Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु ं ासयोगो नाम चतथऽायः अथ ानकमस ॥
ौी भगवान ् उवाच ।
इमम ् िववते योगम ् ूोवान ् अहम ् अयम ् ।
िववान ् मनवे ूाह मनःु इाकवे अॄवीत ् ॥ ४ - १॥ श
श उार Shree ौी भगवान ् Bhagavaana Uvaacha उवाच Imam इमम ् Vivasvate िववते
English The Blessed Lord said
िही
ौी भगवान न् े
मराठी ौी भगवान णाले
कहा
this
इस
हा
सूय से
सूयाला
Yogam
to Vivasvat (the Sun) Yoga
योग को
योग
Proktavaan
taught
कहा था
सांिगतला होता
Aham
I
म न े
मी
Avyayam
imperishable
िववान ्
अिवनाशी
अिवनाशी
Vivasvaan
Vivasvat
सूय न े
सूय
मनवे
Manave
to Manu
( अपन े पऽु )
ु गा) (आपला मल
योगम ्
ूोवान ् अहम ्
अयम ्
मन ु से
मनूस
ूाह
Praaha
taught
कहा ( और )
सांिगतला
मनःु
ManuH
Manu
मन ु न े
मनू
इाकवे
Ikshvaakave to Ikshvaku
( अपन े पऽु )
ु गा ) (आपला मल
अॄवीत ्
राजा इाकु से
Abraveet
Taught
Jnana Karma Sanyasa Yoga
कहा
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इाकू ला सांिगतला
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ौी भगवान ् उवाच - अहम ् इमम ् अयम ् योगम ् िववते ूोवान ् । िववान ् मनवे ूाह । मनःु इाकवे अॄवीत ् ॥ ४ - १॥ English translation:The Blessed Lord said, “I declared this imperishable Yoga to Vivasvata (the Sun). (In turn) Vivasvata taught it to Manu (the creator of Manusmruti) and Manu taught it to Ikshvaku (the father of King Dasharatha and grandfather of Lord Rama, an earlier incarnation of Lord Vishnu prior to Lord Krishna).”
ु :िही अनवाद
ौी भगवान ् बोले , “ म न े इस अिवनाशी योगको सूय से कहा था , सूय ने अपन े पऽु मन ु को िसखाया और
मन ु न े अपन े पऽु राजा इाकु को
समझाया ।“ मराठी भाषार :भगवान ौीकृ णाले , “ अिवनाशी असा हा योग मी ( पूव ) िववानाला
ु णजेच सूयाला सांिगतला होता . हा योग सूयान े आपा मलाला - मनूला ु सांिगतला आिण मनून े आपला मलगा इाकू ला सांिगतला . “ िवनोबांची गीताई :-
योग हा अिवनाशी मी य सूयास बोिलल ।
मनूस बोिलला सूय तो ईाकू स ापरी ॥ ४ - १॥ Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
एवम ् परराूाम ् इमम ् राजष यः िवः ।
सः कालेन इह महता योगः नः परप ॥ ४ - २॥ श
एवम ्
श उार Evam
English thus
Paramparaa- handed परराूाम ् praaptam down in regular succession Imam this इमम ् RajarshayaH the royal राजष यः sages ViduH knew िवः SaH This सः Kaalen by lapse of कालेन time Iha here इह
िही
मराठी
इस ूकार
याूमाणे
पररा से ूा
परंपरेन े ूा झालेला
इस ( योग को )
हा ( योग )
राजिष य न े
राजषनी
जाना
जाणला
वह
तो
काल से
काळाा ओघात
इस
या
( पृीलोक म )
( पृीतलावन )
महता
Mahataa
by long
बत
मोा
योगः
YogaH
Yoga
योग
योग
नः
NaShtaH
destroyed
ूाय हो गया
( जवळ जवळ ) नाहीसाच झाला
परप
Parantapa
Jnana Karma Sanyasa Yoga
O scorcher of foes / Arjuna !
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हे अजनु !
हे शऽूला
तापदायक अजनु ा!
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
हे परप ! एवम ् परराूाम ् इमम ् ( योगम ्) राजष यः िवः । सः योगः इह महता कालेन नः ॥ ४ - २॥ English translation:O Arjuna, thus handed down in regular succession, the royalsages knew the Yoga. This Yoga, by long lapse of time, decayed in this world and has been lost here.
ु :िही अनवाद
शऽ ु को ताप देन ेवाले हे अजनु ! इस ूकार पररा से ूा इस योग को
राजिष य न े जाना पर ु उस के बाद वह योग बत काल से इस पृीलोक म ूाय हो गया । मराठी भाषार :-
ु ! याूमाणे परंपरेन े ूा झालेला हा योग राजषनी हे शऽूला तापदायक अजना
जाणला . परंत ु ानंतर , तो योग काळाा मोा ओघात या पृीतलावन ( जवळ जवळ ) नाहीसाच झाला . िवनोबांची गीताई :-
अशा परंपर तिू न हा राजषस लाभला ।
पढु काळ बळान तो ा लोक योग लोपला ॥ ४ - २॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु । सः एव अयम ् मया ते अ योगः ूोः परातनः
भः अिस मे सखा च इित रहम ् िह एतत ् उमम ् ॥ ४ - ३॥ श
श उार SaH
English that
Eva
अयम ्
सः
िही
मराठी
वह
तो
even
ही
च
Ayam
this
यह
हा
मया
Maya
by me
मन े
मी
ते
Te
to you
ु को तझ
ु ा तल
अ
Adya
today
आज
आज
योगः
YogaH
Yoga
योग
योग
ूोः
ProktaH
कहा है
सांिगतला आहे
ु परातनः
PuraatanaH
has been taught ancient
ु परातन
ु परातन
भः
BhaktaH
devotee
भ
भ
अिस
Asi
you are
तू है / तमु हो
तू आहेस
मे
Me
my
मेरा
माझा
सखा
Sakhaa
dear friend
िूय िमऽ
िूय िमऽ
च
Cha
and
और
आिण
इित
Iti
thus
रहम ्
इसिलये
णून
Rahasyam
secret
रह ( है )
रह
िह
Hi
indeed
िक
कारण
Etat
this
यह ( योग )
हा ( योग )
Uttamam
the best / supreme
बडा ही उम
अितशय उम
एव
एतत ्
उमम ्
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु सः एव अयम ् परातनः योगः मया अ ते ूोः । ( म ्) मे भः सखा च अिस इित , िह एतत ् रहम ् उमम ् ॥ ४ - ३॥ English translation:The same ancient Yoga has been imparted to you by me today, for you are my devotee and a dear friend. This is the supreme secret.
ु :िही अनवाद
ु तमु मेरे भ और िूय िमऽ हो , इसिलये वही यह परातन योग आज म ने ु बताया है ; िक यह बत ही उम रहपूण है । त मराठी भाषार :-
ु ु सांिगतला आहे , कारण तू माझा भ तोच हा परातन योग आज मी तला व िूय िमऽ आहेस . हा योग णजे एक अितशय उम रह आहे . िवनोबांची गीताई :-
ु योग परातन ु तो िच हा बोिलल आज़ तज़ ।
ू ह थोर तूं िह भ सखा तसा ॥ ४ - ३॥ जीवच गज़
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
अजनु उवाच ।
अपरम ् भवतः ज परम ् ज िववतः ।
कथम ् एतत ् िवजानीयाम ् म ् आदौ ूोवान ् इित ॥ ४ - ४ ॥ श
श उार Aparam
English later
भवतः
BhavataH
ज
अपरम ्
परम ्
िही
मराठी
अवाचीन
अगदी अिलकडचा
your
आप का
ु ा तझ
Janma
birth
ज
ज
Param
earlier
ु बत पराना
अितशय ूाचीन काळचा
ज
Janma
birth
ज
ज
िववतः
VivasvataH
सूय का
सूयाचा
कथम ्
Katham
of Vivasvat (the Sun) how
कै स े
कसे
Etat
this
यह ( योग )
हा ( योग )
एतत ्
Vijaaneeyam am I to िवजानीयाम ् म समझ ँ ू ? understand? Tvam you म ् आप ही न े
( हे ) मी समजावे ? तूच ( ाला हा योग )
आदौ
Aadau
in the beginning
क के आिद म
कारंभी
( सूय से )
( सूयाला )
ूोवान ्
Proktvaan
taught
कहा था
सांिगतला
इित
Iti
this
इस बात को
असे
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
अजनु उवाच - भवतः ज
अपरम ् , िववतः ज परम ,् ( अतः )
म ् आदौ एतत ् ूोवान ् इित ( अहम ् ) कथम ् िवजानीयाम ् ? ॥ ४ - ४ ॥ English translation:Arjuna asked, “Later is your birth while earlier was the birth of Vivasvat (the Sun); how then am I to understand that you taught him this Yoga in the beginning of the cycle of creation?”
ु :िही अनवाद
ु अजनु बोले , “ आप का ज तो वतमान कालका है और सूय का ज बत पराना है
ु था ; तब म इस बात को कै स े समझ ँ ू िक आप ही न े अथात ् क के आिद म हो चका क के आिद म सूय से यह योग कहा था ? “
मराठी भाषार :-
ु ज अगदी अिलकडचा व सूयाचा अितशय ूाचीन ु े िवचारले, “ तझा अजनान काळचा असे असताना , तूच ाला हा योग कारंभी सांिगतला , हे मी कसे समजावे ? ” िवनोबांची गीताई :अजनु णाला
ु ज सया ु चा तो परातन ु ा काळचा तझा ।
तूं बोिललास आरंभ ह मी ज़ाणूं कस बर ॥ ४ - ४ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ौी भगवान ् उवाच ।
बिन मे तीतािन जािन तव च अजनु ।
तािन अहम ् वेद सवािण न म ् वे परप ॥ ४ - ५ ॥ श
श उार
English
Shree Bhagavaana Uvaacha
The Blessed Lord said
ौी भगवान न् े
बिन
Bahooni
many
बत से
ु पळ
मे
Me
my
मेरे
तीतािन
Vyateetaani
have passed by
हो चकेु ह
माझे ( आतापय ) होऊन गेलेले
जािन
Janmaani
births
ज
ज
तव
Tava
your
ु ारे त
ु े तझ
च
Cha
and
और
आिण
अजनु
Arjuna
Arjun
अजनु
अजनु
तािन
Taani
them
अहम ्
उन
ते
Aham
I
म
मी
वेद
Veda
know
जानता ँ
जाणतो
सवािण
Sarvaani
all
सब को
सव
न
Na
not
म ्
नह
नाही
Tvam
you
तमु
ु ा (आज) (ते ) तल
वे
Vettha
know
जानते
आठवते
परप
Parantapa
O scorcher of foes / Arjuna !
हे अजनु !
हे शऽूला तापदायक अजनु ा!
ौी भगवान ् उवाच
Jnana Karma Sanyasa Yoga
िही
मराठी ौी भगवान णाले
कहा
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आहेत
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ौी भगवान ् उवाच - हे
परप अजनु ! मे तव
च
तीतािन ; तािन सवािण अहम ् वेद , म ् न वे ।
बिन
जािन
English translation:The Blessed Lord answered, “O Arjuna, many births of mine and yours have passed by; I know them all while you do not know, O scorcher of foes (Arjuna).”
ु :िही अनवाद
ु ु ौी भगवान बोले , “ हे अजन, मेरे और तारे बतसे ज हो चकेु ह । उन सबको म जानता ँ , पर ु तमु नह जानते । “ मराठी भाषार :-
ु पळ ु ु , आतापय माझे आिण तझे भगवान ौीकृ णाले , “ हे अजना ु , ते े े आहेत . हे शऽूला तापदायक अजना ज होऊन गेलल ु ( आज ) आठवत नाही “. जाणतो पण ते तला
सव
मी
िवनोबांची गीताई :-
ौी भगवान ् णाले
ु । माझे अन ेक ापूव झाले ज तसे तझे
ु तूं न ज़ाणसी ॥ ४ - ५ ॥ ज़ाणत सगळे मी ते अजना
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
अजः अिप सन ् अयाा भूतानाम ् ईरः अिप सन ।्
ूकृ ितम ् ाम ् अिधाय सवािम आमायया ॥ ४ - ६॥ श
श उार AjaH
English Unborn
Api
सन ् अयाा
अजः अिप
भूतानाम ्
िही
मराठी
अजा
जरिहत
Also / even
तथा
तसेच
San
Being
होते ए
ु असून सा
Avyayaatmaa
of अिवनाशीप imperishable nature
अिवनाशी
of beings
सव ूािणमाऽांचा
Bhutanam
सम ूािणय
पाचा
का ईरः
IshvaraH
the Lord
ईर
ईर
अिप
Api
Also
भी
ही
San
Being
होते ए
असून
Prakrutim
Nature
ाम ्
ूकृ ितको
मूळप
Svam
my own
अपनी
तःचे
अिधाय
Adhishthaaya presiding over
अधीन कर के
आपा ताात
Sambhavaami come into being
ूकट होता ँ
Aatmamaayayaa
अपनी योगमाया
आपाच
से
योगसामान े
सन ्
ूकृ ितम ्
सवािम आमायया
Jnana Karma Sanyasa Yoga
By my own power (Maya)
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ू ठे वन ु ( मनलोकात ) ज घेतो
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
( अहम ् ) अजः अयाा अिप सन ् , भूतानाम ् ईरः अिप सन ् , ाम ् ूकृ ितम ् अिधाय , आमायया सवािम ॥ ४ - ६॥ English translation:Though (I am) unborn, imperishable and the Lord of beings, yet presiding over my own natural tendencies, I am born by my own power.
