20627518-kaal-sarpa

  • June 2020
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कुण्डली में राहु और केतु की उपिःथित के अनुसार व्यिक्त को कालसपर् योग (Kalsarp Yoga) लगता है . कालसपर् योग को अत्यंत अशुभ योग माना गया है . ज्योितषशास्तर् के अनुसार यह योग िजस व्यिक्त की कुण्डली में होता है उसका पतन होता है .यह इस योग का एक पक्ष है जबिक दसरा पक्ष यह भी है िक यह योग व्यिक्त को अपने क्षेऽ में सवर्क्षेष्ठ बनता है । ू कालसपर् योग (Kalsarp Yoga) का ूाचीन ज्योितषीय मंथों में िवशेष िजब नहीं आया है .तकरीबन सौ वषर् पूवर् ज्योितर्िवदों ने इस योग को ढंू ढ़ा.इस योग को हर ूकार से पीड़ादायक और कष्टकारी बताया गया.आज बहत का भय िदखाकर लोगों से काफी धन खचर् कराते हैं .महों की पीड़ा ु ु से ज्योितषी इस योग के दंूभाव से बचने के िलए लोग खुशी खुशी धन खचर् भी करते हैं .परं तु सच्चाई यह है िक जैसे शिन महाराज सदा पीड़ा दायक नहीं होते उसी ूकार राहु और केतु द्वारा िनिमर्त कालसपर् योग हमेंशा अशुभ फल ही नहीं दे त. े अगर आपकी कुण्डली में कालसपर् योग (Kalsarp Yoga) है और इसके कारण आप भयभीत हैं तो इस भय को मन से िनकाल दीिजए.कालसपर् योग से भयाबात होने की आवँयक्ता नहीं है क्योंिक ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह ूमािणत करते हैं िक इस योग ने व्यिक्तयों को सफलता की ऊँचाईयों पर पहंु चाया है .कालसपर् , ऋिषकेश मुखजीर्, पं. जवाहरलाल योग से मिसत होने के बावजूद बुलंिदयों पर पहंु चने वाले कई जाने माने नाम हैं जैसे धीरू भाई अम्बानी, सिचन तेंदलकर ु नेहरू, लता मंगेशकर आिद. ज्योितषशास्तर् कहता है िक राहु और केतु छाया मह हैं जो सदै व एक दसरे से सातवें भाव में होते हैं .जब सभी मह बमवार से इन दोनों महों के बीच आ जाते हैं तब ू यह योग बनता है . राहु केतु शिन के समान बूर मह माने जाते हैं और शिन के समान िवचार रखने वाले होते हैं .राहु िजनकी कुण्डली में अनुकूल फल दे ने वाला होता है उन्हें कालसपर् योग में महान उपलिब्धयां हािसल होती है .जैसे शिन की साढ़े साती व्यिक्त से पिरौम करवाता है एवं उसके अंदर की किमयों को दरू करने की ूेरणा दे ता है इसी ूकार कालसपर् व्यिक्त को जुझारू, संघषर्शील और साहसी बनाता है .इस योग से ूभािवत व्यिक्त अपनी क्षमताओं का पूरा इःतेमाल करता है और िनरन्तर आगे बढ़ते जाते हैं . कालसपर् योग में ःवरािश एवं उच्च रािश में िःथत गुरू, उच्च रािश का राहु, गजकेशरी योग, चतुथर् केन्ि िवशेष लाभ ूदान करने वाले होते है .अगर सकारात्मक दृिष्ट से दे खा जाए तो कालसपर् योग वाले व्यिक्त असाधारण ूितभा एवं व्यिक्तत्व के धनी होते हैं .हो सकता है िक आपकी कुण्डली में मौजूद कालसपर् योग आपको भी महान हिःतयों के समान ऊँचाईयों पर ले जाये अत: िनराशा और असफलता का भय मन से िनकालकर सतत कोिशश करते रहें आपको कामयाबी जरूरी िमलेगी.इस योग में वही लोग पीछे रह जाते हैं जो िनराशा और अकमर्ण्य होते हैं पिरौमी और लगनशील व्यिक्तयों के िलए कलसपर् योग राजयोग दे ने वाला होता है . कालसपर् योग (Kalsarp Yoga) में िऽक भाव एवं िद्वतीय और अष्टम में राहु की उपिःथित होने पर व्यिक्त को िवशेष परे शािनयों का सामना करना होता है परं तु ज्योितषीय उपचार से इन्हें अनुकूल बनाया जा सकता है . साढ़े साती और काल सपर् योग का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं . इनके ूित लोगों के मन में जो भय बना हआ है इसका फायदा उठाकर बहत ु ु से ज्योितषी लोगों को लूट रहे हैं . बात करें काल सपर् योग की तो इसके भी कई रूप और नाम हैं . काल सपर् को दोष नहीं बिल्क योग कहना चािहये काल सपर् का सामान्य अथर् यह है िक जब मह िःथित आएगी तब सपर् दं श के समान कष्ट होगा. पुराने समय राहु तथा अन्य महों की िःथित के आधार पर काल सपर् का आंकलन िकया जाता था. आज ज्योितष शास्तर् को वैज्ञािनक रूप में ूःतुत करने के िलए नये नये शोध हो रहे हैं . इन शोधो से कालसपर् योग की पिरभाषा और इसके िविभन्न रूप एवं नाम के िवषय में भी जानकारी िमलती है . वतर्मान समय में कालसपर् योग की जो पिरभाषा दी गई है उसके अनुसार जन्म कुण्डली में सभी मह राहु केतु के बीच में हों या केतु राहु के बीच में हों तो काल सपर् योग बनता है . कालसपर् योग के नाम (Types of Kal sarpa yoga) ज्योितष शास्तर् में ूत्येक भाव के िलए अलग अलग कालसपर् योग के नाम िदये गये हैं . इन काल सपर् योगों के ूभाव में भी काफी कुछ अंतर पाया जाता है जैसे ूथम भाव में कालसपर् योग होने पर अनन्त काल सपर् योग बनता है . अनन्त कालसपर् योग (Anant Kalsarpa Yoga) जब ूथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है तब यह योग बनता है . इस योग से ूभािवत होने पर व्यिक्त को शारीिरक और, मानिसक परे शानी उठानी पड़ती है साथ ही सरकारी व अदालती मामलों में उलझना पड़ता है . इस योग में अच्छी बात यह है िक इससे ूभािवत व्यिक्त साहसी, िनडर, ःवतंऽ िवचारों वाला एवं ःवािभमानी होता है . कुिलक काल सपर् योग (Kulik Kalsarpa Yoga) िद्वतीय भाव में जब राहु होता है और आठवें घर में केतु तब कुिलक नामक कालसपर् योग बनता है . इस कालसपर् योग से पीिड़त व्यिक्त को आिथर्क काष्ट भोगना होता है . इनकी पािरवािरक िःथित भी संघषर्मय और कलह पूणर् होती है . सामािजक तौर पर भी इनकी िःथित बहत ु अच्छी नहीं रहती. वासुिक कालसपर् योग (Vasuki Kalsarp Yoga) जन्म कुण्डली में जब तृतीय भाव में राहु होता है और नवम भाव में केतु तब वासुिक कालसपर् योग बनता है . इस कालसपर् योग से पीिड़त होने पर व्यिक्त का जीवन संघषर्मय रहता है और नौकरी व्यवसाय में परे शानी बनी रहती है . इन्हें भाग्य का साथ नहीं िमल पाता है व पिरजनों एवं िमऽों से धोखा िमलने की संभावना रहती है . शंखपाल कालसपर् योग (Shankhpal Kalsarp Yoga) राहु जब कुण्डली में चतुथर् ःथान पर हो और केतु दशम भाव में तब यह योग बनता है . इस कालसपर् से पीिड़त होने पर व्यिक्त को आंिथर्क तंगी का सामना करना होता है . इन्हें मानिसक तनाव का सामना करना होता है . इन्हें अपनी मां, ज़मीन, पिरजनों के मामले में कष्ट भोगना होता है . पद्म कालसपर् योग (Padma Kalsarp Yoga) पंचम भाव में राहु और एकादश भाव में केतु होने पर यह कालसपर् योग बनता है . इस योग में व्यिक्त को अपयश िमलने की संभावना रहती है . व्यिक्त को यौन रोग के कारण संतान सुख िमलना किठन होता है . उच्च िशक्षा में बाधा, धन लाभ में रूकावट व वृद्धावःथा में सन्यास की ूवृत होने भी इस योग का ूभाव होता है . महापद्म कालसपर् योग (Mahapadma Kalsarp Yoga) िजस व्यिक्त की कुण्डली में छठे भाव में राहु और बारहवें भाव में केतु होता है वह महापद्म कालसपर् योग से ूभािवत होता है . इस योग से ूभािवत व्यिक्त मामा की ओर से कष्ट पाता है एवं िनराशा के कारण व्यःनों का िशकार हो जाता है . इन्हें काफी समय तक शारीिरक कष्ट भोगना पड़ता है . ूेम के ममलें में ये दभार् ु ग्यशाली

