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पूजा स्थान से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बातें 1.

मं दिर की प्रार्-प्रदतष्ठा शुभ मु हूतण में ही करे ।

2.

आश्‍दिन माह में िु र्ाण माता के मं दिर की स्थापना करना शुभ माना र्या है . इसका बहुत पुण्य फल दमलता है ।

3.

घर में 3 र्र्ेश, 3 िे िी प्रदतमा, 2 दशिदलं र्, 2 शंख, 2 सूयण-प्रदतमा, 2 शादलग्राम का पूजन नही ं करना चादहए ऐसा करने से मानदसक अशां दत तथा आदथणक नुकसान हो सकता है ।

4.

़ फेि या हल्का क्रीम होना शुभ माना र्या है । पूजा स्थान का रं र् स

5.

भर्िान की फोटो या मू ूूदतण नैऋत्य कोर् में नही ं रखना चादहए। यदि ऐसा करते है तो आपके कायों में व्यिधान आएर्ा।

6.

पूजा स्थल आकार में चौकोर या र्ोल होना शु भ होता है तथा पूजा स्थान की भूदम उत्तर पूिण की ओर झुकी हुई एिं िदिर्-पश्‍दचम से ऊचा होना चादहए। मं दिर के स्थान की यह न्धस्थदत सिण कल्यार्कारी होता है ।

7.

घर के मं दिर की ऊंचाई उसकी चौड़ाई से िु र्ुनी होनी चादहए। मंदिर के पररसर का फैलाि ऊंचाई से 1/3 होना श्रेष्ठकर होता है ।

8.

शयनकि में पूजा स्थल बनाना अच्छा नही ं होता है परन्तु स्थान के अभाि में मं दिर शयनकि में ही बनाना पड़े तो मं दिर के चारों ओर पिे लर्ा िें इसके अलािा शयनकि के उत्तर पूिण दिशा में पूजास्थल होना चादहए.

9.

ब्रह्मा, दिष्णु , दशि, सूयण और कादतणकेय, र्र्े श, िु र्ाण की मू दतणयों का मु ख पश्‍दचम दिशा की ओर होना चादहए कुबे र, भैरि का मु ख िदिर् की तरफ़ हो, हनुमान का मुं ह िदिर् या नैऋत्य की तरफ़ होना शुभ होता है ।

10. घर में एक दबत्ते से अदधक बड़ी पत्थर की मू दतण की स्थापना करने से र्ृहस्वामी को सन्तान कष्ट की प्रबल सम्भािना बनी रहती है । 11. पूजा घर शौचालय के ठीक ऊपर या नीचे न हो ।

00000000000000000000000000000000000000000000 00000000000000000000000000

हिन्दू घर के 10 हियम एक आिशण दहन्िू घर या भारतीय घर कैसा होना चादहए? यह जानना जरूरी है । आजकल आबािी के बढ़ते या पदिम के अनु सरर् के चलते लोर्ों ने फ्लैट में रहना शुरू कर दिया है । िू सरी ओर कोई भी िास्तुशास्त्र का पालन नही ं करता है ।

इसके अलािा आजकल कई ऐसे िास्तुशास्त्री हैं तो घर की दिशा या िशा को बिले दबना घर को िास्तुिोष से मु क्त करने का िािा भी करते हैं । इसके दलए िे घर की िस्तुओ ं को इधर से उधर कर या दकसी प्रकार का हिन करिाकर िास्तुिोष िू र करने का िािा करते हैं , ले दकन क्या यह सही है ? यथाथथवादी दृहिकोण यि िै हक घर में यहद आपको अच्छी सु कूि की िीींद, अच्छा से ितमींद भोजि और भरपूर प्यार-अपित्व ििी ीं हमल रिा िै तो घर में वास्तु दोष िै । घर िै तो पररवार और सींसार िै । घर ििी ीं िै तो भीड़ के बीच सड़क पर िैं । खुद का घर िोिा जरूरी िै । जीवि का पिला लक्ष्य मजबू त और वास्तु दोष से मुक्त

घर

िोिा

चाहिए।

यहद

एक आिशण दहन्िू

यि

िै

तो

बाकी

समस्याएीं

गौण

िो

जाती

िैं ।

घर कैसा हो इस बार में 10 खास

बातें... पहला

दनयम...