ु :िही अनवाद म अजा और अिवनाशी - प होते ए तथा सम ूािणय का ईर होते ए भी अपनी ूकृ ित को अधीन कर अपनी योगमाया से ूकट होता ँ । मराठी भाषार :-
ु ; तसेच सव मी तः जरिहत आिण अिवनाशी पाचा असून सा ू , ूािणमाऽांचा ईर असूनही , तःचे मूळप आपा ताात ठे वन ु आपाच योगसामान े ( मनलोकात ) ज घेतो . िवनोबांची गीताई :-
असूिन िह अजा मी िनिवकार जगत -् ूभ ु ।
माझी ूकृ ित वेढूिन मायेन जत ज़णूं ॥ ४ - ६॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
यदा यदा िह धम लािनः भवित भारत ।
् ४ - ७॥ ् अधम तदा आानम ् सृजािम अहम ॥ ु अानम श
English
श उार Yada Yada
whenever
जब जब
जेा जेा
िह
Hi
indeed
ही
खरोखर
धम
Dharmasya
लािनः
GlaniH
भवित
Bhavati
भारत
Bhaarata
of dharma धम की /righteousness decline/ decay हािन Is होती है O Arjuna ! हे अजनु !
यदा यदा
Abhytthaanam rise ु ानम ् अ Adharmasya of अधम Adharma/unrighteousness Tadaa then तदा Aatmaanam Myself आानम ्
िही
मराठी
धमाचा ढहास होतो हे भरतकुलो
अजनु ा !
वृि
ूाब माजते
अधम की
अधमाच े
तब तब
तेा तेा
अपन े प को
आपले वेगळे च प
सृजािम
Srujaami
manifest
रचता ँ
( अथात ्
साकारप से
ु लोग के सख
अहम ्
ूकट होता ँ )
Aham
Jnana Karma Sanyasa Yoga
I
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म
धारण करतो ( णजेच
ु मनपात अवतार घेतो )
मी
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
् ु हे भारत ! यदा यदा िह धम लािनः भवित , अधम अानम ( भवित ) , तदा अहम ् आानम ् सृजािम ॥ ४ - ७॥ English translation:O Arjuna, whenever there is indeed a decline of Dharma (righteousness) and a rise of Adharma (un- righteousness), then I manifest Myself.
ु :िही अनवाद
हे भरतवंशी अजनु ! जब-जब धम की हािन और अधम की वृि होती है ु तब-तब ही म अपन े प को रचता ँ अथात ् साकार प से लोग के सख ूकट होता ँ । मराठी भाषार :-
ु , जेा जेा धमाचा ढहास होऊन अधमाच े ूाब हे भरतकुलो अजना माजते , तेा
तेा
मी
आपले वेगळे च प धारण करतो आिण
ु लोकांसमोर ूगट होतो ( णजेच मनपात अवतार घेतो ) . िवनोबांची गीताई :-
ु । गळू िन ज़ातसे धम ा ा वेळेस अजना
अधम उठतो भारी तेां मी ज घेतस ॥ ४ - ७॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
Page: 14 of 85
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
पिरऽाणाय साधूनाम ् िवनाशाय च ृ ताम ।्
ु यगे ु ॥ ४ - ८॥ ं ापनाथाय सवािम यगे धमस श पिरऽाणाय
श उार Paritranaya
English for protection
िही उदार करन े के
मराठी रणासाठी
िलये
साधूनाम ्
Sadhunam
of the virtuous
ु का साध ु पष
सनांा
िवनाशाय
Vinashaya
for destruction
िवनाश करन े के
नाशासाठी
िलये च
ृ ताम ्
Cha
and
और
आिण
Dushkrutam
of the wicked
पापकम
पापीजनांा
करन ेवाल का धमसंापनाथाय
DharmaSansthapanaArthaya
for establishment of धम की अी dharma (righteousness) तरह से ापना
करन े के िलये म सवािम यगु े यगु े
Sambhavami
Yuge Yuge
Jnana Karma Sanyasa Yoga
I am born
in every age
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धमाची उम ूकारे ापना करयासाठी
ूकट आ करता मी ूगट ँ
होतो
यगु - यगु म
ूेक यगु ात
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ं ापनाथाय च , ( अहम ् ) साधूनाम ् पिरऽाणाय , ृ ताम ् िवनाशाय धमस ु यगे ु सवािम ॥ ४ - ८॥ यगे English translation:For the protection of the virtuous, for the destruction of the wicked and for the establishment of Dharma (righteousness) I am born in every age.
ु :िही अनवाद
ु साध ु पष का उार करन े के िलये , पापकम करन े वाल का िवनाश करन े ु गु म के िलये और धम की अी तरह से ापना करन े के िलये म यग-य ूकट होता ँ । मराठी भाषार :सनांा रणासाठी , पापीजनांा नाशासाठी आिण धमाची उम ूकारे ु ापना करयासाठी ; मी ूेक यगात ूगट होतो . िवनोबांची गीताई :-
राखावया जग संतां ां र करावया ।
ु यग ु ॥ ४ - ८॥ ु धम जत मी यग ापावया पां
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ज कम च मे िदम ् एवम ् यः वेि ततः ।
ु ज न एित माम ् एित सः अजनु ॥ ४ - ९॥ क-् ा देहम ् पनः श
श उार Janma
English birth
कम
Karma
च मे
ज
िही
मराठी
ज
ज
action
कम
काय
Cha
and
और
आिण
Me
my
मेरे
माझा
Divyam
divine
एवम ्
िद
अलौिकक
Evam
thus
इस ूकार
अशाूकारे
यः
YaH
who
ु ) जो ( मन
ु ) जो ( मन
वेि
Vetti
knows
जान लेता है
जाणतो
ततः
tattvataH
in true light
क-् ा
त से
यथाथप णे
Tyaktva
ागकर
ाग के ावर
देहम ्
Deham
having abandoned body
शरीर को
शरीराचा
ु पनः
PunaH
again
िफर
ु पा
ज
Janma
birth
ज
ज
न
Na
not
नह
नाही
एित
Eti
gets
माम ्
ूा होता
ूा होतो
Maam
to me
ु े ( ही ) मझ
मला
एित
Eti
comes
ूा होता है
येऊन िमळतो
सः
SaH
he
वह
तो
अजनु
Arjun
O Arjuna !
हे अजनु !
हे अजनु ा !
िदम ्
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
हे अजनु ! यः मे िदम ् ज कम च एवम ् ततः वेि , सः देहम ्
ु ज न एित , ( िक ु सः ) माम ् एित ॥ ४ - ९॥ ा , पनः English translation:-
O Arjuna, he who knows thus My divine birth and action in true light, having abandoned the (physical) body, is not born again but he comes to Me.
ु :िही अनवाद
हे अजनु ! मेरे ज और कम िद अथात ् िनमल और अलौिकक ह – इस
ु त से जान लेता है , वह शरीर को ागकर िफर ज ूकार जो मन ु ही ूा होता है । को ूा नही होता , िक ु मझे मराठी भाषार :-
ु अशाूकारे माझा अलौिकक ज आिण माझे अलौिकक काय जो हे अजना,
ु जास न यथाथ पणे जाणतो ; तो मृनंु तर ( शरीराचा ाग के ावर ) पा येता , मलाच येऊन िमळतो . िवनोबांची गीताई :-
ज कम अश िद ज़ो माझ नीट ओळखे ।
ु ज न पावे भेटुनी मज़ ॥ ४ - ९॥ देह गेा पां
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
वीतरागभयबोधाः मयाः माम ् उपािौताः ।
बहवः ानतपसा पूताः ताः मावम ् आगताः ॥ ४ - १०॥ श
श उार Vita-RagaवीतBhayaरागभयबोधाः KrodhaaH
English िही मराठी freed from ूीती , भय आिण िजन के ूीित, attachment, fear and बोधरिहत झालेले भय और बोध anger सवथा न हो गये थे (और)
मयाः
ManmayaaH
absorbed in ु म जो मझ Me अन ूेमपूवक
अन भावान े एकप झालेले
ित रहते थे माम ्
(ऐसे) Maam
in Me
मेरे
माया (पाशी)
उपािौताः
बहवः ानतपसा पूताः
मावम ्
UpaashritaaH having taken refuge in Me BahavaH Many
आिौत रहन ेवाले माया आौयास
बत से ( भ )
अन ेक ( साधक )
DnyaanTapasaaH PutaaH
by fire of knowledge purified
ानप तप से
ानपी तपान े
पिवऽ होकर
पिवऽ झालेले
Mad-Bhavam
my Being
मेरे प को
मायाच
आलेले
पाला आगताः
AagataaH
Jnana Karma Sanyasa Yoga
have attained
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ूा हो चकेु ह
येऊन िमळालेले आहेत Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
वीतरागभयबोधाः , मयाः , माम ् उपािौताः , ानतपसा पूताः ताः , बहवः मावम ् आगताः ॥ ४ - १०॥ English translation:Freed from passion, fear and anger, absorbed in Me, taking refuge in Me, purified by the fire of knowledge, many have attained my Being.
ु :िही अनवाद
ु िजनके राग , भय और बोध इािद दोष सवथा न हो गये थे और जो मझ ित रहते थे , ऐसे मेरे आिौत रहन ेवाले बत से भ म अन ूेमपूवक ु ानप तप से पिवऽ होकर मेरे प को ूा हो ाल म भी उपय पूवक चकेु ह ।
मराठी भाषार :ूीती , भय आिण बोधरिहत झालेले , अन भावान े माया पाशी एकप झालेले ; माया आौयास आलेले आिण ानपी तपान े पिवऽ झालेले , अन ेक साधक मायाच पाला येऊन िमळालेले आहेत . िवनोबांची गीताई :-
नाही तृा भय बोध माया सेवत तय ।
झाले ान तप चोख अन ेक मज़ पावले ॥ ४ - १०॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ये यथा माम ् ूपे तान ् तथा एव भजािम अहम ् ।
ु ु मम व अनवते मनाः पाथ सवशः ॥ ४ - ११॥ श
श उार
ये
Ye
यथा
Yatha
माम ् ूपे
English who
िही
मराठी
जो ( भ )
जे ( भ )
िजस ूकार
ा ूकारान े
Maam
in whatever way me
ु े मझ
मला
Prapadyante
approaches
तान ्
भजते ह
भजतात
Taan
them
उन को
ांना
तथा
Tatha
उसी ूकार
ाच ूकारान े
एव
Eva
in the same way even
के वल
के वळ
भजािम
Bhajami
भजता ँ
भजतो
अहम ्
Aham
bestow / reward I
म
मी
मम
Mama
My
मेरे (ही)
मायाच
व
Vartma
path
माग का
माग ( मागाच े )
ु े अनवत
Anuvartante
follow
ु ु अनसरण करते ह अनसरण करतात
ु मनाः
ManushyaaH men
ु सभी मन
सव माणसे
पाथ
Paartha
O Arjuna !
हे अजनु !
हे अजनु ा !
सवशः
SarvashaH
in all ways
सब ूकार से
सव ूकारांनी
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :ये
यथा
माम ् ूपे , तान ् तथा एव अहम ् भजािम । हे पाथ !
ु ु मनाः सवशः मम ् व अनवते ॥ ४ - ११॥ English translation:-
O Arjuna, in whatever way, men approach Me, in the same way even I fulfill their desires. Men tread My path, in all ways.
