म व से मजबू त ही होता है । 2-न ले वल - ह अपने न के अधीन ही काय करते है । इस ले वल कोई भी ह हो वो जस भाव म थत होगा उसका तो मजबू त फल दे गा ही दे गा और जन भाव का वामी होगा य द उनम कोई ह थत नही होगा तो मजबू त अ यथा कमजोर फल दे गा य द उन भाव म कोई ह थत होगा। 3 - उपन

ले वल - यहां पर हर ह पहलेनयम ह ले वल क तरह ही काम करे गा।

4 - उपन

का न

ले वल - यहां पर हर ह सरे ले वल क तरह ही काय करे गा।

अ य नयम - कोई ह य द कसी भाव के साथ 03°20' तक यु त कर रहा हो तो वो ह उस भाव का फल मजबू ती से ही दे गा चाहे वो ह कसी भी ले वल म हो , ये यु त ते ज ग त केह के साथ 5° ऑ बट तक ले ले नी चा हए। ह क कसी सरेह के साथ यु त और भी 03°20' ऑ बट तक ले नी चा हए, ते ज ग त केह के साथ ड ी 4°- 5° तक बढ़ा ले नी चा हए। य द कोई ह कसी भी ह के न तो न म थत हो और न ही कसी ह के उपन म हो तब वो ह कसी ह पर डाले या कसी ह के ारा पाए तब वो उन ह के कायश भाव का फल दे ने म स म होगा या न क वो ह पहले या न ह ले वल और तीसरे या न उपन ले वल पर मजबू त होगा तभी वो कसी ह पर दे ने और ले ने पर काया वत होगा। न ले वल और उपन का न ले वल हमे शा मजबू त ही होते है और वे और यु त के फल दे ने म भी स म है । ह और उपन ले वल पर मजबू त ह कसी भावारं भ के साथ यु त या से सं बं ध बनाए तब वो उस भाव का भी मजबू ती से फल दे ने म स म है । य द रा या के तुकसी ह के न वामी हो तब वो पहले अपने ऊपर डालने वालेह का फल दगे उसके बाद वो (रा - के तु ) जस ह के न म ह गे उसका फल दगे , वो तब रा श वामी का फल नही दगे ।

अब हम भाव के कायश ह बनाना सीखगे भाव के कायश ह-

48

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 हर भाव केलए जो नयम ह वो यान से पढ़े सबसे पहले हर ह के कायश भाव तथा उनके न

वामी और उनके कायश भाव लख ल।

नयम 1- जो भाव हम ले रहे है उस भाव म जो ह थत है , वह जस ह का न

वामी है वो ह 'ए कॉलम' म लखे ।

2- उस भाव म जो ह थत है वह 'बी कॉलम' म लखे । 3- उस भाव का जो वामी ह है और वो जस ह का न

वामी है उस ह को 'सी कॉलम' म लखे ।

4- उस भाव केवामी को 'डी कॉलम' म लखे । इस कार हमारे पास हर भाव के ए बी सी डी कॉलम बन जाएग। 5- अब हमने 'ई कॉलम' बनाना है उसकेलए हमारे पास जो ए बी सी डी कॉलम म जो ह आए है , उन ह के यु त म जो ह है वो ह तथा जो ह उनको (ए बी सी डी म आए ए ह को) दे ख रहे है वो ह ल। यु त या न कं जंशन हर ह केलए इस कार ले । सु य और चंके साथ कसी भी रा श म कोई भी ह + या - 8° हो तो उस ह को ले सकते है । मं गल, बु ध, गु, शनी के साथ कसी रा श म कोई ह + या - 6° कोई ह हो तो उस ह को ले सकते है । रा तथा के तु के साथ कसी रा श म कोई ह हो तो उस ह को ले सकते है चाहे वो ह कसी भी ड ी म य न हो बस उस रा श म होना चा हए जसम रा - के तु हो। हम ल न कु ं डली के अनु सार ले ग। सभी ह क अपने से सातव पर तो ले ग ही पर मं गल क 7 के साथ 4 और 8, गु क 7 के साथ 5 और 9, शनी क 7 के साथ 3 और 10 भी ले ग। रा तथा के तु क सफ 7 व



उप थत

ही ले ग।

भाव वामी



वामी

49

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 सु य

3

7

सु य

चं

7

6

सु य

मं गल

1

बु ध

3

5

मं गल

गु

8

11

रा

शु

4

3,4,8

मं गल

शनी

12

1 ,12

रा

रा

8

----

गु

के तु

2

----

सु य

2,9,10

के तु

हर भाव केलए ये 1 से 5 नयम है । सबसे पहले हम भाव नः 1 ले ग। पहला नयम पढ़े - 1- जो भाव हम ले रहे है उस भाव म जो ह थत है , वह जस ह का न वामी है वो ह 'ए कॉलम' म लखे । अब दे खेक ह के जो कायश भाव बनाए थेपछले अ याय म वहां पर मं गल कस- कस ह का न वामी है आसानी केलए हर ह क भाव म उप थ त , भाव वामी तथा हर ह के न वामी का डाय ाम ऊपर दे रहा ।ंवहां दे खे पहले भाव ( 1 ) म मं गल उप थत है । मं गल वहां पर बु ध और शु का न वामी है । इस लए हम भाव 1 के कॉलम ए के नीचे बु ध और शु को लखे ग। नयम 2 - उस भाव म जो ह थत है वह 'बी कॉलम' म लखे । - पहले भाव म मं गल थत है तो हम पहले भाव म बी कॉलम के नीचे मं गल लखे ग। नयम 3 - उस भाव का जो वामी ह है और वो जस ह का न वामी है उस ह को 'सी कॉलम' म लखे । - पहले (1) भाव का वामी शनी है । अब दे खेक शनी ह कस ह का न वामी है । वहां न वामी वाला कॉलम दे खने पर पता चलता हैक शनी कसी भी ह का न वामी नह है इस लए पहले भाव के 'सी' कॉलम के नीचे कु छ नह लखा जाएगा तथा वो थान र / खाली रहे गा। नयम 4 - उस भाव केवामी को 'डी कॉलम' म लखे ।- पहले भाव का वामी शनी है । इस लए पहले भाव के नीचे 'डी' कॉलम के नीचे शनी लखे ग। 5- अब हमने 'ई कॉलम' बनाना है उसकेलए हमारे पास जो ए बी सी डी कॉलम म जो ह आए है , उन ह के यु त म जो ह है वो ह तथा जो ह उनको (ए बी सी डी म आए ए ह को) दे ख रहे है वो ह ल। (हम ए कॉलम म बु ध, शु) (बी कॉलम म मं गल) (सी कॉलम खाली) (डी कॉलम म शनी) ा त ए।

50

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 ल न कु ं डली

य केलए

चौथे भाव म बु ध 26° पर सु य 05° तथा के तु 00° पर है । बु ध के साथ सु य और के तु क डी ीय का ब त अं तर है । इस लए बु ध के साथ यु त म इनम सेकसी को नह लया जा सकता। शु पां चव भाव म अके ला है इस लए उसके साथ कसी क यु त नह है । मं गल तीसरे ..........................................................................। शनी पहले ............................................................................। अब यां दे खे - बु ध के ऊपर रा क सां तवी है इस लए रा को पहले भाव के 'ई' कॉलम म लखे ग।शु के ऊपर गु क नौव है इस लए गु को पहले भाव के 'ई' कॉलम म लखे ग।मं गल के ऊपर शनी और गु क है इस लए पहले भाव के 'ई' कॉलम म शनी और गु दोन को लखे ग।शनी के ऊपर गु क है इस लए पहले भाव के 'ई' कॉलम म गु को लखे ग। भाव 1 का उदाहरण भाव म थत ह के न म थत ह

भाव म थत ह

ए बु ध , शु

बी मं गल

भाव वामी के न म थत ह

भाव वामी

सी

डी

------------------------

शनी

ह यु त- ह दे ने वाले (ए बी सी डी वालेह पर)

ई रा , गु, शनी

इस कार हम सभी 1 से ले कर 12 भाव के कायश ह क सु च बनाएग।

51

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

ह कस कार फल दे ते है ? / How Planets give results accurately ? हर ह कसी न कसी ह के न





म तथा कसी न कसी ह के उपन

म होता है तथा हमारे कायश इस कार बनते है -

उपन

आज इनके बारे म आपको बताता ंक इनका योग कस कार होता है ।

GOLDEN RULES ι planet is the source of a result, constellation is the nature of the result and sub is the final deciding factor of a result. ह घटना बनने का ोत बनता है ।न घटना का कार बताता है तथा उपन है या नह ये बताता है या अवगत करवाता है ।

वामी उस घटना के बारे म क लाभ द

ι If starlord is benefic and sublord is also benefic then the native enjoys. यदन

वामी और उपन

वामी दोन शु भ है तो जातक सु ख पाता है ।

ι If starlord is malefic and sublord is also malfic then the native suffers. यदन

वामी अशु भ है तथा उपन

वामी भी अशु भ है तो जातक ख पाता है ।

ι If starlord is benefic and sublord is malefic then apparently it may seem that the event is going to take place but eventually it will hold. यदन वामी शु भ है तथा उपन ठहराव आ जाता है ।

वामी अशु भ है तब काम / घटना होते होते क जाता है या अं कु श लग जाता है या

ι If starlord is malefic and sublord is benefic then after some obstacles / hindrances the event will take place.

52

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 यदन वामी अशु भ है परं तु उपन घटना या काय पू र ा होता है ।

वामी शु भ है तब शुआती मु श कल / बं दश /

कावट का सामना करने के बाद

आप सबने सब से पहले भावच लत कु ं डली के अनु सार ह के कायश ह बनाए। हर ह जहांथत होता वो वा म व से मजबू त होता है । वो ह अपनी थ त तथा वा म व के भाव ारा कसी घटना के बनने का ोत होता है । आगे वो ह कसी ह के न म होता है तथा वो न वामी उस घटना का कार बताता है । आगे वो ह कसी ह के उपन म होता है जो क घटना के ोत तथा घटना होने के कार का फल शु भ होगा या अशु भ ये बताता है ।यदन तथा उपन दोन शु भ है या जो घटना हम दे ख रहे है उसके फे वर म है तो जातक को सीधे तौर पर फायदा ही होगा। यदन तथा उपन नु कसान ही होगा।

दोन अशु भ है या जो घटना हम दे ख रहे है उसके फे वर म नह है तो जातक को सीधे तौर पर

यदन शु भ है तथा उपन अशु भ है तो जो घटना हम दे ख रहे है उसम जातक का काम होते होते क जाता है या अड़चन आ जाती है ।यदन अशु भ है तथा उपन शु भ है तो जो घटना हम दे ख रहे है उसम जातक का काम शुआती कावट के बाद सफल हो जाता है । उपन फाइनल डसाइडर होता हैकसी काम केलए। 1 - ह घटना बनने का ोत बनता है ।न घटना का कार बताता है तथा उपन लाभ द है या नह ये बताता है या अवगत करवाता है ।

वामी उस घटना के बारे म क

जै से मान ले शाद का य द हम दे ख रहे है तो य द महादशा शु क है तथा शु कसी भी ह के न मान ले शु बु ध के न

शु

म तथा गु के उपन

म तथा उपन

म है -

म है -

बु ध गु

यहां पर शु घटना के बनने का

ोत है बु ध घटना का कार तथा गु घटना के लाभ या हा न म होने का बताएगा।

कु ं डली म शाद के मु ख भाव है 7 स तम् (जीवनसाथी) 2 सरा (प रवार) 11 यारहवां (इ छापू त) थम् से हम, हमारा शरीर, ल न तथा स तम से सामने वाला हमारा जीवनसाथी, हमारेख सु ख का साथी। स तम् सेववाह जसे समाज मा यता दे ता है । इस लए मु ख भाव स तम् भाव आ। शाद के बाद प रवार म वृ अथात प रवार म एक मबर क बढ़ौ री होती है इस लए सरा भाव सहायक भाव आ।

53

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 य द इ छा हो तो उसक पू त होना, कसक ? जसके बारे म हम सोच रहे हो। इस लए एकादश भाव या न लाभ भाव या न इ छा

क पू त का सु चक।

अब य द 7,2,11 भाव शाद के सहयोगी भाव है तो वरोधी भाव भी ह गे ? इस लए इ ह भाव के य भाव या न क वरोधी भाव ह गे या न क 7 का

य6

2 का

य1

11 का

य 10

साथ म य द 8 भाव आ जाए तो 7 का

य6

2 का

य1

11 का 8

कावट तथा 12 भाव आ जाए तो परे शानी।

य 10

कावट

12 परे शानी

अब हमने एक उदाहरण माना था ऊपर मान ले शु बु ध के न

म तथा गु के उपन

म है - शु

बु ध गु

1 - ह घटना बनने का ोत बनता है ।न घटना का कार बताता है तथा उपन वामी उस घटना के बारे म क लाभ द है या नह ये बताता है या अवगत करवाता है । यहां पर शु घटना के बनने का ोत है बु ध घटना का कार तथा गु घटना के लाभ या हा न म होने का बताएगा। 2-यदन

वामी और उपन

अब मान लेक ये तीन

वामी दोन शु भ है तो जातक सु ख पाता है ।

ह इस तरह से कायश है -

शु 2,11 बु ध 7,2 गु 9,11 अब यहां पर शाद के कौन से भाव दख रहे है दे खे -

2,7,11

54

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

कोई वरोधी भाव नही दख रहा तो हम कह सकते हैक न रहा है ।

2-यदन

वामी और उपन

भी शु भ और उपन

भी शु भ तो यहां पर येनयम खरा उतर

वामी दोन शु भ है तो जातक सु ख पाता है ।

3-यदन वामी अशु भ है तथा उपन से कायश है -

वामी भी अशु भ है तो जातक ख पाता है । अब मान लेक ये तीन

ह इस तरह

शु 1,12 बु ध 6,1 गु 6,10,8 तो यहां पर कौन से भाव आ रहे है दे खे 1-6-8-10-12 या न क वरोधी भाव 1,12,6,10,8 तो यहां पर येनयम खरा उतरता है । 3-यदन

वामी अशु भ है तथा उपन

वामी भी अशु भ है तो जातक ख पाता है ।

4-यदन वामी शु भ है तथा उपन वामी अशु भ है तब काम / घटना होते होते क जाता है या अं कु श लग जाता है या ठहराव आ जाता है । अब मान लेक ये तीन ह इस तरह से कायश है शु 2,5 बु ध 7,11 गु 6,10,8 तो यहां पर ह तथा न तो साथ दे रहे है परं तु उपन नह तो ऐसा होगा क काम होते होते क जाएं गे जै से मं गनी टू टना, दहे ज के कारण शाद टू टना, र ते ब त आने पर पसं द नापसं द होना।

5-यदन वामी अशु भ है परं तु उपन बाद घटना या काय पू र ा होता है ।

अब मान लेक ये तीन

वामी शु भ है तब शुआती मु श कल / बं दश /

कावट का सामना करने के

ह इस तरह से कायश है -

शु 2,5 गु 6,10,8 बु ध 7,11 तो जै सेर ता जु ड़े गा पर कसी एक र ते दार के पसं द पर न होने से उनके कारण दे र ी होना तथा ब त म त के बाद हां का 55

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 होना या लव मै रज कराने के लड़का लड़क इ छु क पर दोन के माता पता का न मानना पर बाद म ब त को शश के बाद उनका मानना। इस कार हमारा येनयम भी खरा उतरता है । 5-यदन वामी अशु भ है परं तु उपन बाद घटना या काय पू र ा होता है । बस इसी कार से अ य घटना

वामी शु भ है तब शुआती मु श कल / बं दश /

कावट का सामना करने के

के भाव बदल जाएं गे परं तुनयम इसी तरह इ ते म ाल ह गे ।

ी टे प योरी ी टे प योरी म ह - न - उपन तक का टे बल बनाया जाता है ।न और उपन ले वल म य द शन के मुय या सहायक भाव दोहरी थ त पै दा कर रहे हो और हम नणय ले ने म द कत आ रही हो तब अनटे न टे ड तथा टे न टे ड करण के ारा हम आगेया फल मल सकता है उसको समझ सकते है । आइए इस करण को हम अपने उदाहरण के ारा समझते है ।

अनटे न टे ड तथा टे न टे ड करण > कई बार उपन पर प च ंकर दोहरी थ त हो जाती है तथा हम कशमकश म पड़ जाते हैक काय होगा या नह होगा ? तब हम ह का पो जशनल टे ट् स या न अनटे टे ड या टे न टे ड टे ट् स दे ख सकते है । या होता है ये , आए समझे पहले ( ह-न

- उपन

) लए उसम से ( ह) को दे खे क वो टे न टे ड है या अनटे न टे ड।

टे न टे ड का मतलब है क जै से हम सभी ह के न

वामी उनके आगेलखते है जै से -

सु य - --------चं- --------मं गल- -------बु ध - --------गु - ---------शु - ----------शनी - ---------रा - --------के तु - --------तो अब मान लो सु य को दे खना है क वो टे न टे ड है या नह तो य द वो कसी ह या ह का न

वामी बना है तो टे न टे ड 56

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 होगा य द नही तो अनटे न टे ड होगा। जै से सु य - --------चं- --------मं गल- -------बु ध - --------गु - सु य शु - ----------शनी - सु य रा - --------के तु - --------तो अब यहां पर दे खे तो सु य गु और शनी का न वामी बन गया है अत: सु य टे न टे ड हो गया है तो अब यहां पर हम सु य के उपन वामी के न वामी तक दे खगे फाइनल डसीज़न दे खने केलए। यही थ त य द अ य ह के साथ भी हो तो उनको भी इसी कार लगे । ह-न

- उपन

- उपन

का न

सरी थ त दे खे जै से सु य - चं चं- बु ध मं गल- गु बु ध - चं गु - रा शु - मं गल शनी - शु रा - शनी के तु - बु ध

अब यहां पर सु य कसी भी ह का न वामी नह बना तो इसका मतलब सु य अब अनटे न टे ड हो गया। यहां पर हम अब दे खगे क 1 से 12 भाव म सु य कन कन भाव का उपन वामी बना तो उनको लगे तथा दे खगे क वो उस घटना के 57

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 वरोधी भाव है या सहायक तो उसके आधार पर फै सला लगे । भाव भाव वामी न

वामी उपन

वामी

1

-

-

सु य

2

-

-

मं गल

3

-

-

गु

4

-

-

बु ध

5

-

-

सु य

6

-

-

चं

7

-

-

रा

8

-

-

रा

9

-

-

सु य

10

-

-

शु

11

-

-

मं गल

12

-

-

शनी

अब चू ं क सु य अनटे न टे ड है तो 1 से 12 भाव के उपन दे खने पर पता चलता हैक सु य 1,5,9 भाव का उपन तथा वो इन भाव के फल मजबू त तौर पर दे ने म स म् है । अब य द मान ले क सु य 1 से 12 भाव म सेकसी भाव का उपन न वामी बना है तो उन भाव को ले लगे ।

वामी है

वामी नही है तो फर दे खे क वो कन कन भाव का

जै से भाव भाव वामी न

वामी उपन

वामी

1

-

शनी

गु

2

-

रा

मं गल

3

-

सु य

गु

4

-

सु य

बु ध

5

-

गु

चं

6

-

बु ध

चं

58

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 7

-

शनी

रा

8

-

के तु

रा

9

-

सु य

के तु

10

-

मं गल

शु

11

-

शु

मं गल

12

-

सु य

शनी

अब चू ं क सु य अनटे न टे ड है तो 1 से 12 भाव के उपन दे खने पर पता चलता हैक सु य 1 से 12 भाव म सेकसी भी भाव का उपन वामी नही है तो हम अब 1 से 12 भाव के न वामी दे खगे जो दे खने पर पता चलता हैक सु य 3,4,9,12 भाव का न वामी है तथा वो इन भाव के फल मजबू त तौर पर दे ने म स म् है । तीसरी थ त समझे जै से सु य - सु य चं- --------मं गल- -------बु ध - --------गु - ---------शु - ----------शनी - ---------रा - --------के तु - --------अब यहां पर सु य अपने ही न म है और कसी ह के न म नही तो यहां भी सु य पारशली अनटे न टे ड माना जाएगा। यहां पर भी हम अब दे खगे क 1 से 12 भाव म सु य कन कन भाव का उपन वामी बना तो उनको लगे और य द उप नह बना तो न वामी दे खगे क कन भाव का न वामी बना है उनको लगे तथा दे खगे क वो उस घटना केवरोधी भाव है या सहायक तो उसके आधार पर फै सला लगे ।

59

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

हम अब अपना उदाहरण लगे ( ज म ववरण है - 21 मई 1994, 01:51 सु बह, मु र ादाबाद, उ र दे श।) यहां पर नीचे जातक के ज म ववरण के अनु सार ह - न ह



बु ध 3,5

चं7,6 सु य 3,7

बु ध 3,5

मं गल 1,2,9,10 के तु 2,3,4,5,7,8

चं7,6

बु ध 3,5 मं गल 1,2,9,10

गु 8,11

गु 8,11 रा 1,2,3,5,7,8,9,10,12

बु ध 3,5

शु 4,3,4,8 मं गल 1,2,9,10

चं7,6

शनी 12,1,12 रा 1,2,3,5,7,8,9,10,12

सु य 3,7

रा 1,2,3,5,7,8,9,10,12 गु 8,11

चं7,6

हर ह के आगे उनका न

लखे गए है ।

उपन

सु य 3,7 सु य 3,7

के तु 2,3,4,5,7,8 सु य 3,7

- उपन

रा 1,2,3,5,7,8,9,10,12 वामी लखा आ है ।

जो ह कसी ह का न वामी बना है वो टे न टे ड है तथा जो ह कसी ह का न पो ज़शनल टे ट् स लए ए है ।