घर की दिशा : घर

का मुख्‍य द्वार हसर्थ पूवथ या उत्तर में िोिा चाहिए। िालाीं हक वास्तु शास्त्री

मािते िैं हक घर का मुख्‍य द्वार चार में से हकसी एक हदशा में िो। वे चार हदशाएीं िैं - ईशाि, उत्तर, वायव्य और पहिम। लेहकि िम यिाीं सलाि दें गे हसर्थ दो िी हदशाओीं में से हकसी एक का चयि करें । पूवथ या उत्तर का द्वार : पूवथ इसहलए हक पूवथ से सू यथ हिकलता िै और पहिम में अस्त िोता िै । उत्तर इसहलए हक उत्तरी ध्रु व से आिे वाली िवाएीं अच्छी िोती िैं और दहिणी ध्रु व से आिे वाली िवाएीं ििी।ीं घर को

बिािे

से

पिले

िवा, प्रकाश

और

ध्वहि

के

आिे

के

रास्तोीं

पर

ध्याि

दे िा

जरूरी

िै ।

भू हम का ढाल : सू रज िमारी ऊजाथ का प्रमुख स्रोत िै अत: िमारे वास्तु का हिमाथ ण सू रज की पररक्रमा को ध्याि में रखकर िोगा तो अत्यींत उपयु क्त रिे गा। सू यथ के बाद चींद्र का असर इस धरती पर िोता िै तो सूयथ और चींद्र की पररक्रमा के अिुसार िी धरती का मौसम सीं चाहलत िोता िै । उत्तरी और दहिणी ध्रु व धरती के दो केंद्रहबीं दु िैं । उत्तरी ध्रु व जिाीं बर्थ से पूरी तरि ढीं का हुआ एक सागर िै , जो आकथहिक सागर किलाता िै विी ीं दहिणी ध्रु व ठोस धरती वाला ऐसा िे त्र िै , जो अींिाकथहिका मिाद्वीप के िाम से जािा जाता िै । ये ध्रुव वषथ-प्रहतवषथ घूमते रिते िैं । दहिणी ध्रु व उत्तरी ध्रु व से किी ीं ज्यादा ठीं डा िै । यिाीं मािवोीं की बस्ती ििी ीं िै । इि ध्रु वोीं के कारण िी धरती का वातावरण सीं चाहलत िोता िै । उत्तर से दहिण की ओर ऊजाथ का खखींचाव िोता िै । शाम ढलते िी पिी उत्तर से दहिण की ओर जाते हुए हदखाई दे ते िैं । अत: पूवथ, उत्तर एवीं ईशाि की

और

जमीि

का

ढाल

िोिा

चाहिए।

िू सरा दनयम... प्रत्येक

हदशा

हियम

से

बीं धी

िै

अत:

प्रत्येक

हदशा

में

क्या

िोिा

चाहिए, यि

जाििा

जरूरी

िै ।

उत्तर दिशा : इस हदशा में घर के सबसे ज्यादा खखड़की और दरवाजे िोिा चाहिए। घर की बालकिी व वॉश बे हसि भी इसी हदशा में िोिा चाहिए। यहद घर का द्वार इस हदशा में िै और अहत उत्तम। िदिर् दिशा : दहिण हदशा में हकसी भी प्रकार का खुलापि, शौचालय आहद ििी ीं िोिा चाहिए। घर में इस स्थाि पर भारी सामाि रखें। यहद इस हदशा में द्वार या खखड़की िै तो घर में िकारात्मक ऊजाथ रिे गी और ऑक्सीजि