ु :िही अनवाद
ु िजस ूकार से भजते ह , म भी उन को उसीूकार हे अजनु ! जो भ मझे
ु सब ूकार से मेरे ही माग का अनसरण ु से भजता ँ ; िक सभी मन करते ह । मराठी भाषार :-
ु , जे भ मला ा इेन े भजतात ाूमाणे मी ांना फळ हे अजना ु देतो . सवजण सवूकारे माझाच माग अनसरतात . िवनोबांची गीताई :-
भज़ती मज़ ज़े ज़ ैसे भज़ त ैसा िच ांस मी ।
माया मागास हे येती लोक कोणीकडूिन िह ॥ ४ - ११॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
काः कमणाम ् िसिम ् यजे इह देवताः ।
िूम ् िह मानषेु लोके िसिः भवित कमजा ॥ ४ - १२॥ श काः
कमणाम ्
श उार English KankshantaH longing for
िही
मराठी
चाहन ेवाले लोग
इा करणारे लोक
Karmanaam
of action
िसिम ्
कम के
कमाा
Siddhim
success
फल को
फळाची
यजे
Yajante
sacrifice
पूजन िकया करते पूजन करतात ह
इह
Iha
इस
या
DevataaH
here (in this world) Gods
देवताः
िूम ्
देवताओ ं का
देवतांच े
Kshipram
quickly
शीय
शीय
िह
Hi
indeed
िक
कारण ( ांना )
( उन को ) मानषेु
Maanushe
ु मन
ु ा मनां
लोक म
लोकात
SiddhiH
in the human in (the) world success
लोके
Loke
िसिः
िसि
िसी
भवित
Bhavati
is (attained)
िमल जाती है
िमळू न जाते
कमजा
Karmajaa
born of action
कम से उ
कमापासून उ
होन ेवाली
होणारी
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु कमणाम ् िसिम ् काः ( मनाः ) इह देवताः यजे ; िह मानषेु लोके कमजा िसिः िूम ् भवित ॥ ४ - १२॥
English translation:Longing for success in action on earth, they worship gods; as indeed quick success is born of action on this earth.
ु :िही अनवाद
ु इस मनलोक म कम के फल को चाहन ेवाले लोग देवताओ ं का पूजन िकया
ु करते ह ; िक उन मन को कम से उ होन ेवाली िसि , शीय िमल जाती है । मराठी भाषार :कमफळाची इा करणारे लोक इतर देवतांची पूजा करतात ; कारण ांना या ु मनलोकात कमाच े फळ सर िमळते . िवनोबांची गीताई :-
ज़े कम - िसि वांिन यिजती तेथ दैवत ।
ु लोक कमाच े पावती शीय ते ॥ ४ - १२॥ मन
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु िवभागशः । चातवु यम ् मया सृम ् गणकम
् ४ - १३॥ त कतारम ् अिप माम ् िवि अकतारम ् अयम ॥ श
श उार Chaaturचातवु यम ् Varnyam
English four fold caste
िही
मराठी
(ॄाण, िऽय, चार वण (ॄाण, वैँय और शूि
िऽय, वैँय व
इन ) चार वण
शूि)
का समूह मया
सृम ् ु गणकम िवभागशः त
Maya
By Me
Srushtam
has been created Gunakarma according to differentiation -Vibhagaof Guna shaH (quality) and Karma (action) Tasya of it
मेरे ारा रचा गया है
मायाकडून
िनमाण के ले आहेत
ु और कम गण
ु आिण कम गण
के िवभागपूवक
यांा
उस का
ाचा (सृि -रचना
ु िवभागानसार इादी कमाचा)
कतारम ्
Kartaaram
author
कता ( होन ेपर )
कता
अिप
Api
even
माम ्
भी
ु असून सा
Maam
Me
ु े मझ
मला
िवि
Viddhi
know
तमु समझो
( असे ) तू जाण
Akartaaram non-doer
अकता ( ही )
अकताच ( आहे )
Avyayam
अिवनाशी
अिवनाशी परमाा
परमेर को
( खरे पाहता )
अकतारम ् अयम ्
immutable
( वाव म ) Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :मया
ु गणकम िवभागशः
चातवु यम ्
अयम ् अकतारम ् िवि ॥ ४ - १३॥
सृम ् , त
कतारम ् अिप माम ्
English translation:The four-fold caste system was created by Me according to the differentiation of Guna (quality) and Karma (action). Though I am its author, know Me to be the non-doer and immutable.
ु :िही अनवाद
ु और कम के ॄाण , िऽय , वैँय और शूि इन चार वण का समूह गण मेरे ारा रचा गया है । इस ूकार उस सृि रचनािद कम का िवभागपूवक कता होन ेपर भी
ु मझ
अिवनाशी परमेर को , तमु वावम अकता ही
समझो । मराठी भाषार :-
ु ा आिण कायाा िवभागाूमाणे ( ॄाण , िऽय , वैँय व शूि ा ) गणां चार वणाची वा मीच िनमाण के ली आहे . मी ितचा कता असूनही , ु च ) अिवनाशी आहे असे तू जाण . अकता ( आहे ) व ( ामळे िवनोबांची गीताई :-
ु कम िवभागनी ु । िनिमले वण म चारी गण
किन सव ह ज़ाण अकता िनिवकार मी ॥ ४ - १३॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
न माम ् कमािण िलि न मे कमफले ृहा ।
इित माम ् यः अिभजानाित कमिभः न सः बते ॥ ४ - १४ ॥ श
श उार Na
English not
माम ्
Maam
कमािण
न
िही
मराठी
नह
नाही
Me
ु े मझ
मला
Karmani
actions
कम
कम
िलि
Limpanti
taint
िल करते
िल करतात
न
Na
not
नह
नाही
मे
Me
my
मेरी
माझी
कमफले
Karmaphale in fruit of action Spruhaa desire
कम के फल म
कमाा फळांमे
अिभलाषा
आसी / लालसा
Iti
thus
माम ्
इस ूकार
अशाूकारे
Maam
Me
ु े मझ
मला
यः
YaH
who
जो
जो
अिभजानाित
Abijaanaati
knows
त से जान
ततः जाणून घेतो
ृहा इित
लेता है कमिभः
KarmabhiH by actions
कम से
कमानी
न
Na
not
नह
नाही
सः
SaH
he
वह (भी)
ु तो (सा)
बते
Badhyate
is bound
बँधता
बांधला जातो
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
कमफले मे ृहा न , ( अतः ) कमािण माम ् न िलि । इित यः माम ्
अिभजानाित , सः कमिभः न बते ॥ ४ - १४ ॥ English translation:-
Actions do not taint Me nor have I a desire for the fruit of action. He who knows Me thus is not bound by actions.
ु :िही अनवाद
ु कम िल नह करते । कम के फल म मेरी लालसा नह है इसिलये मझे ु त से जान लेता है वह भी कम से नह बँधता । इस ूकार जो मझे मराठी भाषार :कमफळाा ठायी माझी लालसा नाही णून कमाचा लेप णजे बाधा मला होत नाही . याूमाणे जो मला यथाथ पणे जाणतो , तोही कमानी बांधला जात नाही . िवनोबांची गीताई :-
कम न बांिधती मात फळ इा नसे मज़ ।
माझ प ह ज़ाणे तो कमात िह मोकळा ॥ ४ - १४ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु िभः ु । एवम ् ाा कृ तम ् कम पूवः अिप ममु
् ४ - १५ ॥ कु कम एव तात ् म ् पूवः पूवत रम ् कृ तम ॥ श
श उार Evam
English thus
ाा
Dnyaatvaa
कृ तम ्
एवम ्
िही
मराठी
इस ूकार
अशाूकारे
जानकर ही
जाणून
Krutam
having known was done
िकये ह
के लेले
कम
Karma
action
कम
कम
पूवः
PurvaiH
by ancients
ाल के पूवक
ालीन पूवक
अिप
Api
also
भी
ु सा
ु िु भः ममु
MumukshubhiH
seekers of liberation
मो की इा
मोाची इा
करन ेवाले
करणाढयाकडून
साधक न े कु
Kuru
perform
करो
कर
कम
Karma
action
कम
कम
एव
Eva
even
ही
ु सा
Tasmaat
therefore
म ्
इसिलये
णून
Tvam
you
तमु
तू
पूवः
PurvaiH
by ancients
ारा पूवज
ांनी पूवज
Purvataram
in olden times
पूवप रंपरा से तथा परंपरेन े (न ेहमी)
तात ्
पूवत रम ् कृ तम ्
Krutam
Jnana Karma Sanyasa Yoga
done
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िन िकये जान ेवाले
के लेली
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु िभः ु एवम ् ाा पूवः ममु अिप कम कृ तम ् । तात ् म ् पूवः पूवत रम ् कृ तम ् एव कम कु ॥ ४ - १५ ॥
English translation:Having known thus, action was performed even by the ancient seekers of liberation. Therefore, you should also perform action as the ancients did in olden times.
ु :िही अनवाद ाल म मो की अपेा करन ेवाले साधक ने भी इस रह को जानकर पूवक
ही कम िकये थे । इसिलये , तमु भी अपन े कम का आचरण उ की तरह करो । मराठी भाषार :याूमाणे आप जाणून ूाचीन काळा , मोाची इा करणाढयांनी ु कम कर . काय के ले . णून पूवा साधकांनी के लेा कमाूमाणे , तू सा िवनोबांची गीताई :-
ु । ु नं पूव ह त ज़ाणनी के ल कम ममु ू
त ैस तूं िह कर कम ांचा घेऊिन तो धडा ॥ ४ - १५ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
िकम ् कम िकम ् अकम इित कवयः अिप अऽ मोिहताः ।
् ४ - १६॥ ु ॥ तत ् ते कम ूवािम यत ् ाा मोसे अशभात श
श उार
English
िही
मराठी
िकम ्
Kim
what
ा है ?
काय (आहे ?)
कम
Karma
action
कम
कम
Kim
what
ा है ?
काय (आहे ?)
अकम
Akarma
inaction
अकम (िवपरीत कम)
अकम (िवपरीत कम)
इित
Iti
thus
इस ूकार (इस का)
कवयः
KavayaH
the wise
ु ु बिमान प् ष
या बाबतीत
अिप
Api
even
भी
ु सा
अऽ
Atra
here
यहाँ (िनणय करन े म)
येथ े (िनणय करयामे)
मोिहताः
MohitaaH
deluded
मोिहत हो जाते ह
मोिहत होऊन जातात
(इसिलये)
(णून)
वह
ते
िकम ्
तत ्
Tat
that /
ु ु पष बिमान
therefore ते
Te
to you
ु तझे
ु तला
कम
Karma
action
कम-त
कम (त)
ूवािम
Pra-
(I) shall
म भलीभाँित समझाकर
मी नीटपणे समजावून
vakshaami
declare / teach कँगा
सांगने
Yat
which
िजसे
जे
ाा
Dnyaatvaa
having known
जानकर
जाणावर
मोसे
Mokshyase
(you) will be
ु हो ( तमु ) म
ु होशील ( तू ) म
liberated
जाओगे
from evil
अशभु से
यत ्
् ु अशभात
Ashubhaat
Jnana Karma Sanyasa Yoga
् बध ं न से ) ( अथात कम
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ु अशभापासू न ( णजे ं नातून ) कमबध
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
अय :- “ िकम ् कम , िकम ् अकम “ इित अऽ कवयः अिप मोिहताः । ् मोसे ॥ ४ - १६॥ ु तत ् कम ते ूवािम , यत ् ाा अशभात English translation:Here, even the wise are deluded - as to what is action and what is inaction. Therefore, I shall teach you action, knowing which you will be liberated from evil.