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होते हैं .

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तक्षक कालसपर् योग (Takshak Kalsarp Yoga) तक्षक कालसपर् योग की िःथित अनन्त कालसपर् योग के ठीक िवपरीत होती है . इस योग में केतु लग्न में होता है और राहु सप्तम में. इस योग में वैवािहक जीवन में अशांित रहती है . कारोबार में साझेदारी लाभूद नहीं होती और मानिसक परे शानी दे ती है . शंखचूड़ कालसपर् योग (Shankhchooda Kalsarp Yoga) तृतीय भाव में केतु और नवम भाव में राहु होने पर यह योग बनता है . इस योग से ूभािवत व्यिक्त जीवन में सुखों को भोग नहीं पाता है . इन्हें िपता का सुख नहीं िमलता है . इन्हें अपने कारोबार में अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है . घातक कालसपर् योग (Ghatak Kalsarp Yoga) कुण्डली के चतुथर् भाव में केतु और दशम भाव में राहु के होने से घातक कालसपर् योग बनता है . इस योग से गृहःथी में कलह और अशांित बनी रहती है . नौकरी एवं रोजगार के क्षेऽ में किठनाईयों का सामना करना होता है . िवषधर कालसपर् योग (Vishdhar Kalsarp Yoga) केतु जब पंचम भाव में होता है और राहु एकादश में तब यह योग बनता है . इस योग से ूभािवत व्यिक्त को अपनी संतान से कष्ट होता है . इन्हें नेऽ एवं हृदय में परे शािनयों का सामना करना होता है . इनकी ःमरण शिक्त अच्छी नहीं होती. उच्च िशक्षा में रूकावट एवं सामािजक मान ूितष्ठा में कमी भी इस योग के लक्षण हैं . शेषनाग कालसपर् योग (Sheshnag Kalsarp Yoga) व्यिक्त की कुण्डली में जब छठे भाव में केतु आता है तथा बारहवें ःथान पर राहु तब यह योग बनता है . इस योग में व्यिक्त के कई गुप्त शऽु होते हैं जो इनके िवरूद्ध षड्यंऽ करते हैं . इन्हें अदालती मामलो में उलझना पड़ता है . मानिसक अशांित और बदनामी भी इस योग में सहनी पड़ती है . इस योग में एक अच्छी बात यह है िक मृत्यु के बाद इनकी ख्याित फैलती है . अगर आपकी कुण्डली में है तो इसके िलए अिधक परे शान होने की आवँयक्ता नहीं है . काल सपर् योग के साथ कुण्डली में उपिःथत अन्य महों के योग का भी काफी महत्व होता है . आपकी कुण्डली में मौजूद अन्य मह योग उत्तम हैं तो संभव है िक आपको इसका दखद ूभाव अिधक नहीं ु भोगना पड़े और आपके साथ सब कुछ अच्छा हो. काल सपर् दोष के उपाय (Remedies for Ketu Kalsarp Yoga) काल सपर् दोष राहु और केतु के कारण बनता है . इस दोष से पीिड़त होने पर जीवन में भले ही आप सफलता के आसमान पर पहंु च जाएं परं तु एक िदन यह आपको ज़मीन पर लाकर पटक दे ता है . इस दोष का उपाय यह है िक आप राहु और केतु के दोष का िनवारण करें और महामृत्युंजय मंऽ का जाप करायें. इस दोष में सपर् मंऽ और सपर् सूक्त का पाठ भी लाभूद होता है . ूथम, पंचम और नवम भाव के ःवामी को मजबूत बनाने का उपाय करें .

लाल िकताब में कालसपर् योग

(Kalsarp Yoga according to Lalkitab)