का

लेवल

भी

कम

िो

जाएग।

इससे

गृ ि

कलि

बढे गी।

पूिण दिशा : पूवथ हदशा सू योदय की हदशा िै । इस हदशा से सकारात्मक व ऊजाथ वाि हकरणें िमारे घर में प्रवे श

करती

िैं ।

यहद

घर

का

द्वार

इस

हदशा

में

िै

तो

मात्र

उत्तम।

खखड़की

रख

सकते

िैं ।

पदिम दिशा : आपका रसोईघर या िॉयलेि इस हदशा में िोिा चाहिए। रसोईघर और िॉयलेि पास- पास ि िो,

इसका

भी

ध्याि

रखें।

उत्तर-पूिण दिशा : इसे ईशाि हदशा भी किते िैं । यि हदशा जल का स्थाि िै । इस हदशा में बोररीं ग, स्वीहमींग पूल, पूजास्थल

आहद

िोिा

चाहिए।

यहद

इस

हदशा

में

घर

का

द्वार

िै

तो

सोिे

पर

सु िागा।

उत्तर-पदिम दिशा : इसे वायव्य हदशा भी किते िैं । इस हदशा में आपका बे डरूम, गै रेज, गौशाला आहद िोिा

चाहिए।

िदिर्-पूिण दिशा : इसे घर का आग्ने य कोण किते िैं । यि अहग्न तत्व की हदशा िै । इस हदशा में गै स, बॉयलर,

ि् ाीं सर्ॉमथर

आहद

िोिा

चाहिए।

िदिर्-पदिम दिशा : इस हदशा को िैऋत्य हदशा किते िैं । इस हदशा में खुलापि अथाथ त खखड़की, दरवाजे हबलकुल िी ििी ीं िोिा चाहिए। घर के मुखखया का कमरा यिाीं बिा सकते िैं । कैश काउीं िर, मशीिें आहद आप

इस

हदशा

में

रख

सकते

िैं ।

तीसरा दनयम... घर का आं र्न : घर में आीं गि ििी ीं िै तो घर अधू रा िै । घर के आगे और घर के पीछे छोिा िी सिी, पर आीं गि िोिा चाहिए। प्राचीि हिन्दू घरोीं में तो बड़े -बड़े आीं गि बिते थे। शिरीकरण के चलते आीं गि अब ििी ीं रिे ।

आीं गि

ििी ीं

िै

तो

समझो

आपके

बच्चे

का

बचपि

भी

ििी ीं

िै ।

आीं गि में तु लसी, अिार, जामर्ल, कड़ी पत्ते का पौधा, िीम, आीं वला आहद के अलावा सकारात्मक ऊजाथ पैदा करिे वाले र्ूलदार पौधे लगाएीं । तु लसी िवा को शुद्ध कर कैंसर जैसे रोगोीं को हमिाती िै । अिार खूि बढािे और वातावरण को सकारात्मक करिे का कायथ करता िै। कड़ी पत्ता खाते रििे से जिाीं आीं खोीं की रोशिी कायम रिती िै विी ीं बाल काले और घिे बिे रिते िैं , दू सरी ओर आीं वला शरीर को वक्त के पिले बू ढा ििी ीं िोिे

दे ता।

मां डना

यहद से

िीम

लगा आती

िै

तो है

जीवि घर

में

हकसी में

भी

प्रकार लक्ष्मी

का

रोग और

और

शोक

ििी ीं िोगा।

शां दत,

जादनए

शास्त्रोीं के अिुसार जो व्यखक्त एक पीपल, एक िीम, दस इमली, तीि कैथ, तीि बे ल, तीि आीं वला और पाीं च

आम के वृ ि लगाता िै , वि पुण्यात्मा िोता िै और कभी िरक के दशथि ििी ीं करता। इसके अलावा घर के द्वार