वामी नही बना वो अनटे न टे ड या

सु य अपना ही न वामी बना है तथा चंऔर के तु का भी तो यहां अब सु य टे न टे ड हो गया है तो वो अब अपने उपन वामी ( बु ध ) के न वामी ( मं गल ) तक फल दे ने म स म् है । चं कसी भी ह का न वामी नही बना है या न चंअनटे न टे ड है तथा चं1 से 12 भाव म सरे भाव का उपन बना है तो अब चंइस भाव का मजबू ती से फल दे ने म स म् है । मं गल बु ध और शु का न वामी बना है तो यहां अब मं गल टे न टे ड हो गया है तो वो अब अपने उपन न वामी ( सु य ) तक फल दे ने म स म् है ।

वामी

वामी ( चं) के

बु ध कसी भी ह का न वामी नही बना है या न बु ध अनटे न टे ड है तथा वो 1 से 12 भाव म पहले तथा सातव भाव का उपन वामी बना है तो अब बु ध इन भाव का मजबू ती से फल दे ने म स म् है । गु रा का तथा रा गु का न वामी बना है तो यहां अब गु तथा रा एक सरे के न वामी बने है तो अब गु अनटे न टे ड ही माना जाएगा। गु 1 से 12 भाव म कसी भाव का उपन वामी नही बना तो हम 1 से 12 भाव म न वामी के प म गु को दे खगे तो पाएं गेक गु 1 से 12 भाव म 1 और 5 भाव का न वामी बना है तो अब गु इन भाव का भी फल दे ने म स म् है । शु कसी भी ह का न

वामी नही बना है या न शु अनटे न टे ड है तथा वो 1 से 12 भाव म 6 तथा 8 भाव का

60

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 उपन

वामी बना है तो अब शु इन भाव का मजबू ती से फल दे ने म स म् है ।

शनी कसी भी ह का न वामी नही बना है या न शनी अनटे न टे ड है तथा वो 1 से 12 भाव म 3,4,5,9,10,11 भाव का उपन वामी बना है तो अब शनी इन भाव का मजबू ती से फल दे ने म स म् है । रा - गु और शनी का न तक फल दे ने म स म् है ।

वामी बना है या न रा टे न टे ड है तथा वो चं( जो क उपन

के तु - मं गल का न वामी बना है या न के तु टे न टे ड है तथा वो रा ( जो क उपन फल दे ने म स म् है । भाव भाव वामी न

वामी उपन

वामी है ) के न

वामी है ) के न

वामी सु य

वामी गु तक

वामी

1

-

गु

बु ध

2

-

के तु

चं

3

-

सु य

शनी

4

-

मं गल

शनी

5

-

गु

शनी

6

-

बु ध

शु

7

-

शु

बु ध

8

-

मं गल

शु

9

-

शनी

शनी

10

-

बु ध

शनी

11

-

शु

शनी

12

-

चं

के तु

61

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

शासक ह अथात् लग लै नटे ् सजस समय जो ह शासन करते ह, वह ह उस समय के शासक ह कहलाते ह। यह न नानु सार होते ह… 1- ल न का न शासक ह या

वामी - उ दत ल न जस न लग लै ने ट होता है ।

म हो, उस न

का वामी ल न न े श होता है तथा ये सबसे मजबू त

2- ल न वामी - उस समय उ दत हो रही ल न का वामी जै से : मे ष का वामी मं गल, वृ ष का वामी शु, मथु न का वामी बु ध, कक का वामी च , सह का वामी सु य, क या का वामी बु ध इ या द। ये तीय थान पर मजबू त शासक या लग लै ने ट होता है । 3- चंका न

वामी - च

जस न

म हो, उस न

का वामी तृ तीय थान का मजबू त शासक ह होता है ।

4- चंराशी वामी - चं जस रा श म हो, उस रा श का वामी। 5- दन वामी - सोमवार का चं, मं गलवार का मं गल, बु धवार का बु ध, गुवार का गु, शुवार का शु, श नवार का शनी, र ववार का सु य । ये सबसे कमजोर लग लै ने ट होता है । रा और के तू छाया ह के बारे म वशे षजन रा शय म रा और के तू चल रहे ह , उन रा शय केवामी य द शासक ह ह तो रा और के तू को भी शा मल कर ले ते ह। जै से य द रा मे ष रा श म चल रहे ह और मे ष का वामी मं गल शासक ह म हो तो रा को भी शासक ह म शा मल कर ले ते ह। इसी कार य द के तू कु ं भ रा श म हो और शासक ह म श न हो तो के तू को भी शा मल कर ले ते ह। य द शासक ह के साथ कोई अ य ह यु त/कं ज शन म हो तो उस ह को भी शासक ह म शा मल कर ले ते ह यु त करके आगे जाने वालेह सेयादा यु त म आने वालेह यादा मह वपू ण होते है साथ म जो ह ल न पर डाल रहे हो वो भी शासक ह म गने जाते है । जब शन कु ं डली म अ धकतर ह व हो तब ही शासक ह के साथ यु त करने वाले तथा शन ल न म उप थत तथा शन ल न को दे खने वालेह को उपयोग म लाये अ यथा ऊपर दए गए पां च शासक ह का ही नणय के समय उपयोग करे । शासक ह म य द कोई ह व हो तो वह जब तक माग होकर जस अं श से व आ हो, उसी अं श पर न आ जाये तब तक फल नह दे ता है । य द कोई ह व ह के न या उप न म हो तो उस ह को शासक ह सेनकाल दे ते ह। वह ह फल नह दे ता है । य द ल न का उप न शी ग त वाला ह होता है तो काय शी होता है और य द म द ग त वाला होता है तो काय वलं ब से होता है । वह शासक ह जो ऐसे न म हो, जसका वामी ऐसे भाव म बै ठा हो या ऐसे भाव का वामी हो, जो काय से स बं धत नह होते ह, वह फल दे ने वाले नह होते ह। उ ह शासक ह सेनकाल दे ना चा हए। अब शासक ह के बारे म कु छ जानकारी 1 य द कोई शासक ह कसी और ह के उपन म हो और वह उपन वामी, जन भाव को हम दे ख रहे है उनसे 12 भाव का वामी हो और यह ही शासक ह 8 और 12 भाव के कायश हो तो वह शासक ह हम रज ट नही दगे । 2 य द शासक ह कसी और ह के उपन म हो और वह उप न व हो ,तब भी वह शासक ह उपयोगी नही होता ,और य द शासक ह खु द व हो पर वह कसी न म हो और वह न वामी व न हो उसको लया जा सकता है । यह बात यह दशाती हैक काम दे र ी से होगा और रज ट तब ही मले गा जब शासक सीधा हो जाएगा। 3 य द रा - के तु शासक हो के रा श और न म हो तो तब नोड् स को पहलेाथ मकता दे नी होगी, रा और के तुजन हो के साथ उनक यु त हो ,उनके न वामी,जो ह उनको करते हो और अं त म जन हो क रा श म वह हो उनके जै सा 62

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 फल दे ते है । श

शाली शासक ह-

1- सबल शासक ह वह है जो अपनी उ च रा श म हो। 2- शासक ह सरे शासक हो के न

और उप म।

3- जब कोई ह कसी और ह के रा श, न रा श, न , उप न म होगा।

, उपन

म हो हम उस ह को वह ह के साथ कने टे ड मान लगेजनके वह

4- य द हमको यह पता लगाना हो क उ र पॉ ज टव या ने गे टव है तो हम जस भाव के साथ कोई वे री हो और वह भाव 11 भाव का कायश हो और साथ म न और उपन वामी व न हो और साथ म कु ं डली के 8 और 12 भावो के कायश न हो तो उ र सही आएगा । य द भाव का उप न और न वामी दोन ही व हो तो काम नही बने गा। य द उप न

वामी सीधा है और न

य द उप न वामी व काम नही बने गा ।

वामी व

है परं तु न

यद कु ं डली म ल न का उपन और जातक के प म होगा।

है तब काम नही होगा।

वामी सीधा है तो जब तक भाव का उप न वामी च

का न

वामी सीधा नही हो जाता तब तक

वामी हो जा फर ल न का न

वामी हो तब उ र सही होगा

शासक ह1 जो शासक ह(

लग लै ने टस् ) सीधे हो वह हमारी पहली ाथ मकता होती है ।

2 जो शासक ह खु दव

होते है और जस न

और उपन

3 जो शासक ह खु द सीधे हो और उनका उपन 4 जो शासक ह खु दव सकते है )

हो और जस न

5 जो शासक ह खु दव

हो उसका न



हो वह कमज़ोर शासक ह होते है ।

म हो वह भी व और उपन

म हो वह हमारी सरी ाथ मकता होती है ।

हो उसको छोड़ दे ना होगा ( ब त छोट घटना केलए ले

भी व

हो उनको हर हालत म छोड़ दे ना होगा।

मह वपू ण नयम रोजमरा के काम केलए और जो काम नश चत समय म तय हो तब लग ह क मदद से उनको ात कया जा सकता है । यान रख हमे शा चाहे वो ल न कु ं डली हो या शन कु ं डली , सं बं धत शन के सं दभ म ल न क श ज र दे खनी चा हए , 11 व भाव क श भी साथ म शन से सं बं धत मुय भाव तथा शन सं बं धत कारक क श का भी अवलोकन करना चा हए। य द ल न रा श चर रा श है तो काय ज द हो सकता है । य द ल न थर रा श का हो तो काय वलं ब से होगा। यदलन

वभाव का हो तो नय मत समय पर काय होगा।

63

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

य द शनी ल न से सं बध ंबनाए तो काय म वलं ब होगा। य द शनी

लग ह म हो या उनसे सं बं धत हो या धीमी ग त वालेह

लग म हो तो भी काय वलं ब से होगा।

य द ते ज ग त वालेह हो तो काय भी ते जी से होगा। य द दन म काय होना हो तो

लग ह क मदद से ल न को आगे बढ़ाकर समय न त कर।

जो काय स ताह म होना न त हो तब सबसे मज़बू त लग ह केवामी दन को चु न।े य द 10 दन के भीतर काय होना हो तब चंके न 9-10 दन म पू रा करता है ।

मह व रखते हैय क नौ ह के न

का एक च

चं मा

य द महीने म सं बं धत काय होना हो तब चं मा को उसके लग थ त से आगे बढ़ाना चा हए तथा घटना घ टत होने केदन चं मा लग ह के रा श , न से गु जरे तथा सु य भी कसी लग ह के न या उप से गु ज़रे । य द कोई काय साल म होनी हो तब सु य को उसक उपन म कसी से गु जरना चा हए।

थ त से आगे बढ़ाना चा हए तथा

लग ह के रा श-न

-

य द कोई घटना साल से अ धक समय म घ टत होने क सं भावना हो तब गु को आगे बढ़ाना चा हए। शासक ह1 ल न का न

वामी

2 ल न वामी 3च



वामी

4च

रा श वामी

5 दन का वामी नोट:-ल न का न वामी का शासक ह सबसे श शाली होता है , उसके बाद ल न का वामी, फर च च रा श वामी और दन का वामी सबसे कमज़ोर शासक ह होता है ।



वामी, फर

64

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

आइए अब आपको लग लै नटे स् अथात् शासक ह के बारे कु छ उदाहरण से समझाने का य न करते है । 18/अ टु बर/2016, 21:57 , लु धयाणा। अब दे खे ल न मथु न - रा श वामी बु ध-न अब दे खे चं वृ ष - रा श वामी शु - न

वामी रा - उपन वामी सु य - उपन

वामी शनी वामी के तु

दन - मं गलवार 1- ल न न

वामी - रा

2- ल न रा श वामी - बु ध 3 - चंन

वामी - सु य

4 - चंरा श वामी - शु 5 - दन वामी - मं गल अब दे खे क ऊपर दए पां च

लग ह म सेकसी क रा श म रा या के तु है । ऊपर द गई ल न कु ं डली म दे खे तो पता चलता हैक रा सह रा श म है जसका वामी सु य है तथा के तु कु ं भ रा श म हैजसका वामी शनी है । या सु य तथा शनी म से कोई ह ऊपर ल खत 5 लग ह म है - जी हां सु य 3 नं बर पर चंके न वामी के प म है तो अब हम रा को सु य के साथ इस कार लखे ग। 1- ल न न

वामी - रा

2- ल न रा श वामी - बु ध 3 - चंन

वामी - सु य (रा )

65

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 4 - चंरा श वामी - शु 5 - दन वामी - मं गल

इस कार हमारे पास म से लग ह ए रा , बु ध, सु य (रा ), शु, मं गल। इन सब म से सबसे मजबू त लग ह रा - फर बु ध - फर सु य - फर शु तथा सबसे कमजोर मं गल लग ह है ।

एक और उदाहरण ले ते है ।6/जु लाई/2016, 7:20 सु बह, लु धयाणा। रा श वामी ल न कक -

चं

चंकक -

चं



वामी

शनी (व

वामी

रा

)

शनी (व

उपन

)

चं

दन बु धवार - दन वामी बु ध 1- ल न न

वामी - शनी (व) (के तु )

2- ल न रा श वामी - चं 3- चंन

वामी - शनी (व) ( के तु )

4- चंरा श वामी - चं 5- दन वामी - बु ध हमने के तु को शनी के साथ लखा हैय क के तु कु ं भ म हैजसका वामी शनी लग ह म है तथा रा को कह नही लया य क रा सह रा श म हैजसका वामी सु य लग ह म उप थत नह है । इस कार हमारे पास शनी, चं, बु ध, के तु आए। परं तु शनी व और बु ध ही लग ह के प म बचे ग।

होने के कारण हम उसको छोड़ना होगा तथा हमारे पास चं

लग ह के काय - य द कोई काय 24 घं ट के अ दर होना होता है तो ल न को आगे बढ़ातेए शासक ह पर ले जाते ह। ल न जन अं श पर शासक ह पर आती है , तब वह काय होता है । इसी कार एक माह म जो काय होना होता है तो च को

66

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 आगे बढ़ातेए शासक ह पर ले जाते ह। जन अं श पर च शासक ह पर आता है , तब वह काय होता है । इसी कार एक वष म होने वाले काय म सू य को आगे शासक ह पर बढ़ाते ह, जन अं श पर सू य शासक ह पर आता है , तब

वह काय होता है और एक साल सेयादा क अव ध म होने वाले काय केलए गुको शासक ह पर आगे चलाते ह, जब और जन अं श पर वह शासक ह पर आता है , उस समय काय होता है ।

अब आपको

लग ह का एक अनु भव बताता ं -

लग ह के उदाहरण पर एक घटना

का ज कर रहा ं - घटना 22/09/2015 क है उन दन गणप त महो सव चल रहे थे तथा हमारे घर के पास भी पं डाल सजा आ था। मे र ी प नी और बे ट ा वहां माथा टे कने तथा भजन सु नने गए थे जब क म और मे र ी ब टया घर पर ही थे । वो उस दन 9:30 बजे रा को गए थे । अमू मन वो बा क दन 1 घं ट ा समय बताकर आ जाते थे पर उस दन जब 10:50 रा का समय हो गया वो लौटे नह तथा मु झे उनक चता होने लगी। अब लगभग 11:00 रा के बज चु के थे । मै न उसी व अपना लै पटॉप खोला तथा लग ह चै क कए। समय था 22/09/2015, 23:00:24, जगह लु धयाणा। उस व मथु न ल न चल रहा था। ल न मं गल के न म था। चंगु क रा श धनु म था और शु के न म था। 1- ल न न

वामी मं गल

2- ल न रा श वामी बु ध (रा ) 3- चंन

वामी शु

4- चंरा श वामी गु (के तु ) 5- दन मं गलवार इस लए दन वामी - मं गल (रा क या रा श म था जसका वामी बु ध लग ह म है तथा के तु मीन रा श म था जसका वामी गु भी है । इस लए दोन को लया गया है ।) अब हमारे पास

लग ह म

लग ह है - मं गल, बु ध, शु, गु, मं गल, रा , के तु ।

ल न 23:00:24 पर इस कार था 67

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 रा श - न बु ध मं गल

- उपन बु ध

- उप.उपन रा

य क म प न और बे टे के इं तज़ार म था इस लए उनके कारक का लग ह म होना आव यक है । प न का कारक शु और पुका कारक गु होते है तथा ये लग ह म शा मल है । इनका ल न के सहसमय लग म आने पर ही वे वा पस आएग। समय 23:00:24 पर उपन बु ध चल रहा था। उसके बाद 23:03:38 पर के तु का उपन चले गा। उसके बाद 23:06:57 से शु का उपन चले गा जो क लग म भी है तथा प न का कारक भी है । इस लए मै न शु का उपन चु ना। अब शु के उपन म कन कन ह के उप.उपन त् आएग ये दे खे । सबसे पहले उप.उपन शु का फर सु य का फर चंका फर मं गल का फर रा का उसके बाद गु का उप.उपन 23:11:47 पर आएगा जसका मु झे इं तज़ार था य क गु लग ह भी और पुका कारक भी। अब दे खेक शु का उपन और गु का उप.उपन दोन इक े आ गए जो क प न और पुकारक है । अब म जान गया था क 23:11:47 पर जै से ही घड़ी क सु ईयां आएग तब वो घर आ जाएग और आ भी वही ठ क 23:11:47 बजे घर क डोरबै ल बजी तथा मे र ी प न तथा बे ट ा दोन आ गए। इस कार लग ह क अह मयत का पता चलता है ।

लग लै नटे स् और आ शन योरी कभी कभी हमारे पास ऐसेशन आते है जहां वक प चु नने होते है या ऐसी थ त आती है जहां वक प चु नने क आवशयकता होती है । जै से हम कसी अफसर को मलने जा रहे है तो जहां उसका ऑ फस है उस सरकारी ब डं ग म 1012 मं जल है और हम ये नह पता क कौन सी मं जल पर उसका ऑ फस है । एे सेशन जै सेकस कु ल या कॉले जम एडमीशन मले गा जब आपने कई वक प सोचे हो ? या जब एक ही राऊं ड क तयो गता म कौन जीते गा ? धानमंी कौन बने गा? चु नाव म कौन सी पाट जीते गी ? इनम से कौन सा इनाम मु झेमले गा? इ या द। ले कन ये हमे शा याद रखना क जब ब त ज री हो तब इस योरी को इ ते म ाल म लाना। हर छोट - छोट घटना केलए इ ते म ाल करने पर उ र ग त भी हो सकते है । हर ह के अं क नं बर इस कार है । सु य5 चं4 मं गल 1-8 बु ध 3-6 गु 9-12 शु 2-7 शनी 10-11 रा -के तु रा श वा म के अनु सार। 68

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 नयम - अगर लग ह म व ह हो तो उसको छोड़ दे ।व ह के न तथा उपन दे । कभी-कभी व ह को ले ने क भी ज रत पड़ती है येथ त पर नभर करता है ।

पर जो ह हो उसको भी छोड़

अगर आपके पास आए येवक प 9 या उससे कम है और लग ह के नं बर भी एकाक पर आए तो सीधा आए ये नं बर का वक प चु न ले जै से 9 वक प है तो 4 या 8 जोड़ लग ह का हो तो 4 था या 8 वांवक प मा य होगा। य द वक प 9 या उससे कम हो तो ा त लग ह का एकां क नं बर बना ले तथा वक पो म से चु न ले । जै सेवक प 8 या 9 या 5 है तथा लग ह का जोड़ 13 आ जाये तो उसका एकां क नं बर 1+3= 4 होगा तथा हमारा उ र 4 था वक प होगा। य द वक प 9 से अ धक हो तब लग ह सेा त नं बर को वक प क संया से उतनी बार घटाए जब तक एकां क नं बर ना मल जाए। जै से मान ले 12 वक प हो तथा ा त लग ह का जोड़ 20 हो तो 20 म से 12 घटाने पर ा त 8 नं बर वाली संया हमारा वक प होगा। य द घटाने पर नं बर शु य 0 आए तो अं तम वक प मा य होगा।

उदाहरण बात माच महीने क है मै न अपनेलए नई कार ले नी थी जसकेलए म अलग-अलग क प नय क गाड़ीयां दे ख रहा था पर समझ म नही आ रहा था क कौन सी गाड़ी लू , एक तो मै न गाड़ी क त पर ले नी थी सरे जो हर तरह से बाद म स वस म कह कोई द कत न हो और टकाऊ भी हो। उस व चार गाड़ीयांच लत थी 1- ऑ टो 800 एल ए स आई 2- ऑ टो के 10 3- ड ंई इउन 4- रनो ट वड अब इनम से कौन सी गाड़ी म लू ं गा ये जानने केलए मने लग ह क मदद ली जो उस व 17:56:49, लु धयाणा।

थे - 22/03/2016, बु धवार,

लग ह इस कार थे -

1- ल न का वामी - बु ध - 3,6 2- चंन

वामी - सु य-5

3- चंरा श वामी - बु ध - 3,6 4- दन वामी

- बु ध - 3,6

अब इन सबका जोड़ = 3+6+5+3+6+3+6 = 32 = 3+2= 5

69

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

अब हमारे पास ऊपर 4 वक प है तथा

लग ह सेमले नं बर 5 है ।

अब उ र है पां चवांवक प , ले कन हमारे पास 4 वक प है इस लए 5 म से 4 घटाने पर 1 ा त आ। जसका मतलब 1 नं बर पर ऑ टो 800 एल ए स आई। उसके बाद दो दन तक कभी रनो ट कभी ड ंई कभी ऑ टो सबके फ चर का अलग- अलग शो म म पता कया। अततः 25 माच को मने ऑ टो कार ही ली हालां क मे र ा मन रनो ट वड पर था परं तु फं ड कम और उसक परफामस का यादा पता न होने के कारण न ले सका। इस कार जो भी थ त रही पर

लग ह ने पहले ही वह उ र देदया था।

सरा उदाहरण - बात 6/जू न/2016 क

है म अपने ऑ फस म काम कर रहा था तभी फैटरी मा लक क कोठ से फोन

आया क वहां क कचन का एयरकं डीशनर खराब हो गया है तथा पास के इलै शीयन ने चै क करके बताया क एे .सी. का कं श ैर खराब हो गया है । चू ं क म उस कं पं नी म परचे ज़ मै ने जर ं तथा मु झे मालू म हैक कं श ैर क वारं ट पां च साल तक क होती है । अब मु झे उसक वारं ट के तहत खरीदने क तारीख दे खनी थी जसकेलए ऐ.सी. केबल क आव यकता थी।