ु :िही अनवाद कम ा है ? और अकम ा है ? इस ूकार , इसका िनणय करन े म ु बिमान
ु ु पष भी मोिहत हो जाते ह । इसिलये वह कमत , म तझे
भलीभाँित समझाकर कँगा , िजसे जानकर तमु अशभु से अथात ् कमबन से ु हो जाओगे । म मराठी भाषार :कम णजे काय व अकम णजे काय याा ( िनणय करयाा ) बाबतीत
ु ु ु नीट बिमान पषही संॅमात पडतात . णून ते कमाच े त मी तला ु ं नातून म समजावून सांगने . ते कळले की , तू पापापासून णजेच कमबध होशील . िवनोबांची गीताई :-
न ेणती ज़ाणते ते िह काय कम अकम ह ।
ु त सांगत कम ज़ाणूिन सटशील ु तज़ ज ॥ ४ - १६॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
कमणः िह अिप बोदम ् बोदम ् च िवकमणः ।
अकमणः च बोदम ् गहना कमणः गितः ॥ ४ - १७॥ श
श उार KarmanaH
English of action
िह
Hi
अिप
Api
कमणः
AkarmanaH
च
Cha
मराठी
कम का प
कमाच े प
verily / for
िक
कारण
also
भी
ु सा
जानना चािहये
जाणले पािहजे
जानना चािहये
जाणले पािहजे
और
आिण
िवपरीत कम का
िवपरीत कमाच े
Boddhavyam should be बोदम ् known Boddhavyam should be बोदम ् known Cha and च VikarmanaH of forbidden िवकमणः action अकमणः
िही
of inaction
प भी
ु प (सा)
अकम का प भी कम न करयाचे ु प (सा)
and
Boddhavyam should be बोदम ् known Gahanaa deep गहना KarmanaH of action कमणः GatiH the nature / गितः the path
Jnana Karma Sanyasa Yoga
तथा
तसेच
जानना चािहये
जाणले पािहजे
गहन है
गूढ आहे
कम की
कमाची
गित
गती
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
कमणः ( तम ् ) िह अिप बोदम ् , िवकमणः च ( तम ् ) बोदम ्
, अकमणः च ( तम ् ) बोदम ् , कमणः गितः गहना ॥ ४ - १७॥ English translation:-
It is necessary to discriminate action from inaction and action from forbidden action. The nature of action is inscrutable / impenetrable.
ु :िही अनवाद कम का प भी जानना चािहये और अकम का प भी जानना चािहये तथा िवकम का प भी जानना चािहये ; िक कम की गित गहन है । मराठी भाषार :कम णजे काय िवकम ( िवपरीत कम ) णजे काय आिण अकम ( कम न करणे ) णजे काय हे सव जाणले पािहजे ; कारण कमाच े तािक प समजयास गढू णजेच कठीण आहे . िवनोबांची गीताई :-
सामा कम ज़ाणाव िवकम िवशेष ज़ ।
अकम त िह ज़ाणाव कमाच त खोल ह ॥ ४ - १७॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
कमिण अकम यः पँयेत ् अकमिण च कम यः ।
् मने ् ४ - १८ ॥ ु ु ष ु सः यः ु कृ कमकृत ॥ सः बिदमान श
कमिण अकम
श उार Karmani
English in action
AkarmaH
inaction
िही
मराठी
कमम
कमामे
अकम
अकम ( कम न करणे )
YaH
who
पँयेत ्
जो
ु ) जो ( मन
Pashyet
would see
देखता है
पाहतो
अकमिण
Akarmani
in inaction
अकमम
अकमात
च
Cha
and
और
आिण
कम
Karma
action
कम देखता है
कम पाहतो
यः
YaH
who
जो
ु ) जो ( मन
सः
SaH
he
् ु बिदमान
वह
Buddhimaan
wise
ु षु मने
यः
ु ) तो ( मन
् ु बिदमान
ु बिमान ( आहे )
Manushyeshu among men
ु म मन
ु मे मनां
सः
SaH
वह
( आिण ) तो
ु ः य
YuktaH
Yogi
योगी
योगी
Krutsnakarmakruta
performer of all actions
सम कम को
सव कम करणारा
करन ेवाला है
( आहे )
कृ कमकृत ्
Jnana Karma Sanyasa Yoga
he
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ु ) ( मन
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु षु यः कमिण अकम पँयेत ् , अकमिण च यः कम ( पँयेत )् ; सः मने ् , सः यः ु ु , ( सः ) कृ कमकृत ् ॥ ४ - १८ ॥ बिदमान English translation:He, who sees inaction in action and action in inaction, is wise among men. He is a Yogi and yet accomplisher of everything via various actions.
ु :िही अनवाद
ु कम म अकम देखता है और जो अकम म कम देखता है वह जो मन ् है और वह योगी सम कम को करन ेवाला है । ु म बिमान ु मन मराठी भाषार :-
ु जो िववेकी पष कमाा ( शरीर , इंििय आिण ूाण यांा हालचालीत ) ) पाहतो व जो अकमात ( काहीही न करता ठायी अकम ( आाचे अकतृ
ु मे ) पाहतो तो सव मनां बसणे या अवेत ) कम ( आाचे कतृ ानी , योगी व सव कम यथाथ पणे करणारा होय . िवनोबांची गीताई :-
कम अकम ज़ो पाहे अकम कम ज़ो तस ।
ु त लोकांत तो योगी कृ त - कृ तो ॥ ४ - १८ ॥ तो बिमं
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
य सव समाराः कामसविज ताः ।
ु ॥ ४ - १९॥ ानािदधकमाणम ् तम ् आः पिडतम ् बधाः श य सव
श उार Yasya
English whose
Sarve
all
Samaarambhaa Kaamaकाम-सSankalpaVarjitaaH विजताः समाराः
िही
मराठी
िजस के
ाची
सूण
सव
( शाऽसत )
(शाऽसंमत)
undertakings
कम
कम
free from desire and purposes / expectations
िबना कामना और
कामना व
संक के होते ह
संक यांा
(तथा)
िवना असतात (तसेच)
Dnyaanagni- whose िजस के सम कम ाची सव कम actions are Dagdhaानपी अीन े दधकमाणम ् Karmaanam burnt by fire ानप अि के of knowledge ारा भ हो गये ह भ झालेली ानाि-
असतात
तम ्
Tam
आः
AahuH
पिडतम ् ु बधाः
him
उस
ा
call
कहते ह
णतात
PaNDitam
sage
पिडत
पंिडत
BudhaaH
wise
ानीजन ( भी )
ानी
ु को ) ( महापष
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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ु (महापषाला)
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :य
सव
ु समाराः कामसविज ताः , तम ् ानािदधकमाणम ् बधाः
पिडतम ् आः ॥ ४ - १९॥ English translation:-
Whose undertakings are devoid of design and desire for results; whose actions are burnt by the fire of knowledge, the sages call him a wise person.
ु :िही अनवाद िजस के सूण शाॐसत कम िबना कामना और संक के होते ह तथा
ु िजस के सम कम ानप अि के ारा भ हो गये ह उस महापष को ानीजन पिडत कहते ह । मराठी भाषार :ाा सव कमाचा ( उोगांचा ) आरंभ फलेारिहत आिण संकरिहत असतो आिण ाची कम ानपी अीन े जळू न खाक झालेली असतात ; ु अशा पषाला ानीजन (ॄवे)े ‘ पंिडत ’ णतात . िवनोबांची गीताई :-
उोग किरतो सारे काम संक सोडुनी ।
ानान ज़ािळल कम णती ास पंिडत ॥ ४ - १९ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
क-् ा कमफलासम ् िनतृः िनराौयः ।
कमिण अिभूवृतः अिप न एव िकित ् करोित सः ॥ ४ - २०॥ श
क-् ा
श उार Tyaktvaa
English having abandoned / renounced
KarmaPhalaaफलासम ् Sangam
Attachment to fruits of action
िनतृः
NityaTruptaH
ever content
िनराौयः
Nirawithout AashrayaH dependence
कम-
िही ाग कर के
मराठी (सूणप णे) सोडून देऊन
सम कम म और
सव कम आिण ांची
उनके फल म आसि
फळे यातील आसी
का (सवथा) ( परमाा म ) िन
(परमाामे)
तृ ( है )
िनतृ ( आहे )
संसार के आौय से
भौितक आौयान े
रिहत हो गया है (और)
रिहत झालेला आहे (आिण)
कमिण
Karmani
in action
अिभूवृतः
Abhiengaged PravruttaH
कम म
कमामे
भिलभाँित बरतता
वितपणे
आ
वावरत असताना
अिप
Api
also
भी वाव म
ही (वतु ः)
न
Na
not
नह
नाही
एव
Eva
even
िकित ्
भी
ही
Kinchit
anything
कुछ
काही
करोित
Karoti
does
करता
करतो
सः
SaH
he
वह
तो
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
( यः ) कमफलासम ् ा
िनतृः िनराौयः , सः कमिण अिभूवृतः
अिप न एव िकित ् करोित ॥ ४ - २०॥ English translation:-
Having renounced attachment of fruits of action, ever content, depending upon nothing (in this world), he does not do anything even though he is (always) engaged in action.
ु :िही अनवाद
ु सम कम म और उनके फल म आसि का सवथा ाग कर जो मन संसार के आौय से रिहत हो गया है और परमाा म िन तृ है , वह कम म भलीभाँित बतता आ भी वाव म कुछ भी नह करता । मराठी भाषार :-
ु कमािवषयी अिभमान व फलािवषयी लालसा सोडून , परमापात जो पष सदा
समाधानी
व
सढयाा
आौयािशवाय
( आपा सामावरच
अवलंबनू ) राहतो ; तो कमामे उम ूकारे वावरत असूनही वािवक काहीच करीत नाही . िवनोबांची गीताई :-
िन - तृ िनराधार न राखे फल वासना ।
गेला कमात तरी कांह करी िच ना ॥ ४ - २०॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
िनराशीः यतिचाा सवपिरमहः ।
् ४ - २१॥ शारीरम ् के वलम ् कम कुवन ् न आोित िकिषम ॥ श िनराशीः
श उार NirashiH
English without hope
िही ु आशारिहत पष
मराठी आशारिहत , िनिर ( सांयोगी )
यतिचाा
सवपिरमहः
शारीरम ्
Yatchittatma One with mind and self (body) controlled
TyaktaSarvaParigrahaH
िजस का
ान े आपले
अःकरण और
अःकरण आिण
इिय के सिहत
इंिियांसिहत शरीर
शरीर जीता आ है
िजंकले आहे
( और )
( तसेच )
having िजस न े सम relinquished all भोग की साममी possessions का पिराग कर
सव भोगसाधनांचा ान े पिराग
िदया है ऐसा
के ला आहे
Shaareeram
bodily
के वलम ्
शरीर सी
ं ी शरीर संबध
Kevalam
merely
के वल
के वळ
कम
Karma
action
कुवन ्
कम
कम
Kurvan
doing
करता आ
करीत असताना
न
Na
not
नह
नाही
आोित
Aapnoti
obtains
ूा होता
ूा होते
Kilbisham
sin
पाप को
पाप ( ाला )
िकिषम ्
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :िनराशीः
यतिचाा
सवपिरमहः , के वलम ्
कुवन ् िकिषम ् न आोित ॥ ४ - २१॥
शारीरम ्
कम
English translation:Hoping for naught, with mind and physical body totally under control, having relinquished all possessions, doing merely bodily action, he incurs no sin.
ु :िही अनवाद िजसका अःकरण और इिय से सिहत शरीर जीता आ है और िजसन े ु सम भोग की साममी का पिराग कर िदया है ऐसा आशारिहत पष के वल शरीर सी कम करता आ भी पाप को नह ूा होता । मराठी भाषार :ाा अंतःकरणातून इा गळू न पडलेा असून ान े आपले शरीर व अंतःकरण ताात ठे वले आहे आिण सव भोगसाधनांचा ाग के लेला आहे , अशा ा साधकान े के वळ शरीरान े कम के ले तरीही ाला पाप लागत नाही . िवनोबांची गीताई :-
संयमी सोडुनी सव इेसह पिरमह ।
शरीर िच करी कम दोष ास न लागतो ॥ ४ - २१॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु ातीतः िवमरः। यालाभसः
समः िसदौ अिसदौ च कृ ा अिप न िनबते ॥ ४ - २२॥ श उार English Yadruchchha content याwith -Labhaु SantushthaH whatever लाभसः got unsought ातीतः
िवमरः
DvandaateetaH
VimatsaraH
मराठी
िही
श
जो िबना इा के
ु ( इा न जो पष
अपन े आप ूा ए
करता ) आपोआप ूा
पदाथ म सदा संतु
झालेा पदाथामे
रहता है
संतु राहतो
gone beyond the pairs of opposites
जो हष - शोक आिद
जो हष शोक इादी
हो
आहे
free from envy
िजस म ईा का
(ाा िठकाणी
से सवथा अतीत ंांा पलीकडे गेला
ू अभाव सवथा अभाव हो गया ईचा संपण है
झालेला आहे ) मररिहत
समः
SamaH
even minded
सम भाव से
समतोल राहाणारा
रहन ेवाला कमयोगी
( कमयोगी )
( कम )
िसदौ
Siddhau
in success
यश म
यशात
अिसदौ
A- Siddhau
in failure
अपयश म
अपयशात
च
Cha
and
और
आिण
कृ ा
Krutvaa
acting
करता आ ( उन से ) कम करीत असताना
अिप
Api
even
भी
ु ( ा कमानी ) सा
न
Na
not
नह
नाही
िनबते
Nibadhyate
is bound
बँधता
ब होतो
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु या लाभसः ातीतः िवमरः िसदौ अिसदौ च समः , कृ ा अिप न िनबते ॥ ४ - २२॥ English translation:Content with whatever is received unsought, rising above the pairs of opposites, free from envy, equanimous in success and failure, though performing actions he is not bound.