वैिदक ज्योितष के समान लाल िकताब भी भिवंय जानने की एक िवधा है .लाल िकताब में महों के योग और उनके फल के सम्बन्ध में अपनी मान्यताएं है .ज्योितष की इस िवधा में भी कालसपर् है और इसका फल एवं उपाय है लेिकन कालसपर् को दे खने का नजिरया अलग है .आइये हम भी लाल िकताब से कालसपर् को जानें. लाल िकताब (Lalkitab - The astrology wonderbook) कालसपर् को दोष मानता है बिल्क इसे योग मानता है .राहु और केतु िविभन्न खानों में बैठकर 12 तरह के िवशेष योग बनाते हैं .िजस ूकार अन्य मह अलग अलग खानो में बैठकर शुभ और अशुभ फल दे ते हैं उसी ूकार राहु केतु भी शुभ और अशुभ दोनों ूकार के फल दे ते हैं .ज्योितष की इस िवधा में राहु को सांप का िसर और केतु को उसका दम ु माना गया है .कुण्डली में सूयर् से लेकर शिन तक सभी सात मह जब राहु और केतु के बीच होते हैं तब कालसपर् योग बनता है . लाल िकताब के अनुसार जब मंगल और शिन जन्म कुण्डली में एक साथ हों अथवा द्वादश में और चन्िमा चतुथर् भाव में तब राहु अशुभ फल नहीं दे ता है एवं कालसपर् बाधक नहीं होता है .राहु के अशुभ होने पर दिक्षण की ओर अगर घर का मुख्यद्वारा हो तो आिथर्क परे शानी बनी रहती है .आिथर्क नुकसान और कई ूकार की उलझनें एक के बाद एक आती रहती है .कालसपर् में इस ूकार की िःथित में लाल िकताब यह उपाय बताता है िक व्यिक्त को मसूर की दाल अथवा कुछ धन सफाई कमीर् को दे ना चािहए. लाल िकताब में महों के उपाय और टोटकों को िवशेष रूप से बताया गया है .राहु केतु से पीिड़त होने पर ःवाःथ्य लाभ हे तु रात को साते समय िसरहाने में जौ रखकर सोना चािहए और इसे सुबह पंिक्षयों को दे ना चािहए.सरकारी पक्ष से परे शानी होने पर एवं रोजी रोजगार और व्यापार में किठनाई आने पर अपने वजन के बराबर लकड़ी का कोयला चलते पानी में ूवािहत करना चािहए.केतु के अशुभ िःथित से बचाव हे तु दध ू ा डालकर उसे चूसना चािहए.सूयर् और चन्ि की वःतु यथा ू में अंगठ ःवेत वस्तर्, चांदी और तांबा दान करना चािहए. लाल िकताब से कालसपर् के उपाय (Lalkitab Kalsarp remedies) लाल िकताब के अनुसार कालसपर् योग में राहु खाना नम्बर एक में हो और केतु खाना नम्बर सात में तब अपने पास चांदी की ठोस गोली रखनी चािहए.राहु दो में और केतु आठ में तब दो रं गा का कम्बल दान करना चािहए.तीन और नौ में बमश: राहु केतु हो तो चने की दाल नदी अथवा तलाब में ूवािहत करना चािहए.सोना धारण करने से भी लाभ िमलता है .चतुथर् भाव में राहु हो और दशम भाव में केतु तब चांदी की िडब्बी में शहद भरकर घर के बाहर ज़मीन में दबाना लाभूद होता है .खाना नम्बर पांच में राहु हो और केतु खाना नम्बर ग्यारह में और सभी मह इनके बीच में तब घर में चांदी का ठोस हाथी रखने से कालसपर् का िवपरीत ूभाव कम होता है .षष्टम में राहु और द्वादश में केतु होने पर कुत्ता पालने एवं बहन की सेवा करने से लाभ िमलता है . सप्तम में राहु हो और ूथम में केतु तब लाल रं ग की लोहे ु की गोली सदै व साथ रखना चािहए एवं चांदी की िडब्बी में नदी का जल भरकर उसमें चांदी का एक टकड़ा डालकर घर में रखना चािहए.नवम में राहु हो और खाना नम्बर तीन में केतु हो तब चने की दाल बहते पानी में ूवािहत करना चािहए. िजनकी कुण्डली में दसम खाने में राहु हो और केतु चौथे खाने में उन्हें पीतल के बतर्न में नदी या तालब का जल भरकर घर के अंधेरे कोने में रखना चािहए.एकादश और पंचम में बमश: इस ूकार की िःथित हो तो 43 िदनों तक दे व ःथान में मूली दान करना चािहए.द्वादश खाने में राहु हो और षष्टम में केतु हो तो ःवणर्

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धारण करने से लाभ होता है .

ज्योितष उपाय-3

:

राहु, केतु एवं कालसपर् योग

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Jyotish Remedies for Rahu, Ketu and Kalsharpa Yoga