70

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 मने अकाउं टस वभाग म पछले तीन-चार साल का रकाड चै क कया पर कोई भी एं टरी नह मली तभी मे रे एक सहकम ने मु झेयो तषीय सहायता ले ने को कहा, पहले मने सोचा क या ये सं भव है दे खना। तब मने अकाउं टस टे ली पर दे खा क वहां सन् 2005 से ले कर सन् 2016-17 तक क 10 एं ट रया थी तभी मे रे दमाग म कृ णामू त प तक लग ह क अं क शा का इ ते म ाल करने क सू झी।

मने उसी व उस व

लग ह लए तब समय था - 6/जू न/2016, दोपहर 12:55:02, लु धयाणा।

सह ल न चल रहा था। चंरा के न

तथा बु ध क रा श म था। दन सोमवार था।

लग ह इस कार थे ।

ल न वामी सु य-5 चंन

वामी रा - 5 ( रा सु य क रा श म )

चंरा श वामी बु ध - 3,6 दन सोमवार वामी चं- 4 अब सबका जोड़ 5+5+3+6+4 = 23 अब आप ऊपर अकाऊं टस टे ली म ऊपर दए फोटो म दे खगे तो वहां 10 एं टरीज़ है जो क 9 से अ धक है तथा हमारे पास लग ह के अं क 23 आया है तो अब हम 23 म से 10 को घटाए तो 13 आएगा , एकां क अं क ा त करने केलए हम 13 म से 10 को बारा घटाए तो 3 ा त होगा। अब 3 हमारा उ र है । ऊपर आप टे ली 10 एं टरीज़ वाली फोटो म 3 नं बर का ऑ शन दे खे वहां 1अ ै ल 2008 से ले कर 31 माच 2009 लखा है । इसका मतलब ऐ.सी. खरीद का बल इसी वष म मले गा तथा उस वष म खोजने पर बल हम 2 माच 2009 को मला या न इस तारीख को ऐ.सी. खरीदा गया था जसक आप ऊपर चौथे नं बर पर द गई फोटो सेमला सकते है तथा तस ली कर सकते है । परं तु अब उसक खरीद 5 साल से ऊपर होने के कारण वारं ट पीरीयड भी ख म हो गया था। इस कार लग ह क मदद सेकतनी आसानी से हम सही नणय पर प च ं सके । णाम गुदे व जी को ज ह ने हम ये अदभु त ान दया।

71

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015



और शरीर के अं ग-

यो तष म न को भी शरीर के आधार पर वग कृ त कया गया है . सभी न शरीर केकसी ना कसी अं ग का त न ध व करते ही ह और इन अं ग से सं बं धत परे शानी भी को हो जाती ह. जो न ज म कु ं डली म पी ड़त होता है उससे सं बं धत बीमारी को होने क सं भावना बनती है अथवा जब कोई न गोचर म भी पी ड़त अव था म चल रहा हो तब उससे सं बं धत परे शानी होने क भी सं भावना बनती है . इस ले ख के मा यम से आज आपके सामने न व उससे सं बं धत शरीर के अं ग के बारे म बताया जाएगाअ नी अ नी न का वामी ह के तु है . यह पहला न है और इस लए यह सर का त न ध व करता है . म त क सं बं धत जतनी भी बाते ह उन सभी को अ नी न से दे खा जाता है . इस न के पी ड़त होने पर इ ह से सं बं धत बीमा रय का सामना को करना पड़ता है . भरणी भरणी न सरेथान पर आने वाला न है और शु इसके इसके अ धकार ेम म त क का े, सर के अं दर का भाग व आँ खे आती है . ज म कु ं डली या गोचर म इस न के पी ड़त होने पर इ ह अं ग से सं बं धत परे शा नय का सामना करना पड़ता है . कृ का यह तीसरा न है और सू य इसकेवामी ह. इस न के अ तगत, सर, आँ ख, म त क, चे हरा, गदन, क ठनली, टाँ सल व नचला जबड़ा आता है . इस न के पी ड़त होने पर आपको इससे सं बं धत बीमारी होने क सं भावना बनती है . रो हणी यह चौथा न है और इसकेवामी चंमा है . इस न के अ धकार ेम चे हरा, मु ख, जीभ, टां सल, गरदन, तालु , ीवा, कशेका, अनु म त क आते ह. ज मकालीन रो हणी न अथवा गोचर का यह न जब पी ड़त होता है तब इन अं गो म पीड़ा का अनु भव को होता है . मृ ग शरा यह न पां चव थान पर आने वाला न है और इसका वामी ह मं गल है . इस न के पहले व सरे चरण म ठोढ़ , गाल, वरयं, तालु , र वा ह नयाँ , टां सल, ीवा क नस आती ह. तीसरे व चौथे चरण म गला आता है और गले क आवाज आती है . बाजु व कं धे आते ह, कान आता है . ऊपरी पस लयाँ आती ह. इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग से सं बं धत सम या से जू झना पड़ता है . आ ा यह छठेथान पर आने वाला न है और इसका वामी ह रा है . इस न के अ धकार म गला आता है , बाजु एँ आती है और कं धे आते ह. इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग से सं बं धत बीमारी होने क सं भावना बनती है . पु नवसु यह सातवाँ न है और इसका वामी ह बृ ह प त है . इस न के पहले , सरे व तीसरे भाग के अ धकार म कान, गला व कं धे क ह याँ आती ह. पु नवसु न के चौथे चरण म फे फड़े , सन णाली, छाती, पे ट, पे ट के बीच का भाग, पे न याज, 72

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 जगर तथा व आता है . जब यह न

पी ड़त होता है तब इस न

से सं बं धत भाग म बीमारी होने क सं भावाना बनती है .

पु य यह भच का आठवाँ न है और इसका वामी श न है . इस न के अ तगत फे फ़ड़े , पे ट तथा पस लयाँ आती ह. अगर यह न पी ड़त होता है तब इससे सं बं धत शरीर के अं ग म पीड़ा प च ंती है . आ

ष ेा

यह नौवां न है और इसका वामी बु ध है . इस न के अ तगत फे फड़े , इसोफे गे स, जगर, पे ट का म य भाग, पे न याज आता है . अगर यह न पी ड़त होता है तब इन अं ग से जु ड़ी परे शा नयाँ को होती ह. मघा यह भच का दसवाँ न है और इसका वामी ह के तु है . इस न के अ तगत पीठ, दल, रीढ़ क ह ी, पलीन, महाधमनी, मेदं ड का पृीय भाग आते ह. जब भी यह न पी ड़त होगा तब को वा य सं बं धी सम या से होकर गु जरना पड़े गा. पू वाफा गु नी यह यारहवाँ न है और इसका वामी ह शु है . इस न के अ तगत मेदं ड व दल आता है और जब भी यह न पी ड़त होता है तब इन दोनो से सं बं धत कोई शारी रक सम या हो सकती है . उ राफा गु नी यह बारहवाँ न है और इसका वामी सू य है . इस न के पहले चरण म मेदं ड आता है . सरे , तीसरे व चौथे चरण म आं ते आती है , अं त ड़याँ आती ह और इसका नचला भाग आता है . ज म कु ं डली म इस न के पी ड़त होने पर वा य सं बं धी सम याओ का सामना करना पड़ सकता है . हत यह ते रहवाँ न है और इसका वामी चंमा है . इसके अ धकार म आं ते , अं त ड़याँ , अं त: ाव ं थयाँ , इं जाइ स आते ह. इस न के पी ड़त होने पर को इन अं ग म पीड़ा होने क सं भावना बनती है . च ा यह भच का चौदहवाँ न है और इसका वामी मं गल ह है . इस न के पहले व सरे चरण म उदर का नचला भाग आता है , तीसरे व चौथे चरण म गु रदे , क ट े, ह नया, मेदं ड का नचला भाग, नस क ग त आ द आती है . इस न के पी ड़त होने पर इ ह अं ग म क होता है . वा त यह भच का पंहवाँ न है और इसका वामी ह रा है . वचा, गॉल लै डर, गु रदे , मूवा हनी इस न के अ धकार े म आती ह. इस न के पी ड़त होने पर को इन अं ग से जु ड़ी बीमारी होने क सं भावना बनती है . वशाखा यह सोलहवाँ न

है और इसका वामी बृ ह प त ह. इस न

के पहले , सरे व तीसरे चरण म पे ट का नचला ह सा, गॉल

73

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 लै डर के आसपास के अं ग, गु रदा, पे न याज सं बं धत ं थ आती है . चौथे चरण म लै डर, मूमाग, गु दा, गु तां ग तथा ौ टे ट ं थ आती है . अनु र ाधा यह भच का स हवाँ न ह याँ आ द सभी इस न पड़ता है .

है और श न इसका वामी है . लै डर, मलाशय, गु तां ग, गु तां ग के पास क ह याँ , नाक क के अं दर आते ह. इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग से सं बं धत सम या से होकर गु जरना

येा यह भच का अठारहवाँ न है और बु ध इसका वामी है . गु दा, जनने याँ , बृ हदआं, अं डाशय तथा गभ येा न आते ह. इस न के पी ड़त होने पर को इन अं ग से सं बं धत रोग होने क सं भावना बनती है .



मू ल यह भच का उ ीसवाँ न है और इसका वामी ह बु ध है . इस न के अं तगत कूहे , जां घ,े ग ठया क नस, ऊव थ, ां णफलक आ द अं ग आते ह. इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग से जु ड़े रोग हो सकते ह. पू वाषाढ़ा यह भच का बीसवाँ न है और इसका वामी ह शु है . इसके अ तगत कूहे , जां घ,े नस, ोणीय र ं थयाँ , मेदं ड का सेमी ेआ द अं ग आते ह. इस न के पी ड़त होने पर इन अं गो से सं बं धत रोग होने क सं भावना बनती है . उ राषाढ़ा यह इ क सवाँ न है और इसका वामी ह सू य है . इस न के पहले चरण म जां घे आती ह, ऊव थ र वा ह नयाँ आती ह. इस न केसरे , तीसरे व चौथे चरण म घु टने व वचा आती है . इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग से सं बं धत रोग का सामना करना पड़ सकता है . वण यह भच का बाईसवाँ न है और चंमा इसका वामी है . इस न के अ तगत घु टने , लसीका वा ह नयाँ तथा वचा आती है . इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग से सं बं धत रोग होने क सं भावना बनती है . धन ा यह भच का ते ईसवाँ न है और मं गल इसका वामी है . इस न के पहले व सरे चरण म घु टने क ऊपर क ह ी आती है जो टोपी के समान दखती है . तीसरे व चतु थ चरण म टखने , टखने और घु टन के बीच का भाग आता है . इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग म परे शानी का अनु भव होता है . शत भषा यह भच का चौबीसवाँ न है और इसका वामी रा है . घु टन व टखन के बीच का भाग, पै र क न लय क मां स पे शयाँ इस न के अ तगत आती ह. जब यह न पी ड़त होता है तब इन अं ग से सं बं धत रोग होने क सं भावना बनती है . पू वाभा पद

74

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 यह भच का प चीसवाँ न है और बृ ह प त इसका वामी है . इस न के पहले , सरे व तीसरे चरण म टखने आते ह. चतु थ चरण म पं जे व पां व क अं गु लयाँ आती है . जब भी यह न पी ड़त होगा तब इन अं ग से सं बं धत परे शा नय का सामना करना पड़े गा. उ राभा पद यह भच का छ बी सवाँ न है और श न इसकेवामी है . इस न के अ तगत पै र के पं जे आते ह. ज म कु ं डली म अथवा गोचर म इस न के पी ड़त होने पर को पं ज से सं बं धत परे शानी से गु जरना पड़ सकता है . रे वती यह भच का स ाईसवाँ व अं तम न है और इसका वामी ह बु ध है . इस न आती ह। इस न के पी ड़त होने पर इन अं ग से जु ड़ी बीमारी हो सकती है ।

के अ धकार म पं जे व पै र क अं गु लयाँ

ह व उनसे सं बं धत अं ग तथा उनके रोग च क सा यो तष म हर ह शरीर केकसी ना कसी अं ग से सं बं धत होता है . कु ं डली म जब सं बं धत ह क दशा होती है और गोचर भी तकू ल चल रहा होता है तब उस ह से सं बं धत शारी रक सम या को होकर गु जरना पड़ सकता है . आइए ह और उनसे सं बं धत शरीर के अं ग व होने वाले रोग के बारे म जानने का य न करते ह. सू य सू य को ह ी का मुय कारक माना गया है . इसके अ धकार ेम पे ट, दां ई आँ ख, दय, वचा, सर तथा का शारी रक गठन आता है . जब ज म कु ं डली म सू य क दशा चलती है तब इ ह सभी े से सं बं धत शारी रक क को ा त होते ह. य द ज म कु ं डली म सू य नबली है तभी इससे सं बं धत बीमा रयाँ होने क सं भावना बनती है अ यथा नह . इसके अतर को ते ज बु खार, कोढ़, दमागी परे शा नयाँ व पु र ाने रोग होने क सं भावनाएँ सू य क दशा/अ तदशा म होने क सं भावना बनती है .

चंमा चंमा को मुय प से मन का कारक ह माना गया है . यह दय, फे फड़े , बां ई आँ ख, छाती, दमाग, र , शरीर के तरल पदाथ, भोजन नली, आं तो, गु रदे व लसीका वा हनी का भी कारक माना गया है . इनसे सं बं धत बीमा रय के अ त र गभाशय के रोग हो सकते ह. न द कम आने क बीमारी हो सकती है . बु मं द भी चंमा के पी ड़त होने पर हो सकती है . दमा, अ तसार, खू न आ द क कमी चंमा के अ धकार म आती है . जल से होने वाले रोग क सं भावना बनती है . ब मू, उ ट , म हलाओ म माहवारी आ द क गड़बड़ भी चंमा के कमजोर होने पर हो सकती ह. अपेड स, तनीय ं थय के रोग, कफ तथा सद से जु ड़े रोग हो सकते ह. अं डवृ भी चंमा के कमजोर होने पर होती है . मं गल मं गल के अ धकार म र , म जा, ऊजा, गदन, रग, गु तां ग, गदन, लाल र को शकाएँ , गु दा, ी अं ग तथा शारी रक श आती है . मं गल य द कु ं डली म पी ड़त हो तब इ ह से सं बं धत रोग मं गल क दशा म हो सकते ह. इसके अ त र सर के रोग, वषा ता, चोट लगना व घाव होना सभी मं गल से सं बं धत ह. आँ ख का खना, कोढ़, खु जली होना, र चाप होना, ऊजाश का ास होना, ी अं ग के रोग, ह ी का चटक जाना, फोडे -़ फु ं सी, कसर, टयू मर होना, बवासीर होना, माहवारी बगड़ना, छाले होना, आमा तसार, गु दा के रोग, चे चक, भगं दर तथा ह णया आ द रोग हो सकते ह. यह रोग तभी होग जब

75

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 कु ं डली म मं गल पी ड़त अव था म हो अ यथा नह . बु ध बु ध के अ धकार ेम छाती, नायु तं, वचा, ना भ, नाक, गाल लै डर, नस, फे फड़े , जीभ, बाजु , चे हरा, बाल आ द आते ह. बु ध य द कु ं डली म पी ड़त है तब इ ह ेो से सं बं धत बीमारी होने क सं भावना बली होती है . इसके अलावा छाती व नायु से जु ड़े रोग हो सकते ह. मग रोग होने क सं भावना बनती है . नाक व गाल लै डर से जु ड़े रोग हो सकते ह. टायफाईड होना, पागलपन, लकवा मार जाना, दौरे पड़ना, अ सर होना, कोले र ा, च कर आना आ द रोग होने क सं भावना बनती है . बृ हपत बृ ह प त के अ तगत जां घ,े चब , म त क, जगर, गु रदे , फे फड़े , कान, जीभ, मरणश , पलीन आ द अं ग आते ह. कु ं डली म बृ ह प त के पी ड़त होने पर इ ह से सं बं धत बीमा रयाँ होने क सं भावना बनती है . कान के रोग, ब मू, जीभ लड़खड़ाना, मरणश कमजोर हो जाना, पे न याज से जु ड़े रोग हो सकते ह. पलीन व जलोदर के रोग, पी लया, टयू मर, मूम सफे द पदाथ का आना, र वषा होना, अजीण व अपच होना, फोड़ा आ द होना सभी बृ ह प त के अ तगत आते ह. डाय ब टज होने म बृ ह प त क भू मका होती है . शु शु के अ तगत चे हरा, आं ख क रोशनी, गु तां ग, मू, वीय, शरीर क चमक व आभा, गला, शरीर व ं थय म जल होना, ठोढ़ आ द आते ह. शु के पी ड़त होने व इसक दशा/अ तदशा आने पर इनसे सं बं धत बीमा रयाँ हो सकती है . कडनी भी शु के ही अ धकार म आती है इस लए कडनी से सं बं धत रोग भी हो सकते ह. आँ ख क रोशनी का कारक शु होता है इस लए इसके पी ड़त होने पर नजर कमजोर हो जाती है . यौन रोग, गले क बीमा रयाँ , शरीर क चमक कम होना, नपु ं सकता, बु खार व ं थय म रोग होना, सु जाक रोग, उपदं श, ग ठया, र क कमी होना आ द रोग शु के पी ड़त होने पर होते ह. शन श न के अ धकार ेम टां गे , जोड़ो क ह याँ , मां स पे शयाँ , अं ग, दां त, वचा व बाल, कान, घु टने आ द आते ह. श न के पी ड़त होने व इसक दशा होने पर इ ह से सं बं धत रोग हो सकते ह. शारी रक कमजोरी होना, मां स पे शय का कमजोर होना, पे टदद होना, अं ग का घायल होना, वचा व पाँ व के रोग होना, जोड़ो का दद, अं धापन, बाल खे होना, मान सक च ताएँ होना, लकवा मार जाना, बहरापन आ द श न के पी ड़त होने पर होता है . रा रा के अ धकार म पां व आते है , सां स ले ना आता है , गरदन आती है . फे फड़ो क परे शा नयाँ होती है . पाँ वो से जु ड़े रोग हो सकते ह. अ सर होता है , कोढ़ हो सकता है , सां स ले ने म तकलीफ हो सकती है . फोड़ा हो सकता है , मो तया ब द होता है , हचक भी रा के कारण होती है . हकलाना, पलीन का बढ़ना, वषा ता, दद होना, अ डवृ आ द रोग रा के कारण होते ह. यह कसर भी दे ता है . के तु इसके अ धकार म उदर व पं जे आते ह. फे फड़ो से सं बं धत बीमा रयाँ दे ता है . बु खार दे ता है , आँ त म क ड़े के तु के कारण होते ह. वाणी दोष भी के तु क वजह से ही होता है . कान म दोष भी के तु से होता है . आँ ख का दद, पे ट दद, फोड़े , शारी रक कमजोरी, म त क के रोग, वहम होना, यू न र चाप सभी के तु क वजह से होने वाले रोग होते ह. के तु के कारण कु छ रोग ऎसे भी होते ह जनके कारण का पता कभी नह चल पाता है .