के

आगे

प्रहतहदि

रीं गोली

बिाएीं

और

आीं गि

की

दीवारोीं

और

भू हम

पर

माीं डिे

माीं डें।

चौथा दनयम... स्नानघर और शौचालय : घर में या घर के आीं गि में िॉयलेि और बाथरूम बिाते वक्त वास्तु का सबसे ज्यादा ध्याि रखिा चाहिए, क्योींहक इसके बु रे प्रभाव के कारण घर का वातावरण हबगड़ सकता िै । दोिोीं िी स्थािोीं को ज्योहतष में राहु और चींद्र की शरारत का स्थाि मािा गया िै । स्नािगृ ि में चींद्रमा का वास िै तथा शौचालय में राहू का। शौचालय और बाथरूम एकसाथ ििी ीं िोिा चाहिए अथाथ त चींद्र और राहू का एकसाथ िोिा चींद्रग्रिण िै । यहद ऐसा िै तो यि गृ ि कलि का कारण बि जाएगा। वास्तु ग्रीं थ 'हवश्वकमाथ प्रकाश' में इस

बारे

में

हवस्तार

से

बताया

गया

िै ।

शौचालय : यि मकाि के िै ऋत्य (पहिम-दहिण) कोण में अथवा िैऋत्य कोण व पहिम हदशा के मध्य में िोिा उत्तम िै । इसके अलावा शौचालय के हलए वायव्य कोण तथा दहिण हदशा के मध्य का स्थाि भी उपयु क्त बताया गया िै । शौचालय में सीि इस प्रकार िो हक उस पर बै ठते समय आपका मुख दहिण या उत्तर की ओर िोिा चाहिए। शौचालय की िकारात्मक ऊजाथ को घर में प्रवे श करिे से रोकिे के हलए शौचालय

में

एक्जास्ट

र्ेि

चलाकर

उपयोग

करिा

चाहिए।

स्नानघर : स्नािघर पूवथ हदशा में िोिा चाहिए। ििाते समय िमारा मुींि अगर पूवथ या उत्तर में िै तो लाभदायक मािा जाता िै । पूवथ में उजालदाि िोिा चाहिए। बाथरूम में वॉश बेहशि को उत्तर या पूवी दीवार में लगािा चाहिए। दपथण को उत्तर या पूवी दीवार में लगािा चाहिए। दपथण दरवाजे के ठीक सामिे ििी ीं िो। दिशेष

:

* िल से पािी का िपकते रििा वास्तु शास्त्र में आहथथक िुकसाि का बड़ा कारण मािा गया िै । * हजिके घर में जल की हिकासी दहिण अथवा पहिम हदशा में िोती िै उन्हें आहथथक समस्याओीं के साथ अन्य

कई

* उत्तर एवीं * जल

तरि पूवथ

की

हदशा

में

सीं ग्रिण

जल

परे शाहियोीं

का

की

को

का

हिकासी स्थाि

सामिा आहथथक ईशाि

करिा

दृहि

से

पड़ता

शुभ

कोण

मािा

िै । गया

को

िै ।

बिाएीं ।

पांचिां दनयम... पूजाघर : घर में पूजा के कमरे का स्थाि सबसे अिम िोता िै । इस स्थाि से िी िमारे मि और मखस्तष्क में शाीं हत हमलती िै तो यि स्थाि अच्छा िोिा जरूरी िै । आपकी आय कार्ी िद तक इस बात पर हिभथ र करती िै हक घर में पू जाघर किाीं िै । यिाीं हिदायत यि िै हक हकसी लाल हकताब के हवशेषज्ञ से पूछकर िी िास्तु

पूजाघर

बिवाएीं

अन्यथा की

सभी

तरि नजर

का

िुकसाि

उठािा से

पड़

सकता

िै । पूजाघर

घर के बािर एक अलग स्थाि दे वता के हलए रखा जाता था हजसे पररवार का मींहदर किते थे। बदलते दौर के साथ एकल पररवार का चलि बढा िै इसहलए पूजा का कमरा घर के भीतर िी बिाया जािे लगा िै अतएव वास्तु अिुसार पूजाघर का स्थाि हियोजि और सजावि की जाए तो सकारात्मक ऊजाथ अवश्य प्रवाहित िोती