ु :िही अनवाद
जो िबना इा के अपन े आप ूा ए पदाथ म सदा सु रहता है , िजस म ईा का सवथा अभाव हो गया है , जो हष -शोक आिद से सवथा अतीत हो गया है , ऐसा िसि और अिसि म सम रहन ेवाला कमयोगी कम करता आ भी उन से नह बँधता ।
मराठी भाषार :-
ु न मागता जे िमळेल ात संतु राहणारा , शीत-उ , सख-ःख इादी े ा , कोणाचाही ेष न करणारा , यशात ंदापलीकडे गेलल
व
अपयशात
समतोल राखणारा ( आनंद व ःख न मानणारा ) , ( शरीरितीला अवँय असे ) कम कनही , कमान े बांधला जात नाही . िवनोबांची गीताई :-
िमळे त करी गोड न ज़ाणे ं मर ।
फळो ज़ळो ज़या एक किन िह न बांिधला ॥ ४ - २२॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु गतस म ानावितचेतसः ।
याय आचरतः कम सममम ् ूिवलीयते ॥ ४ - २३॥ श गतस
ु म
श उार GataSangasya
Muktasya
English one who is devoid of attachment
of the liberated
िही िजस की आसि
चेतसः
DnyanaAvasthitaChetasaH
whose mind is established in knowledge
ाची आसी
ू प णे न सवथा न हो गयी संपण है
झालेली आहे
जो देहािभमान
(जो देहािभमान व
और ममतासे रिहत हो गया है
ानावित-
मराठी
मम यांापासून)
ु झाला आहे म
िजस का िच
ाचे िच िनरंतर
िनरर परमाा
परमााा
के ान म ित
ानामे ित
रहता है (ऐसे
राहते
के वल) याय आचरतः
Yadnyaya
for sacrifice
AacharataH acting
यसादन के
के वळ य संपादन
िलये
करयासाठी
(कम) करन ेवाले
जो कम करीत आहे
ु के मन
अशा माणसाचे
Karma
action
सममम ्
कम
कम
Samagram
whole
सूण
ू संपण
ूिवलीयते
Pravileeyate is dissolved
भलीभाँित िवलीन
पूणप णे िवलीन
हो जाते ह
होऊन जाते
कम
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- गतस ानावितचेतसः याय आचरतः सममम ् ूिवलीयते ॥ ४ - २३॥
ु म
कम
English translation:One who is devoid of attachment, liberated, with mind established in knowledge, performing every task as a sacrifice, his entire action melts away.
ु :िही अनवाद िजसकी आसि सवथा न हो गयी है , जो देहािभमान और ममता से रिहत हो गया है , िजसका िच िनरर परमाा के ान म ित रहता है - ऐसा
ु के सूण कम भलीभाँित के वल यसादन के िलये कम करन ेवाले मन िवलीन हो जाते ह । मराठी भाषार :ाची
( कम व फळ यािवषयीची )
( अहंकार व मम आदी दोषांपासून )
लालसा
गळू न पडली आहे , जो
ु म झाला
आहे ,
ाचे मन
न ेहमी ( परमाानात ) िर आहे अशा के वळ यासाठी कम करणाढया ु पषाचे कम ( फळासह ) पूण पणे लयास जाते . िवनोबांची गीताई :-
ानांत ब ैसली वृि संग सोडूिन मोकळा ।
याथ किरतो कम ज़ाय सव िजिन त ॥ ४ - २३॥
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ॄ अप णम ् ॄ हिवः ॄाौ ॄणा तम ।्
ॄ एव तेन गम ् ॄकमसमािधना ॥ ४ - २४॥ श ॄ
अप णम ्
श उार Brahma ArpaNam
English
िही
मराठी
Brahman
ॄ है ( और )
ॄ
act of offering
( िजस य म )अप ण
( ा यात ) अप ण
् वा ु आिद अथात ॐ ( भी )
ॄ
Brahma
Brahman
ॄ है ( और )
ॄ
हिवः
HaviH
The oblation (the purified butter-Ghee)
हवन िकये जान े योय
हवन करयास योय
ि ( भी )
ु ) असे ि ( सा
ॄाौ
BrahmaAgnau BrahmaNaa
In the fire of Brahman
ॄप अि म
ॄप अीमे
by Brahman
ॄप कता के ारा
ॄप अशा काा
ॄणा
ारा
तम ्
Hutam
ॄ
Brahma
एव तेन
is offered
आित देन े की िबया
आती देण े ( ही िबया
( भी ॄ है )
ु ॄ आहे ) सा
Brahman
ॄ है
ॄ
Eva
verily (only)
ही है
च ( के वळ )
Tena
by him
उस
ा
Gantavyam गम ्
shall be reached
ूा िकये जान े योय
ूा कन घेयास
( फल भी )
ु ) योय ( असे फळ सा
BrahmaKarmaसमािधना Samaadhinaa
by the man who is absorbed in the action which is Brahman
ॄकम म ित
ॄकमामे ित
रहनवे ाले योगी ारा
असणाढया योयाला
ॄकम-
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ॄ अप णम ् , ॄ हिवः , ॄाौ ॄणा तम ् , ॄकमसमािधना तेन ॄ एव गम ् ॥ ४ - २४ ॥ English translation:The act of offering is Brahman, the oblation is Brahman, offered by Brahman in the fire of Brahman, by seeing Brahman in action; and thus Brahman verily shall be reached by him.
ु :िही अनवाद
ु आिद भी ॄ है और हवन िकये जान ेयोय िजस य म अप ण अथात ् वा ि भी ॄ है तथा ॄप कता के ारा ॄप अि म आित देनाप िबया भी ॄ है - उस ॄकम म ित रहन े वाले योगी ारा ूा िकये जान े योय फल भी ॄ है । मराठी भाषार :अप ण णजे हवनिबया ॄ , हिव णजे हवनि ॄ,
हवनाी ॄ
आिण हवन करणाराही ॄ , ाूमाणे सव कम ॄाक झाले अशी ु झाावर िमळणारे फळही ॄच होय . समबी िवनोबांची गीताई :-
ु । ॄांत होिमल ॄ ॄान ॄ लनी
ॄ िमसळल कम तेां ॄ िच पावला ॥ ४ - २४॥
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु । दैवम वम ् एव अपरे यम ् योिगनः पयपासते
ु ॥ ४ - २५ ॥ ॄाौ अपरे यम ् येन एव उपजित श
श उार Daivam
English to Gods
एव
Eva
अपरे
दैवम ्
िही
मराठी
देवताओ ं के पूजनप
देवतांच े पूजन पी
only
ही
के वळ
Apare
some
सरे
सरे ( योगी लोक )
यम ्
Yadnyam
sacrifice
य का
( आप ) याचे
योिगनः
YoginaaH
Yogis
योगीजन
योगी ( लोक )
पयपु ासते
Paryupaasate perform
ु भलीभाँित अनान
ु चांगाूकारे अनान
िकया करते ह
करतात
ॄाौ
Brahmagnau in the fire परॄ परमााप of Brahman
परॄ परमााप
अि म
अीमे ( अभेद
( अभेददशनप )
दशनप )
Apare
others
सरे
सरे ( योगी लोक )
यम ्
Yadnyam
sacrifice
आप य का
आप याचे
येन
Yadnena
by sacrifice
य के ारा
याा ारे
एव
Eva
even
ही
च
ु उपजित
Upajuhvati
offer as sacrifice
हवन िकया करते ह
हवन करतात
अपरे
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु ; अपरे ॄाौ येन यम ् अपरे योिगनः दैवम वम ् एव यम ् पयपासते
ु एव उपजित ॥ ४ - २५ ॥ English translation:-
Some Yogis perform sacrifice to gods; others perform sacrifice by offering sacrifice itself in the fire of Brahman.
ु :िही अनवाद
ु सरे योगीजन देवताओ ं के पूजनप य का ही भलीभाँित अनान िकया करते ह और अ योगीजन परॄ परमााप अि म अभेददशनप य के ारा ही आप य का हवन िकया करते ह । मराठी भाषार :काही योगी देवािदकांा उेशान े य करतात तसेच सरे काही योगी ॄप अीमे ( ाायपी ) यान े याचे हवन करतात . िवनोबांची गीताई :-
ु देवताराधन य योगी कोणी अनिती ।
ॄात तसे कोणी य य ज़ािळती ॥ ४ - २५ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु । ौोऽादीिन इियािण अे संयमािष ु जित
ु ॥ ४ - २६ ॥ शादीन ् िवषयान ् अे इियािष ु जित श
श उार ShrotraAdeeni Indriyaani
English hearing etc.
अे संयमािष ु
ौोऽादीिन इियािण
ु जित शादीन ् िवषयान ् अे इियािष ु ु जित
िही
मराठी
ौोऽ आिद
कान इादी
senses
सम इिय को
सव इंिियांच े
Anye
others
सरे (योगीलोग)
सरे ( योगी जन )
SanyamaAgnishu
in the fire of restraint
संयमप अिय
संयमपी अीमे
Juhvati
sacrifice
म हवन िकया करते ह
हवन करतात
(और)
(आिण)
sound etc.
शािद
श इादी
sense objects others
सम िवषय को
िवषयांच े
सरे (योगीलोग)
सरे (योगीलोक)
IndriyaAgnishu
in the fire of the senses
इियप अिय
इंिियपी अीमे
Juhvati
sacrifice
Shabdaadeen sense objects Anye
Jnana Karma Sanyasa Yoga
म हवन िकया करते ह
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हवन करतात
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु , अे शादीन ् िवषयान ् अे ौोऽादीिन इियािण संयमािष ु जित ु इियािष ु जित ॥ ४ - २६ ॥ English translation:Some offer hearing and other senses as sacrifice in the fire of restraint, while others offer sound and other sense-objects as sacrifice in the fire of the senses.
ु :िही अनवाद अ योगीजन ौोऽ आिद सम इिय को संयमप अिय म हवन िकया करते ह और सरे योगीलोग शािद सम िवषय को इियप अिय म हवन िकया करते ह । मराठी भाषार :सरे काही योगी कान इादी ानिियांच े संयमप अीमे हवन करतात तर सरे काही योगी श इादी िवषयांच े इंिियप अीत हवन करतात . िवनोबांची गीताई :-
ौोऽािद इंििय कोणी संयमात होिमती ।
कोणी िवषय शािद इंिियात अिप ती ॥ ४ - २६ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
सवािण इियकमािण ूाणकमािण च अपरे ।
ु आसंयमयोगाौ जित ानदीिपते ॥ ४ - २७ ॥ श
श उार Sarvaani
English all
इियकमािण
IndriyaKarmaani
ूाणकमािण
PranaKarmaani
च
िही
मराठी
सूण
सव
functions of senses
इिय की
इंिियांा िबया
ूाण की
ूाणांा सव िबया
Cha
Functions of breath (vital air energy) and
और
आिण
अपरे
Apare
others
ु कई अ पष
सरे (योगीलोक)
आसंयमयोगाौ
AttmaSanyamaYogagnau
in the fire of yoga of selfrestraint
आसंयम
आसंयमयोगपी
योगप अि
अीमे
sacrifice
हवन िकया
सवािण
ु जित
Juvhati
िबयाओ ं को िबयाओ ं को
म हवन करतात
करते ह ानदीिपते
DnyaanaDeepite
Jnana Karma Sanyasa Yoga
kindled by knowledge
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ान से
ानान े ूकािशत
ूकािशत
झालेा
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
अपरे ानदीिपते आसंयमयोगाौ सवािण इियकमािण ूाणकमािण च
ु जित ॥ ४ - २७ ॥
English translation:Others offer all the functions of the senses and the functions of breath involving the vital life – air energy into the fire of yoga of self-restraint, kindled by wisdom.