76

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

मह वपू ण जानकारी सूम अ ययन एवं शोध के प ात्ी कृणमू त मह ष पाराशर जी क वशो री दशा से ब त भा वत ए। मह ष पाराशर के अनु सार कु ं डली म चंजस रा श म थत होता है , उस रा श का या उसकेवामी का भाव ब त कम होता है , क तु चंजस न म होता है , उसकेवामी क महादशा होती है एवं जो न नवां श होता है , उसक अं तर क दशा होती है , जसका भाव मुय प से उस जातक पर होता है । वशो री दशा केनयम पर आधा रत नयम के आधार पर ही न का वभाजन उप न तथा उप उप न म करके फलादे श क व ा ने एक नई प त को ज म दया। यही नह , कृणमू त जी ने च मा के ही नह , वरन् शे ष सभी ह क थ त न , उप न , उप उप न म बां ट द । इतना ही नह , बारह भाव म आर भ क कला वकला को भी न , उप न एवं उप उप न म वभाजन कर दया और यह स कर दया क उप न ही उस भाव के फल का सही व ष ेण करता है । इसी न ीय व ा को कृणमू त प त कहते ह। 27 न के 249 उप न बनते ह। इ ह 249 उप न केकसी नं बर के आधार पर कु ं डली से सट क फलादे श क व ा भी इस प त क मु ख कड़ी है । ी कृणमू त जी ने शासक ह क व ा ( जससे चं द मनट से वष म होने वाली घटना का समय आसानी सेात कया जा सकता है .) भी इसी प त म शा मल है । कृणमू त प त म जातक फलादे श केलए न और उसके उप न का योग करते ह। गुजी कृणमू त जी ने कु ं डली म 249 तक के अं क के उप न नधा रत कए ह। उ ह ने भावपू रक कारक एवं ता का लक ह ( लग लै नटे ् स) के योग को जातक के फ लत कथन म वशे ष प से मह व दया है । इस प त म यह दे खते ह क ह कस ह के न म है एवं उस न का वामी कस भाव म थत है तथा न वामी कन भाव का वामी है । इसी नयम के आधार पर जातक को फल बताया जाता है । के .पी म भाव के कारक व को सवा धक मह व दया गया है । वै दक यो तष म रा शय का सूम फल जानने केलए नवां श का योग करते ह। या न एक रा श के समान प से नौ भाग करते ह। वशो री दशा प त म ज मकालीन चं मा के अं श एक समान होने पर कोणगत रा शयां जै से 1-5-9, 2-6-10, 3-7-11, 4-8-12, म न वामी एक ही होता, जसे महादशा का वामी कहा जाता है और इसके बाद मानु सार दशा वामी होते ह। कृणमू त गुजी ने अपने अ ययन म पाया क जब एक ही न अथवा एक सेसरे कोण म आने वाली रा शय म थत न म एक से अ धक ह ह तो सबका न वामी एक ही होतेए भी उनके फल अलग-अलग मलते ह। यह एक च काने वाली थी, लहाजा उ ह ने इसके प रणाम दे खने केलए न का वभाजन अ तदशा के अनु सार कया, जै सा क चं मा क दशा म होता है ।न को वशो री दशा के अनु सार नौ भाग म वभा जत कया। इस वभा जत न के भाग को उप न (सब लाड ) कहा जाता है । इसको इस तरह से समझने क को शश करते ह। न

का अं शा मक मान 13 अं श 20 कला=800 कला

मान ली जये क हम सू य का उप न

मान नकालना है तो

120 वष=13 अं श 20 कला=800 कला तो 6 वष (सू य) 800 * 6/120=40 कला। इस कार

ये क ह के उप न

ह महादशा वष उप न

के अं शा मक मान इस कार ह गे

का अं शा मक मान

अं श —- कला — वकला 77

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

के तु 800×7/120= 0°46'40" शु800×20/120=2°13'20" सू य 800×6/120= 0°40'00" च

800×10/120= 1°06'40"

मं गल 800×7/120= 0°46'40" रा 800×18/120= 2°00'00" गु800×16/120= 1°46'40" श न 800×19/120= 2°06'40" बु ध 800×17/120= 1°53'20" —————————————— योग

120

13°20'00"

इस तरह 27 न के 243 भाग ए, ले कन जब इन भाग को रा श च म रखा तो 1/5/9 रा शय म रा शय के 30 अं श पू रे होने के कारण सू यन के रा उप- न के दो भाग कये गए और शे ष भाग 2/5/8 रा शय म रख दया। इसी कार 3/7/11 रा शय म गुन के , च उप न के भी 2-2 भाग कये और 3/7/11 रा शय के 30 अं श पू रे होने के कारण च उप न के शे ष भाग को 4/8/12 रा शय म समायो जत कर दया। अब रा श च म उप न का वभाजन 243 से बढ़कर 249 हो गया। यह 249 अं क क रा श वभाजन क सारणी कृणमू त प त म फ लत कथन म वशे ष प से उपयोगी और मह वपू ण है । यही इसका आधार भी है । बना उप वामी केकसी घटना केपन वाइं ट घ टत होने के बारे म जाना भी नह जा सकता। कसी भी घटना को जानने केलए इस प त म एक ही नयम है और वह यह क घटना से सं बं धत मु ख भाव का उप न वामी य द मु ख भाव या घटना केलए सहायक भाव का कारक बन जाये तो अपेत घटना होगी। घटना के समय नधारण केलए वशो री महादशा को ही दे खा जाता है । आशय यह हैक गुजी के पी जी ने अपनी प त के आधार म मह ष पाराशर को कह भी अनदे खा नह कया है । इस लए गुजी के एसके जी ने वै दक यो तष को ही प रमा जत कया है । घटना होने केलए दशा नाथ, अं तर दशा नाथ का घटना से सं बं धत भाव का कारक होना ज री होता है । य द ऐसा नह है तो घटना नह होगी। इस प त म फलादे श करते समय घटना के मुय, सहयोगी और वरोधी भाव दे ख ले ने चा हए। कसी भी घटना के आकलन केलए मुय भाव एवं सहयोगी भावो के न तथा रा शगत सं बध ं को मलाकर फल कथन करना चा हए। जै सेववाह के मा यम से हम जीवन साथी ा त करते ह, जो शारी रक सु ख भी दे ता है । इस सु ख को समाज एवं कानू न क वीकृ त होती है । अतः स तम थान ववाह व दां प य जीवन का मुय भाव है । ववाह के बाद हमारे प रवार म वृ होती है , अतः सरा भाव (प रवार) ववाह घटना का सहायक भाव आ। ववाह के बाद हमारी एक सु ख- ख म जीवन साथी पाने क इ छा पू री होती है , अतः लाभ थान ( म , एवं इ छापू त) ववाह केलए सरा सहायक भाव आ। इस लए ववाह के मामले म 7-2-11 भाव को ज र दे खना 78

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

चा हए। इसकेवरोधी भाव ह 1-6-10 लहाजा इनका आकलन भी कर ल। कहने का आशय यह हैक इस प त म जीवन क ये क घटना जानने केन त नयम ह। इसम ऐसा नह हैक वै दक यो तष क भां त एक सू सरे सूको काट रहा हो। मान सागरी म कसी भाव केलए जो लखा है , पाराशर या जै मनी म कु छ और। लहाजा यहांयो तषी को गणना करते समय कसी वधा या सं शय क थ त का सामना नह करना पड़ता। कसी भी घटना सेा त सु ख या अनु कू लता के सं के त ज मकु ं डली के अ म एवं य भाव से सू चत होते ह, य क अ म एवं य भाव ःख व् नराशा, ववशता और हताशा के सू चक ह। अतः कसी भी घटना के मुय एवं सहायक भाव से 12 वां या य भाव घटना के फल म कमी कर दे ते ह। ववाह के मामले म ही वचार कर तो 6-110 भाव तकू लता या नराशा दे ते ह य क ये भाव 7-2-11 व भाव से बारहव भाव ह। जब कसी भाव का उप न वामी घटना से सं बं धत मुय एवं सहायक भाव का कारक हो और साथ ही यह उप न वामी कु ं डली के 8 या 12 व भाव का भी कारक बन जाये या घटना से सं बं धत भाव के य थान का कारक बन जाये तो घटना होने के बाद जातक को अपेत या सं भा वत सु ख नह मल सकता। इस लए य द जातक के स तम भाव का उप न वामी 2-7 या 11 म सेकसी एक का कारक होगा तो ववाह तो होगा, ले कन स तम का उप न वामी 16-8-10-12 म सेकसी एक भी भाव का कारक आ तो अपेत सु ख नह मल सके गा। इसी कार पं चम भाव का उप न वामी 2-5 या 11 व भाव का कारक हो तो सं तान होगी। इन भाव के साथ पं चम का उप न वामी 1, ( 2 का बारहवां ), 4 (5 व का बारहवां ), 10 (11 व का बारहवां ), 8 ( नराशा) या 12 ( 1 का बारहवां ) म सेकसी एक का कारक आ तो सं तान सु ख म यू नता, गभपात, मृ त बालक का ज म, ब च से री आ द कोई न कोई घटना तो होगी ही। अतः जीवन क कसी घटना के मुय/सहायक भाव के साथ तकू ल भाव को इस ता लका से समझ ले ना आव यक है । घटना मु ख एवं सहायक भाव

तकू ल भाव

ववाह 7-2-11

1-6-8-10-12

स त त 5-2-11

1-4-8-10-12

श ा

3-5-8-12

4-9-11

छा वृ 6-9-11

5-8-12

वाहन खरीदना 4-11

3-8-12

घर खरीदना

4-12

3-8-12

घर बे चना

10-5-6

ऋण ले ना

6-11

5-12

ऋण मु

12-8

6-11

वदे श या ा

12-3-9

नौकरी

10-6-2-11 1-5-8-9-12

4-8-11-12

2-4-11

79

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

थानां तरण पदो त

3-10-12

4-8

10-6-2-11

9-5-8-12

कृणमू त जी ने अपने ही अयनां श का योग कया है , यह लहरी या च प अयनां श से छह मनट कम है । इसे के पी अयनां श कहा जाता है । इसम समान भाव वभाजन या ीप त प त केथान पर भाव गणना क जाती है । ये क ह अपने न वामी का फल दे ता है तथा फल क शु भता या अशु भता का नणय ह का उप न वामी करता है । भाव कारक ह के चयन केनयम इस तरह ह। 1-भाव थ ह के न

म थत ह।

2-भाव थ ह। 3-भावे श के न

म थत ह।

4-भावे श। रा और के तु छाया ह होने सेह का त न ध व कु छ इस तरह करते ह। हमारे यहां रा -के तु को एजट माना जाता है और यह य द शा मल ह तो यादा भावी हो जाते ह। जै से 1-रा और के तु क यु त म थत ह। 2-रा और के तु पर

डालने वालेह।

3 – रा और के तु जस रा श म ह , उनकेवमी ह और जस न

म ह , उनके न

वामी केह।

इस प त म के वल वशो री दशा का ही योग होता है । गोचर म सभी ह के गोचर का अ ययन उनके न वामी और उप न वामी क थ त के अनु सार ल न सेकया जाता है , न क वै दक क तरह चंरा श से । इस प त म साढ़े साती, अ क वग, गुबल, अ म च आ द का कोई मह व नह है । योग म के वल पू नफू योग ही दे खा जाता है । इस योग म पु नफू दोष य द शनी चंके न या उपन पर हो या चंशनी के न या उपन पर हो। शनी और चंएक ही रा श म 6° सेयादा फक पर हो। 6° के अं दर ये दोष नह माना जाएगा। शनी य द 3 तथा 7 व से चंको दे खता हो और वे टन से अ छ हो। य द (वे टन) खराब हो तो पु नफू दोष नह होगा। पु नफू दोष होने से शाद के कई र ते पर बात नह बनती और जब बनती है तीन चार इं कार के बाद तो ब त अ छ नभती है । गुजी ने इसके बारे म के वल वलं ब क बात कही है । इस पर मने काफ शोध कया है । इस प त म नवां श, होरा, शां श आ द का योग भी नह है । इसम के वल दो तरीके ह। एक होररी और सरे शासक ह। कसी भी घटना से सं बं धत फलादे श केलए जातक से 1 से ले कर 249 के बीच का कोई नं बर ले ते ह और फर उसक कु ं डली बनाते ह तथा आगे उसके अनु सार अवलोकन कया जाता है । शन कु ं डली सबसे पहले हर शन केलए जातक से 1-249 तक क संया ली जाती है येसफ संया नही अ पतु हर एक न के वश तरी दशा के अनु सार नौ भाग करके एे से 27 न ो के 249 भाग कये । जातक जो संया दे ता है उस संया सेशन का लगन कौन सी रा श अं श कला का होगा ये पता चलता है । इस तरीके से एक ही समय कई जातको के अलग अलग शन के उ र आसानी सेदए जा सकते ह। हर जातक जब अपनेकसी शन के साथ आता है तब वो उ र भी साथ ले कर आता है । उसके शन क सट कता शन समय चंमा उस शन से सं बं धत भाव तथा सहायक भाव से सं बं ध बनाकर दे ता है या 80

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 सं बं धत होता है । अगर कोई जातक आकर पु छेक ववाह कब होगा? , कु छ पल बाद कोई सरा जातक आकर पु छेक तलाक कब होगा? तब न तो ह थ त बदलती है और न ही शन कु ं डली तो इस कार क थ त म सही अवलोकन के लए ही कृ णमू त जी ने 1-249 तक क संया का नमाण कया , येवल ण खोज उनक ही दे न है । शनकु डं ली म सं बं धत शन का मु ख भाव का उपन वामी य द मु ख या सहायक भाव का कायश हो तो सं बं धत घटना या काम होगा अ यथा नह । उदाहरण के तौर पर नौकरी केवषय म मु ख भाव ष का वचार कया जाता है तथा स तम भाव से ापार का वचार, अब य द कोई शन करे क म नौकरी क गां या ापार ? य द दशम् भाव का उपन वामी 7,10,2 या 11 का कायश होगा तो ापार य द 6,10,2,11 का कायश होगा तो नौकरी करे गा वो भी सं बं धत भाव के कायश ह क दशा अं तरा म। इसी कार जै से अपनी से हत केलए ल न भाव, धन सं बं धी बात केलए तीय भाव, ले खन केलए तृ तीय भाव, मकान केलए चतु थ भाव, सं तान केलए पं चम भाव, नौकरी केलए ष भाव, अपने कारोबार तथा ववाह केलए स तम भाव, पता केलए नवम भाव इ छा क पू त केलए यारहवाँ भाव, खच केलए ादश भाव आ द। इस से हम मुय भाव का पता चलता है जै सेक एक हाथ से ताली नह बजती उसी कार एक मुय भाव से घटना का पता नह चलता इस लए हम सहायक भाव का भी ान होना अ त आव यक है । जै सेववाह केलए स तम भाव दे खा जाता है । ववाह से हमे ऐसा जीवन साथी मलता है जो हम हर कार के सु ख दे ता है । इस सं बं ध को समाज तथा कानू न से मा यता ा त होती है , स तम थान ववाह का मु ख थान है । इससे प रवार म बढ़ौ री होती है । इस लए सरा यानी के तीय थान भी सहायक है तथा ववाह क इ छा पू त के लए एकादश भाव भी सहायक है ।, कृ णमू त णाली म स तम के उप न वामी अगर सरे सातव या एकादश भाव म से कसी एक भाव का कायश हो तो अव य ववाह होगा ले कन अगर स तम का यही उप न वामी वरोध भावो का कायश होगा तो ववाह नह होगा अगर सहायक तथा वरोधी दोनो कार के भावो का कायश होगा तो ववाह होने के उपरां त भी पू री तरह से वै वा हक सु ख नह मले गा। कृ णमू त प त म नयम या योग के ढे र नह है , हर काय का ला ज़कली ढं ग सेव ष ेण कया गया है । जातक य द वं य अपनेलए शन करे तो शन या ज म कु ं डली म ल न को ही आधार मानकर आकलन कया जाता है । य द वो अपनेकसी नकटतम सं बं धी या कसी अ य के बारे म शन करे तो शन या ज म कु ं डली से सं बं धत उस के भाव को ल न मानकर और कु ं डली तथा सभी भाव घु म ाकर आकलन कया जाता है । नीचेदए टे बल से आप दे ख सकते है । छोटा भाई

3

माता

4

पहली सं तान

5

मामा

6

प नी

7

पत

7

पाटनर

7

सामने वाला

7

सरी सं तान

9

पता

9

81

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 अं जान

9

बड़ा भाई

11

बड़ी ब हन

11



11

अब नीचे जो टे बल दया जा रहा है वो हाऊस ु पग का है । उसम घटना के मुय भाव तथा सहायक भाव दए जा रहे है ।यद मुय भाव का उपन वामी (जो कॉलम एक म दया है ) भाव म थत ह के न या भाव वामी के न म थत ह का (जो कॉलम दो म दया है ) कायश हो रहा हो तो सफ और सफ दए गए भाव (जो कॉलम तीन म दया है ) के कायश ह क महादशा - अं तरा - यं तरा म घटना होगी (जो कॉलम 4 म द गई है )। (य द मुय भाव का उपन वामी भाव म थत ह के न या भाव वामी के न म थत ह का कायश हो रहा हो तो सफ और सफ दए गए भाव के कायश ह क महादशा - अं तरा - यं तरा म घटना होगी।) कॉलम 1 मुय भाव का उपन वामी

कॉलम 2

कॉलम 3

कॉलम 4

भाव म थत ह के न या भाव वामी के न का कायश

न न भाव क दशा अं तरा - यं तरा

म सं बं धत घटना होगी

1,5,9,11

1,5,9,11

6,8,12

6,8,12

बीमारी

6,8,12, बाधक

6,8,12,बाधक, मारक

जीवन को खतरा

8,12, बाधक, रा , के तु , मं गल

8,12

2,6,11

2,6,11

धन का आगमन

5,8,12

5,8,12

धन का नु कसान

3,12

3,12

नवास म बदलाव

3,10,12

3,10,12

नौकरी म नवास बदलना

भाव 1 से हत

आयु घटना

वथ

घटना

भाव 2 धन दौलत

भाव 3 बदलाव

82

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

जीवन

8,12,बाधक

8,12,बाधक-मारक

जीवनसं कट

4,9,11

4,9,11

उच श ा

4,11

4,11

औसत श ा

4,6,8,12

4,6,8,12

श ाम

8,12

8,12

श ा बं द होना

3,8,5

3,8,5

श ा पू ण होना

4,11,12,मं गल, शनी

4,11,12

घर खरीदना

3,5,10

3,5,10

घर बे चना

4,11,12,शु

4,11,12

वाहन खरीदना

5,11,2

5,11,2

सं तान पै दा होना

4,10,1

4,10,1

न:सं तान

2,11

2,5,11

े म सं बं ध

7,11

2,7,11

े म ववाह

2,5,11

2,5,11

गभव त होना

4,8,12,शनी, मं गल

-------------

गभपात करना सं भव

6,8,12,1

6,8,12

बीमारी

1,5,11

1,5,11

बीमारी ठ क होना

भाव 4 श ा

घर

वाहन

कावट

भाव 5 सं तान

े म सं बं ध

गभव त उपन वामी माग हो तथा माग ह के न म हो

भाव 6 बीमारी

83

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 नौकरी

2,6,10

2,6,10

नौकरी

1,5,9

1,5,9

नौकरी म बदलाव

कोट के स

1,2,3,6,10,11

6,11

के स जीतना

ऋृ ण मलना

2,6,11

2,6,11

ऋृ ण मलना

2,7,11

2,7,11

शाद होना

1,6,10

1,6,10

कु ं वारा रहना

1,6,10,12

1,6,10,12

तलाक होना

2,10,11

2,10,11

ापार

8,12

8,12

ापार म घाटा

5,11

5,11

पाटनर शप

6,12

6,12

पाटनर शप टू टना

1,6,8,12

1,6,8,12

से हत को खतरा

1,5,11

1,5,11

से हत ठ क होना

8,12

8,12

8,12,बाधक

8,12,बाधक, मारक

जान को खतरा

1,8,12,बाधक, मारक

1,8,12,बाधक, मारक

अकाल मृ यु

6,8,12,बाधक, मारक

6,8,12,बाधक, मारक

बीमारी म मृ यु

4,8,12,बाधक, मारक

4,8,12,बाधक, मारक

ड े शन

1,3,8,12

1,3,8,12

ड ै शन

वसीयत

1,2,8,11

2,8,11

वसीयत गहने ,पै सा मलना

1,4,8,11

4,8,11

भाव 7 शाद

ापार

भाव 8 आयु

घटना

घटना म मृ यु

वसीयत मकान, वाहन मलना

भाव 9

84

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 शोध

भाव 10

भाव 11

भाव 12

9,10,11

9,10,11

शोधकाय म सफलता

9,6,11

9,6,11

अाधा यम म सफलता

2,6,10,11

2,6,10,11

नौकरी

2,7,10,11

2,7,10,11

अपना काम

9,5,1

9,5,1

काय म बदलाव

9,5,1,12

9,5,1,12

नौकरी छु टना

7,8,12

7,8,12

अनै तक/गै रकानु नी काम

1,5,11

1,5,11

बीमारी ठ क

2,6,11

2,6,11

धनलाभ

2,6,10,11

2,6,10,11

पदौ त

2,11

2,11

गु म गहना-पै सा मलना

3,11

3,11

खोए कागज़ात मलना

4,11

4,11

खोई साइ कल, गाड़ी मलना

12,9,3

12,9,3

वदे श या ा

12,3,8

12,3,8

कारावास

12,5,8

12,5,8

ऋृ ण मु

2,4,11

2,4,11

जे ल सेरहा

यान् रखेकसी भी भाव का उपन वामी वं य व हो या व ह के न म हो या उपन म हो तब काय के न होने क थ त होती हैयादातर काय माग ह तथा माग ह के न म होने से होते है इस लए इन का यान से अवलोकन कर। कई काय तब तक कते है जब तक ह व होता है उनके माग होने तक कना पड़ता है या उनके माग होने तक वो काय पू ण होते है य द वे उस सं बं धत काय के कायश हो। य द मुय भाव का उपन वामी तथा उसका न वामी दोन ही व हो तो काम नह बने गा। य द उपन वामी माग हो और उसका न वामी व हो तो भी काम नह बने गा। य द उपन वामी व है परं तु उसका न वामी माग है तब काम तब बने गा जब उपन वामी माग होगा और उस ड ी को पार कर ले गा जस ड ी पर व आ था।