िै ।

वास्तु के अिुसार भगवाि के हलए उत्तर-पूवथ की हदशा श्रेष्ठ रिती िै । इस हदशा में पूजाघर स्थाहपत करें । यहद पूजाघर हकसी ओर हदशा में िो तो पािी पीते समय मुींि ईशाि कोण यािी उत्तर-पूवथ हदशा की ओर रखें। पूजाघर के ऊपर या िीचे की मींहजल पर शौचालय या रसोईघर ििी ीं िोिा चाहिए, ि िी इिसे सिा हुआ। सीहढयोीं के िीचे पूजा का कमरा हबलकुल ििी ीं बिवािा चाहिए। यि िमे शा ग्राउीं ड फ्लोर पर िोिा

चाहिए,

तिखािे

में

ििी।ीं

पूजा

का

कमरा

खुला

और

बड़ा

बिवािा

चाहिए।

छठा दनयम... शयन कि : शयि कि अथाथ त बे डरूम िमारे हिवास स्थाि की सबसे मित्वपूणथ जगि िै । इसका सु कूि और शाीं हतभरा िोिा जरूरी िै । कई बार शयि कि में सभी तरि की सु हवधाएीं िोिे के कारण भी चैि की िीींद ििी ीं आती। कोई िें शि ििी ीं िै हर्र भी चै ि की िीींद ििी ीं आती तो इसका कारण शयि कि का गलत

स्थाि

पर

हिमाथ ण

िोिा

िै ।

मुख्य शयि कि, हजसे मास्टर बे डरूम भी किा जाता िें , घर के दहिण-पहिम (िैऋत्य) या उत्तर-पहिम (वायव्य) की ओर िोिा चाहिए। अगर घर में एक मकाि की ऊपरी मींहजल िै तो मास्टर ऊपरी मींहजल मींहजल

के

दहिण-पहिम

कोिे

में

िोिा

चाहिए।

शयि कि में सोते समय िमेशा हसर दीवार से सिाकर सोिा चाहिए। पैर दहिण और पूवथ हदशा में करिे ििी ीं सोिा चाहिए। उत्तर हदशा की ओर पैर करके सोिे से स्वास्थ्य लाभ तथा आहथथक लाभ की सीं भाविा रिती िै । पहिम हदशा की ओर पैर करके सोिे से शरीर की थकाि हिकलती िै , िीींद अच्छी आती िै ।

* हबस्तर के सामिे आईिा कतई ि लगाएीं । * शयि कि के दरवाजे के सामिे पलींग ि लगाएीं । * डबलबे ड के गद्दे अच्छे से जुड़े हुए िोिे चाहिए। * शयि कि के दरवाजे करकरािि की आवाजें ििी ीं करिे चाहिए। * शयि कि में धाहमथक हचत्र ििी ीं लगािे चाहिए। * पलींग का आकार यथासीं भव चौकोर रखिा चाहिए। * पलींग की स्थापिा छत के बीम के िीचे ििी ीं िोिी चाहिए। * लकड़ी से बिा पलींग श्रेष्ठ रिता िै । लोिे से बिे पलींग वहजथत किे गए िैं । * राहत्र में सोते समय िीले रीं ग का लैम्प जलाएीं । * कभी भी हसरिािे पािी का जग अथवा हगलास रखकर ि सोएीं । * शयि कि में कमरे के प्रवे श द्वार के सामिे वाली दीवार के बाएीं कोिे पर धातु की कोई चीज लिकाकर रखें।

* वास्तु शास्त्र के अिुसार यि स्थाि भाग्य और सीं पहत्त का िे त्र िोता िै । * इस हदशा में दीवार में दरारें िोीं तो उसकी मरम्मत करवा दें । इस हदशा का किा िोिा भी आहथथक िुकसाि

का

कारण

िोता

िै ।

सातिां दनयम... अध्ययन कि : पूवथ, उत्तर, ईशाि तथा पहिम के मध्य में अध्ययि कि बिाया जा सकता िै । अध्ययि करते समय दहिण तथा पहिम की दीवार से सिाकर पूवथ तथा उत्तर की ओर मुख करके बै ठें। अपिी पीठ के पीछे द्वार अथवा खखड़की ि िो। अध्ययि कि का ईशाि कोण खाली िो। वास्तु

बढाए

आठिां दनयम...