ु :िही अनवाद
सरे योगीजन इिय की सूण िबयाओ ं को और ूाण की सम िबयाओ ं को ान से ूकािशत आसंयम योगप अि म हवन िकया करते ह । मराठी भाषार :इतर काही योगी इंिियांा सव िबया आिण ूाणांा सव िबया यांच े ानान े ूकािशत झालेा मनोिनमहपी अीत हवन करतात . िवनोबांची गीताई :-
ूाणििय िबया कोणी सव होमूिन टािकती ।
िचंतनान समाधीस अंतर चेतवूिनयां ॥ ४ - २७ ॥
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ियाः तपोयाः योगयाः तथा अपरे।
ाायानयाः च यतयः संिशतोताः ॥ ४ - २८॥ श ियाः
तपोयाः
योगयाः
श उार DravyaYadnyaaH
TapoYadnyaaH YogaYadnyaaH
English those who offer wealth as sacrifice
िही
मराठी
ि-सी य
िपीय
करन ेवाले
करणारे
( ह िकतन े ही )
( िकेकजण )
those who offer austerity as sacrifice those who offer yoga as sacrifice
य करन ेवाले ह
तपापी य करणारे
योगप य
योगपी य
करन ेवाले ह
करणारे
तथा
Tathaa
thus
तथा
तसेच
अपरे
Apare
others
ु कई अ पष
ु सरे काही पष
ााय-
Svadhyaaya- those who offer study Dyaanaand wisdom YadnyaaH as sacrifice
ाायप
ाायप
च
Cha
and
और ( िकतन े ही )
आिण
यतयः
YatataH
ु यशील पष
ु ूयशील पष
संिशतोताः
SanshitaVrataaH
ascetics / persons of self restraint persons of rigid vows
अिहंसािद ती
( अिहंसा इादी )
ानयाः
ानय करन ेवाले ानय करणारे ह
ु ोतसे य
अंत कठोर ोते करणारे
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
अपरे संिशतोताः ियाः तपोयाः योगयाः तथा च ाायानयाः
यतयः ( सि ) ॥ ४ - २८ ॥ English translation:-
Some perform sacrifice with material possessions; some offer sacrifice in the form of austerities; others sacrifice through the practice of Yoga; while some striving souls, observing austere vows, perform sacrifice in the form of wisdom via the study of sacred texts.
ु :िही अनवाद
ु िसी य करन ेवाले ह िकतन े ही तपाप य करन ेवाले कई पष ह तथा सरे िकतन े ही योगप य करन ेवाले ह और िकतन े ही अिहंसािद ु यशील पष ु ाायप ानय करन ेवाले ह । ती ोतसे य मराठी भाषार :सरे कोणी अगदी कठोर ोत करणारे , िान े य करणारे , तपान े य करणारे , योगान े य करणारे आिण ाायान े य करणारे यती असतात. ( य णजे िनरपे लोककाण ) िवनोबांची गीताई :-
ि जप तप योग िचंतन वा अशापरी ।
ु ॥ ४ - २८ ॥ संयमी यिजती य ोत ूखर राखनी Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु ूाणम ् ूाणे अपानम ् तथा अपरे । अपान े जित
ूाणापानगती द-् ा ूाणायामपरायणाः ॥ ४ - २९ ॥ श अपान े ु जित
श उार Apaane Juvhati
ूाणम ्
PraaNam
ूाणे
PraaNe
अपानम ्
Apaanam
English in incoming breath sacrifice outgoing breath In outgoing breath incoming breath
िही
मराठी
अपानवाय ु म
अपान वायूमे
हवन करते ह
हवन करतात
ूाणवाय ु को
ूाण वायूच े
ूाणवाय ु म
ूाण वायूमे
अपानवाय ु को
अपान वायूच े
(हवन करते ह
(हवन करतात)
तथा) तथा अपरे
Tathaa
Apare
Thus
Others
वैस े ही अ
ाचूमाणे इतर
योगीजन
(योगीलोक)
अ िकतन े ही
आणखी सरे (िकतीतरी योगीजन)
ूाणापानगती द ्-ा ूाणायामपरायणाः
PraaNaaPaana-Gatee Ruddhvaa
in the course ूाण और अपान of PraNa and Apaana की गित को having रोककर restrained
PraaNaayaam absorbed in PraaNaParaayaNaaH yaama (breath control)
Jnana Karma Sanyasa Yoga
ूाणायाम म
ु ितत पष
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ूाण आिण अपान यांा गतीचा अवरोध कन (अडवून) ूाणायाम परायण
ु पष
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु तथा अपरे अपान े ूाणम ् ूाणे अपानम ् जित । ( तथा अपरे ) ूाणापानगती द-् ा ूाणायामपरायणाः ( सि ) ॥ ४ - २९ ॥ English translation:Yet others offer as sacrifice Praana (outgoing breath) into Apaana (incoming breath) and sacrifice Apaana (incoming breath) into Praana (outgoing breath); restraining the courses of Praana (outgoing breath) and Apaana (incoming breath) some are absorbed in Praanaayaama (breath control).
ु :िही अनवाद
सरे िकतन े ही योगीजन अपानवाय ु म ूाणवाय ु को हवन करते ह वैसे ही अ
योगीजन
अपानवाय ु
को ूाणवाय ु
म
हवन
करते
ह ;
तथा
ूाणायामपरायण योगीजन ूाण और अपान की गित को रोकते ह । मराठी भाषार :सरे काही साधक अपानवायूत ूाणाला आिण ाचूमाणे ूाणवायूत अपानाला हवन करतात . तसेच काही ूाण व अपान यांा गतीचा िनरोध कन ूाणायामात िनम होतात. िवनोबांची गीताई :-
होिमती एकमेकांत कोणी ूाण अपान ते ।
रोधूिन गित दोहची ूाणायामास सािधती ॥ ४ - २९ ॥ Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु । अपरे िनयताहाराः ूाणान ् ूाणेष ु जित
सव अिप एते यिवदः यिपतकषाः ॥ ४ - ३० ॥ श अपरे
श उार Apare
English others
िही सरे (िकतन े ही
मराठी सरे (योगीजन)
योगीजन) NiyataaahaaraaH
of regulated food
िनयिमत आहार
िनयिमत आहार
ूाणान ्
करन ेवाले
करणारे
PraaNaan
life breaths
ूाण को
ूाणांच े
ूाणेष ु
PraaNeShu
life breaths
ूाण म (ही)
ूाणामेच
ु जित
Juvhati
sacrifice
हवन िकया करते
हवन करतात
िनयताहाराः
ह सव
Sarve
all
सभी
सव
अिप
Api
also
तथा
(साधक) ही
एते
Ete
these
ये
हे
यिवदः
YadnyaVidaH
knowers of sacrifice
य को
य जाणणारे
य-िपतकषाः
जानन ेवाले ह
whose sins Yadnyaय ारा पाप are KshapitaKalmaShaaH destroyed by का नाश कर sacrifice देन ेवाले
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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यांारे पापांचा नाश झालेले
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :अपरे
िनयताहाराः
ु ूाणान ् ूाणेष ु जित । एते सव
यिपतकषाः ( सि ) ॥ ४ - ३० ॥
अिप
यिवदः
English translation:Still others of regulated food habit offer in the Pranaas (life governing breaths) the functions there of. All these are knowers of Yadnya i.e. sacrifice and by sacrifice have destroyed their sins.
ु :िही अनवाद अ िकतन े ही िनयिमत आहार करन ेवाले योगीजन ूाण को ूाण म हवन िकया करते है । ये सभी साधक य ारा पाप का नाश कर देन ेवाले और य को जानन ेवाले ह । मराठी भाषार :सरे काही योगी आहार िनयिमत कन ूाणातच ूाणांच े हवन करतात ते सवही य जाणणारे व यान े आपा पापाचा नाश कन घेणारे होत . िवनोबांची गीताई :-
ूाणांत होिमती ूाण कोणी आहार तोडुनी ।
य - वे े िच हे सारे यान दोष ज़ािळती ॥ ४ - ३० ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु याि ॄ सनातनम ।् यिशामृतभजः
न अयम ् लोकः अि अय कुतः अः कुसम ॥ ४ - ३१ ॥ श यिशाु मृतभजः
श उार YadnaShiShtaAmrutabhujaH
English िही eaters of य से बचे ए nectar – the ु अमृत का अनभव remnant of करन ेवाले sacrifice
मराठी य झाावर िशक रािहलेा अमृताचा
ु घेणारे अनभव
( योगीजन )
( योगी लोक ) जातात
याि
Yaanti
go
ूा होते ह
ॄ
Brahma
Brahman
परॄ परमाा को परॄ परमााूत
eternal
सनातन
सनातन
not
नह
नाही
this
यह
हा
Sanaatana सनातनम ् m Na न Ayam अयम ् LokaH लोकः
world
ु मन-लोक भी
ु मन-लोक
है ( िफर )
राहतो
ु ( सखदायक )
अि
Asti
अय
Ayadnyasya of the nonय न करन ेवाले य न करणाढया sacrificer ु के िलये ) ु ( पष ( पषासाठी ) KutaH how ु ु हो कसा बरे ( सखदायक कै स े ( सखदायक
कुतः
is
ु ( सखदायक )
other
सकता है )
होऊ शके ल ? )
परलोक
परलोक
अः
AnyaH
कुसम
Kurusattam O best of हे कुौे अजनु ! the Kurus !
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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हे कुौे अजनु ा !
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु सनातनम ् ॄ याि । अय अय :- हे कुसम ! यिशामृतभजः अयम ् लोकः न अि कुतः अः ? ॥ ४ - ३१ ॥ English translation:O best of the Kurus / Arjuna , eaters of nectar, the remnant of sacrifice, go to the eternal Brahman. This world is not for the non sacrificer, how then the other?
ु :िही अनवाद
ु हे कुौे अजनु ! य से बचे ए अमृत का अनभव करन ेवाले योगीजन ु सनातन परॄ परमाा को ूा होते ह और य न करन ेवाले पष के
ु ु ु िलये तो यह मनलोक भी सखदायक नह है ; िफर परलोक कै स े सखदायक हो सकता है ? मराठी भाषार :-
ु ! यातून िशक रािहलेा ूसादपी अमृताचे सेवन हे कुौे अजना करणारे योगी सनातन परॄ परमााला पावतात . य न करणाढया
ु ु ु ु पषाला हा मनलोक सा सखदायक होत नाही तर मग परलोक कसा ु सखदायक होईल ?
िवनोबांची गीताई :-
य शेषामृत धाले पावले ॄ शात ।
न यािवण हा लोक कोठूिन पर लोक तो ॥ ४ - ३१ ॥ Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु । एवम ् बिवधाः याः िवतताः ॄणः मखे
कमजान ् िवि तान ् सवान ् एवम ् ाा िवमोसे ॥ ४ - ३२ ॥ श
एवम ्
श उार Evam
English thus
िही इस ूकार
मराठी अशाूकारे
( और भी )
बिवधाः
BahuvidhaaH manifold
बत तरह के
नानाूकारचे
याः
YadnyaaH
sacrifices
य
य
िवतताः
VitataaH
are spread
िवार से कहे गये ह
िवारान े ( सांिगतले
ॄणः
BrahmaNaH
ु े मख
Mukhe
कमजान ्
Karmajaan
गेले आहेत )
of वेद की Brahman in mouth वाणी म (in speech) born of मन इिय और शरीर action
वेदांा वाणीमे मन इंििय व शरीर
की िबयाारा स
यांा िबयांारे संप
होनवे ाले
होणारे
Viddhi
know
तमु जानो
( असे ) तू जाण
Taan
them
उन
ते
Sarvaan
all
सब को
सव
एवम ्
Evam
thus
इस ूकार ( त से )
अशाूकारे ( ततः )
ाा
Dnyaatvaa
having known
जानकर ( उन के
जाणून ( ांा
कमबन से सवथा )
ं नातून ) कमबध
ु हो जाओगे म
ु होशील तू म
िवि
तान ्
सवान ्
िवमोसे
Vimokshase
(you) shall be liberated
Jnana Karma Sanyasa Yoga
ु ारा तमु अनान
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ु ू अनानाारा संपण
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
एवम ् बिवधाः याः
ु िवतताः ( सि , म ् ) तान ् सवान ् ॄणः मखे
कमजान ् िवि । एवम ् ाा ( म )् िवमोसे ॥ ४ - ३२ ॥
English translation:Various Yadnyaas (sacrifices) such as these are spread out in the storehouse of the Vedas (before Brahman). Know them all to be born of action (Karma), you shall be liberated.