पहला भाव 85

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

थम भाव ल न कहलाता है । कु दरती कु ं डली म पहला भाव मे ष रा श का होता हैजसका वामी मं गल है इस लए उनका भाव यहां होना वाभा वक है । ये भाव दमाग , सर और पू रे शरीर का सू चक है । जातक क शा ररीक थ त , उसका प रं ग, वभाव, गु ण, शा ररीक दोष या रोग, सोच, मन का झु काव, आदत, आयु , तबा, सफलताअसफलता, पसं द नापसं द का इस भाव पर पड़ रहे शु भ अशु भ ह के अनु सार दे खा जाता है । सु य य द हो तो सर पर बाल कम, मं गल हो तो कोई चोट का नशान या सरदद क शकायत, बु ध हो तो यु वा, शनी हो तो सां वला चे हरा साफ नह , गु हो तो चे हरे पर ते ज़, चंसु दं रता, मोहक, शुहो तो ी जै सा चे हरा, रा हो तो कु छ अलग तरह का सां वला और रा हो तो घर म सीढ य के नीचे शोचालय , घर के सामने उजाड़ या खाली जगह य द कु छ बना हो तो वहांकराएदार य द मकान मा लक खु द रहते हो तो न:सं तान या सं तान म खराबी आ द होती है । कृणमू त प त म ल न से जातक को दे खते है । पहला भाव छोटे भाई ब हन का और पड़ोसी का लाभ थान होता है । ये भाव माता का दशम भाव होने से उनक स , मोशन, त ा, कारोबार आ द दे खा जाता है । ये भाव सं तान के भाव से नौवां भाव होता है अथात उनक उ च श ा, लं बी या ा, वदे श या ा, उनके नौकरी-कारोबार म बदलाव का सू चक होता है । ये भाव सरे भाव का बारहवां भाव या न य थान होने से पा रवा रक सम या तथा धन से जु ड़ ी सम या होती है । आज सबसे पहले म आपको एक बार थम भाव केवषय के सं बध ंम जानकारी देंक कै से हम शु से उसका उपयोग करते है । हर शन को यान म रखकर उसक सीमा तक ही अपना उ र रखना चा हए। जब कोई कसी क ज मकु ं डली या शन कु ं डली के मा यम से ये पू छे क वो बीमार है तो कब व थ हो सकता है या क घटना हो गई है तो आगेया दख रहा है या वो ब त बीमार है तो या लगता है आ द आ द।सबसे पहले चाहे ज मकु ं डली हो या शनकु ं डली हम ल न के उपन वामी का व ष ेण करगे । ल न से हमारा शरीर होता है य द ल न ही पी ड़त हो तो बीमारी, घटना होती रहती है । सबसे पहले ये दे खे क ल न चर है या थर ल न है या वभाव ल न है ? उसके बाद उस ल न के अनु सार ने गे टव तथा पा ज़ टव भाव को लख ले । हर ल न के लए मारक भाव 2,7 रोग 6 भाव घातक 8,12 भाव अं त 4 भाव तथा बाधक भाव जो मारक भाव से भी खतरनाक होता है । चर ल न का बाधक भाव 11 वांथर ल न का 9 वां बाधक वभाव ल न का 7 वां बाधक य द ज मकु ं डली म ल न का उपन वामी या ल न का वामी य द पा ज़ टव भाव का कायश है तो नरोगी जीवन। य द 6,8,12 दख जाए तो समझे क द कत रहे गी। रोग केलए पहले भाव का सं बध ं1 शरीर, 6 रोग से होगा। लं बी बीमारी का कारण ल न केवामी या उपन वामी का सं बध ं1 शरीर, 6 रोग, 8 कावट / घातक से होता है । य द मं गल का सं बध ंबने तो आ श ेन, य क मं गल धारदार ह थयार या औजार से होता है । रोग केनदान या रोगमु के भाव 1,5 होते है य द इनका सं बध ंबने तो रोग ठ क और य द साथ म 6,12 का योग बने तो बीमारी का बाद म दोबारा उठना दखाई पड़ता है । घटना का कारण ल न केवामी या उपन वामी का सं बध ं1,8,12 तथा ू र ह मं गल, शनी, रा , के तु म सेकसी के साथ बने और साथ म घटना म मृ यु हो सकती है जब साथ म ल न के अनु सार बाधक तथा मारक भाव भी जु ड़ जाए। आ मह या केलए ल न केवामी या उपन वामी का सं बध ं मं गल के साथ 1,3,8,12 के साथ बनता है । बीमारी के समय य द छठे भाव का उपन वामी य द शनी हो तो बीमारी लं बे समय तक चलने वाली होगी। य द बु ध हो तो एक सेयादा बीमारीयां हो सकती है तब डा टर बदलने क सलाह दे नी चा हए। मं गल य द उप हो तो बीमारी ती दद दे ती है । रा या के तु हो तो बीमारी के सं बध ंम पू री तरह नही पता लगता, कु छ न कु छ छु पा रहता है । शुके साथ रा या के तु का सं बध ंयौन रोग दखाता है और य द मं गल भी जु ड़े तो माहवारी या खू न म खराबी दे ता है । रा तथा के तु कसर जै से रोग भी दे ते है साथ म मं गल जु ड़े तो ती पीड़ा। पं चम् भाव का उपन वामी या वामी रोग के उपचार को बताता है । 5,1 भाव के कायश ह क दशा म उपचार काम करते है । पं चम् भाव का उपन वामी या वामी रोग के उपचार को बताता है । य द सु य हो तो एे लोपै थी, य द शुहो तो हो योपै थी, य द रा हो तो यु नानी, य द के तु , बु ध हो तो आयु वे द, बु ध हो तो लइट टमट। शनी हो तो बीमारी लं बे समय तक चलती है ज द ठ क नही होती। हमे शा इलाज केलए शनकु ं डली से दे खेय क ज म समय म फक होने से उपन वामी बदल सकता है । मं गल - सजरी, कसरत, फ जयोथै रप ेी गु 86

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

- भी ऐलोपै थी या मंचार आप 1, 5 भाव के मजबू त कायश ह या न ए ले वल तथा बी ले वल केह के सं बध ंके भी उपचार ले सकते है । चंकेलए ल वड दवाई, शनी केलए नशीली दवाई। जन य क कु ं डली म चंशनी, रा , के तु , मं गल का भाव हो उ ह नजन थान, पहाड़ी थान, जं गल या नद आ द म अके ले जाने से बचना चा हए। गु मशु दा के सं बध ंम य द शन आ जाए तब शनकु ं डली से ही दे खे । गु मशु दा जी वत है या नह ? पहलेर ते के अनु सार भाव रोटे शन कर ले जै सेपता हो तो नौव भाव को ल न माने , प त या प नी हो तो सातव भाव को ल न माने , छोटा भाई या ब हन तीसरा भाव फर जो ल न बने य द उसका उपन वामी मारक तथा बाधक भाव का कायश हो तो समझे क गु मशु दा क मृ यु हो चु क है । य द ये उपन जलीय रा श म हो तो डू बना। य द अ न रा श म हो तो घटना या चोट से मौत। य द पृ वी रा श म तो ने चरल। वायु रा श म तो ऊं चाई सेगरना आ द। य द गु मशु दा के ल न का उपन वामी य द 2,4,11 भाव का कायश हो तो वो वा पस लोटे गा। य द 2,11 का कायश तो प रवार सेमलन य क 2 प रवार तथा 11 इ छापू त । अब जब कोई ऐसी कु ं डली आए जसम बीमार के सं बध ंम पू छा जाए तब सबसे पहलेशन कु ं डली बना ले और उसके लए ये नयम याद रखे और नयम के अनु सार ही चले । नयम - ल न का उपन वामी य द मारक भाव (2,7), बाधक भाव (चर ल न केलए 11 भाव बाधक, थर ल न केलए 9 भाव बाधक तथा वभाव ल न केलए 7 भाव बाधक) तथा साथ म घातक भाव 8,12 का कायश हो तो जातक के जीवन को खतरा होता है । पहला भाव शरीर, छठा भाव रोग, बारहवां भाव अ पताल का होता है । 1,3,5,9 भाव आयु वधक होते हैसफ 9 भाव थर ल न वाल केलए आयु वधक न मानेय क उनके लए 9 भाव बाधक होता है । बाधक भाव हमे शा मारक भाव सेयादा खतरनाक होते है । कु ं डली बनाकर पहले जातक के शन सं बं धत दे खने केलए चंकन कन भाव का कायश हो रहा है दे खगे । 1 भाव आयु , 2,7 मारक, चर ल न हो तो 11 भाव बाधक, थर ल न हो तो 9 बाधक, वभाव ल न हो तो 7 भाव बाधक। 6 भाव बीमारी 12 भाव अ पताल 4 भाव जीवन का अं त 8 भाव घातक जब कभी कसी के ऐसेशन के समय या गु मशु दा के सं बध ंम जीवन हा न दखे तो कभी भी सीधे तौर पर न बताए हमे शा यही कहेक अमु क समय तक समय ब त खराब है तो य द ई र ये क ठन समय नकाल दे तो अ छा हो या ये समय ब त भारी क वाला दख रहा है आप भगवान से उनके अ छे होने क कामना करे । कभी सीधे तौर पर मृ यु क भ व यवाणी न करे ।

वषय के मु ख, सहायक, कारक भाव एवंह।

87

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

आयु - आयु 1-3-8 भाव से दे ख।े 1- जातक वं य 8- आयु /मृ यु 3- 8 आं ठव से आं ठवां शनी कारक आयु का

चर रा श मे ष-कक-तु ला-मकर है । चर रा शयां चलायमान रहती है । इनके बाधक भाव 11 है । इनके मारक भाव 2-7 है । इनके ने गे टव भाव 6-8-12 है । इनके पा ज़ टव भाव 1-5-9-10-3 है ।

थर रा श वृ ष- सह-वृक-कु ं भ है । येथर/अ डग रहने वाली रा शयां होती है । जै से बै ल, शे र, ब छू एक जगह पर टक कर रहते है । सामना करने क ह मत रखते है भागते नह । इनके बाधक भाव 9 है । इनके मारक भाव 2-7 है । इनके ने गे टव भाव 6-8-12 है । इनके पा ज़ टव भाव 1-5-10-11-3 है ।

वभाव रा श मथु न-क या-धनु -मीन इनका दोहरा वभाव होता है । कहते कु छ करते कु छ। डरपोक भी होते है । इनके बाधक भाव 7 है । इनके मारक भाव 2-7 है । 88

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

इनके ने गे टव भाव 6-8-12 है । इनके पा ज़ टव भाव 1-5-9-10-11-3 है ।

ये तीन से हत (1) केलए घातक होते है । 6- बीमारी 8- खतरा 12- नु सान पहला भाव - पहले भाव का उपन वामी य द न न ल खत भाव के साथ कारक ह के साथ सं बं ध बनाए तो दए गए वषय से सं बं धत घटना इ ह मु ख तथा सहायक भाव क दशा-अं तरा- यं तर म तथा सं यो गक गोचर म होगी। आयु , मृ यु तथा बीमारी से सं बं धत शन केलए 1,5,6,8,12 मारक 2,7 और बाधक दोन दे खने चा हए। चर ल न वालो के लए बाधक याहरवां भाव , थर ल न वाल केलए 9 वां बाधक तथा वभाव ल न वाल केलए 7 वां भाव बाधक होता है ।

वषय

मु ख - सहायक भाव

कारक ह

अ छा वा थय

1-5-9-11

गु

असा य बीमारी

1-6-8-12

शनी

द घायु - 66 वष से अ धक

1-5-9-11

गु

म यम् आयु - 33-65 वष के बीच

1-5-9-11 साथ म मारक बाधक तथा 6 भाव

छोट आयु - 33 वष से कम

1-2-7 मारक - 6 रोगक - 8-12 घातक साथ म बाधक

घटना स

चर ल न - 11 व जत थर ल न - 9 व जत

1-8-12 साथ म बाधक

रा के तु मं गल

1-3-10-11

सु य गु

महादशा , अं तरदशा से तथा अं तरदशा , यं तरदशा से बलवान होती है । इनम से जो वषय से सं बं धत घटना का जो दशा वामी बलवान होता है उस दशा म घटना होती है साथ म गोचर मह वपू ण होता है । य द कोई दशा - अं तरा - यं तरा 89

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 कसी वषय से सं बं धत काय या घटना के होने के बारे म सं के त दे तब साथ म दशा से सं बं धत, कारक से सं बं धत ह तथा सु य, चंका गोचर दे खना चा हए। सं बं धत काय या घटना बताने वालेह दशा म या एक घर म साथ म हो। पर पर / यु त रखते हो। वषय से सं बं धत घर म गोचरी हो। कारक ह के न या उपन वामी म गोचरीय हो। हर भाव से बारहवां भाव वरोधी होता है पर कु छ भाव के अपवाद के साथ। जै से सां तवे भाव से बारहवां भाव - छठा भाव शाद का य या न तलाक , अनबन । 5 से 12 - 4 था भाव सं तान का य या न सं तान होने म द कत। 10 व से 12 वां 9 वां भाव नौकरी म मु श कल। 4 से 12 - 3 भाव तथा 9 से बारहवां - आं ठवां भाव श ा म मुकल ,

कावट आ द।

कु छ अपवाद भी है जै से - चौथे से बारहवां भाव तीसरा भाव होता है जो या ा को बताता है । पां चवे (बु ) भाव से चौथा भाव श ा का। 11 (लाभ) से 12 - 10 वां भाव होता है जो एक सरे के पू रक हैय क 10 वां भाव कम थान तो 11 लाभ है । पहले भाव का सं बं ध न न ल खत ढं ग से बने तो जातक म एे सा सं भा वत होता है ।1का 1 से अ छ से हत, सु झबु झ, यु कारक 1 का 2 से धन, प रवार, खानपान का आकषण, मे हनत से धन कमाना 1 का 3 से भाई ब हन से लगाव, परा मी, साहस, या ा पसं द, अ छा त 1 का 4 से मां - श ा- घर- वाहन के त आकषण, रोमां स से बेख 1 का 5 से सं तान य, खे लकु दम

च, कला य, सं गीत य,स ा, पू जा-पाठ, रोमां स य

1 का 6 से नौकरी, से वावृ, मामा सेयार, ज द बमार होना, कोट के स, श ु 1 का 7 से प न से लगाव, कारोबार, पाटनर शप 1 का 8 से कावट, आ मह या क

वृ, घटना दशक, कामचोर, बीमे से पै सा मलना

1 का 9 से छु पा यार, पता का यार, धा मक, लं बी या ा, उ च श ा 1 का 10 से राज न त , अ भमानी, ऊं चा

तबा, अ धकारी

1 का 11 से बड़े भाई ब हन से लगाव, मु नाफा, कई दो त 1 का 12 से आलसी, वदे श य, नु कसान, अ पताल, जे ल।

सरा भाव सरे भाव को धन थान तथा प रवार का थान भी कहते है । कु दरती कु ं डली म इस भाव म शुक वृ ष रा श आती है इस लए इस रा श का तथा शुका भाव सरे भाव पर होता है । सरा भाव मु ख, चे हरा, प रवार, आं ख, सरी शाद , वाणी, धन, दां त, जीभ आ द दशाता है । ये भाव साधन या वह धन तथा व तु एं जोधन को सू चत करती ह जै से आभू षण ब मूय र न वण मोती मा ण य हीरा इ या द। यह थान वाक्थान भी कहलाता है ।यद तीय भाव म मू क रा शयां कक वृक मीन हो तो जातक गू ग ंा हो सकता है । सु य य द हो तो सच , भारी तथा 90

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

भा वत करने वाली वाता का जातक होता है । खानपान म यम तीखा तथा सलीके से खाने पीने वाला होता है ।यद चंहो तो ते ज ग त म बात करने वाला , मधु र, बचकानापन होता है , खानपान बदलती पसं द का होता है । यद मं गल हो तो उ े जना भरी वाता , गु से से भरी , रौ बली, ज होती है तथा खाना पीना तीखा पसं द होता है ।यद बु ध हो तो अ छा व ा , दोहरी बात, सं दे शवाहक, गु तचर , कभी - कभी उबाऊ बात करने वाला होता है , खानपान व भ कार का होता है । य द गुहो तो स य, आ या मक धम बात करने वाला कु छ अ भमान से बात करने वाला होता है तथा खान पान सा वक होता है । य द शुहो तो सहनशील वातालाप खु शनु मा बात करने वाला होता है खानपान सन, मीठा अा द। य द श न हो तो धीरे धीरे बात करने वाला श द को तोलकर बात करने वाला खु लकर बात नह करने वाला तथा खानपान ठं डा, वादहीन , धीरे खाने वाला होता है । य द रा हो तो कई भाषा को जानने वाला होता है य द के तु हो तो तु तलाकर बोल सकता है बा क ये रा श वामी के अनु सार भी होते है । सरे भाव पर य द श न रा के तु मं गल ह का भाव हो तो जातक तीखा या मां साहारी हो सकता है य द सरे भाव म या सरे भाव पर शु भ ह सू य चंगुका भाव हो तो जातक शाकाहारी हो सकता है य द शुहो चंहो तो मीठा तथा जलीय पसं द करता है । सरे भाव से धन क जानकारी मलती है । धन के बारे म बतातेए ल न तीय तृ तीय ष दशम और एकादश इन सभी भाव का वचार करने यो य है इन 6 भाव म से ष और लाभ लाभ अ छे धन थान है उसके बाद तीय और दशम थान तथा उसके बाद ल न और तृ तीय थान अहम है । य द इ ह 6 भावो के उप न वामी अगर इ ह भाव म थत ह के न म हो तो ऐसा जातक अमीर होता है । धन के मामले म पं चम अ म और ादश भाव या थान अशु भ होते ह, बु री आदत एश पर ती पं चम भाव से दे खी जाती है , अ म चोरी पछतावा छु पेए काय का होता है तथा य थान फालतू के खरच का होता है । य द सरे भाव का सं बध ंल न से हो तो जातक अपनी ह मत श

से धन कमाता है ।

य द सरे भाव का सं बध ं सरे भाव से हो तो सोना, नकद, बक म

पये क

थ त अ छ होती है ।

सरे भाव का सं बध ंतीसरे से हो तो सर से करार के साथ ले न दे न होता है । सरे भाव का सं बध ंचौथे के साथ हो तो जायदाद, गाड़ी म पै सा लगता है । य द पां चवे के साथ हो तो पै सा स ा, जु आ, खे ल ारा ा त होता है । य द छठे के साथ हो तो नौकरी , ऋण ारा पै सा ा त होता है । य द सां तवे के साथ हो तो पाटनर शप,

ापार, प न ारा पै सा ा त होता है ।

य द आं ठव के साथ हो तो दान, बीमा, र त, ोवीडट फं ड, छु पा धन, वसीयत ारा धन ा त होता है । य द नौव के साथ हो तो पु रा व जागीर, धा मक य द दसव के साथ हो तो राजक य स मान, पदक, य द यारहव के साथ हो तो इ छा

याकलाप , वचन ारा पै सा ा त होता है । ापार ारा ा त होता है ।

के अनुप काय से पै सा ा त होता है ।

य द बारहव के साथ हो तो काला धन, खजान , बु रे काम , वदे श आ द से पै सा ा त होता है ।

91

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

वशे षमहादशा अं तरदशा से तथा अं तरदशा यं तरदशा से बलवान् होती है । इनम से जो वषय से सं बं धत घटना का जो दशा वामी बलवान् होता है उस दशा म घटना होती है और साथ म गोचर मह वपू ण होता है । य द कोई महादशा अं तरदशा - यं तरदशा कसी वषय से सं बं धत काय या घटना के होने के बारे म सं के त दे तब साथ म दशा से सं बं धत , कारक से सं बं धत ह तथा सु य, गु , चंका गोचर दे खना चा हए। सं बं धत काय या घटना बताने वाले ह दशा म या एक घर म साथ हो पर पर यु त रखते हो, वषय से सं बं धत घर म गोचरीय हो, कायश ह के न या उपन म गोचरीय हो। सरे भाव का उपन वामी य द न न ल खत भाव के साथ होगा तो न न ल खत प रणाम उन भाव के कायश ह क दशा - अं तरा म होगा। 1- अ धक पै सा 2 6-10-11 2- कम पै सा या नु कसान 2 5-8-12 3- वाणी स

2 1-6-10-11 बु ध गु

4- प रवार से कलह 2 1-8-12 5- सरी शाद 2 7-9-11

वभाव रा श तथा उनकेह का सं बध ं।

तीसरा भाव काल पुष कु ं डली म तीसरे भाव म मथु न रा श आती है अथात इस भाव पर मथु न रा श तथा बु ध का भाव होता है । बु ध यु वा ह अथात छोटे भाई ब हन को इसी भाव से दे खते है । यह भाव नडरता, परा म, छोटे भाई ब हन, यादा त, मान सक श , पड़ोसी, दायां कान, धै य, हाथ, कं धे , छोट या ा, हर कार के द तावे ज़, प , प ाचार, ए ीमट, कॉ ैट, कोट अपील, एजसी, अफवाह, झू ठ-सच, त, ले खन काय, तार, डाक इ या द दे खे जाते है । रा , के तु , मं गल का इस भाव पर भाव कान के रोग दे सकता है । य द 2-6-10 तीसरे भाव से जु ड़े तो शे यर बाज़ार, ोकर से सं बं धत काय, य द डा टर है तो ई.एन.ट का डा टर होगा। बु ध का इस भाव पर भाव चतु र ाई, सजगता, बु मान आ द। तृ तीय भाव चतु थ भाव का ये श होने के कारण उसकेवरोधी फल जै से पढ़ाई सेवमु खता, अलगाव, कमजोर, जड़बु होगा। घर जायदाद का नु कसान, परदे स, माता से वछोह या मातृ सु ख से वं चत होना। यह भाव पता का मारक भाव भी है । चचे र,े मौसे र,े ममे रे भाई ब हन भी तीसरे भाव से दे खते है । य द पहले का तीसरे भाव से सं बं ध बने तो छोट या ाएं , बातचीत, सू चना

का आदान दान।

य द सरे भाव का सं बं ध तीसरे भाव से बने तो बचत धन का सरी व तु पर उपयोग। य द तीसरे का तीसरे से बने तो आ म वशवास, ए ीमट, धै य। य द चौथे का तीसरे से बने तो जगह म बदलाव, मकान बकना, पढ़ाई म नु कसान, माता सेरी आ द। य द पां चवे का तीसरे से बने तो े म प ाचार, कमीशन पर सहमती, खोज, खे ल मस

य आ द।

92

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 य द छठ का तीसरे से बने तो सफल दलाल, अपाइं टमट ले टर, नौकरी इं टर ु , कोट म अज आ द। य द सां तव का तीसरे से हो तो प न / पाटनर ारा सू चना , सामने वाले से सं दे श, य द आं ठवे का तीसरे से तो बीमा

ापार केलए या ा आ द।

वहार, वसीयत, तबादले पर परे शानी आ द।

य द नौव का तीसरे से तो लं बी या ा, धा मक या ा, पता को परे शानी आ द। य द दसव का तीसरे से तो नौकरी म तबादला,