अध्ययि

िमता

रसोईघर : भोजि की गु णवत्ता बिाए रखिे और उत्तम भोजि हिमाथ ण के हलए रसोईघर का स्थाि घर में सबसे मित्वपूणथ मािा गया िै। यहद िम भोजि अच्छा करते िैं तो िमारा हदि भी अच्छा गु जरता िै । यहद रसोई कि का हिमाथ ण सिी हदशा में ििी ीं हकया गया िै तो पररवार के सदस्योीं को भोजि से पाचि सीं बींधी अिेक बीमाररयाीं िो सकती िैं । रसोईघर के हलए सबसे उपयु क्त स्थाि आग्ने य कोण यािी दहिण-पूवी हदशा िै , जो हक अहग्न का स्थाि िोता िै । दहिण-पूवथ हदशा के बाद दू सरी वरीयता का उपयु क्त स्थाि उत्तर-पहिम हदशा िै ।

* भोजि करते समय पूवथ या उत्तरमु खी बै ठकर भोजि करें । भोजि, भोजि कि में िी करें । * रसोईघर में भोजि पकाते समय आपका मुख पूवथ हदशा में िोिा चाहिए। * रसोईघर में पीिे का पािी उत्तर-पूवथ हदशा में रखिा चाहिए। * रसोईघर में गै स दहिण-पूवथ हदशा में रखिा चाहिए। * रसोईघर में भोजि करते समय आपका मुख उत्तर-पूवथ हदशा में िोिा चाहिए। * हिज पहिम, दहिण, दहिण-पूवथ या दहिण-पहिम हदशा में रखा जा सकता िै । * खाद्य सामहग्रयोीं, बतथ ि, क्रॉकरी इत्याहद के भीं डारण के हलए स्थाि पहिम या दहिण हदशा में बिािा चाहिए। * रसोईघर में पूजा का स्थाि ििी ीं िोिा चाहिए। * खािे की मेज को रसोईघर में ििी ीं रखा जािा चाहिए। मजबू री िै रखिा तो उत्तर-पहिम हदशा में रखिा चाहिए

ताहक

भोजि

करते

समय

चेिरा

पूवथ

या

उत्तर

िो।

नौिां दनयम... अदतदथ कि : कुछ वास्तु कार अहतहथ कि को वाव्यव कोण में िोिा लाभप्रद मािते िैं । इसका कारण िै हक इस हदशा के स्वामी वायु िोते िैं तथा ग्रि चींद्रमा। वायु एक जगि ििी ीं रि सकते तथा चींद्रमा का प्रभाव मि पर पड़ता िै । अतः वायव्य कोण में अहतहथ गृ ि िोिे पर अहतहथ कुछ िी समय तक रिता िै तथा पूवथ आदर-सत्कार पाकर लौि जाता िै , हजससे पररवाररक मतभे द पैदा ििी ीं िोते । अहतहथ दे वता के समाि िोता िै तो उसका कि उत्तर-पूवथ या उत्तर-पहिम हदशा में िी िोिा चाहिए। यि मेिमाि के हलए शुभ िोता िै । घर की उत्तर-पूवथ हदशा (ईशाि कोण) में अहतहथ कि (गे स्ट रूम) िोिा उत्तम मािा गया िै । दहि ण-पहि म हद शा में ििी ीं बिािा चाहि ए क्‍योींहक यि हद शा केवल घर के स््‍वामी के हल ए िोती िै । उत्तर-पहि म हद शा आपके मेिमािोीं के ठिरिे के हल ए सबसे सु हव धाजिक हद शा िै । आप आग्‍िेय कोण अथाथ त दहि ण-पूवी हद शा में भी गे स्िरूम ्‍ बिा सकते िैं ।