महों के अशुभ िःथित में होने पर उनका उपाय िकया जाता है . महों के उपचार के िलए कई तरीके ज्योितषशास्तर् में िदये गये हैं िजनके अनुसार राहु, केतु एवं कालसपर् दोष के कुछ िवशेष उपाय हैं िजन्हें आप आज़मा सकते हैं . कमजोर एवं पीिड़त राहु के उपाय (Remedies for Rahu) राहु भी शिन के समान कष्टदायक मह माना गया है इससे पीिड़त व्यिक्त को भी काफी मुिँकलों का सामना करना होता है . इस मह से पीिड़त व्यिक्त राहु की शांित के िलए जो उपाय कर सकते हैं उनमें दान का िवशेष ःथान है . राहु की शांित के िलए लोहे के हिथयार, नीला वस्तर्, कम्बल, लोहे की चादर, ितल, सरसों तेल, िवद्युत उपकरण, नािरयल एवं मूली दान करना चािहए. सफाई किमर्यों को लाल अनाज दे ने से भी राहु की शांित होती है . राहु से पीिड़त व्यिक्त को इस मह से सम्बिन्धत रत्न का दान करना चािहए. राहु से सम्बिन्धत अन्य उपाय (Other Remedies for Rahu) राहु से पीिड़त व्यिक्त को शिनवार का ोत करना चािहए इससे राहु मह का दंूभाव कम होता है . मीठी रोटी कौए को दें और ॄाह्मणों अथवा गरीबों को चावल और ु मांसहार करायें. राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीिड़त व्यिक्त की सहायता करनी चािहए. गरीब व्यिक्त की कन्या की शादी करनी चािहए. राहु की दशा से आप पीिड़त हैं तो अपने िसरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी. राहु की दशा में इन चीज़ों से बचें (Remedies for Rahu Rahu Dasha ) मिदरा और तम्बाकू के सेवन से राहु की दशा में िवपरीत पिरणाम िमलता है अत: इनसे दरी ू बनाये रखना चािहए. आप राहु की दशा से परे शान हैं तो संयुक्त पिरवार से अलग होकर अपना जीवन यापन करें . नीच तथा कमज़ोर केतु के उपाय (Remedies for Ketu) पौरािणक मंथो में राहु और केतु को एक ही शरीर के दो भाग माना गया है . ज्योितषशास्तर् इसे अशुभ मह मानता है अत: िजनकी कुण्डली में केतु की दशा चलती है उसे अशुभ पिरणाम ूाप्त होते हैं . इसकी दशा होने पर शांित हे तु जो उपाय आप कर सकते हैं उनमें दान का ःथान ूथम है . ज्योितषशास्तर् कहता है केतु से पीिड़त व्यिक्त को बकरे का दान करना चािहए. कम्बल, लोहे के बने हिथयार, ितल, भूरे रं ग की वःतु केतु की दशा में दान करने से केतु का दंूभाव कम होता है . ु गाय की बिछया, केतु से सम्बिन्धत रत्न का दान भी उत्तम होता है . अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है तो मंिदर में कम्बल का दान करना चािहए. केतु के अन्य उपाय (Remedies for Ketu Dasha) केतु की दशा को शांत करने के िलए ोत भी काफी लाभूद होता है . शिनवार एवं मंगलवार के िदन ोत रखने से केतु की दशा शांत होती है . कुत्ते को आहार दें एवं ॄाह्मणों को भात िखलायें इससे भी केतु की दशा शांत होगी. िकसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजुगोर्ं एवं संतों की सेवा करें यह केतु की दशा में राहत ूदान करता है . काल सपर् दोष के उपाय (Remedies for Ketu Kalsarp Yoga) काल सपर् दोष राहु और केतु के कारण बनता है . इस दोष से पीिड़त होने पर जीवन में भले ही आप सफलता के आसमान पर पहंु च जाएं परं तु एक िदन यह आपको ज़मीन पर लाकर पटक दे ता है . इस दोष का उपाय यह है िक आप राहु और केतु के दोष का िनवारण करें और महामृत्युंजय मंऽ का जाप करायें. इस दोष में सपर् मंऽ और सपर् सूक्त का पाठ भी लाभूद होता है . ूथम, पंचम और नवम भाव के ःवामी को मजबूत बनाने का उपाय करें . कालसपर् योग (Kalsarp Yoga) ज्योितष की नजर में ज्योितषशास्तर् के अनुसार सूयर् से लेकर शिन तक सभी मह जब राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं तो कालसपर् योग बन जाता है । ज्योितष मान्यताओं के अनुसार िजस व्यिक्त की जन्म कुण्डली में यह योग होता है उसके जीवन में काफी उतार चढ़ाव आते रहते हैं । मूल रूप से इस योग को इसिलए दे खा जाता है क्योंिक यह व्यिक्त को झटके में आसमान से ज़मीन पर लाकर खड़ा कर दे ता है । क्या है काल सपर् योग (What is Kalsarp yoga): ज्योितष के आधार पर काल सपर् दो शब्दों से िमलकर बना है "काल और सपर्"। ज्योितषशास्तर् के अनुसार काल का अथर् समय होता है और सपर् का अथर् सांप इसे एक करके दे खने पर जो अथर् िनकलकर सामने आता है वह है समय रूपी सांप। इस योग को ज्योितषशास्तर् में अशुभ माना गया है । इस योग को अिधकांश ज्योितषशास्तर्ी अत्यंत अशुभ मानते हैं परं तु इस योग के ूित ज्योितष के महान िवद्वान पराशर और वराहिमिहर चुप्पी साधे हए ु हैं । काल सपर् योग से सम्बिन्धत कथा (Story about Kalsarp yoga): पौरािणक कथा के अनुसार िसंिघका नामक राक्षस का पुऽ ःवरभानु था जो बहत ु ही शिक्तशाली था। ःवरभानु ने ॄह्मा जी की कठोर तपःया की। तपःया से ूसन्न होकर ॄह्मा जी ने ःवरभानु को वरदान िदया िजससे उसे मह मंडल में ःथान ूाप्त हआ। ःवरभानु िकस ूकार राहु केतु के नाम से जाना गया इसकी कथा सागर मंथन से ु जुड़ा है । सागर मंथन के समय दे वताओं और दानवों में एक समझौता हआ िजसके तहत दोनों ने िमलकर सागर मंथन िकया। इस मंथन के दौरान सबसे अंत में ु भगवान धनवन्तरी अमृत कलश लेकर ूकट हए। अमृत पाने के िलए दे वताओं और दानवों में संघषर् की िःथित पैदा होने लगी। भगवान िवंणु तब मोिहनी रूप धारण ु करके उनके बीच ूकट हए ु और दे वताओं व दानवों को अलग अलग पंिक्तयों में बैठाकर अमृत बांटने लगे। अपनी चतुराई से मोिहनी रूप धारण िकये हए ु भगवान िवंणु केवल दे वताओं को अमृत िपला रहे थे िजसे दानव समझ नहीं पा रहे थे परं तु ःवरभानु मोिहनी की चतुराई का समझकर दे वताओं की टोली में जा बैठा। अमृत िवतरण के बम में मोिहनी ने ःवरभानु को दे वता समझकर उसे भी अमृत पान करा िदया परं तु सूयर् और चन्िमा ने उसे पहचान िलया तब िवंणु ने सुदशर्न चब से ःवरभानु का िसर धड़ से अलग कर िदया। चुिं क अमृत ःवरभानु के जीभ और गदर् न को छू गया था अत: वह िसर कट जाने पर भी जीिवत रहा। ॄह्मा जी ने ःवरभानु से कहा िक तुम्हारा िसर राहु के नाम से जाना जाएगा और धड़ जो सांप की तरह है वह केतु के रूप में जाना जाएगा। इस घटना के बाद से ही ःवरभानु राहु

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केतु के रूप में िवख्यात हआ। सूयर् और चन्िमा के कारण ही उसे इस िःथित से गुजरना पड़ा था इसिलए वह उसे अपना शऽु मानने लगा। पौरािणक कथा के अनुसार ु राहु केतु सूयर् और चन्िमा को िनगल लेता है िजससे सूयर् महण और चन्ि महण होता है । अन्य महों की अपेक्षा राहु और केतु में एक महत्वपूणर् अन्तर यह है िक जहां अन्य मह घड़ी की िवपरीत िदशा में चलते हैं वहीं राहु केतु घड़ी की िदशा में ॅमण करते हैं । राहु केतु में एक अन्य िवशेषता यह है िक दोनों एक दसरे के करीब रहते हैं और दोनों के बीच 1800 की दरी ू ू बनी रहती है । ऋग्वेद के अनुसार राहु केतु मह नहीं हैं बिल्क असुर हैं । अमावःया के िदन सूयर् और चन्ि दोनों आमने सामने होते हैं उस समय राहु अपना काम करता है िजससे सूयर् महण होता है । उसी ूकार पूिणर्मा के िदन केतु अपना काम करता है और चन्िमहण लगता है । वैिदक परम्परा में िवंणु को सूयर् भी कहा गया है जो दीघर्वत्त ृ के समान हैं । राहु केतु दो सम्पात िबन्द ु हैं जो इस दीघर्वत्त ृ को दो भागों में बांटते हैं । इन दो िबन्दओं ु के बीच महों की उपिःथित होने से कालसपर् योग बनता है जो व्यिक्त के पतन का कारक माना जाता है । काल सपर् योग के िवषय में ज्योितषशास्तर्ीयों की राय (Astrologer Says about Kalsarp yoga): कुछ ज्योितषशास्तर्ी कहते हैं िक इस योग को यूरेनस, नेप्च्युन और प्लुटो सिहत सभी महों के साथ आंकलन करना चािहए। लेिकन ऐसी िःथित में यह योग बहत ु मुिँकल से बनता है । यही कारण है िक इसके िलए मुख्य सात महों को ही सामने रखकर आंकलन िकया जाता है । इस योग के आंकलन के िलए कुछ िवशेष बातों को ध्यान में रखना आवँयक माना गया है । मह अगर राहु और केतु के मध्य हो तब यह योग बनता है । अगर मह केतु और राहु के मध्य हो तो काल सपर् योग नहीं माना जाएगा। गणना के समय लग्न से घड़ी की िवपरीत िदशा में राहु और केतु के मध्य जब मह होंगे तब काल सपर् योग कहा जाएगा। ध्यान दे ने वाली बात है िक इस गणना में यूरेनस, नेप्च्युन और प्लुटो को शािमल नहीं िकया जाता है । कालसपर् योग की गणना में ध्यान दे ने वाली बात यह भी है िक सभी मह एक अघर्वत्त ृ के अंदर होने चािहए अगर कोई मह एक िडमी भी बाहर है तो यह योग नहीं बनेगा। उदाहरण के तौर पर राहु अगर ककर् रािश से 15 िडमी पर है और उसी रािश से चन्िमा अगर 16 िडमी पर है तो इस िःथित में यह योग नहीं बनेगा। काल सपर् योग के ज्योितषशास्तर्ी अशुभ योग मानते है परं तु बहत ु से ऐसे व्यिक्त हैं िजनकी कुण्डली में यह योग होने से वह सम्मािनत पदों पर िवराजमान हए ु हैं । लेिकन इस योग के िवषय में यह भी तय है िक िजनकी कुण्डली में यह योग होता है वह भले ही िकतनी भी उं चाई पर पहंु च जाएं परं तु एक िदन उन्हें ज़मीन पर आना ही होता है ।