ापार म डील,

ापा रक या ा आ द।

य द याहरव का तीसरे से तो बातचीत म सफलता, सं तु, या ा सफल आ द। य द बारहव का तीसरे से हो तो कागज़ात गु म होना, जायदाद का नु कसान, या ा म परे शानी, या ा म नु कसान या फालतु खच आ द। य द तीसरे भाव के उपन वामी का सं बं ध 3-11 तथा मं गल के साथ हो तो भाईय म अ छे सं बं ध होते हैय क मं गल भाई का कारक है परं तु यही तीसरे भाव के उपन वामी का सं बं ध 8-12 से हो तो भाईय के साथ कलह होगा। तीसरे भाव के उपन वामी का सं बं ध 8-12 से हो तो पड़ोसी सेववाद, परे शानी, या ा म परे शानी, थानां तरण म परे शानी, प ाचार म परे शानी , या ा दौरान घटना आ द फल दे खने को मलते है । तीसरे भाव का उपन वामी ज मकु ं डली या शनकु ं डली म न न ल खत मुय तथा सं योग घर या इन म सेकसी भाव तथा कारक ह से सं बं ध बनाए तो घटना या काय होगा। वशे षमहादशा अं तरदशा से तथा अं तरदशा यं तरदशा से बलवान् होती है । इनम से जो वषय से सं बं धत घटना का जो दशा वामी बलवान् होता है उस दशा म घटना होती है और साथ म गोचर मह वपू ण होता है । य द कोई महादशा - अं तरदशा - यं तरदशा कसी वषय से सं बं धत काय या घटना के होने के बारे म सं के त दे तब साथ म दशा से सं बं धत , कारक से सं बं धत ह तथा सु य, गु , चंका गोचर दे खना चा हए। सं बं धत काय या घटना बताने वालेह दशा म या एक घर म साथ हो पर पर यु त रखते हो, वषय से सं बं धत घर म गोचरीय हो, कायश ह के न या उपन म गोचरीय हो। सा ा कार म सफलता 3-6-11/ 3-11 वा चातु य 3-11 / 3-6-11 बु ध सं प बे चना 3-5-10 मं गल या शनी नवास बदलना 3-12 पृ थक ह लाटरी नकलना 3-6-11 या ा 3-1-9-12 इं टर ु म पास होना 3-10-6-11 कताब छापना 3-10-11 गु बु ध भू मगत होना 3-4-8-12 93

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 नौकरी म बदलाव 3-10-12 कॉ ै ट 3-1-11-7 पासपोट वीज़ा ीन काड 3-9-11-12

चौथा भाव चतु थ भाव माता, भू म, वाहन, घर, सु ख, श ा, जल आ द का होता है । कालपुष कु ं डली म चतु थ भाव कक रा श और वामी चं मा का आ धप य होता है । शरीर म दय - व थल इस भाव म आते है । आ मा या आ माराम जी का थान भी यह होता है । ाइमरी श ा का ोतक ये भाव है । तृ तीय - चतु थ - पं चम भाव बु श ा और ान से सं बं धत है परं तु इनम भी फक है - बु मान श त हो और श त बु मान हो ये ज री नह , पं चम ान का है अथात उपदे श दे ने वाले का ान कु ल से नह अ पतु अं तरा मा सेमलता है । चतु थ थान माता के सु ख का है य क चं मा म शीतल मातृ गु ण है तथा ब चा थमतया बोलना चलना माता से ही सीखता है इस लए माता ही थम गु के प म मानी जाती है । ाइमरी श ा केलए चौथा भाव तथा उ च श ा केलए नवम् भाव को लया जाता है । यह भाव भू म, श ा, खे ती, पानी, ध, शबत, श ा, सं था,वाहन,जड़ी बू ट , कु ं आ आ द दे खते है । सं प - वाहन केलए चौथा भाव ाथ मक घर है । यारहवां भाव सं बं धत घर वाहन भू म का इ छापू त का तथा बारहवां भाव इनको खरीदने केलए होने वाले खच या य का। घर-भू म-सं प खरीद केलए उनके कारक मं गल अथवा शनी का होना, जु ड़ना ज री है चाहे दशा - अं तरा म या गोचर म । इसी कार वाहन - गाड़ी - मोटर केलए कारक शुका होना ज री है । श ा केलए सरा घर अ जत ान का है , तीसरा घर ले खन , सं च ार, छपाई का, चौथा ाथ मक श ा का, पां चवा घर समझदारी का , नौवां घर उ च श ा का तथा यारहवां घर इ छापू त का होता है । कारक ह श ा के बु ध य क वल ण बु , बातचीत म नपु ण , समझ का प रचायक है । गु ान, समझदारी, उपदे शक का प रचायक है । 4-9-11 भाव का सं योग अ छ श ा और य द 3-6-8-12 का सं योग श ा म कावट दशाता है । चौथा भाव माता का भी होता है । चौथे भाव के उपन वामी का सं बध ंपहले भाव से बने तो मां का यार - लगाव होता है । माता क आयु का सं बध ंभी इसी भाव से है । छोटे भाई ब हन के वी ीय हालातो क जानकारी भी इसी भाव सेमलती है । माता का वा य - पता क घटना , सं तान का वदे शगमन आ द भी इसी भाव से दे खते है । 1 का सं बध ं4 से वाहन-भू सं प का वामी, मातृ सु ख , श ा, जनता म

य, गु त व ा आ द।

2 का सं बध ं4 से सं प से कमाई, धन सेापट बनाना, घटना म मृ यु य द मारक बाधक साथ हो, र न आ द। 3 का सं बध ं4 से भू म - वाहन का व य या नु कसान, श ा म आ द।

ापार

कावट या श ा प रपू ण, घर सेरी, मातृ वयोग

4 का सं बध ं4 से सं प बनना, उ पादन, फन चर, खे तीबाड़ी, फामहाउस, उ च श त आ द। 5 का सं बध ं4 से जु आघर - के सीनो, जं जघर, घर से कला श ा दे ना, सने मा, सं तान सेबछोह आ द।

94

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

6 का सं बध ं4 सेापट सेकराया, कराये पर घर- जमीन, फैटरी म नौकरी, ापट मु क म, कराये का घर , छाती क बीमारीयां , अ थमा, पा रवा रक श त ुा आ द। 7 का सं बध ं4 सेापट से सं बं धत कारोबार, ापट लीज़, प न के नाम मल कयत, अ छे सं बध ं र ते दार के साथ , उ पादन कं पनी, बकर आ द। 8 का सं बध ं4 से घर मकान बीमा, वसीयत म ापट पाना, वाहन घटना आ द। 9 का 4 से मं दर - गुघर - चच -

ट , अ यापक, उ च श ा, वदे श म श ा आ द।

10 का 4 से इं ड , कारखाना, ओ ो गक घराना, राजने ता, स मा नय, ए ीक चर आ द। 11 का 4 से जं जघर, लाभ, कॉले ज, ापट से धन लाभ, प र ा

म सफलता आ द।

12 का 4 से अ पताल, जे ल, वदे श, नु कसान, ापट म नु कसान, बे नामी सं प , ते ल कु एं , वाहन-मशीन सेघटना, माता का अ पताल म भत होना आ द।

चौथे भाव का उपन वामी ज मकु ं डली या शनकु ं डली म न न ल खत मुय तथा सं योग घर या इन म सेकसी भाव तथा कारक ह से सं बध ंबनाए तो घटना या काय होगा। वशे षमहादशा अं तरदशा से तथा अं तरदशा यं तरदशा से बलवान् होती है । इनम से जो वषय से सं बं धत घटना का जो दशा वामी बलवान् होता है उस दशा म घटना होती है और साथ म गोचर मह वपू ण होता है । य द कोई महादशा अं तरदशा - यं तरदशा कसी वषय से सं बं धत काय या घटना के होने के बारे म सं के त दे तब साथ म दशा से सं बं धत , कारक से सं बं धत ह तथा सु य, गु , चंका गोचर दे खना चा हए। सं बं धत काय या घटना बताने वाले ह दशा म या एक घर म साथ हो पर पर यु त रखते हो, वषय से सं बं धत घर म गोचरीय हो, कायश ह के न या उपन म गोचरीय हो। उ च श ा 4 9-11 बु ध गु औसत श ा 4-11 श ाम श ामअ

कावट 4 6-8-12 पृ थक ह च 4 3-6-8 पृ थक ह

श ा बं द होना 8-12 कु ल कॉले ज 4-9-11 घर वाहन खरीदना 4-11-12 मं गल शनी (घर, भू म) वाहन (शु) वाहन चोरी होना 4-6-8-12 शनी रा के तु 95

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

घर आना 2-4-11 घर भू म बे चना 4 3-5-10

ह केश ा ेम सं बध ं- य द 4 और 9 भाव का उपन ेइस कार हो सकते है । सु य

वा य च क सा , मे ड ीकल, रसायन,

वामी न न ल खत ह के साथ सं बध ंबनाए श ा के

से सं बं धत, पोली टकल सा स, शास नक, वन वभाग।

चं

जल व ान, जल सं यं, र न व ान, व नमाण, समुप रवहण, कृ ष, धोबी, मनरल वाटर, पे य पदाथ, भोजन बं धक, मनो व ान।

मं गल

सै य यंव ान, ह थयार योग, इं जीनीय रग, रसायन, मे के नकल, श य च क सा, भौ तक व ान।

बु ध

व बु नना, कॉमस, अकाउं टस् , ग णत, ले खा जोखा, बक, अथशा , प का रता, छपाई, मीडीया, मुा, यो तष।

गु

कानू न, फाईनस, वदे श नी त, धम चार, यो तष, अ यापन,

शु

सने मा-सं गीत, माड लग, ए टं ग, यु ट , दज , फै शन डज़ाईनर, फोटो ाफ , होटल मे नज ेमट।

शनी

स वल मे के नकल इं जीनीयर, यो तष, खु दाई सं बं धत।

ी रोग व ान, च क सा व ान।

पं चम भाव ये भाव सं तान, े म, मनोरं जन, कला, ान, जु आ , पू व पु य का है । इसे सु त थान भी कहते है । एक आ मा सेसरी आ मा का नमाण अथात् सं तान भाव तथा सं त ानेर के अनु सार दल म अं गठ ु ेजतनी आ म यो त तो अ य प म आ मा का थान होता है । कृ णामू त प त म पं चम थान छोटे भाई ब हन क या ा, े म ववाह, सं तान सं बं धी बात, सने म ा, सं गीत, नाटक, कला, मंतं, खे ल, पाप पु य, रसोईघर, श ा म आने वाली बाधाएं , माता का धन, प रवार म वृ , सं तान का वा थय, पता क वदे श या ा, प त प न के लाभ, कोट कचहरी के फै सले , बड़े भाई ब हन तथा दो त के ापार आ द। यह भाव ष भाव का य भाव हैय क ये भाव ष भाव सेगनने पर बारहव थान पर आता है । इस लए ष भाव सेमलने वाले फल का वरोधी भाव है जै से ष से नौकरी तो ये बे र ोज़गारी, ष से बीमारी/ रोगी तो इस भाव सेनरोगी, ष से धन ा त तो इस भाव से धन म कावट, तलाक कना आ द। पं चम भाव का उपन वामी य द 2,5,11भाव का कायश हो तो 2,5,11 भाव के कायश ह क दशा अं तरा यं तरा म सं तान का योग होता है । पहली सं तान पं चम भाव सेसरी स तम भाव से तथा तीसरी सं तान नवम भाव से दे खी जाती है । पं चम भाव म जो रा श पड़ी हो उसके अनु सार सं तान का वचार करना चा हए य क बं जर रा श सं तान के मामले म अ छा फल नही दे ती। मे ष मथु न सह और क या बं जर रा श कहलाती है । पां चवे भाव का उपन वामी 1(2 का य),4 (5 का 96

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 य), 10(11 का य) का कायश हो तो सं तान न होना या य द हो भी जाए तो उसका सु ख न मलना होता है । गभकाल के दौरान य द पृ थक वभाव केह शनी रा सु य के साथ 1,4,6,8,10,12 का सं योग हो तो गभपात का योग होता है । बु ध या के तु के न म ज म ले ने ग ड-मू लन म ज म ले ने वाले ब चे कहलाते है । य द इसके साथ 6,8,12 का सं योग भी हो जाए तो बालक को कई परे शा नयां जीवन म झे लनी पड़ती है । (सं तान के ज म केलए नयम हैक पं चम भाव का उपन वामी य द 2 (प रवार म बढ़ौ र), 5 (ब चा होना), 11 (इ छापू त ) का तथा साथ म फलदायक रा शय म बै ठा हो तो सं तान होगी। य द पं चम भाव का उपन

वामी वरोधी भाव 1,4,10 का ही सफ कायश हो तो सं तान नही होगी।

बाँ झ रा शयां मे ष मथु न सह क या होती है । पं चम भाव का उपन

वामी य द 6,8 या 12 का कायश हो तथा साथ म मं गल जु ड़ा हो तो गभपात होता है ।

पं चम भाव का उपन वामी बु ध हो या अ य ह जो वभाव रा श म बै ठा हो तथा पं चम के उपन उपन वामी 2,5 या 11 का कायश हो तो जु ड़वा सं तान होती है ।

वामी का

चर रा शयां मे ष कक तु ला मकर होती है हमे शा याद रखे । इ ह चर इस लए कहते हैय क ये चलायमान रहती है । थर रा शयां वृ ष सह वृक कु ं भ होती है येथर रहती है मतलब डट रहती है । जै से बै ल - वृ ष, शे र- सह, ब छू -वृक। वभाव रा शयांमथु न क या धनु मीन होती है । इनका वभा़व दो तरह का होता है । कहना कु छ करना कु छ। य द कु ं डली केलॉ कवाइज़ दे खे तो पहली रा श चर फर थर फर चर- थर-

वभाव होती है ।

वभाव इस तरह से ।

प न का य द सं तान के त शन हो तो पं चम भाव से दे खते है या य द

ी क कु ं डली हो तब भी।

य द प त क कु ं डली हो तो एकादश भाव से या मद क कु ं डली हो तब भी। परं तुयादातर सभी यो तष पं चम भाव को ही सं तान केलए मानते है । पहली सं तान केलए पं चम भाव, सरी सं तान केलए स तम भाव, तीसरी सं तान केलए नवम् भाव तथा चौथी सं तान के लए 11 वां भाव। य क

ी का गभ होता है जो पे ट से सं बं धत पं चम भाव होता है ।

पुष के जनं नां ग (शुानुथान) स तम से तो, स तम से पं चम आ एकादश भाव। फर पहली सं तान एकादश सेसरी ल न से तीसरी तृ तीय भाव से । ले कन य द दोन चाहे पुष हो या भाव सं तान से ही सं बं धत है ।

ी य द पं चम से भी दे खे तो उ र तब भी ठ क आता है । य क वे द के अनु सार पं चम

परं तुसरी सं तान या तीसरी या उससे आगे क सं तान केलए हम आगे के भाव ले ने ह गे । जै से मान लो सरी सं तान का शन हो तो स तम भाव के उपन होना चा हए। जब कसी के कोई सं तान नही होती या वो बे औलाद होता है तो

वामी को लगे तथा वो 2,5,7,11 म सेकसी का कायश ी जातक के पं चम का उपन

वामी ह जस उपन

पर 97

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 हो वो य द मे ष मथु न सह क या बाँ झ रा शय म बै ठा हो तो सं तान नही होगी। इसी तरह य द जब कसी के कोई सं तान नही होती या वो बे औलाद होता है तो पुष जातक के एकादश भाव का उपन वामी ह जस उपन पर हो वो य द मे ष मथु न सह क या बाँ झ रा शय म बै ठा हो तो सं तान नही होगी। ी जातक के पं चम भाव का उपन वामी ह जस ह के उपन पर हो य द वह उपजाऊ रा शय कक, वृक, मीन रा शय म थत हो तो सं तान होगी इसी तरह पुष के एकादश भाव के उपन वामी को ले ।) पं चम भाव खे लकू द, आन द, कला, ए टं ग, जु आ, रे सकोस, यार के मामले , े म सं बं ध म सफलता वफलता, गै र कानू नी सं बं ध, शाद उपरां त यौन सं बं ध, बला कार, अपहरण, खे ल के मै दान - थान, मं-तं, साधना, वे द, वे दशा , बौ क वकास, अ र ान आ द बात दे खी जाती है । छोटे भाई ब हन क या ा, माता का बक बे लस, श ा दौरान वधान, दादा पता ारा क गई या ा, सरे दे श के साथ सं बं ध, रा ीय मामल म राज त न ध, राज त, पं चम भाव नौकरी का वरोधी भाव, बीमारी ठ क होना , मं ारा पू जा करना, के ई दे वी दे वता, धा मक गु ण , राजा या धान भी पं चम भाव से दे खे जाते है । पं चम भाव का उपन वामी ज मकु ं डली या शनकु ं डली म न न ल खत मुय तथा सं योग घर या इन म सेकसी भाव तथा कारक ह से सं बं ध बनाए तो घटना या काय होगा। वशे षमहादशा अं तरदशा से तथा अं तरदशा यं तरदशा से बलवान् होती है । इनम से जो वषय से सं बं धत घटना का जो दशा वामी बलवान् होता है उस दशा म घटना होती है और साथ म गोचर मह वपू ण होता है । य द कोई महादशा - अं तरदशा - यं तरदशा कसी वषय से सं बं धत काय या घटना के होने के बारे म सं के त दे तब साथ म दशा से सं बं धत , कारक से सं बं धत ह तथा सु य, गु , चंका गोचर दे खना चा हए। सं बं धत काय या घटना बताने वालेह दशा म या एक घर म साथ हो पर पर यु त रखते हो, वषय से सं बं धत घर म गोचरीय हो, कायश ह के न या उपन म गोचरीय हो। यार और दे खभाल 5-2-9-11 पर ीगामी 5-8-12 उ म सवा थय 1-5-9-11 ब चे पै दा क

मता 2-5-9-11

नपु ं सकता 1-4-10 लड़के क ज मकु ं डली म 2-5-9-11 का सं योग अ धक हो तो प न,प रवार,ब च , र ते दार से अ छे सं बं ध। च र हीन 5,8,12 नौकरी म परे शानी 5-8-12 नौकरी म बदलाव 5-9 पृ थक ह बड़ी उ 1-5-9-10-11 ब चे का सं योग 2-5-11 ब चा न होना 1-4-10 गभपात 1-4-10-6-8-12 मं गल रा के तु शनी

98

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 स चा े म 5-11 े म ववाह 5-7-2-11 सरी जा त म ववाह 2-7-11 रा के तु े म सेवमु होना 5-6-8-12 े म ड़ा 5-12 े म सं बं ध च चत 5-8-12 बला कार 5-7-8-12 रा के तु शु सं तान सेवमु ख 4-12 बाधक जु आ स ा 5-10-11-8-6-2 खे ल म सफलता 5-2-6-10-11 खे ल म असफलता 5-4-8-9-12

छठा भाव नौकरी, ऋण,

ण, रोग,

मन, अ , घाव, श ु , े ष, पाप,

कृ य, भय, द नता, खतरा, बीमारी, कज़, तलाक।

ष भाव पे ट,जठर,पाचन सं था से सं बं धत होता है । सभी रोग का मू ल कारण पाचन तंहै । अायु वदा अनु सार पे ट त तो बं दा त। इस लए ष भाव को रोग थान कहते है तथा बीमारी का कार भी ष भाव से पता चलता है । छठ से छठा भाव या न यारहवां भाव बीमारी से छु टकारा भी दे ता है । ष भाव से जातक क भोजन के त च का भी पता चलता है ।ष भाव म शनी होना दशाता हैक जातक खान पान पर यान नह दे ता है । मं गल भोजन म अ त र सं तोष तो गु दावत क तरह ब धा मा ा म भोजन दशाता है । शु अ छा भोजन और अ छे पे य पदाथ म च दखाता है । चंम दरा का शौक न इसी कार रा भी म दरा तथा मां साहारी भोजन दशाता है । इस कार ह तथा दशा वा मय के भाव का ष भाव के साथ सं योग तथा साथ म 12 का सं योग रोग तथा अ पताल दशाता है । ष भाव से ही नौकर-चाकर, से वक भी दे खे जाते है । छठा भाव त पधा / कंपीट शन केलए अ छा होता है । परं तु छठा भाव वै वा हक जीवन केलए मं दा होता है । य द छठे भाव का उपन वामी पृ वी त व रा श वृ ष, क या, मकर रा श म हो तथा 2,3,10,11 भाव के साथ हो तो पालतु जानवर रख सकते है । य द छठे भाव का उपन वामी 2,4,6,10,11 भाव के साथ हो तो नौकर चाकर से लाभ होता है और इसकेवपरीत य द 5,8,12 भाव के साथ तो उनसे नु कसान होता है । य द ष भाव मारक बाधक से सं पक बनाए तो नौकर से सावधान रहना चा हए या उनको रखने से परहे ज करे या रखे हो तो हमे शा सावधान रह। य द ष अ म तथा एकादश भाव का उप 2,3,6,11 से सं बं ध बनाए तो लोन आसानी सेमलता है इसकेवपरीत 5,8,12 से सं बं ध हो तो लोन ले ने म क ठनाईयां आती है । थम तथा छठ भाव के कायश ह क सं यु दशा म जातक को बीमारी होती है । ष का उप य द 1,6,8,12 के साथ हो तो इ ह भाव से सं बं धत दशा म जातक बीमारी से पीड़ीत होता है । 1 और 6 भाव के उप जन भाव रा श तथा ह से सं बं धत होते है उन से सं बं धत ही जातक को बीमारीयां होती है । य द आठव तथा बारहव भाव के उपन वामी य द 1,6,8,12 तथा साथ म मं गल से सं बं धत हो तब लं बे उपचार के बाद कोई न कोई शा ररीक वकृ त रह जाती है । मं गल ऑपरे शन का भी कारक होता है इस लए ऑपरे शन भी हो सकते है । य द साथ म मारक बाधक हो तो मृ यु भी हो सकती है । ष का उप य द बु ध हो तो एक से अ धक बीमा रयां हो सकती हैय क बु ध वभावी ह है । य द शनी हो तो बीमारी लं बे 99

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 समय तक और ज द ठ क न होने वाली होती है । पं चम भाव का उपन वामी बीमारी के इलाज के बारे म इं गत करता है । शु हो मयोपै थी से सं बं धत, सु य मं गल गु एलोपे थी , शनी चंआयु व दक, बु ध कई तरह केव भ उपचार, रा के तु रा श वामी के अनु सार तथा मंोपचार के ारा उपचार कर सकते है । यो तष म शरीर को 12 ह स म बां ट ा गया है और वह 12 घर से सं बं ध है । 1 सर 2 चे हरा, आँ खे , ी क बां यी और पुष क दां यी आँ ख। मु हं , जीभ, भोजन क नली का ऊपरी ह सा, दां त। 3 कान, भोजन क नली का नचला भाग, सां स क नली, भु जाएं , कं धे । 4 फे फड़े , दल, छाती, व । 5 दल, पे ट, त ली, जगर, अ ना य। 6 छोट आं त, रीढ़ क ह ी। 7 कामे य (अ त:भाग), गु द। 8 कामे य (बा भाग), बड़ी आं त, गु दा। 9 नतं ब, नतं ब जोड़। 10 टां ग तथा उसका ऊपरी ह सा जां घ। 11 टां ग तथा उसका नचला ह सा पड लयाँ । 12 पै र, पुष क बां यी तथा