* अहतहथ को ऐसे कमरे में ठिरािा चाहिए, जो अत्यींत सार् व व्यवखस्थत िो। हजसे दे खकर मेिमाि का मि खुश िो जाए। * कभी भी गे स्टरूम में भारी लोिे का सामाि ििी ीं रखिा चाहिए, अन्यथा अहतहथ को लगे गा हक उसे बोझ समझा जा रिा िै । इस अवस्था में मेिमाि तिाव मिसू स कर सकता िै । * अगर आप अपिा गे स्टरूम दहिणी हदशा में बिािा चािते िैं तो वास्तु हवशेषज्ञ से परामशथ ले। * गे स्टरूम का दरवाजा वास्तु के हिसाब से पूवथ हदशा में तथा दू सरा दहिण हदशा में िोिा चाहिए। * गे स्टरूम में खखड़की उत्तर हदशा, पहिमी हदशा में या हर्र उत्तर-पूवथ कोिे में िोिी चाहिए। * यहद गे स्िरूम ्‍ वायव्‍य कोण (उत्तर-पहि म)या आग्‍िेय कोण में िै तो आपको इस रूम का बाथरूम िैऋत्‍य कोण में बिािा चाहि ए और उत्तर पूवी कोिे में एक खख ड़की जरूर रखिा चाहि ए। *उत्तर-पूवी हद शा में बिा पूवथमुखी या उत्तरमुखी दरवाजा गे स्िरूम ्‍ के हल ए सबसे उत्तम िोता िै ।

िसिां दनयम... वास्तु रचिा : 1. घर का मुख्‍य द्वार 4 में से हकसी 1 हदशा में िो। वे 4 हदशाएीं िैं - ईशाि, उत्तर, वायव्य और पहिम। 2. घर के सामिे आीं गि और पीछे भी आीं गि िो हजसके बीच में तु लसी का एक पौधा लगा िो। 3. घर के सामिे या हिकि हतरािा-चौरािा ििी ीं िोिा चाहिए। 4. घर का दरवाजा दो पल्ोीं का िोिा चाहिए अथाथ त बीच में से भीतर खुलिे वाला िो। दरवाजे की दीवार

के

दाएीं 'शुभ' और बाएीं 'लाभ' हलखा िो। 5. घर के प्रवे श द्वार के ऊपर स्वखस्तक अथवा 'ॐ' की आकृहत लगाएीं । 6 . घर के अींदर आग्ने य कोण में हकचि, ईशाि में प्राथथिा-ध्याि का कि िो। िैऋत्य कोण में शौचालय, दहिण में भारी सामाि रखिे का स्थाि आहद िो। 7. घर में बहुत सारे दे वी-दे वताओीं के हचत्र या मूहतथ ि रखें। घर में मींहदर ि बिाएीं । 8. घर के सारे कोिे और ब्रह्म स्थाि (बीच का स्थाि) खाली रखें । 9. घर की छत में हकसी भी प्रकार का उजालदाि ि रखें। 10. घर िो मींहदर के आसपास तो घर में सकारात्मक ऊजाथ बिी रिती िै । 11. घर में हकसी भी प्रकार की िकारात्मक वस्तु ओीं का सीं ग्रि ि करें और अिाला भी इकट्ठा ि करें । 12. घर में सीहढयाीं हवषम सीं ख्या (5, 7, 9) में िोिी चाहिए। 13. उत्तर, पूवथ तथा उत्तर-पूवथ (ईशाि) में खुला स्थाि अहधक रखिा चाहिए। 14. घर के ऊपर केसररया ध्वज लगाकर रखें। 16. घर में हकसी भी तरि के िकारात्मक पौधे या वृि रोहपत ि करें । 17. घर में िू िे -र्ूिे बतथ ि एवीं कबाड़ को जमा करके रखिे से घर में िकारात्मक ऊजाथ का सीं चार िोता िै । बहुत से लोग घर की छत पर अथवा सीढी के िीचे कबाड़ जमा करके रखते िैं , जो धि वृ खद्ध में बाधक िोता िै । अंत में मकान के दलए भूदम चयन दकतना जरूरी...