कालसपर् योग (Kalsarpa Yog) व मंगलीक दोष (Manglik Dosh) का भय एक कहावत है िक संसार में उसी वःतु की नकल होती है िजसकी माँग (Demand) अिधक होती है . ूाचीन समय में ज्योितष केवल आवँयकता थी परन्तु आज के दौर में आवँयकता के साथ-साथ ज्योितष एक फैशन भी बन गया है . ज्योितष का अथर् है 'ज्योित िदखलाना'. मनुंय के जीवन में लाभ-हािन, अनुकूलता-ूितकूलता, शुभता-अशुभता या अच्छा-बुरा कब-कब होगा इसको ज्योितष के माध्यम से ही जाना जा सकता है . वाःतव में ज्योितष का अथर् होता है व्यिक्त को जागरुक/ सचेत करना, परन्तु समाज में कुछ पोंगापिण्डतो द्वारा गलत ूयोग करने अथार्त लोगो को सही जानकारी दे ने की बजाए उनको भयभीत कर धन कमाने के कारण कई बार इस िबद्या की िवश्वसनीयता पर ूश्निचन्ह लग जाता है . इस लेख के माध्यम से ज्योितष शास्तर् के उन तथ्यो के बारे में जानकारी दी जायेगी िजनसे आमजन अक्सर भयभीत रहते है तथा उपायो के नाम पर कुछ ज्योितषी िकस ूकार आम लोगो को ठगते हैं , इस बात का भी उल्लेख िकया जाएगा. मांगिलक दोष / कुजा दोष (Mangalik Dosh / Kuja Dosha) जन्मकुण्डली के 1,4,7,8, एंव 12वें भाव में मंगल के होने से जातक/जाितका (Native) मांगिलक (Mangalik) कहलाते हैं . िववाह के समय कुण्डली िमलान में मांगिलक दोष दे खा जाता है . मंगल पापी मह (Malefic Planets) है या सदै व हािन करता है ऎसी धारणा अल्पज्ञानी ज्योितिषयो की हआ करती हैं . सत्य यह है िक मंगल पापी मह न होकर बूर ःवभाव वाला मह है . राजनैितक गुणो से दरू मंगल सरल ःवभाव वाला मह है . परन्तु यिद कोई ु मंगल ूभािवत व्यिक्त से छे ड्छाड् करता है तो मंगल उसे नीित की बजाए िहं सा से सबक िसखाता है . िजसके ःवभाव में सरलता हो, िनंकपटता हो, कतर्व्यपरायणता हो व दृढ्ता हो , ऎसे सदगुणो से भरपूर मंगल मह को यिद कोइ अज्ञानी पापी मह कहता है तो उसकी बुिद्ध ूश्निचन्ह लगने योग्य है .

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कालसपर् योग (Kalsarpa Yog) आजकल चारो तरफ कालसपर् योग की बहत ु ही चचार् है . यिद आपका समय कुछ अच्छा नहीं चल रहा है और ऎसे में यिद आप िकसी ज्योितषी से सम्पकर् करते हैं तो अिधकतर ज्योितषी िकसी न िकसी तरह से आपको कालसपर् (पूणर् या आंिशक) योग (Half/ full Kalsarpa Yog) से पीिडत बताते हैं . सबसे पहले आपको यह जानकारी दी जाती है िक कालसपर् योग होता क्या है . िकसी भी जन्मकुण्डली में यिद सूयर् से लेकर शिन मह तक (Starting from Sun to Saturn in a Birth Chart) सातो मह राहु व केतु की एक िदशा में आ जाते है तो जन्मकुण्डली कालसपर् योग से पीिडत हो जाती है .

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सबसे पहले हम यह जानेंगे िक कालसपर् योग की उत्पित्त का ूमाण िकन मन्थो में िमलता है . ज्योितष की उत्पित्त वेदो से हई ु है तथा इसे वेदो का अंग

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माना जाता है , िकसी भी वेद (Veda), संिहता एंव पुराणो में कालसपर् नामक योग का उल्लेख नहीं िमलता, यहाँ तक िक भृगस ु ंिहता, पाराशर एंव रावण संिहता(Bhrigu Sanghita, Parashar Sanghita And Ravan Sanghita ) आिद मुख्य मन्थों में भी इस योग की चचार् तक नहीं है . अब जो महत्वपूणर् ूश्न सामने आता है वो यह है िक जब इस योग का िववरण िकसी भी ूामािणक मन्थ/ शास्तर् में नहीं िमलता तो िफर यह कहाँ से और कब ूकट हआ और िजस पिरौम के साथ इस ु . खोज करने पर यह मालूम पडा िक 80 के दशक में इस योग का आिवभार्व दिक्षण भारत की ओर से हआ ु मनघड्न्त योग पर कायर् हो रहा है तो हो सकता है िक आने वाले समय में कालसपर् नाम से कोइ मन्थ भी उपलब्ध हो जाये. वैसे तो दिक्षण भारत के ूिसद्ध ज्योितवेर्द ौी रमन जी इत्यािद इस मनघडन्त योग की सच्चाई आमजन के सामने रख ही चुके है िफर भी मान लो कालसपर् योग एक सच्चाई है तो हम इसे तकर् की कसौटी पर परख कर दे खते हैं . पिश्चमी ज्योितष (Western Astrology) में तो राहु-केतु नाम से कोइ मह ही नहीं है , अच्छा हम भारतीय ज्योितष की बात करते हैं . राहु-केतु को छाया मह माना गया है इनका अपना कोइ ःवतन्ऽ अिःतत्व ही नहीं है . राहु अकेला होने पर शिन तुल्य एंव केतु अकेला होने पर मंगल मह का ूभाव रखते हैं , इस तकर् से ही कालसपर् योग अूामािणक िसद्ध हो जाता है . यिद हम एक अन्य उदाहरण ले तो उसके अनुसार राहु-केतु (Rahu-Ketu) के मध्य अन्य सभी महो के होने पर यह योग बनता है , तो यिद िकसी मह की राहु या केतु पर दृिष्ट पड् रही हो तो भी कालसपर् योग खिण्डत हो जाता है , क्योिक दोनो छाया मह (Chhaya Graha) होने से इन दोनो (राहु-केतु) पर िजस भी मह की दृिष्ट पड्ती है उसी मह के अनुसार फल दे ने के िलए बाध्य है . अब हम दसरी ू तरह से िवचार करते िक मान लो राहु-केतु नामक छाया मह अपने ूभाव से अन्य सात महो को बाँध दे ते हैं तो सूयर् का सभी महो का राजा कहलाया जाना बेकार है , बृहःपित का दे वगुरु (Dev Guru) होना ूभावहीन है तथा शिन जैसे कलयुग में सबसे ूभावशाली (कारक) (Karak) माना जाता है .