ु :िही अनवाद इसी ूकार और भी बत तरह के य वेद की वाणी म िवार से कहे गये ह । उन सबको तू मन , इिय और शरीर की िबयाारा स होन ेवाले
ु जान , इस ूकार त से जानकर उन के अनान ारा तमु कमबन से ु हो जाओगे । सवथा म मराठी भाषार :-
ु े ( वेदांमे ) याूमाणे अन ेक ूकारचे य ॄाा णजे वेदाा मखान िवारान े
सांिगतले आहेत . ते सव कमापासून उ होतात याचे
ु होशील . ान झाावर , तू ( संसारबंधनापासून ) म िवनोबांची गीताई :-
िवशेष बोिलले वेद असे य अन ेक हे ।
ु कमान घिडले ज़ाण ज़ाणूिन सटशील तूं ॥ ४ - ३२ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ौेयान ् िमयात ् यात ् ानयः परप ।
सवम ् कम अिखलम ् पाथ ान े पिरसमाते ॥ ४ - ३३ ॥ श
ौेयान ्
िमयात ् यात ्
ानयः परप
श उार Shreyaan
English superior
Drvyamayyat Yadnyaat
than sacrifice of material things sacrifice of wisdom O scorcher of foes
DnyanaYadnyaH Parantapa
िही
मराठी
अ ौे ( है )
अिधक ौे ( आहे )
य की अपेा
यापेा
ानय
ानय
शऽू को पीडा
हे शऽूला तापदायक
िमय (वु प) िमय (वु प)
देन ेवाले
अजनु ा !
सवम ्
Sarvam
all
सूण
सव
कम
Karma
action
अिखलम ्
कम
कम
Akhilam
यावाऽ
सव
पाथ
Paartha
Without exception O Arjuna !
हे अजनु !
हे अजनु ा !
ान े
Dnyaane
in wisdom
ान म
ानामे
पिरसमाते
PariSamaapyate
is समा हो जाते ह culminated
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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समा होतात
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
अय :- हे परप ! िमयात ् यात ् ानयः ौेयान ् । हे पाथ ! सवम ् अिखलम ् कम ान े पिरसमाते ॥ ४ - ३३ ॥ English translation:O scorcher of foes, the sacrifice of wisdom is superior to the sacrifice of material objects. O Arjuna, without any exception, all actions are culminated in wisdom.
ु :िही अनवाद
हे परंतप अजनु ! िमय य की अपेा ानय अिधक ौे है तथा सभी ूकार के कम सूण तः ान म समा हो जाते ह । मराठी भाषार :-
ु , िान े सा होणाढया यापेा ानय अिधक हे शऽूला तापदायक अजना
ु , ययावत ् सव कम ानात समा काणकारक आहे ; कारण हे अजना होतात - णजेच ांच े ानात पयवसान होते . िवनोबांची गीताई :-
ि यािदकांिन ान य िच थोर तो ।
पावती सगळ कम अंत ानांत पूण ता ॥ ४ - ३३ ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
तत ् िवि ूिणपातेन पिरूौेन सेवया ।
उपदेि ते ानम ् ािननः तदिशनः ॥ ४ - ३४ ॥
तत ्
श
श उार Tat
English that
िवि
Viddhi
know
ूिणपातेन
PraNipaatena by long prostration
िही
मराठी
उस ान को
ते ( ान तदश
( तदश ािनय
ानी माणसांा
के पास जाकर )
जवळ जाऊन )
( तमु ) जान लो
( तू ) जाणून घे
उन को भलीभाँित
( ांना ) नॆ ूणाम
् दडवत ूणाम
कन
करन े से उनकी
पिरूौेन
PariPrashena
by questioning
ू सरलतापूवक
( ांना ) सरळपणे
करन े से
ू कन
सेवया
Sevayaa
by service
सेवा करन े से ( और
( ांची ) सेवा कन
उपदेि
Updeksyanti
ते
Te
to you
वे
ते
ानम ्
Dnyaanam
knowledge
तान का
तान
ािननः
DnyaninaH
the wise
ानी महाा
ानी महाे
तदिशनः
TattvaDarshinaH
परमात को
परमा - त
भलीभाँित
वितपणे
जाननवे ाले
जाणणारे
कपट छोडकर )
will instruct
उपदेश कर ग े
ु ा ) उपदेश ( तल करतील
(तमु को उस)
Jnana Karma Sanyasa Yoga
who have realized the truth
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :- ूिणपातेन
पिरूौेन
सेवया
तदिशनः ािननः
उपदेि तत ् ( म )् िवि ॥ ४ - ३४ ॥
ानम ् ते
English translation:Seek that enlightenment by prostrating, by questioning and by service; the wise who have realised the Truth will impart you that knowledge.
ु :िही अनवाद
उस ान को तमु ानदश ािनय के पास जाकर समझ लो , उन को भलीभाँित दडवत -् ूणाम करन े से , उनकी सेवा करन े से और ( कपट छोडकर सरलतापूण ) ू करन े से वे परमात को भलीभाँित जानन ेवाले ानी ु उस तान का उपदेश कर ग े । महाा त मराठी भाषार :-
ु ू आचायाना साांग नमार कन , ांची सेवा कन , ांना िववेकय ु आानाचा िवचान ांाकडून ते ान तू समजून घे . ते तानी तला उपदेश करतील .
िवनोबांची गीताई :-
ु िनयां । सेवा किन त ज़ाण नॆ - भाव पसू
ु ु ॥ ४ - ३४ ॥ ानोपदेश देतील ानी अनभवी तज़
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ु मोहम ् एवम ् यािस पाडव । यत ् ाा न पनः
े ििस आिन अथो मिय ॥ ४ - ३५ ॥ येन भूतािन अशेषण श
श उार Yat
English which
ाा
Dnyaatvaa
न
Na
having known not
ु पनः
PunaH
यत ्
िही
मराठी
िजस को
जे
जानकर
जाणावर
नह
नाही
again
िफर
ु पा
Moham
delusion
एवम ्
मोह को
मोहाूत
Evam
thus
इस ूकार
अशाूकारे
यािस
Yaasyasi
will get
ूा होगा
तू जाशील
पाडव
PaaNDava
O Arjuna
हे अजनु !
हे अजनु ा !
येन
Yen
by which
िजस ( ान के )
ा ( ानाा )
ारा
ारा
सूण ूािणमाऽ
सव ूािणमाऽांना
मोहम ्
भूतािन
Bhutaani
beings
को े अशेषण
AsheSheNa
all
िनःशेष भाव से
ू प णे संपण
ििस
Drakshyasi
तमु देखोगे
तू पाहशील
आिन
Aatmani
(you) will see in Self
( पहले ) अपन े म
( ूथम )
( और )
आपामे
अथो
Atho
also
उसके बाद
ु सा
मिय
Mayi
in Me
ु परमाा म मझ
मज परमाामे
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ु एवम ् मोहम ् न यािस , येन हे पाडव ! यत ् ाा ( म )् पनः े भूतािन अशेषण आिन अथो मिय ििस ॥ ४ - ३५ ॥ English translation:O Arjuna, knowing this, you will never ever fall into this trap of delusion. In such a state of Self realisation, you will notice all beings in the Self and also in Me.
ु :िही अनवाद
िजसको जानकर िफर तमु इस ूकार मोह को नह ूा हो जाओगे तथा हे अजनु िजस ान के ारा तमु सूण भूत को िनःशेषभाव से पहले अपन े म ु सिदानघन परमाा म देखोगे । और उसके बाद मझ मराठी भाषार :-
ु पनः ु अशाूकारे मोह होणार ु , हे असे ान ूा झाावर , तला हे अजना नाही ; ा ानान े सव ूािणमाऽ पूण पणे ूथम आपा ( जीवााा ) ठायी व नंतर माया ( परमााा ) ठायी पाहशील . िवनोबांची गीताई :-
ु पावशील तूं । ा ानान असा मोह न पां
ु ॥ ४ - ३५ ॥ आांत आिण मायांत भूत िनःशेष देखनी
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
अिप चेत ् अिस पापेः सवः पापकृ मः ।
सवम ् ानवेन एव वृिजनम ् सिरिस ॥ ४ - ३६॥ श
श उार Api
English even
चेत ्
Chet
अिस
Asi
पापेः
िही
मराठी
भी
ु ही / सा
if
यिद ( तमु अ )
जरी
(you) are
हो ( तो भी तमु )
असलास
PaapebhyaH the sinners
पािपय से
े ा पापी माणसांप
सवः
SarvebhyaH than all
सब
े ा सवाप
पापकृ मः
PaapaKruttamaH
most sinful
अिधक पाप
अिधक पापी
सवम ्
Sarvam
all
सूण
ू संपण
ानवेन
DnyaanaPlavena Eva
by raft of knowledge alone
ानप नौका ारा
ानपी नौके न े
वृिजनम ्
िनःसेह
िनःसंशयपणे
Vrujinam
sin
पाप – समिु से
पाप ( समिु )
सिरिस
SanTariShyasi
you shall cross over
( तमु ) भलीभाँित
( तू )
तर जाओगे
चांगाूकारे
अिप
एव
करन ेवाले
तन जाशील
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
( म ् ) सवः पापेः अिप
पापकृ मः अिस चेत ् , सवम ् वृिजनम ्
ानवेन एव सिरिस ॥ ४ - ३६॥ English translation:-
Even if you are the most sinful of the sinners, you shall verily cross over all sin by the raft of knowledge.
ु :िही अनवाद
यिद तमु अ सब पािपय से भी अिधक पाप करन ेवाले हो तो भी तमु ानप नौकाारा िनःसंदहे सूण पापपी – समिु को भलीभाँित पार कर जाओगे । मराठी भाषार :जरी तू सव पाांत अंत पापी असलास तरीही , तू ानपी नौके न े , ु न ) , सहजतेन े तन जाशील . खाऽीन े सव पापांतनू ( पापसमिातू िवनोबांची गीताई :-
जरी पाांमध पापी असशील िशरो - मिण ।
तरी ा ान नौके न पाप त तरशील तूं ॥ ४ - ३६॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
यथा एधांिस सिमः अिः भसात ् कुते अजनु ।
ानािः सवकमािण भसात ् कुते तथा ॥ ४ - ३७॥ श
श उार Yathaa
as
ज ैसे
ाूमाणे
एधांिस
Edhaamsi
fuel
धन को
सप णाला
सिमः
SamidhaH
blazing
ूिलत
ूिलत
अिः
AgniH
fire
भसात ्
अि
अी
Bhasmasaat
भमय
भमय
कुते
Kurute
reduced to ashes makes
कर देता है
करतो
अजनु
Arjuna
O Arjuna !
हे अजनु !
हे अजनु ा !
ानािः
DnyaanaAgniH SarvaKarmaaNi Bhasmasaat
fire of knowledge all actions
ानप अि
ानपी अी
सूण कम को
ू कमाना संपण
भमय
भसात
कर देता है
कन टाकतो
वैस े ही
ाूमाणे
यथा
सवकमािण भसात ्
English
कुते
Kurute
reduced to ashes makes
तथा
Tathaa
so
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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िही
मराठी
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
हे अजनु ! यथा सिमः अिः एधांिस भसात ् कुते , तथा ानािः सवकमािण भसात ् कुते ॥ ४ - ३७॥ English translation:O Arjuna, as the blazing fire reduces fuel to ashes, so does the fire of knowledge reduce all actions to ashes.
ु :िही अनवाद
िक हे अजनु ! ज ैसे ूिलत अि धन को भमय कर देती है , वैस े ही ानप अि सूण कम को भमय कर देती है । मराठी भाषार :-
ु ! ाूमाणे पेटलेला अी सप णाला जाळू न टाकतो ; ाूमाणे हे अजना ानपी अी सव कमाची राखरांगोळी करतो . िवनोबांची गीताई :-
ू पेटला अि का टािकतो । संपण
तसा ानाि तो सव कम ज़ाळू िन टािकतो ॥ ४ - ३७॥
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
न िह ान ेन सशम ् पिवऽम ् इह िवते ।
तत ् यम ् योगसंिसः कालेन आिन िवित ॥ ४ - ३८॥ श न िह
श उार Na
English not
Hi
verily
िही नह
नाही
िनःसेह
खाऽीपूवक
( कुछ भी )
ान ेन
Dnyaanena
सशम ्
मराठी
( काहीही )
ान के
ानान े
Sadrusham
by knowledge like
पिवऽम ्
समान
ु समान / त
Pavitram
purifier
पिवऽ करन ेवाला
पावन ( करणारे )
इह
Eha
िवते
Vidyate
here in this इस संसार म world is है that उस ( ान को ) itself अपन े आप ( ही ) perfected कमयोग के ारा in yoga शु दाःकरण
तत ्
Tat
यम ्
Svayam
योगसंिसः
YogaSansidhaH
ु ) आ ( मन
या संसारात असते ते ( ान ) आपण तःच कमयोगान े
िचशु द झालेला ु ) ( मन
कालेन
Kaalena
in time
िकतन े ही काल से
दीघ काळान े
आिन
Aatmani
in the Self
आा म
आामे
िवित
Vindati
finds
पा लेता है
ूा कन घेतो
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :िह
इह
ान ेन
सशम ् पिवऽम ् न िवते । तत ् ( ानम ् ) यम ्
योगसंिसः कालेन आिन िवित ॥ ४ - ३८॥ English translation:-
Verily there is no purifier in this world like knowledge. He is the one perfected in Yoga, who realises it in his own heart in the due course of time.