ी क दां यी आँ ख।

हमारा शरीर पृ वी, जल, ते ज, वायु और आकाश इन पां च महाभू त सेन मत है । य पं डे त ां ड म है ।

ां डे अथात जो पड म है वही

यो तष व आयु वद क आधारभू म एक है । आयु वद व यो तष म म पं चभू त , षड् रस व धातु क थ त मानी गई है । यो तष षड् रस को ह वशे ष के साथ सं बं धत करता है और ह बल के आधार पर म इनका यू ना ध य वीकार करता है । आयु वद षड् रस को धातु अथात वात, प , कफ के असं तु लन म औष ध प म यु करता है । यो तष धातु अथात वात- प ा द को सू या द ह का गु ण धम मानता है । यो तष म नदान के प म मं, र न, यंव उपासनाएं व णत ह। यो तष र न धारण व आयु वद भी र न का र नौष ध भ म या अ य प म योग बताता है और औष ध नमाण म मंउपासना का भी मह व है । यो तष रोगोपचार के मं, यंउपासना आ द उपाय के साथ औष ध योग क सलाह दे ता है । ले कन असा य रोग केवषय म जहां आयु वद को वराम मलता हो वहां सेयो षत आरं भ होता है । आयु वद म रोग का व प ‘‘ वकारोः धातु वै ष य’’ के प म वीकार कया गया है । वकार दोष क अपेा रखते ह। वृ वा भ ने भी कहा है ‘‘वायु ः प ं कफ े त योः दोषाः समासतः’’ और ‘‘रज तम मनसो ौ च दोषा वु दाहतौ।’’ इस सं बं ध म चरक ने भी यही कहा है - वायु ः प ं कफ ो ः शारीरो दोष संहः। मानसः पु न ो रज तम एव च। अथात वायु , प तथा कफ तीन शरीर के दोष ह और रज तथा तम। ये दोन मानस दोष है । रोग और आरो य का आ य शरीर तथा मन है , शारी रक रोग को उ प करने वाले वात, प तथा कफ है । ये तीन जब तक समाव था म रहते है तब तक ही आरो य रहता है । इन तीन का नाम धातु भी है , अथात ये शरीर को धारण करते ह। परं तु जब ये षत हो जाते ह तब रोग को पै दा करते ह- उस समय इ ह दोष कहा जाता है ।

100

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 यो तष शा नव ह को भी वात, प , कफ कारक के आधार पर वभा जत करता है । सू य क प कृ त कही है । चंमा दोष म वात और कफ पर वशे ष अ धकार रखता है । मं गल प धान है । बु ध वात, प व कफ का स म ण है गुकफ कृ त वाला है । शु वात और कफ धान है । श न वात पर अ धकार रखता है । साथ ही यह भी कहा गया हैक बलवान ह से सं बं धत धातु शरीर म पुहोती है । नबहन ह से धातुनबल हो रहती है यथा कसी ज म प का म सू य कमजोर होने पर प दोष, चंमा क ीणता या पी ड़त होने से कफ व वात दोष, बु ध से दोष, गुसे कफ रोग अथात ह से सं बं धत धातु क शरीर म थ त उसकेह क थ त पर नभर करती है । धातु क तरह ही षड रस को भी ह के अधीन कहा गया है । सू य का रस कटु , चंमा का नमक न, मं गल का तीखा, बु ध का म त, गुका मीठा, शु का ख ा, श न का कषाय रस कहा है । आयु वद म व णत छः रस का ही वणन यहां भी है । आयु वद म औष ध प से रस दोष को शां त करने वाला कहा गया है । चरक सं हता सू थान 63 म रस को पृ वी व जल का आ त कहा गया है । शरीर म पं च महाभू त क थ त है , और रस पृ वी व जल के आ त है , अतः रस क थ त भी शरीर म है । अ ां ड. संह सूथाना म शरीर म रस थ त का वणन ह मह ष चरक ने भी मधु र, अ ल (ख ा), लवण, कटु , त और कषाय षड रस कहे ह। वा र लोऽथ लवणः कटु क त एव च। कषाय े त षड् कोऽयं रसाना संहः मृ तः। इन छः रस म से मधु र, अ ल तथा लवण वात को शां त करते है । कषाय (कसै ला), मधु र, तथा त प को शां त करते ह। कषाय कटु व त , कफ को शां त करते है । जो इस दोष को शां त नह करता उसको बढ़ाने वाला होता है जै से मधु र, ख ा व नमक न वात को शां त करते ह जब क कटु , त व कषाय वात को बढ़ाते है । वा ललवणा वायु ं , कपाय वा त काः। जय त प ,ं े मां कपायकटु त काः।। यो तष म ल न अथात थम भाव केवा य व व को दशाता है । ल ने श क सुढ़ थ त जीवन को व थ व सु खमय बनाती है । ल ने श क थ त का वचार करतेए शा कार ने कहा है - ल नोऽ तं गतौ नीचे श ु मे रोग कृ द भवे त। शु भाः के कोण था दे हं सौ य दा मृ ताः।। अथात ल ने श अ तं गत, नीचगत, श ुेी हो तो रोग कारक कहलाता है । य द शु भ ह क कोण म ह , तो ल ने श का उ योग रहने पर भी शरीर सु ख मलता है । अतः शु भ ह के कोण म थत ह , तो जातक को शरीर सु ख उ म मलता है । उ मता का योग इस कार बताया गया है । ल ने शे चर रा श थते शु भ ह नरी ते ।क त ीमान् महाभोगी दे हसौ य सम वतः।। अथात ल ने श य द चर रा श म हो तथा शु भ ह ल ने श को दे खता हो, तो जातक यश वी, भोगी एवं शरीर सु ख पाने वाला होता है । पराशर ने अ याय 13 के थम ोक म दशाया हैक ल ने श पापयु हो छठे , आठव या बारहव भाव म गया हो, तो शरीर सु ख कम करता है । वही ल ने शयदक कोण म हो, तो शरीर सु ख दे ता है । ल ने जल षे शु भ खे चरे दै र्युे तनौः थो य मु दाहर त। ल ना धपे तोयखगे बला े सौ या वते त नु पुमां ः।। अथात य द ल न म जल रा श हो और ल न म शु भ ह बै ठे ह तो शरीर मोटा होता है । य द ल ने श जल रा श म हो, बलवान हो, सौ य ह के साथ हो, तो शरीर पुहोता है । य द ल ने श ू र ह के साथ ष , अ म या ादश म हो, तो शरीर सु ख का नाश करता है । य द ल ने शष े श के साथ छठे , आठवं ◌े या बारहव भाव अथवा ल न म भी हो, तो जातक रोगी होता है । ल न व ल ने शक थ त के अ त र कु ं डली म आठवां व तीसरा भाव आयु का, सरा और सातवां मारक थान है । छठे और 12व भाव से रोगा द का ान होता है । सं बं धत भाव क थ त व ज म प का म रा शय व भाव के पाप पी ड़त होने पर सं बं धत अं गम रोग क सं भावना कट होती है । यो तष शा रोग नणय केलए व तृ त आधार तु त करता है । रा शय व ह के अं ग वभाग के आधार पर छठे भाव क थ त का मूयां कन कया जाता है । छठे भाव या रोग क घटना का समय वशे ष प से छठे भाव अ धप त, भाव पर डालने वालेह, छठे भाव म थत ह, छठे भाव केवामी पर डालने वालेह, छठे भाव केवामी के साथ यु त करने वालेह, च मा से ष े श क थ त व छठे भाव का कारक आ द पर नभर करता है । छठे भाव से सं बं धी या उसकेवामी क दशा अं तदशा म रोग क सं भावना होती है । ले कन यह कस अं ग म होगा इसक कृ त ज म प का क थ त पर नभर करती है । ज म व भावा धप य के आधार पर जो ह रोग कारक है उसी के अनु सार रोग क सं भावना बनती है । यथा सू य रोग कारक हो तो प , उ ण वर, शरीर म जलन, अप मार, दय रोग, नेरोग, ना भ से नीचे दे श म या कोख म बीमारी, चमरोग, अ थ सु र त क आ द होते ् ह। य द चंमा रोग कारक हो तो न ा रोग (कम या अ धक न द), आल य, कफ, अ तसार (संहणी), पटक, शीत वर (ठं ड के कारण जो बु खार हो) मं दा न, अ च, पी लया, खू नक खराबी, च क थकावट आ द क होते ह। मं गल रोग कारक हो तो तृ णा, प वर, अ न भय, कु, नेरोग, गुम, मरगी, म जा रोग, खु जली आ द क होते ह। बु ध रोग दे ने वाला हो तो ां त, थ चता, भय, वचन बोलना, नेरोग, गले का रोग, ना सका रोग, वात, प कफ के असं तु लन से उ प वर, चम रोग, पी लया आ द रोग होते ह। बृ ह प त रोग दे ने वाला हो तो गुम, पे ट का फोड़ा, गां ठ आ द, आत का वर, मू छा, कफ दोष, कान के रोग आ द क होते ह। शु रोग दे ने वाला हो तो र

101

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 क कमी के कारण पीलापन, कफ और वायु के दोष से नेरोग, मूरोग, शरीर का सू खना आ द क होते ह। श न रोग दे ने वाला हो तो कफ के ारा उ प रोग, पै र म दद या लं गड़ापन, अ य धक म के कारण थकान, ां त, शरीर के भीतर ब त उ णता आ द क होते ह। रा रोग दे ने वाला हो तो दय रोग, दय म ताप, कोढ़, म त, ां त, वष के कारण उ प बीमारी तथा के तु कान पै र म पीड़ा आ द क दे ते ह। छठा भाव रोग का बारहवां भाव अ पताल का और यारहवां भाव बारह से बारह या न अ पताल से छु। छठ भाव को दे खकर ही बीमारी का नही सोच ले ना चा हए जब तक सरे त य को न दे ख ले । से हत म खराबी तभी होती है जब अं तरदशा और यं तरदशा म चलने वालेह 1,6,8,12 अपनेारा, न ारा, यु त ारा या इन भाव के कायश ह के गोचर म आए। 1,6 भाव का सं योग छोट बीमारी। 1,6,8 का सं योग तो ऐसी लं बी बीमारी जसम आ े शन क ज रत पड़े य द मं गल के तु जु ड़े तो बड़े आ े शन क ज रत पड़े । 1,6,8,12 म असा य रोग जनके ज द ठ क होने क सं भावना न हो तथा आज़ीवन च क सा क ज रत पड़े । 4,10 का योग साथ हो इलाज बे असर होता है । 1,5,9,11 अ छ से हत दशाता है । ( चर थर वभाव ल न के अनु सार मारक बाधक का भी वचार करना चा हए।) छठां भाव कोट, कचहरी, नौकरी केलए भी जाना जाता है । यह भाव नौकर केलए भी जाना जाता है । छठा भाव ा त और कज़ का भी है । ये भाव पालतु जानवर केलए भी दे खा जाता है । ये भाव माता क छोट या ा, भाई ब हन क ापट , पहली सं तान क व ीय हालत, जीवनसाथी के नु कसान, वै वा हक जीवन म अनबन, छु पेए श ु , बड़े भाई केलए नु कसान वाला भाव, त पधा वाल का य भाव, कोट, कचहरी, चु नाव म जीत भी इसी भाव से दे खी जाती है ।

स तम भाव सातवां भाव ववाह, प त या प नी, जीवनसाथी, पाटनर, ापार, मारक, त पध , यौन सु ख, वीय, शुाणु , चोरी के मामल म चोर, ापार, ापा रक सौदे , ववाह थल आ द केलए दे खा जाता है । ववाह केलए मु ख घर सातवांय क इससे जीवनसाथी मलता है । ववाह का कारक शु होता है तथा कालपुष कु ं डली के अनु सार स तम भाव म शु क तु ला रा श आती है । ववाह केलए सरा सहायक भाव सरा भाव होता हैय क ववाह करने से प रवार म एक नये मबर क बढ़ौ री होती है । ववाह केलए तीसरा सहायक भाव यारहवां भाव होता हैय क यारहवां भाव इ छा क पू त केलए जाना जाता है । इस लए ववाह केलए 7,2,11 तीन भाव का व ष ेण कया जाता है । ववाह केलए वग करण तीन कार सेकया जाता हैजसम आयो जत ववाह, वै क पक ववाह, े म ववाह आते है । े म ववाह म पां चवा भाव े म का, सातवां शाद का और 11 वां भाव इ छापू त का होता है । 2,5,7,11 का सं योग े म ववाह को दशाता है । य द 2,5,12 का सं योग हो तो े म तो होगा परं तुे म ववाह नही होगा। य द स तम भाव का उपन वामी 12 व भाव का कायश हो तो जातक खु द े म सं बं ध तोड़ ले गा पर य द यही स तम भाव का उप 6 भाव के साथ योग बनाए तो सामने वाला चाहे लड़का हो या लड़क वो े म सं बं ध तोड़ लगे । य द 2,5,8,12 का सं बं ध बने तो शा ररीक सं बं ध भी बन सकते है तथा बदनामी का कारण भी। य द 2,7,11 का सं बं ध 5 से हो जाए तो वै क पक ववाह के योग होते है । य द 2,7,11 के साथ 3 का सं बं ध बने तो जान पहचान या र ते दार के बताए र ते से होती है । य द 2,7,11 का सं बं ध 3,9,12 से हो तो वदे श म शाद होने के योग होते है ।यद 2,7,11 के साथ 8,11 जु ड़े तो दहे ज क ा त होती है । स तम भाव का उपन वामी य द 2,7 या 11 का कायश हो तो शाद होती है य द 1,6,10 का कायश हो तो शाद नह होती और य द 2,7,11 के साथ 1,6,10,8,12 हो तो वै वा हक जीवन सु खमय नही रहता, लड़ाई झगड़े , कलह ले श रहता है तथा वै वा हक जीवन बद से बद् तर हो जाता है । स तम भाव का उपन वामी य द 6,12 का कायश हो तो तलाक् होता है । सरे ववाह केलए स तम भाव का उपन वामी य द वभाव ह या वभाव रा श से सं बं ध बनाए तथा साथ म 2,7,9,11 से सं बं ध बनाए तो सरी शाद के योग होते है ।यद स तम भाव का उप रा , शनी के साथ वभाव रा श से सं बं ध बनाए तो वधवा या वधु र से शाद हो सकती है । प त प नी के आपसी उमर म कतना अं तर हो सकता है ये भी स तम भाव का उपन वामी दशाता है । य द गु शु सु य हो तो साधारण 102

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 अं तर य द बु ध मं गल चंहो तो मामू ली अं तर परं तु य द शनी हो तो ये अं तर 8-10 वष या उससे अ धक भी हो सकता है । शाद होने म य द कावट आ रही हो या बार बार ताव ठु कराये जा रहे हो तथा दे र ी से दे र ी हो रही हो तो पु नफू दोष हो सकता है , पु नफू दोष य द शनी चंके न म हो तथा अपने ही (शनी) उप म हो या चंशनी के न म हो और अपने ही (चं) उप म हो तो पु नफू दोष होता है । शनी और चंएक ही रा श म हो तथा दोन म 6° सेयादा अं तर हो तो भी ये दोष होता है , 6° के अं दर ये अं तर हो तो पु नफू दोष नह होगा। य द शनी अपनी तीसरी तथा दशम ी से चंको दे ख रहा हो तथा दोन के मय पा य ी सं बं ध अ छा हो तो भी पु नफू दोष होगा ( यहां पर - + = - का नयम लगा )। परं तु य द ये पा य ी सं बं ध खराब हो तो पु नफू दोष नह माना जाएगा।(यहां पर - - = + का नयम लगा )। मं गलीक श द सु नते ही हर कोई गं भीर हो जाता है और यादातर जो मं गलीक होते है उनकेलए वर या वधु ढू ं ढना ब त ही मुकल हो जाता है । कौन होता है मं गलीक पहले ये समझ ले । य द वर या वधु कोई भी हो जसक ज म कु ं डली म मं गल 1,2,4,7,8,12 म सेकसी भाव म मं गल उप थत हो तो वो मं गली जातक या जा तका होती है । मं गल एक ु र ह है , यो ा है , लड़ाई पसं द होता है , नडर होता है , गु सा नाक पर होता है । या न य द लड़के क कु ं डली म ये योग हो तो लड़क पीड़ीत रह सकती है या य द लड़क क कु ं डली म ये योग हो तो वो कलह करने वाली गु सै ल हो सकती है तथा घर के वातावरण को र बना सकती है । य द इस योग के साथ ल न या दशाएं 6,8,12 / 7,8,12 क कायश हो तथा साथ म मारक बाधक भी जु ड़ जाए तो लड़ाई झगड़े तो होग ही ब क साथ म एक सरे क ह या करने म सं कोच नही करगे । जनक कु ं ड लय म मं गलीक योग न हो परं तु 6,8,12 / 7,8,12 का दशा / ल न तथा मारक बाधक जु ड़े तो उनम भी ऊपर व णत थ त हो सकती है । मं गलीक वर या वधु केलए मं गलीक वर या वधु का ही चयन करना चा हए। हम कु ं डली मलान के समय सफ दशाकू ट तक ही सी मत नही रहना चा हए ब क उसके साथ साथ उनक आयु का अ ययन करना चा हए, ल न के उपन वामी का सं बं ध मारक बाधक के साथ नही होना चा हए। वा थय अ छा होना चा हए। जस जातक क कु ं डली म ल न खराब हो उसका चयन नही करना चा हए। जस कु ं डली म पं चम भाव मां शनी हो उसका भी चयन न करेय क पं चम भाव म बै ठा शनी अपनी 3,7,10 ी ारा ववाह के तीन घर 2,7,11 पर ी डाले गा तथा उनके सु ख म कमी करे गा। य द कु ं डली म रा - चंसाथ हो उनकेदमागी से हत के बारे म शं का हो सकती है । जनक कु ं डली म सु य - रा या चं- के तु या शनी - सु य योग बने उनको भी कई द कते हो सकती हैय क येपतृ दोष तथा और भी वरोधी बात उ प करते है । कहते है क जस मं गलीक वर या वधु केलए मं गलीक वर या वधु का चयन करते है उनम सेकसी क कु ं डली म 1,2,4,7,8,12 भाव म सेकसी एक भाव म शनी हो तो मं गलीक दोष का काफ हद तक शमन् होता है । स तम् भाव का उपन वामी य द 2,10,11 भाव का कायश हो तो जातक ापार कर सकता है यही बात दशम् भाव के उप से होने पर और भी पुता हो जाती है । स तम् का उप य द 5,11 का अ छा कायश हो तो जातक पाटनर शप म काम कर सकता है जो क 5 के होने से आपसी तालमे ल अ छा रहे गा। य द साथ म 6,12 का योग आ तो जो दशा 6,9,12 क कायश होगी उसम आपसी मतभे द के कारण पाटनर शप टू ट जाएगी। य द स तम् का उप 5,8,12 का कायश आ तो जातक को पाटनर शप म नु कसान होगा। य द स तम् का उप 2,5,11 का कायश होगा तो जातक को पाटनर शप म फायदा होगा।

अ म भाव जीवन क अव ध इस सं सार म कसी क कतनी है ये आठव भाव सेात होता है । उसक अं तम इ छा से भी ये भाव जु ड़ा आ है इस लए जीवन बीमा, इं योरस, वसीयत, े जु यट , पु वज़ो क सं प भी इसी भाव से दे खी जाती है । यह भाव ख, कावट, छु पी योजना, जासु सी, घटना, जलना, गभपात तथा मृ यु के समय शा ररीक थ त तथा मृ यु के कारण तथा कारण का पता चलता है । घटना भी इसी भाव से दे खी जाती है । इस भाव से गु त धन या वो धन जो कमाया गया न हो वो भी दे खा जाता है , इसके इलावा वो धन जसक ा त के पीछेख सं ताप हो या न माता या पता या कोई और सं बं धी क मृ यु उपरां त बीमेारा ा त आ हो। गु शनी के इस भाव म होने से गू ढ़ व ा क ा त म सहायता ा त होती है । दं गे फसाद, लड़ाई झगड़े भी इसी भाव से दे खे जाते है । इस भाव से मृ यु का कार या न क मृ युवाभा वक तौर पर या अ वाभा वक तौर पर होगी पता चलता है । मृ यु जलकर होगी या डू बकर या कसी सा ज़श केशकार होने से या कसी घटना से इसका पता चलता है । ल न शरीर धारणा को तथा अ म शरीर छोड़ने को सु चत करता है । कु ं डली से हम जातक क आयु के सं बं ध म पता चलता है क उसक आयु कम, म यम या अ धक है । आठव भाव का उपन वामी य द बु रे भाव 103