ज्योितष उपाय-1 : सूय, र् चन्ि, मंगल एवं बुध Jyotish Remedies for Surya, Chandra, Mangal and Budh ज्योितषशास्तर् कहता है िक हमारे जीवन पर महों का सीधा ूभाव होता है . मह अगर हमारी कुण्डली में कमज़ोर अथवा नीच िःथित में हैं तो वह हमारे जीवन पर िवपरीत ूभाव डालते रहते हैं . इस िःथित में कमज़ोर और नीच महों का उपाय करना आवँयक होता है . ज्योितषशास्तर् के अनुसार महों के उपाय (Remedies for Planets) : 1 सूयर् के उपाय (Remedies for Surya) सूयर् मह की शांित के िलए दान आपकी कुण्डली में सूयर् अगर नीच का है अथवा पीिड़त अवःथा में है तो सूयर् की शांित के िलए आप दान कर सकते हैं . गाय का दान अगर बछड़े समेत करें तो इससे मह के िवपरीत ूभाव में कमी आती है . गुड़, सोना, तांबा और गेहूं का दान भी सूयर् मह की शांित के िलए उत्तम माना गया है . सूयर् से सम्बिन्धत रत्न का दान भी उत्तम होता है . दान के िवषय में शास्तर् कहता है िक दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपाऽ को िदया जाए. सूयर् से सम्बिन्धत वःतुओं का दान रिववार के िदन दोपहर में 40 से 50 वषर् के व्यिक्त को दे ना चािहए. सूयर् मह की शांित के िलए रिववार के िदन ोत करना चािहए. गाय को गेहुं और गुड़ िमलाकर िखलाना चािहए. िकसी ॄाह्मण अथवा गरीब व्यिक्त को गुड़ का खीर िखलाने से भी सूयर् मह के िवपरीत ूभाव में कमी आती है . अगर आपकी कुण्डली में सूयर् कमज़ोर है तो आपको अपने िपता एवं अन्य बुजुगोर्ं की सेवा करनी चािहए इससे सूयर् दे व ूसन्न होते हैं . ूात: उठकर सूयर् नमःकार करने से भी सूयर् की िवपरीत दशा से आपको राहत िमल सकती है . नीच अथवा कमज़ोर सूयर् होने पर नहीं करें : आपका सूयर् कमज़ोर अथवा नीच का होकर आपको परे शान कर रहा है अथवा िकसी कारण सूयर् की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको गेहूं और गुड़ का सेवन नहीं करना चािहए. इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चािहए अन्यथा इससे सम्बिन्धत क्षेऽ में आपको और भी परे शानी महसूस हो सकती है . चन्िमा के उपाय (Remedies for Moon): चन्िमा की शांित के िलए दान (Moon Donation): आपकी कुण्डली में चन्िमा अगर नीच का है अथवा मंदा है और इससे सम्बिन्धत क्षेऽ में आपको परे शािनयों का सामना करना पड़ रहा है तो इसके िलए आपको कुछ िवशेष उपाय करना होगा. दान को सभी शास्तर्ों में ौेष्ठ और उत्तम कहा गया है अत: शास्तर्ों को ध्यान में रखकर आपको भी दान करना चािहए. चन्िमा के नीच अथवा मंद होने पर शंख का दान करना उत्तम होता है . इसके अलावा सफेद वस्तर्, चांदी, चावल, भात एवं दध ू का दान भी पीिड़त चन्िमा वाले व्यिक्त के िलए लाभदायक होता है . जल दान अथार्त प्यासे व्यिक्त को पानी िपलाना से भी चन्िमा की िवपरीत दशा में सुधार होता है . अगर आपका चन्िमा पीिड़त है तो आपको चन्िमा से सम्बिन्धत रत्न दान करना चािहए. चन्दमा से सम्बिन्धत वःतुओं का दान करते समय ध्यान रखें िक िदन सोमवार हो और संध्या काल हो. ज्योितषशास्तर् में चन्िमा से सम्बिन्धत वःतुओं के दान के िलए मिहलाओं को सुपाऽ बताया गया है अत: दान िकसी मिहला को दें . आपका चन्िमा कमज़ोर है तो आपको सोमवार के िदन ोत करना चािहए. गाय को गूथ ं ा हआ आटा िखलाना चािहए तथा कौए को भात और चीनी िमलाकर दे ना चािहए. िकसी ॄाह्मण अथवा गरीब व्यिक्त को दध खीर िखलाना चािहए. ू में बना हआ ु ु सेवा धमर् से भी चन्िमा की दशा में सुधार संभव है . सेवा धमर् से आप चन्िमा की दशा में सुधार करना चाहते है तो इसके िलए आपको माता और माता समान मिहला एवं वृद्ध मिहलाओं की सेवा करनी चािहए. नीच अथवा कमज़ोर चन्ि होने पर नहीं करें : ज्योितषशास्तर् में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्िमा कमज़ोर अथवा पीिड़त होने पर व्यिक्त को ूितिदन दध ू नहीं पीना चािहए. ःवेत वस्तर् धारण नहीं करना चािहए. सुगध ं नहीं लगाना चािहए और चन्िमा से सम्बिन्धत रत्न नहीं पहनना चािहए. पीिड़त मंगल और मंगिलक दोष के उपाय (Remedies for Manglik): पीिड़त मंगल की शांित के िलए दान सम्बन्धी उपाय ज्योितषशास्तर् में बताये गये हैं . इन उपायों के अनुसार पीिड़त व्यिक्त को लाल रं ग का बैल दान करना चािहए. लाल रं ग का वस्तर्, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान दे ना चािहए. मंगल से सम्बिन्धत रत्न दान दे ने से भी पीिड़त मंगल के दंूभाव में ु कमी आती है . मंगल मह की दशा में सुधार हे तु दान दे ने के िलए मंगलवार का िदन और दोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है .