ु :िही अनवाद
इस संसार म ान के समान पिवऽ करन ेवाला िनःसंदहे कुछ भी नह है ।
उस ान को िकतन े ही काल से कमयोग के ारा शु अःकरण आ ु अपन े आप ही आा म पा लेता है । मन मराठी भाषार :-
ु ) करणारे या जगात सरे काहीही नाही . ते ानासारखे पावन ( आशी आिवषयक ान दीघकालाा योगाासान े िचशु झालेला साधक आपा ठायी ( अंतःकरणात ) योय काळी ूा कन घेतो . िवनोबांची गीताई :-
ानासम नसे कांह पिवऽ सर जग ।
ु यथा - काळ त पावे अंतर य ॥ ४ - ३८॥ योग - य
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
ौदावान ् लभते ानम ् तरः संयतेियः ।
ानम ् ला पराम ् शािम ् अिचरेण अिधगित ॥ ४ - ३९॥ श
ानम ्
Dnyaanam
English the man of faith obtains / attains Knowledge
तरः
TatparaH
Devoted
संयतेियः
SanyateIndriyaH
ानम ्
Dnyaanam
ला
Labdhvaa
who has िजतेिय subdued the senses knowledge ान को having ूा होकर (वह) attained
पराम ्
Paraam
supreme
शािम ्
परम
ौे
Shaantim
peace
शाि को
शांती
अिचरेण
AchireNa
at once
िवना िवल के
िवना िवलं ब /
- ताल ही
ताळ /
ौदावान ् लभते
श उार ShraddhaaVaan Labhate
िही
मराठी
् ु ौावान मन
ौदाळू
ूा होता है
ूा कन घेतो
ान को
ान
साधनपरायण
साधन तर िजतििय ान ूाी झाावर ु (तो मन)
लवकरच अिधगित
AdhiGachchhati
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goes
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ूा हो जाता है
ूा कन घेतो
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
ौदावान ् , तरः , संयतेियः ानम ् लभते । ानम ् ला अिचरेण पराम ् शािम ् अिधगित ॥ ४ - ३९॥ English translation:The man of faith, the devoted and the master of his senses obtains knowledge. Having attained such knowledge he promptly gains Supreme peace.
ु :िही अनवाद
ु ु िलत और इंििय म संयमी मन ु ान को ूा ौावान , भि म अनक होता है तथा ान को ूा होकर वह िवना िवल के - ताल ही भगवािप परम शाि को ूा हो जाता है । मराठी भाषार :ौाळू , ानूाीची अितशय तळमळ असणारा आिण इंिियांवर ताबा असणारा साधक हे ान ूा कन घेतो . ते ान ूा झाावर , लवकरच ाला मोपी शांती िमळते . िवनोबांची गीताई :-
ौेन मेळवी ान संयमी िन सावध ।
ानान शीय तो पावे शांित शवटची मग ॥ ४ - ३९॥
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
अः च अौधानः च संशयाा िवनँयित ।
ु ् संशयानः ॥ ४ - ४०॥ न अयम ् लोकः अि न परः न सखम श
श उार AdnyaH
English the ignorant
च
Cha
and
अौधानः
अः
िही
मराठी
िववेकहीन
िववेकहीन
और
आिण
A-Shraddha- the faithless DhaanaH Cha and
ौारिहत
ौदारिहत
और
आिण
संशयाा
SanshayaAatmaa
the doubting self
ु ु मन संशयय (असा) संशयी
िवनँयित
Vinasyati
is ruined / destroyed
( परमाथ से
( परमाथापासून
अवँय ) ॅ हो
िनितपणे ) नाश
जाता है ( ऐसे )
पावतो
च
ु मन
Na
not
अयम ्
न
नाही
Ayam
this
यह
हा
लोकः
LokaH
world
लोक
पृी लोक
अि
Asti
there is
है
असते
न
Na
not
न
नाही
परः
ParaH
other
परलोक है
परलोक
न
Na
not
् ु सखम
न
नाही
Sukham
happiness
ु ( ही है ) सख
ु सख
संशयानः
SanshayaAatmanaH
for the doubting self
न
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ु ु मन संशयय संशयी माणसाला के िलये Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
अः च अौधानः च संशयाा िवनँयित । संशयानः अयम ् लोकः न ु ् ( अि ) ॥ ४ - ४०॥ अि , न परः ( लोकः ) न ( च ) सखम English translation:The ignorant, the man devoid of faith, the doubting self goes to eventual destruction. The doubting self has neither this world, nor the next (other) nor happiness.
ु :िही अनवाद
ु मन ु परमाथ से अवँय ॅ हो जाता िववेकहीन और ौारिहत संशयय
ु मन ु के िलये न तो यह लोक है न ही परलोक है और है । ऐसे संशयय ु है । न सख
मराठी भाषार :-
ु आाला न जाणणारा अानी , ौा नसणारा व संशयी मनाचा नाश
ु ु ु होतो. संशयी पषाला हा मनलोक नाही , परलोक नाही व सखशां तीही नाही . िवनोबांची गीताई :-
ु । नसे ान नसे ौा संशयी नासला परा
ु संशयी ॥ ४ - ४०॥ न हा लोक न तो लोक न पावे सख
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
योगसकमाणम ् ानसिसंशयम ्
आवम ् न कमािण िनबि धनंजय ॥ ४ - ४१॥ श
श उार YogaयोगसSanyastaKarmaaNam कमाणम ्
English िही मराठी one who has कमयोगाा िजस न े कमयोग renounced actions by की िविध से सम ारा ान े Yoga सव कम का परमाा िविधपूवक म अप ण कर िदया कम परमााला है (और)
अप ण के लेली आहेत
ानसिसंशयम ्
आवम ्
DnyaanaSanchinnaSanshayam
AatmaVantam
one whose िजस न े िववेकारा सक ानान े doubts are rent asunder सम संशय का ान े सव by नाश कर िदया है संशयांचा नाश knowledge possessing the self
(ऐसे)
के लेला आहे
वश म िकये ए
(ान े अंतःकरण
अःकरणवाले
वश कन घेतले
ु को पष
आहे अशा) आानी ु पषाला
न
Na
not
नह
नाही
कमािण
KarmaaNi
actions
कम
कम
िनबि
Nibadhnanti
bind
बाँधते
बद करतात
धनंजय
Dhananjaya
O Arjuna !
हे अजनु !
हे अजनु ा !
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
हे धनंजय ! योगसकमाणम ् ानसिसंशयम ् आवम ् कमािण
न िनबि ॥ ४ - ४१॥ English translation:-
With actions absolved in Yoga, whose doubts are rent asunder by knowledge, O Arjuna ! actions do not bind him who is poised in the Self.
ु :िही अनवाद
हे अजनु ! िजस न े कमयोग की िविध से सम कम का परमाा म अप ण कर िदया है और िजस न े िववेकारा सव संशय का नाश कर िदया है ऐसे ु को कम नह बाँधते । वश म िकये ए अःकरणवाले पष मराठी भाषार :-
ु , ान े कमयोगान े सव कम परमााला अप ण के ली आहेत आिण हे अजना ानयोगान े
सव संशयांचा नाश के ला आहे ; अशा अंतःकरणावर ताबा
ु असणाढया आानी पषाला , कम बंधनकारक होत नाहीत . िवनोबांची गीताई :-
योगान झािडल कम ान संशय तोिडले ।
जो सावधान आांत कम ास न बांिधती ॥ ४ - ४१॥
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
तात ् अानसूतम ् म ् ानािसना आनः ।
िछा एनम ् संशयम ् योगम ् आित उि भारत ॥ ४ - ४२॥ श
श उार
English
िही
मराठी
तात ्
Tasmaat
therefore
इसिलये
णून
अान-
AdnyaanaSambhootam
born out of ignorance
अानजिनत
अानान े िनमाण
Hrutstham
dwelling in heart
दय म
DnyaanaAasinaa
by the sword of knowledge
िववेकानप
( िववेक ) ानपी
तलवारारा
तरवारीन े
आनः
AatmanaH
of Self
अपन े
आपा
िछा
Chhitvaa
having cut
छेदन कर
कापून टाकू न
Enam
this
इस
या
Sanshayam
doubt
योगम ्
संशय का
संशयाला
Yogam
in Yoga
समप कमयोग म
समप कमयोगात
आित
AatiShTha
take refuge
( तमु ) ित हो जाओ
ित होऊन जा
उि
UttiShTha
खड़े हो जाओ
( आिण यु दासाठी )
सूतम ् म ्
ानािसना
एनम ्
संशयम ्
भारत
झालेा असणाढया
( और यु के िलये )
Bhaarata
arise
O Arjuna !
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दयामे
हे भरतवंशी अजनु !
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उठून उभा रहा हे भरतवंशी अजनु ा !
Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता अय :-
हे भारत ! तात ् अानसूतम ् म ् आनः एनम ् संशयम ् ानािसना ु िछा योगम ् आित , ( यदाय च ) उि ॥ ४ - ४२॥ English translation:O Arjuna! therefore cutting asunder with the sword of knowledge the ignorance born doubt of the Self, dwelling in your heart, be established in Yoga and stand up.
ु :िही अनवाद
इसिलये हे भरतवंशी अजनु ! तमु दय म ित इस अानजिनत अपन े संशय का िववेकानप तलवार ारा छेदन कर , समप कमयोग म ित हो जाओ और यु के िलये खड़े हो जाओ । मराठी भाषार :-
ु ! अानान े िनमाण झालेा अंतःकरणातील संशयाला , ानपी हे अजना ु तलवारीन े छाटून , तू कमयोगाचे आचरण कर आिण याला उभा ठाक . िवनोबांची गीताई :-
णूिन अंतरांतील अान - कृ त संशय ।
ु ॥ ४ - ४२॥ तोडुिन ान खड-् गान ऊठ तूं योग साधनी
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Chapter 4
Shreemad Bhagawad Geeta: ौीमद ् - भगवद ् - गीता
् ् ् इित ौीमद ् भगवद ् गीतास ु उपिनष ु ॄिवायाम योगशाे ॐ तत सत ु ु वादे ानकमस ं ासयोगो नाम चतथऽायः ौीकृ ाजनसं ॥
हिरः ॐ तत ् सत ् । हिरः ॐ तत ् सत ् । हिरः ॐ तत ् सत ।्
Om that is real. Thus, in the Upanishad of the glorious Bhagwad Geeta, the knowledge of Brahman, the Supreme, the science of Yoga and the dialogue between Shri Krishna and Arjuna this is the fourth discourse designated as “the Yoga of Renumciation of Action in Wisdom”.
चवा अायाचा एका ोकात मिथताथ
हराया भूभारा अिमत अवतारांिस धिरत ।
ु िवनाशूनी ां सतत िनजदासां सखिवत ॥
ु अस कम मजसी । िनयंता मी भूतां समजिन समप तू कम मग ितळभरी ब नससी ॥
ु गीता सगीता कता िकम ् अ ैः शािवरैः । ु ् िविनःसृता ॥ या यम ् पनाभ मखपाद
ु गीता सगीता करयाजोगी आहे णजेच गीता उम ूकारे वाचून ितचा अथ आिण भाव
ु ूं ा मखकमलातू अःकरणात साठवणे हे कत आहे . तः पनाभ भगवान ् ौीिव न गीता ूगट झाली आहे . मग इतर शाांा फाफटपसाढयाची जरच काय ?
- ौी महष ास
िवनोबांची गीताई :-
गीताई माउली माझी ितचा मी बाळ न ेणता । पडतां रडतां घेई उचिन कडेवरी ॥
Jnana Karma Sanyasa Yoga
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Chapter 4