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 के कायश ह का सं बं ध हो साथ म बाधक का भी तो अ वाभा वक मृ यु होती है । आठव भाव के उप का सं बं धयदअ न रा श तथा मारक बाधक भाव से हो तो मृ यु जलने से , सन ोक से , बम व फोट से हो सकती है । य द आठव भाव का उपन वामी पृ वी रा श से तथा साथ म मारक बाधक से सं बं ध बनाए तो ब डं ग गरने से मलबे के नीचे दबने से , भु कं प के कारण घटना होने से हो सकती है । य द आठव भाव का उपन वामी मारक बाधक, शनी, रा के साथ तीसरे भाव तथा साथ म मं गल का सं बं ध हो तो आ मह या, फां सी के ारा। य द आठव भाव का उपन वामी वायु रा श साथ म मारक बाधक तथा शनी, रा , के तु का सं बं ध बने तो हवाई घटना, े न घटना, या ा म घटना, दम घु टने से , ज़हरीली गै स या धु एं से , आ े शन, दं गे , खू न आ द से हो सकती है । य द आठव भाव का उपन वामी जल रा श के साथ मारक बाधक तथा साथ म चं, शु, रा , के तु से सं बं ध बने तो पानी म डू बने से , बाढ़ से , बफ ले तु फान से , कै मीकल से हो सकती है । अ म् भाव का उप य द चौथे (घर) और छठे (रोग) के साथ हो तो बीमार होकर घर म मृ यु हो सकती है , य द 6 और 12 के साथ तो अ पताल म, य द 1,8,12 के साथ तो घटना म, य द 3,9,12 तो या ा के दौरान, य द 5, मारक बाधक के साथ तो पक नक या मनोरं जन के समय, य द 1,5,11 जु ड़े तो जातक का बचाव हो सकता हैसफ चर ल न वाल को छोड़कर। य द अ म् का उप 2,6,11 के साथ जु ड़े तो जातक को रटायरमट के बाद उसके फायदे या लाभ आसानी सेा त होते है यद साथ म 12 जु ड़े तो ये फायदे कु छ परे शा नय के बाद या कु छ खचा करकेा त होते है । इसी कार बीमे के सं दभ म भी समझना चा हए। य द अ म् का उप 2,4,6,11 भाव के साथ जु ड़े और साथ म मं गल या शनी तो वसीयत म ापट 4,8,11 भाव के कायश ह क दशा भु अं तरा म मलती है । य द यही उप य द गु के साथ जु ड़े तो वसीयत म धन, सोना और य द बु ध जु ड़े तो शे यर, बॉ डस् और य द शु तो गाड़ी, गहने आ द वसीयत म मल सकते है । अवै ध काय से कमाई - 8 भाव के उप का 2,11,10 से सं बं ध। एे सी कमाई जो अचानक हो जाए - 8 भाव के उप का सं बं ध 2,11 से । ऐसा नु कसान जो न सोचा हो - 8 भाव के उप का 5,12 से सं बं ध। वसीयत म गहनेमलना - 8 - 2,11 वसीयत म जायदाद मलना - 8 - 4,11 गु म ई व तु एंमलना - 8 - 2,6,11 अ ाकृ तक मृ यु - 8 - 1,12 बीमारी से मृ यु - 8 - 6,12 घटना से मृ यु - 8 - 4,12 ड ै शन - 8 - 1,3,12 रे प - 8 - 5,12 सजन होना - 8 - 10,2,11 पशन - 8 - 2,6,11 जे ल - 8 - 3,8,12

104

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 गर तारी - 8 - 3,12 इनाम - 8 - 2,6,11 सरी शाद - 8 - 2,3,5,7,11 े यु ट - 8 - 2,6,11,5 सजरी - 8 - 6,12,9 मं गल वपदा - 8 - 8,12 बाधक प त/प नी मृ यु उपरां त अलगाव - 8 - 1,6 पागलपन - 8 - 6,8,12 चं, शनी।

नौवां भाव वचार कालपुष कु ं डली म नवम्थान म गु क धनु रा श आती है । धम थान, धमया ा, गु, पता, जज, अदालत, कानू न, कोट, इं साफ, के स का फै सला, भा य, उ त, मान स मान, दान पु, धा मकता आ द का है । इस भाव के कारक ह गु और सु य है । इस भाव म बु ध, शु, के तु , चंधा मक या धम क राह म चलने वाले तथा शनी, रा ना तक बनाते है य द उन पर शु भ हक ी न हो। यह भाव दादा, गु, पू जा, जप-तप, उपासना, धा मक थल से जु ड़े काय केलए भी जाना जाता है ।उ च श ा भी इसी भाव से दे खी जाती है । यो तष ान, साइं स, खोज, आ व कार, इ म े शन, इं पोट ए सपोट, उ च वचार, सादगी भी इसी भाव से दे खी जाती है । पता का वा य, छोटे भाई ब हन क शाद तथा ापार, माता क बीमारी, सं तान का वा य, प त/प नी क या ा भी इसी भाव से दे खी जाती है । भाव एक और नौ भाव का सं बं ध जातक को धम म आ था जगाता है । नौवे भाव का उप य द 4,8,12 से जु ड़े तो भ माग पर चलने वाला होगा। य द यही उप 2,6,10 भाव से जु ड़े तो कमयोगी होगा। य द 3,7,11 के साथ जु ड़े तो धा मक ं थ पढ़ने तथा उनके ान को फै लाने वाला होगा। य द नौव भाव का उप य द 1,5,9 या न कोण श तो मे डीटे शन् , मंो चारण, यो तषी तथा स योगी होगा। य द नौवे भाव का उपन वामी शनी से जु ड़े तो ढवाद होगा। गु से जु ड़े तो शा ो ाता होगा। य द गु के साथ बु ध भी जु ड़े तो वचन दे ने वाला महान् शा जानकार होगा। य द शु जु ड़े तो धा मक समागम म कोई न कोई वा यंबजाने वाला या भजन मं डली म होगा। य द शु शनी हो तो धा मक थल नमाता होगा। य द रा नौव भाव का उप हो तथा गु पी ड़त हो तो धमातरण प रवतन करने वाला होगा। नौव भाव का उप य द 5,9,10,11 भाव के साथ के तु /गु भी हो तो गु होगा। ल न का उप वामी के तु , शनी और 9 भाव का सं बं ध धा मक उ थान और 3,9,12 भाव भी जु ड़े तो स यासी होगा। नौवां भाव पता का ल न तो रा श अनु सार मारक बाधक से जु ड़े तो पता क उमर छोट होना दशाता है । य द नौव भाव का उप 8,12 से जु ड़े तो पता क तरफ से बेखापन, नामदद दखाता है साथ म सु य भी खराब हो तो उनके साथ खराब सं बं ध होते है और य द 2,6,10,11 जु ड़े तो उनका पू र ा सहयोग दखाता है । नौव भाव के उपन वामी का सं बं ध य द 1,2,3,6,10,11 भाव के साथ हो तो अ छा भा य जो उ त दे तथा य द 5,8,12 के साथ हो तो भा य का पतन होता है । या ा केलए नौव भाव के उपन

वामी का सं बं ध य द न न भाव से हो तो -

4,9 के साथ उ च श ा केलए या ा 5 मनोरं जक या ा, घु मना फरना

105

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 9 के साथ तो धा मक या ा 6,10 तो नौकरी केसल सले म या ा 7,10 तो

ापा रक या ा

7,11 शाद केलए या ा 8,12 के साथ या ा म परे शा नयां मुकल नौव भाव का सं बं ध अ य भाव से सरी शाद 9,7,11 तीसरी सं तान 9,2,11 पता क बीमारी 9,2,4,8 तीथया ा 3,9,10 यो तष म उ त 10,2,9,11 साइं ट ट 5,9,3,11,10,6 शनी सं यासी 1,9,12 वदे श जाना 3,9,12 पता से अलगाव 8,12 राजनी त म सफलता 9,10,11,2,6 मं गल, शनी अनु सं धान म सफलता 9,11,6,12 शनी खोजकता 2,9,10,11

दशम् भाव वचार काल पुष कु ं डली के अनु सार दशम् भाव म शनी क मकर रा श आती है । शनी कमपरायण या न कम का नदशक है । दशम् भाव कम, काय े, वसाय, जीवनचया, नाम, स , अ धकार, च क सक, सरकार, मुयमंी, मंी, हकु मत, अ धकारी वग, धानमंी, रा प त, राजनी तक व था, घु टने , सत् , स च र , मान, याग, अ धकार, एेवय आ द दे खे जाते है । दशम् भाव भु ता, त ा, कद, गौरव, मान स मान तथा यश का भी ोतक है । यह भाव जातक का कम भाव है तथा ये दशाता है क जातक या करे गा, 2,6,11 के साथ जु ड़कर नौकरी / सरकारी नौकरी तथा 2,7,11 के साथ जु ड़कर अपना वसाय दशाता है । य द 6,7 दोन और वभावी ह जु ड़े तो नौकरी तथा साथ साथ वसाय भी दशाता है । दशम् भाव से कोण गनने पर पां चवा भाव सरा भाव बनता है या न धन भाव और नौवां भाव गने तो छठां भाव बनता है जो क वे तन और ा तय का है जो जातक पाता है । दशम् भाव केह - न - उपन केवभाव, त व तथा यु त केह, त व आ द से ही

106

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 उसके काय के कार का बोध होता है । इस भाव म बै ठा ह बलवान् हो जाता है , जातक क उ त इसी भाव से दे खी जाती है । दसव भाव का सं बं ध सु य / चंके साथ हो तो क य या रा य तर क सरकारी नौकरी हो सकती है उनक बलवान् तथा नबलता ओहदे का तर दशाती है । शनी का सं बं ध न न हो तो कमचारी या से वक और य द ब त ब ढ़या हो तो जज़ तक बनने म स मता होती है । बु ध का सं बं ध ब कग लाइन, शे यर मा कट, छपाई, क यु नके शनस् आ द ेम, मं गल का सं बं ध उ च तो पु लस, फौज़, सज़न आ द य द न न हो तो कसाई, कसाईघर आ द े म दशाता है । गु का सं बं ध धा मक, फलॉ फर, कथावाचक, अ यापक, ोफै सर, राज त आ द ेम तथा शु का सं बं ध थये टर, सं गीत, महं गी गा ड़य , आभू षण, ई, कपास, पर यू म, पैो लयम, बू ट क, यु ट पालर, कॉ मै टक आ द स दय साधन, य द शु पीड़ीत हो तो स के काय आ द दशाता है । सु य का सं बं ध दवाइय का ोतक होने के साथ राज नतीक ग लयारा भी दशाता है । चंके सं बं ध से जल से जु ड़े कारोबार तथा समुया न दय , नौसे ना, ध, तरल पदाथ, बायलर आ द े से जु ड़े काम धं धे दशाता है । शनी समट, खनन् , भ ा, कोयला, सीसा, खदान, मज री, कु ली, लोहा-इ पात आ द को दशाता है । दशम् भाव नौव भाव सेसरेथान पर होने सेपता के अ जत लाभ को दशाता है , यह भाव माता पता का मारक भाव भी है । छोटे भाई ब हन के साथ होने वाली घटना का भी भाव है । सं तान के भाव से छठा होने से ये भाव उनक बीमारी, नौकरी तथा कज/ लोन को दखाता है । बड़े भाई का य भाव या न उनके नु कसान को भी दशाता है । दशम् भाव का सं बं ध 1,2,3,6,7,10,11 के साथ तथा साथ म सु य गु का सं बं ध जातक को जीवन म ऊं चाइय पर ले जाता है । य द 8,12 से सं बं ध बने तो ग त म कावट, य द 5,9,12 से सं बं ध बने तो हमे शा काय ेम बदलाव, य द 5,9,8,12 से सं बं ध बने तो नौकरी सेनकालना या छू टना, य द 5,9,6,11 से सं बं ध तो स पशन दशाता है । य द 1, 9,10,11 का सं बं ध बने तो राजनी तक सफलता दखाता है । 10,1 भाव का सं बं ध खु द के यास से उ थान् । 10,2 का सं बं ध प रवार सेपोट, धन, गहन आ द। 10,3 का सं बं ध व य, क यु नके शनस् , छोटे भाई ब हन से मदद। 10,4 ा ट , भू म, वाहन तथा माता के सहयोग। 10,5 कला, खे ल, सं गीत, थये टर। 10,6 नौकरी, होटल, दवाईयां , मामा से सहयोग। 10,7

ापार, सां झे दारी, प नी के साथ मलकर कारोबार।

10,8 बीमा, लाइसस, इं ज नय रग, नमाण । 10,9 पढ़ाई, धम, कानू न, सलाहकार, पता का सहयोग। 10, 10 खु द के कम से उ थान् , पता के वसाय से जु ड़ना। 10,11 बड़े भाई ब हन के सहयोग से काय। 10,12 जे ल, अ पताल, वदे श, पै कग आ द से जु ड़े काय। 1,7,10 अपना कारोबार, 2,7,10 कारोबार म लाभ। 10,2,9 यो तष म पारं गत।

107

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 10,8,12 कारोबार म परे शानी

कावट आ द।

एकादश/लाभ थान भाव वचार कालपुष कु ं डली म यारहव भाव म शनी क कु ं भ रा श आती है । ये भाव लाभ भाव, आय भाव, यश भाव से भी जाना जाता है । सभी कार क इ छा क पु त का भाव है ये भाव। यह भाव बड़े भाई, सं तान क प नी, म , बायां कान, बायां कं धा, ा तयां , स , सलाहकार, चाचा, पता क छोट या ा, घु टना, प डली, पु न मलन, शु भ चतक, हर कार के लाभ केलए जाना जाता है । चर ल न वालो केलए ये भाव बाधक भी है परं तुसफ आयु य और तबीयत केलए ही। एकादश भाव जतना ब ढ़या होगा उतने ही म अ छे ह गे । हाथ म लए सभी काय क सफलता का सू चक भी यही भाव है । यारहव भाव का सं बं ध सरे भाव से होना चु र धन दशाता है । पहले भाव तथा यारहव भाव का सं बं ध जातक क अपने प र म ारा आय ा त दखाता है । मू ल धन और याज़ भी इसी भाव से दे खा जाता है । हाथी, घोड़े और उनक सवारी भी एकादश भाव से ही दे खी जाती है । इस भाव म सु य ेकाय, अ भलाषाएं और उनक पू त दशाता है । सु य उसक स , सफलता, उठना बै ठना ेलोग के साथ करवाता है । इस भाव म गु जातक केम जो स प , स च र , भावशाली होते है तथा हर कार से सहयोग दे ते है । बु ध य द हो तो सा ह य तथा वैा नक वृी वाले लोग से लाभ करवाता है । बु ध शु भ हो तो म के साथ ब ढ़या वहार रहता है और य द पी ड़त हो तो म पर व ास उ पीड़न का कारण बन सकता है यहां तक क जमानत भी नह दे नी चा हए उनक । एकादश म शु भ चं म का बड़ा समू ह दखाता हैवशे षकर यां तथा य द चंअशु भ हो तो वे अपने फायदे केलए ही सं पक म रहती है । एकादश म शनी कम म तथा उमर से बड़े बजु ग के साथ सं पक करवाता है , अशु भ शनी हो तो अ धक उमर के लोग वाथ केलए ही जातक का उपयोग करते है तथा काम नकलने के बाद उसे छोड़ दे ते है । शनी वलं बकारक है तथा एकादश म होने से हर काय केवलं ब म होने का रहता है । एकादश म मं गल सै य, पु लस वग, एथलीट वग, रौबीले तरह केम दे ता है । मं गल पी ड़त हो तो म म वरोधाभास रहता है । शु य द हो तो कला के ेके अं तगत आने वालेम होते है । शु भ शु हो तो साथ दे ने वाले तथा अशु भ हो तो मौज म ती उपरां त अवसर आने पर दर कनार कर दे ते है । ा तय म सफलता 6,11 प र ा म सफलता 4,11 या 9,11 या 4,9,11 वाद ववाद

तयो गता म सफलता 3,11 या 3,6,11 या 3,10,11

नौकरी म लाभ/ पदो ती 2,6,10,11 ापार म लाभ 2,7,10,11 ापट / वाहन म लाभ 4,11 या 4,6,2,11 े नट 5 - 2,5,11 सं तान लाभ 5,2,11 नौकरी म लाभ 6,11 शाद 2,7,11 108

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 पाटनर शप म लाभ 2,7,11 या ा म लाभ 9,2,11 े म होना 5,11 खे लकू द म सफलता 5,11 ए टं ग म सफलता 5,11 शु बु ध घर क खरीद 6,9,4,11 अ छ से हत 1,5,11 सरी शाद 2,9,11 कालर शप 11,2,4,6 ोमोशन 2,6,10,11 इं टर ु म सफलता 3,9,11 भ व य म सफलता 11- 1,2,3,6,10,11 लाटरी म सफलता 11 - 2,6,11 बना 8,5,12 के । प लके शन ऑफ बु क 3,11( बु ध गु),

टग (बु ध, गु, मं गल)

गु मशु दा क खबर मलना 3,11 लीज़ लाइसस 11/1 - 6,11,12 कोट के स म जीत 6/11 - 1,2,3,6,10,11 ( 6,11 भाव के कायश ह क दशा म ) गु म कागज़ात मलना 2/11 - 2,6,11 मशीन क खरीद 2/6/4 - 4,6,7,10,11 गु मशु दा इं सान वा पस आना 11 - 2,8,11 भवन/घर नमाण 11 - 4,11,12

ादश भाव वचार कालपुष कु ं डली म बारहवां भाव मीन रा श का जसका वामी गु होता है आती है । यह भाव

य, खच, नवे श, ऋृ ण

109

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015 चु काना, दान, डर, शक, धोखाधड़ी, व ासघात, फजलखच, जानवर से खतरा, जासू सी काय, कलं क, नु कसान, अ ात थान, गु त थान, लोप थान, गु त व ा, साधना, मो , परलोक, शमशान् , नजन थान, जं गल, गु फा, शयन, पाप, दा र य, य, :ख, बां यी आँ ख, पां व, अ पताल, र थ थान, जघ य काम, जे ल, फाँ सी का थान, याग, पागलखाना, वदे श तथा उनसे जु ड़े काय आ द दे खे जाते है । बारहव भाव का वामी ल न म होने से जातक दे खने म और भाषाशै ली म अ छा होगा। बारहव भाव म शु हो तो जातक का य ीय पर, स दय धान व तु पर, मौज़ म ती पर करे गा। गु हो तो श ा पर य तथा शु भ ह बारहव भाव म हो तो धा मक सं गो पर य होगा और अशु भ ह हो तो नु कसान ही होगा। बारहव भाव का वामी जस भाव म थत हो तथा जन भाव से सं बं ध बनाए उनसे सं बं धत व तु पर जातक का अ धक खच होगा। जस भाव का सं बं ध बारहव या न य भाव से सं बं ध बने गा उस पर ही जातक का खच होगा जै से ल न से बने तो शरीर पर, सरे भाव से बने तो प रवार और आभू षण पर, य द तीसरे भाव से बने तो छोटे भाई ब हन , छोट या ा, फोन - मोबाइल आ द पर य करे गा। चौथे भाव से य भाव का सं बं ध माता, श ा, घर, भू म, वाहन पर य करे गा। पां चवे भाव का बारहव या न य भाव से सं बं ध सं तान, े मका, खे ल, कला, जु आ, स ा आ द पर खच करे गा। छठ भाव का सं बं ध य भाव के साथ रोग, श ु , कज, कोट, के स आ द पर खच । सातव का य से सं बं ध शाद , प नी, पाटनर आ द पर य। आठव का सं बं ध य से गु त खच, बीमा खच, मोल भाव सही न होना, नाज़ायज खच आ द होना। नोव का य से सं बं ध पता, उ च श ा, धा मक या ा, लं बी या ा आ द पर खच। दसव का य से सं बं ध सरकार ारा जु म ाना, चालान, ोफे शनल खच होना। यारहव का बारह या न य से सं बं ध मनोरं जन, इ छापू त , कमाने केलए खच या न कमीशन ले ने केलए कया गया खच आ द। बारहव से सं बं ध जे ल, अ पताल, वदे श या ा केलए खच होना। ादश भाव का शु भ सं बं ध पै तृ क सं प त दलाता हैय क ये भाव नौव से चौथा या न पता क भू -सं प त है । अनाथालय, आ म् , वृा म आ द भी इसी भाव से दे खे जाते है । बारहवां भाव बड़े चौपाए वाले पशु का भी होता है । ये भाव :ख ले श का भी है अत: गु त श ु ारा बाधा, नधनता, अपहरण, परे शानी, षडयंदे ने का भी है । धोखा, धु तता, घु ड़दौड़ म तबं ध, धोखा भी इसी भाव से दे खा जाता है । ये भाव प ाताप, दं गा, मान सक क , जलन, ई या, व ोह, राज ौह, ह या तथा आ मह या का भी है । प त/प नी क बीमारी, ऋृ ण, कोट के सआद का भी इसी भाव से पता चलता है । ये भाव सं तान क परे शानी, माता क वदे श या ा, छोटे भाई ब हन का मोशन् , माता क लं बी बमारी, बड़े भाई के धन थान को भी दशाता है । बारहव भाव के उपन वामी का सं बं ध 2,6,11 भाव से हो तो फायदा और य द 5,8,12 से हो तो नु कसान होता है । य द बारहव भाव या उसके उप का सं बं ध थर रा श तथा 3,9,12 भाव से हो तो वदे श म पू ण तौर पर नवास और य द 3,9,11 या 2,4,11 से हो तो वापसी का होना होता है । बारहव भाव का सं बं ध य द रा तथा 3,8,12 से हो तो जे ल का होना न त होता है और य द थर रा श भी जु ड़े तो लं बी अव ध का कारावास होता है । वदे श जाना 3,9,12 आ या मक वकास 12,1,10 शनी घर बनाना 12,4,6,9 आ व कार 12,1,5,9 शनी/ गु श या सु ख 12,1,5,7 शु बला कार करना 12,5,6,8 रा /मं गल ापार म घाटा 12,7,5,8 उधार वा पस करना 12,4,5,8 गर तारी 12,3,8 रा

अ पताल 12,1,6,3

110

के पी क पाठशाला, नीरज सू द, लु धयाना। सं पक 6239225015

समा त।।

111

Related Documents

Pdf
June 2020 43
Pdf
July 2020 31
Pdf
July 2020 33
Pdf
May 2020 55
_________.pdf
October 2019 74
Pdf
May 2020 61

More Documents from "Gabriela Coutinho"

Yogini.docx
December 2019 14
Nt 2 Lecture 2 Eigrp
June 2020 9
December 2019 13
December 2019 10