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िजनका मंगल पीिड़त है उन्हें मंगलवार के िदन ोत करना चािहए और ॄाह्मण अथवा िकसी गरीब व्यिक्त को भर पेट भोजन कराना चािहए. मंगल पीिड़त व्यिक्त के िलए ूितिदन 10 से 15 िमनट ध्यान करना उत्तम रहता है . मंगल पीिड़त व्यिक्त में धैयर् की कमी होती है अत: धैयर् बनाये रखने का अभ्यास करना चािहए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चािहए. नीच अथवा कमज़ोर मंगल होने पर नहीं करें : आपका मंगल अगर पीिड़त है तो आपको अपने बोध नहीं करना चािहए. अपने आप पर िनयंऽण नहीं खोना चािहए. िकसी भी चीज़ में जल्दबाजी नहीं िदखानी चािहए और भौितकता में िलप्त नहीं होना चािहए. कमज़ोर एवं पीिड़त बुध के उपाय (Remedies for Budha): दान के माध्यम से बुध मह की शांित के िलए जो उपाय बताए गये हैं उनमें कहा गया है िक बुध की शांित के िलए ःवणर् का दान करना चािहए. हरा वस्तर्, हरी सब्जी, मूंग का दाल एवं हरे रं ग के वःतुओं का दान उत्तम कहा जाता है . हरे रं ग की चूड़ी और वस्तर् का दान िकन्नरो को दे ना भी इस मह दशा में ौेष्ठ होता है . बुध मह से सम्बिन्धत वःतुओं का दान भी मह की पीड़ा में कमी ला सकती है . इन वःतुओं के दान के िलए ज्योितषशास्तर् में बुधवार के िदन दोपहर का समय उपयुक्त माना गया है . बुध के अन्य उपाय (Other Remedies for Mercury): बुध की दशा में सुधार हे तु बुधवार के िदन ोत रखना चािहए. गाय को हरी घास और हरी पित्तयां िखलानी चािहए. ॄाह्मणों को दध ू में पकाकर खीर भोजन करना चािहए. बुध की दशा में सुधार के िलए िवंणु सहॐनाम का जाप भी कल्याणकारी कहा गया है . रिववार को छोड़कर अन्य िदन िनयिमत तुलसी में जल दे ने से बुध की दशा में सुधार होता है . अनाथों एवं गरीब छाऽों की सहायता करने से बुध मह से पीिड़त व्यिक्तयों को लाभ िमलता है . मौसी, बहन, चाची बेटी के ूित अच्छा व्यवहार बुध मह की दशा से पीिड़त व्यिक्त के िलए कल्याणकारी होता है .

ज्योितष उपाय-2: गुरू, शुब एवं शिन

- Astrological Remedies for Guru, Shukra and Shani

सभी महों की अपनी शिक्त है और वे क्षेऽ िवशेष के ःवामी हैं . हमारी कुण्डली में जो मह कमज़ोर होते हैं अथवा नीच या पीिड़त होते हैं उनसे हमें कष्ट िमलता है . इस िःथित में मह उपाय करना चािहए. बृहःपित, शुब,शिन कमज़ोर, पीिड़त अथवा नीच होने पर आप कौन कौन से उपाय कर सकते हैं आइये दे खें. कमज़ोर एवं पीिड़त बृहःपित के उपाय (Remedies for Guru) बृहःपित को महों का गुरू कहा गया है . इसके पीिड़त होने पर जो भी परे शानी आपको महसूस हो रही है उसके समाधान के िलए ज्योितषशास्तर् में जो उपाय बताये गये हैं उनमें दान को काफी महत्वपूणर् ःथान िदया गया है . बृहःपित के उपाय हे तु िजन वःतुओं का दान करना चािहए उनमें चीनी, केला, पीला वस्तर्, केशर, नमक, िमठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजन उत्तम कहा गया है . इस मह की शांित के लए बृहःपित से सम्बिन्धत रत्न का दान करना भी ौेष्ठ होता है . दान करते समय आपको ध्यान रखना चािहए िक िदन बृहःपितवार हो और सुबह का समय हो. दान िकसी ॄाह्मण, गुरू अथवा पुरोिहत को दे ना िवशेष फलदायक होता है . बृहःपित के अन्य उपाय (Other Astrological remedies for Guru) बृहःपितवार के िदन ोत रखना चािहए. कमज़ोर बृहःपित वाले व्यिक्तयों को केला और पीले रं ग की िमठाईयां गरीबों, पंिक्षयों िवशेषकर कौओं को दे ना चािहए. ॄाह्मणों एवं गरीबों को दही चावल िखलाना चािहए. रिववार और बृहःपितवार को छोड़कर अन्य सभी िदन पीपल के जड़ को जल से िसंचना चािहए. गुरू, पुरोिहत और िशक्षकों में बृहःपित का िनवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहःपित के दंूभाव में कमी आती है . केला का सेवन और सोने वाले कमड़े में केला रखने से ु बृहःपित से पीिड़त व्यिक्तयों की किठनाई बढ़ जाती है अत: इनसे बचना चािहए. कमज़ोर एवं पीिड़त शुब के उपाय (Remedies for Shukra) शुब महों में सबसे चमकीला है और ूेम का ूतीक है . इस मह के पीिड़त होने पर आपको मह शांित हे तु सफेद रं ग का घोड़ा दान दे ना चािहए. रं गीन वस्तर्, रे शमी कपड़े , घी, सुगध ं , चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुब मह की िवपरीत दशा में सुधार लाता है . शुब से सम्बिन्धत रत्न का दान भी लाभूद होता है . इन वःतुओं का दान शुबवार के िदन संध्या काल में िकसी युवती को दे ना उत्तम रहता है . शुब मह के अन्य उपाय ((Other Astrological remedies for Shukra): शुब मह से सम्बिन्धत क्षेऽ में आपको परे शानी आ रही है तो इसके िलए आप शुबवार के िदन ोत रखें. िमठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें . ॄाह्मणों एवं गरीबों को घी भात िखलाएं. अपने भोजन में से एक िहःसा िनकालकर गाय को िखलाएं. शुब से सम्बिन्धत वःतुओं जैसे सुगध ं , घी और सुगिं धत तेल का ूयोग नहीं करना चािहए. वस्तर्ों के चुनाव में अिधक िवचार नहीं करें . कमज़ोर एवं पीिड़त शिन के उपाय ( Remedies for Shani) शिन के पीिड़त होने से ढ़ईया, साढ़े साती और कंटक शिन जैसे शिन दोष का सामना करना होता है . इन दोषों से पीिड़त व्यिक्त को जीवन में काफी किठन िःथितयों का सामना करना होता है . इसके उपाय के िलए ज्योितषशास्तर् में जो िवधान बताये गये हैं उनमें दान, साधना और अन्य िवषयों का िजब आया है . दान के सम्बन्ध में कहा गया है िक िजनकी कुण्डली में शिन कमज़ोर हैं या शिन पीिड़त है उन्हें काली गाय का दान करना चािहए. काला वस्तर्, उड़द दाल, काला ितल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, लोहा, खेती योग्य भूिम, बतर्न व अनाज का दान करना चािहए. शिन से सम्बिन्धत रत्न का दान भी उत्तम होता है . शिन मह की शांित के िलए दान दे ते समय ध्यान रखें िक संध्या काल हो और शिनवार का िदन हो तथा दान ूाप्त करने वाला व्यिक्त ग़रीब और वृद्ध हो. शिन मह के अन्य उपाय ((Other Astrological remedies for Shani) ज्योितषशास्तर् कहता है शिन के कोप से बचने हे तु व्यिक्त को शिनवार के िदन एवं शुबवार के िदन ोत रखना चािहए. लोहे के बतर्न में दही चावल और नमक िमलाकर िभखािरयों और कौओं को दे ना चािहए. रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को दे ना चािहए. ितल और चावल पकाकर ॄाह्मण को िखलाना चािहए. अपने भोजन में से कौए के िलए एक िहःसा िनकालकर उसे दें .