भूदम चयन : मकाि के हलए भू हम का चयि करिा सबसे ज्यादा मित्व रखता िै । शुरुआत तो विी ीं से िोती िै । भू हम कैसी िै और किाीं िै यि दे खिा जरूरी िै । भू हम भी वास्तु अिुसार िै तो आपके मकाि का वास्तु और भी अच्छे र्ल दे िे लगे गा। प्लाि वास्तु भूदम

1. 2. 3.

या :

र्ॉमथ मकाि

िाऊस बिािे

खरीदते से

वक्त पिले

रखें याद

के उत्तम : ब्रह्म, हपतामि, दीघाथ यु, सु पथ, स्थींहडल मध्यम : पुण्यक, स्थावर, चर, सु स्थाि दनम्न : अपथ, रोगकर, श्ये िक, शींडुल, श्मशाि,

वास्तु रखें

और और सम्मुख

का यि

5

अगथ ल सु तल और

ध्याि... बातें प्रकार.. भू हम। भू हम। स्वमुख।

*आपका मकाि मींहदर के पास िै तो अहत उत्तम। थोड़ा दू र िै तो मध्यम और जिाीं से मींहदर ििी ीं हदखाई दे ता

वि

हिम्नतम

िै ।

*मकाि मींहदर के एकदम पीछे ििी ीं दाएीं -बाएीं बिाएीं या सामिे बिाएीं । *मकाि उस शिर में िो जिाीं 1 िदी, 5 तालाब, 21 बावड़ी और 2 पिाड़ िो। *मकाि पिाड़ के उत्तर की ओर बिाएीं । *मकाि शिर के पूवथ, पश्‍हचम या उत्तर हदशा में बिाएीं । *मकाि के सामिे तीि रास्ते ि िोीं। अथाथ त तीि रास्तोीं पर मकाि ि बिाए। *मकाि के सामिे खींभा ि िो। *मकाि में ईशाि और उत्तर हदशा को छोड़कर और किीीं कुींवा या पािी का िैं क ििी ीं िोिा चाहिए।

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मींहदर हिमाथण स्थापिा की हदशा: १) घर या दु काि का ईशाि कोण याहि की उत्तर-पूवथ हदशा। यि हदशा मींहदर के हिमाथ ण के हलए सबसे उत्तम मािा गया िै ।

मूहतथ स्थापिा की हदशा: घर के मींहदर में दे वी-दे वताओीं की मूहतथयाीं या उिकी तस्वीर की स्थापिा पूवथ या उत्तर हदशा में िोिा शुभ िोता िै । १) भगवाि श्री गणेश, कुबेर, दे वी लक्ष्मी, तथा िवग्रि की स्थापिा मींहदर में इस प्रकार करिी चाहिए की उिका मुख दहिण हदशा की ओर िो। ये हदशा इि दे वी-दे वताओीं के हलए उत्तम िै ।

२) यहद घर के मींहदर में श्री िरी भगवाि हवष्णु , श्री कृष्ण, सूयथ दे व और काहतथकेय की तस्वीर या मूहतथ िै तो उिका मुख िमेशा पहिम हदशा में िोिा चाहिए। ये हदशा इि दे वीदे वताओीं के हलए शुभ मािा जाता िै ।

३) यहद घर के मींहदर में भगवाि ििुमाि की मूहतथ िो तो उिकी तस्वीर या मूहतथ का मुख िैऋत्या अथाथ त दहिण-पहिम हदशा में िोिा चाहिए। ये शुभ मािा जाता िै ।

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