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Untitled शिन मह से पीिड़त व्यिक्त के िलए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंऽ का जाप एवं शिनःतोऽम का पाठ भी बहत ु लाभदायक होता है . शिन मह के दंूभाव से बचाव हे तु गरीब, वृद्ध एवं कमर्चािरयो के ूित अच्छा व्यवहार रखें. मोर पंख धारण करने से भी शिन के दंूभाव में कमी आती है . ु ु नीच अथवा कमज़ोर शिन होने पर नहीं करें जो व्यिक्त शिन मह से पीिड़त हैं उन्हें गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के ूित अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चािहए. नमक और नमकीन पदाथोर्ं के सेवन से बचना चािहए, सरसों तेल से बनें पदाथर्, ितल और मिदरा का सेवन नहीं करना चािहए. शिनवार के िदन सेिवंग नहीं करना चािहए और जमीन पर नहीं सोना चािहए. शिन से पीिड़त व्यिक्त के िलए काले घोड़े की नाल और नाव की कांटी से बनी अंगठ ू ी भी काफी लाभूद होती है परं तु इसे िकसी अच्छे पंिडत से सलाह और पूजा के पश्चात ही धारण करना चािहए. साढ़े साती से पीिड़त व्यिक्तयों के िलए भी शिन का यह उपाय लाभूद है . शिन का यह उपाय शिन की सभी दशा में कारगर और लाभूद है .

ज्योितष उपाय-3 : राहु, केतु एवं कालसपर् योग Jyotish Remedies for Rahu, Ketu and Kalsharpa Yoga महों के अशुभ िःथित में होने पर उनका उपाय िकया जाता है . महों के उपचार के िलए कई तरीके ज्योितषशास्तर् में िदये गये हैं िजनके अनुसार राहु, केतु एवं कालसपर् दोष के कुछ िवशेष उपाय हैं िजन्हें आप आज़मा सकते हैं . कमजोर एवं पीिड़त राहु के उपाय (Remedies for Rahu) राहु भी शिन के समान कष्टदायक मह माना गया है इससे पीिड़त व्यिक्त को भी काफी मुिँकलों का सामना करना होता है . इस मह से पीिड़त व्यिक्त राहु की शांित के िलए जो उपाय कर सकते हैं उनमें दान का िवशेष ःथान है . राहु की शांित के िलए लोहे के हिथयार, नीला वस्तर्, कम्बल, लोहे की चादर, ितल, सरसों तेल, िवद्युत उपकरण, नािरयल एवं मूली दान करना चािहए. सफाई किमर्यों को लाल अनाज दे ने से भी राहु की शांित होती है . राहु से पीिड़त व्यिक्त को इस मह से सम्बिन्धत रत्न का दान करना चािहए. राहु से सम्बिन्धत अन्य उपाय (Other Remedies for Rahu) राहु से पीिड़त व्यिक्त को शिनवार का ोत करना चािहए इससे राहु मह का दंूभाव कम होता है . मीठी रोटी कौए को दें और ॄाह्मणों अथवा गरीबों को चावल और ु मांसहार करायें. राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीिड़त व्यिक्त की सहायता करनी चािहए. गरीब व्यिक्त की कन्या की शादी करनी चािहए. राहु की दशा से आप पीिड़त हैं तो अपने िसरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी. राहु की दशा में इन चीज़ों से बचें (Remedies for Rahu Rahu Dasha ) मिदरा और तम्बाकू के सेवन से राहु की दशा में िवपरीत पिरणाम िमलता है अत: इनसे दरी ू बनाये रखना चािहए. आप राहु की दशा से परे शान हैं तो संयुक्त पिरवार से अलग होकर अपना जीवन यापन करें . नीच तथा कमज़ोर केतु के उपाय (Remedies for Ketu) पौरािणक मंथो में राहु और केतु को एक ही शरीर के दो भाग माना गया है . ज्योितषशास्तर् इसे अशुभ मह मानता है अत: िजनकी कुण्डली में केतु की दशा चलती है उसे अशुभ पिरणाम ूाप्त होते हैं . इसकी दशा होने पर शांित हे तु जो उपाय आप कर सकते हैं उनमें दान का ःथान ूथम है . ज्योितषशास्तर् कहता है केतु से पीिड़त व्यिक्त को बकरे का दान करना चािहए. कम्बल, लोहे के बने हिथयार, ितल, भूरे रं ग की वःतु केतु की दशा में दान करने से केतु का दंूभाव कम होता है . ु गाय की बिछया, केतु से सम्बिन्धत रत्न का दान भी उत्तम होता है . अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है तो मंिदर में कम्बल का दान करना चािहए. केतु के अन्य उपाय (Remedies for Ketu Dasha) केतु की दशा को शांत करने के िलए ोत भी काफी लाभूद होता है . शिनवार एवं मंगलवार के िदन ोत रखने से केतु की दशा शांत होती है . कुत्ते को आहार दें एवं ॄाह्मणों को भात िखलायें इससे भी केतु की दशा शांत होगी. िकसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजुगोर्ं एवं संतों की सेवा करें यह केतु की दशा में राहत ूदान करता है . काल सपर् दोष के उपाय (Remedies for Ketu Kalsarp Yoga) काल सपर् दोष राहु और केतु के कारण बनता है . इस दोष से पीिड़त होने पर जीवन में भले ही आप सफलता के आसमान पर पहंु च जाएं परं तु एक िदन यह आपको ज़मीन पर लाकर पटक दे ता है . इस दोष का उपाय यह है िक आप राहु और केतु के दोष का िनवारण करें और महामृत्युंजय मंऽ का जाप करायें. इस दोष में सपर् मंऽ और सपर् सूक्त का पाठ भी लाभूद होता है . ूथम, पंचम और नवम भाव के ःवामी को मजबूत बनाने का उपाय करें .

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